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( १४६ ) नी शक्ति के कारण के ते ईश्वर अचिन्त्य शक्ति वालो छे. जो तमो ईश्वर ने अचिन्त्य शक्ति वाला मानो छो तो ईश्वर जीवो ने अने पदार्थो ने संग्रही राखे छे, माटे ईश्वर लोभी होवो जोइये एम लाग्या वगर रहे नहीं.
मूलम् :
कृत्वा नवानेव यदैव जन्तून, संसारिभावं प्रति लाभयेच्चेत् । मौलानकथंमोचयितुं क्षमोन,येनस्वक्लुप्तानितिकिविडम्बयेत्५२ गाथार्थ:- जो अवसरे नवा-नवा जीवो ने उत्पन्न करी संसारी भाव ने पमाड़े तो ते जीवो ने मुक्त करवाने केम समर्थ नथी के जेथी पोते बनावेल जीवो ने या रीते विडंबना करे छे ? विवेचन:-तमारा कहेवा मुजब सृष्टि सर्जन ना काले ईश्वर नवा-नवा जीवो ने उत्पन्न करी संसारी भाव ने पमाड़ छे एम मानिये तो शु ईश्वर मां नवा-नवा जीवो ने बनावी संसारी भाव ने पमाड़वानी शक्ति छे तो ते बधा जीवो ने मुक्त करवानी ईश्वर नी शक्ति नथी ? जो ईश्वर नी ते जीवो ने मुक्त करवानी शक्ति होय तो पोतानाज बनावेल जीवो ने आ रीते शा माटे विडंबना करतो होय, तो तेनो दया भाव क्यां गयो ? अने ईश्वर ने निर्दय गणवो ते पण ठीक नथी.