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सरखा होवा छतां निगोद जेवा क्षेत्र ना प्रभावे निगोद ना जीवो तरीके गणाय छे. अने सारा मांत्रिक ना हृदय रूप क्षेत्र ना प्रभावे ते अक्षरो सारा मंत्र तरीके गणाय छे, तेम व्यवहार राशि रूप क्षेत्र ना प्रभावे व्यवहार राशि ना जीवो गणाय छे अने. ते सारा गणाय छे. मूलम् दृष्टान्तदाान्तिकतेयमात्मना,संयोजनीया समभावभाविना। एवंचसूक्ष्मागुरवश्वपण्डितै-दृश्यास्तुदृष्टांतगणाःस्वबुद्धितः१३ गाथार्थ- दृष्टांत अने दार्टान्तिक नी योजना समभावी आत्मा ए पोतानी मेले घटाववी. ए प्रमाणे नाना मोटां अनेक दृष्टांतो पंडितोए पोतानी मेले बुद्धि थी विचारवां.. विवेचन: ए प्रमाणे शांत चित्र वाला आत्माए पोतानी मेले दृष्टांत अने घटाववा योग्य वस्तु जे दार्टान्तिक नी योजना करवी. फक्त आटलांज दृष्टांतो छ एम नथी परन्तु बीजां नानां मोटां अनेक दृष्टांतो आ बाबत पर छे जेने पंडित पुरुषोए पोतानी मेले विचारवां.
निगोद ना जीवो नी अदृश्यता मूलम्ःदक्षाः! निगोदासुभृतःसमस्तं,संव्याप्य लोकं सततं स्थिताश्चेत् ते केन नायान्तिदृशःपथंयके,घनीभवन्तोऽपिनबाधयन्ति ।१४।