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युक्त, पापना कारण भूत मैथुन विगेरे थी युक्त, सात धातुथी बनेला प्राणियोना शरीर वालू, नास्तिको सहित, सर्व मुनिवरोए निंदेल, केटलाक ने ब्रह्म नी साथे वैर होय एवाथी युक्त, ब्रह्मनी पूजा करनार एवा केटलाको थी व्याप्त, हिन्दू ने मुसलमानो थी युक्त, पर ब्रह्म नुं खंडन अने उपहास करनार थी युक्त, सांख्यादि षड् दर्शन ना आचार ना समूह वालू, पाखंडी प्रोथी विडंबना पमाएल, पुण्य, पापना फल ने देनार, स्वर्ग अने मोक्ष विगेरे ना भवन उदय वालू वितर्क नो संयोग अने कुतर्क थी कठोर एव ं वर्णाश्रम ना धर्म वालू, अने धन अने निर्धन मनुष्यो वालु ऐवा प्रकार ना जगत नी रचना केम करे ?
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विवेचन:- ब्रह्मवादिश्रो नो एवो मत छे के परब्रह्मज जगत रचनामां कारण भूत छे, परन्तु ते वात घटती नथी. ते माटे जैन शास्त्रकारो ब्रह्म वादिप्रोने जगावे छे के कारण थी कार्यथी उत्पत्ति थाय छे. कारण बे प्रकारनां छे एक निमित्त कारण अने बीजु उपादान कारण. जे वस्तु थी जे वस्तु बने छे, ते उपादान कारण अने जे वस्तु बनवामां जे वस्तु सहायक- निमित्त रूप बने छे, ते निमित्त कारण. जेमके घड़ो बनाववामां माटी ए उपादान कारण छे अने दंड़, चक्र, कुंभार, गधेड़ो विगेरे निमित्त कारण गरणाय छे.