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थी उत्पन्न थयेल छे. तो योगी पुरुषो घृणा योग्य वस्तु या कारण थी छोड़ी ने वैराग्य ने धारण करे छे. विवेचन:- ब्रह्मवादिश्रो नो मत एवो छे के ग्रा संसार मां देखती जे वस्तु छे ते बधी वस्तुग्रो संसार नी उत्पत्ति समये ब्रह्म थकीज उत्पन्न थयेल छे. जे वस्तुम्रो उत्पन्न थली छे ते बधी वस्तुओ नाशवंत पण छे. परब्रह्म तो नित्य छे. तो नित्य एवा परब्रह्म थकी अनित्य एवा जगत ना पदार्थो नी उत्पत्ति केवी रीते थई शके ? माटे परब्रह्म थकी जगत नी रचना थई नथी एम नक्की थाय छे.
वली परब्रह्म ए परम ऊंच तत्त्व छे अने परम आदरणीय तत्त्व छे. ए कारण थीज योगी पुरुषो परब्रह्म ने प्राप्त करवा माटे घृणा योग्य एवा संसार नो त्याग करी, संयम लई, तप विगेरे नुं सेवन करी अने परब्रह्म नुं ध्यान करी परब्रह्म ने पामे छे. जो संसारनी वस्तुप्रो घरणा योग्य न होत तो योगी पुरुषो संसार नो त्याग केम करती अने जे वस्तु परम ऊंच तत्व मां थी उत्पन्न थयेल होय ते वस्तुप्रो घृणा योग्य परण केम होय ? माटे परब्रह्म मां थी संसार नी वस्तु उत्पन्न थई नथी ते निश्चित छे.
मूलम् -
यद् द्वेषरागादिविरूपमुज्झ्यं, जगत्स्वरूपं वरयोगवद्भिः । तदेव सर्व खलु ब्रह्मणैव, स्वस्मिन्कथं धार्यमहो युगान्ते ? १८