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( १५८ ) गाथार्थ-जेम शूरवीर खरेखर शस्त्रना स्वामी नो महान् उपकार माने छे तेम ईश्वर ना नामना ध्यान थी उत्पन्न थयेल सुखनाकर्त्ता तरीके ईश्वर ने माने छे. विवेचन :-व्यवहार मां कारण मां कार्य नो उपचार पण थई शके छे जेमके द्रव्य सामायिक ए भाव सामायिक नु कारण छे. छतां द्रव्य द्रव्य सामायिक करनार परण ‘में सामयिक कयु' एम बोली शके छे अने बोले पण छे. वास्तविक रीते तो समता आवे त्यारेज सामायिक कयु कहेवाय, परन्तु द्रव्य सामायिक ने पण सामायिक कही शकाय छे. तेम आलंबन मां पण कर्त्ता नो उपचार करी शकाय छे. जेमके आत्मा पोताना उद्यम द्वाराज संसार थी तरी शके छे, छतां श्री जिनेश्वर देव नुं आलंबन आत्मा ने संसार तरवा माटे परम आलंबन होवाथी 'हे भगवान, तें मने तार्यो; हे भगवान, तुं मने तार' एम बोलाय छे. अहियां पण आलंबन मां कर्त्ता नो उपचार थाय छे; तेथी तेनो उपकार मानवामां आवे छे.
शूरवीर मनुष्य पोताना बलथीज शत्र ने जीते छे, छतां 'शस्त्र आपनार स्वामिए मने जीताड्यो' एम शस्त्रदाता स्वामी नो उपकार माने छे. अहियां पण आलंबन रूप शस्त्रदाता ने कर्ता तरीके माने छे, तेम ईश्वर ना ध्यान थी ईश्वर-भक्त सुख पामे छे, छतां . ईश्वर रूप आलंबन मां