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( २२६ ) विवेचन:- हवे परलोक मां आचरेल शुभाशुभ कर्मो न फल आ भव मां मले छे. ते नाम नो त्रीजो भेद बतावे छे. जेमके कोइक जीवे पूर्व जन्म मां कोई ने खावा-पीवा नो अन्तराय कर्यों होय अथवा नानां बच्चों ने दूध नो अन्तराय को होय अथवा माता दिनो वियोग कराव्यो होय. एवा प्रकार ना अशुभ कर्मो नो बंध करवा थी ते आत्मा आ भवे पुत्र रूपे जन्मते छते तेज समये दारिद्रय अने माता दिनो वियोग विगेरे अशुभ फल मले छे अने तेनी जन्म पत्रिका मां सूर्यादि ग्रहो पण अशुभ कर्मो ना योगे बीच स्थान मां पड़ेला होय छे. अने कोइक जीवे पूर्व जन्म मां कोई ने दान विगेरे प्राप्यु होय अथवा बीजं कंइ पण शुभ कार्य कयु होय ते जीव आ भव मां पुत्र रूपे जन्मते छते संपत्ति, मातादि नो योग, शेठाई, सत्तादि मले छे. अने तेनी जन्म पत्रिका मां सूर्यादि ग्रहो पण उच्च स्थान मां पड़ेला होय छे. एम अशुभ अने शुभ रूप ा त्रीजो भेद जाणवो. मूलम्:-- चतुर्थभेदस्तु परत्र कर्म, कृतं परत्रं व फलप्रदं भवेत् । यदत्र जन्मे विहितंतृतीय, भवेविधत्तेफलमात्मगामुकम् ।४६। गाथार्थ:--परलोक मां करायेल तेनुं फल परलोक मां मले ते नाम नो चौथो भेद जाणअथ व वो जे भव मां करायेल होय तेना वीजा भवे प्रात्पा ने फल देनार थाय छे.