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ना प्रकट समये समान उपदेश होय छे अने कार्य पण समान होय छे. विवेचन:-आजे पण विश्व मां जेटला राष्ट्र एटले देशो छे ते दरेक नी भाषा जेम अलग होय छे तेम प्रायः करीने अक्षरो नी आकृति पण अलग-अलग होय छे. जेमके इङ्गलिश, बंगाली, मराठी, कन्नड, तेलगू, गुजराती विगेरे भाषाप्रो छे. तेमनी भाषा पण अलग अने तेमनी आकृतिम्रो पण अलग होय छे. परन्तु ते व्यक्ति ना काल मां वर्णो ना प्रकट समये उपदेश समान होय छे अने कार्य पण समान होय छे.
पुनश्चपश्यत्वमिमा:समालिपी-मिथ्याविधानहिकोऽपिशक्तः। यायेषुसिद्धाःकिलतैश्चताभिनलिपिभिः प्रविधीयतेफलम् । गाथार्थ:-वली तुं जो आ सर्व लिपिनो मिथ्या करवाने कोई समर्थ नथी. तो लोक मां जे लिपियो प्रसिद्ध छे ते पूर्वे कहेल मनुष्यो ते लिपियो द्वारा फल नुं विधान करे छे. विवेचन-लिपि मां जे अक्षरो छे के जे अनाकार नी आकार वाली वस्तुओ छे ते बधांने मान्य छे तथा तेनुं फल पण छे. ते बतावतां कहे छे के आ सर्व लिपिनो ने मिथ्या करवाने कोई समर्थ नथी. अने लिपिनो द्वारा ते पुरुषो वड़े तेना फल नुं विधान कराय छे.