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विवेचनः पा रीते मोक्ष मा गयेला आत्मायो मां निष्क्रियता निश्चयरीते सिद्ध थई अने ते प्रसिद्ध छे. तेमज मनना नियन्त्रणथीज आत्मा सिद्ध पद पामे छे. माटे सिद्ध थवा मां मन नो निरोध एज कारण छे. तमो पण एज मार्ग मां एटले मन ने निरोध करवामांज रमण करो.
॥ अथ एकविंशतितमोऽधिकारः ॥ - मन ना निरोध रूप योग मार्ग मां प्रवर्तवानों उपदेश मूलम् :अमुविचारं मुनयः पुरातना,ग्रन्थेषु जग्रन्थुरतीव विस्तृतम् । परं न तत्र द्रतमल्पमेधसा-मैयुगीनानांमतिःप्रसारिणी ॥१॥ मया परप्रेरणपारवश्या-दजानतापीति विधृत्य धृष्टताम् । प्रश्नाव्यतायन्तकियन्तएते,परेणपुष्टाःपठितोत्तरोत्तराः ॥२॥ गाथार्थ -प्रा विचार ने प्राचीन मुनिग्रोए नथ मां घणाज विस्तार थो कहेलो छे. परन्तु प्रा विचार मां आ युग मां उत्पन्न थयेला अल्प बुद्धि वालाप्रो नी बुद्धि जल्दी काम आपती नथी. एथी बीजामोनी प्रेरणा नी परतन्त्रपणा थी अज्ञानी एवा में आ धिठाई करीने बोजाग्रोए पूछेला पा थोड़ा प्रश्नो ना क्रम पूर्वक विस्तार थी उत्तर प्राप्या छे.