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वाली होवाथी दक्षिणावर्त शंखादि नी जेम परमेश्वर संबंधी प्रतिमा केवी रीते इच्छित फल प्रापी शके ? आम बोलवुं योग्य नथी. कारण के प्रा संसार मां जे वस्तु स्वाभाविक रीते गुणवाली होय छे अने तेमां पण पांच सारा माणसोए ए वस्तु मान्य करेल होय तो ते प्रथम करतां विशिष्ट गुणवाली बने छे. ए प्रमाणे परमेश्वर संबंधी प्रतिमा पण स्वाभाविक रीते गुणवाली छे. अने इन्द्रादि अने चक्रवर्ती आदि वड़े पूजायेली एटले मान्य होवाथी विशिष्ट गुण वाली बने छे.
मूलम्:
यथाहि कश्चित्किल राजपुत्रः, प्रायेणवीर्यादिगुरणास्पर्ष स्यात् । तंप्रोज्झ्यचेद्द बेलवंशसम्भवं, पुण्याच्च राज्येविनिवेशयन्ति । ३२ प्रामाणिकाः पञ्चयदातदात्वयं, राजन्यकंमौलमपि प्रशास्ति । यदा तदुक्तं न करोति कश्चित्स शास्यते नन्दवदेव तेन ॥३३ नाथाथ जेम कोई राजपुत्र प्रायः वीर्यादि गुण वालो होय ते छोड़ी ने दुर्बल वंश वाला ने पांच प्रामाणिक पुरुषो तेना पुण्य थी राज्य ऊपर स्थापन करे छे. ज्यारे आ राजा मूल राज पुरुष ने आज्ञा करे छे अने तेनी प्राज्ञा न माननार राज-पुत्र ने नंदन राजा नी जेम ते दंड करे छे. विवेचनः प्रहियां खास ए बाबत जणावी छे के गुणवान होवा छतां पांच प्रामाणिक माणसोए मान्य न करेल होय