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उतावल ना कारणे माणस जाय छे. तेम जीव अशुभ कर्मी ग्रहण करवानी इच्छा न होवा छतां पण भवि -तव्यतादि ना योगे अशुभ कर्मो ने ग्रहण करे छे .
मूलम्तथाच चौरा:परदारगापि, व्यापारियोदशनिनोद्विजास्तथा। विदन्तएतेहि तथा विधीयतेः, शुभाशुभंकर्म समाचरन्ति ।६।
गाथार्थ- चोर लोको, परस्त्री गमन करनारायो व्यापारियो , अन्यदर्शनियो अने ब्राह्मणो पोत पोताना कर्म ना फल ने जाणवा छतां शुभाशुभ कर्म करे छे. विवेचनजेम चोरी करनार जाणे छे के चोरी करवाथी वध, बंधन, कैदनी शिक्षा (सजा) विगेरे फल मले छे. परस्त्रीगामी पण परस्त्रीगमन करवाथी राजदंड वध आदि फल मले छे ते जाणे छे. व्यापारियोपण अनोति, विश्वास घात आदि करवाथी अपयश आदि फल मले छे ते जाणे छे. अन्य दर्शनियो अने ब्राह्मणे पण पोताना कर्म न केवा प्रकार नु शुभाशुभ फल मले छे ते जाणे छे छतां पण भवितव्यतादि ना योगे शुभाशुभ कर्म करे छे. तेम जीव पण जाणवा छतां भवितव्यतादि नी प्रेरणा थी शुभाशुभ कर्मो ग्रहण करे छे.
मूलम्मिक्षुस्तथाबन्दिऋषिश्चमिक्षां स्निग्धचिरूक्षापरिबुध्यभुङ क्ते। शूरस्तथा युद्धगतोऽवगच्छन्, शत्रून शत्रूश्च निहन्ति रोधे।७।