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गुणो प्राप्त करवानी भावना होय तो श्री सिद्ध भगवंत ना गुणो शास्त्र प्रसिद्ध छे ते गुणो ने साधुओए शक्ति मुजब आदरवा जोइये जेथी अनुक्रमे घाति कर्मो नो नाश करी,केवल ज्ञान पामी प्रात्मा मुक्ति पद ने पामे छे. एज तत्त्व रूप छे. मूलम:येऽन्यगृहस्थाःखलुतेस्वकीय-शक्त्यातथादेशतएतकान्गुणान् । दुष्कर्मशान्त्यर्थमनुश्रयन्तः, क्रमेण चैतेऽपि सुखीभवन्ति ।१८ गाथार्थ:-जे बीजा गृहस्थो छ तेरो पण दुष्कर्म नी शान्ति माठे पोतानी शक्ति मुजब देश गणो नो आश्रय ले छे ते प्रो पण सुखी थाय छे. विवेचन:-सर्व त्यागी एवा साधु भगवंतो सिद्ध भगवंत ना गुणो नो आश्रय ले छ अर्थात् गुणो प्रत्ये आदर करे तो लाभ मेलवेज, एमां कई पण आश्चर्य नथी. परन्तु प्रारंभ समारंभ वाला एवा गृहस्थो पण देश गुणो नो दुष्कर्म ना नाश करवा माटे पोतानी शक्ति मुजब आदर करे तो तेरो पण सुखी थाय छे. मूलम्एवं तु ये केऽपि जनाः स्वशासने,सत्तांश्रिताःश्रीपरमेश्वरस्य । तत्प्रीतयेतेऽपिगुणानिमाननु-यान्तिविज्ञाः परब्रह्मलिप्सवः ।१६