________________
( ३२६ )
वहेवुं ते चन्द्र नाड़ी अन्ने बन्ने बाजू नी नासिका मां पवन नुं वहेवुं ते मध्य नाड़ी. ते दरेक स्वर मां पांच तत्त्वो होय छेपृथ्वी तत्त्व, जल तत्त्व, अग्नि तत्त्व, वायु तत्त्व अने आकाश तत्त्व - ए तत्त्वे अनाकार छे, छतां तेमनी प्राकृति होय छे. जो अनाकार एवा तत्त्वोनो प्रकृति होय छे तो अनाकार एवा सिद्ध भगवंत नी प्रकृति केम न होय ? अर्थात् होय छे.
मूठम्:
पुनर्बुधेक्षस्व यतीह सन्ति, लोकेषु लोकाः किल लब्धवर्णाः । सर्वेश्वतैराकृतिर्वा जताश्रपि वर्णाः प्रक्लृप्ताः स्वकनामसाकृताः । गाथार्थ - वली हे पंड़ित ! तुं जो; श्रा संसार मां-लोक मां जे साक्षरो छे तेस्रो प्रकार रहित एवा पण अक्षरो ने पोत पोताना नाम सहित अक्षरो बतावेला छे.
विवेचनः - हे विद्वान्, तुं बराबर जो प्राकार रहित वस्तु ने साकार केम बनाववामां आवे छे ते दृष्टांत सहित बतावाय छे. जेम के आ संसार मां लोको मध्ये जे साक्षर लोको छे, ते सर्वे ए आकार रहित अक्षरो ने पोत पोताना नाम देवा पूर्वक साकार बनाव्या. जेमके आ 'क' आा 'ख' अने 'ग' विगेरे 'अ' थी मांड़ी 'ह' पर्यंत स्वर अने व्यंजनो
2
ना आकार बनाव्या.