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( ११८ ) निमित्त कारण मां एकने बदले बीजी वस्तु पण चाली शके परन्तु उपादान कारण मां तेज वस्तु विना चाली शकतूं नथी. जेमके कुभार नी जग्याए तेनो पुत्र चाली शके, गधेडानी जग्याए बीजू प्राणी पण चाली शके परन्तु माटी विना घडो बनेज नहीं. माटे माटी वगर चाली शकतु नथी. माटे माटी ए. उपादान कारण छे अने कुभार विगेरे निमित्त कारण छ अर्थात् उपादान कारण जेवा प्रकार नु होय छे तेवीज वस्तु बने छे.
अहियां उपादान कारण रूप परब्रह्म एटले शुद्ध चैतन्य मय, शाश्वत् चिदानंद मय, सर्व दोष रहित, सर्व गुण सम्पन्न, निष्पाप मय, अनंत ज्ञान मय, अनंत दर्शन मय, अनंत चारित्र मय, अनंत वीर्य मय छे, अने जगत जन्म, मृत्यु, कषाय, काम, दुर्गति, शत्रु, दुष्ट मनुष्य, तिर्यंच, हिंसादि थी भरपूर, अशु च मय, मैथुनादि पाप मय, ब्रह्मनी निन्दा करनार नास्तिको, यवनो, पाखंडिओ, पुण्य-पाप रूप कर्म ना भोग वालू, धर्म अने अधर्म, श्रीमंत अने निर्धन विगेरे विचित्रता वालूछे तो चैतन्य मयादि स्वरूप वालू पर ब्रह्म, जन्मादि वाला अने जड़ स्वभाव वाला एवा जमतनी रचना करवामां कारण भूत केवी रीते बनी शके ? अर्थात् पर ब्रह्म जगत नी रचना करेज नहीं.