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एवा नास्तिक ना प्रश्न नो उत्तर प्रापतां मास्तिक जणावे छे के हे साधु ! तारो प्रश्न बराबर छे. परन्तु तेनो उत्तर ए छे के तुं बराबर हृदय मां विचार स्थिर करी ने जो तो मालूम पड़शे के दरेक वस्तु नो फल आपवानो समय होय छे. जे काले जे बस्तु फल प्रापवानी होय छे ते कालेज ते वस्तु फल आपे छे, तेमां शंका नथी.
यथाहि गर्भो नवभिस्तु मासैः, पूर्णर्लभेत् सूतिमिहैव नादि । तथापुनःकाश्चममन्त्रविद्याः,लक्षणकोट्यावफलन्तिजापैः॥३॥ गाथार्थ- जेम संसार मा गर्भ नव मास पूर्ण थये छते जन्म थाय छ, पहेलां नही वली कोई मंत्र विद्या लाखें अथवा करोड़ जाप बडे फले छे.
- विवेचन:- हमेशां दरेक वस्तु फलवानो पण काल होय छे अने ते वस्तु ते कालेज फले छे. एम दृष्टांत बतावतां कहे के के जेम प्रा संसार मां बालक नो जन्म थाय छे ते पण नव मास गर्भ मां पूर्ण थया बादज थाय छे. नव मास पहेला बालक नो जन्म थतो नथी. तेवीज रीते मंत्र अने विद्या फलवानो पण काल होय छे. कोई मंत्र अथवा विद्या एक लाख नो जाप थाय त्यारे फले छे अने कोई मंत्र के विद्या एक करोड़ नो जाप पूर्ण थाय त्यारे फले छे. एमां काल नी मुख्यता छ.. .