Book Title: Jainagmo Me Parmatmavad
Author(s): Atmaramji Maharaj
Publisher: Atmaram Jain Prakashanalay
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राप्तिस्थानआचार्य श्री आत्माराम जैन प्रकाशनालय, . .. जैनस्थानक, लुधियाना - प्रथम प्रवेश वीरसम्वत् ... वि० सं० ..... मूल्य . . ... २४८६ २०१६ आठ आना - मुद्रक... राईज़ आर्ट इलैकटिक प्रेस, गली लालूमल, लुधियाना। Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धन्य वा द ." जैनागमों में परमात्मवाद" के प्रकाशन में समस्त व्यय करने की उदारता श्रीमती गौरां देवी जी कर रही हैं । माता श्री गौरां देवी जी यह प्रकाशन अपने पूज्य पतिदेव - स्वर्गीय लाला नौहरियामल जी जैन की पुण्यस्मृति में करवा रहीं हैं। लाला नोहरियामल जी धार्मिक विचारों के व्यक्ति थे । लाला जी को यह धार्मिक भावना जैनधर्मदिवाकर, प्राचार्यसम्राट् पूज्य श्री आत्माराम जी महाराज जी के सुशिष्य युगस्रष्टा श्रद्धेय श्री स्वामी खजानचन्द्र जी महाराज के परमानुग्रह से प्राप्त हुई थी । श्रद्धेय महाराज जी की कृपा से ही लाला जी को जैनधर्म की उपलब्धि हुई थी । उन्हीं की कृपा से लाला जी सामायिक, नित्यनियम का सदा ध्यान रखा करते थे । धार्मिक, सामाजिक और साहित्यिक कार्यों में अपने धन का सदा उपयोग करते रहते थे । श्री रामप्रसाद जी, श्री गोवर्धनदास जी, श्री केदारनाथ जी, लाला जी के सुयोग्य पुत्र हैं । इन में जो धार्मिकता तथा सामाजिकता दृष्टिगोचर हो रही है, वह सब लाला जी के पुण्य प्रताप का ही मधुर फल है । I माता श्री गौरा देवी जो बड़ी उदार प्रकृति की देवी हैं । धर्म ध्यान की इन को अच्छी लग्न है । दानपुण्य में सदा अपने धन का सदुपयोग करती रहती हैं । दो वर्ष हुए, योगनिष्ठ श्रद्धेय श्री स्वामी फूलचन्द्र जी महाराज द्वारा लिखे "नयवाद" का प्रकाशन इन्होंने ही करवाया था । आचार्य सम्राट् पूज्य श्री Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (ख) आत्माराम जी महाराज द्वारा विनिर्मित "जैनागमों में परमात्मवाद, का प्रकाशन भी आप ही करवा रही हैं । आप की इस उदारता के लिए मैं आप का धन्यवाद करता हूं। और पाशा करता हूं कि भविष्य में भी. आप इसी भांति साहित्यिक सत्कार्यों में अपने धन का सदुपयोग करती रहेंगी। ... ... . . . . प्रार्थी ... मन्त्री... . आचार्य श्री आत्माराम जैन प्रकाशनालय, . . . . . . . जैनस्थानक, लुधियाना। . Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९ जा दिगदर्शन ... वैदिक-परम्परा में ईश्वर शब्द-.. ... ईश्वर शब्द वैदिक दर्शन का अपना एक पारिभाषिक शब्द है । वैदिक दर्शन के अनुसार उस महाशक्ति का नाम ईश्वर है, जो इस जगत की निर्मात्री है, एक है, सर्वव्यापक और नित्य हैं। वैदिक दर्शन का विश्वास है कि संसार के कार्यचक्र को चलाने की बागडोर ईश्वर के हाथ में है, संसार के समस्त स्पन्दन उसी की प्रेरणा से हो रहे हैं। - वैदिक दर्शन कहता है कि ईश्वर सर्वशक्तिमान है, वह जो चाहे कर सकता है। कर्तव्य को अकर्तव्य और अकर्तव्य को कर्तव्य वना देना उस के वाएं हाथ का काम है । सारा संसार उस की इच्छा का खेल है, उसकी इच्छा के बिना एक पत्ता भी नहीं कम्पित हो सकता। संसार का उत्थान और पतन उसी के.. इशारे पर हो रहा है।... .. . ... . . . वैदिक दर्शन की आस्था है कि अज्ञ होने के कारण जीव अपने सुख और दुःख का स्वयं स्वामी नहीं है, इस का स्वर्ग या नरक जाना ईश्वर की इच्छा पर निर्भर है। मनुष्य कुछ.. नहीं कर सकता। उसे तो स्वयं को ईश्वर के हाथों में सौंपः - * कर्तुं मर्तु मन्यथा कर्तुं समर्थ ईश्वरः । अज्ञो जन्तुरनीगोऽयमात्मनः सुखदुःखयोः । ईश्वरप्रेरितो गच्छेत्, स्वर्ग वा श्वभ्रमेव वा ॥ ... : .. ...... ..: (महाभारत) Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ "" (४) जैनदर्शन में मुक्तात्मा के अर्थ में ईश्वर शब्द का व्यवहार नहीं किया जाता है, तथा जैनदर्शन, वैदिकदर्शन द्वारा माने गए ईश्वर का ईश्वरत्व (जगत्कर्तृत्व यादि) भी स्वीकार नहीं . करता है । जैनदर्शन का विश्वास है कि परमात्मा सत्यस्वरूप हैं, ज्ञानस्वरूप है, ग्रानंदस्वरूप है, वीतराग है, सर्वज्ञ है, सर्वदर्शी है | परमात्मा का दृश्य या अदृश्य जगत में प्रत्यक्ष या परोक्ष कोई हस्तक्षेप नहीं है, वह जगत का निर्माता नहीं है, भाग्य का विधाता नहीं है, कर्म - फल का प्रदाता नहीं है, तथा अवतार लेकर वह संसार में आता भी नहीं है । जैनदर्शन कहता है कि व्यक्ति को अपेक्षा से परमात्मा एक नहीं है, अनन्तजीव परमात्मपद प्राप्त कर चुके हैं । परमात्मा अनादि नहीं है । परमात्मा को अनादि न मानने का इतना ही अभिप्राय है, कि जीव कर्मों को क्षय करने के अन्नतर ही परमात्मपद पाता है । परमात्मा एक जोव को दृष्टि से सादि अनन्त है, अनादि काल से जीव मुक्त हो रहे हैं, और अनन्त काल तक जीव मुक्त होते रहेंगे इस दृष्टि से परमात्मा अनादि अनन्त भी है। परमात्मा श्रात्मप्रदेशों की दृष्टि से सर्वव्यापक नहीं है । उसके ग्रात्मप्रदेश सीमित प्रदेश में अवस्थित हैं, किन्तु उसके ज्ञान से सारा संसार ग्राभासित हो रहा है, इस दृष्टि से (ज्ञान की दृष्टि से) उसे सर्वव्यापक भी कह सकते हैं । संसार के धन्धे में उसका कोई हस्तक्षेप नहीं है । जीव को कर्म करने में किसी सर्वथा स्वतन्त्र है, परमात्मा जीव कर्म करने में किसी भी प्रकार की कोई प्रेरणा प्रदान नहीं करता है । उसे किसी कर्म के करने से वह निषिद्ध भी नहीं करता । जीव जो कर्म करता है, उसका फल जीव को स्वतः ही मिल जाता है । श्रात्मप्रदेशों से सम्बन्धित कर्म-परमाणु ही कर्म-कर्ता अपना पद दे डालते हैं । मदिरा मदिरासेवी जीव को स्वय व्यक्ति पर जैसे Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्वयं ही अपना प्रभाव डाल देती है, वैसे हो कर्म-परमाणु जोव को स्वतः ही अपने प्रभाव से प्रभावित कर डालते हैं। परमात्मा का उसके साथ प्रत्यक्ष या परोक्ष कोई सम्बन्ध नहीं है। कर्मफल पाने के लिए जोव को परमात्मा के द्वार नहीं खटखटाने पड़ते हैं। जोव सर्वथा. स्वतंत्र है, किसी भी दृष्टि से . . वह परमात्मा के अधीन नहीं है । संक्षेप में कह सकते हैं-- . .... राम किसी को मारे नहीं, मारे सो नहीं राम। . -:: आप ही आप मर जायेगा, करके खोटा काम ।।. जैनदर्शन की आस्था है कि जीव अपने भाग्य का स्वयं निर्माता है, स्वर्ग, नरक मनुष्य की सद्-असद् प्रवृत्तियों का परिणाम है। अपनी नय्या को पार करने वाला भी जीव स्वयं ही है और उसे डुबोने वाला भी वह स्वयं ही है । इस में परमात्मा का कोई सम्बन्ध नहीं है। . ऊपर की पंक्तियों में यह स्पष्ट हो गया है कि ईश्वर शब्द . वैदिक दर्शन का अपना एक पारिभाषिक शब्द है, जैनदर्शन में . उस के लिए कोई स्थान नहीं है। वैदिकदर्शन में ईश्वर शब्द की जो परिभाषा व्यक्त की गई है, जैनदर्शन उस पर कोई आस्था नहीं रखता है । जैनदर्शन तो सर्वोत्तम और सर्वथा निष्कर्म दशा को प्राप्त आत्मा को ही परमात्मा या सिद्ध या बुद्ध आदि शब्दों के द्वारा प्रकट करता है। ऐसी निष्कर्म आत्मा ... को वह वैदिक सम्मत ईश्वर के नाम से कभी व्यवहृत नहीं । करता है।...... ............... ईश्वर शब्द की व्यापकता- .. .. ईश्वर शब्द की ऐतिहासिक अर्थविचारणा पर विचार करते हुए मालूम होता है कि वैदिकदर्शन के यौवनकाल में -.: Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ६ ) ईश्वर शब्द एक विशेष अर्थ में रूढ़ था । उस समय जगत्कर्तृत्व आदि विविध शक्तियों की धारक महाशक्ति को ही ईश्वर के नाम से व्यवहृत किया जाता था, किन्तु अन्तिम शताब्दियों से ईश्वर शब्द सामान्यतया परमात्मा का कुछ निर्देशक बन गया है । ईश्वर शब्द का उच्चारण करते ही मनुष्य को सामान्य रूप से परमात्मा का बोध होता है । ग्राज भाग्यविधाईश्वर के उच्चारण करने पर जगत् की निर्मात्री, त्री, कर्मफलप्रदात्री तथा अवतार-ग्रहित्री किसी शक्ति- विशेष का बोध नहीं होता है । ईश्वर एक है, सर्व - व्यापक है, नित्य है, आदि बातों का भी आज ईश्वर शब्द परिचायक नहीं रहा । आज तो ईश्वर शब्द सीधा परमात्मा का निर्देश करवाता है । फिर चाहे कोई उसे किसी भी रूप में स्वीकार करता हो । ईश्वर शब्द सामान्य रूप से परमात्मा का निर्देशक होने के कारण ही ग्राजसर्वप्रिय वन गया है । ग्रात्मवादी सभी दर्शनों ने ईश्वर शब्द को अपना लिया है, ग्रात्मवादी सभी दर्शन ईश्वर को आदरास्पद स्वीकार करते हैं । जैनदर्शन जो सदा अनीश्नरवादी कहा जाता रहा है और जिस ने ईश्वर शब्द को कभी अपनाया ही नहीं हैं तथापि आज उस के अनुयायी सहर्ष ईश्वर का नाम लेते हैं, अपने को ईश्वरवादी कहने में ज़रा संकोच नहीं करते हैं । कारण स्पष्ट है कि ईश्वर शब्द आज वैदिकदर्शन का पारिभाषिक शब्द नहीं समझा जाता है । अव तो सामान्य रूप से वह परमात्मा का, सिद्ध का, बुद्ध का निर्देशक बन गया है । आज ईश्वर, परमात्मा, सिद्ध, वुद्ध, गाड (God), खुदा ग्रादि सभी शब्द समानार्थक समझे जाते. हैं । सैद्धान्तिक और साम्प्रदायिक दृष्टि से इन शब्दों के पीछे । Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ किसी का कोई भी पारिभाषिक अभिमत रह रहा हो, किन्तु . जनसाधारण इन समस्त शब्दों से सामान्यतया परमात्मा का ही बोध प्राप्त करता है । ... . ईश्वर के तीन रूपऊपर की पक्तियों में स्पष्ट कर दिया गया है, वैदिकदर्शन के यौवनकाल में ईश्वर शब्द एक विशिष्ट और पारिभाषिक अर्थ का बोधक रहा है, किन्तु अन्तिम शताब्दियों में इस का वह रूप परिवर्तित हो गया है । अव तो यह सामान्यतया परमात्मा का निर्देशक हैं। ग्राज सभी आत्मवादी दर्शन ईश्वर को मानते हैं । कोई आत्मवादी दर्शन ईश्वर की सत्ता से इन्कार नहीं करता है। सभी इसे सहर्ष स्वीकार करते हैं। सामान्य रूप से सभी आत्मवादी दर्शन ईश्वर को मानते हैं, किन्तु सैद्धान्तिक और साम्प्रदायिक दृष्टि से ईश्वर-सम्बन्धी गुणों में वे थोड़ा-थोड़ा मतभेद रखते हैं । इसी मतभेद को ले कर आज ईश्वर के सम्बन्ध में तीन विचार-धाराएं उपलब्ध होती हैं । वे तीनों विचारधाराएं संक्षेप में इस प्रकार हैं- .. १-ईश्वर एक है, अनादि है, सर्वव्यापक है, सच्चिदानन्द . . है, घट-घट का ज्ञाता है, सर्वशक्तिमान है, जगत् का निर्माता है, भाग्य का विधाता है, कर्मफल का प्रदाता है। संसार में जो कुछ होता है, वह सब ईश्वर के संकेत से होता है। ईश्वर पापियों का नाश करने के लिए तथा धार्मिक लोगों का उद्धार करने के लिए कभी न कभी, किसी न किसी रूप में संसार में जन्म लेता है, वैकुण्ठ से नीचे उतरता है और अपनी लीला दिखा कर वापिस वैकुण्ठ-धाम में जा विराजता है। ईश्वर का यह एक रूप है, जिसे आज हमारे सनातनधर्मी Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( 5 ) भाई मानते हैं । ईश्वर का दूसरा रूप नीचे की पंक्तियों में पढ़िए २ - ईश्वर एक है, अनादि है, सर्वव्यापक है, सच्चिदानन्द है, चट-घट का ज्ञाता है, सर्वशक्तिमान है, संसार का निर्माता है । . जीव कर्म करने में स्वतन्त्र है, उस में ईश्वर का कोई हस्तक्षेप नहीं है । जीव ग्रच्छा या बुरा जैसा भी कर्म करना चाहे कर सकता है, यह उस की इच्छा की बात है, ईश्वर का उस पर कोई प्रतिवन्ध नहीं है किन्तु जीवों को उन के कर्मों का फल ईश्वर देता है | अपनी लीला दिखाने के लिए, पापियों का नाश करने के लिए और धर्मियों का उद्धार करने के लिए ईश्वर अवतार धारण नहीं करता है, भगवान से मनुष्य या पशु के रूप में जन्म नहीं लेता है । ईश्वर का यह दूसरा रूप है, जिसे ग्राज कल हमारे आर्य भाई मानते हैं । ईश्वर का तीसरा रूप भी समझ लीजिए३ - ईश्वर एक हीं नहीं है, ईश्वर अनेक भी हैं, अनादि ही नहीं है, सर्वव्यापक ही नहीं है, अनन्त शक्तिमान है, घट-घट का ज्ञाता है, द्रष्टा है, जगत का निर्माता नहीं, भाग्य का विधाता नहीं, कर्मफल का प्रदाता नहीं, ग्रवतार लेकर संसार में आता नहीं, जीव कर्म करने में स्वतंत्र है, जीवकृत कर्म के साथ ईश्वर का प्रत्यक्ष या परोक्ष कोई सम्बन्ध नहीं है। जीव की उन्नति या अवनति में ईश्वर का कोई हस्तक्षेप नहीं है, ग्रहिंसा, संयम और तप की त्रिवेणी में विशुद्ध मनसा, वाचा और कर्मणा गोते लगाने वाला व्यक्ति निष्कर्मता को प्राप्त करके ईश्वर वन जाता है । ईश्वर और जीव में केवल कर्म -गत अन्तर है । कर्म की दावार यदि मध्य में से उठा दी जाए तो जीव में और ईश्वर में Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ९ ) स्वरूप कृतं कोई अन्तर नहीं रहता है, जीव ईश्वर - स्वरूप ही बन जाता है । . यह ईश्वर का तीसरा रूप है, जिसे जैन लोग स्वीकार करते हैं। जेनों की ईश्वर-सम्बन्धी मान्यता के सम्बन्ध में पीछे भी वर्णन किया जा चुका है । ईश्वर के सम्बन्ध में अन्य अनेकों रूप भी मिल जाते हैं । किन्तु मुख्य रूप से आज इन तीनों रूपों का ही अधिक प्रचार एवं प्रसार देखने में आता है । इसलिए यहां इन तीनों का ही संक्षिप्त परिचय कराया गया है । जनागमों में परमात्मवाद प्रारंभ में कहा जा चुका है कि जैनदर्शन में परमात्मा के अर्थ में ईश्वर शब्द का व्यवहार देखने नहीं श्राता है । परमात्मा के लिए जैनदर्शन में सिद्ध, बुद्ध आदि पदों का प्रयोग मिलता हैं । अव यहां कई एक प्रश्न हमारे सामने आते हैं कि जैनदर्शन में सिद्ध, बुद्ध आदि पदों का प्रयोग किस-किस रूप में पाया जातां है? और कहां-कहां पाया जाता है ? तथा जैनदर्शन परमात्मा को एक कहता है या अनेक ? सादि बतलाता है या अनादि ? इन प्रश्नोंका तथा इस प्रकारके अन्य प्रश्नोंका समाधान प्राप्त करने के लिए हमें जैनागम - सागर का मन्थन करना होगा । जैनागमों का गंभीर चिन्तन, मनन, निदिध्यासन किए बिना उक्त प्रश्नों का समाधान प्राप्त होना कठिन है । पर यह काम बच्चों का खेल नहीं है । इस के लिए प्रतिभा चाहिए और जैनागमों का सम्यक्तया परिज्ञान होना चाहिए । जिस को जैनागमों का पर्याप्त बोध हो; उनके पूर्वापर सम्बन्धों की पूर्णतया जानकारी हो तथा उन में निराबाध गति से जी - Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ " ( १० ) विहरण कर सकता हो, ऐसा कोई आगम-ममज्ञ महापुरुष हो इन प्रश्नों का समाधान कर सकता है । जनसाधारण के वश का यह काम नहीं है । जैन समाज में ग्रागममहारथी महा-पुरुषों की कमी नहीं है । जैनागमों के मर्म को समझने वाले तथा उस के महासागर के तल का स्पर्श करने वाले समाज में आज भी अनेकों पूज्य मुनिराज हैं । किन्तु मालूम होता है कि इस सम्वन्ध में उन्होने कोई ध्यान नहीं दिया। यही कारण है कि आज तक किसी ऐसी पुस्तक की रचना नहीं हो सकी है, जिस में परमात्मसम्वन्धी श्रागम-पाठों का संकलन किया गया हो। वैसे ऐसी पुस्तक होनी श्रवश्य चाहिए। जैनागमों में जहां-जहां परमात्मा का वर्णन आता है, जिन शब्दों तथा जिस रूप में वह वर्णन किया गया है उस सब का संकलन किसी पुस्तक में अवश्य हो जाना चाहिए । तभी जैनागमों में वर्णित परमात्म-स्वरूप का जनसाधारण को बोध प्राप्त हो सकता है । ग्रागमों में यत्र-तत्र ग्राए हुए परमात्मसम्बन्धी पाठों का संकलन होना चाहिए, ऐसा संकल्प तो जिज्ञासु पाठकों के हृदयों में वर्षों से चक्र लगा रहा हैं, किन्तु उसे पूरा करने का किसी ने प्रयास नहीं किया । मुझे हार्दिक हर्ष होता है, यह बताते हुए कि हमारे श्रद्धेय आचार्य सम्राट् श्री ने इस दिशा में प्रयत्न करके उस संकल्प को ग्रांज पूरा कर दिया है | आचार्य श्री ने अपने अनवरत स्वाध्याय के वल पर आगमों से प्रायः वे सभी पाठ संकलित कर लिये हैं, जिन में परमात्मवाद को ले कर कुछ न कुछ कहा गया है, उसके स्वरूप को लेकर चिंतन किया गया है । उन पाठों का संकलित रूप ही ग्राज हमारे सामने Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ११ ) -" "जैनागमों में परमात्मवाद" यह पुस्तिका है । इस पुस्तिका में परमात्मसम्वन्धी प्रायः सभी पाठों को संग्रहीत कर लिया गया है । " जैनागमों में परमात्मवाद" में सर्वप्रथम शास्त्रीय पाठ हैं, फिर टिप्पणी में उसकी संस्कृत च्छाया है । तदनन्तर उस पाठ की संस्कृत-व्याख्या है । तत्पश्चात् उसका हिन्दी में भावार्थ है । मूलपाठ देखने वाले को इस में मूलपाठ मिलेगा। जो संस्कृत भाषा के विद्वान मूलपाठ के गंभीर हार्द को संस्कृत भाषा में जानने की रुचि रखते हैं, उनके लिए मूलपाठ की संस्कृत - व्याख्या का इसमें संयोजन किया गया है । जो हिन्दी में उसे समझना चाहते हैं, उन के लिए हिन्दी भाषा में उन पाठों का अनुवाद कर दिया गया है । इस प्रकार इस पुस्तिका को प्रत्येक दृष्टि से उपयोगी और लोकप्रिय बनाने का स्तुत्य प्रयास किया गया है । इस का सभी श्रेय हमारे श्रद्धेय गुरुदेव जैन-धर्म - दिवाकर ग्राचार्य सम्राट् पूज्य श्री ग्रात्माराम जी महाराज को ही है । इन्हीं के अनवरत परिश्रम का यह सुफल है । शारीरिक स्वास्थ्य ठीक न रहते हुए भी प्राचार्य श्री ने साहित्य - सेवा में अपना यह योगदान दिया है, इस के लिए साहित्यजगत आचार्य श्री. का सदा के लिए ऋणी रहेगा । ईश्वर-सम्वन्धी हिन्दी साहित्य में इस पुस्तक की अपनी विशिष्टि उपयोगिता है । जो व्यक्ति जानना चाहते हैं कि जैनागमों में परमात्मा के सम्बन्ध में कैसा निरूपण किया गया है? और किन-किन शब्दों में किया गया है? उनको इस पुस्तक में पर्याप्त सामग्री मिलेगी । और जो लोग यह कहते चले आ रहे हैं कि जैनदर्शन परमात्मा की सत्ता से इन्कार करता है, Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१२) या उसके सम्बन्ध में सर्वथा मौन है, उन लोगों को भी इस पुस्तक में समुचित समाधान मिल जायेगा, इस पुस्तक के अध्ययन से उन को पता चल जायेगा कि जैनधर्म परमात्मा की सत्ता को सहर्ष स्वीकार करता है; और प्रामाणिकता के साथ परमात्मा के स्वरूप का प्रतिपादन करता है। इस तरह यह पुस्तक साहित्य जगत में महान उपकारक; हितावह प्रमाणित होगी; यह मैं दृढ़ता के साथ कह सकता हूं। परमश्रद्धेय आचार्य सम्राट श्री. के हम अाभारी हैं. जो शारीरिक दुर्बलता के रहते हुए भी साहित्य-सेवा के पुनीत कार्य को चाल, रख रहे हैं। अवतक आचार्य श्री लगभग ६० पुस्तके लिखें चुके हैं। नेत्र-ज्योति की मंदता तथा एक कम अंस्सी वर्षों की वयोवृद्ध अवस्था हो जाने पर आज भी श्रद्धेय प्राचार्य देव इस पुनीत साहित्य-कार्य से विश्राम नहीं ले रहे हैं । अवसर निकालकर इस कार्य को करते ही रहते हैं । प्रस्तुत पुस्तिका भो प्राचार्य-देव की इसी लग्न का सुपरिणाम हैं। प्राचार्य-देव की इस साहित्यप्रियता, कपालुता और दयालुता के लिए जितना भो उनका आभार प्रकट किया जाये उतनी हो कम है। जनस्थानक, लुधियाना कार्तिक शुक्ला १५ २०१६ . .. -ज्ञानमुनि Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैनागमों में परमात्मवाद ___ * मङ्गलाचरणम् * अमूर्तस्य चिदानन्द - रूपस्य परमात्मनः । । निरञ्जनस्य सिद्धस्य, ध्यानं स्याद्रूपवर्जितम् ॥ . ....... इत्यजस्र स्मरन् योगी, तत्स्वरूपावलम्बनः । - तन्मयत्वमवाप्नोति, ग्राह्यग्राहकवजितम् ॥ अनन्यशरणीभूय, स तस्मिन् लीयते यथा। . ध्यात - ध्यानोभयाभावे, ध्येयमैक्यं यथा ब्रजेत् ॥ सोऽयं . समरसीभावः, · तदेकीकरणं मतम् । आत्मा यदपृथक्त्वेन, . लीयते परमात्मनि ।। अलक्ष्यं लक्ष्य-सम्बंधात्, स्थूलात्सूक्ष्म विचिन्तयेत्। . सालम्बाच्च निरालम्बं, तत्त्ववित् तत्त्वमंजसा ॥ एवं . चतुर्विधध्यानामृतमग्नं मुनेर्मनः । साक्षात्कृतजगत्तत्त्वं, विधत्ते शुद्धिमात्मनः ।। : - योगशास्त्र, प्रकाश १० परमात्मा का स्वरूप .. ....... ... मूल पाठ ... - *सव्वे संरा णियट्टन्ति, तक्का जत्थ न विज्जइ, मइ तत्थ न गाहिया, ओए, अप्पइट्ठाणस्सं खेयन्ने, से न . * सर्वे स्वराः निवर्तन्ते, तर्को यत्र न विद्यते, मतिस्तत्र न ग्राहिका, - प्रोजः, अप्रतिष्ठानस्य खेदज्ञः, सन दी?, न ह्रस्वो, न वृत्तो, न - Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ : - ( २ ) दीहे, न हस्से, न वट्टे, न तंसे, न चउरंसें, न परिमंडले, न किण्हे, न नीले, न लोहिए, न हालिदे, न सुकिल्ले, न सुरभिगन्धे, न दुरभिगन्धे, न तित्ते, न कडुए, न कसाए, न अंबिले, न महुरे, न कक्खड़े, न मउए, न गुरुए, न लहुए, न सीए, न उण्हे, न निद्धे, न लुक्खे, न काऊ, न रहे, न संगे, न इत्थी, न पुरिसें, न अन्नहा, परिन्ने, सन्ने, उवमा न विज्जए, अरूवी सत्ता, अपयस्स पर्यं नत्थि । से न सद्दे, न रूवे, न गंधे, न रसे, न फासे । - आचारांगसूत्र प्रथमश्रुतस्कंच अध्याय ५ उद्देश ६ । 14 संस्कृत - व्याख्या 77 “सर्वे" निरवशेषाः "स्वराः” ध्वनय स्तस्मान्निवर्तन्ते तद् वाच्यवाचक-सम्बन्धे न प्रवर्तन्ते, तथाहि शब्दाः प्रवर्त्तमानाः रूप-रस-गन्ध— स्पर्शानामन्यतमे विशेषे संकेत - काल - गृहीते तत्तुल्ये वा प्रवर्त्तेरन, नचैतत्तत्र शब्दादिनां प्रवृत्तिनिमित्तमस्ति श्रतः शब्दानभिधेया मोक्षावस्थेति । न ·· 1 त्र्यस्रो, नं चतुरस्रो, न परिमण्डलो, न कृष्णो, न नीलो, न लोहितो, न हारिद्रो, न शुक्लो, न सुरभिगन्धो न दुरभिगन्धो न तिक्तो न कटुको, न कषायो, नाम्लो, न मधुरो, न कर्कशो, न मृदुः, न गुरुः, न • लघुः न शीतो, नोष्णो, न स्निग्धो, न रूक्षो, न कायवान्, न रुहः, न संगः, न स्त्री, न पुरुषः, नान्यथा, परिज्ञः, संज्ञः, उपमा न विद्यते, अरूपिणी सत्ता, अपदस्य पदं नास्ति स नः शब्दः, न रूपः, न गन्धः, न रसः, न स्पर्श:-1 Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ : : ( ३ ) } केवलं शब्दानभिधेया, उत्प्रेक्षणीयापि न संभवतीत्याह-- संभवत्पदार्थविशेषास्तित्वाध्यवसायं ऊहस्तर्कः एवमेवं चैतत्स्यात्, स च यत्र न विद्यते ततः शब्दानां कुतः प्रवृत्तिः स्यात् किमिति तत्र तर्काभाव इति चेदाह - मननं मतिः—मनसो व्यापारः पदार्थचिन्ता सौत्पत्तिक्यादिका चतुविधापि मतिस्तत्र न ग्राहिका, मोक्षावस्थाया सकल - विकल्पातीतत्वात्, तत्र च • मोक्षे कर्मशसमन्वितस्य गमनमा होस्विन्निष्कर्मण: ? न तत्र कर्मसम न्वितस्य गमनमस्तीत्येतद्दर्शयितुमाह-- " प्रोजः " एकोऽशेष मलकलंकीकरहितः, किं च न विद्यते प्रतिष्ठानमोदारिक- शरीरादेः कर्मणो वा यत्र सोऽप्रतिष्ठाणो मोक्षस्तस्य ' खेदज्ञो" निपुणो यदि वा अप्रतिष्ठानो नरकस्तत्र स्थित्यादिपरिज्ञानतया खेदज्ञो, लोक-नाडि - पर्यन्तपरिज्ञानावेदनेन च समस्तलोकखेदज्ञता ' आवेदिता भवति । सर्वस्वरनिवर्तनं च येनाभिप्रायेणोक्तवांस्तमभिप्रायमा विष्कुर्वन्नाह - 'स' परमपदाभ्यासी लोकान्तक्रोशंषड्भागक्षेत्रोवस्थानोऽनन्तज्ञानदर्शनोपयुक्ता संस्थानमाश्रित्य न दीर्घा, न ह्रस्वो, न वृत्तो, न त्र्यस्रो, न चतुरस्रो, न परिमंडलो, वर्णमाश्रित्य न कृष्णो, न नीलो, न लोहितों, न हारिद्रो, न शुल्को, गन्धमाश्रित्य - न सुरभिगन्धो, न दुरभिगन्धो, रसमाश्रित्य न तिक्तो, न कटुको, न कषायो, नाम्ल न मधुरः, स्पर्शमाश्रित्य न कर्कशो, न मृदुः, न लघुः, न गुरुः, न शीतो, नोष्णो, न स्निग्धो, न रूक्षो, 'न काउ' इत्यनेन लेश्या गृहीता यदि वा न कायवान्. यथा:- वेदान्तवादिनाम् एक एवं मुक्तात्मा तत्कायमपरे क्षीणक्लेशा अनुप्रविशन्ति, आदित्यं - रश्मय इवांशुमन्त मितिः तथा न 'रूह' बीज - जन्मनि प्रादुर्भावेः “च” - रोहतीति रुहः न रुहोऽरुहः कर्मबीजाभावादपु दुः नर्भावीत्यर्थः, न पुनर्यथा शाक्यानां दर्शन निकारतो मुक्तात्मनोऽपि पुनर्भवोपादानमिति, उक्तं च दग्धेंधन: पुनरुपैति भवं प्रमथ्य, निर्वाणमप्यनवधारित भीरुनिष्ठम् Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (४) . . . मुक्तः स्वयं कृतभवश्च परार्थशूर, . स्त्वच्छासन-प्रतिहतेष्विह मोहराज्यम् ॥१॥ तथा च न विद्यते संगोऽमूर्त्तत्वाद्यस्य स तथा, तथा न स्त्री, नपुरुषो, नान्यथेति-न नपुंसका: केवलं सर्वैरात्मप्रदेगैः परि-समन्तात् । विशंपतो जानातीति-परिज्ञः, तथा सामान्यत: सम्यग् जानाति-पश्यति । इति संज्ञा, ज्ञानदर्शनयुक्त इत्यर्थः । यदि नाम स्वरूपतो न ज्ञायते, . मुक्तात्मा तथाप्युपमाद्वारेणादित्यं गतिरिव ज्ञायत एवेति चेत् तन्न यत उपमीयते . सादृश्यात् परिच्छिद्यते यया .सोपमा-तुल्यता सा मुक्तात्मनस्तज्जानसुखयोर्वा न विद्यते,लोकातिगत्वात्तेषां, कुत एतदिति चेदाह-तेषां : मुक्तात्मनां या सत्ता सा अरूपिणी अरूपित्वं च दीर्घादिप्रतिषेधेन प्रतिपादितमेव । किं च न विद्यते पदम् -अवस्थाविशेपो यस्य सोऽपदः तस्य पद्यते-गम्यते येनार्थस्तत्पदम्-अभिधानं तच्च "नास्ति' न विद्यते वाच्यविशेषाभावात् तथाहि-योऽभिधीयते सः शब्द-रूप-गन्ध-रसस्पर्शान्यतरविशेषेणाभिधीयते तस्य च तदभाव इत्येतद्दर्शयितुमाह-यदि वा दीर्घ इत्यादिना रूपादिविशेष-निराकरणं कृतम्, इह तु तत्सामान्य-निराकरण . कर्तु कामाह-स मुक्तात्मा न शब्दरूपः, न रूपात्मा, न गन्धः, न रसः, न स्पर्शः । ... . हिन्दी भावार्थ-.. · मुक्तात्मा का स्वरूप वताने के लिए कोई भी शब्द समर्थः ।। नहीं है । तर्क की वहां गति नहीं होती है । वुद्धि वहां तक जा . नहीं सकती है । उसकी कल्पना नहीं की जा सकती है। वह । मुक्तात्मा सकल कर्म रहित, सम्पूर्ण ज्ञानमय दशा में विराजमान है। वह न लम्बा है, न छोटा है, न गोल है, न त्रिकोण है, ... न चौरस है, न मण्डलाकार है, न काला है, न नीला है, न लाल है। वह पीला और सफेद भी नहीं है। सुगन्ध और दुर्गन्ध Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वाला नहीं है। तीक्ष्ण और कटुक नहीं है। कसैला, खट्टा और मीठा नहीं है । वह न कठोर है, न सुकुमार है, न हल्का है, न भारी है, न शीत है, न उष्ण है, न स्निग्ध है, न रूक्ष है, न शरीरधारी है, न पुनर्जन्मा है, न आसक्त है, न स्त्री है, न पुरुष है, न नपुंसक है । वह ज्ञाता है, परिज्ञाता है, उसकी उपमा. नहीं है । वह अरूपी है, अवर्णनीय है, शब्दों द्वारा । • उसका वर्णन नहीं किया जा सकता है। . . . . . . . . . मुक्तात्मा शब्द, रूप, रस, गन्ध और स्पर्श स्वरूप भी नहीं है। मूल पाठ.. ... .. .. * एक्कतीसं सिद्धाइगुणा पण्णत्ता, तंजहा-खोणे . आभिणिबोहिय-णाणावरणे, खींणे सुयणाणावरणे,.' खोणे ओहियणाणावरणे, खीणे मणपज्जवणाणावरणे ___ * एकत्रिंशत् सिद्धादिगुणाः प्रज्ञप्ताः तद्यथा-क्षीणमाभिनिबोधिकज्ञानावरणं, क्षीणं श्रुतज्ञानावरणं, क्षीणमवधिज्ञानावरणं, क्षीणं मन:पर्यवज्ञानावरणं, क्षीणं केवलज्ञानावरण, क्षीणं : चक्षुर्दर्शनावरणं, क्षीणमचक्षुर्दर्शनावरण, क्षीणमवधिदर्शनावरणं, क्षीणं केवलदर्शनावरणं, क्षीणा निद्रा, क्षीणा निद्रानिद्रा; क्षीणा प्रचला, क्षीणा- प्रचलाप्रचला, क्षीणा स्त्यानद्धिः, क्षीणं मातावेदनीयं, “क्षीणमसातावेदनीयं, क्षीणं... दर्शनमोहनीयं, क्षीणं चारित्रमोहनीय, क्षीणं नैरयिकायुष्क क्षीणं तिर्यगा- . . युष्क, क्षीणं मनुष्यायुष्क, क्षीणं देवायुष्क, क्षीणमुच्चगोत्रं, क्षीणं नीचगोत्र, क्षी णं शुभनाम, क्षीणमशुभनाम, क्षीणो दानान्त-रायः, क्षीणो लाभान्तरायः, क्षीणो भोगान्तरायः, क्षीण उपभोगान्तरायः, क्षीणो वीर्यान्तरायः । Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अति प्रगति मे लिखा है छ ॥ छ ॥ ॥ छ ॥ ग्रथाग्र १५७७५ ॥ छ ॥ छ ॥ श्री ॥ छ || श्री कल्याणमस्तु ॥ शुभ भवतु ॥ छ ॥ श्री ॥ श्री ॥ छ ॥ छ ॥ प्रति मे अनेक स्थलो पर मस्कृत मे टिप्पण भी दिये हुए है । (स) भगवती सूत्र (त्रिपाठी) केशर भगवती नाम से ख्यात यह प्रति हमारे सघीय पुस्तकालय की है । इसके ६०२ पत्र तथा १२०४ पृष्ठ हैं । पत्र के मध्य मे मूल पाठ तथा ऊपर नीचे वृत्ति लिखी गई है । यह प्रति सुन्दर और काफी शुद्ध है । किसी पाठक ने मुद्रित प्रति को प्रमाण मानकर स्थान-स्थान पर हरताल लगाकर इसे शुद्ध करने का प्रयत्न किया है। जहां ऐसा किया गया है वहां प्राय शुद्ध पाठ अशुह न गया है । इसके प्रत्येक पृष्ठ मे मूल पाठ की ४ मे १५ तक पक्तिया और प्रत्येक पक्ति मे ४५ से ५३ तक अक्षर हैं । प्रगस्ति मे लिखा है श्री भगवती सूत्र सम्पूर्णं ॥ छ ॥ श्री विवाहपन्नत्ती पत्रम अंग सम्मत्त || शुभं भवतु | ग्रथाग्र १५६७५ उभयमीलने ग्र० ३४२६१ ॥ श्री ॥ लिषित यती डाहामल्ल श्री नागोरमध्ये स० १८४८ माह शु १५ । वृ (वृपा) मुद्रित प्रकाशक - श्रीमती आगमोदय समिति । सहयोगानुभूति जैन-परम्परा मे वाचना का इतिहास बहुत प्राचीन है । आज से १५०० वर्ष पूर्व तक आगम की चार वाचनाए हो चुकी हैं। देवगणी के बाद कोई सुनियोजित आगम-वाचना नही हुई | उनके वाचना-काल मे जो आगम लिखे गए थे, वे इस लम्बी अवधि में वहुत ही अव्यवस्थित हो गए । उनकी पुनर्व्यवस्था के लिए आज फिर एक सुनियोजित वाचना की अपेक्षा थी । आचार्यश्री तुलमी ने मुनियोजित सामूहिक वाचना के लिए प्रयत्न भी किया था, परन्तु वह पूर्ण नही हो सका । अन्तत हम इसी निष्कर्ष पर पहुचे कि हमारी वाचना अनुसन्धानपूर्ण, तटस्थदृष्टि-समन्वित तथा सपरिश्रम होगी तो वह अपने-आप सामूहिक हो जाएगी । इसी निर्णय के आवार पर हमारा यह आगम-वाचना का कार्य प्रारम्भ हुआ । हमारी इस वाचना के प्रमुख आचार्यश्री तुलसी हैं। वाचना का अर्थ अध्यापन है । हमारी इस प्रवृत्ति मे अव्यापन-कर्म के अनेक अंग हैं-पाठ का अनुसंधान, भाषान्तरण, समीक्षात्मक अध्ययन आदि-आदि। इन सभी प्रवृत्तियो मे आचार्यश्री का हमे सक्रिय योग, मार्ग-दर्शन और प्रोत्साहन प्राप्त है । यही हमारा इस गुरुतर कार्य मे प्रवृत्त होने का शक्ति - बीज है । Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मैं आचार्यश्री के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित कर भार-मुक्त होऊ, उसकी अपेक्षा अच्छा है कि अग्रिम कार्य के लिए उनके आशीर्वाद का शक्ति-सवल पा और अधिक भारी बनू । प्रस्तुत आगम के सम्पादन मे पाठ-सम्पादन के स्थायी सहयोगी मुनि सुदर्शनजी, मधुकरजी और हीरालालजी के अतिरिक्त मुनिश्री कानमल जी, छत्रमलजी, अमोलकचन्दजी, दिनकरजी,पूनमचन्दजी, कन्हैयालालजी, राजकरणजी, ताराचन्दजी, बालचन्द्रजी, विजयराजजी, मणिलालजी, महेन्द्रकुमारजी (द्वितीय), सम्पतमलजी (दू गरगढ), शान्तिकुमारजी, मोहनलालजी (शार्दूल) और श्रीमन्नालाल जी वोरड का योग रहा है। पाठ-सम्पादन का कार्य स० २०२६ पौष कृष्णा ६ (२८ दिसम्बर १६७२) को सरदारशहर (राजस्थान) मे आरम्भ किया गया और वह स० २०३० फाल्गुन शुक्ला ११ (४ मार्च १६७४) को दिल्ली मे पूरा हुआ। प्रति शोधन मे मुनि सुदर्शनजी, मधुकरजी, हीरालालजी और दुलहराजजी ने बहुत श्रम किया है । इसका ग्रन्थ-परिमाण मुनि मोहनलाल जी आमेट ने तैयार किया है। ___ कार्य निप्पत्ति मे इनके योगका मूल्याकन करते हुए मैं इन सबके प्रति आभार व्यक्त करता हूँ। आगमविद् और आगम-सपादन के कार्य मे सहयोगी स्व० श्री मदनचन्दजी गोठी को इस अवसर पर विस्मृत नही किया जा सकता। यदि वे आज होते तो भगवती के कार्य पर उन्हे परम हर्ष होता। आगम के प्रवन्ध सम्पादक श्री श्रीचन्दजी रामपुरिया प्रारम्भ से ही आगम कार्य मे सलग्न रहे हैं । आगम साहित्य को जन-जन तक पहुंचाने के लिए वे कृत-सकल्प और प्रयत्नशील हैं । अपने सुव्यवस्थित वकालत कार्य से पूर्ण निवृत्त होकर अपना अधिकाश समय आगम-सेवा मे लगा रहे है । 'अगसुत्ताणि' के इस प्रकाशन मे इन्होने अपनी निष्ठा और तत्परता का परिचय दिया है। 'जैन विश्व भारती' के अध्यक्ष श्री खेमचन्द जी सेठिया, 'जैन विश्व भारती' तथा 'आदर्श साहित्य सघ' के कार्यकर्ताओ ने पाठ-सम्पादन में प्रयुक्त सामग्री के सयोजन मे बडी तत्परता से कार्य किया है। ___एक लक्ष्य के लिए समान गति से चलने वालो की समप्रवृत्ति मे योगदान की परम्परा का उल्लेख व्यवहारपूतिमात्र है। वास्तव मे यह हम सब का पवित्र कर्तव्य है और उसी का हम सवने पालन किया है। अणुव्रत विहार नई दिल्ली १-१०-७४ मुनि नथमल Page #21 --------------------------------------------------------------------------  Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ SE प CAM PERHITE SCAUS E-IN 14 PARYA AM S 9.7PIC -- ARTICIA ST INSir 4AAR SXE क PE RASAN a MISAR Late PARAN TOTRAINMRATANTRNXA ASI R EN MPATH AAN 45 FRNA M 'ब' संज्ञक भगवई सूत्र का प्रथम पृष्ठ (तेरापंथी सभा हस्तलिखित संग्रहालय, सरदार शहर) । Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Fes इस‌का उन्ह, एक बात है, म sy आमदार दिपि गदिमा तातोश्र रिगदिमकामाद्विदिवसिद्धि प वसगालादिवासन द्दिजिडि‌दिशियापगमा चा ताम्रादादिली सिद्धातिदिजपति मदादिवि दिवाद्यि उगावसियायियाण दाऊंगा दिया दिया पोवारसमQि/मुदाय gre ܐ A यादिवासनादिपितियाल शिव को दावो दिपापहिला दि नीि } 92193 'ब' संज्ञक भगवई सूत्र का अंतिम पृष्ठ (तेरापंथी सभा हस्तलिखित संग्रहालय, सरदारशहर ) । ५२ J Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ARNE - ए VBaci Rainik SHTRA SYKRN पारामा समस्याउ ERENE Ha E- m मामासशीलालबागकामलारत्याधिमाविष्टगादेगसम्पयसिप मोजावताहेमशीनोमाम पडायragrator aiमानामषिमापारमाधिनियमताश्रममावासावालालमातरमतानलाचीनतमसम्म मा HTERNETahsarसगाईमपरकणमाडातात्यादिभाकात अमरनापविजोनिलास्मिारसायसिसाणक्यानवाससपा TEVERE सतानी शाक्षिसोपवामियरतिनिभवानामबाणाकालालारतादायीर्यस्मादनक्षमादाममसामरिन सामिपसन्दासमतावादिसापितलीantीमागासलगायापामस्यादवानापरवानाaarak HEATRAKANTIREMETसंसावादिधिधारामालारोगामामारयादसियाममति सहजासमध्यकाकवलमप शोड EHAषावकारलेयामकलकातरमहाप्तामा कलरवाना चायालयानस्यामनिनिमायाका सरन पजामाविनमाना मोसमा AAPPनपरगावठियायाधिारापरतश्रावणात मानीरसागाभदावनियामलालकति पावसावरारनामालनीसनियमाएकी सटीक ENTERTAINMEANITES सतपासवानगवानरासायर 12 सहस्सादाणावरमापासास नावालाक्षमणेतापमानसमगीन मा मारपसाराला बतासमायणासन वनसतसम्म मतासमता परमाणायदा तणनापदिन पत्नवादाताणानावालसंगरपिडादसावाला सालास SPACKामावतासदेवनाचगवती ममतिभिरमा सबवपासनोएत्रामाणमा योपादादादिनादिमिनी सिंगवरवध शवागना RAKE-सकारिणवातासयातान्त्रारजात्रवत्तिावविद्याश्यासिमिया सीमएगहिवामानामदिदिबहिसनहाय वाससममगणावरीगांसालणंगदिधामिरहिमको जावधियों पर पीवकल्याशिलगाववानि वहादसताक्षरिदशतया सबसदाचा भामाशदिवालमाति वासनिमयतादानवनिवास तिसगाव राजाकोमा अदिवासुमादिगानासाथियासंयोगदाणदिनी P स्मिताई बारमारणागिनियमहामसया बारमणगायनानदियाण बारमातहात क्षमा यारसा गापानमा लामालवितामहरिजनका विलययावत 3 .नीमहकानारावासावाशाशपतिना जगापामगकिंचालिागीरदाय बागागात सादायीपापोता या ROCHANमति मारताना PRESEAध्यक्तावकिपिलिपट सान्निधवतगोमासया शानिपरोकनायकालाभाशिरवश्यात पधाममेटमदानवाशिमातादियशमीदोषाक्षिततशती मीमांसाधयिदावसिायमाबालसन्धारातिरस्यामाता Emaiमाधवलिखितौरिगलगलियामासानिधानविप्रतिमहिनादायकवादिरिया कारणामोरया शातिर्नुखनएजनीक हमारा समाजाला हिमवहारातन यामिकातिलगानगारतातमा मानवता धावन मायामा न्याधामह देशाशस्विमान्लास्वामी शातियानाकर रहती हो । ਕਈ ਹੋਰ 'अ' संज्ञक भगवई सूत्र का अंतिम पृष्ठ (गणेशदास गधैया हस्तलिखित संग्रहालय, सरदारशहर)। Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 11 . 'ता' संज्ञक ताडपत्रीय सगाई सूत्र का जान र (... . . . 09.27 .... widtTRISH मासापानी BHARASHAN कामयाममा B RITER सम्भावक YAVवभाजपा मारी, Rellthapterut HFilnainita विकारग्याशगई। 1. + 'ता' संज्ञक ताडपत्रीय भगवई सूत्र का अंतिम पृष्ठ (जेसलमेर जैन ज्ञान भंडार)। Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भूमिका प्रस्तुत आगम का नाम व्याख्याप्रज्ञप्ति है । प्रश्नोत्तर की शैली मे लिखा जाने वाला ग्रन्थ व्याम्याप्रज्ञप्ति कहलाता है । समवायाग और नन्दी के अनुसार प्रस्तुत आगम मे छत्तीस हजार प्रश्नो का व्याकरण है' । तत्त्वार्यवात्तिक, पट्खण्डागम और कसायपाहुड के अनुसार प्रस्तुत आगम मे साठ हजार प्रश्नो का व्याकरण है । नामकरण प्रस्तुत आगम का वर्तमान आकार अन्य आगमों की अपेक्षा अधिक विशाल है । इसमे विषयवस्तु की विविधता है । सम्भवत विश्वविद्या की कोई भी ऐसी शाखा नही होगी जिसकी इसमे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप मे चर्चा न हो । उक्त दृष्टिकोण से इस आगम के प्रति अत्यन्त श्रद्धा का भाव रहा । फलत इसके नाम के साथ 'भगवती' विशेपण जुड गया, जैसे - भगवती व्याख्याप्रज्ञप्ति | अनेक शताव्दियो पूर्व 'भगवती' विशेषण न रहकर स्वतन्त्र नाम हो गया । वर्तमान मे व्याख्याप्रज्ञप्ति की अपेक्षा 'भगवती' नाम अधिक प्रचलित है । विषय-वस्तु प्रस्तुत आगम के विपय के सम्बन्ध मे अनेक सूचनाएं मिलती है । समवायाग मे बताया गया है कि अनेको देवों, राजो और राजर्पियो ने भगवान् से विविध प्रकार के प्रश्न पूछे और भगवान् ने विस्तार से उनका उत्तर दिया । इसमे स्वसमय, परसमय, जीव, अजीव, लोक और अलोक व्याख्यात है । आचार्य अकलक के अनुसार प्रस्तुत आगम में जीव है या नही है - इस प्रकार के अनेक प्रश्न निरूपित हैं । आचार्य वीरसेन के अनुसार प्रस्तुत आगम में प्रश्नोत्तरो के साथसाथ छियानवे हजार छिन्नच्छेद नयों से ज्ञापनीय शुभ और अशुभ का वर्णन है । १ समवाओ, सून ९३, नदी, सूत्र ८५ । २ तत्त्वार्थवार्तिक १२०, पट्खण्डागम १, पृ० १०१, कसायपाहुड १, पृ० १२५ । ३ समवाओ, सून ९३ । ४ तत्त्वार्थवार्तिक १।२० ५. जिस व्याख्या पद्धति मे प्रत्येक श्लोक और सूत्र की स्वतन्त्र, दूसरे श्लोको और सुनो से निरपेक्ष व्याख्या की जाती है उस व्याख्यापद्धति का नाम छिन्नच्छेद नय है । ६ कसायपाहुड भाग १, पृ० १२५ । Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उक्त सूचनाओ से प्रस्तुत आगम का महत्व जाना जा सकता है। वर्तमान विज्ञान की अनेक शाखाओ ने अनेक नए रहस्यो का उद्घाटन किया है । हम प्रस्तुत आगम की गहराइयो में जाते है तो हमे प्रतीत होता है कि इन रहस्यो का उद्घाटन ढाई हजार वर्ष पूर्व ही हो चुका था। __ भगवान महावीर ने जीवो के छह निकाय वतलाए। उनमे त्रस निकाय के जीव प्रत्यक्ष सिद्ध है । वनस्पति निकाय के जीव अव विज्ञान द्वारा भी सम्मत है। पृथ्वी, पानी, अग्नि और वायु-इन चार निकायो के जीव विज्ञान द्वारा स्वीकृत नही हुए । भगवान् महावीर ने पृथ्वी आदि जीवो का केवल अस्तित्व ही नही वतलाया, उनका जीवनमान, आहार, श्वास, चैतन्य-विकास सज्ञाए आदि पर भी पर्याप्त प्रकाश डाला है । पृथ्वीकायिक जीवो का न्यूनतम जीवनकाल अन्तर्-, मुहूर्त का और उत्कृष्ट जीवनकाल वाईस हजार वर्ष का होता है । वे श्वास निश्चित क्रम मे नही लेते--कभी कम समय मे और कभी अधिक समय से लेते हैं। उनमे आहार की इच्छा होती है । वे प्रतिक्षण आहार लेते है। उनमें स्पर्शनेन्द्रिय का चैतन्य स्पष्ट होता है । चैतन्य की अन्य धाराये अस्पष्ट होती हैं। मनुप्य जैसे श्वासकाल में प्राणवायु का ग्रहण करता है वैसे पृथ्वीकाय के जीव श्वासकाल मे केवल वायु को ही ग्रहण नहीं करते किन्तु पृथ्वी, पानी, अग्नि, वायु और वनस्पति- इन सभी के पुद्गलो को ग्रहण करते हैं। पृथ्वी की भाति पानी आदि के जीव भी श्वास लेते है, आहार आदि करते है । वर्तमान विज्ञान ने वनस्पति जीवो के विविध पक्षो का अध्ययन कर उनके रहस्यो को अनावृत किया है, किन्तु पथ्वी आदि के जीवो पर पर्याप्त शोध नही की । वनस्पति क्रोध और प्रेम प्रदर्शित करती है। प्रेमपूर्ण व्यवहार से वह प्रफुल्लित होती है और घृणापूर्ण व्यवहार से वह मुरझा जाती है । विज्ञान के ये परीक्षण हमे महावीर के इस सिद्धान्त की ओर ले जाते हैं कि वनस्पति मे दस सज्ञाए होती है। वे सज्ञाए निम्न प्रकार हैं-आहार सज्ञा, भय सज्ञा, मैथुन सज्ञा, परिग्रह सज्ञा, क्रोध सज्ञा, मान सज्ञा, माया सज्ञा, लोभ सज्ञा, ओघ सज्ञा और लोक सज्ञा। इन सज्ञाओ का अस्तित्व होने पर वनस्पति अस्पष्ट रूप मे वही व्यवहार करती है जो स्पष्ट रूप मे मनुष्य करता है। प्रस्तुत विषय की चर्चा एक उदाहरण के रूप में की गई है। इसका प्रयोजन इस तथ्य की ओर इगित करना है कि इस आगम मे ऐसे सैकडो विषय प्रतिपादित है जो सामान्य बुद्धि द्वारा ग्राह्य नहीं हैं। उनमे से कुछ विषय विज्ञान की नई शोधो द्वारा अव ग्राह्य हो चुके हैं और अनेक विपयो को परीक्षण के लिए पूर्व-मान्यता के रूप मे स्वीकार किया जा सकता है । सूक्ष्म जीवो की गतिविधियो के प्रत्यक्षत प्रमाणित होने पर केवल जीव-शास्त्रीय सिद्धान्तो का ही विकास नही होता, किन्तु अहिंसा के सिद्धान्त को समझने का अवसर मिलता है और साथ-साथ सूक्ष्म जीवो के प्रति किए जाने वाले व्यवहार की समीक्षा का भी। १ भगवई ११३२, पृ०६। २ भगवई ३३४।२५३,२५४, पृ० ४६४ । Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवान महावीर ने पाच मूल द्रव्यो का प्रतिपादन किया । वे पचास्तिकाय कहलाते है। उनमे धर्मास्तिकाय, अधर्मास्तिकाय और आकाशास्तिकाय—ये तीनो अमूर्त होने के कारण अदृश्य है। जीवास्तिकाय अमूर्त होने के कारण दृश्य नहीं है फिर भी शरीर के माध्यम से प्रकट होने वाली चैतन्य क्रिया के द्वारा वह दृश्य है । पुद्गलास्तिकाय [परमाणु और स्कन्ध] मूर्त होने के कारण दृश्य है। हमारे जगत् की विविधता जीव और पुद्गल के सयोग से निष्पन्न होती है। प्रस्तुत आगम मे जीव और पुद्गल का इतना विशद निरूपण है जितना प्राचीन धर्मग्रन्थो या दर्शनग्रन्थो मे सुलभ नही है । प्रस्तुत आगम का पूर्ण आकार आज उपलब्ध नही है किन्तु जितना उपलब्ध है उसमे हजारो प्रश्नोत्तर चर्चित हैं । ऐतिहासिक दृष्टि से आजीवक सघ के आचार्य मखलिगोशाल, जमालि, शिवराजपि, स्कन्दक सन्यासी आदि प्रकरण बहुत महत्त्वपूर्ण हैं । तत्त्वचर्चा की दृष्टि से जयन्ती, मद्दुक श्रमणोपासक, रोह अनगार, सोमिल ब्राह्मण, भगवान् पार्श्व के शिष्य कालासवेसियपुत्त, तुगिया नगरी के श्रावक आदि प्रकरण पठनीय है । गणित की दृष्टि से पापित्यीय गागेय अनगार के । प्रश्नोत्तर बहुत मूल्यवान् है। भगवान महावीर के युग मे अनेक धर्म-सम्प्रदाय थे । साम्प्रदायिक कट्टरता बहुत कम थी। एक धर्म सघ के मुनि और परिव्राजक दूसरे धर्म सघ के मुनि और परिव्राजको के पास जाते, तत्त्वचर्चा करते और जो कुछ उपादेय लगता वह मुक्तभाव से स्वीकार करते। प्रस्तुत आगम मे ऐसे अनेक प्रसग प्राप्त होते है जिनसे उस समय की धार्मिक उदारता का यथार्थ परिचय मिलता है। इस प्रकार अनेक दृष्टिकोणो मे प्रस्तुत आगम पढने मे रुचिकर, ज्ञानवर्धक, सयम और समता का प्रेरक है। विभाग और अवान्तर विभाग समवायाग और नन्दीसूत्र के अनुसार प्रस्तुत आगम के सौ से अधिक अध्ययन, दस हजार उद्देशक और दस हजार समुद्देशक हैं। इसका वर्तमान आकार उक्त विवरण से भिन्न है। वर्तमान मे इसके एक सौ अडतीस शत या शतक और उन्नीस सौ पच्चीस उद्देशक मिलते है। प्रथम बत्तीस शतक स्वतन्त्र है । तेतीस से उनचालीस तक के सात शतक बारह-बारह शतको के समवाय है। चालीसवा शतक इक्कीस शतको का समवाय है। इकचालीसवा शतक स्वतन्त्र है। कुल मिलाकर एक सी अडतीस शतक होते है । उनमे इकचालीस मुख्य और शेष अवान्तर शतक हैं। ___शतको मे उद्देशक तथा अक्षर-परिमाण इस प्रकार हैशतक उद्देशक अक्षर-परिमाण शतक उद्देशक अक्षर-परिमाण ३८८४१ ७५३ २३८१८ २५६११ ३६७०२ १८६५२ १ समवामो, सूत्र ६३, नन्दी, सून ८५। مع الى الله Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उद्देशक उद्देशक अक्षर-परिमाण तक २८६३५ ४८५३४ ४५८५३ १९०७ ૨૨૨૨૬ ३२८०८ २१६१४ १६०३३ ३९८१२ ३३ (१२) १५९३६ ३४ (१२) ८४१२ ३५ (१२) २२४४३ ३६ (१२) ८०२७ ३७ (१२) १९८७१ ३८ (१२) १६३० ३६ (१२) १०६८ ४० (२१) ४१ ३६६२६ कुल १३८ अक्षर-परिमाण ४५१०३ ४४५५ ११० ६६४ १०२७ ४७६४ २३४४ ३६३ ३०८४ ८६६४ ४१८१ २ १२४ १२४ १६ १३२ १३२ १३२ १३२ १३२ २३१ ८७ २० २१ (आठ वर्ग)८० २२ (छह वर्ग) ६० २३ (पाच वर्ग) ५० २४ २४ १३६ २७३४ ३५१६ कुल ६१८२२४ १३६ भाषा और रचना-शैली प्रस्तुत आगम की भाषा प्राकृत है । कहीं-कही शौरसेनी के प्रयोग भी मिलते हैं। इसमे देशी गब्दो का प्रयोग भी स्णन-स्थान पर मिलता है, जैसे-खत्त, डोगर (७।११७), टोल (७।११६), मग्गो (७।१५२), वोदि (३।११२), चिक्खल्ल (८।३५७)। इनकी भापा बहुत सरल और सरस है । अनेक प्रकरण कथा-गली मे लिखे गए है । जीवनप्रमग, घटनाए बार ल्पक स्थान-स्थान पर उपलब्ध होते है। स्थान-स्थान पर कठिन विपयो को उदाहरणो द्वारा समझाया गया है। प्रस्तुत आगम की रचना गद्य गली में हुई है। कही-कही स्वतन्त्र रूप से प्रश्नोत्तरो का क्रम चलता है और कहीं-कही किसी घटनाक्रम के बाद उनका क्रम चलता है। प्रतिपाद्य विपय का नकलन करने के लिए नग्रहणी गाथायो के रूप मे कुछ पद्य भाग भी मिलता है। १. दीसवें शतक वे ; उद्देशक में पृथ्वी, अप और वायु-इन तीनो की उत्पत्ति का निरूपण है । एक परम्परा के अनुसार यह एक उद्देशक है, दूसरी परम्परा के मत में ये तीन उद्देशक हैं। इस परम्परा के यनुसार प्रस्तुत भागम के कुल उद्देशक १९२५ हैं। Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २७ कार्य-संपूर्ति प्रस्तुत आगम के पाठ-शोधन मे लगभग सवा वर्प लगा । इसमे अनेक मुनियो का योग . रहा । उन सबको मैं आशीर्वाद देता हूँ कि उनकी कार्यजा शक्ति और अधिक विकसित हो । इसके सम्पादन का बहुत कुछ श्रेय शिप्य मुनि नथमल को है, क्योकि इस कार्य मे अहर्निश वे जिस मनोयोग से लगे हैं, उसी से यह कार्य सम्पन्न हो सका है । अन्यथा यह गुर तर कार्य बड़ा दुरुह होता । इनकी वृत्ति मूलत. योगनिष्ठ होने से मन की एकाग्रता सहज बनी रहती है । सहज ही आगम का कार्य करते-करते अन्तर्रहस्य पकड़ने मे इनकी मेधा काफी पैनी हो गई है। विनयशीलता श्रम-परायणता और गुरु के प्रति पूर्ण समर्पण भाव ने इनकी प्रगति मे बड़ा सहयोग दिया है। यह वृत्ति इनकी बचपन से ही है। जब से मेरे पास आए, मैने इनको इस वृत्ति मे क्रमशः वर्धमानता ही पाई है। इनको कार्य-क्षमता और कर्त्तव्य-परता ने मुझे बहुत सतोष दिया है। मैने अपने सघ के ऐसे शिप्य साधु-साध्वियो के वल-बूते पर ही आगम के इस गुरुतर कार्य को उठाया है । अब मुझे विश्वास हो गया है कि मेरे शिष्य साधु-साध्वियो के निस्वार्थ, विनीत एव समर्पणात्मक सहयोग से इस वृहत कार्य को असाधारण रूप से सम्पन्न कर सकूँगा। भगवान् महावीर की पचीसवी निर्वाण शताब्दी के अवसर पर उनकी वाणी का सबसे वडा सकलन-ग्रन्थ जनता के समक्ष प्रस्तुत करते हुए मुझे अनिर्वचनीय आनन्द का अनुभव हो रहा है। अणुव्रत विहार नई दिल्ली २५००वा निर्वाण दिवस आचार्य तुलसी Page #31 --------------------------------------------------------------------------  Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1 : Preface The Title The title of the Agama under review is 'Vyakhya Prajñaptı'. The work written in a dialogue-style is called 'Vyakhya Prajñapatı' According to 'Samawāyānga' and 'Nandı-Sutra' the present Agama has an exposition of thirtysix thousand queries1 On the testimony of Tatwärtha-Vārtika, Satkhandagama and Kasaya-Pahuda the present Agama contained an exposition of sixty thousand queries2 The present Agama is a volume much larger than other Agamas It is multifarious in its contents. Probably, there is no branch of metaphysics, which has not been discussed in it, directly or indirectly From the aforesaid point of view, this Agama was held in high esteem The adjective 'Bhagawatı' was, therefore, added to it's title, 1 e 'Vayakhya Prajñaptı' Many centuries before, the adjective 'Bhagawatı' became a part and parcel of the title Now-a-days, the title 'Bhagawatı' is more in vogue than 'Vyakhyā Prajnaptı' The Content Different sources provide copicious information regarding the contents of the present Agama 'Samawāyānga' tells us that many deities, kings and king-ascetics put different types of queries before the lord and he answered them in detail Swa-Samaya, Para-Samaya, Jeewa, Ajeewa, Loka and Aloka have been explained in detail3 According to Acharya Akalanka queries, such as whether the Jiwa exists or not, have been answered in this Agama According to Acharya Veersena, alongwith the queries and answers, predictive subha (auspicious), and asubha (in-auspicious) have been described by ninetysix thousand Chinnaććheda Nayas 1 Samawao, Sutra 93, Nandi, Sutra 85 2 Tatwartha Vartika 1/20, Satkhanadagama 1, page 101, Kasaya-Pahuda-1, page 125 3 Samawao Sutra 93 4 Tatwartha' vartika 1/0 5 Kasayapa huda Pt I, p 125 6 The explaination-method, in which each sloka and sutra is explained independently without considering other slokas and sutras, is called 'chinnacchedanaya Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ The importance of the present Āgama may well be understood by the aforesaid indications Different branches of modern science have recently brought to light many mysteries When we go into the depths of the present Āgama, we find that these mysteries had been revealed some 2500 years before Lord Mahavira has enumerated six groups of living-beings (Jivas). The living beings of the Trasa-kāya(mobile beings)group are self-evident. The living beings of the floral group (Vanaspati nikāya) are supported by the modern Science also The four groups of living beings--the earth the water, the fire, and the air have not been accepted by the modern science. Lord Māhavira has not only cited the existence of the earth living-beings etc , but thrown enough light on their life-span, food habits, breathing, evolution of consciousness, perceptions etc also The minimum span of life of the living-beings of the earth group is of a Antar Muhrat only and the maximum of twenty two thousand years They do not have a particular order of breath period. Sometimes it is less and sometimes more They aspire every moment for food and take it The consciousness of the touch-organ is quite distinct in them The other currents of consciousness are indistinct.1 As man takes in oxygen in his breath-period, the living-beings of the carth group not only take in air, but the Pudgalas (matter) of all the earth, the water, the fire, the air and the flora Like the earth living-beings, the other living-beings of the water etc do breathe and take food etc Modern science has studied the different aspects of the floral living beings and thrown light on their mysteries, but sufficient research has not been carried out on the earth living-beings Flora expresses anger and affection. The affectionate behaviour blooms it and the hateful behaviour fades it away. These scientific experiments lead us to the maxim of lord Mahavira that there is ten fold consciousness in the floralworld. These ten folds are--Food consciousness, fear consciousness, co-habitation consciousness, hoarding consciousness, anger consciousness, ego consciousncss, deceit consciousness, greed consciousness, 'Augha' consciousness and world consciousness Having these folds of consciousness the floral world behaves indistinctly the same way as man does distinctly. 1 2 Bhagawai, 1-1-32, page 9. BhagawAI, 9-34-253, 254, page 464. Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 31 This topic has been mentioned as an example The object of it is to point out the fact that in this Āgama hundreds of such topics, that cannot be understood by common rense, have been expounded. A few of them have been so far understood with the help of the modern scientific research and many of them can be accepted as tenets for experiments. The activities of the subtle living beings (Sūkshma jīva) being perceivably proved, not only the biological doctrines are evolved, an opportunity to understand the doctrine of Ahimsā, and side by side to review the behaviour towards the subtle living beings, is provided also Lord Mahavira has expounded the five principal substances They are named as Panchästıkāya In them dharmāstikāya, adharmāstıkāya and ākāsāstıkāya, the three being formless are invisible Though Jīvāstikāya too, being formless, is invisible, it is indicated by the activities of consciousness seen through the body Pudgalāstıkāya, being concrete, is visible The multiformity of our world is a result of the union of Jiva and Pudgala A clear ascertainment of Jīva and Pudgala is found in this Agama to such a great extent as is not available in the old religious and philosophical works The full text of the Āgama is not available today, but whatever is available discusses thousands of queries From the historical point of view, the chapters on Acharya Mankkhalı Gosāla, Jamāli, Sıvarājarşı, Skanda Sanyāsı etc are of great importance from the angle of philosophical discussion Jayanti, Madduka Sramanopāsaka, Roha Anagāra, Somila Brāhmana, Lord ParŚwa's disciple Kālās-vesiya-putta, śrāvakas of Tungiya City etc are the topics worth reading From the view point of Mathematics, discussions of PārŚwa-patyîya Gāngeya Anāgāra are of great value In the age of Lord Mahavira, there were different religious cults Cultic bigots were almost un-heard Munis and Parivrājakas of one religious body went to engage themselves in philosophical discusssions with the Munis and Parivpājakas of another religious body, and whatever was found to be acceptable, was accepted freely There are many contexts in this Agama to throw light on the true free-mindedness of religion prevailing in that age In this way, with different view-points this Agama is a work, interesting to read, inspring of self-control and equilibrium and promoter of knowledge Divisions and Sections According to Samawāyānga and Nandı Sūtra, this Āgama contains more than a hundred Adhyayanas,ten thousand Uddeśakas and ten thousand Samuddesakas? The present volume of it differs from the said account. 1. Samawao, Sutra 93, Nandi, Sutra 85, Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Presently, there are one hundred and thirtyeight Satas (Satakas) and one thousand and ninehundred and twentyfive Uddešakas. The first thirytwo Satakas are independent ones The seven Satakas, from thirtythree to thirtynine, are unions of twelve śatakas each The fortieth śataka is a union of twentyone śatakas The forty-first śataka is independent In all, there are one hundred and thiryeight satakas. In them, fortyone śatakas are cardinals. and the rest are secondary ones, The Uddesakas and syllables in the Satakas are as follows. Sataka Uddeśaka Total syllables 10 28841 23818 36702 753 25691 18652 24935 48435 45859 9907 32338 32808 21914 16033 39812 15939 8412 22443 8027 19871 1630 1068 715 39926 45103 4455 21 (cight vargas) (six vargas) (five vargas) Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 33 Sataka Uddesaka 27 11 Total syllables 190 694 1027 4764 2344 363 3089 8964 4181 33 (12 vargas) 34 ( , 35 ( „ 36 (, 28 28 124 124 132 132 132 132 132 231 196 731 37 (, uuuuuuu 38 (,, 39 (,, 115 87 139 2734 3516 40 (-9 138 192311 618224 The Language and the Style The language of the present Āgama is Prākrit Here and there the usages of Saurseni are also found In some instances the use of Desi words (vernacular) is also found, like khatta (aa), Dongar (7/117 TTTT), Tola (7/119 27), Maggao (7/152 #rait), Bondi (3/112 alfa), Cikkhalla (8/357 faqe). The expression of it is very lucid and sweet Many topics have been dealt with in the style of fable narration Reminiscences, anecdots and allegories are found through out the work. The difficult topics have been explained by citing aporopriate examples in many places The present Āgama has been written down in prose style Somewhere. the order is an independent discussion and sometimes it is an off-shoot of some incident Some verse-part is also available in the form of collected Gäthas to compile the ascertainable topic 1 In the twentieth Sataka of the sixth Uddesaka, the theory of the origin of the earth, the water, and the air, has been expounded According to one tradition, this is one Uddcsaka, but the others hold it as comprised of three Uddesakas According to this tradition, the Agama under review has 1925 Uddesakas in all, carth, the water, and the sixth Uddesaka, the then Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Accomplishment of the work It took about a year and a quarter to redeem the text of the present Agama In the accomplishment of this task, there has been the contribution of many Munis I bless them that their devotedness to the performances be ever more developed. On the occasion of this twentyfifth centinary of Lord Mahavira, I have a feeling of great pleasure in presenting to the people the biggest and most volumenous work pertaining to the life and teaching of the Lord. Anuvrata Vihar 34 Delhi Acharya Tulasi Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Editorial Introduction to the work The Agama Sutras have two main divisions, 1 e. the Anga-Pravista and the Anga-Vāhya The Anga-Pravista Sūtras are considered to be the nearest to the original and most authentic of all as they are composed by the principal diciples of Lord Mahavira They are twelve in number 1 Achārānga, 2 Sūtrakrtānga, 3 Sthānānga, 4 Samawāyānga, 5 Vyākhyā-Prajñapti, 6 Jñata Dharma-Kathā, 7 Upāsaka-Daśā, 8 Anta-krita-Daśā, 9 Anuttaropapātika Daśā, 10 Praśna-Vyakarana, 11 Vipäka-Sruta, 12 Dristiwāda The twelfth Anga is, at present, not available The eleven Angas, which are available, are being published in three volumes under the title of Anga-Suttani. The first volume has four Angas, ie, 1 Āchārānga, 2 Sūtrakritānga, 3. Sthānānga and 4. Samawāyānga. The second volume contains only the 'Vyākhyā Prajna pti' and the third contains the rest six Angas The present work is the second volume of the Anga-Suttāni. It has the original text of the Vyākhyā-Prajñapti with its recentions A brief preface has been added in the beginning An elaborate preface and the word-index have not been added to it It is planned to publish them in two independent volumes Accordingly, the fourth volume will contain an elaborate preface to the eleven Angas and the fifth one will contain the word index thereof The present text and the method of editing The text of the present Agama has been redeemed on the basis of the seven manuscripts (two being palm-leaf manuscripts) and vritties (commentaries) According to the method of text redemption in vouge, we do not proceed on the basis of regarding only one manuscript as main, but redeem the original text with the help of Artha-mīmānsã (critical meaning), former and later contexts, preceding text (Poorwa-Patha) and the text of other Agama-Sūtras and the explanation in the Vritti (commentary) The original commentary of the Bhagwati is extinct at present The (commentary) was available but we could not get it. We have made use of the original Tīka and chūrni portions quoted by Abhayadeva Süri in his yritti. The scribes, from time to time have abridged the text Many forms Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 36 of the abridgement are found In the manuscripts used in the text-redempThe abridgement of the text found tion, there are four different versions in them has been done in different ways (See, page 39) There have been mistakes also due to the difference in written forms of the letters In sutra 1/365, the reading Pãosiyāya' has been substituted for 'Pradoṣiki Kriya'. In the old script, it is In some manuscripts the reading is 'Pa-u-siyāya' difficult to differenciate 'O' from 'U'. This is why 'U' is abundantly found in the present manuscripts in place of 'O'. The manuscripts which were transcribed by the scholars efficient in the language, have 'O' but the copies, prepared by mere scribes have 'U' instead of 'O', The recensions such as 'Owāsantare' and 'Uwasantare' have taken place due to this fact only. (See, page 66, Sutra 1/392; page 77, Sūtra 1/444) In Sūtra 8/242, the reading is 'Chettehin'. But, as the transcribing went on, many gradual alterations, such as 'Bittehin', 'Čhattehin', 'Čittehin' occured "Tada' became 'Taha' in Sutra 8/301. There is an obridged "Vaćna' (lesson) in same manucripts The commentator, too, received the abridged 'Vaćna'. So he wrote 'Anya Yuthik waktawyata' is to be understood by one himself. It has not been written down lest the work should get bulky". The commentator completed the abridged reading in the commentary. Some transcribers have included same part of the commentary in the original text And, thus the reading of the full text differed from that of the abridged text In some specimens a mixture of the readings, abridged and full, has taken place In Sūtra 2/47, page 88, 'Khandaya' Puććha' is the abridged text Some transcriber wrote its full text in the margin of the manuscript for his own understanding And, in the later transcriptions, the abridged and the full text were both included. (See, foot-note of Sutra 5/122, page 209, the first foot-note of Sūtra 2/118, page 112) In 11/59 the full and the abridged text 'Jahā O-wa-1-e' both have been written down. Such is the case in the chapter of Asoćća Kewali' also In some manuscript, the quotation given in the commentary has also been included. (See, the second foot-note of Sūtra 2/75, page 99). In some instances, the secondary explanation, too, given by the commentator, was accepted as the original text in the later transcriptions. (See the first foot-note of the Sutra 5/51, page 194) In the task of text-redemption, the text of other Agamas also are taken as basis. In all the manuscripts, after the text Ćiyatante uragharappawesa' in Sutra 2/94, the text reads as 'Bahūhin Silawwaya-guna-weramanapaćća 1 Tha Sutra Anya Yuthika waktawayam Swayamueca ranıyam, Grantha-gaurawa -bhayenalikhitatatwattasya taccedam, Vrittipatra 106, Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 37 khana-pos-howa-wasehin' Due to the inconsistency in its meaning there, the commentator had to write 'Tairyukta iti gamyam', but, on seeing the Sutras 'owa-iya' and 'Rayapaśena-iya', it is found that this reading should not be there where it has been written down On the basis of both the abovementioned Sūtras, the order of the text in view is constructed thus-'O-sahaBhesajjenam Paḍılābhemānā bahūhın Silawwaya-güņa weramaņa-Paććakhāna Posahowa-wāsehin ahaparıggahi-e-hin tawokamméhin appāņam bhāwemānā wiharanti' In sutra 2/1, in all the specimens, the text is sarakallāņa Jawa kewa-in' but 'Jawa' serves no purpose here. On the basis of 8/217 of the Bhagwati as weil as the first stenza of the Prajnapanã here the text is ascertained to be Jawati, instead of 'Jawa' too In many instances, the meaning does not change by an alteration of letter but difficulty arises in understanding the meaning and sometimes it changes In Sutra 6/90, the reading is 'hawwin'; and 'hetthin' as well as 'hitthin' the two recensions are also found. The commentator Abhayadeva Suri has given the meaning as 'Sama' there (See the commentary-leaf 271). In the sthānanga Sutra (143), on the same topic, the reading is as, 'hitthin' Abhayadeva Sūri has given its meaning there as 'below the Brahma-loka'. (See the Sthānanga-vritti leaf 410) In same places the varient readings occur due to the mis-understanding of the transcriber and difference in characters in scripts In Sutra 9/195, the reading is as 'Odharémāni-odharémani'. In some specimens this reading is found in the form of 'uwadharemāņio-uwadharemanio'. In one copy, this reading is changed into 'uwari-dhare-māņio-uwari-dhare-manio'. A few examples of recensions have been cited here to show that manuscripts or only one particular copy cannot be taken as the basis in the redemption of the text It can be redeemed only on the basis of various Āgamas, their commentaries and consistency of their meaning. The problem of abridgement and redemption of the text It is a task to lay down authentically the method of abridgement adopted by Devardhiganı at the time of writing the Agama Sutras. And, it is a task because many Agamadharas have abridged the Agama-text in later periods Probably, same transcribers too, for the sake of convenience of transcribing, have abridged the text In the abridged text of sutra 13/25, the dewoddeśaka of the second Sataka has been referred to indicate the kinds of Bhawanpati Dewas etc, but the full text is not there (2/117, page 111) and the sthanpada of the Prajnapnā has been referred to. Likewise, in the abridged text of Sutra 16/33, the third Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Sataka (Sūtra 27, page 130) has been referred to but the full text is not there. It is indicated there to refer to 'Rayapasena-ima' sutra. The abridged text of Sūtra 16/71 refers to the chapter of 'Udrāyana (13/117, page 614) only not to find the full text there In the same way 16/121, 19/56 and 18/77 indicate regarding the full text, but it is not found at the places referred to On the basis of these references, it is inferred that the texts, at the places referred to, were complete at the time of their abridgement. But after that, some Anuyogadbara Acharya abridged those full texts also. The words "Jāwa', 'Jahā' etc have been used for abridgement. In some instances, the use of Jāwa' is more or less unnecessary. It is either due to negligence on the part of the transcriber or has been written as usual without discernment The transcribers have taken plenty of freedom in the use of 'Jāwa' If someone transcribed 'Pāwaphala Jāwa Kajjanti, the other has written it as “Pāwaphala virvāga Jāwa Kajjati'. Along with the short readings even such as 'winda' (7/196), 'Payoga' (8/17) 'Sahassa' (16/103) the word 'Jāwa' has been added. The abridgements of the text, therefore, seem to have been done from time to time by the scribes. The Āgama under review has two main Vaćnās, abridged and full. The length of the abridged version of the work is regarded to be a total of 15751 Anustupa Slokas The extent of the full version of the work is regarded to be a total of one lakh and a quarter Anuştupa Slokas Abhayadeva Sūri has written his commentary on the basis of the abridged version of this Agama In editing the text, we have, as far as needed, completed the texts introduced by the words Jáwa' etc , resulting the total length of the work to a measure of 19319 Anustupa Ślokas and 16 letters more. Charige of Word and Formative 1/49 1/224 1/224 1/237 1/239 1/245 1/273 Nigama Appiyā Etesin Wai Wai. Māyo Poyantam Niyama (Ta) Appitā (Ka) Tetesin (Ka, Tā, Ma) Wati (Tā) Wayi Mão (Ta) Podantam (Ka, Tā, Ba, Ma, Sa) Kijai (Ba, Sa) Pāņāyawāya (Sa) (Ta) 1/276 1/281 Kajja Pāņā-1-Wāya Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1 1/281 1/298/2 1/315 1/354 1/357 1/357 1/363 1/364 1/365 1/370 1/371 Nera-1-yanam Uwa Ogé Ahe Karejja Duh1-é Dugga pdhe Āriyam ca-u Pa-O-sia Saya Sandhujjamāņe 1/371 1/371 1/385 1/389 Nisitthe Kā-1-ya-e Pāņā-1-wāya Họiss1 1/415 1/424 1/425 Jahā Sāmā-1-yassa Ja-1 Neratiyānam (A, Ba, Sa) Owa oge (Tā) Adhe (Tā) Karija (Ka) Karejjā (Sa) Dukkhi-e (Kā, Tā, Ma) Dugandhe (A, Ma, Sa) Yarıyam (Ka, Tā) tatu (Tā) Pāyosia (A, ba) Sata (Tā) Sandheija. māņe (Tā) Nisatthe (Ka, Tā) Kātiyā-e (Tā) Pāņāyawāyao (Ba, Sa) Hussi (Ba); Hriswi (Sa), Hassi (Ka) Jadhā (A, Ba, Sa) Sāmātiyassa (Tā) Jati (A, Ka, Ba, Ma, Sa) Kiwinassa (Tā) Māgadha (Ta) Viyaddabhotī (A, Tā, Bā, Ma, Sa) Sāmā-1-mādīyätim (Ka, Ba) Sāmātiyamā. tiyāin (Sa) Dbawaņi (Ka, Tā, Ba, Ma) Ratniye (Tā) Ārūbhe-1 (Ka, Ma) Khatimā-Sātimam (Ba, Sa) Satmewa (Tā) Awanguta o (Ma) KhatimaSātimeņam (Ba, Sa) 1/434 2/26 2/41 Kiwanassa Māgahā Viyadda bhoi 2:57 Sāmā-i-yama-1 yāin Dhamayio 2/68 2168 Rayanīye Ārühe-1 Kba-ima-Sāimam 2168 2194 Sayamewa Awanguya o Khā-ima sã-l-meņam' 2/94 Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 314 3/21 Ayameyārūve Isāne Moya-o Khâ-ima Sā-imena 3/25 3/33 3/112 3/112 3/143 3/148 513 5/60 5179 Sayanijā o Niwatim Weyati Samaya o Padina' Ā-u-e Rayaharana māyā-e 5/82 5/110 5/139 6163 (Ta) Beg geeeete ejerceresett term 6/63 (Ta) Atametárūwe (Ta) Nisaņe Motato (Ka, Tā) Khâtim-Sātimenam (Ba,Sa) Satanijjā o (Tā) Nipatım (Ta) Wedati (Ta) Samata o (Tā) 'Padına (Tā, Ma) A-u-ge (Tā) Rataharanamăta-e (Ta) Wedāwadıyam (Ba, ma) Samatansi (Tā) 'Lo-ti-ya (A, Sa) Sakasādīhin Sajoti (Tā) Nā.o Kanharāyīto (Ba) Kalatam (Ka) o Jata o (Ba) Atametāküwe (Ta) Anuppatātawwe (Tā) Godam (Ba) Anātīta (Tā) Sādamatāe (Ka, Ba, Ma) Dissariya o (Ma) Nissariya (Ma) Sakasādi (A, Tā) Abito (Ka), Adhito (Tā) Mada o (Ta) Mata o (ba) Samanayae : (A) Dhūma Nima (Tā, Ba) Padumasara (Tā) Nitamam (Ba) cyana (Ta, Ba) Weyāwadıyam Samayansi *Lo-l-ya' Sakasā-1-hin Sajogi Nāgo Kanharātīo Kalagam o Jaya o Ayameyākuwe Anuppadāyawwe Goyam Anādīyā o Sātāņayāe Issariyao Issariya Sakasai Ahi-o Maya Sawanayãe Dhuwa Nīwa Pa-u-ma-Sara Niyamam 6/79 6/90 6/166 7/176 7/213 8/248 8/315 8/347 8/420 81431 8/431 9/43 (Tā, m 9/94 (Tā) 9/174 9/169 11/133 11/134 11/142 16/113 17/38 teen cyana Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 18/100 Mayımıćéha o Madimićthao (Ba) 19/85 Jatı indiyāni Jadındıyāni (Tā) 30/22 Sajogi Sajoti (Kh ) Manuscripts used. (A) Bhagawatı-vritti (Pancapathi) Manuscript with original Text. This manuscript is from the Gadbaiya Library, Sardarshahr It contains 189 leaves and 278 pages Each leaf is 13" in length and 41" in width There - are 1 to 23 lines of the original text on each leaf and each line has 80-85 letters The copy bas teen prepared in a beautful and artistic manner. There is a 'Wāwasi (hollow space) also in the centre The year of the transcription has not been given It is estimatedly written in the 15th-16th century. (Ka) Bhagwatı Text (Manuscript) This copy is from the Poonamchand Budhamal Dūdhoria, Ćhapar library It has 333 leaves and 666 pages Each leaf is 101" long and 4". wide There are 15 lines on each ieaf and each line has 52-55 letters. The copy is a beautiful and artistic one. There are intermitant Pārs (full-stops) in red ink and wāwası (hollow space) It dates back probably to the 16th ceuntry. (kha) The text on the palm-leaf (Manuscript) This manuscript has been received from Madan Chand ji Gothi, Sardar Shahr It belongs to Jaisalmer Library and is a photo-print of the original written on Tāla Patra It has 422 leaves and 844 pages Every page contains 3 to 6 lines and there are 130-140 letters in each line The concluding eulogy has been written as ll cha || Mangalam Mahā Śrī || | cha cha cha Rā” ar of the transcription has not been given but estimatedly it should be of the 12th century. (Tā) The text of the Palm-leaf (Manuscript) This manuscript belongs to Jaisalmer Library and is a photo-print of the Script written on the Talpatra. This, too, has been received from Madan Chand 11 Gothi of Sardar Shahr. It has 348 leaves and 696 pages. Each leaf has 5 to 9 lines and there are 130-140 letters in each line The last leaf is illustrated. The concluding eulogy reads as follows. cha || Bhagwati Samattāl chali cha || ll cha || Sambat 1235 Visakhawad ekādasyām gurau aparāhạe lekhaka -wana tandena likhitam" Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (Ba) Tlie text of Bhagawatı (Manuscript) This manuscript belongs to Terapanthi Sabha, Sardar Shabr. It has 478 leaves and 956 pages Each leaf is 107" long and 4" wide There are 13 lines on each leaf and each line contains 38-42 letters The copy has been attractively and artistically prepared. There are three Wawadīs' and red lines in it Hartaľ (orpinient) has been used The concluding eulogy is not given in it and hence the year of script is unknown Estimatedly, it dates back to the 16th century (Ma) Bhagwatı Sutra Text (Manuscript) This manuscript is from the Gadhaiyā Library, Sardar Shahr. It has 482 leaves and 964 pages Each leaf is 101" long and 41" wide. Each leaf has 13 lines on it and there are 40-45 letters in each line. There are intermittant "Päis' (full stops) in red ink and Wāwadīs (hollow spaces). The year of the script has not been given in the end but estimatedly it dates back to the 16th century The concluding eulogy reads as follows : cha || Granthāgram 15775 || cha | cha | 1 cha || Srill éha Sri Kalyānamastu | Subham Bhawatu |cha || Srill Srill cha || cha || The script has notes in Sanskrit in many places. (Sa) Bhagwati Sutra (Tripathi) Known as Kesar Bhagwatı, this manuscript is from the Terapanthi Bhandar, Ladnun. It has 602 leaves and 1204 pages The text is in the middle of the leaf while the 'vritti' has been given obove and below the text. This is a beautiful and sufficiently correct copy. Some reader, taking a printed copy as authentic has used 'Hartal in many places and has tried to correct the text of this manuscript Wherever it has been done so, the correct text has become incorrect. Each leaf of it has 4 to 15 lines of the text on it and each line contains 45-53 letters The concluding eulogy reads as follows : Sri Bhagwatı Sütram Sampūrņam || cha || Sri Vivāha Pannatti Panićamam angam Sammattan || Subham Bhavatu || Kalayanamastu. Granthāgram 15675 Ubhaya Milane Gran 34291 | Sri || Likhatayati Dābāmallah Srī Nāgore Madhye Sam. 1848 Māha Su. 15 || Wri, (Wripā) Printed Publisher : Srimati Agamodaya Samiti. Page #46 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 333333 43 ACKNOWLEDGEMENTS centuries The 'Vaćna' has a very ancient history in the Jaina tradition There had been four 'Vaćnas' of the Agamas to date in different periods in the last fifteen There was no well planned Agama-Vaćna after Dewardhiganı The Agamas, written in his Vaćna-time, have become very much disordered during the long past period A well planned 'Vaćna' was the need of the day again to set them in order Acarya Tulsi had tried for a well planned congreagational Vaćna but it could not materialize Ultimately, we reached {the conclusion that if our 'Vaćna' is investigative, researching, full of a well balanced view and diligence, it will itself become congraegational. With this decision in view, our work on this Agama-Vaćna began น Acarya Tulsi is the Head of this Vāćan Vāćan means to teach There are many aspects of teaching in our 'Väćna', ie, redemption of the text, translation, critical study etc etc. In all such activities, we have received active participation, able guidance and inspiration from the Acarya. This is the source of strength below this great task.. Only the expression of gratitude to him will not suffice Better it is that I must achieve the grace of his blessings for future work and prove myself more worthy of my duties In the editing of the present Agama Muni Sudarśanji, Madhukarji, Hiralalji have given constant help to me in various ways Apart from their valuable assistance, we had co-operation from Muni Sri Kanmalji, Chatramalji, Amolakćandjı, Dinkarji, Poonamćandji, Rajkaranji, Kanhaiya Lalji, Tārāćandji, Balćandji, Vijairajji, Manilalji, Mahendra Kumarji (second) Sampatmalji (Doongargarh), Santikumarji, Mohanlalji (Śārdul) and Manna lalji Borad The work of editing the text was started on the 9th dark-moon day in the month of Paush in the year 2029 of the Vikrama Era (28th December, 1972), in Sardar Shahr (Rajasthan) and was completed in Delhi on the 11th day of bright-moon in Phalguna in the year 2030 of the Vikrama Era (4th March, 1974). Muni Sudarśanji, Madhukarji, Hiralalji and Dulaharajji took great pains in critically examining the press-copy. The counting of the total syllables of the work has been prepared by Muni Mohanlaljı (Amet). Valueing their contribution to the accomplishment of the work, I express my gratitude to them individually. On this occasion, the erudite Agama scholar and active participant in editing of the Agama, late Śrī Madan candy Gothi is very much missed Page #47 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 44 Had he been alive, he would have been highly contented to see this work accomplished The Managing editor of the Agama Śrī Śrī Chand Ji Rampuria has been devoted to the task of the Agama from the beginning He has dedicated himself to the sternous work of making the Agama Literature popular and handy to the public after giving up his well established practice of an advocate He has highly shown his faith and dedication in this publication of the Agama Suttanı' Sri Khem Chand ji Sethia, President of the Jain Viswa Bharati and his co-workers and the staff of the Adarśa Sahitya Sangha have worked diligently in collecting the material utilized in the edition of the text. Accounting the order of contribution to the same activity of the persons marching towards one and the same goal is nothing more than a formality. Actually, it is a solemn duty of us all and this is what we all have performed. Anuvrata Vihar New Delhi Muni Nathmal Page #48 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई वा कम पठम सतं सू० १-४४८ पृष्ठ ३-७८ ठिति - आदि-पद १३, आरभ मंगल-पद १, उक्खेव पद ४, चलमाण- पद ११, नेरइयाण अणारभ-पद ३३, नाणादीण भवतर- सकमण - पद ३६, असवुड- सवुड - अणगार - पद ४४, असजयस्स वाणमतरदेव पद ४८, कम्म-वेयण-पद ५३, नेरइयादीण समाहार - समसरीरादिपदं ६०, मणुस्सादीण समाहार - समसरीरादि-पदं ८६, लेस्सा- पद १०२, जीवाण भवपरिवट्टणपद १०३, तकिरियापद ११२, प्रसण्णि-आउय-पद ११४, कखामोहणिज्ज -पद ११८, सद्धा-पदं १३१, अस्थि - नत्थि पदं १३३, भगवम समता- पद १३६, कखामोहणिज्जस्स वधादि-पद १४०, कम्म- पदं १७४, उवट्ठाण अवक्कमण-पद १७५, कम्म - मोक्ख पद १८६, पोग्गल-जीवाण तेकालियत्त-पद १९१, मोक्ख पद २००, पुढवि पद २११, आवास- पद २१३, नेरइयाण नाणादसासु कोहोवउत्तादिभग- पद २१६. असुरकुमारादीण नाणादसासु कोहो - उत्तादिभग-पद २४५, सूरिय-पदं २५६, फुसणा- पद २६८, किरिया - पद २७६, रोहस्स पहपद २८८, लोयट्ठिति-पद ३०९ जीव- पोग्गल पद ३१२, सिणेह - काय पद ३१४, देस-सव्वपदं ३१८, विग्गहगइ पद ३३५ आयु-पद ३३६, गब्भ- पद ३४० माइय- पेइय- अग पद ३५०, गव्भस्स नरगगमण-पद ३५३, गव्भस्स देवलोगगमण - पद ३५५, बालस्स आउय - पद ३५६, पडियस आउय पद ३६०, बालपडियस्स आउय पद ३६२, किरिया - पद ३६४, जयपराजयपद ३७३, वीरिय-पद ३७५, गुरु-लघु-पद ३८४, पसत्य-पद ४१७, कखापदोस-पद ४१९, इह-पर- भवियाय- पद ४२०, कालासवेसियपुत्त-पद ४२३, अपच्चक्खाणकिरिया - पद ४३४, आहाकम्म-पद ४३६, फासु-एसणिज्ज-पद ४३८, परसमयवत्तव्वया - पद ४४२, ससमयवत्तव्वया-पद ४४३, इरियावहिया - सपराइया- पद ४४४, उपपात-पद ४४६ । बीयं सतं सू० १-१५३ पृ० ७६-१२० उक्खेव-पद १, सासुस्सास - पद २, वाउकायस्त कार्यट्टिइ- पद ६, मडाइ - नियठ - पद १३, खघयकहा- पदं २०, समुग्धाय पद ७४, पुढवि - पद ७५, इदिय-पद ७७, परिचारणा-वेद-पद ७९, गव्भ-पद ८१, तुगियानयरी - समणोवासय-पद ९२, उण्हजल- कुड - पद ११२, भासा - पद ११५, ठाण- पद ११६, चमरसभा- पद ११८ समयखेत्त - पद १२२, अस्थिकाय-पद १२४, जीवत्त-उवदसण-पद १३६, अस्थिकाय पद १४१, फुसणा- पद १४६ । Page #49 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तइयं सतं सू० १-२८१, १० १२१-१८२ उक्खेव-पद १, देवविकुब्बणा-पद ४, तामलिस्स ईमाणिंद-पदं २५, सक्कीसाण-पद ५४, सणंकुमार-पद ७२, चमरस्स भगवओ वदण-पद ७७, असुरकुमारवण्णग-पद ७६, चमरस्स उड्ढमुप्पाय-पद ६७, चमरस्स पुन्वभवे पूरणगाहावड-पद ६६, पूरणस्म दाणामपव्वज्जापद १०२, पूरणस्स पाओवगमण-पद १०४, भगवग्रो एकराइयमहापडिमा-पद १०५, पूरणस्स चमरत्त-पद १०६, चरम्म कोव-पद १०६, चमरस्स भगवओ णीसापुत्वं सक्कस्स आमायण-पद ११२, सक्केदस्स वज्जपक्खेव-पद ११३, चमरस्स भगवओ सरण-पद ११४, सक्कस्स वज्जपडिसाहरण-पद ११५, सक्क-चमर-वज्जाण गइविसय-पद १९७, चमरस्सचिंता-पद १२७, असुरकुमाराण उड्ढमुप्पयणस्स हेउ-पद १३१, किरिया-पद १३३, किरियावेदणा-पद १४०, अतकिरिया-पद १४३, पमत्तापमत्तद्धा-पद १४६ लवणसमुद्द-बुड्ढि-हाणिपद १५२, भाविअप्प-पद १५४, वाउकाय-पद १६४, बलाहक-पद १७२, किलेसोववाय-पद १८३, भाविअप्प-विकुब्वणा-पद १८६, भाविअप्प-अभिजुजणा-पद २०६, भाविअप्प-विकुव्वणा-पद २२२, आयरक्ख-पद २४४, लोगपाल-पद २४७, सोम-पद २५०, यम-पद २५६, वरुण-पद २६१, वेसमण-पद २६६ । पृ० १५३-१८५ चउत्थ सत सू० १-६ ईसाण-लोगपाल-पद १, नेरइय-उववाय-पद ७, लेस्सा-पद ८ । पचम सतं सूत्र १-२६० पृ० १८६-२३२ जवहीवे सूरिय-वत्तव्वया-पद १, जवूद्दीवे दिवसराई-वत्तव्वया-पद ४, जवुद्दीवे उउ-वत्तव्वया पद १३, जबुद्दीवे अयणादि-वत्तव्वया-पद १७, लवणसमुद्दादिसु सूरियादि-वत्तव्वया-पद २१. वाउ-पद ३१ । ओदणादीण किंसरीरत्त-पद ५१, लवणसमुद्द-पद ५५, आउ-पकरण-पडिस वेदण-पद ५७, साउयसकमण-पद ५६, छउमत्य-केवलीण सद्दसवण-पद ६४, छउमत्थ-केवलीण हास-पद ६८, छउमत्य-केवलीण निद्दा-पद ७२, गन्भसाहरण-पद ७६, अडमुत्तग-पद ७८. महामुक्कानयदेव-पण्ह पद ८३, देवाण नोसजयवत्तव्वया-पद ८६, देवभासा-पद ९३. छउमत्य-केवलीण नाणभेद-पद ६४, केवलीण पणीय-मण-वड-पद १००, अणुत्तरोववाइयाण केवलिणा आलाव-पद १०३, केवलीण इदियनाण-निसेध-पद १०८, केवलीण जोगचचलया-पद ११०, चोद्दसपुवीणं सामत्य-पद ११२, मोक्ख-पद ११५, एवभूय-अणेवभूय-वेदणा-पद ११६, कुलगरादि-पद १२२, अप्पायु-दीहायु-पद १२४, असुभसुभ-दीहायु-पद १२६, कयविक्कए किरिया-पद १२८, अगणिकाए महाकम्मादि-पद १३३, धणुपक्खेवे किरिया-पद १३४, अण्णउत्यिय-पद १३६, नेरइयविउव्वण-पदं १३८ आहाकम्मादियाहारे आराहणादि Page #50 -------------------------------------------------------------------------- ________________ t पद १३६, आयरिय उवज्झायस्स सिद्धि-पद १४७ अभक्खाणिस्स कम्मवध पद १४७, परमाणु - खधाण एयणादि - पद १५०, परमाणु - खघाण छदादि-पद १५४, परमाणु - खधाण सअड्ढसमज्झादि-पद १६०, परमाणु - खधाण परोप्पर फुसणा- पद १६५, परमाणु-खधाण संठि पदं १६६, परमाणु-खवाण अतरकाल-पद १७५, परमाणु - खंधाण परोप्पर अप्पाबहुयत्त-पद १८१, जीवाण सारभ सपरिग्गह- पद १८२, हेउ - पद १९१, नियठिपुत्त- नारयपुत्तपद २००, जीवाण - वुड्ढि - हाणि श्रवट्टिइ-पद २०८, जीवाण सोवचय - सावचयादिपद २२५, किमिदरायगिह- पद २३५, उज्जीय प्रधयार - पद २३७ मणुस्सखेत्ते समयादि-पद २४८, पासावच्चिज्ज -पद २५४ देवलोय-पद २५८ । ४७ छट्ठ सतं सू० १-८६ पृ० २२३-२७० पसत्यनिज्जराए सेयत्त-पद १, करण - पद ५, महावेदणा - महानिज्जरा - चउभग- पद १५, महाकम्मादीण पोग्गलवधादि-पद २०, अप्पकम्मादीण पोग्गलभेदादि - पद २२, कम्मोवचयपद् २४, कम्मोवचयस्स सादि-अनादित्त - पद २७, जीवाण सादि-अनादित्त-पद ३०, कम्मपगडी वध विवेयण-पद ३३, वेदगावेदगाण जीवाण अप्पाबहुयत्त - पद ५२, कालादेसेण सपदेस अपदेस-पद ५४, पच्चक्खाणादि-पद ६४, तमुक्काय-पद ७०, कण्हराइ पद ८६, लोगतियदेव पद १०६, नेरइयादीण आवास - पद १२०, मारणतियसमुग्धाय - पद १२२, धन्नाण जोणि-ठिs - पद १२६, गणना-काल- पद १३२, ओवमिय-काल-पद १३३, सुसम - सुसमाए भरवास - पद १३५, पुढवि-आदिसु गेहादिपुच्छा - पद १३७, आउवध पद १५१, लवणादिसमुद्द-पद १५५ कम्मप्पगडिवध - पद १६२, महिड्ढीयदेव - विकुव्वणा-पद १६३, अविसुलेसादि देवाण जाणणापासणा- पद १६८, सुह- दुह उवदसण-पद १७४ जीव- चेयणा - पद १७४, वेदणा- पद १८३, नेरइयादीण आहार पद १८६, केवलिस्स नाण-पद १८७ । सत्तमं सतं सू० १-२३३ पृ० २७१-३१४, अणाहारग-पद १, सव्वपाहारग - पद २, लोगसठाण - पद ३, समणोवासगस्स किरिया - पद ४, समणोवासगस्स अणाउट्टिहिंसा- पद ६, समणपडिलाभेण लाभ-पद ८, अकम्मस्स गतिपद १०, दुक्खिस्स दुक्खफासादि-पद १६, इरियावहिय- सपराइय-किरिया - पद २०, सइगालादिदोसदुटु-पाणभोयण-पद २२, सुपच्चक्खाण दुपच्चक्खाण-पद २७, पच्चक्खाणपद २९, पच्चक्खाणि अपच्चक्खाणि पद ३६, सासय- असासय-पद ५८, वण्णस्स आहारपद ६२, अणतकाय - पद ६६, अप्पकम्म- महाकम्म- पद ६७, वेदणा- निज्जरा-पद ७४, सासय-असासय-पद ६३, ससारत्थजीव- पद ६७, जोणीसगह पद ६६, आउयपकरणवेयणा- पद १०१, कक्कस - अकक्कसवेयणीय-पद १०७, सायासाय - वेयणीय-पद ११३, Page #51 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४५ दुस्समदुस्समा-पद-११७, सवुडस्स किरिया-पद १२५, काम-भोग-पदं १२७, दुबलगरीरस्स भोगपरिच्चाय-पद १४६, अकामनिकरण-वेदणा-पद १५०, पकामनिकरण-वेदणापद १५३, मोक्ख-पद १५६, हत्यि-कुयु-जीव-ममाणत्त-पद १५८, सुह-दुक्स-पद १६०, दसविहसण्णा-पद १६१, नेरइयाण दसविहवेदणा-पद १६२, हत्वि-कुथूण अपच्चपरवाणकिरिया-पद १६३, अहाकम्मादि-पद १६५, असवुड-अणगारम्म विउवणा-पदं १६७, महासिलाकटरमगाम-पद १७३, रहमुसलसगाम-पद १८२, वरण-नागनत्तुय-पद १६२, वरुणनागनत्तुय-मित्त-पद २०४, कालोदाइ-पभितीण पचत्यिकाए मदेह पद २१२, कालोदाइस्स समाहाणपुव पव्वज्जा-पद २१७, कालोदाइस्स कम्मादिविसए पसिण-पद २२२ । अट्ठमं सतं सू० १-५०४ पृ० ३१५-३६७ पोग्गलपरिणति-पद १, पयोगपरिणति-पद २, पज्जत्तापज्जत्तं पडुच्च पयोगपरिणति-पदं १८, सरीर पदुच्च पयोगपरिणति-पद २७, इदिय पदुच्च पयोगपरिणति-पदं ३२, सरीर इदिय च पडुच्च पयोगपरिणति-पद ३५, वण्णादि पदुच्च पयोगपरिणति-पद ३६, सरीर वण्णादिं च पडुच्च पयोगपरिणति-पद ३७, इदिय वण्णादिं च पडुच्च पयोगपरिणतिपद ३८, सरीर इदिय वण्णादि च पडुच्च पयोगपरिणति-पदं ३६, मीसपरिणति-पद ४०, वीससापरिणति-पद ४२, एग दब्ब पदुच्च पोग्गलपरिणति-पद ४३, पयोगपरिणति-पद ४४, मणपयोगपरिणति-पद ४५, वइपयोगपरिणति-पद ४८, कायपयोगपरिणति-पदं ४६, मीसपरिणति-पद ६५, वीससापरिणति-पद ६७, दोण्णि दव्वाइ पडुच्च पोग्गलपरिणति-पद ७३, तिण्णि दव्वाइ पडुच्च पोग्गलपरिणति-पद ७६, चत्तारि दव्वाइ पडुच्च पोग्गलपरिणतिपद ८२, आसीविस-पद ८६, छउमत्थ-केवलि-पद ६६, नाण-पद ९७, जीवाण नाणि-अण्णाणित्त-पद १०४, अतरालगति पडुच्च १११, इदियं पडुच्च--११५, काय पहुच्च-११८, सुहम-वादर पडुच्च-१२०, पज्जत्तापज्जत्त पडुच्च-१२३, भवत्य पडुच्च-१३१, भवसिद्धियामवसिद्धिय पडुच्च-१३५, सण्णि-अमणि पडुच्च--१३८, लद्धि-पद १३६, नाणद्धि पदुच्च-नाणि-अण्णाणित्त-पद १४७, दसण पडुच्च-१५६, चरित्त पडुच्च-१६१, चरित्ताचरित्त पडुच्च-१६३, नाणाइ पडुच्च-१६४, वालाइवीरिय पदुच्च--१६४, इदियं पडुच्च-१६६, उवउत्ताण नाणि-अण्णाणित्त-पद १७२, जोग पदुच्च-~-१७६, लेस्स पडुच्च-१७७, कसाय पडुच्च-१७६, वेद पडुच्च-१८१, आहारग पदुच्च-१८२, नाणाण विसय-पद १८४, नाणीण सठिइ-पद १६२, नाणीण अतर-पद २००, नाणीण अप्पावहुयत्त-पद २०५, नाणपज्जव-पद २०८ नाणपज्जवाण अप्पावहुयत्त-पदं २१२, वणस्मड,पद २१६, जीवपएसाण अतर-पद २२२, चरिम-अचरिम-पदं २२४, किरिया-पद २२८, आजीवियसदव्भे समणोवासय-पद २३०, समणोवासगकयस्स दाणस्स परिणाम-पद २४५, उवनिमतितपिंडादि परिभोगविहि-पद २४८, आलोयणाभिमुहस्स आराहय-पद २५१, Page #52 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४६ जोति-जलण-पद २५६, किरिया-पद २५८, अण्णउत्थियसवाद-पद अदत्त पडुच्च-२७१, हिंस पडुच्च-२८५, गममाणगय पडुच्च-२६१, पडिणीय-पद २६५, पचववहार पद ३०१, वध-पदं ३०२, इरियावहियवध-पद ३०३, सपराइयवध-पद ३०६, कम्मप्पगडीसु परीसहसंमवतार-पद ३१५, सूरिय-पद ३२६, जोइसियाण उववत्ति-पट' ३४०, बध-पद ३४५, वीससाबध-पद ३४६, पयोगबध-पद ३५४, आलावण पडुच्च ३५५, अल्लियावण पडुच्च- ३५६, सरीर पडुच्च-३६३, सरीरप्पयोग पडुच्च ३६६, ओरालियसरीरप्पयोग पडुच्च। ३६७, 'वेउब्वियसरीरप्पयोग पडुच्च--३८६, आहारगसरीरप्पयोग पदुच्च-४०५, तेयासरीरप्पयोग पडुच्च--४१२, कम्मसरीरप्पयोग पडुच्च-४१६, पयोगबधस्स देसवध-सव्ववध-पद ४३४, सुय-सील-पद ४४६, आराहणा-पद ४५१, पोग्गलपरिणाम-पद ४६७, पोग्गलपएसस्स दव्वादीहिं-भग-पद ४७०, पएस-परिमाण-पद ४७५, कम्माण, अविभागपलिच्छेद-पद ४७७, कम्माण परोप्पर नियमा-भयणा-पद ४८४, पोग्गलि-पोग्गल__पद ४६६। नवमं सतं. सू० १-२६३ पृ० ३६८-४६५ जबुद्दीव-पद १, जोइस-पद ३, अतरदीव-पद ७, असोच्चा उवलद्धि-पद ६, सोच्चा उवलद्धि-पद ५२, पासावच्चिज्जगगेय-पसिण-पद ७७, पवेसण-पद ८६, सतर-निरतर-उववज्जणादि-पद १२०, सतो असतो उववज्जणादि-पद १२१, सतो परतो वा जाणणा-पद १२३, सय असय उववज्जणा-पद १२५, गगेयस्स सबोधि-पद १३३, उसभदत्त-देवाणदा-पद १३७, जमालि-पद १५६, एगस्स वधे-अणेगवध-पद २४६, इसिस्स वधे अणतवध-पद २४६, वेरबध-पद २५१, पुढविकाइयादीण आण-पाण-पद २५३ किरिया-पद २५८ ।। दसमं सत सू० १-१०३ पृ०४६६-४८४ दिसा-पद १, सरीर-पद ८, सवुडस्स-किरिया-पद ११, जोणि-पद १५, वेदणा-पद १६, भिक्खुपडिमा-पद १८, अकिच्चट्ठाणपडिसेवण-पद १६, आइड्ढीए परिड्ढीए वीइवयणपद २३, देवाण विणयविहि-पद २४, आसस्स 'खु-खु' करण-पद ३६, पण्णवणी-भासा-पद ४०, तावत्तीसगदेव-पद ४२, देवाण तुडिएण सद्धि दिव्वभोग-पद ६४, सुहम्मा सभा-पद ६६, सक्क-पद १००, अतरदीव-पद १०२ । एक्कारसं सत सू० १-१६६ पृ० ४८५-५३७ उप्पलजीवाण उववायादि-पद १, सालुयादिजीवाण उववायादि-पद ४२, सिवरायरिसिपद ५७, खेत्तलोय-पद ६०, लोयसठाण-पद ६८, अलोयसठाण-पद ६६, लोयालोए जीवाजीव-मग्गणा-पद १००, लोयस्म परिमाण-पद १०६, अलोयम्म परिमाण-पद ११०, लोगा Page #53 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गासे जीवपदेस-पद १११, सुदमणमेट्टि-पद ११५, इमिभदृ पुत्त-पद १७४,पोग्गल परिवायगपद १८६ । बाररसमं सतं स० १-२२६ पृ०५३७-५८७ मख-पोक्खली-पद १, उदयणादीण धम्मसवण-पद ३०, जयंती-पसिण-पद ४१, पुढवी-पद E, परमाणुपोग्गलाण सघात-भेद-पद ६६, पोग्गलपरियट्ट-पद ८१, वण्णादि अवण्णादिं च पडुच्च दबवीमंसा-पद १०२, कम्मओ विभत्ति-पदं १२०, चद-मूर-गहण-पद १२२, ससि-आइच्च-पद १२५, चद-सूराण कामभोग-पद १२७, जीवाण सम्बत्य जम्म-मच्चु-गद १३०, असइ अदुवा अणतखुत्तो उववज्जण-पद १३३, देवाण विसरीरेसु उववाय-पदं १५४, पर्चेदियतिरिक्खजोणियाण उववाय-पद १५६, पचविह-देव-पद १६३, पचविह-देवाण-उववाय, पद १६६, पचविह-देवाण ठिड-पद १७८, पचविह-देवाण विउवणा-पद १८३, पचविह-देवाण उन्वट्टण-पद १८५, पचविह-देवाण सचिट्ठणा-पद १६१, पचविह-देवाण-अतर-पद १६२, पचविह-देवाण अप्पावहुयत्त-पद १९७, अविह-याय-पद २००, अट्टविह-आयाणं अप्पावहुयत्तपदं २०५, नाणदसणाण अत्तणा भेदाभेद-पद २०६, सियवाद-पद २११।। तेरसम सत सू० १-१६६ पृ० ५८७-६२३ सखेज्जवित्यडेसु नरएसु उववाय-पद १, सखेज्जवित्थडेसु नरएस उन्वट्टण-पद ४, सखेज्जवित्यडेसु नरएस सत्ता-पदं ५ नरय नेरइयाण अप्पमहत-पद ४२, नेरइयाण फासाणुभव-पद ४४, नरयाण वाहल्ल-खुड्डत्त-पदं ४५, निरयपरिसामत-पद ४६, लोग-मज्झ-पदं ४७, लोयपद ५५, धम्मत्यिकायादीण परोप्पर फास-पद ६१ धम्मत्यिकायादीण ओगाढ-पद ७४, लोय-पद ८८, आहार-पदं ६३, संतर-निरंतर-उव्ववज्जणादि-पदं ६५, चमरचच-आवास-पद ६६ उद्दायणकहा-पद १०१, भासा-पद १२४, मण-पद १२६, काय-पद १२८, कम्मपगडिपद १४७, भाविअप्प-विउवणा-पद १४६, छाउमत्यियसमुग्घाय-पद १६८ । चोद्दसम सतं - सू० १-१५५ पृ० ६२४-६५३ लेम्साणुसारि-उववाय-पद १, नेरइयादीण गतिविसय-पदं ३, नेरझ्यादीण अणतरोववन्नगादि-पद ४, उम्माद-पद १६, वुट्टिकायकरण-पदं २१, तमुक्कायकरण-पद २५, विणयविहिपद २६, पोग्गल-जीव-परिणाम-पद ४४, अगणिकायस्स अतिक्कमण-पद ५४, पच्चणभवपद ६१, देवस्स उल्लघण-पल्लघण-पदं ६८, नेइयादीण किमाहारादि-पद ७१, देविंदाणं भोग-पद ७४, गोयमम्स आसासण-पद ७७, तुल्लय-पद ८०, भत्तपच्चक्खायस्स आहार-पद ८२, लवसत्तमदेव-पद ८४, मणुत्तरोववाइयंदेव-पद ८६, अबाहाए अतर-पद ६०, रुक्खाण पुणभव-पद १०१, अम्मड-अतेवासि-पद १०७, अम्मड़-चरिया-पद ११०, अव्वावाहदेव Page #54 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५१ सत्ति - पदं ११३, सक्कस्स सत्ति पद ११५, जभगदेव पद ११७, सरूवि - सकम्मलस्से- पद १२३, १२६, इट्ठाणिट्ठादि-पोग्गल - पद १२९ देवाण भासासहस्स-पद - अत्ताणत्त-पोग्गल-पद १३०, सूरिय-पद १३२ समणाण तेयलेस्सा- पद १३६ केवलि-पद १३८ । पन्नरसमं सतं सू० १-१६० पृ०-६५४-७०ε ६०, गोसालग पद १, भगवओ विहार- पद २०, पढम - मासखमण- पद २२, दोच्च - मासखमण - पद ३० तच्च-मासखमण-पद ३७, चउत्थ- मासखमण - पद ४४, गोसालस्स सिस्सरूवेण अगीकरण - पद ५३, तिलथभय-पद ५७, वेसियायण - वालतवस्सि - पद तिलथभय - निप्पत्तीए गोसालम्स अवक्कमण-पद ७२, गोसालस्स तेयलेस्सुप्पत्ति - पद ७६, गोसालस्स पुव्वकहाउवसहार-पद ७७, गोसालस्स ग्रमरिस-पद ७६, गोसालस्स आणदथे रसमवखे अवकोसपदसणपद ८२, आणदथेरस्स भगवओ निवेदण-पद ६७, आणदथेरेण गोयमाइण अणुण्णवण - पद ε६, गोसालस्स भगवत पर अक्कोसपुव्व ससिद्धत निरूवण- पद १०१, भगवया गोसालगवयणम्स पडियार-पद १०२, गोसालस्स पुणरवकोस- पद १०३, गोसालेण सव्वाणुभूतिरस भासरामिकरण- पद १०४, गोसालेण सुनक्खत्तस्स परितावण-पद १०७, गोसालेण भगवओ वहाए तेयनिसिरण-पद ११०, सावत्थिए जणपवाद-पद ११५, गोसालेण समणाण पसिणवागरण-पद ११६, गोसालस्स सघभेद - पद ११६, गोसालस्स पडिगमण - पद १२०, गोसालेण नाणासिद्धत- परूवण - पदं १२१, अयपुल - आजीविओवासय-पद १२८, गोसालस्स अप्पणो नीहरण- निद्देस-पद) १३६, गोसालस्स परिणाम - परिवत्तणपुव्व कालधम्म- पद १४१, गोसालस्स नीहरण-पद १४२, भगवओ रोगायक पाउब्भवण- पद १४३, सीहस्स माणसियदुक्ख पद १४७, भगवया सीहस्स आसासण-पद १४६, सीहेण रेवईए भेसज्जाणयणपदं १५३, भगवओो आरोग्ग- पद १६२, सव्वाणुभूतिस्स उववाय पद १६४, सुनक्खत्तस्स उववाय-पद १६५, गोसालस्स भवव्भमण-पद १६६ । ' सोलसम सतं सू० १-१३४ पृ० ७१०-७३७ वाउयाय-पद १, अगणिकाय-पद ५, कतिकिरिय-पद ६, अधिकरणी - अधिकरण- पद जीवाण जरा-सोग- पद २८, सक्कस्स ओग्गह- अणुजाणणा- पद ३३, सक्क - सवधि - वागरणपद ३५, चेय-अचेय-कड - कम्म पद ४१, कम्म पद ४४, असिया-छेदणे वेज्जस्स किरिया - पद ४७, नेरइयाण निज्जरा-पद ५१, सक्क्स्स उक्खित्तपसिणवागरण-पद ५४, गगदत्तदेवस्स सदव्भे परिणममाण-परिणय-पद ५५, गगदत्तदेवस्स अप्पविसए पसिण-पद गंगदत्तदेवेण नट्टउवदसण-पद ६१, गगदत्तदेवस्स पुव्वभव पद ६५, सुविण - पद ७६, भगवओ महामुमिण-दसण- पद ६१, सुविण फल-पद २, गध-पोग्गल - पद १०६, लोगस्स च॑रिमते जीवाजीवादिमग्गणा - पद ११०, परमाणुपोग्गलस्स गति-पद ११६, किरिया - पद ५६, 3 Page #55 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११७, अलोए गतिनिनेध-पद ११८, वन्निस्य नभा-पद १२१, ओहि-पदं १२३, दीवकुमागदिपद १२५। सत्तरसमं सतं सू० १-६६ पृ० ७३८-७५३ हत्यिराय-पद १, किरिया-पद ५, भाव-पद १६, धम्माधम्म-ठित-पद १६, वाल पडिय-पद २५, जीवम्स जीवायाए एगत्त-पद ३०, रूटिन वि पद ३२, पसाद ६५, तणाद ४३, मवेगादि-पद ४८, किरिया-पद ५०, दुवस-वेदणा-पद ६०, माण-पद ६५, पुढविकाइयादीण देस-सव्व-मारणतियसमुग्धाय-पद ६८, एगिदिय-पदं ८२, नागकुमादिपद ८७ । अट्ठारसमं सतं सू० १-२२४ पृ० ७५४-७६० पढम-अपढम-पद १, चरिम-अचरिम-पद २१ सक्करस्त कत्तिय-सेट्टिनाम-पध्वम्व-पद ८, मागदिय-पत्त-पद ५६, निज्जसपोन्गल-जाणणादि-पद ६६, ८६-पद ७२, कम्म-नाणन-पदं ८०, जीवाण परिभोगापरिभोग-पद ८६, कसाय-पद ८८, जुम्म-पद ८६, अवगवटिजीवाण वर-पर-पद ६५, वेउव्वियावेउव्विय-असुरकुमारादि-पद ६७, नेरइयादीण महाकम्मादि-पद १००, नेरइयादीण आउय-पदं १०२, असुरकुमारादीण विउवणा-पद १०४, नेच्छड्यववहार-नय-पद १०७, परमाण-खधाण वण्णादि-पद १११, केवलि-भासा-पद ११६. उवहि-पद १२०, परिग्ग-पद १२३, पणिहाण-पद १२५, कालोदाइ-पभितीण पत्रत्यिकाए सदेह-पद १३४, मद्य-समणोवासएण समाहाण-पद १४०, भगवया मद्द्यम्स पसमा-पर्व १४३, विकुव्वणाए एगजीव-सवध-पद १४८, देवासुर-सगाम-पद १५०, देवस्स दीवसमअपरियट्टण-पद १५२, देवाण कम्मक्खवण-काल-पद १५४, ईरिय पदुच्च गोयमस्म सवाद-पद १५६, अण्णउत्थियाण आरोव-पद १६३, परमाणुपोग्गलादीणं जाणणापासाण-पद १७४, भवियदब्ब-पद १८३, भावियप्पणो असिवारादि-ओगाहणादि-पद १६१, परमाणुपोग्गलादीण वाउकाय-फास-पदं १९६, दव्वाण वण्णादि-पद २००. सोमिल माहण-पदं २०४। एगूणवीसइमं सतं सू० १-११२ पृ० ७६१-८०५ लेस्सा-पद १, पुढविकाइय-पदं ५, आउक्काइयादि-पद २१, पावरजीवाणं ओगाहणाए अप्पाबहुत्त-पद २४, थावरजीवाण सव्वसुहुम सव्ववादर-पदं २५, पुढवि-मरीरस्त महालयत्त-पदं ३३, पुढविकाइयस्स सरीरोगाहणा-पदं ३४, पुढविकाइयन्स वेदणा-पदं ३५, बाकायादीणं वेदणा-पद ३६, महासवादि-पद ४८, चरम-परम-पद ५८, वेदणा-पद ६२. दोवसमुह-पदं ६५, असुरकुमारादीण भवणादि-पद ६७, जीवादि-निव्वत्ति-पद ७६. करण-पदं१०२। Page #56 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५३ इमं तं सू० १-१२३ पृ० ८०६-८३४ इदयादि-पद १, अस्थिकाय-पद १०, अत्थिकायस्स अभिवयण-पद १४, पाणाइवायादीण आयाए परिणति पद २०, गव्भ वक्कममाणस्स वणादि-पद २१, इदियोवचय-पद २४, परमाणु - खधाण वण्णादिभग- पद २६, परमाणु-पद ३७, पुढविआदीण आहार - पद ४३, वध-पद ५२, समयखेत्ते ओसप्पिणि उस्सप्पिणि-पद ६२, पचमहव्वयइय-चाउज्जाम-धम्मपद ६६, तित्थंगर-पद ६७, जिणतरेस कालियसुय-पद ६६, पुव्वगय-पद ७०, तित्थ - पद ७२, उग्गादीण निग्गथधम्माणुगमण पदं ७६, विज्जा - जघा चारण-पद ७६, आउय-पदं ८६, उववज्जण-उव्वट्टण - पद ९१, कतिसचयादि-पद ९७ छक्कसमज्जियादि - पद १०५, वारससमज्जियादि-पद ११२, चूलसीतिसमज्जियादि पद ११७ । एगवीसइमं सतं सालिआदिजीवाण उववायादि-पद १ । बावीसइम सतं तालादिजीवाण उववायादि - पद १ । तेवीसइमं सतं आलुयादिजीवाण उववायादि-पद १ । चवीसइम सतं सू० १-२१ नेरइयादीसु उववायादि-पद १ । सू० १-६ सू० १-६ सू० १-३६१ पृ० ८३५-८३६ पृ० ८४०-८४२ पृ० ८४३, ८४४ पृ० ८४५-६०० पंचवीसइमं सतं सू० १-६३६ पृ० ६०१-६७७ लेस्सा- पद १, जोगस्स - अप्पावहुग पद २, समजोगि विसमजोगि पद ४, जोग-पद ६, दव्वपद है, जीवाण अजीव परिभोग- पद १७, अवगाह - पदं २१, पोग्गलाण चयादि-पद २२, पोग्गलग्रहण-पद २४, सठाण-पद ३३, रयणप्पभादिसदव्भे सठाण-पद ३७, पएसावगाहतो सठाणनिरूवण - पद ५१, अणुसेढि - विसेदि - गति-पद २, निरयावास -पद ९५, गणिपिडय-पद ε६, अप्पावहुय-पद ε८, जुम्म पद १०३, सरीर - पद १४०, सेय-निरेय-पद १४१, पोग्गलपद १४७, मज्झपदेसा-पद २४०, पज्जव पद २४६, निगोद-पद २७३, नाम-पदं २७५, पण्णवण-पद २७८, वेद-पद २८६, राग-पद २६६, कप्प-पद २६६, चरित पद ३०४, पडिसेवणा- पद ३०७, तित्य-पद ३१६, लिंग पद ३२२, सरीर-पद ३२३, खेत्त-पद ३२६, काल-पद ३२८, गति-पद ३३६, सजमट्ठाण - पद ३४६, निगास-पद ३४६, जोग-पद ३६३, उवओग-पद ३६६, कसाय-पद ३६७, लेस्सा-पद ३७३, परिणाम-पद ३८१, बघ - पद ३६०, वेदण-पद ३६५, उदीरणा-पद ३६८, उवसपज्जहण-पद ४०३, मण्णा-पद ४०६, आहार- पद Page #57 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५४ ४११, भव-पद ४१३, आगरिस-पद ४१६, काल-पद ४२४, अतर-पद ४३०, समुग्वाय-पद ४३५, खेत्त-पद ४४०, फुसणा-पद ४४२, भाव-पदं ४४३, परिमाण-पद ४४६, अप्पावहुयत्तपद ४५१, पण्णवण-पद ४५३, वेद-पद ४५६, राग-पद ४६०, कप्प-पद ४६१, नियंठ-पद ४६४, पडिसेवणा-पद ४६७, नाण-पद ४६६, तित्य-पद ४७३, लिंग-पद ४७४, सरीर पद ४७६, खेत्त-पद ४७७, काल-पद ४७८, गति-पद ४८०, सजमाण-पद ४८६, निगास-पद ४६०, जोग-पद ४६७, उवओग-पद ४६८ कसाय-पद ४६६, लेस्सा-पद ५०२, परिणामपद ५०३, वध-पद ५१०, वेदण-पद ५१२, उदीरणा-पद ५१४, उवसपज्जहण-पद ५१७, सण्णा-पद ५२२, आहार-पद ५२३, भव-पद ५२४, आगरिस-पद ५२६, काल-पद ५३३, अतर-पद ५३८, समुग्धाय-पद ५४२, खेत्त-पद ५४३, फुसणा-पद ५४४, भाव-पद ५४५, परिमाण-पद ५४७, अप्पावहुयत्त-पद ५५०, पटिसेवणा-पद ५५१, आलोयणा-पद ५५२, समायारी-पद ५५५, पायच्छित्त-पद ५५६, तव-पद ५५७, नेरइयादीण पुणब्भव-पद ६२०।। छवीसइमं सतं सू० १-२६ पृ० ६७८-९८४ जीवाण लेस्सादिविसे सितजीवाण च वधावध-पद १, नेरइयादीण लेस्सादिविसे सितनेरइयादीण च बघावध-पद १६, जीवादीणं नाणावरणादिकम्म पदुच्च वधावध-पद १८, विमेसितनेरइयादीण वधावध-पद २६ । सत्तावीसइमं सतं सू० १-२ जीवाण पावकम्म-करणाकरण-पद १। पृ० ६८५ अट्ठावीसइमं सतं सू० १-८ जीवाणं पावकम्म-समज्जण-समायारण-पद १ । पृ० ९८६,९८७ एगणतोसइमं सतं सू० १-१० जीवाण पावकम्म-पट्टवण-निट्ठवण-पद १ । पृ० ६८८,९८६ तीसइमं सतं समोमरण-पद १ । सू० १-४७ पृ०९९०-९६७ इक्कतीसइमं सतं सू० १-४२ खुडुजुम्म-नेरइयादीण उववाय-पद १ । पृ० ६६८-१००२ Page #58 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बत्तीसइमं सतं सू० १-७ खुड्डुजुम्म नेरइयादीण उववट्टण-पद १ । पृ० १००३ तेत्तीसइमं सतं सू० १-६२ पृ० १००४-१००६ एगेंदियाण कम्मपगडि-पद १, भवसिद्धीयएगेदियाण कम्मपगडि-पद ४७, अभवसिद्धीयएगेदियाण कम्मपगडि-पद ५६ । चोतीसइम सतं सू० १-६७ पृ० १०११-१०२४ एगेदियाण विग्गहगइ-पद १, एगेदियाण ठाण-पद ३३, एगेदियाण कम्म-पद ३४, एगेदियाण उववत्ति-पद ३७, एगेंदियाण समुग्घाय-पद ३८ । एगेदियाण तुल्ल-विसेसाहियकम्मकरण-पद ३६, विसेसित-एगेदियाण ठाणादि-पद ४२ । पृ० १०२५-१०३२ पणतीसइमं सतं सू० १-६७ 'महाजुम्म-एगेदियाण उववायादि-पद १ । पृ० १०३३, १०३४ छत्तीसइमं सतं सू० १-१३ "महाजुम्म-वेदियाण उववायादि-पद १ । पृ० १०३४ सत्ततीसइम सतं .. सू० १, २ महाजम्म-तेदियाण उववायादि-पद १ । पृ० १०३४ अट्ठतोसइम सतं सू० १, २ महाजुम्म-चरिंदियाण उववायादि-पद १ । पृ० १०३५ एगणयालीसइम सत सू० १, २, महाजुम्म-असण्णिपचिंदियाण उववायादि-पद १ । पृ० १०३५-१०३६ चत्तालीसतिमं सत सू० १-४६ महाजुम्म-सण्णिपचिंदियाण उववायादि-पद १ । पृ० १०४०-१००४ एगचत्तालीसतिमं सतं सू० १-८४ रासिजुम्म नेरइयादीण उववायादि-पद १ । Page #59 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संकेत निर्देशिका • • ये दोनों विन्दु पाठपूर्ति के द्योतक हैं । पाठपूर्ति के प्रारंभ मे भरा विन्दु [] और उसके समापन मे रिक्त विन्दु [0] रखा गया है । देखें -- पृष्ठ ५ मूत्र ११ । (2) कोकवर्ती प्रश्नचिन्ह [?] आदर्शो मे अप्राप्त किन्तु आवश्यक पाठ के अस्तित्व का सूचक है । देखे – पृष्ठ ७४ सूत्र ४३९ । [] आदर्शो मे प्राप्त किन्तु प्रस्तुत प्रकरण मे अनावश्यक व्याख्याग पाठ को कोष्ठक मे रखा गया है । देखे – पृष्ठ १०५ सूत्र ६७ । यह दो या उससे अधिक शब्दो के स्थान में पाठान्तर होने का सूचक है । देखें—पृष्ठ ३ । 'वण्णओ' व 'जाव' शब्द के टिप्पण मे उसके पूर्ति स्थल का निर्देश है । देखे – पृष्ठ ३ सूत्र ६ और पृष्ठ ७ सूत्र ७ । क्रॉस (X) पाठ न होने का द्योतक है । देखे – पृष्ठ ३ टिप्पण १० । पाठ के पूर्व या अन्त मे खाली विन्दु ( ० ) अपूर्ण पाठ का द्योतक है । देखें - पृष्ठ ३ टिप्पण २, पृष्ठ ४ टिप्पण ७ । 'जहा' आदि पर टिप्पण मे दिए गए सूत्राक उसकी पूर्ति के सूचक हैं | देखें - पृष्ठ १६ टिप्पण ५ । [3 X 0 अ, क, ख, ता, व, म, स - देखे – सम्पादकीय में 'प्रति परिचय' शीर्षक | क्व ० क्वचित् प्रयुक्तादर्श | सं० पा० सक्षिप्त पाठ का सूचक है । देखे – पृष्ठ ५ टिप्पण १० । वृपा वृ वृत्ति सम्मत पाठान्तर । देखे – पृष्ठ १५ टिप्पण ४ । वृत्ति का सूचक है । देखें --- पृष्ठ १५ टिप्पण ५ । पूर्णपाठार्थ द्रष्टव्यम् । देखे – पृष्ठ ४ टिप्पण १६ । पूरक-पाठ परिशिष्ट | देखें – पृष्ठ १२ टिप्पण ४ । अतगडदसाओ दसा० दसासुयक्खघो ना० पू० पू० प० श्रं० अ० उत्त० उ० उवा० ओ० ज० जी० 닝 ५६ अणुओगदारा उत्तरभयणाणि उवगा उवासगदसाओ ओवाइय जंबुद्दीपण्णत्ती जीवाजीवाभिगम ठाणं प० भ० राय० व० नाया कहाओ पण्णवणा भगवई रायपसेणइय ववहारो Page #60 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई विवाहपएणत्ती Page #61 --------------------------------------------------------------------------  Page #62 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढमं सतं पढमो उद्देसो मंगल-पद १ नमो' अरहताण', नमो सिद्धाण, नमो आयरियाण', नमो उवज्झायाण, नमो सव्वसाहूण ॥ २ नमो बभीए' लिवीए । सगहणी-गाहा रायगिह १-चलण २-दुक्खे, ३-कखपभोसे य ४-पगइ ५-पुढवीयो। ६-जावते ७-नेरइए, ८-बाले ६-गुरुए य १०-चलणाप्रो ॥१॥ ३ नमो सुयस्स ॥ उक्खेव-पदं ४ तेण कालेण तेण समएण रायगिहे नाम' नयरे होत्था-वण्णो । ५ तस्स ण रायगिहस्स नगरस्स बहिया उत्तरपुरथिमे दिसीभागे गुणसिलए नाम चेइए होत्था ॥ ६ ‘सेणिए राया, चिल्लणा देवी'' । १ णमो (क)। २. अरिह ० (अ, क, वृपा), अरुह ° (वृपा)। ३ आरिआण (क)। ४. लोए सव्व ° (अ, क, ता, व, म, वृपा)। ५.वभीए (ता, ब)। ६ पाले (ता)। ७. णाम (क)। ८ ओ० सू०१। ६. वहिं (ता)। १० X (ता, व)। Page #63 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ७ तेण कालेणं तेण समएण समणे भगवं महावीरे आइगरे तित्यगरे सहसवुद्धे' पुरिसुत्तमे पुरिससीहे' पुरिसवरपोडरीए पुरिसवरगधहत्थी' लोगुत्तमे लोगनाहे' लोगपदीवे लोगपज्जोयगरे' अभयदए चक्खुदए मग्गदए सरणदए" धम्मदेसए" धम्मसारही धम्मवरचाउरतचक्कवट्टी अप्पडिहयवरनाणदसणधरे वियदृछउमे जिणे जाणए बुद्धे बोहए मुत्ते" मोयए सव्वण्णू सव्वदरिसी" सिवमयलमरुयमणतमक्खयमव्वावाह" सिद्धिगतिनामधेय ठाण सपाविउकामे जाव' •पुव्वाणुपुद्वि चरमाणे गामाणुगाम दूइज्जमाणे सुहसुहेणं विहरमाणे जेणेव रायगिहे नगरे जेणेव गुणसिलए चेइए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता अहापडिरूव प्रोग्गह प्रोगिण्हइ, अोगिण्हित्ता सजमेण तवसा अप्पाण भावेमाणे विहरइ ।। ८ परिसा निग्गया। धम्मो कहियो । पडिगया परिसा ॥ ६ तेण कालेण तेण समएण समणस्स भगवो महावीरस्स जेटे अतेवासी इंदभूती नाम अणगारे 'गोयमसगोत्ते ण'१० सत्तुस्सेहे समचउरससठाणसठिए वज्जरिसभनारायसघयणे" कणगपुलगनिघसपम्हगोरे उग्गतवे दित्ततवे तत्ततवे" महातवे अोराले घोरे घोरगुणे घोरतवस्सी घोरवभचेरवासी 'उच्छूढसरीरे सखित्तविउलतेयलेस्से२१ चोद्दसपुवी चउनाणोवगए सव्वक्खरसन्निवाती समणस्स भगवो महावीरस्स अदूरसामते उड्ढजाणू२ अहोसिरे झाणकोट्ठोवगए सजमेण तवसा अप्पाण भावेमाणे विहरइ॥ १० तते ण से भगव गोयमे जायसड्ढे जायससए जायकोउहल्ले उप्पन्नसड्ढे उप्पन्न ससए उप्पन्नकोउहल्ले सजायसड्ढे सजायससए सजायकोउहल्ले समुप्पन्नसड्ढे १. सय° (अ)। १४ ° बाहमपुणरावत्तयं (अ, व); सिवमचल२. पुरिसोत्तमे (अ), पुरुसुत्तमे (व) । मरुज° (क)। ३. पुरुससीहे (ता) सर्वत्र । १५ स० पा०-जाव समोसरण। ओ० सू० ४ पुरुसवरपुडरीए (ता)। १६-५१ । ५ °हत्थीए (अ)। १६ पू०-ओ० सू० ५२-८१ । ६ लोगोत्तमे (अ, व)। १७ गोयमे गोत्तेण (अ, ता, व), गोयम७. °नाहे लोगहिए (अ)। सगुत्ते ण (क), गोयमगोत्तेण (म)। ८ °पईवे (ता, क)। १८ °रिसह° (क, म)। ६ °करे (क)। १६ तत्ततवे घोरतवे (क)। १० °दए बोहिदए (अ, ता)। २०. उराले (अ, ता, व, म, वृपा)। ११ धम्मदए धम्मदेसए बम्मनायगे (अ), २१. °तेयलेसे (अ), तेअलेस्से (क); धम्मदए धम्मदेमए (क, ता, व), धम्म- ० तेउलेस्से (म), मूलटीकाकृता तु 'उच्छूढदएत्ति पाठान्तरम् (वृ०)। सरीरमखित्तविउलतेयलेस'त्ति कर्मधारय १२ मुक्के (क)। कृत्वा व्याख्यातमिति (व)। १३. सव्वदसी (ता)। २२ उड्ढजाणू (क, ता), उड्ढजाणु (म) । Page #64 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढमं सत ( पढमो उद्देसो) समुप्पन्नससए समुप्पन्न कोउहल्ले उट्ठाए उट्ठेति, उट्टेत्ता जेणेव समणे भगव महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छिता समण भगव महावीर तिक्खुत्तो प्रायाहिण -पयाहिण करेइ, करेत्ता वदइ नमसड, वदित्ता नमसित्ता पच्चासन्ने णातिदूरे' सुस्सूसमाणे णमसमाणे अभिमुहे विणएण पजलियडे' पज्जुवासमाणे एव वयासी'-- चलमाण-पदं ११ से नूण भते | चलमाणे चलिए ? उदीरिज्जमाणे उदीरिए ? वेदिज्जमार्णे वेदिए ? पहिज्जमाने पहोणे' ? छिज्जमाणे छिण्णे ? भिज्जमाणे भिण्णे ? 'दज्झमाणे दड्ढे " ? मिज्जमाणे ' मए " ? निज्जरिज्जमाणे निज्जिणे ? हता गोयमा । चलमाणे चलिए " । उदीरिज्जमाणे उदीरिए । वेदिज्जमाणे वेदिए । पहिज्जमा पहोणे । छिज्जमाणे छिण्णे । भिज्जमाणे भिण्णे । दज्झमाणे दड्ढे । मिज्जमाणे मए । निज्जरिज्जमाणे निज्जिणे ।। १२ एए ण भते । नव पदा" कि एगट्ठा नाणाघोसा नाणावजणा ? उदाहु नाणट्ठा नाणाघोसा नाणावजणा ? गोयमा । चलमाणे चलिए, उदीरिज्जमाणे उदीरिए वेदिज्जमाणे वेदिए, पहिज्जमाणे पहीणे” – एए ण चत्तारि पदा एगट्ठा नाणाघोसा नाणावजणा उप्पण्णपक्खस्स । छिज्ज माणे छिण्णे, भिज्जमाणे भिण्णे, दज्झमाणे दड्ढे, मिज्जमाणे मए, निज्जरिज्जमाणे निज्जिणे - एए ण पच पदा नाणट्ठा नाणाघोसा नाणावजणा विपक्खस्स ॥ नेरइयाणं ठितिप्रादि-पद १३ नेरइयाण भते । केवइय" काल ठिती पण्णत्ता ? गोयमा । जहण्णेण दस वाससहस्साइ, उक्कोसेण तेत्तीस सागरोवमाइ ठिती पण्णत्ता || १ गादिदूरे ( क ), गाइदूरे (ता, म ) । २ जलिउडे ( अ, क ), पजलिपुडे (म ) । ३ क्यासि (ता), वदासी (म) । ४ विदिज्जमारणे (अव), वेतिज्जमारणे ( क ) । ५ पहिए (ता) । ६. छविज्जमाणे ( अ ) 1 ७ डज्झमाणे डड्ढे (ता) | ८ 8 १० मेज्ज (ग्र, व), मिय (म ) । मडे ( क ), मिए (ता) । स० पा० - चलिए जाव निज्जरिज्जमाणे । ११ पया (ता) | १२ पहिए ( अ, ता, ब, म) । १३ केवईय ( अ, क, ता), केवइ ( ब ) । Page #65 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४ नेरइया ण भते । केवइकालस्स प्राणमति वा णीससति वा ? जहा उस्सासपदे' ।। १५. नेरइया ण भते । आहारट्ठी ? हता गोयमा । श्राहारट्ठी । जहा पण्णवणाए पढमए श्राहारुद्देसए तहा भाणियव्व संग्रहणी - गाहा भगवई ? पाणमति वा २ ऊससति वा ? ठिइ उस्सासाहारे, कि वाऽऽहारेति सव्वग्रो वावि ? कतिभाग सव्वाणि व ? कीस व भुज्जो परिणमति ? ॥१॥ १६ नेरइयाण भते ! पुव्वाहारिया पोग्गला परिणया ? हारिया ग्रहारिज्जमाणा पोग्गला परिणया ? ग्राहारिया ग्रहारिज्जिस्समाणा' पोग्गला परिणया ? प्रणाहारिया प्रणाहारिज्जिस्समाणा पोग्गला परिणया ? गोयमा ! नेरइयाण पुव्वाहारिया पोग्गला परिणया । ग्रहारिया ग्रहारिज्जमाणा पोग्गला परिणया, परिणमति' य । अणाहारिया ग्रहारिज्जिस्समाणा पोग्गला णो परिणया, परिणमिस्सति । अणाहारिया प्रणाहारिज्जिस्समाणा पोग्गला णो परिणया, णो परिणमिस्सति ॥ १७ नेरइयाण भते । पुव्वाहारिया पोग्गला चिया ? पुच्छाहा परिणया तहा चियावि ॥ १८ एव - उवचिया, उदीरिया, वेइया, निज्जिण्णा । संग्रहणी गाहा परिणय 'चिया उवचिया" उदीरिया' वेइया' य निज्जिपणा । एक्केक्कम्मि पदम्मि, ९ चउव्विहा पोग्गला होति ॥१॥ १. प० ७ । २ प० २८।१ । ३. आहारिज्जस्स ० ( क ) 1 ४ परिणामयति (ता) | ५ भ० १।१६ | ६ चिया य उवचिया (अ), चित उवचित (म) ७. उदीरिय (ता) । ८ वेतिया (म) । पदमी ( ब ) । १०. अतोग्रे 'ता' प्रतौ एतावानतिरिक्तः पाठो लभ्यते— I रडारण भते । पुव्वाहारिया पोग्गला निज्जिण्णा । तहेव । Page #66 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढम सत (पढमो उद्देसो) १६ नेरइया ण भते । कइविहा पोग्गला भिज्जति ? गोयमा ! कम्मदव्ववग्गणमहिकिच्च दुविहा पोग्गला भिज्जति, त जहा अणू चेव, बादरा चेव ॥ २० नेरइया ण भते । कइविहा पोग्गला चिज्जति ? गोयमा | आहारदव्ववग्गणमहिकिच्च' दुविहा पोग्गला चिज्जति, त जहा अणू चेव, बादरा चेव ॥ २१ एव उवचिज्जति ।। २२ नेरइया ण भते | कइविहे पोग्गले उदीरेति ? गोयमा । कम्मदव्ववग्गणमहिकिच्च दुविहे पोग्गले उदीरेति, त जहा–अणू चेव, बादरा चेव ॥ २३ सेसावि एव चेव भाणियव्वा-वेदेति, निज्जरेति ।। २४ एव —ोयट्टेसु, ओयट्टेति, प्रोयट्टिस्सति । सकार्मिसु, सकामेंति, सकामिस्सति । निहत्तिसु, निहत्तेति, निहत्तिस्सति । निकाएसु, “निकायति, निकाइस्सति । सगहणी-गाहा भेदिया' चिया उवचिया, उदीरिया वेदिया य निज्जिण्णा । प्रोयट्टण सकामण, निहत्तण निकायणे तिविहकालो ॥१॥ २५ नेरइया ण भते । जे पोग्गले तेयाकम्मत्ताए गेण्हति, ते कि तीतकालसमए गेण्हति ? पड़प्पन्नकालसमए गेण्हति ? अणागयकालसमए गेहति ? गोयमा । नो तीयकालसमए गेण्हति, पडुप्पन्नकालसमए गेण्हति, नो अणागयकालसमए गेण्हति ।। नेरइया ण भते । जे पोग्गले तेयाकम्मत्ताए गहिए° उदीरेति, ते कि तीयकालसमयगहिए पोग्गले उदीरेति ? पडुप्पन्नकालसमए" घेप्पमाणे पोग्गले उदीरेति ? गहणसमयपुरक्खडे पोग्गले उदीरेति ? १ °मभिकिच्च (अ, ब)। ७. निव° (ता) सर्वत्र । २ ज्जति वि (ता)। ८ अतोने अ, क, व, म प्रतिपु एतावान३. उदीरति (क)। तिरिक्त पाठो लभ्यते४. °यव्वा एव (अ, क, ता)। सव्वेसु वि कम्मदव्ववग्गणमहिकिच्च । ५ x(म, क, ब, म)। ६. भेतिय (क)। ६ उय° (क, ता, म); अपवर्तनस्य चोप- १० x (अ, ब)। लक्षणत्वादुद्वर्त्तनमपीह दृश्यम् (वृ)। ११. ° समय (क, ता, व, म)। Page #67 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई गोयमा । तीयकालसमयगहिए पोग्गले उदीरेति, नो पडुप्पन्नकालसमए घेप्पमाणे पोग्गले उदीरेति, नो गहणसमयपुरक्खडे पोग्गले उदीरेति ॥ २७ एव-वेदेति, निज्जरेति ॥ २८ नेरइया ण भते । जीवाश्रो कि चलिय कम्मं वधति ? अचलिय कम्म वधंति ? गोयमा ! नो चलिय कम्म वंधति, अचलिय कम्म वधति ।। २६ नेरइयाण भते । जीवाओ कि चलिय कम्म उदीरेति ? अचलिय कम्म उदोरेति ? गोयमा! नो चलिय कम्म उदोरेति, अचलिय कम्म उदीरेति ।। ३० एव-वेदेति, पोयट्टेति, सकामेति, निहत्तेति', निकाएति' । ३१. नेरइया ण भते । जीवाओ कि चलिय कम्म निज्जरेति ? अचलिय कम्म निज्जरेति ? गोयमा | चलिय कम्म निज्जरेति, नो अचलिय कम्म निज्ज रेति ॥ सगहणी-गाहा बधोदयवेदोयट्टसकमें तह निहत्तणनिकाए । अचलिय-कम्मं तु भवे, चलिय जीवाउ निज्जरए ॥१॥ ३२ एव ठिई आहारो य भाणियव्वो । ठिती जहा १. निज्जरति (ता, व)। २. निवत्तेति (ता)। ३ अतोने 'अ' प्रती एतावानतिरिक्त पाठो लभ्यतेसम्वेमु अचलिय नो चलिय । 'ता' प्रतौ च-सबेसु नो चलिय अचलिय । ४ वट्ट (अ), ° व्वट्ट (ता)। ५ निज्जरिए (अ, ता, व); निज्जरइ (क) । ६ अत्र विस्तृता वाचनापि लभ्यते । तस्या 'जहा नेरइयाण' इत्यादि समर्पणपदानि लभ्यन्ते, किन्तु पूर्ववर्ति-नैरयिकपदे तानि न विद्यन्ते, तेन सक्षिप्तव वाचना मूलपाठरूपेणाहता। विस्तृता चैवम्असुरकुमाराण भते । केवइय काल ठिई पण्णत्ता? गोयमा । जहण्णण दस वाससहस्साइ, उक्कोसेण सातिरेग सागरोवम ।। असुरकुमारा ण भते । केवइकालस्स आणमति वा पाणमति वा ? ऊससति वा ? पीससति वा? गोयमा ! जहण्णेण सत्तण्ह थोवाण, उक्कोसेण साइरेगस्स पक्खस्स आणमति वा, पाणमति वा, ऊससति वा, णीससति वा, असुरकुमाराण भते । आहारट्ठी ? हता आहारट्ठी। असुरकुमाराण भते ! केवइकालस्स आहारठे समुप्पज्जइ? गोयमा । असुरकुमाराण दुविहे आहारे पण्णत्ते, त जहाआभोगनिव्धत्तिए य अणाभोगनिव्वत्तिए Page #68 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढमं सत (पढमो उद्देसो) ? ठितिपदे' तहा भाणियव्वा सव्वजीवाण । श्राहारो वि जहा पण्णवणाए पढमे आहारुद्देसए' तहा भाणियव्वो, एत्तो आढत्तो - नेरइया ण भते । ग्राहारट्ठी जाव य । तत्थ ण जे से अरणाभोगनिव्वत्तिए, से से अणुसमयमविरहिए आहारट्ठे समुप्पज्जइ । असमय अविरहिए आहारट्ठे समुप्पज्जइ । तत्थ रण जे से आभोगनिव्वत्तिए, से जहण्णेरण तत्थ रण जे से आभोगनिव्वत्तिए, से जहण्णेरण चउत्थभत्तस्स, उक्कोसेरण दिवसपुहुत्तस्स श्राहाचउत्थभत्तस्स, उक्कोसेरा साइरेगस्स वाससह - रट्ठे समुप्पज्जइ । सेस जहा असुरकुमाराण जाव नो अचलिय कम्म निज्जरति । स्सस्स आहारट्ठे समुप्पज्जइ । असुरकुमारा ण भते । किमाहारमाहारेति ? गोयमा ! दव्वओ अणतपएसियाइ दव्वाइ, खेत्तकालभावपण्णवरणागमेण सेस जहा नेरइयाण जाव ते ण तेसि पोग्गला कीसत्ताए भुज्जो - भुज्जो परिणमति ? गोयमा 1 सोइदियत्ता ५ सुरुवत्ताए सुवण्णत्ताए ४ इट्ठत्ताए ५ इच्छियत्ताए भिज्जियत्ताए उड्ढत्ताए, गो अहत्ताए सुहत्ताए, गो दुहत्ता भुज्जो - भुज्जो परिणमति । असुरकुमाराण पुव्वाहारिया पुग्गला परिगया ? असुरकुमाराभिलावेण जहा नेरइयाण जाव नो अचलिय कम्म निज्जरति । नागकुमाराण भते । केवइय पण्णत्ता ? वाससहस्साइ, गोयमा । जहणेण दस उक्कोसेण देसूरणाइ दो पलिप्रोवमाइ । नागकुमारा ण भते ! केवइकालस्स आणमति 1 वा ४ १ एव सुवण्णकुमाराणवि जाव थरिणयकुमाराण ति । गोयमा । जहणेण सत्तण्ह थोवाण, उक्को सेरण मुहुत्तपुहुत्तस्स आणमति वा ४ । नागकुमारा ण भते । आहारट्ठी ? हतामाहारट्ठी । नागकुमाराण भते । केवइकालस्स ग्राहारट्टे समुप्पज्जइ ? गोयमा । नागकुमाराण दुविहे आहारे पण्णत्ते, त जहा - आभोगनिव्वत्तिए य अरणाभोगनिव्वत्तिय । तत्य ण जे से प्रणाभोगनिव्वत्तिए, १. ५०४ । पुढविकाइया भते । केवईय काल ठिई ? पण्णत्ता गोयमा । जहणेण प्रतोमुहुत्त, उक्कोसेण बावीस वाससहस्साइ । पुढविकाइया केवइकालस्स आणमति वा ४ ? गोयमा । वेमाताएं आणमति वा ४ । पुढविकाइया ग्राहारट्ठी M केवइकालस्स समुप्पज्जइ । काल ठिती पुढविकाइया किमाहारमाहारेति ? गोवमा । दव्वओ जहा नेरइयारण जाव निव्वाघाएण छद्दिसिं, वाघाय पडुच्च सिय तिदिसि सि चउद्दिसि सिय पचदिसि । वण्णग्रो कालनीलपीतलो हियहालिद्दसुक्किल्लारिण, गधओ सुरभिगध २ रसो तित्त ५ फासओ कक्खड ८ सेस तहेव । गारणत्त कइभाग आहारेति ? कइभाग फासाएति ? गोयमा 1 अस खिज्जइभाग आहारेति, प्रणतभाग फासाएति जाव ते ण तेसि पोग्गला कीसत्ताए भुज्जो - भुज्जो परिणमति ? गोयमा । फासिंदियवेमायत्ताए भुज्जो - भुज्जो परिणमति । सेस जहा नेरइयारण जाव नो अचलिय कम्म निज्जरति । एव जाव वणस्सइ२ १०२८।१ । हा आहारट्ठी । पुढविकाइयाण समुप्पज्जइ आहार ? गोयमा ! अणुसमय अविरहिए आहारट्ठे Page #69 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई दुक्खत्ताए भुज्जो-भुज्जो परिणमति ॥ . काइयाण, नवर ठिती वण्णेयव्वा जा जस्स, अणासाइज्जमाणाइ अफासाइज्जमाणाइ विद्धसउस्सासो वेमायाए। मावज्जति । वेडदियाण ठिई भारिणयव्वा, ऊसासो एएसि ण भते । पोग्गलाण अणाघाइज्जमावेमायाए। णाइ ३ पुच्छा। वेइदियाण आहारे पुच्छा, गोयमा । आभोग गोयमा । सव्वत्थोवा पोग्गला अणाघाइज्जनिव्वत्तिए य अण्णाभोगनिव्वत्तिए य तहेव । __ माणा, अणासाइज्जमाणा अरणतगुणा, अफातत्थ ण जे से आभोगनिबत्तिए, से ण असखेज्ज साइज्जमाणा अणतगुणा । तेइदियाण धारिणदियसमए अतोमुहुत्तिए वेमायाए आहार? समुप्प जिभिदियफासिदियवेमायत्ताए भुज्जो-भुज्जो ज्जइ । सेस तहेव जाव अणतभाग आसाएति ।। परिणमति । वेइदिया ण भते । जे पोग्गले आहारत्ताए चरिदियाण चक्खि (खु)दियघाणिदियगेण्हति ते किं सव्वे आहारेंति, यो सब्वे जिभिदियफासिदियवेमायत्ताए भुज्जो-भुज्जो पाहारेति ? परिणमति । गोयमा ! वेइदियाण दुविहे आहारे पण्णत्ते, पचिदियतिरिक्खजोणियाण ठिई भरिणऊरण त जहा-लोमाहारे पक्खेवाहारे य । जे पोग्गले ऊसासो वेमायाए। आहारो अणाभोगनिव्वत्तिए लोमाहारत्ताए गिण्हति ते सव्वे अपरिसेसिए अणुसमय अविरहिओ। आभोगनिव्वत्तिो आहारेंति । जे पोग्गले पक्खेवाहारत्ताए गिण्हति जहण्णण अतोमुहुत्तस्स, उक्कोसेण छट्ठभत्तस्स । तेसि णं पोग्गलाण असखिज्जइभाग आहारेति, सेस जहा चउरिदियारण जाव चलिय कम्म णेगाइं च ण भागसहस्साइ प्रणासाइज्जमाणाइ निज्जरेति । अफासिज्जमाणाइ विद्धसमावज्जति । एव मणुस्साणवि, नवर आभोगनिव्वत्तिए एएसि ण भते ! पोग्गलाण अणासाइज्ज जहण्णेण अतोमुहुत्त, उक्कोसेरण अट्ठमभत्तस्स, माणाण अफासाइज्जमारणाण य कयरे-कयरे सोइदियवेमायत्ताए भुज्जो-भुज्जो परिणमति । अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? सेस जहा चउरिदियारण तहेव जाव निज्जरेंति । गोयमा । सव्वत्थोवा पोग्गला अणासाइज्ज वाणमतराण ठिईए नाणत्त, परिणमति मारणा, अफासाइज्जमाणा अणतगुणा । अवसेस जहा नागकुमाराण। एव जोइसियाणवि, नवर उस्सासो जहण्णेण मुहुत्तपुहुत्तस्स, उक्कोवेइदिया ण भते । जे पोग्गला आहारत्ताए सेणवि मुहुत्तपुहुत्तस्स । आहारो जहण्णण दिवसगिण्हति ते ण तेसि पोग्गला कीसत्ताए भुज्जो- पुहुत्तस्स, उक्कोसेणवि दिवसपुहुत्तस्स । सेस भुज्जो परिणमति ? तहेव। गोयमा । जिभिदियफासिदियवेमायत्ताए वेमाणियाण ठिई भारिणयव्वा ओहिया । भुज्जो-भुज्जो परिणमति । ऊसासो जहण्णेण मुहुत्तपुहुत्तस्स, उक्कोसेण तेत्तीवेइदियाण भते ! पुव्वाहारिया पुग्गला परि- साए पक्खाण । आहारो आभोगनिव्वत्तियो णया तहेव जाव चलिय कम्म निज्जरेंति। जहण्णण दिवसपुहुत्तस्स, उक्कोसेण तेत्तीसाए तेइदियचरिदियाण णाणत्त ठिईए जाव वाससहस्साण । सेस चलियाइय तहेव जाव णेगाइ च ण भागसहस्साइ अणाघाइज्जमाणाइ निज्जरेति (क, ता, वृ, प० २८।१)।. . Page #70 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढमं सतं (पढमो उद्देसो) प्रारंभ-अणारंभ-पदं ३३. जीवा ण भते । कि आयारभा? परारभा ? तदुभयारभा? अणारभा? गोयमा । अत्थेगइया जीवा आयारभा वि, परारभा वि, तदुभयारभा वि, णो अणारभा ॥ अत्थेगइया जीवा नो पायारभा, नो परारभा, नो तदुभयारभा, अणारभा ।। ३४ से केणद्वेण भते ! एव वुच्चइ-अत्थेगइया जीवा आयारभा वि, "परारभा वि, तदुभयारभा वि, णो अणारभा? प्रत्येगइया जीवा नो आयारभा, नो परारभा, नो तदुभयारभा, अणारभा०? गोयमा । जीवा दुविहा पण्णत्ता, त जहा-ससारसमावण्णगा य, अससारसमावण्णगा य। तत्थ ण जे ते अससारसमावण्णगा, ते ण सिद्धा। सिद्धा ण नो आयारभा, 'नो परारभा, नो तदुभयरभा , अणारभा। तत्थ ण जे ते ससारसमावण्णगा, ते दुविहा पण्णत्ता, त जहा-सजया य, असजया य। तत्थ ण जे ते सजया ते दुविहा पण्णत्ता, त जहा-पमत्तसजया य, अप्पमत्तसजया य । तत्थ ण जे ते अप्पमत्तसजया, ते ण नो पायारभा, नो परारभा, 'नो तदुभयारभा°, अणारभा। तत्थ ण जे ते पमत्तसजया, ते सुह जोग पडुच्च नो आयारभा', 'नो परारभा, नो तदुभयारभा', अणारभा। असुभ जोग पडुच्च आयारभा वि, •परारभा वि, तदुभयारभा वि°, नो अणारभा । तत्थ ण जे ते असजया, ते अविरति पडुच्च अायारभा वि', परारभा वि, तदुभयारभा वि°, नो अणारभा। से तेण?ण' गोयमा । एव वुच्चइअत्येगइया जीवा पायारभा वि, परारभा वि, तदुभयारभा वि, नो अणारभा । अत्यगइया जीवा नो पायारभा, नो परारभा, नो तदुभयारभा, अणारभा ।। ३५ नेरइया ण भते । कि आयारभा ? परारभा ? तदुभयारभा ? अणारभा ? १ स० पा०-एव पडिउच्चारेतव्व । ६ अस्मजया (ता, ब)। २ स० पा०-आयारभा जाव अणारभा। ७ स० पा०-वि जाव नो। ३. स० पा०-परारभा जाव अणारभा। ८ एणद्वेण (अ, क), एतेण?ण (ता,ब, म)। ४. स० पा०--आयारभा जाव अणारभा। ६ स० पा०-जीवा जाव अरणारभा । ५ स० पा०-वि जाव नो। Page #71 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई गोयमा | 'नेरइया आयारभा वि', परारभा वि, तदुभयारंभा वि, नो अणारभा ॥ ___३६ से केणद्वेण ? गोयमा । अविरतिं पडुच्च । से तेणटेण' •गोयमा । एव वुच्चइ-नेरइया यारभा वि, परारभा वि, तदुभयारभा वि, नो अणारभा॥ ३७. एव जाव पचिदियतिरिक्खजोणिया। मणुस्सा जहा जीवा, नवर-सिद्धविर हिया भाणियव्वा । वाणमतरा जोइसिया वेमाणिया तहा नेरइया । ३८. सलेस्सा जहा ओहिया । कण्हलेसस्स', नीललेसस्स काउलेसस्स, जहा प्रोहिया जीवा, नवर-पमत्ताप्पमत्ता न भाणियव्वा । तेउलेसस्स, पम्हलेसस्स, सुक्क लेसस्स जहा अोहिया जीवा, नवर-सिद्धा न भाणियव्वा ।। १ स० पा० -वि जाव नो। तत्थ ण जे ते असजया ते अविरतिं पडुच्च २ स० पा०-तेण?ण जाव नो। आयारभा वि जाव नो अणारभा। से ३ अणारभा एव असुरकुमारा वि जाव (ता)। तेगट्ठण जाव अरणारभा । नीलकापोतलेश्याना एप एव गम । ४. पू०प०२। ५ भ० ११३५, ३६ । तेउलेस्सा ण भते ! जीवा कि आयारभा जाव अरणारभा? ६ भ० ११३३, ३४ । 'सिद्धा न भाणियबा' इति अध्याहर्तव्यम् । 'सिद्धानामलेश्यत्वात्' गोयमा ! अत्येगइया आयारभा वि जाव इति वृत्तिकार । नो अणारभा, अत्थेगइया आयारभा वि ७ किण्ह (अ)। जाव नो अणारभा, अत्येगइया नो आया८ कण्हलेस्सा ण भते ] जीवा कि आयारमा ? रभा जाव नो अणारभा। परारभा ? तदुभयारंभा? अणारभा? से केपट्टेण? गोयमा ! अत्येगइया कण्हलेस्सा जीवा गोयमा ! दुविहा तेउलेस्सा पण्णत्ता, त आयारभा वि, परारभा वि, तदुभयारभा जहा-सजया य असजया य । वि, नो अणारभा। तत्थ रण जे ते सजया ते दुविहा पण्णत्ता, अत्येगइया कण्हलेस्सा जीवा नो आया- त जहा-पमत्तसजया य, अप्पमत्तसजया य । रभा, नो परारभा, नो तदुभयारभा, तत्थ ण जे ते अप्पमत्तसजया ते ण नो अरणारभा। आयारभा जाव अरणारभा। से केणद्वेण जाव अणारंभा? तत्थ ण जे ते पमत्तसजया ते सुह जोग गोयमा ! कण्हलेस्सा जीवा दुविहा पण्णत्ता, पडुच्च नो आयारमा जाव अणारभा। त जहा-सजया य असजया य । असुभ जोग पडुच्च आयारभा वि जाव नो तत्व ण जे ते सजया ते सुह जोग पडुच्च अरणारभा। नो आयारभा जाव अरणारभा। तत्थ ण जे ते असजया ते अविरतिं पडुच्च असुभ जोग पडुच्च आयारभा वि जाव आवारमा वि जाव नो अणारभा। से नो अरणारभा। तेणटेण जाव अणारभा। Page #72 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढमं मतं (पढमो उद्देसो) नाणादीणं भवंतर-संकमण-पदं ३६ इहभविए भते | नाणे ? परभविए नाणे ? तदुभयभविए नाणे ? गोयमा । इहभविए वि नाणे, परभविए वि नाणे, तदुभयभविए वि नाणे ।। ४० "इहभविए भते । दसणे ? परभविए दसणे ? तदुभयभविए दसणे ? गोयमा । इहभविए वि दसणे, परभविए वि दसणे, तदुभयभविए वि दसणे ॥ ४१ इहभविए भते । चरित्ते ? परभविए चरित्ते ? तदुभयभविए चरित्ते ? गोयमा | इहभविए चरित्ते, नो परभविए चरित्ते, नो तदुभयभविए चरित्ते ।। ४२ "इहभविए भते । तवे ? परभविए तवे ? तदुभयभविए तवे ? गोयमा । इहभविए तवे, नो परभविए तवे, नो तदुभयभविए तवे ॥ ४३. इहभविए भते । सजमे ? परभविए सजमे ? तदुभयभविए सजमे ? गोयमा । इहभविए सजमे, नो परभविए सजमे, नो तदुभयभविए सजमे° ॥ प्रसंवड-सवड-अणगार-पदं ४४ असवुडे' ण भते । अणगारे सिझड, वुज्झइ, मुच्चइ, परिनिव्वाइ, सव्व दुक्खाण अत करेइ ? पद्मशुक्ललेश्याना एप एव गमः । भते । कतिसु लेसासु होज्जा । गोयमा । अभयदेवसूरिभि. भिन्नमतमनुसृत्य कृष्ण छल्लेस्सासु होज्जा, त जहा–कण्हलेस्साए लेश्गादिपाठो व्याख्यात । कृष्णादिपु हि जाव सुक्कलेस्साए। अप्रशस्त-भावलेश्यासु सयतत्व नास्ति अस्य वृत्ती अभयदेवसूरिणा एतद् एतद्मतमनुसृत्य तैरेव पाठरचना कृता- व्याख्यातमस्ति--कषायकुशीलस्तु, षट्"कण्हलेस्सा ण भते । जीवा किं आयारभा ष्वपि सकषायमाश्रित्य (व)। परारभा तदुभयारभा अणारभा? । (३) प्रज्ञापनासूत्रे कृष्णलेश्यजीवस्य गोयमा ] आयारभा वि जाव नो मन पर्यवज्ञानस्य अस्तित्व प्रतिपादितम्अरणारभा। कण्हलेस्से ण भते ( जीवे कतिसु गाणेसु से केण?ण भते । एव वुच्चड ? होज्जा ? गोयमा , दोसु वा तिसु वा गोयमा । अविरइ पडुच्च" एव नील चउसु वा गाणेसु हुज्जा (प० १७१३)। अस्यागमस्य वृत्तिकृता सहेतुकमिदं कापोतलेश्यादडकावपीति । किन्तु अभयदेव व्याख्यातम्-इह लेश्याना प्रत्येकमसख्येयसूरिणामेतद्मत पर्यालोच्यमस्ति लोकाकाशप्रदेशप्रमाणानि अध्यवसाय(१) सूत्रकारेण 'पमत्ताप्पमत्ता न स्थानानि, तत्र कानिचिन्मदानुभावान्यध्यवभाणियव्वा' इति निर्देश कृत किन्तु सायस्थानानि, प्रमत्तसयतस्यापि लभ्यन्ते, अतएव कृष्ण-नील-कापोतलेश्या प्रमत्तसय'सजतासजता न भारिणयव्वा' इति न तस्यापि गीयन्ते (प्र०वृ)। सूचितम् । (२) कषायकुशीलसयता षट्सु लेश्यासु (४) प्रथमशतकस्य १०१ सूत्र द्रष्टव्यम् । भवन्ति । प्रस्तुतागमस्य २५ शतके षष्ठोद्देशे १ स० पा०-दसण पि एमेव । एतत् साक्षाल्लिखितमस्ति-कसायकुसीले २ स० पा.-एव तवे सजमे । पुच्छा । गोयमा । सलेस्से होज्जा यो ३ अस्सवुडे (ता)। अलेस्से होज्जा । जदि सलेस्से होज्जा से ण ४ अरणगारे किं (अ, ब) । Page #73 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई गोयमा । णो इणटे समढें ॥ ४५ से केणटेण' भते । एव वुच्चइ-असवुडे ण अणगारे नो सिझड, नो बुज्झड, नो मुच्चइ, नो परिनिव्वाइ°, नो सव्वदुक्खाण अत करेइ ? गोयमा । असवुडे अणगारे ग्राउयवज्जानो सत्त कम्मपगडी यो सिढिलवधणवद्धाओ धणियवधणवद्धानो पकरेइ, हस्सकालठिइयाओं दी हकालठिइयानो पकरेइ, मदाणुभावानो तिव्वाणुभावायो पकरेइ, अप्पपएसग्गाग्रो वहप्पएसग्गाग्रो पकरेइ, आउय च ण कम्म सिय बधड, सिय नो वंधड, अस्सायावेयणिज्ज च ण कम्म भुज्जो-भुज्जो उवचिणाड, अणाइय च ण अणवदग्ग' दीहमद्ध चाउरत' ससारकतार अणुपरियट्टइ। से तेणटेण गोयमा । असवुडे अणगारे नो सिज्झड, नो बुज्झड, नो मुच्चइ, नो परिनिव्वाइ, नो सव्वदुक्खाण अत करेइ॥ ४६ सवुडे ण भते । अणगारे सिज्झइ, बुज्झइ, मुच्चड, परिनिव्वाइ, सव्वदुक्खाण अत करेइ ? हता | सिज्झइ,' 'बुज्झइ, मुच्चड, परिनिव्वाड, सव्वदुक्खाण° अत करेइ ।। ४७ से केण?ण भते ! एव वुच्चइ-सवुडे ण अणगारे सिज्झइ, बुज्झइ, मुच्चइ, परिनिव्वाइ, सव्वदुक्खाण अत करेइ ? गोयमा | सवुडे अणगारे आउयवज्जाओ सत्त कम्मपगडीओ धणियबधणवद्धानो सिढिलवधणवद्धानो पकरेइ, दीहकालट्ठिइयाओ हस्सकालट्ठिइयानो पकरेइ, तिव्वाणुभावाप्रो मदाणुभावाप्रो पकरेइ, वहुप्पएसग्गाग्रो अप्पपएसग्गायो। पकरेइ , आउय च ण कम्म न वधइ, अस्सायावेयणिज्ज च ण कम्म नो भुज्जो-भुज्जो उवचिणाइ, अणादीय च ण अणवदग्ग दीहमद्ध चाउरत ससारकतार वीईवयई। से तेणतुण गोयमा | एव वुच्चइ-सवुडे अणगारे सिज्झइ", 'बुज्झइ, मुच्चइ, परिनिव्वाइ, सव्वदुक्खाण ° अत करेइ ।। असंजयस्स वाणमंतरदेव-पदं ४८ जीवे ण भते । अस्सजए अविरए अप्पडिहयपच्चक्खायपावकम्मे इनो चए पेच्चा" देवे सिया? गोयमा । प्रत्येगइए देवे सिया, अत्थेगइए णो देवे सिया ।। १ स० पा०—केणट्टेण जाव नो। ७ स० पा०-सिज्झइ जाव अत । २ ह्रस्म° (ता) , रहस्स ° (स)। ८ ० प्पग ० (स)। ३. ° भागोओ (ता, म)। ९ वीतीवतति (क, व, म)। ४ ° सयानो (क)। १० स० पा०-सिझड जाव अत । ५. अगवयग्ग (अ)। ११ पिच्चा (अ, क, व)। ६ चाउरत (व, म, स)। Page #74 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढम सतं (पढमो उद्देसो) ४६ से केणट्टेण' 'भते ! एव वच्चइ - अस्सजए अविरए अप्पsिहयपच्चक्खायपावकम्मे इस्रो चुए पेच्चा प्रत्येगइए देवे सिया, प्रत्येगइए नो देवे सिया ? गोयमा । जे इमे जीवा गामागर-नगर-निगम' - रायहाणि खेड - कब्बड-मडबदो मुह-पट्टणासम-सण्णिवेसेसु प्रकामतण्हाए, श्रकामछुहाए, अकामबभचेरवासेण, 'कामसीतातव - दस - मसग - अण्हाणग - सेय - जल्ल-मल-पक परिदाहेण 'अप्पतर वा भुज्जतर" वा काल अप्पाण परिकिलेसति, परिकिलेसित्ता कालमासे काल किच्चा ग्रण्णयरेसु वाणमतरेसु देवलोगेसु देवत्ताए उववत्तारो भवति ॥ ५०. केरिसा ण भते । तेसि वाणमतराण देवाण देवलोगा पण्णत्ता ? गोमा । से जहानामए इह ' ग्रसोगवणे इ वा, सत्तवण्णवणे' इ वा, चपयवणे इवा, चूयवणे इ वा, तिलगवणे इ वा, लज्यवर्णे' इवा, नग्गोहवणे' इवा, छत्तोहवणे" इ वा, असणवणे इ वा, सणवणे इ वा प्रयसिवणे इ वा, कुसुभवणे इ वा, सिद्धत्थवणे इ वा वधुजीवगवणे इ वा, णिच्च" कुसुमिय-माइय- लवइयथवइय-गुलुइय-गोच्छिय जमलिय"- जुवलिय- विणमिय-पणमिय-सुविभत्तपिडिमजरिवडेसगधरे " सिरीए अतीव श्रतीव उवसोभेमाणे उवसोभेमाणे चिट्ठइ | एवामेव" तेसि वाणमतराण देवाण देवलोगा जहणेण दसवाससहस्सट्ठिती एहि, उक्कोसेण पलिश्रोवमट्ठितीएहि, बहूहिं वाणमतरेहि देवेहि य देवीहि य इण्णा वितिकिणा" उवत्थडा सथडा फुडा प्रवगाढगाढा सिरीए प्रतीव प्रतीव उवसोभेमाणा-उवसोभेमाणा चिट्ठति । एरिसगा ण गोयमा । तेसि वाणमतराण देवाण देवलोगा पण्णत्ता, से तेणट्टेण . गोयमा । एव वुच्चइ - जीवे ण अस्सजए" अविरए अप्पsिहयपच्चक्खायपावकम्मे इस्रो चुए पेच्चा प्रत्येगइए • देवे सिया ॥ ० १ स० पा० - केरगट्ठे जाव इओ । २ नियम (ता) | ३ वृत्ती 'अकामसीतात व दस मसग' इति पाठो नास्ति व्याख्यात । ४ अकामअण्हारणग (क, वृ) 1 ५ ° तरो वा भुज्जतरो ( अ, ता, व, म), 'अप्पतरो वा भुज्जतरो वा काल' ति प्राकृतत्वेन विभक्तिविपरिणामादल्पतर वा भूयस्तर वा वहुतर कालं यावत् (वृ) | ६. इहं मणुस्सलोगसि (अ, क, ब, म, स) । ७ सत्ति (म) । o ८ ६ लाउय ० ( अ, क, ब, स ), लोअ° (म) | X ( अ, क, ता ), प्रत्यतरे - णिग्गोहवणे इवा ( अ ), गिगोह° ( स ) 1 छत्तोअ ० ( क ), छिन्नो ० ( ब ) ; x (म ), छन्नो ( स ) । X ( अ, क, ता, व ) । जमइय ( अ ) | १३ ० पेडि ० ( क ), ० वेण्टमजरि० (ता) । एवमेव (ता, म ) । १४ १५ वितिण्णा (क, व, वृपा), X (वृ) । १६ स० पा० - अस्सजए जाव देवे । १५ १० ११ १२ Page #75 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई १६ ५१ – सेव भते | सेव भते । त्ति भगव गोयमे समण भगव महावीर वदति नमसति, वदित्ता नमसित्ता सजमेण तवसा ग्रप्पाण भावेमाणे विहरति ॥ वीश्रो उद्देसो ५२ रायगिहे नगरे समोसरण । परिसा णिग्गया जाव' एव वयासी कम्म-वेयण-पदं ५३ जीवेण भते । सयकड दुक्ख वेदेइ ? गोयमा । प्रत्येगइय वेदेइ, प्रत्येगइय नो वेदे ॥ ? ५४ सेकेण े भते । एव वच्चइ - प्रत्येगइय वेदेइ ? प्रत्येगइय नो वेदेइ गोयमा । उदिण्ण वेदेइ, 'नो अणुदिण्ण" वेदेइ । से तेणट्टेण गोयमा । एव वुच्चइ - प्रत्येगइय वेदेइ, अत्येगइय नो वेदेइ ॥ ५५. एव' – जाव वेमाणिए || ५६. जीवा ण भते । सयकड दुक्ख वेदेति ? गोयमा । अत्येगइय वेदेति, प्रत्येगइय नो वेदेति ॥ - ५७ से केणद्वेण भते । एव बुच्चइ - प्रत्येगइय वेदेति ? प्रत्थेगइय नो वेदेति ? गोयमा । उदिण्ण वेदेति, नो अणुदिण्ण वेदेति । से तेणट्टेण गोयमा । एवं वुच्चइ - प्रत्येगइय वेदेति, प्रत्येगइय नो वेदेति ॥ ५८ एव - जाव वेमाणिया || ५६. जीवे ण भते । सयकड प्राउय वेदेइ ? गोयमा ! प्रत्येगइय वेदेइ, प्रत्येगइय नो वेदेइ । जहा ' दुक्खेण दो दडगा तहा आउएण वि दो दडगा - एगत्त - पोहत्तिया ॥ नेरइयादीणं समाहार-समसरीरादि-पदं ६०. नेरइया ण भते । सव्वे समाहारा ? सव्वे समसरीरा ? सव्वे समुस्सास - नीसासा" ? गोयमा । नो इणट्ठे समट्ठे ॥ १. भ० १1८-१० २ अरदिणं नो ( स ) 1 ३ एव चउव्वीसदडएरण ( स ) 1 ४ पू० प० २ । ५ भ० ११५३-५८ । ६ पोहत्तिया । एगत्तेण जाव वेमाणिया । पुह ते तहेव (व, म, स) 1 ७ ० रिगस्सासा (ता) | Page #76 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढमें सत (वीग्रो उद्देसो) ६१ से केण?ण भते । एव वुच्चइने रइया नो सव्वे समाहारा ? नो सव्वे सम सरीरा? नो सव्वे समूस्ससानीसासा ? गोयमा | नेरइया दुविहा पण्णत्ता, त जहा–महासरीरा य, अप्पसरीरा य । तत्थ ण जे ते महासरीरा ते वहुतराए पोग्गले आहारेति, बहुतराए पोग्गले परिणामेति', बहुतराए पोग्गले उस्ससति, बहुतराए पोग्गले नीससति , अभिक्खण आहारेति, अभिक्खण परिणामेति, अभिक्खण उस्ससति, अभिक्खणं नीससति । तत्थ ण जे ते अप्पसरीरा ते ण अप्पतराए पोग्गले आहारेति, अप्पतराए पोग्गले परिणामेंति, अप्पतराए पोग्गले उस्ससति, अप्पतराए पोग्गले नीससति, ग्राहच्च आहारेति, आहच्च परिणामेति, पाहच्च उस्ससति, आहच्च नीससति । से तेणद्वेण गोयमा ! एव वुच्चइ–ने रइया नो सव्वे समाहारा, नो सव्वे समसरीरा, नो सव्वे समुस्सासनीसासा ।। ६२ नेरइया ण भते । सव्वे समकम्मा ? गोयमा | नो इणढे' समढे ॥ ६३ से केणट्रेण भते । एव वुच्चइ-नेरइया नो सव्वे समकम्मा ? गोयमा । नेरइया दुविहा पण्णत्ता, त जहा-पुत्वोववन्नगा य, पच्छोववन्नगा य । तत्थ ण जे ते पूवोववन्नगा ते ण अप्पकम्मतरागा। तत्थ ण जेते पच्छोववन्नगा ते ण महाकम्मतरागा । से तेणटेण गोयमा । एव वुच्चइ-नेरइया नो सव्वे समकम्मा ।। ६४ नेरइया ण भते । सव्वे समवण्णा | गोयमा | नो इणढे समटे । ६५ से केण?ण भते । एव वुच्चइ-नेरइया नो सव्वे समवण्णा? गोयमा | नेरइया दुविहा पण्णत्ता, त जहा-पुन्वोववन्नगा य, पच्छोववन्नगा य । तत्थ ण जे ते पुव्वोववन्नगा ते ण विसुद्धवण्णतरागा। • तत्थ ण जे ते पच्छोववन्नगा ते ण अविसुद्धवण्णत रागा । से तेणतुण गोयमा । एव वुच्चइ-नेरइया नो सव्वे समवण्णा ॥ ६६ ,नेरइया ण भते । सव्वे समलेस्सा ? . गोयमा | नो इणद्वे समटे ।। ६७ से केणटेण” •भते । एव वुच्चइ–नेरझ्या नो सव्वे समलेस्सा ? गोयमा | नेरइया दुविहा पण्णत्ता, त जहा-पुत्वोववन्नगा य, पच्छोववन्नगा य । तत्थ ण जे ते पुव्वोववन्नगा ते ण विसुद्धलेस्सतरागा । तत्थ ण जे ते पच्छोववन्नगा १ परिणमति (ता)। २ तिणठे, (क म)। ३ स० पा०- तरागा तहेव । ४ स० पा-केणद्वेण जाव नो। Page #77 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७० भगवई ते ण अविसुद्धलेस्सतरागा । से तेण?ण गोयमा । एव वुच्चइ–नेरइया नो सव्वे समलेस्सा। ६८. नेरइया ण भते । सव्वे समवेयणा ? गोयमा | नो इणढे समढे । ६६. से केणटेण भते । एव वुच्चइ–नेरइया नो सव्वे समवेयणा ? गोयमा । नेरइया दुविहा पण्णत्ता, त जहा–सण्णिभूया य, असण्णिभूया य । तत्थ ण जे ते सण्णिभूया ते ण महावेयणा । तत्थ ण जे ते असण्णिभूया ते ण अप्पवेयणतरागा । से तेणटेण गोयमा । एव वुच्चइ-नेरइया नो सव्वे समवेयणा ॥ नेरइया ण भते ! सव्वे समकिरिया ? गोयमा | नो इणढे समढे । ७१ से केणद्वेण भते । एव वुच्चइ-ने रइया नो सव्वे समकिरिया ? गोयमा । नेरइया तिविहा पण्णत्ता, त जहा-सम्मदिट्ठी', मिच्छदिट्ठी, सम्मामिच्छदिट्ठी ।। तत्थ ण जे ते सम्मदिट्ठी तेसि ण चत्तारि किरियानो पण्णत्ताओ, त जहाप्रारभिया, पारिग्गहिया, मायावत्तिया, अप्पच्चक्खाणकिरिया ।। तत्थ ण जे ते मिच्छदिट्ठी तेसि ण पच किरियानो कज्जति , त जहा–आरभिया', 'पारिग्गहिया, मायावत्तिया, अप्पच्चक्खाणकिरिया , मिच्छादसणवत्तिया । एव सम्मामिच्छदिट्ठीण पि । से तेण₹ण गोयमा | एव वुच्चइ–नेरइया नो सव्वे समकिरिया ।। ७२ नेरइया ण भते । सव्वे समाउया ? सव्वे समोववन्नगा? गोयमा ! णो इणढे समढे ॥ ७३ से केणद्वेण भते । एव वुच्चइ---नेरइया नो सव्वे समाउया ? नो सव्वे समो ववन्नगा? गोयमा नेरइया चउव्विहा पण्णत्ता, त जहा-(१) प्रत्येगइया समाउया समोववन्नगा (२) अत्थेगइया समाउया विसमोववन्नगा (३) अत्येगइया विसमाउया समोववन्नगा (४) प्रत्येगइया विसमाउया विसमोववन्नगा। से तेण?ण गोयमा । एव वुच्चइ-नेरइया नो सव्वे समाउया, नो सम्वे समोव वन्नगा ॥ ७४ असुरकुमारा ण भते । सव्वे समाहारा' ? सब्बे समसरीरा ? १ नम्मा० (अ)। ४ किज्जति (अ, क, ब)। २ नम्मामिच्छा (ता, म)। ५ स० पा०-प्रारभिया जाव मिच्छा । ३. परि० (अ,म)। ६ ° हारगा (अ, ता, ब, म)। Page #78 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढम सतं (बीओ उद्देसो) जहा' नेरइया तहा. भाणियव्वा, नवर-कम्म-वण्ण-लेस्साओ परिवत्तेयव्वानो' [पूवोववन्ना महाकम्मतरा, अविसुद्धवण्णतरा, अविसुद्धलेसतरा। पच्छोववन्ना पसत्था । सेस तहेव] ॥ ७५ एव-जाव थणियकुमारा' ।। ७६ पुढ विकाइयाण आहार-कम्म-वण्ण-लेस्सा जहा" णेरइयाण ॥ ७७ पुढविकाइयाण भते ! सव्वे समवेदणा? हता गोयमा । पुढविकाइया सव्वे समवेदणा ॥ ७८ से केणद्वेण भते । एव वुच्चइ-पुढविकाइया सव्वे समवेदणा? गोयमा | पुढविकाइया सव्वे असण्णी असण्णिभूत' अणिदाए वेदण वेदेति । से तेणद्वेण गोयमा । एव वुच्चइ—पुढविकाइया सव्वे समवेदणा ॥ ७६ पुढविकाइया ण भते । सव्वे समकिरिया ? हता गोयमा | पुढविकाइया सव्वे समकिरिया ॥ ८० से केणद्वेण भते । एव वुच्चइ-पुढविकाइया सव्वे समकिरिया ? गोयमा | पुढविकाइया सव्वे मायीमिच्छदिट्ठी। ताण यतियानो" पच किरियायो कज्जति, त जहा-आरभिया", 'पारिग्गहिया, मायावत्तिया, अप्पच्चक्खाणकिरिया °, मिच्छादसणवत्तिया। से तेण?ण गोयमा | एव वुच्चइ—पुढविकाइया सव्वे समकिरिया ।। ८१ समाउया, समोववन्नगा जहा" नेरइया तहा भाणियव्वा ।। ८२ जहा" पुढविकाइया तहा जाव" चउरिदिया ।। ८३ पचिदियतिरिक्खजोणिया जहाणेरइया, नाणत्त किरियासु। ८४ पंचिदियतिरिक्खजोणिया ण भते । सव्वे समकिरिया ? गोयमा। णो इणढे समढे ॥ our m १ भ० ११६०-७३ । ७ भ० ११६०-६७ । २ परिवण्णेयवाओ (अ, क, व, स), परि- ८ ० क्काइया (क, ता, स)। त्यल्लेयव्वाओ (ता), परित्थरणोतव्वाओ ६ असण्णी य (अ, ब)। (म), कर्मादीनि नारकापेक्षया विपर्ययेण १० असण्णीभूय (ता, स)। वाच्यानि (वृ)। ११ मायामिच्छ ° (अ), मायीमिच्छा (ता), ३ अ, क, ता, स एषु चतुर्यु आदर्शषु असौ मायामिच्छा° (म)। कोष्ठकवर्ती पाठो नास्ति । व, म सके- १२ एतियाओ (ता), णियइयाओ (स)। तितयोरादर्शयोरसो लभ्यते। असौ च १३ सं० पा०—आरंभिया जाव मिच्छा। व्याख्याशोस्ति तेन कोष्ठके गृहीत । १४ भ० ११७२, ७३ । ४ पू०प०२। १५ भ० ११७६-८१ । ५ ° कुमारा ण (अ, क, ता, व, म, स)। १६ पू० प० २। ६ ° कातिया (म)। १७ भ० १२६०-६६, ७२, ७३ । Page #79 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ८५ से केणटेण भते । एव वुच्चइ-पचिदियतिरिक्खजोणिया नो सब्बे समकिरिया ? गोयमा । पचिदियतिरिक्खजोणिया तिविहा पण्णत्ता, त जहा-सम्मदिट्ठी, मिच्छदिट्ठी, सम्मामिच्छदिट्ठी। तत्थ ण जे ते सम्मदिट्ठी ते दुविहा पण्णत्ता, त जहा--असजया य, सजयासजया य । तत्थ ण जे ते सजयासजया, तेसि ण तिण्णि किरियानो कज्जति, तं जहाप्रारभिया, पारिग्गहिया, मायावत्तिया । असजयाण चत्तारि । मिच्छदिट्ठीण पच । सम्मामिच्छदिट्ठीण पच ।। मणुस्सादीणं समाहार-समसरीरादि-पदं ८६ 'मणुस्सा ण भते । सव्वे समाहारा ? सव्वे समसरीरा ? सव्वे समुस्सासनीसासा? गोयमा | नो इणढे समढे ।। ८७ से केणट्रेण भते । एव वुच्चइ--मणुस्सा नो सव्वे समाहारा ? नो सब्वे समसरीरा? नो सव्वे समुस्सासनीसासा ? गोयमा । मणुस्सा दुविहा पण्णत्ता, त जहा~महासरीरा य, अप्पसरीरा य। तत्थ ण जे ते महासरीरा ते वहुतराए पोग्गले आहारेति, बहुतराए पोग्गले परिणामेति, बहुतराए पोग्गले उस्ससति, बहुतराए पोग्गले नीससति; आहच्च आहारेति, ग्राहच्च परिणामेति, ग्राहच्च उस्ससति, पाहच्च नीससति । तत्थ ण जे ते अप्पसरीरा ते ण अप्पतराए पोग्गले आहारेति, अप्पतराए पोग्गले परिणामेति, अप्पतराए पोग्गले उस्ससति, अप्पतराए पोग्गले नीससति, अभिक्खण आहारेति, अभिक्खण परिणामेति, अभिवखण उस्ससति, अभिक्खण नीससति । से तेणद्वेण गोयमा । एव वुच्चइ-मणुस्सा नो सव्वे समाहारा, नो सव्वे समसरीरा, नो सव्वे समुस्सासनीसासा। ८८ मणुस्सा ण भते । सव्वे समकम्मा ? गोयमा । नो इणढे समढें ॥ ८९ से केणद्वेण भते । एव वुच्चइ-मणुस्सा नो सव्वे समकम्मा ? गोयमा मणुस्सा दुविहा पण्णत्ता, त जहा-पुवोववन्नगा य, पच्छोववन्नगा य। तत्थ ण जे ते पुव्वोववन्नगा ते ण अप्पकम्मतरागा। तत्थ ण जे ते पच्छोववन्नगा ते ण महाकम्मतरागा । से तेण?ण गोयमा । एवं वुच्चइ-मणुस्सा नो सवे समकम्मा।। १ स० पा०-मणुस्सा जहा गेरइया नाणत्तं जे महासरीरा ते वहुतराए पोग्गले आहारेति आहच्च आहारैति । जे अप्पसरीरा ते अप्प तराए पोग्गले आहारेंति अभिक्खरण आहारेति सेस जहा नेरइयाण जाव वेयणा। Page #80 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढम सत (बीओ उद्देसो) ९० मणुस्सा ण भते । सव्वे समवण्णा गोयमा । नो इणट्ठे समट्ठे ॥ ? ? ६१ सेकेणट्टेण भते । एव वुच्चइ - मणुस्सा नो सव्वे समवण्णा गोमा | मणुस्सा दुविहा पण्णत्ता, त जहा - पुव्वोववन्नगा य, पच्छोववन्नगा य । तत्थ ण जे ते पुव्वोववन्नगा ते ण विसुद्धवण्णतरागा । तत्थ ण जे ते पच्छोववन्नगा ते ण अविसुद्धवण्णतरागा । से तेणट्टेण गोयमा । एव वुच्धइ - मणुस्सा नो सव्वे समवण्णा ॥ ९२ मणुस्सा ण भते । सव्वे समलेस्सा ? गोमा | तो इणट्टे समट्ठे ॥ ६३ सेकेणट्टेण भते । एव वुच्चइ – मणुस्सा नो सव्वे समलेस्सा ? २१ गोयमा । मणुस्सा दुविहा पण्णत्ता, त जहा - पुव्वोववन्नगा य, पच्छोववन्नगा य । तत्थ ण जे ते पुव्वोववन्नगा ते ण विसुद्ध लेस्सतरागा । तत्थ ण जे ते पच्छोववन्नगा ते ण अविसुद्ध लेस्सतरागा । से तेणट्टेण गोयमा । एव वुच्चइ - मणुस्सा नो सव्वे समस्सा ॥ ६४ मणुस्सा ण भते । सव्वे समवेयणा ? गोयमा । नो इणट्टे समट्ठे ॥ ६५. से केणट्टेण भते । एव वुच्चइ - मस्साणु नो सव्वे समवेयणा ? गोमा | मणुस्सा दुविहा पण्णत्ता, त जहा—सण्णिभूया य, असण्णिभूयाय । तत् णजे ते सण्णभूया तेण महावेयणा । तत्थ ण जे ते प्रसण्णिभूया ते ण अप्पवेयणतरागा । से तेणट्टेण गोयमा ! एव वच्चइ - मणुस्सा नो सव्वे समवेयणा ॥ ६६ मणुस्सा ण भते । सव्वे समकिरिया ? O गोयमा । नो इणट्टे समट्ठे ॥ ९७ सेकेणट्टेण भते ! एव वुच्चइ - मणुस्सा नो सव्वे समकिरिया ? गोयमा । मस्सा तिविहा पण्णत्ता, त जहा सम्मदिट्ठी, मिच्छदिट्ठी, सम्मामिच्छदिट्ठी । तत्थ ण जे ते सम्म दिट्ठी ते तिविहा पण्णत्ता, त जहा --सजया, अस्सजया, सजयासजया । तत्थ ण जे ते सजया ते दुविहा पण्णत्ता, त जहा – सरागसजया य, वीतराग सजया य । तत्थ ण जे ते वीतरागसजया, ते ण प्रकिरिया । तत्य ण जे ते सरागसजया ते दुविहा पण्णत्ता, त जहा - पमत्तसजया य, अप्पमत्त सजया य । तत्थ ण जे ते अप्पमत्तसजया, तेसि ण एगा मायावत्तिया किरिया कज्जइ । Page #81 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवः तत्थ ण जे ते पमत्तसजया, तेसि ण दो किरियानो कज्जति, त जहा--प्रारंभिया य, मायावत्तयिा य। तत्थ ण जे ते संजयासजया, तेसि ण आइल्लायो' तिण्णि किरियाग्रो कज्जति, त जहा-प्रारभिया, पारिग्गहिया, मायावत्तिया । असंजयाण चत्तारि किरियानो कज्जति–पारभिया पारिग्गहिया, मायावत्तिया, अप्पच्चक्खाणकिरिया। मिच्छट्ठिीण पच-प्रारभिया, पारिग्गहिया, मायावत्तिया, अप्पच्चवखाणकिरिया, मिच्छादसणवत्तिया। सम्मामिच्छदिट्ठीण पच ॥ १८. मणुस्सा' ण भते । सव्वे समाउया ? सव्वेसमोववन्नगा? गोयमा । नो इणढे समढे ॥ ६६. से केणटेणं भते । एव वुच्चइ-मणुस्सा नो सव्वे समाज्या ? नो सव्वे समो ववन्नगा? गोयमा मणुस्सा चउव्विहा पण्णत्ता, त जहा-(१) अत्येगइया समाउया समोववन्नगा। (२) प्रत्येगइया समाउया विसमोववन्नगा। (३) अत्यंगडया विसमाउया समोववन्नगा। (४) प्रत्येगइया विसमाउया विसमोववन्नगा । से तेण?ण गोयमा ! एव वुच्चइ-मणुस्सा नो सब्वे समाउया, नो सव्वे समो ववन्नगा। १०० वाणमतर-जोतिस-वेमाणिया जहा असुरकुमारा, नवर-वेयणाए णाणत्त मायिमिच्छदिट्ठीउववन्नगा य अप्पवेयणतरा, अमायिसम्मदिदिउववन्नगा य महावेयणतरा भाणियव्वा जोतिसवेमाणिया । १ आदिमाओ (क, ता, म)। स्ति, यथा-वारणमतरा णं जहा असुर२ ८६ सूत्रस्य पादटिप्पणगते समर्पणपाठे 'सेस कुमारा रण। जहा नेरइयाण जाव वेयणा' इति उल्लेखो- ___ एव जोइसिय-वेमाणियाण वि। रणवर स्ति, अतोनन्तर क्रियासूत्र नैरयिकसूत्राला- ते वेदणाए दुविहा पण्णत्ता, त जहा--माइपकाद् भिन्नमस्ति तेन समर्पणपाठे तद् ग्रहण मिच्छद्दिट्ठिउववण्णगा य, अमाइसम्मट्ठिीन कृतम् । समायुषः सूत्र क्रिया सूत्रात् अग्रे उववण्णगा य । तत्थ ण जे ते माइमिच्छवर्तते, किन्तु तद् नरयिकसूत्रालापकाद् भिन्न ट्ठिोववण्णगा ते रण अप्पवेदरणतरागा। नास्ति तेन पूर्ववतिसमर्पणपाठेनैव तस्य ग्रहण तत्थ रण जे ते अमाइसम्मदिट्ठोववण्णगा ते ण कृतमिति सभाव्यते । तदस्माभि साक्षाल्लि- महावेदणतरागा। खितम् । ४ भ० ११७४। ३ प्रज्ञापनाया (१७।१) अस्य रचना सुस्पष्टा Page #82 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढमं सत (बीओ उद्देसो) १०१. सलेस्सा ण भते । नेरइया सव्वे समाहारगा ? ओहियाण', सलेस्साण, सुक्कलेस्साण - एतेसि ण तिह एक्को गमो । कण्हलेस्स े-नीललेस्साण पि एगो' गमो, नवर-- वेदणाए मायिमिच्छदिट्ठीउववनगा य, माथिसम्मदिट्ठीउववन्नगा य भाणियव्वा । मस्सा किरिया सराग- वीयरागा पमत्तापमत्ता न भाणियव्वा । काउलेस्साण वि एसेव* गमो, नवर - नेरइइ जहा प्रहिए दडए तहा भाणि यव्वा । तेउलेस्सा, पम्हलेस्सा 'जस्स प्रत्थि " जहा ओहिओ दडओ तहा भाणियव्वा, नवर - मणुस्सा सराग- वीयरागा न भाणियव्वा । संग्रहणी - गाहा दुक्खाउए उदिणे, आहारे कम्म-वण्ण-लेस्सा य । समवेयण-समकिरिया, समाउए चेव बोधव्वा ||१|| लेस्सा-पदं १०२. कइ ण भते । लेस्साओ पण्णत्ताओ ? गोयमा ! छ लेस्साओ पण्णत्ता, त जहा - कण्हलेस्सा, नीललेस्सा, काउलेस्सा, तेउलेस्सा, पम्हलेस्सा, सुक्कलेस्सा । लेस्साण वीग्रो उद्देसो भाणियव्वो जाव' इड्ढी || जीवाणं भवपरिवट्टण-पदं १०३ जीवस्स ण भते । तीतद्धाए आदिट्ठस्स कइविहे ससारसचिट्ठणकाले पण्णत्ते ? गोयमा । चउव्विहे ससारसचिट्ठणकाले पण्णत्ते, त जहा - नेरइयससारसचिट्ठकाले, तिरिक्खजोणियससारस चिट्टणकाले, मणुस्सससारसचिट्ठणकाले, देवससारसचिणकाले ' ॥ १०४ नेरइयसंसारचिट्ठणकाले" ण भते । कतिविहे पण्णत्ते ? 1 गोयमा । तिविहे पण्णत्ते, त जहा – सुन्नकाले, सुन्नकाले, मिस्सकाले || १०५ तिरिक्खजोणियसंसार" सचिट्टिणकाले ण भते । कतिविहे पण्णत्ते • ? गोमा । दुविहे पण्णत्ते, त जहा - प्रसुन्नकाले य, मिस्सकाले य ।। ० ०भ० ११६०-७३ | १ पू० - २ ० लेस्सा (ता, म ) । ३ एसो ( अ, ता, व ) । ४ एसोव ( अ ) । ५ जस्सत्थि (क, ता, व ) । ६ बोद्धव्वा (क, ता, म ) | 4 ७ वीयओ ( अ, व, स ), वितिओ ( क ) । ५ प० १७।२ । € २३ १० ११ ० काले प ( अ, क, ता, व, म, स) । नेरइयाण ० ( अ, व, स ) 1 ० जोरिससार ० ( अ, क, ता, व, म), o 1 स० पा०-- ० ससारपुच्छा । Page #83 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २४ १०६ ० मणुस्ससंसारसंचिट्ठणकाले णं भते । कतिविहे पण्णत्ते ? 1 गोयमा । तिविहे पण्णत्ते, त जहा - सुन्नकाले, सुन्नकाले, मिस्सकाले ॥ १०७ देवससारसचिट्ठणकाले ण भते । कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा । तिविहे पण्णत्ते, त जहा - सुन्नकाले, सुन्नकाले, मिस्सकाले ० 11 १०८ एतस्स ण भते । नेरइयससारसचिट्ठण कालस्स - सुन्नकालस्स, ग्रसुन्नकालस्स, मीसकालस्स' य कयरे कयरेहितो अप्पे वा ? वहुए वा ? तुल्ले वा ? विसेसाहिए वा ? गोयमा । सव्वत्थोवे असुन्नकाले, मिस्सकाले ग्रणतगुणे, सुन्नकाले ग्रणतगुणे ॥ १०६ तिरिक्खजोणियाण सव्वत्थोवे ग्रसुन्नकाले, मिस्सकाले प्रणतगुणे ॥ ११० मणुस्स देवाण या सव्वत्थोवे असुन्नकाले, मिस्सकाले श्रणतगुणे, सुन्नकाले गुणे ॥ १११ एयस्स ण भते । नेरइयससारसचिट्ठणकालस्स', 'तिरिक्खजोणियससारसचिट्ठणकालस्स, मणुस्सससारसचिट्ठणकालस्स, देवससारसंचिट्टणकालस्स कयरे करेहितो अप्पे वा ? वहुए वा ? तुल्ले वा ? ० विसेसाहिए वा ? गोयमा । सव्वत्थोवे मणुस्सससारसचिट्ठणकाले, नेरइयससारसचिट्टणकाले असखेज्जगुणे, देवससारस चिट्ठणकाले ग्रसखेज्जगुणे, तिरिक्खजोणियससारसचिगुणे ॥ भगवई अंत किरियापदं ११२ जीवेण भते । तकिरिय करेज्जा ? गोयमा ' प्रत्थेगइए करेज्जा, अत्थेगइए नो करेज्जा । प्रतकिरियापय' नेयव्व । ११३ ग्रह भते । असजयभवियदव्वदेवाण, अविराहियसजमाण, विराहियसजमाण, अविराहियसजमासजमाण, विराहियसजमासजमाण, असण्णीण, तावसाण, कदप्पियाण, चरग-परिव्वायगाण, किव्विसियाण, तेरिच्छियाण', ग्राजीवियाण ग्रभिनोगियाण', सलिगीण दसणवावण्णगाण - एतेसि ण देवलोगेसु उववज्जमाणा कस्स कहिं उववाए पण्णत्ते ? गोयमा ! असजयभवियदव्वदेवाण जहण्णेण भवणवासीसु, उक्कोसेण उवरिमगेवेज्जएसु । ग्रविराहियसजमाण जहण्णेण सोहम्मे कप्पे, उक्कोसेण सव्वट्टसिद्धे विमाणे । विराहियसजमाण जहण्णेण भवणवासीसु, उक्कोसेण सोहम्मे कप्पे । १ स० पा० - मगुस्सारण य देवारण य जहा नेरइयाण | २ मीसा (ता, व, म) 1 ३ सं० पा०य जहा नेरइयाणं । ४ सं० पा० ° कालस्स जाव देवसंसार जाव विसेसाहिए । ५ प०२० । ६ तेरच्छियारण ( अ, व, स ) । ७ आभियोगियारण ( अ, व, म), आभोगियाण (स) । Page #84 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढम सत (बीओ उद्देसो) अविराहियसजमासजमाण जहण्णेण सोहम्मे कप्पे, उक्कोसेण अच्चुए कप्पे । विराहियसजमासजमाण जहण्णण भवणवासीसु, उक्कोसेण जोइसिएसु । असण्णीण जहण्णेण भवणवासीसु, उक्कोसेण वाणमतरेसु। अवसेसा सव्वे जहण्णेण भवणवासीसु, उक्कोसेण वोच्छामितावसाण जोतिसिएसु, कदप्पियाण सोहम्मे कप्पे, चरग-परिव्वायगाण बभलोए कप्पे, किदिवसियाण लतगे कप्पे, तेरिच्छियाण सहस्सारे कप्पे, आजीवियाण अच्चुए कप्पे, आभिनोगियाण अच्चुए कप्पे, सलिंगीण दसणवावन्नगाण उवरि मगेविज्जएसु ।। असण्णि -पाउय-पदं ११४ कतिविहे ण भते । असण्णिाउए पण्णत्ते ? गोयमा । चउविहे असण्णिाउए पण्णत्ते, त जहानेरइयअसण्णिाउए', तिरिक्खजोणियअसण्णिग्राउए, मणुस्सअसण्णिग्राउए, देवप्रसण्णिग्राउए ।। ११५ असण्णी ण भते । जीवे कि नेरइयाउय पकरेइ ? तिरिक्खजोणियाउय पकरेइ ? मणुस्साउय पकरेइ ? देवाउय पकरेइ ? हता गोयमा | नेरइयाउय पि पकरेइ, तिरिक्खजोणियाउय पि पकरेइ, मणुस्साउय पि पकरेइ, देवाउय पि पकरेइ । नेरइयाउय पकरेमाणे जहण्णेण दस वाससहस्साइ, उक्कोसेण पलिअोवमस्स असखेज्जइभाग पकरेइ। तिरिक्खजोणियाउय पकरेमाणे जहण्णेण अतोमुहत्त, उक्कोसेण पलिग्रोवमस्स असंखेज्जइभाग पकरेइ । मणुस्साउय' •पकरेमाणे जहण्णेण अतोमुहत्त, उक्कोसेण पलिअोवमस्स असखेज्जइभाग पकरेइ । देवाउय पकरेमाणे जहण्णेण दस वाससहस्साइ, उक्कोसेण पलिग्रोवमस्स असखेज्जइभाग पकरेइ ।। ११६ एयस्स ण भते । नेरइयग्रसण्णिग्राउयस्स, तिरिक्खजोणियअसण्णिाउयस्स, मणुस्सअसण्णिग्राउयस्स, देवप्रसण्णिआउयस्स कयरें कयरेहितो अप्पे वा ? बहुए वा ? तुल्ले वा° ? विसेसाहिए वा ? गोयमा । सव्वत्थोवे देवप्रसण्णिग्राउए, मणुस्सअसण्णिग्राउए असखेज्जगुणे, तिरिक्खजोणियअसण्णिग्राउए असखेज्जगुणे, नेरइयअसण्णिग्राउए असखेज्जगुणे। ११७ सेव भते । सेव भते । १. उक्कोसग (क, ता, ब, म, स)। ४ स० पा०-कयरे जा २ नेरइयस्स ० (ता)। ५ सखेज्ज° (अ, क, ब, म) । ३ स० पा.-मरणस्साउए वि एव चेव, देवा ६ भ० ११५१ । जहा नेरइया। Page #85 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई तइनो उद्देसो फंखामोहणिज्ज-पवं ११८ जीवाण भते । कखामोहणिज्जे कम्मे कडे ? हता कडे ॥ ११६ से भते । किं १ देसेण देसे कडे ? २ देसेण सव्वे कडे ? ३ सब्वेण देसे कडे ? ४ सव्वेण सव्वे कडे ? गोयमा । १ नो देसेण देसे कडे २ नो देसेण सव्वे कडे ३ नो सव्वेण देसे कडे ४. सव्वेण सव्वे कडे ।। १२० नेरइयाण भते । कखामोहणिज्जे कम्मे कडे ? हता कडे' ।। •से भते ! किं १. देसेण देसे कडे ? २ देसेण सव्वे कडे ? ३ सव्वेण देसे कडे ? ४ सव्वेण सव्वे कडे ? गोयमा ! १ नो देसेणं देसे कडे २ नो देसेण सव्वे कडे ३ नो सब्वेण देसे कडे ४ सव्वेण सव्वे कडे ।। १२२. एवं जाव' वेमाणियाण दडो भाणियन्वो ॥ १२३. जीवा ण भते । कखामोहणिज्ज कम्म करिसु ? हंता करिसु ॥ १२४ त भते ! किं १ देसेणं देस करिसु ? २ देसेण सव्व करिसु ? ३. सव्वेण देस करिसु ? ४ सव्वेणं सव्व करिसु ? गोयमा | १ नो देसेण देस करिसु २ नो देसेण सव्वं करिसु ३. नो सब्वेण देस करिंसु । ४ सव्वेण सव्व करिसु ।। १२५ एएण अभिलावेण दडओ भाणियन्वो, जाव' वेमाणियाण ॥ १२६ एवं करेति । एत्थ वि दडओ जाव वेमाणियाणं ।। १२७ एव करिस्सति । एत्थ वि दडओ जाव' वेमाणियाण ॥ १२८ एव चिए, चिणिसु, चिणति, चिणिस्सति । उवचिए, उवचिणिसु, उवचिणति, उवचिणिस्सति । उदीरेसु, उदीरेति, उदीरिस्सति । वेदेसु, वेदेति, वेदिस्सति । निज्जरेसु, निज्जरेति, निज्जरिस्सति । संगहणी-गाहा कड-चिय-उवचिय, उदीरिया वेदिया य निज्जिण्णा । आदितिए चउभेदा, तियभेदा पच्छिमा तिण्णि ॥१॥ १ स० पा०कडे जाव सव्वेण । ३, ४, ५ पू० प० २ । २. पू०प०२। Page #86 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २७ पढम सत (तइओ उद्देसो) १२६. जीवा ण भते । कखामोहणिज्ज कम्मं वेदेति ? हता वेदेति ॥ १३० कहण्ण' भते । जीवा कखामोहणिज्ज कम्म वेदेति ? गोयमा । तेहि तेहि कारणेहि सकिया, कखिया, वितिगिछिया', भेदसमावन्ना, कलुससमावन्ना-एव खलु जीवा कखामोहणिज्ज कम्म वेदेति ।। सद्धा-पद १३१ से नूण भते । तमेव सच्च णीसक, ज जिणेहि पवेइय ? हता गोयमा । तमेव सच्च णीसक, ज जिणेहि पवेइय ।। १३२ से नूण भते । एव मण धारेमाणे, एव पकरेमाणे, एव चिट्ठमाणे, एव सवरे माणे आणाए आराहए भवति ? हता गोयमा ! एव मण धारेमाणे एव पकरेमाणे, एव चिह्रमाणे, एव सवरे माणे आणाए पाराहए भवति ।। अस्थि-नत्थि-पद १३३ से नूण भते । अत्थित्त अत्थित्ते परिणमइ ? नत्थित्त नत्थित्ते परिणमइ ? हता गोयमा| 'अत्थित्त अत्थित्ते परिणमइ । नत्थित्त नत्थित्ते परिणमइ । १३४ ‘ज ण भते । अत्थित्त अत्थित्ते परिणमइ, नत्थित्त नत्थित्ते परिणमइ, त कि पयोगसा ? वीससा ? गोयमा । पयोगसा वि त [अत्थित्त अत्थित्ते परिणमइ, नत्थित्त नत्थित्ते परिणमइ]। वीससा वि त [अत्थित्त अत्थित्ते परिणमइ, नत्थित्त नत्थित्ते परिणमइ ] ॥ १३५ जहा ते भते । अत्थित्त अत्थित्ते परिणमइ, तहा ते नत्थित्त नत्थित्ते परिणमइ ? जहा ते नत्थित्त नत्थित्ते परिणमइ, तहा ते अस्थित्त अत्थित्ते परिणमइ ? हता गोयमा । जहा मे अत्थित्त अत्थित्ते परिणमइ, तहा मे नत्थित्त नत्थित्ते परिणमइ। जहा मे नत्थित्त नत्थित्ते परिणमइ, तहा मे अत्थित्त अत्थित्ते परिणमइ ।। १३६. से नूण भते । अत्थित्त अत्थित्ते गमणिज्ज ? नत्थित्त न त्थित्ते गमणिज्ज ? हता गोयमा अत्थित्त अत्थित्ते गमणिज्ज । नत्थित्त नत्थित्ते गमणिज्ज । १ कह ण (क), कह ण (ब, स)। ५ त (अ, ब, स), X (ता) । २ वितिगछिया (अ, ब, स), विति गिच्छिता ६, ७ कोष्ठकवत्तिपाठ व्याख्याशोस्ति । (क), वितिकिछिगा (म)। ८. स० पा०-जहा परिणमइ दो आला३ स० पा०-धारेमाणे जाव भवति । वगा तहा गमणिज्जेण वि दो आलावगा ४ स० पा०-गोयमा जाव परिणमइ । भाणियव्वा जाव तहा । Page #87 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २८ भगवई १३७ ज ण भते ! अत्थित्त अत्थित्ते गमणिज्ज, नत्थित्त नत्यित्ते गमणिज्ज, त कि पयोगसा ? वीससा ? गोयमा । पयोगसा वि त [अत्थित्त अत्थित्ते गमणिज्ज, नत्थित्त नत्थित्ते गमणिज्ज] । वीससा वि त [अत्थित्त अत्थित्ते गमणिज्ज, नत्यित्त नत्यित्ते गमणिज्जा । १३८ जहा ते भते । अत्थित्त अत्थित्ते गमणिज्ज, तहा ते नत्थित्त नत्थित्ते गमणिज्ज ? जहा ते नत्थित्त नत्थित्ते गमणिज्ज, तहा ते अत्थित्त अत्थित्ते गमणिज्ज ? हता गोयमा ! जहा मे अत्थित्त अत्थित्ते गमणिज्ज, तहा मे नत्यित्त नत्यित्ते गमणिज्ज। जहा मे नत्थित्त नत्थित्ते गमणिज्ज°, तहा मे अत्थित्त अत्थित्ते गमणिज्ज ।। भगवनो समता-पदं १३६ जहा ते भते । एत्थ गमणिज्ज, तहा ते इह गमणिज्ज ? जहा ते इह गमणिज्जं, तहा ते एत्थ गमणिज्ज ? हता गोयमा ! जहा मे एत्थ गमणिज्ज', 'तहा मे इह गमणिज्जं । जहा मे इह गमणिज्ज°, तहा मे एत्थ गमणिज्ज । कखामोहणिज्जस्स बधादि-पद १४० जीवा ण भते ! कखामोहणिज्ज कम्म वधति ? हता वधति ॥ १४१ कहण्ण' भते ! जीवा कखामोहणिज्ज कम्म बधति ? गोयमा | पमादपच्चया, जोगनिमित्त' च ॥ १४२ से ण भते । पमादे किपवहे ? गोयमा ! जोगप्पवहे ॥ १४३. से ण भते । जोए किंपवहे ? गोयमा ! वीरियप्पवहे ।। १४४. से णं भते | वीरिए किंपवहे ? गोयमा ! सरीरप्पवहे ॥ १४५ से ण भते । सरीरे किंपवहे ? गोयमा ! जीवप्पवहे ।। १४६ एव सति अत्थि उट्ठाणेइ वा, कम्मेइ वा, वलेइ वा, वीरिएइ वा, परिसक्कार परक्कमेइ वा ॥ १. स० पा०-मणिज्ज जाव तहा । २. कह ण (अ)। ३ °निमित्तय (क)। ४ किंपभवे (क, वृपा) सर्वत्र । Page #88 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढम सत (तइओ उद्देसो) १४७ से नूण भंते । ग्रप्पणा चेव उदीरेति सवरेति' ? हता गोयमा ! अप्पणा चेव' उदीरेति । ग्रप्पणा चेव गरहति । प्रप्पणा चेव संवरेति ॥ O १४८ ' जण " भते । ग्रप्पणा चेव उदीरेति, अप्पणा चेव गरहति, अप्पणा चेव सवरेति, त किं - १. उदिण्ण उदीरेति ? २ अणुदिण्ण उदीरेति ? ३ अणुदिण्ण उदीरणाभविय कम्म उदीरेति ? ४. उदयाणतरपच्छाकड कम्म उदीरेति ? गोयमा ! १. नो उदिण्ण उदीरेति । २ नो ग्रणुदिण्णं उदीरेति । ३ अणुदिण्ण उदीरणाभवियं कम्म उदीरेति । ४ नो उदयाणतरपच्छाकड' कम्म उदीरेति ॥ ? पणा व गरहति ? १४६ जण भते | अणुदिष्ण उदीरणाभविय कम्म उदीरेति, त कि उट्ठाणेण, कम्मेण, वलेण, वीरिएण, पुरिसवकार - परवकमेण अणुदिष्ण उदीरणाभविय कम्म उदीरेति ? उदाहु त अणुट्ठाणेण श्रकम्मेण, अबलेण, अवीरिएण, अपुरिसवकारपरक्कमेण अणुदिण्ण उदीरणाभविय कम्म उदीरेति ? गोयमा ! त उट्ठाणेण वि, कम्मेण वि, बलेण वि, वीरिएण वि, पुरिसक्कारपरक्कमेण वि अणुदिण्ण उदीरणाभविय कम्म उदीरेति । णो त अणुट्ठाण, श्रकम्मेण, अबलेण, अवीरिएण, अपुरिसक्कारपरक्कमेण प्रणुदिण्ण उदीरणाभविय कम्म उदीरेति ॥ १५० एव सति ग्रत्थि उट्ठाणेइ वा, कम्मेइ वा, बलेइ वा, वीरिएइ वा, पुरिसक्कारपरक्कमेइ वा ।। ४ उदयअरणतर ( अ, क, ता, व, स ) । ५ स० पा० - एत्थ वि तह चेव भारिणयव्व, नवर अणुदिण्ण उवसामेइ सेसा पडिसेहे - यव्वा तिण्णि । ज तं मते । अणूदिण्ण २६ अप्पणा चेव ? १५१ से नूण भते । अप्पणा चेव उवसामेइ अप्पणा चेव अप्पणा चेव सवरेइ ? हता गोयमा । "अप्पणा चेव उवसामेइ । अप्पणा चेव गरहइ । प्रप्पणा चेव सवरेइ ।। ? गरहइ १. सवरइ ( अ, व, म, स ) । उवसामेइ त किं उट्ठाणेण जाव पुरिसक्कारपरक्कमे इ वा । से २ स० पा०त चेव उच्चारेतव्व । 1 नू भ अप्परगा चेव ३ त ( अ, क, ता, व, म, स), क्वचित्प्रयुक्त - वेदेइ अप्पणा चेव गरहइ एत्थ वि सच्चेव प्रत्याधारेण स्वीकृतोऽसौ पाठ । परिवाडी, नवर उदिण्ण वेदेइ नो अणुदिण्ण वेदेइ एव जाव पुरिसक्कार -परक्कमे इ वा । से नूरण भते । अप्परगा चेव निज्जरेइ अप्प ° एत्थ वि सच्चेव परिवाडी, नवर उदयअरणतरपच्छाकड़ कम्म निज्जरेइ एव जाव परक्कमेइ वा । Page #89 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३० ५३ भगवई १५२. ज ण भते । अप्पणा चेव उवसामेड, अप्पणा चेव गरहति, अप्पणा चेव सवरेति, त कि-१. उदिण्ण उवसामेइ ? २ अणुदिण्ण उवसामेइ ? ३. अणुदिण्ण उदोरणाभविय कम्म उवसामेइ ? ४. उदयाणतरपच्छाकड कम्म उवसामेइ ? गोयमा । १ नो उदिण्ण उवसामेइ । २ अणुदिण्ण उवसामेड। ३ नो अणुदिण्ण उदीरणाभविय कम्म उवसामेइ। ४ नो उदयाणतरपच्छाकड कम्म उवसामेइ ॥ ज ण भते । अणुदिण्ण उवसामेइ, त कि उट्ठाणेण, कम्मेण, वलेण, वीरिएण, पुरिसक्कार-परवकमेण अणुदिण्ण उवसामेइ ? उदाहु त अणुट्ठाणेण, अकम्मेण, अवलेण, अवीरिएण, अपूरिसक्कारपरक्कमेण अणुदिण्ण उवसामेइ ? गोयमा । त उदाणेण वि, कम्मेण वि, वलेण वि, वीरिएण वि, पूरिसक्कारपरवकमेण वि अणुदिण्ण उवसामेइ । णो त अणट्ठाणेण, अकम्मेण, अवलेण, अवीरिएण, अपुरिसक्कारपरक्कमेण अणुदिण्ण उवसामेइ ।। १५४ एव सति अत्थि उट्ठाणेइ वा, कम्मेइ वा, वलेइ वा, बोरिएइ वा, पुरिसक्कार परक्कमेइ वा ॥ १५५ से नूण भते | अप्पणा चेव वेदेति ? अप्पणा चेव गरहति ? हता गोयमा । अप्पणा चेव वेदेति । अप्पणा चेव गरहति ।। १५६ ज ण भते । अप्पणा चेव वेदेति, अप्पणा चेव गरहति त कि-१ उदिण्ण वेदेति ? २ अणुदिण्ण वेदेति ? ३ अणुदिण्ण उदीरणाविय कम्म वेदेति ? ४ उदयाणतरपच्छाकड कम्मं वेदेति ? गोयमा । १ उदिण्ण वेदेति । २ नो अणुदिण्ण वेदेति । ३ नो अणुदिण्ण उदोरणाभविय कम्म वेदेति । ४ नो उदयाणतरपच्छाकड कम्म वेदेति ।। १५७ जण भते | उदिण्ण वेदेति त कि उढाणेण, कम्मेण, बलेण, वीरिएण, पूरि सक्कार-परक्कमेण उदिण्ण वेदेति ? उदाहु त अणुट्ठाणेण, अकम्मेण, अवलेण, अवीरिएण, अपुरिसक्कारपरक्कमेण उदिण्ण वेदेति ? गोयमा । त उठाणेण वि, कम्मेण वि, बलेण वि, वीरिएण वि, पूरिसक्कारपरक्कमेण वि उदिण्ण वेदेति । नो त अणुट्ठाणेण, अकम्मेण, अवलेण, अवीरि एण, अपुरिसक्कारपरक्कमेण उदिण्ण वेदेति ॥ १५८ एवं सति अत्थि उट्ठाणेइ वा, कम्मेइ वा, बलेइ वा, वोरिएइ वा, पुरिसक्कार परक्कमेइ वा ।। १५६ से नूण भते | अप्पणा चेव निज्जरेति ? अप्पणा चेव गरहति ? हता गोयमा ! अप्पणा चेव निज्जरेति । अप्पणा चेव गरहति ।। Page #90 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढम सत (तइओ उद्देमो) १६० ज ण भते । अप्पणा चेव निज्जरेति, अप्पणा चेव गरहति, त कि १ उदिण्ण निज्जरेति ? २ अणुदिण्ण निज्जरेति ? ३. अणुदिण्ण उदीरणाभविय कम्म निज्जरेति ? ४. उदयाणतरपच्छाकड कम्म निज्जरेति ? गोयमा । १ नो उदिण्ण निज्जरेति। २. नो अणुदिण्ण निज्जरेति । ३. नो अणुदिण्ण उदीरणाभविय कम्म निज्जरेति । ४ उदयाणतरपच्छाकड कम्म निज्जरेति ।। १६१ ज ण भते । उदयाणतरपच्छाकड कम्म निज्जरेति त कि उदाणेण, कम्मेण, वलेण, वीरिएण, पुरिसक्कार-परक्कमेण उदयाणतरपच्छाकड कम्म निज्जरेति ? उदाह त अणदाणेण, अकम्मेण, अबलेण, अवीरिएण, अपुरिसक्कारपरक्कमेण उदयाणतरपच्छाकड कम्म निज्जरेति ? गोयमा त उट्ठाणेण वि, कम्मेण वि, बलेण वि, वीरिएण वि, पुरिसक्कारपरक्कमेण वि उदयाणतरपच्छाकड कम्म निज्जरेति । णो त अणुदाणेण, अकम्मेण, अवलेण, अवीरिएण, अपुरिसक्कारपरक्कमेण उदयाणतरपच्छाकड कम्म निज्जरेति ॥ १६२ एव सति अत्थि उट्ठाणेइ वा, कम्मेइ वा, बलेइ वा, वीरिएइ वा, पूरि सक्कार-परक्कमेइ वा ।। १६३ नेरइया ण भते । कखामोहणिज्ज कम्म वेदेति ? जहा' अोहिया जीवा तहा नेरइया जाव' थणियकुमारा॥ १६४ पुढविक्काइया ण भते । कखामोहणिज्ज कम्म वेदेति ? हता वेदेति ।। १६५ कहण्ण भते । पुढविक्काइया कखामोहणिज्ज कम्म वेदेति ? गोयमा । तेसि ण जीवाण णो एव तक्का इ वा, सण्णा इ वा, पण्णा इ वा, मणे इ वा, वई ति वा-अम्हे ण कखामोहणिज्ज कम्म वेदेमो, वेदेति पूण ते ॥ १६६ से नूण भते । तमेव सच्च नीसक, ज जिणेहिं पवेइय ? हता गोयमा । तमेव सच्च नीसक, ज जिणेहि पवेइय।। सेस त चेव जाव' अत्थि उट्ठाणेइ वा, कम्मेइ वा, बलेइ वा, वीरिएइ वा, पूरिसक्कार-परक्कमेइ वा ।। १६७ एव जाव चउरिदिया ।। १६८ पचिदियतिरिक्खजोणिया जाव वेमाणिया जहा प्रोहिया जीवा ॥ १. भ० १११२६-१६२ । २ पू० प०२। ३ भ० १६१३२-१६२ । ... ४ पू०प०२। ५ पू० प० २। ६. भ० १६१२६-१६२ । । Page #91 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३२ १६९ प्रत्थि णं भते । समणा विनिग्गथा कखामोहणिज्ज कम्म वेएति ? 'हता ग्रत्थि " ॥ १७० कहण्ण भते । समणा निग्गथा कखामोहणिज्ज कम्म वेदेति ? गोयमा । तेहि तेहि नाणतरेहि, दसणतरेहि, चरित्ततरेहि', लिंगतरेहिं, पवयणतरेहि, पावयणतरेहि, कप्पतरेहि, मग्गतरेहि, मततरेहि, भगतरेहिं णयंतरेहि, नियमतरेहिं, पमाणतरेहि सकिता कखिता वितिकिच्छिता' भेदसमावन्ना कलुससमावन्ना - एव खलु समणा निग्गथा कखामोहणिज्ज कम्म वेदेति ॥ १७१ से नूण भते । तमेव सच्च नीसंक, ज जिणेहि पवेदित ? हता गोयमा । तमेव सच्च नीसक, जं जिणेहिं पवेदित || १७२ एव जाव' अत्थि उट्ठाणेइ वा, कम्मेइ वा, बलेइ वा, वीरिएइ वा, पुरिसक्कार-परक्कमेइ वा ॥ १७३ सेव भते । सेव भते' । चउत्थो उद्देसो कम्म- पदं १७४ कति ण भते । कम्मप्पगडीओ पण्णत्ताओ ? गोयमा । अट्ठ कम्मप्पगडीओ पण्णत्ता, कम्मप्पगडीए पढमो उद्देसो नेयव्वो जाव - अणुभागो समत्तो । सगणी - गाहा कति पगडी ? कह' वधति ? कतिहि व ठाणेहिं वधती पगडी ? कति वेदेति व पगडी ? अणुभागो कतिविहो कस्स 11211 उवद्वावण - श्रवक्कमण-पदं १७५ जीवे ण भते | मोहणिज्जेण कडेण कम्मेण उदिण्णेण उवट्टाएज्जा ? हता उवट्ठाएज्जा" ॥ भगवई १ हतत्थि ( ता ) 1 २. दरिसणतरेहि (क) 1 ३ चरित्तरेहि तित्यतरेहि ( क ) । ४. मततरेहि ( अ, व), X ( क ) 1 ५. वितिकिदिया (ता) | ६ भ० १।१३२- १६२ । ७ भ० ११५१ । ५ प० २३।१ । ९ किह ( अ, क, ता, म), कहिं ( स ) । १०. उवट्ठाएज्ज (क, ता) 1 Page #92 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढम सत (चउत्थो उद्देसो) १७६ से भते । कि वीरियत्ताए उववाएज्जा ? अवीरियत्ताए उवद्वाएज्जा ? गोयमा ! वीरियत्ताए उवट्ठाएज्जा । णो अवीरियत्ताए उवट्ठाएज्जा ॥ १७७ जइ वीरियत्ताए उवट्ठाएज्जा, किं-बालवीरियत्ताए उवट्ठाएज्जा ? पडिय वीरियत्ताए उवट्ठाएज्जा ? बालपडियवीरियत्ताए उवट्ठाएज्जा ? ____ गोयमा । वालवीरियत्ताए उवढाएज्जा। नो पडियवीरियत्ताए उवढाएज्जा। नो वालपडियवीरियत्ताए उवट्ठाएज्जा ।। १७८ जीवे ण भते । मोहणिज्जेण कडेण कम्मेण उदिण्णेण अवक्कमेज्जा ? , हता अवक्कमेज्जा। १७६ से भते । क वीरियत्ताए अवक्कमेज्जा ? अवीरियत्ताए अववकमज्जा ? गोयमा | वीरियत्ताए अवक्कमेज्जा । नो अवीरियत्ताए अवक्कमेज्जा । १८० जइ वीरियत्ताए अववकमज्जा, कि-बालवीरियत्ताए अवक्कमेज्जा ? पडिय वीरियत्ताए अवक्कमेज्जा ? ° वालपडियवीरियत्ताए अवक्कमेज्जा ? गोयमा। 'बालवीरियत्ताए अवक्कमेज्जा। नो पडियवीरियत्ताए अवक्क मेज्जा । सिय वालपडियवीरियत्ताए अवक्कमेज्जा'२ ।। १८१. जीवे ण भते । मोहणिज्जेण कडेण कम्मेण उवसतेण उवढाएज्जा ? हता उवट्ठाएज्जा ॥ १८२. से भते । कि वीरियत्ताए उवदाएज्जा ? अवीरियत्ताए उवढाएज्जा ? गोयमा । वीरियत्ताए उवट्ठाएज्जा । नो अवीरियत्ताए उवट्ठाएज्जा ॥ १८३ जइ वीरियत्ताए उवदाएज्जा, कि-वालवीरियत्ताए उवदाएज्जा ? पडिय वीरियत्ताए उवट्ठाएज्जा ? वालपडियवीरियत्ताए उवट्ठाएज्जा ? गोयमा । 'नो वालवीरियत्ताए उवट्ठाएज्जा। पडियवीरियत्ताए उवट्टाएज्जा। नो वालपडियवीरियत्ताए उवट्ठाएज्जा" ॥ १८४. जीवे ण भते । मोहिणिज्जेण कडेण कम्मेण उवसतेण अवक्कमेज्जा ? हता अवक्कमेज्जा ॥ १८५ से भते । कि वीरियत्ताए अवक्कमेज्जा ? अवीरियत्ताए अवक्कमेज्जा ? गोयमा | वीरियत्ताए प्रवक्कमेज्जा। नो अवीरियत्ताए अवक्कमेज्जा ॥ १ स० पा०-भते जाव वालपडियवीरियत्ताए। यव्वा, नवर उवट्ठाएज्जा पडियवीरियत्ताए २ वाचनान्तरे त्वेवम्-'वालवीरियत्ताए नो अवक्कमेज्जा बालपडियवीरियत्ताए । पडियवीरियत्ताए नो वालपडियवीरियत्ताए' ४ वृद्धस्तु काञ्चिद्वाचनामाश्रित्येद व्याख्यात(वृ)। मोहनीयेनोपशान्तेन सता न मिथ्यादृष्टि३. स० पा०-जहा उदिण्णण दो आलावगा र्जायते, साधु श्रावको वा भवतीति (वृ) तहा उवसतेण वि दो आलावगा भारिण Page #93 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई १८६ जइ वीरियत्ताए अवक्कमेज्जा, कि-बालवीरियत्ताए अवक्कमेज्जा ? पडिय वीरियत्ताए अवक्कमेज्जा ? वालपडियवीरियत्ताए अवक्कमेज्जा? गोयमा ! नो वालवीरियत्ताए अवक्कमेज्जा । नो पडियवीरियत्ताए अवक्क मेज्जा । वालपडियवीरियत्ताए अवक्कमेज्जा ।। १८७ से भते । किं आयाए अवक्कमड ? अणायाए अवक्कमइ ? गोयमा । आयाए अवक्कमइ, नो अणायाए अवक्कमइ-मोहणिज्ज कम्म वेदेमाणे ॥ १८८. से कहमेय भते । एव ? गोयमा । पुवि से एय एव रोयइ। इयाणिं से एयं एव नो रोयइ एवं खलु एय एव ।। कम्ममोक्ख-पद १८६. से नण भते ! नेरइयस्स वा, तिरिक्खजोणियस्स वा, मणुस्सस्स' वा, देवस्स वा जे कडे पावे कम्मे, नत्थि ण' तस्स अवेदइत्ता' मोक्खो ? हता गोयमा | नेरइयस्स वा, तिरिक्खजोणियस्स वा, मणुस्सस्स वा, देवस्स वा •जे कडे पावे कम्मे, नत्थि ण तस्स अवेदइत्ता मोक्खो। १६०. से केणद्वेण भते । एव वुच्चइ नेरइयस्स वा' °तिरिक्खजोणियस्स वा, मणु स्सस्स वा, देवस्स वा जे कडे पावे कम्मे, नत्थि ण तस्स अवेदइत्ता मोक्खो ? एव खलु मए गोयमा । दुविहे कम्मे पण्णत्ते, त जहा-पदेसकम्मे य, अणुभागकम्मे य। तत्थ णं ज ण पदेसकम्म त नियमा वेदेइ । तत्थ ण ज ण अणुभागकम्म त' अत्थेगइय वेदेइ, अत्येगइय णो वेदेइ। णायमेय अरहया, सुयमेय अरहया, विण्णायमेय अरहया-इम कम्म अय जीवे अभोवगमियाए वेदणाए वेदेस्सइ, इम कम्म अय जीवे उवक्कमियाए वेदणाए वेदेस्सइ। अहाकम्म, अहानिकरण जहा जहा त भगवया दिट्ठ तहा तहा त विप्परिणमिस्सतीति । से तेणद्वेण गोयमा ! एव वुच्चइ-नेरइयस्स वा', 'तिरिक्खजोणियस्स वा, मणुस्सस्स वा, देवस्स वा जे कडे पावे कम्मे, नत्थि ण तस्स अवेदइत्ता मोक्खो ॥ १. मणसस्स (क, ता); मणुसस्स (व, म, स)। ६. त (अ, क, ता, व, म, स)। २. X (अ, स)। ७. X (ता)। ३ अवेदयत्ता (अ, व), अवेइत्ता (म, स)। ८ अन्भोवमियाए (क)। ४. स० पा०-वा जाव मोक्खो। ६. स० पा०-वा जाव मोक्खो। ५. स० पा०-वा जाव मोक्खो। Page #94 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सत (उत्थो उद्देसो) मोग्गल-जीवाण तेका लियस पदं १६१ एस ण भते 1 पोग्गले' तीत प्रणत सासय समय भुवीति वत्तव्वं सिया ? हता गोयमा । एस ण पोग्गले तीत अणत सासय समय भुवीति वत्तव्व सिया || १६२ एस ण भते | पोग्गले पडुप्पण्ण सासय समय भवतीति वत्तव्व सिया ? हता गोयमा । एस ण पोग्गले पडुप्पण्ण सासय समय भवतीति वत्तव्व सिया || २० O १९३ एस ण भते । पोग्गले प्रणागय अणत सासय समय भविस्सतीति वत्तव्वं सिया ? हता गोयमा । एस ण पोग्गले अणागय अणत सासय समय भविस्सतीति वत्तव्व सिया || o ३५ १९४ एस ण भते । खधे तीत अणत सासय समय भुवीति वत्तव्व सिया ? हता गोयमा ! एस ण खधे तीत प्रणत सासय समय भुवीति वत्तव्व सिया ॥ १६५ एस ण भते । खधे पडुप्पण्ण सासय समय भवतीति वत्तव्व सिया ? C हता गोयमा । एस ण खधे पडुप्पण्ण सासय समय भवतीति वत्तव्व सिया ।। १६ एस ण भते । खधे अणागय प्रणत सासय समय भविस्सतीति वत्तव्व सिया ? हता गोयमा । एस ण खधे प्रणाय प्रणत सासय समय भविस्सतीति वृत्तव्व सिया ॥ १९७ एस ण भते । जीवे तीत प्रणत सासय समय भुवीति वत्तव्व सिया ? हा गोया । एस ण जीवे तीत प्रणत सासय समय भुवीति वत्तव्व सिया ॥ १८. एस ण भते । जीवे पडुप्पण्ण सासय समय भवतीति वत्तव्व सिया ? हता गोयमा । एस ण जीवे पडुप्पण्ण सासय समय भवतीति वत्तव्व सिया ॥ १६६ एस ण भते | जीवे प्रणागय प्रणतं सासय समय भविस्सतीति वत्तव्व सिया ? एस ण जीवे प्रणागय अणत सासय समय भविस्सतीति वत्तव्व हता गोयमा । सिया || मोक्ख-पदं २०० छउमत्थे ण भते । मणूसे' तीत अणत सासय समय- केवलेण सजमेण, केवलेण सवरेण, केवलेण बभचेरवासेण, केवलाहिं पवयणमायाहिं' सिज्भिसु ? १ पोग्गलेति परमाणुरुत्तरत्रस्कन्धग्रहणात् (वृ) । २ स० पा०—त चेव उच्चारेयव्व । ३. स० पा० - त चेव उच्चारेयव्व । ४, स० पा० - एव खधेण वि तिष्णि आलावगा । एव जीवेण वि तिण्णि आलावगा भारिण यव्वा । ५ मणुस्से ( अ, म) 1 ६ ० माताहिं (ता, म) 1 Page #95 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ३६ बुझिसु' ? •मुच्चिसु ? परिणिव्वाइसु° ? सव्वदुक्खाण अत करिसु ? गोयमा । णो इणटे समटे ।। २०१ से केणटेण भते । एव वुच्चइ "छउमत्थे ण मणुस्से तीत अणत सासयं समय —केवलेण सजमेण, केवलेण सवरेण, केवलेण बभचेरवासेण, केवलाहिं पवयणमायाहि नो सिज्झिसु ? नो बुझिसु ? नो मुच्चिसु ? नो परिनिव्वाइसु ? नो सव्वदुक्खाण ° अत करिसु ? गोयमा । जे केइ अतकरा वा अतिमसरीरिया वा-सव्वदुक्खाणं अंत करेसु वा, करेति वा, करिस्सति वा-सव्वे ते उप्पण्णणाण-दसणधरा अरहा जिणा' केवली भवित्ता तो पच्छा 'सिज्झति, बुज्झति, मुच्चति, परिनिव्वायति", सव्वदुक्खाण अंत करेसु वा, करेति वा, करिस्सति वा । से तेणटेणं गोयमा ! •एव वुच्चइ छउमत्थे ण मणुस्से तीत अणत सासय समय-केवलेणं संजमेणं, केवलेणं सवरेण, केवलेण वंभचेरवासेणं, केवलाहिं पवयणमायाहिं नो सिज्झिसु, नो बुझिसु, नो मुच्चिसु, नो परिनिव्वाइसु, नो° सव्वदुक्खाण अत करिंसु ॥ २०२. पड़प्पण्णे वि एवं चेव, नवरं-सिज्झति भाणियव्व ।। २०३. अणागए वि एवं चेव, नवर-सिज्झिस्सति भाणियव्वं ।। २०४. जहा छउमत्थो तहा आहोहिरो वि, तहा परमाहोहिरो वि । तिण्णि तिण्णि आलावगा भाणियव्वा ॥ २०५. केवली णं भते । मणूसे तीत अणत सासय समय 'सिज्झिसु ? बुझिसु ? मुच्चिसु ? परिनिव्वाइसु ? सव्वदुक्खाणं अत करिसु ? हता गोयमा ! केवली ण मणूसे तीत अणत सासय समय सिझिसु, बुज्झिसु, मुच्चिसु, परिनिव्वाइसु, सव्वदुक्खाण अत करिसु॥ २०६. केवली णं भते ! मणूसे पडुप्पण्णं सासय समय सिझंति ? बुज्झति ? सूच्चति ? परिनिव्वायति ? सव्वदुक्खाण अत करेति ? हता गोयमा । केवली ण मणूसे पडुप्पण्ण सासय समय सिज्झति, वुज्झति, मुच्चति, परिनिव्वायति, सव्वदुक्खाण अत करेति ॥ १ स० पा०-बुझिसु जाव सव्व । ६. भ० ११२००, २०१। २. स० पा०–त चेव जाव अत । ७ भ० ११२००, २०१। ३. जिणे (अ, क, ता, व, स)। ८. भ० १२००-२०३। ४. 'सिज्झती' त्यादिषु चतुर्पु पदेषु वर्तमान ६ परमोहिओ (अ, क ता, व, म, वृपा)। निर्देशस्य पोपलक्षणत्वात् 'सिज्झिसु १०. स० पा०-समय जाव अत हता सिमिसु मिज्झति मिज्झिस्सती' त्येवमतीतादिनिर्देशो जाव अते एते तिण्णि आलावगा भाणिद्रप्टव्य (वृ)। यव्वा । छउमत्थस्स जहा नवर सिज्झिसु ५. स० पा०-गोयमा जाव सव्व । सिझति सिज्झिस्सति । Page #96 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ढम सत ( पचमो उद्देसो) ३७ o ०७ केवली ण भते ! मणूसे प्रणाय प्रणत सासय समयं सिज्झिस्सति ? बुज्झिस्सति ? मुच्चिस्सति ? परिनिव्वाइस्सति ? सव्वदुक्खाण त करिस्सति ? हता गोयमा । केवली ण मणूसे प्रणागय प्रणत सासय समय सिज्झिस्सतिः, बुज्भिस्सति, मुचिस्सति, परिनिव्वाइस्सति, सव्वदुक्खाण अंत करिस्सति ॥ से 'नूण भते ! तीत प्रणत सासय समय, पडुप्पण्ण वा सासय समय, प्रणाय प्रणत वा सासय समय जे केइ अतकरा वा अतिमसरीरिया वा सव्वदुक्खाण त करेसु वा, करेति वा, करिस्सति वा, सव्वे ते उप्पण्णणाण - दसणधरा अरहा जिणा केवली भवित्ता तम्रो पच्छा सिज्झति' ? बुज्झति ? मुच्चति ? परिनिव्वायति ? सव्वदुक्खाण प्रत करेसु वा ? करेति वा ? करिस्सति वा? ० हता गोयमा । तीत प्रणत सासय' समय, पडुप्पण्ण वा सासय समय, प्रणाय प्रणत वा सासय समय जे केइ अतकरा वा प्रतिमसरीरिया वा सव्वदुक्खाण अत करेसु वा, करेति वा, करिस्सति वा, सव्वे ते उप्पण्णणाणदसणधरा अरहा जिणा केवली भवित्ता तो पच्छा सिज्झति, बुज्झति, मुच्चति, परिनिव्वायति, सव्वदुक्खाण प्रत करेसु वा, करेति वा, करिस्सति वा ॥ २०६ से नूण भते । उप्पण्णणाण-दसणधरे अरहा जिणे केवली, अलमत्युत्ति वत्तव्व सिया ? ०८ K हता गोयमा ! उप्पण्णणाण-दसणधरे रहा जिणे केवली अलमत्थु त्ति वत्तव्व सिया || २१० सेव भते । सेव भते । पंचमो उद्देसो ढवि-पदं २११. कति ण भते । पुढवी पण्णत्ता ? गोमा ! सत्त पुढवोओ पण्णत्ताओ, त जहा - रयणप्पभा", • सक्करप्पभा, वालुयप्पभा, पकप्पभा, धूमप्पभा, तमप्पभा० तमतमा || ८. स० पा० - सिज्झति जाव मत करिस्सति । द्रष्टव्य १।२०१ सूत्रस्य पादटिप्पणम् । २. स० पा० - सासय जाव करिस्सति । , ३ भ० १।५१ । ४. स० पा०रयरगप्पभा जाव तमतमा । Page #97 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३८ भगवई २१२ इमीसे णं भते ! रयणप्पभाए पुढवीए कति निरयावाससयसहस्सा पण्णत्ता ? गोयमा । तीस निरयावाससयसहस्सा पण्णत्ता । संगहणी - गाहा तीसा यन्नवीसा, पन्नरस दसेव या सयसहस्सा । तिन्नेगं पचूण, पचेव श्रणुत्तरा निरया ॥१॥ आवास-पदं २१३. केवइया ण भते ! असुरकुमारावाससयसहस्सा पण्णत्ता ? गोयमा ! चोयट्ठी असुरकुमारावाससयसहस्सा पण्णत्ता । संग्रहणी - गाहा एव चोयट्ठी' अमुराण, चउरासीर्ड य होइ नागाण | वावर्त्तार सुवण्णाण, वाउकुमाराण छन्नउई || १ || दीव - दिसा उदहीण, विज्जुकुमारिद-यणियमग्गीण । छह पि जुयलयाण, छावत्तरिमो सयसहस्सा ||२|| २१४ केवइया ण भते ! पुढविक्काइयावास सयसहस्सा पण्णत्ता गोयमा सखेज्जा पुढविक्काइयावाससय सहस्सा पण्णत्ता जाव ग्रसखिज्जा जोइसियविमाणावाससयसहस्सा पण्णत्ता ॥ २१५ सोहम्मे ण भते ! कप्पे कति विमाणावाससयसहस्सा पण्णत्ता २ गोयमा ! बत्तीस विमाणावाससयसहस्सा पण्णत्ता । संगहणी-गाहा एव वत्तीसट्ठावीसा, वारस-अट्ठ े-चउरो पन्ना - चत्तालीसा, छच्च सहस्सा आणय-पाणयकप्पे, चत्तारि सयारणच्चुए सत्त विमाणसयाइ, चउसु वि एएसु एक्कारसुत्तर हेट्ठिमए' सत्तुत्तर सय च मज्झमए । सयमेग उवरिमए, पंचेव श्रृणुत्तरविमाणा ।।३।। नेरइयाणं नाणादसासु को होवउत्तादिभंग-पदं सय सहस्सा । सहस्सारे ॥ १॥ तिण्णि । कप्पे ॥२॥ सठाणे | पुढवी द्विति श्रोगाहण - सरीर - सघयणमेव लेस्सा दिट्ठी गाणे, जोगुवग्रोगे य दस ठाणा ॥४॥ ‍ ― १. चोवट्ठी ( क ) ; चोसट्ठी ( म, स ) । २ जुवलयारण ( अ, क, ता, व ) । ३. पू० प० २ । ४ अट्ठ य (क, ता, म) । ५ हेट्ठि मेसु (क, ता, म ), हेट्ठि मएसु ( स ) | ६ ठाणे ( अ, व ) । Page #98 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३९ पढम सत (पचमो उद्देसो) २१६ इमीसे ण भते । रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु एगमेगसि निरयावाससि नेरइयाण केवइया ठितिट्ठाणा पण्णत्ता ? गोयमा । असखेज्जा ठितिट्ठाणा पण्णत्ता, त जहाजहणिया ठिती, समयाहिया जहण्णिया ठिती, दुसमयाहिया जहण्णिया ठिती जाव असखेज्जसमयाहिया जहणिया ठिती । तप्पाउग्गुक्कोसिया ठिती ॥ इमीसे ण भते । रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु एगमेगसि निरयावाससि जहणियाए ठितीए वट्टमाणा नेरइया किं-कोहोवउत्ता ? माणोवउत्ता ? मायोवउत्ता? लोभोवउत्ता? गोयमा | सब्बे वि ताव होज्जा १ कोहोवउत्ता। २ अहवा कोहोवउत्ता य, माणोवउत्ते य । ३ अहवा कोहोवउत्ता य, माणोवउत्ता य। ४ अहवा कोहोवउत्ता य, मायोवउत्ते य। ५ अहवा कोहोवउत्ता य, मायोवउत्ता य। ६ अहवा कोहोवउत्ता य, लोभोवउत्ते य । ७ अहवा कोहोवउत्ता य, लोभोवउत्ता य। ८ अहवा कोहोवउत्ता य, माणोवउत्ते य, मायोवउत्ते य। ६ कोहोवउत्ता य, माणोव उत्ते य, मायोवउत्ता य । १० कोहोवउत्ता य, माणोवउत्ता य, मायोवउत्ते य। ११ कोहोवउत्ता य, माणोवउत्ता य, मायोवउत्ता य । १२ कोहोवउत्ता य, माणोवउत्ते य, लोभोवउत्ते य । १३ कोहोवउत्ता य, माणोव उत्ते य, लोभोवउत्ता य । १४ कोहोवउत्ता य, माणोवउत्ता य, लोभोवउत्ते य। १५. कोहोव उत्ता य, माणोवउत्ता य, लोभोवउत्ता य। १६ कोहोवउत्ता य, मायोवउत्ता य, लोभोवउत्ते य। १७ कोहोवउत्ता य, मायोवउत्ते य, लोभोवउत्ता य । १८ कोहोवउत्ता य, मायोवउत्ता य, लोभोवउत्ते य । १६ कोहोवउत्ता य, मायोवउत्ता य, लोभोवउत्ता य । २०. कोहोवउत्ता य, माणोवउत्ते य, १. 'म' प्रतौ-अतोने एवं माया वि लोभो वि चत्तारि भगा ८ एव कोहेणं मायाए लोभेरण कोहेण भइयवो अथवा कोहोवउत्ता य चत्तारि भगा १२ अहवा कोहोवउत्ता माणोमाणोवउत्ते य मायोवउत्ते य पच्छा माणेण वउत्ते मायोवउत्ते लोभोवउत्ते १ अहवा । लोभेरण य पच्छा मायाए लोभेरण य पच्छा कोहोव उत्ता मागोवउत्ते मायोवउत्ते लोभोमाणेण मायाए लोभेरण य कोहो भरिणयव्वो वउत्ता २ अहवा कोहोवउत्ता माणोवउत्ते ते कोह अमुचता कोह अमुचता एव सत्तावीस मायोवउत्ता लोभोवउत्ते ३ अहवा कोहोवउत्ता मागोवउत्ते मायोवउत्ता लोभोवउत्ता ४ ___भगा ऐयव्वा । अहवा कोहोवउत्ता मागोवउत्ता मायोवउत्ते २ 'ता' प्रतौ-अतोने एवं सत्तावीस भगा लोभोवउत्ते ५ अहवा कोहोवउत्ता मागोवउत्ता ऐतव्वा । मायोवउत्ते लोभोवउत्ता ६ अहवा कोहोव३ 'क', 'व' प्रत्योः -अतोने एव सत्तावीस भगा उत्ता माणोवउत्ता मायोवउत्ता लोभोवउत्तै य ७ अहवा कोहोवउत्ता मागोवउत्ता मायोवगतव्वा। उत्ता लोभोवउत्ता ८ एव सत्तावीस भगा ४ 'अ' प्रती-अतोने एव कोहे माणेण लोभेणं गेयव्वा । Page #99 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई मायोवउत्ते य, लोभोवउत्ते य । २१ कोहोवउत्ता य, माणोवउत्ते य, मायोवउत्ते य, लोभोवउत्ता य । २२ कोहोवउत्ता य, माणोवउत्ते य, मायोवउत्ता य, लोभोवउत्ते य । २३ कोहोवउत्ताय, माणोव उत्ते य, मायोवउत्ता य, लोभोवउत्ता य । २४ कोहोवउत्ता य, माणोवउत्ता य, मायोवउत्ते य, लोभोवउत्ताय । २५ कोहोवउत्ता य, माणोवउत्ता य, मायोवउत्ते य, लोभोवउत्ता य। २६ कोहोवउत्ता य, माणोवउत्ता य, मायोवउत्ता य, लोभोवउत्ते य । २७ कोहोवउत्ता य, माणोवउत्ता य, मायोवउत्ता य, लोभोवउत्ता य ।। २१८ इमीसे ण भते । रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेस एगमेगसि निरयावाससि समयाहियाए जहण्णद्वितीए वढमाणा नेरइया कि-कोहोवउत्ता? माणोवउत्ता? मायोवउत्ता? लोभोवउत्ता? गोयमा । कोहोवउत्ते य, माणोवउत्ते य, मायोवउत्ते य, लोभोवउत्ते य। कोहोवउत्ता य, माणोवउत्ता य, मायोवउत्ता य, लोभोवउत्ता य । अहवा कोहोवउत्ते य, माणोवउत्ते य । अहवा कोहोवउत्ते य, माणोवउत्ता य। एव असीतिभगा' नेयव्वा । २८ माणोवउत्ता लोभोवउत्ता २६ मायोवउत्त लोभोवउत्ते ३० मायोवउत्ते लोभोवउत्ता ३१. मायोवउत्ता लोभोवउत्ते ३२ मायोवउत्ता लोभोवउत्ता। ३-(३२) १. १-(८)-१. कोहोवउत्ते २ मागोवउत्ते ३ मायोवउत्ते ४. लोभोवउत्ते ५ कोहोवउत्ता ६ माणोवउत्ता ७ मायोवउत्ता ८. लोभोवउत्ता। २-(२४)-६. कोहोवउत्ते मारणोवउत्ते १०. कोहोवउत्ते मारणोवउत्ता ११ कोहोवउत्ता मागोवउत्ते १२ कोहोवउत्ता माणोवउत्ता १३. कोहोवउत्ते मायोवउत्ते १४ कोहोवउत्ते मायोवउत्ता १५ कोहोवउत्ता मायोवउत्ते १६ कोहोवउत्ता मायोवउत्ता १७. कोहोवउत्ते लोभोवउत्ते १८ कोहोवउत्ते लोभोवउत्ता १६. कोहोवउत्ता लोभोवउत्ते २०. कोहोवउत्ता लोभोवउत्ता २१ माणोवउत्ते मायोवउत्ते २२ माणोवउत्ते मायोवउत्ता २३. मागोवउत्ता मायोवउत्ते २४. माणोवउत्ता मायोवउत्ता २५. माणोवउत्ते लोभोवउत्ते २६ माणोवउत्ते लोभीवउत्ता २७. माणोवउत्ता लोभोवउत्ते ३३ कोहोवउत्ते माणोवउत्ते मायोवउत्ते ३४ कोहोवउत्ते मारणोवउत्ते मायोवउत्ता ३५ कोहोवउत्ते मारणोवउत्ता मायोवरत्ते ३६ कोहोवउत्ते मागोवउत्ता मायोवउत्ता ३७ कोहोवउत्ता मागोवउत्ते मायोवउत्ते ३८ कोहोवउत्ता मारणोवउत्ते मायोवउत्ता ३६. कोहोवउत्ता मागोवउत्ता मायोवउत्ते ४०. कोहोवउत्ता मागोवउत्ता मायोवउत्ता ४१ कोहोवउत्ते मागोवउत्ते लोभोवउत्ते ४२. कोहोवउत्ते मारणोवउत्ते लोभोवउत्ता ४३ कोहोवउत्ते मागोवउत्ता लोभोवउत्ते ४४ कोहोवउत्ते मारणोवउत्ता लोभोवउत्ता ४५ कोहोवउत्ता मागोवउत्ते लोभोवउत्ते ४६ कोहोवउत्ता मागोवउत्ते लोभोवउत्ता ४७. कोहोवउत्ता मागोवउत्ता लोभोवउत्ते Page #100 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढम सत (पचमो उद्देसो) एव जाव' सखेज्जसमयाहियाए ठितीए, असखेज्जसमयाहियाए ठितीए तप्पाउ ग्गुक्कोसियाए ठितीए सत्तावीस भगा भाणियव्वा ॥ २१६. इसीसे ण भते ! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु एगमे गंसि निरयावाससि ने रइयाण केवइया प्रोगाहणाठाणा पण्णत्ता ? गोयमा । असंखेज्जा प्रोगाहणाठाणा पण्णत्ता, त जहा-जहणिया ओगाहणा, पदेसाहिया जहणिया प्रोगाहणा, दुपदेसाहिया जहणिया प्रोगाहणा जाव असखेज्जपएसाहिया जहण्णिया प्रोगाहणा । तप्पाउग्गुक्कोसिया प्रोगाहणा ॥ २२० इमीसे ण भते । रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु एगमेगसि निरयावाससि जहणियाए प्रोगाहणाए वट्टमाणा नेरइया कि कोहोवउत्ता? । असीइभगा भाणियव्वा' जाव सखेज्जपदेसाहिया जहणिया प्रोगाहणा। असखेज्जपदेसाहियाए जहणियाए प्रोगाहणाए वट्टमाणाण, तप्पाउग्गुक्कोसि४८ कोहोवउत्ता मागोवउत्ता लोभोवउत्ता ६७. कोहोवउत्ते माणोवउत्ते मायोवउत्ता ४६ कोहोवउत्ते मायोवउत्ते लोभोवउत्ते लोभोवउत्ते ६८. कोहोवउत्ते मारणोवउत्ते ५०. कोहोवउत्ते मायोवउत्ते लोभोवउत्ता मायोवउत्ता लोभोवउत्ता ६६. कोहोवउत्त ५१ कोहोवउत्ते मायोवउत्ता लोभोवउत्ते मारणोवउत्ता मायोवउत्ते लोभोवउत्ते ५२. कोहोवउत्ते मायोवउत्ता लोभोवउत्ता ७०, कोहोवउत्ते माणोवउत्ता मायोवउत्ते ५३ कोहोवउत्ता मायोवउत्ते लोभोवउत्ते लोभोवउत्ता ७१. कोहोवउत्ते मागोवउत्ता ५४. कोहोवउत्ता मायोवउत्ते लोभोवउत्ता मायोवउत्ता लोभोवउत्ते ७२. कोहोवउत्ते ५५ कोहोवउत्ता मायोवउत्ता लोभोवउत्ते माणोवउत्ता मायोवउत्ता लोभोवउत्ता ५६. कोहोवउत्ता मायोवउत्ता लोभोवउत्ता ७३. कोहोवउत्ता मागोवउत्ते मायोवउत्ते ५७. माणोवउत्ते मायोवउत्ते लोभोवउत्ते लोभोवउत्ते ७४. कोहोवउत्ता मागोवउत्ते ५८ माणोवउत्ते मायोवउत्ते लोभोवउत्ता मायोवउत्ते लोभोवउत्ता ७५. कोहोवउत्ता ५६ माणोव उत्ते मायोव उत्ता लोभोवउत्ते माणोवउत्ते मायोवउत्ता लोभोव उत्ते ६०. माणोवउत्ते मायोवउत्ता लोभोवउत्ता ७६ कोहोवउत्ता माणोवउत्ते मायोवउत्ता ६१. मागोवउत्ता मायोवउत्ते लोभोवउत्ते लोभोवउत्ता ७७. कोहोव उत्ता मारणवउत्ता ६२. मारणोवउत्ता मायोवउत्ते लोभोवउत्ता मायोवउत्ते लोभोवउत्ते ७८ कोहोवउत्ता ६३. मागोवत्ता मायोवउत्ता लोभोवडते मारणोवउत्ता मायोवउत्ते लोभोवउत्ता ६४. मागोवउत्ता मायोवउत्त लोभोवउत्ता। ७६ कोहोवउत्ता मागोवउत्ता मायोवउत्ता लोभोवउत्ते ८०. कोहोवउत्ता मारणोवउत्ता ४-(१६)-६५. कोहोवउत्ते माणोवउत्ते मायोवउत्ता लोभोवउत्ता। मायोवउत्ते लोभोवउत्ते ६६. कोहोवउत्ते १ भ० श२१७ । माणोवउत्तै मायोवउत्ते लोभोवउत्ता २. भ० ११२१८ पादटिप्पण। Page #101 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४२ भगवई याए प्रोगाहणाए वट्टमाणाणं” सत्तावीस भगा'। २२१ इमीसे ण भते | रयणप्पभाए पुढवीए' 'तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु° एग मेगंसि निरयावाससि नेरइयाण कइ सरीरया पण्णत्ता ? गोयमा | तिण्णि सरीरया पण्णत्ता, त जहा-वेउव्विए, तेयए, कम्मए । २२२. इमीसे ण भते । रयणप्पभाए जाव वेउब्वियसरीरे वट्टमाणा ने रइया कि कोहो वउत्ता ? सत्तावीसं भगा । २२३ एएण गमेण तिण्णि सरीरया भाणियव्वा ।। २२४. इमीसे ण भते । रयणप्पभाए जाव' नेरइयाण सरीरया किसघयणा' पण्णत्ता? गोयमा । छह सघयणाण असंघयणी नेवट्ठी, नेव छिरा', नेव हारूणि । जे पोग्गला अणिट्ठा अकता अप्पिया असुहा अमणुण्णा अमणामा एतेसि सरीर सघायत्ताए परिणमति ।। २२५. इमीसे ण भते ? रयणप्पभाए जाव" छण्ह सघयणाण असघयणे वट्टमाणा नेर इया कि कोहोवउत्ता ? सत्तावीस भंगा" ॥ २२६. इमीसे ण भते ? रयणप्पभाए जाव नेरइयाण सरीरया किसठिया पण्णत्ता ? ___गोयमा" | दुविहा पण्णत्ता, त जहा-भवधारणिज्जा य, उत्तरवेउव्विया य । तत्थ ण जे ते भवधारणिज्जा ते हुडसठिया पण्णत्ता, तत्थ ण जे ते उत्तर वेउव्विया ते वि हुडसठिया पण्णत्ता । २२७ इमीसे ण भते । रयणप्पभाए जाव" हुडसठाणे वट्टमाणा नेरइया कि कोहो वउत्ता ? सत्तावीस भगा ॥ २२८. इमीसे ण भते । रयणप्पभाए जाव' नेरइयाणं कति लेस्सानो पण्णत्तायो ? गोयमा | एगा काउलेस्सा पण्णत्ता ।। २२६. इमीसे णं भंते । रयणप्पभाए जाव" काउलेस्साए वट्टमाणा नेरइया कि कोहो वउत्ता ? सत्तावीसं भगा ॥" १. वट्टमारणाण नेरइयाण दोमु वि (अ), वट्ट- १० तेतेसिं (क, ता, म)। माणाण जाव नेरइयारण दोसु वि (क, स), ११ भ० १।२१७ । वट्टमाणाण दोमु वि (म)। १२. भ० ११२१७ । २. भ० ११२१७ । १३. भ० ११२१६ । ३. स० पा०-पुढवीए जाव एगमेगसि । १४. 'नेरइयारण सरीरया' इति शेष. । ४. भ० ११२१७ । १५ भ० ।२१७ । ५ भ० ११२१७ । १६. भ० ११२१७ । ६. म० ११२१६ । १७. भ० ११२१६ । ७. किसघयणी (क, ता, स)। १८. भ० ११२१७। ८. च्छिरा (ता, म, स)। १६ भ० ११२१७ ६ अप्पिता (क)। Page #102 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४३ पढम सत (पचमो उद्देसो) २३०. इमीसे ण भते । रयणप्पभाए जाव' नेरइया कि सम्मदिट्ठी ? मिच्छदिट्ठी ? ? सम्मामिच्छदिट्ठी तिण्णि वि ॥ २३१. इमीसे ण भते । रयणप्पभाए जाव' सम्मदसणे वट्टमाणा नेरइया कि कोहो - वउत्ता ? सत्तावीस भगा ॥ २३२. एव मिच्छदसणे वि ॥ २३३ सम्मामिच्छदसणे असीतिभगा ॥ २३४. इमीसे ण भते । रयणप्पभाए जाव' नेरइया कि नाणी, अण्णाणी ? गोमा | नाणी वि, अण्णाणी वि । तिण्णि' नाणाइ नियमा । तिणि अण्णाणाइ 1 भयणाए ॥ 1 २३५. इमीसे ण भते । रयणप्पभाए जाव' प्राभिनिबोहियनाणे वट्टमाणा नेरइया कि कोहो उत्ता ? सत्तावीसं भगा ॥ २३६. एव तिणि नाणाइ, तिण्णि ग्रण्णाणाइ भाणियव्वाइ || २३७. इमीसे ण भते । काय जोगी ? रयणप्पभाए जाव' नेरइया कि मणजोगी ? वइजोगी ? तिणि वि ॥ २३८. इमीसे ण भते । रयणप्पभाए जाव" मणजोए वट्टमाणा नेरइया कि कोहो - वउत्ता ? सत्तावीस भगा " ॥ २३६. एव वइजोए ।। २४०. एव कायजोए ॥ २४१. इमीसे ण भते । रयणप्पभाए जाव नेरइया कि सागारोवउत्ता ? प्रणागारोवउत्ता" ? गोयमा । सागारोवउत्ता वि, अणागारोवउत्तावि ॥ २४२. इमीसे ण भते । रयणप्पभाए जाव" सागारोवोगे वट्टमाणा ने रइया कि कोहो 1 वउत्ता ? सत्तावीस भगा " ॥ १. भ० १।२१६ । २. भ० १।२२७ । ३ भ० १।२१७ । ४. भ० १।२१८ पादटिप्पण | ५. भ० १।२१६ । ६. तिणि वि (ता) । ७. भ० १।२१७ । ८. भ० १।२१७ । ६. भ० १।२१६ । १०. भ० १।२१७ । ११ भ० १।२१७ । १२ भ० १।२१६ । १३ अणगारोवउत्ता (अ), अरणागारोवयुत्ता (ता) । १४ भ० १।२१७ । १५. भ० १।२१७ । Page #103 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४४ २४३. एव अणागारोवउत्ते वि सत्तावीस भंगा' ॥ २४४. एवं सत्त वि पुढवोग्रो' नेयव्वाओ, नाणत्त लेसासु ॥ संगहरणी - गाहा काऊ य दोसु, तयाए मीसिया, नीलिया चउत्थीए । पचमियाए मीसा, कण्हा तत्तो परमकण्हा ॥ १॥ असुरकुमारावीण नागादसासु कोहोबउत्तादि भंग-पदं २४५ चउसट्ठीए णं भंते । असुरकुमारावाससयसहस्सेसु एगमेगंसि असुरकुमारावाससि असुरकुमाराणं केवइया ठितिट्ठाणा पण्णत्ता ? गोयमा ! असंखेज्जा ठितिट्टाणा पण्णत्ता । जहण्णिया ठिई जहा' नेरइया तहा, नवरं - पडिलोमा भगा भाणियव्वा । सव्वे वि ताव होज्ज लोभोवउत्ता । हवा लोभोवउत्ता य, मायोवउत्ते य । ग्रहवा लोभोवउत्ता य, मायोवउत्ता य । एएण गमेण नेयव्व जाव' थणियकुमारा, 'नवर - नाणत्त जाणियव्व" ॥ २४६. असवेज्जेसु ण भते । पुढविक्काइयावाससयसहस्सेसु एगमेगसि पुढविक्काइयावाससि पुढविक्काइयाण केवइया ठितिट्ठाणा पण्णत्ता ? गोयमा ! प्रसखेज्जा ठितिद्वाणा पण्णत्ता तं जहा- जहण्णिया ठिई जाव" तप्पा उग्गुक्कोसिया ठिई ॥ २४७. श्रसखेज्जेसु णं भते । पुढविक्काइयावाससयसहस्सेसु एगमेगसि पुढविक्काइयावाससि जहणियाए ठितीए वट्टमाणा पुढविक्काइया कि कोहोवउत्ता ? माणो - वउत्ता ? मायोवउत्ता ? लोभोवउत्ता ? गोयमा । कोहोवउत्ता वि, माणोवउत्ता दि, मायोवउत्ता वि, लोभोवउत्तावि । एव पुढविक्काइयाण सव्वेसु वि ठाणेसु अभगय, नवर - तेउलेस्साए ग्रसीति - भगा ॥ २४८ एव उक्काइया वि ॥ २४९. तेउक्काइय—वाउक्काइयाण सव्वेसु वि ठाणेसु भगय || २५०. वणप्फइकाइया जहा पुढविक्काइया ॥ १. भ० १।२२७ । २. भ० १।२११ ३. भ० १।२१६-२४३ । ४. पू० प० २ । ५ तच्च नारकाणामसुरकुमारादीना च सहनन भगवई सस्थानले ग्यासूत्रेषु भवति ( वृ ) । ६. भ० १।२१६ । ७. भ० ११२१८ पादटिप्पण | ८ भ० १।२४७ -3 Page #104 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढम सत (छट्ठो उद्देसो) २५१. बेइदिय-तेइदिय-चउरिदियाण जेहि ठाणेहिं नेरइयाण असीइभगा तेहिं ठाणेहि असीइ चेव, नवर-अब्भहिया सम्मत्ते। आभिणिबोहियनाणे, सुयनाणे य एएहिं असीइभगा । जेहिं ठाणेहि नेरइयाण सत्तावीस भगा तेसु ठाणेसु सव्वेसु अभगय ॥ २५२. पचिदियतिरिक्खजोणिया जहा ने रइया तहा भाणियव्वा', नवर-जेहिं सत्ता वीस भगा तेहि अभगय कायव्व ॥ २५३ मणुस्सा वि । जेहिं ठाणेहि नेरइयाण असीतिभगा तेहि ठाणेहिं मणुस्साण वि असीतिभगा भाणियव्वा । जेसु सत्तावीसा तेसु अभगय, नवर-मणुस्साण अभहिय जहणियाए ठिईए, आहारए य असीतिभगा ॥ २५४. वाणमतर-जोतिस-वेमाणिया जहा भवणवासी, नवर-नाणत्त जाणियव्व ज जस्स जाव अणुत्तरा ।। २५५. सेव भते । सेव भते । त्ति जाव विहरइ ।। छट्ठो उद्देसो सूरिय-पद २५६ जावइयाओं ण भते | अोवासतरामो उदयते सूरिए चक्खुप्फास हव्वमाग च्छति, अत्थमते वि य ण सूरिए तावतियानो चेव अोवासतराओ चक्खुप्फास हव्वमागच्छति ? हंता गोयमा | जावइयानो ण अोवासतराम्रो उदयते सूरिए चक्खुप्फास हव्वमागच्छति, अत्थमते वि य ण सूरिए तावतियानो चेव अोवासतरायो चक्खुप्फास हव्वमागच्छति ।। २५७. 'जावइय ण, भते । खेत्त उदयते सूरिए प्रायवेण सव्वनो समता प्रोभासेइ उज्जोएइ तवेइ पभासेइ, अत्थमते वि य ण सूरिए तावइय चेव खेत्त प्रायवेण सव्वो समता ओभासेइ ? उज्जोएइ ? तवेइ ? पभासेइ ? १. भ० १२१६-२४३ । __५ स० पा०-वि जाव हन्व ० । २. कायव्व जत्थ असीति तत्थ असीति चेव ६ जावइयाओ ण (अ), जावइयाण्ण (ता), (अ)। जावइया ण (म, स), स्वीकृतपाठे 'ण' ३. भ० १५१॥ पदस्य योगे 'जावइय' पदस्य अनुस्वारलोपो ४ जावइया (म)। जात। Page #105 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४६ भगवई हता गोयमा | जावतिय ण खेत्त' •उदयते सूरिए आयवेण सव्वनो समता प्रोभासेइ उज्जोइए तवेइ पभासेइ, अत्थमते वि य ण सूरिए तावइय चेव खेत्त आयवेण सव्वग्रो समता प्रोभासेइ उज्जोएइ तवेइ° पभासेइ ॥ २५८. त भते ! कि पुट्ठ प्रोभासेइ ? अपुटु अोभासेइ ? गोयमा ! पृट्र प्रोभासेइ, नो अपूट ॥ २५६. त भते । किं प्रोगाढ प्रोभासेइ ? अणोगाढ प्रोभासेइ ? गोयमा ! प्रोगाढ प्रोभासेइ, नो अणोगाढ ॥ २६०. त भते ! किं प्रणतरोगाढ अोभासेइ ? परपरोगाढ प्रोभासेइ ? गोयमा । अणतरोगाढ प्रोभासेइ, नो परपरोगाढ ॥ २६१. त भते । कि अणु अोभासेइ ? बायर प्रोभासेइ ? गोयमा | अणु पि अोभासेइ, वायर पि अोभासेइ ॥ २६२. त भते । किं उड्ढ अोभासेइ ? तिरियं प्रोभासेइ ? अहे अोभासेइ ? गोयमा | उड्ढ पि अोभासेइ, तिरिय पि अोभासेइ, अहे पि अोभासेइ ।। २६३. त भते ! कि आइं प्रोभासेइ ? मज्झे प्रोभासेइ ? अते प्रोभासेइ ? गोयमा । अाइ पि अोभासेइ, मज्झे पि अोभासेइ, अते पि ओभासेइ ॥ २६४. त भते । किं सविसए प्रोभासेइ ? अविसए प्रोभासेइ ? गोयमा ! सविसए अोभासेइ, नो अविसए।। २६५. त भते ! कि प्राणपुवि अोभासेइ ? अणाणपूवि प्रोभासेइ ? गोयमा ! प्राणुपुवि प्रोभासेइ, नो अणाणुपुवि ।। २६६. त भते ! कइदिसि प्रोभासेइ ? ___गोयमा । नियमा° छद्दिसि प्रोभासेइ ।। २६७. एव-उज्जोवेइ तवेइ पभासेइ॥ फुसरणा-पदं २६८ से नूणं भते । सव्वति सव्वावति फुसमाणकालसमयसि जावतिय खेत्त फसइ तावतिय फुसमाणे पुढे त्ति वत्तव्व सिया ? हता गोयमा ! सव्वति' 'सव्वावति फुसमाणकालसमयसि जावतियं खेत्तं फुसइ तावतिय फुसमाणे पुढे त्ति° वत्तव्व सिया ॥ २६६. त* भते । किं पुटुं फुसइ । ? अपुटु फुसइ ? गोयमा ! पुट्ठ फुसइ, नो अपुट्ठ जाव' नियमा छद्दिसि फुसइ ॥ . १. स० पा०-खेत्त जाव पभासेड।। सारि चापि न दृश्यते, किन्तु सर्वासु प्रतिपु २. स० पा०-ओभासेइ जाव छट्टिसि । उपलब्धमस्ति । ३. म० पा०-सव्वति जाव वत्तव्व । ५. भ० ११२५८-२६६ । ४. एतत् सूत्र वृत्ती व्याख्यात नास्ति, प्रकरणानु Page #106 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४७ पढमं सत (छट्ठो उद्देसो) २७०. लोयंते भते | अलोयत फुसइ ? अलोयते वि लोयत फुसइ ? हंता गोयमा | लोयते अलोयत फुसइ, अलोयते वि लोयत फुसइ॥ २७१ त भते ! कि पुटु फुसइ ? अपुटु फुसइ ? गोयमा । पुट्ट फुसइ, नो अपुट्ठ जाव' नियमा छद्दिसिं फुसइ । २७२ दीवते भते । सागरत फुसइ ? सागरते वि दीवत फुसइ ? हता गोयमा । दीवते सागरत फुसड, सागरते वि दीवत फुसइ जाव' नियमा छद्दिसि फुसइ ।। २७३ "उदयते भते । पोयत फुसइ ? पोयते वि उदयत फुसइ ? हता गोयमा | उदयते पोयत फुसड, पोयते उदयत फुसइ जाव' नियमा छद्दिसि फुसइ ।। २७४. छिद्दते भते | दूसतं फुसइ ? दूसते वि छिद्दत फुसइ ? हता गोयमा ! छिद्दते दूसत फुसइ, दूसते वि छिद्दत फुसइ जाव' नियमा छद्दिसि फुसइ॥ २७५ छायते भते । आयवत फुसइ ? प्रायवते वि छायत फुसइ ? हता गोयमा । छायते आयवत फुसइ, आयवते वि छायत फुसइ जाव' नियमा° छद्दिसिं फुसइ ॥ किरिया-पदं २७६. अत्थि ण भते । जीवाण पाणाइवाए ण किरिया कज्जइ ? हता अस्थि ॥ २७७ सा भते । किं पुट्ठा कज्जइ ? अपुट्ठा कज्जइ ? गोयमा | पुट्ठा कज्जइ, नो अपुट्ठा कज्जइ जाव' निव्वाघाएण छद्दिसि, वाघाय पडुच्च सिया तिदिसिं, सिया चउदिसि, सिया पचदिसि । २७८ सा भते । कि कडा कज्जड ? अकडा कज्जइ ? गोयमा । कडा कज्जइ, नो अकडा कज्जइ ।। २७६. सा भते । कि अत्तकडा कज्जइ ? परकडा कज्जइ ? तदुभयकडा कज्जइ ? गोयमा । अत्तकडा कज्जइ, नो परकडा कज्जइ, नो तदुभयकडा कज्जइ ॥ २८०. सा भते कि 'आणुपुन्वि' कडा" कज्जइ ? अणाणुपुवि कडा कज्जइ ? गोयमा । प्राणुपुत्वि' कडा कज्जइ, नो अणाणुपुवि' कडा कज्जइ । जा य १. भ० ११२५८-२६६ । ४. पोदत (क, ता, ब, म, स)। २. भ० ११२५८-२६६ । १५, ६, ७ भ० ११२५८-२६६ । . ३ स० पा०-एव एएण अभिलावेण उदयते ८ भ० ११२५६-२६६ । . पोयत छिद्दते दूसत छायते आयवत जाव ६. आणुपुन्विकडा (अ, क, ब)। ' नियमा। Page #107 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ४८ कडा कज्जड, जा य कज्जिस्सइ, सव्वा सा पाणुपुवि कडा, नो अणाणुपुब्धि 'कडा ति" वत्तव्व सिया ॥ २८१. अत्थि ण भते । नेरइयाण पाणाइवायकिरिया कज्जइ ? हता अत्थि ॥ २८२ सा भते । कि पुट्ठा कज्जइ ? अपुटा कज्जड ? गोयमा | पुढा कज्जइ, नो अपुठ्ठा कज्जड जाव नियमा छद्दिसि कज्जइ ।। २८३. सा भते । कि कडा कज्जइ ? अकडा कज्जइ ? गोयमा | कडा कज्जइ, नो अकडा कज्जइ ॥ २८४. त चेव जाव' नो अणाणुपुवि कडा ति वत्तव्व सिया ॥ २८५. जहा' नेरइया तहा एगिदियवज्जा भाणियव्वा जाव' वेमाणिया। एगिदिया जहा जीवा तहा भाणियव्वा ।।। २८६. जहा" पाणाइवाए तहा मुसावाए तहा अदिण्णादाणे, मेहुणे, परिग्गहे, कोहे,' 'माणे, माया, लोभे, पेज्जे, दोसे, कलहे, अभक्खाणे, पेसुण्णे, परपरिवाए, अरतिरती, मायामोसे,° मिच्छादसणसल्ले-एव एए अट्ठारस । चउवीस दडगा भाणियव्वा॥ २८७. सेव भते । सेव भते ! त्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीर वंदति जाव' विहरति ॥ रोहस्स पण्ह-पदं २८८ तेण कालेण तेण समएणं समणस्स भगवनो महावीरस्स अतेवासी रोहे णामं अणगारे पगइभद्दए पगइउवसते पगइपयणुकोहमाणमायालोभे मिउमहवसपन्ने २ अल्लीणे" विणीए समणस्स भगवो महावीरस्स अदूरसामते उड्डजाणू अहोसिरे झाणकोट्ठोवगए सजमेण तवसा अप्पाण भावेमाणे विहरइ ॥ १ कडा इति(क), कड त्ति (व, स)। ११ ° माय ° (ता)। २ भ० ११२५६-२६६ । १२. ° सपुण्णे (स)। ३. भ० ११२७६, २८० । १३ आलीणे भहए (अ, क, व), अल्लीणे ४ भ० ११२८१-२८४ । भद्दए (ता, म, स, वृ)। आदर्शषु वृत्तौ च ५. पू० प० २। 'पगइभद्दए' इत समादाय 'विणीए' एत६. भ० ११२७६-२८० । दतानि सर्वाण्यपि पदानि वर्तन्ते, किन्तु ७. भ० ११२७६-२८५। औपपातिक (६१, ११६) सूत्रस्य मदर्भ ८. स० पा०-कोहे जाव मिच्छादसणसल्ले । 'पगइमउए पगइविणीए भद्दए' एतानि ६ भ० ११५१॥ त्रीणि पदानि द्विरुक्तानि सन्ति, तानि १०. ० भद्दए पगइमउए पगइविणीए (अ क, ता पाठान्तरे गृहीतानि । द्रप्टव्य भ० २१७० व, म, स, वृ)। सूत्रस्य पादटिप्पणम् । Page #108 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढम सत (छट्टो उद्देसो) २८६. ततेण से रोहे अणगारे' जायसड्ढे जाव' पज्जुवासमाणे एवं वदासी२०. पुव्वि भते । लोए, पच्छा अलोए ? पुव्वि अलोए, पंच्छा लोए ? रोहा | लोए य अलोए य पुव्वि पेते, पच्छा पेते' – दो वेते सासया भावा, णावी एसा रोहा || २९१. पुव्वि भते ! जीवा, पच्छा अजीवा ? पुव्वि जीवा, पच्छा जीवा ? • रोहा । जीवा य प्रजीवा य पुव्वि पेते, पच्छा पेते- दो वेते सासया भावा, ग्रणाणुपुव्वी एसा रोहा । २६२. पुव्वि भते । भवसिद्धिया', पच्छा अभवसिद्धिया ? पुव्वि अभवसिद्धिया, पच्छा भवसिद्धिया ? रोहा ! भवसिद्धिया य, ग्रभवसिद्धिया य पुव्वि पेते, पच्छा पेते- दो वेते सासया भावा, प्रणाणुपुव्वी एसा रोहा 1 २९३ पुव्वि भंते । सिद्धि, पच्छा प्रसिद्धी ? पुव्वि प्रसिद्धी, पच्छा सिद्धी ? रोहा | सिद्धीय प्रसिद्धी य पुव्वि पेते, पच्छा पेते- दो वेते सासया भावा, णाणुपुव्वी एसा रोहा 1 ४६ २६४ पुव्वि भते | सिद्धा, पच्छा प्रसिद्धा ? पुव्वि प्रसिद्धा, पच्छा सिद्धा ? रोहा | सिद्धाय प्रसिद्धाय पुव्वि पेते, पच्छा पेते - दो वेते सासया भावा, प्राणवी एसा रोहा | ० २६५ पुव्वि भते ! अडए, पच्छा कुक्कुडी ? पुव्वि कुक्कुडी, पच्छा अडए ? रोहा । से ण ड को ? भयव । कुक्कुडीग्रो । साण कुक्कुडी को ? भते । ड्याम्रो । 1 एवामेव रोहा । सेय ग्रडए, सा य कुक्कुडी पुव्वि पेते, पच्छा पेते- 'दो वेते'' सासया भावा, ग्रणाणुपुव्वी एसा रोहा । I २६६. पुव्वि भते । लोयते, पच्छा अलोयते ? पुव्वि प्रलोयते, पच्छा लोयते ? रोहा | लोयते य अलोयते य पेते, पच्छा पेते- दो वेते सासया भावा, प्रणाणुपुव्वी एसा रोहा । पुव्वि १ भगव अणगारे (क, ब), अणगारे भगव (ता) । २ भ० १।१० । ३. वेते (ता) । ४. स० पा०—– जहेव लोए य अलोए य तहेव जीवा य अजीवा य । एव भवसिद्धिया य अभवसिद्धिया य सिद्धी असिद्धी सिद्धा असिद्धा । ५ भवसिद्धीया (क, ता, स) । ६ दुवे ( स ) । ७ स० पा०---य जाव अरणारपुपुव्वी । कुन Page #109 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ५० २६७ पुव्वि भते ! लोयते, पच्छा सत्तमे ग्रोवासंतरे ? पुव्वि सत्तमे ग्रोवासंतरे, पच्छा लोयते ? ० रोहा ! लोयते य सत्तमे प्रोवासतरे य पव्वि पेते, पच्छा पेते- दो वेते सासया भावा॰, अणाणुपुव्वी एसा रोहा | २६८. एव लोयते य सत्तमे य तणुवाए । एव घणवाए, घणोदही, सत्तमा पुढवी । एवं लोयते एक्केक्केण सजोएतव्वे इमेहिं ठाणेहि, त जहा संगहरणी - गाहा प्रवास-वात-घणउदहि- पुढवि - दीवा य सागरा वासा । नेरइयादि' अत्थिय, समया कम्माइ लेस्सायो || १ || दिट्ठी दसण-नाणे, सण्ण- सरीरा य जोग-उवग्रोगे | दव्व-पएसा-पज्जव, अद्धा कि पुव्वि लोयते ॥ २ ॥ पुव्वि प्रतीतद्धा, पच्छा लोयते ? रोहा ! लोयते य अतीतद्धा य पुव्वि पेते, पच्छा पेते- दो वेते सासया भावा, णावी एसा रोहा 1 २६६. "पुव्वि भते । लोयते, पच्छा प्रतीतद्धा ? - ३००. पुव्वि भते । लोयते, पच्छा प्रणागतद्धा ? पुव्वि प्रणागतद्धा, पच्छा लोयते ? रोहा ! लोयते य प्रणागतद्धा य पुव्वि पेते, पच्छा पेते- दो वेते सासया भावा, णाणुपुव्वी एसा रोहा ! 1 ३०१. पुव्वि भते । लोयते, पच्छा सव्वद्धा ? पुव्वि सव्वद्धा, पच्छा लोयते ? रोहा | लोयते य सव्वद्धा य पुव्वि पेते, पच्छा पेते- दो वेते सासया भावा, अणाणुपुव्वी एसा रोहा ! • ३०२. जहा' लोयतेण सजोइया सव्वे ठाणा एते, एव अलोयतेण वि सजोएतव्वा सव्वे ॥ ३०३. पुव्वि भते । सत्तमे प्रवासतरे, पच्छा सत्तमे तणुवाए ? पुव्वि सत्तमे तणुवाए, पच्छा सत्तमे प्रवासतरे ? रोहा | सत्तमे ग्रोवासतरे य सत्तमे तणुवाए य पुव्वि पेते, पच्छा पेते- दो वेते सासया भावा, अणाणुपुव्वी एसा रोहा ! • ३०४. एवं सत्तम श्रवासतर सव्वेहिं सम सजोएतव्व जाव' सव्वद्धाए ॥ ३०५. पुव्वि भते । सत्तमे तणुवाए ? पच्छासत्तमे घणवाए ? पुव्वि सत्तमे घणवाए, पच्छा सत्तमे तणुवाए ? १. स० पा०—– पुच्छा । २. स० पा०--पेते जाव अरणाणुपुब्वी । ३. चउवीस दडगा । ४. कम्माइ (अ, क, व, म, स) । ५. स० पा० - पुव्वि भते ! लोयते पच्छा सव्वद्धा । ६ भ० १२६७-३०१ । ७ स० पा० -तरणुवाए । ० ८. भ० ११२६८-३०१ । ६. स० पा० घरणवाए । Page #110 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नढम सतं (छट्ठो उद्देसो) रोहा | सत्तमे तणुवाए य सत्तमे घणवाए य पुवि पेते, पच्छा पेते-दो वेते सासया भावा, अणाणुपुव्वी एसा रोहा । ° ३०६ एव' तहेव नेयव्व जाव' सव्वद्धा ॥ ३०७ एव उवरिल्ल एक्केक्क सजोयतेण, जो जो हिडिल्लो त त छड़तेण नेयव्व जाव' अतीत-अणागतद्धा, पच्छा सव्वद्धा जाव अणाणुपुवी एसा रोहा । ३०८ सेव भते । सेव भते । त्ति जाव' विहरइ ।। लोयट्ठिति-पदं ३०६ भतेति ! भगव गोयमे समण भगव महावीर जाव' एव वयासी३१०. कतिविहा ण भते । लोयट्रिती पण्णत्ता ? गोयमा । अढविहा लोयट्ठिति पण्णत्ता, त जहा-१. आगासपइदिए वाए। २ वायपइट्ठिए उदही। ३ उदहिपइट्ठिया पुढवी। ४ पुढविपइट्ठिया तसथावरा पाणा । ५. अजीवा जीवपइट्ठिया । ६ जीवा कम्मपइट्ठिया। ७. अजीवा जीवसगहिया। ८. जीवा कम्मसगहिया ।।। ३११. से' केणद्वेण भते । एव वुच्चइ-अविहा लोयद्विती जाव' जीवा कम्मसगहिया ? गोयमा ! से जहाणामए केइ पुरिसे वत्थिमाडोवेइ', वत्थिमाडोवेत्ता उप्पि सित वधइ, बधित्ता मज्झै गठि बधइ, वधित्ता उवरिल्ल गठि मुयइ, मुइत्ता उवरिल्ल देस वामेइ, वामेत्ता उवरिल्ल देस 'ग्राउयायस्स पूरेइ, पूरेत्ता उप्पि सित बंधइ, बधित्ता मज्झिल्ल गठि मुयइ । से नूण गोयमा से आउयाए तस्स वाउयायस्स उप्पि उवरिमतले चिट्ठइ ? हता चिट्टइ। से तेणटेण गोयमा । एव बुच्चइ-अट्ठविहा लोयट्टिती जाव जीवा कम्मसगहिया। से जहा वा केइ पुरिसे वत्थिमाडोवेइ, वत्थिमाडोवेत्ता कडीए बधइ, वधित्ता अत्थाहमतारमपोरुसियसि२ उदगसि ओगाहेज्जा । से नूण गोयमा ! से पुरिसे तस्स आउयायस्स उवरिमतले चिट्ठइ ? हता चिट्ठइ। एव वा अट्टविहा लोयट्टिई जाव जीवा कम्मसगहिया । १. एव पि (क, ता, व, म, स)। ७ भ० ११३१० । २ भ० ११२६८-३०१ । ८ वत्थि° (क)। ३. भ० श२६८-३०१ । ६. मज्झिल (ब)। ४. भ० ११३०१। १० आउयाए सपूरेइ (अ)। ५. भ० ११५१ । ११. चेट्ठइ (अ), चेष्टति (व)। ६. भ० १।१०। १२. अत्थाहमपार ° (वृपा)। Page #111 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई जीव-पोग्गल पदं ३१२. अत्थि ण भते । जीवा य पोग्गला य अण्णमण्णवद्धा, अण्णमण्णपट्रा, अग्रणमण्ण मोगाढा, अण्णमण्णसिणेहपडिवद्धा, अण्णमण्णवडत्ताए चिट्टति ? हता अस्थि ॥ ३१३. से केणद्वेण भते । • एव वुच्चइ-अस्थि ण जीवा य पोग्गला य अण्णमण्ण बद्धा, अण्णमण्णपुट्ठा, अण्णमण्णमोगाढा, अण्णमण्णमिणेहपडिबद्धा, अण्णमण्णघडत्ताए० चिदति ? गोयमा | से जहाणामए हरदे सिया पुण्णे पुण्णप्पमाणे वोलट्टमाणे बोसट्टमाणे समभरघडत्ताए चिट्ठइ। अहे ण केइ पुरिसे तसि हरदसि एगं मह नाव सयासव' सयछि योगाहेज्जा । से नण गोयमा । सा नावा तेहि पासवदारेहिं यापूरमाणी-यापूरमाणी पुण्णा पुण्णप्पमाणा बोलट्टमाणा वोसट्टमाणा समभरघडत्ताए चिट्ठइ ? हता चिट्ठा। से तेणद्वेण गोयमा । एव वुच्चइ-अत्थि ण जीवा य' •पोग्गला य अण्णमण्णवद्धा, अण्णमण्णपुट्ठा, अण्णमण्णमोगाढा, अण्णमण्णसिणेहपडिवद्धा, अण्ण मण्णघडत्ताए° चिट्ठति ॥ सिरोहकाय-पदं ३१४. अत्थि ण भते । सदा समित सुहुमे सिणेहकाए पवडइ ? हता अत्थि ॥ ३१५. से भंते । किं उड्ढे पवडइ ? अहे पवडइ ? तिरिए पवडइ ? गोयमा | उड्ढे वि पवडइ, अहे वि पवडइ, तिरिए वि पवडइ ।। ३१६ जहा से वायरे आउयाए अण्णमण्णसमाउत्ते चिर पि दीहकाल चिट्टा तहा ण से वि? णो इणढे समढे । से ण खिप्पामेव विद्धसमागच्छइ । ३१७. सेव भते । सेव भते । त्ति ॥ १. स० पा०-भते जाव चिट्ठति । २. महा (ता)। ' ३. सदा° (अ, क, ता, व, स)। ४. सदाछिड्ड (अ), सतछिड (ता), सदछिड्ड (ब)। ५ स० पा०-य जाव चिट्ठति । ६ पडइ (अ, ब)। ७ भ० ११५१ । Page #112 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ढम सत (सत्तमो उद्देसो) सत्तमो उद्देसो रेस-सव्व-पदं ३१८. नेरइए ण भते । नेरइएसु उववज्जमाणे, कि-१. देसेण देस उववज्जइ ? २ देसेण सव्व उववज्जइ ? ३ सव्वेण देस उववज्जइ ? ४ सव्वेण सव्व उववज्जइ ? गोयमा । १ नो देसेण देसं उववज्जइ । २. नो देसेणं सव्व उववज्जइ । ३ नो सव्वेणं देस उववज्जइ। ४ सव्वेण सव्व उववज्जइ।। ३१९ जहा नेरइए, एव जाव' वेमाणिए । ३२०. नेरइए ण भते । नेरइएसु उववज्जमाणे, कि-१. देसेण देस हारेइ १२ देसेण सव्व आहारेइ ? ३ सव्वेण देस आहारेइ ? ४ सव्वेण सव्व पाहारेइ ? गोयमा । १. नो देसेण देस आहारेइ। २. नो देसेण सव्व आहारेइ । ३ सव्वेण वा देसं आहारेइ । ४. सव्वेण वा सव्व आहारेइ ।। ३२१ एव जाव' वेमाणिए । ३२२. नेरइए ण भते । नेरइएहितो उन्वट्टमाणे, कि-१ देसेण देस उव्वट्टइ ? २ ५ देसेण सव्व उव्वट्टाइ ? ३ सव्वेण देस उव्वट्टइ ? ४ सव्वेण सव्व उव्वट्टइ? गोयमा । १ नो देसेण देस उव्वट्टइ । २ नो देसेण सव्व उव्वट्टाइ । ३ नो सव्वेण देस उव्वट्टइ । ४ सव्वेण सव्व उव्वट्टइ।। ३२३. एव जाव वेमाणिए ॥ ३२४. नेरइए ण भते नेरइएहितो उव्वट्टमाणे, कि-१ देसेण देस आहारेइ ? २ देसेण सव्व आहारेइ ? ३ सव्वेण देस आहारेइ ? ४ सव्वेण सव्व आहारेइ ? गोयमा । १ नो देसेण देस अाहारेइ। २ नो देसेण सव्व आहारेइ । ३ सव्वेण वा देस आहारेइ । ४ सव्वेण वा सव्व आहारेइ । १ पू०प० २। जाव वेमाणिया । नेरइए ण भते । नेरइएसु २ पू०प०२। उववण्णे किं देसेण देस उववण्णे एसो वि ३ वेमारिणया (म)। तहेव जाव सव्वेण सव्व उववण्णे। जहा ४ नेरइएसु (ता, म)। उववज्जमाणे उव्वट्टमाणे य चत्तारि दडगा ५. स० पा०--जहा उववज्जमाणे तहेव उव्वट्ट- तहा उववण्णेण उन्वट्टेण वि चत्तारि दंडगा माणे वि दडगो भारिणयव्वो। नेरइए ण भारिणयव्वा-सव्वेण सव्व उववण्णे, सव्वेण भते । नेरइएहितो उव्वट्टमाणे किं देसेण वा देस आहारेइ, सव्वेण वा सव्व आहारेइ । देस आहारेइ तहेव जाव सव्वेण वा देस एएण अभिलावेण उववण्णे वि उव्वट्टे वि आहारेइ । सव्वेण वा सव्व आहारेइ । एव नेयव्व। Page #113 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५४ ३२५. एव जाव वेमाणिए || 1 ३२६. नेरइए ण भते । नेरइएसु उववण्णे, कि- १. देसेण देस उववण्णे ? २ देसेण सव्व उववण्णे ? ३ सव्वेण देस उववण्णे ? ४ सव्वेण सव्व उववणे ? गोयमा ! १ नो देसेण देस उववण्णे । २ नो देसेणं सव्व उववण्णे । ३. नो सव्वेण स उववणे । ४ सव्वेण सव्वं उववण्णे ।। ३२७ एव जाव वेमाणिए ॥ ? ३२८ नेरइए ण भते । नेरइएमु उववण्णे, किं - १ देसेण देस ग्राहारेड ? २ देसेण सव्व आहारेइ ? ३ सव्वेण देस ग्राहारेइ ? ४ सव्वेण सव्व ग्रहारेड गोयमा । १ नो देसेण देस आहारेइ । २ नो देसेण सव्व श्राहारेइ । ३. सव्वेण वा देस आहारेइ । ४ सव्वेण वा सव्व ग्राहारेड || ३२६. एव जाव वेमाणिए ॥ ३३०. ने'रइए ण भते । नेरइएहितो उव्वट्टे, कि - १ देसेण देसं उब्वट्टे ? २. देसेण सव्वं उव्वट्टे ? ३ सव्वेण देस उव्वट्टे ? ४ सव्वेण सव्व उव्वट्टे ? गोयमा ! १ नो देसेण देस उव्वट्टे । २ नो देसेण सव्व उव्वट्टे । ३ नो सव्वेण देस उव्वट्टे । ४ सव्वेण सव्व उव्वट्टे || ३३१. एव जाव वेमाणिए || ३३२. नेरइए ण भते । नेरइएहिंतो उव्वट्टे, कि - १ देसेण देस श्राहारेइ ? २ देसेण सव्व आहारेइ ? ३. सव्वेण देस ग्राहारेइ ? ४ सव्वेण सव्व श्राहारेइ ? गोयमा । १ नो देसेण देस आहारेइ । २ नो देसेण सव्वग्राहारेइ । ३. सव्वेणं वा देस आहारेइ । ४ सव्वेण वा सव्व आहारेइ ॥ ३३३. एवं जाव वेमाणिए ॥ ० ३३४. नेरइए णं भते । नेरइएसु उववज्जमाणे, कि-१ अद्वेणं अद्ध उववज्जइ ? ? ३ सव्वेण ऋद्ध उववज्जइ ? ४ सव्वेण सव्व २ अद्धेण सव्व उववज्जइ उववज्जइ ? जहा पढमिल्लेण अट्ठ दडगा तहा अद्वेण वि अट्ठ दडगा भाणियव्वा, नवरजहि देसेण देस उववज्जइ, तहिं अद्धेण ऋद्ध उववज्जइ इति भाणियव्व, नात् । एते सव्वे वि सोलस दडगा भाणियव्वा ॥ एय विग्गहगइ - पद ३३५. जोवे ण भते ! किं विग्गहगइसमावण्णए ? अविग्गहगइसमावण्णए ? गोयमा ! सिय विग्गहगइसमावण्णए, सिय अविग्गहगइसमावण्णए । दडको भगवई १. अस्मिन्नालापके वृत्तिकृता पाठान्तरस्य उल्लेख कृतोस्ति -- 'पुस्तकान्तरे तूत्पादतदाहारदडकानन्तरमुत्पादे सत्युत्पन्नतदाहार ततस्तूत्पादप्रतिपक्षत्वादुद्वर्त्तनाया उद्वर्त्तनातदाहारदडकौ उद्वर्तनाया चोवृत्त स्यादित्युद्वृत्ततदाहारदडकी' (वृ) । Page #114 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढम सत (सत्तमो उद्देसो) ३३६. एव जाव' वेमाणिए । ३३७. जीवा ण भते । कि विग्गहगइसमावण्णया ? अविग्गहगइसमावण्णया ? गोयमा ! विग्गहगइसमावण्णगा वि, अविग्गहगइसमावण्णगा वि ॥ ३३८. नेरइया ण भते । कि विग्गहगइसमावण्णगा? अविग्गहगइसमावण्णगा? गोयमा ! सव्वे वि ताव होज्ज अविग्गहगइसमावण्णगा । अहवा अविग्गहगइसमावण्णगा, विग्गहगइसमावण्णगे य । अहवा अविग्गहगइसमावण्णगा य, विग्गहगइसमावण्णगा य। एव जीव-एगिदियवज्जो तियभगो। प्रायु-पदं ३३९. देवे ण भते । महिड्ढिए' महज्जुइए महब्बले महायसे महेसक्खे' महाणभावे अविउक्कतिय चयमाणे किचिकाल हिरिवत्तिय दुगछावत्तिय परीसहवत्तिय" आहार नो आहारेइ । अहे ण आहारेइ पाहारिज्जमाणे आहारिए, परिणामिज्जमाणे परिणामिए, पहीणे य आउए भवइ । जत्थ उववज्जइ त आउय पडिसवेदेइ, त जहा-तिरिक्खजोणियाउय वा, मणुस्साउय वा ? हंता गोयमा । देवेण महिड्ढिए महज्जुइए महब्बले महायसे महेसक्खे महाणभावे अविउक्कतिय चयमाणे किचिकाल हिरिवत्तिय दुगछावत्तिय परीसहवत्तिय आहार नो आहारेइ । अहे ण आहारेइ पाहारिज्जमाणे आहारिए, परिणामिज्जमाणे परिणामिए, पहीणे य पाउए भवइ। जत्थ उववज्जइ त ग्राउय पडिसवेदेइ, त जहा-तिरिक्खजोणियाउय वा मणुस्साउय वा। गन्म-पदं ३४०. जीवे ण भते । गभ वक्कममाणे किं सइदिए वक्कमइ ? अणिदिए वक्कमइ ? ___ गोयमा ! सिय सइदिए वक्कमइ । सिय अणिदिए वक्कमइ ॥ ३४१. से केणठेण भते । एव वुच्चइ-सिय सइदिए वक्कमइ ? सिय अणिदिए वक्कमइ ? गोयमा । दविदियाइ पडुच्च अणिदिए वक्कमइ । भाविदियाइ पडुच्च सइदिए वक्कमइ । से तेणद्वेण गोयमा । एव वच्चइ-सिय सइदिए वक्कमइ । सिय अणिदिए वक्कमइ ॥ १ पू०प०२। २. महड्ढिए (क)। ३ महासुक्खे (अ) , महासोक्खे (म, वृपा)। ४. चय चयमाणे (अ, ता, ब, म, स, वृपा)। ५. कचि (ता)। ६ हिरिवित्तिय (स)। ७ परिस्सह ° (क, ता, स)। ८ स० पा० -महिड्ढिए जाव मणुस्साउय । Page #115 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . भगवई ३४२. जीवे ण भते ! गम्भ वक्कममाणे किं ससरीरी वक्कमड, असरीरी वक्कमड ? गोयमा । सिय ससरीरी वक्कमइ। सिय असरीरी वक्कमइ ॥ ३४३. से केणठेण भते । एव वुच्चइ-सिय ससरीरी वक्कमइ ? सिय असरीरी वक्कमइ ? गोयमा । ओरालिय-वेउविय-याहारयाई' पडुच्च असरीरी बक्कमड। तेया-कम्माइ पडुच्च ससरीरी वक्कमइ । से तेणठेण गोयमा । एव वुच्चइ सिय ससरीरी वक्कमइ । सिय असरीरी वक्कमइ ॥ ३४४. जीवे ण भते । गभ वक्कममाणे तप्पढमयाए किमाहारमाहारेड ? गोयमा । माउओय पिउसुक्क-त तदुभयससिट्ठ तप्पढमयाए आहार माहारेइ ।। ३४५. जीवे ण भते । गभगए समाणे कि आहारमाहारेड ? गोयमा । ज से माया नाणाविहारो रसविगतीनो' आहारमाहारेइ, तदेकदेसेण ओयमाहारेइ।। ३४६. जीवस्स ण भते । गभगयस्स समाणस्स अस्थि उच्चारे इ वा पासवणे इ वा खेले इ वा सिंघाणे इ वा 'वते इ वा पित्ते इ वा” ? णो इणढे समढें ॥ से केणठेण? गोयमा । जीवे ण गभगए समाणे जमाहारेइ त चिणाड, त जहा -सोइदियत्ताए, 'चक्खिदियत्ताए, घाणिदियत्ताए, रसिदियत्ताए°, फासिदियत्ताए, अद्वि-अटिमिज-केस-मसु-रोम-नहत्ताए। से तेणटेण गोयमा ! एव वुच्चइ-जीवस्स ण गब्भगयस्स समाणस्स णत्थि उच्चारे इ वा पासवणे इ वा खेले इ वा सिघाणे इ वा वते इ वा पित्ते इ वा ॥ ३४८. जीवे ण भते । गभगए समाणे पभू मुहेण कावलिय याहारमाहारित्तए ? गोयमा | णो इणठे समठे ।। ३४६. से केणठेण? गोयमा | जीवे ण गभगए समाणे सव्वनो आहारेइ, सव्वनो परिणामेइ, सव्वनो उस्ससइ, सव्वओ निस्ससइ, अभिक्खण आहारेइ, अभिक्खण परिणामेइ, अभिक्खणं उस्ससइ, अभिक्खण निस्ससइ, आहच्च अाहारेइ, आहच्च परिणामेइ, आहच्च उस्ससइ, पाहच्च निस्ससई। १. आहारादी (अ, व); आहाराइ (ता, स)। ४ X (अ, क, ता, व) एते पदे वृत्तावपि न २. समिठ्ठ कलुस किन्विसं (अ, क, म, स)। व्याख्याते । ३. रसवतीओ (अ, क, व, म), ५. स०पा०-सोइदियत्ताए जाव फासिदियत्ताए। रसवित्तीओ (ता)। ६ नीससति (अ, क, ता, म, स)। ३४७. Page #116 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५७ माउजीवरसहरणी, पुत्तजीवरसह रणी, माउजीवपडिबद्धा पुत्तजीवफुडा' - म्हा आहारे, तहा परिणामेइ । पदम सतं (सत्तमो उद्देसो) अवरा वि य ण पुत्तजीवपडिवद्धा माउजीवफुडा' - तम्हा चिणाइ, तम्हा उवचिणाइ । से तेणट्ठेण गोयमा । एव वुच्चइ - जीवे ण गब्भगए समाणे • नोपभू मुण कावलि प्रहारमाहारिए || माइय-पेय-ग-पद ३५०. कइ ण भते । माइयगा पण्णत्ता ? गोयमा । तो माइयगा पण्णत्ता, त जहा - मसे, सोणिए, मत्थुलुगे । ३५१. कइ ण भते । पेतियगा' पण्णत्ता ? गोयमा | तो पेतियगा पण्णत्ता, त जहा - अट्ठि, अट्ठिमिजा, केस-मसुरोम-हे ॥ ३५२. अम्मापेइए' ण भते । सरीरए केवइय काल सचिट्ठइ ? गोयमा । जावइय से काल भवधारणिज्जे सरीरए अव्वावन्ने भवइ एवतिय काल सचिट्ठइ, ग्रहे ण समए समए वोयसिज्जमाणे- वोयसिज्जमाणे चरिमकालसमयसि वोच्छिष्णे भवइ ॥ गब्भस्स नरगगमरण-पद ३५३. जीवे ण भते । गब्भगए समाणे ने रइएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा । अत्थेगइए उववज्जेज्जा, प्रत्येगइए नो उववज्जेज्जा ।। ३५४ से केणट्ठेण भते । एव वच्चइ - प्रत्येगइए उववज्जेज्जा, प्रत्येगइए नो उववज्जेज्जा ? गोयमा । सेण सण्णी पचिदिए सव्वाहि पज्जतीहि पज्जत्तए वीरियलद्धीए वेव्विलद्धी पराणीय प्रागय सोच्चा निसम्म' पएसे निच्छुभइ, निच्छुभित्ता वेव्वियसमुग्धाएण समोहण्णइ, समोहणित्ता चाउरगिणि सेण' विउव्वइ, विउव्वित्ता चाउरगिणीए सेणाए पराणीएण सद्धि सगाम सगामेइ । से ण जीवे प्रत्थकामए रज्जकामए भोगकामए कामकामए, प्रत्थकखिए रज्जकखिए भोगकखिए काम कखिए, प्रत्यपिवासिए रज्जपिवासिए भोगपिवासिए कामपिवासिए, तच्चित्ते तम्मणे तल्लेसे तदज्भवसिए तत्तिव्वज्भवसाणे तदट्ठोवउत्ते तदप्पियकरणे तव्भावणाभाविए, एयसि ण अतरसि काल १. पुत्तजीव फुडा (वृ) 1 २. माउजीव फुडा (वृ) 1 ३ स० पा०-- तेराट्ठे जाव नो । ४ ० ए ( अ, क, स), ५. पितियंगा ( अ, म, स ) । • लिंगे (म) । ८ ६. ० पिइए ( अ, म, स ) | ७ निसम्मा (ता) | ८ समोहरणइ ( अ, स ) । ६ सेण्ण (क, ता, व, म, स ) । Page #117 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५८ भगवई करेज्ज नेरइएसु उववज्जइ । से तेणट्ठेण गोयमा । एव वुच्चइ - प्रत्येगइए उववज्जेज्जा°, प्रत्थेगइए नो उववज्जेज्जा ॥ गव्भस्स देवलोगगमण - पद ३५५. जीवे ण भते । गव्भगए समाणे देवलोगेसु उववज्जेज्जा ? गोयमा । प्रत्येगइए उववज्जेज्जा, प्रत्येगइए नो उववज्जेज्जा ॥ ३५६. से केणट्ठेण भ एव वुच्चइ – प्रत्येगइए उववज्जेज्जा, प्रत्येगइए नो 1 उववज्जेज्जा ? गोयमा । सेण सण्णी पचिदिए सव्वाहिं पज्जत्तीहि पज्जत्तए तहारूवस्स समणस्स वा माहणस्स वा अतिए एगमवि आरिय धम्मिय सुवयण सोच्चा निसम्म तम्रो भवइ सवेगजायसड्ढे तिव्वधम्माणुरागरत्ते । से ण जीवे धम्मकामए पुण्णकामए सग्गकामए मोक्खकामए, धम्मकखिए पुण्णकखिए सग्गकखिए मोक्खकखिए, धम्मपिवासिए पुण्णपिवासिए सग्गपिवासिए मोक्खपिवासिए, तच्चित्ते तम्मणे तल्ले से तदज्भवसिए तत्तिव्वज्भवसाणे तदट्ठोवउत्ते तदप्पियकरणे तब्भावणाभाविए, एयसि ण अतरसि काल करेज्ज देवलोगेसु उववज्जइ । से तेणट्ठेण गोयमा 1 एव वुच्चइ – प्रत्थेगइए उववज्जेज्जा, प्रत्थेगइए नो उववज्जेज्जा ॥ ३५७. जीवे ण भते ! गव्भगए समाणे उत्ताणए वा पासल्लए वा प्रबखुज्जए वा अच्छेज्ज वा ? चिट्ठेज्ज वा ? निसीएज्ज वा ? तुयट्टेज्ज वा ? माउए सुयमाणी ' सुवइ ? जागरमाणीए जागरइ ? सुहियाए सुहिए भवइ ? दुहियाए दुहिए भवइ ? हता गोयमा । जीवे ण गब्भगए समाणे' 'उत्ताणए वा पासल्लए वा अवखुज्जए वा अच्छेज्ज वा चिट्ठेज्ज वा निसीएज्ज वा तुयट्टेज्ज वा । माउए सुयमाणीए सुवइ, जागरमाणीए जागरइ, सुहियाए सुहिए भवइ ° दुहियाए दुहिए भवइ । ग्रहे ण पसवणकालसमयसि सीसेण वा पाएहिं वा ग्रागच्छति सममागच्छति', तिरियमागच्छति विणिहायमावज्जति । वण्णवज्झाणि य से कम्माइ वद्धाइ पुट्ठाइ निहत्ताइ कडाइ पट्ठवियाइ ग्रभिनिविट्ठाइ अभिसमण्णागयाइ उदिण्णाइनो उवसताइ भवति, १. स० पा० - गोयमा जाव अत्ये ० । जाइसड्ढे (व, स ) । २. ० ३ उत्तारणे (ता) | ४. पोसल्लए ( अ ), पासिल्लए ( क ) ; पासल्लिए (ता, म) 1 ५ सुवमारिणीए (क, ता, म) | ६ स० पा० - समागे जाव दुहियाए । ७ सम्ममा ० ( अ, व, स, वृपा) । Page #118 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढम सत (अट्ठ मो उद्देसो) तो भवइ दुरूवे दुवण्णे 'दुग्गघे दुरसे' दुफासे अणिढे अकते अप्पिए असुभे अमणुण्णे अमणामे हीणस्सरे दीणस्सरे अणिट्ठस्सरे अकतस्सरे अप्पियस्सरे असुभस्सरे अमणुण्णस्सरे अमणामस्सरे 'अणाएज्जवयणे पच्चायाए'२ या वि भवंइ। वण्णवज्झाणि य से कम्माइ नो वद्धाइ 'नो पुट्ठाइ नो निहत्ताइ नो कडाइ नो पवियाइ नो अभिनिविट्ठाइ नो अभिसमण्णागयाइ नो उदिण्णाइ-उवसताइ भवति, तो भवइ सुरूवे सुवण्णे सुगधे सुरसे सुफासे इठे कते पिए सुभे मणुण्णे मणामे अहीणस्सरे अदीणस्सरे इट्ठस्सरे कतस्सरे पियस्सरे सुभस्सरे मणुण्णस्सरे मणामस्सरे 'आदेज्जवयणे पच्चायाए" या वि भवइ॥ ३५८. सेव भते । सेव भते । त्ति' ।। अट्ठमो उद्देसो बालस्स प्राउय-पद ३५६. एगतबाले ण भते । मणुस्से कि ने रइयाउय पकरेति ? तिरिक्खाउय पकरेति ? मणुस्साउय पकरेति ? देवाउय पकरेति । नेरइयाउय किच्चा नेरइएसु उववज्जति ? तिरियाउय किच्चा तिरिएसु उववज्जति ? मणुस्साउय किच्चा मणुस्सेसु उववज्जति ? देवाउय किच्चा देवलोगेसु उववज्जति ? गोयमा । एगतबाले ण मणुस्से नेरइयाउय पि पकरेति, तिरियाउय वि पकरेति, मणुस्साउय पि पकरेति, देवाउय पि पकरेति, नेरइयाउय किच्चा नेरइएसु उववज्जति, तिरियाउय किच्चा तिरिएसु उववज्जति, मणुस्साउय किच्चा मणुस्सेसु उववज्जति, देवाउय किच्चा देवलोगेसु उववज्जति ॥ पडियस्स पाउय-पदं ३६०. एगतपडिए ण भते । मणुस्से किं नेरइयाउय पकरेति ? •तिरिक्खाउय पकरेति ? मणुस्साउय पकरेति ? देवाउय पकरेति ? नेरइयाउयं किच्चा १ दुगघे (म)। ३ स० पा०—पसत्थ नेयव्व जाव आदेज्ज ° । २. ° वयणपच्चाए (अ, क, ता, ब, म, स), ४. ° वयणपच्चाए (क, ता)। स्थानाङ्गे (१०) 'पच्चायाए' इत्येव ५ भ० ११ ५१ ।। पाठोस्ति। ६. स० पा०-पकरेति जाव देवाज्य । Page #119 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई नेरइएसु उववज्जति ? तिरियाज्य किच्चा तिरिएसु उववज्जति ? मणुस्साय किच्चा मणुस्सेसु उववज्जति ? • देवाउय किच्चा देवलोएसु उववज्जति ? गोयमा ! एगतपडिए ण मणुस्से' प्राउयं सिय पकरेति, सिय णो पकरेति, जइ पकरेति णो ने'रइयाउय पकरेति णो तिरियाउय पकरेति णो मणुस्साज्य पकरेति, देवाउय पकरेति णो नेरइयाउय किच्चा नेरइएसु उववज्जति, णो तिरियाज्य किच्चा तिरिएसु उववज्जति, णो मणुस्साउय किच्चा मणुस्सेसु उववज्जति, देवाउय किच्चा देवेसु उववज्जति ॥ ३६१. से केणट्ठेण जाव' देवाउय किच्चा देवेसु उववज्जति ? गोयमा ! एगतपडियस्स ण मणुस्सस्स केवलमेव दो गतीओ पण्णायति, त जहा – प्रतकिरिया चेव, कप्पोववत्तिया चेव । से तेणट्ठेण गोयमा ! जाव देवाउय किच्चा देवेसु उववज्जति । बालप डियस्स प्राउय-पद ३६२ वालपडिए ण भते । मणुस्से कि नेरइयाउय पकरेति' ? 'तिरिक्खाज्य पकरेति ? मणुस्साउय पकरेति ? देवाउय पकरेति ? नेरइयाउय किच्चा नेरइएसु उववज्जति ? तिरियाज्य किच्चा तिरिएसु उववज्जति ? मणुस्साउय किच्चा मणुस्सेसु उववज्जति ? देवाउय किच्चा देवेसु स्ववज्जति ? I गोयमा । वालपडिए ण मणुस्से णो नेरइयाज्य पकरेति णो तिरिक्खाज्य पकरेति, णो मणुस्साउय पकरेति, देवाउय पकरेति, गो नेरइयाउय किच्चा नेरइएसु उववज्जति, णो तिरियाज्य किच्चा तिरिएसु उववज्जति, णो मणुस्साउय किच्चा मणुस्सेसु उववज्जति, देवाउयं किच्चा देवेसु उववज्जति ॥ ३६३. से केणट्ठेण जाव' देवाउय किच्चा देवेसु उववज्जति ? गोयमा । वालपडिए ण मणुस्से तहारूवस्स समणस्स वा माहणस्स वा अंतिए एगमवि आरिय' धम्मिय सुवयण सोच्चा निसम्म देस उवरमइ, देस णो उवरमइ, देस पच्चक्खाइ, देस णो पच्चक्खाइ । जाव' 'से तेण" देसोवरम देसपच्चक्खाणेण णो नेरइयाउय पकरेति देवाउय किच्चा देवेसु उववज्जति । से तेणट्ठेण जाव देवाउय किच्चा देवेसु उववज्जति ॥ 1 २. मरण से ( ता ) 1 २ भ० १1३६० । ३ स० पा०- - पकरेति जाव देवाउय | ४. भ० १।३६२ । ५ यारिय (क, ता) ६ निसम्मा ( अ, ता, व ) । ७ सेर ते ( क ), सेरण तेण (ता, व ) । ८ भ० १।३६० । Page #120 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढम सत (अट्ठमो उद्देसो) किरिया-पदं ३६४. पुरिसे ण भते । कच्छसि वा दहसि वा उदगसि वा दवियसि वा वलयसि वा नमसि वा गहणसि वा गहणविदुग्गसि वा पव्वयसि वा पव्वयविदुग्गसि वा वणसि वा वणविदुग्गसि वा मियवित्तीए' मियसकप्पे मियपणिहाणे मियवहाए गता एते मिय' त्ति काउ अण्णयरस्स मियस्स वहाए कूडपास उद्दाति', ततो ण भते । से पुरिसे कतिकिरिए ? । गोयमा | सिय तिकिरिए, सिय चउकिरिए", सिय पचकिरिए। ३६५. से केणठेण भते । एव वुच्चइ-सिय तिकिरिए ? सिय चउकिरिए ? सिय पचकिरिए ? गोयमा । जे भविए उद्दवणयाए–णो बधणयाए, णो मारणयाए-ताव च ण से पुरिसे काइयाए, अहिगरणियाए, पायोसियाए-तिहि किरियाहिं पुढें। जे भविए उहवणताए वि, बधणताए वि-णो मारणताए-ताव च ण से परिसे काइयाए, अहिगरणियाए, पारोसियाए", पारितावणियाए-चउहि किरियाहि पुढें। जे भविए उद्दवणताए वि, बधणताए वि, मारणताए वि, ताव च ण से पूरिसे काइयाए, अहिगरणियाए, पाओसियाए, पारितावणियाए, पाणातिवायकिरियाए–पहिं किरियाहि पुढे । से तेणटेण गोयमा । एव वुच्चइ-सिय तिकिरिए, सिय चउकिरिए, सिय पचकिरिए। ३६६. पुरिसे ण भते ! कच्छसि वा जाव" वणविदुग्गसि वा तणाइ ऊसविय-ऊसविय अगणिकाय निसिरइ-ताव च ण भते । से पुरिसे कतिकिरिए ? गोयमा । सिय तिकिरिए, सिय चउकिरिए, सिय पचकिरिए। ३६७ सेकेणठेण भते । एव वुच्चइ-सिय तिकिरिए ? सिय चउकिरिए ? सिय पचकिरिए ? गोयमा । जे भविए उस्सवणयाए"-•णो निसिरणयाए, णो दहणयाए–ताव १. मियवत्तिए (अ), मियवत्तीए (स)। ८ उद्दणयाए (ता)। २. मिए (अ, ता, व, म, स)। ६ स० पा०-तेरण?ण जाव पच° । ३ उड्डाइ (अ, क, ता, व, स)। १० भ० ११३६४ । ४. जाव च ण से पूरिसे कच्छसि वा जाव ११ स० पा०-उस्सवरणयाए तिहिं, उस्सवणयाए कूडपास उड्डाइ ताव च रण से पुरिसे सिय । वि निसिरणयाए वि नो दहणयाए चउहिं, (क, ता, म, स)। जे भविए उस्सवरणयाए वि निसिरणयाए वि ५. चतु० (ता)। ६. पाउसियाए (अ, ब, म)। दहणयाए वि ताव च ण से पुरिसे काइयाए जाव पचहिं। ७. पायोसियाए (ब)। Page #121 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई च णं से पुरिसे काइयाए, अहिगरणियाए, पाओसियाए–तिहिं किरियाहिं पुढें। जे भविए उस्सवणयाए वि, निसिरणयाए वि, णो दहणयाए-ताव च णं से पुरिसे काइयाए, अहिगरणियाए, पाओसियाए, पारितावणियाए-चउहिं किरियाहिं पुढें। जे भविए उस्सवणयाए वि, निसिरणयाए वि, दहणयाए वि, ताव च ण से पुरिसे काइयाए, अहिगरणियाए, पामोसियाए, पारितावणियाए, पाणातिवायकिरियाए–पहिं किरियाहि पुढे । से तेणठेण गोयमा ! एव वुच्चइ सिय तिकिरिए, सिय चउकिरिए, सिय पचकिरिए। ३६८. पुरिसे ण भते । कच्छसि वा जाव' वणविदुग्गसि वा मियवित्तीए मियसकप्पे मियपणिहाणे मियवहाए गता एते 'मिय त्ति काउ अण्णतरस्स मियस्स वहाए उसु निसि रति, ततो णं भते ! से पुरिसे कतिकिरिए ? गोयमा ! सिय तिकिरिए, सिय चउकिरिए, सिय पचकिरिए। ३६६. से केणळेण भते । एव वुच्वइ-सिय तिकिरिए, सिय चउकिरिए, सिय पचकिरिए ? गोयमा ! जे भविए निसिरणयाए—णो विद्धंसणयाए, णो मारणयाएताव च ण से पुरिसे काइयाए, अहिगरणियाए, पाओसियाए-तिहि किरियाहिं पुठे। जे भविए निसि रणताए वि, विद्धसणताए वि-णो मारणयाए-ताव च ण से पुरिसे काइयाए, अहिगरणियाए, पाओसियाए, पारितावणियाए-चउहिं किरियाहिं पुढें। ____ जे भविए निसिरणयाए वि, विद्धसणयाए वि, मारणताए वि-ताव च ण से पुरिसे' 'काइयाए, अहिगरणियाए, पाओसियाए, पारितावणियाए, पाणातिवायकिरियाए°-पचहिं किरियाहिं पुढें । से तेणछेण गोयमा । एव वुच्चइ -सिय तिकिरिए, सिय चउकिरिए, सिय पंचकिरिए। ३७०. पुरिसे ण भते । कच्छसि वा जाव वणविदुग्गसि वा ? मियवित्तीए मियसकप्पे मियपणिहाणे मियवहाए गता एते मिय त्ति काउ अण्णत रस्स मियस्स वहाए आयत-कण्णायतं उसु आयामेत्ता चिट्ठज्जा, अण्णयरें पुरिसे मग्गतो आगम्म सयपाणिणा' असिणा सीसं छिदेज्जा, से य उसू ताए चेव पुवायामणयाए तं १. भ० ११३६४। ४. भ० ११३६४ । २. मिए त्ति (अ); मिया ति (ता, म), मिये ५. अण्णे य से (क, ता, म) । ति (व, स)। ६. सत° (ता)। ३. स० पा०-पुरिसे जाव पचहि । Page #122 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढम सत (अट्ठमो उद्देसो) मिय विधेज्जा, से ण भते । पुरिसे कि मियवेरेण पुढे ? पुरिसवेरेण पुठे ? गोयमा । जे मिय मारेइ, से मियवेरेण पुढे । जे पुरिस मारेइ, से पुरिसवेरेण पुढे ॥ ३७१. से केणठेण भते । एव वुच्चइ'- जे मिय मारेइ, से मियवेरेण पुढे ? जे पुरिस मारेइ, से° पूरिसवेरेण पूछे ? से नूण गोयमा | कज्जमाणे कडे, सधिज्जमाणे सधिते, निव्वत्तिज्जमाणे निव्वत्तिते, निसिरिज्जमाणे निसिट्ठ त्ति वत्तव्व सिया ? हंता भगव । कज्जमाणे कडे', 'सधिज्जमाणे सविते, निव्वत्तिज्जमाणे निव्वत्तिते, निसिरिज्जमाणे ° निसिठे त्ति वत्तव्व सिया । से तेणद्रुण गोयमा ! एव वुच्चइ-जे मिय मारेइ, से मियवेरेण पुढे । जे पुरिस मारेइ, से पुरिसवेरेण पुढे । अतो छह मासाणं मरइकाइयाए', 'अहिगरणियाए, पामोसियाए, पारितावणियाए, पाणातिवायकिरियाए°-पचहि किरियाहि पुढे । बाहिं छण्ह मासाण मरइ-काइयाए 'अहिगरणियाए, पामोसियाए° पारितावणि याए-चउहि किरियाहिं पुढें ॥ ३७२ पुरिसे ण भते । पुरिस सत्तीए समभिधसेज्जा, सयपाणिणा" वा से असिणा सीस छिदेज्जा, ततो ण भते । से पुरिसे कतिकिरिए ? गोयमा | जाव च ण से पुरिसे त पुरिस सत्तीए समभिधसेति', सयपाणिणा वा से असिणा सीस छिदति–ताव च ण से पुरिसे काइयाए, अहिगरणियाए •पाअोसियाए, पारितावणियाए°, पाणातिवातकिरियाए-पचहिं किरियाहिं पुढें। आसण्णवधएण य अणवकखणवत्तीए" ण पुरिसवेरेण पुढें । जय-पराजय-पदं ३७३. दो भते । पूरिसा सरिसया'२ सरित्तया सरिव्वया सरिसभडमत्तोवगरणा अण्णमण्णेण सद्धि सगाम सगामेति तत्थ ण एगे पुरिसे पराइणति, एगे पुरिसे परायिज्जति" । से कहमेय भते । एव ? १ स० पा०-वुच्चइ जाव पुरिस । ८ अभिधसेइ (अ, ब, स)। २ सघेज्जमाणे (ता)। ६ सपाणिणा (क, ता)। ३. निसट्टे (क, ता)। १० स० पा०-अहिंगरणियाए जाव पाणा । ४. स० पा०-कडे जाव निसिढे । ११ अरणवकखवत्तीए (अ, स)। ५ स० पा०-काइयाए जाव पचहि । १२. सरसया (व)। ६. स० पा०काइयाए जाव पारिया, १३. सरिसत्तया (ता)। ___कातियाए (ता)। १४. पराइणिज्जइ (अ, ता, ब); पराएज्जइ ५ सपाणिणा (क, ता)। (स)। Page #123 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६४ भगवई गोयमा | सवीरिए परायिणति, अवीरिए परायिज्जति ॥ ३७४ से केणट्रेण' भते ! एव वुच्चइ-सवीरिए परायिणति ? अवीरिए परायिज्जति ? गोयमा | जस्स ण वीरियवज्झाइ कम्माइ नो बद्धाइ नो पुट्ठाइ 'नो निहत्ताइ नो कडाइ नो पट्ठवियाइ नो अभिनिविट्ठाइ° नो अभिसमण्णागयाइं नो उदिण्णाइ-उवसताइ भवति से ण परायिणति । जस्स ण वीरियवज्झाइ कम्माइ वद्धाइ० पुट्ठाइ निहत्ताइ कडाइ पट्ठवियाइ अभिनिविट्ठाइ अभिसमण्णागयाइ° उदिण्णाइ णो उव सताइ भवति से ण पूरिसे परायिज्जति, से तेणद्वेण । गोयमा । एव वुच्चति-सवीरिए परायिणति, अवीरिए परायिज्जति ॥ वीरिय-पदं ३७५. जीवा ण भते ! कि सवीरिया ? अवीरिया ? गोयमा | सवीरिया वि, अवीरिया वि ॥ ३७६ से केणठेण भते । एव वुच्चइ-जीवा सवीरिया वि ? अवीरिया वि ? गोयमा । जीवा दुविहा पण्णत्ता, त जहा-ससारसमावण्णगा य, असंसार समावण्णगा य । तत्थ ण जे ते अससारसमावण्णगा ते ण सिद्धा। सिद्धाण अवीरिया । तत्थ ण जे ते ससारसमावण्णगा ते दुविहा पण्णत्ता, त जहा-सेलेसिपडिवण्णगा य, असेलेसिपडिवण्णगा य । तत्थ ण जे ते सेलेसिपडिवण्णगा ते ण लद्धिवीरिएण सवीरिया, करणवीरिएण अवीरिया । तत्थ ण जे ते असेलेसिपडिवण्णगा ते णं लद्धिवीरिएण सवीरिया, करणवीरिएण सवीरिया वि, अवीरिया वि । से तेणळेण गोयमा । एव वुच्चइ-जीवा दुविहा पण्णत्ता, त जहा-सवीरिया वि, अवीरिया वि॥ ३७७ नेरइया ण भते । कि सवीरिया ? अवीरिया ? गोयमा ! नेरइया लद्धिवीरिएण सवीरिया, करणवीरिएण सवीरिया य, अवीरिया य ।। ३७८. से केणठेण भते । एव वुच्चइ-नेरइया लद्धिवीरिएण सवीरिया ? करण वीरिएण सवीरिया य? अवीरिया य? गोयमा ! जेसि ण नेरइयाण अत्थि उट्ठाणे कम्मे वले वीरिए पुरिसक्कार१. न. पा.-केण?ण जाव परायिज्जति । ४. X (क, ता, व, म)। २. सं० पा०-पुट्ठाइ जाव नो। ५ ० वण्णया (क, ता, म)। ३. ग. पा०-द्धाइं जाव उदिण्णाई। Page #124 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढम सत (नवमो उद्देसो) परक्कमे, ते ण नेरइया लद्धिवीरिएण वि सवीरिया, करणवीरिएण वि सवीरिया । जेसि ण नेरइयाण णत्थि उट्ठाणे' 'कम्मे वले वीरिए पुरिसक्कार °. परक्कमे, ते ण नेरइया लद्धिवीरिएण सवीरिया, करणवीरिएण अवीरिया । से तेणद्वेण गोयमा ! एव वुच्चइ–ने रइया लद्धिवीरिएण सवीरिया। करण वीरिएण सवीरिया य, अवीरिया य ।। ३७६ जहा ने रइया एव जाव पचिदियतिरिक्खजोणिया ।। ३८०. ०मणुस्सा ण भते । किं सवीरिया ? अवीरिया ? गोयमा । सवीरिया वि, अवीरिया वि ।। ३८१ से केणद्वेण भते । एव वुच्चइ-मणुस्सा सवीरिया वि? अवीरिया वि? गोयमा । मणुस्सा दुविहा पण्णत्ता, त जहा सेलेसिपडिवण्णगा य, असेलेसिपडिवण्णगाय। तत्थ ण जे ते सेलेसिपडिवण्णगा ते ण लद्धिवीरिएण सवीरिया, करणवीरिएण अवीरिया । तत्थ ण जे ते असेलेसिपडिवण्णगा ते ण लद्धिवीरिएण सवीरिया, करणवीरिएण सवीरिया वि, अवीरिया वि । से तेणद्वेण गोयमा । एव वुच्चइ-मणुस्सा सवीरिया वि, अवीरिया वि° ॥ ___३८२. वाणमतर-जोतिस-वेमाणिया जहा ने रइया । ३८३. सेव भते । सेव भते । त्ति जाव' विहरइ ।। नवमो उद्देसो गुरु-लघु-पदं ३८४ कहण्ण भते । जीवा गरुयत्त हव्वमागच्छति ? गोयमा | पाणाइवाएण मुसावाएण अदिण्णादाणेण मेहुणेण परिग्गहेण कोह-माण-माया-लोभ-पेज्ज-दोस-कलह-अभवखाण-पेसुन्न- 'परपरिवाय-अरतिरति'-मायामोस-मिच्छादसणसल्लेण-एव खलु गोयमा । जीवा गरुयत्त हव्वमागच्छति ॥ १ स० पा०-उढाणे जाव परक्कमे । ५ भ० ११५१ । २ पू०प० २ । ६ कह ण (अ, व)। २ स० पा०-~-मरणस्सा जहा ओहिया जीवा ७ रतिभरतिपरपरिवाय (अ, ब, स)। गवर सिद्धवज्जा भारिणयव्वा । ८ गुरुवत्त (ब)। ४ भ० ११३७७,३७८ । Page #125 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६६ भगवई ३८५ कहण्ण भते । जीवा लहयत्त हव्वमागच्छति ? गोयमा । पाणाइवायवेरमणेण' °मुसावायवेरमणेण अदिण्णादाणवेरमणेणं मेहुणवे रमणेणं परिग्गहवेरमणेण 'कोह-माण-माया-लोभ-पेज्ज-दोस-कलहअभक्खाण-पेसुन्न-परपरिवाय-अरतिरति-मायामोस ° -मिच्छादसणसल्ल वेर मणेण"-एव खलु गोयमा | जीवा लहुयत्त हव्वमागच्छति ।। ३८६ कहण्ण भते | जीवा ससार ग्राउलीकरेति? । गोयमा | पाणाइवाएण जाव मिच्छादसणसल्लेण-एव खलु गोयमा । जीवा संसार आउलीकरेति ॥ ३८७. कहण्णं भते | जीवा ससार परित्तीकरेति ? गोयमा । पाणाइवायवेरमणेण जाव' मिच्छादसणसल्लवेरमणेण - एवं खलु गोयमा । जीवा ससार परित्तीकरेति ॥ ३८८ कहण्ण भते ! जीवा ससार दीहीकरेति ? गोयमा | पाणाडवाएण जाव' मिच्छादसणसल्लेण-एव खलु गोयमा । जीवा ससार दोहीकरति ।। ३८६. कहण्ण भते जीवा ससार हस्सीकरेति ? गोयमा । पाणाइवायवे रमणेण जाव' मिच्छादसणसल्लवेरमणेण-एव खलु गोयमा । जीवा ससार ह्रस्सीकरेति ।। ३६० कहण्ण भते । जीवा ससार अणुपरियति ? ___ गोयमा । पाणाइवाएण जाव' मिच्छादसणसल्लेण-एव खलु गोयमा ! जीवा संसार अणुपरियट्टति ।।। ३९१ कहण्ण भते ! जीवा ससार वीतिवयति? गोयमा । पाणाडवायवेरमणेण जाव' मिच्छादसणसल्लवेरमणेण-एव खलू गोयमा । जीवा ससार वीतिवयति ।। ३६२. सत्तमे ण भते | अोवासतरे किं गरुए" ? लहुए ? गरुयलहुए ? अगरुयलहए ? गोयमा । णो गरुए, णो लहुए, णो गरुयलहुए, अगरुयलहुए । १. पारगायवाय° (व, स); ४. भ० ११३८४ । म० पा०—पाणाडवायवेरमणेरण जाव ५. भ० ११३८५। मिच्छा । ६ भ० ११३८४ । २ स्थानाङ्ग ११११४-१२६ क्रोधादीनामग्रे ७ भ० ११३८५। 'विवेगे' इति पद प्रयुक्तमस्ति । ८ भ० ११३८४ । ३. स० पाल-एव ससार माउलीकरति एव परित्तीकरेति एव दीहीकरेति एवं हमी भ० ११३८५ । करेंति एव अणुपरिवढेंति एवं वीईवयति १० उवामतरे (क, व, म, स)। पसत्या चत्तारि अपसत्या चत्तारि। ११. गुरुए (अ)। Page #126 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६७ पढम सत (नवमो उद्देसो) ३९३. सत्तमे ण भते | तणुवाए कि गरुए ? लहुए ? गरुयलहुए? अगरुयलहुए ? गोयमा । णो गरुए, णो लहुए, गरुयलहुए, णो अगरुयलहुए। ३९४. एव सत्तमे घणवाए, सत्तमे घणोदही, सत्तमा पुढवी ।। ३६५. अोवासतराइ सव्वाइ जहा' सत्तमे ओवासतरे ।। ३६६ 'जहा तणुवाए एव-ओवास-वाय-घणउदही, पुढवी दीवा य सागरा वासा ।। ३६७. नेरइया ण भते । किं गरुया ? 'लहुया ? गरुयलहुया ? • अगरुयलया ? गोयमा । णो गरुया, णो लहुया, गरुयलहुया वि, अगरुयलया वि ।। ३९८ से केणठेण भते । एव वुच्चइ-नेरइया णो गरुया ? णो लहुया ? गरुयलहुया वि ? अगरुयलहया वि? गोयमा । विउव्विय-तेयाइ पडुच्च णो गरुया, णो लहुया, गरुयलहुया, णो अगरुयलहुया । जीव च कम्मग' च पडुच्च णो गरुया, णो लहुया, णो गरुयलहुया, अगरुयलहुया । से तेणट्ठण गोयमा ! एव वुच्चइ-नेरइया णो गरुया, णो लहुया, गरुयलहुया वि, अगरुयलहुया वि ।। ३६६ एव जाव वेमाणिया, नवर-नाणत्त जाणियव्व सरीरेहि ॥ ४००. धम्मत्थिकाए •ण भते ! कि गरुए ? लहुए ? गरुयलहुए ? अगरुयलहुए ? गोयमा | णो गरुए, णो लहुए, णो गरुयलहुए, अगरुयलहुए। ४०१ अहम्मत्थिकाए ण भते । कि गरुए ? लहुए ? गरुयलहुए ? अगरुयलहुए ? गोयमा । णो गरुए, णो लहुए, णो गरुयलहुए, अगरुयलहुए । आगासत्थिकाए ण भते । कि गरुए ? लहुए ? गरुयलहुए? अगरुयलहुए ? गोयमा । णो गरुए, णो लहुए, णो गरुयलहुए, अगरुयलहुए ॥ जीवत्थिकाए ण भते । किं गरुए ? लहुए ? गरुयलहुए ? अगरुयलहए? गोयमा । णो गरुए, णो लहुए, णो गरुयलहुए, अगरुयलहुए ° ॥ ४०४ पोग्गलत्थिकाए ण भते । किं गरुए ? लहुए ? गरुयलहुए ? अगरुयलहुए ? गोयमा । णो गरुए, णो लहुए, गरुयलहुए वि, अगरुयलहुए वि ।। ४०५ से केणछेण भते । एव वुच्चइ-णो गरुए ? णो लहुए ? गरुयलहुए वि ? अगरुयलहुए वि? गोयमा | गरुयलहुयदव्वाइ पडुच्च णो गरुए, णो लहुए, गरुयलहुए, णो १ भ० ११३६२ । ४ कम्मक (क), कम्मण (वृत्ती लिखिते २ 'एव गस्यलहुए' इति पाठ एकस्मिन् क्व- पाठसकेते)। चित् प्रयुक्ते आदर्श लभ्यते । एतत् सग्रह- ५ पू०प० २। गाथायाश्चरणद्वयमस्ति तेन पूर्वोक्तस्यापि ६ स० पा०-धम्मत्थिकाए जाव जीवत्थिकाए 'ओवास' पदस्य पूनरुल्लेखोत्र जातोस्ति । चउत्थपएण। ३. स. पा०-गरुया जाव अगरुय । ४०२. ४०३ Page #127 -------------------------------------------------------------------------- ________________ છ अगरुयलहुए । अगरुयलहुयदव्वाइ पडुच्च णो गरुए, णो लहुए, अगरुयलहुए ।। ? २ ४०६ 'समया ण भते । कि गरुया ? लहुया गरुयलहुया अगरुयलहुया गोयमा ! णो गरुया, णो लहुया, जो गरुयलहुया, गरुयलहुया ॥ ? ४०७ कम्माणि ण भते । किं गरुयाइ ? गोमा ! णो गरुयाइ, णो लहुयाइ, ४०८. कण्हलेस्सा ण भते । कि गरुया' १० गोयमा | णो गरुया, णो लहुया, गरुयलहुया वि, ४०९. से केणट्ठेण भते । एव वच्चइ - कण्हलेस्सा णो गरुयलहुयावि ? अगरुयलहुया वि ? भगवई णो गरुयल हुए, ० लहुयाइ गरुयलहुयाइ ग्रगरुयलहुयाई णो 'गरुयलहुयाइ, अगरुयलहुयाइ ॥ १० लहुया गरुयलहुया अगरुयलहुया ? गोयमा । दव्वलेस्स पडुच्च ततियपदेण, भावलेस्स पडुच्च चउत्थपदेण* ॥ ४१५ सव्वदव्वा, सव्वपएसा, सव्वपज्जवा जहा " पोग्गलत्यिकानो" ॥ ४१६. तीतद्धा, अणागतद्धा, सव्वद्धा चउत्थ एण" पदेण ॥ पसत्य-पदं गरुयलहुया वि ॥ गरुया ? णो लहुया १ म० पा० - समया कम्मारिण य चउत्थपदेण । २ स० पा० गरुना जाव अगरुय० । ३ गयलहुवा | ४ अगरवलहुया । ५. भ० १।१०२ । ६ नाणाण्णाण (ना) | ७ नोरालियवे उव्वियमाहारगतेया । २ Τ ४१०. एव जाव' सुक्कलेसा ॥ ४११. दिट्ठी - दसण - 'णाण - अण्णाण '"- सण्णाश्रो चउत्थएण पदेण नेतव्वा ॥ ४१२. हेट्ठिल्ला चत्तारि' सरीरा नेयव्वा' ततिएण पदेण । कम्मय' चउत्थएण पदेण ।। ४१३ मणजोगो, वइजोगो चउत्थएण पदेण, कायजोगो ततिएण पदेण ॥ ४१४. सागारोवग्रोगो, ग्रणागारोवोगो चउत्थएण पदेण ॥ ४१७ से नू भते | लाघविय अपिच्छा ग्रमुच्छा अगेही अपविद्धया समणाण निग्गथाण पसत्थ ? हता गोयमा । लाघविय" अप्पिच्छा ग्रमुच्छा ग्रगेही अपडिवद्धया समणाण निग्गथाण • पसत्य ॥ ४१८ से नूण भते । ग्रकोहत्त प्रमाणत्त ग्रमायत्त ग्रलोभत्त समणाण निग्गथाण पसत्य ? १०. जधा ( अ, व, स ) | ? नायव्वा ( अ, ब स ) | कम्मया (क, म, स), कम्मइए (ता) | ११ भ० १ ४०४ । १२ चत्रण (क, ता, व, म) । १३ स० पा० - लाघविय जाव पसत्य । ? Page #128 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढमं सत (नवमी उद्देसो) ६६ हता गोया । कोहत्त प्रमाणत्त' ग्रमायत्त प्रलोभत्त समणाण निग्गथाण ० पसत्थ || कखापदोस-पदं ४१६. से नूण भते । कखापदोसे खीणे समणे निग्गथे अतकरे भवति, प्रतिमसरीरिए वा ? o मोहे वपुवि विहरित्ता ग्रह पच्छा सवुडे काल करेइ ततो पच्छा सिज्झति' 'वुज्झति मुच्चति परिनिव्वाति सव्वदुक्खाण त कति ? हता गोयमा । कखापदोसे खीणे' समणे निग्गथे अतकरे भवति, प्रतिमसरीरिए वा । वहुमहे वियण पुव्वि विहरित्ता ग्रह पच्छा सवुडे काल करेइ ततो पच्छा सिज्झति बुज्झति मुच्चति परिनिव्वाति सव्वदुक्खाण° प्रत करेति ।। इह-पर- भवियाउय-पदं ४२०. अण्णउत्थिया ण भते । एवमाइक्खति, एव भासति, एव पण्णवेति, एव परूवेति - एव खलु एगे जीवे एगेण समएण दो प्राउयाइ पकरेति, त जहाइहभवियाजय' च, परभवियाउय च । ज समय इहभवियाउय पकरेति, त समय परभवियाउय पकरेति । ज समय परभवियाउय पकरेति, त समय इहभवियाउय पकरेति । पकरणयाए परभवियाउय इहभविया यस्स परभवियाउयस्स पकरेति, पकरेति । पकरणयाए भविया एव खलु एगे जीवे एगेण समएण दो प्राउयाइ पकरेति, त जहा - इहभवियाउय च, परभवियाउय च ॥ ४२१ से कहमेय' भते । एव L गोयमा । जण्ण ते ग्रण्णउत्थिया एवमाइक्खति जाव' एव खलु एगे जीवे एगेण समएण दो प्राउयाइ पकरेति, त जहा - इहभवियाउय च, परभवियाउय ? च । जे ते एवमाहसु मिच्छ ते एवमाह । ग्रह पुण गोयमा । एवमाइक्खामि', • एव भासेमि, एव पण्णवेमि, एव परूवेमि - एव खलु एगे जीवे एगेण समएण एग आउय पकरेति, त जहा - इहभवियाउय वा, परभवियाउय वा । १ स० पा० - अमारणत्त जाव पसत्य । २ अहा ( अ, ता, व, म) । ३ स० पा० - सिज्झति जाव प्रत । ४ कख ० ( अ, व, स ) । ५ स० पा० - खीणे जाव प्रत । • आउग (क) । ●मेत (ता, म ), मेव ( स ) 1 ६ ७ ८. भ० १।४२० । ६ स० पा० – ऐवमाइक्खामि जाव परूवेमि । Page #129 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ७० ज समय इहभवियाउय पकरेति, णो त समय परभवियाउय पकरेति । ज समय परभवियाउय पकरेति, णो त समय इहभवियाउयं पकरेति । इहभवियाउयस्स पकरणताए णो परभवियाउय पकरेति । परभवियाउयस्स पकरणताए णो इहभवियाउय पकरेति । एव खलु एगे जीवे एगेण समएण एग ग्राउय पकरेति, त जहा-इहभवियाउय वा, परभवियाउय वा ॥ ४२२. सेव भते । सेव भते । त्ति भगव गोयमे जाव' विहरति ।। कालासवेसियपुत्त-पदं ४२३. तेण कालेण तेण समएण पासावच्चिज्जे कालासवेसियपुत्ते णाम अणगारे जेणेव थेरा भगवतो तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता थेरे भगवते एव वयासीथेरा सामाइय न याणति, थेरा सामाइयस्स अट्ठ न याणति । थेरा पच्चक्खाण न याणति, थेरा पच्चक्खाणस्स अट्ठ न याति । थेरा सजम न याणति, थेरा सजमस्स अट्ठ न याणति । थेरा सवर न याणति, थेरा सवरस्स अट्ठ न याणति । थेरा विवेग न याणति, थेरा विवेगस्स अट्ठ ण याणति । थेरा विउस्सग्ग न याणति, थेरा विउस्सग्गस्स अट्ठ न याणति ।। तए ण थेरा भगवतो कालासवेसियपुत्त अणगार एव वदासीजाणामो ण अज्जो । सामाइय, जाणामो ण अज्जो । सामाइयस्स अटठ । •जाणामो ण अज्जो | पच्चक्खाण, जाणामो ण अज्जो | पच्चक्खाणस्स अट्ठ । जाणामो ण अज्जो । सजम, जाणामो ण अज्जो । सजमस्स अट्ठ । जाणामो ण अज्जो । सवर, जाणामो ण अज्जो | सवरस्स अट्ठ । जाणामो ण अज्जो । विवेग, जाणामो ण अज्जो । विवेगस्स अट्ठ । जाणामो ण अज्जो | विउस्सग्ग°, जाणामो ण अज्जो विउस्सग्गस्स अट्ठ ।। ४२५. तते ण से कालासवेसियपुत्ते अणगारे ते थेरे भगवते एव वयासी-जइ५ ण अज्जो | तुम्भे जाणह सामाइय, तुम्भे जाणह सामाइयस्स अट्ठ जाव' जइ ण अज्जो | तुन्भे जाणह विउस्सग्ग, तुन्भे जाणह विउस्सग्गस्स अट्ठ। के भे' १ भ० ११५१ । २. भगव (अ, ब)। ३. सामातियस्स (ता)। ४. स० पा०-अट्ठ जाव जाणामो। ५ जति (अ, क, व, म)। ६. भ० ११४२३ । ७ ते (ब, म)। Page #130 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढम सतं (नवमो उद्देसो) ७१ अज्जो | सामाइए ? के भे अज्जो | सामाइयस्स अट्ठ ? जाव के भे अज्जो । विउस्सग्गे ? के भे अज्जो | विउस्सग्गस्स अट्ठे ? ४२६. तए ण थेरा भगवतो कालासवेसियपुत्त अणगार एव वयासी आया णे अज्जो ! सामाइए, आया णे अज्जो | सामाइयस्स अट्रे। आया णे अज्जो | पच्चक्खाणे, पाया णे अज्जो । पच्चक्खाणस्स अट्टे । आया णे अज्जो | सजमे, आया णे अज्जो | सजमस्स अट्टे । आया णे अज्जो | सवरे, आया णे अज्जो | सवरस्स अद्वै।। आया णे अज्जो । विवेगे, आया णे अज्जो - विवेगस्स अट्टे । आया णे अज्जो । विउस्सग्गे, आया णे अज्जो I • विउस्सग्गस्स अट्टे । ४२७ तए णं से कालासवेसियपुत्ते अणगारे थेरे भगवते एव वदासी जइ भे अज्जो । आया सामाइए, आया सामाइयस्स अट्टे जाव' आया विउस्सग्गस्स अट्ठ- अवहट्ट कोह-माण-माया-लोभे किमट्ठ अज्जो | गरहह' ? कालासा | सजमठ्ठयाए । ४२८. से भते । कि गरहा सजमे ? अगरहा सजमे ? कालासा | गरहा सजमे, णो अगरहा सजमे । गरहा वि य ण सव्व दोस पविणेति, सव्व वालिय परिण्णाए । एव खु णे आया सजमे उवहिते भवति । एव खु णे आया सजमे उवचिए भवति । एव खु णे आया सजमे उवट्टिते भवति ।। ४२६ एत्थ ण से कालासवेसियपुत्ते अणगारे सबुद्धे थेरे भगवते वदति नमसति, वदित्ता नमसित्ता एव वयासी-एएसि ण भते । पयाण पुस्वि अण्णाणयाए असवणयाए अबोहीए अणभिगमेण अदिट्ठाण अस्सुयाण अमुयाण अविण्णायाण अव्वोकडाण' अव्वोच्छिण्णाण अणिज्जूढाण अणुवधारियाण एयम? नो सहहिए नो पत्तिइए नो रोइए। इदाणि भते । एतेसि पयाण जाणयाए सवणयाए वोहीए अभिगमेण दिवाण सुयाण मुयाण विण्णायाण वोगडाण वोच्छिण्णाण णिज्जूढाण उव धारियाण' एयमट्ठ सद्दहामि पत्तियामि रोएमि । एवमेय से जहेय" तुम्भे वदह ।। ४३०. तए ण ते थेरा भगवतो कालासर्वसियपुत्त अणगार एव वयासी-सहहाहि १ स० पा०-अट्टे जाव विउस्सग्गस्स । ६ असुयाण (म), वृत्तौ 'अस्मृताना' इति २. भ० १२४२३ । व्याख्यातमस्ति । ७. अव्वोगडाण (अ,ब, स), अवोकडारण (क,म)। ३ गरहट्ठ (व)। ८ सुयाण (व), x (म)। ४. कालास (स)। ६ अवधारियाण (म)। ५. अबोहियाए (अ, स)। १०. जहेद (ता)। Page #131 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७२ जो | पत्तियाहि अज्जो । रोएहि ग्रज्जो । से जहेय ग्रम्हे वदामो ॥ ४३१ तए ण से कालासवे सियपुत्ते अणगारे येरे भगवते वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता एव वदासी - इच्छामि ण भते । तुव्भ प्रति चाउज्जामात्र धम्माग्रो पचमहवय पडिक्कमण धम्म उवसपज्जित्ता ण विहरित्तए । I हासुह देवाणुप्पिया | मा पडिवध' ॥ ४३२ तए ण से कालासवे सियपुत्ते अणगारे थेरे भगवते वदड नमसइ, वदित्ता नमसित्ता चाउज्जामा धम्माओ पचमहव्वइय सपडिक्कमण धम्म उवसपज्जित्ताण विहरति ॥ भगवई ४३३. तए ण से कालासवेसियपुत्ते प्रणगारे वहूणि वासाणि सामण्णपरियाग पाउण्ड, पाउ णित्ता जस्सट्ठाए की रइ नग्गभावे मुडभावे श्रण्हाण ग्रदतवणय ' अच्छत्तय ग्रणोवाहणय भूमिसेज्जा फलसेज्जा कटुसेज्जा केसलोग्रो वभचेरवासो परघरप्पवेसो लद्धावली उच्चावया गामकटगा वावीसं परिसहोवसग्गा अहियासिज्जति, तमटू आराहेइ, आराहेत्ता चरमेहि उस्सास- नीसासेहि सिद्धे बुद्धे मुक्के परिनिब्बु सव्वदुक्खप्पहीणे || पचचक्खाण किरिया - पदं ४३४. भते ति । भगव गोयमे समण भगव महावीर वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता एव वदासी-से नूण भते । सेट्ठियस्स य तणुयस्स य किवणस्स य खत्तियस्स य 'समा चेव" अपच्चक्खाण किरिया कज्जइ ? हता गोयमा । सेट्ठियस्स" "य तणुयस्स य किवणस्स य खत्तियस्स य समा चेव पच्चक्खाणकिरिया कज्जइ ॥ ४३५. से केणट्टेण भते । एव वच्चइ - सेट्ठियस्स य तणुयस्स य किवणस्स य खत्तियस्स य समा चेव प्रपच्चक्खाणकिरिया कज्जइ ? गोयमा । प्रविति पडुच्च । से तेणट्टेण गोयमा । एव वच्चइ–सेट्ठियस्स य तणुयस्स— “य किवणस्स य खत्तियस्स यसमा चेव अपच्चक्खाणकिरिया • कज्जइ ॥ आहाकम्म-पदं ४३६ 'आहाकम्मं ण" भुजमाणे समणे निग्गथे किं वधइ ? किं पकरेइ ? किं चिणाइ ? किं उवचिणाइ ? १. कुरुष्व इति गम्यम् (वृ) । २ अदतवण्णय ( क ), अदतधुवरणय (ता, व, स ) ३. परिणिव्वुए (अ, ता, व), परिरिंग (कम) | ४ सेट्ठिम्स (ता, व), सिट्टिस्स (म ) । ५ किविरणस्स (ता) | ६ समच्चेव (व, म) । ७ स० पा० - सेट्ठियस्स जाव अपच्चक्खारण I ८. स० पा० - तणुयस्स जाव कज्जइ । आहाकम्मे ग ( क ), आहाकम्म ग ( ता); आहाकम ण (व), आहाकम्मणं (म ) । Page #132 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 103 ४३७ पढमं सत (नवमो उद्देसो) गोयमा | आहाकम्म ण भुजमाणे आउयवज्जाओ सत्त कम्मप्पगडीयो सिढिलबधणवद्धानो धणियबधणबद्धाश्रो पकरेइ', 'हस्सकालठिइयायो दीहकालठिइयानो पकरेइ, मदाणुभावानो तिव्वाणुभावानो पकरेइ, अप्पपएसग्गायो बहुप्पएसग्गाग्रो पकरेइ, आउय च ण कम्म सिय बधइ, सिय नो बधइ, अस्सायावेयणिज्ज च ण कम्म भुज्जो-भुज्जो उवचिणाइ, अणाइय च ण अणवदग्ग दीहमद्ध चाउरत ससारकतार ° अणुपरियट्टइ। से केणद्वेण भते । एव वुच्चइ-आहाकम्म ण भुजमाणे आउयवज्जायो सत्त कम्मप्पगडीओ सिढिलवधणबद्धारो धणियबधणवद्धानो पकरेइ जाव' चाउरत ससारकतार अणुपरियट्टइ ? गोयमा । श्राहाकम्म ण भुजमाणे आयाए धम्म अइक्कमइ, आयाए धम्म अइक्कममाणे पुढविकाय णावकखइ', 'ग्राउकाय णावकखइ, तेउकाय णावकखइ, वाउकाय णावकखइ, वणस्सइकाय णावकखइ°, तसकाय णावकखइ, जेसि पि य ण जीवाण सरीराइ आहारमाहारेड ते वि' जीवे णावकखइ। से तेणट्रेण गोयमा । एव वुच्चइ-आहाकम्म ण भुजमाणे आउयवज्जायो सत्त कम्मपगडीओ सिढिलबधणवद्धानो धणियबधणवद्धानो पकरेइ जाव चाउरत ससारकतार अणुपरियट्टइ । फासु-एस रिपज्ज-पदं ४३८. फासु-एसणिज्ज ण भते । भुजमाणे समणे निग्गथे कि बधइ ? कि पकरेइ ? किं चिणाइ ? किं उवचिणाइ ? गोयमा | फासु-एसणिज्ज ण भुजमाणे आउयवज्जानो सत्त कम्मपयडीयो धणियबधणवद्धानो सिढिलबधणवद्धानो पकरेइ, 'दोहकालठ्ठिइयानो हस्सकालट्ठिइयानो पकरेइ, तिव्वाणुभावाप्रो मदाणुभावाप्रो पकरेइ, बहुप्पएसग्गाग्रो अप्पपएसग्गाप्रो पकरेइ, आउय च ण कम्म सिय वधइ, सिय नो बधइ, अस्सायावेयणिज्ज च ण कम्म नो भुज्जो-भुज्जो उवचिणाइ, अणादीय च ण अणवदग्ग दीहमद्ध चाउरत ससारकतार वीईवयह ।। ४३६. से केणद्वेण भते । एव वुच्चइ-फासु-एसणिज्ज ण भुजमाणे आउयवज्जागो सत्त कम्मपयडीयो धणियवधणबद्धानो सिढिलवधणवद्धानो पकरेइ जाव' चाउरत ससारकतार वीईवयइ ? गोयमा। फासू-एसणिज्ज ण भुजमाणे समणे निग्गथे आयाए धम्म १ स० पा०-पकरेइ जाव अणपरियट्टइ। कम्म सिय वधइ सिय गो वंधइ सेस तहेव २. भ० ११४३६ । जाव वीईवयइ। ३ स० पा०—णावकखइ जाव तसकाय । ५ भ० ११४३८ । ४. स० पा०-जहा सवुडे, नवर आउय च ण Page #133 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई नाइक्कमइ, आयाए धम्म अणइक्कममाण पुढविकाय' अवकखड जाव तसकाय अवकखइ, जेसि पि य ण जीवाण सरीराइ (आहार ?') ग्राहारेड ते वि जीवे अवकखइ । से तेणठेण गोयमा ! एव वुच्चइ-फासु-एसणिज्ज ण भजमाणे आउयवज्जानो सत्त कम्मपयडीयो धणियवधणवद्धायो सिढिलवधणवद्धायो पकरेइ जाव' चाउरत ससारकतार वीईवयड ।। ४४०. से नण भते ! अथिरे पलोड, नो थिरे पलोट्टाइ ? अथिरे भज्जइ, नो थिरे भज्जइ ? सासए वालए, वालियत्त असासय ? सासए पडिए, पडियत्त असासय ? हता गोयमा । अथिरे पलोट्टई', 'नो थिरे पलोट्टइ । अथिरे भज्जड, नो थिरे भज्जइ । सासए वालए, वालियत्त असासय । सासए पडिए°, पडियत्त असासय ।। ४४१. सेव भते । सेव भते । त्ति जाव' विहरइ । दसमो उद्देसो परसमयवत्तव्वया-पद ४४२ अण्णउत्थिया ण भते ! एवमाइक्खति', 'एव भासति, एव पण्णवेति, एव° परूवेतिएव खलु चलमाणे अचलिए । 'उदीरिज्जमाणे अणुदीरिए। वेदिज्जमाणे अवेदिए । पहिज्जमाणे अपहीणे । छिज्जमाणे अच्छिण्णे । भिज्जमाणे अभिण्णे । दज्झमाणे अदड्ढे । मिज्जमाणे अमए । निज्जरिज्जमाणे अणिज्जिण्णे । दो परमाणुपोग्गला एगयों न साहण्णति, कम्हा दो परमाणुपोग्गला एगयो न साहण्णति ? दोण्ह परमाणुपोग्गलाण नत्थि सिणेहकाए, तम्हा दो परमाणुपोग्गला एगयो न साहण्णति। १. पुढविक्काय (ता, म, स) । २. भ० ११४३७ । ३ द्रष्टव्य-भ० ११४३७ सूत्रम् । ४. भ० ११४३८ । ५ स० पा०—पलोट्टइ जाव पडियत्त । ६ भ० ११५१ । ७. स० पा०-एवमाइक्खति जाव परूवेति । ८ स० पा०-अचलिए जाव निजरिज्जमाणे । ६. एगततो (क, म), एगतो (ता) । १० णो (ता)। Page #134 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७५ पढमं सतं (दसमो उद्देसो) तिण्णि परमाणुपोग्गला एगयो साहण्णति, कम्हा तिण्णि परमाणपोग्गला एगयो साहण्णति ? तिण्ह परमाणुपोग्गलाण अत्थि सिणेहकाए, तम्हा तिण्णि परमाणुपोग्गला एगयो साहण्णति । ते भिज्जमाणा 'दुहा वि', तिहा' वि कज्जति । दुहा कज्जमाणा' एगयो दिवढे परमाणुपोग्गले भवइ-एगयो वि दिवड्ढे परमाणुपोग्गले भवइ । तिहा कज्जमाणा तिण्णि परमाणुपोग्गला भवति । एव चत्तारि । पच परमाणुपोग्गला एगयनो साहण्णति, एगयनो साहणित्ता दुक्खत्ताए कज्जति । दुक्खे वि य ण से सासए सया समित' उवचिज्जइ य, अवचिज्जइ य । पुवि' भासा भासा । भासिज्जमाणी भासा अभासा । भासासमयवितिक्कत च ण भासिया भासा। जा सा पुव्वि भासा भासा । भासिज्जमाणी भासा अभासा। भासासमयवितिक्कत च ण भासिया भासा । सा कि भासो भासा ? अभासो भासा ? अभासयो ण सा भासा । नो खलु सा भासयो भासा । पूवि किरिया दुक्खा। कज्जमाणी किरिया अदुक्खा। किरियासमयवितिक्कत च ण कडा किरिया दुक्खा । जा सा पुन्वि किरिया दुक्खा । कज्जमाणी किरिया अदुक्खा। किरियासमयवितिक्कत च ण कडा किरिया दुक्खा। सा कि करणो दुक्खा ? अकरणो दुक्खा ? अकरणो ण सा दुक्खा । नो खलु सा करणो दुक्खा-सेव वत्तव्व सिया। अकिच्च दुक्ख, अफुस दुक्ख, अकज्जमाणकड दुक्ख, अकटु-अकटु पाण भूय-जीव-सत्ता वेदण वेदेति-इति वत्तव्व सिया ।। ससमयवत्तन्वया-पद ४४३–से कहमेय भते । एव ? १ दुविहा (व)। २ तिविहा (ब, स)। ३ किज्जमाणा (ब)। ४ एव जाव (अ, क, ता, ब, म, स), अत्र 'जाव' पद प्रवाहपतितमायातमिति सभाव्यते । किं च अनेनात्र किञ्चित् ग्राह्य नास्ति । ५ साहण्णित्ता (ता, व)। ६ समिय (अ, स)। ७ पुव्व (क, म, स)। Page #135 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७६ भगवई गोयमा ! जण्ण' ते अण्णउत्थिया एवमाइक्खति जाव' वेदण वेदेति-इति वत्तव्व सिया । जे ते एवमाहसु, मिच्छा ते एवमाहसु । अह पुण गोयमा । एवमाइक्खामि, एव भासेमि, एव पण्णवेमि, एव परूवेमि---एव खलु चलमाणे चलिए। °उदीरिज्जमाणे उदीरिए । वेदिज्जमाणे वेदिए। पहिज्जमाणे पहीणे । छिज्जमाणे छिण्णे। भिज्जमाणे भिण्णे । दज्झमाणे दड्ढे । मिज्जमाणे मए । निज्जरिज्जमाणे निज्जिण्णे।। दो परमाणपोग्गला एगयनो साहण्णति, कम्हा दो परमाणुपोग्गला एगयो साहण्णति ? दोण्ह परमाणुपोग्गलाणं अत्थि सिणेहकाए, तम्हा दो परमाणुपोग्गला एगयो साहण्णति। ते भिज्जमाणा दुहा कज्जति । दुहा कज्जमाणा एगयनो परमाणुपोग्गलेएगयो परमाणपोग्गले भवति । तिण्णि परमाणुपोग्गला एगयो साहण्णति, कम्हा तिण्णि परमाणुपोग्गला एगयत्रो साहण्णति ? तिण्ह परमाणुपोग्गलाण अत्थि सिणेहकाए, तम्हा तिण्णि परमाणुपोग्गला एगयो साहण्णति । ते भिज्जमाणा दुहा वि, तिहा वि कज्जति । दुहा कज्जमाणा एगयो परमाणुपोग्गले, एगया दुपएसिए खधे भवति ।। तिहा कज्जमाणा तिण्णि परमाणुपोग्गला भवति । एव' चत्तारि। पच परमाणुपोग्गला एगयो साहण्णति । एगयनो साहणित्ता खधत्ताए कज्जति । खंधे वि य ण से असासए सया समित उवचिज्जइ य, अवचिज्जइ य। पव्वि भासा अभासा, भासिज्जमाणी भासा भासा, भासासमयवितिक्कत च ण भासिया भासा अभासा। १. ज ण (ता)। ६ अस्य पाठस्य रचना एव सभाव्यते२. भ० ११४४२ । चत्तारि परमाणुपोग्गला एगयओ साहण्णति, ३. मिच्छ (ता)। कम्हा चत्तारि परमाणुपोग्गला एगयओ ४. स० पा०-चलिए जाव निजरिज्जमाणे।। साहण्णति ? ५ एव जाव (म, क, ता, व, म, स); अत्र चउण्ह परमाणुपोग्गलाण अस्थि सिणेहकाए, 'जाव' पद प्रवाहपतितमायातमिति तम्हा चत्तारि परमाणुपोग्गला एगयओ सभाव्यते । किं च अनेनात्र किञ्चित् ग्राह्य साहण्णति । नास्ति। ते भिज्जमाणा दुहा वि, तिहा वि,चउहा वि. Page #136 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढम सत (दममो उद्देसो) जा सा पुवि भासा प्रभासा । भासिज्जमाणी भासा भासा, भासा समयवितिक्कत च ण भासिया भासा प्रभासा । सा कि भासग्रो भासा ? अभास भासा ? भासण भासा, नो खलु सा प्रभासयो भासा । पुव्वि किरिया अदुक्खा । कज्जमाणी किरिया दुक्खा । किरियासमयवितिक्कत च ण कज्जमाणी किरिया प्रदुक्खा । जा सा पुव्वि किरिया दुवखा । कज्जमाणी किरिया दुक्त्वा । किरियासमयवितिक्कत च ण कज्जमाणी किरिया दुक्खा । सा कि करण दुक्खा ? करण दुक्खा ?0 करणो ण सा दुक्खा । नो खलु सा ग्रकरणम्रो दुक्खा - सेव वत्तव्व सिया । किच्च दुक्ख, फुस दुक्ख, कज्जमाणकड दुक्ख, कट्टु-कट्टु पाण-भूय-जीवसत्ता वेदण वेदेति - इति वत्तव्व सिया ॥ ७७ इरियावहिया - सपराइया - पद ४४४ ग्रण्णउत्थिया ण भते । एवमाइक्खति, एव भासति एव पण्णवेति, एव परूवेति॰—एवं खलु एगे जीवे एगेण समएण दो किरिया पकरेति, तं जहा - इरियावहिय' च, सपराइय च । समय इरियावयि पकरेइ, त समय सपराइय पकरेइ । • " ज समय सपराइय पकरेइ, त समय इरियावहिय पकरेइ । इरियावहियाए पकरणयाए सपराइय पकरेइ । सपराइयाए पकरणयाए इरियावहिय पकरेइ । एव खलु एगे जीवे एगेण समएण दो किरिया पकरेति, त जहा - इरियावहिय च, सपराइय च ॥ ? ४४५. से कहमेय भते । एव गोमा ! जण ते ग्रण्णउत्थिया एवमाइक्खति, एव भासति एव पण्णवेति, कज्जति । दुहा कज्जमारणा एगयओ दुपए सिए ख - एगओ वि दुपए सिए खधे । अहवा एगओ तिपए मिए खवे – एगयओ परमाणुपोग्गले भवइ । तिहा कज्जमाणा एगयओ दुपएसिए खधेओ गे - एगे परमाणुपोग्गले भवइ । चउहा कज्जमाणा चत्तारि परमाणुपोग्गला भवति । १ स० पा० - जहा भासा तहा भारिणयव्वा किरिया विजाव करणओ । २ ३ ४ स० पा०-- एवमाइक्खति जाव एव । रिया० ( अ, ता, व, म) । स० पा० – परउत्थियवत्तव्व णेयत्व ससमयवत्तव्वयाए गेयव्व जाव इरियावहिय, 'क', ‘ता’ सकेतितयोरादर्शयोवृ त्तौ च सक्षिप्तपाठो लभ्यते । शेषादर्शेषु वृत्तिकृता विस्तार नीतः Page #137 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७८ भगवई एव परूवेति - एव खलु एगे जीवे एगेण समएण दो किरियाश्रो पकरेति, जाव' इरियावहियं च, सपराइय च । जे ते एवमाह । मिच्छा ते एवमाहसु । ग्रह पुण गोयमा । एवमाइक्खामि, एव भासेमि, एव पण्णवेमि, एवं परूवेमि - एव खलु एगे जीवे एगेण समएण एक्क किरिय पकरेड, त जहा - इरियावहिय वा, सपराइय वा । समय इरियावहिय पकरेइ, नो त समय सपराइय पकरेड | जं समय सपराइय पकरेइ नो त समय इरियावहिय पकरेड । इरियावहियाए पकरणयाए नो सपराइय पकरेड । सपराइयाए पकरणयाए नो इरियावहिय पकरेइ । 11 एव खलु एगे जीवे एगेण समएण एग किरिय पकरेइ, त जहा ० - इरिया - वहिय वा, सपराइय वा ॥ उपपात-पदं ४४६. निरयगई ण भते । केवतिय काल विरहिया उववाएण पण्णत्ता ? गोयमा । जहण्णेण एक्कं समय, उक्कोसेण बारस मुहुत्ता ॥ ३४७ एवं वक्कतीपय भाणियव्व निरवसेस | ४४८ सेव भते । सेव भते त्ति जाव' विहरइ ॥ पाठो यते । अत्र च ११४२०, ४२१ सूत्रानुमारेण म पूर्ति नोतोस्ति । १. भ० ११४४४ । २. प० ६ । ३ भ० १।५१ । Page #138 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संग्रहणी - गाहा १ 'ऊसास खदए विय, २ समुग्धाय ३४ पुढविदिय ५ अण्णउत्थि ६ भासा य । ७ देवा य ८ चमरचचा, ६, १० समय क्खित्तत्थि काय बीयसए" ॥१॥ उक्खेव पद १ तेण कालेण तेण समएण रायगिहे णाम नयरे होत्या - वण्णो । सामी समोसढे । परिसा निग्गया । धम्मो कहियो । पडिगया परिसा ॥ 1 बीं सतं पढमो उद्देसो सासुसास-पद २. तेण कालेन तेण समएण समणस्स भगवो महावीरस्स जेट्टे अतेवासी जाव' पज्जुवासभाणे एव वदासी इमे भते । वेइदिया तेइदिया चउरिदिया पचिदिया जीवा, एएसि ण प्रणाम वा पाणाम वा उस्सास वा निस्सास वा जाणामो पासामो । जे इमे पुढविकाइया जाव वणप्फइकाइया - एगिंदिया जीवा, एएसि ण प्रणाम वा पाणाम वा उस्सास वा निस्सास वा न याणामो न पासामो । एए ण भते । जीवा प्राणमति वा ? पाणमति वा ? ऊससति वा ? नीससति वा ? वा, हता गोयमा । एए वि ण जीवा प्राणमति वा, पाणमति वा, ऊससति नीससति वा ।। १ x ( अ, ता, व, म, स ) 1 २ ओ० सू० १ । ३ भ० १६, १० । ४ भ० १।४३७ । ७६ Page #139 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८० भगवई ३. किण्ण' भते । एते जीवा आणमति वा ? पाणमति वा ? ऊससति वा ? नीस सति वा? गोयमा ! दव्वो' अणतपएसियाइ दव्वाइ, खेत्तो असखेज्जपएसोगाढाइ, कालयो अण्णय रठितियाइ', भावग्रो वण्णमताइ गधमताइ रसमताइ फासमताइ प्राणमति वा, पाणमति वा, ऊससति वा, नीससति वा ।। ४ जाइ भावो वण्णमताड आणमति वा, पाणमति वा ऊससति वा, नीससति वा ताइ कि एगवण्णाइ जाव' कि पचवण्णाइ आणमति वा ? पाणमति वा ? ऊससति वा ? नीससति वा ? गोयमा | ठाणमग्गण पडुच्च एगवण्णाइ पि जाव' पचवण्णाइ पि आणमति वा, पाणमति वा, ऊससति वा, नीससति वा। विहाणमग्गणं पड़च्च कालवण्णाइ पि जाव सुक्किलाइ पि प्राणमति वा, पणमति वा, ऊससति वा, नीससति वा । पाहारगमो नेयव्वो जाव५. पुढविकाइया ण भते ! कइदिस ग्राणमति वा ? पाणमति वा ? ऊससति वा? नीससति वा? गोयमा ! निव्वाघाएण छहिसि, वाघाय पडुच्च सिय तिदिसिं सिय चउदिसिं सिय पचदिसि ।। किण्ण भते | नेरइया आणमति वा ? पाणमति वा ? ऊससति वा ? नीससति वा? त चेव जाव' नियमा छद्दिसि आणमति वा, पाणमति वा, ऊससति वा, नीससति वा ॥ ७. जीव-एगिदिया वाघाय-निव्वाघाया च भाणियव्वा । सेसा नियमा छद्विसि ।। ८ वाउयाए ण भंते । वाउयाए चेव आणमति वा ? पाणमति वा ? ऊससति वा ? नीससति वा ? हता गोयमा । वाउयाए ण" 'वाउयाए चेव प्राणमति वा, पाणमति वा. ऊससति वा°, नीससति वा ।। वाउकायस्स कायटिइ-पदं ६. वाउयाए ण भते । वाउयाए चेव अणेगसयसहस्सखुत्तो उद्दाइत्ता-उहाइत्ता तत्थेव भुज्जो-भुज्जो पच्चायाति ? १. कि ण (ता)। ५, ६, ७ प० २८।१। २. दवओ रण (अ, म, म)। ८. प० २८।१। ३. ठितीयाड (अ, क, ता, व, म, स)। ६ प० २८।१।। ४. म०पा०-एगवण्णाइ आगमति वा पागामति वा ऊसमति वा नीममति वा आहार - १०. स० पा०-वाउयाए ण जाव नीससति । गमो नेयवो जाव पचदिस। Page #140 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बीअं सत (पढमो उद्देसो) हता गोयमा' | 'वाउयाए ण वाउयाए चेव अणेगसयसहस्सखुत्तो उद्दाइत्ता उद्दाइत्ता तत्थेव भुज्जो-भुज्जो पच्चायाति ॥ १० से भते । कि पुढे उद्दाति ? अपुढे उद्दाति ? गोयमा । पु? उद्दाति, नो अपुढे उद्दाति ॥ ११ से भते । कि ससरीरी निक्खमइ ? असरीरी निक्खमइ ? , गोयमा | सिय ससरीरी निक्खमइ, सिय असरीरी निक्खमइ ॥ १२ से केणटेण भते । एव वुच्चइ-सिय ससरीरी निक्खमइ, सिय असरीरी __निक्खमइ? गोयमा ! वाउयायस्स ण चत्तारि सरीरया पण्णत्ता, त जहा-ओरालिए, वेउन्विए, तेयए, कम्मए । ओरालिय-वेउव्वियाइ विप्पजहाय तेयय-कम्मएहिं निक्खमइ । से तेणठेण गोयमा ! एव वुच्चइ-सिय ससरीरी निक्खमइ, सिय असरीरी निक्खमइ॥ मडाइ-नियंठ-पदं १३ मडाई ण भते नियठे नो निरुद्धभवे, नो निरुद्धभवपवचे', नो पहीणससारे, नो पहीणससारवेयणिज्जे, नो वोच्छिण्णससारे, नो वोच्छिण्णससारवेयणिज्जे, नो निट्ठियठे, नो निट्ठियट्ठकरणिज्जे पुणरवि इत्थत्थ हव्वमागच्छइ ? हता गोयमा ! मडाई ण नियठे नो निरुद्धभवे, नो निरुद्धभवपवचे, नो पहीणससारे, नो पहीणससारवेयणिज्जे, नो वोच्छिण्णससारे, नो वोच्छिण्णससारवेयणिज्जे, नो निट्ठियठे, नो निट्ठियट्ठकरणिज्जे पुणरवि इत्थत्य' हव्वमागच्छइ॥ १४ से ण भते । किं ति वत्तव्व सिया? गोयमा । पाणे त्ति वत्तव्व सिया। भूए त्ति वत्तव्व सिया। जीवे त्ति वत्तव्य सिया । सत्ते त्ति वत्तव्व सिया। विण्णु' त्ति वत्तव्वं सिया । 'वेदे त्ति" वत्तव्व सिया । पाणे भूए जीवे सत्ते विष्णू वेदे त्ति वत्तव्व सिया ॥ १५ से केणठेण पाणे त्ति वत्तव्व सिया जाव वेदे त्ति वत्तव्व सिया? गोयमा । जम्हा प्राणमइ वा, पाणमइ वा, उस्ससइ वा, नीससइ वा तम्हा पाणे त्ति वत्तव्व सिया। जम्हा भूते भवति भविस्सति य तम्हा भूए त्ति वत्तव्व सिया । १. स० पा०-गोयमा जाव पच्चायाति । ख्यातमस्ति, तेन तत्रापि इत्तत्थमिति पाठः २. मडादी (ता)। सभाव्यते। ३. ° पवधे (व)। ५. विन्नुय (ब)। ४ इत्थत्त (अ, ता, ब, स, वृपा), इत्नत्थं ६ वेदाति (क, ता, ब, म)। (क), वृत्तौ 'इत्यर्थ-एनमर्थम्' इति व्या Page #141 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई जम्हा जीवे जीवति', जीवत्त आउय च कम्म उवजीवति' तम्हा जीवे त्ति वत्तव्व सिया। जम्हा सत्ते सुभासुभेहि कम्महि तम्हा सत्त त्ति वत्तव्व सिया। जम्हा 'तित्तकडुकसायबिलमहुरे रसे' जाणइ तम्हा विण्णु त्ति वत्तव्य सिया। जम्हा वेदेति य सुह-दुक्ख तम्हा वेदे त्ति वत्तव्व सिया। से तेणठेण पाणे त्ति वत्तव्व सिया जाव वेदे त्ति वत्तव्वं सिया ॥ मडाई ण भते । नियठे निरुद्धभवे, निरुद्ध भवपवचे', 'पहीणससारे, पहीणससारवेयणिज्जे, वोच्छिण्णससारे, वोच्छिण्णससारवेयणिज्जे, निट्ठियठे°, निट्ठियट्ठकरणिज्जे नो पुणरवि इत्थत्थ हव्वमागच्छइ ? हता गोयमा | मडाई ण नियठे निरुद्धभवे, निरुद्धभवपवंचे, पहीणससारे, पहीणससारवेयणिज्जे, वोच्छिण्णससारे, वोच्छिण्णससारवेयणिज्जे, निट्ठियठे, निट्ठियट्ठकरणिज्जे° नो पुणरवि इत्थत्थ हव्वमागच्छड । १७. से ण भते । किं ति वत्तव्व सिया? गोयमा | सिद्धे त्ति वत्तव्व सिया। वुद्धे त्ति वत्तव्व सिया। मुत्ते त्ति वत्तव्वं सिया। पारगए त्ति वत्तव्व सिया । परपरगए त्ति वत्तव्व सिया। सिद्धे बुद्ध मुत्ते परिनिव्वुडे अतकडे सव्वदुक्खप्पहीणे त्ति वत्तव्व सिया ॥ १८ सेव भते ! सेव भते । त्ति भगव गोयमे समण भगव महावीर वदति नमसति, वदित्ता नमसित्ता सजमेण तवसा अप्पाण भावेमाणे विहरति ।। १६ तए ण समणे भगव महावीरे रायगिहाओ नगरायो गुणसिलाओ चेइमानो पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता बहिया जणव यविहार विहरइ ॥ खदयकहा-पद २०. तेण कालेण तेण समएण कयगला नाम नगरी होत्था-वण्णयो। २१ तीसे ण कयगलाए नयरीए वहिया उत्तरपुरत्थिमे दिसीभाए छत्तपलासए नाम चेइए होत्था-वण्णो । २२ तए ण समणे भगव महावीरे उप्पन्ननाणदसणधरे 'अरहा जिणे केवली जेणेव कयगला नयरी जेणेव छत्तपलासए चेइए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता १ जीवेति (क)। ७ अतगडे (क)। २. उवजीवेइ (व)। ८ ओ० सू०१। ३. ° कटु (व), ° महुररसे (ता, म)। ६. ओ० सू० २-१३ । ४. तेणद्वेण जाव (अ, क, ता, व, म)। १०. स० पा०-उप्पन्ननाणदसणधरे जाव समो५. स० पा०—निरुद्धभवपवचे जाव निट्ठिय°। सरण। ६. स० पा०—नियठे जाव नो। Page #142 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बीम सत (पढमो उद्देसो) अहापडिरूव प्रोग्गह रोगिण्हइ, ओगिण्हित्ता सजमेण तवसा अप्पाण भावेमाणे विहरइ जाव' ० समोसरण । परिसा निग्गच्छइ ।।। २३ तीसे ण कयगलाए नयरीए अदूरसामते सावत्थी नाम नयरी होत्था-वण्णयो। २४ तत्थ ण सावत्थीए नयरीए गद्दभालस्स' अतेवासी खदए नाम कच्चायणसगोत्त परिव्वायगे परिवसई-रिव्वेद-जजुव्वेद-सामवेद-अहव्वणवेद-इतिहास-पचमाण निघटुछट्ठाण-चउण्ह वेदाण सगोवगाण सरहस्साण सारए धारए पारए सडगवी सहिततविसारए, सखाणे सिक्खा-कप्पे वागरणे छदे निरुत्ते जोतिसामयणे, अण्णेसु य बहूसु बभण्णएसु" परिव्वायएसु य नयेसु सुपरिनिट्ठिए या वि होत्था ॥ २५ तत्थ ण सावत्थीए नयरीए पिगलए नाम नियठे वेसालियसावए" परिवसइ । २६ तए ण से पिंगलए नाम नियठे वेसालियसावए अण्णया कयाइ जेणेव खदए कच्चायणसगोत्ते तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता खदग कच्चायणसगोत्त इणमक्खेव पुच्छे-मागहा। १ कि सते लोए? अणते लोए ? २ सअते जीवे ? अणते जीवे ? ३ सयता सिद्धी ? अणता सिद्धी? ४ सते सिद्धे ? अणते सिद्धे ? ५ केण वा मरणेण मरमाणे जीवे वड्ढति वा, हायति वा ?-एतावताव" आइक्खाहि वुच्चमाणे एव ।। २७ तए ण से खदए कच्चायणसगोत्ते पिंगलएण नियठेण वेसालियसावएण इणम क्खव पुच्छिए समाणे सकिए कखिए वितिगिच्छिए भेदसमावन्ने कलुससमा वन्ने णो सचाएइ पिंगलयस्स नियठस्स वेसालियसावयस्स किंचि वि पमोक्ख__ मक्खाइउं, तुसिणीए सचिट्ठइ ॥ २८ तए ण से पिगलए नियठे वेसालियसावए खदय कच्चायणसगोत्त दोच्च पि तच्च पि इणमक्खेव पुच्छे-मागहा । १ प्रो० सू० १६-५१ । (ब, वृ), धारए (वृपा)। २ ओ० सू० १। ६ जोतिसाअयणे (ता)। ३. गद्दभालिस्स (ब)। १०. बम्हण्णए (क)। ४. खडए (व)। ११ वेसालीसावए (क, ता), वेसालियस्सावए ५ वसइ (अ)। (म)। ६ रिउव्वेद (अ, व, स), रिजुव्वेद (क)। १२ कयाए (स)। ७. अथवरण(अ), अत्थव्वेय (क), अथव्ववेद १३ मागधा (ता)। __ (ता, म), अहन्वेद (ब)। १४. सते (ता)। - F. वारए धारए (अ, क, म, स), वारए १५. एतावता (अ, क, ब), एत्तावताव (ता, म)। Page #143 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई १ कि सते लोए' ? अणते लोए? २ सयते जीवे ? अणंते जीवे ? ३ सयता सिद्धी? अणता सिद्धी ? ४. सते सिद्ध ? अणते सिद्धे ? ० ५ केण वा मरणेण मरमाणे जीवे वड्ढति वा, हायति वा ? ---एतावताव आइक्खाहि वुच्चमाणे एव ।। २६ तए ण से खदए कच्चायणसगोत्ते पिंगलएण नियठेण वेसालियसावएण दोच्च पि तच्च पि इणमक्खेव पुच्छिए समाणे सकिए कखिए वितिगिच्छिए भेदसमावन्ने कलुससमावन्ने णो सचाएइ पिगलस्स नियठस्स वेसालियसावयस्स किंचि वि पमोक्खमक्खाइडं, तुसिणीए सचिट्ठ ।। ३० तए ण सावत्थीए नयरीए सिघाडग'- तिग-चउक्क-चच्चर-चउम्मुह-महापह ०. पहेसु महया जणसमद्दे इ वा जणवू हे इ वा जणवोले इ वा जणकलकले इ वा जणुम्मी इ वा जणुक्कलिया इ वा जणसण्णिवाए ड वा बहुजणो अण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ, एवं भासेइ, एवं पण्णवेड, एव परवेइएव खलु देवाणुप्पिया । समणे भगव महावीरे आइगरे जाव' सिद्धिगतिनामधेयं ठाण सपाविउकामे पुव्वाणुपुद्वि चरमाणे गामाणुगाम दूइज्जमाणे इहमागए इहसपत्ते इहसमोसढे इहेव कयगलाए नयरीए वहिया छत्तपलासए चेइए अहापडिरूवं प्रोग्गह अोगिण्हित्ता संजमेण तवसा अप्पाण भावेमाणे विहरइ । त महप्फल खलु भो देवाणुप्पिया। तहारूवाण अरहताणं भगवताण नामगोयस्सवि सवणयाए, किमग पुण अभिगमण-वदण-तमसण-पडिपुच्छण-पज्जुवासणयाए ? एगस्सवि आरियस्स धम्मियस्स सुवयणस्स सवणयाए, किमग पूण विउलस्स अट्ठस्स गहणयाए ? त गच्छामो ण देवाणुप्पिया | समण भगव महावीर वदामो नमसामो सक्कारेमो सम्माणेमो कल्लाण मगल देवय चेइयं पज्जुवासामो। एय णे पेच्चभवे इयभवे य हियाए सुहाए खमाए निस्सेयसाए आणुगामियत्ताए भविस्सइ त्ति कटु वहवे उग्गा उग्गपुत्ता भोगा भोगपुत्ता एव दुप्पडोयारेण-राइण्णा खत्तिया माहणा भडा जोहा पसत्थारो मल्लई लेच्छई लेच्छईपुत्ता, अण्णे य बहवे राईसर-तलवर-माडविय-कोडुविय-इन्भ-सेट्ठि-सेणावइ-सत्थवाहप्पभितो जाव' महया उक्किट्ठसीहनाय-वोल-कलकलरवेण पक्खुभियमहासमु दर वभूय पिव करेमाणा सावत्थीए नयरीए मज्झमझेण निग्गच्छति ॥ ३१ तए ण तस्स खदयस्स कच्चायणसगोत्तस्स बहुजणस्स अतिए एयम सोच्चा निसम्म इमेयारूवे अज्झत्थिए चितिए पत्थिए मणोगए सकप्पे समुप्पज्जित्था १. स० पा०-लोए जाव केरण । २, ० गिछिए (अ)। ३ स० पा०-सिंघाडग जाव पहेसु। ४. ° सद्दे (अ, म, वृपा) । ५. स० पा०-जणवहे इ वा परिसा निग्गच्छइ । ६ भ० ११७। ७. ओ० सू० ५२ । Page #144 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८५. वीअसत ( पढमो उद्देसो) 'एव खलु समणे भगव महावीरे कयगलाए नयरीए बहिया छत्तपलासए चेइए सजमेण तवसा अप्पाण भावेमाणे विहरइ । त गच्छामिण समण भगव महावीर वदामि नमसामि" । सेय खलु मे समण भगव महावीर वदित्ता, नमसित्ता सक्कारेत्ता सम्माणेत्ता कल्लाण मगलं देवय चेइय पज्जुवासित्ता इमाइ चण एयारूवाइ ग्रट्ठाइ हेऊइ परिणाइ कारणाइ' वागरणाई पुच्छित्तए त्ति कट्टु एव सपेहेइ, सपेहेत्ता जेणेव परिव्वायगावसहे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता तिदड च कुडिय च कंचणिय च करोडिय च भिसिय च केसरिय च छण्णालय' च अंकुसय च पवित्तय' च गणेत्तिय च छत्तय च वाहणाओ' य पाउयाग्रो' य धाउरताय गेहइ, हित्ता परिव्वायावसहाम्रो पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता तिदङ- कुडिय - कचणिय-करोडिय - भिसिय- केसरिय छण्णालय-कुसय पवित्तय-गणेत्तियहत्थगए, छत्तोवाहणसजुत्ते", धाउरत्तवत्थपरिहिए सावत्थीए नयरीए मज्झमज्भेण निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता जेणेव कयगला नगरी, जेणेव छत्तपलासए चेइए, जेणेव समणे भगव महावीरे, तेणेव पहारेत्थ गमणाए । ३२ गोयमाइ' । समणे भगव महावीरे भगव गोयम एव वयासी दच्छिसि ण गोयमा । पुव्वसगइय । क' भते ! ? खदय नाम । से काहे वा ? किह वा ? केवच्चिरेण वा ? ३३ एव खलु गोयमा । तेण कालेण तेण समएण सावत्थी नाम नगरी होत्यावण्णनो" । तत्थ ण सावत्थीए नगरीए गद्दभालस्स प्रतेवासी खदए नाम कच्चायणसगोत्ते परिव्वायए परिवसइ । त चेव जाव" जेणेव मम श्रुतिए, तेणेव पहारेत्थ गमणाए । से श्रदूरागते बहुसपत्ते श्रद्धाणपडिवण्णे प्रतरा पहे वट्टइ । 'अज्जेव ण दच्छिसि " गोयमा । १. X ( क, ता, व ) । २. X ( अ, व, म) 1 ३. छण्हालय (ता) । ४ पवित्तिय ( क ) | 7 ३४ - भंत्तेति । । भगवं गोयमे समण भंगव महावीर वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता एव वदासी - पहू ण भते । खदए कन्वायणसगोत्ते देवाणुप्पियाण अतिए मुडे ५. पाहणाओ (ता) | ६. ओवाइय (सू० ११७) सूत्रे ' पाउयाओ' इति पदं नास्ति, प्रस्तुतप्रकरणे पि किंचिदने ‘छत्तोवाहणसजुत्ते' इत्यत्रापि तन्नास्ति । • वाणह° ( क ) 1 ८. ०दि (क, ता, म) । ६ क त ( अ, क, ता ) । १० ओ० सू० १ । ११ १२ १३ 1 ७ P. भ० २।२५ ३१ । अदूराइते ( क ), अदूरियाते (व) । दिच्छसि ( अ, स), दच्छसि (म) । 7 Page #145 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३६. ८६ भगवई भवित्ता' अगारासो' अणगारिय पव्वइत्तए ? हता पभू॥ __३५ जाव च णं समणे भगव महावीरे भगवनो गोयमस्स एयमट्ठ परिकहेइ, ताव च ण से खदए कच्चायणसगोत्ते त देस हव्वमागए ॥ तए णं भगव गोयमे खदय कच्चायणसगोत्त अदूरागत' जाणित्ता खिप्पामेव अन्भुटेति, अन्भुढेत्ता खिप्पामेव पच्चुवगच्छइ, जेणेव खदए कच्चायणसगोत्ते तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता खदय कच्चायणसगोत्त एवं वयासी-हे खंदया ! सागय खदया ! सुसागय खदया ! अणुरागय खदया ! सागयमणुरागय खदया । से नूण तुम खदया | सावत्थीए नयरीए पिंगलएण नियठेण वेसालियसावएण इणमक्खेव पुच्छिए—मागहा | किं सते लोगे ? अणते लोगे ? एव त चेव जाव' जेणेव इहं, तेणेव हन्वमागए । से नूण खदया ! 'अट्ठे समठे' ?" हता अस्थि ॥ तए ण से खदए कच्चायणसगोत्ते भगव गोयम एव वयासी-'से केस ण गोयमा" ! तहारूवे नाणी वा तवस्सी वा, जेण तव एस अट्ठे मम ताव रहस्स कडे हव्वमक्खाए, जो ण तुम जाणसि ? ३८. तए ण से भगव गोयमे खंदय कच्चायणसगोत्त एव वयासी --एव खलु खदया । मम धम्मायरिए धम्मोवदेसए समणे भगव महावीरे उप्पण्णनाणदसणधरे अरहा जिणे केवली तीयपच्चुप्पन्नमणागयवियाणए सव्वण्णू सव्वदरिसी जेण मम एस अटठे तव ताव रहस्सकडे हन्वमक्खाए, जो ण अह जाणामि खदया ! 38 तए ण से खदए कच्चायणसगोत्ते भगव गोयम एव वयासी-गच्छामो ण गोयमा तव धम्मायरिय धम्मोवदेसय समण भगव महावीर वदामो नमसामो" सक्कारेमो सम्माणेमो कल्लाण मगल देवय चेइय° पज्जुवासामो। अहासुह देवाणुप्पिया । मा पडिबध ॥ ४०. तए ण से भगव गोयमे खदएण कच्चायणसगोत्तेण सद्धि जेणेव समणे भगव महा वीरे, तेणेव पहारेत्थ गमणाए । ४१. तेण कालेण तेण समएण समणे भगव महावीरे वियट्टभोई" यावि होत्था । ३७ १ भवित्ता ण (क, ता, व, स)। ७-अत्ये समत्ये (क, वृ), अडे सम(वृपा)। २. आगारापो (अ, क, व, स)। ८ से केरण गोयमा (अ, व), केस ण गोयमा ३. अदूरआगय (अ, व, स), अदूरमागत (ता)। से (ता)। ४. पच्चुगच्छइ (अ, क, ता, म); पत्युगच्छड ६. आय (ता)। (व)। १० स० पा०-नमंसामो जाव पज्जुवासामो। ५. रेफस्य मागमिकत्वात् (वृ)। ११ वियट्टभोति (अ, ता, व, म, स)। ६, भ० २०२६-३५। Page #146 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बीम सत (पढमो उद्देसो) ४२. तए ण समणस्स भगवो महावीरस्स वियट्टभोइस्स' सरीरय ओराल सिगार . कल्लाण सिव धन्न मगल्ल अणलकियविभूसिय लक्खण-वजण-गुणोववेय सिरीए अतीव-अतीव उवसोभेमाण चिट्ठइ ॥ ४३. तए ण से खदए कच्चायणसगोत्ते समणस्स भगवो महावीरस्स वियट्रभोइस्स सरीरयं ओराल सिगार कल्लाण सिव धन्न मगल्ल अणलकियविभूसिय लक्खण-वजण-गुणोववेय सिरीए° अतीव-अतीव उवसोभेमाण पासइ, पासित्ता हट्ठतुट्ठचित्तमाणदिए णदिए पीइमणेपरमसोमणस्सिए हरिसवसविसप्पमाणहियए जेणेव समणे भगव महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समण भगव महावीर तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिण करेइ', 'करेत्ता वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता णच्चासन्ने नातिदूरे सुस्सूसमाणे णमसमाणे अभिमुहे विणएण पजलियडे ° पज्जुवासइ ॥ ४४ खदयाति । समणे भगव महावीरे खदय कच्चायणसगोत्त एव वयासी–से नण तुम खदया | सावत्थीए नयरीए पिंगलएण नियठेण वेसालियसावएण इणमक्खेव पुच्छिए—मागहा। १ कि सते लोए ? अणते लोए ? २ सते जीवे ? अणते जीवे ? ३ सप्रता सिद्धी ? अणता सिद्धी ? ४ सअते सिद्धे ? अणते सिद्धे ? ५ केण वा मरणेण मरमाणे जीवे वड्ढति वा, हायति वा ? एव त चेव जाव जेणेव मम अतिए तेणेव हव्वमागए । से नूण खदया | अट्ठे समठे ? हंता अस्थि । जे वि य ते खदया। अयमेयारूवे अज्झत्थिए चितिए पत्थिए मणोगए सकप्पे समुप्पज्जित्था-कि सते लोए ? अणते लोए ?-तस्स वि य ण अयमटठे. एव खलु मए खदया | चउव्विहे लोए पण्णत्ते, त जहा-दव्वरो, खेतो, कालो, भावो। दव्वनो ण एगे लोए सते। खेत्तो ण लोए असखेज्जाओ जोयणकोडाकोडीनो आयाम-विक्खभेण, असखेज्जाओ जोयणकोडाकोडीओ परिक्खेवेण पण्णत्ते, अत्थि पुण से अते। कालो ण लोए न कयाइ न पासी, न कयाइ न भवइ, न कयाइ न भविस्सह -भविस य, भवति य, भविस्सइ य-धुवे नियए' सासए अक्खए अव्वए अव ट्ठिए निच्चे, नत्थि पुण से.अते । १ वियट्टाभोगिस्स (ता, व, म)। ६ परमसोमणसिए (अ, क, ता, ब, म, स)।. २. मगल्ल सस्सिरीय (क)। ७. स० पा०-करेइ जाव पज्जुवासइ । । ३. स० पा०-ओराल जाव अतीव । ८. भ० २।२६-३५। ४. x (अ, क, व, म, स) । ६. णितिए (अ, क, ता), रिणतए (ब)। ५. पीतमणे (अ, स)। Page #147 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 55 भाव ण लोए प्रणता वण्णपज्जवा, प्रणता गधपज्जवा, अणता रसपज्जवा, अणता फासपज्जवा, प्रणता सठाणपज्जवा, प्रणता गरुयलहुयपज्जवा, प्रणता अगरुयलहुयपज्जवा, नत्थि पुण सेते । सेत्त खदगा' ! दव्वग्रो लोए सते, खेत्तस्रो लोए सते, कालओ लोए प्रणते, भावप्रो लोए प्रणते ॥ ४६. जे वि य ते खदया' । प्रयमेयारूवे अज्झत्थिए चितिए पत्थिए मणोगए सकप्पे समुपज्जत्था - किं सते जीवे ? ० प्रणते जीवे ? तस्स वि य ण अयमट्ठे- एव खलु जहा - दव्व, खेत्तस्रो, कालो, भावप्रो । 'भगवई मए खदया ! चउव्विहे जीवे पण्णत्ते, त व्व ण एगे जीवे सते । खेत्तनो ण जीवे प्रसखेज्ज एसिए, प्रसंखेज्जपए सोगाढे, प्रत्थि पुण प्रते । काल ण जीवे न कयाइ न ग्रासी, न कयाइ न भवइ, न कयाइ न भविस्सइर्भावसु य, भवति य, भविस्सइ य-धुवे नियए सासए अक्खए अव्वए अवट्ठिए निच्चे, नत्थि पुण' से o भाव ण जीवे प्रणता नाणपज्जवा, प्रणता दसणपज्जवा, प्रणता चारित्तपज्जवा, प्रणता गरुयल हुयपज्जवा, प्रणता अगरुयल हुयपज्जवा, नत्थि पुण से श्रते । I सेत्त खदगा | दव्वत्र जीवे सते, खेत्तस्रो जीवे सते, कालो जीवे प्रणते, भाव जीवे प्रणते ॥ ४७. जे विय ते खदया' ! 'अयमेयारूवे अज्झत्थिए चितिए पत्थिए मणोगए कप्पे समुप्पज्जित्था - १. x (क, व ) । २. सं० पा० - खंदया जाव अरणता । ३. स० पा० - खलु जाव दव्वओ । ----- किं सतासिद्धी ? अणता सिद्धी ? तस्स वियण प्रयमट्ठे । एव खलु मए खदया । चउव्विहा सिद्धी पण्णत्ता, त जहा - दव्वप्रो, खेत्तो, कालो, भावो । O दव्व ण एगा सिद्धी सश्रता । खेत्तग्रो ण सिद्धी पणयालीस जोयणसयसहस्साइं आयामविक्खभेण, एगा जोयणकोडी बायालीसं च सयसहस्साइ तीस च सहस्साइं दोण्णि य अउणापन्नजोयणसए किचि विसेसाहिए परिक्खेवेण पण्णत्ता, प्रत्थि पुण से अते । ४. स० पा० - आसी जाव निच्चे । ५ पुरणाइ (ता, व, म) । ६ स० पा० - खदया पुच्छा । Page #148 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बीसत ( पढमो उद्देसो) कालो ण सिद्धी न कयाइ न आसी', 'न कथाइ न भवइ, न कयाइ न भविस्सइ - भवि य, भवति य, भविस्सइ य-धुवा नियया सासया अक्खया अव्या अवट्ठिया निच्चा, नत्थि पुण साग्रता । भाव ण सिद्धी प्रणता वण्णपज्जवा, अणता गधपज्जवा, प्रणता रसपज्जवा, अणता फासपज्जवा, प्रणता सठाणपज्जवा, प्रणता गरुयल हुयपज्जवा, प्रणता अगरुयल हुयपज्जवा, नत्थि पुण साता । सेत्त खदया ! • दव्व सिद्धी समता, खेत्तो सिद्धी सम्रता, कालओ सिद्धी प्रणता, भाव सिद्धी प्रणता ॥ ४८ जे विय ते खदया' ! श्रयमेयारूवे प्रज्झत्थिए चितिए पत्थिए मणोगए सकप्पे समुप्पज्जित्था - किं सते सिद्धे ? अणते सिद्धे ? तस्स वियण अयमट्ठे – एव खलु मए खदया । चउव्विहे सिद्धे पण्णत्ते, त जहा - दव्वप्रो, खेत्तत्रो, कालो, भावो ।° दव्व ण एगे सिद्धे सते । खेत्तस्रो ण सिद्धे असखेज्जप एसिए, प्रसखेज्जपएसोगाढे, प्रत्थि पुण से प्रते । ८ कोण सिद्धे सादीए, अपज्जवसिए, नत्थि पुण से प्रते । भावप्र ण सिद्धे प्रणता नाणपज्जवा, प्रणता दसणपज्जवा, अणता' प्रगरुयलहुयपज्जवा, नत्थिपु ण से अते । | दव्व सिद्धे सते, खेत्तो सिद्धे सते, कालो सिद्धे प्रणते, सेत्त खदया भाव सिद्धे प्रणते ॥ ४६ जेविय ते खदया । इमेयारूवे प्रज्झत्थिए चितिए पत्थिए मणोगए सकप्पे सज्जित्था - केण वा मरणेण मरमाणे जीवे वड्ढति वा, हायति वा ? तस्स वि य ण प्रयमट्ठे – एव खलु खदया। मए दुविहे मरणे पण्णत्ते, त जहा - बालमरणे य, पंडियमरणे य । से कि त बालमरणे ? बालमरणे दुवालसविहे पण्णत्ते, त जहा १. बलयमरणे २ वसट्टमरणे ३ प्रतोसल्लमरणे ४ तव्भवमरणे ५. गिरिपडणे ६. तरुपडणे ७ जलप्पवेसे ८ जलणप्पवेसे & विसभक्खणे १०. सत्योवाडणे १ स० पा० - कालओ य भावओ य जहा लोयस्स तहा भारिणयव्वा, तत्थ । २ स० पा० खदया जाव कि अणते सिद्धे त चैव जाव दव्व । ३ जाव पज्जवा ( अ, क, ता, व, म, स ) । ४ स० पा० - चितिए जाव समुप्पज्जित्था । o Page #149 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५० भगवई 1 ११ वेहाणसे १२ गद्धपट्ठे – इच्चेतेण खदया दुवालसविहेण वालमरणेण मरमाणे जीवे प्रणतेहिं ने रइयभवग्गहणेहिं ग्रप्पाणसजोएइ, ग्रणतेहिं तिरियभवग्गहर्णेहं अप्पाण सजोएइ, अणतेहि मणुयभवग्ग हणेहि ग्रप्पाणं सजोएड, प्रणतेहि देवभवग्गहणेह अप्पाण सजोएइ, प्रणाइय च ण ग्रणवदग्ग' चाउरत ससारकतार अणुपरियट्टइ । सेत्त मरमाणे वड्ढइ-वड्ढइ । सेत्त वालमरणे । से कि त पडियमरणे ? पडियमरणे दुविहे पण्णत्ते, त जहा - पावगमणे' य, भत्तपच्चक्खाणे य । से कि त पावगमणे ? पानोवगमणे दुविहे पण्णत्ते, त जहा —-नीहारिमेय, अनीहारिमेय । नियमा पडिकम्मे । सेत्त पावगमणे | से किं त भत्तपच्चक्खाणे ? भत्तपच्चक्खाणे दुविहे पण्णत्ते, त जहा -नीहारिमेय, अनीहारिमेय । नियमा सडकम्मे । सेत्त भत्तपच्चक्खाणे | इच्चेतेण खदया । दुविहेणं पडियमरणेण मरमाणे जीवे प्रणतेहि ने रइयभवग्गहणेहिं अप्पाण विसजोएइ', अणतेहि तिरियभवग्गहणेहिं अप्पाणं विसजोएइ, अणंतेहिं मणुयभवग्गहणेहि अप्पाण विसजोएइ, अणतेहि देवभवग्गहणेहिं अप्पाणविसजोएइ, अणाइय च ण अणवदग्ग चाउरत ससारकतार • वीईवयइ । सेत्त मरमाणे हायइ - हायइ | सेत्त पडियमरणे | I इच्चेएण खदया । दुविहेण मरणेणमरमाणे जीवे वड्ढइ वा, हायइ वा ॥ एत्य ण से खदए कच्चायणसगोत्ते सबुद्धे समण भगव महावीर वंदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता एव वयासी - इच्छामि ण भते । तुब्भ प्रति केवलिपण्णत्तं धम्मं निसामित्तए । हासुह देवाणुप्पिया ! मा पडिवध || ५१. तए ण समणे भगव महावीरे खदयस्स कच्चायणसगोत्तस्स, तीसे य महइमहालियाए परिसाए धम्मं परिकहेइ | धम्मका भाणियव्वा ॥ १. अरणवयग्ग (अ, व); अरणवइग्ग (म ) 1 २ पाओय० (ता, म) | ३. सं० पा - विसंजोएइ जाव वीईवयइ | ४. ओ० सू० ७१-७७ । Page #150 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बीअं सत (पढमो उद्देसो) ५२ तए ण से खदए कच्चायणसगोत्ते समणस्स भगवो महावीरस्स अतिए धम्म सोच्चा निसम्म हट्ठतु?' चित्तमाण दिऐ णदिऐ पीइमणे परमसोमणस्सिए हरिसवसविसप्पमाण हियए उठाए उठेइ, उठेत्ता समण भगव महावीर तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिण करेइ, करेत्ता वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता एव वयासीसहहामि ण भते । निग्गथ पावयण, पत्तियामि ण भते ! निग्गंथ पावयण, रोएमि ण भंते । निग्गथ पावयण, अब्भुठेमि ण भते । निग्गथ पावयण । एवमेय भते ! तहमेय भते । अवितहमेय भते । असदिद्धमेय भते । इच्छियमेय भते । पडिच्छियमेय भते । इच्छिय-पडिच्छियमेय भते । - से जहेय तुब्भे वदह त्ति कटु समण भगव महावीर वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता उत्तरपुरस्थिम दिसीभाय अवक्कमइ, अवक्कमित्ता तिदड च कुडिय च जाव' धाउरत्तायो य एगते एडेइ, एडेत्ता जेणेव समणे भगव महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समण भगव महावीर तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिण करेइ, करेत्ता' वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता एव वयासी-आलित्ते ण भत्ते । लोए, पलित्ते ण भते । लोए, आलित्त-पलित्ते ण भते | लोए जराए मरणेण य। से जहानामए केइ गाहावई अगारसि झियायमाणसि जे से तत्थ भडे भवइ अप्पभारे मोल्लगरुए", त गहाय आयाए एगतमत अवक्कमइ । एस मे नित्थारिए समाणे पच्छा 'पुरा य हियाए सुहाए खमाए निस्सेयसाए आणुगामियत्ताए भविस्सइ । एवामेव देवाणुप्पिया | मज्झ वि आया एगे भडे इठे कते पिए मणण्णे मणामे थेज्जे वेस्सासिए सम्मए 'बहुमए अणुमए" भडकरडगसमाणे, मा ण सौंय, मा ण उण्ह, मा ण खहा, माण पिवासा, मा ण चोरा, मा ण वाला,मा ण दसा. मा ण मसया, माण वाइय-पित्तिय-सेभिय-सन्निवाइय विविहा रोगायका परीस १. स० पा०—हतुढे जाव हियए, ' हिदये जात स्यात् । अर्थमीमासया भारपदस्यैवात्र सगतिर्वर्तते। २ भ० २।३१ । ५ ° गुरुए (क, स)। ३ स० पा०-करेत्ता जाव नमसित्ता। ६. पुराए (अ, ता, व), पुरा (क, म)। ४. अप्पसारे (अ, क, ता, ब, स, वृ), एतत् ७ घेज्जे (अ), पेज्जे (म)। परिवर्तन लिपिहेतुक सभाव्यते । वृत्तिकारेण ८ अणुमए बहुमए (ता)। परिवर्तित पाठो लब्ध., तथैव व्याख्यात । ६ इह प्रथमावहुवचनलोपो दृश्य (वृ)। अथवा वृत्तावपि भारस्य साररूपेण परिवर्तन Page #151 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई होवसग्गा' फुसतु त्ति कटु एस मे नित्थारिए समाणे परलोयस्स हियाए सुहाए खमाए नीसेसाए प्राणुगामियत्ताए भविस्सइ।। त इच्छामि ण देवाणुप्पिया | सयमेव पव्वाविय, सयमेव मुडाविय, सयमेव सेहाविय, सयमेव सिक्खाविय, सयमेव अायार-गोयर विणय-वेणइय-चरण करण-जायामायावत्तिय धम्ममाइक्खिय ।। ५३ तए ण समणे भगव महावीरे खदय कच्चायणसगोत्त स यमेव पव्वावेड, सयमेव मुडावेइ, सयमेव सेहावेड, सयमेव सिक्खावेइ, सयमेव अायार-गोयर विण यवेणइय-चरण-करण-जायामायावत्तिय° धम्म माइक्खई"-एव देवाणप्पिया । गतव्व, एव चिट्ठियव्व, एव निसीइयव्ब, एव तुयट्टियव्व, एव भुजियव्वं, एव भासियव्व, एव उट्ठाय-उट्ठाय पाणेहि भूएहि जीवेहि सत्तेहि सजमेण सजमियव्व, अस्सि च ण अद्वै णो किचि वि पमाइयव्व ।। ५४ तए ण से खदए कच्चायणसगोत्ते समणस्स भगवो महावीरस्स इम एयारूवं धम्मिय उवएस सम्म सपडिवज्जइ-तमाणाए तह गच्छइ, तह चिट्ठइ, तह निसीयइ, तह तुयट्टइ, तह भुजड, तह भासइ, तह उट्ठाय-उट्ठाय पाणेहि भूएहिं जीवेहि सत्तेहिं सजमेण सजमेइ, अस्सि च ण अद्वै णो पमायइ ।। ५५ तए ण से खदए कच्चायणसगोत्ते अणगारे जाते-इरियासमिए भासासमिए एसणासमिए आयाणभडमत्तनिक्खेवणासमिए उच्चार-पासवण-खेल-सिघाणजल्ल-पारिट्ठावणियासमिए मणसमिए वइसमिए कायसमिए मणगुत्ते वइगुत्ते' कायगुत्ते गुत्ते गुत्तिदिए गुत्तवभयारी चाई लज्जू धन्ने खतिखमे जिइदिए सोहिए अनियाणे अप्पुस्सुए अवहिल्लेसे सुसामण्णरए दते इणमेव निग्गथ पावयण पुरो काउ विहरइ॥ ५६ तए ण समणे भगव महावीरे कयगलामो नयरीनो छत्तपलासाो चेइयाओ पडि निक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता वहिया जणवयविहार विहरइ॥ तए ण से खदए अणगारे समणस्स भगवओ महावीरस्स तहारूवाण थेराण प्रतिए सामाइयमाइयाई एक्कारस अगाइ अहिज्जइ, अहिज्जित्ता जेणेव समणे भगव महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवाग च्छित्ता समण भगव महावीरं वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता एवं वदासी–इच्छामि ण भते ! तुब्भेहिं अभणुण्णाए समाणे मासिय भिक्खुपडिम उवसपज्जित्ता ण विहरित्तए। १. परिस्सहो० (ता, म)। ६ x (अ, ब, स)। २. X (अ, क, ता, व, म)। ७ वय ° (अ)। ३ वित्तिय घुव (क), वित्तिय (ता,म,स)। ८ लज्ज (अ, व)। ४. स० पाल-पव्वावेइ जाव धम्म०। ६ सामाइगमादियाति (क, व); सामातिय५ ° माइक्खाइ (अ, ता, व, स)। मातियाइ (स)। Page #152 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बीअ सत (पढमो उद्देसो) अहासुह देवाणुप्पिया | मा पडिबध ॥ ५८ तए ण से खंदए अणगारे समणेण भगवया महावीरेण अब्भणुण्णाए समाणे हट्ठे जाव' नमसित्ता मासिय भिक्खुपडिम उवसपज्जित्ता ण विहरइ ॥ ५६. तए ण से खदए अणगारे मासिय भिक्खुपडिम अहासुत्त अहाकप्प अहामग्ग अहातच्च अहासम्म सम्म कारण फासेइ पालेइ सोभेइ तोरेइ पूरेइ किट्रेइ अणपालेइ आणाए पाराहेइ, सम्म काएण फासेत्ता' •पालेत्ता सोभेत्ता तोरेत्ता पूरेत्ता कित्ता अणपालेत्ता आणाए° पाराहेत्ता जेणेव समणे भगव महावीरे तेणेव उवागच्छड, उवागच्छित्ता समण भगव •महावीर वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता एव वयासी-इच्छामि ण भते । तुब्भेहिं अब्भणुण्णाए समाणे दोमासिय भिक्खुपडिम उवसपज्जित्ता ण विहरित्तए। अहासुह देवाणुप्पिया | मा पडिबध । त चेव ॥ ६० एव तेमासिय, चउम्मासिय, पचमासिय, छम्मासिय, सत्तमासिय, पढमसत्तरा, तिदिय, दोच्चसत्तरातिदिय, तच्चसत्तरातिदिय, रातिदिय', एगरातिय ॥ ६१ तए ण से खदए अणगारे एगरातिय भिक्खुपडिम अहासुत्त जाव' पाराहेत्ता जेणेव समणे भगव महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समण भगव महावीर 'वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता एव वयासी-इच्छामि ण भते | तुब्भेहि अब्भणुण्णाए समाणे गुणरयणसवच्छर" तवोकम्मउवसपज्जित्ता ण विहरित्तए। अहासुह देवाणुप्पिया | मा पडिबध ।। ६२ तए ण से खदए अणगारे समणेण भगवया महावीरेण अब्भणुण्णाए समाणे हट्ठ तुठे जाव नमसित्ता गुणरयणसवच्छर तवोकम्म उवसपज्जित्ता ण विहरति, त जहापढम मास चउत्थचउत्थेण अणिक्खित्तेण तवोकम्मेण दिया ठाणुक्कुडुए सूराभिमुहे आयावणभूमीए आयावेमाणे, रत्ति वीरासणेण अवाउडेण य । दोच्च मास छठ्ठछद्रुण अणिक्खित्तेण तवोकम्मेण दिया ठाणुक्कुडुए सूराभिमुहे आयावणभूमीए आयावेमाणे, रत्ति वीरासणेण अवाउडेण य । १ भ० २।५२ । २ X (ता, म, वृ), सम (म, स), स्थानाङ्गे (७१३) 'अहासम्म' इति पद नास्ति, केवल 'सम्म' वर्तते । ३ स० पा०-फासेत्ता जाव आराहेत्ता। ४. स० पा०-भगव जाव नमसित्ता। ५ भ० २।५८, ५६ । चेव एव दोमासिय (अ, क, ता, ब, म, स)। ६ भ० २।५८-५६ । ७ अहोरातिदिय (अ, ता, म, स)। ८ एगरातिदिय (अ, क, म, स)। ६ भ० २।५६ । १० स० पा०-महावीर जाव नमसित्ता। ११ गुणरयण (क, ता, म, स)। १२ भ० २१५२ । Page #153 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई एव तच्च मास अट्ठमअट्टमेण । चउत्थ मास दरमदगण । पंचमं माम बारसमवारसमेण । छटुं मासं चउद्दसमचउद्दसमेण । मतम माम मोलसममोलसमेण । अट्ठमं मास अट्ठारसमंअट्ठारममेण । नवमं मास वीमरमवीसम्मेण । दसम मास बावीसइमवावीसइमेण । एक्कारसमं मान चउत्रीमडमचवीसमेण । वारसम मास छन्वीसइमछब्बीसइमेण । तेरसम मास अठ्ठावीसहमग्रट्ठावीसदमेण । चउद्दसम मास तिसइमतिसमेण । पण्णरसम मासं बनीराइमबत्तीम:मेण । सोलस मास चोत्तीसइमचोत्तीसइमेण अणिक्वित्तेणं नवाकम्मेणं दिया ठाणुक्कुडुए सूराभिमुहे पायावणभूमीए पायावेमाणे, रनि बीगगणेणं अवाउडेण य॥ ६३ तए ण से खदए अणगारे गुण रयणसवच्छर तवोकम्म ग्रहासुत्त प्रहाकप्प जाव' आराहेत्ता जेणेव समणे भगव महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवाच्छित्ता समण भगव महावीर वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता वहि चउन्य- छठम-दसमदुवालसेहि, मासद्धमासखमणेहिं विचित्तेहिं तवोकम्मेहि अप्पाण भावमाणे विहरइ । १४ तए ण से खदए अणगारे तेण अोरालेण विउलेण पयत्तेणं पगहिएण कल्लाणेण सिवेण धन्नेण मगल्लेणं सस्सिरीएण उदग्गेण उदत्तेण उत्तमेण उदारेण महाणभागेण तवोकम्मेण सुक्के लुक्खे' निम्मसे अट्ठि-चम्मावणद्धे किडिकिडियाभए' किसे धमणिसतए जाए यावि होत्था । जीवजीवेण गच्छइ, जीवजीवेण चिठ्ठड, भासं भासित्ता वि गिलाइ, भास भासमाणे गिलाइ, भास भासिस्सामीति गिलाइ। से जहानामए कट्ठसगडिया इ वा, पत्तसगडिया इ वा, पत्त-तिल-भडगसगडिया" इ वा, एरडकट्ठसगडिया इ वा, इगालसगडिया इ वा-उण्हे दिण्णा सुक्का समाणी ससई गच्छइ, ससद्द चिट्ठइ, एवामेव खदए' अणगारे ससह गच्छइ, ससद्द चिठ्ठड, उवचिए तवेण अवचिए मस-सोणिएण, हयासणे विव भासरासिपडिच्छण्णे तवेण, तेएण, तव-तेयसिरीए अतीव-अतीव उवसोभेमाणे उवसोभेमाणे चिट्ठइ ।। ६५. तेणं कालेण तेण समएण रायगिहे नगरे समोसरण जाव' परिसा पडिगया ।। ६६ तए ण तस्स खंदयस्स अणगारस्स अण्णया कयाइ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयसि धम्मजागरिय जागरमाणस्स इमेयारूवे अज्झत्थिए चितिए' पत्थिए मणोगए सकप्पे° समुप्पज्जित्था १. भ० २।५६ । २ भुक्खे (अ, म)। ३. ० किडिय° (अ, ब)। ४, तिलसठगसगडिया (वृपा)। ५ इगालकट्ठसगडिया (अ, व)। ६ खदए वि (ता, म)। ७ ओ० सू० १६-८० । क, स० पा-चितिए जाव समुप्पज्जित्था। Page #154 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वीसत (पढमो उद्देसो) ६५ एव खलु ग्रह इमेण एयारूवेण ओोरालेण' विउलेण पयत्तेण पग्गहिएण कल्लाणेण सिवेण धन्नेण मगल्लेण सस्सिरीएण उदग्गेण उदत्तेण उत्तमेण उदारेण महाणुभागेण तवोकम्मेण सुक्के लुक्खे निम्मसे अट्ठि चम्मावणद्धे किडि - किडियाभूए किसे धमणिसतए ' जाए । जीवजीवेण गच्छामि, जीवजीवेण चिट्ठामि', भास भासित्ता वि गिलामि, भास भासमाणे गिलामि, भास भासि - सामीति गिलामि । ० से जहानामए कट्ठसगडिया इ वा, पत्तसगडिया इवा, पत्त - तिल-भडगसगडिया इवा, एरडकट्ठसगडिया इ वा, इगालसगडिया इ वा — उन्हे दिण्णा सुक्का समाणी ससद्द गच्छइ, ससद्द चिट्ठइ, एवामेव ग्रह पि ससद्द गच्छामि, सद्द चिट्ठामि । त प्रत्थिता मे उट्ठाणे कम्मे बले वीरिए पुरिसक्कार - परक्कमे त जावता मे प्रत्थि उट्ठाणे कम्मे बले वीरिए पुरिसक्कार - परक्कमे जाव य मे धम्मायरिए धम्मोवदेसए समणे भगव महावीरे जिणे सुहत्थी विहरइ, तावता मे सेय कल्ल पाउप्पभायाए रयणीए, फुल्लुप्पल कमलकोमलुम्मिलियम्मि हपडुरे' पभाए, रत्तासोयप्पकासे', किसुय - सुयमुह - गुजद्धरागसरिसे, कमलागरसङबोहए, उट्टियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलते समण भगव महावीर वदित्ता नम सित्ता' •णच्चासन्ने णातिदूरे सुस्सूसमाणे अभिमुहे विणएण पजलियडे • पज्जुवासित्ता समणेण भगवया महावीरेण अब्भणुण्णाए समाणे सयमेव पच महव्वयाणि आरोवेत्ता, समणा य समणी यखामेत्ता तहारूवेहि थेरेहि कडाईहि सद्धिवि पुल पव्वय 'सणिय-सणिय " दुरुहित्ता' मेहघणसनिगास" देवसन्निवात पुढवीसिलापट्ट पडिलेहित्ता, दब्भसथारग सथरित्ता दव्भसथारोवगयस्स सलेहणाभूसणाभूसियस्स भत्तपाणपडियाइक्खियस्स पानोवगयस्स काल प्रणवकखमाणस्स विहरित त्ति कट्टु एव सपेहेइ, सपेहेत्ता कल्ल पाउप्पभायाए रयणीए जाव उट्ठियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलते जेणेव समणे भगव महावीरे" तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समण भगव महावीर तिक्खुत्तो प्रायाहिण -पयाहिण करेइ, करेत्ता वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता णच्चासन्ने णातिदूरे सुस्सूसमाणे णमसमाणे अभिमुहे विणण पजलियडे ० पज्जुवासइ ॥ १ उरालेरण (क, ता, म, स), स० पा०ओरालेरण जाव किसे । २ धवरिण ० ( क, ता, ब, म ) । ३ स० पा० - चिट्ठामि जाव गिलामि जाव एवमेव । ४. रतणीए (ता) । ५. अहुपड़रे ( अ, ता, व); अहापडुरे ( स ) । ६ • प्पगासे (क), ° सकासे (ता) | ७ स० पा० – नमसित्ता जाव पज्जुवासित्ता । ८ 8 सरिणत सरिणत ( क ) । दुहित्ता ( कम ), दू हित्ता (ता), रुहित्ता (a ), दुरूहित्ता ( स ) | १०. मेघ० ( अ ) | ११, स० पा० - महावीरे जाव पज्जुवास | Page #155 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६६ भगवई o ६७ खदयाइ ! समणे भगव महावीरे खंदयं अणगार एव वयासी से नूणं तव खदया ! पुव्वरत्तावरत्त कालसमयसि धम्मजागरिय° जागरमाणस्स इमेयारूवे अज्झत्थिए' चितिए पत्थिए मणोगए सकप्पे समुप्पज्जित्था - एव खलु ग्रह इमेण एयारूवेण तवेण श्रोशलेण विउलेणं त चेव जाव' कालं ग्रणवकखमाणस्स विहरित्तए त्ति कट्टु एव सपेहेसि, सपेहेत्ता कल्ल पाउप्पभायाए रयणीए जाव उट्टियम्म सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलते जेणेव मम प्रतिए तेव हव्वमागए । से नूण खदया ! अट्ठे समट्ठे ? हता ग्रत्थि । हासु देवाणुप्पिया । मा पडिबध ॥ ६८ तए ण से खदए अणगारे समणेण भगवया महावीरेण प्रब्भणुण्णाए समाणे हट्ठतुट्ठ" "चित्तमाणदिए नदिए पीइमणे परमसोमणस्सिए हरिसवसविसप्पमाण ° हियए उट्ठाए उट्ठेइ, उट्ठेत्ता समण भगव महावीर तिक्खुत्तो याहिण-पयाहिण करेइ', 'करेत्ता वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता सयमेव पच महाव्वयाइ आरुहेइ', ग्रारुहेत्ता समणा य समणीग्रो य खामेइ, खामेत्ता तहारूवेहि थेरेहिं कडाईहिं सद्धि विपुल पव्वय सणिय-सणिय द्रुहइ, द्रुहित्ता मेहघणसन्निगास देवसन्निवात पुढविसिलापट्टय' पडिलेइ, पडिलेहेत्ता उच्चारपासवणभूमि पडिलेहेइ, पडिले हेत्ता दव्भसथारग संथरइ, सथरित्ता पुरत्याभिमुहे सपलियकनिसणे करयलपरिग्गहियं दसनह सिरसावत्त मत्थए अर्जील कट्टु एव वयासीनमोत्थु ण रहताण भगवंताण जाव" सिद्धिगतिनामधेय ठाण सपत्ताणं । नमोत्थु ण समणस्स भगवन महावीरस्स जाव" सिद्धिगतिनामधेय ठाणं सपाविउकामस्स | वदामि ण भगवत तत्थगय इहगए, पासउ मे" भगव तत्थगए इहगय ति कट्टु वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता एव वयासी - पुव्विपि मए समणस्स भगवो महावीरस्स अतिए सव्वे पाणाइवाए पच्चक्खाए जावज्जीवाए जाव" मिच्छादसणसल्ले पच्चक्खाए जावज्जीवाए । इयाणि पि य ण समणस्स भगवत्रो महावीरस्स प्रतिए १ पुव्वरत्तावररत्त० ( क ); स० पा० – पुव्वरत्तावरत जाव जागरमाणस्स । २. स० पा० - अज्झत्थिए जाव समुप्पजित्या । ३. भ०२/६६ | ४ भ० २।६६ । ५. स० पा०- -टुतुटु जाव हियए । ६. सं० पा०—करेइ जाव नमसित्ता । ७ आरुभेइ ( कम ) 1 ε कडादीहि ( अ, व, स ), कडायीहि (ता, म) 1 ( अ, क, म,स) । o १० ओ० सू० २१ । ११. ओ० सू० २१ १२. मे से (क, व, म, स ) । १३. भ० १।३८४ | Page #156 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वीय सत (पडमो उद्देसो) सव्व पाणाइवाय पच्चक्खामि जावज्जीवाए जाव' मिच्छादसणसल्ल पच्चक्खामि जावज्जीवाए । सव्व असण-पाण-खाइम-साइम-चउव्विह पि आहार पच्चक्खामि जावज्जीवाए । ज पि य इम सरीर इट्ठ कत पिय जाव' मा ण वाइयपित्तिय-सेभिय-सन्निवाइय' विविहा रोगाय का परीसहोवसग्गा फुसतु त्ति कटु एय पि ण चरिमेहि उस्सास-नीसासेहि वोसिरामि त्ति कटु सलेहणाझूसणाझूसिए भत्तपाणपडियाइक्खिए पाओवगए काल अणवकखमाणे विहरइ ।। ६६ तए ण से खदए अणगारे समणस्स भगवो महावीरस्स तहारूवाण थेराण अतिए सामाइयमाइयाइ एक्कारस अगाइ अहिज्जित्ता, बहुपडिपुण्णाइ दुवालसवासाइ सामण्णपरियाग पाउणित्ता मासियाए सलेहणाए अत्ताण झूसित्ता, सठ्ठि भत्ताइ अणसणाए छेदेत्ता आलोइय-पडिक्कते समाहिपत्ते प्राणुपुव्वीए कालगए। ७० तए ण ते थेरा भगवतो खदय अणगार कालगय जाणित्ता परिनिव्वाणवत्तिय काउसग्ग करेति, करेत्ता पत्त-चीवराणि गेण्हति, गेण्हित्ता विपुलाओ पव्वयानो सणिय-सणिय पच्चोरुहति', पच्चोरुहित्ता जेणेव समणे भगव महावीरे तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता समण भगव महावीर वदति नमसति, वदित्ता नमसित्ता एव वयासी- एव खलु देवाणुप्पियाण अतेवासी खदए नाम अणगारे 'पगइभद्दए पगइउवसते पगइपयणुकोहमाणमायालोभे मिउमद्दवसपन्ने अल्लीणे' विणीए । से ण देवाणुप्पिएहिं अब्भणुण्णाए समाणे सयमेव पच महन्वयार्णि आरुहेत्ता', समणा" य समणीग्रो य खामेत्ता, अम्हेहिं सद्धि विपुल' पव्वय ० सणिय-सणिय द्रुहित्ता जाव' मासियाए सलेहणाए अत्ताण झूसित्ता, सट्ठि भत्ताइ अणसणाए छेदेत्ता आलोइय-पडिक्कते समाहिपत्ते आणुपुत्वीए कालगए। इमे - य से आयारभडए॥ ७१ भतेति | भगव गोयमे समण भगव महावीर वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता एव वयासी-एव खलु देवाणु प्पियाण अतेवासी खदए नाम अणगारे कालमासे काल किच्चा कहिं गए ? कहिं उववण्णे ? गोयमाइ | समणे भगव महावीरे भगव गोयम एव वदासी-एव खलु १. भ० २१५२। इति द्विरुक्तमस्ति तेन औपपातिकपाठ एव २ द्रष्टव्य २।५२ सूत्रस्य पादटिप्पणम् । समीचीनोस्ति। ३ पच्चोसक्कति (स)। ६ आरोवेत्ता (अ, क, ता, ब, स), पारोहेत्ता ४. अलीणे (क, ब)। ५. औपपातिके (६१, ११६) एतावान् एव ७ समणे (अ, ता, व, म)। पाठोस्ति । अत्र केषुचिदादर्शषु 'पगइमउए ८ स० पा०-पव्वय त चेव निरवमेस जाव 'पगइविणीए' इति पाठोप्यस्ति तथा 'मिउ- आणुपुत्वीए । मह वसपने भद्दए विपीए' इत्यपि वर्तते। ६, भ० २६, ६६ । Page #157 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई कोहमाणमायालो 1 o गोयमा ! मम अतेवासी खदए नाम अणगारे पगइभद्दए' 'पगइउवसते पगइपयमिउमद्दवसपणे अल्लीणे विणीए से णं मए अव्भगुण्णाए समाणे सयमेव पच महव्वयाइ श्रारुहेत्ता' जाव' मासियाए सलेहणाए अत्ताण सित्ता, सट्ठि भत्ताइ अणसणाए छेदेत्ता आलोइय-पडिक्कते समाहिपत्ते कालमासे काल किच्चा ग्रच्चुए कप्पे देवत्ताए उववण्णे || ७२ तत्य ण प्रत्येगइयाण देवाण वावीस सागरोवमाइ ठिई पण्णत्ता तत्थ ण खंदयस्स वि देवस्स बावीस सागरोवमाइ ठिई पण्णत्ता ॥ ६८ ७३ से ण भते । खदए देवे ताम्रो देवलोयाओ 1 ? उक्खएण भवक्खएण ठिइक्खएणं अणंतर चय चइत्ता कहिं गच्छिहिति ? कहि उववज्जिहिति गोयमा | महाविदेहे वासे सिज्झिहिति बुज्झिहिति मुच्चिहिति परिणिव्वाहिति सव्वदुक्खाण अंत करेहिति ॥ समुग्धाय-पदं ७४ बीओ उद्देसो कइ ण भते ! समुग्धाया पण्णत्ता ? गोयमा ! सत्त समुग्धाया पण्णत्ता, त जहा - १ वेदणासमुग्धाए २ कसायसमुग्धाए ३ मारणतियसमुग्धाए ४ वेउव्वियसमुग्धाए ५ तेजससमुग्धाए ६ आहारगसमुग्वाए ७ केवलियसमुग्धाए । छाउमत्थियसमुग्धायवज्ज" समुघायपद नेयव्व ॥ १. स० पा० - पगइभहए जाव सेरग । २. स० पा० - आरुहेत्ता त चैव सव्व अविसे सित वव्व जाव आलोइय० । ३. भ० २२६८, ६ ४. गमिहिति ( अ, व, स ), गच्छिही (ता) । ५ एवं समुग्धायपद छाउमित्ययसमुग्धायवज्ज भारिणयव्व जाव-वेमाणिवारण | कसायसमुग्वाया, श्रप्पावय । अरणगारस्त ण भंते ! भावियप्परगो केवली समुग्धाए जाव - सासत, अणागयह चिट्ठति ? समुग्धायपद नेयव्व ( अ, व ) । ६ सूत्रकृता प्रज्ञापनाया 'मरणस्सा जहा जीवा, नवर~~~मरणसमुग्धाएरण समोहया असखेज्जगुणा' इत्येव पाठोत्र विवक्षित, अत परवर्ती छामस्थिकसमुद्घातप्ररूपकपाठो नात्र अधिकृतोस्ति । द्रष्टव्यम् - प्रज्ञापना, पद ३६ | Page #158 -------------------------------------------------------------------------- ________________ • ६६ वीअ सत (चउत्थो उद्देसो) तइओ उद्देसो पुढवि-पदं ७५ कइ णं भंते | पुढवीनो पण्णत्तायो ? गोयमा । सत्त पुढवीओ पण्णत्ताओ, त जहा–१ रयणप्पभा २ सक्करप्पभा ३ बालुयप्पभा ४ पकप्पभा ५ धूमप्पभा ६. तमप्पभा ७ तमतमा । जीवाभिगमे ने रइयाण जो बितिम्रो उद्देसो सो नेयन्वो' जाव७६ 'किं सव्वे पाणा उववण्णपुव्वा ?'' हता गोयमा । असइ अदुवा अणतखुत्तो ।। चउत्थो उद्देसो इंदिय-पदं ७७ कइ ण भते । इदिया पण्णत्ता ? गोयमा | पच इदिया पण्णत्ता, त जहा-१. सोइदिए २ चक्खिदिए ३ घाणिदिए ४ रसिदिए ५ फासिदिए । पढमिल्लो इदियउद्देसनों नेयव्वो जाव' ७८ अलोगे ण भते ! किणा फुडे ? कतिहिं वा काएहि फुडे ? १. जी० ३।२। इमीसे ण भते ! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए २. अतोने 'क, ता, म' सकेतितादर्शषु 'पुढवी निरयावाससयसहस्सेसु इक्कमिक्कसि निरया ओगाहित्ता, निरया सठाणमेव वाहल्ल । जाव वाससि सव्वे पाणा सव्वे भूया सव्वे जीवा कि' एव पाठो वर्तते । शेषादर्शषु 'बाहल्ल' सव्वे सत्ता पुढविकाइयत्ताए जाव वरणस्सइइति पदस्याने 'विक्खभ-परिवखेवो, वण्णो गधो काइयत्ताए, नेरइयत्ताए उववण्णपुव्वा ? य फासो य जाव किं' एव पाठोस्ति । वृत्ति- ४. प० १५।१ । कृता एका टिप्पणी कृतास्ति-सूत्रपुस्तकेषु ५ अतोने सर्वादशेषु 'सठाण वाहल्ल पोहत्त च पूर्वार्द्धमेव लिखित, शेषाणा विवक्षितार्थाना जाव अलोगे' इति पाठोस्ति, इह च सूत्रपुस्तयावच्छब्देन सूचितत्वात् । असौ गाथा जीवा- केषु द्वारत्रयमेव लिखित, शेषास्तु तदर्था भिगमस्य नारकद्वितीयोद्देशकार्थसंग्रहपरा वर्तते यावच्छब्देन सूचिता : (वृ)। . ३ अत्र सक्षिप्तपाठ । जीवाभिगमे (३।२) पूर्ण- ६. प० १५।१ । पाठः एवमस्ति Page #159 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई गोयमा ! नो धमत्थिकाएण फुडे जाव' नो आगासत्थिकाएण फुडे, आगासत्थिकायस्स देसेण फुडे आगासत्थिकायस्स पदेसेहि फुडे, नो पुढविकाइएण फुडे जाव नो अद्धासमएण फुडे, एगे अजीवदव्वदेसे अगुरुलहुए अणतेहि अगुरुलहयगुणेहिं संजुत्ते सव्वगासे अगतभागूणे ।। पंचमो उद्देसो परिचारणा-वेद-पदं ७६. अण्णउत्थिया ण भते ! एवमाइक्खति भासति पण्णवति परवेति १ एव खलु नियठे कालगए समाणे देवभूएण' अप्पाणेणं से ण तत्थ नो अण्णे देवे, नो अण्णेसि देवाण देवीओ 'आभिजुजिय-अभिजुजिय" परियारेइ, नो अप्पणिच्चियाओं देवीओ अभिजुजिय-अभिजुंजिय परियारेइ, अप्पणामेव अप्पाण विउव्विय-विउव्विय परियारेड। २ एगे वि य णं जीवे एगेण समएणं दो वेदे वेदेइ, त जहा-इत्थिवेदं च, पुरिसवेदं च। "ज समय इत्थिवेय वेएइ त समय पुरिसवेय वेएट । जं समयं पुरिसवेयं वेएइ त समय इत्थिवेय वेएइ। इत्थिवेयस्स वेयणाए पुरिसवेय वेएइ, पुरिसवेयस्स वेयणाए इत्थिवेयं वेएइ। एव खलु एगे वि य ण जीवे एगेण समएण दो वेदे वेदेइ, त जहा-इत्थिवेदं च, पुरिसवेद च ॥ ८०. से कहमेय भते ! एव ? गोयमा ! ज ण ते अण्णउत्थिया एवमाइक्खति जाव' इत्थिवेद च, पुरिसवेदं च । जे ते एवमाहसु, मिच्छ ते एवमाहसु । अह पुण गोयमा! एवमाइक्खामि भासामि पण्णवेमि परूवेमि १. १० १५।१। २. ५० १५१। ३. प्राकृतत्वात् भकारस्य द्वित्वम् । ४. बहियजिय (ब)। ५ अप्पणो ° (अ, क, ता, व), अप्पिरिणच्चि__याओ (वृ), अप्परिणज्जियाओ (ठा० ३।६)। ६. स० पा०-एव परत्थियवत्तव्बया ऐयव्वा . : . जाव इत्यिवेद । ७. भ० २।७६। Page #160 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वीसत (पंचमो उद्देसो) १०१० १ एव खलु पियठे कालगए समाणे अण्णयरेसु देवलोएसु देवत्ताए उववत्तारो भवति' – महिड्दिएसु' महज्जुतीएसु महाबलेसु महायसेसु महासोक्खेसु ० महाणुभागेसु दूरगतीसु चिरट्ठितीएसु । से ण तत्थ देवे भवइ महिड्डिए जाव' दस दिसा उज्जोएमाणे पभासेमाणे पासाइए दरिसणिज्जे अभिरूवे पडिवे । से ण तत्थ ग्रण्णे देवे, अण्णेसि देवाणं देवीग्रो अभिजुजिय- अभिजुजिय परियारेइ, अप्पणिच्चियानो देवी अभिजुजिय-अभिजुजिय परियारेइ, नो अपणामेव अप्पाण विउब्विय- विउव्विय परियारेइ । २. एगे वि य ण जीवे एगेण समएण एग वेद वेदेइ, त जहा - इत्थिवेद वा, पुरिसवेदं वा । ज समय इत्थिवेद वेदेइ नो त समय पुरिसवेद वेदेइ । ज समय पुरिसवेद वेदेइ, नो त समय इत्थिवेद वेदेइ । इत्थिवेदस्स उदएण नो पुरिसवेद वेदेइ, पुरिसवेदस्स उदएण नो इत्थिवेद वेदे | एव खलु एगे जीवे एगेंण समएण एग वेद वेदेंइ, त जहा - इत्थीवेदं वा, पुरिसवेद वा । इत्थी इत्थिवेदेण उदिण्णेण पुरिस पत्थेइ । पुरिसो पुरिसवेदेण उदिष्णेण इथिइ | दो वि अण्णमण्ण पत्थेति त जहा - इत्थी वा पुरिसं, पुरिसे वा इत्थि ॥ भ - पर्द ८१ उदगव्भे' ण भते । उदगव्भे त्ति कालो केवच्चिर होइ ? गोयमा । जहणेण एक समय, उक्कोसेण छम्मासा ॥ ८२ तिरिक्खजोणियगव्भे ण भते । तिरिक्खजोणियगब्भेत्ति काल केवच्चिर होइ ? गोयमा । जहणेण तोमुहुत्त, उक्कोसेण प्रट्ठ सवच्छराइ ॥ ८३ मणुस्सीगव्भेण भते । मणुस्सीगब्भे त्ति कालो केवच्चिर होइ ? गोयमा । जहणेण तोमुहुत्त, उक्कोसेण बारस सवच्छराइ ॥ ८४. कायभवत्थे ण भते । कायभवत्थे त्ति कालो केवच्चिर होइ गोयमा । जहणेण प्रतोमुहुत्त, उक्कोसेण चउवीस सवच्छराइ ॥ ? 1 १ प्राकृतशैल्या उपपत्ता भवतीति दृश्यम् (वृ) । २ स० पा० - महिड्दिएसु जाव महारणुभागेसु । ३. ठा० ८।१०। ४ स० पा० - पभासेमागे जाव पडिरूवे । ५. अप्परणच्चिया ( अ, क, ता, व ) । ६ उदगगब्भे ( अ, व, स ), दंगगव्भे (वृपा) । Page #161 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०२ भगवई ? ८५. मणुस्स - पचेदियतिरिक्खजोणियवीए ण भते । जोणिभूए केवतिय कालं सचिट्ठ गोयमा । जहणेण प्रतोमुहुत्त, उक्कोसेण वारस मुहुत्ता || ८६ एगजीवे ण भते । एगभवग्गहणेण केवइयाणं पुत्तत्ताए हव्वामागच्छइ ? गोयमा । जहण्णेण इक्कस्स वा 'दोह वा तिह" वा, उक्कोसेण सयपुहत्तस्स' जीवा ण पुत्तत्ताए हव्वमागच्छति ॥ ८७. 1 एगजीवस्स ण भते । एगभवग्गणेण' केवइया जीवा पुत्तत्ताए हव्वमागच्छति ? गोयमा ! जहणेण एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेण सयसहस्स पुहत्तं जीवा ण पुत्तत्ताए हव्वमागच्छति ॥ 1 से केणट्ठेण भते । एव वुच्चइ – जहणेण एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेण सयसहस्सपुहत्त जीवा ण पुत्तत्ताए • हव्वमागच्छति ? गोयमा ! इत्थीए पुरिसस्स य कम्मकडाए जोणीए मेहुणवत्तिए नाम सजोए समुप्पज्जइ । ते दुहनो सिणेह 'चिणति, चिणित्ता' तत्थ णं जहणेण एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेण सयसहस्रपुहत्त जीवा ण पुत्तत्ताए हव्वमागच्छति । से तेणट्ठेण' • गोयमा । एवं वुच्चइ - जहणेण एक्को वा दो वा तिणि वा, उक्कोसेण सयसहस्सपुहत्त जीवा ण पुत्तत्ताए हव्वामागच्छंति ॥ ८ मेहुणण्ण' भते ! सेवमाणस्स केरिसए' प्रसजमे कज्जई ? गोयमा ! से जहानामए केइ पुरिसे रूयनालिय" वा वूरनालियं" वा तत्तेणं कणएण समभिद्धसेज्जा, एरिसएण गोयमा । मेहुण सेवमाणस्स ग्रसजमे कज्जइ ॥ ६०. सेव भते ! सेव भते ! जाव विहरइ ॥ ८८ ६१. तए ण समणे भवग महावीरे रायगिहाम्रो नगराम्रो गुणसिलाओ चेइयाओ पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता वहिया जणवयविहार विहरइ ॥ तुगियानयरी - समणो वासय-पदं ९२. तेण कालेन तेण समएण तु गिया नाम नयरी होत्या -- वण्णो ॥ ε३. तीसे ण तुगियाए नयरीए बहिया चेइए होत्था – वण्ण" ॥ १ दोण्ह वा तिह ( अ, स ) 1 २. पुहुत्तस्स (क, स ) | ३. एगजीव० (स) । ४ स० पा० - वुच्चइ जाव हव्व० । ५. इत्थीए य (क, ता, ब, म) । ६. संचिरगति, सचिरिणत्ता (म ) | ७ स० पा० - तेराट्ठे जाव हव्व० । ८ मेहुण ( अ ) ; मेहुणेण ( स ) | उत्तरपुरत्थिमे दिसीभागे" पुप्फवतिए नामं C. केरिसे ( अ, ता, ब, स ) । १०. रुवनालय ( क ) ; रूयण्णालिय (ता); रूवगालिय (म) । ११. पूर० (ता, व ) | ११ भ० १५१ । १२ ओ० सू० १ । १३ दिसाभागे ( क ) । १४ ओ० सू० २-१३ ॥ Page #162 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वीन सतं (पचमो उद्देसो) १४ तत्थ ण तुगियाए नयरीए वहवे समणोवासया परिवसति-अडढा दित्ता वित्थि ण्णविपुलभवण-सयणासण-जाणवाहणाइण्णा बहुधण-बहुजायरूव-रयया आयोगपयोगसपउत्ता विच्छड्डियविपुल भत्तपाणा वहुदासी-दास-गो-महिस-गवेलयप्पभूया बहुजणस्स अपरिभूया अभिगयजीवाजीवा उवलद्धपुण्ण-'पावा आसव"-सवर-निज्जर-किरियाहिकरणवध-पमोक्खकुसला असहेज्जा देवासुरनागसुवण्ण जक्खरक्खस्सकिन्नरकिपुरिसगरुलगधव्वमहोरगादिएहि देवगणेहिं निग्गथाम्रो पावयणाओं' अणतिक्कमणिज्जा, निग्गथे पावयणे निस्सकिया निक्कखिया निन्वितिगिच्छा लट्ठा' गहियट्ठा पुच्छियट्ठा अभिगयट्ठा विणिच्छियट्ठा अट्ठिामजपेम्माणुरागरत्ता" अयमाउसो निग्गथे पावयणे अछे अयं परमठे सेसे अणठे, ऊसियफलिहा अवगुयदुवारा" 'चियत्ततेउरघरप्पवेसा चाउद्दसट्ठसुद्दिट्ठपुण्णमासिणीसु" पडिपुण्ण पोसह सम्म अणुपालेमाणा, समणे निग्गथे फासु-एसणिज्जेण असण-पाण-'खाइम-साइमेण' वत्थपडिग्गह-कवल-पायपुछणेण पीढ-फलग-सेज्जा-सथारएण 'प्रोसह-भेसज्जेण'१५ पडिलाभेमाणा बहिं सीलव्वय-गुण-वेरमण-पच्चक्खाण-पोसहोवबासेहि अहापरिग्गहिएहि तवोकस्मेहि अप्पाण भावेमाणा विहरति ।। १. पावासव (ता)। वाक्यरचनायाः सम्बन्धयोजनार्थं च 'युक्ता २ निज्जरा (अ)। इति गम्यम्' इति उल्लिखितम् । किन्तु ३ °हिगरणकुसला (अ)। ओवाइय - रायपसेणइयसूत्रयोरवलोकनेन ४. प्पमोक्ख° (क, ता, म, स), मोक्ख° प्रतीयते असौ पाठ 'पडिलाभेमारणा' (व)। इति पदस्यानन्तर युज्यते । ओवाइयसूत्रे ५ असहेज्ज (अ, क, ता, व, म, स), असा- (१२०) 'पडिलाभेमाणे सीलव्वय-गुणहाय्यास्ते च ते देवादयश्चेति कर्मधारय वेरमण-पच्चक्खाण-पोसहोववासेहिं अहापअथवा व्यस्तमेवेदम् (वृ)। रिग्गहिएहिं तवोकम्मेहि अप्पाण भावेमाणे'। ६ °महोरगादी (अ, म, स)। रायपसेरणइयसूत्रे (६६८) 'पडिलाभमाणे ७. पवयणाओ (ब)। वहूहिं सीलव्वय-गुण-वेरमण-पच्चक्खाण८. निम्वितिगिछिया (ता)। पोसहोववासे हिं अप्पाण भावेमाणे ।' अनयो ६ लट्ठिा (ब)। पाठयोराधारेण अत्रापि असौ पाठ 'पडिला१० ° प्पेमाणुराव ° (ता)। भेमाणा' इति पदस्यानन्तर गृहीत । ११ अपगुय ° (क), अवगुत ° (म)। १३ चाउद्दसि ° (ता)। १२. चियत्ततेउरपरधर ० (ता) । अतोने सर्वेषु १४ खातिम-सातिमेण (ब, स) । आदर्शषु 'बहिं सीलव्वय-गुण-वेरामण- १५ X (क)। पच्चक्खाण-पोसहोववासेहिं' इति पाठो १६ अहापडि ° (स, वृ)। दृश्यते । वृत्तिकृतापि असी अत्रैव व्याखात , Page #163 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०४ भगवई ६५ तेण कालेण तेण समएण पासावच्चिज्जा थेरा भगवतो जातिसंपन्ना कुलसपन्ना. वलसंपन्ना रूवसपन्ना विणयसपन्ना नाणसपन्ना दसणसपन्ना चरित्तसंपन्ना लज्जासपन्ना लाघवसपन्ना अोयसी तेयसी वच्चसी जससी जियकोहा जियमाणा जियमाया जियलोभा जियनिहा' जिइदिया जियपरीसहा जीवियास'-मरणभयविप्पमुक्का तवप्पहाणा गुणप्पहाणा करणप्पहाणा चरणप्पहाणा निग्गहप्पहाणा निच्छयप्पहाणा मद्दवप्पहाणा अज्जवप्पहाणा लाघवप्पहाणा खतिप्पहाणा मुत्तिप्पहाणा विज्जाप्पहाणा मंतप्पहाणा वेयप्पहाणा वभप्पहाणा नयप्पहाणा नियमप्पहाणा सच्चप्पहाणा सोयप्पहाणा चारुपण्णा सोही अणियाणा अप्पुस्सुया अवहिल्लेसा सुसामण्णरया अच्छिद्दपसिणवागरणा ° कुत्तियावणभूया वहुस्सुया बहपरिवारा' पंचहिं अणगारसएहिं सद्धि सपरिवडा अहाणव्वि चरमाणा गामाणुगाम दूइज्जमाणा सुहसुहेण विहरमाणा जेणेव तुगिया नगरी जेणेव पुप्फवइए चेइए 'तेणेव उवागच्छति", उवागच्छित्ता अहापडिरूव प्रोग्गहं प्रोगिण्हित्ता ण सजमेण तवसा अप्पाणं भावेमाणा विहरति ।। ६६. तए ण तुगियाए नयरीए सिंघाडग-तिग-चउक्क-चच्चर-चउम्मुह'-महापह-पहेसु जाव एगदिसाभिमुहा निज्जायति ।। ६७. तए ण ते समणोवासया इमोसे कहाए लद्धट्ठा समाणा हट्ठतुट्ठ' चित्तमाणदिया णंदिया पीइमणा परमसोमणस्सिया हरिसवसविसप्पमाणहियया अण्णमण्ण ° सद्दावेति, सद्दावेत्ता एव वयासी-एव खलु देवाणुप्पिया! पासावच्चिज्जा थेरा भगवतो जातिसपन्ना जाव" अहापडिरूव प्रोग्गह ओगिण्हित्ता ण सजमेण तवसा अप्पाण भावेमाणा विहरति ।। तं महाफल खलु देवाणु प्पिया। तहारूवाण थेराण भगवताण नामगोयस्स वि सवणयाए, किमग. पुण अभिगमण-वदण-नमसण-पडिपुच्छण-पज्जुवासणयाए ? ° एगस्स वि आरियस्स धम्मियस्स सुवयणस्स सवणयाए, किमग पुण विउलस्य अट्ठस्स गहणयाए ? त गच्छामो णं देवाणुप्पिया! थेरे भगवते वंदामो नमसामो२ ° सक्कारेमो सम्माणेमो कल्लाणं मंगल देवय चेइय पज्जूवासामो । एय णे पेच्चभवे इहभवे य हियाए सुहाए खमाए निस्सेयसाए प्राणुगामि १ X (क)। २. जितेंदिया (अ, क, व); जितिंदिया (म)। ३. जीवियासा (अ, ता, व, स)। ४. स० पा०-मरणभयविप्पमुक्का ___ जाव कुत्तिया । ५. X (अ, व)। ६. तेणेवाग ° (अ, क, व)। ७ x (अ, क, व, म, स)। ८ राय० सू० ६८७-६८६ । ६ स० पा०—हट्ठतुट नाव सद्दावेंति । १०. राय० सू० ६८६ । ११ स० पा०-पज्जुवासणयाए जाव गहणयाए । १२. स० पा०-नमसामो जाव पज्जुवासामो जाव भविस्सति । Page #164 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बी. सतं ( पचमी उद्देसो) १०५ यत्ताए भविस्सति इति कट्टु ग्रण्णमण्णस्स अतिए एयमट्ठ पडिसुणेति, पडिसुत्ता जेणेव सयाइ-सयाइ गिहाई तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता हाया कवलिकम्मा कयकोउय-मंगल-पायच्छित्ता सुद्धप्पावेसाइ मगल्लाइ 'वत्थाइ पवर परिहिया" अप्पमहग्घाभरणालकियसरीरा सएहि -सएहि गिहेहितो' पडिनिक्खमति, पडिनिक्खमित्ता एगयो' 'मेलायति, मेलायित्ता" पायविहारचारेण तुगियाए नयरीए मज्झमज्भेण निग्गच्छति, निग्गच्छित्ता जेणेव पुप्फवतिए' चेइए तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता थेरे भगवते पचविहेण अभिगमेण अभिगच्छति, [त जहा - १ सच्चित्ताण दव्वाण विसरणयाए २. ग्रचित्ताण दव्वाण- अविग्रोसरणयाए ३ एगसाडिएण उत्तरासगकरणेण ४ चक्खुप्फासे अजलिप्पग्गहेण ५ मणसो एगत्तीकरणेण ] ' जेणेव थेरा भगवतो तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता तिक्खुत्तो याहिण - पयाहिण करेति, करेत्ता" वदति नमसति, वदित्ता नमसित्ता' तिविहाए पज्जुवासणाए पज्जुवासति ॥ १८ तए ण ते थेरा भगवतो तेसि समणोवासयाण तीसे 'महइमहालियाए महच्चपरिसाए चाउज्जाम धम्म परिकहेति, त जहा - ६ सव्वा पाणाइवायाओ वेरमण, सव्वाश्री मुसावाया वेरमण, सव्वा श्रदिण्णादाणा वेरमण, सव्वाओ बहिद्धादाणा वेरमण ' ॥ &&. तए ण ते समणोवासया थेराण भगवताण अतिए धम्म सोच्चा निसम्म हट्ट तुट्ठाजाव' हरिसवसविसप्पमाणहियया तिक्खुत्तो श्रायाहिण -पयाहिण करेति, 'करेत्ता एव" वयासी - सजमेण भते । किंफले ? तवे" किंफले ? १००. तए ण ते थेरा भगवतो ते समणोवासए एव वयासी" सजमे ण अज्जो ! अणण्यफले, तवे वोदाणफले ॥ १०-१० तए ण ते समणोवासया थेरे भगवते एव वयासी - जइ ण भते । सजमे आणण्हयफले, तवे वोदाणफले । किंपत्तिय ण भते । देवा देवलोएसु उववज्जति ? १. पवराई परिहिया ( क ), वत्थाइ पवराइपरिहियति क्वचिदृश्यते, क्वचिच्च वत्थाइ पवर परिहियत्ति (वृ) । २ गेहेहितो ( म स ) 1 ३. एगओ (ता) । ४. मिलायति २ ( अ, म) 1 ५ पुप्फवतीए ( अ, क, व, स ) । ६. कोष्ठकवर्ती पाठो व्याख्याश प्रतीयते । जहा केसि सामिस्स, जाव समरणोवासियत्ताए आगाए आराहए भवति जाव धम्मो कहि ( अ, म, स), महइमहालियाए जाव धम्मो कहिओ (क, ता, व ) । ६ भ० २।४३ | १०' करेत्ता जाव तिविहाए पज्जुवासरणयाए पज्जुवासति २ एव (ता, म स ) ; करेत्ता जाव एव (क ) । ७ स० पा० - करेत्ता जाव तिविहाए । 5 महइमहालियाए चाउज्जाम धम्म परिकहेति । १२. वर्दिसु ( क ) । ११. तवेण भते ! (अ) । Page #165 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०६ भगवई १०२ तत्थ ण कालियपुत्ते नाम थेरे ते समणोवासए एव वयासी - पुव्वतवेणं ग्रज्जो । देवा देवलोएसु उववज्जति । तत्थ ण मेहिले नाम थेरे ते समणोवासए एव वयासी - पुव्वसंजमेण ग्रज्जो ! देवा देवलोएसु उववज्जंति । तत्थ ण आणदरक्खिए नाम थेरे ते समणोवासए एव वयासी – कम्मियाए अज्जो ! देवा देवलोएसु उववज्जति । तत्थ ण कासवे नाम थेरे ते समणोवासए एवं वयासी - सगियाए ग्रज्जो ! देवा देवलोएसु उववज्जति । 1 पुव्वतवेण, पुव्वसजमेण, कम्मियाए, सगियाए ग्रज्जो । देवा देवलोएस उववज्जति । सच्चे ण एस' अट्ठे, नो चेव ण श्राभाववत्तव्वयाए || १०३ तए ण ते समणोवासया 'थेरेहिं भगवतेहि इमाइ एयारुवाइ वागरणाइ वागरिया समाणा हट्ठतुट्ठा" थेरे भगवते वदति नमसति, पसिणाड पुच्छंति, अट्ठाइ उवादियति, उवादिएत्ता' जामेव दिसि पाउन्भूया तामेव दिसि पडिगया || १०४ 'तए ण ते थेरा ग्रण्णया कयाइ तुगियाग्रो नयो पुप्फवतिया चेइयात्रो पडिनिग्गच्छति, वहिया जणवयविहार विहरति ॥ १०५. तेण कालेणं तेण समएण रायगिहे नाम नगरे होत्या - सामी समोसढे जाव' परिसा पडिगया ॥ १०६. तेण कालेणं तेण समएण समणस्स भगवग्रो महावीरस्स जेट्ठे श्रतेवासी इदभूई नामं अणगारे जाव' सखित्तविपुलतेयलेस्से छट्ठछट्ठेण प्रणिक्खित्तेण तवोकम्मेण सजमेण तवसा अप्पाण भावेमाणे विहरइ ॥ १०७ तए ण' भगव गोयमे छट्ठक्खमणपा रणगसि पढमाए पोरिसीए " सज्झाय करेइ, वीयाए पोरिसीए झाण झियाइ, तइयाए पोरिसीए प्रतुरियमचवलमसभते मुहपोत्तिय पडिलेहेइ, पडिलेहेत्ता भायणवत्थाइं " पडिलेहेइ, पडिलेहेत्ता भायणाई पॅमज्जइ, पमज्जित्ता भायणाइ उग्गाहेइ, उग्गाहेत्ता जेणेव समणे भगव महावीरे १ एसे (क, व, म) । २. X ( क, ता, ब ) | ३. उवादिएत्ता उट्ठाए उट्ठेन्ति उट्ठेत्ता थेरे भगवते तिक्खुत्तो वदति नमसति २ थेराणं भगवतारण अंतियाओ पुप्फवतियाओ चेइयाओ पडिनिक्खमति ( अ, म, स ) । ४. पडिनिक्खमति (अ) । ५. ६ ७ ८. & १० ११ X (ता, व ) । भ० १७, ५ । भ० १६ । रण से ( अ, क, ता, म, स); रण समणे (ब) 1 ० गमि (ता) | पोरुसीए (क, ता, म ) | भायरणाइ वत्थाइ ( अ, व, स ) । Page #166 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बीम सतं (पचमो उद्देसो) १०७; तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समण भगव महावीर वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता एव वयासी-इच्छामि ण भते ! तुब्भेहिं अब्भणण्णाए समाणे छट्ठक्खमणपारणगसि रायगिहे नगरे उच्च-नीय-मज्झिमाइ कुलाइ घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए अडित्तए। अहासुह देवाणु प्पिया | मा पडिबध ॥ १०८ तए ण भगव गोयमे समणेण भगवया महावीरेण अब्भणुण्णाए समाणे समणस्स भगवो महावीरस्स अतियानो गुणसिलामो चेइयानो पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता अतुरियमचवलमसभते जुगतरपलोयणाए दिट्ठीए पुरो रिय 'सोहेमाणे-सोहेमाणे" जेणेव रायगिहे नगरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता रायगिहे नगरे उच्च-नीय-मज्झिमाइ कुलाइ घरसमुदाणस्स भिक्खायरिय अडइ। १०६ तए ण' भगव गोयमे रायगिहे नगरे' 'उच्च-नीय-मज्झिमाइ कुलाइ घरसमु दाणस्स भिक्खायरियाए° अडमाणे बहुजणसद्द निसामेइ–एव खलु देवाणुप्पिया | तुगियाए नयरीए बहिया पुप्फवइए चेइए पासावच्चिज्जा थेरा भगवतो समणोवासएहिं इमाइ एयारूवाइ वागरणाइ पुच्छिया-सजमे ण भते । किंफले? तवे किफले ? तए ण ते थेरा भगवतो ते समणोवासए एव वयासी-सजमे ण अज्जो । अणण्हयफले, तवे वोदाणफले त चेव जाव' पुव्वतवेण, पुव्वसजमेण, कम्मियाए, सगियाए अज्जो | देवा देवलोएसु उववज्जति । सच्चे ण एस मट्ठे, नो चेव ण आयभाववत्तव्वयाए । से कहमेय मन्ने एव ॥ ११०. तए ण" भगव गोयमे इमीसे कहाए लद्धटे समाणे जायसड्ढे जाव समुप्पन्न कोउहल्ले अहापज्जत्त समुदाण गेण्हइ, गेण्हित्ता रायगिहायो नयरात्रो पडिनिक्खमइ अतुरिय मचवलमसभते जुगतरपलोयणाए दिट्ठीए पुरो रिय सोहेमाणे ° -सोहेमाणे जेणेव गुणसिलए चेइए, जेणेव' समणे भगव महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणस्स भगवो महावीरस्स अदूरसामते गमणागमणाए पडिक्कमइ, पडिक्कमित्ता एसणमणेसण आलोएइ, आलोएत्ता भत्तपाण पडिदसेइ, पडिदसेत्ता समण भगव महावीर" वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता एव वदासी-एव खलु भते । अह तुन्भेहि अब्भणुण्णाए समाणे राय१. सोहेमाणे (क, ता, व)। ६. भसे । (अ, ब)। २. रण से (अ, क, ब, म, स)। ७ ण से (अ, क, ता, ब, म, स)। ३. स० पा०-नयरे जाव अडमारणे। ८. भ० १११०। ४. भ० २।०१, १०२। ६. स० पा०-अतुरिय जाव सोहेमाणे। ५ मढे समढे (क), अढे (ता)। १० स० पाo-महावीर जाव एव । Page #167 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०८ भगवई गिहे नयरे उच्च-नीय-मज्झिमाणि कुलाणि घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए अडमाणे बहुजणसद्द निसामेमि -- एव खलु देवाणुप्पिया ! तुगियाए नयरीए बहिया पुप्फवइए चेइए पासावच्चिज्जा थेरा भगवतो समणोवासएहि इमाई एयारूवाइ वागरणाइ पुच्छिया - सजमे ण भते । किफले ? तवे किफले ? तं चैव जाव' सच्चे ण एस मट्ठे, नो चेव ण प्रायभाववत्तव्वयाए । 1 त' पभू ण भते । ते थेरा भगवतो तेसि समणोवासयाण इमाइ एयारूवाई' वागरणाइ वागरेत्तए ? उदाहु अप्पभू ? समिया ण भते । ते थेरा भगवतो तेसि समणोवासयाण इमाइ एयारुवाइ वागरणाई वागरेत्तए ? उदाहु असमिया ? उज्जिया ण भते ! ते थेरा भगवतो तेसि समणोवासयाण इमाइ एयारूवाइ वागरणाइ वागरेत्तए ? उदाहु अणाउज्जिया ? पलिउज्जया भते । ते थेरा भगवतो तेसिं समणोवासयाण इमाइ एयारुवाइ वागरणाइ वागरेत्तए ? उदाहु अपलिज्जिया ? - पुव्वतवेण प्रज्जो ! देवा देवलोएसु उववज्जति । पुव्वसजमेण, कम्मियाए, सगियाए अज्जो ! देवा देवलोएसु उववज्जति । सच्चे ण एस मट्ठे, नो चेव ण श्राभाववत्तब्वयाए । पभू ण गोयमा ! ते थेरा भगवतो तेसि समणोवासयाण इमाइ एयारूवाइ वागरणाइ वागरेत्तए, नो 'चेव ण" अप्पभू । "समिया णं गोयमा ! ते थेरा भगवतो तेसिं समणोवासयाण इमाइ एयारूवाइ वागरणाई वागरेत्तए । आउज्जिया ण गोयमा । ते थेरा भगवतो तेसि समणोवासयाणं इमाइ एयारूवाइ वागरणाइ वागरेत्तए । पलिउज्जिया ण गोयमा । ते थेरा भगवंतो तेसिं समणोवासयाण इमाइ एयाख्वाइ वागरणाइ वागरेत्तए - पुव्वतवेण अज्जो ! देवा देवलोएसु उववज्जति पुव्वसजमेण, कम्मियाए, संगियाए अज्जो ! देवा देवलोएसु उववज्जति ।° सच्चे पण एस मट्ठे, नो चेव ण प्राय भाववत्तव्वयाए । अह पि ण गोयमा ! एवमाइक्खामि, भासामि, पण्णवेमि, परूवेमि - पुव्वतवेणं देवा देवलोएसु उववज्जति । पुव्वसजमेण देवा देवलोएसु उववज्जति । कम्मियाए देवा देवलोएसु उववज्जति । सगियाए देवा देवलोएसु उववज्जति । पुव्वतवेण, पुव्वसजमेण, कम्मियाए, सगियाए अज्जो ! देवा देवलोएसु उववज्जति । सच्चे णं एस मट्ठे, नो चेव ण आयभाववत्तव्वयाए ।। १. भ० २६६ - १०२ ॥ २. अट्ठे (ता) । ३ एय ( ब ) । ४. अस्समिया (क, ता, म) 1 ५ ६ X ( अ, क, व ) 1 स० पा० तह चेव नेयव्व अविसेसिय जाव पभू समिय आउज्जियपालि उज्जिय जाव सच्चे । Page #168 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वी सत ( पचमो उद्देसो) , १९६ १११. तहारूव ण भते ! समण वा माहण वा पज्जुवासमाणस्स किंफला ? 1 पज्जुवासणा गोयमा । सवणफला । से ण भते । सवणे किंफले ? नाफले । सेभते । नाणे किंफले ? विण्णाणफले । से ण भते । विण्णाणे किफले ? पन्चक्खाणफले । से ण भते । पञ्चक्खाणे किंफले ? सजले । - से ण भते । सजमे किफले ? अणण्यफले । सेभते । प्रणहए किफले । तवफले । से ण भते । तवे किफले ? , वोदाणफले । से ण भते । वोदाणे किफले ? किरियाफले । साण भते । अकिरिया किफला ? सिद्धिपज्जवसाणफला - पण्णत्ता गोयमा । संग्रहणी - गाहा सवणे नाणे य विष्णाणे, पच्चक्खाणे य सजमे । ए तवे चेव, वोदाणे प्रकिरिया सिद्धी ॥ १ ॥ उजलकुड पर्द ११२. अन्नउत्थिया ण भते । एवमाइक्खति, भासति, पण्णवेति परूवेति - एवं खलु रायगिहस्स नयरस्स वहिया वेभारस्स पव्वयस्स ग्रहे, एत्थ ण मह एगे हरए अघे' पण्णत्ते—अणेगाइ जोयणाई प्रायाम- विक्खभेण, नाणादुमसडमडिउद्देसे, सस्सिरीए' 'पासादीए दरिसणिज्जे अभिरूवे • पडिरूवे । तत्थ णं वहवे श्रोराला • हरगे (ता) । ३ स० पा० - सस्सिरीए जाव पडिस्वे । ० १ २ अप्पे (अ, क, व, म, स), क्वचित्तु हरए त्ति न दृश्यते 'घ' इत्यस्य च स्थाने 'अप्पे' त्ति दृश्यते (वृ) । Page #169 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई वलाहया ससेयति समुच्छति वासति । तव्वइरित्ते य ण सया समिय उसिणे उसिणे आउकाए अभिनिस्सवइ । ११३. से कहमेयं भते ! एव ? गोयमा । ज ण ते अण्णउत्थिया एवमा इक्खति जाव जे ते एवमाइक्खति, मिच्छ ते एवमाइक्खति' । अह पुण गोयमा । एवमाइक्खामि, भासामि, पण्णवेमि, परवेमि-एव खलु रायगिहस्स नयरस्स वहिया वेभारस्स पव्वयस्स अदूरसामते, एत्थ ण महातवोवतीरप्पभवे नाम पासवणे पण्णत्ते-पच धणुसयाइ आयाम-विक्खभेण, नाणादुमसडमडिउद्देसे सस्सिरीए पासादीए दरिसणिज्जे अभिरूवे पडिरूवे । तत्थ ण वहवे उसिणजोणिया' जीवा य पोग्गला य उदगत्ताए' वक्कमति विउक्कमति चयंति उववज्जति । तव्वइरित्ते विय ण सया समिय उसिणे-उसिणे अाउयाए अभिनिस्सवइ । एस ण गोयमा ! महातवोवतीरप्पभवे' पासवणे। एस णं गोयमा ! महातवोवतीरप्पभवस्स पासवणस्स अट्रे पण्णत्ते ।। ११४ सेव भते ! सेव भते ! त्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीर वदइ नमसइ । छट्टो उद्देसो भासा-पदं ११५. से नूणं भंते । मन्नामी ति ओहारिणी भासा ? एवं भासापद भाणियव्व ।। सत्तमो उद्देसो ठाण-पदं ११६. कति ण भते ! देवा पण्णत्ता ? गोयमा । चउविवहा देवा पण्णत्ता, त जहा-भवणवइ-वाणमंतर-जोइस- वेमाणिया ।। १ एवमाइक्खति जाव सव्व नेयव्व (अ, स), ३. उदत्ताए (ता)। एवमाइक्खति जाव सव्व नेयव्व जाव ४. उवचयति (अ, व)। (क, ता, म)। ५. महातवोतीर° (क, ता, व, म)। २. उसिणजोणीया (अ, ता, म, स); उसुण- ६. प० ११ ।। जोरणीया (व)। ७, कतिविहा (अ, ता, म)। Page #170 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वीअ सत (अट्ठमो उद्देसो) ११७. कहि ण भते । भवणवासीण देवाण ठाणा पण्णत्ता ? गोयमा । इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए जहा ठाणपदे' देवाण वत्तव्वया सा भाणियव्वा । उववाएण' लोयस्स असखेज्जइभागे एव सव्व भाणियव्व, जाव सिद्धगडिया समत्ता। कप्पाण पइट्ठाण, बाहुल्लुच्चत्त मेव सठाण । जीवाभिगमे जो वेमाणिउद्देसो सो भाणियन्वो सव्वो। अट्ठमो उद्देसो चमरसभा-पदं ११८. कहि ण भते । चमरस्स असुरिंदस्स असुरकुमाररण्णों सभा सुहम्मा पण्णत्ता ? गोयमा । जबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणे ण तिरियमसखेज्जे" दीवसमुद्दे वीईवइत्ता अरुणवरस्स दीवस्स बाहिरिल्लायो वेइयतायो अरुणोदय समुद्द बायालीस जोयणसयसहस्साइ प्रोगाहित्ता, एत्थ ण चमरस्स असुरिंदस्स असुरकुमाररण्णो तिगिछिकूडे" नाम उप्पायपव्वए पण्णत्ते-सत्तरसएक्कवीसे जोयणसए उड्ढ उच्चत्तेण चत्तारितीसे जोयणसए कोस च 'उव्वेहेण मुले दसबावीसे जोयणसए विक्खभेण, मज्झे चत्तारि चउवीसे जोयणसए विक्खभेण, [उवरि सत्ततेवीसे जोयणसए विक्खभेण,] मूले तिण्णि जोयणसहस्साइं, दोण्णि य बत्तीसुत्तरे जोयणसए किंचि विसेसूणे परिक्खेवेण, मज्झे एग जोयणसहस्स तिण्णि य इगयाले" जोयणसए किंचि विसेसूणे परिक्खेवेण, उवरि दोण्णि १ प०२। ८ X (अ, म, स)। २ भाणियव्वा नवर भवणा पण्णत्ता (अ, क, ६ असुररण्णो (क, ता, व)। ता, ब, म, स), नवर भवणा पण्णत्त त्ति १० जवूदीवे (म)। क्वचिद् दृश्यते तस्य च फल न सम्यगव- ११ मसखेज्ज (ता, ब, स)। गम्यते (वृ)। १२ वीति ° (अ, क, व, म)। ३ उववादेण (अ, क, व, म) । १३ अरुणोद (क, म)। ४. प०२। १४ जोयणसहस्साड (अ, क, ता, म, स)। ५ सम्मत्ता (क, ब, म, स)। १५ तिगिच्छि ° (क), तिगिच्छ० (म)। ६ जाव (अ)। १६ इयाले (अ)। ७. वैमारिणयुद्देसो (ता, व)। । Page #171 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११२ भगवई य जोयणसहस्साइ, दोण्णि य छलसीए जोयणसए किंचि विसेसाहिए परिक्खेवेणं,' मूले वित्थडे, मज्झे सखित्त, उप्पिं विसाले, वरवइरविग्गहिए' महामउंदसठाणसंठिए सव्वरयणामए अच्छे °सण्हे लण्हे घटे मढे निरए निम्मले निप्पंके निक्ककडच्छाए सप्पभे समिरिईए सउज्जोए पासादीएद रिसणिज्जे अभिरूवे पडिरूवे। से ण एगाए पउमवरवेइयाए, वणसडेण य सव्वनो समता सपरिक्खित्ते। पउमवरवेइयाए वणसडस्स य वण्णो । ११६ तस्स ण तिगिछिकूडस्स उप्पायपव्वयस्स उप्पि बहुसम-रमणिज्जे भूमिभागे पण्णत्ते-वण्णों ॥ १२० तस्स ण बहुसम-रमणिज्जस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभागे, एत्थ णं मह एगे पासायवडेसए पण्णत्ते-अड्ढाइज्जाइ जोयणसयाइ उड्ढ उच्चत्तेणं, पणुवीस जोयणसय विक्खभेण । पासायवण्णों । उल्लोयभूमिवण्णओ । अट्ठजोयणाई मणिपेढिया । चमरस्स सीहासण सपरिवार भाणियव्व ॥ १२१ तस्स ण तिगिछिकूडस्स दाहिणे ण छक्कोडिसए पणवन्नं च कोडोलो पणतीसं च सयसहस्साइ पण्णास च सहस्साइ अरुणोदए समुद्दे तिरिय वीइवइत्ता अहे रयणप्पभाए पुढवीए चत्तालीस जोयणसहस्साइं, ओगाहित्ता, एत्थ ण चमरस्स असुरिंदस्स असुरकुमाररण्णो चमरचचा नाम रायहाणी पण्णत्ता एग जोयणसयसहस्सं आयाम-विक्खभेण जबूदीवप्पमाणा। १ उव्वेहेण गोथुभस्स आवासपव्वयस्स पमाणेण नेयन्व, नवर उवरिल्ल पमाण मज्झे भाणियव्व जाव (क, ता, ब, वृ)। अ, म, स सकेतितादर्शषु द्वयोव योमिश्रण दृश्यते । २ ० विग्गहे (अ, व, स)। ३ स० पा०-अच्छे जाव पडिस्वे । ४ राय० सू० १८६-२०१ । ५. राय० सू० २४-३१ । ६ पण. (अ, स)। ७ राय० सू० २०४ । ८ राय० सू० २४-३४, भ० वृत्ति । ६. तच्चैवम्-तस्स ण सिंहासणस्स अवरुत्तरे ण, उत्तरे ण, उत्तरपुरत्यिमे णं, एत्थ ण चमरस्स चउसट्ठी सामाणियसाहस्सीण, चउसट्ठी भद्दासणसाहस्सीओ पण्णत्ताओ, एव पुरथिमे णं पचण्ह अग्गमहिसीण सपरिवाराण पच भद्दासणाइ सपरिवाराड, दाहिणपुरत्यिमे ण अभितरियाए परिसाए चउध्वीसाए 'देवसाहस्सीण चउव्वीस भद्दासणसाहस्सीओ, एव दाहिणे ण पच्चत्यिमे ण सत्तण्ह'अरिणयाहिवईण मज्झिमाए अट्ठावीस भद्दासणसाहस्सीओ, दाहिणपच्चत्थिमे ण वाहिराए वत्तीस भद्दासणसाहस्सीओ, सत्त भद्दासणाइ, चउद्दिस आयरक्खदेवाण चत्तारि भद्दासणसहस्सचउसट्ठीओ (१)। । Page #172 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वी सत्त (नवमो उद्देसो) प्रोवारियलेण सोलसजोयणसहस्साइ आयाम - विक्खभेण, पण्णास जोयणसहस्साइ पच य सत्ताणउए जोयणसए किंचि विसेसूणे परिक्खेवेण सव्वप्पमाण वेमाणियप्पमाणस्स श्रद्ध नेयव्व ॥ नवमो उद्देसो समयखेत्त-पदं १२२ किमिद भते । समयखेत्ते त्ति पवच्चति गोयमा । अड्ढाइज्जा दीवा, दो य समुद्दा, एस ण एवइए समयखेत्तेति पच्चति ॥ १ एतदेव वाचनान्तरे उक्तम् - 'चत्तारि परिवाडीओ पासायवडेसगारण अद्धद्धहीणाओ (वृ), राय० सू० २०४-२०८ । २ जी० ३ । ११३ ? १२३ तत्थ णं प्रय जबुद्दीवे दीवे सव्वदीव - समुद्दाण सव्वब्भतरे । एव जीवाभिगमवत्तव्वया नेयव्वा जाव' अभितर पुक्खरद्ध जोइसविहूण' ॥ ३ वाचनान्तरे तु 'जोइस अट्ठ विहरण' ति इत्यादि बहु दृश्यते, तत्र 'जबुद्दीवे गं भते । कइ चदा पभासिंसु वा ३ ? कति सूरीया तविसु वा ३ ? कइ नक्खत्ता जोइ जोइसु वा ३ ? इत्यादिकानि प्रत्येक ज्योतिष्कसूत्राणि, तथा - से केणद्वेण भते ! एव वुच्चइ जबुद्दीवे दीवे ?, गोयमा । जबुद्दीवे ण दीवे मदररस पव्वयस्स उत्तरे ण लवणस्स दाहिणे ग जाव तत्थ २ बहवे जवूरुक्खा जवूवण्णा जाव उवसोहेमाणा चिट्टति, से तेणट्टे गोयमा । एव वुच्चइ जबुद्दीवे दीवे इत्यादीनि प्रत्येकमर्थ सूत्राणि च सन्ति, तत तद्विहीन यथा भवत्येव जीवाभिगमवक्तव्यतया नेयं अस्योद्देशकस्य सूत्र 'जाव इमा गाह' त्ति सग्रहगाथा, सा च -- " अरहत समय वायर, विज्जू थरिया बलाहगा अगरणी । अगर निहि नड उवराग निग्ग मे वुड्ढवरण च (वृ) । Page #173 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११४ दसमो उद्देसो अस्थिकाय-पदं १२४ कति ण भते । प्रत्थिकाया पण्णत्ता ? गोयमा । पच अत्थिकाया पण्णत्ता, त जहा - धम्मत्थिकाए, अधम्मत्थिकाए, आगासत्थिकाए, जीवत्थिकाए, पोग्गलत्थिकाए || १२५ धम्मत्थिकाए ण भते । कतिवण्णे ? कतिगधे ? कतिरसे ? कतिफासे ? गोयमा । अवण्णे, ग्रगधे, ग्ररसे, अफासे, अरूवी, अजीवे, सासए, अवट्टिए लोगदव्वे | से समासप्र पचविहे पण्णत्ते, त जहा - दव्वग्रो, खेत्तग्रो, कालओ, भावओ, गुणओ । दव्वन ण धम्मत्थिकाए एगे दव्वे, खेत्तओ लोगप्पमाणमेत्ते, भगवई कालओ न कयाइ न ग्रासि, न कयाइ' 'नत्थि, न कयाइ न भविस्सइ - भविसु य, भवति य, भविस्सइ य-धुवे, पियए, सासए, अक्खए, ग्रव्वए, अवट्ठिए, णिच्चे | भाव अवणे, गधे, अरसे, फासे । गमणगुणे ॥ १२६ अधम्मत्थिकाए' 'ण भते । कतिवण्णे ? कतिगधे ? कतिरसे ? कतिफासे ? गोमा । अवणे, अगधे, अरसे, अफासे, अरूवी, जीवे, सासए, अवट्ठिए लोगदव्वे । से समासओ पचविहे पण्णत्ते, त जहा - दव्वग्रो, खेत्तस्रो, कालो, भावग्रो, गुणओ । दव्वो ण अधम्मत्थिकाए एगे दव्वे | खेत्तओ लोगप्पमाणमेत्ते । कालो न कयाइ न प्रसि, न कयाइ नत्थि, न कयाइ न भविस्सइ—- भविसु य, भवति य, भविस्सइ य - धुवे, णियए, सासए, अक्खए, अव्वए, अवट्ठिए, णिच्चे । भावप्रो श्रवण्णे, अगधे, अरसे, अफासे । गुण ठाणगुणे ॥ १. स० पा०कयाइ जाव णिच्चे । २ स० पा० - अधम्मत्यिकाए एव चेव नवर गुण ठाणे । Page #174 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वीन सत (दसमो उद्देसो) ११५ १२७ अागासत्थिकाए' •ण भते । कतिवण्णे ? कतिगधे ? कतिरसे ? कतिफासे ? गोयमा । अवणे, अगधे, अरसे, अफासे , अरूवी, अजीवे, सासए, अवट्ठिए लोगदव्वे । से समासओ पचविहे पण्णत्ते, त जहा-दव्वरो, खेतो, कालो, भावप्रो, गुणो । दव्वओ ण आगासत्थिकाए एगे दव्वे । खेत्तो लोयालोयप्पमाणमेत्ते-अणते । कालो न कयाइ न आसि, न कयाइ नत्थि, न कयाइ न भविस्सइ-भविसु य, भवति य, भविस्सइ य-धुवे, णियए, सासए, अक्खए, अव्वए, अवट्ठिए, णिच्चे। भावओ अवण्णे, अगधे, अरसे, अफासे । गुणो अवगाहणागुणे ॥ १२८ जीवत्थिकाए ण भते । कतिवण्णे ? कतिगधे ? कतिरसे ? कतिफासे ? गोयमा ! अवणे', 'अगधे, अरसे, अफासे ° ; अरूवी, जीवे, सासए, अवट्ठिए लोगदव्वे । से समासओ पचविहे पण्णत्ते, त जहा–दव्वओ', 'खेत्तओ, कालो, भावो, गुणओ। दव्वओ ण जीवत्थिकाए अणताइ जीवदव्वाइ । खेत्तओ लोगप्पमाणमेत्ते । कालओ न कयाइ न आसि', 'न कयाइ नत्थि, न कयाइ न भविस्सइ-भविसु य, भवति य, भविस्सइ य-धुवे, णियए, सासए, अक्खए, अव्वए, अवट्ठिए° णिच्चे। भावप्रो अवण्णे, अगधे, अरसे, अफासे । गुणनो उवओगगुणे ॥ १२६ पोग्गलत्थिकाए ण भते ! कतिवण्णे ? कतिगधे ? कतिरसे° ? कतिफासे ? गोयमा । पचवण्णे, पचरसे, दुगधे, अट्ठफासे , रूवी, अजीवे, सासए, अवट्ठिए, लोगदव्वे । १ स० पा०-आगासत्थिकाए वि एव चेव ३. स० पा०—दव्वओ जाव गुणओ। नवर खेत्तओ ण आगासत्थिकाए लोयालो- ४. स० पा०-आसि जाव णिच्चे । यप्पमाणमेत्ते अणते चेव जाव गुणओ। . स. पा.-कतिवण्णे जाव कतिफासे । २, स० पा०-अवण्णे जाव अरूवी। Page #175 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ११६ से समासयो पचविहे पण्णत्ते, त जहा--दव्वओ, खेत्तो, कालओ, भावओ गुणओ। दव्वओ णं पोग्गलत्थिकाए अणताइ दव्वाइ । खेत्तो लोयप्पमाणमेत्ते। कालो न कयाइ न आसि', 'न कयाइ नत्थि, न कयाइ न भविस्सइ-भविंस य, भवति य, भविस्सइ य-धुवे, णियए, सासए, अक्खए, अव्वए, अवट्ठिए, णिच्चे । भावप्रो वण्णमते, गधमते, रसमते, फासमते । गुणो गहणगुणे ॥ १३० एगे भते | धम्मत्थिकायपदेसे धम्मत्थिकाएत्ति वत्तव्य सिया ? गोयमा । णो इणढे समढे ॥ १३१ एव दोण्णि, 'तिण्णि, चत्तारि पच, छ, सत्त, अट्ठ, नव, दस, सखेज्जा, असं खेज्जा । भते । धम्मत्थिकायपदेसा धम्मत्थिकाए त्ति वत्तव्यं सिया ? गोयमा । णो इणढे समढें ॥ १३२ एगपदेसूणे वि य ण भते । धम्मत्थिकाए धम्मत्थिकाए त्ति वत्तव्वं सिया ? गोयमा । णो इणढे समढे ॥ १३३ से केणट्रेण भते । एव वुच्चइ-एगे धम्मत्थिकायपदेसे नो धम्मत्थिकाए त्ति वत्तव्व सिया जाव एगपदेसूणे वि य ण धम्मत्थिकाए नो धम्मत्थिकाए त्ति वत्तव्व सिया ? से नूण गोयमा । खडे चक्के ? सगले चक्के ? भगव | नो खडे चक्के, सगले चक्के । "खडे छत्ते ? सगले छत्ते ? भगव ! नो खडे छत्ते, सगले छत्ते । खडे चम्मे ? सगले चम्मे ? भगव । नो खडे चम्मे, सगले चम्मे । खडे दडे ? सगले दडे ? भगव | नो खडे दडे, सगले दडे । .. खडे दूसे ? सगले दूसे ? ' १ स० पा०-आसि जाव णिच्चे। २. दोण्णि वि (अ, स), दो (क)। ३. तिण्णि वि चत्तारि वि (अ, स) । ४ स० पा०-एवं छत्ते चम्मे दडे दूसे आउहे मोदए। Page #176 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बीअसत (दसमो उद्देसो) भगवं । नो खंडे दुसे, सगले दूसे । खडे आहे ? सगले आहे' ? भगव । नो खडे आहे, सगले आहे । खडे मोदए ? सगले मोदए' ? भगव ! नो खडे मोदए, मगले मोदए ।° से तेणट्टेण गोयमा । एव वुच्चइ— एगे धम्मत्थिकायपदेसे नो धण्मत्थिकाए त्ति वत्तव्व सिया जाव एगपदेसूणे वि यण धम्मत्थिकाए नो धम्मत्थिकाए त्ति वत्तव्व सिया ॥ ११७ १३४. से किखाइ' ण भते । धम्मत्थिकाए त्ति वत्तव्व सिया ? गोयमा ! असखेज्जा धम्मत्थि कायपदेसा, ते सव्वे कसिणा पडिपुण्णा निरवसेसा एकग्गहण गहिया - एस ण गोयमा ! धम्मत्थिकाए त्ति वत्तव्व सिया ॥ १३५ एव अधम्मत्थिकाए वि । ग्रागासत्थि काय - जीवत्थि काय - पोग्गलत्थकाया वि एव चेव, नवर - तिन्ह पि पदेसा प्रणता भाणियव्वा । सेस त चेव । जीवत्त उवदंसण-पदं १३६ जीवे ण भते ! सउट्ठाणे सकम्मे सबले सवोरिए सपुरिसक्कार-परक्कमे आयभावेण जीवभाव उवदसेतीति वत्तव्व सिया ? हता गोयमा ! जीवे ण सउट्ठाणे सकम्मे सबले सवीरिए सपुरिसक्कारपरक्कमे प्रायभावेण जीवभाव उवदसेतीति वत्तव्व सिया || ० 1 १३७ से केणद्वेण' भते । एव वुच्चइ - जीवे ण सउट्ठाणे सकम्मे सबले सवीरिए सपुरिसक्कार- परक्कमे श्रायभावेण जीवभाव उवदसेतीति वत्तव्व सिया ? गोयमा | जीवे ण प्रणताण प्रभिणिबोहियनाणपज्जवाण, प्रणताण सुयनाणपज्जवाण, अणताण मोहिनाणपज्जवाण, प्रणताण मणपज्जवनाणपज्जवाण, अणताण केवलनाणपज्जवाण, अणताण मइअण्णाणपज्जवाण, अणताण सुयअण्णाणपज्जवाण, प्रणताण विभगनाणपज्जवाण, अणताण चक्खुदसणपज्जवाण, अणताण प्रचक्खुदसणपज्जवाण, प्रणताण मोहिदसणपज्जवाण, अणताण केवलदसणपज्जवाण उवओोग गच्छइ । उवप्रोगलक्खणे ण जीवे । से एएणट्टेण एव वुच्च — गोयमा ! जीवेण सउट्ठाणे' सकम्मे सवले सवीरिए सपुरिसक्कार- परक्कमे प्रायभावेण जीवभाव उवदसेतीति वत्तव्व सिया ॥ 1 o १ आउहे (क, व ) | २ मोयए ( अ, क, व, स ) । ३ किखाइए (ता) | ४ स० पा० - सउट्ठाणे जाव उवदसेतीति । ५ स० पा०—–केराट्ठेण जाव वत्तत्व । ६ स० पा० - सउट्ठागे जाव वत्तव्व । Page #177 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११८ श्रागास-पदं १३८. कतिविहे ण भते ! आगासे पण्णत्ते ? गोयमा । दुविहे ग्रागासे पण्णत्ते, तं जहा - लोयागासे' य अलोयागासे य ॥ १३६. लोयागासे ण भते । किं जीवा ? जीवदेसा ? जीवप्पदेसा ? अजीवा ? जीवदेसा ? जीवप्पदेसा ? गोयमा ! जीवा वि, जीवदेसा वि, जीवप्पदेसा वि; जीवा वि, जीवदेसा वि, जीवप्पसा वि । जे जीवा ते नियमा एगिंदिया, वेइदिया, तेइंदिया, चउरिदिया, पचिदिया, अणिदिया | जे जीवदेसा ते नियमा एगिदियदेसा', 'बेइदियदेसा, तेइदियदेसा, चउरिदियदेसा, पचिदियदेसा, अणिदियदेसा | भगवई जे जीवप्पदेसा ते नियमा एगिदियपदेसा', 'वेइदियपदेसा, तेइदियपदेसा, चरिदियपदेसा, पचिदियपदेसा, प्रणिदियपदेसा । जे जीवा ते दुविहा पण्णत्ता, तं जहा - रुवीय अरुवीय । जे रूवी ते चउव्विहा पण्णत्ता, त जहा – खंधा, खधदेसा, खधपदेसा, परमाणुपोग्गला । जे अरूवी ते पचविहा पण्णत्ता, तं जहा - धम्मत्थिकाए, नो धम्मत्थिकायस्स देसे, वम्मत्थिकायस्स पदेसा; अधम्मत्थिकाए, नो अधम्मत्थिकायस्स देसे, धम्मत्थि कायस्स पदेसा, श्रद्धासमए ॥ १४०. अलोयागासे णं भते ! किं जीवा' ? जीवदेसा ? जीवप्पदेसा ? प्रजीवा ? अजीवदेसा ? अजीवप्पदेसा ? ० गोयमा । नो जीवा', नो जीवदेसा, नो जीवप्पदेसा; नो अजीवा, नो अजीवदेस', नो अजीवप्पदेसा, एगे ग्रजीवदव्वदेसे अगरुयलहुए अणतेह गरुयल हुयगुणेहि सजुत्ते सब्वागासे श्रणंतभागूणे ॥ ग्रत्यिकाय-पदं १४१. धम्मत्यिकार ण भते ! केमहालए पण्णत्ते ? गोयमा ! लोए लोयमेत्ते लोयप्पमाणे लोयफुडे लोय चेव फुसित्ता ण चिट्ठइ || १ ० कांसे (क, ता, म) । २. स० पा०- एगिटियदेता जाव अणिदियदेमा । ३ ० पा०-- एगिदियपदेता जाव अणिदियपदेमा | स० पा० - जीवा पुच्छा तह चेव । と ५ सं० पा० - जीवा जाव नो । Page #178 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४३ लोया बीअ सतं (दसमो उद्देसो) ११६ १४२ अधम्मत्थिकाए ण भते ! केमहालए पण्णत्ते ? गोयमा | लोए लोयमेत्ते लोयप्पमाणे लोयफुडे लोय चेव फुसित्ता ण चिट्ठइ ॥ लोयाकासे ण भते । केमहालए पण्णत्ते ? गोयमा | लोए लोयमेत्ते लोयप्पमाणे लोयफुडे लोय चेव फुसित्ता ण चिट्ठइ ।। १४४ जीवत्थिकाए ण भते । केमहालए पण्णत्ते ? गोयमा | लोए लोयमेत्ते लोयप्पमाणे लोयफुडे लोय चेव फुसित्ता ण चिट्ठइ ।। १४५ पोग्गलत्थिकाए ण भते । केमहालए पण्णत्ते ? गोयमा | लोए लोयमेत्ते लोयप्पमाणे लोयफुडे लोय चेव फुसित्ता ण चिट्ठइ° ।। फुसरणा-पदं १४६ अहोलोए ण भते | धम्मत्यिकायस्स केवइय फुसति ? गोयमा | सातिरेग अद्ध फुसति ।। १४७ तिरियलोए ण भते' | 'धम्मत्थिकायस्स केवइय फुसति ? ० गोयमा | असखेज्जइभाग फुसति ॥ १४८ उड्ढलोए ण भते' | 'धम्मत्थिकायस्स केवइय फुसति ? ० गोयमा । देसूण अद्ध फुसति ।। १४६ इमा ण भते । रयणप्पभापुढवी धम्मत्थिकायस्स कि सखेज्जइभाग फुसति ? असखेज्जइभाग फुसति ? सखेज्जे भागे फुसति ? असखेज्जे भागे फुसति ? सव्व फुसति ? गोयमा । णो सखेज्जइभाग फुसति, असखेज्जइभाग फुसति, णो सखेज्जे भागे फुसति, णो असखेज्जे भागे फुसति, णो सव्व फुसति ॥ इमीसे ण भते । रयणप्पभाए पुढवीए घणोदही धम्मत्थिकायस्स किं सखेज्जइभाग फुसति ? असखेज्जइभाग फुसति ? सखेज्जे भागे फुसति ? असखेज्जे भागे फुसति ? सव्व फुसति ? जहा रयणप्पभा तहा घणोदहि-घणवाय-तणुवाया वि ।। इमी से ण भते | रयणप्पभाए पुढवीए अोवासतरे धम्मत्थिकायस्स कि सखज्जइभाग फुसति ? असखेज्जइभाग फुसति ? सखेज्जे भागे फुसति ? असखेज्जे भागे फुसति ? सव्व फुसति ? गोयमा | सखेज्जइभाग फुसति, नो असखेज्जइभाग फुसति, नो सखेज्जे भागे फुसति, नो असखेज्जे भागे फुसति, नो सव्व फुसति । अोवासतराइ सव्वाइ॥ '१५०. १ स० पा०-एव अधम्मत्थिकाए लोयाकासे २ स० पा०-भते पुच्छा। जीवत्थिकाए पोग्गलत्थिकाए पच वि ३. स० पा०-भते पुच्छा। एक्काभिलावा। Page #179 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ܃ ܂ ܃ !' ܕ ܕ,, ' ;r ܐ ܕܕܕܕܕ ; r-°; f frtif' , ܀ ܨܼܨܕ!--; r--q ܕܝܢ -?ܕܗ. ܕܗܨܝܼܟܼ ܕܲܝ ܕܼ rr- rr_' . r- "::: ' -' ; -ܕ ":ܖ܇܇܇ rܙܟ raf ܕ ܀ ܝܺܪܰܝܶܫܳܐ ܀ ܝܪܐܐܘܰ.ܐ ܐ : ܐܠ ܝܐ ܐ::' _: ܐܐܐ .. ' ...ܐ Page #180 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तइयं सतं पढमो उद्देसो संगहणी-गाहा १ केरिसविउव्वणा २ चमर ३. किरिय ४,५. जाणित्थि ६ नगर ७ पाला य। ८. अहिवइ ६. इदिय १०. परिसा, ततियम्मि सए' दसुद्देसा ॥१॥ उक्खेव-पदं १. तेण कालेण तेण समएण मोया नाम नयरी होत्था- वण्णो ' । २. तीसे ण मोयाए नयरीए वहिया उत्तरपुरत्थिमे दिसीभागे नदणे नाम चेइए होत्या-वण्णो ' । ३. 'तेण कालेण तेण समएण" सामी समोसढे । परिसा निग्गच्छइ, पडिगया परिसा॥ देवविकुन्वरणा-पदं ४. तेण कालेण तेण समएण समणस्स भगवनो महावीरस्स दोच्चे अतेवासी अग्गिभूई नाम अणगारे गोयमे गोत्तेण सत्तुस्सेहे जाव' पज्जुवासमाणे एव वदासि-चमरे ण भते । असुरिदे असुरराया केमहिड्ढीए ? केमहज्जुतीए ? केमहाबले ? केमहायसे ? केमहासोक्खे ? केमहाणुभागे ? केवइय च ण पभू विकुवित्तए? गोयमा । चमरे ण असुरिंदे असुरराया महिड्ढीए,' •महज्जुतीए, महाबले, महायसे, महासोक्खे', महाणुभागे । से ण तत्थ चोत्तीसाए भवणावा ससयसहस्साण, चउसट्ठीए सामाणियसाहस्सीण, तायत्तीसाए तावत्तीसगाण', १ सदे (ता)। ६ केमहड्ढीए (क, म)। २ ओ० सू०१। ७ स० पा०–महिड्ढीए जाव महाणुभागे। ३. ओ० सू० २-१३। ८ भवण° (अ, क, ता, म)। ४ X (ता)। ६ तावत्तीसाए (अ, ता, ब, म, स)। ५ भ० ११६, १०। १० स० पा०-तावत्तीसगाण जाव विहरइ । Page #181 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२२ भगवई 'चउण्ह लोगपालाण, पचण्ह अग्गमहिसीणं सपरिवाराण, चउसट्ठीणं आयरक्खदेवसाहस्सीण, अण्णेसि च वहूण चमरचचा रायहाणिवत्थव्वाण देवाण य देवोण य आहेवच्च पोरेवच्च सामित्त भट्टित्त आणा-ईसर-सेणावच्च कारेमाणे पालेमाणे महयाहयनट्टगीय-वाइय-तती-तल-ताल-तुडिय-घणमुइगपडुप्पवाइयर वेण दिव्वाइ भोगभोगाइ भुजेमाणे विहरइ। एमहिड्ढीए, एमहज्जुतीए, एमहावले, एमहायसे, एमहासोक्खे,° एमहाणुभागे। एवतिय च ण पभू विकुवित्तए । से जहानामए-जुवती जुवाणे हत्थेण हत्ये गेण्हेज्जा, चक्कस्स वा नाभी अरगाउत्ता सिया, एवामेव गोयमा ! चमरे असुरिंदे असुरराया वेउव्विय समुग्घाएण समोहण्णइ,' समोहणित्ता 'सखेज्जाइ जोयणाइ" दड निसिरइ, त जहा-रयणाण' °वयराण वेरुलियाण लोहियक्खाण मसारगल्लाण हसगन्माण पुलगाण सोगधियाण जोईरसाण अजणाण अजणपुलगाण रययाण जायरूवाण अकाण फलिहाण° रिट्ठाण अहावायरे पोग्गले परिसाडेइ, परिसाडेत्ता अहासुहमे पोग्गले परियायई', परियाइत्ता दोच्च पि वेउव्वियसमुग्घाएण समोहण्णति । पभू ण गोयमा । चमरे असुरिंदे असुरराया केवलकप्प जवुद्दीव दीव वहहिं असुरकुमारेहि देवेहिं देवीहि य आइण्ण वितिकिण्ण उवत्थड सथड फुड अवगाढावगाढ करेत्तए। अदुत्तर च ण गोयमा । पभू चमरे असुरिदे असुरराया तिरियमसखेज्जे दीव-समुद्दे वहूहि असुरकुमारेहि देवेहि देवीहि य आइण्णे वितिकिण्णे उवत्थडे सथडे फुडे अवगाढावगाढेकरेत्तए। एस ण गोयमा । चमरस्स असुरिंदस्स असुररण्णो अयमेयारूवे विसए विसयमेत्ते बुइए, णो चेव ण सपत्तीए विकुव्विसु वा विकुव्वति वा विकुव्विस्सति वा ॥ ५ जइ ण भते | चमरे असुरिंदे असुरराया एमहिड्ढीए जाव" एवइय च ण पभू विकुवित्तए, चमरस्स ण भते । असुरिंदस्स असुररण्णो सामाणिया देवा केमहिड्ढीया ? जाव" केवइय च ण पभू विकुवित्तए ? १. स० पा०-एमहिड्ढीए जाव एमहाणुभागे। जोतीरसाण अकाण अंजणाण रयणाण २ समोहणइ (अ, ता, स)। जायरूवारण अजणपुलयाण फलिहाण । ३. सखेज्जाणि जोयणाणि (अ, ब)। ६ परियाति (क)। ४. उड्ढ दड (ता, म)। ७ अरगाढावगाढ (अ, ता, व) । ५ स० पा०–रयणाण जाव रिट्ठाण । अस्य- ८ अरगाढावगाढे (अ, क, ता, ब)। पूर्ति –'रायपसेणइय' (१०) सूत्रेण कृता। ९ अतमेता° (ता)। भगवतीवृत्तौ तु एतत् पूत्तिरित्थमस्ति- १० भ० ३।४ । वइराण वेरुलियाण लोहियक्खाण मसार- ११ भ० ३।४ । गल्लाणं हसगन्भारण पुलयारणं सोगधियाण Page #182 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तइय सत ( पढमो उद्देसो) १२३ गोयमा । चमरस्स असुरिदस्स असुररण्णो सामाणिया देवा महिड्ढीया' ● महज्जुतीया महाबला महायसा महासोक्खा • महाणुभागा । ते ण तत्थ साग-साण भवणाण, साण-साण सामाणियाण, साण-साण अग्गमहिसीण जाव' दिव्वाइ भोगभोगाइ भुजमाणा विहरति । एमहिड्ढोया जाव' एवइय च ण पभू विकुव्वित्तए । से जहानामए – जुवती जुवाणे हत्थेण हत्थे गेण्हेज्जा, चक्कस्स वा नाभी अरगाउत्ता सिया, एवामेव गोयमा । चमरस्स असुरिदस्स असुररण्णो एगमेगे सामाणियदेवे वेउव्वियसमुग्धाएण समोहण्णइ जाव' दोच्च पि वेडव्वियसमुग्धाएण समोहण | पभू ण गोयमा । चमरस्स असुरिदस्स असुररण्णो एगमेगे सामाणियदेवे केवल कप्प जीव दीव बहूहि असुरकुमारेहिं देवेहि देवीहि य ग्राइण्ण वितिकिण्ण उवत्थड सथड फुड प्रवगाढावगाढ करेत्तए । प्रदुत्तरच ण गोयमा । पभू चमरस्स असुरिदस्स असुररण्णो एगमेगे सामाणि देवे तिरियमसखेज्जे दीव-समुद्दे बहूहि असुरकुमारेहिं देवेहि देवीहि य ग्राइण्णे वितिकिण्णे उवत्थडे सथडे फुडे प्रवगाढावगाढे करेत्तए । एस ण गोयमा । चमरस्स असुरिदस्स असुररण्णो एगमेगस्स सामाणियदेवस्स अयमेयारूवे विसए विसयमेत्ते बुइए, नो चेव ण सपत्तोए विकुव्विसु वा विकुव्वति वा विकुव्विसति वा । ६ जइ ण भते । चमरस्स असुरिदस्स असुररण्णो सामाणियदेवा एमहिड्ढीया जाव' एवतिय च ण पभू विकुव्वित्तए, चमरस्स ण भते । असुरिदस्स असुररण्णो तावत्तीसया' देवा के हिड्ढीया' ? तावत्तीसया जहा सामाणिया तहा नेयव्वा । लोयपाला तहेव, नवर - सखेज्जा दीव-समुद्दा भाणियव्वा—। 1 ७ जइ ण भते । चमरस्स असुरिंदस्स असुररण्णो लोगपाला देवा एमहिड्ढीया जाव' एवतिय च ण पभू विकुव्वित्तए, चमरस्स ण असुरिंदस्स असुररण्णो अग्गमहिसीओ देवीग्रो केमहिड्ढियानो जाव" केवइय च ण पभू विकुव्वित्तए ? गोयमा । चमरस्स ण असुरिदस्स असुररण्णो अग्गमहिसी देवीम्रो महिड्डिया १ स० पा० - महिड्ढीया जाव महाणुभागा | २. भ० ३।४ १ ३. भ० ३।४ । ४. भ० ३।४ । ५ भ० ३।४ | ६ तायत्ती (क) 1 ७ महड्डिया ( स ) । ८ भारिणयव्वा वहूहि असुरकुमारेहि देवेहि देवेहि य आइन् जाव विकुव्विस्सति वा ( अ, ब ) । भ० ३।४ । भ० ३।४ । ह १० ० Page #183 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२४ भगवई जाव' महाणभागायो। तायो ण तत्थ साण-साण भवणाण, साण-साण सामाणियसाहस्सीणं, साण-साण महत्तरियाण', साणं-साण परिसाण जाव एमहिड्ढीयायो। अण्ण जहा लोगपालाण अपरिसेस । ८ सेव भते । सेव भते । त्ति भगव दोच्चे गोयमे समण भगव महावीर वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता जेणेव तच्चे गोयमे वायुभूती अणगारे तेणेव उवागच्छड, उवागच्छित्ता तच्च गोयम वायुभूति अणगार एवं वदासि-एव खलु गोयमा । चमरे असुरिंदे असुरराया एमहिड्ढोए त चेव एव सव्व अपूटुवागरण नेयव्वं अपरिसेसिय' जाव' अग्गमहिसीण वत्तव्वया समत्ता। तेण से तच्चे गोयमे वायुभूती अणगारे दोच्चस्स गोयमस्स अग्गिभूतिस्स अणगारस्स एवमाइक्खमाणस्स भासमाणस्स पण्णवेमाणस्स परूवेमाणस्स एयमट्ट नो सद्दहइ नो पत्तियइ नो रोएइ, एयम? असद्दहमाणे अपत्तियमाणे अरोएमाणे उदाए उद्देइ, उद्वेत्ता जेणेव समणे भगव महावीरे तेणेव उवागच्छड जाव पज्जुवासमाणे एव वयासी-एव खलु भते । दोच्चे गोयमे अग्गिभूई अणगारे मम एवमाइक्खइ भासइ पण्णवेइ परूवेइ-एव खलु गोयमा | चमरे असुरिंदे असुरराया महिड्डीए' जाव" महाणभागे । से ण तत्थ चोत्तीसाए भवणावाससयसहस्साणं त चेव सव्व अपरिसेस भाणियव्व जाव" अग्गमहिसीण वत्तव्वया समत्ता । १० से कहमेय भते ! एव ? गोयमादि । समणे भगव महावीरे तच्च गोयम वायुभूति अणगार एव वयासीज ण गोयमा । तव दोच्चे गोयमे अग्गिभूई अणगारे एवमाइक्खइ भासइ पण्णवेइ परूवेइ-एव खलु गोयमा ! चमरे असुरिदे असुरराया महिड्ढीए त चेव सव्व जाव अग्गमहिसीओ । सच्चे ण एसमढे। अहं पि ण गोयमा । एवमाइक्खामि भासामि पण्णवेमि परूवेमि-एव खलु गोयमा ! चमरे असुरिदे असुरराया महिड्ढीए" त चेव जाव" अग्गमहिसीओ । 'सच्चे ण एसमट्टे । १ भ० ३।४। २ महारणभावामओ (ता)। ३ मयहरिया° (अ, ब)। ४. भ० ३।४। ५ X (क, ता, म)। ६. अपरिसेसं (अ, क, स)। ७. भ० ३।४-७। ८. भ० २१० । ६. एमहिड्ढीए (अ, क, ता, व) । १० भ० ३।४। ११ भ० ३।४-७। १२ अग्गमहिसीओ (अ, क, ता, व)। १३. भ० ३१४-७ । १४ महिड्ढीए सो चेव वितिओ गमो भारिण यवो (अ, व, म, स)। १५ भ० ३।४-७। १६ सच्चमेसे अटे (अ, क, ता, ब)। Page #184 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तइय सत (पढमो उद्दे सो) १२५ ११ सेवं भते । सेव भते । त्ति तच्चे गोयमे वायुभूई अणगारे समण भगव महावीर , वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता जेणेव दोच्चे गोयमे अग्गिभूई अणगारे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता दोच्च गोयम अग्गिभूइ अणगार वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता एयमट्ठ सम्म विणएण भुज्जो-भुज्जो खामेइ ।। १२ 'तए ण से तच्चे गोयमे वायुभूति अणगारे दोच्चे ण गोयमेण अग्गिभूतिणा अणगारेण सद्धि जेणेव समणे भगव महावीरे तेणेव उवागच्छइ जाव' पज्जुवासमाणे एव वयासी'२-जइ ण भते । चमरे असुरिदे असुरराया एमहिड्ढीए जाव' एवतिय च ण पभू विकुवित्तए, बली ण भते | वइरोयणिदे वइरोयणराया केमहिड्ढीए ? जाव केवइय च ण पभू विकुवित्तए ? 'गोयमा | बली ण वइरोयणिदे वइरोयणराया महिड्ढीए जाव' महाणभागे। जहा चमरस्स तहा बलिस्स वि नेयव्व, नवर-सातिरेग केवलकप्प जबुद्दीव दीव भाणियव्व, सेस त चेव निरवसेस नेयव्व, नवर-नाणत्त जाणियव्व भवणेहि सामाणिएहि य" ॥ १ भ० १११०। २. ततेण से दोच्चे गोतमे अग्गिभूती अणगारे . तच्चेण गोतमेण वायुभूइणा अणगारेण एतमट्ठ सम्म विणएण भुज्जो-भुज्जो खामिए समाणे उठाए उढेइ, उढेत्ता तच्चेण गोतमेण वायुभुतिणा अणगारेण सद्धि जेणेव समणे भगव महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छिता समण भगव महावीर वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता एव वयासी (क, ता), अत्र प्रश्नकर्ता तृतीयो गोतमो वर्तते तेन प्रस्तुतवाचना समीचीना न दृश्यते । ३ भ० ३।४। ४ भ० ३।४। ५ भ०३।४। ६ गोयमा बली वइरोयरिणदे वइरोयणराया महिड्ढीए, से ण तत्थ तीसाए भवरणावाससयसहस्साण सट्ठीए सामाणियसाहस्सीण सेस जहा चमरस्स, नवर-चउण्ह सट्ठीण आयरक्खदेवसाहम्सीण अन्नेसिं जाव भुज माणे विहरति । से जहानामए एव जहा चमरस्स तहा बलिस्स वि नेयव्व, नवरसातिरेग केवल कप्प जवुद्दीव भारिणयव सेस त चेव निरवसेस नेयव्व, नवर-नाणत्त जारिणयव्व भवणेहिं सामारिणएहिं (अ), गोयमा । जाव महिड्ढीए ।५। से ण तत्थ तीसाए भवणावाससतसहस्साण सट्ठीए सामाणियसाहस्सीण सेस जहा चमरस्स, नवर-चउण्ह सट्ठीण आतरक्खदेवसाहस्सीण अन्नेसिं च जाव भुजमाणे विहरइ । से जहानामए एव जहा चमरस्स, नवरसाइरेग जवुद्दीव जाव एगमेगाए अग्गमहिसीए देवीए इमे वुइए विसए जाव विउव्विस्सति वा (क), गोयमा | जाव महिड्ढीए ।५। से ण तत्थ तीसाए भवणावाससतसहस्साण सट्ठीए सामाणियसाहस्सीण सेस जहा चमरस्स, नवर-चउण्ह सट्ठीण आतरक्खदेवसाहस्सीण अण्णेसिं च जाव भुजमाणे विहरड । से जहानामए एव जहा चमरस्स, नवर साइरेग केवलकप्प जबुद्दीव Page #185 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२६ भगवई १३ सेव भते ? सेव भते । त्ति तच्चे गोयमे 'वायुभूई अणगारे समण भगवं महावीरं वदति नमसति, वदित्ता नमसित्ता णच्चासण्णे •णातिदूरे सुस्सूसमाणे णमसमाणे अभिमुहे विणएण पजलियडे पज्जुवासइ । १४ तते ण से दोच्चे गोयमे अग्गिभूई अणगारे समण भगव महावीर वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता एव वयासी-जइ णं भते । वली वइरोयणिदे वइरोयणराया एमहिड्ढोए जाव' एवतिय च ण पभू विकुवित्तए, धरणे ण भते ! नागकुमारिदे नागकुमारराया केमहिड्ढोए ? जाव' केवइय च णं पभू विकुवित्तए ? गोयमा | धरणे ण नागकुमारिदे नागकुमारराया महिड्ढोए जाव' महाणुभागे। से ण तत्थ चोयालीसाए भवणावाससयसहस्साण, छण्हं सामाणियसाहस्सीण, तायत्तीसाए तावत्तीसगाण, चउण्ह लोगपालाणं, छह अग्गमहिसोणं सपरिवाराण, तिण्ह परिसाणं, सत्तण्ह अणियाण, सत्तण्ड अणियाहिवईणं, चउव्वीसाए आयरक्खदेवसाहस्सीण अण्णेसि, च जाव' विहरइ । एवतिय च णं पभू विउवित्तए। से जहानामए जुवती जुवाणे जाव' पभू केवलकप्प जवुद्दीव दीव जाव तिरियं सखेज्जे दीव-समुद्दे वहूहिं नागकुमारीहिं जाव विकुव्विस्सति वा । सामाणिया तावत्तीस-लोगपालग्गमहिसीनो य तहेव जहा“ चमरस्स, नवरं सखेज्जे दीव-समुद्दे भाणियव्वे ।। १५ एव जाव थणियकुमारा, वाणमतरा, जोईसिया वि, नवरं-दाहिणिल्ले सन्वे अग्गिभूई पुच्छइ, उत्तरिल्ले सव्वे वायुभूई पुच्छइ । १६ भतेत्ति | भगव दोच्चे गोयमे अग्गिभूई अणगारे समण भगव महावीरं वंदइ नमंसइ, वदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी-जइ णं भते ! जोइसिंदे जोइसराया एमहिड्ढीए जाव एवतियं च ण पभू विकुवित्तए, सक्के ण भते ! देविदे देवराया केमहिड्डीए ? जाव" केवतिय च ण पभू विकुवित्तए ? दीव भारिणतव्व सेस तहेव जाव विउव्वि- १. स० पा०-णच्चासण्णे जाव पज्जवासइ । स्सति वा। २. वायुभूई जाव विहरइ (अ, ब, म, स)। जइण भते ! वली वडरोयरिंगदे वडरोयण- ३ भ० ३.१२ । राया एवमहिड्ढीए जाव एवतिय च ण पभू ४. भ० ३।१२। विउवित्तए, वलिस्सण भते । वइरोयणस्स ५ भ० ३।४ । वइ° सामाणिया देवा केमहिड्ढीया एव ६. भ० ३।४ । सामाणिया तावत्तीसा तावत्तीसा लोगपाल- ७. भ० ३।४ । गमहिसीओ य जहा चमरस्स, नवर- ८. भ० ३१५-७ । मातिरेग जवुद्दीव जाव एगमेगाए अग्गमहि-६ पू० प० २। सीदेवीए इमे वतिए विसए जाव विउन्वि- १०. भ० ३।४ । स्सति वा (ता)। ११. भ० ३।४। Page #186 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तइयं सत (पढमो उद्देसो) १२७ गोयमा | सक्के ण देविदे देवराया महिड्ढीए जाव' महाणुभागे । से णं बत्तीसाए विमाणावाससयसहस्साण, चउरासीए' सामाणियसाहस्सीणं, तायत्तीसाए तावत्तीसगाण, चउण्हं लोगपालाण अट्ठणह अग्गमहिसीणं सपरिवाराणं, तिण्हं परिसाणं सत्तण्हं अणियाणं, सत्तण्हं अणियाहिवईण°, चउण्हं चउरासीण आयरक्खसाहस्सीण, अण्णेसि च जाव' विहरइ । एमहिड्ढए जाव' एवतिय च णं पभू विकुवित्तए, एवं जहेव चमरस्स तहेव भाणियव्व, नवर-दो केवलकप्पे जबुद्दीवे दीवे, अवसेस तं चेव । एस ण गोयमा । सक्कस्स देविदस्स देवरण्णो इमेयारूवे विसए विसयमेत्ते' बुइए, नो चेव ण सपत्तीए विकुविसु वा विकुव्वति वा विकुव्विस्सति वा । १७ जइ णं भंते । सक्के देविंदे देवराया एमहिड्ढीए जाव एवतिय च ण पभू विकुन्वित्तए, एव खलु देवाणुप्पियाण अतेवासि तीसए नाम अणगारे पगइभद्दए 'पगइउवसते पगइपयणुकोहमाणमायालोभे मिउमद्दवसपन्ने अल्लीणे° विणीए छटुंछट्टेण अणिक्खित्तेण तवोकम्मेण अप्पाण भावेमाणे बहुपडिपुण्णाइ अटू सवच्छराइ सामण्णपरियाग पाउणित्ता, मासियाए सलेहणाए अत्ताण झूसेत्ता, सद्धि भत्ताइ अणसणाए छेदेत्ता आलोइय-पडिक्कते समाहिपत्ते कालमासे काल किच्चा सोहम्मे कप्पे सयसि विमाणसि उववायसभाए देवसयणिज्जसि देवदूसतरिए अगुलस्स असखेज्जइभागमेत्तीए" ओगाहणाए सक्कस्स देविदस्स देवरण्णो सामा-णियदेवत्ताए उवण्णे। तए ण तीसए देवे अहुणोववण्णमेत्ते समाणे पचविहाए पज्जत्तीए पज्जत्तिभावर गच्छइ [त जहा-आहारपज्जत्तीए, सरीरपज्जत्तीए, इदियपज्जत्तीए, प्राणापाणुपज्जत्तीए, भासा-मणपज्जत्तीए] तए ण त तीसय देव पचविहाए पज्जत्तीए पज्जत्तिभाव" गय समाण सामाणियपरिसोववण्णया देवा करयलपरिग्गहिय दसनह सिरसावत्त मत्थए अजलिं कटु जएण विजएण वद्धाविति वद्धावित्ता एव वयासी-अहो ण देवाणुप्पिएहिं १ भ० ३।४। २ चउरासीतीए (क, ता, म)। ३ स० पा०--सामाणियसाहस्सीण जाव चउण्ह । ४ भ० ३।४। ५ भ० ३।४। ६ भ० ३।४-७ । ७. विसयमेत्ते ण (म, स)। ८ भ०३।४। ६ स० पा०-पगइभद्दए जाव विणीए । १० मासिय (क, ब)। ११ असखेज्जभाग° (अ, ब), असखेज्जभागमे त्ताए (स)। १२ पज्जत्तभाव (ता)। १३ असो कोष्ठकत्तिपाठो व्याख्याश प्रतीयते ? १४ पज्जत्तभाव (अ, स)। Page #187 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२८ भगवई दिव्वा देविड्ढी दिव्वा देवज्जुई दिव्वे देवाणुभावे लद्धे पत्ते अभिसमण्णागए। जारिसिया' ण देवाणुप्पिएहिं दिव्वा देविड्ढी दिव्वा देवज्जुई दिव्वे देवाणुभावे लद्धे पत्ते अभिसमण्णागए, तारिसिया ण सक्केण वि देविदेण देवरण्णा दिव्वा देविड्ढी जाव अभिसमण्णागए । जारिसिया ण सक्केण देविदेणं देवरण्णा दिव्वा देविड्ढी जाव अभिसमण्णागए। जारिसिया ण देवाणुप्पिएहिं दिव्वा देविड्ढी जाव अभिसमण्णागए। से ण भते । तीसए देवे केमहिड्ढीए जाव केवतिय च णं पभू विकुवित्तए ? गोयमा । महिड्ढीए जाव' महाणुभागे। से ण तत्थ सयस्स विमाणस्स, चउण्हं सामाणियसाहस्सीण, चउण्ह अग्गमहिसीणं सपरिवाराणं, तिण्ह परिसाण, सत्तण्ह अणियाण, सत्तण्ह अणियाहिवईण, सोलसह आयरक्खदेवसाहस्सीण, अण्णेसिं च बहूण वेमाणियाण देवाण, देवीण य जाव' विहरइ। एमहिड्ढीए जाव एवतिय च ण पभू विकुवित्तए। से जहानामए जुवती. जुवाणे हत्थेण हत्थे गेण्हेज्जा, जहेव सक्कस्स तहेव जाव' एस ण गोयमा ! तीसयस्स देवस्स अयमेयारूवे विसए विसयमेत्ते बुइए, णो चेव ण संपत्तीए विकुविसु वा विकुव्वति वा विकुव्विस्सति वा ॥ १८ जइ ण भंते | तीसए देवे महिड्ढीए जाव एवइय च ण पभू विकूवित्तए, सक्कस्स ण भते । देविदस्स देवरण्णो अवसेसा सामाणिया देवा केमहिड्ढीया? तहेव सव्व जाव' एस ण गोयमा । सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो एगमेगस्स सामाणियस्स देवस्स इमेयारूवे विसए विसयमेत्ते वुइए, नो चेव ण सपत्तीए विकुविसु वा विकुव्वति वा विकुव्विस्सति वा। तावत्तीसय–लोगपालग्गमहिसी ण जहेव चमरस्स, नवर-दो केवलकप्पे जबुद्दीवे दीवे, अण्ण त चेव ।।। १६. सेव भते । सेव भते । त्ति दोच्चे गोयमे जाव' विहरइ॥ २० भतेति ! भगव तच्चे गोयमे वायुभूई अणगारे समण भगव" •महावीर वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता एव वदासी-जइ ण भते ! सक्के देविंदे देवराया १. जारिसाण (अ, व)। २ भ० ३।४। ३. भ० ३।४। ४. भ० ३।४। ५. भ० ३।१६। ६. भ० ३।४। ७ भ० ३।१७। ८. सामाणिय (अ)। ६ भ० ३।६, ७ । १० भ० ११५१ । ११. स० पा०-भगव जाव एव । Page #188 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तइयं सतं ( पढमो उद्देसो) १२६ महिड्ढीए जाव' एवइय च णं पभू विकुव्वित्तए, ईसाणे णं भंते । देविदे देवराया हिड्ढी ? एव तहेव', नवर - साहिए दो केवलकप्पे जबुद्दीवे दीवे, अवसेस तहेव ॥ २१. जइ ण भते । ईसाणे' देविदे देवराया एमहिड्ढीए जाव एवतिय च ण पभू विकुव्वित्तए, एव खलु देवाणुप्पियाण प्रतेवासी कुरुदत्तपुत्ते नाम अणगारे पगतिभद्दए जाव" विणीए अट्टमग्रमेण प्रणिक्खित्तेण, पारणए प्रायबिलपरिग्गहिएण तवोकम्मेण उड्ढ वाहाओ पगिज्भिय-पगिज्भिय सूराभिमुहे प्रायावणभूमीए आयावेमाणे बहुपडिपुणे छम्मासे सामण्णपरियाग पाउणित्ता, अद्धमासियाए सलेहुणाए अत्ताण भूसेत्ता, ' तीस भत्ताइ प्रणसणाए छेदेत्ता आलोइय-पडिक्कते समाहिपत्ते कालमासे काल किच्चा ईसाणे कप्पे सयसि विमाणसि उववायसभाए देवसयणिज्जसि देवदूसतरिए अगुलस्स प्रसखेज्जइभागमेत्तीए प्रोगाहणाए ईसाणस्स देविदस्स देवरण्णो सामाणियदेवत्ताए उववण्णे । जा तीसए वत्तव्वया" सच्चेव' परिसेसा कुरुदत्तपुत्ते वि नवर - सातिरेगे दो केवलकप्पे जबुद्दीवे दीवे, प्रवसेस त चेव । 1 एव सामाणिय-तावत्तीसग - लोगपाल - अग्गमहिसीण जाव' एस ण गोयमा । ईसाणस देविंदस्स देवरण्णो एगमेगाए अग्गमहिसीए देवीए प्रयमेयारूवे विसए विसय मेत्ते बुइए, नो चेव ण सपत्तीए विकुव्विसु वा विकुव्वति वा विकुव्विस्सति वा । २२ एव सणकुमारे वि, " नवर - चत्तारि केवलकप्पे जबुद्दीवे दीवे, अदुत्तर चण तिरियमसखेज्जे । एव" सामाणिय-तावत्तीसग लोगपाल - अग्गमहिसीण" । प्रसखेज्जे दीव-समुद्दे सव्वे विकुव्वति, सणकुमाराश्रो श्रारद्वा" उवरिल्ला लोगपाला " सव्वे वि सखेज्जे दीवसमुद्दे विकुव्वति ।। १ भ० ३।१६ २ भ० ३।१६ | ३ तीसा (ता) | ४ भ० ३ | ४ | ५ भ० ३।१७ । ६ भोसइत्ता ( म, व, स ), झोसेत्ता (ता, म) । ७ ८ भ० ३।१७ । सा० (ता) | भ० ३।५-७ । १० भ० ३।१६ । ११ भ० ३।५-७ । १२ यद्यपि सनत्कुमारे स्त्रीणामुत्पत्तिर्नास्ति तथापि या सौधर्मोत्पन्ना समयाधिकपल्योपमादिदशपल्योपमान्तस्थितयोऽपरिगृहीतदेव्यस्ता सनत्कुमारदेवाना भोगाय सपद्यन्ते इति कृत्वाग्रमहिष्य इत्युक्तम् (वृ), इत्यपि सभाव्यते 'अग्ग महिसीरण' इति पाठ आदर्शेषु प्रवाहरूपेण आगतः, वृत्तिकृता सगत्यर्थं उक्तव्याख्या कृता । १३ आरद्ध ( अ ) । १४. लोगवाला (म) | Page #189 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३० २३ एव माहिंदे वि, नवर - सातिरेगे चत्तारि केवलकप्पे जबुद्दीवे दीवे | एव वभलोए वि, नवर - अट्ठ केवलकप्पे । एव लतए वि, नवर—सातिरेगे श्रट्ट केवलकप्पे । महासुक्के सोलस केवलकप्पे । सहस्सारे सातिरेगे सोलस । एव पाणए वि, नवर-बत्तीस केवलकप्पे । एव अच्चुए वि, नवर - सातिरेगे बत्तीस केवलकप्पे जबुद्दीवे दीवे, अण्ण त चेव || २४ सेव भते । सेव भते । त्ति तच्चे गोयमे वायुभूई अणगारे समण भगव महावीर वदइ नमसइ जाव' विहरइ ॥ तामलिस्स ईसादि-पदं २५ तए ण समणे भगव महावीरे ग्रण्णया कयाइ मोया' नयरीओ नदणाओ चेइयाओ पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता वहिया जणवयविहार विहरइ || २६ तेण कालेण तेण समएण रायगिहे नाम नगरे होत्था - वण्णो जाव' परिसा पज्जुवासइ ॥ २७ तेण कालेण तेण समएण ईसाणे देविदे देवराया' ईसाणे कप्पे ईसाणवडे सर विमाणे जहेव रायप्पसेणइज्जे जाव' दिव्व देविड्ढि दिव्व देवजुति दिव्व देवाणुभाग दिव्व वत्तीसइबद्ध नट्टविहिं उवदसित्ता जाव जामेव दिसि पाउन्भूए, तामेव दिसि पडिगए । २८. भतेति ! भगव गोयमे समण भगव महावीर वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता । एव वदासी - ग्रहो ण भते । ईसाणे देविदे देवराया महिड्ढीए जाव' महाणुभागे । ईसाणस्स ण भते । सा दिव्वा देविड्ढी दिव्वा देवज्जुती दिव्वे देवाणुभागे कहि गते ? कहि णुपविट्ठे ? गोयमा । सरीर गते, सरीर अणुपविट्ठे ॥ २९ से केणट्टेण भते ! एव वुच्चइ - सरीर गते । सरीर अणुपविट्टे ? गोयमा । से जहानामए कूडागारसाला सिया हो लित्ता गुत्ता गुत्तदुवारा णिवाया णिवायगभीरा । तीसे ण' कूडागारसालाए अदूरसामते, एत्थ ण महेगे जणसमूहे एग मह अभवद्दलग वा वासवद्दलग वा महावाय वा एज्जमाण १ भ० ११५१ । २ मोतातो (क, ता) | ३. ओ० सू० १ । भगवई ४ ओ० सू० १६-५२ । ५ देवराया सूलपाणी वसभवाहणे उत्तरड्ढलोगाहिव अट्ठावीस विमाणावाससयसहस्सा हिवई अरववर वत्यवरे आलइयमालमउडे ८ नवहेमचारूचित्तचचलकुडल विलिहिज्जमाणगडे जाव दस दिसाओ उज्जोवेमाणे पभासेमाणे ( अ, म, स) 1 ६. राय० सू० ७-१२० । ७ भ० ३।४ । स० पा०—कूडागारसालदिट्ठतो भारिणयव्वो । Page #190 -------------------------------------------------------------------------- ________________ इयं सत ( पढमो उद्देसो) १३१ ० पासति, पासित्ता त कूडागारसाल तो अणुपविसित्ता ण चिट्ठइ । से तेणट्टेण गोयमा । एव वच्चति — सरीर गते, सरीर प्रणुपविट्टे ॥ ३०. ईसाणेण भते । देविदेण देवरण्णा सा दिव्वा देविड्ढो दिव्वा देवज्जुती दिव्वे देवाणुभागे किण्णा लद्धे ? किण्णा पत्ते ? किण्णा अभिसमण्णागए ? ( के वा एस प्रासि पुव्वभवे ? किनामए वा ? किगोत्ते वा ? कयरसि वा गामसि वा नगर सि वा जाव' सण्णिवेससि वा ? कि वा दच्चा ? कि वा भोच्चा ? कि वा किच्चा ? कि वा समायरित्ता ? कस्स वा तहारूवस्स समणस्स वा माहणस्स वाप्रति गमवि प्रारिय धम्मिय सुवयण सोच्चा निसम्म ? ज ण ईसाणेण देविदेण देवरण्णा सा दिव्वा देविड्ढी दिव्वा देवज्जुती दिव्वे देवाणुभागे लद्धे पत्ते अभिसमण्णागए ? ३१ एव खलु गोयमा । तेण कालेण तेण समएण इहेव जबुद्दीवे दीवे भारहे वासे तात्ति' नाम नयरी होत्था - वण्णो ॥ ३२ तत्य ण तामलित्तीए नयरीए तामली नाम मोरियपुत्ते गाहावई होत्या - अड्ढे दित्ते जाव' बहुजणस्स परिभू यावि होत्या ।। ३३ तए ण तस्स मोरियपुत्तस्स तामलिस्स गाहावइस्स ग्रण्णया कयाइ पुव्वरत्तावरतकालसमयसि कुटुबजागरिय जागरमाणस्स इमेयारूवे ग्रज्झतिथए चितिए पत्थिए मणोगए सकप्पे समुप्पज्जित्था - प्रत्थि ता मे पुरा पोराणाण सुचिण्णाण सुपरक्कताण' सुभाण कल्लाणाण कडाण कम्माण कल्लाणफलवित्तिविसेसे, जेणाह हिरण्णेण वड्ढामि सुवण्णेण वड्ढामि, धणेण वड्ढामि, घण्णेण वड्ढामि, पुत्तेहि वड्ढाम, पसूहि वड्ढामि, विपुलधण - कणग - रयण-मणि - मोत्तिय सख-सिल-प्पवालरत्तरयण-सतसारसावएज्जेण प्रतीव प्रतीव अभिवड्ढामि त किं ण ग्रह पुरा पोराणाण सुचिण्णाण' सुपरक्कताण सुभाण कल्लाणाण ● कडाण कम्माण 'एगतसो खय" उवेहमाणे विहरामि ? त जावताव" ग्रह हिरण्णेण वड्ढामि जाव अतीव प्रतीव अभिवड्ढामि, जाव च मे मित्त-नाति - नियग-सयण - सबधि - परियणो प्राढाति परियाणाइ सक्कारेइ सम्माणेइ कल्लाण मंगल देवय विणएण चेइय पज्जुवासइ, तावता मे सेय कल्ल पाउप्पभायाए रयणीए जाव" उट्ठियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा १. भ० ११४६ । २ वा किं वा सोच्चा ( क ) 1 ३ तामलत्ती (म) | ४ ओ० सू० १ । ५ भ० २।६४ । o ७ सुपरि० ( अ, म ), सुप्पर० (क, ता, स), सुप्परि० (व) । ८. स० पा० सुचिण्णाण जाव कडारण । ε • सोक्खय ( अ, क, व, म, स) 1 १० जाव (व) 1 ३. स० पा० - अज्झत्यिए जाव समुप्पज्जित्था । ११. भ० २।६६ । Page #191 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई १३२ जलते सयमेव दारुमय पडिग्गहग' करेत्ता विउल 'असण-पाण-खाइम-साइम'२ उवक्खडावेत्ता, मित्त-नाइ नियग-सयण',-सवधि-परियण आमंतेत्ता, त मित्त-नाइनियग-सयण-संवधि-परियणं विउलेण असण-पाण-'खाइम-साइमेण" वत्थ-गध-- मल्लालकारेण य सक्कारेत्ता सम्माणेत्ता, तस्सेव मित्त-नाइ-नियग-सयण-संवधिपरियणस्स पुरओ जेट्टपुत्त कुट्वें ठावेत्ता, त मित्त-नाइ-नियग-सयण-सवधिपरियण जेट्रपुत्त च आपुच्छित्ता, सयमेव दारुमय पडिग्गहग गहाय मुडे भवित्ता पाणामाए पव्वज्जाए पव्वइत्तए । पव्वइए वि य णं समाण इम एयारूव अभिग्गह अभिगिहिस्सामि-कप्पइ मे जावज्जीवाए छट्ठछ?ण अणिक्खित्तेण तवोकम्मेणं उड्ढ वाहायो 'पगिज्झिय-पगिझिय सूराभिमुहस्स पायावणभूमीए आयावेमाणस्स विहरित्तए, छट्ठस्स वि य ण पारणयसि आयावणभूमीग्रो पच्चोरुभित्ता सयमेव दारुमय पडिग्गहग गहाय तामलित्तीए नयरीए उच्च-नीय-मज्झिमाइ कूलाइ घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए अडित्ता सुद्धोदण पडिग्गाहेत्ता तं तिसत्तक्खुत्तो उदएण' पक्खालेत्ता तो पच्छा आहार पाहारित्तए त्ति कटु एवं सपेहेइ, सपेहेत्ता कल्ल पाउप्पभायाए रयणीए जाव" उठ्ठियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलते सयमेय दारुमयं पडिग्गहगं करेड, करेत्ता विउल असण-पाण-खाइम-साइम उवक्खडावेइ, उवक्खडावेत्ता ततो पच्छा ण्हाए कयबलिकम्मे कयकोउय-मगल-पायच्छित्ते सुद्धप्पावेसाइ मगल्लाइ वत्थाई पवर परिहिए अप्पमहग्घाभरणाल कियसरीरे" भोयणवेलाए भोयणमडवसि सुहासणवरगए तेण" मित्त-नाइ-नियग-सयण-सवधि-परिजणेण सद्धि त विउल असणपाण-खाइम-साइम प्रासादेमाणे वीसादेमाणे परिभाएमाणे परिभजेमाणे विहरइ। जिमियभत्तत्तरागए वि य णं समाणे आयते चोक्खे परमसुइन्भूए त मित्त- नाइनियग-सयण-सवधि-° परियण विउलेण असण-पाण-खाइम-साइमेणं वत्थ-गंधमल्लालकारेण य सक्कारेड सम्माणेइ, तस्सेव मित्त-नाइ"- नियग-सयण-सवधि परियणस्स पुरो जेट्टपुत्त कुटुवे ठावेइ, ठावेत्ता त मित्त-नाइ५. नियग-सयण १. पडिग्गय (अ, म, स)। २. अमरण पाण खाइम साइम (अ, स)। ३ X (क, ता, व, म, न)। ४ खातिमनातिमेण (व, स): ५. कुडुवे (ता)। ६. पाणायामाए (व)। ७. पगमिन्य २ (स)। ८. पारणंसि (म)। ६ दएण (ता, म)। १० भ० २१६६। ११ अप्पमहन्यालकारभूसितसरीरे (ता)। १२ तए ण (अ, ता, व, म, स)। १३ स० पा०-मित्त जाव परियण । १४ स० पाo-नाइ जाव परियणस्स । १५. स० पा०-नाइ जाव परियण । Page #192 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सइय सतं (पढमो उद्देसो) सबंधि-परियण जेटुपुत्त च आपुच्छइ, अापुच्छित्ता मुडे भवित्ता पाणामाए पव्वज्जाए पव्वइए । पव्वइए वि य ण समाणे इम एयारूव अभिग्गह अभिगिण्हइ -कप्पइ मे जावज्जीवाए छट्टछद्रेण जाव आहारित्तए त्ति कटु इम एयारूव अभिग्गह' अभिगिण्हित्ता जावज्जीवाए छट्टछट्टेण अणिक्खित्तेण तवोकम्मेण उड्ढ बाहाम्रो पगिझिय-पगिज्झिय सूराभिमुहे आयावणभूमीए आयावेमाणे विहरइ । छट्ठस्स वि य ण पारणयसि आयावणभूमीग्रो पच्चोरुभइ', पच्चोरुभित्ता सयमेव दारुमय पडिग्गहग गहाय तामलित्तीए नयरीए उच्च-नीय-मज्झिमाइ कुलाइ घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए अडइ, अडित्ता सुद्धोयण पडिग्गाहेइ, पडिग्गाहेत्ता तिसत्तक्खुत्तो उदएण पक्खालेइ, पक्खालेत्ता तो पच्छा आहार आहारेइ ॥ ३४ से केणद्वेण भते । एव वुच्चइ-पाणामा पव्वज्जा ? गोयमा । पाणामाए ण पव्वज्जाए पव्वइए समाणे ज जत्थ पासइ-इद वा खद वा रुद्द वा सिव वा वेसमण वा अज्ज वा कोट्टकिरिय' वा राय वा •ईसर वा तलवर वा माडविय वा कोडुविय वा इव्भ वा सेट्टि सेणावइ वा° सत्थवाह वा काक वा साण वा पाण' वा-उच्च पासइ उच्च पणाम करेइ, नीय पासइ नीय पणाम करेइ, ज जहा पासइ तस्स तहा पणाम करेइ। से तेण?ण गोयमा । एव वुच्चइ पाणामा पव्वज्जा। ३५ तए ण से तामली मोरियपुत्ते तेण अोरालेण विपुलेण पयत्तेण पग्गहिएण बालतवोकम्मेण सुक्के लुक्खें °निम्मसे अट्ठि-चम्मावणद्धे किडिकिडियाभूए किसे धमणिसतए जाए यावि होत्था। ३६ तए ण तस्स तामलिस्स बालतवस्सिस्स अण्णया कयाइ पुन्वरत्तावरत्तकाल समयसि अणिच्चजागरिय जागरमाणस्स इमेयारूवे अज्झत्थिए 'चितिए पत्थिए मणोगए सकप्पे समुप्पज्जित्था-एव खलु अह इमेण अोरालेण विपुलेण' •पयत्तेण पग्गहिएण कल्लाणेण सिवेण धन्नेण मगल्लेण सस्सिरीएण° उदग्गेण उदत्तेण उत्तमेण महाणुभागेण तवोकम्मेण सुक्के लुक्खे जाव धमणिसतए जाए, त अत्थि जा" मे उट्ठाणे कम्मे बले वीरिए पुरिसक्कार-परक्कमे तावता मे सेय १ अभिग्गह अभिगिण्हइ (अ, क, ता, ब, म, ६ पाणग (अ)। स), 'उवगा' (३।४२) सूत्रे सोमिलस्य ७. भुक्खे (अ, क, व, स), स० पा०-लुक्खे प्रव्रज्याप्रसगे एतत् पद नास्ति । अत्रापि जाव घमणि । तथैव युक्तमस्ति । ८ स० पा०-अज्झत्थिए जाव समुप्पज्जित्या। २ पच्चोरुहइ (अ, व)। ६ स० पा०-विपुलेण जाव उदग्गेण । ३ ० इरिय (ता)। १० भ० ३।३५। ४. स० पा०-राय वा जाव सत्थवाह । . ११ X (अ), ता (ता) , इ (ब)। ५ सत्धाह (ता)। Page #193 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६४ भगवई कल्ल पाउप्पभायाए रयणीए जाव उट्ठियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलते तामलित्तीए नगरीए दिट्ठाभटे य पासडत्थे य गिहत्थे य पुव्वसगतिए य परियायसगतिए य आपुच्छित्ता तामलित्तीए नगरीए मज्झमझेण निग्गच्छित्ता पादुग'-कुडिय-मादीय उवगरण दारुमय च पडिग्गहग एगते एडित्ता तामलित्तीए नगरीए उत्तरपुरत्थिमे दिसिभाए णियत्तणिय-मडल प्रालिहित्ता' सलेहणा झूसणा झसियस्स भत्तपाणपडियाइक्खियस्स पायोवगयस्स कालं अणवकखमाणस्स विहरित्तए त्ति कट्ट एव सपेहेइ, सपेहेत्ता कल्ल पाउप्पभायाए रयणीए जाव उट्ठियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलते तामलित्तीए नगरीए दिवाभ? य पासडत्थे य गिहत्थे य पुव्वसगतिए य परियायसगतिए य आपुच्छइ, आपूच्छित्ता तामलित्तीए नयरीए मज्झमझेण निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता पादूगकुडिय-मादीय उवगरण दारुमय च पडिग्गहग एगते एडेइ, एडेत्ता तामलित्तीए नगरीए उत्तरपुरस्थिमे दिसिभाए णियत्तणिय-मडल प्रालिहड, आलिहित्ती सलेहणाझसणाझसिए भत्तपाणपडियाइविखए पायोवगमण निवण्णे ॥ ३७. तेण कालेण तेण समएण वलिचचा रायहाणी अणिदा अपुरोहिया या वि होत्था । ३८ तए ण ते वलिचचारायहाणिवत्थव्वया वहवे असुरकुमारा देवा य देवीयो य तामलिं वालतवस्सि प्रोहिणा आभोएति, आभोएत्ता अण्णमण्ण सद्दावेति, सद्दावेत्ता एव वयासि—एव खलु देवाणुप्पिया । वलिचचा रायहाणी अणिदा अपुरोहिया, अम्हे य ण देवाणुप्पिया ! इदाहीणा इदाहिट्ठिया इदाहीणकज्जा, अयं च णं देवाणुप्पिया । तामली वालतवस्सी तामलित्तीए नगरीए वहिया उत्तरपुरस्थिमे दिसिभागे नियत्तणिय-मडल आलिहित्ता सलेहणाझूसणाझूसिए भत्तपाणपडियाइक्खिए पाओवगमण निवणे, त सेय खलु देवाणुप्पिया ! अम्ह तामलि वालतवस्सि वलिचचाए रायहाणीए ठितिपकप्प पकरावेत्तए त्ति कटु अण्णमण्णस्स अंतिए एयमट्ठ पडिसुणेति, पडिसुणेत्ता बलिचचाए रायहाणीए मज्झमझेण निग्गच्छति, निग्गच्छित्ता जेणेव रुयगिदे उप्पायपव्वए तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता वेउव्वियसमुग्घाएण समोहण्णति, समोहणित्ता जाव' उत्तरवेउब्वियाइ रुवाइ विकुव्वति, विकुवित्ता ताए उक्किट्टाए तुरियाए चवलाए चडाए जडणाए छेयाए सीहाए सिग्वाए 'उद्ध्याए दिवाए" देवगईए तिरिय असंखेज्जाणं दीवसमुद्दाण मज्झमझेण 'वीईवयमाणा-वीईवयमाणा" १ य पच्चासगतिए य (अ, म)। ५ दिसाभाए (क, ता)। २. पाउग (अ, क, व, म)। ६. त्यायदे (अ, व), रुयइदे (क, ता, म)। ३. आलिभित्ता (ता)। ७. राय० सू० १० । ४ स० पा०-जलते जाव आपुच्छइ २ ताम- ८ दिव्वाए उद्धृयाए (अ, क, ता, व, स, वृ)। लित्तीए एगते एडेड जाव भत्त°। ६ एते पदे 'रायपसेरणइय'(१०)सूत्रात् पूरिते । Page #194 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तइयं सत (पढमो उद्देसो) जेणेव जवुद्दीवे दीवे जेणेव भारहे वासे जेणेव तामलित्ती नगरी जेणेव तामली मोरियपुत्ते तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता तामलिस्स वालतवस्सिस्स उप्पि सपक्खि सपडिदिसि ठिच्चा दिव्व देविड्ढि दिव्व देवज्जुति दिव्व देवाणुभाग दिव्वं वत्तोसतिविह नट्टविहि उवदंसेति, उवदसेत्ता तालि बालतवस्सि तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिण करेति', करेत्ता वदंति नमसति, वदित्ता नमसित्ता एव वयासी-एव खलु देवाणुप्पिया । अम्हे बलिचचारायहाणीवत्थव्वया वहवे असुरकुमारा देवा य देवीयो य देवाणुप्पिय वदामो नमसामो' 'सक्कारेमो सम्माणेमो कल्लाण मगल देवय चेइय° पज्जुवासामो। अम्हण्ण देवाणुप्पिया । बलिचचा रायहाणी अजिंदा अपुरोहिया, अम्हे य ण देवाणुप्पिया । इदाहीणा इदाहिट्ठिया इदाहीणकज्जा, त तुम्भे ण देवाणुप्पिया | वलिचच रायहाणि आढाह परियाणह सुमरह, अट्ठ वधह, निदाण पकरेह, ठितिपकप्प पकरेह, तए णं तुम्भे कालमासे काल किच्चा वलिचचाए' रायहाणीए उववज्जिस्सह, तए ण तुब्भे अम्ह इदा भविस्सह, तए ण तुम्भे अम्हेहि सद्धि दिव्वाइ भोगभोगाइ भुजमाणा विहरिस्सह ।। ३६. तए ण से तामली वालतवस्सी तेहि वलिचचारायहाणिवत्थव्वएहि बहूहि असुर कुमारेहिं देवेहि देवीहि य एव वुत्ते समाणे एयमट्ठ नो पाढाइ, नो परियाणेइ, तुसिणीए सचिट्ठइ॥ ४०. तए णं ते वलिचचारायहाणिवत्थव्वया वहवे असुरकुमारा देवा य देवीओ य तामलि मोरियपुत्त दोच्च पि तच्च पि तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिण करेति जाव' अम्ह च ण देवाणुप्पिया ! वलिचचा रायहाणी अणिदा' 'अपुरोहिया, अम्हे य ण देवाणुप्पिया । इदाहीणा इदाहिट्ठिया इदाहीणकज्जा, त तुब्भे ण देवाणुप्पिया | वलिचच रायहाणि आढाह परियाणह सुमरह, अट्ठ बधह, निदाण पकरेह , ठितिपकप्प पकरेह जाव दोच्च पि तच्च पि एव वुत्ते समाणे 'एयमट्ठ नो आढाइ, नो परियाणेइ°, तुसिणीए सचिट्ठइ ॥ ४१. तए ण ते वलिचचारायहाणिवत्थव्वया बहवे असुरकुमारा देवा य देवीग्रो य तामलिणा बालतवस्सिणा अणाढाइज्जमाणा अपरियाणिज्जमाणा जामेव दिसि पाउन्भूया तामेव दिसि पडिगया। ४२ तेण कालेण तेण समएण ईसाणे कप्पे अणिदे अपुरोहिए या वि होत्था । १. पकरेंति (अ, ता)। २ स० पा०-नमसामो जाव पज्जवासामो। ३ अम्हाण (अ, स)। ४. आढह (अ, स)। ५ वलिचचा (अ, ब, म, स)। ६ परियाणइ (अ, क, ता, म), परियाणाइ (ब)। ७ भ० ३।३८ । ८ स० पा०-अरिंगदा जाव ठिति । ६. स० पा०—समाणे जाव तुसिणीए। . Page #195 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३६ भगवई ४३. तए ण से तामली बालतवस्सी बहुपडिपुण्णाइ सट्ठि वाससहस्साइ परियाग पाउणित्ता, दोमासियाए सलेहणाए प्रत्ताण सित्ता, सवीस भत्तसय प्रणसणाए छेदित्ता कालकासे काल किच्चा ईसाणे कप्पे ईसाणवडेसए विमाणे उववायसभाए देवसयणिज्जसि देवदूतरिए' अगुलस्स ग्रसखेज्जइभागमेत्तीए श्रोगाहणाए ईसाणदेविंदविरहियकालसमयसि ईसाणदेविदत्ताए' उववण्णे ॥ ४४ तए ण से ईसाणे देविंदे देवराया ग्रहुणोववण्णे पचविहाए पज्जत्तीए पज्जत्तिभाव गच्छइ, [त जहा—श्राहारपज्जत्तीए जाव' भासा-मणपज्जत्तीए ] ॥ ४५ तए ण ते वलिचचारायहाणिवत्थव्वया बहवे असुरकुमारा देवाय देवीग्रो य तार्माल बालतवस्सि कालगत जाणित्ता, ईसाणे य कप्पे देविदत्ताए उववण्ण पासित्ता प्रासुरुत्ता रुट्ठा कुविया चडिक्किया मिसिमिसेमाणा बलिचचाए रायहाणीए मज्झमज्झेण निग्गच्छति, निग्गच्छित्ता ताए उक्किट्ठाए जाव' जेणेव भारहे वासे जेणेव तामलित्ती नयरी जेणेव तामलिस्स बालतवस्सिस्स सरीरए तेणेव उवागच्छति, वामे पाए` सुबेण बधति, तिक्खुत्तो मुहे निट्ठहति', तामलित्तीए नगरीए सिंघाडग-तिग-चउवक-चच्चर - चउम्मुह - महापह - पहेसु 'ग्राकड्ढ - विर्काड्ढ " करेमाणा, महया मया सद्देण उग्घोसेमाणा- उग्घोसेमाणा एव वयासि – केस" ण भो ! से तामली वालतवस्सी सयगहियलिंगे" पाणामाए पव्वज्जाए पव्वइए केस ण से ईसाणे कप्पे ईसाणे देविदे देवराया ? - ति कट्टु तामलिस्स वालतवस्सिस्स सरीरय हीलति निंदति खिसति गरहति श्रवमण्णति तज्जेति ताले ति परिवहेति पव्वहेति, आकड्ढ - विकड्ढि करेति, होलेत्ता" निदित्ता खिसित्ता गरहित्ता अवमण्णेत्ता तज्जेत्ता तालेत्ता परिवहेत्ता पव्वहेत्ता आकड्ढ - विर्काड्ढ करेत्ता एगते एडति, एडिता जामेव दिसि पाउन्भूया तामेव दिसि पडिगया ॥ ४६. तए ण ते " ईसाणकप्पवासी" वहवे वेमाणिया देवा य देवीओ य वलिचंचारायहाणिवत्थव्वएहि बहूहिं असुरकुमारेहि देवेहि देवीहि य तामलिस्स बालतवस्सिस्स सरीरय हीलिज्जमाण निंदिज्जमाण" खिसिज्जमाण गरहिज्जमाण ग्रवमणिज्जमाण तज्जिज्जमाणं तालेज्जमाण परिवहिज्जमाण पव्वहिज्जमाण ग्राकड्ढ ९ १ • दूसतरियसि ( अ ) ; ° दूसतरिय (व) । २. ईसा ( अ, ता) । O १०. ३. भ० ३।१७ । ११ ४. असो कोष्ठकवत्तपाठो व्याख्याश प्रतीयते । १२ १३ ५. भ० ३१३८ । ६ पायसि ( क ) | ७. सुदेण ( अ ) । ८. उहति (श्र, व, म, म ) । १४ १५ १६ ० आकट्ट - विकट्टि (क, ब, म, स ) | से के ( अ, ब ) | ० मइगिहिय हीलयति (ता) | स० पा० - हिलेत्ता जाव आकड्ढ । (क, ता, व) 1 X ( अ, ब ) । ईसासि ( ब ) । स० पा० - निंदिज्जमारण जाव आकड्ढ ! Page #196 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सइय सतं (पढमो उद्देसो) १३७ विकड्ढि कीरमाण पासति, पासित्ता प्रासुरुत्ता' जाव' मिसिमिसेमाणा जेणेव ईसाणे देविदे देवराया तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता करयलपरिग्गहिय दसनह सिरसावत्त मत्थए अलि कट्ट जएण विजएण वद्धावेति, वद्धावेत्ता एव वयासीएव खलु देवाणुप्पिया | बलिचचारायहाणिवत्थव्वया वहवे असुरकुमारा देवा य देवीमो य देवाणुप्पिए कालगए जाणित्ता ईसाणे य कप्पे इदत्ताए उववणे पासेत्ता आसुरुत्ता जाव एगते एडेति, एडेत्ता जामेव दिसिं पाउब्भूया तामेव दिसि पडिगया। ४७ तए ण ईसाणे देविदे देवराया तेसि ईसाणकप्पवासीण बहूण वेमाणियाण देवाण य देवीण य अतिए एयम? सोच्चा निसम्म सुरुत्ते जाव' मिसिमिसेमाणे तत्थेव' सयणिज्जवरगए तिवलिय भिउडि निडाले साहटु बलिचचारायहाणि अहे सपक्खि सपडिदिसि समभिलोएइ॥ ४८. तए ण सा बलिचचा रायहाणी ईसाणेण देविदेण देवरण्णा अहे सपक्खि सपडिदिसि समभिलोइया समाणी तेण दिव्वप्पभावेण इगालब्भूया मुम्मुरब्भूया छारियन्भूया तत्तकवेल्लकन्भूया तत्ता समजोइन्भूया जाया यावि होत्था ॥ ४६. तए ण ते बलिचचारायहाणिवत्थव्वया बहवे असुरकुमारा देवा य देवीओ य त बलिचच रायहाणि इगालब्भूय जाव' समजोइन्भूय पासति, पासित्ता भीआ तत्था तसिा उम्विग्गा सजायभया सव्वनो समता प्राधावेति परिधावेति, प्राधावेत्ता परिधावेत्ता अण्णमण्णस्स काय समतुरगेमाणा-समतुरगेमाणा चिट्ठति ।। ५०. तए ण ते बलिचचारायहाणिवत्थव्वया बहवे असुरकुमारा देवा य देवीओ य ईसाण देविंद देवराय परिकुविय जाणित्ता ईसाणस्स देविदस्स देवरण्णो त दिव्व देविड्ढि दिव्व देवज्जुइ दिव्व देवाणुभाग दिव्व तेयलेस्स असहमाणा सव्वे सपक्खि सपडिदिस ढिच्चा करयलपरिग्गहिय दसनह सिरसावत्त मत्थए अजलि कटु जएण विजएण वद्धावेति, वद्धावेत्ता एव वयासी-अहो । ण देवाणुप्पिएहि दिव्वा देविड्ढी दिव्वा देवज्जुई दिव्वे देवाणुभावे लद्धे पत्ते अभिसमण्णागए, त दिट्ठा ण देवाणु प्पियाणं दिव्वा देविड्ढी' 'दिव्वा देवज्जुई दिव्वे देवाणभावे लद्धे पत्ते अभिसमण्णामाए, त खामेमो ण देवाणुप्पिया । खमत ण १ आसुरत्ता (ब, म)। २ भ० ३।४५ । ३ भ० ३४५। ४ बलिचचा (अ, क, व, म, स)। ५ भ० ३१४८ । ६ उत्तत्था (ता, स)। ७ तेसिया (ब), सुसिया (स), हस्तलिखितवृत्तौ क्वचित्तसियत्ति शुषितानदरसा , क्वचिच्च 'सुसियत्ति' शुषितानदरसा इति लभ्यते । ८ स० पा०-देविड्ढी जाव अभिसमण्णागए। ६. स० पा०-देविड्ढी जाव लद्धे । Page #197 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३८ भगवई देवाणुप्पिया ! खतुमरिहति' ण देवाणुप्पिया । णाई भुज्जो' एव करणयाए त्ति कटु एयमटुं सम्म विणएण भुज्जो-भुज्जो खामेति ॥ ५१ तए ण से ईसाणे देविदे देवराया तेहिं वलिचचारायहाणिवत्थव्वएहि बहि असुरकुमारेहि देवेहि देवीहि य एयमट्ठ सम्म विणएण भुज्जो-भुज्जो खामिते समाणे त दिव्व देविड्ढि जाव तेयलेस्स पडिसाहरइ । तप्पभितिं च णं गोयमा । ते वलिचचारायहाणिवत्थव्वया वहवे असुरकुमारा देवा य देवीओ य ईसाण देविद देवराय आढति परियाणति सक्कारेति सम्माणेति कल्लाण मगल देवय विणएण चेइय° पज्जूवासति, ईसाणस्स य देविदस्स देवरण्णो आणा-उववायवयण-निद्देसे चिट्ठति। एव खलु गोयमा । ईसाणेण देविदेण देवरण्णा सा दिव्वा देविडढी 'दिव्वा देवज्जूई दिव्वे देवाणुभावे लद्धे पत्ते ° अभिसमण्णागए। ५२ ईसाणस्स भते । देविदस्स देवरण्णो केवतिय काल ठिई पण्णत्ता ? गोयमा ! सातिरेगाइ दो सागरोवमाइ ठिई पण्णत्ता ॥ ५३ ईसाणे ण भते । देविंदे देवराया ताओ देवलोगाओ आउक्खएण भवक्खएणं ठिइक्खएण अणतर चयं चइत्ता' कहिं गच्छिहिति ? कहि उववज्जिहिति ? गोयमा । महाविदेहे वासे सिज्झिहिति" 'वुज्झिहिति मुच्चिहिति सव्वदु क्खाण ° अत काहिति ।। सक्कीसारण-पदं ५४. सक्कस्स णं भते ! देविदस्स देवरण्णो विमाणेहिंतो ईसाणस्स देविदस्स देवरण्णो विमाणा ईसि उच्चतरा चेव ईसि उन्नयतरा" चेव ? ईसाणस्स वा देविंदस्स देवरण्णो विमाणेहितो सक्कस्स देविदस्स देवरण्णो विमाणा ईसिं णीयतरा चेव ईसिं निण्णतरा चेव ? हता गोयमा ! सक्कस्स त चेव सव्व नेयव्व ।। ५५. से केणटेण भते । एव वुच्चइ १. खतुमरिहतु (अ, व), खमतुमरिहतु (ता, स)। ७ स० पा०-देविड्ढी जाव अभिसमण्णागए। २ गाई (ता, स)। ८ केवइ (ता)। ३ भुज्जो-भुज्जो (अ, क, स)। ६ स० पा०-आउक्खएण जाव कहिं । ४. भ० ३१५०। १० स० पा०~-सिज्झिहिति जाव अत। .. ५ ० वत्यव्वा (अ, ता, व, म, स)। ११ उन्नयरा (अ, ता, व, व, स)। ६ आटायति (क, ता); स० पा०-आढति जाव पज्जुवासति । Page #198 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तइयं सत (पढमो उद्देसो) १३ गोमा I से जहानामए करयंले सिया - देसे उच्चे, देसे उन्नए । देसे जीए, देसे निण्णे । से तेणट्टेण गोयमा ! सक्कस्स देविदस्स देवरण्णो जाव' ईसि निण्णतरा चेव ॥ ५६. पभू ण भते । सक्के देविदे देवराया ईसाणस्स देविदस्स देवरण्णो प्रतिय पाउब्भवित्तए ? हता पभू ॥ ५७ से भते | कि आढामाणे' पभू ? प्रणाढामाणे' पभू ? गोयमा ! आढामाणे पभू, नो प्रणाढामाणे पभू ॥ ५८ पभू ण भते । ईसाणे देविदे देवराया सक्कस्स देविदस्स देवरण्णो प्रतिय पाउ भवित्त ? हता पभू ॥ ५६ से भंते ! कि आढामाणे पभू ? प्रणाढामाणे पभू ? गोयमा । आढामाणे वि पभू, अणाढामाणे विपभू ॥ ६० पभू ण भते ! सक्के देविंदे देवराया ईसाण देविद देवराय सपक्ख सपडिदिसिं समभिलोइत्तए ? हता ॥ ६१ से भते । कि ढामाणे पभू ? प्रणाढामाणे गोयमा | आढामाणे पभू, नो प्रणाढामाणे पभू । भू ६२ पभू ण भते । ईसाणे देविंदे देवराया सक्क देविद देवराय सर्पक्खि सपडिदिसि समभिलोइत्तए ? हता पभू ॥ ६३. से भते । कि ग्राढामाणे पभू ? प्रणाढामाणे पभू ? गोयमा | श्राढामाणे वि पभू, अणाढामाणे वि पभू० ॥ ६४ भूणभते । सक्के देविदे देवराया ईसाणेण देविदेण देवरण्णा सद्धि आलाव वा सलाव वा करेत्त ? हता पभू ॥ ६५ पभू कि आढामाणे पभू ? प्रणाढामाणे ? गोयमा ' आढामाणे पभू, नो प्रणाढामाणे पभू | १ भ० ३। ५४ । २. आढामीणे ( अ, क, ता, व, म), आढायमाणे (स) । ३ अगाढामीणे ( अ, क, ता, व, म), अरणाढायमाणे ( स ) | ४ ? ५ ६ पक्ख (क, ता) । स० पा०-- जहा पादुव्भवरणा तहा दो वि आलावगा यव्वा । स० पा०-- जहा पादुब्भवा । Page #199 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४० भगवई ६६ पभू ण भते । ईसाणे देविंदे देवराया सक्केण देविदेण देवरण्णा सद्धि आलाव वा संलाव वा करेत्तए ? हता पभू ।। ६७ से.भते । कि आढामाणे पभू ? अणाढामाणे पभू ? गोयमा आढामाणे वि पभू, अणाढामाणे वि पभू ° ॥ ६८. अत्थि ण भते । तेसि सक्कीसाणाण देविदाण देवराईण किच्चाइ करणिज्जाइ समुप्पज्जति' ? हता अस्थि ।। ६६ से कहमिदाणिं पकरेति ? गोयमा | ताहे चेव ण से सक्के देविदे देवराया ईसाणस्स देविंदस्स देवरण्णो अतिय पाउन्भवति, ईसाणे वा देविदे देवराया सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो अतिय पाउन्भवति इति भो | सक्का | देविदा | देवराया । दाहिणड्ढलोगाहिवई । इति भो । ईसाणा देविदा | देवराया । उत्तरढलोगाहिवई । इति भो ! इति भो । त्ति ते अण्णमण्णस्स किच्चाइ करणिज्जाइ पच्चणुब्भवमाणा विहरति ॥ ७० अत्थि ण भते । तेसि सक्कीसाणाण देविदाण देवराईण विवादा समुप्पज्जति ? हता अत्थि ॥ ७१. से कहमिदाणि पकरेति ? गोयमा । ताहे चेव ण ते सक्कीसाणा देविदा देवरायाणो सणकुमार देविदं देवराय मणसीकरेति । तए ण से सणंकुमारे देविंदे देवराया तेहिं सक्कीसाणेहि देविदेहिं देवराईहि मणसीकए समाणे खिप्पामेव सक्कीसाणाण देविदाण देवराईणं अतिय पाउन्भवति, ज से वदइ तस्स आणा-उववाय-वयण-निद्देसे चिट्ठति । सरणंकुमार-पदं ७२ सणकुमारे ण भते । देविदे देवराया किं भवसिद्धिए ? अभवसिद्धिए ? सम्म ट्टिी? मिच्छदिट्ठी ? परित्तससारिए ? अणतसंसारिए ? सुलभवोहिए ? दुल्लभवोहिए ? पाराहए ? विराहए ? चरिमे ? अचरिमे ? गोयमा । सणकुमारे णं देविंदे देवराया भवसिद्धिए', नो अभवसिद्धिए । सम्म १. X (अ, ब, क)। २. ० बोहीए (न, व, स)। ३. भवसिद्धीए (ता)। ४ स० पा०-एव स प सु आ नेयव्व। च पसत्य Page #200 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तइयं सत (पढमो उद्देसो) १४१ द्दिट्ठी, नो मिच्छदिट्ठी। परित्तसंसारिए, नो अणंतसंसारिए। सुलभबोहिए, नो दुल्लभबोहिए। आराहए, नो विराहए। चरिमे, नो अचरिमे ॥ ७३ से केण?ण भते । गोयमा | सणकुमारे ण देविदे देवराया बहूण समणाण बहूण समणीण बहूण सावयाण बहूण सावियाण हियकामए सुहकामए पत्थकामए आणुकपिए निस्सेयसिए हिय-सुह-निस्सेसकामए । से तेणद्वेण गोयमा | सणकुमारे ण देविंदे देवराया भवसिद्धिए', 'नो अभवसिदिए। सम्मट्टिी, नो मिच्छदिट्ठी। परित्तससारिए, नो अणतससारिए । सुलभबोहिए, नो दुल्लभबोहिए। आराहए, नो विराहए । चरिमे°, नो अचरिमे ।। सणकुमारस्स ण भते । देविंदस्स देवरण्णो केवइय काल ठिती पण्णत्ता ? गोयमा । सत्त सागरोवमाणि ठिती पण्णत्ता ।।। ७५ से ण भंते । ताओ देवलोगारो आउक्खएण' 'भवक्खएण ठिइक्खएण अणतरं चय चइत्ता कहि गच्छिहिइ° ? कहिं उववज्जिहिइ ? गोयमा | महाविदेहे वासे सिज्झिहिति' 'बुज्झिहिति मुच्चिहिति परिणिवाहिति सव्वदुक्खाण ° अत करेहिति ।। ७६ सेव भते । सेव भते । सगहरणी-गाहा छट्टममासो, अद्धमासो वासाइ अट्ठ छम्मासा । तीसग-कुरुदत्ताण, तव-भत्तपरिण-परियाओ॥१॥ उच्चत्त विमाणाण, पाउन्भव पेच्छणा य सलावे। किच्च विवादुप्पत्ती, सणकुमारे य भवियत्त ॥२॥ ७४ १ स० पा०-भवसिद्धिए जाव नो। २ स० पा०-आउक्खएण जाव कहिं । ३. स० पा०—सिज्झिहिति जाव अत । ४ भ० ११५१ । ५ भवियव्व (ता), अतोग्रे सर्वेष्वादशेषु 'मोया सम्मत्ता' इति पाठोस्ति, वृतिकृतापि व्याख्यातोसो, किन्तु मोया-प्रकरण तामलितापसप्रकरणात् पूर्वमेव समाप्तम्, तेन नावश्यकोसोपाठ.। Page #201 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४२ बीओ उद्देसो ७७. तेण कालेण तेण समएण रायगिहे नाम नगरे होत्था जाव' परिसा पज्जुवासइ || ७८. तेण कालेण तेण समएण चमरे प्रसुरिदे ग्रसुरराया चमरचचाए रायहाणीए, सभाए सुहम्माए, चमरसि सीहासणसि, चउसट्ठीए सामाणियसाहसहि जाव' नट्टविहि उवदसेत्ता जामेव दिसि पाउन्भूए तामेव दिसि पडिगए || ७६. भतेति । भगव गोयमे समण भगव महावीर वंदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता एव वयासी-ग्रत्थि ण भते । इमोसे रयणप्पभाए पुढवीए ग्रहे सुरकुमारा देवा परिवसति ? गोयमा | णो इणट्टे समट्ठे | ८० एव जाव आहेसत्तमाए पुढवीए, सोहम्मस्स कप्पस्स ग्रहे जाव' ग्रत्थि ण भते । ईसिप्प भारा पुढवीए अहे असुरकुमारा देवा परिवसति ? णो इणट्ठे समट्ठे ॥ ८१. से कहिं खाइ ण भते । असुरकुमारा देवा परिवसति ? गोयमा ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए ग्रसीतुत्त रजोयणसय सहस्स वाहल्लाए एव असुरकुमारदेववत्तव्वया जाव' दिव्वाइ भोगभोगाइ भुजमाणा विहरति ॥ ८२ प्रत्थि ण भते ! असुरकुमाराण देवाण हे गतिविसए ? हता ॥ भगवई ८३ केवतियण्ण' भते । असुरकुमाराण देवाण अहे गतिविसर पण्णत्ते ? ? गोयमा ? जाव ग्रसत्तमाए पुढवीए । तच्च पुण पुढवि गया य गमिस्सति य ॥ ८४ कंपत्तियण' भते । असुरकुमारा देवा तच्च पुढवि गया य गमिस्सति य गोयमा । पुव्ववेरियस्स वा वेदणउदीरणयाए, पुव्वसगतियस्स वा वेदणउवसामणयाए–एव खलु असुरकुमारा देवा तच्च पुढव गया य गमिस्सति य ॥ ८५ प्रत्थि ण भते ? असुरकुमाराण देवाण तिरिय गतिविस पण्णत्ते ? हा अत्थि ॥ ८६. केवतियण्ण भते । असुरकुमाराण देवाण तिरिय गतिविसए पण्णत्ते ? " गोयमा ' जाव असखेज्जा दीव-समुद्दा, नदिस्सरवर पुण दीव गया य गमिस्सति य ॥ ८७. किपत्तियण भते । असुरकुमारा देवा नदिस्सरवर दीव गया य गमिस्सति य ? १ ओ० सू० १६ - ५२ । २. राय० सू० ७-१२० । ३. दिसं (ता, व, म, स) । ४. अ० सू० २८७ । ५ अ० सू० २८७ । ६ असीउत्तर ० ( अ, व, म, स ) 1 ७. प० २ । ८ के वतिय ग ( स ) | ९. किंपत्तिया ( अ, ता, ब, म) 1 Page #202 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तइय सत (बीओ उद्देसो) गोमा ! जे इमे रहता भगवतो, एएसि ण जम्मणमहेसु वा निक्खमणमहेसु वा, नाणुप्पायमहिमासु' वा, परिनिव्वाणमहिमासु वा - एव खलु असुरकुमारा देवा न दिस्सरवर दीव गया य गमिस्सति य ॥ प्रत्थि ण भते असुरकुमाराण देवाण उड्ढ गतिविसिए ? हता प्रत्थि || ८९. केवतियण्ण भते । असुरकुमाराण देवाण उड्ढ गतिविस ? 1 गोयमा ' 'जाव ग्रच्चुतो" कप्पो, सोहम्म पुण कप्प गया य गमिस्सति य ।। ६०. किपत्तियण भते ! असुरकुमारा देवा सोहम्म कप्प गया य गमिस्सति य ? गोयमा । तेसि ण देवाण भवपच्चइए' वेराणुबधे, ते ण देवा विकुव्वेमाणा परियारेमाणा वा प्राय रक्खे देवे वित्तासेति' हालहुसगाइ रयणाइ गहाय आया। एगतमत प्रवक्कमति ॥ ε१. अत्थि ण भते । तेसि देवाण अहालहुसगाइ रयणाइ ? हता ग्रत्थि || ६२ से कहमिदाणि पकरेति ? तो से पच्छा काय पव्वहति ॥ ९३ पभूणभते । असुरकुमारा देवा तत्य गया चेव' समाणा ताहि अच्छराहिं सद्धि दिव्वाइ भोग भोगाइ भुजमाणा विहरित्तए ? णो इट्टे समट्टे । ते ण ततो पडिनियत्तति, ततो पडिनियत्तित्ता इमागच्छति । जइ ग ताम्रो ग्रच्छराम्रो प्रादयति परियाणति, पभू ण ते असुरकुमारा देवा ताहिं अच्छराहिं सद्धिं दिव्वाइ भोगभोगाइ भुजमाणा विहरित्तए । ग्रह ण ताओ च्छ राम्रो नो आढति, नो परियागति, नो ण पभू ते असुरकुमारा देवा ताहि श्रच्छराहिं सद्धि दिव्वाइ भोगभोगाइ भुजमाणा विहरित्तए । एव खलु गोयमा । असुरकुमारा देवा सोहम्म कप्प गया य गमिस्सति ॥ ६४ केवइयकालस्स' ण भते । असुरकुमारा देवा उड्ढ उप्पयति जाव सोहम्म कप्प गया य गमिस्सति य ? गोयमा | अणताहि 'ओसप्पिणीहि, अणताहि उस्सप्पिणीहि समतिक्कताहिं १ भगवता (क, व, स ) 1 २ नाप्पत्ति ० ( क ) 1 ३ जावच्चुए ( अ ता, व, म, स ) । ४ • पच्चय ( अ, व, म, स) । १४३ ५ तासेति २ (ता) । ६. च्चेव (ता) | १० ७ इह समागच्छति ( अ, व ) । आढायति (क, ता, म, स ) । ६. केवइकालस्स ( अ, क, व, म, स ) । १०. उस्सप्पिणीहि अरणताहि अवसप्पिणीहि (अ, व, स) । Page #203 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई अत्थि ण एस भावे लोयच्छेरयभूए समुप्पज्जइ, जं णं असुरकुमारा देवा उड्ढे उप्पयति जाव सोहम्मो कप्पो । ६५ किं निस्साए ण भते । असुरकुमारा देवा उड्ढं उप्पय ति जाव सोहम्मो कप्पो ? गोयमा । से जहानामए इह सवरा' इ वा वव्बरा इ वा टकणा' इ वा चुचुया' इवा पल्हा इ वा पुलिदा इ वा एग मह 'रण्ण वागड्ढ वा दुग्ग वा दरि वा विसम वा पव्वय वा नीसाए सुमहल्लमविपासवल वा हत्थिवल वा जोहवल वा धणुबल वा आगलेति, एवामेव असुरकुमारा वि देवा नण्णत्थ' अरहते वा अरहतचेतियाणि वा अणगारे वा भाविअप्पणो निस्साए उड्ढ उप्पयति जाव सोहम्मो कप्पो॥ ६६ सव्वे वि' ण भते ! असुरकुमारा देवा उड्ढं उप्पयति जाव' सोहम्मो कप्पो ? गोयमा । णो इणढे समढें । महिड्ढिया ण असुरकुमारा देवा उड्ढ उप्पयति जाव सोहम्मो कप्पो॥ ६७ एस वि य ण भते । चमरे असुरिदे असुरराया उड्ढ उप्पइयपुग्वे जाव सोहम्मो कप्पो ? हता गोयमा | एस वि य णं चमरे असुरिंदे असुरराया उड्ढ उप्पइयपुव्वे जाव सोहम्मो कप्पो॥ १८. अहो ण भते | चमरे असुरिंदे असुरराया महिड्ढीए महज्जुईए" जाव महाणु भागे । चमरस्स ण भते | सा दिव्वा देविड्ढी दिव्वा देवज्जुती दिव्वे देवाणुभागे कहिं गते ? कहिं अणुपवि? ? कूडागारसालादिट्ठतो भाणियव्वो" ।। १६ चमरेण भते ! असुरिदेण असुररण्णा सा दिव्वा देविड्ढी "दिव्या देवज्जूती दिव्वे देवाणुभागे किण्णा लद्धे ? पत्ते ? अभिसमण्णागए ? । १००. एव खलु गोयमा । तेण कालेण तेण समएण इहेव जदूदीवे दीवे भारहे वासे विझगिरिपायमूले बेभेले नाम सण्णिवेसे होत्था-वण्णो ॥ १ सब्बरा (अ, ब)। ७ स० पा०-महज्जुईए जाव कहिं । २. ढकणा (क)। ८ भ० ३।४। ३. भुभुया (अ), चूचुया (अ), (क, व), भुत्तुया ६. ° सालदिटुंतो (क, ता, व, म)। १०. भ० ३।२६ । ४. पण्हाया (अ), पण्हवा (क, ता); पण्हा ११. स० पा०-त चेव । (व, स)। १२. ओ० सू० १; एत्दवर्णन 'नदणवण-सन्निभि५. X (म, क, व, म)। प्पगासे' एतावदेव ग्राह्यम् । ६. X (अ, ता, व)। Page #204 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तइय सत (वीओ उद्देसो) १४५ १०१. तत्थ णं वेभेले सण्णिवेसे पूरणे नाम गाहावई परिवसइ–अड्ढे दित्ते' 'जाव' वहुजणस्स अपरिभूए या वि होत्था ॥ १०२ तए ण तस्स पूरणस्स गाहावइस्स अण्णया कयाइ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयसि कुटुवजागरिय जागरमाणस्स इमेयारूवे अज्झथिए चितिए पत्थिए मणोगए सकप्पे समुप्पज्जित्था-अत्थि ता मे पुरा पोराणाण सुचिण्णाण सुपरक्कताण सुभाण कल्लाणाण कडाण कम्माण कल्लाणफल वित्तिविसेसे, जेणाह हिरण्णेण वड्ढामि, सुवण्णेण वड्ढामि, धणेण वड्ढामि, धण्णेण वड्ढामि, पुत्तेहिं वड्ढामि, पसूहि वड्ढामि, विपुलधण-कणग-रयण-मणि-मोत्तिय-सख-सिलप्पवाल-रत्तरयण-सतसारसावएज्जेण अतीव-अतीव अभिवड्ढामि, त कि ण अह पुरा पोराणाण सुचिण्णाण जाव कडाण कम्माण एगतसो खय उवेहमाणे विहरामि ? त जावताव अह हिरण्णण वड्ढामि जाव अतीव-अतीव' अभिवड्ढामि, जाव च मे मित्त-नाति-नियग-सयण-सबधि-परियणो आढाति परियाणाइ सक्कारेइ सम्माणेइ कल्लाण मगल देवय विणएण चेइय पज्जुवासइ, तावता मे सेय कल्ल पाउप्पभायाए रयणीए जाव' उट्ठियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलते सयमेव चउप्पुडय दारुमय पडिग्गहग करेत्ता, विउल असण-पाणखाइम-साइम उवक्खडावेत्ता, मित्त-नाइ-नियग-सयण-सबधि-परियण आमतेत्ता, त मित्त-नाइ-नियग-सयण-सबधि-परियण विउलेण असण-पाण-खाइम-साइमेण, वत्थ-गध-मल्लालकारेण य सक्कारेत्ता सम्माणेत्ता, तस्सेव' मित्त-नाइ-नियगसयण-सवधि-परियणस्स पुरो जेट्टपुत्त कुटुबे ठावेत्ता, त मित्त-नाइ-नियगसयण-सवधि-परियण जेट्टपुत्त च आपुच्छित्ता, सयमेव चउप्पुडय दारुमय पडिग्गहग गहाय मुडे भवित्ता दाणामाए पव्वज्जाए पव्वइत्तए । पव्वइए वि य ण समाणे "इम एयारूव अभिग्गह अभिगिहिस्सामि-कप्पइ मे जावज्जीवाए छट्ठछट्टेण अणिविखत्तेण तवोकम्मेण उड्ढ बाहाम्रो पगिझिय-पगिज्झिय सूराभिमुहस्स पायावणभूमीए आयावेमाणस्स विहरित्तए, छटस्स वि य ण पारणसि ° आयावणभूमीअो पच्चोरुभित्ता सयमेव चउप्पुडय दारुमय पडिगहग गहाय बेभेले सण्णिवेसे उच्च-नीय-मज्झिमाइ कुलाइ घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए अडित्ता ज मे पढमे पुडए पडइ, कप्पइ मे त पथे पहियाण दलइत्तए। १. स० पा०-जहा तामलिस्स वत्तव्वया तहा २. भ० २।९४ । नेतव्वा, नवर चउप्पुडय दारुमय पडिग्गय ३. भ० २।६६ । करेत्ता जाव विउल असरणपाणखाइमसाइम ४ स० पा०-त चेव जाव आयावरण । जाव सयमेव । Page #205 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई 'ज मे' दोच्चे पुडए पडइ, कप्पइ मे त काग-सुणयाण' दलइत्तए । 'ज मे” तच्चे पुडए पडइ, कप्पइ मे त मच्छ- कच्छभाण दलइत्तए । ज मे चउत्थे पुडए पडइ, कप्पइ मे त ग्रप्पणा आहार ग्रहारेत्तए -त्ति कट्टु एवं सपेहेड, सपेहेत्ता कल्ल पाउप्पभायाए रयणीए त चेव निरवसेसं जाव जं से चउत्थे पुडए पडइ, तं अप्पणा आहार आहारेइ ॥ १०३ तएण से पूरणे वालतवस्सी तेण ओरालेणं विउलेण पयत्तेण पग्गहिएण वालतवोकम्मेण ' "सुक्के लुक्खे निम्मसे अट्ठि - चम्मावण किडिकिडियाभूए कसे धमणिसत जाए यावि होत्या ।। २४६ १०४. तए ण तस्स पूरणस्स वालतवस्सिस्स अण्णया कयाइ पुव्वरत्ताव रत्तकालसमयसि अणिच्चजागरिय जागरमाणस्स इमेयारूवे ग्रज्झथिए चितिए पत्थिए मणोगए सकप्पे समुप्पज्जित्था – एव खलु ग्रहं इमेण श्रोरालेण विपुलेण पयत्तेण पग्गहिएण कल्लाणेण सिवेण धन्नेण मगल्लेण सस्सिरीएण उदग्गेण उदत्तेण उत्तमेण महाणुभागेण तवोकम्मेणं सुक्के लक्खे जाव* धमणिसतए जाए, त प्रत्थि जा मे उट्ठाणे कम्मे वले वीरिए पुरिसक्कार-परक्कमे तावता मे सेय कल्ल पाउप्पभायाए रयणीए जाव' उट्ठियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलते वेभेलस्स सण्णिवेसस्स दिट्टाभट्ठे य पासडत्ये य गिहत्थे य पुव्वसगतिए य परियायसंगतिए य ग्रापुच्छित्ता वेभेलस्स सण्णिवेसस्स मज्झमज्भेण निग्गच्छित्ता, पादुग- कुडिय - मादीय उवगरण चउप्पुडय दारुमय च पडिग्गहग एग एडित्ता, वेभेलस्स सण्णिवेसस्स दाहिणपुरत्थि मे दिसीभागे अद्धनियत्तणिय-मडल आलिहित्ता संलेहणा-भूसणा-भूसियस्स भत्तपाणपडिया इक्खियस्स पानोवगयस्स काल अणवकखमाणस्स विहरित्तए त्ति कट्टु एव सपेहेइ, संपेहेत्ता कल्ल पाउप्पभायाए रयणीए जाव उट्ठियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलते वेभेले सण्णिवेसे दिट्टाभट्ठे य पासडत्ये य गिहत्थे य पुव्वसगतिए य परियायसंगतिए य ग्रापुच्छड, ग्रापुच्छित्ता वेभेलस्स सण्णिवेसस्स मज्झमज्भेण निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता पादुग-कुडिय-मादीय उवगरण दारुमय च पडिग्गहग एगते एडेड, एडेत्ता वेभेलस्स सण्णिवेसस्स दाहिणपुरत्थिमे दिसीभागे श्रद्धनियत्तणियमडल प्रालिहित्ता सलेहणा - भूसणाभूसिए भत्तपाणपडियाइक्खिए पावगमण निवण्णे || १०५ तेणं कालेण तेण समएण ग्रह गोयमा ! छउमत्थकालियाए एक्कारसवासपरियाए छट्ठद्द्द्वेण अणिक्खित्तेण तवोकम्मेण सजमेण तवसा अप्पाण भावेमाणे पुव्वाणु १. सुरणकारण (क, ता), मुगगारण (म ) | २. जम्मे (ता) | ३. स० पा०-त चैव जाव वेभेलस्म । ४. भ० ३।३५ । ५. भ० २।६६ | Page #206 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४७ पुव्वि चरमाणे गामाणुगाम दूइज्जमाणे जेणेव सुसुमारपुरे नगरे जेणेव असोयसडे' उज्जाणे जेणेव असोयवरपायवे जेणेव पुढवीसिलावट्टए तेणेव उवागच्छामि, उवागच्छित्ता असोगवरपायवस्स हेट्ठा पुढवीसिलावट्टयंसि अट्ठमभत्त पगिण्हामि, दो वि पाए साह वग्घारियपाणी एगपोग्गलनिविदिट्ठी अणिमिसणयणे ईसिपव्भारगएण' काएणं, अहापणिहिएहि गत्तेहि, सव्विदिएहि गुत्तेहिं एगराइय महापडिम उवसपज्जेत्ता ण विहरामि ॥ १०६. तेण कालेण तेण समएण चमरचचा रायहाणी अणिदा अपुरोहिया या वि होत्या ॥ १०७. तए ण से पूरणे वालतवस्सी बहुपडिपूण्णाइ दुवालसवासाइ परियाग पाउणित्ता, मासियाए सलेहणाए अत्ताण भूसेत्ता, सद्वि भत्ताइ प्रणसणाए छेदेत्ता, कालमासे काल किच्चा चमरचचाए रायहाणीए उववायसभाए जाव इदत्ताए उववणे || १०८ तएण से चमरे सुरिंदे असुरराया अहुणोववण्णे पचविहाए पज्जत्तीए पज्जत्तिभाव* गच्छइ, [त जहा - आहारपज्जत्तीए जाव' भास-मणपज्जत्तीए' ] ॥ १०६. तए ण से चमरे सुरिंदे असुरराया पचविहाए पज्जत्तीए पज्जत्तिभाव गए समाणे उड्ढ वीससाए ओहिणा आभोएइ जाव' सोहम्मो कप्पो, पासइ य तत्थ - सइय सत (वीओ उद्देसो) सक्क देविद देवराय, मघव पाकसासण । सयक्कतु— सहस्सक्ख, वज्जपाणि पुरदर' ॥ • दाहिणड्ढलोगहिवर वत्तीसविमाणसयसहस्सा हिवइ एरावणवाहण सुरिदं अरयवरवत्थधर आलइयमालमउड नव- हेम - चारुचित्त चचल- कुडल-विलिहिज्ज - माणगड भासुरवोदि पलववणमाल दिव्वेण वण्णेण जाव० दस दिसा उज्जोवेमाण पभासेमाण सोहम्मे कप्पे सोहम्मवडेसए विमाणे सभाए सुहम्माए सक्कसि सीहासणसि जाव" दिव्वाइ भोगभोगाइ भुजमाण पासइ, पासित्ता इमेयारूवे" ग्रज्झत्थिए चितिए पत्थिए मणोगए सकप्पे समुप्पज्जित्था — केस एस अपत्थियपत्थए" दुरतपतलक्खणे हिरिसिरिपरिवज्जिए हीणपुण्णचाउद्दसे १ असोयवणसडे (क, म, स) । २ परिगिण्हामि (स) 1 ३. ईसि ० ( क स ) | ४ भ० ३।४३ । ५ पज्जत्तभाव (व) । ६ भ० ३।१७ । ७. असौ कोष्ठकवर्ती पाठो व्याख्याश. प्रतीयते । ८ सक्कर (क, ता) । ६ १०. उवा० २।४० । ११ उवा० २।४० भ० ३।१६ । १२. इमे एया० (क, ब ) । १३. ० पत्थिए (व, म, स ) । स० पा०—पुरदर जाव दस । Page #207 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ज ण मम इमाए एयारूवाए दिव्वाए देविड्ढीए' 'दिव्वाए देवज्जुतीए 'दिव्वे देवाणुभावे लद्धे पत्ते अभिसमण्णागए ” उप्पि अप्पुस्सुए दिव्वाड भोगभोगाइ भुजमाणे विहरइ - एव सपेहेड, सपेहेत्ता सामाणियपरिसोववण्णए देवे सहावेइ, सद्दावेत्ता एव वयासी - केस ण एस देवाणुप्पिया ! अपत्थियपत्थए जाव दिव्वाइ भोगभोगाइ भुजमाणे विहरइ ? ११० तए ण ते सामाणियपरिसोववण्णगा देवा चमरेण असुरिंदेण असुररण्णा एवं वृत्ता समाणा हट्टतुटु चित्तमाणदिया दिया पीइमणा परमसोमणस्सिया हरिसवसविसप्पमाण° हियया करयलपरिग्गहिय दसनह सिरसावत्त मत्थए अजलि कट्टु जएण विजएण वद्धावेति, वद्धावेत्ता एव वयासी - एस ण देवाणुप्पिया ! सक्के देविदे देवराया जाव— दिव्वाइ भोगभोगाइ भुजमाणे विहरइ ॥ १४८ १११. तए ण से चमरे असुरिदे असुरराया तेसि सामाणियपरिसोववण्णगाण देवाण अतिए एयमट्टं सोच्चा निसम्म सुरुते रुट्ठे कुविए चडिक्किए मिसिमिसेमाणे ते सामाणियपरिसोववण्णगे देवे एव वयासी - अण्णे खलु भो ! से सक्के देविदे देवराया, अण्णे खलु भो । से चमरे सुरिंदे असुरराया, महिड्ढीए खलु भो ! से सक्के देविंदे देवराया, अप्पिड्ढीए खलु भो ! से चमरे असुरिदे असुरराया, त इच्छामिण देवाणुप्पिया ! सक्क देविंद देवराय सयमेव अच्चासाइत्तए ' त्ति कट्टु उसिणे उसिणव्भूए जाए यावि होत्था ॥ o ११२. तए ण से चमरे सुरिंदे असुरराया ओहि पउजइ', परजित्ता मम प्रोहिणा श्राभोएइ, ग्राभोत्ता इमेयारूवे ग्रज्झतिथए" चितिए पत्थिए मणोगए सकप्पे समुप्पज्जित्था — एव खलु समणे भगव महावीरे जबूदीवे दीवे भारहे वासे सुसुमारपुरे" नयरे ग्रसोगसडे” उज्जाणे असोगवरपायवस्स अहे पुढविसिलावट्टयसि अट्ठमभत्त परिहित्ता एगराइय महापडिम उवसपज्जित्ता ण विहरत्ति, त सेय खलु मे समण भगव महावीर णीसाए सक्क देविद देवराय सयमेव प्रच्चासाइत्तए त्ति कट्टु एव सपेहेइ, सपेहेत्ता सयणिज्जाश्रो" प्रभुटुइ, प्रभुट्टेत्ता देवदूस परिहे, परित्ता जेणेव सभा सुहम्मा जेणेव चोप्पाले पहरणकोसे १ सं० पा० – देवड्ढीए जाव दिव्वे । २ एतान्यपि सत्र सप्तम्यन्तानि विद्यन्ते । ३. स० पा० - हट्टु तुटु जाव हियया । ४. भ० ३।१०६ । ५. आसुरते ( अ, व ) 1 ६. अच्चामादेत्तए (अ, ता, व, म) । पदानि O ७. पयुजइ (ता) | ८ आलोएइ (व) 1 ६. अतोग्रे 'तस्स' इति पदमध्याहार्यम् । १०. स० पा० – अज्झत्थिए जाव समुप्पज्जित्था । ११. सुसमारपुरे (स) 1 १२. १३ सत्तणिज्जाओ (ता) । • वरणसडे (अ, क, ता, व, म, स) । Page #208 -------------------------------------------------------------------------- ________________ इतयं सतं (वीओ उद्देसो) १४६ तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता फलिहरयण परामुसइ, एगे अबीए' फलिहरयणमायाए महया अमरिस वहमाणे चमरचचाए रायहाणीए मज्झमझेणणिग्गच्छइ, णिगच्छित्ता जेणेव तिगिछिकूडे' उप्पायपव्वए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता वेउव्वियसमुग्घाएण समोहण्णइ, समोहणित्ता जाव' उत्तरवेउविय रूव विकुव्वइ, विकुवित्ता ताए उक्किट्ठाए तुरियाए चवलाए चडाए जइणाए छेयाए सीहाए सिग्याए उद्धयाए दिव्वाए देवगईए तिरिय असखेज्जाण दीव-समुद्दाण मज्झमज्झेण वीईवयमाणे-वीईवयमाणे जेणेव जबुद्दीवे दीवे जेणेव भारहे वासे जेणेव सुसुमारपुरे नगरे जेणेव असोयसडे उज्जाणे जेणेव असोयवरपायवे जेणेव पुढविसिलावट्टए जेणेव मम अतिए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता मम तिक्खुत्तो पायाहिण-पयाहिण करेइ', करेत्ता वदइ, नमसइ, वदित्ता नमसित्ता एवं वयासी-इच्छामि ण भते तुम्भ नीसाए सक्क देविद देवराय सयमेव अच्चासाइत्तए त्ति कटु उत्तरपुरत्थिमं दिसीभाग अवक्कमेइ, अवक्कमेत्ता वेउव्वियसमुग्घाएण समोहण्णति, समोहणित्ता जाव' दोच्चं पि वेउव्वियसमुग्घाएण समोहण्णइ एग मह घोरं घोरागार भीम भीमागार भासुर' भयाणीय गभीर उत्तासणय कालड्ढरत्त-मासरासिसकास' जोयणसययसाहस्सीय महावोदि विउव्वइ, विउव्वित्ता अप्फोडेइ वग्गइ२ गज्जइ, हयहेसिय करेइ, हत्थिगुलगुलाइय करेइ, रहघणघणाइय करेइ, पायदद्दरग करेइ, भूमिचवेडय दलयइ, सीहणाद नदइ, उच्छोलेइ पच्छोलेइ, तिवति" छिदइ, वाम भुय ऊसवेइ, दाहिणहत्थपदेसिणीए अगु?णहेण य वितिरिच्छ मुह विडवेइ, महया-महया सद्देण कलकलरव करेइ एगे अवीए" फलिहरयणमायाए उड्ढ वेहास उप्पइए-खोभते चेव अहेलोय कपेमाणे व मेइणीतल" साकड्ढते व तिरियलोय, फोडेमाणे व अबरतल, १. अवितिए (क, ता)। ११ बहुलासु प्रति क्रियानन्तर सर्वत्र कत्वा२. तिगिच्छि (ता, म), तिगिच्छ (व) । प्रत्ययस्स प्रयोगा दृश्यन्ते, यथा-अप्फोडेइ, ३ राय० सू० १०। अप्फोडेत्ता। ४. °वेउवियरुव (म)। १२ X (क, ता, व, म)। ५ स० पा०-करेइ जाव नमसित्ता । १३. तिपतिं (ता)। ६ राय० सू० १०। १४ अन्वितिए (क, ता, ब)। ७. समोहणइ (अ, स)। १५ च्चेव (ता)। ८ भासर (क, ता)। १६ तिव (ता), वा (ब, म)। ६. भासरासि ° (अ)। १७. मेयरिण° (अ); मेतिणी० (क, म); १०. जोतरण ° (ता)। मेदिणी (ता)। १८. आकड्ढते (अ, म, स), आसाकड्ढते (ब)। Page #209 -------------------------------------------------------------------------- ________________ .. भगवई १५० कत्थइ गज्जते, कत्थइ विज्जुयायते, कत्थइ वास वासमाणे', कत्थइ रयुग्घाय पकरेमाणे, कत्थइ तमुक्काय पकरेमाणे, वाणमतरे देवे वित्तासेमाणे-वित्तासेमाणे', जोइसिए देवे दुहा विभयमाणे-विभयमाणे, आयरक्खे देवे विपलायमाणेविपलायमाणे', फलिहरयण अवरतलसि वियट्टमाणे-वियट्टमाणे, विउभाएमाणेविउभाएमाणे ताए उक्किट्ठाए' 'तुरियाए चवलाए चडाए जइणाए छेयाए सीहाए सिग्याए उद्धयाए दिव्वाए देवगईए° तिरियमसखेज्जाण दीव-समुदाण मज्झमझेणं वीईवयमाणे-वीईवयमाणे जेणेव सोहम्मे कप्पे, जेणेव सोहम्मवडेसए विमाणे, जेणेव सभा सुहम्मा तेणेव उवागच्छइ, एग पाय पउमवरवेइयाए करेइ, एग पाय सभाए सुहम्माए करेइ, फलिहरयणेण महया-महया सद्देण तिक्खुत्तो इदकील आउडेइ, प्राउडेत्ता एव वयासी-कहि ण भो ! सक्के देविदे देवराया ? कहि ण तायो चउरासीइसामाणियसाहस्सीयो ? कहि ण ते तायत्तीसयतावत्तीसगा ? कहि ण ते चत्तारि लोगपाला ? कहि ण तारो अटू अग्गमहिसीओ सपरिवाराओ? कहि ण ताओ तिण्णि परिसायो ? कहि ण ते सत्त अणिया ? कहि ण ते सत्त अणियाहिवई ? ० कहि ण तामो चत्तारि चउरासीईअो आयरक्खदेवसाहस्सीसो ? कहि ण तारो अणेगारो अच्छराकोडीयो ? अज्ज हणामि, अज्ज महेमि, अज्ज वहेमि, अज्ज मम अवसानो अच्छरायो वसमुवणमतु त्ति कटु त अणि? अकत अप्पिय असुभ अमणुण्ण अमणाम फरुस गिर निसिरइ।। ११३. तए ण से सक्के देविदे देवराया त अणि?' 'अकत अप्पिय असुभ अमणण्ण अमणाम अस्सुयपुव्व फरुसं गिर सोच्चा निसम्म आसुरुत्ते 'रुटे कुविए चडिक्किए० मिसिमिसेमाणे तिवलिय भिउडि निडाले साहट्ट चमर असुरिंद असरराय एवं वदासि-हं भो । चमरा ! असुरिदा ! असुरराया ! अपत्थियपत्थया' ! 'दुरतपतलक्खणा | हिरिसिरिपरिवज्जिया | ० हीणपूण्णचाउद्दसा | अज्ज न भवसि, नाहि" ते सुहमत्थीति कटु तत्थेव सीहासणवरगए वज्ज परामुसइ, परामुसित्ता त जलतं फुडत तडतडत उक्कासहस्साइ विणि १. वासेमाणे (ब, क)। २. वित्तासमारणे (अ)। ३. विपलासमाणे (म)। ४. विउन्भासेमाणे (ता)। ५. स० पा०-उक्किट्टाए जाव तिरिय० । ६. से (क)। ७. स० पा०-° सामाणियसाहस्सीओ जाव कहि। ८. स० पा०-अरिंगटुं जाव अमणाम । ६ स० पा०-आसुरुत्ते जाव मिसिमिसेमारणे । १० स० पा०-अपत्थियपत्थया जाव हीणपुण्ण° ११. नहि (व)। १२. तडवडत (ता), तडातडत (व)। Page #210 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तइय सतं (बीओ उद्देसो) म्मुयमाण-विणिम्मुयमाण, जालासहस्साइ पमुचमाण-पमुचमाण, इगालसहस्साइ पविक्खिरमाण-पविक्खिरमाण, फुलिगजालामालासहस्सेहि चक्खुविक्खेवदिलिपडिघात पि पकरेमाण हुयवहअइरेगतेयदिप्पत जइणवेगं फुल्लकिसुय समाण महन्भय भयकर चमरस्स असुरिदस्स असुरण्णो वहाए वज्ज निसिरइ । ११४. तए ण से चमरे असुरिंदे असुरराया त जलत जाव' भयकर वज्जमभिमुह आवयमाण पासइ, पासित्ता झियाइ पिहाइ, पिहाइ झियाइ, झियायित्ता पिहाइत्ता तहेव' सभग्गमउडविडवे' सालबहत्थाभरणे उड्ढपाए अहोसिरे कक्खागयसेय पिव विणिम्मुयमाणे-विणिम्मुयमाणे ताए उक्किदाए जाव' तिरियमसखेज्जाण दीव-समुद्दाण मज्झमझेण वीईवयमाणे-वीईवयमाणे जेणेव जबूदीवे दीवे जाव जेणेव असोगवरपायवे जेणेव मम अतिए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता भीए भयगग्गरसरे "भगव सरण' इति वुयमाणे मम दोण्ह वि पायाण अतरसि झत्ति वेगेण समोवडिए । ११५. तए ण तस्स सक्कस्स देविदस्स देवरण्णो इमेयारूवे अज्झथिए चितिए पत्थिए मणोगए सकप्पे ° समुप्पज्जित्था-नो खलु पभू चमरे असुरिदे असुरराया, नों खलु समत्थे चमरे असुरिंदे असुरराया, नो खलु विसए चमरस्स असुरिंदस्स असुररण्णो अप्पणो निस्साए उड्ढ उप्पइत्ता जाव सोहम्मो कप्पो, नण्णत्थ अरहते वा, अरहतचेइयाणि वा, अणगारे वा भाविअप्पाणो नीसाए उड्ढ उप्पयइ जाव' सोहम्मो कप्पो, त महादुक्ख खलु तहारूवाण अरहताण भगवताण अणगाराण य अच्चासायणाए त्ति कोहिं पउजइ, मम ओहिणा आभोएइ, ग्राभोएत्ता हा । हा | अहो । हतो अहमसि त्ति कटु ताए उक्किट्ठाए जाव" दिव्वाए देवगईए वज्जस्स वीहिं अणुगच्छमाणे-अणुगच्छमाणे तिरियमसखेज्जाण दीव-समुद्दाण मज्झमज्झेण जाव जेणेव असोगवरपायवे, जेणेव मम अतिए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता मम चउरगुलमसपत्त वज्ज पडिसाहरइ, अवि याइ मे गोयमा | मुट्ठिवाएण केसग्गे वीइत्या ॥ ११६. तए ण से सक्के देविदे देवराया वज्ज पडिसाहरित्ता मम तिक्खुत्तो आयाहिण पयाहिण करेइ, करेत्ता वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता एव वयासि-एव खलु भते । अह तुब्भ नीसाए चमरेण असुरिंदेण असुररण्णा सयमेव' अच्चासाइए। तए ण मए परिकुविएण समाणेण चमरस्स असुरिंदस्स असुररण्णो वहाए १. भ० ३।११२ । ६. स० पा०-अज्झथिए जाव समुप्पज्जित्था । २. विडए (अ, क), पिडए (ब)। ७ अरहत (क), अरहता (ता)। ३. भ० ३।११२। ८. भ० ३।११२ । ४. भ० ३।११२। ६. भ० ३।११२ । ५. समोवइए (ता)। ل الله » Page #211 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भग वज्जे निसट्टे । तए ण मम इमेयारूवे अज्झथिए चितिए परियार मणोगए सकप्पे ° समुप्पज्जित्था-नो खलु पभू चमरे अमुरिदे असुरराया', 'नो खलु ममत्ये चमरे असुरिदे असुरराया, नो खलु विसए चमरस्स अमुरिंदम्म असुररण्णो अप्पणो निस्साए उड्ढ उप्पइत्ता जाव सोहम्मो कमी, नण्णत्य अरहने वा, अरहतचेइयाणि वा, अणगारे वा भाविअप्पाणो नीसाए उड्द उपयह जाय सोहम्मो कप्पो, त महादुक्ख खलु तहारूवाण अरहताण भगवताण अणगाराण य अच्चासायणाए त्ति कट्ठ प्रोहिं पउजामि, देवाणुप्पिए प्रोहिणा प्राभोएमि, श्राभोएत्ता हा । हा | अहो । हतो अहमसि त्ति का१ ताए उविकट्टाए जाव' जेणेव देवाणुप्पिए तेणेव उवागच्छामि, देवाणुप्पियाण चउरगुलमतपत्त बज्जं पडिसाहरामि, वज्जपडिसाहरणट्टयाए ण इहमागए उह समोसढे इह सपत्ते ऽहंब अज्ज उवसपज्जित्ता ण विहरामि । त खामेमि ण देवाणुप्पिया ! खमतु ण देवाणु प्पिया । खतुमरिहति ण देवाणुप्पिया। नाइ भज्जो एव करणयाए' त्ति कटु मम वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता उत्तरपुरस्थिम दिसी भाग अवक्कमइ, वामेण पादेण तिक्खुत्तो भूमि विदलेइ', विदलेत्ता चमर अरिदं असुरराय एव वदासि-मुक्को सि ण भो चमरा | अमुरिंदा ! असुरराया । समणस्स भगवो महावीरस्स पभावेण-नाहि ते दाणि" ममातो' भयमत्थि त्ति कटु जामेव दिसि पाउन्भूए तामेव दिसि" पडिगए । ११७. भतेति । भगव गोयमे समण भगव महावीर वदइ, नमसड, वदित्ता नमसित्ता एव वदासी-देवे ण भते ! महिड्ढीए जाव" महाणुभागे पुब्बामेव पोग्गल खिवित्ता पभू तमेव अणुपरियट्टित्ता ण गेण्हित्तए? हता पभ ॥ ११८ से केणट्टेण५ भते । एव वुच्चइ-देवे ण महिड्ढीए जाव" महाणुभागे पुवामेव पोग्गल खिवित्ता पभू तमेव अणुपरियट्टित्ता ण° गेण्हित्तए ? गोयमा | पोग्गले ण खित्ते" समाणे पुत्वामेव सिग्घगई भवित्ता ततो पच्छा १ निसि? (अ, स)। १० भे (व)। २. स० पा०-अज्झथिए जाव समुप्पजित्था। ११. इदाणि (क, म)। ३. स० पा०-तहेव जाव ओहिं । १२. ममतो (अ, क)। ४. भ० ३।११५। १३. दिस (ता, व, म)। ५. मरुहतु (अ, स)। १४ भ० ३।४। ६. नाइ (ता, व)। १५ स० पा०-केणद्वेण जाव गेण्हित्तए। ७ पकरणयाए (वृ, स)। १६ भ० ३।४। ८. दालेइ (अ, क, व, स), दलइ (म)। १७ खित्ते ण (अ), विखित्ते (स)। ६. णाहि (अ, क, ता), नहि (व)। १८ सिग्घागई (व)। Page #212 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तइय सत (वीओ उद्दसौ) १५३ मदगती भवति, देवे ण महिड्ढोए जाव' महाणुभागे पुवि पि पच्छा वि सोहे सीहगती चेव तुरिए तुरियगती चेव । से तेणद्वेण जाव पभू गेण्हित्तए । ११६. जइ ण भते । देवे' महिड्ढोए जाव' पभू तमेव अणुपरियट्टित्ता ण गेण्हित्तए, कम्हा ण भते । 'सक्केण देविदेण देव रण्णा" चमरे असुरिंदे असुरराया नो सचाइए साहित्थ गेण्हित्तए ? गोयमा । असुरकुमाराण देवाण अहे गइविसए 'सीहे-सीहे चेव तुरिए-तुरिए चेव, उड्ढ गइविसए अप्पे-अप्पे चेव मदे-मदे चेव । वेमाणियाण देवाण उड्ढ गइविसए सीहे-सीहे चेव । तुरिए-तुरिए चेव, अहे गइविसए अप्पे-अप्पे चेव मदे-मदे चेव। जावतिय खेत्त सक्के देविदे देवराया उड्ढ उप्पयइ एक्केण समएण, त वज्जे दोहिं, ज वज्जे दोहि, त चमरे तिहि । सव्वत्थोवे सक्कस्स देविदस्स देवरण्णो उड्ढलोयकडए, अहेलोयकडए सखेज्जगुणे। जावतिय खेत्त चमरे असुरिदे असुरराया अहे ओवयइ एक्केण समएण, त सक्के दोहि, ज सक्के दोहि, त वज्जे तीहि । सव्वत्थोवे चभरस्स असुरिदस्स असुररण्णो अहेलोयकडए, उड्ढलोयकडए सखेज्जगुणे । एव खलु गोयमा | सक्केण देविदेण देवरण्णा चमरे असुरिंदे असुरराया नो सचाइए साहत्यि गेण्हित्तए॥ १२०. सक्कस्स ण भते ! देविंदस्स देवरण्णो उड्ढ अहे तिरिय च गइविसयस्स कयरे कयरेहितो अप्पे वा ? बहुए वा ? तुल्ले वा ? विसेसाहिए वा ? गोयमा | सव्वत्थोव खेत्त सक्के देविंदे देवराया अहे प्रोवयइ एक्केण समएण तिरिय सखेज्जे भागे गच्छइ, उड्ढ सखेज्जे भागे गच्छइ ॥ १२१ चमरस्स ण भते । असुरिंदस्स असुररण्णो उड्ढ अहे तिरियं च गइविसयस्स कयरे कयरोहतो अप्पे वा? बहुए वा ? तुल्ले वा ? विसेसाहिए वा ? गोयमा । सव्वत्थोव खेत्त चमरे असुरिदे असुरराया उड्ढ उप्पयइ एक्केण समएण, तिरिय सखेज्जे भागे गच्छइ, अहे सखेज्जे भागे गच्छइ ॥ १२२. ""वज्जस्स ण भते ! उड्ढ अहे तिरिय च गइविसयस्स कयरे कयरेहितो अप्पे वा ? बहुए वा ? तुल्ले वा ? विसेसाहिए वा? गोयमा ! सव्वत्थोव खेत्त वज्जे अहे अोवयइ एक्केण समएण, तिरिय विसेसाहिए भागे गच्छइ, उड्ढ विसेसाहिए भागे गच्छइ॥ १ देविदे (अ, ता, व, स)। २ भ० ३।११८ । ३. सक्के देविदे देवरा ४ सचाइति (अ), सचाएति (स)। ५. सिग्-सिग्वे (अ, स)। ६ अहो० (अ, ब)। ७ स० पा०-वज्ज जहा सक्कस्स तहेव नवर विसेसाहिय कायव्व । Page #213 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५४ प १२३. सक्कस्स ण भते । देविदस्त देवरण श्रोचयणकालरस करे करेहितोप्पं वा ? बहुए वा? तुल्ने वा सिंगारिए वा ? गोयमा । सव्वत्थोवे सक्कल्स देविदस्य देवरण उपकारी, श्रवणका सखेज्जगुणे ॥ १२४. चमरस्स वि जहा सक्कम्स, नवर - सव्वत्योचे श्रवयणका उपका सखेज्जगुणे ॥ १२५ वज्जस्स पुच्छा ! भगव 1 गोयमा । सव्वत्थोवे उपयणकाले, श्रीवयणकाने विमेाहिए || 7 ? १२६. एयस्स ण भने । वज्जस्स, वज्जाविन्स, चमरन्स व तुखिन अनुरो श्रवयणकालस्स य, उप्पयणकालस्स व कयरे करेहितो व वा 7 बहुए वा तुल्ले वा ? विसेसाहिए वा गोयमा । सक्क्कस्म य उप्पयणकाले, चमरम्स य श्रवयणकाले - एए ण दणि वि तुला सव्वत्थोवा । सक्कस्स य ग्रोचयगकाले, वज्जस्म से उपयणकालेएस ण दोहवि तुल्ले सखेज्जगुणं । चमरस्य व उप्पयणकाने वज्जन्त य ओवयणकाले - एस ण दोण्ह वि तुल्ले विसेसाहिए || १२७ तएण से चमरे सुरिंदे असुरराया वज्जभयविप्पमुक्के, सक्केण देविदेणं देवरणा महया श्रवमाणेण श्रवमाणिए समाणे चमरचचाए रायहाणीए सभाए नुहम्माए चमरसि सोहासणसि श्रयमणमकप्पे चितामोयमागरमपविट्ठे करयनपल्हत्यमुहे अट्टज्भाणो गए भूमिगयदिट्टीए भियाति ।। १२८. तएण चमर सुरिंद असुरराय सामाणियपरिसोववण्णया देवा श्रोह्यमणसंप्प जाव' भिंयायमाण पासति, पासित्ता करयनपरिग्गहिय दसनह सिरसावत मत्थए अजल कट्टु जएण विजएण वद्धावेति वद्धावेत्ता एव वयासी - किंण देवाणुप्पिया ! श्रोह्यमणसकप्पा चितासोयसागरसपविट्ठा करयलपल्हत्यमुहा अट्टज्भाणोवगया भूमिगयदिट्ठीया झियायह ? १. विष्ण (ता, म ) | २ भ० ३।१२७ । ३ निसट्टे ( अ, स ) | १२६. तए ण से चमरे सुरिंदे असुरराया ते सामाणियपरिसोववण्णए देवे एव वयासी -- एव खलु देवाणुप्पिया ! मए समणं भगव महावीर नीसाए सक्के देविंदे देवराया सयमेव ग्रच्चासाइए । तए ण तेण परिकुविएणं समाणेण ममं वहाए वज्जे निसट्टे' । त भद्दण्ण' भवतु देवाणुप्पिया ! समणस्स भगवओो महावीरस्स जस्सम्हि' पभावेण प्रकिट्ठे ग्रव्वहिए अपरिताविए इहमागए इह समोसठे ४. भद्द ण ( अ, स ) 1 ५ जस्ससि (ता) | Page #214 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तइयं सत (वीनो उद्देसो) । १५५ इह सपत्ते इहेव अज्ज उवसपिज्जत्ता णं विहरामि । त गच्छामो ण देवाणुप्पिया। समण भगव महावीर वदामो नमसामो जाव' पज्जुवासामो त्ति कटु चउसट्ठीए सामाणियसाहस्सीहि जाव' सव्विड्ढीए जाव जेणेव असोगवरपायवे, जेणेव मम अतिए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता मम तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिण 'करेत्ता वदेता नमसित्ता एव वयासि-एव खलु भते । मए तुब्भ नीसाए सक्के देविदे देवराया सयमेव अच्चासाइए। 'तए ण तेण परिकुविएण समाणेण मम वहाए वज्जे निसटे । त भद्दण्ण भवतु देवाणुप्पियाण जस्सम्हि पभावेण अकिट्ठे 'अव्वहिए अपरिताविए इहमागए इह समोसढे इह संपत्ते इह अज्ज उवसपज्जित्ता ण ° विहरामि । त खामेमि ण देवाणु प्पिया । • खमतु ण देवाणुप्पिया। खतुमरिहति ण देवाणुप्पिया | नाइ भुज्जो एव करणयाए त्ति कटु मम वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता° उत्तरपुरस्थिम दिसीभाग अवक्कमइ, अवक्कमित्ता जाव वत्तीसइवद्ध' नट्टविहि उवदसेइ, उवदसेत्ता जामेव दिसिं पाउन्भूए तामेव दिसि पडिगए। १३०. एव खलु गोयमा | चमरेण असुरिदेण असुररण्णा सा दिव्वा देविड्ढी •दिव्वा देवज्जुती दिव्वे देवाणुभागे लद्धे पत्ते° अभिसमण्णागए। ठिई सागरोवम महा विदेहे वासे सिज्झिहिइ जाव" प्रत काहिइ ।।। १३१ किपत्तिय ण भते । असुरकुमारा देवा उड्ढ उप्पयति जाव सोहम्मो कप्पो ? गोयमा । तेसि ण देवाण अहुणोववण्णाण२ वा चरिमभवत्थाण वा इमेयारूवे अज्झत्थिए चितिए पत्थिए मणोगए सकप्पे ° समुप्पज्जइ-अहो । ण अम्हेहिं दिव्वा देविड्ढी जाव"अभिसमण्णागए, जारिसिया ण अम्हेहि दिव्वा देविड्ढी जाव' अभिसमण्णागए, तारिसिया ण सक्केण देविदेण देवरण्णा दिव्वा देविड्ढी जाव अभिसमण्णागए। जारिसिया ण सक्केण देविदेण देवरण्णा जाव अभिसमण्णागए, तारिसिया ण अम्हेहि वि जाव अभिसमण्णागए । त गच्छामो ण सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो अतिय पाउन्भवामो पासामो ताव सक्कस्स देविदस्स देवरण्णो दिव्व देविढि जाव' अभिसमण्णागय, पासउ ताव अम्ह वि सक्के देविदे देवराया १. भ० २।३० । २. भ० ३।४ । ३ राय० सू० ५८ ।। ४ स० पा०-पयाहिण जाव नमसित्ता। ५ स० पा०-अच्चासाइए जाव त । ६. स० पा०-अकिटे जाव विहरामि। ७. स० पा०-देवाणुप्पिया जाव उत्तर । ८ राय० सू० ६५-१२० । ६ बत्तीसविंह (क)। १० स० पा०-देविड्ढी जाव अभि । ११ भ०२।७३ । १२. अहुणोववण्ण गाण (अ, ब)। १३ स० पा०-अज्झस्थिए जाव समुप्पज्जइ । १४ भ० ३।१३० । Page #215 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई दिव्व देविढि जाव अभिसमण्णागय । त जाणामो ताव सक्कम्स देविदस्स देवरण्णो दिव्व देविढि जाव अभिसमण्णागय, जाणउ ताव अम्ह वि सक्के देविदे देवराया दिव्व देविड्ढि जाव अभिसमण्णागय ।। एव खलु गोयमा | असुरकुमारा देवा उड्ढ उप्पयति जाव सोहम्मो कप्पो॥ १३२. सेव भते । सेव भते ! त्ति' ।। तइओ उद्देसो किरिया-पद १३३ तेण कालेण तेण समएण रायगिहे नामं नयरे होत्था जाव' परिसा पडिगया । १३४ तेण कालेणं तेण समएण' 'समणस्स भगवनो महावीरस्स° अतेवासी मडिअपुत्ते नाम अणगारे पगइभद्दए जाव' पज्जुवासमाणे एव वयासी-कडणं भते ! किरियाग्रो पण्णत्तायो ? मडिपत्ता ! पच किरियाग्रो पण्णत्ताओ, त जहा-काइया, अहिगरणिया, पाओसिया, पारियावणिया, पाणाइवायकिरिया ॥ १३५ काइया णं भते ! किरिया कइविहा पण्णत्ता ? मडिअपुत्ता । दुविहा पण्णत्ता, त जहा-अगुवरयकायकिरिया य, दुप्पउत्तकाय किरिया य ।। १३६ अहिगरणिआ णं भते ! किरिया कइविहा पण्णत्ता? मडिअपुत्ता ! दुविहा पण्णत्ता, त जहा-सजोयणाहिगरणकिरिया' य, निवत्त णाहिगरणकिरिया य॥ १३७ पाओसिया' णं भते ! किरिया कइविहा पण्णत्ता ? मडिअपुत्ता ! दुविहा पण्णत्ता, त जहा-जीवपाओसिया य, अजीवपायोसिया य ।। १. भ० ११५१ । २. भ० ११४-८। ३. स० पा०-समएण जाव अतेवासी। ४. भ० १।२८८, २८६ । ५. पायो° (क, ता)। ६. दुप्पयुत्त° (ता)। ७. °करण ° (क, ता, स)। ८. करण ° (ता, व, स)। ६. पादोसिया (अ, क, व); पामोसिगा (ता)। Page #216 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तइय सत (तइओ उद्देसो) १५७ १३८ पारियावणिया ण भते ! 'किरिया कइविहा पण्णत्ता'' ? मडिअपुत्ता दुविहा पण्णत्ता, त जहा-सहत्थपारियावणिप्राय, परहत्थपारि यावणिया य ।। १३६ पाणाइवायकिरिया ण भते । 'किरिया कइविहा पण्णत्ता ?'२ मडिअपुत्ता | दुविहा पण्णत्ता, त जहा-सहत्णपाणाइवायकिरिया य, परहत्थ पाणाइवायकिरिया य ॥ किरिया-वेदणा-पदं १४०. पुब्बि भते । किरिया, पच्छा वेदणा ? पुवि वेदणा, पच्छा किरिया ? मडिअपुत्ता | पुब्बि किरिया, पच्छा वेदणा । णो पुचि वेदणा, पच्छा किरिया । १४१ अत्थि ण भते । समणाण निग्गथाण किरिया कज्जइ ? हता अस्थि ।। १४२ कहण्ण भते । समणाण निग्गथाण किरिया कज्जइ ? मडिअपुत्ता | पमायपच्चया, जोगनिमित्त च । एव खलु समणाण निग्गथाण किरिया कज्जइ ॥ अंतकिरिया-पदं १४३. जीवे ण भते । सया समित एयति वेयति 'चलति फदइ घट्टइ" खुब्भइ उदीरइ त त भाव परिणमइ ? हता मडिअपुत्ता | जीवे ण सया समित एयति वेयति चलति फदइ घट्टइ खुन्भइ उदीरइ त त भाव परिणमइ ।। १४४. जाव च ण भते । से जीवे सया समित* •एयति वेयति चलति फदइ घट्टइ खुदभइ उदीरइ त त भाव ° परिणमइ, ताव च ण तस्स जीवस्स अते अत किरिया भवइ ? नो इणढे समटे । १४५. से केणद्वेण भते । एव वुच्चइ-जाव च ण से जीवे सया समित •एयति वेयति चलति फदइ घट्टइ खुन्भइ उदीरइ त त भाव परिणमइ, ताव च ण तस्स जीवस्स अते अतकिरिया न भवति ? मडिअपूत्ता | जाव च ण से जीवे सया समित१ •एयति वेयति चलति फदइ १ पुच्छा (व)। २ पुच्छा (ता, व)। ३. कह ण (अ, क, ब), कह ण (ता), कहि ण (स)। ४ समिय (अ, ता, व, म, स)। ५ वेदति (ता)। ६ चलेइ फदेइ घट्टेइ (अ, ब, स)। ७. म० पा०-एयति जाव त । ८. स० पा०-समित जाव परिणमइ । ६. तिण(अ, क, व, म, स)। १०. स० पा०-समित जाव अते । ११. स० पा०-समित जाव परिणमइ । Page #217 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई घट्टइ खुब्भइ उदीरइ त त भाव परिणमइ, ताव च ण से जीवे-'आरभइ सारभइ समारभई', आरभे वट्टाइ सारभे वट्टड समारभे वाइ, 'पारभमाणे सारभमाणे समारभमाणे", आरभे वट्टमाणे सारभे वट्टमाणे समारभे वट्टमाणे बहूण पाणाण भूयाण जीवाण सत्ताण दुक्खावणयाए' सोयावणयाए जूरावणयाए तिप्पावणयाए पिट्टावणयाए परियावणयाए वट्टइ ॥ से तेण?ण मडिअपुत्ता । एवं वुच्चइ-जाव च ण से जीवे सया समित एयति •वेयति चलति फदइ घट्टइ खुम्भइ उदीरइ त त भाव परिणमइ, ताव च ण तस्स जीवस्स अते अतकिरिया न भवति । जीवे ण भते । सया समित नो एयति' 'नो वेयति नो चलति नो फंदइ नो घट्टइ नो खुब्भइ नो उदीरइ० नो त तं भाव परिणमइ ? हता मडिअपुत्ता | जीवे ण सया समित नो एयति नो वेयति नो चलति नो फदइ नो घट्टइ नो खुम्भइ नो उदीरइ नो त त भाव परिणमइ ।। १४७. जाव च ण भते ! से जीवे नो एयति °नो वेयति नो चलति नो फंदइ नो घट्टइ नो खब्भइ नो उदीरइ० नो त त भाव परिणमइ, ताव च ण तस्स जीवस्स अते अतकिरिया भवइ ? हता मडिअपत्ता | जाव च ण से जीवे नो एयति नो वेयति नो चलति नो फदइ नो घट्टइ नो खुब्भइ नो उदीरइ नो त त भाव परिणमइ, ताव च ण तस्स जीवस्स अते अतकिरिया० भवइ ॥ १४८. से केणट्रेण भते ! एव वुच्चइ-जाव च ण से जीवे नो एयति नो वेयति नो चलति नो फदइ नो घट्टइ नो खुब्भइ नो उदीरइ नो त त भाव परिणमइ, ताव च ण तस्स जीवस्स अंते अतकिरिया भवइ ? मडिअपुत्ता ! जाव च ण से जीवे सया समित नो एयति° °नो वेयति नो चलति नो फदइ नो घट्टइ नी खुव्भइ नो उदीरइ० नो त त भाव परिणमइ, ताव च ण से जीवे नो प्रारभइ नो सारभइ नो समारभइ, नो आरभे वट्टइ नो सारभे वट्टाइ नो समारभे वट्टइ, अणारभमाणे असारभमाणे असमारभमाणे, आरभे अवट्टमाणे सारभे अवट्टमाणे समारभे अवट्टमाणे बहूण पाणाण भूयाणं १. आरंभइ सारभइ समारभइ (अ, स)। ५. स० पा०-एयति जाव नो। २. आरभमाणे सारभमाणे समारभमाणे (अ, ६ स० पा०-समित जाव नो। क, ता, स)। ७ स० पाo-एयति जाव नो। ३ क्वचित्पठ्यते-'दुक्खणयाए' इत्यादि, तच्च ८. स० पा०-हता जाव भवइ । व्यक्तमेव, यच्च तत्र 'किलामणयाए उद्द- ६ स० पा०-केणद्वेण जाव भवइ । वणयाए, इत्यधिकमभिधीयते' (वृ)। १०. स. पा.-एयति जाव नो। ४. स० पा०-~-एयति जाव परिमणइ । Page #218 -------------------------------------------------------------------------- ________________ इय मत (तइओ उद्देसो) १५६ जीवाण सत्ताण अदुक्खावणयाए' 'असोयावणयाए अजूरावणयाए अतिप्पावणयाए अपिट्टावणयाए° अपरियावणयाए वट्टइ। से जहानामए केइ पुरिसे सुक्क' तणहत्थय जायतेय सि पक्खिवेज्जा, से नण मडिअपुत्ता। से सुक्के तणहत्थए जायतेयसि पक्खित्ते समाणे खिप्पामेव मसमसाविज्जइ ? हता मसमसाविज्जइ। से जहानामए केइ पुरिसे तत्तसि अयकवल्ल सि उदयविद् पक्खिवेज्जा, से नण मडिअपुत्ता । से उदयविद् तत्तसि अयकवल्लसि पक्खित्ते समाणे खिप्पामेव विद्धसमागच्छइ ? हता विद्धसमागच्छइ। से जहानामए हरए सिया पुण्णे पुण्णप्पमाणे वोलट्टमाणे वोसट्टमाणे समभरघडत्ताए चिट्ठति'। अहे ण केइ पुरिसे तसि हरयसि एग मह नाव सतासव सतच्छिद्द ओगाहेज्जा, से नूण मडिअपुत्ता । सा नावा तेहि पासवदारेहि प्रापूरमाणी-पापूरमाणी पुण्णा पुण्णप्पमाणा वोलट्टमाणा वोसट्टमाणा समभरघडत्ताए चिट्ठति ? हता चिट्ठति । अहे ण केइ पुरिसे तीसे नावाए सव्वनो समता आसवदाराइ पिहेइ, पिहेत्ता नावा-उस्सिचणएण उदय उस्सिचेज्जा से नूण मडिअपुत्ता | सा नावा तसि उदयसि उस्सित्तसि समाण सि खिप्पामेव उदाइ ? हता उदाइ। एवामेव मडिअपुत्ता | अत्तत्ता-सवुडस्स अणगारस्स इरियासमियस्स भासासमियस्स एसणासमियस्स आयाणभडमत्तनिक्खेवणासमियस्स उच्चारपासवणखेल-सिंघाण-जल्ल-पारिट्ठावणियासमियस्स मणसमियस्स वइसमियस्स कायसमियस्स मणगुत्तस्स वइगुत्तस्स कायगुत्तस्स गुत्तस्स गुत्तिदियस्स ° गुत्तबभयारिस्स, आउत्त गच्छमाणस्स चिट्ठमाणस्स निसीयमाणस्स तुयट्टमाणस्स, आउत्त वत्थ-पडिग्गह-कवल-पायपुछण गेण्हमाणस्स निक्खिवमाणस्स जाव चक्खुपम्हनिवायमवि वेमाया सुहुमा इरियावहिया' किरिया कज्जइ-सा पढमसमय १ स० पा०-अदुक्खावणयाए जाव अपरिया- ६ रिया ° (ता, व, म), स० पा०-इरियावणयाए। समितस्स जाव गुत्तवभयास्सि । २. सुक्क (स, ब)। ७ सर्वेष्वपि पदेपु 'आउत्त' इति पद गम्यम् । ३ चिट्ठइ हता चिट्ठइ (ता, म, स)। ८ वेमाता (ता), सपेहाए (वृपा) । ४ °द्दारेहिं (ता, व, म)। ६ रिया० (अ, ता, ब)। ५. तुदाति (ता), उद्दाइ (म), उड्ढ़ उदाइ (स) Page #219 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई १६० वद्धपुट्ठा', बितियसमयवेइया, ततियसमयनिज्जरिया' । सा वद्धा पुट्ठा उदीरिया वेइया निज्जिण्णा सेयकाले अकम्म वावि भवति । से तेणट्रेण मडिअपुत्ता । एव वुच्चइ-जाव च ण से जीवे सया समित नो एयति नो वेयति नो चलति नो फदइ नो घटइ नो खुभइ नो उदीरइ नो त त भाव परिणमइ, ताव च ण तस्स जीवस्स ° अते अतकिरिया भवइ ।। पमत्तापमत्तद्धा-पदं १४६. पमत्तसजयस्स ण भते । पमत्तसजमे वट्ट माणस्स सव्वा वि य ण पमत्तद्धा कालयो केवच्चिर' होइ? मडिअपुत्ता । एग जीव पडुच्च जहण्णेण एक्क समयं, उक्कोसेण देसूणा पुवकोडी । नाणाजीवे पडुच्च सव्वद्धा ।। १५०. अप्पमत्तसजयस्स ण भते । अप्पमत्तसजमे वट्टमाणस्स सव्वा वि य ण अप्पम त्तद्धा कालो केवच्चिर होइ ? मडिअपुत्ता ! एग जीव पडुच्च जहण्णेण अतोमुहत्तं, उक्कोसेण 'देसूणा पुवकोडी' नाणाजीवे पडुच्च सव्वद्ध । १५१. सेव भते | सेव भते । त्ति भगव मडिअपुत्ते अणगारे समण भगव महावीर वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता सजमेण तवसा अप्पाण भावेमाणे विहरति । लवणसमुद्द-बुड्ढि-हाणि-पदं १५२. भतेति ! भगव गोयमे समण भगव महावीर वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता एव वयासी-कम्हा णं भते! लवणसमुद्दे चाउद्दसट्ठमुद्दिठ्ठपुण्णमासिणीसु अतिरेगे वड्ढड वा ? हायइ वा ? लवणसमुद्दवत्तव्वया नेयव्वा जाव लोयट्टिई, लोयाणुभावे । १५३. सेव भते । सेव भते ? त्ति जाव विहरति । १. समत० (ता)। २. वीयसमयवेतिता (क), वेदिता (ता), वीय० (ब)। ३. टितिय० (ब)। ४. चावि (ता)। ५ स० पा०-एयति जाव अते । ६. केवचिर (अ, क)। ७. पुव्वकोडी देसूणा (क, ता, व, म, स)। ८. जहा जीवाभिगमे लवण ° (स)। ६ जी० ३ मन्दरोद्देशक । १०. भ० ११५१ । ११. विहरइ किरिया समत्ता(अ, क, ता, व, म,स) Page #220 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तइय सत (चउत्थो उद्देमो) चउत्थो उद्देसो भाविअप्प-पदं १५४ अणगारे ण भते ! भाविअप्पा देवं वेउव्वियसमुग्धाएण समोहय जाणरूवेणं जामाण' जाणइ-पासइ ? गोयमा । १ अत्येगइए देव पासइ, नो जाण पासइ। २ अत्यंगइए जाण पासइ, नो देव पासइ। ३. अत्थेगइए देव पि पासइ, जाण पि पासइ । ४ अत्थे गइए नो देव पासइ, नो जाण पासइ॥ १५५ अणगारे ण भते ! भाविकाप्पा देवि वेउव्वियसमुग्घाएण समोहय जाणरूवेणं जामाणि' जाणइ-पासइ? गोयमा । १. अत्थेगइए देवि पासइ, नो जाण पासइ। २. अत्थेगइए जाण पासइ, नो देवि पासइ। ३ अत्थेगइए देवि पि पासइ, जाणं पि पासइ। ४. अत्ये गइए नो देवि पासइ, नो जाण पासइ ° ।। अणगारे ण भंते | भाविअप्पा देवं सदेवी वेउव्वियसमुग्घाएण समोहय जाणरूवेण जामाण जाणइ-पासइ ? "गोयमा । १ अत्यंगइए देव सदेवी पासइ, नो जाण पासइ। २ अत्थेगइए जाण पासइ, नो देव सदेवी पासइ। ३ अत्थेगइए देव सदेवीअपि पासइ, जाण पि पासइ। ४ अत्येगइए नो देव सदेवी पासइ, नो जाण पासइ० ॥ १५७ अणगारे ण भते । भाविअप्पा रुक्खस्स किं अतो पासइ ? बाहिं पासइ ? ५ गोयमा । १ अत्थेगइए रुक्खस्स अतो पासइ, नो बाहि पासइ । २ अत्थेगइए रुक्खस्स बाहिं पासइ, नो अतों पासइ। ३ अत्थेगइए रुक्खस्स अतो पि पासइ, बाहिं पि पासइ। ४ प्रत्येगइए रुक्खस्स नो अतो पासइ, नो बाहिं पासइ० ॥ १५८, "अणगारे ण भते । भाविअप्पा रुक्खस्स किं मूल पासइ ? कद पासइ ? गोयमा । १ प्रत्येगइए रुक्खस्स मूल पासइ, नो कदं पासइ। २ अत्थेगइए रुक्खस्स कद पासइ, नो मूल पासइ। ३ अत्थेगइए रुक्खस्स मूल पि पासइ, कद पि पासइ । ४ अत्थेगइए रुक्खस्स नो मूल पासइ, नो कद पासइ० ॥ १. जायमाण (अ, क, ब, स)। २ जाइमाणि (अ, ब), जायमाणि (क, स)। ३. स० पा०-एव चेव । ४. स० पा०-एतेण अभिलावेणं चत्तारि भंगा। ५ स० पा०-चउभगो। ६. स० पो०-एव किं पासई? चउभगो। मूल पासइ, कद Page #221 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६२ ? १५६ मूल पासइ खध पासइ ? चउभंगो ॥ १६० एवं मूलेण' [ जाव ? ] वीज सजोएयव्वं ॥ १६१ एवं कदेण वि सम सजोएयव्व जाव वीय ॥ १६२. एव जाव पुप्फेण सम वीयं सजोएयव्व ॥ 2 १६३ अणगारे ण भते । भाविग्रप्पा रुक्खस्स किं फल पासड ? वीय पासव चभगो ॥ वाउ काय-पदं १६४ पभू ण भंते । वाउकाए एग महं इत्थिरुव वा पुरिसख्वं वा [ ग्रासरूवं वा' ? ] हत्थिरूव वा जाणरूवं वा जुग्गरूवं वा गिल्लिरूव वा थिल्लिरूव' वा सीयरुव वा सदमाणियरूव वा विउव्वित्तए ? गोयमा । नो इणट्टे समट्ठे । वाउकाए' ण विकुव्वमाणे एग मह पडागासठिय रूवं विकुव्व ॥ १६५. पभू ण भते । वाउकाए एग मह पडागासठिय रूव विउव्वित्ता ग्रणेगाइ जोयणाइ गमित्त ? हता पभू ॥ १. एवमिति मूलकदसूत्राभिलापेन मूलेन सह कदादिपदानि वाच्यानि यावद्वीजपदम् । तत्र मूलम्, कद, स्कन्ध, त्वक्, शाखा, प्रवालम्, पत्रम्, पुष्पम्, फलम्, वीजम् चेति दश पदानि, एषा च पञ्चचत्वारिंशद् द्विकसयोगा भङ्गा - १. मूल कद २. मूल स्कघ ४. मूल शाखा ६. मूल पत्र ३. मूल त्वक् ५. मूल प्रवाल ७ मूल पुष्प ६. मूल वीज ११. कद त्वक् १३ कद प्रवाल १५ कंद पुष्प १७ कद वीज १९. स्कघ शाखा २१. स्कध पत्र २३. स्कव फल ८. मूल फल १०. कद स्कव १२. कद शाखा १४ कद पत्र १६. कद फल १८. स्कच त्वक् २०. स्कव प्रवाल २२. स्कंध पुष्प २४. स्कंध वीज C २५. त्वक् शाखा २७. त्वक् पत्र २६. त्वक् फल २६. त्वक् प्रवाल २८ त्वक् पुष्प ३०. त्वक् वीज ३१. शाखा प्रवाल ३२. शाखा पत्र ३३. शाखा पुष्प ३५. शाखा बीज ३७. प्रवाल पुष्प ३६. प्रवाल वीज ३४ शाखा फल ३६. प्रवाल पत्र भगवई ३८. प्रवाल फल ४० पत्र पुष्प पत्र बीज पुष्प वीज ४ खिल्लि ० ( क ) 1 ५. वाउयाए (क, ता ) | ४२ ४१ पत्र फल ४३ पुष्प फल ४४ ४५ फल वीज (वृ) । २. चउभगो एवं (ना) । ३ १७९ सूत्रे 'मासरूव' इति पाठो विद्यते वृत्तावपि तस्योल्ले खोस्ति, तेनात्रापि सभाव्यते । Page #222 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तइय सतं (चउत्थो उद्देसो) १६३ १६६ से भते । किं आइड्ढीए' गच्छइ ? परिड्ढीए गच्छइ ? गोयमा । आइड्ढीए गच्छइ, नो परिड्ढीए गच्छइ ॥ १६७. से भते । किं पायकम्मुणा गच्छइ ? परकम्मुणा गच्छइ ? गोयमा । आयकम्मुणा गच्छइ, नो परकम्मुणा गच्छइ ॥ १६८. से भते । किं आयप्पयोगेण गच्छइ ? परप्पयोगेण गच्छइ ? गोयमा । आयप्पयोगेण गच्छइ, नो परप्पयोगेण गच्छइ° ॥ १६६ से भते ! कि ऊसियोदय' गच्छइ ? पतोदय गच्छइ ? गोयमा । ऊसियोदय पि गच्छइ, पतोदय पि गच्छइ ॥ १७०. से भते ! किं एगोपडाग गच्छइ ? दुहनोपडाग गच्छइ ? गोयमा । एगोपडाग गच्छइ, नो दुहझोपडाग गच्छइ ।। १७१. से भते । किं वाउकाए ? पडागा ? गोयमा ! वाउकाए ण से, नो खलु सा पडागा । बलाहक-पदं १७२ पभू ण भते । क्लाहए एग मह इत्थिरूव वा जाव' सदमाणियरूव वा परिणा मेत्तए ? हता पभू ॥ १७३ पभू ण भते । बलाहए एग मह इत्थिरूव परिणामेत्ता अणेगाइ जोयणाइ गतित्तए। हता पभू ॥ १७४. से भते । किं आइड्ढीए गच्छइ ? परिड्ढीए गच्छइ ? गोयमा । नो आइड्ढीए गच्छइ, परिड्ढीए गच्छइ ।। १७५ "से भते । कि आयकम्मुणा गच्छइ ? परकम्मुणा गच्छइ ? गोयमा । नो आयकम्मुणा गच्छइ, परकम्मुणा गच्छइ । १७६. से भते । किं आयप्पयोगेण गच्छइ ? परप्पयोगेण गच्छइ ? गोयमा | नो आयप्पयोगेण गच्छइ, परप्पयोगेण गच्छइ ।। १७७ से भते । कि ऊसिप्रोदय गच्छइ ? पतोदय गच्छइ ? गोयमा । ऊसियोदय पि गच्छइ, पतोदय पि गच्छइ° ॥ १ आयड्ढीए (अ, ब, स), आतिड्ढीए (क, म) ५ भ० २।१६४ । २ स० पा०-जहा आयड्ढीए एव अयकम्मुणा ६ स० पा०-एव नो आयकम्मुणा, परकवि पायप्पयोगेण वि भारिणयव्व । म्मुणा। नो आयप्पयोगेण, परप्पयोगेण । ३ ऊसिओदग (म, स)। ऊसिओदय वा गच्छइ पयोदय वा गच्छइ । ४ पड़ाग वा (ता)। . . Page #223 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६४ भगवई १७८. से भते । किं वलाहए ? इत्थी ? गोयमा । वलाहए णं से, नो खलू सा इत्थी ।। १७६ एव' पुरिसे, आसे, हत्थी ।।। १८०. पभू ण भते ! वलाहए एग मह जाणरूव परिणामेत्ता अणेगाइ जोयणाई गमित्तए ? जहा' इत्थिरूव तहा भाणियव्व ।। १८१ से भते ! कि एगोचक्कवाल गच्छइ ? दुहरोचक्कवाल गच्छइ ? गोयमा । एगोचक्कवाल पि गच्छइ, दुहरोचक्कवाल पि गच्छइ० ॥ १८२ जुग्ग-गिल्लि-थिल्लि-सीया-सदमाणिया तहेव ॥ किलेसोववाय-पदं १८३. जीवे ण भते ! जे भविए नेरइएसु उववज्जित्तए,' से ण भते । किलेस्सेसु उववज्जइ? गोयमा | जल्लेस्साइ दव्वाइ परियाइत्ता कालं करेइ, तल्लेस्सेसु उववज्जइ, त जहा–कण्हलेस्सेसु वा, नीललेस्सेसु वा, काउलेस्सेसु वा । एव जस्स जा लेस्सा सा तस्स भाणियव्वा । जाव:१८४ जीवे ण भते ! जे भविए जोइसिएसु उववज्जित्तए, से ण भते | किलेस्सेसु उववज्जइ ? गोयमा ! जल्लेसाई दव्वाइं परियाइत्ता काल करेइ तल्लेस्सेसु उववज्जइ, त जहा-तेउलेस्सेसु॥ १८५. जीवे ण भते । जे भविए वेमाणिएसु उववज्जित्तए, से ण भते । किलेस्सेसु उववज्जइ? गोयमा ! जल्लेस्साइ दवाइ परियाइत्ता काल करेइ तल्लेस्सेसु उववज्जइ, त जहा-तेउलेस्सेसु वा, पम्हलेस्सेसु वा, सुक्कलेसे वा ॥ १. भ० ३०१७३-१७८ । ८ जाव जीवेण भते जे भविए असुरकुमारेसु २ भ० ३।१७३-१७८ । उववज्जड से भते किलेसेसु असुरकुमारेसु ३ स० पा०-नवर एगो चक्कवाल पि दुह- उत्तवज्जइ? जल्लेसाइ दव्वाड परियाइत्ता ___ओचक्कवाल पि भारिणयव्व । काल करेइ तल्लेसेसु असुरकुमारेसु उववज्जइ । ४ सदमाणिया ण (अ, व, स)। . तं कण्हनीलकाउतेउलेसेसु वा एव जहा नेरइ५ भ० ३०१७३-१७८ । याण नवर अन्भहियं तेउलेसेसु वा एव जस्स ६. उववज्जइए (अ)। जा सा भारिणयव्वा जाव (ता), पू०प० २। ७. ज लेसाइ (म, स)। ___६. स० पा०-पुच्छा। १०, परियाइतित्ता (अ, ब, स)। Page #224 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६५ तइयं सत (चउत्यो उद्देसो) भाविप्रप्प-विकुव्वरणा-पद १८६. अणगारे ण भते ! भाविअप्पा बाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता पभू वेभार' पव्वय उल्लघेत्तए वा ? पल्लघेत्तए वा ? गोयमा | नो इणटे समटे॥ १८७ अणगारे ण भते । भाविअप्पा बाहिरए पोग्गले परियाइत्ता पभू वेभार पन्वय उल्लघेत्तए वा ? पल्लघेत्तए वा ? हता पभू ॥ १८८. अणगारे ण भते । भाविअप्पा बाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता जावइयाइ रायगिहे नगरे रूवाइ, एवइयाइ विकुन्वित्ता वेभार पव्वय अतो अणुप्पविसित्ता पभू सम वा विसम करेत्तए ? विसम वा सम करेत्तए ? गोयमा | नो इण? सम? ॥ १८६ अणगारे ण भते । भाविअप्पा.बाहिरए पोग्गले परियाइत्ता जावइयाइ राय गिहे नगरे रूवाइ, एवइयाइ विकुवित्ता वेभार पव्वय अतो अणुप्पविसित्ता पभू सम वा विसम करेत्तए ? विसम वा सम करेत्तए ? हता पभू० ॥ १६० से भते । किं माई विकुम्वइ ? अमाई ? विकुव्वइ गोयमा | माई विकुव्वड, नो अमाई विकुन्वइ ।। १६१. से केण?ण भते ! एव वुच्चइ'--'माई विकुव्वइ°, नो अमाई विकुन्वइ ? ' गोयमा | माई ण पणीय पाण-भोयण भोच्चा-भोच्चा वामेति । तस्स ण तेण पणीएण पाण-भोयणेण अट्ठि-अद्धिमिजा बहलीभवति, पयणुए मस-सोणिए भवति । जे वि य से अहावायरा पोग्गला ते वि य से परिणमति, त जहासोइंदियत्ताए 'चक्खिदियत्ताए पाणिदियत्ताए रसिंदियत्ताए ° फासिदियत्ताए, अट्ठि-अट्ठिमिज-केस-मसु-रोम-नहत्ताए, सुक्कत्ताए, सोणियत्ताए। अमाई ण लह पाण-भोयण भोच्चा-भोच्चा णो वामेइ । तस्स ण तेण लहेण पाण-भोयणेण अद्वि-अद्धिमिजा पयणूभवति, बहले मस-सोणिए । जे वि य से अहाबायरा पोग्गला ते वि य से परिणमति, त जहा-उच्चारत्ताए पासवणत्ताए खेलत्ताए सिघाणत्ताए वतत्ताए पित्तत्ताए पूयत्ताए° सोणियत्ताए। से तेणटेण भते । एव वुच्चइ-माई विकुन्वइ°, नो अमाई विकुव्वइ । १ वेन्मार (ता)। ४ स० पा०-सोइदियत्ताए जाव फासिदियत्ताए। २ स० पा०-एव चेव वितिओ वि आलावगो ५ स० पा०—पासवणत्ताए जाव सोणियत्ताए। नवर परियातिइत्ता पभू। ६ स० पा०—तेणटेण जाव नो। . ३. स० पा०-वुच्चइ जाव नो। . Page #225 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६६ भगवई १६२. माई ण तस्स ठाणस्स अणालोइयपडिक्कते' काल करेइ, नत्थि तस्स राहणा। अमाई ण तस्स ठाणस्स आलोइय-पडिक्कते काल करेइ, अत्थि तस्स पाराहण ।। १९३ सेव भते । सेव भते ! त्ति' । पंचमो उद्देसो १९४ अणगारे ण भते ! भाविअप्पा वाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता पभू एग मह इत्थीरूव वा जाव' सदमाणियरूव वा विउवित्तए ? नो इणट्टे सम? ॥ १६५ अणगारे ण भते | भाविअप्पा बाहिरए पोग्गले परियाइत्ता पभू एग महं इत्थीरूव वा जाव' सदमाणियरूवं वा विउवित्तए ? हता पभू॥ १६६. अणगारे ण भते ! भाविअप्पा केवइयाइ पभू इत्थिरूवाइ विउवित्तए ? गोयमा ! से जहानामए-जुवइ जुवाणे हत्येण हत्थसि गेण्हेज्जा, चक्कस्स वा नाभी अरगाउत्ता सिया, एवामेव अणगारे वि भाविअप्पा वेउव्वियससमूग्घाएण समोहण्णइ जाव' पभू ण गोयमा ! अणगारे ण भाविअप्पा केवलकप्प जंबुद्दीवं दीव बहूहि इत्थिरूवेहिं आइण्ण वितिकिण्ण उवत्थड सथड फुड अवगाढावगाढ करेत्तए । एस ण गोयमा ! अणगारस्स भाविअप्पणो अयमेयारूवे विसए, विसयमेत्ते बुइए, णो चेव ण सपत्तीए विउव्विसु वा, विउव्वति वा, विउव्विस्सति वा । एव परिवाडीए नेयव्व जाव" सदमाणिया ॥ . १६७. से जहानामए केइ पुरिसे' असिचम्मपाय गहाय गच्छेज्जा, एवामेव अणगारे वि । भाविअप्पा असिचम्मपायहत्थकिच्चगएण अप्पाणेण उड्ढं वेहास उप्पएज्जा ? हता उप्पएज्जा ॥ १ अगालोतिय ° (अ, व, स)। २. भ० ११५१ । ३. भ० ३।१६४। ४. भ० ३।१६४॥ ५ भ०३।४। ६ सं हा०—वितिकिण्ण जाव एस । ७ भ० ३।१६४। ८. असि चम्म° (ता)। Page #226 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तइय सतं (पंचमो उद्देसो) १६७ १६८. अणगारे ण भते ! भाविअप्पा केवइयाइं पभू असिचम्म (पाय ?) हत्थकिच्च गयाइ रूबाइ विउवित्तए ? गोयमा | से जहानामए-जुबइ जुवाणे हत्थेण हत्थे गेण्हेज्जा, त चेव जाव' विउव्विसु वा, विउव्वति वा, विउव्विस्सति वा ।। १६६ से जहानामए केइ पुरिसे एगोपडाग काउ गच्छेज्जा, एवामेव अणगारे वि भाविअप्पा एगोपडागाहत्थकिच्चगएण' अप्पाणेण उड्ढ वेहासं' उप्पएज्जा? हता उप्पएज्जा ॥ २०० अणगारे ण भते ! भाविअप्पा केवइयाइ पभू एगोपडागाहत्थकिच्चगयाइ रूवाइ विकुवित्तए ? एव चेव जाव' विकुविसु वा, विकुव्वतिवा वा, विकुव्विस्सति वा ।। २०१ एव दुहझोपडाग पि । २०२. से जहानामए केइ पुरिसे एगोजण्णोवइत काउ गच्छेज्जा, एवामेव अणगारे वि भाविअप्पा एगमोजण्णोवइतकिच्चगएण अप्पाणेण उड्ढ वेहास उप्पएज्जा ? हता उप्पएज्जा ॥ २०३ अणगारे ण भते । भाविअप्पा केवइयाइ पभू एगोजण्णोवइतकिच्चगयाइ रूवाइ विकुन्वित्तए? त चेव जाव' विकुविसु वा, विकुव्वति वा, विकुव्विस्सति वा । २०४. एव दुहओजण्णोवइय पि॥ २०५. से जहानामए केइ पुरिसे एगोपल्हत्थिय काउ चिट्ठज्जा, एवामेव अणगारे वि भाविअप्पा एगोपल्हत्थिय किच्चगएण अप्पाणेण उड्ढ वेहास उप्पएज्जा ? त चेव जाव" विकुविसु वा, विकुन्वति वा, विकुन्विस्सति वा ॥ २०६. एव दुहओपल्हत्थिय पि ।। २०७० से जहानामए केइ पुरिसे एगोपलियक काउ चिट्ठज्जा, एवामेव अणगारे वि __भावियप्पा एगओपलियककिच्चगएण अप्पाणेण उड्ढ वेहास उप्पएज्जा ? त चेव जाव विकुविसु वा, विकुव्वति वा, विकुव्विस्सति वा ।। २०८. एव दुहनोपलियक पि ॥ १. भ० ३।१६६ । २. एगततोपडागा (ता)। ३. वेहायस (ब)। ४. हता गोयमा (अ, ता, व, स)। ५ भ० ३।१६६ । ६ भ० ३।१६६ । ७ भ० ३।२०२, २०३ । ८. भ० ३।२०२, २०, । Page #227 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . १६८ .. . भगवई भाविप्रप्प-अभिजुजरणा-पदं - २०६ अणगारे णं भते । भाविअप्पा वाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता पभू एग महं आसरूव वा हत्थिरूव वा सीहरूव वा विग्घरूव वा विगरूव' वा दीवियरूवं वा अच्छरूव वा तरच्छरूव वा परासररूव' वा अभिजुजित्तए ? नो इण? सम२॥ २१० अणगारे ण भते । भाविअप्पा वाहिरिए पोग्गले परियाइत्ता पभू एग मह आसरूव वा हत्थिरूव वा सीहरूव वा वग्घरूव वा विगरूव वा दीवियरूव वा अच्छरूव वा तरच्छरूव वा परासररूव वा अभिजुजित्तए ? हता पभू॥ २११. अणगारे ण भते ! भाविअप्पा (पभू?) एग मह ासरूवं वा अभिजुजित्ता अणेगाइ जोयणाइ गमित्तए ? हंता पभू॥ २१२. से भंते । किं आइड्ढीए गच्छइ ? परिड्ढीए गच्छड ? गोयमा | आइड्ढीए गच्छइ, नो परिड्ढीए गच्छइ ।। २१३. से भते ! किं आयकम्मुणा गच्छइ ? परकम्मुणा गच्छइ ? गोयमा ! आयकम्मुणा गच्छइ, नो परकम्मुणा गच्छइ ।। २१४. से भंते! कि प्रायप्पयोगेण गच्छइ ? परप्पयोगेण गच्छइ ! गोयमा । आयप्पयोगेणं गच्छइ, नो परप्पयोगेण गच्छइ ।। २१५. से भते ! किं ऊसियोदय गच्छइ ? पतोदयं गच्छइ ? गोयमा ! ऊसियोदय पि गच्छइ, पतोदय पि गच्छइ० ॥ २१६ से णं भते ! कि अणगारे ? आसे ? गोयमा ! अणगारे ण से, नो खलु से आसे ॥ २१७. एव जाव' परासररूव वा ।। २१८. से भते । किं 'मायी विकुव्वइ, ? अमायी विकुव्वइ ? ___ गोयमा । मायी विकुव्वइ, नो अमायी विकुव्वइ ॥ १. वग° (क, ता, व, म)। २ इह अन्यान्यपि शृगालादिपदानि वाचनान्तरे ___ दृश्यन्ते (व)। ३. स० पा०-एव वाहिरए पोग्गले परियाइत्ता पभू । ४. स० पा०-एव आयकम्मुणा नो परकम्मुणा आयप्पयोगेण नो परप्पयोगेण उस्सिओदय वा गच्छइ पयोदय वा गच्छइ। . . ५ भ० ३।२०६, २११-२१६ । ६. भायी अभिजुजइ" अधिकृतवाचनाया 'मायी विक्कुव्वई' त्ति दृश्यते (वृ) । Page #228 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तइये सतं (पंचमी उद्देसो) १६६ २१६ मायी ण भते । तस्स ठाणस्स प्रणालोइयपडिक्कते काल करेइ, कहि उववज्जइ ? गोयमा । ग्रण्णयरेसु आभियोगिएसु' देवलोगेसु देवत्ताए उववज्जइ । २२०. अमायी ण भते । तस्स ठाणस्स आलोइय-पडिक्कते काल करेइ, कहि उववज्जइ ? गोयमा । अण्णयरेसु श्रणाभियोगिएसु देवलोएस देवत्ताए उववज्जइ । २२१. सेव भते ! सेव भते । त्ति' । संगही-गाहा १ इत्थी असी पडागा, जण्णोवइए य होइ बोद्धव्वे' । पल्हत्थिय पलियके, अभियोग विकुव्वणा मायी ॥ छट्ठो उद्देसो भाविय विकुवणा-पदं २२२. अणगारे ण भते । भावियप्पा मायी मिच्छदिट्ठी वीरियलद्धीए वे उब्वियलद्धीए विभगनाणलद्धीए वाणासि नगर समोहए, समोहणित्ता रायगिहे नगरे रुवाई जाणइ-पासइ ? हता जाणइ-पासइ || २२३. से भते । कि तहाभाव जाणइ - पासइ ? अण्णहाभाव जाणइ-पासइ ? गोयमा ! नो तहाभाव जाणइ पासइ, अण्णहाभाव जाणइ पासइ ॥ २२४. से केणट्टेण भते ! एव वुच्चइ - नो तहाभाव जाणइ पासइ ? अण्णाभाव जाणइ-पासइ ? गोयमा । तस्स ण एव भवइ - एव खलु ग्रह रायगिहे नगरे समोहए, समोहणित्ता वाणारसीए नगरीए रुवाइ जाणामि पासामि । 'सेस दसण -विवच्चासे" भवइ । से तेणट्टेण' गोयमा ! एव वुच्चइ - नो तहाभाव जाणइ पासइ, अण्णहाभाव जाणइ ० -पासइ ॥ १ आभियोगेसु ( अ, व, स ), आभियग्गिएसु ४ से से दस विवच्चासे ( अ, व, स, वृ), (ता) । से दस विवरीए विवच्चासे ( वृपा ) । ५ स० पा०-तेरगट्टे जाव पासइ । २ भ० १५१ । ३. बोधव्वे ( अ, क, म, स ) । Page #229 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७० भगवई २२५. अणगारे ण भते ! भावियप्पा मायी मिच्छदिट्ठी' 'वीरियलद्धीए वेउव्वियलद्धीए विभगनाणलद्धीए° रायगिहे नगरे समोहए, समोहणित्ता वाणारसीए नयरीए रूवाइ जाणइ-पासइ? हंता जाणइ-पासइ॥ २२६. से भते ! कि तहाभावं जाणइ-पासइ ? अण्णहाभाव जाणइ-पासइ ? गोयमा | नो तहाभाव जाणइ-पासड, अण्णहाभावं जाणइ-पासइ ॥ २२७. से केणटेणं भते । एव वुच्चइ-नो तहाभाव जाणइ-पासइ ? अण्णहाभावं जाणड-पास? गोयमा ! • तस्स ण एव भवइ-एव खलु अह वाणारसीए नयरीए समोहए, समोहणित्ता रायगिहे नगरे रूवाइ जाणामि-पासामि । सेस दसण-विवच्चासे भवति । से तेण?ण' 'गोयमा । एव वुच्चइ-नो तहाभाव जाणइ-पासइ°, अण्णहाभाव जाणइ-पासड॥ २२८, अणगारे ण भते ! भावियप्पा मायी मिच्छदिट्ठी वीरियलद्धीए वेउब्वियलद्धीए विभगनाणलद्धीए वाणारसि नरिं, रायगिह च नगर, अतरा एग मह जणवयग्ग समोहए, समोहणित्ता वाणारसिं नगरि रायगिह च नगरं अतरा एग मह जणवयग्गं जाणति-पासति ? हता जाणति-पासति । २२६. से भते । कि तहाभाव जाणइ-पासइ ? अण्णहाभाव जाणइ-पासइ ? गोयमा ! नो तहाभाव जाणइ-पासइ, अण्णहाभाव जाणइ-पासइ॥ २३०. से केणट्रेण' •भते । एव वुच्चइ-नो तहाभाव जाणइ-पासइ ? अण्णहाभावं जाणइ-पासड? गोयमा । तस्स खलु एव भवति–एस खलु वाणारसी नगरी, एस खलु रायगिहे नगरे, एस खलु अतरा एगे मह जणवयग्गे, नो खलु एस मह वीरियलद्धी वेउवियलद्धी विभगनाणलद्धी इड्ढि जुती जसे वले वीरिए पुरिसक्कार-परक्कमे लढे पत्ते अभिसमण्णागए 'सेस दसण-विवच्चासे" भवति । से तेणट्रेण' •गोयमा । एव वुच्चइ-नो तहाभावं जाणइ-पासह, अण्णहाभावं जाणइ° - पासइ ।। १. स० पा०-मिच्छदिट्ठी जाव रायगिहे। सम्मुखवर्तिपु आदर्गेषु 'जणवयवग्ग' इति २. मं० पा०-त चेव जाव तन्न । पाठ आसीत् तेन तथा व्याख्यातोसो लभ्यते । 2. म० पा०-तेगट्टेग जाव अण्णहाभाव । ६. त० च अंतरा (क, ता, व, म)। ४. प्रनगर (प., ता, ब)। ७. म० पा०-केण्डेण जाव पासइ । ५. जरावयवणं (क, म, म, वृ), अत्र स्वीकृत: ८. मे ने दनणे विवच्चामे (अ, क, व, स)। पान । ममीचीन . प्रतिभानि । वृत्तिकृत. ६. स० पा०-तेरण?ण जाव पासइ । Page #230 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तइय सत (छट्ठो उद्देसो) १७१ २३१. अणगारे ण भते | भाविअप्पा अमायी सम्मदिट्ठी वीरियलद्धीए वेउव्वियलद्धीए ओहिनाणलद्धीए रायगिह नगर समोहए, समोहणित्ता वाणारसीए नयरीए रूवाइ जाणइ-पासइ? हता जाणइ-पासइ॥ २३२. से भते । किं तहाभाव' जाणइ-पासइ ? अण्णहाभाव जाणइ-पासइ ? गोयमा। तहाभाव जाणइ-पासइ, नो अण्णहाभाव जाणइ-पासइ ।। २३३ से केणद्वेण भते । एव वुच्चइ-तहाभाव जाणइ-पासइ, नो अण्णहाभावं जाणइ-पासइ? गोयमा । तस्स ण एव भवइ-एव खलु अह रायगिहे नयरे समोहए, समोहणित्ता वाणारसीए नयरीए रूवाइ जाणामि-पासामि । सेस सण-अविवच्चासे भवति । से तेण?ण'गोयमा । एव वुच्चइ-तहाभाव जाणइ-पासइ, नो अण्णहाभाव जाणइ-पासइ॥ २३४. अणगारे ण भते । भाविअप्पा अमायी सम्मदिट्ठी वीरियलद्धीए वेउन्वियलद्धीए ओहिनाणलद्धीए वाणारसि नगरि समोहए, समोहणित्ता रायगिहे नगरे रूवाइ जाणइ-पासइ? हता जाणइ-पासइ॥ २३५. से भते । किं तहाभाव जाणइ-पासइ ? अण्णहाभाव जाणइ-पासइ ? गोयमा । तहाभाव जाणइ-पासइ, नो अण्णहाभाव जाणइ-पासइ॥ से केण?ण भते । एव वुच्चइ-तहाभाव जाणइ-पासइ ? नो अण्णहाभाव जाणइ-पासइ ? गोयमा ! तस्स ण एव भवइ-एव खलु अह वाणारसिं नगरि समोहए, समोहणित्ता रायगिहे नगरे रूवाइ जाणामि-पासामि । सेस दसण-अविवच्चासे भवति । से तेण?ण गोयमा । एव वुच्चइ-तहाभाव जाणइ-पासइ, नो अण्णहाभाव जाणइ-पासइ° ॥ २३७. अणगारे ण भते । भाविअप्पा अमायी सम्मदिट्ठी वीरियलद्धीए वेउव्वियलद्धीए ओहिनाणलद्धीए रायगिह नगर, वाणारसिं च नगरिं, अतरा एग मह जणवयग्ग' समोहए, समोहणित्ता रायगिह नगर, वाणारसिं च नरिं, अतरा एग मह जणवयग्ग जाणइ-पासइ ? हता जाणइ-पासइ ।। २३६ १. तहारूव (क)। २. स० पा०—वितिओ वि आलावगो एव चेव नवर वाणारसीए समोहणा ऐयव्वा । रायगिहे नगरे रूवाइ जाणइ पासइ। ३. जणवयवग्ग (क, म, स), जणवदग्ग (ता) । ४. त च अतरा (क, ता, ब, म)। Page #231 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७२ . . . भगवई २३८. से भते । कि तहाभावं जाणइ-पासइ ? अण्णहाभाव जाणइ-पासइ ? गोयमा । तहाभाव जाणइ-पासइ, नो अण्णहाभाव जाणइ-पासड ।। २३६. से केण?ण भते । एव वुच्चइ-तहाभावं जाणड-पासइ ? नो अण्णहाभाव जाणइ-पासइ? गोयमा ! तस्स ण एव भवति-नो खलु एस रायगिहे नगरे, नो खलु एस वाणारसी नगरी, नो खलु एस अतरा एगे जण वयग्गे, एस खलु मम वीरियलद्धी वेउव्वियलद्धी अोहिनाणलद्धी इड्ढी जुती जसे वले वीरिए पुरिसक्कार-परक्कमे लद्धे पत्ते अभिसमण्णागए। सेस दसण-अविवच्चासे भवइ। से तेणट्रेण गोयमा! एव वुच्चइ-तहाभावं जाणड-पासड, नो अण्णहाभाव जाणड-पासइ ।। २४०. अणगारे ण भते । भाविअप्पा वाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता पभू एग मह गामरूव वा नगररूव वा जाव' सण्णिवेसरुव वा विउवित्तए? नो तिणटे समढे॥ २४१. अणगारे ण भते । भाविअप्पा वाहिरए पोग्गले परियाइत्ता पभू एग महं गामरूव वा नगररूवं वा जाव सण्णिवेसरूव वा विउवित्तए ? हता पभू ॥ २४२. अणगारे णं भते | भाविअप्पा केवइयाइ पभू गामरूवाइ विकुवित्तए ? गोयमा । से जहानामए-जुवति जुवाणे हत्थेण हत्थे गेण्हेज्जा त चेव जाव विकुविसु वा, विकुव्वति वा, विकुव्विस्सति वा ॥ २४३. एवं जाव' सण्णिवेसरूव वा ॥ पायरक्ख-पदं २४४ चमरस्स णं भते ! असुरिंदस्स असुररण्णो कइ आयरक्खदेवसाहस्सीओ पण्णत्तायो ? गोयमा ! चत्तारि चउसट्ठीनो आय रक्खदेवसाहस्सीनो पण्णत्तानो । ते णं आयरक्खा-वण्णो ॥ २४५. एव सव्वेसि इदाण जस्स जत्तिया आयरक्खा ते भाणियव्वा । २४६. सेव भते ! सेव भंते । ति॥ - १ भ० ११४६। __५. राय० सू० ६६४, वपणओ जहा रायपसेण२. स० पा०-एव वित्तिओ वि आलावगो नवर इज्जे (व, म), अय च पुस्तकान्तरे साक्षाद् बाहिरए पोग्गले परियाइत्ता पभु। दृश्यत एव (व)। ३. भ० ३।१८६ । ६ प० २। ४. भ० ११४६ । ७. भ० ११५१ । Page #232 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तइय सत (सत्तमो उद्देसो) सत्तमो उद्देसो लोगपाल - पदं २४७. रायगिहे नगरे जाव पज्जुवासमाणे एव वयासी - सक्कस्स ण भते । देविदस् देवरणो कति लोगपाला पण्णत्ता ? गोयमा । चत्तारि लोगपाला पण्णत्ता, त जहा- सोमे जमे वरुणे वेसमणे || २४८. एसि ण भते । चउन्हं लोगपालाण कति विमाणा पण्णत्ता ? गोयमा ! चत्तारि विमाणा पण्णत्ता, त जहा - सझप्पभे वरसिट्ठे सयजले वग्गू ॥ २४ε. कहि ण भते ! सक्क्स्स देविदस्स देवरण्णो सोमस्स महारण्णो सझप्पभे नाम महाविमाणे पण्णत्ते ? गोयमा | जबुद्दीवे दीवे मदरस्स पव्वयस्स दाहिणे ण इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए बहुसमरमणिज्जाश्रो भूमिभागाम्रो उड्ढ चदिम-सूरिय' - गगण' - नक्खत्त तारारूवाण वहूइ जोयणाइ जाव' पच वडेसया पण्णत्ता, त जहा - असोगवडेसए, सत्तवण्णवडेसए, चपयवडेसए, चूयवडेसए, मज्झे सोहम्मवडेसए || १७३ सोम-पद २५० तस्स ण सोहम्मवडेसयस्स महाविमाणस्स पुरत्थि मे ण सोहम्मे कप्पे असखेज्जाइ जोयणाइ वीइवइत्ता, एत्थ ण सक्क्स्स देविंदस्स देवरण्णो सोमस्स महारण्णो सझप्पभे नाम महाविमाणे पण्णत्ते - श्रद्धते रसजोयणसय सहस्साइ श्रायाम- विक्खभेण, उयालीस ' जोयणसयसहस्साइ बावन्न च सहस्सार ग्र य' ग्रडयाले जोयणसए किचि विसेसाहिए परिक्खेवेण पण्णत्ते । जा सूरियाभविमाणस्स वत्तव्वया सा अपरिसेसा भाणियव्वा जाव' अभिसेग्रो, नवरसोमो देवो ॥ २५१ सझप्पभसण महाविमाणस्स अहे, सर्पाक्ख, सपडिदिसि प्रसखेज्जाइ जोयणसहस्साइ' प्रोगाहित्ता, एत्थ ण सक्क्स्स देविंदस्स देवरण्णो सोमस्स महारण्णो १ सूरिम (क, ता, म) । २- गह (ता) | ३ राय० सू० १२४, १२५ । ४ भूय ० ( व, म, स ) | ५. अड्ढ१ (ता) | 3 ६. ऊया ० ( क, ता, व ) । ७. X (अस) । पराय० सू० १२६-१८० । ६. जोयरणसयसहस्साइ (क, ब) । Page #233 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७४ भगवई सोमा नाम रायहाणी पण्णत्ता-एग जोयणसयसहस्स अायाम-विक्खभेणं जवुहीवप्पमाणा। वेमाणियाण पमाणस्स अद्ध नेयव्व जाव' अोवारियलेण' सोलस जोयणसहस्साइ आयाम-विक्खभेण, पण्णास जोयणसहस्साइं पच य सत्ताणउए जोयणसते किचि विसेसूणे परिक्खेवेण पण्णत्त । पासायाण चत्तारि परिवाडीयो नेयव्वायो, सेसा नत्थि ।।। २५२. सक्कस्स ण देविदस्स देवरण्णो सोमस्स महारण्णो इमे देवा श्राणा-उववाय वयण-निद्देसे चिट्ठति, त जहा–सोमकाइया इ वा, सोमदेवयकाइया इ वा, विज्जुकुमारा, विज्जुकुमारीयो, अग्गिकुमारा, अग्गिकुमारीयो, वायकूमारा, वायकुमारीयो, चदा, सूरा, गहा णक्खत्ता, तारारूवा-- जे यावण्णे तहप्पगारा सव्वे ते त्तभत्तिया, तप्पक्खिया, त्तव्भारिया सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो सोमस्स महारण्णो आणा-उववाय-वयण-निद्देसे चिट्ठति ।। २५३ जबुद्दीवे दीवे मदरस्स पव्वयस्स दाहिणे ण जाड इमाइ समुप्पज्जति, तं जहा गहदडा इ वा, गहमुसला इ वा, गहगज्जिया इ वा, गहजुद्धा' इ वा, गहसिघाडगा इ वा, गहावसव्वा इ वा, 'अभा इ वा अन्भरुक्खा इ वा, सझाइ वा, गधवनगरा इ वा, उक्कापाया इ वा, दिसिदाहा इ वा, गज्जिया इ वा, विज्जुया इ वा, पसुवुट्ठी इ वा जूवे इ वा, जक्खालित्तए त्ति वा, धूमिया इ वा, महिया इ वा, रयुग्घाए त्ति वा, चदोवरागा इ वा सूरोवरागा इ वा, चदपरिवेसाइ वा, सूरपरिवेसा इवा, पडिचदा इ वा, पडिसूरा इ वा, इदधणू इ वा, उदगमच्छा" इ वा, कपिहसिया इ वा, अमोहा इ वा, पाईणवाया इ वा, पईणवाया इ वा", 'दाहिणवाया इ वा, उदीणवाया इ वा, उड्ढावाया इ वा, अहोवाया इ वा, तिरियवाया इ वा, विदिसीवाया इ वा, वाउभामा इ वा, वाउक्कलिया इ वा, वायमडलिया इ वा, उक्कलियावाया इ वा, मडलियावाया इ वा, गुजावाया इ वा, झझावाया इ वा°, सवट्टयवाया इ वा, गामदाहा इ वा, जाव सण्णिवेसदाहा इ वा, पाणक्खया, जणक्खया, धणक्खया, कुलक्खया, वसणभूया मणारिया-जे यावण्णे तहप्पगारा ण ते सक्कस्स देवि १ राय० सू० २०४-२०८ । २ भ० २।१२१ । ३. उवगारियलेण (अ, स)। ४. वायु° (क), वाउ° (ता)। ५ वायु° (क); वाउ° (ता)।। ६. एव गहजुद्धा (अ, क, ता, व, म, स)। ७. X (अ, ता, म, स)। ८. परिएसा (व, म)। ६. ° परिएसा (व, म)। १० उदगमच्छगे (व, म)। ११. स० पा०-पईणवाया इ वा जाव सवट्टय वाया। १२. भ० ११४६ । १३. मकारोलाक्षणिक । Page #234 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तइय सतं (सत्तमो उद्देसो) १७५ दस्स देवरण्णो सोमस्स महारण्णो अण्णाया अदिट्ठा असुया अमुया' अविण्णाया, तेसि वा सोमकाइयाणं देवाणं ॥ २५४ सक्कस्स ण देविंदस्स देवरण्णो सोमस्स महारण्णो इमे देवा अहावच्चा अभिण्णाया' होत्था, तं जहा-इंगालए वियालए लोहियक्खे सण्णिच्चरे' चदे सूरे सूक्के बुहे वहस्सई राह ।। २५५. सक्कस्स णं देविंदस्स देवरण्णो सोमस्स महारण्णो सतिभाग पलिग्रोवम ठिई पण्णत्ता। अहावच्चाभिण्णायाण' देवाणं एग पलिनोवम ठिई पण्णत्ता । एमहि ड्ढीए जाव' महाणुभागे सोमे महाराया ॥ यम-पदं २५६ कहि णं भते ! सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो जमस्स महारण्णो वरसिट्टे नाम महाविमाणे पण्णत्ते? गोयमा ! सोहम्मवडेसयस्स' महाविमाणस्स दाहिणे ण सोहम्मे कप्पे असम्वेज्जाइ जोयणसहस्साइ वीईवइत्ता, एत्थ ण सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो जमस्स महारण्णो वरसिटे नाम महाविमाणे पण्णत्ते-अद्धतेरसजोयणसयसहस्साइ-जहा सोमस्स विमाण तहा जाव' अभिसेयो। रायहाणी तहेव जाव पासायपतीओ। २५७ सक्कस्स ण देविंदस्स देवरण्णो जमस्स महारण्णो इमे देवा आणा"-उववाय वयण-निद्देसे चिट्ठति, तं जहा-जमकाइया इ वा, जमदेवयकाइया इ वा, पेतकाइया इ वा, पेतदेवयकाइया इ वा, असुरकुमारा, असुरकुमारीयो, कदप्पा, निरयपाला", अभियोगा"-जे यावण्णे तहप्पगारा सव्वे ते तव्भत्तिगा, तप्पक्खिया तव्भारिया सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो जमस्स महारण्णो आणा 'उववाय-वयण-निद्देसे ° चिट्ठति ॥ १ असुया (अ, क, म); अस्मृतपदस्य असुय ८. विमाणो (क ता, व) । अमुय इतिरूपद्वय भवति । वृत्तिकृता असु- ९ भ० ३।२५० । यत्ति अस्मृता इति व्याख्यातम् । १० भ० ३।२५१ । २ अहाभिण्णाता (क, ता) ११ स० पा०-आणा जाव ३ सणिचरे (अ), सणिच्छरे (क, ब, म); १२ जमदेवतक्काइया (ता), जमदेवकाइया ___ सणिचरे (ता)। (म, स)। ४ सइभाग (ता), सत्तिभाग (ब, म)। १३ निरयवाला (अ)।। ५ अहापच्चभिण्णायाण (क), अहापच्चभिण्णा- १४ प्राभियोग्गा (ता, ब)। ___ ताण (ता)। १५ तप्पगारा (ता, ब)। ६ भ० ३१४॥ १६ स० पा०-आणा जाव चिट्ठति । ७. सोहम्मवडसयस्स (स)। Page #235 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७६ भगवई २५८. जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणे णं जाइं इमाइं समुप्पज्जंति, त जहा डिवा इ वा, डमरा इ वा, कलहा इ वा, बोला इ वा, खारा इ वा, महाजुद्धा इ वा, महासंगामा इ वा, महासत्थनिवडणा इ वा, महापुरिसनिवडणा' इ वा, महारुहिरनिवडणा इ वा, दुब्भूया इ वा, कुलरोगा इवा, गामरोगा इ वा, मडलरोगा इ वा, नगररोगा इ वा, सीसंवेयणा इवा, अच्छिवेयणा इवा कण्णवेयणा इ वा, नहवेयणा इ वां, दतवेयणा इ वा, इदग्गहा इ वा, खदग्गही इवा, कुमारग्गहा इवा, जक्खग्गहा इंवा, भूयग्गहा इवा, एगाहिया इ वा, बेहिया इ वा, तेहिया इ वा, चाउत्थया' इ वा, उव्वेयगा इवा, कासा इ वा, 'सासाइवा, सोसा" इवा, जरा इ वा, दाहा इ वा, कच्छकोहा इ वा, अजीरगा ई वा, पडुरोगा इ वा, अरिसा" इ वा, भगदला' इ वा; हिययसूला इ वा, मत्थयसूला इ वा, जोणिसूला इ वा, पाससूला इ वा, कुच्छिसूला इ वा, गाममारी इ वा, नगरमारी इवा, खेडमारी इ वा, कव्वडमारी ई वा, दोणमुंहमारी इवा, मडवमारी इ वा, पट्टणमारी इ वा, आसममारी ई वा, सवाहमारी इ वा, सण्णिवेसमारी इवा, पाणक्खया, जणक्खया, धणक्खया, कुलक्खया, 'वसणभूया मणारिया'" जे यावण्णे तहप्पगारा ण ते सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो जमस्स महारण्णो अण्णाया अदिट्ठा असुया अमुया अविण्णाया, तेसि वा जमकाइयाण देवाण ॥ २५६ सक्कस्सं देविंदस्सं देवरण्णो जमस्स महारण्णो इमे देवा अहावच्चा अभिण्णाया होत्था, त जहासंगहणी-गाहा अबे अवरिसे चेव, सामे सबले त्ति यावरे । रुद्दोवरुद्दे काले य, महाकाले त्ति यावरे ॥१॥ 'असिपत्ते धणू कुभे"", वालुए" वेतरणी त्ति य । खरस्सरे महाघोसे, एते" पण्णरसाहिया ॥२॥ १. एव महापुरिस ° (अं, क, ता, व, म स)। ८ जे या वि अन्ने (ब, म)। २. भूमग्गहा (ता)। ६. अहाभिण्णाया (क, ता)। ३ चतुत्यया (ता, म)। १० असी य असिपत्ते कुभे (क, वृ), असिपत्त ४. वासा इ वा सासा (अ)। धणू कुभे (वृपा)। ५. अरसा (अ), हरिसा व, म)। ११. वालू (अ, ता, ब, म, स)। ६. भगदरा (ता)। १२ वेदरणी (ब, म)। ७. ° भूयमणारिया (अ, क ता); °भूतामणा- १३ एमए (क, व, वृ) । रिया (व)। Page #236 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तइय सत (सत्तमो उद्देसो) १७७ २६०. सक्क्स्स ण देविंदस्स देवरण्णो जमस्स महारण्णो सतिभागं पलिन ठिई पण्णत्ता, महावच्चाभिण्णायाण देवाण एग पलिप्रोवम ठिई पण्णत्ता । एमहिड्ढीए जाव' महाणुभागे जमे महाराया ॥ वरुण - पदं २६१ कहि ण भते । सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो वरुणस्स महारण्णो सयजले नाम महाविमाणे पण्णत्ते ? गोमा । तस्स ण सोहम्मवडेसयस्स महाविमाणस्स पच्चत्थि मे ण जहा सोमस्स तहा विमाण- रायधाणीग्रो भाणियव्वा जाव' पासादवडेसया, नवर - नाम - नाणत्त || २६२ सक्कस्स ण देविदस्स देवरण्णो वरुणस्स महारण्णो' इमे देवा ग्राणाउववायवयण - निसे चिट्ठति, त जहा - वरुणकाइया इ वा, वरुणदेवयकाइया इवा, नागकुमारा, नागकुमारीश्रो, उदहिकुमारा, उदहिकुमारी, थणियकुमारा, थणियकुमारीग्रो - जे यावण्णे तहप्पगारा सव्वे ते तब्भत्तिया, तप्पक्खिया, तब्भारिया सक्क्स्स देविदस्स देवरण्णो वरुणस्स महारण्णो प्राणा-उववायवयण - निसे चिट्ठति ॥ २६३ जवुद्दीवे दीवे मदरस्स पव्वयस्स दाहिणे ण जाइ इमाइ समुप्पज्जति, त जहाअइवासा इवा, मदवासा इवा, सुवुट्ठी इ वा, दुवुट्ठी' इ वा, उदभेदा' इ वा, उदप्पीला इवा, ग्रोवाहा' इवा, पवाहा इ वा, गामवाहा इ वा, जाव' सण्णिवेसवाहा इ वा, पाणक्कखया", जणक्खया, धणक्खया, कुलक्खया, वसणभूया मणारिया जेयावण्णे तहप्पगारा ण ते सक्कस्स देविदस्स देवरणो वरुणस्स महारण्णो ग्रण्णाया अदिट्ठा असुया प्रमुया अविण्णाया, तेसि वा वरुणकाइयाण देवाण ॥ ० ० २६४. सक्क्स्स ण देविंदस्स देवरण्णो वरुणस्स महारण्णो इमे देवा ग्रहावच्चाभिण्णाया होत्या, त जहा कक्कोडए कद्दमए, अजणे सखवालए पुडे | पलासे मोए जए, दहिमुहे " प्रयपुले कारिए | १. भ० ३।४ । २ भ० ३।२५०, २५१ । ३ स० पा०-- महारण्णो जाव चिट्ठति । ४. स० पा०—तभत्तिया जाव चिट्ठति । ५. मदवुट्टी ( अ, क, ता, ब, म) । ६. दउ०भेदा (क, व) । ७ दउप्पीला (क, ब) । उदवाहा ( अ, क ) । ८ ६ भ० ३।२५८ । १० ११ स० पा० - पाणक्खया जाव तेसिं । ओहिमुहे ( क ) ; उदधिमुंहे (ता) । Page #237 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई १७८ २६५. सक्कस्स ण देविंदस्स देवरण्णो वरुणस्स महारण्णो देसूणाइ दो पलिअोवमाई ठिई पण्णत्ता । अहावच्चाभिण्णायाण देवाण एग पलिओवम ठिई पण्णत्ता। __एमहिड्ढीए जाव' महाणुभागे वरुणे महाराया ॥ वेसमण-पदं २६६. कहि ण भते ! सक्कस्स देविदस्स देवरण्णो वेसमणस्स महारण्णो वग्गू नाम महाविमाणे पण्णत्ते ? गोयमा ! तस्स ण सोहम्मवडेसयस्स महाविमाणस्स उत्तरे ण जहा सोमस्स विमाण-रायहाणि-वत्तव्वया तहा नेयव्वा जाव' पासादवडेसया ॥ २६७ सक्कस्स ण देविदस्स देवरण्णो वेसमणस्स महारण्णो इमे देवा आणा-उववाय वयण-निद्देसे चिट्ठति, त जहा-वेसमणकाइया इ वा, वेसमणदेवयकाइया इ वा, सुवण्णकुमारा, सुवण्णकुमारीओ, 'दीवकुमारा, दीवकुमारीओ, दिसाकुमारा, दिसाकुमारीओ, वाणमतरा, वाणमतरीमो-जे यावण्णे तहप्पगारा सव्वे ते तब्भत्तिया 'तप्पक्खिया तब्भारिया सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो वेसमणस्स महारण्णो आणा-उववाय-वयण-निद्देसे ° चिट्ठति ।। २६८. जबुद्दीवे दीवे मदरस्स पव्वयस्स. दाहिणे ण जाइ इमाइ समुप्पजति, त जहा प्रयागरा इ वा, तउयागरा इ वा, तबागरा इ वा, 'सीसागरा इ वा, हिरण्णागरा इ वा सुवण्णागरा इ वा, रयणागरा इ वा, वइरागरा इ वा, वसुहारा इ वा, हिरण्णवासा इ वा, सुवण्णवासा इवा, रयणवासा इ वा, वइरवासा इ वा, आभरणवासा इ वा, पत्तवासा इ वा, पुप्फवासा इ वा, फलवासा इ वा, वीयवासा इ वा, मल्लवासा इ वा, वण्णवासा इ वा, चुण्णवासा इ वा, गधवासा इ वा, वत्थवासा इ वा, हिरण्णवुट्ठी इ वा, सुवण्णवुट्ठी इ वा, रयणवुट्ठी इ वा, वडरवुट्ठी इ वा, आभरणवुट्ठी इ वा, पत्तवुट्ठी इ वा, पुप्फवुट्ठी इ वा, फलवुट्ठी इ वा, वीयवुट्ठी इ वा, मल्लवुट्ठी इ वा, वण्णवुट्ठी इ वा, चुण्णवुट्ठी इवा, गधवुट्ठी इ वा, वत्थवुट्ठी इ वा, भायणवुट्ठी इ वा, खीरवुट्ठी इ वा, सुकाला इ वा, दुक्काला इ वा, अप्पग्घा इ वा, महग्घा इ वा, सुभिक्खा इवा, दुब्भिक्खा इवा, कयविक्कया इ वा, सण्णिही इ वा, सण्णिचया इ वा, निही इवा, निहाणाइ वा-चिरपोराणाइ वा, पहीणसामियाइ वा, पहीणसेतुयाइ वा, पहीणमग्गाइ वा, पहीणगोत्तागाराइ वा, उच्छण्णसामियाइ वा, उच्छण्णसेतुयाइ वा, (उच्छण्णमग्गा इ वा?) उच्छणगोत्तागारा इ वा, सिंघाडग-तिग-चउक्क१. भ० ३।४। ५. एव सिसाग हिरण्ण ° (ता)। २. भ० ३१२५०, २५१ ।। ६ सुयाला (ता)। ३. ४ (क, ता, म)। ७ x (क, ता, ब, म)। ४. स० पा०-तभत्तिया जाव चिट्ठति । Page #238 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तइय सत (अट्ठमो उद्देसो) १७६ चच्चर-चउम्मुह-महापह-पहेसु वा' नगरनिद्धमणेसु' वा, सुसाण-गिरि-कदरसति-सेलोवट्ठाण--भवणगिहेसु संनिक्खित्ताइ चिट्ठति, न ताइ सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो वेसमणस्स महारण्णो 'अण्णायाइ अदिट्ठाइ असुयाइ अमुयाइ अविण्ण याइ" तेसिं वा वेसमणकाइयाण देवाण ॥ २६६ सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो वेसमणस्स महारण्णो इमे देवा अहावच्चाभिण्णाया __ होत्था, त जहा-पुण्णभद्दे माणिभद्दे सालिभद्दे सुमणभद्दे चक्करक्खे पुण्णरक्खे सव्वाणे सव्वजसे सव्वकामे समिद्धे अमोहे असगे ।। २७०. सक्कस्स ण देविंदस्स देवरण्णो वेसमणस्स महारण्णो दो पलिग्रोवमाइ ठिई पण्णत्ता। अहावच्चाभिण्णायाण देवाण एग पलिग्रोवम ठिई पण्णत्ता। एम हिड्ढीए जाव' महाणुभागे वेसमणे महाराया ।। २७१ सेव भते ! सेव भते । ति ॥ --- अट्ठमो उद्देसो २७२ रायगिहे नगरे जाव पज्जुवासमाणे एव वयासी-असुरकुमाराण भते । देवाणं कइ देवा आहेवच्च जाव' विहरति ? गोयमा । दस देवा आहेवच्च जाव विहरति, त जहा-चमरे असुरिंदे असुरराया, सोमे, जमे, वरुणे, वेसमणे, बली वइरोयणिदे वइरोयणराया, सोमे, जमे, वेसमणे", वरुणे॥ १. °द्धवणेसु (वृ)। यो तृतीयचतुर्थो तो ओदीच्येषु चतुर्थतृतीयो २. सनिक्खित्ता (अ, ता)। स्त । प्रस्तुतसूत्रादर्शषु वृत्तौ च नैष क्रमो ३ अन्नाया अदिट्ठा असुया असुया अविण्णाया। लभ्यते । वृत्तिकृता अस्य क्रमस्य पाठान्तर(अ, क, ता, ब)। रूपेणोल्लेखः कृत.-इह च पुस्तकान्तरेऽय४. सव्वकाम (अ, ता, म)। मर्थो दृश्यते-दाक्षिणात्येषु लोकपालेपु प्रति५ असमे (अ), असते (क, स)। सूत्र यो तृतीयचतुर्थों तावौदीच्येषु चतुर्थ६ भ० ३।४। तृतीयाविति । किन्तु वैमानिकदेवेषु वृत्तिकृता ७ भ० ११५१ । तृतीयचतुर्थयोzत्पय स्वीकृत - ८ भ० १२४-१०। सनत्कुमारादीन्द्रयुग्मेषु पूर्वेन्द्रापेक्षयोत्तरेन्द्र६ भ० ३।४। सम्बन्धिना लोकपालाना तृतीयचतुर्थयो क्य१०. स्थानागे ४११२२ सूत्रे 'दाक्षिणात्यलोकपालेषु • त्ययो वाच्य (वृ)। असौ क्रम पूर्वक्रमाद् भिन्नोस्ति । अस्माभि सर्वत्र स्थानाङ्गानुसारी एक एव क्रम, स्वीकृत.। । Page #239 -------------------------------------------------------------------------- ________________ মগবই २७४ १८० २७३ नागकुमाराण भते ! ' देवाण कइ देवा अाहेवच्च जाव विहरंति ?० गोयमा । दस देवा आहेवच्च जाव विहरति, त जहा-परणे ण नागकुमारिदे नागकुमारराया, कालवाले, कोलवाले,सेलवाले, संखवाले, भूयाणंदे नागकुमारिदे नागकुमारराया, कालवाले, कोलवाले, 'सखवाले, सेलवाले" || जहा नागकुमारिदाण एताए वत्तव्वयाए नोय एव इमाण नेयव्यसुवण्णकुमाराण-वेणुदेवे, वेणुदाली, चित्ते, विचित्ते, चित्तपक्खे, विचित्तपक्से । विज्जुकुमाराण-हरिकत-हरिस्सह-पभ-सुप्पभ-पभकत-सुप्पभकता। अग्गिकुमाराण-अग्गिसिह-अग्गिमाणव-तेउ-तेउसिह तेउकत-तेउप्पमा । दीवकुमाराण-पुण्ण-विसिट्ट'-रूय-रूयस-ख्यकत-त्यप्पभा । उदहीकुमाराण-जलकत-जलप्पभ-जल-जलरुय -जलकत-जलप्पभा । दिसाकुमाराण-अमितगति, अमितवाहण-तुरियगति-खिप्पगति-सीहगति-सीहविक्कमगती। वाउकुमाराण-वेलव-पभजण-काल-महाकाल-अजण-रिदा। थणियकुमाराणं-घोस-महाघोस-पावत्त-वियावत्त-नदियावत्त-महानदियत्ता। एव भाणियव्व जहा' असूरकूमारा।। २७५ पिसायकुमाराण भते । देवाण कइ देवा आहेवच्च जाव" विहरंति ? ० ___ गोयमा | दो देवा आहे वच्चं जाव विहरति, त जहासंगहणी-गाहा काले य महाकाले, सुरूव-पडिरूव-पुण्णभद्दे य । अमरवई माणिभद्दे, भीम य तहा महाभीमे ॥१॥ किन्नर-किंपुरिसे खलु, सप्पुरिसे खलु तहा महापुरिसे। अइकाय-महाकाए, गीयरई चेव गीयजसे ॥२॥ एते वाणमतराण देवाण ।। १. स० पा०-पुच्छा। तु ८ का ६ आ १० इत्यनेनाक्षरदशकेन २ भ० ३।४। दाक्षिणभवनपतीन्द्राणा प्रथमलोकपालनामानि ३. सेलवाले सखवाले (अ, क, म)। सूचितानि, वाचनान्तरे त्वेतान्येव गाथाया, ४. तेउसीह (अ)। साचेयम्-सोमे य १ महाकाले २ चित्त ३ ५. वसिट्ठ (ता, व); विस? (स) । प्पभ ४ तेउ ५ तह रुए चेव ६ । जल तह ७ ६. जलरूय (अ), जलरते (ठा० ४।१२२) । तुरिय गई य ८ काले आउत्त १० पढमा ७. भ० ३।२७२। उ ॥ एव द्वितीयादयोप्पयभ्यूह्या (व) । ८ अतोग्ने आदर्शेषु वृत्तौ च साकेतिक पाठो ६ स० पा०-पुच्छा। वर्तते । वृत्तिकृता तस्योल्लेख एव कृत - १०, भ० ३।४ । सो १ का २ चि ३ प्प ४ ते ५ रु ६ ज ५ Page #240 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सइयं सतं (नवमो उद्देसो) १८१ २७६. जोइसियाण देवाण दो देवा अाहेवच्च जाव' विहरति, त जहा-चदे य, सूरे य॥ २७७. सोहम्मीसाणेसु ण भते । कप्पेसु कइ देवा आहेवच्च जाव' विहरति ? गोयमा । दस देवा अाहेवच्च जाव विहरति, त जहा-सक्के देविदे देवराया, सोमे, जमे, वरुणे, वेसमणे। ईसाणे देविदे देवराया, सोमे, जमे, 'वेसमणे, वरुणे। एसा वत्तव्वया सव्वेसु वि कप्पेसु एए चेव भाणियब्वा । जे य इदा ते य भाणियव्वा॥ २७८ सेव भते । सेव भते । ति।। नवमो उद्देसो २७९. रायगिहे जाव' एव वयासी-कइविहे ण भते । इदियविसए पण्णत्ते ? गोयमा । पचविहे इंदियविसए' पण्णत्ते, त जहा-सोतिदियविसए चक्खिदियविसए घाणिदियविसए रसिदियविसए फासिंदियविसए । जीवाभिगमे जोइसियउद्देसरो नेयन्वो अपरिसेसो ॥ १ भ० ३।४। २ भ० ३।४। ३ वरुणे वेसमणे (क, ब, म, स)। ४ भ० ११५१ । ५ भ. १२४-१०। ६ वाचनान्तरे च-'इदियविसए उच्चावय सुब्भिणो' त्ति दृश्यते, तत्र इन्द्रियविषयसूत्र दर्शितमेव, उच्चावयसूत्र त्वेवम्-'से नूरण भते । उच्चावएहिं सद्दपरिणामेहिं परिणममाणा पोग्गला परिणमतीति वत्तव्व सिया ? हता गोयमा ।' इत्यादि, 'सुभिणो त्ति, इद सूत्र पुनरेवम्-'से नूण भते ! सुन्भिसद्दपोग्गला दुन्मिसत्ताए परिणमति ? हता गोयमा ।" इत्यादि । Page #241 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दसमो उद्देसो २८० रायगिहे जाव' एव वयासी-चमरस्स ण भंते । असुरिंदस्स असुररण्णो कइ परिसाओ पण्णत्तानो ? गोयमा ! तो परिसाओ पण्णत्तानो, त जहा–समिया, चडा, जाया । एवं जहाणपुवीए 'जाव अच्चुरो कप्पो॥ २८१ सेव भते । सेव भते । त्ति । ३. भ० ११५१ । । १. भ० ११४-१०। २. जावच्चुओ (अ, क, व), ठा० ३।१४३-१६०; जी० ३। Page #242 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संग्रहणी - गाहा उत्थं सतं १, २, ३, ४ उद्देसो चत्तारि विमाणेहि, चत्तारि य होति रायहाणीहि । नेरइए लेस्साहि य, दस उद्देसा चउत्थसए ॥१॥ १ रायगिहे नगरे जाव' एवं वयासी – ईसाणस्स ण भंते । देविदस्स देवरणो कइ लोगपाला पण्णत्ता ? 1 गोयमा । चत्तारि लोगपाला पण्णत्ता, त जहा- सोमे, जमे, 'वेसमणे, वरुणे ॥ २ एएसि ण भते । लोगपालाण कइ विमाणा पण्णत्ता ? गोयमा । चत्तारि विमाणा पण्णत्ता, त जहा - सुमणे, सव्वप्रभद्दे, वग्गू, सुवग्गू ॥ ३ कहि ण भते । ईसाणस्स देविदस्स देवरण्णो सोमस्स महारण्णो सुमणे नाम महाविमाणे पण्णत्ते ? गोयमा ! जबुद्दीवे दीवे मदरस्स पव्वयस्स उत्तरे ण इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए जाव' ईसाणे नाम कप्पे पण्णत्ते । तत्य ण जाव' पच वडेसया पण्णत्ता, त जहा – कवडेसए, फलिहवडेसए, रयणवडेसए, जायरूववडेसए, मज्झे' ईसाणवडेसए ॥ १. भ० १1४-१० । २ वरुणे वेसमणे ( ब ) । ३ प०२ । ४ १०२ । ५ मज्झे तत्थ ( अ ), मज्भे यत्थ (क, ता, म) 1 १८३ Page #243 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६४ ४. तस्स णं ईसाणवडेंसयस्स महाविमाणस्स पुरत्थिमे ण तिरियमसंखेज्जाइ जोयणसहस्साइ वीईवइत्ता, एत्थ ण ईसाणस्स देविंदस्स देवरण्णो सोमस्स महारण्णो सुमणे नाम महाविमाणे पण्णत्ते श्रद्धते रसजोयसणसयहस्साइ, जहा सक्कस्स वत्तव्वया तइयसए तहा ईसाणस्स वि जाव' ग्रच्चणिया समत्ता ॥ ५. चउण्ह वि लोगपालाण विमाणे विमाणे उद्देसो, चऊसु वि विमाणेसु चत्तारि उद्देसा अपरिसेसा, नवर - ठिईए नाणत्त संगहरणी - गाहा आदि दुयतिभागूणा, पलिया घणयस्स होंति दो चेव । दो सतिभागा वरुणे, पलियमहावच्चदेवाण ॥१॥ ५, ६, ७, ८ उद्देसो ६ रायहाणीसु वि चत्तारि उद्देसा भाणियव्वा जाव एमहिड्ढीए जाव' वरुणे महाराया ॥ नवमो उद्देसो 1 ७. नेरइए ण भते । नेरइएसु उववज्जइ ? भनेरइए' नेरइएसु उववज्जइ पण्णवणाए लेस्साए तो उद्देसो भाणियव्वो जाव नाणाई || १. भ० ३।२५०-२७१ । २० भ० ३।२५० - २७१ । भगवई ३. अनेरइए ण भते ' ( अ, स) 1 ? Page #244 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पउत्थं सत (दसमो उद्देसो) १८५ दसमो उद्देसो ८. से नूण भते । कण्हलेस्सा नीललेस्स पप्प तारूवत्ताए, तावण्णत्ताए, तागधत्ताए, तारसत्ताए, ताफासत्ताए भुज्जो-भुज्जो परिणमति ? हता गोयमा | कण्हलेसा नीललेस पप्प तारूवत्ताए, तावण्णत्ताए, तागधत्ताए, तारसत्ताए, ताफासत्ताए भुज्जो-भुज्जो परिणमति । एव चउत्थो उद्देसमो पण्णवणाए चेव लेस्सापदे नेयम्वो जाव'संगहरणी-गाहा परिणाम-वण्ण-रस-गध-सुद्ध-अपसत्थ-सकिलिठ्ठण्हा । गइ-परिणाम-पएसोगाह-वग्गणायणमप्पबहु ॥१॥ ६. सेव भते ! सेव भते । ति॥ १ जावेत्यादि परिणामेत्यादि द्वारगाथोक्तद्वार- २ भ० १५५१ । परिसमाप्तिं यावदित्यर्थ Page #245 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संगहणी - गाहा पंचमं सतं पढमो उद्देसो १ चप-रवि २ अनिल ३ गठिय ४ सद्दे ५-६ छउमाउ ७ एयण ८ नियठे । ६ रायगि १० चपा-चदिमा य दस पचमम्मि सए ॥१॥ जंबुद्दीवे सूरिय-वत्तन्वया-पदं १. तेण कालेणं तेण समएण चपा नामं नगरी होत्था - वण्णओ' ॥ २. तीसे ण चपाए नगरीए पुण्णभद्दे नामं चेइए होत्या - वण्णों । सामी समोस जाव' परिसा पडिगया || ३. तेणं कालेण तेण समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स जेट्ठे अतेवासी इंदभूई नाम अणगारे गोयमे गोत्तेण जाव' एव वयासी -जबुद्दीवे ण भते । दीवे सूरिया उदीण-पाईणमुग्गच्छ' पाईण- दाहिणमागच्छति, पार्डण - दाहिणमुग्गच्छ दाहिणपडीणमागच्छंति', दाहिण-पडीणमुग्गच्छ पडीण - उदीणमागच्छति', पडीण-उदी - मुग्गच्छ उदीचि - पाईणमागच्छति ? हता गोयमा । जंबुद्दीवे ण दीवे सूरिया उदीण- पाईणमुग्गच्छ जाव उदीचि - पाईणमागच्छति ॥ १. मायु (अस) । २. ओ० सू० १ । ३. ओ० सू० २।१३ । ४. भ० १1७, ८ । ५. भ० १६, १० । ६. पादीरण ० ( अ, ता ) । ७ ० पदीण ८. उदीचि १८६ ० (ता, म) 1 (क, ता, व, म) 1 Page #246 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८७ पचमं सतं (पढमो उद्देसो) जंबुद्दी दिवसराई-वत्तव्वया-पद ४. जया ण भते । जबुद्दीवे दीवे मदरस्स पव्वयस्स दाहिणड्ढे दिवसे भवइ, तया ण उत्तरड्ढेवि दिवसे भवइ, जया ण उत्तरड्ढे दिवसे भवइ, तया ण जंबुद्दीवे दीवे मदरस्स पव्वयस्स पुरथिम-पच्चत्थिमे णं राई भवइ ? हता गोयमा । जया ण जवुद्दीवे दीवे दाहिणड्ढे दिवसे जाव पुरत्थिम-पच्च त्थिमे ण राई भवड॥ ५. जयाण भते । जंबूदीवे दीवे मदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमे ण दिवसे भवइ, तया ण पच्चत्थिमे ण वि दिवसे भवड, जया ण पच्चत्थिमे ण दिवसे भवइ, तया ण जबूदीवे दीवे मदरस्स पव्वयस्स उत्तर-दाहिणे ण राई भवइ ? हता गोयमा ! जया ण जवूदीवे दीवे मदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमे ण दिवसे जाव उत्तर-दाहिणे ण राई भवइ ।। जया ण भते । जवुद्दीवे दीवे मदरस्स पव्वयस्स दाहिणड्ढे उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, तया ण उत्तरड्ढे वि उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जया ण उत्तरड्ढे उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, तया ण जबुद्दीवे दीवे मदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिम-पच्चत्थिमे ण जहणिया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ ? हता गोयमा । जया ण जवुद्दीवे दीवे दाहिणड्ढे उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे जाव दुवालसमुहुत्ता राई भवइ ।। जया ण भते । जवुद्दीवे दीवे मदरस्स पव्वयस्स पुरथिमे उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, तया ण पच्चत्थिमे वि उक्कोसेण अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जया ण पच्चत्थिमे ण उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, तया ण जवुद्दीवे दीवे उत्तर - दाहिणे ण जहण्णिया दुवालसमुहुत्ता' राई भवइ ? हता गोयमा | जाव भवइ । ८ जया ण भते । जवुद्दीवे दीवे दाहिणड्ढे अट्ठारसमुहुत्ताणतरे दिवसे भवइ, तया ण उत्तरड्ढे वि अट्ठारसमुहुत्ताणतरे दिवसे भवइ, जया ण उत्तरड्ढे अट्ठारसमुहुत्ताणतरे दिवसे भवइ, तया ण जबुद्दीवे दीवे मदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमपच्चत्थिमे ण साइरेगा दुवालसमुहुत्ता राई भवइ ? हता गोयमा | जया ण जवुद्दीवे जाव राई भवइ ।। १. उत्तरड्ढेवि (अ, ता, स)। २ पुरत्थिमेण (अ, ता)। ३. दाहिगड्ढे वि (ता)। ४. स० पा०-उत्तर जाव राई । Page #247 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८९ भगवई ६ जया ण भते | जबुद्दीवे दीवे मदरस्स पव्वयस्स पुरथिमे ण अट्ठारसमुहत्ताणतरे दिवसे भवइ, तया ण पच्चत्थिमे वि अटारसमुहत्ताणतरे दिवस भवइ; जया ण पच्चत्थिमे अट्ठारसमुहुत्ताणतरे दिवसे भवइ, तदा ण जवुदीवे दीवे मदरस्स पव्वयस्स उत्तर-दाहिणे ण साइरेगा दुवालसमुहत्ता राई भवइ? हता गोयमा । जाव भवइ ।। एव एएण कमेण ओसारेयव्व-सत्तरसमुहुत्ते दिवसे, ते रस मुहुत्ता राई । सत्तरसमुहत्ताणतरे दिवसे, साइरेगा तेरसमुहत्ता राई । सोलसमुहुत्ते दिवसे, चोद्दसमुहुत्ता राई। सोलसमुहुत्ताणतरे दिवसे, साइरेगा चउद्दसमुहुत्ता राई। पण्णरसमुहुत्ते दिवसे, पण्णरसमुहुत्ता राई। पण्णरसमुहुत्ताणतरे दिवसे, साइरेगा पण्णरसमुहुत्ता राई । चोद्दसमुहुत्ते दिवसे, सोलसमुहुत्ता राई। चोद्दसमुहुत्ताणतरे दिवसे, साइरेगा सोलसमुहुत्ता राई। तेरसमुहुत्ते दिवसे, सत्तरसमुहुत्ता राई। तेरसमुहुत्ताणतरे दिवसे, साइरेगा सत्तरसमुहुत्ता राई॥ ११ जया ण जवुद्दीवे दीवे मदरस्स पव्वयस्स दाहिणड्ढे जहण्णए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ, तया ण उत्तरड्ढे वि , जया ण उत्तरड्ढे, तया ण जबुद्दीवे दीवे मदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिम-पच्चत्थिमे ण उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ ? हता गोयमा । एव चेव उच्चारेयव्व जाव राई भवइ ।। जया ण भते ! जवुद्दीवे दीवे मदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमे ण जहण्णए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ, तया ण पच्चत्थिमे ण वि , जया ण पच्चत्थिमे', तया ण जवुद्दीवे दीवे मदरस्स पव्वयस्स उत्तर-दाहिणे ण उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ? हता गोयमा ! जाव राई भवइ ।। जबुद्दीवे उउ-वत्तवया-पदं १३ जया ण भते । जबुद्दीवे दीवे दाहिणड्ढे वासाण पढमे समए पडिवज्जइ, तया ण उत्तरड्ढे वि वासाण पढमे समए पडिवज्जइ; जया ण उत्तरड्ढे वासाण पढमे समए पडिवज्जइ, तया ण जबुद्दीवे दीवे मदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमपच्चत्थिमे ण अणंतरपुरक्खडे समयसि वासाण पढमे समए पडिवज्जइ ? १ पच्चत्थिमे ण वि (अ, क, ता, व, म, स)। २. उत्तरड्ढे वि (स)। Page #248 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पचम सतं (पढमो उद्देसो) १८६ हंता गोयमा ! जया ण जबुद्दीवे दीवे दाहिणड्ढे वासाण पढमे समए पडिवज्जइ, तह चेव जाव पडिवज्जइ॥ १४. जया ण भते । जंबुद्दीवे दीवे मदरस्स पव्वयस्स पुरथिमे ण वासाण पढमे समए पडिवज्जइ, तया णं पच्चत्थिमे ण वि वासाण पढमे समए पडिवज्जइ , जया ण पच्चत्यिमे ण वासाण पढमे समए पडिवज्जइ, तया ण' 'जबुद्दीवे दीवे मदरस्स पव्वयस्स उत्तर-दाहिणे ण अणतरपच्छाकडसमयसि वासाण पढमे समए पटिवन्ने भवइ ? हता गोयमा । जया ण जबुद्दीवे दीवे मदरस्स पव्वयस्स पुरथिमे ण एव चेव उच्चारेयव्व जाव पडिवन्ने भवइ । १५ एव जहा समएण अभिलावो भणिो वासाण तहा आवलियाएवि भाणियन्वो। प्राणापाणूणवि', थोवेणवि, लवेणवि, मुहुत्तेणवि, अहोरत्तेणवि, पक्खणवि, मासेणवि, उऊणवि । एएसि सव्वेसि जहा समयस्स अभिलांवो तहा भाणियन्वो । १६ जया ण भते । जवुद्दीवे दीवे मदरस्स पव्वयस्स दाहिणड्ढे हेमताण पढमे समए पडिवज्जइ, जहेव वासाण अभिलावो तहेव हेमताण वि, गिम्हाण वि भाणियव्वो जाव' उऊए । एवं तिण्णि वि । एएसि तीस आलावगा भाणियव्वा ॥ जंबुद्दीवे प्रयणादि-वत्तव्वया-पदं १७. जया ण भते । जवुद्दीवे दीवे मदरस्स पव्वयस्स दाहिणड्ढे पढमे अयणे पडि वज्जड, तया ण उत्तरड्ढे वि पढमे अयणे पडिवज्जइ, जहा समएण अभिलावो तहेव अयणेण वि भागियन्वो जाव अणतरपच्छाकडसमयसि पढमे अयणे पडिवन्ने भवइ ।। जहा अयणेण अभिलावो तहा सवच्छरेण वि भाणियन्वो । जुएण वि, वाससएण वि, वाससहस्सेण वि, वाससयसहस्सेण वि, पुव्वगेण वि, पुग्वेण वि, तुडियगेण वि, तुडिएण वि-एव पुव्वगे, पुव्वे, तुडियगे, तुडिए, अडडगे, अडडे, अववगे, अववे', हूहूयगे, हूहूए, उप्पलगे, उप्पले, पउमगे, पउमे, नलिणगे, नलिणे, अत्थणिउरगे, अत्थणिउरे, अउयगे, अउए, णउयगे, णउए, पउयगे पउए, चूलियगे, चूलिया, सीसपहेलियगे सीसपहेलिया-पलिग्रोवमेण, सागरोवमेण वि भाणियन्वो ।। १. स० पा०-तयारण जाव मदरस्स। २ °पाणूएण (व)। ३ भ० ५।१३-१५। ४ भ० ५।१३, १४ । ५ अपपे (व, म)। Page #249 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६० भगवई १६. जया ण भते ! जबुद्दीवे दीवे मदरस्स पव्वयस्स दाहिणड्ढे पढमा प्रोसप्पिणी पडिवज्जड, तया ण उत्तरड्ढे वि पढमा अोसप्पिणी पडिवज्जइ, जया ण उत्तरड्ढे पढमा अोसप्पिणी पडिवज्जड, तया ण जंबुद्दीवे दीवे मदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिम-पच्चत्थिमे ण नेवत्थि प्रोसप्पिणी, नेवत्थि उस्सप्पिणी, अवट्ठिए ण तत्थ काले पण्णत्ते समणाउसो ? हता गोयमा । त चेव उच्चारेयव्व जाव समणाउसो।। २०. जहा प्रोसप्पिणीए पालावरो भणियो एव उस्सप्पिणीए वि भाणियब्बो ।। लवणसमुद्दादिसु सूरियादि-वत्तव्वय-पदं २१. लवणे ण भते | समुद्दे सूरिया उदीण'-पाईणमुग्गच्छ पाईण-दाहिणमागच्छति, जच्चेव जबुद्दीवस्स वत्तव्वया भणिया सच्चेव सव्वा अपरिसेसिया लवणसमुहस्स वि भाणियव्वा', नवर-अभिलावो इमो जाणियव्वो ॥ २२. जया ण भते । लवणसमुद्दे दाहिणड्ढे दिवसे भवइ, त चेव जाव तदा ण लवणसमुद्दे पुरत्थिम-पच्चत्थिमे ण राई भवति । एएण अभिलावेण नेयव्व जाव' जया ण भते ! लयणसमुद्दे दाहिणड्ढे पढमा ओसप्पिणी पडिवज्जइ, तया ण उत्तरड्ढे वि पढमा अोसप्पिणी पडिवज्जइ, जया ण उत्तरड्ढे पढमा अोसप्पिणी पडिवज्जइ, तया ण लवणसमुद्दे पुरत्थिमपच्चत्थिमे ण नेवत्थि प्रोसप्पिणी', 'नेवत्थि उस्सप्पिणी अवदिएणं तत्थ काले पण्णत्ते० समणाउसो? हता गोयमा ! जाव समणाउसों ।। २४. धायइसडे ण भते । दीवे सूरिया उदीण-पाईणमुग्गच्छ पाईण-दाहिणमागच्छति, जहेव जबुद्दीवस्स वत्तव्वया भणिया सच्चेव धायइसडस्स वि भाणियव्वा, नवर-इमेण अभिलावेण सव्वे आलावगा भाणियव्वा ॥ २५ जया णं भते । धायइसडे दीवे दाहिणड्ढे दिवसे भवइ, तदा णं उत्तरड्ढे वि, जया ण उत्तरड्ढे, तया ण धायइसडे दीवे मदराण पव्वयाण पुरत्थिमपच्चत्थिमे ण राई भवइ ? हता गोयमा । एव चेव जाव राई भवइ ।। १. उदीचि (अ)। २. भ० ५।३। ३. लवणे ममुद्दे (क, व, स)। ४. भ० ५।४। ५. भ० ५।५-१८ । ६ स० पा०-ओसप्पिणी जाव समणाउसो। ७ अतोने 'जहा ओसप्पिणीए आलावओ भणिओ एव उस्सप्पिणीए वि भारिणयव्वो' इति ५।२० सूत्र अध्याहार्यम् । ८. भ० ५।३। Page #250 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६१ पचम सत (बीमो उद्देसो) २६. जया ण भते! धायइसडे दीवे मदराण पव्वयाणं पुरत्थिमे ण दिवसे भवइ, तया ण पच्चत्थिमे ण वि; जया ण पच्चत्थिमे ण दिवसे भवइ, तया णं धायडसडे दीवे मदराण पन्वयाण उत्तर-दाहिणे ण राई भवइ ? । हता गोयमा | जाव भवड ॥ २७. एव एएण अभिलावेणं नेयव्वं जाव' जया ण भते । दाहिणड्ढे पढमा अोसप्पिणी, तया ण उत्तरड्ढे वि, जया ण उत्तरड्ढे वि, तया ण धायइसडे दीवे मदराणं पव्वयाणं पुरथिम-पच्चत्यिमे ण नत्थि प्रोसप्पिणी जाव' समणाउसो ? हता गोयमा । जाव समणाउसो' । २८ जहा लवणसमुहस्स वत्तव्वया तहा कालोदस्स वि भाणियव्वा, नवर-कालो दस्स नाम भाणियव्वं ।।। २६. अन्भितरपुक्खरद्धे ण भते । सूरिया उदीण-पाईणमुग्गच्छ पाईण-दाहिणमा गच्छति, जहेव धायइसंडस्स वत्तव्वया तहेव अभितरपुक्खरद्धस्स वि भाणियव्वा, नवर-अभिलावो जाणियवो जाव तया ण अभितरपुक्खरद्धे मदराण पुरत्थिम-पच्चत्थिमे ण नेवत्थि ओसप्पिणी, नेवत्थि उस्सप्पिणी, अवदिए ण तत्थ काले पण्णत्ते समणाउसो ।। ३०. सेव भते । सेव भते । त्ति ॥ बीओ उद्देसो वाउ-पदं .३१ रायगिहे नगरे जाव' एव वयासी-अत्थि ण भते ! ईसि पुरेवाया पत्था वाया मदा वाया 'महावाया वायति १० । हता अत्थि ॥ १ भ० ५।५-१८ । ५ भ० ५।२४-२७ । २. भ० ५१६। ६ भ० ११५१ । ३. अतोग्रे 'जहा ओसप्पिणीए आलावो भणिो ७ भ० ११४-१० । एव उस्सप्पिणीए वि भाणियन्वो' इति श२० ८ सत्रहवाता (व)। सूत्र अध्याहार्यम् । ६. पच्छा (अ, क, ता, स)। ४ भ० ५।२१-२३ । १०. महावाता वाता वातति (क, ता) सर्वत्र । Page #251 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२ भगवई ३२. अत्थि ण भते ! पुरत्थि मे ण ईसि पुरेवाया पत्था वाया मदा वाया महावाया वायति ? हंता प्रत्थि ॥ ३३. एव पच्चत्थिमे ण, दाहिणे ण, उत्तरे ण, उत्तर-पुरत्थिमे ण, ण, दाहिण - पुरत्थिमे ण" ' उत्तर - पच्चत्थिमे ण ॥ 'दाहिणपच्चत्थिमे | ३४. जया ण भते । पुरत्थिमे ण ईसि पुरेवाया पत्था वाया मदा वाया महावाया वायति, तया ण पच्चत्थिमे ण वि ईसि पुरेवाया पत्था वाया मदा वाया महावाया वायति, जया ण पच्चत्यिमे णं ईसि पुरेवाया पत्या वाया मदा वाया महावाया वायति, तया ण पुरत्थिमे ण वि ? हता गोयमा । जया गं पुरत्थिमे ण ईसि पुरेवाया पत्या वाया मदा वाया महावाया वायति, तया ण पच्चत्थिमे ण वि ईसि पुरे वाया पत्या वाया मदा वाया महावाया वायति, जया ण पच्चत्थिमे ण ईसि पुरेवाया पत्या वाया मदा वाया महावाया वायति, तया ण पुरत्थि मे ण वि ईसि पुरेवाया पत्या वाया मदा वाया महावाया वायति ॥ ३५. एव दिसासु, विदिसासु' ॥ ३६. अत्थि ण भते ! दीविच्चया' ईसि पुरेवाया' ? हता थि || ३७. प्रत्थि ण भते । हता थि || सामुद्दया ईसि पुरेवाया' ? ३८. जया णं भते ! दोविच्चया ईसि पुरेवाया', तया ग सामुद्दया वि ईसि पुरेवाया', जया ण सामुद्द्या ईसि पुरेवाया, तया ण दीविच्चया वि ईसि पुरेवाया ? णो इट्ठे समट्ठे ॥ ३६. से केणट्टेण भते ! एव वुच्चइ – जया ण दीविच्चया ईसि पुरेवाया, णो ण तया सामुद्दया ईसि पुरेवाया, जया ण सामुद्दया ईसि पुरेवाया", णो ण तया दीविच्चया ईसि पुरेवाया ? गोयमा । तेसि ण वायाण ग्रण्णमण्णविवच्चासेण लवणसमुद्दे वेलं नाइक्कमइ 1 से तेणट्टेण जाव णो ण तया दी विच्चया ईसि पुरेवाया पत्था वाया मदा वाया महावाया वायति ॥ १. दाहिणपुरत्थिमे ग दाहिणपच्चत्थिमे ग ( स ) २ एव विदिसासु (क, ता) । ३. दीविच्चता (व) । ३, ४, ५, ६, ७, ८, ९, १०, ११, १२. पू० भ० ५।३१ | Page #252 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पचम सतं (बीओ उद्देसो) १६३ ४०. प्रत्थि णं भते ! ईसि पुरेवाया पत्था वाया मदा वाया महावाया वायंति ? हता थि || ४१ कया ण भते ! ईसि पुरेवाया जाव' वायति ? गोयमा । जया ण वाउयाए प्रहारिय रियति, तया ण ईसि पुरेवाया जाव वायति ॥ I ४२. ग्रत्थि ण भते । ईसि पुरेवाया' ? हता थि || ४३ कया ण भते । ईसि पुरेवाया I ? गोमा । जया ण वाउयाए उत्तर किरिय रियइ, तया ण ईसि पुरेवाया जाव वायति ॥ ४४ प्रत्थि ण भते ! ईसि पुरेवाया' ? हता प्रत्थि || ४५. कया ण भते । ईसि पुरेवाया पत्था वाया' ? गोयमा । जया ण वाउकुमारा, वाउकुमारीओ वा अप्पणी' परस्स वा तदुभयस्स वा अट्ठाए वाउकाय उदीरेति तया ण ईसि पुरेवाया जाव' वायति" ।। ४६ वाउयाए ण भते । वाउयाय चेव ग्राणमति वा ? पाणमति वा ऊसत वा ? नीससति वा ? ? "हता गोयमा । वाउयाए ण वाउयाए चेव आणमति वा, पाणमति वा, ऊससति वा, नीससति वा ॥ वाउयाए ण भते । वाउयाए चेव प्रणेगसयसहस्सखुत्तो उद्दाइत्ता - उद्दाइत्ता तत्थेव भुज्जो - भुज्जो पच्चायाति ? हता गोयमा । वाउयाए ण वाउयाए चेव श्रगसयसहस्सखुत्तो उद्दाइत्ताउद्दाइत्ता तत्थेव भुज्जो-भुज्जो पच्चायाति ।। ४८ से भते । किं पुट्ठे उद्दाति ? अपुट्ठे उद्दाति ? गोमा । पुट्टे उद्दाति, नो पुट्ठे उद्दाति ॥ ४७ १ भ० ५।४० । २ रियति ( अ, क, स ) । ३,४ पू० भ० ५।४० ५ भ० ५।४० । ६,७ पू० भ० ५।४० । अप्पणी वा (क, ता, ब ) । ६ भ० ५।४० । १०. इह चैकसूत्रेणैव वायुवानकारणत्रयस्य वक्तु शक्यत्वे यत्सूत्रत्रयकरण तद्विचित्रत्वात्सूत्रगतेरिति मन्तव्य, वाचनान्तरे त्वाद्य कारण महावातवजिताना, द्वितीय तु मन्दवातवजिताना, तृतीय तु चतुर्णामप्युक्तमिति [वृ] । ११ स० पा० - जहा खदए तहा चत्तारि आलावगा नेयव्वा अणेगसयसहस्स पुढे उद्दाइ ससरीरी निक्खमइ । Page #253 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६४ भगवई ४६. से भते । कि ससरीरी निक्खमइ ? असरीरी निक्खमइ ? गोयमा | सिय ससरीरी निक्खमइ, सिय असरीरी निक्खमइ ।। ५० से केण?ण भते । एव वुच्चइ-सिय ससरीरी निक्खमइ ? सिय असरीरी निक्खमइ? गोयमा | वाउयायस्स ण चत्तारि सरीरया पण्णत्ता, त जहा–ोरालिए वेउव्विए तेयए कम्मए । ओरालिय-वेउव्वियाइं विप्पजहाय तेयय-कम्मएहिं निक्खमइ । से तेणट्टेण गोयमा | एव वुच्चइ-सिय ससरीरी निक्खमइ, सिय असरीरी निक्खमइ° ॥ प्रोदणादीरणं किसरीरत्त-पदं ५१ अह ण भते | अोदणे, कुम्मासे, सुरा-एए ण किसरीरा ति वत्तव्व सिया ? गोयमा | अोदणे, कुम्मासे, सुराए य जे घणे दवे-एए ण पुव्वभावपण्णवण पडुच्च वणस्सइजीवसरीरा । तो पच्छा सत्थातीया, सत्थपरिणामिया, अगणिज्झामिया, अगणिझसिया', अगणिपरिणामिया अगणिजीवसरीरा ति वत्तव्व सिया। सुराए य जे दवे दव्वे-एए ण पुव्वभावपण्णवण पडुच्च आउजीव सरीरा । तो पच्छा सत्थातीया जाव अगणिजीवसरीरा' ति वत्तव्व सिया ।। ५२ अह ण भते । अये, तबे, तउए, सीसए, उवले, कसट्टिया-एए ण किसरीरा ति वत्तव्व सिया ? गोयमा ? अये, तवे, तउए, सीसए, उवले, कसट्टिया-एए ण पुव्वभावपण्णवणं पडुच्च पुढवीजीवसरीरा । तो पच्छा सत्थातीया जाव' अगणिजीवसरीरा ति वत्तव्व सिया ॥ ५३ अह ण भते ! अट्ठी, अट्ठिज्झामे, चम्मे, चम्मज्झामे, रोमे, रोमज्झामे, सिंगे, सिंगज्झामे, खुरे, खुरज्झामे, नखे, नखज्झामे- एए ण किंसरीरा ति वत्तव्व सिया? गोयमा । अट्ठी, चम्मे, रोमे, सिंगे, खुरे, नखे-एए ण तसपाणजीवसरीरा। अट्रिज्झामे, चम्मझामे, रोमज्झामे, 'सिंगज्झामे, खुरज्झामे, नखज्झामे"एए ण पूव्वभावपण्णवण पडुच्च तसपाणजीवसरीरा । तो पच्छा सत्थातीया जाव' 'अगणिजीवसरीरा ति वत्तव्व सिया ।। १. भूसिया अगणिमेविया (अ, स) । वृत्तौ ३ भ० ५।५१ । अगणिभूमिया इति पदस्य अग्निना सेवितानि ४ सिंग-खुर-नखज्झामे (अ, ता, स)। वा इति वैकल्पिकोर्थ आसीत् सएव केषुचित् ५ भ० ५।५१ । उत्तरवाद”पु मूलपाठरूपेण स्वीकृतोभूत् । ६ अगणि त्ति (अ, स)। २. भगणिकायसरीरा (स)। Page #254 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६५ पंचम सतं (बीओ उद्देसो) ५४. ग्रहण भते ! इगाले, छारिए, भुसे', गोमए - एए णं किंसरीरा ति वत्तव्वं सिया ? गोयमा । इगाले, छारिए, भुसे, गोमए - एए ण पुव्वभाववण्णवण पडुच्च एगिदियजीवसरीरप्पयोगपरिणामिया वि जाव' पचिदियजीवसरीरप्पयोगपरिणामिया वि । तम्रो पच्छा सत्थातीया जाव अगणिजीवसरीरा ति वत्तव्व सिया ॥ लवण समुद्द-पदं ५५. लवणे ण भते । समुद्दे केवइय चक्कवाल विक्खभेण पण्णत्ते ? एव नेयव्व जाव' लोगट्टिई, लोगाणुभावे ॥ ५६. सेव भते । सेव भते । त्ति भगव गोयमे जाव' विहरइ || तइओ उद्देसो श्राउ-पकरण पडिसं वेदरण-पदं ५७ अण्णउत्थिया ण भते । एवमाइक्वति भासति पण्णवेति परूवेति' - से जहा - नामए जालगठिया सिया - प्राणुपुव्विगढ़िया प्रणतरगढिया परपरगढिया प्रणमण्णगढिया, अण्णमण्णगरुयत्ताए ग्रण्णमण्णभारियत्ताए अण्णमण्णगरुयसभारियत्ताए अण्णमण्णघडत्ताए चिट्ठइ, एवामेव बहूण जीवाण वहूसु ग्राजातिसहस्सेसु' बहूइ प्राउयसहस्साइ आणुपुव्विग ढियाइ जाव चिट्ठति । एगे वियण जीवे एगेण समएण दो प्राउयाइ पडिसवेदेइ", त जहा - इहभवियाउय च, परभवियाज्य च । ज समय इहभवियाजय पंडिसवेदेइ, तं समय परभवियाउय पडिसवेदेइ" । "ज समय परभवियाउय पडिसवेदेइ, त समय इहभवियाउय पडिसवेदेइ । १ तुसे ( क ) 1 २ भ० २।१३६ । ३० परिणता (म ) 1 ४ भ० ५। ५१ । ५. जी० ३ मदरोद्देशक । ६. भ० १।५१ । ७ एव परूवेंति (क, व, स ) 1 ८ (स) । आयति ° ( क ), आयाति ( ब ) । १० पडिसवेदयति ( अ, क, व, म) । ११. स० पा० - पडिसवेदेइ जाव से ! Page #255 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६६ भगवई इहभवियाउयस्स पडिसवेदणयाए परभवियाउयं पडिसवेदेइ, परभवियाउयस्स पडिसवेदणयाए इहभवियाउय पडिसवेदेइ । एवं खलु एगे जीवे एगेण समएण दो आउयाइ पडिसवेदेइ, त जहा-इहभविया उय च, परभवियाउय च || ५८ से कहमेय भंते । एवं ? गोयमा ! जण्ण त अण्णउत्थिया त चेव जाव परभवियाउय च । जे ते एवमाहसु त मिच्छा, अह पुण गोयमा । एवमाइक्खामि भासामि पण्णवेमि परूवेमि-से जहानामए जालगठिया सिया-'पाणुपुबिगढिया अणतरगढिया परपरगढिया अण्णमण्णगढिया, अण्णमण्णगरुयत्ताए अण्णमण्णभारियत्ताए अण्णमण्णगरुय-संभारियत्ताए° अण्णमण्णघडत्ताए चिट्ठति, एवामेव एगमेगस्स जीवस्स वहहि पाजातिसहस्सेहिं वहइ पाउयसहस्साइ आणुपुव्विगढियाइ जाव चिट्ठति । एगे वि य ण जीवे एगेण समएण एगं आउय पडिसवेदेड, त जहा-इहभवियाउय वा, परभवियाउय वा । ज समय इहभवियाउय पडिसवेदेइ, नो त समयं परभवियाउय पडिसवेदेइ। ज समय परभवियाउय पडिसवेदेड, नो त समय इहभवियाउय पडिसवेदेइ । इहभवियाउयस्स पडिसवेदणाए, नो परभवियाउय पडिसवेदेइ । परभवियाउयस्स पडिसवेदणाए, नो इहभवियाउय पडिसवेदेइ। एव खलु एगे जीवे एगेण समएण एग आउय पडिसवेदेड, त जहा-इहभ वियाउय वा, परभवियाउय वा ॥ साउयसंकमण-पदं ५६ जीवे ण भते । जे भविए नेरइएसु उववज्जित्तए, से ण भते । कि साउए सकमइ ? निराउए सकमइ ? गोयमा । साउए सकमइ, नो निराउए संकमइ ।। ६०. से ण भते । आउए' कहिं कडे ? कहिं समाइण्णे ? गोयमा । पुरिमे भवे कडे, पुरिमे भवे समाइण्णे ।। ६१. एव जाव' वेमाणियाणं दडयो ।। ६२. से नूण भते । जे 'ज भविए जोणि" उववज्जित्तए, से तमाउय-पकरेइ, त १. म० पा०-सिया जाव अण्णमण्णघडताए। ४ विभक्तिपरिणामाद् यो यस्या योनावृत्पत्तु २. उगे (ता)। योग्य इत्यर्थ. (व)। ३. पू०प०२। Page #256 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचमं सत (तइओ उद्देसो) जहा–नेरइयाउय वा' ? 'तिरिक्खजोणियाउयं वा ? मणुस्साउय वा ? देवाउय वा ? हता गोयमा । जे ज भविए जोणि उववज्जित्तए, से तमाउय पकरेइ, त जहा-नेरइयाउय वा, तिरिक्खजोणियाउय वा, मणुस्साउय वा देवाउय वा । नेरइयाउय पकरेमाणे सत्तविह पकरेइ, त जहा–रयणप्पभापुढविनेरइयाउय वा', 'सक्करप्पभापुढविनेरइयाउय वा, बालुयप्पभापुढविनेरइयाउय वा, पकप्पभापुढविनेरइयाउय वा, धूमप्पभापुढविनेरइयाउय वा, तमप्पभापुढविनेरइयाउय वा°, अहेसत्तमापुढविनेरइयाउय वा । तिरिक्खजोणियाउय पकरेमाणे पचविह पकरेड, त जहा-एगिदियतिरिक्खजोणियाउय वा', 'वेइदियतिरिक्खजोणियाउय वा, तेइदियतिरिक्खजोणियाउय वा, चउरिदियतिरिक्खजोणियाउय वा, पचिदियतिरिक्खजोणियाउय वा । मणुस्साउय दुविह' पकरेइ, त जहा–सम्मुच्छिममणुस्साउय वा, गब्भवक्कतियमणुस्साउय वा । देवाउय चउन्विहः पकरेइ, त जहा–भवणवासिदेवाउय वा, वाणमतरदेवा उय वा, जोइसियदेवाउय वा, वेमाणियदेवाउय वा ।। ६३ सेव भते ! सेव भते । त्ति ॥ चउत्थो उद्देसो छउमत्थ-केवलीरणं सहसवरण-पदं ६४ छउमत्थे ण भते । मणुस्से आउडिज्जमाणाइ सद्दाइ सुणेइ, त जहा-सखसद्दाणि वा, सिगसद्दाणि वा, सखियसद्दाणि वा, खरमुहीसद्दाणि वा, पोयासदाणि वा, पिरिपिरियासद्दाणि' वा, पणवसहाणि वा, पडहसद्दाणि वा, भभासदाणि वा, होरभसहाणि वा, भेरिसद्दाणि वा, झल्लरीसद्दाणि वा, दुदुभिसहाणि वा, तताणि वा, वितताणि वा, घणाणि वा, झुसिराणिवा ? १ स० पा० नेरइयाउय वा जाव देवाउय। ५ स० पा०-देवाउय चउन्विहं । २ स० पा.--रयणप्पभापुढविणेरइयाउय वा ६ भ० ११५१ । जाव अहेसत्तमा । ७ परि० (अ, स)। ३ स० पा०-भेदो सव्वो भाणियन्वो। ८ सुसिराणि (क)। ४ स० पा०-मणुम्साउय दुविह। । । Page #257 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६२ भगवई हंता गोयमा | छउमत्थे णं मणुस्से आउडिज्जमाणाई सद्दाई सुणेइ, तं जहासखसद्दाणि वा जाव झुसिराणि वा। ताइ भते ! कि पुट्ठाइ सुणेइ ? अपुट्ठाइ सुणेइ ? गोयमा | पुढाइ सुणेइ, नो अपुट्ठाइ सुणेइ । 'जाइ भते | पुढाइ सुणेइ ताइ किं प्रोगाढाइ सुणेइ ? अणोगाढाइ सुणेइ ? गोयमा | प्रोगाढाइ सुणेइ, नो अणोगाढाइ सुणेइ । जाइ भते | ओगाढाइ सुणेइ ताइ कि अणतरोगाढाइ सुणेइ ? परपरोगाढाइ सुणेइ ? गोयमा ! अणतरोगाढाइ सुणेइ, नो परपरोगाढाइ सुणेइ । जाइ भते | अणतरोगाढाइ सुणेइ ताई कि अणूइ सुणेइ ? बादराइ सुणेइ ? गोयमा । अणूइ पि सुणेइ, वादराइ पि सुणेड। जाइ भते ! अणूइ पि सुणेइ बादराइ पि सुणेइ ताइ कि उड्ढ सुणेइ ? अहे सुणेइ ? तिरिय सुणेइ ? गोयमा | उड्ढ पि सुणेइ, अहे वि सुणेइ, तिरिय पि सुणेइ । जाइ भते ! उड्ढ पि सुणेइ अहे वि सुणेइ तिरिय पि सुणेइ ताइ किं आई सुणेइ ? मज्झे सुणेइ ? पज्जवसाणे सुणेइ ? गोयमा | आइ पि सुणेइ, मज्झे पि सुणेइ, पज्जवसाणे वि सुणेइ। जाइ भते । आइ पि सुणेइ मज्झे वि सुणेइ पज्जवसाणे वि सुणेड ताइ कि सविसए सुणेइ ? अविसए सुणेइ ? गोयमा । सविसए सुणेइ, नो अविसए सुणेड। जाइ भते । सविसए सुणेइ ताइ कि आणुपुव्वि सुणेइ ? अणाणुपुन्वि सुणेइ ? गोयमा | आणुपुन्वि सुणेइ, नो अणाणुपुन्वि सुणेइ।। जाइ भते । आणुपुव्वि सुणेइ ताइ कि तिदिसि सुणेइ जाव छद्दिसि सुणेइ ? गोयमा ! ० नियमा छद्दिसि सुणेइ ॥ ६५ छउमत्ये ण भते । मणूसे कि आरगयाइ सद्दाइ सुणेइ ? पारगयाइ सद्दाई सुणेइ ? गोयमा ! आरगयाइ सद्दाइ सुणेइ, नो पारगयाइ सद्दाइ सुणेइ ॥ जहा ण भते । छउमत्थे मणूसे पारगयाइ सद्दाइ सुणेइ, नो पारगयाइ सद्दाई सुणेइ, तहा ण' केवली कि आरगयाइ सद्दाइ सुणेइ ? पारगयाइ सद्दाइ सुणेइ ? गोयमा ! केवली ण पारगय वा, पारगय वा सव्वदूर-मूलमणतिय सद्द जाणइ-पासइ॥ १. स० पा०-सुणेइ जाब नियमा। २ ण भते । (स)। Page #258 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचमं सतं (चउत्यो उद्देसो) ६७ से केणद्वेण' भते । एवं वुच्चइ-केवली णं आरगयं वा, पारगयं वा सव्वदूर मूलमणतिय सद्द जाणइ°-पासइ ? गोयमा | केवलीण पुरथिमे ण मिय पि जाणइ, अमिय पि जाणइ । एव दाहिणे ण, पच्चत्थिमे ण, उत्तरे ण, उड्ढ, अहे मिय पि जाणइ, अमिय पि जाणइ। सव्व जाणइ केवली, सव्व पासइ केवली । सव्वओ जाणइ केवली, सव्वो पासइ केवली। सव्वकाल जाणइकेवली, सव्वकाल पासइ केवली। सव्वभावे जाणइ केवली, सव्वभावे पासइ केवली। अणते नाणे केवलिस्स, अणते दसणे केवलिस्स । निव्वुडे नाणे केवलिस्स, निव्वुडे दसणे केवलिस्स'। से तेणद्वेण' गोयमा ! एव वुच्चइ-केवली ण पारगय वा, पारगय वा सव्वदूर-मूलमणतिय सद्द जाणइ °-पासइ ॥ छउमत्थ-केवलीरणं हास-पदं ६८ छउमत्थे ण भते । मणुस्से हसेज्ज वा? उस्सुयाएज्ज वा ? हता हसेज्ज वा, उस्सुयाएज्ज वा ॥ ६६ जहा ण भते । छउमत्थे मणुस्से हसेज्ज वा, उस्सुयाएज्ज वा, तहा ण केवली वि हसेज्ज वा ? उस्सुयाएज्ज वा ? • गोयमा । णो इणटे समढे ॥ ७० से केण?ण भते । एव वच्चइ-जहा ण छउमत्थे मणुस्से हसेज्ज वा, उस्सुया एज्ज वा°, नो ण तहा केवली हसेज्ज वा ? उस्सुयाएज्ज वा? गोयमा । ज ण जीवा चरित्तमोहणिज्जस्स कम्मस्स उदएण हसति वा, उस्सुयायति वा। से ण केवलिस्स नत्थि । से तेणद्वेण गोयमा | एव वुच्चइ-जहा ण छउमत्थे मणुस्से हसेज्ज वा, उस्सुयाएज्ज वा°, नो ण तहा केवली हसेज्ज वा, उस्सुयाएज्ज वा ॥ ७१ जीवे ण भते । हसमाणे वा, उस्सुयमाणे वा कई कम्मपगडीओ बधइ ? गोयमा ! सत्तविहबधए वा, अट्ठविहबधए वा। एव जाव' वेमाणिए । पोहत्तएहि जीवेगिदियवज्जो तियभगो ॥ १. स० पा०-त चेव केवलीण आरगय वा ४. स० पा०—केण?ण जाव नो । पारागय वा जाव पासइ । ५ स० पा०–तेण?ण जाव नो। २ वाचनान्तरे तु 'निव्वुडे वितिमिरे विसुद्धे' त्ति ६ कति (क, ब, म)। विशेषणत्रय ज्ञानदर्शनयोरधीयते (व)। ७. पू० प० २। ३. स० पा०-तेण?ण जाव पासइ । ८. वेमाणिए नेरइया ण भते । हसमाणा कइ° Page #259 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५०० भगवई छउमत्थ-केवलोणं निद्दा-पदं ७२ छउमत्थे ण भते । मणुस्से निहाएज्ज वा ? पयलाएज्ज वा ? हता निदाएज्ज वा, पयलाएज्ज वा ।। ७३. "जहा ण भते ! छउमत्ये मणुस्से निहाएज्ज वा, पयलाएज्ज वा, तहाणं केवली वि निदाएज्ज वा? पयलाएज्जा वा ? गोयमा । णो इणढे समट्टे ॥ ७४ से केणद्वेण भते । एव वुच्चइ-जहा ण छउमत्थे मणुस्से निहाएज्ज वा, पयलाएज्ज वा, नो ण तहा केवली निदाएज्ज वा ? पयलाएज्ज वा? गोयमा । ज ण जीवा दरिसणावरणिज्जस्स कम्मस्स उदएणं निहायति वा, पयलायति' वा । से ण केवलिस्स नत्थि । से तेणटेणं गोयमा ! एवं वुच्चइजहा ण छउमत्थे मणुस्से निदाएज्ज वा, पयलाएज्ज वा, नो णं तहा केवली निदाएज्ज वा, पयलाएज्ज वा ॥ ७५ जीवे ण भते ! निद्दायमाणे वा, पयलायमाणे वा कह कम्मप्पगडीयो बधइ ? गोयमा । सत्तविहवधए वा, अट्टविहवधए वा । एव जाव' वेमाणिए। पोहत्ति एसु जीवेगिदियवज्जो तियभगो । गन्भसाहरण-पदं ७६ 'से नूण भते । हरि-नेगमेसी" सक्कदए इत्थीगन्भ सहरमाणे कि गन्भायो गव्भ साहरइ ? गम्भाओ जोणि साहरइ ? जोणीग्रो गन्भ साहरइ ? जोणीओ जोणि साहरइ? गोयमा ! नो गम्भाओ गव्भ साहरइ, नो गन्भायो जोणि साहरइ, नो जोणीयो जोणि साहरइ, परामुसिय-परामुसिय अव्वावाहेण अव्वाबाह जोणीग्रो गन्भं साहरइ॥ ७७ पभू णं भते ! हरि-नेगमेसी सक्कदूए' इत्थीगभं नहसिरसि वा, रोमकवसि वा साहरित्तए वा ? नीहरित्तए वा? गोयमा ! सव्वे वि ताव होज्ज सत्तविह- २. पयलाइति (स)। वधगा। अहवा सत्तविहवघगा य अट्ठविहवधगे ३ पू० प० २। य । अहवा सत्तविहवधगा य अट्ठविहबधगा ४ हरी ण भते ! हरिणेगमेसी (अ, क, ता), य (क, व, म, स)। हरी ण भते ! हरिणेगमेसी (स), 'हरी ण १. स० पा०—जहा हसेज्ज वा तहा नवर भते ! हरिणेगमेसी' इति द्वयर्थक पद द्वयो दरिसणावरणिज्जस्स कम्मस्स उदएण निद्दा- चिनायो समिश्रणेन जातम् । यति वा पयलायति वा, से ण केवलिस्स ५ सक्कस्स ग दूते (व, स), सक्कस्स दूए (म)। नत्थि अण्ण त चेव। Page #260 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचम सतं (चउस्यो उद्देसो) २०१ हता पभू, नो चेव ण तस्स गभस्स किंचि' श्रावाह वा विबाह वा उप्पाएज्जा, छविच्छेद पुण करेज्जा । एसुहुम' च ण साहरेज्ज वा, नीहरेज्ज वा। अइमुत्तग-पदं ७८ तेण कालेण तेण समएण समणस्स भगवो महावीरस्स अतेवासी अइमुत्ते' नाम कुमार-समणे पगइभद्दए 'पगइउवसते पगइपयणुकोहमाणमायालोभे मिउमद्दवसपन्ने अल्लीणे ° विणीए ।। ७६ तए ण से अइमुत्ते कुमार-समणे अण्णया कयाइ महावुटिकाय सि निवयमाणसि कक्खपडिग्गह-रयहरणमायाए बहिया सपट्ठिए विहाराए । ८०. तए ण से अइमुत्ते कुमार-समणे वाहय वहमाण पासइ, पासित्ता मट्टियाए पालि वधइ, बधित्ता 'णाविया मे, णाविया मे' नाविमो विव णावमय पडिग्गहग उदग सि पव्वाहमाणे-पव्वाहमाणे अभिरमइ । त च थेरा अक्खु । जेणेव समणे भगव महावीरे तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता एव वदासी-. एव खलु देवाणुप्पियाण अतेवासी अइमुत्ते नाम कुमार-समणे, से ण भते । अइमुत्ते कुमार-समणे कतिहिं भवग्गहणेहि सिज्झिहिति 'बुज्झिहिति मुच्चिहिति परिणिव्वाहिति सव्वदुक्खाण ° अत करेहिति ? अज्जोति । समणे भगव महावीरे ते थेरे एव वयासी-एव खलु अज्जो | मम अतेवासी अइमुत्ते नाम कुमार-समणे पगइभद्दए जाव' विणीए, से ण अइमुत्ते कुमार-समणे इमेण चेव भवग्गहणेण सिज्झिहिति जाव अत करेहिति । त मा ण अज्जो | तुन्भे अइमुत्त कुमार-समण हीलेह निदह खिसह गरहह अवमण्णह"। तुम्भे णं देवाणु प्पिया | अइमुत्त कुमार-समण अगिलाए सगिण्हह, अगिलाए उवगिण्हह, अगिलाए भत्तेण पाणेण विणएण वेयावडिय करेह । अइमुत्ते ण कुमार-समणे अतकरे चेव, अतिमसरीरिए चेव ।। ८२ तए ण ते थेरा भगवतो समणेण भगवया महावीरेण एव वत्ता समाणा समण भगव महावीर वदति नमसति, अइमुत्त कुमार-समण अगिलाए सगिण्हति, 'अगिलाए उवगिण्हति, अगिलोए भत्तेण पाणेण विणएण° वेयावडिय" करेति॥ १ किंचि वि (स)। २ तेसुहुम (ता)। ३ अतिमुत्ते (क, व, म)। ४ स० पा०-पगइभद्दए जाव विणीए। ५ रतहरणमाताए (ता) । ६ उदगसि कट्ट (क, ता, व, म, स)। ७ अदवखु (ता, म)। ८ स० पा०—सिज्झिहिति जाव अत । है भ० ५७८ । १० भ० २।७३ । ११. अवमण्णह परिभवह (वृपा)। १२. स० पा०-सगिण्हति जाव वेयावडिय । १३. वेदावडिय (ब, म)। Page #261 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २०२ भगवई महासुक्कागयदेव-पण्ह-पदं ८३. तेण कालेण तेण समएण महासुवकानो कप्पायो, महासामाणायो' विमाणाम्रो दो देवा महिड्ढिया जाव' महाणुभागा समणस्स भगवग्रो महावीरस्स अतियं पाउन्भूया । तए ण ते देवा समण भगव महावीर' वदति नमसति, मणसा चेव इम एयारूव वागरण पुच्छति८४ कति ण भते । देवाणुप्पियाण अतेवासीसयाइ सिझिहिति जाव' अत करेहिति? तए ण समणे भगव महावीरे तेहिं देवेहिं मणसा पट्टे तेसि देवाण मणसा चेव इम एयारूव वागरण वागरेइ-एव खलु देवाणुप्पिया! मम सत्त अतेवासीसयाइ सिज्झिहिंति जाव अत करेहिति । तए ण ते देवा समणेण भगवया महावीरेण मणसा पुढेण मणसा चेव इम एयारूव वागरण वागरिया समाणा हटुतु चित्तमाण दिया णदिया पीइमणा परमसोमणस्सिया हरिसवसविसप्पमाण हियया समण भगव महावीर वदति नमसति, वंदित्ता नमसित्ता मणसा चेव सुस्सूसमाणा नमसमाणा अभिमुहा" 'विणएण पजलियडा पज्जूवासति ।। ८५ तेणं कालेणं तेण समएण समणस्स भगवो महावीरस्स जेट्रे अतेवासी इदभूई नाम अणगारे जाव अदूरसामते उड्ढजाणू' 'अहोसिरे झाणकोट्टोवगए सजमेण तवसा अप्पाण भावेमाणे विहरइ । तए ण तस्स भगवनो गोयमस्स झाणतरियाए वट्टमाणस्स इमेयारूवे अज्झत्यिए चितिए पत्थिए मणोगए सकप्पे समुप्पज्जित्था-एव खलु दो देवा महिड्ढिया जाव" महाणुभागा समणस्स भगवो महावीरस्स अतिय पाउन्सूया, त नो खलु अह ते देव जाणामि कयरात्रो कप्पामो वा सग्गाग्रो वा विमाणाप्रो वा कस्स वा अत्थस्स अट्टाए इह हव्वमागया ? त गच्छामि ण समण भगव महावीर वदामि नमसामि जाव" पज्जु वासामि, इमाइ च ण एयारूवाइ वागरणाइ पुच्छिस्सामि त्ति कटु एवं सपेहेइ, १ महासमारणाओ (अ, ब, म), महासग्गायो ६ स० पा०-हतुट्ठ जाव हियया। (स) । एकस्मिन्नादर्श 'महासग्गाओ' इति ७ स० पा.--अभिमुहा नाव पज्जुवासति । पाठो लभ्यते, किन्तु समवायागसूत्रस्य सप्त- ८ भ० १२६ । दशसमवायस्य (१८) सदर्भे 'महासामारणाओ' ६ स० पा०-उड्ढजाणू जाव विहरइ । इत्येव पाठ समीचीनोस्ति । १० स० पा०-अज्झत्यिए जाव समुप्पज्जित्था। २ भ० ३।४। ११ भ० ३।४। ३ महावीरं मणसा चेव (अ, स), महावीर १२. पादुन्भूता (क, व, म)। मणसा (व, म)। १३ देवा (ता, ब)। ४ X (क, ता, ब, म)। १४ भ० २।३०। ५. भ० २।७३। Page #262 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचमं सतं ( चउरो उद्देसी) २०३ संपेत्ता उट्ठाए उट्ठेइ, उट्ठेत्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ जाव' पज्जुवासइ ॥ ८६. गोयमादि ! समणे भगव महावीरे भगव गोयम एव वयासी से नूण तव गोयमा । भाणतरियाए वट्टमाणस्स इमेयारूवे प्रज्झत्थिए जाव' जेणेव मम अतिए तेणेव हव्वमागए, से नूण गोयमा । श्रट्टे' समट्ठे ? हता ग्रत्थि । त गच्छाहि ण गोयमा । एए चेव देवा इमाइ एयारूवाइ वागरrs वाहिति || तण भगव गोयमे समणेण भगवया महावीरेण ग्रव्भणुण्णाए समाणे समण भगव महावीर वदइ नमसइ, जेणेव ते देवा तेणेव पहारेत्थ गमणाए ॥ ८८तएण ते देवा भगव गोयम एज्जमाण' पासति, पासित्ता हट्ट तुट्ठचित्तमाणदिया नदिया पीइमणा परमसोमणस्सिया हरिसवसविसप्पमाण • हियया खिप्पामेव श्रब्भुट्ठेति, ग्रव्भुट्टेत्ता खिप्पामेव अब्भुवगच्छति' जेणेव भगव गोयमे तेणेव उवागच्छति जाव' नमसित्ता एवं वयासी - एव खलु भते । म्हे महासुक्का कप्पाग्रो महासामाणा विमाणाओ दो देवा महिड्ढिया जाव" महाणुभागा समणस्स भगवग्रो महावीरस्स ग्रतिय पाउन्भूया । तए ण ग्रम्हे समण भगव महावीर वदामो नमसामो, वदित्ता नमसित्ता मणसा चेव इमाइ एयारूवाइ वागरणाइ पुच्छामो– कइ ण भते । देवाणुप्पियाण प्रवासीसयाइ सिज्झिहिति जाव" त करेहिति ? तए ण समणे भगव महावीरे ग्रम्हेहि मणसा पुट्ठे अम्ह मणसा चेव इम एयारूव वागरण वागरेइ - एव खलु देवाणुप्पिया । मम सत्त अतेवासीसयाड जाव प्रत करेहिति । तए ण अम्हे समणेण भगवया महावीरेण मणसा चेव पुट्ठेण मणसा चेव इम एयारूव वागरण वागरिया समाणा सम भगव महावीर वदामो नमसामो जाव" पज्जुवासामो त्ति कट्टु भगव गोयम वदति नमसति, वदित्ता नमसित्ता जामेव दिस पाउन्भूया तामेव दिसि पडिगया ॥ देवाणं नोसंजय वत्तव्वया-पदं 1 ८७ ८६. भतेति । भगव गोयमे समण भगव महावीर वदति नमसति जाव" एव वयासी - देवा ण भते । सजया ति वत्तव्व सिया ? १. भ० १।१० । २. भ० ५। ८५ । ३ अत्ये ( अ, क, ता, स ) । ४. समत्ये (अ) 1 ५ इज्जमाण ( ब ) | ६. स० पा०-हदु जाव हियया । ७. पच्चुवगच्छति २ ( अ, क, ता, स) । ८. भ० १।१० | ६ महासग्गाओ ( स ) | १०. भ० ३।४ । ११. भ० २।७३ । १२. अम्हे ( कम ) | १३. भ० २/३० । १४. भ० १।१० । Page #263 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २०४ পাষা १० गोयमा । णो तिणट्टे समढे । अभक्खाणमेय देवाणं' ।। देवा ण भते । असजता ति वत्तत्व सिया ? गोयमा । णो तिणढे समढे । निठ्ठरवयणमेय देवाण' । ६१ देवा ण भते । णो सजयासजया ति वत्तव्व सिया ? गोयमा । णो तिणद्वे समटे । असन्भूयमेय देवाण ।। ६२ से कि खाइ ण भते । देवा ति वत्तव्व सिया ? गोयमा । देवा ण नोसजया ति वत्तव्व सिया ।। देवभाषा-पदं ६३ देवा ण भते । कयराए भासाए भासति ? कयरा व भासा भासिज्जमाणी विसिस्सति ? गोयमा । देवा ण अद्धमागहाए भासाए भासति । सा वि य ण अद्धमागहा भासा भासिज्जमाणी विसिस्सति ।। छउमत्थ-केवलोणं नाणभेद-पदं ६४ केवली ण भते । अतकर वा, अतिमसरीरिय वा जाणइ-पासइ ? हता जाणइ-पासइ ।। ६५ जहा ण भते । केवली अतकर वा, अतिमसरीरिय वा जाणइ-पासइ, तहाण छउमत्थे' वि अतकर वा, अतिमसरीरिय वा जाणइ-पासइ ? गोयमा | णो इणटे समढे । सोच्चा जाणइ-पासइ, पमाणतो वा ।। ६६ से कि त सोच्चा ? सोच्चा ण केवलिस्स वा, केवलिसावगस्स वा, केवलिसावियाए वा, केवलिउवासगस्स वा, केवलिउवासियाए वा, तप्पक्खियस्स वा तप्पक्खियसावगस्स वा, तप्पक्खियसावियाए वा तप्पक्खियउवासगस्स वा तप्पक्खियउवासियाए वा । से त सोच्चा॥ से कि त पमाणे? पमाणे चउव्विहे पण्णत्ते, त जहा-पच्चक्खे अणुमाणे प्रोवम्मे आगमे, जहा अणुयोगदारे तहा नेयव्व पमाण जावं तेण पर सुत्तस्स वि अत्थस्स वि नो अत्तागमे, नो अणतरागमे, परपरागमे ।। ६७ १ x (स)। २ अस्सजता (अ, क, ता, व, म)। ३.,x (स)। ४. सारीरिय (अ, क, व, स)। ५ गोयमा (क, म), हता गोयमा (स)। ६ तधा (अ, स)। ७ छदुमत्थे (ता)। ८ °सावयस्स (क, व, म, स)। ६ अ० सू० ५१६-५५१ । Page #264 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचम सत (चउत्थो उद्देसो) ६८ केवली ण भते । चरिमकम्म वा, चरिमणिज्जर वा जाणइ - पासड ? हता' जाणइ पासइ ॥ ? ६६ जहा ण भते ! केवली चरिमकम्म वा, चरिमणिज्जर वा जाणइ-पासइ, तहाण छउमत्थे वि चरिमकम्म वा, चरिमणिज्जर वा जाणइ-पासइ गोयमा ! णो इणट्टे समट्ठे । सोचा जाणइ पासइ, अतकरेण' आलावगो' तहा चरिमकम्मेण वि परिसेसि केवलीरणं पणीय-मरण - वइ-पदं १००. केवली ण भते । पणीय मण वा, वइ वा धारेज्जा ? हता धारेज्जा ।। १०१ जण भते । केवली पणीय मण वा, वइ वा धारेज्जा, तण्ण' वेमाणिया देवा जाति-पासति ? गोमा । प्रत्येगतिया जाणति पासति, प्रत्येगतिया ण जाणति, ण पासति ॥ १०२. से केणट्टेण' 'भते । एव वुच्चइ – प्रत्येगतिया जाणति - पासति, प्रत्येगतिया ण जाणति, ण पासति ? गोमा | वेमाणिया ठेवा दुविहा पण्णत्ता, त जहा - माइमिच्छादिट्ठी उववण्णागा य, ग्रमाइसम्मदिट्ठीउववण्णगा य । तत्थ ण जे ते माइमिच्छादिट्ठी उववण्णगा ते जाणति ण पासति । ' तत्थ ण जे ते अमाइसम्म दिट्ठीउववण्णगा ते ण जाति-पासति । १ गोयमा ( अ, म ), हता गोयमा ( स ) । २ अतकरेण वा ( म, स ) । पमाणतो वा । जहा ग नेयव्वो ॥ | सेकेणट्टे ? गोयमा । अमाइसम्मदिट्ठी दुविहा पण्णत्ता, त जहा - प्रणतरोववण्णगा य, परपरोवण्णगा य । तत्थ ण जे ते प्रणतरोववण्णगा ते ण जाणति, ण पासति । तत् ण जे ते परपरोववण्णगा ते ण जाणति - पासति । सेकेणट्टे ? गोयमा । परपरोववण्णगा दुविहा पण्णत्ता, त जहा - प्रपज्जत्तगा य, पज्जत्तगा य । तत्थ ण जे ते अपज्जत्तगा ते ण जाणति, ण पासति । तत्थ ण जे ते पज्जत्तगा ते ण जाणति - पासति । सेकेट्टे ? गोयमा । पज्जत्तगा दुविहा पण्णत्ता, त जहा - प्रणुवत्ता य उवउत्ता य । तत्थ ण जे ते प्रणुवउत्ता ते ण जाणति, ण पासति । तत्थ ण जे ते उवउत्ता ते ण जाणति-पासति । से तेणट्टेण गोयमा । एव वुच्चइ - प्रत्येगतिया जाति-पाति, प्रत्येगतिया ण जाणति, ण पासति ॥ ३. भ० ५६६, ६७ । ४ जण (ता), जहा ण ( म, स ) । २०५ ५ तरण (क, ता, व, म) । ६ ७ स० पा०- - केराट्ठे जाव ण | एव अरणतर परपर पज्जत्त अपज्जत्ता य उवउत्ता अगुवउत्ता । तत्थ ण जे ते उवउत्ता Page #265 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०४ २०६ भगवई अणुत्तरोववाइयारणं केवलिणा पालाव-पदं १०३ पभू ण भते | अणुत्तरोववाइया देवा तत्थगया चेव समाणा इहगएण केवलिणा सद्धि आलाव वा, सलाव वा करेत्तए ? हता पभू ॥ से केणटेण' भते । एवं वुच्चइ-पभू ण अणुत्तरोववाइया देवा तत्थगया चेव समाणा इहगएण केवलिणा सद्धि आलाव वा, सलाव वा करेत्तए ? गोयमा | जण्ण अणुत्तरोववाइया देवा तत्थगया चेव समाणा अट्ट वा हेउ वा पसिण वा कारण वा वागरणं वा पुच्छति, तण्ण इहगए केवली अटुं वा' 'हेउ वा पसिण वा कारण वा वागरण वा वागरेइ । से तेणट्रेण गोयमा । एव वच्चइपभू ण अणुत्तरोववाइया देवा तत्थग्या चेव समाणा इहगएण केवलिणा सद्धि आलाव वा, सलावं वा करेत्तए ।। १०५. जण्ण भंते ! इहगए केवली अटुं वा' हेउ वा पसिण वा कारण वा वागरण वा वागरेइ, तण्ण अणुत्तरोववाइया देवा तत्थगया चेव समाणा जाणति-पासंति ? हता जाणति-पासति ॥ १०६. से केणटेण भते । एवं वुच्चइ--जण्ण इहगए केवली अट्ठ वा हेउ वा पसिण __ वा कारण वा वागरण वा वागरेइ, तण्णं अणुत्तरोववाइया देवा तत्थगया चेव समाणा जाणति-पासति ? गोयमा । तेसि ण देवाण अणताओ मणोदव्ववग्गणाम्रो लद्धारो पत्तागो अभिसमण्णागयाओ भवति । से तेणद्वेण गोयमा । एव वुच्चइ-जण्ण इहगए केवली अट्ठ वा हेउ वा पसिण वा कारण वा वागरण वा वागरेइ, तण्ण अगुत्तरोववाइया देवा तत्थगया चेव समाणा जाणति °-पासति ॥ १०७ अणुत्तरोववाइया ण भते । देवा कि उदिण्णमोहा? उवसतमोहा ? खीण मोहा? गोबमा ! नो उदिण्णमोहा, उवसतमोहा, नो खीणमोहा ।। केवलोणं इंदियनारण-निसेध-पदं १०८ केवली ण भते । प्रायाणेहि जाणइ-पासइ ? - गोयमा | नो तिणटे समटे ।। ते जाणति पासति से तेण?ण त चेव (अ, २ स० पा०-अट्ठ वा जाव वागरण । क, ता, व, म, वृ), वाचानान्तरेत्विद सूत्र ३. स० पा०—अट्ठ वा जाव वागरेइ । साक्षादेव उपलभ्यते (वृ)। ४ स० पा०–केरणतुण जाव पासति । १. स० पा०-केणटेण जाव पभू ण अणु- ५ स० पा०–तेणटेण जण्ण इहगए केवली त्तरोववाइया देवा जाव करेत्तए । जाव पासति । Page #266 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचमं सत (बीओ उद्देसो) २०७ १०६. से केणट्टेण' •भते । एव वुच्चइ ० - केवली णं श्रायाणेहिं ण जाणइ, ण पासइ ? गोयमा । केवली ण पुरत्थिमे ण मियं पि जाणइ, अमिय पि जाणइ' । एव दाहिण, पच्चत्यमे ण, उत्तरे ण, उड्ढ, ग्रहे मियपि जाणइ, अमिय पिजाणइ । सव्व जाणइ केवली, सव्व पासइ केवली । सव्व जाणइ केवली, सव्वग्रो पासइ केवली । सव्वकाल जाणइ केवली, सव्वकाल पासइ केवली । सव्वभावे जाणइ केवली, सव्वभावे पासइ केवली । अणते नाणे केवलिस, ग्रणते दसणे केवलिस्स । निव्वुडे नाणे केवलिस्स निव्वुडे दसणे केवलिस्स । से तेणद्वेण गोयमा । एव वुच्चइ - केवली ण प्रयाणेहि ण जाणइ, ण पासइ° ॥ केवली जोगचंचलया-पदं O ० ११० केवली ण भते । अस्सि समयसि' जेसु प्रागासपदेसेसु हत्थ वा पाय वा बाह वा ऊरु° वा ग्रोगाहित्ता ण चिट्ठति, पभू ण केवली सेयकालसि वि तेसु चेव ग्रागासपदेसेसु हत्थ वा' पाय वा बाह वा ऊरु वा प्रोगाहित्ताण चिट्ठित्तए गोयमा | णो तिट्टे समट्ठे ॥ १११ सेकेणट्टेण भते । एव वच्चइ ० - केवलीण अस्सि समयसि जेसु प्रागासपदेसेसु' हत्थ वा पाय वा वाह वा ऊरु वा ओगाहित्ताण • चिट्ठति, णो ण पभू केवली सेयकालसि वि तेसु चेव ग्रागासपदेसेसु हत्थ वा पाय वा वाह वा ऊरु वा ओगाहित्ता ण चिट्टित्तए ? गोयमा । केवलिस्स ण वीरिय सजोग-सद्दव्वयाए चलाइ उवकरणाइ भवति । चलोवकरणट्टयाए य ण केवली पस्सि' समयसि जेसु प्रागासपदेसेसु हत्थ वा' • पाय वा बाह वा ऊरु वा श्रोगाहित्ता ण चिट्ठति, णो ण पभू केवली सेयकाल सिवि तेसु चेव" ग्रागासपदेसेसु हत्थ वा पाय वा बाह वा ऊरु वा ओगाहित्ताण • चिट्टित्तए । से तेणट्टेण" गोयमा । एव वच्चइ - केवली अस्सि समयसि जेसु आगासपदेसेसु हत्थ वा पाय वा बाह वा ऊरु वा योगा ० १ स० पा० – केरट्टेण जाव केवली । २ स० पा० - जागइ जाव निव्वुडे दसणे केवलिस्स से तेरणट्ठेण । ३ समतसि (ता) | ४ स० पा० - हत्थ वा जाव ओगाहित्ता । ५ स० पा० - भते जाव केवली । ६. स० पा०—–आगासपदेसेसु जाव चिट्ठति । ७ स० पा० - हत्थ वा जाव चिट्ठित्तए । ८. जसि ( अ ) । 8 स० पा० - हत्थ वा जाव चिट्ठति । १०. स० पा०—चेव जाव चिट्ठित्तए । ११ स० पा० - तेरणट्टेण जाव वुच्चइ । केवली अस्स समयसि जाव चिट्ठित्तए । Page #267 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २०८ भगवई हित्ता ण चिट्ठति, णो ण पभू केवली सेयकालंसि वि तेसु चेव आगासपदेसेसु हत्थ वा पाय वा बाह वा ऊरु वा प्रोगाहित्ता ण° चिट्ठित्तए ।। चोद्दसपुवीरणं सामत्थ-पदं ११२. पभू ण भते । चोदसपुव्वी घडायो घडसहस्स, पडायो पडसहस्स, कडायो कडसहस्स, रहायो रहसहस्स, छत्तानो छत्तसहस्स, दडायो दडसहस्स अभिनिव्वदे॒त्ता उवदसेत्तए ? हता पभू ॥ ११३. से केणटेण पभू चोद्दसपुव्वी जाव' उवदसेत्तए? गोयमा | चोद्दसपुव्विस्स ण अणताइ दव्वाइ उक्कारियाभेएण' भिज्जमाणाइ लद्धाइ पत्ताइ अभिसमण्णागयाइ भवति । से तेणटेण' 'गोयमा | एव वुच्चइ-पभू ण चोद्दसपुव्वी घडामो घडसहस्स, पडायो पडसहस्स, कडाओ कडसहस्स, रहारो रहसहस्स, छत्तानो छत्तसहस्स, दडायो दडसहस्स अभिनिव्वदे॒त्ता° उवदसेत्तए। ११४ सेव भते । सेव भते ! त्ति ॥ पंचमो उद्देसो मोक्ख-पद ११५ छउमत्ये ण भते । मणूसे तीयमणत सासय समय केवलेण सजमेण, केवलेण सवरेण, केवलेण बभचेरवासेण, केवलाहि पवयणमायाहि सिज्झिसु ? वुज्झिसु? मुच्चिसु ? परिणिव्वाइसु ? सव्वदुक्खाण अत करिसु ? गोयमा | णो इणढे समढे । जहा पढमसए चउत्थुद्देसे आलावगा तहा नेयव्वा जाव' अलमत्थु त्ति वत्तव्य सिया ॥ एवंभूय-प्रणेवभूय-वेदणा-पदं ११६ अण्णउत्थिया ण भते । एवमाइक्खति जाव परूवेति-सव्वे पाणा सव्वे भूया सव्वे जीवा सव्वे सत्ता एव भूय वेदण वेदेति ।। १. भ० ५।११२ । ३ स० पा०-तेण?ण जाव उवदसेत्तए। २. प्रज्ञापनासूचे भापापदे 'उक्करियाभेए' इति ४ भ० ११५१ । पद लभ्यते, तत्रापि केपुचिदादर्शपु उक्का- ५. भ० १।२०१-२०६ । रियाभेए इत्यपि पाठो लभ्यते । ६. भ० ११४२० । Page #268 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पचमं सतं (पंचमी उद्देसो) ११७ से कहमेयं भते । एवं ? गोयमा ! जण्णं ते अण्णउत्थिया एवमाइक्खति जाव' सव्वे सत्ता एवभूयं वेदण वेदेति । जे ते एवमाहसु, मिच्छ' ते एवमाह । ग्रह पुण गोयमा | एवमाइक्खामि जाव' परूवेमि - प्रत्येगइया पाणा भूया जीवा सत्ता एवभूय वेदेण वेदेति, अत्थेगइया पाणा भूया जीवा सत्ता प्रवभूय वेदण वेदेति ॥ ११८. से केणट्टेण भते । एव वुच्चइ — प्रत्येगइया' पाणा भूया जीवा सत्ता एवभूय वेदण वेदेति, अत्थेगइया पाणा भूया जीवा सत्ता अवभूय वेदण वेदेति ? गोमा । जेण पाणा भूया जीवा सत्ता जहा कडा कम्मा तहा वेदण वेदेति, ते पाणा भूया जीवा सत्ता एवभूय वेदेण वेदेति । जे पाणा भूया जीवा सत्ता जहा कडा कम्मा नो तहा वेदण वेदेति, ते पाणा भूया जीवा सत्ता प्रणवभूय वेदण वेदेति । से तेणट्टेण' गोयमा । एव वुच्चइ – ग्रत्येगइया पाणा भूया जीवा सत्ता एवभूय वेदण वेदेति, प्रत्येगइया पाणा भूया जीवा सत्ता अणेवभूय वेदण वेदेति ॥ ११९ नेरइया णं भते । किं एवभूय वेद वेदेति ? प्रवभूय वेदण वेदेति ? गोमा | नेरइया ण एवभूय पि वेदण वेदेति, अणेवभूय पि वेदण वेदेति ॥ १२० सेकेणट्टेण भते । एव वच्चइ - नेरइया ण एवभूय पि वेदण वेदेति, अणेव - भूपि वेद वेदेति गोयमा ? जे ण नेरइया जहा कडा कम्मा तहा वेदणं वेदेति, ते ण नेरइया एवभूय वेदण वेदेति । जेण नेरइया जहा कडा कम्मा नो तहा वेदण वेदेति, तेण नेरइया अभय वेदणं वेदेसि । से तेणट्टेण ॥ १२१ एव जाव' वेमाणिया || कुलगरादि-पदं १२२. ससारमडल नेयव्व ॥ १२३. सेव भते । सेव भते । त्ति जाव' विहरइ ॥ १ भ० ५।११६ । २ मिच्छा ( अ, क, व, म, स) । २०६ ३. भ० १।४२१ । ४ स० पा०त चेव उच्चारेयव्वं । ५ स० पा०-- तहेव । ] ६. स० पा०त चेव । ७ पू० प० २ । नेयव्व । जवूदीवेण भते ! इह भार वा इमीसे ओसप्पिणीए समाए कई कुलगरा होत्या ? गोमा । सत्त । एव तित्ययरमायरो, पियरो, पढमा सिस्सिरणीओ, चक्कवट्टिमायरो, इत्थि - Page #269 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई २१० छ8ो उद्देसो अप्पायु-दोहायु-पदं १२४. कहण्ण' भते । जीवा अप्पाउयत्ताए कम्म पकरेति ? गोयमा' | पाणे अइवाएत्ता, मुस वइत्ता, तहारूव समण वा माहण वा अफासुएण अणेसणिज्जेण असण-पाण-खाइम-साइमेण पडिलाभेत्ता'- एव खलु जीवा अप्पाउयत्ताए कम्म पकरेति ? १२५. कहण्ण भंते । जीवा दीहाउयत्ताए कम्म पकरेति ? गोयमा | नो पाणे अइवाएत्ता, नो मुस वइत्ता, तहारूव समण वा माहण वा फासूएण" एसणिज्जेण असण-पाण-खाइम-साइमेण पडिलाभेत्ता--एव खलु जीवा दीहाउयत्ताए कम्म पकरेति ॥ प्रसुभसुभ-दीहायु-पदं १२६ कहण्णं भते । जीवा असुभदीहाउयत्ताए कम्म पकरेति ? गोयमा । पाणे अइवाएत्ता, मुस वइत्ता, तहारूव समण वा माहण वा हीलित्ता निदित्ता खिसित्ता गरहित्ता अवमण्णित्ता 'अण्णयरेण अमणण्णेणं अपीतिकारएण" असण-पाण-खाइम-साइमेण पडिलाभेत्ता-एव खलु जीवा असुभदीहा उयत्ताए कम्म पकरेति ।। १२७. कहण्ण भते ? जीवा सुभदीहाउयत्ताए कम्म पकरेति ? गोयमा ! नो पाणे अइवाएत्ता, नो मुस वइत्ता, तहारूव समण वा माहण वा वदित्ता नमसित्ता जाव' पज्जुवासित्ता 'अण्णयरेण मणुण्णेण पीतिकारएण" असण-पाण-खाइम-साइमेण पडिलाभेत्ता-एव खलु जीवा सुभदीहाउयत्ताए कम्म पकरेति ।। रयण, बलदेवा, वासुदेवा, वासुदेवमायरो, २ कह ण (अ, ता, म), कहि ण (क),। कह पियरो, एएसिं पडिसत्तू जहा समवाए नाम- ण (व)। परिवाडीए तहा नेयव्वा (अ, क, ब, स); ३ गोयमा तिहिं ठाणेहिं त (ब, स) सर्वत्र, एपु आदर्शपु द्वयोर्वाचनयो सम्मिश्रण जातम् । द्रष्टव्य-ठा० ३।१७-२० । वृत्तिकृता अस्य वाचनान्तरस्य उल्लेखोपि ४ °हेत्ता (म) । कृतोस्ति यथा-अथ चेह स्थाने वाचनान्तरे ५ अतिवतित्ता (अ, म)। कुलकर तीर्थकरादि वक्तव्यता दृश्यते, ततश्च .. क, ता, म, स)। ७ हीलेत्ता (क, ता, व, म)। 'संसारमडल' शब्देन पारिभापिकसञ्जया सेह ८. वाचनान्तरे तु अफासुएण अणेसरिणज्जेण सूचितेति सभाव्यते (वृ)। पइण्णगसमवाय ति दृश्यते (वृ)। २१८-२४७ । ६. भ० २।३० । १. भ० ११५१ । १० वाचनान्रे तु फासुएण इत्यादि दृश्यते (वृ) । Page #270 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पचमं सत (छट्ठो उद्देसो) २११ कयविक्कए किरिया-पदं १२८. गाहावइस्स ण भंते ! भड विक्किणमाणस्स केइ भड अवहरेज्जा, तस्स ण भते! 'भड अणुगवेसमाणस्स" कि आरभिया किरिया कज्जइ ? पारिग्गहिया' किरिया कज्जइ ? मायावत्तिया किरिया कज्जइ ? अपच्चक्खाणकिरिया कज्जइ ? मिच्छादसणवत्तिया किरिया कज्जइ ? । गोयमा ! प्रारभिया किरिया कज्जड, पारिग्गहिया किरिया कज्जइ, मायावत्तिया किरिया कज्जइ, अपच्चक्खाणकिरिया कज्जड, मिच्छादसणकिरिया सिय कज्जइ, सिय नो कज्जइ । अह से भडे अभिसमण्णागए भवइ, तनो से पच्छा सन्वाओ तानो पयणुई भवति ॥ १२६. गाहावइस्स ण भते । भड विक्किणमाणस्स कइए' भड साइज्जेजा, भडे य से अणुवणीए सिया। गाहावइस्स ण भते । तानो भडायो कि पारभिया किरिया कज्जइ ? जाव' मिच्छादसणकिरिया कज्जइ ? कइयस्स वा तातो भडाओ किं पारभिया किरिया कज्जइ ? जाव मिच्छादसणकिरिया कज्जइ? गोयमा । गाहावइस्स तायो भडामओ आरभिया किरिया कज्जइ 'जाव' अपच्चक्खाणकिरिया कज्जइ । मिच्छादसणकिरिया' सिय कज्जइ, सिय नो कज्जइ । कइयस्स ग ताओ सव्वानो पयणुईभवति ।। १३० गाहावइस्स ण भते । भड विक्किणमाणस्स' कडए भड साइज्जेजा, भडे से उवणोए सिया। कइयस्स ण भते । तानो भडायो किं पारभिया किरिया कज्जइ ? जाव' मिच्छादसणकिरिया कज्जइ ? गाहावइस्स वा ताग्रो भडायो कि आरभिया किरिया कज्जइ जाव मिच्छादसण किरिया कज्जइ ? गोयमा ! कइयस्स तारो भडायो हेट्ठिलामो चत्तारि किरियाओ कज्जति । मिच्छादसणकिरिया भयणाए । गाहावइस्स ण तायो सव्वानो पयणुईभवति । १. त भडय गवस ° (व, म)। ६ जाव अपच्चक्खाण मिच्छादसणवत्तिया० २. परि० (अ, स)। (अ, स), जाव मिच्छादसणवत्तिया° (क, ३. कतिए (क, ता, ब, म, स)। ता, म), जाव मिच्छादसण ° (ब)। ४. भ० ५।१२८ । । ७. स० पा०-विक्किणमाणस्स जाव भडे । ५ भ० ५।१२८ । 5. भ० ५।१२८ । Page #271 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २१२ भगवई १३१. गाहावइस्स ण भते । भड' विक्किणमाणस्स कइए भडं साइज्जेज्जा, धणे य से अणुवणीए सिया ? कइयस्स णं भते । ताो धणाओ कि प्रारभिया किरिया कज्जइ ? जाव' मिच्छादसणकिरिया कज्जइ ? गाहावइस्स वा ताो धणाओ कि आरभिया किरिया कज्जइ ? जाव मिच्छादसणकिरिया कज्जइ ? गोयमा । कइयस्स तानो धणाम्रो हेट्ठिल्लारो चत्तारि किरियानो कज्जति । मिच्छादसणकिरिया भयणाए। गाहावइस्स ण तानो सव्वानो पयणुईभवति ।। १३२ गाहावइस्स ण भते । भड विक्किणमाणस्स कइए भड साइज्जेजा, धणे से उवणीए सिया। गाहावइस्स ण भते । ताओ धणाओ कि आरभिया किरिया कज्जइ? जाव' मिच्छादसणकिरिया कज्जइ ? कइयस्स वा तानो धणालो कि आरभिया किरिया कज्जइ ? जाव मिच्छादसणकिरिया कज्जड ? गोयमा ! गाहावइस्स तायो धणाओ आरभिया किरिया कज्जइ जाव अपच्चक्खाणकिरिया कज्जड । मिच्छादसणकिरिया सिय कज्जइ, सिय नो कज्जइ । कइयस्स ण तानो सव्वाग्रो पयणुईभवति ।। प्रगरिएकाए महाकम्मादि पदं १३३ अगणिकाए ण भते । अहणोज्जलिए समाणे महाकम्मतराए चेव', महाकिरिया तराए चेव, महासवतराए' चेव, महावेदणतराए चेव भवइ । अहे ण समएसमए 'वोक्कसिज्जमाणे-बोक्कसिज्जमाणे' चरिमकालसमयसि इगालभूए मुम्मुरन्भूए छारियभूए', तो पच्छा अप्पकम्मतराए चेव, अप्पकिरियतराए १. स०पाल-भड जाव धणे व मे अणुवरणीए ३ भ० ॥१२८ । मिया? एय पि जहा भटे उवरणीए तहा ४ अहणुज्जलिए (ता), अहुणुज्जलिए (व)। नेयन्त्र । ५. च्चेव (ता)। नउत्यो आनावगो-'धणे य ने उवणीए ६ महस्सव० (अ, ता, ब) । मिया' जहा पतमो आलावगो-'भडे य मे ७. वोयसिज्जमाणे २ वोच्छिज्जमाणे २ अगुवजोए मिया', तहा नेयच्वो। (अ.स),वोकसिज्जमाणे २ वोच्छिज्जमाणे २ परम-पढत्याचं एक गमो, विनिय-तल्याण (ता), वोयसिज्जमाणे २ (म)। एक नमो। ८. छारभूए (अ)। Page #272 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पचम सत (छट्ठो उद्देसो) २१३ चेव, अप्पासवतराए चेव, अप्पवेयणतराए चेव भवइ ? हता गोयमा ! अगणिकाए ण अहुणोज्जलिए समाणे त चेव ॥ धणुपक्खेवे किरिया-पदं १३४ पुरिसे ण भते । धणु परामुसइ, परामुसित्ता उसु परामुसइ,' परामुसित्ता ठाण' ठाइ, ठिच्चा आयतकण्णातय' उसु करेति, उड्ढ वेहास उसु उव्विहइ।। तएण से उसू उड्ढ वेहास' उविहिए समाणे जाइ तत्थ पाणाइ भूयाइ जीवाइ सत्ताइ अभिहणइ वत्तेति लेसेति' सघाएइ सघटेति परितावेइ किलामेई', ठाणाप्रो ठाण सकामेइ, जीवियाग्रो ववरोवेड। तए ण भते । से पुरिसे कतिकिरिए ? गोयमा । जाव च ण से पुरिसे धणु परामुसइ', 'उसु परामुसइ, ठाण ठाइ, आयतकण्णातय उसु करेति, उड्ढ वेहास उसु ° उविहइ, ताव च ण से पुरिसे काइयाए 'अहिगरणियाए, पायोसियाए, पारियावणियाए°, पाणाइवायकिरियाए-पहि किरियाहि पुढे । जेसि पि य ण जीवाण सरीरेहिं धणू निव्वत्तिए ते वि य ण जीवा काइयाए जाव पहि किरियाहिं पुढा"। एव धणुपट्टे पचहि किरियाहि, जीवा पहि, ण्हारू पहि, उसू पहि-सरे, पत्तणे, फले, हारू पचहि ॥ १३५ अहे ण से उसू अप्पणो गुरुयत्ताए, भारियत्ताए, गुरुसभारियत्ताए अहे वीससाए पच्चोवयमाणे जाइ तत्थ पाणाइ जाव" जीवियाओ ववरोवेइ ताव च ण से पुरिसे कतिकिरिए ? गोयमा | जाव च ण से उसू अप्पणो गुरुयत्ताए जाव जीवियाओ ववरोवेइ ताव च ण से पुरिसे काइयाए जाव" चउहिं किरियाहि पुढे । जेसि पि य ण जीवाण सरीरेहि धण निव्वत्तिए ते वि जीवा चउहि किरियाहि, धणुपट्टे चउहि, १ परामसइ (व, म)। २ वेसाह ठाण (उ० १२२२)। ३ °कण्णाइय (अ, स), कण्णायय (म, उ० १।२२)। ४ ततो (क, ता, ब, स)। ५. उसु (स)। ६ वेहासे (ता)। ७ लेस्सेति (अ, ब, स)। ८. किलोमेह उद्दवेह (भ० ८।२८७) ।। ६ स० पा०-परामुसइ जाव उव्विहइ। १० स० पा०.-काइयाए जाव पारणाइवाय° । ११. पुढे (अ, ता, ब, म, स), पट्ठो (क)। अत्र जीवा इति कर्तृपद बहुवचनान्तमस्ति तेन 'पुट्ठा' इति पद स्वीकृतम् । १२ धणू° (अ, ता, स), धणूपिढे (ब)। १३. अघे (ता)। १४ भ० ५।१३४। १५ भ० ५।१३४। १६ ° पुढे (अ, म, स)। Page #273 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २१४ भगवई जीवा चहि, ण्हारू चहि, उसू पहि–सरे, पत्तणे, फले, हारू पचहिं । जे वि य से जीवा अहे पच्चोवयमाणस्स उवगहे' वति ते वि य ण जीवा काइयाए जाव पहि किरियाहि पूटा ।। अण्णउत्थिय-पदं १३६ अण्णउत्थिया ण भते । एवमातिक्खति जाव' पख्वेति-से जहानामए जुवति जुवाणे हत्थेण हत्थे गेण्हेज्जा, चक्कस्स वा नाभी अरगाउत्ता सिया, एवामेव जाव चत्तारि पच जोयणसयाइ बहुसमाइण्णे मणुयलोए मणुस्सेहि ।। १३७ से कहमेय भते । एव ? गोयमा | जण्ण ते अण्णउत्थिया एवमातिवखति जाव बहुसमाइण्णे मणुयलोए मणुस्सेहिं । जे ते एवमाहसु , 'मिच्छ ते एवमाहसु। अह पुण गोयमा । एवमाइक्खामि जाव' परूवेमि-से जहानामए जुवति जुवाणे हत्थेण हत्थे गेण्हेज्जा, चक्कस्स वा नाभी अरगाउत्ता सिया°, एमामेव जाव चत्तारि पच जोयणस याइ बहुसमाइण्णे निरयलोए ने रइएहि ।। नेरइयविउववरणा-पदं १३८. नेरइया ण भते । कि एगत्त पभू विउवित्तए ? पुहत्त पभू विउवित्तए ? गोयमा | एगत्त पि पहू विउवित्तए, पुहत्तपि पह विउवित्तए । जहा जीवाभिगमे आलावगो तहा नेयवो जाव विउवित्ता अण्णमण्णस्स काय अभिहणमाणा-अभिहणमाणा वेयण उदी रेति-उज्जल विउलं पगाढ कवकस कडुय फरुस निठुर चड तिव्व दुवख दुग्ग दुरहियास ॥ प्राहाकम्मादिनाहारे पाराहरणादि-पदं । १३९. आहाकम्म 'अणवज्जे' त्ति मण पहारेत्ता भवति, से ण तस्स ठाणस्स प्रणालोइय पडिक्कते काल करेइ-नत्थि तस्स आराहणा । से ण तस्स ठाणस्स आलोइय पडिक्कते काल करेइ-अस्थि तस्स आराहणा॥ १४० एएण गमेण नेयव्व-कीयगड", ठविय, रइय, कतारभत्त 'दभिवखभत्त, वदलियाभत्त", गिलाणभत्त, सेज्जायरपिड, रायर्यापड५ ॥ १ ओवग्गहे (म)। ६. जी० ३, नेरइय-उद्देसो २ । २. भ० १२४२० । १०. ° लोतिय° (अ, स)। ३ मणुस्स ° (ता)। ११ कीयकड (क, व), उद्देसिय कीयकड (ता) ४. भ० ५।१३६ । १२. ठवियक (क, ता), ठवितकडं (ब)। ५ मिच्छा (अ, क, व, म, स)। १३ रतियक (क, ब), रइयक (ता)। ६. स० पा०-एवमाइक्खामि जाव एवामेव । १४. °वत्त वद्दलियावत्त (व) । ७ भ० ११४२१ । १५. ४ (क)। ८ पहुत्त (ता)। Page #274 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पचम सत (छट्ठो उद्देसो) २१५ १४१ पाहाकम्म 'अणवज्जे' त्ति' सयमेव परिभु जित्ता भवति, से ण तस्स ठाणस्स' 'प्रणालोइयपडिक्कते काल करेइ-नत्थि तस्स आराहणा । से ण तस्स ठाणस्स आलोइय-पडिक्कते काल करेइ°—अत्थि तस्स पाराहणा ।। १४२ एय पि तेह व जाव' रायपिड ।। १४३ -आहाकम्म 'अणवज्जे' त्ति अण्णमण्णस्स अणुप्पदावइत्ता भवइ, से ण तस्स __ 'ठाणस्स प्रणालोइयपडिक्कते काल करेइ-नत्थि तस्स आराहणा। से ण तस्स ठाणस्स पालोइय-पडिक्कते काल करेइ-अत्थि तस्स आराहणा ॥ १४४ एय पि तह चेव जाव' रायपिंड ॥ १४५ श्राहाकम्म ण 'अणवज्जे' त्ति बहुजणमझे पण्णवइत्ता भवति, से ण तस्स" 'ठाणस्स प्रणालोइयपडिक्कते काल करेइ-नत्थि तस्स राहणा । से ण तस्स ठाणस्स पालोइय-पडिक्कते काल करेइ ° ---अत्थि तस्स आराहणा ।। १४६ एय पि तह चेव जाव रायपिड ।। प्रायरिय-उवज्झायस्स सिद्धि-पदं १४७. पायरिय- उवज्झाए ण भते । सविसयसि गण अगिलाए सगिण्हमाणे, अगि लाए उवगिण्हमाणे कहि भवग्गहणेहि सिज्झति जाव' सव्वदुक्खाण अत करेति ? गोयमा । प्रत्येगतिए तेणेव भवग्गहणेण सिज्झति, अत्थेगतिए दोच्चेण भव ग्गहणेण सिज्झति, तच्च पुण भवग्गहण नाइक्कमति ।। प्रभक्खारिणस्स कम्मबंध-पदं १४८. जे ण भते । पर अलिएण असभूएण अभक्खाणेण अभक्खाति", तस्स ण कहप्पगारा कम्मा कज्जति ? गोयमा । जे ण पर अलिएण, असतएण२ अब्भक्खाणेण अब्भक्खाति, तस्स ण तहप्पगारा चेव कम्मा कज्जति । जत्थेव ण अभिसमागच्छति तत्थेव' ण पडिसवेदेति, तो से पच्छा वेदेति ।। १४६ सेव भते । सेव भते । त्ति" ॥ १. त्ति बहुजणस्स मज्झे भासित्ता (अ, स)। २ स० पा०-ठाणस्स जाव अस्थि । ३ भ० ५।१४० । ४ अहाकम्म (अ)। ५ स. पा०-तस्स । ६ भ० ५।१४०। ७. स. पा०-तस्स जाव अस्थि । ८ भ० ५।१४० । ६ भ० ११४४। १० X (अ)। ११ अभाइक्खइ (क, ता, ब)। १२ असतवयणेण (म, स)। १३ भ० ११५१ । Page #275 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई सत्तमो उद्देसो परमाण-खंधारणं एयरणादि-पदं १५०. परमाणुपोग्गले ण भते । एयति वेयति' 'चलति फदइ घट्टइ खुन्भइ उदीरइ°, त त भावं परिणमति ? गोयया | सिय एयति वेयति जाव त त भावं परिणमति ; सिय नो एयति जाव नो त त भाव परिणमति ॥ १५१. दुप्पएसिए ण भते ! खंधे एयति जाव त त भाव परिणमति ? गोयमा | सिय एयति जाव त त भाव परिणमति । सिय नो एयति जाव नो त त भाव परिणमति । सिय देसे एयति, देसे नो एयति ।। १५२. तिप्पएसिए ण भते ! खधे एयति ? गोयमा । सिय एयति, सिय नो एयति । सिय देसे एयति, नो देसे एयति । सिय देसे एयति, नो देसा एयति । सिय देसा एयंति, नो देसे एयति ॥ १५३. चउप्पएसिए णं भते ! खधे एयति ? गोयमा ! सिय एयति, सिय नो एयति। सिय देसे एयति, नो देसे एयति । सिय देसे एयति, नो देसा एयति । सिय देसा एयति, नो देसे एयति । सिय देसा एयति, नो देसा एयति । जहा चउप्पएसियो तहा पचपएसिओ, तहा जाव अणंतपएसियो॥ परमाणु-खंधाण छदादि-पदं १५४. परमाणुपोग्गले ण भते । असिधारं वा खुरधारं वा ओगाहेज्जा ? हता ओगाहेज्जा'। से णं भते ! तत्थ छिज्जेज्ज वा भिज्जेज्ज वा ? गोयमा नो तिण? समटे, नो खलु तत्थ सत्थ कमइ ।। १५५. एव जाव असखेज्जपएसियो॥ १५६. अणतपएसिए ण भते ! खधे असिधार वा खुरधारं वा प्रोगाहेज्जा ? हता योगाहेज्जा।। से ण भते ! तत्थ छिज्जेज्ज वा भिज्जेज्ज वा ? गोयमा । प्रत्येगइए छिज्जेज्ज वा भिज्जेज्ज वा, अत्थेगइए नो छिज्जेज्ज वा नो भिज्जेज्ज वा ॥ १. स० पा०-वैयति जाव तं । २ भ० ५।१५० । ३ ओगाहिज्ज (क, व, म, स)। Page #276 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २१७ पचम सत ( सत्तमो उद्देसो) १५७. "परमाणुपोग्गले ण भते? अगणिकायस्स मज्झमझेण वीइवएज्जा ? हता वीइवएज्जा। से ण भते । तत्थ झियाएज्जा ? गोयमा | नो इणद्वे समटे, नो खलु तत्थ सत्थ कमइ । से ण भते । पुक्खलसवट्टगस्स महामेहस्स मज्झमझेण वीइवएज्जा ? हता वीइवएज्जा। से ण भते । तत्थ उल्ले सिया ? गोयमा । नो इणढे समढे, नो खलु तत्थ सत्थ कमइ।। से ण भते । गगाए महाणदीए पडिसोय हव्वमागच्छेज्जा ? हता हव्वमागच्छेज्जा । से ण भते ! तत्थ विणिहायमावज्जेज्जा ? गोयमा | नो इणद्वे समढे, नो खलु तत्थ सत्थ कमइ । से ण भते | उदगावत्त वा उदगविदु वा ओगाहेज्जा ? हता प्रोगाहेज्जा। से ण भते । तत्थ परियावज्जेज्जा ? गोयमा । नो इण? समढे, नो खलु तत्थ सत्थ कमइ ।। १५८. एव जाव असखेज्जपएसियो ।। १५६ अणतपएसिए ण भते । खधे अगणिकायस्स मज्झमझेण वीइवएज्जा ? हता वीइवएज्जा। से ण भते । तत्थ झियाएज्जा ? गोयमा । अत्थेगइए झियाएज्जा, अत्थेगइए नो झियाएज्जा। से ण भते । पुक्खलसवट्टगस्स महामेहस्स मज्झमज्झेण वीइवएज्जा । हता वीइवएज्जा। से ण भते । तत्थ उल्ले सिया ? गोयमा । अत्येगइए उल्ले सिया, अत्थेगइए नो उल्ले सिया। से ण भते ! गगाए महानईए पडिसोय हव्वमागच्छेज्जा ? हता हव्वमागच्छेज्जा। से ण भते । तत्थ विणिहायमावज्जेज्जा ? १. स० पा०-एव अगणिकायस्स मज्झमझेण तहिं नवर झियाएज्ज भारिणयव्व । एव पुक्खलसवट्टगस्स महामेहस्स मज्झमज्झेरण तहिं उल्ले सिया। एव गगाए महाणदीए पडिसोय हव्वमागच्छेज्जा तहिं विणिहायमावज्जेज्जा । उदगावत्त वा उदगबिंदु वा ओगाहेज्जा । से ण तत्थ परियावज्जेज्जा। Page #277 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २१८ भगवई गोयमा । अत्थेगइए विणिहायमावज्जेज्जा, अत्थेगइए नो विणिहायमावज्जेज्जा। से ण भते | उदगावत्त वा उदगबिंदु वा प्रोगाहेज्जा ? हता प्रोगाहेज्जा। से ण भते । तत्थ परियावज्जेज्जा ? गोयमा | अत्थेगइए परियावज्जेज्जा, अत्थेगइए नो परियावज्जेज्जा ।। परमाणु-खंधाणं सअड्ढसमज्झादि-पदं १६० परमाणुपोग्गले ण भते । कि सअड्डे' समझे सपएसे? उदाहु अणड्ढे अमझे अपएसे ? गोयमा | अणड्ढे अमज्झे अपएसे, नो सअड्ढे नो समझे नो सपएसे ॥ १६१. दुप्पएसिए ण भते । खधे किं सअड्ढे समझे सपएसे ? उदाहु अणड्ढे अमज्झे अपएसे ? गोयमा । सअड्ढे अमज्झे सपएसे, नो अणड्ढे नो समझे नो अपएसे ।। १६२ तिप्पएसिए ण भते । खधे पुच्छा। गोयमा । अणड्ढे समज्झे सपएसे, नो सअड्ढे नो अमझे नो अपएसे ॥ १६३ जहा दुप्पएसियो तहा जे समा ते भाणियव्वा, जे विसमा ते जहा तिप्पएसियो तहा भाणियव्वा ॥ १६४. सखेज्जपएसिए ण भते । खधे कि सअड्ढे ? पुच्छा। गोयमा | सिय सअड्ढे अमझे सपएसे, सिय अणड्ढे समज्झे सपएसे । जहा सखेज्जपएसियो तहा असंखेज्जपएसियो वि, अणतपएसिओ वि ।। परमाणु-खंधारणं परोप्परं फुसरणा-पद १६५ परमाणुपोग्गले ण भते । परमाणुपोग्गल फुसमाणे किं १ देसेण देस फुसइ २ देसेहिं देसे फुसइ ३ देसेण सव्व फुसइ ४ देसेहि देसे फुसइ ५ देसेहि देसे फुसइ ६ देसेहि सव्व फुसइ ७ सव्वेण देस फुसइ ८. सव्वेण देसे फुसइ ६ सव्वेण सव्व फुसइ ? गोयमा । १ नो देसेण देस फुसइ २ नो देसेण देसे फुसइ ३. नो देसेण सव्व फुसइ ४ नो देसेहि देस फुसइ ५ नो देसेहि देसे फुसइ ६ नो देसेहिं सव्व १. समद्धे (व)। २ उआहु (व)। ३. (१) देशेन देशम् (२) देशेन देशान् (३) देशेन सर्वम् (४) देश देशम् (५) देश देशान् (६) देश सर्वम् (७) सर्वेण देसम् । (८) सर्वेण देशान् (९) सर्वेण सर्वम् । Page #278 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पचम सत (सत्तमो उद्देसो) २१६ फुसइ ७. नो सव्वेण देस फुसइ ८ नो सब्वेण देसे फुसइ ६ सव्वेण सव्व फुसइ॥ १६६ परमाणुपोग्गले' दुप्पएसिय फुसमाणे सत्तम-णवमेहि फुसइ।। परमाणुपोग्गले तिप्पएसिय फुसमाणे निपच्छिमएहि तिहि फसइ। जहा परमाणुपोग्गले तिप्पएसिय फुसावित्रो एव फुसावेयन्वो जाव अणत पएसियो॥ १६७ दुप्पएसिए ण भते । खधे परमाणुपोग्गल फुसमाणे कि देसेण देस फुसइ ? पुच्छा । ततिय-नवमेहि फुसइ। दुप्पएसियो दुप्पएसिय फुसमाणे पढम-ततिय-सत्तम-नवमेहि फसइ । दुप्पएसियो तिप्पएसिय फुसमाणे आदिल्लएहि य, पच्छिल्लएहि य तिहिं' फुसड, मज्झिमएहि तिहि विपडिसेहेयव्व । दुप्पएसियो जहा तिप्पएसिय फुसाविमो एव फुसावेयवो जाव अणतपएसिय ॥ १६८ तिपएसिए ण भते । खधे परमाणुपोग्गल फुसमाणे पुच्छा। ततिय-छट्ट-नवमेहि फुसइ। तिपएसियो दुपएसिय फुसमाणे पढमएण, ततिएण, चउत्थ-छट्ठ-सत्तम-नवमेहि फुसइ। तिपएसियो तिपएसिय फसमाणे सव्वेसु वि ठाणेसू फूसइ । जहा तिपएसियो तिपएसिय फुसाविमो एव तिप्पएसियो जाव अणतपएसिएण सजोएयव्वो। जहा तिपएसियो एव जाव अणतपएसियो भाणियव्वो॥ परमाणु-खंधाणं संठिइ-पदं १६६. परमाणुपोग्गले ण भते | कालो केवच्चिर होइ ? गोयमा । जहण्णेण एग समय, उक्कोसेण असखेज्ज काल । एव जाव अणतपएसियो॥ १७० एगपएसोगाढे ण भते । पोग्गले सेए तम्मि वा ठाणे वा, अण्णम्मि वा ठाणे कालो केवच्चिर होइ? गोयमा । जहण्णेण एग समय, उक्कोसेण आवलियाए असखेज्जइभाग। एव जाव असखेज्जपएसोगाढे ॥ १ एव पर° (क, ता)। २ अन्त्यै । ३. X (क, ता)। ४. सेते (ता)। Page #279 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २२० भगवई १७१. एगपएसोगाढे ण भते | पोग्गले निरेए कालो केवच्चिर होइ ? गोयमा । जहण्णेण एग समय, उक्कोसेण असखेज्ज काल । एव जाव असखेज्ज पएसोगाढे ॥ १७२ एगगुणकालए ण भते । पोग्गले कालो केवच्चिर होइ ? गोयमा । जहण्णेण एग समय, उक्कोसेण असखेज्ज काल । एव जाव अणतगुणकालए। एव वण्ण-गध-रस-फास जाव' अणतगुणलुक्खे । एव सुहुमपरिणए पोग्गले, एव वादरपरिणए पोग्गले ॥ १७३ सद्दपरिणए ण भते ! पोग्गले कालो केवच्चिर होइ ? गोयमा । जहण्णण एग समय, उक्कोसेण प्रावलियाए असखेज्जइभाग । १७४ असद्दपरिणए' •ण भते । पोग्गले कालो केवच्चिर होइ ? गोयमा । जहण्णेण एग समय, उक्कोसेण असखेज्ज काल ° । परमाणु-खंधाण अंतरकाल-पदं १७५ परमाणुपोग्गलस्स ण भते । अतर कालो केवच्चिर होइ ? गोयमा । जहण्णेण एग समय, उक्कोसेण असखेज्ज काल ॥ १७६ दुप्पएसियस्स ण भते । खधस्स अतर कालो केवच्चिर होइ ? गोयमा | जहण्णेण एग समय, उक्कोसेण अणत काल । एव जाव अणतपएसियो॥ १७७ एगपएसोगाढस्स ण भते । पोग्गलस्स सेयस्स अतर कालो केवच्चिर होइ ? गोयमा ! जहण्णेण एग समय, उक्कोसेण असखेज्ज काल । एव जाव' असखेज्ज पएसोगाढे ॥ १७८. एगपएसोगाढस्स ण भते । पोग्गलस्स निरेयस्स अतर कालो केवच्चिर होइ ? गोयमा । जहण्णेण एग समय, उक्कोसेण आवलियाए असखेज्जइभाग। एव जाव असखेज्जपएसोगाढे। वण्ण-गध-रस-फास-सुहुमपरिणय-बायरपरिणयाण-एतेसि 'ज चेव'३ सचिटणा त चेव अतर पि भाणियव्व ।। १७६ सद्दपरिणयस्स ण भते । पोग्गलस्स अतर कालो केवच्चिर होइ? गोयमा । जहण्णेण एग समय, उक्कोसेण असखेज्ज काल ॥ १८०. असद्दपरिणयस्स ण भते । पोग्गलस्स अतर कालो केवच्चिर होइ ? गोयमा । जहण्णेण एग समय, उक्कोसेण आवलियाए असखेज्जइभाग। १ १०१। ३. जच्चेव (अ, क, ता, व, म)। २ सं० पा०-असद्दपरिणए जहा एगगुण- ४. भ० ५।१७२ । कालए। Page #280 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २२१ पचम सत (सत्तमो उद्देसो) परमाणु-खंधाणं परोप्परं प्रप्पाबहुयत्त-पदं १८१ एयस्स ण भते | दव्वट्ठाणाउयस्स, खेत्तट्ठाणाउयस्स, ओगाहणट्ठाणाउयस्स, भावट्ठाणाउयस्स कयरे कयरेहिंतो' अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? ' विसेसाहिया वा ? गोयमा । सव्वत्थोवे खेत्तट्ठाणाउए, प्रोगाहणट्ठाणाउए, असखेज्जगुणे, दव्व ट्ठाणाउए असखेज्जगुणे, भावट्ठाणाउए असखेज्जगुणे। संगहणी-गाहा खेत्तोगाहणदव्वे, भावट्ठाणाउय च अप्प-बहु । खेत्ते सव्वत्थोवे, सेसा ठाणा असखेज्जगुणा ॥१॥ जीवाणं सारंभ सपरिग्गह-पदं १८२ नेरडया ण भते । किं सारमा सपरिग्गहा ? उदाहु अणारभा अपरिग्गहा? गोयमा । नेरइया सारमा सपरिग्गहा, नो अणारभा अपरिग्गहा। १८३ से केणद्वेण भते । एव वुच्चइ-नेरइया सारमा सपरिग्गहा, नो अणारभा अपरिग्गहा' ? गोयमा | नेरइया ण पुढविकाय समारभति, ग्राउकाय समारभति, तेउकाय समारभति, वाउकाय समारभति, वणस्सइकाय समारभति तसकाय समारभति, सरीरा परिग्गहिया भवति, कम्मा परिग्गहिया भवति, सचित्ताचित्त-मीसयाइ दव्वाइ परिग्गहियाइ भवति । से तेणटेण गोयमा | एव वुच्चइ–नेरइया सारभा सपरिग्गहा, नो अणारभा अपरिग्गहा। १८४ असुरकुमारा ण भते । कि सारभा? पुच्छा। गोयमा । असुरकुमारा सारमा सपरिग्गहा, नो अणारभा अपरिग्गहा ॥ १८५ से केण?ण ? गोयमा । असुरकुमारा ण पुढविकाय समारभति जाव तसकाय समारभति, सरीरा परिग्गहिया भवति, कम्मा परिग्गहिया भवति, भवणा परिग्गहिया भवति, देवा देवीअो मणुस्सा मणुस्सीओ तिरिक्खजोणिया तिरिक्खजोणिणीग्रो परिग्गहिया भवति, आसण-सयण-भड-मत्तोवगरणा परिग्गहिया भवति, सचित्ताचित्त-मीसयाइ' दवाइ परिग्गहियाइ भवति । से तेणट्रेण" १ स० पा०—कयरेहितो जाव विसेसाहिया। ५ स० पा०–त चेव । २. स० पा०—केणद्वेण जाव अपरिग्गहा। ६ भ० ५।१८३ । ३ नो अपरि° (ता)। ७ मिस्सियाइ (व), मीसजाइ (क)। ४ म०पा-समारभति जाव तसकाय । ८ स० पा०-तहेव। Page #281 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २२२ भगवई *गोयमा । एव बुच्चइ-असुरकुमारा सारमा सपरिग्गहा, नो अणारभा अपरिग्गहा ॥ १८६. एव जाव' थणियकुमारा । एगिदिया जहा नेरइया । १८७ वेइदिया ण भते । कि सारंभा सपरिग्गहा ? उदाहु अणारभा अपरिग्गहा ? त चेव वेइदिया ण पुढविकायं समारभति जाव' तसकाय समारभति, सरीरा परिग्गहिया भवति, कम्मा परिग्गहिया भवति, बाहिरा भड-मत्तोवगरणा परिग्गहिया भवति, 'सचित्ताचित्त-मीसयाइ दव्वाइ परिग्गहियाइ भवति । १८८ एव जाव' चरिदिया । १८६ पचिंदियतिरिक्खजोणिया ण भते | कि सारमा सपरिग्गहा ? उदाहु अणारभा अपरिग्गहा ? त चेव जाव' कम्मा परिग्गहिया भवति, टका कूडा सेला सिहरी पन्भारा परिग्गहिया भवति, जल-थल-विल-गुह-लेणा परिग्गहिया भवंति,उज्झर-निज्झर चिल्लल-पल्लल-वप्पिणा परिग्गहिया भवति, अगड-तडाग-दह-नईग्रो वावीपुक्खरिणीदीहिया गुजालिया सरा सरपतियाओ सरसरपतियाओ विलपतियाओ परिग्गहियारो भवति, आरामुज्जाण"-काणणा वणा वणसडा वणराईनोर परिग्गहियाप्रो भवति, देवउल-सभ-पव-थूभ-खाइय-परिखानो परिग्गहियानो भवति, पागार-अट्टालग-चरिय-दार-गोपुरा परिग्गहिया भवति, पासाद-घरसरण-लेण-श्रावणा परिग्गहिया भवति, सिंघाडग-तिग-चउक्क-चच्चर-चउम्मुहमहापह-पहा परिग्गहिया भवति, सगड-रह-जाण-जुग्ग-गिल्लि-थिल्लि-सीयसदमाणियानो परिग्गहियारो भवति, लोही-लोहकडाह-कडुच्छया परिग्गहिया भवति, भवणा परिग्गहिया भवति, देवा देवीमो मणुस्सा मणुस्सीयो तिरिक्खजोणिया तिरिक्खजोणिणीग्रो परिग्गहिया भवति, आसण-सयण-खभ-भड सचित्ताचित्त-मीसयाइ दव्वाइ परिग्गहियाइ भवति । से तेणटेण ॥ १६० जहा तिरिक्खजोणिया तहा मणुस्सा वि भाणियव्वा। वाणमतर-जोइस वेमाणिया जहा भवणवासी तहा नेयव्वा" ।। १. पू० प० २। २ भ० ५।१८२, १८३ । ३. ४. भ० ५।१८३ । ५ बाहिरिया (म, क, ब, म, स)। ६ X(अ)। ७. भ० २।१३८ । ८ भ० ५।१८३ । ६ पिल्लव (व)। १०. तलाग (क, ता, व, म)। ११ ° मुज्जारणा (क, व, स)। १२ वणरातीओ (अ, ता, स)। १३ भ० ५।१८४, १८५। Page #282 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचम सतं (अट्ठमो उद्देसो) २२३ हेउ-पदं १९१ पंच' हेऊ पण्णत्ता, तं जहा-हेउ जाणड, हेउ पासइ, हेउ बुज्झड, हेउ अभिस मागच्छइ, हेउ छउमत्थमरण मरइ।। १६२. पच हेऊ पण्णत्ता, त जहा–हेउणा जाणइ जाव' हेउणा छउमत्थमरण मरइ ।। १६३ पच हेऊ पण्हत्ता, त जहा-हेउ ण जाणइ जाव' हेउ अण्णाणमरण मरइ ।। १६४ पच हेऊ पण्णत्ता, त जहा-हेउणा ण जाणइ जाव हेउणा अण्णाणमरण मरइ ।। १६५ पच अहेऊ पण्णत्ता, त जहा-अहेउ जाणइ जाव' अहेउ केवलिमरण मरइ ।। १६६ पच अहेऊ पण्णत्ता, त जहा-अहेउणा जाणइ जाव' अहेउणा केवलिमरण मरड। १६७ पच अहेऊ पण्णत्ता, त जहा-अहेउ न जाणइ जाव' अहेउ छउमत्थमरण मरड॥ १६८ पच अहेऊ पण्णत्ता, त जहा-अहेउणा न जाणइ जाव' अहेउणा छउमत्थमरण मरइ ॥ १६६ सेव भते । सेव भते ! त्ति' ।। अट्ठमो उद्देसो नियठिपुत्त-नारयपुत्त-पदं २०० तेण कालेण तेण समएण जाव परिसा पडिगया । २०१ तेण कालेण तेण समएण समणस्स भगवो महावीरस्स अतेवासी नारयपुत्ते नाम अणगारे पगइभद्दए जाव" विहरति । तेण कालेण तेण समएण समणस्स भगवो महावीरस्स अतेवासी नियठिपत्ते नाम अणगारे पगइभद्दए जाव विहरति । स्यानाङ्गय पचमस्थाने (७५-८२) एतानि ६ भ० ५।१६१ । अष्टसूत्राणि क्रमभेदेन तथा किञ्चित् पाठ- ७ भ० ५।१६१ । भेदेन लभ्यन्ते । ८ भ० ५१६१ । २ भ० ५।१६१ । ६ भ० ११५१ । ३ भ० ५।१६१ । १० भ० ११४-८। ४ भ० ५।१६१। ११ भ० ११२८८ । ५. भ० ५।१६१ । Page #283 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २२४ भगवई तए णं से नियठिपुत्ते अणगारे जेणामेव नारयपुत्ते अणगारे तेणेव उवागच्छड, उवागच्छित्ता नारयपुत्त अणगार एव वयासी-सव्वपोग्गला ते अज्जो ! कि सअड्ढा समज्झा सपएसा ? उदाहु अणड्ढा अमज्झा अपएसा ? अज्जो | त्ति नारयपुत्ते अणगारे नियठिपुत्त अणगार एव वयासी-सव्वपोग्गला मे अज्जो | सअड्ढा समझा सपएसा, नो अणड्ढा अमज्झा अपएसा। २०२ तए ण से नियठिपुत्ते अणगारे नारयपुत्त अणगार एवं वयासी-जइ ण ते अज्जो | सव्वपोग्गला सअड्ढा समज्झा सपएसा, नो अणड्ढा अमज्झा अपएसा, किदव्वादेसेण अज्जो | सव्वपोग्गला सअड्ढा समज्झा सपएसा, नो अणड्ढा अमज्झा अपएसा? खेत्तादेसेण अज्जो | सव्वपोग्गला सअड्ढा "समझा सपएसा, नो अणड्ढा अमज्झा अपएसा? ० कालादेसेण "अज्जो | सव्वपोग्गला सअड्ढा समज्झा सपएसा, नो अणड्ढा अमज्झा अपएसा ? भावादेसेण "अज्जो । सव्वपोग्गला सअड्ढा समझा सपएसा, नो अणड्ढा अमज्झा अपएसा? ० तए ण से नारयपुत्ते अणगारे नियठिपुत्त अणगार एव वयासी-दव्वादेसेण वि मे अज्जो ! सव्वपोग्गला सअड्ढा समझा सपएसा, नो अणड्ढा अमझा अपएसा, 'खेत्तादेसेण वि, कालादेसेण वि, भावादेसेण वि" ॥ २०३ तए ण से नियठिपुत्ते अणगारे नारयपुत्त अणगार एव वयासी-जइणं अज्जो ! दव्वादेसेण सव्वपोगल्ला सअड्ढा समझा सपएसा, नो अणड्ढा अमझा अपएसा, एव ते परमाणुपोग्गल्ले वि सअड्ढे समझ सपएसे, नो अणड्ढे अमझे अपएसे। जइ ण अज्जो खेत्तादेसेण वि सव्वपोग्गला सअड्ढा समझा सपएसा, एवं ते एगपएसोगाढे वि पोग्गले सअड्ढे समझे सपएसे । जइ ण अज्जो ! कालादेसेण सव्वपोग्गला सअड्ढा समझा सपएसा, एव ते एगसमयट्टितीए वि पोग्गले सड्ढे समझे सपएसे। १ सं० पा०-तह चेव । २ स० पा०-तं चेव। ३ स० पा०–तहेव । ४ एव खेत्तकालभावादेसेण वि नेतव्व (ता)। ५ सपएसे ३ त चेव (अ, क, ता, स)। Page #284 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचमं सत (अट्ठमो उद्देसो) २२५ जइ णं अज्जो | भावादेसेणं सव्वपोग्गला सअड्ढा समझा सपएसा, एवं ते एगगुणकालए वि पोग्गले सअड्ढे समझे सपएसे। ग्रह ते एव न भवति तो ज वयसि 'दव्वादेसेण वि सव्वपोग्गला सअड्ढा समझा सपएसा, नो अणड्ढा अमज्झा अपएसा, एव खेत्तादेसेण वि, काला देसेण वि, भावादेसेण वि' त ण मिच्छा ।। २०४ तए णं से नारयपुत्ते अणगारे नियठिपुत्त अणगार एव वयासी–नो खलु एव' देवाणुप्पिया । एयम? जाणामो-पासामो। जइ ण देवाणुप्पिया नो गिलायति परिकहित्तए, त इच्छामि ण देवाणुप्पियाण अतिए एयमट्ठ सोच्चा निसम्म जाणित्तए । २०५. तए ण से नियठिपुत्ते अणगारे नारयपुत्त अणगार एव वयासी–दव्वादेसेण वि मे अज्जो । सव्वे पोग्गला सपएसा वि, अप्पएसा वि-अणता। खेत्तादेसेण वि' •मे अज्जो । सव्वे पोग्गला सपएसा वि, अप्पएसा विप्रणता । कालादेसेण वि मे अज्जो । सव्वे पोग्गला सपएसा वि, अप्पएसा वि-अणता। भावादेसेण वि मे अज्जो | सव्वे पोग्गला सपएसा वि, अप्पएसा वि-अणता। जे दवओ अपएसे से खेत्तो नियमा अपएसे, कालो सिय सपएसे सियअपएसे, भावनो सिय सपएसे सिय अपएसे । जे खेत्तयो अपएसे से दव्वनो सिय सपएसे सिय अपएसे, कालो भयणाए, भावग्रो भयणाए। जहा खेत्तयो एव कालो, भावो । जे दव्वो सपएसे से खेत्तो सिय सपएसे सिय अपएसे । एव कालो, भावग्रो वि। जे खेत्तो सपएसे से दव्वरो नियमा सपएसे, कालो भयणाए, भावनो भयणाए। जहा दम्वनो तहा कालो, भावनो वि ॥ २०६ एएसि ण भते । पोग्गलाण दव्वादेसेण, खेत्तादेसेण, कालादेसेण, भावादेसेण सपएसाण अपएसाण य कयरे कयरेहितो' 'अप्पा वा ? बहुया वा ? तल्ला वा ? ० विसेसाहिया वा ? | नारयपुत्ता | सव्वत्थोवा पोग्गला भावादेसेण अपएसा, कालादेसेण अपएसा असखेज्जगुणा, दव्वादेसेण अपएसा असखेज्जगुणा, खेत्तादेसेण अपएसा असखे १. सपएसे ३ त चेव (अ, क, ता, स)। २ एय (म, क, ता, ब), X (स)। ३ स० पा० खेत्तादेसेण वि एव चेव कालदेसेण वि भावादेसेण वि एव चेव । ४ स० पा०-कयरेहिंतो जाव विसेसाहिया। Page #285 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २२६ भगवई ज्जगुणा, खेत्तादेसेणं चेव सपएसा असंखेज्जगुणा, दव्वादेसेण सपएसा विसेसा हिया, कालादेसेणं सपएसा विसेसाहिया, भावादेसेण सपएसा विसेसाहिया ।। २०७ तए ण से नारयपुत्ते अणगारे नियठिपुत्त अणगार वदइ नमसड, वदित्ता नम सित्ता एयमटुं सम्म विणएण भज्जो-भुज्जो खामेति, खामेत्ता सजमेण तवसा अप्पाण भावेमाणे विहरइ ।। जीवाणं-वुढि-हाणि-अवट्टिइ-पदं २०८. भतेत्ति | भगव गोयमे समण' भगव महावीर वदइ नमसइ, वदित्ता नम सित्ता एव वयासी-जीवा ण भते । कि वड्ढति ? हायति ? अवदिया? गोयमा । जीवा नो वड्ढति, नो हायति, अवटिया ॥ २०६ नेरइया ण भते । कि वड्ढति ? हायति ? अवट्रिया ? गोयमा ! नेरइया वड्ढंति वि, हायति वि, अवट्ठिया वि ।। २१०. जहा नेरइया एव जाव' वेमाणिया ।। २११. सिद्धा णं भते । पुच्छा। गोयमा । सिद्धा वड्ढति, नो हायति, अवटिया वि॥ ११२ जीवा ण भते । केवतिय काल अवटिया ? गोयमा | सव्वद्ध ॥ २१३. नेरइया णं भते ! केवतिय काल वडढति ? गोयमा । जहण्णेण एग समयं, उक्कोसेण आवलियाए असखेज्जइभागं ॥ २१४ एव हायति वि' ।। २१५ नेरइया ण भते । केवतिय काल अवट्रिया ? गोयमा ! जहण्णण एग समय, उक्कोसेण चउवीस मुहुत्ता ॥ -२१६ एव 'सत्तमु वि" पुढवीसु 'वड्ढति, हायति' भाणियब्व, नवरं-अवविएस इम नाणत्त, त जहा-रयणप्पभाए पुढवीए अडयालीस मुहुत्ता, सक्करप्पभाए चोड्स राइदिया, वालुयप्पभाए मास, पकप्पभाए दो मासा, धूमप्पभाए चत्तारि मासा, तमाए अट्ठ मासा, तमतमाए वारस मासा ।। २१७ असुरकुमारा वि वड्ढति, हायति जहा नेरइया । अवट्ठिया जहण्णेण एक्क समय, - उक्कोसेण अट्ठचत्तालीस मुहुत्ता ॥ २१८ एव दसविहा वि ॥ ५ राइदियाइ (अ, क, व, म), राइदिया रण १. स० पा०-समण जाव एव । २. पू० प० २। ३. वा (अ, क, ता, स)। ४. सत्त (ता)। ६ अडतालीस (ता)। Page #286 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पचम सत (अट्ठमो उद्देसो) २२७ २१६ एगिदिया वड्ढति वि, हायति वि अवट्ठिया वि । एएहि तिहि वि जहण्णेण एक्कं समय, उक्कोसेण पावलियाए असखेज्जइभाग ॥ २२०. बेइदिया' 'वड्ढति, हायति' तहेव, अवट्ठिया जहण्णेण एक्क समय, उक्कोसेण दो अंतोमुहुत्ता ।। २२१. एवं जाव' चरिदिया । २२२ अवमेसा सव्वे 'वड्ढति, हायति' तहेव, अवट्ठियाण नाणत्त इम, त जहा समुच्छिमचिदियतिरिक्खजोणियाण दो अतोमुत्ता, गभवक्कतियाण चउव्वीस मुहुत्ता, समुच्छिममणुस्साण अट्ठचत्तालीस मुहुत्ता, गम्भवक्कतियमणुस्साण चउवोस मुहुत्ता, वाणमतर-जोतिसिय-सोहम्मीसाणेसु अट्टचत्तालीस मुहुत्ता, सणकुमारे अट्ठारस राइदियाइ चत्तालीस य मुहुत्ता, माहिदे चउवीस रइदियाइ वीस य मुहुत्ता, वभलोए पचचत्तालीस राइदियाइ, लतए नउइ५ राइदियाइ, महासुक्के सट्टि राइदियसय, सहस्सारे दो राइदियसयाइ, आणयपाणयाणं सखेज्जा मासा, पारणच्चुयाण सखेज्जाइ वासाइ, एव गेवेज्जदेवाण', विजय-वेजयत-जयत-अपराजियाण असखेज्जाइ वाससहस्साइ, सव्वट्ठसिद्धे पलिग्रोवमस्म सम्वेज्जडभागो। एवं भाणियव्व - 'वड्ढति, हायति जहण्णण एक्क समय, उक्कोसेण प्रावलियाए असखेज्जइभाग, अवट्ठियाण ज भणिय" ॥ २२३ सिद्धा ण भते । केवइय काल वड्ढति ? गोयमा ! जहण्णणं एक्क समय, उक्कोसेण अट्ठ समया ।। २२४. केवडय काल अवट्ठिया ? गोयमा । जहण्णेण एक्क समय, उक्कोसेण छम्मासा ॥ जीवाणं सोवचय-सावचयादि-पदं २२५. जीवा ण भते । कि सोवचया ? सावचया ? सोवचय-सावचया ? निरुवचय निरवचया? गोयमा | जीवा नो सोवचया, नो सावचया, नो सोवचय-सावचया, निरुवचयनिरवचया। एगिदिया ततियपदे, सेसा जीवा चउहि वि' पदेहिं भाणियव्वा ॥ १ अमखेज्जभाग (क, व, म) । २ वेतिदिया (अ, स)। ३ भ० २११३८ । ४ जोतिस (अ, क, स)। ५ नउय (अ, स)। ६ सट्ठ (ता, व)। ७ गेवेज्जग° (ता)। ८ एतद् निगमनवाक्य तेन पूर्वोक्तस्य पुनरुक्त मस्ति । ६. X (अ, क, स) : Page #287 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २२८ भगवई २२६. सिद्धा णं भंते | पुच्छा। गोयमा ! सिद्धा सोवचया, नो सावचया, नो सोवचय-सावचया, निरुवचय निरवचया ॥ २२७ जीवा ण भते । केवतिय काल निरुवचय-निरवचया ? गोयमा ! सव्वद्ध ॥ २२८ नेरइया ण भते । केवतिय काल सोवचया ? गोयमा । जहण्णेण एक्क समय, उक्कोसेण आवलियाए असखेज्जइभाग ।। २२६ केवतिय काल सावचया ? एव चेव ।। २३० केवतियं काल सोवचय-सावचया ? एव चेव ॥ केवतिय काल निरुवचय-निरवचया ? गोयमा । जहण्णेण एक्क समय, उक्कोसेण बारस मुहुत्ता। एगिदिया सव्वे सोवचय-सावचया सव्वद्ध । सेसा सव्वे सोवचया वि, सावचया वि, सोवचय-सावचया वि', जहण्णण एक्क समय, उक्कोसेण आवलियाए असखेज्जइभागं । अवट्ठिएहि वक्कतिकालो भाणियवो ॥ २३२ सिद्धा ण भते । केवतिय काल सोवचया ? गोयमा । जहण्णेण एग समय, उक्कोसेण अट्ट समया ॥ २३३ केवतिय काल निरुवचय-निरवचया ? जहण्णण एक्क समय, उक्कोसेण छ मासा ।। २३४ सेव भते । सेव भते । त्ति। १. वि निरूवचय-निरवचया वि (क, व, स)। २ भ० ११५१ । Page #288 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बि स (नयमो उद्देसो) २२८ नवमो उद्देसो किमिदंरायगिह-पदं २३५ तेण कालेण तेण समएण जाव' एव वयासो-किमिद भते । नगर रायगिह ति पवुच्चइ ? कि पुढवी नगर रायगिह ति पवुच्चइ ? कि आऊ नगर रायगिह ति पच्चड' ? •किं तेऊ वाऊ वणस्सई नगर रायगिह ति पच्चइ ? कि टका कूडा सेला सिहरी पन्भारा नगर राहगिह ति पच्चइ ? कि जल-थल-विल-गुह-लेणा नगर रायगिह ति पवुच्चइ ? कि उज्झर-निज्झरचिल्लल-पल्लल-वप्पिणा नगर रायगिह ति पवुच्चइ ? कि अगड-तडाग दहनईओ वावी-पुक्खरिणी-दीहिया गुजालिया सरा सरपतियानो सरसरपतियानो विलपतियायो नगर रायगिह ति पवुच्चइ ? कि आरामुज्जाण-काणणा वणा वणसडा वणराईनो नगर रायगिह ति पवुच्चइ ? कि देवउल-सभ-पव-थूभखाइय-परिखाग्रो नगर रायगिह ति पवुच्चइ ? किं पागार-अट्टालग-चरियदार-गोपुग नगर रायगिह ति पवुच्चइ ? कि पासाद-घर-सरण-लेण-श्रावणा नगर रायगिह ति पवुच्चड ? कि सिघाडग-तिग-चउक्क-चच्चर-चउम्मुहमहापह-पहा नगर रायगिह ति पवुच्चइ ? कि सगड-रह-जाण-जुग्ग-गिल्लिथिल्लि-सीय-सदमाणियानो नगर रायगिह ति पवुच्चइ ? कि लोही-लोहकडाहकडुच्छया नगर रायगिह ति पवुच्चइ ? किं भवणा नगर रायगिह ति पवुच्चइ ? कि देवा देवीयो मगुस्सा मणुस्सीओ तिरिक्खजोणिया तिरिक्खजोणिणीओ नगर रायगिह ति पवुच्चड ? कि सयण-खभ-भड ° -सचित्ताचित्त-मीसयाइ दव्वाइ नगर रायगिह ति पवुच्चइ ? गोयमा | पुढवि वि नगर रायगिह ति पवुच्चइ जाव सचित्ताचित्त-मीसयाइ दव्वाइ नगर रायगिइ ति पवुच्चइ ।। २३६ से केणट्रेण ? गोयमा ! पुढवी जीवा इ य, अजीवा इ य नगर रायगिह ति पवुच्चइ जाव सचित्ताचित्त-मीसयाइ दवाइ जीवा इ य, अजीवा इ य नगर रायगिह ति पवुच्चइ । से तेण?ण त चेव ।। उज्जोय-अंधयार-पदं २३७ से नूण भते । दिया उज्जोए ? राइ अधयारे ? हता गोयमा ! दिया उज्जोए, राइ° अधयारे ॥ १ भ० ११४-१०। ३ स० पा०-पवुच्चइ जाव वणस्सई ? जहा२ किमिय (क), किमित (ब, म)। एयणुद्देसए पचिदियतिरिक्खजोणियाण वत्त व्वया तहा भारिणयव्वा जाव सचित्ताचित्त। ४ स०पा०-गोयमा जाव अधयारे। Page #289 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २३० भगवई २३८. से केणखूण ? गोयमा | दिया सुभा पोग्गला सुभे पोग्गलपरिणामे, राई असुभा पोग्गला असुभे पोग्गलपरिणामे । से तेणटेण ॥ २३६ नेरइयाण भते । कि उज्जोए ? अधयारे ? गोयमा ! नेरइयाण नो उज्जोए, अधयारे ।। २४०. से केणद्वेण ? गोयमा | नेरइयाण असुभा पोग्गला असुभे पोग्गलपरिणामे । से तेणद्वेण ।। २४१ असुरकुमाराण भते । कि उज्जोए ? अधयारे ? गोयमा । असुरकुमाराण उज्जोए, नो अधयारे ।। से केणद्वेण ? गोयमा | असुरकुमाराण सुभा पोग्गला सुभे पोग्गलपरिणामे । से तेणटेण । जाव' थणिय कुमाराणं' ।। २४३ पुढविक्काइया जाव तेइदिया 'जहा नेरइया" ।। २४४ चरिदियाण भते । कि उज्जोए ? अधयारे ? गोयमा | उज्जोए वि, अधयारे वि ।। २४५. से केणटेण ? गोयमा ! चरिंदियाण सुभासुभा य पोग्गला सुभासुभे य पोग्गलपरिणामे । से तेणद्वेण ॥ २४६ एव जाव' मणुस्साण ।। २४७. वाणमतर-जोइस वेमाणिया जहा असुरकुमारा ॥ मणुस्सखेत्ते समयादि-पद २४८. अस्थि णं भते । नेरइयाण तत्थगयाणं एव पण्णायए, त जहा--समया इ वा, आवलिया इ वा जावोसप्पिणी इ वा, उस्सप्पिणी इ वा ? णो तिणढे समढे ।। २४६. से केण?ण भते ! एव वुच्चइ--नेरइयाणं तत्थगयाण नो एव पण्णायए, त जहा--समया इ वा, आवलिया इ वा जाव प्रोसप्पिणी इ वा, उस्सप्पिणी इ वा ? गोयमा । इह तेसिं माण, इह तेसि पमाण, इह तेसि एव पण्णायए, त जहासमया इ वा जाव उस्सप्पिणी इ वा । से तेणवण जाव नो एव पण्णायए, त जहा-समया इ वा जाव उस्सप्पिणी इ वा ॥ १ रत्ति (ता, व, म)। ६ पू० प० २। २. जाव एव वुच्चइ जाव (अ, क, ता, व, म, स) ७. भ० ०२४१, २४२ । ३. थणियाण (क, ता, व, म, स)। ८ ठा० २।३८७-३८६ । ४. पू० प० २। ६ स० पा6-केण?ण जाव समया। ५ नेरइया जहा (क, ता, व, म); भ० ५।२३६, १०. ठा० २।३८७-३८६ । २४०। Page #290 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पचमं सत (नवमो उद्देसो) २३१ २५० एवं जाव' पचिदियतिरिक्खजोणियाण ।। २५१ अस्थि ण भते । मणुस्साण इहगयाण एव पण्णायते', त जहा–समया इ वा जाव' उस्सप्पिणी इ वा ? हता अत्थि ॥ २५२ से केणटेण? गोयमा । इह तेसि माण, इह तेसि पमाण, इह चेव तेसि एव पण्णायते, त जहा-समया इ वा जाव उस्सप्पिणी इ वा । से तेणद्वेण ।। २५३ वाणमतर-जोइस-वेमाणियाण जहा नेरइयाण ॥ पासावच्चिज्ज-पद २५४ तेण कालेण तेण समएण पासावच्चिज्जा थेरा भगवतो जेणेव समणे भगव महावीरे तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता समणस्स भगवो महावीरस्स अदूरसामते ठिच्चा एव वयासी–से नूण भते । असखेज्जे लोए अणता राइदिया उपज्जिसु वा, उप्पज्जति वा, उप्पज्जिस्सति वा विच्छिसुवा, विगच्छति वा, विगच्छिस्सति वा ? परित्ता राइदिया उप्पज्जिसु वा, उप्पज्जति वा, उप्पज्जिस्सति वा ? विच्छिसु वा, विगच्छति वा, विगच्छिस्सति वा ? हता अज्जो । असखेज्जे लोए अणता राइदिया त चेव ॥ २५५ से केणद्वेण जाव विगच्छिस्सति वा? से नूण भे अज्जो । पासेण अरहय। पुरिसादाणिएण सासए लोए बुइए-अणादीए अणवदग्गे परित्ते परिवुडे हेट्ठा विच्छिण्णे, मज्झ सखित्ते, उप्पि विसाले, अहे पलियकसठिए, मझे वरवइरविग्गहिए, उप्पि उद्धमुइगाकारसठिए। तेसिं च ण सासयसि लोगसि प्रणादियसि अणवदग्गसि परित्तसि परिवुडसि हेढा विच्छिण्णसि, मज्झे सखित्तसि, उप्पि विसालसि, अहे पलियकस ठियसि, मज्झे वरवइरविग्गहियसि, उप्पिउद्धमुइगाकारसठियसि अणता जीवघणा उप्पज्जित्ताउप्पज्जित्ता निलीयति, परित्ता जीवघणा उप्पज्जित्ता-उप्पज्जित्ता निलीयति । से भूए' उप्पण्णे विगएपरिणए, अजीवेहि लोक्कइ पलोक्कइ, जे लोक्कइ से लोए? हता भगव | से तेण?ण अज्जो | एव वुच्चइ-असखेज्जे लोए अणता राइदिया त चेव। . १ पू०प० २। २ पण्णायति (अ, क, ब, म),पण्णायइ ता। ३ ठा० २।३८७-३८६ । ४ ठा० २।३८७-३८६ । ५ भ० ५२४८-२४६ । ६ विगिच्छुिसु (अ, ता, म)। ७ नूरण (स)। Page #291 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २३२ भगवई तप्पभिरं च णं ते पासावच्चेज्जा थेरा भगवंतो समणं भगवं महावीरं पच्चभिजाति सव्वण्णू सव्वदरिसी ॥ २५६ तए णं ते थेरा भगवतो समण भगव महावीर वदति नमसति, वंदित्ता नमसित्ता एव वयासी - इच्छामि ण भते । तुव्भ अतिए चाउज्जामाग्री धम्मान पचमहव्वइयसपडिक्कमण धम्म उवसपज्जित्ता ण विहरित्तए । हासुह देवाणुप्पिया ! मा पडिवध ॥ २५७ तएण ते पासावच्चिज्जा थेरा भगवतो चाउज्जामाग्रो धम्माल पचमहव्वइय सपडिक्कमण धम्म उवसपज्जित्ताण विहरति जाव' चरिमेहि उस्सास - निस्सासेहि सिद्धा' 'बुद्धा मुक्का परिनिव्वुडा० सव्वदुक्खप्पहीणा । श्रत्येगतिया देवलोएसु' उववण्णा ॥ देवलोय-पदं २५८ कइविहा ण भते । देवलोगा पण्णत्ता ? गोयमा । चउव्विहा देवलोगा पण्णत्ता, त जहा - भवणवासी 'वाणमंतर - जोतिसिय-वेमाणियभेदेण" । भवणवासी दसविहा, वाणमतरा अट्ठविहा, जोतिसिया पचविहा वेमाणिया दुविहा । संग्रहणी - गाहा किमिद रायगिह ति य, उज्जोए ग्रधया र समए य । पास तिवासिपुच्छा, रातिंदिय देवलोगा य ॥। १॥ २५६. सेव भंते ! सेव भते । त्ति' | दसमो उद्देसो २६० तेण कालेण तेण समएण चपा नामं नगरी, जहा पढमिल्लो उद्देसन' तहा नेयव्वो एसो वि, नवरं - चदिमा भाणियव्वा ॥ १. भ० ११४३३ । २. स० पा० - सिद्धा जाव सव्व ० । ३ देवा देवलोएसु ( अ, क, ता, व, म) 1 ४. वारणमतरा जोइसिया वेमाणिया भेदेण ( अ, ता, म) । ५. भ० १५१ । ६. अस्यैव शतकस्य । Page #292 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छ8 सतं पढमो उद्देसो संगहणी-गाहा १. वेदण २ आहार ३. महस्सवे य ४. सपदेश ५ तमुए' ६ भविए। ७ साली ८ पुढवी ६ 'कम्म १० अण्णउत्थि दस छट्ठगम्मि सए ॥१॥ पसत्थनिन्जराए सेयत्त-पदं १ से नूण भते । जे महावेदणे से महानिज्जरे ? जे महानिज्जरे से महावेदणे ? महावेदणस्स य अप्पवेदणस्स य से सेए जे पसत्थनिज्जराए ? हता गोयमा ! जे महावेदणे'• से महानिज्जरे, जे महानिज्जरे से महावेदणे, महावेदणस्स य अप्पवेदणस्स य से सेए जे पसत्थनिज्जराए । २ छट्ठ-सत्तमासु ण भते | पुढवीसु नेरइया महावेदणा? हता महावेदणा ॥ ३ ते ण भते ! समणेहितो निग्गथेहितो महानिज्जरतरा ? गोयमा | नो इणद्वे समढे ।। ४ से केण खाइ अद्वेण भते । एव वुच्चइ-जे महावेदणे से महानिज्जरे ? जे महानिज्जरे से महावेदणे ? महावेदणस्स य अप्पवेदणस्स य से सेए जे० पसत्थनिज्जराए ? गोयमा | से जहानामए दुवे वत्था सिया–एगे वत्थे कद्दम रागरत्ते, एगे वत्थे खजणरागरत्ते । एएसि ण गोयमा | दोण्ह वत्थाण कयरे वत्थे दुद्धोयतराए चेव, दुवामतराए चेव, दुपरिकम्मतराए चेव'; कयरे वा वत्थे सुद्धोयतराए चेव, १ तमुयाए (क्व०)। २ कम्मण्णउत्थि (क, ता, व, म)। ३. स० पा०-एव चेव । ४. स० पा०-महावेदणे जाव पसत्थनिज्जराए २३३ Page #293 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २३४ भगवई सुवामतराए चेव, सुपरिकम्मतराए चेव ; जे वा से वत्ये कद्दम रागरत्ते? जे वा से वत्थे खजणरागरत्ते? भगव । तत्थ ण जे से कद्दमरागरत्ते, से ण वत्थे' दुद्धोयतराए चेव, दुवामतराए चेव, दुप्परिकम्मतराए चेव, एवामेव गोयमा | नेरइयाण पावाइ कम्माइ गाढीकयाइ, चिक्कणीकयाइ', सिलिट्ठीकयाइ, खिलीभूताइ' भवति । सपगाढ पि य ण ते वेदण वेदेमाणा नो महानिज्जरा, नो महापज्जवसाणा भवति । से जहा वा केइ पुरिसे अहिगरणि पाउडेमाणे महया-महया सद्देण, महया-महया घोसेण, महया-महया परपराघाएण नो सचाएइ तीसे अहिगरणीए केइ अहावायरे पोग्गले परिसाडित्तए, एवामेव गोयमा । नेरइयाण पावाइ कम्माइ गाढीकयाइ', 'चिक्कणीकयाइ, सिलिट्ठीकयाइ, खिलीभूताइ भवति । सपगाढं पि य ण ते वेदण वेदेमाणा नो महानिज्जरा,° नो महापज्जवसाणा भवति । भगव । तत्थ जे से खजणरागरत्ते, से ण वत्थे सुद्धोयतराए चेव, सुवामतराए चेव, सपरिकम्मतराए चेव, एवामेव गोयमा ! समणाण निग्गथाण अहाबायराइ कम्माइ सिढिलीकयाइ, निट्टियाइ कयाइ", विप्परिणामियाइ खिप्पामेव विद्धत्थाइ भवति । जावतिय तावतिय पि ण ते वेदण वेदेमाणा महानिज्जरा, महापज्जवसाणा भवति । से जहानामए केइ पुरिसे सुक्क तणहत्थय जायतेयसि पक्खिवेज्जा, से नूण गोयमा। से मुक्के तणहत्थए जायतेयसि पक्खित्ते समाणे खिप्पामेव मसमसाविज्जति ? हता मसमसाविज्जति । एवामेव गोयमा । समणाणं निग्गथाण अहाबायराइ कम्माइ", सिढिलीकयाइ, निट्टियाइ कयाइ, विप्परिणामियाइ खिप्पामेव विद्धत्थाइ भवति । जावतिय तावतिय पि ण ते वेदण वेदेमाणा महानिज्जरा,° महापज्जवसाणा भवति । से जहानामए केइ पुरिसे तत्तसि अयकवल्लसि उदगबिंदु२ •पक्खिवेज्जा, से नण गोयमा ! से उदगबिंदु तत्तसि अयकवल्लसि पक्खित्ते समाणे खिप्पामेव विद्धसमागच्छइ ? हता विद्धसमागच्छइ। १. से वत्थे (क, व, म)। ७. स. पा०-गाढीकयाइ जाव नो। २. भते (व, म)। ८. °साणाइ (अ, स)। ३. ४ (अ)। ६ से वत्थे (अ, क, ता, व, म, स)। ४. सिढिलीकयाइ (म, स)। १० कडाइ (अ, क, ता, ब, म, स)। ५ खिलीकयाइं (अ, स)। ११ स० पा०-कम्माइ जाव महा° । ६. आकोडेमाणे (अ, क, ता, व, म, स)। १२. स० पा०-उदगविदु जाव हता। Page #294 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मुटुं सत (पढमो उद्देसो) एवामेव गोयमा । समणाण निग्गथाण' 'अहाबायराइ कम्माइ, सिढिलीकयाइ, निट्टियाइ कयाइ, विप्परिणामियाइ खिप्पामेव विद्धत्थाइ भवति । जावतिय तावतिय पि ण ते वेदण वेदेमाणा महानिज्जरा, महापज्जवसाणा भवति । से तेणद्वेण जे महावेदणे से महानिज्जरे जे महानिज्जरे से महावेदणे, महावेदणस्स य अप्पवेदणस्स य से सेए जे पसत्य निज्जराए । ८ करण-पद ५. कतिविहे ण भते । करणे पण्णत्ते ? गोयमा । चउविहे करणे पण्णत्ते, त जहा--मणकरणे, वइकरणे, कायकरण कम्मकरणे ॥ नेरइयाण भते । कतिविहे करणे पण्णत्ते ? गोयमा । चउविहे पण्णत्ते, त जहा -मणकरणे, वइकरणे, कायकरणे, कम्मकरणे ॥ एव पचिंदियाण सव्वेसि चउविहे करणे पण्णत्ते । एगिदियाण दुविहे-कायकरणे य, कम्मकरणे य । विलिदियाण तिविहे-वइकरणे, कायकरणे, कम्मकरणे। नेरइयाण भते । कि करणो असाय वेदण वेदेति ? प्रकरणो असाय वेदण वेदेति ? गोयमा | नेरइया ण करणो असाय वेदण वेदेति, नो अकरणो असाय वेदण वेदेति ॥ ह से केणट्रेण ? गोयमा । नेरइया ण चउविहे करणे पण्णत्ते, त जहा-मणकरणे वइकरणे, कायकरणे, कम्मकरणे । इच्चेएण चउव्विहेण असुभेण करणेण नेरइया करणयो अस्साय वेदण वेदेति, नो अकरणो। से तेण?ण ।। १० असुरकुमारा ण कि करणो ? अकरणो ? गोयमा | करणग्रो, नो अकरणो॥ से केणट्रेण? गोयमा । असुरकुमाराण चउविहे करणे पण्णत्ते, त जहामणकरणे, वइकरणे, कायकरण, कम्मकरणे । इच्चेएण सुभेण करणेण असर कुमारा करणनो सात वेदण वेदेति, नो अकरणो। १२. एवं जाव' थणियकुमारा ॥ ३. पू० प० २। १. स० पा०-निग्गथारण जाव महा । २. स० पा०-महानिज्जरे जाव निज्जराए । Page #295 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २३६ . भगवई १३ पुढवीकाइयाणं एवामेव पुच्छा, नवरं-इच्चेएणं सुभासुभेणं' करणेणं पुढविक्का इया करणो वेमायाए वेदण वेदेति, नो अकरणो ।। १४ ओरालियसरीरा सव्वे सुभासुभेण वेमायाए । - देवा सुभेण साय ॥ महावेदणा-महानिज्जरा-चउभंग-पदं १५ जीवा ण भते ! कि महावेदणा महानिज्जरा? महावेदणा अप्पनिज्जरा? अप्पवेदणा महानिज्जरा? अप्पवेदणा अप्पनिज्जरा ? गोयमा | अत्यंगतिया जीवा महावेदणा महानिज्जरा, अत्येगतिया जीवा महावेदणा अप्पनिज्जरा, अत्यंगतिया जीवा अप्पवेदणा महानिज्जरा, अत्थेगतिया जीवा अप्पवेदणा अप्पनिजरा ॥ १६. से केणद्वेण ? गोयमा । पडिमापडिवन्नए अणगारे महावेदणे महानिज्जरे। छट्ठ-सत्तमासु पुढवीसु नेरइया महावेदणा अप्पनिज्जरा। सेलेसि पडिवन्नए अणगारे अप्पवेदणे महानिज्जरे । अणुत्तरोववाइया देवा अप्पवेदणा अप्पनिज्जरा ॥ १७. सेवं भते । सेव भते ! त्ति । संगहणी-गाहा महावेदणे य वत्थे, कद्दम-खजणकए य अहिगरणी। तणहत्थे य कवल्ले, करण-महावेदणा जीवा ॥१॥ १ असुभेण (म)। ४. भ० ११५१ । २. विविधमात्रया कदाचित् साताम्, कदाचित् ५. अतोने 'सेवं भते ! सेव भते ! त्ति' पाठ __असातामित्यर्थ (वृ)। सर्वेषु आदर्शषु अस्ति, किन्तु सग्रहणी-गाथाया ३. सत्तमीसु (क, ता, व, म) । अनतर अस्य किं प्रयोजन न ज्ञायते । Page #296 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २३७ छ? सत (तइओ उद्देसो) बीमो उद्देसो १८ रायगिह नगरं जाव' एव वयासी-आहारुद्देसो जो पण्णवणाए' सो सव्वो निरवसेसो नेयव्वो । १६ सेव भते । सेव भते । त्ति' । तइनो उद्देसो सगहणी-गाहा १. बहुकम्म २ वत्थपोग्गल-पयोगसा-वीससा य ३ सादीए । ४ कम्मट्ठिति ५ त्थि ६ सजय ७ सम्मदिट्ठी य ८ सन्नी य ॥१॥ ६ भविए १० दसण ११ पज्जत्त १२ भासय १३ परित्ते १४ नाण १५ जोगेय। १६, १७ उवओगाहारग १८ सुहुम १६. चरिमबधे य २० अप्पबहुं ॥२॥ महाकम्मादीण पोग्गलबंधादि-पदं २० से नण भते | 'महाकम्मस्स, महाकिरियस्स, महासवस्स", "महावेदणस्स सव्वो पोग्गला वज्झति, सव्वो पोग्गला चिज्जति, सव्वरो पोग्गला उवचिज्जति, सया समिय पोग्गला वज्झति, सया समिय पोग्गला चिज्जति, सया समिय पोग्गला उवचिज्जति, सया समिय च ण तस्स आया दुरूवत्ताए दुवण्णत्ताए दुगधत्ताए दुरसत्ताए दुफासत्ताए, अणिट्ठत्ताए अकतत्ताए अप्पियत्ताए असूभत्ताए अमणुण्णत्ताए अमणामत्ताए अणिच्छियत्ताए अभिज्झियत्ताए अहत्ताए-नो उड्ढत्ताए, दुक्खत्ताए-नो सुहत्ताए भुज्जो-भुज्जो परिणमति ? हता गोयमा | महाकम्मस्स त चेव ।। २१ से केणट्रेण ? गोयमा । से जहानामए वत्थस्स अहयस्स वा, धोयस्स वा. ततुग्गयस्स वा आणुपुवीए परिभुज्जमाणस्स सव्वो पोग्गला बज्झति, सम्वनो पोग्गला चिज्जति जाव' परिणमति से तेणद्वेण । १ भ० ११४-१०। ५ महाकम्मस्स महासवस्स महाकिरियस्स (अ), २ प०२८ । महासवस्स, महाकम्मस्स महाकिरियस्स ३ भ० ११५१ । (क, ता, म, स)। ४. महस्सवस्स (ता, म)। ६ भ०६।२०। Page #297 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २३८ भगवई अप्पकम्मादीणं पोग्गलभेदादि-पदं से नण भते | अप्पकम्मस्स, अप्पकिरियस्स, अप्पासवस्स, अप्पवेदणस्म सब्बग्रो पोग्गला भिज्जति, सव्वनो पोग्गला छिज्जति, सव्वग्रो पोग्गला विद्धसति, सव्वनो पोग्गला परिविद्धसति, सया समिय पोग्गला भिज्जति, सया समियं पोग्गला छिज्जति, सया समिय पोग्गला विद्धस्सति, सया समिय पोग्गला परिविद्धस्सति, सया समिय च ण तस्स पाया मुस्वत्ताए' "मुवण्णत्ताए सुगंधत्ताए सुरसत्ताए सुफासत्ताए इट्टत्ताए कतत्ताए पियत्ताए सुभत्ताए मणुण्णत्ताए मणामत्ताए इच्छियत्ताए अणभिझियत्ताए उड्ढत्ताए- नो अहत्ताए°, मुहत्ताए –नो दुक्खत्ताए भुज्जो-भुज्जो परिणमति ? हता गोयमा । जाव परिणमति ।। से केण?ण ? गोयमा ! से जहानामए वत्थस्स जल्लियस्स वा, पकियस्स वा, __ मइल्लियस्स वा, रइल्लियस्स' वा आणुपुबीए परिकम्मिज्जमाणस्स सुद्धणं वारिणा धोव्वेमाणस्स' सव्वो पोग्गला भिज्जति जाव परिणमति । से तेण?ण ॥ कम्मोवचय-पदं २४ वत्थस्स णं भते । पोग्गलोवचए कि पयोगसा? वीससा? गोयमा ! पयोगसा वि, वीससा वि ॥ २५. जहा ण भंते । वत्थस्स णं पोग्गलोवचए पयोगसा वि, वीससा वि, तहा णं 'जीवाणं कम्मोवचए कि पयोगसा ? वीससा? गोयमा ! पयोगसा', नो वीससा ।। २६ से केणटेण ? गोयमा । जोवाण तिविहे पयोगे पण्णत्ते, तं जहा~मणप्पयोगे, वइप्पयोगे, कायप्पयोगे। इच्चेएण तिविहेण पयोगेण जीवाणं कम्मोवचए पयोगसा, नो वीससा ।। एव सव्वेसि पचिदियाण तिविहे पयोगे भाणियव्वे । पुढवीकाइयाण एगविहेण पयोगेण, एव जाव' वणस्सइकाइयाण । विलिदियाणं दुविहे पयोगे पण्णत्ते, त जहा-वइपयोगे, कायपयोगे य । १. स० पा०—पसत्य नेयव्व जाव सुहत्ताए। २ रतिल्लियस्स (व, म, स)। ३. घोव्व ° (अ, क, व, म)। ४. भ० ६।२२ । ५ भते ! जीवस्स पुरगलोवचए (ब)। ६. पओगसा (स)। ७. भ० ११४३७ । ८. वय° (क, व, म, स)। Page #298 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छुटुं सत (तइओ उद्देसो) २३६ इच्चेएणं दुविहेण पयोगेण कम्मोवचए पयोगसा, नो वीससा। से तेणद्वेण' 'गोयमा । एव वुच्चइ-जीवाण कम्मोवचए पयोगसा°, नो वीससा । 'एव जस्स जो पयोगो जाव वेमाणियाण ॥ कम्मोवचयस्स सादि-अनादित्त-पद २७. वत्थस्स णं भते । पोग्गलोवचए कि सादोए सपज्जवसिए ? सादीए अपज्जव सिए ? अणादीए सपज्जवसिए ? अणादीए अपज्जवसिए? गोयमा । वत्थस्स ण पोग्गलोवचए सादीए सपज्जवसिए, नो सादीए अपज्जवसिए, नो अणादीए सपज्जवसिए, नो अणादीए अपज्जवसिए॥ जहा ण भते ! वत्थस्स पोग्गलोवचए सादीए सपज्जवसिए, नो सादीए अपज्जवसिए, नो अणादीए सपज्जवसिए, नो अणादीए अपज्जवसिए, तहा ण जीवाण कम्मोवचए पुच्छा। गोयमा । अत्यंगतियाण जीवाण कम्मोवचए सादीए सपज्जवसिए, अत्थेगतियाण अणादीए सपज्जवसिए, अत्थेगतियाण अणादीए अपज्जवसिए, नो चेव ण जीवाण कम्मोवचए सादीए अपज्जवसिए॥ २६ से केण?ण ? गोयमा । इरियावहियवधयस्स' कम्मोवचए सादीए सपज्जवसिए, भवसिद्धियस्स कम्मोवचए अणादीए सपज्जवसिए, अभवसिद्धियस्स कम्मो वचए अणादीए अपज्जवसिंए । से तेण?ण ॥ जीवाणं सादि-अनादित्त-पद । ३० वत्थे ण भते । किं सादीए सपज्जवसिए-चउभगो ? गोयमा । वत्थे सादीए सपज्जवसिए, अवसेसा 'तिण्णि वि" पडिसेहेयव्वा ।। ३१ जहा ण भते । वत्थे सादीए सपज्जवसिए, नो सादीए अपज्जवसिए, नो अणादीए सपज्जवसिए, नो अणादीए अपज्जवसिए, तहा ण जीवा किं सादीया सपज्जवसिया ? चउभगो-पुच्छा। गोयमा । अत्थेगतिया सादीया सपज्जवसिया- चत्तारि वि भाणियव्वा ॥ ३२ से केणट्रेण ? गोयमा । नेरतिय-तिरिक्खजोणिय-मणुस्स-देवा गतिरागति पडुच्च सादीया सपज्जवसिया, सिद्धा गति पडुच्च सादीया अपज्जवसिया, भवसिद्धिया लद्धि पड़च्च अणादीया सपज्जवसिया, अभवसिद्धिया ससार पड़च्च अणादीया अपज्जवसिया । से तेणद्वेण ।। १ स० पा०-तेणटेण जाव नो। २ एतद् द्विरुक्तमिव प्राभाति । ३ रिया° (अ, ता, व, म)। ४. X (अ), तिण्णि (क, ता, व, म)। Page #299 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २४० भगवई कम्मपगडी बंध विवेयण-पदं ३३ कति ण भते । कम्मप्पगडीओ पण्णतायो ? गोयमा | अट्ट कम्मप्पगडीयो पण्णत्ताओ, त जहा-१. नाणावरणिज्ज २. दरिसणावरणिज्ज' •३ वेदणिज्ज ४. मोहणिज्ज ५ पाउग ६. नाम ७. गोय° ८ अतराइय ।। ३४ नाणावरणिज्जस्स ण भंते । कम्मस्स केवतियं काल वधट्ठिती पण्णत्ता ? गोयमा ! जहण्णेणं अतोमुहत्त, उक्कोसेण तीस सागरोवमकोडाकोडीओ, तिण्णि य वाससहस्साइं अवाहा, अवाहूणिया कम्मट्टिती--कम्मनिसेयो। "दरिसणावरणिज्ज जहण्णेण अतोमुहुत्त, उक्कोसेण तीस सागरोवमकोडाकोडीओ, तिण्णि य वाससहस्साइ अवाहा, अवाहूणिया कम्मद्विती-कम्मनिसेयो । वेदणिज्ज जहण्णेण दो समया, उक्कोसेण' 'तीसं सागरोवमकोडाकोडीयो, तिण्णि य वाससहस्साई अवाहा, अवाहणिया कम्मद्विती-कम्मनिसेप्रो । मोहज्जि जहण्णेण अतोमुहुत्त, उक्कोसेणं सत्तरिसागरोवमकोडाकोडीओ, सत्त य वाससहस्साणि अवाहा, अवाहूणिया कम्मट्टिती- कम्मनिसेयो । आउग, जहण्णेण अतोमुहुत्त, उक्कोसेण तेत्तीस सागरोवमाणि पुव्वकोडितिभागमभहियाणि, कम्मट्टिती-कम्मनिसेओ। नाम-गोयाण जहण्णेण अट्ठ मुहुत्ता, उक्कोसेण वीस सागरोवमकोडाकोडीयो, दोण्णि य वाससहस्साणि अवाहा, अवाहूणिया कम्मट्टिती--कम्मनिसेयो । अतराइय' 'जहण्णण अतोमुत्त, उक्कोसेण तीस सागरोवमकोडाकोडीयो, तिण्णि य वाससहस्साइ अवाहा, अवाहूणिया कम्मद्विती--कम्मनिसेप्रो० ॥ नाणावरणिज्ज" ण भते । कम्म कि इत्थी वधइ ? पुरिसो बधइ ? नपुसओ वधइ ? नोइत्थी नोपुरिसो नोनपुसो बधइ ? गोयमा | इत्थी वि वधइ, पुरिसो वि वधइ, नपुसो वि वधइ । नोइत्थी नोपुरिसो नोनपुसो सिय बधइ सिय नो बधइ । एव आउगवज्जाओ सत्त कम्मप्पगडीओ।। ३६ आउग ण भते । कम्म कि इत्थी वधइ ? पुरिसो बधइ ? नपुसयो वधइ ? 'नोइत्थी नोपुरिसो नोनपुसओ वधइ ?'६ w - १. दसणा. (ब), स० पा०-दरिसणावरणि- ४ स० पा०-जहा नाणावरणिज्ज । ज्ज जाव प्रतराइय।। ५ नाणावरणिज्जे (अ, स)। २. स० पा०—एव दरिसरणावरणिज्ज पि । ६ पुच्छा (अ, क, ता, व, म, स)। ३ स० पा०-जहा नाणावरणिज्ज । Page #300 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छ? सत (तइओ उद्देसो) २४१ गोयमा । इत्थी सिय बधइ, सिय नो बधइ ।' पुरिसो सिय बधइ, सिय नो बधइ । नपुसओ सिय बधइ, सिय नो बधइ ।' नोइत्थी नोपुरिसो नोनपुसओ न बधइ॥ नाणावरणिज्ज ण भते । कम्म किं सजए बधइ ? अस्सजए बधइ ? सजयासजए बधइ ? नोसजए नोअसंजए नोसजयासजए बधइ ? गोयमा । सजए सिय बधइ, सिय नो बधइ । अस्सजए बधइ, सजयासजए वि बधइ । नोसजए नोअस्सजए नो सजयासजए न बधइ । एव उगवज्जायो सत्त वि । आउगे हेट्ठिल्ला तिण्णि भयणाए, उवरिल्ले न वधइ।। ३८ नाणावरणिज्ज ण भते । कम्म कि सम्मदिट्ठी बधइ ? मिच्छदिट्ठी' बधइ ? सम्मामिच्छदिदी बधइ ? गोयमा । सम्मदिट्ठी सिय बधइ, सिय नो बधइ। मिच्छदिट्ठी बधइ, सम्मामिच्छदिट्टी वधइ। एव आउगवज्जानो सत्त वि । आउगे हेट्ठिल्ला दो भयणाए, सम्मामिच्छदिट्ठी न वधइ॥ नाणावरणिज्ज ण भते । कम्म कि सण्णी बधइ ? असण्णी बधइ ? नोसण्णी नोअसण्णी बधइ ? गोयमा | सण्णो सिय बधइ, सिय नो बधइ । असण्णी बधइ। नोसण्णी नोअसण्णी न बधइ। एव वेदणिज्जाउगवज्जासो छ कम्मप्पगडीओ। वेदणिज्ज हेडिल्ला दो बधति, उवरिल्ले भयणाए । आउग हेट्ठिल्ला दो भयणाए, उवरिल्ले न बधइ ।। नाणावरणिज्ज ण भते । कम्म किं भवसिद्धिए बधइ ? अभवसिद्धिए वधइ ? नोभवसिद्धिए नोअभवसिद्धिए बधइ ? गोयमा । भवसिद्धिए भयणाए, अभवसिद्धिए वधइ । नोभवसिद्धिए नोअभवसिद्धिए न बधइ। एव ग्राउगवज्जाओ सत्त वि । अाउग हेट्ठिल्ला दो भयणाए। उवरिल्ले न वधई। ४१ नाणावरणिज्ज ण भते । कम्म किं चक्खुदसणी वधइ ? अचक्खुदसणी बधइ? प्रोहिदसणी बधइ ? केवलदसणी वघड ? गोयमा । हेट्ठिल्ला तिण्णि भयणाए, उवरिल्ले न वधइ । एवं वेदणिज्जवज्जाओ सत्त वि । वेदणिज्ज हेट्ठिल्ला तिण्णि बघति, केवल दसणी भयणाए । १. स. पा.-एव तिण्णि वि भारिणयव्वा। २. मिच्छा (क)। ३६ Page #301 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २४२ ४२. नाणावरणिज्ज ण भते । कम्म कि पज्जत्तए वधइ ? नोपज्जत्तए नोप्रपज्जत्तए बधइ गोयमा । पज्जत्तए भयणाए, अपज्जत्तए वधइ । नोपज्जत्तए नोग्रपज्जत्तए ? भगवई पज्जत्तए बधइ ? न बधइ । एव आउगवज्जाश्रो सत्त वि । उग हेट्ठिल्ला दो भयणाए, उवरिल्ले न बधइ ॥ ४३. नाणावरणिज्ज ण भते । कम्म कि भासए वधइ ? गोमा | दो वि भयणाए । ? ग्रभासए बधइ एव वेदणिज्जवज्जाओ सत्त वि । वेदणिज्ज भासए बधइ, प्रभासए भयणाए । नाणावरणिज्ज ण भते । कम्म किं परिते बधइ ? अपरित्ते बधइ ? नोपरिते नोपरित्ते बधइ ? गोयमा । परित्ते भयणाए, परित्ते बधइ । नोपरित् नोपरित्ते न बधइ । एव उगवज्जाओ सत्त कम्मप्पगडीओ | आउय' परित्ते वि, परितेवि भयणाए, नोपरित्ते नोपरिते न बधइ || ४४ ४५ नाणावरणिज्ज ण भते । कम्म कि आभिणिवोहियनाणी बधइ ? सुयनाणी बधइ ? हिनाणी बधइ ? मणपज्जवनाणी बधइ ? केवलनाणी बधइ ? गोमा । हेट्ठिल्ला चत्तारि भयणाए । केवलनाणी न बधइ । एव वेदणिज्जवज्जानो सत्त वि । वेदणिज्ज हेट्ठिल्ला चत्तारि बधति, केवलनाणी भयणाए || ? ४६. नाणावरणिज्ज ण भते । कम्म किं मइण्णाणी बधइ ? सुयग्रण्णाणी बधइ विभगनाणी बधइ ? गोयमा | उगवज्जाश्रो सत्तवि बधति, ग्राउग भयणाए ॥ ? ४७. नाणावर णिज्ज ण भते । कम्म कि मणजोगी वधइ ? वइजोगी' बधइ कायजोगी बधइ ? अजोगी बधइ ? गोमा । हेट्ठिल्ला तिष्णि भयणाए, अजोगी न बधइ । एव वेदणिज्जवज्जाश्रो सत्त वि । वेदणिज्ज हेट्ठिल्ला बंधति, अजोगी न बधइ ॥ ४८ नाणावर णिज्ज ण भते । कम्म कि सागारोवउत्ते' बधइ ? अणागारोवउत्ते बधइ ? गोयमा ! अट्ठसुवि भयणाए । ४६ नाणावरणिज्ज ण भते । कम्म किं प्रहारए बधइ २ अणाहारए बधइ ? गोमा ! दो विभयणाए । एव वेदणिज्जाउगवज्जाण छह । वेदणिज्ज आहारए वधइ, प्रणाहारए भयणाए । आउए आहारए भयणाए, अणाहारए न वधइ ॥ ३. सागारोवयुत्ते ( अ, स ) । १. आउए ( अ, व, स ) । २. च ० ( म, स ) | Page #302 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छटुं सत (च उत्थो उद्देसो) २४३ ५०. नाणावरणिज्ज ण भंते । कम्म किं सुहुमे वधइ ? वादरे बंधइ ? नोसुहुमे नोवादरे वधइ ? गोयमा । सूहमे वधइ, बादरे भयणाए । नोसुहमे नोवादरे न बधइ । एव आउगवज्जानो सत्त वि । आउग सुहुमे वादरे भयणाए । नोसुहुमे नोबादरे न वधइ ॥ ५१ नाणावरणिज्ज ण भते । कम्म कि चरिमे बधइ ? अचरिमे वधइ ? गोयमा ! अट्ठ वि भयणाए । वेदगावेदगाण जीवाण अप्पाबहुयत्त-पदं ५२ एएसि ण भते । जीवाण इत्थीवेदगाण पुरिसवेदगाण, नपुसगवेदगाण, अवेदगाण य कयरे कयरेहितो' अप्पा वा? वहुया वा ? तुल्ला वा ? विसेसाहिया वा ? ० गोयमा । सव्वत्थोवा जीवा पुरिसवेदगा, इत्थिवेदगा सखेज्जगुणा, अवेदगा अणतगुणा, नपुसगवेदगा अणतगुणा। एएसि सव्वेसि पदाण' अप्प-बहुगाइ उच्चारेयव्वाइं जाव' सव्वत्थोवा जीवा अचरिमा, चरिमा अणतगुणा ॥ ५३ सेव भते । सेव भते । ति॥ चउत्थो उद्देसो कालादेसेणं सपदेस-अपदेस-पदं ५४. जीवे ण भते । कालादेसेण कि सपदेसे ? अपदेसे ? - गोयमा ! नियमा सपदेसे ॥ ५५ नेरइए णं भते । कालादेसेण कि सपदेसे ? अपदेसे ? गोयमा । सिय सपदेसे, सिय अपदेसे ।।। ५६ एव जाव' सिद्धे॥ ५७ जीवा ण भते । कालादेसेण किं सपदेसा ? अपदेसा? गोयमा । नियमा सपदेसा ।। १. स० पा०-कयरेहितो जाव विसेसाहिया। २ भ०६।३७-५१ । ३. प०३। ४ भ० ११५१ । ५ पू० प०२। Page #303 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २४४ भगवई ५८. नेरइया ण भते । कालादेसेण कि सपदेसा ? अपदेसा? गोयमा । १ सव्वे वि ताव होज्जा सपदेसा २ अहवा सपदेसा य अपदेसे य ३ अहवा सपदेसा य अपदेसा य ।। ५६. एव जाव' थणियकुमारा ।। ६० पुढविकाइया ण भते कि सपदेसा? अपदेसा? गोयमा | सपदेसा वि, अपदेसा वि ।। ६१ एव जाव' वणप्फडकाइया' । ६२ सेसा जहा ने रइया तहा जाव' सिद्धा ।। आहारगाण जीवेगिदियवज्जो तियभगो। अणाहारगाणं जीवेगिदियवज्जा' छब्भगा एव भाणियव्वा-१ सपदेसा वा २ अपदेसा वा ३ अहवा सपदेसे य अपदेसे य ४. अहवा सपदेसे य अपदेसा य ५ अहवा सपदेसा य अपदेसे य ६ अहवा सपदेसा य अपदेसा य । सिद्धेहि तियभगो। भवसिद्धिया, अभवसिद्धिया जहा ओहिया । नोभवसिद्धिय-नोअभवसिद्धियजीव-सिद्धेहिं तियभगो। सण्णीहिं जीवादियो तियभगो । असण्णीहि एगिदियवज्जो तियभगो । नेरइयदेवमणुएहिं छभगो। नोसण्णि-नोअसप्णि-जीव-मणुय-सिद्धेहि तियभगो। सलेसा जहा ओहिया। कण्हलेस्सा, नीललेस्सा, काउलेस्सा जहा आहारओ, नवर--जस्स अत्थि एयाओ। तेउलेस्साए जीवादिनो तियभगो, नवरपढविक्काइएसु, पाउवणप्फतीसु छन्भगा। पम्हलेस्स-सुक्कलेस्साए जीवादियो तियभगो । अलेसेहिं जीव-सिद्धेहि तियभगो । मणुएसु छन्भगा। सम्मट्टिीहिं जीवादियो तियभगो। विगलिदिएसु छन्भगा। मिच्छदिट्ठीहि एगिदियवज्जो तियभगो । सम्मामिच्छदिट्ठीहि छब्भगा। सजएहि जीवादियो तियभगो । अस्सजएहि एगिदियवज्जो तियभगो। सजयासजएहिं तियभगो जीवादियो । नोसजय-नोअसजय-नोसजयासजय-जीव-सिद्धेहि तियभगो। सकसाईहिं जीवादियो तियभगो । एगिदिएसु अभगक । कोहकसाईहि जीवेगिदियवज्जो तियभगो। देवेहि छब्भगा। माणकसाई-मायाकसाईहि जीवेगिं १. पू० प० २। २. पू० प० २। ३. वरणस्सइ° (क)। ४ भ० ६.५५, ५८ । ५ पू०प०२। ६. जीवपदे एकेन्द्रियपदे च सपएसा य अप्पएसा य इत्येवरूप. एक एव भगकः, बहूना विग्रहगत्यापन्नानां सप्रदेशानामप्रदेशाना च लाभात् (वृ)। ७ भ० ६१५४, ५७। ८. असजएहिं (क, म)1 ६ सकसादीहिं (ता)। Page #304 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1 छुट्ट सत (उत्थो उद्देसो) दियवज्जो तियभगो । नेरइय- देवे हि छ्व्भगा । लोभकसाईहि जीवेगिंदियवज्जो तियभगो । नेरइएसु छव्भगा कसाई - जीव- मणुएहि, सिद्धेहि तियभगो । ओहियनाणे, आभिणिवोहियनाणे, सुयनाणे जीवादियो तियभगो । विगलिदिएहि छभगा । हिनाणे 'मणपज्जवनाणे केवलनाणे" जीवादियो तियभगो । प्रहिए अण्णाणे, मइण्णाणे, सुयण्णाणे, एगिदियवज्जो तियभगो । विभगनाणे जीवादियो तियभगो । सजोगी' जहा प्रोहिओ, मणजोगी, वइजोगी, कायजोगी जीवादियो तियभगो, नवर -- कायजोगी एगिदिया, तेसु भगय' । जोगी जहा अलेस्सा । सागारोवउत्त-अणागारोवउत्तेहिं जीवेगिदियवज्जो तियभगो । नवर- सवेदगा जहा सकसाई । इत्थिवेदग-पुरिसवेदग-नपु सगवेदगेसु जीवादिश्रो तियभगो, : -- नपुसगवेदे एगिदिएसु भगय । वेदगा जहा कसाई । ससरीरी जहा ओहियो । ओरालिय- वेउव्वियसरीराण जीवेगिंदियवज्जो तियभगो । आहारगसरीरे जीव - मणुएसु छ भगा, तेयग - कम्मगाइ जहा हिया । सरीरेहि जीव - सिद्धेहि तियभगो । २४५ ग्राहारपज्जत्तीए, सरीरपज्जत्तीए, इदियपज्जत्तीए, आणापाणपज्जत्ती ' जीवेगिदियवज्जो तियभगो, भासा - मणपज्जत्तीए जहा सण्णी । श्राहार-अपज्जतीए जहा प्रणाहारगा, सरीर- ग्रपज्जत्तीए, इदिय-प्रपज्जत्तीए, आणापाणअपज्जत्तीए जीवेगिंदियवज्जो तियभगो, नेरइय- देव मणुएहिं छन्भगा, भासा - मणप्रपज्जत्तीए जीवादिश्रो तियभगो, नेरइय- देव - मणुहि छ भगा | संगरणी - गाहा सपदेसाहारग-भविय-सण्णि- लेसा - दिट्ठि-सजय - कसाए । नाणे जगुवोगे, वेदे य सरीर - पज्जती ॥१॥ पक्चक्खारणादि-पदं ६४ जीवा णभते । किं पच्चक्खाणी ? अपच्चक्खाणी ? पच्चक्खाणापच्चक्खाणी ? गोयमा ? जीवा पच्छक्खाणी वि, अपच्चक्खाणी वि, पच्चक्खाणापच्चक्खाणी वि ॥ १ मरणकेवलनाणे ( अ, क, ता, म, स) । २ सजोति (ता) | ३ अभगग (ता) | ४. कम्माइ ( अ, ता, म), कम्मगाण ( स ) । ५. आरणापाण° (क, ता, ब, म) 1 ६ भास ( अ, क, ता, व ) । Page #305 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई __२४६ ६५. सव्वजीवाण एव पुच्छा। गोयमा ! नेरइया अपच्चक्खाणी जाव' चरिंदिया [सेसा दो पडिसेहेयन्वा] । पचिदियतिरिक्खजोणिया नो पच्चक्खाणी, अपच्चक्खाणी वि, पच्चक्खाणा पच्चक्खाणी वि । मणूसा तिण्णि वि । सेसा जहा नेरइया ॥ ६६ जीवा ण भते ! कि पच्चवखाणं जाणति ? अपच्चवखाण जाणति ? पच्च क्खाणापच्चक्खाण जाणति ? गोयमा । जे पचिदिया ते तिणि वि जाणति, अवसेसा 'पच्चक्खाण न जाणति', अपच्चक्खाण न जाणति, पच्चक्खाणापच्चक्खाण न जाणति ।। ६७ जीवा ण भते । कि पच्चवखाण कुव्वति ? अपच्चक्खाण कुव्वति ? पच्च क्खाणापच्चक्खाण कुव्वति ? जहा ओहियो तहा कुव्वणा ॥ ६८. जीवा ण भते । कि पच्चक्खाणनिव्वत्तियाउया ? अपच्चक्खाणनिव्वत्तिया उया? पच्चक्खाणापच्चक्खाणनिव्वत्तियाउया? गोयमा । जीवा य, वेमाणिया य पच्चक्खाणनिव्वत्तियाउया, तिण्णि वि। अवसेसा अपच्चक्खाणनिव्वत्तियाउया। संगहणी-गाहा १. पच्चक्खाण २ जाणइ, ३ कुव्वइ तिण्णेव ४ आउनिव्वत्ती। सपएसुद्देसम्मि य, एमए दडगा चउरो ॥१॥ ६९ सेव भते । सेव भते । त्ति। पंचमो उद्देसो तमुक्काय-पद ७०. किमिय भते । तमुक्काए त्ति पव्वुच्चति ? कि पुढवी तमुक्काए त्ति पव्वच्चति ? आऊ तमुक्काए त्ति पव्वुच्चति ? गोयमा ! नो पुढवि तमुक्काए त्ति पव्वुच्चति, आऊ तमुक्काए त्ति पव्वुच्चति ॥ १. पू० प० २। २ असो कोष्ठकवतिपाठो व्याख्यांश प्रतीयते। ३. अपच्चक्खारण जाणंति (ता, म)। ४. भ० ११५१ । ५ पुढवि (अ, क, ता, स) । ६ आउ (अ, क, व, म, स)। Page #306 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छट्ठ सत (पचमो उद्देसो) २४७ ७१. से केणटेण ? गोयमा ! पुढविकाए ण अत्थेगइए सुभे देस पकासेइ, अत्थेगइए' देस नो पकासेइ । से तेणद्वेण ॥ ७२ तमुक्काए' ण भते | कहिं समुट्ठिए ? कहिं सनिहिए ? गोयमा ! जबूदीवस्स दीवस्स वहिया तिरियमसखेज्जे दीव-समुद्दे वीईवइत्ता, अरुणवरस्स दीवस्स वाहिरिल्लायो वेइयताप्रो अरुणोदय समुद्द बायालीस जोयणसहस्साणि प्रोगाहित्ता उवरिल्लायो जलताओ एगपएसियाए सेढीए-- एत्थ ण तमुक्काए समुट्ठिए। सत्तरस-एक्कवीसे जोयणसए उड्ढ उप्पइत्ता तो पच्छा तिरिय पवित्थरमाणे-पवित्थरमाणे सोहम्मीसाण-सणकुमारमाहिदे चत्तारि वि कप्पे प्रावरित्ता ण उड्ढ पि य ण जाव' बभलोगे कप्पे रिट्ठविमाणपत्थड सपत्ते-एत्थ ण तमुक्काए सनिट्ठिए। ७३ तमुक्काए ण भते । किसठिए पण्णत्ते ? गोयमा । अहे मल्लग-मूलसठिए, उप्पि कुक्कुडग-पजरगसठिए पण्णत्ते ।। ७४ तमुक्काए ण भते । केवतिय विक्खभेण, केवतिय परिक्खेवण पण्णत्ते ? गोयमा | दुविहे पण्णत्ते, त जहा--सखेज्जवित्थडे य, असखेज्जवित्थडे य । तत्थ ण जे से सखेज्जवित्थडे, से ण सखेज्जाइ जोयणसहस्साइ विक्खभेण, असखेज्जाइ जोयणसहस्साइ परिक्खेवेण पण्णत्ते ।। तत्थ ण जे से असखेज्जवित्थडे, से ण असखेज्जाइं जोयणसहस्साइ विक्खभेण, असखेज्जाइ जोयणसहस्साइ परिक्खेवेण पण्णत्ते ॥ ७५ तमुक्काए ण भते । केमहालए पण्णत्ते ? गोयमा । अयण्णजबुद्दीवे दीवे सव्वदीव-समुद्दाण सव्वब्भतराए जाव एग जोयणसयसहस्स आयाम-विक्खभेण, तिण्णि जोयणसयसहस्साइ सोलससहस्साइ दोण्णि य सत्तावीसे जोयणसए तिण्णि य कोसे अट्ठावीस च धणुसय तेरस अगुलाइ अद्धगुलग च किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेण पण्णत्ते । देवे ण महिडढीए जाव" महाणभावे इणामेव-इणामेवत्ति कटु केवलकप्प जबूदीव दीव तिहिंअच्छरानिवाएहि तिसत्तक्खुत्तो अणुपरियट्टित्ता ण हव्वमागच्छिज्जा, से ण देवे ताए उक्किट्ठाए तुरियाए जाव" दिव्वाए देवगईए वीईवयमाणे-वीईवयमाणे जाव १ x (क, ता)। २ तमुकाए (अ, क, ता, व, म)। ३ सण्णिट्ठिए (ता)। ४ तत्थ (अ, स)। ५ X (अ)। ६ सनिविट्ठिए (अ, स), सनिहिते (क) । ७ कुकुडग (म, स)। ८ अय ण (क, म), अय ण (ता, स)। 8 ठा० ११२४८ । १० भ०३।४। ११ भ० ३१३८ । Page #307 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २४८ भगवई एकाह वा, दुयाह वा, तियाह वा, उक्कोसेण छम्मासे वीईवएज्जा, अत्यंगतिय तमुक्काय वीईवएज्जा अत्यंगतिय तमुक्काय नो वीईवएज्जा। एमहालए ण गोयमा । तमुक्काए पण्णत्ते ।। ७६. अत्थि ण भते । तमुक्काए गेहा इ वा ? गेहावणा इ वा ? णो तिणढे समढे ॥ ७७. अत्थि ण भते ! तमुक्काए गामा इ वा ? जाव' सण्णिवेसा इ वा ? णो तिणढे समढें ॥ ७८ अत्थि ण भते ! तमुक्काए ओराला वलाहया ससेयति ? सम्मुच्छति ? वास वासति ? हता अत्थि ॥ ७६ त भते ! किं देवो पकरेति ? असुरो पकरेति ? नागो पकरेति ? गोयमा । देवो वि पकरेति, असुरो वि पकरेति, नागो विपकरेति ।। ८०. अत्यि ण भते । तमुक्काए वादरे थणियसद्दे ? बादरे विज्जुयारे' ? हंता अस्थि ॥ त भते ! कि देवो पकरेति ? असुरो पकरेति ? नागो पकरेति ? तिण्णि वि पकरेति ॥ ८२. अत्थि ण भते । तमुक्काए वादरे पुढविकाए ? वादरे अगणिकाए ? णो तिणढे समढे, नण्णत्थ विग्गहगतिसमावन्नएणं ॥ ८३ अस्थि ण भते ! तमुक्काए चदिम-सूरिय-गहगण-नक्खत्त-तारारूवा? णो तिणढे समढे, पलियस्सो पुण अत्थि ॥ ८४. अत्थि ण भते ! तमुक्काए चदाभा ति वा ? सूराभा ति वा ? णो तिणढे समढे, 'कादूसणिया पुण" सा॥ ८५ तमुक्काए ण भते ! केरिसए वण्णएण पण्णत्ते ? गोयमा | काले कालोभासे गभीरे लोमहरिसजणणे भीमे उत्तासणए परमकिण्हे वण्णणं पण्णत्ते । देवे वि ण अत्यंगतिए जे ण तप्पढमयाए पासित्ता ण खुभाएज्जा', अहेण अभिसमागच्छेज्जा तो पच्छा" सीहं-सीहं तुरिय-तुरियं खिप्पामेव वीतीवएज्जा ॥ ८६. तमुक्कायस्स ण भते ? कति नामधेज्जा पण्णत्ता ? १. भ० ११४६ । ५. गभीर (अ, क, ता, व, स, वृ)। २ नाओ (ता, म)। ६. खोभाएज्ज (क, ता, म), खभाएज्जा (स)। ३ विज्जयाए (अ), विज्जुए (क, ता, व, म)। ७. एतत् पद वृत्तौ नास्ति व्याख्यातम् । ४. काउसणिया पुण (ता)। Page #308 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छत (पचमो उद्देसो) २४६ गोमा । तेरस नामधेज्जा पण्णत्ता, त जहा - तमे इ वा, तमुक्काए इवा, ग्रधकारे इ वा, महधकारे इवा, लोगधकारे इ वा, लोगतमिसे' इ वा, देवधकारे इवा, देवतमिसे' इवा, देवरणे' इवा, देववू हे ' इ वा, देवफलिहे' इवा, देवपडिक्खोभे इ वा अरुणोदए इ वा समुद्दे ' ॥ ८७ तमुक्काए ण भते । किं पुढविपरिणामे ? उपरिणामे ? जीवपरिणामे ? पोग्गल परिणामे ? ८८ गोमा । नो पुढविपरिणामे, उपरिणामे वि, जीवपरिणामे वि, पोग्गलपरिणामे वि ॥ तमुक्काए ण भते ! सव्वे पाणा भूया जीवा सत्ता पुढवीकाइयत्ताए जाव' तसकाइयत्ताए उववन्नपुव्वा ? हता गोयमा ! असति' अदुवा प्रणतक्खत्तो, नो चेव ण बादरपुढविकाइयत्ताए, बादरगणिकाइयत्ताए वा । कण्हराइ - पर्द ८९. कइ ण भते ! कण्हराती गोयमा । ट्ठ कण्हती ६०. कहि ण भते । एया अट्ठ कण्हराती" पण्णत्ताओ ? गोयमा । उप्पि सणकुमार - माहिदाण कप्पाण, हव्वि" बभलोए कप्पे 'रिट्ठे विमाणपत्थडे १२, एत्थ ण अक्खाडग- समचउरस - सठाणसठिया अट्ठ कण्हराती पण्णत्ताओ, त जहा - पुरत्थिमे ण दो, पच्चत्थिमे ण दो, दाहिणे ण दो, उत्तरे ण दो । पुरत्थिमव्भतरा " कण्हराती दाहिण - बाहिर कण्हराति पुट्ठा, दाहिणव्भतरा कण्हराती पच्चत्थिम- बाहिर कण्हराति पुट्ठा, पच्चत्थिमन्भतरा कण्हराती उत्तर वाहिर कण्हराति पुट्ठा, उत्तरख्भतरा" कण्हराती पुरत्थिमवाहिर कण्हराति पुट्ठा । १ • तिमिसे (क, ता, म) । २ देवतिमिसे ( अ, क, ता, स) । ३. देवारण्णे (क, ता, व ) । ४ देवपूहे (ता) । ५ ° पलिहे (ता) | ६ समुद्देति वा ( अ, स) । ७ भ० १।४३७ । असइ - असइ ( ता ) 1 ६ द्रष्टव्य - ठा० ८१४३-४७ ॥ पण्णत्ताओं ? पण्णत्ता || १० ● यीतो (व) । ११ हेट्ठि (अ, क, व, म), हिट्ठि (स), स्थानाङ्गसूत्रे (८१४३, वृत्तिपत्र ४१० ) अभयदेव - सूरिणा 'हैट्ठिति अधस्तात्' ब्रह्मलोकस्य इति व्याख्यातम् । अत्र च ( वृत्तपत्र २७१ ) 'हव्वित्ति सम' इति व्याख्यातम् । रिट्ठविभाग (ठा० ८।४३) । १२ O १३ पुरत्थिमभितरा ( क ) । १४ उत्तरमव्भतरा (व, स) । Page #309 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २५० भगवई १२ दो पुरथिम-पच्चत्थिमायो बाहिरामो कण्हरातीमो छलसाओ, दो उत्तरदाहिणारो वाहिरामो कण्हरातीमो तसारो, दो पुरत्थिम-पच्चत्थिमानो अभतरामो कण्हरातीअो चउरसाओ, दो उत्तर-दाहिणाओ अब्भतराम्रो कण्हरातीओ चउरसायो। संगहणी-गाहा पुवावरा छलसा, तसा पुण दाहिणुत्तरा बज्झा । अव्भतर चउरसा, सव्वा वि य कण्हरातीग्रो ॥१॥ ६१ कण्हरातीओ ण भते | केवतिय आयामेण ? केवतिय विक्खभेण ? केवतिय परिक्खेवेण पण्णत्तायो? गोयमा । असखेज्जाइ जोयणसहस्साइ आयामेण, सखेज्जाइ जोयणसहस्साइ विक्खभेण, असखेज्जाइ जोयणसहस्साइ परिक्खेवेण पण्णत्ताओ। कण्हरातीओ ण भते । केमहालियानो पण्णत्तानो ? गोयमा । अय ण जबुहोवे दीवे जाव' देवे ण महिड्ढीए जाव' महाणुभावे इणामेव-इणामेव त्ति कटु केवलकप्प जबूदीव दीव तिहि अच्छरानिवाएहिं तिसत्तक्खत्तो अणुपरियट्टित्ता ण हव्वमागच्छिज्जा, से ण देवे ताए उक्किट्ठाए तुरियाए जाव दिव्वाए देवगईए वीईवयमाणे-वीईवयमाणे जाव एकाह वा, दुयाह वा, तियाह वा, उक्कोसेण ° अद्धमास वीईवएज्जा, अत्थेगइए कण्हराति वीईवएज्जा। अत्थेगइए कण्हराति णो वीईवएज्जा, एमहालियाओ ण गोयमा । कण्हरातीअो पण्णत्तायो ।। ६३ अत्थि ण भते । कण्हरातीसु गेहा इ वा ? गेहावणा इ वा ? णो इणद्वे समढे ॥ १४ अत्थि ण भते । कण्हरातीसु गामा इ वा ? जाव' सण्णिवेसा इ वा ? णो इणढे समढे॥ ६५. अत्थि ण भते । कण्हरातीसु ओराला वलाया ससेयति ? सम्मुच्छति ? वास वासति ? हता अत्थि ॥ ६६ त भते । किं देवो पकरेति ? असुरो पकरेति ? नागो पकरेति ? गोयमा! देवो पकरेति, नो असुरो, नो नागो पकरेति ॥ १ म० पा०-दीवे जाव अद्धमासं। २. भ० ६७५ । ३. भ० ३।४। ४. भ०३।३८। ५ भ० ११४६. Page #310 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २५१ छ? सत (पचमो उद्देसो) ६७ अत्थि ण भते ! कण्हरातीसु बादरे थणियसद्दे ? बादरे विज्जुयारे ? "हता अस्थि ॥ १८ त भते । किं देवो पकरेति ? असुरो पकरेति ? नागो पकरेति ? गोयमा । देवो पकरेति, नो असुरो, नो नागो पकरेति ॥ ६६ अत्थि ण भते । कण्हरातीसु बादरे आउकाए ? बादरे अगणिकाए ? बादरे वणप्फइकाए ? णो तिणद्वे समटे, नण्णत्थ विग्गहगतिसमावन्नएण ।। १०० अस्थि ण भते । कण्हरातीसु चदिम-सूरिय-गहगण-नक्खत्त-तारारूवा ? णो तिणढे समढे ॥ १०१ अस्थि ण भते । कण्हरातीसु चदाभा ति वा ? सुराभा ति वा ? णो तिणढे समढे ॥ १०२ कण्हरातीओ ण भते । केरिसियानो वण्णेण पण्णत्तानो ? गोयमा । कालानो कालोभासाम्रो गभीराओ लोमहरिसजणणामो भीमायो उत्तासणारो परमकिण्हारो वण्णेण पण्णत्तानो । देवे वि ण अत्थेगतिए जे ण तप्पढमयाए पासित्ता ण खुभाएज्जा, अहेण अभिसमागच्छेज्जा तो पच्छा सीह-सीह तुरिय-तुरिय° खिप्पामेव वीतीवएज्जा ॥ १०३ कण्हराती ण भते । कति' नामधेज्जा पण्णत्ता ? गोयमा । अट्ठ नामधेज्जा पण्णत्ता, त जहा-कण्हराती इ वा, मेहराती इवा, मधा इ वा, माघवई इ वा, वायफलिहा इ वा, वायपलिक्खोभा इ वा, देव फलिहा इ वा, देवपलिक्खोभा इ वा ।। १०४ कण्हरातीओ ण भते । कि पुढवीपरिणामाओ? अाउपरिणामायो ? जीवपरिणामामो ? पोग्गलपरिणामायो ? गोयमा | पुढविपरिणामात्रओ, नो आउपरिणामानो, जीवपरिणामामो वि, पोग्गलपरिणामामो वि ॥ १०५. कण्हरातीसु ण भते । सव्वे पाणा भूया जीवा सत्ता पुढवीकाइयत्ताए जाव' तसकाइयत्ताए उववण्णपुव्वा । हता गोयमा । असइ अदुवा अणतक्खुत्तो, नो चेव ण बादराउकाइयत्ताए, बादरअगणिकाइयत्ताए, बादरवणप्फइकाइयत्ताए वा ॥ १. स० पा०-जहा ओराला तहा। २ स० पा०-कालाओ जाव खिप्पामेव । ३ केवइया (ता)। ४ भ० ११४३७ । Page #311 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २५२ भगवई लोगंतियदेव-पदं १०६ एएसि ण अट्ठण्ह कण्हराईण अट्ठसु अोवासतरेसु अट्ठ लोगतिगविमाणा पण्णत्ता, त जहा-१ अच्ची २. अच्चिमाली ३ वइरोयणे ४ पभकरे' ५. चदाभे ६ सूराभे ७ सुक्काभे ८ सुपइट्ठाभे, 'मझे रिट्ठाभे" ।। कृष्णराजी : स्थापना उत्तरा त्रिकोण कृष्णराजी ८. सुप्रतिष्ठाभ चतुष्कोण कृष्णराजी १. अर्षि ७. शुक्राम ६. सूराभ चतुष्कोण कृष्णराजी षट्कोण कृष्णराजी पश्चिमा पूर्वा षट्कोण कृष्णराजी ३. वैरोचन चतुष्कोण कृष्णराजी २ अचिमाली PRIL मा २ Patnant IDR १. वभकरे (ता)। २. सुकामे (ता)। ३. इह चावकाशान्तरतिप सप्टास अचि प्रभ तिपु विमानेषु वाच्येषु यत् कृष्णराजीना मध्यमभागवति रिष्ट विमान नवम उक्त सटिमानारताना -1-1. Page #312 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छ8 सत (पचमो उद्देसो) २५३ १०७ कहि ण भते ! अच्चि-विमाणे पण्णत्ते ? गोयमा । उत्तर-पुरस्थिमे ण ॥ १०८ कहि ण भते । अच्चिमाली विमाणे पण्णत्ते ? गोयमा । पुरत्थिमे ण । एव परिवाडीए नेयव्व जाव१०६ कहि ण भते ! रिट्रे विमाणे पण्णत्ते ? गोयमा । बहुमझदेसभाए॥ ११० एएसु ण असु लोगतियविमाणेसु अट्ठविहा लोगतिया देवा परिवसति, तं जहासंगहणी-गाहा सारस्सयमाइच्चा, वण्ही वरुणा य गद्दतोया य । तुसिया अव्वावाहा, अग्गिच्चा चेव रिट्ठा य ॥१॥ १११ कहि ण भते | सारस्सया देवा परिवसति ? गोयमा । अच्चिम्मि विमाणे परिवसति ।। ११२ कहि ण भते । आइच्चा देवा परिवसति ? गोयमा ! अच्चिमालिम्मि विमाणे । एव नेयव्व जहाणुपुवीए जाव११३. कहि ण भते । रिट्ठा देवा परिवसति ? गोयमा | रिदम्मि विमाणे ॥ ११४ सारस्सयमाइच्चाण भते । देवाण कति देवा, कति देवसया पण्णत्ता ? गोयमा । सत्त देवा, सत्त देवसया परिवारो' पण्णत्तो। वण्ही-वरुणाण देवाण चउद्दस देवा, चउद्दस देवसहस्सा परिवारो पण्णत्तो। गद्दतोय-तुसियाण देवाण सत्त देवा, सत्त देवसहस्सा परिवारो पण्णत्तो। अवसेसाण नव देवा, नव देवसया परिवारो पण्णत्तो। संगहणी-गाहा - पढम-जुगल म्मि सत्तो, सयाणि बीयम्मि चउद्दससहस्सा । तइए सत्तसहस्सा, नव चेव सयाणि सेसेसु ॥१॥ ११५. लोगतिगविमाणा ण भते । किपइट्ठिया पण्णत्ता ? गोयमा | वाउपइट्ठिया पण्णत्ता । एव नेयव्व विमाणाण पइट्ठाण, बाहुल्लुच्चत्तमेव सठाण, बभलोयवत्तव्वया नेयव्वा' जाव' ३ जी०३। १ x (अ, क, ता, ब, म)। २. नेयव्वा जहा जीवाभिगमे देवुद्देसए (अ, स) Page #313 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २५४ भगवई ११६. लोयतियविमाणेसु ण भंते । सव्वे पाणा भूया जीवा सत्ता पुढविकाइयत्ताए, ग्राउकाइयत्ताए, तेउकाइयत्ताए, वाउकाइयत्ताए, वणप्फडकाइयत्ताए, देवत्ताए, देवित्ताए उववण्णपुव्वा ? हता गोयमा । असइ अदुवा अणतक्खुत्तो, नो चेव ण देवित्ताए। ११७. 'लोगतिय देवाण भते ! केवडय काल ठिती पण्णत्ता ? गोयमा | अट्ट सागरोवमाइ ठिती पण्णत्ता ॥ ११८ लोगतियविमाणेहिंतो ण भते ! केवतिय अवाहाए' लोगते पण्णत्ते ? गोयमा ! असखेज्जाइ जोयणसहस्साइ अवाहाए लोगते पण्णत्ते ।। ११६ सेव भते । सेव भते । त्ति ।। छट्ठो उद्देसो नेरइयादीणं प्रावास-पद १२०. कति ण भंते ! पुढवीओ पण्णत्तायो ? गोयमा । सत्त पुढवीनो पण्णत्ताओ, त जहा–रयणप्पभा जाव' अहेसत्तमा । रयणप्पभाईण आवासा भाणियव्वा जाव अहेसत्तमाए। एव जत्तिया आवासा ते भाणियव्वा जाव' १२१ कति ण भते । अणुत्तरविमाणा पण्णत्ता? गोयमा | पच अणुत्तरविमाणा पण्णत्ता, त जहा-विजए", 'वेजयते, जयते, अपराजिए ° सव्वट्ठसिद्धे ॥ मारणंतियसमुग्घाय-पदं १२२ जीवे ण भते । मारणतियसमुग्घाएण समोहए, समोहणित्ता जे भविए इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु अण्णयरसि निरयावासंसि १. देवत्ताए (म, स)। २ लोगतियविमारणेसुण (अ, क, ता, व, म)। ३ आवाहाए (ता)। ४. भ० ११५१ । ५ भ० १२११। ६. तमतमा (अ, स)। ७. भ० १।२१२ । ८. जे जत्तिया (अ, क, व, म, स)। ६. भ० ११२१३-२१५ । १०. स० पा०-विजए जाव सव्वट्ठसिद्धे । Page #314 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छट्ठ सत (छट्ठो उद्देसो) २५५ नेरइयत्ताए उववज्जित्तए, से ण भते । तत्थगए चेव आहारेज्ज वा ? परिणामेज्ज वा ? सरीर वा वधज्जा ? गोयमा । अत्थेगतिए तत्थगए चेव आहारेज्ज वा, परिणामेज्ज वा, सरीर वा वधेज्जा, प्रत्येगतिए तो पडिनियत्तति', ततो पडिनियत्तित्ता इहमागच्छइ, आगच्छित्ता दोच्च पि मारणतियसमुग्वाएण समोहण्णइ, समोहणित्ता इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु अण्णयरसि निरयावाससि नेरइयत्ताए उववज्जित्तए, तो पच्छा आहारेज्ज वा, परिणामेज्ज वा, सरीर वा वधज्जा । एव जाव' अहेसत्तमा पूढवी ।। १२३ जीवे ण भते । मारणतियसमुग्घाएण समोहए, समोहणित्ता जे भविए चउसट्टीए असरकुमारावाससयसहस्सेसु अण्णयरसि असुरकुमारावाससि असुरकुमारत्ताए उववज्जित्तए, जहा नेरइया तहा भाणियव्वा जाव' थणियकुमारा।।। १२४ जीवे ण भते । मारणतियसमुग्घाएण समोहए, समोहणित्ता जे भविए असखे ज्जेसु पुढविकाइयावाससयसहस्सेसु अण्णयरसि पुढविकाइयावाससि पुढविकाइयत्ताए उववज्जित्तए, से ण भते । मदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमे ण केवइय गच्छेज्जा? केवइय पाउणेज्जा ? गोयमा | लोयत गच्छेज्जा, लोयत पाउणेज्जा ॥ १२५ से ण भते । तत्थगए चेव आहारेज्ज वा ? परिणामेज्ज वा ? सरीर वा वधेज्जा ? गोयमा । अत्थेगतिए तत्थगए चेव आहारेज्ज वा, परिणामेज्ज वा, सरीर वा वधेज्जा, अत्थेगतिए तो पडिनियत्तइ, पडिनियत्तित्ता इहमागच्छइ, दोच्च पि मारणतियसमुग्घाएण समोहण्णइ, समोहणित्ता मदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमे ण अगुलस्स असखेज्जइभागमेत्त वा, सखेज्जइभागमेत्त वा, वालग्ग वा, वालग्गपुहत्त वा, एव लिक्ख-जूय-जव-अगुल जाव'जोयणको डि वा, जोयणकोडाकोडि वा सखेज्जेसु वा असखेज्जेसु वा जोयणसहस्सेसु, लोगते वा एगपएसिय सेढि मोत्तूण असखेज्जेसु पुढविकाइयावाससयसहस्सेसु अण्णयर सि पुढविकाइयावाससि पुढविकाइयत्ताए उववज्जेत्ता, तओ पच्छा आहारेज्ज वा, परिणामेज्ज वा, सरीर वा वधेज्जा। जहा पुरत्थिमे ण मदरस्स पव्वयस्स आलावनो भणियो, एव दाहिणे ण, पच्चत्थिमे ण, उत्तरे ण, उड्ढे, अहे । १. नियत्तेति (अ, स)। २ भ० १।२११ । ३ पू० प० २। ४ इह हव्वमा० (स)। ५ °पुहुत्त (म)। ६ वृ; अ० सू० ४०० । Page #315 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २५६ भगवई १२६ जहा पुढविकाइया तहा एगिदियाणं सव्वेसिं एक्केक्कस्स छ अालावगा भाणियव्वा। जीवे णं भते | मारणतियसमुग्घाएणं समोहण्णइ, समोहणित्ता जे भविए असंखेज्जेसु वेइदियावाससयसहस्सेसु अण्णयरसि वेइदियावाससि वेइदियत्ताए उववज्जित्तए, से ण भते । तत्थगए चेव आहारेज्ज वा ? परिणामेज्ज वा ? सरीर वा वधेज्जा? जहा नेरडया', एव जाव' अणुत्तरोववाइया ।। १२७ जीवे ण भंते । मारणति यसमुग्धाएण समोहए, समोहणित्ता जे भविए पचसु अणुत्तरेसु महतिमहालएसु महाविमाणेसु अण्णयरसि अणुत्तरविमाणसि अणुत्तरोववाइयदेवत्ताए उववज्जित्तए, से ण भते । तत्थगए चेव पाहारेज्ज वा? परिणामेज्ज वा ? सरीर वा वधेज्जा ? त चेव जाव' आहारेज्ज वा, परिणामेज्ज वा, सरीर वा बधेज्जा। १२८ सेवं भते ! सेव भते । त्ति'। सत्तमो उद्देसो धन्नाणं जोणि-ठिइ-पदं १२६ अह भते ! सालीणं, वीहीण, गोधूमाण, जवाण, जवजवाण-एएसि णं धन्नाणं कोट्टाउत्ताण पल्लाउत्ताण मचाउत्ताण मालाउत्ताण अोलित्ताण' लित्ताण पिहियाण मुद्दियाण लछियाण केवतिय कालं जोणी सचिट्टइ ? गोयमा । जहण्णेण अंतोमुहुत्त, उक्कोसेण तिण्णि सवच्छराइ । तेण पर जोणी पमिलायइ, तेण परं जोणी पविद्धसई, तेण पर वीए अवीए भवति, तेण पर जोणीवोच्छेदे पण्णत्ते समणाउसो ! १३०. अह भते । कल'-मसूर-तिल-मुग्ग-मास-निप्फाव-कुलत्थ-आलिसदग-सतीण' पलिमथगमाईण"-एएसि ण धन्नाण कोट्ठाउत्ताण पल्लाउत्ताणं मचाउत्ताण १. भ० ६.१२२ । २ भ० ११२१४, २१५ । ३. भ० ६.१२२ । ४. भ० ११५१ । ५. उल्लित्ताण (स)। ६ विद्धमेड (अ, क, स)। ७. कलाव (म); कलाय (व, स), कालाव (म) ८ निप्पाव (ता, स)। ६. सतीण (अ, ब, स)। १०. तिलिमियग० (ता)। Page #316 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छ सत (सत्तमो उद्देसो) २५७ मालाउत्ताण ओलित्ताण लित्ताण पिहियाणं मुद्दियाण लछियाणं केवतिय कालं जोणी चिट्ठ ? 1 गोयमा । जहणेण ग्रतोमुहुत्तं, उक्कोसेण पच सवच्छराइ । तेण पर जोणी पमिलायइ, तेण पर जोणी पविद्धसइ, तेण पर बीए बीए भवति, तेण पर जोणीवोच्छेदे पण्णत्ते समणाउसो ० । १३१ ग्रह भते । प्रयसि कुसुभग-कोद्दव- कगु-वरंग'- रालग कोट्टूसग' सण- सरिसवमूलाबीयमाईण – एएसि ण धन्नाण कोट्टाउत्ताण पल्लाउत्ताणं मचाउत्ताण माला उत्ताण ग्रोलित्ताण लित्ताण पिहियाण मुद्दियाण लछियाण केवतिय काल जोणी चिट्ठs ? " गोयमा । जहणेण प्रतोमुहुत्त, उक्कोसेण सत्त सवच्छराइ । तेण परं जोणी मिलाइ, तेण पर जोणी पविद्धसइ, तेण पर बीए बीए भवति, तेण परं जोणीवोच्छेदे पण्णत्ते समणाउसो' ० । गरणना-काल-पदं १३२ एगमेगस्स ण भते । मुहुत्तस्स केवतिया ऊसासद्धा वियाहिया ? गोयमा । प्रसखेज्जाण समयाण समुदय समिति-समागमेण सा एगा 'श्रावलिय त्ति" पवुच्चइ, सखेज्जा ग्रावलिया ऊसासो, सखेज्जा ग्रावलिया निस्सासो गाहा - हटुस्स प्रणवगल्लस्स, निरुव किट्ठस्स' जतुणो । एगे ऊसास- नीसासे, एस पाणु त्ति वुच्चइ ॥१॥ सत्त पाणूड' से थोवे, सत्त थोवाइ से लवे । सत्त हत्तरिए, एस मुहुत्ते वियाहिए || २ || तिणि सहस्सा सत्त य, सयाइ तेवर्त्तारि च ऊसासा | एस मुहुत्तो दिट्ठो, सव्वेहि अणतनाणीहि ॥ ३ ॥ लवाण १ स० पा० - जहा सालीण तहा एयाणि वि नवर पच सवच्छराइ सेस त चेव । २ वट्ट (ठा० ७ ० ) । ३ कोडुसग (व) | ४ मूलग० ( अ, क, स ) 1 ५ सं० पा० - एयाणि वि तहेव नवर सत्त सवच्छराइ । ६ तुलना - ठा० ३।१२५, ५/२०६, ७६० ७ आवलिया ति ( क, ता, व ) । ८णिरवकटुस्स (ता) | ६. पाणि (अस) । १० सत्तस० (क, ब) । Page #317 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २५८ भगवई एएणं मुहत्तपमाणेणं तीसमुहुत्ता अहोरत्तो, पण्ण रस अहोरत्ता पक्खो, दो पक्खा मासो, दो मासा उडू', तिण्णि उडू अयणे, दो' अयणा संवच्छरे, 'पंच सवच्छराइ' जुगे, वीस जुगाइ वाससय, दस वाससयाई वाससहस्स, सयं वाससहस्साणं वाससयसहस्सं, चउरासीइ वाससयसहस्साणि से एगे पुव्वगे, चउरासीइ पुव्वगा सयसहस्साइ से एगे पुवे, एवं तुडियगे, तुडिए, अडडगे, अडडे, अववगे, अव,हूहूयर्गे, हूहूए, उप्पलगे, उप्पले, पउमगे, पउमे, नलिणगे, नलिणे, अत्थनिउरगे, अत्थनिउरेअउयगे, अउए", 'नउयगे, नउए, पउयगे, पउएचलियगे, चूलिया, सीसपहेलियगे, सीसपहेलिया । एताव ताव गणिए, एताव ताव गणियस्स विसए, तेण पर ओवमिए । ओवमिय-काल-पदं १३३ से कि त अोवमिए ? - अोवमिए दुविहे पण्णत्ते, त जहा-पलिओवमे य, सागरोवमे य ॥ १३४ 'से कि त पलिग्रोवमे ? से कि त सागरोवमे ?" गाहा सत्येण सुतिक्खेण वि, छेत्तु भेत्तु व"ज किर न सक्का । तं परमाणु सिद्धा, वदति आदि पमाणाण ॥१॥ अणताण परमाणुपोग्गलाणं समुदय-समिति-समागमेण सा एगा उस्सण्हसण्हिया इ वा, सण्हसण्हिया इ वा, उड्ढरेणू" इ वा, तसरेणू इ वा, रहरेणू इ वा, वालग्गे" इ वा, लिक्खा इवा, जूया इ वा, जवमझे इ वा, अगुले इवा। अट्ठ उस्सण्हसण्हियाग्रो सा एगा सण्हसण्हिया, अट्ठ सण्हसण्हियानो सा एगा उड्ढरेणू, अट्ठ उड्ढरेणूओ सा एगा तसरेणू, अट्ठ तसरेणूमो सा एगा रहरेणू, अट्ट रहरेणूमो से एगे देवकुरु-उत्तरकुरुगाण मणुस्साण वालग्गे, ‘एव हरिवास रम्मग-हेमवय-एरन्नवयाण, पुव्व विदेहाणं मणुस्साण अट्ठ वालग्गा सा एगा १ उद् (ता, व)। (क), पज्जुए य नज्जुए य (ब)। २ वे (ता, व)। ६ उवमिए (अ, क, व, म, स) । तुलना-अ० ३ पचसवच्छरिए (अ, क, ता, व, म, स)। सू० ४१७ । ४ अपपे (व, स)। १०. से कि त पलिओवमे सागरोवमे २ (अ, स), ५ हूह्य (अ, क, स)। मे कि त पलितोवमे २ (क, ता)। ६ निपूरे (क, ता, व) । ११. च (अ, क, व, म, स, वृ)। ७ अनुए (न, न), अपुए (क), अज्जुए (व)। १२ उद्ध० (अ, क, ता, व, म)। = पदुए २, नउए २ (अ, ता, स), पज्जुए य० १३. बालग्गा (स)। Page #318 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छुटुं सत (सत्तमो उद्दसी) २५६ लिक्खा", अट्ठ लिक्खाप्रो सा एगा जूया, अट्ठ जूयानो से एगे जवमझ, अट्ठ जवमझा से एगे अगुले। एएण अगुलपमाणेणं छ अगुलाणि पादो, बारस अगुलाइ विहत्थी', चउवीस अगुलाइ रयणी, अडयालीस अगुलाइ कुच्छी; छन्नउति' अगुलाणि से एगे दडे इ वा, धणू इ वा, जूए इ वा, नालिया इ वा, अक्खे इ वा, मुसले इ वा। एएण धणुप्पमाणेण दो धणुसहस्साड गाउय, चत्तारि गाउयाड जोयण । एएण जोयणप्पमाणेण जे पल्ले जोयण पायाम-विक्खभेण, जोयण उड्ढ उच्चत्तेण, त तिउण, सविसेस परिरएण-से ण एगाहिय-बेहिय-तेहिय', उक्कोस सत्तरत्तप्परूढाण समढे सनिचिए भरिएवालग्गकोडीण। ते ण वालग्गे नो अग्गी दहेज्जा, नो वातो हरेज्जा, नो कुच्छेज्जा', नो परिविद्धसेज्जा, नो पूतित्ताए हव्वमागच्छेज्जा। तोण वाससए-वाससए गते"एगमेग वालग्ग अवहाय"जावतिएण कालेणसे पल्ले खोणे निरए निम्मले निट्ठिए निल्लेवे अवहडे विसुद्धे भवइ । से त्त पलिअोवमे । गाहा २ एएसि पल्लाण, कोडाकोडी हवेज्ज दसगुणिया । त सागरोवमस्स उ, एक्कस्स भवे परिमाण ।। १ प्रस्तुतपाठे भरतैरवतयोर्मनुष्याणामुल्लेखो अट्ठ भरहेरवयाण मणुस्साण वालग्गा सा नास्ति, अनुयोगद्वारसूत्रे विद्यते । तस्य पूर्ण- एगा लिक्खा (अ० सू० ३९६) । पाठ इत्थमस्ति २. वितत्थी (अ)। अट्ठ देवकुरु-उत्तरकुरुगाण मणुस्साण वालग्गा ३ छण्हउइ (ता)। हरिवास-रम्मगवासाण मणुस्साण से एगे ४ तिओरण (अ)। वालग्गे। ५ षष्ठीबहुवचनलोपाद् एकाहिकठ्याहिकत्र्याहिअट्ट हरिवास-रम्मगवासाणम णुस्साण वालग्गा काणाम् (वृ)। हेमवय-हेरण्णवयाण मणुम्साण से एगे ६ ससटे (अ, म)। वालग्गे। ७ हरिए (ता)। अट्ट हेमवय-हेरण्णवयाण मणुस्साण वालग्गा ८ कुत्येज्जा (अ, ब, म)। पुव्वविदेह-अवर विदेहाण मणुस्साण से । तए (अ, क)। एगे वालग्गे। १०. x (अ, ता, म, स)। अट्ठ पुव्वविदेह-अवरविदेहाण मणुस्साण ११. अवहाय २ (ता)। वालग्गा भरहेरवयाणं मणुस्साण से एगे वालग्गे। Page #319 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६० भगवई एएण सागरोवमपमाणेण चत्तारि सागरोवमकोडाकोडीयो कालो मुसम सुसमा १ तिणि सागरोवमकोडाकोडीयो कालो सुसमा २ दो' सागरोवमकोडाकोडी कालो सुसम - दूसमा ३. एगा सागरोवमकोडाकोडी वायालीसाए वाससहस्सेहि ऊणिया कालो दूसम सुसमा ४. एक्कवीस वाससहस्साइ कालो दूसमा ५ एक्कवीस वाससहस्साइ कालो दूसम - दूसमा ६ । पुणरवि उस्सप्पिणीए एक्कवीस वाससहस्साइ कालो दूसम दूसमा १. एक्कवीस वाससहस्साइ कालो दूसमा' २. एगा सागरोव मकोडाकोडी वायालीसाए वाससहस्सेहिं ऊणिया कालो दूसम सुसमा ३ दो सागरोवमकोडाकोडीग्रो कालो सुसम दूसमा ४ तिण्णि सागरोवमकोडाकोडीग्रो कालो सुसमा ०५. चत्तारि साग रोवमकोडाकोडीयो कालो सुसम - सुसमा ६ । दस सागरोवमकोडाकोडीप्रो कालो श्रसप्पिणी, दस सागरोवमकोडाकोडीग्रो कालो उस्सप्पिणी, वीसं सागरोवमकोडाकोडीग्रो कालो ओसप्पिणी उस्सप्पिणी य ॥ सुसम सुसमाए भरहवास-पदं १३५. जबुद्दीवे ण भते । दीवे इमीसे प्रोसप्पिणीए सुसम सुसमाए समाए उत्तिमट्ठपत्ताए ं, भरहस्स वासस्स के रिसए आगारभाव पडोयारे' होत्या ? गोयमा । बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे होत्या, से जहानामए - श्रालिंगपुक्खरे ति वा, एव उत्तरकुरुवत्तव्वया नेयव्वा जाव' तत्थ ण बहवे भारया मणुस्सा मणुस्सीय ग्रासयति सयति चिट्ठति निसीयति तुयट्टति हसति रमति ललति । तीसे ण समाए भारहे वासे तत्थ तत्थ देसे - देसे तर्हि तहि बहवे उद्दाला कोद्दाला जाव' कुस-विकुस - विसुद्धरुक्खमूला जाव' छव्विहा मणुस्सा अणुसज्जित्था, त जहा – पम्हगधा, मियगधा, अममा, तेतली', सहा, सणिचारी ॥ १३६. सेव भते ! सेव भते त्ति" ॥ १ दुण्णि ( क ) । २. दुसमा (ता, स ) । ३. स० पा० - दूसमा जाव चत्तारि । ४. उत्तमट्ट० (स) । ५. पडोगारे (ता, व, म) | ६ जी० ३, ज०२ । ७ जी० ३, ज० २ । ८. जी० ३; ज० २ । ९. तेयतली ( ब ) । १०. भ० १।५१ । Page #320 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छ? सत (अट्ठमो उद्देसो) २६१ अट्ठमो उद्देसो पुढवी-प्रादिसु गेहादिपुच्छा-पद १३७ कति ण भते | पुढवीनो पण्णत्ताओ? गोयमा | अट्ठ पुढवीओ पण्णत्तायो, त जहा- रयणप्पभा जाव' ईसीपब्भारा॥ १३८ अस्थि ण भते । इमोसे रयणप्पभाए पुढवीए अहे गेहा इ वा ? गेहावणा इवा? गोयमा । णो इणटे समढे ।। १३६ अत्थि ण भते । इमीसे रयणप्पभाए अहे गामा इ वा ? जाव' सण्णिवेसा इ वा ? णो इणढे समढे ।। १४० अत्थि ण भते । इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए अहे ओराला बलाहया ससेयति ? संमुच्छति ? वास वासति ? हता अस्थि । तिण्णि वि पकरेति-देवो वि पकरेति, असुरो वि पकरेति, नागो विपकरेति ॥ १४१ अस्थि ण भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए बादरे थणियसद्दे ? हता अत्थि । तिण्णि वि पकरेति ॥ १४२. अत्थि ण भते । इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए अहे वादरे अगणिकाए ? गोयमा | णो इणढे समढे, नन्नत्थ विग्गहगतिसमावन्नएण ।। १४३ अत्थि ण भते । इमोसे रयणप्पभाए पुढवीए अहे चदिम'- सूरिय-गहगण नक्खत्त° तारारूवा? णो इणढे समढे ॥ १४४ अत्थि ण भते | इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए अहे चदाभा ति वा ? सूराभा ति वा ? णो इणढे समढे । एव दोच्चाए पुढवीए भाणियव्व, एव तच्चाए वि भाणियव्व, नवर–देवो वि पकरेति, असुरो वि पकरेति, नो नागो पकरेति । चउत्थीए वि एव, नवरदेवो एक्को पकरेति, नो असुरो, नो नागो । एव हेट्ठिल्लासु सव्वासु देवो' पकरेति। १ ठा० ८।१०८। २ भ० ११४६। ३. द्रष्टव्यम्-भ० ६१७६ । ४ द्रष्टव्यम्-भ०६।८१ । ५ स० पा०-चदिम जाव तारारूवा । ६ देवो एक्को (अ, क, व, म, स)। Page #321 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई २६२ १४५. अत्थि ण भते ! सोहम्मीसाणाण कप्पाण ग्रहे गेहा इ वा ? गेहावणा इ वा ? णो इणट्टे समट्टे ।। १४६. प्रत्थि ण भते । श्रोराला बलाहया' ? हता अत्थि । देवोपकरोति, असुरो वि पकरेति, नो नाम्रो । एव थणियसद्दे वि ।। १४७ प्रत्थि ण भते । वादरे पुढवीकाए ? वादरे ग्रगणिकाए ? णो इणट्ठे समट्टे, नन्नत्य विग्गहगतिसमावन्नएण ॥ १४८ प्रत्थि ण भते ! चदिम-सूरिय- गहगण-नक्खत्त-तारारूवा ? णो इट्टे समट्टे || १४९. ग्रत्थि ण भते । गामा इ वा ? जाव' सण्णिवेसा इवा ? णो इणट्टे समट्ठे ॥ १५० प्रत्थि ण भते । चदाभा ति वा ? सूराभा ति वा ? गोयमा ! णो इणट्टे समट्ठे | एवं सणकुमार-माहिदेसु, नवर - देवो एगो पकरेति । एवं बभलोए वि । एव बभलोगस्स' उर्वार सव्वेहिं देवो पकरेति । पुच्छियव्वो य वादरे आउकाए, वादरे अगणिकाए, वादरे वणस्सइकाए । अण्णं त चेव । संग्रहणी - गाहा तमुकाए कप्पपणए, अगणी पुढवीय गणि पुढवीसु । आऊ तेऊ वणस्सई, कप्पुवरिमकण्हराईसु ॥ १ ॥ श्राउयबंध-पदं १५१. कतिविहे ण भते ! प्राउयवधे पण्णत्ते ? गोयमा ! छव्विहे ग्राउयबंधे पण्णत्ते, तं जहा - जातिनामनिहत्ताउए, गतिनामनिहत्ताउए, ठितिनामनिहत्ताउए ओगाहणानामनिहत्ताउए, पएसनामनिहत्ताउए, अणुभागनामनिहत्ताउए । दडो जाव' वेमाणियाण || १५२. जीवा ण भते । किं जातिनामनिहत्ता ? गतिनामनिहत्ता ? ठितिनामनिहत्ता ? ग्रोगाहणानामनिहत्ता ? पएसनामनिहत्ता १० अणुभागनामनिहत्ता ? गोयमा | जातिनामनिहत्ता वि जाव अणुभागनाम निहत्ता वि । दडो जाव' वेमाणियाण ॥ १. पू० - भ० ६।७८ । २. भ० ११४६ | ३. म्ह० (क, व ) 1 ४ पू० १०२ । ५ स० पा०—गतिनामनिहत्ता जाव अरणुभाग ० ६. पू० प० २ । Page #322 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सतं (श्रमो उद्देसो) २६३ १५३. जीवा ण भते । किं जातिनामनिहत्ताउया ? जाव' प्रणुभागनाम निहत्ताज्या ? गोयमा । जातिनामनिहत्ताउया वि जाव प्रणुभागनामनिहत्ताउया वि । दङग्रो जाव' वेमाणियाण ॥ १५४. एवं एए दुवालस दडगा भाणियव्वाजीवाणभते । कि १ जातिनामनिहत्ता ? २ जातिनामनिहत्ताउया ? जीवा ण भते । किं ३ जातिनामनिउत्ता ? ४ जातिनामनिउत्ताउया ? जीवा ण भते । किं ५ जातिगोयनिहत्ता ? ६ जातिगोयनिहत्ताउया ? जीवा ण भते । कि ७ जातिगोयनिउत्ता ? ८ जातिगोयनिउत्ताउया ? जीवा ण भते । कि जातिनामगोयनिहत्ता १ १०. . जातिनामगोयनिहाउत्तया ? जीवा ण भते । कि ११ जातिनामगोयनिउत्ता ? १२ जातिनामगोयनिउत्ताउया ? जाव' ७२ अणुभागनामगोयनिउत्ताउया ? १ भ० ६।१५१ । २ पू० प० २ । ३. एतत् पद त्रयोदशभगात् द्वासप्ततितमपर्यन्ताना भगाना सग्राहकमस्ति - जीवा ण भते । किं १३ गतिनाम निहत्ता ? जीवाणं भते कि १५ गतिनामनिउत्ता ? जीवा ण भते । किं १७. गतिगोयनिहत्ता ? ? ? 1 १४ गतिनामनिहत्ताउया ? १६ गतिनामनिउत्ताउया ? १८ गतिगोयनिहत्ताउया वा भते । किं १६ गतिगोयनिउत्ता ? २० गतिगोयनिउत्ताउया ? जीवा ण भते । किं २१ गतिनामगोयनिहत्ता ? २२ गतिनामगोयनिहत्ताउया ? जीवा ण भते ! किं २३ गतिनामगोयनिउत्ता ? २४ गति नामगोयनिउत्ताउया ? जीवा भते । किं २५ ठितिनामनिहत्ता ? २६ ठितिनाम निहत्ता उया जीवा ण भते । किं २७ ठितिनामनिउत्ता ? २८. ठितिनामनिउत्ताउया ? जीवा भते । किं २६ ठितिगोयनिहत्ता ? ३० ठितिगोयनिहत्ताउया जीवा ण भते । किं ३१. ठितिगोयनिउत्ता ? ३२ ठितिगोयनिउत्ताउया ? जीवा ण भते । किं ३३ ठितिनामगोयनिहत्ता ? ३४ ठितिनामगोयनिहत्ताउया ? जीवा ण भते । किं ३५ ठितिनामगोयनिउत्ता ? ३६ ठितिनामगोयनिउत्ताउया ? जीवा ण भते ! किं ३७ ओगाहणानामनिहत्ता ? ३८ ओगाहरणानामनिहत्ताज्या ? जीवा ण भते । किं ३६ ओगाहरणानामनिउत्ता ? ४० ओगाहरणानामनिउत्ताउया ? जीवा भते । किं ४१ ओगाहरणागोयनिहत्ता ? ४२ ओगाहरणागोयनिहत्ताउया ? जीवा भते ! किं ४३ ओगाहरणागोयनिउत्ता ? ४४ ओगाहरणागोयनिउत्ताउया ?. जीवाणभते । किं ४५ मोगाहणानामगोयनिहत्ता ? ४६ ओगाहरणानामगोयनिहत्ताउ जीवाण भते ! किं ४७ ओगाहरणानामगोयनिउत्ता ? ४८ ओगाहणानामगोयनिउत्ताउया ? जीवा ण भते । किं ४९. पएसनामनिहत्ता ? 1 ५० पएसनामनिहत्ताउया ? Page #323 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५६. २६४ भगवई गोयमा ! जातिनामगोयनिउत्ताउया वि जाव' अणुभागनामगोयनिउत्ताउया वि । दडअो जाव' वेमाणियाण ।। लवरणादिसमुद्द-पदं १५५ लवणे ण भते ! समुद्दे कि उस्सिोदए' ? पत्थडोदए ? खुभियजले ? अखुभियजले ? गोयमा | लवणे ण समुद्दे उस्सियोदए, नो पत्थडोदए, खुभियजले, नो अखुभियजले ॥ "जहा ण भते | लवणसमुद्दे उस्सिनोदए, नो पत्थडोदए; खुभियजले, नो अखुभियजले , तहा ण वाहिरगा समुद्दा कि उस्सिोदगा ? पत्थडोदगा? खुभियजला ? अखुभियजला ? गोयमा ! बाहिरगा समुद्दा नो उरिनोदगा, पत्थडोदगा, नो खुभियजला, अखुभियजला पुण्णा पुण्णप्पमाणा वोलट्टमाणा वोसट्टमाणा समभरघडत्ताए चिट्ठति ॥ १५७. अत्थि ण भते ! लवणसमुद्दे वहवे ओराला वलाया ससेयति ? समुच्छति ? वास वासति ? हता अत्थि ॥ १५८. जहा ण भते ! लवणसमुद्दे वहवे अोराला वलाहया ससेयति, समुच्छति, वासं वासति, तहा ण बाहिरगेसु वि समुद्देसु बहवे अोराला वलाया ससेयति ? समुच्छति ? वास वासति ? जीवा ण भते ! किं ५१ पएसनामनिउत्ता ? जीवा ण भते ! किं ५३ पएसगोयनिहत्ता ? जीवा ण भते । किं ५५ पएसगोयनिउत्ता? जीवा ण भते ! किं ५७. पएसनामगोयनिहत्ता ? जीवा ण भते ! किं ५६ पएसनामगोयनिउत्ता? जीवा णं भते । किं ६१. अणुभागनामनिहत्ता ? जीवा ण भते ! किं ६३. अणुभागनामनिउत्ता? जीवा ण भते । किं ६५ अणुभागगोयनिहत्ता ? " जीवा ण भते ! किं ६७. अणुभागगोयनिउत्ता? ' जीवा ण भते । किं ६६ अणुभागनामगोयनिहत्ता? जीवा ण भते ! किं ७१ अणुभागनामगोयनिउत्ता? १. पू०प०२। २ उसिमोदए (क, म, स)। ३. स० पा०-एत्तो आढत्त जहा जीवाभिगमे जाव से । ५२ पएसनामनिउत्ताउया ? ५४ पएसगोयनिहत्ताउया ? ५६ पएसगोयनिउत्ताउया ? ५८ पएसनामगोयनिहत्ताउया ? ६० पएसनामगोयनिउत्ताउया ? ६२ अणुभागनामनिहत्ताउया ? ६४. अणुभागनामनिउत्ताउया? ६६ अणुभागगोयनिहत्ताउया? ६८. अणुभागगोयनिउत्ताउया? ७०. अणुभागनामगोयनिहत्ताउया' ७२. अणुभागनामगोयनिउत्ताउया? Page #324 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छ? सत (नवमो उद्देसो) २६५ नो इणढे समढे ॥ १५६. से केणद्वेण भते । एव वुच्चइ-वाहिरगा ण समुद्दा पुण्णा जाव' समभरघडत्ताए चिट्ठति ? गोयमा । बाहिरगेसु ण समुद्देसु बहवे उदगजोणिया जीवा य पोग्गला य उदगत्ताए वक्कमति, विउक्कमति, चयति, उवचयति । से तेण?ण गोयमा । एव वुच्चइ-वाहिरया ण समुद्दा' पुण्णा पुण्णप्पमाणा वोलट्टमाणा वोसट्टमाणा समभरघडत्ताए चिट्ठति, सठाणो एगविहिविहाणा, वित्थारो अणेगविहिविहाणा, दुगुणा, दुगुणप्पमाणा' जाव' अस्सि तिरियलोए असखेज्जा दीव-समुद्दा सयभूरमणपज्जवसाणा पण्णत्ता समणाउसो । १६०. दीव-समुद्दा ण भते । केवतिया नामधेज्जेहि पण्णत्ता। गोयमा । जावतिया लोए सुभा नामा, सुभा रूवा, सुभा गधा, सुभा रसा, सुभा फासा, एवतिया ण दीव-समुद्दा नामधेज्जेहि पण्णत्ता । एव नेयव्वा सुभा नामा, उद्धारो, परिणामो, सव्वजीवाण (उप्पाओं ?) ॥ १६१ सेव भते । सेव भते । त्ति ।। नवमो उद्देसो कम्मप्पगडिबंध-पदं १६२ जीवे ण भते । नाणावरणिज्ज कम्म बधमाणे कति कम्मप्पगडीअो बधति ? गोयमा । सत्तविहवधए वा, अढविहबधए वा, छविहबधए वा। बधुद्देसो पण्णवणाए नेयव्वो॥ १ भ० ६।१५६ । रीयमहापोडरीयसयपत्तसहस्सपत्तफुल्लकेसरो२ दीव-समुद्दा (अ, क, ता, व, म, स), चिया पत्तेय-पत्तेय पउमवरवेइयापरि जीवाभिगमे तृतीयप्रतिपत्तो 'समुद्दा इत्येवपद- क्खित्ता पत्तेय-पत्तेय वणसडपरिक्खित्ता। . मस्ति, तदेवाऽत्र प्रासगिकम् । ५ मध्वजीवाण ति–सर्व जीवाना द्वीप-समुद्रेषू३ °मारणाओ (अ, क, ता, व, म, स)। त्पादो नेतव्य ---इति सूचित वृत्तिकृता। ४ अस्य पूरकपाठ जीवाभिगमस्य तृतीयप्रति- तदनुसृत्यात्र 'सव्वजीवारण उप्पाओ' इतिपाठो पत्तो लभ्यते । स चैवमस्ति युज्यते। 'पडुप्पाएमाणा-पडुप्पाएमाणा पवित्थर- ६ भ० ११५१ । माणा-पवित्थरमाणा ओभासमाणवीइया ७ प० २४ । बहुउप्पलपउमकुमुयणलिणसुभगसोगघियपोड Page #325 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६६ भगवई महिड्ढीयदेव-विकुव्वणा-पद १६३. देवे ण भते । महिड्ढीए जाव' महाणुभागे बाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता' पभू एगवण्णं एगरूव विउवित्तए ? गोयमा | नो इणढे समढे । १६४ देवे ण भते । वाहिरए पोग्गले परियाइत्ता पभू एगवण्ण एगरूव विउवित्तए ? हता पभू॥ से ण भते ! किं इहगए पोग्गले परियाइत्ता विउव्वति ? तत्थगए पोग्गले परियाइत्ता विउव्वति ? अण्णत्थगए पोग्गले परियाइत्ता विउव्वति ? गोयमा | नो इहगए पोग्गले परियाइत्ता विउव्वति, तत्थगए पोग्गले परियाइत्ता विउव्वति, नो अण्णत्थगए पोग्गले परियाइत्ता विउव्वति। एव एएण गमेण जाव' १ एगवण्णं एगरूव २. एगवण्ण अणेगरूव ३ अणेग वण्ण एगरूव ४ अणेगवण्ण अणेगरूव-चउभगो॥ १६६ देवे ण भते । महिड्ढीए जाव' महाणुभागे वाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता पभू कालग' पोग्गल नीलगपोग्गलत्ताए' परिणामेत्तए ? नीलग पोग्गल वा कालगपोग्गलत्ताए परिणामेत्तए ? गोयमा । नो इण? समटे । परियाइत्ता पभू ।। १६७ से ण भते । किं इहगए पोग्गले' 'परियाइत्ता परिणामेति ? तत्थगए पोग्गले परियाइत्ता परिणामेति ? अण्णत्थगए पोग्गले परियाइत्ता परिणामेति ? गोयमा ! नो इहगए पोग्गले परियाइत्ता परिणामेति, तत्थगए पोग्गले परियाइत्ता परिणामेति, नो अण्णत्थगए पोग्गले परियाइत्ता परिणामेति । एव एएण गमेण जाव १ एगवण्ण एगरूव २ एगवण्णं अणेगरूवं ३. अणेगवण्ण एगरूव ४ अणेगवण्ण अणेगरूव-चउभगो । एव कालगपोग्गल लोहियपोग्गलत्ताए। एव कालएण जाव सुक्किल । एवं नीलएण जाव सुक्किल । एव 'लोहिएण जाव सुक्किल" । एव हालिद्दएणं जाव सुक्किल । एवं एयाए परिवाडीए गध-रस फासा"। १ भ० ३।४। २. अपरियादिइत्ता (अ, ता, व, म)। ३. भ० ६११६३, १६४ । ४ भ० ३।४। ५. कालत (क)। ६. रणीलपोग्ग० (अ, क, ता)। ७. स. पा०-त चेव नवर परिणामेति त्ति भारिणयब्व । ८. भ० ६।१६३, १६४ । ६ लोहियपोग्गल जाव सुक्किलत्ताए (अ, स), लोहियपोग्गल जाव सुक्किल (म)। १०. त एव (अ, क, ता, व, म)। ११ कक्खडफासपोग्गल मउय-फासपोग्गलत्ताए, एव दो दो गरुयलहुय-सीयउसिण-णिद्धलुक्खवण्णाई सव्वत्थ परिणामेइ । आलावगा दो दो पोग्गले अपरियाइत्ता, परियाइत्ता(अ,ब,म,स)। Page #326 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छट्ट सत ( नवमो उद्देसो) अविसुद्धसादि देवाणं जाणणा-पासणा-पदं १६८ १ विसुद्ध से ण भते ! देवे असमोहरण' अप्पाणेण श्रविसुद्धलेस देव देवि, अण्णयर' जाणइ-पासइ ? णो तिणट्टे समट्ठे' | २६७ एव–२ अविसुद्धलेसे देवे समोहरण अप्पाणेण विसुद्धलेस देव ३ अविसुद्धलेसे देवे समोहएण अप्पाणेण प्रविसुद्धलेस देवं ४ अविसुद्धले से देवे समोहरण ग्रप्पाणेण विसुद्धलेस देव ५ ग्रविसुद्ध लेसे देवे समोहयासमोहरण अप्पाण विसुद्ध स देव ६ अविसुद्ध लेसे देवे समोहयासमोहरण अप्पाणेण विसुद्धले सं देव ७ विसुद्धलेसे देवे समोहरण अप्पाणेण अविसुद्धलेस देव व विसुद्धलेसे देवे ग्रसमोहएण ग्रप्पाणेण विसुद्धलेस देव ।। १६६ ६ विसुद्धले से ण भते ! देवे समोहरण अप्पाणेण अविसुद्धलेस देव जाणइपासइ ? हता जाणइ पासइ । एव-१०. विसुद्धलेसे देवे समोहरण अप्पाणेण विसुद्ध लेस देवं ११. विसुद्धलेसे देवे समोहयासमोहएण अप्पाणेण अविसुद्धलेस देव १२. विसुद्धले से देवे समोहयासमोहएण अप्पाणेण विसुद्ध स देव || १७० सेव भते ! सेव भते । त्ति ॥ १ असमो० ( अ, ता, म, स ) । २. अणगार (क, व) | ३. समट्ठे एव हेट्ठिल्लएहि अट्ठहि न जाणइ न पासइ उवरिल्लएहिं चउहिं जारणइ-पासइ (क, ता, वृ), स्वीकृतपाठस्य वृत्तिकृता वाचनान्तरत्वेन उल्लेख. कृतोस्ति वाचनान्तरे तु सर्वमेवेद साक्षाद्द्द्श्यते (वृ) । 'अ, व, म, स' सकेतितादर्शेषु द्वयोर्वाचनयोमिश्रण दृश्यते । तत्र द्वादशभगानन्तर 'एव हेलिए हिं' इत्यादि पाठोस्ति । ४ भ० १५१ । Page #327 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६८ दसमो उद्देसो सुह- दुह-उवदंसरण-पदं १७१ अण्णउत्थिया ण भते । एवमाइक्खति जाव' परूवेति जावतिया रायगिहे नयरे जीवा, एवइयाण जीवाण नो चक्किया केइ सुह वा दुह वा जाव कोलट्ठिगमायमवि, निष्फावमायमवि, कलमायमवि, मासमायमवि, मुग्गमायमवि, जूयामायमवि', लिक्खामायमवि अभिनिवट्टेत्ता' उवदत्तए || १७२ से कहमे भते । एव ? गोयमा । ज ण ते ग्रण्णउत्थिया एवमाइक्खति जाव' मिच्छ ते एवमाहसु, ग्रह पुण गोयमा । एवमाइक्खामि जाव' परूवेमि सव्वलोए वियण सव्व - जीवाण नो चक्किया केइ सुह वा दुह वा जाव कोलट्ठिगमायमवि, निप्फावमायमवि, कलमायमवि, मासमायमवि, मुग्गमायमवि, जूयामायमवि, लिक्खामायमवि अभिनिवट्टेत्ता उवदसेत्तए || १७३ सेकेणटुण ? गोयमा । अयण्ण जबुद्दीवे दीवे जाव' विसेसाहिए परिक्खेवेण पण्णत्ते । देवे ण महिड्ढीए जाव' महाणुभागे एग मह सविलेवण गधसमुग्गग गहाय त अवद्दालेति, ग्रवद्दालेत्ता जाव इणामेव कट्टु केवलकप्प जबुद्दीव दीव तिहि अच्छरानिवाएहि तिसत्तखुत्तो अणुपरियट्टित्ता ण हव्वमागच्छेज्जा | से नूण गोयमा । से केवलकप्पे जबुद्दीवे दीवे तेहि' घाणपोग्गलेहि फुडे ? हता फुडे । o चक्किया ण गोयमा । केइ " तेसि घाणपोग्गलाण कोलट्ठमायमवि", निप्फावमायमवि, कलमायमवि, मासमायमवि, मुग्गमायमवि, जूयामायमवि, लिक्खा - मायमवि अभिनिवट्टेत्ता उवदसेत्तए ? नो तिट्टे समट्ठे । से तेणट्टेण गोयमा । एव वच्चइ - नो चक्किया केइ सुह वा जाव उवदसेत्तए । O भगवई जीव- चेयणा-पदं १७४. जीवे ण भते । जीवे ? जीवे जीवे ? गोमा | जीवे ताव नियमा जीवे, जीवे वि नियमा जीवे ॥ १ भ० १।४२० । २ जय ० (क, व); ऊया० (ता) | ३ • FAIT (AT) I ४ भ० १।४२१ । ५ भ० १।४२१ ६ स० पा० - चेव जाव उवदसेत्तए । ७. भ० ६।७५ । ८ भ० ३।४ । C. तिहिं (अस) । १० केयति ( स ) | ११ स० पा० - कोलट्ठिमायमवि जाव उवदसेत्तए Page #328 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छटुं सतं (दसमो उद्देसो) २६६ १७५ जीवे णं भंते । नेरइए ? नेरइए जीवे ? गोयमा | नेरइए ताव नियमा जीवे, जीवे पुण सिय नेरइए, सिय अनेरइए । १७६ जीवे ण भते । असुरकुमारे? असुरकुमारे जीवे ? गोयमा । असुरकुमारे ताव नियमा जीवे, जीवे पुण सिय असुरकुमारे, सिय नोअसुरकुमारे ॥ १७७ एव दडओ भाणियव्वो' जाव' वेमाणियाण ।। १७८ जीवति भते । जीवे ? जीवे जीवति ? गोयमा ! जीवति ताव नियमा जीवे, जीवे पुण सिय जीवति, सिय नो जीवति ॥ १७६ जीवति भते ! नेरइए ? नेरइए जीवति ? गोयमा नेरइए ताव नियमा जीवति, जीवति पुण सिय नेरइए, सिय अनेरइए । १८० एव दडयो नेयव्वो जाव' वेमाणियाण ।। १८१ भवसिद्धिए ण भते | नेरइए ? नेरइए भवसिद्धिए ? गोयमा । भवसिद्धिए सिय नेरइए, सिय अनेरइए । नेरइए वि य सिय भवसि द्धीए, सिय अभवसिद्धीए॥ १८२ एव दडओ जाव वेमाणियाण ।। वेदणा-पदं १८३ अण्णउत्थिया ण भते । एवमाइक्खति जाव' परूवेति-एव खलु सव्वे पाणा भूया जीवा सत्ता एगतदुक्ख वेदण वेदेति ।। १८४ से कहमेय भते । एव ? गोयमा । ज ण ते अण्णउत्थिया जाव' मिच्छ ते एवमाहसु, अह पुण गोयमा । एवमाइक्खामि जाव' परूवेमि-प्रत्येगइया पाणा भूया जीवा सत्ता एगतदुक्ख वेदण वेदेति, पाहच्च साय । अत्थेगइया पाणा भूया जीवा सत्ता एगतसाय वेदण वेदेति, आहच्च अस्साय । अत्थेगइया पाणा भूया जीवा सत्ता वेमायाए वेदण वेदेति-ग्राहच्च सायमसाय ॥ १८५ से केणट्रेण? गोयमा । नेरइया एगतदुक्ख वेदण वेदेति, पाहच्च साय । भवणवइ-वाणमतरजोइस-वेमाणिया एगतसाय वेदण वेदेति, पाहच्च अस्साय। पुढविक्काइया जाव मणुस्सा वेमायाए वेदण वेदेति-आहच्च सायमसाय । से तेण?ण ।। १ नेतन्वो (क, ता, व)। ६ भ० ११४२१ । २ पू०प० २। ७ भ० ११४२१ । ३ पू० प० २। ८ असाय वेदण वेदेति (अ, ता, म, स)। ४ पू० प० २। ६. पू०प० २। ५. भ० ११४२० । Page #329 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २७० भगवई नेरइयादीणं प्राहार-पदं १८६ नेरइया ण भंते । जे पोग्गले अत्तमायाए आहारेति त किं आयसरी रखेत्तोगाढे पोग्गले अत्तमायाए आहारेति ? अणतरखेत्तोगाढे पोग्गले अत्तमायाए आहारेति ? परपरखेत्तोगाढे पोग्गले अत्तमायाए आहारैति ? गोयमा ! आयसरीरखेत्तोगाढे पोग्गले अत्तमायाए आहारेति, नो अणतरोत्तोगाढे पोग्गले अत्तमायाए आहारेति, नो परपरखेत्तोगाढे पोग्गले अत्तमायाए आहारेति । जहा ने रइया तहा जाव' वेमाणियाण दडप्रो । केवलिस्सनाण-पदं १८७ केवली ण भते | आयाणेहिं जाणइ-पासइ ? गोयमा | नो इणढे समटे । १८८. से केणटेणं? गोयमा ! केवली णं पुरत्थिमे ण मिय पि जाणइ, अमिय पि जाणइ जाव' निव्वुडे दसणे केवलिस्स । से तेण?ण । संगहणी-गाहा जीवाण य सुह दुक्ख, जीवे जीवति तहेव भविया य । एगतदुक्ख वेयण-अत्तमायाय केवली ॥१॥ १८६ सेव भते । सेव भते । त्ति' ॥ १. पू०प० २। २. भ० ५।६७ । ३ भ० ११५१ । Page #330 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सत्तमं सतं पढमो उद्देसो संगहणी-गाहा १. पाहार २. विरति ३. थावर, ४. जीवा ५ पक्खी य ६. आउ ७ अणगारे। ८ छउमत्थ ६ असवुड, १०. अण्णउत्थि दस सत्तममि सए ॥१॥ प्रणाहारग-पदं १. तेण कालेण तेण समएणं जाव' एव वदासी-जीवे ण भते । क' समयमणा हारए भवइ ? गोयमा पढमे समए सिय आहारए सिय अणाहारए, बितिए समए सिय आहारए सिय अणाहारए, ततिए समए सिय आहारए सिय अणाहारए, चउत्थे समए नियमा आहारए। एव दंडो-जीवा य एगिदिया य चउत्थे समए', सेसा ततिए समए॥ सन्वप्पाहारग-पदं २ जीवे ण भते ! क समय सव्वप्पाहारए भवति ? गोयमा । पढमसमयोववन्नए वा चरिमसमयभवत्थे वा, एत्थ ण जीवे सव्वप्पाहारए भवति । दडो भाणियन्वो जाव' वेमाणियाण ॥ १. भ० ११४-१०। २. किं (अ)। ३ 'नियमा आहारए' इति शेषम् । ४ 'नियमा आहारए' इति शेषम् । ५ °समए ° (स)। ६. पू० प० २। २७१ Page #331 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २७२ भगवई लोगसंठाण-पदं ३ किंसठिए ण भते ! लोए पण्णत्ते ? गोयमा | सुपइट्टगसठिए लोए पण्णत्ते–हेटा विच्छिण्णे', 'मज्झे सखित्ते, उप्पि विसाले ; अहे पलियकसठिए, मज्झे वरवइरविग्गहिए °, उप्पि उद्धमुइगाकारसठिए। तसि च ण सासयसि लोगसि हेद्रा विच्छिण्णसि जाव उप्पि उद्धमइंगाकारसठिय सि उप्पण्णनाण-दसणधरे अरहा जिणे केवली जीवे वि जाणइ-पासड, अजीवे वि जाणइ-पासइ, तो पच्छा सिझइ' 'बुज्झइ मुच्चइ परिनिव्वाइ सव्वदुक्खाणं अत करेइ ।। समणोवासगस्स किरिया-पदं ४. समणोवासगस्स णं भते ! सामाइयकडस्स समणोवस्सए अच्छमाणस्स तस्स ण भते ! कि रियावहिया किरिया कज्जइ ? संपराइया किरिया कज्जइ ? गोयमा ! नो रियावहिया किरिया कज्जइ, सपराइया किरिया कज्जइ ।।। ५ से केणट्रेण' भते । एव वुच्चइनो रियावहिया किरिया कज्जइ ? ० सपरा इया किरिया कज्जइ? गोयमा | समणोवासयस्स णं सामाइयकडस्स समणोवस्सए अच्छमाणस्स पाया अहिगरणी भवइ, अायाहिगरणवत्तिय च णं तस्स नो रियावहिया किरिया कज्जइ, सपराइया किरिया कज्जइ । से तेणतुणं ।। समणोवासगस्स प्रणाउट्टिहिंसा-पद ६ समणोवासगस्स ण भते । पुवामेव तसपाणसमारभे पच्चक्खाए भवइ, पुढवि समारभे अपच्चक्खाए भवइ । से य पुढवि खणमाणे अण्णयर तस पाण विहिसेज्जा, से ण भते । त वय अतिचरति ? नो इणद्वे समढे, नो खलु से तस्स अतिवायाए अाउट्टति ।। ७. समणोवासगस्स ण भते । पुवामेव वणप्फइसमारभे पच्चक्खाए । से य पुढवि खणमाणे अण्णय रस्स रुक्खस्स मूल छिदेज्जा, से ण भते ! त वय अतिचरति ? नो इणट्टे समढे, नो खलु से तस्स अतिवायाए आउट्टति ।। १. स० पा०-विच्छिण्णे जाव उप्पि । २ तसिं (अ); तसि तेसिं (ता); तस्सि (म)। ३ म० पा०-सिज्झइ जाव अत । ४. समगोवासए (क, स)। ५ अत्य° (अ, व, म, स)। ६. इरिया' (क, ता)। ७ स० पा०-केण?ण जाव सपराइया । Page #332 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सत्तमं सतं (पढमो उद्देसो) २७३ समणपडिलाभेण लाभ-पदं ८ समणोवासए ण भते ! तहारूवं समणं वा माहणं वा फासु-एसणिज्जेणं असण पाण-'खाइम-साइमेण" पडिलाभेमाणे किं लभइ ? गोयमा ! समणोवासए ण तहारूव समणं वा 'माहण वा फासु-एसणिज्जेणं असण-पाण-खाइम-साइमेणं पडिलाभेमाणे तहारूवस्स समणस्स वा माहणस्स वा समाहिं उप्पाएति, समाहिकारए ण तामेव' समाहि पडिलभइ॥ ६ समणोवासए ण भते । तहारूव समण वा माहण वा फासु-एसणिज्जेण असण पाण-खाइम-साइमेण ° पडिलामेमाणे कि चयति ? गोयमा ! जीविय चयति, दुच्चय' चयति, दुक्कर करेति, दुल्लह लहइ, बोहिं वुज्झइ, तो पच्छा सिज्झति जाव' अत करेति ॥ प्रकम्मस्स गति-पदं १०. अत्यि ण भते । प्रकम्मस्स गती पण्णायति ? हता अस्थि ।। ११. कहण्ण भंते | अकम्मस्स गतो पण्णायति ? गोयमा ! निस्सगयाए, निरगणयाए, गतिपरिणामेण, बधणछेदणयाए', निरिंध णयाए, पुव्वप्पयोगेण अकम्मस्स गती पण्णायति ।। १२ कहण्ण भते । निस्सगयाए, निरगणयाए, गतिपरिणामेण अकम्मस्स गती पण्णायति ? से जहानामए केइ पुरिसे सुक्क तुव निच्छिड्ड निरूवय आणुपुवीए परिकम्मेमाणे-परिकम्मेमाणे दव्भेहि य कुसेहि य वेढेइ, वेढेत्ता अट्ठहि मट्टियालेवेहि लिंपइ, लिपित्ता उण्हे दलयति, भूति-भूति सुक्क समाण अत्थाहमतारमपोरिसियसि उदगसि पक्खिवेज्जा, से नूण गोयमा । से तुबे तेसि अट्ठण्ह मट्टियालेवाण गुरुयत्ताए भारियत्ताए गुरुसभारियत्ताए सलिलतलमतिवइत्ता अहे धरणितलपइट्टाणे भवइ ? हता भवड। अहे ण से तुबे तेसि अट्ठण्ह मट्टियालेवाण परिक्खएण धरणितलमतिवइत्ता उप्पि सलिलतलपइट्ठाणे भवइ ? १. खातिम-सातिमेण (अ, ब, स)। २. स० पा०-समण वा जाव पडिलाभे । ३. तमेव (क्व०)। ४ स० पा०-समण वा जाव पडिलाभे । ५ दुचय (स)। ६ भ० ७।३ । ७ बघवोच्छेदणताए (ता)। ८, इह मकारो प्राकृतप्रभवी (वृ)। Page #333 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २७४ भगवई हंता भवइ। एवं खलु गोयमा । निस्सगयाए, निरंगणयाए, गतिपरिणामेणं अकम्मस्स गती पण्णायति ॥ कहण्ण भते | वधणछेदणयाए अकम्मस्स गती पण्णायति' ? गोयमा | से जहानामए कलसिबलिया इ वा, मुग्गसिवलिया इ वा, माससिंबलिया इ वा, सिबलिसिंवलिया इ वा, एरडमिजिया इ वा उण्हे दिन्ना' सुक्का समाणी फुडित्ता ण एगतमत गच्छइ । एव खलु गोयमा ! बंधणछेदणयाए अकम्मस्स गती पण्णायति ।। १४ कहण्ण भते । निरिधणयाए अकम्मस्स गती पण्णायति ? गोयमा से जहानामए धूमस्स इधणविप्पमुक्कस्स उड्ढ वीससाए निव्वाघाएणं गती पवत्तति । एव खलु गोयमा । निरिंधणयाए अकम्मस्स गती पण्णायति ॥ १५. कहण्ण भते । पुव्वप्पओगेण अकम्मस्स गती पण्णायति ? गोयमा | से जहानामए कडस्स कोदडविप्पमुक्कस्स लक्खाभिमुही निव्वाघाएण गती पवत्तइ । एव खलु गोयमा | पुवप्पयोगेण अकम्मस्स गती पण्णायति । एवं खलु गोयमा ! निस्सगयाएँ, निरगणयाए', 'गतिपरिणामेण, बधणछेदण याए, निरिधणयाए°, पुव्वप्पोगेण अकम्मस्स गती पण्णायति ।। दुपिखस्स दुक्खफासादि-पदं १६ दुक्खी भते ! दुक्खेण फुडे ? अदुक्खी दुक्खेण फुडे ? गोयमा | दुक्खी दुक्खेण फुडे, नो अदुक्खी दुक्खेण फुडे ॥ -१७ दुक्खी भते । नेरइए दुक्खेण फुडे ? अदुक्खी नेरइए दुक्खेण फुडे ? गोयमा | दुक्खी ने रइए दुक्खेण फुडे, नो अदुक्खी नेरइए दुक्खेण फुडे ।। १८. एव दडओ जाव' वेमाणियाण ।। १९ एवं पच दडगा नेयव्वा-१. दुक्खी दुक्खेणं फुडे २ दुक्खी दुक्ख परियायइ ३. दुक्खी दुक्ख उदीरेड ४ दुक्खी दुक्खं वेदेति ५. दुक्खी दुक्ख निज्जरेति ॥ इरियावहिय-संपराइय-किरिया-पदं २० अणगारस्स ण भते ! अणाउत्त गच्छमाणस्स वा, चिट्ठमाणस्स" वा, निसीय माणस्स वा, तुयट्टमाणस्स वा, अणाउत्त वत्थ पडिग्गहं कंबल पायपुछण गेण्ह १ पण्णत्ता (अ, क, ता, व, म, स)। २ सेंबलिमेंबलिया (ता)। ३ दित्ता (म)। ४. नीसगयाए (म, क, व, म, स)। ५ स० पा०—निरगणयाए जाव पुन्व° । . ६ पू० प०२। ७. सर्वेष्वपि पदेषु 'अरणाउत्त' इति पद गम्यम् । Page #334 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सत्तम सतं (पढमो उद्देसो) २७५ माणस्स वा, निक्खिवमाणस्स वा तस्स णं भंते ! किं' रियावहिया किरिया कज्जइ ? संपराइया किरिया कज्जइ? गोयमा ! नो रियावहिया किरिया कज्जइ, सपराइया किरिया कज्जइ। से केणद्वेण? गोयमा ! जस्स ण कोह-माण-माया-लोभा वोच्छिण्णा' भवति तस्स ण रियावहिया किरिया कज्जइ', जस्स ण कोह-माण-माया-लोभा अवोच्छिण्णा भवति तस्स ण सपराइया किरिया कज्जई। अहासुत्त रीयमाणस्स रियावहिया किरिया कज्जइ, उस्सुत्त रीयमाणस्स सपराइया किरिया कज्जइ । से ण उस्सु त्तमेव रीयती । से तेणटेणे ॥ सइंगालादिदोसदुट्ठ-पाणभोयण-पदं २२. अह भते । सइगालस्स, सधूमस्स, सजोयणादोसदुद्रुस्स पाण-भोयणस्स के अट्टे पण्णत्ते? गोयमा । जे ण निग्गथे वा निग्गथी वा फासु-एसणिज्ज असण-पाण-खाइमसाइम पडिग्गाहेत्ता मुच्छिए गिद्धे गढिए अज्झोववन्ने आहारमाहारेइ, एस ण गोयमा | सइगाले पाण-भोयणे। जे ण निग्गथे वा निग्गथी वा फासु-एसणिज्ज असण-पाण-खाइम-साइम पडिग्गाहेत्ता महयाअप्पत्तिय कोहकिलाम करेमाणे आहारमाहारेइ, एस ण गोयमा ! सधूमे पाण-भोयणे। जे ण निग्गथे वा' निग्गथी वा फासु-एसणिज्ज असण-पाण-खाइम-साइम पडिग्गाहेत्ता गुणुप्पायणहेउ अण्णदव्वेणं सद्धि सजोएत्ता आहारमाहारेइ, एस ण गोयमा । सजोयणादोसदुद्धे पाण-भोयणे । एस ण गोयमा | सइगालस्स, सधूमस्स, संजोयणादोसदुवस्स पाण-भोयणस्स अट्टे पण्णत्ते ॥ २३ अह भते | वीतिगालस्स, वीयधूमस्स, सजोयणादोसविप्पमुक्कस्स पाण-भोय णस्स के अटे पण्णत्ते? गोयमा । जे ण निग्गथे वा निग्गथी वा फासु-एसणिज्ज असण-पाण खाइम १. ४ (क, ता, ब)। ५ रियति (अ, क, व, म, स)। २. विच्छिण्णा (ब)। ६. स० पा०-निग्गथे वा जाव पडिग्गाहेत्ता। ३. कज्जइ नो सपराइया किरिया कज्जइ (म)। ७. गुणप्पयाण ° (अ, स), गुणुप्पायणा (ता) ४ कज्जइ नो इरियावहिया किरिया कज्जइ 5 स० पार-निग्गथे वा जाव पडिग्गाहेत्ता। (म, स)। Page #335 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई २७६ साइमं पडिग्गाहेत्ता अमुच्छिए' अगिद्धे अगढिए अणज्झोववन्ने पाहारमा ०. हारेइ, एस णं गोयमा | वीतिगाले पाण.भोयणे । जे ण निग्गथे वा' निग्गथी वा फासु-एसणिज्ज असण पाण खाइम-साइम ° पडिग्गाहेत्ता णो महयाअप्पत्तियं कोहकिलाम करेमाणे आहारमा हारेइ, एस ण गोयमा । वीयधमे पाण-भोयणे । जे ण निग्गथे वा निग्गथी वा फासु-एसणिज्ज असण-पाण-खाइम-साइम पडिग्गाहेत्ता जहा लद्ध तहा आहारमाहारेइ, एस णं गोयमा ! सजोयणादोसविप्पमुक्के पाण-भोयणे।। एस ण गोयमा | वीतिगालस्स, वीयधूमस्स, सजोयणादोसविप्पमुक्कस्स पाण भोयणस्स अट्ठे पण्णत्ते ।। २४. अह भते ! खेत्तातिक्कतस्स, कालातिक्कतस्स, मग्गातिक्कतस्स, पमाणातिक्कं तस्स पाण-भोयणस्स के अट्टे पण्णत्ते ? गोयमा । जे ण निग्गथे वा निग्गथी वा फासु-एसणिज्जं असण-पाण-खाइमसाइम अणग्गए सूरिए पडिग्गाहेत्ता उग्गए सूरिए आहारमाहारेइ, एस णं गोयमा ! खेत्तातिक्कते पाण-भोयणे। जे णं निग्गथे वा निग्गथी वा फासु-एसणिज्ज असण-पाण-खाइम ° -साइम पढमाए पोरिसीए पडिग्गाहेत्ता पच्छिम पोरिसि उवाइणावेत्ता" आहारमाहारेइ एस ण गोयमा | कालातिक्कते पाण-भोयणे । जे ण निग्गथे वा निग्गथी वा फासु-एसणिज्जं असण-पाण-खाइम °-साइम पडिग्गाहेत्ता पर अद्धजोयणमेराए वीइक्कमावेत्ता' आहारमाहारेइ, एस ण गोयमा । मग्गातिक्कते पाण-भोयणे । जे ण निग्गथे" वा निग्गथी वा फासु-एसणिज्ज" 'असण-पाण-खाइम साइम पडिग्गाहेत्ता पर बत्तीसाए कुक्कुडिअडगपमाणमेत्ताणं कवलाण आहारमाहारेइ, एस ण गोयमा । पमाणातिक्कते पाण-भोयणे।। अट्ठ कुक्कुडिअडगपमाणमेत्ते कवले आहारमाहारेमाणे अप्पाहारे, दुवालस कुक्कुडिअडगपमाणमेत्ते कवले आहारमाहारेमाणे अवड्ढोमोयरिए", सोलस १ स० पा०-अमुच्छिए जाव आहारेइ। ७ उवायणा (अ, म)। २ स० पा०—निग्गथे वा जाव पडिग्गाहेत्ता। ८ स० पा०-निग्गथे वा जाव साइम । ३. स० पाo-महयाअप्पत्तिय जाव आहारेइ। ६ वीइक्कमावइत्ता (स)। ४. स० पा०-निग्गथे वा जाव पडिग्गाहेत्ता। १० निग्गयो (क, ता, स)। ५ क्षेत्र-सूर्यसवन्धितापक्षेत्र दिनमित्यर्थः । तद- ११ स० पा०-एसणिज्जं जाव साइम । तिक्रान्त यत् तत् क्षेत्रातिक्रान्तम् (वृ)। १२ सावुर्भवतीति गम्यम् । ६ सं० पा०-निगाथे वा जाव साइम । १३ अवड्ढोमोयरिया (अ, ता)। Page #336 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सत्तमं सत (वीओ उद्देसो) २७७ कुक्कुडिअडगपमाणमेत्ते कवले आहारमाहारेमाणे दुभागप्पत्ते, चउव्वीस कुक्कुडिग्रंडगपमाण मेत्ते कवले • आहारमाहारेमाणे प्रोमोदरिए', बत्तीस कुक्कुडिअडगपमाणमेत्ते कवले आहारमाहारेमाणे पमाणपत्ते, एत्तो एक्केण वि घासेण ऊणगं आहारमाहारेमाणे समणे निग्गये नो पकामरसभोईति वत्तव्य सिया । एस ण गोयमा । खेत्तातिक्कतस्स, कालातिक्कतस्स, मग्गातिक्कतस्स, पमाणा तिक्कतस्स पाण-भोयणस्स अट्ठे पण्णत्ते॥ २५ ग्रह भते । सत्यातीतस्स, सत्यपरिणामियस्स', एसियस्स, वेसियस्स, सामुदा णियस्स पाण-भोयणस्स के पट्टे पण्णत्ते ? गोयमा । जे ण निग्गये वा निग्गथी वा निक्खित्तसत्थमुसले ववगयमालावण्णग-विलेवणे ववगय-चुय-चइय-चत्तदेहं, जीवविप्पजढ, अकय, अकारिय, असकप्पिय, अणाहूय, अकीयकड, अणुद्दिटु, नवकोडीपरिसुद्ध, दसदोसविप्पमुक्क, उग्गमुप्पायणेसणासुपरिसुद्ध, बीतिगाल, वीतधूम, सजोयणादोसविप्पमुक्क, असुरसुरं", अचवचव, अदुय, अविलविय, अपरिसाडि, अक्खोवजण-वणाणुलेवणभूय, सजमजायामायावत्तिय, सजमभारवहणट्ठयाए विलमिव पन्नगभूएण अप्पाणेण आहारमाहारेड, एस ण गोयमा ! सत्थातीतस्स, सत्थपरिणामियस्स' •एसियस्स, वेसियस्स, सामुदाणियस्स° पाण-भोयणस्स अट्ठे पण्णत्ते ॥ २६. सेव भते । सेव भते । त्ति ।। बीमो उद्देसो सुपच्चक्खारण-दुपच्चक्खाण-पदं २७. से नूण भते । सव्वपाणेहिं, सव्वभूएहिं, सव्वजीवेहि, सव्वसत्तेहिं पच्चक्खा यमिति वदमाणस्स सुपच्चक्खाय भवति ? दुपच्चक्खाय भवति ? गोयमा । सव्वपाणेहिं जाव सव्वसत्तेहिं पच्चक्खायमिति वदमाणस्स सिय सुपच्चक्खाय भवति, सिय दुपच्चक्खाय भवति ।। १. स० पा०-०पमाणे जाव आहार । ५ स० पा०-सत्थपरिणामियस्स जाव पाण । २. ओमोदरिया (अ, ता, स), ओमोदरियाए (ब)। ६ अयमढे (अ)। ३. पारि (ता)। ७ भ० २५१ । ४. असुरुससुर (ता)। Page #337 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई २७८ २८ से केणद्वेण भते । एव वुच्चइ-सव्वपाणेहिं जाव' सव्वसत्तेहि पच्चवखाय मिति वदमाणस्स सिय सुपच्चवखाय भवति ? सिय दुपच्चवखाय भवति ? गोयमा । जस्स ण सव्वपाणेहि जाव सव्वसत्तेहि पच्चक्खायमिति वदमाणस्स णो एव अभिसमन्नागय भवति- इमे जीवा, इमे अजीवा, इमे तसा, इमे थावरा, तस्स ण सव्वपाणेहि जाव सव्वसत्तेहि पच्चवखायमिति वदमाणस्स नो सुपच्चक्खाय भवति, दुपच्चक्खाय भवति । एव खलु से दुपच्चवखाई सव्वपाणेहि जाव सव्वसत्तेहि पच्चक्खायमिति वदमाणे नो सच्च भास भासइ, मोस भास भासइ । एव खलु से मुसावाई सव्वपाणेहि जाव सव्वसत्तेहि तिविह तिविहेण असजय-विरय-पडिहय-पच्चक्खायपावकम्मे, सकिरिए, असवुडे, एगतदडे, एगतवाले यावि भवति । जस्स ण सव्वपाणेहि जाव सव्वसत्तेहि पच्चवखायमिति वदमाणस्स एव अभिसमन्नागय भवति-इमे जीवा, इमे अजीवा, इमे तसा, इमे थावरा, तस्स ण सव्वपाणेहिं जाव सव्वसत्तेहि पच्चवखायमिति वदमाणस्स सुपच्चक्खाय भवति, नो दुपच्चवखाय भवति । एव खलु से सुपच्चवखाई सव्वपाणेहिं जाव सव्वसत्तेहि पच्चक्खायमिति वदमाणे सच्च भास भासइ, नो मोस भास भासइ । एव खलु से सच्चवादी सव्वपाणेहि जाव सव्वसत्तेहिं तिविह तिविहेण सजय-विरय-पडिहय-पच्चक्खायपावकम्मे, अकिरिए, सवुडे, एगतपडिए यावि भवति । से तेणद्वेण गोयमा ! एव वुच्चइ'-'सव्वपाणेहि जाव सव्वसत्तेहि पच्चक्खायमिति वदमाणस्स सिय सुपच्चक्खाय भवति°, सिय दुपच्चक्खाय भवति ।। पच्चक्खाण-पदं २६. कतिविहे ण भते ! पच्चवखाणे पण्णत्ते ? गोयमा ! दुविहे पच्चवखाणे पण्णत्ते, त जहा-मूलगुणपच्चवखाणे य, उत्तरगुणपच्चक्खाणे य॥ मूलगुणपच्चक्खाणे ण भंते । कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा | दुविहे पण्णत्ते, त जहा-सव्वमूलगुणपच्चक्खाणे य, देसमूलगुण पच्चक्खाणे य॥ ३१. सव्वमूलगुणपच्चक्खाणे ण भते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! पचविहे पण्णत्ते, त जहा-सव्वाश्रो पाणाइवायाो वेरमण, ३० १ भ० ७।२७ । २ स० पा०-सव्वसत्तेहिं जाव सिय । ३ स० पा०-वुच्चइ जाव सिय। ४ सं० पा०-वेरमण जाव सव्वाअो। . . Page #338 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सत्तम सतं (बीओ उद्देसो) २७६ • सव्वा मुसावाया वेरमण, सव्वा प्रदिण्णादाणाम्रो वेरमण, सव्वाश्र मेहुणा वेरमण, सव्वा परिग्गहाम्रो वेरमण || ३२. देसमूलगुणपच्चक्खाणे ण भते । कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा । पचविहे पण्णत्ते, त जहा – थूला पाणाइवाया वेरमण', "थूलानो मुसावायानो वेरमण, थूलात्रो प्रदिण्णादाणा वेरमण, थूलात्रो मेहुणाओ वेरमण, थूला परिग्गहाम्रो वेरमण || ३३ उत्तरगुणपच्चक्खाणे ण भते । कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा । दुविहे पण्णत्ते, त जहा - सव्वुत्तरगुणपच्चक्खाणे य, देसुत्तरगुणपच्चक्खाणे य ।। ३४. सव्वुत्तरगुणपच्चक्खाणे ण भंते । कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा । दसविहे पण्णत्ते, त जहा 1 गाहा— १, २. अणागयमइक्कत ३ कोडीसहिय ४. नियटिय चेव । ५, ६. सागारमणागार ७ परिमाणकड ८. निरवसेस | & सकेय' चेव १०. श्रद्धाए, पच्चक्खाण भवे दसहा ||१|| ३५ देसुत्तरगुणपच्चक्खाणे ण भते । कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! सत्तविहे पण्णत्ते, त जहा - १ दिसिव्वय' २. उवभोगपरिभोगपरिमाण ३ प्रणत्थदडवेरमण' ४. सामाइय ५ देसावगासिय ६. पोसहोव - वासो७ अतिहिस विभागो' । प्रपच्छिममा रणतियसले हणाभूषणा राहणता ' ॥ पच्चक्खाणि-प्रपञ्चवखा रिंग-पदं ३६ जीवा ण भते । किं मूलगुणपच्चक्खाणी ? उत्तरगुणपच्चक्खाणी ? अपच्चक्खाणी? गोयमा । जीवा मूलगुणपच्चक्खाणी वि, उत्तरगुणपच्चक्खाणी वि, अपच्चक्खाणी वि ॥ ३७ नेरइया ण भते । किं मूलगुणपच्चक्खाणी ? पुच्छा । गोयमा | नेरइया नो मूलगुणपच्चक्खाणी, नो उत्तरगुणपच्चक्खाणी, प्रपच्चक्खाणी ॥ १ स० पा० - वेरमण जाव धूलाओ २ साएत (ता, म ), साकेय (स, वृ), सकेयग ( ठा० १० १०१ ) केत चिन्ह सहकेतेन वर्तते सकेतम् – दीर्घता च प्राकृतत्त्वात् (वृ) । ३ दिसुव्वत (ता) | ४ अणट्टा (ता) । o ५ अहास विभाग (म ) । ६ सलेखनामविगणय्य सप्त देशोत्तरगुणा इत्युक्तम्, अस्याश्चैतेषु पाठो देशोत्तरगुणधारिणाsपीयमन्ते विधातव्येत्यस्यार्थस्य ख्यापनार्थ (दृ) । Page #339 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ३८. एव जाव' चउरिदिया। ३९. पंचिदियतिरिक्खजोणिया मणुस्सा य जहा जीवा, वाणमतर-जोइसिय-वेमाणिया जहा नेरइया ।। ४०. एएसि ण भते । जीवाणं मूलगुणपच्चक्खाणीण, उत्तरगुणपच्चक्खाणीणं, अपच्चक्खाणीण य कयरे कयरेहितो' 'अप्पा वा ? वहुया वा? तुल्ला वा ? ' विसेसाहिया वा? गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा मूलगुणपच्चक्खाणी, उत्तरगुणपच्चक्खाणी असखेज्जगुणा, अपच्चवखाणी अणतगुणा ।।। ४१. एएसि ण भते ! पचिदियतिरिक्खजोणियाण पुच्छा। गोयमा ! सव्वत्थोवा' पचिदियतिरिक्खजोणिया मूलगुणपच्चक्खाणी, उत्तर गुणपच्चवखाणी असखेज्जगुणा, अपच्चक्खोणी असखेज्जगुणा ॥ ४२ एएसि ण भते । मणुस्साण मूलगुणपच्चक्खाणीण पुच्छा। गोयमा ! सव्वत्थोवा मणुस्सा मूलगुणपच्चक्खाणी, उत्तरगुणपच्चक्खाणी सखेज्जगुणा, अपच्चक्खाणी असखेज्जगुणा ॥ जीवा ण भते ! कि सव्वमूलगुणपच्चक्खाणी? देसमूलगुणपच्चक्खाणी ? अपच्चक्खाणी? गोयमा ! जीवा सव्वमूलगुणपच्चक्खाणी वि, देसमूलगुणपच्चक्खाणी वि, अपच्चक्खाणी वि ॥ ४४. नेरइयाण पुच्छा। गोयमा । नेरइया नो सव्वमूलगुणपच्चक्खाणी, नो देसमूलगुणपच्चक्खाणी, अपच्चरखाणी ।। ४५. एव जाव' चरिदिया ।। ४६. पचिदियतिरिक्खजोणियाण पुच्छा। गोयमा ! पचिंदियतिरिक्खजोणिया नो सव्वमूलगुणपच्चक्खाणी, देसमूलगुण पच्चक्खाणी', अपच्चक्खाणी वि ।। ४७. "मणुस्साण भते । कि सव्वमूलगुणपच्चक्खाणी ? देसमूलगुणपच्चक्खाणी ? अपच्चक्खाणी? गोयमा ! मणुस्सा सव्वमूलगुणपच्चक्खाणी वि, देसमूलगुणपच्चक्खाणी वि, अपच्चक्खाणी वि° ॥ १. पू० प० २। २. स० पा०–कयरेहितो जाव विसेसाहिया। ३. सन्वत्योवा जीवा (अ)। ४ पू० प० २। ५ ० पच्चक्खाणी वि (क, ता, म, स)। ६. स० पा०-मणुस्सा जहा जीवा। Page #340 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सत्तम सत (बीओ उद्देसो) २८१ ४८ वाणमतर-जोइस-वेमाणिया जहा नेरइया ।। ४६ एएसि ण भते । जीवाण सव्वमूलगुणपच्चक्खाणीणं, देसमूलगुणपच्चक्खाणीण, अपच्चक्खाणीण य कयरे कयरेहितो' 'अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? ० विसेसाहिया वा? गोयमा । सव्वत्थोवा जीवा सव्वमूलगुणपच्चक्खाणी, देसमूलगुणपच्चक्खाणी असखेज्जगुणा, अपच्चक्खाणी अणतगुणा ।। ५०. २०एएसि ण भते । पचिदियतिरिक्खजोणियाण पुच्छा। गोयमा । सव्वत्थोवा पचिदियतिरिक्खजोणिया देसमूलगुणपच्चक्खाणी, अप्पच्चक्खाणी असखेज्जगुणा ।। ५१. एएसि ण भते । मणुस्साण सव्वमूलगुणपच्चक्खाणीण पुच्छा। गोयमा | सव्वत्थोवा मणुस्सा सव्वमूलगुणपच्चक्खाणी, देसमूलगुणपच्चक्खाणी सखेज्जगुणा, अपच्चक्खाणी असखेज्जगुणा ॥ ५२. जीवा ण भते । किं सव्वुत्तरगुणपच्चक्खाणी ? देसुत्तरगुणपच्चक्खाणी? अपच्चवखाणी? गोयमा । जीवा सव्वुत्तरगुणपच्चक्खाणी वि, देसुत्तरगुणपच्चक्खाणी वि. अपच्चवखाणी वि० । पचिदियतिरिवखजोणिया मणुस्सा य एव चेव । सेसा अपच्चक्खाणी जाव' वेमाणिया ॥ ५३. एएसि ण भते । जीवाण सव्वुत्तरगुणपच्चक्खाणीण अप्पाबहुगाणि तिण्णि वि जहा पढमे दडए जाव' मणुस्साण ॥ ५४ जीवा ण भते ! कि सजया ? असजया ? सजयासजया ? गोयमा । जीवा सजया वि, 'असजया वि, सजयासजया वि । एव जहेव पण्णवणाए तहेव भाणियव्व जाव" वेमाणिया। अप्पाबहुगं तहेव तिण्ह वि भाणियव्व। ५५. जीवा ण भते । किं पच्चक्खाणी ? अपच्चक्खाणी? पच्चक्खाणा पच्चक्खाणी? १. स० पा०–कयरेहितो जाव विसेसाहिया। ४ पू०प० २। २. स० पा०-एव अप्पावहुगाणि तिण्णि वि ५ भ० ७।४०-४२ । जहा पढमिल्ले दडए, नवर-सव्वत्थोवा ६ स० पा०-तिण्णि वि । पचिंदियतिरिक्खजोरिणया देसमूलगुणपच्च- ७ प० ३२ । क्खाणी, अपच्चक्खाणी असखेज्जगुणा। ८ भ० ७।४०-४२ । ३. स० पा०—तिण्णि वि। Page #341 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २८२ भगवई गोयमा । जीवा पच्चक्खाणी वि, अपच्चक्खाणी वि, पच्चक्खाणा पच्चक्खाणी वि ।। ५६. एव मणुस्साण वि' । पचिंदियतिरिक्खजोणिया आदिल्लविरहिया । सेसा सव्वे अपच्चक्खाणी जाव' वेमाणिया ।। ५७. एएसि ण भंते ! जीवाण पच्चक्खाणीण अपच्चक्खाणीण पच्चक्खाणा पच्चक्खाणीण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा ? वहया वा ? तुल्ला वा ? विसेसाहिया वा ? गोयमा | सव्वत्थोवा जीवा पच्चक्खाणी, पच्चक्खाणापच्चक्खाणी असखेज्जगुणा, अपच्चक्खाणी अणतगुणा । पचिदियतिरिक्खजोणिया सव्वत्थोवा पच्चक्खाणापच्चक्खाणी, अपच्चक्खाणी असखेज्जगुणा। मणुस्सा सव्वत्थोवा पच्चक्खाणी, पच्चक्खाणापच्चक्खाणी सखेज्जगुणा, अपच्चक्खाणी असंखेज्जगुणा ॥ सासय-असासय-पदं ५८ जीवा ण भते ! कि सासया ? असासया ? ' गोयमा ! जीवा सिय सासया, सिय असासया ।। ५६. से केणद्वेण भते ! एव वुच्चइ-जीवा सिय सासया ? सिय असासया ? गोयमा | दव्वट्ठयाए सासया, भावट्ठयाए असासया । से तेणटेण गोयमा ! एव वुच्चई- जीवा सिय सासया, सिय असासया ।। ६० नेरइया ण भते । कि सासया ? असासया? एव जहा जीवा तहा नेरइया वि । एव जाव' वेमाणिया सिय सासया, सिय असासया ।। ६१. सेव भते । सेवं भते ! त्ति ॥ . १. स० पा०—तिण्णि वि। ५. तुलना-भ० ६।६४ । २. वि तिण्णि वि (अ, स)। ६. स० पा०-वुच्चइ जाव सिय । ३. पू० प० २। ७. पू० प० २। ४. स० पा०-पच्चक्खाणीण जाव विसेसाहिया ८. भ० १५१ । Page #342 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सत्तम सतं (तइओ उद्देसो) २८३ तइओ उद्देसो वण्णस्सइ-आहार-पदं ६२. वणस्सइक्काइया ण भते । क' काल सव्वप्पाहारगा वा, सव्वमहाहारगा वा भवति ? गोयमा । पाउस-वरिसारत्तेसु ण एत्थ ण वणस्सइकाइया सव्वमहाहारगा भवति, तदाणतर च ण सरदे', तदाणतर च ण हेमते, तदाणतर च ण वसते, तदाणतर च ण गिम्हे। गिम्हासु णं वणस्सइकाइया सव्वप्पाहारगा भवति । जइ ण भते । गिम्हासु वणस्सइकाइया सव्वप्पाहारगा भवति, कम्हा ण भते । गिम्हासु बहवे वणस्सइकाइया पत्तिया, पुप्फिया, फलिया, हरियगरेरिज्जमाणा, सिरीए अतीव-अतीव उवसोभेमाणा-उवसोभेमाणा चिट्ठति ? गोयमा । गिम्हासु ण बहवे उसिणजोणिया जीवा य, पोग्गला य वणस्सइकाइयत्ताए वक्कमति, चयति, उववज्जति । एव खलु गोयमा । गिम्हासु बहवे वणस्सइकाइया पत्तिया, पुफिया', 'फलिया, हरियगरेरिज्जमाणा, सिरीए अतीव-अतीव उवसोभेमाणा-उवसोभेमाणा' चिट्ठति ।। से नूण भते । मूला मूलजीवफुडा, कदा कदजीवफुडा', 'खधा खधजीवफुडा, तया तयाजीवफुडा, साला सालजीवफुडा, पवाला पवालजीवफुडा, पत्ता पत्तजीवफुडा, पुप्फा पुप्फजीवफुडा, फला फलजीवफुडा, वीया बीयजीवफुडा ? हता गोयमा । मूला मूलजीवफुडा जाव' बीया बीयजीवफुडा ॥ ६५. जइ ण भते ! मूला मूलजीवफुडा जाव बीया वीयजीवफुडा, कम्हा णं भते । वणस्सइकाइया आहारेति ? कम्हा परिणामेति ? गोयमा । मूला मूलजीवफुडा पुढवीजीवपडिबद्धा तम्हा आहारेति, तम्हा परिणामेति । कदा कदजीवफुडा मूलजीवपडिबद्धा, तम्हा आहारेति, तम्हा परिणामेति । एव जाव' बीया बीयजीवफुडा फलजीवपडिबद्धा तम्हा आहारेति, तम्हा परिणामेति ॥ १. किं (क, म)। २ तद° (व)। ३ सरए (अ)। ४. विउक्कमति (अ, क); विउक्कमति चयति (स)। ५. स० पा०-पुफिया जाव चिट्ठति । ६. स० पा०-कदजीवफुडा जाव बीया। ७. भ० ७.६४ । Page #343 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २८४ भगवई अणंतकाय-पदं ६६ अह भते । आलुए, मूलए, सिंगबेरे, हिरिलि, सिरिलि, सिस्सिरिलि', किट्ठिया', छिरिया, छीरविरालिया', कण्हकदे, वज्जकदे, सूरणकदे, खेलू. भद्दमोत्था', पिंडहलिद्दा', लोही, णीहू, थीहू, थिभगा', अस्सकण्णी, सीहकण्णी, सिउढी', मुसढी, जेयावण्णे तहप्पगारा सव्वे ते अणतजीवा विविहसत्ता ? हता गोयमा । आलुए, मूलए जाव अणतजीवा विविहसत्ता ॥ अप्पकम्म-महाकम्म-पदं ६७ सिय भते । कण्हलेसे नेरइए अप्पकम्मतराए'? नीललेसे नेरइए महाकम्मतराए ? हता सिय" ॥ ६८ से केणटेणं भते । एव वुच्चइ-कण्हलेसे नेरइए अप्पकम्मतराए ? नीललेसे नेरइए महाकम्मतराए ? गोयमा । ठितिं पडुच्च । से तेणटेण गोयमा | जाव महाकम्मतराए । ६६ सिय भते । नीललेसे नेरइए अप्पकम्मतराए ? काउलेसे नेरइए महाकम्मतराए ? हता सिय ॥ ७० से केणटेणं भते ! एवं वुच्चइ-नीललेसे नेरइए अप्पकम्मतराए ? काउलेसे नेरइए महाकम्मतराए ? गोयमा । ठिति पडुच्च । से तेण?ण गोयमा | जाव महाकम्मतराए । ७१. एव असुरकुमारे वि, नवर-तेउलेसा अब्भहिया । एव जाव" वेमाणिया। जस्स जइ लेस्साओ तस्स तत्तिया भाणियव्वाअो। जोइसियस्स न भण्णइ जाव७२. सिय भते । पम्हलेस्से वेमाणिए अप्पकम्मतराए ? सुक्कलेस्से वेमाणिए महाकम्मतराए ? हता सिय ॥ ७३. से केणट्रेण ? १२ गोयमा ! ठितिं पडुच्च । से तेणटेण गोयमा ! • जाव महा कम्मतराए॥ १. सिस्सेरिलि (ता)। २. किट्टिया (अ, ता)। ३. छोरि० (अ)। ४. सल्लूडे (अ), खल्लुए (ता)। ५. बद्दमोत्या (अ, म, म)। ६. भिंड (क)। ७ विभगा (प्र), थिरुगा (म, स) । ८ सीहढी (अ), सीदडी (क), सदिट्ठी (ब); ___ सीदवी (म), सादठी (स)। ६ विचित्तविहिसत्ता (वृपा)। । १० सिया (अ, ब)। ११. पू० प० २। १२ स० पा०-सेस जहा नेरइयस्स । Page #344 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सत्तमं सतं (तइओ उद्देसो) वेदणा-निज्जरा-पदं ७४. से नूण भते ! जा वेदणा सा निज्जरा ? जा निज्जरा सा वेदणा ? गोयमा | णो इट्टे समट्ठे ॥ ७५ सेकेणट्टेण भते ! एव वच्चइ - जा वेदणा न सा निज्जरा ? जा निज्जरा न सा वेदणा ? ७७ गोयमा | कम्मं' वेदणा, नोकम्म निज्जरा । से तेणट्टेण गोयमा' । एव वुच्चइ -जा वेदणा न सा निज्जरा, जा निज्जरा न सा वेदणा ॥ 0 ७६ नेरइया ण भते । जा वेदणा सा निज्जरा ? जा निज्जरा सा वेदणा ? गोयमा ! णो इणट्टे समट्ठे ॥ सेकेट्टे भते । एव वुच्चइ -- नेरइयाण जा वेदणा न सा निज्जरा ? जा निज्जरा न सा वेदणा ? २८५ गोयमा | नेरइयाणं कम्म वेदणा, नोकम्म निज्जरा । से तेणट्टेण गोयमा' | • एव वच्चइ - नेरइयाणं जा वेदणा न सा निज्जरा, जा निज्जरा न सा वेदणा ॥ ७८. एव जाव वेमाणियाण || ७६. से नूण भते । ज वेदेसु त निज्जरेसु ? ज निज्जरेसु त वेदेसु ? णो इट्टे समट्ठे ॥ ८०. से केणट्टेण भते । एव वुच्चइ - ज वेदेसु नो त निज्जरेसु ? ज निज्जरेसु नो त वेदेसु ? गोयमा । तवे ।। कम्म वेदेसु, नोकम्म निज्जरेसु । से तेणट्टेण गोयमा । वेदेति त निज्जरेति ? ज निज्जरेति त वेदेति ? ८१. एव' नेरइया वि, एव जाव वेमाणिया || से भ ८२. गोयमा ! णो इणट्टे समट्ठे ॥ ८३ सेकेणट्टेण भते । एव वच्चइ - जाव नो त वेदेति ? गोयमा | कम्म वेदेति, नोकम्म निज्जरेंति । से तेणट्टेण गोयमा । जाव नो जाव नो १ कम्म ( अ, क, म ) । २. स० पा० - गोयमा जाव न । ३ स० पा० गोयमा जावन । त वेदेति ॥ ८४ एवं नेरइया वि जाव वेमाणिया ॥ ८५. से नूण भते ! ज वेदिस्सति त निज्जरिस्संति ? ज निज्जरिस्सति त वेदिस्सति ? गोयमा ! णो इणट्टे समट्ठे ॥ ४. पू० प० २ । ५ नेरइया ग भते । ज वेदेंसु त निज्जरेसु एव ( अ, क, ता, ब, म, स ) । Page #345 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ५६. सेकेण?णं जाव नो तं वेदिस्संति ? गोयमा ! कम्मं वेदिस्संति, नोकम्म निजरिस्संति । से तेणट्रेणं जावनी निज्जरिस्मंति ।। ८७. एव नेरइया वि जाव वेमाणिया । - से नण भंते ! जे वेदणासमए से निज्जरासमए ? जे निज्जरासमए से वेदणा समए ? णो इणद्वे समढे ॥ ८४ से केणट्रेण भते । एव वुच्चइ-जे वेदणासमए न से निज्जरासमए ? जे निज्जरासमए न से वेदणासमए ? गोयमा ! ज समयं वेदेति नो त समय निज्जरेति, ज समय निज्जरेति नो तं समय वेदेति-अण्णम्मि समए वेदेति, अण्णम्मि समए निज्जरेति । अण्णे से लेटणासमए, अण्णे से निज्जरासमए । से तेणतुण जाव न से वेदणासमए, न से निज्जरासमए ॥ नेरइया णं भते ! जे वेदणासमए से निज्जरासमए ? जे निज्जरासमए से वेदणासमए ? गोयमा ! णो इणटे समढ़े। र से केणट्रेण भते । एव वुच्चइ-नेरइया ण जे वेदणासमए न से निज्जरासमए ? जे निज्जरासमए न से वेदणासमए ? गोयमा | नेरइया ण ज समय वेदेति नो त समय निज्जरेति, ज समय निज्जरेति नो त समय वेदेति-अण्णम्मि समए वेदेति, अण्णम्मि समए निज्जरेति । अण्णे से वेदणासमए, अण्णे से निज्जरासमए । से तेणटेण जाव न से वेदणासमए । ६२ एव जाव वेमाणियाण ॥ सासय-प्रसासय-पदं ६३ नेरइया ण भते ! कि सासया ? असासया ? गोयमा | सिय सासया, सिय असासया ।। ६४ से केणटेण भते ! एव वुच्चइ-नेरइया सिय सासया ? सिय असासया ? गोयमा । अव्वोच्छित्तिनयट्ठयाए सासया, वोच्छित्तिनयट्टयाए असासया। से तेण?ण जाव सिय सासया, सिय असासया ।। ६५. एव जाव वेमाणिया जाव सिय असासया ।। ६६. सेवं भते ! सेव भते । त्ति ॥ १ भ० ११५१ । Page #346 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सत सत (पंचमो उद्देसो) उत्थो उद्देसो संसारत्थजीव- पद ६७. रायगिहे नयरे जाव' एव वयासि — कतिविहा ण भते । जीवा पण्णत्ता ? गोयमा ! छव्विहा ससारसमावन्नगा जीवा पण्णत्ता, त जहा - पुढविकाइया जाव तसकाइया । एव जहा जीवाभिगमे जाव' एगे जीवे एगेण समरण एग किरि करे, त जहा सम्मत्तकिरियं वा, मिच्छत्तकिरिय, वा ॥ ६८. सेव भते । सेव भते । त्ति ॥ १ भ० १।४-१० । २. जी० ३ । ३ अतोग्रे एका सग्रहगाथा लभ्यतेजीवा छव्विह पुढवी, पंचमो उद्देसो जोणीसगह-पदं ६६. रायगिहे जाव एव वयासी - खयरपचिदियतिरिक्खजोणियाण भते ! कतिविहे जोणीसगहे पण्णत्ते ? गोयमा । तिविहे जोणीसगहे पण्णत्ते, त जहा - अडया, पोयया, समुच्छिमा । एव जहा जीवाभिगमे जाव' नो चेव ण ते विमाणे वीतीवएज्जा, एमहालया ण गोयमा । ते विमाणा पण्णत्ता' ॥ १००. सेवं भते ! सेव भते । त्ति" | --- जीवारण ठिती भवट्टिती काये । निल्लेवरण अणगारे, किरिया सम्मत्तमिच्छत्ता ॥ ( अ, ता, व, म, स, वृपा ) । -२५७ ससारसमावन्नगा ४. भ० १।५१ । ५ जी० ३ । ६ अतोग्रे एका सग्रहगाथा लभ्यते— जोगीसगह-लेसा, ७ भ० १५१ । दिट्ठी नाणे य जोग - उवओगे । उववाय ट्ठिति समुग्धाय चवरण- जाती-कुलवीओ || (वृपा ) | Page #347 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २८८ छट्ठो उद्देसो प्राउयपकरण-वेयणा-पदं १०१. रायगिहे जाव' एवं वयासी - जीवे ण भते । जे भविए नेरइएसु उववज्जित्तए', सेभते । किं इहगए नेरइयाउय पकरेइ ? उववज्जमाणे नेरइयाउय पकरेइ ? उववन्ने नेरइयाउय पकरेइ ? भगवई गोमा । इहगए नेरइयाउयं पकरेइ, नो उववज्जमाणे नेरइयाउय पकरेइ, नो उववन्ने' नेरइयाउय पकरेइ । एव सुरकुमारेसु वि, एव जाव' वेमाणिएसु || १०२ जीवेण भते । जे भविए नेरइएसु उववज्जित्तए, से ण भते ! किं इहगए नेरइयाउ पडिसवेदेइ ? उववज्जमाणे नेरइयाउय पडिसवेदेइ ? उववन्ने नेरइयाउ पडिसवेदेइ ? गोयमा । नो इहगए नेरइयाउय पडिसवेदेइ, उववज्जमाणे नेरइयाउय पडिसवेदेइ, उववन्ने वि नेरइयाउय पडिसवेदेइ । एव जाव वेमाणिएसु || १०३ जीवे ण भते । जे भविए ने रइएसु उववज्जित्तए, से ण भते । किं इहगए महावेदणे ? उववज्जमाणे महावेदणे ? उववन्ने महावेदणे ? गोयमा । इहगए सिय महावेदणे सिय अप्पवेदणे, उववज्जमाणे सिय महावेदणे सिय अप्पवेदणे, श्रहेण उववन्ने भवइ तो पच्छा एगतदुक्ख वेदण वेदेति, प्राहच्च साय || १०४ जीवे ण भते । जे भविए असुरकुमारेसु उववज्जित्तए, पुच्छा । I गोमा । इहगए सिय महावेदणे सिय अप्पवेदणे, उववज्जमाणे सिय महावेदणे सिय अप्पवेदणे, अहे ण उववन्ने भवइ तम्रो पच्छा एगतसात वेदण वेदेति, ग्रहच्च असाय* । एव जाव' थणियकुमारेसु || १०५ जीवेण भते ! जे भविए पुढविक्काइएसु उववज्जित्तर, पुच्छा । गोयमा । इहगए सिय महावेदणे सिय प्रप्पवेदणे, एव उववज्जमाणे वि, अहे ण उववन्ने भवइ तम्रो पच्छा वेमायाए वेदण वेदेति । एव जाव' मणुस्सेसु । वाणमतर-जोइसिय-वेमाणिएसु जहा असुरकुमारेसु ॥ १०६ जीवा ण भते । किं ग्राभोगनिव्वत्तियाउया ? प्रणाभोगनिव्वत्तियाउया ? गोयमा ! नो ग्रभोगनिव्वत्तियाउया, अणाभोगनिव्वत्तियाउया । एवं नेरइया वि, एव जाव' वैमाणिया || १. भ० १।४ - १० । २. उववज्जति ( ब ) | ३. पू० प० २ । ४. अस्सा (अस) । ५ पू० प० २ । ६. पू० प० २ । ७ पू० प० २ । Page #348 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सत्तम सतं (छट्ठो उद्देसो) २८९ कक्कस-प्रकक्कसवेयणीय-पदं १०७. अत्थि ण भते ! जीवाण कक्कसवेयणिज्जा कम्मा कज्जति ? हता अस्थि ॥ १०८. कहण्ण भते ! जीवाण कक्कसवेयणिज्जा कम्मा कज्जति ? गोयमा । पाणाइवाएण जाव' मिच्छादसणसल्लेण -एव खलु गोयमा ! जीवाण कक्कसवेयणिज्जा कम्मा कज्जति ॥ १०६. अत्थि ण भते । नेरइया ण कक्कसवेयणिज्जा कम्मा कज्जति ? एव चेव । एव जाव' वेमाणियाण ॥ ११०. अत्थि ण भते । जीवाण अकक्कसवेयणिज्जा कम्मा कज्जति ? हता अत्थि ॥ १११. कहण्ण भते । जीवाण अकक्कसवेयणिज्जा कम्मा कज्जति ? गोयमा ! पाणाइवायवेरमणेण जाव' परिग्गहवेरमणेण, कोहविवेगेण जाव' मिच्छादसणसल्लविवेगेण-एव खलु गोयमा । जीवाण अकक्कसवेयणिज्जा कम्मा कज्जति ॥ ११२. अत्थि ण भते । नेरइयाण अकक्कसवेयणिज्जा कम्मा कज्जति ? णो इणढे समढे । एव जाव वेमाणियाण, नवर-मणुस्साण जहा जीवाण ॥ सायासाय-वेयणीय-पदं ११३. अत्थि ण भते । जीवाण सातावेयणिज्जा कम्मा कज्जति ? हता अत्थि ॥ ११४ कहण्ण भते । जीवाण सातावेयणिज्जा कम्मा कज्जति ? गोयमा । पाणाणुकपयाए, भूयाणुकपयाए, जीवाणुकपयाए, सत्ताणुकपयाए, बहूण पाणाण' भूयाण जीवाण° सत्ताण अदुक्खणयाए असोयणयाए अजूरणयाए अतिप्पणयाए अपिट्टणयाए अपरियावणयाए-एव खलु गोयमा । जीवाण सातावेयणिज्जा कम्मा कज्जति । एव ने रइयाण वि, एव जाव वेमाणियाण ।। ११५. अत्थि ण भते 1 जीवाण असातावेयणिज्जा कम्मा कज्जति ? हता अत्थि ॥ ११६ कहण्ण भते । जीवाण असातावेयणिज्जा कम्मा कज्जति ? गोयमा | परदुक्खणयाए, परसोयणयाए, परजूरणयाए, परतिप्पणयाए, पर १. भ० ११३८४। २ पू०प० २। ३ भ० ११३८५। ४ ठा० ११११५-१२५ । ५ स० पा०-पाणारण जाव सत्ताण । Page #349 -------------------------------------------------------------------------- ________________ । भगवई २६० पिट्टणयाए, परपरियावणयाए, वहूण पाणाणं' 'भूयाण जीवाणं सत्ताण दुक्खणयाए, सोयणयाए, 'जरणयाए, तिप्पणयाए, पिट्टणयाए°, परियावणयाएएव खलु गोयमा । जीवाण असातावेयणिज्जा कम्मा कज्जति । एव नेरइयाण वि, एव जाव वेमाणियाण ।। दुस्समदुस्समा-पदं ११७ जवुद्दीवे ण भते । दीवे' इमीसे अोसप्पिणीए दुस्सम-दुस्समाए समाए, उत्तम कट्ठपत्ताए भरहस्स वासस्स केरिसए आगारभावपडोयारे भविस्सइ ? गोयमा । कालो भविस्सइ हाहाभूए, भभभूए कोलाहलभूए । समाणुभावेण' य ण खर-फरुस-धूलिमइला दुव्विसहा वाउला भयकरा वाया सवट्टगा य वाहिति । इह अभिक्ख धूमाहिति य दिसा समता रउस्सला रेणुकलुस-तमपडलनिरालोगा। समयलुक्खयाए य ण अहिय चदा सीय मोच्छति । अहिय' सूरिया तवइस्सति । अदुत्तर च ण अभिक्खणं वहवे अरसमेहा विरसमेहा खारमेहा खत्तमेहा अग्गिमेहा विज्जुमेहा विसमेहा असणिमेहा-अपिवणिज्जोदगा," वाहिरोगवेदणोदोरणा-परिणामसलिला, अमणुण्णपाणियगा चडानिलपहयतिक्खधारा-निवायपउर वास वासिहिति, जेण भारहे वासे गामागर-नगर-खेडकब्बड-मडब-दोणमुह-पट्टणासमगय" जणवयं, चउप्पयगवेलए, खहयरे य पक्खिसघे, गामारण्ण-पयारनिरए तसे य पाणे, वहुप्पगारे रुक्ख-गुच्छ-गुम्म-लयवल्लि-तण-पव्वग-हरितोसहि-पवालकुरमादीए य तण-वणस्सइकाइए विद्धसेहिंति, पन्वय-गिरि-डोगरुत्थल"-भट्ठिमादीए वेयड्ढगिरिवज्जे विरावेहिति,सलिलविल गड्डु-दुग्गविसमनिण्णुन्नयाइ च गगा-सिंधुवज्जाइ समीकरेहिति ॥ ११८ तीसे ण भते । समाए भरहस्स वासस्स भूमीए केरिसए आगारभाव-पडोयारे भविस्सति ? - गोयमा | भूमी भविस्सति इगालब्भूया मुम्मुरब्भूया छारियभूया तत्तकवेल्लय भूया" तत्तसमजोतिभूया" धूलिवहुला रेणुवहुला पंकवहुला पणगवहुला चलणि१. स० पा०-पारणारण जाव सत्ताण । अहित (क, व, म)। २ स० पा०-सोयणयाए जाव परियावरणयाए । १० खट्टमेहा (म), खत्तमेहा (वृपा)। ३ दीवे भारहे वासे (अ, क, व, म, स)। ११ अजवणिज्जोदगा (अ, ब, स, वृपा), अप्पि४. भभाभूए (अ, क, म); भभेभूए (व)। वणिज्जोदया (क, म); अवणिज्जोदगा (ता) ५. कोलाहलग° (क, व, म)। १२ ° समा० (व, स)। ६ समयाणु° (स, वृ)। १३. डोगरथल (अ, क, ता, वृपा) । ७. रयोसला (क, ता, व, म), रओसला (स)। १४ कवल्लय° (क), कवल्लग° (ता)। ८. मोच्छिति (अ, क, ता, व, म, स)। १५ प्रस्तुतागमस्य ३।४८ सूत्रे तथा स्थानागस्य Page #350 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सत्तम सत (छट्ठो उद्देसो) २६१ बहुला' बहूण धरणिगोयराणं सत्ताण दुन्निक्कमा' यावि भविस्सति । ११६ तीसे णं भते । समाए भरहे' वासे मणुयाण केरिसए आगारभाव-पडोयारे भविस्सइ? गोयमा मणुया भविस्सति दुरूवा दुवण्णा दुग्गधा दुरसा दुफासा अणिट्ठा अकता •अप्पिया अमुभा अमणुण्णा अमणामा हीणस्सरा दीणस्सरा' अणिस्सरा •अकतस्सरा अप्पियस्सरा असुभस्सरा अमणुण्णस्सरा' अमणामस्सरा अणादेज्जवयणपच्चायाया, निल्लज्जा, कूड-कवड-कलह-वह-बध-वेरनिरया, मज्जायातिक्कमप्पहाणा, अकज्जनिच्चुज्जता, गुरुनियोग-विणयरहिया य, विकलरूवा, परूढनह केस-मसु-रोमा, काला, खर-फरुस-झामवण्णा, फुट्टसिरा, कविलपलियकेसा, बहुण्हारुसपिणद्ध-दुद्दसणिज्जरूवा, सकुडितवलीतरगपरिवेढियगमगा, जरापरिणतव्व थेरगनरा, पविरलपरिसडियदतसेढी, उन्भडघडामुहा विसमणयणा, वकनासा, वक-वलीविगय-भेसणमुहा, कच्छु-कसराभिभूया, खरतिक्खनखकडूइय"-विक्खयतणू", दद्दु-किडिभ-सिन्भ-फुडियफरुसच्छवी, चित्तलगा, टोलगति"-विसमसधिबधण-उक्कुडुअद्विगविभत्त-दुबला कुसघयणकुप्पमाण-कुसठिया, कुरूवा, कुट्ठाणासण-कुसेज्ज-कुभोइणो, असुइणो, अणेगवाहिपरिपीलियगमंगा, खलत-विन्भलगती", निरुच्छाहा,सत्तपरिवज्जिया, विगयचे?नट्ठतेया, अभिक्खण सीय-उण्ह-खर-फरुसवायविज्झडियमलिणपसुरउग्गुडियगमगा", बहुकोह-माण-माया, बहुलोभा, असुह-दुक्खभागी, उस्सण्ण धम्मसण्णसम्मत्तपरिभट्ठा, उक्कोसेण रयणिप्पमाणमेत्ता, सोलस-वीसतिवासपरमाउसो, 'पुत्तनत्तुपरिवाल-पणयबहुला'६ गगा-सिधूओ महानदीओ, वेयड्ढ च पव्वय (८.१०) सूत्रे 'तत्त' पद पृथग् गृहीत, वृत्ता- ८. °घडमुहा (अ, म), °घडोमुहा (क, ब); वपि च तथैव व्याख्यातमस्ति । जवूद्वीप- घाडामुहा (ता वृपा),घडग=घडा । अत्र प्रज्ञप्ति (२ वक्षस्कार) वृत्तौ अत्र च 'तत्त' एकपदे सन्धिर्जात । पद समस्त गृहीतमस्ति, व्याख्यातमपि च ६ बग (क, ता, व, म, वृपा)। तथैव। १० °कदइय (ता, ब, स)। १. चलनप्रमाण कमश्चलनी (वृ)। ११ विक्कय (अ, क)। २ दोनिक्कमा (अ, स)। १२ सिंभ (ता, स)। ३ भारहे (म, क, स)। १३ टोलागति (ता, व, म, वृपा)। ४. दुव्वण्णा (ता, व, म)। १४ वभल (अ), बेंभल (क, ता)। ५. स० पा०-अकता जाव अमणामा। १५ ° रयपुडियगमगा (अ)। ६ स० पा०—अरिगट्ठस्सरा जाव अमणामस्सरा १६. परियार० (अ); °परियाल० (ब, स), ७ ° हारुणि° (अ, ब, स), ० हारुणिसवि- परिपालणबहुला (क, वृपा)। णद्ध (ता)। Page #351 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६२ निस्साए वात्तवर' निम्रोदा' वीय वीयमेत्ता' विलवासिणो भविस्सति ॥ १२० ते ण भते । मणुया क आहार आहारेहिति 1 ? गोयमा । तेण कालेन तेण समएण गगा-सिधूम्रो महानदीग्रो रहपहवित्थराम्रो अक्खसोयप्पमाणमेत्त जल वोज्झिहिंति से वि य ण जले वहुमच्छकच्छभाइण्णे, णो चेव ण आउबहुले भविस्सति । तए ण ते मणुया सूरुग्गमणमुहुत्तसि य सूरत्थमणमुत्तसि य विलेहितो निद्धाहिति, निदाइत्ता मच्छ- कच्छभे थलाइ गाहेहिति गाहेत्ता सीतातवतत्तएहि मच्छ- कच्छएहि एक्कवीस वाससहस्साइ वित्ति कप्पे माणा विहरिस्सति ॥ भगवई १२१ ते ण भते । मणुया निस्सीला निग्गुणा निम्मेरा निप्पच्चक्खाणपोसहोववासा, उस्सण्ण' मसाहारा मच्छाहारा खोद्दाहारा कुणिमाहारा कालमासे काल किच्चा हि गच्छहिति ? कहि उववज्जिहिति ? गोयमा । उस्सण्ण नरग-तिरिक्खजोणिएसु उववज्जिहिति ॥ १२२ ते ण भते । सीहा, वग्घा, वगा, दीविया, अच्छा, तरच्छा, परस्सरा निस्सीला तहेव जाव' कहि उववज्जिहिंति ? गोयमा । उस्सण्ण नरग- तिरिक्खजोणिएसु उववज्जिहिति ॥ १२३ ते ण भते । ढका, कका, विलका, मदुगा, सिही निस्सीला तहेव जाव' कहि उववज्जिहति ? गोयमा । उस्सण्ण नरग - तिरिक्खजोणिएसु उववज्जिहिति ॥ १२४ सेव भते । सेवं भते । त्ति' | सत्तमो उद्देसो वुडस् किरिया - पदं १२५ सवुडस्स ण भते ! अणगारस्स उत्त गच्छमाणस्स', 'आउत्त चिट्ठमाणस्स, उत्त निसीयमाणस्स, प्रउत्त तुयट्टमाणस्स, उत्त वत्थ पडिग्गह कवल ९ वाहतरि (ता, व ) । २ नियोया (ता) | ३ वीयामेत्ता ( अ, क, व, म, स ) । ४. ओस्सण्ण ( अ, स ) । ५. भ० ७।१२१ । ६ पिलका (प्र) । ७ भ० ७।१२१ । ८ भ० १।५१ । ६ स० पा०—गच्छमाणस्स जाव आउत । Page #352 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६३ सत्तम सत (सत्तमो उद्देसो) पादपु छण गेण्हमाणस्स वा निक्खिवमाणस्स वा, तस्स ण भते । कि इरियावहिया' किरिया कज्जइ ? संपराइया किरिया कज्जइ ? गोयमा । सवुडस्स ण अणगारस्स आउत्त गच्छमाणस्स जाव तस्स ण इरियावहिया किरिया कज्जइ, नो सपराइया किरिया कज्जइ ।। १२६ से केणतुण भते । एव वुच्चइ-सवुडस्स ण अणगारस्स आउत्त गच्छमाणस्स जाव नो सपराइया, किरिया कज्जइ ? गोयमा । जस्स ण कोह-माण-माया-लोभा वोच्छिण्णा भवति, तस्स ण इरियावहिया किरिया कज्जइ', 'जस्स ण कोह-माण-माया-लोभा अवोच्छिण्णा भवति, तस्स ण सपराइया किरिया कज्जइ । अहासुत्त रीयमाणस्स इरियावहिया किरिया कज्जइ°, उस्सुत्त रीयमाणस्स सपराइया किरिया कज्जइ । से ण अहासुत्तमेव रीयइ । से तेण?ण गोयमा । एव वुच्चइ-सवुडस्स ण अणगारस्स पाउत्त गच्छमाणस्स जाव नो सपराइया किरिया कज्जइ ।। काम-भोग-पदं १२७. रुवी भते | कामा ? अरूवी कामा ? गोयमा | रूवी कामा, नो अरूवी कामा ।। १२८ सचित्ता भते | कामा ? अचित्ता कामा ? गोयमा | सचित्ता वि कामा, अचित्ता वि कामा ।। जीवा भते । कामा ? अजीवा कामा ? गोयमा । जीवा वि कामा, अजीवा वि कामा । १३० जीवाण भते | कामा? अजीवाण कामा ? गोयमा | जीवाण कामा, नो अजीवाण कामा । १३१ कतिविहा ण भते | कामा पण्णत्ता ? गोयमा | दुविहा कामा पण्णत्ता, त जहा-सदा य, रूवा य ।। १३२ रूवी भते । भोगा ? अरूवी भोगा? गोयमा | रूवी भोगा, नो अरूवी भोगा ।। १३६ सचित्ता भते । भोगा ? अचित्ता भोगा ? गोयमा । सचित्ता वि भोगा, अचित्ता वि भोगा ।। १३४ जीवा भते | भोगा ? 'अजीवा भोगा? गोयमा | जीवा वि भोगा, अजीवा वि भोगा ॥ १ रिया० (ब)। २ स० पा०-तहेव जाव उस्सुत्त । ३ तुलना-भ० ७२०, २१ । ४ रूवि (अ, क, ता, व, म, स)। ५ स० पा०-भोगा पुच्छा। Page #353 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई २६४ १३५ जीवाण भते ! भोगा? अजीवाणं भोगा? गोयमा ! जीवाण भोगा, नो अजीवाण भोगा । १३६. कतिविहा ण भंते | भोगा पण्णता? गोयमा । तिविहा भोगा पण्णत्ता, तं जहा-गधा, रसा, फासा ॥ १३७ कतिविहा ण भते । काम-भोगा पण्णत्ता ? गोयमा | पचविहा काम-भोगा पण्णता, त जहा-सद्दा, रूवा, गधा, रसा, फासा ।। १३८. जीवा ण भते । किं कामी ? भोगी? गोयमा । जीवा कामी वि, भोगी वि ॥ १३६. से केण?ण भते । एव वुच्चइ-जीवा कामी वि ? भोगी वि ? गोयमा । सोइदिय-चक्खिदियाइ पडुच्च कामी, घाणिदिय-जिभिदियफासिदियाइ पड़च्च भोगी। से तेणद्वेण गोयमा'! •एव वच्चइ-जीवा कामी वि°, भोगी वि ॥ १४०. नेरइया ण भते । कि कामी ? भोगी ? एव चेव जाव थणियकुमारा ॥ १४१ पुढविकाइयाण-पुच्छा। गोयमा ! पुढविकाइया नो कामी, भोगी। १४२. से केणट्रेण जाव भोगी? गोयमा । फासिदिय पडुच्च । से तेणतुण जावभोगी। एवं जाव वणस्सइकाइया । वेइदिया एव चेव, नवर-जिभिदियफा सिदियाइ पड़च्च । तेइदिया वि एव चेव, नवर-घाणिदिय-जिभिदिय-फासिदियाइ पडुच्च ॥ १४३. चरिदियाण-पुच्छा। गोयमा ! चरिदिया कामी वि, भोगी वि ।। १४४. से केणद्वेण जाव भोगी वि? गोयमा | चक्खिदियं पडुच्च कामी, घाणिदिय-जिभिदिय-फासिंदियाइ पडुच्च भोगी। से तेणद्वेण जाव भोगी वि । अवसेसा जहा जीवा जाव वेमा णिया। १४५ एएसि ण भते । जीवाण 'कामभोगीण, नोकामीण, नोभोगीण, भोगीण" य कयरे कयरेहितो' 'अप्पा वा ? वहुया वा ? तुल्ला वा ? विसेसाहिया वा? १. स० पा०-गोयमा जाव भोगी। २. ४ (अ), एव जाव (क, ब, म, स); पू० प०२। ३ कामीण भोगीण नोकामीण नोभोगीण य (क, ता)। ४. स० पा०-कयरेहितो जाव विसेसाहिया। Page #354 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सत्तम सत (सत्तमो उद्देसो) २६५ गोयमा | सव्वत्थोवा जीवा कामभोगी, नोकामी नोभोगी अणतगुणा, भोगी अणतगुणा' । दुब्बलसरीरस्स भोगपरिच्चाय-पदं १४६. छउमत्थे ण भते । मण से जे भविए अण्णयरेसु देवलोएसु देवत्ताए उववज्जि त्तए, से नूण भते ! से खीणभोगी नो पभू उट्ठाणेण, कम्मेण, बलेण, वीरिएण, पुरिसक्कार-परक्कमेण विउलाइ भोगभोगाइ भुजमाणे विहरित्तए ? से नूण भते । एयमट्ठ एवं वयह ? गोयमा । णो तिणटे समटे । पभू ण से उट्ठाणेण वि, कम्मेण वि, वलेण वि, वीरिएण वि, पूरिसक्कार-परक्कमेण वि अण्णयराइ विपुलाइ भोगभोगाइ भुजमाणे विहरित्तए, तम्हा भोगी, भोगे परिच्चयमाणे महानिज्जरे, महापज्ज वसाणे भवइ ।। १४७ आहोहिए' ण भते । मणूसे जे भविए अण्णयरेसु देवलोएसु देवत्ताए उववज्जित्तए, से नूण भते । से खीणभोगी नो पभू उट्ठाणेण, कम्मेण, बलेण, वीरिएण, पुरिसक्कार-परक्कमेण विउलाइ भोगभोगाइ भुजमाणे विहरित्तए? से नूण भते । एयमट्ठ एव वयह ? गोयमा । णो तिणटे समटे । पभू ण से उट्ठाणेण वि, कम्मेण वि, बलेण वि, वीरिएण वि, पुरिसक्कार-परक्कमेण वि अण्णयराइ विपुलाइ भोगभोगाइ भुजमाणे विहरित्तए, तम्हा भोगी, भोगे परिच्चयमाणे महानिज्जरे, महा पज्जवसाणे भवइ ।। १४८ परमाहोहिए ण भते । मणूसे जे भविए तेणेव भवग्गहणेण सिज्झित्तए जाव' अत करेत्तए, से नूण भते । से खीणभोगी 'नो पभू उढाणेण, कम्मेण, बलेण वीरिएण पुरिसक्कार-परक्कमेण विउलाइ भोगभोगाइ भुजमाणे विहरित्तए ? से नूण भते । एयमट्ठ एव वयह ? गोयमा । णो तिणटे समटे । पभू ण से उट्ठाणेण वि, कम्मेण वि, बलेण वि, वीरिएण वि, पुरिसक्कार-परक्कमेण वि अण्णयराइ विपुलाइ भोगभोगाइ भुजमाणे विहरित्तए, तम्हा भोगी, भोगे परिच्चयमाणे महानिज्जरे, महा पज्जवसाणे भवइ । १ मणत० (ता)। ५ स० पा०-एव चेव जहा छउमत्थे जाव २ मणुस्से (ता)। महा । ३ वदहा (ता, ब)। ६ तेण चेव (क, ता, व, म)। ४ अहोहिएण (ता, ब)। ७. भ० ११४४। ८ स० पा०-सेस जहा छउमत्थस्स । Page #355 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६६ भगवई 1 १४९. केवली ण भते । मणूसे जे भविए तेणेव भवग्गहणेण' 'सिज्झित्तए जाव' अंत करेत्तए, से नूण भते । से खीणभोगी नो पभू उट्ठाणेण, कम्मेण, बलेण, वीरिएण, पुरिसक्कार-परक्कमेण विउलाइ भोगभोगाइ भुजमाणे विहरित्तए ? से भते । नूण ? एयमट्ठ एव वयह गोयमा | णो तिणट्टे समट्टे । पभू ण से उट्ठाणेण वि, कम्मेण वि, बलेण वि, वीरिएण वि पुरिसक्कार - परक्कमेण वि प्रणयराइ विपुलाइ भोगभोगाइ भुजमाणे विहरित्तए, तम्हा भोगी, भोगे परिच्चयमाणे महानिज्जरे, महापज्जवसाणे भवति ॥ श्रकामनिकरण - वेदणा-पदं १५० जे इमे भते । असण्णिणो पाणा, त जहा - पुढविकाइया जाव' वणस्सइकाइया, छट्टा य एगतिया तसा - एए ण अधा, मूढा, तमपविट्ठा, तमपडल - मोहजालपच्छिन्ना अकामनिकरण वेदण वेदेतीति वत्तव्व सिया ? हता गोयमा । जे इमे प्रसण्णिणो पाणा जाव वेदण वेदेतीति वत्तव्व सिया । १५१. प्रत्थि ण भते ! पभू वि अकामनिकरण वेदण वेदेति ? हता | अत्थि || 1 1 १५२. कहण्ण भते । पभू वि अकामनिकरण वेदण वेदेति ? गोयमा । जेण नो पभू विणा पदीवेणं अधकारसि रुवाइ पासित्तए, जेण नो पभू पुरस्रो रुवाइ अणिज्भाइत्ता ण पासित्तए, जेण नो पभू मग्गो रुवाइ अणवयक्खित्ता ण पासित्तए, जेण नो पभू पास रुवाइ प्रणवलोएत्ता ण पासित्तए, जेण नो पभू उड्ढ रुवाइ प्रणालोएत्ता ण पासित्तए, जेण नो पभू अहे रूवाइ ग्रणालोएत्ता ण पात्तिए, एस ण गोयमा । पभूवि अकामनिकरण वेद वदेति ॥ पकामनिकरण-वेदणा-पद १५३. ग्रत्थि ण भते ! पभू वि पकामनिकरण वेदण वेदेति ? हता प्रत्थि || १५२. कहण्णं भते । पभू वि पकामनिकरण वेदण वेदेति ? I गोयमा ! जे ण नो पभू समुहस्स पार गमित्तए, जेण नो पभू समुद्दस्स पारगयाइ रुवाइ पासित्तए, जेण नो पभू देवलोग गमित्तए, जेण नो पभू देव १. सं० पा० - एव चेव जहा परमाहोहिए जाव महा° । २. भ० १/४४ । ३. भ० १।४३७ । Page #356 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६७ लोगगयाइ रुवाइ पात्तिए, एस ण गोयमा ! पभूवि पकामनिकरण वेदण वेदेति ॥ १५५. सेव भते ! सेव भते । त्ति' | सत्तमं सत (टूमो उद्देसो) अट्ठमो उद्देसो मोक्ख- पदं १५६ छउमत्थे ण भते । मणूसे तीयमणत सासय समय केवलेण सजमेण, केवलेण सवरेण, केवलेण बभचेरवासेण, केवलाहि पवयणमायाहिं सिज्झिसु ? वुझिसु ? मुच्चिसु ? परिणिव्वाइसु ? सव्वदुक्खाण त करिसु ? गोयमा । नो इणट्टे समट्टे जाव' - 1 १५७ से नूण भते । उप्पण्णणाण - दसणधरे रहा जिणे केवली अलमत्थु त्ति वत्तव्व सिया ? हता गोयमा । उप्पण्णणाण-दसणधरे अरहा जिणे केवली अलमत्युत्ति वत्तव्व सिया | O हस्थि - कुथु - जीव-समाणत्त-पद १५ से नूण भते । हत्थिस्स य कुथुस्स य समे चेव जीवे ? हता गोयमा । हत्यिस्स य कुथुस्स य समे चैव जीवे । " से नूण भते ! हत्थीओ कुथू अप्पकम्मतराए चेव अप्पकिरियतराए चेव अप्पासवतराए चेव एव अप्पाहारतराए चेव ग्रप्पनीहारतराए चेव प्रप्स्सासतराए चेव अप्पनीसासतराए चेव प्रपिढितराए चेव अप्पमहतराए चेव ग्रप्पज्जुइत राए चेव ? कुथून हत्थी महाकम्मत राए चेव महाकिरियतराए चेव महासवतराए चेव महाहारतराए चेव महानीहारतराए चेव महाउस्सासतराए चेव महानीसासतराए चेव महिड्ढितराए चेव महामहतराए चेव महज्जुइतराए चेव ? ४ तुलना - भ० १।२०० २०६, ५।११५ । स० पा० एव जहा रायपसेइज्जे जाव खुड्डिय १ भ० १।५१ । २ स० पा० - एव जहा पढमसए चउत्थे उद्देसए ५ तहा भाणियव्व जाव अलमत्थु । ३ भ० १।२०१-२०८ । Page #357 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६८ भगवई हता गोयमा हत्थीयो कुथू अप्पकम्मतराए चेव कुथूो वा हत्थी महाकम्मतराए चेव, हत्थीयो कुथू अप्पकिरियत राए चेव कुथूनो वा हत्थी महाकिरियतराए चेव, हत्थीयो कुथू अप्पासवतराए चेव कुथूप्रो वा हत्थी महासवतराए चेव, । एव आहार-नीहार-उस्सास-नीसास-इड्ढि-महज्जुइएहिं हत्थीओ कुथू अप्पतराए चेव कथनो वा हत्थी महातराए चेव ।। १५६ से केणद्वेण भते ! एत्र वुच्चइ-हत्थिस्स य कुथुस्स य समे चेव जीवे ? गोयमा । से जहानामए कूडागारसाला सिया-दुहनी लित्ता गुत्ता गुत्तदुवारा निवाया निवायगभीरा। अह ण केइ पुरिसे जोइ व दीव व गहाय त कूडागारसाल अतो-अतो अणुपविसइ, तीसे कूडागारसालाए सव्वतो समता घणनिचिय-निरतर-निच्छिड्डाइ दुवार-वयणाइ पिहेति, तीसे कूडागारसालाए वहुमज्झदेसभाए त पईव पलीवेज्जा। तए ण से पईवे त कूडागारसाल अतो-अतो अोभासइ उज्जोवेइ तवति पभासेइ, नो चेव ण वाहि। अह ण से पुरिसे तं पईव इड्डरएण पिहेज्जा , तए णं से पईवे त इड्डरय अतो अतो अोभासेइ उज्जोवेइ तवति पभासेइ, नो चेव ण इड्डुरगस्स वाहिं, नो चेव ण कूडागारसाल, नो चेव ण कूडागारसालाए वाहिं। एव-गोकिलिजेण पच्छियापिडएण गडमाणियाए आढएण अद्धाढएण पत्थएण अद्धपत्थएण कुलवेण अद्धकुलवेण चाउभाइयाए अट्ठभाइयाए सोलसियाए वत्तीसियाए चउसट्ठियाए। अह ण पुरिसे त पईव दीवचपएण पिहेज्जा। तए ण से पदीवे दीवचपगस्स अतो-अतो ओभासति उज्जोवेइ तवति पभासेइ, नो चेव ण दीवचपगस्स बाहिं, नो चेव ण चउसट्टियाए वाहि, नो चेव ण कूडागारसालं, नो चेव ण कूडागारसालाए वाहिं। एवामेव गोयमा । जीवे वि ज जारिसय पुव्वकम्मनिवद्ध वोदि निव्वत्तेइ त असखेज्जेहिं जीवपदेसेहिं सचित्तीकरेइ-खुड्डिय वा महालिय वा । से तेण?ण गोयमा' | 'एव वुच्चइ-हत्यिस्स य कुथुस्स य° समे चेव जीवे ॥ सुह-दुक्ख-पदं १६०. नेरइयाण भते ! पावे कम्मे जे य कडे, जे य कज्जइ, जे य कज्जिस्सइ सव्वे से दुक्खे, जे निज्जिण्णे से सुहे ? १. म० पा०-गोयमा जाव समे । २ एतच्च सर्वमपि वाचनान्तरे साक्षाल्लिखितमेव दृश्यते (वृ)। Page #358 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सत्तम सत (अट्ठमो उद्देसो) २६६ • हता गोयमा ! नेरइयाण पावे कम्मे जे य कडे, जे य कज्जइ, जे य कज्जि स्सइ सव्वे से दुक्खे, जे निज्जिण्णे से ° सुहे । एवं जाव' वेमाणियाण ॥ दसविहसण्णा-पदं १६१ कति ण भते । सण्णाओ पण्णत्ताओ? गोयमा | दस सण्णासो पण्णत्ताप्रो, त जहा-आहारसण्णा, भयसण्णा, मेहुणसण्णा, परिग्गहसण्णा, कोहसण्णा, माणसण्णा, मायासण्णा, लोभसण्णा, लोग सण्णा, मोहसण्णा । एव जाव वेमाणियाण ।। नेरइयाणं दस विहवेदणा-पदं १६२ नेरइया दसविह वेयण पच्चणुभवमाणा विहरति, त जहा–सीय, उसिण, खुह, पिवास, कडु, परज्झ, जर, दाह, भय, सोग ॥ हत्थि-कुथूणं प्रपच्चक्खाणकिरिया-पद १६३. से नूण भते ! हत्यिस्स य कुथुस्स य समा चेव अपच्चक्खाणकिरिया कज्जइ ? हता गोयमा । हत्थिस्स य कथुस्स य' 'समा चेव अपच्चक्खाणकिरिया कज्जइ॥ १६४. से केणद्वेण भते । एव वुच्चइ-'हत्थिस्स य कुथुस्स य समा चेव अपच्चक्खा णकिरिया कज्जइ ? __ गोयमा । अविरतिं पडुच्च । से तेणटेण' गोयमा । एव वुच्चइ-हत्थिस्स य कुथुस्स य समा चेव अपच्चक्खाणकिरिया' कज्जइ। अहाकम्मादि-पदं १६५ अहाकम्म ण भते । भुजमाणे कि बधइ ? कि पकरेइ ? कि चिणाइ ? किं उवचिणाइ ? "गोयमा । अहाकम्म ण भुजमाणे आउयवज्जाओ सत्त कम्मप्पगडीअो सिढिलवधणवद्धानो धणियबधणवद्धानो पकरेइ ०" जाव सासए पडिए, पडियत्त असासय । १६६ सेव भते ! सेव भते । त्ति ॥ १ स० पा०—कम्मे जाव सुहे। २ पू०प०२। ३ स० पा०-कुथुस्स य जाव कज्जइ । ४ स० पा०-वुच्चइ जाव कज्जइ । ५ स० पा०–तेणद्वेण जाव कज्जइ । ६ स० पा-एव जहा पढमे सए नवमे उद्देसए तहा भाणियन्व। ७ भ० ११४३६-४४० । ८ भ० ११५१ । Page #359 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३०० भगवई नवमो उद्देसो असंवुड-अणगारस्स विउव्वणा-पद १६७ असवुडे ण भते । अणगारे वाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता पभू एगवण्ण एगरूव विउवित्तए? णो इणढे समढें ॥ १६८. असवुडे ण भते । अणगारे वाहिरए पोग्गले परियाइत्ता पभू एगवण्ण एगरूव' •विउव्वित्तए ? हता पभू॥ १६६. से ण भते । कि इहगए पोग्गले परियाइत्ता विकुव्वइ ? तत्थगए पोग्गले परि याइत्ता विकुव्वइ ? अण्णत्थगए पोग्गले परियाइत्ता विकुब्वइ ? . गोयमा | इहगए पोग्गले परियाइत्ता विकुव्व इ, नो तत्थगए पोग्गले परियाइत्ता विकुन्वइ, नो अण्णत्थगए पोग्गले परियाइत्ता विकुव्वइ । एव २ एगवण्ण अणेगरूव' ३ 'अणेगवण्ण एगरूव ४ अणेगवण्णं अणेगरूव चउभगो॥ १७० असवुडे ण भते । अणगारे वाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता पभू कालग पोग्गलं नीलगपोग्गलत्ताए परिणामेत्तए ? नीलग पोग्गल वा कालगपोग्गलत्ताए परिणामेत्तए ? गोयमा | नो इणढे समढें । परियाइत्ता पभू जाव१७१. असवुडे ण भते | अणगारे वाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता पभू निद्धपोग्गल लुक्खपोग्गलत्ताए परिणामेत्तए ? लुक्खपोग्गल वा निद्धपोग्गलत्ताए परिणामेत्तए? गोयमा | नो इणद्वे समठू । परियाइत्ता पभू ॥ १७२ से ण भते कि इहगए पोग्गले परियाइत्ता परिणामेति ? तत्थगए पोग्गले परियाइत्ता परिणामेति ? अण्णत्थगए पोग्गले परियाइत्ता परिणामेति ? गोयमा | इहगए पोग्गले परियाइत्ता परिणामेति, नो तत्थगए पोग्गले परियाइत्ता परिणामेति, नो अण्णत्थगए पोग्गले परियाइत्ता परिणामेति ॥ १. स० पा०-एगरूव जाव हता। २. म० पा०-पोग्गले जाव विकुव्वइ । ३. म० पा०-चउभगो जहा छट्ठमए नवमे उनए तहा इह वि भाणियव्व, नवर अणगारे इहगय च इहगते चेव पोग्गले परियाइत्ता विकुव्वइ, सेस त चेव जाव लुक्खपोग्गल निद्धपोग्गलत्ताए परिणामेत्तए। हता पभू । से भते ! कि इहगए पोग्गले परियाइत्ता जाव नो अण्णत्थगए पोग्गले परियाइत्ता विकूव्वइ । ४. भ० ६.१६३-१६७ । Page #360 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३०१ सत्तम सत (नवमो उद्देसो) महासिलाकंटयसंगाम-पदं १७३ नायमेय अरहया, सुयमेय अरहया, विण्णायमेय अरहया-महासिलाकटए सगामे । महासिलाकटए ण भते । सगामे वट्टमाणे के जइत्था? के पराजइत्था' ? गोयमा । वज्जी, विदेहपुत्ते जइत्था', नव मल्लई, नव लेच्छई-कासी-कोसलगा अट्ठारस वि गणरायाणो पराजइत्था ॥ १७४ तए ण से कोणिए राया महासिलाकटग सगाम उवट्ठिय जाणित्ता कोडुबिय पुरिमे सद्दावेड, सद्दावेत्ता एव वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया । उदाइ' हत्थिराय पडिकप्पेह, हय-गय-रह-पवरजोहकलिय चाउरगिणि सेण सण्णा हेह, सण्णाहेत्ता मम एयमाणत्तिय खिप्पामेव पच्चप्पिणह ॥ १७५ तए ण ते कोडुवियपुरिसा कोणिएण रण्णा एव वुत्ता समाणा हट्टतुट्टचित्तमाणदिया जाव मत्थए अजलि कट्ठ एव सामी तहत्ति आणाए विणएण वयण पडिसुणति, पडिसुणित्ता खिप्पामेव छेयायरियोवएस-मति-कप्पणा-विकप्पेहि सुनिउणेहि उज्जलणेवत्थ-हव्व-परिवच्छिय सुसज्ज जाव' भीम सगामिय अनोझ उदाइ हत्थिराय पडिकप्पेति, हय-गय-रह-पवरजोहकलिय चाउरगिणि सेण ° सण्णाहेति, सण्णाहेत्ता जेणेव कूणिए राया तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता करयल परिग्गहिय दसनह सिरसावत्त मत्थए अलि कटु कूणियस्स रणो तमाणत्तिय पच्चप्पिणति ॥ १७६. तए ण से कूणिए राया जेणेव मज्जणघर तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता मज्जणघर अणुप्पविसइ, अणुप्पविसित्ता ण्हाए कयवलिकम्मे कयकोउय-मगलपायच्छित्ते सव्वालकारविभूसिए सण्णद्ध-बद्ध-वम्मियकवए उप्पीलियस रासणपट्टिए" पिणद्धगेवेज्ज"-विमलवरवद्धचिधपट्टे गहियाउहप्पहरणे सकोरेटमल्लदामेण छत्तेण धरिज्जमाणेण चउचामरवालवीजियगे मगलजयसद्दकयालोए जाव" जेणेव उदाई हत्थिराया तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता उदाइ हत्थिराय दुरूढे ॥ mr " १ पराजितत्था (ता)। ८ स० पा०-गय जाव सण्णा हेति । २ जदित्था (क, ता)। ६ स० पा०-करयल जाव कूरिणयस्स । ३ उदाथि (क, ता, व, म); उदाति (स)। १०. ° पट्टीए (अ, क, ब, म, स) । ४ भ० ३।११०। ११ पिरिणद्ध० (ता, म, स)। ५ सुरिणउणेहिं एव जहा ओववाइए जाव (अ, १२ °वीतियगे (अ, स), °वीतितगे (क, ब)। क, ता, व, म, स)। वाचनान्तरे त्विद- १३ जत° (ब), ° कयलोए एव जहा उववाइए साक्षाल्लिखितमेव दृश्यते (वृ)। (अ, क, ता, ब, म, स)। ६ ओ० सू० ५७ । १४ ओ० सू० ६३ । ७ अउज्झ (व, स)। Page #361 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३०२ भगवई १७७. तए ण से कूणिए राया' हारोत्थय-सुकय-रइयवच्छे जाव' सेयवरचामराहिं उद्धव्वमाणीहिं-उद्धव्वमाणीहि हय-गय-रह-पवरजोहकलियाए चाउरगिणीए सेणाए सद्धि सपरिवुडे महयाभडचडगरविदपरिक्खित्ते जेणेव महासिलाकटए सगामे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता महासिलाकटग सगाम ओयाए । पुरो य से सक्के देविदे देवराया एग मह अभेज्जकवय वइरपडिरूवग विउव्वित्ता ण चिट्ठइ । एव खलु दो इदा सगाम सगामें ति, त जहा-देविदे य, मणइदे य । 'एगहत्थिणा वि ण पभू कूणिए राया जइत्तए", एगह त्थिणा वि ण पभू कूणिए राया पराजिणित्तए । १७८ तए ण से कूणिए राया महासिलाकटग सगाम सगामेमाणे नव मल्लई, नव लेच्छई-कासी-कोसलगा अलारस वि गणरायाणो हय-महिय-पवरवीर-घाइय विवडियचिंध-द्धयपडागे किच्छपाणगए' दिसोदिसि पडिसेहित्था ।। १७६ से केण?ण भते । एव वुच्चइ--महासिलाकटए सगामे ? गोयमा । महासिलाकटए ण सगामे वट्टमाणे जे तत्थ आसे वा हत्थी वा जोहे वा सारही वा तणेण वा कट्ठण वा पत्तेण वा सक्कराए वा अभिहम्मति, सव्वे से जाणेइ महासिलाए अह' अभिहए । से तेण?ण गोयमा | एव वुच्चइ महासिलाकटए सगामे ।। १८०. महासिलाकटए ण भंते । सगामे वट्टमाणे कति जणसयसाहस्सीयो वहियायो ? गोयमा | चउरासीइ जणसयसाहस्सीअो वहियात्रो॥ १८१ ते ण भते । मणया निस्सीला' निग्गुणा निम्मेरा० निप्पच्चक्खाणपोस होववासा रुट्ठा परिकुविया समरवहिया अणुवसता कालमासे काल किच्चा कहिं गया ? कहिं उववण्णा ? गोयमा | उस्सण्ण नरग-तिरिक्खजोणिएसु उववण्णा ।। रहमुसलसंगाम-पद १८२ नायमेय अरहया, सुवमेय अरहया, विण्णायमेय अरहया-रहमुसले सगामे । रहमुसले ण भते । सगामे वट्टमाणे के जइत्था ? के पराजइत्था ? गोयमा । वज्जी, विदेहपुत्ते, चमरे असुरिंदे असुरकुमार राया जइत्था; नव मल्लई, नव लेच्छई पराजइत्था ॥ १ परिंदे (क, ता, व, म)। २ °वच्छे एव जहा उववाइए (अ, क, ता, व, ___ म, स)। ३ ओ० सू० ६५ । ४. X (अ, व, म, स)। ५. किच्छोवगयपाणे (ना० १।८।१६६) । ६. ह (क, व, म)। ७ म० पा०—निस्सीला जाव निप्पच्चक्खाण । ८ सगामे रह २ (ता)। Page #362 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सत्तम सत (नवमो उद्देसो) ३०३ १८३. तए णं से कूणिए राया रहमुसल सगाम उवडिय' जाणित्ता कोड बियपुरिसे सद्दावेड, सद्दावेत्ता एव वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया | भूयाणद हत्थिरायं पडिकप्पेह, हय-गय-रह-पवरजोहकलिय चाउरगिणि सेण सण्णाहेह, सण्णाहेत्ता मम एयमाणत्तिय खिप्पामेव पच्चप्पिणह ।। १८४ तए ण ते कोड वियपुरिसा कोणिएणं रण्णा एव वुत्ता समाणा हट्टतुटुचित्तमाण दिया जाव' मत्थए अलि कटु एव सामी । तहत्ति प्राणाए विणएण वयण पडिसुणति, पडिसुणित्ता खिप्पामेव छयायरियोवएस-मति-कप्पणा-विकप्पेहि सुनिउणेहि उज्जलणेवत्थ-हव्वपरिवच्छिय सुसज्ज जाव' भीम सगामिय अोझ भूयाणद हत्थिराय पडिकप्पेति, हय-गय-रह-पवरजोहकलिय चाउरगिणिं सेण सण्णाहेति, सण्णाहेत्ता जेणेव कूणिए राया तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता करयलपरिग्गहिय दसनह सिरसावत्त मत्थए अजलि कटु कूणियस्स रण्णो तमाणत्तिय पच्चप्पिणति ।। १८५ तए ण से कूणिए राया जेणेव मज्जणघर तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता मज्जणघर अणुप्पविसइ, अणुप्पविसित्ता हाए कयवलिकम्मे कयकोउय-मगलपायच्छित्ते सव्वालकारविभूसिए सण्णद्ध-वद्ध-वम्मियकवए उप्पीलियस रासणपट्टिए पिणद्धगेवेज्ज-विमलवरवद्धचिंधपट्टे गहियाउहप्पहरणे सकोरेटमल्लदामेण छत्तेण धरिज्जमाणेण च उचामरबालवीजियगे, मगलजयसद्दकयालोए जाव जेणेव भूयाणदे हत्थिराया तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता भूयाणद हत्थिराय दुरूढे ॥ १८६ तए ण से कूणिए राया हारोत्थय-सुकय-रइयवच्छे जाव' सेयवरचामराहिं उद्धव्वमाणीहि-उद्धवमाणीहिं हय-गय-रह-पवरजोहकलियाए चाउरगिणीए सेणाए सद्धि सपरिवुडे महयाभडचडगरविंदपरिक्खित्ते जेणेव रहमुसले सगामे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता रहमुसल सगाम अोयाए। पुरओ य से सबके देविदे देवराया एग मह अभेज्जकवय वइरपडिरूवग विउव्वित्ता ण चिट्ठइ । मग्गो य से चमरे असुरिंदे असुरकुमारराया एग मह आयस किढिणपडिरूपग" विउव्वित्ता ण चिट्ठइ । एव खलु तग्रो इदा सगाम सगामें ति, त जहा-देविंदे य, मणुइदे य, असुरिदे य । एगहत्थिणा वि ण पभू कूणिए राया जइत्तए', १ स० पा०-सेस जहा महासिलाकटए नवर ४. ओ० सू० ६३ । भूयाणदे हत्थिराया जाव रहमुसल सगाम ५. ओ सू० ६५ । ओयाए। पुरओ य से सक्के देविदे देवराया ६. असुरराया (अ, स)। एव तहेव जाव चिट्ठइ। ७ कढिरण ° (अ), किड्ढिण ° (क, स)। २ ३।११०। ८ स० पा०-तहेव जाव दिसोदिसि । ३ ओ० सू० ५७ । Page #363 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३०४ भगवई •एगहत्थिणा वि ण पभू कूणिए राया पराजिणित्तए । १८७ तए ण से कूणिए राया रहमुसल सगाम सगामेमाणे नव मल्लई, नव लेच्छई कासी-कोसलगा अट्ठारस वि गणरायाणो हय-महिय-पवरवीर-घाइय विवडियचिध-द्धयपडागे किच्छपाणगए दिसोदिसि पडिसेहित्था ॥ १८८ से केगटेण भते । एव वुच्चइ-रहमुसले सगामे ? गोयमा ! रहमुसले ण सगामे वट्टमाणे एगे रहे अणासए, असारहिए, अणारोहए, समुसले महया जणक्खय, जणवह, जणप्पमद्द, जणसवट्टकप्प रुहिरकद्दम करेमाणे सव्वग्रो समता परिधावित्था। से तेणटेण' 'गोयमा । एव वुच्चइ °-रहमुसले सगामे ॥ १८६ रहमुसले ण भते । सगामे वट्टमाणे कति जणसयसाहस्सीओ वहियानो ? गोयमा | छण्ण उति जणसयसाहस्सीओ वहियाओ ।। १६० ते ण भते । मणया निस्सीला निग्गुणा निम्मेरा निप्पच्चक्खाणपोसहोववासा रुट्ठा परिकुविया समरवहिया अणुवसता कालमासे काल किच्चा कहिं गया? कहि° उववन्ना? गोयमा तत्थ ण दससाहस्सीयो एगाए मच्छियाए' कृच्छिसि उववन्नाओ। एगे देवलोगेसु उववन्ने । एगे सुकुले पच्चायाए । अवसेसा उस्सण्ण नरग-तिरि क्खजोणिएसु उववन्ना ॥ १६१ कम्हा ण भते । सक्के देविदे देवराया, चमरे य असुरिंदे असुरकुमारराया कूणियस्स रण्णो साहेज्ज' दलइत्था ? गोयमा | सक्के देविदे देवराया पुव्वसगतिए, चमरे असुरिदे असुरकुमारराया परियायसगतिए । एव खलु गोयमा | सक्के देविदे देवराया, चमरे य असुरिंदे असुरकुमारराया कूणियस्स रण्णो साहेज्ज दलइत्था । वरुण-नागनत्तुय-पद १६२ वहुजणे ण भते | अण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ जाव' परूवेइ-एव खलु वहवे मणुस्सा अण्णयरेसु उच्चावएसु सगामेसु 'अभिमुहा चेव पहया" समाणा काल मासे काल किच्चा अण्णयरेसु देवलोएसु देवत्ताए उववत्तारो भवति ॥ १९३ से कहमेय भते । एव ? गोयमा ! जण्ण से वहुजणे अण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ जाव' परूवेइ-एवं १ स० पा०-तेगडेण जाव रह° । २ स० पा०—निस्सीला जाव उववन्ना। ३ मच्छीए (म)। ४. साहिज्ज (क), साहज्ज (ता, म)। ५. भ० ११४२० । ६ अभिहता चेव पहता (क, स), अभिहया (ता) ७ स० पा०-एवमाइक्खइ जाव उववत्तारो। ८ भ० ११४२० । Page #364 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३०५ o खलु वहवे मणुस्सा प्रणयरेसु उच्चावएसु सगामेसु ग्रभिमुहा चेव पह्या समाणा कालमासे काल किच्चा ग्रण्णयरेसु देवलोएसु देवत्ताए उववत्तारो भवति, जे ते एवमाहसु मिच्छेते एवमाहसु । ग्रह पुण गोयमा ! एवमाइक्खामि जाव' परूमि - एव खलु गोयमा । तेण कालेण तेण समएण वेसाली नाम नगरी होत्था - वण्णग्रो' । तत्थ णं वेसालीए नगरीए वरुणे नाम नागनत्तुए परिवसइअड्ढे जाव' ग्रपरिभूए, समणोवास, ग्रभिगयजीवाजीवे जाव समणे निग्गथे फासु - एस णिज्जेण असण- पाण- खाइम - साइमेण वत्थ - पडिग्गह- कवल - पाय पुछणेण पीढ-फलग-सेज्जा-सथारएण 'ग्रोसह - भेसज्जेण " पडिलाभेमाणे छुट्टछट्टेण श्रणिखित्तेण तवोकम्मेण ग्रप्पाण भावेमाणे विहरति ॥ सत्तम सत (नवमो उद्देसो) १९४ तए ण से वरुणे नागनत्तुए श्रण्णया कयाइ रायाभियोगेण', गणाभियोगेण, वलाभिओगेण रहमुसले सगामे आणत्ते समाणे छुट्टभत्तिए अट्टमभत्त अणुवट्टेति, अणुवट्टेत्ता कोडुवियपुरिमे सहावेइ, सहावेत्ता एव वयासी - खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया । चाउरघट ग्रासरह जुत्तामेव ' उवट्ठावेह', हय-गय-रह-पवर"• जोहक लिय चाउरगिणि सेण सण्णा हेह°, सण्णाहेत्ता मम एयमाणत्तिय पच्चपिह ॥ १९५ तएण ते कोड वियपुरिसा जाव" पडिसुणेत्ता खिप्पामेव सच्छत्त सज्भय जाव‍ चाउग्घट ग्रासरह जुत्तामेव उवद्वावेति, हयगय रह"- पवरजोहक लिय चाउरगिण सेण • सण्णाहेति, सण्णाहेत्ता जेणेव वरुणे नागनत्तुए तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता जाव " तमाणत्तिय पच्चप्पिणति ॥ ० १९६ तएण से वरुणे नागनत्तुए जेणेव मज्जणघरे तेणेव उवागच्छति, "उवागच्छित्ता मज्जणघर णुप्पविसइ, प्रणुप्पविसित्ता हाए कयवलिकम्मे कयकोउय-मगलपायच्छित्तं सव्वालकारविभूसिए सण्णद्ध - वद्ध-वम्मियक वए " सकोरेटमल्ल'" १ भ० १।४२१ । २ ओ० सू० १ । ३ भ० २।२४ । ४ भ० २६४ । ५ वृत्ती उद्धृते पाठे एतन्नास्ति । भ० २६४ सूत्रादसी पाठ पूरितस्तत्रापि 'क' प्रतौ एतत् नास्ति । O ६ रायाहियोगेण ( अ, स), रायनियोगेण (ता) ७. कोदुविय ° (ता), कोटुविय ० ( स ) 1 हयुक्तमेव रथसामग्र्या इति गम्यम् (वृ) । १० ११ १२ १३ १४ १५ उट्ठवेह ( अ ) । स० पा० - पवर जाव सण्णा हेत्ता । भ० ७।१७५ । राय० सू०६८१, वाचनान्तरे तु साक्षादेव दृश्यते (वृ) । स० पा० - रह जाव सण्णाहेति । भ० ७ १७५ । स० पा० - जहा कूणिओ जाव पायच्छित्ते । १६ पू० भ० ७ १७६ । १७ स० पा० - सकोरेटमल्ल जाव धरिज्ज • I Page #365 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३०६ ० • दामेण छत्तेण धरिज्जमाण, अणेगगणनायग'- दडनायग- राईसर-तलवरमाडविय- कोडुविय - इव्भ सेट्ठि सेणावइ सत्यवाह - दूय - सविपालसद्धि' सपरिवुडे मज्जणघराम्रो पडिनिक्खमति, पडिनिक्खमित्ता जेणेव बाहिरिया उवद्वाणसाला, जेणेव चाउरघटे प्रासरहे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता चाउग्घंट ग्रासरह दुरुहइ', दुरुहित्ता हय-गय-रह-पवरजोहकलियाए चाउरगिणीए सेनाए सद्धि सपरिवुडे, महयाभडचडगरविंदपरिक्खित्ते जेणेव रहमुसले सगामे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता रहमुसल सगाम श्रोयाए । o १६७ तएण से वरुणे नागनत्तुए रहमुसल सगाम प्रोयाए समाणे प्रयमेयारूव अभिग्गह अभिगेण्हड – कप्पति मे रहमुसल सगाम सगामेमाणस्स जे पुव्वि पहणइ से पडिहणित्तए', अवसेसे नो कप्पतीति प्रयमेयारूव अभिग्गह श्रभिगेण्हइ ग्रभिगेहेत्ता रहमुसल सगाम सगामेति ॥ १६८ तए ण तस्स वरुणस्स नागनत्तुयस्स रहमुसल सगाम सगामेमाणस्स एगे पुरिसे सरिसए 'सरित्तए सरिव्वए" सरिसभडमत्तोवगरणे रहेण पडिरह हव्वमागए ॥ १६६ तए ण से पुरिसे वरुण नागनत्तुय एव वदासी - पहण भो वरुणा । नागनत्तुया ! पहण भो वरुणा । नागनत्तुया I भगवई २००. तए ण से वरुणे नागनत्तुए त पुरिस एव वदासी - नो खलु मे कप्पर देवाणु - प्पिया ! पुवि ग्रहयस्स पहणित्तए, तुम चेव ण पुव्वि पहणाहि ॥ २०१ तएण से पुरिसे वरुणेण नागनत्तुएण एव वृत्ते समाणे प्रासुरुते रुट्ठे कुविए चडिक्किए॰ मिसिमिसेमाणे धणु परामुसइ, परामुसित्ता उसु परामुसइ, परामुसित्ता ठाण ठाति, ठिच्चा प्राययकण्णायय उसु करेइ, करेत्ता वरुण नागनत्तुय गाढप्पहारीकरेइ || २०२ तए ण से वरुणे नागनत्तुए तेण पुरिसेण गाढप्पहारीकए समाणे सुरुत्ते ' • रुट्ठे कुविए चडिक्किए° मिसिमिसेमाणे धणु परामुसइ, परामुसित्ता उसु परामुसइ, परामुसित्ता प्राययकण्णायय उसु करेइ, करेत्ता त पुरिस एगाहन्व कूडाहन्च जीविया ववरोवेइ ॥ २०३ तए ण से वरुणे नागनत्तुए तेण पुरिसेण गाढप्पहारीकए समाणे प्रत्थामे अबले अवीरिए अपुरिसक्कारप रक्कमे अधारणिज्जमिति कट्टु तुरए निगिण्हइ, निगिण्हित्ता रह परावत्तेइ, परावत्तेत्ता रहमुसला सगामा पडिनिक्खमति, १. स० पा० – अणे गगणनायग जाव दूय । २ सचिवाल० ( अ, क, व, म), सघिवालग० (ता) । ३ द्रुहेति ( क ), द्रुहति (ता, व ) । ४. स० पा०—रह् जाव सपरिवुडे । ५. ० गर जाव परिक्खित्ते ( अ, क, ता, ब, म, स ) ६. पडिपह० (ता) | ७. सरिसत्तए सरिसव्वए ( क ) 1 ८ स० पा०— -- आसुरुत्ते जाव मिसि । ६ स० पा० – आसुरुते जाव मिसि० ! - Page #366 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सत्तम सत (नवमो उद्देसो) ३०७ पडिनिक्खमित्ता एगतमत' अवक्कमइ, अवक्कमित्ता तुरए निगिण्हइ, निगिण्हित्ता रह ठवेइ, ठवेत्ता रहापो पच्चोरुहइ, पच्चोरुहित्ता तुरए मोएइ, मोएत्ता तुरए विसज्जेइ, विसज्जेत्ता दन्भसथारग सथरइ, सथरित्ता दव्भसथारग दुरुहइ, दुरुहित्ता पुरत्याभिमुहे सपलियकनिसण्णे करयल' परिग्गहिय दसनह सिरसावत्त मत्थए अलि ° कटु एव वयासी-नमोत्थु ण अरहताण भगवताण जाव' सिद्धिगतिनामधेय ठाण सपत्ताण, नमोत्थु ण समणस्स भगवो महावीरस्स आदिगरस्स जाव सिद्धिगतिनामधेय ठाण सपाविउकामस्स मम धम्मायरियस्स धम्मोवदेसगस्स, वदामि ण भगवत तत्थगय इहगए, पास मे से भगव तत्थगए' इहगय ति कट्ठ वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता एवं वयासी-पूवि पि ण मए समणस्स भगवो महावीरस्स अतिए थलए पाणाइवाए पच्चक्खाए जावज्जीवाए, एव जाव' थूलए परिग्गहे पच्चक्खाए जावज्जीवाए, इयाणि पि ण अह तस्सेव भगवो महावीरस्स अतिए सव्व पाणाइवाय पच्चक्खामि जावज्जीवाए जाव' मिच्छादसणसल्ल पच्चक्खामि जावज्जीवाए। सव्व असण-पाण-खाइम-साइम-चउव्विह पिाहार पच्चक्खामि जावज्जीवाए। ज पि य इम सरीर इट्ट कत पिय जाव" मा ण वाइयपित्तिय-सेभिय-सण्णिवाइय विविहा रोगायका परीसहोवसग्गा फुसतु त्ति कटु° एय पि ण चरिमेहि ऊसास-नीसासेहि वोसिरिस्सामि त्ति कटु सण्णाहपट्ट मुयइ, मुइत्ता सल्लुद्धरण करेइ, करेत्ता आलोइय-पडिक्कते समाहि पत्ते आणुपुवीए" कालगए। वरुणनागनत्तुय-मित्त-पद २०४ तए ण तस्स वरुणस्स नागनत्तुयस्स एगे पियबालवयसए रहमुसल सगाम सगामेमाणे एगेण पुरिसेण गाढप्पहारीकए समाणे अत्थामे 'अबले अवीरिए अपुरिसक्कारपरक्कमे अधारणिज्जमिति कटु वरुण नागनत्तुय रहमुसलामो सगामाप्रो पडिनिक्खममाण पासइ, पासित्ता तुरए निगिण्हइ, निगिण्हित्ता जहा वरुणे जाव" तुरए विसज्जेति, पडसथारग दुरुहइ, दुरुहित्ता पुरत्थाभिमुहे" १ एगत (क)। ८ स० पा०-एव जहा खदओ जाव एव । २ स० पा०-करयल जाव कटु । है भ० ११३८४। ३ ओ० सू० २१ । १०. भ० २१५२। ४. ओ० सू० २१ । ११ पुन्वि (ता)। ५. पासइ (ता)। १२ स० पा०-अत्थामे जाव अधारणिज्जमिति ६. स० पा०-तत्थगए जाव वदइ । १३. भ० ७२०३। ७. भ० ७।३२। १४. स० पा०-पुरत्थाभिमुहे जाव अजलिं । Page #367 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई •सपलियकनिसणे करयलपरिग्गहिय दसनह सिरसावत्त मत्थए ग्रजलि कट्टु एव वयासी – जाइ ण भते । मम पियवालवयसस्स वरुणस्स नागनत्तु यस्स सीलाइ वयाइ गुणाइ वेरमणाइ पच्चवखाण - पोसहोववासाइ, ताइ ग 'मम पि भवतु त्ति कट्टु सण्णाहपट्ट मुयइ, मुइत्ता सल्लुद्धरण करेड, करेत्ता ग्राणुपुब्वीए कालगए ।। २०५ तए ण त वरुण नागनत्तुय कालगय जाणित्ता ग्रहासन्निहिएहि वाणमतरेहि देवेहि दिव्वे सुरभिगधोदगवासे वुट्टे, दसद्धवण्णे कुसुमे निवातिए, दिव्वे य गीय - गधव्वनिनादे कए या वि होत्या ।। ३०८ | २०६ तए ण तस्स वरुणस्स नागनत्तुयस्स त दिव्व देविड्ढि दिव्व देवज्जुति दिव्व देवाणुभाग सुणित्ता य पासित्ता य बहुजणो ग्रण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ जाव परूवेइ–एव खलु देवाणुप्पिया । वहवे मणुस्सा' ग्रण्णयरेसु उच्चावएसु सगामेसु ग्रभिमुहा चेव पहया समाणा कालमासे कालं किच्चा ग्रण्णयरेसु देवलोएसु देवत्ताए उववत्तारो भवति ।। ० २०७ वरुणे ण भते | नागनत्तुए कालमासे काल किच्चा कहि गए ? कहि उववन्ने ? गोयमा | सोहम्मे कप्पे, ग्ररुणाभे विमाणे देवत्ताए उववन्ने । तत्थ ण प्रत्येगतियाण देवाण चत्तारि पलियोवमाइ ठिती पण्णत्ता । तत्थ ण वरुणस्स वि देवस्स चत्तारि पलिप्रोवमाइ ठिती पण्णत्ता ॥ २०८ से ण भते | वरुणे देवे ताम्रो देवलोगाग्रो ग्राउक्खएण, भवक्खएण, ठिइक्खएण' ग्रणतर चय चइत्ता कहि गच्छिहिति ? कहि उववज्जिहिति ? गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्झिहिति वुज्झिहिति मुच्चिहिति परिणिव्वाहिति सव्वदुक्खाण • अत करेहिति ॥ २०६ वरुणस्स ण भते । नागनत्तुयस्स पियबालवयसए कालमासे काल किच्चा कहि गए ? कहि उववन्ने ? गोयमा । सुकुले पच्चायाते ॥ २१० से ण भते | तोहितो हिति ? 1 गोयमा ' महाविदेहे वासे सिज्झिहिति जाव' त काहिति ॥ २११ सेव भते । सेव भते ! त्ति' | तर उब्वट्टित्ता कहिं गच्छिहिति ? कहि उववज्जि १. ममवि (व) | २. ओमुयति ( अ, क, ता, व ) 1 ३. निवाडिते ( अ, क, ता ) । ४ भ० १४२० । ५ स० पा०- - मरगुस्सा जाव उववत्तारो । ६ स० पा० – ठिइक्खएण जाव महाविदेहे वासे सिज्झिहिति जावत । ७. भ० ७।२०८ । भ० १।५१ । Page #368 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सत्तम सत (दसमो उद्देसो) दसमो उद्देसो कालोदाइ पभितीण पचत्काए सदेह - पद २१२ तेण काले तेण समएण रायगिहे नाम नगरे होत्था - वण्ण' । गुणसिलए चेइए—वण्णओ जाव' पुढविसिलापट्ट । तस्स ण गुणसिलयस्स चेइयस्स दूरसामते वहवे अण्णउत्थिया परिवसति त जहा - कालोदाई, सेलोदाई, सेवालोदाई', उदए, नामुदए', नम्मुदए, ग्रण्णवालए, सेलवालए', सखवालए, सुत्थी गाहावई ॥ २१३ तए ण तेसि अण्णउत्थियाण प्रण्णया कयाइ' एगयो सहियाण समुवागयाण सण्णिविट्ठाण सण्णिसण्णाण प्रयमेयारूवे' मिहोकहासमुल्लावे समुप्पज्जित्था - एव खलु समणे नायपुत्ते पच ग्रत्थिकाए पण्णवेति, त जहा - धम्मत्थिकाय जाव पोग्गलत्थकाय' । १ ओ० सू० १ । २. ओ० सू० २-१३ । ३ सेवलो ० (ता) | ३०६ तत्थ ण समणे नायपुत्ते चत्तारि श्रत्थिकाए प्रजीवकाए पण्णवेति, त जहाधम्मत्थिकाय, अधम्मत्थिकाय, 'ग्रागासत्थिकाय, पोग्गलत्थिकाय । एग चण समणे नायपुत्ते जीवत्थिकाय रूविकाय जीवकाय पण्णवेति । तत्थ ण समणे नायपुत्ते चत्तारि प्रत्थिकाए अरूविकाए पण्णवेति त जहा - धम्मत्थिकाय, अधम्मत्थिकाय, आगासत्थिकाय, जीवत्थिकायं । एग चण समणे नायपुत्ते पोग्गलत्थिकाय रूविकाय अजीवकाय पण्णवेति । से कहमेय मण्णे एव ? २१४ तेण कालेन तेण समएणं समणे भगव महावीरे जाव" गुणसिलए चेइए समोसढे जाव परिसा पडिगया || ४ गाए (ता), गोमुदए ( ब ) । ५ X ( अ, ता, म) | भ० ७।२१।८ सूत्रे कालोदायिना प्रतिपादितस्य भगवत सिद्धान्तस्य भगवता स्ववचनेन स्वीकृति क्रियते । तत्र 'त सच्चेण एसमट्ठे कालोदाई । अह पचत्थिकाय पण्णवेमि, त जहा - धम्मत्थिकाय जाव पोग्गल त्थिकाय' एतदनुसारेण एष पाठो युक्तोस्ति, तेन एतदनुसारेणासो स्वीकृत पोग्गलत्थिकाय आगासत्थिकाय ( ता ) । ६ कयाई (क), कदायी (ता, व, म), कयाइ (स) । ७ X ( क, ता, व, म, स ) | १० ८. अतमेतारूवे (ता) | ११. भ० १७ 1 ६. आगासत्थिकाय ( अ, क, ता, व, म, स), १२. भ० ११८ Page #369 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३१० भगवई २१५ तेण कालेन तेण समएण समणस्स भगवन महावीरस्स जेट्टे प्रवासी इदभूई नाम अणगारे 'गोयमे गोत्तेण" जाव' भिक्खायरियाए ग्रमाणे ग्रहापज्जतं भत्त-पाण पडिग्गाहित्ता रायगिहाम्रो' 'नगराम्रो पडिनिक्खमइ, ग्रतुरियमचवलमसभत' जुगतरपलोयणाए दिट्ठीए पुरनो रिय सोहेमाणे सोहेमाणे तेसि अण्णउत्थियाण श्रदूरसामतेण वीईवयति || I २१६ तएण ते अण्णउत्थिया भगव गोयम दूरसामतेण वीईवयमाण पासति, पासित्ता अण्णमण्ण सद्दावेति, सद्दावेत्ता एव वयासी - एव खलु देवाणुप्पिया ! ग्रम्हं इमा कहा अविप्पकडा', अय च ण गोयमे ग्रम्ह दूरसामंतेण वीईवयइ, तसे खलु देवाणुप्पिया । ग्रम्ह गोयम एयमट्ठ पुच्छित्तए त्ति कट्टु अण्णमण्णस्स ति एयम पडणंति, पडिणित्ता जेणेव भगव गोयमे तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता भगव गोयम एव वयासी - एव खलु गोयमा । तव धम्माय रिए धम्मोवदेसए समणे नायपुत्ते पच प्रत्थिकाए पण्णवेति, त जहा - धमत्थिकाय जाव पोलथिका । त चेव जाव' रूविकाय जीवकाय पण्णवेति । से कहमेय गोयमा ! एव कालोदाइस्स समाहाणपुव्वं पव्वज्जा- पद ? २१७ तए ण से भगव गोयमे ते अण्णउत्थिए एव वयासी - नो खलु वय देवाणुप्पिया ! अस्थिभाव नत्थि त्ति वदामो, नत्थिभावं प्रत्थि त्ति वदामो । अम्हे ण देवाणुप्पिया | सव्व अस्थिभाव प्रत्थि त्ति वदामो, सव्वं नत्थिभाव नत्थि त्ति वदामो । त चेयसा— खलु तुब्भे देवाणुप्पिया ! एयमट्ठ सयमेव पच्चुवेक्खहत्ति कट्टु ते अण्णउत्थिए एव वदासी', वदित्ता जेणेव गुणसिलए चेइए, जेणेव समणे भगव महावीरे तेणेव उवागच्छइ जाव" भत्त-पाण पडिदसेति, पडिदसेत्ता समण भगव महावीर वंदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता नच्चासण्णे जाव" पज्जुवासति ॥ २१८ तेण कालेण तेण समएण समणे भगवं महावीरे महाकहापडिवण्णे या वि होत्था । कालोदाई य तं देस हव्वमागए । कालोदाईति । समणे भगव महावीरे कालोदाइ १. गोयमगोत्ते ण ( अ, ता ) 1 २. एव जहा वितियसते यिठ्ठद्देस जाव ( अ, क, ता, व, म, स); भ० २।१०६ - १०६ । ३ स० पा०-- रायगिहाओ जाव अतुरियमच वलमसभंत जाव रिय । ४. भ० २।११० सूत्रे '० मसभते' इति पाठ स्वीकृतोस्ति । ५. अविउप्पकडा ( अ, क, व, म, वृपा) । ० ६. आगासत्थिकाय ( अ, क, व, म, स) 1 ७ भ० ७।२१३ । १० वेदसा ( अ, ता, म, वृपा) । वदति (ता, व, म) । एवं जहा नियठुद्देसए जाव ( अ, क, ता, ब, म, स), भ० २ ११० । ११ भ० ३।१३ । Page #370 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सत्तम सत (दसमो उद्देसो) एव वयासी-से नूण भे कालोदाई । अण्णया कयाइ एगयो सहियाण समुवागयाण सण्णिविट्ठाण सण्णिसण्णाण अयमेयारूवे मिहोकहासमुल्लावे समुप्पज्जित्था-एव खलु समणे नायपुत्ते पच अत्थिकाए पण्णवेति तहेव जाव' से कहमेय मण्णे एव ? से नण कालोदाई । अत्थे समत्थे ? हता अत्थि । त सच्चे ण एसमढे कालोदाई । अह पचत्थिकाय पण्णवेमि, त जहा-धम्मत्थिकाय जाव पोग्गलत्थिकाय ।। तत्थ ण अह चत्तारि अत्थिकाए अजीवकाए' पण्णवेमि, "तं जहा-धम्मत्थिकाय, अधम्मत्थिकायं, आगासत्थिकाय, पोग्गलस्थिकाय । एग च ण अह जीवत्थिकाय अरूवीकाय जीवकाय पण्णवेमि । तत्थ ण अह चत्तारि अत्थिाए अरूवीकाए पण्णवेमि, त जहा-धम्मत्थिकाय, अधम्मत्थिकाय, आगासत्थिकाय, जीवत्थिकाय । ° एग च ण अह पोग्गलत्थि काय रूविकाय पण्णवेमि॥ २१६ तए ण से कालोदाई समण भगव महावीर एव वदासी- एयसि ण भते । धम्मत्थिकायसि, अधम्मत्थिकायसि, आगासत्थिकायसि अरूविकायसि अजीवकायसि चक्किया केइ आसइत्तए वा ? सइत्तए वा ? चिठ्ठइत्तए वा ? निसीइत्तए वा ? तुयट्टित्तए वा? । णो तिणद्वे समढ़े। कालोदाई | एगसि ण पोग्गलत्थिकायसि रूविकायसि अजीवकायंसि चक्किया केइ आसइत्तए वा, सइत्तए वा', 'चिट्ठइत्तए वा, निसीइत्तए वा°, तुयट्टित्तए वा ॥ २२० एयसि ण भते । पोग्गलत्थिकायसि रूविकायसि अजीवकायसि जीवाण पावा कम्मा पावफलविवागसजुत्ता कज्जति ? णो तिणढे सम? । कालोदाई | एयसि ण जीवत्थिकायसि अरूविकायसि जीवाण पावा कम्मा पावफलविवागसजुत्ता कज्जति । एत्थ ण से कालोदाई सबुद्धे समण भगव महावीर वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता एव वयासी- इच्छामि ण भते । तुब्भ अतिय धम्म निसामेत्तए । एव जहा खदए तहेव पव्वइए, तहेव एक्कारस अगाइ अहिज्जइ जाव' विचित्तेहिं तवोकम्मेहि अप्पाण भावेमाणे विहरइ ॥ २२१. तए ण समणे भगव महावीरे अण्णया कयाइ रायगिहारो नगराओ, गुणसिलाओ 'चेइयानो पडिनिक्खमति, पडिनिक्खमित्ता वहिया जणवयविहार विहरइ ॥ १. भ० ७।२१३ । २ अजीवताए (क), अजीवत्यिकाए (स)। ३. स० पा०-तहेव जाव एग । ४ चिट्ठित्तए (अ, व, ता)। ५ स० पा०-सइत्तए वा जाव तुयट्टित्तए। ६ भ० २।५०-६३ । Page #371 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३१२ भगवई कालोदाइस्स कम्मादिविसए पसिण-पद २२२. तेण कालेण तेण समएण रायगिहे नाम नगरे, गुणसिलए चेइए । तए ण समणे __भगव महावीरे अण्णया कयाइ जाव' समोसढे, परिसा जाव' पडिगया ॥ २२३. तए णं से कालोदाई अणगारे अण्णया कयाइ जेणेव समणे भगव महावीरे तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता समण भगव महावीर वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता एव वयासी-अत्थि ण भते ! जीवाण पावा कम्मा पावफलविवागसजुत्ता कज्जति ? हता अस्थि ॥ कहण्ण भते । जीवाणं पावा कम्मा पावफलविवागसजुत्ता कज्जति ? कालोदाई ! से जहानामए केइ पुरिसे मणुण्ण थालीपागसुद्ध अट्ठारसवजणाकुल विससमिस्स भोयण भुजेज्जा, तस्स ण भोयणस्स आवाए भद्दए भवइ, तओ पच्छा परिणममाणे-परिणममाणे दुरूवत्ताए, दुवण्णत्ताए, दुगधत्ताए जाव' दुक्खत्ताए-नो सुहत्ताए भुज्जो-भुज्जो परिणमति । एवामेव कालोदाई ! जीवाण पाणाइवाए जाव मिच्छादसणसल्ले, तस्स' ण आवाए भद्दए भवइ, तो पच्छा 'विपरिणममाणे-विपरिणममाणे दुरूवत्ताए दुवण्णत्ताए दुगधत्ताए जाव दुक्खत्ताए-नो सुहत्ताए भुज्जो-भुज्जो परिणमति । एवं खलु कालोदाई ! जीवाण पावा कम्मा 'पावफलविवागसजुत्ता कज्जति । २२५. अत्थि ण भते । जीवाण कल्लाणा कम्मा कल्लाणफलविवागसजुत्ता कज्जति ? हता अत्थि ॥ २२६. कहण्णं भंते । जीवाण कल्लाणा कम्मा' 'कल्लाणफलविवागसंजूत्ता कज्जति ? कालोदाई | से जहानामए केइ पुरिसे मणुण्ण थालीपागसुद्ध अट्ठारसवजणाकुल प्रोसहमिस्स भोयण भुजेज्जा, तस्स ण भोयणस्स आवाए नो भद्दए भवइ, तो पच्छा परिणममाणे-परिणममाणे सुरूवत्ताए सुवण्णत्ताए जाव' सुहत्ताए- नो दुक्खत्ताए भुज्जो-भुज्जो परिणमति । एवामेव कालोदाई ! जीवाण पाणाइवायवेरमणे जाव परिग्गहवे रमणे कोहविवेगे जाव" मिच्छादसणसल्लविवेगे, तस्स १. भ०१७। ७. फलविवाग जाव कज्जति (अ), फल जाव २. भ० १०८। कज्जति (क, ता)। ३. जहा महस्सवए जाव (अ, क, ता, व, म, ८ स० पा०—कम्मा जाव कज्जति ।' स), भ० ६।२० । ६ भ० ६।२२। ४. भ० ११३८४ । १०. भ० ११३८५। ५ तस्य प्राणातिपातादे (व) । ११ ठा० ११११५-१२५ । ६ परिणममाणे-परिणममाणे (म, क, ता, म)। Page #372 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सत्तम सत (दसमो उद्देसो) ३१३ ण आवाए नो भद्दए भवइ, तो पच्छा परिणममाणे-परिणममाणे सुरूवत्ताए सुवण्णत्ताए जाव सुहत्ताए-नो दुक्खत्ताए भुज्जो-भुज्जो परिणमइ । एवं खलु कालोदाई ! जोवाण कल्लाणा कम्मा' 'कल्लाणफलविवागसजुत्ता कज्जति ।। २२७. दो भते । पुरिसा सरिसया' •सरित्तया सरिव्वया' सरिसभडमत्तोवगरणा अण्णमण्णेण सद्धि अगणिकाय समारभति । तत्थ ण एगे पुरिसे अगणिकाय उज्जालेइ, एगे पुरिसे अगणिकाय निव्वावेइ । एएसि ण भते । दोण्ह पुरिसाण कयरे पुरिसे महाकम्मतराए चेव ? महाकिरियतराए चेव ? महासवतराए चेव' ? महावेयणतराए चेव ? कयरे वा पुरिसे अप्पकम्मतराए चेव ? 'अप्पकिरियतराए चेव ? अप्पासवतराए चेव ? ० अप्पवेयणतराए चेव ? जे वा से पुरिसे अगणिकाय उज्जालेइ, जे वा से पुरिसे अगणिकाय निव्वावेइ? कालोदाई । तत्थ ण जे से पुरिसे अगणिकाय उज्जालेइ, से ण पुरिसे महाकम्मतराए चेव', 'महाकिरियतराए चेव, महासवतराए चेव, महावेयणतराए चेव । तत्थ ण जे से पुरिसे अगणिकाय निव्वावेइ, से ण पुरिसे अप्पकम्मतराए चेव', 'अप्पकिरियतराए चेव अप्पासवतराए चेव , अप्पवेयणतराए चेव ।। २२८. से केणखूण भते ! एव वुच्चइ-तत्थ ण जे से पुरिसे अगणिकाय उज्जालेइ, से ण पुरिसे महाकम्मतराए चेव ? महाकिरियतराए चेव ? महासवतराए चेव ? महावेयणतराए चेव ? तत्थ ण जे से पुरिसे अगणिकाय निव्वावेइ, से ण पुरिसे अप्पकम्मतराए चेव ? अप्पकिरियतराए चेव ? अप्पासवतराए चेव ? अप्पवेयणतराए चेव ? कालोदाई । तत्थ ण जे से पुरिसे अगणिकाय उज्जालेइ, से ण पुरिसे बहुत राग पुढविक्काय समारभति, बहुतराग आउक्काय समारभति, अप्पतराग तेउक्काय समारभति, बहुतराग वाउकाय समारभति, बहुतराग वणस्सइकाय समारभति, बहुतराग तसकाय समारभति। तत्थ ण जे से पुरिसे अगणिकाय निव्वावेइ, से ण पुरिसे अप्पतराग पुढविकाय समारभति, अप्पतराग आउक्काय समारभति, बहुत राग तेउक्काय समारभति, अप्पत राग वाउकाय समारभति, अप्पतराग वणस्सइकायं समारभति, अप्पतराग तसकाय समारभति । से तेणद्वेण कालोदायी !" 'एव वुच्चइ-तत्थ ण जे से पुरिसे अगणिकाय उज्जालेइ, से ण पुरिसे महाकम्मतराए चेव, महा१. स० पा०-कम्मा जाव कज्जति। ५ स० पा०-चेव जाव अप्पवेयण । २. स० पा०-सरिसया जाव सरिसभंड° । ६ स० पा०-पुरिसे जाव अप्पवेयण । ३ स० पा०-चेव जाव अप्पवेयण । ७ स० पा०--कालोदायी जाव अप्पवेयण ० । ४ स० पा०-चेव जाव महावेयण । Page #373 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३१४ २३० भगवई किरियत राए चेव, महासवतराए चेव, महावेयणतराए चेव। तत्थ ण जे से परिसे अगणिकाय निव्वावेइ, से ण पुरिसे अप्पकम्मतराए चेव, अप्पकिरियत राए चेव, अप्पासवतराए चेव, अप्पवेयणतराए चेव ॥ २२६. अत्थि ण भते । अच्चित्ता वि पोग्गला ओभासति ? उज्जोवेति ? तवेति ? पभासेति ? हता अत्थि ॥ कयरे ण भते ! ते अच्चित्ता वि पोग्गला प्रोभासति' ? 'उज्जोवेति ? तवेति? ० पभासेति ? कालोदाई | कुद्धस्स' अणगारस्स तेय-लेस्सा निसट्ठा समाणी दूर गता दूर निपतति, देस गता देस निपतति, जहिं-जहिं च ण सा निपतति तहि-तहि च ण ते अचित्ता वि पोग्गला ओभासति', 'उज्जोवेति, तवेति, पभासेति । एतेण कालोदाई । ते अचित्ता वि पोग्गला प्रोभासति, 'उज्जोवेति, तवेति', पभासेति ।। २३१. तए ण से कालोदाई अणगारे समण भगव महावीर वदइ नमसइ, वदित्ता नमंसित्ता बहूहि चउत्थ-छट्ठट्ठम -'दसम-दुवालसेहि, मासद्धमासखमणेहिं विचित्तेहि तवोकम्मेहि अप्पाण भावेमाणे विहरइ ।। २३२ तए ण से कालोदाई । अणगारे जाव' चरमेहिं उस्सास-नीसासेहि सिद्ध वृद्धे मुक्के परिनिवडे ° सव्वदूवखप्पहीणे ।। २३३ सेव भते । सेव भते । त्ति। १ स० पा०-ओभासति जाव पभासेंति । २. विभक्तिपरिणामात्द्ध न (वृ) । ३. स० पा०-ओभासति जाव पभासेति । ४ न० पा०-ओभासति जाव पभासें ति। ५ म० पा०-घट्टम जाव अप्पारण । ६. स० पा०-जहा पढमसए कालासवेसियपुत्ते जाव सव्वदुक्ख° । ७. भ० ११४३३। ८. भ० ११५१ । Page #374 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ठमं सतं पढमो उद्देसो संग्रहणी - गाहा १ पोग्गल २ ग्रासीविस ३ रुक्ख ४ किरिय ५ ग्राजीव ६, ७. फाकमदत्ते । परिणीय बध १० आराहणा य दस ग्रममि सते || १ || पोग्गल परिणति-पद ? १. रायगिहे जाव' एव वदासी - कतिविहा ण भते । पोग्गला पण्णत्ता गोयमा । तिविहा पोग्गला पण्णत्ता, त जहा - पयोगपरिणया, मीसापरिणया', वीससापरिणया | (१) पयोगपरिणति-पद २. पयोगपरिणया ण भते । पोग्गला कतिविहा पण्णत्ता ? गोयमा । पचविहा पण्णत्ता, त जहा - एगिंदियपयोगपरिणया', 'बेइदियपयोगपरिणया, तेइदियपयोगपरिणया, चउरिदियपयोगपरिणया, पचिदियपयोगपरिणया || ३ एगिदियपयोगपरिणया ण भते । पोग्गला कतिविहा पण्णत्ता ? गोयमा । पचविहा पण्णत्ता, त जहा - पुढ विकाइयएगिंदियपयोगपरिणया, • आउकाइयएगिदियपयोगपरिणया, तेउकाइयएगिदियपयोगपरिणया, वाउकाइयएगिदियपयोगपरिणया, वणस्सइकाइयए गिंदियपयोगपरिणया ॥ १ भ० ११४- १० । २ मीससा ० ( अ, स), मीस ० ( क, व, म) 1 ३ स० पा० -- एगिंदियपयोग परिणया जाव पचिदिय । ० ४ स० पा० - पुढविक। इयएगिंदियपयोगपरिणया जाव वणस्सइ ° 1 ३१५ Page #375 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ४ पुढविकाइयएगिदियपयोगपरिणया ण भते । पोग्गला कतिविहा पण्णत्ता ? गोयमा | दुविहा पण्णत्ता, त जहा-सुहुमपुढविकाइयएगिदियपयोगपरिणया, वादरपुढविकाइयएगिदियपयोगपरिणया य। अाउकाइयएगिदियपयोगपरिणया एव चेव । एव दुयो' भेदो जाव वणस्सइकाइया य ।। ५. वेइदियपयोगपरिणयाण पुच्छा। गोयमा । अणेगविहा पण्णत्ता । एव तेइदिय-चरिदियपयोगपरिणया वि ।। पचिदियपयोगपरिणयाण पुच्छा। गोयमा । चउन्विहा पण्णत्ता, त जहा-नेरइयपचिदियपयोगपरिणया, तिरिक्ख-मणुस्स-देवपचिदियपयोगपरिणया ॥ ७ नेरइयपचिंदियपयोगपरिणयाण पुच्छा । गोयमा । सत्तविहा पण्णत्ता, त जहा - रयणप्पभपुढविने रइयपचिदियपयोग परिणया वि जाव' अहेसत्तमपुढविनेरइयपचिदियपयोगपरिणया वि ।। ८. तिरिक्खजोणियपचिदियपयोगपरिणयाण पुच्छा। गोयमा । तिविहा पण्णत्ता, त जहा-जलचरतिरिक्खजोणियपचिंदियपयोगपरिणया, थलचरतिरिक्खजोणियपचिंदियपयोगपरिणया, खहचरतिरिक्ख जोणियपचिदियपयोगपरिणया ।। ६. जलचरतिरिक्खजोणियपचिदियपयोगपरिणयाण पुच्छा। गोयमा | दुविहा पण्णत्ता, त जहा-समुच्छिमजलचरतिरिक्खजोणियपचिदिय पयोगपरिणया, गन्भवक्कतियजलचरतिरिक्खजोणियपचिदियपयोगपरिणया ॥ १०. थलचरतिरिक्खजोणियपचिदियपयोगपरिणयाण पुच्छा। गोयमा । दुविहा पण्णत्ता, त जहा-चउप्पयथलचरतिरिक्खजोणियपचिंदिय पयोगपरिणया, परिसप्पथलचरतिरिक्खजोणियपचिदियपयोगपरिणया ।। ११ चउप्पयथलचरतिरिक्खजोणियपचिदियपयोगपरिणयाण पुच्छा। गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता, त जहा-समुच्छिमचउप्पयथलचरतिरिक्खजोणियपचिदियपयोगपरिणया, गव्भवक्कतियचउप्पयथलचरतिरिक्खजोणियपचिदिय पयोगपरिणया। १२. एव एएण अभिलावेण परिसप्पा दुविहा पण्णत्ता, त जहा-उरपरिसप्पा य भयपरिसप्पा य । उरपरिसप्पा दुविहा पण्णत्ता, त जहा-समुच्छिमा य गन्भ वक्कतिया य । एव भुयपरिसप्पा वि । एव खहयरा वि ।। १३. मणुस्सपचिदियपयोगपरिणयाण पुच्छा। १ दुपओ (क, व, स, वृपा)। २. रयणप्पभा (अ, स)। ३ भ० २१७७। Page #376 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ठम सत (पढमो उद्देसो) ३१७ गोयमा | दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-समुच्छिममणुस्सपचिदियपयोगपरिणया, गम्भवक्कतियमणुस्सपचिदियपयोगपरिणया । १४ देवपचिंदियपयोगपरिणयाण पुच्छा। गोयमा | चउविवहा पण्णत्ता, त जहा-भवणवासिदेवपचिदियपयोगपरिणया, एव जाव' वेमाणिया ।। १५ भवणवासिदेवपचिंदियपयोगपरिणयाण पुच्छा। गोयमा । दसविहा पण्णत्ता, त जहा-असुरकुमारदेवपचिंदियपयोगपरिणया जाव' थणियकुमारदेवपचिदियपयोगपरिणया ॥ १६ एव एएण अभिलावेण अट्टविहा वाणमतरा–पिसाया जाव' गधव्वा । जोति सिया पचविहा पण्णत्ता, त जहा-चदविमाणजोतिसिया जाव' ताराविमाणजोतिसियदेवपचिंदियपयोगपरिणया। वेमाणिया दुविहा पण्णत्ता, त जहाकप्पोवगवेमाणिया कप्पातीतगवेमाणिया। कप्पोवगवेमाणिया दुवालसविहा पण्णत्ता, त जहा-सोहम्मकप्पोवगवेमाणिया जाव अच्चुयकप्पोवगवेमाणिया। कप्पातीतगवेमाणिया दुविहा पण्णत्ता, त जहा—गेवेज्जगकप्पातीतगवेमाणिया, अणुत्तरोववातियकप्पातीतगवेमाणिया । गेवेज्जगकप्पातीतगवेमाणिया नवविहा पण्णत्ता, त जहा–हेट्ठिमहेट्ठिमगेवेज्जगकप्पातीतगवेमाणिया जाव' उवरिमउवरिमगेवेज्जगकप्पातीतगवेमाणिया ॥ अणुत्तरोववातियकप्पातीतगवेमाणियदेवपचिदियपयोगपरिणया ण भते । पोग्गला कतिविहा पण्णत्ता ? गोयमा | पचविहा पण्णत्ता, त जहा—विजयअणुत्तरोववातिय कप्पातीतगवेमाणियदेवपचिदियपयोग परिणया जाव' सव्वट्ठसिद्धअणुत्तरोववातियकप्पा तीतगवेमाणियदेवपचिदियपयोगपरिणया। (२) पज्जत्तापज्जत्त पडुच्च पयोगपरिणति-पदं १८ सुहुमपुढविकाइयएगिदियपयोगपरिणया ण भते । पोग्गला कतिविहा पण्णता? गोयमा ' दुविहा पण्णत्ता, त जहा"-पज्जत्तासुहुमपुढविकाइय" एगिदियपयोग ° १ भ० २।११६ । ६ जाव परिणया (अ, क, ता, व, म, स) । २ पू० प० २। १० अतोने 'केति अपज्जत्तग पढम भणति पच्छा ३ ठा० ८।११६ । पज्जत्तग' इति पाठोऽस्ति । वृत्तो नासौ ४ ठा० ५१५२ । व्याख्यातोऽस्ति । असौ मतभेदसूचक पाठो ५ अ० सू० २८७ । वृत्त्युत्तरकाल मूले प्रक्षिप्तोभूदितिसभाव्यते । ६. ठा० ६।३८ । ११ स० पा०-पज्जत्तासुहुमपुढविकाइय जाव ७ स०पा०-विजयअणुत्तरोववतिय जाव परिणया परिणया, एगपदे सन्धिरत्र, तेन 'पज्जत्तग' ८. भ० ६।१२१ । इति परिपदस्य 'पज्जत्ता' इति रूप जातम् । Page #377 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३१८ भगवई, परिणया य, अपज्जत्तासुहुमपुढविकाइय' एगिदियपयोग परिणया य । वादरपुढविकाइयएगिदियपयोगपरिणया एव चेव, एव जाव वणस्सइकाइया। एक्केका दुविहा सुहुमा य, बादरा य, पज्जत्तगा अपज्जत्तगा य भाणियव्वा ।। १६ वेइदियपयोगपरिणयाण पुच्छा। गोयमा | दुविहा पण्णत्ता, त जहा–पज्जत्तगवेइदियपयोगपरिणया य, अप ज्जत्तग जाव परिणया य । एव तेडदिया वि, एव चरिदिया वि ॥ २० रयणप्पभपढविनेरइयपयोगपरिणयाण पुच्छा। गोयमा । दुविहा पण्णत्ता, त जहा-पज्जत्तगरयणप्पभ जाव परिणया य, अपज्जत्तग जाव परिणया य। एव जाव असत्तमा ॥ २१. समुच्छिमजलचरतिरिक्ख-पुच्छा। गोयमा । दुविहा पण्णत्ता, त जहा-पज्जत्तग अपज्जत्तग । एव गम्भवक्कतिया वि । समुच्छिमचउप्पयथलचरा एव चेव । एव गव्भवक्कतिया वि । एव जाव समुच्छिमखहयरगन्भवक्कतिया य। एक्केक्के पज्जत्तगा अपज्जत्तगा य भाणियव्वा ।। २२ समुच्छिममणुस्सपचिदिय-पुच्छा। गोयमा । एगविहा पण्णत्ता-अपज्जत्तगा चेव ॥ २३ गभवक्कंतियमणुस्सपचिंदिय पुच्छा । गोयमा । दुविहा पण्णत्ता, त जहा-पज्जत्तगगब्भवक्कतिया वि, अपज्जत्तगगम्भवक्कतिया वि ।। असुरकुमारभवणवासिदेवाण पुच्छा। गोयमा | दुविहा पण्णत्ता, त जहा-पज्जत्तगअसुरकुमार, अपज्जत्तगअसुर कुमार । एव जाव' थणियकुमारा पज्जत्तगा अपज्जत्तगा य ॥ २५ एव एतेण अभिलावेण दुयएण भेदेण पिसाया जाव' गधव्वा । चदा जाव' ताराविमाणा। सोहम्मकप्पोवगा जाबच्चुतो। हेट्टिमहेटूिम-गेवेज्जकप्पातीत जाव' उवरिमउवरिमगेवेज्ज । विजयप्रणुत्तरोववाइय जाव' अपराजिय। २६ सव्वट्ठसिद्धकप्पातीत-पुच्छा। गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता, त जहा–पज्जत्तासव्वट्ठसिद्धअणुत्तरोववाइय, अपज्जत्तासव्वट्ठ जाव परिणया वि॥ १ स० पा०-पुढविकाइय जाव परिणया। २ पू० प० ३ । ३ ठा० ८।११६ । ४. ठा० ५।५२ । ५ अ० सू० २८७ । ६. ठा० ६।३८ । ७ भ० ६।१२१ । Page #378 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २८ मट्ठम सत (पढमो उद्देसो) ३१६ (३) सरीरं पडुच्च पयोगपरिणति-पद २७. जे अपज्जत्तासुहमपुढविकाइयएगिदियपयोगपरिणया ते ओरालिय-तेया-कम्मा सरीरप्पयोगपरिणया। जे पज्जत्तासुहुम जाव परिणया ते ओरालिय-तेयाकम्मासरीरप्पयोगपरिणया। एव जाव चउरिदिया पज्जत्ता, नवर-जे पज्जत्तावादरवाउकाइयएगिदियप्पयोगपरिणया ते ओरालिय-वेउव्विय-तेया-कम्मासरीरप्पयोगपरिणया' । सेस त चेव ।।। जे अपज्जत्तरयणप्पभापुढविनेरइयपचिंदियपयोगपरिणया ते वेउव्विय-तेयाकम्मासरीरप्पयोगपरिणया । एव पज्जत्तगा वि । एव जाव अहेसत्तमा । जे अपज्जत्तासमुच्छिमजलचर जाव परिणया ते ओरालिय-तेया-कम्मासरीर जाव परिणया। एव पज्जत्तगा वि । गब्भवक्कतियअपज्जत्ता एव चेव । पज्जत्तगा ण एव चेव, नवर-सरीरगाणि चत्तारि जहा वादरवाउकाइयाण पज्जत्तगाण । एव जहा जलचरेसु चत्तारि आलावग भणिया एव चउप्पया' उरपरिसप्प-भुयपरिसप्प खहयरेसु वि चत्तारि अालावगा भाणियव्वा ।। ३० जे समुच्छिममणुस्सपचिदियपयोगपरिणया ते ओरालिय-तेया-कम्मासरीर प्पयोगपरिणया। एव गम्भवक्कतिया वि। अपज्जत्तगा वि, पज्जत्तगा वि एव चेव, नवर–सरीरगाणि पच भाणियव्वाणि ।। ३१ जे अपज्जत्ताअसुरकुमारभवणवासि जहा नेरइया तहेव । एव पज्जत्तगा वि । एव दुयएण भेदेण जाव थणियकुमारा । एव पिसाया जाव गधव्वा । चदा जाव ताराविमाणा । सोहम्मकप्पो जावच्चुनो। हेट्टिमहेट्टिमगेवेज्जग जाव उवरिमउवरिमगेवेज्जग। विजयअणुत्तरोववाइय जाव सव्वट्ठसिद्धअणुत्तरोववाइय । एक्केक्के दुयो भेदो भाणियन्वो जाव जे पज्जत्तासव्वट्ठसिद्धअणुत्तरोववाइय''कप्पातीतगवेमाणियदेवपचिंदियपयोग परिणया ते वेउव्विय-तेया-कम्मा सरीरप्पयोगपरिणया ॥ (४) इदिय पडुच्च पयोगपरिणति-पद ३२ जे अपज्जत्तासुहमपुढविकाइयएगिदियपयोगपरिणया ते फासिदियपयोगपरिणया जे पज्जत्तासुहुमपुढविकाइय एव चेव । जे अपज्जत्ताबादरपुढविकाइय एव चेव । एव पज्जत्तगा वि । एव चउक्कएण भेदेण जाव वणस्सतिकाइया । १ कम्म° (अ, ब, म), कम्मग ° (स), अत्रापि __ स्वीकृतपाठे एकपदे सन्धि । २ °जाव परिणया (अ, क, ता, ब, म, स)। ३. चतुष्पद (क, ब)। ४ °जाव परिणया (अ, क, ता, ब, म, स)। ५ अपज्जत्ता° (अ, क, ता, ब, म, स), स० पा०-वाइय जाव परिणया। Page #379 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ३२० ३३. जे अपज्जत्तावेइदियपयोगपरिणया ते जिभिदिय- फासिंदियपयोगपरिणया, जे पज्जत्तावेइदिय एव चेव । एव जाव चउरिदिया, नवर - एक्केक्क इदियं वड्ढेयव्व ।। ३४. जे' ग्रपज्जत्तरयणप्पभपुढविने रइयपचिदियपयोगपरिणया ते सोइदिय- चक्खिदिय- घाणिदिय-जिभिदिय- फासिंदियपयोगपरिणया । एवं पज्जत्तगा वि । एव सव्वे भाणियव्वा तिरिक्खजोणिय - मणुस्स - देवा जाव जे पज्जत्तासव्वद्सिद्धग्रणुत्तरोववाइय' कप्पातीतगवेमाणियदेवपचिदियपयोग • परिणया ते सोइ दिय- चक्खि दिय घाणिदिय-जिभिदिय- फासिदियपयोग • परिणया || O (५) सरीर इदिय च पडुच्च पयोगपरिणति-पद ३५ जे अपज्जत्तासुहुमपुढ विकाइय एगि दियो रालिय- तेया- कम्मास रोरप्पयोगपरिणया ते फासिंदियपयोगपरिणया । जे पज्जत्तासुहुम एव चेव । वादरम्रपज्जत्ता एव चेव । एव पज्जत्तगा वि । O एव एतेणं अभिलावेण जस्स जति इदियाणि सरीराणि य तस्स ताणि भाणियव्वाणि जाव जे पज्जत्ता सव्वट्टसिद्धप्रणुत्तरोववाइय कप्पातीतगवेमाणिय • देवपचिदियवे उव्विय - तेया- कम्मासरी रप्पयोगपरिणया ते सोइदिय - चक्खिदिय जाव फासिंदियप्पयोगपरिणया ॥ (६) वण्णद पडुच्च पयोगपरिणति-पद ३६ जे ग्रपज्जत्तासुहुमपुढविक्काइयएगिदियपयोगपरिणया ते वण्णो कालवण्णपरिया वि, नील-लोहिय'- हालिह-सुक्किलवण्णपरिणया वि, गधओ सुब्भिगधपरिणया वि, दुव्भिगधपरिणया वि; रस तित्तरसपरिणया वि, कडुयरसपरिणया वि, कसायरसपरिणया वि, अविलरसपरिणया वि, महुररसपरिणया वि, फासग्रो कक्खडफासपरिणया वि', मउयफासपरिणया वि, गरुयफासपरिणया वि, लहुयफासपरिणया वि, सीतफासपरिणया वि, उसिणफासपरिणया वि, णिफासपरिणया वि०, लुक्खफासपरिणया वि, सठाणो परिमंडलसठाणपरिणया वि, वट्ट-तस - चउरस प्रयत-सठाणपरिणया वि । जे पज्जत्तासुहुम पुढवि० एव चेव । एव जहाणुपुव्वीए नेयव्व जाव जे पज्जत्तासव्वट्टसिद्धग्रणुत्त रोववाइय जाव परिणया ते वण्णी कालवण्णपरिणया वि जाव प्रायतसठाणपरिणया वि ॥ १. जाव (क, ता, व ) । २. स० पा० - ० वाइय जाव परिणया । ३ न० पा० - चत्रिवदय जाव परिणया । ४. अज्जत्ता० (अ, क, व, स ), स० पा०● वाइय जाव देव० । ५. लोहिग (ता, व, म) 1 ६ स० पा०वि जाव लुक्ख० । Page #380 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३२१ अट्ठम सत (पढमो उद्देसो) (७) सरीरं वण्णादि च पडुच्च पयोगपरिणति-पदं ३७ जे अपज्जत्तासुहुमपुढविक्काइयएगिदियोरालिय-तेया-कम्मासरीरपयोगपरि णया ते वण्णो कालवण्णपरिणया वि जाव आयतसठाणपरिणया वि। जे पज्जत्तासुहुमपुढविक्काइय एव चेव । एव जहाणुपुवीए नेयव्व, जस्स जइ सरीराणि जाव जे पज्जत्तासव्वट्ठसिद्धअणुत्तरोववाइयकप्पातीतगवेमाणियदेवपचिदियवेउव्विय-तेया-कम्मासरोरपयोगपरिणया' ते वण्णो कालवण्णपरिणया वि जाव आयतसठाणपरिणया वि ॥ (८) इंदिय वण्णादि च पडुच्च पयोगपरिणति-पदं ३८ जे अपज्जत्तासुहमपुढविक्काइयएगिदियफासिंदियपयोगपरिणया ते वण्णो कालवण्णपरिणया वि जाव आयतसठाणपरिणया वि।। जे पज्जत्तासुहमपुढविक्काइय एव चेव । एव जहाणुपुवीए जस्स जति इदियाणि तस्स तति भाणियव्वाणि जाव जे पज्जत्तासव्वट्ठसिद्धअणुत्तरोववाइय''कप्पातीतगवेमाणिय देवपचिदियसोतिदिय जाव फासिदियपयोगपरिणया ते वण्णो कालवण्णपरिणया वि जाव आयतसठाणपरिणया वि ॥ (९) सरीरं इंदियं वण्णादि च पडुच्च पयोगपरिणति-पदं ३६ जे अपज्जत्तासुहमपुढविक्काइयएगिदियोरालिय-तेया-कम्मा-फासिदियपयोग परिणया ते वण्णो कालवण्णपरिणया वि जाव आयतसठाणपरिणया वि।। जे पज्जत्तासुहुमपुढविक्काइय एव चेव । एव जहाणुपुवीए जस्स जति सरीराणि इदियाणि य तस्स तति भाणियव्वाणि जाव जे पज्जत्तासव्वट्ठसिद्धअणुत्तरोववाइयकप्पातीतगवेमाणियदेवपचिंदियवेउन्विय-तेया-कम्मा-सोइदिय जाव फासिंदियपयोगपरिणया ते वण्णो कालवण्णपरिणया वि जाव आयतसठाण परिणया वि । 'एते नव दडगा" ।। मीसपरिणति-पदं ४० मीसापरिणया ण भते । पोग्गला कतिविहा पण्णत्ता ? गोयमा । पचविहा पण्णत्ता, त जहा-एगिदियमीसापरिणया जाव पचिदिय मीसापरिणया ।। ४१ एगिदियमीसापरिणया ण भते । पोग्गला कतिविहा पण्णत्ता ? एव जहा पयोगपरिणएहि नव दडगा भणिया, एव मीसापरिणएहिं वि नव १ जाव परिणया (अ, क, ता, ब, म, स)। २ स० पा०-वाइय जाव देव । ३ एव नव दडगा भणिया (अ, स)। ४. मीस. (अ)। Page #381 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३२२ भगवई दंडगा भाणियव्वा, तहेव सव्व निरवसेस, नवर- श्रभिलावो 'मीसापरिणया' भाणियव्व, सेस त चैव जाव' जे पज्जत्तासव्वट्टसिद्धश्रणुत्त रोवबाइय जाव आयतसठाणपरिणया वि ॥ वीससापरिणति-पदं ४२ वीससापरिणया ण भते । पोग्गला कतिविहा पण्णत्ता ? गोमा ! पचविहा पण्णत्ता, त जहा - वण्णपरिणया, गधपरिणया, रसपरिया, फासपरिणया, सठाणपरिणया । जे वण्णपरिणया ते पचविहा पण्णत्ता, त जहा - कालवण्णपरिणया जाव' सुक्किलवण्णपरिणया । जे गधपरिणया ते दुविहा पण्णत्ता, त जहा -- सुविभगधपरिणया, दुब्भिगधपरिणया । जे रसपरिणया ते पचविहा पण्णत्ता, त जहा - तित्तरसपरिणया जाव' महुररसपरिणया । जे फासपरिणया ते अट्ठविहा पण्णत्ता, त जहा - - कक्खडफासपरिणया जाव' लक्खफासपरिणया । जे सठाणपरिणया ते पचविहा पण्णत्ता, त जहा - परिमंडलस ठाणपरिणया जाव' प्रायतसठाणपरिणया । जे वण्णओं कालवण्णपरिणया ते गधप्रो सुब्भिगधपरिणया वि, दुव्भिगधपरिया वि । एव जहा पण्णवणाए तहेव निरवसेस जाव' जे सठाण आयतसठाणपरिणया ते वण्ण कालवण्णपरिणया वि जाव लुक्खफासपरिणया वि ॥ एगं दव्व पडुच्च पोग्गलपरिणति-पदं ४३. एगे भते । दव्बे कि पयोगपरिणए ? मोसापरिणए ? वीससापरिणए ? गोयमा ! पयोगपरिणए वा, मीसापरिणए वा वीससापरिणए वा ॥ पयोगपरिणति-पद ४४ जइ पयोगपरिणए कि मणपयोगपरिणए ? वइपयोगपरिणए " ? कायपयोग परिणए " ? १. भ० ८१३-३६ । २. भ० ८।३६ । ३ सुगधपरिणया वि (, स ), सुरभि ० (ता, व ) । ४. दुगघपरिणया वि ( अ, स), दुरभि ० (ता, व ) । ५ भ० ८।३६ । ६. भ० ८।३६ । ७. भ० ८।३६ । ५ ५० १ । ६ मरणप्प (ता, म) । १०. ( क ), वयप्प ० ( ब, म) 1 वयप ० ११. कायप्प ( अ, क, ता, व, म, स ) 1 Page #382 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पट्ठमं सत (पढमो उद्देसो) ३२३ गोयमा ! मणपयोगपरिणए वा, वइपयोगपरिणए वा, कायपयोगपरिणए वा॥ मणपयोगपरिणति-पदं ४५ जइ मणपयोगपरिणए कि सच्चमणपयोगपरिणए ? मोसमणपयोगपरिणए ? सच्चामोसमणपयोगपरिणए ? असच्चामोसमणपयोगपरिणए ? गोयमा ! सच्चमणपयोगपरिणए वा, मोसमणपयोगपरिणए वा, सच्चा मोसमणपयोगपरिणए वा, असच्चामोसमणपयोगपरिणए वा ॥ ४६. जइ सच्चमणपयोगपरिणए कि आरभसच्चमणपयोगपरिणए ? अणारभसच्च मणपयोगपरिणए ? सारंभसच्चमणपयोगपरिणए ? असारंभसच्चमणपयोगपरिणए ? समारभसच्चमणपयोगपरिणए ? असमारभसच्चमणपयोगपरिणए ? गोयमा | आरभसच्चमणपयोगपरिणए वा जाव असमारभसच्चमणपयोग परिणए वा।। ४७. जइ मोसमणपयोगपरिणए कि आरभमोसमणपयोगपरिणए ? एव जहा सच्चेण तहा मोसेण वि । एव सच्चामोसमणपयोगेण वि । एवं असच्चामोसमणपयोगेण वि ॥ वइपयोगपरिणति-पद ४८. जइ वइपयोगपरिणए कि सच्चवइपयोगपरिणए ? मोसवइपयोगपरिणए ? एव जहा मणपयोगपरिणए तहा वइपयोगपरिणए वि जाव असमारभवइ पयोगपरिणए वा ॥ कायपयोगपरिणति-पद ४६ जइ कायपयोगपरिणए कि ओरालियसरीरकायपयोगपरिणए ? ओरालिय मीसासरीरकायपयोगपरिणए ? वेउब्वियसरीरकायपयोगपरिणए ? वेउव्वियमीसासरीरकायपयोगपरिणए ? आहारगसरीरकायपयोगपरिणए ? आहारगमीसासरीरकायपयोगपरिणए ? कम्मासरीरकायपयोगपरिणए ? गोयमा । ओरालियसरीरकायपयोगपरिणए वा जाव कम्मासरीरकायपयोग परिणए वा ॥ ५० जइ ओरालियसरीरकायपयोगपरिणए कि एगिदियोरालियसरीरकायपयोग परिणए ? जाव' पचिंदियओरालिय' सरीरकायपयोग परिणए ? १ एव जाव (अ, स) २ स० पा०-पचिंदियओरालिय जाव परिणए। Page #383 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३२४ 1 गोयमा । एगिदियो रालियस री रकायपयोगपरिणए वा जाव' पचिदियग्रोरालियस रीरकायपयोगपरिणए वा ॥ ५१. जइ एगिदियोरालियस रीरकायपयोगपरिणए किं पुढविवकाइयएगिदिय प्रोरालियसरी रकायपयोग परिणए ? जाव वणस्स इकाइय एगिदियो रालियसरीरकायपयोगपरिणए ? गोयमा । पुढविक्काइयएगिदिय ओरालियसरी रकायपयोग परिणए वा जाव वणस्सइकाइयएगिदिय प्रो रालि यसरी रकायपयोग परिणए वा ॥ ५२ जड पुढविक्काडयए गिदियोरालियस री र कायपयोगपरिणए कि सुहुमपुढविक्काइय जाव परिणए ? वादरपुढविक्काडय जाव परिणए ? गोयमा । सुहमपुढविकाइयए गिटिव जाव परिणए वा वादरपुढविक्काइय जाव परिणए वा ॥ ५३ जइ सुहुमपुढविक्काइय जाव परिणए किं पज्जत्तामुहुमपुढविक्काइय जाव परिणए ? ग्रपज्जत्तासुहुमपुढविक्काइय जाव परिणए ? गोयमा । पज्जत्तासुहुमपुढविक्काइय जाव परिणए वा अपज्जत्तामुहुमपुढविक्काइय जाव परिणए वा । एव वादरा वि । एव जाव वणस्सइकाइयाण चउक्को भेदो | वेडदिय-तेइदिय- चउरिदियाण दुयग्रो भेदो- पज्जत्तगा य ० ५७ o भगवई O अपज्जत्तगा य ॥ ५४ जड़ पचिदियत्रो रालियस रीरकायपयोगपरिणए किं तिरिक्खजोणियपचिदियओरालियसरीरकायपयोगपरिणए ? मणुस्सर्पचिदिय जाव परिणए ? गोयमा । तिरिक्खजोणिय जाव परिणए वा, मणुस्सर्पाचिदिय जाव परिणए वा ॥ ५५. जइतिरिक्खजोणिय जाव परिणए कि जलचरतिरिक्खजोणिय जाव परिणए ? थलचर-खहचर जाव परिणए ? एव चउक्कत्रो भेदो जाव खहचराण || ? ५६. जइ मणुस्सर्पाचिदिय जाव परिणए कि समुच्छिममणुस्सर्पाचिदिय जाव परिणए गव्भवक्कतियमणुस्स जाव परिणए ? गोयमा ! दोसु वि ।। १. वेइंदिय जाव परिगए वा ( अ, क, व, म, स), वेइदिय जाव (ता) 1 २ स० पा० • एगिंदिय जाव परिणए । जइ गव्भवक्कतियमणुस्स जाव परिणए कि पज्जत्तागब्भवक्कतिय जाव परिणए ? ग्रपज्जत्तागव्भवक्कतिय जाव परिणए ? ३. स० पा० - ० एगिदिय जाव परिणए । स० पा० - ० एगिंदिय जाव परिणए । ४ ५ ० सरीर जाव परिणए ( अ, क, ता, व, म, स ) 1 Page #384 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३२५ ६० अट्ठम सत (पढमो उद्देसो) गोयमा ! पज्जत्तागभवक्कतिय जाव परिणए वा, अपज्जत्तागब्भवक्कतिय जाव परिणए वा ॥ ५८. जइ अोरालियमीसासरीरकायपयोगपरिणए कि एगिदियोरालियमीसासरीर कायपयोगपरिणए ? बेइंदिय जाव परिणए ? जाव पचिदियोरालिय जाव परिणए ? गोयमा । एगिदियोरालियमीसासरीरकायपयोगपरिणए एव जहा ओरालियसरीरकायपयोगपरिणएण पालावगो भणिो तहा ओरालियमीसासरीरकायपयोगपरिणएण वि आलावगो भाणियव्वो, नवर-बादरवाउक्काइय-गव्भव कतियपचिदियतिरिक्खजोणीय-गन्भवक्कतियमणुस्साण'-एएसिण पज्जत्ता पज्जत्तगाण, सेसाण अपज्जत्तगाण ।। ५६. जइ वेउव्वियसरीरकायपयोगपरिणए कि एगिदियवेउव्वियसरीरकायपयोग परिणए ? पचिदियवेउव्वियसरीर जाव परिणए ? गोयमा । एगिदिय जाव परिणए वा, पचिदिय जाव परिणए वा ॥ जइ एगिदिय जाव परिणए कि वाउक्काइयएगिदिय जाव परिणए ? अवाउक्काइयएगिदिय जाव परिणए ? गोयमा | वाउक्काइयएगिदिय जाव परिणए, नो अवाउक्काइयएगिदिय जाव परिणए। एव एएण अभिलावेण जहा प्रोगाहणसठाणे वेउव्वियसरीर भणिय तहा इह वि भाणियव्व जाव पज्जत्तासव्वट्ठसिद्धअणुत्तरोववाइयकप्पातीतावेमाणियदेवपचिदियवेउब्वियसरीरकायपयोगपरिणए वा, अपज्जत्तासव्वट्ठसिद्ध अणत्तरोववाइय जाव परिणए वा ।। जइ वेउव्वियमीसासरीरकायपयोगपरिणए कि एगिदियमीसासरीरकायपयोगपरिणए ? जाव पचिदियमीसासरीरकायपयोगपरिणए ? एव जहा वेउव्विय तहा वे उब्वियमीसग पि, नवर-देव-नेरइयाण अपज्जत्तगाण, सेसाण पज्जत्तगाण' जाव नो पज्जत्तासव्वट्ठसिद्धअणुत्तरोववाइय जाव परिणए, अपज्जत्तासव्वट्ठसिद्धअणुत्तरोववाइयदेवपचिदियवेउब्वियमीसासरीर कायपयोगपरिणए । ६२. जइ अाहारगसरीरकायपयोगपरिणए कि मणुस्साहारगसरीरकायपयोगपरिणए? अमणुस्साहारग जाव परिणए ? एव जहा ओगाहणसठाणे जाव इड्ढिपत्तपमत्तसजयसम्मदिट्ठिपज्जत्तगसखेज्जवासाउय जाव परिणए, नो अणिड्ढिपत्तपमत्तसजयसम्मदिट्ठिपज्जत्तसखेज्ज वासाउय जाव परिणए॥ १ °मणुस्साण य (अ, क, ता, ब)। ३ पज्जत्तगाण तहेव(अ, स),अत्र द्वयोमिश्रणम्, २. एतन्नामके प्रज्ञापनाया एकविंशतितमे पदे। तहेव (क, ता, म)। ६१ Page #385 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३२६ भगवई ६३ जइ आहारगमीसासरीरकायपयोगपरिणए किं मणुस्साहारगमीसासरीरकाय पयोगपरिणए ? एव जहा आहारग तहेव मीसग पि निरवसेस भाणियव्व ।। ६४. जइ कम्मासरीरकायपयोगपरिणए किं एगिदियकम्मासरीरकायपयोगपरिणए ? जाव पचिदियकम्मासरीरकायपयोगपरिणए ? गोयमा ! एगिदियकम्मासरीरकायपयोगपरिणए, एवं जहा प्रोगाहणसठाणे कम्मगस्स भेदो तहेव इह वि जाव पज्जत्तासव्वसिद्धअणत्तरोववाइय कप्पातीतगवेमाणिय देवपचिदियकम्मासरीरकायपयोगपरिणए वा, अपज्जत्तासव्वट्ठ सिद्धग्रणुत्तरोववाइय जाव परिणए वा ॥ मीसपरिणति-पद ६५. जइ मीसापरिणए कि मणमीसापरिणए ? वइमीसापरिणए ? कायमीसा परिणए ? गोयमा ! मणमीसापरिणए वा, वइमीसापरिणए वा, कायमीसापरिणए वा ।। ६६. जइ मणमीसापरिणए कि सच्चमणमीसापरिणए ? मोसमणमीसापरिणए ? जहा पयोगपरिणए तहा मीसापरिणए वि भाणियव्व निरवसेस जाव पज्जत्तासव्वदसिद्ध अणुत्तरोववाइय जाव देवपचिदियकम्मासरीरगमीसापरिणए वा, अपज्जत्तासव्वट्ठसिद्ध अणुत्तरोववाइय जाव कम्मासरीरमीसापरिणए वा ।। वीससापरिणति-पद ६७. जइ वीससापरिणए कि वण्णपरिणए ? गधपरिणए ? रसपरिणए ? फास परिणए ? सठाणपरिणए ? गोयमा | वण्णपरिणए वा, गधपरिणए वा रसपरिणए वा, फासपरिणए वा, सठाणपरिणए वा ॥ ६८ जइ वण्णपरिणए किं कालवण्णपरिणए जाव' सुक्किलवण्णपरिणए ? गोयमा । कालवण्णपरिणए वा जाव सुक्किलवण्णपरिणए वा ।। जड गधपरिणए कि सुन्भिगधपरिणए ? दुन्भिगधपरिणए ? गोयमा ! सुभिगधपरिणए वा, दुन्भिगधपरिणए वा॥ ७०. जइ रसपरिणए कि तित्तरसपरिणए ? पुच्छा। गोयमा ! तित्तरसपरिणए वा जाव महुररसपरिणए वा ।। ७१. जइ फासपरिणए कि कक्खडफासपरिणए जाव लुक्खफासपरिणए ? गोयमा ! कक्खडफासपरिणए जाव लुक्खफासपरिणए । १. स० पा०-वाइय जाव देव । ३. नील जाव (अ, क, ता, व, म, स)। २. वय ° (अ, स); वति ° (क)। Page #386 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ठम सत (दसमो उद्देसो) ३२७ ७५ ७२ जइ सठाणपरिणए-पुच्छा। गोयमा । परिमडलसठाणपरिणए वा जाव आयतसठाणपरिणए वा ।। दोणि दव्वाइं पडुच्च पोग्गलपरिणति-पद ७३ दो भते दव्वा | किं पयोगपरिणया ? मीसापरिणया ? वीससापरिणया ? गोयमा । १ पयोगपरिणया वा २ मीसापरिणया वा ३. वीससापरिणया वा ४. अहवेगे पयोगपरिणए, एगे मीसापरिणए ५. अहवेगे पयोगपरिणए, एगे वीससापरिणए ६ अहवेगे मोसापरिणए, एगे वीससापरिणए॥ ७४ जइ पयोगपरिणया कि मणपयोगपरिणया? वइपयोगपरिणया? कायपयोग परिणया? गोयमा । १ मणपयोगपरिणया वा २ वइपयोगपरिणया वा ३ कायपयोगपरिणया वा ४ अहवेगे मणपयोगपरिणए, एगे वइपयोगपरिणए ५ अहवेगे मणपयोगपरिणए, एगे कायपयोगपरिणए ६ अहवेगे वइपयोगपरिणए, एगे कायपयोगपरिणए । जइ मणपयोगपरिणया कि सच्चमणपयोगपरिणया ? असच्चमणपयोगपरिणया? सच्चमोसमणपयोगपरिणया ? असच्चमोसमणपयोगपरिणया ? गोयमा । १ सच्चमणपयोगपरिणया वा जाव असच्चमोसमणपयोगपरिणया वा ५. अहवेगे सच्चमणपयोगपरिणए, एगे मोसमणपयोगपरिणए ६ अहवेगे सच्चमणपयोगपरिणए, एगे सच्चमोसमणपयोगपरिणए ७ अहवेगे सच्चमणपयोगपरिणए, एगे असच्चमोसमणपयोगपरिणए ८ अहवेगे मोसमणपयोगपरिणए, एगे सच्चमोसमणपयोगपरिणए ६ अहवेगे मोसमणपयोगपरिणए, एगे असच्चमोसमणपयोगपरिणए १० अहवेगे सच्चमोसमणपयोगपरिणए, एगे असच्चमोसमणपयोगपरिणए ।। जइ सच्चमणपयोगपरिणया कि प्रारभसच्चमणपयोगपरिणया ? जाव' असमारभसच्चमणपयोगपरिणया ? गोयमा | प्रारभसच्चमणपयोगपरिणया वा जाव असमारभसच्चमणपयोगपरिणया वा, अहवेगे आरभसच्चमणपयोगपरिणए, एगे अणारभसच्चमणपयोगपरिणए। एव एएण गमेण दुयासजोएण' नेयव्व, सव्वे सजोगा जत्थ जत्तिया उट्ठति ते भाणियव्वा जाव सव्वट्ठसिद्धगत्ति ।। ७७ जइ मीसापरिणया कि मणमीसापरिणया ? एव मीसापरिणया वि॥ १. भ०८।४६ । २ दुय ० (ब)। Page #387 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ३२८ ७८. जइ वीससापरिणया कि वण्णपरिणया ? गधपरिणया ? एव वीससापरिणया वि जाव अहवेगे चउरससठाणपरिणए, एगे पायतसठाण परिणए । तिणि दव्वाइ पडुच्च पोग्गलपरिणति-पद ७६ तिण्णि भते | दव्वा कि पयोगपरिणया? मीसापरिणया ? वीससापरिणया? गोयमा ! १ पयोगपरिणया वा २ मीसापरिणया वा ३ वीससापरिणया वा ४ अहवेगे पयोगपरिणए, दो मीसापरिणया ५ अहवगे पयोगपरिणए, दो वीससापरिणया ६ अहवा दो पयोगपरिणया, एगे मीसापरिणए' ७ अहवा दो पयोगपरिणया, एगे वीससापरिणए ८ अहवेगे मीसापरिणए, दो वीससापरिणया ६ अहवा दो मीसापरिणया, एगे वीससापरिणए १० अहवेगे पयोगपरि णए, एगे मीसापरिणए, एगे वीससापरिणए॥ ८० जइ पयोगपरिणया कि मणपयोगपरिणया ? वइपयोगपरिणया? कायपयोग परिणया ? गोयमा ! मणपयोगपरिणया वा, एव एक्कासयोगो', दुयासयोगो', तियासयोगों' य भाणियव्वो॥ जइ मणपयोगपरिणया कि सच्चमणपयोगपरिणया ? असच्चमणपयोगपरिणया? सच्चमोसमणपयोगपरिणया ? असच्चमोसमणपयोगपरिणया ? गोयमा ! सच्चमणपयोगपरिणया वा जाव असच्चामोसमणपयोगपरिणया वा, अहवेगे सच्चमणपयोगपरिणए, दो मोसमणपयोगपरिणया। एव दुयासंयोगो, तियासयोगो भाणियव्वो एत्थ वि तहेव जाव अहवेगे तंससंठाणपरिणए, एगे चउरससंठाणपरिणए, एगे आयतसंठाणपरिणए । चत्तारि दवाइ पडुच्च पोग्गलपरिणति-पदं ८२. चत्तारि भते दव्वा किं पयोगपरिणया? मीसापरिणया? वीससापरिणया? गोयमा ! १ पयोगपरिणया वा २ मीसापरिणया वा ३ वीससापरिणया वा ४ अहवेगे पयोगपरिणए, तिण्णिमीसापरिणया ५ अहवेगे पयोगपरिणए, तिण्णि वीससापरिणया ६ अहवा दो पयोगपरिणया, दो मीसापरिणया ७ अहवा दो पयोगपरिणया, दो वीससापरिणया ८ अहवा तिण्णि पयोगपरिणया, एगे मीसापरिणए ६ अहवा तिण्णि पयोगपरिणया, एगे वीससापरिणए १०. अहवेगे मीसापरिणए, तिण्णि वीससापरिणया ११ अहवा दो मीसापरिणया, दो १. मीससा° (स)। ४. तिय ° (व)। २. एक्क ° (ब)। ५ तिण्णिओ (ता)। ३. दुय° (व)। ८१. Page #388 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्टम सत (वीग्रो उद्देसो) ३२६ वीससापरिणया १२ ग्रहवा तिण्णि मीसापरिणया, एगे वीससापरिणए १३ ग्रहवेगे पयोगपरिणए, एगे मीसापरिणए, दो वीससापरिणया १४ अहवेगे पयोगपरिणए, दो मीसापरिणया, एगे वीससापरिणए १५ अहवा दो प्रयोगपरिणया, एगे मीसापरिणए, एगे वीससापरिणए । ८३ जइ पयोगपरिणया कि मणपयोगपरिणया ? वइपयोगपरिणया ? कायपयोगपरिणया ? एव एएणं कमेणं पच छ सत्त जाव दस सखेज्जा ग्रसखेज्जा प्रणता य दव्वा भाणियव्वा — दुयासजोएणं तियासजोएण जाव दससजोएणं वारससंजोएणं उवजुजिऊण' जत्थ जत्तिया सजोगा उट्ठेति ते सव्वे भाणियव्वा, एए पुण जहा नवमसए' पवेसणए भणिहामो तहा उवजुजिऊण भाणियव्वा जाव ग्रसखेज्जा अणंता एव चेव, नवर - एक्क पदं अव्भहिय जाव ग्रहवा ग्रणता परिमंडलसठाणपरिणया जाव णता आयतसठाणपरिणया ॥ ? ८४. एसि ण भते । पोग्गलाण पयोगपरिणयाण, मीसापरिणयाण, वीससापरिणयाण य कयरे कयरेहिंतो' 'अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा १० विसेसाहिया वा गोयमा । सव्वत्थोवा पोग्गला पयोगपरिणया, मीसापरिणया प्रणतगुणा, वीससापरिणया प्रणतगुणा ॥ ८५ सेव भते । सेव भते । त्ति || ८७ बीओ उद्देसो श्रासीविस- पद ८६. कतिविहा ण भते । प्रासीविसा पण्णत्ता ? गोयमा । दुविहा ग्रासीविसा पण्णत्ता, त जहा - जातिओसीविसा य, कम्मश्रासीविसाय ॥ जातिसीविसा ण भते । कतिविहा पण्णत्ता ? १ उवजुज्जित्तण ( क ), उववज्जिकरण (ता), उवजुत्तिकरण (व), उवजुज्जिकरण ( स ) । २ भ० ६८६-१३२ । ३. स० पा०० कयरेहितो जाव विसेसाहिया । ४. भ० १।५१ । Page #389 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८८ 8 ३३० भगवई गोयमा | चउव्विहा पण्णत्ता, तं जहा–विच्छ्यजातिप्रासीविसे, मडुक्कजाति आसीविसे, उरगजातिप्रासीविसे, मणुस्सजातिआसीविसे ॥ विच्छ्यजातिप्रासीविसस्स णं भते ! केवतिए विसए पण्णत्ते ? गोयमा | पभू णं विच्छ्यजातिप्रासीविसे अद्धभरहप्पमाणमेत्त बोदि विसेण विसपरिगय विसट्टमाण पकरेत्तए। विसए से विसट्टयाए, नो चेव ण सपत्तीए करसु' वा, करेति वा, करिस्सति वा ॥ __८९ मडुक्कजातियासीविसस्स •ण भते । केवतिए विसए पण्णत्ते ? . गोयमा । पभू णं मडुक्कजातियासीविसे भरहप्पमाणमेत्त वोदि विसेण विसपरिगयं "विसट्टमाण पकरेत्तए । विसए से विसट्टयाए, नो चेव ण सपत्तीए करेसु वा, करेति वा°, करिस्संति वा ।। "उरगजातियासीविसस्स ण भते ! केवतिए विसए पण्णत्ते ? गोयमा । पभू ण उरगजातिप्रासीविसे जवुद्दीवप्पमाणमेत्त बोदि विसेणं विसपरिगय विसट्टमाण पकरेत्तए । विसए से विसट्ठयाए, नो चेव ण सपत्तीए करेसु वा, करेति वा°, करिस्सति वा ।। ____११ मणुस्सजातिप्रासीविसस्स •ण भते । केवतिए विसए पण्णत्ते ? गोयमा ! पभू ण मणुस्सजातिआसीविसे समयखेत्तप्पमाणमेत्त बोदि विसेण विसपरिगय विसट्ठमाण पकरेत्तए। विसए से विसट्टयाए, नो चेव ण सपत्तीए करेसु वा, करेति वा,° करिस्सति वा ॥ १२ जइ कम्मयासीविसे कि नेरइयकम्मआसीविसे ? तिरिक्खजोणियकम्मआसी विसे ? मणुस्सकम्मआसीविसे ? देवकम्मासीविसे ? गोयमा ! नो नेरइयकम्मासीविसे, तिरिक्खजोणियकम्मासीविसे वि, मणुस्स कम्मासीविसे वि, देवकम्मासीविसे वि ॥ ६३ जइ तिरिक्खजोणियकम्मासीविसे कि एगिदियतिरिक्खजोणियकम्मासीविसे जाव पचिदियतिरिक्खजोणियकम्मासीविसे ? गोयमा । नो एगिदियतिरिक्खजोणियकम्मासीविसे जाव नो चरिदियतिरिक्खजोणियकम्मासीविसे, पचिदियतिरिक्खजोणियकम्मासीविसे । जइ पचिदियतिरिक्खजोणियकम्मासीविसे कि समुच्छिमपचिदियतिरिक्खजो१ मणुय० (ता)। ६ स० पा०-एव उरगजातिआसीविसस्स वि, २. विसपरिणय (ठा० ४।५१४) । नवर-जवुद्दीवप्पमाणमत्त बोदि विसेण ३. इह चकवचनप्रक्रमेपि बहुवचन निर्देशो वृश्चि- विसपरिगय, सेस त चेव जाव करिस्सति । ___ कागीविषाणा बहुत्वज्ञापनार्थम् (वृ)। ७ स० पा०–वि एव चेव, नवर–समयखे४ म० पा० पुच्छा। त्तप्पमाणमेत्त वोदि विसेण विसपरिगय, सेस ५ स० पा०-सेस त चेव जाव करिम्मति । त चेव जाव करिस्सति । Page #390 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ठम सतं (वीप्रो उद्देसो) ३३१ णियकम्मासीविसे ? गम्भवक्कतियपचिदियतिरिक्खजोणियकम्मासीविसे ? एव जहा वेउव्वियसरीरस्स भेदो जाव' पज्जत्तासखेज्जवासाउयगब्भवक्कतियपचिदियतिरिक्खजोणियकम्मासीविसे, नो अपज्जत्तासखेज्जवासाउय जाव कम्मासीविसे ॥ ६४ जइ मणुस्सकम्मासीविसे कि समुच्छिममणुस्सकम्मासीविसे ? गब्भवक्कतिय मणुस्सकम्मासीविसे ? गोयमा ! नो समुच्छिममणुस्सकम्मासीविसे, गम्भवक्कतियमणुस्सकम्मासीविसे, एव जहा वेउब्वियसरीर जाव पज्जत्तसखेज्जवासाउयकम्मभूमागन्भवक्कतियमणुस्सकम्मासीविसे, नो अपज्जत्ता जाव कम्मासीविसे ॥ जइ देवकम्मासोविसे किं भवणवासिदेवकम्मासीविसे जाव वेमाणियदेवकम्मासीविसे? गोयमा । भवणवासिदेवकम्मासीविसे, वाणमतर-जोतिसिय-वेमाणियदेवकम्मासीविसे वि। जइ भवणवासिदेवकम्मासीविसे कि असुरकुमारभवणवासिदेवकम्मासीविसे जाव थणियकुमारभवणवासिदेवकम्मासीविसे ? गोयमा । असुरकुमारभवणवासिदेवकम्मासीविसे वि जाव थणियकुमारभवणवासिदेवकम्मासीविसे वि।। जइ असुरकुमारभवणवासिदेवकम्मासीविसे' कि पज्जत्ताअसुरकुमारभवणवासिदेवकम्मासीविसे ? अपज्जत्ताअसुरकुमारभवणवासिदेवकम्मासीविसे ? गोयमा ! नो पज्जत्ताअसुरकुमारभवणवासिदेवकम्मासी विसे, अपज्जत्ताअसुरकुमारभवणवासिदेवकम्मासीविसे । एव जाव थणियकुमाराण। जइ वाणमतरदेवकम्मासीविसे कि पिसायवाणमतरदेवकम्मासीविसे ? एव सव्वेसि अपज्जत्तगाण । जोइसियाण सव्वेसिं अपज्जत्तगाण। जइ वेमाणियदेवकम्मासीविसे कि कप्पोवावेमाणियदेवकम्मासीविसे ? कप्पातीयावेमाणियदेवकम्मासीविसे ? गोयमा । कप्पोवावेमाणियदेवकम्मासी विसे, नो कप्पातीयावेमाणियदेवकम्मासीविसे। जइ कप्पोवावेमाणियदेवकम्मासीविसे कि सोहम्मकप्पोवावेमाणियदेवकम्मासीविसे जाव अच्चुयकप्पोवावेमाणियदेवकम्मासीविसे ? १. प० २१ । २. कम्मभूमग ° (स)। ३ असुरकुमार जाव कम्म ° (अ, क, ता, ब, __ म, स)। ४ कप्पोवग (अ, क, ता, म, स)। Page #391 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३३२ भगवई गोयमा ! सोहम्मकप्पोवावेमाणियदेवकम्मासीविसे वि जाव सहस्सारकप्पोवावेमाणियदेवकम्मासीविसे वि, नो आणयकप्पोवावेमाणियदेवकम्मासीविसे जाव नो अच्चुयकप्पोवावेमाणियदेवकम्मासीविसे । जद्द सोहम्मकप्पोवा' वेमाणियदेव कम्मासीविसे कि पज्जत्तासोहम्मकप्पोवावेमाणियदेवकम्मासीविसे ? अपज्जत्तासोहम्मकप्पोवावेमाणियदेवकम्मासीविसे? गोयमा ! नो पज्जत्तासोहम्मकप्पोवावेमाणियदेवकम्मासीविसे, अपज्जत्तासोहम्मकप्पोवावेमाणियदेवकम्मासीविसे, एव जाव नो पज्जत्तासहस्सारकप्पोवावेमाणियदेवकम्मासीविसे, अपज्जत्तासहस्सारकप्पोवावेमाणियदेवकम्मा सीविसे ॥ छउमत्य-केवलि-पद १६ दस ठाणाइ छउमत्थे सव्वभावेण न जाणइ न पासइ, त जहा-१ धम्मत्थि काय २. अधम्मत्थिकाय ३. आगासत्थिकाय ४. जीव असरीरपडिबद्ध ५ परमाणुपोग्गल ६ सद्द ७ गध ८. वात ६. अय जिणे भविस्सइ वा न वा भविस्सइ १० अय सव्वदुक्खाण अत करेस्सइ वा न वा करेस्सइ। एयाणि चेव उप्पण्णनाणदसणधरे अरहा जिणे केवली सव्वभावेण जाणइपासइ, त जहा--धम्मत्थिकाय', 'अधम्मत्थिकाय, आगासत्थिकाय, जीव असरीरपडिवद्ध, परमाणुपोग्गल, सद्द, गध, वात, अय जिणे भविस्सइ वा न वा भविस्सइ, अय सव्वदुक्खाण अत° करेस्सइ वा न वा करेस्सइ ।। नाण-पदं ६७. कतिविहे ण भते । नाणे पण्णत्ते ? गोयमा ! पंचविहे नाणे पण्णत्ते, त जहा--आभिणिवोहियनाणे, सुयनाणे, ओहिनाणे, मणपज्जवनाणे, केवलनाणे॥ १८. से किं तं आभिणिबोहियनाणे? । आभिणिवोहियनाणे चउव्विहे पण्णत्ते, त जहा–ोग्गहो, ईहा, अवाओ, धारणा । एव जहा 'रायप्पसेणइज्जे' नाणाणं भेदो तहेव इह भाणियन्वो जाव' सेत्त केवलनाणे ॥ १. स० पा०-सोहम्मकप्पोवा जाव कम्मा सीविमे। २ स० पा०-धम्मत्यिकाय जाव करेस्सइ । ३ राय० सू० ७४१-७४५ । ४. यच्च वाचनान्तरे श्रुतज्ञानाधिकारे यथा नन्द्यामङ्गप्ररूपणेत्यभिधाय 'जाव भवियअभविया तत्तो सिद्धा असिद्धा य' इत्युक्त तस्यायमर्थ -श्रुतज्ञानसूत्रावसाने किल नन्द्या श्रुतविपय दर्शयतेदमभिहितम्-'इच्चेयमि दुवालसगे गणिपिडए अणता भावा अणता Page #392 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्टम सत (बीओ उद्देसो) ६६ अण्णाणे ण भते । कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा । तिविहे पण्णत्ते, त जहा - मइग्रण्णाणे, सुयण्णाणे, विभगनाणे || १००. से कि त मइअण्णाणे ? माणे चव्विहे पण्णत्ते, त जहा - श्रोग्गहो', ईहा, अवाओ, धारणा ॥ १०१ से कि त प्रोग्गहे ? दुविहे पण्णत्ते, त जहा - प्रत्थोग्गहे य वजणोग्गहे य । एव जहेव ग्राभिणिवोहियनाणं तहेव, नवर - एगट्ठियवज्ज' जाव' नोइदियधारणा । सेत्त धारणा, सेत्त मइण्णाणे || १०२ से कि त सुय प्रण्णाणे ? सुग्रण्णाणे - ज इम प्रण्णाणिएहि मिच्छादिट्टिएहिं सच्छदबुद्धि-मइ - विग्गपिय, त जहा—भारह, रामायण जहा नदीए जाव' चत्तारि वेदा सगोवगा । सेत्त, ॥ १०३ से कि त विभगनाणे ? विभगनाणे श्रगविहे पण्णत्ते, त जहा - गामसठिए, नगरस ठिए, जाव' सण्णिवेसस ठिए, दीवस ठिए, समुद्दस ठिए, वाससठिए, वासहरस ठिए, पव्वयसठिए, रुक्खसठिए, थूभसलिए, हयसठिए, गयस ठिए, नरसठिए, किन्नरसठिए, किपुरिससठिए, महोरगसठिए, गधव्वसठिए, उसभसठिए, पसुसठिए, पसयसठिए, विहगस ठिए, वानरस ठिए - नाणासठाणस ठिए' पण्णत्ते ॥ ३३३ जीवाण नाणि श्रण्णा णित्त-पद १०४ जीवा ण भते । किं नाणी ? अण्णाणी ? गोयमा । जीवा नाणी वि, अण्णाणी वि । जे नाणी ते प्रत्येगतिया दुण्णाणी, प्रत्येगतिया तिण्णाणी, प्रत्येगतिया चउनाणी, प्रत्येगतिया एगनाणी । जे दुण्णाणी' ते आभिणिबोहियनाणी सुयनाणी अभावा जाव अरणता भवसिद्धिया अणता २ १ ओगेण्हणगा २ उवधारणया ३ सवणया अभवसिद्धिया अरणता सिद्धा अरणता असिद्धा ४ अवलवणया ५ मेहा ( नदी सू० ४३ ), पण्णत्ते' ति, अस्य च सूत्रस्य या सग्रहगाथा - इत्यादीनि पच-पचकार्थिकान्यवग्रहादीनामधीभावमभावा हे महेउ कारणमकारणा जीवा । तानि मत्यज्ञाने तु न तान्यध्येयानीति भाव अजीव भवियाऽभविया, तत्तो सिद्धा (वृ) । असिद्धाय ॥ नदी सू० ४०-४८ ॥ नदी सू० ६७ । इत्येवरूपा, तस्या खण्डमिदमेतदन्त श्रुतज्ञानसूत्रमिहाध्येयमिति (वृ) । १ स० पा० - ओग्गहो जाव धारणा । ३ ४ ५. भ० १४६ । ६. नारणास ठिए (ता, ब ) । ७ दुयाणाणी (क, ता, ब, म, स) । Page #393 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई 1 य। जे तिष्णाणी ते ग्राभिणिवोहियनाणी, सुयनाणी, मोहिनाणी, ग्रहवा भिणिबोहियनाणी, सुयनाणी, मणपज्जवनाणी । जे चउनाणी ते ग्राभिणिवोहियनाणी, सुयनाणी, ग्रोहिनाणी, मणपज्जवनाणी । जे एगनाणी ते नियमा केवलनाणी | जे ग्रण्णाणी ते प्रत्थेगतिया दुग्रण्णाणी, प्रत्येगतिया तिग्रण्णाणी । जे दुअण्णाणी ते मइग्रण्णाणी सुयग्रण्णाणी य । जे तिग्रण्णाणी ते मइण्णाणी, सुग्रण्णाणी, विभगनाणी ॥ १०५ नेरइया ण भते । किं नाणी ? अण्णाणी ? गोयमा | नाणी वि, ग्रण्णाणी वि ३३४ जे नाणी ते नियमा तिष्णाणी, त तहा - प्राभिणिवोहियनाणी, सुयनाणी, हिनाणी । जे ग्रण्णाणी ते ग्रत्थेगतिया दुग्रण्णाणी, प्रत्येगतिया तिणाणी । एव तिष्णि ग्रण्णाणाणि भयणाए || १०६ असुरकुमारा ण भते । किं नाणी ? अण्णाणी ? जहेव नेरइया तहेव, तिण्णि नाणाणि नियमा, तिण्णि अण्णाणाणि भयणाए । एव जाव' थणियकुमारा ॥ १०७ पुढविक्काइया ण भते । कि नाणी ? अण्णाणी ? गोयमा । नो नाणी, अण्णाणी । जे अण्णाणी ते नियमा दुग्रण्णाणी-मइण्णाणी सुयण्णाणी य । एव जाव वणस्सइकाइया ॥ १०८ वेडदियाण पुच्छा । गोयमा | नाणी वि अण्णाणी वि । जे नाणी ते नियमा दुण्णाणी, त जहा - ग्राभिणिवोहियनाणी सुयनाणी य । जे अण्णाणी ते नियमा दुग्रण्णाणी, त जहा - मइण्णाणी सुग्रण्णाणी य । एव तेइ दिय- चउरिदिया वि ॥ १०६ पचिदियतिरिक्खजोणियाण पुच्छा । गोयमा | नाणी वि, ग्रण्णाणो वि । जे नाणी ते प्रत्येगतिया दुण्णाणी, प्रत्येगतिया तिष्णाणी । जे प्राणी ते प्रत्येगतिया दुग्रण्णाणी, प्रत्येगतिया तिमण्णाणी । एव तिणि नाणाणि, तिणि अण्णाणाणि भयणाए । मणुस्सा जहा जीवा, तहेव पच नाणाणि, तिणि अण्णाणाणि भयगाए । वाणमतरा जहा नेरइया । जोइसियवेमाणियाण तिणि नाणाणि, तिण्णि ग्रण्णाणाणि नियमा ॥ ११०. सिद्धाण भते । पुच्छा | गोयमा । नाणी, नो ग्रण्णाणी, नियमा एगनाणी - केवलनाणी ॥ १. पू० प० २ 1 Page #394 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ठम सत (बीओ उद्देसो) प्रतरालगति पडुच्च१११. 'निरयगतिया ण भते । जीवा किं नाणी ? अण्णाणी ? गोयमा । नाणी वि, अण्णाणी वि । तिण्णि नाणाइ नियमा, तिण्णि अण्णाणाइ भयणाए । ११२ तिरियगतिया ण भते । जीवा कि नाणी ? अण्णाणी ? गोयमा | दो नाणा, दो अण्णाणा नियमा' । मणुस्सगतिया ण भते | जीवा किं नाणी ? अण्णाणी? गोयमा । तिण्णि नाणाइ भयणाए, दो अण्णाणाइ नियमा। देवगतिया जहा निरयगतिया ।। ११४ सिद्धगतिया ण भते । जीवा कि नाणी ? जहा' सिद्धा॥ इदिय पडुच्च११५ सइदिया ण भते । जीवा किं नाणी ? अण्णाणी ? गोयमा । चत्तारि नाणाइ, तिण्णि अण्णाणाइ-भयणाए । ११६. एगिदिया ण भते । जीवा किं नाणी ? जहा पुढविकाइया। बेइंदिय-तेइदिय-चरिदिया ण दो नाणा, दो अण्णाणा नियमा । पंचिदिया जहा सइदिया ॥ ११७ अणिदिया ण भते । जीवा कि नाणी ? जहा सिद्धा ॥ काय पडुच्च११८ सकाइया ण भते | जीवा कि नाणी ? अण्णाणी? गोयमा । पच नाणाइ, तिण्णि अण्णाणाइ-भयणाए। पुढविक्काइया जाव वणस्सइकाइया नो नाणी, अण्णाणी, नियमा दुअण्णाणी, त जहा-मइ अण्णाणी य सुयअण्णाणी य । तसकाइया जहा सकाइया ।। ११६ अकाइया ण भते । जीवा कि नाणी? जहा सिद्धा॥ सुहुम-बादर पडुच्च-. १२०. सुहुमा ण भते । जीवा कि नाणी? जहा पुढविक्काइया । १ निरयगतियाण (वृ)। २ नियम (ता)। ३. भ० ८।११० । Page #395 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३३६ १२१ वादरा ण भते । जीवा कि नाणो : जहा सकाइया ॥ 2 १२२ नोसुहुमा-नोवादरा ण भते । जीवा कि नाणी जहा सिद्धा ॥ पज्जत्तापज्जत्त पडुच्च १२३. पज्जत्ता णं भते ! जीवा किं नाणी ? जहा सकाइया ॥ १२४ पज्जत्ता ण भते । नेरइया कि नाणी ? तिण्णि नाणा, तिण्णि अण्णाणा नियमा । जहा नेरइया एव थणियकुमारा । पुढविकाइया जहा एगिंदिया । एव जाव चरिंदिया || १२५ पज्जत्ता णं भते । पचिदियतिरिक्खजोणिया कि नाणी ? अण्णाणी ? तिण्णि नाणा, तिणि ग्रण्णाणा - भयणाए । मणुस्सा जहा सकाइया । वाणमंतरजोइसिय-वेमाणिया जहा नेरइया ॥ १२६ ग्रपज्जत्ता ण भते ! जीवा किं नाणी ? अण्णाणी ? तिण्णि नाणा, तिण्णि अण्णाणा - भयणाए । भगवई १२७ अपज्जत्ता णं भते । नेरइया कि नाणी ? अण्णाणी ? तिण्णि नाणा नियमा, तिण्णि अण्णाणा भयणाए । एव जाव थणियकुमारा । पुढविक्काइया जाव वणस्सइकाइया जहा एगिंदिया || १२८ वेइदियाण पुच्छा । दो नाणा, दो अण्णाणा - नियमा । एव जाव पचिदियतिरिक्खजोणियाण || १२६ अपज्जत्तगा ण भते । मणुस्सा कि नाणी ? अण्णाणी ? तिण्णि नाणाइ भयणाए, दो अण्णाणारं नियमा । वाणमतरा जहा नेरइया । ग्रपज्जत्तगाण जोइसिय-वेमाणियाण तिण्णि नाणा, तिणि अण्णाणा - नियमा || १३० नोपज्जत्तगा-नोपज्जत्तगा ण भते ! जीवा किं नाणी ? जहा सिद्धा ॥ भवत्यं पडुच्च १३१ निरयभवत्था ण भते । जीवा किं नाणी ? अण्णाणी ? जहा निरयगतिया ॥ १३२ तिरियभवत्या ण भते । जीवा किं नाणी ? अण्णाणी ? तिण्णि नाणा, तिण्णि अण्णाणा - भयणाए ॥ १३३. मणुस्सभवत्या ? जहा सकाइया ॥ Page #396 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ठम 'सतं (वीओ उद्देसो) १३४. देवभवत्था ण भते । जहा निरयभवत्था । अभवत्था जहा सिद्धा ।। भवसिद्धियाभवसिद्धिय पडुच्च१३५ भवसिद्धिया ण भते । जीवा कि नाणी ? जहा सकाइया । १३६ अभवसिद्धियाण पुच्छा। गोयमा | नो नाणी, अण्णाणी, तिण्णि अण्णाणाइ भयणाए । १३७ नोभवसिद्धिया-नोअभवसिद्धिया ण भते । जीवा कि नाणी ? जहा सिद्धा॥ सण्णि-प्रसण्णि पडुच्च१३८. सण्णीण पुच्छा। ___जहा सइदिया । असण्णी जहा वेइदिया। नोसण्णी-नोअसण्णी जहा सिद्धा ।। लद्धि-पद १३६. कतिविहा ण भते लद्धी पण्णत्ता ? गोयमा । दसविहा लद्धी पण्णत्ता, त जहा–१ नाणलद्धी २ दसणलद्धी ३ चरित्तलद्धी ४ चरित्ताचरित्तलद्धी ५ दाणलद्धी ६ लाभलद्धी ७ भोग लद्धी ८ उवभोगलद्धी ६ वीरियलद्धी १० इदियलद्धी। १४०. नाणलद्धी ण भते । कतिविहा पण्णत्ता ? गोयमा । पचविहा पण्णत्ता, त जहा-आभिणिबोहियनाणलद्धी जाव' केवल नाणलद्धी । १४१ अण्णाणलद्धी ण भते । कतिविहा पण्णत्ता ? गोयमा । तिविहा पण्णत्ता, तं जहा -मइअण्णाणलद्धी, सुयअण्णाणलद्धी, विभगनाणलद्धी । १४२ दसणलद्धी ण भते । कतिविहा पण्णत्ता ? गोयमा | तिविहा पण्णत्ता, त जहा- सम्मदसणलद्धी, मिच्छादसणलद्धी, सम्मामिच्छादसणलद्धी । १४३ चरित्तलद्धी ण भते । कतिविहा पण्णत्ता ? गोयमा । पचविहा पण्णत्ता, त जहा- सामाइयचरित्तलद्धी, छेदोवद्वावणियचरित्तलद्धी, परिहारविसुद्धिचरित्तलद्धी, सुहुमसपरायचरित्तलद्धी, अहक्खायचरित्तलद्धी॥ १. म०८६७ Page #397 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३३८ १४४. चरित्ताचरित्तलद्धी ण भते । कतिविहा पण्णत्ता ? गोयमा ! एगागारा पण्णत्ता । एव जाव उवभोगलद्धी एगागारा पण्णत्ता ॥ १४५ वीरियलद्धी ण भते । कतिविहा पण्णत्ता ? गोयमा । तिविहा पण्णत्ता, त जहा - वालवीरियलद्धी, पडियवीरियलद्धी, बालपडियवीरियलद्धी ॥ १४६ इदियली ण भते । कतिविहा पण्णत्ता ? गोयमा । पचविहा पण्णत्ता, त जहा – सोइदियलद्धी जाव' फासिंदियलद्धी || नागलद्ध पडुच्च-नाणि अण्णा णित्त-पद १४७ नाणलद्धिया ण भते ! जीवा कि नाणी ? अण्णाणी ? गोयमा । नाणी, नो ग्रण्णाणी । प्रत्येगतिया दुण्णाणी, एव पच नाणाइ भयणाए || १४८. तस्स अलद्धीया णं भते । जीवा किं नाणी ? अण्णाणी ? गोयमा । नो नाणी, अण्णाणी । प्रत्येगतिया दुग्रण्णाणी, तिण्णि अण्णाणा भयणाए । १४६. ग्राभिणिवोहियनाणलद्धिया ण भते । जीवा किं नाणी ? अण्णाणी ? गोयमा । नाणी, नो ग्रण्णाणी । अत्थेगतिया दुण्णाणी, चत्तारिं नाणाइ भयणाए || तस्स अलद्धिया ण भते । जीवा कि नाणी ? अण्णाणी ? 1 गोयमा | नाणी वि, अण्णाणी वि । जे नाणी ते नियमा एगनाणी - केवलनाणी जे अण्णाणी ते प्रत्येगतिया दुअण्णाणी, तिण्णि अण्णाणाइ भयणाए । एव सुयनाणलद्धिया वि । तस्स अलद्धिया वि जहा ग्राभिणिवोहियनाणस्स अलद्धीया' ॥ १५० भगवई १५१. ओहिनाणलद्धियाण पुच्छा । गोयमा | नाणी, नो अण्णाणी । प्रत्येगतिया तिष्णाणी, प्रत्येगतिया चउनाणी । जे तिष्णाणी ते ग्राभिणिवोहियनाणी, सुयनाणी, ओहिनाणी । जे चउनाणी ते आभिणिवोहियनाणी, सुयनाणी, ग्रोहिनाणी, मणपज्जवनाणी ॥ १५२ तस्स अलद्धियाण पुच्छा । गोयमा | नाणी वि, अण्णाणी वि । एव मोहिनाणवज्जाइ चत्तारि नाणाइ, तिष्णि ग्रण्णाणाई - भयणाए || - १५३ मणपज्जवनाणलद्धियाण पुच्छा | १. भ० २।७७ । २. लद्वीया ( अ, व, म, स), अर्थसमीक्षया एतपदमशुद्ध प्रतिभाति । Page #398 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ठमं सत (वीप्रो उद्देसो) गोयमा | नाणी, नो अण्णाणी। अत्थेगतिया तिण्णाणी, अत्थेगतिया चउनाणो। जे तिण्णाणो ते आभिणि बोहियनाणी, सुयनाणी, मणपज्जवनाणी। जे चउनाणी ते आभिणिवोहियनाणी, सुयनाणो, अोहिनाणी मणपज्जवनाणी। १५४. तस्स अलद्धीयाणं पुच्छा। गोयमा । नाणी वि, अण्णाणी वि । मणपज्जवनाणवज्जाइ चत्तारि नाणाइ, तिण्णि अण्णाणाइ-भयणाए । १५५ केवलनाण लद्धि या ण भते ! जीवा कि नाणी ? अण्णाणी ? गोयमा । नाणी, नो अण्णाणी। नियमा एगनाणी-केवलनाणी ।। १५६ तस्स अलद्धियाण पुच्छा। गोयमा । नाणी वि, अण्णाणी वि । केवलनाणवज्जाइ चत्तारि नाणाइ, तिण्णि अण्णाणाई-भयणाए । १५७ अण्णाणलद्धियाण पुच्छा। गोयमा | नो नाणी, अण्णाणी । तिण्णि अण्णाणाइं भयणाए । १५८ तस्स अलद्धियाणं पुच्छा। गोयमा ! नाणी, नो अण्णाणी । पंच नाणाइ भयणाए । जहा अण्णाणस्स य लद्धिया अलद्धि या य भणिया, एव मइअण्णाणस्स सुयअण्णाणस्स य लद्धिया अलद्धिया य भाणियव्वा। विभगनाणलद्धियाण तिण्णि अण्णाणाइ नियमा। - तस्स अलद्धियाण पच नाणाई भयणाए, दो अण्णाणाइ नियमा। दसणं पडुच्च१५६ दसणलद्धिया णं भते । जीवा किं नाणी? अण्णाणी? गोयमा । नाणी वि, अण्णाणी वि । पच नाणाइ, तिण्णि अण्णाणाइ-भयणाए । १६०. तस्स अलद्धिया ण भते । जीवा किं नाणी ? अण्णाणी ? गोयमा । तस्स अलद्धिया नत्थि । सम्मदसणलद्धियाण पच नाणाइ भयणाए। तस्स अलद्धियाण तिण्णि अण्णाणाइ भयणाए॥ मिच्छादसणलद्धियाण तिण्णि अण्णाणाड भयणाए। तस्स अलद्धियाण पच नाणाइ, तिण्णि य अण्णाणाइ–भयणाए। सम्मामिच्छादसणलद्धिया, अलद्धि या य जहा मिच्छादसणलद्धिया अलद्धिया तहेव भाणियव्वा ॥ चरित्तं-पडुच्च१६१ चरित्तलद्धिया ण भते । जीवा किं नाणी ? अण्णाणी ? गोयमा ! पच नाणाइ भयणाए। Page #399 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई तस्स अलद्धीयाण मणपज्जवनाणवज्जाइ चत्तारि नाणाड, तिण्णि य अण्णाणाइ भयणाए। १६२. सामाइयचरित्तलद्धिया ण भते | जीवा कि नाणी? अण्णाणी? गोयमा | नाणी-केवलवज्जाइ चत्तारि नाणाइ भयणाए। तस्स अलद्धियाणं पच नाणाइ, तिण्णि य अण्णाणाइ-भयणाए । एव जहा सामाइयचरित्तलद्धिया अलद्धीया य भणिया, एव जाव अहक्खायचरित्तलद्धीया अलद्धीया य भाणियव्वा, नवर-अहक्खाय चरित्तलद्धीयाण' पच नाणाइ भयणाए । चरित्ताचरित पडुच्च१६३. चरित्ताचरित्तलद्धिया ण भते । जीवा कि नाणी ? अण्णाणी? गोयमा । नाणी, नो अण्णाणी । प्रत्येगतिया दुण्णाणी, अत्येगतिया तिण्णाणी। जे दुण्णाणी ते आभिणिवोहियनाणी य सुयनाणी य । जे तिण्णाणी ते आभिणि बोहियनाणी, सुयनाणी, ओहिनाणी ॥ दाणाइ पडुच्च१६४ तस्स अलद्धियाण पच नाणाड, तिण्णि अण्णाणाइ-भयणाए। दाणलद्धियाण पच नाणाइ, तिण्णि अण्णाणाइ-भयणाए । तस्स अलद्धीयाणं पुच्छा। गोयमा । नाणी, नो अण्णाणी। नियमा एगनाणी-केवलनाणी। एव जाव वीरियस्स 'लद्धीया अलद्धीया" य भाणियव्वा । बालाइवीरिय पडुच्च वालवीरियलद्धियाण तिण्णि नाणाइ, तिण्णि अण्णाणाइ-भयणाए। तस्स अलद्धियाण पंच नाणाइ भयणाए। पडियवीरियलद्धियाण पच नाणाइ भयणाए। तस्स अलद्धीयाण मणपज्जवनाणवज्जाइ नाणाइ, अण्णाणाणि य भयणाए। वालपडियवीरियलद्धियाण तिण्णि नाणाइ भयणाए। तस्स अलद्धीयाण पच नाणाइ, तिण्णि अण्णाणाइ- भयणाए । इदिय पडुच्च१६६. इदियलद्धिया ण भते । जीवा किं नाणी? अण्णाणी ? गोयमा । चत्तारि नाणाई, तिण्णि य अण्णाणाइ - भयणाए । १६७ तस्स अलद्धियाण पुच्छा। गोयमा | नाणी, नो अण्णाणी। नियमा एगनाणी-केवलनाणी ।। १६५ १. ° लद्धीए (अ, क, ता, व, म, स)। २ लद्वी अलद्धी (अ, क, ता, व, म, स)। Page #400 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्टम सत (बीओ उद्देसो) १६८ सोइदियल द्धिया ण जहा इदियलद्धिया ॥ १६६ तस्स अलद्धियाण पुच्छा । 1 गोयमा | नाणी वि, अण्णाणी वि । जे नाणी ते अत्थेगतिया दुण्णाणी, प्रत्थेगतिया एगनाणी । जे दुण्णाणी ते आभिणिवोहियनाणी, सुयनाणी । जे एगनाणी ते केवलनाणी । जे अण्णाणी ते नियमा दुअण्णाणी, त जहा - मइण्णाणी य सुयअण्णाणी य । चविखदिय- घाणिदियाण लद्धीया अलद्धीया य जहेव सोइदि यस्स ॥ १७० जिभिदियलद्धियाण चत्तारि नाणाइ, तिण्णि य अण्णाणाइ - भयणाए । १७१ तस्स अलद्धियाण पुच्छा । गोमा ! नाणी वि, ग्रण्णाणी वि । जे नाणी ते नियमा एगनाणी - केवलनाणी । जे अण्णाणी ते नियमा दुग्रण्णाणी, त जहा - मइअण्णाणी य सुयअण्णाणी य । फासि दियलद्धीया ग्रलद्धीया य जहा इदियलद्धिया अलद्धिया य ।। उवउत्ताण नाणि श्रण्णा णित्त-पद १७२. सागारोवउत्ता ण भते । जीवा कि नाणी ? अण्णाणी ? पच नाणाइ, तिण्णि ग्रण्णाणाइ - भयणाए । १७३ आभिणिवोहियनाणसागारोवउत्ता ण भते ? चत्तारि नाणाइ भयणाए । एव सुयनाणसागारोवउत्ता वि । श्रहिनाणसागारोउत्ता जहा हिनाणलद्धिया । मणपज्जवनाणसागारोवउत्ता जहा मणपज्जव - नाणलद्धीया । केवलनाणसागा रोवउत्ता जहा केवलनाणलद्धीया । मइग्रण्णाणसागा रोवउत्ताण तिणि अण्णाणाइ भयणाए । एव सुयण्णाणसागारोवउत्तावि । विभगनाणसागारोवउत्ताण तिण्णि अण्णाणाइ नियमा ॥ १७४ अणागारोवउत्ता ण भते ! जीवा कि नाणी ? अण्णाणी ? ३४१ पच नाणाइ, तिणि ग्रण्णाणाइ - भयणाए । एव चक्खुदसण - अचक्खुदसणणागारोवउत्तावि, नवर - चत्तारि नाणाइ, तिण्णि अण्णाणाइ - भयणाए । १७५ ग्रहिदसणग्रणागारोवउत्ताण पुच्छा । गोमा | नाणी वि, अण्णाणी वि । जे नाणी ते प्रत्येगतिया तिण्णाणी, प्रत्थेगतिया चउनाणी । जे तिण्णाणी ते ग्राभिणिवोहियनाणी, सुयनाणी, ओहीनाणी । जे चउनाणी ते ग्राभिणिवोहियनाणी जाव मणपज्जवनाणी । जे अण्णाणी ते नियमातिश्रण्णाणी, त जहा - मइण्णाणी, सुयअण्णाणी, विभगनाणी । केवलदसणग्रणागारोव उत्ता जहा केवल नाणलद्धिया ॥ जोग पहुच्च १७६ सजोगी ण भते । जीवा किं नाणी ? अण्णाणी ? जहा' सकाइया । एव मणजोगी, वइजोगी, कायजोगी वि । जोगी जहा सिद्धा ।। १ भ० ८।११८ । Page #401 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भग ३४२ लेस्सं पडच्च१७७. सलेस्सा णं भते । जीवा किं नाणी ? अण्णाणी ? जहा सकाइया । १७८. कण्हलेस्सा ण भते ! जीवा कि नाणी ? अण्णाणी ? जहा' सइदिया । एव जाव पम्हलेस्सा, सुक्कलेस्सा जहा सलेस्सा। अलेसर जहा सिद्धा ॥ कसायं पडुच्च१७९. सकसाई ण भते । जीवा कि नाणी ? अण्णाणी? जहा सइदिया। एव जाव लोभकसाई ॥ १८०. अकसाई ण भते । जीवा कि नाणी ? अण्णाणी ? पच नाणाइ भयणाए।। वेद पडुच्च१८१. सवेदगा ण भते ! जीवा कि नाणी ? अण्णाणी ? जहा सइदिया। एवं इत्थिवेदगा वि, एव पुरिसवेदगा वि, एवं नपुसग वेद वि । अवेदगा जहा अकसाई ।। पाहारग पडुच्च१८२. आहारगा ण भते । जीवा कि नाणी ? अण्णाणी? जहा सकसाई, नवर-केवलनाण पि ॥ १८३. अणाहारगा ण भते । जीवा किं नाणी ? अण्णाणी ? मणपज्जवनाणवज्जाइ नाणाई, अण्णाणाइ तिण्णि-भयणाए। नाणाण विसय-पदं १८४ आभिणिवोहियनाणस्स ण भते । केवतिए विसए पण्णत्ते? गोयमा ! से समासयो चउविहे पण्णत्ते, त जहा-दवप्रो, खेत्तमओ, कालक भावनो। दव्वनो णं आभिणिवोहियनाणी पाएसेण सव्वदन्वाइ जाणइ-पासइ। खेत्तग्रो ण आभिणिवोहियनाणी आएसेण सव्व खेत्त जाणइ-पासइ। "कालो ण आभिणिवोहियनाणी पाएसेण सव्वं कालं जाणइ-पासइ । भावप्रो ण आभिणिवोहियनाणी पाएसेणं सव्वे भावे जाणइ-पासइ० ॥ १. भ० ८।११५। सव्वदन्वाइ जाणड, न पासइ । २. सं० पाल-एव कालो वि, एव भावओ वि। खेत्तमो ण आभिरिणवोहियनाणी आएसे ३. नन्दीसूत्रे अस्मिन् विपये विवक्षाभेदोस्ति सव खेत्त जारगड, न पास। दव्वओ रण आभिरिणवोहियनाणी आएसेरण - Page #402 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्टम सत (वीओ उद्देसो) १८५ सुयनाणस्स ण भते । केवतिए विसए पण्णत्ते ? १८७ ३४३ गोयमा । से समासश्रो चउव्विहे पण्णत्ते, त जहा - दव्वप्रो, खेत्तो, कालो, भावो । दव्वो ण सुयनाणी उवउत्ते सव्वदव्वाइ जाणइ-पासइ । " खेत्तो ण सुयनाणी उवउत्ते सव्वखेत्त जाणइ-पासइ । कालओ ण सुयनाणी उवउत्ते सव्वकाल जाणइ-पासइ | ° भावो ण सुयनाणी उवउत्ते सव्वभावे जाणइ-पासइ ॥ १८६. ओहिनाणस्स ण भते । केवतिए विसर पण्णत्ते ? गोयमा । से समासग्रो चउव्विहे पण्णत्ते, त जहा - दव्वओ, खेत्तस्रो, कालो, भावो । दव्वग्रो ण ग्रोहिनाणी' 'जहण्णेण ग्रणताइ रूविदव्वाइ जाणइ पासइ । उक्कोसेण सव्वाइ रूविदव्वाइ जाणइ - पासइ । खेत्तग्रो ण ग्रोहिनाणी जहणेण ग्रगुलस्स प्रसखेज्जइभाग जाणइ-पासइ । उक्कोसेण ग्रसखेज्जाई लोगे लोयमेत्ताइ खडाइ जाणइ पासइ | कालो हिनाणी जहणेण ग्रावलियाए प्रसखेज्जइभाग जाणइ-पासइ । उक्को सेण प्रसखेज्जाश्रो ग्रोसप्पिणीग्रो उस्सप्पिणी ईयमणागय च काल जाणइ-पासइ । भावो हिनाणी जहणणेण प्रणते भावे जाणइ पासइ । उक्कोसेण वि ते भावे जाणइ पासइ, सव्वभावाणमणतभाग जाणइ पासइ° ॥ मणपज्जवनाणस्स ण भते । केवतिए विसए पण्णत्ते ? गोयमा । से समासस्रो चरव्विहे पण्णत्ते, त जहा - दव्वप्रो, खेत्तो, कालो, भावो । दव्वो ण उज्जुमती प्रणते अणतपदेसिए' खधे जाणइ - पासइ । ते चेव विउलमई प्रभहियतराए विउलतराए विसुद्धतराए वितिमिरतराए जाणइ-पासइ । खेत्तो ण उज्जुमई हे जाव इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए उवरिमहेट्ठिल्ले खुड्डागपयरे, उड्ढ जाव जोइसस्स उवरिमतले, तिरिय जाव प्रतोमणुस्सखेत्ते अड्ढाइज्जेसु दीवसमुद्देसु पण्णरससु कम्मभूमीसु तीसाए कम्मभूमीसु कालओ रण आभिरिवोहियनाणी आएसेण सव्व काल जाणइ, न पासइ । भावओ ण आभिणिवोहियनाणी आएसेण सव्वे भावे जाणइ, न पासइ (सू० ५४) । १ स० पा० - एव खेत्तओ वि, कालओ वि । २ स० पा० - ओहिनारणी रूविदव्वाइ जाणइपासइ जहा नदीए जाव भावओ । ३. स० पा० - जहा नदीए जाव भावओ । 5 Page #403 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३४४ भगवई छप्पण्णए अतरदीवगेसु सण्णीण पचिदियाण पज्जत्तयाणं मणोगए भावे जाणइपासइ । त चेव विउलमई अड्ढाइज्जेहिमगुलेहि अभहियतरं विउलतर विसुद्धतर वितिमिरतर खेत्त जाणइ-पासइ। कालो ण उज्जमई जहणेण पलिग्रोवमरस, असखिज्जयभाग, कोसेण वि पलिओवमरस असखिज्जयभाग अतीयमणागय वा काल जाणइ-पासइ । त चेव विउलमई अब्भहियतराग विउलतराग विसुद्धतरागं वितिमिरतरागं जाणइ पासइ। भावनो ण उज्जुमई अणते भावे जाणइ-पासइ, सव्वभावाण अणतभागं जाणइपासइ। त चेव विउलमई अमहियतराग विउलत राग विसुद्धतराग वितिमिरतराग जाणइ-पासइ०॥ १८८. केवलनाणस्स ण भते । केवतिए विसए पण्णत्ते ? गोयमा ! से समासयो चउविहे पप्णत्ते, त जहा- दध्वयो, खेत्तो, कालो, भावग्रो। दव्वनो ण केवलनाणी सव्वदव्वाइ जाणइ-पासइ । "खेत्तो ण केवलनाणी सव्वं खेत्त जाणइ-पासइ । कालओ ण केवलनाणी सव्व काल जाणइ-पासइ। भावप्रो ण केवलनाणी सव्वे भावे जाणइ-पासइ० ॥ मइअण्णाणस्स ण भते । केवतिए विसए पण्णत्ते ? गोयमा ! से समासो चउविहे पण्णत्ते, त जहा-दव्वओ, खेत्तो, कालो, भावो। दव्वग्रो ण मइअण्णाणी मइअण्णाणपरिगयाइं दवाइ जाणइ-पासइ । 'खेत्तो ण मइअण्णाणी मनप्णाणपरिगय खेत्त जाणइ-पासइ। कालो ण मइअण्णाणी मइअण्णाणपरिगय काल जाणइ-पासइ । भावओ णं मइअण्णाणी मइअण्णाणपरिगए भावे जाणइ-पासइ । १६०. सुयअण्णाणस्स णं भंते ! केवतिए विसए पण्णत्ते ? गोयमा ! से समासयो चउविहे पण्णत्ते, तं जहा-दव्वरो, खेत्तो, कालो, भावो। दव्वो ण सुयअण्णाणी सुयअण्णाणपरिगयाइ दव्वाइ आघवेइ, पण्णवेइ, परूवेइ'। १८६ १. स० पा०-एव जाव भावमओ। २० स० पा०-पासइ जाव भावओ। ३. वाचनान्तरे पुनरिदमधिकमवलोक्यते 'दसेति निदसेति उवदसेति' (ब)। Page #404 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३४५ अट्ठम सत (वीओ उद्देसो) "खेत्तनो ण सुयअण्णाणी सुयअण्णाणपरिगय खेत्तं आघवेइ, पण्णवेइ, परूवेइ । कालो ण सुयअण्णाणी सुयअण्णाणपरिगय काल आघवेइ, पण्णवेइ, परूवेइ । भावग्रो ण सुयअण्णाणी सुयअण्णाणपरिगए भावे प्राघवेइ', 'पण्णवेइ, परूवेइ° ॥ १६१. विभगनाणस्स ण भते ! केवतिए विसए पण्णत्ते ? गोयमा | से समासयो चउविहे पण्णत्ते, त जहा- दवप्रो, खेत्तो, कालो, भावो। दव्वरो ण विभंगनाणी विभगनाणपरिगयाइ दवाइ जाणइ-पासइ। "खेत्तो ण विभगनाणी विभगनाणपरिगय खेत्त जाणइ-पासइ । कालो ण विभगनाणी विभगनाणपरिगय काल जाणइ-पासइ । भावप्रो ण विभगनाणी विभंगनाणपरिगए भावे जाणइ-पासइ ।। नाणीण सठिइ-पद १९२ नाणी ण भंते | नाणी ति कालयो केवच्चिर होइ ? गोयमा ! नाणी दुविहे पण्णत्ते, त जहा--१ सादीए वा अपज्जवसिए २ सादीए वा सपज्जवसिए । तत्थ ण जे से सादीए सपज्जवसिए से जहण्णेण अतोमुहत्त, उक्कोसेण छावट्टि सागरोवमाइ सातिरेगाइ ॥ १६३. आभिणिवोहियनाणी ण भते । आभिणिवोहिय नाणी ति कालयो केवच्चिर होइ? गोयमा । एव चेव ॥ १६४. एव' सुयनाणी वि ।। १६५. प्रोहिनाणी वि एव' चेव, नवर–जहण्णेण एक्क समय ॥ १६६. मणपज्जवनाणी ण भते । मणपज्जवनाणी ति कालो केवच्चिर होइ ? गोयमा । जहण्णेण एवक समय, उक्कोसेण देसूण पुव्वकोडिं ॥ १९७ केवलनाणी ण भते । केवलनाणी ति कालो केवच्चिर होइ ? गोयमा । सादीए अपज्जवसिए॥ १९८. अण्णाणी, मइअण्णाणी, सुयअण्णाणी ण भते । पुच्छा। १ स० पा०-एव खेत्तयो कालओ। [अट्ठण्ह वि (अ)] सचिट्ठणा जहा काय२. स० पा०–त चेव । ठितीए अतर सव्व जहा जीवाभिगमे अप्पा३ स० पा०-एव जाव भावओ। बहुगाणि तिण्णि जहा बहुवत्तव्वयाए । ४. स० पा०-एव नाणी आभिणिवोहियनाणी ५ भ० ८।१९२ । जाव केवलनाणी अग्णाणी मइअण्णाणी सुय- ६. भ० ८।१६२ । अण्णाणी विभगनाणी एएसिं दसह वि ७ भ० ८।१६२ । Page #405 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई गोयमा ! अण्णाणी, मण्णाणी, सुयण्णाणी य तिविहे पण्णत्ते, त जहा - १ अणादीए वा प्रज्जवसिए २. ग्रणादीए वा सपज्जवसिए ३ सादीए वा सपज्जवसिए । तत्थ ण जे से सादीए सपज्जवसिए से जहणेण प्रतोमुहुत्त, उक्कोसेण प्रणत काल - प्रणता प्रसप्पिणी उस्सप्पिणीग्रो कालग्रो, खेत्तो अवड्ढ पोग्गलपरियट्ट देसूण | १६९ विभगनाणी ण भते । पुच्छा | गोयमा । जहणेण एक्क समय, उक्कोसेण तेत्तीस सागरोवमाइ देसूणाए पुव्वकोडीए अब्भहियाइ ॥ ३४६ नाणीण प्रतर- पद २०० आभिणिबोहियनाणिस्स ण भते ! अतर कालो केवच्चिर होइ ? T गोयमा । जहण्णेण प्रतोमुहुत्त, उक्कोसेण अणत काल जाव' अवड्ढ पोग्गलपरिय देसूण | २०१ सुयनाणि ओहिनाणि-मणपज्जवनाणीण एव चेव ।। २०२ केवलनाणिस्स पुच्छा । गोयमा ! नत्थि प्रतर ॥ २०३ मइअण्णाणिस्स सुयनण्णाणिस्स य पुच्छा । गोयमा ! जहणेण प्रतोमुहुत्त उवकोसेण छाट्ठ सागरोवमाइ साइरेगाई ॥ २०४ विभगनाणिस्स पुच्छा । गोयमा । जहण्णेण अतोमुहुत्त, उक्कोसेण वणस्सइकालो ॥ नाणीण अप्पाबहुयत्त-पद २०५ एतेसि ण भते ! जीवाण ग्राभिणिवोहियनाणीण, सुयनाणीण, मोहिनाणीण मणपज्जवनाणीण केवलनाणीण य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? विसेसाहिया वा ? गोयमा । सव्वत्थोवा जीवा मणपज्जवनाणी, ओहिनाणी असखेज्जगुणा, ग्राभिणिवोहियनाणी सुयनाणी दो वि तुल्ला विसेसाहिया, केवलनाणी प्रणतगुणा ॥ २०६. एतेसि ण भते | जीवाण मइण्णाणीण, सुयप्रण्णाणीण, विभगनाणीण य कयरे करेहिंतो अप्पा वा ? ? वहुया वा तुल्ला वा ? विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा विभगनाणी, मइण्णाणी सुयप्रण्णाणी दो वि तुल्ला प्रणतगुणा ॥ १. भ० ८११६८ । Page #406 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ठम सत (बीओ उद्देसो) ३४७ २०७. एतेसि ण भते ! जीवाण आभिणिबोहियनाणीण सुयनाणीण अोहिनाणीण मणपज्जवनाणीण केवलनाणीण मतिअण्णाणीण सुयअण्णाणीण विभगनाणीण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा ? वहुया वा ? तुल्ला वा ? विसेसाहिया वा ? गोयमा । सव्वत्थोवा जीवा मणपज्जवनाणी, प्रोहिनाणी असखेज्जगुणा, आभिणिवोहियनाणी सुयनाणी य दो वि तुल्ला विसेसाहिया, विभगनाणी असखेज्जगुणा, केवलनाणी अणतगुणा, मइअण्णाणी सुयअण्णाणी य दो वि तुल्ला अणतगुणा ॥ नाणपज्जव-पद २०८ केवतिया ण भते । आभिणिवोहियनाणपज्जवा पण्णत्ता ? गोयमा । अणता आभिणिबोहियनाणपज्जवा पण्णत्ता ॥ २०६. केवतिया ण भते । सुयनाणपज्जवा पण्णत्ता ? एवं चेव ।। २१०. एव जाव केवलनाणस्स । एव मइअण्णाणस्स सुयअण्णाणस्स ।। २११. केवतिया ण भते । विभगनाणपज्जवा पण्णत्ता ? गोयमा । अणता विभगनाणपज्जवा पण्णत्ता ॥ नाणपज्जवाण अप्पाबहुयत्त-पद २१२ एतेसि ण भते । आभिणिवोहियनाणपज्जवाण, सुयनाणपज्जवाण, ओहिनाण पज्जवाण, मणपज्जवनाणपज्जवाण, केवलनाणपज्जवाण य कयरे कयरेहितो' 'अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? • विसेसाहिया वा ? गोयमा । सव्वत्थोवा मणपज्जवनाणपज्जवा, ओहिनाणपज्जवा अणतगुणा, सुयनाणपज्जवा अणतगुणा, आभिणिबोहियनाणपज्जवा अणतगुणा, केवलनाणपज्जवा अणतगुणा ॥ एएसि ण भते । मइअण्णाणपज्जवाण, सुयअण्णाणपज्जवाण, विभगनाणपज्जवाण य कयरे कयरेहितो' 'अप्पा वा ? बहुया वा? तुल्ला वा? ० विसेसाहिया वा? गोयमा । सव्वत्थोवा विभगनाणपज्जवा, सुयअण्णाणपज्जवा अणतगुणा, मइअण्णाणपज्जवा अणतगुणा ।। २१४ एएसि ण भते । आभिणिबोहियनाणपज्जवाण जाव' केवलनाणपज्जवाण, मइ अण्णाणपज्जवाण, सुयअण्णाणपज्जवाण, विभगनाणपज्जवाण य कयरे कयरेहितो' अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा • ? विसेसाहिया वा? २१३ १. स० पा०-कयरेहितो जाव विसेसाहिया। २ स० पा०-कयरेहितो जाव विसेसाहिया। ३ स० पा०-कयरेहितो जाव विसेसाहिया। Page #407 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ३४८ गोयमा | सव्वत्थोवा मणपज्जवनाणपज्जवा, विभंगनाणपज्जवा अणतगुणा, ओहिनाणपज्जवा अणतगुणा, सुयअण्णाणपज्जवा अणतगुणा, सुयनाणपज्जवा विसेसाहिया, मइअण्णाणपज्जवा अणतगुणा, आभिणिवोहियनाणपज्जवा विसे साहियो, केवलनाणपज्जवा अणतगुणा॥ २१५. सेव भते । सेव भते । त्ति' ॥ तइओ उद्देसो वणस्सइ-पदं २१६ कतिविहा ण भते ! रुक्खा पण्णत्ता ? गोयमा ! तिविहा रुक्खा पण्णत्ता, त जहा–सखेज्जजीविया, असखेज्जजीविया, अणतजीविया ॥ २१७ से कि त सखेज्जजीविया ? सखेज्जजीविया अणेगविहा पण्णत्ता, त जहा ताल तमाले तक्कलि, तेयलि' 'साले य सालकल्लाणे। . सरले जावति केयइ, कदलि तह चम्मरुक्खे य ।।१।। भुयरुवख हिंगुरुक्खे, लवगरुक्खे य होति बोधव्वे । पूयफली खज्जूरी, वोधव्वा नालिएरी य° ॥२॥ जे यावण्णे तहप्पगारा। सेत्त सखेज्जजीविया ।। २१८. से कि त असखेज्जजीविया ? असखेज्जजीविया दुविहा पण्णत्ता, त जहा—एगट्ठिया य वहुवीयगा य ॥ २१६. से कि त एगढिया ? एगट्ठिया अणेगविहा पण्णत्ता, त जहा निवव जवु 'कोसव, साल अकोल्ल पीलु सेलू य । सल्लइ मोयइ मालुय, वउल पलासे करजे य ॥१॥ पुत्तंजीवयरिटे, विभेलए हरडए य भल्लाए। उवभरिया' खीरिणि, वोधव्वे धायइ पियाले ॥२॥ १ भ० ११५१ । २ ताले (अ, क, ता, व, म, स)। ३ स० पा०-जहा पण्णवणाए जाव नालिएरी। ४. स० पा०-जहा पण्णवणापदे जाव फला। ५ प्रज्ञापनावृत्तौ ‘उवेभरिका' इति दृश्यते । भ० २२।२ सूत्रे 'उवभरिका' इतिपदमस्ति । Page #408 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३४६ अट्ठमं सत (तइओ उद्देसो) पूइयनिंबारग सेण्हा, तह सीसवा य असणे य । पुण्णाग नागरुक्खे, सीवण्णि तहा असोगे य॥३॥ जे यावण्णे तहप्पगारा। एएसि ण मूला वि असखेज्जजीविया, कदा वि खधा वि तया वि साला वि पवाला वि। पत्ता पत्तयजीविया। पुप्फा अणेगजीविया । फला एगढिया। सेत्त एगट्ठिया ॥ २२० से कि त बहुवीयगा? । बहुवीयगा अणेगविहा पण्णत्ता, त जहा अत्थिय तिदु कविटे, अवाडग माउलिंग बिल्ले य । प्रामलग फणस दाडिम, आसोत्थे उवर वडे य ।।१।। नग्गोह नदिरुक्खे, पिप्परि सयरो पिलुक्खरुक्खे य । काउवरी कुत्थु भरि, बोधव्वा देवदाली य ।।२।। तिलए लउए छत्तोह, सिरीसे सत्तिवण्ण दहिवण्णे । लोद्ध धव चदणज्जुण, नीमे कुडए कयबे य ॥३॥ जे यावण्णे तहप्पगारा । एएसि ण मूला वि असखेज्जजीविया, कदा वि खधा वि तया वि साला वि पवाला वि । पत्ता पत्तेयजीविया । पुप्फा अणेगजीविया । फला बहुवीयगा । सेत्त वहुवीयगा। सेत्त असखेज्जजीविया ।। २२१ से किं त अणतजीविया? अणतजीविया अणेगविहा पण्णत्ता, त जहा-पालुए, मूलए, सिगवेरे-एव जहा- सत्तमसए जाव' सिउढी', मुमुढी । जेयावण्णे तहप्पगारा। सेत्त अणतजीविया ॥ जीवपएसाणं-अंतर-पद २२२ अह भते | कुम्मे, कुम्मावलिया, गोहा, गोहावलिया, गोणा, गोणावलिया, मणुस्से, मणुस्सावलिया, महिसे, महिसावलिया-एएसि ण दुहा वा तिहा वा सखेज्जहा वा छिन्नाण जे अतरा ते वि ण तेहिं जीवपएसेहि फुडा ? हता फुडा ।। २२३ पुरिसे ण भते । अतरे हत्थेण वा पादेण वा अगुलियाए वा सलागाए' वा कट्रेण वा किलिंचेण वा प्रामुसमाणे वा समुसमाणे वा आलिहमाणे वा विलिहमाणे वा अण्णयरेण वा तिक्खेण सत्थजाएण आछिंदमाणे वा विछिदमाणे वा, १. भ० ७.६६ । ३ सलागए (अ), X (ता)। २ सीउण्हे (अ), सीउण्ही (क), सीउण्णी (ता), ४. कलिंचेण (अ, ता, व, म, स) । सीकण्हे (स)। Page #409 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ३५० i अगणिकाएण वा समोडमाणे तेसि जीवपएसाणं किंचि आबाहं वा विवाहं वा उप्पाएइ ? छविच्छेदं वा करेइ ? णो तिणढे समढे, नो खलु तत्थ सत्थ कमइ' ।। चरिम-प्रचरिम-पद २२४. कइ ण भते | पुढवीनो पण्णत्तानो ? गोयमा | अट्ठ पुढवीनो पण्णत्ताओ, त जहा -रयणप्पभा जाव' अहेसत्तमा, ईसीपभारा ॥ २२५ इमा ण भते । रयणप्पभापुढवी किं चरिमा ? अचरिमा ? चरिमपद निरवसेस भाणियव्व जाव'२२६ वेमाणिया ण भते ! फासचरिमेण किं चरिमा ? अचरिमा ? - गोयमा ! चरिमा वि, अचरिमा वि ॥ २२७. सेव भते ! सेव भंते ! त्ति ।। चउत्थो उद्देसो किरिया-पद २२८. रायगिहे जाव एव वयासी-कति ण भते । किरियाप्रो पण्णत्तायो ? गोयमा ! पच किरियाप्रो पण्णत्ताओ, त जहा-काइया, अहिगरणिया, पाओसिया, पारियावणिया, पाणाइवायकिरिया-एव किरियापद निरवसेस भाणियब जाव' सव्वत्थोवायो मिच्छादसणवत्तियाो किरियाओ, अप्पच्चक्वाणकिरियाग्रो विसेसाहियायो, पारिग्गहियायो किरियानो विसेसाहियाओ, प्रारभियानो किरियायो विसेसाहियायो, मायावत्तियायो किरियायो विसे माहियायो॥ २२६. मेव भंते । सेव भते । त्ति' ।। १. मागः (म, म)। " म० १२४-८। ६ प० २२ । ७. म० ११५१ । Page #410 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्टमं सत ( पचमो उद्देसो) पंचमो उद्देसो आजीवियसंद मे समणोवासय-पद २३० रायगिहे जाव' एव वयासी - श्राजीविया ण भंते । थेरे भगवते एव वयासीसमणोवासगस्स' ण भते । सामाइयकडस्स समणोवस्सए ग्रच्छमाणस्स केइ भडं ग्रवहरेज्जा, से ण भते । त भंड प्रणुगवेसमाणे किं सभङ' प्रणुगवेसइ ? पराया भर्ड अणुगवेसइ ? गोमा । सभड अणुगवेसइ, नो परायगं भड प्रणुगवेसइ ॥ २३१ तस्स णं भते ! तेहि सीलव्वय-गुण- वेरमण-पच्चक्खाण-पोस होववासेहि से भडे प्रभडे भवइ* ? हैता भवइ ॥ २३२ से केण खाइ र्ण प्रद्वेण भते । एवं चुच्चइ - सभंड प्रणुगवेसइ, नो परायगं ? भड अणुग गोमा । तस्स ण एवं भवइ-नो मे हिरण्णे, नो मे सुवण्णे, नो मे कसे, नो मे दूसे, नो मे विपुलधण - कणग-रयण-मणि-मोत्तिय सख-सिल-प्पवाल- रत्तरयणमादीए सतसारसावदेज्जे', ममत्तभावे' पुण से परिण्णाए भवइ । से तेणट्टेण गोयमा । एव वुच्चइ - सभड अणुगवेसइ, नो परायग भड अणुगवेसइ ॥ २३३. समणोवासगस्स ण भते । सामाइयकडस्स समणोवस्सए अच्छमाणस्स केइ 1 अजाय चरइ जाय चरेज्जा, सेण भते । किं जाय चरइ ? गोयमा । जाय चरइ ? नो अजाय चरइ ॥ २३४.' तस्स ण भते । तेहिं सीलव्वय-गुण- वेरमण-पच्चक्खाण-पोसहोववासेहिं सा जाया जाया भवइ ? १ भ० १।४८ । 1 २ एव वक्ष्यमाणप्रकारमवादिपु यच्च ते तान् प्रत्यवादिपुस्तद्गौतम स्वयमेव पृच्छन्नाह ३५१ हता भवइ ॥ २३५ सेकेण खाइ ण अद्वेग भते एव वुच्चइ - जाय चरइ ? नो अजाय चरइ ? गोया । तस्स ण एव भवइ-नो मे माता, नो मे पिता, नो मे भाया, नो मे भगिणी, नो मे भज्जा, नो मे पुत्ता, नो मे घूया, नो मे सुण्हा, पेज्जबधणे पुण से अव्वोच्छिन्ने' भवइ । से गोयमा' | एव वुच्चइ - जाय चरइ, नो प्रजाय चरइ ॥ तेणट्टेण (वृ) । ३. सयभड (अ), स भड (ता, म), सय भड (स) । ? ४ ५ हवइ (ता) । • सापदेज्जे (ता), सावतेज्जे (व) । ६ ममत्ति (क, ता, व ) । o ७ केवइ (ता) । ८. अवो० (अ) 1 ६. सं० पा०—गोयमा जाव नो । Page #411 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ३५२ २३६. समणोवासगस्स ण भते । पुवामेव थूलए पाणाइवाए अपच्चक्खाए' भवइ, से ण भते । पच्छा पच्चाइक्खमाणे कि करेइ ? गोयमा । तीय पडिक्कमति, पडुप्पन्नं सवरेति, अणागय पच्चक्खाति ।। २३७ तीय पडिक्कममाणे कि १. तिविह तिविहेण पडिक्कमति ? २. तिविह दुविहेणं पडिक्कमति ? ३ तिविह एगविहेण पडिक्कमति ? ४ दुविह तिविहेण पडिक्कमति ? ५. दुविह दुविहेण पडिक्कमति ? ६ दुविह एगविहेण पडिक्कमति ? ७ एगविह तिविहेण पडिक्कमति ? ८ एगविह दुविहेण पडिक्कमति ? है एगविह एगविहेण पडिक्कमति ? गोयमा | तिविहं वा' तिविहेण पडिक्कमति, तिविह वा दुविहेणं पडिक्कमति, एव' चेव जाव एगविह वा एगविहेण पडिक्कमति । १. तिविह तिविहेण पडिक्कममाणे न करेइ, न कारवेइ, करेत नाणुजाणइ मणसा वयसा कायसा। २. तिविहं दुविहेण पडिक्कममाणे न करेइ, न कारवेइ, करेत नाणुजाणइ मणसा वयसा ३ अहवा न करेइ, न कारवेइ, करेत नाणुजाणइ मणसा कायसा ४ अहवा न करेड, न कारवेइ, करेत नाणुजाणइ वयसा कायसा । ५ तिविह एगविहेण पडिक्कममाणे न करेइ, न कारवेइ, करतं नाणुजाणइ मणसा ६ अहवा न करेइ, न कारवेइ, करेत नाणुजाणइ वयसा ७ अहवा न ' करेइ, न कारवेड, करेत नाणुजाणइ कायसा। ८ दुविह तिविहेण पडिक्कममाणे न करेइ, न कारवेइ मणसा वयसा कायसा ९ अहवा न करेइ, करेतं नाणुजाणइ मणसा वयसा कायसा १० अहवा न कारवेइ, करेत नाणुजाणइ मणसा वयसा कायसा। ११. दुविह दुविहेण पडिक्कममाणे न करेइ, न कारवेइ, मणसा वयसा १२ अहवा न करेइ, न कारवेइ मणसा कायसा १३ अहवा न करेइ, न कारवेइ वयसा कायसा १४. अहवा न करेइ, करेत नाणुजाणइ मणसा वयसा १५. अहवा न करेइ, करेतं नाणुजाणइ मणसा कायसा १६ अहवा न करेइ, करेत नाणुजाणड वयसा कायसा १७ अहवा न कारवेइ, करेत नाणुजाणइ मणसा वयसा १८ अहवा न कारवेड, करेत नाणुजाणइ मणसा कायसा १६. अहवा न कारवेड, करेत नाणुजाणइ वयसा कायसा । २०. दुविह एक्कविहेण पडिक्कममाणे न करेइ, न कारवेइ मणसा २१ अहवा न करेड, न कारवेइ वयसा २२ अहवा न करेइ, न कारवेइ कायसा २३ अहवा १. वाचनान्तरे तु 'अपच्चक्खाए' इत्यस्य स्थाने २. X (स)। 'पच्चक्साए'.त्ति 'पच्चाइक्खमाणे' इत्यस्य च ३ त (अ, क, ता, स)। स्थाने 'पच्चरखावेमारणे' त्ति दृश्यते (वृ) । Page #412 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ठमं सत (पंचमो उद्देसो) ३५३ न करेइ, करेत नाणुजाणइ मणसा २४ अहवा न करेइ, करेत नाणुजाणइ वयसा २५ अहवा न करेइ, करेत नाणुजाणइ कायसा २६ अहवा न कारवेइ, करेत नाणुजाणइ मणसा २७. अहवा न कारवेइ, करेत नाणुजाणइ वयसा २८ अहवा न कारवेइ, करेत नाणुजाणइ कायसा। २६ एगविह तिविहेण पडिक्कममाणे न करेइ, मणसा वयसा कायसा ३०. अहवा न कारवेइ मणसा वयसा कायसा ३१ अहवा करत नाणुजाणइ मणसा वयसा कायसा। ३२ एक्कविह दुविहेण पडिक्कममाणे न करेइ मणसा वयसा ३३ अहवा न करेइ मणसा कायसा ३४ अहवा न करेइ वयसा कायसा ३५ अहवा न कारवेइ मणसा वयसा ३६ अहवा न कारवेइ मणसा कायसा ३७ अहवा न कारवेइ वयसा कायसा ३८ अहवा करत नाणुजाणइ मणसा वयसा ३६ अहवा करत नाणुजाणइ मणसा कायसा ४० अहवा करत नाणुजाणइ वयसा कायसा। ४१ एगविह एगविहेण पडिक्कममाणे न करेइ मणसा ४२ अहवा न करेइ वयसा ४३ अहवा न करेइ कायसा ४४ अहवा न कारवेइ मणसा ४५ अहवा न कारवेइ वयसा ४६ अहवा न कारवेइ कायसा ४७ अहवा करत नाणुजाणइ मणसा ४८ अहवा करत नाणुजाणइ वयसा ४६. अहवा करत नाणु जाणइ कायसा ॥ २३८ पडुप्पन्न सवरेमाणे कि तिविह तिविहेण सवरेइ ? एव जहा पडिक्कममाणेण एगूणपन्न भगा भणिया एव सवरमाणेण वि एगूण पन्न भगा भाणियव्वा ॥ २३६. अणागय पच्चक्खमाणे कि तिविह तिविहेण पच्चक्खाइ ? एव एते' चेव भगा एगूणपन्न' भाणियव्वा जाव अहवा करत नाणुजाणइ कायसा॥ समणोवासगस्स णं भते । पुन्वामेव थूलए मुसावाए अपच्चक्खाए भवइ, से ण भते | पच्छा पच्चाइक्खमाणे किं करेइ ? एव जहा पाणाइवायस्स सोयाल भगसय भणिय, तहा मुसावायस्स वि भाणियव्व । एव अदिन्नादाणस्स वि', एव थूलगस्स वि मेहुणस्स, थूलगस्स वि परिग्गहस्स जाव अहवा करत नाणुजाणइ कायसा। एते खलु एरिसगा समणोवासगा भवति, नो खलु एरिसगा आजीवियोवासगा भवति ।। २४०. ३ वि भाणितव्व (ता)। १.x (अ, म), ते (क, व, स)। २. ४ (ता)। Page #413 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई २४१. आजीवियसमयस्स ण अयमढे-अक्खीणपडिभोइणो सव्वे सत्ता; से हता, छेत्ता, भेत्ता, लुपित्ता, विलुपित्ता, उद्दवइत्ता आहारमाहारेति ।। २४२. तत्थ खलु इमे दुवालस आजीवियोवासगा भवति, त जहा–१. ताले २ ताल पलवे ३ उविहे ४. सविहे ५ अवविहे ६ उदए' ७ नामुदए ८ णम्मुदए' ६ अणुवालए १०. सखवालए ११ अयपुले १२ कायरए-इच्चेते दुवालस आजीवियोवासगा अरहतदेवतागा, अम्मापिउसुस्सूसगा, पचफलपडिक्कता, [त जहा-उवरेहि, वडेहि, वोरेहि, सतरेहि, पिलक्खूहि]५ पलडुल्हसुणकदमूलविवज्जगा', अणिल्लछिएहि अणक्कभिन्नेहि गोणेहि तसपाणविवज्जिएहिं छेत्तेहिं वित्ति कप्पेमाणा विहरति । एए वि ताव एव इच्छति किमग | पुण जे इमे समणोवासगा भवति, जेसिं नो कप्पति इमाइ पन्नरस कम्मादाणाइ सय करेत्तए वा, कारवेत्तए वा, करेत वा अन्न समणुजाणेत्तए, त जहाइगालकम्मे, वणकम्मे, साडीकम्मे, भाडीकम्मे, फोडीकम्मे, दतवाणिज्जे, लक्खवाणिज्जे, केसवाणिज्जे, रसवाणिज्जे, विसवाणिज्जे, जंतपीलणकम्मे, निल्लछणकम्मे', दवग्गिदावणया, सर-दह-तलागपरिसोसणया", असतीपोसणया। इच्चेते समणोवासगा सुक्का, सुक्काभिजातीया भवित्ता कालमासे काल किच्चा अण्णयरेसु देवलोएसु देवत्ताए उववत्तारो भवति । २४३ कतिविहा णं भते । देवलोगा पण्णत्ता ?, गोयमा। चउव्विहा देवलोगा पण्णत्ता, त जहा-भवणवासी, वाणमतरा जोइसिया, वेमाणिया । २४४. सेव भते ! सेवं भते । त्ति" ॥ १. उवए (अ)। ७ अणे° (क, ता, स)। . २. णमुदए (स)। ८ वित्तेहिं (अ), छत्तेहिं (क, म), चित्तेहिं (स) ३. कातरिए (ता, ब, म)। ६ निलछण ° (अ), णेल्लछण ° (ता)। ४. देवयागा (क्व०)। १०. तलाय ° (अ, स)। ५ असो कोष्ठकवर्ती पाठो व्याख्याश. प्रतीयते । ११ भ° ११५१ । ६. पलडूल्हसण° (स)। Page #414 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ठम सत (छट्ठो उद्देसो) ३५५ छट्टो उद्देसो समरणोवासगकयस्स दाणस्स परिणाम-पदं २४५ समणोवासगस्स ण भते । तहारूव समण वा माहण वा फासु-एसणिज्जेण असण पाण-खाइम-साइमेण पडिलाभेमाणस्स कि कज्जइ ? गोयमा । एगतसो से निज्जरा कज्जइ, नत्थि य से पावे कम्मे कज्जइ॥ २४६ समणोवासगस्स ण भते । तहारूव समण वा माहण वा अफासुएणं अणेस णिज्जेण असण-पाण' -खाइम-साइमेण ° पडिलाभेमाणस्स किं कज्जइ ? गोयमा | बहुतरिया' से निज्जरा कज्जइ, अप्पतराए से पावे कम्मे कज्जइ ।। २४७. समणोवासगस्स ण भते ! तहारूव अस्सजय-विरय-पडिहय-पच्चक्खायपाव कम्म फासुएण वा, अफासूएण वा, एसणिज्जण वा, अणेसणिज्जेण वा असणपाण-खाइम-साइमेण पडिलाभेमाणस्स° कि कज्जइ ? गोयमा । एगतसो से पावे कम्मे कज्जइ, नत्थि से काइनिज्जरा कज्जइ॥ उवनिमंतिपिंडादि-परिभोगविहि-पदं २४८ निग्गथ च ण गाहावइकूल पिंडवायपडियाए अणुप्पविटु केइ दोहि पिंडेड उवनिमतेज्जा-एग पाउसो | अप्पणा भुजाहि, एग थेराण दलयाहि । से य त पडिग्गाहेज्जा', थेरा य से अणुगवेसियव्वा सिया। जत्थेव अणुगवेसमाणे थेरे पासिज्जा तत्येव अणुप्पदायव्वे सिया, नो चेव ण अणुगवेसमाणे थेरे पासिज्जा त नो अप्पणा भुजेज्जा, नो अण्णेसिं दावए, एगते अणावाए अचित्ते बहुफासुए थडिल्ले पडिलेहेत्ता पमज्जित्ता परिट्ठावेयव्वे सिया ॥ २४६. निग्गथ च ण गाहावइकुल पिंडवायपडियाए अणुप्पविट्ठ केइ तिहिं पिडेहि उवनिमतेज्जाएग आउसो | अप्पणा भुजाहि, दो थेराण दलयाहि । से य ते पडिग्गाहेज्जा, थेरा य से अणुगवेसियव्वा 'सिया । जत्थेव अणुगवेसमाणे थेरे पासिज्जा तत्येव अणुप्पदायव्वे सिया, नो चेव ण अणुगवेसमाणे थेरे पासिज्जा ते नो अप्पणा भुजेज्जा, नो अण्णेसि दावए, एगते अणावाए अचित्ते वहुफासुए थडिल्ले पडिलेहेत्ता पमज्जित्ता परिट्ठावेयव्वा सिया । एव जाव दसहि पिडेहि १ स० पा०-पाण जाव पडिलाभेमारणस्स। २ बहुतरिता (क, व, म)। ३ अविरय (अ, क, ब, म)। ४. स० पा०~पाण जाव किं । ५, कावि (क, व)। ६ पडिगाहेज्जा (अ, स), पडिग्गहेज्जा (ब)। ७ अणुप्पतातब्वे (ता)। ८ परिट्टवेयवे (अ, स)। ६ स० पा०-सेस त चेव जाव परिट्ठावेयव्वा । Page #415 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई उवनिमतेज्जा, नवरं-एग आउसो | अप्पणा भुजाहि, नव थेराणं दलयाहि । सेस त चेव जाव परिदावेयव्वा सिया ।।। २५०. निग्गय च ण गाहावइ''कुल पिंडवायपडियाए अणुप्पविट्ठ केइ दोहिं पडिग्गहेहिं उवनिमतेज्जा-एग आउसो । अप्पणा पडिभुजाहि, एग थेराण दलयाहि । से य त पडिग्गाहेज्जा, थेरा य से अणुगवेसियव्वा सिया । जत्थेव अणुगवेसमाणे थेरे पासिज्जा तत्थेव अणुप्पदायव्वे सिया, नो चेव ण अणुगवेसमाणे हेरे पासिज्जा त नो अप्पणा परिभुजेज्जा, नो अण्णेसि दावए, एगते अणावाए अचित्ते बहुफासुए थडिल्ले पडिलेहेत्ता पम्मज्जित्ता परिट्ठावेयव्वे सिया । एव जाव दसहि पडिग्गहेहि। एव जहा पडिग्गहवत्तव्वया भणिया, एव गोच्छग-रयहरण-चोलपट्टग-कबललद्वि-सथारगवत्तव्वया य भाणियव्वा जाव दसहि सथारएहि उवनिमतेज्जा जाव परिट्ठावेयव्वा सिया ॥ आलोयणाभिमुहस्स पाराहय-पदं २५१. निग्गथेण य गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए पवितुणं अण्णयरे अकिच्चट्ठाणे पडिसेविए, तस्स ण एवं भवति-इहेव ताव अह एयस्स ठाणस्स आलोएमि, पडिक्कमामि, निदामि, गरिहामि, विउट्टामि', विसोहेमि, अकरणयाए अब्भुटेमि, अहारिय पायच्छित्तं तवोकम्म पडिवज्जामि, तो पच्छा थेराण अतियं आलोएस्सामि जाव तवोकम्म पडिवज्जिस्सामि।। १. से य सपदिए असपत्ते, थेरा य पुवामेव' अमूहा सिया। से ण भते । कि आराहए ? विराहए ? गोयमा ! अाराहए, नो विराहए। २. से य सपट्टिए असपत्ते, अप्पणा य पुव्वामेव अमुहे सिया । से ण भते । कि आराहए ? विराहए ? गोयमा । बाराहए, नो विराहए। ३ से य सपट्ठिए असपत्ते, थेरा य काल करेज्जा । से ण भते । कि पाराहए । विराहए ? गोयमा ! पाराहए, नो विराहए। १. स० पा०-गाहावइ जाव केइ । २. स० पा०-तहेव जाव त नो अप्पणा परि- भजेज्जा , नो अण्णेसिं दावए, सेस तं चेव जाव परिद्ववेयव्वे । ३ विउट्टेमि (ता)। ४ अतिए (अ)। ५ X (म, ता, व, म)। Page #416 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३५७ अट्ठम सत (छट्ठो उद्देसो) ४ से य सपट्ठिए असपत्ते, अप्पणा य पुव्वामेव काल करेज्जा । से ण भंते । कि आराहए ? विराहए ? गोयमा | आराहए, नो विराहए। ५ से य सपट्ठिए सपत्ते, थेरा य अमुहा सिया । से ण भंते । किं आराहए ? विराहए? गोयमा । आराहए, नो विराहए। ६ से य सपट्टिए सपत्ते अप्पणा य 'अमुहे सिया । से ण भते । कि आराहए ? विराहए? गोयमा | पाराहए, नो विराहए। ७ से य सपट्टिए सपत्ते, थेरा य काल करेज्जा। से ण भते । कि पाराहए ? विराहए? गोयमा | पाराहए, नो विराहए। ८ से य सपट्ठिए सपत्ते अप्पणा य काल करेज्जा । से ण भते कि पाराहए ? विराहए ? गोयमा | पाराहए, नो विराहए । निग्गथेण य बहिया वियारभूमि वा विहारभूमि वा निक्खतेण अण्णयरे अकिच्चट्ठाणे पडिसेविए, तस्स ण एव भवति-इहेव ताव अह एयस्स ठाणस्स आलोएमि-एव एत्थ वि ते चेव अट्ठ पालावगा भाणियव्वा जाव नो विराहए। २५३ निग्गथेण य गामाणुगाम दूइज्जमाणेण अण्णयरे अकिच्चट्ठाणे पडिसेविए, तस्स ण एव भवइ-इहेव ताव अह एयस्स ठाणस्स आलोएमि-एव एत्थ वि ते चेव अट्ठ आलावगा भाणियव्वा जाव नो विराहए ॥ निग्गथीए य गाहावइकुल पिंडवायपडियाए अणुपविट्ठाए अण्णयरे अकिच्चट्ठाणे पडिसेविए, तीसे ण एव भवइ-इहेव ताव अह एयस्स ठाणस्स आलोएमि जाव तवोकम्म पडिवज्जामि, तो पच्छा पवत्तिणीए अतिय आलोएस्सामि जाव तवोकम्म पडिवज्जिस्सामि । सा य सपट्टिया असपत्ता, पवत्तिणी य अमुहा सिया। सा ण भते । कि आराहिया? विराहिया ? । गोयमा । पाराहिया, नो विराहिया । सा य सपट्ठिया जहा निग्गथस्स तिण्णि गमा भणिया एव निग्गथीए वि तिण्णि आलावगा भाणियव्वा जाव आराहिया, नो विराहिया ।। २५४ १ स० पा०-एव सपत्तेण वि चत्तारि आला- २ विचार (ता, म), वितार (ब) | वगा भाणियन्वा जहेव असपत्तेण । ३. पवित्तिणीए (अ, ता, व, स)। Page #417 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ३५८ २५५. से केण?ण भते ! एव वुच्चइ-आराहए ? नो विराहए ? गोयमा । से जहानामए केइ पुरिसे एग मह उण्णालोम वा, गयलोमं वा, सणलोम वा, कप्पासलोम वा, तणसूय वा दुहा वा तिहा वा सखेज्जहा वा छिदित्ता अगणिकायसि पक्खिवेज्जा, से नण गोयमा । छिज्जमाणे छिण्णे, पक्खिप्पमाणे पक्खित्ते, 'दज्झमाणे दड्ढे' त्ति वत्तव्व सिया? । हता भगव । छिज्जमाणे छिण्णे', 'पक्खिप्पमाणे पविखत्ते, दज्झमाणे ° दड्ढे त्ति वत्तव्व सिया। से जहा वा केइ पुरिसे वत्थ अहत वा, धोत वा, ततुग्गय वा मजिट्ट'-दोणीए पक्खिवेज्जा, से नण गोयमा ! उक्खिप्पमाणे उक्खित्ते, पक्खिप्पमाणे पक्खित्ते, रज्जमाणे रत्ते त्ति वत्तव्व सिया ? हता भगव ! उविखप्पमाणे उविखत्ते', 'पविखप्पमाणे पविखत्ते, रज्जमाणे° रत्ते त्ति वत्तव्व सिया । से तेण?ण गोयमा ! एव वुच्चइ-पाराहए, नो विराहए॥ जोति-जलण-पदं २५६. पदीवरस ण भते । झियायमाणस्स कि पदीवे झियाइ ? लट्ठी झियाइ ? वत्ती झियाइ ? तेल्ले झियाइ? दीवचपए झियाइ? जोती झियाइ ? गोयमा | नो पदीवे झियाई', 'नो लट्ठी झियाइ, नो वत्ती झियाइ, नो तेल्ले झियाइ°, नो दीवचपए झियाइ, जोती झियाइ॥ अगारस्स' ण भते । झियायमाणस्स कि अगारे झियाइ ? कूडा झियाइ ? कडणा झियाइ ? धारणा झियाइ? वलहरणे झियाइ ? वसा झियाइ ? मल्ला झियाइ ? वागा झियाइ ? छित्तरा झियाइ ? छाणे झियाइ ? जोती २५७. झियाइ? गोयमा | नो अगारे झियाइ, नो कुड्डा झियाइ जाव नो छाणे झियाइ, जोती झियाइ । किरिया-पदं २५८ जीवे ण भते । ओरालियसरीरानो कतिकिरिए ? गोयमा ! सिय तिकिरिए, सिय चउकिरिए, सिय पचकिरिए, सिय अकिरिए। १. डज्झमाणे डझे (ता, ब)। २ स० पा०-छिण्णे जाव दड्ढे । ३ मंजिट्ठा (अ, स)। ४ सं० पा०-उक्खित्ते जाव रत्ते। ५. स० पा०-झियाइ जाव नो। ६. आगारे (अ, म, स)। Page #418 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३५९ अट्ठम सत (छट्ठो उद्देसो) २५६ नेरइए ण भते । ओरालियसरीरामो कतिकिरिए ? गोयमा । सिय तिकिरिए, सिय चउकिरिए, सिय पचकिरिए। २६०. असुरकुमारे ण भते । ओरालियसरी राम्रो कतिकिरिए ? एव चेव । एव जाव वेमाणिए, नवर-मणुस्से जहा जीवे ।। २६१ जीवे ण भते । ओरालियसरीरेहितो कतिकिरिए ? गोयमा । सिय तिकिरिए जाव सिय अकिरिए। २६२ नेरइए ण भते । ओरालियसरीरेहितो कतिकिरिए ? एव एसो वि' जहा' पढमो दडयो तहा' भाणियव्वो जाव वेमाणिए, नवर मणुस्से जहा जीवे ।। २६३ जीवा ण भते । अोरालियसरीराओ कतिकिरिया ? गोयमा । सिय तिकिरिया जाव सिय अकिरिया ।। २६४ नेरइया ण भते । ओरालियसरीरायो कतिकिरिया ? एव एसो वि जहा पढमो दडओ तहा भाणियव्वो जाव वेमाणिया, नवर मणुस्सा जहा जीवा ॥ २६५ जीवा ण भते । अोरालियसरीरेहितो कतिकिरिया ? गोयमा | तिकिरिया वि, चउकिरिया वि, पचकिरिया वि, अकिरिया वि ॥ २६६ नेरइया ण भते । ओरालियसरीरेहितो कतिकिरिया ? गोयमा ! तिकिरिया वि, चउकिरिया वि, पचकिरिया वि । एव जाव वेमा णिया, नवर-मणुस्सा जहा जीवा ॥ २६७ जीवे ण भते ! वेउव्वियसरीरायो कतिकिरिए ? गोयमा | सिय तिकिरिए, सिय चउकिरिए, सिय अकिरिए । २६८. नेरइए ण भते | वेउव्वियसरीरामो कतिकिरिए ? गोयमा | सिय तिकिरिए, सिय चउकिरिए। एव जाव वेमाणिए, नवरमणुस्से जहा जीवे । एव जहा ओरालियसरीरेण चत्तारि दडगा भणिया हा वेउव्वियसरीरेण वि चत्तारि दडगा भाणियव्वा, नवर-पचमकिरिया न भण्णइ, सेस त चेव । एव जहा वेउव्विय तहा आहारग पि, तेयग पि कम्मग पि भाणियव्वं-एक्केक्के चत्तारि दडगा भाणियव्वा जाव२६६ वेमाणिया ण भते ! कम्मगसरीरेहितो कतिकिरिया ? गोयमा | तिकिरिया वि, चउकिरिया वि ।। २७० सेव भते । सेव भते ! त्ति ॥ १ x (अ, क, ता, म, स)। ४ भ० ८२५८ । २ भ० ८।२५६ । ५ भ० ११५१ । ३ तहा इमो वि अपरिसेसो (अ, क, ता, ब, स) Page #419 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३६० भगवई सत्तमो उद्देसो अण्णउत्थियसंवाद-पदं प्रदत्त पडुच्च - २७१ तेण कालेण तेण समएण रायगिहे नयरे–वण्णमो', गुणसिलए चेइए–वण्णओ जाव पुढविसिलावट्टयो। तस्स ण गुणसिलस्स चेइयस्स अदूरसामते बहवे अण्णउत्थिया परिवसति। तेण कालेण तेण समएण समणे भगव महावीरे आदिगरे जाव' समोसढे जाव परिसा पडिगया । २७२ तेण कालेण तेण समएण समणस्स भगवनो महावीरस्स बहवे अतेवासी थेरा भगवतो जातिसपन्ना कुलसपन्ना 'बलसपन्ना विणयसपन्ना नाणसपन्ना दसणसपन्ना चरित्तसपन्ना लज्जासपन्ना लाघवसपन्ना ओयसी तेयसी वच्चसी जससी जियकोहा जियमाणा जियमाया जियलोभा जियनिहा जिइदिया जियपरीसहा जीवियास-मरणभयविप्पमुक्का समणस्स भगवओ महावीरस्स अदूरसामते उड्ढजाणू अहोसिरा झाणकोट्ठोवगया सजमेण तवसा अप्पाण भावेमाणा विहरति ।। २७३ तए ण ते अण्णउत्थिया जेणेव थेरा भगवतो तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता ते थेरे भगवते एव वयासी-तुब्भे ण अज्जो तिविह तिविहेण अस्सजय-'विरयपडिहय-पच्चक्खायपावकम्मा, सकिरिया, असवुडा, अगतदडा° एगंतवाला या वि भवह ॥ २७४ तए ण ते थेरा भगवतो ते अण्णउत्थिए एव वयासी-केण कारणेण अज्जो ! अम्हे तिविह तिविहेण अस्सजय-विरय - पडिहय-पच्चक्खायपावकम्मा, सकिरिया, असवुडा, एगतदडा, एगतवाला या वि भवामो ? २७५ तए ण ते अण्णउत्थिया ते थेरे भगवते एव वयासी-तुभेण अज्जो | अदिन्न गेण्हह, अदिन्न भुजह, अदिन्न सातिज्जह । तए ण ते तुम्भे अदिन्न गेण्हमाणा, अदिन्न भजमाणा, अदिन्न सातिज्जमाणा तिविह तिविहेण अस्सजय-विरय पडिहय-पच्चक्खायपावकम्मा जाव एगतवाला या वि भवह ॥ १. ओ० सू०१। ६ जाव विहरति (अ, क, ता, म, स)। २. ओ० सू० २-१३। ७. अविरय-अपडिहय (अ, क, ब, म, स)। ३ भ० ११७ । ८ स० पा०-जहा सत्तमसए वितिए उद्देसए ४. भ० ११८। जाव एगतवाला। ५ स० पा०–जहा वितियसए जाव जीवियास। ६ स० पा०—विरय जाव एगतबाला। १०. तुम्हे (ब)। Page #420 -------------------------------------------------------------------------- ________________ असत (सत्तम उद्देसो) ३६१ २७६ तए ण ते थेरा भगवतो ते अण्णउत्थिए एवं वयासी - केण कारणेण प्रज्जो ' अम्हे अदिन्न गेण्हामो, अदिन्न भुजामो, अदिन्न सातिज्जामो, जए' ण म्हे अदिन्न गेण्हमाणा', अदिन्न भुजमाणा प्रदिन्न सातिज्जमाणा तिविह तिविहेण अस्सजय - विरय - पडिय - पच्चक्खायपावकम्मा जाव एगतबाला या वि भवामो ? २७७ तए ण ते अण्णउत्थिया ते थेरे भगवते एव वयासी - तुब्भण्ण' ग्रज्जो । दिज्जमाणे अदिन्ने, पडिग्गाहेज्जमाणे अपडिग्गाहिए, निस्सिरिज्जमाणे प्रणिसिट्टे । तुम्भण प्रज्जो | दिज्जमाण पडिग्गहग असपत्त एत्थ ण अतरा केइ प्रवहरेज्जा गाहावइस्स णत, नो खलु त तुब्भ, तए ण तुब्भे अदिन्न गण्हह', प्रदिन्न भुजह, अदिन्न सातिज्जह । तए ण तुब्भे अदिन्न गण्हमाणा जाव' एगतबाला या विभवह || 1 २७८ तए ण ते थेरा भगवतो ते ग्रण्णउत्थिए एव वयासी - नो खलु प्रज्जो | हे दिन्न गण्हामो, अदिन्न भुजामो, प्रदिन्न सातिज्जामो । अम्हे ण प्रज्जो ! - दिन्न गण्हामो, दिन्न भुजामो, दिन्न सातिज्जामो । तए ण श्रम्हे दिन्न गेहमाणा, दिन्न भुजमाणा, दिन्न सातिज्जमाणा तिविह तिविहेण सजय - विरयपडिहय- "पच्चक्खायपावकम्मा, अकिरिया, सवुडा • एगतपडिया या वि भवामो ॥ २७६. तए ण ते अण्णउत्थिया ते थेरे भगवते एव वयासी - केण कारणेण अज्जो 1 तुम्हे दिन गेहह, दिन्न भुजह, दिन्न सातिज्जह, जए' ण तुब्भे दिन्न गेहमाणा जाव" एगतपडिया या वि भवह ? २८० तएण ते थेरा भगवतो ते अण्णउत्थिए एव वयासी म्हण्ण अज्जो | दिज्जमाणे दिन्ने, पडिग्गाहिज्जमाणे पडिग्गाहिए, निस्सिरिज्जमाणे निसिट्टे । म्हण अज्जो ! दिज्जमाण पडिग्गहग असपत्त एत्थ ण अतरा केइ अवहरेज्जा, अम्हण्ण त, नो खलु त गाहावइस्स, तए ण अम्हे दिन्न गेण्हामो, दिन्न भुजामो, दिन्न सातिज्जामो तएण अम्हे दिन्न गेण्हमाणा", दिन्न भुजमाणा, ° दिन्न सातिज्जमाणातिविह तिविहेण सजय - विरय- पडिहय- पच्चक्खायपावकम्मा जाव एगत १. तए ( अ, क, ता, ब, भ, स ) । २. स० पा० – गेहमारणा जाव अदिन्न । ३. तुम्हाण ( म, स ) । ४ निसरिज्ज • ( क ) | ५ स० पा० - गेव्हह जाव अदिन्न । ६. भ० ८।२७६ । ७. स० पा० - जहा सत्तमसए जाव एगतपडिया ८ स०पा० – गेहह जाव दिन्न । εतए ( अ, क, ता, व, म, स ) । १०. भ० ८।२७८ । ११. स० पा० – गेहमाणा जाव दिन्न । Page #421 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई पंडिया या विभवामो । तुभे ण ग्रज्जो ! श्रप्पणा चेव तिविह तिविहेणं ग्रस्सजय- विरयपडिय-पच्चवखायपावकम्मा जाव एगंतवाला या विभवह ॥ २८१ तएण ते अण्णउत्थिया ते येरे भगवंते एव वयासी—केण कारणेण ग्रज्जो ! म्हे तिविह तिविहेण ग्रस्सजय - विरय-पडिय-पच्चक्खायपावकम्मा जाव एगतवाला या वि भवामो ? ३६२ २८२ तएण ते थेरा भगवतो ते ग्रण्णउत्थिए एव वयासी - तुभे ण ग्रज्जी । ग्रदिन्नं गेहह, अदिन्न भुजह, अदिन्न सातिज्जह, तए ण तुम्भे ग्रदिन्नं गेण्हमाणा जाव गतवाला या विभवह ॥ २८३. तएण ते ग्रण्णउत्थिया ते थेरे भगवते एव वयासी केण कारणेणं ग्रज्जो हे दिन्न हामो जाव एगतवाला या वि भवामो ? २८४. तए ण ते थेरा भगवतो ते ग्रण्णउत्थिए एव वयासी - तुम्भण्ण प्रज्जो ! दिज्जमा दिने डिग्गा हेज्जमाणे ग्रपडिग्गाहिए, निस्सिरिज्जमाणे ग्रणसिट्टे । तुम्भण्ण ग्रज्जो । दिज्जमाण पडिग्गहग ग्रसपत्त एत्थ ण अंतरा केइ प्रवहरेज्जा॰, गाहावइस्स ण त, नो खलु त तुम्भ । तए ण तुव्भे ग्रदिन्नं गेण्हह जाव' गतवाला या विभवह ॥ हिंसं पडुच्च - २८५ तएण ते अण्णउत्थिया ते येरे भगवते एव वयासी - तुभे ण ग्रज्जो ! तिविहं तिविहेण ग्रस्सजय विरय-पडिय-पच्चक्खायपावकम्मा जाव एगंतवाला या विभवह || २८६. तए ण ते थेरा भगवतो ते अण्णउत्थिए एव वयासी – केण कारणेण श्रज्जो । अम्हे तिविह तिविहेण जाव एगतवाला यावि भवामो ? २८७. तए ण ते अण्णउत्थिया ते थेरे भगवते एव वयासी - तुभे ण अज्जो । रीय 'रीयमाणा पुढवि पेच्चेह ग्रभिहणह वत्तेह लेसेह सघाएह सघट्टेह परितावेह किलामेह उद्दवेह, तए ण तुब्भे पुढव पेच्चमाणा अभिहणमाणा' 'वत्तेमाणा लेसेमाणा सघाएमाणा सघट्टेमाणा परितावेमाणा किलामेमाणा • उद्दवेमाणा तिविह तिविहेण ग्रस्सजय - विरय-पडिय-पच्चक्खायपावकम्मा जाव एगतवाला या विभवह ॥ ० 1 २८८ तए ण ते थेरा भगवतो ते अण्णउत्थिए एव वयासी - नो खलु प्रज्जो | ग्रहे रीय रीयमाणा पुढव पेच्चामो अभिहणामो जाव उद्दवेमो । अम्हेण प्रज्जो ! ३ स० पा०-- - अभिहरणमारणा जाव उद्दवेमाणा । १. स० पा० - चेव जाव गाहावइस्स | २. त चेव जाव ( अ, क, ता, व, म, स ) । Page #422 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पट्ठम सत (सत्तमो उद्देसो) ३६३ रीय रीयमाणा काय वा, ज़ोय वा, रिय वा पञ्च्च देस देसेण वयामो, पदेस पदेसेण वयामो, तेण अम्हे देस देसेण वयमाणा, पदेस पदेसेण वयमाणा नो पुढवि पेच्चेमो अभिहणामो जाव उद्दवेमो, तए ण अम्हे पुढवि अपेच्चेमाणा अणभिहणमाणा जाव अणोद्दवेमाणा तिविह तिविहेण सजय-विरय-पडिहयपच्चक्खायपावकम्मा जाव एगतपडिया या वि भवामो। तुन्भे ण अज्जो । अप्पणा चेव तिविह तिविहेण अस्सजय-विरय-पडिहय-पच्चक्खायपावकम्मा जाव एगतवाला या वि भवह।। २८६ तए ण ते अण्णउत्थिया ते थेरे भगवते एव वयासी–केण कारणेण अज्जो । अम्हे तिविह तिविहेण जाव एगतबाला या वि भवामो ? २६० तए ण ते थेरा भगवतो ते अण्णउत्थिए एव वयासी-तुन्भे ण अज्जो | रीय रीयमाणा पुढवि पेच्चेह जाव उद्दवेह, तए ण तुब्भे पुढवि पेच्चेमाणा जाव उद्दवेमाणा तिविह तिविहेण जाव एगतबाला या वि भवह ।। गममाणगयं पडुच्च२९१ तए ण ते अण्णउत्थिया ते थेरे भगवते एव वयासी-तुब्भण्ण अज्जो । गम्म माणे अगते, वीतिक्कमिज्जमाणे प्रवीतिक्कते, रायगिह नगर सपाविउकामे असपत्ते ॥ २६२ तए ण ते थेरा भगवतो ते अण्णउत्थिए एव वयासी-नो खलु अज्जो | अम्ह गम्ममाणे अगते, वीतिक्कमिज्जमाणे अवीतिक्कते, रायगिह नगर सपाविउकामे असपत्ते । अम्हण्ण अज्जो । गम्ममाणे गए, वीतिक्कमिज्जमाणे वीतिक्कते, रायगिह नगर सपाविउकामे सपत्ते । तुब्भण्ण अप्पणा चेव गम्ममाणे अगते, वीतिक्कमिज्जमाणे अवीतिक्कते, रायगिह' 'नगर सपाविउकामे असपत्ते तए ण ते थेरा भगवतो अण्णउत्थिए एव पडिभणति, पडिभणित्ता गइप्पवाय नाम अज्झयण पण्णवइसु ।। २६३. कतिविहे ण भते । गइप्पवाए पण्णत्ते ? गोयमा । पचविहे गइप्पवाए पण्णत्ते, त जहा–पयोगगई, ततगई, बघणछेयणगई, उववायगई, विहायगई। एत्तो प्रारब्भ पयोगपय निरवसेस भाणियव्व जाव सेत्त विहायगई। २६४ सेव भते ! सेव भते ! त्ति ॥ १ स० पा०-रायगिह जाव असपत्ते । २. पडिहगड (अ, क, ता, व, म, स)। ३. विहागती (ता)। ४. आरत (क, ता, व, म)। ५ प०१६।। ६. भ० ११५१ । Page #423 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३६४ भगवई अट्ठमो उद्देसो पडिणीय-पदं २६५ रायगिहे जाव' एव वयासी-गुरू ण भते । पडुच्च' कति पडिणीया' पण्णत्ता ? गोयमा । तो पडिणीया पण्णत्ता, तं जहा-आयरियपडिणीए, उवज्झाय पडिणीए, थेरपडिणीए । २६६ गति ण भते । पडुच्च कति पडिणीया पण्णत्ता ? गोयमा । तो पडिणीया पण्णत्ता, त जहा-इहलोगपडिणीए, परलोग__ पडिणीए, दुहोलोगपडिणीए । २६७ समूहण्ण भते । पडुच्च कति पडिणीया पण्णत्ता ? गोयमा ! तो पडिणीया पण्णत्ता, त जहा–कुलपडिणीए, गणपडिणीए, सघपडिणीए॥ २६८. अणुकप पडुच्च कति पडिणीया पण्णत्ता? ० गोयमा तो पडिणीया पण्णत्ता, त जहा-तवस्सिपडिणीए, गिलाणपडिणीए, सेहपडिणीए॥ २६६ सुयण्ण भते । पडुच्च 'कति पडिणीया पण्णत्ता? ० गोयमा । तो पडिणीया पण्णत्ता, त जहा-सुत्तपडिणीए, अत्थपडिणीए, तदुभयपडिणीए॥ ३०० भावण्ण भते | पडुच्च • कति पडिणीया पण्णत्ता? ० गोयमा । तओ पडिणीया पण्णत्ता, त जहा-नाणपडिणीए, दसणपडिणीए, चरित्तपडिणीए । पंचववहार-पदं ३०१ कतिविहे ण भते । ववहारे पण्णत्ते ? गोयमा । पचविहे ववहारे पण्णत्ते, तं जहा-आगमे, सुतं, प्राणा, धारणा, जीए। १. भ० ११४-१०। ५. दुहालोग ° (अ, ब, म), उभयपडि° (क); २. पडुच्चा (क, म)। दुहलोग° (ता)। ३. पडरिणया (ता, म), तुलना-ठा० ३।४८८- ६ स० पा०-पुच्छा । ४६३॥ ७ स० पा०-पुच्छा। ४ अत्र णकारयोगे अनुस्वारलोप । ८ स० पा०-पुच्छा। ६. तुलना–ठा० ५।१२४; व० १० । Page #424 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३६५ भट्टमं सतं (अट्ठमो उद्देसो) जहा से तत्थ प्रागमे सिया आगमेणं ववहारं पट्टवेज्जा। णो य से तत्थ आगमे सिया, जहा से तत्थ सुए सिया, सुएण ववहार पट्टवेज्जा। णो य से तत्थ सुए सिया, जहा से तत्थ आणा सिया, प्राणाए ववहार पट्टवेज्जा । णो य से तत्थ आणा सिया, जहा से तत्थ धारणा सिया, धारणाए ववहार पट्ठवेज्जा । णो य से तत्थ धारणा सिया, जहा से तत्थ जीए सिया, जीएण ववहार पट्ठवेज्जा । इच्चेएहिं पचहिं ववहार पट्ठवेज्जा, त जहा-आगमेण, सुएण प्राणाए, धारणाए, जीएण। जहा-जहा से आगमे सुए आणा धारणा जीए तहा-तहा ववहार पट्टवेज्जा । से किमाह भते । आगमवलिया समणा निग्गथा ? इच्चेतं पचविह ववहार जदा-जदा जहिं-जहिं 'तदा-तदा' तहिं-तहि अणिस्सि प्रोवस्सित सम्म ववहरमाणे समणे निग्गथे आणाए आराहए भवइ । बंध-पदं ३०२ कतिविहे ण भते । बधे पण्णत्ते ? गोयमा । दुविहे बधे पण्णत्ते, त जहा-इरियावहियबधे य, सपराइयवधे य ।। इरियाव हियबंध-पदं इरियावहिय ण भते । कम्म कि नेरइयो बधइ ? तिरिक्खजोणियो बधइ ? तिरिक्खजोणिणी बधइ ? मणुस्सो बधइ ? मणुस्सी बधइ ? देवो बधइ ? देवी वधइ ? गोयमा | नो ने रइओ बधइ, नो तिरिक्खजोणिओ बधइ, नो तिरिक्खजोणिणी बधइ, नो देवो बधइ, नो देवी बधइ। पुव्व पडिवन्नए पडुच्च मणुस्सा य मणुस्सीयो य बधति, पडिवज्जमाणए पडुच्च १ मणुस्सो वा बधइ २ मणुस्सी वा बधइ ३ मणुस्सा वा वधति ४ मणुस्सीओ वा बधति ५ अहवा मणस्सो । य मणुस्सी य वधइ ६ अहवा मणुस्सो य मणुस्सीयो य बधति ७ अहवा मणुस्सा य मणुस्सी य बधति ८ अहवा मणुस्सा य मणुस्सीओ य बधति ॥ १. तहा-तहा (अ, स)। निर्ग्रन्था. | पञ्चविधव्यवहारस्य फलमिति २ हन्त । आहुरेवेति गुरुवचन गम्यमिति, अन्ये शेष , अत्रोत्तरमाह-'इच्चेय' मित्यादि(वृ)। तु 'से किमाहु भते ।' इत्याद्येव व्याख्यान्ति- ३ °वधिय ° (म), वहिया • (स)। अथ किमाहुर्भदन्त ! आगमवलिका श्रमणा ४. ° वहिया (अ, क, स), वहिय (ता)। Page #425 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ३६६ ३०४. त भंते ! किं इत्थी बंधइ ? पुरिसो बंधइ ? नपुसगो बधइ ? इत्थीयो ? बधति ? पुरिसा वधति ? नपुसगा वधति ? नोइत्थी नोपुरिसो नोनपुसगो वधइ ? गोयमा | नो इत्थी वधइ, नो पुरिसो वधई नो नपुसगो बधड, नो इत्थीयो बधति, नो पुरिसा वधति, नो नपु सगा वधति, नोइत्थी नोपुरिसो° नोनपुसगो वधइ-पुव्वपडिवन्नए पडुच्च अवगयवेदा वधति, पडिवज्जमाणए पडुच्च अवगयवेदो वा वंधइ अवगयवेदा वा वधति ।। ३०५ जइ भते । अवगयवेदो वा बधइ, अवगयवेदा वा वधंति त भते । कि १ इत्थीपच्छाकडो बधइ ? २ पुरिसपच्छाकडो बधइ ? ३ नपसगपच्छाकडो वधइ ? ४ इत्थीपच्छाकडा बंधति ? ५ पुरिसपच्छाकडा वधति ? ६ नपुसगपच्छाकडा वधति ? उदाहु इत्थीपच्छाकडो य पुरिसपच्छाकडो य बधइ ४ ? उदाहु इत्थीपच्छाकडो य नपुसगपच्छाकडो य । वधइ ४? उदाहु पूरिसपच्छाकडो य नपुसगपच्छाकडो य वघइ ४? उदाह इत्थीपच्छाकडो य पुरिसपच्छाकडो य नपुसगपच्छाकडो य वधइ ८ एव एते छन्वीस भगा जाव उदाहु इत्थीपच्छाकडा य पुरिसपच्छाकडा य नपुसगपच्छाकडा य वधति ? गोयमा ! १ इत्थीपच्छाकडो वि वधइ २ पुरिसपच्छाकडो वि बंधइ ३ नपुसगपच्छाकडो वि बंधइ ४. इत्थीपच्छाकडा वि वधति ५ पुरिसपच्छाकडा वि वधति ६ नपुसगपच्छाकडा वि वधति ७. अहवा इत्थीपच्छाकडो य पुरिसपच्छाकडो य बधइ, एव एए चेव छव्वीसं भगा भाणियव्वा जाव' २६. अहवा. इत्थीपच्छाकडा य पुरिसपच्छाकडा य नपुसगपच्छाकडा य वधति ॥ ३०६ त भते । कि १ बधी बधइ वधिस्सइ ? २ वधी वधइन वधिस्सइ ? ३ बधी न वधइ वंधिस्सइ ? ४ वधी न वधइ न बघिस्सइ ? ५ न बधी बधइ वधिस्सइ ? ६ न बधी वधइ न वधिस्सइ ? ७ न बधी न बधड वधिस्सइ ? ८. न बंधी न बधइ न बधिस्सइ ? गोयमा ! भवागरिस पडुच्च अत्थेगतिए बधी बंधइ बघिस्सइ, अत्थेतिए वधी वधइ न वधिस्सइ, एव त चेव सव्व जाव अत्थेगतिए न बंधी न बधइ न वधिस्सइ। १. स० पा०-वधइ जाव नोनपुसगौ। २ ८ अहवाइत्थीपच्छाकडो य पुरिसपच्छाकडा य वघति ६ अहवा इत्यीपच्छाकडा य पुरिसपच्छाकडो य वधइ १० अहवा इत्यीपच्छाकडा य पुरिसपच्छाकडाय बधति ११ अहवा इत्थीपच्छाकडो य नपुसगपच्छाकडो य वधइ १२. अहवा इत्थीपच्छाकडो य नपुसगपच्छाकडा य बघति १३ अहवा इत्थीपच्छाकडा य नपुसगपच्छाकडो य वधइ १४. अहवा इत्थीपच्छाकडा य नपुसगपच्छाकडा य वधति Page #426 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ठमं सत (अट्ठमो उद्देसो) गहणागरिसं पडुच्च अत्थेगतिए बधी वधइ बधिस्सइ, एव जाव' अत्थेगतिए न वधी वधइ बधिस्सइ, नो चेव ण न बधी बधइ न बधिस्सइ, अत्थेगतिए न वधी न बधइ वधिस्सइ, अत्थेगतिए न वधी न बधइ न वधिस्सइ ॥ ३०७. त भते । किं सादीय सपज्जवसिय बधइ ? सादीय अपज्जवसिय बधइ ? अणादीय सपज्जवसिय वधइ ? अणादीय अपज्जवसिय बधइ ? गोयमा | सादीय सपज्जवसिय वधइ, नो सादीय अपज्जवसिय बधइ, नो अणादीय सपज्जवसिय वधइ, नो अणादीय अपज्जवसिय वधइ । ३०८ त भते ! कि देसेण देस वघइ ? देसेण सव्व बधइ ? सव्वेण देस बधइ ? सव्वेण सव्व बधइ ? गोयमा | नो देसेण देस बधइ, नो देसेण सव्व बधइ,नो सव्वेण देस बधइ, सव्वेण सव्व वधइ ॥ संपराइयबंध-पदं ३०६ सपराइय णं भते । कम्म कि नेरइओ बधइ ? तिरिक्खजोणिो बधइ ? जाव' देवी बधइ ? गोयमा । नेरइनो वि वधइ, तिरिक्खजोणिो वि बधइ, तिरिक्खजोणिणी वि बधइ, मगुस्सो वि बधइ, मणुस्सो वि वधइ, देवो वि बधइ, देवी वि बधइ ।। ३१० त भते । किं इत्थी बधइ ? पुरिसो बधइ ? तहेव जाव' नोइत्थी नोपुरिसो नोनपु सगो वधइ? गोयमा । इत्थी वि बधइ, पुरिसो वि बधइ जाव नपुसगा वि बधति, 'अहवा एते" य अवगयवेदो य वधइ, अहवा एते य अवगयवेदा य बधति ।। १५. अहवा पुरिसपच्छाकडो य नपुसगपच्छा- इत्थीपच्छाकडो य पुरिसपच्छाकडा य नपुकडो य वधइ १६ अहवा पुरिसपच्छाकडो सगपच्छाकडा य वधति २३ अहवा इत्थीय नपुसगपच्छाकडा य वधति १७ अहवा पच्छाकडा य पुरिसपच्छाकडो य नपुसगपुरिसपच्छाकडा य नपुसगपच्छाकडो य वधइ पच्छाकडो य वधइ २४ अहवा इत्थीपच्छा१८. अहवा पुरिसपच्छाकडा य नपुसगपच्छा- कडा य पुरिसपच्छाकडो य नपुसगपच्छाकहा कडा य वधति १६ अहवा इत्थीपच्छाकडो य वधति २५ अहवा इत्थीपच्छाकडा य पुरिय पुरिसपच्छाकडो य नपुसगपच्छाकडो य सपच्छाकडा य नपुसगपच्छाकडो य वघइ । वघइ २० अहवा इत्थीपच्छाकडो य पुरिस- १. अत्र जाव-पदेन यो भङ्गा गृहीता । पच्छाकडो य नपुसगपच्छाकडा य बधति २१ २ भ० ६।३०३ । अहवा इत्थीपच्छाकडो या पुरिसपच्छाकडा य ३. भ० ६।३०४ । नपुसगपच्छाकडो य वधइ २२ अहवा ४. अहवेए (अ, ब, स), अहवेते (ता, म)। Page #427 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३६८ भगवई ३११ 'जइ भंते । अवगयवेदो य बंधड, अवगयवेदा य बंधंति" तं भंते । कि इत्थीपच्छाकडो बधइ ? पुरिसपच्छाकडो वधइ ? एवं जहेव इरियावहियवधगस्स तहेव निरवसेस जाव अहवा इत्थीपच्छाकडा य पुरिसपच्छाकडा य नपुसगपच्छाकडा य बधति ।। ३१२ त भते । किं १ वधी वधइ वघिस्सइ ? २. बधी बधइ न वधिस्सइ ? ३. बधी न बधइ बधिस्सइ? ४ वधी न वधइ न वधिस्सइ ? गोयमा | १. अत्यंगतिए वधी वधइ वधिस्सइ २. अत्थेगतिए बधी बधइ न वधिस्सइ ३ अत्थेगतिए वधी न बधइ बधिस्सइ ४ अत्थेगतिए बधी न वधइन बधिस्सइ॥ ३१३ तं भते । किं सादीय सपज्जवसिय वधइ ? पुच्छा तहेव । गोयमा सादीय वा सपज्जवसिय वधइ, अणादीय वा सपज्जवसिय वधइ, अणादीय वा अपज्जवसिय बधइ, नो चेव ण सादीय अपज्जवसिय बधइ ।। ३१४ तं भते ! कि देसेण देस बंधइ ? एव जहेव इरियावहियवधगस्स जाव' सव्वेणं सव्व बधइ ।। कम्मप्पगडीसु परीसहसमवतार-पदं ३१५. कइ ण भते । कम्मप्पगडीयो पण्णत्तायो ? गोयमा ! अटु कम्मप्पगडीओ पण्णत्तानो, त जहा-नाणावरणिज्ज दसणाव रणिज्ज वेदणिज्ज मोहणिज्ज अाउग नाम गोय' अतराइय ॥ ३१६. कइ ण भते । परीसहा पण्णत्ता ? गोयमा । वावीसं परीसहा पण्णत्ता, तं जहा-दिगिंछापरीसहे, पिवासापरीसहे' •सीतपरीसहे उसिणपरीसहे दसमसगपरीसहे अचेलपरीसहे अरइपरीसहे इत्थिपरीसहे चरियापरीसहे निसीहियापरीसहे सेज्जापरीसहे अक्कोसपरीसहे वहपरीसहे जायणापरीसहे अलाभपरीसहे रोगपरीसहे तणफासपरीसहे जल्लपरीसहे सक्कारपुरक्कारपरीसहे 'पण्णापरीसहे नाणपरीसहें दसण परीसहे ॥ ३१७ एए ण भते | वावीस परीसहा कतिसु कम्मप्पगडीसु समोयरंति ? गोयमा । चउसु कम्मप्पगडीसु समोयरंति, तं जहा-नाणावरणिज्जे, वेदणिज्जे, मोहणिज्जे, अतराइए। १. X (व)। २. भ० ८।३०८ । ३. गोद (व)। ४. स० पा०—पिवासापरिसहे जाव दसण° । ५. अन्नाणपरिसहे (उत्स० २१३) । ६ नाणपरीसहे दसणपरीसहे पण्णापरीसहे (स० २२।१)। Page #428 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सतं (मो उद्देसो) ३१८. नाणावर णिज्जे ग भते । कम्मे कति परीसहा समोयरंति ? गोयमा । दो परीसहा समोयरति, त जहा - पण्णापरीसहे नाणपरीसहे' य ॥ ३१९ वेदणिज्जेण भते । कम्मे कति परीसहा समोयरति ? गोयमा । एक्कारस परीसहा समोयरति, त जहा - पचेव ग्राणुपुव्वी, चरिया सेज्जा वहे य रोगे य । तणफास – जल्लमेव य, एक्कारस वेदणिज्जम्मि ॥१॥ ३२० दसणमोहणिज्जे णं भते ! कम्मे कति परिसहा समोयरति ? गोमा । एगे दसणपरीसहे समोयरइ ॥ ३२१ चरित्तमोहणिज्जे ण भते । कम्मे कति परीसहा समोगरति ? गोयमा । सत्त परीसहा समोयरति त जहा - रती ग्रचेल इत्थी, निसीहिया जायणा य अक्कोसे । सक्कार- पुरक्कारे, चरितमोहम्मि सत्तेते ॥१॥ ३२२. अतराइए ण भते । कम्मे कति परीसहा समोयरति ? गोयमा एगे लाभपरीसहे समोयरइ ॥ ३२३. सत्तविहबधगस्स ण भते । कति परीसहा पण्णत्ता ? ३६६ गोयमा | बावीस परीसहा पण्णत्ता । वीसं पुण वेदेइ - ज समय सीयपरीसह वेदे नो त समय उसिणपरीसहं वेदेइ, ज समय उसिणपरीसह वेदेइ नो तं समय सीयपरीसह वेदेइ, जं समय चरियापरीसह वेदेइ नो त समय निसीहियापरीसह वेदेइ, ज समय निसीहियापरीसह वेदेइ नो त समय चरियापरीसहं वेदेइ ॥ ३२४ 'एव ग्रट्ठ विहवधगस्स वि ॥ ३२५ छव्विहबधगस्स ण भते । सरागछउमत्थस्स कति परीसहा पण्णत्ता ? गोयमा ! चोट्स परिसहा पण्णता । वारस पुण वेदेइ-ज समय सीयपरीसह वेदेइ नो त समय उसिणपरीसह वेदेइ, ज समय उसिणपरीसह वेदेइ नो समय सीयपरीसह वेदेइ, ज समय चरियापरीसह वेदेइ नो त समय सेज्जापरीसह वेदेइ, ज समयं सेज्जापरीसह वेदेइ नो त समय चरियापरीसह वेदेइ ॥ १ अण्णाण ० ( अ ) । २. अट्ठ विहवघगस्स ण भते । कति परिसहा प० गो० बावीस परीसहा, त छुहारी सहे पिवासा परीसहे सीयपरीसहे उसिरपरीसहे दससगपरीसहे जाव अलाभपरीसहे एव श्रट्ट - विहवघगस्स वि (क, ब, म), अट्ठ विहबधगस्स ण भते कति परीसहा प० गो० बावीस परीसहा प० एव अट्ठविघवधगस्स (ता, स ) । उसुण ० ( ता) । ३ Page #429 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३७० भगवई ३२६. एक्कविहवंधगस्स णं भंते ! वीयरागछउमत्थस्स कति परीसहा पण्णत्ता ? गोयमा! एव चेव-जहेव छविहवधगस्स ।। ३२७ एगविहवधगस्स ण भते ! सजोगिभवत्थकेवलिस्स कति परीसहा पण्णत्ता ? गोयमा ! एक्कारस परीसहा पण्णत्ता । नव पुण वेदेड । सेस जहा छव्विहवधगस्स ॥ ३२८ अबधगस्स णं भते | अयोगिभवत्थकेवलिस्स कति परीसहा पण्णत्ता? गोयमा । एक्कारस परीसहा पण्णत्ता । नव पुण वेदेइ-ज समय सीयपरीसहं वेदेइ नो त समय उसिणपरीसह वेदेइ, ज समय उसिणपरीसह वेदेइ नो त समय सीयपरीसह वेदेइ, ज समयं चरियापरीसह वेदेइ नो त समय सेज्जापरीसह वेदेइ, ज समय सेज्जापरीसह वेदेइ नो त समयं चरियापरीसह वेदेइ ॥ सूरिय-पदं ३२६ जबुद्दीवे ण भते । दीवे सूरिया उग्गमणमुत्तसि दूरे य मूले य दीसति ? मज्झतियमुहुत्तसि मूले य दूरे य दीसति ? अत्थमणमुहुत्तसि दूरे य मूले य दीसति ? हता गोयमा ! जबुद्दीवे ण दीवे सूरिया उग्गमणमुहुत्तंसि दूरे य' 'मूले य दीसति, मज्झतियमुहुत्तसि मूले य दूरे य दीसति°, अत्थमणमुहुत्तसि दूरे य मूले य दीसति ॥ ३३०. जबुद्दीवे णं भंते ! दीवे सूरिया उग्गमणमुहुत्तसि, मज्झतियमुहुत्तसि य, अत्थमणमुहुत्तसि य सव्वत्थ समा उच्चत्तेण ? हता गोयमा ! जबुद्दीवे ण दीवे सूरिया उग्गमण' मुहुत्तसि, मज्झतियमुहुत्तसि य, अत्थमणमुत्तसि य सव्वत्थ समा० उच्चत्तेण ।। ३३१. जइ ण भते | जबुद्दीवे दीवे सूरिया उग्गमणमहुत्तसि, मज्झतियमुहुत्तसि य, अत्थमणमुहुत्तसि' 'य सव्वत्थ समा° उच्चत्तेण, से केण खाइ अट्रेण भते ! एव वुच्चइ-जबुद्दीवे ण दीवे सूरिया उग्गमणमुहुत्तसि दूरे य मूले य दीसति ? जाव अत्थमणमुत्तसि दूरे य मूले य दीसति ? गोयमा | लेसापडिघाएण उग्गमणमुहुत्तसि दूरे य मूले य दीसति, लेसाभितावेण मज्झतियमुहुत्तसि मूले य दूरे य दीसति, लेसापडिघाएण अत्थमणमुहुत्तसि १. सं० पा०-त चेव जाव अत्थमण° | 'अत्थमणमुत्तसि मूले जाव उच्चत्तेणं' इति २. स० पा०-उग्गमण जाव उच्चत्तेण। , पाठोऽस्ति । अत्र 'मूले' इति पद नावश्यक ३ स० पा०-अत्यमणमुहुत्तसि जाव उच्च- - प्रतिभाति । तेण। 'अ, ता, ता, म, स' सकेतितादर्शषु ४. ° मुहुत्तसि य (अ, क,ता, ब, म, स)। Page #430 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३७१ अट्ठमं सतं (अट्ठमो उद्देसो) दूरे य मूले य दीसति । से तेणटेणं गोयमा! एवं वुच्चइ-जबुद्दीवे णं दीवे सूरिया उग्गमणमुहुत्तसि दूरे य मूले य दीसति जाव अत्थमण मुत्तसि दूरे य मूले य° दीसंति ।। ३३२ जबुद्दीवे ण भते । दीवे सूरिया किं तीय खेत्त गच्छति ? पडुप्पन्न खेत्त गच्छति ? अणागय खेत्त गच्छति ? गोयमा । नो तीय खेत्त गच्छति, पडुप्पन्न खेत गच्छति, नो अणागय खेत्त गच्छति ॥ ३३३ जंबुद्दीवे ण भते । दीवे सूरिया किं तीय खेत्त प्रोभासति ? पडुप्पन्न खेत्त प्रोभासति ? अणागय खेत्त प्रोभासति ? गोयमा ! नो तीय खेत्त अोभासति, पडुप्पन्न खेत्त ओभासति, नो अणागय खेत्तं प्रोभासति ॥ ३३४. त भते । किं पुटु प्रोभासति ? अपुटु अोभासति ? गोयमा । पुट्ट अोभासति, नो अपुटु अोभासति जाव नियमा छद्दिसि ।। ३३५. जवुद्दीवे ण भते | दीवे सूरिया कि तीय खेत्त उज्जोवेति ? एव चेव जाव नियमा छद्दिसि ॥ ३३६. एव तवेति, एव भासति जाव नियमा छद्दिसि ॥ ३३७. जवुद्दीवे ण भते । दीवे सूरियाण कि तीए खेत्ते किरिया कज्जइ ? पड़प्पन्ने खेत्ते किरिया कज्जइ ? अणागए खेत्ते किरिया कज्जइ ? गोयमा | नो तीए खेते किरिया कज्जइ, पडुप्पन्ने खेत्ते किरिया कज्जइ, नो अणागए खेत्ते किरिया कज्जइ ।। ३३८ सा भते । किं पुट्ठा कज्जइ ? अपुट्ठा कज्जइ ? गोयमा | पुट्ठा कज्जइ, नो अपुट्ठा कज्जइ जाव' नियमा छद्दिसि ।। ३३६. जवुद्दीवे ण भते । दीवे सूरिया केवतिय खेत्त उड्ढ तवति ? केवतिय खेतं आहे तवति ? केवतिय खेत्त तिरिय तवति ? गोयमा । एग जोयणसय उड्ढ तवति, अट्ठारस जोयणसयाइ अहे तवति, सीयालीस जोयणसहस्साइ दोण्णिय तेवढे जोयणसए एक्कवीस च सद्विभाए जोयणस्स तिरिय तवति ॥ जोइसियाणं उववत्ति-पदं ३४० अतो ण भते | माणुसुत्तरपव्वयस्स जे चदिम-सूरिय-गहगण-णक्खत्त-तारारूवा ते ण भते । देवा कि उड्ढोववन्नगा? १. स० पा०-अत्थमण जाव दीसति। २. भ० ११२५६-२६६ । ३ भ० ११२५६-२६६ । Page #431 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ३७२ जहा जीवाभिगमे तहेव निरवसेसं जाव'३४१ इंदट्ठाणे ण भते ! केवतिय काल विरहिए उववाएण ? गोयमा । जहण्णण एक्कं समय, उक्कोसेण छम्मासा ।। ३४२. वहिया णं भते | माणुसुत्तरपव्वयस्स जे चदिम-सूरिय-गहगण-णक्खत्त-तारारूवा ते ण भते । देवा कि उड्ढोववन्नगा? जहा जीवाभिगमे जाव'३४३ इदट्ठाणे ण भते । केवतिय काल उववाएण विरहिए पण्णत्ते ? गोयमा । जहण्णण एक्कं समय, उक्कोसेण छम्मासा ।। ३४४ सेव भते ! सेव भते । त्ति' । नवमो उद्देसो बंध-पदं ३४५ कतिविहे ण भते | बंधे पण्णत्ते । ___ गोयमा | दुविहे वधे पण्णत्ते, तं जहा–पयोगबधे य, वीससावधे य ॥ वीससावंध-पदं ३४६. वीससावधे ण भते । कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा | दुविहे पण्णत्ते, त जहा-सादीयवीससाबधे य, अणादीयवीससाबधे य॥ अणादियवीससावधे ण भते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा । तिविहे पण्णत्ते, त जहा-धम्मत्थिकायअण्णमण्णणादीयवीससाबधे, अधम्मत्थिकायअण्णमण्णअणादीयवीससावधे, आगासत्थिकायअण्णमण्णअणादीयवीससावधे ॥ धम्मत्यिकायअण्णमण्णअणादीयवीससावधे ण भते । कि देसबंधे ? सव्ववधे? ___ गोयमा ! देसवधे, नो सव्ववधे । एव अधम्मत्थिकायअण्णमण्णप्रणादीयवीससा बधे वि, एवं आगासत्थिकायअण्णमण्णप्रणादीयवीससावधे वि ॥ ३४७ प्रणाम ३४८. १. जी०३। २. जी०३। ३. भ० २५१ । ४. अणातीत ° (ता)। Page #432 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ठम सत (नवमो उद्देसो) ३७३ ३४९ धम्मत्थिकायअण्णमण्णग्रणादीयवीससाबधे ण भंते । कालो केवच्चिर होइ ? गोयमा । सव्वद्ध । एव प्रधम्मत्थिकायअण्णमण्णत्रणादीयवीससाबधे वि एव ग्रागासत्थिकायण्णमण्णत्रणादीयवीससाबधे वि' ॥ ३५० सादीयवीससाबधे ण भते । कतिविहे पण्णत्ते ? 1 गोयमा । तिविहे पण्णत्ते, त जहा - बधणपच्चइए, भायणपच्चइए, परिणामपच्चइए ॥ ३५१ से कि त बधणपच्चइए ? बधणपच्चइए-जण्ण परमाणुपोग्गलदुप्पदेसिय- तिप्पदेसिय जाव दसपदेसियसखेज्जपदेसिय-असखेज्जपदेसिय-प्रणतपदेसियाण खधाण वेमायनिद्धयाए, वेमायलुक्खयाए, वेमायनिद्धलुक्खयाए वधणपच्चएण' बधे समुप्पज्जइ, जहण्णेण एक्क समय, उक्कोसेण प्रसखेज्ज काल । सेत्त बधणपच्चइए ॥ ३५२. से कि त भायणपच्चइए ? भायणपच्चइए- - जण्ण जुण्णसुर- जुण्णगुल- जुण्णतदुलाण भायणपच्चएण' बधे समुप्पज्जइ, जहण्णेण प्रतोमुहुत्त, उक्कोसेण सखेज्ज काल । सेत्त भायण पच्चइए || ३५३ से कि त परिणामपच्चइए ? परिणामपच्चइए – जण्ण अव्भाण, अब्भरुक्खाण जहा ततियसए जाव' श्रमोहाण परिणामपच्चएण' बधे समुप्पज्जइ, जहणणेण एक्क समय, उक्कोसेण छम्मासा । सेत्त परिणामपच्चइए । सेत्त सादीयवीससाबधे । सेत्त वीससाबधे ॥ पयोगबंध-पदं ३५४ से कि त पयोगबधे ? पयोगवधे तिविहे पण्णत्ते, त जहा - प्रणादीए वा अपज्जवसिए, सादीए वा प्रज्जवसिए, सादीए वा सपज्जवसिए । तत्थ ण जे से ग्रणादीए अपज्जवसिए से णं ग्रह जीवमज्झपएसाण, तत्थ वि तिह-तह प्रणादीए अपज्जवसिए, सेसाण सादीए । तत्थ ण जे से सादी अपज्जबसिए से ण सिद्धाण । तत्थ णं जे से सादीए सपज्जवसिए से १ अस्य सूत्रस्यानन्तर 'ता' प्रतौ एतावानतिरिक्त पाठोऽस्ति 'धम्मत्थिकाय अण्णमण्णप्रणादीयवीससावधस्स ग भते ! केवइय काल तर होइ गो नत्थि प्रतर एव तिण्हवि सेत्त अणादीयवीससावधे । ' २ ३. ४ • पच्चइएण ( अ ) | ० पच्चइएण ( अ, स) । भ० ३।२५३ । ५. ० पच्चइएण ( अ, स ) । Page #433 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३७४ भगवई चउविहे पण्णत्ते, त जहा- आलावणबधे, अल्लियावणवधे, सरीरबंधे, सरीर प्पयोगबधे ॥ पालावरणं पडुच्च३५५ से कि त आलावणवधे? आलावणवधे-जण्ण तणभाराण वा, कट्ठभाराण वा, पत्तभाराण वा, पलालभाराण वा', वेत्तलता-वाग-वरत्त-रज्जु-वल्लि-कुस-दव्भमादीएहिं पालावणवधे समुप्पज्जइ, जहण्णेणं अतोमुहत्त, उक्कोसेण सखेज्ज काल । सेत्त अालावण वधे॥ अल्लियावणं पडुच्च३५६ से कि त अल्लियावणवधे ? अल्लियावणवधे चउविहे पण्णत्ते, त जहा-लेसणावधे, उच्चयवधे, समुच्चय बधे, साहणणावधे। ३५७ से कि त लेसणावधे? लेसणावधे-जण्ण कुड्डाण, कोट्टिमाण', खभाण, पासायाण, कट्ठाणं, चम्माण, घडाण, पडाण, कडाण छुहा-चिक्खल्ल-सिलेस-लक्ख-महुसित्थमाईएहि लेसणएहिं वधे समुप्पज्जड, जहण्णेण अतोमुहुत्त, उक्कोसेण सखेज्ज काल । सेत्त लेसणावधे॥ ३५८ से कि त उच्चयवधे? उच्चयवधे-जण्ण तणरासीण वा, कट्टरासीण वा, पत्तरासीण वा, तुसरासीण वा, भुसरासीण वा गोमय रासीण वा, अवगररासीण वा, उच्चत्तेण वधे समुप्पज्जइ, जहण्णण अतोमुहुत्त, उक्कोसेण सखेज्ज काल । सेत्त उच्चयवधे ॥ ३५६ से किं त समुच्चयवधे? समुच्चय बधे-जण्ण अगड-तडाग-नदी-दह-वावी-पुवखरिणी-दीहियाण गुजालियाणं, सराण, सरपतियाण, सरस रपतियाण, बिलपतियाण देवकुल-सभ-प्पवथूभ-खाइयाण, फरिहाण, पागारट्टालग-चरिय-दार-गोपुर-तोरणाण, पासाय:घर-सरण-लेण-आवणाण, सिघाडग-तिय-चउक्क-चच्चर-चउम्मुह -महापहपहमादीण, छुहा-चिवखल्ल-सिला'-समुच्चएण बधे समुप्पजइ, जहण्णेण अतोमुहत्त, उक्कोसेण सखेज्ज काल । सेत्त समुच्चयवधे ।। १. वा वेल्लभाराण वा (अ, स)। २ साहणवधे (ता), सहणाण ° (म, स)। ३ कुट्टिमारण (क)। ४ परिहाण (क, व, म)। ५ चउमुह (क, ता)। ६. सिलेस (अ, स); सेला (ता)। Page #434 -------------------------------------------------------------------------- ________________ म त ( नवमो उद्देसो) ३६०. से किं तं साहणणाबंधे ? साहणणाबधे दुविहे पण्णत्ते, त जहा -- -देससाहणणाबधे य, सव्वसाहणणाबधे य ॥ ३६१ से किं त देससाहणणावधे ? देससाहणणाबधे—जण्ण सगड-रह-जाण-जुग्ग-गिल्लि - थिल्लि -सीय - सदमाणीलोही-लोहकडाह-कडच्छुय'- प्रासण-सयण - खभ-भडमत्तोवगरणमादीण देससाहणणाबधे' समुप्पज्जइ, जहण्णेण प्रतोमुहुत्त, उक्कोसेण सखेज्जं काल | सेत्त देससाहणणाबधे ॥ ३६२ से किं त सव्वसाहणणाबधे ? सव्वसाहणणावधे — से ण खीरोदगमाईण । सेत्त सव्वसाहणणाबधे । सेत्त साहणणावधे । त्तल्लियावणबधे || सरीरं पडुच्च ३६३. से किं त सरीरबधे ? सरीरबधे दुविहे पण्णत्ते, त जहा - पुव्वपयोगपच्चइए' य, पडुप्पन्नपयोगपच्चइए' य ॥ ३६४ से कि त पुव्वपयोगपच्चइए ? ३७५ पुव्वपयोगपच्चइए– जण्णं नेरइयाण ससारत्थाण सव्वजीवाण तत्थ तत्थ तेसुतेसु कारणेसु समोहण्णमाणाण' जीवप्पदेसाण' बधे समुप्पज्जइ । सेत्त पुव्वपयोगपच्चइए || ३६५. से किं तं पडुप्पन्नपयोगपच्चइए ? पडुप्पन्नपयोगपच्चइए– जण्ण केवलनाणिस्स अणगारस्स केवलिसमुग्धारण समोहयस्स ताम्रो समुग्धायाश्रो पडिनियत्तमाणस्स प्रतरा मथे वट्टमाणस्स तेयाकम्माण बधे समुप्पज्जइ । कि कारण ? ताहे से पएसा एगत्तीगया भवति । सेत्त पडुप्पन्नपयोगपच्चइए । सेत्त सरीरबधे ॥ १. कडेच्छुय (ता, व, म); कडुच्छया ( भ० ५।१८६) २. देससाधरणरणाएवघे (ता) | ३ तुव्वप्पयोग ० ( ता) | ४. पच्चुप्पण्ण ० (ता, ब, म) 1 ५. समोहण ० ( स ) । ६ इह जीवप्रदेशानामित्युक्तावपि शरीरवन्धाधिकारात्तात्स्थ्यात्तद्व्यपदेश इति न्यायेन जीवप्रदेशाश्रिततैजसकार्मणशरीरप्रदेशानामिति द्रष्टव्य, शरीरिवन्ध इत्यत्र तु पक्षे समुद्घातेन विक्षिप्य सङ्कोचितानामुपसर्जनीकृततैजसादिशरीरप्रदेशाना जीवप्रदेशानामेवेति (वृ) । ७. शरीरिवन्ध इत्यत्र तु पक्षे तेयाकम्मारण बधे समुप्पज्जइ (वृ) । Page #435 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई सरीरप्पयोगं पडुच्च३६६. से कि त सरीरप्पयोगवधे? सरीरप्पयोगबधे पचविहे पण्णत्ते, त जहा-पोरालियसरीरप्पयोगवधे, वेउव्वियसरीरप्पयोगबधे, आहारगसरीरप्पयोगबंधे, तेयासरीरप्पयोगवधे, कम्मासरीर प्पयोगवधे ।। पोरालियसरीरप्पयोगं पडुच्च३६७. ओरालियसरीरप्पयोगबंधे ण भते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा पचविहे पण्णत्ते, त जहा--एगिदियोरालियसरीरप्पयोगवंधे, बेइदिय ओरालियसरीरप्पयोगवधे जाव पचिदियोरालियसरीरप्पयोगवधे । ३६८. एगिदियोरालियसरीरप्पयोगवधे ण भते । कतिविहे पण्णत्ते ? । गोयमा । पचविहे पण्णत्ते, त जहा-पुढविक्काइयएगिदियोरालियसरीरप्पयोगवधे, एव एएण अभिलावेण भेदो जहा प्रोगाहणसठाणे ओरालियसरीरस्स तहा भाणियन्वो जाव' पज्जत्तागभवक्कतियमणुस्सपचिदियओरालियसरीरप्पयोगबंधे य, अप्पज्जत्तागभवक्कतियमणुस्स पचिदियोरालियसरीर प्पयोग ° -वधे य ॥ ३६६ ओरालियसरीरप्पयोगबधे ण भते ! कस्स कम्मस्स उदएण ? गोयमा ! वीरिय-सजोग-सद्दव्वयाए पमादपच्चया कम्मं च जोग च भव च आउयं च पडुच्च ओरालियसरीरप्पयोगनामकम्मस्स उदएण ओरालियसरीर प्पयोगबधे॥ ३७० एगिदियोरालियसरीरप्पयोगवधे ण भते ! कस्स कम्मस्स उदएणं? एव चेव । पुढविक्काइयएगिदियोरालियसरीरप्पयोगबंधे एव चेव, एव जाव वणस्सइकाइया । एव वेइदिया, एव तेइदिया, एव चउरिदिया ॥ ३७१. तिरिक्खजोणियपचिदियोरालियसरीरप्पयोगवधे ण भते ! कस्स कम्मस्स उदएण? एव चेव ॥ ३७२ मणुस्स पचिदियोरालियसरीरप्पयोगवघे ण भते । कस्स कम्मस्स उदएण ? __ गोयमा | वीरिय-सजोग-सव्वयाए पमादपच्चया' 'कम्म च जोगं च भव च° पाउय च पडुच्च मणुस्सपचिदियोरालियसरीरप्पयोगनामकम्मस्स उदएण मणुस्सपचिदियोरालियसरीरप्पयोगवधे ॥ ३७३. ओरालियसरीरप्पयोगवधे ण भते ! कि देसवधे ? सव्ववधे? १. प० २१ । २. स० पा०- मणुस्स जाव ववे । ३. स० पा०-पमादपच्चया जाव आउय । Page #436 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्टम सत (नवमी उद्देसो) गोमा । देवधेवि, सव्ववधे वि ॥ ३७४ एगिदियो रालियस रीरप्पयोगवधे ण भते । कि देसवधे ? सव्ववधे ? एव चेव । एव पुढविक्काइया एव जाव ३७५. मणुस्सर्पाचिदियत्रो रालियस री रप्पयोगबधे ण भते । कि देसवधे ? सव्ववधे ? गोयमा । देसवधे वि, सव्ववधे वि ॥ ३७६. ओरालियस रीरप्पयोगवघे ण भते । कालो केवच्चिर होइ ? गोयमा । सव्ववधे एक्क समय, देसवधे जहणेण एक्क समय, उक्कोसेण तिष्णि पलिग्रोवमाइ समयूणाई' || ? ३७७. एगिदियोरालियसरी रप्पयोगवधे ण भते । कालग्रो केवच्चिर होइ गोयमा । सव्ववधे एक्क समय, देसवधे जहणेण एक्क समय, उक्को सेण वावीस वाससहस्साइ समयूणाई || ३७८. पुढविक्काइए गिंदियपुच्छा । गोयमा । सव्ववधे एक्क समय, देसवधे जहण्णेण खुड्डाग' भवग्गहण तिसमयूण, उक्कोसेण वावीस वाससहस्साड समयूणाई | एव सव्वेसि सव्वबधो एक्क समय, देसवधो जेसि नत्थि वेउव्वियसरीर तेसि जहण्णेण खुड्डाग भवग्गहण तिसमयूण, उक्कोसेण जा सा ठिती सा समयूणा कायव्वा, जेसिं पुण थि वेउव्वियसरीर तेसि देसवधो जहण्णेण एक्क समय, उक्कोसेण जा जस्स ठिती सा समयूणा कायव्वा जाव मणुस्साण देसवधे जहण्णेण एक्क समय, उक्कोसेण तिणि पलिओ माइ समयूणाइ । ३७६. प्रोरालियस रीरखधंतर ण भते । कालो केवच्चिर होइ ? गोयमा । सव्ववधतर जहण्णेण खुड्डाग भवग्गहण तिसमयूण, उक्कोसेण तेत्तीस सागरोवमाइ पुव्वकोडिसमयाहिया । देसवधतर जहण्णेण एक्क समय, उक्कोसेण तेत्तीस सागरोवमाइ तिसमयाहियाइ ॥ ३८०. एगिदियो रालियपुच्छा । ३७७ गोयमा । सव्ववधतर जहण्णेण खुड्डाग भवग्गहण तिसमयूण, उक्कोसेण बावीस वाससहस्साइ समयाहियाइ । देसवधतर जहणेण एक्क समय, उक्कोसेण तोहुत ॥ ३८१. पुढविक्काइयएगिदियपुच्छा । सव्ववधतर जहेव एगिदियस्स तहेव भाणियव्व । देसवधतर जहण्णेण एक्क समय, उक्कोसेण तिण्णि समया । जहा पुढविक्काइयाण एव जाव चउरिदियाण वाउक्काइयवज्जाण, नवर - सव्ववधतर उक्कोसेण जा जस्स ठिती सा समया १ समयऊरगाइ ( क ) 1 २ खुड्डाग ( क ) प्राय सर्वत्र । Page #437 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३७८ भगवई ३८२ हिया कायव्वा । वाउक्काइयाणं सव्ववधतरं जहण्णेण खुड्डागं भवग्गहण तिसमयूण, उक्कोसेण तिण्णि वाससहस्साइ समयाहियाई। देसवधंतर जहणेणं एक्क समय, उक्कोसेण अतोमुहुत्तं ।। पचिदियतिरिक्खजोणियोरालियपुच्छा। सव्ववधतर जहण्णेण खुड्डाग भवग्गहणं तिसमयूण, उक्कोसेणं पुनकोडी समयाहिया । देसवधतर जहा एगिदियाण तहा पंचिदियतिरिक्खजोणियाण, एवं मणुस्साण वि निरवसेस भाणियव्व जाव उक्कोसेणं अंतोमुहुत्तं ।। ३८३ जीवस्स ण भते । एगिदियत्ते, नोएगिदियत्ते, पुणरवि एगिदियत्ते एगिदिय ओरालियसरीरप्पयोगवधतर कालओ केवच्चिर होइ ? गोयमा | सव्ववधतर जहण्णेण दो खुड्डाइ भवग्गहणाई तिसमयूणाई, उक्कोसेणं दो सागरोवमसहस्साइ सखेज्जवासमभहियाइ । देसवधतर जहण्णेण खुड्डागं भवग्गहण समयाहिय, उक्कोसेण दो सागरोवमसहस्साइं संखेज्जवास मन्भहियाइ॥ ३८४ जीवस्स णं भते ! पुढविक्काइयत्ते, नोपुढविक्काइयत्ते, पुणरवि पुढविक्काइयत्ते पुढविक्काइयएगिदियोरालियसरीरप्पयोगवधतर कालओ केवच्चिरं होइ ? गोयमा ! सव्ववधतर जहण्णेण दो खुड्डाइ भवग्गहणाइ तिसमयूणाइ', उक्कोसेण अणत काल-अणतारो ओसप्पिणीओ उस्सप्पिणीयो कालो, खेत्तओ अणता लोगा-असखेज्जा पोग्गलपरियट्टा, ते ण पोग्गलपरियट्टा आवलियाए असखेज्जइभागो । देसवधतर जहण्णेण खुड्डाग भवग्गहणं समयाहिय, उक्कोसेण अणत काल जाव आवलियाए असखेज्जइभागो। जहा पुढविक्काइयाणं एव वणस्सइकाइयवज्जाण जाव मणुस्साण । वणस्सइकाइयाण' दोण्णि खुड्डाई एव चेव, उक्कोसेण असखेज्ज काल-असखेज्जाओ अोसप्पिणीओ उस्सप्पिणीओ कालो, खेत्तयो असखेज्जा लोगा, एवं देसवधतर पि उक्कोसेण पुढविकालो। ३८५. एएसि णं भते ! जीवाण ओरालियसरीरस्स देसवधगाणं, सव्ववधगाण, अवध गाण य कयरे कयरेहितो' 'अप्पा वा ? बहुया वा? तुल्ला वा? विसेसाहिया वा? गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा ओरालियसरीरस्स सव्ववधगा, अवधगा विसेसाहिया, देसबंधगा असंखेज्जगुणा ।। १. एवं चेव (अ, क, ता, व, म); तिसमयूणाई एव चेव (स), अत्र द्वयोमिश्रण जातम् । 'एव चेव' त्ति करणात् 'तिसमयूणाई' ति दृश्यम् । २. तरुकालो वरण ° (ता)। ३ स० पा०-कयरेहितो जाव विसेसाहिया । Page #438 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्टमं सत (नवमो उद्देसो) वे उव्वियसरीरप्पयोगं पडुच्च ३८६. वेउव्वयसरी रप्पयोगवधे ण भते । कतिविहे पण्णत्ते ? गोमा । दुविहे पण्णत्ते, त जहा - एगिदियवे उब्वियसरी रप्पयोगबधे य पचे - दियवे उव्वियसरी रप्पयोगबधे य ॥ ३८७ जइ एगिदियवे उच्चियसरीरप्पयोगवधे कि वाउक्काइयएगिदियसरी रप्पयोगवधे ? श्रवाजक्काइयए गिदियसरी रप्पयोगवधे ? एव एण ग्रभिलावेण जहा प्रोगाहणसठाणे वेउव्वियसरीरभेदो तहा भाणियव्वो जाव'पज्जत्तासव्वट्टसिद्धअणुत्तरोववाइयकप्पातीयवेमाणियदेवपचिदियवे उब्वियसरीरप्पयोगवधे य, अपज्जत्तासव्वट्टसिद्ध' प्रणुत्तरोववाइयकप्पातीयवेमाणियदेवपचिदियवेव्वियसरीरप्पयोगवधे य ॥ ३८८ वेउव्वियसरी रप्पयोगवधे ण भते । कस्स कम्मस्स उदएण ? गोयमा । वीरिय-सजोग-सद्दव्वयाए' पमादपच्चया कम्म च जोग च भव च ग्राउयं च लद्धि वा" पडुच्च वेउध्वियसरी रप्पयोगनामाए कम्मस्स उदएण वेव्वियसरी रप्पयोगवधे ॥ ३८६. वाउक्काइयएगिदियवेडव्वियसरी रप्पयोगपुच्छा । गोयमा । वीरिय-सजोग - सद्दव्वयाए एव चेव जाव लद्धि पडुच्च वाउक्काइयगिदिय वे उव्विय सरीरप्पयोग वधे || ० ३६० रयणप्पभापुढविने रइयर्पाचदियवे उब्वियसरी रप्पयोगबधे ण भंते ! कम्मस्स उदएण ? गोयमा । वीरिय-सजोग - सद्दव्वयाए जाव प्राउय वा पडुच्च रयणप्पभापुढवि ने रइयपचिदिय वे उव्वियसरी रप्पयोग • बधे, एव जाव अहेसत्तमाए ॥ ३६१. तिरिक्खजोणियपचिदियवेडव्वियसरीरपुच्छा । o ३७६ १. ०२१ । २. स० पा० ० सिद्ध जाव पयोगवधे । गोयमा । वीरिय-सजोग-सद्दव्वयाए जहा वाउक्काइयाण । मणुस्सर्पाचिदियवे उब्वियसरी रप्पयोगवधे एव चेव । असुरकुमारभवणवासिदेवपचिदियवेउव्वियसरीरप्पयोगवधे जहा रयणप्पभापुढविनेरइयाण । एव जाव थणियकुमारा । एव वाणमतरा । एव जोइसिया । एव सोहम्मकप्पोवया" वेमाणिया । एव जाव अच्चुयगेवेज्जकप्पातीया वेमाणिया । प्रणुत्तरोववाइयकप्पातीया वेमाणिया एव चेव । ३. स० पा० – सद्दव्वयाए जाव आउय । ४. वा लद्धि (अ), वा लद्धि वा (क, ता, व, ५ ६ ७ म,स) । स० पा० - ० वेउब्विय जाव बघे । - ° पुढवि जाव वधे । स० पा०—० • कप्पोवा (ता) | कस्स Page #439 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३८० ३६२ वेउव्वियसरीरप्पयोगवधे ण भते । कि देसवधे ? सव्ववधे ? गोमा | देवधे वि, सव्ववधं वि । वाउक्काइयएगिदियवेउव्वियसरी रप्पयोगवधे वि एव चैव । रयणप्पभापुढविनेरइया एव चेव । एव जाव अणुत्तरोववाइया || ३९३ वेउव्वियसरीरप्पयोगवधे ण भते । कालो केवच्चर होइ ? गोयमा । सव्वववे जहणेणं एक्क समय, उवकोसेण दो समया । देसवधे जहण्णेण एक्क समय, उक्कोसेण तेत्तीस सागरोवमाइ समयूणाई || ३९४ वाउक्काइयएगिदियवे उब्वियपुच्छा | गोयमा ! सव्ववधे एक्क समय, देसवधे जहण्णेण एक्क समय, उक्कोसेण तो ॥ ३६५ रयणप्पभापुढविने रइयपुच्छा । गोयमा । सव्ववधे एक्क समय, देसवधे जहणणेण दसवाससहस्साइ तिसमयूणाइ, उक्कोसेण सागरोवम समयूण । एव जाव ग्रहे सत्तमा, नवरदेसवधे जस्स जा जहण्णिया ठिती सा तिसमयूणा कायव्वा जाव उक्कोसिया सा समयणा । पचिदियतिरिक्खजोणियाण मणुस्साण य जहा वाउक्काइयाण, असुरकुमार-नागकुमार जाव अणुत्तरोववाइयाण जहा नेरइयाण, नवर - जस्स जा ठिती सा भाणियव्वा जाव प्रणुत्तरोववाइयाण सव्ववधे एक्क समय, देसवधे जहण्णेण एक्कतीस सागरोवमाइ तिसमयूणाई', उक्कोसेणं तेत्तीस सागरोवमाइ समयूणाई || ३ε६. वेउव्वियसरीरप्पयोगवधतर ण भते । कालो केवच्चिर होइ ? भगवई गोयमा । सव्ववधतर जहण्णेण एक्क समयं, उक्कोसेण ग्रणत काल - प्रणतायो ' • ग्रोसप्पिणी उस्सप्पिणीग्रो कालग्रो, खेत्तस्रो ग्रणता लोगा - सखेज्जा पोग्गलपरियट्टा, ते ण पोग्गलपरियट्टा ग्रावलियाए प्रसखेज्जइभागो । एव देवधर पि ॥ ३९७ वाउक्काइयवेउव्वियसरीरपुच्छा । गोयमा ! सव्ववधतर जहणेण प्रतोमुहुत्त, उक्कोसेण पलिप्रोवमस्स सखेज्जइभाग । एव देसवधतर पि ॥ ३६८ तिरिक्खजोणियपचिदियवे उव्वियसरी रप्पयोगवधतर - पुच्छा । गोयमा । सव्ववधतर जहण्णेण प्रतोमुहुत्त, उक्कोसेण पुव्वकोडीपुहत्त । एव देसवधतर पि । एव मणूसस्स वि ॥ १. तिसमकरणाइ (क, ता, व) 1 २. स० पा०—अरणताओ जाव आवलियाए । ३ मरणुयस्स (क, म ), मरगुस्सा (ता, व ) । Page #440 -------------------------------------------------------------------------- ________________ असतं (नवमो उद्देसो) ३८१ ३६६ जीवस्स ण भंते । वाउक्काइयत्ते, नोवाउकाइयत्ते, पुणरवि वाउकाइयत्ते वाउक्काइयएगिदियवेउब्वियपुच्छा । गोयमा । सव्ववधतर जहण्णेण श्रतोमुहुत्त, उक्कोसेण अणत काल - वणस्स - कालो | एव देसवधतरपि ॥ ४००. जीवस्स ण भते । रयणप्पभापुढविने रइयत्ते, नोरयणप्पभापुढविने रइयत्ते, पुणरवि रयणप्पभापुढविनेरइयत्ते - पुच्छा । गोयमा । सव्ववधतर जहण्णेण दसवाससहस्साइ ग्रतोमुहुत्तमम्भहियाइ, उक्कोसेण वणस्सइकालो । देसवधतर जहणेण प्रतोमुहुत्त, उक्कोसेण प्रणत काल – वणस्सइकालो | एव जाव आहेसत्तमाए, नवर- जा जस्स ठिती जहणिया सा सव्वबधतर जहणेण श्रतो मुहुत्तमम्भहिया कायव्वा, सेस त चेव । पचिदियतिरिक्खजोणिय - मणुस्साण य जहा वाउक्काइयाण । असुरकुमार-नागकुमार जाव सहस्सा रदेवाण - एएसि जहा रयणप्पभापुढविनेरइयाण, नवर–सव्ववधतर जस्स जा ठिती जहण्णिया सा प्रतो मुहुत्तमम्भहिया कायव्वा, सेस तं चैव ॥ ४०१ जीवस्स ण भते । ग्राणयदेवत्ते', नोग्राणयदेवत्ते, पुणरवि प्राणयदेवत्ते पुच्छा । गोयमा । सव्ववधतर जहणेण अट्ठारस सागरोवमाइ वासपुहत्तमब्भहियाइ, उक्कोसेण ग्रणत काल - वणस्सइकालो । देसवधतर जहणेण वासपुहत्त, उक्कोण प्रणत काल - वणस्सइकालो । एव जाव ग्रच्चुए, नवर - जस्स जा ठिती सा सव्ववधतर जहणेण वासपुहत्तमव्भहिया कायव्वा, सेस त चेव ।। ४०२ गेवेज्जाकप्पातीतापुच्छा । 1 गोयमा । सव्ववधतर जहणेण वावीस सागरोवमाइ वासपुहत्तमब्भहियाइ, उक्कोसेण प्रणत काल - वणस्सइकालो । देसवधतर जहणणेण वासपुहत्त, उक्कोसेण वणस्सइकालो ॥ ४०३ जीवस्स ण भते । अणुत्तरोववाइयपुच्छा । गोयमा । सव्वबधतर जहण्णेण एक्कतीस सागरोवमाइ वासपुहत्तमब्भहियाइ, उक्कोसेण सखेज्जाइ सागरोवमाइ । देसबधतर जहण्णेण वासपुहत्त, उक्कोसेण सखेज्जाइ सागरोवमाइ ॥ ४०४ एएसि ण भते । जीवाण वेडव्वियसरी रस्स देसबधगाण, सव्वबधगाण, अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा १० अवधगाण य कयरे कयरेहिंतो विसेसाहिया वा ? गोयमा । सव्वत्थोवा जीवा वेउव्वियसरीरस्स सव्वबधगा, देसबETT असखेज्जगुणा, अववगा प्रणतगुणा । २ स० पा० - करेहितो जाव विसेसाहिया । १ आरणया ( अ ) | 0 Page #441 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३८२ भगवई पाहारगसरीरप्पयोगं पडुच्च - ४०५ अाहारगसरीरप्पयोगबधे ण भते । कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा । एगागारे पण्णत्ते ॥ ४०६ जइ एगागारे पण्णत्ते कि मणुस्साहारगसरीरप्पयोगवंधे ? अमणुस्साहारग सरीरप्पयोगवधे? गोयमा | मणुस्साहारगसरीरप्पयोगवधे, नो अमणुस्साहारगसरीप्पयोगवधे । एव एएण अभिलावेण जहा प्रोगाहणसठाणे जाव' इड्ढिपत्तपमत्तसजयसम्मदिदिपज्जत्तसखेज्जवासाउयकम्मभूमागम्भवक्कतियमणुस्साहारगसरीरप्पयोगवधे, नो अणिड्ढिपत्तपमत्त' सजयसम्मदिट्ठिपज्जत्तसखेज्जवासाउयकम्मभूमा गन्भवक्कतियमणुस्सा हारगसरीरप्पयोगबधे । ४०७. आहारगसरीरप्पयोगवधे ण भते । कस्स कम्मस्स उदएणं ? गोयमा | वीरिय-सजोग-सहव्वयाए' 'पमादपच्चया कम्म च जोगं च भव च आउयं च° लद्धि वा पडुच्च' आहारगसरीरप्पयोगनामाए कम्मस्स उदएण आहारगसरीरप्पयोगबधे ।। ४०८ आहारगसरीरप्पयोगबधे णं भते । किं देसबधे ? सव्ववधे ? गोयमा ! देसबधे वि, सव्ववधे वि ।। ४०६. आहारगसरीरप्पयोगबधे ण भते । कालो केवच्चिरं होइ ? गोयमा ! सव्वबधे एक्क समय, देसबधे जहण्णेण अतोमुहत्तं, उक्कोसेण वि अतोमुहुत्त ॥ ४१० पाहारगसरीरप्पयोगबधतरण भते | कालो केवच्चिरं होइ? गोयमा | सव्ववधतर जहण्णण अतोमुहुत्त, उक्कोसेण अणत काल-अणताओ प्रोसप्पिणीयो उस्सप्पिणीप्रो कालो, खेत्तो अणता लोगा-अवड्ढपोग्गल परियट्ट देसूणं । एव देसबधतर पि ॥ ४११ एएसि ण भते । जीवाण आहारगसरीरस्स देसवधगाण, सव्वबधगाण, अबध गाण य कयरे कयरेहितो' 'अप्पा वा? बहुया वा ? तुल्ला वा ? • विसेसाहिया वा? गोयमा | सव्वत्थोवा जीवा आहारगसरीरस्स सव्वबधगा, देसबधगा संखेज्जगुणा, अवंधगा अणतगुणा ॥ १ प० २१ । २. म० पा०-०पमत्त जाव आहारग° । ३ स० पा०-महव्वयाए जाव लद्धि । ४. पडुच्चा (ता, व)। ५. बघतरे (अ, क, स) । ६ स० पा० -कयरेहितो जाव विसेसाहिया । Page #442 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्टमं सतं (नवमो उद्देसो) तेया सरीरपयोगं पडुच्च ४१२ तेयासरीरप्पयोगबधे ण भते । कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा । पचविहे पण्णत्ते, त जहा - एगिदियतेयासरीरप्पयोगबधे, बेइदिय - यासरीरप्पयोगबधे जाव पचिदियतेयासरीरप्पयोगबधे || ४१३ एगिदियतेयासरीरप्पयोगबधे ण भते । कतिविहे पण्णत्ते ? एवं एएण अभिलावेण भेदो जहा प्रोगाहणसठाणे जाव' पज्जत्तासव्वट्टसिद्धअणुत्तरोववाइयकप्पातीत वेमाणियदेवपचिदियतेयासरीरप्पयोगवधे य, अपज्जत्तासवसिद्ध प्रणुत्तरोववाइय' कप्पातीतवेमाणियदेवप चिदियतेयास री रप्पयोग - बधे य ॥ ४९४ तेयासरी रप्पयोगवधे ण भते । कस्स कम्मस्स उदण ? गोयमा । वीरिय-सजोग-सद्दव्वयाए' पमादपच्चया कम्म च जोग च भव च ० आउय वा पडुच्च तेयासरीरप्पयोगनामाए कम्मस्स उदएण तेयासरीरप्पयोगबधे ॥ ४१५ तेयासरीरप्पयोगवधे ण भते । किं देसबधे ? सव्वबधे ? गोयमा ! देसबधे, नो सव्वबधे ॥ ४१६ तेयासरीरप्पयोगबधे ण भते । कालो केवच्चिर होइ ? ३८३ गोयमा । दुविहे पण्णत्ते, त जहा - प्रणादीए वा अपज्जवसिए, प्रणादीए वा सपज्जवसिए || ४१७. तेयासरीरप्पयोगबधतर ण भते । कालो केवच्चिर होइ ? गोमा । णादीयस्स अपज्जवसियस्स नत्थि अतर, प्रणादीयस्स सपज्जवसियस्स नत्थि प्रतर ॥ ४१८ एएसि ण भते । जीवाण तेयासरीरस्स देसबधगाण, प्रबधगाण य कयरे कयरेहितो' अप्पा वा ? वहुया वा विसेसाहिया वा तुल्ला वा गोयमा । सव्वत्थोवा जीवा तेयासरीरस्स अबधगा, देसबधगा अणतगुणा ॥ ? १० ? कम्मासरोरप्पयोगं पडुच्च ४१६ कम्मासरीरप्पयोगबधे ण भंते । कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा । विहे पण्णत्ते, त जहा - नाणावर णिज्जकम्मासरीरप्पयोगबधे जाव अतराइयकम्मासरीरप्पयोगबधे ॥ १. प० २१ । २. स० पा० - ० वाइय जाव वधे । ३. स० पा० - सद्दव्वपाए जाव आउय । ४ च (ता, व, म) | ५ अणादिए (ता) | ६ स० पा०० -- कयरेहितो जाव विसेसाहिया । Page #443 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३८४ भगवई ४२० नाणावरणिज्जकम्मासरीरप्पयोगवधे ण भते । कस्स कम्मस्स उदएण ? गोयमा । नाणपडिणीययाए, नाणणिण्हवणयाए, नाणतराएण, नाणप्पदोसेणं, नाणच्चासातणयाए', नाणविसवादणाजोगेण नाणावरणिज्जकम्मासरीरप्पयोग नामाए' कम्मस्स उदएण नाणावरणिज्जकम्मासरीरप्पयोगवधे ।। ४२१ दरिसणावरणिज्जकम्मासरीरप्पयोगवधे ण भते | कस्स कम्मस्स उदएण ? गोयमा ! दसणपडिणीययाए, 'दसणणिण्हवणयाए, दसणतराएण, दंसणप्पदोसेण, दसणच्चासातणयाए°, दसणविसवादणाजोगेण दसणावरणिज्जकम्मासरीरप्पयोगनामाए कम्मस्स उदएण दरिसणावरणिज्जकम्मासरीरप्पयोग बधे ॥ ४२२ सायावेयणिज्जकम्मासरीरप्पयोगवधे ण भते । कस्स कम्मस्स उदएण? गोयमा ! पाणाणुकपयाए, भूयाणुकपयाए, 'जीवाणुकपयाए, सत्ताणुकपयाए, वहूण पाणाण भूयाण जीवाण सत्ताण अदुक्खणयाए असोयणयाए अजूरणयाए अतिप्पणयाए अपिट्टणयाए° अपरियावणयाए सायावेयणिज्जकम्मासरीरप्प योगनामाए कम्मस्स उदएणं सायावेयणिज्जकम्मा सरीरप्पयोग वधे ॥ ४२३ असायावेयणिज्ज' कम्मासरीरप्पयोगवधे ण भते । कस्स कम्मस्स उदएणं ? गोयमा! परदुक्खणयाए, परसोयणयाए, "परजूरणयाए, परतिप्पणयाए, परपिट्टणयाए, परपरियावणयाए, बहूण पाणाण भूयाण जीवाण सत्ताण दुक्खणयाए सोयणयाए जूरणयाए तिप्पणयाए पिट्टणयाए० परियावणयाए असायावेयणिज्जकम्मा सरीरप्पयोगनामाए कम्मस्स उदएण असायावेयणिज्जकम्मा सरीरप्पयोगबधे॥ ४२४ मोहणिज्जकम्मासरीरप्पयोगबधे ण भते | कस्स कम्मस्स उदएण° ? गोयमा | तिव्वकोहयाए, तिव्वमाणयाए, तिव्वमाययाए तिव्वलोभयाए, तिव्वदसणमोहणिज्जयाए, तिव्वचरित्तमोहणिज्जयाए मोहणिज्जकम्मासरीर"प्पयोगनामाए कम्मस उदएण मोहणिज्जकम्मासरीरप्पयोगवधे ।। १. ° सादरगाए (अ), सादणताए (क, ब, म), ६ स० पा०-० कम्मा जाव बचे। __ °सातणाताए (ता)। ७ स० पा०-पुच्छा। २ नाणावरणिज्ज° (म, स)। ८ स० पा०-जहा सत्तमसए दुस्समाउद्देसए ३. स० पा०-एव जहा नाणवरणिज्ज, नवर- जाव परिया । दसणनाम घेतव्व जाव दसण । ६. स० पा०-°कम्सा जाव पयोग ° । ४. स० पा०-उदएण जाव पयोग° । १० स० पा०-पुच्छा। ५ स० पा०---एव जहा सत्तमसए दुस्समउद्देसए ११. स० पा०-° सरीर जाव पयोग ° । जाव अपरिया० । Page #444 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ठमं सत (नवमो उद्देसो) ३८५ ४२५. नेरइयाउयकम्मासरीर पयोगबंधे ण भंते | कस्स कम्मस्स उदएणं? • गोयमा ! महारभयाए, महापरिग्गहयाए, 'पचिंदियवहेणं, कुणिमाहारेण नेरइयाउयकम्मासरीरप्पयोगनामाए कम्मस्स उदएण नेरइयाउयकम्मासरीर प्पयोगवधे॥ ४२६ तिरिक्खजोणियाउयकम्मासरीरप्पयोगवधे ण भते । कस्स कम्मस्स उदएण ?. गोयमा । माइल्लयाए, नियडिल्लयाए, अलियवयणेण, कूडतुल-कूडमाणेण तिरिक्खजोणियाउयकम्मा सरीरप्पयोगनामाए कम्मस्स उदएण तिरिक्खजो णियाउयकम्मासरीरप्पयोगवधे ।। ४२७. मणुस्साउयकम्मासरीरप्पयोगबधे ण भते । कस्स कम्मस्स उदएण? ० गोयमा । पगइभद्दयाए, पगइविणीययाए, साणुक्कोसयाए", अमच्छरियाए मणुस्साउयकम्मा सरीरप्पयोगनामाए कम्मस्स उदएण मणुस्साउयकम्मासरीर ०प्पयोगबवे ॥ ४२८. देवाउयकम्मासरीर पयोगबंधे ण भते । कस्स कम्मस्स उदएण ? ० गोयमा | सरागसजमेण, सजमासजमेण, बालतवोकम्मेण", अकामनिज्जराए देवाउयकम्मा" सरीरप्पयोगनामाए कम्मस्स उदएण देवाउयकम्मासरीर° प्पयोगवधे ॥ ४२६. सुभनामकम्मासरीरप्पयोगवधे ण भते । कस्स कम्मस्स उदएणं ? ० गोयमा काउज्जुययाए", 'भावुज्जुययाए, भासुज्जुययाए',"अविसवादणाजोगेण सुभनामकम्मा" सरीरप्पयोगनामाए कम्मस्स उदएण सुभनामकम्मासरीर प्पयोगवधे ॥ ४३०. असुभनामकम्मासरीरप्पयोगबधे ण भते । कस्स कम्मस्स उदएण? गोयमा । कायअणुज्जुययाए, भावअणुज्जुययाए, 'भासअणुज्जुययाए विसवाद १ स० पा०-पुच्छा। ६ स० पा०-पुच्छा। २ कुणिमाहारेण, पचिदियवहेण (क, ब, म)। १०. वालतवेण (ब)। ३. स० पा०-पुच्छा। ११. स० पा०-कम्मा जाव पयोग । ४ तोल (अ), ° तुल्ल (स)। १२ स० पा०-पुच्छा। ५ स० पा०-कम्मा जाव पयोग । १३ कायजुययाए (अ), कायउज्जुययाए (स)। ६ स० पा०—पुच्छा। १४ भासुज्जुययाए भावुज्जययाए (ता)। ७ साणुक्कोसियाए (अ), साणुक्कोसणयाए(क) १५ स० पा०- °कम्मा जाव पयोग ° । 5. स० पा०-पुच्छा। १६ स० पा०-पुच्छा । Page #445 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३८६ भगवई णाजोगेण" असुभनामकम्मा' सरीरप्पयोगनामाए कम्मस्स उदएणं प्रसुभनामकम्मासरीरप्पयोगवधे ॥ १० ४३१ उच्चागोयकम्मासरी प्रयोगवधे णं भते । कस्स कम्मस्स उदएण गोयमा । जातिश्रमदेणं, कुलश्रमदेण, वलग्रमदेण, रूवग्रमदेण, तवप्रमदेण, 'सुयग्रमदेण, लाभग्रमदेण', ' इस्सरियश्रमदेण' उच्चागोयकम्मा सरीरप्पयोगनामाए कम्मस्स उदएण उच्चागोयकम्मासरीरप्पयोगबधे ॥ ? o ४३२ नीयागोयकम्मासरीर' प्पयोगबधे ण भते । कस्स कम्मस्स उदण गोयमा ! जातिमदेणं, कुलमदेण, बलमदेण', रूवमदेण, तवमदेण सुयमदेण, लाभमदेण°, इस्सरियमदेण' नीयागोयकम्मा सरीरप्पयोगनामाए कम्मस्स उदएण नीयागोयकम्मासरीर •प्पयोगवधे ॥ ४३३ ग्रतराइयकम्मासरीर" प्पयोगबधे ण भते । कस्स कम्मस्स उदएण ? • गोयमा । दाणतराएण, लाभतराएणं, भोगतराएण, उवभोगतराएणं, वीरियतराएण, अतराइयकम्मासरीरप्पयोगनामाए कम्मस्स उदएण अतराइयकम्मासरीरप्पयोगवधे || पयोगबंधस्स देसबंध - सव्वबंध-पदं ४३४. नाणावरणिज्जकम्मासरीरप्पयोगबंधे णं भते । कि देसबंधे ? सव्वबंधे ? गोयमा । देसबधे, नो सव्ववधे । एव जाव अतराइयं ॥ ४३५ नाणावरणिज्जकम्मासरी रप्पयोगबधे ण भंते । कालओ केवच्चिर होइ ? गोयमा । दुविहे पण्णत्ते, तं जहा - प्रणादीए वा प्रज्जवसिए, प्रणादीए वा सपज्जवसिए । एव जाव प्रतराइयस्स || ४३६ नाणावरणिज्जकम्मासरीरप्पयोगबघतर ण भते । कालो केवच्चिर होइ ? गोयमा । ग्रणादीयस्स" प्रज्जवसियस्स नत्थि तर, प्रणादीयस्स सपज्जवसियस्स नत्थि तर° । एव जाव तराइयस्स ॥ ४३७. एएसि ण भने । जीवाणं नाणावरणिज्जस्स कम्मस्स देसबधगाण, अबधगाण १ वायअणुज्जुययाए भावअणुज्जयाए (ता) 1 २ स० पा० कम्मा जाव पयोग ● | ३. स० पा० पुच्छा | ४. लाभामदेरण, नुयअमदेरण ( अ ) । ५ दिनमरिय (म ) 1 О ६ म० पा० कम्मा जाव पयोग ० 1 ७. म० पा० - पुच्छा । ८. स० पा० - वलमदेा जाव इस्सरिय० । ६. तिस्मरिय° (म ) | १०. स० पा० - ० कम्मा जाव पयोग ° । ११ स० पा० – पुच्छा । १२ स० पा० - - एव जहा तेयगस्स सचिट्टणा तहेव । १३. स० पा० - एव जहा तेयगसरीरस्स तर तव । Page #446 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ठमं सत (नवमो उद्देसो) ३८७ य कयरे कयरेहितो' अप्पा वा ? बहया वा ? तुल्ला वा ? विसेसाहिया वा ? गोयमा | सव्वत्थोवा जीवा नाणावरणिज्जस्स कम्मस्स अबधगा देसबधगा, अणतगुणा । एव आउयवज्ज जाव अंतराइयस्स ।। ४३८. आउयस्स पुच्छा । गोयमा सव्वत्थोवा जीवा आउयास कम्मस्स देसबधगा, अबधगा सखेज्जगुणा ।। ४३६ जस्स ण भते । अोरालियसरीरस्स सव्वबधे, से ण भते । वेउव्वियसरीरस्स किं बधए ? अबधए ? गोयमा | नो बधए, अवधए । आहारगसरीरस्स' किं वधए ? अबधए ? गोयमा | नो बधए, अबंधए । तेयासरीरस्स किं बधए ? अवधए ? गोयमा । बधए, नो अबधए । जइ बधए कि देसबधए ? सव्वबधए ? गोयमा । देसवधए, नो सव्वबधए । कम्मासरीरस्स किं बधए ? अबधए ? गोयमा । बधए, नो अबधए। जइ बधए किं देसबधए ? सव्वबधए ? गोयमा । ० देसबधए, नो सव्वबधए॥ ४४० जस्स ण भते । ओरालियसरीरस्स देसवधे, से ण भते । वेउव्वियसरीरस्स किं बधए ? अबधए ? गोयमा | नो बधए, अबधए । एव जहेव सव्वबधेण भणिय तहेव देसबधेण वि भाणियव्व जाव कम्मगस्स ॥ ४४१ जस्स ण भते । वेउव्वियसरीरस्स सव्वबंधे, से ण भते । ओरालियसरीरस्स किं बंधए ? अबधए ? गोयमा । नो बधए, अबधए। आहारगसरीरस्स एव चेव । तेयगस्स कम्मगस्स य जहेव ओरालिएण सम भणिय तहेव भाणियव्व जाव देसबंधए, नो सव्वबधए॥ ४४२ जस्स ण भते । वेउव्वियसरीरस्स देसवधे, से णं भते । ओरालियसरीरस्स किं बधए ? अवधए ? १ स० पा०-करयरेहितो जाव अप्पाबहुग जहा तेयगस्स। २. आहारासरीरस्स (ता, व) । ३ स० पा०-जहेव तेयगस्स जाव देसवधए । ४ भ० ८।४३६ । Page #447 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३८८ - भगवई गोयमा | नो वंधए, अवंधए । एवं जहेव सव्ववंधेणं भणियं तहेव देसबंधेण वि भाणियव्वं जाव कम्मगस्स ॥ ४४३. जस्स ण भते । आहारगसरीरस्स सव्ववंधे, से णं भंते ! ओरालियसरीरस्स किं वंधए ? अवधए? गोयमा । नो वंधए, अवंधए। एवं वेउब्वियस्स वि । तेया-कम्माणं जहेव ओरालिएणं सम भणिय तहेव भाणियव्व' । ४४४. जस्स ण भते ! आहारगसरीरस्स देसवंधे, से ण भते । ओरालियसरीरस्स किं वधए ? अवधए ? गोयमा नो वधए, अवधए । एव जहा आहारगस्स सव्ववधेण भणियं तहा देस वधेण वि भाणियव्व जाव कम्मगस्स ।। ४४५. जस्स ण भंते ! तेयासरीरस्स देसवधे, से णं भते । ओरालियसरीरस्स किं वधए ? अवंधए ? गोयमा । वंधए वा, अवंधए वा। जइ बंधए कि देसवंधए ? सन्वबधए ? गोयमा ! देसवधए वा, सव्ववंधए वा ? वेउब्वियसरीस्स किं बधए ? अवधए? एवं चेव । एव पाहारगस्स वि। कम्मगसरीरस्स किं वधए ? अवंधए ? गोयमा ! बंधए, नो अवंधए। जइ वधए कि देसवधए ? सव्वबधए ? गोयमा ! देसवधए, नो सव्ववंधए ।। ४४६. जस्स ण भते ! कम्मासरीरस्स देसवधे, से ण भते । अोरालियसरीरस्स किं वंधए ? अवधए ? गोयमा । नो वधए, अवधए। जहा तेयगस्स वत्तव्वया भणिया तहा कम्मगस्स वि भाणियव्वा जावतेयासरीरस्स' किं वधए ? अवंधए ? गोयमा । वधए, नो अवधए। जइ वघड कि देसवधए ? सव्ववधए ? गोयमा । ० देसवंधए, नो सव्ववंधए ।। ४४७ एएसि णं भते ! जीवाण' ओरालिय-वेउव्विय-आहारग-तेयाकम्मासरीरगाणं १. भ० ८।४३६ २. आहारगसरीरस्स (म, स)। ३. स० पा०-तेयासरीरस्स जाव देसवधए। ४ सव्वजीवारण (अ, स)। Page #448 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ठम सत (दसमो उद्देसो) ३८६ देसबधगाण, सव्वबंधगाणं, अबधगाण य कयरे कयरेहितो' अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? • विसेसाहिया वा ? गोयमा । १ सव्वत्थोवा जीवा आहारगसरी रस्स सन्वबधगा २ तस्स चेव देसबधगा सखेज्जगुणा ३ वेउब्वियसरी रस्स सव्वबधगा असखेज्जगुणा ४. तस्स चेव देसबधगा असखेज्जगुणा ५ तेया-कम्मगाणं' अबधगा अणतगुणा ६ अोरालियसरीरस्स सव्वबधगा अणतगुणा ७. तस्स चेव अबधगा विसेसाहिया ८ तस्स चेव देसबधगा असंखेज्जगुणा ६. तेया-कम्मगाण देसबधगा विसेसाहिया १० वेउब्वियसरीरस्स अवधगा विसेसाहिया ११. आहारगसरीरस्स अबधगा विसेसाहिया ॥ ४४८ सेव भते ! सेव भते । त्ति' ।। दसमो उद्देसो सुय-सील-पद ४४६. रायगिहे नगरे जाव एव वयासी-अण्णउत्थिया णं भते । एवमाइक्खति जाव" एव परूवेति-एव खलु १ सील सेय २ सुय सेय ३ 'सुय सील सेय॥ ४५० से कहमेय भते । एव ? गोयमा | जण्ण ते अण्णउत्थिया एवमाइक्खति जाव' जे ते एवमाहसु, मिच्छा ते एवमाहसु । अह पुण गोयमा । एवमाइक्खामि जाव परूवेमिएव खलु मए चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, त जहा–१ सीलसपन्ने नाम एगे नो सुयसपन्ने २ सुयसपन्ने नाम एगे नो सीलसपन्ने ३. एगे सीलसपन्ने वि सुयसपन्ने वि ४ एगे नो सीलसपन्ने नो सुयसपन्ने । तत्थ ण जे से पढमे पुरिसजाए से ण पुरिसे सीलवं असुयवं-उवरए, अविण्णायधम्मे । एस ण गोयमा । मए पुरिसे देसाराहए पण्णत्ते । १ स० पा०-कयरेहितो जाव विसेसाहिया। २ ° गाण दोण्ह वि तुल्ला (अ, ता, स)। ३. भ० ११५१ । ४. भ० ११४-१०। ५. भ० ११४२० । ६ सुय सेय सील सेय (क, ता, व, स, वृ)। ७ भ० ८।४४६ । ८ भ०१४२१ । Page #449 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३६० भगवई तत्थ ण जे से दोच्चे पुरिसजाए से णं पुरिसे असीलवं सुयवं-अणुवरए, दिण्णायधम्मे । एस ण गोयमा ! मए पुरिसे देसविराहए पण्णत्ते।। तत्थ ण जे से तच्चे पुरिसजाए से णं पुरिसे सीलव सुयव–उवरए, विण्णायधम्मे । एस ण गोयमा ! मए पुरिसे सव्वाराहए पण्णत्ते।। तत्थ ण जे से चउत्थे पुरिसजाए से णं पुरिसे असीलव असुयवं-अणुवरए, अविण्णायधम्मे । एस ण गोयमा ! मए पुरिसे सव्वविराहए पण्णत्ते । धाराहरणा-पद ४५१. कतिविहा णं भते ! आराहणा एण्णत्ता? गोयमा । तिविहा आराहणा पण्णत्ता, त जहा-नाणाराहणा, दसणाराहणा, चरित्ताराहणा ॥ ४५२. नाणाराहणा ण भते ! कतिविहा पण्णत्ता ? गोयमा ! तिविहा पण्णत्ता, तं जहा-उक्कोसिया, मज्झिमा, जहण्णा ।। ४५३. दसणाराहणा ण भते । कतिविहा पण्णत्ता? गोयमा । तिविहा पण्णत्ता, तं जहा- उक्कोसिया, मज्झिमा, जहण्णा ॥ ४५४ चरित्ताराहणा ण भते ! कतिविहा पण्णत्ता ! गोयमा ! तिविहा पण्णत्ता, त जहा-उक्कोसिया, मज्झिमा, जहण्णा ॥ ४५५. जस्स ण भते । उक्कोसिया नाणाराहणा तस्स उक्कोसिया दसणाराहणा ? जस्स उक्कोसिया दसणाराहणा तस्स उक्कोसिया नाणाराहणा? गोयमा ! 'जस्स उक्कोसिया'२ नाणाराहणा तस्स दसणाराहणा उक्कोसा वा अजहण्णुवकोसा वा । जस्स पुण उक्कोसिया दसणाराहणा तस्स नाणाराहणा उक्कोसा वा, जहण्णा वा, अजहण्णमणुक्कोसा वा ॥ ४५६ जस्स ण भते ! उक्कोसिया नाणाराहणा तस्स उक्कोसिया चरित्ताराहणा? जस्स उक्कोसिया चरित्ताराहणा तस्स उक्कोसिया नाणाराहणा? "गोयमा । जस्स उक्कोसिया नाणाराहणा तस्स चरित्ताराहणा उक्कोसा वा अजहण्णुक्कोसा वा । जस्स पुण उक्कोसिया चरित्ताराहणा तस्स नाणाराहणा उक्कोसा वा, जहण्णा वा, अजहण्णमणुक्कोसा वा ॥ ४५७. जस्स ण भते ! उक्कोसिया दसणाराहणा तस्स उक्कोसिया चरित्ताराहणा? जस्स उक्कोसिया चरित्ताराहणा तस्स उक्कोसिया दसणाराहणा? १ सं० पा०-एव चेव तिविहा वि, एव चरि- ३. स० पा०-जहा उक्कोसिया नाणाराहणा ताराहणा वि। य दसणाराहणा य भारिणया तहा उक्कोसिया २. जस्सुक्कोसिया (अ, ता, व)। नारणाराहणा य चरित्ताराहरणाय भाणियव्वा। Page #450 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ठम सत (दसमो उद्देसो) ३६१ गोयमा ! जस्स उवकोसिया दसणाराहणा तस्स चरित्ताराहणा उवकोसा वा, जहण्णा वा, अजहण्णमणुक्कोसा वा। जस्स पुण उक्कोसिया चरित्ताराहणा तस्स दसणाराहणा नियमा उक्कोसा ॥ ४५८ उक्कोसियण्ण' भते । नाणाराहणाराहेत्ता कतिहि भवग्गोह सिज्झति जाव' सव्वदुक्खाणं अत करेति? गोयमा । अत्थेगतिए तेणेव भवग्गहणेण सिज्झति जाव सव्वदुक्खाण अत करेति, अत्यंगतिए कप्पोवएसु वा कप्पातीएसु वा उववज्जति ।। ४५६. उक्कोसियण्ण भते ! दसणाराहणाराहेत्ता कतिहि भवग्गहणेहि सिज्झति जाव सव्वदुक्खाण अत करेति ? गोयमा ! अत्यंगतिए तेणेव भवगहणेण सिझति जाव सव्वदुक्खाण प्रत करेति, प्रत्येगतिए कप्पोवएसु वा कप्पातीएसु वा उववज्जति ।। ४६० उक्कोसियण्ण भते । चरित्ताराहण पाराहेत्ता "कतिहि भवग्गहणेहि सिज्झति जाव सव्वदुक्खाण अत करेति ? गोयमा । अत्थेगतिए तेणेव भवगहणेण सिज्झति जाव सव्वदुक्खाण अत करेति, ° अत्थेगतिए कप्पातीएसु उववज्जति ।। ४६१ मज्झिमियण्ण भते | नाणाराहण पाराहेत्ता कतिहिं भवग्गहणेहि सिज्झति जाव सव्वदुक्खाण अत करेति ? गोयमा ! अत्थेगतिए दोच्चेण भवग्गहणेण सिज्झति जाव सव्वदुक्खाण अत करेति, तच्च पुण भवग्गहण नाइक्कमइ ।। ४६२ मज्झिमियण्ण भते । दसणाराहण आराहेत्ता " कतिहि भवग्गहणेहि सिज्झति जाव सव्वदुक्खाण अत करेति ? गोयमा । अत्थेगतिए दोच्चेण भवग्गहणेण सिज्झति जाव सव्वदुक्खाण अत करेति, तच्च पूण भवगहण नाइवकमइ॥ ४६३ मज्झिमियण्ण भते । चरित्ताराहणाराहेत्ता कतिहि भवगहहि सिज्झति जाव सव्वदुवखाण अत करेति ? गोयमा । अत्थेगतिए दोच्चेण भवग्गहणेण सिज्झति जाव सव्वदुक्खाण अत करेति, तच्च पुण भवग्गहण नाइक्कमइ° ।। १. उक्कोसिया (व, स)। ५. स० पा०--एवं चेव। २ उक्कोसिया ण (अ, क, व, स), उक्कोसिय ६ स० पा०-एव चेव नवर अत्थेगतिए। ण (ता)। ७. स० पा०-एव चेव एव मज्झिमिय चरित्ता३ भ० १६४४ । राहण पि। ४ करेति, अत्यंगतिए दोच्चे ण भवग्गहणेण सिज्झति जाव अत करेति (क, व, म, स)। Page #451 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ३६२ ४६४. जहणियण्ण भते । नाणाराहण भाराहेत्ता कतिहि भवग्गहणेहि सिज्झति जाव सव्वदुक्खाण अत करेति ? गोयमा । प्रत्येगतिए तच्चेण भवग्गहणेण सिज्झति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति, सत्तट्ट भवग्गहणाइ पुण नाइक्कमइ ।। ४६५ "जहण्णियण्ण भते ! दसणाराहण पाराहेत्ता कतिहि भवग्गहणेहि सिज्झति जाव सव्वदुक्खाण अत करेति ? गोयमा । अत्येगतिए तच्चेण भवग्गहणेण सिज्झति जाव सम्बदुक्खाण अत करेति, सत्तट्ठ भवग्गहणाइ पुण नाइक्कमइ ।। ४६६ जहण्णियण्ण भते । चरित्ताराहण आराहेत्ता कतिहि भवग्गहणेहि सिज्झति जाव सव्वदुक्खाण अत करेति ? गोयमा । अत्थेगतिए तच्चेण भवरगहणेण सिज्झति जाव सव्वदुवखाण अत करेति, सत्तट्ठ भवग्गहणाइ पुण नाइक्कमइ ° ॥ पोग्गलपरिणाम-पदं ४६७. कतिविहे ण भते । पोग्गलपरिणामे पण्णते ? गोयमा ! पचविहे पोग्गलपरिणामे पण्णत्ते, त जहा--वण्णपरिणामे, गंधपरि णामे, रसपरिणामे, फासपरिणामे, सठाणपरिणामे ।। ४६८. वण्णपरिणामे ण भते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! पचविहे पण्णत्ते, त जहा-कालवण्णपरिणामे जाव' सुक्किलवण्णपरिणामे । एव एएण अभिलावेण गधपरिणामे दुविहे, रसपरिणामे पंचविहे, फासपरिणामे अट्टविहे ।। ४६६ सठाणपरिणामे ण भते । कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा । पचविहे पण्णत्ते, त जहा-परिमडलसठाणपरिणामे जाव' आयत सठाणपरिणामे ॥ पोग्गलपएसस्स दव्वादोहि भंग-पदं ४७० एगे भते । पोग्गलत्थिकायपदेसे कि १ दव्व ? २ दव्वदेसे ? ३. दव्वाइं? ४ दव्वदेसा ? ५. उदाहु दव्व च दव्वदेसे य? ६ उदाहु दव्व च दव्वदेसा य? ७. उदाहु दव्वाइ च दव्वदेसे य ? ८. उदाहु दव्वाइं च दव्वदेसा य? १. स० पा०-एव दसणाराहरण पि, एव चरि- ___त्ताराहण पि। २. भ० ८।३६। ३. भ० ८।३६ । ४ एगे ण (अ)। Page #452 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्टम सत (दसमो उद्देसो) ३६३ गोमा । १. सिय दव्व २ सिय दव्वदेसे ३. नो दव्वाइ ४ नो दव्वदेसा ५ नो दव्व च दव्वदेसे य ६ नो दव्व च दव्वदेसा य ७ नो दव्वाइ च दव्वदेसे य८ नो दव्वाइ च दव्वदेसा य ॥ ४७१ दो भते | पोग्गलत्थिकायपदेसा कि दव्व ? दव्वदेसे ? – पुच्छा'। गोमा । सिय दिव्व, सिय दव्वदेसे, सिय दव्वाइ, सिय दव्वदेसा, सिय दव्व च दव्वदेसे य' । सेसा पडिसेहेयव्वा ।। ४७२ तिणिभते पोग्गलत्थिकायपदेसा कि दव्व ? दव्वदेसे ? – पुच्छा । गोमा । सिय दव्व, सिय दव्वदेसे, एव सत्त भगा भाणियव्वा जाव सिय दव्वाइ च दव्वदेसे य, नो दव्वाइ च दव्वदेसा य ॥ ४७३ चत्तारि भते । पोग्गलत्थिकायपदेसा कि दव्व ? - पुच्छा । गोयमा । सिय दव्व, सिय दव्वदेसे, ग्रटु वि भगा भाणियव्वा जाव सिय दव्वाइ च दव्वदेसा य । जहा चत्तारि भणिया एव पच, छ, सत्त जाव असखेज्जा ॥ ४७४ प्रणता भते । पोग्गलत्थिकायपदेसा कि दव्व ? एव चेव जाव सिय दव्वाइ च दव्वदेसा य ॥ पएस - परिमाण - पद ४७५ केवतिया ण भते । लोयागासपदेसा पण्णत्ता ? गोयमा । सखेज्जा लोयागासपदेसा पण्णत्ता ॥ ४७६ एगमेगस्स ण भते । जीवस्स केवइया जीवपदेसा पण्णत्ता ? गोमा ! जावतिया लोयागासपदेसा, एगमेगस्स ण जीवस्स एवतिया जीवपदेसा पण्णत्ता ॥ कम्माणं श्रविभागपलिच्छेद-पदं ४७७ कति ण भते । कम्मपगडीओ पण्णत्ता गोयमा । ? अट्ठ कम्मपगडीओ पण्णत्ताओ, त जहा - नाणावरणिज्ज जाव' अतराइय ॥ ४७८ नेरइयाण भते । कति कम्मपगडीश्रो पण्णत्ताओ ? गोयमा ! अटु । एव सव्वजीवाण ग्रटु कम्मपगडीओ ठावेयव्वाश्रो जाव वेमाणियाण ॥ १ पुच्छा तहेव ( अ, क, ता, ब, म, स) । २ य नो दव्व च दव्वदेसाय ( अ, क, ता, व, म,स) । ३. भ० ६।३३ / Page #453 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ४७६. नाणावरणिज्जस्स ण भते । कम्मस्स केवतिया अविभागपलिच्छेदा पण्णत्ता ? गोयमा | अणता अविभागपलिच्छेदा पण्णत्ता ।। ४८०. नेरइयाण भते । नाणावरणिज्जस्स कम्मस्स केवतिया अविभागपलिच्छेदा पण्णत्ता? गोयमा ! अणता अविभागपलिच्छेदा पण्णत्ता ।। ४८१ एव सव्वजीवाण जाव वेमाणियाण-पुच्छा। गोयमा । अणता अविभागपलिच्छेदा पण्णत्ता। एव जहा नाणावरणिज्जस्स अविभागपलिच्छेदा भणिया तहा अट्टण्ह वि कम्मपगडीण भाणियव्वा जाव वेमाणियाण अतराइयस्स' । ४८२ एगमेगस्स ण भते । जीवस्स एगमेगे जीवपदेसे नाणावरणिज्जस्स कम्मस्स केव तिएहि अविभागपलिच्छेदेहि आवेढिय-परिवेटिए ? । गोयमा । सिय आवेढिय-परिवेढिए, सिय नो आवेढिय-परिवेढिए । जइ अावे ढिय-परिवेढिए नियमा अणतेहि ॥ ४८३. एगमेगस्स ण भते ! नेरइयस्स एगमेगे जीवपदेसे नाणावरणिज्जस्स कम्मस्स केवतिएहि अविभागपलिच्छेदेहि आवेढिय-परिवेढिए ? गोयमा | नियम अणतेहिं । जहा नेरइयस्स एव जाव वेमाणियस्स, नवरं-- मणूसस्स जहा जीवस्स ।। कम्माणं परोप्परं नियमा-भयणा-पदं ४८४. एगमेगस्स ण भते । जोवस्स एगमेगे जीवपदेसे दरिसणावरणिज्जस्स कम्मस्स केवतिएहिं अविभागपलिच्छेदेहिं आवेढिय-परिवेढिए ? गोयमा । नियम अणंतेहिं । जहा जीवस्स एव जाव वेमाणियस्स, नवरमणूसस्स जहा जीवस्स । एव जहेव नाणावरणिज्जस्स तहेव दडगो भाणियव्वो जाव वेमाणियस्स । एव जाव अतराइयस्स भाणियव्व, नवर-वेयणिज्जस्स, आउयस्स, नामस्स, गोयस्स--एएसि चउण्ह वि कम्माणं मणूसस्स जहा नेरइय स्स तहा भाणियव्व । सेस त चेव ॥ ४८५ जस्स ण भते | नाणावरणिज्ज तस्स दरिसणावरणिज्ज ? जस्स दसणावरणि ज्ज तस्स नाणावरणिज्ज ? गोयमा ! जस्स ण नाणावरणिज्ज तस्स दसणावरणिज्ज नियम अत्थि, जस्स ण दरिसणावरणिज्ज तस्स वि नाणावरणिज्ज नियम अत्थि ॥ ४८६. जस्स ण भते ! नाणावरणिज्जं तस्स वेयणिज्ज ? जस्स वेयणिज्ज तस्स नाणा वरणिज्ज? १. अतरातियस्स (अ, स), अतरादियस्स (ता) २ केवइहिं (ता)। Page #454 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ठमं सतं (दसमो उद्देसो) ३६५ गोयमा । जस्स नाणावरणिज्ज तस्स वेयणिज्ज नियम अत्थि जस्स पुण वेयणि ज्ज तस्स नाणावरणिज्ज सिय अत्थि, सिय नत्थि ॥ ४८७ जस्स ण भते ! नाणावरणिज्ज तस्स मोहणिज्ज? जस्स मोहणिज्ज तस्स नाणावरणिज्ज ? गोयमा ! जस्स नाणावरणिज्ज तस्स मोहणिज्ज सिय अत्थि, सिय नत्यि; जस्स पुण मोहणिज्ज तस्स नाणावरणिज्ज नियम अस्थि ।। ४८८ जस्स ण भते ! नाणावरणिज्ज तरस आउय ? "जस्स आउय तस्स नाणावर णिज्ज? गोयमा | जस्स नाणावरणिज्ज तस्स आउय नियम अत्थि, जस्स पुण आउय तस्स नाणावरणिज्ज सिय अत्थि, सिय नत्थि । ° एव नामेण वि, एव गोएण वि सम, अतराइएण जहा दरिसणावरणिज्जेण सम तहेव नियम परोप्पर भाणियव्वाणि ॥ ४८६ जस्स ण भते ! दरिसणावरणिज्ज तस्स वेयणिज्ज? जस्स वेयणिज्ज तस्स दरिसणावरणिज्ज ? जहा नाणावरणिज्ज उवरिमेहिं सतहि कम्मेहि सम भणिय तहा दरिसणावर णिज्ज पि उरिमेहि छहि कम्मेहि सम भाणियव्व जाव' अतराइएण ॥ ४६०. जस्स णं भते | वेयणिज्ज तस्स मोहणिज्ज ? जस्स मोहणिज्ज तस्स वेयणिज्ज? गोयमा । जस्स वेयणिज्ज तस्स मोहणिज्ज सिय अस्थि, सिय नत्थि, जस्स पुण मोहणिज्ज तस्स वेयणिज्ज नियम पत्थि ।। ४६१ जस्स ण भते । वेयणिज्ज तस्स आउय' जस्स पाउय तस्स वेयणिज्ज ? एव एयाणि परोप्परं नियम। जहा पाउएण सम एव नामेण वि गोएण वि सम भाणियव्व ॥ ४६२ जस्स ण भते । वेयणिज्ज तस्स अतराइय ? जस्स अतराइय तस्स वेयणिज्ज ? गोयमा | जस्स वेयणिज्ज तस्स अतराइय सिय अत्थि, सिय नत्थि, जस्स पुण अतराइय तस्स वेयणिज्ज नियम अत्थि ।। ४६३. जस्स ण भते । मोहणिज्ज तस्स आउय ? जस्स आउय तस्स मोहणिज्ज ? गोयमा | जस्स मोहणिज्ज तस्स आउय नियम अत्थि, जस्स पुण आउय तस्स मोहणिज्ज सिय अत्थि, सिय नत्थि । एव नाम गोय अतराइय च भाणियव्व। १. नितम (व)। २. स० पा०—एव जहा वेयणिज्जेण सम भणिय तहा आउएण वि सम भाणियव्व । ३. स० पा०-पुच्छा। ४ तस्स पुण (अ, क, ता, ब, म, स)। Page #455 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३६६ । भगवई ४६४ जस्स णं भते । पाउय तस्स नाम ? "जस्म नाम तस्स पाउय ? ० गोयमा ! दो वि परोप्पर नियम । एव गोत्तेण वि सम भाणियव्य ॥ ४६५ जस्स ण भते । आउय तस्स अतराइय ? ' जस्स अतराइय तस्स पाउय ? . गोयमा । जस्स पाउय तस्स अतराइय सिय अत्थि, सिय नत्थि; जस्स पुण अंतराइय तस्स आउय नियम अस्थि ।। ४६६. जस्स ण भते । नाम तस्स गोय' जस्स गोय तस्स नाम ? ० गोयमा । दो वि एए परोप्पर नियमा अस्थि ।। ४६७. जस्स ण भते । नाम तस्स अतराइय ? "जस्स अतराइय तस्स नाम ? गोयमा जस्स नाम तस्स अतराइय सिय अस्थि, सिय नत्थि; जस्स पुण अतराइय तस्स नाम नियम अस्थि । ४९८ जस्स ण भते ! गोयं तस्स अतराइय ? " जस्स अतराइय तस्स गोय ? ० गोयमा । जस्स गोय तस्स अतराइय सिय अत्थि, सिय नत्थि; जस्स पुण अतराइय तस्स गोय नियम अत्थि ।। पोग्गलि-पोग्गल-पदं ४६६ जीवे ण भते ! किं पोग्गली? पोग्गले ? गोयमा । जीवे पोग्गली वि, पोग्गले वि ।। ५००. से केणटेण भते ! एव वुच्चइ-जीवे पोग्गली वि, पोग्गले वि ? गोयमा ! से जहानामए छत्तेण छत्ती, दडेण दडी, घडेण घडी, पडेण पडी, करेण करी, एवामेव गोयमा ! जीवे वि सोइदिय-चक्खिदिय-घाणिदियजिभिदिय-फासिंदियाइं पडुच्च पोग्गली, जीव पडुच्च पोग्गले । से तेण?ण गोयमा | एव वुच्चइ-जीवे पोग्गली वि, पोग्गले वि ॥ ५०१. नेरइए ण भते ! कि पोग्गली | पोग्गले ? एव चेव । एव जाव वेमाणिए, नवर-जस्स जइ इदियाइ तस्स तइ भाणियव्वाइ । ५०२ सिद्धे ण भते ! कि पोग्गली ? पोग्गले ? गोयमा ! नो पोग्गली, पोग्गले ॥ १. स० पा०-पुच्छा। २. स० पा०—पुच्छा। ३. स० पा०-पुच्छा। ४. स० पा०-पुच्छा। ५ स० पा०-पुच्छा । Page #456 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पट्ठम सत (दसमो उद्देसो) ५०३. से केणद्वेणं भते । एवं वुच्चइ'-"सिद्धे नो पोग्गली, पोग्गले ? गोयमा | जीव पडुच्च । से तेणद्वेण गोयमा ! एव वुच्चइ-सिद्धे नो पोग्गली, पोग्गले ॥ ५०४. सेव भते । सेव भते । त्ति ।। १. स० पा०-वुच्चइ जाव पोग्गले । २ भ० ११५१ । Page #457 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नवमं सतं पढमो उद्देसो १ जवुद्दीवे २ जोइस, ३०. अतरदीवा ३१. असोच्च ३२. गगेय । ३३ कुडग्गामे ३४ पुरिसे, णवमम्मि सतम्मि चोत्तीसा ॥१॥ जंबुद्दीव-पदं १. तेण कालेणं तेण समएण मिहिला नाम नगरी होत्था-वण्णयो। माणिभद्दे चेतिए-वण्णो । सामी समोसढे, परिसा निग्गता जाव भगवं गोयमे पज्जुवासमाणे एव वदासी—कहि ण भते । जंवूहीवे दीवे । किसठिए णं भते ! जबुद्दीवे दीवे ? 'एव जबुद्दीवपण्णत्ती भाणियव्वा जाव' एवामेव सपुत्वावरेण जवुद्दीवे दीवे चोइस सलिला-सयसहस्सा छप्पन्नं च सहस्सा भवतीति मक्खाया"। २ सेव भते । सेव भते । त्ति ।। १ ओ० सू० १। २ मारणभद्दे (ता, म)। ३. ओ० सू०-२-१३ । ४ भ० ११८-१०। ५. ज०१-६। ६ वाचनान्तरे पुनरिद दृश्यते-जहा जबुद्दीव- पण्णत्तीए तहा नेयत्व जोइसविहूण जावखडा जोयण वासा, पव्वय कूडाण तित्थ सेढीओ। विजय ६ह सलिलाओ, य पिंडए होति सगहणी ॥ (वृ)। ७. भ० ११५१ । ३९८ Page #458 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नवमं सतं (बीओ उद्देसो) बीओ उद्देसो जोइस-पदं ३ रायगिहे जाव' एव वयासी-जबुद्दीवे ण भते । दीवे केवइया चदा पभासिसु वा? पभासेति वा ? पभासिस्सति वा ? एव जहा जीवाभिगमे जाव' एग च सयसहस्स, तेत्तीस खलु भवे सहस्साइ। नव य सया पन्नासा, तारागणकोडिकोडीण ॥१॥ सोभिंसु, सोभिति, सोभिस्सति ।। ४. लवणे ण भते । समुद्दे केवतिया चदा पभासिसु वा ? पभासेति वा? पभासिस्सति वा ? एव जहा जीवाभिगमे जाव' ताराअो। धायइसडे, कालोदे, पुक्खरवरे, अब्भतपुक्खरद्धे, मणुस्सखेत्ते–एएसु सव्वेसु जहा जीवाभिगमे जाव' एगससीपरिवारो, तारागणकोडिकोडीण ।। ५ पुक्खरोदे ण भते । समुद्दे केवतिया चदा पभासिसु वा ? पभासेति वा ? पभासिस्सति वा ? एव सव्वेसु दीव-समुद्देसु जोतिसियाण भाणियव्व जाव' सयभूरमणे जाव सोभिसु वा, सोभिति वा, सोभिस्सति वा ।। ६ सेव भते । सेव भते! त्ति ॥ १ भ०१॥४-१०। २ जी०३। ३. कोडाकोडीण (ता, व, म)। ४. सोभ सोभिंसु (ब, म)। ५. जी०३। ६ अभितर (स)। ७ जी०३। ८ जोतिस (क, ता, व, म)। ६. जी० ३। १०. भ० ११५१ । Page #459 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४०० अंतरदीव - पदं ७ ८ ३-३० उद्देसा रायगिहे जाव' एव वयासी - कहि ण भते । दाहिणिल्लाणं एगूरुयमणुस्साण एगूरुयदीवे नाम दीवे पण्णत्ते ? गोयमा | जबुद्दीवे दीवे मदरस्स पव्वयस्स दाहिणे ण 'चुल्ल हिमवतस्स वासहरपव्वयस्स पुरत्थिमिल्लाओ चरिमताओ लवणसमुद्दं उत्तरपुरत्थिमे णं तिणि जोयणसयाई ओगाहित्ता एत्थ ण दाहिणिल्लाण एगूरुयमणुस्साण एगूरुयदी वे नाम दीवे पण्णत्ते - तिण्णि जोयणसयाइ श्रायाम- विक्खभेण, नव एगुणवन्ने जोयणसए किंचिविसेसूणे परिक्खेवेण । से ण एगाए पउमवरवेइयाए एगेण य वणसडेण सव्वप्र समता सपरिक्खित्ते । दोण्ह वि पमाण वण्णो य । एव एएण कमेण” 'एव जहा जीवाभिगमे जाव सुद्धदतदीवे जाव देवलोगपरिग्गहा ण ते मणुया पण्णत्ता समणाउसो | " एव अट्ठावीसपि अतरदीवा सएण-सएणं प्रायाम - विक्खभेण भाणियव्वा, नवर — दीवे- दीवे उद्देसन, एव सव्वे वि अट्ठावीस उद्देगा || सेव भते ! सेव भते । त्ति ॥ एगतीसइमो उद्देसो सोच्चा उवलद्धि-पदं ६ रायगिहे जाव' एव वयासी - सोच्चा ण भते । केवलिस्स वा, केवलिसावगस्स वा, केवलिसाविया वा, केवलिउवासगस्स वा, केवलिउवासियाए वा, तप्पक्खियस्स वा तप्पक्खियसावगस्स वा, तप्पक्खियसावियाए वा, तप्पक्खियउवासगस्स वा, तप्पक्खियउवासियाए वा केवलिपण्णत्त धम्म लभेज्ज' सवणयाए ? १. भ० १।४ - १० । २ एगस्य (अ), एगुरुय° (व, म); एगो - रुय ( स ) | भगवई ३ X ( कता) । ४. जी० ३ । ५. वाचनान्तरे त्विद दृश्यते एव जहा जीवा भिगमे उत्तरकुरुवत्तव्वयाए नेयव्वो नारणत्त अट्ठघरणुसया उस्सेहो चाउसट्ठिपिट्टकरडया अणुसज्जरगा नत्यि (वृ) । ६. भ० १।५१ 1 ७ भ० १।४-१० । पलभेज्जा ( अ, म, स ) 1 Page #460 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४०१ गोयमा । असोच्चा ण केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा प्रत्येगतिए केवलिपण्णत्त धम्म लभेज्ज सवणयाए, ग्रत्येगतिए केवलिपण्णत्त धम्म नो लभेज्ज सवणयाए । १० सेकेणट्टेण भते । एव वुच्चइ - असोच्चा ण जाव नो लभेज्ज सवणयाए ? गोयमा । जस्स णं नाणावर णिज्जाण कम्माण खोवसमे कडे भवइ सेण सोच्चा केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलिपण्णत्त धम्म भेज्ज सवणयाए, जस्स ण नाणावर णिज्जाण कम्माण खत्रोवसमे 'नो कडे " भवइ से ण असोच्चा ण केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलि - पण्णत्त धम्म नो लभेज्ज सवणयाए । से तेणद्वेण गोयमा ! एव वुच्चइ'सोच्चा ण" जाव नो लभेज्ज सवणयाए । नवम सत ( एगतीसइमो उद्देसो) ११. असोच्चा ण भते । केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवल बोहिं बुज्झेज्जा ? गोमा । सोच्चा ण केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा प्रत्येगतिए केवल वोहि वुज्ज्जा, ग्रत्येगतिए केवलं वोहि नो बुज्भेज्जा ॥ १२ सेकेणट्टेण भते । एव वुच्चइ – ग्रसोच्चा ण जाव केवल बोहि नो वुज्भेज्जा ? गोयमा । जस्स ण दरिसणावर णिज्जाण कम्माण खत्रोवसमे कडे भवइ से गं असोच्चा केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवल बोहि बुज्भेज्जा, जस्स ण दरिसणावर णिज्जाण कम्माण खोवसमे नो कडे भवइ से ण असोच्चा केवलस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवल बोहि नो बुज्भेज्जा । से तेणट्टेण गोयमा । एव वुच्चइ - असोच्चा ण जाव केवल बोहिं नो वुज्ज्जा | १३ असोच्चा ण भते । केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवल मुडे भवित्ता ग्रगाराम्रो अणगारिय पव्वज्जा ? गोमा । सोच्चा ण केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा प्रत्येगतिए केवल मुडे भवित्ता ग्रगाराम्रो अणगारिय पव्वज्जा, प्रत्येगतिए केवल मुडे भवित्ता ग्रगारा अणगारिय नो पव्वज्जा ॥ १४. से केणट्टेण भते । एव वुच्चइ - सोच्चा ण जाव केवल मुडे भवित्ता प्रगारा प्रणगारिय नो पव्वज्जा ? गोयमा । जस्स ण धम्मतराइयाण कम्माण खओवसमे कडे भवति से णं असोच्चा केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवल मुडे भवित्ता अगारा अणगारिय पव्वज्जा, जस्स ण धम्मतराइयाण कम्माण खोवसमे नोकडे भवति ण असोच्चा केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा १. कडेनो (ता) | २. त चेव (अ, क, ता, ब, म, स ) । Page #461 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४०२ । भगवई केवलं मुडे भवित्ता' अगारानो अणगारिय° नो पन्बएज्जा। से तेणद्वेण गोयमा । एव वुच्चइ-असोच्चा णं जाव केवल मुडे भवित्ता अगारामो अणगारिय नो पव्वएज्जा ।। १५. असोच्चा ण भते । केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलं बभचेर वास आवसेज्जा ? गोयमा । असोच्चा ण केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा अत्येगतिए केवल वभचेरवास आवसेज्जा, अत्यंगतिए केवल वभचेरवासं नो पावसेज्जा । १६ से केणद्वेण भते । एव वुच्चइ-असोच्चा ण जाव केवल वभचेरवास नो आवसेज्जा? गोयमा । जस्स ण चरित्तावरणिज्जाण कम्माण खग्रोवसमे कडे भवइ से ण असोच्चा केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवल वभचेरवास आवसेज्जा, जस्स ण चरित्तावरणिज्जाणं कम्माण खग्रोवसमे नो कडे भवइ से ण असोच्चा केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलं वभचेरवास नो आवसेज्जा । से तेणटेणं गोयमा ! एव वुच्चइ–असोच्चा ण जाव केवल बभचेरवास नो आवसेज्जा ।। १७ असोच्चा ण भते । केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलेण संजमेण सजमेज्जा? गोयमा । असोच्चा ण केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा अत्थेगतिए केवलेण सजमेण सजमेज्जा, अत्थेगतिए केवलेण सजमेण नो सजमेज्जा ॥ से केणद्वेण भते । एवं वुच्चइ-असोच्चा ण जाव केवलेण सजमेण नो संजमेज्जा? गोयमा | जस्स ण जयणावरणिज्जाण कम्माण खोवसमे कडे भवइ से ण असोच्चा केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलेणं सजमेण सजमेज्जा, जस्स ण जयणावरणिज्जाण कम्माण खग्रोवसमे नो कडे भवइ से - ण असोच्चा केवलिस्स वा जाव' तप्पक्खियउवासियाए वा केवलेणं सजमेण नो सजमेज्जा। से तेणद्वेण गोयमा ! एव वुच्चइ-असोच्चा णं जाव केवलेण सजमेण नो सजमेज्जा ॥ १६ असोच्चा ण भते । केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलेण सवरेण सवरेज्जा? गोयमा ! असोच्चा ण केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा अत्थेगतिए केवलेणं सवरेण सवरेज्जा, अत्यंगतिए केवलेण सवरेण नो सवरेज्जा॥ १. स० पा०-भवित्ता जाव नो। ३. जाव अत्येगतिए (अ, क, ता, व, म, स)। २. आवासेज्जा (ता, ब)। ४ जाव (अ, क, ता, व, म, स)। Page #462 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नवम सत ( एगतीस मो उद्देसो) ४०३ २०. से केणट्टेण भते । एव बुच्चइ - प्रसोच्चा णं जाव केवलेणं सवरेण नो सवरेज्जा ? गोयमा । जस्स ण ग्रज्झत्रसाणावर णिज्जाण कम्माण खत्रोवसमे कडे भवइ सेण सच्चा केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलेण सवरेण सवरेज्जा, जस्स ण अज्भवसाणावर गिज्जाण कम्माण खप्रोवसमे नो कडे भवड से ण सोच्चा केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलेण सवरेण नो सवरेज्जा | से तेणद्वेण गोयमा ! एव वच्चइ - असोच्चा ण जाव केवलेण सवरेण नो सवरेज्जा ॥ २१ असोच्चा ण भते केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवल ग्राभिणिवोहियनाण उप्पाडेज्जा ? गोयमा । सोच्चा ण केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा अत्थेगतिए केवल आभिणिवोहियनाण उप्पाडेज्जा, प्रत्थे गतिए केवल ग्राभिणिवोहियनाण नो उप्पाडेज्जा | २२ से केणट्टेण भते । एव वच्चइ – असोच्चा ण जाव केवल ग्राभिणिवोहियनाणं नो उप्पाडेज्जा ? गोयमा । जम्स ण आभिणिवोहियनागाव रणिज्जाण कम्माण खग्रोवसमे कडे भवइ से ण सोच्चा केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलं ग्राभिणिवोहियनाण उप्पाडेज्जा, जस्स ण ग्राभिणिबोहियनाणावर णिज्जाण कम्माण खग्रोवसमे नो कडे भवइ से ण ग्रसोच्चा केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवल ग्राभिणिवोहियनाण नो उप्पाडेज्जा। से तेणट्टेणं गोयमा । एव बुच्च — ग्रसोच्चा ण जाव केवल ग्राभिणिवोहियनाण नो उप्पाडेज्जा | २३ सोच्चा ग भते । केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवल सुयनाण उप्पाडेज्जा ? गोयमा । सोच्चा ण केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा प्रत्येग - तिए केवल सुयनाण उप्पाडेज्जा, प्रत्थेगतिए केवल सुयनाण नो उप्पाडेज्जा ॥ २४. से केणट्टेण भते । एव [ वुच्चइ – असोच्चा ण जाव केवल सुयनाण नो उप्पाडेज्जा ॥ १. स० पा० - एव जहा आभिणिवोहियनागस्स वत्तव्वया भरिणया तहा सुयनागस्स वि भारिणयव्वा, नवर - सुयनारणावरणिज्जाण कम्माण खत्रोवसमे भाणियव्वे । एव चेव केवल ओहिमाण भाणियव्व, नवर -प्रोहि नाणावररिगज्जाण कम्माण खओवसमे भारिणयव्वे । एव केवल मणपज्जवनाण उप्पाडेज्जा, नवर—मणपज्जवनारणावररिणज्जाण कम्माण खओवसमे भारिणयव्वे i Page #463 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई गोयमा । जस्स ण सुयनाणावर णिज्जाणं कम्माणं खग्रोवसमे कडे भवइ से ण असोच्चा केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवल सुयनाण उप्पाडेज्जा, जस्स ण सुयनाणावर णिज्जाण कम्माण खग्रोवसमे नो कडे भवइ से ण असोच्चा केवलिस्स वा जाव तप्पविखयउवासियाए वा केवल सुयनाण नो उप्पाडेज्जा। से तेणट्टेण गोयमा । एव वुच्चइ - सोच्चा ण जाव केवल सुयनाण नो उप्पाडेज्जा | २५. असोच्चा ण भते । केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासिए वा केवल मोहिनाण उप्पाडेज्जा ? ४०४ गोयमा । असोच्चा णं केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा प्रत्येगतिए केवल ग्रोहिनाण उप्पाडेज्जा, प्रत्थेगतिए केवल ओहिनाण नो उप्पाडेज्जा ॥ २६ से केणट्टेण भते । एव वुच्चइ – सोच्चा ण जाव केवल ओहिनाणं नो उप्पाडेज्जा ? गोयमा । जस्स ण ओहिनाणावर णिज्जाण कम्माण खोवसमे कडे भवइ से णं असोच्चा केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवल ग्रोहिनाण उप्पाडेज्जा, जस्स ण मोहिनाणावर णिज्जाण कम्माण खत्रोवसमे नो कडे भवइ से ण असोच्चा केवलस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवल ओहिनाण नो उप्पाडेज्जा | से तेणट्टेण गोयमा । एव वुच्चइ - असोच्चा ण जाव केवल ओहिनाण नो उप्पाडेज्जा | २७. असोच्चा ण भते ! केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियज्वासियाए वा केवलं मणपज्जवनाण उप्पाडेज्जा ? गोयमा । असोच्चा ण केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा प्रत्येगतिए केवल मणपज्जवनाण उप्पाडेज्जा, प्रत्येगतिए केवल मणपज्जवनाण नो उप्पाडेज्जा ॥ २८. से केणट्टेण भते । एव वुच्चइ - असोच्चा ण जाव केवलं मणपज्जवनाण नो उप्पाडेज्जा ? गोयमा ! जस्स णं मणपज्जवनाणावरणिज्जाण कम्माण खग्रोवसमे कडे भवइ से ण असोच्चा केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवल मणपज्जवनाण उप्पाडेज्जा, जस्स ण मणर्पज्जवनाणावर गिज्जाण कम्माण खप्रोवसमे नो कडे भवइ से ण असोच्चा केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवल मणपज्जवनाण नो उप्पाडेज्जा । से तेणट्टेण गोयमा । एवं वुच्चइ - ग्रसोन्चा णं जाव केवल मणपज्जवनाण नो उप्पाडेज्जा ° ॥ O २६. असोच्चा ण भते । केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियज्वासियाए वा केवलनाण उप्पाडेज्जा ? Page #464 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नवम सत (एगतीसइमो उद्देसो) ४०५ "गोयमा ! असोच्चा णं केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा अत्थे गतिए केवलनाणं उप्पाडेज्जा, प्रत्येगतिए केवलनाण नो उप्पाडेज्जा। ३०. से केणद्वेण भंते । एव वुच्चइ-असोच्चा णं जाव केवलनाण नो उप्पाडेज्जा ? गोयमा । जस्स णं केवलनाणावरणिज्जाण कम्माण खए कडे भवइ से ण असोच्चा केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलनाण उप्पाडेज्जा, जस्स ण केवलनाणावरणिज्जाणं कम्माण खए नो कडे भवड से ण असोच्चा केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलनाण नो उप्पाडेज्जा । से तेणद्वेण गोयमा । एव वुच्चइ-असोच्चा ण जाव केवलनाण नो उप्पाडेज्जा ॥ ३१ असोच्चा ण भते । केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा-१ केवलि पण्णत्त वम्म लभेज्ज सवणयाए २ केवल वोहि बुझज्जा ३ केवल मुडे भवित्ता प्रागाराग्रो अणगारिय पव्वएज्जा ४ केवल वभचेरवास पावसेज्जा ५ केवलेण सजमेण सजमेज्जा ६ केवलेण सवरेण सवरेज्जा ७ केवल ग्राभिणिवोहियनाण उप्पाडेज्जा' ८ केवल सुयनाण उप्पाडेज्जा 8 केवल ओहिनाण उप्पाडेज्जा १० केवल मणपज्जवनाण उप्पाडेज्जा ११. केवलनाण उप्पाडेज्जा? गोयमा । असोच्चा ण केवलिस्स वा जाव तप्प विखयउवासिए वा-१. अत्थेगतिए केवलिपण्णत्त धम्म लभेज्ज सवणयाए, अत्थेगतिए केवलिपण्णत्त धम्म नो लभेज्ज सवणयाए २ अत्यंगतिए केवल वोहि बुज्झज्जा, अत्थेगतिए केवलं वोहि नो वुझज्जा ३ अत्येगतिए केवल मुडे भवित्ता अगाराम्रो अणगारिय पव्वएज्जा, प्रत्येगतिए केवलं मुडे भवित्ता अगाराम्रो अणगारिय० नो पव्वएज्जा ४ अत्थेगतिए केवल बभचेरवास पावसेज्जा, अत्थेगतिए केवल बभचेरवास नो पावसेज्जा ५ अत्यंगतिए केवलेण सजमेण सजमेज्जा, अत्थेगतिए केवलेण सजमेण नो सजमेज्जा ६ "अत्थेगतिए केवलेण सवरेण सवरेज्जा, अत्यंगतिए केवलेण सवरेण नो सवरेज्जा' ७ अत्थेगतिए केवल आभिणिवोहियनाण उप्पाडेज्जा, अत्थेगतिए' केवल आभिणीवोहियनाण ° नो उप्पा १. स० पा०-एव चेव, नवर-केवलनाणावरणि. क्त्यदर्शनेन द्वयोर्वाचनयो सम्मिश्रण प्रती ज्जाण कम्माण खए भाणियब्वे, सेस त चेव। यते । २ एकत्रिंशद्-द्वात्रिंशत् सूत्रयो पूर्वपादित एव ३ स० पा०.-उप्पाडेज्जा जाव केवल । विषय पुनरुक्तोस्ति । वृत्तिकृतात्र एका टिप्प- ४ स० पा०-अत्यंगतिए जाव नो। णीकृतास्ति पूर्वोक्तानेवार्थान् पुन. समु- ५ स० पा०-एव सवरेण वि। दायेनाह (व), किन्तु समग्रविषयस्य पौनरु- ६. स. पा०-अत्यंगतिए जाव नो। Page #465 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४०६ भगवई डेज्जा ८ "प्रत्येगतिए केवल सुयनाण उप्पाडेज्जा, अत्यंगतिए केवलं सुयनाण नो उप्पाडेज्जा ६. अत्थेगतिए केवलं प्रोहिनाण उप्पाडेज्जा, अत्थेगतिए केवल प्रोहिनाणं नो उप्पाडेज्जा १०. अत्थेगतिए केवल मणपज्जवनाणं उप्पाडेज्जा, अत्थेगतिए केवल मणपज्जवनाण नो उप्पाडेज्जा° ११ अत्यंगतिए केवलनाण उपपाडेज्जा, अत्थेगतिए केवलनाणं नो उप्पाडेज्जा॥ ३२. से केणट्रेणं भते ! एवं वुच्चइ-असोच्चा ण त चेव जाव अत्थेगतिए केवलनाण उप्पाडेज्जा, अत्थेगतिए केवलनाण नो उप्पाडेज्जा? गोयमा ! १. जस्स ण नाणावरणिज्जाण कम्माण खग्रोवसमे नो कडे भवइ २ जस्स ण दरिसणावरणिज्जाण कम्माण खोवसमे नो कडे भवइ ३ जस्स ण धम्मतराइयाण कम्माणं खग्रोवसमे नो कडे भवड ४. जस्स ण चरित्तावरणिज्जाण कम्माण खओवसमे नो कडे भवइ ५. जस्स ण जयणावरणिज्जाण कम्माण खओवसमे नो कडे भवइ ६ जस्स ण अज्भवसाणावरणिज्जाण कम्माण खग्रोवसमे नो कडे भवइ ७. जस्स ण आभिणिवोहियनाणावरणिज्जाण कम्माणं खओवसमे नो कडे भवइ ८. जस्स णं सुयनाणावरणिज्जाणं कम्माण खग्रोवसमे नो कडे भवइ ६ जस्स ण ओहिनाणावरणिज्जाण कम्माणं खग्रोवसमे नो कडे भवइ १० जस्स ण° मणपज्जवनाणावरणिज्जाण कम्माण खग्रोवसमे नो कडे भवइ ११ जस्स ण केवलनाणावरणिज्जाणं कम्माण खए नो कडे भवइ, से ण असोच्चा केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलिपण्णत्त धम्म नो लभेज्ज सवणयाए, केवल वोहिं नो बुज्झज्जा जाव केवलनाण नो उप्पाडेज्जा। जस्स ण नाणावरणिज्जाण कम्माण खओवसमे कडे भवइ, जस्स ण दरिसणावरणिज्जाण कम्माण खनोवसमे कडे भवइ, जस्स ण धम्मतराइयाण कम्माण खग्रोवसमे कडे भवइ, एव जाव जस्स ण केवलनाणावरणिज्जाणं कम्माण खए कडे भवड, से ण असोच्चा केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलिपण्णत्त धम्म लभेज्ज सवणयाए, केवलं बोहिं बुज्झज्जा जाव केवलनाण उप्पाडेज्जा॥ ३३. तस्स ण' छट्ठछद्रेण अणिक्खित्तेण तवोकम्मेण उड्ढ बाहाओ 'पगिज्झिय-पगि झिय" सूराभिमुहस्स पायावणभूमीए आयावेमाणस्स पगइभद्दयाए, पगइउव - १. सं० पा०-एव जाव मणपज्जवनाण। मणपज्जव । २ स० पा०-एव चरित्तावरणिज्जाण जयणा- ३. रण भते (अ, क, ता, व, स)। वरणिज्जाणं अज्झवसाणावरणिज्जारण ४. पगझिय २ (स)। आभिणिबोहियनारणावरणिज्जाण जाव Page #466 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नवम सतं ( एगतीसइमो उद्देसो) सतयाए, पगडपयणुकोह-माण - माया - लोभयाए, मिउमद्दवसंपन्नयाए, अल्लीणयाए', विणीयया, ग्रण्णया कयावि ' सुभेण प्रज्भवसाणेण, सुभेण परिणामेण, लेस्साहि विमुज्झमाणीहि-विसुज्झमाणीहिं” तयावरणिज्जाण कम्माण खोवसमेण ईहापोहमग्गणगवेसण' करेमाणस्स विव्भगे नाम अण्णाणे समुप्पज्जइ । सेण तेण विब्भगनाणेण समुप्पन्नेण जहणणेण गुलस्स ग्रसखेज्जतिभाग, उक्कोसेण संखेज्जाइ जोयणसहस्साइ जाणड-पासइ । से ण तेण विब्भगनाणेण समुप्पन्नेण जीवे वि जाणइ, अजीवे वि जाणइ, पासडत्ये सारभे सपरिग्गहे किलिमाणे वि जाणइ, विसुज्झमाणे वि जाणइ । सेण पुव्वामेव सम्मत्त पडिवज्जइ, सम्मत्त पडिवज्जित्ता समणधम्म रोएति, समणधम्म रोएत्ता चरित पडिवज्जइ, चरितं पडिवज्जित्ता लिग पडिवज्जइ । तस्स ह मिच्छत्तपज्जवेहि परिहायमाणे हि परिहायमाणेहि सम्मदसणपज्जवेहि परिवड्ढमाणेह-परिवड्ढमाणेहिं से विभगे अण्णाणे सम्मत्तपरिग्गहिए खिप्पामेव ग्रोही परावत्तइ ॥ ३४. से ण भते । कतिसु लेस्सासु' होज्जा ? गोयमा । तिसु दिमुद्धलेस्सासु होज्जा, त जहा – ते उलेस्साए, पहले स्साए, सुक्कलेस्साए ।। ३५ से ण भते । कतिसु नाणेसु होज्जा ? गोयमा । तिसु - आभिणिवोहियनाण- सुयनाण-हिनाणेसु होज्जा ॥ ४०७ ३६ से ण भते । कि सजोगी होज्जा ? जोगी होज्जा ? गोमा । सजोगी होज्जा, नो जोगी होज्जा । जइ सजोगी होज्जा, कि मणजोगी होज्जा ? वइजोगी होज्जा ? कायजोगी होज्जा ? गोयमा | मणजोगी वा' होज्जा, वइजोगी वा होज्जा, कायजोगी वा होज्जा ।। ३७ से ण भते । किं सागारोवउत्ते होज्जा ? श्रणागारोवउत्ते होज्जा ? गोयमा | सागारोवउत्ते वा होज्जा, प्रणागारोवउत्ते वा होज्जा ।। ३८ से ण भते । कयरम्मि सघयणे होज्जा ? गोयमा । वइरोसभनारायसघयणे' होज्जा | १ अल्लीणयाए भयाए ( अ, क, ता, ब, म, स) । २ x (क, ता, ) । O ० ३ इहापूह ( अ, म ), इहावूह ° ( ता ) । ४ विभाग ( अ, ता, म ) | O ५ लेसासु (क, ता, स ) । ६त्रि (क) सर्वत्र । ७ वइरोसह ° (व, म) । Page #467 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४०८ ३६ से ण भते ! कयरम्मि सठाणे होज्जा ? गोयमा ! छण्ह सठाणाणं ग्रण्णयरे सठाणे होज्जा ॥ ४०. से गं भते । कयरम्मि उच्चत्ते होज्जा ? गोयमा । जहण्णेण सत्तरयणीए, उक्कोसेण पचधणुसतिए होज्जा | ? ४१ से ण भते । कयरम्मि ग्राउए होज्जा गोयमा । जहण्णेण सातिरेगट्ठवासाउए, उक्कोसेण पुव्वकोडिग्राउए होज्जा | ४२. से ण भते ! कि सवेदए होज्जा ? वेदए होज्जा ? गोयमा ' सवेदए होज्जा, नो ग्रवेदए होज्जा । जइ सवेदए होज्जा कि इत्थिवेदए होज्जा ? पुरिसवेदए होज्जा ? पुरिसनपु सगवेदए होज्जा ? ' नपुसगवेदए होज्जा ?” गोयमा । नो इत्थिवेदए होज्जा, पुरिसवेदए होज्जा, 'नो नपुसगवेदए होज्जा", पुरिस नपुसगवेदए वा होज्जा ॥ ४३. से ण भते । कि सकसाई' होज्जा ? ग्रकसाई होज्जा ? गोयमा ! सकसाई होज्जा, नो अकसाई होज्जा । जइ सकसाई होज्जा से ण भते । कतिसु कसाएसु होज्जा ? गोयमा ! चउसु - संजलण कोह- माण- माया लोभेसु होज्जा ॥ ४४. तस्स ण भते । केवइया ग्रज्भवसाणा पण्णत्ता ? गोमा । सखेज्जा प्रज्भवसाणा पण्णत्ता ॥ ४५. ते ण भते ! कि पसत्था ? अप्पसत्था ? भगवई गोयमा ! पसत्था, नो अप्पसत्था ॥ ४६ से णं भते ! तेहि पसत्थेहिं अज्भवसाणेहिं वड्ढमाणेहि प्रणतेहि ने रइयभवग्गहहितो पण विसजोएइ, अणतेहिं तिरिक्खजोणियभवग्गहणेहिंतो अप्पाणं विसजोएइ, अणतेहिं मणुस्सभवग्गहणेहितो अप्पाण विसजोएइ, प्रणतेह देवभवग्गणे हितो अप्पाण विसजोएइ । जाओ वि य से इमाम्रो नेरइय- तिरिक्खजोणिय - मणुस्स - देवगतिनामाग्रो चत्तारि उत्तरपगडीओ, तासि च णं श्रवगहिए' प्रणताणुवधी कोह- माण - माया - लोभे खवेइ, खवेत्ता प्रपच्चक्खाणकसाए कोह- माण- माया - लोभे खवेइ, खवेत्ता पच्चक्खाणावरणे कोह- माणमाया- लोभे खवेइ, खवेत्ता सजलणे कोह- माण - माया - लोभे खवेइ, खवेत्ता पचविह नाणावरणिज्ज, नवविह दरिसणावरणिज्ज, पचविह ग्रतराइय, ताल १. x (क, व, म) 1 २. X ( क, व, म) 1 ३. सकसादी ( अ, ता) | ४. उवग्गहिए (क, म, स) 1 Page #468 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४०६ नवम सत (एगतीसइमो उद्देसो) मत्थाकड' च णं मोहणिज्ज कटु कम्मरयविकिरणकर अपुवकरण अणुपविटुस्स' अणते अणुत्तरे निव्वाधाए निरावरणे कसिणे पडिपुण्णे केवलवरनाण दसणे समुपज्जति ॥ ४७. से ण भते ! केवलिपण्णत्त धम्म आघवेज्ज वा ? पण्णवेज्ज वा ?परूवेज्ज वा ? नो तिणटे समढे, नण्णत्थ' एगनाएण वा, एगवागरणेण वा । ४८ से ण भते । पव्वावेज्ज वा ? मुडावेज्ज वा ? णो तिणट्रे समटे, उवदेस पूण करेज्जा।।। से णं भते । सिज्झति जाव सव्वदुक्खाण अत करेति ? हता सिज्झति जाव सव्वदुक्खाण अत करेति ।। से ण भते । कि उड्ढ होज्जा ? अहे होज्जा ? तिरिय होज्जा ? गोयमा ! उड्ढ वा होज्जा, अहे वा होज्जा, तिरिय वा होज्जा । उड्ढ होमाणे सद्दावइ-वियडावइ-गधावड-मालवतपरियाएसु वट्टवेयड्ढपव्वएसु होज्जा, साहरण पडुच्च सोमणसवणे वा पडगवणे वा होज्जा । अहे होमाणे गड्डाए वा दरीए वा होज्जा, साहरण पडुच्च पायाले वा भवणे वा होज्जा। तिरिय होमाणे पण्णरससु कम्मभूमीसु होज्जा, साहरण पडुच्च 'अड्ढाइज्जदीव-समुद्द'' तदेक्कदेसभाए होज्जा । ५१ ते ण भते । एगसमए ण केवतिया होज्जा ? गोयमा । जहण्णेण एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेण दस। से तेणट्रेण गोयमा । एव वुच्चइ-असोच्चा ण केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा अत्थेगतिए केवलिपण्णत्त धम्म लभेज्ज सवणयाए, अत्येगतिए असोच्चा ण केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलिपण्णत्त धम्म नो लभेज्ज सवणयाए जाव अत्थेगतिए केवलनाण उप्पाडेज्जा, प्रत्येगतिए केवलनाण नो उप्पाडेज्जा । १. मत्थ° (अ, क), मत्था-अत्र एकपदे २. पविट्ठस्स (अ, क, ता, म)। सन्धिर्जात । वृत्ती अस्य व्याख्या एवमस्ति ३ अण्णत्थ (ता)। -मस्तक-मस्तकशुची कृत्त-छिन्न यस्यासौ ४ भ० १२४४।। मस्तककृत्त, तालश्चासौ मस्तककृत्तश्च ५ होज्जमाणे (ब, स)। तालमस्तककृत्त, छान्दसत्वाच्चैव निर्देश , ६. अड्ढाइज्जे दीवसमुद्दे (अ, स)। तालमस्तककृत्त इव यत्तत्तालमस्तककृत्तम् (वृ)। Page #469 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ३ ४१० सोच्चा उवलद्धि-पदं ५२. सोच्चा णं भते । केवलिस्स वा,' 'केवलिसावगस्स वा, केवलिसावियाए वा, केवलिउवासगस्स वा, केवलिउवासियाए वा, तप्पक्खियस्स वा, तप्पक्खियसावगस्सवा, तप्पविखयसावियाए वा, तप्पक्खियउवासगस्स वा, तप्पक्खियउवासियाए वा केवलिपण्णत्त धम्म लभेज्ज सवणयाए ? गोयमा | सोच्चा ण केवलिस्स वा जाव तप्पविखयउवासियाए वा अत्थेगतिए केवलिपण्णत्त धम्म लभेज्ज सवणयाए, अत्थेगतिए केवलिपण्णत्त धम्म नो लभेज्ज सवणयाए । से केणटेण भते । एव वुच्चइ-सोच्चा ण जाव नो लभेज्ज सवणयाए ? गोयमा | जस्स णं नाणावरणिज्जाण कम्माण खग्रोवसमे कडे भवइ से णं सोच्चा केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलिपण्णत्त धम्म लभेज्ज सवणयाए, जस्स ण नाणावरणिज्जाण कम्माण खोवसमे नो कडे भवइ से ण सोच्चा केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलिपण्णत्त धम्म नो लभेज्ज सवणयाए। से तेण?णं गोयमा । एव वुच्चइ-सोच्चा ण जाव नो लभेज्ज सवणयाए° ॥ ५४ एव 'जा चेव असोच्चाए वत्तव्वया 'सा चेव सोच्चाए वि भाणियव्वा, नवर - अभिलावो सोच्चे त्ति, सेस तं चेव निरवसेस जाव जस्स ण मणपज्जवनाणावरणिज्जाण कम्माण खोवसमे कडे भवइ, जस्स ण केवलनाणावरणिज्जाण कम्माण खए कडे भवइ से ण सोच्चा केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलिपण्णत्त धम्म लभेज्ज सवणयाए, केवल वोहिं वुझज्जा जाव केवलनाण उप्पाडेज्जा ॥ तस्स ण अट्ठमअट्ठमेण अणिक्खित्तेण तवोकम्मेण अप्पाण भावेमाणस्स पगइभह्याए, ""पगडउवसतयाए, पगइपयणुकोह-माण-माया-लोभयाए, मिउमद्दवसपन्नयाए, अल्लीणयाए, विणीययाए, अण्णया कयावि सुभेण अज्भवसाणेण, सुभेण परिणामेण, लेस्साहि विसुज्झमाणीहिं-विसुज्झमाणीहिं तयावरणिज्जाण कम्माणं खग्रोवसमेण ईहापोहमग्गण गवेसण करेमाणस्स अोहिनाणे समुप्पज्जइ । से ण तेण ओहिनाणेण समुप्पन्नेण जहण्णेण अगुलस्स असखेज्जतिभाग, उक्कोसेण असखेज्जाइ अलोए लोयप्पमाणमेत्ताइ खडाइं जाणइ-पासइ ।। १. स० पा०—वा जाव तप्पक्खियउवासियाए २ जच्चेव (क, ता, म), जहेव (स)। वा केवलिपण्णत्त धम्म लभेज्ज सवरणयाए? ३. सच्चेव (क, ता, व, म)। गोयमा । सोच्चा ण केवलिस्स वा जाव ४ भ० ६।११-३२ । अत्येगतिए केवलिपण्णत्तं धम्म । ५. स० पा०-तहेव जाव गवेसरण । Page #470 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नवम सत (एगतीसइमो उद्देसो) ४११ ५६. से ण भते । कतिसु लेस्सासु होज्जा ? गोयमा । छसु लेस्सासु होज्जा, त जहा-कण्हलेस्साए जाव' सुक्कलेस्साए । से ण भते । कतिसु नाणेसु होज्जा ? गोयमा । तिसु वा, चउसु वा होज्जा। तिसु होमाणे' आभिणिबोहियनाणसुयनाण-अोहिनाणेसु होज्जा, चउसु होमाणे आभिणिवोहियनाण-सुयनाण श्रोहिनाण-मणपज्जवनाणेसु होज्जा ।। ५८ से ण भते । कि सजोगी होज्जा ? अजोगी होज्जा ? गोयमा | सजोगी होज्जा, नो अजोगी होज्जा। जइ सजोगी होज्जा, कि मणजोगी होज्जा ? वइजोगी होज्जा ? कायजोगी होज्जा ? गोयमा । मणजोगी वा होज्जा, वइजोगी वा होज्जा, कायजोगी वा होज्जा ।। ५६ से ण भते । कि सागारोवउत्ते होज्जा ? अणागारोवउत्ते होज्जा? गोयमा | सागारोवउत्ते वा होज्जा, अणागारोवउत्ते वा होज्जा ॥ ६०. से ण भते । कयरम्मि सघयणे होज्जा? गोयमा । वइरोसभनारायसघयणे होज्जा ।। ६१. से ण भते । कयरम्मि सठाणे होज्जा ? गोयमा ! छह सठाणाण अण्णयरे सठाणे होज्जा ।। ६२. से ण भते । कयरम्मि उच्चत्ते होज्जा ? गोयमा । जहण्णेण सत्तरयणीए, उक्कोसेण पचधणुसतिए होज्जा। ६३ से ण भते । कयरम्मि ग्राउए होज्जा? गोयमा | जहण्णेण सातिरेगट्ठवासाउए, उक्कोसेण पुव्वकोडियाउए होज्जा ॥ ६४ से ण भते । किं सवेदए "होज्जा ? अवेदए होज्जा ? ० गोयमा | सवेदए वा होज्जा, अवेदए वा होज्जा। जइ अवेदए होज्जा कि उवसतवेदए होज्जा ? खीणवेदए होज्जा ? गोयमा | नो उवसतवेदए होज्जा, खीणवेदए होज्जा।। जइ सवेदए होज्जा कि इत्थीवेदए होज्जा ? पुरिसवेदए होज्जा ? 'पुरिसनपुसगवेदए होज्जा? गोयमा । इत्थीवेदए वा होज्जा, पुरिसवेदए वा होज्जा, पुरिस-नपसगवेदए वा होज्जा ॥ १. भ० १।१०२। सव्वाणि जहा असोच्चार तहेव भाणिय२. होज्जमाणे (अ, क,)। व्वाणि। ३. स० पा०-एव जोगो, उवओगो, सघयण, ४ स० पा०-पुच्छा। सठाण, उच्चत्त, आउय च-एयाणि ५ नपुसगवेदए (अ, म)। Page #471 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४१२ भगवई ६५. से णं भंते । कि सकसाई होज्जा ? अकसाई होज्जा ? गोयमा | सकसाई वा होज्जा, अकसाई वा होज्जा । जइ अकसाई होज्जा कि उवसंतकसाई होज्जा ? खीणकसाई होज्जा ? गोयमा | नो उवसतकसाई होज्जा, खीणकसाई होज्जा। जइ सकसाई होज्जा से ण भते । कतिसु कसाएसु होज्जा ? गोयमा ! चउसु वा तिमु वा दोसु वा एक्कम्मि वा होज्जा। चउसु होमाणे चउसु-सजलणकोह-माण-माया-लोभेसु होज्जा, तिसु होमाणे तिसु-सजलणमाण-माया-लोभेसु होज्जा, दोसु होमाणे दोसु-सजलणमाया-लोभेसु होज्जा, एगम्मि होमाणे एगम्मि-सजलणलोभे होज्जा । ६६ तस्स ण भते | केवतिया अज्झवसाणा पण्णत्ता? गोयमा । असखेज्जा "अज्झवसाणा पण्णत्ता ।। ६७ ते ण भते । कि पसत्था ? अप्पसत्था ? गोयमा । पसत्था, नो अप्पसत्था । ६८ से ण भते | तेहिं पसत्थेहि अज्झवसाणेहि वड्ढमाणेहि अणतेहि नेरइय भवग्गहणेहितो अप्पाण विसजोएइ, अणतेहि तिरिक्खजोणियभवग्गहणेहितो अप्पाणं विसजोएइ, अणतेहिं मणुस्सभवग्गहणेहितो अप्पाण विसजोएड, अणतेहिं देवभवग्गहणेहितो अप्पाण विसजोएइ । जानो वि य से इमाओ नेरइय-तिरिक्खजोणिय-मणुस्स-देवगतिनामाग्रो चत्तारि उत्तरपगडीयो, तासि च णं ओवग्गहिए अणताणुवधी कोह-माण-माया-लोभे खवेइ, खवेत्ता अपच्चक्खाणकसाए कोह-माण-माया-लोभे खवेइ, खवेत्ता पच्चक्खाणावरणे कोह-माण-माया-लोभे खवेइ, खवेत्ता सजलणे कोह-माण-माया-लोभे खवेइ, खवेत्ता पचविह नाणावरणिज्ज, नवविह दरिसणावरणिज्ज, पचविह अतराइय तालमत्थाकड च ण मोहणिज्ज कटु कम्मरयविकिरणकर अपुवकरण अणुपविट्ठस्स अणते अणुत्तरे निव्वाघाए निरावरणे कसिणे पडिपुण्णे ° केवलवरनाण-दसणे समुप्पज्जइ ।। ६६. से णं भते ! केवलिपण्णत्त धम्म अाघवेज्ज वा ? पण्णवेज्ज वा ? परूवेज्ज वा? हता आघवेज्ज वा, पण्णवेज्ज वा, परवेज्ज वा ॥ ७०. से ण भते ! पव्वावेज्ज वा ? मुडावेज्ज वा ? हता पवावेज्ज वा, मुडावेज्ज वा ॥ १. स० पा०-एव जहा असोच्चाए तहेव जाव २ वा तस्स ण भते । सिस्सा वि पव्वावेज्ज वा केवल । मुडावेज्ज वा हता पव्वावेज्ज वा मुडावेज्ज वा (क, ता, ब)। Page #472 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४१३ नवम सत (बत्तीसइमो उद्देसो) ७१ से ण भते । सिज्झति बुज्झति जाव' सव्वदुक्खाण अंतं करेइ ? हता सिज्झति जाव सव्वदुक्खाण अत करेति ।। ७२ तस्स ण भते । सिस्सा वि सिज्झति जाव सव्वदुक्खाण अत करेति ? हता सिज्झति जाव सव्वदुक्खाण अत करेति ।। ७३. तस्स ण भंते । पसिस्सा वि सिज्झति जाव सव्वदुक्खाण अत करेति ? 'हंता सिझति जाव सव्वदुक्खाण अत करेति ।। ७४. से ण भते । किं उड्ढ होज्जा ? जहेव असोच्चाए जाव' अड्ढाइज्जदीवसमूह तदेक्कदेसभाए होज्जा ॥ ते ण भते । एगसमए णं केवतिया होज्जा ? गोयमा । जहण्णण एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेण अटुसय। से तेणट्रेण गोयमा । एव वुच्चइ-सोच्चा ण केवलिस्स वा जाव' तप्पक्खियउवासियाए' वा अत्थेगतिए केवलनाण उप्पाडेज्जा, अत्येगतिए केवलनाण नो उप्पाडेज्जा ।। ७६. सेव भते । सेव भते । ति॥ बत्तीसइमो उद्देसो पासावच्चिज्जगंगेय-पसिण-पदं ७७. तेण कालेण तेण समएण वाणियग्गामे नाम नयरे होत्था–वण्णो । दतिपला सए चेइए। सामी समोसढे । परिसा निग्गया। धम्मो कहियो । परिसा पडिगया ॥ ७८ तेण कालेण तेण समएण पासावच्चिज्जे गगेए नाम अणगारे जेणेव समणे भगव महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणस्स भगवओ महावीरस्स अदूरसामते ठिच्चा समण भगव महावीर एव वदासी-- १. भ० ११४४ । २ एव चेव (अ, क, ता, व, म, स)। ३. भ० ६।५० । ४. भ० ६५१ । ५ केवलिउवासियाए (अ, क, ता, स)। ६ भ० ११५१ । ७ श्रो० सू०१। ८. चेइए वण्णओ (ता)। Page #473 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४१४ भगवई संतर-निरंतर-उववज्जणादि-पदं ७६. संतरं' भते ! नेरइया उववज्जति ? निरंतरं ने रइया उववज्जति ? गगेया ! सतर पि नेरइया उववज्जति, निरतर पि नेरइया उववज्जति ।। ८० सतर भते ! असुरकुमारा उववज्जति ? निरतर असुरकुमारा उववज्जति ? गगेया ! सतर पि असुरकुमारा उववज्जति, निरंतर पि असुरकुमारा उवव ज्जति । एव जाव थणियकुमारा॥ ८१ सतर भते । पुढविक्काइया उववज्जति ? निरतर पुढविक्काइया उववज्जति ? गगेया | नो सतर पुढविक्काइया उववज्जति, निरतर पुढविक्काइया उववज्जति । एवं जाव वणस्सइकाइया। वेइदिया जाव वेमाणिया एते जहा नेरइया ।। ८२ सतर भते । नेरइया उव्वति ? निरतरं नेरइया उव्वति ? गगेया | सतर पि नेरइया उव्वट्टति, निरतर पि नेरइया उव्वट्ठति । एव जाव थणियकुमारा।। ८३ सतर भते पुढविक्काइया उब्वट्टति ?-पुच्छा। गगेया ! नो सतर पुढविक्काइया उव्वट्टति, निरतरं पुढविक्काइया उन्वट्टति । एव जाव वणस्सइकाइया-नो सतर, निरतर उव्वट्टति ॥ ८४. सतर भते ! बेइदिया उव्वति ? निरतरं वेइदिया उव्वति ? गंगेया ! सतर पि वेइदिया उव्वट्टति, निरतर पि वेइदिया उव्वति । एवं जाव वाणमतरा ।। ८५ सतर भते ! जोइसिया चयति ?-पुच्छा। गगेया | सतर पि जोइसिया चयति, निरतर पि जोइसिया चयति । एव वेमाणिया वि॥ पवेसण-पद ८६ कतिविहे ण भते । पवेसणए पण्णत्ते ? गगेया । चउविहे पवेसणए पण्णत्ते, त जहा-नेरइयपवेसणए, तिरिक्खजो णियपवेसणए, मणुस्सपवेसणए, देवपवेसणए॥ ८७ नेरइयपवेसणए ण भते । कतिविहे पण्णत्ते ? गगेया । सत्तविहे पण्णत्ते, त जहा-रयणप्पभापुढविनेर इयपवेसणए' जाव अहेसत्तमापुढविनेरइयपवेसणए । १. सातर (क, ता, म)। ____२ रयणप्पभ० (क, ता)। Page #474 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४१५ नवम सतं (बत्तीसइमो उद्देसो) ८८ एगे भते । नेरइए नेरइयपवेसणएण पविसमाणे कि रयणप्पभाए होज्जा, सक्करप्पभाए होज्जा जाव अहेसत्तमाए होज्जा ? गगेया । रयणप्पभाए वा होज्जा जाव अहेसत्तमाए वा होज्जा । ८६. दो भते । नेरइया ने रइयपवेसणएण पविममाणा कि रयणप्पभाए होज्जा जाव अहेसत्तमाए होज्जा ? गगेया । रयणप्पभाए वा होज्जा जाव अहेसत्तमाए वा होज्जा । अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए होज्जा जाव एगे रयणप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा। ग्रहवा एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए होज्जा जाव अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा । ग्रहवा एगे वालुयप्पभाए एगे पकप्पभाए होज्जा, एव जाव अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा। एव एक्केका पुढवी छड्डेयव्वा जाव अहवा एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा ।। तिण्णि भते । नेरइया नेरडयपवेसणएण पविसमाणा कि रयणप्पभाए होज्जा जाव असत्तमाए होज्जा? गगेया । रयणप्पभाए वा होज्जा जाव अहेसत्तमाए वा होज्जा। अहवा एगे रयणप्पभाए दो सक्करप्पभाए होज्जा जाव अहवा एगे रयणप्पभाए दो अहेसत्तमाए होज्जा। अहवा दो रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए होज्जा जाव अहवा दो रयणप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा। अहवा एगे सक्करप्पभाए दो वालुयप्पभाए होज्जा जाव अहवा एगे सक्करप्पभाए दो अहेसत्तमाए होज्जा। अहवा दो सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए होज्जा जाव अहवा दो सक्करप्पभाए, एगे अहेसत्तमाए होज्जा, एव जहा सक्करप्पभाए वत्तव्वया भणिया, तहा सव्वपुढवीण भाणियव्व जाव अहवा दो तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे पकप्पभाए होज्जा जाव अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे अहंसत्तमाए होज्जा। अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयापभाए एगे पकप्पभाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए होज्जा, एव जाव अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा । ग्रहवा एगे रयणप्पभाए एगे पकप्पभाए एगे धूमप्पभाए होज्जा जाव अहवा एगे रयणप्पभाए एगे पकप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा एगे रयणप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए १ द्विसयोगजा भङ्गा २१ । २ द्विसयोगजा भङ्गा ४२ । Page #475 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४१६ भगवई होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पकप्पभाए होज्जा, अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए होज्जा जाव अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा। अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे पकप्पभाए एगे धूमप्पभाए होज्जा जाव अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे पकप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होज्जा, अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे पकप्पभाए एगे धूमप्पभाए होज्जा, अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे पकप्पभाए एगे तमाए होज्जा, अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे पकप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होज्जा, अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे पकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होज्जा, अहवा एगे पकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे धूमप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा'। ६१ चत्तारि भते । नेरइया नेरइयपवेसणएण पविसमाणा किं रयणप्पभाए होज्जा ?-पुच्छा। गगेया | रयणप्पभाए वा होज्जा जाव अहेसत्तमाए वा होज्जा। अहवा एगे रयणप्पभाए तिण्णि सक्करप्पभाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए तिण्णि वालुयप्पभाए होज्जा, एव जाव अहवा एगे रयणप्पभाए तिण्णि अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा दो रयणप्पभाए दो सक्करप्पभाए होज्जा, एव जाव अहवा दो रयणप्पभाए दो अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा तिण्णि रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए होज्जा, एव जाव अहवा तिण्णि रयणप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा एगे सक्करप्पभाए तिण्णि वालुयप्पभाए होज्जा, एव जहेव रयणप्पभाए उवरिमाहि सम त्रारिय तहा सक्करप्पभाए वि उवरिमाहि सम चारेयव्व, एव एक्केक्काए सम चारेयव्व जाव अहवा तिण्णि तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा। अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए दो वालुयप्पभाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए दो पकप्पभाए होज्जा, एव जाव एगे रय १ विसयोगजा भङ्गा ३५ ॥ २. द्विसयोगजा भङ्गा ६३ । Page #476 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नवम सत (बत्तीसइमो उद्देसो) ४१७ णप्पभाए एगे सक्करप्पभाए दो अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा एगे रयणप्पभाए दो सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए होज्जा, एव जाव' अहवा एगे रयणप्पभाए दो सक्करप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा दो रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए होज्जा, एव जाव अहवा दो रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा। अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए दो पकप्पभाए होज्जा जाव अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए दो अहेसत्तमाए होज्जा । एव एएण गमएण जहा तिण्ह तियासजोगो' तहा भाणियव्वो जाव अहवा दो धूमप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा'। अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पकप्पभाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए होज्जा, 'अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा", अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे पकप्पभाए एगे धूमप्पभाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे पकप्पभाए एगे तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे पकप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पकप्पभाए एगे धूमप्पभाए होज्जा अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पकप्पभाए एगे तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पकप्पभाए एगे अहंसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, ग्रहवा एगे रयणप्पभाए एगे पकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे पकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे आहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे पकप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगें धूमप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए १. तिय ° (अ, म, स)। २ त्रिसयोगजा भङ्गा १०५। ३ एवं जाव अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्क रप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा। Page #477 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई होज्जा, ग्रहवा एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पकप्पभाए एगे घूमप्पभाए होज्जा । एव जहा रयणप्पभाए उवरिमाओ पुढवी चारिया तहा सक्करप्पभाए वि उवरिमाश्रो चारियव्वाम्रो जाव ग्रहवा एगे सक्क रप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए एगे ग्रसत्तमाए होज्जा । ग्रहवा एगे वालुयप्पभाए एगे पकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होज्जा, ग्रहवा एगे वालुयप्पभाए एगे पकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, ग्रहवा एगे वालुयप्पभाए एगे पकप्पभाए एगे तमाए एगे ग्रसत्तमाए होज्जा, ग्रहवा एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, ग्रहवा एगे पकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए एगे ग्रसत्तमाए होज्जा' ॥ २. पच भते ! नेरइया नेरइयप्पवेसणएण पविसमाणा कि रयणप्पभाए होज्जा ? -पुच्छा। गगेया । रयणप्पभाए वा होज्जा जाव आहेसत्तमाए वा होज्जा । ग्रहवा एगे रयणप्पभाए चत्तारि सक्करप्पभाए होज्जा जाव ग्रहवा एगे रयणप्पभाए चत्तारि ग्रहेसत्तमाए होज्जा । ग्रहवा दो रयणप्पभाए तिण्णि सक्करप्पभाए होज्जा, एव जाव ग्रहवा दो रयणप्पभाए तिण्णि ग्रसत्तमाए होज्जा । अहवा तिण्णि रयणप्पभाए दोण्णि सक्करप्पभाए होज्जा, एव जाव आहेसत्तमाए होज्जा । ग्रहवा चत्तारि रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए होज्जा, एव जाव अहवा चत्तारि रयणप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा । ग्रहवा एगे सक्करप्पभाए चत्तारि वालुयप्पभाए होज्जा । एव जहा रयणप्पभाए सम उवरिमपुढवी चारियानो तहा सक्करप्पभाए वि सम चारेयव्वाग्रो जाव ग्रहवा चत्तारि सक्करप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा । एव एक्केक्काए सम चारेयव्वाओ जाव ग्रहवा चत्तारि तमाए एगे हेसत्तमाए होज्जा' । अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए तिण्णि वालुयप्पभाए होज्जा, एव जाव ग्रहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए तिण्णि ग्रसत्तमाए होज्जा । अहवा अगे रयणप्पभाए दो सक्करप्पभाए दो वालुयप्पभाए होज्जा, एव जाव अहवा एगे रयणप्पभाए दो सक्करप्पभाए दो ग्रसत्तमाए होज्जा । अहवा दो रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए दो वालुयप्पभाए होज्जा, एव जाव अहवा दो रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए दो ग्रसत्तमाए होज्जा । श्रहवा एगे रयणप्पभाए तिणि सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए होज्जा, एव जाव हवा एगे रयणप्पभाए तिण्णि सक्करप्पभाए एगे ग्रसत्तमाए होज्जा । हवा दो रयणप्पभाए दो सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए होज्जा, एव जाव : • चतु सयोगजा भङ्गा ३५ । २ द्विमयोगजा भङ्गा ८४ । Page #478 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नवमं सत (बत्तीस मो उद्देसो) ४१६ होज्जा, एव जाव श्रहवा तिणि ग्रहेसत्तमाए होज्जा । ग्रहवा एगे पकप्पभाए होज्जा । एव एएण कमेण पचह वि तियासजोगो भाणियव्त्रो, दोणि, सेस त चेव जाव ग्रहवा तिण्णि माए होज्जा' । श्रसत्तमाए । ग्रहवा तिण्णि रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए तिण्णि जहा चउन्ह तियासजोगो' भणितो तहा नवर -- तत्थ एगो सचारिज्जइ, इह ' धूमप्पभाए एगे तमाए एगे ग्रसत्त अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करपभाए एगे वालुयप्पभाए दो पकप्पभाए होज्जा, एव जाव ग्रहवा एगे रयणापभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए दो प्रसत्तमाए होज्जा । ग्रहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए दो वालुयप्पभाए एगे पकप्पभाए होज्जा, एव जाव ग्रसत्तमाए । ग्रहवा एगे रयणप्पभाए दो सुक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पकप्पभाए होज्जा, एव जाव ग्रहवा एगे रयणप्पभाए दो सवकरप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे ग्रसत्तमाए होज्जा । ग्रहवा दो रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पकप्पभाए होज्जा जाव ग्रहवा दो रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे ग्रसत्तमाए होज्जा । ग्रहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करपभाए एगे पकप्पभाए दो धूमप्पभाए होज्जा, एव जहा चउण्ह चउक्कसजोगो भणिश्रो तहा पचण्ह वि चउक्कसजोगो भाणियव्वो नवर - महिय एगो सचारेयव्वो, एव जाव ग्रहवा दो पकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए एगे ग्रसत्तमाए होज्जा । ग्रहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करम्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पकप्पभाए एगे वूमप्पभाए होज्जा, ग्रहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पकप्पभाए एगे तमाए होज्जा, ग्रहवा एगे रयणप्पभाए जाव एगे पकप्पभाए एगे ग्रसत्तमाए होज्जा, ग्रहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करपभाए एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होज्जा, ग्रहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे ग्रसत्तमाए होज्जा, ग्रहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, ग्रहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्कर पभाए एगे पकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होज्जा, ग्रहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे पकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे १ तिय ० ( क ) । २ इमाहि ( अ, क, व, म, स), इमेहि (ता) | ३ त्रिसयोगजा भङ्गा २१० । ४ चतु सयोगजा भङ्गा १४० । Page #479 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई सत्तमाए होज्जा, ग्रहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे पकप्पभाए एगे तमाए एगे प्रसत्तमाए होज्जा, ग्रहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए एगे ग्रसत्तमाए होज्जा, ग्रहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होज्जा, ग्रहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे असत्तमाए होज्जा, ग्रहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एंगे पकप्पभाए एगै तमाए एगे ग्रसत्तमाएं होज्जा, ग्रहवा एगे रयणप्पभाएं एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए एगे प्रसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे पकप्पभाए जाव एगे हेसत्तमाए होज्जा, ग्रहवा एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए जाव एगे तमाए होज्जा, ग्रहवा एगे सक्करप्पभाए जाव एगे पकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे ग्रसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे सक्करप्पभाए जाव एगे पकप्पभाए एगे तमाए एगे ग्रहे सत्तमाए होज्जा, अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे घूमप्पभाए एगे तमाए एगे असत्तमाए होज्जा, ग्रहवा एगे सक्करप्पभाए एगे पकप्पभाए जाव एगे अहेसत्तमाए होज्जा, ग्रहवा एगे वालुयप्पभाए जाव एगे ग्रसत्तमाए होज्जा' ॥ ९३. छव्भते । नेरइया नेरइयप्पवेसणएण पविसमाणा किं रयणप्पभाए होज्जा ? - पुच्छा । गगेया । रयणप्पभाए वा होज्जा जाव ग्रसत्तमाए वा होज्जा । ग्रहवा एगे रयणप्पभाए पच सक्करप्पभाए होज्जा, ग्रहवा एगे रयणप्पभाए पच वालुयप्पभाए होज्जा जाव ग्रहवा एगे रयणप्पभाए पंच महेसत्तमाए होज्जा | ग्रहवा दो रयणप्पभाए चत्तारि सक्करप्पभाए होज्जा जाव ग्रहवा दो रयणप्पभाए चत्तारि अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा तिणि रयणप्पभाए तिणि सक्करप्पभाए । एव एएण कमेण जहा पचण्ह दुयासजोगो तहा छह वि भाणियव्वो, नवर – एक्को अव्भहिश्रो सचारेयव्वो जाव ग्रहवा पच तमाए एगे ग्रसत्तमाए होज्जा' । ग्रहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए चत्तारि वालुयप्पभाए होज्जा, हवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए चत्तारि पकप्पभाए होज्जा, एव जाव ग्रहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए चत्तारि ग्रसत्तमाए होज्जा । अहवा एगे रयणप्पभाए दो सक्करप्पभाए तिण्णि वालुयप्पभाए होज्जा । एव एएण कमेण जहा पचण्ह तियासजोगो भणि तहा छण्ह वि भाणियव्वो, २० १. पञ्चसयोगजा भङ्गा २१ २ द्विसयोगजा भङ्गा १०५ । Page #480 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४२१ नवम सत (बत्तीसइमो उद्देसो) नवरं-एक्को अहिरो उच्चारेयन्वो, सेसं तं चेव'। चउक्कसजोगो वि तहेव', पचगसजोगो वि तहेव, नवरं-एक्को अभहिओ सचारेयव्वो जाव पच्छिमो भगो, अहवा दो वालुयप्पभाए एगे पकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा'। अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए जाव एगे तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए जाव एगे धूमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए जाव एगे पकप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए ‘एगे सक्करप्पभाए" एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए जाव एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे पकप्पभाए जाव एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए जाव एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे सवकरप्पभाए एगे वालु यप्पभाए जाव एगे अहेसत्तमाए होज्जा || १४. सत्त भते । नेरइया नेरइयप्पवेसणएण पविसमाणा कि रयणप्पभाए होज्जा ? -पुच्छा । गगेया | रयणप्पभाए वा होज्जा जाव अहेसत्तमाए वा होज्जा। अहवा एगे रयणप्पभाए छ सक्करप्पभाए होज्जा । एव एएण कमेण जहा छह दुयासजोगो तहा सत्तण्ह वि भाणियव्व, नवर-एगो अब्भहिलो सचारिज्जइ, सेस तं चेव । तियासजोगो', चउक्कसजोगो, पचसजोगो,छक्कसजोगो य छण्ह जहा तहा सत्तण्ह वि भाणियव्व, नवर-एक्केक्को अभहिरो" सचारेयव्वो जाव छक्कगसजोगो अहवा दो सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए जाव एगे अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए जाव एगे अहेसत्तमाए होज्जा॥ ६५ अट्ठ भते | नेरइया ने रइयप्पवेसणएण पविसमाणा कि रयणप्पभाए होज्जा ? -पुच्छा । गगेया | रयणप्पभाए वा होज्जा जाव अहेसत्तमाए वा होज्जा। अहवा एगे रयणप्पभाए सत्त सक्करप्पभाए होज्जा । एव दुयासजोगो" जाव १ त्रिसयोगजा भङ्गा ३५० । ६ पचा° (क), पञ्चसयोगजा भगा. ३१५ । २ चतु सयोगजा भङ्गा ३५० । १० छक्का (क, ब)। ३ पञ्चसयोगजा भङ्गा १०५। ११ अहिओ (अ), अहितो (क); अधितो (ता)। ४. जाव (अ, क, ता, व, म, स)। १२. षट्सयोगजा भङ्गा ४२ । ५ पट्सयोगजा भङ्गा ७। १३ द्विसयोगजा भङ्गा १४७, त्रिसयोगजा ६. द्विसयोगजा भङ्गा १२६ । भङ्गा ७३५, चतु सयोगजा भङ्गा १२२५, ७ त्रिसयोगजा भङ्गा ५२५ । पञ्चसयोगजा भङ्गा ७३५ । ८. चतु सयोगजा भङ्गा ७००। Page #481 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई छक्कसजोगो य जहा सत्तण्ह भणिओ तहा ग्रह वि भाणियव्वो, नवरएक्केक्को अभहियो सचारेयव्वो, सेस त चेव जाव छक्कगसजोगस्स ग्रहवा तिणि सक्करपभाए एगे वालुयप्पभाए जाव एगे ग्रसत्तमाए होज्जा' । ग्रहवा एगे रयणप्पभाए जाव एगे तमाए दो ग्रसत्तमाए होज्जा, ग्रहवा एगे रयणप्पभाए जाव दो तमाए एगे ग्रसत्तमाए होज्जा । एव सचारेयव्व जाव ग्रहवा दो रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए जाव एगे ग्रसत्तमाए होज्जा' ॥ ९६ नव भते । नेरइया नेरइयप्पवेसणएण पविसमाणा कि रयणप्पभाए होज्जा ? ४२२ - पुच्छा । गया ! रयणप्पभाए वा होज्जा जाव ग्रसत्तमाए वा होज्जा । ग्रहवा एगे रयणप्पभाए ग्रटु सक्करप्पभाए होज्जा । एव दुयासजोगो' जाव सत्तगसजोगो' य जहा अदृण्ह भणिय तहा नवण्ह पि भाणियव्व, नवर-1 - एक्केक्को सचारेयव्वो, सेसं त चेव पच्छिमो ग्रालावगो- ग्रहवा तिणि रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए जाव एगे ग्रसत्तमाए होज्जा' ॥ भहि ६७ दस भते ! नेरइया नेरइयप्पवेसणएणं पविसमाणा कि रयणप्पभाए होज्जा ? —पुच्छा । गगेया । रयणप्पभाए वा होज्जा जाव ग्रसत्तमाए वा होज्जा । अहवा एगे रयणप्पभाए नव सक्करप्पभाए होज्जा । एवं दुयासजोगो' जाव सत्तसजोगो य जहा नवण्ह, नवर-1 - एक्केक्को अव्भहियो सचारेयव्वो, सेस त चैव पच्छिमो' ग्रालावगो- ग्रहवा चत्तारि रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए जाव एगे ग्रसत्तमाए होज्जा' ॥ 1 ६८. सखेज्जा भते । नेरइया नेरइयप्पवेसणएण पविसमाणा कि रयणप्पभाए होज्जा ? - पुच्छा | गगेया । रयणप्पभाए वा होज्जा जाव ग्रसत्तमाए वा होज्जा । ग्रहवा एगे रयणप्पभाए सखेज्जा सवकरप्पभाए होज्जा, एव जाव ग्रहवा एगे १. पट्सयोगजा भङ्गा. १४७ ॥ २. सप्तसयोगजा भङ्गा ७ । ३ द्विसयोगजा भङ्गा १६८, त्रिसयोगजा भङ्गा ६८०, चतु सयोगजा भङ्गा. १६६०, पञ्चसयोगजा भङ्गा १४७०, पट्सयोगजा भङ्गा ३६२ । ४. वडेंसगसजोगो (अ) 1 ५ सप्तसयोगजा भङ्गा २८ । ६ द्विसंयोगजा भङ्गा १०६, त्रिसयोगजा भङ्गा १२६०, चतु सयोगजा भङ्गा २९४०, पञ्चसयोगजा भङ्गा २६४६, पट्-सयोगजा भङ्गा ८८२ । ७. अपच्छिमो ( अ, क, ता, म, स ) । ८. सप्तसयोगजा भङ्गा ८४ । Page #482 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नवमं सत (बत्तीसइमो उद्देसो) ४२३ रयणप्पभाए संखेज्जा असत्तमाए होज्जा । अहवा दो रयणप्पभाए सखेज्जा सक्करप्पभाए होज्जा, एव जाव अहवा दो रयणप्पभाए सखेज्जा ग्रहेसत्तमाए होज्जा । ग्रहवा तिणि रयणप्पभाए सखेज्जा सक्करप्पभाए होज्जा । एव एएण कमेण एक्केक्को सचारेयव्वो जाव अहवा दस रयणप्पभाए सखेज्जा सक्करप्पभाए होज्जा । एव जाव हवा दस रयणप्पभाए सखेज्जा असत्तमाए होज्जा । ग्रहवा सखेज्जा रयणप्पभाए सखेज्जा सक्करप्पभाए होज्जा जाव ग्रहवा सखेज्जा रयणप्पभाए सखेज्जा ग्रहेसत्तमाए होज्जा । ग्रहवा एगे सक्करप्पभाए सखेज्जा वालुयप्पभाए होज्जा, एव जहा रयणप्पभा उवरिमपुढवीहि सम चारिया एव सक्करप्पभा वि उवरिमपुढवीहि समं चारेयव्वा, एव एक्केक्का पुढवी उवरिमपुढवीहि सम चारेयव्वा जाव ग्रहवा सखेज्जा तमाए सखेज्जा असत्तमाए होज्जा । अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए सखेज्जा वालुयप्पभाए होज्जा, हवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए सखेज्जा पकप्पभाए होज्जा जाव अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए सखेज्जा ग्रहेसत्तमाए होज्जा । हवा एगे रयणप्पभाए दो सक्करप्पभाए सखेज्जा वालुयप्पभाए होज्जा जाव ग्रहवा एगे रयणप्पभाए दो सक्करप्पभाए सखेज्जा ग्रहेसत्तमाए होज्जा । ग्रहवा एगे रयणप्पभाए तिष्णि सक्करप्पभाए सखेज्जा वालुयप्पभाए होज्जा, एव एएण कमेण एक्केक्को सचारेयव्वो सक्करप्पभाए जाव ग्रहवा एगे रयणप्पभाए सखेज्जा सक्करप्पभाए सखेज्जा वालुयप्पभाए होज्जा जाव ग्रहवा एगे रयणप्पभाए सखेज्जा वालुयप्पभाए सखेज्जा श्रसत्तमाए होज्जा । ग्रहवा दो रयणप्पभाए सखेज्जा सक्करप्पभाए सखेज्जा वालुयप्पभाए होज्जा जाव ग्रहवा दो रयणप्पभाए सखेज्जा सक्करप्पभाए सखेज्जा ग्रहेसत्तमाए होज्जा | अहवा तिणि रयणप्पभाए सखेज्जा सक्करप्पभाए सखेज्जा वालुयप्पभाए होज्जा, एव एएण कमेण एक्केक्को रयणप्पभाए सचारेयव्वो जाव ग्रहवा सखेज्जा रयणप्पभाए सखेज्जा सक्करप्पभाए सखेज्जा वालुयप्पभाए होज्जा जाव ग्रहवा सखेज्जा रयणप्पभाए सखेज्जा सक्करप्पभार संखेज्जा ग्रहेसत्तमाए होज्जा | हवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए सखेज्जा पकप्पभाए होज्जा जाव अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए सखेज्जा ग्रहेसत्तमाए होज्जा । ग्रहवा एगे रयणप्पभाए दो वालुयप्पभाए सखेज्जा पकप्पभाए होज्जा, एव एएण कमेण तियासजोगो, चउक्कसजोगो जाव सत्तगसजोगो य जहा दसण्ह तहेव भाणियव्वो । पच्छिमो ग्रालावो सत्तसजोगस्स - ग्रहवा सखेज्जा रयणप्पभाए सखेज्जा सक्करप्पभाए जाव सखेज्जा ग्रहेसत्तमाए होज्जा ॥ ६६ सखेज्जा भते । नेरइया नेरइयप्पवेसणएण पविसमाणा कि रयणप्पभाए होज्जा ? - पुच्छा । Page #483 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४२४ भगवई गगेया ! रयणप्पभाए वा होज्जा जीव अहेसत्तमाए वा होज्जा। अहवा एगे रयणप्पभाए असंखेज्जा सक्करप्पभाए होज्जा, एवं दुयासजोगो जाव सत्तगसजोगो य जहा सखेज्जाण भणियो तहा असखेज्जाण वि भाणियन्वो, नवर-असखेज्जओ अभहिरो भाणियव्वो, सेस तं चेव जाव सत्तगसजोगस्स पच्छिमो पालावगो अहवा असखेज्जा रयणप्पभाए असखेज्जा सक्करप्पभाए जाव असखेज्जा अहेसत्तमाए होज्जा। उक्कोसेण भते । नेरइया नेरइयप्पवेसणएण पविसमाणा कि रयणप्पभाए होज्जा ? -पुच्छा। गगेया | सव्वे वि ताव रयणप्पभाए होज्जा, अहवा रयणप्पभाए य सक्करप्पभाए य होज्जा, अहवा रयणप्पभाए य वालुयप्पभाए य होज्जा जाव अहवा रयणप्पभाए य आहेसत्तमाए य होज्जा, अहवा रयणप्पभाए य सक्करप्पभाए य वालुयप्पभाए य होज्जा, एव जाव अहवा रयणप्पभाए य सक्करप्पभाए य अहेसत्तमाए य होज्जा, अहवा रयणप्पभाए वालुयप्पभाए पकप्पभाए य होज्जा जाव अहवा रयणप्पभाए वालुयप्पभाए अहेसत्तमाए य होज्जा, अहवा रयणप्पभाए पकप्पभाए धूमाए होज्जा, एव रयणप्पभ अमुयतेसु जहा तिण्ह तियासजोगो भणियो तहा भाणियव्व जाव' अहवा रयणप्पभाए तमाए य अहेसत्तमाए य होज्जा। अहवा रयणप्पभाए य सक्करप्पभाए वालुयप्पभाए पकप्पभाए य होज्जा, अहवा रयणप्पभाए सक्करप्पभाए वालुयप्पभाए धूमप्पभाए य होज्जा जाव अहवा रयणप्पभाए सक्करप्पभाए वालुयप्पभाए अहेसत्तमाए य होज्जा, अहवा रयणप्पभाए सक्करप्पभाए पकप्पभाए धूमप्पभाए य होज्जा एव रयणप्पभ अमुयतेसु जहा चउण्ह चउक्कगसजोगो भणितो तहा भाणियव्व जाव अहवा रयणप्पभाए धूमप्पभाए तमाए अहेसत्तमाए य होज्जा। अहवा रयणप्पभाए सवकरप्पभाए वालुयप्पभाए पकप्पभाए धूमप्पभाए य होज्जा, अहवा रयणप्पभाए जाव पकप्पभाए तमाए य होज्जा, अहवा रयणप्पभाए जाव पकप्पभाए अहेसत्तमाए य होज्जा, अहवा रयणप्पभाए सक्करप्पभाए वालुयप्पभाए धूमप्पभाए तमाए य होज्जा, एव रयणप्पभ अमुयतेसु जहा पचण्ह पचगसजोगो तहा भाणियव्व जाव अहवा रयणप्पभाए पकप्पभाए जाव अहेसत्तमाए य होज्जा, अहवा रयणप्पभाए सक्करप्पभाए जाव धूमप्पभाए तमाए य होज्जा, अहवा रयणप्पभाए जाव धूमप्पभाए अहेसत्तमाए य होज्जा अहवा रयणप्पभाए सक्करप्पभाए जाव' पकप्पभाए तमाए य अहेसत्तमाए य होज्जा, अहवा रयणप्पभाए सक्करप्पभाए वालुयप्पभाए घूमप्पभाए तमाए अहेसत्तमाए य होज्जा, अहवा रयणप्पभाए सक्करप्पभाए पकप्पभाए जाव १. सत्ता°, (अ ता, व)। Page #484 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नवम सत (बत्तीसइमो उद्देसो) ४२५ ग्रसत्तमाए य होज्जा, ग्रहवा रयणप्पभाए वालुयप्पभाए जाव ग्रसत्तमाए य होज्जा, ग्रहवा रयणप्पभाए य सक्करप्पभाए य जाव ग्रसत्तमाए य होज्जा ॥ १०१ एयस्स ण भते । रयणप्पभापुढविने रइयपवेसणगस्स सक्करप्पभापुढविनेरइयपवेसणगस्स जाव ग्रहेसत्तमापुढविने रइयपवेसणगस्स कयरे कयरेहिंतो' अप्पा ? वहुया वा तुल्ला वा विसे साहियावा ? ? वा १० गगेया । सव्वत्थोवे ग्रसत्तमापुढविने रइयपवेसणए, तमापुढविने रइयपवेसणए असखेज्जगुणे, एव पडिलोमग जाव रयणप्पभापुढविने रइयप वेसणए खेज्जगुणे ॥ १०२ तिरिक्खजोणियपवेसणए ण भते । कतिविहे पण्णत्ते ? गगेया । पचविहे पण्णत्ते, त जहा - एगिदियतिरिक्खजोणियपवेसणए जाव पचिदियतिरिक्खजोणियपवेसणए || १०३. एगे भते । तिखिखजोणिए तिरिखखजोणियपवेसणएण पविसमाणे कि एगिदिसु होज्जा जाव पचिदिएसु होज्जा ? गगेया ! एगिदिएसु वा होज्जा जाव पचिदिएसु वा होज्जा ॥ १०४. दोभते । तिरिक्खजोणिया तिरिक्खजोणियपवेसणएण – पुच्छा । गया । गिदिए वा होज्जा जाव पचिदिएसु वा होज्जा । ग्रहवा एगे एगिंदिसु होज्जा एगे वेइदिएसु होज्जा, एव जहा ने रइयपवेसणए तहा तिरिक्खजोणियपवेसण विभाणियव्वे जाव असखेज्जा ॥ I १०५. उक्कोसा भते । तिरिक्खजोणिया तिरिक्ख जोणियपवेसणएण - पुच्छा । गगेया । सव्वे वि ताव एगिदिएसु होज्जा, ग्रहवा एगिदिएसु वा' बेइदिएसु वा होज्जा । एव जहा नेरइया चारिया तहा तिरिक्खजोणिया वि चारेयव्वा । एगिदिया प्रमुयतेसु दुयासजोगो, तियासजोगो, चउक्कसजोगो, पचसजोगो' उवजुजिऊण' भाणियव्वो जाव अहवा एगिदिएसु वा, बेइदिएसु वा जाव पचिदिसु वा होज्जा | १०६ एयस्स ण भते | एगिदियतिरिखखजोणियपवेसणगस्स जाव पचिदियतिरिखखजोणियपवेसणगस्स य कयरे कयरेहितो" अप्पा वा ? बहुया वा ? वा ? o विसेसाहिया वा ? गया सव्वथोवे पचिदियतिरिखख जोणियपदेसणए, चउरिदियतिरिवख १ स० पा० - कयरेहितो जाव विसेसाहिया । २ उप्पडि° (क, ता, ब ) | तुल्ला ३. य, ( अ, ता ), या (क ) 1 ४. चउक्का ० ( अ, क, ब ) । ५ पचा० (क, व ) | ६ उववज्जिऊण (अ), उवउज्जित्तण (क), उवउज्जिऊण (ता, स ) । ७ स० पा० --- कयरेहिंतो जाव विसेसाहिया । Page #485 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ४२६ जोणियपवेसणए विसेसाहिए, तेइदियतिरिक्खजोणियपवेसणए विसेसाहिए, बेइदियतिरिक्खजोणियपवेसणए विसेसाहिए, एगिदियतिरिक्खजोणियपवेसणए विसेसाहिए। १०७ मणुस्सपवेसणए ण भते । कतिविहे पण्णते ? गगेया | दुविहे पण्णत्ते, त जहा-समुच्छिममणुस्सपवेसणए, गम्भवक्कतिय मणुस्सपवेसणए य ॥ १०८ एगे भते । मणुस्से मणुस्सपवेसणएण पविसमाणे कि समुच्छिममणुस्सेसु होज्जा? गम्भवक्कतियमणुस्सेसु होज्जा ? गगेया ! समुच्छिममणुस्सेसु वा होज्जा, गम्भवक्कतियमणुस्सेसु वा होज्जा ।। १०६ दो भते । मणुस्सा-पुच्छा। गगेया | समुच्छिममणुस्सेसु वा होज्जा, गव्भवक्कतियमणुस्सेसु वा होज्जा । अहवा एगे समुच्छिममणुस्सेसु होज्जा एगे गम्भवक्कतियमणुस्सेसु होज्जा, एवं एएण कमेण जहा नेरइयपवेसणए तहा मणुस्सपवेसणए वि भाणियब्वे जाव दस ॥ ११० सखेज्जा भते ! मणुस्सा-पुच्छा । गगेया ! समुच्छिममणुस्सेसु वा होज्जा, गन्भवक्कतियमणुस्सेसु वा होज्जा। अहवा एगे समुच्छिममणुस्सेसु होज्जा सखेज्जा गन्भवक्कतियमणुस्सेसु होज्जा, अहवा दो समुच्छिममणुस्सेसु होज्जा सखेज्जा गन्भवक्कतियमणुस्सेसु होज्जा, एव एक्केक्क उस्सारितेसु जाव अहवा सखेज्जा समुच्छिममणुस्सेसु होज्जा सखंज्जा गव्भवक्कतियमणुस्सेसु होज्जा ॥ १११. असखेज्जा भते । मणस्सा-पूच्छा। गगेया ! सव्वे वि ताव समुच्छिममणुस्सेसु होज्जा। अहवा असखेज्जा समुच्छिममणुस्सेसु एगे गन्भवक्कतियमणुस्सेसु होज्जा, अहवा असखेज्जा समुच्छिममणुस्सेसु दो गभवक्कतियमणुस्सेसु होज्जा, एव जाव असखेज्जा समुच्छिम मणुस्सेसु होज्जा सखेज्जा गभवक्कतियमणुस्सेसु होज्जा ॥ ११२. उक्कोसा भते । मणुस्सा-पुच्छा। गगेया ! सव्वे वि ताव समुच्छिममणुस्सेसु होज्जा । अहवा समुच्छिममणुस्सेसु य गव्भवक्कतियमणुस्सेसु य होज्जा ।। ११३ एयस्स ण भते ! समुच्छिममणुस्सपवेसणगस्स गव्भवक्कतियमणुस्सपवेसणगस्स य कयरे कयरेहितो' अप्पा वा वहुया वा 'तुल्ला वा ? • विसेसाहिया वा ? १ स० पा०-कवरेहितो जाव विमेमाहिया । Page #486 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४२७ नवमं सतं (बत्तीसइमो उद्देसो) गंगेया । सव्वत्थोवे गम्भवक्कतियमणुस्सपवेसणए समुच्छिममणुस्सपवेसणए असखेज्जगुणे ॥ ११४. देवपवेसणए णं भते । कतिविहे पण्णत्ते ? गगेया | चउबिहे पण्णत्ते, त जहा-भवणवासिदेवपवेसणए जाव वेमाणिय देवपवेसणए । ११५ एगे भते । देवे देवपवेसणएण पविसमाणे कि भवणवासीसु होज्जा ? वाणमतर जोइसिय-वेमाणिएसु होज्जा ? गगेया | भवणवासीसु वा होज्जा, वाणमतर-जोइसिय-वेमाणिएसु वा होज्जा ॥ ११६ दो भते । देवा देवपवेसणएण-पुच्छा। गगेया । भवणवासीसु वा होज्जा, वाणमतर-जोइसिय-वेमाणिएसु वा होज्जा। अहवा एगे भवणवासीम एगे वाणमतरेसु होज्जा, एव जहा तिरिक्खजोणिय पवेसणए तहा देवपवेसणए वि भाणियब्वे जाव असखेज्ज त्ति ॥ ११७ उक्कोसा भते ! –पुच्छा। गगेया | सव्वे वि ताव जोइसिएसु होज्जा, अहवा जोइसिय-भवणवासीसु य होज्जा, अहवा जोइसिय-वाणमतरेसु य होज्जा, अहवा जोइसिय-वेमाणिएसु य होज्जा, अहवा जोइसिएसु य भवणवासीसु य वाणमतरेसु य होज्जा, अहवा जोइसिएसु य भवणवासीसु ए वेमाणिएसु य होज्जा, अहवा जोइसिएसु य वाणमतरेसु य वेमाणिएसु य होज्जा, अहवा जोइसिएसु य भवणवासीसु य वाणमतरेसु य वेमाणिएसु य होज्जा ॥ ११८. एयस्स ण भते । भवणवासिदेवपवेसणगस्स, वाणमतरदेवपवेसणगस्स, जोइसियदेवपवेसणगस्स, वेमाणियदेवपवेसणगस्स य कयरे कयरेहितो' 'अप्पा वा? वहुया वा ? तुल्ला वा ? ० विसेसा हिया वा ? गगेया | सव्वत्थोवे वेमाणियदेवपवेसणए, भवणवासिदेवपवेसणए असखेज्ज गुणे, वाणमतरदेवपवेसणए असखेज्जगुणे, जोइसियदेवपवेसणए सखेज्जगुणे॥ ११६. एयस्स ण भते ! नेरइयपवेसणगस्स तिरिक्खजोणियपवेसणगस्स मणुस्सपवेसण गस्स देवपवेसणगस्स य कयरे कयरेहितो' 'अप्पा वा ? बहुया वा? तुल्ला वा ? • विसेसाहिया वा ? गगेया | सव्वत्थोवे मणुस्सपवेसणए, नेरइयपवेसणए असखेज्जगुणे, देवपवेसणए असखेज्जगुणे, तिरिक्खजोणियपवेसणए असखेज्जगुणे ॥ १ स० पा०-कयरेहितो जाव विसेसाहिया। २. स० पा०-कयरेहितो जाव विसेसाहिया । Page #487 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई २९ नंतर-निरतर-उववज्जणादि-पद २२० सतर' भते । नेरइया उववज्जति निरंतर नेरडया उववज्जति सतरं असरकमारा उववज्जति निरतरं असुरकुमारा उववज्जति जाव सतर वेमाणिया उववज्जति निरतर वेमाणिया उववज्जति ? सतर नेरइया उबट्टति निरतर नेरइया उव्वट्टति जाव सतर वाणमतरा उव्वट्टति निरतर वाणमतरा उव्वट्टति ? संतर जोइसिया चयति निरतरं जोइसिया चयति सतर वेमाणिया चयति निरतर वेमाणिया चयति ? गंगेया ! सतर पि नेरइया उववज्जति निरतरं पि नेरइया उववज्जति जाव सतर पि थणियकुमारा उववज्जति निरतर पि थणियकुमारा उववज्जति, नो सतर पुढविक्काइया उववज्जति निरतरं पुढविक्काइया उववज्जति, एव जाव वणस्सइकाइया। सेसा जहा नेरइया जाव सतर पि वेमाणिया उववज्जति निरतर पि वेमाणिया उववज्जति । सतर पि नेरइया उव्वट्टति निरतर पि नेरइया उव्वति, एव जाव थणियकुमारा । नो सतर पुढविक्काइया उव्वट्टति निरतर पुढविक्काइया उव्वति, एव जाव वणस्सइकाइया। सेसा जहा नेरइया, नवर-जोइसियवेमाणिया चयति अभिलावो जाव सतर पि वेमाणिया चयति निरतर पि वेमाणिया चयति ॥ सतो असतो उववज्जणादि-पदं सनो भते । नेरइया उववज्जति, असतो' नेरइया उववज्जति, सतो असरकुमारा उववज्जति जाव सतो वेमाणिया उववज्जति, असतो वेमाणिया उववज्जति ? सतो नेरइया उव्वट्टति, असतो नेरइया उव्वट्टति, सतो असुरकुमारा उव्वट्टति जाव सतो वेमाणिया चयति, असतो वेमाणिया चयति ? १. सातर (क, ता, व, म)। नेरइया उववज्जति ? गगेया ! सतो नेरइया २ अस्मिन् प्रकरणे द्वयोर्वाचनायोमिश्रण दृश्यते।। उववज्जति, नो असतो नेरइया उववज्जति । प्रथमा वाचना किञ्चित् सक्षिप्तास्ति, द्वितीया एव जाव वेमाणिया। च किञ्चिद् विस्तृता । एतन् मिश्रण वृत्ति- 'सतो भते ! नेरइया उबट्टति ? असतो रचनात उत्तरकालमेव जात सम्भाव्यते, नेरइया उव्वट्टति ? गगेया ! सतो नेरइया तेनैव वृत्तिकृता नास्मिन् विषये किञ्चिद् । उवट्टति, नो असतो नेरइया उन्वति । लिखितम् । आदर्गेषु च प्राप्यते । अस्माभि- एव जाव वेमाणिया, नवर-जोइसियवृत्तिमनुसृत्य एका वाचना स्वीकृता, द्वितीया । वेमाणिएसु चयंति भाणियव्व ।' च पाठान्तरे न्यस्ता, यथा ३ असओ (ता)। 'सतो भते । नेरइया उववज्जति ? असतो Page #488 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नवमं सतं (बत्तीसइमो उद्देसो) ४२६ गगेया ! सतो नेरइया उववज्जति, नो असतो नेरइया उववज्जति, सतो असुरकुमारा उववज्जति, नो असतो असुरकुमारा उववज्जति जाव' सतो वेमाणिया उववज्जति, नो असतो वेमाणिया उववज्जति, सतो नेरइया उव्वट्टति, नो असतो नेरइया उन्वट्टति जाव सतो वेमाणिया चयति, नो असतो वेमाणिया चयति ।। १२२ से केणद्वेण भते । एव वुच्चइ–सतो नेरइया उववज्जति, नो असतो नेरइया उववज्जति जाव सतो वेमाणिया चयति, नो असतो वेमाणिया चयति ? से नण भे' गगेया। पासेण अरहया पुरिसादाणीएण सासए लोए बुइए अणादीए अणवदग्गे "परित्ते परिवुडे हेट्ठा विच्छिण्णे, मज्झे सखित्ते, उप्पि विसाले; अहे पलियकसठिए, मज्झे वरवइरविग्गहिए, उप्पि उद्धमुइगाकारसठिए। तसि च ण सासयसि लोगसि अणादियसि अणवदग्गसि परित्तसि परिवुड सि हेट्ठा विच्छिण्णसि, मज्झे सखित्तसि, उप्पि विसालसि, अहे पलियकसठियसि, मज्झे वरवइरविग्गहियसि, उप्पि उद्धमुइगाकारसठियसि अणता जीवघणा उप्पज्जित्ता-उप्पज्जित्ता निलीयति, परित्ता जीवघणा उप्पज्जित्ता-उप्पज्जित्ता निलीयति । से भूए उप्पण्णे विगए परिणए, अजीवेहि लोक्कइ पलोक्कइ°, जे लोक्कइ से लोए। से तेणद्वेण गगेया एव वुच्चइ-जाव सतो वेमाणिया चयति, नो असतो वेमाणिया चयति ॥ सतो परतो वा जाणणा-पदं १२३ सय' भते । एतेव' जाणह, उदाहु असय, असोच्चा एतेव जाणह, उदाह सोच्चा–सतो नेरइया उववज्जति, नो असतो नेरइया उववज्जति जाव सतो वेमाणिया, चयति, नो असतो वेमाणिया चयति ? गगेया | सय एतेव जाणामि, नो असय, असोच्चा एतेव जाणामि, नो सोच्चासतो नेरइया उववज्जति, नो असतो नेरइया उववज्जति जाव सतो वेमाणिया चयति, नो असतो वेमाणिया चयति ।। १२४ से केणटेण भते । एव वुच्चइ–५ सय एतेव जाणामि, नो असय, असोच्चा एतेव जाणामि, नो सोच्चा–सतो नेरइया उववज्जति, नो असतो नेरइया उववज्जति जाव सतो वेमाणिया चयति °, नो असतो वेमाणिया चयति ? १ ते (अ)। २ स० पा०-जहा पचमसए जाव जे। ३ सत (क, ता)। ४ एव (अ, क); एते एव (ता), एय एव (ब) ५ स० पा०-त चेव जाव नो। Page #489 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४३० भगवई १ गगेया ! केवली ण पुरत्थि मे ण मियपि जाणइ, ग्रमियपि जाणइ । दाहिणे ण, "पच्चत्थि मे ण, उत्तरे ण, उड्ढ, ग्रहे मियपि जाणइ, अमिय पि जाणइ । सव्व जाणइ केवली, सव्व पासइ केवली | सव्व जाणइ केवली, सव्वग्रो पासइ केवली । सव्वकाल जाणइ केवली, सव्वकाल पासइ केवली । सव्वभावे जाणइ केवली, सव्वभावे पासइ केवली । प्रणते नाणे केवलिस्स, प्रणते दंसणे केवलिस्स । निव्वुडे नाणे केवलिस्स, निव्वुडे दसणे केवलिस्स° । से तेणद्वेण गगेया । एव वुच्चइ – सय एतेव जाणामि, नो ग्रसय असोच्चा एतेव जाणामि, नो सोच्चा-त चेव जाव नो असतो वेमाणिया चयति ॥ सयं सय उववज्जणा-पदं १२५ सय भते । नेरइया नेरइएसु उववज्जति ? प्रसय नेरइया नेरइएसु उववज्जति ? गगेया ! सय नेरइया नेरइएसु उववज्जति, नो अस्य नेरइया नेरइएसु उववज्जति ॥ १२६ से केणट्टेण भते । एव वुच्चइ - "सय नेरइया नेरइएसु उववज्जति, नो असयं नेरइया नेरइएसु • उववज्जति ? o 1 गगेया । कम्मोदएण, कम्मगुरुयत्ताए, कम्मभारियत्ताए, कम्मगुरुसभारियत्ताए, असुभाण कम्माण उदएण, असुभाणं कस्माण विवागेण, असुभाणं कम्माण फलविवागेण सय नेरझ्या नेरइएसु उववज्जति, नो अस्य नेरइया नेरइएसु उववज्जति । से तेणद्वेण गगेया' । 'एव वुच्चइ - सय नेरइया नेरइएसु उववज्जति, नो ग्रसय नेरइया नेरइएसु उववज्जति ॥ १२७ सय भते । असुरकुमारा - पुच्छा | गगेया | सय असुरकुमारा' असुरकुमारेसु° उववज्जति, नो अस्य असुरकुमारा' असुरकुमारेसु उववज्जति ॥ O १२८. से केणट्टेण त चेव जाव उववज्जति ? o गगेया ! कम्मोदएण', कम्मविगतीए, कम्मविसोहीए, कम्मविसुद्धीए, सुभाण कम्माण उदएण, सुभाण कम्माण विवागेणं सुभाण कम्माण फलविवागेण सय १. सु० पा०- एव जहा सद्दृट्टेसए जाव निघ्नुडे ४ म० पा० - अमुरकुमारा जाव उववज्जति । नाणे केवलिस्म | ५. स० पा० - अनुरकुमारा जाव उववज्जति । ६ कम्मोदएणं कम्मोवसमेर ( अ, क, वृपा) । ७ कम्मचियत्ताए (ता) । २ म० पा० – बुच्चइ जाव उववज्जति । ३. म० पा०- गंगेया जाव उववज्जति । Page #490 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नवमं सतं (बत्तीसइमो उद्देसो) ४३१ असुरकुमारा असुरकुमारत्ताए उववज्जति, नो असय असुरकुमारा' असरकुमार त्ताए ° उववज्जति । से तेणद्वेण जाव उववज्जति । एव जाव थणियकुमारा ।। १२६. सय भते ! पुढविवकाइया-पुच्छा। गगेया । सय पुढविक्काइया' पुढविक्काइएसु ° उववज्जति नो असय पुढविक्काइया' 'पुढविक्काइएसु ° उववज्जति ॥ १३० से केणद्वेण जाव उववज्जति ? गगेया । कम्मोदएण, कम्मगुरुयत्ताए, कम्मभारियत्ताए, कम्मगुरुसभारियत्ताए, सुभासुभाण कम्माण उदएण, सुभासुभाण कम्माण विवागेण, सुभासुभाण कम्माण फलविवागेण सय पुढविक्काइया' पुढविक्काइएसु° उववज्जति, नो असय पुढविक्काइया' 'पुढविक्काइएसु° उववज्जति । से तेणतुण जाव उववज्जति ॥ १३१ एव जाव मणुस्सा ।। १३२. वाणमतर-जोइसिय-वेमाणिया जहा असुरकुमारा । से तेण?ण गगेया | एव वुच्चइ-सय वेमाणिया 'वेमाणिएसु° उववज्जति, नो असय' 'वेमाणिया वेमाणिएसु ० उववज्जति ।। गंगेयस्स संबोधि-पद १३३ तप्पभितिं च ण से गगेये अणगारे समण भगव महावीर पच्चभिजाणइ सव्वण्णु सव्वदरिसि । तए ण से गगेये अणगारे समण भगव महावीर तिवखुत्तो आयहिणपयाहिण करेइ, करेत्ता वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता एव वयासी-इच्छामि ण भते । तुम्भ अतिय चाउज्जामाओ धम्मालो पचमहव्वइय "सपडिक्कमण धम्म उवसपज्जित्ता ण विहरित्तए। अहासुह देवाणुप्पिया | मा पडिवध ॥ १३४ तए ण से गगेये अणगारे समण भगव महावीर वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता चाउज्जामानो धम्मायो पचमहव्वइय सपडिक्कमण धम्म उवसपज्जित्ता ण विहरति ।। १३५ तए ण से गगेये अणगारे वहूणि वासाणि सामण्णपरियाग पाउणइ, पाउणित्ता १ स० पा०-असुरकुमारा जाव उववज्जति। ६ स० पा०-वेमाणिया जाव उववज्जति। २ स० पा०-पुढविक्काइया जाव उववज्जति । ७ स० पा०-असय जाव उववज्जति । ३ स० पा०-पुढविक्काइया जाव उववज्जति । ८ स० पा०-एव जहा कालासवेसियपुत्तो तहेव ४ स० पा०-पुढविक्काइया जाव उववज्जति । भारिणयव्व जाव सव्वदुक्खप्पहीणे। ५. स. पा० --पुढविक्काइया जाव उववज्जति । Page #491 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४३२ भगवई जस्साए कीरइ नग्गभावे मुडभावे अण्हाण ग्रदतवणय श्रच्छत्तय प्रणोवाहणय भूमिसेज्जा फलहसेज्जा कठ्ठसेज्जा केसलोग्रो वंभचेरवासो परघरप्पवेसो लद्धावलद्धी उच्चावया गामकटगा वावीस परिसहोवसग्गा अहियासिज्जति, तमट्ठ आराहेइ, आराहेत्ता चरमेहिं उस्सास- नीसासेहि सिद्धे वुद्धे मुक्के परिनिव्वुडे • सव्वदुक्खप्पहीणे || १३६ सेव भते । सेव भते । त्ति' ॥ तेत्तीस मो उद्देसो उसभदत्त देवाणंदा-पदं १३७ तेणं कालेणं तेण समएण माहणकुडग्गामे नयरे होत्था - वण्णो' । बहुसालए चेइए – वण्णओ' । तत्थ ण माहणकुडग्गामे नयरे उसभदत्ते नाम माहणे परिवसइ–ड्ढे दित्ते वित्ते जाव' बहुजणस्स ग्रपरिभूए रिव्वेद'- जजुब्वेद'- सामवेद-अथव्वणवेद-" इतिहासपचमाण निघटुछट्ठाण - चउण्ह वेदाण सगोवगाण सरहस्साण सारए धारए पारए सडगवी सट्ठिततविसारए, सखाणे सिक्खाकप्पे वागरणे छदे निरुत्ते जोतिसामयणे, ग्रण्णेसु य बहूसु वभण्णएसु नयेसु सुपरिनिट्ठिए समणोवासए अभिगयजीवाजीवे' उवलद्धपुण्णपावे जाव' ग्रहापरिग्गहिएहिं तवोकम्मेहि अप्पाण भावेमाणे विहरइ । तस्स ण उसभदत्तस्स माहणस्स देवाणदा नाम माहणी होत्या- सुकुमालपाणिपाया जाव" पियदसणा सुरूवा समणोवासिया अभिगयजीवाजीवा उवलद्धपुण्णपावा जाव अहापरिग्गहिएहि तवोकम्मेहि अप्पाण भावेमाणी विहरइ ॥ १३८ तेण कालेणं तेण समएण सामी समोसढे । परिसा पज्जुवासइ || ६ यजुवेद ( अ ), यजुव्वेद (म) । ७ स० पा० - जहा खदओ जाव अण्णेसु । ८ अधिगत ° (ता), अहिगय ० ( व, म) 1 ६ भ० २१६४ । O १ भ० १।५१ । २. ओ० सू० १ । ३ ओ० सू० २-१३ ॥ ४ भ० २१६४ । ५ रिज़वेद ( अ, स); रिउव्वेद ( क ), रुव्वेद (म) १०. ओ० सू० १५ । Page #492 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नवम सत (तेत्तीस मो उद्देसो) ४३३ १३९ तए ण से उसभदत्ते माहणे इमोसे कहाए लट्ठे समाणे हट्ट' तुटु चित्तमाण दिए दिए पी मणे परमसोमणस्सिए हरिसवस विसप्पमाण • हियए जेणेव देवाणदा माहणी तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता देवाणद माहणि एवं वयासी - एव खलु देवाणुप्पिए । समणे भगव महावीरे या दिगरे जाव' सव्वण्णू सव्वदरिसी आगासगएण चक्केण जाव' सुहसुहेण विहरमाणे वहुसालए चेइए ग्रहापडि - रूव' ओग्गह ओगिण्हित्ता सजमेण तवसा अप्पाण भावेमाणे विहरइ | त मह फल खलु देवाणुप्पिए । तहारूवाण अरहताण भगवताण नामगोयस्स विसवणयाए, किमग पुण ग्रभिगमण-वदण - नमसण-पडिपुच्छण- पज्जुवासणयाए ? एगस्स विग्ररियस्स' धम्मियस्स सुवयणस्स सवणयाए, किमग पुण विउलस्स ग्रटुस्स गहणयाए ? त गच्छामो ण देवाणुप्पिए 1 समण भगवं महावीर वदामो नमसामो' 'सक्कारेमो सम्माणेमो कल्लाण मंगल देवय चेइय° पज्जुवासमो । एय णे इहभवे य परभवे य हियाए सुहाए खमाए निस्साए ग्राणुगामियत्ताए भविस्सइ ॥ ० १४० तएण सा देवाणदा माहणी उसभदत्तेण माहणेणं एव वृत्ता समाणी हट्ट तुट्ठचित्तमाणदिया दिया पीइमणा परमसोमणस्सिया हरिसवसविसप्पमाण ' हियया करयल' ॰परिग्गाहिय दसनह सिरसावत्त मत्थए प्रजल • कट्टु उसभदत्तस्स माहणस्स एयमट्ठ विणण पडणे || १४१ तए ण से उस भदत्ते माहणे कोडुवियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासीखिप्पामेव भो देवाणुप्पिया । लहुकरणजुत्त- जोइय- समखु रवा लिहाण - समलिहियसिगेहि", जवूणयामयकलावजुत्त- पतिविसिहि", रययामयघटा-सुत्तरज्जुयपवरकचणनत्थपग्गहोग्गाहियएहि, नीलुप्पलकयामेल एहि, पवरगोणजुवाणएहि नाणामणिरयण घटियाजालपरिगय, सुजायजुग-जोत्तरज्जुयजुग-पसत्यसुविर - चियनिमिय, पवरलक्खणोववेय-धम्मिय जाणप्पवर जुत्तामेव उवट्टवेह, उवट्ठवेत्ता मम एतमाणत्तिय पच्चप्पिह ॥ • १४२ तण ते कोडु वियपुरिसा उसभदत्तेण माहणेण एव वृत्ता समाणा हट्ट तुट्ठचित्तमाणदिया दिया पीइमणा परमसोमणस्सिया हरिसवसविसप्पमाण • हियया १. स० पा० - हट्ठ जाव हियए । २. भ० १1७ । ३ ओ० सू० १६ । ४ स० पा० - अहापडिरूव जाव विहरड | ५. आयरियस (, स ) । ६ स० पा० – नमसामो जाव पज्जुवासामो । ७. X ( क, ता, व, म), निस्सेयसाए O ( भ० २/३० ) । ८ स०पा० - हट्ट जाव हियया । १० ११ १२ ― ६ स० पा० – करयल जाव कट्टु । o संगहि (ता, म) | परिविसट्टे हि ( अ, स), पविसिट्टे हि (क, ता ) । स० पा० - हट्ठ जाव हियया । Page #493 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४३४ भगवई करयल परिग्गहिय दसनह सिरसावत्त मत्थए अजलि कटु ° एव सामी । तहत्ताणाए विणएण वयण पडिसुणेति', पडिसुणेत्ता खिप्पामेव लहुकरणजुत्त जाव धम्मिय जाणप्पवर जुत्तामेव उवट्ठवेत्ता तमाणत्तिय पच्चप्पिणति ॥ १४३. तए ण से उसभदत्ते माहणे ण्हाए जाव अप्पमहग्घाभरणाल कियसरीरे सानो गिहाम्रो पडिणिक्खमति, पडिणिक्खमित्ता जेणेव वाहिरिया उवदाणसाला जेणेव धम्मिए जाणप्पवरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता धम्मिय जाणप्पवर दुरूढे ॥ १४४ तए ण सा देवाणदा माहणी ण्हाया जाव'. अप्पमहग्धाभरणालकियसरीरा वहूहि खुज्जाहि, चिलातियाहिं जाव' चेडियाचक्कवाल-वरिसधर-थेरकचुइज्जमहत्तरगवदपरिक्खित्ता अतेउरानो निग्गच्छति, निग्गच्छित्ता जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला, जेणेव धम्मिए जाणप्पवरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता धम्मिय जाणप्पवर दुरूढा ॥ १४५ तए ण से उसभदत्ते माहणे देवाणदाए माहणीए सद्धि धम्मिय जाणप्पवर दुरूढे समाणे नियगपरियालसपरिवुडे माहणकुडग्गाम नगर मज्झमझण निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता जेणेव बहुसालए चेइए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता छत्तादीए" तित्थकरातिसए पासइ, पासित्ता धम्मिय जाणप्पवर ठवेइ, ठवेत्ता धम्मियायो जाणप्पवरात्रो पच्चोरुहइ, पच्चोरहित्ता समण भगव महावीरं पचविहेण अभिगमेण अभिगच्छाति, [त जहा-१ सच्चित्ताण दव्वाण १ स० पा०-करयल । गरुधूवधूविया, सिरिसमारणवेसा (व)। २ जाव (अ, क, ता, व, म, स)। ७ भ० ३।३३ । ३. उवटु वेत्ता जाव (अ, क, ता, व, म, स)। ८ वामणीहि वडभीहिं बब्बरीहिं वउसियाहिं ४. भ० ३३३३ । जोणियाहिं पल्हवियाहिं ईसिगिणियाहिं चारु ५ द्रूढे (ता)। (वास) गिणियाहिं ल्हासियाहिं लउसियाहिं ६. वाचनान्तरे देवानन्दावर्णक एव दृश्यते- आरवीहिं दमिलीहि सिहलीहिं पुलिंदीहि पक्क अतो अतेउरसि हाया कयवलिकम्मा कय- णीहिं(पुक्कलीहिं) वहलीहिं सुरु डीहिं सवरीहिं कोउय-मगल-पायच्छित्ता, किच [किंते (व)]- पारसीहिं णाणादेस-विदेसपरिपिडियाहिं सदेवरपादपत्तणेउर-मणिमेहला-हाररचित-उचिय- सनेवत्यगहियवेसाहिं इगित-चिंतित-पत्थियकडग-खुड्डाग-एकावली-कठसुत्त-उरत्यगेवेज्ज वियाणियाहिं कुसलाहिं विणीयाहिं (अ, ता, मोरिणसुत्तग-नाणामणि-रयरणभूसणविराइयगी, व, स), इद च सर्व वाचनान्तरे साक्षादेवाचीणमुयवत्यपवरपरिहिया, दुगुल्लसुकुमाल स्ति (वृ)। उतरिना, मयोतुमसुरभिकुसुमवरियसिरया, ६ जाव धम्मिय (अ, क, ता, ब, म, स)। वरचदरणवदिता, वराभरणभूसितंगी, काला- १०. चुत्तीसाए (म)। Page #494 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नवम सत (तेत्तीसइमो उद्देसो) विप्रोस रणयाए २. ग्रचित्ताण दव्वाण ग्रविग्रोसरणयाए ३. एगसाडिएणं उत्तरासंगकरणेण ४ चक्खुप्फासे अजलिप्पग्गहेण ५. मणसो एगत्तीकरणेण ] ' जेणेव समणे भगव महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता तिक्खुत्तो श्रायाहिण-पयाहिण करेड, करेत्ता वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता तिविहाए पज्जुवासणाए पज्जुवासइ ॥ o १४६. तए ण सा देवाणदा माहणी धम्मियाम्रो जाणप्पवरात्रो पच्चोरुहति, पच्चोरुहित्ता वहूहिं खुज्जाहि जाव' चेडियाचक्कवाल - वरिसधर थे रकचुइज्ज-महत्तरगवदपरिक्खित्ता समण भगव महावीर पचविहेण ग्रभिगमेण ग्रभिगच्छइ, [त जहा - १. सचित्ताण दव्वाण विग्रोसरणयाए २ अचित्ताण दव्वाण प्रविमोयणयाए ३. विणयोणयाए गायलट्ठीए ४ चक्खुप्फासे प्रजलिपग्गहेणं ५. मणस्स एगत्ती भाव करणेण ] जेणेव समणे भगव महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समण भगव महावीर तिक्खुत्तो श्रायाहिण -पयाहिण करेइ, करेत्ता वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता उसभदत्त माहण पुरनो कट्टु ठिया चेव सपरिवारा सुस्सूसमाणी नमसमाणी प्रभिमुहा विणएण पलिकडा' पज्जु वासइ || १४७ तएण सा देवाणदा माहणी ग्रागयपण्हया पप्पुयलोयणा' सवरियवलयबाहा कचुयपरिक्खित्तिया धाराहयकलवग पिव समूसवियरोमकूवा समणं भगव महावीर ग्रणिमिसाए दिट्ठीए देहमाणी - देहमाणी चिट्ठइ ॥ ४३५ १४८ भतेति । भगव गोयमे समणं भगव महावीर वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता एव वयासी - किं ण भते । एसा देवाणदा माहणी प्रागयपण्या पप्पुयलोया सवरियवलयवाहा कचुयपरिक्खित्तिया धाराहयकलवर पिव समूसविय रोमकूवा देवाणुप्पिय प्रणिमिसाए दिट्ठीए देहमाणी-देहमाणी चिट्ठइ ? गोयमादि' । समणे भगव महावीरे भगव गोयम एव वयासी - एव खलु गोयमा | देवाणदा माहणी मम अम्मा, ग्रहण देवाणदाए माहणीए अत्तए । 'तण्ण एसा" देवाणदा माहणी तेण पुव्वपुत्तसिणेहरागेण श्रागयपण्हया" पप्पुयलोयणा, सवरियवलयवाहा कचुयपरिक्खित्तिया धाराहयकलबग पिव० समूसवियरोमकूवा मम प्रणिमिसाए दिट्ठीए देहमाणी - देहमाणी चिट्ठ || १. स० पा०-- एव जहा वितियसए जाव तिविहाए । २. कोष्ठकवर्ती पाठो व्याख्याश प्रतीयते । ३. भ० ६।१४४ । ४. कोष्ठक्रवर्ती पाठो व्याख्याग प्रतीयते । ५. पजलिउडा (अ) । ६ ७ पप्फुय ० ( अ, ता, स), पप्फुल्ल ० ( क ) | स० पा० - चेव जाव रोमकूवा । ० ८ गोयमादी (क, ता, व, म) । ६ तए ग सा ( अ, म ) । १० स० पा० – आगयपण्या जाव समूसविय° । Page #495 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४३६ भगवई १४६. तए णं समणे भगव महावीरे उसभदत्तस्स माहणस्स देवाणदाए माहणीए तीसे य महतिमहालियाए इसिप रिसाए मुणिपरिसाए जइपरिसाए देवपरिसाए अणेगसयाए ग्रणेगसयवदाए अगसयवदपरियालाए ग्रोहवले इवले महत्वले अपरिमियबल-वीरिय-तेय-माहप्प - कति- जुत्ते सारय-नवत्थणिय-महुरगभीरकोचणिग्घोस-दुदुभिस्सरे उरे वित्थडाए कठे वट्टियाए सिरे समाइण्णाए अगरलाए श्रमम्मणाए सुव्वत्तक्खर सण्णिवाइयाए पुण्ण रत्ताए सव्वभासाणुगामिणीए सरस्सईए जोयणणीहारिणा सरेण श्रद्धमागहाए भासाए भासइ -- धम्म परिकहेइ० जाव' परिसा पडिगया || • I १५० तए ण से उस भदत्ते माहणे समणस्स भगवो महावीरस्स प्रतिय' धम्म सोच्चा निसम्म हट्टतुट्टे उट्ठाए उट्ठेइ, उट्ठेत्ता समण भगव महावीर तिक्खुतो ग्रायाहिण पयाहिण करेइ, करेत्ता वढइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता एव वदासी - एवमेय भते | तहमेय भते । प्रवितहमेय भते । ग्रसद्धिमेय भते । इच्छियमेय भते । पडिच्छियमेय भते । इच्छिय-पडिच्छियमेय भते । • - से जहेय तुभे वदह त्ति कट्ट उत्तरपुरत्थिम दिसिभाग प्रवक्कमति, अवक्कमित्ता सयमेव आभरणमल्लालकार ओमुयइ, प्रमुइत्ता सयमेव पचमुट्ठिय लोय करेइ, करेत्ता जेणेव समणे भगव महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समण भगव महावीर तिक्खुत्तो प्रयाहिण -पयाहिण करेड', 'करेत्ता वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता एव वयासी - प्रालित्ते णं भत्ते । लोए, पलित्ते ण भते । लोए, प्रालित्त पलित्ते ण भते । लोए जराए मरणेण य । O ॰॰से जहानामाए केइ गाहावई प्रगारसि भियायमाणसि जे से तत्थ भडे भवइ ग्रप्पभारे मोल्लगरुए, त गहाय आयाए एगतमत श्रवक्कमइ । एस मे नित्थारिए समाणे पच्छा पुरा य हियाए सुहाए खमाए निस्सेयसाए ग्राणुगामियत्ताए भविस्सइ | एवामेव देवाणुप्पिया ! मज्झ वि श्राया एगे भडे इट्ठे कते पिए मणुण्णे मणामे थेज्जे वेस्सासिए सम्मए वहुमए प्रणुमए भडकरडगसमाणे, मा ण सीय, मा ण उण्ह, मा ण खुहा, मा णं पिवासा, मा ण चोरा, मा ण वाला, मा ण दसा, मा ण मसया, मा ण वाइय-पित्तिय-सेभिय- सन्निवाइय विविहा रोगायका परीसहोवसग्गा फुसतु त्ति कट्टु एस मे नित्यारिए समाणे परलोयस्स हियाए सुहाए खमाए नीसेसाए ग्राणुगामियत्ताए भविस्सइ । - इसिप रिसाए जाव | १ स० पा०२. मो० सू० ७१ ७६ ३ अतिए (ता) । ४, स० पा० - तिक्खुत्तो जाव नमसित्ता । ५. सं० पा० – जहा खदओ जाव से । ६ स० पा० - करेइ जाव नमसित्ता । ७. स० पा० - एव एएण कमेण जहा खदओ तहेव पव्वइओ । Page #496 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नवम सत ( तेत्तीसइमो उद्देसो) ४३७ त इच्छामिण देवाणुप्पिया । सयमेव पव्वाविय, सयमेव मुडाविय, सयमेव सेहाविय, सयमेव सिक्खावियं, सयमेव प्रायारगोयर विणय- वेणइय चरण-करण जायामायावत्तिय धम्ममाइक्खिय || J १५१ तएण समणे भगव महावीरे उसभदत्त माहण सयमेव पव्वावेइ, सय मेव मुडावेइ, सयमेव सेहावेइ, सयमेव सिक्खावेइ, सयमेव आयार-गोयर विणय-वेणइय चरण-करण जायामायावत्तिय धम्ममाइक्खइ - एव देवाणुप्पिया गतव्व एव चिट्ठियव्व एव निसीइयव्व एव तुयट्टियव्व एव भुजियव्व एव भासियव्व एव उट्ठाय - उट्ठाय पाणेहि भूएहि जीवेहि सत्तेहि सजमेणं सजमियव्व प्रस्सि चण अट्ठे णो किचि विमाइयव्व । तएण से उसभदत्ते माइणे समणस्स भगवग्रो महावीरस्स इम एयारूव धम्मिय उवएस सम्म पडिवज्जइ ' जाव' सामाइयमाइयाइ एक्कारस गाइ ग्रहिज्जइ, अहिज्जित्ता' वहूहि चउत्थ छट्ठट्ठम-दसम' - 'दुवालसेहि, मासद्धमासखमणेहि ° विचित्तहि तवोकम्मे हि ग्रप्पाण भावेमाणे बहूइ वासाइ सामण्णपरियाग पाउणइ, पाउणत्ता मासियाए सलेहणाए ग्रत्ताण भूसेइ, भूसेत्ता सद्वि भत्ताइ प्रणसणाए छे, छेत्ता जस्सट्ठा कीरति नग्गभावे जाव' तमट्ठ आराहेइ, आाराहेत्ता' 'चरमेहि उस्सास- नीसासेहि सिद्धे बुद्धे मुक्के परिनिव्वुडे • सव्वदुक्खप्पहीणे ॥ १५२ तएण सा देवाणदा माहणी समणस्स भगवग्रो महावीरस्स प्रतिय धम्म सोच्चा निसम्म हट्ठा समण भगव महावीर तिक्खुत्तो प्रायाहिण -पयाहिण' करेइ, करेत्ता वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता एव वयासी - एवमेय भते । तहमेय भते । एव जहा उसभदत्तो तहेव जाव धम्ममाइक्खिय || १५३. तए ण समणे भगव महावीरे देवाणद माहणि सयमेव पव्वावेइ, पव्वावेत्ता सयमेव ग्रज्जचदणाए ग्रज्जाए सीसिणित्ताए दलयइ ॥ १५४ तएण सा ग्रज्जचदणा अज्जा देवाणद मार्हाणि सयमेव ' मुडावेति, सयमेव सेहावेति । एव जहेव उसभदत्तो तहेव ग्रज्जचदणाए प्रज्जाए इम एयारूव धम्मिय उवदेस सम्म सर्पाडवज्जइ, तमाणाए तह गच्छइ जाव' सजमेण सजमति ॥ O १५५ तएण सा देवाणदा अज्जा ग्रज्जचदणाए अज्जाए प्रतिय सामाइयमाइयाइ एक्कारस ग्रगाइ ग्रहिज्जइ, "ग्रहिज्जित्ता बहूहि चउत्थ छट्टम - दसम - दुवाल १. भ० २।५३-५७ । २. जाव ( अ, क, ता, व, स ) 1 ३ सं० पा० - दसम जाव विचित्ते हि । ४. भ० १।४३३ | ५ स० पा० - आराहेत्ता जाव सव्व ० । ६ स० पा० - पयाहिण जाव नमसित्ता । ७ X (व, म) । ८ सयमेव पव्वावेति सयमेव (क, ब, म ) । ६ भ० २।५४ | १०. स० पा० - सेस त चेव जाव सव्व । Page #497 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४३८ भगवई सेहि, मासद्धमासखमणेहि विचित्तेहि तवोकम्मेहि अप्पाण भावेमाणी बहूई वासाइ सामण्णपरियाग पाउणइ, पाउणित्ता मासियाए सलेहणाए ग्रत्ताण भूसेइ, भूसेत्ता सट्ठि भत्ताइ अणसणाए छेदेइ, छेदेत्ता चरमेहि उस्सास- नीसासेहि सिद्धा बुद्धा मुक्का परिनिव्वुडा • सव्वदुक्खप्पीणा || जमालि-पदं १५६ तस्स ण माणकु डग्गामस्स नगरस्स पच्चत्थिमे णं एत्य ण खत्तिय कुङग्गामे नाम नयरे होत्था-वण्ण' । तत्थ ण खत्तियकुडग्गामे नयरे जमाली नाम खत्तियकुमारे परिवसइ-ग्रड्ढे दित्ते जाव' बहुजणस्स ग्रपरिभूते, उप्पि पासायवरगए फुट्टमाणेह मुइगमत्थएहि वत्तीसतिवद्धेहि गाडएहि वरतरुणीसपउतेहिं' उवनच्चिज्जमाणे-उवनच्चिवज्जमाणे, उवगिज्जमाणे - उवगिज्जमाणे, उवलालिज्ज माणे-उवलालिज्जमाणे, पाउस - वासारत सरद - हेमंत - वसत- गिम्हपज्जते छप्पि उऊ जहाविभवेण माणेमाणे, काल गालेमाणे, इट्टे सद्द-फरिस - रस-ख्व-गधे पचविहे माणुस्सए कामभोगे पच्चणुब्भवमाणे विहरइ || १५७ तएण खत्तिय कुण्डग्गामे नयरे सिंघाडग - तिक- चउक्क - चच्चर - चउम्मुह-महापह-पहेसु महया जणसद्दे इ वा जणवू हे इ वा जणवोले इ वा जणकलकले इ वा मी इ वा जणुक्कलिया इ वा जणसण्णिवाए इ वा बहुजणो ग्रण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ एव भासइ°, एव पण्णवेड, एव परूवेइ, एव खलु देवाणुप्पिया ! समणे भगव महावीरे आदिगरे जाव' सव्वण्णू सव्वदरिसी माहणकुडग्गामस्स नगरस्स बहिया बहुसालए चेइए ग्रहापडिरूव' प्रोग्गह योगिन्हित्ता संजमेण तवसा ग्रप्पाण भावेमाणे विहरइ | o त महष्फल खलु देवाणुप्पिया । तहारूवाण रहताण भगवंताण नामगोयस्स वि सवणयाए जहा ओववाइए जाव' एगाभिमुहे खत्तियकुण्डग्गाम नयर मज्झमज्झेण निग्गच्छति', निग्गच्छित्ता जेणेव माहणकुडग्गामे नयरे जेणेव वहुसालए चेइए, तेणेव उवागच्छति एव जहा प्रववाइए जाव" तिविहाए पज्जुवासणयाए पज्जुवासति ॥ १. प्रो० सू० १ । - २. भ० २।६४ । ३. णाणाविहवरतरुणी ० ( अ, व, स ) । ४. उड्डू (अ), उदू (ता, व, स ) । ५. स० पा०—चच्चर जाव बहुजरगसद्दे इ वा १०. ओ० सू० ५२, ६६ ॥ जाव एव । ६ ओ० सू० १ε। ७ स० पा० - अहापडिरूव जाव विहरइ | ८. ओ० सू० ५२, वाचनान्तर पृ० १४७ । 8. निग्गच्छइ (क, ता) | Page #498 -------------------------------------------------------------------------- ________________ '४३६ नवम सत (तेत्तीसइमो उद्देसो) १५८. तए ण तस्स जमालिस्स खत्तियकुमारस्स त महयाजणसद्द वा जाव जणसन्नि वाय वा सुणमाणस्स वा पासमाणस्स वा अयमेयारूवे अज्झथिए' चितिए पत्थिए मणोगए सकप्पे ° समुप्पज्जित्था-किण्ण अज्ज खत्तियकुडग्गामे नयरे इदमहे इ वा, खदमहे इ वा, मुगु दमहे इ वा, नागमहे इ वा, जक्खमहे इ वा, भूयमहे इ वा, कूवमहे इ वा, तडागमहे इ वा, नईमहे इ वा, दहमहे इ वा, पव्वयमहे इ वा, रूवखमहे इ वा, चेइयमहे इ वा, थूभमहे इ वा, जण्ण एते वहवे उग्गा, भोगा, राइण्णा, इक्खागा, णाया', कोरव्वा, खत्तिया, खत्तियपुत्ता, भडा, भडपुत्ता, 'जोहा पसत्थारो मल्लई लेच्छई लेच्छईपुत्ता अण्णे य बहवे राईसर-तलवर--माडविय-कोडु विय-इभ-सेट्ठि-सेणावइ ° -सत्थवाहप्पभितयो ण्हाया कयवलिकम्मा जहा अोववाइए जाव' खत्तियकुडग्गामे नयरे मज्झमझेण निग्गच्छति ? ---एव सपेहेइ, सपेहेत्ता कचुइ-पुरिस सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एव वदासी-किण्ण देवाणुप्पिया | अज्ज खत्तियकुडग्गामे नयरे इदमहे इ वा जाव निग्गच्छति ? १५६. तए ण से कचुइ-पुरिसे जमालिणा खत्तियकुमारेण एव वुत्ते समाणे हट्टतुट्रे समणस्स भगवनो महावीरस्स आगमणगहियविणिच्छए करयल परिग्गहिय दसनह सिरसावत्त मत्थए अलि कटु ° जमालि खत्तियकुमार जएण विजएण वद्धावेइ, वद्धावेत्ता एव वयासी-नो खलु देवाणुप्पिया | अज्ज खत्तियकुडग्गामे नयरे इदमहे इ वा जाव' निग्गच्छति । एव खलु देवाणुप्पिया । अज्ज समणे भगव महावीरे आदिगरे जाव' सव्वण्णू सव्वदरिसी माहणकुडग्गामस्स नयरस्स बहिया वहुसालए चेइए अहापडिरूव प्रोग्गह प्रोगिण्हित्ता सजमेण तवसा अप्पाण भावेमाणे ° विहरइ, तए ण एते वहवे उग्गा, भोगा जाव' निग्गच्छति ॥ १६०. तए ण से जमाली खत्तियकुमारे कचुइ"-पुरिसस्स अतिय एयम सोच्चा निसम्म हट्टतुटे कोडुवियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एव वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया | चाउपघट ग्रासरह जुत्तामेव उवट्ठवेह, उवढवेत्ता मम एयमाणत्तिय पच्चप्पिणह ॥ १ स०पा०-अज्झात्थिए जाव समुप्पज्जित्था। ७ भ० ६।१५८ । २. नाता (क, ब, म)। ८ ओ० सू० १९ । ३ स०पा०-जहा ओववाइए जाव सत्थवाह । ६ स० पा०-प्रोग्गहं जाव विहरड। ४ ओ० सू० ५२ । १० ओसू सू० ५२, जाव अप्पेगइया वदणवत्तिय ५ कचुइज्ज (अ, क, ता, व)। जाव (अ, क, ता, ब, म)। ६ स० पा०-करयल । ११ कचुति (अ, क, व, स)। Page #499 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४४० भगवई १६१. तए ण ते कोडुवियपुरिसा जमालिणा खत्तियकुमारेण एव वुत्ता समाणा' 'चाउ ग्घट आसरह जुत्तामेव उवट्ठवेति, उवट्ठवेत्ता तमाणत्तिय ° पच्चप्पिणति । १६२. तए ण से जमाली खत्तियकुमारे जेणेव मज्जणघरे तेणेव उवागच्छड, उवाग च्छित्ता हाए कयवलिकम्मे जाव चंदणुक्खित्तगायसरीरे सव्वालकारविभूसिए मज्जणघरायो पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ना जेणेव वाहिरिया उवट्टाणसाला, जेणेव चाउग्घटे आस रहे तेणेव उवागच्छड, उवागच्छित्ता चाउघंट आसरह दुरुहइ, दृरुहित्ता सकोरेटमल्लदामेण छत्तेण धरिज्जमाणेण, महयाभडचडकरपहकरवदपरिविखत्ते खत्तियकुडग्गाम नगर मज्झमझेण निग्गच्छड, निग्गच्छित्ता जेणेव माहणकुडग्गामे नयरे, जेणेव वहुसालए चेडए तेणेव उवागच्छड, उवागच्छित्ता तुरए निगिण्हेइ, निगिण्हेत्ता रह ठवेइ, ठवेत्ता रहायो पच्चोरुहति, पच्चोरुहित्ता पुप्फतवोलाउहमादिय पाहणाओ' य विसज्जेति, विसज्जेत्ता एगसाडिय उत्तरासग करेइ, करेत्ता प्रायते चोक्खे परमसुइन्भूए अजलिमउलियहत्थे जेणेव समणे भगव महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समण भगव महावीर तिक्खुत्तो आयाहिण-पायाहिण करेड, करेत्ता' 'वदइ नमसड, वदित्ता नमसित्ता तिविहाए पज्जुवासणाए पज्जुवासइ ।। १६३. तए ण समणे भगव महावीरे जमालिस्स खत्तियकुमारस्स, तीसे य महतिमहा लियाए इसि परिसाए मुणिपरिसाए जइपरिसाए देवपरिसाए अणेगसयाए अणेगसयवदाए अणेगसयवदपरियालाए पोहवले अइवले महब्बले अपरिमियवलवीरिय-तेय-माहप्प-कति-जुत्ते सारय-नवत्थणिय-महुरगभीर-कोचणिग्योस-दुदुभिस्सरे उरे वित्थडाए कठे वट्टियाए सिरे समाइण्णाए अगरलाए अमम्मणाए सुव्वत्तक्खर-सण्णिवाइयाए पुण्णरत्ताए सव्वभासाणुगामिणीए सरस्सईए जोयणणीहारिणा सरेण अद्धमागहाए भासाए भासइ-धम्म परिकहे जाव परिसा पडिगया ॥ १. स० पा०-ममाणा जाव पच्चप्पिणति । ३ चदणोकिण्ण ° (ता, म), चदणोखिष्ण ° (ब) २. जाव ओववाइए परिसावण्णओ तहा भाणि- ४ द्रूहइ (अ, ता, व), द्रुति (क)। यव्व जाव (अ, क, ता, व, म, स); मज्जन- ५. सकोरट° (म, स)। गृहप्रकरणे परिवारवर्णनस्य सूचना स्वाभा- ६ वाहणाओ (अ, म), पाणहाओ (क), वाणविकी नास्ति, अत प्रतीयते अत्र पाठसक्षेपी- हाओ (स)। करणे कश्चिद् विपर्ययो जात । न च एतद्- ७. अजलितमउ० (ता)। रूपेणासी पाठ. औपपातिके लभ्यते, अतए- ८. स० पा०-करेत्ता जाव तिविहाए। वासी पाठान्तरत्वेन स्वीकृतः । द्रष्टव्यम्- ६. स० पा०-इसि जाव घम्मकहा। ओ० सू० ६३ । १०. ओ० सू० ७१-७६ । Page #500 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नवम सत (तेत्तीसइमो उद्देसो) ४४१ ० - I १६४. तए ण से जमाली खत्तियकुमारे समणस्स भगवो महावीरस्स प्रति धम्मं सोच्चा निसम्म हट्ट तुट्ठचित्तमाणदिए णदिए पीइमणे परमसोमणस्सिए हरिसवसविसप्पमाण हियए उट्ठाए उट्ठेइ, उट्ठेत्ता समण भगव महावीर तिक्खुत्तो' आयाहिण -पयाहिण करेइ, करेत्ता वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता एव वयासी - सद्दहामि ण भते । निग्गथ पावयण, पत्तियामि ण भते । निग्गथ पावयण, रोएमिण भते । निग्गथ पावयण, ग्रब्भुट्ठेमि ण भते । निग्गथ पावयण, एवमेय भते । तहमेय भते । ग्रवितहमेय भते । असद्धिमेय भते' । • इच्छियमेय भते ! पडिच्छियमेय भते । इच्छिय-पडिच्छियमेय भते । - से जय तुभे वदह, ज नवर- - देवाणुप्पिया । ग्रम्मापियरो आपुच्छामि, तए ग्रह देवाणु प्पियाण प्रतिय मुडे भवित्ता अगाराम्रो अणगारिय पव्वयामि । हासु देवाणुपिया | मा पडिबध || १६५. तए ण से जमाली खत्तियकुमारे समणेण भगवया महावीरेण एव वृत्ते समाणे हट्ठतुट्ठे समण भगव महावीर तिक्खुत्तों श्रायाहिण -पयाहिण करेइ, करेत्ता वदइ नमसइ, वदित्ता • नमसित्ता तमेव चाउग्घट आसरह दुरुहइ, दुरुहित्ता समणस्स भगवो महावीरस्स प्रतिया बहुसाला चेइया पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता सकोरेट मल्लदामेण छत्तेण धरिज्जमाणेण महयाभडचड - गर' पहकरवद°परिविखत्ते, जेणेव खत्तियकुडग्गामे नयरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता खत्तियकुडग्गाम नयर मज्झमज्भेण जेणेव सए गेहे जेणेव वाहिरिया उवद्वाणसाला तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता तुरए निगिण्हइ, निगिहित्ता रह ठवेइ, ठवेत्ता रहा पच्चोरुहइ, पन्चोरुहित्ता जेणेव ग्रभितरिया उवट्ठाणसाला, जेणेव अम्मापियरो तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता ग्रम्मापियरो जण विजण वद्धावेइ, वद्धावेत्ता एव वयासी - एवं खलु ग्रम्मता' ! मए समणस्स भगवग्रो महावीरस्स ग्रतिय धम्मे निसते, सेवि य मे धम्मे इच्छिए, पsिच्छिए अभिरुइए ॥ o D O १६६ तए ण त जमालि खत्तियकुमार ग्रम्मापियो एव वयासी - धन्ने सि ण तुम जाया । कयत्थे सि ण तुम जाया । कयपुण्णे सिण तुम जाया 1 कलक्खणे सिण तुम जाया 1 जण तुमे समणस्स भगवओ महावीरस्स प्रतिय धम्मे निसते, सेविय ते धम्मे इच्छिए, पडिच्छिए, अभिरुइ ॥ १ स० पा०-हट्ठ जाव हियए । २. स० पा० - तिक्खुत्तो जाव नमसित्ता । ३ स० पा० भते जाव से । ४. स० पा० - तिवखुत्तो जाव नमसित्ता । ५. स० पा० - सकोरेंट जाव धरिज्जमागेणं । ६ स० पा० - चडगर जाव परिक्खित्ते । ७. अम्मयाओ (अ, स), अम्माताओ (व) । Page #501 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ४४२ १६७ तएण से जमाली खत्तियकुमारे ग्रम्मापियरो दोच्च पि एव वयासी - एव खलु मए अम्मताओ | समणस्स भगवग्रो महावीरस्स ग्रतिए वम्मे निसते', • सेविय मे धम्मे इच्छिए, पडिच्छिए, अभिरुइए । तए ण ग्रह ग्रम्मताओ । ससारभउब्विग्गे, भीते जम्मण - मरणेण, त इच्छामि ण ग्रम्मतायो । तुभेहि ग्रब्भणुण्णाए समाणे समणस्स भगवग्रो महावीरस्स प्रतियं मुडे भवित्ता गारा अणगारिय पव्वइत्तए || १६८ तए ण सा जमालिस्स खत्तियकुमारस्स माता त ग्रणिट्ठ ग्रकत अप्पिय ग्रमगुण्ण श्रमणाम ग्रस्सुयपुव्व गिर सोच्चा निसम्म सेयागयरोमकूपगलतचिलिणगत्ता', सोगभरपवेवियगमगी नित्तेया दीणविमणवयणा, करयलमलिय व्व कमलमाला, तक्खणश्रलुग्गदुव्वलसरी रायण्णसुन्ननिच्छाया गयसिरीया पसिढिलभूसणपडतखुण्णियसचुण्णियधवलवलय'- पव्भट्ठउत्तरिज्जा, मुच्छावसणटुचेतगरुई, सुकुमालविकिण्णकेसहत्था, परसुणियत्त' व्व चपगलया, निव्वत्तमहे व्व इदलट्ठी, विमुक्कसधिबधणा कोट्टिमतल सि' धसत्ति सव्वगेहि" सनिवडिया" ।। १६६ तएण सा जमालिस्स खत्तियकुमारस्स माया ससभमोवत्तियाए" तुरिय कचणभिगारमुहविणिग्गय सीयलजलविमलधारपरिसिच्चमाणनिव्वावियगायलट्टी", उक्खेवय-तालियट-वीयणगजणियवाएण, सफुसिएण तेउरपरिजणेण ग्रासासिया समाणी रोयमाणी कदमाणी सोयमाणी विलवमाणी जमालि खत्तियकुमार एव वयासी - तुम सि ण जाया । ग्रम्ह एगे पुत्ते इट्ठे कते पिए मणुणे मणामे थेज्जे वेसासिए समए बहुमए अणुमए भडकरडगसमाणे रयणे रयणव्भूए जीविऊसविए"हिययनदिजणणे उवरपुप्फ पिव" दुल्लभे सवणयाए", किमग । पुणपासणयाए ? त नो खलु जाया । अम्हे इच्छामो तुव्भ खणमवि विप्पयोग, त ग्रच्छाहि ताव जाया । जाव ताव आम्हे जीवामो तो पच्छा म्हेहि कालगएहि समाणेहिं परिणयवए वड्ढियकुलवसततुकज्जम्मि निरवयक्खे समणस्स • यत्तिया (क, ता), चेट्या इति गम्यम् (वृ) । ११ १२. सीयलविमलजल • ( अ ) ; सीतल विमल ० ( क ), सीतल विमलधारपरिसिच्चमाणनिव्ववित° (ता), ● निव्ववित (व), सीयलविमलजलधारपरिसिच्चमाणनिव्ववित • (स) १३ जीवियउस्सासिए (वृपा, ना० १|१|१०६) । १४ विव ( क ) . १५ समणयाए ( अ ) 1 १. स० पा० - नसते जाव अभिरूइए । २ जम्मजरा ( क्व० ) । ३ o • विलीरणगत्ता ( अ, व, स ) 1 ● लावण्ण ० ( ना० १ १ १०५) । o ४ ५. पसढिल ( अ, क, ता, म) 1 ६० खुम्मिय ( ना० १।१।१०५) । ७. ० गुरुई ( अ, ता, व, स ) । O ८ • तित्त (ता), ° कित्त ( ब ) | ९ सव्वगेह वसत्ति (ना० १1१1१०५) । १० निवडिया ( अ, ता, स ) । 3 Page #502 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नवम सत ( तेत्तीसइमो उद्देसो) ४४३ भगव महावीरस्स प्रतिय मुडे भवित्ता अंगारा अणगारिय पव्वइहिसि || 2 १७०. तए ण से जमाली खत्तियकुमारे ग्रम्मापियरो एव वयासी - तहा विणत ग्रमता ! जण्ण तुव्भे मम एव वदह– तुम सिण जाया 1 ग्रह एगे पुत्ते इट्ठे कते त चेव जाव' पव्वइहिसि एव खलु ग्रम्मता । माणुस्सा भवे अणेगजाइ-जरा-मरण-रोग-सारीरमाणसपकामदुक्खवेयण-वसणसतोवद्दवाभिभूए धुवे प्रणितिए सासए सभभरागसरिसे जलबुब्बुदसमाणे कुसग्गजलविदुसन्निभे सुविणदसणोवमे' विज्जुलयाचचले ग्रणिच्चे सडण - पडण - विद्धसणधम्मे, पुव्वि वा पच्छा वा ग्रवस्सविप्पजहियव्वे भविस्सर से केस' ण जाणइ अम्मता । के पुव्वि गमणयाए, के पच्छा गमणयाए ? त इच्छामि ण ग्रम्मता । तुभेहि ग्रव्भणुण्णाए समाणे समणस्स भगवश्रो महावीरस्स प्रतियं मुडे भवित्ता ग्रगाराम्रो अणगारिय° पव्वइत्तए ॥ १७१. तए ण त जमालि खत्तियकुमार अम्मापियरो एव वयासी - इम च ते जाया । सरीर विसिट्टरूव' लक्खण-वजण - गुणोववेय उत्तमबल-वीरियसत्तजुत्त विण्णाणवियक्खण ससोहग्गगुणसमूसिय' ग्रभिजाय महक्खम विविवाहिरोगरहिय, निरुवहय-उदत्त' - लट्ठपचिदियपडु' पढमजोव्वणत्य प्रणे उत्तमगुणेहि सजुत्त, त ग्रणुहोहि ताव जाया । नियगसरीरख्व- सोहग्ग- जोव्वणगुणे, तो पच्छा ग्रणुभूय नियगसरी ररूव-सोहग्ग- जोव्वणगुणे म्हेहि कालगएहि समाहि परिणयवए वड्ढियकुलवसत तुकज्जम्मि निरवयक्खे समणस्स भगवो महावीरप्रतिय मुडे भवित्ता ग्रगाराग्रो ग्रणगारिय पव्वइहिसि ॥ १७२ तएण से जमाली खत्तियकुमारे श्रम्मापियरो एव वयासी - तहा विणत मता । जण तुभे मम एव वदह -- इम च ण ते जाया । सरीरंग त चेव जाव' पव्वइहिसि एव खलु अम्मतायो । माणुस्सग सरीर दुक्खाययण, विविहवाहिसयसनिकेत, अट्ठियकट्ठट्ठिय, छिराण्हारुजाल - श्रोणद्धसपिणद्ध, मट्टियभड व दुब्वल, सुइस किलिट्ठ, प्रणिट्ठविय - सव्वकालसठप्पय, जराकुणिमजज्जरघर व सडण-पडण - विद्धसणधम्म, पुव्वि वा पच्छा वा अवस्सविप्पजहियव्वं भविस्सइ | से केस ण जाणइ अम्मता ! के पुव्वि "गमणयाए, के पच्छा गमणयाए त इच्छामि ण अम्मतायो । तुब्भेहि प्रब्भणुण्णाए समाणे १ भ० ६।१६६ । २ सुविणगसद ० ( क, म), सुविणगद ० ( स ) 1 ३ के (ता, ना० १|१|१०७) । ४ स० पा० - समणस्स जाव पव्वइत्तए । ५ पवि० (ता, ब ) । ६. ० समूविय ( ता ) । ७ उयग्ग (ता) | ८. लट्ठ (स) 1 o ६. भ० ६ १६६ । १०. स० पा० – त चेव जाव पव्वइत्तए । Page #503 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४४४ १७३ भगवई समणस्स भगवओ महावीरस्स अतिय मुडे भवित्ता अगारानो अणगारियं पव्वइत्तए । तए ण त जमालि खत्तियकुमार अम्मापियरो एव वयासी-इमायो य ते जाया । विपुलकुलबालियानो' कलाकुसल-सव्वकाललालिय-सुहोचियायो', मद्दवगुणजुत्त-निउणविणग्रोवयारपडिय-वियक्खणायो, मजुलमियमहुरभणियविहसिय-विप्पेक्खिय-गति-विलास-चिट्ठियविसारदाप्रो, अविकलकुल-सीलसालिणीयो', विसुद्धकुलवससताणततुवद्धण-प्पगन्भुन्भवपभाविणीयो', मणाणकलहियइच्छियायो, अट्ठ तुज्झ गुणवल्लहायो उत्तमायो, निच्च भावाणुरत्तसव्वगसुदरीओ'। त भुजाहि ताव जाया | एताहिं सद्धि विउले माणुस्सए कामभोगे, तो पच्छा भुत्तभोगी विसय-विगयवोच्छिण्ण-कोउहल्ले अम्हेहिं कालगएहि' 'समाणेहिं परिणयवए वढियकुलवसततुकज्जम्मि निरवयक्खे समणस्स भगवओ महावीरस्स अतिय मुडे भवित्ता अगाराग्रो अणगारिय ° पव्वडहिसि ॥ तए ण से जमाली खत्तियकुमारे अम्मापियरो एव वयासी-तहा वि ण त अम्मतानो ! जण्ण तुन्भे मम एय वदह-इमामो ते जाया ! विपलकूलवालियानो जाव" पव्वइहिसि, एव खलु अम्मतायो । माणुस्सगा कामभोगा' उच्चार-पासवण-खेल-सिंघाणग-वत-पित्त-पूय-सुक्क-सोणिय-समुद्भवा, अमणुण्णदुरुय'-मुत्त-पूइय-पुरीसपुण्णा, मयगधुस्सास"-असुभनिस्सासउव्वेयणगा, बीभच्छा", अप्पकालिया, लहुसगा', 'कलमलाहिवासदुक्खा बहुजणसाहारणा", परिकिलेसकिच्छदुक्खसज्झा, अवुहजणणिसेविया, 'सदा साहुगरहणिज्जा, १७४ १. °वालियाओ (स), सरिसियाओ, सरित्तयाओ, विणीओ (वृपा)। सरिव्वगाओ, सरिसलावण्णरूव-जोब्बरण- ५ °सदरीओ भारियाओ (व, म, स)। गुणोववेयाओ, सरिसएहितो कुलेहितो आणि- ६. स० पा०—कालगएहिं जाव पव्वइहिसि । एल्लियाओ (अ, क, व, म, स), असौ पाठ ७ भ० ६।१७३ । 'ता' सकेतिते आदर्श नास्ति तथा वृतावपि ८. कामभोगा असुई, असासया, वतासवा, पित्तानास्ति व्याख्यात. । नायाघम्मकहाओ (१।१। सवा, खेलासवा, सुक्कासवा, सोणियासवा १०८) असो विद्यते । तस्य वाचनान्तरे चैष (अ, व, म, स)। पाठो नास्ति । वाचनान्तरगतश्च पाठ ६. ° दुरूव (अ, क, व, स)। प्रस्तुतभगवतीपाठसदृशोस्ति । १०. मद° (ता); मत ° (ब)। २. सुहोइयाओ (ब)। ११. बीभत्था (ब)। ३. °णियामओ (व)। १२. लहूसगा (अ, क, व, म)। ४. प्पगब्बभप्पभा ° (अ), पगम्भवयभा° (क, १३. °दुक्खबहुजण ° (क, ता, ब, म)। वृ), पगम्भवपभा° (ता), पगम्भुन्भवपभा- १४. साधुजणगरहणिज्जा (ता)। Page #504 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नवमं सत (तेत्तीसइमो उद्देसो) ४४५ अणतससारवद्धणा, कडुगफलविवागा चुडल्लिव अमुच्चमाण', दुक्खाणुबधिणो, सिद्धिगमणविग्धा। से केस ण जाणइ अम्मतायो । के पुवि गमणयाए ? के पच्छा गमणयाए? त इच्छामि ण अम्मताओ' | 'तुन्भेहिं अब्भणण्णाए समाणे समणस्स भगवो महावीरस्स अतिय मुडे भवित्ता अगारानो अणगारिय° पव्वइत्तए । १७५ तए ण त जमालि खत्तियकुमार अम्मापियरो एव वयासी-इमे य ते जाया ! अज्जय-पज्जय-पिउपज्जयागए सुवह हिरण्णे य', सुवण्णे य, कसे य, दूसे य, विउलधण-कणग- रयण-मणि-मोत्तिय-सख-सिल-प्पवालरत्तरयण ° - सतसारसावएज्जे, अलाहि जाव आसत्तमाओ कुलवसानो पकाम दाउ, पकाम भोत्त, परिभाएउ, त अणुहोहि ताव जाया | विउले माणुस्सए इड्ढि-सक्कारसमुदए, तओ पच्छा अणुहूयकल्लाणे, वड्ढियकुलवसततुकज्जम्मि निरवयक्खे समणस्स भगवो महावीरस्स अतिय मुडे भवित्ता अगाराप्रो अणगारिय ° पव्वइहिसि ।। १७६. तए ण से जमालो खत्तियकुमारे अम्मापियरो एव वयासी-तहा वि ण त अम्मतायो | जण्ण तुम्भे मम एव वदह-इम च ते जाया | अज्जय-पज्जयपिउपज्जयागए जाव' पव्वइहिसि, एव खलु अम्मताओ । हिरण्णे य, सुवण्णे य जाव सावएज्जे अग्गिसाहिए, चोरसाहिए, रायसाहिए, मच्चुसाहिए, दाइयसाहिए, अग्गिसामणे, चोरसामण्णे, रायसामण्णे, मच्चुसामण्णे °, दाइयसामण्णे, अधुवे, अणितिए, असासए, पुवि वा पच्छा वा अवस्सविप्पजहियव्वे भविस्सइ, से केस ण जाणइ "अम्मतानो । के पुट्वि' गमणयाए, के पच्छा गमणयाए ? त इच्छामि ण अम्मताओ। तुम्भेहि अब्भणण्णाए समाणे समणस्स भगवो महावीरस्स अतिय मुडे भवित्ता अगाराओ अणगारिय° पव्वइत्तए॥ १७७ तए ण त जमालि खत्तियकुमार अम्मतानो जाहे नो सचाएति विसयाणलो माहिं बहूहिं प्राघवणाहि य पण्णवणाहि य सण्णवणाहि य विण्णवणाहिय. आघवेत्तए वा पण्णवेत्तए वा सण्णवेत्तए वा विण्णवेत्तए वा, ताहे विसयपडिकूलाहिं सजमभयुव्वेयणकरीहि पण्णवणाहिं पण्णवेमाणा एव वयासी-एव १ इह प्रथमावहुवचनलोपो दृश्य (व)। २. स० पा०—अम्मताओ जाव पव्वइत्तए। ३. या (क, ता, व, म) सर्वत्र । ४ स० पा०-कणग जाव सतसार ° । ५ स० पा०-वड्ढियकुलवस जाव पव्वइहिसि। ६ भ० ६।१७५ । ७ स० पा०-अग्गिसामण्णे जाव दाइयसामणे। ८ स० पा०-त चेव जाव पव्वइत्तए । ६ ° भयुव्वेवक ° (ता), भयुव्वेवणक० (ब)। Page #505 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४४६ भगवई खलु जाया | निग्गये पावयणे सच्चे अणुत्तरे केवले' पडिपुण्णे नेयाउए ससुद्धे सल्लगत्तणे सिद्धिमग्गे मुत्तिमग्गे निज्जाणमग्गे निव्वाणमग्गे अवितहे अविसंधि सव्वदुक्खप्पहीणमग्गे, एत्थ ठिया जीवा सिझति वुज्झति मुच्चति परिनिवायति ° सव्वदुक्खाण अत करेति । अहीव एगतदिट्ठीए, खुरो इव एगतधाराए, लोहमया जवा चावेयव्वा, वालुयाकवले इव निस्साए, गगा वा महानदी पडिसोयगमणयाए, महासमुद्दो वा भुयाहिं दुत्तरो, तिक्ख कमियब्व, गरुय लवेयव्व, असिधारग वय चरियव्व । नो' खलु कप्पइ जाया | समणाण निग्गथाण अहाकम्मिए इ वा, उद्देसिए इ वा, मिस्सजाए इवा, अझोयरए इ वा, पूडए इ वा, कीते इ वा, पामिच्चे इ वा, अच्छेज्जे इ वा, अणिसटे इ वा, अभिहडे इ वा, कंतार भत्ते इ वा, दुभिक्खभत्ते इ वा, गिलाणभत्ते इ वा, वद्दलियाभत्ते इ वा, पाहुणगभत्ते इ वा, सेज्जायरपिडे इ वा, रायपिडे इ वा, मूलभोयणे इ वा, कदभोयणे इ वा, फलभोयणे इ वा, वीयभोयणे इ वा, हरियभोयणे इ वा, भोत्तए वा पायए वा। तुम सि च ण जाया | सुहसमुचिए नो चेव ण दुहसमुचिए, नाल सीय, नाल उण्ह, नाल खुहा, नाल पिवासा, नाल चोरा, नाल वाला, नाल दसा, नालं मसगा, नाल वाइय-पित्तिय-सेभिय-सन्निवाइए विविहे रोगायंके, परिस्सहोवसग्गे उदिण्णे अहियासेत्तए । त नो खलु जाया | अम्हे इच्छामो तुभं खणमवि विप्पयोग, त अच्छाहि ताव जाया जाव ताव अम्हे जीवामो तो पच्छा अम्हेहिं 'कालगएहि समाणेहि परिणयवए, वढियकुलवसततकज्जम्मि निरवयक्खे समणस्स भगवग्रो महावीरस्स अतिय मुडे भवित्ता अगाराओ अण गारिय° पव्वइहिसि ॥ १७८ तए णं से जमाली खत्तियकुमारे अम्मापियरो एव वयासी-तहा वि ण त अम्मताओं' | जण्ण तुन्भे मम एव वदह- एव खलु जाया । निग्गथे पावयणे सच्चे अणुत्तरे केवले त चेव जाव पव्वइहिसि, एव खलु अम्मतायो । निग्गथे पावयणे कीवाण कायराण कापुरिसाण इहलोगपडिवद्धाण परलोगपरम्हाण विसयतिसियाण दुरणुचरे पागयजणस्स, धीरस्स निच्छियस्स ववसियस्स नो खलु एत्थ किचि वि दुक्कर करणयाए, त इच्छामि ण अम्मताओ ! तुन्भेहि १. स० पा०-जहा आवस्सए जाव सव्व ° । २ गुरुय (अ)। ३ णो य (अ, ता, व)। ४. मीसजाए (ता), मिस्साजाए (व)। ५ उज्झो ° (अ, स)। ६ स० पा० -- अम्हेहिं जाव पव्वइहिसि । ७ अम्मयाओ (अ, स)। ८ भ० ६।१७७ । Page #506 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नवम सतं (तेत्तीसइमो उद्देसो) ४४७ अभणुण्णाए समाणे समणस्स भगवनो महावीरस्स' अतिय मुडे भवित्ता अगारामो अणगारिय° पव्वइत्तए । १७६ तए ण त जमालि खत्तियकुमार अम्मापियरो जाहे नो सचाएति विसयाणुलो माहि य, विसयपडिकूलाहि य बहूहिं आघवणाहि य पण्णवणाहि य सण्णवणाहि य विण्णवणाहि य आघवेत्तए वा 'पण्णवेत्तए वा सण्णवेत्तए वा विण्णवेत्तए वा, ताहे अकामाइ चेव जमालिस्स खत्तियकुमारस्स निक्खमण अणु मण्णित्था । १८० तए ण तस्स जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिया कोडुवियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दा वेत्ता एव वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया । खत्तियकुडग्गाम नयर सभितरवाहिरिय आसिय-सम्मज्जियोवलित्त जहा अोववाइए जाव' सुगधवरगधगधिय गधवट्टिभूय करेह य कारवेह य, करेत्ता य कारवेत्ता य एयमाणत्तिय पच्चप्पिणह । ते वि तहेव पच्चप्पिणति ।। १८१. तए ण से जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिया दोच्च पि कोडुवियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एव वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया | जमालिस्स खत्तियकुमारस्स महत्थ महग्घ महरिह विपुल निक्खमणाभिसेय उवट्ठवेह । तए ण ते कोडुबियपुरिसा तहेव जाव उवट्ठवेति ॥ १८२ तए ण त जमालिं' खत्तियकुमार अम्मापियरो सीहासणवरसि पुरत्थाभिमुह निसीयावेति, निसीयावेत्ता अट्ठसएण सोवण्णियाण कलसाण, 'अट्टसएण रुप्पमयाण कलसाण, अट्ठसएण मणिमयाण कलसाण, अट्ठसएण सुवण्णरुप्पामयाण कलसाण, अट्ठसएण सुवण्णमणिमयाण कलसाण, अट्ठसएण रुप्पमणिमयाण कलसाण, अट्ठसएण सुवण्णरुप्पमणिमयाण कलसाण °, अट्ठसएण भोमेज्जाण कलसाण सव्विड्ढीए' 'सव्वजुतीए सव्ववलेण सव्वसमुदएण सव्वादरेण सव्वविभूईए सव्वविभूसाए सव्वसभमेण सव्वपुप्फगधमल्लालकारेण सव्वतुडियसद्द-सण्णिणाएण महया इड्ढीए महया जुईए महया वलेण महया समुदएण महया वरतुडिय-जमगसमग-प्पवाइएण सख-पणव-पडह-भेरि-झल्लरि-खरमूहिहुडुक्क-मुरय-मुइग-दु दुहि-णिग्घोसणाइय° रवेण महया-महया निक्खमणाभि सेगेण अभिसिंचति, अभिसिचित्ता करयल परिग्गहिय दसनह सिरसावत्त १ स० पाo-महावीरस्स जाव पव्वइत्तए । इति पद अत्र नावश्यक प्रतिभाति । २ स० पा०-वा जाव विण्णवेत्तए। ५ स० पा०-एव जहा रायप्पसेणइज्जे जाव ३ ओ० सू० ५५। अठ्ठसएण । ४. पच्चप्पिणति (अ, क, ता, व, म, स), ६ स० पा०-सविड्ढीए जाव रवेण । नायाधम्मकहाओ (१।१।११६, ११७) सूत्रा- ७ स० पा०-करयल जाव जएण । नुसारेण एतत्पद स्वीकृतम् । 'पच्चप्पिणति' Page #507 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४४८ भगवई मत्थए अजलि कटु जएण विजएण वद्धावेति, वद्धावेत्ता एव वयासी-भण जाया । किं देमो? किं पयच्छामो ? 'किणा व" ते अट्ठो ? १८३. तए ण से जमाली खत्तियकुमारे अम्मापियरो एव वयासी--इच्छामि णं अम्म ताओ। कुत्तियावणायो रयहरण च पडिग्गहं च प्राणिय', कासवग च सद्दाविय ॥ १८४ तए ण से जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिता कोडुवियपुरिसे सद्दावेड, सद्दावेत्ता एव वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया । सिरिघरानो तिण्णि सयसहस्साइ गहाय 'दोहि सयसहस्सेहि" कुत्तियावणानो रयहरण च पडिग्गहं च आणेह, सयसहस्सेण कासवग सद्दावेह ।। १८५. तए ण ते कोडुवियपुरिसा जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिउणा एव वुत्ता समाणा हट्टतुट्ठा करयल परिग्गहिय दसनह सिरसावत्त मत्थए अजलि कटु एव सामी । तहत्ताणाए विणएण वयण पडिसूणेति°, पडिसूणेत्ता खिप्पामेव सिरिघरानो तिण्णि सयसहस्साइ °गिण्हति, गिण्हित्ता दोहिं सयसहस्सेहि कुत्तियावणाओ रयहरण च पडिग्गह च प्राणति, सयसहस्सेण ° कासवगं सद्दावेति ॥ तए ण से कासवए जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिउणा कोडुवियपुरिसेहि सद्दाविए समाणे हट्टतुट्टे ण्हाए कयवलिकम्मे 'कय-कोउय-मगल-पायच्छित्ते सुद्धप्पावेसाइ मगल्लाइ वत्थाइ पवर परिहिए अप्पमहग्घाभरणालकिय सरीरे, जेणेव जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिया तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता करयल'•परिग्गहिय दसनह सिरसावत्त मत्थए अर्जाल कटु जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पियर जएणं विजएण वद्धावेइ वद्धावेत्ता एव वयासी-सदिसतु ण देवाणुप्पिया ! ज मए करणिज्ज ? १८७ तए ण से जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिया त कासवग एव वयासी-तुम देवाणुप्पिया जमालिस्स खत्तियकुमारस्स परेण जत्तेण चउरगुलवज्जे निक्खमणपायोग्गे अग्गकेसे कप्पेहि ॥ १८८ तए ण से कासवगे जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिउणा एव वुत्ते समाणे १८६ १ किं णा वा (ब, स), किं णा व (म)। पद नायाधम्मकहाओ (१।१।१२२) सूत्रस्या२ आणिउ (ता ब)। धारेण स्वीकृतम् । ३ सद्दावेउ (ता), सद्दावितु (ब) । ६ स० पा०-करयल जाव पडिसुणेत्ता। ४. गहेत्ता (ता)। ७ स० पा०-तहेव जाव कासवग। ५ दोहि तयमहस्सेण (अ, क), एगसतमहस्सेण ८. स० पा०-कयवलिकम्मे जाव सरीरे। (ता), सयसहम्सेण (व, म, स), वहुवचनान्त ६. स० पा०-करयल । Page #508 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नवम सत (तेत्तीस मो उद्देसो) ४४६ तु करयल' परिग्गहिय दसनह सिरसावत्त मत्थए अजलि कट्टु एव सामी । तत्ताणा विणण वयण पडिसुणेइ, पडिसुणेत्ता सुरभिणा गधोदएण हत्थपादे पक्खालेइ, पक्खालेत्ता सुद्धाए ग्रट्टपडलाए' पोत्तीए मुह बधइ, वधित्ता जमालिस्स खत्तियकुमारस्स परेण जत्तेण चउरगुलवज्जे निक्खमणपाश्रोग्गे अग्गकेसे कप्पेइ || १८६ तए णं सा जमालिस्स खत्तियकुमारस्स माया हसलक्खणेण पडसाडएण अग्गकेसे पडिच्छइ, पडिच्छित्ता सुरभिणा गधोदएण पक्खालेइ, पक्खालेत्ता अग्गेहिं वरेहिं गधेहिं मल्लेहि अच्चेति, अच्चेत्ता 'सुद्धे वत्थे " बधइ, वधित्ता रयणकरडगसि पक्खिवति, पक्खिवित्ता हार-वारिधार - सिंदुवार छिण्णमुत्तावलिप्पगासाइ सुर्यावियोगसहाइ' असूइ विणिम्मुयमाणी - विणिम्मुयमाणी एव वयासी –एस ण ग्रम्ह जमालिस्स खत्तियकुमारस्स बहूसु तिहीसु य पव्वणीसु य उस्सवेसु य जण्णेसु य छणेसु य ग्रपच्छिमे दरिसणे भविस्सतीति कट्टु ऊसीसगमूले ठवेति ।। १९० तण तस्स जमालिस्स खत्तियकुमारस्स ग्रम्मापियरो दोच्च पि उत्तरावक्क - मण सीहासण रावेति, रयावेत्ता जमालिस्स खत्तियकुमारस्स सेया' - पीयएहि कलसेहिं ण्हावेति, ण्हावेत्ता पम्हलसुकुमालाए सुरभीए गधकासाईए गायाइ लूहेति, लूहेत्ता सरसेण गोसीसचदणेण गायाइ प्रणुलिपति, अणुलिपित्ता नासा निस्सासवायवोज्झ चक्खुहर वण्ण-फरिसजुत्त' हयलालापेलवातिरेग धवल कंणगखचिततकम्म महरिह हसलक्खणपडसाडग परिहिंति, परिहित्ता हार पिणद्धेति, पिणद्धेत्ता प्रहार पिद्धति, पिणद्धेत्ता "एगावलि पिणद्धेति, पिणद्धेत्ता मुत्तावलि पिणद्धेति, पिणद्धेत्ता रयणावलि पिणद्धेति, पिणद्धेत्ता एव-ग्रगयाइ केयूराइ कडगाइ तुडियाइ कडि सुत्तग दसमुद्दाणतग विकच्छसुत्तग" मुरवि कठमुरवि पालव कुडलाइ चूडामणि " ० चित्त रयणसकडुक्कड मउड पिणद्धेति, किंबहुणा ? गथिम - वेढिम - पूरिम-सघातिमेण चउव्विहेण मल्लेण कप्परुक्खग पिव अलकिय - विभूसियं करेति ॥ १ स० पा०करयल जाव एव । २ चउप्फलाए ( ना० १।१।१२५) । ३. सुद्धवत्येण ( अ, स) 1 ४ O ° दूसहसहाइ (क, व, म) | ५ सीया ( अ, व, म, स ) । ६. ° सजुत्त ( अ ) । ७. पिणिहेति (ता, व ) । रूपिणहेति ( ब ) । ६. स० पा०—एव जहा सूरियाभस्स अलकारो तव जाव चित्त । १०. वच्छसुत्त ( भ० वृ० ), वेकच्हसुत्त (वृपा) । ११. वाचनान्तरे त्वयमलकारवर्णक साक्षात्लिखित एव दृश्यते (वृ) । १२ वाचनान्तरे पुनरिदमधिक 'दद्दरमलयसुगधिएहिं गायाइ भुकुडेति' त्ति व्यते (वृ) । Page #509 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४५० भगवई १६१ तए ण से जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिया कोडवियपुरिसे सद्दावेद, सद्दावेत्ता एव वयासी-खिप्पामेव भो देवाण प्पिया | अणेगखभसयसण्णिविटू, लीलट्रियसालभजियाग जहा रायप्पसेणइज्जे विमाणवण्णो जाव' मणिरयणघटियाजालपरिक्खित्त' पुरिससहस्सवाहिणि सीयं उववेह, उवट्टवेत्ता मम एयमाण त्तिय पच्चप्पिणह । तए ण ते कोडुवियपुरिसा जाव पच्चप्पिणति ।। १६२ तए ण से जमाली खत्तियकुमारे केसालकारेण, वत्थालकारेण, मल्लालकारेणं, आभरणालकारेण -चउव्विहेण अलकारेण अलकारिए समाणे पडिपुण्णालकारे सीहासणानो अब्भुटेइ, अभद्वेत्ता सीय अणुप्पदाहिणीकरेमाणे सीय दुरुहइ', दुरुहित्ता सीहासणवरसि पुरत्याभिमुहे सण्णिसण्णे ॥ १६३ तए ण तस्स जमालिस्स खत्तियकुमारस्स माता हाया कयवलिकम्मा जाव' अप्पमहग्घाभरणाल कियसरीरा हसलक्खण पडसाडग गहाय सीयं अणप्पदाहिणीकरेमाणी सीय दुरुहइ, दुरुहित्ता जमालिस्स खत्तियकुमारस्स दाहिणे पासे भद्दासणवरसि सण्णिसण्णा ॥ १६४. तए ण तस्स जमालिस्स खत्तियकुमारस्स अम्मधाती ण्हाया कयवलिकम्मा जाव अप्पमहग्घाभरणालकियसरीरा रयहरण पडिग्गह च गहाय सीयं अणुप्पदाहिणीकरेमाणी सीय दुरुहइ, दुरुहित्ता जमालिस्स खत्तियकुमारस्स वामे पासे भद्दासणवरंसि सण्णिसण्णा ।। १९५. तए ण तस्स जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिट्ठओ एगा वरतरुणी सिगारागार चारुवेसा सगय-गय- हसिय-भणिय-चेट्ठिय-विलास-सललिय-सलाव-निउणजुत्तोवयारकुसला सुदरथण-जघण-वयण-कर-चरण-नयण-लावण्ण-रूवजोव्वण-विलासकलिया' सरदव्भ-हिम-रयय-कुमुद-कु देदुप्पगासं सकोरेटमल्ल दाम धवल पायवत्त गहाय सलील 'योधरेमाणी-योधरेमाणी" चिति ।। १. राय० सू० १७॥ विद्यमानोस्ति, तेन नात्र युज्यते । वृत्तिकृतापि २. वाचनान्तरे पुनरय वर्णक साक्षादृश्यत एव उक्तपदानन्तरमसौ पाठ स्वीकृत , किन्तु (वृ)। एतस्मिन् स्वीकारे पाठस्य पुनरुक्तिर्जायते, ३ द्रुति (क, ता, ब)। यथा-'रूवजोव्वरणविलासकलिया' सुन्दरथ४ भ० ३।३३ । णजहणवयणकरचरणणयणलावण्णरूवजोव्व५. भ० ३।३३ । णगुणोववेय' त्ति सूचितम् (व), अस्माक ६ स० पा०-सगयगय जाव रूव। पाठानुसन्धानप्रयुक्ते प्रतिद्वये एप पाठो ७ विलासकलिया सुदरथण (अ, व, म, स), नास्ति । एषा वाचना सम्यक् प्रतीयते । एपु आदर्श' 'विलासकलिया' इति पदस्याने ८. x (अ, व, म, स)। 'मु दरथरण' इति सक्षिप्तपाठो विद्यते, किन्तु ६ उवघरेमाणीओ उवधरेमाणीप्रो (अ), उवरि एप पाठ 'विलासकलिया' इति पदस्यादौ घरेमाणीओ २ (स)। Page #510 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नवम सतं (तेत्तीस इमो उद्देसो) ४५१ १६६. तए ण तस्स जमालिस्स (खत्तियकुमारस्स ?) उभयो पासिं दुवे वरतरुणीओ सिगारागार चारुवेसानो सगय-गय-हसिय-भणिय-चेट्टिय-विलास-सललियसलाव-निउणजुत्तोवयारकुसलामो सुदरथण-जघण-वयण-कर-चरण-नयणलावण्ण-रूव-जोव्वण-विलास ° कलियायो नाणामणि-कणग-रयण-विमलमहरिहतवाणिज्जुज्जलविचित्तदडायो, चिल्लियारो, सखक-कद-दगरय-अमयमहिय-फेणपुजसण्णिकासाप्रो धवलानो चामराम्रो' गहाय सलील वीयमाणीयो वीयमाणीयो चिट्ठति ॥ १६७. तए ण तस्स जमालिस्स खत्तियकुमारस्स उत्तरपुरत्थिमे ण एगा वरतरुणी सिगारागार चारुवेसा सगय-गय-हसिय-भणिय-चेट्ठिय-विलास-सललिय-सलावनिउणजुत्तोवयारकुसला सुदरथण-जघण-वयण-कर-चरण-नयण-लावण्ण-रूवजोव्वण-विलास कलिया सेत रययामय विमलसलिलपुण्ण मत्तगयमहामुहा कितिसमाण भिंगार गहाय चिट्ठइ ।। १६८ तए णं तस्स जमालिस्स खत्तियकुमारस्स दाहिणपुरत्थिमे ण एगा वरतरुणी सिगारागार चारुवेसा सगय-गय-हसिय-भणिय-चेट्ठिय-विलास-सललिय-सलावनिउणजुत्तोवयारकुसला सुदरथण-जघण-वयण-कर-चरण-नयण-लावण्ण-रूव जोव्वण-विलास कलिया चित्तकणगदड तालवेट गहाय चिट्ठइ । १९६. तए ण तस्स जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिया कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ, सहा वेत्ता एव वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया | सरिसय सरित्तय सरिव्वय सरिसलावण्ण-रूव-जोव्वण-गुणोववेय, एगाभरणवसण-गहियनिज्जोय कोडु वियवरतरुणसहस्स सद्दावेह ।। २०० तए ण ते कोडुवियपुरिसा जाव' पडिसुणेत्ता खिप्पामेव सरिसय सरित्तय' °सरिव्वय सरिसलावण्ण-रूव-जोव्वण-गुणोववेय एगाभरणवसण-गहियनिज्जोय कोडुबियवरतरुणसहस्स ° सद्दावेति ।।। २०१ तए ण ते कोडुवियवरतरुणपुरिसा जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिउणा कोड वियपुरिसेहि सद्दाविया समाणा हट्ठतुट्टा ण्हाया कयवलिकम्मा कयकोउय-मगलपायच्छित्ता एगाभरणवसण-गहियनिज्जोया जेणेव जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिया तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता करयल परिग्गहिय दसनह सिरसावत्त १. स० पा०-सिंगारागार जाव कलिया। २. सेयवरचामरायो (क)। ३. स० पा०--सिंगारागार जाव कलिया। ४. स० पा०-सिंगारागार जाव कलिया। ५. एगारसभरण° (अ)। ६ भ० ६।१८५। ७ स० पा०—सरित्तय जाव सद्दावेति । ८ अस्मिन् पदे 'वरतरुण' इति पाठ नायाधम्म कहाओ (१।१।१४०) सूत्रानुसारेण स्वीकृत. । ६ स० पा०-करयल जाव वद्धोवेत्ता। Page #511 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई मत्थए जल कट्टु जएण विजएण वद्धावेति, • वद्धावेत्ता एव वयासी - सदिसतु ण देवाणुप्पिया । ज ग्रम्हेहि करणिज्ज || २०२ तए ण से जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिया त कोडुवियवरत रुणसहस्स' एव वयासी - तुभेण देवाणुप्पिया । व्हाया कय वलिकम्मा कयकोउय-मंगलपायच्छित्ता एगाभरणवसण - गहियनिज्जोया जमालिस्स खत्तियकुमारस्स सीय परिवह ॥ O २०३ तए ण ते कोडुवियवरत रुणपुरिसा जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिउणा एव वृत्ता समाणा जाव' पडिसुणेत्ता व्हाया जाव एगाभरणवसण गहियनिज्जोगा जमालिस खत्तियकुमारस्स सीय परिवहति ॥ २०४. तए ण तस्स जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पुरिससहस्सवाहिणि सीय दुरूढस्स समाणस्स तप्पढमयाए इमे अट्ठट्ठमगलगा पुरो ग्रहाणुपुव्वीए सपट्ठिया, तं जहा — सोत्थिय- सिरिवच्छं - णदियावत्त- वद्धमाणग-भद्दासण-कलस-मच्छ॰-दप्पणा । तदाणतर च ण पुण्णकलसभिगार', 'दिव्वा य छत्तपडागा सचामरा दंसण- रइयआलोय-दरिसणिज्जा, वाउय - विजयवेजयती य ऊसिया • गगणतल मणुलिहती पुरो ग्रहाणुपुवीए सपट्टिया । तदाणतर च णं वेरुलिय- भिसत - विमलदडं पलवकोरंटमल्लदामोव सोभियं चमडलणिभ समूसिय विमल प्रायवत्त, पवर सीहासण वरमणिरयणपाद- पीढ सपाउयाजोयसमाउत्त बहुकिंकर -कम्मकर- पुरिस- पायत्त परिक्खित्त पुरस्रो ग्राणुपुवीएसपट्टिय | तदाणतर च ण वहवे लट्ठिग्गाहा कुतग्गाहा चामरग्गाहा पासग्गाहा चावगाहा पोत्थयग्गाहा फलगग्गाहा पीढग्गाहा वीणग्गाहा कूवग्गाहा हडप्पग्गाहा पुरो ग्रहाणुपुब्बीएसपट्टिया । तदाणतर च ण वहवे दडिणो मुडिणो सिडिणो जडिणो पिछिणो हासकरा डमरकरा दवकरा चाडुकरा कदप्पिया कोक्कुइया किड्डुकरा य वायता य गायता य णच्चता य हसता य भासता य सासता य सावेता य रक्खता य० नालोय च करेमाणा जय-जय सद्द पउजमाणा पुरस्रो ग्रहाणुपुव्वीए सपट्टिया । ४५२ १. ० सहस्स पि ( अ, क, व, म, स ) । २ स० पा० कय जाव गहिय • 1 ३ भ० ६।१८५ । ४ भ० ६।२०१ । ५. स० पा० - सिरिवच्छ जाव दप्पणा | ६. स० पा० - जहा ओववाइए, जाव गगण ० , अनेन च यदुपात्त तद्वचनान्तरे साक्षादेवास्ति (वृ) । ७. स० पा० - एव जहा ओववाइए तहेव भाणि - यव्व जाव आलोय, एतच्च वाचनान्तरे प्राय साक्षाद्द्द्द्श्यत एव (वृ), वृत्तिकृता वाचनान्तरे अधिकपाठस्यापि सूचना कृतास्ति । Page #512 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नवम सत (तेत्तीस मो उद्देसो) ४५३ तदाणतर च ण बहवे उग्गा भोगा खत्तिया इक्खागा नाया कोरव्वा जहा श्रीववाइए जाव' महापुरिसवग्गुरापरिक्खित्ता जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पुरो यमग्गतोय पासो य अहाणुपुव्वीए सपट्टिया ॥ २०५ तए ण से जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिया पहाए कयबलिकम्मे' 'कयकोउयमगल-पायच्छित्ते सव्वालकार' विभूसिए हत्यिक्खधवरगए सकोरेटमल्लदामेण छत्तेण धरिज्जमाणेण सेयवरचामराहि उद्धव्वमाणीहि उद्धव्वमाणीहिं हय-गयरह-पवरजोहकलियाए चाउरगिणीए सेणाए सद्धि सपरिवुडे महयाभडचडगरविदपरिक्खित्ते' 'जमालि खत्तियकुमार " पिट्टओ अणुगच्छइ ॥ २०६ तए ण तस्स जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पुरनो मह ग्रासा आसवरा', उभयो पासि नागा नागवरा, पिट्ठओ रहा, रहसगेल्ली || २०७ तएण से जमाली खत्तियकुमारे प्रभुग्गतभिगारे, परिग्गहियतालियटे', ऊसवियसेतछत्ते, पवीइयसेतचामरबालवीयणीए, सव्विड्ढीए जाव' दुदहि- णिग्घोसणादितरवेण' खत्तियकुडग्गाम नयर मज्झमज्झेण जेणेव माहणकुडग्गामे नयरे, जेणेव बहुसालए चेइए, जेणेव समणे भगव महावीरे तेणेव पाहारेत्थ गमणाए । २०८. तए ण तस्स जमालिस्स खत्तियकुमारस्स खत्तियकुडग्गाम नयर मज्झमज्भेण निग्गच्छमाणस्स सिघाडग-तिय-चउक्क' - ० चच्चर - चउम्मुह - महापह पहेसु o हवे त्या "कामत्थिया भोगत्थिया लाभत्थिया किव्विसिया कारोडिया कारवाहिया सखिया चक्किया नगलिया मुहमगलिया वद्धमाणा पूसमाणया खडियगणा ताहि इट्ठाहि कताहि पियाहि मणुष्णाहिं मणामाहि मणाभिरामाहिं हिययगमणिज्जाहिं वग्गूहिं जयविजयमगलसएहि प्रणवरय अभिनदता य अभित्थुणता य एव वयासी - जय जय नदा | धम्मेण, जय-जय नदा । तवेण, जय १ ओ० सू० ५२ । २ स० पा० कयवलिकम्मे जाव विभूसिए । ३ ०गर जाव परिक्खित्ते ( अ, क, ता, ब, म, स) । ४. जमालिस खत्तियकुमारस्स ( अ, स ) । ५ आसवारा (वृपा) । ६. ० तालयटे (क, ता) | जाव पुत्थयग्गाहा जाव वीरणग्गाहा, तदारणतर चरण अट्ठसय गयाण, अट्ठसय तुरयाण, अट्ठसय रहाण, तदारणतर च ण लउड - असिकोहत्यारण बहूण पायत्ताणीण पुरओ सपट्ठिय तदाणतर च ग बहवे राईसर - तलवर जाव सत्यवाप्पभियओ पुरओ सपट्टिया ।' असो पाठ अत पूर्ववर्ती विद्यते । लिपिदोपेण प्रमादेन वा अत्र प्रवेश प्राप्त । प० बेचरदासमम्पादितभगवत्यामपि इत्यमेव अस्ति । स० पा० - चउक्क जाव पहेसु । स० पा० - जहा ओववाइए जाव अभिनदता ७. भ० ६ १८२ । तो 'अ, व, म, स' इति सकेतितेषु आदर्शेषु एतावान् अधिक पाठो लभ्यते— २ ' तदारणतरच ण बहवे लट्टिग्गाहा कुतग्गाहा १० Page #513 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ४५४ जय नदा | भद्द ते' अभग्गेहि नाण-दसण-चरित्तेहिमुत्तमेहि, अजियाइ जिणाहि इदियाइ, जि य पालेहि समणधम्म, जियविग्यो वि य वसाहि त देव! सिद्धि मज्झे, निहणाहि य रागदोसमल्ले तवेण धितिधणियवद्धकच्छे, मदाहि य अट्ट कम्मसत्त झाणेण उत्तमेण सुक्केण, अप्पमत्तो हराहि अाराहणपडाग च धीर । तेलोक्करगमझे, पावय वितिमिरमणुत्तर केवल च नाण, गच्छ य मोक्ख पर पद जिणवरोवदितॄण सिद्धिमग्गेण अकुडिलेण हता परीसहचमू अभिभविय गामकटकोवसग्गा ण, धम्मे ते अविग्घमत्थु त्ति कटु अभिनदति य अभिथुणति य॥ २०६ तए ण से जमाली खत्तियकुमारे नयणमालासहस्सेहि पेच्छिज्जमाणे-पेच्छिज्ज माणे ५०हिययमालासहस्सेहि अभिणदिज्जमाणे-अभिणदिज्जमाणे मणोरहमालासहस्से हि विच्छिप्पमाणे-विच्छिप्पमाणे वयणमालासहस्सेहि अभिथुव्वमाणेअभिथव्वमाणे कतिसोहगगुहि पत्थिज्जमाणे-पत्थिज्जमाणे वहण नरनारिसहस्साण दाहिणहत्येण अजलिमालासहस्साइ पडिच्छमाणे-पडिच्छमाणे मजुमजुणा घोसेण आपडिपुच्छमाणे-आपडिपुच्छमाणे भवणपतिसहस्साइ समइच्छमाणे-समइच्छमाणे खत्तियकुडग्गामे नयरे मज्झमझेण ° निग्गच्छइ,निग्गच्छित्ता जेणेव माहणकुडग्गामे नयरे जेणेव वहुसालए चेइए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता छत्तादीए तित्थगरातिसए पासइ, पासित्ता पुरिससहस्सवाहिणि सीय ठवेड, पुरिससहस्सवाहिणीनो सीयाग्रो पच्चोरुहइ ।। तए ण त जमालि खत्तियकुमार अम्मापिय रो पुरनो काउ जेणेव समणे भगव महावीरे तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता समण भगव महावीर तिक्खुत्तो •यायाहिण-पयाहिण करेति, करेत्ता वदति नमसति, वदित्ता नमसित्ता एवं वयासी-एव खलु भते । जमाली खत्तियकुमारे अम्ह एगे पुत्ते इट्टे कते °पिए मणणे मणामे थेज्जे वेसासिए समए वहुमए अणुमए भडकरडगसमाणे रयणे रयणभूए जीविऊसविए हिययनदिजणणे उवरपुप्फ पिव दुरलभे सवणयाए°, किमग! पुण पासणयाए ? से जहानामए उप्पले इ वा, पउमे इ वा जाव' सहस्सपत्ते इ वा पके जाए जले सवुडे नोवलिप्पति पकरएण, नोवलिप्पति जलरएण, एवामेव जमाली वि खत्तियकुमारे कामेहि जाए, भोगेहिं सवुड्ढे १. भवतादिति गम्यते (वृ)। ५. स० पा०-एव जहा ओववाइए कूणिओ २ अभिग्गहेहिं (म)। जाव निग्गच्छद। ३ चरित्तमुत्तमेहिं (अ, क, म, स), चरित्तमु- ६ स० पा०-तिवखुत्तो जाव नमसित्ता। त्तेहिं (ता)। ७ स० पा०—कते जाव किमग। ४. अभिभविया (अ, क, म), अभिभविता ८ ओ० सू० १५० । (ता); अभिसमिया (व)। २१० Page #514 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नवम सत ( तेत्तीस इमो उद्देसो) नोवलिप्पति कामरणं, नोवलिप्पति भोगरएण, नोवलिप्पति मित्त-णाइणियग-सयण-संबधि - परिजणेण । एस ण देवाणुप्पिया । ससारभयुव्विग्गे भीए जम्मण-मरणेणं, इच्छइ' देवाणु प्पियाण अंतिए मुडे भवित्ता अगाराम्रो श्रणगारियं पव्वत्तए' । त एय ण देवाणुप्पियाण ग्रम्हे सीसभिक्ख दलयामो, पडिच्छतु ण देवाणुप्पिया । सीसभिक्ख || 1 २११ 'तए ण समणे भगव महावीरे जमालि खत्तियकुमार एव वयासी" - ग्रहासुह देवाणु प्पिया ! मा पडिवध ॥ २१२. तण से जमाली खत्तियकुमारे समणेण भगवया महावीरेण एव वुत्ते समाणे तुट्ठे समण भगव महावीर तिक्खुत्तों श्रायाहिण-पयाहिण करेइ, करेत्ता वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता उत्तरपुरत्थिम दिसिभाग प्रवक्कमइ, वक्कमित्ता सयमेव ग्राभरण - मल्लालकार प्रमुयइ ॥ २१३ तएण सा जमालिस्स खत्तियकुमारस्स माया हसलक्खणेण पडसाडएण आभरणमल्लालकार पडिच्छइ, पडिच्छित्ता हार- वारिधार - सिदुवार छिन्नमुत्तावलि - प्पग्गासा प्रसूणि विणिम्मुयमाणी - विणिम्मुयमाणी जमालि खत्तियकुमार एव वयासी - 'जइयव्व जाया | घडियव्व" जाया I परक्कमियव्व जाया अस्ति च ण ग्रट्टे णो पमाएतव्व ति कट्टु जमालिस्स खत्तियकुमारस्स ग्रम्मापियरो समण भगव महावीर वदति नमसति, वदित्ता नमसित्ता जामेव दिस पाउन्भूया तामेव दिस पडिगया || I ४५५ २१४ तए ण से जमाली खत्तियकुमारे सयमेव पचमुट्ठिय लोय करेइ, करेत्ता जेणेव समणे भगव महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समण भगव महावीर तिक्खुत्तो याहिण -पयाहिण करेइ, करेत्ता वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता एव वयासी — ग्रालित्ते ण भते । लोए, पलित्ते ण भते । लोए, प्रालित्तपलित्ते ण भते । लोए जराए मरणेण य । ३ X ( अ, क, ब, म) । ४ स० पा० - तिक्खुत्तो जाव नमसित्ता । १. X ( अ, क, ता, व, म, स ) । २. पव्वतेति ( अ ), पव्वयति ( क ), पव्वतइ (ता), पव्वतिति (व), पव्वतित (म ), पव्वतिते (स) अत्र 'इच्छा, पव्वइत्तए' एते द्वे अपि पदे नायाधम्मक हाओ ( १ । १ । १४५) सूत्रस्याधारेण स्वीकृते स्त । सर्वेषु अपि आदर्शेषु लिपिदोपेण पाठपरिवर्तन जातम् । तन्मध्यवर्तिपाठाना नहि कश्चिदर्थोवगम्यते । ७ स० पा० एव जहा उसभदत्तो तहेव पव्वइओनवर पर्चाहि पुरिससएहिं सद्धि तहेव जाव । ५ ६ स० पा० - वारि जाव विणिम्मुयमाणी । घडियव्व जाया जश्यव्व ( अ, क, ता, ब, म,स) । 1 Page #515 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४५६ भगवई से जहानामए के गाहावई अगारसि भियायमाणसि जे से तत्थ भडे भवड ग्रप्पभारे मोल्लगरुए, त गहाय आयाए एगतमत श्रवक्कमइ । एस मे नित्थारिए समाणे पच्छा पुरा य हियाए सुहाए खमाए निस्सेयसाए ग्राणुगामियत्ताए भविस्सइ । एवामेव देवाणुप्पिया | मज्झ वि श्राया एगे भडे इट्ठे कते पिए मणुण्णे मणामे थेज्जे वेस्सासिए सम्मए बहुमए ग्रणुमए भडकरडगसमाणे, माण सीय, माण उन्ह, मा ण खुहा, माण पिवासा, मा ण चोरा, माण वाला, मा ण दसा, माण मसया, माण वाइय - पित्तिय-सेभिय-सन्निवाइय विविहा रोगायका परीस होवसग्गा फुसतु त्ति कट्टु एस मे नित्थारिए समाणे परलोयस्स हियाए सुहाए खमाए नीसेसाए ग्राणुगामियत्ताए भविस्सइ । त इच्छामिण देवाणुप्पिया । सयमेव पव्वाविय, सयमेव मुडाविय, सयमेव सेहाविय, सयमेव सिक्खाविय, सयमेव ग्रायार - गोयर विणय - वेणइय चरणकरण-जायामायावत्तिय धम्ममाइक्खिय ॥ २१५ तर ण समणे भगव महावीरे जमालि खत्तियकुमार पर्चाह पुरिससएहि सद्धि सयमेव पव्वावेइ° जाव' सामाइयमाइयाइ एक्कारस अगाइ अहिज्जर, ग्रहिज्जित्ता वहूहि चउत्थ छट्ठट्ठम' - दसम दुवालसेहि० मासद्ध-मासखमणेह विचितेहि तवोकम्मेहिं ग्रप्पाण भावेमाणे विहरइ ॥ २१६ तए ण से जमाली अणगारे अण्णया कयाइ जेणेव समणे भगव महावीरे तेणेव उवागच्छङ, उवागच्छित्ता समण भगव महावीर वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता एव वयासी—इच्छामि ण भते । तुभेहि ग्रव्भणुण्णाए समाणे पर्चाहि अणगारसहि सद्धि वहिया जणवयविहार विहरित्तए || २१७. तए ण समणे भगव महावीरे जमालिस्स अणगारस्स एयमट्ठ नो ग्राढाइ, नो परिजागड, तुसिणीए सचिट्ठइ || २१८ तए ण से जमाली अणगारे समण भगव महावीर दोच्च पि तच्च पि एव वयासी - इच्छामि ण भते । तुभेहि प्रव्भणुण्णाए समाणे पचहि अणगारसएहि सद्धि' 'वहिया जणवयविहार • विहरित्तए ॥ o २१६. तए ण समणे भगव महावीरे जमालिस्स प्रणगारस्स दोच्चं पि, तच्वं पि एयमट्ठ नो आढाई', 'नो परिजाणइ, तुसिणीए सचिट्ठइ । २२०. तए ण से जमाली अणगारे समण भगव महावीर वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता समणस्स भगवन महावीरस्स अंतिया बहुसालाम्रो चेइयाश्रो १. भ० २।५३५७ । २ न० पा० - ट्टट्ठम जाव मासद्ध । ३. स० पा० सहि जाव विहरितए । ४. स० पा०—आढाइ जाव तुसिणीए । Page #516 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नवम सत (तेत्तीसइमो उद्देसी) ४५७ पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता पर्चाह अणगारसएहि सद्धि बहिया जणवय विहार विहरइ॥ २२१ तेण कालेण तेण समएण सावत्थी नाम नयरी होत्था-वण्णओ', कोदए चेइए-वण्णो जाव' वणसडस्स । तेण कालेण तेण समएण चपा नाम नयरी होत्था-वण्णओ' । पुण्णभद्दे चेइए-वण्णओ जाव पुढविसिलापट्टयो । २२२ तए ण से जमाली अणगारे अण्णया कयाइ पचहि अणगारसएहि सद्धि सपरिवुडे पुवाणुपुद्वि चरमाणे गामाणुग्गाम दुइज्जमाणे जेणेव सावत्थी नयरी जेणेव कोट्ठए चेइए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता अहापडिरूव प्रोग्गह रोगिण्हइ, ओगिण्हित्ता सजमेण तवसा अप्पाण भावेमाणे विहरइ ॥ २२३. तए ण समणे भगव महावीरे अण्णया कयाइ पुव्वाणुपुग्वि चरमाणे 'गामाणु ग्गाम दूइज्जमाणे ° सहसहेण विहरमाणे जेणेव चपा नयरी जेणेव पुण्णभद्दे चेइए तेणेव उवागच्छड, उवागच्छित्ता अहापडिरूवं प्रोग्गहं प्रोगिण्हइ, अोगिण्हित्ता सजमेण तवसा अप्पाण भावेमाणे विहरइ ।। २२४ तए ण तस्स जमालिस्स अणगारस्स तेहि 'अरसेहि य', विरसेहि य अतेहि य, पतेहि य, लू हेहि य, तुच्छेहि य, कालाइक्कतेहि य, पमाणाइक्कतेहि य पाणभोयणेहि अण्णया कयाइ सरीरगसि विउले रोगातके पाउन्भूए-उज्जले विउले पगाढे कक्कसे कडुए चडे दुवखे दुग्गे तिव्वे दुरहियासे। पित्तज्जरपरि गतसरीरे, दाहवक्कतिए या वि विहरइ ॥ २२५ तए ण से जमाली अणगारे वेयणाए अभिभूए समाणे समणे निग्गथे सहावेइ, सद्दावेत्ता एव वयासी-तुम्भे ण देवाणुप्पिया । मम सेज्जा-सथारग सथरह ।। २२६. तए ण ते समणा निग्गथा जमालिस्स अणगारस्स एतमट्ठ विणएण पडिसुणेति, पडिसुणेत्ता जमालिस्स अणगारस्स सेज्जा-सथारग सथरति ॥ २२७ तए ण से जमाली अणगारे बलियतर वेदणाए अभिभूए समाणे दोच्च पि समणे निग्गथे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एव वयासी-मम" ण देवाणुप्पिया | सेज्जासथारए किं कडे ? कज्जइ ? तते ण ते समणा निग्गथा जमालि अणगार एव वयासी-नो खलु देवाणुप्पियाण सेज्जा-सथारए कडे, कज्जइ ।। १. ओ० सू० १। ७. य सीओएहि य (अ), य सीएहिं (ब), य २ ओ० सू० २-१३ । ___ सीतेहि य (स)। ३ ओ० सू० १। ८. वितुले (ब, म), तिउले (स, वृ), विउले ४. मो० सू० २-१३ । (वृपा)। ५ स० पा०-चरमाणे जाव सुहसुहेण । ६ दाहवुक्कतिए (ब)। ६ अरसेहिं या (क, ता, ब) सर्वत्र । १०. मम (अ, स)। Page #517 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ४५८ २२८ तए ण तस्स जमालिस्स अणगारस्स प्रथमेयास्वे प्रभत्थिए' चितिए पत्थिए मोग सकप्पे • समुप्पज्जित्था - जण्ण समणे भगव महावीरे एवमाइक्खइ जाव' एव परूवेइ – एव खलु चलमाणे चलिए, उदीरिज्जमाणे उदीरिए', • वेदिज्जमाणे वेदिए, पहिज्जमाणे पहीणे, छिज्जमाणे छिण्णे, भिज्जमाणे भिण्णे, दज्झमाणे दड्ढे, मिज्जमाणे मए, निज्जरिज्जमाणे निज्जिण्णे, तण्ण मिच्छा । इम च ण पच्चवखमेव दीसइ सेज्जा-सथारए कज्जमाणे कडे, सथरिज्जमाणे प्रसथरिए । जम्हा ण सेज्जा-सथारए कज्जमाणे अकडे, सथरिज्जमाणे प्रसथरिए । तम्हा चलमाणे वि चलिए जाव निज्जरिज्जमाणे वि प्रनिज्जिण्णे–एव सपेहेइ, सपेहेत्ता समणे निग्गथे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एव वयासी– जण्ण देवाणुप्पिया ! समणे भगव महावीरे एवमाइक्खइ जाव परूवेइ - एव खलु चलमाणे चलिए जाव निज्जरिज्जमाणे निज्जिण्णे, तण्ण मिच्छा । इम च ण पच्चवखमेव दीसइ सेज्जा-सथारए कज्जमाणे कडे, सथरज्जमाणे असथरिए । जम्हा ण सेज्जा - सथारए कज्जमाणे प्रकडे, सथरिज्जमाणे असथरिए । तम्हा चलमाणे वि प्रचलिए जाव निज्जरिज्जमाणे विनिज्जिणे || o २२६. तए ण तस्स जमालिस्स अणगारस्स एवमाइक्खमाणस्स जाव परूवेमाणस्स गतिया समणा निग्गथा एयमट्ठ सद्दहति पत्तियति रोयति, अत्येगतिया समणा निग्गथा एयमट्ठ नो सद्दहति नो पत्तियति नो रोयति । तत्थ ण जे ते समणा निग्गथा जमालिस्स अणगारस्स एयमट्ठ सद्दहति पत्तियति रोयति, ते ण जमालि चेव अणगार उवसपज्जित्ता ण विहरति । तत्थ ण जे ते समणा निग्गथा जमालिस्स अणगारस्स एयमट्ठ नो सद्दहति नो पत्तियति नो रोयति, ते ण जमालिस ग्रणगारस्स प्रतियायो कोट्ठगाओ चेइयाओ पडिनिवखमति, पडिनिवखमित्ता पुव्वाणुपुव्वि चरमाणा गामाणुरगाम दूइज्जमाणा जेणेव चपा नयरी, जेणेव पुण्णभद्दे चेइए, जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता समण भगव महावीर तिवखुत्तो प्रायाहिण-पयाहिण करेति, करेत्ता वदति नमसति, वदित्ता नमसित्ता समण भगव महावीरं उवसपज्जित्ता ण विहरति ॥ २३०. तए ण से जमाली अणगारे अण्णया कयाइ' ताओ रोगायका विप्पमुक्के हट्टे जाए, रोए वलियसरीरे सावत्थीओो नयरीओ कोट्टगाओ चेइयाओ १. स० पा० - अज्झत्थिए जाव समुप्पज्जित्था । २ भ० १।४२० । ३ स० पा०—उदीरिए जाव निज्जरिज्जमागे । ४ ५ स० पा०—त चेव जाव | कयाति ( अ, व, स ), कदायी (ता) । Page #518 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४५६ नवमं सत (तेत्तीस इमो उद्देसो) पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता पुव्वाणु पुन्वि' चरमाणे, गामाणुग्गाम दूइज्जमाणे जेणेव चपा नयरी, जेणेव पुण्णभद्दे चेइए, जेणेव' समणे भगव महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणस्स भगवो महावीरस्स अदूरसामते ठिच्चा समण भगव महावीर एव वयासी-जहा ण देवाणुप्पियाण बहवे अतेवासी समणा निग्गथा छउमत्थावक्कमणेण' अवक्कता, नो खलु अह तहा छउमत्थावक्कमणेण' अवक्कते, अह ण उप्पन्ननाण-दसणधरे अरहा जिणे केवली भवित्ता केवलिअवक्कमणेण अवक्कते ।। २३१. तए ण भगव गोयमे जमालि अणगार एव वयासी-नो खलु जमाली । केव लिस्स नाणे वा दसणे वा सेलसि वा 'थभसि वा" थूभसि वा आवरिज्जइ वा निवारिज्जइ वा, जदि ण तुम जमाली । उप्पन्ननाण-दसणधरे अरहा जिणे केवलि भवित्ता केवलिप्रवक्कमणेण अवक्कते, तो ण इमाइ दो वागरणाइ वागरेहि-सासए लोए जमाली । असासए लोए जमाली ? सासए जीवे जमाली | असासए जीवे जमाली ? २३२. तए ण से जमाली अणगारे भगवया गोयमेण एव वुत्ते समाणे सकिए कखिए 'वितिगिच्छिए भेदसमावण्णे कलुससमावण्णे जाए या वि होत्था, नो सचाएति भगवनो गोयमस्स किचि वि पमोक्खमाइक्खित्तए, तुसिणीए सचिट्टइ। २३३ जमालीति | समणे भगव महावीरे जमालि अणगार एव वयासी-अत्थि ण जमालो ! मम वहवे अतेवासी समणा निग्गथा छउमत्था, जे ण पभू एय वागरण वागरित्तए, जहा ण अह, नो चेव' ण एतप्पगार भास भासित्तए, जहा ण तुम। सासए लोए जमाली ! ज न कयाइ नासि, न कयाइ न भवइ, न कयाइ न भविस्सइ-भुवि च, भवइ य, भविस्सइ य–धुवे, नितिए सासए, अक्खए, अव्वए, अवदिए निच्चे। असासए लोए जमाली | ज प्रोसप्पिणी भवित्ता उस्सप्पिणी भवइ, उस्सप्पिणी भवित्ता प्रोसप्पिणी भवइ । सासए जीवे जमाली | ज न कयाइ नासि', 'न कयाइ न भवइ, न कयाइ न भविस्सइ-भुवि च, भवइ य, भविस्सइ य-धुवे, नितिए, सासए, अक्खए, अव्वए, अवट्ठिए निच्चे। १ छउमत्था भवेत्ता छउमत्था ० (अ, क, म, स) ५ च्चेव (ता) । २ छउमत्था भवेत्ता उमत्था ० (अ, क, म, स) ६ X (क, ता)। ३ X (अ, ब, म)। ७ स० पा०-नासि जाव निच्चे। ४. स० पा०-कखिए जाव कलुस । Page #519 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई सासए जीवे जमाली ! जण्ण नेरइए भवित्ता तिरिक्खजोणिए भवइ, तिरिक्खजोणिए भवित्ता मणुस्से भवइ, मणुस्से भवित्ता देवे भव || २३४ तए ण से जमाली अणगारे समणस्स भगवो महावीरस्स एवमाइक्खमाणस्स जाव' एव परूवेमाणस्स एतमट्ठ नो सद्दहइ नो पत्तियइ नो रोएड, एतमट्ठ ग्रसहमाणे अपत्तियमाणे ग्ररोएमाणे दोच्च पि समणस्स भगवग्रो महावीरस्स प्रतियाग्रो प्रायाए अवक्कमइ, श्रवक्कमित्ता वहूहिं ग्रसन्भावुभावणाहिं भिच्छत्ताभिणिवेसेहि य अप्पाण च पर च तदुभय च वुग्गाहेमाणे वुप्पाएमाणे वहूइ वासाइ सामण्णपरियाग पाउणइ, पाउणित्ता श्रद्धमासियाए सलेहणाए प्रत्ताण भूसेइ, भूसेत्ता तीस भत्ताइ ग्रणसणाए छेदेइ, छेदेत्ता तस्स ठाणस्स प्रणाली - यपडिक्कते कालमासे काल किच्चा लतए कप्पे तेरससागरोवमठितीएसु देवव्विसिसु देवे देवकिव्विसियत्ताए उववन्ते ॥ ४६० २३५. तए ण भगव गोयमे जमालि अणगार कालगय जाणित्ता जेणेव समणे भगव महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समण भगव महावीर वदइ नमसइ, वदित्ता नमसिता एव वयासी - एव खलु देवाणुप्पियाण ग्रतेवासी कुसिस्से जमाली नाम अणगारे से ण भते ! जमालो अणगारे कालमासे काल किच्चा कहि गए ? कहि उववन्ने ? गोयमादी ! समणे भगव महावीरे भगव गोयम एव वयासी - एवं खलु गोयमा | मम अतेवासी कुसिस्से जमाली नाम अणगारे, से ण तदा मम एवमाइक्खमाणस्स एव भासमाणस्स एव पण्णवेमाणस्स एव परूवेमाणस्स एतमट्ठ नो सद्दहइ नो पत्तियइ नो रोएइ, एतमट्ठ प्रसद्दहमाणे ग्रपत्तियमाणे अरोपमाणे, दोच्च पि मम अतिया श्रायाए ग्रवक्कमइ, ग्रवक्कमित्ता बहूहिं असव्भावुव्भावणाहिं “मिच्छत्ताभिणिवेसेहि य अप्पाण च पर च तदुभय च बुग्गाहेमाणे वुप्पाएमाणे बहूइ वासाइ सामण्णपरियाग पाउणित्ता, श्रद्धमासियाए सलेहणाए प्रत्ताण भूसेत्ता, तीस भत्ताइ अणसणाए छेदेत्ता तस्स ठाणस्स अणालोइयपडिक्कते कालमासे काल किच्चा लतए कप्पे तेरससागरोवमठितीएसु देवकिव्विसिसु देवेसु देवकिव्विसियत्ताए उववन्ने || २३६. कतिविहा ण भते । देवकिव्विसिया पण्णत्ता ? ० गोयमा । तिविहा देवकिव्विसिया पण्णत्ता, त जहा - तिपलिप्रोवमट्ठिइया, तिसाग रोवमट्टिइया, तेरससाग रोवमट्टिइया ॥ २३७. कहि ण भते । तिपलिप्रोवमट्टिइया देवकिव्विसिया परिवसति ? १. भ० १/४२० । २ द्वाणस्स (ता, म, स ) 1 ३ स० पा०त चेव जाव देव ० } o Page #520 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २४० नवम सतं (तेतीसइमो उद्देसो) ४६१ गोयमा | उप्पि जोइसियाण, हिट्ठि' सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु, एत्थ ण तिपलियो वमट्टिइया देवकिव्विसिया परिवसति ।। २३८ कहिं ण भते । तिसागरोवमद्विइया देवकिग्विसिया परिवसति ? गोयमा । उप्पि सोहम्मीसाणाण कप्पाण, हिट्ठि सणकुमार-माहिदेसु कप्पेसु, एत्थ ण तिसागरोवमट्रिइया देवकिदिवसिया परिवसति ।। २३६. कहिं ण भते । तेरससागरोवमटिडया देवकिदिवसिया परिवसति ? गोयमा । उप्पि बभलोगस्स कप्पस्स, हिट्टि लतए कप्पे, एत्थ ण तेरससागरोवमद्विइया देवकिव्विसिया देवा परिवसति ।। देवकिदिवसिया ण भते । केसु कम्मादाणेसु देवकिदिवसियत्ताए उववत्तारो भवति ? गोयमा । जे इमे जीवा अायरियपडिणीया, उवज्झायपडिणीया, कुलपडिणीया, गणपडिणीया, सघपडिणीया, पायरिय-उवज्झायाण अयसकारा' अवण्णकारा अकित्तिकारा वहूहिं असम्भावुन्भावणाहि, मिच्छत्ताभिनिवेसेहि य अप्पाण पर च तदुभय च बुग्गाहेमाणा वुप्पाएमाणा बहूइ वासाइ सामण्णपरियाग पाउणति, पाउणित्ता तस्स ठाणस्स प्रणालोइयपडिक्कता कालमासे काल किच्चा अण्णयरेसु देवकिदिवसिएसू देवकिग्विसियत्ताए उववत्तारो भवति, त जहा-तिपलिग्रोवमट्ठितिएसु वा, तिसागरोवमट्ठितिएसु वा, तेरससागरोवमट्ठितिएसु वा।। २४१ देवकिदिवसिया ण भते । तारो देवलोगानो ग्राउक्खएण, 'भवक्खएण, ठिति क्खएण' अणतर चय चइत्ता कहिं गच्छति ? कहि उववज्जति ? गोयमा | जाव चत्तारि पच नेरइय-तिरिक्खजोणिय-मणुस्स-देवभवग्गहणाइ ससार अणुपरियद्वित्ता तो पच्छा सिझति बुज्झति' 'मुच्चति परिणिव्वायति सव्वदुक्खाण° अत करेति, अत्यंगतिया अणादीय अणवदग्ग दीहमद्ध चाउरत ससारकतार अणुपरियति ।। २४२ जमाली ण भते । अणगारे अरसाहारे विरसाहारे अताहारे पताहारे लहाहारे तुच्छाहारे अरसजीवी विरसजीवी' 'प्रतजीवी पतजीवी लूहजीवी तुच्छजीवी उवसतजीवी पसतजीवी विवित्तजीवी ? हता गोयमा । जमाली ण अणगारे अरसाहारे विरसाहारे जाव विवित्तजीवी।। २४३ जति ण भते | जमाली अणगारे अरसाहारे विरसाहारे जाव' विवित्तजीवी ४ स० पा०-बुज्झति जाव अत । २ °करा (अ, स), सर्वत्र, अयसकारगा (वृ)। ५ स० पा०—विरसजीवी जाव तुच्छजीवी । ३ ठितिक्खएण भवक्खएण (ता)। Page #521 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४६२ भगवई कम्हा ण भते ! जमाली अणगारे कालमासे काल किच्चा लंतए कप्पे तेरससागरोवमट्ठितिएसु देवकिदिवसिएसु देवेसु देवकिग्विसियत्ताए उववन्ने ? गोयमा । जमाली ण अणगारे प्रायरियपडिणीए, उवज्झायपडिणीए, पायरियउवज्झायाण अयसकारए अवण्णकारए' 'अकित्तिकारए वहूहि असम्भावुभावणाहिं, मिच्छत्ताभिनिवेसेहि य अप्पाण पर च तदुभय च बुग्गाहेमाणे वुप्पाएमाणे वहूइ वासाइ सामण्णपरियाग पाउणित्ता, अद्धमासियाए सलेहणाए तीस भत्ताइ अणसणाए छेदेत्ता तस्स ठाणस्स प्रणालोइयपडिक्कते कालमासे काल किच्चा लतए कप्पे' 'तेरससागरोवमट्ठितिएसु देवकिदिबसिएमु देवेसु देवकिदिवसियत्ताए° उववन्ने । २४४ जमाली ण भते ! देवे तारो देवलोगायो ग्राउक्खएण' 'भवक्खएण ठिइक्खएण अणंतर चय चइत्ता कहिं गच्छिहिति ? ° कहि उववज्जिहिति ? गोयमा ! चत्तारि पच तिरिक्खजोणिय-मणुस्स-देवभवग्गहणाइ ससारं अणुपरियट्टित्ता तो पच्छा,सिज्झिहिति' 'वुज्झिहिति मुच्चिहिति परिणिव्वाहिति सव्वदुक्खाण ° अंत काहिति ।। २४५. सेव भते । सेव भते ! त्ति ॥ चोत्तीसइमो उद्देसो एगस्स वधे अणेगवध-पद २४६. तेण कालेण तेण समएण रायगिहे जाव' एवं वयासी-पुरिसे ण भते । परिस हणमाणे किं पुरिस हणइ ? नोपुरिसे हणइ ? । गोयमा | पुरिस पि हणइ, नोपुरिसे वि हणइ ।। २४७ से केणटेण भते ! एव वुच्चइ—पुरिस पि हणइ, नोपुरिसे वि हणइ ? १. सं० पा०—अवण्णकारए जाव वुप्पाएमाणे। ५ भ० ११५१ । २ स० पा०-कप्पे जाव उववन्ने । ६ भ० १।४-१० । ३ स० पा०-आउक्खएण जाव कहिं । ७ छणइ (वृपा)। ४. सं० पा०-सिज्झिहिति जाव अतं । Page #522 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नवमं सत (चोत्तीसइमो उद्देसो) ४६३ गोयमा । तस्स ण एव भवइ - एव खलु ग्रह एग पुरिस हणामि, से ण एग से तेणट्टेण गोयमा ! एव वुच्चइ पुरिस हणमाणे 'अणेगे जीवे" हणइ । पुरिस पहइ, नोपुरिसे वि हणइ ॥ २४८. पुरिसे ण भते । ग्रास हणमाणे कि आस हणइ ? नोमासे' हणइ ? गोयमा । ग्रास पि हणइ, नोमासे वि हणइ ॥ सेकेट्टे ? अट्ठो तहेव । एव हत्थि, सीह, वग्घ जाव' चिल्ललगरौं । इसिस्स वधे प्रणतवध पद २४. पुरिसे ण भते ? इसि हणमाणे किं इसि हणइ गोयमा । इसि पि हणइ, नोइसि पि हणइ ॥ २५० से केणट्टेण भते ? एव वच्चइ' – इसि पि हणइ, ° नोइसि पि हणइ ? गोमा । तस्स ण एव भवइ - एव खलु ग्रह एग इसि हणामि, सेण एग इसिं हणमाणे 'प्रणते जीवे" हणइ । से तेणट्टेण गोयमा । एव वुच्चइ – इसि पि इ, नोइसि पि हणइ° ॥ -बंध-पद २५१. पुरिसेण भते । पुरिस हणमाणे किं पुरिसवेरेण पुट्ठे ? 'नोपुरिसवेरेण पुढे ?" गोयमा । नियम - ताव पुरिसवेरेण पुट्ठे, ग्रहवा पुरिसवेरेण य नोपुरिसवेरेण य १. अरोगा जीवा ( अ, क, ता, म, स) । २ नोआस (व), नोआसे वि (म) । ? नोइसि हणइ ? २. ५०१ । ४ चित्तलग (व), अतोग्रे 'क, ता, वृ' एषु 'एते सव्वे इक्कगमा' इति पाठोस्ति, 'अ, व, म, स' – एतेषु आदर्शेषु 'चिल्ललग इति पाठानन्तर एष पाठोस्ति 'पुरिसे ण भते । अण्णयर तस पारण हरणमा किं अण्गयर तस पाण हणइ, नोअण्णतरे तसे पाहण २ गोयमा 1 अण्णयर पि तस पारण हणइ, नोअण्णतरे वि तसे पाणे इ | सेकेणट्टे भ एव वुच्चइ– अण्णरपि तस पाण, हणइ नोअण्णयरे वि तसे पारणे हरणइ ? गोयमा । तस्स रण एव भवइ - एव खलु अह एग अण्णयर तस पाहणामि, से रण एग अण्णयर तस पाण हरणमाणे अगेगे जीवे हणइ । से तेणट्टेण गोमा त चेव । एए सव्वे वि एक्कगमा' | वृत्तावपि नासौयाख्यात, अतोस्माभिरसो पाठान्तरत्वेन स्वीकृत | ५ स० पा० – वुच्चइ जाव नोइसि । ६ अणता जीवा ( अ, क, ता, व, म) । ७ स० पा० - निक्खेवो । ८. X ( ता ) । Page #523 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४६४ भगवई पुढे, अहवा पुरिसवेरेण य नोपुरिसवेरेहि य पुढे । एव पास जाव चिल्ललगं जाव अहवा चिल्ललगवेरेण' य नोचिल्ललगवेरेहि य पुढे ।। २५२ पुरिसे ण भते । इसि हणमाणे किं इसिवेरेण पुढे ? नोइसिवेरेण पुढे ? गोयमा । नियम' इसिवेरेण य' नोइसिवेरेहि य पुढे ॥ पुढविक्काइयादीणं प्राण-पाण-पदं २५३ पुढविक्काइए ण भते । पुढविक्काय चेव आणमइ वा ? पाणमइ वा ? ऊससइ वा? नीससइ वा ? हता गोयमा | पुढविक्काइए पुढविक्काइय चेव प्राणमइ वा जाव नीससइ वा ॥ २५४. पुढविक्काइए ण भते । आउक्काइय आणमइ वा जाव नीससइ वा ? हता गोयमा | पुढविक्काइए ण आउक्काइयं प्राणमइ वा जाव नीससइ वा । एव तेउक्काइय, वाउक्काइय, एव वणस्सइकाइय ।। २५५ आउक्काइए ण भते । पुढविक्काइय प्राणमइ वा जाव नीससइ वा ? हता गोयमा । आउक्काइए ण पुढविक्काइय आणमइ वा जाव नीससइ वा ॥ २५६ आउक्काइए ण भते । आउक्काइय चेव आणमइ वा ? एवं चेव । एव तेउ-वाउ-वणस्सइकाइय ॥ २५७ तेउक्काइए ण भते । पुढविक्काइय आणमइ वा ? एव जाव वणस्सइकाइए णं भते । वणस्सइकाइय चेव आणमइ वा ? तहेव ।। किरिया-पदं २५८ पुढविक्काइए ण भते | पुढविक्काइय चेव प्राणममाणे वा, पाणममाणे वा ऊससमाणे वा, नीससमाणे वा कतिकिरिए ? गोयमा । सिय तिकिरिए, सिय चउकिरिए, सिय पचकिरिए । २५६ पुढविक्काइए ण भते । आउक्काइय आणममाणे वा ? एव चेव । एव जाव वणस्सइकाइय । एव अाउक्काएण वि सव्वे भाणियव्वा । एव तेउक्काइएण वि, एव वाउक्काइएण वि जाव १ चित्तला° (ब); चिल्लला° (म)। एव ()। २ नियम ताव (क); नितम (ब)। ४. स० पा०-एव चेव । ३ य जाव (ता), एतत् सम्यक्नास्ति । ऋषि- ५. सव्वे वि (ता, स)। पक्षे तु ऋपिवरेण नो नोऋपिवैरैश्चेत्येवमेक Page #524 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४६५ नवम सत (चोत्तीसइमो उद्देसो) २६०. वणस्सइकाइए ण भते | वणस्सइकाइय चेव प्राणममाणे वा-पुच्छा ? गोयमा । सिय तिकिरिए, सिय चउकिरिए, सिय पचकिरिए । २६१. वाउक्काइए ण भते । रुक्खस्स मूल 'पचालेमाणे वा" पवाडेमाणे वा कति किरिए ? गोयमा । सिय तिकिरिए, सिय चउकिरिए, सिय पचकिरिए। एव कद, एव जाव'२६२ वीय पचालेमाणे वा-पुच्छा ? गोयमा । सिय तिकिरिए, सिय चउकिरिए, सिय पचकिरिए। २६३. सेव भते । सेव भते । त्ति' ॥ १ ४ (क)। २ भ० ८।२१६। ३ भ० ११५१ । Page #525 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संग्रहणी - गाहा दसमं सतं पढमो उद्देसो १. दिस २ सवुडप्रणगारे', ३ ग्राइड्ढी ४ सामहत्थि ५ देवि ६ सभा | ७-३४ उत्तरअतरदीवा, दसमम्मि सम्मि चउत्तीसा ॥१॥ दिसा - पद ९. रायगिहे जाव' एव वयासी - किमिय भते ! ' पाईणा ति" पवुच्चइ ? गोयमा । जीवा चेव, अजीवा चेव ॥ ? २. किमिय भते । पडीणा ति गोयमा ! एव चेव । एव ३ कति णं भते । दिसा गोयमा । दस दिसा पण्णत्ताओ, त जहा - १. पुरत्थिमा २. पुरत्थिमदाहिना ३. दाहिणा ४ दाहिणपच्चत्थिमा ५ पच्चत्थिमा ६. पच्चत्थिमुत्तरा ७. उत्तरा ८. उत्तरपुरत्थिमा ६. उड्ढा १० अहो ॥ १ सवुडमागारे ( अ, क, व, म) । २ आयड्ढी ( अ, स ) | ३ रायगिवे (ता) | ४ भ० १४-१० 1 पवुच्चइ दाहिणा, एव उदीणा, एव उड्ढा, एव ग्रहो' वि ॥ पण्णत्ताओ ? ४ एयासि ण भते ! दसण्हं दिसाण कति नामधेज्जा पण्णत्ता ? गोयमा । दस नामधेज्जा पण्णत्ता, त जहा ५ पाईणत्ति (क, स ) ; पादीणा ति ( ता ) । ६ (ता) । अहा ( अ, क, व, म), अधो ७ अहा ( अ, क, व, म), अघा (ता) । ४६६ Page #526 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दमम सत (पढमो उद्देसो) ४६७ इदा अग्गेयो जम्मा', य नेरई वारुणी य वायव्वा । सोमा ईसाणी या, विमला य तमा य बोद्धव्वा ॥१॥ ५. इदा ण भते । दिसा कि १ जोवा २ जोवदेसा ३ जीवपदेसा ४ अजीवा ५. अजीवदेसा ६. अजीवपदेसा ? गोयमा ! जीवा वि, जीवदेसा वि, जीवपदेसा वि, अजोवा वि, अजीवदेसा वि°, अजीवपदेसा वि।। जे जीवा ते नियमा एगिदिया बेइदिया 'तेइदिया चउरिदिया° पचिदिया, अणिदिया। जे जीवदेसा ते नियमा एगिदियदेसा जाव अणिदियदेसा। जे जीवपदेसा ते नियमा एगिदियपदेसा वेइदियपदेसा जाव अणिदियपदेसा। जे अजीवा ते दूविहा पण्णत्ता, त जहा-रूविअजीवा य, अरूविअजीवा य।। जे रूविअजीवा ते चउन्विहा पण्णत्ता, त जहा-खधा, खधदेसा, खधपदेसा, परमाणुपोग्गला। जे अरूविअजीवा ते सत्तविहा पण्णत्ता, त जहा-१. नोधम्मत्थिकाए धम्मत्थिकायस्स देसे २ धम्मत्थिकायस्स पदेसा ३ नोअधम्मत्थिकाए अधम्मत्थिकायस्स देसे ४ अधम्मत्थिकायस्स पदेसा ५ नोग्रागासत्थिकाए आगासत्थिकायस्स देसे ६ आगासत्थिकायस्स पदेसा ७ अद्धासमए । ६. अग्गेयी ण भते । दिसा कि जीवा, जोवदेसा, जीवपदेसा-पुच्छा। गोयमा । नोजीवा, जीवदेसा वि, जीवपदेसा वि, अजीवा वि अजीवदेसा वि, अजीवपदेसा वि। जे जीवदेसा ते नियमा एगिदियदेसा, अहवा एगिदियदेसा य वेइदियस्स य देसे, अहवा एगिदियदेसा य बेइदियस्स य देसा, अहवा एगि दियदेसा य वेइदियाण य देसा। अहवा एगिदियदेसा य तेइदियस्स य देसे । एव चेव तियभगो भाणियन्वो। एव जाव अणिदियाण तियभगो। जे जीवपदेसा ते नियमा एगिदियपदेसा । अहवा एगिदियपदेसा य बेइदियस्स पदेसा, अहवा एगिदियपदेसा य वेइदियाण य पदेसा । एव आइल्लविरहिरो जाव अणिदियाण । 'जे अजीवा ते दुविहा पण्णत्ता, त जहा-रूविअजीवा' य, अरूविअजीवा य । जे रूविअजीवा ते चउव्विहा पण्णत्ता, त जहा-खधा जाव परमाणुपोग्गला। १ जमा (ख)। २. स० पा०-त चेव जाव अजीवपदेसा। ३ स० पा०-वेइदिया जाव पचिदिया। __ ४ नियम (ता), X (ब)। ५ रूवि अजीवा (ता, व)। Page #527 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४६८ भगवई जे अरूविअजीवा ते सत्तविहा पण्णत्ता, तं जहा-नोधम्मत्थिकाए धम्मत्थिकायस्स देसे, धम्मत्थिकायस्स पदेसा, एवं अधम्मत्थिकायस्स वि जाव आगासत्थिकायस्स पदेसा, अद्धासमए'। ७. जम्मा ण भते । दिसा कि जीवा ? जहा इदा 'तहेव निरवसेस'२ । नेरतीय जहा अग्गयी। वारुणी जहा इदा । वायव्वा जहा अग्गेयी। सोमा जहा इदा। ईसाणी जहा अग्गेयी। विमलाए जीवा जहा अग्गेयीए, अजीवा जहा इदाए । एव तमाए वि, नवर-अरूवी छव्विहा, अद्धासमयो न भण्णति ।। सरीर-पद ८ कति ण भते । सरीरा पण्णत्ता ? गोयमा । पच सरीरा पण्णत्ता, त जहा–ओरालिए 'वेउन्विए अाहारए तेयए० कम्मए॥ है ओरालियसरीरे ण भते ! कतिविहे पण्णत्ते ? एव प्रोगाहणासठाण निरवसेस भाणियव्व जाव" अप्पाबहुग ति ।। १० सेव भते । सेव भते । ति॥ बीअो उद्देसो सवुडस्स किरिया-पदं ११. रायगिहे जाव एव वयासी-सवुडस्स ण भते ! अणगारस्स वीयीपथे ठिच्चा पुरो रूवाइ निज्झायमाणस्स, मग्गो रूवाइ अवयक्खमाणस्स, पासपो रूवाइ अवलोएमाणस्स, उड्ढ रूवाइ अोलोएमाणस्स, अहे रूवाइ आलोएमाणस्स तस्स ण भते । कि इरियावहिया किरिया कज्जइ ? सपराइया किरिया कज्जइ ? १ अद्धासमए । विदिसासु नत्थि जीवा, देसे भगो य होइ सव्वत्थ (अ, व, म, स)। २. तहा निरवसेसा (क)। ३. निरुती (क)। ४ स० पा०-ओरालिए जाव कम्मए । ५. प० २१ । ६. भ० ११५१ । ७. भ० ११४-१०। Page #528 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दसमं सत (बीओ उद्देसो) ४६९ ! गोयमा । सवुडस्सं ण अणगारस्स वीयीपथे ठिच्चा' पुरनो रुवाइ निज्झायमाणस्स, मग्गओ रुवाइ अवयक्खमाणस्स, पासप्रो रुवाइ अवलोएमाणस्स, उड्ढ रूवाइ ओलोएमाणस्स अहे रुवाइ आालोएमाणस्स तस्स ण नो इरिया O या किरिया कज्जइ, सपराइया किरिया कज्जइ ॥ १२ सेकेणट्टेण भते । एव बुच्चइ - सवुडस्स ण जाव सपराइया किरिया कज्जइ ? गोयमा । जस्स ण कोह- माण- माया लोभा वोच्छिण्णा भवति तस्स इरियावहिया किरिया कज्जइ, जस्स ण कोह - माण - माया लोभा वोच्छिण्णा भवति तस्स ण सपराइया किरिया कज्जइ । ग्रहासुत्त रीयमाणस्स इरियावहिया किरिया कज्जइ, उस्सुत्त रीयमाणस्स सपराइया किरिया कज्जइ । सेण उत्तमेव यति । तेणद्वेण जाव सपराइया किरिया कज्जइ ॥ १३. सवुडस्स ण भतें । अणगारस्स अवीयीपथे ठिच्चा पुरस्रो रुवाइ निज्झायमाणस्स जाव' तस्स ण भते । कि इरियावहिया किरिया कज्जइ ? – पुच्छा । गोयमा । सवुडस्स ण अणगारस्स अवीयीपथे ठिच्चा जाव तस्स ण इरियाहिया किरिया कज्जइ, नो सपराइया किरिया कज्जइ ॥ १४ से केणट्टेण भते ! एव वच्चइ - सवुडस्स ण जाव इरियावहिया किरिया कज्जइ, नो सपराइया किरिया कज्जइ ? गोमा । जस्स ण कोह - माण- माया लोभा वोच्छिण्णा भवति तस्स ण इरियावहिया किरिया कज्जइ, जस्स ण कोह- माण - माया लोभा वोच्छिण्णा भवति तस्स ण सपराइया किरिया कज्जइ । ग्रहासुत्त रीयमाणस्स इरियावहिया किरिया कज्जइ, उस्सुत्त रीयमाणस्स सपराइया किरिया कज्जइ |° सेण अहासुत्तमेव रीयति । से तेणट्टेण जाव नो सपराइया किरिया कज्जइ ॥ जोणी- पर्द १५. कतिविहा णं भते ! जोणी पण्णत्ता ? गोमा । तिविहा जोणी पण्णत्ता, त जहा -सीया, उसिणा, सीतोसिणा । एवं जोणीपद निरवसेसं भाणियव्व' || वेदणा-पदं १६. कतिविहा ण भते ! वेयणा पण्णत्ता ? १. स० पा०ठिच्चा जाव तस्स । २. स० पा० - एव जहा सत्तमसए पढमउद्देसए जाव से । ३. भ० १० ११ । स० पा०-- जहा सत्तमसए सत्तमुद्देस जाव से । ५ प० ६ । ४ Page #529 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४७० , भगवई गोयमा । तिविहा वेयणा पण्णत्ता, त जहा-सीया, उसिणा, सीअोसिणा। एव वेयणापद भाणियव्व जाव'१७ नेरइया ण भते । कि दुक्ख वेयण वेदेति ? सुह वेयण वेदेति ? अदुक्खमसुह वेयण वेदेति ? गोयमा ! दुक्ख पि वेयण वेदेति, सुह पि वेयण वेदेति, अदुक्खमसुह पि वेयण वेदेति ॥ भिक्खुपडिमा-पद १८ मासियण्ण भिक्खुपडिम पडिवन्नस्स अणगारस्स', निच्च 'वोसट्ठकाए, चियत्त देहे" जे केइ परीसहोवसग्गा उप्पज्जति, त जहा-दिव्वा वा माणुसा वा तिरिक्खजोणिया वा ते उप्पन्ने सम्म सहइ खमइ तितिक्खइ अहियासेइ । एव मासिया भिवखुपडिमा निरवसेसा भाणियव्वा, जहा दसाहि जाव' पाराहिया भवइ॥ अकिच्चट्ठाणपडिसेवण-पदं १६. भिक्खू य अण्णयर अकिच्चट्ठाण पडिसेवित्ता से ण तस्स ठाणस्स अणालोइय पडिक्कते काल करेइ नत्थि तस्स पाराहणा, से ण तस्स ठाणस्स आलोइय पडिक्कते काल करेइ अस्थि तस्स आराहणा ॥ २० भिक्खू य अण्णयर अकिच्चट्ठाण पडिसेवित्ता तस्स ण एवं भवइ-पच्छा वि णं अह चरिमकालसमयसि एयस्स ठाणस्स आलोएस्सामि', 'पडिक्कमिस्सामि, निदिस्सामि, गरिहिस्सामि, विउट्टिस्सामि, विसोहिस्सामि, अकरणयाए अव्भुट्ठिस्सामि, अहारिय पायच्छित्त तवोकम्म° पडिवज्जिस्सामि', से ण तस्स ठाणस्स प्रणालोइय' पडिक्कते काल करेइ ० नत्थि तस्स पाराहणा, से ण तस्स ठाणस्स पालोइय-पडिक्कते काल करेइ अस्थि तस्स राहणा॥ २१. भिक्खू य अण्णयर अकिच्चट्ठाण पडिसेवित्ता तस्स ण एव भवइ-जइ ताव समणोवासगा वि कालमासे काल किच्चा अण्णयरेसु देवलोएसु देवत्ताए उववत्तारो भवति, किमंग | पुण अहं अणपन्नियदेवत्तणपि नो लभिस्सामि त्ति १. प०३५ । त्वस्य स्थाने पडिसेविज्ज त्ति दृश्यते (व) । २. मासिय ण मते (क, ता, स)। ७ स० पा०-आलोएस्सामि जाव पडिवज्जि३. अयमाचारो भवतीति शेष ।। स्सामि। ४. वोसटे काए चियत्ते देहे (वृ)। ८. पडिक्कमामि (व)। ५ दमा० ७। 8 स० पा०–अणालोइय जाव नत्थि । ६ प्रतिपेविता भवतीति गम्यम् । वाचनान्तरे १०. अणवण्णि ° (ब)। Page #530 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दसम सत ( तइओ उद्देसो) कट्टु से ण तस्स ठाणस्स प्रणालीइयपडिक्कते काल करेइ नत्थि तस्स प्राराहणा, से ण तस्स ठाणस्स झालोइय-पडिक्कते काल करेइ प्रत्थि तस्स २२ सेव भते । सेवं भते । त्ति' ।। राहणा । तइओ उद्देसो प्राइड्ढी परिड्ढी वोइवयण-पदं २३ रायगिहे जाव' एव वयासी - ग्राइड्ढीए' ण भते । देवे जाव चत्तारि, पच देवावासंतराइ वीतिक्कते", तेण पर परिड्ढीए ? देवri वियविहि-पदं २४ अप्पड्ढी ण भते । देवे महिड्ढियस्स देवस्स मज्झमज्भेण वीइवएज्जा ? नो इट्टे समट्ठे ॥ २५ समिड्ढी ण भते । देवे समिड्ढीयस्स देवस्स मज्झमज्भेण वीइवएज्जा ? नो इट्टे समट्टे, पमत्त पुण वीइवएज्जा | २६ से भते । किं विमोहित्ता पभू ? अविमोहित्ता पभू ? I हता गोयमा ! आइड्ढीए ण " देवे जाव चत्तारि, पच देवावासतराइ वीतिक्कते, तेण पर परिड्ढीए । एव असुरकुमारे वि, नवर - असुरकुमारावास - तराइ, सेस त चेव । एव एएण कमेण जाव थणियकुमारे, एव वाणमतरे, इस मणि जाव तेण पर परिड्ढीए || ४७१ गोयमा । विमोहित्ता पभू, नो अविमोहित्ता पभू ॥ २७. से भते । किं पुव्वि विमोहित्ता पच्छा वीइवएज्जा ? पुव्वि वीइवइत्ता पच्छा विमोहेज्जा ? गोयमा । पुव्वि विमोहित्ता पच्छा वीइवएज्जा, नो पुव्वि वीइवइत्ता पच्छा विमोहेज्जा ॥ १ भ० १।५१ । २ भ० ११४ - १०1 ३ आत ढिए ( अ, स), आतिड्ढीए (क, ब, म), आयड्ढीए (ता) ४ बीईवयइ (वृपा ) । ५ स० पा०त चेव । ६ सेण (व, म, स ) | Page #531 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ४७२ २८. महिड्ढीए ण भते ! देवे अप्पिड्ढियस्स देवस्स मज्झमझेण वीडवएज्जा? हंता वीइवएज्जा ॥ २६ से भते । कि विमोहित्ता पभू? अविमोहित्ता पभू? गोयमा ! विमोहित्ता वि पभू, अविमोहित्ता वि पभू ।। ३० से भते । कि पुचि विमोहित्ता पच्छा वीइबएज्जा ? पुचि वीडवडत्ता पच्छा विमोहेज्जा? गोयमा ! पुब्वि वा विमोहेत्ता पच्छा वीइवएज्जा, पुदि वा वीडवडत्ता पच्छा विमोहेज्जा ।। ३१ अप्पिड्ढिए' ण भते । असुरकुमारे महिड्ढियस्स अमुरकुमारस्म मज्झमज्भेण वीइवएज्जा? नो इणद्वे समटे । एव असुरकुमारेण वि तिण्णि पालावगा भाणियव्वा जहा ओहिएण देवेण भणिया । एव जाव थणियकुमारेण । वाणमतर-जोइसिय वेमाणिएण एव चेव ॥ ३२ अप्पिड्ढिए ण भते । देवे महिड्ढियाए देवीए मज्झमझेण वीइवएज्जा ? नो इणढे समढे ॥ ३३ समिड्ढिए' ण भते । देवे समिड्ढियाए देवीए मज्झमझेण वीइवएज्जा ? एव तहेव देवेण य देवीए य दडो भाणियव्वो जाव वेमाणियाए॥ ३४. अप्पिड्ढिया ण भते ! देवी महिड्ढियस्स देवस्स मज्झमझेण वीडवएज्जा? एव एसो वि ततिरो' दडयो भाणियव्वो जाव३५ महिड्ढिया वेमाणिणी अप्पिड्ढियस्स वेमाणियस्स मज्झमझेण वीइवएज्जा ? हता वीइवएज्जा ।। ३६ अप्पिड्ढिया ण भते । देवी महिड्डियाए देवीए मज्झमझेण वीइवएज्जा ? नो इणट्रे समटे । एव समिड्ढिया देवी समिड्ढियाए देवीए तहेव । महिड्ढिया वि देवी अप्पिड्ढियाए देवीए तहेव । एव एक्केक्के तिण्णि-तिण्णि पालावगा भाणियन्वा जाव३७. महिड्ढिया ण भते ! वेमाणिणी अप्पिड्ढियाए वेमाणिणीए मज्झमझणं वीइवएज्जा? हता वीइवएज्जा । ३८. सा भते ! कि विमोहित्ता पभू ? अविमोहित्ता पभू? १. अप्पड्ढीए (क्व०)। २. समड्ढीए (अ)। ३. तिनो (म, स,)। ४. महड्ढिया (क्व)। Page #532 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दसम सतं (तइनो उद्देसो) ४७३ गोयमा ! विमोहित्ता वि पभू, अविमोहित्ता वि पभू । तहेव जाव पुन्वि वा वीइवइत्ता पच्छा विमोहेज्जा । एए चत्तारि दडगा।' आसस्स 'खु-खु' करण-पदं ३६ पासस्स ण भते । धावमाणस्स कि 'खु-खु' त्ति करेति ? ___ गोयमा । अासस्स ण धावमाणस्स हिययस्स य जगस्स' य अतरा एत्थ ण 'कक्कडए नाम' वाए समुच्छइ', जेण अासस्स धावमाणस्स 'खु-खु' त्ति करेति ।। पण्णवणी-भासा-पदं ४०. अह भंते | आसइस्सामो, सइस्सामो, चिट्ठिस्सामो, निसिइस्सामो, तुयट्टि स्सामो-पण्णवणी ण एस भासा ? न एसा भासा मोसा? हता गोयमा । आसइस्सामो, ५ सइस्सामो, चिट्ठिस्सामो, निसिइस्सामो, त्य ट्टिस्सामो-पण्णवणी ण एसा भासा, न एसा भासा मोसा ।। ४१ सेव भते । सेव भते । त्ति' ॥ १ जगयस्स (अ, क, स,); जातस्स (ता)। (अ, क, ता, व, म, स), अस्मिन् सग्रह२. कक्कडनाम (ता), कब्बडए नाम (स)। गाथाद्वये 'असच्चामोसा' भाषाया द्वादश३ समुत्थइ (अ, ता, व, म, स)। प्रकारा निरूपिता सन्ति । प्रज्ञापनाया ४ अतोग्रे गाथाद्वय लभ्यते भाषापदे एवमेवास्ति । अत्र प्रज्ञापनीभाषाआमतणी आणवणी, प्रकरणे प्रासङ्गिकरूपेण अमू सग्रहगाथे जायणी तह पुच्छणी य पण्णवणी। लिखिते आस्ताम् । केनचित् प्रतिलिपिक/ पच्चक्खाणी भासा, भासा इच्छाणुलोमा य॥ मूले प्रक्षिप्ते। उत्तरकाले तथैव अनुगते, अणभिग्गहिया भासा, वृत्तिकृतापि तथैव व्याख्याते । भासा य अभिग्गहम्मि वोद्धव्वा । ५. स० पा०–त चेव जाव न। ससयकरणी भासा, वोयडमव्वोयडा चेव ॥ ६. भ० ११५१। Page #533 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ४७४ चउत्थो उद्देसो तावत्तीसगदेव-पदं ४२. तेण कालेण तेण समएण वाणियग्गामे नयरे होत्था-वण्णगो'। दूतिपलासए चेइए । सामी समोसढे जाव' परिसा पडिगया ॥ ४३. तेण कालेण तेण समएण समणस्स भगवनो महावीरस्स जेट्टे अतेवासी इंदभूई नाम अणगारे जाव' उड्ढजाणू' 'अहोसिरे झाणकोट्ठोवगए सजमेणं तवसा अप्पाण भावेमाणे विहरइ ॥ ४४. तेण कालेण तेण समएण समणस्स भगवो महावीरस्स अतेवासी सामहत्थी नाम अणगारे पगइभद्दए "पगइउवसते पगइपयणुकोहमाणमायालोभे मिडमद्दवसपन्ने अल्लीणे विणीए समणस्स भगवनो महावीरस्स अदूरसामते उड्ढ जाण अहोसिरे झाणकोट्ठोवगए सजमेण तवसा अप्पाण भावेमाणे विहरड।। ४५ तए ण से सामहत्थी अणगारे जायसड्ढे जाव' उहाए उद्वेइ, उर्दुत्ता जेणव भगव गोयमे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता भगव गोयम तिक्खुत्तो जाव' पज्जुवासमाणे एव वयासी४६. अत्यि ण भते | चमरस्स असुरिदस्स असुरकुमारण्णो तावत्तीसगा देवा-ताव त्तीसगा देवा ? हता अत्थि ॥ ४७ सेकेणट्रेण भते । एव वुच्चइ-चमरस्स असुरिदस्स असुरकुमाररण्णो ताव त्तीसगा देवा-तावत्तीसगा देवा ? एव खल सामहत्थी । तेण कालेण तेण समएण इहेव जवुद्दीवे दीवे भारहे वासे कायदी नाम नयरी होत्था-वण्णओं। तत्थ ण कायदीए नयरीए तायत्तीस" सहाया" गाहावई समणोवासया परिवसति-अड्ढा जाव वहजणस्स अपरिभूता अभिगयजीवाजीवा, उवलद्धपुण्णपावा" जाव" अहापरिग्गहिएहि तवो कम्मेहि अप्पाण भावेमाणा विहरति ।। १. ओ० सू० १॥ ८ तायत्तीसगा (क्व०)। २. भ० १७, ६ ओ० सू० १। ३ भ० १६ १०. तावत्तीस (क, ता, व, म)। ४. स० पा०-उड्ढजाणू जाव विहरइ। ११ साहाया (अ) । ५ स० पा०-जहा रोहे जाव उड्ढजाणू जाव १२ भ० २।६४। विहरइ । १३ उवलद्धपुण्ण वण्णमो(अ, क, ता, व, म, स)। ६. भ० १।१०। १४ भ० २१६४ ७. भ० १११०॥ Page #534 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दसम सत (चउत्थो उद्देसो) ४७५ ४८ तए ण ते तायत्तीस सहाया गाहावई समणोवासया पुव्वि उग्गा उग्गविहारी, सविग्गा सविग्गविहारी भवित्ता तो पच्छा पासत्था पासत्थविहारी, ओसन्ना ओसन्नविहारी, कुसीला कुसील विहारी, अहाच्छदा अहाच्छदविहारी बहुइ वासाइ समणोवासगपरियाग पाउणित्ता, अद्धमासियाए सलेहणाए अत्ताण झूसेत्ता, तीसं भत्ताइ अणसणाए छेदेत्ता तस्स ठाणस्स प्रणालोइयपडिक्कता कालमासे काल किच्चा चमरस्स असुरिदस्स असुरकुमाररणो तावत्तीसगदेवत्ताए उववण्णा ॥ जप्पभिइ च ण भते । ते कायदगा तायत्तीस सहाया गाहावई समणोवासगा चमरस्स असुरिंदस्स असुरकुमाररण्णो तावत्तीसगदेवत्ताए उववन्ना, तप्पभिइ च ण भते । एव वुच्चइ-चमरस्स असुरिदस्स असुरकुमाररण्णो तावत्तीसगा देवा-तावत्तीसगा देवा ? तए ण भगव गोयमे सामहत्थिणा अणगारेण एव वुत्ते समाणे सकिए कखिए वितिगिच्छिए उढाए उट्टेइ, उद्वेत्ता सामहत्थिणा अणगारेण सद्धि जेणेव समणे भगव महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समण भगव महावीर वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता एव वयासीअत्थि ण भते । चमरस्स असुरिदस्स असुरकुमाररण्णो तावत्तीसगा देवातावत्तीसगा देवा ? हता अत्थि ॥ ५१ से केण?ण भते । एव वुच्चइ-एव त चेव सव्व भाणियव्व जाव जप्पभिइ च ण भते । ते कायदगा तायत्तीस सहाया गाहावई समणोवासगा चमरस्स असुरिदस्स असुरकुमाररण्णो तावत्तीसगदेवत्ताए उववन्ना, तप्पभिइ च ण भते । एव वुच्चइ-चमरस्स असुरिदस्स असुरकुमाररण्णो तावत्तीसगा देवातावत्तीसगा देवा ? नो इणढे समटे । गोयमा । चमरस्स ण असुरिंदस्स असुरकुमाररण्णो तावत्तीसगाण देवाण सासए नामधेज्जे पण्णत्ते-ज न कयाइ नासी, न कयाइ न भवइ, न कयाइ न भविस्सइ', 'भविसु य, भवति य, भविस्सइ य-धुवे नियए सासए अक्खए अव्वए अवट्ठिए ° निच्चे, अव्वोच्छित्तिनयट्ठयाए अण्णे चयति, अण्णे उववज्जति ॥ ५२ अत्थि ण भते । वलिस्स वइरोयणिदस्स वइरोयणरण्णो तावत्तीसगा देवा तावत्तीसगा देवा ? हता अत्थि ॥ १ स० पा०-भविस्सइ जाव नि। Page #535 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४७६ भगवई ५३ से केणद्वेण भते । एव वुच्चइ-बलिस्स वइरोणिदस्स वइरोयणरण्णो' ताव त्तीसगा देवा-तावत्तीसगा देवा ? एव खलु गोयमा । तेण कालेण तेण समएण इहेव जवुद्दीवे दीवे भारहे वासे वेभेले नाम सण्णिवेसे होत्था-वण्णो । तत्थ ण वेभेले सण्णिवेसे तायत्तीस सहाया गाहावई समणोवासया परिवसति - जहा चमरस्स जाव तावत्तीसग देवत्ताए उववण्णा ॥ ५४ जप्पभिइ च ण भते । ते बेभेलगा तायत्तीस सहाया गाहावई समणोवासगा वलिस्स वइरोयणिदस्स वइरोयणरण्णो तावत्तीसगदेवत्ताए उववन्ना, सेस त चेव जाव निच्चे, अव्वोच्छित्तिनयट्टयाए अण्णे चयति, अण्णे उववज्जति ॥ ५५. अत्थि ण भते | धरणस्स नागकुमारिदस्स नागकुमाररणो तावत्तीसगा देवा तावत्तीसगा देवा ? हता अस्थि ॥ से केणतुण जाव तावत्तीसगा देवा-तावत्तीसगा देवा ? गोयमा | धरणस्स नागकुमारिदस्स नागकुमाररण्णो तावत्तीसगाणं देवाण सासए नामधेज्जे पण्णत्ते-ज न कयाइ नासी जाव अण्णे चयति, अण्णे उवव ज्जति । एव भूयाणदस्स वि, एव जाव' महाघोसस्स ॥ ५७ अत्थि ण भते । सक्कस्स देविंदस्स देव रण्णो "तावत्तीसगा देवा-तावत्तीसगा देवा ? हता अत्थि ॥ ५८. से केणद्वेण जाव तावत्तीसगा देवा-तावत्तीसगा देवा? एव खलु गोयमा ! तेण कालेणं तेण समएण इहेव' जवुद्दीवे दीवे भारहे वासे पालए नाम सण्णिवेसे होत्था-वण्णो । तत्थ ण पालए सण्णिवेसे तायत्तीसं सहाया गाहावई समणोवासया जहा चमरस्स जाव विहरति । ५६ तए ण ते तायत्तीस सहाया गाहावई समणोवासया पुवि पि पच्छा वि उग्गा उग्गविहारी, सविग्गा सविग्गविहारी वहूइ वासाइ समणोवासगपरियाग पाउणित्ता, मासियाए सलेहणाए अत्ताणं झूसेत्ता, सद्धि भत्ताइ अणसणाए छेदेत्ता, आलोइय-पडिक्कता समाहिपत्ता कालमासे काल किच्चा 'सक्कस्स देविदस्स १. जाव (अ, क, ता, व, म, स)। २. ओ० सू० १, एतद्वर्णन 'नदणवण-सन्निभ- प्पगासे' एतावदेवग्राह्यम् । ३. भ० १०१४७-४८॥ ४. भ० १०१४६-५१॥ ५. भ० ३।२७४। ६. स० पा०-पुच्छा। ७. वालाए (अ), पालाए (व), पालासए (स)। ८. भ० १०॥४७। है. स० पा०—-किच्चा जाव उववन्ना। Page #536 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -४७७ o देवरण्णो तावत्तीसगदेवत्ताए • उववन्ना । जप्पभिइ च णं भते ! ते पालगा' तात्तीस सहाया गाहावई समणोवासगा, सेसं जहा चमरस्स जाव अण्णे उववज्जति ॥ दसमं सत ( पचमो उद्देसो) ६०. प्रत्थि णं भते । ईसाणस्स देविंदस्स देवरण्णो तावत्तीसगा देवा - तावत्तीसगा देवा ? एव जहा सक्कस्स, नवर- चपाए नयरीए जाव' उववण्णा जप्पभिइ च ण भते । ते चपिज्जा तायत्तीस सहाया, सेस त चेव जाव ण्णे उववज्जति ॥ ६१. प्रत्थि ण भते । सणकुमारस्स देविंदस्स " देवरण्णो तावत्तीसगा देवा - तावत्ती - सगा देवा ? ० हता ग्रत्थि || ६२. से केणट्टेण ? जहा धरणस्स तहेव, एव जाव पाणयस्स, एव अच्चुयस्स जाव णे उववज्जति ॥ ६३. सेव भते । सेव भते । त्ति ॥ पंचमो उद्देसो देवाणं तुडिएण सद्ध दिव्वभोग-पदं 1 ६४. तेण कालेन तेण समएण रायगिहे नाम नयरे । गुणसिलए चेइए जाव' परिसा पडिगया । तेण कालेन तेण समएण समणस्स भगवो महावीरस्स बहवे अतेवासी थेरा भगवतो जाइसपन्ना जहा अट्टमे सए सत्तमुद्देस जाव' सजमेण तवसा अप्पाण भावेमाणा विहरति । तए ण ते थेरा भगवतो जायसड्ढा जायससया जहा गोयमसामी जाव' पज्जुवासमाणा एव वयासी६५. चमरस्स ण भते सुरिंदस्स असुरकुमाररण्णो कति अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ ? १ वालगा ( अ, म ), पालागा (क, व), पालासगा ( स ) । २. भ० १०।५७-५६। ३. स० पा० - पुच्छा । ४ भ० ११५१। ५. भ० ११४-८| ६ भ० ८।२७२/ ७ भ० १।१०। Page #537 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४७८ ८ भगवई अज्जो । पंच अग्गमहिसीनो पण्णत्तायो, त जहा-काली, रायी, रयणी, विज्जू, मेहा । तत्य ण एगमेगाए देवीए अट्टट्ठ देवीसहम्स' परिवारो पण्णनो । ६६. पभू ण भते । ताओ एगमेगा देवी अण्णाड अट्ट देवीसह साउ परियार विउवित्तए ? एवामेव सपुवावरेण चत्तालीस देवीसहस्सा । मेत्त तुहिए। ६७ पभू ण भते । चमरे असुरिंदे असुरकुमारराया चमरचचाए रायहाणीए, सभाए सुहम्माए, चमरसि सीहासणसि तुडिएण सद्धि दिब्बाइ भोगभोगाई भजमाणे विहरित्तए ? नो इणटे समटे ॥ से केणद्वेण भते । एव वुच्चइ-नो पभू चमरे अरिदे असुरकुमारराया चमरचचाए रायहाणीए जाव' विहरित्तए? अज्जो चमरस्स ण असुरिंदस्स असुरकुमाररण्णो चमरचचाए रायहाणीए,सभाए सूहम्माए, माणवए चेइयखभे वइरामएमु गोल-वट्ट-समुग्गएम वहयो जिणसकहाम्रो सन्निक्खित्तानो चिट्ठति, जाग्रो ण चमरस्स असुरिंदस्स अमुरकुमाररणो अण्णेसि च वहण असुरकुमाराण देवाण य देवीण य अच्चणिज्जायो वदणिज्जायो नमसणिज्जायो पूयणिज्जायो सक्कारणिज्जायो सम्माणणिज्जायो कल्लाण मगल देवय चेइय पज्जुवासणिज्जाओ भवति' । से नेणद्वेण अज्जो । एव वच्चइ-नो पभू चमरे असुरिदे असुरकुमारराया 'चमरचचाए रायहाणीए, सभाए सुहम्माए, चमरसि सिंहासणसि तुडिएण सद्धि दिव्बाइ भोगभोगाइ भुजमाणे ° विहरित्तए॥ पभू ण अज्जो । चमरे असुरिदे असुरकुमारराया चमरचचाए रायहाणीए, सभाए सुहम्माए, चमरसि सीहासणसि चउसट्ठीए सामाणियसाहस्सीहिं, तायत्तीसाए' 'तावत्तीसगेहि, चाहिं लोगपालेहि, पचहि अग्गमहिसीहि सपरिवाराहि चउसट्ठीए आयरक्खदेवसाहस्सीहि °, अण्णेहि य वहि असरकमारेहि देवेहि य, देवीहि य सद्धि सपरिवुडे मयाय नट्ट-गीय-वाइयतती-तल-ताल-तुडिय-घणमुइगपडुप्पवाइयरवेण दिव्वाइ भोगभोगाइ भजमाणे विहरित्तए ? केवलं परियारिड्ढीए, नो चेव ण मेहुणवत्तिय ।। १ सहस्सा (ता, स)। ५ स० पा०-तायत्तीसाए जाव अण्णेहि । २. भ० १०१६७। ६. अण्णेसिं (अ, स)। ३. भवति तेमि पणिहाए णो पभू (अ, स)। ७ स० पाo-मयाहय जाव भुजमाणे। ४ स० पा०-असुरकुमारराय जाव विहरि Page #538 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४७६ दसमं सतं (पचमो उद्देसो) ७० चमरस्स ण भंते । असुरिंदस्स असुरकुमाररण्णो सोमस्स महारण्णो कति अग्ग महिसीओ पण्णत्तायो ? अज्जो ! चत्तारि अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ, त जहा-कणगा, कणगलता, चित्तगुत्ता, वसु धरा । तत्थ ण एगमेगाए देवीए एगमेग' देवीसहस्स परिवारे पण्णत्ते ॥ ७१. पभू ण तायो ‘एगामेगा देवी अण्ण एगमेग देवीसहस्स परियार विउवित्तए ? एवामेव सपुव्वावरेण चत्तारि देवीसहस्सा । सेत्त तुडिए । ७२ पभू ण भते । चमरस्स असुरिंदस्स असुरकुमाररण्णो सोमे महाराया सोमाए रायहाणीए, सभाए सुहम्माए, सोमसि सीहासण सि तुडिएण सद्धि दिव्वाइ भोगभोगाइ भुजमाणे विहरित्तए ? अवसेस जहा चमरस्स, नवर-परियारो जहा सूरियाभस्स । सेस त चेव जाव' नो चेव' ण मेहुणवत्तिय ॥ ७३. चमरस्स ण भते । 'असुरिंदस्स असुरकुमार ° रण्णो जमस्स महारण्णो कति अग्गमहिसीनो ? एव चेव', नवर-जमाए रायहाणीए, सेस जहा सोमस्स । एव वरुणस्स वि, नवर-वरुणाए रायहाणीए । एव वेसमणस्स वि, नवर-वेसमणाए राय हाणीए । सेस त चेव जाव नो चेव ण मेहुणवत्तिय ॥ ७४ बलिस्स ण भते । वइरोणिदस्स-पुच्छा। अज्जो | पच अग्गमहिसीनो पण्णत्तायो, त जहा-सु भा', निसुभा, रभा, निरभा, मदणा । तत्थ ण एगमेगाए देवीए अट्ठ देवीसहस्स परिवारो, सेस जहा चमरस्स, नवर-बलिचचाए रायहाणीए, परियारो जहा मोउद्देसए। सेस त चेव जाव नो चेव ण मेहुणवत्तिय ॥ ७५ बलिस्स ण भते । वइरोयणिदस्स वइरोयणरण्णो सोमस्स महारण्णो कति अग्गमहिसीओ पण्णत्तायो ? अज्जो। चत्तारि अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ, त जहा-मीणगा, सुभद्दा, विज्जुया", असणी। तत्थ ण एगमेगाए देवीए एगमेग देवीसहस्स परिवारो, सेस जहा चमरसोमस्स एव जाव वरुणस्स" ।। १. एगमेगसि (स)। ७ भ० १०१७०-७२ । २. परियारो (ता)। ८ पत्तिय (व)। ३ एगमेगाओ देवीओ (अ) एगमेगाए देवीए ६ सुभा (अ, ब, स)। १०. भ० ३।१२। ४ राय० सू० ७ ११ विजया (स)। ५. भ०१०१६७-६६। १२. वेसमणस्स (अ, स)। ६. स० पा०-भते जाव रण्णो। Page #539 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४८२ भगवई महाकच्छा, फुडा । तत्थ णं एगमेगाए देवीए एगमेग देवीसहस्सं परिवारे, सेस तं चेव । एव महाकायस्स वि ।। ८६ गीयरइस्स ण-पुच्छा। अज्जो । चत्तारि अग्गमहिसीनो पण्णत्तानो, त जहा-सुघोसा, विमला, सुस्सरा, सरस्सई। तत्थ ण एगमेगाए देवीए एगमेग देवीसहस्स परिवारे, सेस त चेव । एव गीयजसस्स वि । सर्वेसि एएसिं जहा कालस्स, नवर-सरिसना मियानो रायहाणीयो सीहासणाणि य, सेस त चेव ।। ६० चदस्स ण भते । जोइसिदस्स जोइसरण्णो - पुच्छा। 'अज्जो | चत्तारि अग्गमहिसीनो पण्णत्तानो, त जहा-चदप्पभा, दोसिणाभा', अच्चिमाली, पभकरा। एव जहा' जीवाभिगमे जोइसियउद्देसए तहेव सूरस्स वि सूरप्पभा, प्रायवा', अच्चिमाली, पभकरा। सेस त चेव जाव नो चेव णं मेहुणवत्तिय ॥ इगालस्स ण भते । महग्गहस्स कति अग्गमहिसीनो-पुच्छा। अज्जो । चत्तारि अगमहिसीग्रो पण्णत्तायो, त जहा-विजया, वेजयती, जयती, अपराजिया। तत्थ ण एगमेगाए देवीए एगमेग देवीसहस्स परिवारे, सेस' जहा चदस्स, नवर-इगालवडेसए विमाणे, इगालगसि सीहासणसि, सेस त चेव । एव वियालगस्स वि । एव अट्ठासीतिए वि महग्गहाण भाणियव्व जाव' भावके उस्स, नवर-वडेसगा सीहासणाणि य सरिसनामगाणि, सेस तं चेव ॥ ६२. सक्कस्स ण भते । देविंदस्स देवरण्णो-पूच्छा। अज्जो | अटू अग्गमहिसिनो पण्णत्ताओ, त जहा-पउमा, सिवा, सची', अज, अमला, अच्छरा, नवमिया, रोहिणी। तत्थ ण एगमेगाए देवीए सोलस-सोलस देवीसहस्सा परिवारो पण्णत्तो॥ ६३ पभू ण तायो एगमेगा देवी अण्णाई सोलस-सोलस देवीसहस्साइं परिवार विउवित्तए? एवामेव सपुव्वावरेण अट्ठावीसुत्तर देवीसयसहस्स । सेत्त तुडिए । ६४. पभू ण भते । सक्के देविदे देवराया सोहम्मे कप्पे, सोहम्मवडेसए विमाणे. सभाए सुहम्माए, सक्कसि सीहासणसि तुडिएण सद्धि दिव्वाइ भोगभोगाइ १. ओसिणाभा (ता, स)। २. जी०३। ३ आयच्चा (अ, स) ४. भ० १०॥६७-६६ । ५ सेस त चेव (अ, स)। ६. महागहाण (अ, क, व, स)। ७ ठा० २।३२५ । ८. सेया (अ, स), सुयी (क, ता, म)। Page #540 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दसम सत (छट्टो उद्देसो) ४८३ भुजमाणे विहरित | सेस जहा चमरस्स, नवर - परियारो जहा ' मोउद्देसए || ६५. सक्कस्स ण देविदस्स देवरण्णो सोमस्स महारण्णो कति अग्गमहिसीओपुच्छा । ग्रज्जो । चत्तारि ग्रग्गमहिसी पण्णत्तायो, त जहा - रोहिणी, मदणा, चित्ता, सोमा । तत्थ ण एगमेगाए देवीए एगमेगं देवीसहस्स परिवारे, सेस जहा' चमरलोगपालाण, नवर - सयपभे विमाणे, सभाए सुहम्माए, सोमसि सोहासणसि, सेसं त चेव । एव जाव वेसमणस्स, नवर - विमाणाइ जहा ततियसए || ६६ ईसाणस्स ण भते । - पुच्छा । अज्जो ! ग्रटु अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ, त जहा –— कण्हा, कण्हराई, रामा, राम रक्खिया, वसू, वसुगुत्ता, वसुमित्ता, वसुधरा । तत्थ ण एगमेगाए देवीए एगमेग देवीसहस्स परिवारे, सेस जहा सक्कस्स ।। ६७. ईसाणस्स ण भते । देविदस्स देवरण्णो सोमस्स महारण्णो कति अग्गमहिसीओ - पुच्छा । अज्जो । चत्तारि अग्गमहिसी पण्णत्ताओ, त जहा - पुहवी, राई, रयणी, विज्जू । तत्थ ण एगमेगाए देवीए एगमेग देवीसहस्स परिवारे, सेसं जहा सक्क्स्स लोगपालाण, एव जाव वरुणस्स, नवर-- विमाणा जहा ' चउत्यसए, सेस त चेव जाव' नो चेव ण मेहुणवत्तिय ॥ ६८. सेव भते । सेव भते । त्ति | छट्ठो उद्देसो सुहम्मा सभा-पदं ६६ कहिणिभते ! सक्क्स्स देविदस्स देवरण्णो सभा सुहम्मा पण्णत्ता ? गोयमा | जबुद्दीवे दीवे मदरस्स पव्वयस्स दाहिणे ण इमीसे रयणप्पभाए पुढ 1 १ भ० ३।१६ | २ भ० १०1७०-७२ । ३ भ० ३।२५०, २५१, २५६, २६१, २६६ । ४. भ० १०१६२-६४ ! ५ भ० ४।२-४ । ६ भ० १०।६७-६६ । ७ भ० ११५१ । Page #541 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४८० भगवई धरणस्स ण भते | नागकुमारिंदस्स नागकुमाररण्णो कति अग्गमहिसीनो पण्णत्तायो ? अज्जो | छ अग्गमहिसीओ पण्णत्तानो, त जहा--अला', सक्का', सतेग', सोदामिणी, इदा, घणविज्जुया । तत्थ ण एगमेगाए देवीए छ-छ देवीसहस्स' परिवारो पण्णत्तो॥ ७७ पभू ण तायो एगमेगा देवी अण्णाड छ-छ देविसहस्साड परियार विउव्वित्ता ? एवामेव सपुव्वावरेण छत्तीसाइ देविसहस्साई । सेत्त तुडिए । ७८ पभू ण भते । धरणे ? सेस त चेव', नवरं-धरणाए रायहाणीए, धरणमि सीहासणसि, सग्रो परियारो । सेस तं चेव ।। ७६ धरणस्स ण भते । नागकुमारिंदस्स नागकुमाररण्णो कालवालस्स' महारण्णो कति अग्गमहिसीग्रो पण्णत्ताओ? अज्जो चत्तारि अग्गमहिसीग्रो पण्णत्तायो त जहा- असोगा, विमला, सुप्पभा, सुदसणा। तत्थ ण एगमेगाए देवीए एगमेग देवीसहस्सं परिवारो, अवसेस जहा चमरलोगपालाण । एव सेसाण तिण्ह वि ॥ ८०. भूयाणदस्स भते !-पुच्छा। अज्जो ! छ अगमहिसोओ पण्णतायो, त जहा-या रूपसा, सुरूया, रूबगावतो, रूपकता, रूपनमा। तत्य ग एग मेगाए देवोए ऐगमेग देवोसहस्तं परिवारे, अवसेस जहा धरणस्स ।। ८१ भूयाणदस्स ण भंते ! नागकुमारिदस्स नागकुमाररण्णो नागचित्तस्स-पुच्छा। अज्जो! चत्तारि अग्गमहिसीओ पण्णत्तायो, त जहा-सुणदा, सुभद्दा, सुजाया, समणा। तत्थ ण एगमेगाए देवीए एगमेग देवीसहस्स परिवारे, अवसेस जहा चमरलोगपालाण । एव सेसाण तिण्ह वि लोगपालाण । जे दाहिणिल्ला इदा तेसिं जहा धरणिंदस्स, लोगपालाण वि तेसि जहा धरणस्स लोगपालाण । उत्तरिल्लाण इदाण' जहा भूयाणदस्स, लोगपालाण वि तेसिं जहा भूयाणदस्स लोगपालाण, नवर-इदाण सव्वेसि रायहाणीयो सीहासणाणि य सरिसणामगाणि, परियारो जहा मोउद्देसए। लोगपालाण सव्वेसिं रायहा लोगपालस्स १. आला (ब), इला (क्व०) । २ मक्का (ता, व, म), सुक्का (स), कमा (ना० २।३।६)। ३ सतारा (अ, स)। ४. ° सहस्सा (अ, ता, व, म, स)। ५ भ० १०१६७-६६। ६ भ० ३।१४। ७ काललोगपालस्स (अ), ____ काललोगपालस्स (स)। ८ भ० १०७०-७२। ६. X (ता, व)। १० भ० ३३१४, १५। Page #542 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दसमं सत (पचमो उद्देसो) . ४८१. णीअो सीहासणाणि य सरिसणामगाणि, परियारो जहा' चमरस्स लोग पालाण ॥ ८२ कालस्स ण भते । पिसायिदस्स पिसायरण्णो कति अग्गम हिसीनो पण्णत्तायो ? अज्जो | चत्तारि अग्गमहिसीनो पण्णत्तायो, त जहा–कमला, कमलप्पभा, उप्पला, सुदसणा। तत्थ ण एगमेगाए देवीए एगमेग देवीसहस्स परिवारो, सेस जहा' चमरलोगपालाण । परिवारो तहेव, नवर–कालाए रायहाणीए, कालसि सीहासणसि, सेस त चेव । एव महाकालस्स वि ॥ सुरूवस्स ण भते । भूतिदस्स भूतरण्णो-पुच्छा। अज्जो । चत्तारि अग्गमहिसीनो पण्णत्तानो, त जहा–रूववई, बहुरूवा, सुरूवा, सुभगा। तत्य ण एगमेगाए देवीए एगमेग देवीसहस्स परिवारे, सेस जहा कालस्स । एव पडिरूवस्स वि ।। ८४ पुण्णभद्दस्स ण भते ! जक्खिदस्स-पुच्छा। अज्जो । चत्तारि अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ, त जहा-पुण्णा, बहुपुत्तिया, उत्तमा, तारया। तत्थ ण एगमेगाए देवीए एगमेग देवीसहस्स परिवारे, सेस जहा कालस्स । एव माणिभद्दस्स वि ।। भीमस्स णं भते । रक्खसिंदस्स-पुच्छा। अज्जो । चत्तारि अग्गमहिसीनो पण्णत्तायो, त जहा-पउमा, वसुमती', कणगा, रयणप्पभा। तत्थ ण एगमेगाए देवीए एगमेग देवीसहस्स परिवारे, सेस जहा कालस्स । एव महाभीमस्स वि ।। ८६ किन्नरस्स ण-पुच्छा। अज्जो । चत्तारि अग्गमहिसीनो पण्णत्ताओ, त जहा–वडेसा, केतुमती, रतिसेणा, रइप्पियो । तत्थ ण ऐगमेगाए देवीए एगमेग देवीसहस्स परिवारे, सेस त चेव । एव किपुरिसस्स वि ।। सप्पुरिसस्स ण-पुच्छा। अज्जो । चत्तारि अग्गमहिसीग्रो पण्णत्ताओ, त जहा-रोहिणी, नवमिया. हिरी, पुप्फवती । तत्थ ण एगमेगाए देवीए एगमेग देवीसहस्स परिवारे, सेस त चेव । एव महापुरिसस्स वि॥ ८८ अतिकायस्स ण-पुच्छा। अज्जो । चत्तारि अग्गमहिसीनो पण्णत्ताओ, तं जहा- भुयगा, भयगवती, ८५ ८७ १. भ०१०१७०-७३ । २ भ० १०।७१, ७२ । ३ पउमवती (अ, स), पउमावती (क, म)। ४ भुयगा (स)। Page #543 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई महाकच्छा, फुडा । तत्थ ण एगमेगाए देवीए एगमेग देवीसहस्स परिवारे, सेसं त चेव । एव महाकायस्स वि ॥ ८६ गीयरइस्स णं - पुच्छा । ग्रज्जो | चत्तारि अग्गमहिती ४८२ पण्णत्ताओ, त जहा - सुघोसा, विमला, सुस्सरा, सरस्सई । तत्थ ण एगमेगाए देवीए एगमेग देवीसहस्स परिवारे, सेस तं चैव । एव गीयजसस्स वि । सव्वेसि एएसि जहा कालस्स, नवरर - सरिसनामिया रायहाणीग्रो सीहासणाणि य, सेस त चेव ॥ ६०. चदस्स ण भते । जोइसिदस्स जोडसरण्णो - पुच्छा । 'ग्रज्जो । चत्तारि ग्रग्गमहिसी पण्णत्तात्र, त जहा - चदप्पभा, दोसिणाभा', ग्रच्चिमाली, पभकरा । एव जहा जीवाभिगमे जोइसियउद्देसए तहेव सूरस्स वि सूरप्पभा, ग्रायवा', अच्चिमाली, पभकरा । सेस त चेव जाव' नो चेवण मेहुणवत्तियं ॥ इगालस्स ण भते । महग्गहस्स कति अग्गमहिसीग्रो - पुच्छा | ग्रज्जो | चत्तारि अग्गमहिसीय पण्णत्ताग्रो, त जहा - विजया, वेजयती, जयती, ग्रपराजिया । तत्थ ण एगमेगाए देवीए एगमेगं देवीसहस्स परिवारे, सेस' जहा चदस्स, नवर—इगालवडेसए विमाणे, इगालगसि सीहासणंसि, सेस त चेव । एवं वियागस्स वि । एव ग्रट्ठासीतिए वि महग्गहाणं भाणियव्व जाव' भावके उस्स, नवर–वडेसगा सीहासणाणि य सरिसनामगाणि, सेस तं चैव ॥ ६२. सक्कस्स ण भते । देविंदस्स देवरण्णो – पुच्छा। अज्जो ! ग्रटु अग्गमहिसिो पण्णत्ताओ, तं जहा - पउमा, सिवा, सची', ग्रजू, अमला, ग्रच्छरा, नवमिया, रोहिणी । तत्थ ण एगमेगाए देवीए सोलस-सोलस देवीसहस्सा परिवारो पण्णत्तो ॥ १ ६३ पभूण तायो एगमेगा देवी अण्णाई सोलस- सोलस देवीसहस्साइं परिवार विउव्वित्तए ? एवामेव सपुव्वावरेण अट्ठावीसुत्तर देवीसयसहस्स । सेत्त तुडिए । ६४ पभू ण भंते । सक्के देविंदे देवराया सोहम्मे कप्पे, सोहम्मवडेसए विमाणे, सभाए सुहम्माए, सक्कसि सीहासणसि तुडिएण सद्धि दिव्वाइ भोगभोगाइ १ ओसिणाभा (ता, स ) | २. जी० ३ । ३ आयच्चा ( अ, म ) . ८. भ० १०/६७-६६ । ५ सेस त चेव ( अ, स) 1 ६. महागहाण ( अ, क, व, स ) । ठा० २१३२५ । ८. सेया (अस), सुयी (क, ता, म) 1 Page #544 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४८३ दसम सत (छट्ठो उद्देसो) भुजमाणे विहरित्तए । सेस जहा चमरस्स, नवर-परियारो जहा' मोउद्देसए । ६५ सक्कस्स ण देविदस्स देवरण्णो सोमस्स महारण्णो कति अग्गमहिसीओ पुच्छा । अज्जो । चत्तारि अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ, त जहा-रोहिणी, मदणा, चित्ता, सोमा। तत्थ ण एगमेगाए देवीए एगमेगं देवीसहस्स परिवारे, सेस जहा चमरलोगपालाण, नवर-सयपभे विमाणे, सभाए सुहम्माए, सोमसि सोहासणसि, सेस त चेव । एव जाव वेसमणस्स, नवर-विमाणाइ जहा' ततियसए। ईसाणस्स ण भते । -पुच्छा। अज्जो | अट्ट अग्गमहिसीनो पण्णत्ताओ, त जहा–कण्हा, कण्हराई, रामा, रामरक्खिया, वसू, वसुगुत्ता, वसुमित्ता, वसुधरा । तत्थ ण एगमेगाए देवीए एगमेग देवीसहस्स परिवारे, सेस जहा सक्कस्स ।। ६७. ईसाणस्स ण भते । देविदस्स देवरण्णो सोमस्स महारण्णो कति अग्गम हिसीलो -पुच्छा । अज्जो । चत्तारि अग्गमहिसीनो पण्णत्तानो, त जहा-पुहवी, राई, रयणी, विज्जू । तत्थ ण एगमेगाए देवीए एगमेग देवीसहस्स परिवारे, सेस जहा सक्कस्स लोगपालाण, एव जाव वरुणस्स, नवर-विमाणा जहा' चउत्थसए, सेस त चेव जाव नो चेव' ण मेहुणवत्तिय ।। १८. सेव भते । सेव भते । त्ति ॥ छट्ठो उद्देसो सुहम्मा सभा-पदं ६६. कहि णि भते । सक्कस्स देविदस्स देवरण्णो सभा सुहम्मा पण्णत्ता ? ___गोयमा । जबुद्दीवे दीवे मदरस्स पव्वयस्स दाहिणे ण इमीसे रयणप्पभाए पुढ १ भ०३।