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४१४ : सिद्धान्ताचार्य पं० फूलचन्द्र शास्त्री अभिनन्दन-ग्रन्थ
श्री निसईजी क्षेत्र पर एक बीजक लगा हआ है। उसकी अविकल प्रतिलिपि
विज्ञप्ति १००८ श्री निश्रेयीजी तीर्थ क्षेत्र तपोभूमि एवं अंतिम समाधि स्मारक भूमि पर निर्वाण मेला भराने वालोंकी नामावलि श्री क्षेत्र वि० सं० १५७२ में स्थापित ।
मेला भराने वालोंकी नामावलि१. श्री सेठ ताराचन्दजी मल्लूसावजी दो सके नागपुर वि० सं० १८७४ । २. श्री सेठ............समजी मल्लजी वैशाखिया बांदा वि० सं० १९०० । ३. श्री सेठ घासीरामजी परमानंद खूबचंदजी बांदा वि० सं० १९१६ ।
इस मेलामें जयपुरसे एक धर्मात्मा भाई आये थे। किन्तु इन्होंने अपना नाम उजागर नहीं किया । सम्मति रजिस्टरसे श्री सिंघई निशानचंद माणिकचन्दकी धर्म सेवा आदि कार्यक. मेला भराने वालोंको आर्थिक व दूसरे प्रकारका सहयोग देना । ख. होशंगाबादके चैत्यालयके निर्माणमें मुख्य रूपसे भाग लेना । ग. प्रतिदिन कमसे कम ५ साधर्मी बन्धुओंके साथ भोजन करना । घ. समाजके आजीविकाहीन बन्धुओंको आर्थिक सहायता देकर रोजगारमें लगाना । ङ. प्रतिवर्ष साधर्मी भाइयोंको प्रीतिभोज देना ।। च. साधर्मी भाइयोंको आर्थिक व दूसरे प्रकारकी सहायता देकर १०१ घरोंको स्थिर स्थावर करना । छ. स्वयं अपनी ओरसे पाठशाला खोली जानेमें सर्वाधिक सहयोग करना । ज. प्रतिवर्ष मेलामें पैदल नंगे पैर आते रहना (सम्मति रजिस्टरसे)। ५. श्री सेठ घासीरामजी परमानन्द खूबचन्दजी बांदा वि० सं० १९२८ । ६. श्री सेठ मदनलाल बालचन्द बिहारी लालजी सागर वि० सं० १९२९ । ७. श्री सेठ बरनजू बालचन्दजी सागर वि० सं० १९३० । ८. श्री सेठ चन्द्रभान नाथूरामजी खानीमूरी होशंगाबाद वि० सं० १९३६ । ९. ................"................".........वि० सं० १९४७ । १०. श्री सेठ मोदी बालचन्द रामप्रसाद गुलाबचन्दजी आगासौद वि० सं० १९६२ । ११. श्री सेठ बसंतलालजी मुरलीधर वंशीधरजी बांदा वि० सं० १९७३ । १२. श्री सेठ छुन्नीलाल मानिकचंदजी टिमरनी वि० सं० १९९० ।
विशेष—इस मेले पर इसी क्षेत्र पर श्री जिन तारण-तरण पाठशालाकी स्थापना हुई थी।
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