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गाधार्थ:-तमोए कहेल बराबर छे, परन्तु कर्मो अजीव अने जड़ होवाथी कई करवाने समर्थ नथी, माटे ए कर्मो नो कोइक प्रेरक छेले जेनी शक्ति थी कर्मो समर्थ थाय छे.
विवेचनः कर्मो ने प्रेरणा करनार कोइक होवो जोइये एवी मान्यता वालो कहे छे के तमोए कहेल के विधाता विगेरे कर्मो नाज नाम छे. ते तमारी वात सत्य छे. परन्तु कों कोई नी प्रेरणा विना कई करवाने समर्थ नथी. कारण के कर्मो अजीव तेमज जड़ छे, ते थीज शंका थाय छे. वली व्यवहार मां पण एमज देखाय छे के जड़ एवी पौद्गलिक वस्तुनो स्वयं कई करवाने समर्थ नथी. पौद्गलिक बधी वस्तुनो - संचालन जीवनी सहाय थीज थाय छे. एवो सर्व ने अनुभव छे. तो कमों अजीव तथा जड़ होवा थी कोई नी प्रेरणा विना कई पण करवाने केम समर्थ थाय ? एटले कर्मो नो कोई पण प्रेरक होवो जोइये अने तेनी शक्ति थीज कर्मों कई पण करवाने समर्थ थाय छे.
मूलम्:इदं तु सत्यं परमत्र कर्मणा-मेषां स्वभावोऽस्ति सदेहगेव । विनेरकंयान्यखिलात्मनःस्वयं,स्वरुपतुल्यंफलमानयन्ति ॥७॥