________________
( ३२५ )
छे. अने जे आज्ञा छे ते आज्ञा पण अरूपी एवा भगवान आदि नी प्रताप संबंधी छे. तेथी पहेलां भगवान आदि नो प्रताप पण अमूर्त हतो. अमूर्त एवा भगवान आदि नी प्रताप पण अमर्त अने ते अमूर्त नी आज्ञा पण अमूर्त.अने आज्ञा नो रेखा रूप आकार मनुष्यो थी कल्पाय छे. वली मनुष्यो मां जे आज्ञा नुं उल्लंघन करे छे ते सारो नथी.: जे आज्ञा नुं उल्लंघन करतो नथी ते सारो छे. आगम शास्त्र अने मंत्र शास्त्रो मां पवन अने आकाश नी मंडल द्वारा रेखा कराय छे. एटले रेखा द्वारा एम बताववामां आवे छे के पा रेखा वायु नी छे अने आ रेखा आकाश नी छे.
चूलम्स्वरोदयस्याऽथविचारशास्त्रे,तत्त्वानिपञ्चाऽपिचसाकृतीनि । अनाकृतंवस्त्वितिसाकृतंयथा,स्यादित्थमाकारइहाऽप्यनाकृतेः। गाथार्थ विचार शास्त्र मां स्वरोदय नां पांच तत्त्वो आकृति सहित होय छे. जेम अनाकार वस्तु साकार मनाय छे, तेवी रीते आ संसार मां अनाकार सिद्ध नी पण आकृति थाय छे. विवेचन:-वली बीजां उदाहरणो बतावतां कहे छे जेम के प्रश्नादि विचार रूप आगम मां स्वरोदय संबंधी ज्ञान बताव्यं छे, तेमां स्वर नाड़ी ना त्रण भेद बताव्या छे-सूर्यनाड़ी,चंद्रनाड़ी अने मध्यनाड़ी. जमणी बाजू नी नासिका मां पवन नुं वहे ते सूर्यनाड़ी, डाबी बाबू नी नासिका मां पवन नुं