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अने जुए छे. परन्तु जे वस्तु इन्द्रियो ना विषय नी बहार होय ते देखी शकाय नहीं. तेवी वस्तु बीजा ना कहेवाथी जरूर जाणो शकाय छे. मूलम्
सोयथाकस्यचिदस्तिकन्धरा-पृष्ठस्थितोवंशकमध्यगोवा । भङ्गोऽथवालक्ष्मचकालकादि, स्वयंनजानातिसतानिजःखैः।२ गाथार्थ :-जेम कोई पुरुष ना डोक ना पुंठ ना भागे अथवा वांसा ना पुंठ ना भाग मां रहेल भमरो, चिन्ह अने तिलक विगेरे होय तेने पुरुष पोताना इन्द्रियो बड़े जाणी शकतो नथी अने जोई शकतो नथी. विवेचनः-शरीर ना बहार भाग मां रहेली वस्तु पण देखी शकाय तेम होय तोज देखी शकाय छे. ते वस्तु दृष्टांत द्वारा बतावे छे के जेम कोई मनुष्य ना डोक ना पाछल ना भाग मां अथवा वांसा ना मध्य भाग मां भमरो, स्वस्तिक विगेरे चिन्हो अथवा तिलक एटले तल, मसा विगेरे मनुष्य पोते पोतानी इन्द्रियो बड़े जोई शकतो नथी, परन्तु बीजाना कहेवाथी माने छे. मूलम्यदा तु मात्रादिनिजाप्तवृद्ध -स्तवाऽत्र भृङ्गादि निमद्यतेऽदः । तदापि तेनाऽप्यनुमन्यते तत्,परन्तु खैः स्वैर्नकदाचिदीक्ष्यम् ।३