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(६८) विवेचन-रूपी अने स्थूल पदार्थों जोवानो अांख नो विषय छे परन्तु रूपी अने सूक्ष्म पदार्थो जोवानो अांख नो विषय नथी एटलेज कर्मों रूपी छतां पण सूक्ष्म होवाना कारणे अांख थी जोई शकातां नथी, परन्तु केवल ज्ञोनी भगवंतो केवल ज्ञान वड़े कर्म ना समूह ने जारणी शके छे. अपने केवल दर्शन वड़े जोई पण शके छे. व्यवहार मां पण औषधि थी सिद्ध थयेल पारा मां रहेलु सोनु प्रांख नो विषय होवा छतां पण अांख थी जोई शकतू नथी परन्तु प्रयोग थी ते पण जोई शकाय छे.
यदा तु कश्चिद्रससिद्ध योगी, कर्षेद्यदैतन्ननु तस्य सत्ता। एवंहिकर्माण्यपिजीवगानि, ज्ञानीविजानातिनचापरोऽत्र ॥३३
गाथार्थ- जेम कोई सिद्ध पुरुष पारा ना रस मांथी सोनु बहार खेंची काढे छे त्यारे सोनु तेमां रहेलुछे एम नक्की थाय छे. ए प्रमाणे जीव मां रहेल कर्मो पण ज्ञानी जाणे छे परन्तु बीजो जाणतो नथी. विवेचन-पाराना रस मां रहेलु सोनु औषधि आदि ना कारणे अांख थी देखातु नथी परन्तु कोई सिद्ध पुरुष पाराना रस मां रहेल सोना ने बहार खेंची काढे छे त्यारे सोनु अांख थी देखी शकाय छे. ए प्रमाणे जीव मां रहेल कर्मो ना समूह ने ज्ञानी जाणी शके छे अने जोई शके छ परन्तु बीजो जाणी शकतो नथी अने जोई शकतो नथी.