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तैजस शरीर जेना द्वारा बनेलु छे ते तैजस वर्गणा, जेना द्वारा श्वासोश्वास बनावीशकाय ते श्वासोश्वासवर्गणा जेना द्वारा भाषा-वचन योग बनावाय छे ते भाषा वर्गणा जेना द्वारा मन योग बनावाय छे ते मनः वर्गणा अने जे कार्मण नामनु शरीर जेनाद्वारा बनेलु छे ते कार्मणवर्गणा
___ कार्मण शरीर विना आत्मा पाठे वर्गणाप्रो नां पुद्गलो पण ग्रहण करी शकतो नथी अर्थात् कार्मण शरीर द्वाराज आठे वर्गणा नां पुद्गलो ग्रहण करे छे माटे जेवा प्रकार नो भविष्य काल होय तेवा प्रकार नी प्रेरणा ने वश आत्मा ना कर्म ग्रहण करवाना स्वभाव थी जीव अन्य पुद्गलो ने छोड़ी कर्म पुद्गलो ने ग्रहण करे छे.
मूलम्सुप्तोयथावाकिलकश्चिदङ्गभत्. स्वप्नानप्रपश्यनकुरुतेसमा:क्रिया नौइन्द्रियेणैव न तत्रकिञ्चनेन्द्रिय द्वयप्राणमहो प्रवर्तते ।।१०॥
गाथार्थ- जेम कोई निद्राधीन प्राणी स्वप्नो ने जोतो छतो मन वड़े सर्व क्रियानो करे छे. तेमां क्यांय ज्ञानेन्द्रिय अने कर्मेन्द्रिय नु तेज प्रवर्ततु नथी. विवेचन इन्द्रिय विना पण जीवो कर्म ग्रहण करी सके छे ते दृष्टांत द्वारा विशेष पुष्ट करतां जणावे छे के इन्द्रियो ना बे प्रकार छे-एक ज्ञानेन्द्रिय अने बीजी