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मूलम्:
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पुरातनंज्ञानमयेन्द्रियाणां सत्यं तथा चाऽऽधुनिकं प्रमाणम् । नेदं वरं किन्तु पुरातनं सत्, तान्येव खानीहरुको विशेषः ? ८ गाथार्थ -: इन्द्रियो नुं प्राचीन ज्ञान सत्य छे के हमणां नुं ? बराबर नथी. परन्तु प्राचीन नुं सत्य छे. तो इन्द्रियो तो प्रथम ने हमणां पण तेज हेती, तो विशेष शुं ? विवेचन :- स्त्री ने विषे स्त्री परणा नुं ज्ञान, सफेद शंख मां सफेद पणा नुं ज्ञान अने स्व बंधुप्रोमा स्व बंधु परणा नुं ज्ञान ए प्राचीनज्ञान सत्य छे के पुरुष ने विषे स्त्री पणा नुं ज्ञान, सफेद शंख मां बहु वर्ण पणा नुं ज्ञान ने माता-पिता आदि मां स्त्री आदि पणा नुं ज्ञान ए आधुनिक ज्ञान प्रमाण भूत छे. परन्तु प्राचीन ज्ञानज सत्य छे. तो फरी थी नास्तिको ने पूछवानुं के पहेला अने पछी पण इन्द्रियो तो तेनी तेज छे तो प्रथम नेपछी मां विशेषता शुं छे, ते जरणावो ?
मूलम्:
पूर्व मनोऽभूदविकारि यस्मात्, तत्साम्प्रतं यद्विकृतं बभूव । तो मिथो भेद इयान् सकस्य, भेदोऽस्त्ययं मानसिकस्तदत्र 18 दृश्यं मनोनास्तिनवर्णतोवा, कीदृग् निवेद्य भवतीतिभण्यताम् । न दृश्यते चैन्नहि वर्ततेतत्, खान्येव तानीहकथं विकारः ? ॥१०