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ने जे अनंत सुख होय छे ते सुखना समूह ने शाना जाणता छतीं कहेवाने 'समर्थं नथी. विवेचन- जगत मां केटलीक वस्तुप्रो एवी पण छे के जेने जीव पोते जागी पण शकतो होय अने अनुभव पण करी शकतो होय, छतां ते वस्तु केवी छ, त बीजाने बतावी शके नहीं. जेमके घी नो स्वाद लेनार मनुष्य घी ना स्वाद ने पीते जाणे "छे, 'तैनी अनुभव पण पोते करे छे, छतों बीजा ने बतावी शकतो
थी. तवाज रीते इन्द्रियों 'ना भोग विना अने मन, वचन, काया नी चेष्टा विना पण सिद्ध भगवंतो ने आत्मा ना अनंत ज्ञान द्वारा जे अनंत सुख होय छे. ते, सुखना समूह ने केवली भगवंतो पोते जाने के छवां बीजा- वे कही. शकता. नथी..
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॥अथ षष्ठोऽधिकारः ॥
सिद्ध भगवंतो ने कर्म ग्रहण स्वभाव नु वर्जन
जोवस्य कर्मप्रहणे स्वभाव-स्तदा स मौलं सहज विहाय । कर्मग्रहास्यं कथमेष सिद्धी, भवेद्विचार: परिपठ्यता भोः १