१६। २ भ०१०७०-७२। ३ भ०३।२५०, २५१, २५६,२६१,२६६ । ४ भ० १०६२-६४/ ५ भ० ४।२-४। ६ भ० १०१६७-६६ । ७ भ० ११५१ । Page #545 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४= ८ भगवई बीए बहुमरमणिज्जातो भूमिभागातो उड्ढ एवं जहा रायप्पसेणइज्जे जाव' पंच वšमगा पण्णत्ता, त जहा - असीगवडेनए, 'सत्तवण्णवडेसए, चंपगवडेसए, चूय्वईसएमज्झे, नोहम्मवडेनए । से ण सोहम्मवडेसए महाविमाणे श्रद्धतेरस - जोयपनयनहस्सा श्रायामविवंभेणं, एवं जह नूरिया, तहेव माणं तहेव उववाओ । नक्स य अभिनेत्री, तहेव जह सूरियाभस्त । अलंकारयच्चणिया, तहेने जाव' चायरक्त त्ति ॥१॥ दो सागरोवमाई किती ॥ तक्क पर्द १००. सक्त्रे ण भने ! देविदे देवराया केमहिड्दिए जाव केमहासोक्खे' । गोयमा ! महिड्डिए जाव महासोक्वे । मे ण तत्थ बत्तीसार विमाणावाससयनहन्ताणं जाव' दिव्वाइ भोगभोगाई भुंजमाणे विहरइ । एमहिड्दिए जाव एमहासो सक्के देविदे देवराया || १०१. से पते ! मेव भते ! त्ति' || I ७-३४ उद्देसा अंतरदीय-पद १०० कहियते । इनरिता एन्यमशुल्याणं एनुत्यदीवे नामं दीवे पण्णत्ते ? एल जहा जीवाभिगने तव निरवसेमं जाव" सुद्धदं तदीवोति । एए अट्ठावीस वनगा भाणिया ॥ 44 1 १०३ मेव भने । मेवं भते । नि जाव" प्रमाण भाषेमाणे विहरs || 2 सू० १०८ १२८१ rre to *(4*,=): yoga-६९९ । We Ext <*>*>(, ) I ०३।१६। ८. २०११५१ । <. c 4 (, 5, 3) 1 ܐ : ܘܐ ܼܿ ܼܿ ܼܿ ११.२० ११५१ Page #546 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एक्कारसं सतं पढमो उद्देसो १. उप्पल २. सालु ३. पलासे ४. कुभी ५ नाली य ६. पउम ७ कण्णी य। ८. नलिण ६. सिव १०. लोग ११,१२ कालालभिय दस दो य एक्कारे ॥१॥ उप्पलजीवाण उववायादि-पदं १ तेण कालेण तेण समएण रायगिहे जाव' पज्जुवासमाणे एव वयासी-उप्पले ण भते ! एगपत्तए कि एगजीवे ? अणेगजीवे ? गोयमा । एगजीवे, नो अणेगजीवे । तेण पर जे अण्णे जीवा उववज्जति ते ण नो एगजीवा अणेगजीवा ।। २ ते णं भते | जीवा कतोहितो उववज्जति–कि नेरइएहितो उववज्जति ? 'तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति ? मणुस्से हिंतो उववज्जति ? देवेहितो उववज्जति ? १ या (ब)। २. अतोग्रे प्रमोद्देशकद्वारसग्रहगाथा लभ्यन्ते, ताश्च इमाउववाओ परिमाण, अवहारुच्चत्त वध, वेदे य । उदए उदीरणाए, , लेसा दिट्ठी:य नाणे य॥ जोगुवओगे वण्ण, रसमाई ऊसासगे य आहारे। विरई किरिया बधे, सन्न कसायित्थि बघेन्य ।। सन्निदिय अणुबधे, । सवेहाहार ठिइ समुग्घाए । चयण मूलादीसु य, उववाओ सव्वजीवाण ॥ (वृपा) ॥ ३., भ० ११४-१०। । ४ तिरि मणु (अ, क, ता, ब, म, स) । ,४८५ Page #547 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई गोयमा । नो नेरइएहितो उववज्जति, तिरिक्खजोणिए हितो उववज्जति, मणुसेहिंतो उववज्जति देवेहितो वि उववज्जति । एव उववा भाणियव्वो जहा वक्कतीए वणस्सइकाइयाण जाव' ईसाणेति ॥ ३. ते ण भते ! जीवा एगसमए ण केवइया उववज्जति ? गोयमा ! जहणेण एक्को वा दो वा तिणि वा, उक्कोसेणं सखेज्जा वा ' ग्रसखेज्जा वा उववज्जति ॥ ४८६ ४. ते णं भते । जीवा समए- समए ग्रवही रमाणा - अवही रमाणा केवतिकालेणं अवहरति ? | गोयमा ' ते ण ग्रसखेज्जा समए - समए 'ग्रवही रमाणा ग्रवही रमाणा असखेज्जाहि श्रसप्पिणि—-उस्सप्पिणीहिं ग्रवहीरति, नो चेव ण अवहिया सिया ॥ ५ तेसि ण भते | जीवाण के महालिया सरीरोगाहणा पण्णत्ता ? ७. एव जाव ग्रतराइयस्स, नवर - ग्राउयस्स - पुच्छा । गोयमा ! १ वधए वा २ अवधए वा ३ वधगा वा ४. अबंधगा वा ५. ग्रहवा वधए य ग्रवधए य ६ ग्रहवा बधए य ग्रवधगाय ७ अहवा वधगा य अवधए य ८. अहवो वघगा य श्रवधगा य - एते श्रट्ट भगा ॥ तेण भते । जीवा नाणावरणिज्जस्स कम्मस्स किं वेदगा ? अवेदगा ? गोयमा ! नो ग्रवेदगा, वेदए वा, वेदगा वा । एव जाव अतराइयस्स || ६ ते ण भते । जीवा कि सायावेदगा ? सायावेदगा ? गोयमा | सायावेदए वा, असायावेदए वा — अट्ठ भंगा ॥ - गोयमा । जहणेण ग्रगुलस्स ग्रसखेज्जइभाग, उवकोसेण सातिरेग जोयणसहस्स ॥ ते णं भते ! जीवा नाणावरणिज्जस्स कम्मस्स कि वधगा ? अवधगा ? गोयमा ! नो प्रबंधगा, बंधए वा, वधगा वा ॥ ८ १०. ते ण भते । जीवा नाणावर णिज्जस्स कम्मस्स कि उदई ? अणुदई ? गोयमा ! नो अणुदई, उदई वा, उदइणो वा । एव जाव तराइयस्स ॥ ११. ते ण भते । जीवा नाणावरणिज्जस्स कम्मस्स कि उदीरगा ? अणुदीरगा ? गोयमा । तो अणुदीरगा, उदीरए वा, उदीरगा वा । एव जाव अतराइयस्स, नवर - वेदणिज्जाउएसु अट्ठ भगा ॥ १२. ते ण भते ! जीवा कि कण्हलेसा ? नीललेसा ? काउलेसा ? तेउलेसा ? १. प०६ । २. वा उवय (ता) | ३. अवहीरेमारणा २ (स) 1 ४. प्पिणीहि (व, म) । ० Page #548 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एक्कास सत (पढमो उद्देसो) गोयमा । कण्हलेसे वा' 'नीललेसे वा काउलेसे वा° तेउलेसे वा, कण्हलेस्सा वा नीललेस्सा वा काउलेस्सा वा तेउलेस्सा वा, ग्रहवा कण्हले से य नीलले से य । एव एए दुयासजोग-तियासजोग- चउक्कसजोगेण' असीती भगा' भवति ॥ १३. ते ण भते । जीवा कि सम्मद्दिट्ठी ? मिच्छा दिट्ठी ? सम्मामिच्छादिट्ठी गोयमा । नो सम्मद्दिट्ठी, नो सम्मामिच्छादिट्ठी, मिच्छादिट्ठी वा मिच्छादिट्ठो वा ॥ ? १४. ते ण भते । जीवा कि नाणी ? अण्णाणी ? गोयमा । नो नाणी, अण्णाणी वा अण्णाणिणो वा ॥ १५. ते ण भते ! जीवा कि मणजोगी ? वइजोगी ? कायजोगी ? गोमा | नो मणजोगी, नो वइजोगी, कायजोगी वा, कायजोगिणो वा ॥ १६. ते ण भते । जीवा कि सागारोवउत्ता ? प्रणागारोवउत्ता ? गोयमा । सागारोवउत्ते वा, प्रणागारोवउत्ते वा - भगा || १७. तेसि ण भते | जीवाण सरीरगा कतिवण्णा, कतिगधा, कतिरसा, कतिफासा, पण्णत्ता ? गोयमा । पचवण्णा, पचरसा, दुगधा, अट्ठफासा पण्णत्ता । ते पुण अपणा प्रवण्णा, अगंधा, रसा, अफासा पण्णत्ता ॥ १८. ते ण भते । जीवा कि 'उस्सासगा ? निस्सासगा ? नोउस्सास निस्सासगा ? ४ गोयमा । १ उस्सासए वा २ निस्सासए वा ३ नोउस्सासनिस्सासए वा ४. उस्सासगा वा ५. निस्सासगा वा ६ नोउस्सासनिस्सासगा वा १-४ अहवा उस्साए य निस्सासए य १-४ अहवा उस्सासए य नो उस्सासनिस्सास य १-४ ग्रहवा निस्सासए य नोउस्सासनिस्सासए य १-८ ग्रहवा उस्सासए य निस्सास य नोउस्सासनिस्सासए य - अट्ठ भगा । एते " छव्वीस भगा भवंति ॥ १६ ते ण भते । जीवा कि ग्राहारगा ? प्रणाहारंगा ? गोयमा । ग्रहारए वा, प्रणाहारए वा — ग्रट्ठ भंगा ॥ २०. ते ण भते । जीवा किं विरया ? अविरया ? विरयाविरया ? गोमा | नो विरया, नो विरयाविरया, अविरए वा प्रविरया वा ॥ २१ ते ण भते । जीवा कि सकिरिया ? अकिरिया ? गोयमा । नो किरिया, सकिरिए वा, सकिरिया वा ॥ १ स० पा० वा जाव तेउलेसे । २ चक्क सजोगेण य (अ, क, ता, म, स), चतुकासजोगेण य ( ब ) 1 ३ द्रष्टव्यम् - भ० १।२१८ सूत्रस्य पादटिप्पणम् । ४ उस्सासा निस्सासा (क, ता, म ) । ४८७ ५ एव (ता) । नोउस्सासा निस्सासा Page #549 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४८८ २२ ते णं भते ! जीवा कि सत्तविहवधगा ? अट्ठविहवधगा ? गोयमा ! सत्तविहवधए वा, ग्रटूविहवधए वा — ग्रट्ठ भगा ॥ - २३. ते णं भते ! जीवा कि ग्राहारसण्णोवउत्ता ? भयसण्णोवउत्ता ? मेहुणसण्णोवउत्ता ? परिग्गहसण्णोवउत्ता ? गोयमा ! आहारसण्णोवरत्ता - ग्रसीती भगा' ॥ भगवई २४. ते ण भते ! जीवा कि कोहकसाई ? माणकसाई ? मायाकसाई ? लोभकसाई ? ग्रसीती भगा ॥ २५. ते ण भते । जीवा कि इत्थिवेदगा ? पुरिसवेदगा ? नपुसगवेदगा ? गोयमा | नो इत्थिवेदगा, नो पुरिसंवेदगा, नपुसगवेदए वा, नपुसगवेदगा वा ॥ २६. ते ण भते ! जीवा कि इत्थिवेदवधगा ? पुरिसवेदवधगा ? नपुसगवेदवधगा ? गोयमा ! इत्थवेदवंधए वा, पुरिसवेदवधए वा, नपुसगवेदबधए वा-: - छव्वीस भगा' ॥ २७ ते ण भते ! जीवा कि सण्णी ? सण्णी ? गोमा नो सण्णी, ग्रसण्णी वा ग्रसण्णिणो वा । २८ ते ण भते । जीवा कि सइदिया ? ग्रणिदिया ? गोयमा ! नो ग्रणिदिया, सइदिए वा, सदिया वा ॥ २६. से ण भते । उप्पलजीवेत्ति कालो केवच्चिर होइ ? गोयमा । जहणेण ग्रंतोमुहुत्तं, उक्कोसेण प्रसखेज्ज काल ॥ ३०. से ण भते ! उप्पलजीवे पुढविजीवे, पुणरवि उप्पलजीवेत्ति केवतिय काल सेवेज्जा ? केवतियं काल गतिरागति करेज्जा ? गोयमा ! भवादेसेण जहणेण दो भवग्गहणाड, उक्कोसेण असखेज्जाइं भवग्गहणाइ । कालादेसेण जहणेण दो अंतोमुहुत्ता, उक्कोसेण प्रसखेज्ज कालं, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति करेज्जा | ३१ से ण भते ! उप्पलजीवे, ग्राउजीवे, पुणरवि उप्पलजीवेत्ति केवतिय काल सेवेज्जा ? केवतिय काल गतिरागति करेज्जा ! एव चेव । एव जहा पुढविजीवे भणिए तहा जाव वाउजीवे भाणियव्वे ॥ ३२ से ण भते । उप्पलजीवे सेसवणस्सइजी वे', से पुणरवि उप्पलजीवेत्ति केवतिय 'काल सेवेज्जा ? केवतिय काल गतिरागति करेज्जा ? १, २. द्रष्टव्यम् भ० ११२१८ सूत्रम्य पादटिप्पणम् । ३. भ० ११।१८। ४. ० जीवे (व) | ५. से वरण ० ( अ, क, व, म, स ) । Page #550 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४८६ السلع mr एक्कारस सत (पढमो उद्देसो) गोयमा | भवादेसेणं जहण्णेण दो भवग्गहणाइं, उक्कोसेण अणताइ भवग्गहणाइ, कालादेसेण जहणेण दो अतोमुहुत्ता, उक्कोसेण अणत काल तरुकाल', एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति करेज्जा॥ से ण भते । उप्पलजीवे वेइदियजीवे, पुणरवि उप्पलजीवेत्ति केवतिय काल सेवेज्जा ? केवतिय काल गतिरागति करेज्जा ? गोयमा ! भवादेसेण जहण्णेण दो भवग्गहणाइ, उक्कोसेण सखेज्जाइ भवग्गहणाइ, कालादेसेण जहण्णेण दो अतोमुहुत्ता, उक्कोसेण सखेज्ज काल, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय कालं गतिरागति करेज्जा। एवं तेइदियजीवे, एव चरिदियजीवे वि॥ ३४ से ण भते | उप्पलजीवे पचिदियतिरिक्खजोणियजीवे, पुणरवि उप्पलजीवेत्ति -पुच्छा । गोयमा | भवादेसेण जहण्णेण दो भवग्गहणाइ, उक्कोसेण अट्ट भवग्गहणाइ, कालादेसेण जहण्णेण दो अतोमुहुत्ता, उक्कोसेण पुव्वकोडिपुहत्त, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति करेज्जा । एव मणुस्सेण वि सम जाव एवतिय काल गतिरागति करेज्जा । ३५ ते ण भते | जीवा किमाहारमाहारेति ? गोयमा ! दव्वनो अणतपदेसियाइ दव्वाइ, खेत्तनो असखेज्जपदेसोगाढाइ, कालो अण्णयरकालट्ठिइयाइ, भावग्रो वण्णमताइ गधमताइ रसमताई फासमताइ एव जहा आहारुद्देसए वणस्सइकाइयाण आहारो तहेव जावर सव्वप्पणयाए अाहारमाहारेति, नवर-नियमा छद्दिसि, सेस त चेव ।। ३६ तेसि ण भते । जीवाण केवतिय काल ठिई पण्णत्ता ? गोयमा ! जहण्णेण अतोमुहुत्त, उक्कोसेण दस वाससहस्साइ । ३७ तेसि ण भते | जीवाण कति समुग्घाया पण्णत्ता ? गोयमा । तो समुग्घाया पण्णत्ता, त जहा-वेदणासमुग्घाए, कसायसमुग्घाए, मारणतियसमुग्धाए । ३८, ते ण भते । जीवा मारणतियसमुग्धाएण कि समोहता मरति ? असमोहता मरति ? गोयमा । समोहता वि मरति, असमोहता वि' मरति ॥ ३९. ते ण भते ! जीवा अणतर उव्वट्टित्ता कहि गच्छति ? कहिं उववज्जति-कि १. X (क, ता, म)। २. एव चेव नवरमणत काल जाव कालाएसेण वि (व)। ३. प० २८१। Page #551 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४९० भगवई नेरइएसु उववज्जति ? तिरिक्खजोणिएसु उववज्जति ? एव जहा वक्कतीए उव्वट्टाणाए वणस्सइकाइयाणं तहा भाणियव्व' ।। ४० अह भते । सव्वपाणा, सव्वभूता, सव्वजोवा, सव्वसत्ता उप्पलमूलत्ताए, उप्पलकदत्ताए, उप्पलनालत्ताए, उप्पलपत्तत्ताए, उप्पलकेसरत्ताए, उप्पलकण्णियत्ताए, उप्पल थिभगत्ताए' उववन्नपुव्वा ? हता गोयमा । असतिं अदुवा अणतखुत्तो । ४१ सेव भते । सेव भते ! त्ति ॥ बीओ उद्देसो सालुयादिजीवाण उववायादि पद ४२ सालुए ण भते । एगपत्तए कि एगजीवे ? अणेगजीवे ? गोयमा | एगजीवे । एव उप्पलुद्देसगवत्तव्वया अपरिसेसा भाणियव्वा जाव' अणतखुत्तो, नवरं-सरीरोगाहणा जहण्णेण अगुलस्स असखेज्जइभाग, उक्कोसेणं घणुपुहत्त, सेस त चेव ॥ ४३. सेवं भते । सेव भते । त्ति। - २ विभगत्ताए (अ)। ३. भ० ६१५१ ४ भ० ११११-४० ५ भ० ११५११ Page #552 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एक्कारस सत (चउत्यो उद्देसो) तइओ उद्देस ४४ पलासे ण भते ? एगपत्तए कि एगजीवे ? अणेगजीवे ? एव उप्पलुद्देसगवत्तव्वया अपरिसेसा भाणियव्वा, नवर - सरीरोगाहणा जहण्णेण ग्रगुलस्स असखेज्जइभाग, उक्कोसेण गाउयपुहत्ता' । देवेहितो' न उववज्जति ॥ ४५. लेसासु-ते ण भते । जीवा कि कण्हलेस्सा ? नीललेस्सा ? काउलेस्सा ? गोयमा | कण्हलेस्से वा नीललेस्से वा काउलेस्से वा - छव्वीसं भगा', सेस त 1 चेव ॥ ४६ सेव भते । सेव भते । त्ति ॥ ४६१ चउत्थो उद्देसो कुभिए ण भते । एगपत्तए कि एगजीवे ? अणेगजीवे ? एव जहा पलासुद्देसए तहा भाणियव्वे, नवर--ठिती जहणेण प्रतोमुहुत्त उक्कोसेण वासपुहत्त, सेसं त चेव । ४८ सेव भते । सेव भते । ति ॥ ४७ १०हुत (अव) । २ देवा एएसु ( अ, व), देवेसु (ता, म); देवा एएसु चेव ( स ) ; वृत्तिकृतापि १११२ सूत्रस्य सन्दर्भे एव व्याख्या कृतास्ति । श्रस्माभिरपि तस्य सन्दर्भे एव पाठ स्वीकृत । ३ भ० ११।१८। ४ भ० १।५१1 ५ भ० १।५१ । Page #553 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४६२ भगवई पंचमो उद्देसो ४६. नालिए ण भते ! एगपत्तए कि एगजीवे ? अणेगजीवे ? एव कुभिउद्देसगवत्तव्वया निरवसेस भाणियन्वा । ५०. सेव भते । सेवं भंते ! त्ति। छ8ो उद्देसो ५१. पउमे ण भते ! एगपत्तए कि एगजीवे ? अणेगजीवे ? एवं उप्पलुद्देसगवत्तव्वया निरवसेसा भाणियव्वा ।। ५२ सेवं भंते ! सेव भते ! त्ति ॥ सत्तमो उद्देसो ५३ कण्णिए ण भते । एगपत्तए कि एगजीवे ? अणेगजीवे ? एव चेव निरवसेस भाणियव्वं ।। ५४. सेव भते । सेव भते । त्ति' । १. भ० ११५१॥ २. भ० ११५१ ३ भ० ११५१॥ Page #554 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४६३ एक्कारस सत (नवमो उद्देसो) अट्ठमो उद्देसो ५५. नलिणे ण भते । एगपत्तए कि एगजीवे ? अणेगजीवे ? एव चेव निरवसेस जाव' अणतखुत्तो ।। ५६. सेव भते । सेव भते । त्ति । नवमो उद्देसो सिवरायरिसि-पद ५७ तेण कालेण तेण समएण हत्थिणापुरे' नाम नगरे होत्था-वण्णो । तस्स ण हत्थिणापुरस्स नगरस्स बहिया उत्तरपुरत्थिमे दिसीभागे, एत्थ ण सहसबवणे नाम उज्जाणे होत्था-सव्वोउय'-पुप्फ-फलसमिद्धे रम्मे णंदणवणसन्निभप्पगासे सुहसीतलच्छाए मणोरमे सादुप्फले अकटए, पासादीए दरिसणिज्जे अभिरूवे ° पडिरूवे॥ ५८ तत्थ ण हत्थिणापुरे नगरे सिवे नाम राया होत्था-महयाहिमवत-महत-मलय मदर-महिंदसारे-वण्णो । तस्स ण सिवस्स रण्णो धारिणी नाम देवी होत्था-सुकुमालपाणिपाया-वण्णो । तस्स ण सिवस्स रण्णो पुत्ते धारिणीए अत्तए सिवभद्दे नाम कुमारे होत्या-सुकुमालपाणिपाए, जहा सूरियकते जाव" रज्ज च रट्ट च बल च वाहण च कोस च कोट्ठार च पुर च अतेउर च सयमेव पच्चुवेक्खमाणे-पच्चुवेक्खमाणे विहरइ । १ भ० ११११-४० २ भ० १॥५१॥ ३. हत्थिणागपुरे (अ, म), हस्थिरणपुरे (क), हत्थिरणाउरे (ता)। ४. प्रो० सू० ११ ५ सन्चोदुय (क, म)। ६ °सन्निगासे (अ, क, ब, स)। ७ स० पा०-पासादीए जाव पडिरूवे । ८ ओ० सू० १४ ६ ओ० सू० १॥ १०. राय० सू० ६७३,६७४। Page #555 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ૪૨૪ o ५६ तएण तस्स सिवस्स रण्णो ग्रण्णया कयाड पुव्वरत्ताव रत्तकालसमयसि रज्जधुर चिंतेमाणस्स अयमेयारूवे अज्झत्थिए' चितिए पत्थिए मणोगए सकप्पे समुप्पज्जित्था - प्रत्थिता मे पुरा पोराणाण सुचिण्णाण सुपरक्कताण सुभाणं कल्लाणाण कडाण कम्माण कल्लाणफल वित्तिविसेसे, जेणाह हिरण्णेण वड्ढामि सुवणेण वड्ढामि, धणेण वड्ढामि, धण्णेण वड्ढामि पुत्तेहि वड्ढामि, पसूहि वड्ढामि, रज्जेण वड्ढामि, एव रट्टेण वलेण वाहणेण कोसेण कोट्ठागारेण पुरेणं अतेउरेण वड्ढामि, विपुलधण - कणग-रयण'- मणि-मोत्तिय सखसिलप्पवाल-रत्तरयण ॰-सतसारसावएज्जेण प्रतीव ग्रतीव ग्रभिवड्ढामि, तकिण ग्रह पुरा पोराणाण" "सुचिण्णाण सुपरक्कताण सुभाण कल्लाणाण कडा कम्माण॰ ‘एगतसो खय" उवेहमाणे विहरामि ? त जावताव ग्रह हिरणेण वड्ढामि जाव' ग्रतीव-प्रतीव अभिवड्ढामि जाव मे सामतरायाणो वि वसे वति तावता मे सेय कल्ल पाउप्पभायाए रयणीए जाव' उट्ठियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलते सुबहु लोही - लोहकडाह - कडच्छुय" तविय तावसभडग घडावेत्ता सिवभद्द कुमार रज्जे ठावेत्ता त सुवहु लोही - लोहकडाह- कडच्छुय तविय तावसभडग गहाय जे इमे गगाकुले वाणपत्था तावसा भवति, [त जहा - होत्तिया पोत्तिया " कोत्तिया जहा प्रववाइए जाव" प्रायावणाहिं पचग्गि १. स० पा० - अज्झग्थिए जाव समुप्पज्जित्था २. स० पा०—जहा तामलिस्स जाव पुत्ते हि । ३ स० पा०—रयरण जाव सत० । ४ • सावदेज्जेरण (क, व, म, स) । ५ स० पा– पोरारणारण जाव एगतसोक्खय । ६ एगतसोक्खय (x) 1 ७ उन्ह० ( स ) | ८ तचैव जाव ( अ, क, व, म. स ) । ६ भ० २।६६| १० कडेच्छुय (क, ता, व, म) । ११ सोत्तिया (क, व, वृपा) । १२ केषुचिदादर्शेषु विस्तृत पाठोस्ति । तदनन्तर 'जहा ओववाइए' इति सक्षिप्तपाठस्य सूचनमप्यस्ति । एतद् द्वयोर्वाचनयो सम्मिश्रणेन जातम् | केवल 'व' सकेतितादर्शे एकैव विस्तृत वाचना लभ्यते । सा च इत्य ० 1 मस्ति - होत्तिया पोत्तिया कोत्तिया जण्णई सड्ढई थालई हुबउट्ठा [हुचउट्ठा (अ) हुपतुट्ठा (क, व), उट्टिया (ता ) ] - दतुक्खलिया उम्मज्जगा सम्मज्जगा निमज्जगा सफ्क्वाला 'उद्धकडुयगा अहोकडुयगा' ['X' (क, व, म)] दाहिण कूलगा उत्तरकूलगा सखघमगा कूलघमगा मियलुद्धगा हत्थि - तावसा जलाभिसेयकढिगगत्ता अवुवासिणो वाउवासिणो सेवालवासिणो [वेलनासिरगो (स) ] अभक्ख वाउभक्खिणो सेवालभक्खिणो मूलाहारा कदाहारा पत्ताहारा तयाहारा पुप्फाहारा फलाहारा वीयाहारा परिसडिय - पडु-पत्तपुप्फफलाहारा उद्दडा रुक्खमूलिया मडलिया विलवासिणो [ वलिवासिगो ( क ), 'पलवासिणो (व), वणवासिणो दिसापोक्खिया, आतावणेहि पचग्गितावेहि (म)] Page #556 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एक्कासं सत (नवमी उद्देसो) ૪ तावेहि इगालसोल्लिय कदुसोल्लिय कट्ठसोल्लिय पिव प्रमाण करेमाणा विहरति ] ' तत्थ ण जे ते दिसापोक्खी तावसा तेसि प्रतिय मुडे भवित्ता दिसापोक्खियतावसत्ताए पव्वइत्तए, पव्वइते वि य ण समाणे अयमेयारूव अभिग्गह अभिगिहिस्सामि - कप्पइ मे जावज्जीवाए छुट्टछट्टेण प्रणिक्खित्तेण दिसाचक्कवालेण तवोकम्मेण उड्ढ वाहाम्रो पगिज्झिय-पगिज्भिय' सूराभिमुहस्स आयावणभूमीए आयावेमाणस्स ° विहरित्तए, त्ति कट्टु एव सपेहेइ, सपेहेत्ता कल्ल पाउप्पभायाए रयणीए जाव' उट्ठियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलते सुबहु लोहीलोह कडाह-कडच्छुय तबिय तावसभडग • घडावेत्ता कोडुबियपुरिसे सहावेइ, सद्दावेत्ता एव वयासी - खिप्पामेव भो । देवाणुप्पिया । हत्थिणापुर नगर सब्भितरवाहिरिय प्रासिय सम्मज्जिग्रोवलित्त जाव" सुगंधव रगधगधिय गधवट्टिभूय करेह य कारवेह य, करेत्ता य कारवेत्ता य एयमाणत्तिय पच्चप्पिणह । वितमाणत्तिय पच्चप्पिणति ॥ ६०. तए ण से सिवे राया दोच्च पि कोडु बियपुरिसे सद्दावेइ, सहावेत्ता एव वयासी - खिप्पामेव भो | देवाणुप्पिया ! सिवभद्दस्स कुमारस्स महत्थ महग्घ महरिह विउल रायाभिसेय उवट्टवेह । तए ण ते कोडुबियपुरिसा तहेव उवट्टवेति ॥ ६१ तए ण से सिवे राया अणेगगणनायग- दडनायग'- राईसर - तलवर - माडबियकोडुबिय - इब्भ-सेट्ठि सेणावइ- सत्यवाह - दूय सधिपाल - सद्धि सपरिवुडे सिवभद्द कुमार सीहासणवरसि पुरत्याभिमुह, निसियावेइ, निसियावेत्ता अट्ठसएण सोव - ण्णियाण कलसाण जाव' अट्ठसएण भोमेज्जाण कलसाण सव्विड्ढीए जाव' दुदुहि - णिग्घोसणाइयरवेण महया - महया रायाभिसेगेण अभिसिचाइ, अभिसिं ० इगलसोनिय कदु (ड) मोल्लिय कटुसोल्लिय पिव अप्पारण करेमारणा विहरति । 'ओववाइय' सूत्रस्य (६४) पूर्णपाठ एवमस्ति -- ' होत्तिया पोत्तिया कोत्तिया जण्णई सड्ढई थालई हुबउट्ठा दतुक्खलिया उम्म ज्जगा सम्मज्जगा निमज्जगा सपक्खाला दक्णिकुलगा उत्तरकूलगा सखधमगा कूलधमगा मिगलुद्धगा हत्थितावसा उद्दडगा दिसापोक्खिरणो वाकवासिणो चेलवासिणो जलवासिगो रुक्खमूलिया अवुभक्खिणो वाउभक्खिणो सेवालभक्खिणो मूलाहारा कदाहारा तयाहारा पत्ताहारा पुप्फाहारा फलाहारा बीयाहारा परिसडिय - कद-मूल-तय-पत्त-पुप्फफलाहारा जलाभिसेय कठिण-गाया आयावणाहि पंचग्गितावेहिं इगालसोल्लिय कदु - सोल्लिय कटुसोल्लिय पिव अप्पाण करेमारगा ।' असो कोष्ठकवर्ती पाठ व्याख्याश प्रतीयते । स० पा० - परिज्झिय जाव विहरित्तए । भ० २। ६६ । १ २ ३ ४ स० पा०- - लोह जाव घडावेत्ता । ५ ओ० सू० ५५ । ६ स० पा० दडनायग जाव सधिपाल | ७. भ० ६।१८२ । ८ भ० ६।१८२ । Page #557 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ૪૬ ६२ भगवई o चित्ता पम्हलसुकुमालाए सुरभीए गधकासाईए गायाइं लूहेति, लूहेत्ता सरसेण गोसीसचदणेण गाया ग्रणुलिपति एव जहेव जमालिस्स ग्रलकारो तहेव जाव' कप्परुक्खग पिव अल किय-विभूसिय करेइ, करेत्ता करयल परिग्गहिय दसनह सिरसावत्त मत्थए अजल • कट्टु सिवभद्द कुमार जएण विजएण वद्धावेइ, वृद्धावेत्ता ताहि इट्टाहि कताहि पियाहि मणुष्णाहि मणामाहि मणाभिरामाहि हिययगमणिज्जाहिं वग्गूहिं जय विजयमगलस एहि ग्रणवरय ग्रभिणदतो य अभित्थुणतो य एव वयासी - जय जय नदा 1 जय-जय भद्दा भद्द ते, ग्रजिय जिणाहि जिय पालयाहि, जियमज्भे वसाहि । इदो इव देवाण, चमरो इव प्रसुराण, धरणो इव नागाण, चदो इव ताराण, भरहो इव मणुयाण वहूइ वासाइ बहूइ वाससयाइ बहूइ वाससहस्साइ बहूइ वाससयसहस्साइ अणहसमग्गो हट्ठतुट्ठो° परमाउ पालयाहि, इट्ठजणसपरिवुडे हत्थिणा पुरस्स नगरस्स, अण्णेसिं च बहूण गामागर - नगर - खेड - कव्वड- दोणमुह-मडव-पट्टण-ग्रासमनिगम-सवाह-सण्णिवेसाण ग्राहेवच्च पोरेवच्च सामित्त भट्टित्त महत्तरगत्त ग्राणा-ईसर-सेणावच्च कारेमाणे पालेमाणे महयाहय - नट्ट - गीय- वाइय-तती- तलताल-तुडिय-घण-मुइग पडुप्पवाइय रवेण विउलाइ भोगभोगाइ भुजमाणे • विहराहि ति कट्टु जयजयसद्द पउजति ॥ तण से विभद्दे कुमारे राया जाते - महया हिमवत - महत - मलय-मदर-महिदसारे, वण्ण जाव' रज्ज पसासेमाणे विहरइ ॥ ६३ तए ण से सिवे राया अण्णया कयाइ सोभणसि तिहि करण - दिवस मुहुत्त - नक्खत्तसि विपुल असण-पाण -खाइम साइम उवक्खडावेति, उवक्खडावेत्ता मित्तनाइ - नियग- सयण-सबधि - परिजण 'रायाणो य खत्तिए य" ग्रामतेति, ग्रामतेत्ता तस्रो पच्छा ण्हाए “ कयबलिकम्मे कयकोउय-मंगल-पायच्छित्ते सुद्धप्पावेसाइ मगल्लाइ वत्थाइ पवर परिहिए अप्पमहग्घाभरणालकिय • सरीरे भोयणवेलाए' भोयणमडवसि सुहासणवरगए तेण मित्त-नाइ - नियग-सयण-सबधि" - परिजणेण राहिय खत्तिएहि सद्धि विपुल असण- पाण- खाइम साइम ११० ● आसादेमाणे वीसादेमाणे परिभाएमाणे परिभुजेमाणे विहरइ । o ७ १ भ० १६० । २ स० पा० - करयल जाव कट्टु | ३. स० प्रा० - जहा ओववाइए कूणियस्स जाव परमाउ । ४. स० पा० - नगर जाव विहराहि । ५. ओ० सू० १४ | ६ स० पा० - नियग जाव परिजण । रायाणो य खत्तिया ( अ, क, म, स), रायाणो रायखत्तिय (ता, ब) 1 ८ स० पा०-हाए जाव सरीरे । C. X (ता, व ) । १०. जाव (अ, क, ता, व, म, स ) 1 ११ स० पी० एव जहा तामली जान सक्कारेइ Page #558 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एक्कारसं सत ( नवमो उद्दसी) जिमियभुत्तुरागए वि य ण समाण प्रायंते चोक्खे परमसुइब्भूए त मित्त-नाइनियग-सयण-सबधि - परिजण विउलेण असण- पाण- खाइम - साइमेण वत्थ-गधमल्लालकारेण य° सक्कारेइ सम्माणेइ, सक्कारेत्ता सम्माणेत्ता त मित्त-नाइ - ' • नियग - सयण - सबधि - ० परिजण रायाणो य खत्तिए य सिवभद्द च रायाण आपुच्छइ, आपुच्छित्ता सुवहु लोही - लोहकडाह - कडच्छुय' तबियतावस • भडगं गहाय जे इमे गगाकूलगा वाणपत्था तावसा भवति, त चेव जाव' तेसि प्रतिय मुडे भवित्ता दिसापोक्खियतावसत्ताए पव्वइए, पव्वइए वि य ण समाणे अयमेयारूव अभिग्गह अभिगिण्हति - ' कप्पइ मे जावज्जीवाए छट्ठ छट्टेण प्रणिक्खित्तेण दिसाचक्कवालेण तवोकम्मेण उड्ढ वाहाम्रो पगिज्भिय-पगिज्झिय विहरित्तए' - श्रयमेयारूव • अभिग्गह' ग्रभिगिन्हित्ता पढम छट्ठक्खमण उवसज्जित्ताणं विहरइ ॥ o ६४. तएण से सिवे रायरिसी पढमछट्ठक्खमणपारणगसि श्रायावणभूमी पचोरुहर, पच्चोरुहित्ता वागलवत्थनियत्ये जेणेव सए उडए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता किढिण'-सकाइयग गिण्हइ, गिण्हित्ता पुरत्थिम दिस पोक्खेइ, पुरथिमाए दिसा सोमे महाराया पत्थाणे पत्थिय अभिरक्खउ सिव" रायरिसिअभिरक्खउ सिव रायरिसि, जाणि य तत्थ कदाणि य मूलाणि य तयाणि य पत्ताणि य पुष्फाणि य फलाणि य बीयाणि य हरियाणि य ताणि प्रणुजाणउ त्ति कट्टु पुरत्थिम दिस पसरई, पसरिता जाणि य तत्थ कदाणि य जाव हरियाणि यताइ गेहइ, गेण्हित्ता किठिण - सकाइयग भरेइ, भरेत्ता दब्भेय कुसे य समिहा य पत्तामोड च गिण्हइ, गिण्हित्ता जेणेव सए उडए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता किढिण-सकाइयग ठवेइ, ठवेत्ता वेदिं वढ्ढेइ, वड्ढेत्ता उवलेवण समज्जण करेइ, करेत्ता दब्भकलसाहत्थगए' जेणेव गंगा महानदी तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता 'गंग महानदि " ओगाहेइ, प्रोगाहेत्ता जलमज्जण करेइ, करेत्ता जलकीड करेइ, करेत्ता जलाभिसेय करेइ, करेत्ता आयते चोक्खे परमसुइभूए देवय-पिति कयकज्जे दब्भकलसाहत्यगए" गगाओ महा १. स० पानाइ जाव परिजण । २. स० पा० – कडच्छुय जाव भडग । ३. भ० ११।५६ । ४. स० पा० - त चेव जाव अभिग्गह | ५. अभिग्गह अभिगिण्हइ ( अ, क, ता, व, म, स ), द्रष्टव्यम् - भ० ३।३३ सूत्रस्य पादटिप्पणम् । ४६७ ६ ७ कढिग ( अ ) | सिवे ( ब, स ) । ८. सरइ (ता, म) । दव्भकलस ० ( अ ), दव्भसगव्भकलसा ( सग ) १० ११ हत्थगए (ता, वृपा) । गंगामहानदी ( क, व, म) 1 दव्भसगव्भकलसा ( अ, क, ता, व, म, स ) 1 Page #559 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४६८ भगवई नदीथ्रो पच्चुत्तरइ, पच्चुत्तरित्ता जेणेव सए उडए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता दव्भेहि य कुसेहि य वालुयाएहि य वेदि' रएति, रएत्ता सरएण ग्ररणि महेइ, महेत्ता रिंग पाडेइ, पाडेत्ता प्ररिंग सधुक्केइ, सधुक्केत्ता समिहाकट्ठाइ पक्खिवइ, पक्खिवित्ता अग्ग उज्जालेइ, उज्जालेत्ता " अग्गिस्स दाहिणे पासे, सत्तगाइ समादहे,” [त जहा - सकह वक्कल ठाण, सिज्जाभड कमंडलु । दडदारू तहप्पाण, अहे ताइ समादहे || १ || ] ' महुणा य घएण य तदुलेहि य प्रग्गि हुइ, हुणित्ता चरु साहेइ, साहेत्ता बलिवइस्सदेव' करेइ, करेत्ता प्रतिहिपूयं करेइ, करेत्ता तो पच्छा अप्पणा ग्राहारमाहारेति ॥ ६५ तए ण से सिवे रायरिसी दोच्च छट्ठक्खमण उवसपज्जित्ताण विहरइ ॥ ६६ तए णं से सिवे रायरिसी दोच्चे छट्ठक्खमणपारणगसि प्रयावणभूमीश्रो पन्चोरुहइ, पच्चोरुहित्ता " वागलवत्थनियत्थे जेणेव सए उडए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता किढिण-सकाइयग गिण्हइ, गिण्हित्ता दाहिणग दिसं पोक्खेइ, दाहिणाए दिसाए जमे महाराया पत्थाणे पत्थिय अभिरक्खउ सिवं रायरिसिं, सेस त चेव जाव' तम्रो पच्छा अप्पणा आहारमाहारेइ ॥ ६७. तए ण से सिवे रायरिसी तच्च छट्ठक्खमणं उवसपज्जित्ताण विहरइ ॥ ६८ तए ण से सिवे रायरिसि तच्चे छट्ठक्खमणपारणगसि आयावणभूमी पच्चोरुहइ, पच्चोरुहित्ता वागलवत्थनियत्थे जेणेव सए उडए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता किढिण-सकाइयग गिण्हइ, गिण्हित्ता पच्चत्थिम दिस पोक्खेइ, पच्चत्थिमाए दिसाए वरुणे महाराया पत्थाणे पत्थिय अभिरक्खउ सिवं रायरिसि, सेस त चेव जाव' तम्रो पच्छा अप्पणा श्राहारमाहारेइ ॥ ७० ६६ तए गं से सिवे रायरिसी चउत्थ छुट्ठक्खमण उवसपज्जित्ताण विहरइ ॥ तए ण से सिवे रायरसी चउत्थे छट्ठक्खमण पारणगसि आयावणभूमीओ पच्चोरुहइ, पच्चोरुहित्ता वागलवत्थनियत्थे जेणेव सए उडए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता किढिण-सकाइयग गिण्हइ, गिहित्ता उत्तरदिस पोक्खेइ, १. वेति ( अ, क, म, स ) 1 २ यावेड (ता) | ३ असो कोष्ठकवर्ती पाठो व्याख्यांग. प्रतीयते । ४ वलिविस्सदेव ( अ, क, ता), वलि विस्सदेव (व), वलिविन्सादेव (म ), वलिविइस्सदेव (स) । ५. स० पा० एव जहा पढमपारणग नवर । ६. भ० ११।६४ । ७ स० पा०-सेस तं चैव नवर | ८ भ० ११।६४ । ६ स० पा० - एव त चेव नवर । Page #560 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एक्कारसं सत (नवमो उद्देसो) ८४६६ उत्तराए दिसाए वेसमणे महाराया पत्थाणे पत्थियं अभिरक्खउ सिव रायरिसिं, सेस त चेव जाव' तो पच्छा अप्पणा आहारमाहारेइ ।। ७१ तए ण तस्स सिवस्स रायरिसिस्स छट्टछद्रुण अणिक्खित्तेण दिसाचक्कवालेण' तवोकम्मेण उड्ढ बाहाम्रो पगिज्झिय-पगिझिय सूराभिमुहस्स पायावणभूमीए° पायावेमाणस्स पगइभद्दयाए 'पगइउवसतयाए पगइपयणकोहमाणमायालोभयाए मिउमद्दवसपन्नयाए अल्लीणयाए° विणीययाए अण्णया कयाइ तयावरणिज्जाणं कम्माण खोवसमेण ईहापूहमग्गणगवेसण करेमाणस्स विब्भगे नाम नाणे समुप्पन्ने । से ण तेण विन्भगनाणण समुप्पन्नण पासति अस्सि लोए सत्त दीवे सत्त समुद्दे, तेण पर न जाणइ, न पासइ । ७२ तए ण तस्स सिवस्स रायरिसिस्स अयमेयारूवे अज्झत्थिए' चितिए पत्थिए मणोगए सकप्पे समुप्पज्जित्था-अस्थि ण मम अतिसेसे नाणदसणे समुप्पन्ने, एवं खलु अस्सि लोए सत्त दीवा सत्त समुद्दा, तेण पर वोच्छिन्ना दीवा य समुद्दा य-एव सपेहेइ, सपेहेत्ता पायावणभूमीओ पच्चोरुहइ, पच्चोरुहित्ता वागलवत्थनियत्थे जेणेव सए उडए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सुवह लोही-लोहकडाह-कडच्छुय' तबिय तावस भडग किढिण-सकाइयग च गेण्हइ, गेण्हित्ता जेणेव हत्थिणापुरे नगरे जेणेव तावसावसहे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता भडनिक्खेव करेइ, करेत्ता हत्थिणापुरे नगरे सिंघाडग-तिग''चउक्क-चच्चर-चउम्मुह-महापह-पहेसु बहुजणस्स एवमाइक्खइ जाव एव परूवेइ - अत्थि ण देवाणुप्पिया । मम अतिसेसे नाणदसणे समुप्पन्ने, एव खलु अस्सि लोए' 'सत्त दीवा सत्त समुद्दा, तेण पर वोच्छिन्ना दीवा य समुद्दा य॥ ७३. तए ण तस्स सिवस्स रायरिसिस्स अतिय एयम? सोच्चा निसम्म हत्यिणापूरे नगरे सिंघाडग-तिग- चउक्क-चच्चर-चउम्मुह-महापह°-पहेसु बहजणो अण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ जाव" परूवेइ-एव खलु देवाणुप्पिया । सिवे रायरिसी एवमाइक्खइ जाव परूवेइ-अत्थि ण देवाणुप्पिया | मम अतिसेसे १ भ० ११।६४ । स० पा० - कडच्छुय जाव भडग । २ स० पा०-दिसाचक्कवालेण जाव आया- ७ स० पा०-तिग जाव पहेसु । वेमारणस्स। ८ भ०११४२० । ३ स० पा०-पगइभद्दयाए जाव विणीययाए। ६ स० पा०-लोए जाव दीवा । ४ अण्णाणे (अ, क, ता, ब, म)। १० स० पा०-तिग जाव पहेसु । ५ स० पा०-अज्झत्थिए जाव समुप्पज्जित्था । ११. भ० ११४२० । ६ कडुच्छ्य (अ, स), कडेच्छुय (क, ब), Page #561 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई नाणदसणे' समुप्पन्ने, एव खलु अस्सि लोए सत्त दीवा सत्त समुद्दा °, तेण पर वोच्छिन्ना दीवा य समुद्दा य । से कहमेय मन्ने एव ? ७४ तेणं कालेण तेण समएण सामो समोसढे, परिसा' निग्गया। धम्मो कहियो परिसा पडिगया। ७५. तेण कालेण तेण समएण समणस्स भगवो महावीरस्स जेटे अतेवासी इदभूई नाम अणगारे जहा बितियसए नियंठुद्देसए जाव' घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए अडमाणे वहुजणसई निसामेइ, बहुजणो अण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ जाव एव परूवेइ-एव खलु देवाणुप्पिया | सिवे रायरिसि एवमाइक्खइ जाव' एव परूवेइ-अत्थि ण देवाणुप्पिया । मम अतिसेसे नाणदसणे समुप्पन्ने, एव खलु अस्सि लोए सत्त दीवा सत्त समुद्दा, तेण पर ° वोच्छिन्ना दीवा य समुद्दा य । से कहमेय मन्ने एवं ? ७६. तए ण भगव गोयमे बहुजणस्स अतिय एयम? सोच्चा निसम्म जायसड्ढे ५.जाव' समणं भगव महावीरं वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता एव वदासीएव खलु भंते | अह तुन्भेहिं अन्भणुण्णाए समाणे हत्थिणापुरे नयरे उच्चनीय-मज्झिमाणि कुलाणि घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए अडमाणे बहुजणसद्द निसामेमि-एव खलु देवाणुप्पिया | सिवे रायरिसी एवमाइक्खइ जाव परूवेइ -अत्थि ण देवाणप्पिया ! मम अतिसेसे नाणदसणे समुप्पन्ने, एव खलु अस्सि लोए सत्त दीवा सत्त समुद्दा, तेण पर वोच्छिन्ना दीवा य समुद्दा य ।। ७७. से कहमेय भते । एवं ? गोयमादि । समणे भगव महावीरे भगव गोयम एव वयासी--जण्ण गोयमा ! 'एव खलु एयस्स सिवस्स रायरिसिस्स छ?छट्टेण अणिक्खितेण दिसाचक्कवालेण तवोकम्मेण उड्ढ वाहाम्रो पगिज्झिय-पगिज्झिय सूराभिमुहस्स आयावणभूमीए आयावेमाणस्स पगइभद्दयाए पगइउवसतयाए पगइपयणुकोहमाणमायालोभयाए मिउमद्दवसपन्नयाए अल्लीणयाए विणीययाए अण्णया कयाइ तयावरणिज्जाण कम्माण खग्रोवसमेण ईहापूहमग्गणगवेसण करेमाणस्स विब्भगे नाम नाणे १ स० पा०-नाणदसणे जाव तेरण। ३. सं० पा०-परिसा जाव पडिगया। ३. भ०२।१०६-१०६। ४. स० पा०--तं चेव जाव वोच्छिन्ना। ५. स० पा०-जहा नियठद्देसए जाव तेण । ६ भ० २।११०। Page #562 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५०१ एक्कारसं सत (नवमो उद्देसो) समुप्पन्ने ।' 'त चेव सव्व भाणियव्व जाव भडनिक्खेव करेइ, करेत्ता हत्थिणापुरे नगरे सिंघाडग-"तिग-चउक्क-चच्चर-चउम्मुह-महापह-पहेसु बहुजणस्स एवमाइक्खइ जाव एव परूवेइ-अत्थि ण देवाणुप्पिया | मम अतिसेसे नाणदसणे समुप्पन्ने, एव खलु अस्सि लोए सत्त दीवा सत्त समुद्दा, तेण परं वोच्छिन्ना दीवा य ससुद्दा य । तए ण तस्स सिवस्स रायरिसिस्स अतिए एयम? सोच्चा निसम्म 'हत्थिणारे नगरे सिंघाडग-तिग-चउक्क-चच्चर-चउम्मुह-महापह-पहेसु बहुजणो अंण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ जाव परूवेइ--एव खलु देवाणुप्पिया । सिवे रायरिसी एवमाइक्खइ जाव परूवेइ-अस्थि ण देवाणुप्पिया । मम प्रतिसेसे नाणदसणे समुप्पन्ने, एव खलु अस्सि लोए सत्त दीवा सत्त समुद्दा °, तेण पर वोच्छिन्ना दीवा य समुद्दा य, तण्ण मिच्छा । अह पुण गोयमा । एवमाइक्खामि जाव परूवेमि-एव खलु जबुद्दीवादीया दीवा, लवणादीया समुद्दा सठाणो एगविहिविहाणा, वित्थारो अणेगविहिविहाणा एव जहा जीवाभिग में जाव" सयभूरमणपज्जवसाणा अस्सि तिरियलोए असखेज्जा दीवसमुद्दा पण्णत्ता समणाउसो ७८ 'अत्थि ण भते | जबुद्दीवे दीवे दव्वाइ-सवण्णाइ पि, अवण्णाइ पि सगधाइ पि अगधाइ पि, सरसाइ पि अरसाइ पि, सफासाइ पि अफासाइ पि, अण्णमण्णबद्धाइ अण्णमण्णपुट्ठाइ' 'अण्णमण्णबद्धपुट्ठाइ अण्णमण्ण घडत्ताए चिट्ठति ? हता अत्थि ॥ ७६. 'अत्थि ण भते । लवणसमुद्दे दन्वाइ-सवण्णाइ पि अवण्णाइ पि, सगधोइं पि अगधाइ पि, सरसाइ पि अरसाइ पि, सफासाइ पि अफासाइ पि अण्णमण्णबद्धाइ अण्णमण्णपुट्ठाइ अण्णमण्णबद्धपुट्ठाइ अण्णमण्ण ° घडत्ताए चिति ? हता अत्थि" ॥ १ अस्य पाठस्य स्थाने सर्वेपु आदर्शेषु निम्न- सूत्रेण सपादितास्ति । निदिष्ट. पाठोस्ति-से वहुजणे अण्णमण्णस्स २ भ० ११।६३-७२। एवमाइक्खई', किन्तु पौर्वापर्यसमालोचनया ३ स० पा०–त चेव जाव वोच्छिन्ना। नास्य सङ्गतिर्जायते। ४ स० पा०-त चेव जाव तेण । 'से बहुजणे' इत्यादिपाठ 'भडनिक्खेव करेइ' ५ भ० ६।१५९। (७२) अतः उत्तरवर्ती (७३) वर्तते । अस्य ६ स० पा०-अण्णमण्णपुट्ठाइ जाव घडताए। पूर्वविन्यासो नैव युक्त स्यात्। सभाव्यते ७ X (अ, क, व, म)। सक्षेपीकरणे क्वचिद् विपर्यासो जात । ८. F० पा०-अण्णमण्णपुटाइ जाव घडताए। आस्माभिरस्य पाठस्य सङ्गतिरुत्तरवर्तिना ८३ ६. X (ता)। Page #563 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८१ 2. भगवई ८०. अत्थि ण भते । धायइसडे दीवे दव्वाइं सवण्णाई पि "अवण्णाइं पि, सगंधाई पि अगंधाइं पि, सरसाइ पि अरसाइ पि, सफासाई पि अफासाइ पि अण्णमण्णबताई अण्णमण्णपुट्ठाइं अण्णमण्णवद्धपुट्ठाइं अण्णमण्णघडत्ताए चिट्ठति ? हता अस्थि ° । एव जाव२०अत्थि णं भते ! सयंभूरमणसमुद्दे दव्वाइं-सवण्णाई पि अवण्णाइ पि, सगधाइ पि, अगधाइ पि, सरसाइ पि अरसाइ पि, सफासाइ पि अफासाइं पि अण्णमण्णवद्धाइ अण्णमण्णपुट्ठाइ अण्णमण्णबद्धपुट्ठाइ अण्णमण्णघडत्ताए चिट्ठति? हता अत्थि° ॥ ८२. तए ण सा महतिमहालिया महच्चपरिसा समणस्स भगवनो महावीरस्स अतिए एयमहूँ सोच्चा निसम्म हट्टतुट्ठा समण भगव महावीर वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता जामेव दिस पाउन्भूया तामेव दिस पडिगया । तए ण हत्थिणापुरे नगरे सिंघाडग- तिग-चउक्क-चच्चर-चउम्मुह-महापह°. पहेस वहजणो अण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ जाव' परूवेइ जण्ण देवाणप्पिया ! सिवे रायरिसी एवमाइक्खइ जाव परूवेइ-अस्थि ण देवाण प्पिया ! ममं अतिसेसे नाण"दसणे समुप्पन्ने, एवं खलु अस्सि लोए सत्त दीवा सत्त समुहा, तेण पर वोच्छिन्ना दीवा य° समुद्दा य । त नो इण? समटे, समणे भगव महावीरे एवमाइक्खइ जाव परूवेइ-एवं खलु एयस्स सिवस्स रायरिसिस्स छट्टछद्रेण त चेव जाव' भडनिक्खेवं करेइ, करेत्ता हत्यिणापुरे नगरे सिघाडग:•तिग-चउक्क-चच्चर-चउम्मुह-महापह-पहेसु बहुजणस्स एवमाइक्खइ जाव एव पसवेड-अत्थि ण देवाणुप्पिया । मम अतिसेसे नाणदसणे समुप्पन्ने, एव खलु अस्सिं लोए सत्त दीवा सत्त समुद्दा, तेण पर वोच्छिन्ना दीवा य ° समूहा य । तए ण तस्स सिवस्स रायरिसिस्स अतिय एयम? सोच्चा निसम्म जाव तेण पर वोच्छिन्ना दीवा य समुद्दा य तण्ण मिच्छा, समणे भगव महावीरे एवमाइक्खइएव खलु जबुद्दीवादीया दीवा लवणादीया समुद्दा त चेव जाव असखेज्जा दीवसमुद्दा पण्णत्ता समणाउसो | ५४. तए णं से सिवे रायरिसी बहुजणस्स अतिय एयमटुं सोच्चा निसम्म सकिए कखिए वितिगिच्छिए भेदसमावन्ने कलुससमावन्ने जाए यावि होत्था । तए ण १ नं० पा०-एव चेव । २. म० पा.-सयभूरमणसमुद्दे जाव हता। ३ अतिय (अ, क, न)। ४ म०पाल-निघाइग जाव पहेम् । ५. भ० ११४२०॥ ६ स० पा०-तारण जाव समुद्दा । ७ भ० १११७७। ८. सं० पा०-सिंघाडग जाव समुद्दा । ६ भ० १११७३। १०. भ० १११७७१ Page #564 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एक्कार सतं (नवम उद्देसो) ५०३ o ? तस्स सिवस्स रायरिसिस्स सकियस्स कखियस्स' वितिगिच्छियस्स भेदसमावन्नस्स॰ कलुससमावन्नस्स से विभगे नाणे' खिप्पामेव परिवडिए ॥ ८५. तण तस्स सिवस्स रायरिसिस्स अयमेयारूवे प्रभस्थिए' चितिए पत्थिए मणोग सकप्पे समुपज्जित्था - एव खलु समणे भगव महावीरे तित्थगरे आदिगरे जाव ́ सव्वण्णू सव्वदरिसी आगासगएणं चक्केणं जाव' सहसबवणे उज्जाणे ग्रहापडिरूव' प्रोग्गह ग्रगिण्हित्ता सजमेण तवसा अप्पाण भावेमाणे • विहरइ, त महप्फलं खलु तहारूवाण रहताण भगवताण नामगोयस्स ""वि सवणयाए, किमग पुण अभिगमण-वदण - नमसण-पडिपुच्छण- पज्जुवासणयाए ? एगस्स विप्ररियस्स धम्मियस्स सुवयणस्स सवणयाए, किमग पुण विउलस्स अट्ठस्स • गहणयाए त गच्छामिण समण भगव महावीर वदामि जाव पज्जुवासामि, एय णे इहभवे य परभवे य' •हियाए सुहाए खमाए निस्सेयसाए प्रणुगामियत्ताए भविस्सइ त्ति कट्टु एव सपेहेइ, सपेहेत्ता जेणेव तावसावसहे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता तावसावसह ग्रणुप्पविसइ प्रणुप्पविसित्ता सुबहु लोही-लोहकडाह"-"कडच्छुय तविय तावसभडग किढिण- सकाइयग च गेण्हइ हित्ता तासावसहाय पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता पडिवडियविब्भगे हरियणापुर नगर मज्झमज्भेण निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता जेणेव सहसबवणे उज्जाणे, जेणेव समणे भगव महावीरे, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समण भगव महावीर तिक्खुत्तो" वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता नच्चासन्ने नातिदूरे सुस्सूसमाणे नमसमाणे अभिमुहे विणएण पलिकडे" पज्जुवासइ ॥ ८६ तएण समणे भगवं महावीरे सिवस्स रायरिसिस्स तीसे य महतिस हालियाए ० o ८७ t परिसाए" धम्म परिकहेइ जाव" प्राणाए आराहए भवइ ।। तएण से सिवे रायरिसी समणस्स भगवन महावीरस्स प्रतिय धम्म सोच्चा निसम्म जहा खदश्रो जाव" उत्तरपुरत्थिम दिसीभाग अवक्कमइ, प्रवक्कमित्ता सुवहु लोही-लोहकडाह"- कडच्छुय तबिय तावसभडग° किढिण-सकाइयग च १ स० पा० - कखियस्स जाव कलुस ० । २ अण्णा (क, स) । ३. स० पा० -- अज्झत्थिए जाव समुप्पज्जित्था । १२ ४. भ० १७ १३ ५. ओ० सू० १९| ६. सं० पा० - ग्रहापडिरूव जाव विहरइ | ११. तिक्खुत्तो स० पा० १० सं० पा० - लोहकडाह जाव किढिए । याहिण - पयाहिण ( स ) । नातिदूरे जाव पलिकडे | जलियडे (ता) । १४. पू० - ओ० सू० ७१ । १५. ओ० सू० ७१-७७ ७. स० पा० --- जहा ओववाइए जाव गहणयाए । १६० भ० २।५२ । ८. भ० २।३० ६. स० पा० - जाव भविस्सइ । १७. स० पा० -- लोहकडाह जाव किढिरण | Page #565 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई एगते एडेइ, एडेत्ता सयमेव पंचमुट्ठियं लोय करेइ, करेत्ता समणं भगवं महावीर तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिण करेइ, करेत्ता वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता एव जहेव उसभदत्तो तहेव पव्वइओ, तहेव एक्कारस अगाइं अहिज्जइ, तहेव सव्व जाव' सव्वदुक्खप्पहीणे ॥ ८८. भतेति ! भगव गोयमे समण भगव महावीर वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता एव वयासी-जीवा ण भते ! सिज्झमाणा कयरम्मि सघयणे सिज्झति ? गोयमा ! वइरोसभणारायसघयणे सिज्झति, एव जहेव ओववाइए तहेव । 'सघयण सठाण, उच्चत आउय च परिवसणा।२ एव सिद्धिगडिया निरवसेसा भाणियव्वा जाव' अव्वावाह सोक्ख, अणुहोति सासय सिद्धा ।। ५९ सेव भते । सेव भते ! त्ति ॥ दसमो उद्देसो खेत्तलोय-पदं १०. रायगिहे जाव' एवं वयासी-कतिविहे णं भते ! लोए पण्णत्ते ? गोयमा । चउविहे लोए पण्णत्ते, त जहा-दव्वलोए, खेत्तलोए, काललोए, भावलोए॥ खेत्तलोए ण भते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! तिविहे पण्णत्ते, त जहा-अहेलोयखेत्तलोए', तिरियलोयखेत्तलोए, उड्ढलोयखेत्तलोए। ६२ अहेलोयखेत्तलोए ण भते । कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा | सत्तविहे पण्णत्ते, तं जहा–रयणप्पभापुढविअहेलोयखेत्तलोए" जाव' अहेसत्तमापुढविअहेलोयखेत्तलोए ।। १. म० ६।१५०,१५१॥ ५. भ० १।४-१०॥ २ एतत् सराहगाथाघ औपपातिके नोपलभ्यते । ६ अहो ° (अ, क, म, स), अधे ० (ता)। दन पुतश्चिद् अन्यस्थानाद् उद्धृतमन्ति। ७ रयणप्पभ • (ता)। ३. मो० सू० १६५ ८ भ० २।७५ ४, न०१५॥ Page #566 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४ एवकारसं सतं (दसमो उद्देसो) ६३. तिरियलोयखेत्तलोए ण भते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा । असखेज्जविहे पण्णत्ते, त जहा-जवुद्दोवे दीवे तिरियलोयखेत्तलोए जाव सयभूरमणसमुद्दे तिरियलोयखेत्तलोए॥ उड्ढलोयखेत्तलोए ण भते । कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा । पन्नरसविहे पण्णत्ते, तं जहा-सोहम्मकप्पउड्ढलोयखेत्तलोए' •ईसाण-सणकुमार-माहिंद-बभलोय-लतय - महासुक्क-सहस्सार-याणय-पाणयप्रारण -अच्चुयकप्पउड्ढलोयवेत्तलोए, गेवेज्जविमाणउड्ढलोयखेत्तलोए, अणु त्तरविमाणउड्ढलोयखेत्तलोए, ईसिपम्भारपुढविउड्ढलोयखेत्तलोए । ६५. अहेलोयखेत्तलोए ण भते । किसठिए पण्णत्ते ? गोयमा । तप्पागारसठिए पण्णत्ते ।। ९६ तिरियलोयखेत्तलोए ण भते । किसठिए पण्णत्ते ? गोयमा । झल्लरिसठिए पण्णत्ते ।। ६७ उड्ढलोयखेत्तलोए ण भते । किमठिए पण्णत्ते ? गोयमा | उड्ढमुइगाकारसठिए पण्णत्ते ।। लोयसंठाण-पद १८ लोए ण भते । किसठिए पण्णत्ते ? गोयमा ! सुपइट्टगसठिए पण्णत्ते', त जहा–हेट्ठा विच्छिण्णे, मज्झ सखित्तं, "उप्पि विसाले , अहे पलियकसठिए, मझे वरवइरविग्गहिए, उप्पि उद्धमुइगाकारसठिए । तसि च ण सासयसि लोगसि हेट्ठा विच्छिण्णसि जाव उप्पि उद्धमुइगाकारसठियसि उप्पण्णनाण-दसणधरे अरहा जिणे केवली जीवे वि जाणइ-पासइ, अजीवे वि जाणड-पासइ, तो पच्छा सिज्झइ बुज्झड मुच्चइ परिनिव्वाइ सव्वदुक्खाण° अत करेड ।। अलोयसठाण-पद ६६. अलोए ण भंते ! किसठिए पण्णत्ते ? गोयमा । झुसिरगोलसठिए' पण्णत्ते ।। १. स पा०-सोहम्मकप्पउड्ढलोयखेत्तलोए ' ३. स० पा०-जहा सत्तमसए पढमुद्देसए जाव ' जाव अच्चुय० । अत । २. लोए पण्णत्त (अ, क, व, म, स)। ४ सुसिरगोलकसठिए (ब)। . Page #567 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई लोयालोए जीवाजीव-मग्गणा-पदं १००. अहेलोयखेत्तलोए ण भते । कि १. जीवा २. जीवदेसा ३. जीवपदेसा ४ अजीवा ५. अजीवदेसा ६. अजीवपदेसा? "गोयमा ! जीवा वि, जीवदेसा वि, जीवपदेसा वि, अजीवा वि, अजीवदेसा वि, अजोवपदेसा वि। जे जीवा ते नियमा एगिदिया बेइइिया तेइदिया चउरिदिया पचिंदिया, अणिदिया। जे जीवदेसा ते नियमा एगिदियदेसा जाव अणिदियदेसा। जे जीवपदेसा ते नियमा एगिदियपदेसा बेइदियपदेसा जाव अणिदियपदेसा। जे अजीवा ते दुविहा पण्णत्ता, त जहा–रूविग्रजीवा य, अरूविअजीवा य । जे रूविअजीवा ते चउविवहा पण्णत्ता, त जहा-खधा, खधदेसा, खधपदेसा, परमाणुपोग्गला। जे अरूविअजीवा ते सत्तविहा पण्णत्ता, त जहा-१ नोधम्मत्थिकाए धम्मत्थिकायस्स देसे २ धम्मत्थिकायस्स पदेसा ३ नोअधम्मत्थिकाए अधम्मत्थिकायस्स देसे ४. अधम्मत्थिकायस्स पदेसा ५ नोआगासत्थिकाए अागासत्थिका यस्स देसे ६ आगासत्थिकायस्स पदेसा° ७ अद्धासमए॥ १०१. तिरियलोयखेत्तलोए ण भते । कि जीवा ? जीवदेसा? जीवपदेसा? एव चेव । एव उड्ढलोयखेत्तलोए वि, नवर–अरूवी छविहा, अद्धासमयो नत्थि ॥ १०२ लोए ण भते ! कि जीवा ? जीवदेसा ? जीवपदेसा? जहा वितियसए अत्यिउद्देसए लोयागासे', नवर-अरूवि अजीवा सत्तविहा' •पण्णत्ता, त जहा-धम्मत्थिकाए नोधम्मत्थिकायस्स देसे, धम्मत्थिकायस्स पदेसा, अधम्मत्थिकाए नोअधम्मत्थिकायस्स देसे °, अधम्मत्थिकायस्स पदेसा, नोपागासत्थिकाए आगासत्थिकायस्स देसे, अागासस्थिकायस्स पदेसा, अद्धास मए, सेस त चेव॥ १०३ अलोए ण भते ! किं जीवा ? जीवदेसा? जीवपदेसा? एवं जहा अत्यिकायउद्देसए अलोयागासे, तहेव निरवसेस जाव' सव्वापासे अणतभागूणे ॥ १. सं० पा०-एव जहा इदा दिसा तहेव निरवसेस भाणियव्व जाव अद्धासमए । २. भ० २।१३६, १०॥५॥ ३. स० पा०-सत्तविहा जाव अधम्मत्थि.. ४. भ० २११४० । Page #568 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एक्कारसं सत (दसमो उद्देसो) ५०७ १०४. अहेलोगखेत्तलोगस्स ण भते ! एगम्मि आगासपदेसे किं १ जीवा २ जीवदेसा ३. जीवपदेसा ४. अजीवा ५ अजीवदेसा ६ अजीवपदेसा? गोयमा | नो जीवा, जीवदेसा वि, जीवपदेसा वि, अजीवा वि, अजीवदेसा वि, अजीवपदेसा वि। जे जीवदेसा ते नियम १ एगिदियदेसा २ अहवा एगिदियदेसा य बेइदियस्स देसे ३ अहवा एगिदियदेसा य वेइदियाण य देसा । एव मझिल्लविरहियो' जाव अहवा एगिदियदेसा य अणिदियाण य देसा। जे जीवपदेसा ते नियम १. एगिदियपदेसा २ अहवा एगिदियपदेसा य बेइदियस्स पदेसा ३ अहवा एगिदियपदेसा य वेइ दियाण य पदेसा, एव आइल्लविरहिरो' जाव पचिदिएसु, अणिदिएसु तियभगो।। जे अजीवा ते दुविहा पण्णत्ता, त जहा-रूवी अजीवा य, अरूवी अजीवा य । रूवी तहेव । जे अरूवी अजोवा ते पचविहा पण्णत्ता, त जहा-नोधम्मत्थिकाए धम्मत्थिकायस्स देसे, धम्मत्थिकायस्स पदेसे, ""नोअधम्मत्थिकाए अधम्मत्थि कायस्स देसे, अधम्मत्थिकायस्स पदेसे°, अद्धासमए॥ १०५. तिरियलोगखेत्तलोगस्स ण भते । एगम्मि आगासपदेसे कि जीवा ? एव जहा' अहेलोगखेत्तलोगस्स तहेव, एव उड्ढलोगखेत्तलोगस्स वि, नवरअद्धासमयो नत्थि । अरूवी चउव्विहा ॥ "लोगस्स ण भते । एगम्मि आगासपदेसे कि जीवा° ? जहा अहेलोगखेत्तलोगस्स एगम्मि आगासपदेसे ।। १०७ अलोगस्स ण भते । एगम्मि आगासपदेसे-पुच्छा। गोयमा | नो जीवा, नो जीवदेसा, "नो जीवप्पदेसा, नो अजीवा नो अजीव देसा, नो अजीवप्पदेसा, एगे अजीवदव्वदेसे अगरुयलहुए° अणतेहि अगरुयल हुयगुणेहि सजुते सव्वागासस्स अणतभागूणे ।। १०८ दव्वओ ण अहेलोगखेत्तलोए 'अणता जीवदव्वा, अणता अजीवदव्वा', अणता १०६ १ 'अहवा एगिदियदेसा य वेइदियस्स य देसा' समुद्घात विना एकस्य जीवस्य एकप्रदेश इत्येव रूपो यो मध्यमभङ्ग तद्विरहितोसो सम्भवोऽसङ्ख्यातानामेव भावात (७) । त्रिकभङ्ग । मध्यमभङ्गकस्य असम्भवात् ४ स० पा०-एव अधम्मत्थिकायस्स वि। तथाहि द्वीन्द्रियस्स एकत्राकाशप्रदेशे बहवो ५ भ० ११११०४। देशा न सन्ति, देशस्यवभावात् (वृ)। ६ स० पा०-लोगस्स। २ जाव अरिंणदिएसु जाव (अ, क, ता, ब, म)। ७ स० पा०-त चेव जाव अणतेहिं । . ३ 'अहवा एगिदियपदेमा य वेइदियस्स य पदेसे' ८ अणताइ जीवदव्वाइ अणताइ अजीवदव्वाइ इत्येवरूपाद्यभङ्गकविरहित. त्रिकभङ्ग, (क, ब, म)। तथाहि नास्त्येव एकत्राकाशप्रदेशे केवल Page #569 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५०६ भगवई जीवाजीवदव्वा । एव तिरियलोयखेत्तलोए वि, ‘एवं उड्ढलोयखेत्तलोए वि (एव लोए वि ?) । दव्वो अलोए नेवत्थि जीवदव्वा, नेवत्थि अजीवदव्वा, नेवत्थि जीवाजीवदव्वा, एगे अजीवदव्वदेसे अगरुयलहुए अणतेहिं अगरुयलहुयगुणेहिं सजुत्ते सव्वागासस्स अणतभागूणे । कालोण अहेलोयखेत्तलोए न कयाइ नासि', 'न कयाइ न भवइ, न कयाइ न भविस्सइ-भविसु य, भवइ य, भविस्सइ य-धुवे नियए सासए अक्खए अव्वए अवट्रिए ° निच्चे, एव तिरियलोयखेत्तलोए, एव उड्ढलोयखेत्तलोए, एव लोए एव अलोए। भावो ण अहेलोयखेत्तलोए अणता वण्णपज्जवा, "अणता गंधपज्जवा, अणता रसपज्जवा, अणता फासपज्जवा, अणता सठाणपज्जवा, अणता गरुयलहुयपज्जवा, अणता अगरुयलहुयपज्जवा, एव' तिरियलोयखेत्तलोए, एव उड्ढलोयखेत्तलोए, एव° लोए। भावओ ण अलोए नेवत्थि वण्णपज्जवा, नेवत्थि गधपज्जवा, नेवत्थि रसपज्जवा, नेवत्थि फासपज्जवा, नेवत्थि सठाणपज्जवा, नेवत्थि गरुयल हुयपज्जवा', एगे अजीवदव्वदेसे 'अगरुयलहुए अणतेहिं अगरुय लहुयगुणेहिं सजुत्ते सव्वागासस्स ° अणतभागूणे ।। लोयस्स परिमाण-पद १०६ लोए ण भते । केमहालए पण्णत्ते ? गोयमा । अयण्ण जबुद्दीवे दीवे सव्वदीव - समुद्दाण सव्वव्भतराए जाव" एग जोयणसयसहस्स आयाम-विक्खभेण, तिण्णि जोयणसयसहस्साइ सोलससहस्साइ १. पूर्वक्रमानुसारेणात्रलोकसूत्रमपेक्षितमस्ति, 'नेवत्थि गरुयलहुयपज्जवा' एतत्पर्यन्त एव किन्तु कस्मिन्नपि आदर्श नैव लभ्यते । पाठो युज्यते 'ता' प्रतौ एवमेवास्ति । कारणमत्र न ज्ञायते । अपेक्षितसूत्रस्य पाठस्य । वृत्तिकृता 'जाव नेवत्थि अगरुयलहुयपज्जवा' क्रम एव स्यात्-'एव उड्ढलोयखेत्तलोए वि, इति पाठो लब्धस्तेन अर्थसङ्गतिकरणाय एव लोए वि'। ___ एव व्याख्या कृता-अगुरुलघुपर्यवोपेतद्रव्याणा २. स. पा.- अजीवदव्वदेसे जाव सव्वागासस्स पुद्गलाना तत्राभावात् (वृ) । यदि वृत्तिकृता ३ स० पा०-नासि जाव निच्चे। शुद्ध. पाठो लयोभविष्यत् तदा अस्या ४. स० पा०-एव जाव अलोए। व्याख्याया नावश्यकताभविष्यत् । ५ म० पा०-जहा खदए जाव अणता। ६ स० पा०-अजीवदव्वदेसे जाव अणत६. स० पा०-एव जाव लोए। भागूणे। ७. स० पा०-वण्णपज्जवा जाव नेवत्यि । १०. स० पा०-सव्वदीव जाव परिक्खेवेण। . ८. अगल्यलहुय० (अ, क, व, म, स, वृ), ११. ठा० १।२४८। अलोके अगुरुलघुपयवाणा भावात् अत्र Page #570 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५०हे दोणिय सत्तावीसे जोयणसए तिण्णि य कोसे ग्रट्ठावीस चं धणुसय तेरस अगुलाइ श्रद्धगुलग च किंचिविसेसाहिए • परिक्खेवेण । . तेण कालेन तेण समएण छ देवा महिड्ढीया जाव' महासोक्खा' जबुद्दीवे दीवे मदरे पव्वए मदरचलिय सव्वप्रो समता सपरिक्खित्ताण चिट्ठेज्जा । ग्रहेण चत्तारि दिसाकुमारी महत्तरिया चत्तारि बलिपिडे गहाय जबुद्दीवस्स दीवस्स चउसु वि दिसासु बहियाभिमुहीम्रो ठिच्चा ते चत्तारि बलिपिडे जमगसमग वहियाभिमुहे पक्खिवेज्जा । पभू ण गोयमा । तो एगमेगे देवे ते चत्तारि बलिपिडे धरणितलमसपत्ते खिप्पामेव पडिसाहरित्तए । ते ण गोयमा । देवा ताए उक्किट्ठाए तुरियाए चवलाए चडाए जइणाए छेयाए सीहाए सिग्घाए उद्धयाए दिव्वाए • देवगईए एगे देवे पुरत्याभिमुहे पयाते 'एगे देवे दाहिणाभिहे पयाते, एगे देवे पच्चत्थाभिमुहे पयाते, एगे देवे उत्तराभिमुहे पयाते, एगे देवे उड्ढाभिमुहे पयाते " एगे देवे अहोभिमुहे पयाते । तेण काले तेण समएण वाससहस्साउए दारए पयाते । तए ण तस्स दारगस्स o एक्कारस सत (दसमो उद्देसो) मापियरो पहीणा भवति, नो चेव ण ते देवा लोगत सपाउणति । तए ण तस्स दारगस्स आउए पहीणे भवति, नो चेव ण' ते देवा लोगत • सपाउति । ततस्स दारगस्स अट्ठिमिंजा पहीणा भवति, नो चेव ण ते देवा लोगतं सपाउणति । तए ण तस्स दारगस्स प्रासत्तमे वि कुलवसे पहीणे भवति, नो चेवण ते देवा लोगत सपाउणति । तए ण तस्स दारगस्स नामगोए वि पहीणे भवति, नो चेव ण ते देवा लोगत सपाउणति । सि ण भते । देवाण किं गए बहुए ? अगए बहुए ? गोयमा । गए बहुए, नो अगए बहुए, गयाओ से अगए असक्खेज्जइभागे, अगयाओ से गए प्रसखेज्जगुणे । लोण गोयमा । महालए पण्णत्ते ॥ लोयस्स परिमाण-पदं 1 ११० अलोए ण भते । केमहालए पण्णत्ते ? गोमा । अण्ण समयखेत्ते पणयालीस जोयणसयसहस्साइ श्रायाम - विक्खभेण, "एगा जोयणकोडी बायालीस च सयसहस्साइ तीस च सहस्साइ दोणि य उणापन्नजोयणसए किंचि विसेसाहिए • परिक्खेवेण । १ भ० ३।४ । २. महेसक्खा (अ, ता, ब, स ), महासुक्खा ( क ) । ३. बहिभिमुहे (क, ता ) । ४. स० पा० - उक्किट्ठाए जाव देवगईए । ५ एव दाहिणाभिमुहे एव पच्चत्याभिमुहे एव उत्तराभिमुहे एव उड्ढाभिमुहे ( अ, क, ता, ब, म, स) । ६. स० पा० ण जाव सपाउणति । ७ स० पा० - जहा खदए जाव परिक्खेवेणं । Page #571 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई तेण कालेण तेण समएण दस देवा महिड्ढिया 'जाव' महासोक्खा जवुद्दीवे दीवे मदरे पव्वए मदरचलिय सव्वो समता सपरिक्खित्ताणं सचिट्रेज्जा, अहे ण अट्र दिसाकुमारीयो महत्तरियाओ अट्ट बलिपिडे गहाय माणसुत्तरस्स पव्वयस्स चउसु वि दिसासु चउसु वि विदिसासु वहियाभिमुहीमो ठिच्चा ते अट्ट बलिपिंडे जमगसमग बहियाभिमुहे' पक्खिवेज्जा। पभू ण गोयमा । तो एगमेगे देवे ते अट्ठ बलिपिडे धरणितलममपत्ते खिप्पामेव पडिसाहरित्तए। ते ण गोयमा । देवा ताए उक्किदाए 'तुरियाए चवलाए चडाए जइणाए छेयाए सीहाए सिग्याए उद्धयाए दिव्वाए देवगईए लोगते ठिच्चा असम्भावपट्टवणाए एगे देवे पुरत्थाभिमुहे पयाते, एगे देवे दाहिणपुरत्थाभिमुहे पयाते, ५०एगे देवे दाहिणाभिमुहे पयाते, एगे देवे दाहिणपच्चत्थाभिमुहे पयाते, एगे देवे पच्चत्थाभिमुहे पयाते, एगे देवे पच्चत्थउत्तराभिमुहे पयाते, एगे देवे उत्तराभिमुहे पयाते एगे देवे° उत्तरपुरत्थाभिमुहे पयाते, एगे देवे उड्ढाभिमूहे पयाते, एगे देवे अहोभिमहे पयाते। तेण कालेण तेण समएण वाससयसहस्साउए दारए पयाते। तए ण तस्स दारगस्स अम्मापियरो पहीणा भवति, नो चेव ण ते देवा अलोयत सपाउणति । "तए ण तस्स दारगस्स आउए पहीणे भवति, नो चेव ण ते देवा अलोयत सपाउणंति । तए ण तस्स दारगस्स अट्ठिमिजा पहीणा भवति, नो चेव ण ते देवा अलोयत सपाउणति । तए ण तस्स दारगस्स आसत्तमे वि कुलवसे पहीणे भवति, नो चेव ण ते देवा अलोयत सपाउणति । तए ण तस्स दारगस्स नामगोए वि पहीणे भवति, नो चेव ण ते देवा अलोयंत सपाउणति । ० तेसि ण भते । देवाण किं गए वहुए ? अगए वहुए ? गोयमा । नो गए बहुए, अगए वहुए, गयानो से अगए अणंतगुणे, अगयाग्रो से गए अणतभागे। अलोए ण गोयमा ! एमहालए पण्णत्ते ।। लोगागासे जीवपदेस-पदं १११.. लोगस्स ण भते । एगम्मि आगासपदेसे जे एगिदियपदेसा जाव पचिदियपदेसा अणिदियपदेसा अण्णमण्णबद्धा अण्णमण्णपुट्ठा 'अण्णमण्णबद्धपुट्ठा ° अण्णमण्ण१. स० पा०-तहेव जाव सपरिक्खित्ताण। अस्माभि पूर्वसूत्रानुसारी पाठ स्वीकृत । २ भ० ३।४। ४ स० पा०-उक्किट्ठाए जाव देवगईए। ३. वाहियाभिमुहीओ (अ, क, ता, ब, म, स), ५ स० पा०--एव जाव उतर । अस्य पूर्ववर्तिलोकसूत्रे 'बहियामुहे' इति ६ स० पा०-त चेव जाव तेसि। - पाठोस्ति । अत्र सदृशे एव प्रकरणे केनचिद् ७. स० पा०-अण्णमण्णपुट्ठा जाव अण्णमण्ण लिपिदोषादिकारणेन । परिवर्तनः दृश्यते । Page #572 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . एक्कारसं सत(दसमो उद्देसो) घडत्ताए चिट्ठति ? अत्थि ण भते । अण्णमण्णस्स किंचि आबाह वा वाबाह वा उप्पायति ? छविच्छेद वा करेति ? नो इणढे समढे ।। ११२ से केणद्वेण भते । एव वुच्चइ-लोगस्स ण एगम्मि आगासपदेसे जे एगिदिय पदेसा जाव अण्णमण्णघडत्ताए चिट्ठति, नत्थि ण भते । अण्णमण्णस्स किंचि आबाह वा' 'वावाह वा उप्पायति ? छविच्छेद वा° करेति ? गोयमा | से जहानामए नट्टिया सिया-सिंगारागारचारुवेसा' 'सगय-गयहसिय-भणिय-चेद्रिय-विलास-सललिय-सलाव-निउणजुत्तोवयारकुसला सुदरथणजघण-वयण-कर-चरण-नयण-लावण्ण-रूव-जोव्वण-विलास ° कलिया रगट्टाणसि जणसयाउलसि (जणसहस्साउलसि ?) जणसयसहस्साउल सि बत्तीसइविहस्स नट्टस्स अण्णयर नट्टविहिं उवदसेज्जा, से नूण गोयमा । ते पेच्छगा त नट्टिय अणिमिसाए दिट्ठीए सव्वश्रो समता समभिलोएति ? हता समभिलोएति। ताप्रो ण गोयमा ! दिट्ठीयो तसि नट्टियसि सव्वो समता सन्निपडियायो ? हता सन्निपडियायो। अत्थि ण गोयमा । ताओ दिट्ठीओ तीसे नट्टियाए किंचि वि पाबाह वा वावाह वा उप्पायति ? छविच्छेद वा करेति ? । नो इण? समठे। . 'सा वा” नट्टिया तासिं दिट्ठीण किंचि आबाह वा वाबाह वा उप्पाएति ? छविच्छेद वा करेइ ? नो इणढे समढे । ताप्रो वा दिट्ठीओ अण्णमण्णाए दिट्ठीए किचि आबाह वा वाबाह वा उप्पाएति ? छविच्छेद वा करेंति? नो इणटे समढे। से तेणद्वेण गोयमा । एव वुच्चइ- लोगस्स ण एगम्मि आगासपदेसे जे एगिदियपदेसा जाव अण्णमण्णघडत्ताए चिट्ठति, नत्थि णं अण्णमण्णस्स आबाह वा वाबाह वा उप्पायति °, छविच्छेद वा करेति ॥ लोगस्स ण भते एगम्मि आगासपदेसे जहण्णपए जीवपदेसाण, उक्कोसपए जीवपदेसाण सव्वजीवाण य कयरे कयरेहितो' 'अप्पा वा? बहुया वा ? तुल्ला वा?विसेसाहिया वा ? - १. स० पा०-आवाह वा जाव करेति। ४. अहवा सा (अ, स)। २. स० पा०---सिंगारागारचारुवेसा जाव ५ स० पा०-त चेव जाव छविच्छेद । कलिया। ६. सं० पा०-क्रयरेहितो जाव विसेसाहिया । ३. सन्निवडियाओ (अ)। Page #573 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५१२ भगवई गोयमा | सव्वत्थोवा लोगस्स एगम्मि अागासपदेसे जहण्णपए जीवपदेसा, सव्वजीवा असखेज्जगुणा, उक्कोसपए जीवपदेसा विसेसाहिया । ११४ सेव भते । सेव भते । त्ति' ।। एक्कारसमो उद्देसो सुदंसणसेट्टि-पदं ११५. तेण कालेण तेण समएणं वाणियग्गामे नाम नगरे होत्था-वण्णयो। दति पलासे चेइए–वण्णो जाव' पुढविसिलापट्टयो । तत्थ ण वाणियग्गामे नगरे सुदसणे नामं सेट्ठी परिवसइ-अड्ढे जाव' वहुजणस्स अपरिभूए समणोवासए अभिगयजीवाजीवे जाव' अहापरिग्गहिएहिं तवोकम्मेहिं अप्पाण भावेमाणे विहरइ । सामी समोसढे जाव' परिसा पज्जुवासइ।।। ११६ तए ण से सुदसणे सेट्टी इमीसे कहाए लट्ठ समाणे हट्टतुटे हाए कय बलि कम्मे कयकोउय-मंगल °-पायच्छित्ते सव्वालकारविभूसिए सानो गिहाम्रो पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता सकोरेटमल्लदामेण छत्तेणं धरिज्जमाणेण पायविहारचारेण महयापुरिसवग्गुरापरिक्खित्ते वाणियग्गाम नगर मज्झमझण निग्गच्छइ, निग्गछित्ता जेणेव दूतिपलासे चेइए जेणेव समणे भगव महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समण भगव महावीर पचविहेणं अभिगमेण अभिगच्छइ, [त जहा–सच्चित्ताण दवाण विप्रोसरणयाए 'जहा उसभदत्तो जाव तिविहाए पज्जुवासणाए पज्जूवासइ॥ ११७ तए ण समणे भगव महावीरे सुदसणस्स सेटिस्स तीसे य महतिमहालियाए" परिसाए धम्म परिकहेइ जाव' आणाए आराहए भवइ ।। १. भ० ११५१। २ ओ० सू० १॥ ३ ओ० सू० २-१३॥ ४. भ० २।६४। ५. भ० २।४। ६. ओ० सू० १६-५२। ७. स० पा०-कय जाव पायच्छित्ते । ८ दूतिपलासए (अ)। ६ कोष्ठकवर्ती पाठो व्याख्याश· प्रतीयते । १० अ० ६।१४५॥ ११ ° महालयाए (स)। १२ पू०-ओ० सू० ७१३ १३ ओ० सू० ७१-७७। Page #574 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एक्कारस सत (एक्कारसमो उद्देसो) ५१३ ११८. तए णं से सुदंसणे सेट्ठी समणस्स भगवो महावीरस्स अतिय धम्म सोच्चा निसम्म हट्ठतुढे उट्ठाए उढेइ, उद्वेत्ता समण भगव महावीर तिक्खुत्तो' 'आया हिण-पयाहिण करेइ, करेत्ता वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता एव वयासी११६ कतिविहे ण भते | काले पण्णत्ते ? सुदसणा! चउन्विहे काले पण्णत्ते, त जहा-पमाणकाले, अहाउनिव्वत्तिकाले, मरणकाले, अद्धाकाले ॥ १२० से किं त पमाणकाले ? पमाणकाले दुविहे पण्णत्ते, त जहा-दिवसप्पमाणकाले, राइप्पमाणकाले य । चउपोरिसिए दिवसे, चउपोरिसिया राई भवइ । उक्कोसिया अद्धपचममुहत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ, जहण्णिया तिमुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ ॥ १२१. जदा णं भते । उक्कोसिया अद्धपचममुहत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ, तदा ण कतिभागमुहुत्तभागेण परिहायमाणी-परिहायमाणी जहणिया तिमुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ ? जदा ण जहण्णिया तिमहत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ, तदा ण कतिभागमुहुत्तभागेण परिवड्ढमाणी-परिवड्ढमाणी उक्कोसिया अद्धपचममुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ ? सुदसणा | जदा ण उक्कोसिया अद्धपचमुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ, तदा ण वावीससयभागमुहुत्तभागेण परिहायमाणी-परिहायमाणी जहण्णिया तिमुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ। जदा वा जहणिया तिमुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ, तदा ण बावीससयभागमुहत्तभागेण परिवड्ढमाणी-परिवड्ढमाणी उक्कोसिया अद्धपचममुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ ।। १२२ कदा ण भते । उक्कोसिया अद्धपचममुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवद ? कदा वा जहणिया तिमुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ ? सुदसणा | जदा ण उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जहणिया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ, तदा ण उक्कोसिया अद्धपचममुहुत्ता दिवसस्स पोरिसी भवइ, जहणिया तिमुहुत्ता राईए पोरिसी भवइ । जदा ण उक्कोसिया अट्टारसमुहुत्तिया राई भवई, जहण्णिए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ, तदा ण उक्कोसिया अद्धपचममुहुत्ता राईए पोरिसी भवइ, जहण्णिया तिमुहुत्ता दिवसस्स पोरिसी भवइ ।। १. स० पा०—तिक्खुत्तो जाव नमसित्ता। २. रत्ति° (अ, क, ब, म)। Page #575 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५१४ भगवई १२३ कदा ण भते । उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जहणिया दुवालसमुहुत्ता राई भवई ? कदा वा उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ, जहण्णए दुवालसमहत्ते दिवसे भवइ ? सुदसणा | आसाढपुण्णिमाए उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवड, जहणिया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ। पोसपुण्णिमाए' ण उक्कोसिया अट्ठारसमुहत्ता राई भवइ, जहण्णए दुवालसमहुत्ते दिवसे भवइ ।। १२४ अत्थि ण भते । दिवसा य राईओ य समा चेव भवति ? हता अत्थि ॥ १२५ कदा ण भते । दिवसा य राईयो य समा चेव भवति ? सूदसणा | चेत्तासोयपुण्णिमासु', एत्थ' ण दिवसा य राईनो य समा चेव भवति-पण्णरसमुहुत्ते दिवसे पण्णरसमुहुत्ता राई भवइ । चउभागमहत्तभागुणा चउमहत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ । सेत्त पमाणकाले । १२६. से कि त अहाउनिव्वत्तिकाले ? अहाउनिव्वत्तिकाले-जण्ण जेण ने रइएण वा तिरिक्खजोणिएण वा मणस्सेण वा देवेण वा अहाउय निव्वत्तिय । 'सेत्त अहाउनिव्वत्तिकाले'५ ।।. १२७ से कि त मरणकाले ? मरणकाले जीवो वा सरीराओ सरीर वा जीवानो' । सेत्त मरणकाले ॥ १२८ से किं त अद्धाकाले ? श्रद्धाकाले-से ण" समयट्टयाए प्रावलियट्ठयाए जाव' उस्सप्पिणीट्ठयाए । एस ण सूदसणा | अद्धा दोहाराछेदेण° छिज्जमाणी जाहे विभाग नो हव्वमागच्छइ, सेत्त समए समयट्ठयाए । असखेज्जाण समयाण समुदयसमिइसमागमेण सा एगा आवलियत्ति पवुच्चइ । सखेज्जायो आवलियायो उस्सासो जहा सालिउद्देसए जाव' एएसि ण पल्लाण, कोडाकोडी हवेज्ज दसगुणिया । त सागरोवमस्स उ, एगस्स भवे परिमाण ॥१॥ १ पोसस्स पुण्णिमाए (म) । ६ वियुज्यते इति शेष (वृ)। २ ° मासु ण (क, ता, स)। ७ अद्धाकाले अणेगविहे पण्णत्ते (अ, स) । ३ तत्थ (अ, स)। ८ समयद्धयाए (अ) सर्वत्र । ४ चउभागमुहुत्ता (म)। ६ अ० सू० ४१५॥ ५ सेत्त पालेमाणे अहाउनिव्वत्तिकाले (अ, म, १० दोहारच्छेदेण (क, ब), दोहाराछेयणेण (वृ) स), सेत्त पालेमाणे अहाउनिव्वत्तिकाले । ११ भ० ६।१३२-१३४। सेत्त अहाउनिव्वत्तिकाले (ता)। Page #576 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एक्कारस सत (एक्कारसमो उद्देसो) ५१५ १२६ एएहि ण भते । पलिग्रोवम-सागरोवमेहि किं पयोयण ? सुदसणा | एएहिं पलिग्रोवम-सागरोवमेहि नेरइय-तिरिक्खजोणिय-मणुस्स देवाण आउयाइ मविज्जति ।। १३० नेरइयाण भते । केवइय काल ठिई पण्णत्ता ? एव ठिइपद निरवसेस भाणियव्व जाव' अजहण्णमणुक्कोसेण तेत्तीस सागरोव माइ ठिई पण्णत्ता ॥ १३१. अत्थि ण भते । एएसि पलिग्रोवम-सागरोवमाण खएति वा अवचएति वा ? हता अस्थि ।। १३२ से केणटेण भते । एव वुच्चइ-अत्थि ण एएसि पलिअोवमसागरोवमाण 'खएति वा अवचएति वा ? एव खलु सुदसणा | तेण कालेण तेण समएण हत्थिणापुरे नाम नगरे होत्थावण्णो ' । सहसबवणे उज्जाणे-वण्णओं। तत्थ ण हत्थिणापुरे नगरे बले नाम राया होत्था-वण्णों । तस्स ण बलस्स रण्णो पभावई नाम देवी होत्था-सुकुमालपाणिपाया वण्णो जाव' पचविहे माणुस्सए कामभोगे पच्चणु भवमाणी विहरइ॥ १३३. तए ण सा पभावई देवी अण्णया कयाइ तसि तारिसगसि वासघरसि अन्भित रो सचित्तकम्मे, वाहिरो दूमिय-घट्ठ-मढे विचित्तउल्लोग-चिल्लियतले" मणिरयणपणासियधयारे बहुसमसुविभत्तदेसभाए पचवण्ण-सरससुरभि-मुक्कपुप्फपुजोवयारकलिए कालागरु-पवरकुदुरुक्क-तुरुक्क-धूव-मघमघेत-गधुद्धयाभिरामे सुगधवरगधिए गधवट्टिभूए, तसि तारिसगसि सयणिज्जसि-सालिगणव थिए उभो विब्बोयणे दुहनो उण्णए 'मझे णय-गभीरे गगापुलिणवालुय-उद्दालसालिसए प्रोयविय"-खोमियदुगुल्लपट्ट-पडिच्छयणे" सुविरइयरयत्ताणे रत्तसुयसवुए सुरम्मे पाइणग-रूयवूर-नवणीय-तूल फासे सुगधवरकुसुम-चुण्ण-सयणोवयारकलिए अद्धरत्तकाल १. प० ४। २. जाव (अ, क, ता, व, म, स)। ३ ओ० सू० १॥ ४. भ० १११५॥ ५ ओ० सू० १४। ६ ओ० सू० १५॥ ७ चिलग (अ)। ८ धूम (ता)। ६. मघत (स)। १० मज्झेण गभीरे (ता), मज्झेरण य गभीरे (वृपा), पण्णत्तगडविव्वोयणे त्ति क्वचित् दृश्यते (वृ)। ११. उयचिय (म, स), उवविय (क्व०)। १२. पलिच्छण्ण (ता)। १३ तुल्ल° (म)। Page #577 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - भगवई मयसि' सुत्तजागरा प्रोहीरमाणी-ओहीरमाणी अयमेयाल्व ओराल कल्लाण सिव धण्ण मगल्ल सस्सिरीयं महासुविणं' पासित्ता ण पडिबुद्धा। हार-रयय-खीरसागर-ससककिरण-दगरय-रययमहासेल-पडरतरोरुरमणिज्ज'पेच्छणिज्ज थिर-लट्ठ-पउट्ठ-वट्ट-पीवर-सुसिलिट्ठ-विसिट्ठ-तिक्खदाढाविडबियमुह परिकम्मियजच्चकमलकोमल-माइयसोभतलट्ठओट्ठ 'रत्तुप्पलपत्तमउयसुकुमालतालुजीह मूसागयपवरकणगताविययावत्तायत-व-तडिविमलसरिसनयण विसालपीवरोरु पडिपुण्णविपुलखध मिउविसयमुहमलक्खण-पसत्थविच्छिन्न-केसरसडोवसोभिय ऊसिय-सुनिम्मिय-सुजाय-अप्फोडियलगूलं सोम सोमाकार लीलायत जभायत, नहयलाग्रो प्रोवयमाण, निययवयणमतिवयत सीह सूविणे पासित्ता ण 'पडिवुद्धा समाणी' हवतुटु चित्तमाणंदिया णदिया पीइमणा परमसोमणस्सिया हरिसवसविसप्पमाण ° हियया धाराहयकलंवग पिव समूसवियरोमकूवा त सुविण अोगिण्हइ, अोगिण्हित्ता सयणिज्जायो अमटेड, अभदेत्ता अतरियमचवलमसभताए अविलवियाए रायहससरिसीए गईए जेणेव वलस्स रण्णो सयणिज्जे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता वल रायं ताहिं इट्टाहिं कताहिं पियाहिं मणुण्णाहिं मणामाहिं अोरालाहि कल्लाणाहि सिवाहि धन्नाहिं मगल्लाहिं सस्सिरीयाहि मिय-महुर-मजुलाहिं गिराहि सलवमाणी-सलवमाणी पडिवोहेइ, पडिवोहेत्ता वलेण रण्णा अभणुण्णाया समाणी नाणामणिरयणभत्तिचित्तसि भद्दासणंसि निसीयति, निसीयित्ता आसत्था वीसत्था सुहासणवरगया वलं राय ताहिं इटाहिं कताहिं जाव मिय-महुर-मजुलाहिं गिराहिं संलवमाणी-सलवमाणी एव वयासी-एव खलु ग्रह देवाणुप्पिया! अज्ज तसि तारिसगसि सयणिज्जसि सालिगणवट्टिए त चेव जाव नियगवयणमइवयत सीह सुविणे पासित्ता ण पडिवुद्धा, तण्ण देवाणुप्पिया | एयस्स ओरालस्स जाव महासुविणस्स के मन्ने कल्लाणे फलवित्तिविसेसे भविस्सइ ? १ अड्ढ ° (ता, म)। x (अ, ख, ता, म)। २ महासुविण सुविणे (क, ता, व, म, स, वृ)। १०. निययवयणकमलसरमइवत (ता, म)। ३ पडुर ° (अ, ब, स,)। ११ पडिवुद्धा तए ण सा पभावती देवी अयमेया४ . उट्ठ (अ, क, व, स)। स्व ओराल जाव सस्सिरीय महासुमिण ५ वाचनान्तरे-रत्तुप्पलपत्तमउयसुकुमालतालु- सुविणे पासित्ता ण पडिबुद्ध समाणी (क, निल्लालियग्गजीह महुगुलियाभिसतपिंगलच्छ ख, ता, व, स)। (वृ)। ' १२ स० पा०-हहतुट्ठ जाव हियया। ६ विक्किण्ण (ता, वृपा)। १३. समूससित° (ब)। ७. उपसिय (ता)। १४ रयणविचित्तंसि (ता)। ८. अप्फोडियतलनगोल (ख) । Page #578 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एक्कारस सत (एक्कारसमो उद्देसो) ५१७ o I १३४ तए ण से बले राया पभावईए देवीए प्रतिय एयमट्ठ सोच्चा निसम्म हट्टतुटु' • चित्तमाणदिए नदिए पीइमाणे परमसोमणस्सिए हरिसवसविसप्पमाण • हियए धाराहयनीवसुरभिकुसुम' - चचुमाल यतणुए' ऊसवियरोमकूवे त सुविण ओगिues, गिहित्ता इह पविसर, पविसित्ता अप्पणी साभाविएण मइपुव्वएण बुद्धिविण्णाणेण तस्स सुविणस्स प्रत्थोग्गहण करेइ, करेत्ता पभावइ देवि ताहि इट्ठाहि काहिं जाव' मगल्लाहि मिय-महुर - सस्सिरीयाहि वग्गूहि सलवमाणेसलवमाणे एव वयासी- प्रोराले ण तुमे देवी । सुविणे दिट्ठे, कल्लाणे ण तुमे देवी । सुविणे दिट्ठे जाव' सस्सिरीए ण तुमे देवी । सुविणे दिट्ठे, 'आरोग्ग-तुट्ठदीहाउ- कल्लाण- मगल्लकारए ण तुमे देवी । सुविणे दिट्ठे, ग्रत्थलाभो देवाणुप्पिए । भोगलाभो देवाणुप्पिए । पुत्तलाभो देवाणुप्पिए । 'रज्जलाभो देवापि ' एव खलु तुम देवाणुप्पिए । नवण्ह मासाण बहुपडिपुण्णाण - माण य राइदियाणवीइक्कताण ग्रम्ह कुलकेउ कुलदीव कुलपव्वय कुलवडेसय कुलतिलग कुलकित्तिकर कुलनदिकर कुलजसकर कुलाधार कुलपायव कुलविवद्धणकर सुकुमालपाणिपाय ग्रहीणपडिपुण्णप चिदियसरीर लक्खण-वजण - गुणोववेय माणुम्माण प्पमाण पडिपुण्ण-सुजाय - सव्वगसुदरग० ससिसोमाकार कत पियदसण सुरूव देवकुमारसमप्पभ दारग पयाहिसि । 1 से वि य ण दारए उम्मुक्कवालभावे विण्णय - "परिणयमेत्ते जोव्वणगमणुप्पत्ते सूरे वीरे विक्कते वित्थिण्ण - विउलबल - वाहणे रज्जवई राया भविस्सइ । त ओराले ण तुमे देवी । सुविणे दिट्ठे जाव ग्रारोग्ग-तुट्ठि" - "दीहाउ - कल्लाण - मगल्लकारए ण तुमे देवी । सुविणे दिट्ठे त्ति कट्टु पभावति देवि ताहि इट्ठाहि जाव वग्गूहिं दोच्च पि तच्च पि अणुवहति ॥ । १३५ तएण सा पभावती देवी बलस्स रण्णो प्रतिय एयमट्ठ सोच्चा निसम्म हट्टतुट्टा करयल" परिग्गहिय दसनह सिरसावत्त मत्थए प्रजलि कट्टु • एव वयासीएवमेय देवाणुप्पिया | तहमेय देवाणुप्पिया । प्रवितहमेय देवाणुप्पिया । प्रसदिद्धमेय देवाणुप्पिया । इच्छियमेय देवाणुप्पिया । पडिच्छियमेय देवाणु I I १ स० पा० - हट्ट तुट्ठ जाव हियए । २ • नीम • (ता, व ) । o ० तणुय ( अ, क, ख, ता, म, स ) । ३ ४ भ० ११।१३३। ५. महुररिभियगभीर ( ना० १।१।२० ) । ६. भ० ११।१३३। ७ X ( अ ) । ६ १० ११ १२ १३ X (म) । स० पा० - 0 पचिदियसरीर जाव ससि I विष्णाय ( अ, ता, स ) । स० पा० - तुट्ठि जाव मगल्लकारए । हट्टतुट्ठ ( अ, ता, स ) । स० पा० - करयल जाव एव । L Page #579 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई I O प्पिया | इच्छिय-पडिच्छियमेय देवाणुप्पिया । से जहेय तुब्भे वदह त्ति कट्टु त सुविण सम्म पच्छिइ', पडिच्छित्ता बलेण रण्णा अव्भणुण्णाया समाणी नाणामणिरयणभत्तिचित्ताओ भद्दासणाश्रो प्रभुट्ठेइ, ग्रभुत्ता प्रतुरियमचवलमसभताए अविलबियाए रायहससरिसीए गईए जेणेव सए सयणिज्जे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सयणिज्जसि निसीयति, निसीयित्ता एव वयासी—मा मे से उत्तमे पहाणे मगल्ने सुविणे अण्णेहि पावसुमिणेहि पsिहमिस्स त्ति कट्टु देवगुरुजणसवद्धाहि पसत्थाहि मगल्लाहि धम्मियाहि ' कहाहिं सुविणजागरिय पडिजाग रमाणी- पडिजागरमाणी विहरइ ॥ १३६. तए ण से वले राया कोडुबियपुरिसे सहावेइ, सहावेत्ता एव वयासी खिप्पामेव भो देवाप्पिया । अज्ज सविसेस बाहिरिय उवट्ठाणसाल गधोदयसित्त' सुइय-समज्जिग्रोवलित्त सुगधव रपचवण्णपुप्फोवयारकलिय कालागरु-पवरकुदुरुक्क' -तुरुक्क-धूव-मघमघेत गघुद्ध्याभिराम सुगधवरगधिय गधवट्टिभूय • करेह य कारवेह" य, करेत्ता य कारवेत्ता य सीहासण रएह, रएत्ता ममेतमा - णत्तिय पच्चप्पिह ॥ 1 - १३७. तए ण ते कोडु वियपुरिसा जाव' पडिसुणेत्ता खिप्पामेव सविसेस बाहिरिय उवट्टाणसाल" गधोदय सित्त सुइय समज्जिश्रोवलित्त सुगधवरपचवण्णपुप्फोवयारकलिय कालागरु-पवरक दुरुक्क तुरुक्क - धूव-मघमघेत - गधुद्ध्याभिराम सुगधवरगधिय गधवट्टिभूय करेत्ता य कारवेत्ता य सीहासण रएत्ता तमाणत्तिय पच्चष्पिणति || ५१८ १. सपच्छिइ (ख, स ) 1 २. स० पा०० - अतुरियमचवल जाव गईए । ३ देवतगुरु ० (ता) | ४ X ( अ ) । ५. गधोदय (व) । १३८ तए ण से बले राया पच्चूसकालसमयसि सयणिज्जाश्रो प्रभुट्ठे, अब्भुट्टेत्ता पायपीढाओ"पच्चोरुहइ,पच्चोरुहित्ता जेणेव अट्टणसाला तेणेव उवागच्छइ, अट्टणसाल ग्रणुपविसइ, जहा ग्रोववाइए तहेव अट्टणसाला तहेव मज्जणघरे जाव" ससिव्व पियदसणे नरवई" जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला तेणेव उवागच्छइ, उवाग ६ स० पा० - पवरकुटुरुक्क जाव गध° । ७ करावेह (ख, स ) 1 ८. ममेत जाव ( अ, क, ख, ता, व, म, स ) | ६ भ० ६ १४२ । = o १० स० पा० - उट्ठारणसाल जाव पच्चप्पिणति । ११. पायवीढाओ (ख, ब, म) 1 १२. श्रो० सू० ६३ । १३ नरवई मज्जरणघराओ पडिनिक्खमइ २ (अ, क,ख, ता, ब, म, स), औपपातिकानुसारेण स्वीकृतपाठ एव समीचीन । आदर्शेषु परिवर्तन संक्षेपीकरणेन जातम् । पाठसक्षेपे प्राय एव भवत्येव । Page #580 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एक्कारस सत (एक्कारसमो उद्देसो) ५१६ च्छित्ता सीहासणवरंसि पुरत्थाभिमुहे निसीयइ, निसीयित्ता अप्पणो उत्तरपुरत्थिमे दिसीभाए अट्ठ भद्दासणाइ सेयवत्थपच्चत्थुयाइ' सिद्धत्थगकयमगलोवयाराइ रयावेइ, रयावेत्ता अप्पणो अदूरसामते नाणामणि-रयणमडिय अहियपेच्छणिज्ज महग्घ-वरपट्टणुग्गय सण्हपट्टभत्तिसयचित्तताण' ईहामिय-उसभ'-'तुरग-नरमगर-विहग-वालग-किण्णर-रुरु-सरभ-चमर-कु जर-वणलय-पउमलय-भत्तिचित्त अभितरिय जवणिय अछावेइ, अछावेत्ता नाणामणिरयणभत्तिचित्त अत्थरय-मउयमसूरगोत्थय सेयवत्थपच्चत्थुय अगसुहफासय सुमउय पभावतीए देवीए भद्दासण रयावेइ, रयावेत्ता कोडु बियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एव वयासि-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया | अट्ठगमहानिमित्तसुत्तत्थधारए विविह सत्थकुसले सुविणलक्खणपाढए सद्दावेह ।।। १३६ तए ण ते कोडु वियपुरिसा जाव' पडिसुणेत्ता बलस्स रण्णो अतियानो पडिनि क्खमति, पडिनिक्खमित्ता सिग्घ तुरिय चवल चड वेइय हत्थिणपुर नगर मज्झमझेण जेणेव तेसिं सुविणलक्खणपाढगाण गिहाइ तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता ते सुविणलक्खणपाढए सद्दावति ।। १४० तए ण ते सुरिणलक्खणपाढगा बलस्स रण्णो कोडु वियपुरिसेहिं सद्दाविया समाणा हद्वतुट्ठा व्हाया कय बलिकम्मा कयकोउय-मगल-पायच्छित्ता सुद्धप्पावेसाइ मगल्लाइ वत्थाइ पवर परिहिया अप्पमहग्घाभरणालकिय सरीरा सिद्धत्थगहरियालियाकयमगलमुद्धाणा सएहि-सएहि गेहेहिंतो निग्गच्छिति, निग्गच्छित्ता हत्थिणपुर नगर मज्झमझेण जेणेव बलस्स 'रण्णो भवणवरवडेसए तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता भवणवरवडेसगपडिदुवारसि एगो मिलति, मिलित्ता जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला जेणेव बले राया तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता करयल परिग्गहिय दसनह सिरसावत्त मत्थए अजलि कट्ट बलराय जएण विजएण वद्धावेति । तए ण ते सुविणलक्खणपाढगा बलेण रण्णा वदिय-पूइय-सक्कारिय-सम्माणिया समाणा पत्तेय-पत्तेय पुव्वण्णत्थेसु भद्दासणेसु निसीयति ।। १४१ तए णं से बले राया पभावतिं देवि जवणियतरिय ठावेइ, ठावेत्ता पुप्फ-फल पडिपुण्णहत्थे परेण विणएण ते सुविणलक्खणपाढए एव वयासी-एव खलु १. पच्चुत्थुयाइ (म)। २. सण्हवहुभत्ति (ब, म)। ३. स० पा०-उसभ जाव भत्तिचित्त। ४. पच्चुत्थय (व, म, स)। ५. ° फासुय (ख, ब)। ६. भ० ६।१४२॥ ७ स० पा०-कय जाव सरीरा। ८. स० पा०-करयल। Page #581 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५२० भगवई देवाणुप्पिया | पभावती देवी अज्ज तंसि तारिसगसि वाराघरसि जाव' सीहं सुविणे पासित्ता ण पडिबुद्धा, तण्ण देवाणुप्पिया | एयस्स अोरालस्स जाव' महासुविणस्स के मन्ने कल्लाणे फलवित्तिविसेसे भविस्सइ? १४२ तए ण ते सुविणलक्खणपाढगा वलस्स रणो अतिय एयम? सोच्चा निसम्म हट्ठतुट्टा त सुविण प्रोगिण्हति, प्रोगिण्हित्ता ईहं अणुप्पविसति, अणुप्पविसित्ता तस्स सुविणस्स अत्थोग्गहण करेति करेत्ता अण्णमण्णेण राद्धि संचालति', सचालेत्ता तस्स सुविणस्स लट्ठा गहियट्ठा पुच्छियट्ठा विणिच्छियट्टा अभिगयट्ठा वलस्स रण्णो पुरो सुविणसत्थाइ उच्चारमाणा-उच्चारेमाणा एव वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! अम्ह सुविणसत्यसि वायालीस सुविणा, तीस महामुविणाबावरि सव्वसुविणा दिट्ठा। तत्थ ण देवाणुप्पिया । तित्यगरमायरो वा चक्कवट्रिमायरो वा तित्थगरसि वा चक्कट्टिसि वा गभ वक्कममाणसि एएसि तीसाए महासुविणाण इमे चोद्दस महासुविणे पासित्ता ण पडिबुज्झति, त जहा___ गय उसह सीह अभिसेय दाम ससि दिणयर झय कभ । पउमसर सागर विमाणभवण' रयणुच्चय सिहि च ॥१॥ वासुदेवमायरो वासुदेव सि गव्भ वक्कममाणसि एएसि चोदसण्ह महासुविणाणं अण्णयरे सत्त महासुविणे पासित्ता ण पडिवुज्झति । बलदेवमायरो बलदेवंसि गव्भ वक्कममाणसि एएसि चोद्दसण्ह महासुविणाण अण्णयरे चत्तारि महामुविणे पासित्ता ण पडिबुज्झति । मडलियमायरो मडलियसि गभ वक्कममाणसि एएसि ण चोइसण्ह महासुविणाण अण्णयर एग महामुविण पासित्ता ण पडिबुज्झति । इमे य ण देवाणुप्पिया ! पभावतीए देवीए एगे महासुविणे दिटे, त अोराले ण देवाणप्पिया | पभावतीए देवीए सुविणे दिट्टे जाव' आरोग्ग-तुदि•दीहाउ कल्लाण -मगल्लकारए ण देवाणुप्पिया । पभावतीए देवीए सुविणे दिदे, अत्थलाभो देवाणुप्पिया | भोगलाभो देवाणुप्पिया। पुत्तलाभो देवाणुप्पिया | रज्जलाभो देवाणुप्पिया | एव खलु देवाणुप्पिया। पभावती देवी नवण्ह मासाण बहुपडिपुण्णाण" 'अट्ठमाण य राइदियाण° वीइक्कताणं तुम्ह कुलकेउ जाव" देवकुमारसमप्पभ दारग पयाहिति । १. भ० ११।१३३॥ नरकात् तन्माता भवनमिति (व)। २. भ० ११११३३॥ ७ इह च गाथाया केपुचित्पदेष्वनुस्वारस्याश्रवण ३ सलवति (ता)। गाथाऽनुलोम्याद् दृश्यम् (वृ)। ४. वसह (क, ता, म)। ८. भ० ११११३४। ५ पदुमसर (ता)। ६ स० पा०—तुट्ठि जाव मंगल्लकारए । ६ 'विमाणभवण' त्ति एकमेव, तत्र विमाना- १०. स० पा०-बहुपडिपुण्णाण जाव वीइक्कताण। कार भवन विमानभवन, अथवा देवलोका- ११ भ० ११११३४। द्योऽवतरति तन्माता विमान पश्यति यस्तु Page #582 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एक्कारस सतं (एक्कारसमो उद्देसो) से वि य ण दारए उम्मुक्कवालभावे' •विण्णय-परिणयमेत्ते जोव्वणगमणुप्पत्ते सूरे वीरे विक्कते वित्थिण्ण - विउलवल- वाहणे ' रज्जवई राया भविस्सइ, अणगारे वा भावियप्पा । त ओराले ण देवाणुप्पिया । पभावतीए देवीए सुविणे दिट्ठे जाव आरोग्ग-तुट्ठ- दीहाउ-कल्लाण'- मगल्लकारए पभावतीए देवीए सुविदिट्ठे ॥ ० I o १४३ तएण से वले राया सुविणलक्खणपाढगाण अतिए एयमट्ठ सोच्चा निसम्म हट्ठतुट्टे करयल' परिग्गहिय दसनह सिरसावत्त मत्थर ग्रजलि • कट्टु ते सुविणलक्खणपाढगे एव वयासी - एवमेय देवाणुप्पिया' | तहमेय देवाणुप्पिया 1 अवितहमेय देवाणुप्पिया । ग्रसदिद्धमेय देवाणुप्पिया ! इच्छियमेय देवाणुप्पिया | पडिच्छियमेय देवाणुप्पिया । इच्छिय-पडिच्छियमेय देवाणुप्पिया I से जय तुभे वह त्ति कट्टु त सुविण सम्म पडिच्छइ', पडिच्छित्ता सुविण - लक्खणपाढए विउलेण असण - पाण- खाइम साइम- पुप्फ-वत्थ-गध-मल्लालकारेण सक्कारेइ सम्माणेइ, सक्कारेत्ता सम्माणेत्ता विउल जीवियारिह पीइदाण दलयइ, दलयित्ता पडिविसज्जेइ, पडिविसज्जेत्ता सीहासणाओ अब्भुट्ठेइ, ग्रव्भुट्टेत्ता जेणेव पभावती देवी तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता पभावति देवि ताहि इट्ठाह जाव' मिय-महु र सस्सिरीयाहि वग्गूहि सलवमाणे - सलवमाणे एव वयासी - एव खलु देवाणुप्पिए । सुविणसत्यसि वायालीस सुविणा, तीस महासुविणा - बावर्त्तारि सव्वसुविणा दिट्ठा । तत्थ ण देवाणुप्पिए । तित्थगरमायरो वा चक्कवट्टिमायरो वा तित्थगरसि वा चक्कवट्टिसि वा गव्भ वक्कममासि सि तीसा महासुविणाण इमे चोदस महासुविणे पासित्ता ण पडिबुज्झति तं चेव जाव' मडलियमायरो मडलियसि गव्भ वक्कममाणसि एएसि ण चोद्दसह महासुविणाण ग्रण्णयर एग महासुविण पासित्ता ण पडिबुज्झति । इमे यण तुमे देवाणुप्पिए । एगे महासुविणे दिट्ठे, त प्रोराले ण तुमे देवी । सुविणे दिट्ठे जाव' रज्जवई राया भविस्सर, अणगारे वा भावियप्पा, त ओराले ण तुमे देवी । सुविणे दिट्ठे जाव आरोग्ग-तुट्ठि - दीहाउ - कल्लाण - म गल्लकारए ण तुमे देवी । सुविदिट्ठेत्ति कट्टु पभावति देवि ताहि इट्ठाहिं जाव मिय-महुरसस्सिरीयाहि वग्गूहिं दोच्च पि तच्च पि प्रणुबूहइ ॥ I १. स० पा० - उम्म क्कवालभावे जाव रज्जवई । २. स० पा०—कल्लाण जाव दिट्ठे । ५२१ ३ स० पा०—करयल जाव कट्टु । ४ स० पा० – देवाणु प्पिया जाव से । ५. सपच्छिइ (क, ता, म, स ) । ६ भ० ११ । १३४| ७. भ० ११।१४२ । ८. भ० ११।१४२ । ६. भ० ११।१३४| Page #583 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई १४५ ५२२ १४४ तए ण सा पभाव तो देवो वलस्स रण्णो अतिय एयम? सोच्चा निसम्म हट्टतुट्ठा करयल परिग्गयि दसनह सिरसावत्त मत्थए अजलि कटु ° एव वयासीएयमेय देवाणुप्पिया! जाव' त सुविण सम्म पडिच्छइ, पडिच्छित्ता वलेण रण्णा अभणुण्णाया समाणो नाणामणिरयणभत्ति चित्तायो भद्दासणायो अभट्टेड, अतुरियमचवल मसभताए अविलवियाए रायहससरिसीए ° गईए जेणेव सए भवणे तेणेव उवागच्छड, उवागच्छित्ता सय भवणमणुपविट्ठा ।। तए ण सा पभावतो देवो व्हाया कयवलिकम्मा जावौं सव्वालकारविभूसिया त गव्भ नातिसोतेहि नातिउण्हेहि नातितित्तेहिं नातिकडुएहि नातिकसाएहि नातिग्रंविलेहि नातिमहुरेहि उउभयमाणसुहेहि भोयण-च्छायण-गध-मल्लेहिं जं तस्स गव्भस्स हिय मित पत्थ गव्भपोसण त देसे य काले य आहारमाहारेमाणी विवित्तमउएहि सयणासहि पइरिक्कसुहाए मणाणुकूलाए विहारभूमीए पसत्थदोहला सपुण्णदोहला सम्माणियदोहला अविमाणियदोहला वोच्छिण्णदोहला विणीय दोहला ववगयरोग-सोग-मोह-भय-परित्तासा त गम्भ 'सुहसुहेण परिवहति" ॥ १४६ तए ण सा पभावती देवी नवण्ह मासाण वहुपडिपुण्णाण अट्ठमाण य राइदियाण वीइक्कताण सुकुमालपाणिपाय अहीणपडिपुण्णपचिदियसरीर लक्खण-वजणगुणोववेय' 'माणुम्माण-प्पमाण-पडिपुण्ण-सुजाय-सव्वगसुदरग ° ससिसोमाकार कत पियदसण सुरूव दारय पयाया । १४७ तए ण तीसे पभावतीए देवोए अंगपडियारियानो पभावति देवि पसूय जाणेत्ता जेणेव वले राया तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता करयल" परिग्गहिय दसनह सिरसावत्तं मत्थए अलि कटु ° वल राय जएण विजएण वद्धावेति, वद्धावेत्ता एव वयासो-एवं खलु देवाणुप्पिया! पभावती देवी नवण्ह मासाण वहपडिपुण्णाण जाव" सुरूव दारग पयाया। त एयण्ण" देवाणुप्पियाण पियट्याए पिय निवेदेमो । पिय भे भवतु ।। १४८. तए ण से बले राया अगपडियारियाण अतिय एयम? सोच्चा निसम्म हदत 'चित्तमाणदिए णदिए पोइमणे परमसोमणस्सिए हरिसवसविसप्पमाणहियए १ स० पा०-करयल जाव एव । ८ सपन्न ° (अ), ° डोहला (ता)। २. भ० ११११३५॥ ६. वाचनान्तरे-सुहसुहेण आसयइ सुयइ ३ स पा०-० भत्ति जाव अभट्ठइ । चिट्ठइ निसीयइ तुयट्टइ त्ति दृश्यते (वृ)। ४. स० पा०-अतुरियमचवल जाव गईए। १०. स० पा०—गुणोववेय जाव ससि । ५. भ०७।१७६ ११ स० पा०-करयल । ६. तदु (ख), उतु° (ता, म), उडु ° १२. भ० ११११३४ । (व)। १३. एतण (अ, स); एत (ता) । ७. विचित्त° (अ, ख, ता, ब, स)। १४ स०पा०-हट्टतुट्ठ जाव धाराहयनीव जाव कूवे। Page #584 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एक्कारस सतं (एक्कारसमो उद्देसो) ५२३ धाराहयनीवसुरभिकुसुम-चचुमालइयतणुए ऊसवियरोम ° कूवे तासि अगपडियारियाण मउडवज्ज जहामालिय' प्रोमोय दलयइ', दलयित्ता सेत रययामय विमलसलिलपुण्ण भिंगार पगिण्हड, पगिण्हित्ता मत्थए धोवइ, धोवित्ता विउल जीवियारिह पीइदाण दलयइ. दलयित्ता सक्कारेइ सम्माणेइ, सक्कारेत्ता सम्मा णेत्ता पडिविसज्जेइ ॥ १४६ तए ण से वले राया कोडुवियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एव वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया | हत्थिणापुरे नयरे चारगसोहण करेह, करेत्ता माणुम्माणवड्ढण' करेह, करेत्ता हत्थिणापुर नगर सब्भितरबाहिरिय आसिय-समज्जियोवलित्त जाव गधवट्टिभूय करेह य कारवेह य, करेत्ता य कारवेत्ता य जूवसहस्स वा चक्कसहस्स वा पूयामहामहिमसजुत्त' उस्सवेह, उस्सवेत्ता ममेतमाणत्तिय पच्चप्पिणह ॥ १५० तए ण ते कोडुवियपुरिसा वलेण रण्णा एव वुत्ता समाणा हट्टतुट्ठा जाव' तमाण त्तिय पच्चप्पिणति ॥ १५१ तए ण से वले राया जेणेव अट्टणसाला तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता त चेव जाव' मज्जणघरानो पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता उस्सुक्क उक्कर उक्किट्ठ अदेज्ज अमेज्ज अभडप्पवेस अदडकोर्दाडम अधरिम गणियावरनाडइज्जकलिय अणेगतालाचराणुचरिय अणुद्धयमुइग' अमिलायमल्लदाम" पमुइयपक्कीलिय सपुरजणजाणवय दसदिवसे ठिइवडिय करेति ।। १५२. तए ण से बले राया दसाहियाए ठिइवडियाए वट्टमाणीए सइए य साहस्सिए य सयसाहस्सिए य जाए य दाए य भाए य दलमाणे य दवावेमाणे य, सइए य सय साहस्सिए य लभे" पडिच्छेमाणे य पडिच्छावेमाणे य एव यावि विहरइ ।। १५३ तए ण तस्स दारगस्स अम्मापियरो पढमे दिवसे ठिइवडिय करेइ, तइए दिवसे चदसूरदसावणिय करेइ, छठे दिवसे जागरिय करेइ, एक्कारसमे दिवसे वीइ १. जहाजमालित (ता)। ७. ओ० सू० ६३ । २ दलति (ता)। ८ पावेस (ख), अहड ° (ता)। ३. °वड्ढ (ता)। ६ अणुद्धत° (क), अणद्धत्त° (ब)। ४. प्रो० सू० ५५। १० अमिलारण° (ता)। ५. ° महिमसक्कार वा (अ, म, स), आयाम- ११ लाभे (क, ब) लभो (ता)। जावदिसक्कार वा (क), ° सजुत्त वा आया- १२ दंसणिय (क), औपपातिकाद्यागमेषु 'दसमेजाहससक्खा (ख), पूता (ता), पूया- णिय' इति पाठ प्रायेण स्वीकृतोस्ति । तत्र महिमसक्कारं वा (ब)। स्वीकृतपाठो नोपलव्ध । अर्थदृष्ट्यासो समी६ भ० ११११४६ । चीनोस्ति। Page #585 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५२४ भगवई क्कते निव्वत्ते असुइजायकम्मकरणे सपत्ते 'बारसमे दिवसे" विउल असण पाण खाइम साइम उवक्खडावेति, उवक्खडावेत्ता "मित्त-नाइ - नियग-सयण-सबधिपरिजण रायाणो य° खत्तिए य आमतेति, आमतेत्ता तो पच्छा पहायात चेव जाव' सक्कारेति सम्माणेति, सक्कारेत्ता सम्माणेत्ता तस्सेव मित्त-नाइ - •नियग-सयण-सबधि-परिजणस्स • राईण य खत्तियाण य पुरो अज्जय-पज्जय पिउपज्जयागय वहुपुरिसपरपरप्परूढ कुलाणुरूव कुलसरिस कुलसताणततुवद्धणकर अयमेयाख्व गोण्ण गुणनिप्फन्न नामधेज्ज करेति - जम्हाण ग्रम्ह इमे दारए बलस्स रण्णो पुत्ते पभावती देवीए प्रत्तए, त होउ ण ग्रम्ह इमस्स दारगस्स नामधेज्ज ‘महब्बले - महब्बले " । तए ण तस्स दारगस्स अम्मापियरो नामघेज्ज करेति महब्वले ति ॥ ૬ १५४ तए ण से महव्वले दारए पचधाईपरिग्गहिए, [त जहा - खीरधाईए ], एव जहा दढपइण्णस्स जावँ निव्वाय' - निव्वाघायसि सुहसुहेण परिवड्ढति ॥ १५५ तए ण तस्स महब्बलस्स दारगस्स प्रम्मापियरो अणुपुव्वेण ठिइवडिय वा चदसूरदसावणिय वा जागरिय वा नामकरण वा परगामण वा पचकामण' वा पजेमामण" वा पिंडवद्धण वा पजपावण" वा कण्णवेहण वा सवच्छरपडिलेहण वा चोलोयणग" वा उवणयण वा, अण्णाणि य बहूणि गव्भाधाण " - जम्मणमादियाइ कोउयाइ करेति ॥ १५६ तए ण त महव्वल कुमार अम्मापियरो सातिरेगट्ठवासग जाणित्ता सोभणसि १. वारसाहदिवसे (अ, क, ख, म, स), वासदिवसे (ता), वारह दिवसे (व), 'राय पसेर - इय' सूत्रम्य ८०२ सूत्रानुसारेणासो पाठ. स्वीकृत । विशेपाववोधाय द्रष्टव्य 'ओदवाइय' सूत्रस्य १४४ सूत्रस्य प्रथम पादटिप्पणम् । २. स० पा० - जहा सिवो जाव खत्तिए । ३. भ० ११/६३ | ४. स० पा०—नाइ जाव राईण । ५. महत्वले ( अ, क, ख, व, म, स) । ६ कोष्ठकवर्ती पाठो व्याख्याश प्रतीयते । ७ ओ० वाचनान्तर पृष्ठ १५१, १५२, राय ० सू० ८०४ । ८. निवात ( अ, ता, ब, म ) ; नियात ( ख ) 1 e पयचकमारण ( अ ), पचकम्मावण (ख, ब), पचक्कामवरण (ता), परिचकामरण (म ) | पयचकमरण ( स ) | जेमावण (क, व, म, स ) । १० पजपमाण (क, ख ), पजपामण ( ब ) । ० पलेहरण ( ख ), ° वलेहणगं (ता) | चोलायणग (अ), चोलोपरणगं ( क, ख,), चोलगाfरण (ता), चोलोयण ( ब ) । १४. गव्भदाण (अ, ख ), गव्भायाण (ता), भादाण (व, वृ), 'गव्भाहारण' पदस्य हकारदकारयोलिपिसादृश्यात् 'गव्भादारण' रूपे परिवर्तन जातमिति सभाव्यते । ११ १२ १३ Page #586 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५२५ एक्कारसं सत (एक्कारसमो उद्देसो) तिहि-करण-नक्खत्त-मुहुत्तसि कलायरियस्स उवणेति, एवं जहा दढप्पइण्णे जाव' अलभोगसमत्थे जाए यावि होत्था । १५७ तए ण त महब्बल कुमार उम्मुक्कबालभाव जाव' अलभोगसमत्थ विजाणित्ता अम्मापियरो अट्ठ पासायवडेसए कारेति'-अब्भुग्गय-मूसिय-पहसिए इव वण्णो जहा रायप्पसेणइज्जे जाव पडिरूवे । तेसि ण पासायवडेसगाण वहुमज्झदेसभागे, एत्थ ण महेग भवण कारेति—अणेगखभसयसनिविट्ठ वण्णो जहा राय प्पसेणइज्जे पेच्छाघरमडवसि जाव' पडिरूवे ।। १५८ तए ण त महब्वल कुमार अम्मापियरो अण्णया कयाइ सोभणसि तिहि-करण दिवस-नक्खत्त-मुहुत्तसि हाय कयबलिकम्म कयकोउय-मगल-पायच्छित्त सव्वालकारविभूसिय पमक्खणग-हाण-गीय-वाइय-पसाहण-अट्ठगतिलग-ककण-अविहवबहुउवणीय मगलसुजपिएहि य वरकोउयमगलोवयार-कयसतिकम्म सरिसियाण सरित्तयाण सरिव्वयाण सरिसलावण्ण-रूव-जोव्वणगुणोववेयाण 'विणीयाण कयको उय-मगलपायच्छित्ताण"सरिसएहि रायकुलेहितो आणिल्लि याण अट्ठण्ह रायवरकन्नाण एगदिवसेण पाणिं गिहाविसु ॥ १५६ तए ण तस्स महावलस्स कुमारस्स अम्मापियरो अयमेयारूव पीइदाण दलयति, त जहा - अट्ठ हिरण्णकोडीओ, अट्ठ सुवण्णकोडीओ, अट्ठ मउडे मउडप्पवरे, अट्ठ 'कुडलजोए कुडलजोयप्पवरे" अट्ट हारे हारप्पवरे, अट्ठ अद्धहारे अद्धहारप्पवरे, अट्ठ एगावलीओ एगावलिप्पवराओ, एव मुत्तावलीओ, एव कणगावलीओ, एव रयणावलीओ, अट्ट कडगजोए कडगजोयप्पवरे, एव तुडियजोए, अट्ठ खोमजुयलाइ खोमजुयलप्पवराइ, एव वडगजुयलाइ," एव पट्टजुयलाइ, एव दुगुल्लजुयलाइ, अट्ठ सिरीओ, अट्ठ हिरीओ, एव धिईओ, कित्तीओ, बुद्धीओ, लच्छीओ, अट्ठ नदाइ, अठ्ठ भद्दाइ, अट्ठ तले तलप्पवरे सव्वरयणामए, नियगवरभवणकेऊ अट्ट झए झयप्पवरे, अठ्ठ वए वयप्पवरे दसगोसाहस्सिएण वएण, अट्ठ नाडगाइ नाडगप्पवराइ बत्तीसइबद्धेण नाडएण, अट्ठ आसे पासप्पवरे सव्वरयणामए सिरिघरपडिरूवए, अट्ट हत्थी हत्थिप्पवरे सव्वरयणामए सिरिघरपघडिरूवए, अट्ठ जाणाइ जाणप्पवराइ, अट्ठ जुगाइ जुगप्पवराइ, एव सिबियानो", एव सद१ ओ० सू० १४६-१४८, राय० सू० ८०५- ७. X (व)। ८०६। ८ आणिते (ति) ल्लियाण (क, ख, ता, व, २. राय० स ० ८१०। म)। ३ करेंति (अ, म, स)। ६. कुडलजुए कुडलजुय ° (अ, स)। ४. राय सू० १३७॥ १० पडलगजुवलाइ (अ)। ५ राय० स ० ३२॥ ११. सिविया (अ), सिताओ (ता)। ६. अविधववधुओवरणीत (ता)। Page #587 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५२६ भगवई माणी', एव गिल्लीप्रो, थिल्लीओ, अट्ठ वियडजाणाइ वियडजाणप्पवराइ, अट्ठ रहे पारिजाणिए, अट्ठ रहे सगामिए, अट्ठासे आसपवरे, अट्ठ हत्थी हत्यिप्पवरे, अट्ठ गामे गामप्पवरे दसकुल साहस्सिएण गामेण अट्ठ दासे दासप्पवरे, एव दासीओ, एव किकरे, एव कचुइज्जे, एव वरिसधरे, एव महत्तरए, ग्रट्ठ सोवण्णिए प्रोलवणदीवे, ग्रट्ट रुप्पामए प्रोलबणदीवे, अट्ठ सुवण्णरुप्पामए लवणदीवे, अट्ठ सोवण्णिए उक्कंवणदीवे', एव चेव तिणि वि, अट्ठ सोवण पजरदीवे, एव चेव तिण्णि वि, अट्ठ सोवणिए थाले, अट्ठ रुप्पामए थाले, अट्ठ सुवण्णरुप्पामए थाले, अट्ठ सोवणिया पत्तीओ' ३, अट्ट सोवणियाइ थासगाइ३, अट्ठ सोवण्णयाइ मल्लगाइ ३, अट्ठ सोवण्णियाश्रो तलियाओं ३, अट्ठ सोवण्णिया कविचिया ३, अट्ठ सोवणिए अवएडए' ३, अट्ठ सोवण्णियाश्रो अवयक्काग्रो ३, अट्ठ सोवण्णिए पायपीढए ३, अट्ट सोवण्णियाश्रो भिसिया ३, अट्ठ सोवण्णियाओ करोडिया ३, अट्ठ सोवण्णिए पल्लके ३, अट्ठ 'सोवणिया पडिसेज्जानो ३, अट्ठ हसासणाइ, अट्ठ कोचासणाइ, एव गरुलासणाई, उन्नयासणाइ, पणयासणाइ, दीहासणाइ, भद्दासणाइ, पक्खासणाई, मगरासणाइ, अट्ठ पउमासणाइ, अट्ठ दिसासोवत्थियासणाइ, ग्रट्ठ तेल्ल समुग्गे, अट्ठ कोट्ठसमुग्गे, एव पत्त-चोयग तगर - एल-हरियाल - हिंगुलय- मणोसिल जण - समुग्गे, अट्ठ सरिसव- समुग्गे, अट्ठ खुज्जाओ जहा ओववाइए जाव' अटू पारिसीओ, अट्ठ छत्ते, अट्ठ छत्तधारी चेडीओ, ग्रट्ट चामराम्रो, अट्ठ चामरधारी चेडीओ तालियटे, तालियटधारीओ चेडीओ, 'अट्ठ करोडियाओ', " अट्ट करोडियाधारीग्रो चेडीश्रो, श्रट्ट खीरधाईप्रो", "अट्ठ मज्जणधाईओ, अट्ठ मडणधाईओ अट्ठ खेल्लावणधाईप्रो°, अट्ठ अकधाईओ, अट्ठ अगमद्दिया, अट्ठ उम्मद्दियाओ अट्ठ ण्हाविया, अट्ठ पसाहिया, अट्ठ वण्णगपेसीग्रो, अट्ठ चुण्णगपेसीओो", अट्ठ कीडागारीम्रो", अट्ठ दवकारीग्रो", अट्ठ उवत्याणियाश्रो, अट्ठ नाडइज्जाश्रो, १. सदमारणी ( अ ), सदमारिण्याओ (क, ता, बम) | २. उक्कपरणदीवे (क, ख, ता, व, स ) 1 ३. 'एव तिणि वि' इति पाठस्य सूचकमङ्क मिदं सर्वत्र । ६ ग्रवपडए ( अ, स), अवयडए (ता) | ७. अवक्काओ ( अ, क, ख, ता, म ) । ८ स० पा०—जहा रायपरोरणइज्जे जाव अट्ठ | ओ० सू०७० भ० ६ १४४ | १०. x ( अ, क, ख, ता, व, म) । ४. चवलियाओ ( ख ), चवलियाओ अट्ठसो- ११ स० पा०-- खीरघाईओ जाव अट्ठ । १२. X (ख) । वणियाओ तिलियाओ (ता) | ५ कवचियाओ ( अ, ख, ता, व, म), कति - १३ कीलाकरीओ ( ता ) । १४. उवकारीग्रो (क, ता) । वियालो ( क ) | Page #588 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एक्कारस सत (एक्कारसमो उद्देसो) कोडविणी, ट्ठ महाणसिणी, अट्ठ भडागारिणी, अट्ठ अब्भाधारिणी, अट्ठ पुप्फधरणीश्रो, ट्ठ पाणिघरणी, अट्ठ बाहिरिया, ग्रट्ठ सेज्जाकारीग्रो, अट्ठ अब्भितरिया पडिहारीग्रो, ग्रट्ट वाहिरिया पडिहारीग्रो, अमालाकारी, ग्रट्ट पेसणकारी, अण्ण वा सुबहु हिरण्णं वा सुवण्ण वा कस वा दूस वा विउलघण-कणग'- रयण-मणि- मोत्तिय सख- सिल-प्पवालरत्तरयण-॰सतसारसावएज्ज, अलाहि जाव आसत्तामात्र कुलवसाओ पकाम दाउ, काम भोत्तु', पकाम परिभाउ* ॥ ५२७ १६० तए ण से महव्वले कुमारे एगमेगाए भज्जाए एगमेग हिरण्णकोडि दलयइ, एगमेग सुवण्णकोडिं दलयइ, एगमेग मउड मउडप्पवर दलयइ, एव त चैव सव्व जाव एगमेग पेसणकारि दलय, ग्रण्ण वा सुबहु हिरण्ण वा सुवण्ण वा कस वा दूस वा विउलधण - कणग- रयण-मणि-मोत्तियय-सख - सिल-प्पवाल- रत्तरयणसतसारसावएज्ज, अलाहि जाव ग्रसत्तमात्र कुलवसा पकाम दाउ, पकाम भोत्तु, काम • परिभाएउ || १६१. तएण से महव्वले कुमारे उप्पि पासायवरगए जहा जमाली जाव' पचविहे माणुस्सए कामभोगे पच्चणुभवमाणे विहरइ || १६२. तेण कालेन तेण समएण विमलस्स अरहम्रो पत्रोप्पए' धम्मघोसे नाम अणगारे जाइसपन्ने वण्णओ जहा केसिसामिस्स जाव' पर्चाहि अणगारसएहिं सद्धि सपरिवुडे पुव्वाणुपुव्वि चरमाणे गामाणुग्गाम दूइज्जमाणे जेणेव हत्थिणापुरे नगरे, जेणेव सहसववणे उज्जाणे, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता महापडि - रूव ओग्गहं प्रोगिण्हइ, गिण्हित्ता सजमेण तवसा अप्पाण भावेमाणे विहरइ ॥ १६३. तए ण हत्थिणापुरे नगरे सिघाडग -तिय- चउक्क- चच्चर - चउम्मुह-महापहपहेसु महया जणसद्दे इ वा जाव' परिसा पज्जुवासइ ॥ १६४. तए ण तस्स महव्बलस्स कुमारस्स त महयाजणसद्द वा जणवूह वा जाव जणसन्निवाय वा सुणमाणस्स वा पासमाणस्स वा एव जहा " जमाली तहेव चिंता, १. महारणसीओ (क, ता, ब ) । २ स० पा० कणग जाव सतसार । ३ परिभोत्तु (क, व, म, स ) । ४. परिभाइ (ख), परियाभाएउ ( ता ) । ५ स० पा० - हिरण्ण वा जाव परिभाएउ । ६ भ० | १५६ | ७ पदोप्पए ( ख ), पतोप्पए (व, म) । ८. राय ० सू० ६८६ । ६. य० सू० ६८७, ओ सू० ५२; भ० १५७ । १० भ० ९।१५८ । Page #589 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई तहेव कचुइज्ज-पुरिस सद्दावेति "सद्दावेत्ता एव वयासी - किण्ण देवाणुप्पिया ! ग्रज्ज हत्थिणापुरे नयरे इदमहे इ वा जाव निग्गच्छति ।। १६५. तए णं से कचुइ - पुरिसे महव्वलेण कुमारेण एव वृत्ते समाणे तुट्टे धम्मघोसस्स अणगारस्स श्रागमणगहियविणिच्छए करयलपरिग्गहिय दसनह सिरसावत्त मत्थए अजलि कट्टु महव्वल कुमार जएण विजएण वद्धावेड, वद्धावेत्ता एव वयासी–नो खलु देवाणुप्पिया । ग्रज्ज हत्थिणापुरे नगरे इदमहे इ वा जाव' निग्गच्छति । एव खलु देवाणुप्पिया । ग्रज्ज विमलस्स अरहग्रो पोप्पए धम्मघोसे नाम ग्रणगारे हत्थिणापुरस्स नगरस्स वहिया सहसंववणे उज्जाणे ग्रहापडिरूव श्रोग्गह ग्रोगिण्हत्ता सजमेण तवसा ग्रप्पाण भावेमाणे विहर, तण एते वहवे उग्गा, भोगा जाव' निग्गच्छति ॥ ५२८ १६६ तए ण से महव्वले कुमारे ० तहेव रहवरेण निग्गच्छति । धम्म कहा जहा ' केसिसामिस्स । सो वि तहेव सम्मापियर आपुच्छर, नवर - धम्मघोसस्स प्रणगारस्स प्रतिय मुडे भवित्ता अगाराम्रो अणगारिय पव्वइत्तए । तहेव वृत्तपडिवृत्तिया', नवर - इमात्र य ते जाया विउलरायकुलवालियाग्रो कलाकुसल - सव्वकाललालिय-सुहोचियाम्रो सेस त चेव जाव' ताहे अकामाइ चेव महब्बलकुमार एव वयासी—त इच्छामो ते जाया ! एगदिवसमवि रज्जसिरि पात्तिए || | १६७. तए ण से महव्वले कुमारे सम्मापि वयणमणुयत्तमाणे तुसिणीए सचिट्ठइ ॥ १६८. तए ण से वले राया कोडुवियपुरिसे सद्दावेइ, एव जहा सिवभद्दस्स तहेव सया - भिसेनो भाणियव्वो जाव' ग्रभिसिंचति, करयलपरिग्गहिय' 'दसनह सिरसावत्त मत्थए अर्जालि कट्टु ° महव्वल कुमारं जएण विजएणं वद्धावेति वद्धावेत्ता एवं वयासी—भण जाया । किं देमो ? कि पयच्छामो ? सेस जहा जमालिस्स तहेव I जाव" १६६. तए ण से महव्वले अणगारे धम्मघोसस्स अणगारस्स प्रतिय सामाइयमाइयाइ चोद्दस पुब्वाइं ग्रहिज्जइ, अहिज्जित्ता वहूहि चउत्थ"-"छट्ठट्ठम-दसम-दुवाल करयल जाव १. स० पा० – कचुइज्जपुरिसो वि तहेव अक्खाति, नवर - वम्मघोसस्स अणगारस्स आगमणगहियविणिच्छाए निग्गच्छइ । एव खलु देवाणप्पिया ! विमलन्स अरहो पयोप्पर धम्मघोसे नाम अणगारे, सेस तं चैव जाव सो वि तहेव । २. भ० ६।१५८ ३. भ० ९१५८ , ४. अ० २।१६०-१६२ । ५ राय ० सू० ६६३॥ ६. वृत्तपडिवत्तया (क्व ) । ७ भ० ६।१६४-१७६। ८. भ० १११५६-६२। ६ स० पा०-- करयपलरिग्गहिय । १०. भ० ६ १५०-२१५ । ११ स० पा०—चउत्थ जाव विचित्तेह | Page #590 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एक्कारस मतं (एक्कारसमो उद्दे सो) ५२६ सेहिं मासद्ध-मासखमणेहिं विचित्तेहिं तवोकम्मे हिं अप्पाणं भावेमाणे वहुपडिपुण्णाइ दुवालस वासाइ सामण्णपरियाग पाउणइ, पाउणित्ता मासियाए सलेहणाए अत्ताण झूसित्ता, सद्धि भत्ताइ अणसणाए छेदेत्ता आलोइय-पडिक्कते समाहिपत्ते कालमासे काल किच्चा उड्ढ चदिम-सूरिय- "गहगण-नक्खत्ततारारूवाण वहूइ जोयणाइ, वहूइ जोयणसयाइ, बहूइ जोयणसहस्साइ, बहूइ जोयणसयसहस्साइ, वहूरो जोयणकोडीओ, वहूरो जोयणकोडाकोडीयो उड्ढ दूर उप्पइत्ता सोहम्मीसाण-सणकुमार-माहिंदे कप्पे वीईवइत्ता ° बभलोए कप्पे देवत्ताए उववन्ने । तत्थ ण अत्यंगतियाण देवाण दस सागरोवमाइ ठिती पण्णत्ता। तत्थ ण महब्बलस्स वि देवस्स दस सागरोवमाइ ठिती पण्णत्ता । से ण तुम सुदसणा | वभलोगे कप्पे दस सागरोवमाइ दिव्वाइ भोगभोगाइ भुजमाणे विहरित्ता तो देवलोगायो आउक्खएण भवक्खएण ठिइक्खएण अणतर चय चइत्ता इहेव वाणियग्गामे नगरे सेट्टिकुलसि पुत्तत्ताए पच्चायाए । १७०. तए ण तुमे सुदसणा | उम्मुक्कबालभावेण विण्णय-परिणयमेत्तेण जोव्वणगम णुप्पत्तेण तहारूवाण थेराण अतिय केवलिपण्णत्ते धम्मे निसते, सेवि य धम्मे इच्छिए, पडिच्छिए, अभिरुइए। त सुठ्ठ ण तुम सुदसणा | 'इदाणि पि" करेसि । से' तेणद्वेण सुदसणा । एव वुच्चइ-अत्थि ण एतेसि पलिग्रोवम सागरोवमाण खएति वा अवचएति वा ।। १७१ तए ण तस्स सुदसणस्स से ट्ठिस्स समणस्स 'भगवनो महावीरस्स अतिय एयमट्ट सोच्चा निसम्म सुभेण अज्झवसाणेण सुभेण परिणामेण लेसाहि विसुज्झमाणोहिं तयावरणिज्जाण कम्माण खग्रोवसमेण ईहापूह-मग्गण-गवेसण करेमाणस्स 'सण्णीपुव्वे जातीसरणे'' समुप्पन्ने, एयमट्ठ सम्म अभिसमेति ॥ १७२ तए ण से सुदसणे सेट्ठी समणेण भगवया महावीरेण सभारियपुव्वभवे दुगुणा णीयसड्ढसवेगे' आणदसुपुण्णनयणे समण भगव महावीर तिक्खुत्तो आयाहिणपयाहिण करेड, करेत्ता वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता एव वयासी-एवमेय भते' | 'तहमेय भते | अवितहमय भते । असदिद्धमेय भते । इच्छियमेय भते । पडिच्छियमेय भते । इच्छिय-पडिच्छियमेय भते । ०–से जहेय तुब्भे वदह त्ति कटु उत्तरपुरथिम दिसीभाग अवक्कमइ, सेस जहा उसभदत्तस्स १ स० पा०-जहा अम्मडो जाव बभलोए। ३. इदाणि वि (अ, क, ख, ता, ब)। औपपातिकादशेषु तद् वृत्तौ च नैष पाठो ४ सोभरणेण (ता)। - लभ्यते, तेन चिन्त्यमिदम् । ५. सण्णीपुव्वजाती (अ, क, ता, ब, वृ)। २. तो चेव (अ), ताओ (ता, व, म), ताओ ६. ° सद्द ° (म)। चेव (स)। ५, स० पा०-भते जाव से । Page #591 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई जाव' सव्वदुक्खप्पहीणे, नवर - चोद्दस पुब्वाइ अहिज्जइ, वहुपडि पुण्णाइ दुवालस वासाइ सामण्णपरियाग पाउणइ, सेस तं चैव ॥ १७३. सेव भंते । सेव भते ! त्ति' ॥ ५३० बारसमो उद्देसो इसिभद्दपुत्त-पदं १७४ तेण कालेणं तेण समएण प्रालभिया नाम नगरी होत्या - वण्ण' । सखवणे चेइए—वण्णनौं । तत्थ ण श्रालभियाए नगरीए बहवे इसिभद्दपुत्तपामोक्खा समणोवासया परिवसति - श्रड्ढा जाव' बहुजणस्स अपरिभूया अभिगयजीवाजीवा जाव' ग्रहापरिग्गहिएहिं तवोकम्मेहि अप्पाण भावेमाणा विहरति ॥ १७५. तए ण तेसि समणोवासयाणं अण्णया कयाइ एगयो समुवागयाण सहियाणं सण्णिविट्ठाण' सण्णिसण्णाण श्रयमेयारूवे मिहोकहास मुल्लावे' समुप्पज्जित्था - देवलोगेसु ण अज्जो । देवाण केवतिय काल ठिती पण्णत्ता ? १७६. तएण से इसिभद्दपुत्ते समणोवासए देवद्विती-गहियट्ठे ते समणोवासए एव वयासी–देवलोएसु ण प्रज्जो | देवाणं जहण्णेण दसवाससहस्साइ ठिती पण्णत्ता, ते पर समयाहिया, दुसमयाहिया, तिसमयाहिया जाव दससमयाहिया, सखेज्जसमयाहिया, सखेज्जसमयाहिया, उक्कोसेण तेत्तीस सागरोवमाइ ठिती पण्णत्ता । तेण पर वोच्छिण्णा देवा य देवलोगा य ॥ १७७ तए ण ते समणोवासया इसिभद्दपुत्तस्स समणोवासगस्स एवमाइक्खमाणस्स जाव एव परूवेमाणस्स एयमट्ठ नो सद्दहति नो पत्तियति नो रोयति, एयमट्ठ असद्दहमाणा अपत्तियमाणा अरोयमाणा जामेव दिस पाउन्भूया तामेव दिस पडिगया || १ भ० २।१५१ । २ भ० १।५१ । ३ ओ० सू० १ | ४ ओ० सू० २-१३। ५. भ० २२६४| ६ भ० २२६४| ७ समुवविट्ठाण ( अ ), समुविट्ठाण (ख, व, म, (ता), द्रष्टव्यम् - भ० वृ) समुट्ठाण ७।२१२ । ८ मिहोक हासमुल्लावे अज्झत्थिए ( अ, ख, म), अज्झथिए (व) | Page #592 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एक्कारस सत (बारसमो उद्देसो) ५३१ १७८ तेण कालेण तेण समएण समणे भगव महावीरे जाव' समोसढे जाव' परिसा पज्जुवासड । तए ण ते समणोवासया इमीसे कहाए लट्ठा समाणा, हट्टतुटा 'अण्णमण्ण सद्दावेति, सद्दावेत्ता एव वयासी-एव खलु देवाणुप्पिया | समणे भगव महावीरे जाव' आलभियाए नगरीए अहापडिरूव ओग्गह अोगिण्हित्ता सजमेण तवसा अप्पाण भावेमाणे विहरइ । त महप्फल खलु भो देवाणुप्पिया | तहारूवाण अरहताण भगवताण नामगोयस्स वि सवणयाए, किमग पुण अभिगमण-वदण-नमसण-पडिपुच्छण-पज्जुवासणाए ? एगस्स वि पारियस्स धम्मियस्स सुवयणस्स सवणयाए, किमग पुण विउलस्स अट्ठस्स गहणयाए ? त गच्छामो ण देवाणुप्पिया | समण भगव महावीर वदामो नमसामो सक्कारेमो सम्माणेमो कल्लाण मगल देवयं चेइय पज्जुवासामो। एय णे पेच्चभवे इहभवे य हियाए सुहाए खमाए निस्सेयसाए प्राणुगामियत्ताए भविस्सइ त्ति कटु अण्णमण्णस्स अतिए एयमट्ठ पडिसुणेति, पडिसुणेत्ता जेणेव सयाइ-सयाइ गिहाइ तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता ण्हाया कयबलिकम्मा कयकोउय-मगल-पायच्छित्ता सुद्धप्पावेसाई मगल्लाइ वत्थाइ पवर परिहिया अप्पमहग्धाभरणालकियसरीरा सएहि-सएहि गिहेहितो पडिनिक्खमति, पडिनिक्खमित्ता एगयनो मेलायति, मेलायित्ता पायविहारचारेण पालभियाए नगरीए मज्झमझेण निग्गच्छति, निग्गच्छित्ता जेणेव सखवणे चेइए, जेणेव समणे भगव महावीरे, तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता समण भगव महावीर जाव' तिविहाए पज्जुवासणाए° पज्जुवासति । तए ण समणे भगव महावीरे तेसि समणोवासगाण तीसे य महतिमहालियाए परिसाए 'धम्म परिकहेइ' जाव" प्राणाए आराहए भवइ ।। १७६ तए ण ते समणोवासया समणस्स भगवनो महावीरस्स अतिय धम्म सोच्चा निसम्म हट्टतुट्ठा उट्ठाए उद्धेति, उढेत्ता समण भगव महावीर वदति नमसति, वदित्ता नमसित्ता एव वदासी-एव खलु भते । इसिभद्दपुत्ते समणोवासए अम्ह एवमाइक्खइ जाव परूवेइ-देवलोएसु ण अज्जो । देवाण जहण्णेण दस १. भ० ११७। २ ओ० सू० २२-५२। ३ स० पा०-एव जहा तुगियउद्देसए जाव पज्जुवापति । ४. प्रो० सू० ५२। ५. भ० २।१७ ६ धम्सकहा (अ, क, ख, ता, व, म, स)। ७. ओ० सू० ७१-७७। ८ भ० ११४२० Page #593 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५.३२ भगवई वाससहस्साइ ठिती पण्णत्ता, तेण पर समयाहिया जाव' तेण पर वोच्छिण्णा देवा य देवलोगा य । १८० से कहमेय भते ! एव ? जोति । समणे भगव महावीरे ते समणोवासए एव वयासी - जण्ण ग्रज्जो । इसिभद्दपुत्ते समणोवासए तुम्भ एवमाइक्खड़ जाव परूवेइ – देवलोएमु ण देवाणं जहणेण दस वाससहस्साइ ठिती पण्णत्ता, तेण पर समयाहिया जाव तेण पर वोच्छिण्णा देवा य देवलोगा य - सच्चे ण एसमट्ठे, ग्रह 'पिण" अज्जो ! एवमाइक्खामि जाव' परूवेमि - देवलोएसु ण प्रज्जो । देवाण जहणेण दस वाससहस्साइ ''ठिती पण्णत्ता, तेण पर समयाहिया, दुसमयाहिया, तिसमयाहिया जाव दससमियाहिया, सखेज्जसमयाहिया, श्रसखेज्जसमयाहिया, उक्कोसेण तेत्तीस सागरोवमाइ ठिती पण्णत्ता । तेण पर वोच्छिण्णा देवा य देवलोगा य - 'सच्चे ण एसमट्टे" ॥ १८१. तए ण ते समणोवासगा समणस्स भगवो महावीरस्स प्रतिय एयमट्ठ सोच्चा निसम्म समण भगव महावीर वदति नमसति, वदित्ता नमसित्ता' जेणेव इसिभद्दपुत्ते समणोवासए तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता इसिभ - द्दपुत्त समणोवासग वदति नम॑सति, वदित्ता नमसित्ता एयमट्ठ सम्म विणएणं भुज्जो - भुज्जो खामेति । तए ण ते समणोवासया पसिणाइ पुच्छति, पुच्छित्ता अट्ठाई परियादियति, परियादियित्ता समण भगव महावीर वदति नमसति, वदित्ता नमसित्ता जामेव दिस पाउब्भूया तामेव दिस पडिगया ॥ १८२ भतेति । भगव गोयमे समण भगव महावीरं वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता एव वयासी - पभू ण भते । इसिभद्दपुत्ते समणोवासए देवाणुप्पियाण अतिय मुडे भवित्ता अगाराओ अणगारिय पव्वइत्तए ? नो इणट्टे समट्टे गोयमा ! इसिभद्दपुत्ते समणोवासए बहूहि सीलव्वय-गुण' - वेरमणपच्चक्खाण-पोसहोववासेहि ग्रहापरिग्गहिएहिं तवोकम्मेहिं अप्पाण भावेमाणे बहूइ वासाइ समणोवासगपरियाग पाउणिहिति, पाउणित्ता मासियाए सलेहगाए ग्रत्ताण भूसेहिति, भूसेत्ता सद्वि भत्ताइ अणसणाए छेदेहिति, छेत्ता ग्रालोइय-पडिक्कते समाहिपत्ते कालमासे काल किच्चा सोहम्मे कप्पे अरुणा १ भ० ११।१७६| २. पुण (अस) । ३ भ० ११४२१ ४ स० पा० - त चेव जाव तेण । ५ सच्चमेसे अट्ठे (क, ख, ता, ब, म) 1 ६ नमसित्ता उट्ठाते उट्ठेति २ (ता) । ७ गुणव्वय (ख, व, म) | Page #594 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एक्कारस सत (वारसमो उद्देसो) ५३३ विमाणे देवत्ताए उववज्जिहिति । तत्थ ण प्रत्येगतियाण देवाण चत्तारि पलिप्रोवमाइ ठिती पण्णत्ता । तत्थ ण इसिभद्दपुत्तस्स वि देवस्स चत्तारि पलिप्रोवमाइ ठिती भविस्सति ॥ १८३ से ण भते । इसिभद्दपुत्ते देवे ताम्रो देवलोगाओ आउक्खएण भवक्खएण ठिइक्खएण' 'ग्रणतर चय चइत्ता कहि गच्छिहिति १० कहि उववज्जिहिति ? गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्झिहिति' 'बुज्झिहिति मुच्चिहिति परिणिव्वाहिति सव्वदुक्खाण • प्रत काहिति ॥ o १८४ सेव भते । सेव भते । त्ति भगव गोयमे जाव' अप्पाण भावेमाणे विहरइ ॥ १८५ तए ण समणे भगव महावीरे प्रण्णया कयाइ प्रालभिया नगरी सखवणाओ चेइया पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता वहिया जणवयविहार विहरई || पोग्गल - परिव्वायग-पदं १८६ तेण कालेण तेण समएण श्रालभिया नाम नगरी होत्था - वण्णओं । तत्थ ण सखवणे नाम चेइए होत्था - वण्णो' । तस्स ण सखवणस्स चेइयस्स दूरसामते पोग्गले नाम परिव्वायए' - रिउव्वेद - जजुव्वेद जाव' वभण्णएसु परिव्वायएस नए सुपरिनिट्ठिए छट्ठछट्टेण श्रणिक्खित्तेण तवोकम्मेणं उड्ढ बाहा • पगिज्भिय-पगिज्भिय सूराभिमुहे श्रयावणभूमीए° प्रायावेमाणे विहरइ || १८७ तए ण तस्स पोग्गलस्स परिव्वायगस्स छुट्टछट्टेण प्रणिक्खित्तेण तवोकम्मेण उड्ढ वाहाओ पगिज्झिय-पगिज्भिय सूराभिमुहे आयावणभूमीए • प्रायावेमाणस्स पगइभद्दयोए ""पगइउवसतयाए पगइपयणु को हमाणमाया लोभाए मिउमद्दवसपन्नयाए प्रल्लीणयाए विणीययाए अण्णया कयाइ तयावर णिज्जाण कम्माण खोवसमेण ईहापूह-मग्गण - गवेसण करेमाणस्स विब्भगे नाम नाणे " समुप्पन्ने । से ण तेण विब्भगेण नाणेण समुप्पन्नेण बभलोए कप्पे देवाण ठिति o जाणइ पास ॥ १८८ तए ण तस्स पोग्गलस्स परिव्वायगस्स अयमेयारूवे प्रज्झत्थिए " • चितिए पत्थिए मणोगए सकप्पे • समुप्पज्जित्था - प्रत्थि ण मम प्रतिसेसे नाणदसणे १ स० पा० - ठिइक्खएण जाव कहि । २ स० पा० - सिज्झिहिति जावत । ३ भ० ११५१। ४ ओ० सू० १ । ५. ओ० सू० २-१३ । ६. परिव्वायए परिवसति (अस) । ७ भ० २।२४ । ち स० पा० - बाहाओ जाव आयावेमाणे । 8 स० पा० - छट्ट छट्ठे रेग जाव आयावेमारणस्स १० स० पा० - जहा सिवस्स जाव विव्भगे । अण्णाणे ( अ ) । ११ १२. स० पा०—- अज्झत्थिए जाव समुप्पज्जित्था । Page #595 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५३४ भगवई समुप्पन्ने, देवलोएसु ण देवाण जहण्णणं दस वाससहस्साइ ठिती पण्णत्ता, तेण पर समयाहिया, दुसमयाहिया जाव असखेज्जसमयाहिया, उक्कोसेणं दससागरोवमाइ ठिती पण्णता । तेण परं वोच्छिण्णा देवा य देवलोगा य--एव सपेहेइ, सपेहेत्ता पायावणभूमीग्रो पच्चोरुहड, पच्चोरुहित्ता 'तिदड च क डिय च'जावर धाउरत्तायो य गेण्हइ, गेण्हित्ता जेणेव पालभिया नगरी, जेणेव परिवायगावसहे, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता भडनिक्वेव करेइ, करेत्ता पालभियाए नगरीए सिघाडग'-तिग-चउक्क-चच्चर-चउम्मुह-महापह°-पहेमु अण्णमण्णस्स एवमाइवखड जाव परूवेइ-अस्थि ण देवाणुप्पिया । मम अतिसेसे नाणदसणे समुप्पन्ने, देवलोएसु ण देवाण जहण्णण दसवाससहस्साइ"ठिती पण्णत्ता, तेण पर समयाहिया, दुसमयाहिया, जाव असखेज्जसमयाहिया, उक्कोसेण दससागरो वमाइ ठिती पण्णत्ता । तेण पर ° वोच्छिण्णा देवा य देवलोगा य ।। १८९. तए ण '•पोग्गलस्स परिव्वायगस्स अतिय एयम? सोच्चा निसम्म आलभियाए नगरीए सिंघाडग-तिग-चउक्क-चच्चर-चउम्मुह-महापह-पहेसुबहुजणो अण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ जाव परूवेइ-एव खलु देवाणुप्पिया | पोग्गले परिव्वायए एवमाइक्खइ जाव परूवेइ-अत्थि ण देवाणुप्पिया । मम अतिसेसे नाणदसणे समुप्पन्ने, एव खलु देवलोएसु ण देवाण जहण्णेण दसवाससहस्साइ ठितो पण्णत्ता, तेण पर समयाहिया, दुसमयाहिया जाव असखेज्जसमयाहिया, उक्कोसेण दससागरोवमाइ ठिती पण्णत्ता । तेण पर वोच्छिण्णा देवा य देवलोगा य । से कहमेय मन्ने एव ? | १६० सामी समोसढे', 'परिसा निग्गया। धम्मो कहियो, परिसा पडिगया । भगव गोयमे तहेव भिक्खायरियाए तहेव वहुजणसद्द निसामेइ, निसामेत्ता तहेव सव्व भाणियव्व जाव' अह पुण गोयमा । एवमाइक्खामि, एव भासामि जाव परूवेमि–देवलोएसु ण देवाण जहण्णेण दस वाससहस्साइ ठिती पण्णत्ता, तेण पर समयाहिया, दुसमयाहिया जाव असखेज्जसमयाहिया, उक्कोसेण तेत्तीस सागरोवमाइ ठिती पण्णत्ता । तेण पर वोच्छिण्णा देवा य देवलोगा या १६१ अत्थि ण भते ! सोहम्मे कप्पे दव्वाइं-सवण्णाइ पि अवण्णाइ पि, “सगधाइ पि अगधाइ पि, सरसाइ पि अरसाइ पि, सफासाइ पि अफासाइं १. तिदडकुडिय (म क, ख, ता, व, म, स)। २. भ० २।३१। ३. स० पा०-सिंघाडग जाव पहेसु । ४. स० पा०-तहेव जाव वोच्छिण्णा । ५. स. पा.-आलभियाए नगरीए एव एएणं अभिलावेण जहा सिवस्स त चेव जाव से । ६ स० पा०-समोसढे जाव परिसा । ७ भ० १११७५-७७ । ८ स० पा०-तहेव जाव हता। Page #596 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एक्कारस सत (बारसमो उद्देसो) ५३५ पि अण्णमण्णवद्धाइ अण्णमण्णपुट्ठाइ अण्णमण्णबद्धपुट्ठाइ अण्णमण्णघडत्ताए चिट्ठति ? ० हत्ता अस्थि । एव ईसाणे वि, एवं जाव' अच्चुए, एव गेवेज्जविमाणेसु, अणुत्तरविमाणेसु वि, ईसिप भाराए वि जाव ? हता अस्थि ।। १६२. तए ण सा महतिमहालिया परिसा जाव' जामेव दिसि पाउठभूया तामेव दिस पडिगया । १६३ तए ण ालभियाए नगरीए सिंघाडग-तिग- चउक्क-चच्चर-चउम्मुह-महापह पहेसु बहुजणो अण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ जाव परूवेइ जण्ण देवाणुप्पिया। पोग्गले परिव्वायए एवमाइक्खइ जाव परूवेइ-अत्थि ण देवाणुप्पिया । मम अतिसेसे नाणदसणे समुप्पन्ने, एव खलु देवलोएसु ण देवाण जहण्णेण दस वाससहस्साइ ठिती पण्णत्ता, तेण पर समयाहिया, दुसमयाहिया जाव असखेज्जसमयाहिया, उक्कोसेण दससागरोवमाइ ठिती पण्णत्ता । तेण पर वोच्छिण्णा देवा य देवलोगा य । त नो इणढे समढे । समणे भगव महावीरे एवमाइक्खइ जाव' देवलोएसु ण देवाण जहण्णेण दस वाससहस्साइ ठितो पण्णत्ता, तेण पर समयाहिया, दुसमयाहिया जाव अस खेज्जसमयाहिया, उक्कोसेण तेत्तीस सागरोवमाइ ठिती पण्णत्ता। तेण पर वोच्छिण्णा देवा य देवलोगा य॥ १६४ तए ण से पोग्गले परिव्वायए बहुजणस्स अतिय एयमट्ठ सोच्चा निसम्म सकिए कखिए वितिगिच्छिए भेदसमावन्ने कलुससमावन्ने जाए यावि होत्था। तए ण तस्स पोग्गलस्स परिव्वायगस्स सकियस्स कखियस्स वितिगिच्छियस्स भेदसमावन्नस्स कलुससमावन्नस्स से विभगे नाणे खिप्पामेव पडिवडिए॥ १९५ तए ण तस्स पोग्गलस्स परिव्वायगस्स अयमेयारूवे अज्झथिए चितिए पत्थिए मणोगए सकप्पे समुप्पज्जित्था-एव खलु समणे भगव महावीरे आदिगरे तित्थगरे जाव' सव्वण्णू सव्वदरिसी आगासगएण चक्केण जाव' सखवणे चेइए १. भ० १११६४ । उत्तरपुरस्थिम दिसीभाग अवक्कमइ २ २. भ० १११८२ । तिदडकुडिय च जहा खदओ जाव पव्वइओ ३. स. पा०-अवसेस जहा सिवस्स जाव सेस जहा सिवस्स जाव । सव्वदुक्खप्पहीणे, नवर-तिदडकुडिय जाव ४. भ० १११८३, १६० । घाउरत्तवत्थपरिहिए परिवडियविन्भगे आल- ५ भ० ११७ । भिय नगरि मज्झमझेण निग्गच्छइ जाव ६. ओ० सू० १६। Page #597 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५३६ भगवई ? अहापरूिव ओग्गह ओगि हित्ता सजमेण तवसा ग्रप्पाण भावेमाणे विहरs, त महफ्फल खलु तहारूवाण अरहताण भगवताण नामगोयस्स वि सवणयाए, किमग पुण अभिगमण-वदण-नमंसण-पडिपुच्छण-पज्जुवासणयाए ? एगस्स वि आरियस्स धम्मियस्स सुवयणस्स सवणयाए, किमग पुण विउलस्स ग्रस्स गहणयाए त गच्छामिण समण भगव महावीर वदामि जाव' पज्जुवासामि, एय णे इहभवे य परभवे य हियाए सुहाए खमाए निस्सेयसाए ग्राणुगामियत्ताए भविस्सइ त्ति कट्टु एव सपेहेइ, सपेहेत्ता जेणेव परिव्वायगावसहे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता परिव्वायगावसह अणुप्पविसड, अणुप्पविसित्ता तिदड च कुडिय च जाव' धाउरत्ताओ य गेहइ, गेण्हित्ता परिव्वायगावसहाम्रो पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता पडिवडियविव्भगे आलभिय नगरि मज्झमज्भेण निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता जेणेव सखवणे चेइए, जेणेव समणे भगव महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समण भगव महावीर तिक्खुत्तो वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता नच्चासन्ने नातिदूरे सुस्सूसमाणे नमसमाणे अभिमुहे विणण पलिकडे पज्जुवासइ || १६६ तएण समणे भगव महावीरे पोग्गलस्स परिव्वायगस्स तीसे य महतिमहालियाए परिसाए धम्म परिकहेइ जाव' आणाए प्राराहए भवइ ॥ १९७ तए ण से पोग्गले परिव्वायए समणस्स भगवप्रो महावीरस्स प्रतिय धम्म सोच्चा-निसम्म जहा खदो जाव' उत्तरपुरत्थिम दिसीभाग प्रवक्कमइ, अवक्कमत्ता तिदड च कुडिय च जाव' धाउरत्ताग्रो य एगते एडेइ, एडेत्ता सयमेव पचमुट्ठिय लोय करेइ, करेत्ता समण भगव महावीर तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिण करेइ, करेत्ता वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता एव जहेव उसभदत्तो तहेव' पव्वइओ, तहेव एक्कारस अगाइ अहिज्जइ, तहेव सव्व जाव' सव्वदुक्खप्पहीणे ॥ १६८. भतेति ! भगव गोयमे समण भगव महावीर वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता एव वयासी - जीवा ण भते । सिज्झमाणस्स कयरम्मि सघयणे सिज्झति ? गोयमा ! वइरोसभणारायसघयणे सिज्झति, एव जहेव ओववाइए तहेव । १. भ० २।३० । २. भ० २।३१ । ३ ओ० सू० ७१-७७ । ४. भ० २।५२ । ५. भ० २।३१ । ६.. भ० ६ १५०,१५१. । ७. भ० ६।१५१ । ८. भ० _ε।१५१ । Page #598 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एक्कारस सत (वारसमो उद्देसो) सघयण सठाण, उच्चत्त ग्राउय च परिवसणा । एव सिद्धिगडिया निरवसेसा भाणियव्वा • जाव' - ववाह सोक्ख, श्रणुभवति सासय सिद्धा || १६६ सेव भते । सेव भते । ति ॥ १. प्रो० सू० ११५ । २ भ० १।५१ । ५३७ Page #599 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वारसमं सतं पढमो उद्देसो १ सखे २ जयति ३. पुढवि ४ पोग्गल ५ इवाय ६. राहु ७ लोगे य । नागे य 8. देव १० आया, वारसमस दमुद्देसा ||१|| संख - पोक्खली -पदं १ तेण कालेन तेण समएण सावत्थी नाम नगरी होत्था - वण्णओ' । कोट्टए चेइए - वण्ण' । तत्थ ण सावत्थीए नगरीए वहवे सखप्पामोक्खा समणोवासया परिवसति - प्रड्ढा जाव' बहुजणस्स अपरिभूया, अभिगयजीवाजीवा जाव ग्रहापरिग्गहिएहिं तवोकम्मेहिं अप्पाण भावेमाणा विहरति । तस्स ण संखस्स समणोवासगस्स उप्पला नाम भारिया होत्था - सुकुमालपाणिपाया जाव' सुरूवा, समणोवासिया अभिगयजीवाजीवा जाव ग्रहापरिग्गहिएहि तवोकम्मेह अप्पा भावेमाणी विहरइ । तत्थ ण सावत्थीए नगरीए पोक्खली नाम समणोवासए परिवसइ–श्रृड्ढे, अभिगयजीवाजीवे जाव ग्रहापरिग्गहिएहि तवोकम्मेहि अप्पा भावेमाणे विहरइ ॥ २ तेण कालेन तेण समएण सामी समोसढे । परिसा जाव' पज्जुवासइ । तए ण ते समणोवासगा इमीसे कहाए लट्ठा समाणा जहा आलभियाए जाव' पज्जुवासति । तए ण समणे भगव महावीरे तेसि समणोवासगाण तीसे य महतिमहालियाए परिसाए 'धम्म परिकहे " जाव' परिसा पडिगया ॥ ३. तए ण ते समणोवासगा समणस्स भगवत्रो महावीरस्स प्रतिय धम्म सोच्चा निसम्म हट्ठतुट्ठा समण भगव महावीर वदति नमसति, वदित्ता नमसित्ता पसि १. ओ० सू० १ । २. प्रो० सू० २-१३ । ३. भ० २।६४ । ४. भ० २६४ | ५ ओ० सू० १५ । ५३८ ६. ओ० सू० ५२ । ७. भ० ११।१७८ । ८. धम्मका ( अ, क, ख, ता, व, म, स) । ६. ओ० सू० ७१ ७६ ॥ Page #600 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वारसम सतं ( पढमो उद्देमो) ५३६ णाइ पुच्छति, पुच्छित्ता अट्ठाइ परियादियति, परियादियित्ता उट्ठाए उट्ठेति, उट्ठेत्ता समणस्स भगवन महावीरस्स प्रतियाओ कोट्टया चेइया पडिनिक्खमति, पडिनिक्खमित्ता जेणेव सावत्थी नगरी तेणेव पहारेत्थ गमणाए || ४ तए ण से सखे समणोवासए ते समणोवासए एव वयासी - तुभे ण देवाणुप्पिया ! विपुल असण पाण खाइम साइम” उवक्खडावेह । तए ण म्हे त विपुल असण पाणखाइम साइम अस्साएमाणा' विस्साएमाणा 'परिभाएमाणा परिभुजेमाणा " पक्खिय पोसह पडिजागरमाणा विहरिस्सामो ॥ ५. ७ o तण ते समणोवासगा सखस्स समणोवासगस्स एयमट्ट विणएण पडिसुणेति । तएण तस्स सखस्स समणोवासगस्स श्रयमेयारूवे अज्झत्थिए' चितिए पत्थिए मोग सप्पे • समुज्जित्था - नो खलु मे सेय त विपुल असण पाण खाइम' साइम अस्साएमाणस्स विस्साएमाणस्स परिभाएमाणस्स परिभुजेमाणस्स पक्खिय पोसह' पडिजागरमाणस्स विहरित्तए, सेय खलु मे पोसहसालाए पोसहियस्स वभचारिस्स प्रोमुक्कमणि - सुवण्णस्स ववगयमाला - वण्णग - विलेवणस्स निक्खित्तसत्य - मुसलस्स एगस्स प्रविश्यस्स दव्भसथारोवगयस्स पक्खिय पोसह पडिजागरमाणस्स विहरितए त्ति कट्टु एव सपेहेइ, सपेहेत्ता जेणेव सावत्थी नगरी, जेणेव सए गिहे, जेणेव उप्पला समणोवासिया, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छत्ता उप्पल समणोवासिय ग्रापुच्छइ, ग्रापुच्छित्ता जेणेव पोसहसाला तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता पोसहसाल ग्रणुपविस्स, प्रणुपविस्सित्ता पोसहसाल पमज्जइ, पमज्जित्ता उच्चारपासवणभूमि पडिलेहेइ, पडिलेहेत्ता दव्भसथारग सथरइ, सथरित्ता दव्भसथारग दुरुहइ, दुरुहित्ता पोसहसालाए पोसहिए बभचारी" ओमुक्कमणि- सुवण्णे ववगयमाला - वण्णगविलेवणे निक्खित्तसत्य-मुसले एगे अवि दव्भसथारोवगए पक्खिय पोसह पडिजागरमाणे विहरइ ॥ तए ण ते समणोवासगा जेणेव सावत्थी नगरी जेणेव साइ-साइ गिहाइ, तेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता विपुल ग्रसण पाण खाइम साइम उवक्खडावेति, उवक्खडावेत्ता अण्णमण्ण सद्दावेति, सद्दावेत्ता एव वयासी - एव खलु देवाणु ० १. पडियाइयति ( ता ) | २. श्रसरणपाणखाइमसाइम (क, ख, ता, व, म) । ३. आसाएमारणा ( स ) 1 ४ परिभुजेमाणा परिभाएमारणा ( अ, क, ख, स), परिभुजमारणा (ता) । ५ पोसहिय ( त ) ( ख, ता, म ) | ६. स० पा० – अज्झत्थिए जाव समुप्पज्जित्था । ७ जाव ( अ, क, ख, ता, व, म, स ) । ८ ६ परियाभाएमारणा १० ११. पोसहिय ( ख, ता, म, ) । उम्मुक्क ० ( ब म ) । • मल्लग (ता) | स० पा० - वभचारी जाव पक्खिय | Page #601 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५४० भगवई प्पिया | अम्हेहि से विउले असण-पाण-खाइम-साइमे उबक्खडाविए, सम्वे य णं समणोवासए नो हव्वमागच्छड, त सेय खलु देवाणुप्पिया | अम्ह सख समणोवासग सद्दावेत्तए । तए ण से पोक्खली समणोवासए 'ते समणोवासए" एव वयासी-अच्छह ण तुम्भे देवाणुप्पिया | सुनिव्वुय'-वीसत्था, अहण्ण सख समणोवासग सहावेमि त्ति कटु तेसि समणोवासगाणं अतियानो पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता सावत्थीए नगरीए मज्झमझेण जेणेव सखस्स समणोवासगस्स गिहे, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सखस्स समणोवासगस्स गिह अणुपवितु ॥ ६. तए ण सा उप्पला समणोवासिया पोक्खलि समणोवासय एज्जमाण पासइ, पासित्ता हतुट्टा आसणाओ अभुटुइ, अभुट्टेत्ता सत्तट्ठ पयाइ अणुगच्छड, अणुगच्छित्ता पोखलि समणोवासग वदति नमसति, वदित्ता नमसित्ता आसणेण उवनिमतेइ', उवनिमतेत्ता एव वयासी-सदिसतु ण देवाणु प्पिया ! किमागमणप्पयोयण? १०. तए ण से पोक्खली समणोवासए उप्पल समणोवासिय एव वयासी-कहिण्ण' देवाणुप्पिया | सखे समणोवासए ? । ११ तए ण सा उप्पला समणोवासिया पोलि समणोवासय एव वयासी-एव खलु देवाणुप्पिया | सखे समणोवासए पोसहसालाए पोसहिए वभचारी 'प्रोमुक्कमणि-सुवण्णे ववगयमाला-वण्णग-विलेवणे निक्खत्तसत्थ-मुसले एगे अविइए दव्भसथारोवगए पक्खिय पोसह पडिजागरमाणे विहरइ ।। तए ण से पोक्खली समणोवासए जेणेव पोसहसाला, जेणेव सखे समणोवासए, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता गमणागमणाए पडिक्कमइ, पडिक्कमित्ता सख समणोवासग वदइ नमसइ, वंदित्ता नमसित्ता एव वयासी-एव खल देवाणप्पिया | अम्हेहि से विउले असण-पाण-खाइम-साइमे उवक्खडाविए, त गच्छामो ण देवाणुप्पिया । तं विउल असण' 'पाण खाइम° साइम अस्साएमाणा' विस्साएमाणा परिभाएमाणा परिभुजेमाणा पक्खिय पोसह पडिजा गरमाणा विहरामो । १३. तए णं से सखे समणोवासए पोखलि समणोवासग एव वयासी-नो खल १. X (ख, ता, व, म)। २. सुनिव्वया (अ, स)। ३. निमतेइ (ता)। ४. कहि रण (अ, क, ख, ता, व, म)। ५. सं० पा०-वभचारी जाव विहरइ । ६ X (क, ख, ता, ब, म)। ७ स० पा०-असण जाव साइम। ८. स० पा०-अस्साएमाणा जाव पडिजागर मारणा। Page #602 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बारसम सत (पढमो उद्देसो) ५४१ कप्पइ देवाणुप्पिया | त विउल असण पाण खाइम साइम अस्साएमाणस्स' 'विस्साएमाणस्स परिभाएमाणस्स परिभुजेमाणस्स पक्खिय पोसह पडिजागरमाणस्स विहरित्तए, कप्पइ मे पोसहसालाए पोसहियस्स' 'बभचारिस्स ओमुक्कमणि-सुवण्णस्स ववगयमाला-वण्णग-विलेवणस्स निक्खत्तसत्थ-मुसलस्स एगस्स अविइयस्स दव्भसथारोवगयस्स पक्खिय पोसह पडिजागरमाणस्स विहरित्तए, 'त छदेण'२ देवाणु प्पिया | तुन्भे त विउल असण पाण खाइम साइम अस्साएमाणा •विस्साएमाणा परिभाएमाणा परिभुजेमाणा पक्खिय पोसह पडिजागरमाणा° विहरह ।। १४ तए ण से पोक्खली समणोवासए सखस्स समणोवासगस्स अतियानो पोसहसा लामो पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता सावत्थि नगरि मज्झमझेण जेणेव ते समणोवासगा तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता ते समणोवासए एव वयासीएव खलु देवाणुप्पिया | सखे समणोवासए पोसहसालाए पोसहिए जाव' विहरइ, त छदेण देवाणुप्पिया । तुन्भे विउल असण' •पाण खाइम साइम अस्साएमाणा विस्साएमाणा परिभाएमाणा परिभुजेमाणा पक्खिय पोसह पडिजागरमाणा° विहरह, सखे ण समणोवासए नो हव्वमागच्छइ । तए ण ते समणोवासगा त विउल असण पाण खाइम साइम अस्साएमाणा जाव विहरति । १५ तए ण तस्स सखस्स समणोवासगस्स पुन्वरत्तावरत्तकालसमयसि धम्मजागरिय जागरमाणस्स अयमेयारूवे 'अज्झथिए चिंतिए पत्थिए मणोगए सकप्पे समुप्पज्जित्था-सेय खलु मे कल्ल पाउप्पभायाए रयणीए जाव उट्ठियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलते समण भगव महावीर वदित्ता नमसित्ता जाव पज्जुवासित्ता तओ पडिनियत्तस्स पक्खिय पोसह पारित्तए त्ति कटु एव सपेहेइ, सपेहेत्ता कल्ल पाउप्पभायाए रयणीए जाव उट्ठियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलते पोसहसालारो पडिनिक्खमइ, पडिनिक्ख मित्ता सुद्धप्पावेसाइ मगल्लाइ वत्थाइ पवर" परिहिए सानो गिहारो पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता पायविहारचारेण सावत्थि नगरि मज्झमज्झण" निग्गच्छइ, १ स० पा०-अस्साएमाणस्स जाव पडिजा- ७ स० पा०-अयमेयारूवे जाव समुप्पज्जित्था । गरमाणस्स। ८ भ० २।६६ । २ स० पा०-पोसहियस्स जाव विहरित्तए। ६ भ० २।३१ । ३ तत्थ ण (अ), त ण छदेण (ख)। १० x (ब)। ४ स० पा०-अस्साएमारणा जाव विहरह। ११ स० पा०-मज्झमझेरण जाव पज्जुवासति ५ भ० १२।६। अभिगमो नत्थि । ६ स० पा०-असण ४ जाव विहरह । Page #603 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५४२ भगवई निग्गच्छिता जेणेव कोटुए चेइए, जेणेव समणे भगव महावीरे, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिण करेइ, करेत्ता वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता तिविहाए पज्जुवासणाए° पज्जुवासति ।। १६. तए ण ते समणोवासगा कल्ल पाउप्पभायाए रयणीए जाव' उट्रियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलते हाया कयवलिकम्मा जाव' अप्पमहग्धाभरणालकियसरीरा सएहि-सएहिं गिहेहितो पडिनिक्खमति, पडिनिक्खमित्ता एगयनो मेलायति', मेलायित्ता "पायविहारचारेण सावत्थीए नगरोए मज्झमझण निग्गच्छति, निग्गच्छित्ता जेणेव कोट्ठए चेइए, जेणेव समणे भगव महावीरे, तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता समण भगव महावीर जाव' तिविहाए पज्जुवासणाए° पज्जुवासति ।। तए ण समणे भगव महावीरे तेसिं समणोवासगाण तीसे य महतिमहालियाए परिसाए 'धम्म परिकहेइ' जाव" आणाए आराहए भवइ ।। तए ण ते समणोवासगा समणस्स भगवो महावीरस्स अतिय धम्म सोच्चा निसम्म हट्ठतुट्ठा उट्ठाए उठूति, उतॄत्ता समण भगव महावीर वदति नमसति, वदित्ता नमसित्ता जेणेव सखे समणोवासए, तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता सख समणोवासय एव वयासी-तुम ण देवाणुप्पिया | हिज्जो अम्हे अप्पणा चेव एव वयासी-तुम्हे ण देवाणुप्पिया । विउल असण' •पाण खाइम साइम उवक्खडावेह । तए ण अम्हे त विपुल असण पाण खाइम साइम अस्साएमाणा विस्साएमाणा परिभाएमाणा परिभुजेमाणा पक्खिय पोसह पडिजागरमाणा विहरिस्सामो । तए ण तुम पोसहसालाए •पोसहिए बभचारी प्रोमक्कमणिसूवण्णे ववगयमाला-वण्णग-विलेवणे निक्खत्तसत्थ-मुसले एगे अबिइए दब्भसथारोवगए पक्खिय पोसह पडिजागरमाणे ° विहरिए, त सुठ्ठ ण तुम देवाण प्पिया ! अम्हे हीलसि ॥ १६ अज्जोति । समणे भगव महावीरे ते समणोवासए एव वयासी- मा ण अज्जो । तुम्भे सख समणोवासग हीलह निदह खिसह गरहह अवमण्णह। सखे ण समणोवासए पियधम्मे चेव, दढधम्मे चेव, सुदक्खुजागरिय जागरिए । १. भ० २१६६ । ६. धम्मक हा (अ, क, ख, ता, व, म, स)। २ भ० २०६७। ७. ओ० सू० ७१-७७ । ३. मिलायति (अ, ख, व, स)। ८ स० पा०—असण जाव विहरिस्सामो। ४. स० पा०-सेसं जहा पढम जाव पज्जुवा- ६ स० पा०-पोसहसालाए जाव विहरिए। सति । १०. हीलेसि (अ, स)। ५. भ० २।१७। Page #604 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वारसम सत (पढमो उद्देसो) २० भतेति | भगव गोयमे समग भगव महावोर वंदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता एव वयासी-कतिविहा ण भते । जागरिया पण्णत्ता ? । गोयमा । तिविहा जागरिया पण्णत्ता, त जहा-बुद्धजागरिया, अबुद्धजागरिया, सुदक्खुजागरिया ॥ के केणद्वेण भते । एव वुच्चइ -तिविहा जागरिया पण्णत्ता, त जहा-बुद्धजागरिया, अबुद्धजागरिया, सुदक्खुजागरिया ? गोयमा । जे इमे अरहता भगवतो उप्पण्णनाणदसणधरा "अरहा जिणे केवली तीयपच्चुप्पन्नमणागयवियाणए ° सव्वण्णू सव्वदरिसी एए ण बुद्धा' बुद्धजागरिय जागरति । जे इमे अणगारा भगवतो रियासमिया' भासासमिया 'एसणासमिया आयाणभडमत्तनिक्खेवणासमिया उच्चार-पासवण-खेल-सिघाण-जल्ल-परिवावणियासमिया मणसमिया वइसमिया कायसमिया मणगुत्ता वइगुत्ता कायगुत्ता गुत्ता गुत्तिदिया ° गुत्तवभचारी--एए ण अबुद्धा अबुद्धजागरिय जागरति । जे इमे समणोवासगा अभिगयजीवाजीवा जाव' अहापरिग्गहिएहिं तवोकम्मेहिं अप्पाण भावेमाणा विहरति-एए ण सुदक्खुजागरिय जागरति । से तेण?ण गोयमा । एव वुच्चइ-तिविहा जागरिया' 'पण्णत्ता, त जहा बुद्धजागरिया, अबुद्धजागरिया, सुदक्खुजागरिया ॥ २२. तए ण से सखे समणोवासए समण भगव महावीर वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता एव वयासी-कोहवसट्टे ण भते । जीवे कि बधइ ? किं पकरेइ ? कि चिणाइ ? किं उवचिणाइ ? | सखा | कोहवसट्टे ण जीवे आउयवज्जानो सत्त कम्मपगडीओ सिढिलबधणवद्धाओ "धणियबधणबद्धानो पकरेड, हस्सकालठिइयायो दीहकालठिइयानो पकरेइ, मदाणुभावापो तिव्वाणुभावानो पकरेइ, अप्पपएसग्गामो बहुप्पएसग्गारो पकरेइ, अाउय च ण कम्म सिय बधइ, सिय नो बधइ, अस्सायावेयणिज्ज च ण कम्म भुज्जो-भुज्जो उवचिणाइ, अणाइय च ण अणव दग्ग दोहमद्ध चाउरत ससारकतार अणुपरियट्टइ। २३ माणवसट्टे ण भते । जीवे कि बधइ ? किं पकरेइ ? कि चिणाइ ? कि १ स० पा०-जहा खदए जाव सम्वणू। ७ स० पा०-जागरिया जाव सुदक्खु । २ x (अ)। ८ स० पा०--एव जहा पढमसए असवुडस्स ३ इरिया ° (व, म)। ____ अणगारस्स जाव अरणपरियट्टइ। ४ स० पा०-भासासमिया जाव गुत्तवभचारी। ९ स० पा०-एव चेव, एव मायवसट्ट ५. ० चारिणो (अ)। वि एव लोभवसट्टे वि जाव अणुपरियट्टइ । ६ भ० २१६४ । Page #605 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५४४ उवचिणाइ ? एव चेव जाव' अणुपरियट्टइ || २४ मायवसट्टे' ण भते । जीवे कि बधइ ? कि पकरेइ ? कि चिणाइ ? कि उवचिणाइ एव चेव जाव' अणुपरियट्टइ ॥ ? २५ लोभवसट्टे ण भते । जीवे कि वधइ ? कि पकरेइ ? कि चिणाइ ? कि उवचिणाइ १ एव चेव जाव' ० ग्रणुपरियट्टा || २६. तए ण ते समणोवासगा समणस्स भगवो महावीरस्स प्रतिय एयमट्ट सोच्चा निसम्म भीया तत्था तसिया ससारभउव्विग्गा समण भगव महावीर वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता जेणेव सखे समणोवासए तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता सख समणोवासग वदति नमसति, वदित्ता नमसित्ता एयमट्ठ सम्म विणएण भुज्जो-भुज्जो खामेति । तए ण ते समणोवासगा ' सिणाइ पुच्छति, पुच्छित्ता ग्रट्टाइ परियादियति, परियादियित्ता समण भगव महावीर वदति नमसति, वदित्ता नमसित्ता जामेव दिस पाउन्भूया तामेव दिस पडिगया || २७. भतेति । भगव गोयमे समण भगव महावीर वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता एव वयासी - पभू ण भते । सखे समणोवासए देवाणुप्पियाण प्रतिय "मुडे भवित्ता अगाराम्रो अणगारिय पव्वइत्तए ? भगवई नो इणट्टे समट्ठे । गोयमा । सखे समणोवासए वहूहि सीलव्वय-गुण- वेरमणपच्चक्खाण-पोसहोववासेहिं ग्रहापरिग्गहिएहि तवोकम्मेहि अप्पाण भावेमाणे बहूइ वासाइ समणोवासगपरियाग पाउणिहिति, पाउणित्ता मासियाए सलेहणाए प्रत्ताण भूसेहिति, भूसेत्ता सद्वि भत्ताइ ग्रणसणाए छेदेहिति, छेत्ता आलोइय-पडिक्कते समाहिपत्ते कालमासे काल किच्चा सोहम्मे कप्पे अरुणाभे विमाणे देवत्ताए उववज्जिहिति । तत्थ ण प्रत्येगतियाण देवाण चत्तारि पलिप्रोवमाइ ठिती पण्णत्ता । तत्थ ण सखस्स वि देवस्स चत्तारि पलिप्रोमाइ ठिती भविस्सति ॥ २८ सेण भते । सखे देवे ताम्रो देवलगाओ उक्खरण भवक्खएण ठिइक्खएण अणतर चय चइत्ता र्काहि गच्छिहिति ? कहि उववज्जिहिति ? गोयमा | महाविदेहे वासे सिज्झिहिति वुज्झिहिति मुच्चि हिति परिणिव्वाहिति सव्वदुक्खाण° ग्रत काहिति ॥ २६ सेव भते । सेव भते ! त्ति जाव विहरइ ॥ १. भ० १२।२२ । २ मायावयट्टे (व, म) 1 ३. भ० १२/२२ । ४. भ० १२ २२ । ५ स० पा० – सेस जहा आलभियाए जाव पडिगया । ६. सं०पा०-सेस जहा इसिभद्दपुत्तस्स जाव अत । ७ भ० ११५१ । Page #606 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बारसम सत (वीओ उद्देसो) बीओ उद्देसो ३० उदयरगादीणं धम्मसवरण-पदं तेण कालेण तेण समएण कोसबी नामं नगरी होत्या-वण्णो '। चदोतरणे' चेइए-वण्णो '। तत्थ ण कोसबीए नगरीए सहस्साणीयस्स रण्णो पोत्ते, सयाणीयस्स रण्णो पुत्ते, चेडगस्स रण्णो नत्तुए, मिगावतीए देवीए अत्तए, जयतीए समणोवासियाए भत्तिज्जए उदयणे नाम राया होत्था –वण्णो । तत्थ ण कोसबीए नयरीए सहस्साणीयस्स रण्णो सुण्हा, सयाणीयस्स रण्णो भज्जा, चेडगस्स रण्णो धूया, उदयणस्स रण्णो माया, जयतीए समणोवासियाए भाउज्जा मिगावती नाम देवी होत्था—सुकुमालपाणिपाया जाव' सुरूवा समणोवासिया अभिगयजीवाजोवा जाव अहापरिग्गहिएहिं तवोकम्मेहिं अप्पाण भावेमाणी विहरइ । तत्थ ण कोसबीए नगरोए सहस्साणोयस्स रण्णो धूया, सयाणीयस्स रण्णो भगिणी, उदयणस्स रण्णो पिउच्छा, मिगावतीए देवीए नणदा, वेसालियसावयाण' अरहताण पुव्वसेज्जातरी" जयती नाम समणोवासिया होत्था -सुकुमालपाणिपाया जाव' सुरूवा अभिगयजीवाजीवा जाव अहापरिग्गहिएहिं तवोक़म्मेहि अप्पाण भावेमाणी विहरइ॥ ३१. तेण कालेण तेण समएण सामी समोसढे जाव" परिसा पज्जुवासइ । ३२. तए ण से उदयणे राया इमीसे कहाए लट्ठ समाणे हट्टतुट्टे कोडु बियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एव वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया | कोसर्वि नगरि सब्भितर-बाहिरिय पासित्त-सम्मज्जियोवलित्त करेत्ता य कारवेत्ता य एयमा णत्तिय पच्चप्पिणह । एव जहा कणिो तहेव सव्व जाव" पज्जुवासइ ।। ३३. तए ण सा जयती समणोवासिया इमीसे कहाए लद्धठ्ठा समाणी हट्ठतुट्ठा जेणेव मिगावती देवी तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता मिगावतिं देवि एव वयासी-१५ १ प्रो० सू० १। ६ वेसालीसावयाण (अ, क, ख, व, म, स)। २. चदोत्तराए (अ), चदोवरणे (ख), चदो- १०. °सिज्जायरी (अ, स)। वतरणे (स)। ११ ओ० सू० २२-५२ ।। ३ ओ० सू० २-१३ । १२ हट्टतुट्ठ (ता)। ४. उदायणे (अ), उद्दायणे (स)। १३. पू०-ओ० सू० ५५ । ५. ओ० सू० १४ । १४ ओ० सू० ५६-६६ । ६ होत्था वण्णमओ (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। १५ स० पा०—एव जहा नवमसए उसभदत्तो ७ प्रो० सू० १५ । जाव भविस्सइ। ८. भ० २६४ Page #607 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५४६ भगवई •एवं खलु देवाणुप्पिए ! समणे भगव महावीरे आदिगरे जाव' सव्वण्णू सव्वदरिसी भागासगएणं चक्केण जाव' सहसहेण विहरमाणे चदोतरणे चेइए अहापडिरूव प्रोग्गह ओगिण्हित्ता सजमेण तवसा अप्पाण भावेमाणे विहरइ । त महप्फल खलु देवाणप्पिए ! तहारूवाण अरहताण भगवताणं नामगोयस्स वि सवणयाए जाव' एय णे इहभवे य, परभवे य हियाए सुहाए खमाए निस्से साए आणुगामियत्ताए ° भविस्सइ । ३४. तए ण सा मिगावती देवी जयतीए समणोवासियाए ' एव वत्ता समाणी हट्टतुटुचित्तमाणदिया णंदिया पीइमणा परमसोमणस्सिया हरिसवसविसप्पमाणहियया करयलपरिग्गहिय दसनह सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कटु जयतीए समणोवासियाए एयमट्ठ विणएण° पडिसुणेइ ।। ३५. तए ण सा मिगावती देवी कोडु वियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एव वयासी खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! लहुकरणजुत्त-जोइय जाव' धम्मियं जाणप्पवर जुत्तामेव उवट्ठवेह 'उवट्ठवेत्ता मम एयमाणत्तिय पच्चप्पिणह ॥ ३६ तए ण ते कोडुवियपुरिसा मिगावतीए देवीए एवं वुत्ता समाणा धम्मिय जाण प्पवर जुत्तामेव उवट्ठवेति, उवट्ठवेत्ता तमाणत्तियं पच्चप्पिणति ॥ ३७ तए ण सा मिगावती देवी जयतीए समणोवासियाए सद्धि व्हाया कयबलिकम्मा जाव अप्पमहग्घाभरणालकियसरीरा वहूहिं खुज्जाहिं जाव चेडियाचक्कवालवरिसधर-थेरकचुइज्ज-महत्तरगवदपरिक्खित्ता अतेउराम्रो निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता जेणेव वाहिरिया उवट्ठाणसाला जेणेव धम्मिए जाणप्पवरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता 'धम्मिए जाणप्पवर ° दुरूढा" ॥ ३८. तए ण सा मिगावती देवी जयतीए समणोवासियाए सद्धि धम्मिय जाणप्पवर दुरूढा" समाणी नियगपरियालसपरिवुडा जहा उसभदत्तो जाव धम्मियामो जाणप्पवरायो पच्चोरुहइ । ३६. तए ण सा मिगावती देवी जयतीए समणोवासियाए सद्धि बहहिं जहा देवाणदा १. भ० १७। ७ भ० २।९७ । २. मो० सू० १६ । ८. भ० ६।१४४ । ३. भ० ६.१३६ । ६. स० पा० उवागच्छित्ता जाव दुरूढा । ४. स० पा०-जहा देवाणदा जाव पडिसुणेइ । १० द्रूढा (अ, क, ख, ता, व, म)। ५. भ० ६।१४१ । ११ द्रूढा (अ, क, ख, ता, व, म)। ६. स० पा०—उवट्टवेह जाव उवट्ठवेति जाव १२. भ० ६।१४५ । पच्चप्पिणति। Page #608 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बारसम सत (त्रीओ उद्देसो) ५४७ जाव' वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता उदयण राय पुरो कट्टु ठिया' चेव' • सपरिवारा सुस्सूसमाणी नमसमाणी अभिमुहा विणएण पजलिकडा ' ० पज्जुवासइ ॥ तण समणे भगव महावोरे उदयणस्स रण्णो भिगावतीए देवीए जयतीए समणोवासियाए तीसे य महतिमहलियाए परिसाए जाव धम्म परिकहेइ जाव' परिसा पडिगया, उदयणे पडिगए, मिगावती वि पडिगया || जयंती-पसिण-पदं ४० ४१ तए ण सा जयती समणोवासिया समणस्स भगवग्रो महावीरस्स प्रतिय धम्म सच्चा निसम्म हट्ठा समण भगव महावीर वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता एव वयासी - कहण्ण' भते । जीवा गरुयत्त हव्वमागच्छति ? जयती | पाणाइवाएण' मुसावारण प्रदिण्णादाणेण मेहुणेण परिग्गहेण कोहमाण- माया-लोभ-पेज्ज - दोस- कलह प्रब्भक्खाण-पे सुन्न परपरिवाय-प्रतिरतिमायामोस-मिच्छादसणसल्लेण --एव खलु जयती । जीवा गरुयत्त हव्वमा - गच्छति ॥ ४२ कहण भते । जीवा लहुयत्त हव्वमागच्छति ? जयती । पाणाइवायवेरमणेण मुसावायवेरमणेण प्रदिण्णादाणवे रमणेण मेहुणवेरमणेण परिग्गहवेरमणेण कोह-माण-माया-लोभ-पेज्ज-दोस- कलहप्रब्भक्खाण-पेसुन्न-परपरिवाय अरतिरति मायामोस - मिच्छादसणसल्लवे रमणेण - एव खलु जयती । जीवा लहुयत्त हव्वमागच्छति ।। ४३ कहण्ण भते । जीवा ससार ग्राउलीकरेति ? जयती | पाणाइवाएण जाव मिच्छादसणसल्लेण - एव खलु जयती । जीवा ससार माउलीकरेति ॥ ४४ कहण्ण भते । जीवा ससार परित्तीकरेति ? जयती । पाणाइवायवेरमणेण जाव मिच्छाद सणसल्लवे रमणेण - एव खलु जयती । जीवा ससार परित्तीकरेति ॥ ४५ कहण्ण भते । जीवा ससार दीहीकरोति ? १ भ० ६।१४६ । २. ठितिया ( अ, क, ख, स ) 1 ३ स० पा० - चैव जाव पज्जुवासइ । ४. भ० ६।१४६ ॥ ५. ओ० सू० ७१ ७६ । ६ कह ण (क, ता, ब), कहु ण (ख, म); कहिण ( स ) | ७ स० पा०-- पाणातिवाएण जाव मिच्छादसणसल्लेण एव खलु जीवा गरुयत्त हव्वमागच्छति एव जहा पढमसए जाव वीतिवयति । Page #609 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५४८ ४८ भगवई जयती | पाणाइवाएण जाव मिच्छादसणसल्लेण-एव खलु जयंती ! जीवा ससार दीहीकरेति ॥ ४६. कहण्ण भते ! जीवा संसार ह्रस्सीक रेति ? जयती पाणाइवायवेरमणेण जाव' मिच्छादसणसल्लवेरमणेण-एव खलु जयती ! जीवा ससार ह्रस्सीकरेति ।। ४७ कहण्ण भते ! जीवा ससार अणुपरियट्टति ? जयती | पाणाइवाएण जाव मिच्छादसणसल्लेण-एव खलु जयती | जीवा ससार अणुपरियट्टति ॥ कहण्ण भते ! जीवा ससार वीतिवयति ? जयती | पाणाइवायवेरमणेण जाव मिच्छादसणसल्लवेरमणेण-एव खलु जयती ! जीवा ससार ° वीतिवयति ।। ४६. भवसिद्धियत्तणं भते । जीवाण किं सभावप्रो ? परिणामो ? जयती | सभावओ, नो परिणामो॥ ५०. सव्वेवि ण भते । भवसिद्धिया जीवा सिज्झिस्सति ? हता जयती | सव्वेवि' ण भवसिद्धिया जीवा सिज्झिस्सति ॥ ५१. जइ ण भते । सव्वे भवसिद्धिया जीवा सिज्झिस्सति, तम्हा ण भवसिद्धियविर हिए लोए भविस्सइ ? नो इणटे समटे ॥ ५२. से केण खाइण' अटेण भते ! एव वुच्चइ-सव्वेवि ण भवसिद्धिया जीवा सिज्झिस्सति, नो चेव ण भवसिद्धियविरहिए लोए भविस्सइ ? जयति । से जहानामए सव्वागाससेढी सिया-अणादीया अणवदग्गा परित्ता परिवुडा, सा णं परमाणुपोग्गलमेत्तेहि खडेहिं समए-समए अवहीरमाणीअवहीरमाणी अणताहि प्रोसप्पिणी-उस्सप्पिणीहिं अवहीरति, नो चेव ण अवह्यिा सिया। से तेण?ण जयती | एव वुच्चइ-सव्वेवि ण भवसिद्धिया जीवा सिज्झिस्सति, नो चेव ण भवसिद्धिलविरहिए लोए भविस्सइ । ५३. सुत्तत्त भते साहू ? जागरियत्त साह ? जयती ! अत्यंगतियाण जीवाण सुत्तत्तं साहू, अत्थेगतियाण जीवाण जागरियत्त साहू।। ५४. से केणटेण भते । एव वुच्चइ-अत्यंगतियाण'जीवाण सुत्तत्त साह, प्रत्येगति याणं जीवाण जागरियत्त° साहू ? जयती | जे इमे जीवा अहम्मिया अहम्माणुया अहम्मिट्ठा अहम्मक्खाई अहम्म पलोई अहम्मपलज्जणा ग्रहम्मसमुदायारा अहम्मेणं चेव वित्ति कप्पेमाणा विह१. वाइएण (ता), सातेण (म)। २ स० पा०—अत्यंगतियाण जाव साहू । Page #610 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बारसमं सत (वीओ उद्देसो) ५४६ रति, एएसि ण जीवाण सुत्तत्त साहू । एए ण जीवा सुत्ता 'समाणा नो बहण पाणाण भूयाण जीवाण सत्ताण दुक्खणयाए सोयणयाए' जूरणयाए तिप्पणयाए पिट्टणयाए° परियावणयाए वट्टति । एए णं जीवा सुत्ता समाणा अप्पाण वा पर वा तदुभय वा नो वहूहि अहम्मियाहिं सजोयणाहि सजोएत्तारो भवति एएसि ण जीवाणं सुत्तत साहू । जयती । जे इमे जीवा धम्मिया धम्माणुया' धम्मिट्ठा धम्मक्खाई धम्मपलोई धम्मपलज्जणा धम्मसमुदायारा ° धम्मेण चेव वित्ति कप्पेमाणा विहरति, एएसि ण जीवाण जागरियत्त साहू । एए ण जीवा 'जागरा समाणा'' बहण पाणाण 'भूयाण जीवाणं ° सत्ताण अदुक्खणयाए" 'असोयणयाए अजूरणयाए अतिप्पणयाए अपिट्टणयाए ° अपरियावणयाए वट्टति । एए' ण जीवा जागरा समाणा अप्पाण वा पर वा तदुभय वा बहूहिं धम्मियाहिं सजोयणाहि सजोएत्तारो भवति । एए ण जीवा जागरा समाणा धम्मजागरियाए अप्पाण जागरइत्तारो भवति । एएसि ण जीवाण जागरियत्त साहू । से तेणद्वेण जयती | एव वुच्चइ-अत्यंगतियाण जीवाण सुत्तत्त साहू, अत्थेगतियाण जीवाण जागरियत्त साहू॥ ५५. बलियत्त भते | साहू ? दुब्वलियत्त साहू ? जयती ! अत्थेगतियाण जीवाण बलियत्त साहू, अत्यंगतियाण जीवाण दुब्बलियत्त साहू ॥ से केण?ण भते । एव वुच्चई- अत्थेगतियाण जीवाण बलियत्त साह, अत्थेगतियाण जीवाण दुवलियत्त° साहू ? जयती | जे इमे जीवा अहम्मिया जाव अहम्मेण चेव वित्ति कप्पेमाणा विद्धरति, एएसि ण जीवाण दुव्बलियत्त साहू । एए ण जीवा 'दुब्बलिया समाणा नो बहूण पाणाण भूयाण जीवाण सत्ताण दुक्खणयाए जाव परियावणयाए वति । एए ण जीवा दुव्बलिया समाणा अप्पाण वा पर वा तभय वा नो बहहिं अहम्मियाहि सजोयणाहि सजोएत्तारो भवति । एएसि ण जीवाण दब्बलियत्त साह। १ स०पा०-सोयणयाए जाव परियावणयाए। २. स० पा०-धम्माणुया जाव धम्मेण । ३. जागरमारणा (अ, क, ख) । . ४. स० पा०—पाणाण जाव सत्ताण । ५. स० पा०-अदुक्खणयाए जाव 'अपरियावण याए। ६ ते (अ)। ७. स० पा०-वुच्चइ जाव साहू। ८ भ०१२।५४ । ६ स० पा०-एव जहा सुत्तस्स तहा दुबलिय वत्तव्वया भारिणयव्वा, वलियस्स जहा जागरस्स तहा भाणियव्व जाव सजोएत्तारो। Page #611 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई जयती ! जे इमे जीवा धम्मिया जाव धम्मेण चेव वित्ति कप्पेमाणा विहरति, एएसि ण जीवाण बलियत्त साहू । एए ण जीवा वलिया समाणा वहण पाणाण भूयाण जीवाण सत्ताण अदुक्खणयाए जाव अपरियावणयाए वट्टति । एए ण जीवा बलिया समाणा अप्पाण वा पर वा तदुभय वा बहूहि धम्मियाहिं सजोयणाहि सजोएत्तारो भवति । एएसि ण जीवाण वलियत्त साह। से तेणट्रेण जयती । एव वुच्चइ- 'अत्थेगतियाण जीवाण वलियत्त साहू, अत्थेगतियाण जीवाण दुव्वलियत्त ° साहू ॥ ५७. दक्खत्त भते | साहू ? आलसियत्त साहू ? जयती । अत्थेगतियाण जीवाण दक्खत्त साहू, अत्थेगतियाण जीवाण आल सियत्त साहू ॥ ५८ से केणटेण भते । एव वुच्चइ-अत्यंगतियाण जीवाण दक्खत्त साहू, अत्थे गतियाण जीवाण पालसियत्त ° साहू ? जयती । जे इमे जीवा अहम्मिया जाव अहम्मेण चेव वित्ति कप्पेमाणा विहरति, एएसि ण जीवाण आलसियत्त साहू। एए ण जीवा आलसा' समाणा नो बहूण पाणाण भूयाण जीवाण सत्ताण दुक्खणयाए जाव परियावणयाए वति । एए ण जीवा आलसा समाणा अप्पाण वा पर वा तदुभय वा नो वहूहिं अहम्मियाहिं सजोयणाहिं सजोएत्तारो भवति । एएसि ण जीवाण आलसियत्त साहू। जयति | जे इमे जीवा धम्मिया जाव धम्मेण चेव वित्ति कप्पेमाणा विहरति, एएसि ण जीवाण दक्खत्त साहू। एए ण जीवा दक्खा समाणा बहण पाणाण भूयाण जीवाण सत्ताण अदुक्खणयाए जाव अपरियावणयाए वट्टति । एए ण जीवा दक्खा समाणा अप्पाण वा पर वा तदुभय वा बहुहिं धम्मियाहिं सजोयणाहिं सजोएत्तारो भवति । एए ण जीवा दक्खा समाणा वह हि आयरियवेयावच्चेहि उवज्झायवेयावच्चेहिं थेरवेयावच्चेहिं तवस्सिवेयावच्चेहिं गिलाणवेयावच्चेहिं सेहवेयावच्चेहिं कुलवेयावच्चेहिं गणवेयावच्चेहिं सघवेयावच्चेहि साहम्मियवेयावच्चेहिं अत्ताण सजोएत्तारो भवति, एएसि ण जीवाण दक्खत्त साहू । से तेणद्वेण "जयती ! एव वुच्चइ-अत्थेगतियाण जीवाण दक्खत्त साहू, अत्थेगतियाण जीवाण आलसियत्त° साहू ।। १. स० पा०-तं चेव जाव साहू । भाणियव्वा, जहा जागरा तहा दक्खा २ स० पा०–त चेव जाव साहू। भाणियव्वा जाव सजोएत्तारो। ३. अलसा (अ, ब)। ५. ° वेदावच्चेहिं (अ, ब)। ४. स० पा०-जहा सुत्ता तहा आलसा ६. स० पा०-त चेव जाव साह । Page #612 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वारसम सत (तइओ उद्देसो) ५५१ ५६. सोइदियवसट्टे ण भते । जीवे किं बधइ ? कि पकरेइ ? किं चिणाइ ? किं उवचिणाइ ? जयती | सोइदियवसट्टे ण जीवे प्राउयवज्जाश्रो सत्त कम्मपगडीओो सिढिलबध - बद्धा धणियवधणवद्धा पकरेइ, हस्सकाल ठिइयाओ दीहकालठियाओ पकरेइ, मदाणुभावाश्रो तिव्वाणुभावाओ पकरेइ, ग्रप्पपएसग्गाग्रो बहुप्पएसग्गाग्रो पकरेइ, प्राउय च ण कम्म सिय बधइ, सिय नो बधइ, अस्सायावेयणिज्ज च ण कम्म भुज्जो - भुज्जो उवचिणाइ, अणाइय च ण प्रणवदग्ग दीहमद्धं चाउरत ससारकतार • अणुपरियट्टा || o ६० चक्खिदियवसट्टे ण भते ! जीवे कि बधइ ? किं पकरेइ ? किं चिणाइ ? किं उवचिणाइ ? एव चेव जाव अणुपरियट्टइ ॥ ६१ घाणिदियवसट्टे ण भते । जीवे कि बधइ ? कि पकरेइ ? कि चिणाइ ? किं उवचिणाइ ? एव चेव जाव प्रणुपरियट्टइ ॥ ६२ रसिंदियवसट्टे ण भते । जीवे कि बधइ ? कि पकरेइ ? कि चिणाइ ? किं उवचिणाइ ? एव चेव जाव प्रणुपरियट्टइ ॥ ६३ फासिदियवसट्टे ण भते । जीवे किं बधइ ? कि पकरेइ ? कि चिणाइ ? किं उवचिणाइ ? एव चेव जाव प्रणुपरियट्टाइ ॥ ६४. तए ण सा जयती समणोवासिया समणस्स भगवन महावीरस्स प्रतिय एयमट्ठ सोच्चा निसम्म हट्टा सेस जहा देवाणदा तहेव पव्वइया जाव' सव्वदुक्खप्पहीणा ॥ ६५. सेव भते । सेव भते । त्ति ॥ तो उसो पुढवी-पदं ६६ रायगिहे जाव' एव वयासी – कति ण भते । पुढवी पण्णत्ताओ ? गोयमा ! सत्त पुढवीओ पण्णत्ता, त जहा - पढमा, दोच्चा जाव सत्तमा ॥ १. स० पा० - एव जहा कोहवसट्टे तहेव जाध अपरियट्टा । 1 २ स० पा०-- एव चक्खिदिवसट्टे वि एव जाव फासिदिवसट्टे वि जाव अणपरिय दृइ | ३. भ० ६।१५२-१५५ । ४. भ० १।५१ । ५. भ० ११४- १० । Page #613 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ५५२ ६७ पढमा ण भते ! पुढवी किगोत्ता पण्णत्ता ? गोयमा ! घम्मा नामेण, रयणप्पभा गोत्तेण, एव जहा जीवाभिगमे पढमो नेर इयउद्देसनो सो चेव निरवसेसो भाणियव्वो जाव' अप्पाबहुग ति ॥ ६८. सेवं भते ! सेव भते । ति ॥ चउत्थो उद्देसो ७० परमाणुपोग्गलाणं संघात-भेद-पदं ६६ रायगिहे जाव' एवं वयासी—दो भते ! परमाणुपोग्गला एगयो साहण्णति, साहण्णित्ता किं भवइ? गोयमा | दुप्पएसिए खधे भवइ । से भिज्जमाणे दुहा कज्जइ–एगयो परमाणुपोग्गले, एगयो परमाणुपोग्गले भवइ । तिण्णि भते । परमाणुपोगला एगयो साहण्ण ति, साहणित्ता कि भवइ ? गोयमा ! तिपएसिए खधे भवइ । से भिज्जमाणे दुहा वि तिहा वि कज्जइदुहा कज्जमाणे एगयो परमाणुपोग्गले, एगयो दुपएसिए खधे भवइ। तिहा कज्जमाणे तिण्णि परमाणुपोग्गला भवति ॥ चत्तारि भते ! परमाणुपोग्गला एगयो साहण्णति, 'साहणित्ता कि भवइ ? गोयमा । चउपएसिए खधे भवइ । से भिज्जमाणे दुहा वि तिहा वि चउहा वि कज्जइ–दुहा कज्जमाणे एगयो परमाणुपोग्गले, एगयो तिपएसिए खधे भवइ, अहवा दो दुपएसिया खधा भवति । तिहा कज्जमाणे एगयनो दो परमाणुपोग्गला, एगयो दुपएसिए खधे भवइ । चउहा कज्जमाणे चत्तारि परमाणुपोग्गला भवति । ७२. पंच भंते ! परमाणुपोग्गला "एगयो साहण्णति, साहणित्ता किं भवइ ? ० गोयमा । पचपएसिए खघे भवइ । से भिज्जमाणे दुहा वि तिहा वि चउहा वि पचहा वि कज्जइ-दुहा कज्जमाणे एगयो परमाणुपोग्गले, एगयो चउपए १. जी०३। २. भ० ११५१ । ३. भ०१४-१०॥ ४. स० पा०—साहण्णति जाव पुच्छा। ५. स० पा०-पुच्छा। Page #614 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बारसमं सतं (चउत्थो उद्देसो) ५५३ सिए खधे भवइ, अहवा एगयनो दुपएसिए खधे, एगयनो तिपएसिए खधे भवइ। तिहा कज्जमाणे एगयनो दो परमाणुपोग्गला एगयो तिपएसिए खधे भवइ, अहवा एगयो परमाणुपोग्गले, एगयो दो दुपएसिया खधा भवति । चउहा कज्जमाणे एगयो तिण्णि परमाणुपोग्गला, एगयनो दुपएसिए खधे भवइ । पचहा कज्जमाणे पच परमाणुपोग्गला भवति ।।। ७३ छन्भते । परमाणुपोग्गला "एगयनो साहण्ण ति, साहणित्ता किं भवइ ? ० गोयमा छप्पएसिए खधे भवइ । से भिज्जमाणे दुहा वि तिहा वि जाव' छव्विहा वि कज्जइ-दुहा कज्जमाणे एगयो परमाणुपोग्गले, एगयनो पचपएसिए खधे भवइ, अहवा एगयो दुपएसिए खधे, एगयो चउपएसिए खधे भवइ; अहवा दो तिपएसिया खधा भवति । तिहा कज्जमाणे एगयो दो परमाणुपोग्गला, एगयनो चउपएसिए खधे भवइ, अहवा एगयो परमाणुपोग्गले, एगयो दुपएसिए खधे, एगयो तिपएसिए खधे भवइ , अहवा तिण्णि दुपएसिया खधा भवति । चउहा कज्जमाणे एगयो तिण्णि परमाणुपोग्गला, एगयो तिपएसिए खधे भवइ , अहवा एगयओ दो परमाणुपोग्गला, एगयो दो दुपएसिया खधा भवति । पचहा कज्जमाणे एगयनो चत्तारि परमाणुपोग्गला, एगयनो दुपएसिए खधे भवइ । छहा कज्जमाणे छ परमाणुपोग्गला भवति ॥ ७४ सत्त भते । परमाणुपोग्गला •एगयओ साहण्णति, साहणित्ता किं भवइ ? ० गोयमा । सत्तपएसिए खधे भवइ । से भिज्जमाणे दुहा वि जाव' सत्तहा वि कज्जइ-दुहा कज्जमाणे एगयनो परमाणुपोग्गले, एगयो छप्पएसिए खधे भवइ, अहवा एगयो दुपएसिए खधे, एगयओ पचपएसिए खधे भवइ , अहवा एगयो तिपएसिए खधे, एगयो चउपएसिए खधे भवइ । तिहा कज्जमाणे एगयो दो परमाणुपोग्गला, एगयनो पचपएसिए खधे भवइ, अहवा एगयो परमाणुपोग्गले, एगयो दुपएसिए खधे, एगयनो चउपएसिए खधे भवइ, अहवा एगयो परमाणुपोग्गले, एगयनो दो तिपएसिया खधा भवति, अहवा एगयो दो दुपएसिया खधा, एगयो तिपएसिए खधे भवइ। चउहा कज्जमाणे एगयो तिण्णि परमाणुपोग्गला, एगयो चउप्पएसिए खधे भवइ, अहवा एगयो दो परमाणुपोग्गला, एगयो दुपएसिए खधे, एगयनो तिपएसिए खधे भवइ , अहवा एगयो परमाणुपोग्गले, एगयो तिण्णि दुपएसिया खधा भवति । पचहा कज्जमाणे एगयनो चत्तारि परमाणुपोग्गला, एगयो तिपएसिए खधे भवइ , अहवा एगयो तिण्णि परमाणुपोग्गला, एगयो दो दुपए १. स० पा०-च्छा। २ स० पा०—पुच्छा। Page #615 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ? 0 सिया खधा भवति । छहा कज्जमाणे एगयो पच परमाणुपोग्गला, एगयश्रो दुपएसिए खधे भवइ । सत्तहा कज्जमाणे सत्त परमाणुपोग्ला भवति ।। ७५ अट्ठभते । परमाणुपोग्गला " एगयो साहण्णति, साहणित्ता कि भवइ गोयमा । अट्ठएसिए खधे भवइ' । से भिज्जमाणे दुहा वि जाव अट्ठाव कज्जइ॰—दुहा कज्जमाणे एगयो परमाणुपोग्गले, एगयो सत्तपएसिए खधे भवइ, ग्रहवा एगयश्रो दुपए सिए खधे, एगयो छप्पएसिए खधे भवइ; ग्रहवा तपसि खधे, एगयो पचपएसिए खधे भवइ, अहवा चउप्पएसिया खधा भवति । तिहा कज्जमाणे एगयत्रो दो परमाणुपोग्गला भवति, एगयो छप्पएसिए खधे भवइ, अहवा एगयो परमाणुपोग्गले, एगयो दुप्पएसिए खधे, एगयग्र पचपए सिए खधे भवइ, ग्रहवा एगयो परमाणुपोग्गले, एगयो तिपएसिए खधे, एगयो चउप्पएसिए खधे भवइ, अहवा एगयओ दो दुपएसिया खधा, एगयो चउप्पएसिए खधे भवइ, अहवा एगयो दुपएसिए खधे, एगयो दो तिपएसिया खधा भवति । चउहा कज्जमाणे एगय तिष्णि परमाणुपोग्गला, एगयओ पचपएसिए खधे भवइ, ग्रहवा एगयओ दोण्णि परमाणुपोग्गला, एगयत्रो दुपएसिए खधे, एगयो चउप्पएसिए खधे भवइ, अहवा एगयो दो परमाणुपोग्गला, एगयओ दो तिपएसिया खधा भवति, अहवा एगयो परमाणुपोग्गले, एगयो दो दुपएसिया खधा, एगयो तिपएसिए खधे भवइ, ग्रहवा चत्तारि दुपएसिया खधा भवति । पचहा कज्जमाणे एगयत्रो चत्तारि परमाणुपोग्गला, एगयत्रो चउप्पए सिए खधे भवइ, अहवा एगयो तिण्णि परमाणु पोग्गला, एगयओ दुपए सिए खधे, एगयश्रो तिपएसिए खधे भवइ; ग्रहवा एगयो दो परमाणुपोग्गला, एगयो तिण्णि दुपएसिया खधा भवति । छहा कज्जमाणे एगयो पच परमाणुपोग्गला, एगय तिपएसिए खधे भवइ, ग्रहवा एगयो चत्तारि परमाणुपोग्गला, एगयओ दो दुपएसिया खधा भवति । सत्तहा कज्जमाणे एगयो छ परमाणुपोग्गला, एगयत्रो दुपएसिए खधे भवइ । अट्ठहा कज्जमा अट्ठ परमाणुपोग्गला भवति ॥ ५५४ 1 ७६ नव भते | परमाणुपोग्गला " एगयत्रो साहण्णति, साहणित्ता किं भवइ १० गोयमा' | 'नवपएसिए खधे भवइ । से भिज्जमाणे दुहा वि जाव नवहा' वि - दुहा कज्जमाणे एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयो कज्जइ • ---- एसिए खधे १. म० पा० - पुन्हा ! २. स० पा०-- भवइ जाव दुहा । ३. सं० पा०-- पुच्छा । ४. स० पा० -- गोयमा जाव नवहा । ५. नवविहा (ता, स) । Page #616 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बारसम सत (चउत्थो उद्देसो) ५५५ भवइ, ग्रहवा एगयत्रो दुपए सिए खधे, एगयो सत्तपएसिए खधे भवइ, ग्रहवा एगो तिपएसिए खधे, एगयी छप्पएसिए खधे भवइ, अहवा एगो चउप्पएसिए खधे, एगयो पचपएसिए खधे भवइ । तिहा कज्जमाणे एगयो दो परमाणुपोग्गला, एगयो सत्तपए सिए खधे भवइ, ग्रहवा एगयो परमाणुपोग्गले, एगयो दुपए सिए खधे, एगयो छप्पएसिए खधे भवइ, अहवा एग परमाणुपोग्गले, एगयो तिपएसिए खधे, एगयो पचप एसिए खधे भवड, ग्रहवा एगयनो परमाणुपोग्गले, एगयो दो चउप्प एसिया खधा भवति, ग्रहवा एगो दुप एसिए खधे, एगयो तिपएसिए खधे, एगयो चउप्पएसिए खधे भवइ, ग्रहवा तिष्णि तिपएसिया खधा भवति । चउहा कज्जमाणे एग तिणि परमाणुपोग्गला, एगयत्रो छप्पएसिए खधे भवइ, अहवा एगयो दो परमाणुपोग्गला, एगयो दुपएसिए खधे, एगयओ पचपएसिए खधे भवइ, ग्रहवा एगयो दो परमाणुपोग्गला, एगयो तिपएसिए खधे, एगयो चउप्पएसिए खधे भवइ, ग्रहवा एगयो परमाणुपोग्गले, एगयओ दो दुपएसिया खधा, एगयत्रो चउप्पएसिए खधे भवइ, ग्रहवा एगयो परमाणुपोग्गले, एग o दुपए सिए खधे, एगयओ दो तिपएसिया खधा भवति, ग्रहवा एगयो तिणि दुप्पएसिया खधा, एगयओ तिपएसिए खधे भवइ । पचहा कज्जमाणे एगयो चत्तारि परमाणुपोग्गला, एगयो पचपएसिए खधे भवइ, अहवा एगयो तिणि परमाणुपोग्गला, एगयओ दुपए सिए खधे, एगयो चउप्पएसिए खधे भवइ, ग्रहवा एगयो तिष्णि परमाणुपोग्गला, एगयो दो तिपएसिया खधा भवति, श्रहवा एगयो दो परमाणुपोग्गला, एगयनो दो दुपएसिया खधा, एगयो तिपएसिए खधे भवइ, ग्रहवा एगयो परमाणुपोग्गले, एगयो चत्तारि दुपएसिया खधा भवति । छहा कज्जमाणे एगयो पच परमाणुपोग्गला, एगो उपसिए खधे भवइ, ग्रहवा एगयत्रो चत्तारि परमाणुपोग्गला, एग दुप्पसिए खधे, एगयो तिपएसिए खधे भवइ, ग्रहवा एगयो तिष्णि परमाणुपोग्गला, एगयो तिण्णि दुप्पएसिया खधा भवति । सत्तहा कज्जमाणे एगयो छ परमाणुपोग्गला, एगयो तिप्पएसिए खधे भवइ, ग्रहवा एगयो पच परमाणुपोग्गला, एगयो दो दुपएसिया खधा भवति । हा कज्ज माणे एगयओ सत्त परमाणुपोग्गला, एगयओ दुपएसिए खधे भवइ । नवा कज्जमाणे नव परमाणुपोग्गला भवति ॥ ७७. दस भते । परमाणुपोग्गला' एगयश्रो साहण्णति, साहणित्ता कि भवइ ? १. स० पा०-- एव एक्केक्क सचारेंतेहि जाव २ स० पा० पोग्गला जाव दुहा । अहवा । Page #617 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५५६ भगवई 10 गोयमा । दसपएसिए खधे भवइ । से भिज्जमाणे दुहा वि जाव दसहा वि कज्जइ°–दुहा कज्जमाणे एगयो परमाणुपोग्गले, एगयो नवपएसिए खवे भवइ ; ग्रहवा एगयो दुपए सिए खधे, एगयओ ग्रटुपए सिए खधे भवइ ; • अहवा एगयओ तिपएसिए खधे, एगयो सत्तपएसिए खधे भवड ; ग्रहवा एग चउप्पएसिए खधे, एगयो छप्पएसिए खधे भवइ० ग्रहवा दो पंचपएसिया खधा भवति । तिहा कज्जमाणे एगयो दो परमाणुपोग्गला, एग सिए खधे भवइ, ग्रहवा एगयो परमाणुपोग्गले, एगयो दुपएसिए खधे, एगयो सत्तपएसिए खधे भवइ, ग्रहवा एगयो परमाणुपोग्गले, एगयो तिपएसिए खधे, एगयो छप्पएसिए खधे भवइ, अहवा एगयो परमाणुपोग्गले, एगयो चउप्पएसिए खधे, एगयत्रो पचपएसिए खधे भवइ; ग्रहवा एगयो दुपएसिए खधे, एगयत्रो दो चउप्पएसिया खधा भवति, ग्रहवा एगयो दो तिपएसिया खधा, एगयो चउप्पएसिए खधे भवइ । चउहा कज्जमाणे एगयओ तिष्णि परमाणुपोग्गला, एगयओ सत्तपएसिए खधे भवइ, अहवा एगयो दो परमाणुपोग्गला, एगयग्रो दुपएसिए खधे, एगयो छप्पएसिए खधे भवइ, अहवा एगयओ दो परमाणुपोग्गला, एगयओ तिप्पएसिए खधे, एगयो पचपएसिए खधे भवइ; ग्रहवा एगयत्रो दो परमाणुपोग्गला, एगयओ दो चउप्पएसिया खधा भवति, अहवा एगयो परमाणुपोग्गले, एगयो दुपए सिए खधे, एगयो तिपएसिए खंधे, एगयत्रो चउप्पएसिए खधे भवइ, ग्रहवा एगयो परमाणुपोग्गले, एगयो तिणि तिपएसिया खधा भवति, ग्रहवा एगयो तिण्णि दुपएसिया खधा, एगयो चउप्पएसिए खधे भवइ, ग्रहवा एगयओ दो दुपएसिया खधा, एगयो दो तिपएसिया खधा भवति । पचहा कज्जमाणे एगयत्रो चत्तारि परमाणुपोग्गला, एगयनो छप्पएसिए खधे भवइ, ग्रहवा एगयो तिष्णि परमाणुपोग्गला, एगयो दुपएसिए खधे, एगयो पचपएसिए खधे भवइ; ग्रहवा एगयो तिण्णि परमाणुपोग्गला, एगयो तिपएसिए खधे, एगयो चउपएसिए खधे भवइ, ग्रहवा एगयो दो परमाणुपोग्गला, एगयो दो दुपएसिया खधा, एगयनो चउप्पएसिए खधे भवइ, अहवा एगयत्रो दो परमाणुपोग्गला, एगयो दुपएसिए खधे, एगयओ दो तिपएसिया खधा भवति, ग्रहवा एगयश्रो परमाणुपोग्गले, एगयओ तिणि दुपएसिया खधा, एगयो तिपएसिए खधे भवइ, ग्रहवा पच दुपएसिया खधा भवति । छहा कज्जमाणे एगयो पच १. सं० पा० - एव एक्केक्क सचारेंतेण जाव अहवा । 3 Page #618 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चारसम सत (चउत्थो उद्देसो) ५५७ परमाणुपोग्गला, एगयो पचपएसिए खधे भवइ; हवा एगयो चत्तारि परमाणुपोग्गला, एगयश्रो दुपए सिए खधे, एगयो चउपए सिए खधे भवइ, ग्रहवा एगो चत्तारि परमाणुपोग्गला, एगयत्रो दो तिपएसिया खधा भवति, ग्रहवा एगयो तिणि परमाणु पोग्गला, एगयत्रो दो दुपएसिया खधा, एगयो तिपएसिए खधे भवइ, अहवा एगयश्री दो परमाणुपोग्गला, एगयत्रो चत्तारि दुपसिया खधा भवति । सत्तहा कज्जमाणे एगयो छ परमाणुपोग्गला, एगो चउप्पएसिए खधे भवइ, ग्रहवा एगयो पच परमाणु पोग्गला, दुपसि खधे, एगयो तिपएसिए खधे भवइ, ग्रहवा एगयो चत्तारि परमाणुपोग्गला, एगयओ तिणि दुपएसिया खधा भवति । अट्ठा कज्जमाणे एगयत्रो सत्त परमाणुपोग्गला, एगयो तिपएसिए खधे भवइ, ग्रहवा एगयो छ परमाणुपोग्गला, एगयो दो दुपएसिया खधा भवति । नवहा कज्जमाणे एगयो अट्ठ परमाणुपोग्गला, एगयो दुपए सिए खधे भवइ । दसहा कज्जमाणे दस परमाणु पोग्गला भवति ॥ ? ७८. सखेज्जा ण भते । परमाणुपोग्गला एगयत्रो साहण्णति, साहणित्ता किं भवइ गोयमा । सखेज्जपए सिए खधे भवइ । से भिज्जमाणे दुहा वि जाव दसहा वि सखेज्जहा विकज्जइ - दुहा कज्जमाणे एगयो परमाणुपोग्गले, एगयो सखेज्जपएसिए खधे भवइ; ग्रहवा एगयओ दुपए सिए खधे, एगयो सखेज्जपएसिए खधे भवइ, एगयओ तिपएसिए खधे, एगयओ सखेज्जपए सिए खधे भवइ, एव जाव हवा एगयो दसपए सिए खधे, एगयो सखेज्जपएसिए खधे भवइ, ग्रहवा दो सखेज्जपएसिया खधा भवति । तिहा कज्जमाणे एगयो दो परमाणुपोग्गला, एगयओ सखेज्जपएसिए खधे भवइ; अहवा एगयो परमाणुपोग्गले, एगयो दुपए सिए खधे, एगयो स खेज्जप एसिए खधे भवइ, श्रहवा एगयो परमाणुपोग्गले, एगयो तिपएसिए खधे, एगयो सखेज्जपएसिए खधे भवइ, एव जाव ग्रहवा एगयत्रो परमाणुपोग्गले, एगयो दसपएसिए खधे, एगयो सखेज्जपए सिए खधे भवइ, ग्रहवा एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयत्रो दो सखेज्जपएसिया खंधा भवति, ग्रहवा एगयओ दुपए सिए खधे, एगयत्रो दो सखेज्जपएसिया खधा भवति एव जाव अहवा एगयो दस एसिए खधे, एगयओ दो सखेज्जपएसिया खधा भवति, ग्रहवा तिण्णि सखेज्जपएसिया खधा भवति । चउहा कज्जमाणे एगयओ तिण्णि परमाणुपोग्गला, एगयत्रो सखेज्जपए सिए खधे भवइ, ग्रहवा एगयत्रो दो परमाणुपोग्गला, एगयो दुपए सिए खधं, एगयओ सखेज्जपएसिए खधे भवइ, अहवा एगयओ दो परमाणुपोग्गला, एगयो तिप्पएसिए खधे, एगयो सखेज्जपएसिए खधे भवइ, एव जाव प्रहवा एगयो दो परमाणुपोग्गला, एगयो दसपएसिए , Page #619 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५५८ भगवई खधे, एगयत्रो सखेज्जपएसिए खधे भवइ, ग्रहवा एगयो दो परमाणुपोग्गला, एगयो दो सखेज्ज एसिया खवा भवति, ग्रहवा एगयत्रो परमाणुपोग्गले, एग दुपए सिए खवे, एगयो दो सखेज्जपएसिया खधा भवति जाव अहवा एगयो परमाणुपोग्गले एगयो दसपएसिए खधे, एगयग्रो दो सखेज्जपएसिया खधा भवति, ग्रहवा एगयो परमाणुपोग्गले, एगयओ तिष्णि सखेज्जपए सिया खधा भवति, अहवा एगयो दुपए सिए खधे, एगयो तिणि सखेज्जपएसिया खधा भवति जाव हवा एगयो दसपए सिए खधे, एगयो तिण्णि सखेज्जपएसिया खधा भवति, अहवा चत्तारि सखेज्जपएसिया खवा भवति, एव एए कमेणं पचगसजोगो वि भाणियव्वो जाव नवगसजोगो । दसहा कज्जमाणे एगयो नव परमाणुपोग्गला, एगयो सखेज्जपए सिए खधे भवइ, ग्रहवा एगय अट्ट परमाणुपोग्गला, एगयो दुपए सिए, एगयो सखेज्जपए सिए खधे भवइ । एएण कमेण एक्केक्को पूरेयव्वो जाव ग्रहवा एग यो दसपएसिए खधे, एगयो नव सखेज्जपएसिया खधा भवति, ग्रहवा दस सखेज्जपएसिया खधा भवति । सखेज्जहा कज्जमाणे सखेज्जा परमाणु पोग्गला भवति ॥ ७६ असखेज्जा भते । परमाणुपोग्गला एगयओ साहण्णति', साहणित्ता किं भवइ ? गोयमा । सखेज्जपएसिए खधे भवइ । से भिज्जमाणे दुहा वि जाव दसहा वि, सखेज्जहा वि, असखेज्जहा वि कज्जइ – दुहा कज्जमाणे एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयम्रो असखेज्जपएसिए खंधे भवइ जाव अहवा एगयो दसपएसिए खधे भवइ, एगयो प्रसखेज्जपए सिए खधे भवइ, ग्रहवा एगयो सखेज्ज. पएसिए खधे, एगयो असखेज्जपएसिए खधे भवइ, ग्रहवा दो असखेज्जपएसिया खधा भवति । तिहा कज्जमाणे एगयओ दो परमाणुपोग्गला, एगयो असखेज्जपएसिए खधे भवइ, अहवा एगयो परमाणुपोग्गले, एगयओ दुपएसिए खधे, एगयग्र असखेज्जपए सिए खधे भवइ जाव अहवा एगयो परमाणुपोग्गले, एगयओ दसपएसिए खधे, एगयो प्रसखेज्जपएसिए खधे भवइ, अहवा एगयत्रो परमाणुपोग्गले, एगयो सखेज्जपएसिए खंधे, एगयो असखेज्जपएसिए खधे भवइ, अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयो दो अमखेज्जपएसिया खधा भवति, ग्रहवा एगयओ दुपए सिए खधे, एगयओ दो ग्रसखेज्जपएसिया खधा भवति, एव जाव अहवा एगयो सखेज्जपएसिए खधे, एगयओ दो असखेज्जपएसिया खंधा भवति, अहवा तिणि ग्रसखेज्जपएसिया खधा भवति । चउहा कज्जमाणे एगयो तिण्णि परमाणुपोग्गला, एगयो असखेज्जपएसिए खधे भवइ; एव चउक्कगसजोगो जाव दसगसजोगो । एए जहेव सखेज्जपएसियस्स, नवरं - प्रसखेज्जग एग अहिंग भाणियव्व जाव ग्रहवा दस १. साहणति ( अ, क, ख, म, स ) 1 Page #620 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५५९ बारसम सत (चउत्थो उद्देसो) असखेज्जपएसिया खधा भवति । संखेज्जहा कज्जमाणे एगयनो सखेज्जा परमाणुपोग्गला, एगयो असखेज्जपएसिए खधे भवइ, अहवा एगयो सखेज्जा दुपएसिया खधा, एगयो असखेज्जपएसिए खधे भवइ, एव जाव अहवा एगयो सखेज्जा दसपएसिया खधा, एगयो असखेज्जपएसिए खधे भवइ, अहवा एगयनो सखेज्जा सखेज्जपएसिया खधा, एगयो असखेज्जपएसिए खधे भवइ ; अहवा सखेज्जा असखेज्जपएसिया खधा भवति । असखेज्जहा कज्जमाणे असंखेज्जा परमाणुपोग्गला भवति ॥ अणता ण भते । परमाणुपोग्गला' 'एगयो साहण्णति, साहणित्ता कि ८०. भवइ? गोयमा । अणतपएसिए खधे भवइ । से भिज्जमाणे दुहा वि तिहा वि जाव दसहा वि 'सखेज्जहा वि असखेज्जहा वि' अणतहा वि कज्जइ–दुहा कज्जमाणे एगयनो परमाणुपोग्गले एगयो अणतपएसिए खधे भवइ जाव अहवा दो अणतपएसिया खधा भवति । तिहा कज्जमाणे एगयओ दो परमाणुपोग्गला, एगयो प्रणतपएसिए खधे भवइ, अहवा एगयो परमाणुपोग्गले, एगयो दुपएसिए खधे, एगयो अणतपएसिए खधे भवइ जाव अहवा एगयनो परमाणुपोग्गले, एगयनो असखेज्जपएसिए खधे, एगयओ अणतपएसिए खधे भवइ, अहवा एगयो परमाणुपोग्गले, एगयो दो अणतपएसिया खधा भवति, अहवा एगयो दुपएसिए खधे, एगयो दो अणतपएसिया खधा भवति, एव जाव अहवा एगयो दसपएसिए खधे, एगयो दो अणतपएसिया खधा भवति, अहवा एगयनो सखेज्जपएसिए खधे, एगयो दो अणतपएसिया खधा भवति , अहवा एगयो असखेज्जपएसिए खधे, एगयो दो अणतपएसिया खधा भवति, प्रहवा तिण्णि अणतपएसिया खधा भवति । चउहा कज्जमाणे एगयो तिण्णि परमाणुपोग्गला, एगयो अणतपएसिए खधे भवइ, एव चउक्कसजोगो जाव असखेज्जगसजोगो । एते सव्वे जहेव असखेज्जाण भणिया तहेव अणताण वि भाणियन्व, नवर-एक्क अणतग अब्भहिय भाणियव्व जाव अहवा एगयो सखेज्जा सखेज्जपएसिया खधा, एगयो अणतपएसिए खधे भवइ, अहवा एगयनो सखेज्जा असखेज्जपएसिया खधा, एगयो अणतपएसिए खधे भवइ, अहवा सखेज्जा अणतपएसिया खधा भवति । असखेज्जहा कज्जमाणे एगयो असखेज्जा परमाणुपोग्गला, एगयो अणतपएसिए खधे भवइ, अहवा एगयो असखेज्जा दुपएसिया खधा, एगयओ अणतपएसिए खधे भवइ जाव अहवा १. स० पा०-परमाणुपोग्गला जाव किं । २ सखेज्जाअसखेज्ज (अ, क, ब, स), सखेज्जा असखेज्जा (ख, म). सखेज्जाऽसखेज्जा (ता)। Page #621 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ५६० एगयो असखेज्जा सखेज्जपएसिया खधा, एगयो अणतपएसिए खधे भवइ; अहवा एगयनो असखेज्जा असखेज्जपएसिया खधा, एगयनो अणतपएसिए खधे भवइ, अहवा असखेज्जा अणतपएसिया खधा भवति । अणतहा कज्जमाणे अणता परमाणुपोग्गला भवति ।। पोग्गलपरियट्ट-पदं ८१ एएसि ण भते । परमाणुपोग्गलाण साहणणा-भेदाणुवाएण अणंताणता पोग्गलपरियट्टा समणुगतव्वा भवतीति मक्खाया? हता गोयमा | एएसि ण परमाणुपोग्गलाण साहणणा ' भेदाणुवाएण अणंताणता पोग्गलपरियट्टा समणुगतव्वा भवतीति ° मक्खाया। ८२. कइविहे ण भते ! पोग्गलपरियट्टे पण्णत्ते ? गोयमा सत्तविहे पोग्गलपरियट्टे पण्णत्ते, त जहा-ओरालियपोग्गलपरियट्टे, वेउव्वियपोग्गलपरियट्टे, तेयापोग्गलपरियट्टे, कम्मापोग्गलपरियट्टे, मणपोग्गल परियट्टे, वइपोग्गलपरियट्टे, प्राणापाणुपोग्गलपरियट्टे' । ८३ नेरइयाण भते ! कति विहे पोग्गलपरियट्टे पण्णत्ते ? गोयमा । सत्तविहे पोग्गलपरियट्टे पण्णत्ते, त जहा-ओरालियपोग्गलपरियट्टे, वेउब्बियपोग्गलपरियट्टे जाव' आणापाणुपोग्गलपरियट्टे । एव जाव' वेमाणियाण ॥ ८४. एगमेगस्स णं भते | नेरइयस्स केवइया ओरालियपोग्गलपरियट्टा अतीता ? अणंता। केवइया पुरेक्खडा ? कस्सइ अत्थि, कस्सइ नत्थी । जस्सत्थि जहण्णेण एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेण सखेज्जा वा असखेज्जा वा अणता वा ॥ एगमेगस्स ण भते । असुरकुमारस्स केवइया ओरालियपोग्गलपरियट्टा "अतीता? अणता। केवइया पुरेक्खडा ? कस्सइ अत्थि, कस्सइ नत्थि । जस्सत्थि जहण्णेण एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेण सखेज्जा वा असखेज्जा वा अणता वा ।° एवं जाव वेमाणियस्स ॥ १. स० पा०—साहणणा जाव मक्खाया। २. प्राणपारण° (ख)। ३. भ० १२१८२। ४ पू० प० २। ५. पुरेक्कडा (अ), पुरक्खडा (क, ता) । ६. स० पा०-एन चेव जाव एवं । Page #622 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बारसम सत (चउत्थो उद्देसो) ५६१ ८६ एगमेगस्स ण भते । नेरइयस्स केवइया वेउव्वियपोग्गलपरियट्टा अतीता ? अणता । एव जहेव पोरालियपोग्गलपरियट्टा तहेव' वेउव्वियपोग्गलपरियट्टावि भाणियव्वा । एव जाव' वेमाणियस्स । एव जाव' प्राणापाणुपोग्गलपरियट्टा। एते एगत्तिया सत्त दडगा भवति ।।। नेरइयाण भते । केवइया ओरालियपोग्गलपरियट्टा अतीता ? अणता। केवइया पुरेक्खडा ? अणता । एव जाव वेमाणियाण । एव वेउव्वियपोग्गलपरियट्टावि । एव जाव आणापाणुपोग्गलपरियट्टा वेमाणियाण । एव एए पोहत्तिया सत्त चउव्वीसति दडगा ८५ एगमेगस्स ण भते । नेरइयस्स नेरइयत्ते केवतिया ओरालियपोग्गलपरियट्टा अतीता? नत्थि एक्को वि। केवतिया पूरेक्खडा ? नत्थि एक्को वि॥ ८६ एगमेगस्स ण भते | नेरइयस्स असुरकुमारत्ते केवतिया ओरालियपोग्गल परियट्टा अतीता? एव चेव । एव जाव' थणियकुमारत्ते' ॥ एगमेगस्स ण भते । नेरइयस्स पुढविक्काइयत्ते केवतिया पोरालियपोग्गलपरियट्टा अतीता? अणता। केवतिया पुरेक्खडा? कस्सइ अत्थि, कस्सइ नत्थि । जस्सत्थि जहण्णेण एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेण सखेज्जा वा असखेज्जा वा अणता वा। एव जाव मणुस्सत्ते। वाण मतर-जोइसिय-वेमाणियत्ते जहा असुरकुमारत्ते ॥ ६१. एगमेगस्स ण भते । असुरकुमारस्स नेरइयत्ते केवतिया ओरालियपोग्गल परियट्टा ? एव जहा नेरइयस्स वत्तव्वया भणिया, तहा अमुरकुमारस्स वि भाणियव्वा जाव वेमाणियत्ते । एव जाव थणियकुमारस्स । एव पुढविक्काइयस्स वि । एव जाव वेमाणियस्स । सन्वेसि एक्को गमो ॥ १. पू०प०२। २. भ० १२१८२। ३. ° कुमारत्ते जहा असुरकुमारत्ते (अ, स)। ४ सव्वेसि उ (ता)। ५ गमओ (क, ता, व, म, स)। Page #623 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ५६२ ६२. एगमेगस्स ण भते! नेरइयस्स नेरइयत्ते केवतिया वेउब्वियपोग्गल परियट्टा श्रतीता ? प्रणता । केवतिया पुरेक्खडा ? एकुत्तरिया' जाव प्रणंता वा । एव जाव थणियकुमारत्ते ॥ ε३. पुढविकाइयत्ते – पुच्छा | नत्थि एक्कोवि । केवतिया पुरेक्खडा ? नत्थि एक्कोवि' । एव जत्थ वेउव्वियसरीर' तत्य एकुत्तरिग्रो, जत्थ नत्यि तत्य जहा पुढविकाइयत्ते तहा भाणियव्व जाव वेमाणियस्स वेमाणियत्ते । तेयापोग्गलपरियट्टा, कम्मापोग्गलपरियट्टा य सव्वत्य एकुत्तरिया भाणियव्वा, मणपोग्गल परियट्टा सव्वेसु पचिदिएस एगुत्तरिया, विगलिदिएसु नत्यि । वपोग्गलपरियट्टा एवं चेव, नवर - एगिदिएसु नत्थि भाणियन्वा । श्राणापाणुपोग्गलपरियट्टा सव्वत्थ एकुत्तरिया जाव वेमाणियस्स वेमाणियत्ते ॥ १४ नेरइयाण भते ! नेरइयत्ते केवतिया ओरालियपोग्गलपरियट्टा श्रतीता ? 'नत्थि एक्कोवि" । केवतिया पुरेक्खडा ? नत्थि एक्कोवि । एवं जाव थणियकुमारत ॥ ε५. पुढविकाइयत्ते – पुच्छा। प्रणता । केवतिया पुरेक्खडा ? श्रणता । एवं जाव मणुस्सत्ते । वाणमंतर जोइसिय-वेमाणियत्ते जहा नेरइयत्ते । एव जाव' वेमाणियाण' वेमाणियत्ते । एवं सत्त वि पोग्गलपरियट्टा भाणियव्वा - जत्थ' ग्रत्थि तत्थ' प्रतीता वि पुरेक्खडा वि प्रणता भाणियव्वा, जत्थ नत्थ तत्थ दोवि नत्थि भाणियव्वा जाव १६. वेमाणियाण वेमाणियत्ते केवतिया प्राणापाणुपोग्गल परियट्टा अतीता ? अणता । केवतिया पुरेक्खडा ? १. एगुत्तरिया ( अ ) ; एक्कुत्तरिया (क, ता ) 1 २. तेक्कोवि (व, म) | ३. ० सरीर अस्थि (अ, स ) । ४. नत्येक्कोवि (क, ख, म) 1 ५. वैमाणियस्स (क, ता, ब ) । ६ जस्स (क, ता, व, म) 1 ७. तस्स (क, ता, ब, म) । ८ जस्स (क, ख, ता, व, म) । Page #624 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बारसम सतं (चउत्थो उद्देसो) अणता ॥ ६७. से केणद्वेण भते । एव वुच्चइ-ओरालियपोग्गलपरियट्टे-मोरालियपोग्गल परियट्टे? गोयमा | जण्ण जीवेण ओरालियसरीरे वट्टमाणेण ओरालियसरीरपायोग्गाइ दव्वाइ ओरालियसरीरत्ताए गहियाइ बद्धाइ पुट्ठाइ कडाइ पट्टवियाइ निविट्राइ अभिनिविट्ठाइ अभिसमण्णागयाइ परियादियाइ परिणामियाइ निज्जिण्णाइ निसिरियाइ निसिट्टाइ भवति । से तेणद्वेण गोयमा । एव वुच्चइओरालियपोग्गलपरियटे-पोरालियपोग्गलपरियट्टे। एव वेउन्वियपोग्गलपरियट्टेवि, नवर-वेउव्वियसरीरे वट्टमाणेण वेउव्वियसरीरप्पायोग्गाइ दव्वाइ वेउव्वियसरीरत्ताए गहियाइ, सेस त चेव सव्व, एव जाव आणापाणुपोग्गलपरियट्टे, नवर-आणापाणुपायोग्गाइ सव्वदव्वाइ आणापाणुत्ताए गहियाइ, सेस त चेव ।। ६८ ओरालियपोग्गलपरियट्टे ण भते । केवइकालस्स निव्वत्तिज्जइ ? गोयमा । अणताहि 'प्रोसप्पिणीहिं उस्सप्पिणीहिं" एवतिकालस्स निव्वत्ति ज्जइ । एव वेउव्वियपोग्गलपरियट्टे वि । एव जाव आणापाणुपोग्गलपरियट्टेवि ॥ ६६. एयस्स ण भते । ओरालियपोग्गलपरियट्टनिव्वत्तणाकालस्स, वेउव्वियपोग्गल परियट्टनिव्वत्तणाकालस्स जाव' आणापाणुपोग्गलपरियट्टनिव्वत्तणाकालस्स य कयरे कयरेहितो' 'अप्पा वा ? बहुया वा? तुल्ला वा ? • विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवे कम्मगपोग्गलपरियट्टनिव्वत्तणाकाले, तेयापोग्गलपरियट्टनिव्वत्तणाकाले अणतगुणे, ओरालियपोग्गलपरियट्टनिव्वत्तणाकाले अणतगुणे, आणापाणुपोग्गलपरियट्टनिव्वत्तणाकाले अणतगुणे, मणपोग्गलपरियट्टनिव्वत्तणाकाले अणतगुणे, वइपोग्गलपरियट्टनिव्वत्तणाकाले अणतगुणे, वेउव्विय पोग्गलपरियट्टनिव्वत्तणाकाले अणतगुणे ।। १००. एएसि ण भते । ओरालियपोग्गलपरियट्टाण जाव आणापाणुपोग्गलपरियाण य कयरे कयरेहितो' 'अप्पा वा? बहुया या ? तुल्ला वा ? ० विसेसाहिया वा? गोयमा | सव्वत्थोवा वेउव्वियपोग्गलपरियट्टा, वइपोग्गलपरियट्टा अणतगुणा, मणपोग्गलपरियट्टा अणतगुणा, प्राणापाणुपोग्गलपरियट्टा अणतगुणा, ओरालिय १. ओसप्पिणि-उस्स ° (अ, ख, व, म); २ स० पा०- कयरेहितो जाव विसेसाहिया। उस्सपिणीहिं ओस° (क), उस्सप्पिरिण- ३. स० पा०–कयरेहितो जाव विसेसाहिया। ओस (स)। Page #625 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५६४ भगवई पोग्गलपरियट्टा अणंतगुणा, तेयापोग्गलपरियट्टा अणतगुणा, कम्मगपोग्गल परियट्टा अणतगुणा ॥ १०१. सेव भते ! सेव भते । त्ति भगव जाव' विहरइ ।। पंचमो उद्देसो वण्णादि अवण्णादि च पडुच्च दव्ववीमंसा-पदं १०२. रायगिहे जाव' एव वयासी-अह भते ! पाणाइवाए, मुसावाए, अदिण्णादाणे, मेहणे, परिगहे-एस ण कतिवण्णे, कतिगंधे, कतिरसे, कतिफासे पण्णत्ते ? गोयमा ! पचवण्णे, दुगधे, पचरसे, चउफासे पण्णत्ते ।। १०३ अह भते । कोहे, कोवे, रोसे, दोसे, अखमा, सजलणे, कलहे, चंडिक्के, भंडणे, विवादे-एस ण कतिवण्णे जाव' कतिफासे पण्णत्ते ? गोयमा ! पचवण्णे, 'दुगधे, पचरसे", चउफासे पण्णत्ते ॥ १०४. अह भते ! माणे, मदे, दप्पे, थभे, गव्वे, अत्तुक्कोसे', परपरिवाए, उक्कोसे', प्रवक्कोसे', उण्णते, उण्णामे, दुण्णामे-एस ण कतिवण्णे जाव' कतिफासे पण्णते? गोयमा | पचवणे, ""दुगधे, पचरसे, चउफासे, पण्णत्ते ॥ अह भते ! माया, उवही, नियडी, वलए', गहणे, णूमे, कक्के, कुरुए', जिम्हे", किब्बिसे, आयरणया, गृहणया, वचणया, पलिउचणया, सातिजोगे--एस णं कतिवण्णे जाव कतिफासे पण्णत्ते ? गोयमा । पचवण्णे दुगधे पचरसे चउफासे पण्णत्ते ॥ १०६ अह भते ! लोभे, इच्छा, मुच्छा, कखा, गेही, तण्हा, भिज्झा, अभिज्झा, आसासणया, पत्थणया, लालप्पणया, कामासा, भोगासा, जीवियासा, मर १. भ० ११५१ । २. भ० १२४-१०। ३. पंचरसे दुगवे (अ, क, ख, ता, व, म, स)। ४. अत्तुक्कासे (क, ख), अत्तुक्करिसे (ता)। ५. उक्कासे (ख, वृपा)। ६. अवक्कासे (ख, वृपा) । ७. स० पा०-जहा कोहे तहेव । ८ वलये (अ, क, ख, व, म, स)। ६ कुरूए (म)। १० झिमे (अ, ब, स), जिम्मे (क), झिम्मे (ख); पिम्हे (ता)। ११. स० पा०-जहेव कोहे। Page #626 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बारसमं सत (पचमो उद्देसो) णासा', नदिरागे' - एस ण कतिवण्णे जाव कतिफासे पण्णत्ते ? o गोयमा । पचवणे दुगधे पचरसे चउफासे पण्णत्ते ॥ 1 ग्रह भते । पेज्जे, दोसे, कलहे, ग्रव्भक्खाणे, पेसुन्ने, परपरिवाए, अरतिरती, मायामोसे, ° मिच्छादसणसल्ले - एस ण कतिवण्णे जाव कतिफासे पण्णत्ते ? " गोयमा । पचवण्णे दुगधे पचरसे चउफासे पण्णत्ते ॥ ० ग्रह भते । पाणाइवायवेरमणे, जाव परिग्गहवेरमणे, कोहविवेगे जाव' मिच्छादसणसल्लविवेगे - एस ण कतिवण्णे जाव कतिफासे पण्णत्ते ? गोयमा ! अवणे, गधे, अरसे, अफासे पण्णत्ते ॥ १०६ ग्रह भंते । उप्पत्तिया, वेणइया, कम्मया, पारिणामिया - एस ण कतिवण्णा जाव कतिफासा पण्णत्ता ? १०७ १०८ • गोयमा । श्रवण्णा, अगधा, अरसा, अफासा पण्णत्ता ● ॥ ११० अह भते । प्रोग्गहे, ईहा, प्रवाए ", धारणा - एस ण कतिवण्णा जाव कतिफासा पण्णत्ता ? " गोयमा । श्रवण्णा, अगधा, अरसा °, १११ ग्रह भते । उट्ठाणे, कम्मे, बले, वीरिए, वणे जाव कतिफासे पण्णत्ते ? १२ गोयमा । श्रवण्णे, अगधे, अरसे °, अफासे पण्णत्ते ॥ 1 ११२ सत्तमे ण भते । प्रवासतरे कतिवण्णे जाव कतिफासे पण्णत्ते ? " गोयमा । अवणे, गधे, अरसे, अफासे पण्णत्ते ॥ 1 ११३ सत्तमे ण भते । तणुवाए कतिवण्णे जाव कतिफासे पण्णत्ते ? * गोयमा । पचवण्णे, दुगधे, पचरसे अट्ठफासे पण्णत्ते । ० ५६५ फासा पण्णत्ता ॥ पुरिसक्कार- परक्कमे - एस ण कति १. इद च क्वचिन्न दृश्यते (वृ) । २. नदीरागे (क, व, म) । ३. स० पा०- — जहेव कोहे । एव जहा सत्तमे तणुवाए तहा सत्तमे घणवाए, घणोदधी, पुढवी । छट्ठे श्रवासतरे प्रवण्णे । तणुवाए जाव छट्ठी सत्तमाए पुढवीए वत्तव्वया भणिया बुद्दीवे दीवे जाव सयभुरमणे समुद्दे, पुढवी - एयाइ फासाइ । एव जहा तहा जाव पढमाए पुढवीए भाणियव्व । सोहम्मे कप्पे जाव ईसिपव्भारा पुढवी, ४. स० पा० – कलहे जाव मिच्छा° । ५ स० पा० - जहेव कोहे तहेव चउफासे । ६. भ० १।३८५ । ७. ठा० १1११५-१२५ । ८ कम्मिया ( अ, क, ख, ता, म) ६ स० पा०त चेव जाव अफासा । १० अपोहे ( क ), अपाए (व, म) । ११ सं० पा०-- एव चैव जाव अफासा । १२. स० पा०त चेव जाव अफासे । १३. स० पा० एव चेव जाव अफासे । १४ स० पा० - जहा पाणाइवाए नवर अट्ठफासे । Page #627 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५६६ भगवई नेरइयावासा जाव वेमाणियावासा--एयाणि सव्वाणि अट्ठफासाणि ।। ११४ नेरइयाण भते । कतिवण्णा जाव कतिफासा पण्णत्ता ? गोयमा | वेउव्विय-तेयाइ पडुच्च' पचवण्णा, 'दुगधा, पचरसा', अट्टफासा पण्णत्ता । कम्मगं पडुच्च पचवण्णा, दुगधा, पचरसा, चउफासा पण्णत्ता । जीव पडुच्च अवण्णा जाव अफासा पण्णत्ता । एव जाव थणियकुमारा ॥ ११५ पुढविक्काइयाण-पुच्छा। गोयमा । ओरालिय-तेयगाइ पडुच्च पचवण्णा जाव अट्ठफासा पण्णत्ता। कम्मग पडुच्च जहा नेरइयाण । जीव पडुच्च तहेव । एव जाव चउरिदिया, नवर-वाउक्काइया पोरालिय-वेउव्विय-तेयगाइ पडुच्च पचवण्णा जाव अटुफासा पण्णत्ता, सेस जहा नेरइयाण । पचिदियतिरिक्खजोणिया जहा वाउक्काइया ॥ मणुस्साण-पुच्छा। ओरालिय-वेउव्विय-आहारग-तेयगाइ पडुच्च पचवण्णा जाव अटफासा पण्णत्ता । कम्मग जीव च पडुच्च जहा नेरइयाण वाणमतर-जोइसिय-वेमाणिया जहा नेरइया । धम्मत्थिकाए जाव' पोग्गलत्थिकाए-एए सव्वे अवण्णा, नवरं-पोग्गलत्थिकाए पचवण्णे, दुगधे, पचरसे, अट्ठफासे पण्णत्ते । नाणावरणिज्जे जाव अतराइए-एयाणि चउफासाणि ॥ ११७ कण्हलेसा णं भते । कतिवण्णा "जाव कतिफासा पण्णत्ता ? • दव्वलेस पडुच्च पचवण्णा जाव अट्ठफासा पण्णत्ता। भावलेस पड़च्च अवण्णा, अगधा, अरसा, अफासा पण्णत्ता । एव जाव' सुक्कलेस्सा। सम्मदिठ्ठी, मिच्छदिट्ठी, सम्मामिच्छदिट्ठी, चक्खुदसणे, अचक्खुदसणे, प्रोहिदसणे, केवलदसणे, आभिणिवोहियनाणे जाव' विन्भगनाणे, आहारसण्णा जाव परिग्गहसण्णा-एयाणि अवण्णाणि, अगधाणि, अरसाणि, अफासाणि। ओरालियसरीरे जाव तेयगसरीरे-एयाणि अटफासाणि। कम्मगसरीरे चउफासे । मणजोगे, वइजोगे य चउफासे, कायजोगे अट्टफासे । सागारोवओगे अणागारोवनोगे य अवण्णे ॥ ११८. सव्वदव्वा ण भते ! कतिवण्णा जाव' कतिफासा पण्णत्ता ? ० १. पडुच्चा (ता, व, म)। ५. स० पा०-पुच्छा । २ पचरसा दुगधा (म, क, ख, ता, व, म, ६ भ० १११०२ । ७. भ० २।१३७ । ३ भ० २११२४॥ ८. कम्मसरीरे (व, म)। ४. भ० ६॥३३॥ ६. स० पा०-पुच्छा। स)। Page #628 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बारसम सतं (छट्टो उद्देसो) ५६७ गोयमा ! प्रत्येगतिया सव्वदव्वा पचवण्णा जाव फासा पण्णत्ता । प्रत्येगतिया सव्वदव्वा पचवण्णा जाव चउफासा पण्णत्ता । अत्येतिया सव्वदव्वा एगवण्णा, एगगधा, एगरसा, दुफासा पण्णत्ता । प्रत्येगतिया सव्वदव्वा श्रवण्णा जाव अफासा पण्णत्ता । एव सव्वपएसा वि, सव्वपज्जवा वि । तीयद्धा श्रवण्णा जाव फासा । एव प्रणागयद्धा वि, सव्वद्धा वि ॥ ११९ जीवे ण भते ! गब्भ वक्कममाणे कतिवण्ण, कतिगध, कतिरस, कतिफास परिणाम' परिणमइ ? गोयमा ! पचवण्ण, दुगध, पचरस, अट्ठफास परिणाम' परिणमइ ॥ कम्मो विभत्ति-पदं १२०. कम्मो णं भते । जीवे नो कम्मो विभत्तिभाव परिणमइ ? कम्मो ण जए नो कम्म विभत्तिभाव परिणमइ ? हता गोयमा | कम्मो ण जीवे नो ग्रकम्मो विभत्तिभाव परिणमइ, कम्मनो णं जए नो प्रकम्मो विभत्तिभाव • परिणमइ ॥ १२१ सेव भते ! सेव भते । ति ॥ छट्ठो उद्देसो चंद-सूर- गहण पदं १२२. रायगिहे जाव' एव वयासी - बहुजण ण भते । अण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ जाव' एव परूवेइ - एव खलु राहू चद गेण्हति एव खलु राहू चद गेण्हति ॥ १२३. से कहमेय भते । ? एव गोयमा ! जण्ण से बहुजणे अण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ जाव जे ते एवमाहसु मिच्छ ते एवमाहसु, ग्रह पुण गोयमा ! एवमाइक्खामि जाव' एव परूवेमिएव खलु राहू देवे महिड् ढीए जाव' महेसक्खे' वरवत्थघरे वरमल्लघरे वरगधधरे वराभरणधारी । १. X (ता) 1 २. X ( ता ) । ३. स० पा०त चैव जाव परिणमइ । ४. म० ११५१ । ५. भ० १1४-१० 1 ६. भ० १।४२० । ७. भ० १।४२१ । ८. भ० ३।४ । C. महेसक्के (व); महसोक्खे (म ) । Page #629 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई राहुस्स ण देवस्स नव नामधेज्जा पण्णत्ता, त जहा-सिघाडए' जडिलए खतए खरए दद्दुरे मगरे मच्छे कच्छभे कण्हसप्पे । राहस्स ण देवस्स विमाणा पचवण्णा, पण्णत्ता, त जहा—किण्हा, नीला, लोहिया, हालिद्दा, सुक्किला। अत्थि कालए राहुविमाणे खजणवण्णाभे पण्णत्ते, अत्थि नीलए राहुविमाणे लाउयवण्णाभे पण्णत्ते, अत्थि लोहिए राहुविमाणे मजिट्ठवण्णाभे पण्णत्ते, अत्थि पीतए राहुविमाणे हालिद्दवण्णाभे पण्णत्ते, अत्थि सुक्किलए राहुविमाणे भासरासिवण्णाभे पण्णत्ते ।। जदा ण राह आगच्छमाणे वा गच्छमाणे वा विउव्वमाणे वा परियारेमाणे वा चदलेस्स पुरत्थिमेण पावरेत्ता ण पच्चत्थिमेण वीतीवयइ तदा ण पुरत्थिमेण चदे उवदंसेति, पच्चत्थिमेण राहू। जदा ण राहू पागच्छमाणे वा गच्छमाणे वा विउव्वमाणे वा परियारेमाणे वा चदलेस्स पच्चत्थिमेण आवरेत्ता ण पुरत्थिमेण वीतीवयइ तदा ण पच्चत्थिमेणं चदे उवदसेति, पुरत्थिमेण राह । एव जहा पुरस्थिमेण पच्चत्थिमेण य दो पालावगा भणिया एव दाहिणण उत्तरेण य दो आलावगा भाणियव्वा । एव उत्तरपुरत्थिमेण दाहिणपच्चत्थिमेण य दो पालावगा भाणियव्वा । एव दाहिणपुरत्थिमेण उत्तरपच्चत्थिमेण य दो आलावगा भाणियव्वा । एव चेव जाव तदा ण उत्तरपच्चत्थिमेण चदे उवदसेति, दाहिणपूरस्थिमेण राहू । जदा ण राहू आगच्छमाणे वा गच्छमाणे वा विउव्वमाणे वा परियारेमाणे वा चदलेस्स आवरेमाणे-पावरेमाणे चिट्ठइ तदा ण मणुस्सलोए मणुस्सा वदति-एव खलु राहू चद गेण्हति, एव खलु राहू चदं गेहति । जदा णं राहू आगच्छमाणे वा गच्छमाणे वा विउव्वमाणे वा परियारेमाणे वा चदलेस्स आवरेत्ता ण पासेण वीतीवयइ तदा ण मणुस्सलोए मणुस्सा वदति-एव खलु चदेण राहुस्स कुच्छी भिन्ना, एव खलु चदेण राहुस्स कुच्छी भिन्ना। जदा ण राहू आगच्छमाणे वा गच्छमाणे वा विउव्वमाणे वा परियारेमाणे वा चदलेस्स आवरेत्ता ण पच्चोसक्कइ तदा ण मणुस्सलोए मणुस्सा वदति-एव खलु राहुणा चदे वते, एव खलु राहुणा चदे वते। जदा ण राह आगच्छमाणे वा गच्छमाणे वा विउव्वमाणे वा परियारेमाणे वा चदलेस्स अहे सपक्खि सपडिदिसिं आवरेत्ता ण चिट्ठइ तदा ण मणुस्सलोए मणुस्सा वदति-एव खलु राहुणा चदे घत्थे, एव खलु राहुणा चदे घत्थे ।। १२४ कतिविहे ण भते ! राहू पण्णत्ते ? गोयमा ! दुविहे राहू पण्णत्ते, त जहा-धुवराहू य, पव्वराहू य । तत्थ ण जे से धुवराह से ण बहुलपक्खस्स पाडिवए पन्नरसतिभागेण पन्नरसतिभागं १. सघाडए (ब)। २. सत्तए (अ); सतए (ख); खभए (स)। ३. अच्छभे (ब)। ४. चदस्स लेस (क, व, म)। Page #630 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मारसमं सतं (छट्ठो उद्देसो) ५६६ चदलेस्स आवरेमाणे-आवरेमाणे चिट्ठइ, त जहा--पढमाए पढमं भाग, बितियाए वितिय भाग जाव' पन्नरसेसु पन्नरसम भाग। चरिमसमये चदे रत्ते भवइ, अवसेसे समये चदे 'रत्ते वा विरत्ते वा" भवइ । तमेव सुक्कपक्खस्सो उवदसेमाणे-उवदसेमाणे चिट्ठइ, पढमाए पढम भाग जाव पन्नरसेसु पन्नरसम भाग । चरिमसमये चदे विरत्ते भवइ, अवसेसे समये चदे 'रत्ते वा विरत्ते वा५ भवइ । तत्थ ण जे से पव्वराहू से जहण्णण 'छह मासाण' उक्कोसेण बाया लीसाए मासाण चदस्स, अडयालीसाए सवच्छराण सूरस्स। ससि-प्राइच्च-पद १२५ से केणद्वेण भते ! एव वुच्चइ-चदे ससी, चदे ससी ? गोयमा | चदस्स णं जोइसिंदस्स जोइसरण्णो मियके विमाणे कता देवा, कतारो देवीओ, कताइ पासण-सयण-खभ-भडमत्तोवगरणाइ, अप्पणा वि य ण चदे जोइसिंदे जोइसराया सोमे कते सुभए पियदसणे सुरूवे । से तेणद्वेण गोयमा । एव वुच्चइ-चदे ससी, चदे° ससी ॥ १२६. से केणद्वेण भते । एव वुच्चइ-सूरे आदिच्चे, सूरे आदिच्चे ? गोयमा | सूरादिया ण समया इ वा आकलिया इ वा जाव" अोसप्पिणी इ वा उस्सप्पिणी इ वा । से तेणद्वेण" गोयमा | एव वुच्चइ-सूरे आदिच्चे, सूरे आदिच्चे ॥ चंद-सूराणं कामभोग-पदं १२७ चदस्स ण भते । जोइसिदस्स जोइसरण्णो कति अग्गमहिसीनो पण्णत्तायो ? जहा दसमसए जाव नो चेव ण मेहुणवत्तिय । सूरस्स वि तहेव ।। १२८. चदिम-सूरिया ण भते । जोइसिंदा जोइसरायाणो केरिसए कामभोगे पच्चणु भवमाणा विहरति ? गोयमा । से जहानामए केइ पुरिसे पढमजोव्वणुट्ठाणबलत्थे पढमजोव्वणवाणबलत्थाए भारियाए सद्धि अचिरवत्तविवाहकज्जे" अत्थगवेसणयाए सोलसवास १. 'आवरेत्ता ण चिट्ठइ' त्ति वाक्यशेष (वृ)। ७ लेश्यामावृत्य तिष्ठतीति गम्यम् (व) । २ रत्ते य विरत्ते य (क)। ८. लेश्यामावृत्य तिष्ठतीति गम्यम् (वृ)। ३ तामेव (क, ख, ता, व, म)। ६ स० पा०-तेण?ण जाव ससी। ४ प्रतिपदादिष्विति गम्यते (व)। १० ठा० २।३८७-३८६ । ५. रत्ते य विरत्ते य (अ, ख, ता), रत्ते य ११. स० पा०-तेण?ण जाव आदिच्चे। विरत्ते वा (क, ब, म, स)। १२. भ० १०६०। ६. छम्मासारण (ता)। १३ अचिरवत्तावाहुज्जे (ता)। Page #631 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५७० भगवई विप्पवासिए, सेण तम्रो लट्ठे कयकज्जे प्रणहसमग्गे पुणरवि नियग हिं हव्वमागए, ण्हाए कयवलिकम्मे कयकोउय - मगल- पायच्छिते सव्वालकारविभूसिए मणुण्ण थालिपागसुद्ध' अट्ठारसवजणाकुल भोयणं भुत्ते समाणे तस तारिसगसि वासघरसि विभतरम्रो सचित्तकम्मे वाहिरो दूमिय- घट्ट मट्टे विचित्तउल्लोग-चिल्लियतले मणिरयणपणासियधयारे, वहुसम - सुविभत्तदेसभाए पचवण्ण-सरससुरभि-मुक्कपुप्फपु जोवयारकलिए कालागुरु-पवर कुटुरुक्क तुरुक्कधूव-मघमघेत-गधुद्ध्याभिरामे सुगधव रगधिए गधवट्टिभूए । तसि तारिसगसि सयणिज्जसि - सालिंगणवट्टिए उभश्रो विव्वोयणे दुहो उण्णए मज्झे णय-गभीरे गगापुलिणवालुय - उद्दालसालिसए प्रोयविय-खोमियदुगुल्ल पट्ट- पडिच्छयणे सुविरइयरयत्ताणे रत्तसुयसवुए सुरम्मे ग्राइणग- रूय-दूरनवणीय-तूलफासे सुगधवरकुसुम-चुण्ण ° सयणोवयारकलिए ताए तारिसियाए भारियाए सिंगारागारचारुवेसाए' सगय-गय-हसिय- भणिय- चेट्ठिय-विलाससललिय-सलाव-निउणजुत्तोवया रकुसलाए सुदरथण - जघण- वयण-कर-चरणनयण-लावण्ण-रूव-जोव्वण - विलास • कलियाए श्रणुरत्ताए अविरत्ताए मणाणुकूलाए सद्धि इट्टे सद्दे फरिसे' "रसे रूवे गधे° पचविहे माणुस्सर कामभोगे पच्चणुब्भवमाणे विहरेज्जा, से ण गोयमा । पुरिसे विउसमणकालसमयसि केरिसयं सायासोक्खं पच्चणुब्भवमाणे विहरइ ? o o 1 ओराल समणाउसो ! तस्स ण गोयमा । पुरिसस्स कामभोगेहिंतो वाणमतराण देवाण एत्तो प्रणतगुणविसिट्ठतरा चैव कामभोगा । वाणमतराण देवाण कामभोगेहितो असुरिंदवज्जियाण भवणवासीण देवाण एत्तो अनंतगुणविसिट्ठतरा चैव कामभोगा । असुरिदवज्जियाणं भवणवासियाण देवाण कामभोगेहिंतो असुरकुमाराण देवाण एत्तो ग्रणतगुणविसिट्ठतरा चेव कामभोगा । असुरकुमाराण देवाण कामभोगेहिंतो गगण-नक्खत्त-तारारूवाणं जोतिसियाण देवाण एत्तो प्रणतगुणविसिट्टतरा चेव कामभोगा । गहगण-नक्खत्त - तारारूवाण जोतिसियाण कामभोगेहिंतो चदिम-सूरियाण जोतिसियाण जोतिसराईण एत्तो प्रणतगुणविसिट्टतरा चेव कामभोगा । चदिम-सूरिया णं गोयमा ! जोतिसिंदा जोतिसरायाणो एरिसे कामभोगे पच्चणुब्भवमाणा विहरति ॥ १. थालिपागसिद्ध (ब) । २. सं० पा० – वणको महत्वले कुमारे जाव सयणो । ३. स० पा०- - सिंगारागारचारुवेसाए जाव कलियाए । ४. सं० पा०—फरिसे जाव पंचविहे | ५. पा० सं० नक्खत्त जाव काम ० . Page #632 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बारसमं सत (सत्तमो उद्देसो) ५७१ १२६ सेव भते | सेव भते । त्ति भगव गोयमे समण भगव महावीरं वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता' सजमेण तवसा अप्पाण भावेमाणे विहरइ || o सत्तमो उद्देसो जीवाणं सव्वत्थ जम्म-मच्चु-पदं १३०. तेण कालेन तेण समएण जाव' एव वयासी – के महालए ण भते । लोए पण्णत्ते ? गोयमा । महतिमहालए लोए पण्णत्ते - पुरत्थिमेण प्रसखेज्जाश्रो जोयणकोडाकोडीओ, दाहिणेण असखेज्जाश्रो "जोयणकोडाकोडी प्रो० एव पच्चत्थिमेण वि, एव उत्तरेण वि एव उड्ढ पि ग्रहे असखेज्जानो जोयणकोडाकोडीओ आयाम - विक्खभेण ॥ 3 १३१. एयंसि ण भते । एमहालगसि लोगसि प्रत्थि केइ परमाणुपोग्गलमेत्ते वि पसे, जत्थ ण य जीवे न जाए वा, न मए वा वि ? गोयमा ! नो इणट्टे समट्ठे ॥ १३२. से केणट्टेण भते । एव वुच्चइ - एयसि ण एमहालगसि लोगसि नत्थि केइ परमाणुपोग्गलमेत्ते वि पएसे, जत्थ ण य जीवे न जाए वा, न मए वा वि ? गोयमा ! से जहानामए केइ पुरिसे प्रया-सयस्स एग मह प्रया-वय करेज्जा. से ण तत्थ जहणेण एक्क वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेण प्रया -सहस्स पक्खिवेज्जा, ताश्रो ण तत्थ पउरगोयराम्रो पउरपाणिया जहण्णेण एगाह वा दुयाह वा तियाह वा उक्कोसेण छम्मासे परिवसेज्जा । प्रत्थि ण गोयमा ! तस्स अया-वयस्स केई परमाणुपोग्गलमेत्ते वि पएसे, जेण तासि प्रयाण उच्चारेण वा पासवणेण वा खेलेण वा सिघाणेण वा वतेण वा पित्तेण वा पूएण वा सुक्केण वा सोणिएण वा चम्मेहिं वा रोमेहिं वा सिंगेहिं वा खुरेहि वा नहेहि वा अणोक्कतपुव्वे' भवइ ? नो इणट्टे समट्ठे । होज्जा विण गोयमा । तस्स या वयस्स केई परमाणुपोग्गलमेत्ते वि पएसे, १. स० पा० - नमसित्ता जाव विहरइ । २. भ० १४- १० । ३. स० पा०-- एव चेव । ४. एस्सि (ता) | ५ अणक्कतपुब्वे (क, स) । Page #633 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५७२ भगवई जे ण तासिं अयाण उच्चारेण वा जाव नहेहि वा अणोक्कतपुव्वे, नो चेव ण एयसि एमहालगसि लोगसि लोगस्स य सासय भाव, ससारस्स य अणादिभाव, जीवस्स य णिच्चभाव, कम्मवहुत्त, जम्मण-मरणवाहुल्ल च पडुच्च अत्थि' केइ परमाणुपोग्गलमेत्ते वि पएसे, जत्थ ण अय जीवे न जाए वा, न मए वा वि । से तेणट्रेण गोयमा । एव वुच्चइ-एयसि ण एमहालगसि लोगसि नत्थि केइ परमाणुपोग्गलमेत्ते वि पएसे, जत्थ ण अय जीवे न जाए वा°, न मए वा वि ॥ असई अदुवा अणंतखुत्तो उववज्जण-पदं १३३ कति ण भते | पुढवीरो पण्णत्ताओ ? गोयमा । सत्त पुढवीओ पण्णत्ताओ, जहा पढमसए पचमउद्देसए तहेव आवासा ठावेयव्वा जाव' अणुत्तरविमाणेत्ति जाव अपराजिए सव्वदसिद्धे ।। १३४ अयण्ण' भते । जीवे इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु एगमेगसि निरयावाससि पुढविकाइयत्ताए जाव वणस्सइकाइयत्ताए, नरगत्ताए, नेरइयत्ताए उववन्नपुव्वे ? हता गोयमा । असइ, अदुवा अणतखुत्तो॥ १३५ सव्वजीवा वि ण भते । इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससय सहस्सेसु एगमेगसि निरयावाससि पुढविकाइयत्ताए जाव वणस्सइकाइयत्ताए, नरगत्ताए, नेरइयत्ताए उववन्नपुत्वे ? हता गोयमा । असइ, अदुवा ° अणतखुत्तो । १३६ अयण्ण भते ! जीवे सक्करप्पभाए पुढवीए पणुवीसाए निरयावाससयसहस्सेस एगमेगसि निरयावाससि ° ? एव जहा रयणप्पभाए तहेव दो आलावगा भाणि यव्वा । एव जाव धूमप्पभाए॥ १३७. अयण्ण भते । जीवे तमाए पुढवीए पचूणे निरयावाससयसहस्से एगमेगसि निरयावाससि ? सेस त चेव ।। १३८ अयण्ण भते । जीवे अहेसत्तमाए पुढवीए पचसु अणुत्तरेसु महतिमहालएस महानिरएसु एगमेगसि निरयावाससि ° ? सेस जहा रयणप्पभाए । १. 'नत्वि' इति पद लभ्यते, किन्तु प्रस्तुतवाक्या- ३ भ० १।२११-२५५ । रम्भे 'नो चेव ण' इति पाठोस्ति, तेनैतत् ४. भ० ५।२२२ । न सङ्गच्छते । वृत्ती सम्यक्पाठोस्ति । स ५. अय ण (अ, क, ता, म), अय ण (ख, ब)। एवास्माभि. स्वीकृत । ६. स० पा०-त चेव जाव अणतखुत्तो। २ स० पा०-तं चेव जाव न । ७. भ० १२।१३४। Page #634 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वारसम सत (सत्तनो उद्देसो) ५७३ १३६ अथण्णं भते | जीवे चउसट्ठीए असुरकुमारावाससयस हस्सेसु एगमेगसि प्रसुरकुमारावाससि पुढविक्काइयत्ताए जाव वणस्सइकाइयत्ताए देवत्ताए देवित्ताए आसण-सयण-भडमत्तोवगरणत्ताए उववन्नपुव्वे ? हता गोयमा' | 'असइ अदुवा प्रणतखुत्तो । सव्वजीवा विण भते । एव चेव । एव जाव थणियकुमारेसु । नाणत्त आवासेसु, आवासा पुव्वभणिया || प्रयण्ण भते | जीवे ग्रसखेज्जेसु पुढविक्काइयावाससयसहस्सेसु एगमेगसि पुढविक्काइयावाससि पुढविकाइयत्ताए जाव वणस्स इकाइयत्ताए उववन्नपुवे ? हता गोयमा' ! • असइ, अदुवा • अणतखुत्तो । एव सव्वजीवा वि । एव जाव' वणस्सइकाइएसु॥ १४१ यण्ण भते । जीवे प्रसखेज्जेसु बेइदियावाससय सहस्सेस' एगमेगसि वेइ दिया - वाससि पुढविक्काइयत्ताए जाव वणस्सइकाइयत्ताए, वेइदियत्ताए उववन्न १४० पुव्वे हता गोयमा * ! • असइ अदुवा प्रणतखुत्तो । सव्वजीवा वि ण एव चेव । एव जाव मणुस्सेसु, नवर - तेइदिएसु जाव वणस्सइकाइयत्ताए तेइ दियत्ताए, चउरिदिएसु चउरिदियत्ताए, पचिदियतिरिक्खजोणिएसु पचिदियतिरिक्खजोणियत्ताए, मणुस्सेसु मणुस्सत्ताए, सेस जहा वेइदियाण, वाणमतर - जोइसिय-सोह - मीसासु' य जहा असुरकुमाराण ॥ १४२ प्रयण भते | जीवे सणकुमारे कप्पे बारससु विमाणावाससयस हस्सेस् एगमेगसि वेमाणियावाससि पुढविकाइयत्ताए " जाव वणस्सइकाइयत्ताए देवत्ताएग्रासण-सयण-भडमत्तोवगरणत्ताए उववन्नपुग्वे ? हता गोयमा । प्रसइ, अदुवा प्रणतखुत्तो | एव सव्वजीवा वि । एव जाव आणयपाणएसु, एव प्रारणच्चसु वि ॥ १४३ अयण्ण भते ! जीवे तिसु वि श्रद्वारसुत्तरेसु गेविज्जविमाणावाससयेसु एव चेव ।। १४४. प्रयण्ण भते । जीवे पचसु प्रणुत्तरविमाणेसु एगमेगसि प्रणुत्तरविमाणसि पुढविका इयत्ताए ? तहेव जाव असइ, अदुवा प्रणतखुत्तो, नो चेव ण देवत्ताए वा देवीत्ताए वा । एव सव्वजीवा वि ॥ १ स० पा० – गोयमा जाव अणतखुत्तो । - गोयमा जाव अणतखुत्तो । O २. स० पा० ३ वेंदिया ( अ, क, ख, व, म, स ) । ४ स० पा० - गोयमा जाव अनंतखुत्तो । ५ तेंदिएसु (ख, स ) | ६. सोहम्मीसाणे ( अ, क, ख, ता, ब, म) । वारसेसु (ख), वारस (ता) । ७ ८ स० पा० - सेस जहा असुरकुमाराण जाव अणतसुतो नो चेव ण देवित्ताए । Page #635 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५७४ भगवई १४५. अयण्णं भते ! जीवे सव्वजीवाण माइत्ताए, पितित्ताए', भाइत्ताए, भगिणित्ताए भज्जत्ताए, पुत्तत्ताए, धूयत्ताए, सुण्हत्ताए उववन्नपुव्वे ? हंता गोयमा ! असइ, अदुवा अणतखुत्तो ।। १४६. सव्वजीवा वि ण भते । इमस्स जीवस्स माइत्ताए, •पितित्ताए, भाइत्ताए, भगिणित्ताए, भज्जत्ताए, पुत्तत्ताए, धूयत्ताए, सुण्हत्ताए उववन्नपुव्वे ? हता गोयमा | असइ, अदुवा अणतखुत्तो॥ १४७ अयण्ण भते | जीवे सव्वजीवाण अरित्ताए, वेरियत्ताए, घातगत्ताए, वहगत्ताए, पडिणीयत्ताए, पच्चामित्तत्ताए उववन्नपुव्वे ? हता गोयमा' ! 'असइ, अदुवा अणतखुत्तो ॥ १४८. सव्वजीवा वि ण भते । ''इमस्स जीवस्स अरित्ताए, वेरियत्ताए, घातगत्ताए, - वहगत्ताए, पडिणीयत्ताए, पच्चामित्तत्ताए उववन्नपुवे ? हता गोयमा । असइ, अदुवा अणतखुत्तो ।। अयण्ण भते ! जीवे सव्वजीवाण रायत्ताए, जुवरायत्ताए, 'तलवरत्ताए, माडंवियत्ताए, कोडुवियत्ताए, इन्भत्ताए, सेट्टित्ताए, सेणावइत्ताए,° सत्यवाहत्ताए उववन्नपुवे ? हता गोयमा ! 'असइं, अदुवा अणतखुत्तो ।। "सव्वजीवा वि णं भते । इमस्स जीवस्स रायत्ताए, जुवरायत्ताए, तलवरत्ताए माडवियत्ताए, कोडुवियत्ताए, इन्भत्ताए, सेट्ठित्ताए, सेणावइत्ताए, सत्यवाहत्ताए उववन्नपुव्वे ? हता गोयमा ! असई, अदुवा अणतखुत्तो० ॥ १५१ अयण्ण भते । जीवे सव्वजीवाणं दासत्ताए, पेसत्ताए, भयगत्ताए', भाइल्लत्ताए भोगपुरिसत्ताए, सीसत्ताए, वेसत्ताए उववन्नपुव्वे ? हंता गोयमा | 'असई, अदुवा ° अणतखुत्तो।। १५२. सव्वजीवा वि ण भते ! इमस्स जीवस्स दासत्ताए, पेसत्ताए, भयगत्ताए, १४९ १. x (ख, म), पतित्ताए (व, स)। ६. स० पा०-गोयमा जाव अणतखत्तो। २. सं० पा०-माइत्ताए जाव उववन्नपुव्वा ७. स० पा०-सव्वजीवाण एव चेव। ___ हंता गो जाव अणतखुत्तो। ८. भियगत्ताए (ख)। ३. स० पा०—गोयमा जाव अणतखुत्तो। ६. भाइलत्ताए (ता), भाइल्लगत्ताए (क्व०)। ४. स० पा०-एव चेव । १०. सं० पा०-गोयमा जाव अणतखुत्तो। ५. स० पा०-जुवरायत्ताए जाव सत्यवाह- ११. स. पा०-एव सव्वजीवा वि अणतखुत्तो। त्ताए। Page #636 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५७५ वारसम सत (अट्ठमो उद्देसो) भाइल्लत्ताए, भोगपुरिसत्ताए, सीसत्ताए, वेसत्ताए उववन्नपुव्वे ? हता गोयमा ! असई, अदुवा अणतखुत्तो ।। १५३ सेव भते ! सेव भंते । त्ति जाव' विहरइ॥ अट्ठमो उद्देसो देवाणं बिसरीरेसु उववाय-पदं १५४ तेण कालेण तेण समएण जाव' एव वयासी-देवे ण भते । महिड्ढीए जाव' महेसक्खे अणतर चय चइत्ता विसरीरेसु नागेसु उववज्जेज्जा? । हता उववज्जेज्जा ॥ १५५ से ण तत्थ अच्चिय-वदिय-पूइय-सक्कारिय-सम्माणिए दिव्वे सच्चे सच्चोवाए सन्निहियपाडिहेरे यावि भवेज्जा ? हता भवेज्जा ॥ १५६. से ण भते । तोहितो अणतर उव्वट्टित्ता सिझज्जा जावसव्वदुक्खाण अत करेज्जा ? हता सिझज्जा जाव सव्वदुक्खाण अत करेज्जा । १५७ देवे ण भते । महिड्ढीए जाव महेसक्खे अणतर चय चइत्ता बिसरीरेसु मणीसु उववज्जेज्जा? हता उववज्जेज्जा । एव चेव जहा नागाण ॥ देवे ण भते । महिड्ढीए' 'जाव महेसक्खे प्रणतर चय चइत्ता • बिसरीरेस रुक्खेसु उववज्जेज्जा? हता उववज्जेज्जा। एव चेव, नवर-इम नाणत्त जाव सन्निहियपाडिहेरे लाउल्लोइयमहिए यावि भवेज्जा ? हता भवेज्जा । सेस त चेव जाव सव्वदुक्खाण अत करेज्जा। पंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं उववाय-पदं १५६ अह भते । गोनगूलवसभे', कुक्कुडवसभे, मडुक्कवसभे-एए णं निस्सीला १. भ० ११५१ । २. भ० ११४-१०। ३. भ० ११३३६ । ४. भ० ११४४। ५ स० पा०-एव चेव जाव विसरीरेसु । ६. स० पा०-महिड्ढीए जाव विसरीरेसु। ७. गोलगूल ° (क, व); गोणंगल° (ख, ता)। Page #637 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५७६ भगवई निव्वया निग्गुणा निम्मेरा निप्पच्चक्खाण-पोसहोववासा कालमासे कालं किच्चा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए उक्कोस' सागरोवमट्टितीयसि नरगंसि नेरइयत्ताए उववज्जेज्जा ? समणे भगव महावीरे वागरेइ-उववज्जमाणे उववन्ने त्ति वत्तव्वं सिया ॥ १६० अह भते । सीहे वग्घे, वगे, दीविए अच्छे, तरच्छे °, परस्सरे-एए ण निस्सीला निव्वया निग्गुणा निम्मेरा निप्पच्चक्खाण-पोसहोववासा कालमासे काल किच्चा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए उक्कोस सागरोवमट्टितीयसि नरगंसि नेरइयत्ताए उववज्जेज्जा ? समणे भगव महावीरे वागरेइ-उववज्जमाणे उववन्ने त्ति° वत्तव्व सिया ॥ अह भते ढके कके विलए मदुए सिखी-एए ण निस्सीला "निव्वया निग्गुणा निम्मेरा निप्पच्चक्खाण-पोसहोववासा कालमासे काल किच्चा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए उक्कोसं सागरोवमद्वितीयंसि नरगसि नेरइयत्ताए उववज्जेज्जा? समणे भगव महावीरे वागरेइ-उववज्जमाणे उववन्ने त्ति वत्तव्व सिया ।। १६२. सेव भते । सेव भते । त्ति जाव' विहरइ ।। नवमो उद्देसो पंचविह-देव-पदं १६३ कतिविहा णं भते ! देवा पण्णत्ता ? गोयमा । पचविहा देवा पण्णत्ता, त जहा-भवियदव्वदेवा, नरदेवा, धम्मदेवा, देवातिदेवा', भावदेवा ॥ १६४. से केण?ण भते ! एव वुच्चइ-भवियदव्वदेवा-भवियदव्वदेवा ? गोयमा । जे भविए' पचिदियतिरिक्खजोणिए वा मणुस्से वा देवेसु उववज्जित्तए । से तेणटेण गोयमा ! एव वुच्चइ--भवियदव्वदेवा-भवियदव्वदेवा ॥ १. उक्कोसेण (क)। २. स० पा०-जहा ओसप्पिणी उद्देसए जाव परस्सरे । ३ सं० पा०—एव चेव जाव वत्तव्व । ४. पिलए (अ, ख, ता, स)। ५. स० पा०-सेसं त चेव जाव वत्तव्व । ६. भ० ११५१ । ७. देवाधिदेवा (अ, क, व, म, स); 'देवाहिदेव' त्ति क्वचिद् दृश्यते (वृ) । ८. इह जातो एकवचनमतो वहुवचनार्थे व्याख्ये यम् (वृ)। ते यस्माद्भाविदेवभावा इति गम्यम् (व) । Page #638 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वारसम सत (नत्रम उद्देसो) १६५ सेकेणट्टे भते । एव वुच्चइ – नरदेवा - नरदेवा ? गोमा । जे इमे रायाणो चाउरतचक्कवट्टी' उप्पण्णसमत्तचक्करयणप्पहाणा 'नवनिहिपणो समिद्धकोंसा वत्तीस रायवर सहस्साणुयातमग्गा" सागरवरमेहलाहिवडणो मणुस्सिदा । से तेणट्टेण' 'गोयमा । एव वच्चइ० – नरदेवानरदेवा || १६६ सेकेणट्टेण भते । एव वुच्चइ - धम्मदेवा-धम्मदेवा ? गोमा । जे इमे अणगारा भगवतो रियासमिया' जाव' गुत्तबभयारी । से तेणट्टे' गोयमा । एव वुच्चड - धम्मदेवा-धम्मदेवा ॥ o १६७ सेकेणट्टे भते । एव वुच्चइ - देवातिदेवा' - देवातिदेवा ? गोयमा । जे इमे रहता भगवतो' उप्पण्णनाण-दसणधरा" रहा जिणा केवली तीयपच्चुप्पन्नमणागयवियाणया सव्वण्णू • सव्वदरिसी । से तेणट्टेण" • गोयमा । एव वुच्चइ ० – देवातिदेवा देवातिदेवा ॥ १६८ सेकेणट्टेण भते । एव वुच्चइ - भावदेवा - भावदेवा ? गोयमा । जे इमे भवणवइ-वाणमतर- जोइस - वेमाणिया देवा देवगतिनामगोयाइ कम्माइ वेदेति । से तेणट्टेण" गोयमा । एव वुच्चइ ० - भावदेवाभावदेवा ॥ O पच विह- देवाणं उववाय-पदं १६६. भवियदव्वदेवा ण भते । कोहिंतो उववज्जति - किं नेरइएहिंतो उववज्जति ? तिरिक्ख - मणुस्स - देवेहिंतो उववज्जति ? T गोयमा । नेरइएहितो उववज्जति, तिरिक्ख मणुस्स - देवे हितो वि उववज्जति । भेदो जहा वक्कतीए सव्वेसु उववाएयव्वा जाव" प्रणुत्तरोववाइय त्ति, नवरप्रसखेज्जवासाउयग्रकम्मभूमगत रदीवगसव्वट्टसिद्धवज्ज जाव अपराजियदेवेहितो वि रववज्जति" ॥ १ ते यस्माद् इति वाक्यशेप ( वृ ) । २ चिन्हाङ्कित पाठो वृत्ती नास्ति व्याख्यात । ३ स० पा०- - तेरणट्टेण जाव नरदेवा । ४ ते यस्माद् इति वाक्यशेष ( वृ) । ५ इरिया ० ( क ) । ६ भ० २।५५ । ७ स० पा०० - तेरराट्ठे जाव धम्म | ८ देवाधिदेवा ( अ, क, व, म, स) । ५७७ भगवता (ख, व, म), ते यस्मात् (बृ.) । १० स० पा० - उप्पन्ननारदसरणधरा सव्व । о ११ स० पा०-- तेणट्टेण जाव देवाति । १२ ते यस्मात् (वृ) । १३ स० पा० - तेणट्टेण जाव भाव • १४ प० ६ । -१५ जाव उववज्जति नो सव्वट्टसिद्धदेवे हितो उववज्जति (क, ख, ता, - - ) । Page #639 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ५७८ १७०. नरदेवा णं भते । कोहिंतो उववज्जंति - किं ने रइएहितो - पुच्छा | गोयमा ! नेरइएहितो उववज्जति, नो तिरिक्खजोणिएहितो, नो मणुस्मेहितो, देवहितो वि उववज्जति ॥ ----- १७१ जइ नेरइएहितो उववज्जति किं रयणप्पभापुढविने रडएहितो उववज्जति जाव अहेसत्तमापुढविने रइएहिंतो उववज्जति ? गोयमा । रयणप्पभापुढविने रइए हितो उववज्जंति, नो सक्करप्पभापुढविनेरइहितो जाव नो ग्रसत्तमापुढविने रइएहितो उववज्जति ॥ १७२ जइ देवेहितो उववज्जति किं भवणवासिदेवेहितो उववज्जति ? वाणमतरजोइसिय-वेमाणियदेवे हितो उववज्जति ? गोयमा । भवणवासिदेवेहितो वि उववज्जति, वाणमतरदेवेहितो, एवं सव्वदेवेसु उववाएयव्वा, वक्कतीए भेदेण जाव' सव्वट्टसिद्धत्ति ॥ १७३. धम्मदेवा णं भते । कोहितो उववज्जति – कि नेरइएहितो उववज्जतिपुच्छा । एव वक्कतीभेदेण सव्वेसु उववाएयव्वा जाव सव्वट्टसिद्धत्ति, नवर-तमग्रहेसत्तम-तेउ-वाउ-ग्रसखेज्जवासाउयग्रकम्मभूमग प्रतरदीवगवज्जेसु ॥ १७४ देवातिदेवा ण भते । कोहिंतो उववज्जति - किं नेरइएहितो उववज्जतिपुच्छा । गोयमा ! नेरइएहिंतो उववज्जति, नो तिरिक्खजोणिएहितो, नो मण्णुस्सेहितो, देवहितो वि उववज्जति ॥ १७५. जइ नेरइएहिंतो ? एव तिसु पुढवीसु उववज्जति, सेसाग्रो खोडेयव्वाओ ।। १७६ जइ देवेहिंतो ? वेमाणिएसु सव्वेसु उववज्जति जाव सव्वट्टसिद्धत्ति, सेसा खोडेयव्वा ॥ १७७. भावदेवा णं भंते ! कोहिंतो उववज्जति ? एव जहा वक्कतीए भवणवासीणं उववाओ तहा भाणियव्वो । पंच विह- देवाणं ठिइ-पद १७८. भवियदव्वदेवाणं भते ! केवतिय काल ठिती पण्णत्ता ? गोयमा | जहण्णेण अतोमुहुत्तं, उक्कोसेण तिणि पविमाई ॥ १७६. नरदेवाण – पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं सत्त वाससयाइ, उक्कोसेण चउरासीइ पुव्वसयसहस्साइं ॥ १८० धम्मदेवाण – पुच्छा । गोयमा । जहण्णेण प्रतोमुहुत्त, उक्कोसेण देसूणा पुव्वकोडी ॥ १. प०६ । Page #640 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वारसमं सत (नवमो उद्देमो) १८१. देवातिदेवाण - पुच्छा । गोयमा । जहणेण वावर्त्तार वासाइ, उक्कोसेण चउरासीइ पुव्वसयसहस्साइ ॥ १८२ भावदेवाण – पुच्छा | गोयमा । जहणेण दस वाससहस्साइ, उक्कोसेण तेत्तीस सागरोवमाइ ॥ पंच विह देवाण विउध्वरणा- पद १८३ भवियदव्वदेवा ण भते । किं एगत्त पभू विउब्वित्तए ? पुहत्त पभू विउव्वित्तए ? गोयमा । एगत्त पि पभू विउव्वित्तए, पुहत्त पि पभू विउव्वित्तए । एगत्त विउव्वमाणे एगिदियरूव वा जाव पचिदियरूव वा, पुहत्त विउव्वमाणे एगिंदियवाणि वा जाव पचिदियरुवाणि वा, ताइ सखेज्जाणि वा प्रसखेज्जाणि वा, सवाणि वा प्रसवद्धाणि वा, सरिसाणि वा असरिसाणि वा विउव्वति, विउव्वित्ता तओ पच्छा जहिच्छियाइ कज्जाइ करेति । एव नरदेवा वि, एव धम्मदेवावि ॥ १८४ देवातिदेवाण' - पुच्छा | ५७६ गोयमा । एगत्त पि पभू विउव्वित्तए, पुहत्त पिपभू विउव्वित्तए, नो चेव णं सपत्ती विव्विसुवा, विउव्वति वा, विउव्विस्सति वा । भावदेवा जहा भवियदव्वदेवा ॥ पंचविह- देवाण उव्वट्टण-पद १८५ भवियदव्वदेवा ण भते । प्रणतर उव्वट्टित्ता कहि गच्छति ? कहि उवज्जति - कि नेरइएसु उववज्जति जाव देवेसु उववज्जति ? गोयमा ! नो नेरइएसु उववज्जति, नो तिरिक्खजोणिएसु, नो मणुस्सेसु, देवेसु उववज्जति । १८७ 'जइ देवेसु उववज्जति • २५ सव्वदेवेसु उववज्जति जाव सव्वट्टसिद्धत्ति ॥ १८६ नेरदेवा ण भते । अणतर उव्वट्टित्ता - पुच्छा | गोयमा | नेरइएसु उववज्जति, नो तिरिक्खजोणिएसु, नो मणुस्सेसु, नो देवेसु उववज्जति । जइ नेरइएसु उववज्जति ? सत्तसु वि पुढवीसु उववज्जति ॥ धम्मदेवा ण भते । प्रणतर उव्वट्टित्ता - पुच्छा । गोयमा । नो नेरइएसु उववज्जति, नो तिरिक्खजोगिएसु, नो मणुस्सेसु, देवेसु उववज्जति ॥ १ देवाधि ० ( अ, क, व, म, स ) 1 २. पच्छा अप्पणी ( अ, म, स ) । ३. देवाधि ( अ, क, ख, व, म, स) । o ४ विउव्विति (व, म, स ) । ५ X (ब, म) । Page #641 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५८० भगवई १८८. जइ देवेसु उववज्जति किं भवणवासि-पुच्छा।। गोयमा | नो भवणवासिदेवेसु उववज्जति, नो वाणमतरदेवेसु उववज्जति, नो जोइसियदेवेसु उववज्जति, वेमाणियदेवेसु उववज्जति । सव्वेमु वेमाणिएसु उववज्जति जाव सव्वट्ठसिद्धअणुत्तरोववाइय"वेमाणियदेवेमु० उववज्जति, अत्थेगतिया सिज्झति जाव सव्वदुक्खाण अत करेति ॥ १८६ देवातिदेवा अणतर उव्वट्टित्ता कहि गच्छति ? कहि उववज्जति ? गोयमा | सिज्झति जाव' सव्वदुक्खाण अत करेति ।। १६० भावदेवा ण भते । अणतर उव्वट्टित्ता- पुच्छा। जहा' वक्कतीए असुरकुमाराण उव्वट्टणा तहा भाणियव्वा ।। पंचविह-देवाणं संचिट्ठणा-पद १६१. भवियदव्वदेवे ण भते । भवियदव्वदेवे त्ति कालमो केवच्चिर होइ ? गोयमा ! जहण्णेण अतोमुहुत्त, उक्कोसेण तिण्णि पलिओवमाइ । एव जच्चेव ठिई सच्चेव सचिट्ठणा वि जाव भावदेवस्स, नवर-धम्मदेवस्स जहण्णेण एक्क समय, उक्कोसेण देसूणा पुव्वकोडी ।। पंचविह-देवाणं अंतर-पद १६२. भवियदव्वदेवस्स ण भते । केवतिय काल अतर होइ ? गोयमा | जहण्णेण दसवाससहस्साइं अतोमुहुत्तमब्भहियाइ, उक्कोसेण अणत काल-वणस्सइकालो ॥ १६३ नरदेवाण-पुच्छा। गोयमा | जहण्णेण सातिरेग सागरोवम, उक्कोसेण अणत काल-अवड्ढ पोग्गलपरियट्ट देसूण ॥ १६४. धम्मदेवस्स ण-पुच्छा। गोयमा । जहण्णेण पलिअोवमपुहत्त, उक्कोसेण अणत काल जाव अवड्ढ पोग्गलपरियट्ट देसूण ॥ १६५ देवातिदेवाण--पुच्छा। गोयमा | नत्थि अंतरं ॥ १६६. भावदेवस्स ण-पुच्छा। गोयमा । जहण्णण अतोमुहुत्त, उक्कोसेण अणतं काल-वणस्सइकालो ॥ १ स० पा०-० अणुत्तरोववाइय जाव उव ° २ भ० ११४४। ३. प०६। ४ केवचिर (अ, क, ख, म)। ५ जहेव (ब, स)। Page #642 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वारसम सत (दसमो उद्देसो) पंचविह देवाणं प्रप्पाबहुयत्त-पदं १६७ एएसि ण भते । भवियदव्वदेवाण, नरदेवाण', 'धम्मदेवाण, देवातिदेवाण ०, भावदेवाण य कयरे कयरेहितो' प्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा विसेसाहिया वा १० ? गोयमा ! सव्वत्थोवा नरदेवा, देवातिदेवा सखेज्जगुणा, धम्मदेवा सखेज्जगुणा, भवियदव्वदेवा असखेज्जगुणा, भावदेवा ग्रसखेज्जगुणा || ? 0 f १९८ एएसि ण भते । भावदेवाण भवणवासीण, वाणमतराण, जोइसियाण, वेमाणियाण' – सोहम्मगाण जाव अच्चुयगाण, गेवेज्जगाण, अणुत्तरोववाइयाण य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा विसे साहिया वा ? गोयमा । सव्वत्थोवा श्रणुत्तरोववाइया भावदेवा, उवरिमगेवेज्जा भावदेवा सखेज्जगुणा, मज्झिमगेवेज्जा सखेज्जगुणा, हेट्ठिमगेवेज्जा सखेज्जगुणा, अच्चुए कप्पे देवा सखेज्जगुणा जाव ग्राणयकप्पे देवा सखेज्जगुणा, सहस्सारे कप्पे देवा असखेज्जगुणा, महासुक्के कप्पे देवा ग्रसखेज्जगुणा, लतए कप्पे देवा असखेज्जगुणा, वभलोए कप्पे देवा असखेज्जगुणा, माहिंदे कप्पे देवा ग्रसखेज्जगुणा, सणकुमारे कप्पे देवा असखेज्जगुणा, ईसाणे कप्पे देवा असखेज्जगुणा, सोहम्मे कप्पे देवा ग्रसखेज्जगुणा, भवणवासिदेवा असखेज्जगुणा, वाणमतरा देवा सखेज्जगुणा •, जोतिसिया भावदेवा असखेज्जगुणा ॥ १६६ सेव भते । सेव भते । त्ति' । अहि-प्राय-पदं दसमो उद्देसो २०० तिविहाणभते । प्राया' पण्णत्ता ? गोयमा । अट्ठविहा आया पण्णत्ता, त जहा -दवियाया, कसायाया, जोगाया, उगाया, नाणाया, दसणाया, चरित्ताया, वीरियाया ॥ २०१. जस्स ण भते । दवियाया तस्स कसायाया ? जस्स कसायाया तस्स दवियाया ? १. स० पा० – नरदेवारण जाव भावदेवाण | २ स० पा० – कयरेहितो जाव विसेसाहिया । ३ X ( कम ); देवाण (व) । ४. स० पा०—कयरेहितो जाव विसेसाहिया । ५८१ ५ स० पा० एव जहा जीवाभिगमे तिविहे देवपुरिसे अप्पाबहुय जाव जोतिसिया । ६. भ० १।५१ । ७ आता ( अ, ख, ता, ब, म, स) । Page #643 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५८२ भगवई २०३ गोयमा | जस्स दवियाया तस्स कसायोया सिय अस्थि सिय नत्थि, जस्स पुण कसायाया तस्स दवियाया नियम अत्थि ॥ २०२. जस्स ण भते । दवियाया तस्स जोगाया ? ' जस्स जोगाया तस्स दवियाया? गोयमा । जस्स दवियाया तस्स जोगाया सिय अस्थि सिय नत्थि, जस्स पुण जोगाया तस्स दवियाया नियम अत्थि ° ।। जस्स ण भते | दवियाया तस्स उवयोगाया ? जस्स उवयोगाया तस्स दवियाया?–एव सव्वत्थ पुच्छा भाणियव्वा । गोयमा ! जस्स दवियाया तस्स उवोगाया नियम अस्थि । जस्स वि उवओगाया तस्स वि दवियाया नियम अत्थि । जस्स दवियाया तस्स नाणाया भयणाए । जस्स पुण नाणाया तस्स दवियाया नियम अत्थि । जस्स दवियाया तस्स दसणाया नियम अत्थि । जस्स वि दसगाया तस्स वि दवियाया नियम अत्थि । जस्स दवियाया तस्स चरित्ताया भयणाए, जस्स पुण चरित्ताया तस्स दवियाया नियम अस्थि । जस्स दवियाया तस्स वीरियाया भयणाए, जस्स पुण वीरियाया तस्स दवियाया नियम अत्थि° ॥ २०४. जस्स ण भते | कसायाया तस्स जोगाया-पुच्छा। गोयमा | जस्स कसायाया तस्स जोगाया नियम अत्थि, जस्स पुण जोगाया तस्स कसायाया सिय अत्थि सिय नत्थि । एव उवयोगायाए वि सम कसायाया नेयव्वा । कसायाया य नाणाया य परोप्पर दो वि भइयवाओ। जहा कसायाया य उवयोगाया य तहा कसायाया य दसणाया य, कसायाया य चरित्ताया य दो वि परोप्पर भइयव्वाअो । जहा कसायाया य जोगाया य तहा कसायाया य वीरियाया य भाणियव्वानो' । एव जहा कसायायाए वत्तव्वया भणिया तहा जोगायाए वि उवरिमाहिं सम भाणियव्वाओ। जहा दवियायाए वत्तव्वया भणिया तहा उवयोगायाए वि उवरिल्लाहि सम भाणियव्वा । जस्स नाणाया तस्स दसणाया नियम अत्थि, जस्स पुण दसणाया तस्स नाणाया भयणाए। जस्स नाणाया तस्स चरित्ताया सिय अत्थि सिय नत्थि, जस्स पुण चरित्ताया तस्स नाणाया नियम अत्थि। नाणाया वीरियाया दो वि परोष्पर भयणाए। जस्स दसणाया तस्स उवरिमायो दो वि भयणाए, जस्स पुण ताओ तस्स दसणाया नियम अत्थि । जस्स पुण चरित्ताया तस्स वीरियाया नियम अत्थि, जस्स पुण वीरियाया तस्स चरित्ताया सिय अत्थि सिय नत्थि ॥ १. स० पा०-एव जहा दवियाया कसायाया ३ भणितव्वाओ (ख, ता)। ___ भणिया तहा दवियाया जोगाया भाणियव्वा। ४. नेयव्वा (व) । २. सं० पा०-एव वीरियायाए वि सम । Page #644 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वारसम सत (दसमो उद्देसो) # अविह प्रयाणं प्रप्पा बहुत्त - पद २०५ एयासि ण भते । दवियायाण, कसायायाण जाव वीरियायाण य कयरे कयरेहितो' १० तुल्ला वा विसे साहिया वा ? ● अप्पा वा वहुया वा ? गोयमा । सव्वत्थोवाओ चरित्तायाम, नाणायाम प्रणतगुणाओ, कसायायाश्र प्रणतगुणाओ, जोगाया विसेसाहियाओ, वीरियायाओ विसेसाहिया, उवप्रोगदविय-दसणायाश्रो तिष्णि वि तुल्लाओ विसेसाहिया || नाणदंसणाणं श्रत्तणा भेदाभेद-पद २०६ ग्राया भते । नाणे ? 'अण्णे नाणे ? गोयमा माया सिय नाणे सिय अण्णाणे, नाणे पुण नियम प्राया ॥ २०७ आया भते । नेरइयाण नाणे ? अण्णे नेरइयाण नाणे ? ? २१० गोयमा । श्राया नेरइयाण सिय नाणे, सिय अण्णाणे । नाणे पुण से नियम आया । एव जाव थणियकुमाराण || 1 २०८. प्राया भते । पुढविकाइयाण अण्णाणे ? अण्णे पुढविकाइयाण अण्णाणे ? गोयमा ! आया पुढविकाइयाण नियम ग्रण्णाणे, अण्णाणे वि नियम प्राया । एव जाव वणस्सइकाइयाण | बेइदिय - तेइ दियाण जाव वेमाणियाण जहा नेरइयाण || २०६. प्राया भते । दसणे ? अण्णे दसणे ? सियवाद - पर्द २११ ५८३. गोयमा ' आया नियम दसणे, दसणे वि नियम आया ॥ ग्राया भते । नेरइयाण दसणे ? अण्णे नेरइयाण दसणे ? गोयमा ! श्राया नेरइयाण नियम दसणे, दसणे वि से नियम आया । एव जा माणियाण निरतर दो ॥ आाया भते । रयणप्पभा पुढवी ? अण्णा रयणप्पा ढव २ गोयमा | रयणप्पभा पुढवी सिंय आया, सिय नोप्राया, सिय अवत्तव्व—– आयाति य नोप्रायाति य ॥ २१२ सेकेणट्टे भते ! एव वुच्चइ - रयणप्पभा पुढवी सिय श्राया, सिय नोमाया, सिय प्रवत्तव्व - आयाति य नोप्रायाति य ? गोयमा | अप्पणी दिट्टे आया, परस्स आदिट्ठे नोआया, तदुभयस्स प्रादिट्ठे' ग्रवत्तव्व—रयणप्पभा पुढवी प्रयाति य नोआयाति य । से तेणद्वेण गोयमा ! १. स० पा० – कयरेहिंतो जाव विसेसाहिया । २ अण्णाणे ( म, स ) | ३. अतिट्ठा (ता, ब, म) । ४ स० पा०त चेव जाव नोआयाति । Page #645 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५८४ भगवई एवं वुच्चइ–रयणप्पभा पुढवी सिय अाया, सिय नोग्राया, सिय अवत्तव्व आयाति य° नोआयाति य॥ २१३ प्राया भते ! सक्करप्पभा पूढवी ? । जहा रयणप्पभा पुढवी तहा सक्करप्पभावि । एव जाव अहेसत्तमा । २१४. प्राया भते । सोहम्मे कप्पे-पुच्छा। गोयमा । सोहम्मे कप्पे सिय आया सिय नोप्राया', 'सिय अवत्तव्वं-आयाति य० नोग्रायाति य ।। २१५ से केण?ण भते । जाव आयाति य नोआयाति य ? गोयमा ! अप्पणो आइट्ठे पाया, परस्स प्राइटे नोग्राया, तदुभयस्स आइटे अवत्तव्व-आयाति य नोग्रआयाति य । से तेणटेणं त चेव जाव' आयाति य नोआयाति य । एंव जाव अच्चुए कप्पे ।। २१६. आया भंते । गेवेज्जविमाणे ? अण्णे गेवेज्जविमाणे? एव जहा रयणप्पभा तहेव । एव अणुत्तरविमाणा वि । एव ईसिपम्भारा वि ।। २१७. आया भते ! परमाणुपोग्गले ? अण्णे परमाणुपोग्गले ? एवं जहा सोहम्मे तहा परमाणुपोग्गले वि भाणियब्वे ॥ २१८. आया भंते | दुपएसिए खंधे ? अण्णे दुपएसिए खधे ? गोयमा ! दुपएसिए खधे १. सिय आया २ सिय नोआया ३ सिय अवत्तव्वआयाति य नोग्रआयाति य ४. सिय आया य नोपाया य ५. सिय आया य अवत्तव्व-प्रायाति य नोआयाति य ६. सिय नोपाया य अवत्तव्व-आयाति य नोआयाति य ।। से केणंट्रेण भते । एव तं चेव जाव नोआया य अवत्तव्वं-आयाति य नोआयाति य? गोयमा ! १. अप्पणो आदिढे आया २. परस्स आदिढे नोआया ३. तदुभयस्स आदिट्टे अवत्तव्व दुपएसिए खधे-आयाति य नोग्रआयाति य ४. देसे आदिदे सम्भावपज्जवे देसे आदिढे असम्भावपज्जवे दुप्पएसिए खंधे आया य नोग्राया य ५. देसे आदितु सम्भावपज्जवे देसे आदितु तदुभयपज्जवे दूपएसिए खंधे आया य अवत्तव्वं-आयाति य नोग्रआयाति य ६ देसे आदिट्टे असम्भावपज्जवे देसे आदिट्टे तदुभयपज्जवे दुपएसिए खधे नोआया य अवंत्तन्व-आयाति य नोग्रायाति य । से तेण?ण त चेव जाव नोआया य अवत्तव्वं--प्रआयाति य नोमायाति य ॥ २२०. आया भते । तिपएसिए खधे ? अण्णे तिपएसिए खंधे ? १. सं० पा०-नोभाया जाव नोआयाति । Page #646 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५८५ वारसम सतं (दसमो उद्देसो) गोयमा ! तिपसिए खधे १ सिय पाया २ सिय नोआया ३ सिय अवत्तव्व-- आयाति य नोआयाति य ४ सिय पाया य नोग्राया य ५ सिय आया य नोआयायो य ६. सिय पायानो य नोआया य ७ सिय आया य अवत्तव्व आयाति य नोआयाति य ८. सिय आया य अवत्तव्वाइ-आयाओ' य नोआयायो य ह सिय अायायो य अवत्तव्व-आयाति य नोग्रायाति य १० सिय नोआया य अवत्तव्व-आयाति य नोग्रायाति य ११. सिय नोआया य अवत्तव्वाइ-आयाओ य नोग्रायायो य १२ सिय नोआयाओ य अवत्तव्वआयाति य नोआयाति य १३ सिय पाया य नोआया य अवत्तव्व-आयाति य नोग्रायाति य ॥ २२१. से केणट्रेण भते । एव वुच्चइ-तिपएसिए खधे सिय आया -एव चेव उच्चा रेयव्व जाव सिय आया य नोपाया य अवत्तव्व-आयाति य नोआयाति य ? गोयमा । १ अप्पणो आदिढे आया २ परस्स आदिढे नोआया ३ तदुभयस्स आदितु अवत्तव्व-आयाति य नोआयाति य ४ देसे आदितु सम्भावपज्जवे देसे आदिटे असम्भावपज्जवे तिपएसिए खधे आया य नोआया य ५. देसे आदितु सम्भावपज्जवे देसा आदिट्ठा असव्भावपज्जवा तिपएसिए खधे आया य नोआयायो य ६. देसा आदिट्ठा सम्भावपज्जवा देसे आदिढे असब्भावपज्जवे तिपएसिए खधे प्रायानो य नोग्राया य ७ देसे आदितु सम्भावपज्जवे देसे आदितु तदुभयपज्जवे तिपएसिए खधे आया य अवत्तव्व-प्रायाति य नोआयाति य ८ देसे आदितु सम्भावपज्जवे देसा आदिट्ठा तदुभयपज्जवा तिपएसिए खधे आया य अवत्तव्वाइ-आयामो य नोआयामो य ६ देसा आदिट्ठा सब्भावपज्जवा देसे आदितु तदुभयपज्जवे तिपएसिए खधे आयाओ य अवत्तव्व-आयाति य नोआयाति य १० देसे आदितु असब्भावपज्जवे देसे आदितु तदुभयपज्जवे 'तिपएसिए खधे नोभाया य अवत्तव्व-आयाति य नोआयाति य ११. देसे आदिढे असब्भावपज्जवे देसा आदिट्ठा तदुभयपज्जवा तिपएसिए खधे नोग्राया य अवत्तव्वाइ-आयाओ य नोभायात्रो य १२ देसा आदिट्ठा असब्भावपज्जवा देसे आदितु तदुभयपज्जवे तिपएसिए खधे नोआयामो य अवत्तव्व-आयाति य नोग्रआयाति य १३ देसे आदितु सम्भावपज्जवे देसे आदिट्टे असब्भावपज्जवे देसे श्रादितु तदुभयपज्जवे तिपएसिए खधे आया य नोग्राया य अवत्तव्व-आयाति य नोआयाति य । से तेण?ण गोयमा एव वुच्चइ-तिपएसिए खधे सिय आया त चेव जाव नोग्रआयाति य॥ १. आयाइ (ता), प्राय. एकवचनम् । २. य एए तिण्णि भगा (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। Page #647 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ५८६ २२२ आया भते । चउप्पएसिए खधे ? अण्णे ' चउप्पएमिए खधे ? ० गोयमा । चउप्पएसिए खधे १ सिय पाया २ सिय नोग्राया ३. सिय अवत्तव्व-यायाति य नोग्रायाति य ४-७ सिय पाया य नोग्राया य ८-११ सिय पाया य अवत्तव्व १२-१५ सिय नोग्राया य अवत्तव्वं' १६. सिय पाया य नोग्राया य अवत्तव्व-यायाति य नोग्रआयाति य १७ सिय पाया य नोग्राया य अवत्तव्वाइ-पायायो य नोआयायो य १८. सिय पाया य नोग्रायाओ य अवत्तव्व-आयाति य नोग्रायाति य १६. सिय पायानो य नोग्राया य अवत्तव्व -आयाति य नोआयाति य ॥ २२३. से केणट्रेण भते । एव वुच्चड-चउप्पएसिए खधे सिय पाया य नोग्राया य अवत्तव्व-त चेव अटे पडिउच्चारेयव्व ? गोयमा | १ अप्पणो आदिढे आया २ परस्स आदिढे नोआया ३. तदुभयस्स आदिट्रे अवत्तव्व-आयाति य नोग्रायाति य ४-७. देसे पादितु सम्भावपज्जवे देसे आदिट्रे असम्भावपज्जवे चउभगो ८-११. सम्भावेण तदुभयेण य च उभगो १२-१५ असम्भावेण तदुभयेण य च उभंगो १६ देसे आदिट्टे सम्भावपज्जवे देसे आदिट्टे असन्भावपज्जवे देसे आदिढे तदुभयपज्जवे चउप्पएसिए खधे पाया यनोग्राया य अवत्तव्व - अायाति य नोग्रायाति य १७. देसे आदिट्टे सम्भावपज्जवे देसे आदिट्टे असव्भावपज्जवे देसा ग्रादिट्ठा तदुभयपज्जवा चउप्पएसिए खधे आया य नोपाया य अवत्तव्वाइं--प्रायानो य नोआयाओ य १८. देसे आदिदे सम्भावपज्जवे देसा आदिट्ठा असम्भावपज्जवा देसे आदिटे तद्भयपज्जवे चउप्पएसिए खधे पाया य नोआयामो य अवत्तव्व--आयाति य नोआयाति य १६ देसा आदिट्टा सव्भावपज्जवा देसे आदितु असम्भावपज्जवे देसे आदिट्रे तभयपज्जवे चउप्पएसिए खधे आयायो य नोआया य अवत्तव्व - आयाति य नोआयाति य । से तेण?ण गोयमा । एव वुच्चइ-चउप्पएसिए खंधे सिय आया सिय नोग्राया सिय अवत्तव्व-निक्खेवे ते चेव भगा उच्चारेयव्वा जाव आयाति य नोग्रआयाति य ।। २२४. प्राया भते ! पचपएसिए खधे ? अण्णे पचपएसिए खधे ? गोयमा! पंचपएसिए खधे १ सिय आया २ सिय नोआया ३. सिय अवत्तव्व --आयाति य नोआयाति य ४-७. सिय आया य नोआया य ८-११. सिय आया य अवत्तव्व १२-१५ नोआया य अवत्तव्वेण य' १६. "सिय आया य नोग्राया १ स० पा०-पुच्छा। २. एकवचन-बहुवचनभेदात् भङ्गा.। चत्वारश्चत्वारो ३. एकवचन-वहुवचनभेदात् चत्वारश्चत्वारो भङ्गा । ४ स० पा०-तियगसंजोगे एक्को न पडइ, Page #648 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बारसमं सत (दसमो उद्देसो) ५८७ य अवत्तव्व १७ सिय आया य नोग्राया य अवत्तव्वाइ १८ सिय आया य नोआयामो य अवत्तव्व १६. सिय प्राया य नोआयाओ य अवत्तव्वाइ २० सिय आयाओ य नोभाया य अवत्तव्व २१. सिय पायायो य नोग्राया य अवत्तव्वाइ २२. सिय आयामो य नोआयामो य अवत्तव्व ॥ २२५. से केणद्वेण भते । "एव वुच्चइ-पचपएसिए खधे सिय प्राया जाव सिय आयामो य नोग्रायानो य अवत्तव्व ? ० गोयमा | १ अप्पणो आदिढे आया २ परस्स आदिढे नोआया ३ तदुभयस्स आदितु अवत्तव्व ४. देसे आदिढे सम्भावपज्जवे देसे आदिढे असन्भावपज्जवेएव दुयगसजोगे सव्वे पडति, तियसजोगे' एक्को न पडइ । छप्पएसियस्स सव्वे पडति । जहा छप्पएसिए एव जाव अणतपएसिए। २२६ सेव भते । सेव भते । त्ति जाव' विहरइ ।। एकसयोगजा त्रयो भङ्गा, द्विसयोगजा इतिरूप पचप्रदेशिकस्कन्धत्वात न सम्भवति । द्वादश भङ्गा, विकसयोगजा सप्त भङ्गा मत उक्त 'तियगसजोगे एक्को न पड। सर्वे मीलिता द्वाविंशतिर्भङ्गा पञ्चप्रदेशि- १. स० पा०-त चेव पडिउच्चारेयन्व।। कस्कन्वे भवन्ति । त्रिकसयोगे अष्टमो भङ्ग २. तियगसजोगे (ख), तिगसजोगे (व, म)। 'सिय आयामो य नोआयाओ य अवत्तव्वाइ' ३. भ० ११५१ । Page #649 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तेरसमं सतं पढमो उद्देसो १. पुढवी २ देव ३ मणतर, ४ पुढवी ५. आहारमेव ६. उववाए। ७ भासा ८,९ कम्मणगारे, केयाघडिया' १० समुग्धाए ॥ १ ॥ सज्जवित्थडेसु नरएसु उववाय-पदं १ रायगिहे जाव' एव वयासी—कति ण भते | पुढवीनो पण्णत्तायो ? गोयमा । सत्त पुढवीओ पण्णत्ताओ, त जहा–रयणप्पभा जाव अहेसत्तमा ।। २ इमीसे ण भते ! रयणप्पभाए पुढवीए केवतिया निरयावाससयसहस्सा पण्णत्ता? गोयमा । तीस निरयावाससयसहस्सा पण्णत्ता। ते ण भते । किं सखेज्जवित्थडा ? असखेज्जवित्थडा ? गोयमा ! सखेज्जवित्थडा वि, असखेज्जवित्थडा वि।। इमीसे ण भते ! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु संखेज्जवित्थडेस नरएस १ एगसमएण केवतिया नेरइया उववज्जति ? २ केवतिया काउलेस्सा उववज्जति ? ३ केवतिया कण्हपक्खिया उववज्जति ? ४. केवतिया सूक्कपक्खिया उववज्जति ? ५. केवतिया सण्णी उववज्जति ? ६ केवतिया असण्णी उववज्जति ? ७ केवतिया भवसिद्धिया' उववज्जति ? ८ केवतिया अभवसिद्धिया उववज्जति ? 8 केवतिया आभिणिवोहियनाणी उववज्जति ? १०. केवतिया सुयनाणी उववज्जति ? ११. केवतिया प्रोहिनाणी उववज्जति ? १२. केवतिया मइअण्णाणी उववज्जति ? १३. केवतिया सुयअण्णाणी उववज्जति ? १४. केवतिया विन्भंगनाणी उववज्जति ? १५. केवतिया चक्खुदसणी १. केयाहडिया (म, क, ख, व, म)। २. भ० ११४-१०। ३. भवसिद्धीया (अ, व, म, स)। ५८८ Page #650 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५८६ तेरसमं सत (पढमो उद्देसो) उववज्जति ? १६. केवतिया अचक्खुदसणी उववज्जति ? १७. केवतिया अोहिदसणी उववज्जति ? १८ केवतिया आहारसण्णोवउत्ता उववज्जति ? १६ केवतिया भयसण्णोवउत्ता उववज्जति ? २० केवतिया मेहुणसण्णोवउत्ता उववज्जति ? २१ केवतिया परिग्गहसण्णोवउत्ता उववज्जति ? २२ केवतिया इत्थिवेदगा उववज्जति ? २३. केवतिया पुरिसवेदगा उववज्जति ? २४ केवतिया नपुसगवेदगा उववज्जति ? २५-२८ केवतिया कोहकसाई उववज्जति जाव केवतिया लोभकसाई उववज्जति ? २६-३३ केवतिया सोइदियोवउत्ता उववज्जति जाव केवतिया फासिदियोवउत्ता उववज्जति ? ३४ केवतिया नोइदियोवउत्ता उववज्जति ? ३५. केवतिया मणजोगी उववज्जति ? ३६ केवतिया वइजोगी उववज्जति ? ३७ केवतिया कायजोगी उववज्जति ? ३८. केवतिया सागारोवउत्ता उववज्जति ? ३६ केवतिया अणागारोवउत्ता उववज्जति ? गोयमा | इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु सखेज्जवित्थडेसु नरएसु जहण्णेण एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेण सखेज्जा नेरइया उववज्जति । जहण्णण एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेण सखेज्जा काउलेस्सा उववज्जति । जहण्णेण एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेण सखेज्जा कण्हपक्खिया उववज्जति । एव सुक्कपक्खिया वि, ‘एव सण्णी, एव असण्णी", एव भवसिद्धिया, अभवसिद्धिया, आभिणिबोहियनाणी, सुयनाणी, ओहिनाणी, मइअण्णाणी, सुयअण्णाणी, विभगनाणी। चक्खुदसणी न उववज्जति । जहण्णण एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेण सखेज्जा अचक्खदसणी उववज्जति एव अोहिदसणी वि । आहारसण्णोवउत्ता वि जाव' परिग्गहसण्णोवउत्ता वि । इत्थीवेयगा न उववज्जति, पुरिसवेयगा न उववज्जति । जहण्णेण एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेण सखेज्जा नपुसगवेयगा' उववज्जति । एव कोहकसाई जाव लोभकसाई । सोइदियोवउत्ता न उववज्जति, एव जाव फासिंदिनोवउत्ता न उववज्जति । जहण्णेण एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेण सखेज्जा नोइदियोवउत्ता उववज्जति । मणजोगी न उववज्जति, एव वइजोगी वि । जहण्णण एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेण सखेज्जा कायजोगी उववज्जति । एव सागारोवउत्ता वि, एव अणागारोवउत्ता' वि ॥ १ एव सण्णी वि असण्णी वि (अ), एव सण्णी असण्णी (क, ता), एवं सण्णी एव असण्णी वि (स)। २. नपु सगवेदा (क, व, म), नपु सगा (ख, ता)। ३ अणगारोवउत्ता (अ, क, ख, ता, म)। ' Page #651 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ५६० संखेज्जवित्थडेसु नरएसु उन्वट्टण-पदं ४. इमीसे ण भते ! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु सखेज्ज वित्थडेसु नरएसु' एगसमएण केवतिया नेरइया उव्वट्टति ? केवतिया काउलेस्सा उब्वट्टति जाव केवतिया अणागारोवउत्ता उबट्टति ? गोयमा | इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु सखेज्जवित्थडेसु नरएसु एगसमएण जहण्णेण एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेणं सखेज्जा नेरइया उव्वट्टति । जहण्णेण एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेणं सखेज्जा काउलेस्सा उव्वट्टति । एव जाव सण्णी। असण्णी न उव्वति । जहण्णण एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेण सखेज्जा भवसिद्धिया उव्वट्टति । एव जाव सुयअण्णाणी । विभगनाणी न उव्वट्टति, चक्खुदसणी न उव्वट्टति । जहण्णेणं एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेण सखेज्जा अचक्खदसणी उन्वति । एव जाव लोभकसाई। सोडदियोवउत्ता न उव्वट्टति, एव जाव फासिदियोवउत्ता न उव्वट्टति । जहण्णण एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा नोइदियोवउत्ता उव्वट्टति । मणजोगी न उव्वति, एव वडजोगी वि । जहण्णेण एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेण सखेज्जा कायजोगी उव्वद॒ति । एव सागारोवउत्ता, अणागारोव उत्ता।।। संखेज्जवित्थडेसु नरएसु सत्ता-पदं ५. इमीसे ण भते ! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेस संखेज्ज वित्थडेसु नरएसु केवतिया नेरइया पण्णत्ता ? केवतिया काउलेस्सा जाव केवतिया अणागारोवउत्ता पण्णत्ता ? केवतिया अणतरोववण्णगा पण्णत्ता ? केवतिया परंपरोववण्णगा पण्णत्ता ? केवतिया अणतरोवगाढा पण्णत्ता ? केवतिया परपरोवगाढा पण्णत्ता ? केवतिया अणतराहारा पण्णत्ता ? केवतिया परपराहारा पण्णत्ता ? केवतिया अणतरपज्जत्ता पण्णत्ता ? केवतिया परपरपज्जत्ता पण्णत्ता? केवतिया चरिमा पण्णत्ता? केवतिया अचरिमा पण्णत्ता? गोयमा । इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु सखेज्जवित्थडेसु नरएसु सखेज्जा नेरइया पण्णत्ता, सखेज्जा काउलेस्सा पण्णत्ता, एवं जाव सखेज्जा सण्णी पण्णत्ता। असण्णी सिय अत्यि, सिय नत्थि । जइ अस्थि जहण्णणं एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेण सखेज्जा पण्णत्ता। संखेज्जा भवसिद्धिया पण्णत्ता । एवं जाव संखेज्जा परिग्गहसण्णोवउत्ता पण्णत्ता। इत्थिवेदगा नत्थि, पुरिसवेदगा नत्थि, सखेज्जा नपुसगवेदगा पण्णत्ता। एव कोह १. निरतेसु (ता)। Page #652 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तेरसम सत (पढमो उद्देसो) ५६१ कसाई वि, माणकसाई जहा असण्णी, एव जाव लोभकसाई । सखेज्जा सोइदियोवउत्ता पण्णत्ता, एव जाव फासिदियोवउत्ता। नोइदियोवउत्ता जहा असण्णी। सखेज्जा मणजोगी पण्णत्ता । एव जाव अणागारोवउत्ता । अणतरोवण्णगा सिय अत्थि, सिय नत्थि । जइ अत्थि जहा असण्णी। सखेज्जा परपरोववण्णगा पण्णत्ता। एव जहा अणतरोववण्णगा तहा अणतरोवगाढगा, अणतराहारगा, अणतरपज्जत्तगा। परपरोवगाढगा जाव अचरिमा जहा परपरोववण्णगा। इमीसे ण भते | रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु असखेज्जवित्थडेसु नरएसु एगसमएण केवतिया नेरइया उववज्जति जाव केवतिया अणागारोवउत्ता उववज्जति ? गोयमा ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु असखेज्जवित्थडेसु नरएसु एगसमएण जहण्णेण एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेण असखेज्जा नेरइया उववज्जति । एव जहेव सखेज्जवित्थडेसु तिण्णि गमगा' तहा असखेज्जवित्थडेसु वि तिण्णि गमगा भाणियव्वा, नवर–असखेज्जा भाणियव्वा, सेस त चेव जाव असखेज्जा अचरिमा पण्णत्ता, नवर-सखेज्जवित्थडेसु असखेज्जवित्थडेसु वि ओहिनाणी अोहिदसणी य सखेज्जा उव्वट्टा वेयव्वा , सेस त चेव ।। ७. सक्करप्पभाए ण भते | पुढवीए केवतिया निरयावास सयसहस्सा पण्णत्ता ? गोयमा । पणुवीस निरयावाससयसहस्सा पण्णत्ता। ते ण भते । किं सखेज्जवित्थडा ? असखेज्जवित्थडा ? एव जहा रयणप्पभाए तहा सक्करप्पभाए वि, नवर-असण्णी तिसु वि गमएसु न भण्णति, सेस त चेव ॥ ८ वालुयप्पभाए ण-पुच्छा। गोयमा । पन्नरस निरयावाससयसहस्सा पण्णत्ता, सेस जहा सक्करप्पभाए, नाणत्त लेसासु, लेसाप्रो जहा पढमसए॥ ६ पकप्पभाए ण-पुच्छा। गोयमा । दस निरयावाससयसहस्सा पण्णत्ता, एव जहा सक्करप्पभाए, नवर -ओहिनाणी अोहिदसणी य न उव्वट्टति, सेस त चेव ॥ १० धूमप्पभाए ण-पुच्छा । १. गमा (ता)। नासौ पाठ सगच्छते । २. पण्णत्ता नाणत्त लेसासु लेसाओ जहा ३. स० पा०-पुच्छा । पढमसए (अ, क, ख, ब, म, स), रत्न- ४ भ० ११२४४ । प्रभाया एकव कापोतीलेश्या भवति, तेन Page #653 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ५६२ गोयमा । तिण्णि निरयावाससयसहस्सा, एव जहा पकप्पभाए ।। ११ तमाए ण भते | पुढवीए केवतिया निरयावास सयसहस्सा पण्णत्ता ? गोयमा । एगे पचूणे निरयावाससयसहस्से पण्णत्ते । सेस जहा पकप्पभाए । अहेसत्तमाए ण भते । पुढवीए कति अणुत्तरा महतिमहालया महानिरया पण्णत्ता ? गोयमा | पच अणुत्तरा' महतिमहालया महानिरया पण्णत्ता, त जहा-काले, महाकाले, रोरुए, महारोरुए°, अपइट्ठाणे । ते ण भते । किं सखेज्जवित्थडा ? असखेज्जवित्थडा ? गोयमा । सखेज्जवित्थडे य असखेज्जवित्थडा य ।। १३ अहेसत्तमाए णं भते | पुढवीए पचसु अणुत्तरेसु महतिमहालएसु' महानिरएसु सखेज्जवित्थडे नरए एगसमएण केवतिया नेरइया उववज्जति ? एव जहा पकप्पभाए, नवर-तिसु नाणेसु न उववज्जति, न उव्वदृति, पण्ण त्तएसु तहेव अत्थि । एव असखेज्जवित्थडेसु वि, नवर-असखेज्जा भाणियव्वा । १४ इमीसे ण भते । रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु सखेज्ज वित्थडेसु नरएसु कि सम्मद्दिट्ठी नेरइया उववज्जति ? मिच्छदिट्ठी नेरइया उववज्जति ? सम्मामिच्छदिट्ठी नेरइया उववज्जति ? गोयमा | सम्मदिट्ठी वि नेरइया उववज्जति, मिच्छदिट्ठी वि नेरइया उवव ज्जति, नो सम्मामिच्छदिट्टी नेरइया उववज्जति ।। १५ इमीसे ण भते । रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु सखेज्ज वित्थडेसु नरएसु किं सम्मदिट्ठी नेरइया उव्वट्टति ? एवं चेव ॥ १६ इमीसे ण भते । रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु सखेज्ज वित्थडा नरगा कि सम्मद्दिट्टीहिं नेरइएहिं अविरहिया ? मिच्छदिट्ठीहि नेरइएहि अविरहिया ? सम्मामिच्छदिट्ठीहिं नेरइएहिं अविरहिया ? गोयमा । सम्मद्दिट्ठीहिं ने रइएहिं अविरहिया, मिच्छदिट्ठीहिं वि नेरइएहिं अविरहिया, सम्मामिच्छदिट्ठीहिं नेरइएहि अविरहिया विरहिया वा। एव असखेज्जवित्थडेसु वि तिण्णि गमगा भाणियव्वा । एव सक्करप्पभाए वि, एव जाव तमाए वि॥ १७ आहेसत्तमाए ण भते | पुढवीए पचसु अणुत्तरेसु जाव' सखेज्जवित्थडे नरए किं सम्मद्दिट्ठी नेरइया-पुच्छा। १ स० पा०-पुच्छा। ४ पण्णत्ताएसु (अ, ता, म, स), पण्णत्तेसु २. स० पा०—अणुत्तरा जाव अपहाणे । (क, ब)। ३ महतिमहा जाव (अ, क, ख, ता, व, म, स)। ५. भ० १३।१२ । Page #654 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तेरसम सतं (वीओ उद्देसो) गोयमा | सम्मद्दिट्ठी नेरइया न उववज्जति, मिच्छदिट्ठी नेरइया उववज्जति, सम्मामिच्छदिट्ठी ने रइया न उववज्जति । एव उव्वदृति वि, अविरहिए जहेव रयणप्पभाए । एव असखेज्जवित्थडेसु वि तिणि गमगा || ५६३ १८ से नू भते । कण्हलेस्से, नीललेस्से जाव सुक्कलेस्से भवित्ता कण्हलेस्सेसु नेरइएसु उववज्जति ? हता गोयमा । कण्हलेस्से जाव उववज्जति ।। १६ सेकेणट्टे भते । एव वुच्चइ - कण्हलेस्से जाव उववज्जति ? 1 गोयमा । लेस्सट्ठाणेसु सकिलिस्समाणेसु सकिलिस्समाणेसु कण्हलेस परिणमइ, परिणमित्ता कण्हलेसेसु नेरइएस उववज्जति । से तेणट्टेण जाव उववज्जति ॥ से नूण भते । कण्हलेस्से जाव सुक्कलेस्से भवित्ता नीललेस्सेसु नेरइएसु उववज्जति ? २० हता गोयमा । जाव उववज्जति ॥ २१. से केणट्टेण जाव उववज्जति ? गोयमा । लेस्सट्ठाणेसु सकिलिस्समाणेसु वा विसुज्झमाणेसु वा नीललेस्स परिणमइ, परिणमित्ता नीललेस्सेसु नेरइएसु उववज्जति । से तेणट्टेण गोयमा ! जाव उववज्जति । २२ से नूण भते । कण्हलेस्से, नीललेस्से जाव सुक्कलेस्से भवित्ता काउलेस्से सु नेरइएसु उववज्जति ? एव जहा नीललेस्साए तहा काउलेस्साए वि भाणियव्वा जाव से तेणट्टेण जाव उववज्जति ॥ २३ सेव भते । सेव भते । त्ति' ॥ बीओ उद्देसो १ भ० १५१ । ? २४ कतिविहा ण भते । देवा पण्णत्ता गोयमा । चव्विहा देवा पण्णत्ता, त जहा - भवणवासी, वाणमतरा, जोइसिया, वेमाणिया ॥ २५ भवणवासी ण भते । देवा कतिविहा पण्णत्ता ? Page #655 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५६४ भगवई गोयमा ! दसविहा पण्णत्ता, त जहा-असुरकुमारा-एव भेग्रो' जहा वितिय सए देवुद्देसए जाव' अपराजिया, सव्वट्ठसिद्धगा॥ २६. केवतिया ण भते । असुरकुमारावाससयसहस्सा पण्णत्ता ? गोयमा | चोटि असुरकुमारावाससयसहस्सा पण्णत्ता। ते ण भते । कि सखेज्जवित्थडा ? असखेज्जवित्थडा ? गोयमा | सखेज्जवित्थडा वि, असखेज्जवित्थडा वि ।। २७ चोयट्ठोए ण भते । असुरकुमारावाससयसहस्सेसु सखेज्जवित्थडेमु अमुरकुमा रावासेसु एगसमएण केवतिया असुरकुमारा उववज्जति जाव केवतिया तेउलेस्सा उववज्जति ? केवतिया कण्हपक्खिया उववज्जति ? एव जहा रयणप्पभाए तहेव पुच्छा, तहेव' वागरण, नवर-दोहिं वेदेहि उववज्जति, नपुसगवेयगा न उववज्जति, सेस त चेव । उव्वट्टतगा वि तहेव, नवर-असण्णी उव्वति । अोहिनाणी ओहिदसणी य ण उव्वट्टति, सेसं त चेव । पण्णत्तएस तहेव, नवरसखेज्जगा इत्थिवेदगा पण्णत्ता, एव पुरिसवेदगा वि, नपुसगवेदगा नत्यि । कोहकसाई सिय अत्थि सिय नत्थि । जइ अस्थि जहण्णेण एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेण सखेज्जा पण्णत्ता। एव माणकसाई मायकसाई। सखेज्जा लोभकसाई पण्णत्ता, सेस त चेव । तिसु वि गमएसु' चत्तारि लेस्साम्रो भाणियव्वाो । एव असखेज्जवित्थडेसु वि, नवर-तिसु वि गमएसु असखेज्जा भाणियव्वा जाव असखेज्जा अचरिमा पण्णत्ता । केवतिया ण भते | नागकुमारावाससयसहस्सा पण्णत्ता ? एव जाव थणियकुमारा, नवर-जत्थ जत्तिया भवणा' । केवतिया ण भते । वाणमतरावाससयसहस्सा पण्णत्ता ? गोयमा ! असखेज्जा वाणम तरावाससयसहस्सा पण्णत्ता। ते ण भते । किं सखेज्जवित्थडा ? असखेज्जवित्थडा ? गोयमा । सखेज्जवित्थडा, नो असखेज्ज वित्थडा ॥ ३० सखेज्जेसु ण भते ! वाणमतरावाससयसहस्सेसु एगसमएण केवतिया वाणमतरा उववज्जति ? एव जहा असुरकुमाराणं सखेज्जवित्थडेसु तिण्णि गमगा तहेव भाणियव्वा वाणमतराण वि तिण्णि गमगा । १. x (ता, व)। ६ पण्णत्ताएसु (अ, क, व, म, स)। २. भ० २।११७; प० २। ७ गमएसु सखेज्जेसु (अ, स)। ३ चोसद्धिं (स)। ८ भ० १३।५। ४. चोसट्ठीए (स)। ६ भ० १।२१३ । ५. भ० १३।३। १० गमा (क, ख, ता, व, म)। २८ Page #656 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५६५ तेरसम सत (बीओ उद्देसो) ३१ केवतिया ण भते । जोइसियविमाणावाससयसहस्सा' पण्णत्ता । गोयमा | असखेज्जा जोइसियविमाणावाससयसहस्सा पण्णत्ता। ते ण भते । किं सखेज्जवित्थडा • ? एव जहा वाणमतराण तहा जोइसियाण वि तिण्णि गमगा भाणियव्वा, नवर एगा तेउलेस्सा । उववज्जतेसु पण्णत्तेसु य असण्णी नत्थि, सेस त चेव ॥ ३२ सोहम्मे ण भते । कप्पे केवतिया विमाणावाससयसहस्सा पण्णत्ता ? गोयमा । बत्तीस विमाणावाससयसहस्सा पण्णत्ता । ते ण भते । किं सखेज्जवित्थडा ? असखेज्जवित्थडा ? गोयमा | सखेज्जवित्थडा वि, असखेज्जवित्थडा वि ।। ३३ सोहम्मे ण भते । कप्पे बत्तीसाए विमाणावाससयसहस्सेसु सखेज्जवित्थडेसु विमाणेसु एगसमएण केवतिया सोहम्मा देवा उववज्जति ? केवतिया तेउलेस्सा उववज्जति ? एव जहा जोइसियाण तिण्णि गमगा तहेव तिण्णि गमगा भाणियव्वा, नवरतिसु वि सखेज्जा भाणियव्वा, प्रोहिनाणी प्रोहिदसणी य चयावेयव्वा, सेस तं चेव । असखेज्जवित्थडेसु एव चेव तिण्णि गमगा, नवर-तिसु वि गमएसु असखेज्जा भाणियन्वा । अोहिनाणी अोहिदसणी य सखेज्जा चयति, सेस त चेव । एव जहा सोहम्मे वत्तव्वया भणिया तहा ईसाणे वि छ गमगा भाणियव्वा । सणकुमारे एव चेव, नवर-इत्थीवेयगा उववज्जतेसु' पण्णत्तेसु य न भण्ण ति, असण्णी तिसु वि गमएसु न भण्णति, सेस त चेव । एव जाव सहस्सारे, नाणत्त विमाणेसु लेस्सासु य, सेस त चेव ।। ३४ प्राणय-पाणएसु ण भते । कप्पेसु केवतिया विमाणावाससया पण्णत्ता ? गोयमा । चत्तारि विमाणावाससया पण्णत्ता । तेण भते । किं सखेज्जवित्थडा ? असखेज्जवित्थडा ? गोयमा । सखेज्जवित्थडा वि, असखेज्जवित्थडा वि । एव सखेज्जवित्थडेसु तिण्णि गमगा जहा सहस्सारे, असखेज्जवित्थडेसु उववज्जतेसु चयतेस य एवं चेव सखेज्जा भाणियव्वा, पण्णत्तेसु असखेज्जा, नवर-नोइदियोवउत्ता अणतरोववण्णगा अणतरोवगाढगा अणतराहारगा अणतरपज्जत्तगा य एएसिं जहण्णेण एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेण सखेज्जा पण्णत्ता, सेसा असज्जा भाणियव्वा । 'पारण-अच्चुएसु' एव चेव जहा प्राणय-पाणएस, नाणत्त विमाणेसु । एव गेवेज्जगा वि ।। १. जोतिसियावाससहम्सा (अ, क, ख, ता, २. न उववज्जति (स)। व, म)। ३. आरणच्चुएसु (अ, क, ख, व, म, स)। Page #657 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५६६ ३५ कति णं भते ! प्रणुत्तरविमाणा पण्णत्ता ? गोयमा ! पंच अणुत्तरविमाणा पण्णत्ता । 'ते ण भते । किं सखेज्जवित्थडा ? अस खेज्जवित्थडा ? गोयमा" ! सखेज्जवित्थडे य प्रसंखेज्जवित्थडा य ।। ३६. पचसु णं भते ! अणुत्तरविमाणेसु सखेज्जवित्थडे विमाणे एगसमएण केवतिया प्रणुत्तरोववाइया उववज्जति ? केवतिया सुक्कलेस्सा उववज्जति – पुच्छा तहेव । गोयमा ! पचसु णं अणुत्तरविमाणेसु सखेज्जवित्थडे प्रणुत्तरविमाणे एगसमएण जहणेण एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेण सखेज्जा प्रणुत्तरोववाइया उववज्जति, एव जहा गेवेज्जविमाणेसु सखेज्जवित्थडेसु, नवर - किण्हपक्खिया, अभवसिद्धिया, तिसु अण्णाणेसु एए न उववज्जति, न चयति, न वि पण्णत्तएसु भाणियव्वा, ग्रचरिमा वि खोडिज्जति जाव सखेज्जा चरिमा पण्णत्ता, सेस त चेव । ग्रसखेज्जवित्थडेसु वि एएन भण्णति, नवर- चरिमा अत्थि, सेस जहा गेवेज्जएसु असखेज्जवित्थडेसु जाव ग्रसखेज्जा अचरिमा पण्णत्ता ॥ ३७. चोयट्ठीए णं भते । ग्रसुरकुमारावाससयसहस्सेसु सखेज्जवित्थडेसु असुरकुमारावासेसु किं सम्मद्दिट्ठी असुरकुमारा उववज्जति ? मिच्छदिट्ठी असुरकुमारा उववज्जति ? भगवई एवं जहा रयणप्पभाए तिण्णि आलावगा भणिया तहा भाणियव्वा । एवं असखेज्जवित्थडेसु वि तिणि गमगा, एव जाव गेवेज्जविमाणे, अणुत्तरविमाणेसु एव चेव, नवर—तिसु वि आलावएसु मिच्छादिट्ठी सम्मामिच्छादिट्ठी य न भणति, सेसं त चेव ॥ ३८ से नूण भते । कण्हलेस्से नीललेस्से जाव सुक्कलेस्से भवित्ता कण्हलेस्सेसु देवेसु उववज्जति ? हता गोयमा ' एव जहेव नेरइएस पढमे उद्देसए तहेव भाणियव्व । नीललेस्साए वि जहेव नेरइयाण, जहा नीललेस्साए एव जाव पम्लेस्सेसु, सुक्कलेस्सेसु एव चेव, नवर—लेस्सट्ठाणेसु विसुज्झमाणेसु-विसुज्झमाणेसु सुक्कलेस्स परिणमति, परिणमित्ता मुक्कलेस्सेमु देवेसु उववज्जति । से तेणट्टेण जाव उववज्जति ॥ ३६. सेव भते । सेव भते ! त्ति ॥ १. x ( अ, क, स, ता, व, म) 1 २ २०१३ | १४ | ३. भ० १३११८-२२ । ४. भ० १५१ । Page #658 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५६७ तेरसम सत (चउत्थो उद्देसो) तइओ उद्देसो ४०. नेरइया ण भते । अणतराहारा, ततो निव्वत्तणया, एव परियारणापद' निरव सेस भाणियव्व ।। ४१ सेव भते । सेव भते । त्ति' । चउत्थो उद्देसो नरय-नेरइयाणं अप्पमहंत-पद ४२ कति' ण भते | पुढवीमो पण्णत्तायो ? गोयमा । सत्त पुढवीओ पण्णत्ताओ, त जहा–रयणप्पभा जाव अहेसत्तमा । ४३. अहेसत्तमाए ण भते | पुढवीए पच अणुत्तरा महतिमहालया 'महानिरया पण्णत्ता, त जहा-काले, महाकाले, रोरुए, महारोरुए, अपइट्ठाणे । ते णं नरगा छट्ठीए तमाए पुढवीए नरएहितो महत्तरा चेव, महावित्थिण्णतरा" चेव, महोगासतरा चेव, महापइरिक्कतरा चेव, नो तहा महप्पवेसणतरा" चेव, आइण्णतरा चेव, आउलतरा चेव, अणोमाणतरा" चेव । तेसु ण नरएसु ने रइया छट्ठीए तमाए पुढवीए नेरइएहितो महाकम्मतरा चेव, महाकिरियतरा चेव, १ प० ३४ । २ भ० ११५१ । ३ इह च द्वारगाथे क्वचिद् दृश्येते, तद्यथा १. नेरइय २ फास ३ पणिहि, ४. निरयते चेव ५. लोयमज्झे य । ६. दिसिविदिसाण य पवहा, ७ पवत्तण अत्थिकाएहिं ॥१॥ ८. अत्थी पएसफुसणा, ६ ओगाहणया य जीवमोगाढा। १०. अत्थि पएसनिसीयण, ११. बहुसमे लोयसंठाणे ॥२॥ (वृ)। ४ स० पा०—-महतिमहालया जाव अपइट्ठाणे । ५ छठाए (अ, क, ख, ता, म)। ६ महतरा (क, व, म)। ७. महाविच्छिण्णतरा (अ, स)। ८. महावासतरा (अ, क), महोवासतरा (ख, ___ ता), महावासतरा (म, स)। ६. 'नो' शब्द उत्तरपदद्वयेपि सम्बन्धनीयः (वृ)। १०. महापवेसणतरा (म, स)। ११. अणोयणतरा (अ, ख, ता, म, स, वृपा)। Page #659 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५६८ भगवई महासवतरा' चेव, महावेदणतरा चेव, नो तहा अप्पकम्मतरा चेव, अप्पकिरि - यतरा चेव, अप्पासवतरा चेव, अप्पवेदणतरा चेव, अप्पिढियतरा' चेव, अप्प - जुतियतरा' चेव, नो तहा महिड्डियतरा चेव, महज्जुतियतरा चेव । छट्टीए ण तमा पुढवीए एगे पचूणे निरयावाससयसहस्से पण्णत्ते । ते ण नरगा अहेसत्तमाए पुढवीए नरएहितो नो तहा महत्तरा चेव, महावित्थिण्णतरा चेव, महोगासतरा चेव, महापइरिक्कतरा चेव, महप्पवेसणतरा चेव, ग्राइण्णतरा चेव, आउलतरा चेव, अणोमाणतरा चेव । तेसु ण नरएसु नेरइया ग्रहेसत्तमाए पुढवीए नेरइएहितो अप्पकम्मतरा चेव, अप्पकिरियतरा चेव्, ग्रप्पासवतरा चेव, अप्पवेदणतरा चेव, नो तहा महाकम्मतरा चेव, महाकिरियतरा चेव, महासवतरा चेव, महावेदणतरा चेव, महिड्डियतरा चेव, महज्जुइयतरा चेव, नो 'तहा अप्पिड्ढियतरा" चेव, अप्पजुइयतरा चेव । छट्टीए ण तमाए पुढवीए नरगा पचमाए धूमप्पभाए पुढवीए नरएहितो महत्तरा चेव, महावित्थिण्णतरा चेव, महोगासतरा चेव, महापइरिक्कतरा चेव, नो तहा महप्पवेसणतरा चेव, ग्राइण्णतरा चेव, ग्राउलतरा चेव, प्रणोमाणतरा चेव । तेसु ण नरएसु नेरइया पचमाए धूमप्पभाए पुढवीए नेरइए हितो महाकम्मतरा चेव, महाकिरियतरा चेव, महासवतरा चेव, महावेदणतरा चेव, नो तहा अप्पकम्मतरा चेव, अप्पकिरियतरा चेव, अप्पासवतरा चेव, अप्पवेदणतरा चैव, अप्पिढियतरा चेव, अप्पजुतियतरा चेव नो तहा महड्ढियतरा चेव, महज्जुतियतरा चेव । पचमाए ण धूमप्पभाए पुढवीए तिण्णि निरयावाससयसहस्सा पण्णत्ता । एव जहा छट्ठीए भणिया एव सत्त वि पुढवीओ परोप्पर भण्णति जाव रयणप्पभति जाव नो तहा महड्ढियतरा चेव, अप्पजुतियतरा चेव ।। नेरइयाणं फासाणुभव- पदं ४४. रयणप्पभापुढविने रइया ण भते ! केरिसय पुढविफास पच्चणुब्भवमाणा विहरति ? I गोयमा | अणिट्ठ जाव' अमणाम । एव जाव आहेसत्तमपुढविनेरइया । एव आउफास, एव जाव वणस्सइफास || १. महसवतरा (क, ता, म) । २. अपिडितरा (ता, व ) । ३. नप्पज्जुत्तितरा (श्र, ता, व ) । ४ तहप्पिढियतरा ( अ, क, ख, स), तहिप्पि - ढियतरा (ता) | ५. भ० १।३५७ । Page #660 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तेरसम सत चउत्यो उद्देसो) ५६६ नरयाणं बाहल्ल-खुड्डत्त-पद ४५ इमा ण भते । रयणप्पभापुढवी दोच्च सक्करप्पभ पुढवि पणिहाय सव्वमह तिया बाहल्लेण, सव्वखुड्डिया सव्वतेसु ? "हता गोयमा | इमा ण रयणप्पभापुढवी दोच्च पुढवि पणिहाय जाव सव्वखुड्डिया सव्वतेसु। दोच्चा ण भते | पुढवी तच्च पुढवि पणिहाय सव्वमहतिया बाहल्लेण-पुच्छा। हता गोयमा | दोच्चा ण पुढवी जाव सव्वखुड्डिया सव्वतेसु । एव एएण अभिलावेण जाव छट्ठिया पुढवी अहेसत्तम पुढवि पणिहाय जाव सव्वखुड्डिया सव्वतेसु ॥ निरयपरिसामत-पदं ४६ इमीसे ण भते | रयणप्पभाए पुढवीए निरयपरिसामतेसु जे पुढविक्काइया जाव वणस्सइकाइया तेण जीवा महाकम्मतरा चेव, महाकिरियतरा चेव, महासवतरा चैव, महावेदणतरा चेव ? हता गोयमा । इमीसे ण रयणप्पभाए पुढवीए निरयपरिसामतेसु त चेव जाव महावेदणतरा चेव । एव ° जाव अहेसत्तमा ।। लोगमज्झ-पदं ४७ कहि ण भते । लोगस्स आयाममज्झे पण्णत्ते ? गोयमा | इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए अोवासतरस्स असखेज्जइभाग ओगाहेत्ता, एत्थ ण लोगस्स आयाममज्झे पण्णत्ते ।। ४८ कहि ण भते । अहेलोगस्स आयाममज्झे पण्णत्ते ? गोयमा । चउत्थीए पकप्पभाए पुढवीए अोवासतरस्स सातिरेग अद्धं प्रोगाहेत्ता, एत्थ ण अहेलोगस्स आयाममझे पण्णत्ते ॥ कहि ण भते । उड्ढलोगस्स आयाममझे पण्णत्ते ? । गोयमा । उप्पि सणकुमार-माहिदाण कप्पाण हे४ि बभलोए कप्पे रिट्रविमाणे पत्थडे, एत्थ ण उड्ढलोगस्स आयाममझे पण्णत्ते ।। ५० कहि ण भते । तिरियलोगस्स आयाममझे पण्णत्ते ? गोयमा । जबुद्दीवे दीवे मदरस्स पव्वयस्स बहुमज्झदेसभाए इमीसे रयणप्पभाए १ स० पा०-एव जहा जीवाभिगमे वितिए ३. स० पा०-एव जहा नेरइयउद्देसए जाय । नेरइयउद्देसए। ४ हत्थि (क); हन्दि (ख, ता); हिडिं (ब), २. निरयापरिसमतेसु (ता)। हट्टि (म)। Page #661 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६०० भगवई पुढवीए उवरिमहेट्ठिल्लेसु खुड्डगपयरेसु', एत्थ णं तिरियलोगमज्झे अट्ठपएसिए रुयए पण्णत्ते, जो ण इमायो दस दिसायो पवहति, त जहा-१ पुरस्थिमा २. पुरत्थिमदाहिणा ३. दाहिणा ४. दाहिणपच्चत्थिमा ५ पच्चत्थिमा ६ पच्चत्थिमुत्तरा ७ उत्तरा ८ उत्तरपुरस्थिमा ६ उड्ढा १० अहो ।। ५१ एयासि ण भते । दसण्ह दिसाण कति नामधेज्जा पण्णत्ता ? गोयमा | दस नामधेज्जा पण्णत्ता, त जहा-- इदा अग्गेयो जमा, य नेरई वारुणी व वायव्वा । सोमा ईसाणी या, विमला य तमा य बोद्धव्वा ° ॥१॥ ५२. इदा ण भते । दिसा किमादीया, किपवहा, कतिपदेसादीया, कतिपदेसुत्तरा, कतिपदेसिया, किपज्जवसिया, किसठिया पण्णत्ता? गोयमा | इदा ण दिसा रुयगादीया, रुयगप्पवहा, दुपएसादीया, दुपएसुत्तरा, लोग पडुच्च' असखेज्जपएसिया, अलोग पडुच्च अणतपएसिया, लोग पड़च्च सादीया सपज्जवसिया, अलोग पडुच्च सादीया अपज्जवसिया, लोग पडुच्च मुरवसठिया, अलोग पडुच्च सगडुद्धिसठिया पण्णत्ता ॥ ५३. अग्गेयी ण भते । दिसा किमादीया, किंपवहा, कतिपएसादीया, कतिपएस वित्थिण्णा, कतिपएसिया, किपज्जवसिया, किसठिया पण्णत्ता ? गोयमा । अग्गेयी ण दिसा रुयगादीया, रुयगप्पवहा, एगपएसादीया, एगपएसवित्थिण्णा-अणुत्तरा, लोग पडुच्च असखेज्जपएसिया अलोग, पडुच्च अणतपएसिया, लोग पडुच्च सादीया सपज्जवसिया, अलोग पडुच्च सादीया अपज्जवसिया, छिण्णमुत्तावलिसठिया पण्णत्ता। जमा जहा इदा, नेरई जहा अग्गेयी । एव जहा इदा तहा दिसाम्रो चत्तारि, जहा अग्गेई तहा चत्तारि विदिसायो । विमला ण भते ! दिसा किमादीया, किंपवहा, कतिपएसादीया, कतिपएसवित्थिण्णा, कतिपएसिया, किंपज्जवसिया, किसठिया पण्णत्ता ? गोयमा । विमला ण दिसा रुयगादीया, रुयगप्पवहा, चउप्पएसादीया, दुपएसवित्थिण्णा-अणुत्तरा, लोग पडुच्च "असखेज्जपएसिया, अलोग पड़च्च अणतपएसिया, लोग पडुच्च सादीया सपज्जवसिया, अलोग पड़च्च सादीया अपज्जवसिया, रुयगसठिया पण्णत्ता । एव तमा वि ॥ ५४ १ खुड्डाग° (ता, ब)। ४. चत्तारि वि (क, ख, ता, व, म)। २. स० पा०-एव जहा दसमसए जाव नाम- ५. स० पा०-पुच्छा जहा अग्गेयीए। घेज्जे त्ति। ६ स० पा०-सेस जहा अग्गेयीए नवर रुयग३. पडुच्चा (ता) सर्वत्र। सठिया। Page #662 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तेरसम सत (चउत्थो उद्देसो) लोय-पदं ५५ किमिय भते । लोएत्ति पवुच्चइ ? गोमा ! पचत्थिकाया, एस ण एवतिए लोएत्ति पवुच्चइ, त जहा - धम्मत्थि - काए, अधम्मत्थिकाए' प्रागासत्थिकाए, जीवत्थिकाए, पोग्गलत्थकाए || ५६ धम्मत्थिकारण भते | जीवाण कि पवत्तति ? गोयमा | धम्मत्थिकारण जीवाण श्रागमण-गमण भासुम्मेस'- मणजोग - वइजोगकायजोगा, जे यावण्णे तहप्पगारा चला भावा सव्वे ते धम्मत्थिकाए पवत्तति । गइलक्खणे ण धम्मत्थिकाए || ५७. ग्रधम्मत्थिकाएण भते | जीवाण किं पवत्तति ? गोयमा । ६०१ अधम्मत्थिकारण जीवाण ठाण- निसीयण - तुयट्टण', मणस्स य एगत्तीभावकरणता, जे यावण्णे तहप्पगारा थिरा भावा सव्वे ते अधम्मत्थिका पवत्तति । ठाणलक्खणे ण अधम्मत्थिकाए || ५८ आगासत्थिकारण भते | जीवाण 'अजीवाण य" किं पवत्तति ? 1 गोयमा ! आगासत्थिकाए ण जीवदव्वाण 'य अजीवदव्वाण य" भायणभूएगेण वि से पुणे, दोहि वि पुण्णे सय पि माएज्जा । कोडिसएण वि पुणे, कोडसहस्स पि माएज्जा ॥१॥ अवगाहणालक्खणे ण आगासत्थिकाए || ५६ जीवत्थिकाए ण भते । जीवाण कि पवत्तति ? गोयमा ! जीवत्थिकारण जीवे प्रणताण ग्राभिणिबोहियनाणपज्जवाण, ग्रणताण सुयनाणपज्जवाण प्रणताण ओहिनाणपज्जवाण, प्रणताण मणपज्जवनाणपज्जवाण, अणताण केवलनाणपज्जवाण, अणताण मइण्णाणपज्जवाण, प्रणताण सुयप्रण्णाणपज्जवाण, श्रणताग विभगनाणपज्जवाणं, प्रणताण चक्खुदसणपज्जवाण, अणताण प्रचक्खुदसणपज्जवाणं, प्रणताण मोहिदसणपज्जवाण, अणताण केवलदसणपज्जवाण • उवयोग गच्छति । उवयोगलक्खणे ' ण जीवे ॥ ६० पोग्गलत्थिकाए ण " भते | जीवाणं कि पवत्तति ? O १ अहम्म° ( अ, क, म, स), स० पा०— अम्मत्किाए जाव पोग्गलत्थिकाए । २. भासुमोस ( अ, स), भासुमेस ( ख ) । ३. प्रथमाबहुवचनलोपदर्शनात् (वृ ) । ४. X (ख, ब, म ) । ५ X ( ख ) । ६. स० पा०-- एव जहा वितियसए अत्थिकाय - उद्देसए जाव उवयोग । ७ उपयोग ० ( क, ता), उवजोग • (व) । ८. स० पा० - पुच्छा | Page #663 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६०२ भगवई गोयमा | पोग्गलत्थिकारण जीवाण पोरालिय-वेउव्विय-'पाहारा-तेया कम्मा''सोइदिय-क्खिदिय-घाणिदिय - जिभिदिय - फासिदिय-मणजोग-वइजोग-काय जोग-प्राणापाणूण च गहण पवत्तति । गहणलक्खणे णं पोग्गलत्थिकाए । धम्मत्थिकायादीणं परोप्परं फास-पदं ६१ एगे भते | धम्मत्थिकायपदेसे केवतिएहिं धम्मत्थिकायपदेहि पुढे ? गोयमा | जहण्णपदे तिहि, उक्कोसपदे छहि । केवतिएहि अधम्मत्यिकायपढेसेहिं पुढे ? जहण्णपदे' चहि, उक्कोसपदे सहि । केवतिएहिं आगासत्थिकायपदेसेहि पुटे ? सत्तहि । केवतिएहि जीवत्थिकायपदेसेहिं पुटे ? अणतेहिं । केवतिएहि पोग्गलत्थिकायपदेसेहि पुढे ? अणतेहि । केवतिएहि श्रद्धासमएहि पुढे ? सिय पुढे सिय नो पुढे, जइ पुढे नियम अणतेहि ।। ६२ एगे भते । अधम्मत्थिकायपदेसे केवतिएहिं धम्मत्थिकायपदेसेहि पटे? गोयमा । जहण्णपदे चहि, उक्कोसपदे सत्तहिं । केवतिएहि अधम्मत्थिकाय__ पदेसेहि पुढे ? जहण्णपदे तिहि, उक्कोसपदे छहि । सेस जहा धम्मत्थिकायस्स ॥ ६३. एगे भते । आगासत्थिकायपदेसे केवतिएहि धम्मत्थिकायपदेसेहि पटे ? गोयमा | सिय पुढे सिय नो पुढे, जइ पुढे जहण्णपदे एक्केण वा दोहि वा तीहिं वा, उक्कोसपदे सत्तहि । एव अधम्मत्थिकायपदेसेहि वि। केवतिएहि आगासत्थिकायपदेसेहि पुढे ? छहि । केवतिएहिं जीवत्थिकायपदेसेहि पु? ? सिय पुढे सिय नो पुढे, जइ पुढे नियम अणतेहिं । एव पोग्गलत्यिकायपदेसेहि वि, अद्धासमएहिं वि ॥ ६४. एगे भते । जीवत्यिकायपदेसे केवतिएहि धम्मत्थिकाय पदेसेहि पटे? ० जहण्णपदे चउहि, उक्कोसपदे सत्तहिं । एव अधम्मत्थिकायपदेसेहि वि। केवतिएहि आगासत्थिकाय पदेसेहि पुढे ? ° सत्तहि । केवतिएहिं जीवत्थिकाय पदेसेहिं पुढे ? अणतेहि । सेस जहा धम्मत्थिकायस्स ।। ६५. एगे भते । पोग्गलत्थिकायपदेसे केवतिएहिं धम्मत्थिकायपदेसेहिं पट्टे ? एव जहेव जीवत्थिकायस्स ।। ६६. दो भते । पोग्गलत्थिकायपदेसा केवतिएहिं धम्मत्थिकायपदेसेहि पदा? गोयमा । जहण्णपदे छहिं, उक्कोसपदे बारसहि । एव अधम्मत्थिकायपदेसे हि वि । केवतिएहि आगासत्थिकायपदेसेहि पुट्ठा ? वारसहिं । सेस जहा" धम्म त्थिकायस्स ॥ १. आहारए तेयकम्मए (ख)। ५. भ० १३।६१ । २ गोयमा ! जहण्णपदे (स) सर्वत्र । ६. भ० १३।६४। ३. स० पा०—पुच्छा। ७. भ० १३१६१ । ४. स० पा०-पुच्छा । Page #664 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तेरसम सत (चउत्थो उद्देसो) ६७ तिण्णि भते | पोग्गलत्थिकायपदेसा केवतिएहिं धम्मत्थिकायपदेसेहि पुट्ठा? जहण्णपदे अहि, उक्कोसपदे सत्तरसहि। एव अधम्मत्थिकायपदेसेहि वि। केवतिएहिं आगासत्थिकायपदेसेहि पुट्ठा ? सत्तरसहिं। सेस जहा धम्मत्थिकायस्स । एव एएण गमेण भाणियव्वा' जाव दस, नवर–जहण्णपदे दोण्णि पक्खिवियव्वा, उक्कोसपदे पच । चत्तारि पोग्गलत्थिकायस्स पदेसा जहण्णपदे दसहि, उक्कोसपदे वावीसाए । पच पोग्गलत्थिकायस्स पदेसा जहण्णपदे बारसहि उक्कोसपदे सत्तावीसाए । छ पोग्गलत्थिकायस्स पदेसा जहण्णपदे चोदसहि, उक्कोसपदे वत्तीसाए। सत्त पोग्गलत्थिकायस्स पदेसा जहण्णपदे सोलसहि, उक्कोसपदे सत्ततीसाए । अट्ठ पोग्गलत्थिकायस्स पदेसा जहण्णपदे अट्ठारसहि, उक्कोसपदे वायालीसाए। नव पोग्गलत्थिकायस्स पदेसा जहण्णपदे वीसाए, उक्कोसपदे सीयालीसाए। दस पोग्गलत्थिकायस्स पदेसा जहण्णपदे बावीसाए, उक्कोसपदे वावन्नाए । आगासत्थिकायस्स सव्वत्थ उक्कोसग भाणियव्व ॥ सखेज्जा भते । पोग्गलत्थिकायपदेसा केवतिएहि धम्मत्थिकायपदेसेहि पट्टा ? जहण्णपदे तेणेव सखेज्जएण दुगुणेण दुरूवाहिएण, उक्कोसपदे तेणेव सखेज्जएण पचगुणेण दुरूवाहिएण। केवतिएहि अधम्मत्थिकायपदेसेहि ? एव चेव । केवतिएहि आगासत्थिकायपदेसेहि ? तेणेव सखेज्जएण पचगुणेण दुरूवाहिएण। केवतिएहि जीवत्थिकायपदेसेहि ? अणतेहिं । केवतिएहि पोग्गलत्थिकायपदेसेहि? अणतेहिं । केवतिएहि अद्धासमएहि ? सिय पुढे, सिय नो पुढे', 'जइ पटे नियम अणतेहिं ॥ ६६ असखेज्जा भते । पोग्गलत्थिकायपदेसा केवतिएहि धम्मत्थिकायपदेसेहि पदा? जहण्णपदे तेणेव असखेज्जएण दुगुणेण दुरूवाहिएण, उक्कोसपदे तेणेव अस खेज्जएण पचगुणेण दुरूवाहिएण । सेस जहा सखेज्जाण जाव नियम अणतेहि ।। ७०. अणता भते । पोग्गलत्थिकायपदेसा केवतिएहि धम्मत्थिकायपदेसेहिं पट्टा ? एव जहा असखेज्जा तहा अणता वि निरवसेस ॥ ७१ एगे भते । श्रद्धासमए केवतिएहिं धम्मत्थिकायपदेसेहि पुढे ? सत्तहि । केवतिएहिं अधम्मत्थिकायपदेसेहि पुढे' एव चेव, एव आगासत्थिकाएहि वि । केवतिएहिं जीवत्थिकायपदेसेहि पुढे ? अणतेहि, एव जाव अद्धासमएहि ॥ ७२ धम्मत्थिकाए ण भते । केवतिएहि धम्मत्थिकायपदेसेहिं पट्टे ? 'नत्थि एक्केण" वि। केवतिएहि अधम्मत्थिकायपदेसेहि ? असंखेज्जेहिं । केवतिएहि आगासत्थिकायपदेसेहिं ? असखेज्जेहिं । केवतिएहि जीवत्थिकाय १. भारिणयव्व (म, स)। २ स० पा०—पुढे जाव अणतेहिं । ३ नत्थिक्केण (अ, ख, ता), नत्थि इक्केण (क)। Page #665 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६०४ भगवई पदेसेहिं ? अणतेहि। 'केवतिएहिं पोग्गलत्थिकायपदेसेहिं ? अणतेहि । केवतिएहि अद्धासमएहि ? सिय पुढे, सिय नो पुढे, जइ पुढे नियमा अणतेहि ।। ७३. अधम्मत्थिकाए ण भते । केवतिएहि धम्मत्यिकायपदेसेहिं पुढे ? असखेज्जेहिं। केवतिएहि अधम्मत्थिकायपदेसेहिं ? नत्थि एक्केण वि । सेस जहा धम्मत्थिकायस्स। एव एएण गमएण सव्वे वि सट्ठाणए नत्थि एक्केण वि पुढा, परवाणए आदिल्लएहि तिहि असखेज्जेहिं भाणियव्व, पच्छिल्लएसु तिसु' अणता भाणियव्वा जाव अद्धासमयो त्ति जाव केवतिएहिं अद्धासमएहिं पुढे ? नत्थि एक्केण वि ॥ धम्मस्थिकायादीरण प्रोगाढ-पदं। ७४ जत्थ ण भते । एगे धम्मत्यिकायपदेसे ओगाढे, तत्थ केवतिया धम्मत्थिकाय पदेसा प्रोगाढा? नत्थि एक्को वि । केवतिया अधम्मत्थिकायपदेगा प्रोगाढा ? एक्को । केवतिया अागासत्थिकायपदेसा ओगाढा? एक्को । केवतिया जीवत्थिकायपदेसा प्रोगाढा? अणता। केवतिया पोग्गलत्थिकायपदेसा प्रोगाढा ? अणंता । केवतिया अद्धा समया प्रोगाढा ? सिय प्रोगाढा, सिय नो प्रोगाढा, जइ प्रोगाढा अणंता ॥ ७५ जत्थ ण भते । एगे अधम्मत्यिकायपदेसे प्रोगाढे तत्थ केवतिया धम्मत्थिकाय पदेसा ओगाढा ? एक्को। केवतिया अधम्मत्थिकायपदेसा? 'नत्थि एक्को" वि। सेस जहा धम्मत्थिकायस्स ॥ जत्थ ण भते ! एगे आगासत्थिकायपदेसे प्रोगाढे तत्थ केवतिया धम्मत्थिकायपदेसा प्रोगाढा ? सिय प्रोगाढा, सिय नो प्रोगाढा, जइ अोगाढा एक्को । एव अधम्मत्थिकायपदेसा वि । केवतिया आगासत्थिकायपदेसा ? नत्थि एक्को वि। केवतिया जीवत्थिकायपदेसा? सिय प्रोगाढा, सिय नो प्रोगाढा, जइ अोगाढा अणता । एवं जाव अद्धासमया ॥ ७७. जत्य ण भते । एगे जीवत्थिकायपदेसे प्रोगाढे तत्थ केवतिया धम्मत्थिकाय पदेसा प्रोगाढा? एक्को, एव अधम्मत्थिकायपदेसा वि, एव आगासत्यिकायपदेसा वि । केवतिया जीवत्यिकायपदेसा? अणता । सेस जहा धम्मत्थिकायस्स ।। ७८. जत्थ ण भते । एगे पोग्गलत्थिकायपदेसे प्रोगाढे तत्थ केवतिया धम्मत्थिकाय पदेसा ओगाढा? १. एव पोग्गलत्यि अद्धासमएहि य (ख, ता)। ३. x (ता)। २. सव्वेसिण (क), सव्वेण (ता, व, म)। ४ नत्येक्को (ता); नत्येक्के (व, स)। Page #666 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तेरसमं सत (चउत्यो उद्देसो) ६०५ एव जहा जीवत्थिकायपदेसे तहेव निरवसेस ।। ७६ जत्य ण भते | दो पोग्गलत्थिकायपदेसा प्रोगाढा तत्थ केवतिया धम्मत्यिकाय पदेसा ओगाढा? सिय एक्को सिय दोण्णि, एव अधम्मत्यिकायस्स वि, एव आगासत्थिकायस्स वि । सेस जहा धम्मत्थिकायस्स ।। ८० जत्थ ण भते ! तिण्णि पोग्गलत्थिकायपदेसा ओगाढा तत्थ केवतिया धम्म त्थिकायपदेसा ओगाढा ? सिय एक्को, सिय दोण्णि, सिय तिण्णि, एव अधम्मत्यिकायस्स वि, एव आगासत्यिकायस्स वि । सेस जहेव दोण्ह, एव एक्केको वढियव्वो पदेसो आइल्लएहिं तिहिं अत्थिकाएहि, सेसेहि जहेव दोण्ह जाव दसण्ह सिय एक्को, सिय दोण्णि, सिय तिण्णि जाव सिय दस । सखेज्जाण सिय एक्को, सिय दोण्णि जाव सिय दस, सिय सखेज्जा । असखेज्जाण सिय एक्को जाव सिय सखेज्जा, सिय असखेज्जा । जहा असखेज्जा एव अणता वि ।। ८१. जत्य ण भते! एगे मद्धासमए योगाढे तत्थ केवतिया धम्मत्थिकायपदेसा ओगाढा? एक्को। केवतिया अधम्मत्थिकायपदेसा ? एक्को। केवतिया आगासत्थिकायपदेसा? एक्को । केवतिया जीवत्थिकायपदेसा? अणता । एव जाव अद्धासमया ।। जत्थ ण भते धम्मत्थिकाए प्रोगाढे तत्थ केवतिया धम्मत्थिकायपदेसा प्रोगाढा? नत्थि एक्को वि। केवतिया अधम्मत्थिकायपदेसा? असखेज्जा। केवतिया आगासत्थिकायपदेसा? असखेज्जा । केवतिया जीवत्थिकायपदेसा? अणता। एव जाव अद्धासमया ॥ ८३ जत्थ ण भते । अधम्मत्थिकाए प्रोगाढे तत्थ केवतिया धम्मत्थिकायपदेसा प्रोगाढा ? असखेज्जा। केवतिया अधम्मत्थिकायपदेसा? नत्थि एक्को वि । सेस जहा धम्मत्थिकायस्स । एव सव्वे-सट्ठाणे नत्थि एक्को वि भाणियन्वो, परदाणे आदिल्लगा तिण्णि असखेज्जा भाणियव्वा, पच्छिल्लगा तिग्णि अणता भाणियव्वा जाव अद्धासमयो त्ति जाव केवतिया अद्धासमया प्रोगाढा ? नत्थि एक्को वि॥ ८४. जत्थ ण भते । एगे पुढविक्काइए प्रोगाढे तत्थ ण केवतिया पूढविक्काइया प्रोगाढा ? असखेज्जा । केवतिया आउक्काइया प्रोगाढा ? असखेज्जा । केवतिया तेउकाइया प्रोगाढा ? असखेज्जा। केवतिया वाउकाइया ओगाढा ? असखेज्जा । केवतिया वणस्सइकाइया प्रोगाढा ? अणता। ८५ जत्थ ण भंते एगे पाउक्काइए प्रोगाढे तत्थ ण केवतिया पुढविक्काइया ओगावा? असखेज्जा । केवतिया आउक्काइया प्रोगाढा ? असखेज्जा । एव जहेव Page #667 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८७ भगवई पुढविक्काइयाणं वत्तव्वया तहेव सव्वेसि निरवसेसं भाणियब्बं जाव वणस्सइकाइयाणं जाव केवतिया वणस्सइकाइया प्रोगाढा ? अणता ।। ८६. एयसि' ण भंते ! धम्मत्थिकाय-अधम्मत्थिकाय-यागासत्थिकायसि चक्किया केई आसइत्तए वा सइत्तए वा चिट्ठित्तए वा निसीयत्तए वा तुयट्टित्तए वा? नो इण? समढे, अणता पुणत्थ' जीवा प्रोगाढा ॥ से केणद्वेण भते । एव वुच्चइ-एयसि ण धम्मत्थि काय-अधम्मत्थिकाय ° -आगासत्थिकायसि नो चक्किया केई प्रासइत्तए वा 'सइत्तए वा चिद्वित्तए वा निसीयत्तए वा तुयट्टित्तए वा अणता पुणत्थ जीवा' प्रोगाढा ? गोयमा ! से जहानामए कूडागारसाला सिया-दुहओ लित्ता गुत्ता गुत्तदुवारा "णिवाया णिवायगभीरा । अह ण केई पुरिसे पदोवसहस्सं गहाय कडागारसालाए अतो-अंतो अणुप्पविसइ, अणुप्पविसित्ता तीसे कूडागारसालाए सव्वतो समंता घण-निचिय-निरतर-णिच्छिड्डाइ° दुवारवयणाइ पिहेइ, पिहेत्ता तीसे कडागारसालाए वहुमज्झदेसभाए जहण्णेण एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेण पदीवसहस्स' पलोवेज्जा । से नूण गोयमा | तानो पदीवलेस्सानो अण्णमण्णसवद्धाओ अण्णमण्णपुट्ठाओ अण्णमण्णसवद्धपुटानों' अण्णमण्णघडत्ताए चिति ? 'हंता चिट्ठति। चक्किया णं गोयमा ! केई तासु पदीवलेस्सासु आसइत्तए वा जाव तुयट्टित्तए वा ? भगवं ! नो इणढे समढे । अणंता पुणत्य जीवा प्रोगाढा । से तेणतुण गोयमा ! एवं वुच्चइ जाव अणंता पुणत्थ जीवा ओगाढा ।। लोय-पदं ८८ कहि ण भते । लोए बहुसमे, कहि ण भते । लोए सव्वविग्गहिए पण्णत्ते ? गोयमा । इमोसे रयणप्पभाए पुढवीए उवरिमहेट्ठिल्लेसु खुड्डगपयरेसु", एत्य णं लोए वहुसमे, एत्थ णं लोए सव्वविग्गहिए पण्णत्ते ॥ १. एतेमि (क, ख, ता, व, म, म)। दुवारवयणाइ। २. पुण तत्य (अ, ख, म, स), पुणेत्य (क)। ६. दीव° (अ)। ३. स. पा०-धम्मत्यि जाव आगासत्यि- ३. जाव (अ, क, ता, व, म, स)। कायसि। ८ x (व, म)। ४. म० पा०-वा जाव मोगाढा। ६ पुण तत्य (अ, ख, व, म, स)। ५. स० पा०-जहा रायप्पसेणइज्जे जाव १०. खुड्डाग ° (व)। Page #668 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६०७ तेरसम सत (पचमो उद्देसो) ८६. कहि ण भते । विग्गहविग्गहिए' लोए पण्णत्ते ? गोयमा । विग्गहकडए, एत्थ ण विग्गहविग्गहिए लोए पण्णत्ते ॥ १०. किसठिए ण भते । लोए पण्णत्ते ? गोयमा | सुपइद्वियसठिए लोए पण्णत्ते–हेट्ठा विच्छिण्णे', मज्झे "सखित्ते, उप्पि विसाले ; अहे पलियकसठिए, मज्झे वरवइरविग्गहिए, उप्पि उद्धमुइगाकारसठिए । तसि च ण सासयसि लोगसि हेट्ठा विच्छिण्णसि जाव उप्पि उद्धमुइगाकारसठियसि उप्पण्णनाण-दसणधरे अरहा जिणे केवली जीवे वि जाणइपासइ, अजीवे वि जाणइ-पासइ, तो पच्छा सिज्झइ बुज्झइ मुच्चइ परिनि व्वाइ सव्वदुक्खाण ° अत करेति ।। ६१. एयस्स ण भते | अहेलोगस्स, तिरियलोगस्स, उड्ढलोगस्स य कयरे कयरेहितो 'अप्पा वा ? वहुया वा ? तुल्ला वा ? • विसेसाहिया वा ? गोयमा । सव्वत्थोवे तिरियलोए, उड्ढलोए असखेज्जगुणे, अहेलोए विसेसाहिए। ६२ सेव भते । सेव भते ! त्ति ।। पंचमो उद्देसो आहार-पद ६३ नेरइया ण भते । किं सचित्ताहारा ? अचित्ताहारा ? मीसाहारा ? गोयमा ! नो सचित्ताहारा, अचित्ताहारा, नो मीसाहारा । एव असुरकुमारा, पढमो नेरइयउद्देसो निरवसेसो भाणियव्वो' । ६४ सेव भते । सेव भते । ति॥ १. विग्गहिए (अ)। २. वित्थिण्णे (अ, ब, म)। ३. स० पा०-जहा सत्तमसए पढमुद्देसे जाव अत। ४. स० पा०—कयरेहितो जाव विसेसाहिया । ५. भ० ११५१ । ६. प० २८।१ । ७. भ० ११५१ । Page #669 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६०८ भगवई छट्ठो उद्देसो संतर-निरतर - उववज्जणादि-पदं I ६५. रायगिहे जाव' एव वयासी - सतर भते । नेरइया उववज्जति ? निरंतरं नेरइया उववज्जति ? गोयमा । संतर पि नेरइया उववज्जति, निरंतर पि नेरइया उववज्जति । एव असुरकुमारा वि । एव जहा गगेये तहेव दो दडगा जाव' संतर पिवेमाणिया चयति, निरतर पिवेमाणिया चयति । चमरचंच - श्रावास-पद ६६. कहि ण भंते । चमरस्स असुरिदस्स असुरकुमाररण्णों चमरचचें' नाम ग्रावासे पण्णत्ते ? गोयमा | जबुद्दीवे दीवे मदरस्स पव्वयस्स दाहिणे ण तिरियमसखेज्जे दीवस - मुद्दे - एव जहा वितियसए सभाउद्देसए वत्तव्वया सच्चेव अपरिसेसा नेयव्वा' । तीसे ण चमरचचाए रायहाणीए दाहिणपच्चत्थिमे ण छक्कोडिसए पणपन्न च कोडीओ ‘पणतीसं च सयसहस्साइ" पन्नास च सहस्साइ अरुणोदगसमुद्द तिरियं वीइवइत्ता, एत्थ ण चमरस्स असुरिदस्स असुरकुमाररण्णो चमरचचे नाम आवासे पण्णत्ते–चउरासीइ जोयणसहस्साइ आयाम विक्खभेणं, दो जोयणसयसहस्सा पन्नट्ठि च सहस्साइ छच्च बत्तीसे जोयणसए किचि विसेसाहिए परिक्खेवेण । से ण एगेणं पागारेण सव्वम्रो समता सपरिक्खित्ते । से ण पागारे दिवड्ढं जोयणसय उड्ढं उच्चत्तेण, एवं चमरचचाए रायहाणीए वत्तव्वया भाणियन्वा सभाविहूणा जाव' चत्तारि पासायपतीम्रो । १ भ० १४- १० । २. भ० ६८०-८५ । ३ अमुररण्णो ( अ, ता, म, स ) । ४. चमरचचा (अ, क, ख, ता, व, म, स) 1 ५. भ० २।११८-१२१, नेयव्वा, नवर - इम नाणत्त जाव तिगिच्छकूडस्स उप्पायपव्वयस्स चमरचचाए रायहाणीए चमरचचस्स आवासपव्वयस्स, अण्णेसि च बहूण सेस त चैव जाव तेरस य अगुलाइ अर्द्धगुल च किंचि विमेसा हिया परिक्लेवेण ( अ, क, ख, ता, व म स ); अस्मिन् द्वितीयशतकस्य सभाख्योद्देशकस्य समर्पणमस्ति । एतत्समर्पणानुसारेण द्वितीयगतकस्य, 'जंबुद्दीवप्प - मारणा' एतावत्पर्यन्त पाठोत्र समायोजनार्ह, किन्तु 'नवर इम नारणत्त' अस्याभिप्रायो नावगम्यते । 'नेयव्वा' अत. परवर्तिपाठो नावश्यक. प्रतिभाति, तेनासौ पाठान्तरत्वेन स्वीकृत | ६. त चेव जात्र ( अ, क, ख, ता, व ) 1 ७. भ० २।१२१ । Page #670 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६०९ तेरसम सत (छट्ठो उद्देमो) ६७ चमरे णं भते । असुरिंदे असुरकुमारराया चमरचचे आवासे वसहिं उवेति ? नो इणढे समढे ॥ ६८ से केण खाइ अटेण भते । एव वुच्चइ-चमरचचे आवासे, चमरचचे आवासे ? गोयमा । से जहानामए-इह मणुस्सलोगसि उवगारियलेणाइ.वा, उज्जाणियलेणाइ वा, णिज्जाणियलेणाइ वा, धारावारियलेणाइ' वा, तत्थ ण बहवे मणुस्सा य मणुस्सीओ य प्रासयति सयति चिट्ठति निसीयति तुयट्टति हसति रमति ललति कीलति कित्तति मोहेति पुरा पोराणाण सुचिण्णाण सुपरक्कताण सुभाण कडाण कम्माण कल्लाणाण ° कल्लाणफलवित्तिविसेस पच्चणुब्भवमाणा विहरति, अण्णत्थ पुण वसहि उवेति । एवामेव गोयमा । चमरस्स असुरिदस्स असुरकुमाररण्णो चमरचचे आवासे केवल किड्डा-रतिपत्तिय, अण्णत्थ पुण वसहिं उवेति । से तेण?ण' गोयमा । एव वुच्चइ-चमरचचे आवासे, चमर चचे आवासे। ६६ सेव भते । सेव भते । त्ति जाव* विहरइ । १०० तए ण समणे भगव महावीरे अण्णया कयाइ रायगिहाप्रो नगराओ गुण सिलाओं •चेइयानो पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता बहिया जणवयविहार • विहरइ ।। उद्दायणकहा-पदं १०१. तेण कालेण तेण समएण चपा नाम नयरी होत्था-वण्णो ' । पुण्णभद्दे चेइए वण्णो । तए ण समणे भगव महावीरे अण्णदा कदाइ पुव्वाणुपुवि चरमाणे "गामाणुगाम दूइज्जमाणे सुहसुहेण ° विहरमाणे जेणेव चपा नगरी जेणेव पुण्णभद्दे चेइए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता प्रहापडिरूव प्रोग्गह अोगिण्हइ अोगिण्हित्ता सजमेण तवसा अप्पाण भावेमाणे • विहरइ ।। १०२ तेण कालेण तेण समएण सिंधूसोवोरेसु" जणवएसु वीतीभए" नाम नगरे होत्था -वण्णो "। तस्स ण वीतीभयस्स नगरस्स बहिया उत्तरपुरत्यिमे दिसीभाए, १. वारधारिय ° (अ, क, म), धारवारिय ० ६ ओ० सू० १ । (ख, व), धारिवारिय ° (स)। ७ ओ० सू० २-१३ । २. सं० पा०-जहा रायप्पसेणइज्जे जाव ८ स० पा०-चरमाणे जाव विहरमाणे । कल्लाण ० । 8 स० पा०-उवागच्छित्ता जाव विहरइ । ३. स० पा० -तेण?ण जाव आवासे । १० सिंधु (स)। ४ भ० ११५१ । ११ वीभवे (ता), 'विदर्भ' ति केचित् (वृ) । ५. स० पा०–गुणसिलाओ जाव विहरइ। १२ ओ० सू० १ । Page #671 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई एत्थ णं मियवणें नाम उज्जाणे होत्था-सव्वोउय-पुप्फ-फलसमिद्धे-वण्णयो। तत्थ ण वीतीभए नगरे उद्दायणे' नाम राया होत्था--महयाहिमवत-महत-मलयमदर-महिंदसारे-वण्णो ' । तस्स ण उद्दायणस्स रण्णो पउमावती नाम देवी होत्था-सुकुमालपाणिपाया-वण्णो । तस्स ण उद्दायणस्स रण्णो पभावती नाम देवी होत्था-वण्णओ जाव' विहरइ। तस्स ण उद्दायणस्स रण्णो पुत्ते पभावतीए देवीए अत्तए अभीयी' नाम कुमारे होत्था-सुकुमाल' पाणिपाए अहीण-पडिपुण्ण- पचिंदिय-सरीरे लक्खण-वजण-गुणोववेए माणुम्माण-पमाणपडिपुण्ण-सुजायसव्वग-सुदरगे ससिसोमाकारे कते पियदसणे सुरूवे पडिरूवे। से ण अभीयी कुमारे जुवराया वि होत्था-उद्दायणस्स रण्णो रज्जं च रटु च बल च वाहण च कोस च कोट्ठार च पुर च अतेउर च सयमेव पच्चुवेक्खमाणे -पच्चुवेक्खमाणे विहरइ । तस्स ण उद्दायणस्स रण्णो नियए भाइणेज्जे केसी नाम कुमारे होत्या-सुकुमालपाणिपाए जाव सुरूवे । से ण उद्दायणे राया सिंधूसोवीरप्पामोक्खाण सोलसण्ह जणवयाण, वीतीभयप्पामोक्खाण तिण्ह तेसट्ठीण नगरागरसयाण', महसेणप्पामोक्खाण दसण्ह राईण वद्धमउडाण विदिन्नछत्त-चामर-वालवीयणाण, अण्णेसि च बहूण राईसर-तलवर- माडवियकोडविय-इन्भ-सेट्ठि-सेणावइ ° -सत्थवाहप्पभिईण आहेवच्च पोरेवच्चं सामित्तं भट्टित्त आणा-ईसर-सेणावच्च ° कारेमाणे पालेमाणे समणोवासए अभिगयजी वाजोवे जाव अहापरिग्गहिएहिं तवोकम्मेहिं अप्पाण भावेमाणे विहरइ ।। १०३. तए ण से उद्दायणे राया अण्णया कयाइ जेणेव पोसहसाला तेणेव' उवागच्छइ, जहा सखे जाव" पोसहिए बभचारी अोमुक्कमणिसुवण्णे ववगयमाला-वण्णगविलेवणे निक्खित्तसत्थ-मुसले एगे अबिइए दव्भसथारोवगए पक्खिय पोसह पडिजागरमाणे विहरइ॥ १०४. तए ण तस्स उद्दायणस्स रणो पुव्वरत्तावरत्तकालसमयसि धम्मजागरिय जागरमाणस्स अयमेयारूवे अज्झत्थिए" चितिए पत्थिए मणोगए सकप्पे १. भ० ११५७ । ८ भायणेज्जे (अ, ख, म)। २ ओदायणे (अ), उदायणे (स) सर्वत्र । ६ नगरसयाण (अ, व, म, वृपा)। ३. प्रो० सू० १४ । १०. स० पा०-तलवर जाव सत्यवाह° । ४. ओ० सू० १५। ११. स० पा०—पोरेवच्च जाव कारेमाणे । ५. ओ० सू० १५। १२ भ० ३।९४ । ६. अभीति (अ, स,)। १३ भ० १२।६। ७. सं० पा०-जहा सिवभद्दे जाव पच्चुवेक्ख- १४ स० पा०-अज्झत्थिए जाव समुप्पज्जित्था । माणे। Page #672 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तेरसम सत (छट्ठो उद्देसो) ६११ समुप्पज्जित्था-धन्ना ण ते गामागर-नगर-खेड-कब्बड-मडब-दोणमुह-पट्टणासम-सबाहसण्णिवेसा जत्थ ण समणे भगव महावीरे विहरइ, धन्ना ण ते राईसर-तलवर'- माडविय-कोडुबिय-इन्भ-सेटि-सेणावइ°-सत्थवाहप्पभितयो' जे ण समण भगव महावीर वदति नमसति जाव' पज्जुवासति । जइ ण समणे भगव महावीरे पुव्वाणुपुचि चरमाणे गामाणुगाम 'दूइज्जमाणे सुहसुहेण विहरमाणे इहमागच्छेज्जा, इह समोसरेज्जा, इहेव वीतीभयस्स नगरस्स बहिया मियवणे उज्जाणे अहापडिरूव प्रोग्गह अोगिण्हित्ता सजमेण तवसा अप्पाण भावेमाणे विहरेज्जा, तो ण अह समण भगव महावीर वदेज्जा नमसेज्जा जाव पज्जुवा सेज्जा ॥ १०५ तए ण समणे भगव महावीरे उद्दायणस्स रण्णो अयमेयारूव अज्झत्थिय चितिय पत्थिय मणोगय सकप्प° समुप्पन्न वियाणित्ता चपायो नगरीयो पुण्णभद्दाप्रो चेइयायो पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता पुवाणुपुवि चरमाणे गामाणु गाम दूइज्जमाणे सुहसुहेण ° विहरमाणे जेणेव सिधूसोवीरे जणवए जेणेव वीतीभये नगरे, जेणेव मियवणे उज्जाणे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता जावसजमेण तवसा अप्पाण भावेमाणे विहरइ॥ १०६ तए ण वीतोभये नगरे सिंघाडग-तिग-चउक्क-चच्चर-चउम्मुह-महापह-पहेस जाव' परिसा पज्जुवासइ ।। १०७ तए ण से उद्दायणे राया इमीसे कहाए लट्ठ समाणे हद्वतुटे कोडुबियपूरिसे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एव वयासो-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया | वीयीभय नगर सभितरवाहिरिय जहा कूणियो अोववाइए जाव" पज्जुवासइ । पउमावती पामोक्खायो देवीप्रो तहेव जाव" पज्जुवासति । धम्मकहा ॥ १०८ तए ण से उद्दायणे राया समणस्स भगवओ महावीरस्स अतिय धम्म सोच्चा निसम्म हडतुडे उट्ठाए उद्वेइ, उद्वेत्ता समण भगव महावीर तिक्खुत्तो जावर नमसित्ता एव वयासी-एवमेय भते | तहमेय भते५ । 'अवितहमेय भते । असदिद्धमेय भते । इच्छियमेय भते ! पडिच्छियमेय भते । इच्छिय-पडिच्छिय १ स० पा०-तलवर जाव सत्थवाह०। ८ भ०१७ । २ ०प्पभिइओ (अ, स)। ६ ओ० सू० ५२ । ३. भ० २।३०। १०. ओ० सू० ५५-६६ । ४ स० पा०-गामाणुगाम जाव विहरमाणे । ११ प्रो० सू० ७० । ५. स० पा०-तवपा जाव विहरेज्जा। १२ भ० १।१०। ६ स० पा०-अज्झत्थिय जाव समुप्पन्न । १३. स० पा०-भते जाव से । ७ स० पा० --गामाणु जाव विहरमाणे । Page #673 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई मेयं भते । ०—से जहेयं तुव्भे वदह त्ति कट्टु जं नवरं - देवाणुप्पिया | अभीयिकुमार रज्जे ठावेमि, तए ण ग्रह देवाणुप्पियाण अतिए मुडे भवित्ता' • अगाराओ ग्रणगारिय पव्वयामि । हासुह देवाणुपिया | मा पडिवधं ॥ I १०६ तए णं से उद्दायणे राया समणेण भगवया महावीरेणं एव वृत्ते समाणे हतु समण भगव महावीर वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता तमेव आभिसेक्क हथि दुइ, दुहित्ता समणस्स भगवग्रो महावीरस्स ग्रंतियाओ मियवणाम्रो उज्जाणा पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता जेणेव वीतीभये नगरे तेणेव पहारेत्थ ६१२ ܘ गमणाए । o ? ११०. तए ण तस्स उद्दायणस्स रण्णो अयमेयारूवे ग्रज्झत्थिए' चितिए पत्थिए मणोगए सकप्पे • समुप्पज्जित्था - एव खलु अभीयीकुमारे मम एगे पुत्ते इट्टे कते • पिए मणुण्णे मणामे थेज्जे वेसासिए संमए वहुमए अणुमए भडकरडगसमाणे रयणे रयणव्भूए जीविऊसविए हिययनदिजणणे उवरपुप्फ पिव दुल्लभे सवणयाए, किमग पुण पासणयाए तजदि ण ग्रह अभीयीकुमार रज्जे ठावेत्ता समणस्स भगवओ महावीरस्स प्रतिय मुडे भवित्ता' ग्रगाराम्रो ग्रगारिय पव्वयामि, तो णं अभीयीकुमारे रज्जे य रट्ठे य वले य वाहणे य कोसे य कोट्ठागारे य पुरे य अतेउरे य° जणवए य माणुस्सएसु य कामभोगेसु मुच्छिए गिद्धे गढिए प्रज्झोववन्ते प्रणादीय प्रणवदग्ग दोहमद्ध चाउरतससारकतार अणुपरियट्टिस्सइ त नो खलु मे सेयं अभीयीकुमार रज्जे ठावेत्ता समणस्स भगवन महावीरस्स प्रतिय मुडे भवित्ता' अगारानो अणगारिय • पव्वइत्तए, सेय खलु मेनियग भाइणेज्ज केसि कुमार रज्जे ठावेत्ता समणस्स भगवनो' • महावीरस्स प्रतियं मुडे भवित्ता ग्रागाराग्रो ग्रगारिय पव्वइत्तए—एवं सपेहेइ, सपेहेत्ता जेणेव वीयीभये नगरे तेणेव उवागच्छड, उवागच्छित्ता वीयीभय नगर मज्झमज्भेण जेणेव सए गेहे जेणेव वाहिरिया उवद्वाणसाला, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता ग्राभिसेक्क हत्थि ठवेइ, ठवेत्ता ग्राभिसेवकाग्रो हत्थीग्रो पच्चोरुभइ, पच्चोरुभित्ता जेणेव सीहासणे तेणेव उवागच्छड, उवागच्छित्ता सीहासणवरंसि पुरत्याभिमुद्दे निसीयति, निसीइत्ता कोडुवियपुरिसे सद्दावेड, सहावेत्ता एव वयासी - खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया । वीयीभय नगर १. स० पा० - भवित्ता जाव पव्त्रयामि । २. दुइ (ता) | ३. अन्भथिए (व, ता, न), स० पा०अज्मविए जाव समुप्पज्जित्था । ४. म० पा०—कते जाव किमग । o ५ स० पा० - भवित्ता जाव पव्वयामि । ६ म० पा० - रट्टे व जाव जणवए । ७. स० पा०- भवित्ता जाव पव्वइत्तए । म० पा० - भगवओ जाव पव्वइत्तए । ५ Page #674 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तेरसमं सत ( छट्टो उद्देसो) ६१३ सभितरवाहिरिय' ग्रासिय समज्जिवलित्त जाव' सुगधवरगधगधिय गधट्टिभूय करेह य कारवेह य, करेत्ता य कारवेत्ता य एयमाणत्तिय पच्चपिणह | ते वि तमाणत्तिय • पच्चप्पिणति ॥ १११ तएण से उद्दायणे राया दोच्च पि कोडुवियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता व वासी - खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया । केसिस्स कुमारस्स महत्य महग्घ महरिह विउल एव रायाभिसेग्रो जहा सिवभद्दस्स कुमारस्स तहेव भाणियव्वो जाव' परमाउ पालयाहि, इट्ठजणसपरिवुडे सिधूसोवीरपामोक्खाण सोलसण्ह जणवयाण वीयीभयपामोक्खाण तिण्णि तेसट्ठीण नगरागरसयाण महसेणपामोक्खाण दसण्ह राईण, ग्रण्णेसि च बहूण राईसर - तलवर - माडबिय - कोडुबिय - इब्भसेट्ठि-सेणावइ-सत्थवाहप्पभिईण ग्राहेवच्च पोरेवच्च सामित्त भट्टित्त प्राणा - ईसर सेणावच्च • कारेमाणे, पालेमाणे विहराहि त्ति कट्टु जयजयसद्द पउजति ॥ ११२ तएण से केसी कुमारे राया जाए - महाहिमवत - महत - त- मलय- मदर - महिंदसारे जाव' रज्ज पसासेमाणे विहरइ || ११३ तए ण से उद्दायणे राया केसि रायाणं ग्रापुच्छइ ॥ ११४ तएण से केसी राया को वियपुरिसे सद्दावेइ - एव जहा जमालिस तहेव सव्भित रवाहिरिय तहेव जाव' निक्खमणाभिसेय उवट्ठवेति ।। ११५. तए ण से केसी राया अणेगगणनायग" - दडनायगराईसर- तलवर - माडबियकोडुविय-इव्भ-सेट्ठि-सेणावइ सत्यवाह दूय- सधिपाल-सद्धि - सपरिवुडे उद्दायणं राय सीहासणवरसि पुरत्थाभिमुहे निसीयावेति, निसीयावेत्ता अट्ठसएण सोवणियाण कलसाण एव जहा जमालिस्स जाव' महया - महया निक्खमणाभिसेगेण अभिसिचति, अभिसि चित्ता करयलपरिग्गहिय दसनह सिरसावत्त मत्थए प्रजलि कट्टु जएण विजएण वद्धावेति वद्धावेत्ता एव वयासी - भण सामी । कि देमो ? किं पयच्छामो ? किणा वा ते अट्ठो ? ११६ तए ण से उद्दायणे राया केसि राय एव वयासी - इच्छामि ण देवाणुप्पिया ! कुत्तियावणाश्रो रयहरण च पडिग्गह च प्राणिय, कासवग च सद्दाविय - एव जहा ं जमालिस्स, नवर - परमावती अग्गकेसे पडिच्छइ पियविप्पयोगदूसहा ॥ ११७. तए ण से केसी राया दोच्च पि उत्तरावक्कमण सीहासण रयावेति, रयावेत्ता उद्दायण राय सेया-पीतएहि कलसेहि व्हावेति, व्हावेत्ता सेस जहा जमालिस्स १ स० पा० - ० बाहिरियं जाव पच्चष्पिणति । २. ओ० सू० ५५ । ३. भ० ११।६१ । ४. स० पा०-- राईसर जाव कारेमाणे । ५. ओ० सू० १४ । ६ भ० ६ १८०, १८१ । ७ स० पा०—श्रणेगगणनायग जाव सपरिवुडे । ८. भ० ६।१८२ । ६. भ० ६।१८४ - १८६ | Page #675 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६१४ भगवई जाव' चउविहेण अलकारेण अलकारिए समाणे पडिपुण्णालकारे सीहासणाप्रो अभुटेइ, अन्भुटेत्ता सीय अणुप्पदाहिणीकरेमाणे सीय दुरुहइ, दुरुहित्ता सीहासणवरसि पुरत्थाभिमुहे सण्णिसण्णे, तहेव' अम्मधाती, नवर पउमावती हसलक्खण पडसाडग गहाय सीय अणुप्पदाहिणीकरेमाणी सीय दुरुहइ, दुरुहित्ता उद्दायणस्स रण्णो दाहिणे पासे भद्दासणवरसि सण्णिसण्णा सेस तं चेव जाव' छत्तादीए तित्थगरातिसए पासइ, पासित्ता पुरिससहस्सवाहिणि सीय ठवेइ, पुरिससहस्सवाहिणीअो सीयारो पच्चोरुभइ, पच्चोरुभित्ता जेणेव समणे भगव महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणं भगव महावीर तिक्खुत्तो वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता उत्तरपुरस्थिम दिसीभाग अवक्कमइ, अवक्कमित्ता सयमेव आभरणमल्लालकार अोमुयइ ॥ ११८. ''तए ण सा पउमावती देवी हंसलक्खणेण पडसाडएण आभरणमल्लालकार पडिच्छइ, पडिच्छित्ता हार-वारिधार-सिदुवार-छिन्न-मुत्तावलि-प्पगासाइ असूणि विणिम्मुयमाणी-विणिम्मुयमाणी उद्दायण राय एवं वयासी-जइयव्व सामी । घडियव्व सामी ! परक्कमियव्व सामी | अस्सि च ण अटे० नो पमादेयव्व त्ति कटु केसी राया पउमावती य समणं भगव महावीर वदति नमसति, वदित्ता नमसित्ता जामेव दिस पाउन्भुया तामेव दिस ° पडिगया ॥ ११६. तए ण से उद्दायणे राया सयमेव पचमुट्ठिय लोय करेइ सेस जहा उसभदत्तस्स जाव' सव्वदुक्खप्पहीणे ॥ १२०, तए ण तस्स अभीयिस्स कुमारस्स अण्णदा कदाइ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयसि कूड़वजागरिय जागरमाणस्स अयमेयारूवे अज्झथिए 'चितिए पत्थिए मणोगए सकप्पे समुप्पज्जित्था-एव खलु अह उद्दायणस्स पुत्ते पभावतीए देवीए अत्तए, तए ण से उद्दायणे राया मम अवहाय नियगं भाइणेज्ज केसि कुमार रज्जे ठावेत्ता समणस्स भगवओ 'महावीरस्स अतिय मुडे भवित्ता अगाराप्रो अणगारिय° पव्वइए-इमेण एयारूवेणं महया अप्पत्तिएण मणोमाणसिएण दुक्खेण अभिभूए समाणे अतेउरपरियालसपरिवुडे सभडमत्तोवगरणमायाए वीतीभयानो नयराओ निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता पुव्वाणुपुद्वि चरमाणे गामाणुगाम दूइज्जमाणे जेणेव चपा नयरी, जेणेव कूणिए राया, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता कूणियं राय १. भ० ६।१६०-१६२ । ५. स० पा०-नमसित्ता जाव पडिगया। २. भ० ६।१६३, १६४ । ६ भ० ६।१५०,१५१ । ३. म० ६।१६५-२०६। ७. सं० पा०-अज्झत्यिए जाव समुप्पज्जित्था । ४. न. पा.-तं चेव पउमावती पडिच्छइ ८. स० पा०-भगवओ जाव पव्वइए। जाव घडियब्ध सामी ! जाव नो। Page #676 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तेरसम सत (सत्तमो उद्देसो) ६१५ उवसपज्जित्ताणं विहरइ । तत्थ वि ण से विउलभोगसमितिसमन्नागए यावि होत्या । तए ण से अभीयीकुमारे समणोवासए यावि होत्था - अभिगयजीवाजीवे जाव' अहापरिग्गहिएहिं तवोकम्मेहिं अप्पाण भावेमाणे विहरइ, उद्दाय - मि रायरिसिम्मि समणुबद्धवेरे यावि होत्था ॥ १२१. इमीसे' रयणप्पभाए पुढवीए निरयपरिसामतेसु चोयट्ठि' असुरकुमारावाससयसहस्सा पण्णत्ता । तएण से अभीयीकुमारे बहूइ वासाइ समणोवासगपरियाग पाउणइ, पाउणित्ता श्रद्धमासियाए सलेहणाए तीस भत्ताइ प्रणसणाए छेएइ, छेएत्ता तस्स ठाणस्स प्रणालीइयपडिक्कते कालमासे काल किच्चा इमीसे रयप्पभाए पुढवीए निरयपरिसामतेसु चोयट्ठीए आयावा सुरकुमारावाससयसहस्सेस' अण्णयरसि आयावा असुरकुमारावाससि श्रायावाअसुरकुमारदेवत्ताए उववण्णो । तत्थ ण प्रत्थेगतियाण प्रायावगाण असुरकुमाराण देवाण एग पलिग्रोवम ठिई पण्णत्ता, तत्थ ण अभीयिस्स वि देवस्स एग पलिवम ठिई पण्णत्ता || १२२ सेण भते । अभीयीदेवे ताम्रो देवलोगान उक्खएण भवक्खएण ठिइक्खणं अणतर उव्वट्टित्ता कहिं गच्छिहिति ? कहि उववज्जिहिति ? गोयमा | महाविदेहे वासे सिज्झिहिति जाव' सव्वदुक्खाण अत काहिति ॥ १२३ सेव भते । सेव भते । त्ति' ।। सत्तमो उद्देसो भासा- पद १२४ रायगिहे जाव' एव वयासी – आया भते । भासा ? अण्णा भासा ? गोयमा । नो आया भासा, अण्णा भासा । ? ? अरूवि भासा भासा रूवि भते । १. भ० २।६४ । २. तेण कालेन तेण समएण इमीसे ( अ, क, ख, ता, ब, म, स), अयं पाठ अप्रासङ्गिकोस्ति । शाश्वतपदार्थाना निरूपणे कालनिर्देशो नावश्यकोस्ति । केनापि कारणेन प्रबाहपाती लेख. सजात इति प्रतीयते, तेनात्र पाठान्तरत्वेनास्माभि स्वीकृत । ३. चोसट्ठि ( स ) । ४ ° सहस्सेसु असुरकुमारावासेसु (ता) । ५ भ० २।७३ । ६. भ० १।५१ । ७. भ० ११४-१० Page #677 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६१६ भगवई गोयमा ! रूवि भासा, नो अरवि भासा । सचित्ता' भते ! भासा ? अचित्ता भासा? गोयमा ! नो सचित्ता भासा, अचित्ता भासा । जीवा भते । भासा ? अजीवा भासा ? गोयमा । नो जीवा भासा, अजीवा भासा। जीवाण भते । भासा? अजीवाण भासा ? गोयमा । जीवाण भासा, नो अजीवाण भासा। पुद्वि भते | भासा ? भासिज्जमाणी भासा ? भासासमयवीतिक्कता भासा ? गोयमा । नो पुवि भासा, भासिज्जमाणी भासा, नो भासासमयवीतिक्कता भासा। पुन्वि भते ! भासा भिज्जति ? भासिज्जमाणी भासा भिज्जति ? भासासमयवीतिक्कता भासा भिज्जति ? गोयमा ! नो पुवि भासा भिज्जति, भासिज्जमाणी भासा भिज्जति, नो भासासमयवीतिक्कता भासा भिज्जति ।। १२५. कतिविहा ण भते | भासा पण्णत्ता? गोयमा ! चउन्विहा भासा पण्णत्ता, त जहा-सच्चा, मोसा, सच्चामोसा असच्चामोसा ॥ मण-पदं १२६. प्राया भते ! मणे? अण्णे मणे ? गोयमा ! नो पाया मणे, अण्णे मणे। "रूवि भते ! मणे ? अरूवि मणे ? गोयमा । रूवि मणे, नो अरूवि मणे । सचित्ते भते । मणे ? अचित्ते मणे ? गोयमा ! नो संचित्ते मणे, अचित्ते मणे। जीवे भते ! मणे ? अजीवे मणे ? गोयमा । नो जीवे मणे, अजीवे मणे ।। जीवाण भंते ! मणे ? अजीवाण मणे ? गोयमा ! जीवाण मणे °, नो अजीवाण मणे । पूवि भते । मणे ? मणिज्जमाणे मणे ? "मणसमयवीतिक्कते मणे? १. सच्चित्ता (क, ता, म)। २. अच्चित्ता (क, ता, म)। ३. स० पा०-जहा भासा तहा मणे वि जाव नो। ४. स० पा०–एवं जहेव भासा । Page #678 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रसम सत (सत्तमो उद्देसो) ६१७ गोयमा । नो पुव्वि मणे, मणिज्जमाणे मणे, नो मणसमयवीतिक्कते म ° 1 पुव्वि भते । मणे भिज्जति, मणिज्जमाणे मणे भिज्जति, मणसमयवीतिक्कते मणे भिज्जति ११० गोयमा । नो पुव्वि मणे भिज्जति, मणिज्जमाणे मणे भिज्जति, नो मणसमयवीतिक्कते मणे भिज्जति ॥ o १२७ कतिविहे णं भते । मणे पण्णत्ते ? गोयमा ! चउव्विहे मणे पण्णत्ते, त जहा - सच्चे', मोसे, सच्चामोसे, सच्चामोसे || काय-पद १२८ श्राया भते । काये ? अण्णे काये ? गोयमा । ग्रायावि काये, अण्णे वि काये । रूवि भते । काये ? श्ररूवि काये ? गोयमा । रूवि पि काये, अरूवि पि काये । सचित्ते भते । काये ? अचित्ते काये ? गोमा । सचित्ते व काये, ग्रचित्ते वि काये । जीवे भते । काये ? जीवे काये ? गोयमा । जीवेवि काये, जीवे वि काये । जीवाण भते । काये ? अजीवाण काये ? ५० O गोमा | जीवाण वि काये, ग्रजीवाण वि काये । पुव्वि भते । काये' ? " कायिज्जमाणे काये ? कायसमयवीतिक्कते काये ? गोयमा । पुव्विपि काये, कायिज्जमाणे वि काये, कायसमयवी तिक्कते वि काये । पुव्वि भते । काये भिज्जति ? " कायिज्जमाणे काये भिज्जति ? कायसमयवतिक्कते काये भिज्जति १० गोयमा | पुव्वि 'पि काये भिज्जति, कायिज्जमाणे विकाये भिज्जति, कायसमयवीतिक्कते वि० काये भिज्जति ॥ १२९ कतिविहे ण भते । काये पण्णत्ते ? गोयमा । सत्तविहे काये पण्णत्ते, त जहा - ओरालिए, प्रोलियमीसए, वेउव्विए, वेउब्वियमीसए, श्राहारए, ग्राहारगमीसए, कम्मए । १. स० पा० - एव जहेव भासा । २ स० पा० - सच्चे जाव असच्चामोसे | ३. काये पुच्छा ( स ) । ४ स० पा० - एव एक्केक्के पुच्छा । सचित्ते वि कार्य, अचित्ते वि काये । जीवे वि काए, अजीवेविकाए, जीवाण विकाए, अजीवाण ५ ६ वि काये । स० पा० - पुच्छा । स० पा० पुच्छा । स०पा० - भिज्जति जाव काये । ७ ८. ओराले (स) । , Page #679 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६१८ भगवई मरण-पद १३० कतिविहे ण भते । मरणे पण्णत्ते ? गोयमा | पचविहे मरणे पण्णत्ते, त जहा-यावीचियमरणे', अोहिमरणे', आतियतियमरणे', वालमरणे, पडियमरणे ॥ १३१. आवीचियमरणे ण भते । कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा । पचविहे पण्णत्ते, त जहा - दवावीचियमरणे, खेत्तावीचियमरणे, कालावीचियमरणे, भवावीचियमरणे, भावावीचियमरणे ॥ १३२ दवावीचियमरणे ण भते । कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा । चउव्विहे पण्णत्ते, त जहा-नेरइयदव्वावीचियमरणे, तिरिक्ख जोणियदव्वावीचियमरणे, मणुस्सदबावीचियमरणे, देवदव्वावीचियमरणे ।। १३३ से केणट्रेण भते ! एव वुच्चइ-नेरइयदव्वावीचियमरणे-नेरइयदवावीचिय मरणे ? गोयमा । जण्ण नेरइया नेरइए दवे वट्टमाणा जाइ दव्वाइ नेरइयाउयत्ताए गहियाइ बद्धाइ पुट्ठाइ कडाइ पट्टवियाइ 'निविट्ठाइ अभिनिविट्ठाइ" अभिसमण्णागयाइ भवति ताइ दव्वाइ आवीचिमणुसमय निरतर मरति त्ति कट्ट । से तेणट्रेण गोयमा । एव वुच्चइ-नेरइयदव्वावीचियमरणे, एवं जाव देवदव्वा वीचियमरणे ॥ १३४ खेत्तावीचियमरणे ण भते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा | चउविहे पण्णत्ते, त जहा-नेरइयखेत्तावीचियमरणे जाव देवखेत्ता वीचियमरणे ॥ १३५ से केणटेणं भते । एव वुच्चइ-नेरइयखेत्तावीचियमरणे-नेरइयखेत्तावीचिय मरणे ? गोयमा । जण्ण नेरइया नेरइयखेत्ते वट्टमाणा जाइ दव्वाइ नेरइयाउयत्ताए गहियाइ एव जहेव दवावीचियमरणे तहेव खेत्तावीचियमरणे वि । एव जाव भावावीचियमरणे ॥ १३६ अोहिमरणे ण भते । कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! पचविहे पण्णत्ते, त जहा-दव्वोहिमरणे, खेत्तोहिमरणे, कालोहिमरणे, भवोहिमरणे°, भावोहिमरणे ।। १. आवीयिय° (ब)। ४. X (ब)। २. अवहि° (व, म)। ५. आवीचियम° (क, स)। ३. आदितिय° (अ, स), आदियतिय; (क, ६. स० पा०—खेत्तोहिमरणे जाव भवो । ख, ब)। Page #680 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६१६ तेरसम सत (सत्तमो उद्दसो) १३७ दव्वोहिमरणे ण भते कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा | चउविहे पण्णत्ते, त जहा-नेरइयदव्वोहिमरणे जाव देवदव्वोहिमरणे ॥ से केणटुण भते । एव वुच्चइ-नेरइयदव्वोहिमरणे-नेरइयदव्वोहिमरणे ? गोयमा । 'जे ण' नेरइया नेरइयदव्वे वट्टमाणा जाइ दव्वाइ सपय मरति, 'ते ण नेरइया ताइ दव्वाइ अणागए काले पुणो वि मरिस्सति । से तेणद्वेण गोयमा । जाव दम्वोहिमरणे। एव तिरिक्खजोणिय-मणुस्स-देवदव्वोहिमरणे' वि । एव एएण गमेण खेत्तोहिमरणे वि, कालोहिमरणे वि, भवोहिमरणे वि, भावोहिमरणे वि ।। १३६ आतियतियमरणे ण भते | पुच्छा। गोयमा ] पचविहे पण्णत्ते, त जहा-दव्वातियतियमरणे, खेत्तातियतियमरणे जाव भावातियतियमरणे ॥ १४०. दव्वातियतियमरणे ण भते । कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा । चउन्विहे पण्णत्ते, त जहानेरइयदव्वातियतियमरणे जाव देवदव्वातियतियमरणे॥ से केणद्वेण भते । एव वुच्चइ-नेरइयदव्वातियतियमरणे-नेरइयदव्वातियतियमरणे ? गोयमा ! 'जे ण" नेरइया नेरइयदव्वे वट्टमाणा जाइ दव्वाइ सपय मरति, 'ते ण नेरइया ताइ दव्वाइ अणागए काले नो पुणो वि मरिस्सति । से तेणढण जाव नेरइयदव्वातियतियमरणे। एव तिरिवखजोणिय-मणुस्स-देवदव्वातियतियमरणे । एव खेत्तातियतियमरणे वि, एव जाव भावातियतियमरणे वि ॥ बालमरणेण भते ! कतिविहे पण्णत्ते । गोयमा । दुवालसविहे पण्णत्ते, त जहा–१ वलयमरणे ०२ वसदमरणे ३ अतोसल्लमरणे ४ तब्भवमरणे ५ गिरिपडणे ६ तरुपडणे ७ जलप्पवेसे ८ जलणप्पवेसे ६ विसभक्खणे १० सत्थोवाडणे ११ वेहाणसे °१२ गद्धपदे। १४३. पडियमरणे ण भते । कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा | दुविहे पण्णत्ते, त जहा-पाओवगमणे य, भत्तपच्चक्खाणे य ।। १४४. पाओवगमणे" ण भते । कतिविहे पण्णत्ते ? १४१. १४२. १. ज ण (अ, क, ख, ता, ब), जण्ण (म)। २ ज ण (अ, ता, ब, स), जे ण (ख), 'त' इति गम्यम् (वृ)। ३ देवोहिमरणे (अ, क, ख, ता, ब, म)। ४. ज ण (अ, क, ता, स), जण्ण (म)। ५ जे ण (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। ६ स० पा०-जहा खदए जाव गद्धपढे । ७ ° गमणमरणेण (ता), पाओवगमरणेण(ब)। Page #681 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ६२० गोयमा | दुविहे पण्णत्ते, त जहा–नीहारिमे य, अनीहारिमे य । नियम अप डिकम्मे ।। १४५. भत्तपच्चक्खाणे ण भते । कतिविहे पण्णत्ते ? "गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते, त जहा—नीहारिमे य, अनीहारिमे य ।° नियम सपडिकम्मे ।। १४६. सेव भते । सेव भते ! त्ति' ।। __ अट्ठमो उद्देसो कम्मपगडि-पदं १४७ कति ण भते ! कम्मपगडीयो पण्णत्तायो ? गोयमा | अट्ठ कम्मपगडीओ पण्णत्तायो। एव बढिइ-उद्देसो' भाणियन्वो निरवसेसो जहा पण्णवणाए। १४८. सेव भते । सेव भते । त्ति । नवमो उद्देसो भावियप्प-विउवणा-पदं १४६. रायगिहे जाव' एव वयासी-से जहानामए केइ पुरिसे केयाघडिय गहाय गच्छेज्जा, एवामेव अणगारे वि भावियप्पा केयाघडियाकिच्चहत्थगएण अप्पाणेण उड्ढ वेहास उप्पएज्जा ? हता उप्पएज्जा ।। १. स० पा०–एव त चेव नवर नियम सप डिकम्मे । २. भ० ११५१ । ३ उद्देसओ (क, ता, व, म)। ४. १०२४ । ५ इह च वाचनान्तरे सग्रहणीगाथास्ति, सा चेयपयडीण भेयठिई, वघोवि य इदियाणुवाएण । केरिसय जहन्नठिइ, वधइ उक्कोसिय वावि ।। (वृ)। ६. भ० ११५१। ७. भ० ११४-१० । Page #682 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तेरममं सत (नवमो उद्देसो) ६२१ १५० अणगारे ण भते । भावियप्पा केवतियाड पभू केयाघडियाकिच्चहत्थगयाइ ' वाइ विव्वित्त ? गोयमा । से जहानामए जुवत जुवाणे हत्थेण हत्थे गेहेज्जा, चक्कस्स वा नाभी अरगाउत्तासिया, एवामेव अणगारे वि भाविअप्पा वेउव्वियसमुग्धाएण समोहण्णइ जाव' पभू ण गोयमा । अणगारे ण भाविप्रप्पा केवलकप्प जबुद्दीव दीव वहूहि इथिरूवेहि आइण्ण वितिकिण्ण उवत्थड सथड फुड प्रवगाढावगाढ करेत्तए । एस ण गोयमा । अणगारस्स भाविग्रप्पणो अयमेयारूवे विस, विसयमेत्ते बुइए, नो चेव ण सपत्तीए विउव्विसु वा विउव्वति वा विउब्विसति वा ॥ १५१. से जहानामए केइ पुरिसे हिरण्णपेल गहाय गच्छेज्जा, एवामेव अणगारे वि भावियप्पा हिरण्णपेलहत्य किच्चगएण ग्रप्पाणेण उड्ढ वेहास उप्पएज्जा ? सेस त चेव एव सुवण्णपेल, एव रयणपेल, वइरपेल, वत्थपेल', आभरणपेल, एव वियलकड', सुबकड', चम्मकड, कवलकड', एव अयभार, तबभार, तउयभार, सीसगभार, हिरण्णभार, सुवण्णभार, वइरभार ॥ १५२ से जहानामए वग्गुलो सिया, दो वि पाए उल्ल बिया - उल्लविया उड्ढपादा ग्रहोसिरा चिट्ठेज्जा, एवामेव अणगारे वि भाविप्रप्पा वग्गुली किच्च गएण अप्पाणेण उड्ढ वेहास उप्पएज्जा ? एव जण्णोवइयवत्तव्वया भाणियव्वा जाव" विउव्विस्सति वा ।। १५३ से जहानामए जलोया सिया, उदगसि काय उव्विहिया - उव्विहिया गच्छेज्जा, एवामेव अणगारे, सेस जहा वग्गुलीए ॥ १५४ से जहानामए वीयवीयगसउणे" सिया, दो वि पाए समतुरगेमाणे- समतुरगेमाणे गच्छेज्जा, एवामेव अणगारे, सेस त चेव ॥ १५५ से जहानामए पक्खिविरालए सिया, रुक्खाओ रुक्ख डेवेमाणे- डेवेमाणे गच्छेज्जा, एवामेव अणगारे, सेस त चेव ।। १. केयाघडियाहत्य (त्थे ) किच्चगयाइ ( क, ख, __ता, व, म, स) । २ स० पा० - एव जहा तडयमए पचमुद्देसए जाव नो । ७ मु ठकड ( अ ), सु ठकिड (ख, व), सु ठकिर (ता), सुट्ठिकड (म ), ° किड्ड • किड ( क, ख, व), किड्ड (स) । ( स ) । किर ( ता ), ८ • किड (क, ख, व ) ३ भ० ३।४ । ४ हिरण्णपेर (ता), हिरण्ण पेउ० ( क्व० ) । ५ X ( क, ब, म) 1 १० ६ वियलकिड ( क, ख, व, स ), विदलकर ११ (ता) । & o • किड्ड ( स ) । भ० ३।२०२,२०३ ॥ ० स उगए (ख, ता) । ● किर (ता), Page #683 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ६२२ १५६. से जहानामए जीवजीवगसउणे सिया, दो वि पाए समतुरगेमाणे-समसुरगेमाणे गच्छेज्जा, एवामेव अणगारे, सेस त चेव ॥ १५७. से जहानामए हसे सिया, तीराओ तीर अभिरममाणे-अभिरममाणे गच्छेज्जा, एवामेव अणगारे वि भाविअप्पा हसकिच्चगएण अप्पाणण, त चेव ।। १५८. से जहानामए समुद्दवायसए सिया, वीईओ वीइ डेवेमाणे-डेवेमाणे गच्छेज्जा, एवामेव अणगारे, तहेव ।। १५६ से जहानामए केइ पुरिसे चक्क गहाय गच्छेज्जा, एवामेव अणगारे वि भाविअप्पा चक्कहत्थकिच्चगएण अप्पाणेण, सेसं जहा' केयाघडियाए । एव छत्त, एव चम्म ॥ १६० से जहानामए केइ पुरिसे रयण गहाय गच्छेज्जा, एव चेव । एव वइर, वेरुलिय जाव' रिट्ठ । एव उप्पलहत्थग, एव पउमहत्थग, कुमुदहत्थग, "नलिणहत्थग, सुभगहत्थग, सुगधियहत्थग, पोडरीयहत्थग, महापोडरीयहत्थग, सयपत्तहत्थग, से जहानामए केइ पुरिसे सहस्सपत्तग गहाय गच्छेज्जा, एव चेव ।। से जहानामए केइ पुरिसे भिस अवद्दालिय-अवदालिय गच्छेज्जा, एवामेव अणगारे वि भिसकिच्चगएण अप्पाणेण, त चेव ।। १६२. से जहानामए मुणालिया सिया, उदगसि काय उम्मज्जिया-उम्मज्जिया चिट्ठज्जा, एवामेव, सेस जहा' वग्गुलीए । १६३. से जहानामए वणसडे सिया-किण्हे किण्होभासे जाव' महामेहनिकरबभए', पासादीए दरिसणिज्जे अभिरूवे पडिरूवे, एवामेव अणगारे वि भाविअप्पा वणसडकिच्चगएण अप्पाणेण उड्ढ वेहास उप्पएज्जा ? सेस त चेव ।। १६४. से जहानामए पुक्खरणी सिया--चउक्कोणा, समतीरा, अणयूव्वसजायवप्प गभीरसीयलजला जाव' सदुन्नइयमहुरसरणादिया पासादीया दरिसणिज्जा अभिरूवा पडिरूवा, एवामेव अणगारे वि भाविअप्पा पोक्खरणीकिच्चगएण अप्पाणेण उड्ढं वेहासं उप्पएज्जा ? हता उप्पएज्जा॥ १६५. अणगारे ण भते ! भाविअप्पा केवतियाइं पभू पोक्खरणीकिच्चगयाइ रुवाइ विउवित्तए ? सेस त चेव जाव विउव्विस्सति वा ॥ १. भ० १३११४६,१५० । २ चमर (म)। ३. भ० ३।४ । ४ म० पा०—एव जाव से । ५. भ० १३११५२ । ६ ओ० सू० ४। ७. निउयम्बभूए (ख), निकुरु वभूए (ता, व)। ८. ओ० सू० ६, भ० वृत्ति । Page #684 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - तेरसमं सत (दसमो उद्देसो) ६२३ १६६ से भते । कि मायी विउव्वति ? अमायी विउव्वति ? गोयमा । मायी विउव्वति, नो अमायी विउव्वति । मायी णं तस्स ठाणस्स अणालोइय"पडिक्कते काल करेइ, नत्थि तस्स आराहणा । अमायी ण तस्स ठाणस्स आलोइय-पडिक्कते कालं करेइ°, अत्थि तस्स आराहणा॥ १६७ सेव भते । सेव भते । त्ति जाव' विहरइ ।। दसमो उद्देसो छाउमत्थियसमुग्घाय-पदं १६८ कति ण भते । छाउमत्थियसमुग्घाया पण्णत्ता? गोयमा । छ छाउमत्थिया समुग्घाया पण्णत्ता, त जहा-वेयणासमुग्घाए, एव छाउमत्थियसमुग्घाया नेयव्वा, जहा पण्णवणाए जाव' पाहारगसमुग्धायेत्ति ।। १६६. सेव भते । सेव भते । त्ति जाव विहरइ ।। । तर १ स० पा०—एव जहा तइयसए चउत्युद्देसए जाव अत्थि। २. भ० ११५१ । या परिवार को ३ प० ३६ । ४ भ० ११५१ । Page #685 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चोद्दसमं सतं पढमो उद्देसो १. चर २ उम्माद सरीरे, ४ पोग्गल ५ ग्रगणी तहा ६. किमाहारे । ७,८ ससिट्ठमतरे' खलु, ६. अणगारे १० केवली चेव ॥ १ ॥ लेस्साणुसारि-उववाय-पदं ९. रायगिहे जाव' एव वयासी - अणगारे ण भते । भावियप्पा चरम देवावासं वीतिक्कते, परमं देवावासमसपत्ते, एत्थ ण अतरा काल करेज्जा, तस्स ण भंते । कहिं गती ? कहि उववाए पण्णत्ते ? गोयमा । जे से तत्थ परिपस्सो' तल्लेसा देवावासा, तहिं तस्स गती, तहि तस्स उववाए पण्णत्ते । से य तत्थ गए विराहेज्जा कम्मलेस्सामेव पडिपडति', से य तत्थ गए नो विराहेज्जा, तामेव लेस्स उवसंपज्जित्ताण विहरइ || अणगारे ण भते । भावियप्पा चरम असुरकुमारावास वीतिक्कते, परमं असुर"कुमारावासमसपत्ते, एत्थ ण अतरा काल करेज्जा, तस्स ण भते । कहि गती ? कहि उववाए पण्णत्ते ? गोयमा | जे से तत्थ परिपस्सो तल्लेसा असुरकुमारावासा, तहि तस्स गती, तहि तस्स उववाए पण्णत्ते । से य तत्थ गए विराहेज्जा कम्मलेस्सामेव पडिपडति, से य तत्थ गए नो विराहेज्जा, तामेव लेस्स उवसपज्जित्ताण विहरइ | एव जाव थणियकुमारावास, जोइसियावास, एवं वेमाणियावास जाव विहरइ ॥ १. ससट्ठ° ( अ, क, ख, व, म, स ) । २. भ० ११४- १० । ३. पलियस्सो ( ख ), परियस्सतो (व, म) । ४. ० मेवा (क, व ) | ५. परिपडइ (ता) । ६. स० पा० - एव चेव । ६२४ Page #686 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चोद्दसमं सत (पढमो उद्देमो) ६२५ * नेरइयादीणं गतिविसय-पदं ३ नेरइयाण भते | कह सीहा गती ? कह सीहे गतिविसए पण्णत्ते? गोयमा । से जहानामए–केइपुरिसे तरुणे बलव जुगव' 'जुवाणे अप्पातके थिरग्गहत्थे दढपाणि-पाय-पास-पिट्टतरोरुपरिणते तलजमलजुयल-परिघनिभबाहू चम्मेदग-दुहण-मुट्टिय-समाहत-निचित-गत्तकाए उरस्सवलसमण्णागए लघण-पवण-जइण-वायाम-समत्थे छेए दक्खे पत्तट्टे कुसले मेहावी निउणे निउणसिप्पोवगए ग्राउटिय' वाह पसारेज्जा, पसारिय वा बाह आउटेज्जा', विक्खिण्ण वा मुट्टि साहरेज्जा, साहरिय वा मुट्ठि विक्खि रेज्जा, उम्मिसिय वा अच्छि निम्मिसेज्जा, निम्मिसिय वा अच्छि उम्मिसेज्जा, 'भवे एयारूवे५ ? नो इणढे समटे । नेरइया ण एगसमइएण' वा दुसमइएण वा तिसमइएण वा विग्गहेण उववज्जति । नेरइयाणं गोयमा । तहा सीहा गती, तहा सीहे गतिविसए पण्णत्ते । एव जाव वेमाणियाणं, नवर-एगिदियाण चउसमइए विग्गहे भाणि यव्वे । सेसं त चेव ॥ नेरइयादीणं अणंतरोववन्नगादि-पदं ४ नेरइया ण भते । कि अणतरोववन्नगा? परपरोववन्नगा ? अणतर-परपर अणुववन्नगा ? गोयमा | नेरइया अणतरोववन्नगा वि, परपरोववन्नगा वि, अणतर-परपर अणुववन्नगा वि ।। ५ से कैणट्रेण भते । एव वच्चइ'- •नेरइया अणतरोववन्नगा वि, परपरोववन्नगा वि °, अणतर-परपर-अणुववन्नगा वि ? गोयमा । जे ण नेरइया पढमसमयोववन्नगा ते ण नेरइया अणतरोववन्नगा, जे ण नेरइया अपढमसमयोववन्नगा ते ण नेरइया परपरोववन्नगा, जेण नेरइया विग्गहगइसमावन्नगा ते ण नेरइया अणतर-परपर-अणववन्नगा। से तेणट्रेण जाव अणतर-परपर-अणुववन्नगा वि । एव निरतर जाव वेमाणिया। अणतरोववन्नगा ण भंते | नेरइया कि नेरइयाउय पकरेति ? तिरिक्ख-मणस्सदेवाउय पकरेति ? गोयमा | नो नेरइयाउय पकरेति जाव नो देवाउय पकरेति ।। १. स० पा०-जुगव जाव निउण° । २ आउट्टिय (अ, ख, स), आउदिय (क), आदिउट्टिय (ता)। ३ आउद्देज्जा (ता)। ४, अणिमिसिय (अ, क, ता, व, म, स); उण्णिसिय (ख)। ५ भवे एयारुवे सिया (अ), भवेयारूवे (क, __ ख, ता, ब, म)। ६ °समएण (अ)। ७ स० पा०-वुच्चइ जाव अणतर । Page #687 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६२६ भगवई ७. परपरोववन्नगा ण भते ! नेरइया कि नेरइयाज्यं पकरेंति जाव देवाउयं पकरेति ? गोयमा । नो नेरइयाउय पकरेति, तिरिक्खजोणियाउय पकरेति, मणुस्साउयं पिपकरेति, नो देवाउय पकरेति ॥ अणतर-परपर-अणुववन्नगा ण भते ! नेरइया किं नेरइयाउय पकरेति - पुच्छा । गोयमा । नो नेरइयाउय पकरेति जाव नो देवाउय पकरेति । एव जाव वेमाणिया, नवर - पचिदियतिरिक्खजोणिया मणुस्सा य परपरोववन्नगा चत्तारि विप्राउयाइ पकरेति । सेस त चेव || 8 नेरइया ण भते ! किं प्रणतरनिग्गया ? परपरनिग्गया ? अणतर- परपरअनिग्गया ? गोयमा | नेरइया प्रणतरनिग्गया वि, 'परपरनिग्गया वि", अणतर-परंपरनिग्या वि ॥ ८ १०. से केणट्टेण जाव अणतर- परपर अनिग्गया वि ? गोयमा । जेण नेरइया पढमसमयनिग्गया ते ण नेरइया प्रणतरनिग्गया, जे ण नेरइया अपढमसमयनिग्गया ते ण नेरइया परपरनिग्गया, जेण नेरइया विग्गहगतिसमावन्नगा ते ण नेरइया प्रणंतर परंपर- अनिग्गया । से तेणट्टेणं गोयमा ! जाव अणतर - परपर प्रनिग्गया वि । एव जाव वेमाणिया || I नेरइया कि नेरइयाउयं पकरेति जाव देवाउय ११. अणतरनिग्गया ण भते । पकरोति ? गोयमा | नो नेरइयाउय पकरेति जाव नो देवाउय पकरेति ॥ १२ परपरनिग्गया ण भते । नेरइया कि नेरइयाउय पकरेति – पुच्छा 1 गोयमा ! नेरइयाउय पिपकरेति जाव देवाउय पिपकरेति ॥ १३ अणतर-परपर-अनिग्गया ण भते । नेरइया – पुच्छा । गोयमा । नो नेरइयाउय पकरेति जाव नो देवाउय पकरेति । निरवसेस जाव वेमाणिया || १४. नेरइया ण भते । किं अणत रखेदोववन्नगा ? परपरखे दोववन्नगा ? प्रणतरपरपर-खेदाणुववन्नगा ? गोयमा ! नेरइया प्रणतरखेदोववन्नगा वि, परपरखेदोववन्नगा वि, प्रणतर १. जाव ( अ, क, ख, ता, व, म, स ) । २. ० खेत्तोववन्नगा (क, व), खेतोववन्नगा (ता) 1 Page #688 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६२७ चोद्दसम सत (बीओ उद्देसो) परपर-खेदाणुववन्नगा वि। एव एएण अभिलावेण ते' चेव चत्तारि दडगा भाणियव्वा । १५. सेव भते ! सेव भते । त्ति जावविहरइ ।। बीश्रो उद्देसो उम्माव-पदं १६. कतिविहे ण भते । उम्मादे पण्णत्ते ? गोयमा । दुविहे उम्मादे पण्णत्ते, त जहा-जक्खाएसे' य, मोहणिज्जस्स य कम्मस्स उदएण। तत्थ ण जे से जक्खाएसे से ण सुहवेयणतराए चेव सुहविमोयणतराए चेव । तत्थ ण जे से मोहणिज्जस्स कम्मस्स उदएण से ण दुहवेयणतराए चेव दुहविमोयणतराए चेव ।। १७ नेरइयाण भते । कतिविहे उम्मादे पण्णत्ते ? गोयमा । दुविहे उम्मादे पण्णत्ते, त जहा-जक्खाएसे य, मोहणिज्जस्स य कम्मस्स उदएण ॥ १८ से केणगुणं भते । एव वुच्चइ-नेरइयाण दुविहे उम्मादे पण्णत्ते, त जहा जक्खाएसे य, मोहणिज्जस्स 'य कम्मस्स" उदएण? गोयमा | देवे वा से असुभे पोग्गले पक्खिवेज्जा, से ण तेसि असुभाण पोग्गलाण “पक्खिवणयाए जक्खाएस उम्माद पाउणज्जा, मोहणिज्जस्स वा कम्मस्स उदएण मोहणिज्ज उम्माय पाउणेज्जा । से तेणद्वेण' 'गोयमा । एव वच्च ने रइयाण दुविहे उम्मादे पण्णत्ते, त जहा–जक्खाएसे य, मोहणिज्जस्स य कम्मस्स° उदएण' । असुरकुमाराण भते । कतिविहे उम्मादे पण्णत्ते ? "गोयमा | दुविहे उम्मादे पण्णत्ते, त जहा–जक्खाएसे य, मोहणिज्जस्म कम्मस्स य उदएण ।। से केणद्वेण भते । एव वुच्चइ-असुरकुमाराण दुविहे उम्मादे पण्णत्ते, त जहाजक्खाएसे य, मोहणिज्जस्स य कम्मस्स उदएण ? १६ १ त (ब)। ५ जाव (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। २ भ० ११५१ । ६ स. पा०-तेण?ण जाव उदएण । ३ जक्खादेसे (ता), जक्खायेसे (ब), जक्खावेसे ७ उम्मादे (अ) । (क्व)। ८. स० पा०-एव जहेव नेरइयाग नवर देवे । ४ व (ता), वा (स)। Page #689 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६२८ भगवई 10 गोयमा ! • देवे वा से महिड्ढियतराए सुभे पोग्गले पक्खिवेज्जा, से णं तेसि सुभाण पोग्गलाण पक्खिवणयाए जक्खाएस उम्माद पाउणेज्जा, मोहणिज्जस्स वा कम्मस्स उदएण मोहणिज्ज उम्माय पाउणिज्जा • । से तेणट्टेणं जाव उदएण । एव जाव थणियकुमाराण | पुढविक्काडयाण जाव मणुस्साण - एएसि जहा नेरइयाण, वाणमतर - जोइस-वेमाणियाण जहा असुरकुमाराण || काय कररण- पर्द २१ प्रत्थि ण भते । पज्जपणे' कालवासी वुट्टिकाय पकरेति' ? हता ग्रत्थि ॥ २२ जाहेण भते ! सक्के देविंदे देवराया वुट्टिकाय काउकामे भवइ से कह मियाणि पकरेति ? गोयमा । ताहे चेव ण से सक्के देविदे देवराया अविभतरपरिसर देवे सद्दावेइ । तर ण ते प्रभितरपरिसगा देवा सद्दाविया समाणा मज्झिमपरिसए देवे सद्दावेति । तएण ते मज्झिमपरिसगा देवा सद्दाविया समाणा वाहिरपरिसए देवे सद्दावेति । तए ण ते बाहिरपरिसगा देवा सद्दाविया समाणा बाहिरबाहिरगे देवे सद्दावेति । तएण ते वाहिरबाहिरगा देवा सद्दाविया समाणा श्राभिश्रोगिए देवे सद्दावेति । तए ण ते " " प्राभिश्रोगिया देवा° सद्दाविया समाणा वुट्ठिकाइए देवे सद्दावेति । तएण ते वुट्टिकाइया देवा सद्दाविया समाणा वुट्टिकाय पकरेति । एव खलु गोयमा । सक्के देविंदे देवराया वुट्टिकाय पकरेति ॥ २३ प्रत्थि ण भते । असुरकुमारा वि देवा वुट्टिकाय पकरेति ? 1 हता ॥ २४ किंपत्तियण भते ! असुरकुमारा देवा वुट्टिकाय पकरेति ? गोयमा | जे इमे अरहता भगवतो - एएसि ण जम्मणमहिमासु वा निक्खमणमहिमासु वा नाणुप्पायमहिमासु वा परिनिव्वाणमहिमासु वा, एव खलु .गोयमा । असुरकुमारा देवा वुट्टिकाय पकरेति । एव नागकुमारा वि, एव जाव थणियकुमारा । वाणमतर- जोइसिय-वेमाणिया एव चेव ॥ तमुक्कायकरण-पदं २५ जाहे ण भते ! ईसाणे देविंदे देवराया तमुक्काय काउकामे भवति से कहमियाणि पकरेति ? १ स० पा० - सेस त चेव । २ पज्जुण्णे (क, ता, म ) । ३. इह स्थाने शक्रोपि त प्रकरोतीति दृश्यम् (वृ)। ४ ० परिसोववण्णगा ( अ, ख, ब ) । ५. स० पा०- - ते जाव सद्दाविया । Page #690 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चोद्द सम सत (तइओ उद्देसो) ६२६ गोयमा ताहे चेव ण से ईसाणे देविदे देवराया अन्भितरपरिसए देवे सहावेति । तए ण ते अभितरपरिसगा देवा सद्दाविया समाणा मज्झिमपरिसए देवे सद्दावेति । तए ण ते मज्झिमपरिसगा देवा सद्दाविया समाणा बाहिरपरिसए देवे सद्दावेति । तए ण ते वाहिरपरिसगा देवा सद्दाविया समाणा बाहिरबाहिरगे देवे सद्दावेति । तए ण ते बाहिरबाहिरगा देवा सद्दाविया समाणा आभियोगिए देवे सद्दावेति ° । तए ण ते आभिनोगिया देवा सद्दाविया समाणा तमुक्काइए देवे सद्दावेति । तए ण ते तमुक्काइया देवा सद्दाविया समाणा तमुक्काय पकरेति । एव खलु गोयमा । ईसाणे देविंदे देवराया तमुक्काय पकरेति ॥ २६ अत्थि ण भते । असुरकुमारा वि देवा तमुक्काय पकरेति ? हता अत्थि ॥ किंपत्तिय ण भते । असुरकुमारा देवा तमुक्काय पकरेति ? गोयमा | किड्डा-रतिपत्तिय वा पडिणीयविमोहणट्ठयाए वा गुत्तीसारक्खणहेउ वा अप्पणो वा सरीरपच्छायणट्ठयाए, एव खलु गोयमा | असुरकुमारा वि देवा तमुक्काय पकरेति । एव जाव' वेमाणिया ।। २८ सेव भते । सेव भते । त्ति जाव' विहरइ ॥ तइनो उद्देसो विणयविहि-पदं २६ 'देवे ण भते । महाकाए महासरीरे अणगारस्स भावियप्पणो मज्झमज्झण" वीइवएज्जा? गोयमा । अत्थेगतिए वीइवएज्जा, अत्थेगतिए नो वीइवएज्जा ।। '३० से केणटेण भते । एव वुच्चइ-अत्थेगतिए वीइवएज्जा, अत्थेगतिए नो वीइवएज्जा? गोयमा । दुविहा देवा पण्णत्ता, त जहा-मायीमिच्छादिट्ठीउववन्नगा य, १. स० पा०-एव जहेव सक्कस्स जाव तए । २ भ० १४।२३। ३. भ० ११५१ । ४. उद्देशकस्य प्रारम्भे क्वचिदिय द्वारगाथा दृश्यते महक्काए सक्कारे, सत्येण वीईवयति देवा उ। वास चेव य ठाणा, नेरइयाण तु परिणामे ॥ ५. मज्झेण मज्झण (अ, क, ख, ता, ब)। Page #691 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६३० भगवई अमायीसम्मदिवीउववन्नगा य। तत्थ णं जे से मायीमिच्छदिट्रीउववन्नए' देवे से ण अणगार भावियप्पाण पासड, पासित्ता नो वदइ, नो नमसइ, नो सक्कारेइ, नो सम्माणेड, नो कल्लाण मगल देवय चेइय' पज्जुवासइ । से ण अणगारस्स भावियप्पणो मज्झमझेण वीइवएज्जा। तत्थ ण जे से अमायीसम्मद्दिट्टीउववन्नए देवे से ण अणगार भावियप्पाणं पासड, पासित्ता वइड नमसइ' सक्कारेइ सम्माणेइ कल्लाण मगल देवय चेइय° पज्जुवासइ। से ण अणगारस्स भावियप्पणो मज्झमझेण नो वीडवएज्जा। से तेणट्रेण गोयमा ! एव वच्चई- प्रत्येगतिए वीइवएज्जा, अत्थेगतिए नो वीइवएज्जा। ३१ असुरकुमारे ण भते । महाकाए महासरीरे अणगारस्स भावियप्पणो मज्झ मज्झेण वीइवएज्जा ? एव चेव । एव देवदडयो भाणियबो जाव' वेमाणिए । ३२. अत्थि ण भते । नेरइयाण सक्कारे इ वा ? सम्माणे इ वा ? किइकम्मे इ वा? अभदाणे इ वा ? अजलिपग्गहे इ वा ? ग्रासणाभिग्गहे इ वा ? आसणाणुप्पदाणे इ वा ? एतस्स पच्चुग्गच्छणया' ? ठियस्स पज्जुवासणया ? गच्छतस्स पडिससाहणया? नो इणढे समढें ॥ ३३. अत्थि ण भते । असुरकुमाराण सक्कारे इ वा ? सम्माणे इ वा जाव गच्छतस्स पडिससाहणया वा? हता अस्थि । एव जाव थणियकुमाराण। पुढविकाइयाण जाव चरिदियाण एएसिं जहा नेरइयाण ।। ३४ अत्थि ण भते । पचिदियतिरिक्खजोणियाण सक्कारे इ वा जाव गच्छतस्स पडिससाहणया वा? हंता अस्थि । नो चेव ण पासणाभिग्गहे इ वा, आसणाणुप्पयाणे इ वा ॥ अत्थि ण भते ! मणुस्साण सक्कारे इ वा ? सम्माणे इ वा? किइकम्मे इ वा ? अन्भुट्ठाणे इ वा ? अजलिपग्गहे इ वा ? आसणाभिग्गहे इ वा ? आसणाणुप्पदाणे इ वा ? एतस्स पच्चुग्गच्छणया ? ठियस्स पज्जुवासणया ? गच्छतस्स पडिससाहणया ? हता अत्थि । वाणमतर-जोइस-वेमाणियाण जहा असुरकुमाराण ।। १. • मिच्छट्ठिी ० (अ, क, ख, व, म, स)। २. जाव (अ, क, ख, ता, व, म, स)। ३. स० पा०—नमंसइ जाव पज्जुवासइ । ४. स० पा०--बुच्चइ जाव नो। ५. भ०१४।२३। ६. इ तस्स (अ)। ७. पच्चप्पत्यणया (अ)। ८. एसिं (क, ख, ता, व, म)। ६. स० पा०-मणुस्साण जाव वेमाणियाण । Page #692 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६३१ चोद्दसम सत (तइओ उद्देसो) ३६ अप्पिड्ढिए' ण भते । देवे महिड्ढियस्स देवस्स मज्झमझेण वीइवएज्जा ? नो इण? समढे ॥ ३७ समिड्ढिए' ण भते | देवे समिड्ढियस्स देवस्स मज्झमझेण वीइवएज्जा ? नो इण? समढे, पमत्त पुण वीइवएज्जा ॥ ३८ से ण भते । किं सत्येण अक्कमित्ता पभू ? अणक्कमित्ता पभू ? गोयमा | अक्कमित्ता पभू, नो अणक्कमित्ता पभू ।। ३६. से ण भते । किं पुवि सत्येण अक्कमित्ता पच्छा वीइवएज्जा ? पुवि वीइव इत्ता पच्छा सत्येण अक्कमेज्जा ? गोयमा । पुदि सत्येण अक्कमित्ता पच्छा वीइवएज्जा, नो पुत्वि' वीइवइत्ता पच्छा सत्थेण अक्कमिज्जा । एव एएण अभिलावेण जहा दसमसए आइड्ढीउद्देसए तहेव निरवसेस चत्तारि दडगा भाणियव्वा जाव' महिड्ढिया वेमाणिणी अप्पिड्ढियाए वेमाणिणीए॥ रयणप्पभपूढविनेरइया ण भते । केरिसय पोग्गलपरिणाम पच्चणुब्भवमाणा विहरति ? गोयमा । अणि?' 'अकत अप्पिय असुभ अमणुण्ण ° अमणाम । एव जाव अहेसत्तमापुढविनेरइया । ५.रयणप्पभपुढविनेरइया ण भते । केरिसय वेदनापरिणामं पच्चणुब्भवमाणा विहरति ? गोयमा । अणि? जाव' अमणाम ।' एव जहा जीवाभिगमे बितिए नेरइयउ इसए जाव'४२ ग्रहेसत्तमापुढविनेरइया ण भते । केरिसय परिग्गहसण्णापरिणाम पच्चणम्भ वमाणा विहरति ? गोयमा ! अणि? जाव अमणाम ।। ४३ सेव भते । सेव भते । त्ति ॥ १. अप्पिड्ढीए (अ, क, ता, व, म, स)। ५ स० पा०-अणि जाव अमणाम । २ समिड्ढीए (अ, क, व, म), समड्ढीए (ता, ६ स० पा०-एव वेदणापरिणाम। स)। ७ जी० ३। ३ आतिड्ढीयउद्देसए (ता, ब, म) । ८. भ० ११५१ । ४. भ० १०१२८-३८ । Page #693 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६३२ चउत्थो उद्देसो पोग्गल - जीव- परिणाम-पदं ४४ 'एस ण भंते । पोग्गले तीतमणत सासयं समय लुक्खी ? समयं अलुक्खी ? समय लुक्खी वा लुक्खी वा ? पुव्वि च ण करणेणं श्रणेगवणं ग्रणेगरूव परिणाम परिणमड ? ग्रहे से परिणामे निज्जिणे भवइ, तम्रो पच्छा एगवण्णे एगरूवे सिया ? ९ हता गोयमा ! एस ण पोग्गले तीतमणत सासय समय त चेव जाव एगरूवे सिया || ४५ एस ण भते ! पोग्गले पडुप्पन्न सासय समय लुक्खी ? एव चेव ।। ४६ एस ण भते | पोग्गले ग्रणागयमणंत सासय समय लुक्खी ? एव चेव° ॥ ४७. एस ण भते । खधे तीतमणंत सासय समय लुक्खी ? एव चेव खधे वि जहा पोग्गले || भगवई ४८. एस ण भते ! जीवे तीतमणत सासय समय दुक्खी ? समय दुक्खी ? समय दुक्खी वा अदुक्खी वा ? पुव्वि च ण करणेणं अगभाव अगभूयं परिणामं परिणमइ ? ग्रहे से वेयणिज्जे निजिण्णे भवइ, तम्रो पच्छा एगभावे एगभूए सिया ? हता गोयमा ! एस ण जीवे तीतमणत सासय समयं जाव एगभूए सिया । एवं पडुप्पन्नं सासयं समयं, एवं अणागयमणत सासय समयं ॥ ४६. परमाणुपोग्गले ण भते ! किं सासए ? असास ए ? गोयमा ! सिय सासए, सिय सासए | ५०. से केणट्टेण भते ! एव बुच्चइ - सिय सासए, सिय प्रसासए ? 1 गोयमा । दव्वट्टयाए सासए, वण्णपज्जवेहिं गवपज्जवेहिं रसपज्जवेहि फासपज्जवेहिं असासए । से तेणट्ठेण' 'गोयमा । एव वुच्चइ ० - सिय सासए, सिय असासए || ५१. परमाणुपोग्गले ण भते । किं चरिमे ? अचरिमे ? गोयमा ! दव्वादेसेणं नो चरिमे, अचरिमे । खेत्तादेसेणं सिय चरिमे, सिय अचरिमे । कालादेसेण सिय चरिमे, सिय अचरिमे । भावादेसेणं सिय चरिमे, सिय चरिमे ॥ १. इह पुनरुद्देशकार्यंसग्रहगाथा क्वचिद् दृश्यते, सा चेय— १. पोग्गल ४. परमाणू ६. दुविहे खलु परिणामे, २ खधे ३. जीवे, ५. सासए य चरमे य । अज्जीवाणं च जीवाणं ॥ २. सं० पा० - एव अणागयमणंत पि । ३. स० पा० - वण्णवज्जवेहिं जाव फास । ४. स० पा० – तेणट्टेण जाव सिय । ० Page #694 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६३३ चोद्दसमं सत (पंचमो उद्देसो) ५२. कतिविहे ण भते । परिणामे पण्णत्ते ? गोयमा | दुविहे परिणामे पण्णत्ते, त जहा-जीवपरिणामे य, अजीवपरिणामे य। एव परिणामपय' निरवसेस भाणियव्व ।। ५३ सेव भंते । सेव भते ! त्ति जाव' विहरइ॥ पंचमो उद्देसो प्रगणिकायस्स प्रतिक्कमण-पदं ५४ 'नेरइए ण भते | अगणिकायस्स मज्झमझेणं वीइवएज्जा ? गोयमा । अत्थेगतिए वीइवएज्जा, अत्थेगतिए नो वीइवएज्जा ।। ५५ सेकेणद्वेण भते । एव वुच्चइ-अत्थेगतिए वीइवएज्जा, अत्थेगतिए नो वीइव एज्जा ? गोयमा | नेरइया दुविहा पण्णत्ता, त जहा-विग्गहगतिसमावन्नगा य, अविग्गहगतिसमावन्नगा य । तत्थ ण जे से विग्गहगतिसमावन्नए नेरइए से ण अगणिकायस्स मज्झमझेण वीइवएज्जा। से ण तत्थ झियाएज्जा? नो इणढे समढे, नो खलु तत्थ सत्थं कमइ । तत्थ ण जे से अविग्गहगतिसमावन्नए नेरइए से ण अगणिकायस्स मज्झमझेण नो वीइवएज्जा । से तेण?ण जाव नो वीइवएज्जा ॥ ५६. असुरकुमारे ण भते । अगणिकायस्स मज्झमझेण वीइवएज्जा ? ० गोयमा । अत्थेगतिए वीइवएज्जा, अत्थेगतिए नो वीइवएज्जा ।। ५७. से केणद्वेण जाव नो वीइवएज्जा ? गोयमा | असुरकुमारा 'दुविहा पण्णत्ता, त जहा-विग्गहगतिसमावन्नगा य, अविग्गहगतिसमावन्नगा य । तत्थ ण जे से विग्गहगतिसमावन्नए-असरकूमारे से ण-एव-जहेव नेरइए जाव कमइ । तत्थ णं जे से अविग्गहगतिसमावन्नए १. प. १३।। २. भ० ११५१ । ३. इह च क्वचिदुद्देशकार्थसग्रहगाथा दृश्यते, सा चेयनेरइय अगणिमज्झे, दस ठाणा तिरिय पोग्गले देवे। पव्वयभित्ती उल्लघणा, य पल्लघणा चेव ॥ ४. मज्झेरण मज्झेण (अ, क, ख, ता, ब)। ५. स०पा०-पुच्छा । Page #695 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६३४ भगवई असुरकुमारे से ण ग्रत्येगतिए ग्रगणिकायस्स मज्झमज्भेण वीइवएज्जा, अत्येतिए नो वीइवएज्जा । जेण वीइवएज्जा से ण तत्थ झियाएज्जा ? नो इट्टे समट्ठे, नो खलु तत्थ सत्थ कमइ । से तेणद्वेण । एव जाव थणियकुमारा । एगिदिया जहा नेरइया ॥ ५८. वेइदिया ण भते । श्रगणिकायस्स मज्झमज्झेण वीइवएज्जा ? जहा सुरकुमारे तहा बेइदिएवि, नवर जेण वीइवएज्जा से ण तत्थ झियाएज्जा ? हता झियाएज्जा | सेस त चेव । एव जाव चउरिदिए । ५६ पचिदियतिरिक्खजोणिए ण भते । गणिकायस "मज्झमज्भेण वीइव - एज्जा • ? गोमा । प्रत्थेगतिए वीइवएज्जा, ग्रत्थेगतिए नो वीइवएज्जा | ६० सेकेणट्टेण ? गोयमा । पचिदियतिरिक्खजोणिया दुविहा पण्णत्ता, त जहा - विग्गहगतिसमावन्नगा य, अविग्गहगतिसमावन्नगा य | विग्गहगतिसमावन्नए जहेव नेरइए जाव नो खलु तत्थ सत्थ कमइ । अविग्गहगतिसमावन्नगा पचिदियतिरिक्खजो - णिया दुविहा पण्णत्ता, त जहा - इड्ढिप्पत्ता य, अणिढिपत्ता य । तत्थ ण जे से इत्ते पचिदियतिरिक्खजोणिए से ण प्रत्येगतिए अगणिकायस्स मज्झमज्झेण वीइवएज्जा, प्रत्येगतिए नो वीइवएज्जा । जेण वीइवएज्जा से ण तत्थ झियाएज्जा ? नो इणट्ठे समट्ठे, नो खलु तत्थ सत्थ कमइ । तत्थ ण जे से प्रणिढिप्पत्ते पचिदियतिरिक्खजोणिए से ण प्रत्येगतिए अगणिकायस्स मज्झमज्भेण वीइवएज्जा, प्रत्येगतिए नो वीइवएज्जा । जेण वीइवएज्जा से ण तत्थ झियाएज्जा ? हता भियाज्जा | से तेणट्टेण जाव नो वीइवएज्जा । एव मणुस्से वि । वाणमतर-जोइसिय-वेमाणिए जहा असुरकुमारे ॥ पच्चणुभव-पदं ६१. नेरइया दस ठाणाइ पच्चणुब्भवमाणा विहरति, त जहा - प्रणिट्ठा सद्दा, प्रणिट्ठा रूवा, प्रणिट्ठा गधा, अणिट्ठा रसा, अणिट्ठा फासा, अणिट्टा गती, प्रणिट्ठा ठिती, अणिट्टे लावण्णे', प्रणिट्टे जसे कित्ती, प्रणिट्टे उट्ठाण - कम्म' -बल-वीरिय- पुरिसक्कार-परक्कमे ॥ १ स० पा० २. लायणे (ता) । पुच्छा । ३ कम्मए (ता) | Page #696 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चोसम सत ( पचमो उद्देसो) ६३५ ६२ असुरकुमारा दस ठाणाइ पच्चणुब्भवमाणा विहरति, त जहा - इट्ठा सद्दा, इट्ठा रूवा जाव इट्ठे उट्ठाण -कम्म-बल-वीरिय- पुरिसक्कार- परक्कमे । एव जाव थणिकुमारा ॥ ६३ पुढविक्काइया छट्टाणाइ पच्चणुब्भवमाणा विहरति त जहा - इट्ठाणिट्ठा फासा, ट्ठा गती, व जाव पुरिसक्कार - परक्कमे । एव जाव वणस्सइकाइया ॥ ६४ बेइदिया' सत्तट्ठाणाइ पच्चणुभवमाणा विहरति, त जहा - इट्ठाणिट्ठा रसा, सेस जहा एगिदियाण ॥ ६५ तेइदिया अठ्ठट्ठाणाइ पच्चणुव्भवमाणा विहरति, त जहा - इट्ठाणिट्ठा गधा, सेस जहा बेइदियाण ॥ ६६ चउरिदिया नवद्वाणाइ पच्चणुब्भवमाणा विहरति, त जहा - इट्ठाणिट्ठा रुवा, से जहा तेsदियाण ॥ ६७ पचिदियतिरिक्खजोणिया दस ठाणाइ पच्चणुब्भवमाणा विहरति, त जहाइट्ठाणिट्ठा सद्दा जाव पुरिसक्कार - परक्कमे । एव मणुस्सा वि, वाणमतर - जोइसिय-वेमाणिया जहा असुरकुमारा । देवस्स उल्लघण - पल्लंघण-पदं 1 ६८. देवे ण भते | महिड्ढीए जाव' महेसक्खे' बाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता पभू तिरियपव्वय वा तिरियभित्ति वा उल्लघेत्तए वा पल्लवेत्तए वा ? *नो इणट्ठे समट्ठे ॥ 1 ६६. देवे ण भते । महिड्ढीए जाव महेसक्खे बाहिरए पोग्गले परियाइत्ता पभू तिरिय पव्वय वा तिरियभित्ति वा उल्लघेत्तए वा • पल्लवेत्तए वा o ? ७० हता पभू ॥ सेव भते । सेव भते । त्ति' ॥ १ वेंदिया (व) | २ भ० १।३३६ । ३. महेसक्के (ब) । ४. गोनो ( अ, ख ) । ५ स० पा० - तिरिय जाव पल्लवेत्तए । ६ भ० १।५१ । Page #697 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई छट्ठो उद्देसो नेरइयादीणं किमाहारादि-पद ७१. रायगिहे जाव' एव वयासि-नेरइया ण भते । किमाहारा, किंपरिणामा, किजोणिया, किठितीया पण्णत्ता ? गोयमा | नेरइया ण पोग्गलाहारा, पोग्गलपरिणामा, पोग्गलजोणिया, पोग्गलद्वितीया, कम्मोवगा, कम्मनियाणा, कम्मट्टितीया, कम्मुणामेव' विप्परिया समेति । एव जाव वेमाणिया । ७२ नेरइया ण भते । कि वीचीदव्वाइपाहारेति ? अवीचीदव्वाइंशाहारेति ? गोयमा ! नेरइया वीचीदव्वाइ पि आहारेति, अवीचीदव्वाइं पिं आहारेति ॥ ७३. से केणट्रेण भते । एव वुच्चइ-नेरइया वीची' दव्वाइ पि आहारेति, अवीची दव्वाइ पि आहारेति ? गोयमा । जे ण नेरइया एगपएसूणाइ पि दव्वाइ अाहारेति, ते ण नेरइया वीचीदव्वाइ अाहारेति, जे ण नेरइया पडिपुण्णाइ दवाइ अाहारेति, ते ण नेरइया अवीचीदव्वाइ आहारेति । से तेण?ण गोयमा । एव वच्चइ'नेरइया वीचीदव्वाइ पि आहारेति, अवीचीदव्वाइं पि° आहारेति । एव जाव वेमाणिया ॥ देविदाण भोग-पद ७४. जाहे ण भते ! सक्के देविंदे देवराया दिव्वाइ भोगभोगाइ भुजिउकामे भवइ से कहमियाणि पकरेति ? गोयमा। ताहे चेव ण से सक्के देविदे देवराया एग मह नेमिपडिरूवग विउव्वइ-एग जोयणसयसहस्स आयामविक्खभेण, तिण्णि जोयणसयसहस्साइ जाव' अद्धगुल च किचिविसेसाहिय परिक्खेवेण । तस्स ण नेमिपडिरूवगस्स" उरि बहसमरमणिज्जे भूमिभागे पण्णते जाव'२ मणीण फासो। तस्स ण नेमिपडिरूवगस्स बहुमज्झदेसभागे, एत्थ" ण मह एगं पासायवडेसग विउव्वइ १. भ० १२४-१० । २. किंजोणीया (अ, ब, म)। ३. कम्मणामेव (व)। ४. वीचि ° (अ, क, ख, ब, म, स)। ५. स० पा०—त चेव जाव आहारति । ६. स० पा०-वुच्चइ जाव आहारति । ७. °णिया आहारेंति (स) । ' ८. भोजिउकामे (ख), भुजउकामे (स)। ६. भ० ६१७५। १०. नेमिरुवस्स (ख, ता, ब)। ११ अवरि (ख, ता, म), अवरि (ब)। १२. राय० सू० २४-३१ । १३. तत्थ (अ, क, ता, व, म, स)। Page #698 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चोद्दसम सत (छट्ठो उद्देसो) ६३७ पच जोयणसयाइ उड्ढ उच्चत्तेण, अड्ढाइज्जाइं जोयणसयाइ विक्खभेण, अब्भुग्गय-मूसिय-पहसियमिव वण्णो जाव' पडिरूव । तस्स ण पासायवडेसगस्स उल्लोए पउमलयाभत्तिचित्ते जाव' पडिरूवे । तस्स ण पासायवडेसगस्स अतो बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे जाव मणीण फासो, मणिपेढिया अट्ठजोयणिया जहा' वेमाणियाण । तीसे ण मणिपेढियाए उवरि मह 'एगे देवसयणिज्जे" विउव्वइ, सयणिज्जवण्णो जाव' पडिरूवे । तत्थ ण से सक्के देविदे देवराया अहि अग्गमहिसीहिं सपरिवाराहि, दोहि य अणिएहि-नट्टाणिएण य गधव्वाणिएण य सद्धि महयायनट्ट'-गीय-वाइय-तती-तल-ताल-तुडिय-घणमुइगपडुप्पवाइय रवेण° दिव्वाइ भोगभोगाइ भुजमाणे विहरइ ।। ७५ जाहे ईसाणे देविंदे देवराया दिव्वाइ भोगभोगाइ भुजिउकामे भवइ से कहमि याणि पकरेति ? जहा सक्के तहा ईसाणे वि निरवसेस । एव सणकुमारे वि, नवर-पासायवडेसो छ जोयणसयाइ उड्ढ उच्चत्तेण, तिण्णि जोयणसयाइ विक्खभेण, मणिपेढिया तहेव अट्ठजोयणिया। तीसे ण मणिपेढियाए उवरिं, एत्थ ण महेग सीहासण विउव्वइ, सपरिवार भाणियव्व । तत्थ ण सणकुमारे देविदे देवराया वावत्तरीए सामाणियसाहस्सीहि जाव' चउहि य बावत्तरीहि आयरक्खदेवसाहस्सीहि य वहूहिं सणकुमारकप्पवासीहि वेमाणिएहि देवे हि य देवीहि य सद्धि सपरिवुडे महयाहयनट्ट जाव" विहरइ । एव जहा सणकुमारे तहा जाव पाणो अच्चुओ, नवर-जो जस्स परिवारो सो तस्स भाणियव्वो"। पासायउच्चत्त-ज सएसु-सएसु कप्पेसु विमाणाण उच्चत्त, अद्धद्ध वित्थारो जावर अच्चुयस्स नवजोयणसयाइ उड्ढ उच्चत्तेण, अद्धपचमाइ जोयणसयाइ विक्खभेण । 'तत्थ ण' अच्चुए देविदे देवराया दसहिं सामाणियसाहस्सीहिं जाव विहरइ, सेस त चेव ॥ ७६ सेव भते । सेव भते । त्ति" ॥ १ राय० सू० १३७ । २. राय० सू० ३४ । ३. राय० सू० ३६ । ४ विभक्तिव्यत्ययेन 'एग देवसयणिज्जं'। ५ राय० सू० २४५। ६. अणिएहिं त (अ)। ७. स० पा०-महयाहयनट्ट जाव दिव्वाइ। ८. राय० सू० ३७-४४ । ६ प० २। १० भ०१४।७४। ११ प० २ । १२ भ०१११९४ । १३. एत्थ ण गो (अ)। १४. भ० ११५१ ।' Page #699 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६३८ ७८ सत्तमो उद्देसो गोयमस्स श्रासासण-पदं ७७ रायगिहे जाव' परिसा पडिगया । गोयमादी । समणे भगवं महावीरे भगव गोयम आमतेत्ता एव वयासी - चिर ससिट्ठोसि मे गोयमा । चिरसथुप्रोसि मे गोयमा | चिरपरिचिओसि मे गोयमा । चिरजुसिप्रोसि मे गोयमा । चिरा सि मे गोयमा । चिराणुवत्तीसि मे गोयमा । प्रणतर देवलोए ग्रणतर माणुस्सए भवे, कि पर मरणा कायस्स भेदा इश्रो चुता दो वि तुल्ला एगट्ठा प्रविसेसमणाणत्ता भविस्सामो ॥ जहा ण भते । वय एयमट्ठ जाणामो पासामो, तहा ण प्रणुत्तरोववाडया वि देवा एयम जाणति - पासति ? 1 हता गोयमा । जहा ण वय एयमट्ठ जाणामो-पासामो, तहा ण ग्रणुत्तरोववाइया वि देवा एयम जाणति - पासति ।। ७६ सेकेणट्टेण' भते । एव वच्चइ – वय एयमट्ठ जाणामो-पासामो, तहाण अणुत्तरोववाइया वि देवा एयभट्ट जाणति - पासति ? गोयमा । प्रणुत्तरोववाइयाण प्रणताओ मणोदव्ववग्गणाश्रो लद्धाओ पत्ता अभिसमण्णागयाओ भवति । से तेणट्टेण गोयमा । एव वच्चइ - वय एयमट्ठ जाणामो-पासामो, तहा ण प्रणुत्तरोववाइया वि देवा एयमट्ठ जाणति - पासति ॥ भगवई तुल्लय-पदं ८०. कतिविहे ण भते । तुल्लए पण्णत्ते ? गोयमा । छव्विहे तुल्लए पण्णत्ते, त जहा - दव्वतुल्लए, खेत्ततुल्लए, कालतुल्लए, भवतुल्लए, भावतुल्लए, सठाणतुल्लए || ८१. से केणट्टेण भते । एव वुच्चइ - दव्वतुल्लए-दव्वतुल्लए ? गोयमा । परमाणुपोग्गले परमाणुपोग्गलस्स दव्वत्र तुल्ले, परमाणुपोग्गले परमाणुपोग्गलवइरित्तस्स दव्वओ नो तुल्ले | दुपए सिए खधे दुपएसियस्स खधस्स दब्वत्र तुल्ले, दुपए सिए खधे दुपए सियवइरित्तस्स खधस्स दव्वम्रो नो तुल्ले । एव जाव दसपएसिए । तुल्लसखेज्जपएसिए खधे तुल्लसखेज्जपएसियस्स खधस्स दव्वम्रो तुल्ले, तुल्लस खेज्जपएसिए खधे तुल्लसखेज्जप एसियवइरित्तस्स खधस्स दव्वप्रो नो तुल्ले, एव तुल्लप्रसखेज्जपएसिए वि, एव तुल्ल १. भ० ११४-८ २. चिरभुसिसि (ता, म) 1 ३. स० पा०—केणट्टेग जाव पासति । ४. सं० पा० - वुच्चइ जाव पासति । Page #700 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६३६ चोद्दसमं सतं (सत्तमो उद्देसो) अणतपएसिए वि । से तेणद्वेण गोयमा | एव वुच्चइ-दव्वतुल्लए-दव्वतुल्लए। से केण?ण भते । एव वुच्चइ-खेत्ततुल्लए-खेत्ततुल्लए? गोयमा | एगपएसोगाढे पोग्गले एगपएसोगाढस्स पोग्गलस्स खेत्तमो तुल्ले, एगपएसोगाढे पोग्गले एगपएसोगाढवइरित्तस्स पोग्गलस्स खेत्तो नो तुल्ले, एव जाव दसपएसोगाढे । तुल्लसखेज्जपएसोगाढे •पोग्गले तुल्लसखेज्जपएसोगाढस्स पोग्गलस्स खेत्तमो तुल्ले, तुल्लसखेज्जपएसोगाढे पोग्गले तुल्लसखेज्जपएसोगाढवइरित्तस्स पोग्गलस्स खेत्तो नो तुल्ले °, एवं तुल्लअसखेज्जपएसोगाढे वि। से तेणट्रेण' 'गोयमा | एव वुच्चइ ° ---खेत्ततुल्लए-खेत्ततुल्लए। से केण?ण भते ! एव वुच्चइ-कालतुल्लए-कालतुल्लए? गोयमा । एगसमयठितीए पोग्गले एगसमयठितीयस्स पोग्गलस्स कालो तुल्ले, एकसमयठितीए पोग्गले एगसमयठितीयवइरित्तस्स पोग्गलस्स कालओ नो तुल्ले, एव जाव दससमयद्वितीए, तुल्लसखेज्जसमयद्वितीए एव चेव, एव तुल्लअसखेज्जसमयढ़ितीए वि । से तेणतुण' *गोयमा । एव वुच्चइ°कालतुल्लए-कालतुल्लए। से केणद्वेण भते । एव वुच्चइ-भवतुल्लए-भवतुल्लए? गोयमा | नेरइए नेरइयस्स भवट्ठयाए तुल्ले, नेरइयवइरित्तस्स भवट्ठयाए नो तुल्ले, तिरिक्खजोणिए एव चेव, एव मणुस्से, एव देवे वि। से तेणद्वेण' 'गोयमा । एव वुच्चइ -भवतुल्लए-भवतुल्लए। से केणटुण भते । एव वुच्चइ-भावतुल्लए-भावतुल्लए? गोयमा । एगगुणकालए पोग्गले एगगुणकालगस्स' पोग्गलस्स भावो तुल्ले, एगगुणकालए पोग्गले एगगुणकालावइरित्तस्स पोग्गलस्स भावो नो तुल्ले, एव जाव दसगुणकालए, एव तुल्लसखेज्जगुणकालए पोग्गले, एव तुल्लअसखेज्जगुणकालए वि, एव तुल्लअणतगुणकालए वि। जहा कालए, एव नीलए, लोहियए, हालिद्दए, सुक्किलए। एव सुभिगधे, एव दुन्भिगधं । एव तित्ते जाव" महुरे । एव कवखडे जाव लुक्खे । अोदइए भावे अोदइयस्स भावस्स भावो तुल्ले, ओदइए भावे प्रोदइयभाववइरित्तस्स भावस्स भावो नो तुल्ले, एव प्रोवसमिए, खइए, खोवसमिए, पारिणामिए। सन्निवाइए भावे सन्निवाइयस्स १. स० पा०—तुल्लसखेज्ज । २ स० पा०-तेरण?ण जाव खेत्ततुल्लए । ३ स पा०-तेण?ण जाव कालतुल्लए । ४. स० पा०-तेणटुंण जाव भवतुल्लए । ५. कालस्स (अ, क, व, स)। ६ ० काल ° (अ, ख, स), स्वीकृतपाठे एकपदे सन्धि । ७. भ० ८।३६ । ८ भ० ८।३६ , Page #701 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ? भावस्स भावग्रो तुल्ले, सन्निवाइए भावे सन्निवाइयभाववइरित्तस्स भावस्स भावप्रो नो तुल्ले । से तेणट्टेण गोयमा । एव वच्चइ - भावतुल्लए भावतुल्लए । से केणद्वेण भते ! एव वुच्चइ - सठाणतुल्लए-सठाणतुल्लए गोयमा । परिमडले सठाणे परिमंडलस्स सठाणस्स सठाणओ तुल्ले परिमंडले सठाणे परिमंडलसठाणवइरित्तस्स सठाणस्स सठाणत्रो नो तुल्ले, एवं वट्टे, तसे, चउरसे, ग्रायए । समचउरससठाणे समचउरसस्स मठाणस्स सठाणग्रो तुल्ले समचउरसे सठाणे समचउरससठाणवरित्तस्स सठाणस्स सठाणश्रो नो तुल्ले, 'एव परिमडले वि", एव' साई खुज्जे वामणे • हुडे । से तेणट्टेण' गोयमा । एव वच्चइ ० - सठाणतुल्लए सठाणतुल्लए || o O भत्तपच्चक्खायस्स आहार - पदं ८२ भत्तपच्चक्खायए ण भते । अणगारे मुच्छिए गिद्धे गढिए • ग्रोववन्ते आहारमाहारेति, ग्रहे ण वीससाए काल करेइ, तो पच्छा अमुच्छिए अगिद्धे श्रगढिए' प्रणज्झोववन्ने ग्राहारमाहारेति ? ६४० हंता गोयमा । भत्तपच्चक्खायए णं अणगारे "मुच्छिए गिद्धे गढिए अज्झोववन्ने आहारमाहारेति, ग्रहेण वीससाए काल करेइ, तम्रो पच्छा अमुच्छिए अगिद्धे अगढिए अणज्भोववन्ने आहारमाहारेति ॥ 1 O ८३ से केणट्टेण भंते । एव वुच्चइ–भत्तपच्चक्खायए ण अणगारे मुच्छिए गिद्धे गढिए अज्झोववन्ने आहारमाहारेति, अहे ण वीससाए काल करेइ, तो पच्छा अमुच्छिए अगिद्धे अगढिए प्रणज्भोववन्ने ग्राहारमाहारेति ? गोयमा ! भत्तपच्चक्खायए ण अणगारे मुच्छिए' 'गिद्धे गढिए • ग्रभोववन्ने आहारे' भवइ, अहे ण वीससाए कालं करेइ, तो पच्छा ग्रमुच्छिए " अगिद्धे अगढिए प्रणज्भोववन्ने आहारे भवइ । से तेणट्टेण गोयमा जाव आहार माहारेति ॥ लवसत्तम देव-पदं o ८४. ग्रत्थि ण भंते ! लवसत्तमा देवा, लवसत्तमा देवा ? हता थि || १. X ( अ, ख ); एव जाव परिमडले वि (क, ता, व, म) । २. सं० पा० - एव जाव हुडे । - ३. स० पा० – तेरणट्ठेण जाव सठाणतुल्लए । ४. सं० पा०- - मुच्छिए जाव अज्झोववन्ने । ५. जाव ( अ, क, ख, ता, व, म, स ) । ६. स० पा०त चेव । ७. स० पा० - तं चैव । ८० पा० - मुच्छिए जाव अज्झोववन्ने । ६. अत्रकपदे सन्धिस्तेन 'आहारए' इति स्थाने 'ग्राहारे' इति प्रयोगो दृश्यते । १०. स० पा० – अमुच्छिए जाव आहारे । Page #702 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चोद्दसम सत (सत्तमो उद्देसो) ६४१ ८५. से केणट्टेण भते । एवं वुच्चइ-लवसत्तमा देवा, लवसत्तमा देवा? गोयमा ! से जहानामए केइ पुरिसे तरुणे जाव' निउणसिप्पोवगए सालीण वा, वीहीण वा, गोधूमाण वा, जवाण वा, जवजवाण वा पक्काण', परियाताण, हरियाणं, हरियकडाण तिक्खेण नवपज्जणएण' असिएण पडिसाहरिया-पडिसाहरिया पडिसखिविया-पडिसखिविया जाव इणामेव-इणामेव त्ति कटु सत्त लवे लुएज्जा, जदि" ण गोयमा । तेसि देवाण एवतिय काल आउए पहुप्पते तो ण ते देवा तेण चेव भवग्गहणेण सिज्झता' 'बुज्झता मुच्चता परिनिव्वायता सव्वदुक्खाण ° अत करता। से तेण?ण 'गोयमा । एवं वुच्चइ ° - लवसत्तमा देवा, लवसत्तमा देवा ।। अणुत्तरोववाइवदेव-पदं ८६. अत्थि ण भते । अणुत्तरोववाइया देवा, अणुत्तरोववाइया देवा ? हता अत्थि ॥ ८७. से केण?ण भते । एव वुच्चइ-अणुत्तरोववाइया देवा, अणुत्तरोववाइया देवा ? गोयमा अणुत्तरोववाइयाण देवाण अणुत्तरा सद्दा', 'अणुत्तरा रूवा, अणुत्तरा गधा, अणुत्तरा रसा, अणुत्तरा फासा। से तेण?ण गोयमा । एव वुच्चइअणुत्तरोववाइया देवा, अणुत्तरोववाइया देवा ॥ अणुत्तरोववाइया ण भते । देवा केवतिएण कम्मावसेसेण अणुत्तरोववाइयदेवत्ताए उववन्ना? गोयमा । जावतिय छटुभत्तिए समणे निग्गथे कम्म निज्जरेति एवतिएण कम्मावसेसेण अणुत्तरोववाइयदेवत्ताए उववन्ना ।। ५९. सेव भते । सेव भते । ति ॥ १. भ० १४।३। २ पिक्काण (म, स)। ३. नवपज्जएण (क, ता, स), नवपज्जवएण (म)। ४ लए (अ, क, ख, ता, ब), लवए (म, स)। ५ जति (अ, ख, म, स)। ६ वहुप्पते (अ, क), बहुप्पते (ख, व, म, स), पहुप्पते (ता)। ७ सिज्झेज्जा (ता), स० पा०-सिज्झता जाव अते। ८ स० पा०-तेण?ण जाव लवसत्तमा। ६ स० पा०-सहा जाव फासा। १०. भ० ११५१ । Page #703 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६४२ अट्टमो उद्देसो प्रबाहाए अंतर- पद ६०. इमीसे णं भते । रयणप्पभाए पुढवीए सक्करप्पभाए य' पुढवीए केवतिए' अबाहाए' अंतरे पण्णत्ते ? गोयमा । ग्रसखेज्जाइ जोयणसहस्साइं ग्रवाहाए ग्रतरे पण्णत्ते ॥ ६१. सक्करप्पभाए णं भते ! पुढवीए वालुयप्पभाए य पुढवीए केवतिए प्रवाहाए ग्रतरे पण्णत्ते ? एव चेव । एव जाव तमाए ग्रसत्तमाए य ॥ ε२. ग्रहेसत्तमाए णं भते । पुढवीए लोगस्स य केवतिए प्रवाहाए अतरे पण्णत्ते ? गोयमा | ग्रसखेज्जाइ जोयणसहस्साइ अवाहाए अतरे पण्णत्ते || ९३ इमीसे ण भते । रयणप्पभाए पुढवीए जोतिसस्स य केवतिए अवाहाए तरे पण्णत्ते ? ० गोयमा । सत्तनउए जोयणसए प्रवाहाए अतरे पण्णत्ते ॥ ६४ जोतिसस्स ण भते । सोहम्मीसाणाण य कप्पाण केवतिए "प्रवाहाए तरे पण्णत्ते ? O गोयमा | असखेज्जाइ जोयण सहस्साइ प्रवाहाए ६५ सोहम्मीसाणाण भते । सणकुमार - माहिंदाण य पण्णत्ते ? एवं चेव ॥ ε६. " सणकुमार-माहिंदाण भते । वंभलोगस्स कप्पस्स य केवतिए अवाहाए रे पण्णत्ते ? एव चैव ॥ ६७ वभलोगस्स णं भते । लतगस्स य कप्पस्स केवतिए प्रवाहाए अंतरे पण्णत्ते ? एव चेव ॥ ६८. लतयस्स ण भते । महासुक्कस्स य कप्पस्स केवतिए ग्रवाहाए तरे पण्णत्ते ? एव चेव । एवं महासुक्कस्स कप्पस्स सहस्सा रस्स य, एव सहस्सारस्स प्रणय'पाणयाण य कप्पाण", एव प्राणय- पाणयाण प्रारणच्चुयाण य कप्पाण, एव आरच्चुयाण गेवेज्जविमाणाण य, एव गेवेज्जविमाणाण प्रणुत्तरविमाणाण य ॥ १. X ( अ, क, व, म) । २. केवनिय ( अ, क, ख, ता, व, म, स) प्राय । ३. आवाहाए ( अ, क, ता, स) सर्वत्र, अवाहे (ख), आवाहए (व, म) 1 ४ स० पा० पुच्छा | O ५. स० पा० - - पुच्छा । भगवई अतरे पण्णत्ते ॥ केवतिए प्रवाहाए अतरे ६ स० पा०— — जोयण जाव अतरे । ७, पाणयकप्पाण (क, स ) । ८पारण्याण कप्पाण ( अ, क, म) । Page #704 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चोद्दसमं मत (अट्ठमो उद्देसो) ६४३ ६६. अणुत्तरविमाणाण भते । ईसिंपन्भाराए' य पुढवीए केवतिए "प्रवाहाए अतरे पण्णत्ते ? ० ___ गोयमा । दुवालस जोयणे अवाहाए अतरे पण्णत्ते ॥ १०० ईसिंपन्भाराए ण भते । पुढवीए अलोगस्स य केवतिए अवाहाए अतरे पण्णत्ते ? ० गोयमा | देसूण जोयण अवाहाए अतरे पण्णत्ते ।। रुक्खाणं पुणभव-पद १०१ एस ण भते | सालरुक्खे उण्हाभिहए तण्हाभिहए दवग्गिजालाभिहए कालमासे काल किच्चा कहि गमिहिति ? कहिं उववज्जिहिति ? गोयमा । इहेव रायगिहे नगरे सालरुक्खत्ताए पच्चायाहिती। से ण तत्थ' अच्चिय-वदिय-पूइय-सक्कारिय-सम्माणिए दिव्वे सच्चे सच्चोवाए सन्निहिय पाडिहेरे लाउल्लोइयमहिए यावि भविस्सइ ।। १०२ से ण भते । तोहितो अणतर उव्वट्टित्ता कहि गमिहिति ? कहिं उववज्जि हिति ? गोयमा | महाविदेहे वासे सिज्झिहिति जाव' सव्वदुक्खाण अत काहिति ॥ १०३ एस ण भते । साललट्ठिया उण्हाभिहया तण्हाभिहया दवग्गिजालाभिहया कालमासे काल किच्चा' 'कहि गमिहिति ? • कहि उववज्जिहिति ? गोयमा | इहेव जबुद्दीवे दीवे भारहे वासे विझगिरिपायमूले" महेसरिए नगरीए सामलिरुक्खत्ताए पच्चायाहिति । से" ण तत्थ अच्चिय-वदिय-पूइय-सक्कारिय-सम्माणिए दिव्वे सच्चे सच्चोवाए सन्निहियपाडिहरे ° लाउल्लोइयमहिए यावि भविस्सइ॥ १०४ से ण भते । तोहितो अणतर उव्वट्टित्ता " कहिं गमिहिति ? कहिं उवव ज्जिहिति ? गोयमा | महाविदेहे वासे सिज्झिहिति जाव सव्वदुक्खाण ° अत काहिति ॥ १. ईसि ° (अ, क, ख, ता, ब, म)। २ स० पा०—पुच्छा। ३ स० पा०-पुच्छा। ४. गच्छिहिति (अ, क, ख, स) ५ पच्चाहिति (ता, ब, म)। ६ तत्था (क, ता, ब)। ७ भ० २।७३ । ८ सालिलट्ठिल्लिया (ख), साललट्ठिल्लिया (ता) ६ स० पा०-किच्चा जाव कहिं । १० विज्झ° (क, ख, ता, ब)। ११ सा (अ, क, ख, ता, व, म, स)। १२ स० पा०-वदिय जाव लाउल्लोइय° । १३ स० पा०-सेस जहा साल रुक्खस्स जाव अत। Page #705 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६४४ भगवई १०५. एस णं भते । उवरलट्ठिया' उण्हाभिहया तण्हाभिहया दवग्गिजालाभिहया कालमासे कालं किच्चा कहि गमिहिति ? ० कहिं उववज्जिहिति ? गोयमा ! इहेव जबुद्दीवे दीवे भारहे वासे पाडलिपुत्ते नगरे पाडलिरुक्खत्ताए पच्चायाहिति । से ण तत्थ अच्चिय-वदिय-पूडय-सक्कारिय-सम्माणिए दिव्वे सच्चे सच्चोवाए सन्निहियपाडिहेरे लाउल्लोइयमहिए यावि° भविस्सइ ।। १०६. से ण भते । तोहितो अणतर उव्वट्टित्ता कहि गमिहिति ? कहि उववज्जि हिति? गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्झिहिति जाव सव्वदुक्खाण° अत काहिति ।। अम्मड-अंतेवासि-पद १०७ तेण कालेणं तेण समएण अम्मडस्स परिव्वायगस्स सत्त अतेवासिसया गिम्ह कालसमयसि ५ जेट्ठामूलमासमि गगाए महानदीए उभगोकूलेण कपिल्लपुरानो नगरानो पुरिमताल नयर सपट्ठिया विहाराए । १०८. तए ण तेसिं परिव्वायगाण तीसे अगामियाए छिण्णावायाए दीहमद्धाए अडवीए कचि देसतरमणुपत्ताण से पुव्वग्गहिए उदए अणुपुब्वेण परिभुजमाणे झीणे ।। १०६. तए ण ते परिवाया झीणोदगा समाणा तण्हाए पारव्भमाणा-पारम्भमाणा उदगदातारमपस्समाणा अण्णमण्ण सद्दावेति, सद्दावेत्ता एव वयासी-एव खलु देवाणुप्पिया ! अम्ह इमीसे अगामियाए छिण्णावायाए दीहमद्धाए अडवीए कचि देसतरमणुपत्ताण से पुव्वग्गहिए उदए अणुपुव्वेण परिभुजमाणे झीणे । त सेय खलु देवाणुप्पिया | अम्ह इमीसे अगामियाए छिण्णावायाए दीहमद्धाए अडवीए उदगदातारस्स सव्वो समता मग्गण-गवेसण करित्तए त्ति कटट अण्णमण्णस्स अतिए एयमट्ठ पडिसुणेति, पडिसुणेत्ता तीसे अगामियाए छिण्णावायाए दीहमद्धाए अडवीए उदगदातारस्स सव्वओ समता मग्गण-गवेसण करेति, करेत्ता उदगदातारमलभमाणा दोच्च पि अण्णमण्ण सहावेति, सहावेत्ता एव वयासी-इहण्ण देवाणुप्पिया | उदगदातारो नत्थि त नो खलु कप्पइ अम्ह अदिण्ण गिण्हित्तए, अदिण्ण साइज्जित्तए, त मा ण अम्हे इयाणिं आवइकाल पि अदिण्ण गिण्हामो, अदिण्ण साइज्जामो, मा ण अम्ह तवलोवे भविस्सइ । त सेय खलु अम्ह देवाणुप्पिया ! तिदडए य कुडियायो य कचणियानो य करोडियायो य भिसियारो य छण्णालए य अकुसए य केसरियायो य पवित्तए य गणेत्तियाप्रो य छत्तए य वाहणायो य धाउरत्तानो य एगते एडित्ता गगं १. उवरि० (अ, स)। २ स० पा०-किच्चा जाव कहिं । ३ स० पा०-वदिय जाव भविस्सइ । ४. स० पा०-सेस त चेव जाव अतं । ५. स० पा०-एव जहा ओववाइए जाव आराहगा। Page #706 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६४५ चोद्दसम सतं (अट्ठमो उद्देसो) महानइ प्रोगाहित्ता वालुयासथारए सथरित्ता सलेहणा-झूसियाणं भत्तपाणपडियाइक्खियाण पायोवगयाण काल अणवकखमाणाण विहरित्तए त्ति कटु अण्णमण्णस्स अतिए एयमट्ठ पडिसुणेति, पडिसुणेत्ता तिदडए य कुडियाओ य कचणियायो य करोडियायो य भिसियारो य छण्णालए य अकुसए य केसरियायो य पवित्तए य गणेत्तियाओ य छत्तए य वाहणाओ य धाउरत्तानो य एगते एडेति, एडेत्ता गग महानइ प्रोगाहेति, प्रोगाहेत्ता वालुयासथारए सथरति, सथरित्ता वालुयासथारय दुरुहति, दुरुहित्ता पुरत्थाभिमुहा सपलियकनिसण्णा करयलपरिग्गहिय सिरसावत्त मत्थए अजलि कट्ठ एव वयासीनमोत्थु ण अरहताण जाव' सिद्धिगइनामधेय ठाण सपत्ताण । नमोत्थु ण समणस्स भगवओ महावीरस्स जाव' सपाविउकामस्स। नमोत्यु ण अम्मडस्स परिव्वायगस्स अम्ह धम्मायरियस्स धम्मोवदेसगस्स। पुवि' ण अम्हेहिं अम्मडस्स परिव्वायगस्स अतिए थूलए पाणाइवाए पच्चक्खाए जावज्जीवाए, मुसावाए अदिण्णादाणे पच्चक्खाए जावज्जीवाए, सव्वे मेहणे पच्चक्खाए जावज्जीवाए, थूलए परिग्गहे पच्चक्खाए जावज्जीवाए, इयाणि अम्हे समणस्स भगवो महावीरस्स अतिए सव्व पाणाइवाय पच्चक्खामो जावज्जीवाए सव्व मुसावाय पच्चक्खामो जावज्जीवाए सव्व अदिण्णादाण पच्चक्खामो जावज्जीवाए सव्व मेहुण पच्चक्खामो जावज्जीवाए सव्व परिग्गह पच्चक्खामो जावज्जीवाए सव्व कोह माण माय लोह पेज्ज दोस कलह अब्भक्खाण पेसुण्ण परपरिवाय अरइरइ मायामोस मिच्छादसणसल्ल अकरणिज्ज जोग पच्चक्खामो जावज्जीवाए सव्व असण पाण खाइम साइम-चउव्विह पि अाहारं पच्चक्खामो जावज्जीवाए। ज पि य इमं सरीर इट्ठ कत पिय मणुण्ण मणाम पेज्ज वेसासिय समय बहुमयं अणुमय भड-करडग-समाण मा ण सीय, मा ण उण्ह, मा ण खहा, मा ण पिवासा, मा ण वाला, मा ण चोरा, मा ण दसा, मा ण मसगा, मा ण वाइयपित्तिय-सिभिय-सन्निवाइय' विविहा रोगायका परीसहोवसग्गा फूसंत त्ति कटु एयपि ण चरिमेहि ऊसासनीसासेहिं वोसिरामि त्ति कटु सलेहणा-झसिया भत्तपाण-पडियाइक्खिया पाअोवगया काल अणवकखमाणा विहरति । तए ण ते परिव्वाया वहूइ भत्ताइ अणसणाए छेदेति, छेदित्ता आलोइय-पडिक्कता समाहिपत्ता कालमासे काल किच्चा वभलोए कप्पे देवत्ताए उववण्णा। तहिं तेसिं गई, तहिं तेसि ठिई, तहि तेसिं उववाए पण्णत्ते । १ विभक्तिरहित पदम् । १. ओ० सू० २१ । २. ओ० सू० २१ । Page #707 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६४६ सिणं भते । देवाण केवतिय काल ठिई पण्णत्ता ? गोयमा | दससागरोवमाइ ठिई पण्णत्ता | प्रत्थि ण भते । तेसि देवाण इड्ढी इ वा जुई इ वा जसे इ वा वले इ वा ? वीरिए इ वा पुरिसक्कार-परक्कमे इवा हा अत्थि । ते ण भते । देवा परलोगस्स प्राराहगा ? हता थि | भगवई अम्मड-च‍ इ-चरिया-पदं ११० बहुजणे ण भते । प्रणमण्णस्स एवमाइक्खइ एव भासइ एव पण्णवेइ एव परूवेइ–एव खलु अम्मडे परिव्वायए कपिल्लपुरे नगरे घरसए 'ग्राहारमाहरेइ, घरसए वसहि उवेइ | से कहमेय भते ? एव खलु गोयमा । ज ण से बहुजणे अण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ एव भासइ एव पण्णवेइ एव परूवेइ - एव खलु अम्मडे परिव्वायए कपिल्लपुरे नगरे घरसए श्राहारमाहरेइ, घरसए वसहि उवेइ, सच्चे ण एसमट्टे अहपि णं गोयमा ! एवमाइक्खामि एव भासामि एव पण्णवेमि एव परूवेमि - एव खलु अम्मडे परिव्वायए कपिल्लपुरे नगरे घरसए आहारमाहरेइ, घरसए वर्साह उवेइ ॥ १११. से केणट्टेण भते ! एव वुच्चइ - ग्रम्मडे परिव्वायए कपिल्लपुरे नगरे घरसए ग्राहारमाहरेइ, घरसए वसहि उवेइ ? गोयमा । श्रम्मडस्स ण परिव्वायगस्स पगइभद्दयाए पगइउवसतयाए पाइपतणुकोहमाणमायालोहयाए मिउमद्दवसपण्णयाए अल्लीणयाए विणीययाए छट्ठछट्टेण अणिक्खित्तेण तवोकम्मेण उड्ढं वाहाओ पगिज्झिय-पगिज्भिय सूराभिमुहस्स आयावणभूमीए आयावेमाणस्स सुभेण परिणामेण पसत्थेहि अज्भवसाणेह लेसाहिं विसुज्झमाणीहिं ग्रण्णया कयाइ तदावरणिज्जाण कम्माण खप्रोवसमेणं ईहापूह-मग्गण-गवेसण करेमाणस्स वीरियलद्धीए वेउव्वियलद्धीए मोहिनाणलद्धी समुप्पण्णा । तए ण से ग्रम्मडे परिव्वायए तीए वीरियलद्धीए वेउव्वियलद्धीए मोहिनाणल - द्वी समुप्पण्णाए जणविम्हावणहेउ कपिल्लपुरे नगरे घरसए ग्राहारमाहरेइ, घरसए वर्साह उवेइ । से तेणट्टेण गोयमा । एव वच्चइ – अम्मडे परिव्वायए कपिल्लपुरे नगरे घरसए ग्राहारमाहरेइ, घरसए वर्साह उवेइ ॥ १ स० पा० - एव जहा ओववाइए अम्मडस्स वत्तव्वया जाव । Page #708 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चोसम सत (अट्टमो उद्देसो) ६४७ ११२ पहूण भते ! अम्मडे परिव्वायए देवाणुप्पियाण प्रतिय मुडे भवित्ता गाग्रो अणगारिय पव्वइत्तए ? नो इट्टे समट्ठे । गोयमा । ग्रम्मडे ण परिव्वायए समणोवासए अभिगयजीवाजीवे उवलद्धपुण्णपावे ग्रासव-सवर - निज्जर - किरियाहिगरण-बध- मोक्खकुसले सहेज्ज' देवासुरनाग-सुवण्ण जक्ख- रक्खस- किन्नर - किंपुरिस - गरुल-गधव्वमहोरगाइएहि निग्गथा पावयणाश्रो प्रणइक्कमणिज्जे, इणमो निग्गये पावणे निस्सकिए निक्कखिए निव्वितिगिच्छे लट्ठे गहियट्टे पुच्छियट्ठे अभिगयट्टे विणिच्छियट्टे ट्ठिमिजपेमाणुराग रत्ते, श्रयमाउसो । निग्गथे पावणे ग्रट्टे, अय परमट्ठे, सेसे प्रणट्टे, चउद्दसमट्टमुट्टि पुण्णमासिणीसु पडिपुण्ण पोसह श्रणुपालेमाणे, समणे निग्गथे फासुएसणिज्जेण प्रसण पाण- खाइम - साइमेण वत्थ - पडिग्गहकवल-पायपुच्छणेण ग्रोसहभेसज्जेण पाडिहारिएण पीढफलगसेज्जा - सथारएण पडिलाभेमाणे सीलव्वय-गुण- वेरमण-पच्चक्खाण-पोसहोववासेहि ग्रहापरिग्गहिएहिं तवोकम्मेहिं प्रप्पाण भावेमाणे विहरइ ° जाव' दढप्पइण्णो प्रत काहिति ॥ अव्वाबाहदेव सत्ति-पद २१३. प्रत्थि ण भते । ग्रव्वावाहा देवा, हता प्रत्थि ॥ अव्वावाहा देवा ? ११४ सेकेणट्टेण भते । एव वुच्चइ - ग्रव्वावाहा देवा, अव्वावाहा देवा ? 1 गोयमा । पभू ण एगमेगे अव्वाबाहे देवे एगमेगस्स पुरिसस्स एगमेगसि प्रच्छिपत्तस दिव्व देविड्ढि, दिव्व देवज्जुति, दिव्व देवाणुभाग, दिव्व बत्तीसतिविह नट्टविहि उवदसेत्तए, नो चेवण तस्स पुरिसस्स किचि प्रबाह वा वाबाह' वा उप्पाएइ, छविच्छेय वा करेइ, एसुहुम च ण उवदसेज्जा । से तेणट्टेण " गोयमा ' एव वुच्चइ० – ग्रव्वावाहा देवा, अव्वावाहा देवा ॥ सक्करस सत्ति-पदं ११५ पभू ण भते । सक्के देविंदे देवराया पुरिसस्स सीस सपाणिणा' असणा छिदित्ता कमडलुसि पक्खिवित्तए ? हता पभू ॥ ११६. से कहमिदाणि पकरेति ? गोयमा । छिंदिया - छिंदिया च ण पक्खिवेज्जा, १. विभक्तिरहित पदम् । २. ओ० सू० १२१-१५४ । ३ पवाह (क, वृ), वावाह (वृपा ) । ४ एस्सुमुह (ता, व, म) । भिदिया- भिदिया च णं ५. स० पा० - तेण जाव अव्वावाहा । ६. सापाणिणा (ख, ता, व ) । ७ कमडलुमि ( अ, क, म), कमडलुपि (ख, व, स) । Page #709 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६४८ भगवई पक्खिवेज्जा, कोट्टिया - कोट्टिया चणं पक्खिवेज्जा, चुण्णिया चुण्णिया च ण पक्खिवेज्जा, तम्रो पच्छा खिप्पामेव पडिसंघाएज्जा, नो चेव ण तस्स पुरिसस्स किचि आवाह वा वावाह वा उप्पाएज्जा, छविच्छेय पुण करेइ, एसुहुम चण पक्खिवेज्जा | जंभगदेव-पद ११७ प्रत्थि ण भते । जभगा देवा, जभगा देवा ? अथ || ११८ से केणद्वेण भते । एव वुच्चइ – जभगा देवा, जभगा देवा ? गोयमा । जभगा ण देवा निच्चं पमुदित पक्की लिया कदप्परतिमोहणसीला । जे णं ते देवे कुद्धे पासेज्जा, से ण पुरिसे महत ग्रयसं पाउणेज्जा । जेणं ते देवे तुट्टे पासेज्जा, से ण महत जस पाउणेज्जा | से तेणट्टेण गोयमा । एवं वुच्च — जभगा देवा, जभगा देवा ॥ ११६. कतिविहा ण भते ! जभगा देवा पण्णत्ता ? गोयमा । दसविहा पण्णत्ता, त जहा – अन्नजभगा, पाणजभगा, वत्थजभगा, लेणजभगा, सयणजभगा, पुप्फजभगा, फलजभगा, 'पुप्फ-फल- जभगा", विज्जाजभगा वियत्तिजभगा ॥ १२०. जभगा ण भते । देवा कहि वसहि उवेति ? गोयमा ! सव्वेसु चेव दीहवेयड्ढेसु, चित्त-विचित्त-जमगपव्वसु, कचणपव्वएसु य, एत्थ ण जभगा देवा वसहि उवेति ॥ जभगाण भते ! देवाण केवतिय काल ठिती पण्णत्ता ? गोमा ! एगं पलिप्रोवम ठिती पण्णत्ता ॥ १२१ १२२ सेव भते । सेव भते । त्ति जाव' विहरइ ॥ नवमो उसो सरुवि-सम्मलेस्स-पद T १२३. श्रणगारे ण भते । भावियप्पा अप्पणी कम्मलेस्स न जाणइ, न पास, त पुण जीव सवि' सकम्मलेस्स जाणइ-पासइ ? १. मतजंभगा (वृपा) । २ अहिवइजंभगा (वृपा) ३. भ० ११५१ । ४. सरुव ( अ ) । Page #710 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चोद्दसम सत (नवमो उद्देसो) ६४६ हता गोयमा | अणगारे ण भावियप्पा अप्पणो' 'कम्मलेस्स न जाणइ, न पासड, त पुण जीव सरूवि सकम्मलेस्स जाणइ ०.पासइ॥ १२४ अत्थि ण भते । सरूवी सकम्मलेस्सा पोग्गला अोभासेति' उज्जोएति तवेति पभासेति ? हता अत्थि ॥ १२५. कयरे ण भते । सरूवी सकम्मलेस्सा पोग्गला प्रोभासेति जाव पभासेति ? गोयमा ! जानो इमाओ चदिम-सूरियाण देवाण विमाणेहिंतो लेस्सायो बहिया अभिनिस्सडामो' पभावेति', एए ण गोयमा । ते सरूवी सकम्मलेस्सा पोग्गला ओभासेति उज्जोएति तवेति पभासेति ।। प्रत्तारणत्त-पोग्गल-पद १२६ नेरइयाण भते । कि अत्ता पोन्गला ? अणत्ता पोग्गला ? गोयमा | नो अत्ता पोग्गला, अणत्ता पोग्गला ॥ १२७ असुरकुमाराण भते । कि अत्ता पोग्गला ? अणत्ता पोग्गला? गोयमा । अत्ता पोग्गला, नो अणत्ता पोग्गला । एव जाव' थणियकुमाराण ।। १२८ पुढविकाइयाण भते । कि अत्ता पोग्गला ? अणत्ता पोग्गला? मोयमा ! अत्ता वि पोग्गला, अणत्ता वि पोग्गला । एव जाव" मणस्साण । वाणमतर-जोइसिय-वेमाणियाण जहा असुरकुमाराण ।। इट्ठारिणट्ठादि-पोग्गल-पदं १२६. नेरइयाण भते । किं इट्टा पोग्गला ? अणिवा पोग्गला? गोयमा । नो इट्ठा पोग्गला, अणिट्ठा पोग्गला । जहा अत्ता भणिया एव इट्रा वि, कता वि, पिया वि, मणुण्णा वि भाणियव्वा । एए' पच दंडगा ॥ देवाणं भासासहस्स-पद १३०. देवे ण भते । महिड्ढिए जाव' महेसक्खे रूवसहस्स विउव्वित्ता पभू भासास हस्स भासित्तए? हता पभू ॥ १३१. सा ण भते । किं एगा भासा ? भासासहस्सं? गोयमा ! एगा ण सा भासा, नो खलु त भासासहस्स ॥ १. स० पा०-अप्पणो जाव पासइ । ६ सं० पा०-पुच्छा। २ तोभासति (क, म)। ७. पू० प० २। ३ अभिनिस्सडानो (क); अभिनिस्सदाओ (ता) ८ एव (अ, क, व, म, स)। ४ पयावेति (ता), पभावेति एव (म, स)। ६. भ० ११३३६ । ५. पू० प० २। Page #711 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६५० भगवई सूरिय-पदं १३२ तेण कालेण तेण समएण भगव गोयमे अचिरुग्गय बालसूरिय जासुमणाकुसुम पुजप्पकास लोहितग पासइ, पासित्ता जायसड्ढे जाव' समुप्पन्नकोउहल्ले जेणेव समणे भगव महावीरे तेणेव उवागच्छइ', °उवागच्छित्ता समण भगव महावीर तिक्खुत्तो प्रायाहिण-पयाहिण करेइ, करेत्ता वदइ नमसइ, वदित्ता नमंसित्ता णच्चासण्णे णातिदूरे सुस्सूसमाणे नमसमाणे अभिमुहे विणएण पजलियडे पज्जुवासमाणे° एव वयासी-किमिद भते ! सूरिए ? किमिद भते ! सूरियस्स अट्ठे ? गोयमा ! सुभे सूरिए, सुभे सूरियस्स अट्ठे ।। १३३ किमिद भते । सूरिए ? किमिद भते ! सूरियस्स पभा ? २ गोयमा। सुभे सूरिए, सुभा सूरियस्स पभा ॥ १३४ किमिद भते सूरिए ? किमिद भते । सूरियस्स छाया ? गोयमा | सुभे सूरिए, सुभा सूरियस्स छाया ।। १३५ किमिद भते । सूरिए ? किमिद भते । सूरियस्स लेस्सा ? गोयमा | सुभे सूरिए, सुभा सूरियस्स लेस्सा ।। समणाणं तयलेस्सा-पद १३६ जे इमे भते । अज्जत्ताए समणा निग्गथा विहरति, ते ण कस्स तेयलेस्स वीईवयति? गोयमा ! मासपरियाए समणे निग्गथे वाणमतराण देवाण तेयलेस्स वीईवयइ । दमासपरियाए समणे निग्गथे असुरिदवज्जियाण भवणवासीण देवाण तेयलेस्स वीईवयइ। एवं एएण' अभिलावण-तिमासपरियाए समणे निग्गथे असुरकुमाराण देवाण तेयलेस्स वीईवयइ। चउम्मासपरियाए समणे निग्गथे गहगण-नक्खत्त-तारारूवाण जोतिसियाण देवाण तेयलेस्स वीईवयई। पंचमासपरियाए समणे निग्गंथे चदिम-सूरियाणं जोतिसिंदाण जोतिसराईण तेयलेस्स वीईवयइ। छम्मासपरियाए' समणे निग्गथे सोहम्मीसाणाण देवाण तेयलेस्स वीईवयइ । १. म० १।१०। २ स०पा०-उवागच्छद जाव नमसित्ता जाव एव। ३. स० पा०-एव चेव एवं साया एव लेस्सा। ४. एते (क, ता, व, म, स), तए (ख) । ५ ६. छमास (स)। Page #712 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चोसम सत (दसमो उद्देसो) ६५१ सत्तमासपरियाए समणे निग्गये सणकुमार - माहिदाण देवाण तेयलेस्स वीईवयइ । अट्टमासपरियाए समणे निग्गथे बभलोग-लतगाण देवाण तेयलेस्स वीईवयइ । नवमासपरियाए समणे निग्गथे महासुक्क - सहस्साराण देवाण तेयलेस्स aas | दसमासपरियाए समणे निग्गथे प्रणय-पाणय- आरणच्चुयाण देवाण तेयलेस्स वीईवयइ | एक्कारसमासपरियाए समणे निग्गथे गेवेज्जगाण देवाण तेयलेस्स वीईवयइ । बारसमासपरियाए समणे निग्गथे प्रणुत्तरोववाइयाण देवाण तेयलेस्स वीईवयइ । तेण पर सुक्के सुक्काभिजाए भवित्ता तो पच्छा सिज्झति बुज्झति मुच्चति परिनिव्वायति सव्वदुक्खाण • प्रत करेति ॥ o १३७ सेव भते । सेव भते । त्ति जाव' विहरइ ॥ दसमो उद्देसो केवलि-पदं १३८. केवली ण भते ! छउमत्थ' जाणइ-पासइ हता जाणइ-पासइ ॥ १३६. जहा ण भते । केवली छउमत्थ जाणइ-पास, तहा ण सिद्धे वि छउमत्थ जाणइ-पासइ ? सिज्झति जाव प्रत । हता जाणइ पासइ || १४०. केवली ण भते । ग्राहोहिय' जाणइ पासइ ? एव चेव । एव परमाहोहिय, व केवल, एव सिद्ध जाव - १४१ जहा ण भते । केवली सिद्ध जाणइ पासइ, तहाण सिद्धे वि सिद्ध जाणइ ? पासइ हता जाणइ-पासइ ॥ १ स० पा० २ भ० १५१ । ३ छदुमत्थ (ता), छतुमत्थ ( ब ) । ४. आघोधिय ( अ, स), आवोघीय (क), होधिय (ख), अघोविय (ता), आधोविय ? (a ), आघोहिय (म ) | ५. परमावधिय ( अ ), परमावोहिय ( क); परमोविय (ख), परमहोहिय ( ता ), परमाधोविय (व), परमाघोहिय ( म, स ) । Page #713 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६५२ भगवई । १४२ केवली ण भते । भासेज्ज वा ? वागरेज्जा वा ? हता भासेज्ज वा, वागरेज्ज वा ॥ १४३ जहा ण भते । केवली भासेज्ज वा वागरेज्ज वा, तहा णं सिद्धे वि भासेज्ज वा वागोज्ज वा ? नो इणढे समढें ॥ १४४ से केणतुण भते । एव वुच्चइ-जहा णं केवली भासेज्ज वा वागरेज्ज वा नो तहा ण सिद्धे भासेज्ज वा वागरेज्ज वा ? गोयमा ! केवली ण सउट्ठाणे सकम्मे सबले सवीरिए सपुरिसक्कार-परक्कमे, सिद्धे णं अणुट्टाणे अकम्मे अबले अवीरिए ° अपुरिसक्कारपरक्कमे । से तेणटेण' *गोयमा ! एव वुच्चइ-जहा ण केवली भासेज्ज वा वागरेज्ज वा नो तहा ण सिद्धे भासेज्ज वा वागरेज्ज वा ।। १४५. केवली णं भते । उम्मिसेज्ज वा ? निम्मिसेज्ज वा ? हता उम्मिसेज्ज वा, निम्मिसेज्ज वा ॥ १४६. जहा ण भते । केवली उम्मिसेज्ज वा, निम्मिसेज्ज वा, तहा ण सिद्धे वि उम्मि सेज्ज वा निम्मसेज्ज वा ? नो इणद्वे समटे । एव चेव' । एव आउटेज्ज वा पसारेज्ज वा, एव ठाण वा सेज्ज वा निसीहिय वा चेएज्जा । १४७. केवली णं भते | इम रयणप्पभं पुढवि रयणप्पभापुढवीति जाणइ-पासइ ? हता जाणइ-पासइ ।। १४८ जहा णं भते ! केवली इम रयणप्पभ पुढवि रयणप्पभापुढवीति जाणइ-पासइ, तहा ण सिद्धे वि इमं रयणप्पभ पुढवि रयणप्पभापुढवीति जाणइ-पासइ ? हता जाणइ-पासइ॥ १४६. केवली णं भते ! सक्करप्पभ पुढवि सक्करप्पभापुढवीति जाणइ-पासइ ? एव चेव । एव जाव अहेसत्तम ।। १५०. केवली ण भते । सोहम्मं कप्प सोहम्मकप्पे त्ति जाणइ-पासह ? हता जाणइ-पासइ । एव चेव । एव ईसाण, एव जाव अच्चुय ॥ १५१. केवली ण भते ! गेवेज्जविमाण गेवेज्जविमाणे त्ति जाणइ-पासइ ? 'एवं चेव । एव अणुत्तरविमाणे वि ॥ १५२. केवली ण भंते ईसिंपन्भार पुढवि ईसिंपन्भारपुढवीति जाणइ-पासइ ? एवं चेव ।। १. सं० पा०-अणटाणे जाव अपुरिसक्कार । ४ आउटेज्ज (अ, स); आउट्टावेज्ज (क २. स० पा०-तेगटेण जाव वागरेज्ज । म), आउट्टावेज्ज (ख, ता); आउ टावेज्जा ३. भ० १४११४४। Page #714 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ठम सतं (दसमो उद्देसो) ६५३ १५३ केवली ण भते । परमाणुपोग्गल परमाणुपोग्गले त्ति जाणइ-पासइ ? एव चेव । एव दुपएसिय खध, एव जाव१५४. जहा ण भते । केवली अणतपएसिय खध अणतपएसिए खधे त्ति जाणइ-पासइ, तहा ण सिद्धे वि अणतपएसिय' 'खध अणतपएसिए खधे त्ति जाणइ°-पासइ ? हता जाणइ-पासइ ॥ १५५. सेव भते । सेव भते । त्ति' । १. स० पा०-अणतपएसिय जाव पास। २ भ० ११५१। Page #715 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पन्नरसमं सतं नमो सुयदेवयाए भगवईए गोसालग-पदं १ तेणं कालेण तेण समएण सावत्थी नाम नगरी होत्था–वण्णओ'। तीसे ण सावत्थीए नगरीए बहिया उत्तरपुरत्थिमे दिसीभाए, तत्थ ण कोट्ठए नाम चेइए होत्था-वण्णो । तत्थ ण सावत्थीए नगरीए हालाहला नामं कभकारी आजीविओवासिया परिवसति- अड्ढा जाव' बहुजणस्स अपरिभूया, आजीवियसमयसि लद्धट्ठा गहियट्ठा पुच्छियट्ठा विणिच्छियट्ठा अद्विमिंजपेम्माणरागरत्ता, अयमाउसो | आजीवियसमये अटे, अय परमढे, सेसे अणढे त्ति आजीवियसमएण अप्पाणं भावेमाणी विहरइ॥ २. तेणं कालेण तेण समएण गोसाले मखलिपुत्ते चउव्वीसवासपरियाए हालाहलाए कुभकारीए कुभकारावणसि आजीवियसघसपरिवुडे आजीवियसमएण अप्पाणं भावेमाणे विहरइ ॥ ३ तए ण तस्स गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स अण्णदा कदायि इमे छ दिसाचरा" अतिय पाउभवित्था, त जहा-साणे, कलदे, कण्णियारे, अच्छिदे, अग्गिवे सायणे, अज्जुणे गोमायुपुत्ते ॥ ४ तए ण ते छ दिसाचरा अट्ठविह पुव्वगय मग्गदसम 'सएहि-सएहि मतिदसणेहिं निज्जूहति", निज्जूहित्ता गोसालं मखलिपुत्त उवट्ठाइसु ।। १ एतद् वृत्ती व्याख्यात नास्ति । टोकाकार 'पासावच्चिज्ज' त्ति चूरिणकार २ ओ० सू० १ । (व)। ३. पुरच्छिमे (स)। ८. कणदे (क, ता, म)। ४. ओ० सू० २-१३ । ६. गोतमपुत्ते (क, व, म)। ५ हालाहाला (ता, स)। १० निमित्तमिति शेप (व)। ६. भ० २०६४ । ११. सतेहिं २ (अ, क, ब, म, स)। ७. दिकचरा भगवच्छिष्या पार्श्वस्थीभूता इति १२. नितहति (ता, स); निज्जु ति (व, म)। ६५४ Page #716 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पन्नरसमं सतं ६५५ ५ तए ण से गोसाले मखलिपुत्ते तेण अगस्स महानिमित्तस्स केणइ उल्लोयमेत्तेण सव्वेसि पाणाण, सव्वेसिं भूयाण, सव्वेसि जीवाण, सव्वेसिं सत्ताण इमाइ छ अणइक्कमणिज्जाइ वागरणाइ वागरेति, त जहा लाभ अलाभ सुह दुक्ख, जीविय मरण तहा ॥ ६ तए ण से गोसाले मखलिपुत्ते तेण अट्ठगस्स महानिमित्तस्स केणइ उल्लोयमेत्तेण सावत्थीए नगरीए अजिणे जिणप्पलावी, अणरहा अरहप्पलावी, अकेवली केवलिप्पलावी, असव्वण्णू सव्वण्णुप्पलावी, अजिणे जिणसद्द पगासेमाणे' विहरइ ॥ ७. तए ण सावत्थीए नगरीए सिघाडग'- तिग-चउक्क-चच्चर-चउम्मुह-महापह° - पहेसु बहुजणो अण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ', 'एव भासइ, एव पण्णवेइ °, एव परूवेइ-एव खलु देवाणुप्पिया | गोसाले मसलिपुत्ते जिणे जिणप्पलावी', अरहा अरहप्पलावी, केवली केवलिप्पलावी, सव्वण्णू सव्वण्णुप्पलावी, जिणे जिणसद्द पगासेमाणे विहरड । से कहमेय मन्ने एव ? तेण कालेण तेण समएण सामी समोसढे जाव' परिसा पडिगया। तेण कालेण तेण समएण समणस्स भगवो महावीरस्स जेटे अतेवासी इदभूती नाम अणगारे गोयमे गोत्तेण' 'सत्तुस्सेहे समचउरससठाणसठिए वज्जरिसभनारायसघयणे कणगपुलगनिघसपम्हगोरे उग्गतवे दित्ततवे तत्ततवे महातवे अोराले घोरे घोरगुणे घोरतवस्सी घोरबभचेरवासी उच्छृढसरीरे सखित्तविउलतेयलेल्से ° छट्ठछद्रेण "अणिक्खित्तेण तवोकम्मेण सजमेण तवसा अप्पाण भावेमाणे विहरइ ।। तए णं भगव गोयमे छट्ठवखमणपारणगसि पढमाए पोरिसीए सज्झाय करेइ, बीयाए पोरिसीए झाण झियाइ, तइयाए पोरिसीए अतुरियमचवलमसभते मुहपोत्तिय पडिलेहेइ, पडिलेहेत्ता भायणवत्थाइ पडिलेहेइ, पडिलेहेत्ता भायणाइ पमज्जइ, पमज्जित्ता भायणाइ उग्गाहेइ, उग्गाहेत्ता जेणेव समणे भगव महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समण भगव महावीर वदइ नमसड, वदित्ता नमसित्ता एव वयासी-इच्छामि ण भते । तुम्भेहि अभणुण्णाए समाणे छटुक्खमणपारणगसि सावत्थीए नगरीए उच्च-नीय-मज्झिमाइ कुलाइ घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए अडित्तए । १ पभासेमाणे (ख, ता)। २ स० पा०-सिंघाडग जाव पहेसु । ३. स० पा०-एवमाइक्ख इ जाव एव । ४. स० पा०-जिणप्पलावी जाव पगासेमाणे। ५. भ० ११७,८। ६. स० पा०-गोत्तेण जाव छुट्टछट्टेण । ७ स० पा०-एव जहा वितियसए नियठुद्देसए जाव अडमाणे । Page #717 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई अहासुह देवाणुप्पिया | मा पडिवध ।। तए णं भगवं गोयमे समणेणं भगवया महावीरेण अभणुण्णाए समाणे समणस्स भगवो महावीरस्स अंतियानो कोटयानो चेइयायो पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता अतुरियमचवलमसभते जुगतरपलोयणाए दिट्ठीए पुरो रिय सोहेमाणेसोहेमाणे जेणेव सावत्थो नगरी तेणेव उवागच्छड, उवागच्छित्ता सावत्थीए नगरीए उच्च-नीय-मज्झिमाइ कुलाइ घरसमुदाणस्स भिक्खायरियं अडइ ।। १२ तए ण भगव गोयमे सावत्थीए नगरीए उच्च-नीय-मज्झिमाइं कुलाइ घरसमु दाणस्स भिक्खायरियाए° अडमाणे बहुजणसद्द निसामेड, वहुजणो अण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ एव भासइ एवं पण्णवेइ एव परूवेइ-एव खलु देवाणुप्पिया । गोसाले मखलिपुत्ते जिणे जिणप्पलावी जाव' जिणे जिणसह पगासेमाणे विहरइ । से कहमेय मन्ने एवं ? तेए णं भगवं गोयमे बहुजणस्स अतिय एयमट्ठ सोच्चा निसम्म जायसड्ढे 'जाव' समुप्पन्नकोउहल्ले अहापज्जत्त समुदाण गेण्हइ, गेण्हित्ता सावत्थीयो नगरीयो पडिनिक्खमइ, अतुरियमचवलमसभंते जुगतरपलोयणाए दिट्ठीए पुरो रिय सोहेमोणे-सोहेमाणे जेणेव कोट्ठए चेइए, जेणेव समणे भगव महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणस्स भगवनो महावीरस्स अदूरसामते गमणागमणाए पडिक्कमइ, पडिक्कमित्ता एसणमणेसण पालोएइ, आलोएत्ता भत्तपाण पडिदसेइ, पडिदसेत्ता समण भगव महावीर वदइ नमसइ, वंदित्ता नमसित्ता णच्चासन्ने णातिदूरे सुस्सूसमाणे नमसमाणे अभिमुहे विणएणं पजलियडे पज्जुवासमाणे एव वयासी-एव खलु अह भते । 'छक्खमणपारणगसि तुन्भेहिं अब्भणुण्णाए समाणे सावत्थीए नगरीए उच्च-नीय-मज्झिमाणि कुलाणि घरसमुदाणस्स भिक्खयरियाए अडमाणे बहुजणसई निसामेमि, बहजणो अण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ एव भासंइ एव पण्णवेइ एवं परूंवेइ-एव खलु देवाणुप्पिया । गोसाले मंखलिपुत्ते जिणे जिणप्पलावी जाव जिणे जिणसह पगासेमाणे विहरइ । से कहमेय भते । एव ? त इच्छामि ण भते । गोसालस्स मखलिपुत्तस्स उदाणपारियाणिय" परिकहिय ।। १४. गोयमादी । समणे भगव महावीरे भगव गोयम एव वयासी-जण्ण गोयमा ! से बहुजणो अण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ एव भासइ एव पण्णवेइ एव परूवेइएवं खलु गोसाले मखलिपुत्ते जिणे जिणप्पलावी जाव जिणे जिणसह पगासेमाणे विहरइ । तण्ण मिच्छा । अह पुण गोयमा । एवमाइक्खामि जाव परूवेमि १. भ० १५२६ । ३. भ० १।१०। २. स० पा०-जायसड्ढे जाव भत्तपाण पडि- ४. स० पा०-छ? त चेव जाव जिणसह । दसेइ जाव पज्जुवासमाणे । ५ परियाणिण (अ,व,स), ° पारियाण (ता)। Page #718 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पन्नरसम सत ६५७ एव खलु एयस्स गोसालस्स मखलीपुत्तस्स मखली नाम मखे पिता होत्था । तस्स ण मखलिस्स मखस्स भद्दा नाम भारिया होत्था -सुकुमालपाणिपाया जाव' पडिरूवा । तए ण सा भद्दा भारिया अण्णदा कदायि गुठ्विणी यावि होत्था । १५ तेण कालेण तेण समएण सरवणे नाम सण्णिवेसे होत्था-रिद्धत्थिमियसमिद्धे जाव' नदणवण-सन्निभप्पगासे, पासादीए दरिसणिज्जे अभिरूवे पडिरूवे । तत्थ ण सरवणे सण्णिवेसे गोवहुले नाम माहणे परिवसइ-अड्ढे जाव' बहुजणस्स अपरिभूए, रिउव्वेद जाव वभण्णएसु परिव्वायएसु य नयेसु सुपरिनिदिए यावि होत्था । तस्स ण गोवहुलस्स माहणस्स गोसाला यावि होत्था ॥ तए ण से मखली मखे अण्णया कदायि भद्दाए भारियाए गुन्विणीए सद्धि चित्तफलगहत्थगए मखत्तणेण अप्पाण भावेमाणे पुवाणुपुट्वि' चरमाणे गामाणुगाम दूइज्जमाणे जेणेव सरवणे सण्णिवेसे जेणेव गोवहुलस्स माहणस्स गोसाला तेणेव' उवागच्छइ, उवागच्छित्ता गोवहुलस्स माहणस्स गोसालाए एगदेससि भडनिक्खेव करेड, करेत्ता सरवणे सण्णिवेसे उच्च-नीय-मज्झिमाइ कुलाइ घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए अडमाणे वसहीए सव्वो समता मग्गण-गवेसण करेइ, वसहीए सव्वनो समंता मग्गण-गवेसण करेमाणे अण्णत्थ वसहिं अलभमाणे तस्सेव' गोबहुलस्स माहणस्स गोसालाए एगदेससि वासावास उवागए ॥ १७ तए णं सा भद्दा भारिया नवण्ह मासाण बहुपडिपुण्णाण अट्ठमाण य राइदियाण वीतिक्कताण सुकुमालपाणिपाय जाव' पडिरूवग दारग पयाया ॥ १८ तए ण तस्स दारगस्स अम्मापियरो एक्कारसमे दिवसे वीतिक्कते' निव्वत्ते असुइजायकम्मकरणे सपत्ते० 'वारसमे दिवसे'' अयमेयारूव गोण्ण गुणनिप्फन्न नामधेज्ज करेति-जम्हा ण अम्ह इमे दारए गोवहुलस्स माहणस्स गोसालाए जाए त होउ ण अम्ह इमस्स दारगस्स नामधेज्ज गोसाले-गोसाले त्ति । तए णं तस्स दारगस्स अम्मापितरो नामधेज्ज करेति गोसाले ति ॥ १६ तए ण से गोसाले दारए उम्मुक्कबालभावे विण्णय-परिणयमेत्ते जोव्वणगमण - पत्ते सयमेव पाडिएक्क' चित्तफलगं करेइ, करेत्ता चित्तफलगहत्थगए मखत्तणेण अप्पाण भावेमाणे विहरइ ।। ७ वारसाहदिवसे (अ, क, ख, ता, ब), वारसहे दिवसे (म), बारसाहे दिवसे (स); द्रष्टव्यम्-भ० ११११५३ सूत्रस्य पादटिप्प १ ओ० सू० १५। २ ओ० सू० १। ३ भ० २।१४। ४. भ० २।२४ । ५ भ०११११३४ । ६ स० पा०-वीतिक्कते जाव वारसमे । ८ विण्णाय (अ, स)। ६. पडिएक्क (क, ता, ब) । Page #719 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६५८ भगवई भगवनो विहार-पदं २० तेण कालेण तेण समएण अह गोयमा | तोस वासाइ अगारवासमझावसित्ता' अम्मा-पिईहिं देवत्तगएहि समत्तपइण्णे एव जहा भावणाए जाव' एग देवदूसमादाय मुडे भवित्ता अगाराग्रो अणगारिय पव्वइए। २१ तए ण अह गोयमा । पढम वास अद्धमास अद्धमासेण खममाणे अट्ठियगाम निस्साए पढम अतरवास' वासावास उवागए। दोच्च वास मास मासेणं खममाणे पुव्वाणुपुवि चरमाणे गामाणुगाम दूइज्जमाणे जेणेव रायगिहे नगरे, जेणेव नालंदा वाहिरिया, जेणेव ततुवायसाला, तेणेव उवागच्छामि, उवागच्छित्ता प्रहापडिरूव प्रोग्गह रोगिण्हामि, योगिण्हित्ता ततुवायसालाए एगदेससि' वासावास उवागए ॥ पढम-मासखमण-पद २२ तए ण अहं गोयमा | पढम मासखमणं उवसपज्जित्ताण विहरामि ।। २३. तए ण से गोसाले मखलिपुत्ते चित्तफलगहत्थगए मखत्तणेण अप्पाण भावेमाणे पुवाणुपुद्वि चरमाणे गामाणुगाम दूइज्जमाणे जेणेव रायगिहे नगरे, जेणेव नालदा वाहिरिया, जेणेव ततुवायसाला, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता ततुवायसालाए एगदेससि भडनिक्खेव करेड, करेत्ता रायगिहे नगरे उच्चनीय- मज्झिमाइ कुलाइ घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए अडमाणे वसहीए सव्वो समता मग्गण-गवेसण करेइ, वसहीए सव्वग्रो समता मग्गण-गवेसण करेमाणे अण्णत्थ कत्थ वि वसहि अलभमाणे तीसे य ततुवायसालाए एगदेससि वासा वास उवागए, जत्थेव ण अह गोयमा । २४ तए ण अह गोयमा । पढम-मासक्खमणपारणगसि ततुवायसालानो पडिनिक्ख मामि, पडिनिक्खमित्ता नालद वाहिरिय मज्झमझेण निग्गच्छामि, निग्गच्छित्ता जेणेव रायगिहे नगरे तेणेव उवागच्छामि, उवागच्छित्ता रायगिहे नगरे १ आगारवासमज्झे वसित्ता (अ, ख, व, म, ४ पव्वइत्तए (ता, स)। स), अगारवासमज्झे वसित्ता (क), अगार- ५ अतरावास (क, म, वृपा)। वासे वसित्ता (ता), अगारवास- गृहवास- ६ उवगए (ता)। मध्युष्य इति वृत्तिगतव्याख्यानुसारेण प्रस्तुत- ७ एगदेसमि (ब)। पाठः स्वीकृतः। ८ जाव (अ, क, ख, ता, व, म, स)। २ देवत्तिगएहिं (क, ख, ता म); देवत्तेगतेहिं ६ स० पा०-नीय जाव अण्णत्थ । (व, स)। १० नालदा (अ)। ३. आयारचूला १५।२६-२६ । ११ मज्झेरण २ (क, ख, ता, व, म)। Page #720 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पन्तरसम सत ६५६ उच्च-नीय'- मज्झिमाइ कुलाइ घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए ° अडमाणे विजयस्स गाहावइस्स गिह अणुपवितु ।। २५ तए ण से विजए गाहावई मम एज्जमाण पासइ, पासित्ता हतुटु' चित्तमाणदिए णदिए पीइमणे परमसोमणस्सिए हरिसवसविसप्पमाणहियए° खिप्पामेव आसणामो अन्भुढेइ, अन्भुटेत्ता पायपीढायो पच्चोरुहइ, पच्चोरुहित्ता पाउयानो अोमुयइ, प्रोमुइत्ता एगसाडिय उत्तरासंग करेड, करेत्ता अजलिमउलियहत्थे मम सत्तटुपयाइ अणुगच्छइ, अणुगच्छित्ता मम तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिण करेइ, करेत्ता मम वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता मम विउलेण असण-पाणखाइम-साइमेण पडिलाभेस्सामित्ति तुटे, पडिलाभेमाणे वि तुडे, पडिलाभिते वि तुढे॥ २६ तए ण तस्स विजयस्स गाहावइस्स तेण दव्वसुद्धेण दायगसुद्धेण पडिगाहगसुद्धण तिविहेण तिकरणसुद्धेण दाणेण मए पडिलाभिए समाणे देवाउए निवद्धे, ससारे परित्तीकए, गिहसि य से इमाइ पच दिव्वाइ पाउन्भूयाइ, त जहा-वसुधारा वुट्ठा, दसद्धवण्णे कुसुमे निवातिए, चेलुक्खेवे कए, पाहयानो देवदुदुभीओ, अतरा वि य ण आगासे अहो दाणे, अहो दाणे त्ति घुटे । २७. तए ण रायगिहे नगरे सिघाडग'-तिग-चउक्क-चच्चर-चउम्मुह-महापह° -पहेसु वहुजणो अण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ एव भासइ एव पण्णवेइ° एव परूवेइधन्ने ण देवाणुप्पिया | विजये गाहावई, कयत्थे ण देवाणुप्पिया ! विजये गाहावई, कयपुण्णे ण देवाणु प्पिया । विजये गाहावई, कयलक्खणे ण देवाणुप्पिया | विजये गाहावई, कया ण लोया देवाणुप्पिया | विजयस्स गाहावइस्स, सुलद्धे ण देवाणुप्पिया | माणुस्सए जम्मजीवियफले विजयस्स गाहावइस्स, जस्स ण गिहसि तहारूवे साधू साधुरूवे पडिलाभिए समाणे इमाइ पंच दिव्वाइ पाउन्भूयाइ, त जहा-वसुधारा वुट्ठा जाव' अहो दाणे, अहो दाणे त्ति घुटे, त धन्ने कयत्थे कयपुण्णे कयलक्खणे, कया ण लोया, सुलद्धे माणुस्सए जम्मजीवियफले विजयस्स गाहावइस्स, विजयस्स गाहावइस्स ॥ तए ण से गोसाले मखलिपुत्ते बहुजणस्स अतिए एयम? सोच्चा निसम्म समुप्पन्नससए समुप्पन्नकोउहल्ले जेणेव विजयस्स गाहावइस्स गिहे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता पासइ विजयस्स गाहावइस्स गिहसि वसुहार वुटु, दसद्धवण्ण कुसुम निवडिय, मम च ण विजयस्स गाहावइस्स गिहाम्रो पडिनिक्खममाण पासइ, पासित्ता हट्ठतुढे जेणेव ममं अतिए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता मम २८ १ स० पा०-नीय जाव अडमाणे। २. स० पा०-हट्टतुटु । ३ सं० पा०--सिंघाडग जाव पहेसु। ४ स० पा०-एवमाइक्खइ जाव एव । Page #721 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६६० भगवई तिक्खुत्तो याहिण -पयाहिण करेड, करेत्ता मम वदइ नमसर, वदित्ता नमसित्ता मम एव वयासी - तुभे ण भते । मम धम्मायरिया, ग्रहणं तुभ धम्मतेवासी ॥ २६ तए ण ग्रह गोयमा । गोसालस्स मग्वलिपुत्तस्स एयमट्ट नो ग्राहामि, नो परिजाणामि, तुसिणीए सचिट्ठामि ॥ दोच्च-मासखमण-पदं ३० तए ण ग्रह गोयमा । रायगिहाम्रो नगराम्रो पडिनिक्खमामि, पडिनिक्स मित्ता नालद वाहिरियं मज्झमज्भेण निग्गच्छामि, निग्गच्छित्ता जेणेव ततुवायसाला', तेणेव उवागच्छामि, उवागच्छित्ता दोच्च मासखमण उवमपज्जित्ताण विहरामि || ३१. तए ण ग्रह गोयमा ! दोच्च' - मासखमणपारणगसि ततुवायसालाग्र पडिनिक्खमामि, पडिनिक्खमित्ता नालद बाहिरिय मज्झमज्भेण निग्गच्छामि, निग्गच्छित्ता जेणेव रायगिहे नगरे' 'तेणेव उवागच्छामि, उवागच्छित्ता रायगिहे नगरे उच्च-नीय-मज्झिमाइ कुलाइ घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए ग्रडमाणे प्राणदस्स गाहावइस्स हि श्रणुपविट्ठे || ३२ तएण से ग्राणदे गाहावई मम एज्जमाण पासइ, "पासित्ता हट्टतुदुचित्तमाण दिए दिए पीइमणे परमसोमणस्सिए हरिसवसविसप्पमाणहियए खिप्पामेव श्रासणा ग्रभुट्ठेड, ग्रव्भुट्टेत्ता पायपीढाम्रो पच्चोरुहड, पच्चोरुहित्ता पाउयाश्रो ग्रोमुयइ, ग्रोमुइत्ता एगसाडिय उत्तरासग करेइ, करेत्ता प्रजलिमउलियहत्ये मम सत्तट्ठपयाइ प्रणुगच्छड, अणुगच्छित्ता मम तिक्खुत्तो आयाहिण -पयाहिण करेड, करेत्ता मम वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता मम विउलाए खज्जगविहीए पडिलाभेस्सामित्ति तुट्ठे, पडिला भेमाणे वि तुट्टे, पडिलाभिते वि तु ॥ ३३. तए ण तस्स आणदस्स गाहावइस्स तेण दव्वसुद्धेण दायगसुद्धेण पडिगाहगसुद्धेण तिविण तिकरणसुद्धेण दाणेण मए पडिलाभिए समाणे देवाउए निवद्धे, ससारे परित्तीकए, गिहसि य से इमाइ पच दिव्वाइ पाउन्भूयाइ, त जहा - वसुधारा बुट्ठा, दसद्धवणे कुसुमे निवातिए, चेलुक्खेवे कए, ग्राहयाओ देवदुदुभीओ, अतरावियण आगासे अहो दाणे, अहो दाणे त्ति घुट्टे ॥ ३४ तए ण रायगिहे नगरे सिघाडग-तिग- चउक्क - चच्चर- र- चउम्मुह- महापह-पहेसु o o १. ततवाय • (ता) सर्वत्र । २. मासवण (ता) । ३ दोच्च ( अ, क, व, म, स) । ४ मासक्खमसि (ता, व, म, स ) । ५ स० पा० - नगरे जाव अडमारणे । ६ स० पा० - एव जहेव विजयस्स नवर मम विजलाए खज्जगविहीए पडिलाभेस्सामित्ति तुटु सेस त चेव जाव तच्च । Page #722 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पन्नरसमं सत ६६१ बहुजणो अण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ एव भासइ एव पण्णवेइ एव परूवेइ -धन्ने ण देवाणुप्पिया | आणदे गाहावई, कयत्थे ण देवाणुप्पिया | आणदे गाहावई, कयपुण्णे ण देवाणुप्पिया । प्राणदे गाहावई, कयलक्खणे ण देवाणुप्पिया । आणदे गाहावई, कया ण लोया देवाणुप्पिया | प्राणदस्स गाहावइस्स, सुलद्धे ण देवाणुप्पिया | माणस्सए जम्मजीवियफले आणदस्स गाहावइस्स, जस्म ण गिहसि तहारूवे साधू साधुरूवे पडिलाभिए समाणे इमाइ पच दिव्वाइ पाउव्भूयाइ, त जहा वसुधारा वुढा जाव अहो दाणे, अहो दाणे त्ति घुटे, त धन्ने कयत्ये कयपुण्णे कयलक्खणे, कया ण लोया, सुलद्धे माणुस्सए जम्मजीवियफले प्राणदस्स गाहावइस्स, पाणदस्स गाहावइस्स ।। ३५ तए ण से गोसाले मखलिपुत्ते वहुजणस्स अतिए एयम? सोच्चा निसम्म समुप्पन्न ससए समुप्पन्नकोउहल्ले जेणेव प्राणदस्स गाहावइस्स गिहे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता पासइ प्राणदस्स गाहावइस्स गिहसि वसुहार वुढ़, दसद्धवण्ण कुसुम निवडिय, मम च ण आणदस्स गाहावइस्स गिहाओ पडिनिक्खममाण पासड, पासित्ता हट्टतुट्टे जेणेव मम अतिए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता मम तिवखुत्तो आयाहिण-पयाहिण करेइ, करेत्ता मम वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता मम एव वयासी-तुम्भे ण भते । मम धम्मायरिया, अहण्ण तुब्भ धम्मतेवासी। ३६ तए ण अह गोयमा | गोसालस्स मखलिपुत्तस्स एयमट्ठ नो पाढामि, नो परि जाणामि, तुसिणीए सचिट्ठामि ।। तच्च-मासखमरण-पदं ३७ तए ण अह गोयमा | रायगिहाम्रो नगरायो पडिनिक्खमामि, पडिनिक्खमित्ता नालद बाहिरिय मज्झमझेण निग्गच्छामि, निग्गच्छित्ता जेणेव ततुवायसाला, तेणेव उवागच्छामि, उवागच्छित्ता° तच्च मासखमण उवसपज्जित्ताण विहरामि ।। ३८ तए ण अह गोयमा । तच्च'-मासखमणपारणगसि ततुवायसालाओ पडिनिक्ख मामि, पडिनिक्खमित्ता नालद वाहिरिय मज्झमझेण निग्गच्छामि, निग्गच्छित्ता जेणेव रायगिहे नगरे तेणेव उवागच्छामि, उवागच्छित्ता रायगिहे नगरे उच्च-नीय-मज्झिमाइ कुलाइ घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए° अडमाणे सुणदस्स गाहावइस्स गिह अणुपवितु॥ ३६ तए ण से सुणदे गाहावई "मम एज्जमाण पासइ, पासित्ता हट्ठतुटु चित्तमाणदिए १, तच्च (क, ख, व)। सव्वकामगुणि एण भोयणेण पडिलाभेइ २. स० पा०-तहेव जाव अडमाणे । सेस त चेव जाव चउत्थ । ३ स० पाए -एव जहेव विजयगाहावई नवर Page #723 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ६६२ णदिए पीइमणे परमसोमणस्सिए हरिसवसविसप्पमाणहियए खिप्पामेव ग्रासणाओ अभइ अभद्रुत्ता पायपीढायो पच्चोरुहइ, पच्चोरहित्ता पाउयानो अोमुयइ, अोमुइत्ता एगसाडिय उत्तरासग करेइ, करेत्ता अजलिमउलियहत्ये मम सत्तट्ठपयाइ अणुगच्छड, अणुगच्छित्ता मम तिक्खुत्तो पायाहिण-पयाहिण करेड, करेत्ता मम वदइ नमसड, वदित्ता नमसित्ता मम विउ नेण सव्वकामगुणिएण भोयणेण पडिलाभेस्सामित्ति तुडे, पडिलाभेमाणे वि तुडे, पडिलाभिते वि तुटे ।। तए ण तस्स सुणदस्स गाहावइस्स तेण दव्वसुद्धेण दायगमुढेणं पडिगाहगसुद्धेण तिविहेण तिकरणसद्धेण दाणेण मए पडिलाभिए समाणे देवाउए निवद्धे, ससारे परित्तीकए, गिहसि य से इमाइ पच दिव्वाइ पाउन्भूयाड, त जहा-वसुधारा वटा, दसद्धवण्णे कुसमे निवातिए, चेलुक्खेवे कए, पाहयानो देवदुदुभीग्रो, अतरा वि य ण ागासे अहो दाणे, अहो दाणे त्ति घुटे ।। ४१. तए ण रायगिहे नगरे सिघाडग-तिग-चउक्क-चच्चर-चउम्मुह-महापह पहेसु बहुजणो अण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ एव भासइ एव पण्णवेइ एव परूवेइ-धन्ने ण देवाणुप्पिया | सुणदे गाहावई, कयत्थे ण देवाण प्पिया ! सुणदे गाहावई, कयपुण्णे ण देवाणु प्पिया । सुणदे गाहावई, कयलक्खणे ण देवाणुप्पिया | सुणदे गाहावई, कया ण लोया देवाणुप्पिया । सुणदस्स गाहावइस्स, सुलद्धे ण देवाणु प्पिया | माणुस्सए जम्मजीवियफले सुणदस्स गाहावइस्स, जस्स ण गिहसि तहारूवे साधू साधुरूवे पडिलाभिए समाणे इमाइ पच दिव्वाइ पाउन्भूयाइं, त जहा-वसुधारा वुट्ठा जाव' अहो दाणे, अहो दाणे त्ति घट्टे, त धन्ने कयत्थे कयपुण्णे कयलक्खणे, कया ण लोया, सुलद्धे माणुस्सए जम्मजीवियफले सुणदस्स गाहावइस्स, सुणदस्स गाहावइस्स ।।। तए ण से गोसाले मखलिपुत्ते बहुजणस्स अतिए एयम? सोच्चा निसम्म समुप्पन्नससए समुप्पन्नकोउहल्ले जेणेव सुणदस्स गाहावइस्स गिहे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता पासइ सुणदस्स गाहावइस्स गिहसि वसहार वट, दसद्ध वण्ण कुसुम निवडिय, मम च ण सुणदस्स गाहावइस्स गिहाम्रो पडिनिक्खममाण पासइ, पासित्ता हट्ठतुढे जेणेव मम अतिए तेणेव उवागच्छड, उवागच्छित्ता मम तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिण करेइ, करेत्ता मम वंदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता मम एव वयासी-तुम्भे ण भते । मम धम्मायरिया, अहण्ण तुभ धम्मतेवासी ।। ४३ तए ण अह गोयमा । गोसालस्स मखलिपुत्तस्स एयम नो अाढामि, नो परिजाणामि, तुसिणीए सचिट्ठामि ।। चउत्थ-मासखमण-पद ४४ तए ण ग्रह गोयमा | रायगिहारो नगरानो पडिनिक्खमामि, पडिनिक्खमित्ता ४२ Page #724 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पन्नरसमं सत ४७ विहरामि ॥ ४५. तीसे ण नालदाए वाहिरियाए दूरसामते, एत्थ ण कोल्लाए नाम सणिवेसे होत्था--सण्णिवेसवण्णो' । तत्थ ण कोल्लाए सण्णिवेसे बहुले नाम माहणे परिवसड-ग्रड्ढे जाव' बहुजणस्स अपरिभूए, रिउव्वेय जाव' बभण्णएसु परिव्वायएस य नयेसु सुपरिनिट्ठिए यावि होत्था ॥ ४६ तए ण से बहुले माहणे कत्तियचा उम्मासियपाडिवगसि विउलेण महुघयम जुत्तेण परमण्णेण माहणे यामेत्या || ६६३ नालदं वाहिरियं मज्भंमज्भेण निग्गच्छामि, निग्गच्छित्ता जेणेव ततुवायसाला तेणेव उवागच्छामि, उवागच्छिता चउत्थ मासखमण उवसपज्जित्ताण o ५० तण ग्रह गोयमा । चउत्थ- मासखमणपारणगसि ततुवायसाला पडिनिक्खिमामि, पडिनिक्खमित्ता नालद बाहिरिय मज्झमज्भेण निग्गच्छामि, निग्गच्छित्ता जेणेव कोल्लाए सण्णिवेसे तेणेव उवागच्छामि, उवागच्छित्ता कोल्लाए मण्णिवेसे उच्च-नीय'- मज्झिमाइ कुलाइ घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए • अडमाणे वहुलस्स माहणस्स गिह श्रणुप्पविट्ठे ॥ o ४८ तण से बहुले माहणे मम एज्जमाण पासइ, पासित्ता हटुटुचित्तमाणदिए दिए पी मणे परमसोमणस्सिए हरिसवसविसप्पमाणहियए खिप्पामेव ग्रासगाग्रो अभट्ठेइ, भुट्टेत्ता पायपीढाओ पन्चोरुहर, पच्चोरुहित्ता पाउयाओ मुइ, प्रमुत्ता एगसाडिय उत्तरासग करेइ, करेत्ता अजलिमउलियहत्थे मम सत्तट्ठपयाइ अणुगच्छइ, अणुगच्छित्ता मम तिक्खुत्तो प्रायाहिण-पयाहिण करेइ, करेत्ता मम वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता मम विउलेण महुघयस जुत्तेण परमण्णेण पडिलाभेस्सामित्ति तुटु, पडिलाभेमाणे वि तुट्ठे, पडिलाभिते विट्ठे ॥ ४६ तएण तस्स बहुलस्स माहणस्म तेण दव्वसुद्वेण दायगसुद्धेण पडिगाहगसुद्धेण तिविण तिकरणसुद्वेण दाणेण मए पडिलाभिए समाणे देवाउए निवद्धे, ससारे परित्तीकए, हिसि य से इमाइ पच दिव्वाइ पाउब्भूयाइ, त जहा - वसुधारा वुट्ठा, दसद्धवणे कुसुमे निवातिए, चेलुक्वेवे कए, ग्राहयात्री देवदुदुभी, अतरा वियण आगासे ग्रहो दाणे, ग्रहो दाणे त्ति घुट्टे ॥ तए ण रायगिहे नगरे सिंघाडग-तिग- चउक्क चच्चर- चउम्मुह - महापह-पहेसु १. भ० १५।१५ । २ भ० २६४ | ३ भ० २१२४ । ४. स० पा०--नीय जाव अडमाणे ! ५ स० पा० -- तहेव जाव मम विउलेण महुघयसजुत्तेण परमण्णेणं पडिलाभेस्सामीति तुटु सेस जहा विजयम्स जाव बहुले माहणे २ । Page #725 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६६४ भगवई बहुजणो अण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ एवं भासइ एवं पण्णवेड एव परुवेड-धन्ने ण देवाणुप्पिया ! बहुले माहणे, कयत्थे ण देवाणु पिप्या ! बहुले माहणे, कयपुण्णे ण देवाणुप्पिया | वहुले माहणे, कयलक्खणे ण देवाणुप्पिया । बहुले माहणे, कया ण लोया देवाणुप्पियो । बहुलस्स माहणस्स, सुलद्धे ण देवाणप्पिया ! माणुस्सए जम्मजीवियफले वहुलस्स माहणस्स, जस्स ण गिहसि तहारवे साधू साधुरूवे पडिलाभिए समाणे इमाइ पच दिव्वाइ पाउन्भूयाइ, त जहावसुधारा वुट्टा जाव अहो दाणे, अहो दाणे त्ति घट्टे, त धन्ने कयत्ये कयपूण्णे कयलक्खणे, कया ण लोया, सुलद्धे माणुस्सए जम्मजीवियफले बहुलस्स माहणस्स, वहुलस्स माहणस्स ।। ५१ तए ण से गोसाले मखलिपुत्ते मम तंतुवायसालाए अपासमाणे रायगिहे नगरे सभितरवाहिरियाए मम सव्वनो समता मग्गण-गवेसण करेड, मम कत्थवि' सुर्ति वा खुति वा पत्ति वा अलभमाणे जेणेव ततुवायसाला तेणेव उवागच्छड, उवागच्छित्ता साडियायो य पाडियाओ' य कुडियायो य वाहणायो' य चित्तफलग च माहणे अायामेइ, पायामेत्ता सउत्तरोट्ठ भड' कारेइ, कारेत्ता ततुवायसालानो पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता नालद वाहिरिय मज्झमझेण निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता जेणेव कोल्लाए सण्णिवेसे तेणेव उवागच्छइ ।। ५२ तए ण तस्स कोल्लागस्स सण्णिवेसस्स बहिया वहुजणो अण्णमण्णस्स एवमा इक्खइ जाव परूवेइ-धन्ने ण देवाणुप्पिया । बहुले माहणे, ५ कयत्थे ण देवाणुप्पिया । वहुले माहणे, कयपुण्णे ण देवाणुप्पिया । वहले माहणे, कयलक्खणे ण देवाणुप्पिया । वहुले माहणे, कया ण लोया देवाणुप्पिया। बहुलस्स माहणस्स, सुलद्धे ण देवाणुप्पिया | माणुस्सए जम्म जीवियफले बहुलस्स माहणस्स, वहुलस्स माहणस्स ॥ गोसालस्स सिस्सरूवेरण अंगीकरण-पदं ५३. तए ण तस्स गोसालस्स मखलिपुत्तस्स बहुजणस्स अतिय एयमट्र सोच्चा निसम्म अयमेयारूवे अज्झथिए चितिए पत्थिए मणोगए सकप्पे° समुप्पज्जित्थाजारिसिया ण मम धम्मायरियस्स धम्मोवदेसगस्स समणस्स भगवनो महावीरस्स इड्ढी जुती" जसे वले वीरिए पुरिसक्कार-परक्कमे लद्धे पत्ते अभिसमण्णागए, नो खलु अत्थि तारिसिया अण्णस्स कस्सइ तहारूवस्स समणस्स वा माह णस्स वा इड्ढी जुती 'जसे वले वीरिए पुरिसक्कार -परक्कमे लद्धे पत्ते १. कत्थति (अ, क, ख, व, म), कत्थइ (ता)। ५. स० पा०-त चेव जाव जीवियफले । २ X (ता), भडियाओ (वृपा)। ६ स० पा०--अज्झत्थिए जाव समुप्पज्जित्था। ३ पाहणाओ (क, ख, ता, व, म)। ७ जुत्ती (क, व, म)। ४. मुड (अ, ता)। ८ स० पा०-जती जाव परक्कमे । Page #726 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पन्नरसम सत ६६५ अभिसमण्णागर, त निस्सदिद्ध' ण एत्थ मम धम्मायरिए धम्मो वदेसए समणे भगव महावीरे भविस्सतीति कट्टु कोल्लाए सण्णिवेसे सविभतरबाहिरिए' मम सव्वप्रो समता मग्गण - गवेसण करेइ, मम सव्वत्र समता मग्गण - गवेसण करेमाणे 'कोल्लागस्स सण्णिवेसस्स" वहिया पणियभूमीए मए सद्धि प्रभिसमण्णागए ॥ O ५४ तएण से गोसाले मखलिपुत्ते हट्टतुट्ठे मम तिक्खुत्तो श्रायाहिण -पयाहिण' करेइ, करेत्ता मम वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता एव वयासी - तुब्भे ण भते । मम धम्मायरिया, ग्रहण तुम्भ प्रवासी || ५५. तए ण ग्रह गोयमा । गोसालस्स मखलिपुत्तस्स एयमट्ठ पडिसुणेमि ॥ ५६ तए ण ग्रह गोयमा । गोसालेण मखलिपुत्तेण सद्धि पणियभूमीए छव्वासाइ लाभ लाभ सुह दुक्ख सक्कारमसक्कार पच्चणुब्भवमाणे ग्रणिच्चजागरिय विहरिया || तिलथंभय-पद ५७ तए ण ग्रह गोयमा । ग्रण्णया कदायि पढमस रदकालसमयसि अप्पवुट्टिकासि गोसालेण मखलिपुत्त्रेण सद्धि सिद्धत्थगामाश्रो नगराश्रो कुम्मगाम नगर सपट्ठिए विहाराए । तस्स ण सिद्धत्थगामस्स नगरस्स कुम्मगामस्स नगरस्स य अतरा, एत्थ ण मह एगे तिलथ भए पत्तिए पुप्फिए हरियगरेरिज्जमाणे सिरीए प्रतीवअतीव उवसोभेमाणे-उवसोभेमाणे चिट्ठइ || ५८ o तएण से गोसाले मखलिपुत्ते त तिलथभग पासइ, पासित्ता मम वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता एव वयासी - एस ण भते । तिलथभए कि निप्फज्जिस्सइ नो निप्फज्जिस्सइ ? एए य सत्त तिलपुप्फजीवा उद्दाइत्ता उद्दात्ता कहि गच्छिहिति ? कहि उववज्जिहिति ? तण ग्रह गोयमा । गोसाल मखलिपुत्त एव वयासी - गोसाला | एस ण तिलयभए निप्फज्जिस्सइ, नो न निप्फज्जिस्सइ । एते य सत्ततिलपुप्फजीवा उद्दाइत्ता-उद्दाइत्ता एयस्स चेव तिलयभगस्स एगाए तिलसगलियाए' सत्त तिला पच्चायाइस्सति । ५६ तर ण से गोसाले मखलिपुत्ते मम एव आइक्खमाणस्स एयमट्ठ नो सद्दह, नो पत्तियइ, नो रोएइ, एयमट्ठ श्रसद्दहमाणे, प्रपत्तियमाणे, रोएमाणे, मम पणिहाए' १ निस्सदि (ख, म ), निस्सद्धि ( स ) | २ एत्थ ( अ, ता, व, म) । ३. सम्भतर ० ( अ, ख ) । ४ स० पा० - सव्वओ जाव करेमाणे । ५ कोल्लागसण्णिवे सम्स (अस) । ६ स० पा० - पयाहिण जाव नमसित्ता । ७ कुर्वन्निति वाक्यशेप ( वृ ) । ८० सुग० (ता) । e परिहाय (ता) । Page #727 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६६६ भगवई 'अयं ण मिच्छावादी भव' त्ति कटु मम अतियानो सणियं-सणियं पच्चोसक्कड, पच्चोसक्कित्ता जेणेव से तिलथंभए तेणेव उवागच्छड, उवागच्छित्ता त तिलयभगं सलेठ्याय चेव उप्पाडेइ, उप्पाडेत्ता एगते एडेइ । तक्खणमेत्त च णं गोयमा ! दिव्वे अभवद्दलए पाउन्भूए। तए ण से दिव्वे अभवद्दलए खिप्पामेव पतणतणाति', खिप्पामेव पविज्जुयाति, खिप्पामेव नच्चोदग णातिमट्टिय पविरलपफुमिय' रयरेणुविणासणं दिव्व सलिलोदगं वास वासति, जेण से तिलथभए आसत्थे पच्चायाते वद्धमूले, तत्येव पतिट्ठिए। ते य सत्त तिलपुप्फजीवा उद्दाइत्ता-उद्दाइत्ता तस्सेव तिलथभगस्स एगाए तिलसगलियाए सत्त तिला पच्चायाता॥ वेसियायण-वालतवस्सि-पदं ६०. तए ण अह गोयमा | गोसालेण मखलिपुत्तेण सद्धि जेणेव कुम्मग्गामे नगरे तेणेव उवागच्छामि। तए णं तस्स कुम्मग्गामस्स नगरस्स वहिया वेसियायणे नाम वालतवस्सी छटुछट्टेणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेण उड्ढ वाहायो पगिझियपगिझिय मूराभिमुहे आयावणभूमीए अायावेमाणे विहरइ । प्राइच्चतेयतवियायो य से छप्पदीयो सव्वो समता अभिनिस्सवति, पाण-भूय-जीव-सत्त दयट्याए च ण पडियायो-पडियायो तत्थेव-तत्येव" भुज्जो-भुज्जो पच्चोरुभेड ।। ६१ तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते वेसियायण वालतवस्सि पासइ, पासित्ता मम अतियाओ सणियं-सणिय पच्चोसक्कड, पच्चोसक्कित्ता जेणेव वेसियायणे वालतवस्सी तेणेव उवागच्छड, उवागच्छित्ता वेसियायण वालतवस्सि एव वयासी-कि भव मुणी ? मुणिए ? उदाहु जयासेज्जायरए ? ६२. तए णं से वेसियायणे वालतवस्सी गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स एयम नो अाढाति, नो परियाणति, तुसिणीए सचिट्ठइ । ६३. तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते वेसियायणं वालतवस्सि दोच्चं पि तच्चं पि एव वयासी-कि भव मुणी ? मुणिए ? 'उदाहु जूयासेज्जायरए ?" १४. ताण मे वेसियायणे वालतवस्सी गोसालेणं मखलिपुत्तेण दोच्चं पि तच्च पि एवं वृत्ते समाणे ग्रासुरुत्ते' •रुटे कुविए चडिक्किए ° मिसिमिसेमाणे पायावणभूमीग्रो पच्चोलभड, पच्चोरुभित्ता तेयासमुग्घाएणं समोहण्णड, समोहणित्ता सत्तट्रपयाड पच्चोसक्कइ, पच्चोसक्कित्ता गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स वहाए सरीरगसि तेयं निसिरइ ।। १. तणाए (न, ख), °तणाएति (स)। २. पप्फुसिय (अ, व) । 3 तत्येवा २ (क, ता, ब, म) । ४. जाव सेज्जायरए (अ, क, ख, ता, व, म, स) ५. स० पा०-आमुरुत्ते जाव मिसि ° । Page #728 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पन्नरसम सत ६५ तए ण ग्रह गोयमा । गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स प्रणुकपणट्टयाए वेसियायणस्स बालतवस्सिस्स उसिणतेयपडिसाहरणट्टयाए' एत्थ णं श्रतरा सीयलिय तेयलेस्स निसिरामि, जाए सा मम सीयलियाए तेयलेस्साए वेसियायणस्स बाल व सिस्स उसणा' तेयलेस्सा पहिया ॥ ६६७ ६६ तएण से वेसियायणे बालतवस्सी मम सीयलियाए तेयलेस्साए साउसिण तेयलेस्स पडिय जाणित्ता गोसालस्स मखलिपुत्तस्स सरीरगस्स किंचि प्रवाह वा वावाह वा छविच्छेद वा अकीरमाण पासित्ता साउसिण तेयलेस्स पडिसा - हरइ, पडिसाहरित्ता मम एव वयासी - से गतमेय भगव । गत गतमेय भगव ६७. तए ण गोसाले मखलिपुत्ते मम एव वयासी - किं ण भते । एस जूयासिज्जारए तुभे एव वयासी - से गतमेय भगव । गत-गतमेय भगव 1 ६८ तए ण ग्रह गोयमा । गोसाल मखलिपुत्त एव वयासी - तुम ण गोसाला । वेसियायण बालतवस्सि पाससि, पासित्ता मम अतिया सणिय-सणिय पच्चीसक्कसि, जेणेव वेसियायणे वालतवस्सी तेणेव उवागच्छसि उवागच्छित्ता वेसियायण वालतवस्सि एव वयासी - कि भव मुणी ? मुणिए ? उदाहु जूयासेज्जायर ? तए ण से वेसियायणे बालतवस्सी तव एयमट्ठ नो आढाति, नो परिजाणति, तुसिणीए सचिट्ठइ । तए ण तुम गोसाला । वेसियायण बालतवस्सि दोच्च पि तच्च पि एव वयासी - किं भव मुणी ? मुणिए ? 'उदाहु जूयासेज्जायरए ? ५ तएण से वेसियायणे बालतवस्सी तुम दोच्च पि तच्च पि एव वृत्ते समाणे ग्रासुरुते जाव पच्चोसक्कति, पच्चोसक्कित्ता तव वहाए सरीरंगसि तेयलेस्स निस्सिरइ । तए ण ग्रह गोसाला । तव प्रणुकपणट्टयाए वेसियायणस्स बालतवस्सिस्स उसिणतेयपडिसाहरणट्टयाए' एत्थ ण अतरा सीलिय यस्स निसिरामि', ' जाए सा मम सीयलियाए तेयलेस्साए वेसि - यायणस्स बालतवस्सिस्स उसिणा तेयलेस्सा पहिया । तए ण से वेसियायणे बालतवस्ती मम सीयलियाए तेयलेस्साए साउसिण तेयलेस्स • पडिहय जाणित्ता तव य सरीरगस्स किचि ग्रावाह वा वावाह वा छविच्छेद वा प्रकीरमाण १. तेयपडि° (क, म), सा तेय ० (ख, व, स ), साउसिणतेय (ता), अत्र अनेके पाठभेदा दृश्यन्ते । शीतलतेजोलेश्या सन्दर्भे 'उसिरण' पदमावश्यकमस्ति । ६८ सूत्रे अस्यैव प्रसङ्गस्य पुनरुक्तौ 'ता' प्रतो 'उसिणतेय' इति पाठो दृश्यते । तेनापि 'उसिण' पदस्य पुष्टिर्जायते । २ उमुणा (क, ख, ता, व), साउसिणा (स) । ३ त उसिण ( अ, ता), सीओसिण ( स ) । एसे (ख, ता, ब) । जाव सेज्जायरए ( अ, क, ख, ता, व, स ) । सायतेय ० ( अ, ख, व), तेय ० (क, म), सीओ सिणतेय ° ( स ) । ७. स० पा०-निसिरामि जाव पडिहय । ४ ५ ६ Page #729 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६६८ भगवई पासित्ता साउसिणं तेयलेस्स पडिसाहरति, पडिसाहरित्ता ममं एव वयासी-से गतमेय भगव । गत-गतमेय भगव । ६६ तए ण से गोसाले मखलिपुत्ते मम अतियाओ एयमट्ठ सोच्चा निसम्म भीए' 'तत्थे तसिए उव्विग्गे सजायभए मम वदइ नमसड, वदित्ता नमसित्ता एव वयासी-कहण्ण भते ! सखित्तविउलतेयलेस्से भवति ? ७० तए ण अह गोयमा । गोसाल मखलिपुत्त एव वयासी-जेण गोसाला | एगाए सणहाए कुम्मासपिडियाए एगेण य वियडासएण छट्ठछ?ण अणिक्खित्तण तवोकम्मेण उड्ड वाहाम्रो पगिज्झिय-पगिज्झिय' सूराभिमुहे पायावणभूमीए आयावेमाणे० विहरइ। से ण अतो छह मासाण सखित्तविउलतेयलेस्से भवइ॥ ७१. तए ण से गोसाले मखलिपुत्ते मम एयमट्ठ सम्म विणएण पडिसुणेति ।। तिलथंभय-निप्फत्तीए गोसालस्स अवक्कमरण-पदं -७२. तए ण अह गोयमा । अण्णदा कदायि गोसालेण मखलिपुत्तेण सद्धि कुम्मगामाओ नगरायो सिद्धत्थग्गाम नगर सपट्टिए विहाराए। जाहे य मो तं देसं हव्वमागया जत्थ ण से तिलथभए। तए ण से गोसाले मखलिपुत्ते मम एवं वयासी-तुम्भे ण भते । तदा मम एवमाइक्खह जाव परूवेह-गोसाला! एस ण तिलथभए निप्फज्जिस्सइ, नो न निप्फज्जिस्सइ । ' एते य सत्त तिलपुप्फजीवा उद्दाइत्ता-उद्दाइत्ता एयस्स चेव तिलथभगस्स एगाए तिलसगलियाए सत्त तिला पच्चायाइस्सति, तण्ण मिच्छा । इम च ण पच्चक्खमेव दीसइएस ण से तिलथभए नो निप्फन्ने, अन्निप्फन्नमेव । ते य सत्त तिलपुप्फजीवा उद्दाइत्ता-उद्दाइत्ता नो एयस्स चेव तिलथभगस्स एगाए तिलसगलियाए सत्त तिला पच्चायाया ॥ ७३. तए ण अह गोयमा | गोसाल मखलिपुत्त एवं वयासी-तुम ण गोसाला | तदा मम एवमाइक्खमाणस्स जाव परूवेमाणस्स एयमट्ठ नो सद्दहसि, नो पत्तियसि, नो रोएसि, एयम? असद्दहमाणे, अपत्तियमाणे, अरोएमाणे, मम पणिहाए 'अयण्ण मिच्छावादी भवउ' त्ति कटु मम अतियानो सणिय-सणिय पच्चोसक्कसि, पच्चोसक्कित्ता जेणेव से तिलयभए तेणेव उवागच्छसि, उवागच्छित्ता 'त तिलथंभग सलेठ्ठयाय चेव उप्पाडेसि, उप्पाडेत्ता एगतमते एडेसि । तक्खणमेत्तं गोसाला | दिव्वे अभवद्दलए पाउन्भूए । तए ण से दिव्वे अभवद्दलए १. स० पा०-भीए जाव संजायभए । ४ स० पा-तं चेव जाव पच्चायाइम्सति । २ स० पा०-पगिझिय जाव विहरइ। ५ स० पा०-उवागच्छित्ता जाव एगतमते । ३ मपत्यिए (अ, क,ख, व, म), पत्थिए (ता)। Page #730 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पन्न रसम सतं દ खिप्पामेव पतणतणाति, खिप्पामेव "पविज्जुयानि, खिप्पामेव नच्चोदग णातिमट्टिय पविरलपफुसिय रयरेणुविणासण दिव्य सलिलोदग वास वामति, जेण से तिलथंभए आसत्थे पच्चायाते बद्धमूले, तत्येव पतिट्टिाए । ते य सत्त तिलपुप्फजीवा उद्दाइत्ता-उद्दाइत्ता तस्स चेव तिलयभगम्स एगाए तिलमगलियाए सत्त तिला पच्चायाया। त एस ण गोसाला | मे तिलथ भए नि'फन्ने, नो अनिप्फन्नमेव । ते य सत्त तिलपुप्फजीवा उद्दाइत्ता-उद्दाइत्ता एयम्म चेव तिलयभयस्स एगाए तिलसगलियाए सत्त तिला पच्चायाया। एव खलु गोसाला | वणस्नइ काइया पउट्टपरिहार परिहरति ।। ७४ तए ण से गोसाले मखलिपुत्ते मम एवमाइक्खमाणस्स जाव पस्वेमाणम्स एयम? नो सहहइ, नो पत्तियड, नो रोएइ, एयम? असद्दहमाणे अपत्तियगाणे अरोगमाणे जेणेव से तिलथभए तेणेव उवागच्छड, उवागच्छित्ता तानो तिलयभयानो त तिलसगलिय खुड्डइ, खुड्डित्ता करयल सि सत्त तिले पप्फोडेड ।। ७५. तए ण तस्स गोसालस्स मखलिपुत्तस्स ते सत्त तिले गणमाणस्स अयमेयात्वे अज्झथिए' 'चितिए पत्थिए मणोगए सकप्पे ° समुप्पज्जित्था - एव खलु सव्वजीवा वि पउट्टपरिहार परिहरति-'एस ण गोयमा । गोसालस्स मखलिपुत्तस्स पउद्दे", एस ण गोयमा | गोसालस्स मंखलिपुत्तमम मम अतियायो आयाए अवक्कमणे पण्णत्ते ।। गोसालस्स तेयलेस्सुप्पत्ति-पद ७६. तए ण से गोसाले मखलिपुत्ते एगाए सणहाए कुम्मापिडियाए एगेण य विय डासएण छट्ठछट्टेण अणिक्खित्तेण तवोकम्मेण उड्ढ वाहाम्रो पगिभियपगिज्झिय' 'सूराभिमुहे पायावणभूमीए पायावेमाणे० विहर। ताण से गोसाले मखलिपुत्ते अतो छण्ह मासाण सखित्तविउलतेयनेसे जाए। गोसासस्स पुवकहा-उवसहार-पदं ७७. तए ण तस्स गोसालस्स मंखलिपुत्तस्न अप्णदा कदायि उमे छ दिसाचरा प्रतियं पाउन्मवित्था, त जहा-साणे, "कलदे, कणियारे, मच्छिदे, अग्गिवमायणे, अज्जुणे, गोमायुपुत्ते । तए ण त छ दिमानरा पट्टविहं पुव्यगय मगदमम सएहि-सएहि मतिदसणेहि निज्जहति, निजूहिना गोसाल मसलिपुन उबट्टाइन। १ म. पा.-त व जाय तरम। २ जाय (म, स, ग, ता, य, म, म)। ३ ग. पा. -मम्मलिए जाप समुपग्जिमा। ४. ४ (ग)। ५ म. पाल-पनिमियम far ६ माने (प) । २० पा0- पेर म Page #731 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६७० भगवई तए ण से गोसाले मखलिपुत्ते तेण अट्ठगस्स महानिमित्तस्स केणइ उल्लोयमेत्तेण सव्वेसि पाणाण, सव्वेसि भूयाण, सव्वेसि जीवाण, सव्वेसिं सत्ताण इमाई छ अणइक्कमणिज्जाइ वागरणाइ वागरेति, त जहा __ लाभ अलाभ सुह दुक्ख, जीवियं मरण तहा। तए ण से गोसाले मखलिपुत्ते तेण अट्ठगस्स महानिमित्तस्स केणइ उल्लोयमेत्तेणं सावत्थीए नगरीए अजिणे जिणप्पलावी, अणरहा अरहप्पलावी, अकेवली केवलिप्पलावी, असवण्ण सव्वण्णुप्पलावी , अजिणे जिणसह पगासेमाणे विहरइ, त नो खलु गोयमा | गोसाले मखलिपुत्ते जिणे जिणप्पलावी', अरहा अरहप्पलावी, केवली केवलिप्पलावी, सव्वण्णू सव्वण्णुप्पलावी, जिणे जिणसद्द पगासेमाणे विहरइ, गोसाले ण मखलिपुत्ते अजिणे जिणप्पलावी, अणरहा अरहप्पलावी, अकेवली केवलिप्पलावी, असव्वण्ण सव्वण्णप्पलावी, अजिणे जिणसद्द ° पगासेमाणे विहरइ ॥ ७८ तए णं सा महतिमहालया महच्चपरिसा समणस्स भगवनो महावीरस्स अतिए एयम सोच्चा निसम्म हट्ठतुट्ठा समण भगव महावीर वदड नमसइ, वदित्ता नमसित्ता जामेव दिस पाउन्भूया तामेव दिस पडिगया । गोसालस्स अमरिस-पदं ७६ तए ण सावत्थोए नगरीए सिघाडग'-'तिग-चउक्क-चच्चर-चउम्मुह-महापह पहेसु ° वहुजणो अण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ जाव परूवेइ-जण्ण देवाण प्पिया! गोसाले मखलिपुत्ते जिणे जिणप्पलावी जाव जिणे जिणसह पगासेमाणे विहरइ त मिच्छा । समणे भगवं महावीरे एवमाइक्खइ जाव परूवेइ-एव खलु तस्स गोसालस्स मखलिपुत्तस्स मखली नाम मखे पिता होत्था। तए ण तस्स मखस्स एव चेव त सव्व भाणियव्व जाव' अजिणे जिणसद्द पगासेमाणे विहरइ, त नो खलु गोसाले मखलिपुत्ते जिणे जिणप्पलावी जाव विहरइ, गोसाले मखलिपुत्ते अजिणे जिणप्पलावी जाव विहरइ, समणे भगव महावीरे जिणे जिणप्पलावी जाव जिणसद्द पगासेमाणे विहरइ॥ ५०. तए ण से गोसाले मखलिपुत्ते बहुजणस्स अतिय एयम? सोच्चा निसम्म आसुरुत्ते •रुटे कुविए चडिक्किए° मिसिमिसेमाणे आयावणभूमीग्रो पच्चोरुहइ, पच्चोरुहित्ता सावत्थि नगरि मज्झमज्झेण' जेणेव हालाहलाए कुभकारीए कुभकारा १. स० पा०-जिणप्पलावी जाव जिणसद्द । ५. भ० १५५१४-७६ । २. स. पा०—जिणप्पलावी जाव पगासेमाणे । ६. स० पा०-आसुरुत्ते जाव मिसि । ३ सं० पा०- जहा मिवे जाव पडिगया। ७ लेखसक्षेपकरणेन 'निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता' ४ स० पा०-सिंघाडग जाव वहुजणो। इति पाठो न दृश्यते । द्रष्टव्यम्-१५।२४ । Page #732 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पन्नरसम सतं वणे' तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता हालाहलाए कुभकारीए कुभकारावणसि' ग्राजीवियसघसपरिवुडे' महया अमरिस वहमाणे एव चावि विहरs || गोसालस्स श्राणंद रसमक्खे प्रक्कोसपदसण-पद ८२ तेण कालेन तेण समएण समणस्स भगवो महावीरस्स अतेवासी प्राणदे नाम थेरे पगइभद्दए जावळे विणीए छट्ठछट्टेण प्रणिक्खित्तेण तवोकम्मेण सजमेण तवसा अप्पाण भावेमाणे विहरइ ॥ ८२. तए ण से प्राणदे थेरे छट्टक्खमणपा रणगसि पढमाए पोरिसीए एव जहा गोयमसामी तहेव पुच्छर, तहेव जाव' उच्च-नीय - मज्झिमाइ' कुलाइ घरसमुदाणस्स भिक्खायरिया • ग्रडमाणे हालाहलाए कुभकारीए कुभका रावणस्स दूरसामते वीडवयइ ॥ ० ८४ ८३. तएण से गोसाले मखलिपुत्ते ग्राणद थेर हालाहलाए कुभकारीए कुभकरावणस्स अदूरसामतेण वीइवयमाण पासइ, पासित्ता एव वयासी - एहि ताव आणदा । इ एग मह उवमिय निसामेहि ॥ तए ण से आणदे थेरे गोसालेणं मखलिपुत्तेण एव वृत्ते समाणे जेणेव हालाहलाए कुंभकारीए कुभकारावणे, जेणेव गोसाले मख लिपुत्ते तेणेव उवागच्छइ ।। ८५ तए ण से गोसाले मखलिपुत्ते प्राणद थेर एव वयासी -- एव खलु आणदा । इत्तो चिरातीयाए श्रद्धाए केइ उच्चावया वणिया प्रत्थत्थी अत्थलुद्धा प्रत्थवेस ग्रत्थकखिया ग्रत्थपिवासा ग्रत्थगवेसणयाए नाणाविहविउलपणियभडमायाए सगडी सागडेण सुबहु भत्तपाण पत्थयण' गहाय एग मह अगामिय' प्रणोहिय छिन्नावाय दीहमद्ध ग्रवि णुष्पविट्ठा || ८६ तण तेसि वणियाण तीसे प्रगामियाए प्रणोहियाए छिन्नावायाए दीहमद्धाए अडवी किचि देस प्रणुप्पत्ताण समाणाण से पुव्वगहिए उदए प्रणुपुव्वेण परिभुज्जमाणे- परिभुज्जमाणे झोणे" ॥ ८७ तएण ते वणिया झीणोदगा" समाणा तण्हाए परव्भमाणा ग्रण्णमण्णे सद्दावेति, ६७१ १ कुभकारावदणे (ता) | २ कु भकारावदणसि (ता) | ३ • सघपरिवुडे (ता, ब, म ) । o ४ भ० १।२८८ ५ भ० २।१०७-१०६ । ६ स० पा० - मज्झिमाइ जाव श्रडमाणे । ७ उच्चावगा (ख, ता, व, स ) 1 ८ पत्यायणं ( ता ) । ६ श्रागामिय ( ग्र, म, स), प्रकामिय (क, ख, ता) । १० खीणे ( अ, क, म, स) 1 ११ खीणोदगा ( म, स) 1 १२ परिभवमाणा ( अ, स), परिब्भममाणा ( ता ), परव्भवमाणा (म) । Page #733 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६७२ ८८ भगवई 0 I सद्दावेत्ता एव वयासी - एव खलु देवाणुप्पिया । ग्रम्ह इमीसे ग्रगामिया ' • ग्रोहियाए छिन्नावायाए दीहमद्धाए ग्रडवी किंचि देस प्रणुप्पत्ताण समाणाण से पुव्वगहिए उदए श्रणुपुब्वेण परिभुज्जमाणे- परिभुज्जमाणे झीणे, त से खलु देवाणुप्पिया म्ह इमी से ग्रगामियाए जाव ग्रडवीए उदगस्स सव्वग्रो समता मग्गण - गवेसण करेत्तए त्ति कट्टु ग्रण्णमण्णस्स प्रति एयमट्ठ पडिसुणेति, पडिमुणेत्ता तीसे ण अगामियाए जाव ग्रडवीए उदगस्स सव्वग्रो समता मग्गण - गवेसण करेति, उदगस्स सव्वग्रो समता मग्गण - गवेसणं करेमाणा एगं मह वणसड ग्रासादेति - किण्ह किण्होभास जाव' महामेहनिकुरवभूय' पासादीय' 'दरिसणिज्ज ग्रभिरुव पडिरूव । तस्स ण वणसंडस्स वहुमज्झदेस भाए, एत्थ ण महेग वम्मीय ग्रासादेति । तस्स ण वम्मीयस्स चत्तारि वप्पू' प्रभुग्गयाग्रो, अभिनिसढायो, तिरिय सुसपग्गहिया, हे पन्नगद्धरूवाओ, पन्नगद्धसठाणसठियाग्रो, पासादियाग्रो" दरिसणिज्जाश्रो अभिरूवाम्रो पडिरूवा ॥ तण ते वणिया हट्टा अण्णमण्ण सद्दावेति, सद्दावेत्ता एव वयासी - एव खलु देवाप्पिया ! म्हे इमीसे ग्रगामियाए ' 'अणोहियाए छिन्नावायाए दीह्मद्धाए अडवीए उदगस्स ' ० सव्वत्र समता मग्गण - गवेसण करेमाणेहि इमे वणसडे प्रासादिए – किण्हे किण्होभासे । इमस्स ण वणसडस्स वहुमज्भदेसभाए इमे वम्मीए आसादिए । इमस्स ण वम्मीयस्स चत्तारि वप्पूग्रो अब्भुग्गयाओ', • ग्रभिनिसढाओ, तिरिय सुसपग्गहियाग्रो, ग्रहे पन्नगद्धरूवाग्रो, पन्नगद्धसठाणसठियाग्रो, पासादिया दरिसणिज्जाओ अभिरूवाप्र० पडिरूवायो त सेय खलु देवाणुप्पिया ! ग्रम्ह इमस्स वम्मीयस्स पढम वप्पु भिदित्तए, अवियाइ श्रोराल उदगरयण अस्सादेस्सामो ॥ ८६ त णं ते वणिया ग्रण्णमण्णस्स प्रतिय एयमट्ठे पडिसुणेति, पडिसुणेत्ता तस्स वम्मीयस्स पढम वप्पु भिदति । ते ण तत्थ अच्छ पत्थ जच्च तणुय फालियवण्णाभं ओराल उदगरयण प्रसादेति । तए ण ते वणिया हट्टतुट्ठा पाणिय पिवति, पिवित्ता वाहणाइं पज्जेति, पज्जेत्ता भायणाइ भरेति, भरेत्ता दोच्च पि अण्णमण्ण एव वदासी - एव खलु देवाणुप्पिया । म्हेहिं इमस्स वम्मीयस्स १. स० पा० - प्रगामियाए जाव अडवीए । २. प्रो० सू० ४ । ० ३ • निकुरु वभूय (क, ख, ता, व, म) 1 ४. म० पा० पासादीयं जाव पडिरूव । ५ वम्मियं ( अ, क ) 1 ६ वपू ( अ, क ) वपूओ (ख, म ) । ७. स० पा० - पासादिया जाव पडिरूवाओ । ८ स० पा० - अगामियाए जाव सव्वो । ६ स० पा० - अब्भुग्गयाग्रो जाव पडिरूवान । वप्पि ( अ, स), वपु (क, व, म) । १० Page #734 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पन्तरसमं सतं. ६७३ पढमाए वप्पूए' भिन्नाए ओराले उदगरयणे अस्सादिए, तं सेय खलु देवाणुप्पिया | अम्ह इमस्स वम्मीयस्स दोच्च पि वप्पु भिदित्तए, अवियाइ एत्थ ओराल सुवण्णरयण अस्सादेस्सामो ॥ ६० तए ण ते वणिया अण्णमण्णस्स अतिय एयमट्ठ पडिसुणेति, पडिसुणेत्ता तस्स वम्मीयस्स दोच्च पि वप्पु भिंदति । ते ण तत्थ अच्छ जच्च तावणिज्ज' महत्थ महग्घ महरिह अोराल सुवण्णरयण अस्सादेति । तए ण ते वणिया हतुवा भायणाइ भरेति, भरेत्ता पवहणाइ भरेति, भरेत्ता तच्च पि अण्णमण्ण एव वयासी-एव खलु देवाणुप्पिया | अम्हे इमस्स वम्मीयस्स पढमाए वप्पूए भिन्नाए अोराले उदगरयणे अस्सादिए', दोच्चाए वप्पूए भिन्नाए अोराले सुवण्णरयणे अस्सादिए, त सेय खलु देवाणुप्पिया | अम्ह इमस्स वम्मीयस्स तच्च पि वप्पु भिदित्तए, अवियाइ एत्थ ओराल मणिरयण अस्सादेस्सामो॥ ६१ तए ण ते वणिया अण्णमण्णस्स अतिय एयमट्ठ पडिसुणेति, पडिसुणेत्ता तस्स वम्मीयस्स तच्च पि वप्पु भिदति । ते ण तत्थ विमल निम्मल नित्तल निक्कलं महत्थ महग्घ महरिह ओराल मणिरयण अस्सादेति । तए ण ते वणिया हट्ठतुट्ठा भायणाइ भरेति, भरेत्ता पवहणाइ भरेति, भरेत्ता चउत्थ पि अण्णमण्ण एव वयासी-एव खलु देवाणुप्पिया | अम्हे इमस्स वम्मीयस्स पढमाए वप्पूए भिन्नाए ओराले उदगरयणे अस्सादिए, दोच्चाए वप्पूए भिन्नाए अोराले सुवण्णरयणे अस्सादिए, तच्चाए वप्पूए भिन्नाए अोराले मणिरयणे अस्सादिए, त सेय खलु देवाणुप्पिया | अम्ह इमस्स वम्मीयस्स चउत्थ पि वप्पु भिंदित्तए, अवियाइ उत्तम महग्घ महरिह ओराल वइररयण अस्सादेस्सामो॥ ६२ तए ण तेसि वणियाण एगे वणिए हियकामए सुहकामए पत्थकामए प्राणुकपिए निस्से सिए हिय-सुह-निस्सेसकामए ते वणिए एव वयासी-एव खलु देवाणुप्पिया । अम्हे इमस्स वम्मीयस्स पढमाए वप्पूए भिन्नाए अोराले उदगरयणे 'अस्सादिए, दोच्चाए वप्पूए भिन्नाए अोराले सुवण्णरयणे अस्सादिए°, तच्चाए वप्पूए भिन्नाए अोराले मणिरयणे अस्सादिए, त होउ अलाहि पज्जत्त णे, एसा चउत्थी वप्पू' मा भिज्जउ, चउत्थी ण वप्पू सउवसग्गा यावि होत्या ॥ ६३ तए ण ते वणिया तस्स वणियस्स हियकामगस्स सुहकामगस्स •पत्थकामगस्स आणकपियस्स निस्सेसियस्स हिय-सुह-निस्सेसकामगस्स एवमाइक्खमाणस्स १ वप्पाए (अ, ख, स)। २ तवरिणज्ज (अ, क, ब, म, स)। ३ प्रासादिए (म, स)। ४, वप्प (अ, ख, स)। ५ स० पा०-उदगरयणे जाव तच्चाए। ६ वप्पा (ता)। ७ स० पा०---सुहकामगस्स जाव हिय । Page #735 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई जाव परूवेमाणस्स एयमद्वं नो सद्दहंति, 'नो पत्तियंति" नो रोयति एयमट्ठ असद्दहमाणा अपत्तियमाणा अरोएमाणा तस्स वम्मीयस्स चउत्थं पि वप्पु भिदति । ते णं तत्थ उग्गविस चंडविस घोरविस महाविस 'अतिकायं महाकायं" मसिमूसाकालग नयणविसरोसपुण्णं अजणपुंज-निग रप्पगासं रत्तच्छं जमलजुयल-* चचलचलतजीह धरणितलवेणिभूय उक्कड फुड- कुडिल- जडुल- कक्खड - विकडफडाडोवकरणदच्छ लोहागर-धम्ममाण-धमघमेतघोस प्रणाग लियचंड तिव्वरोस 'समुह तुरिय चवल " धमत दिट्ठीविस सप्पं सघट्टेति ॥ ९४ तए णं से दिट्ठीविसे सप्पे तेहि वणिएहि संघट्टिए समाणे प्रासुरुते रुट्ठे कुविए चडिक्किए॰ मिसिमिसेमाणे सणिय-सणिय उट्ठेइ, उट्ठेत्ता सरसरसरस्स वम्मीयस्स सिहतलं द्रुहृति', दुहित्ता आदिच्च निज्भाति, निज्भाइत्ता ते वणिए अणिमिसाए दिट्ठीए सव्व समता समभिलोएति ॥ ६७४ ६५ तएण ते वणिया तेण दिट्ठीविसेण सप्पेण प्रणिमिसाए दिट्ठीए सव्व समता समभिलोइया समाणा खिप्पामेव सभडमत्तोवगरणमायाए एगाहच्चं कूडाहच्चं भासरासी कया यावि ́ होत्या । तत्थ ण जे से वणिए तेसि वणियाण हियकामए' •सुहकामए पत्थकामए आणुकपिए निस्सेसिए हिय सुह - निस्सेसकामए से णं आणुकपियाए देवयाए सभडमत्तोवगरणमायाए नियग नगर साहिए || ६६. एवामेव ग्राणदा । तव वि धम्मायरिएण धम्मोवएसएण समणेण नायपुत्तेणं ओराले परियाए अस्सादिए, ओराला कित्ति वण्ण- सह - सिलोगा सदेवमणुयासुरे लो पुव्वति, गुव्वति, युव्वति " - इति खलु समणे भगव महावीरे, इति खलु समणे भगव महावीरे । त जदि मे से अज्ज किचि वि वदति तो ण तवेणं तेण एगाहच्च कूडाहच्चं भासरासि करोमि, जहा वा वालेणं ते वणिया । तुमं च णं आणदा | सारखखामि सगोवामि जहा वा से वणिए तेसि वणियाण हियकामए जाव” निस्सेसकामए आणुकपियाए देवयाए सभंड मत्तोवगरणमायाए नियग नगर साहिए । त गच्छ" ण तुम प्राणदा ! तव धम्मायरियस्स धम्मोव - सगस्स समणस्स नायपुत्तस्स एयमट्ठ परिकहेहि ॥ o १ जाव ( अ, क, ख, ता, व, म, स) । २ जाव ( अ, क, ख, ता, व, म, स) । ३. अतिकायमहाकाय (क, ख, ता, म ) | ४. ० जवल (श्र, ख, व, स ) 1 ५. समूहि तुरियचवल (अ, क, ख, ता, व); समुदियतुरियचवल (वृ) । 1 ६. स० पा० - ग्रामुरुते जाव मिसि • ७ द्रुहेनि (क, ता, म); दुरुहति ( स ) | ८.वि (क, ता, व) । ६. स० पा० हियकामए जाव हिय । १०. X (अ, क, ख, ता), गुवति (व, म) 1 ११. तुवति (क, ख ); X (ब, म ), 'थुवति' त्ति क्वचित् क्वचित् 'परिभमती' ति दृश्यते (वृ) । १२. भ० १५/६२ । १३. स० पा० - सभड जाव साहिए । १४. गच्छाहि (व, म) । Page #736 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पन्नरसम सत ६७५ पाणंदथेरस्स भगवनो निवेदण-पद ६७. तए णं से आणदे थेरे गोसालेण मखलिपुत्तेण एव वृत्ते समाणे भीए जाव' सजाय भए गोसालस्स मखलिपुत्तस्स अतियानो हालाहलाए कुभकारीए कुभकारावणाओ पडिनिक्खमति, पडिनिक्खमित्ता सिग्घ तुरिय सावत्थि नगरि मझमझण निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता जेणेव कोट्टए चेइए, जेणेव समणे भगव महावीरे तेणेव उवागच्छइ,उवागच्छित्ता समण भगव महावीर तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिण करेइ, करेत्ता वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता एव वयासी-एव खलु अह भते । छट्टक्खमणपारणगसि तुम्भेहिं अभणुण्णाए समाणे सावत्थीए नगरीए उच्च-नीय'- मज्झिमाइ कुलाइ घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए ° अडमाणे हालाहलाए कुभकारीए' 'कुभकारावणस्स अदूरसामते °वीइवयामि, तए ण गोसाले मखलिपुत्ते मम हालाहलाए 'कुभकारीए कुभकारावणस्स अदूरसामनेण वीइवयमाण ° पासित्ता एव वयासी-एहि ताव आणदा । इनो एग मह उवमिय निसामेहि। तए ण अह गोसालेण मखलिपुत्तेण एव वुत्ते समाणे जेणेव हालाहलाए कुभकारीए कुभकारावणे, जेणेव गोसाले मखलिपुत्ते, तेणेव उवागच्छामि। तए ण से गोसाले मखलिपुत्ते मम एव वयासी-एव खलु आणदा ! इनो चिरातीयाए अद्धाए केइ उच्चावया वणिया एव त चेव सव्व निरवसेस भाणियव्व जाव' नियग नगर साहिए । त गच्छ ण तुम प्राणदा | तव धम्मायरियस्स धम्मोवएसगस्स' 'समणस्स नायपुत्तस्स एयमट्ठ परिकहेहि ॥ १८ त पभू ण भते | गोसाले मखलिपुत्ते तवेण तेएण एगाहच्च कूडाहच्च भासरासिं करेत्तए ? विसए ण भते । गोसालस्स मखलिपुत्तस्स" 'तवेण तेएण एगाहच्च कूडाहच्च भासरासिं° करेत्तए ? समत्थे ण भते । गोसाले मखलिपुत्ते तवेण तेएणं एगाहच्च कूडाहच्च भासरासिं° करेत्तए ? पभू ण आणदा | गोसाले मखलिपुत्ते तवेण 'तेएण एगाहच्च कूडाहच्च भासरासिं° करेत्तए । विसए ण आणदा | गोसालस्स 'मखलिपुत्तस्स तवेण तेएण एगाहच्च कूडाहच्च भासरासि ° करेत्तए । समत्थे ण आणदा | गोसाले" १ भ० १५२६६ । ७ स० पा०-मखलिपुत्तस्स जाव करेत्तए । २ स० पा०-तीय जाव अडमाणे। ८ स० पा०-गोसाले जाव करेत्तए। ३ स० पा०-कु भकारीए जाव वीइवयामि । ६ स० पा०–तवेण जाव करेत्तए। ४ स० पा०-हालाहलाए जाव पासित्ता। १०. स० पा०—गोसालस्स जाव करेत्तए। ५ भ० १५०८५-६५। ११. स० पा०—गोसाले जाव करेत्तए। ६ स० पा०-धम्मोवएसगस्स जाव परिकहेहि । Page #737 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई | अण • मखलिपुत्ते तवेण तेण एगाहच्चं कूडाहच्च भासरासिं० करेत्तए, नो चेव णं अरहते भगवते, पारियावणिय' पुण करेज्जा । जावतिए ण श्राणदा । गोसालस्स मखलिपुत्तस्स 'तवे तेए”, एत्तो प्रणतगुणविसिट्ठतराए चेव तवे तेए अणगाराण भगवताण, खतिखमा पुण अणगारा भगवतो । जावइए ण श्राणदा गाराण भगवताण तवे तेए एत्तो प्रणतगुणविसिट्टतराए चेव तवे तेए थेराण भगवताण, खतिखमा पुण थेरा भगवतो । जावतिए ण श्राणदा | थेराण भगवताण तवे तेए एत्तो प्रणतगुणविसिट्टतराए चेव तवे तेए रहताण भगव - ताण, खतिखमा पुण रहता भगवतो । त पभू ण प्राणदा | गोसाले मखलिपुत्ते तवेण तेएण' 'एगाहच्च कूडाहच्च भासरासिं• करेत्तए, विसए ण श्राणदा । • गोसालस्स मखलिपुत्तस्स तवेण तेएण एगाहच्च कूडाहच्च भासरासि • करेत्तए, समत्थे ण आणदा' । 'गोसाले मखलिपुत्ते तवेण तेएण एगाहच्च कूडाहच्च भासरासिं° करेत्तए, नो चेव ण अरहते भगवते, पारियावणिय पुण करेज्जा ॥ प्राणदरेण गोयमाईणं श्रणुण्णवण-‍ -पदं ६६. तं गच्छ ण तुम श्राणदा ! गोयमाईण समणाण निग्गथाण एयमद्वं परिकहेहिमाण अज्जो । तुब्भ केई गोसालं मखलिपुत्त धम्मियाए पडिचोयणाए पsि - चोएउ, धम्मियाए पडिसारणाए पडिसारेउ, धम्मिएण पडोयारेण पडोयारेउ, गोसाले ण मखलिपुत्ते समणेहिं निग्गथेहि मिच्छ विप्पडिवन्ते ॥ १०० तए ण से आणदे थेरे समणेण भगवया महावीरेण एवं वृत्ते समाणे समण भगवं महावीरं वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता जेणेव गोयमादी समणा निग्गथा तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता गोयमादी समणे निग्गथे ग्रामतेति, आमतेत्ता एव वयासी - एव खलु ग्रज्जो । छट्ठक्खमणपारणगसि समणेणं भगवया महावीरेण अब्भणुण्णाए समाणे सावत्थीए नगरीए उच्च-नीय-मज्झिमाइ कुलाइ तं चेव सव्व जाव‘ ‘गोयमाईण समणाण निग्गथाण" एयमट्ठ परिकहेहि, तं माण ! ६७६ १ परियावणिय ( अ, स) । २. तवतेए ( स ) सर्वत्र । ३ स० पा० - तेएण जाव करेत्तए । ४. सं० पा० - आणदा जाव करेत्तए । ५ स० पा०-- आणदा जाव करेत्तए । ६. भ० १५१८२-६६ 1 ७ नायपुत्तस्स ( अ, क, ख, ता, व, म, स), 'सर्वेष्वपि आदर्शपु ' नायपुत्तस्स एयमट्ठ परिकहि' इति पाठोस्ति, किन्तु प्रसङ्गपर्यालोचनया नैप सगच्छते । 'नायपुत्तस्स एयमट्ठ परिकहेहि' इति गोशालकस्य उक्तिरस्ति - द्रष्टव्य १५।६६ । यदि एतदन्त पाठोत्र विवक्षित स्यात्तदा आनन्दस्य भगवतो निवेदनम्, भगवतश्च आनन्दस्य गौतमादिश्रमणेभ्य तदर्थज्ञापनस्य निर्देशन - एतत् सर्व तस्मिन् पाठे नैव प्राप्त भवेत् । कथ च आनन्द भगवत निर्देशमश्रावयित्वा गौतमादिभ्य. 'त मारण अज्जो' इत्यादि निर्देश कुर्यात् ? एतत् न स्वाभाविकम् । तेन प्रतीयते अत्र पाठसक्षेपीकरणे Page #738 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पन्नरसम सत ६७७ अज्जो! तुम्भ केई गोसाल मखलिपुत्त धम्मियाए पडिचोयणाए पडिचोएउ', 'धम्मियाए पडिसारणयाए पडिसारेउ, धम्मिएण पडोयारेण पडोयारेउ, गोसाले ण मखलिपुत्ते समणेहि निग्गथेहि ° मिच्छ विप्पडिवन्ने । गोसालस्स भगवंत पइ अक्कोसव्वं ससिद्धतनिरूवरण-पदं १०१. जाव च ण पाणदे थेरे गोयमाईण समणाण निग्गथाण एयमट्ठ परिकहेइ, ताव च ण से गोसाले मखलिपुत्ते हालाहलाए कुभकारीए कुभकारावणाम्रो पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता आजीवियसघसपरिवुडे महया अमरिस वहमाणे सिग्घ तुरिय' सावत्थि नगरि मज्झमज्झेण निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता जेणेव कोढ़ए चेइए, जेणेव समणे भगव महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणस्स भगवो महावीरस्स अदूरसामते ठिच्चा समण भगव महावीर एव वदासीसुठ्ठ ण आउसो कासवा । मम एव वयासी, साहू ण आउसो कासवा । मम एव वयासी-गोसाले मखलिपुत्ते मम धम्मतेवासी, गोसाले मखलिपुत्ते मम धम्मतेवासी। जे ण से गोसाले मखलिपुत्ते तव धम्मतेवासी से ण सुक्के सुक्काभिजाइए भवित्ता कालमासे काल किच्चा अण्णयरेसु' देवलोएसु देवत्ताए उववन्ने, अहण्ण उदाई नाम कुडियायणीए अज्जुणस्स गोयमपुत्तस्स सरीरग विप्पजहामि, विप्पजहित्ता गोसालस्स मखलिपुत्तस्स सरीरग अणुप्पविसामि, अणुप्पविसित्ता इम सत्तम पउट्टपरिहार परिहरामि । जे वि आइ पाउसो कासवा | अम्ह समयसि केइ सिज्झिसु वा सिझति वा सिज्झिस्सति वा सव्वे ते चउरासीतिं महाकप्पसयसहस्साइ, सत्त दिव्वे, सत्त सजूहे, सत्त सण्णिगम्भे, सत्त पउट्टपरिहारे, पच कम्मणि' सयसहस्साइ सद्धिं च सहस्साइ छच्च सए तिण्णि य कम्मसे अणुपुव्वेण खवइत्ता तो पच्छा सिज्झति बुज्झति मुच्चति परिनिव्वायति' सव्वदुक्खाणमत करेसु वा करेति वा करिस्सति वा । से जहा वा गगा महानदी जो पवूढा, जहिं वा पज्जुवत्थिया', एस ण अद्धा पचजोयणसयाइ आयामेण, अद्धजोयण विक्खभेण, पच धणुसयाइ उव्वेहेण । लिपिकरणे वा कश्चिद् विपर्ययो जात.। ३ अण्णतरेसु चेव (ता)। प्रसङ्गानुसारेण 'जाव' पदस्यानन्तर गोय- ४ कडियायणिए (क, म), कुडियणिए (ता)। माईण समणाण निग्गथाण एयमट्ठ परिकहेहि' ५ कम्मणि (अ, ख, ता), कम्माणि (क): इति पाठ उपयुज्यते । कर्मणामित्यर्थ. (वृ)। १ स० पा०-पडिचोएउ जाव मिच्छ । ६. परिनिव्वाइति (अ, ख, स)। २ तुरिय जाव (अ, क, ख, ता, व, म, स), ७. पज्जवस्थिया (अ, क, स), पज्जपत्थिया दष्टव्यम्-भ० १५६७ । (ता)। Page #739 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६७८ भगव एएण गगापमाणेणं सन्त गगायां सा एगा महागगा । मन महागगाथ। नाएगा सादीणगगा । रात्तसादीणगगाओ सा एगा मदुगगा' | गन मदुगगाओ सा एगा लोहियगगा । सत्त लोहियगगाओ सा एगा श्रावतीगंगा' । सत्त श्रावतीगंगाओ सा एगा परमावती । एवामेव सपुव्वावरेण एग गंगानयसहम्स उत्तर सहस्सा छच्च गुणपन्न' गगासया भवतीति मक्वाया । तासि दुविहे उद्धारे पण्णत्ते, त जहा मुदुमवोदिकलेवरे नेव, वायवोदिकलेवरे चैव । तत्थ ण जे मे मुहमवादिकलेवरे से ठप्पे । तत्य ण जे से वायरबोदिकलेवरे तत्रो ण वाससए गए, वाससए गए एगमेग गंगावालुयं श्रवहाय जातिएण काले से कोट्ठे खीणे णीरए निलेवे निट्टिए भवति सेत्तं सरे सरप्पमाणे । एएण सरप्पमाणेण तिष्णि सरस्वसाहस्मीयो से एगे महाकप्पे, चउरासीतिं महाकप्पसयमहस्साइ से एगे महामाणसे । १ प्रणताओ सजूहाम्रो जीवे चय चत्ता उवरिले माणसे नजू हे देवे उववज्जति । सेण तत्थ' दिव्वाइ भोग भोगाइ भुजमाणे विहरण, विहरिता ताश्रो देवलोगाओ ग्राउक्खएण भवक्खएण ठिक्खएण ग्रणतर चय चइत्ता पढमे सण्णगभे जीवे पच्चायाति । २ सेण तहिंतो प्रणतर उव्वट्टित्ता मज्भिल्ले माणसे सजू हे देवे उववज्जइ । सेण तत्थ दिव्वाइ भोगभोगाइ भुजमाणे विहरड, विहरित्ता ताम्रो देवलोगाश्रो ग्राउक्खएण' 'भवक्खएण ठिइक्खएण श्रणतर चय • चइत्ता दोच्चे सण्णगन्भे जीवे पच्चायाति । ३. से ण तोहितो ग्रणतर उव्वट्टित्ता हेट्ठिल्ले माणसे सजू हे देवे उववज्जइ । सेण तत्थ दिव्वाइ भोगभोगाइ जाव चइत्ता तच्चे सण्णिगन्भे जीवे पच्चायाति । ४ से ण तनोहितो जाव उव्वट्टित्ता उवरिल्ले माणुसुत्तरे सजू हे देवे उववज्जइ । से तत्थ दिव्वाइ भोगभोगाइ जाव चइत्ता चउत्थे सण्णिगव्भे जीवे पच्चायाति । ५ से ण तोहितो प्रणतर उन्वट्टित्ता मज्भिल्ले माणुसुत्तरे सजूहे देवे उववज्जइ । से ण तत्थ दिव्वाइ भोगभोगाइ जाव चइत्ता पचमे सण्णिगन्भे जीवे पचायाति । ६ से ण तोहितो अणतरं उब्वट्टित्ता हिट्ठिल्ले माणुसुत्तरे सजूहे देवे उववज्जइ । से ण तत्थ दिव्वाइ भोगभोगाइ जाव चइत्ता छुट्टे सण्णिगव्भे जीवे पन्चायति । १. महुगगा ( ब ) ; मदुगगा (म), मच्चुगगा ( क्व० ) । ४. तत्था (ता) । २. अवतीगंगा (क, ख, ब, म) । ३. गुणपण्ण (अ.स), अगुणपण्णा (ता) | ५. स० पा०-आउक्खएण जाव चइत्ता । Page #740 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पन्तरसम सत ६७६ ७. से ण तओहितो अणतर उव्वट्टित्ता-वभलोगे नाम से कप्पे पण्णत्तेपाईणपडोणायते उदीणदाहिणविच्छिण्णे, जहा ठाणपदे जाव पच वडेसगा पण्णत्ता, त जहा–असोगवडेसए जाव' पडिरूवा-से ण तत्थ देवे उववज्जइ । से ण तत्थ दस सागरोवमाइ दिव्वाइ भोगभोगाइ जाव' चइत्ता सत्तमे सण्णिगम्भे जीवे पच्चायाति । से ण तत्थ नवण्ह मासाण बहुपडिपुण्णाण अट्ठमाण राइदियाण वीतिक्कताण सुकुमालगभद्दलए मिउ-कुडलकुचिय-केसए मट्ठगडतल-कण्णपीढए देवकुमारसप्पभए दारए पयाति । से ण अह कासवा | तए ण अह आउसो कासवा ! कोमारियपव्वज्जाए कोमारएण वभचेरवासेण अविद्धकण्णए चेव सखाण पडिलभामि, पडिलभित्ता इमे सत्त पउट्टपरिहारे परिहरामि, त जहा१ एणेज्जस्स २ मल्लरामस्स ३ मडियस्स' ४. रोहस्स ५ भारदाइस्स ६ अज्जुणगस्स गोयमपुत्तस्स ७ गोसालस्स मखलिपुत्तस्स । तत्थ ण जे से पढमे पउट्टपरिहारे से ण रायगिहस्स नगरस्स बहिया मडिकुच्छिसि चेइयसि उदाइस्स कुडियायणस्स सरीर विप्पजहामि, विप्पजहित्ता एणेज्जगस्स सरीरग अणुप्पविसामि, अणुप्पविसित्ता बावीस वासाइ पढम पउट्टपरिहार परिहरामि। तत्थ ण जे से दोच्चे पउट्टपरिहारे से ण उद्दडपुरस्स नगरस्स बहिया चदोयरणसि चेइयसि एणेज्जगस्स सरीरग विप्पजहामि, विप्पजहित्ता मल्लरामस्स सरीरग अणुप्पविसामि, अणुप्पविसित्ता एकवीस वासाइ दोच्च पउट्टपरिहार परिहरामि। तत्थ ण जे से तच्चे पउट्टपरिहारे से ण चपाए नगरीए बहिया अगमंदिरसि चेइयसि मल्लरामस्स सरीरग विप्पजहामि, विप्पजहित्ता मडियस्स सरीरग अणुप्पविसामि, अणुप्पविसित्ता वीस वासाइ तच्च पउट्टपरिहार परिहरामि। तत्थ ण जे से चउत्थे पउट्टपरिहारे से ण वाणारसीए नगरीए बहिया काममहावणसि चेइयसि मडियस्स सरीरग विप्पजहामि, विप्पजहित्ता रोहस्स सरीरंग अणुप्पविसामि, अणुप्पविसित्ता एकणवीस वासाइ चउत्थ पउपरिहार परिहरामि। तत्थ ण जे से पचमे पउट्टपरिहारे से ण ालभियाए नगरीए बहिया पत्तकालगसि चेइयसि रोहस्स सरीरग विप्पजहामि, विप्पजहित्ता भारहाइस्स सरीरग १. १०२। २. कु तल ° (ता)। ३. मडिसस्स (क, ता, ब)। ४. कालगयसि (स)। Page #741 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६८० भगवई अणुष्पविसामि श्रणुष्पविसित्ता अट्ठारस वासाइ पचम पट्टपरिहारं परिहरामि । तत्थ ण जे से छट्ठे पउट्टपरिहारे से ण वेसालीए नगरीए वहिया कोडियायण सि चेइयसि भारद्दाइस्स' सरीर विप्पजहामि, विप्पजहित्ता ग्रज्जुणगस्स गोयमपुतस सरीर णुप्पविसामि ग्रणुप्पविसित्ता सत्तरस वासाइ छुट्ट पट्टपरिहार परिहरामि । तत्थ ण जे से सत्तमे पउट्टपरिहारे से ण इहेव सावत्थीए नगरीए हालाहलाए कुभकारीए कुभकारावणसि ग्रज्जुणगस्स गोयमपुत्तस्स सरीरंग विप्पजहामि, विप्पजहित्ता गोसालस्स मखलिपुत्तस्स सरीरंग ग्रल थिर धुव धारणिज्ज सीयसह उण्हसह खुहासह विविहदसमसग परीस होव सग्गसह थिरसघयण ति कट्टु त अणुप्पविसामि श्रणुप्पविसित्ता सोलस वासाइ इम सत्तम पउट्टपरिहार परिहरामि । एवमेव ग्राउसो कासवा । एगेण तेत्ती सेण वाससएण सत्त पट्टपरिहारा परिहरिया भवतीति मक्खाया, त मुट्ठ ण ग्राउसो कासवा ! मम एव वयासी - साहू ण ग्राउसो कासवा मम एव वयासी – गोसाले मखलिपुत्ते मम धम्मतेवासी, गोसाले मखलिपुत्ते मम धम्मतेवासी ॥ 1 भगवया गोसालगवयणस्स पडियार - पद १०२. तए ण समणे भगव महावीरे गोसाल मखलिपुत्त एव वयासी – गोसाला | से जहानामए तेणए सिया, गामेल्लएहि परम्भमाणे - परव्भमाणे कत्थ य गड्ड वा दरि वा दुग्ग वा णिण्ण वा पव्वय वा विसम वा अणस्सादेमाणे एगेण महं उण्णालोमेण वा सणलोमेण वा कप्पासप हेण' वा तणसूण वा प्रत्ताण ग्रावरेताण चिट्ठेज्जा, सेण प्रणावरिए ग्रावरियमिति अप्पाण मण्णइ, अप्पच्छण्णे य पच्छण्णमिति ग्रप्पाण मण्णइ, ग्रणिलुक्के णिलुक्कमिति श्रप्पाण मण्णइ, पलाए पलायमिति अप्पाणं मण्णइ, एवामेव तुम पि गोसाला | ग्रणपणे सते अण्णमिति अप्पाण उपलभसि त मा एव गोसाला । नारिहसि गोसाला / सच्चेव ते सा छाया नो अण्णा ॥ गोसालस्स पुणरक्कोस-पदं १०३. तए ण से गोसाले मखलिपुत्ते समणेण भगवया महावीरेण एव वृत्ते समाणे प्रासु - रुत्ते रुट्ठे कुविए चडिक्किए मिसिमिसेमाणे समण भगव महावीर उच्चावयाहिं १. कडिययणसि ( स ) । २. भारद्दाइयस्स ( अ, ता, स ) । ३. परिभमाणे (ता), पारम्भमाणे (म); परज्झमाणे (स) । ४. रिगण ( क, ता ), गिल्ल (म ) । ५. अणासा (ता) | o ६ ° पोम्हेण (क, ख ), पोंभेरण (ता) । Page #742 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पन्नरसमं सतं प्रायोसणाहिं आओसइ, उच्चावयाहि उद्धसणाहिं उद्धसेति, उच्चावयाहि 'निन्भछणाहि निव्भछेति", उच्चावयाहिं निच्छोडणाहि निच्छोडेति, निच्छोडेत्ता एव वयासी- नटे सि कदाइ, विणढे सि कदाइ, भट्ठे सि कदाइ, नट्ठ-विणट्ट-भट्ठे सि कदाइ, अज्ज न भवसि, नाहि ते ममाहितो सुहमत्थि' ।। गोसालेण सव्वाणुभूतिस्स भासरासीकरण-पदं १०४ तेण कालेण तेण समएण समणस्स भगवनो महावीरस्स अतेवासी पाईणजाण वए' सव्वाणुभूती नाम अणगारे पगइभद्दए "पगइउवसते पगइपयणुकोहमाणमायालोभे मिउमद्दवसपन्ने अल्लीणे° विणीए धम्मायरियाणुरागेण एयमट्ट असद्दहमाणे उट्ठाए उद्वेइ, उद्वेत्ता जेणेव गोसाले मखलिपुत्ते तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता गोसाल मखलिपुत्ते एव वयासी-जे वि ताव गोसाला | तहारूवस्स समणस्स वा माहणस्स वा अतिय एगमवि पारिय' धम्मिय सुवयण निसामेति, से वि ताव वदति नमसति' 'सक्कारेति सम्माणेति° कल्लाण मगल देवय चेइय पज्जुवासति, किमग पुण तुम गोसाला | भगवया चेव पव्वाविए, भगवया चेव मुडाविए, भगवया चेव सेहाविए, भगवया चेव सिक्खाविए, भगवया चेव वहुस्सुतीकए, भगवनो' चेव मिच्छ विप्पडिवन्ने ? त मा एव गोसाला | नारिहसि गोसाला | सच्चेव ते सा छाया नो अण्णा ॥ १०५. तए ण से गोसाले मखलिपुत्ते सव्वाणुभूतिणा अणगारेण एव वुत्ते समाणे आसु रुत्ते रुटे कुविए चडिक्किए मिसिमिसेमाणे सव्वाणुभूति अणगार तवेण तेएण एगाहच्च कूडाहच्च भासरासि करेति ॥ १०६. तए ण से गोसाले मखलिपुत्ते सव्वाणुभूति अणगार तवेण तेएण एगाहच्च कूडा हच्च भास रासि करेत्ता दोच्च पि समण भगव महावीर उच्चावयाहिं आओसणाहि प्रायोसइ', उच्चावयाहि उद्धसणाहि उद्धसेति, उच्चावयाहि निव्भछणाहि निभछेति, उच्चावयाहि निच्छोडणाहि निच्छोडेति, निच्छोडेत्ता एव वयासी-नट्रे सि कदाइ, विणढे सि कदाइ, भट्ठे सि कदाइ, नट्ठ-विणट्ठ-भट्ठ सि कदाइ, अज्ज न भवसि, नाहि ते ममाहितो° सुहमत्थि ।। गोसालेण सुनक्खत्तस्स परितावण-पद १०७ तेण कालेण तेण समएण समणस्स भगवो महावीरस्स अतेवासी कोसलजाण १. णिन्भच्छणाहिं गिन्भच्छेइ (ता)। २ सुहनत्थि (अ, स)। ३ पदीण ° (क, म); पडीण ° (ता, व)। ४. स० पा०-पगइभद्दए जाव विणीए । ५. यारिय (अ, ता, व, म)। ६. स० पा०-नमसति जाव कल्लाण । ७. भगवया (क, ख, ता, व)। ८. स० पा०-पाओसइ जाव सुहमत्थि । Page #743 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६८२ भगवई २० वए सुनक्खत्ते नाम अणगारे पगइभद्दए जाव' विणीए धम्मायरियाणुरागेणं एयम श्रसद्दहमाणे उठाए उट्ठेइ, उट्ठेत्ता जेणेव गोसाले मखलिपुत्ते तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता गोसाल मखलिपुत्त एव वयासी - जे वि ताव गोसाला ! तहारूवस्स समणस्स वा माहणस्स वा प्रतिय एगमवि आरिय धम्मिय सुवयण निसामेति, सेवि ताव वदति नमसति सक्कारेति सम्मार्णेति कल्लाण मगल देवय चेइय पज्जुवासति, किमग पुण तुम गोसाला ! भगवया चैव पव्वाविए, भगवया चेव मुडाविए, भगवया चेव सेहाविए, भगवया चेव सिक्खाविए, भगवया चेव वहुस्सुतीकए, भगवग्रो चेव मिच्छ विप्पडिवन्ने ? त मा एव गोसाला ! नारिहसि गोसाला | ० सच्चेव ते सा छाया नो अण्णा ॥ १०८. तए ण से गोसाले मखलिपुत्ते सुनक्खत्तेण अणगारेण एव वृत्ते समाणे ग्रासुरुते रुट्ठे कुवि चडिक्किए मिसिमिसेमाणे सुनक्खत्त अणगारं तवेण तेएण परितावेइ ॥ १०६. तए ण से सुनक्खत्ते अणगारे गोसालेण मखलिपुत्तेण तवेण तेएण परितावि समाणे जेणेव समणे भगव महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समण भगव महावीर तिक्खुत्तो वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता सयमेव पच महत्वयाइ आरुभेति, आरुभेत्ता समणा य समणीग्रो य खामेइ, खामेत्ता आलोइय-पडिक्कते समाहिपत्ते आणुपुव्वी कालगए ॥ गोसालेण भगवओ वहाए तेयनिसिरण-पद ११० तए णं से गोसाले मखलिपुत्तं मुनक्खत्त अणगार तवेण तेएण परितावेत्ता तच्च पि समण भगव महावीर उच्चावयाहि श्रनोसणाहिं आओसइ, उच्चावयाहिं उद्धंसणाहिं उद्धसेति, उच्चावयाहिं निव्भछणाहि निव्भछेति, उच्चावयाहिं निच्छोडणाहि निच्छोडेति, निच्छोडेंत्ता एव वयासी – नट्टे सि कदाइ, विणट्टे सि कदाइ, भट्ठे सि कदाइ, नट्ट विणठ्ठ-भट्ठे सि कदाइ, ग्रज्ज न भवसि नाहि ते माहितो सहमत्थि ॥ ० १११ तए ण समणे भगव महावीरे गोसाल मखलिपुत्त एव वयासी — जेवि ताव गोसाला! तहारूवस्स समणस्स वा माहणस्स वा प्रतियं एगमवि आरिय धम्मिय सुवणं निसामेति, से वि ताव वदति नमसति सक्कारेति सम्माणेति कल्लाण मंगल देवय चेइयं ° पज्जुवासति, किमंग पुण गोसाला । तुम मए चेव पव्वाविए", १. भ० १५ १०४ । २. स० पा०-- जहा मव्वाणुभूती तहेव जाव सच्चेव । ३. सं० पा० - सव्वत चैव जाव सुहमत्थि । ४. स० पा०—त चेव जाव पज्जुवासति । ५. सं० पा० -- पव्त्राविए जाव मए । Page #744 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पन्न रसम सत ६८३ •मए चेव मुडाविए, मए चेव सेहाविए, मए चेव सिक्खाविए °, मए चेव वहुस्सुतीकए, मम चेव मिच्छ विप्पडिवन्ने ? त मा एव गोसाला' | 'नारिहसि गोसाला | सच्चेव ते सा छाया० नो अण्णा ।। ११२ तए ण से गोसाले मखलिपुत्ते समणेण भगवया महावीरेण एव वुत्ते समाणे प्रासुरुत्ते रुटे कुविए चडिक्किए मिसिमिसेमाणे तेयासमुग्घाएण समोहण्णइ, समोहणित्ता सत्तट्ठ पयाइ पच्चोसक्कइ, पच्चोसक्कित्ता समणस्स भगवनो महावीरस्स वहाए सरीरगसि तेय निसि रति-से जहानामए वाउक्कलिया' इ वा वायमडलिया इ वा सेलसि' वा कुड्डसि वा थभसि वा थूभसि वा आवारिज्जमाणी वा निवारिज्जमाणी वा सा ण तत्थ नो कमति नो पक्कमति एवामेव गोसालस्स वि मखलिपुत्तस्स तवे तेए समणस्स भगवो महावीरस्स वहाए सरीरगसि निसि? समाणे से ण तत्थ नो कमति नो पक्कमति अचियचि करेति, करेत्ता आयाहिण-पयाहिण करेति, करेत्ता उड्ढ वेहास उप्पइए, से ण तो पडिहए पडिनियत्तमाणे तमेव गोसालस्स मखलिपुत्तस्स सरीरग अणुडहमाणे-अणुडहमाणे अतो-अतो अणुप्पविढे ॥ ११३ तए ण से गोसाले मखलिपुत्ते सएण तेएण अण्णाइटे समाणे समण भगव महावीर एव वयासी-तुम ण आउसो कासवा । मम तवेण तेएण अण्णाइटे समाणे अतो छण्ह मासाण पित्तज्जरपरिगयसरीरे दाहवक्कतीए छउमत्थे चेव काल करेस्ससि ।। ११४. तए ण समणे भगव महावीरे गोसाल मखलिपुत्त एव वयासी-नो खलु अह गोसाला | तव तवेण तेएण अण्णाइट्ठे समाणे अतो छण्ह' मासाण पित्तज्जरपरिगयसरीरे दाहवक्कतीए छउमत्थे चेव काल करेस्सामि, अहण्ण अण्णाइ सोलस वासाइ जिणे सुहत्थी विहरिस्सामि। तुम ण गोसाला अप्पणा चेव सएण तेएण अण्णाइट्ठे समाणे अतो सत्तरत्तस्स पित्तज्जरपरिगयसरीरे दाहवक्कतीए" छउमत्थे चेव काल करेस्ससि ॥ सावत्थीए जणपवाद-पदं ११५. तए ण सावत्थीए नगरीए सिंघाडग - तिग-चउक्क-चच्चर-चउम्मुह-महापह पहेसु बहुजणो अण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ जाव एव परूवेइ-एव खल १. स० पा०-गोसाला जाव नो। २. वामओ ० (ता), वातु° (म)। ३. तृतीयार्थे सप्तमी (वृ)। ४. आवरि (अ, क, ख, ब, म, स)। ५. पडिणियत्तेमाणे (स)। ६. स० पा०-छण्ह जाव काल । ७. जाव (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। ८. स० पा०-सिंघाडग जाव पहेसु । Page #745 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६८४ भगवई देवाणुप्पिया | सावत्थीए नगरीए बहिया कोट्ठए चेइए दुवे जिणा सलवतिएगे वदति तुम पुव्वि काल करेस्ससि, एगे वदति तुम पुव्वि काल करेस्ससि । तत्थ ण के पूण सम्मावादी' ? के मिच्छावादी ? तत्थ ण जे से अहप्पहाणे जणे से वदति-समणे भगव महावीरे सम्मावादी, गोसाले मखलिपुत्ते मिच्छावादी ।। गोसालेण समणाण पसिणवागरण-पदं ११६. अज्जोति | समणे भगव महावीरे समणे निग्गथे आमतेत्ता एव वयासी अज्जो ! से जहानामए तणरासी इ वा कट्टरासी इ वा पत्तरासी इ वा तयारासी इ वा तुसरासी इ वा भुसरासी इ वा गोमयरासी इ वा अवकररासी इवा अगणिझामिए अगणिझूसिए अगणिपरिणामिए हयतेए गयतेए नट्ठतेए भट्टतेए लुत्ततेए विणट्टतेए जाए, एवामेव गोसाले मखलिपुत्ते मम वहाए सरीरगसि तेय निसिरित्ता हयतेए गयतेए 'नट्ठतेए भट्टतेए लुत्ततेए° विणट्टतेए जाए, त छदेण अज्जो | तुम्भे गोसाल मखलिपुत्त धम्मियाए पडिचोयणाए पडिचोएह, धम्मियाए पडिसारणाए पडिसारेह, धम्मिएण पडोयारेण पडोयारेह, अद्वेहि य हेऊहि य पसिणेहि य वागरणेहि य कारणेहि य निप्पटुपसिणवागरण करेह ॥ ११७. तए ण ते समणा निग्गथा समणेण भगवया महावीरेण एव वुत्ता समाणा समणं भगव महावीर वदति नमसति, वदित्ता नमसित्ता जेणेव गोसाले मखलिपुत्ते तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता गोसाल मखलिपुत्त धम्मियाए पडिचोयणाए पडिचोएति, धम्मियाए पडिसारणाए पडिसारेति, धम्मिएणं पडोयारेण पडोयारेति, अद्वेहि य हेऊहि य कारणेहि य निप्पटुपसिण वागरण करेति ॥ ११८. तए ण से गोसाले मखलिपुत्ते समणेहिं निग्गथेहि धम्मियाए पडिचोयणाए पडिचोइज्जमाणे, धम्मियाए पडिसारणाए पडिसारिज्जमाणे, धम्मिएण पडोयारेण य पडोयारेज्जमाणे, अद्वेहि य हेऊहि य ,पसिणेहि य वागरणहि य कारणेहि य° निप्पट्ठपसिणवागरणे कीरमाणे आसुरुत्ते °रुटे कुविए चंडिक्किए° मिसिमिसेमाणे नो सचाएति समणाण निग्गथाण सरीरगस्स किंचि आबाह वा वाबाह वा उप्पाएत्तए, छविच्छेद वा करेत्तए । १ सम्मावाती (अ, क, ख, व, स)। २. ज्झामिए (ता, म)। ३. जाव (अ, म, स)। ४ सं० पा०--गयतेए जाव विणढतेए । ५. स० पा०-हेहि य जाव वागरण । ६ °वाकरण (अ)। ७. वाकरेंति (अ), वा वागरेति (ता)। ८. स० पा०—पडिचोइज्जमाणे जाव निप्पट्ठ ६ स० पा०—आसुरुत्ते जाव मिसि । Page #746 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पन्तरसम सत ६८५ गोसालस्स संघभेद-पदं ११६ तए ण ते आजीविया थेरा गोसाल मखलिपुत्त समणेहि निग्गथेहिं धम्मियाए पडिचोयणाए पडिचोएज्जमाण, धम्मियाए पडिसारणाए पडिसारिज्जमाण, धम्मिएण पडोयारेण य पडोयारेज्जमाण, अद्वेहि य हेऊहि य' पसिणेहि य वागरणेहि य कारणेहि य निप्पटुपसिणवागरण ° कीरमाण, प्रासुरुत्त रु? कुविय चडिककिय ° मिसिमिसेमाण समणाण निग्गथाण सरीरगस्स किचि आवाह वा वावाह वा छविच्छेद वा अकरेमाण पासति, पासित्ता गोसालस्स मखलिपुत्तस्स अतियाग्रो आयाए अवक्कमति, अवक्कमित्ता जेणेव समणे भगव महावीरे तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता समण भगव महावीर तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिण करेति, करेत्ता वदति नमसति, वदित्ता नमसित्ता समण भगव महावीर उवसपज्जित्ताण विहरति । अत्थेगतिया आजीविया थेरा गोसाल चेव मखलिपुत्त उवसपज्जित्ताण विहरति ।। गोसालस्स पडिगमण-पदं १२० तए ण से गोसाले मंखलिपुत्ते जस्सट्ठाए हव्वमागए तमट्ठ असाहेमाणे', रुदाइ पलोएमाणे, दीहुण्हाइ नीससमाणे, दाढियाए लोमाइ लु चमाणे, अवडु कड्यमाणे, पुर्याल पप्फोडेमाणे, हत्थे विणिद्धणमाणे, दोहि वि पाएहि भूमि कोद्रमाणे हा हा अहो होहमस्सि त्ति कटु समणस्स भगवो महावीरस्स अतियानो कोट्टयानो चेइयारो पडिनिक्खमति, पडिनिक्खमित्ता जेणेव सावत्थी नगरी, जेणेव हालाहलाए कुभकारीए कुभकारावणे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता हालाहलाए कुभकारीए कुभकारावणसि अवकूणगहत्थगए, मज्जपाणग पियमाणे, अभिक्खण गायमाणे, अभिक्खण नच्चमाणे, अभिक्खण हालाहलाए कुभकारीए अजलिकम्म करेमाणे, सीयलएण मट्टियापाणएण प्रायचिण-उदएण गायाइ परिसिंचमाणे विहरइ॥ गोसालेण नाणासिद्धत-परूवण-पदं १२१ अज्जोति | समणे भगव महावीरे समणे निग्गथे आमतेत्ता एवं वयासी जावतिए ण अज्जो | गोसालेणं मखलिपुत्तेण मम वहाए सरीरगसि तेये निसट्रे से ण अलाहि पज्जत्ते सोलसण्ह जणवयाण, त जहा-१ अगाण २ वगाण ३ मगहाण ४ मलयाण ५ मालवगाण'६ अच्छाण ७ वच्छाण ८. कोच्छाण १ स० पा०-हेऊहि य जाव कीरमाण । २. स० पा०—आसुरुत्त जाव मिसि । ३ आसाहेमारणे (ख)। ४ अवटठु (अ, स), अवडुय (ता)। ५ परिसिंचमाणे २ (ता)। ६. मालवगाण (ख), मालवताण (ता)। Page #747 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६८६ भगवई ६. पाढाण १० लाढाणं ११ वज्जीण १२. मोलोणं' १३ कासीणं १४ कोसलाण १५ अवाहाण १६ सुभुत्तराण' घाताए वहाए उच्छादणयाए भासीकरणयाए। ज पि य अज्जो | गोसाले मखलिपुत्ते हालाहलाए कुभकारोए कभकारावणसि अंवकूणगहत्थगए, मज्जपाण पियमाणे, अभिक्खण गायमाणे, अभिक्खण नच्चमाणे, अभिक्खण' 'हालाहलाए कुभकारीए° अजलिकम्म करेमाणे विहरइ, तस्स वि य ण वज्जस्स पच्छादणट्ठवाए इमाइ अट्ठ चरिमाइ पण्णवेइ, त जहा१ चरिमे पाणे २ चरिमे गेये ३ चरिमे नट्टे ४ चरिमे अजलिकम्मे ५. चरिमे पोक्खलसवट्टए महामेहे ६ चरिमे से यणए गंधहत्थो ७ चरिमे महासिलाकटए सगामे ८ अह च ण इमीसे अोसप्पिणिसमाए' चउवोसाए तित्थगराण" चरिमे तित्थगरे सिज्झिस्स जाव' अत करेस्स। ज पि य अज्जो ! गोसाले मखलिपुत्ते सीयलएणं मट्टियापाणएण आयंचिण-" उदएण गायाइ परिसिचमाणे विहरइ, तस्स वि ण वज्जस्स पच्छादणट्टयाए इमाइ चत्तारि पाणगाइ चत्तारि अपाणगाइ पण्णवेति ।। १२२. से कि त पाणए ? पाणए चउविहे पण्णत्ते, तं जहा–१ गोपुट्ठए २. हत्थमद्दियए ३. आतवतत्तए ४ सिलाप भट्टए । सेत्त पाणए । १२३. से किं तं अपाणए ? अपाणए चउव्विहे पण्णत्ते, त जहा–१. थालपाणए २. तयापाणए ३. सिंबलि पाणए ४ सुद्धपाणए । १२४ से कि त थालपाणए ? थालपाणए-जे णं दाथालग वा दावारग वा दाकुभग वा दाकलस वा सीतलग उल्लग' हत्थेहिं परामुसइ, न य पाणिय पियइ । सेत्त थालपाणए । १२५. से कि त तयापाणए ? तयापाणए-जे ण अंव वा अवाडग वा जहा पोगपदे जाव" बोर" वा तेवख्या १. मालीण (अ, ख, ता, व, म)। ७. पादचणि (अ, क, ख, व, म)। २ सुभुत्तराण (अ, क, म), सु भत्तराण (ख) ८. सवलि° (अ, ख), सेवलि ° (ब); संव___ मभुत्तराण (ता, व); सुभत्तराण (स)। एलि° (म)। ३. स० पा०-अभिक्खण जाव अजलिकम्म। ६ ओलग्ग (ख)। ४. ओस प्पिणीए (स)। १०. प० १६ ।। ५ तित्यकराण (अ, क, व, म, स), तित्थक- ११. पोरु (प्र), पोरं (क, ता, म); चोर (ब)। राण (ख)। १२. तवरुय (अ, म), तंबुरुय (ता); तेवुरुय ६. भ० ११४४। (व); तिंदुरुयं (स)। Page #748 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पन्नरसम सत ६८७ वा तरुणग आमग' यासग सि प्रावीलेति वा पवीलेति वा, न य पाणिय पियइ। सेत्त तयापाणए । १२६ से किं तं सिवलिपाणए ? सिंवलिपाणए-जे ण कलसगलिय' वा मुग्गसगलिय वा माससगलिय वा सिंबलिसगलिय वा तरुणिय आमिय प्रासगसि आवीलेति वा पवीलेति वा, न य पाणिय पियति । सेत्त सिंवलिपाणए ।। १२७ से कि त सुद्धपाणए? सुद्धपाणए-जे ण छम्मासे सुद्धखाइम खाइ, दो मासे पुढविसथारोवगए, दो मासे कट्ठसथारोवगए, दो मासे दन्भसथारोवगए, तस्स ण बहुपडिपुण्णाण छण्ह मासाण अतिमराईए इमे दो देवा महिड्ढिया जाव' महेसक्खा अतिय पाउब्भवति, त जहा-पुण्णभद्दे य माणिभद्दे य। तए ण ते देवा सीयलएहिं उल्लएहिं हत्येहि गायाइ परामुसति, जे ण ते देवे साइज्जति, से ण आसीविसत्ताए कम्म पकरेति, जे ण ते देवे नो साइज्जति तस्स ण ससि सरीरगसि अगणिकाए सभवति, से ण सएण तेएण सरीरग झामेति, झामेत्ता तो पच्छा सिझति जाव अत करेति । सेत्त सुद्धपाणए । अयंपुल-आजीवियोवासय-पदं १२८. तत्थ ण सावत्थीए नयरोए अयपुले नाम आजीवियोवासए परिवसइ-अडढे, जहा हालाहला जाव' आजीवियसमएण अप्पाण भावेमाणे विहरइ। तए ण तस्स अयपुलस्स आजीवियोवासगस्स अण्णया कदायि पुव्वरत्तावरत्तकालसमयसि कुडुवजागरिय जागरमाणस्स अयमेयारूवे अज्झथिए' चितिए पत्थिए मणोगए सकप्पे ° समुप्पज्जित्था-किंसठिया ण हल्ला पण्णत्ता ? १२६. तए ण तस्स अयपुलस्स प्राजोवियोवासगस्स दोच्च पि अयमेयारूवे अज्झत्थिए चितिए पत्थिए मणोगए सकप्पे ° समुप्पज्जित्था -एव खलु मम धम्मायरिए धम्मोवदेसए गोसाले मखलिपुत्ते उप्पन्ननाणदसणधरे जिणे अरहा केवली. सव्वण्णू सव्वदरिसी इहेव सावत्थीए नगरीए हालाहलाए कुभकारीए कुभकारावणसि आजीवियसघसपरिवुडे आजीवियसमएण अप्पाणं भावेमाणे विहरइ, त सेय खलु मे कल्ल पाउप्पभाए रयणीए जाव' उद्वियम्मि १. आमलग (ता)। २. ° सिंगलिय (क, ता)। ३. भ० ११३३६ । ४ तसि (अ, म, स)। ५. भ०१५।