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कर्मदेव और जान देष
dear के sura Deार से भी दो भेद किये गये हैं। यथा(१) कर्मदेवा. - कर्मणोत्कृष्टेन देवस्वं प्राः कर्म देवाः । अर्थात मे आदि शुभ कर्मों से जिन्होंने tava (देवयोनि) को प्राप्त किया है वे कर्म देव हैं।
(२) आजानदेवाः सूर्यादय आजावदेवाः |
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( आचार्य महीधर )
यजुर्वेद ३१ मन्त्र १७ के भाग्य में महांघर ने सूर्य आदि को व्याजानदेव माना है। इसमें कम देवों से जान देव श्रेष्ठ माने गये हैं । तै ३०२ । ८
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ये शर्त देवानामानन्दाः स एको देवाना मानन्दाः ।
नया यहां 'आजानजः' देव भी माने गये हैं, जिसका अर्थ श्री शंकराचार्यजी ने
( " आजान इति देव लोकस्तस्मिन् जाजाने जाता थाजाना देवा: स्मार्तकर्मविशेषतो देवस्थानेषु जाताः । कर्म देवा, में वैदिकेन कर्मणाम होवादिना केवलेन देवानपि यन्ति । देवा इति त्रयस्त्रिंशद् इविर्भुजा इन्द्रस्तेषां स्वामी तस्यस्वार्थी वृहस्पतिः (" )
जान नाम के देवलोक में उत्पन्न होने वाले किया है। येस्मा कर्म से देव हैं तथा वैट दि के द्वारा