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गाथार्थ-ज्यारे माता आदि प्राप्त जनो 'तारे भमरादि चिन्हो छ' एम कहे छे त्यारे पण तेनाथी अनुमान कराय छ, परन्तु पोतानी इन्द्रियो वड़े जोवातां नथी. विवेचनः-पोताना शरीर ना पाछल ना भाग मां रहेल भमरादि चिन्हो पोते जोई शकतो नथी, परन्तु ज्यारे तेनी माता आदि कोई पण प्राप्त जनो कहे के तारे पाछल ना भाग मां आवा प्रकार ना चिन्हो छे, त्यारे पण ते मनुष्य अनुमान करे छे; परन्तु पोतानी इन्द्रियो वड़े जोई शकतो नथी. मूलम्ःविद्वन्! यथास्येक्षकमानवास्ततो-ऽनेकेपरेसन्तितथास्वरीक्षकाः घनानतस्यत्वनिरीक्षकासको,ऽङ क्येवैककस्तेनसमंनचोत्तरम् । गाथार्थ:-हे विद्वन्! जेम एना जोनार बीजा अनेक मनुष्यो छे तेवीज रीते स्वर्ग ने जोनारो घणा नथी. चिन्ह नहीं जोनार, एक चिन्ह वालो एकज छे तेथी तेनो उत्तर भिन्न छे. विवेचन:-नास्तिक आस्तिक ने कहे छे के आनो उत्तर बराबर नथी अर्थात् भिन्न छे, कारण के चिन्ह ने जोनारा घणा मनुष्यो छे परन्तु स्वर्ग ने जोनारा घणा नथी. चिन्ह ने नहीं जोनार चिह्न वालो फक्त एकज छ अर्थात् कदाच