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५८० : सिद्धान्ताचार्य पं० फूलचन्द्र शास्त्री अभिनन्दन ग्रन्थं
यद्यपि ये प्रश्न जटिल नहीं थे, परन्तु हम लोगोंने अपने स्वार्थ वासनापूर्ण कार्योंसे इनको जटिल बना दिया है और केवल अपने सामने ही नहीं सारे समाजके सामने जीवन मरनकी समस्या उपस्थित कर दी है।
इन प्रश्नोंके विषयमें प्रकाश डालना इन थोड़ी सी पंक्तियों में हम अशक्य समझते हैं इसलिये इन प्रश्नोंपर हम क्रमशः प्रकाश डालनेका प्रयत्न करेंगे फिर भी यहाँ पर उन लोगोंको जिनके हाथमें आज समाजको ऊपर उठाने की या उसको कुचलनेकी सामर्थ्य है- - सावधान कर देना चाहते हैं कि
ऐ ! समाजके प्रमुख नेताओं ? जरा आँखें खोलो हृदय पर हाथ रखकर विचार करो, कि तुम समाजको किस ओर ले जा रहे हो, तुम्हारी पक्षपातपूर्ण एकांगी विचारधाराका ही क्या यह फल नहीं है कि समाजमें चारों ओर विद्वेषाग्नि धधक रही है । जो कार्य समाजके हितके लिये किया जा रहा हो, उससे ही समाज में कलह पैदा होने लग जाय तो इसमें इसके अतिरिक्त कि तुम्हारी स्वार्थपूर्ण दुर्भावनायें काम कर रही हैं - और क्या कारण हो सकता है ? इसलिये अपनी पक्षपात पूर्ण नीतिको जल्दी से जल्दी जलाञ्जलि दो और हृदयकी पवित्र भावनाओंका समाजके ऊपर प्रभाव डालने का प्रयत्न करो । विरोधीपक्षका पक्षपात पूर्ण विरोध करके उसके लिये प्रेम पूर्वक मार्ग प्रदर्शक बनो, इसीमें आपकी शान और समाजका सुखपूर्ण जीवन निहित है | क्या समाजका प्रमुख समुदाय हमारी इस प्रार्थनापर ध्यान देगा ।
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