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एटले बन्ने नां मुक्ति नां कारणो एक नथी. जेम के जगत नी उत्पत्ति, स्थिति ने प्रलय ना कारण भूत त्रिष्णु ने माननार वैष्णवो विष्णु नी सेवाभक्ति थी मुक्ति थाय छे एम माने छे. ब्रह्मवादिश्रो ब्रह्म नी उपासना थी मुक्ति थाय छे एम माने छे. शैत्रो एटले शिवभक्तो शिव नी उपासना थी मुक्ति थाय छे एम माने छे अने शक्ति ने माननार शाक्तो शक्ति नी उपासना थी मुक्ति थाय छे एम माने छे. वैष्णवादिश्रो श्रात्मज्ञान ने मुक्ति नुं कारण मानता नथी तो तमो कहो छो तेम आत्मज्ञान थी मुक्ति थाय छे एम निर्णय केवी रीते थाय ?
मूलम्:
सत्यंयदेते किल लोकलढि रूढास्तु विष्णवादिकभिन्नवीक्षिणः । परन्तु तत्त्वार्थतएष श्रात्म-वार्थोऽभिवाच्योननुविष्णुमुख्यैः ||४| नाथार्थः- तमारू' कथन सत्य छे. वैष्णवादिको लोक रूढि श्री विष्णु प्रमुख ने अलग अलग देखे छे, परन्तु तत्त्व थी तो का आत्माज विष्णु आदि शब्द थी कहेवो जोइये. विवेचनः - तमारू कथन सत्य छे के आ वैष्णवो, ब्रह्मोपासको, शैवो ने शाक्तो लोक रुढि थी विष्णु, ब्रह्म, शिव ने शक्ति ने अलग-अलग देखे छे परन्तु तत्त्व थी जो अर्थ