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जाय छे ? ते बोलो. विवेचन:-तेज वस्तुनी पुष्टी माटे बीजां पण दृष्टांतो बतावाय छे जेम के अभ्रक, सुवर्ण, रत्नकम्बल अने पारो विगेरे औषधि थी सिद्ध थयेल होय तो तेने अग्नि बाली शकतो नथी. तो अग्नि नो मूल स्वभाव बालवानो छे, तो अग्नि मां रहेल दाहकता गुण क्यों गयो? तेनो जवाब आपो. एटले जेम अग्नि मां दाहकता गुण होवा छतां औषधि थी सिद्ध थयेल अभ्रक आदि ने अग्नि बाली शकतो नथी अर्थात् औषधि आदि थी मग्नि नो दाहकता मुण रूप मूल स्वभाव नष्ट थाय छे तेम आत्मा नो कर्म ग्रहण स्वभाव पण तेवा प्रकारनी सामग्रो ना योगे नष्ट थई शके छे.
लम्यश्च म्बकग्रावरिण,लोहग्राही,स्वभावप्रास्ते,सहजःसकोऽस्ति तस्मिन्मृते वेतरयोगयुक्ते, -ऽपैतीत्थमेतेष्वपि कर्मयोगः।७।
गाथाथ-जेम लोह चुम्बक नामना पत्थर मां लोढ़ पकड़वानो स्वभाव साथेज थयेलो छे परन्तु ते लोह चुम्बक पत्थरने बाल्ये छते अथवा बीजी कोई तेनी नाशक शक्ति सामग्री ना योगे ते स्वभाव नाश पामे छे तेवी रीते सिद्धो मां ते कर्म ग्रहण नो स्वभाव नाश पामे छे.