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( ३१७) तो ते पूजनिक बनतो नथी अने गुणवान न होवा छतां पांच प्रामाणिक मारणसोए मान्य करेल होवाथी ते पूजनिक बने छे. जेमके कोई राजपुत्र प्रायः वीर्यादि विशिष्ट गुणवालो होवा छतां तेने छोड़ी ने पांच प्रमाणिक मनुष्यो कोई निर्बल वंश वाला ने तेना पुण्य थी राज गादी ऊपर स्थापन करे छे. हवे आ निर्बल वंश वालो राजा गुणवान एवा राजपत्र ने आज्ञा करे अने जो राजपुत्र आज्ञा न माने तो तेमनो राजा ते राजपुत्र ने नंदन राजा नी जेम शिक्षा पण करे.
विचार्यते चेन्मनसा मनुष्य-मौलो गुणी राजसुतः स योग्यः। परन्तुयःक्षुद्रकुलोपिराजा, सएक्सेव्यःखलुपञ्चपूजितः ।३४ गाथार्थ :--जो मनुष्यो बड़े मन थी विचाराय तो उत्तम कुलवान अने गुणवान राजपुत्र तेज राज ने योग्य छ, परन्तु क्षुद्र कुलवालो पण राजा पंच थी पूजित होवाथी ते सेववा योग्य थाय छे. विवेचनः- वास्तविक रीते तो दरेक मनुष्य ना हृदय मां एम लागे छे के जे उत्तम कुल मां उत्पन्न थयेल होय अने वोर्यादि गुण वालो होय ते राज्य ने योग्य छे, परन्तु तेने पांच प्रमाणिक पुरुषोए मान्य करेल नथी तेथी ते सेववा