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पर आवे छे. पोताना बधा सम्बन्धी, कुटुम्ब, स्त्री, पुत्र ओदि नु मिलन थाय छे अने बधा हर्ष-विभोर बने छे. हवे सम्बन्धीग्रो भील ने कुशल समाचार जाण्या बाद पूछे छे के तमो पाटला बधा दिवस क्यों गया हता ? ते स्थान केवु हतु ? त्यां तमे शेमां रहेता हता ? त्यां शुशु खाधू ? शु शु कयु आदि अनेक प्रश्नो कर्या. या बधा प्रश्नो ना भीले उत्तर प्रापतां जणाव्यु के एक भव्य नगर मां राजा ना जेवा मोटा प्रासाद मां हु रहेतो हतो; पकवान विगेरे खातो हतो अने नृत्य आदि जोतो हतो. __आम नगर नु, महेल नु, भोजन नु अने नाटक आदि ने भीले वर्णन कयु. परन्तु जन्मथीज अटवी मां रहेनार ते लोकोए नगर, महेल, तेवा प्रकार ने भोजन नाटक आदि नु नाम पण सांभल्यु न्होतु. तो तेश्रो ते वस्तु शी रीते जाशी शके के जोई शके, माटे कई पण तेत्रो समझया नहीं. त्यारे छेवटे ते भीले नगर ने पल्ली नी साधे, महेल ने मोटा झुपड़ा साथे, लाडू आदि ने मोटा कोठा ना फल साथे सरखावी समझाव्यु. तेम ज्ञानी भगवंतो पण सिद्ध भगवंतो ना सुख ने संसारी वस्तुप्रो साथे सवावी समझावे छे. तेवीज़ रीते अहियां पण जेम संसारी जीव ने संसार नां विचित्र प्रकार नां नारको जोवाथी जे सुख थाय छे तेम सिद्ध ना जीवो ने