________________
( ३०६ )
मूलम्:एवं पदार्था बहवोऽप्यजीवाः,सुखस्य दुःखस्य च हेतवः स्युः । देवाधिदेवप्रतिमाऽप्यजीवा, सती न कि सा सुखहेतुरत्र ।१५ गाथार्थः ए प्रमाणे घणा पदार्थो अजीव होवा छतां सुख दुःख ना कारण रूप थाय छे, तो देवाधिदेव नी प्रतिमा पण अजीव होवा छतां सुखना हेतु रूप केम न थाय ? अर्थात् थायज. विवेचन:-ए प्रमाणे घणां दृष्टांतो द्वारा बताववामां आव्यं के घणा पदार्थो अजीव होवा छतां पण जीवो ना सुख अने दुःख ना हेतु माटे थाय छे. तो देवाधिदेवनी प्रतिमा अजीव होवा छतां पण तेमना भक्तोना सुख ने माटे थाय तेमां शुं अाश्चर्य ? अर्थात् जरूर भक्त जनोना सुख ने माटे थाय छे.
वरं निजेशप्रतिमाऽपि तहि, दृष्टा सती भक्ततमांसि हन्तु । परन्तुयाऽस्याःक्रियतेसपर्या,साजीवतःकस्यचकिम्फलास्थात् ? गाथार्थ-पोताना स्वामी नी प्रतिमा ना दर्शन थी भक्त जनो नो अंधकार भले नाश पामे परन्तु तेनी पूजा कराय छे तो प्रतिमा अजीव होवा थी केम फल वाली थाय ? ... विवेचन:-प्रतिमा पूजन ना विषय मां शंका करे छे के मानो पोताना स्वामी नी प्रतिमा तेना दर्शन करनार अथवा