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ए वचनना अनुसारे गुणोना आश्रय भूत द्रव्य छ, अर्थात् गुणो हमेशां द्रव्य माँ रहे छे. तो आत्मा द्रव्य छ तेम कर्म ए पात्मा नी अपेक्षाए गुण पण छे. जेम सम्यग् दर्शनादि अात्मा ना गुणो छ तेम कर्म धारी संसारी आत्मा नो कर्म पण गुण होवा थी आत्मा रूप द्रव्य मां कर्म रूप गुण रही शके छे. माटे ए बत्र नो आधार प्राधेय भाव घटी शके छे. मूलम्यहा हि ये केचन विश्वमेतत्, सकर्तृकं प्राहुरहो ! समस्तम् । कल्पान्तकाले महति प्रवृत्त, भाव्येवलीनं खलुविष्णुनाम्नि ३
गाथार्थ- अथवा केटलाक कहे छ के या सर्व विश्व कर्ता थी थयेलुछ तेरोना मते उत्कृष्ट कल्पांत काल थये छते विष्णु नाम ना कर्त्ता मां लीन थई जशेज. विवेचनजे लोकोनी एवी मान्यता छ के विष्णु प्रा सर्व जगत ने बनावे छे परन्तु ज्यारे उत्कृष्ट कल्पात काल आवे त्यारे ा समग्रे जगत विष्णु मां लीन थई जाय छे. एवी मान्यता वाला ने जवाब आपतां ग्रंथकार जणावे छे के जेम तमारा मत मुजब उत्कृष्ट कल्पांत कालना समये या समग्र विश्व विष्ण मां लीन थई जाय छे, तो जेम ईश्वर मां जगत समाई जवाथी ईश्वर अने जगत नो अाधार प्राधेय भाव घटी