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सूत्रकृतामसूत्रो
अन्वयार्थ:(ते) ते पूर्वोक्त वादिनोऽन्यतीथिकाः 'संधि' सन्धिम् अवसरं (णावि) नैव (णच्चा) ज्ञात्वा क्रियायां प्रवर्तन्ते । ते (जणा) जनाः- पूर्वोक्तवादिनः । (धम्मविओ) धर्मविदः= धर्मज्ञातारः (न) न सन्ति। (जे ते उ) ये ते तु (एवं) एवं पूर्वोक्ताः (वाइणो) वादिनः अफलवादस्य समर्थयितारः । (ते) ते वादिनः (ओहंतरा) ओघन्तराः संसारपारकर्तारः (न आहिया) नाख्याताः= न कथितास्तीर्थङ्करैः ते संसारपारगामिनो न भवन्तीति भावः ॥२०॥
शब्दार्थ-ते-ते' पञ्चमहाभूत आदिको बताने वाले 'संधि-सधिम्' संधिको अवसरको ‘णावि जच्चा-नैव प्रात्वा' नहीं जानकर किया प्रवृत्त होते हैं 'ते जणाते जनाः' वे लोग 'धम्मविओ-धर्मविद्ः धर्म को जानने वाले 'न-न' नहीं हैं 'जे ते उ-ये ते तु' जो अन्यदर्शि हैं 'एवं-एवम् पूर्वोक्त रूप कहे गये 'वाइणो-वादिनः' अफलयादी समर्थन करनेवाले ते-ते वे वाद करनेवाले 'ओहंतरा-ओधन्तग' संसारको पार करनेवाला 'न आहिया-नाख्याताः, नहीं कहे हैं ॥२०॥
अन्वयार्थः
पूर्वोक्त अन्यतीर्थिक सन्धि अर्थात् अवसर को न जानकर ही क्रिया में प्रवृत्ति करते हैं वे लोग धर्म के ज्ञाता नहीं हैं जो पूर्वोक्त वादी अफलवाद के समर्थक हैं वे तीर्थकरों द्वारा संसार को पार करने वाले नहीं कहे गये हैं, अर्थात् वे संसार से तिर नहीं सकते ॥२०॥
शा-'ते ते' ५महाभूतवाहीमो 'संधि-सन्धिम्' सचिन-२५१५२ने 'णावि णच्चा-नैव ज्ञात्वा याविना ४ यिामा प्रवृत्त थाय छे. 'ते जणा-ते जनाः' तेही 'धम्मविओ-धर्म विदः' भने पापा 'न-नाता नथी. 'जे ते उ-ये ते तु' र अन्यमतवाहिन्या छ. 'एवं-एवम् पूर्वात प्रारथी अपामां आवेत 'वाइणो-वादिनः'
१३सपा समर्थन ४२वावा'ते ते मे शत वा ४२वावाणा-या 'ओह तराओधन्तगः' संसारने ॥२ ४२वावा॥ 'न आहिया-नाख्याता' हा नथी. ॥२०॥
__-मन्वयार्थ - પૂત અન્યતીથિ કે (અન્ય મતવાદીએ) સન્ધિ એટલે કે અવસરને જાણ્યા વિના જ કિયામાં પ્રવૃત થાય છે. તેઓ ધર્મના જ્ઞાતા નથી જે અન્યતીથિ કે અફલવાદના સમર્થક છે તેમને તીર્થકરેએ સંસારને પાર કરનાર કહ્યા નથી. એટલે કે તે અફલવાદીએ સંસારને तरी शता नथी, परन्तु तेभा मेसा ४ रहे छ. "२०"
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