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मूलम्
नचेति वाच्यं पय सोऽस्तिशक्ति स्तद्भेदनेयद्व्यभिचारितास्ति । नभेदनं मुद्गशिला सुतद्वत्, धान्येऽम्भसः किकटुकानभेद्या । ७ गाथार्थ- पदार्थ भेदवा मां पाणी नी शक्ति छे एम न कहेवु, कारण के मगशेलिया पत्थर ने पणी भेदी शकतु नथी. जो पाणी धान्यने भेदी शके छे तो कांगडु ने पाणी केम भेदी शकतु नथी ?
विवेचन- ग्रहीं वादी शंकाउठावे छे के पदार्थं भेदवामा पाणीनी शक्ति छे परन्तु वनस्पति नी शक्ति नथी, एटले वनस्पतिना मूल मां पाणी सिंचवाथी जे वृक्षना टोच सुधी पाणी जाय छे ते शक्ति पाणी नी छे, वनस्पति नी नथी. एम कहे दोषरूप छे. ते बतावतां तेनो प्रत्युत्तर आपतां ग्रंथकार श्री कहे छे के पदार्थ भेदवामां पाणी नी शक्ति छे तो पाणी मगशेलियो पत्थर ने केम भेदी शकतु नथी. वली वादी कहे छे के मगशेलियो पत्थर कठोर होवा थी पाणी मगशेलिया पत्थर ने भेदी शकतु नथी. तेना पण जवाबमां ग्रंथकार श्री जगावे छे के जो मगशेलियोपत्थर कठोर होवाथी पाणी तेने भेदी शकतु नथी, परन्तु ज्यारे बधां धान्यो ने पाणी भेदी शके छे तो शा माटे कांगड़ ने पाणी भेदी शकतु नथी ? एटले निश्चय थाय छे के पदार्थों ने भेदवानी शक्ति पाणी मां नथी तेथीज वनस्पति ना मूल मां सिचायेल पारणी ने टोच सुधी पहो
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