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( २२५ ) विवेचन:-वली बीजो भेद बीजां दृष्टांतो द्वारा वधारे पुष्ट करतां जणावे छे के जेम कोई सती स्त्री सीता नी जेम पतिव्रता धर्म नुं पालन करे छे अने परलोक मां देवलोके जाय छे अथवा कोई शूरवीर राजा प्रजा ना हित माटे शूरवीरता बतावे अने परलोक मां अनेक प्रकार ना भोगो प्राप्त करे छे ते आ लोक मां करेलुं अने परलोक मां फल मले छे ते बीजो भेद जाणवो-हवे त्रीजो भेद आ प्रमाणे परलोक मां आचरेल होय तेने आ भव मां फल मले छे. ते त्रीजो भेद जाणवो. .. . मूलम् - एकत्र पुत्र तु तथा प्रसूते, दारिद्रयमात्रादिवियोगयोगः । अस्यग्रहाप्रप्यथजन्मकुण्डली-मध्येनशस्ताःकृतकर्मयोगात् ।४४ अन्यत्र पुगे तु तथा प्रजाते, सम्पत्तिमातादिसुखं प्रभुत्वम् । अपिग्रहालस्यतुजन्मपत्रिका-मध्येविशिष्टा:पतिताःसुकर्मतः । गाथार्थः- एक पुत्र जन्मे छते तेने दारिद्रय अने मातादि नो वियोग थाय छे, अने तेनी जन्म कुंडली मां पूर्वे करेल कर्मोना योगे तेना ग्रहो पण सारा होता नथी. अने बीजो पुत्र जन्मे छते तेने संपत्ति अने मातादि नुं सुख अने प्रभुत्व विगेरे तेने मले छे-तेनी जन्म पत्रिका मां पूर्व ना शुभ कर्म का योगे ग्रहो पण सारा पड़ेला होय छे.. ..