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विवेचन:-जे शब्द अथवा पद घणा अक्षरो नो बनेल होय अने जेमांथी अर्थ निकलतो होय ते शुद्ध पद कहेवाय छे. एवा एक पद वाली वस्तुप्रो जगत मां अवश्य होय छे. ज्यारे बे पद, त्रण पद, चार पद आदि संजोग वाली वस्तुओ जगत मां होय छे, अथवा नथी पण होती. जेमके वंध्या छे अने पुत्र पण छे, परन्तु वंध्या पुत्र जगत मां नथी. वली बे पद संजोग वाली वस्तुप्रो होय पण छे ते राजपुत्र. मलम्ःएवं नभः पुष्पमरीचिकाम्भ:--खरीविषारणप्रमुखा अनेके । एतादृशा ये किल सन्तिशब्दाः,संयोगजास्तेकिलनवयुक्ताः।
गाथार्थ :-ए प्रमाणे आकाश पुष्प, मृगतृष्णा जल, खर विषारण विगेरे अनेक शब्दो एवा प्रकार ना पद संजोग वाला छे ते योग्य नथी एटले आ बाबत मां योग्य नथी.
विवेचन:-बीजा पण बे पद संजोग वाला शब्दो अनेक छे, जेमके आकाश छे अने पुष्प पण छे परन्तु आकाशपुष्प नथी. मृगतृष्णा एटले सूर्य नां किरणो के अने जल पण छे परन्तु मृगतृष्णा जल नथी. खर एटले गधेड़ो छ सींगडुं नथी. एटले ए प्रकार ना पदसंजोग वाला शब्दो पा बाबत मां योग्य नथी एटले जगत मां होता नथी.