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( १२८ ) आवतां कहे के में अमुक माणस नी प्रेरणा थी खून कयु छ माटे हुं निर्दोष छ तो शुन्यायाधीश तेना गुन्हा ने माफ करशे खरा ? कदापि नहीं. तेवीज रीते कोई नी प्रेरणा थी पण पाप करवाथी पाप लागतु नथी ते वस्तु बराबर नथी. वली स्वभाव अने कालनी प्रेरणा थी जो ब्रह्म सृष्टि संहार करतो होय तो ब्रह्म करतां पण स्वभाव अने कालने बलवान गणवां पड़े. ते पण ब्रह्मवादिनो ने इष्ट नथी कारण के ब्रह्मवादियो ना मन मुजब स्वभाव अने काल आदि सर्व वस्तुप्रो नो पण ब्रह्म मां समावेश थाय छे. तेथी स्वभाव अने काल ब्रह्म थी बलवान नथी. तेमज स्वभाव अने कालनी प्रेरणा थी ब्रह्म जो सृष्टि नो संहार करतो होय तो युक्ति पूर्वक विचार करतां ब्रह्म ने कारण भूत गणवा करतां स्वभाव अने कालनेज सृष्टि-संहार मां कारण भूत गणवो जोइये.
___जे प्रो ब्रह्म जगत कर्ता अने जगत नो नाश करनार छ एम कही ब्रह्म नो महिमा बताववा मांगे छ तेरो तो ब्रह्म नो महिमा बताववाना बदले उलटो निर्दोष एवा ब्रह्म ने दोषी बनावे छे, कारण के निष्पापी होवा. छतां ब्रह्मने पापी बनावे छे.