________________
( २७६ ) श्रेष्ठ ज्ञान युक्त पणुं, विकार रहित पणुं, प्रसन्नता, श्रेष्ठ कथा पालाप करवा पणुं, चंचलता रहित, पदार्थ ना समूहो नुं यथार्थ प्रकाश करवा पणुं, स्वामी सेवा रहित पणुं,प्रतीष सत्त्वपणुं, भय रहित पणुं, अल्पाहार पणुं, विशिष्टता, संसार प्रत्ये दुर्गच्छता, एवा प्रकार ना अल्प गुणो मुमुक्षोनो ने हता. मोक्षे गयेला मुमुक्षुत्रो ने ते अल्प गुणो अनंत गुणो थाय छे. ते अनंत गणो गणो तेस्रोने क्षेत्र ना प्रभाव थी प्राप्त थाय छे अने तेनो निर्णय केवली भगवंत ना वचन थी थाय छे. विवेचन:-मोक्ष मां जवानी इच्छा वाला आत्मायो मुमुक्षुत्रो कहेवाय छे. जे आत्मानो ने संसार नी भयंकरता समझाय छे ते अात्मायो दुर्गुणो नो त्याग करी गुणो मेलववा माटे प्रयत्न करे छे. त्यारे तेमनामां प्रथम अल्प गुणोनी प्राप्ति थाय छे. तो आ प्रमाणे मुमुक्षुत्रो मां अल्पगुणो होय छे, जेमके तेत्रो पोताना स्वार्थ खातर कदी पण सत्य ने छोड़ता नथी, ब्रह्मचर्य धारण करवामां दृढ होय छे, गमे ते वा प्रसंगे क्षमा धर्म नो त्याग करता नथी, स्वार्थ नो त्याग करी परोपकार करवामां रसिक होय छे, लालसा नो त्याग करी संतोष धारण करे छे. तेमनुं जीवन निर्दोष होय छे. संसारी वस्तुप्रो प्रत्ये राग अने द्वेष नो प्रभाव होय छे, संग रहित होय छे, कोई पण वस्तु नो प्रतिबंध नो अभाव होवाथी जवापाववामां स्वतंत्र होय छे, श्रेष्ठ ज्ञान धारण