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गाथार्थ :--अजीव एवो पण चंचा पुरुष क्षेत्र नं रक्षण करवा समर्थ बने छे. अशोक नी छाया शोक नो नाश करनार थाय छे अने बहेड़ां नामना वृक्षनी छाया मनुष्यो ने क्लेश माटे थाय छे. विवेचन:-अजीव वस्तु पण संसार मां केवा प्रकार - फल आपे छे ते वस्तु बतावतां जणावे छे के जेम क्षेत्र मां धान्य ना रक्षण माटे पुरुष जेवा आकार नो चंचा पुरुष बनावे छे ते अजीव होवा छतां पण रक्षा करवा मां समर्थ बने छ, अने अशोक नो छाया अजीव होवा छतां तेनी नीचे बेसनारना शोक नो नाश करे छे. बहेडां नाम ना वृक्ष नी छाया पण अजीव होवा छतां तेनी नीचे बेसनार मनुष्य ने विद्वेष थाय छे.
अजारजोमुख्यमथाऽप्यजीवं, पुण्यादिहान्य भवतीति लोकः । अस्पृश्यकच्छायमजीवमेवं, यल्लवमानस्यनिहन्तिपुण्यम् ।१३ गाथार्थः-गभिणी स्त्री नी छाया उल्लंघन करनार भोगी पुरुष न अथवा सर्प न पुरुषत्व हणे छे. महादेव नी छाया उल्लंघन करनार पुरुष ऊपर महादेव नो रोष थाय छे. विवेचनः सुगम छे। .... ...