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प्राज्ञा य एते गदिताः पदार्था-स्ते सर्व प्राकारयुक्ता भवन्ति । श्रतस्तदीया कृतिमन्तरात्मनः कृत्वाऽर्चयन्तेऽत्रतदीयबिम्बम् । ३८ ईश्वर निराकार छे तो तेनी प्रतिमा केम थाय ? श्राकारमुक्तो भगवान्प्रसिद्ध-स्ततस्तदीयं प्रतिबिम्बमेतत् । कृत्वा कथं पूज्यत एवमत्र, दोषस्त्वद्वस्तुनि तद्ग्रहौ यः ॥ ३६ गाथार्थ - हे विद्वानो ! आ पूर्वे कहेम ते सर्वे पदार्थो प्राकार वाला कहेला छे. तेथी ते संबंधी ते आकार ने अन्तरात्मा मां धारण करीने तेमना बिम्ब नी पूजा करवामां श्रावे छे, परन्तु भगवान आकार मुक्त प्रसिद्ध छे. तेथी ते संबंधी प्रतिमा बनावीने केवी रीते पूजाय ? अ भगवान मां भगवान 'एवी बुद्धि दोष रूप छे. विवेचन: - हवे नास्तिक ग्रास्तिक ने प्रश्न करे छे के हे विद्वानो ! तमोए पहेलां दक्षिणावर्त शंख, चिन्तामणि रत्न, कामकुंभ अने चित्रवेली विगेरे नां जे दृष्टांतो श्रापेल छे ते बधा पदार्थो आकार वाला छे. एटले आकार वाली वस्तुप्रो ना प्रकार ने पोताना अन्तरात्मा मां धारण करीने तेमना बिम्ब ने पूजवामां आवे छे. एटले ते तो बराबर छे परन्तु जे भगवान नी प्रतिमा बनाववामां आवे छे ते भगवान तो निराकार छे. तेथी ते संबंधी प्रतिमा करीने केवी रीते पूजाय ? वली भगवान नी प्रतिमा मां भगवान नो आकार न होवाथी ते बिम्ब पण भगवान थी भिन्न थशे अने ते