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( ६७ ) विवेचन :- वली लोह चुम्बक नामनो पत्थर एवो होय छे के तेनी पासे लोढू मूकवा मां आवे तो ते लोढाने पोतानी तरफ खेंचे छ कारण के लोह चुम्बक पत्थर मां लोढा ने पोताना तरफ आकर्षवानी शक्ति छे. ते स्वभाव पण लोह चुम्बक नो मूल स्वभाव छे- छतां लोह चुम्बक पत्थर ने जो अग्नि थी बाली ने भस्म करवामां आवे अथवा ते शक्ति नाशक बीजी सामग्री ना योगे लोह चुम्बक मां रहेल लोढ़ पकड़वानो स्वभाव नाश पामे छे, तेम सिद्धो मां पण तेवा प्रकार नी सामग्री नां योगे जीव नो कर्म यहरण नो मल स्वभाव नाश पामे छे. मूलम्:बोजंतथाङ्क रभवंदधाति,मौलात्सवभावादविकारियावत् । तस्मिस्तुदग्धेनकिलाङ्क रोद्भव,एवंतुसिद्ध षुनकर्म बन्धः ।। गाथाथः- बीज विकार रहित थाय त्यां सुधी बीज मां अंकुर नी उत्पत्ति रूप स्वभाव मूलथीज बीज धारण करे छे परन्तु ते बीज बाल्ये छते अंकुर नी उत्पत्ति रूप स्वभाव नष्ट थाय छे, तेम सिद्धो मां कर्म बंध रूप स्वभाव नाश पामे छे. विवेचन:- कोई पण प्रकार ना धान्य मां, कोई पण प्रकार ना बीज मां, अथवा कोई पण प्रकार नी वनस्पति