________________
(८४) एटला मां एक भील त्यां आवे छे, अने राजा ने अचेत जोई शीतल पाणी ना सिंचन द्वारा अने ठंडा पवन द्वारा शुद्धि मां लावे छे. पछी पोतानी झंपड़ी मां लई जई भोजन करावी, ठंडुपाणी पाई, सुन्दर रीते भक्ति करे छे अने राजा पण बराबर स्वस्थ थई जाय छे. थोड़ी वार बाद राजा नुसैन्य पण त्यां प्रावी जाय छे. हवे ज्यारे राजा पोताना नगर तरफ प्रयाण करे छे, त्यारे पोताने जीवनदान देनार महा उपकारी ते भील ने पण अत्यन्त आग्रह पूर्वक पोतानी साथे लई जाय छे. नगर मां भव्य प्रवेश महोत्सव पूर्वक लाव्या बाद राजा ते भील ने पोताना महेल नो नजीक मांज सर्व प्रकार नी सुन्दर सामग्री थी युक्त एक महा प्रसाद मां ऊतारो आपे छे अने अनेक सेवको ने तेनी सेवा मां रोके छे..
हमेशां विविध प्रकार नां पकवानो, शाक, शाल, दाल, आदि द्वारा तेनी सुन्दर भक्ति करवामां आवे छे. विविध प्रकार ना नाटको, गीतो द्वारा तेनु मन रंजन करवामां आवे छे. आम बे महिना पसार थई जाय छे.
एक समय पोतानो स्वजनो याद आववाथी पोताना स्थाने जवानी ते भील राजा पासे अनुज्ञा मांगे छे. पोताना उपकारी ने राखवा माटे घणी इच्छा होवाथी तेने रहेवा माटे राजा घणु समझावे छे. छतां पराणे अनुज्ञा मेलवी भील जंगल मां पोताना स्थान