________________
( २७४ ) मनुष्यो ना जोवा मां आवता नथी, परन्तु देवोनी सत्ता छे. तेम सिद्धो पण छे. मारा जेवा मनुष्यो थी जोवाय तेवा नथी. विवेचन:-नास्तिक ने आस्तिक प्रत्युत्तर आपे छे के तुं पावू न बोल. जेम पोताना पाछल ना भाग मां रहेल चिन्हादि न जोनार ने ते चिन्हादि ना फल थी तेनुं अनुमान थाय छे. तेम शक्ति, शंभु, गणेश, वीर आदि देवो ना समह ने शैवधर्मीयो माने छे अने फिरस्त, पेगम्बर अने पीर आदि ने यवनादिको माने छे अने तेओने तेनुं फल विगेरे मले छे. माटे तेयोनी सेवा आदि थी देवो जाणवा योग्य छे. जो देवो नी हयाती न होत तो तेप्रोने तेनुं फल मलत नहीं. फल मले छे, माटे देवो नी सत्ता छ अर्थात् ते देवो छ परन्तु मनुष्य नथी. तमे कहो छो के देवो फल विगेरे आपे छे, तो ते देवो आजे केम देखाता नथी ? तेनो प्रत्युत्तर ए छे के कलिकाल ना योगे प्रायः देवो आजे देखाता नथी. वली ते देवोनुं स्थान घणुं दूर होवाथी मनुष्यो ना जोवामां आवता नथी. परन्तु देवो छे ते नक्की छे. तेमज सिद्धि पद ने पामेला सिद्धो पण छे, परन्तु मारा जेवा मनुष्योथी जोई शकाय तेवा नथी. मूलम: . त्वं चेतसि स्वे परिभावयवं, लङ्काऽस्ति वा नो ननु वर्तते सा। त्वया मया सर्वजनैरपीय-माकर्ण्यते केन न मन्यते सा?॥१०