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हाथ आदि द्वारा सर्व क्रिया केम न करे ? विवेचन- जीव विना इन्द्रियो अने हाथ, मुख आदि अवयवो बड़े सर्व क्रियानो थाय छे एम मनिये तो शी बावकता ? तेना प्रत्युत्तरं मां जणाववानु जे जो जीव विना इन्द्रियो अने हाथ, मुख आदि अवयवो वड़े सर्व क्रिया थाय तो जीव रहित मुड़दांनो पण हाथ
आदि द्वारा सर्व क्रियायो केम न करे ? परन्तु जीव रहित मुड़दांनो हाथ आदि द्वारा सर्व क्रिया करतां नथी तेथी जीव विना इन्द्रियो अने हाथ, मुख आदि अवयवो बड़े सर्वं क्रियानो थती नथी. मूलम् - सिद्ध तशैतादशस्त शस्तं. कर्मात्मनैबक्रियते न चाङ्गः। प्ररूपिणा हस्तितश्चकर्म, सूक्ष्मं करानामनगृह्यते तत् ।। २५ गाथार्थ यात्मा वडेज शुभ अने अशुभ कर्मो-कार्यो कराय छे परन्तु शरीरना अंगो वड़े नहीं, एम सिद्ध थयु तो आत्मा वड़े रुपी अने सूक्ष्म एवु कर्म केम न ग्रहण थाय ? विवेचन-आत्मा वड़ेज शुभ अने अशुभ कार्यो थाय छे परन्तु शरीर ना अवयवो वडे अात्मा विना शुभाशुभ कार्यों थतां नथी एम सिद्ध थयु. तो आत्मा जो शुभाशुभ कार्यो करी शके छे तो आत्मा रुपी अने सूक्ष्म एवु कर्म केम ग्रहण न करी शके ? अर्थात् ग्रहण करी शके छे.