________________
( १३६ )
पद पामवा माटे ब्रह्म नुध्यान धरे छे ते बराबर छे.
___ईश्वर नी मायाथी जगत नी अनुपपत्ति मूलम् - येकेऽपिमायामिहविष्णुमाश्रितां, जगद्विधौ हेतुमुदीरयन्त्यथ । प्रष्टव्यमेषामितिकिहिमायां,विष्णुःश्रितोविष्णुमथापिमाया३८ गाथार्थ:-जे केटलाको संसार मां जगत रचना मां विष्णु ना आश्रये रहेल माया ने कारण भूत माने छे तेमने पूछवानु के शुविष्णु ना आश्रये माया रहेली छे के माया ना
आश्रये विष्णु रहेला छे. विवेचन:-केटलाक वैष्णवो एम कहे छे के आ जगत विष्णु वड़े सर्जन अने विसर्जन करायुछे. जेम के पद्म पुराण मां तत्त्वानुसारी महादेव कृत भगवत् सहस्त्र पाठ मां प्रतिपादन करेलुछे के सर्वे जीवो युग ना आदि मां उत्पन्न थाय छे अने युग ना क्षये प्रलय ने पामे छे. एवा अनेक पाठो छे. तेस्रोने आश्रयि ने केटलाक वैष्णवो एम कहे छे के आ जगत ना सर्जन मां विष्णु ने आश्रयी ने माया रहेली छे ते कारण भूत छे. आवी माया ने कारण भूत मानता वैष्णवो ने पूछवानुमन थाय छे के विष्णु माया ने आधीन छे के माया विष्णु ने आधीन छ ? आ मान्यता मां शु वांधो आवे ते जैन शास्त्रकार बतावे छे.