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गाथार्थः - नंदीश्वर द्वीप ने लंका नुं चित्र जोवाथी तेमां रहेला पदार्थो नुं चिन्त्वन थाय छे. एवी रीते पोत पोताना भगवान नी मूर्ति जोवाथी तेमना गुणो नुं स्मरण थाय छे. विवेचन :- नंदीश्वर द्वीप नं चित्र जोवाथी नंदीश्वर मां रहेला अंजनादि पर्वतो नुं, त्यां रहेल शाश्वत बावन जिन मंदिरो तथा तेनी रचना नुं प्रने त्यां रहेल वावो विगेरे नुं ज्ञान थाय छे. तेम लंका नुं चित्र जोवाथी लंका ना पदार्थों नुं चिन्त्वन थाय छे, अने त्यार बाद तेनुं यथार्थ ज्ञान पण थाय छे; तेवीज रीते पोत पोताना भगवंत नी मूर्ति ना दर्शन-पूजन थी ते मूर्ति मां रहेला गुणो नुं स्मरण मूर्ति
जोनार ने अवश्य थाय छे.
मूलम्
यदा तु साक्षान हि वस्तु दृश्यं, तत्स्थापनासम्प्रतिलोक सिद्धा । तथा च पत्यौपरदेशसंस्थे, काचित्सती पश्यति यत्तदर्चाम् ॥७ गाथार्थः :- ज्यारे साक्षात् वस्तु जोवा न मले त्यारे ते अदृश्य वस्तु नी स्थापना हमणां संसार मां प्रसिद्ध छे. जेम के कोई सती पोतानो स्वामी परदेश मां होय त्यारे तेनी प्रतिमा ने जुए छे.
विवेचनः - संसार मां पण प्रसिद्ध छे के ज्यारे लोको ने ज़े वस्तुं प्रत्ये सद्भाव होय छे अथवा जे व्यक्ति प्रत्ये पूज्य भाव होय छे त्यारे ते साक्षात् वस्तु नी गैर