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ए संबंध टूटी पण जाय छे. जेम के सोनानी वीटी मां हीरो जड़वामां आवे छे, त्यारे सोना अने हीरानो जे सम्बन्ध थाय छे ते केटलाक एवा संबंधो पण होय छे जे संबंधो अनादि कालना होय अने अनंत काल सुधी रहे छे. जेमके प्रात्मा नो अने तेना गुण रूप ज्ञानादि नो सम्बन्ध. केटलाक एवा सम्बन्धो पण होय छे के जे अनादि कालथी होवा छता ते सम्बन्धो टूटी पण शके छे, जेमके माटी अने सोना नो सम्बन्ध. एवीज रीते प्रात्मा अने कर्मनो सम्बन्ध अनादि कालनो होवा छतां तेवा प्रकार नी सामग्री ना योगे बन्ने नो सम्बन्ध टूटी पण जाय छे ते माटे दृष्टांत द्वारा बताववामां आवशे .
मूलम्सूतेयथाचञ्चलतास्वभावो,पौलस्तथाग्न्यस्थिरभावसंज्ञः । यदातुताहारिकर्मणाकृत-स्तदास्थिरोवह्निगतश्चतिष्ठेत् ॥३॥
गाथार्थ-पारा मां चंचलता नो स्वभाव छे. तेमज अग्नि मां अस्थिरता नो मूल स्वभाव छे. छतां तेवा प्रकार ना संस्कार ना योगे अग्नि मां रहेल पारो स्थिर थाय छे . विवेचनः- पारो एटलो बधो चंचल स्वभाव नो छे के पापणे तेने भेगो करिये तो पण हाथमांथी सरकी जाय छे. छतां तेजपारा ने तेवा प्रकार नी भावना दीधा