________________
(५५)
गाथार्थ-या जीव रूवाटों वड़े आहार ने खेंची ने धारण करतो छतो रुक्ष भाग ने छोड़ी ने रसादि ने ग्रहण करे. वली बल पूर्वक मलों ने छोड़े छे. अने फरी राजस, सत्व अने तामस गुणों ने धारण करतो छतो फरी सम्यक् ज्ञान, शिल्प विषयक ज्ञान, कषाय, भोगो हितकारक, अहितकारक, सद्व्यवहार, असद् व्यवहार, विचार, विद्य, रोग अने समाधि धारण करे छे. पावो जीव देह मां केवी रीते क्रिया वालो रहे छ ? मूलम्कि देहमध्येऽस्य करेन्द्रियादिकं, मस्तियेनैव करोतितादृशम् । विवेचन प्राप्यचवस्तुत दृश. प्राप्तवधियति गहेश्वरोयथा । २० गाथार्थ- शु शरीर मध्ये रहेल ा जीव ने हाथ अने इन्द्रियादि होय छे ? के जेथी पहेलां बतावेल आहारादि नु ग्रहण करवु, ऋक्ष भाग न छोडवु अने रसोनु ग्रहण करवु विगेरे पूर्ण काल पर्यंत जीव करे छे अने पछी जेम घर नो मालिक पूर्ण काल घरमां रही ने पछी बहार जाय छे तेम जीव पछी बीजा जन्म मां जाय छे. विवेचन्- संसारी जीवन जीववा माटे प्राण अवश्य धारण करवो पड़े छे प्राण धारण कर्या सिवाय संसारी जीवन जीवी शकायज नही. एटलेज प्राण नो योग ते जन्म अने प्रारण नो वियोग ते मरण कहेवाय छे.