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विवेचन :- एवी कई वस्तुनो बधी इन्द्रियो ना विषय भूत नथी थती ? तेना प्रत्युत्तर मां नास्तिको प्रश्न करे छे के शुं रामा आदि वस्तु बधी इन्द्रियो ने विषय भूत नथी थती ? अर्थात् थाय छे. त्यारे आस्तिको एम कहे छे के आ बाबत जरूर विचारणीय छे कारण के रामादि थी भिन्न पदार्थों के शब्द अने रूप मां सरीखा होय छे तेमां रामादि नो भ्रम नथी थतो ? अर्थात् तेमां जरूर भ्रम थाय छे. जेमके रात्रे कोई पुरुष स्त्री नो वेष धारण कर्यो होय ते पुरुष ने विषे नास्तिको ने पण स्त्री नी भ्रान्ति थायज छे. एटले इन्द्रियो ने गोचर एज सत्य वस्तु छे एम बराबर नथी.
मूलम् -
सत्यंहिरात्रो सकलेन्द्रियारिण, प्रायेण मुह्यन्त्यवबोधहान्याः । तस्मादतद्वस्तुनितग्रहःस्यात्, तच्छ्रोतसांचिन्नसचैव सत्या 1५ गाथार्थः - सत्य छे, ज्ञान थी हानि थी रात्रे बधी वस्तुग्रो प्रायः मुंझाय छे तेथी रामादि थी भिन्न पदार्थो मां रामादि नी भ्रान्ति थाय छे एम नास्तिको कहे छे. तो ते वस्तु थी नक्की थाय छे के इन्द्रियो नुं ज्ञान सत्य नथी.
विवेचन :- नास्तिको कहे छे के तमारी वात सत्य छे के रामादि थी भिन्न पदार्थो मां पण रामादि नो भ्रम थाय छे. परन्तु तेमां ज्ञान नी हानि कारण भूत छे, एटले ज्ञान नी