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स्पर्शेन्द्रिय, रसेन्द्रिय, घ्राणेन्द्रिय, चक्षुरिन्द्रिय अने श्रोत्रेन्द्रिय ए पांच इन्द्रिय; मन बल, वचन बल अने कायबल ए त्रण बल अने श्वासोश्वास अने आयुष्य एम दश प्राण गणाय छे,
एकेन्द्रिय ने स्पर्शेन्द्रिय, कायबल, श्वासोश्वास अने अयुष्य एम चार प्राण होय छे. बेइन्द्रिय ने रसेन्द्रिय अने वचनबल एम बे अधिक गणतां छः प्राण, तेइन्द्रिय ने घ्राणेन्द्रिय बधतां सात प्राण, चउरिन्द्रिय ने चक्षुरिन्द्रिय वधतां पाठ प्राण, असंसी पंचेन्द्रिय ने श्रोतेन्द्रिय वधतां नव प्राण अने संसी पंचेन्द्रिय ने मान बल वधतां दस पारण जाणवा.
__कार्य नी उत्पत्ति कारण वगर थती नथी अर्थात कार्यमां कारण नी आवश्यकता अवश्य होयज. प्राण ए कार्य छ अने पर्याप्ति ए कारण छे. तेथी पर्याप्ति विना प्राण बनी शकताज नथी आहार पर्याप्ति, शरीर पर्याप्ति. इन्द्रिय पर्याप्ति, श्वासोश्वास पर्याप्ति, भाषा पर्याप्ति अने मन पर्याप्ति ए छः पर्याप्ति छे एकेन्द्रिय
आहार, शरीर, इन्द्रिय अने श्वासोश्वास एम चार; बेइ न्द्रिय तेइन्द्रिय अने चउरिन्द्रिय अने असंसी पंचेन्द्रिय ने एक भाषा पर्याप्ति वधतां पांच पर्याप्ति अने संसी पंचेन्द्रिय ने मन पर्याप्ति वधतां छ: पर्याप्ति होय छे.