१ । ६ स० पा०-अज्झथिए जाव समुप्पज्जित्था । ७ स० पा०-अज्झत्यिए जाव समुप्पज्जित्था। ८. स० पा०-उप्पन्ननाणदसणधरे जाव 8. भ० २।६६ । Page #749 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६६० भगवई उट्ठेइ, उट्ठेत्ता गोसालं मखलिपुत्त वंदइ नमसइ', 'वदित्ता नमसित्ता जामेव दिस पाउ भए तामेव दिस पडिगए || o गोसालस्स श्रप्पणी नोहरण- निद्देस - पदं १३६ तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते अप्पणी मरण आभोएइ, ग्राभोएत्ता प्राजीविए थेरे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एव वयासी - तुव्भे णं देवाणुप्पिया । मम कालगयं जाणित्ता सुरभिणा गधोदएण पहाणेह, पहाणेत्ता पम्हलसुकुमालाए गधकासाईए गायाइं लूहेह, लूहेत्ता सरसेण गोसीसचदणेण गायाइ अणुलिपह, अणुलिपित्ता महरिहं हसलक्खण पडसाङग नियसेह, नियसेत्ता सव्वाल कारविभूसिय करेह, करेत्ता पुरिससहस्सवाहिणि सीय दुरुहेह, दुरुहेत्ता सावत्थीए नयरीए सिंघाडग ेतिग-चउक्क-चच्चर-चउम्मुह - महापह° -पहेसु महया - महया सद्देण उग्घोसेमाणा'उग्घोसेमाणा एव वदह — एव खलु देवाणुप्पिया | गोसाले मखलिपुत्ते जिणे जिणप्पलावी', 'अरहा ग्ररहप्पलावी, केवली केवलिप्पलावी, सव्वण्णू सव्वण्णुप्पलावी, जिणे ० जिणसद्द पगासेमाणे विहरित्ता इमी से प्रोसप्पिणीए चउवीसाए तित्थगराण चरिमे तित्थगरे, सिद्धे जाव' सव्वदुक्खप्पहीणे-इड्ढिसक्कारसमुदएणं मम सरीरगस्स नीहरण करेह ॥ १४० तए ण ते आजीविया थेरा गोसालस्स मखलिपुत्तस्स एयमट्ट विणएण पडणेति ॥ गोसालस्स परिणाम - परिवत्तणपुव्वं कालधम्म- पदं १४१. तए ण तस्स गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स सत्तरत्तसि परिणममाणसि पडिलद्धसम्मत्तस्स अयमेयारूवे प्रज्झथिए' चितिए पत्थिए मणोगए सकप्पे • समुप्पज्जित्था—नो खलु ग्रहं जिणे जिणप्पलावी, ग्ररहा अरहप्पलावी, केवली केवलिप्पलावी, सव्वण्णू सव्वण्णुप्पलावी, जिणे • जिणसद्द पगासेमाणे विहरिते" ग्रहण गोसाले चेव मखलिपुत्ते समणघायए समणमारए समणपडिणीए प्रायरिय उवज्झायाण अयसकारण अवण्णकारए प्रकित्तिकारए बहूहिं असब्भावुब्भावणाहिं मिच्छत्ताभिनिवेसेहिं य अप्पाण वा पर वो तदुभय वा १ स० पा० - नमसs जाव पडिगए । २. 'व्हावेह' इति रूपं समीचीन प्रतिभाति, किन्तु 'पहावेइ, पहाणेइ' इति रूपद्वयमपि लभ्यते । ३. द्रुहेह ( अ, क, ख, ता) । ४. स० पा० - सिंघाडग जाव पहेसु । ५ घोसेमारणा ( अ, ख, व ) ; ६ स० पा०- - जिरणप्पलावी जाव जिणसद्द | ७. भ० १।४३३ | ८. स० पा० - अज्झत्यिए जाव समुप्पज्जित्या । ६. स० पा० - जिरगप्पलावी जाव जिरणसद्द | १०. विहरइ (क, ता, स ) । Page #750 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पन्नरसम सत ६६१ वुग्गाहेमाणे वुप्पाएमाणे विहरित्ता सएण तेएणं अण्णाइट्ठे समाणे अतो सत्तरत्तस्स पित्तज्जरपरिगयसरीरे दाहवक्कतीए छउमत्थे चेव काल करेस्स । समणे भगव महावीरे जिणे जिणप्पलावी', अरहा अरहप्पलावी, केवली केवलिप्पलावी, सव्वण्णू सव्वण्णुप्पलावी, जिणे° जिणसद्द पगासेमाणे विहरइ-एव सपेहेति, सपेहेत्ता आजीविए थेरे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता उच्चावय-सवह-सावियए पकरेति, पकरेत्ता एव वयासी-नो खलु अह जिणे जिणप्पलावी जाव पगासेमाणे विहरिए । अहण्ण गोसाले चेव मखलिपुत्ते समणघायए' °समणमारए समणपडिणीए आयरिय-उवज्झायाण अयसकारए अवण्णकारए अकित्तिकारए बहूहि असन्भावुव्भावणाहि मिच्छत्ताभिनिवेसेहि य अप्पाण वा पर वा तदुभय वा बुग्गाहेमाणे वुप्पाएमाणे विहरित्ता सएण तेएण अण्णाइट्ठे समाणे अतो सत्तरत्तस्स पित्तज्जरपरिगयसरीरे दाहवक्कतीए ° छउमत्थे चेव काल करेस्स । समणे भगव महावीरे जिणे जिणप्पलावी जाव जिणसद्द पगासेमाणे विहरइ, त तुम्भ ण देवाणुप्पिया | मम कालगय जाणित्ता वामे पाए सुबेण बधेह, बधेत्ता तिक्खुत्तो मुहे उट्ठभेह', उट्ठभेत्ता सावत्थीए नगरीए सिघाडग'- तिग-चउक्कचच्चर-चउम्मुह-महापह°-पहेसु प्राकट्ट-विकट्टि करेमाणा महया-महगा सद्देण उग्घोसेमाणा-उग्घोसेमाणा एव वदह-नो खलु देवाणुप्पिया | गोसाले मखलिपुत्ते जिणे जिणप्पलावी जाव विहरिए। एस ण गोसाले चेव मखलिपुत्ते समणघायए जाव छउमत्थे चेव कालगए। समणे भगव महावीरे जिणे जिणप्पलावी जाव विहरइ । महया अणिड्ढी-असक्कारसमुदएण मम सरीरगस्स नीहरण करेज्जाह--एव वदित्ता कालगए॥ गोसालस्स नीहरण-पदं १४२ तए ण आजीविया थेरा गोसाल मखलिपुत्त कालगय जाणित्ता हालाहलाए कुभकारीए कुभकारावणस्स दुवाराइ पिहेति, पिहेत्ता हालाहलाए कुभकारीए कुभकारावणस्स वहुमज्झदेसभाए सावत्थि नगरि प्रालिहति, आलिहित्ता गोसालस्स मखलिपुत्तस्स सरीरग वामे पदे सुबेण वधति, बधित्ता तिक्खत्तो महे उठ्ठभति, उट्ठभित्ता सावत्थीए नगरीए सिंघाडग-तिग-चउक्क-चच्चर-चउम्मुह-महापह ° -पहेसु प्राकट्ट-विकट्टि करेमाणा णीय-णीय सद्देण उग्घोसेमाणा १. स० पा० --जिणप्पलावी जाव जिणसद्द । २ उच्चाविय (अ, म)। ३ स० पा०—समणघायए जाव छउमत्थे । ४ वधहा (अ, व), बघह (ख, म, स), बघेहा (ता)। ५ उट्ठभह (अ, ख, ब, स); उहुभस्स(ता), उच्छुभह (वृपा) ६ स० पा०—सिंघाडग जाव पहेस । ७ स० पा०—सिंघाडग जाव पहेसु । Page #751 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६८८ भगवई सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलते गोसाल मंखलिपुत्तं वंदित्ता जाव' पज्जुवासित्ता इम एयारूव वागरण वागरित्तए त्ति कट्ठ एव सपेहेति, सपेहेत्ता कल्ल पाउप्पभाए रयणीए जाव उट्ठियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलते हाए कयवलिकम्मे जाव' अप्पमहग्घाभरणाल कियसरीरे सानो गिहायो पडिनिक्खमति, पडिनिक्खमित्ता पायविहारचारेण सावत्थि नगरि मज्झमझेण' जेणेव हालाहलाए कुभकारीए कुभकारावणे तेणेव उवागच्छड, उवागच्छित्ता गोसाल मखलिपुत्त हालाहलाए कुभकारीए कुभकारावणसि अवकूणगहत्थगय "मज्जपाणग पीयमाण अभिक्खण गायमाण, अभिक्खण नच्चमाण, अभिक्खण हालाहलाए कुभकारीए° अजलिकम्म करेमाण सीयलएण मट्टिया पाणएण आयचिण-उदएण° गायाइ परिसिचमाण पासइ, पासित्ता लज्जिए विलिए विड्डे सणिय-सणिय पच्चोसक्कइ॥ १३० तए ण ते आजीविया थेरा अयपुल आजीवियोवासग लज्जिय जाव' पच्चोसक्क माण पासड, पासित्ता एव वयासी-एहि ताव अयपुला | इतो।। १३१ तए ण से अयपुले आजीवियोवासए आजीवियथेरेहि एव वुत्ते समाणे जेणेव आजीविया थेरा तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता आजीविए थेरे वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता नच्चासन्ने जाव पज्जुवासइ ।। १३२. अयपुलाति | आजीविया थेरा अयपुल आजीवियोवासग एव वयासी-से नण ते अयपूला। पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि* °कुडुवजागरिय जागरमाणस्स अयमेयारूवे अज्झत्थिए चितिए पत्थिए मणोगए सकप्पे समुप्पज्जित्था - किसंठिया ण हल्ला पण्णत्ता ? तए ण तव अयंपुला | दोच्च पि अयमेयारूवे त चेव सव्व भाणयव्व जाव' सावत्थि नगरि मज्झमज्झेण जेणेव हालाहलाए कुभकारीए कुंभकारावणे, जेणेव इह तेणेव हन्वमागए । से नूणं ते अयपुला । अद्वै सम? हता अस्थि । ज पि य अयपुला ! तव धम्मायरिए धम्मोवदेसए गोसाले मखलिपुत्ते हालाहलाए कुभकारीए कुभकारावणसि अवकूणगहत्थगए जाव अजलिं करेमाणे १. भ० २।३१ । २. भ० २०६७। ३. मज्झेण मज्झेरण (क, ता, व) सर्वत्र । ४. स० पा०–अवकूणगहत्यगय जाव अजलि- कम्म । ५ स० पा–मट्टिया जाव गायाइ। ६ भ० १५११२६ । ७ भ० १११०। ८. स० पा०-पुन्वरत्तावरत्तकालसमयसि जाव किसठिया । ६. भ० १५॥१२६ । Page #752 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पन्नरसम सतं ६८६ विहरs, तत्थ विण भगव इमाई अटु चरिमाइ पण्णवेति, तं जहा - चरिमे पाणे जाव' ग्रत करेस्सति । पिपुला । तव धम्मायरिए धम्मोवदेसए गोसाले मखलिपुत्ते सीयलएण मट्टिया पाणण प्रायचिण उदएण गायाइ परिसिचमाणे विहरइ, तत्थ वि ण भगव इमाइ चत्तारि पाणगाइ, चत्तारि पाणगाइ पण्णवेति । से कि त पाए ? पाणए जाव' तओ पच्छा सिज्झति जाव ग्रत करेति । त गच्छ ण तुम अयपुला | एस चेव तव धम्मायरिए धम्मोवदेसए गोसाले मखलिपुत्ते इमं एयारूव वागरण वागरेहिति ॥ १३३ तएण से ग्रयपुले ग्राजीविप्रवासए आजीविएहि थेरेहि एवं वृत्ते समाणे उट्ठा उट्ठे, उट्ठेत्ता जेणेव गोसाले मखलिपुत्ते तेणेव पहारेत्थ गमणाए । १३४ तए ण ते आजीविया थेरा गोसालस्स मखलिपुत्तस्स प्रवकूण - एडावणट्ठयाए एगतमते सगार कुव्वति ॥ १३५. तए ण से गोसाले मखलिपुत्ते ग्राजीवियाण थेराण सगार पडिच्छ, पडिच्छित्ता अवकूणग एगतमते एडेइ ॥ १३६ तएण से प्रयपुले आजीवियोवासए जेणेव गोसाले मखलिपुत्ते तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता गोसाल मखलिपुत्त तिक्खुत्तो जाव' पज्जुवासति ।। १३७ ग्रयपुलादि । गोसाले मखलिपुत्ते प्रयपुल आजीवियोवासग एव वयासी - से नूर्ण पुला I पुव्वरत्तावरत्तकालसमयसि जाव' जेणेव मम प्रतिय तेव मागए । से नूण ग्रयपुला सम हता ग्रत्थि । 1 ? त नो खलु एस ग्रबकूणए, ग्रबचोयए ण एसे । किंसठिया हल्ला पण्णत्ता ? वसीमूलसठिया हल्ला पण्णत्ता । वीण वाएहि रे वीरगा । वीण वाएहि रे वीरगा । १३८. तएण से ग्रयपुले आाजीवियोवासए गोसालेण मखलिपुत्तेण इम एयारूव वागरण वागरिए समाणे हट्टतुट्ठ' "चित्तमाणदिए नदिए पीइमणे परमसोमणस्सिए हरिसवसविसप्पमाण • हियए गोसाल मखलिपुत्त वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता परिणाइ पुच्छर, पुच्छित्ता अट्ठाइ परियादियइ, परियादिइत्ता उट्ठाए १. भ० १५।१२१ । २. सं० पा० - मट्टिया जाव विहरइ । ३ भ० १५।१२२-१२७ । ४. श्रंवखुणा ( अ, क ), श्रवउरण (ता, व ) । ५ भ० १1१०1 ६ भ० १५।१२८-१३३ । ७ श्रवचोवर (ता) | ८ स० पा० - हट्टतुट्ठ जाव हियए । Page #753 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६९२ १४४ तेण का भगवई उग्घोसेमाणा एव वयासी-नो खलु देवाणुप्पिया ! गोसाले मखलिपुत्ते जिणे जिणप्पलावी जाव विहरिए । एस ण गोसाले चेव मखलिपुत्ते समणघायए जाव छउमत्थे चेव कालगए । समणे भगव महावीरे जिणे जिणप्पलावी जाव' विहरइ-सवह-पडिमोक्खणगं करेति, करेत्ता दोच्च पि पूया-सक्कार-थिरीकरणट्रयाए गोसालस्स मखलिपुत्तस्स वामाओ पादानो सुव मुयति, मुइत्ता हालाहलाए कुभकारीए कुभकारावणस्स 'दुवार-वयणाइ'' अवगुणति', अवगुणित्ता गोसालस्स मखलिपुत्तस्स सरी रग सुरभिणा गधोदएण पहाणेति, त चेव जाव' महया इड्ढिसक्कारसमुदएण गोसालस्स मखलिपुत्तस्स सरीरगस्स नोहरण करेति ॥ भगवो रोगायंक-पाउभवण-पदं १४३. तए ण समणे भगव महावीरे अण्णया कदायि सावत्थीयो नगरीयो कोट्यायो चेइयानो पडिनिक्खमति, पडिनिक्खमित्ता बहिया जणवयविहारं विहरई॥ तेण कालेण तेण समएणं मेढियगामे नाम नगरे होत्था-वण्णो । तस्स ण मेंढियगामस्स नगरस्स बहिया उत्तरपुरथिमे दिसीभाए, एत्थ ण साणकोट्ठए" नाम चेइए होत्था-वण्णो जाव पुढविसिलापट्टयो। तस्स णं साणकोटगस्स चेइयस्स अदूरसामते, एत्थ णं महंगे मालुयाकच्छए यावि होत्था-किण्हें किण्होभासे जाव' महामेहनिकुरबभूए पत्तिए पुप्फिए फलिए हरियगरेरिज्जमाणे सिरीए अतीव-अतीव उवसोभेमाणे चिट्ठति । तत्थ ण मेढियगामे नगरे रेवती नाम गाहावइणी परिवसति-अड्ढा जाव बहुजणस्स अपरिभूया ॥ १४५. तए ण समणे भगव महावीरे अण्णदा कदायि पुव्वाणुपुट्वि' चरमाणे" "गामाण गाम दूइज्जमाणे सुहसुहेण विहरमाणे जेणेव मेढियगामे नगरे जेणेव साणकोट्टए .इए तेणेव उवागच्छइ जाव परिसा पडिगया ।। १४६ तए ण समणस्स भगवनो महावीरस्स सरीरगसि विपुले रोगायके पाउन्भए उज्जले विउले पगाढे कक्कसे कडुए चडे दुक्खे दुग्गे" तिव्वे ० दुरहियासे, पित्तज्जरपरिगयसरीरे दाहवक्कतिए" यावि विहरति, अवि याइ लोहिय-वच्चाइ १. भ० १५१४१ । ६. ओ० सू० ४। २. दाराइ (ता)। १०. भ० ३।६४। ३. अवगुवति (ता)। ११. स० पा०-चरमाणे जाव जेणेव । ४. भ० १५१३९ । १२. भ० ११७, ८। ५. मेढिय° (क); मिढिय ° (ब)। १३. स० पा०-उज्जले जाव दुरहियासे । ६. ओ० सू० १ । १४. X (वृ), दुग्गे (वृपा)। ७ साल° (अ, क, ब, म, स)। १५. दाहवक्कतीए (अ, ख, ता, म, स)। ८. ओ० सू० २-१३ । Page #754 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पन्नरसम सत ६६३ पि पकरेइ, चाउवण्ण' च ण वागरेति-एव खलु समणे भगव महावीरे गोसालस्स मखलिपुत्तस्स तवेण तेएण अण्णाइट्ठे समाणे अतो छह मासाण पित्तज्जरपरिगयसरोरे दाहवक्कतिए छउमत्थे चेव काल करेस्सति ।। सीहस्स माणसियदुक्ख-पद १४७. तेण कालेण तेण समएण समणस्स भगवओ महावीरस्स अतेवासी सीहे नाम अणगारे-पगइभद्दए जाव' विणीए मालुयाकच्छगस्स अदूरसामते छ??ण अणिक्खित्तेण तवोकम्मेण उड्ढ बाहाम्रो पगिझिय-पगिज्झिय सूराभिमुहे पायावणभूमीए पायावेमाणे विहरति । १४५ तए ण तस्स सीहस्स अणगारस्स झाणतरियाए वट्टमाणस्स अयमेयारूवे अज्झ. थिए °चितिए पत्थिए मणोगए सकप्पे ° समुप्पज्जित्था-एव खलु मम धम्मायरियस्स धम्मोवदेसगस्स समणस्स भगवो महावीरस्स सरीरगसि विउले रोगायके पाउन्भूए-उज्जले जाव' छउमत्थे चेव काल करेस्सति, वदिस्सति य ण अण्णतित्थिया-छउमत्थे चेव कालगए-इमेण एयारूवेण महया मणोमाणसिएण दुक्खेण अभिभूए समाणे आयावणभूमीग्रो पच्चोरुभइ, पच्चोरुभित्ता जेणेव मालुयाकच्छए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता मालुयाकच्छग अतो-अतो अणुपविसड, अणुपविसित्ता महया-महया सद्देण कुहुकुहुस्स परुण्णे ।। भगवया सीहस्स पासासण-पदं १४६. अज्जोति । समणे भगव महावीरे समणे निग्गथे आमतेति, आमतेत्ता एव वयासी-एव खलु अज्जो । मम अतेवासी सीहे नाम अणगारे पगइभहए "जाव विणीए मालुयाकच्छगस्स अदूरसामते छट्ठछ?ण अणिक्खित्तेण तवोकम्मेण उड्ढ बाहाम्रो पगिज्झिय-पगिज्झिय सूराभिमुहे पायावणभूमीए पायावेमाणे विहरति । तए ण तस्स सीहस्स अणगारस्स झाणतरियाए वट्टमाणस्स अयमेयारूवे अज्झथिए चिंतिए पत्थिए मणोगए सकप्पे समुप्पज्जित्था-एव खलु मम धम्मायरियस्स धम्मोवदेसगस्स समणस्स भगवो महावीरस्स सरीरगसि विउले रोगायंके पाउन्भूए-उज्जले जाव छउमत्थे चेव काल करेस्सति, वदिस्सति य ण अण्णतित्थिया-छउमत्थे चेव कालगए-इमेण एयारूवेण महया मणोमाणसिएण दुक्खेण अभिभूए समाणे पायावणभूमीओ पच्चोरुभइ, पच्चोरुभित्ता जेणेव १. चाउवण्ण (व)। २ आदिढे (क, ता)। ३ भ० ११२८८ । ४ स० पा०—बाहाओ जाव विहरइ । ५. स० पा०-अज्झत्यिए जाव समुप्पज्जित्था ६. भ०१५।१४६ । ७ स० पा०-त चेव सव्व भाणियव्व जाव परुण्णे। Page #755 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६६४ भगवई मालुयाक छए तेणेव उवागच्छड, उवागच्छित्ता मालुयाकच्छग अतो-अंतो अणपविसड अशुपविसित्ता महया-महया सद्देण कुहुकुहुस्स परुण्णे । त गच्छह ण अज्जो । भे सीहं अणगार सद्दाह ।। १५० तए ण ते समणा निग्गथा समणेण भगवया महावीरेण एव वुत्ता समाणा समण भगव महावीर वदति नमसति, वदित्ता नमंसित्ता समणस्स भगवग्रो महावीरस्स अतियानो साणकोटगानो चेडयाप्रो पडिनिक्खमति, पडिनिक्खमित्ता जेणेव मालूयाकच्छए, जेणेव सीहे अणगारे तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता सीह अणगार एव वयासी--सीहा | धम्मायरिया सहावेति ।। १५१ तए ण से सीहे अणगारे समणेहि निग्गथेहि सद्धि मालुयाकच्छगायो पडिनिक्ख मइ, पडिनिक्खमित्ता जेणेव साणको?ए चेइए, जेणेव समणे भगवं महावीरे, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समण भगव महावीर तिक्खुत्तो आयाहिण पयाहिण जाव' पज्जुवासति ।। १५२. सीहादि । समणे भगव महावीरे सीह अणगार एव वयासी-से' नण ते सीहा ! झाणतरियाए वट्टमाणस्स अयमेयारूवे' अज्झत्थिए चितिए पत्थिए मणोगए सकप्पे समुप्पज्जित्था-एव खलु मम धम्मायरियस्स धम्मोवदेसगस्स समणस्स भगवो महावीरस्स सरीरगसि विउले रोगायके पाउन्भूए-उज्जले जाव छउमत्थे चेव काल करेस्सति, वदिस्सति य ण अण्णतित्थिया-छउमत्थे चेव कालगए-इमेण एयारूवेण महया मणोमाणसिएण दुक्खेण अभिभूए समाणे पायावणभूमीग्रो पच्चोरुभित्ता, जेणेव मालुयाकच्छए तेणेव उवागच्छित्ता मालूयाकच्छग अतो-अतो अणुपविसित्ता मया-महया सद्देण कुहुकुहुस्स ° परुण्णे । से नूणं ते सीहा ! अढे समढे ? हता अस्थि । तं नो खल अह सीहा ! गोसालस्स मखलिपुत्तस्स तवेण तेएण अण्णाइट्रे समाणे अतो छण्ह मासाण •पित्तज्जरपरिगयसरीरे दाहवक्कतिए छउमत्थे चेव काल करेस्स अहण्ण अद्ध सोलस वासाइ जिणे सुहत्थी विहरिस्सामि, त गच्छह ण तुम सीहा । मेढियगाम नगर, रेवतीए गाहावतिणीए गिह, तत्थ ण रेवतीए गाहावतिणीए मम अट्ठाए दुवे 'कवोय-सरीरा" उवक्खडिया, तेहि नो अद्रो, अत्थि से अण्णे पारियासिए मज्जारकडए कुक्कुडमंसए, तमाहराहि, एएणं अट्ठो॥ १. सद्दह (अ, क, ता)। २ भ० १।१०। ३. स० पा.-अयमेयारुवे जाव परुण्णे । ४. स० पा०–मासाण जाव काल । ५. कवोतासरीरा (क, व), कतोयासरीरगा (ता)। Page #756 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पन्नरसम सतं ६६५ सोहेण रेवईए भेसज्जाणयण-पद १५३ तए ण से सोहे अणगारे समणेण भगवया महावीरेण एव वुत्ते समाणे हद्वतु?' •चित्तमाणदिए णदिए पीइमाणे परमसोमणस्सिए हरिसवसविसप्पमाण हियए समण भगव महावीर वदइ नमसड, वदित्ता नमसित्ता अतुरियमचवलमसभत' मुहपोत्तिय' पडिलेहेति, पडिलेहेत्ता भायणवत्थाइ पडिलेहेति, पडिहेत्ता भायणाइ पमज्जद्द, पमज्जिता भायणाइ उग्गाहेइ, उग्गाहेत्ता जेणेव समणे भगव महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समण भगव महावीर वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता समणस्स भगवो महावीरस्स अतियाओ साणकोटगाग्रो चेडयाग्रो पडिनिक्खमति, पडिनिक्खमित्ता अतुरिय मचवलमसभत जुगतरपलोयणाए दिट्ठीए पुरयो रिय सोहेमाणे-सोहेमाणे जेणेव मेढियगामे नगरे तेणेव उवागच्छड, उवागच्छित्ता मेढियगाम नगर मज्झमझेण जेणेव रेवतीए गाहावइणीए गिहे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता रेवतीए गाहावतिणीए गिह अणुप्पवितु ॥ तए ण सा रेवती गाहावतिणी सीह अणगार एज्जमाण पासति, पासित्ता हटुतुट्टा खिप्पामेव आसणाग्रो अभुढेइ, अन्भुढेत्ता सीह अणगार सत्तट्ट पयाइ अणुगच्छइ, अणुगच्छित्ता तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिण करेति, करेत्ता वदति नमसति, वदित्ता नमसित्ता एव वयासी-सदिसतु ण देवाणु प्पिया । किमाग मणप्पयोयण ? १५५ तए ण से सीहे अणगारे रेवति गाहावइणि एव वयासी-एव खलु तुमे देवाण प्पिए । समणस्स भगवनो महावीरस्स अट्ठाए दुवे कवोय-सरीरा उवक्खडिया, तेहिं नो अट्ठो, अत्थि ते अण्णे पारियासिए मज्जारकडए कुक्कुडमसए एयमाह राहि, तेण अट्ठो॥ १५६ तए ण सा रेवती गाहावइणी सीह अणगार एव वयासी-केस ण सीहा | से नाणी वा तवस्सी वा, जेण तव एस अढे मम ताव रहस्सकडे हव्वमक्खाए, जो ण तुम जाणासि ? १५७ "तए ण से सीहे अणगारे रेवइ गाहावइणि एव वयासी-एव खल रेवई । मम धम्मायरिए धम्मोवदेसए समणे भगव महावीरे उप्पण्णनाणदसणधरे अरहा १५४ १. स० पा०-हट्टतुट्ठ जाव हियए। प्राप्तमुपात्तम् । २ भ० २।१०७ सूत्रे आदर्शपु अतुरियमचव- ३. ° पत्तिय (स)। लमसभते' इति पाठोस्ति । अत्र च प्रादर्शपु ४ स० पा०-जहा गोयमसामी जाव जेणेव । 'अतुरियमचवलमसभत' इति पाठोस्ति । ५ स० पा०-अतुरिय जाव जेणेव । उभयमपि रूप नास्ति अशुद्धमिति यथा ६. स० पा०-एव जहा खदए जाव जमओ। Page #757 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई जिणे केवली तीयपच्चुप्पन्नमणागयवियाणए सव्वण्णू सव्वदरिसी जेणं मम एस अद्वै तव ताव रहस्सकडे हव्वमक्खाए°, जो ण अह जाणामि ।। १५८. तए ण सा रेवती गाहावतिणी सीहस्स अणगारस्स अतिय एयम सोच्चा निसम्म' हटूतूटा जेणेव भत्तघरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता पत्तग' मोएति, मोएत्ता जेणेव सीहे अणगारे तेणेव उवागच्छड, उवागच्छित्ता मीहस्स अणगारस्स पडिग्गहगसि त सव्व सम्म निस्सिरति ।। १५६ तए ण तीए रेवतीए गाहावतिणीए तेण दव्वसुद्धेण दायगसुद्धेणं पडिगाहग सुद्धेण तिविहेण तिकरणसुद्धेण° दाणेण सीहे अणगारे पडिलाभिए समाणे देवाउए निवद्धे, ससारे परित्तीकए, गिहसि य से इमाइ पच दिवाइ पाउन्भूयाइ, त जहा-वसुधारा वुढा, दसद्धवण्णे कुसुमे निवातिए, चेलुक्खेवे कए, आहयानो देवद्दुभीनो, अतरा वि य ण ागासे ग्रहो दाणे, अहो दाणे त्ति घुटे॥ १६०. तए ण रायगिहे नगरे सिघाडग-तिग-चउक्क-चच्चर-चउम्मुह-महापह-पहेसु बहुजणो अण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ एव भासड एव पण्णवेड एव परुवेइधन्ना ण देवाणुप्पिया ! रेवई गाहावइणी, कयत्था ण देवाणप्पिया ! रेवई गाहावइणी, कयपुण्णा ण देवाणुप्पिया | रेवई गाहावइणी, कयलक्खणा ण देवाणुप्पिया ! रेवई गाहावइणी, कया ण लोया देवाणुप्पिया ! रेवतीए गाहावतिणीए, सुलद्धे णं देवाणुप्पिया | माणुस्सए जम्मजीवियफले रेवतीए गाहावतिणीए, जस्स ण गिहसि तहारूवे साधू साधुरूवे पडिलाभिए समाणे इमाइ पच दिव्वाइ पाउन्भूयाड, त जहा- वसुधारा वुट्टा जाव अहो दाणे, अहो दाणे त्ति घुटे, त धन्ना कयत्था कयपुण्णा कयलक्खणा, कया ण लोया, सुलद्धे माणु स्सए ° जम्मजीवियफले रेवतीए गाहावतिणीए, रेवतीए गाहावतिणीए । १६१. तए ण से सीहे अणगारे रेवतीए गाहावतिणीए गिहाम्रो पडिनिक्खमति, पडि निक्खमित्ता मेढियगाम नगर मझमझेण निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता जहा गोयमसामी जाव' भत्तपाण पडिदसेति, पडिदसेत्ता समणस्स भगवो महावीरस्स पाणिसि त सव्व सम्म निस्सिरति । भंगवओ प्रारोग्ग-पद १६२. तए ण समणे भगवं महावीरे अमुच्छिए" 'अगिद्धे अगढिए ° अणज्झोववन्ने १. निसम्मा (क, ता, ब)। २. पत्तं (क, ख, ता, व, म)। ३. पडिग्गहसि (ता)। ४. स० पा०-दन्वसुद्धेण जाव दाणेणं । ५. स० पाo-जहा विजयस्स जाव जम्म जीवियफले। ६ भ० २।११० । ७. स० पा०-अमुच्छिए जाव' अणज्झोववन्ने । Page #758 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६६७ पन्नरसमं सत विलमिव पन्नगभूएण अप्पाणेण तमाहार सरीरकोटगसि पक्खिवति ॥ १६३ तए ण समणस्स भगवग्रो महावीरस्स तमाहार पाहारियस्स समाणस्स से विपुले रोगायके खिप्पामेव उवसते, हटे जाए, अरोगे', वलियसरीरे। तुट्ठा समणा, तुट्टायो समणीयो, तुट्ठा सावया, तुट्ठामो सावियानो, तुट्ठा देवा, तुट्ठामो देवीओ, सदेवमणुयासुरे लोए तुढे-हढे जाए समणे भगव महावीरे, हट्टे जाए समणे भगव महावीरे ।। सव्वाणुभूतिस्स उववाय-पदं १६४ भतेति | भगव गोयमे समण भगव महावीर वदति नमसति, वदित्ता नमसित्ता एव वयासी-एव खलु देवाणुप्पियाण अतेवासी पाईणजाणवए' सव्वाणुभूती नाम अणगारे पगइभद्दए जाव' विणीए, से ण भते । तदा गोसालेण मखलिपुत्तेण तवेण तेएण भासरासीकए समाणे कहि गए ? कहि उववन्ने ? एव खलु गोयमा । मम अतेवासी पाईणजाणवए सव्वाणुभूती नाम अणगारे पगइभद्दए जाव विणीए, से ण तदा गोसालेण मखलिपुत्तेण तवेण तेएण भासरासीकए समाणे उड्ढ चदिम-सूरिय जाव बभ-लतक-महासुक्के कप्पे वीइवइत्ता सहस्सारे कप्पे देवत्ताए उववन्ने । तत्थ ण अत्थेगतियाण देवाण अवारस सागरोवमाइ ठिती पण्णत्ता । तत्थ ण सव्वाणुभूतिस्स वि देवस्स अट्ठारस सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता। से ण भते । सव्वाणुभूती देवे ताओ देवलोगानो आउक्खएण भवक्खएण ठिइक्खएण' 'अणतर चय चइत्ता कहि गच्छिहिति ? कहिं उववज्जिहिति ? गोयमा | ० महाविदेहे वासे सिज्झिहिति जाव' सव्वदुक्खाण अत करेहिति ॥ सुनक्खत्तस्स उववाय-पदं १६५ एव खलु देवाणुप्पियाण अतेवासी कोसलजाणवए सुनक्खत्ते नाम अणगारे पगइभद्दए जाव विणीए। से ण भते । तदा गोसालेणं मखलिपुत्तेण तवेण तेएण परिताविए समाणे कालमासे काल किच्चा कहिं गए ? कहि उववन्ने ? एव खलू गोयमा । मम अतेवासी सुनक्खत्ते नाम अणगारे पगइभद्दए जाव विणीए, से ण तदा गोसालेण मखलिपुत्तेण तवेण तेएण परिताविए समाणे जेणेव ममं अतिए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता वदति नमसति, वदित्ता नमसित्ता सयमेव पंच महव्वयाइ अारुभेति, आरुभेत्ता समणा य समणीयो य १. पारोए (अ, म), आरोते (व)। ४. भ० ११११६६ । २ पतीण ० (अ, स); पदीण ° (क, व), ५. स० पा०-ठिइक्खएण जाव महाविदेहे। पडीण ° (ख, ता)। ६ भ०२।७३ । ३. भ० ११२८८। Page #759 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई खामेति, खामेत्ता श्रालोइय-पडिक्कते समाहिपत्ते कालमासे कालं किच्चा उड्ढ चंदिम-सूरिय जाव' ग्राणय-पाणयारणे कप्पे वीइवइत्ता अच्चुए कप्पे देवत्ताए उववन्ने । तत्थ ण प्रत्येगतियाण देवाण बावीस सागरोवमाई ठिती पण्णत्ता । तत्थ ण सुनक्खत्तस्स वि देवस्स वावीस सागरोवमाइ "ठिती पण्णत्ता । सेभते । सुनक्खत्ते देवे ताम्रो देवलगाओ ग्राउक्खएण भवक्खएणं ठिइक्खएण प्रणतर चय चइत्ता कहिं गच्छिहिति ? कहि उववज्जिहिति ? गोयमा | महाविदेहे वासे सिज्झिहिति जाव सव्वदुक्खाण प्रत काहिति ॥ गोसालस्स भवब्भमण-पद o ६६८ ! १६६ एव खलु देवाणुप्पियाण अतेवासी कुसिस्से गोसाले नाम मखलिपुत्ते से ण भते ! गोसाले मखलिपुत्ते कालमासे कालं किच्चा कहि गए ? कहि उववन्ने ? एव खलु गोयमा । मम श्रुतेवासी कुसिस्से गोसाले नाम मखलिपुत्ते समणघायए जाव' छउमत्थे चेव कालमासे काल किच्चा उड्ढ चदिम-सूरिय जाव ग्रच्चुए कप्पे देन्रत्ताए उववन्ने । तत्थ णं प्रत्येगतियाण देवाण बावीस साग रोव माई ठिती पण्णत्ता । तत्थ ण गोसालस्स वि देवस्स बावीस सागरोवमाइ ठिती पण्णत्ता ॥ ० १६७ से ण भते । गोसाले देवे ताओ देवलोगाओ ग्राउक्खएण भवक्खएण ठिडक्खए ' •अणतरं चय चइत्ता कहिं गच्छिहिति ? कहि उववज्जिहिति ? गोयमा । इहेव जबुद्दीवे दीवे भारहे वासे विझगिरिपायमूले पुडेसु जणवएसु सयदुवारे नगरे समुतिस्स रण्णो भद्दाए भारियाए कुच्छिसि पुत्तत्ताए पच्चायाहिति । से ण तत्थ नवण्ह मासाणं बहुपडिपुण्णाण' अट्टमाण य राइदियाण' वीइक्कंताणं जाव' सुरूवे दारए पयाहिति ॥ १६८ ज रर्याणि च ण से दारए जाइहिति, त रर्याणि च णं सयदुवारे नगरे सभितरबाहिरिए भारग्गसो य कुभग्गसो य पउमवासे य रयणवासे य वासे वासिहिति ॥ १६६ तए ण तस्स दारगस्स अम्मापियरो एक्कारसमे दिवसे वीइक्कते' 'निव्वत्ते प्रसुइजायकम्मकरणे॰ सपत्ते 'वारसमे दिवसे" प्रयमेयारूव गोण्णं गुणनिप्फन्नं १. भ० १५ १६४। -सेस जहा सव्वाणुभुतिस्स जाव २. स० पा० - अत । ३. भ० १५।१४१ । ४. भ० १५।१६५ । ५. सं० पा० - ठिइक्खएण जाव कहि । ६. स० पा०—वहुपडिपुण्णाण जाव वीइक्क o ताणं । ७. भ० ११।१४६ । ८. स० पा० -वीइक्कते जाव संपत्ते । ९ वारसाहृदिवसे ( अ, क, ख, ता, ब, म, स ); द्रष्टव्यम् - भ० ११ । १५३ सूत्रस्य पादटिप्पणम् । Page #760 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पन्नरसम सतं ६६६ नामधेज्ज काहिति–जम्हा ण अम्ह इमसि दारगसि जायसि समाणसि सयदुवारे नगरे सम्भितरवाहिरिए' •भारग्गसो य कुभग्गसो य पउमवासे य ° रयणवासे वुढे, त होउ ण अम्ह इमस्स दारगस्स नामधेज्ज महापउमे-महापउमे । तए ण तस्स दारगस्स अम्मापियरो नामधेज्ज करेहिति महापउमे त्ति ।। १७० तए ण त महापउम दारग अम्मापियरो सातिरेगट्ठवासजायग जाणित्ता सोभणसि तिहि-करण-दिवस-नक्खत्त-मुहुत्तसि महया-महया रायाभिसेगेण अभिसिंचेहिति । से ण तत्थ राया भविस्सति-महया हिमवत-महत-मलयमदर-महिदसारे वण्णग्रो जाव' विहरिस्सइ । तए णं तस्स महापउमस्स रण्णो अण्णदा कदायि दो देवा महिड्ढिया जाव' महेसक्खा सेणाकम्म काहिंति, त जहा-पुण्णभद्दे य माणिभद्दे य ॥ तए ण सयदुवारे नगरे बहवे राईसर-तलवर-°माडबिय-कोडुबिय-इन्भ-सेट्टिसेणावइ ° -सत्थवाहप्पभितयों' अण्णमण्ण सहावेहिति, सद्दावेत्ता एव वदेहितिजम्हा ण देवाणुप्पिया । महापउमस्स रण्णो दो देवा महिड्ढिया जाव महेसक्खा सेणाकम्म करेति, तजहा-पुण्णभद्दे य माणिभद्दे य, त होउ ण देवाणुप्पिया | अम्ह महापउमस्स रण्णो दोच्चे वि नामधेज्जे देवसेणेदेवसेणे । तए ण तस्स महापउमस्स रण्णो 'दोच्चे वि" नामधेज्जे भविस्सति देवसेणे त्ति ॥ १७२ तए ण तस्स देवसेणस्स रण्णो अण्णया कयाइ सेते सखतल-विमल-सन्निगासे चउद्दते हत्थिरयणे समुप्पज्जिस्सइ। तए ण से देवसेणे राया त सेय सखतलविमल-सन्निगास चउद्दत हत्थिरयण ढूँढे समाणे सयदुवार नगर मज्झमझण अभिक्खण-अभिक्खण अतिजाहिति य निज्जाहिति य । तए ण सयवारे नगरे बहवे राईसर-तलवर-माडविय-कोडुविय-इन्भ-सेटि-सेणावाइ-सत्थवाहप्पभितो अण्णमण्ण सद्दावेहिंति, सद्दावेत्ता वदेहिति-जम्हा ण देवाणुप्पिया । अम्ह देवसेणस्स रण्णो सेते सखतल-विमल-सन्निगासे चउद्दते हुत्थिरयणे समुप्पन्ने, त होउ ण देवाणुप्पिया | अम्ह देवसेणस्स रण्णो तच्चे वि नामधेज्जे विमलवाहणे-विमलवाहणे । तए ण तस्स देवसेणस्स रण्णो तच्चे वि नामधेज्जे भविस्सति विमलवाहणे त्ति ॥ १. स० पा०–सब्भितरवाहिरिए जाव रयण- ६ दोच्च पि (स)। वासे। ७ सखदल (क, ख ता, वृ) । २. ओ० सू० १४ । ८. दुरूढे (स)। ३. भ० १।३३६ । ६ स० पा०-राईसर जाव सत्थवाह । ४. स० पा०-तलवर जाव सत्थवाह । १० ठा० ६६२ सूत्रानुसारेण एतत पद स्वी५. ०प्पभितीनो (स)। कृतम्। Page #761 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७०० भगवई १७३ तए णं से विमलवाहणे राया अण्णया कदायि समणेहि निग्गथेहि मिच्छं विप्पडिवज्जिहिति-अप्पेगतिए अाप्रोसेहिति, अप्पेगतिए अवसिहिति, अप्पेगतिए निच्छोडेहिति, अप्पेगतिए निव्भछेहिति', अप्पेगतिए वधेहिति, अप्पेगतिए निरु भेहिति', अप्पेगतियाणं छविच्छेद करेहिति, अप्पेगतिए पमारेहिति, अप्पगतिए उद्दवेहिति, अप्पेगतियाण वत्थ पडिग्गह कवलं पायपुछण प्राच्छिदिहिति विच्छिदिहिति भिदिहिति अवहरिहिति, अप्पेगतियाण भत्तपाण वोच्छिदिहिति, अप्पेगतिए निन्नगरे करेहिति, अप्पेगतिए निव्विसए करेहिति ।। १७४ तए ण सयदुवारे नगरे वहवे राईसर- तलवर-माडविय-कोडुविय-इन्भ-सेट्ठि सेणावइ-सत्थवाहप्पभितम्रो अण्णमण्ण सद्दावेहिंति, सहावेत्ता एव वदिहितिएवं खलु देवाणुप्पिया | विमलवाहणे राया समणेहिं निग्गथेहि मिच्छ विप्पडिवन्ने-अप्पेगतिए अायोसति जाव निव्विसए करेति, त नो खलु देवाणप्पिया। एय अम्ह सेय, नो खलु एय विमलवाहणस्स रण्णो सेय, नो खलु एय रज्जस्स वा रटुस्स वा वलस्स वा वाहणस्स वा परस्स वा अते उरस्स वा जणवयस्स वा सेय, जण्ण विमलवाहणे राया समणेहि निग्गथेहि मिच्छ विप्पडिवन्ने । त सेय खलु देवाणुप्पिया ! अम्ह विमलवाहण राय एयमट्ठ विण्णवेत्तए त्तिकटु अण्णमण्णस्स अतिय एयमट्ठ पडिसुणेहिति', पडिसुणेत्ता जेणेव विमलवाहणे राया तेणेव उवागच्छिहिति', उवागच्छित्ता करयलपरिग्गहिय" 'दसनह सिरसावत्त मत्थए अजलि कट्ट० विमलवाहणं राय जएण विजएण वद्धावेहिति', वद्धावेत्ता एव वदिहिति'-एव खलु देवाणुप्पिया ! समणेहि निग्गथेहि मिच्छ विप्पडिवन्ना अप्पेगतिए पायोसति जाव अप्पेगतिए निव्विसए करेति, त नो खलु एय देवाणुप्पियाण सेय, नो खलु एय अम्ह सेय, नो खलु एय रज्जस्स वा जाव जणवयस्स वा सेय, जण्ण देवाणुप्पिया। समणेहि निग्गथेहि मिच्छं विप्पडिवन्ना, त विरमतु ण देवाणुप्पिया । एयस्स अट्ठस्स अकरणयाए । १७५ तए ण से विमलवाहणे राया तेहि वहूहिं राईसर-तलवर-माडबिय-कोडुविय १. निव्भत्येहिति (अ, क), निन्भच्छेहिति (ख, ता)। २ रु भेहिति (अ, ता, व, म)। ३. स० पा०-राईसर जाव वदिहिंति । ४. आउस्सइ (ब, स)। ५. पडिसुणेति (अ, क, ख, ता, व, म, स)। ६ उवागच्छति (अ, क, ख, ता, व, म, स)। ७. स० पा०—करयलपरिग्गहिय । ८. वद्धावेंति (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। ६. वदति (अ, क, ख, ता), वदासी (ब, म, १०. स. पा.-राईसर जाव सत्थवाह° । Page #762 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पन्नरसम सतं ७०१ इन्भ-सेट्ठि-सेणावइ ° -सत्यवाहप्पभिईहि एयमट्ठ विण्णत्ते' समाणे नो धम्मो त्ति नो तवो त्ति मिच्छा-विणएण एयमट्ठ पडिसुणेहिति ।। १७६. तस्स ण सयदुवारस्स नगरस्स वहिया उत्तरपुरस्थिमे दिसीभागे, एत्थ ण सुभूमिभागे नाम उज्जाणे भविस्सइ-सव्वोउय-पुप्फ-फलसमिद्धे वण्णो । १७७. तेण कालेण तेण समएण विमलस्स अरहो पयोप्पए' सुमगले नाम अणगारे जाडसपन्ने, जहा धम्मघोसस्स वण्णो जाव सखित्तविउलतेयलेस्से तिन्नाणोवगए सुभूमिभागस्स उज्जाणस्स अदूरसामते छट्ठछट्टेण अणिक्खित्तण' 'तवोकम्मेण उड्ढ वाहायो पगिज्झिय-पगिज्झिय सूराभिमुहे पायावणभूमीए ° पायावेमाणे विहरिस्सति ।। १७८ तए ण से विमलवाहणे राया अण्णदा कदायि रहचरिय काउ निज्जाहिति ।। १७६. तए ण से विमलवाहणे राया सुभूमिभागस्स उज्जाणस्स अदूरसामते रहचरिय करेमाणे सुमगल अणगार छट्ठछट्टेण' 'अणिक्खित्तेण तवोकम्मेण उड्ढ वाहायो पगिज्झिय-पगिज्झिय सूराभिमुह पायावणभूमीए ° आयावेमाण पासिहिति, पासित्ता ग्रासुरुत्ते' 'रुट्टे कुविए चडिक्किए° मिसिमिसेमाणे सुमगल अणगार रहसिरेण नोल्लावेहिति ।। १८० तए ण से सुमगले अणगारे विमलवाहणेण रण्णा रहसि रेण नोल्लाविए समाणे सणिय-सणिय उद्वेहेति, उद्वेत्ता दोच्च पि उड्ढ बाहाम्रो पगिज्झिय-पगिझिय 'सूराभिमुहे पायावणभूमीए° पायावेमाणे विहरिस्सति ॥ १८१ तए ण से विमलवाहणे राया सुमगल' अणगार दोच्च पि रहसिरेण नोल्ला वेहिति ।। १८२ तए ण से सुमगले अणगारे विमलवाहणेण रण्णा दोच्च पि रहसिरेण नोल्ला विए समाणे सणिय-सणिय उद्वेहिति, उतॄत्ता ओहि पउजेहिति, पउजित्ता विमलवाहणस्स रण्णो तीतद्ध प्राभोएहिति, आभोएत्ता विमलवाहण राय एव वइहिति-नो खलु तुम विमलवाहणे राया, नो खलु तुम देवसेणे राया, नो खल तुम महापउमे राया, तुमण्ण इग्रो तच्चे भवग्गहण गोसाले नाम मखलिपुत्त होत्था-समणघायए जाव छउमत्थे चेव कालगए, त जइ ते तदा सव्वाण भूतिणा अणगारेण पभुणा वि होऊण" सम्म सहिय खमिय तितिक्खिय अहिया१ विण्णविए (ता)। ७ आसुरत्ते (अ), स० पा०-आसुरुत्ते जाव २ भ० १११५७ । मिसि । ३ पोपए (ता)। ८ स० पा०-पगिज्झिय जाव आसावेमाणे । ४ भ० ११११६२, राय० सू० ६८६ । ६ भ० १५१४१ । ५ स० पा०-अणिक्खित्तेण जाव आयावेमाणे। १० होइत्तण (अ, व), होइऊण (ख), होइऊरण ६. स० पा०-छट्ठ छटेण जाव आयावेमारण। (म, स)। Page #763 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७०२ भगवई सिय, जइ ते तदा सुनक्खत्तेण अणगारेण पभुणा वि होऊण सम्म सहिय"खमियं तितिक्खिय° अहियासिय, जड ते तदा समणण भगवया महावीरेण पभुणा वि' होऊण सम्म सहिय खमिय तितिक्खिय ° अहियासिय, त नो खलु ते अह तहा सम्म सहिस्स' "खमिस्स तितिक्खिस्सं° अहियासिस्स, अह ते नवर सहय सरह ससारहियं तवेण तेएण एगाहच्च कुडाहच्च भासरासिं करेज्जामि ।। १८३. तए ण से विमलवाहणे राया सुमगलेण अणगारेण एव वुत्ते समाणे आसुरुत्त' रुटे कुविए चडिक्किए ° मिसिमिसेमाणे सुमगल अणगार तच्च पि रहसिरेण नोल्लावेहिति ।। १८४. तए ण से सुमग ने अणगारे विमलवाहणेण रण्णा तच्च पि रहसिरेणं नोल्लाविए समाणे ग्रासुरुत्ते जाव मिसिमिसेमाणे पायावणभूमीओ पच्चोरुभइ, पच्चोरुभित्ता तेयासमुग्घाएण समोहण्णिहिति, समोहणित्ता सत्तट्ठ पयाइ पच्चोसक्किहिति, पच्चोसक्कित्ता विमलवाहण राय सहय सरह ससारहिय तवेण तेएण' 'एगा हच्च कूडाहच्च ° भासरासिं करेहिति ॥ १८५ सुमगले ण भते | अणगारे विमलवाहण राय सहय जाव' भासरासिं करेत्ता कहिं गच्छिहिति ? कहि उववज्जिहिति ? गोयमा | सुमगले अणगारे विमलवाहण राय सहय जाव भासरासिं करेत्ता वहूहिं छठ्ठट्टम-दसम'-दुवालसेहिं मासद्धमासखमणेहिं ° विचित्तेहिं तवोकम्मे हिं अप्पाण भावेमाणे वहूइ वासाइ सामण्णपरियाग पाउणेहिति, पाउणित्ता मासियाए सलेहणाए अत्ताण झूसित्ता, सर्द्धि भत्ताइ अणसणाए' छेदेत्ता आलोइयपडिक्कते समाहिपत्ते उड्ढ चदिम जाव' गेविज्जविमाणावाससय वीइवइत्ता सव्वदसिद्धे महाविमाणे देवत्ताए उववज्जिहिति । तत्थ ण देवाण अजहन्नमणुक्कोसेण तेत्तीस सागरोवमाइ ठिती पण्णत्ता। तत्थ ण सुमगलस्स वि देवस्स अजहन्नमणुक्कोसेण तेत्तीस सागरोवमाइ ठिती पण्णत्ता। से ण भते , सुमगले देवे तारो देवलोगानो आउक्खएण भवक्खएण ठिइक्खएण अणतर चय चइत्ता कहिं गच्छिहिति ? कहि उववज्जिहिति ? गोयमा ! ० महाविदेहे वासे सिज्झिहिति जाव' सव्वदुक्खाण अत काहिति ।। १. स० पा०-सहिय जाव अहियासिय। २ स० पा०वि जाव अहियासिय । ३ म० पा०-सहिस्स जाव अहियासिस्स ! ४. स० पा०-आसुरुत्ते जाव मिसि । ५. सं० पा०-तेएण जाव भासरासिं। ६ भ० १५॥१८४ ७ स० पा०-दसम जाव विचित्तेहिं । ८. अग जाव (अ, क, ख, ता, ब, स)। ६ भ० १५२१६५ । १०. स० पा०-देवलोगाओ जाव महाविदेहे । ११. भ० २।७३ । Page #764 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पन्नरसम सत १८६ विमलवाहणे ण भंते । राया सुमगलेण अणगारेण सहये जाव' भासरासीकए समा कहि गच्छिहिति ? कहि उववज्जिहिति ? गोयमा । विमलवाहणे ण राया सुमगलेण अणगारेण सहये जाव भास रासीकए समाणे ग्रसत्तमा पुढवीए उक्कोसकालट्ठिइयसि नरयसि नेरइयत्ताए उववज्जिहति । ७०३ सेण ततो प्रणतरं उव्वट्टित्ता मच्छेसु उववज्जिहिति । तत्थ विण सत्यवज्भे दाहवक्कतीए कालमासे काल किच्चा दोच्च पि श्रसत्तमाए पुढवीए उक्कोसकालयसि नरयसि ने रइयत्ताए उववज्जिहिति । से ण तोणतर उव्वट्टित्ता दोच्च पि मच्छेसु उववज्जिहिति । तत्थ ण वि सत्यवज्भे' 'दाहवक्कतीए कालमासे काल • किच्चा छट्टाए तमाए पुढवीए उक्कोसकालट्ठिइयसि नरगसि नेरइयत्ताए उववज्जिहिति । o से ण तोहितो प्रणतर उव्वट्टित्ता इत्थियासु उववज्जिहिति । तत्थ विण सत्थवज्भे दाह वक्कतीए कालमासे काल किच्चा दोच्च पि छट्टाए तमाए पुढवीए उक्कोसकाल' ट्ठिइयसि नरगसि ने रइयत्ताए उववज्जिहिति । ण तोहितो तर उव्वट्टित्ता दोच्च पि इत्थियासु उववज्जिहिति । तत्थ विण सत्यवज्" दाहवक्कतीए कालमासे काल • किच्चा पचमाए धूमप्पभाए पुढवीए उक्कोसकाल' "ट्ठिइयसि नरगसि ने रइयत्ताए उववज्जिहिति । सेण ततो ग्रणतर° उव्वट्टित्ता उरएसु उववज्जिहिति । तत्थ वि ण सत्थवज्भे' 'दाहवक्कतीए कालमासे काल • किच्चा दोच्च पि पचमाए" धूमप्पभाए पुढवीए उनकोसका लट्ठियसि नरगसि नेरइयत्ताए उववज्जिहिति । से ण तोहितो प्रणतर • उव्वट्टित्ता दोच्च पि उरएसु उववज्जिहिति" । "तत्थ वि ण सत्थवज्झे दाहवक्कतीए कालमासे काल • किच्चा चउत्थीए पकप्पभाए पुढवीए उक्कोसकालट्ठिइयसि नरगसि ने रइयत्ताए उववज्जिहिति । से ण ततो अणतर • उव्वट्टित्ता सीहेसु उववज्जिहिति । तत्थ वि ण सत्थवज्झे"* दाहवक्कतीए कालमासे काल • किच्चा दोच्च पि चउत्थीए पक" - १. भ० १४ । १८४ । २. ० ट्टिईयसि (ता, म) । ३. स० पा० - सत्यवज्भे जाव किच्चा । ४. जाव (क, ख, ता, ब, म, स) । ५ स० पा० - दाह जाव दोच्च । ६ स० पा० - उक्कोसकाल जाव उव्वट्टित्ता । १३ ७ स० पा० - सत्यवज्भे जाव किच्चा | ८ स० पा०—उक्कोसकाल जाव उव्वट्टित्ता । ६ स० पा० - सत्यवज्भे जाव किच्चा । १०. स० पा० – पचमाए जाव उव्वट्टित्ता | ११ स० पा० - उववज्जिहिति जाव किच्चा । १२ स० पा० -- उक्कोस कालट्ठिइयसि जाव उता । स० पा० तहेव जाव किच्चा । १४. स० पा०—पक जाव उव्वट्टित्ता । Page #765 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७०४ भगवई प्पभाए पुढवीए उक्कोसकालट्ठिइयसि नरगसि नेरइयत्ताए उववज्जिहिति । से ण तमोहितो अणतर° उव्वट्टित्ता दोच्च पि सीहेसु उववज्जिहिति' । 'तत्थ वि ण सत्थवज्झे दाहवक्कतीए कालमासे कालं किच्चा तच्चाए वालुयप्पभाए पुढवीए उक्कोसकाल ट्ठिइयंसि नरगसि नेरइयत्ताए उववज्जिहिति ।। से ण ततो अणतर° उव्वट्टित्ता पक्खीसु उववज्जिहिति । तत्थ वि णं सत्थवज्झे दाहवक्कतीए कालमासे काल ° किच्चा दोच्च पि तच्चाए वालुयप्पभाए पुढवीए उक्कोसकालदिइयसि नरगसि नेरइयत्ताए उववज्जिहिति।। से ण तोणतर ° उव्वट्टित्ता दोच्च पि पक्खीसु उववज्जिहिति'। 'तत्य वि ण सत्थवज्झे दाहवक्कतीए कालमासे काल ° किच्चा दोच्चाए सक्करप्पभाए •पढवीए उक्कोसकालट्ठिइयसि नरगसि नेरइयत्ताए उववज्जिहिति ।। से ण ततो अणतर° उव्वट्टित्ता सिरीसवेसु उववज्जिहिति । तत्थ वि ण सत्थ वज्झे दाहवक्कतीए कालमासे काल ° किच्चा दोच्च पि दोच्चाए सक्करप्पभाए "पुढवीए उक्कोसकालट्ठिइयसि नरगंसि नेरइयत्ताए उववज्जिहिति । से ण तोणतर° उव्वद्वित्ता दोच्च पि सिरीसवेसु उववज्जिहिति' । 'तत्थ विण सत्थवज्झे दाहवक्कतीए कालमासे काल ° किच्चा इमीसे रयणप्पभाए पढवीए उक्कोसकालट्ठिइयसि नरगसि नेरइयत्ताए उववज्जिहिति। से ण ततो अणतर° उव्वट्टित्ता सण्णीसु उववज्जिहिति । तत्थ वि ण सत्थवज्झे" दाहवक्कतीए कालमासे काल ° किच्चा असण्णीसु उववज्जिहिति । तत्थ वि ण सत्थवज्झ२ 'दाहवक्कतीए कालमासे काल ° किच्चा दोच्चं पि दमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पलिप्रोवमरस असखेज्जइभागट्टिइयसि नरगसि नेरइयत्ताए उववज्जिहिति । से ण ततो अणतर उव्वट्टित्ता जाइ इमाइ खहयरविहाणाइ भवति, त जहाचम्मपक्खोण, लोमपक्खीण, समुग्गपक्खीण, विययपक्खीण, तेसु अणेगसयसहस्सखुत्तो उद्दाइत्ता-उद्दाइत्ता तत्येव-तत्येव भुज्जो-भुज्जो पच्चायाहिति।। सव्वत्थ वि ण सत्थवज्झे दाहवक्कतीए कालमासे काल किच्चा जाइ इमाइं १. स० पा०-उववज्जिहिति जाव किच्चा। ८ स० पा०-सक्करप्पभाए जाव उव्वद्वित्ता। २. स० पा०-उक्कोसकाल जाव उव्वट्टित्ता। ६ स० पा०-उववज्जिहिति जाव किच्चा । ३. स. पा०-सत्थवज्झे जाव किच्चा। १०. स० पा०-उववज्जिहिति जाव उध्वद्वित्ता । ४ स० पा०-वालुय जाव उव्वट्टित्ता । ११ स० पा०-सत्थवज्झे जाव किच्चा । ५. स० पा० -उववज्जिहिति जाव किच्चा। १२. स० पा०-सत्थवज्झे जाव किच्चा । ६. स० पा०सक्करप्पभाए जाव उवट्टित्ता। १३. जाव (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। ७. स. पा०-सत्थ जाव किच्चा । Page #766 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पन्नरसम सतं ७०२ भुयपरिसप्पविहाणाइ भवति, त जहा-गोहाण, नउलाण, जहा पण्णवणापए जाव' जाहगाण चउप्पाइयाण, तेसु अणेगसयसहस्सखुत्तो' °उद्दाइत्ता-उद्दाइत्ता तत्थेव-तत्थेव' भुज्जो-भुज्जो पच्चायाहिति।। सव्वत्थ वि ण सत्थवज्झे दाहवक्कतीए कालमासे काल ° किच्चा जाइ इमाइ उरपरिसप्पविहाणाइ भवति, त जहा–अहीण, अयगराण, प्रासालियाण, महोरगाण, तेसु अणेगसयसहस्सखुत्तो उद्दाइत्ता-उद्दाइत्ता तत्थेव-तत्थेव भुज्जो-भुज्जो पच्चायाहिति। सव्वत्थ वि ण सत्थवज्झे दाहवक्कंतीए कालमासे काल ° किच्चा जाइं इमाई चउप्पदविहाणाइ भवति, त जहा–एगखुराण, दुखुराण, गडीपदाण, सणहप्पदाण, तेसु अणेगसयसहस्स' खुत्तो उद्दाइत्ता-उद्दाइत्ता तत्थेव-तत्थेव भुज्जोभुज्जो पच्चायाहिति। सव्वत्थ वि ण सत्थवज्झे दाहवक्कतीए कालमासे काल ° किच्चा जाइ इमाइं जलयरविहाणाइ भवति, त जहा-मच्छाण, कच्छभाण जाव' सुसुमाराण, तेसु अणेगसयसहस्स खुत्तो उद्दाइत्ता-उद्दाइत्ता तत्थेव-तत्थेव भुज्जो-भुज्जो पच्चायाहिति । सव्वत्थ वि ण सत्थवज्झे दाहवक्कतीए कालमासे काल ° किच्चा जाइ इमाई चउरिदियविहाणाइ भवति, त जहा-अधियाण, पोत्तियाण, जहा पण्णवणापदे जाव गोमयकीडाण, तेसु अणेगसय सहस्सखुत्तो उद्दाइत्ता-उद्दाइत्ता तत्थेवतत्थेव भुज्जो-भुज्जो पच्चायाहिति। सव्वत्थ वि ण सत्थवज्झे दाहवक्कतीए कालमासे काल ° किच्चा जाइ इमाइ तेइदियविहाणाइ भवति, त जहा-उवचियाण जाव' हत्यिसोडाण, तेसु अणेग" सयसहस्सखुत्तो उद्दाइत्ता-उद्दाइत्ता तत्थेव-तत्थेव भुज्जो-भज्जो पच्चायाहिति ।। सव्वत्थ वि ण सत्थवज्झे दाहवक्कतीए कालमासे काल ° किच्चा जाइ इमाइ बेइदियविहाणाइ भवति, त जहा-पुलाकिमियाण जाव" समुद्दलिक्खाण, तेस १. प०१। ७. स. पा०-अणेगसयसहस्स जाव किच्चा। २ स० पा०—सेस जहा खहचराण जाव ८ प०१। किच्चा। 8 स० पा०-अरोगसय जाव किच्चा। ३. स० पा०-अणेगसयसह जाव किच्चा। १०. प० १। ४. सणहप्फदाण (अ, ता, स)। ११ स० पा०-अरणेग जाव किच्चा । ५ स० पा०-अणेगसयसहस्स जाव किच्चा। १२. प०१। Page #767 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७०६ भगवई अणेगसय सहस्सखुत्तो उद्दाइत्ता-उद्दाइत्ता तत्थेव-तत्येव भुज्जो-भुज्जो पच्चायाहिति। सव्वत्थ वि ण सत्थवज्झे दाहवक्कंतीए कालमासे काल किच्चा ' जाइं इमाई वणस्सइविहाणाइं भवंति, त जहा-रुक्खाण, गुच्छाण जाव' कुणाण, तेसु अणेगसय सहस्सखुत्तो उद्दाइत्ता-उद्दाइत्ता तत्थेव-तत्येव भुज्जो-भुज्जो ° पच्चायाइस्सइ-उस्सन्न च णं कड्यरुक्खेसु, कड्यवल्लीम् । सव्वत्थ वि ण सत्थवज्झै 'दाहवक्कतीए' कालमासे कालं° किच्चा जाई इमाइ वाउक्काइयविहाणाइ भवति, त जहा-पाईणवायाण जाव' सुद्धवायाणं तेसु अणेगसयसहस्स खुत्तो उद्दाइत्ता-उद्दाइत्ता तत्थेव-तत्थेव भज्जो-भज्जो पच्चायाहिति। सव्वत्य वि ण सत्थवज्झे दाहवक्कंतीए कालमासे काल ° किच्चा जाइं इमाइ तेउक्काइयविहाणाइ भवति, त जहा-इंगालाण जाव सूरकंतमणिनिस्सियाणं, तेसु अणेगसयसहस्स खुत्तो उद्दाइत्ता-उद्दाइत्ता तत्येव-तत्येव भुज्जो-भुज्जो पच्चायाहिति । सव्वत्थ वि ण सत्थवझे दाहवक्कतीए कालमासे कालं • किच्चा जाइं इमाइ आउक्काइयविहाणाइ भवति, तं जहा-पोसाण" जाव" खातोदगाणं, तेसु अणेगसयसहस्सखुत्तो उद्दाइत्ता-उद्दाइत्ता तत्थेव-तत्थेव भुज्जो-भुज्जो पच्चायाइस्सइ-उस्सन्न च ण खारोदएसु खत्तोदएसु। सव्वत्थ वि ण सत्थवज्झे 'दाहवक्कतीए कालमासे काल ° किच्चा जाइ इमाइ पूढविक्काइयविहाणाइ भवति, त जहा-पुढवीण, सक्कराण जाव" सूरकताणं, तेसु अणेगसय" सहस्सखुत्तो उद्दाइत्ता-उद्दाइत्ता तत्येव-तत्थेव भज्जो-भज्जो पच्चायाहिति-उस्सन्न च णं खरवायरपुढविक्काइएसु । सव्वत्थ वि ण सत्थवज्झे५ 'दाहवक्कतीए कालमासे कालं • किच्चा रायगिहे नगरे वाहि खरियत्ताए उववज्जिहिति । तत्थ वि ण सत्थवज्झदाहवक्कतीए १ स० पा०—अणेगसय जाव किच्चा। ६. स० पा०—अणेगसयसहस्स जाव किच्चा । २. प० १। १०. उस्साण (क, ख, व)। ३. स० पा०-अणेगसय जाव पच्चायाइस्सइ। ११ प०१। ४. सं० पा०-सत्थवज्झे जाव किच्चा । १२ स० पा०-सत्थवज्झे जाव च्चिा। ५ 'दाहवक्कतीए' इति पाठ क्वचिद् युज्यते, १३. प० १ । किन्तु सर्वत्र प्रवाहपाती दृश्यते । १४. स० पा०-अणेगसय जाव पच्चायाहिति । ६. प० १। १५ स० पा०-सत्थवज्झे जाव किच्चा। ७ स० पा०-अणेगसयसहस्स जाव किच्चा। १६ स० पा०-सत्थवज्झे जाव किच्चा । ८ प०१। Page #768 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पन्नरसमं सतं ७०७ कालमासे काल ° किच्चा दोच्च पि रायगिहे नगरे अतो खरियत्ताए उववज्जिहिति । तत्थ वि णं सत्थवझे दाहवक्कतीए कालमासे काल': किच्चा इहेव जबुद्दीवे दीवे भारहे वासे विझगिरिपायमूले बेभेले सण्णिवेसे माहणकुलसि दारियत्ताए पच्चायाहिति । तए ण त दारियं अम्मापियरो उम्मुक्कबालभाव जोव्वणगमणुप्पत्तं पडिरूवएण' सुक्केण, पडिरूवएण विणएण, पडिरूवयस्स भत्तारस्स भारियत्ताए दलइस्सति । सा ण तस्स भारिया भविस्सति-इट्ठा कता जाव' अणुमया, भडकरडगसमाणा तेल्लकेला इव सुसगोविया, चेलपेडा इव सुसंपरिग्गहिया, रयणकरंडनो विव सुसारक्खिया, सुसगोविया, मा ण सीय, मा ण उण्ह जाव परिसहोवसग्गा फुसतु । तए ण सा दारिया अण्णदा कदायि गुम्विणी ससुरकुलाओ कुलघर निज्जमाणी अतरा दवग्गिजालाभिहया कालमासे काल किच्चा दाहिणिल्लेसु अग्गिकुमारेसु देवेसु देवत्ताए उववज्जिहिति । से ण तोहितो अणतर उव्वट्टित्ता माणुस्स विग्गह लभिहिति, लभित्ता केवल बोहिं बुज्झिहिति, बुज्झित्ता मुडे भवित्ता अगाराप्रो अणगारिय पव्वइहिति । तत्थ वि य ण विराहियसामण्णे कालमासे काल किच्चा दाहिणिल्लेसु असुरकुमारेसु देवेसु देवत्ताए उववज्जिहिति ।। से ण तओहिंतो अणतर' उव्वट्टित्ता माणुस विग्गह "लभिहिति, लभित्ता केवलं बोहिं बुज्झिहिति, बुज्झित्ता मुडे भवित्ता अगाराप्रो अणगारिय पव्वइहिति । तत्थ वि य ण विराहियसामण्णे कालमासे काल किच्चा दाहिणिल्लेसु नागकुमारेसु देवेसु देवत्ताए उववज्जिहिति । से ण तोहितो अणतर एव एएण अभिलावेण दाहिणिल्लेसु सुवण्णकुमारसु, एव विज्जुकुमारेसु, एव अग्गिकुमारवज्ज" जाव दाहिणिल्लेसु थणियकुमारेसु । से ण 'तोहितो अणतर" उव्वट्टित्ता माणुस्स विग्गह लभिहिति 'लभित्ता केवल वोहिं बुज्झिहिति, बुज्झित्ता मुडे भवित्ता अगाराओ अणगारिय पव्वइहिति । तत्थ वि य ण विराहियसामण्णे जोइसिएसु देवेसु उववज्जिहिति । से ण तोहिंतो अणतर चय चइत्ता माणुस्स विग्गहं लभिहिति", 'लभित्ता १ स० पा०-सत्थवज्झे जाव किच्चा । २ पडिरूविएण (अ, क, ख, ता, व, म) सर्वत्र। ६ तो जाव (अ, क, ख, ता, व, म, स)। ३ भ० २।५२ । १० सं० पा०-लभिहिति जाव विराहियसा४. भ० २।५२ । मण्णे। ५ जाव (अ, क, ख, ता, व, म, स)। ११ स० पा०-लभिहिति जाव अविराहिय६. स० पा०–त चेव जाव तत्थ । सामण्णे। ७ मग्गिकुमार (ता)। Page #769 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७०८ भगवई केवल वोहि बुज्झिहिति, बुज्झित्ता मुडे भवित्ता अगाराश्रो श्रणगारियं पव्वडहिति । तत्थ वियण ग्रविराहियसामण्णे कालमासे काल किच्चा सोहम्मे कप्पे देवत्ताए उववज्जिहिति' । ० से ण तोहिंतो अणतर चय चइत्ता माणुस्स विग्गह लभिहिति । तत्य विणं अविराहियसामण्णे कालमासे काल किच्चा सणकुमारे कप्पे देवत्ताए उववज्जिहिति । से ण तोहितो एव जहा सणकुमारे तहा वंभलोए, महासुक्के, ग्राणए, आरणे । सेण तहितो नंतर चय चइत्ता माणुस्स विग्गह लभिहिति, लभित्ता केवल वोहि वुज्झिहिति, वुज्झित्ता मुडे भवित्ता ग्रगाराओ अणगारिय पव्व - हिति । तत्थ वि य ण ° श्रविराहियसामण्णे कालमासे काल किच्चा सव्वट्टसिद्धे महाविमाणे देवत्ताए उववज्जिहिति । सेण तहितो अणतर चय चइत्ता महाविदेहे वासे जाई इमाइ कुलाइ भवंति - अड्ढाइ जाव' अपरिभूयाई, तहप्पगारेसु कुलेसु पुत्तत्ताए पच्चायाहिति, एवं जहा प्रववाइए दढप्पइण्णवत्तव्वया सच्चेववत्तव्वया निरवसेसा भाणियव्वा जाव' केवलवरनाणदसणे समुप्पज्जिहिति ॥ १८७. तए ण से दढप्पइण्णे केवली अप्पणो तीतद्ध आभोएहिइ, ग्राभोत्ता सम निग्गंथे सद्दावेहिति, सद्दावेत्ता एव वदिहिइ - एव खलु ग्रहं ग्रज्जो । इग्रो चिरातीयाए श्रद्धाए गोसाले नाम मखलिपुत्ते होत्था -- समणघायए जाव' छउमत्थे चेव कालगए, तम्मूलग च ण अह ग्रज्जो ग्रणादीय ग्रणवदग्ग दीहमद्धं चाउरंतससारकतार अणुपरियट्टिए त मा णं प्रज्जो । 'तुव्भं केयि" भवतु आयरियपडिणीए उवज्झायपडिणीए आयरियउवज्झायाण अयसकारए श्रवण्णकार अकित्तिकारए, माण से वि एव चैव प्रणादीय प्रणवदग्ग •दीहमद्ध चाउरत ॰ससारकतार अणुपरियट्टिहिति, जहा गं ग्रह | १ अतो अग्रे 'म, स' सङ्क तितादर्शयो निम्नवर्ती पाठो विद्यते - - 'से ग तओहितो अणतर चयं चइत्ता माणुस्स विग्गह लभिहिति, केवल वोहिं बुज्झिहिति, तत्थ वि य ण अविरहियसामण्णे कालमासे काल किच्चा ईसारणे कप्पे देवत्ताए उववज्जिहिति', किन्तु सौधर्मादिदेवलोकेषु सप्तभवा दृश्यन्ते--पट्सु दाक्षिणात्येषु कल्पेषु सर्वार्थसिद्धेषु च तेन ईशानकल्पस्य पाठ. न सगच्छते । २. सं० पा० - तमोहितो जाव अविराहियसा मण्णे । ३ ४ ५ ६ ७ 5 ओ० सू० १४१ । पुमत्ताए ( ब ) । ओ० सू० १४२-१५३ । भ० १५।१४१ । तुम केवि (ता) | स० पा०—अरणवदग्गं जाव ससार । Page #770 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पन्नरसम सतं ७०६ १८८. तएण ते समणा निग्गथा दढप्पइण्णस्स केवलिस्स प्रतियं एयमट्ट सोच्चा ] निसम्म भीया तत्था तसिया ससारभउव्विग्गा दढप्पइण्ण केवलिं वदिहिंति नमसिहिति, वदित्ता नमसित्ता तस्स ठाणस्स झालोएहिंति' पडिक्कमिहिति निदिहिति जाव' ग्रहारिय पायच्छित्त तवोकम्म पडिवज्जिहिति ॥ १८६. तए ण से दढप्पइण्णे केवली बहूइ वासाइ केवलिपरियाग पाउणिहिति, पाउणित्ता अप्पणी ग्राउसेस जाणेत्ता भत्त पच्चक्खाहिति, एव जहा ग्रोववाइए जाव' सव्वदुक्खाणमत काहिति ॥ १०. सेव भते । सेव भते । त्ति जाव' विहरइ ॥ १ आलोइए हिंति (स) । २. भ० ८।२५१ । ३. ओ० सू० १५४ । ४. भ० १५१ । Page #771 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सोलसमं सतं पढमो उद्देसो १. अहिगरणि २. जरा ३ कम्मे, ४. जावतियं ५. गगदत्त ६. समिणे य। ७.उवयोग८.लोगह वलि १० अोहि,११ दीव १२ उदही १३ दिसा१४.थणिते'।१। वाउयाय-पद १. तेण कालेण तेण समएण रायगिहे जाव' पज्जुवासमाणे एव वयासी-अस्थि ण भते ! अधिकरणिसि वाउयाए वक्कमति ? हता प्रत्थि ॥ २. से भते ! कि पुढे उद्दाइ ? अपुढे उद्दाइ ? गोयमा ! पुढे उद्दाइ, नो अपुढे उद्दाइ ।। से भते ! कि ससरीरी निवखमइ ? असरीरी निक्खमइ ? गोयमा ! सिय ससरीरी निवखमइ, सिय असरीरी निक्खमइ॥ ४. से केणद्वेण भंते ! एव वुच्चइ-सिय ससरीरी निवखमड, सिय असरीरी निक्खमइ? गोयमा ! वाउयायस्स ण चत्तारि सरीरया पण्णत्ता, तं जहा-ओरालिए, वेउ विए, तेयए, कम्मए, । ओरालिय-वेउव्वियाइं विप्पजहाय तेयय-कम्मएहिं निक्खमइ । से तेणटेणं गोयमा । एव वुच्चइ-सिय ससरीरी निवखमइ, सिय असरीरी निक्खमइ ॥ १. वलि (क, व); पलि (ता)। २. थरिणया (ता, स)। ३. भ० ११४-१०। ४. स० पा०-एव जहा खदए जाव से तेणTण नो असरीरी निक्खमइ; स्पृष्ट स्वकायशस्त्रादिना सशरीरश्च कडेवरान्निष्कामति कार्मणाद्यपेक्षया प्रौदारिकाद्यपेक्षया त्वशरीरीति (वृ); पूरित पाठ अस्य वृत्तिव्याख्यानस्य सवादी वर्तते । आदर्शाना सक्षिप्तपाठे 'नोसरीरी' ति पाठो लभ्यते । असौ वृत्तिव्याख्यानात् भिन्नोस्ति । ७१० Page #772 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सोलसम सत (पढमो उद्देसो) अगणिकाय-पदं ५ इगालकारियाए ण भते | अगणिकाए केवतिय काल सचिट्ठइ ? गोयमा ! जहण्णेण अतोमुहत्त, उक्कोसेण तिण्णि राइदियाइ । अण्णे वि तत्थ वाउयाए वक्कमति, न विणा वाउयाएण अगणिकाए उज्जलति ।। कति किरिय-पदं पुरिसे ण भते । अय अयकोटसि अयोमएण सडासएण उविहमाणे वा पन्विहमाणे वा कतिकिरिए ? गोयमा | जावं च ण से पुरिसे अय अयकोट्ठसि अयोमएण सडासएण उविहति वा पव्विहति वा, ताव च ण से पुरिसे काइयाए जाव' पाणाइवायकिरियाएपचहि किरियाहि पुढे, जेसि पि ण जीवाण सरीरेहितो अए निव्वत्तिए, अयकोटे निव्वत्तिए, सडासए निव्वत्तिए, इगाला निव्वत्तिया, इगालकड्ढणी निव्वत्तिया, भत्था निव्वत्तिया, ते वि ण जीवा काइयाए जाव पाणाइवायकिरियाए-पचहि किरियाहि पुट्ठा ॥ पुरिसे ण भते । अय अयकोट्टायो अयोमएण सडासएण गहाय अहिकरणिसि उक्खिव्वमाणे वा निक्खिव्वमाणे वा कतिकिरिए ? गोयमा | जाव च ण से पुरिसे अय अयकोट्ठायो' 'अयोमएण सडासएण गहाय अहिकरणिसि उक्खिवइ वा निक्खिवइ वा ताव च ण से पुरिसे काइयाए जाव पाणाइवायकिरियाए- पचहिं किरियाहिं पुढे, जेसि पि ण जीवाण सरीरेहितो अयो निव्वत्तिए, सडासए निव्वत्तिए, चम्मेढे निव्वत्तिए, मुट्टिए निव्वत्तिए, अधिकरणी निव्वत्तिया, अधिकरणिखोडी निव्वत्तिया, उदगदोणी निव्वत्तिया, अधिकरणसाला निव्वत्तिया, ते वि ण जीवा काइयाए जाव पाणाइवायकिरियाए-पचहिं किरियाहिं पुट्ठा ।। अधिकरणी-अधिकरण-पदं जीवे ण भते । किं अधिकरणी ? अधिकरण ? गोयमा | जीवे अधिकरणी वि, अधिकरण पि । ६ से केणद्वेण भते ! एव वुच्चइ-जीवे अधिकरणी वि, अधिकरण पि? १. भ० ११३६५। २. स० पा०-अयकोटाओ जाव निक्खिवइ । Page #773 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७१२ भगवई गोयमा । अविरतिं पडुच्च । से तेण?ण' •गोयमा । एव वुच्चइ-जीवे अधिकरणी वि °, अधिकरण पि॥ नेरइए ण भते । कि अधिकरणी ? अधिकरण ? गोयमा । अधिकरणी वि, अधिकरण पि । एव जहेव जीवे तहेव नेरइए वि । एवं निरतर जाव' वेमाणिए । ११. जीवे ण भते । कि साहिकरणी ? निरहिकरणी' ? गोयमा | साहिकरणी, नो निरहिकरणी ॥ १२. से केणद्वेण- पुच्छा। गोयमा ! अविरति पडुच्च । से तेणटेणं जाव नो निरहिकरणी । एव जाव वेमाणिए । जीवेण भते ! कि प्रायाहिकरणी ? पराहिकरणी? तभयाहिकरणी ? गोयमा ! आयाहिकरणी वि, पराहिकरणी वि, तदुभयाहिकरणी वि ॥ १४. से केणटेण भते । एव वुच्चइ-जाव तदुभयाहिकरणी वि? गोयमा ! अविरतिं पडुच्च । से तेणतुण जाव तदुभयाहिकरणी वि। एव जाव वेमाणिए । १५. जीवाण भते ! अधिकरणे कि पायप्पयोगनिव्वत्तिए ? परप्पयोगनिव्वत्तिए ? तदुभयप्पयोगनिव्वत्तिए ? गोयमा ! आयप्पयोगनिव्वत्तिए वि, परप्पयोगनिव्वत्तिए वि, तदुभयप्पयोग निव्वत्तिए वि॥ १६. से केणटेणं भते ! एव वुच्चइ ? गोयमा ! अविरतिं पडुच्च । से तेणटेणं जाव तदुभयप्पयोगनिव्वत्तिए वि। एवं जाव वेमाणियाणं ॥ १७. कति णं भते ! सरीरगा पण्णत्ता ? गोयमा ! पच सरीरगा पण्णत्ता, त जहा-पोरालिए, वेउव्विए, आहारए, तेयए°, कम्मए॥ १८. कति ण भंते ! इदिया पण्णत्ता ? गोयमा ! पच इदिया पण्णत्ता, त जहा-सोइदिए', 'चक्खिदिए, घाणिदिए, रसिदिए°, फासिदिए । १६. कतिविहे ण भते ! जोए पण्णत्ते ? गोयमा ! तिविहे जोए पण्णत्ते, त जहा-मणजोए, वइजोए, कायजोए । १. स० पा० तेणद्वेण जाव अधिकरणं। ४ स० पा०-ओरालिए जाव कम्मए । २. पू० प० २। ५. स० पा०-सोइदिए जाव फासिदिए। ३. निराधिकरणी (अ, ख, ता, व, स)। Page #774 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सोलसमं सतं ( वीनो उद्देसो) ७१३ २० जीवे ण भते । प्रोरालियसरीर निव्वत्तेमाणे कि अधिकरणी ? अधिकरण ? गोयमा । अधिकरणी वि, ग्रधिकरण पि ॥ २१. से केणट्टेण भते ! एव वुच्चड - ग्रधिकरणी वि, अधिकरण पि ? गोयमा | अविरति पडुच्च । से तेणट्टेण जाव अधिकरण पि ॥ २२ पुढविकाइएण ण भते । प्रोरालियसरीर निव्वत्तेमाणे कि अधिकरणी ? ग्रधिकरण ? एव चेव । एव जाव मणुस्से । एव वेउव्वियसरीर पि, नवर - 'जस्स श्रत्थि " ॥ २३ जीवेण भते ! ग्राहारगसरीर निव्वत्तेमाणे किं अधिकरणी - पुच्छा । गोयमा । अधिकरणी वि, प्रधिकरण पि ॥ २४. से केणट्टेण जाव अधिकरण पि ? गोयमा । पमाय पडुच्च । से तेणद्वेण जाव अधिकरण पि । एव मणुस्से वि । यासरीर जहा प्रोरालिय, नवर- सव्वजीवाण भाणियव्व । एव कम्मगसरीर पि ॥ २५. जीवे ण भते । सोइदिय निव्वत्तेमाणे कि अधिकरणी ? अधिकरण ? एव जहेव ग्रोरालियसरीरं तहेव सोइदिय पि भाणियव्व, नवर - जस्स प्रत्थि सोइदिय । एव' चविखदिय घाणिदिय-जिव्भिदिय - फासिदियाण वि, नवर— जाणियव्व जस्स ज प्रत्थि ।। २६. जीवेण भते ! मणजोग निव्वत्तेमाणे कि अधिकरणी ? प्रधिकरण ? एव जहेव सोइदिय तहेव निरवसेस | वइजोगो एव चेव, नवर - एगिंदियवज्जाण । एव कायजोगो वि, नवर - सव्वजीवाण जाव वेमाणिए । २७. सेव भते ! सेव भते । त्ति' ॥ बीचो उद्देसो नीवाणं जरा-सोग-पदं २८. [ रायगिहे जाव' एव वयासी - जीवाण भते । कि जरा ? सोगे ? गोमा ! जीवाण जरा वि, सोगे वि ॥ १० जस्सत्थि ( अ ) | २. एव सोइदिय ( अ, क, ख, ता, व, म) । ३. भ० १।५१ 1 ४. भ० १।४ - १० । Page #775 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७१४ भगवई २६ से केणद्वेण भते । एवं वुच्चइ'- जीवाण जरा वि °, सोगे वि ? गोयमा ! जे ण जीवा सारीरं वेदण वेदेति तेसि णं जीवाण जरा, जे णं जीवा माणसं वेदण वेदेति तेसि णं जीवाण सोगे । से तेणद्वेण गोयमा ! एवं वच्चइ-जीवाण जरा वि°, सोगे वि। एवं नेरइयाण वि। एवं जाव' थणियकुमाराण ॥ ३० पुढविकाइयाण भते । कि जरा ? सोगे ? गोयमा ! पुढविकाइयाणं जरा, नो सोगे ॥ से केणद्वेण •भते । एवं वुच्चइ-पुढविकाइयाणं जरा , नो सोगे? गोयमा ! पुढविकाइया णं सारीरं वेद णं वेदेति, नो माणस वेदण वेदेति । से तेणटेण गोयमा । एव वुच्चइ-पुढविकाइयाणं जरा', नो सोगे । एवं जाव चउरिदियाणं । सेसाण जहा जीवाणं जाव वेमाणियाण ॥ ३२ सेव भते । सेवं भते ! त्ति जाव' पज्जुवासति ॥ सक्कस्स प्रोग्गह-अणुजाणणा-पदं ३३. तेणं कालेण तेणं समएणं सक्के देविदे देवराया वज्जपाणी पुरंदरे जाव' दिव्वाइ भोगभोगाइ भुजमाणे विहरइ । इमं च णं केवलकप्पं जंबुद्दीव दीवं विपुलेण प्रोहिणा आभोएमाणे-आभोएमाणे पासति, 'एत्थ ण" समण भगवं महावीर जंबुद्दीवे दीवे । एव जहा ईसाणे तइयसए तहेव सक्के वि, नवरं-श्राभियोगे ण सहावेति, 'हरी पायत्ताणियाहिवई, सुघोसा" घटा, पालयो विमाणकारी, पालगं विमाणं, उत्तरिल्ले निज्जाणमग्गे, दाहिणपुरथिमिल्ले" रतिकरपव्वए, सेस त चेव जावर नामग सावेत्ता पज्जुवासति । धम्मकहा जाव" परिसा पडिगया । ३४ तए ण से सक्के देविदे देवराया समणस्स भगवो महावीरस्स अतिय धम्म सोच्चा निसम्म हट्टतुटे समण भगव महावीर वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता एवं वयासी-कतिविहे णं भंते | प्रोग्गहे पण्णत्ते ? १. स० पा०-वुच्चइ जाव सोगे। २. सं० पा०-तेरणट्रेणं जाव सोगे। ३. पू० प० २। ४. सं० पा०-केण?ण जाव जरा। ५ स० पा० तेण?ण जाव नो। ६. भ० ११५१ । ७. भ० ३.१०६ । ८. यत्य (क, ख, ब); यत्था (ता)। ६. पायत्ताणियाहिवई हरी (ख); हरी य पाय° (व)। १०. सुघोस ण (ता)। ११. दाहिणिल्ले (ता)। १२. भ० ३२७ । १३. ओ० सू० ७१-७६ । Page #776 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सोलसमं सत (वीओ उद्देसो) ७१५ सक्का | पचविहे प्रोग्गहे पण्णत्ते, त जहा-देविंदोग्गहे, रायोग्गहे, गाहावइप्रोग्गहे, सागारिययोग्गहे, साहम्मिोग्गहे। जे इमे भते । अज्जत्ताए समणा निग्गथा विहरति एएसि ण प्रोग्गह अणुजाणामीति कटु समण भगव महावीर वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता तमेव' दिव्व जाणविमाण द्रुहति, द्रुहित्ता जामेव दिस पाउन्भूए तामेव दिस पडिगए। सक्क-संबंधि-वागरण-पदं ३५ भतेति । भगव गोयमे समण भगव महावीर वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता एव वयासी-जण्णं भते ! सक्के देविदे देवराया तुम्भे' एवं वदइ, सच्चे ण एसम?? हता सच्चे ॥ ३६ सक्के ण भते । देविदे देवराया कि सम्मावादी ? मिच्छावादी ? गोयमा | सम्मावादी, नो मिच्छावादी ॥ ३७. सक्के ण भते । देविंदे देवराया कि सच्च भास भासति ? मोस भास भासति ? सच्चामोस भास भासति ? असच्चामोस भास भासति ? गोयमा । सच्च पि भास भासति जाव' असच्चामोस पि भास भासति ॥ ३८. सक्के णं भते । देविदे देवराया किं सावज्ज भास भासति ? अणवज्ज भास भासति ? गोयमा | सावज्ज पि भास भासति, अणवज्ज पि भास भासति ।। ३६. से केणट्रेण भते । एव वुच्चइ–सक्के देविदे देवराया सावज्ज पि भास भासति°, अणवज्ज पि भास भासति ? गोयमा । जाहे ण सक्के देविदे देवराया सुहुमकाय अणिज्जूहित्ता'ण भास भासति ताहे ण सक्के देविदे देवराया सावज्ज भास भासति, जाहे ण सक्के देविदे देवराया सुहमकाय निज्जूहित्ता ण भास भासति ताहे ण सक्के देविदे देवराया अणवज्ज भास भासति । से तेणटुंण" 'गोयमा । एव वुच्चइ-सक्के देविदे देवराया सावज्ज पि भास भासति, अणवज्ज पि भास भासति ॥ ४०. सक्के ण भते ! देविदे देवराया कि भवसिद्धीए ? अभवसिद्धीए ? सम्मदिट्ठीए ? मिच्छदिवीए ? परित्तससारिए ? अणतससारिए ? सुलभबोहिए ? दुल्लभबोहिए ? पाराहए ? विराहए ? चरिमे ? अचरिमे ? १. साहम्मियओग्गहे (अ, स)। २. तामेव (ता, म)। ३. तुम्भे ण (अ, म)। ४. एतम? (ता)। ५. स० पा०-सावज्ज पि जाव अवज्ज। ६ अणिजूहित्ता (प्र)। ७. स० पा०-तेणद्वेण जाव भासति । Page #777 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई गोयमा | सक्के ण देविंदे देवराया भवसिद्धीए, नो अभवसिद्धीए । सम्मदिट्टीए, नो मिच्छदिट्रीए। परित्तससारिए, नो अणतसंसारिए । सुलभवोहिए, नो दुल्लभवोहिए । पाराहए, नो विराहए। चरिमे, नो अचरिमे । एवं जहा मोउ द्देसए सणकुमारे जाव' नो अचरिमे ॥ चेय-प्रचेयकड-कम्म-पदं ४१. जीवाण भते । कि चेयकडा कम्मा कज्जति ? अचेयकडा कम्मा कज्जति ? गोयमा । जीवाण चेयकडा' कम्मा कज्जति, नो अचेयकडा कम्मा कज्जति ॥ ४२ से केण?णं भते ! एव वुच्चइ-जीवाण चेयकडा कम्मा कज्जति, नो अचेय कडा कम्मा' कज्जति ? गोयमा ! जीवाणं पाहारोवचिया पोग्गला, वोदिचिया पोग्गला, कलेवरचिया पोग्गला तहा तहा ण ते पोग्गला परिणमति, नत्थि अचेयकडा कम्मा समणाउसो! दुट्ठाणेसु, दुसेज्जासु, दुन्निसीहियासु तहा तहा ण ते पोग्गला परिणमति, नत्थि अचेयकडा कम्मा समणाउसो ! आयके से वहाए होति, सकप्पे से वहाए होति, मरणते से वहाए होति तहा तहा ण ते पोग्गला परिणमति, नत्यिनचेयकडा कम्मा समणाउसो । से तेणटेण' 'गोयमा! एव वच्चइजीवाण चेयकडा कम्मा कज्जति, नो अचेयकडा कम्मा कज्जति । एव नेरइयाण वि । एवजाव' वेमाणियाणं ।। ४३ सेवं भते । सेव भते ! त्ति जाव' विहरइ ।। तइनो उद्देसो कम्म-पदं ४४. रायगिहे जाव एवं वयासी-कति ण भते ! कम्मपगडीओ पण्णत्तायो ? गोयमा ! अट्ठ कम्मपगडीओ पण्णत्ताओ, तजहा-नाणावरणिज्ज जाव' अंतराइयं, एवं जाव वेमाणियाणं ।। १. भ० ३१७३ । २. चेत (ब)। ३. चेदे० (ता)। ४. सं० पा०—बुच्चइ जाव कज्जति । ५. स० पा० तेण?णं जाव कज्जति । ६. पू०प० २। ७. भ० ११५१ । ८. भ० ११४-१०। ६. भ०६।३३। १०. पू० प० २। Page #778 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७१७ सोलसमं सत (तइप्रो उद्देसो) ४५ जीवे णं भते । नाणावरणिज्ज कम्म वेदेमाणे कति कम्मपगडीयो वेदेति ? गोयमा | अट्ठ कम्मप्पगडीयो-एव जहा पण्णवणाए वेदावेउद्देसनो' सो चेव निरवसेसो भाणियन्वो। वेदाबधो वि तहेव, बधावेदो' वि तहेव, बधाबधों वि तहेव भाणियव्वो जाव वेमाणियाण ति ।। ४६. सेव भते ! सेव भते । त्ति जाव विहरइ ॥ अंसिया-छेदणे वेज्जस्स किरिया-पदं ४७ तए ण समणे भगव महावीरे अण्णदा कदायि रायगिहाम्रो नगरानो गूणसिलामो चेइयानो पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता बहिया जणवयविहार विहरइ ।। ४८ तेण कालेण तेण समएण उल्लुयतीरे नाम नगरे होत्या-वण्णो । तस्स ण उल्लुयतीरस्स नगरस्स बहिया उत्तरपुरत्थिमे दिसिभाए, एत्थ ण एगजबुए" नाम चेइए होत्था-वण्णो । तए ण समणे भगव महावीरे अण्णदा कदायि पुन्वाणुपुन्वि' चरमाणे 'गामाणुगाम दूइज्जमाणे सुहसुहेण विहरमाणे एगजवुए समोसढे जाव परिसा पडिगया । ४६ भतेति । भगव गोयमे समण भगव महावीर वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता एव वयासी- अणगारस्स ण भते । भावियप्पणो छट्ठछद्रेण अणिक्खित्तेण" 'तवोकम्मेण उड्ढ वाहाम्रो पगिज्झिय-पगिज्झिय सूराभिमुहे आयावणभूमीए पायावेमाणस्स तस्स ण पुरत्थिमेण अवड्ढ दिवस नो कप्पति हत्थ वा पाद वा वाह वा ऊरु आउंटावेत्तए वा पसारेत्तए वा, पच्चत्थिमेण से अवडढ दिवस कप्पति हत्थ वा" पाद वा वाह वा° ऊरु वा आउटावेत्तए वा पसारेत्तए वा । तस्स ण असियानो लबति। तच वेज्जे अदक्खु । ईसिं पाडेति. पाडेत्ता असियानो छिदेज्जा । से नूणं भते । जे छिदति तस्स किरिया कज्जति. जस्स छिज्जति नो तस्स किरिया कज्जति, णण्णत्थेगेण धम्मतराएण" ? १. प० २७ । २. प० २६ । ३. प० २५। ४. प० २४॥ ५ इह सग्रहगाथा क्वचिद् दृश्यते वेयावेओ पढमो, वेयाबधो य वीयओ होइ। वधावेो तइओ, चउत्थओ बघवधो उ ॥ (वृ)। ६ ओ० सू०१। ७. एगजवूए (स)। ८ ओ० सू० २-१३ । ६. स० पा०-चरमाणे जाव एगजबुए। १०. भ० ६७७। ११. स० पा०-अणिक्खित्तेण जाव आयावे माणस्स। १२. आउट्टा° (क, ता), आउट्टा (स)। . १३ स० पा०-हत्थ वा जाव ऊर। १४. ० राइएण (स)। Page #779 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई हंता गोयमा । जे छिंदति तस्स किरिया कज्जति, जस्स हिज्जति नो तस्म ० किरिया कज्जति, णण्णत्येगेण धम्मंतराएण || ५० सेव भते । सेवं भते ! ति ॥ ७१८ चउत्थो उद्देसो नेरइयाणं निज्जरा-पदं ५९. रायगिहे जाव' एव वयासी जावतिय ण भते । अन्नगिलायए समणे निग्गये कम्मं निज्जरेति एवतियं कम्मं नरएसु नेरइया वासेण वा वासेहिं वा वाससएण वा खवयति ? नो इणट्टे समट्ठे । - जावतियं ण भते । चउत्थभत्तिए समणे निग्गथे कम्म निज्जरेति एवतिय कम्मं नरएसु नेरइया वाससएण वा वाससएहि वा वाससहस्सेण' वा खवयति ? नो इणट्टे समट्ठे | जावतिय ण भते । छट्टभत्तिए समणे निग्गथे कम्म निज्जरेति एवतिय कम्मं नरएसु नेरइया वाससहस्सेण वा वाससहस्सेहि वा वाससयसहस्सेण वा खवयति ? नो इणट्टे समट्टे | जावतिय ण भते । श्रट्टमभत्तिए समणे निग्गथे कम्म निज्जरेति एवतियं कम्मं नरएसु नेरइया वाससयसहस्सेण वा वाससयसहस्सेहिं वा वासकोडीए वा खवयति ? नो इणट्ठे समट्टे | जावतिय ण भते । दसमभत्तिए समणे निग्गथे कम्म निज्जरेति एवतियं कम्म नरएसु नेरइया वासकोडीए वा वासकोडीहि वा वासकोडाकोडीए वा खवयति ? नो इणट्ठे समट्ठे ॥ ५२. से केणट्टेण भते । एव वुच्चड - जावतिय अन्नगिलायए समणे निग्गथे कम्म निज्जरेति एवतिय कम्म नरएसु नेरइया वासेण वा वासेहिं वा वाससएण वा नो खवयंति, जावतिय चउत्थभत्तिए - एव त चेव पुव्वभणियं उच्चारेयव्व जाव वासकोडाकोडीए वा नो खवयति ? १. स० पा० - छिदति जाव धम्मतराएण । २. भ० १५१ । ३. भ० १।४।१० । ४. वाससएहि ( अ, क, ता, म, स ) । ५. वाससहस्सेहिं (क, ता, व ) ! Page #780 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मोलमम सत (चउत्थो उद्देसो) ७१६ गोयमा | से जहानामए केइ पुरिसे जुण्णे जराजज्जरियदेहे सिढिलतयावलि तरंग-सपिणद्धगत्ते पविरल-परिसडिय-दतसेढी उण्हाभिहए तण्हाभिहए अाउरे झुसिए' पिवासिए दुव्वले किलते एग मह कोसव-गडियं सुक्क' जडिल गठिल्ल चिक्कण वाइद्ध अपत्तिय मुडेण परसुणा अक्कमेज्जा, तए ण से पुरिसे महताइमहंताइ सद्दाइं करेइ, नो महताइ-महताइ दलाइ अवद्दालेइ, एवामेव गोयमा । नेरइयाण पावाइ कम्माइं गाढीकयाइ, चिक्कणीकयाइ, ५०सिलिट्ठीकयाइ, खिलीभूताइ भवति । सपगाढ पि य ण ते वेदण वेदेमाणा नो महानिज्जरा नो महापज्जवसाणा भवंति । से जहानामए केइ पुरिसे अहिकरणि पाउडेमाणे महया - महया सद्देण, महयामहया घोसेण, महया-महया परपराघाएण नो सचाएइ, तीसे अहिगरणीए केइ अहाबायरे पोग्गले परिसाडित्तए, एवामेव गोयमा । नेरइयाण पावाइ कम्माइ गाढीकयाइ, चिक्कणीकयाड, सिलट्ठीकयाइ खिलीभूताइ भवति । सपगाढ पि य ण ते वेदण वेदेमाणा नो महानिज्जरा' नो महापज्जवसाणा भवति । से जहानामए केइ पुरिसे तरुणे बलव जाव" मेहावी निउणसिप्पोवगए एग मह सामलि-गडिय उल्ल अजडिल' अगठिल्ल अचिक्कण अवाइद्ध सपत्तिय तिखेण परसुणा अक्कमेज्जा, तए ण से पुरिसे नो महताइ-महताइ सद्दाइ करेति, महताइ-महताइ दलाइ अवद्दालेति, एवामेव गोयमा । समणाण निग्गथाण अहाबादराइ कम्माइ सिढिलीकयाइ, निट्ठियाइ कयाइ, विप्परिणामियाइ खिप्पामेव परिविद्धत्थाइ भवति जावतिय तावतिय •पि ण ते वेदण वेदेमाणा महानिज्जरा° महापज्जवसाणा भवति ।। से जहा वा केइ पुरिसे सुक्कतणहत्थग जायतेय सि पक्खिवेज्जा-० से नण गोयमा । से सुक्के तणहत्थगए जायतेय सि पक्खित्ते समाणे खिप्पामेव मसमसाविज्जति ? हता मसमसाविज्जति । एवामेव गोयमा । समणाण निग्गथाण अहाबायराइ कम्माइ, सिढिलीकयाइ, निट्ठियाइ कयाइ, विप्परिणामियाइ खिप्पामेव विद्धत्थाइ भवति । जावतियं तावतिय पि ण ते वेदण वेदेमाणा महानिज्जरा महापज्जवसाणा भवति । १ सविण ° (ख, ता)। २ झुझित (क, ख, म), जुज्झिते (ब), मूरित इति टीकाकार (वृ)। ३. सुक्ख (अ, ख, ता, व)। ४. जटिल (अ)। ५. स० पा०-एव जहा छट्टसए जाव नो। ६ स० पा० महया जाव नो। ७ भ० १४१३ । ८. जाव (म, क, ख, ता, ब, म, स)। ६ स० पा०-तावतिय जाव महापज्जवसाणा। १० स० पा०-एव जहा छट्ठसए तहा अयोक वल्ले वि जाव महापज्जवसाणा। Page #781 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७२२ भगवई o चउहिं सामाणियसाहस्सीहि "तिहि परिसाहिं, सत्तर्हि अगिएहि, मतहि श्रणियाहिवईहि, सोलसहि प्राय रक्खदेवसाहस्सी हि श्रण्णेहि बहूहि महासामाणविमाणवासीहि वेमाणिएहि देवेहि देवीहि यसद्धि सपरिवुडे जाव' दुदुहि निग्घोसनाइयरवेण जेणेव जंबुद्दीवे दीवे, जेणेव भारहे वासे, जेणेव उल्लुयतीरे' नगरे, जेणेव एगजवुए चेइए, जेणेव ममं प्रतिय तेणेव पहारेत्थ गमणाए । तए गं से सक्के देविदे देवराया तस्स देवस्स त दिव्त्र देविड्ढि दिव्व देवजुति दिव्वं देवाणुभाग दिव्वतेयलेस्सं असह्माणे मम ग्रट्ठ उक्खित्तपसिणवागरणाड पुच्छित्ता सभतियवदणण वदित्ता जाव पडिगए || ५६. जाव च ण समणे भगवं महावीरे भगवग्रो गोयमस्स एयमट्ठ परिकहेति तावं च ण से देवे त देस हव्वमागए । तए ण से देवे समण भगव महावीर तिक्खुत्तो ग्रायाहिण-पयाहिण करेड, करेत्ता वदइ नमसड, वदित्ता नमसित्ता एव वयासीएवं खलु भते । महासुक्के कप्पे महासामाणे विमाणे एगे मायिमिच्छदितिउववन्नए देवे मम एव वयासी - परिणममाणा पोग्गला नो परिणया, अपरिणया, परिणमंतीति पोग्गला नो परिणया, अपरिणया । तए णं ग्रह तं मायिमिच्छदिट्ठि उववन्नग देव एव वयासी - परिणममाणा पोग्गला परिणया, नो परिणया, परिणमतीति पोग्गला परिणया, नो अपरिणया, से कहमेयं भंते ! ५७ एव ? गगदत्तादि । समणे भगव महावीरे गगदत्तं देव एव वयासी — ग्रहं पिण गगदत्ता ! एवमाइक्खामि भासेमि पण्णवेमि परूवेमि - परिणममाणा पोग्गला' • परिणया, नो अपरिणया, परिणमंतीति पोग्गला परिणया, नो अपरिणया, सच्चमेसे अट्ठे ।। ५८. तए ण से गगदत्ते देवे समणस्स भगवप्रो महावीरस्स प्रतिय एयमट्ठे सोच्चा निसम्म हट्टतुट्टे समण भगव महावीरं वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता नच्चासन्ने जाव' पज्जुवासति ॥ गंगदत्तदेवस्स प्रपविसए पसिण-पदं ५६. तए ण समणे भगव महावीरे गगदत्तस्स देवस्स तीसे य' महतिमहालियाए ० परिसाए • धम्म परिकहेइ जाव" आराहए भवति ॥ 1 १. स० पा० -रियारो जहा सूरियाभस्स जाव २. राय० सू० ५८ । ३. उल्लुया ० (ख, व, म) 1 ४. महासमाणे ( अ, क, ता, व ) । ५. ०दी (ता, व, म) | - ६ स० पा० - पोग्गला जाव नो । ७ भ० १।१० । ८. पज्जुवाहति (म ) 1 ६. स० पा० तीसे य जाव धम्म | १०. ओ० सू० ७१-७७ । - Page #782 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७२३ ६० मोलसम मत (पंचमो उद्देसो) तए णं से गगदत्ते देवे समणस्स भगवनो महावीरस्स अतिए धम्म सोच्चा निसम्म हट्टतुट्टे उट्ठाए उढेइ, उद्वेत्ता समण भगव महावीर वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता एव वयासी-ग्रहण्ण भते ! गगदत्त देवे कि भवसिद्धिए ? अभवसिद्धिए ? "सम्मदिट्टी? मिच्छदिट्ठी ? परित्तससारिए ? अणंतससारिए ? सुलभवोहिए ? दुल्लभवोहिए ? पाराहए ? विराहए ? चरिमे ? अचरिमे ? गंगदत्ताइ । समणे भगव महावीरे गगदत्त देव एव वयासी-गगदत्ता । तुमण्ण भवसिद्धिए, नो अभवसिद्धिए। सम्मदिट्ठी, नो मिच्छदिट्ठी। परित्तससारिए, नो अणतससारिए । सुलभवोहिए, नो दुल्लभवोहिए । आराहए, नो विराहए। चरिमे, नो अचरिमे ।। गंगदत्तदेवेण नट्ट-उवदंसण-पदं ६१. तए ण से गगदत्ते देवे समणेण भगवया महावीरेण एव वुत्ते समाणे हद्वतचित्त माणदिए पीइमणे परमसोमणस्सिए हरिसवसविसप्पमाणहियए समण भगवं महावीर वदह नमसइ, वंदित्ता नमसित्ता एव वयासी-तुन्भे ण भते । सव्वं जाणह सव्व पासह, सव्वनो जाणह सव्वओ पासह, सव्व काल जाणह सव्व काल' पासह, सव्वे भावे जाणह सव्वे भावे पासह । जाणति ण देवाणुप्पिया | मम पुन्वि वा पच्छा वा ममेयरूव दिव्व देविडिढ दिव्व देवजूड दिव्व देवाणुभाव लद्ध पत्त अभिसमण्णागय ति, त इच्छामिण देवाणुप्पियाण भत्तिपुव्वग गोयमातियाण समणाण निग्गथाण दिव्व देविडिंढ दिव्व देवजुइ दिव्व देवाणुभाव दिव्व वत्तीसतिबद्ध नट्टविहिं उवदसित्तए । ६२ तए ण समणे भगव महावीरे गगदत्तेण देवेण एव वुत्ते समाणे गगदत्तस्स देवस्स एयमट्ठ नो आढाइ, नो परियाणइ, तुसिणीए सचिट्ठति ।। तए ण से गगदत्त देवे समण भगव महावीर दोच्च पि तच्च पि एव वयासीतुम्भे ण भते । सव्व जाणह सव्व पासह, सव्वनो जाणह सव्वओ पासह, सव्व काल जाणह सव्व काल पासह, सव्वे भावे जाणह सव्वे भावे पासह । जाणति ण देवाणुप्पिया । मम पुन्वि वा पच्छा वा ममेयरूव दिव्य देविडिंढ दिव्व देवजुइ दिव्व देवाणुभाव लद्ध पत्त अभिसमण्णागय ति, त इच्छामिण देवाणुप्पियाण भत्तिपुव्वग गोयमातियाण समणाण निग्गथाण दिव्व देविडिट दिव्व देवजुइ दिव्व देवाणुभाव दिव्व बत्तीसतिवद्ध नट्टविहिं उवदसित्तए त्ति कट्ठ ° जाव वत्तीसतिबद्ध नट्टविहिं उवदसेति, उवदसेत्ता जाव' तामेव दिस पडिगए। १. स० पा०-एव जहा सूरियाभो। २ राय० सू० ६५-१२० । Page #783 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७२० भगवई से जहानामए केइ पुरिसे तत्तसि अयकवल्लसि उदगविंदु पक्खिवेज्जा, से नूणं गोयमा | से उदगविंदू तत्तसि अयकवल्ल सि पक्खित्ते समाणे खिप्पामेव विद्धसमागच्छइ ? हता विद्धसमागच्छइ। एवामेव गोयमा । समणाण निग्गंथाण अहाबायराइ कम्माइ सिढिलीकयाइ, निट्टियाइ कयाइ, विप्परिणामियाइ खिप्पामेव विद्धत्थाइ भवंति । जावतियं तावतियं पि ण ते वेदण वेदेमाणा महानिज्जरा° महापज्जवसाणा भवंति । से तेणट्रेण गोयमा । एव वुच्चइ-जावतिय अन्नगिलायए' समणे निग्गथे कम्म निज्जरेति त चेव जाव वासकोडाकोडीए वा नो खवयति ।। ५३. सेव भते । सेव भते । त्ति जाव विहरइ ॥ पंचमो उद्देसो सक्कस्स उक्खित्तपसिणवागरण-पदं ५४. तेण कालेण तेण समएणं उल्लुयतीरे नाम नगरे होत्था-वण्णयो। एगजंबुए चेइए-वण्णो । तेण कालेण तेण समएण सामी समोसढे जाव' परिसा पज्जुवासति । तेण कालेण तेण समएण सक्के देविदे देवराया वज्जपाणी-एव जहेव वितियउद्देसए तहेव दिव्वेण जाणविमाणेण आगो जाव' जेणेव समणे भगव महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता" "समण भगव महावीर वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता एव वयासीदेवे ण भते ! महिड्ढिए जाव' महेसक्खे बाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता पभू आगमित्तए ? नो इणढे समढे । देवे णं भते । महिड्ढिए जाव महेसक्खे वाहिरए पोग्गले परियाइत्ता पभू आगमित्तए ? हता पभू। १. अन्नइलायए (अ, क, ख, ता, व, म, स)। २. भ० ११५१ । ३. ओ० सू० १। ४. ओ० सू० २-१३ । ५. ओ० सू० २२-५२। ६ भ० १६१३३ । ७. स० पा०-उवागच्छित्ता जाव नमसित्ता। ८ भ० ११३३६ । ६. अपरियादिइत्ता (क, ख, ब)। Page #784 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मोनसम मन (पवनो उद्देसो) ७२१ देवे णं भंते । महिड्ढिए जाव महेसक्वे एव एएण अभिलावेणं गमित्तए वा, भासित्तए वा, विनागरित्तए वा, उम्मिसावेत्तए वा, निमिसावेत्तए वा, आउटावेत्तए वा, ठाणं वा सेज्ज वा निसीहिय वा चेइत्तए वा, विउवित्तए वा, परियारेत्तए वा जाव हता पभू---इमाइ अट्ठ उक्खित्तपसिणवागरणाइ पुच्छइ, पुच्छित्ता सभतियवदणएणं' वदति, वदित्ता तमेव दिव्व जाणविमाण द्रुहति', द्रुहित्ता जामेव दिस पाउन्भूए तामेव दिस पडिगए । गंगदत्तदेवस्स संदम्भे परिणममाण-परिणय-पदं ५५ भतेति | भगव गोयमे समण भगव महावीर वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता एवं वयासी-अण्णदा ण भते । सक्के देवि देवराया देवाणुप्पिय वदति नमसति सक्कारेति जाव' पज्जुवासति, किण्ण भते । अज्ज सक्के देविदे देवराया देवाणुप्पियं अट्ठ उक्खित्तपसिणवागरणाइ पुच्छइ, पुच्छित्ता सभतियवदणएण वदइ नमसइ जाव पडिगए ? गोयमादि । समणे भगव महावीरे भगव गोयम एव वयासी-एव खलु गोयमा ! तेण कालेण तेण समएण महासुक्के कप्पे महासामाणे विमाणे दो देवा महिड्ढिया जाव महेसक्खा एगविमाणसि देवत्ताए उववन्ना, त जहा-मायिमिच्छदिट्ठिउववन्नए य, अमायिसम्मदिट्ठिउववन्नए य । तए ण से मायिमिच्छदिट्ठिउववन्नए देवे त अमायिसम्मदिट्ठिउववन्नग देवं एवं वयासी-परिणममाणा पोग्गला नो परिणया, अपरिणया, परिणमतीति पोग्गला नो परिणया, अपरिणया। तए ण से अमायिसम्मदिट्ठिउववन्नए देवे त मायिमिच्छदिदिउववन्नग देव एवं वयासी-परिणममाणा पोग्गला परिणया, नो अपरिणया, परिणमतीति पोग्गला परिणया, नो अपरिणया । त मायिमिच्छदिट्ठिउववन्नग एव पडिहणइ५, पडिहणित्ता प्रोहिं पउजइ, पउजित्ता मम ओहिणा आभोएड, प्राभोएत्ता अयमेयारूवे अज्झथिए चितिए पत्थिए मणोगए सकप्पे० समुप्पज्जित्था एव खलु समणे भगव महावीरे जवुद्दीवे दीवे भारहे वासे उल्लुयतीरस्स नगरस्स वहिया एगजवुए चेइए अहापडिरूव' ओग्गह अोगिण्हित्ता सजमेण तवसा अप्पाण भावेमाणे ° विहरइ, त सेय खलु मे समण भगव महावीर वदित्ता जाव: पज्जुवासित्ता इम एयारूव वागरण पुच्छित्तए त्ति कटु एव सपेहेइ, सपेहेत्ता १. वदएण (अ, ख, ब, म)। ५ पडिभणइ (ता)। २. दुरुहइ (स)। ६ स० पा०-अयमेयारूवे जाव समुप्पज्जित्था। ३. भ० २।३० । ७ स० पा०-अहापडिरूव जाव विहरइ । ४. भ० १६१५४ । भ० २।३०। Page #785 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ७२४ ६४ भतेति । भगव गोयमे समण भगव महावीर' वदइ नमसंइ, वदित्ता o O नमसित्ता ° एव वयासी - गगदत्तस्स ण भते ! देवस्स सा दिव्वा देविड्ढी दिव्वा देवज्जुती' 'दिव्वे देवाणुभावे कहिं गते ? कहि प्रणुष्पविट्ठे ? गोयमा । सरीर गए, सरीर ग्रणुप्पविट्ठे, कूडागा रसालादिट्ठतो जाव' सरीर अणुपविट्ठे । श्रहो ण भते । गगदत्ते देवे महिड्दिए "महज्जुइए महत्वले महायसे° महेसक्खे ।। गंगदत्त देवस्स पुव्वभव-पद ६५ गगदत्तेण भते । देवेण सा दिव्वा देविड्ढी सा दिव्वा देवज्जुती से दिव्वे देवाणुभागे किण्णा लद्धे' ? • किण्णा पत्ते ? किण्णा अभिसमण्णागए ? पुव्वभवे के आसी ? किं नाम वा ? कि वा गोत्तेणं ? कयरसि वा गामसि वा नगरसि वा निगमसि वा रायहाणीए वा खेडसि वा कब्बडसि वा मडबसि वा पट्टणसि वा दोणमुहसि वा प्रागरंसि वा आसमसि वा संवाहसि वा सण्णिवेससि वा ? किं वा दच्चा ? किं वा भोच्चा ? किं वा किच्चा ? कि वा समायरिता ? o कस्स वा तहारूवस्स समणस्स वा माहणस्स वा अतिए एगमवि आरियं घम्मिय सुवण सोच्चा निसम्म जण्ण गगदत्तेण देवेणं सा दिव्वा देविड्ढी सा दिव्वा देवज्जुती से दिव्वे देवाणुभागे लद्धे पत्ते अभिसमण्णागए ? ६६ गोयमादी | समणे भगव महावीरे भगव गोयम एव वयासी - एव खलु गोयमा । तेण कालेण तेण समएण इहेव जबुद्दीवे दीवे भारहे वासे हत्थिणापुरे नाम नगरे होत्था - वण्णओ' । सहसबवणे उज्जाणे – वण्णो । तत्थ ण हत्थिणापुरे नगरे गंगदत्ते नाम गाहावती परिवसति--प्रड्ढे जाव' बहुजणस्स अपरिभू ॥ ६७ तेण कालेण तेण समएणं मुनिसुव्वए अरहा आदिगरे जाव' सव्वण्णू सव्वदरिसी आगासगएण चक्केण ं, आगासगएण छत्तेण, आगासियाहि चामराहि, आगास फालियामएण सपायवीढेण सीहासणेणं, धम्मज्झएण पुरस्रो पकड्ढि - ज्जमाणेण-पकड्ढिज्जमाणेण सीसगणसपरिवुडे पुव्वाणुपुव्वि चरमाणे गामाणु १. स० पा० - महावीर जाव एव । - देवज्जुती जाव अरगुप्पविट्टे । २. स० पा० ३. राय० सू० १२३ । ४. सं० पा०० - महिड्दिए जाव महेसक्खे | ५. स० पा०-- लठ्ठे जाव गगदत्तेणं देवेण सा दिव्वा देविड्ढी जाव अभिसमण्णागए । ६ ओ० सू० १ । ७. भ० ११।५७ । ८. भ० २६४ | ६ भ० १७ ॥ १० सं० पा० चक्केण जाव पकड्ढिज्ज ॰ । Page #786 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सोलतम सत (पचमो उद्देसो) ७२५ गाम' 'दूइज्जमाणे सुहसुहेण विहरमाणे जेणेव हत्थिणापुरे नगरे जेणेव सहसववणे उज्जाणे जाव' विहरति । परिसा निग्गया जाव' पज्जुवासति ।। तए ण से गगदत्ते गाहावतो इमोसे कहाए लढे समाणे हट्टतुटे पहाए कयबलिकम्मे जाव' अप्पमहग्याभरणाल कियसरीरे सानो गिहाम्रो पडिनिक्खमति, पडिनिक्खमित्ता पायविहारचारेण हत्थिणापुर नगर मज्झमझेण" निग्गच्छति, निग्गच्छित्ता जेणेव सहसववणे उज्जाणे जेणेव मुणिसुव्वए अरहा तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता मुणिसुव्वय अरह तिक्खुत्तो आयाहिण पयाहिण करेइ जाव तिविहाए पज्जुवासणाए पज्जुवासति ।। ६६. तए ण मुणिसुव्वए अरहा गगदत्तस्स गाहावतिस्स तीसे य महतिमहालियाए परिसाए धम्म परिकहेइ जाव परिसा पडिगया । तए ण से गगदत्ते गाहावती मुणिसुव्वयस्स अरहओ अतिय धम्म सोच्चा निसम्म हट्टतुट्टे उट्ठाए उद्वेति, उद्वेत्ता मुणिसुन्वय अरह वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता एव वयासी-सहामि ण भते । निग्गथ पावयण जाव से जहेय तुम्भे वदह, ज नवर देवाणुप्पिया | जेट्टपुत्त कुडुबे ठावेमि. तए ण अहं देवाणुप्पियाण अतिय मुडे" भवित्ता अगारानो अणगारिय° पव्वयामि । अहासुह देवाणुप्पिया ! मा पडिवध ।। ७१ तए ण से गगदत्ते गाहावई मुणिसुव्वएण अरहया एव वुत्ते समाणे हद्वतुटे मुणिसुव्वय अरह वदइ नमसइ, बदित्ता नमसित्ता मुणिसुव्वयस्स अरहो अतियानो सहसबवणानो उज्जाणाम्रो पडिनिक्खमति, पडिनिक्खमित्ता, जेणेव हत्थिणापुरे नगरे जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता विउल असणपाण२ खाइम-साइम ° उवक्खडावेति, उवक्खडावेत्ता मित्त-नाइ-नियग सयण-सवधि-परियण पामतेति, आमतेत्ता तो पच्छा हाए जहा पूरणे जाव" जेटुपुत्त कुड़वे ठावेति । त मित्त-नाइ५- नियग-सयण-सबधि-परियण ° जेट्टपुत्त च आपुच्छइ, आपुच्छित्ता पुरिससहस्सवाहणि सीय द्रुहति, द्रुहित्ता मित्त-नाइ १. स० पा०—ामाणुगाम जाव जेणेव । ८. ओ० सू० ६६ । २. भ० ११७ । ६. ओ० सू० ७१-७६ । ३. ओ० सू० ५२। १०. भ० २।५२ । ४ जाव (ख, स) । ११ स० पा०–मुडे जाव पव्वयामि । ५ भ० २।१७। १२ स० पा०-पारण जाव उवक्खडावेति । ६ हत्थिणपुर (अ, म), हत्थिरणाउर (ता, ब), १३ स० पा०-नियग जाव आमतेति । हत्थिरणागपुर (स)। १४. भ० ३.१०२। ७. मज्झेण २ (अ, ख, ता, व, म)। १५ स० पा०-नाइ जाव जेट्टपुत्ते । Page #787 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई नियग'- सयण-सबधि - परिजणेणं जेट्टपुत्तेण य समणुगम्ममाणमग्गे सव्विड्ढीए जाव' दुदुहि निग्घोसनादितरवेण हत्थिणागपुर मज्झमज्भेण निग्गच्छड, निग्गच्छित्ता जेणेव सहसबवणे उज्जाणे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता छत्तादिते तित्थगरातिसए पासति । एव जहा उद्दायणे जाव' सयमेव ग्राभरणे ग्रोमुयइ, श्रमुत्ता सयमेव पचमुट्ठिय लोयं करेति, करेत्ता जेणेव मुणिसुव्वए रहा एवं जहेव उद्दायणे तहेव पव्वइए, तहेव एक्कारस ग्रगाई अहिज्जइ जाव' मासियाए सलेहणाए श्रत्ताण भूसेइ, भूसेत्ता सद्वि भत्ताइ ग्रणसणाए छेदेति, छेत्ता आलोइय-पडिक्कते समाहिपत्ते कालमासे काल किच्चा महासुक्के कप्पे महासामाणे विमाणे उववायसभाए देवसय णिज्जसि जाव' गगदत्तदेवत्ताए उववन्ते ॥ ७२. तए ण से गगदत्ते देवे ग्रहणोववन्नमेत्तए समाणे पचविहाए पज्जत्तीए पज्जत्तभाव गच्छति, [त जहा - ग्राहारपज्जत्तीए जाव' भासा - मणपज्जत्तीए ] ' एव खलु गोयमा । गगदत्तेण देवेण सा दिव्वा देविड्ढी' सा दिव्वा देवज्जुती से दिव्वे देवाणुभागे लद्धे पत्ते अभिसमण्णागए ॥ 0 ७३. गगदत्तस्स ण भते ! देवस्स केवतिय काल ठिति पण्णत्ता ? गोयमा ! सत्त रस सागरोवमाइ ठिती पण्णत्ता ॥ ७२६ ७४. गगदत्ते ण भते । देवे ताम्रो देवलोगाओ ग्राउक्खएण' भवक्खएण ठिइक्खणं प्रणतर चय चइत्ता कहि गच्छिहिति ? हि ववज्जिहति ? गोयमा ! • महाविदेहे वासे सिज्झिहिति जाव" सव्वदुक्खाण ग्रत काहिति ॥ ७५. सेव भते ! सेवं भते ! त्ति " || छट्ठो उद्देसो सुविण - पद ७६. कतिविहे ण भते ? सुविणदसणे" पण्णत्ते ? गोयमा ! पचविहे सुविणदसणे पण्णत्ते, त चितासुविणे, तव्विवरीए, अव्वत्तदसणे" ।। १. स० पा० नियग जाव परिजणेण । २. भ० ६।१८२ । ३. भ० १३।११७ । ४. भ० ११।११८ ६।१५०, १५१ । ५. भ० ३।१७ । ६. भ० ३।१७ । ७. असो कोष्ठकवर्तिपाठो व्याख्याशः प्रतीयते । जहा – अहातच्चे, पताणे, ८. स० पा०१ - देविड्ढी जाव अभिसमण्णागए । ६ स० पा०-- आउक्खएण जाव महाविदेहे । १० भ० २।७३ । ११. भ० १५१ । १२. सुमिरण ( अ ) । ० १३. अवत्त ० ( अ, क, ख, ब ) । Page #788 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७२७ सोलसम सत (छट्ठो उद्देसो) ७७ सुत्ते ण भते | सुविण पासति ? जागरे सुविण पासति ? सुत्तजागरे सुविण पासति? गोयमा | नो सुत्ते सुविण पासति, नो जागरे सुविण पासति, सुत्तजागरे सुविण पासति ॥ ७८ जीवा ण भते । कि सुत्ता ? जागरा ? सुत्तजागरा ? गोयमा ? जीवा सुत्ता वि, जागरा वि, सुत्तजागरा वि । नेरइयाण भते । किं सुत्ता–पुच्छा। गोयमा | नेरइया सुत्ता, नो जागरा, नो सुत्तजागरा । एव जाव' चउरिदिया । पचिदियतिरिक्खजोणिया ण भते । कि सुत्ता-पुच्छा। गोयमा । सुत्ता, नो जागरा, सुत्तजागरा वि । मणुस्सा जहा जीवा । वाणमतर जोइसिय-वेमाणिया जहा ने रइया ॥ __ सवुडे ण भते | सुविण पासति ? असवुडे सुविण पासति ? सवुडासवुडे सुविण पासति ? गोयमा । सवुडे वि सुविण पासति, असवुडे वि सुविण पासति, सवुडासवुडे वि सुविण पासति । सवुडे सुविण पासति अहातच्च पासति । असवुडे सुविण पासति तहा वा त होज्जा, अण्णहा वा त होज्जा । सवुडासवुडे सुविण पासति "तहा वा त होज्जा, अण्णहा वा त होज्जा ॥ ८२. जीवा ण भते | कि सवुडा ? असवुडा ? सवुडासवुडा ? गोयमा | जीवा सवुडा वि, असवुडा वि, सवुडासवुडा वि । एव जहेव सुत्ताणं दडलो तहेव भाणियव्वो । ८३ कति ण भते | सुविणा पण्णत्ता ? गोयमा | वायालीस सुविणा पण्णत्ता ।। ८४ कति ण भते । महासुविणा पण्णत्ता ? गोयमा । तीस महासुविणा पण्णत्ता ।। कति ण भते | सव्वसूविणा पण्णत्ता ? गोयमा । बावत्तरि सव्वसुविणा पण्णत्ता ॥ ८६ तित्थगरमायरो ण भते । तित्थगरसि गब्भ वक्कममाण सि कति महासुविणे' पासित्ता ण पडिबुज्झति ? गोयमा । तित्थगरमायरो तित्थगरसि गम्भ वक्कममाणसि एएसिं तीसाए महासुविणाण इमे चोद्दस महासुविणे पासित्ता ण पडिबुज्झति, त जहा—गयउसभ जाव सिहिं च ॥ ८५ १ पू०प०२। २. स० पा०-एव चेव । ३ महासुविणे सुविणे (अ, क, ख, ता, ब)। ४. भ० ११११४२।। Page #789 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ७२८ ८७. चक्कवट्टिमायरो ण भते । चक्कवट्टसि गव्भ वक्कममाणसि कति महासुविणे पासित्ता णं पडिवुज्झति ? गोयमा | चक्कवट्टिमायरो चक्कवट्टिसि गव्भ' वक्कममाणसि एएसि तीसाए महासुविणाण • इमे चोट्स महासुविणे पासित्ताण पडिवुज्झति, त जहागय-उसभ° जाव सिहि च ॥ ८८ वासुदेवमायरो ण - पुच्छा । गोयमा ! वासुदेवमायरो 'वासुदेवसि गव्भ • वक्कममाणसि एएसि चोदसह महासुविणाण प्रणयरे सत्त महासुविणे पासित्ता ण पडिवुज्झति ॥ ८६. वलदेवमायरो - पुच्छा । गोयमा । वलदेवमायरो जाव एएसि चोद्दसह महासुविणाण अण्णयरे चत्तारि महासुविणे पासित्ताण पडिवुज्झति ॥ ६०. मंडलियमायरो ण भते । - पुच्छा | गोयमा ! मडलियमायरो जाव एएसि चोद्दसहं महासुविणाणं श्रण्णयर एग महासुविण 'पासित्ता ण" पडिवुज्झति ॥ भगवो महासुविण - दंसण-पदं ६१. समणे भगव महावीरे छउमत्थकालियाए ग्रतिमराइयसि इमे दस महासुविणे पासित्ताणं पडिवुद्धे, तं जहा १ एग च ण मह घोररूवदित्तधर तालपिसाय सुविणे पराजियं पासित्ता ग पडिबुद्धे । २ एग च ण मह सुक्किल पक्खग पुसकोइलग ' सुविणे पासित्ता ण पडिबुद्धे । ३ एग च ण मह चित्तविचित्तपक्खग' पुसकोइलगं सुविणे पासित्ता ण पडिबुद्धे । ४. एग च ण मह दामदुग सव्वरयणामय सुविणे पासित्ता णं पडिवुद्धे । ५. एगं च ण मह सेय गोवग्ग सुविणे पासिता ण पडिवुद्धे । ६ एग च ण मह पउमसरं सव्वग्र समता कुसुमिय सुविणे पासित्ता गं परिबुद्धे । ७. एग च ण 'महं सागर " उम्मीवीयीसहस्सकलियं भूयाहि तिण्ण सुविणे पासित्ता ण पडिबुद्धे । ८. एग च ण मह दिणयरं तेयसा जलतं सुविणे पासित्ता ण पडिवुद्धे । १. जाव ( अ, ख, म); जाव गव्र्भ (क, ता, व, स) । २. स० पा० - एव जहा तित्थगरमायरो जाव | ३. स० पा० - वासुदेवमायरो जाव वक्कम ० । ४. जाव (अ, क, ख, ता, व, म, स ) । ५. पूसकोइल ( अ, क, ख, ता, ब) 1 ६ चित्तपक्खग (क, ता) | ७. महासागर ( अ ) 1 Page #790 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सोलसमं सत (छट्ठो उद्देसो) ७२६ ६. एग च ण महं हरिवेरुलियवण्णाभेण नियगेण अतेण माणुसुत्तर पव्वय सव्वयो समता आवेढिय परिवेढिय सुविणे पासित्ता ण पडिबुद्धे । १० एगं च ण मह मदरे पव्वए मदरचूलियाए उवरि सीहासणवरगय अप्पाण सुविणे पासित्ता ण पडिबुद्धे ।। १. जण्ण समणे भगव महावीरे एग मह घोररूवदित्तधर तालपिसाय सुविणे पराजिय पासित्ता ण पडिबुद्धे, तण्ण समणेण भगवया महावीरेण मोहणिज्जे मूलाग्रो उग्घाइए। २ जण्ण समणे भगव महावीरे एग मह सुक्किल' पक्खग पुसकोइलग सविणे पासित्ता ण° पडिबुद्धे, तण्ण समणे भगव महावीरे सुक्कज्झाणोवगए विहरति । ३ जण्ण समणे भगव महावीरे एग मह चित्तविचित्त पक्खग पुसकोइलग सुविणे पासित्ता ण ° पडिबुद्धे, तण्ण समणे भगव महावीरे विचित्त ससमयपरसमइय दुवालसग गणिपिडग आघवेति पण्णवेति परूवेति दसेति निदसेति उवदसेति, त जहा-पायार, सूयगड जाव' दिदिवाय । ४ जण्ण समणे भगव महावीरे एग मह दामदुग सव्वरयणामय सुविणे पासित्ता ण पडिवुद्धे, तण्ण समणे भगव महावीरे दुविहे धम्मे पण्णवेति, त जहा-अगारधम्म वा, अणगारधम्म वा। ५ जण्ण समणे भगव महावीरे एग मह सेय गोवग्ग सुविणे पासित्ता ण° पडिबुद्धे, तण्ण समणस्स भगवनो महावीरस्स चाउव्वण्णाइण्णे समणसघे, त जहा-समणा, समणीयो, सावया, सावियाओ। ६ जण्ण समणे भगव महावीरे एगं मह पउमसर' 'सव्वनो समता कुसुमिय सुविणे पासित्ता ण° पडिबुद्धे, तण्ण समणे भगव महावीरे चउन्विहे देवे पण्णवेति, त जहा-भवणवासी, वाणमतरे, जोतिसिए, वेमाणिए। ७ जण्ण समणे भगव महावीरे एग मह सागर °उम्मीवीयीसहस्सकलिय भूयाहि तिण्ण सुविणे पासित्ता ण° पडिबुद्धे, तण्ण समणेणं भगवया महावीरेण अणादीए अणवदग्गे दीहमद्धे चाउरते. ससारकतारे तिण्णे । ८. जण्ण समणे भगव महावीरे एग मह दिणयर 'तेयसा जलत सुविणे पासित्ता १. स० पा०-सुक्किल जाव पडिबुद्धे । २. स. पा०-चित्तविचित्त जाव पडिबुद्धे । ३ भ० २०१७५। ४. दिट्टिवात (अ, ब), दिढिवाद (ता)। ५. स० पा०-गोवग्ग जाव पडिबुद्ध । ६. सं० पा०-पउमसर जाव पडिबुद्ध । ७ स० पा०-सागर जाव पडिबुद्धे । ८ प्रणवतग्गे (व), स० पा०-अगवदग्गे जाव ससार। ६ नित्थिण्णे (अ)। १०. स० पा०-दिणयर जाव पडिवुद्ध । Page #791 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७३० भगवई o ण पडिबुद्धे, तण्ण समणस्स भगवग्रो महावीरस्स ग्रणते ग्रणुत्तरे' निव्वावाए निरावरणे कसिणे पडिपुण्णे • केवलवरनाणदसणे समुपपन्ने । ९ जण्ण समणे भगव महावीरे एग मह हरिवेरुलिय' वण्णाभेण नियगेण तेणं माणुसुत्तर पव्वय सव्वग्रो समता ग्रावेढिय परिवेढिय सुविणे पासित्ता ण ० पडिबुद्धे, तण समणस्स भगवग्रो महावीरस्स ग्रोराला कित्ति वण्ण-सह- सिलोया सदेवमणुयासुरे लोए परिभमति - इति खलु समणे भगव महावीरे, इति खलु समणे भगव महावीरे । १० जण्ण समणे भगव महावीरे मदरे पव्वए मदरचूलियाए' उवरि सीहासणवरगय अप्पाण सुविणे पासित्ता ण ० पडिवुद्धे, तण्ण समणे भगव महावीरे सदेवमणुयासुराए परिसाए मझगए केवली' धम्म श्राघवेति' 'पण्णवेति परूवेति दसेति निदसेति उवदसेति ॥ सुविण फल-पद ६२ इत्थी वा पुरिसे वा सुविणते एग महं हयपति वा गयपति वा नरपति वा किन्नरपति वा किपुरिसपति वा महोरगपति वा गधव्वपति वा • वसभपंति वा पासमाणे पासति, द्रुहमाणे द्रुहति, दूढमिति ग्रप्पाणं मन्नति, तक्खणामेव वुज्झति, तेणेव भवग्गहणेण सिज्झति जाव' सव्वदुक्खाण प्रत करेति ॥ १३ इत्थी वा पुरिसे वा सुविणते एग मह दामिणि' पाईणपडिणायत दुहम्रो समुद्दे पुट्ट पासमाणे पासति, सवेल्लेमाणे सवेल्लेइ, सवेल्लियमिति अप्पाण मन्नति, तक्खणामेव बुज्झति, तेणेव भवग्गहणणं सिज्झति जाव सव्वदुक्खाणं अंत करेति ॥ ६४ इत्थी वा पुरिसे वा सुविणते एग मह रज्जु पाईणपडिणायत दुहनो लोगंते पुट्ठ पासमाणे पासति, छिंदमाणे छिंदति, छिन्नमिति" अप्पाण मन्नति, तक्खणामेव वुज्झति, तेणेव भवग्गहणेण सिज्झति जाव सव्वदुक्खाण अत करेति ॥ ६५ इत्थी वा पुरिसे वा सुविणते एग महं किण्हसुत्तग वा " नीलसुत्तग वा लोहियसुत्तग वा हालिद्दसुत्तग वा° सुक्किल सुत्तग वा पासमाणे पासति, उग्गोवेमाणे ० १ स० पा० - अणुत्तरे जाव केवल 1 २ सं० पा०- - हरिवेरुलिय जान पडिबुद्धे । ३ स० पा० – मदरचूलियाए जाव पडिबुद्ध । ४ केवलीण ( क ), केवलिपण्णत्त (ठा० १०।१०३) ५. स० पा० - आघवेति जाव उवदसेति । ६ स० पा०— गयपति वा जाव वसभपंति । ७ भ० १।४४ । ८ दाम ( ख ) । ६. तक्खणामेव अप्पाणं ( ख ) ; तवखणा चेव (ता) १० छिदरणमिति (ता) | ११. स० पा० - किण्हसुत्तग वा जाव सुक्किल । O Page #792 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सोलसम सत (छट्ठो उद्देसो) ७३१ उग्गोवेति, उग्गोवितमिति अप्पाण मन्नति, तक्खणामेव बुज्झति, तेणेव भवग्ग हणेण सिज्झति जाव सव्वदुक्खाण अत करेति ।। ६६ इत्थी वा पुरिसे वा सुविणते एग मह अयरासि वा तवरासि वा तउयरासिं वा सीसगरासि वा पासमाणे पासति, दुरुहमाणे दुरुहति, दुरूढमिति अप्पाण मन्नति, तक्खणामेव बुज्झति, दोच्चे भवग्गहणे सिज्झति जाव सव्वदुक्खाण अत करेति ।। ९७ इत्थी वा पुरिसे वा सुविणते एग मह हिरण्णरासि वा सुवण्णरासिं वा रयण रासिं वा वइररासि वा पासमाणे पासति, दुरुहमाणे दुरुहति, दुरूढमिति अप्पाण मन्नति, तक्खणामेव वुज्झति, तेणेव भवग्गहणेण सिज्झति जाव सव्वदुक्खाण अत करेति ।। १८ इत्थी वा पुरिसे वा सुविणते एग मह तणरासि वा "कट्टरासि वा पत्तरासि वा तयरासिं वा तुसरासि वा भुसरासिं वा गोमयरासिं वा° अवकररासिं वा पासमाणे पासति, विक्खिरमाणे विक्खिरति, विक्खिण्णमिति अप्पाण मन्नति, तक्खणामेव बुज्झति, तेणेव भवग्गहणेण सिज्झति जाव सव्वदुक्खाण अत करेति ॥ १६ इत्थी वा पुरिसे वा सुविणते एग मह सरथभ वा वीरणथभवा वसीमूलथभ वा वल्लीमूलथभ वा पासमाणे पासति, उम्मूलेमाणे उम्मूलेति, उम्मूलितमिति अप्पाण मन्नति, तक्खणामेव बुज्झति, तेणेव भवग्गहणेण सिझति जाव सव्व दुक्खाण अत करेति ।। १०० इत्थी वा पुरिसे वा सुविणते एग मह खीरकुभ वा दधिकुभ वा घयकभ वा मधुकुभ वा पासमाणे पासति, उप्पाडेमाणे उप्पाडेति, उप्पाडितमिति अप्पाण मन्नति, तक्खणामेव बुज्झति, तेणेव भवग्गहणेण सिझति जाव सव्वदुक्खाण अत करेति ।। १०१ इत्थी वा पुरिसे वा सुविणते एग मह सुरावियडकुभ वा सोवीरवियडकभ वा तेल्लकुभ वा वसाकुभ वा पासमाणे पासति, भिदमाणे भिदति, भिन्न मिति अप्पाण मन्नति, तक्खणामेव बुज्झति, दोच्चे भवग्गहणे सिज्झति जाव' सव्व दुक्खाण अत करेति ॥ १०२ इत्थी वा पुरिसे वा सुविणते एग मह पउमसर कुसुमिय पासमाणे पासति, प्रोगाहमाणे ओगाहति, प्रोगाढमिति अप्पाण मन्नति, तक्खणामेव वज्झति. तेणेव भवग्गहणेण सिझति जाव' सव्वदुक्खाण अत करेति ॥ १०३. इत्थी वा पुरिसे वा सुविणते एग मह सागर उम्मीवीयीसहस्सकलिय' पासमाणे १ दुरूहमारणे (अ, ख, स)। ३. उम्मीवीयी जाव कलिय (अ, क, ख, ता, व, २. स० पा०-जहा तेयनिसग्गे जाव अवकररासिं। म, स)। Page #793 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७३२ भगवई पासति, तरमाणे तरति, तिण्णमिति अप्पाण मन्नति, तक्खणामेव बुज्झति, तेणेव भवग्गहणेण सिज्झति जाव सव्वदुक्खाण अत करेति ।। १०४ इत्थी वा पुरिसे वा सुविणते एगं मह भवण सव्वरयणामय पासमाणे पासति, अणप्पविसमाणे अणुप्पविसति, अणुप्पविट्ठमिति अप्पाण मन्नति, तक्खणामेव बुज्झति, तेणेव भवग्गहणेण सिज्झति जाव सव्वदुक्खाण अत करेति ॥ १०५. इत्थी वा पूरिसे वा सुविणते एग महं विमाण सव्वरयणामय पासमाणे पासति, द्रुहमाणे द्रुहति, दूढमिति अप्पाण मन्नति, तवखणामेव बुज्झति, तेणेव भवग्ग हणेण सिज्झति जाव सव्वदुक्खाण अत करेति ।। गंध-पोग्गल-पदं १०६ अह भते | कोटपुडाण वा जाव' केयइपुडाण वा अणुवायसि उभिज्जमाणाण वा निभिज्जमाणाण वा उक्किरिज्जमाणाण वा विक्किरिज्जमाणाण वा ठाणाओ वा ठाण संकामिज्जमाणाण कि कोटे वाति जाव केयई वाति ? गोयमा | नो कोटे वाति जाव नो केयई वाति, घाणसहगया पोग्गला वाति ॥ १०७ सेव भते ! सेव भते । त्ति। सत्तमो उद्देसो १०८. कतिविहे ण भते ! उवोगे पण्णत्ते ? गोयमा | दुविहे उवनोगे पण्णत्ते, एव जहा उवओगपद' पण्णवणाए तहेव निरवसेस नेयव्व', पासणयापद च नेयव्व ॥ १०६ सेव भते । सेव भते । त्ति ॥ १. राय० सू० ३० । ५. भ० १।५१ । २. स० पा०-उभिज्जमाणाण वा जाव ६. प० २६ । ठाणाओ, रायपसेणइयसुत्ते (३०) 'उभिज्ज- ७. भाणियव्व (स)। माणाण' इत्यादीनि पदानि किञ्चिदधिकानि ८ पासणापद (अ, क, ख, ता, ब, म), प०३०। भिन्नान्यपि च लभ्यन्ते । ६ निरवसेस नेयव्व (स)। ३. केयती (अ, क, म, स)। १० भ० ११५१ । ४. वाति (अ, क, व, म, स)। Page #794 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सोलसम सत (अट्ठमो उद्देसो) ७३३ अट्ठमो उद्देसो लोगस्स चरिमंते जीवाजीवादिमग्गरणा-पदं ११० केमहालए' ण भते | लोए पण्णत्ते ? गोयमा । महतिमहालए लोए पण्णत्ते, जहा बारसमसए तहेव जाव' असखेज्जागो जोयणकोडाकोडीयो परिक्खेवेण ॥ १११ लोयस्स ण भते । पुरथिमिल्ले चरिमते किं जीवा, जीवदेसा, जीवपदेसा, अजीवा, अजीवदेसा, अजीवपदेसा । गोयमा । नो जीवा, जीवदेसा वि, जीवपदेसा वि, अजीवा वि, अजीवदेसा वि, अजीवपदेसा वि । जे जीवदेसा ते नियम एगिदियदेसा य, अहवा एगिदियदेसा य वेइदियस्स य देसे-एव जहा दसमसए अग्गेयी दिसा तहेव', नवर-देसेसू अणिदियाण आइल्लविरहियो। जे अरूवी अजीवा ते छविहा, अद्धासमयो नत्थि । सेस त चेव निरवसेस। ११२ लोगस्स ण भते । दाहिणिल्ले चरिमते कि जीवा ? एव चेव। एव पच्चत्थि मिल्ले वि, उत्तरिल्ले वि ॥ लोगस्स ण भते । उवरिल्ले चरिमते कि जीवा-पुच्छा। गोयमा ! नो जीवा, जीवदेसा वि जाव अजीवपदेसा वि। जे जीवदेसा ते नियम" एगिदियदेसा य अणिंदियदेसा य, अहवा एगिदियदेसा य अणिदियदेसा य वेइदियस्स' य देसे, अहवा एगिदियदेसा य अणिदियदेसा य वेइदियाण य देसा, एव मज्झिल्लविरहिरो जाव पचिंदियाण । जे जीवप्पदेसा ते नियम एगिदियप्पदेसा य अणिदियप्पदेसा य, अहवा एगिदियप्पदेसा य अणिदियप्पदेसा य वेइदियस्स पदेसा य, अहवा एगिदियप्पदेसा य अणिदियप्पदेसा य बेइदियाण य पदेसा, एव आदिल्लविरहिओ जाव पचिदियाण । अजीवा जहा" दसमसए तमाए तहेव निरवसेस ।। ११४. लोगस्स ण भते । हेटिल्ले चरिमते किं जीवा-पुच्छा। गोयमा । नो जीवा, जीवदेसा वि जाव अजीवपदेसा वि, जे जीवदेसा ते नियम एगिदियदेसा, अहवा एगिदियदेसा य वेइदियस्स देसे, अहवा एगिदियदेसाय बेइदियाण य देसा, एव मज्झिल्लविरहिओ जाव अणिदियाण । पदेसा आइल्ल ११३ १. किंमहालए (अ, क, ख, ता, म, स)। २ भ० १२।१३०, २।४५ । ३. भ० १०॥६। ४. सव्व (अ, क, ता, व, म)। ५. नितम (ब)। ६ बेंदियस्स (म, स)। ७ भ०१०७ । Page #795 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७३४ भगवई विरहिया सव्वेसि जहा पुरथिमिल्ले चरिमते तहेव । अजीवा जहेव उवरिल्ले चरिमते तहेव ॥ ११५. इमीसे ण भते । रयणप्पभाए पुढवीए पुरथिमिल्ले चरिमते कि जीवा पूच्छा। गोयमा ! नो जीवा, एव जहेव लोगस्स तहेव चत्तारि वि चरिमता जाव उत्तरिल्ले, उवरिल्ले तहेव, जहा' दसमसए विमला दिसा नहेव निरवसेस । हेदिल्ले चरिमते जहेव लोगस्स हेदिल्ले चरिमते तहेव, नवर-देमे पचिदिएसु तियभगो त्ति सेस त चेव । एव जहा रयणप्पभाए चत्तारि चरिमंता भणिया एव सक्करप्पभाए वि । उवरिम-हेटिल्ला जहा रयणप्पभाए हेटिल्ले । एव जाव ग्रसत्तमाए। एव सोहम्मस्स वि जाव अच्चुयस्स । गेवेज्जविमाणाण एव चेव, नवर-उवरिमहेदिल्लेसु चरिमतेसु देसेसु पचिदियाण वि मज्झिल्लविरहिरो चेव, सेस तहेव । एव जहा गेवेज्जविमाणा तहा अणुत्तरविमाणा वि, ईसिपव्भारा वि ॥ परमाणुपोग्गलस्स गति-पद ११६ परमाणपोग्गले ण भते । लोगस्स पुरथिमिल्लायो चरिमतानो पच्चत्थिमिल्लं चरिमत एगसमएण गच्छति ? पच्चत्थिमिल्लाओ चरिमतानो पुरथिमिल्ल चरिमतं एगसमएण गच्छति ? दाहिणिल्लानो चरिमतायो उत्तरिल्ल चरिमतं एगसमएण° गच्छति ? उत्तरिल्लायो चरिमतानो दाहिणिल्ल चरिमत एगसमएण ° गच्छति ? उवरिल्लायो चरिमतायो हेदिल्ल चरिमत एगसमएण' गच्छति ? हेट्ठिल्लाअो चरिमताओ उवरिल्ल चरिमत एगसमएण गच्छति ? हता गोयमा ! परमाणुपोग्गले णं लोगस्स पुरथिमिल्ल त चेव जाव उवरिल्लं चरिमत एगसमएण गच्छति ॥ किरिया-पदं ११७ पूरिसे ण भते । वास वासति, वास नो वासतीति हत्थ वा पाय वा बाह वा ऊरु वा आउटावेमाणे' वा पसारेमाणे वा कतिकिरिए ? गोयमा | जाव च णं से पुरिसे वास वासति, वास नो वासतीति हत्थ वा पाय वा वाह वा ऊरु वा आउटावेति वा पसारेति वा, ताव च ण से पूरिसे काइयाए अहिगरणियाए पायोसियाए पारितावणियाए पाणातिवायकिरियाए°-पचहि किरियाहि पुढे ॥ १. भ० १०७ । २. स० पा०-उत्तरिल्लं जाव गच्छति । ३. स० पा०-दाहिरिगल्ल जाव गच्छति । ४ एव जाव (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। ५. आउंटारेमाणे (ता) सर्वत्रापि । ६ म० पा०-काइयाए जाव पचहिं । Page #796 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सोलसम सत (नवमो उद्देसो) ७३५ अलोए गतिनिसेध-पदं ११८. देवे ण भंते । महिड्ढिए जाव' महेसक्खे लोगते ठिच्चा पभू अलोगंसि हत्थ वा पाय वा वाह वा ऊरु वा आउटावेत्तए वा पसारेत्तए वा ? नो इणद्वे समढे ॥ ११६. से केणटेण भते । एव वुच्चइ–देवे ण महिड्ढिए जाव महेसक्खे लोगते ठिच्चा नो पभू अलोगसि हत्थं वा पाय वा बाह वा ऊरु वा आउटावेत्तए वा पसारेत्तए वा? गोयमा ! जीवाणं आहारोवचिया पोग्गला, बोदिचिया पोग्गला, कलेवरचिया पोग्गला । पोग्गलामेव एप्प जीवाण य अजीवाण य गतिपरियाए पाहिज्जइ । अलोए ण नेवत्थि जीवा, नेवत्थि पोग्गला । से तेणद्वेण' 'गोयमा । एव वुच्चइदेवे महिड्ढिए जाव महेसक्खे लोगते ठिच्चा नो पभू आलोगसि हत्थ वा पाय वा वाह वा ऊरु वा आउटावेत्तए वा° पसारेत्तए वा ।।। १२० सेव भते । सेव भते । त्ति ॥ नवमो उद्देसो वलिस्स सभा-पद १२१. कहिण्ण' भते । वलिस्स वडरोयणिदस्स वइरोयणरण्णो सभा सूहम्मा पण्णत्ता? गोयमा । जवुद्दीवे दीवे मदरस्स पव्वयस्स उत्तरे ण तिरियमसखेज्जे जहेव चमरस्स जाव' बायालीस जोयणसहस्साइ ओगाहित्ता, एत्थ ण बलिस्स वइरोयणिदस्स वइरोयणरण्णो रुयगिदे नाम उप्पायपव्वए पण्णत्ते। सत्तरस एक्कवीसे जोयणसए-एव पमाण जव तिगिच्छिकूडस्स पासायवडेसगस्स वित चेव पमाण, सीहासण सपरिवार वलिस्स परियारेण, अटो तहेव'. नवर १. भ० ११३३६ । २ स० पा०-हत्य वा जाव पसारेत्तए । ३. स० पा०-तेण?ण जाव पसारेत्तए । ४ भ० ११५१ । ५ कहि ण (अ, क, ख, ता, व, म)। ६. भ० २१११८ । ७. यथा तिगिच्छकूटस्य नामान्वर्थाभिधायक वाक्य तथाऽस्यापि वाच्य, केवल तिगिच्छकूटान्वर्थप्रश्नस्योत्तरे यस्मात्तिगिच्छिप्रभाण्युत्पलादीनि तत्र सन्ति तेन तिगिच्छकूट इत्युच्यत इत्युक्त इह तु रुचकेन्द्रप्रभाणि तानि सन्तीति वाच्य, रुचकेन्द्रस्तु रत्नविशेष इति, तत्पुनरर्थत Page #797 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई रुर्यागदप्पभाइ - रुयगिंदप्प भाइ रुयगिदप्प भाइ | सेसं तं चेव जाव वलिचंचाए रायहाणी अण्णेसि च जाव रुयगिदस्स ण उप्पायपव्वयस्स उत्तरे णं छक्कोडिसए तहेव जाव चत्तालीस जोयणसहस्साइ ग्रोगाहित्ता, एत्य ण वलिस्स वइरोयणिदस्स वइरोयणरण्णो वलिचचा नाम रायहाणी पण्णत्ता । एग जोयणसयसहस्स पमाण, तहेव जाव वलिपेढस्स उववाग्रो जाव प्राय रक्खा सव्व तहेव निरवसेस, नवर - सातिरेग सागरोवम ठिती पण्णत्ता । सेस त चेव जाव' बली वइरोयणिदे, वली वइरोयणिदे || १२२ सेव भते । सेव भते । जाव' विहरइ ॥ ७३६ दसमो उद्देसी श्रोहि-पदं १२३. कतिविहा' ण भते । श्रोही पण्णत्ता ? गोयमा । दुविहा ग्रोही पण्णत्ता । श्रहीपद निरवसेस भाणियव्व' ।। १२४. सेव भते । सेव भते । जाव' विहरइ ॥ इक्कारसमो उद्देसो दीवकुमारादि-पदं १२५ दीवकुमारा ण भते । सव्वे समाहारा ? सव्वे समुस्सासनिस्सासा ? नो इट्ठे समट्ठे । एव जहा पढमसए वितियउद्देसए दीवकुमाराण वत्तव्वया तहेव जाव' समाउया, समुस्सासनिस्सासा" ॥ सूत्रमेवमध्येय – ' से केणट्टेण भते ! एव २. ११५१ । वुच्चइ -- रुगिंदे - रुय गिंदे उप्पायपव्वए ? गोयमा ! रुर्यागंदे ण बहूरिण उप्पलारिण पउमाइ कुमुयाइ जाव रुयगिंदवण्णाइ रुयगिंदलेसाइ रुयगिंदप्पभाइ, से तेराट्ठे रुयगिंदे रुगिंदे उप्पायपव्वए' त्ति (वृ) । १. भ० २।११८-१२१ 1 ३ कतिविहे ( अ, क, ख, ता, व, म, स) । ४. प० ३३ । ५. भ० १५१ । ६. भ० १।७४, ७५ । ७ ● निस्सासा । एव नागा वि ( अ, ता, व, म, स) । Page #798 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सोलसम सत (१२-१४ उद्देसा) १२६. दीवकुमाराण भते ! कति लेस्साचो पण्णत्ताओ ? गोयमा । चत्तारि लेस्साओ पण्णत्ताओ, त जहा - कण्हलेस्सा', 'नीललेस्सा, काउलेस्सा, तेउलेस्सा ॥ १२७ एएसि ण भंते । दीवकुमाराण कण्हलेस्साण जाव तेउलेस्साण य कयरे कयरेहितो' अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा दीवकुमारा तेउलेस्सा, काउलेस्सा प्रसखेज्जगुणा, नीलस्सा विसेसाहिया, कण्हलेस्सा विसेसाहिया || १२८ एएसि ण भते ! दीवकुमाराणं कण्हलेसाण जाव तेउलेस्साण य कयरे कयरेहितो ग्रप्पिढिया वा ? महिड्डिया वा ? गोयमा । कण्हलेस्साहितो नीललेस्सा महिड्ढिया जाव सव्वमहिड्डिया तेउलेस्सा ॥ १२६ सेव भते ! सेव भंते । जाव' विहरइ ॥ १२-१४ उद्देसा १३० उदहिकुमारा णं भते । सव्वे समाहारा ? एव चेव ॥ १३१ सेव भते । सेव भते । ति ॥ १३२ एव दिसाकुमारावि ॥ १३३. एव थणियकुमारा वि ॥ १३४ सेव भते । सेव भते । जाव विहरइ ॥ १ स० पा० - कण्हलेस्सा जाव तेउलेस्सा । २ स० पा० - करेहिंतो जाव विसेसाहिया । ७३७ ३. भ० १।५१ । ४ भ० १५१ । Page #799 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सत्तरसमं सतं पढमो उद्देसो नमो सुयदेवयाए भगवईए १. कुजर २ सजय ३ सेलेसि, ४ किरिय ५ ईसाण ६, ७. पुढवि ८, ६. दग १०,११ वाऊ । १२ एगिंदिय १३ नाग १४ सुवण्ण, १५ विज्जु १६,१७. वातग्गि' सत्तरसे ॥१॥ हस्थिराय-पदं ९. रायगिहे जाव' एव वयासी - उदायी णं भते ! हत्थिराया कोहितो प्रणतर उव्वट्टित्ता उदायिहत्थिरायत्ताए उववन्ने ? गोयमा ! असुरकुमारेहितो देवेहितो अणतरं उब्वट्टित्ता उदायिहत्थिरायत्ताए उववन्ने ॥ २. उदायी ण भते ! हत्थिराया कालमासे कालं किच्चा कहिं गच्छिहिति ? कहि उववज्जिहिति ? गोयमा' इमोसे रयणप्पभाए पुढवीए उक्कोससागरोवमट्ठितियसि निरयावासंसि नेरइयत्ताए उववज्जिहिति ॥ ३. से ण भंते ! तनोहितो अणतर उव्वट्टित्ता कहि गच्छिहिति ? कहि उववज्जिहिति ? गोयमा | महाविदेहे वासे सिज्झिहिति जाव' सव्वदुक्खाण अतं काहिति ॥ ४ भूयाणदे णं भते । हत्थिराया कोहितो अनंतरं उब्वट्टित्ता भूयाणदे हत्थि राय - त्ताए उववन्ने ? एव जहेव उदायी जाव प्रतं काहिति ॥ 1 १. वायुग्गि ( अ, म स ) 1 २. भ० १।४ - १० । ३. ० द्वितीयसि ( अ, ख, ब, म) 1 ४. भ० २।७३ । ७३८ Page #800 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७३९ सत्तरसमं सत (पढमो उद्देसो) किरिया-पदं ५ पुरिसे ण भते । तलमारुहइ', आरुहित्ता तलाश्रो तलफल पचालेमाणे वा पवाडेमाणे वा कतिकिरिए ? गोयमा । जावं च ण से पूरिसे तलमारुहइ, आरुहित्ता तलायो तलफल पचालेइ वा पवाडेइ वा ताव च ण से पुरिसे काइयाए जाव' पचहि किरियाहिं पुढे । जेसि पि ण जीवाणं सरीरेहिंतो तले निव्वत्तिए, तलफले निव्वत्तिए ते वि ण जीवा काइयाए जाव पचहिं किरियाहिं पुट्ठा ।। अहे ण भते । से तलफले अप्पणो गरुयत्ताए' •भारियत्ताए गरुयसभारियत्ताए अहे वीससाए ° पच्चोवयमाणे जाइ तत्थ पाणाइ जाव' जीवियानो ववरोवेति, तए' ण भते । से पुरिसे कतिकिरिए ? गोयमा । जाव च ण से तलफले अप्पणी गरुयत्ताए जाव' जीवियाओ ववरोवेति ताव च णं से पुरिसे काइयाए जाव चउहि किरियाहिं पुढे । जेसि पि ण जीवाण सरीरेहितो तले निव्वत्तिए ते वि ण जीवा काइयाए जाव चउहिं किरियाहिं पुट्ठा । जेसि पि ण जीवाण सरीरेहिंतो तलफले निव्वत्तिए ते ण जीवा काइयाए जाव पचहिं किरियाहिं पुट्ठा । जे वि य से जीवा अहे वीससाए पच्चोवयमाणस्स उवग्गहे वट्टति ते वि य ण जीवा काइयाए जाव पचहि किरियाहिं पुट्ठा ॥ पुरिसे ण भते ! रुक्खस्स मूल पचालेमाणे वा पवाडेमाणे वा कतिकिरिए ? गोयमा | जाव च ण से पुरिसे रुक्खस्स मूल पचालेइ वा पवाडेइ वा ताव च ण से पुरिसे काइयाए जाव पचहिं किरियाहिं पुढे । जेसि पि य ण जीवाण सरीरेहिंतो मूले निव्वत्तिए जाव' बीए निव्वत्तिए, ते वि य ण जीवा काइयाए जाव पचहि किरियाहिं पुढा ॥ ८ अहे ण भते । से मूले अप्पणो गरुययाए जाव' जीवियाओ ववरोवेति, तएण भते ! से पुरिसे कतिकिरिए ? १. तलमारुभइ (अ, ख, ता, ब, म), ताल ° उसू' इति पाठोस्ति । तत्सादृश्यादत्रापि 'जाव (क)। च ण से तलफले' इति पाठ सनतोस्ति । २. भ० १६।११७। ७ ते वि (अ, क, ख, ता, ब, म, स), अत्र ३ स० पा०-गरुयत्ताए जाव पच्चोवयमाणे। 'अपि' पद प्रवाहपाति आगतम् । वृत्ती फल४. X( अ), भ० ५।१३४ । निर्वर्त्तकास्तु पचक्रिया एव इति व्याख्याया ५. ततो (व)। 'तु' पदेन पूर्वप्रकरणाद् भेद सूचित । अस्मि६ से पुरिसे (अ, क, ख, ता, ब, म, स), अत्र न्नर्थे 'अपि' पदस्य प्रयोग सङ्गतो न स्यात् । 'पुरिसे' इति पद अशुद्धमस्ति । एतत् च ८. भ० ७।६४ । लिपिदोषादागतम् । वृत्ती तत्तालफलमिति ६. ततो (क, ता, म)। लभ्यते । भ० ५।१३५ सूत्रे 'जाव च ण से Page #801 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७४० भगवई गोयमा ! जावं च णं से मूले अप्पणी गरुययाए जाव जीवियाश्रो ववरोवेति ताव च ण से पुरिसे काइयाए जाव चउहि किरियाहि पुट्ठे । 'जेसि पियण जीवाण सरीरेहितो कदे' निव्वत्तिए जाव वीए निव्वत्तिए ते विण जीवा काइयाए जाव चउहि किरियाहिं पुट्ठा" । जेसि पि य ण जीवाण सरीरे हितो मूले निव्वत्ति ते ण जीवा काइयाए जाव पर्चाहि किरियाहि पुट्ठा | जेविय से जीवा ग्रहे वीससाए पच्चोवयमाणस्स उवग्गहे वट्टति ते वि य ण जीवा काईयाए जाव पर्चाहि किरियाहि पुट्ठा ॥ ६. पुरिसे णं भते । रुक्खस्स कदे पचालेमाणे वा पवाडेमाणे वा कतिकिरिए गोयमा ! जाव च ण से पुरिसे रुक्खस्स कंद पचालेइ वा पवाडेइ वा ताव च णं से पुरिसे काइयाए जाव पंचहि किरियाहि पुट्टे । जेसि पि य ण जीवाणं सरीरेहिंतो मूले निव्वत्तिए जाव वीए निव्वत्तिए ते वि य ण जीवा काsयाए जाव पचहि किरियाहिं पुट्ठा ॥ १० अहे ण भते ! से कदे अप्पणी गरुययाए जाव जीविया ववरोवेति, तए ण भते ! से पुरिसे कतिकिरिए ? ववरोवेति गोयमा | जावं च ण से कदे ग्रप्पणी गरुययाए जाव जीविया तवं च ण से पुरिसे काइयाए जाव चउहि किरियाहिं पुट्ठे । जेसिपि यण जीवाणं सरीरेहिंतो मूले निव्वत्तिए, खंधे निव्वत्तिए जाव बीए निव्वत्तिए वि णं जीवा काइयाए जाव चउहि किरियाहि पुट्ठा | जेसि पि य णं जीवाण सरीरेहितो कदे निव्वत्तिए ते' ण जीवा काइयाए जाव पर्चाहि किरियाहि पुट्ठा । जे वि य से जीवा ग्रहे वीससाए पच्चोवयमाणस्स उवग्गहे वट्टति ते वि जीवा काइयाए जाव पर्चाहि किरियाहि पुट्ठा। जहा कदे, एव जाव बीयं ॥ ११ कति ण भते ! सरीरगा पण्णत्ता ? 1 गोयमा । पच सरीरगा पण्णत्ता, तं जहा - प्रोरालिए जाव' कम्मए ॥ १२. कति ण भंते । इंदिया पण्णत्ता ? गोयमा । पच इंदिया पण्णत्ता, त जहा — सोइदिए जाव' फासिदिए । १३. कतिविहे ण भंते । जोए पण्णत्ते ? गोयमा । तिविहे जोए पण्णत्ते, तं जहा - मणजोए, वइजोए, कायजोए ॥ १४ जीवे णं भते । प्रोरालियसरीर निव्वत्तेमाणे कतिकिरिए ? गोयमा ! सिय तिकिरिए, सिय चउकिरिए, सिय पचकिरिए । एव पुढविकाइए वि । एवं जाव मणुस्से || १. मूले (ख, ता, व ) । २ X ( अ ) । ३. वि (अ, क, ख, ता, व, म, स ) । ४. भ० १०1८ । ५ भ० २७७ 1 Page #802 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सत्तरसम सत (वीओ उद्देसो) ७४१ १५ जीवा ण भते । अोरालियसरीर निव्वत्तेमाणा कतिकिरिया ? गोयमा । तिकिरिया वि, चउकिरिया वि, पचकिरिया वि । एव पुढविकाइया वि। एवं जाव मणुस्सा। एव वेउव्वियसरीरेण वि दो दडगा, नवर-जस्स अत्थि वेउव्विय । एव जाव कम्मगसरीर । एव सोइदिय जाव फासिदिय । एव मणजोग, वइजोग, कायजोग, जस्स ज अत्थि त भाणियव्व । एए एगत्त पुहत्तेण छब्बीस दडगा। भाव-पद १६ कतिविहे ण भते । भावे पण्णत्ते ? गोयमा ! छविहे भावे पण्णत्ते, त जहा-ओदइए', ओवसमिए 'खइए, खग्रोवसमिए, पारिणामिए °, सन्निवाइए। १७ से कि त अोदइए? अोदइए भावे दुविहे पण्णत्ते, त जहा-उदए य, उदयनिप्फन्ने य। एव एएण अभिलावेण जहा अणुओगदारे छन्नाम तहेव निरवसेस भाणियन्व जाव सेत्त सन्निवाइए भावे ॥ १८ सेव भते । सेव भते । त्ति' ।। बीओ उद्देसो धम्माधम्म-ठित-पदं १६ से नूण भते । सजत-विरत-पडिहत-पच्चक्खातपावकम्मे धम्मे ठिते ? अस्सजत अविरत-अपडिहत-अपच्चक्खातपावकम्मे अधम्मे ठिते ? सजतासजते धम्माधम्मे ठिते ? हता गोयमा ! संजत-विरत"- पडिहत-पच्चक्खातपावकम्मे धम्मे ठिते, अस्संजत-अविरत-अपडिहत-अपच्चक्खातपावकम्मे अधम्मे ठिते, सजतासजते. धम्माधम्मे ठिते ॥ १ उदतिए (अ, क, व, म)। २ स० पा० -ओवसमिए जाव सन्निवाइए। ३. निष्पन्ने.(अ, म), निप्पन्ने (स)। ४. छणाम (अ, ब, म)। ५. अ० २७३-२६७ । ६ भ० ११५१ । ७. स० पा०-विरत जाव धम्माघम्मे । Page #803 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७४२ भगवई २०. एयंसि' णं भंते ! धम्मंसि वा, अधम्मसि वा, धम्माधम्मसि वा चक्किया केइ आसइत्तए वा', 'सइतए वा, चिट्ठइत्तए वा, निसीइत्तए वा° तुयट्टित्तए वा ? गोयमा | नो इणढे समढे ॥ २१. से केण खाइ अटेण भते । एवं वुच्चइ जाव सजतासंजते धम्माधम्मे ठिते ? गोयमा | संजत-विरत'- पडिहत-पच्चक्खाता पावकम्मे धम्मे ठिते, धम्म चेव उवसपज्जित्ताण विहरति । अस्सजत- अविरत-अपडिहत-अपच्चक्खात - पावकम्मे अधम्मे ठिते, अधम्म चेव उवसपज्जित्ताणं विहरति । सजतासंजते धम्माधम्मे ठिते, धम्माधम्म उवसंपज्जित्ताणं विहरति । से तेणटेण जाव धम्माधम्मे ठिते ॥ २२. जीवाणं भते । कि धम्मे ठिता ? अधम्मे ठिता? धम्माधम्मे ठिता ? - गोयमा । जीवा धम्मे वि ठिता, अधम्मे वि ठिता, धम्माधम्मे वि ठिता॥ नेराइयाण-पुच्छा। गोयमा | नेरइया नो धम्मे ठिता, अधम्मे ठिता, नो धम्माधम्मे ठिता । एवं जाव चउरिदियाण ॥ २४ पंचिदियतिरिक्खजोणियाण-पुच्छा। गोयमा ! पचिदियतिरिक्खजोणिया नो धम्मे ठिता, अधम्मे ठिता, धम्माधम्मे वि ठिता। मणुस्सा जहा जीवा । वाणमतर-जोइसिय-वेमाणिया जहा नेरइया ।। बालपंडिय-पदं २५. अण्णउत्थिया ण भते ! एवमाइक्खति जाव परूवेति-एव खलु समणा पडिया, समणोवासया बालपडिया, जस्स ण एगपाणाए वि दडे अणिक्खित्ते से णं एगतबाले त्ति वत्तव्वं सिया ॥ २६. से कहमेयं भते ! एव ? गोयमा ! जण्णं ते अण्णउत्थिया एवमाइक्खंति जाव एगंतबाले त्ति वत्तव्वं सिया, जे ते एवमाहसु मिच्छ ते एवमाहसु । अह पुण गोयमा ! एवमाइक्खामि जाव परूवेमि-एव खलु समणा पडिया, समणोवासगा बालपडिया, जस्स ण एगपाणाए वि दडे निक्खित्ते से ण नो एगतबाले त्ति वत्तव्वं सिया ॥ - २७. जीवा ण भते ! किं वाला ? पडिया ? बालपडिया? • गोयमा ! वाला वि, पडिया वि, बालपडिया वि ॥ २८. नेरइयाणं-पुच्छा ।। गोयमा ! नेरइया वाला, नो पंडिया, नो बालपडिया । एव जाव चउरिदिया। १. एतेसिं (अ, क, व, म, स), अत्र षष्ठीवहु- वचनान्त पद शुद्ध न प्रतिभाति । - २. स० पा०-आसइत्तए वा जाव तुयट्टित्तए । ३ स० पा०-विरत जाव पावकम्मे । ४. सं० पा०-अस्सजत जाव पावकम्मे । Page #804 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सत्तरसम सत (वीओ उद्देसो) २६ पचिदियतिक्ख जोणियाण – पुच्छा । गोयमा । पचिदियतिरिक्खजोणिया बाला, नो पडिया, वालपडिया वि । मणुस्सा जहा जीवा । वाणमतर- जोइसिय-वेमाणिया जहा नेरइया ।। जीवस्स जीवायाए एगत्त-पदं o ० ३०. अण्णउत्थिया ण भते ! एवमाइक्खति जाव परूवेति - एव खलु पाणातिवाए, मुसावाए जाव' मिच्छादसणसल्ले वट्टमाणस्स अण्णे जीवे, अण्णे जीवाया । पाणाइवायवे रमणे जाव परिग्गहवेरमणे, कोहविवेगे जाव' मिच्छादसणसल्लविवेगे वट्टमाणस्स प्रणे जीवे, अण्णे जीवाया । उप्पत्तियाए' वेणइयाए कम्मयाए • पारिणामिया वट्टमाणस्स अण्णे जीवे, ग्रण्णे जीवाया । श्रोग्गहे, ईहा प्रवाए धारणाए वट्टमाणस्स* ग्रण्णे जीवे, अण्णे • जीवाया । उट्ठाणे' कम्मे ब वीरिए पुरिसक्कार - परक्कमे वट्टमाणस्स अण्णे जीवे, अण्णे • जीवाया । इयत्ते तिरिक्ख मणुस्स- देवत्ते वट्टमाणस्स अण्णे जीवे, अण्णे जीवाया । नाणावरणिज्जे जाव प्रतराइए वट्टमाणस्स' अण्णे जीवे, अण्णे जीवाया । एव कण्हलेस्साए जाव सुक्कलेस्साए, सम्मदिट्ठीए मिच्छदिट्ठीए सम्मामिच्छदिट्ठी, एवं चक्खुदसणे प्रचक्खुदसणे दिसणे केवलदसणे, ग्राभिणिवोहियनाणे सुयनाणे ओहिनाणे मणपज्जवनाणे केवलनाणे, मतिभ्रण्णाणे सुयग्रण्णाणे विभगनाणे, श्राहारसण्णाए भयसण्णाए मेहुणसण्णाए परिग्गहसण्णाए, एव ओरालियसरीरे वेउव्वियसरीरे आहारगसरीरे तेयगसरीरे कम्मगसरीरे, एव मणजोगे वइजोगे कायजोगे सागारोवोगे, अणागारोवोगे वट्टमाणस्स प्रणे जीवे, अण्णे जीवाया ॥ ७४३ ३१. से हमे भते । एव ? गोयमा ! जण ते अण्णउत्थिया एवमाइक्खति जाव जे ते एवमाहसु मिच्छ ते एवमाह । ग्रह पुण गोयमा । एवमाइक्खामि जाव परूवेमि - एव खलु पाणातिवाए जाव मिच्छादसणसल्ले वट्टमाणस्स सच्चेव जीवे, सच्चेव जीवाया जाव प्रणागारोवओगे वट्टमाणस्स सच्चेव जीवे, सच्चेव जीवाया ॥ रूवि-अरूवि-पदं ३२. देवे णं भते | महिड्दिए जाव' महेसक्खे पुन्वामेव रूवी भवित्ता पभू अरूवि " विव्वित्ताण चिट्ठित्तए ? नो इट्ठे सट्टे ॥ १. भ० १।३८४ । २. भ० १।३८५ । ३ स० पा० उप्पत्तियाए जाव पारिणामियाए । ४. स० पा० - वट्टमारणस्स जाव जीवाया । ५. स० पा० - उट्ठाणे जाव परक्कमे । ६ ७, ८ स० पा० - वट्टमाणस्स जाव जीवाया । ६. भ० १।३३६ । १०. रुपातीतममृत्तंमात्मानमिति गम्यते (वृ) 1 Page #805 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ३३. से केणट्टेणं भंते ! एवं बुच्चइ - देवे णं' महिड्दिए जाव महेसक्खे पुव्वामेव रूवी भवित्ता • नो पभू ग्ररूवि विजव्वित्ता णं चिट्ठित्तए o ? - गोयमा । अहमेयं जाणामि, ग्रहमेय पासामि, ग्रहमेयं वज्झामि ग्रमेयं श्रभिसमण्णागच्छामि', 'मए एय" नाय, मए एय दिट्ठ, मम एयं बुद्धं, भए एवं अभिसमण्णागय – जण्ण तहागयस्स जीवस्स सरूविस्स, सकम्मस्स, सरागस्स, सवेदस्स, समोहस्स, सलेसस्स, ससरीरस्स, ताम्रो सरीराओ ग्रविप्पमुक्कस्स एव पण्णायति, त जहा - कालत्ते वा जाव सुक्किलत्ते वा, सुभिगंधत्ते वा, दुब्भिगधत्ते वा, तित्तत्ते वा जाव महुरत्ते वा, कक्खडत्ते वा जाव लुक्खत्ते वा । से तेणद्वेण गोयमा' | 'एव बुच्चइ - देवे ण महिढिए जाब महेसक्खे पुव्वामेव रूवी भवित्ता नो पभू अरूवि विउव्वित्ता णं चिट्ठित्त || ० ३४. सच्चेव ण भते ! से जीवे पुव्वामेव अरूवो भवित्ता पभू रूवि विउव्वित्ताण चिट्ठित्तए ? ७४४ नो इट्टे समट्ठे ॥ ३५. से केणट्टेण भते । एव वच्चइ - सच्चेव ण से जीवे पुव्वामेव प्ररूवी भवित्ता नोपभू रूवि विउव्वित्ता चिट्ठित्तए ? -- गोयमा ! अमेय जाणामि, ग्रहमेयं पासामि, अहमेय वुज्झामि श्रहमेयं अभिसमण्णागच्छामि, मए एय नायं, मए एय दिट्ठ, मम एय बुद्धं, मए एवं अभिसमण्णागय ०. - जण्ण तहागयस्स जीवस्स अरू विस्स, प्रकम्मस्स, अरागस्स, अवेदस्स, अमोहस्स, अलेसस्स, असरीरस्स, ताम्रो सरीराम्रो विप्पमुक्कस्स नो एवं पण्णायति, त जहा - कालत्ते वा जाव सुक्किलत्ते वा, सुविभगधत्ते वा, दुभिधत्ते वा, तित्तत्ते वा जाव महुरते वा, कक्खडत्ते वा जाव • लुक्खत्ते वा । से तेणट्टेण' 'गोयमा ! एवं वच्चइ – सच्चेव ण से जीवे पुव्वामेव प्ररुवी भवित्तानो पभू रूवि विउव्वित्ता ण चिट्ठित्तए ॥ ३६. सेव भते ! सेव भते ! त्ति" | o १. सं० पा० ण जाव नो । २. अभिसमागच्छामि ( अ, क, ख, ता, ब, म, वृ) । ३. मएतं (ता) सर्वत्र । ४. सवेदरणस्स (ता, स ) । ५. स० पा० – गोयमा जाव चिट्ठित्तए । ६. स० पा० -- समट्ठे जाव चिट्ठित्तए । ७ स० पा०-- जाणामि जाव जण्ण । ८. स० पा०—कालत्ते वा जाव लुक्खत्ते । - तेराट्ठेणं जाव चिट्टित्तए । ६. स० पा० १०. भ० १५१ । Page #806 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७४५ सत्तरसमं सतं (तइओ उद्देसो) तइओ उद्देसो एयणा-पदं ३७. सेलेसि पडिवन्नए ण भते । अणगारे सया समिय एयति वेयति' 'चलति फदइ घट्टइ खुब्भइ उदीरइ° त त भाव परिणमति ? नो इणद्वे समढे, णण्णत्थेगेण परप्पयोगेण ॥ ३८ कतिविहा ण भते । एयणा' पण्णत्ता ? गोयमा । पचविहा पण्णत्ता, त जहा-दव्वेयणा, खेत्तेयणा, कालेयणा, 'भवे यणा, भावेयणा ॥ ३६ दव्वेयणा ण भते । कतिविहा पण्णत्ता ? गोयमा । चउव्विहा पण्णत्ता, त जहा–नेरइयदव्वेयणा, तिरिक्खजोणियदव्वेयणा, मणुस्सदव्वेयणा, देवदव्वेषणा ॥ से केणटेण भते ! एव वुच्चइ-नेरइयदव्वेयणा-नेरइयदव्वेयणा? गोयमा | जण्ण नेरइया नेरइयदव्वे वट्टिसु वा, वट्टति वा, वट्टिस्सति वा ते ण तत्थ ने रइया नेरइयदव्वे वट्टमाणा नेरइयदव्वेयण एइसुवा, एयति वा, एइस्सति वा । से तेण?ण जाव नेरइयदव्वेयणा। से केणटेण भते ! एव वुच्चइ-तिरिक्खजोणियदव्वेयणा-तिरिक्खजोणियदव्वेयणा? ५.गोयमा | जण्ण तिरिक्खजोणिया तिरिक्खजोणियदव्वे वट्टिसु वा, वति वा, वट्टिस्सति वा ते ण तत्थ तिरिक्खजोणिया तिरिक्खजोणियदव्वे वट्टमाणा तिरिक्खजोणियदव्वेयण एइसु वा, एयति वा, एइस्सति वा । से तेणद्वेण जाव तिरिक्खजोणियदव्वेयणा । से केणद्वेण भते ! एव वुच्चइ-मणुस्सदव्वेयणा-मणुस्सदव्वेयणा? गोयमा । जण्ण मणुस्सा मणुस्सदव्वे वट्टिसु वा, वट्टति वा, वट्टिस्सति वा ते ण तत्थ मणुस्सा मणुस्सदव्वे वट्टमाणा मणुस्सदव्वेयण एइसु वा, एयति वा, एइस्सति वा । से तेणद्वेण जाव मणुस्सदव्वेयणा। से केण?ण भते ! एव वुच्चइ-देवदव्वेयणा-देवदव्वेयणा? गोयमा | जण्ण देवा देवदव्वे वट्टिसु वा, वट्टति वा, वट्टिस्सति वा ते ण तत्थ देवा देवदव्वे वट्टमाणा देवदव्वेयण एइसु वा, एयति वा, एइस्संति वा। से तेण?ण जाव ° देवदव्वेयणा ॥ १ स० पा०-वेयति जाव त । ५ स० पा०-एव चेव, नवर-तिरिक्ख२ एतणा (ता, ब)। जोणियदव्वे भाणियव्व, सेस त चेव, एव ३. भावेयणा, भवेयणा (म)। जाव देवदव्वेयणा । ४ एयसु (अ, ब, म)। Page #807 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सत्तरसमं सत (चउत्यो उद्देसो) संवेगादि-पदं ४८. ग्रह भते ! सवेगे, निव्वेए, गुरुसाहम्मिय सुस्सूसणया, ग्रालोयणया, निदणया, गरहणया, खमावणया', 'विउसमणया, सुयसहायता" भावे अप्प डिबद्धया, विणिवट्टणया, विवित्तसयणासणसेवणया, सोइदियसवरे जाव फासिंदियसवरे, जोगपच्चक्खाणे, सरीरपच्चक्खाणे, कसायपच्चक्खाणे, सभोगपच्चक्खाणे, उवहिपच्चक्खाणे, भत्तपच्चक्खाणे, खमा, विरागया, भावसच्चे, जोगसच्चे, करणसच्चे, मणसमन्नाहरणया, वइसमन्नाहरणया, कायसमन्नाहरणया, कोहविवेगे जाव मिच्छादसणसल्लविवेगे, नाणसपन्नया, दसणसपन्नया, चरित्तसपन्नया, वेदणग्रहियासणया, मारणतिय हियासणया - एए ण' किपज्जवसाणफला पण्णत्ता समणाउसो । गोयमा । सवेगे, निव्वेए जाव मारणतिय अहियासणया एए ण सिद्धिपज्जवसाणफला पण्णत्ता समणाउसो ! ४६. सेव भते ! सेव भते ! त्ति जाव' विहरइ ॥ चउत्थो उद्देसो किरियापदं ५०. तेण कालेन तेण समएण रायगिहे नगरे जाव' एव वयासी - प्रत्थि ण भते । जीवाण पाणाइवाएण किरिया कज्जइ हता अस्थि || ? ? ५१. सा भते । किं पुट्ठा कज्जइ ? प्रपुट्ठा कज्जइ 1 गोयमा । पुट्ठा कज्जइ, नो अपुट्ठा कज्जइ "जाव' निव्वाघाएण छद्दिसिं, वाघाय पडुच्च सिय तिदिसि, सिय चउदिसिं, सिय पचदिसि ॥ ? ५२. सा भते । किं कडा कज्जइ ? अकडा कज्जइ गोयमा ! फडा कज्जइ, नो अकडा कज्जइ ॥ १. खमासणया ( अ ) ; खमायया (क, ख, ता, ब, म, वृ) । २. एतत् च क्वचिद् न दृश्यते ( वृ ) । ३. सुयसहायता विभसरणता (ता), सुहसाह - यया विउसमणया (व) 1 ४. मरणसमाधा (हा) रणया (उत्त० २६।१ ) 1 ७४७ ५. ण भते पदा ( अ, क ) । ६. भ० १।५१ । ७ भ० ११४- १० । ८. स० पा०- एव जहा पढमसए छट्ठद्देसए जाव नो । ६ भ० १।२५-२६६ । Page #808 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवइ ४६ ४१. खेत्तेयणा णं भते । कतिविहा पण्णत्ता ? गोयमा । चउव्विहा पण्णत्ता, त जहा - नेरइयखेत्तेयणा जाव देवखेत्तेयणा ॥ ४२. से केणट्टेणं भते । एव बुच्चइ – नेरइयखेत्तेयणा-नेरइयखेत्तेयणा ? एव चेव, नवर - नेरइयखेत्तेयणा भाणियव्वा, एव जाव देवखेत्तेयणा । एव कालेयणा वि, एव भवेयणा वि, एव भावेयणा वि, एव जाव देवभावेयणा ॥ लणा-पदं ४३ कतिविहा ण भते ! चलणा पण्णत्ता ? गोयमा । तिविहा चलणा पण्णत्ता, त जहा - सरीरचलणा, इदियचलणा, जोगचलणा || ४४. सरीरचलणा ण भते ! कतिविहा पण्णत्ता ? गोयमा ! पचविहा पण्णत्ता, त जहा - ओरालियसरीरचलणा जाव कम्मगसरीरचलणा || ४५. इदियचलणा णं भते ! कतिविहा पण्णत्ता ? गोयमा | पंचविहा पण्णत्ता, त जहा- सोइदियचलणा जाव फासिंदियचलणा ॥ ४६. जोगचलणा ण भते ! कतिविहा पण्णत्ता ? गोयमा । तिविहा पण्णत्ता, तं जहा - मणजोगचलणा, वइजोगचलणा, कायजोग चलणा ॥ ४७ से केणट्टेण भते ! एव वुच्चइ - प्रोरालियस री रचलणा-ओरालियस रीर चलणा ? गोयमा । जण्ण जीवा ओरालियसरीरे वट्टमाणा श्ररालिय सरीरपायोग्गाई दव्वाइ प्रोरालियसरी रत्ताए परिणामेमाणा ओरालियस रीरचलण चलिंसु वा, चलति वा, चलिस्सति वा । से तेणट्टेण जाव ओरालियसरीरचलणा । से केणट्टेण भते ! एव बुच्चइ - वेउव्वियसरीरचलणा - वे उव्वियसरी रचलणा ? एव चैव, नवर वेउव्वियसरीरे वट्टमाणा । एव जाव कम्मगसरीरचलणा । से केणट्टेण भते ! एव वुच्चइ -- सोइदियचलणा - सोइदियचलणा ? गोयमा ! जण्णं जीवा सोइदिये वट्टमाणा सोइदियपायोग्गाइं दव्वाइं सोइदियत्ताए परिणामेमाणा सोइदियचलण चलिसु वा, चलति वा, चलिसति वा । से तेणट्टेण जाव सोइदियचलणा । एवं जाव फासिंदियचलणा । सेकेणट्टेण भते ! एवं वुच्चइ - मणजोगचलणा-मणजोगचलणा ? गोयमा ! जण्णं जीवा मणाजोगे वट्टमाणा मणजोगपाश्रोग्गाइ दव्वाई मणजोगत्ताए परिणामेमाणा मणजोगचलण चलिसु वा, चलति वा, चलिस्सति वा । से तेणट्टेण जाव मणजोगचलणा । एव वइजोगचलणा वि । एव कायजोगचलणा वि ॥ Page #809 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७४८ भगवई ५३ सा भते । कि अत्तकडा कज्जइ ? परकडा कज्जइ ? तदुभयकडा कज्जइ ? गोयमा । अत्तकडा कज्जइ, नो परकडा कज्जइ, नो तदुभयकडा कज्जइ।। ५४. सा भते । कि आणुपुन्वि कडा कज्जइ ? अणाणुपुव्वि कडा कज्जइ ? गोयमा आणुपुदिव कडा कज्जइ, नो अणाणुपुव्वि कडा कज्जइ। जा य कडा कज्जइ, जा य कज्जिस्सइ, सव्वा सा आणुपुदिव कडा, नो अणाणुपुव्वि कडा ति वत्तव्य सिया। एव जाव वेमाणियाण, नवर–जीवाण एगिदियाण य निव्वाघाएण छद्दिसिं, वाघाय पडुच्च सिय तिदिसि, सिय चउदिसिं, सिय पच दिसिं । सेसाण नियम छद्दिसि ॥ ५५ अत्थि ण भते ! जीवाण मुसावाएण किरिया कज्जइ ? हता अत्थि ॥ सा भते ! किं पुट्ठा कज्जइ ? अपुट्ठा कज्जइ ? जहा पाणाइवाएण दंडओ एवं मुसावाएण वि । एव अदिन्नादाणेण वि, मेहुणेण' वि, परिग्गहेण वि । एव एते पच दडगा ॥ ५७ ज समय ण भते । जीवाण पाणाइवाएणं किरिया कज्जइ सा भते । कि पट्टा कज्जइ ? अपुट्ठा कज्जइ ? एव तहेव जाव' वत्तव्व सिया जाव वेमाणियाणं । एवं जाव परिग्गहेण । एव एते वि पंच दडगा। ५८. ज देसं ण भते | जीवाणं पाणाइवाएण किरिया कज्जइ ? एव चेव जाव परिग्गहेण । एते वि पच दडगा ।। ५६ ज पएस ण भते । जीवाण पाणातिवाएण किरिया कज्जइ सा भंते । कि पटा कज्जइ ? एव तहेव दडओ । एव जाव परिग्गहेणं । एव एते वीस दडगा ॥ दुक्ख-वेदणा-पद ६० जीवाण भते ! कि अत्तकडे दुक्खे ? परकडे दुक्खे ? तदुभयकडे दुक्खे ? गोयमा । अत्तकडे दुक्खे, नो परकडे दुक्खे, नो तदुभयकडे दुक्खे । एव जाव वेमाणियाण। जीवा ण भते ! किं अत्तकडं दुक्खं वेदेति ? परकड दुक्ख वेदेति ? तदुभयकड दुक्खं वेदेति ? गोयमा । अत्तकडं दुक्ख वेदेति, नो परकडं दुक्ख वेदेति, नो तदुभयकडं दुक्खं वेदेति । एव जाव वेमाणियाणं ।। ६२ जीवाण भते! किं अत्तकडा वेयणा ? परकडा वेयणी ? "तदुभयकडा वेयणा? १. मेधुणेण (ब)। २. १७१५१-५४॥ ३. स० पा०-पुच्छा। Page #810 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सत्तरसम सत (छट्टो उद्देसो) ७४६ } गोयमा । ग्रत्तकडा वेयणा, नो परकडा वेयणा, नो तदुभयकडा वेयणा । एव जाव वेमाणियाण ॥ ६३. जीवा ण भते । किं प्रत्तकड वेयण वेदेति ? परकड वेयण वेदेति ? तदुभयकड वेण वेदेति ? गोयमा ! जीवा प्रत्तकड वेयण वेदेति, नो परकड वेयण वेदेति, नो तदुभयकडं वेण वेदेति । एव जाव वेमाणियाण ॥ ६४. सेव भते । सेव भते ! त्ति' ॥ पंचमो उद्देसो ईसाण-पदं ६५. कहि ण भते ! ईसाणस्स देविंदस्स देवरण्णो सभा सुहम्मा पण्णत्ता ? गोयमा ! जबुद्दीवे दीवे मदरस्स पव्वयस्स उत्तरे ण इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए वहुसमरमणिज्जा भूमिभागाश्र उड्ढ चदिम सूरिय- गहगण - नक्खत्त-तारारूवाण जहा ठाणपदे जाव' मज्झे ईसाणवडेसए । से ण ईसाणवडेंसए महाविमाणे श्रद्धतेरसजोयणसयसहस्साइ - एव जहा दसमसए सक्कविमाणवत्तव्वया सा इह वि ईसाणस्स निरवसेसा भाणियव्वा जाव' आयरक्खति । ठिती सातिरेगाइ दो सागरोवमाइ, सेस त चेव जाव ईसाणे देविदे देवराया, ईसाणे देविदे देवराया ॥ ६६ सेव भते । सेव भते । त्ति' ॥ छट्ठो उद्देसो पुढ विक्काइयादीणं देस -सभ्य मारणं तियसमुग्धाय पदं ६७ पुढविक्काइए ण भते । इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए समोहए, समोहणित्ता जे भविए सोहम्मे कप्पे पुढविक्काइयत्ताए उववज्जित्तए, से णं भंते । किं पुव्वि १. भ० १५१ । २. ५०२ । ३. भ० १०1६६ । ४. भ० १०।१०० । ५. भ० ११५१ । Page #811 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७५० भगवई ७० उववज्जित्ता पच्छा सपाउणेज्जा ? पुवि संपाउणित्ता पच्छा उववज्जेज्जा ? गोयमा । पुद्वि वा उववज्जित्ता पच्छा संपाउणेज्जा, पुवि वा संपाउणित्ता पच्छा उववज्जेज्जा ।। ६८ से केण?ण जाव पच्छा उववज्जेज्जा? गोयमा | पुढविक्काइयाण तो समुग्घाया पण्णत्ता, त जहा-वेदणासमुग्घाए, कसायसमुग्घाए, मारणतियसमुग्घाए । मारणतियसमुग्धाएण समोहण्णमाणे देसेण वा समोहण्णति, सव्वेण वा समोहण्णति, देसेण वा समोहण्णमाणे पूव्वि सपाउणित्ता पच्छा उववज्जेज्जा, सव्वेण समोहण्णमाणे पुवि उववज्जेत्ता पच्छा सपाउणेज्जा । से तेणट्रेण जाव पच्छा उववज्जेज्जा। ६६. पुढविक्काइए ण भते । इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए' समोहए, समोहणित्ता जे भविए ईसाणे कप्पे पुढविक्काइयत्ताए ? एव चेव ईसाणे वि । एव जाव अच्चुय-गेवेज्जविमाणे, अणुत्तरविमाणे, ईसिपव्भाराए य एव चेव ।। पुढविक्काइए ण भते । सक्करप्पभाए पुढवीए समोहए, समोहणित्ता जे भविए सोहम्मे कप्पे पुढविक्काइयत्ताए° ? एव जहा रयणप्पभाए पुढविक्काइयो उववाइनो एव सक्करप्पभाए वि पुढविक्काइप्रो उववाएयव्वो जाव ईसिपम्भाराए । एव जहा रयणप्पभाए वत्तव्वया भणिया, एव जाव अहेसत्तमाए समोहए ईसिपब्भाराए उववाएयव्वो, सेस तं चेव ।। ७१. सेव भते । सेव भते । त्ति ॥ --- - सत्तमो उद्देसो ७२ पुढविक्काइए ण भते । सोहम्मे कप्पे समोहए, समोहणित्ता जे भविए इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पुढविक्काइयत्ताए उववज्जित्तए, से ण भते । किं पुश्वि उववज्जित्ता पच्छा सपाउणेज्जा ? सेस त चेव ? जहा रयणप्पभाए पढविक्काइए सव्वकप्पेसु जाव ईसिंपन्भाराए ताव उववाइयो, एव सोहम्मपुढविक्काइनो वि सत्तसु वि पुढवीसु उववाएयन्वो जाव अहेसत्तमाए। एव जहा सोहम्मपुढविक्काइनो सव्वपुढवीसु उववाइयो, एव जाव ईसिपन्भारापुढविक्काइनो सव्वपुढवीसु उववाएयन्वो जाव अहेसत्तमाए । ७३. सेवं भते । सेवं भते । त्ति' ।।. १. पुढवीए जाव (अ, क, ख, ता, व, म, स)। २. भ० ११५१। ३. भ० ११५१ । Page #812 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सत्तरसम सत (८-१० उद्देसा) ७५१ अट्ठमो उद्देसो ७४ आउक्काइए णं भते । इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए समोहए, समोहणित्ता जे भविए सोहम्मे कप्पे आउक्काइयत्ताए उववज्जित्तए० ? एव जहा पुढविक्काइओ तहा आउक्काइनो वि सव्वकप्पेसु जाव' ईसिपब्भाराए तहेव उववाएयव्वो। एव जहा रयणप्पभाउक्काइयो उववाइयो तहा जाव अहेसत्तम आउक्काइओ उववाएयव्वो जाव ईसिपन्भाराए। ७५. सेवं भते । सेव भते ! त्ति' । नवमो उद्देसो ७६ आउक्काइए ण भते ! सोहम्मे कप्पे समोहए, समोहणित्ता जे भविए इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए घणोदहिवलएसु आउक्काइयत्ताए उववज्जित्तए, से ण भते० ? सेस त चेव, एव जाव अहेसत्तमाए। जहा सोहम्मआउक्काइओ एव जाव ईसिपव्भाराबाउक्काइयो जाव अहेसत्तमाए उववाएयव्वो । ७७ सेव भते ! सेवं भते ! त्ति'। दसमो उद्देसो ७८ वाउक्काइए ण भते । इमीसे रयणप्पभाए जाव' जे भविए सोहम्मे कप्पे वाउ क्काइयत्ताए उववज्जित्तए, से ण भते० ? जहा पुढविक्काइयो तहा वाउक्काइओ वि, नवर–वाउक्काइयाण चत्तारि समुग्घाया पण्णत्ता, त जहा-वेदणासमुग्धाए जाव' वेउव्वियसमुग्घाए। मारणतियसमुग्घाए ण समोहण्णमाणे देसेण वा समोहण्णइ, सेस त चेव जाव अहेसत्तमाए समोहरो ईसिंपन्भाराए उववाएयव्वो॥ ७६. सेव भते । सेव भते । त्ति । १. भ० ११५१ । २. भ० ११५१। ३ भ०२।७४। ४. भ. ११५१। Page #813 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७५२ इक्कारसमो उद्देसो वाउक्काइए ण भते ! सोहम्मे कप्पे समोहए, समोहणित्ता जे भविए इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए घणवाए, तणुवाए, घणवायवलएसु, तणुवायवलएसु वाउक्काइयत्ताए उववज्जित्तए, से ण भते ० ? सेस त चेव । एव जहा सोहम्मे वाउक्काइस्रो सत्तसु वि पुढवीसु उववाइयो एव जाव ईसिपव्भारावाउक्काइस्रो ग्रहेसत्तमाए जाव उववायव्वो । ८१. सेव भते । सेव भते । त्ति' ॥ ८० भगवई बारसमो उद्देसो एगि दिय-पदं ८२ एगिदिया ण भते । सब्वे समाहारा० ? एव जहा पढमसए बितिय उद्देसए पुढविक्काइयाण वत्तव्वया भणिया सा चेव एगिंदियाण इह भाणियव्वा जाव समाउया, समोववन्नगा ॥ ८ ३ एगिदियाण भते । कति लेस्साओ पण्णत्ता ? गोयमा । चत्तारि लेस्साग्र पण्णत्ताओ, त जहा - कण्हलेस्सा' नीललेस्सा काउलेस्सा • तेउलेस्सा ॥ ८४ एएसि ण भते | एगिंदियाण कण्हलेस्साण' 'नीललेस्साण काउलेस्साण तेउलेस्साण य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? ० विसेसाहिया वा ? गोयमा । सव्वत्योवा एगिदिया तेउलेस्सा, काउलेस्सा ग्रणतगुणा, नीललेस्सा विसेसाहिया, कण्हलेस्सा विसेसाहिया || ? ८५. एएसि ण भते | एगिदियाण कण्हलेसाण इड्ढी ० ' जहेव' दीवकुमाराणं ॥ ८६ सेव भते ! सेव भते ! त्ति' ।। १. भ० १।५१ । २. भ० ११७६-८१ । ३. स० पा० – कण्डुलेस्सा जाव तेउलेस्सा | ४. स० पा०—कण्हलेस्सारणं जाव विसेसाहिया ५ भ० १६ । १२८ । ६. भ० १।५१ । 1 Page #814 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सत्तरसम सत (१३-१७ उद्देसा) ७५३ १३-१७ उद्देसा नागकुमारादि-पदं ८७ नागकुमारा ण भते ! सव्वे समाहारा० ? जहा सोलसमसए दीवकुमारुद्देसे तहेव निरवसेस भाणियव्व जाव' इड्ढी ।। ८८ सेव भते । सेव भते । जाव' विहरइ ।। ८९ सुवण्णकुमारा ण भते । सव्वे समाहारा० ? एव चेव ।। ६० सेव भते । सेव भते । त्ति' ॥ ६१ विज्जुकुमारा ण भते । सव्वे समाहारा० ? एव चेव ।। ६२ सेव भते । सेव भते । त्ति ॥ ६३ वायुकुमारा ण भते । सव्वे समाहारा० ? एव चेव ।। १४ सेव भते । सेव भते ! त्ति। ६५ अग्गिकुमारा ण भते । सव्वे समाहारा० ? एव चेव ।। ६६ सेव भते । सेव भते त्ति ॥ १ भ०१६।१२५-१२८ । २ भ० ११५१ । ३. भ० ११५१ । ४. भ० ११५१ । ५. भ० ११५१ । ६. भ. ११५१ । Page #815 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ठारसमं सतं पढम्झे उद्देसो १. पढमे २ विसाह ३ मायदिए य ४ पाणाइवाय ५ असुरे य । ६. गूल ७ केवलि ८. अणगारे, ६ भविए तह १०. सोमिलद्वारसे ॥१॥ पढम-अपढम-पद १. तेण कालेण तेणं समएण रायगिहे जाव' एव वयासी-जीवे ण भते । जोव भावेण किं पढमे ? अपढमे ? गोयमा ! नो पढमे, अपढमे । एवं नेरइए जाव वेमाणिए । सिद्धे ण भते ! सिद्धभावेण किं पढमे ? अपढमे ? गोयमा ! पढमे, नो अपढमे ।। जीवा ण भते ! जीवभावेण किं पढमा ? अपढमा ? गोयमा ! नो पढमा, अपढमा । एवं जाव वेमाणिया ।। सिद्धा ण-पुच्छा। गोयमा ! पढमा, नो अपढमा। आहारए ण भते । जीवे आहारभावेण किं पढमे ? अपढमे ? गोयमा | नो पढमे, अपढमे । एव जाव वेमाणिए । पोहत्तिए एव चेव ॥ अणाहारए ण भंते । जीवे अणाहारभावेण-पुच्छा। गोयमा । सिय पढमे, सिय अपढमे ।। नेरइए णं भते । जीवे अणाहारभावेणं-पुच्छा । एव नेरइए जाव वेमाणिए नो पढमे, अपढमे । सिद्धे पढमे, नो अपढमे ॥ १ पढमा (अ, क, ख, ता, व, म)। 'अ' प्रतावपि एषा गाथा लभ्यते । २. उद्देशकद्वारसग्रहणी चेय गाथा क्वचिदृश्यते- ३. भ० १।४-१० । जीवाहारग भवसन्निलेसादिट्ठी य सजयकसाए। णाणे जोगुवओगे, तेए य सरीरपज्जत्ती॥ (), ७५४ Page #816 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १० अट्ठारसमं सत (पढमो उद्देसो) अणाहारगा णं भते | जीवा अणाहारभावेण-पुच्छा। गोयमा । पढमा वि, अपढमा वि । नेरइया जाव वेमाणिया नो पढमा, अपढमा । सिद्धा पढमा, नो अपढमा--एक्केक्के पुच्छा भाणियव्वा ॥ भवसिद्धीए एगत्त-पुहत्तेण जहा आहारए, एव अभवसिद्धीए वि । नोभवसिद्धीयनोअभवसिद्धीए ण भते । जीवे नोभवसिद्धीय-नोअभवसिद्धीयभावेण-पुच्छा। गोयमा | पढमे, नो अपढमे । नोभवसिद्धीय-नोप्रभवसिद्धीए ण भते । सिद्धे नोभवसिद्धीय-नोअभवसिद्धीयभावेण-पुच्छ। । एव पुहत्तेण वि दोण्ह वि ।। सण्णी ण भते । जीवे सण्णीभावेण कि पढमे-पुच्छा। गोयमा | नो पढमे, अपढमे । एव विगलिदियवज्ज जाव' वेमाणिए। एव पुहत्तेण वि । असण्णी एव चेव एगत्त-पुहत्तेण, नवर जाव वाणमतरा। नोसण्णीनोअसण्णी जीवे मणुस्से सिद्धे पढमे, नो अपढमे । एव पुहत्तेण वि । सलेसे ण भते | - पुच्छा। गोयमा | जहा आहारए, एव पुहत्तेण वि । कण्हलेस्सा जाव सुक्कलेस्सा एव चेव, नवर-जस्स जा लेसा अत्थि । अलेसे ण जीव-मणुस्स-सिद्धे जहा नोसण्णी-नो असण्णी ॥ २ सम्मदिट्ठीए ण भते । जीवे सम्मदिद्विभावेण किं पढमे-पुच्छा। गोयमा । सिय पढमे, सिय अपढमे । एव एगिदियवज्ज जाव वेमाणिए । सिद्ध पढमे, नो अपढमे। पुत्तिया जीवा पढमा वि, अपढमा वि। एव जाव वेमाणिया । सिद्धा पढमा, नो अपढमा । मिच्छादिट्ठीए एगत्त-पुहत्तण जहा पाहारगा। सम्मामिच्छट्ठिी एगत्त-पुहत्तेण जहा सम्मदिट्ठी, नवर-जस्स अत्थि सम्मामिच्छत्त ।। १३ सजए जीवे मणुस्से य एगत्त-पुहत्तेण जहा सम्मदिट्ठी । असजए जहा आहारए। सजयासजए जीवे पचिदियतिरिक्खजोणिय-मणुस्सा एगत्त-पुहत्तण जहा सम्मदिट्ठी । नोसजए नो अस्सजए नोसजयासजए जीवे सिद्धे य एगत्त-पुहत्तेण पढमे, नो अपढमे ॥ १४ सकसायी, कोहकसायी जाव लोभकसायी-एए एगत्त-पुहत्तेण जहा आहारए। अकसायी जीवे सिय पढमे, सिय अपढमे । एव मणुस्से वि । सिद्धे पढमे, नो अपढमे । पुहत्तेण जीवा मणुस्सा वि पढमा वि अपढमा वि । सिद्धा पढमा, नो अपढमा ।। १५ नाणी एगत्त-पुहत्तेण जहा सम्मदिट्ठी। आभिणिवोहियनाणी जाव मणपज्जव नाणी एगत्त-पुहत्तेण एव चेव, नवर-जस्स ज अत्थि । केवलनाणी जीवे मणुस्से सिद्धे य एगत्त-पुहत्तेण पढमा, नो अपढमा । अण्णाणी, मइअण्णाणी, सुयअण्णाणी, विभगनाणी य एगत्त-पुहत्तेण जहा आहारए । Page #817 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७५६ भगवा १६. सजोगी, मणजोगी, वइजोगी, कायजोगी एगत्त-पुहत्तेण जहा आहारए, नवर जस्स जो जोगो अत्थि । अजोगी जीव मणुस्स-सिद्धा एगत्त-पुहत्तेण पढमा, नं अपढमा । १७. सागारोवउत्ता अणागारोवउत्ता एगत्त-पुहत्तेण जहा अणाहारए ।। १८ सवेदगो जाव नपुसगवेदगो एगत्त-पुहत्तेण जहा ग्राहारए, नवर- जस्स जो वेद अत्थि । अवेदनो एगत्त-पुहत्तेण तिसु वि पदेसु जहा अकसायी। १६ ससरीरी जहा आहारए, एव जाव कम्मगसरीरी, जस्स जं अत्थि सरीरं, नवर आहारगसरीरी' एगत्त-पुहत्तेण जहा सम्मदिट्ठी। असरीरी जीवो सिद्धो र एगत्त-पुहत्तेण 'पढमो, नो अपढमो ॥ २०. पचहि पज्जत्तीहिं पचहिं अपज्जत्तीहिं एगत्त-पुहत्तेणं जहा आहारए, नवरजस्स जा अत्थि जाव वेमाणिया नो पढमा, अपढमा । इमा लक्खणगाहा जो जेण पत्तपुवो, भावो सो तेण अपढमश्रो होइ । सेसेसु होइ पढमो, अपत्तपुव्वेसु भावेसु ।।१।। चरिम-अचरिम-पदं २१. जीवे ण भते । जीवभावेण किं चरिमे ? अचरिमे ? गोयमा ! नो चरिमे, अचरिमे ।। २३ नेरइए ण भते ! नेरइयभावेण-पुच्छा । गोयमा । सिय चरिमे, सिय अचरिमे। एव जाव वेमाणिए। सिद्धे जह जीवे ।। २३ जीवा ण-पुच्छा। गोयमा | नो चरिमा, अचरिमा । नेरइया चरिमा वि, अचरिमा वि। एव जाट वेमाणिया । सिद्धा जहा जीवा ।।। २४ आहारए सव्वत्थ एगत्तेण सिय चरिमे, सिय अचरिमे, पहत्तेणं चरिमा वि अचरिमा वि । अणाहारओ जीवो सिद्धो य एगत्तेण वि पुहत्तेण वि 'नो चरिमो अचरिमो' । सेसट्ठाणेसु एगत्त-पुहत्तेण जहा आहारो॥ २५. भवसिद्धीग्रो जीवपदे एगत्त-पुहत्तेण चरिमे, नो अचरिमे । सेसटाणेसु जह आहारो। अभवसिद्धीओ सव्वत्थ एगत्त-पुहत्तेण नो चरिमे, अचरिमे नोभवसिद्धीय-नोअभवसिद्धीयजीवा सिद्धा य एगत्त-पुहत्तेण जह अभवसिद्धीग्रो॥ १. आहारासरीरी (क, ख, ता) । २. पढमा नो अपढमा (अ, क, ख, ता, व, म)। ३ नो चरिमा अचरिमा (क, ख, ता, व, म) Page #818 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ठारसम सत (पढमो उद्देसो) २६ सण्णी जहा आहारयो, एवं असण्णी वि । नोसण्णी-नोअसण्णी जीवपदे सिद्धपदे य अचरिमे, मणुस्सपदे चरिमे एगत्त-पुहत्तेण ॥ २७ सलेस्सो जाव सुक्कलेस्सो जहा आहारो, नवर-जस्स जा अत्थि । अलेस्सो जहा नोसण्णी-नोअसण्णी ।। २८. सम्मदिट्ठी जहा अणाहारयो । मिच्छादिट्ठी जहा आहारो । सम्मामिच्छदिट्टी एगिदिय-विर्गालदियवज्ज सिय चरिमे, सिय अचरिमे । पुहत्तेण चरिमा वि, अचरिमा वि ॥ २६ सजनो जीवो मणुस्सो य जहा आहारो। अस्सजनो वि तहेव । सजयासजए वि तहेव, नवर-जस्स ज अस्थि । नोसज य-नोअसजय-नोसंजयासजनो जहा नोभवसिद्धीय-नोग्रभवसिद्धीओ।। ३० सकसायी जाव लोभकसायी सव्वट्ठाणेसु जहा आहारो । अकसायी जीवपदे सिद्धे य नो चरिमे, अचरिमे । मणुस्सपदे सिय चरिमे, सिय अचरिमे ॥ ३१ नाणी जहा सम्मद्दिट्ठी सव्वत्थ । आभिणिवोहियनाणी जाव' मणपज्जवनाणी जहा अाहारओ, नवर-जस्स ज अत्थि । केवलनाणी जहा नोसण्णी-नोअसण्णी। अण्णाणी जाव विभगनाणी जहा आहारओ ।। ३२. सजोगी जाव कायजोगी जहा आहारो, जस्स जो जोगो अत्थि । अजोगी जहा नोसण्णी-नोअसण्णी ॥ ३३ सागारोवउत्तो अणागारोवउत्तो य जहा अणाहारो ।। ३४. सवेदनो जाव नपुसगवेदनो जहा आहारयो । अवेदओ जहा अकसायी । ३५. ससरीरी जाव कम्मगसरीरी जहा आहारो, नवर- जस्स ज अस्थि । सरीरी जहा नोभवसिद्धीय-नोअभवसिद्धीयो । ३६. पचहिं पज्जत्तीहिं पचहिं अपज्जत्तीहि जहा आहारो, सव्वत्थ एगत्त-पुहत्तेण दडगा भाणियव्वा । इमा लक्खणगाहा जो ज पाविहिति पुणो, भाव सो तेण अचरिमो होइ। अच्चतवियोगो जस्स, जेण भावेण सो चरिमो ॥१॥ ३७. सेव भंते । सेव भते ! त्ति जाव' विहरइ ।। ന mro ന ന് १. भ० ११५१। Page #819 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७५८ ४० सक्क्स्स कत्तिय सेट्ठिनाम- पुव्वभव- पद ३८ तेण कालेन तेण समएण विसाहा नाम नगरी होत्था - वण्णओ' । वहुपुत्तिए चेइए - वण्णओ' । सामी समोसढे जाव' पज्जुवासइ । तेण कालेण तेण समएण सक्के देविंदे देवराया वज्जपाणी पुरदरे - एव जहा सोलसमसए वितियउद्देसए तहेव दिव्वेण जाणविमाणेण ग्रागओ, नवर - एत्थ श्राभियोगा वि अत्थि जाव बत्तीसतिविह नट्टविहि उवदसेत्ता जाव पडिगए || ३६ भतेति । भगव गोयमे समण भगव महावीर' 'वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता° एव वयासी–जहा तइयसए ईसाणस्स तहेव कूडागारदिट्ठतो, तहेव पुव्वभवपुच्छा जाव' अभिसमन्नागए ? गोयमादि । समणे भगव महावीरे भगव गोयम एव वयासी - एव खलु गोयमा । तेण कालेन तेण समएण इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे हत्थिणापुरे नाम नगरे होत्था – वण्णो । सहसंबवणे' उज्जाणे–वण्णन ं । तत्थ णं हत्थिणापुरे नगरे कत्तिए नाम सेट्ठी परिवसति ग्रड्ढे जाव बहुजण अपरिभूए, नेगमपढमासणिए, नेगमट्टसहस्सस्स बहूसु कज्जेसु य कारणेसु य कोडुबेसु य " मतेसु य रहस्सेसु य गुज्भेसु य निच्छएसु य ववहारेसु य प्रापुच्छणिज्जे पडिपुच्छणिज्जे मेढी पमाण आहारे ग्रालवण चक्खू, मेढिभूए पमाणभूए आहारभूए ग्रालवणभूए° चक्खुभूए, नेगमट्ठसहस्सस्स सयस्स य कुडुवस्स आहेवच्च" "पोरेवच्च सामित्त भट्टित्त प्राणा- ईसर - सेणावच्च • कारेमाणे पालेमाणे, समणोवासए, अहिगयजीवाजीवे जाव" ग्रहापरिग्गहिएहिं तवोकम्मे हिं अप्पा भावेमाणे विहरइ ॥ बीप्रो उद्देसो ४१ तेण कालेन तेण समएण मुणिसुव्वए रहा आदिगरे जहा सोलसमसए तहेव जाव समोसढे जाव" परिसा पज्जुवासइ ॥ १. मो० सू० १ । २. मो० सू० २-१३ ३. ओ० सू० २२-५२ । भगवई ४२. तए णं से कत्तिए सेट्ठी इमीसे कहाए लट्ठे समाणे हट्टतुट्ठे एव जहा एक्कारसमसए सुदसणे तहेव निग्गग्रो जाव" पज्जुवासति ॥ ४. भ० १६।३३; ३।२७ । ५. स० पा० - महावीर जाव एव । ६. भ० ३१२५-३० । ७ मो० सू० १ । ८. सहत्सववणे ( स ) । भ० ११।५७ । भ० २।६४ । स० पा० एव जहा रायपसेणइज्जे चित्ते जात्र चक्खुभूए । १२. स० पा० - आहेवच्च जाव कारेमाणे । १३. भ० २१६४ । १४ भ० १६।६७, ६८ । १५. भ० ११ ११६ । १० ११ Page #820 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ठारसम सत (वीओ उद्देसो) ७५६ ४३ तए ण मुणिसुव्वए अरहा कत्तियस्स सेविस्स "तीसे य महतिमहालियाए परिसाए धम्म परिकहेइ° जाव' परिसा पडिगया । ४४ तए ण से कत्तिए सेट्ठी मुणिसुव्वयस्स' "अरहओ अतिय धम्म सोच्चा • निसम्म हट्ठतु? उट्ठाए उट्टेति, उद्वेत्ता मुणिसुन्वय °अरह वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता ° एव वयासी-एवमेय भते । जाव'-से जहेय तुन्भे वदह ज, नवरदेवाणुप्पिया | नेगमट्ठसहस्स आपुच्छामि, जेट्टपुत्त च कुडुबे ठावेमि, तए ण अह देवाणुप्पियाण अतिय पव्वयामि । अहासुहं देवाणुप्पिया | मा पडिबध ।। ४५ तए ण से कत्तिए सेट्ठी जाव' पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता जेणेव हत्थिणापुरे नगरे जेणेव सए गेहे, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता नेगमट्ठसहस्स सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एव वयासी-एव खलु देवाणुप्पिया | मए मुणिसुव्वयस्स अरहो अतिय धम्मे निसते, से वि य मे धम्मे इच्छिए, पडिच्छिए, अभिरुइए । तए ण अह देवाणुप्पिया | ससारभयुविग्गे जाव पव्वयामि, त तुम्भे ण देवाणु प्पिया ] किं करेह, कि ववसह, कि' भे हियइच्छिए, कि°भे सामत्थे ? । ४६ तए ण त नेगमट्ठसहस्स पि" कत्तिय सेट्ठि एव वयासी-जइ ण तुन्भे देवाणु प्पिया | ससारभयुविग्गा जाव पन्वयह, अम्ह देवाणुप्पिया । के अण्णे आलवे वा, आहारे वा, पडिबधे वा ? अम्हे वि ण देवाणुप्पिया | ससारभयुविवग्गा भीया जम्मणमरणाण देवाणुप्पिएहि सद्धि मुणिसुव्वयस्स अरहो अतिय मुडा भवित्ता अगाराप्रो अणगारिय पव्वयामो"॥ तए ण से कत्तिए सेट्ठी त नेगमट्ठसहस्स एव वयासी-जदि ण देवाणुप्पिया । ससारभयुव्विग्गा भीया जम्मणमरणाण मए सद्धि मुणिसुव्वयस्स५ अरहो अतिय मुडा भवित्ता अगाराप्रो अणगारिय° पव्वयह, त गच्छह ण तुन्भे देवाणुप्पिया | सएसु गिहेसु, विपुल असण" पाण खाइम साइम ° उवक्खडावेह, १ स० पा०-धम्मकहा। २ ओ० सू० ७१-७६ । ३. स० पा०-मुणिसुब्वयस्स जाव निसम्म । ४. स० पा०–मुगिसुव्वय जाव एव । ५. भ० २।५२ । ६. जाव (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। ७ भ० १६७१ । ८. भ० १८१४६ । ६. के (क, ख, ता, ब, म)। १०. के (अ, क, ख, ता, व, म, स)। ११ त (ख)। १२. पव्वाति (अ), पव्वादि (क, ख, ता, ब), पव्वादि (म); पव्वाहिति (स) । नायाधम्मकहाओ (५।६०) सूत्रानुसारेण एतत् क्रिया पद स्वीकृतम् । १३. जाव (म, क, ख, ता, ब, म, स)। १४. पव्वामो (अ, ख, ता, ब, म)। १५ स० पाo-मुणिसुन्वयस्स जाव पव्वयह । १६. स. पा०-असण जाव उवक्खडावेह । Page #821 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७६० भगवई मित्त-नाइ- नियग-सयण-सवधि-परियणं ग्रामतेह, तं मित्त-नाइ-नियग-सयणसबधि-परियण विउलेण असण-पाण-खाइम-साइमेण वत्थ-गध-मल्लाल-कारेण य सक्कारेह सम्माणेह, तस्सेव' मित्त-नाइ-नियग-सयण-सवधि-परिजणस्स पुरो जेठ्ठपुत्ते कुड़वे ठावेह, ठावेत्ता त मित्त-नाइ- नियग-सयण-सवधिपरियणं ० जेट्टपुत्ते श्रापुच्छह, आपुच्छित्ता पुरिससहस्सवाहिणीयो सीयारो द्रुहह, द्रुहित्ता मित्त-नाइ'- नियग-सयण-सवधि -परिजणेण जेठ्ठपुत्तेहि य समणुगम्ममणमाग्गा सविड्ढीए जाव दुदुहि-निग्घोसनादियरवेण अकालपरि हीण चेव मम अतिय पाउन्भवह ॥ ४८. तए ण त नेगमट्टसहस्स पि कत्तियस्स सेट्टिस्स एयमट्ट विणएण पडिसूणेति, पडिसुणेता जेणेव साइ-साइ गिहाइ तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता विपुल असण' •पाण खाइम साइम ° उवक्खडावेति, उवक्खडावेत्ता मित्त-नाइ:'नियग-सयण-सबधि-परियण विउलेण असण-पाण-खाइम-साइमेण वत्थ-गधमल्लालकारेण य सक्कारेइ सम्माणेइ°, तस्सेव मित्त-नाइ- नियग-सयणसंबधि-परियणस्स ° पुरनो जेट्टपुत्ते कुडुबे ठावेति, ठावेत्ता त मित्त-नाइ'•नियग-सयण-सवधि-परियण ° जेट्टपुत्ते य आपुच्छड, आपुच्छित्ता पुरिससहस्सवाहिणीओ सीयाओ द्रुहति, द्रुहित्ता मित्त-नाड- नियग-सयण-सवधि° परिजणण जेटुपुत्तेहि य समणुगम्ममाणमग्गा सविड्ढीए जाव" दुदुहि-निग्घोसनादिय रवेणं अकालपरिहीण चेव कत्तियस्स सेटिस्स अतिय पाउन्भवति ॥ ४६. तए ण से कत्तिए सेट्ठी विपुल असण पाण खाइम साइम उववखडावेति जहा गगदत्तो जाव"सीय द्रुहति, द्रुहित्ता मित्त-नाइ-नियग-सयण-सबधि-परिजणेण जेट्रपुत्तेण नेगमट्टसहस्सेण य समणुगम्ममाणमग्गे सव्विड्ढीए जाव" दुहिनिग्घोसनादियरवेण हत्थिणापुर नगर मज्झमझेण निग्गच्छइ, जहा गगदत्तो जाव" आलित्ते ण भंते ! लोए, पलित्ते ण भते । लोए, प्रालित्त-पलित्ते णं भते ! लोए जाव" आणगामियत्ताए भविस्सति, त इच्छामि ण भते ! नेगमट्ट सहस्सेण सद्धि सयमेव पव्वाविय जाव" धम्ममाइविखय ॥ १. सं० पा०-नाइ जाव जेट्टपुत्ते । ६ स० पा०-नाइ जाव परिजणेण । २. सं० पा०-नाइ जाव जेट्टपुत्ते । १०. भ० ६।१८२; ३. सं० पा०-नाइ जाव परिजणेण । ११. भ० १६१७१। ४. भ. ६।१२। १२. स० पा०-नाइ जाव परिजणेण । ५. सं० पा०—असण जाव उवक्खडावेति । १३. भ० ६।१८२। ६. स. पा०-नाइ जाव तस्सेव । १४ भ० १६७१, ६।२१४ । ७. स० पा०-नाइ जाव पुरो। १५. भ० ६२१४। ८. स० पा०-नाइ जाव जेट्टपुत्ते । १६. भ० २१५२। Page #822 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ठारसम सत (तइओ उद्देसो) ७६१ ५०. तएण मुणिसुव्वए रहा कत्तिय सेट्ठि नेगमट्टसहस्सेण सद्धि सयमेव पव्वावेति जाव' धम्ममाइक्खइ— एव देवाणुप्पिया । गतव्व एव चिट्ठियव्व जाव' सजमिव्व ॥ ५१ तए ण से कत्तिए सेट्ठी नेगमट्टसहस्सेण सद्धि मुणिसुव्वयस्स ग्ररहम्रो इम एयारूव धम्मिय उवदेस सम्म पडिवज्जइ, तमाणाए तहा गच्छति जाव' सजमेति ॥ ५२. तए ण से कत्तिए सेट्ठी नेगमट्टसहस्सेण सद्धि अणगारे जाए – ईरियासमिए जाव* गुत्तबभयारी ॥ o ५३. तए ण से कत्तिए अणगारे मुणिसुव्वयस्स ग्ररहग्रो तहारूवाण थेराण प्रतिय सामाइयमाइयाइ चोद्दस पुव्वाइ हिज्जइ, अहिज्जिता बहूहि चउत्थ छट्ठट्ठम'• दसम - दुवालसेहि, मासद्धमासखमणेहि विचित्ते हि तवोकम्मेहि • प्रप्पाणं भावेमाणे वहुपडिपुण्णाइ दुवालस वासाइ सामण्णपरियाग पाउणइ, पाउणित्ता मासियाए सलेहणाए अत्ताण भोसेइ, झोसेत्ता सट्टि भत्ताइ प्रणसणाए छेदेति, छेदेत्ता ग्रालोइय'-'पडिक्कते समाहिपत्ते कालमासे • काल किच्चा सोहम्मे कप्पे सोहम्मवडेसए विमाणे उववायसभाए देवसयणिज्जसि देवदूतरिए अगुलस्स ग्रसखेज्जइभागमेत्तीए ओगाहणाए • सक्के देविदत्ताए उववन्ने | ५४. तएण से सक्के देविदे देवराया अहुणोववण्णमेत्तए सेस जहा गगदत्तस्स जाव' सव्वदुक्खाण त काहिति, नवर- ठिती दो सागरोवमाइ, सेस त चेव । ५५ सेव भते ! सेव भते । त्ति' । तइओ उद्देसो माग दियपुत्त-पद ५६. तेण कालेण तेणं समएण रायगिहे नगरे होत्था - वण्ण । गुणसिलए चेइएaur जाव" परिसा पडिगया । तेण कालेण तेण समएण समणस्स भगवत्रो १. भ० २।५३ | २. भ० २।५३ । ३ भ० २।५४ । ४. भ० २।५५ । ५. स० पा०छट्टट्ठम जाव ग्रप्पाण । ६. स० पा०--- आलोइय जाव काल । ७ स० पा० देवसयणिज्जसि जाव सक्के । ८. भ० १६।७२-७५ । ६. भ० ११५१ । १० भ० ११२-५ । - Page #823 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७६२ भगवई महावीरस्स' अतेवासी मागदियपुत्ते नाम अणगारे पगइभद्दए-जहा मडियपुत्ते जाव' पज्जुवासमाणे एव वयासी__५७ से नूण भते । काउलेस्से पुढविकाइए काउलेस्सेहितो पुढविकाइएहितो अणतर उव्वट्टित्ता माणुस विग्गह लभति, लभित्ता केवल बोहि वुज्झति, बुज्झित्ता तनो पच्छा सिझति जाव' सव्वदुक्खाण अत करेति ? हता मागदियपुत्ता | काउलेस्से पुढविकाइए जाव सव्वदुक्खाणं अत करेति ।। ५८. से नूण भते । काउलेसे ग्राउकाइए काउलेस्सेहितो आउकाइएहितो अणतरं उव्वट्टित्ता माणुस विग्गह लभति, लभित्ता केवल बोहि बुज्झति जाव सव्वदुक्खाण अत करेति ? हता मागदियपुत्ता | जाव सव्वदुक्खाण अत करेति ॥ ५४ से नण भते । काउलेस्से वणस्सइकाइए ५ काउलेसेहितो वणस्सइकाइएहितो अणतर उव्वट्टित्ता माणुस विग्गह लभति, लभित्ता केवल वोहिं वुज्झति, ज्झित्ता तो पच्छा सिझति जाव सव्वदुक्खाण अत करेति ? हता मागदियपुत्ता ! • जाव सव्वदुक्खाण अत करेति ।। ६०. सेव भते । सेव भते । त्ति मागदियपुत्ते अणगारे समण भगव महावीर वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता जेणेव समणा निग्गथा तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता समणे निग्गथे एव वयासी-एव खलु अज्जो ! काउलेस्से पूढविकाइए तहेव जाव सव्वदुक्खाण अत करेति । एव खलु अज्जो | काउलेस्से आउक्काइए तहेव जाव सव्वदुक्खाण अत करेति । एव खलु अज्जो ! काउलेस्से वणस्सइ काइए तहेव जाव सव्वदुक्खाण अत करेति ॥ ६१ तए ण ते समणा निग्गथा मागदियपुत्तस्स अणगारस्स एवमाइक्खमाणस्स जाव एव परवेमाणस्स एयम? नो सद्दहति नो पत्तियति नो रोएति, एयम? असद्दहमाणा अपत्तियमाणा अरोएमाणा जेणेव समणे भगव महावीरे तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता समण भगव महावीर वदति नमसति, वदित्ता नमसित्ता एव वयासी-एव खलु भते । मागदियपुत्ते अणगारे अम्ह एवमाइक्खति जाव पस्वेति-एव खलु अज्जो! काउलेस्से पुढविकाइए जाव सव्वदुक्खाण अंत करेति । एव खलु अज्जो! काउलेस्से ग्राउक्काइए जाव सव्वदुक्खाण अत करेति ! एव खलु अज्जो ! काउलेस्से वणस्सइकाइए वि जाव सव्वदुक्खाण अत करेति ॥ ६२. से कहमेय भते । एव ? १. महावीरस्स जाव (स)। २. भ० ३।१३४, १।२८८, २८६ । ३. भ०११४४। ४. काउलेसे (अ, स)। ५ स० पा०—एव चेव जाव । ६. स० पा०--महावीर जाव नमसित्ता। Page #824 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ठारसम सत (तइओ उद्देसो) ६५ ७६३ प्रज्जोति । समणे भगव महावीरे ते समणे निग्गथे आमतित्ता एव वयासीजण्ण अज्जो | मागंदियपुत्ते अणगारे तुम्भे एवमाइक्खति जाव परूवेति - एव खलु अज्जो । काउलेस्से पुढविकाइए जाव सव्वदुक्खाण ग्रत करेति । एव खलु ग्रज्जो । काउलेस्से आउकाइए जाव सव्वदुक्खाण ग्रत करेति । एव खलु ग्रज्जो ' काउलेस्से वणस्सइकाइए वि जाव सव्वदुक्खाण प्रत करेति । सच्चे सट्टे । अह पि ण प्रज्जो । एवमाइक्खामि एव भासेमि एव पण्णवे मि एव परूवेमि—एव खलु अज्जो । कण्हलेसे पुढविकाइए कण्हलेसेहितो पुढविकाइए हितो जाव सव्वदुक्खाण प्रत करेति । एव खलु ग्रज्जो । नीललेस्से पुढविकाइए जाव सव्वदुक्खाण प्रत करेति । एव काउलेस्से वि । जहा पुढविकाइए एव ग्राउकाइए वि, एव वणस्सइकाइए वि । सच्चे ण एसमट्ठे ॥ ६३ सेव भते । सेव भते । त्ति समणा निग्गथा समण भगव महावीर वदति नमसति, वदित्ता नमसित्ता जेणेव मागदियपुत्ते अणगारे तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता मागदियपुत्त अणगार वदति नमसति, वदित्ता नमसित्ता एयमट्ठ सम्म विणण भुज्जो - भुज्जो खामेति ॥ ६४. तए ण से मागदियपुत्ते ग्रणगारे उट्ठाए उट्ठेइ, उट्ठेत्ता जेणेव समणे भगव महावीरे तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता समण भगव महावीर वदति नमसति, वदित्ता नमसित्ता एव वयासी अणगारस्य ण भते । भावियप्पणो सव्व कम्म वेदेमाणस्स सव्व कम्म निज्जरेमाणस्स सव्व मार मरमाणस्स सव्व सरीर विप्पजहमाणस्स, चरिम कम्म वेदेमाणस्स चरिम कम्म निज्जरेमाणस्स चरिम मार मरमाणस्स चरिम सरीर विप्पजहमाणस्स, मारणतिय कम्म वेदेमाणस्स मारणतिय कम्म निज्जरे माणस मारणतिय मार मरमाणस्स मारणतिय सरीर विप्पजहमाणस्स जे चरिमा निज्जरापोग्गला सुहुमा ण ते पोग्गला पण्णत्ता समणाउसो । सव्व लोग पि ण ते गाहित्ता ण चिट्ठति ? तामादिपुत्ता | अणगारस्स ण भावियप्पणी सव्व कम्म वेदेमाणस्स जाव जे चरिमा निज्जरापोग्गला सुहुमा ण ते पोग्गला पण्णत्ता समणाउसो । सव्व लोग पण ते गाहित्ताण चिट्ठति ॥ निज्जरापोग्गल - जाणणादि-पदं ६६. छउमत्थे ण भते । मणुस्से तेसि निज्जरापोग्गलाण किंचि प्राणत्त वा नाणत्त वा 'ग्रोमत्त वा तुच्छत्त वा गरुयत्त वा लहुयत्त वा जाणइ पासइ ? मादिपुत्ता ! नो इट्टे समट्ठे ॥ १. स० पा० – एव जहा इदियउद्देसए पढमे जाव वेमारिया, जाव तत्थ ण जे ते उवउत्ता ते जाणति -पासति श्राहारेंति । से वेट्टेण निक्खेवो भाणियव्वो । Page #825 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७६४ भगवई ६७ से केणटेण भते । एव वुच्चइ-छउमत्थे ण मणुस्से तेसि निज्जरापोग्गलाणं नो किचि प्राणत्त वा नाणत्त वा ओमत्त वा तुच्छत्त वा गरुयत्त वा लहुयत्त वा जाणइ-पासइ ? मागदियपत्ता। देवे वि य ण अत्थेगइए जे ण तेसि निज्जरापोग्गलाण नो किचि आणत्त वा नाणत्त वा प्रोमत्त वा तुच्छत्त वा गरुयत्त वा लहयत्त वा जाणइपासइ। से तेणद्वेण मागदियपुत्ता । एव वुच्चइ-छउमत्थे ण मणुस्से तेसि निज्जरापोग्गलाण नो किचि प्राणत्त वा नाणत्त वा अोमत्त वा तुच्छत्त वा गरुयत्त वा लइयत्त वा जाणइ-पासइ, सुहमा ण ते पोग्गला पण्णत्ता समणाउसो! सव्वलोग पि य ण ते प्रोगाहित्ता चिट्ठति ।। ६८. नेरइया ण भते ! ते निज्जरापोग्गले कि जाणति-पासति ? आहारेति ? उदाहु न जाणति न पासति, न पाहारेति ? । मागदियपत्ता | ने रइया ण ते निज्जरापोग्गले न जाणति न पासति, पाहारेति । एव जाव पचिदियतिरिक्खजोणिया ॥ ६९ मणुस्सा ण भते । ते निज्जरापोग्गले कि जाणति-पासति ? याहारेति ? उदाहु न जाणति न पासति, न आहारेति ? मागदियपुत्ता । अत्थेगइया जाणति-पासति, आहारेति । अत्थेगइया न जाणति न पासति, आहारेति ॥ से केणद्वेण भते ! एव वुच्चइ-अत्थेगइया जाणति-पासति, पाहारेति ? अत्थेगइया न जाणति न पासति, ग्राहारेति ? मागदियपुत्ता | मणुस्सा दुविहा पण्णत्ता, त जहा-सण्णिभूया य, असण्णिभूया य । तत्थ ण जे ते असण्णिभूया ते ण न जाणति न पासति, आहारेति । तत्थ ण जे ते सण्णिभूया ते दुविहा पण्णत्ता, त जहा-उवउत्ता य, अणुवउत्ता य । तत्थ ण जे ते अणुवउत्ता ते ण न जाणति न पासति, आहारेति । तत्थ ण जे ते उवउत्ता ते ण जाणति-पासति, आहारेति । से तेणट्रेण मागदियपुत्ता ! एव वच्चइ-अत्थेगइया न जाणति न पासति, पाहारेति । अत्थेगइया जाणति पासति, ग्राहारेति । वाणमतर-जोइसिया जहा नेरइया । ७१. वेमाणिया ण भते । ते निज्जरापोग्गले किं जाणति-पासति ? आहारेति ?' मागदियपुत्ता | जहा मणुस्सा, नवर-वेमाणिया दुविहा पण्णत्ता, त जहामायिमिच्छदिट्ठीउववन्नगा य, अमायिसम्मदिट्ठीउववन्नगा य । तत्थ ण जे ते मायिमिच्छदिदिउववन्नगा ते ण न जाणति न पासति, आहारेति । तत्थ ण जे ते अमायिसम्मदिट्ठीउववन्नगा ते दुविहा पण्णत्ता, त जहा–अणतरोववन्नगा य परपरोववन्नगा य । तत्थ णं जे ते अणतरोववन्नगा ते ण न जाणति न पासति, आहारेति । तत्थ ण जे ते परपरोववन्नगा ते दुविहा पण्णत्ता, त जहापज्जत्तगा य, अपज्जत्तगा य । तत्थ णं जे ते अपज्जत्तगा ते णं न जाणति Page #826 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७६५ न पासति श्राहारेति । तत्थ णं जे ते पज्जत्तगा ते दुविहा पण्णत्ता, त जहाउवउत्ता य, ग्रणुवउत्ता य । तत्थ ण जे ते प्रणुवउत्ता ते ण न जाणति न पासति, ग्राहारेति । तत्थ ण जे ते उवउत्ता ते ण जाणति- पासति प्राहारेति । से ते द्वेण मागदियपुत्ता I एव बुच्चड - प्रत्येगइया न जाणंति न पासति, आहारेति । ग्रत्थेगइया जाणति- पासति, आहारेति ॥ ० अट्ठारसम सत (तइग्रो उद्देसो) बंध- पदं ७२. कतिविहे ण भते । बधे पण्णत्ते ? मादिपुत्ता। दुविहे वधे पण्णत्ते, त जहा - दव्ववधे य, भाववधे य ॥ ७३ दव्ववधे ण भते । कतिविहे पण्णत्ते ? मादिपुत्ता दुवि । पण्णत्ते, त जहा - पयोगबधे य, वीससाबधे य ॥ ७४ वीससावधे ण भते । कतिविहे पण्णत्ते ? मादिपुत्ता | दुविहे पण्णत्ते, त जहा - सादीयवीससाबधे य, प्रणादीयवीससाबधे य ॥ ७५ पयोगबधे ण भते । कतिविहे पण्णत्ते ? माग दियपुत्ता | दुविहे पण्णत्ते, त जहा - सिढिलवघणबधे य, धणियबधणबधे य ॥ ७६. भाववघे ण भते । कतिविहे पण्णत्ते ? मादिपुत्ता | दुविहे पण्णत्ते, त जहा - मूलपगडिबधे य, उत्तरपगडिबधे य ॥ ७७ नेरइयाण भते । कतिविहे भावबधे पण्णत्ते ? मागदियपुत्ता । दुविहे भावबधे पण्णत्ते, त जहा - मूलपगडिबधे य, उत्तरविधेय । एव जाव वेमाणियाण || ७८ नाणावरणिज्जस्स ण भते । कम्मस्स कतिविहे भावबधे पण्णत्ते ? मादिपुत्ता | दुविहे भावबधे पण्णत्ते, त जहा - मूलपगडिबधे य, उत्तरपगडिवधे य ॥ ७६ नेरइयाण भते । नाणावर णिज्जस्स कम्मस्स कतिविहे भाववधे पण्णत्ते ? मादिपुत्ता । दुविहे भाववधे पण्णत्ते, त जहा - मूलपगडिवधे य, उत्तरविधेय । एव जाव वेमाणियाण । जहा नाणावरणिज्जेण दडो भणियो एव जाव ग्रतराइएण भाणियव्वो । कम्म- नाणत्त-पदं ८० जीवाण भते । पावे कम्मे जे य कडे', "जे य कज्जइ' ०, जे य कज्जिस्सइ, त्याइ तस्स केइ नाणत्ते ? हता ग्रत्थि ॥ १. स० पा०कडे जाव जे । २ जे त कडमाणे (ता) । Page #827 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७६६ भगवई ८१ से केणटेण भत्ते । एव वुच्चइ-जीवाण पावे कम्मे जे य कडे', 'जे य कज्जइ°, जे य कज्जिस्सइ, अत्थि याइ तस्स नाणत्ते ? मागदियपुत्ता । से जहानामए-केइ पुरिसे धणु परामुसइ, परामुसित्ता उस परामुसइ, परामुसित्ता ठाण ठाइ, ठाइत्ता प्राययकण्णायत उसु करेति, करेत्ता उड्ढ वेहास उब्विहइ, से नूण मागदियपुत्ता | तस्स उसुस्स उड्ढ बेहास उव्वीढस्स समाणस्स एयति वि नाणत्त', 'वेयति वि नाणत्त, चलति वि नाणत्त, फदइ वि नाणत्त, घट्टइ वि नाणत्त, खुम्भइ वि नाणत्त, उदीरइ वि नाणत्त ० त त भाव परिणमति वि नाणत्त ? हता भगव । एयति वि नाणत्त जाव त त भाव परिणमति वि नाणत्त । से तेण?ण मागदियपुत्ता । एव वुच्चइ - एयति वि नाणत्त जाव त त भावं परिणमति वि नाणत्त ॥ ८२ नेरइयाण भते । पावे कम्मे जे य कडे ° ? एव चेव । एव जाव वेमाणियाण ।। ८३ नेरइया ण भते । जे पोग्गले आहारत्ताए गेण्हति, तेसि ण भते । पोग्गलाण सेयकाल सि कतिभाग आहारेति ? कतिभाग निज्जरेति ? ___ मागदियपुत्ता । असखेज्जइभाग आहारेति, अणतभाग निज्जरेति ॥ ८४. चक्किया ण भते । केइ तेसु निज्जरापोग्गलेसु आसइत्तए वा जाव' तयटित्तए वा? णो इणढे समढे । अणाहारणमेय बुइय समणाउसो | एव जाव वेमाणियाणं ॥ ८५. सेव भते । सेव भते । ति॥ चउत्थो उद्देसो जीवाण परिभोगापरिभोग-पदं ८६. तेण कालेण तेणं समएण रायगिहे जाव' भगव गोयमे एव वयासी-अह भते! पाणाइवाए, मुसावाए जाव' मिच्छादसणसल्ले, पाणाइवायवेरमणे जात १. सं० पा०कडे जाव जे । २ स० पा०-नाणत्त जाव त । ३. भ० ७१२१६। ४. भ० ११५१ । ५ भ० ११४-१०। ६. भ० ११३८४ । ७. भ० ११३८५। Page #828 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८७ अट्ठारसम सत (चउत्थो उद्देसो) ७६७ मिच्छादसणसल्लवेरमणे, पुढविक्काइए जाव वणस्सइकाइए, धम्मत्थिकाए, अधम्मत्थिकाए, आगासत्थिकाए, जीवे असरीरपडिबद्धे, परमाणुपोग्गले, सेलेसि पडिवन्नए अणगारे, सव्वे य वादरवोदिधरा कलेवरा-एए ण दुविहा जीवदव्वा य अजीवदम्वा य जीवाण परिभोगत्ताए हव्वमागच्छति ? गोयमा । पाणाइवाए जाव एए ण दुविहा जीवदव्वा य अजीवदव्वा य अत्थेगइया जीवाण परिभोगत्ताए हव्वमागच्छति, अत्थेगइया जीवाण परिभोगत्ताए' नो हव्वमागच्छति ॥ से केणटेण भते । एव वुच्चइ-पाणाइवाए जाव नो हव्वमागच्छति ? गोयमा | पाणाइवाए जाव मिच्छादसणसल्ले, पुढविकाइए जाव वणस्सइकाइए, सव्वे य वादरवोदिधरा कलेवरा-एए ण दुविहा जीवदव्वा य अजीवदव्वा य जीवाण परिभोगत्ताए हव्वमागच्छति । पाणाइवायवेरमणे जाव मिच्छादसणसल्लविवेगे, धम्मत्थिकाए, अधम्मत्थिकाए जाव परमाणुपोग्गले, सेलेसि पडिवन्नए अणगारे-एए ण दुविहा जीवदव्वा य अजीवदव्वा य जीवाण परिभोगत्ताए नो हव्वमागच्छति । से तेणद्वेण गोयमा | एव वुच्चइ-पाणाइवाए जाव नो हव्वमागच्छति ॥ कसाय-पद ८८. कति ण भते । कसाया पण्णत्ता ? गोयमा । चत्तारि कसाया पण्णत्ता, त जहा-कसायपद निरवसेस भाणियव्व जाव' निजरिस्सति लोभेण ॥ जुम्म-पदं ८६ कति ण भते । जुम्मा पण्णत्ता ? गोयमा । चत्तारि जुम्मा पण्णत्ता, तं जहा-कडजुम्मे, तेयोगे', दावरजुम्मे', कलिओगे॥ से केणद्वेण भते । एव वुच्चइ-जाव कलिगोगे ? । गोयमा । जे ण रासी चउक्कएण अवहारेण अवहीरमाणे चउपज्जवसिए सेत्त कडजुम्मे । जे ण रासी चउक्कएण अवहारेण अवहीरमाणे तिपज्जवसिए सेत्त तेयोगे । जे ण रासी चउक्कएण अवहारेण अवहीरमाणे दुपज्जवसिए सेत्त दावरजुम्मे । जे ण रासी चउक्कएण अवहारेण अवहीरमाणे एगपज्जवसिए सेत्त कलिओगे । से तेण?ण गोयमा । एव वुच्चइ जाव कलिगोगे ॥ • १ जाव (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। २. प०१४। ६३ तेयोए (अ), तेजोए (क), तेयोते (ख, व), तेयोदे (ता), तेजोगे (म), तियोगे (स)। ४. बादरजुम्मे (अ, क), वादरजुण्णे (ता)। ५ कलिओए (ख), कलिओदे (ता)। Page #829 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७६८ भगवई ६१. नेरइया ण भते । कि कडजुम्मा ? तेयोगा ? दावरजुम्मा ? कलिनोगा ? गोयमा ! जहण्णपदे कडजुम्मा, उक्कोसपदे तेयोगा, अजहण्णुक्कोसपदे सिय कडजुम्मा जाव सिय कलियोगा । एव जाव थणियकुमारा। १२ वणस्सइकाइया ण--पुच्छा। गोयमा । जहण्णपदे अपदा, उक्कोसपदे य अपदा, अजहण्णुक्कोसपदे सिय कडजुम्मा जाव सिय कलिनोगा ।। ६३ वेदिया' ण--पूच्छा। गोयमा । जहण्णपदे कडजुम्मा, उक्कोसपदे दावरजुम्मा, अजहण्णमणुक्कोसपदे सिय कडजुम्मा जाव सिय कलियोगा। एव जाव चरिदिया। सेसा एगिदिया जहा वेदिया। पचिदियतिरिक्खजोणिया जाव वेमाणिया जहा नेरइया । सिद्धा जहा वणस्सइकाइया ।। इत्थीनो ण भते । कि कडजुम्मा-पुच्छा। गोयमा । जहण्णपदे कडजुम्मायो, उक्कोसपदे कडजुम्मायो, अजहण्णमणुक्कोसपदे सिय कडजुम्मायो जाव सिय कलियोगायो। एव असुरकुमारित्थीयो वि जाव थणियकुमारित्योओ। एव तिरिक्खजोणित्थीओ, एव मणुसित्थीओ, एव वाणमतर-जोइसिय-वेमाणियदेवित्थीयो। अधगवण्हिजीवाणं वर-पर-पदं ६५ जावतिया ण भते । वरा अधगवण्हिणो जीवा तावतिया परा अधगवण्हिणो जीवा? हता गोयमा ! जावतिया वरा अधगवण्हिणो जीवा तावतिया परा अधग वण्हिणो जीवा ॥ ६६ सेव भते ! सेव भते । त्ति ॥ १४ पंचमो उद्देसो वेउब्वियावेउविय-असुरकुमारादि-पद ६७. दो भते । असुरकुमारा एगसि असुरकुमारावाससि असुरकुमारदेवत्ताए उववन्ना, तत्थ ण एगे असुरकुमारे देवे पासादीए दरिसणिज्जे अभिरूवे पडिरूवे, एगे असुरकुमारे देवे से ण नो पासादीए नो दरिसणिज्जे नो अभिरूवे नो. पडिरूवे, से कहमेय भते । एव ? । १ वेइदिया (अ)। २. भ० ११५१ । Page #830 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ठारसम सत ( पचमो उद्देसो) ७६६ गोयमा । असुरकुमारा देवा दुविहा पण्णत्ता, त जहा - वेउव्वियसरीरा य, अवेउव्वियसरीरा य । तत्थ ण जे से वेडव्वियसरीरे असुरकुमारे देवे से णं पासादीए जाव पडिरूवे । तत्थ ण जे से प्रवेउव्वियसरीरे असुरकुमारे देवे से णं नो पासादीए जाव नो पडिवे ॥ ६८. सेकेणद्वेण भते । एव वच्चइ – तत्थ ण जे से वेउव्वियसरीरे त चेव जाव नो पडवे ? गोयमा । से जहानामए - इह मणुयलोगसि दुवे पुरिसा भवति - एगे पुरिसे अल कियविभूसिए, एगे पुरिसे प्रणल कियविभूसिए । एएसि ण गोयमा । दीहं पुरिसाण करे पुरिसे पासादीए जाव पडिरूवे, कयरे पुरिसे नो पासादीए जाव नो पडिरूवे । जे वा से पुरिसे अलकियविभूसिए, जे वा से पुरिसे प्रणल कियविभूसिए ? भगव । तत्थ ण जे से पुरिसे अलकियविभूसिए से ण पुरिसे पासादीए जाव पडिरूवे । तत्थ ण जे से पुरिसे प्रणल कियविभूसिए से ण पुरिसे नो पासादीए जो डिवे । से तेणद्वेण जाव नो पडिरूवे || । 1 ० ? ६६ दो भते । नागकुमारा देवा एगसि नागकुमारावाससि एव चेव जाव थणियकुमारा । वाणमतर जोतिसिय- वेमाणिया एव चेव' । नेरइयादीणं महाकम्मादि-पदं १०० दोभते ! नेरइया एगसि नेरइयावाससि नेरइयत्ताए उववन्ना । तत्थ ण गे नेरइए महाकम्मतराए चेव', 'महाकिरियतराए चेव, महासवतराए चेव ", महावेयणतराए चेव, एगे नेरइए अप्पकम्मतराए चेव', अप्प किरियतराए चेव, अप्पासवतराए चेव °, ग्रप्पवेयणता चेव, से कहमेय भंते । एव ? गोयमा ! नेरइया दुविहा पण्णत्ता, त जहा - मायिमिच्छदिट्टिउववन्नगा' य, प्रमायिसम्मदिट्टिउववन्नगा य । तत्थ ण जे से मायिमिच्छदिट्टिउववन्नए नेरइए से ण महाकम्मतराए चेव जाव महावेयणतराए चेव । तत्थ ण जे से प्रमायिसम्मदिट्टिउववन्नए नेरइए से ण अप्पकम्मतराए चेव जाव अप्पवेयणतराए चेव ॥ १०१ दोभते । असुरकुमारा ? एव चेव । एव एगिदिय - विगलिदियवज्ज जाव वेमाणिया || नेरइयादीणं प्राउय-पदं १०२. नेरइए ण भते । प्रणतर उब्वट्टित्ता जे भविए पचिदियतिरिक्खजोणिएसु उववज्जित्त, सेण भते । कयर प्राउय पडिसवेदेति ? ३ मादिमिच्छ° (व) | १. स० पा० - चेव जाव महावेयरण • । २. स० पा० - चैव जाव अप्पवेयण' ० । Page #831 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई गोयमा । नेरइयाउय पडिसवेदेति, पचिदियतिरिक्खजोणियाउए से पुरो कडे चिट्ठति । एवं मणुस्सेसु वि, नवर - मणुस्साए से पुरो कडे चिट्ठति ॥ १०३ ग्रमुरकुमारे णं भते ! प्रणंतर उव्वट्टित्ता जे भविए पुढविकाइएसु उववज्जितर, सेण भंते ! कयर आउय पडिसवेदेति १० गोयमा । असुरकुमाराज्यं पडिसवेदेति, पुढविकाइयाउए से पुरग्रो कडे चिट्ठति । एव जो जहिं भविप्रो उववज्जित्तए तस्स त पुरस्र कड चिट्ठति, जत्थ ठिम्रो त पडिसवेदेति जाव वेमाणिए, नवरं - पुढविकाइए पुढविकाइएसु उववज्जति, पुढविकाइयाउयं पडिसवेदेति, ग्रण्णे य से पुढविकाइयाउए पुरनो कडे चिट्ठति । एव जाव मणुस्सो सट्ठाणे उववाएतव्वो, परट्ठाणे तहेव ।। असुरकुमारादीण विउब्वणा-पद ७७० 1 १०४ दोभते । असुरकुमारा एगसि असुरकुमारावाससि ग्रसुरकुमारदेवत्ताए उववन्ना । तत्थ ण एगे असुरकुमारे देवे उज्जुयं विउव्विस्सामीति उज्जुय विउव्वइ, वक विउव्विस्सामीति वकं विउव्वइ, ज जहा इच्छइ त तहा विउव्वइ । एगे असुरकुमारे देवे उज्जुय विउव्विस्सामीति वकं विउव्वइ, वंक विउव्विस्सामीति उज्जुय विउव्वइ, ज जहा इच्छति नो त तहा विउव्वइ, से कहमेयं भते ! एव ? I गोयमा । ग्रसुरकुमारा देवा दुविहा पण्णत्ता, त जहा - मायिमिच्छदिट्ठीउववनगा य, अमायिसम्मदिट्ठीउववन्नगा य । तत्थ ण जे से मायिमिच्छदिट्टिउववन्नए असुरकुमारे देवे से णं उज्जुयं विउव्विस्सामीति वक विउव्वइ जाव नो त तहा विउव्वइ । तत्थ ण जे से श्रमाथिसम्मदिट्टिउववन्नए असुरकुमारे देवे से ण उज्जुय विउव्विस्सामीति उज्जुय विउव्वइ जाव त तहा विउव्वइ ॥ १०५. दो भते ! नागकुमारा० ? एव चेव । एव जाव थणियकुमारा । वाणमतरजोइसिय-वेमाणिया एव चेव ॥ १०६ सेव भते ! सेव भते । त्ति ॥ छट्ठो उद्देसो नेच्छइय-ववहार-नय-पदं १०७. फाणियगुले ण भते ! कतिवण्णे कतिगंधे कति रसे कतिफासे पण्णत्ते ? १. म० पा० - पुच्छा | २ भ० १।५१ । Page #832 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ठारसम सत ( छट्ठो उद्देमो) ७७१ गोयमा ! एत्थ ण दो नया भवति, त जहा नेच्छइयनए' य, वावहारियनए य। वावहारियनयस्स गोड्डे' फाणियगुले, नेच्छइयनयस्स पचवण्णे दुगधे पचरसे अट्ठफासे पण्णत्ते ।। १०८ भमरे ण भते । कतिवण्णे "कतिगधे कतिरसे कतिफासे पण्णत्ते ° ? गोयमा । एत्थ ण दो नया भवति, त जहा-नेच्छइयनए य, वावहारियनए य। वावहारियनयस्स कालए भमरे, नेच्छइयनयस्स पचवण्णे जाव अटफासे पण्णत्ते ।। १०६. सूयपिच्छे ण भते । कतिवण्णे कतिगधे कतिरसे कतिफासे पण्णत्ते ? एव चेव, नवर वावहारियनयस्स नीलए सुयपिच्छे, नेच्छइयनयस्स पचवण्णे •जाव अट्ठफासे पण्णत्ते । एव एएण अभिलावेण लोहिया मजिट्ठिया, पीतिया हालिद्दा', सुक्किलए सखे, सुन्भिगधे कोटे, दुन्भिगधे मयगसरीरे, तित्ते निबे, कडुया सुठी, कसाए कवितु, अवा अविलिया, महुरे खडे, कक्खडे वइरे, मउए नवणीए, गरुए अए, लहुए उलुयपत्ते', सीए हिमे, उसिणे' अगणिकाए, णिद्धे तेल्ले। ११० छारिया ण भते । -पुच्छा। गोयमा । एत्थ दो नया भवति, त जहा-नेच्छइयनए य, वावहारियनए य । वावहारियनयस्स लुक्खा छारिया, नेच्छइयनयस्स पचवण्णा जाव' अट्ठफासा पण्णत्ता ।। परमाणु-खंधाण वण्णादि-पदं १११ परमाणुपोग्गले ण भते । कतिवण्णे जाव कतिफासे पण्णत्ते ? गोयमा । एगवण्णे, एगगधे, एगरसे, दुफासे पण्णत्ते ।। ११२ दुपएसिए ण भते । खधे कतिवण्णे ""जाव कतिफासे पण्णत्ते ? ० गोयमा | सिय एगवण्णे, सिय दुवण्णे, सिय एगगधे, सिय दुगधे, सिय एगरसे सिय दुरसे, सिय दुफासे, सिय तिफासे, सिय चउफासे पण्णत्ते ॥ ११३ .तिपएसिए ण भते । खधे कतिवण्णे जाव कतिफासे पण्णत्ते ? १ निच्छइय ° (अ, क, व, स)। २ गोड्डु (अ), गोडे (स)। ३. स० पा०-पुच्छा। ४ स० पा०-सेस त चेव । ५ हलिद्दा (अ, क, ता, व, म)। ६. कसाए तुयरए (अ, क, ख, ता, व म)। ७ गुरुए (अ, व)। ८. लउयपत्ते (ता)। ६. उसुणे (अ, क, ख, ता, व)। १०. स० पा०-पुच्छा। ११ सं० पा०-एव तिपएसिए वि, नवर सिय एगवण्णे, सिय दुवण्णे, सिय तिवण्णे । एव रसेसु वि, सेस जहा दुपएसियस्म । एव चउपएसिए वि, नवर-सिय एगवण्णे Page #833 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७७२ भगवई गोयमा ! सिय एगवण्णे, सिय दुवण्णे, सिय तिवण्णे, सिय एगगंधे, सिय दुगधे, सिय एगरसे, सिय दुरसे, सिय तिरसे, सिय दुफासे, सिय तिफासे, सिय चउ फासे पण्णत्ते ।। ११४ चउपएसिए ण भते । खंधे कतिवण्णे जाव कतिफासे पण्णत्ते ? गोयमा । सिय एगवण्णे, सिय दुवण्णे, सिय तिवणे, सिय चउवणे, सिय एगगधे, सिय दुगधे, सिय एगरसे, सिय दुरसे, सिय तिरसे, सिय चउरसे, सिय दुफासे, सिय तिफासे, सिय चउफासे पण्णत्ते ।। पचपएसिए ण भते । खधे कतिवण्णे जाव कतिफासे पण्णत्ते ? गोयमा ! सिय एगवण्णे, सिय दुवण्णे, सिय तिवण्णे, सिय चउवण्णे, सिय पंचवण्णे, सिय एगगधे, सिय दुगधे, सिय एगरसे, सिय दुरसे, सिय तिरसे, सिय चउरसे, सिय पचरसे, सिय दुफासे, सिय तिफासे, सिय चउफासे पण्णत्ते । जहा पचपएसियो एव जाव असखेज्जपएसिओ ॥ ११६. सुहुमपरिणए ण भते । अणंतपएसिए खधे कतिवण्णे जाव कतिफासे पण्णत्ते ? जहा पचपएसिए तहेव निरवसेस ।। ११७. वादरपरिणए ण भते । अणतपएसिए खधे कतिवण्णे "जाव कतिफासे पण्णत्ते ? ० गोयमा ! सिय एगवण्णे, जाव सिय पंचवण्णे, सिय एगगधे, सिय दुगधे, सिय एगरसे जाव सिय पचरसे, सिय चउफासे जाव सिय अट्ठफासे पण्णत्ते ॥ ११८. सेव भते । सेवं भते ! त्ति ॥ सत्तमो उद्देसो केवलि-भासा-पदं ११९ रायगिहे जाव एवं वयासी-अण्णउत्थिया णं भते । एवमाइक्खति जाव परूवेति-एव खलु केवली जक्खाएसेण आइस्सइ', एव खलु केवली जक्खाएसेण प्राइडे समाणे आहच्च दो भासाम्रो भासति, त जहा- मोसं वा, सच्चामोस वा, से कहमेय भते ! एवं ? जाव सिय चउवण्णे । एव रसेसु वि, सेस १. स० पा०-पुच्छा। त चेव । एव पचपएसिए वि, नवर-सिय २. भ० १५१ । एगवण्णे जाव सिय पचवण्णे, एव रसेसु ३. आतिस्सति (स)। वि, गधफासा तहेव । ४. आदिढे (ता); आतिढे (स)। Page #834 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ठारसम सतं (सत्तमो उद्देसो) ७७३ गोयमा | जण्ण ते अण्णउत्थिया जाव' जे ते एवमाहसु मिच्छ ते एवमाहसु, अह पुण गोयमा । एवमाइक्खामि भासेमि पण्णवेमि परूवेमि-नो खलु केवली जक्खाएसेण आइस्सइ, नो खलु केवली जक्खाएसेण आइटे समाणे पाहच्च दो भासायो भासति, त जहा-मोस वा, सच्चामोस वा । केवली ण असावज्जाओ अपरोवघाइयाओ पाहच्च दो भासाम्रो भासति, त जहा-सच्च वा, असच्चा मोस वा ॥ उवहि-पदं १२०. कतिविहे ण भते | उवही पण्णत्ते ? गोयमा । तिविहे उवही पण्णत्ते, त जहा—कम्मोवही, सरीरोवही, बाहिरभड मत्तोवगरणोवही ।। १२१. नेरइया ण भते | - पुच्छा। गोयमा दुविहे उवही पण्णत्ते, त जहा-कम्मोवही य, सरीरोवही य । सेसाण तिविहे उवही एगिदियवज्जाण जाव वेमाणियाण । एगिदियाण दुविहे उवही पण्णत्ते, त जहा–कम्मोवही य, सरीरोवही य ।। १२२. कतिविहे ण भते । उवही पण्णत्ते ? गोयमा ! तिविहे उवही पण्णत्ते, त जहा–सच्चित्ते, अचित्ते, मीसाए । एवं नेरइयाण वि । एव निरवसेस जाव वेमाणियाण ॥ परिग्गह-पदं १२३. कतिविहे ण भते । परिग्गहे पण्णत्ते ? गोयमा ! तिविहे परिग्गहे पण्णत्ते, त जहा—कम्मपरिग्गहे, सरीरपरिग्गहे वाहिरगभडमत्तोवगरणपरिग्गहे ॥ १२४ नेरइयाण भते । कतिविहे परिग्गहे पण्णत्ते ? एव जहा उवहिणा दो दडगा भणिया तहा परिग्गहेण वि दो दडगा भाणियव्वा ।। पणिहाण-पदं १२५ कतिविहे ण भते । पणिहाणे पण्णत्ते ? गोयमा । तिविहे पणिहाणे पण्णत्ते, तं जहा–मणपणिहाणे, वइपणिहाणे, कायपणिहाणे ॥ १२६ नेरइयाण भते । कतिविहे पणिहाणे पण्णत्ते ? एव चेव। एव जाव थणियकुमाराण ॥ १२७. पुढविकाइयाण-पुच्छा। १. भ०११४२१। २. मीसे (ब)। Page #835 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ७७४ गोयमा । एगे कायपणिहाणे पण्णत्ते । एव जाव वणस्सइकाइयाण ।। १२८. बेइदियाण-पुच्छा। गोयमा | दुविहे पणिहाणे, पण्णते त जहा- वइपणिहाणे य, कायपणिहाणे य। एव जाव चउरिदियाण । सेसाण तिविहे वि जाव वेमाणियाणं ॥ १२६. कतिविहे ण भते | दुप्पणिहाणे पण्णत्ते ? । गोयमा । तिविहे दुप्पणिहाणे पण्णत्ते, त जहा-मणदुप्पणिहाणे, जहेव पणिहा णेण दडगो भणियो तहेव दुप्पणिहाणेण वि भाणियव्वो ।। १३० कतिविहे ण भते | सुप्पणिहाणे पण्णत्ते ? गोयमा ! तिविहे सुप्पणिहाणे पण्णत्ते, त जहा-मणसुप्पणिहाणे, वइसुप्प णिहाणे, कायसुप्पणिहाणे ॥ १३१. मणुस्साण भते । कतिविहे सुप्पणिहाणे पण्णत्ते ? एव चेव ।। १३२ सेव भते । सेव भते ! त्ति जाव' विहरइ ।। १३३. तए ण समणे भगव महावीरे' °अण्णया कयाइ रायगिहाओ नगरानो गुणसि__ लामो चेइयानो पडिनिवखमति, पडिनिक्खमित्ता° बहिया जणवयविहार विहरइ॥ कालोदाइ-पभितीणं पचस्थिकाए सदेह-पदं १३४. तेण कालेण तेण समएण रायगिहे नाम नगरे । गुणसिलए चेइए-वण्णो जाव पुढविसिलापट्टयो। तस्स ण गुणसिलस्स चेइयस्स अदूरसामते वहवे अण्णउत्थिया परिवसति, त जहा-कालोदाई, सेलोदाई, सेवालोदाई, उदए, नामुदए, नम्मुदए, अण्णवालए, सेलवालए, सखवालए, सुहत्थी गाहावई ।। १३५. तए ण तेसि अण्णउत्थियाण अण्णया कयाइ एगयो सहियाण समुवागयाण सण्णिविट्ठाण सण्णिसण्णाण अयमेयारूवे मिहोकहासमुल्लावे समुप्पज्जित्थाएव खलु समणे नायपुत्ते पच अत्थिकाए पण्णवेति, त जहा-धम्मत्थिकाय जाव पोग्गलत्थिकाय। तत्थ ण समणे नायपुत्ते चत्तारि अत्थिकाए अजीवकाए पण्णवेति, त जहाधम्मत्थिकाय, अधम्मत्थिकायं, अागासत्थिकाय, पोग्गलत्थिकाय । एग च ण समणे नायपुत्ते जीवत्थिकाय अरूविकाय जीवकाय पण्णवेति । तत्थ ण समणे नायपुत्ते चत्तारि अस्थिकाए अरूविकाए पण्णवेति, त जहाधम्मत्थिकाय, अधम्मत्थिकाय, अागासत्थिकाय, जीवत्थिकायं। एग च ण १. भ० ११५१ । २. सं० पा०-महावीरे जाव वहिया । ३ स० पा० - एव जहा सत्तमसए अण्णउत्थिय उद्देसए जाव से। Page #836 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ठारसम सत (सत्तमो उद्देसो) ७७५ समणे नायपुत्ते पोग्गलत्थिकाय रूविकाय अजीवकाय पण्णवेति । ° से कहमेय मन्ने एव ? १३६ तत्थ ण रायगिहे नगरे मदुए नाम समणोवासए परिवसति-अड्ढे जाव बहुजणस्स अपरिभूए, अभिगयजीवाजीवे जाव' विहरइ ।। १३७ तए ण समणे भगव महावीरे अण्णया कदायि पुव्वाणुपुन्वि चरमाणे गामाणु - गाम दूइज्जमाणे सुहसुहेण विहरमाणे जेणेव रायगिहे नगरे जेणेव गुणसिलए चेइए तेणेव ° समोसढे परिसा जाव' पज्जुवासति ।। १३८ तए ण मद्दुए समणोवासए इमीसे कहाए लद्धढे समाणे हट्टतुट्ठ चित्तमाणदिए णदिए पीईमणे परमसोमणस्सिए हरिसवसविसप्पमाण°हियए हाए जाव' अप्पमहग्घाभरणालकियसरीरे सयाओ गिहारो पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता पादविहारचारेण रायगिह नगर मज्झमझेण' निग्गच्छति, निग्गच्छित्ता तेसि अण्णउत्थियाणं अदूरसामतेण वीईवयड ।। १३६. तए ण ते अण्णउत्थिया मदुय समणोवासय अदूरसामतेण वीईवयमाण पासति, पासित्ता अण्णमण्ण सद्दावेति, सद्दावेत्ता एव वयासी-एव खलु देवाणुप्पिया | अम्ह इमा कहा अविपकडा', इम च ण मदुए समणोवासए अम्ह अदूरसामतेण वीईवयइ, त सेय खलु देवाणुप्पिया । अम्ह मदुय समणोवासय एयमट्ठ पुच्छित्तए त्ति कटु अण्णमण्णस्स अतिय एयमद्वं पडिसुणेति, पडिसुणेत्ता जेणेव मढुए समणोवासए तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता मदुय समणोवासय एव वदासी-एव खलु मदुया | तव धम्मायरिए धम्मोवदेसए समणे नायपुत्ते पच अत्थिकाए पण्णवेइ, "तं जहाधम्मत्थिकायं जाव पोग्गलत्थिकाय । त चेव जाव' रूविकाय अजीवकाय पण्णवेइ । ° से कहमेय मया । एव ? मदुय-समणोवासएण समाहाण-पद १४० तए ण से मदुए समणोवासए ते अण्णउत्थिए एव वयासी-जति कज्ज कज्जति जाणामो-पासामो, अहे कज्ज न कज्जति न जाणामो न पासामो॥ १४१ तए ण ते अण्णउत्थिया मदुय समणोवासय एव वयासी-केस ण तुम मद्या! समणोवासगाण भवसि, जे ण तुम एयमट्ठ न जाणसि न पाससि ? ७ अविउप्पक़डा (क, व, म, स), अविदुप्पडा __ (ता) । १. भ० २।९४ । २. सं० पा०-चरमाणे जाव समोसढे । ३. ओ० सू० २२-५२ ।। ४. स० पा०-हट्टतुटु जाव हियए। ५. भ० २।६७ । ६. जाव (म, क, ख, ता, व, म, स)। ८. स० पा०-जहा सत्तमे सए अण्णउत्थि___ उद्देसए जाव से। ९. भ० ७।२१३ । Page #837 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७७६ भगवई १४२ तए ण से मढुए समणोवासए ते अण्णउत्यिाए एव वयासी-- अत्थि ण पाउसो । वाउयाए वाति ? हंता अत्थि। तुम्भे ण आउसो | वाउयायस्स वायमाणस्स रूव पासह ? नो इणढे सम?। अस्थि ण पाउसो । घाणसहगया पोग्गला? हता अस्थि। तुम्भे ण आउसो | घाणसहगयाण पोग्गलाण रूवं पासह ? नो इणढे समढे। अस्थि णं ग्राउसो ! अरणिसहगए अगणिकाए ? हता अत्थि । तुम्भे ण आउसो | अरणिसहगयस्स अगणिकायस्स स्वं पासह ? नो इणट्टे समटे । अत्थि ण पाउसो । समुहस्स पारगयाइ रुवाई? हता अस्थि । तुम्भे णं आउसो । समुदस्स पारगयाइं रूबाइ पासह ? नो इणढे समढे। अस्थि ण पाउसो | देवलोगगयाइ रुवाइ ? हंता अस्थि । तुन्भे ण आउसो | देवलोगगयाइ रुवाइ पासह ? नो इण? समढ़े। एवामेव पाउसो! अह वा तुम्भे वा अण्णो वा छ उमत्थो जइ जो जं न जाणइ न पासइ त सव्व न भवति, एवं भे सुबहुए लोए न भविस्सती ति कटु ते अण्णउत्थिए एवं पडिभणइ', पडिभणित्ता जेणेव गुणसिलए चेइए, जेणेव समणे भगव महावीरे, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समण भगव महावीर पचविहेण अभिगमेण जाव' पज्जुवासति ॥ भगवया मयस्स पसंसा-पदं । १४३ मदुयादी । समणे भगव महावीरे मदुय समणोवासग एव वयासी-सुटठ्ठ णं मया । तुम ते अण्णउत्थिए एवं वयासी, साहु णं मद्रुया ! तुम ते अण्णउत्थिए एव वयासी, जे ण मद्या | अट्ठ वा हेउ वा पसिण वा वागरण वा अण्णाय अदिटु अस्सुत अमुय अविण्णाय बहुजणमझे आघवेति पण्णवेति' •परूवेति १. पडिहणति (अ, ख, म, स)। ३ सं० पा०-पण्णवेति जाव उवदंसेति । २. भ० २।६७। Page #838 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७७७ अट्ठारसम सत (सत्तमो उद्देसो) दसेति निदसेति° उवदसेति, से ण अरहताण प्रासादणाए' वट्टति, अरहतपण्णत्तस्स धम्मस्स आसादणाए वट्टति, केवलीण प्रासादगाए वट्टति, केवलिपण्णत्तस्स धम्मस्स आसादणाए वट्टति, त सुठ्ठ ण तुम मदुया | ते अण्णउत्थिए एव वयासी, सोहु णं तुम मद्रुया' | 'ते अण्णउत्थिए ° एव वयासी॥ १४४ तए ण मद्दुए समणोवासए समणेण भगवया महावीरेण एव वुत्ते समाणे हद्वतुढे समणं भगव महावीर वदति नमसति, वदित्ता नमसित्ता णच्चासण्णे °णातिदूरे सुस्सूसमाणे णमसमाणे अभिमुहे विणएण पजलियडे पज्जुवासइ ॥ १४५ तए ण समणे भगव महावीरे मदुयस्स समणोवासगस्स तीसे य महतिमहालियाए परिसाए धम्म परिकहेइ जाव परिसा पडिगया ॥ १४६. तए ण मद्दुए समणोवासए समणस्स भगवओ महावीरस्स" 'अतिए धम्म सोच्चा• निसम्म हट्टतुटे पसिणाइ पुच्छति, पुच्छित्ता अट्ठाइ परियादियति, परियादिइत्ता उढाए उट्टेड, उद्वेत्ता समण भगव महावीर वदइ नमसइ, वदित्ता' 'नमसित्ता जामेव दिस पाउन्भूए तामेव दिस° पडिगए। १४७ भतेति | भगव गोयमे समणे भगव महावीर वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता एव वयासी-पभू ण भते । मदुए समणोवासए देवाणुप्पियाण अतिय" 'मुडे भवित्ता अगाराग्रो अणगारिय ° पव्वइत्तए ? नो इणढे समढे । एव जहेव सखे तहेव अरुणाभे जाव अत काहिति ॥ विकुव्वणाए एगजीव-संबध-पद १४८ देवे ण भते | महिड्ढिए जाव' महेसक्खे रूवसहस्स विउव्वित्ता पभू अण्णमण्णेण सद्धि सगाम सगामित्तए? हता पभू । तानो ण भते ! वोदीयो कि एगजीवफुडायो ? अणेगजीवफुडायो ? गोयमा ? एगजीवफुडायो, नो अणेगजीवफुडाओ। 'ते ण भते । तासिं० बोदीण अतरा कि एगजीवफुडा? अणेगजीवफुडा ? गोयमा | एगजीवफुडा, नो अणेगजीवफुडा ॥ १ आसायणाए (ख), आसातणाए (ता)। २ स० पा०-मदुया जाव एव । ३. स० पा०-णच्चासण्णे जाव पज्जुवासइ। ४. ओ० सू० ७१-७६ । ५. स० पा०-महावीरस्स जाव निसम्म । ६. स० पा०-वदित्ता जाव पडिगए। ७. स० पा०-अतिय जाव पव्वइत्तए। ८ भ० १२।२७,२८ । ६ भ० ११३३६ । १०. ते ण भते । तेसिं (अ, क, ख, ता, ब); __ तेसि ण भते (म, स)। Page #839 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई १४६ पुरिसे ण भते । प्रतरे हत्थेण वा पादेण वा ग्रगुलियाए वा सलागाए वा कट्ठेण वा किलिचेण वा ग्रामसमाणे वा समुसमाणे वा ग्रालिहमाणे वा विलिहमाणे वा, ग्रण्णयरेण वा तिक्खेण सत्थजाएण आछिदमाणे वा विछिदमाणे वा, अगणिकाएण वा समोडहमाणे तेसि जीवपएसाण किंचि ग्रावाह वा विबाहं वा उप्पाएइ ? छविच्छेद वा करेइ ? नो इणट्टे समट्टे ° । नो खलु तत्थ सत्यं कमति ॥ ७७८ देवासुर सगाम-पद 1 १५० अत्थि ण भंते । देवासुराणं सगामे, देवासुराण सगामे ? हा अस्थि || १५१ देवासुरेसु ण भते ! सगामेसु वट्टमाणेसु किण्ण तेसि देवाण पहरणरयणत्ताए परिणमति ? गोयमा ! जण्ण ते देवा तण वा कट्टु वा पत्त वा सक्कर वा परामुसति' तण्णं तेसि देवाण पहरणरयणत्ताए परिणमति 1 जहेव देवाण तहेव असुरकुमाराण ? नो इणट्टे समट्टे । असुरकुमाराणं निच्चं विउब्विया पहरणरयणा पण्णत्ता ॥ देवस्स दीवस मुद्द-प्रणुपरियट्टण-पदं १५२ देवे णं भते । महिड्दिए जाव महेसक्खे पभू लवणसमुद्दं प्रणुपरियट्टित्ताणं हव्व मागच्छित्तए हंता पभू ॥ ? १५३. देवे ण भते । महिड्दिए "जाव महेसक्खे पभू धायइसंड दीव प्रणुपरियट्टित्ता ण हव्वमागच्छित्तए ? ० हता पभू । एव जाव' रुयगवर दीव प्रणुपरियट्टित्ता ण हव्वमागच्छित्तए ? • हता पभू । तेण पर वीईवएज्जा, नो चेव ण प्रणुपरियट्टेज्जा ॥ देवाणं कम्मक्खवण-काल-पद १५४ प्रत्थि ण भंते । देवा जे प्रणते कम्मसे जहण्णेणं एक्केण वा दोहिं वा तीहि वा, उक्कोसेणं पंचहिं वाससएहि खवयति ? हंता प्रत्थि ॥ १. स० पा० - एव जहा अट्टमसए ततिए उद्दे- ३. तए जाव नो । २. परामसति (ख, ता, व ) | स० पा० एव धायइसड दीव जाव हंता । ४. जी० ३ । ५. स० पा०-- दीव जाव हंता । Page #840 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ठारसम सतं (सत्तमो उद्देसो) ७७६ १५५ प्रत्थि णं भते । देवा जे अणते कम्मसे जहण्णेण एक्केण वा दोहिं वा तीहिं वा, उक्कोसेण पचहि वासस हस्सेहि खवयति ? हंता ग्रत्थि ॥ १५६ अत्थि ण भते । देवा जे अणते कम्मसे जहण्णेण एक्केण वा दोहि वा तीहि वा, उक्कोसेणं पर्चाह वाससयसहस्से हि खवयति ? हंता थि || १५७. कयरे ण भते । ते देवा जे प्रणते कम्मसे जहणेण एक्केण वा जाव पचहि वाससहि खवयति ? कयरे ण भते ! ते देवा जाव पचहि वाससहस्से हिं खवयति ? कयरे ण भते ! ते देवा जाव पचहि वाससयसहस्सेहि खवयति ? गोयमा ! वाणमतरा देवा श्रणते कम्मसे एगेण वाससएण खवयति । असुरिदवज्जिया भवणवासी देवा अणते कम्मसे दोहि वाससएहिं खवयति । असुरकुमारा देवा ग्रणते कम्मसे तीहि वाससहि खवयति । गह- नक्खत्त-तारारूवा जोइसिया देवा ग्रणते कम्मसे चउहि वाससहि' खवयति । चदिम-सूरिया जो सदा जोतिस रायाणो णते कम्मसे पर्चाहिं वाससहि खवयति । सोहम्मीसाणगा देवा अणते कम्मसे एगेण वाससहस्सेण खवयति । सणकुमारमाहिदगा देवा अणते कम्मसे दोहिं वाससहस्सेहि खवयति । एव एएण अभिलावेण वभलोग-लतगा देवा प्रणते कम्मसे तीहिं वाससहस्सेहि खवयति । महासुक्क-सहस्सारगा देवा ग्रणते कम्मसे चउहि वाससहस्सेहि खवयति । ग्राणय-पाणय-ग्रारण-श्रच्चुयगा देवा ग्रणते कम्मसे पचहि वाससहस्से हिं खवयति । हिट्ठिमगेवेज्जगा देवा ग्रणते कम्मसे एगेण वाससयसहस्सेण खवयति । मज्झिमगेवेज्जगा देवा अणते कम्मसे दोहि वाससयसहस्सेहिं खवयति । उवरिमगेवेज्जगा देवा ग्रणते कम्मसे तिहि वाससयसहस्सेहि खवयति । विजय- वेजयतजयत - पराजियगा देवा अणते कम्मसे चउहि वाससयसहस्सेहि खवयति । सवसिद्धगा देवा अणते कम्मसे पचहिं वाससयसहस्सेहि खवयति । एए गोमा । ते देवा जे प्रणते कम्मसे जहण्णेणं एक्केण वा दोहि वा तीहि वा, उक्कोसेण पर्चाहि वाससहि खवयति । एए ण गोयमा ! ते देवा जव पर्चाहिं वासससहस्सेहिं खवयति । एए ण गोयमा ! ते देवा जाव पचह वाससयस हस्से हि खवयति ॥ १५८ सेव भते ! सेव भते ! ति ॥ १. जाव ( अ, क, ख, ता, व, म, स ) । Page #841 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७८० भगवई अट्ठमो उद्देसो ईरिय पडुच्च गोयमस्स संवाद-पदं १५६. रायगिहे जाव एव वयासी अणगारस्स ण भते ! भावियप्पणो पुरनो दुहनो जुगमायाए पेहाए रीयं रीयमाणस्स पायस्स' अहे कुक्कुडपोते वा वट्टापोते वा लिगच्छाए' वा परियावज्जेज्जा, तस्स णं भंते ! कि इरियावहिया किरिया कज्जइ ? सपराइया किरिया कज्जइ ? गोयमा | अणगारस्स ण भावियप्पणो' 'पुरओ दुहरो जुगमायाए पेहाए रीयं रीयमाणस्स पायस्स अहे कुक्कुडपोते वा वट्टपोते वा कुलिंगच्छाए वा परियावज्जेज्जा, तस्स णं इरियावहिया किरिया कज्जइ, नो सपराइया किरिया कज्जइ॥ १६०. से केण?ण भते ! एव वुच्चइ० ? "गोयमा ! जस्स ण कोह-माण-माया-लोभा वोच्छिण्णा भवति तस्स णं रियावहिया किरिया कज्जइ, जस्स णं कोहमाण-माया लोभा अवोच्छिण्णा भवति तस्स ण संपराइया किरिया कज्जइ। अहासुत्त रीयमाणस्प रियावहिया किरिया कज्जइ, उस्सुत्त रीयमाणस्स सपराइया किरिया कज्जइ। से ण अहासुत्त रीयती । से तेणद्वेण ° ॥ १६१ सेवं भंते ! सेव भंते ! जाव' विहरइ । १६२. तए णं समणे भगव महावीरे' 'अण्णया कयाइ रायगिहाम्रो नगरानो गुणसि लामो चेइयानो पडिनिक्खमति, पडिनिक्खमित्ता बहिया जणवयविहारं० विहरइ ।। अण्णउत्थियाणं प्रारोव-पदं १६३. तेण कालेण तेण समएण रायगिहे नामं नगरे। गुणसिलए चेइए–वण्णो जाव पुढविसिलापट्टो। तस्स णं गुणसिलस्स चेइयस्स अदूरसामंते बहवे अण्णउत्थिया परिवसति । तए णं समणे भगवं महावीरे जाव' समोसढे जाव' परिसा पडिगया ॥ १६४. तेणं कालेण तेण समएण समणस्स भगवो महावीरस्स जेट्टे अतेवासी इंदभूती १ पातस्स (ता)। २. छाते (ख, व, म, स)। ३. सं० पा०-भावियप्पणो जाव तस्स ! ४, स० पा०-जहा सत्तमसए सवुडुद्देसए जाव अट्ठो निक्खित्तो। ५. भ० ११५१ । ६. स० पा०-महावीरे बहिया जाव विहरा ७. भ० ८।२७१ । Page #842 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ठारसम सत (अट्टमो उद्देसो) ७८१ नामं अणगारे जाव' उड्ढ जाणू' ग्रहोसिरे भाणकोट्ठोवगए सजमेण तवसा प्पाण भावेमाणे विहरइ ॥ १६५. तए णं ते ग्रण्णउत्थिया जेणेव भगव गोयमे तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता भगव गोयम एव वयासी - तुब्भेण प्रज्जो । तिविह तिविहेण अस्सजय'• विरय-पडिय - पच्चक्खायपावकम्मा, सकिरिया, असवुडा, एगतदडा, एगतवाला यावि भवह* ? १६६ तए ण भगव गोयमे ते अण्णउत्थिए एव वयासी - केण कारणेण अज्जो | हे तिविह तिविण अस्सजय जाव एगतवाला यावि भवामो ? १६७. तए ण ते अण्णउत्थिया भगव गोयम एव वयासी - तुब्भे ण प्रज्जो । रीय रीयमाणा पाणे पेच्चेह, अभिहणह जाव' उद्दवेह, तए ण तुब्भे पाणे पेच्चमाणा जाव उद्दवेमाणा' तिविह तिविहेण जाव एगतबाला यावि भवह || १६८ तए ण भगव गोयमे ते अण्णउत्थिए एव वयासी - नो खलु अज्जो | म्हे रीय रीयमाणा पाणे पेच्चेमो जाव उद्दवेमो, ग्रम्हे ण अज्जो । रीय रीयमाणा काय च जोय च रीय च पडुच्च दिस्सा - दिस्सा पदिस्सा' - पदिस्सा वयामो, तर ण अम्हे दिस्सा - दिस्सा वयमाणा पदिस्सा - पदिस्सा वयमाणा नो पाणे पेच्चेमो जाव नो उद्दवेमो, तए ण अम्हे पाणे अपेच्चमाणा जाव प्रणोद्दवेमाणा तिविह तिविण जाव एगतपडिया यावि भवामो । तुब्भेण अज्जो । अप्पणा चेव तिविह तिविण जाव एगतबाला यावि भवह || १६६. तए ण ते अण्णउत्थिया भगव गोयम एव वयासी - केण कारणेण प्रज्जो I हे तिविहतिविण जाव एगतवाला यावि भवामो ? १७० तए ण भगव गोयमे ते अण्णउत्थिए एव वयासी - तुब्भे ण प्रज्जो । रीय रीयमाणा पाणे पेच्चेह जाव उद्दवेह, तए ण तुब्भे पाणे पेच्चेमाणा जाव उद्दवेमाणा तिविह तिविहेण जाव एगतबाला यावि भवह ॥ १७१. तए ण भगव गोयमे ते अण्णउत्थिए एव पडिभणइ ", पडिभणित्ता जेणेव समणे भगव महावीरे, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समण भगव महावीर वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता णच्चासण्णे णातिदूरे जाव" पज्जुवासति ॥ १ भ० १६ । २. स० पा० ३ स० पा० उड्ढजाणू जाव विहरइ । अस्सजय जाव एगत | ४ तुलना - भ० ८।२८५-२६० । ५ भ० ८२८७ । ६ उवद्द्वेह (ख) | ७. उवद्दवेमाणा ( ख ) । ८. दिस्स (अ, ता, व, म) 1 ९ १० पदिस्स (श्र, ख, ता, व, म) । पsिहणइ ( अ, क, ख, व, म, स) । ११. भ० १1१० । Page #843 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७८२ भगवई १७२ गोयमादी । समणे भगव महावीरे भगव गोयम एव वयासी-सुठ्ठ णं तुम गोयमा ! ते अण्णउत्थिए एवं वदासी, साहु ण तुम गोयमा । ते अण्णउत्थिए एव वदासी । अत्थि ण गोयमा । मम वहवे अतेवासी समणा निग्गंथा छउमत्था, जे ण नो पभ एय वागरण वागरेत्तए, जहा ण तुम । त सुटठ णं तुम गोयमा । ते अण्णउत्थिए एव वयासी, साहु णं तुमं गोयमा ! ते अण्ण उत्थिए एव वयासी ॥ १७३ तए ण भगव गोयमे समणेण भगवया महावीरेण एव वुत्ते समाणे हटुतुट्टे समणं भगव महावीर वदइ नमसड, वदित्ता नमसित्ता एव वयासीपरमाणुपोग्गलादीणं जाणणा-पासणा-पदं १७४ छउमत्थे ण भते । मणुस्से' परमाणुपोग्गल कि जाणति-पासति ? उदाहु न जाणति न पासति ? गोयमा । अत्थेगतिए जाणति न पासति, अत्येगतिए न जाणति न पासति ।। १७५ छउमत्ये णं भते ! मणुस्से दुपएसिय खध कि जाणति-पासति ? ''उदाहु न जाणति न पासति ? गोयमा । अत्थेगतिए जाणति न पासति, अत्थेगतिए न जाणति न पासति । ' एव जाव असखेज्जपएसिय ।। १७६. छउमत्थे ण भते । मणुस्से अणतपएसिय खधं कि जाणति-पासति ? उदाहु न जाणति न पासति ? . गोयमा ! अत्थेगतिए जाणति-पासति, अत्थेगतिए जाणति न पासति, अत्थे गतिए न जाणति पासति, अत्थेगतिए न जाणति न पासति ॥ १७७. आहोहिए ण भते । मणुस्से परमाणुपोग्गल कि जाणति-पासति ? उदाहु न जाणति न पासति ? जहा छउमत्ये एव आहोहिए वि जाव अणंतपएसिय ।। १७८. परमाहोहिए ण भते । मणुस्से परमाणुपोग्गल ज समयं जाणति तं समयं पासति ? ज समय पासति त समय जाणति ? नो इणढे समढे॥ १७६. से केण?ण भते । एव वुच्चइ-परमाहोहिए णं मणुस्से परमाणुपोग्गल ज समय जाणति नो त समय पासति ? जं समयं पासति नो त समयं जाणति ? गोयमा ! सागारे से नाणे भवइ, अणागारे से दसणे भवइ। से तेणतुण' *गोयमा । एवं त्रुच्चइ-परमाहोहिए ण मणुस्से परमाणुपोग्गल ज समय १. मणूमे (अ, क, ता, व, म) ४. अहोहिए (ख, स)। २. स० पा०---एव चेव । ५ स० पा०-तेण?ण जाव नो। ३. स० पा०-पुच्छा। Page #844 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७८३ जाति न त समय पासति, ज समय पासति नो त समय जाणति । एव जाव णतपदेसि ॥ अट्ठारसम सतं (नवमो उद्देसो) १८० केवली ण भते । मणुस्से परमाणुपोग्गल "ज समय जाणति त समय पासति ? ज समय पासति त समय जाणति ? नो इट्टे समट्ठे ॥ १८१ सेकेणट्टेण भते । एव वच्चइ - केवली ण मणुस्से परमाणुपोग्गल ज समय जाति न त समय पासति ? ज समय पासति नो त समय जाणति ? गोयमा । सागारे से नाणे भवइ, अणागारे से दसणे भवइ । से तेणट्टेण गोयमा । एव वुच्चइ – केवली ण मणुस्से परमाणुपोग्गल ज समय जागति नो त समय पासति, ज समय पासति नो त समय जाणति । एव० जाव तपसि || १८२ सेव भते । सेव भते । त्ति ॥ नवमो उद्देसो भवियदव्व-पद १८३. रायगिहे जाव एव वयासी-ग्रत्थि ण भते । भवियदव्वने रइया- भवियदव्वनेरइया ? हंता प्रत्थि ॥ १८४ सेकेणट्टेण भते । एव वच्चइ - भवियदव्वने रइया- भवियदव्वने रइया ? गोयमा ! जे भविए पचिदिए तिरिक्खजोणिए वा मणुस्से वा नेरइएसु उववज्जित्तए । से तेणट्टेण । एव जाव थणियकुमाराण || १८५ प्रत्थि ण भते । भवियदव्व पुढविकाइया- भवियदव्वपुढविकाइया ? हता थि || १८६ सेकेणट्टेण ? गोयमा । जे भविए तिरिक्खजोणिए वा मणुस्से वा देवे वा पुढविकाइएस् उववज्जित्तए । से तेणट्टेण । ग्राउक्काइय-वणस्सइकाइयाण एवं चेव । तेउ-वाउवेइदिय-तेइदिय-चउरिदियाण य जे भविए तिरिक्खजोणिए वा मणुस्से वा २. स० पा० - जहा परमाहोहिए तहा केवली विजाव । Page #845 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई नेउ-बाउ-बैडदिय-नेइंदिय-चरिदिएन उववज्जित्तए। पंचिदियतिरिक्खजोणियाणं जे भविए ने रडए वा तिरिक्खजोणिए वा मणुस्से वा देवे वा पचिदिनिखिवजाणिए वा पंचिदियतिरिक्खजोणिएसु उववज्जित्तए । एवं मणु स्मा वि ! वाणमतर-जोइसिय-बेमाणिया ण जहा नेरइया ।। १८७ नवियदचनेरक्यस्म ण भते ! केवतियं काल ठिती पण्णत्ता ? गोगमा ! जहणेण तोमुहत्त, उनकोसेण पुबकोडी ।। १८८ विश्वव्यानरकमारस्म ण भते । केवतिय काल ठिती पण्णत्ता ? गोयमा जहगेण अतोमुहुत्तं, उक्कोसेण तिण्णि पलिअोवमाइ । एवं जाव थपियामारस्म ॥ १८६. भवियदयपुटविकाइयग ण-पुच्छा । गोयमा । जहाणेण तोमुहुन्नं, उक्कोसेण सातिरेगाइ दो सागरोवमाइं । एव यातायन वि । तेउ-बाउकाडयन वि जहा नेरइयस्स । वणस्सइकाइयस्स जहा पुचिकारयन । वेदिवस्त तेइंदिवस्स चारिदियम्स जहा नेरइयस्स । पचिदितिचिनजोणिस्न जहण्गेण अतोमुहत्त, उक्कोसेण तेत्तीस सागरोबमारा एवं मणुनमन्स वि । वाणमतर-जोइसिय-बेमाणियस्स जहा असुर मनामन।। १६०, गंमत! नव भते ! ति ।। दसमो उद्देसो मापियानो निधारादि-गोगाणादि-पदं स, पाप तर नानि-नगारे ग मत ! गावियप्पा अनिधार या गारेमा 7 भिमादा? '* Triuम मम वौवाजा? Page #846 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७८५ १६४. अणगार अट्ठारसम सत (दममो उद्देसो) । गोयमा | नो इणढे समढे । नो खलु तत्थ सत्यं कमइ । १९३ अणगारे ण भते । भावियप्पा पुक्खलसवट्टगस्स महामेहस्स मज्झमज्झणं वीइवएज्जा? हता वीइवएज्जा। से ण भते । तत्थ उल्ले सिया ? गोयमा | नो इणढे समढे । नो खलु तत्थ सत्थ कमइ ॥ अणगारे ण भते । भावियप्पा गगाए महाणदीए पडिसोयं हव्वमागच्छेज्जा ? हता हव्वमागच्छेज्जा। से ण भते । तत्थ विणिहायमावज्जेज्जा ? गोयमा । नो इणढे समढे । नो खलु तत्थ सत्थ कमइ ।। १६५ अणगारे ण भते । भावियप्पा उदगावत्त वा उदगबिंदु वा ओगाहेज्जा ? हंता ओगाहेज्जा। से ण भते । तत्थ परियावज्जेज्जा? गोयमा | नो इणटे सम? । नो खलु तत्थ सत्थ कमइ ।। परमाणुपोग्गलादीण वाउकाय-फास-पदं १९६ परमाणुपोग्गले ण भते । वाउयाएण फुडे ? वाउयाए वा परमाणुपोग्गलेण फुडे ? गोयमा | परमाणुपोग्गले वाउयाएण फुडे, नो वाउयाए परमाणुपोग्गलेण फडे । १६७ दुप्पएसिए ण भते । खधे वाउयाएण फुडे ? वाउयाए वा दुप्पएसिएण खंधेण फुडे ? एव चेव । एव जाव असखेज्जपएसिए ॥ १९८ अणतपएसिए णं भते । खधे वाउयाएण फुडे-पुच्छा। गोयमा । अणतपएसिए खधे वाउयाएण फुडे, वाउयाए अणतपएसिएणं खधेण सिय फुडे, सिय नो फुडे ॥ १६६ वत्थी भते । वाउयाएण फुडे ? वाउयाए वा वत्थिणा फुडे ? गोयमा । वत्थी वाउयाएण फुडे, नो वाउयाए वत्थिणा फुडे । दव्वाण वण्णादि-पदं २०० अत्थि ण भते । इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए अहे दव्वाइ वण्णो 'काल-नील". लोहिय-हालिद्द-सुक्किलाइ, गधो सुब्भिगधाइ, दुन्भिगधाइं, रसो तित्तकडुय-कसाय-अबिल-महुराइ, फासो कक्खड-मउय-गरुय-लहुय-सीय-उसिण १ काला नीला (अ, क, ख, ता, म)। Page #847 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७८६ भगवई ठ निद्ध-लुक्खाइ, अण्णमण्णबद्धाइ, अण्णमण्णपुट्ठाइ, 'अण्णमण्णवद्धपुटाइ", - अण्णमण्णघडत्ताए चिट्ठति ? हता अत्थि । एवं जाव अहेसत्तमाए । २०१ अत्थि ण भते । सोहम्मस्स कप्पस्स अहेदव्वाइं ? एव चेव । एवं जाव ईसिपब्भाराए पुढवीए॥ २०२. सेव भते । सेव भते ! जाव विहरइ॥ २०३. तए ण समणे भगव महावीरे 'अण्णया कयाइ रायगिहायो नगरायो गुणसि लाओ चेइयाओ पडिनिक्खमइ, पडिनिक्ख मित्ता° वहिया जणवयविहार विहरइ ॥ सोमिलमाहण-पदं २०४ तेण कालेण तेणं समएणं वाणियगामे नाम नगरे होत्था-वण्णयो। दूतिपलासए चेइए–वण्णो । तत्थ णं वाणियगामे नगरे सोमिले नाम माहणे परिवसति अडढे जाव वहजणस्स अपरिभूए, रिव्वेद जाव' सुपरिनिदिए, पचण्ह खडियसयाण, 'सयस्स य', कुडुवस्स आहेवच्च •पोरेवच्च 'सामित्त भट्टित्तं आणा-ईसर-सेणावच्च कारेमाणे पालेमाणे° विहरइ । तए ण समणे भगव महावीरे जाव समोसढे जाव परिसा पज्जुवासति ॥ २०५. तए ण तस्स सोमिलस्स माहणस्स इमीसे कहाए लट्ठस्स समाणस्स अयमेयारूवे" 'अज्झथिए चितिए पत्थिए मणोगए सकप्पे० समुप्पज्जित्था-एवं खलु समणे नायपुत्ते पुव्वाणुपुवि चरमाणे गामाणुगाम दूइज्जमाणे सुहसुहेणं विहरमाणे" इहमागए१२ •इहसपत्ते इहसमोसढे इहेव वाणियगामे नगरे दूतिपलासए चेइए अहापडिरूव" प्रोग्गह अोगिण्हित्ता सजमेणं तवसा अप्पाण भावेमाणे विहरइ । त गच्छामि णं समणस्स नायपुत्तस्स अतिय पाउब्भवामि, इमाइ च ण एयारूवाइं अट्ठाइ" "हेऊइ पसिणाइ कारणाइ° वागरणाइ पुच्छिस्सामि, तं जइ मे से इमाइ एयारूवाइ अट्ठाइ जाव' वागरणाइ वागरेहिति ततो णं वदीहामि नमसीहामि जाव पज्जुवासीहामि, अह मे से इमाइ अट्ठाइ जाव १. जाव (अ, क, ख, ता, व, म, स)। २ भ० ११५१ । ३ स० पा०—-महावीरे जाव बहिया। ४. भ० २।६४। ५ रुब्वेद (अ, म), रिउव्वेद (क, स)। ६. भ० २।२४ । ७. सायस्स (अ, क, ख, ता, म) । ८ स० पा०-आहेवच्च जाव विहरइ । ६ भ० १८११३७ । । - १०. स० पा०-अयमेयारूवे जाव समुप्पज्जित्था। - ११. जाव (अ, क, ख, ता, व, म, स)। १२. स० पा०-इहमागए जाव दूतिपलासए । १३. स० पा०-अहापडिरूवं जाव विहरइ । १४. स० पा०-अट्ठाइ जाव वागरणाइ । Page #848 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ठारसमं सतं (दममो उद्देसो) वागरणाइ नो वागरेहिती तो ण एएहि चेव अटेहि य जाव वागरणेहि य निप्पट्टपसिणवागरण करेस्सामी ति कटु एवं सपेहेइ, सपेहेत्ता हाए जाव' अप्पमहग्घाभरणालकियसरीरे सानो गिहाम्रो पडिनिक्खमति, पडिनिक्खमित्ता पायविहारचारेण एगेण खडियसएण सद्धि सपरिवुडे वाणियगाम नगर मज्झमझेण निग्गच्छड, निग्गच्छित्ता जेणेव दूतिपलासए चेइए, जेणेव समणे भगव महावीरे तेणेव उवागच्छड, उवागच्छित्ता समणस्स भगवो महावीरस्स अदरसामते ठिच्चा समण भगव महावीर एव वयासी२०६ जत्ता' ते भते ? जवणिज्ज (ते भते ? ) ? अव्वावाह (ते भते ?) ? फासुय विहार (ते भते ?)? सोमिला । जत्ता वि मे, जवणिज्ज पि मे, अव्वावाह पि मे, फासुयविहार पि मे ॥ २०७ किं ते भते 1 जत्ता? सोमिला | ज मे तव-नियम-सजय-सज्झाय-झाणावस्सगमादीएसु जोगेसु जयणा, सेत्त जत्ता ।। २०८ किं ते भते । जवणिज्ज ? सोमिला ! जवणिज्जे' दुविहे पण्णत्ते, त जहा-इदियजवणिज्जे य, नोइंदियजवणिज्जे य॥ से कि त इदियजवणिज्जे ? इदियजवणिज्जे-ज मे सोइदिय-चक्खिदिय-घाणिदिय-जिभिदिय-फासिंदियाइ निरुवहयाइ वसे वट्टति, सेत्त इदियजवणिज्जे ॥ २१० से कि त नोइदियजवणिज्जे? नोइदियजवणिज्जे-ज मे कोह-माण-माया-लोभा वोच्छिण्णा नो उदीरेति, सेत्त नोइदियजवणिज्जे, सेत्त जवणिज्जे ॥ २११ किं ते भते । अव्वावाह ? सोमिला | ज मे वातिय-पित्तिय-सभिय-सन्निवाइया विविहा रोगायंका सरीरगया दोसा उवसता नो उदीरेति, सेत्त अव्वाबाह ।। २१२ कि ते भते । फासुयविहार ? सोमिला | जण्ण आरामेसु उज्जाणेसु देवकुलेसु सभासु पवासु इत्थी-पसुपडगविवज्जियासु वसहीसु फासु-एसणिज्ज पीढ-फलग-सेज्जा-सथारग उवसप ज्जित्ताण विहरामि, सेत्त फासुयविहार । १ भ० २।६७ । ४ माय (क, ख, ता)। २. तुलना-नायाधम्मकहाओ ११५७०-७६ । ५. सन्निवाइय (अ, ख)। ३. जमणिज्जे (अ, ख, ता, म)। २०8 Page #849 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७८८ भगवई २१४ २१३. सरिसवा' ते भते । किं भक्खेया ? अभक्खेया ? सोमिला | सरिसवा (मे ? ) भक्खेया वि अभक्खेया वि ।। से केण?ण भते ! एवं वुच्चइ-सरिसवा मे भक्खेया वि अभक्खया वि ? से नूण भे सोमिला | वभण्णएसु नएसु दुविहा सरिसवा पण्णत्ता, त जहामित्तसरिसवा य, धन्नसरिसवा य। तत्थ ण जेते मित्तसरिसवा ते तिविहा पण्णत्ता, त जहा-'सहजायया, सहवड्ढियया, सहपंसुकीलियया", ते ण समणाण निग्गथाण अभक्खेया। तत्थ ण जेते धन्नसरिसवा ते दुविहा पण्णत्ता, त जहा-सत्यपरिणया य, असत्थपरिणया य । तत्थ ण जेते असत्थपरिणया ते ण समणाण निग्गथाण अभक्खेया। तत्थ ण जेते सत्थपरिणया ते दुविहा पण्णत्ता, त जहा-एसणिज्जा य, अणेसणिज्जा य । तत्थ ण जेते अणेसणिज्जा ते समणाण निग्गथाण अभक्खया । तत्थ ण जेते एसणिज्जा ते दुविहा पण्णत्ता, त जहा–जाइया य, अजाइया य । तत्थ ण जेते अजाइया ते ण समणाण निग्गथाणं अभक्खया। तत्थ णं जेते जाइया ते दुविहा पण्णत्ता, त जहा-लद्धा य, अलद्धा य। तत्थ ण जेते अलद्धा ते ण समणाण निग्गथाण अभक्खया। तत्थ ण जेते लद्धा ते ण समणाण निग्गंथाणं भक्खेया । से तेण?णं सोमिला एवं वुच्चइ'- सरिसवा मे भक्खेया वि° अभक्खेया वि ।। २१५. मासा ते भते ! कि भक्खेया ? अभक्या ? सोमिला | मासा मे भक्खेया वि, अभक्खेया वि ।। २१६ सेकेणट्रेण भंते ! एव वुच्चइ.-मासा मे भक्खेया वि ° अभक्खेया वि ? से नूणं में सोमिला | वंभण्णएसु नएसु दुविहा मासा पण्णत्ता, तं जहादव्वमासा य, कालमासा य ।। तत्थ ण जेते कालमासा ते ण सावणादीया प्रासाढपज्जवसाणा दुवालस पण्णत्ता, त जहा-सावणे, भद्दवए, आसोए', कत्तिए, मग्गसिरे, पोसे, माहे, फग्गुणे, चेत्ते, वइसाहे, जेट्टामूले, आसाढे । ते णं समणाणं निग्गंथाण अभक्खेया । तत्थ णं जेते दव्वमासा ते दुविहा पण्णत्ता, त जहा-अत्थमासा य, धण्णमासा य। १. सरिसवया (ना० ११७३)। २. सहजायए सहवढियए सहपसुकीलियए (अ, क, ख, ता, व, म)। ३. म० पा०—वुच्चइ जाव अभक्खेया। ४. स० पा० -केण?ण जाव अभक्खेया। ५. भते (अ, ता, व, म);x (ख)। ६. अस्सोए (अ, क, ता, व, म) Page #850 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ठारसम सतं (दसमो उद्देसो) ७८९ तत्थ ण जेते अत्थमासा ते दुविहा पण्णत्ता, त जहा-सुवण्णमासा य, रुप्पमासा य । ते ण समणाण निग्गथाण अभक्खेया। तत्थ ण जेते धण्णमासा ते दुविहा पण्णत्ता, त जहा- सत्थपरिणया य, असत्य परिणया य । एव जहा धण्णसरिसवा जाव से तेणटेण जाव अभक्खेया वि ।। २१७. कुलत्था ते भते । किं भक्खेया ? अभक्खया? सोमिला | कुलत्था मे भक्खेया वि अभक्खेया वि ॥ २१८ से केणटेण जाव अभक्खेया वि ? से नूण भे सोमिला | वभण्णएसु नएसु दुविहा कुलत्था पण्णत्ता, त जहाइत्थिकुलत्था य, धण्णकुलत्था य।। तत्थ ण जेते इत्थिकुलत्था ते तिविहा पण्णत्ता, त जहा- 'कुलवधुया इवा, कुलमाउया इ वा, कुलधुया" इ वा । ते ण समणाण निग्गथाण अभक्खेया। तत्थ ण जेते धण्णकुलत्था एव जहा धण्णसरिसवा। से तेणद्वेण जाव अभक्खेया वि ।। २१६ एगे भव ? दुवे भव ? अक्खए भव ? अव्वए भव ? अवट्ठिए भव ? अणेगभूय भाव-भविए भव ? सोमिला | एगे वि अह जाव अणेगभूय-भाव-भविए वि अह ॥ २२० से केणतुण भते । एव वुच्चइ'-°एगे वि अह जाव अणेगभूय-भाव-भविए वि अह? सोमिला | दव्वट्ठयाए एगे अह, नाणदसणट्ठयाए दुविहे अह, पएसट्टयाए अक्खए वि अह, अव्वए वि अह, अवट्ठिए वि अह, उवयोगट्ठयाए अणेगभूय-भाव-भविए वि अह । से तेणतुण जाव अणेगभूय-भाव-भविए वि अह ।। २२१ ___एत्थ ण से सोमिले माहणे सवुद्धे समणं भगव महावीर वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता एव वयासी-जहा खदो जाव' से जहेय तुन्भे वदह । जहा ण देवाणुप्पियाण अतिए बहवे राईसर-तलवर-माडबिय-कोडुबिय-इन्भसेट्ठि-सेणावइ-सत्थवाहप्पभितो "मुडा भवित्ता ण अगाराओ अणगारिय पव्वयति, नो खलु अह तहा सचाएमि', अह ण देवाणुप्पियाण अतिए दुवालसविह सावगधम्म पडिवज्जिस्सामि° जाव दुवालसविह सावगधम्म पडिवज्जति, पडिवज्जित्ता समण भगव महावीर वंदति' 'नमसति, वदित्ता नमसित्ता जामेव दिस पाउन्भूए तामेव दिस° पडिगए ।। १ कुलकण्णया इ वा कुलमाउया इ वा कुल- ४ पू०-राय० सू० ६६५ । वहुया (अ, क, ता, ब, स)। ५. स० पा०–एवं जहा रायपसेणइज्जे चित्तो। २. स० पा०-बुच्चइ जाव भविए। ६. पू०-राय० सू० ६६५। ३ भ०२।५०-५२। ७. स० पा०-वदति जाव पडिगए। Page #851 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७६० भगवई २२३ २२२. तए ण से सोमिले माहणे समणोवासए जाए- अभिगयजीवाजीवे जाव' अहा परिग्गहिएहि तवोकम्मेहिं अप्पाण भावेमाणे विहरइ ।। भतेति | भगव गोयमे समणं भगव महावीर वदति नमसति, वदित्ता नमसित्ता एव वयासी–पभू ण भते । सोमिले माहणे देवाणुप्पियाण अतिए मुडे भवित्ता अगारामो अणगारिय पव्वइत्तए ? नो इणढे समढे । जहेव सखे तहेव निरवसेस जाव' सव्वदुक्खाण अत काहिति ।। २२४ सेव भते । सेव भते । त्ति जाव' विहरइ ।। ३. भ० ११५१। १. भ० २०६४। २. भ० १२।२७,२८ । Page #852 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एगूणवीसइमं सतं पढमो उद्देसो १ लेस्सा य २ गव्भ ३. पुढवी, ४. महासवा ५ चरम ६. दीव ७ भवणाय । ८. निव्वत्ति ६. करण १०. वणचरसुरा य एगुणवीस मे ॥ १ ॥ लेस्सा-पदं १ रायगिहे जाव एवं वयासी -- कति ण भते । लेस्साओ पण्णत्ता ? गोयमा । छल्ले साओ पण्णत्ताओ, त जहा - एव जहा पण्णवणाए चउत्थो लेसुद्देसओ भाणियव्वो' निरवसेसो ॥ २ सेव भते । सेव भते । त्ति ॥ बीओ उद्देसो I ३. कति ण भते । लेस्साग्र पण्णत्ताओ ? एव जहा पण्णवणाए गव्भुद्देसो सो चेव निरवसेसो भाणियत्वो' ॥ ४ सेव भते । सेव भते । त्ति ॥ 306% १. प० १७।४ । २. प० १७१६ | ७६१ Page #853 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ७४२ तइओ उद्देसो पुढविकाइय-पदं ५. 'रायगिहे जाव एव वयासी-सिय भते ! जाव' चत्तारि पच पुढविक्काइया एगयो साधारणसरीर बधति, वधित्ता तओ पच्छा ग्राहारेति वा परिणामेति वा सरीर वा वधति ? नो इणढे समढे। पुढविक्काइयाण पत्तेयाहारा पत्तेयपरिणामा पत्तय सरीर बधति, वधित्ता तो पच्छा आहारेति वा परिणामेति वा सरीर वा वचंति ।। ६ तेसि ण भते ! जीवाण कति लेस्साओ पण्णत्तायो ? गोयमा ! चत्तारि लेस्साओ पण्णत्ताओ, त जहा—कण्हलेस्सा, नीललेस्सा, काउलेस्सा, तेउलेस्सा ।।। ७. ते ण भते । जीवा किं सम्मदिट्टी ? मिच्छदिट्ठी' ? सम्मामिच्छदिट्री ? गोयमा | नो सम्मदिट्ठी, मिच्छदिट्ठी, नो सम्मामिच्छदिट्ठी ॥ ८ ते ण भते ! जीवा किं नाणी ? अण्णाणी ? गोयमा! नो नाणी, अण्णाणी, नियमा दुअण्णाणी, त जहा–मतिअण्णाणी य, सुयअण्णाणी य ॥ है. ते ण भते ! जीवा कि मणजोगी ? वइजोगी ? कायजोगी ? गोयमा ! नो मणजोगी, नो वइजोगी, कायजोगी ।। १०. ते ण भते ! जीवा कि सागारोवउत्ता ? अणागारोवउत्ता? गोयमा ! सागारोवउत्ता वि, अणागारोवउत्ता वि ॥ ११ ते ण भते । जीवा किमाहारमाहारेति ? गोयमा ! दव्वओ ण अणंतपदेसियाई दवाइं-एव जहा पण्णवणाए पढमे आहारुद्देसए जाव' सव्वप्पणयाए आहारमाहारेति ॥ १२. ते ण भते । जीवा जमाहारेति त चिज्जति, ज नो आहारेति त नो चिज्जति, चिण्णे वा से प्रोद्दाइ पलिसप्पति वा ? हता गोयमा ! ते णं जीवा जमाहारेति तं चिज्जति, ज नो आहारेति जाव पलिसप्पति वा ।। १. इह चेयं द्वारगाथा क्वचिद् दृश्यतेसिय लेसदिट्ठिणाणे, जोगुवनोगे तहा किमाहारो। पाणाइवाय उप्पायठिई, समुग्धाय उव्वट्टी (वृ)। २. यावत्करणाद् द्वौ वा त्रयो वा (वृ)। ३. मिच्छादिट्ठी (क, ख, ता, ब, म, स)। ४. प० २८।१। ५. सव्वपयाए (ब)। - Page #854 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एगूणवीसइम सत (तइओ उद्देसो) ७६३ १३. तेसि ण भते । जीवाण एव सण्णाति वा पण्णाति वा मणोति वा वईति वा अम्हे ण आहारमाहारेमो ? नो इणद्वे समढे, आहारेति पुण ते ॥ १४ तेसि ण भते । जीवाण एव सण्णाति वा पण्णाति वा मणोति वा वईति वा अम्हे ण इटाणिद्वे फासे पडिसवेदेमो ? नो इणटे समढे, पडिसवेदेति पुण ते ।। १५. ते ण भते । जीवा कि पाणाइवाए उवक्खाइज्जति, मुसावाए, अदिण्णादाणे जाव' मिच्छादसणसल्ले उवक्खाइज्जति ? गोयमा । पाणाइवाए वि उवक्खाइज्जति जाव मिच्छादसणसल्ले वि उवक्खाइज्जति । जेसि पि ण जीवाण ते जीवा एवमाहिज्जति तेसि पि ण जीवाण नो विण्णाए नाणत्ते ।। १६ ते ण भते । जीवा कमोहितो उववज्जति–कि नेरइएहितो उववज्जति० ? एव जहा वक्कतीए पुढविक्काइयाण उववाग्रो तहा भाणियन्वो' ।। तेसि ण भते | जीवाण केवतिय काल ठिती पण्णत्ता ? गोयमा | जहण्णेण अतोमुहुत्त, उक्कोसेण बावीस वाससहस्साइ ।। १८ तेसि ण भते । जीवाण कति समुग्घाया पण्णत्ता । गोयमा । तो समुग्धाया पण्णत्ता, त जहा-वेयणासमुग्घाए, कसायसमुग्घाए, मारणतियसमुग्घाए । १९. ते ण भते ! जीवा मारणतियसमुग्घाएण किं समोहया मरति ? असमोहया मरति ? गोयमा | समोहया वि मरति, असमोहया वि मरति ।। २०. ते ण भते । जीवा अणतर उव्वट्टित्ता कहिं गच्छति ? कहिं उववज्जति ? एव उव्वट्टणा जहा वक्कतीए॥ आउक्काइयादि-पदं २१ सिय भते । जाव चत्तारि पच आउक्काइया एगयो साहारणसरीर वधति, वधित्ता तो पच्छा आहारेति.? एव जो पुढविक्काइयाण गमो सो चेव भाणियव्वो जाव उव्वट्टति, नवर-ठिती सत्त वाससहस्साइ उक्कोसेण, सेस त चेव ॥ २२ सिय भते ! जाव चत्तारि पच तेउक्काइया० ? एव चेव, नवर-उववाग्रो १. स० पा०–सण्णाति या जाव वईति । २ भ० ११३८४। ३. प०६। ४. प०६। Page #855 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७६४ भगवई ठिती उन्वट्टणा य जहा' पण्णवणाए सेस त चेव । वाउकाइयाणं एव चेव, नाणत्त नवर - चत्तारि समुग्धाया । २३. सिय भते । जाव चत्तारि पच वणस्सइकाइया-पुच्छा। गोयमा | नो इणटे समद्धे । अणता वणस्सइकाइया एगयनो साहारणसरीरं बधति, वधित्ता तो पच्छा आहारेति वा परिणामेंति वा सरीर वा वंधति । सेसं जहा तेउकाइयाण जाव उव्वट्टति, नवर-आहारो नियम छद्दिसि, ठिती जहण्णण अतोमुहुत्तं, उक्कोसेण वि अतोमुहुत्त, सेस त चेव ।। थावरजीवाणं प्रोगाहणाए अप्पाबहुत्त-पद २४ एएसि ण भते | पुढविकाइयाण प्राउ-तेउ-वाउ-वणस्सइकाइयाण सुहुमाण बादराण पज्जत्तगाण अपज्जत्तगाणं जहण्णुक्कोसियाए ओगाहणाए कयरे कयरेहितो' अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? • विसेसाहिया वा? गोयमा ! १. सव्वत्थोवा सुहुमनिओयस्स अपज्जत्तगस्स जहण्णिया प्रोगाहणा २ सुहुमवाउक्काइयस्स अपज्जत्तगस्स जहणिया ओगाहणा असखेज्जगुणा ३. सुहुमतेउकाइयस्स अपज्जत्तगस्स जहणिया ओगाहणा असखेज्जगुणा ४ सुहुमआउकाइयस्स अपज्जत्तगस्स जहण्णिया प्रोगाहणा असखेज्जगुणा ५ सुहुमपुढविक्काइयस्स अपज्जत्तगस्स जहणिया प्रोगाहणा असखेज्जगुणा ६. वादरवाउकाइयस्स अपज्जत्तगस्स जहणिया प्रोगाहणा असखेज्जगुणा ७ वादरतेउक्काइयस्स अपज्जत्तगस्स जहणिया ओगाहणा असखेज्जगुणा ८ बादरआउकाइयस्स अपज्जत्तगस्स जहणिया प्रोगाहणा असखेज्जगुणा ६ वादरपुढविकाइयस्स अपज्जत्तगस्स जहणिया ओगाहणा असखेज्जगुणा १०,११ पत्तेयसरीरवादरवणस्सइकाइयस्स वादरनिओयस्स एएसि ण पज्जत्तगाणं एएसि णं अपज्जत्तगाण जहणिया ओगाहणा दोण्ह वि तुल्ला असखेज्जगुणा १२. सूहमनिगोयस्स पज्जत्तगस्स जहण्णिया ओगाहणा असखेज्जगुणा १३ तस्सेव अपज्जत्तगस्स उक्कोसिया ओगाहणा विसेसाहिया १४ तस्स चेव पज्जत्तगस्स उक्कोसिया ओगाहणा विसेसाहिया १५ सुहुमवाउकाइयस्स पज्जत्तगस्स जहण्णिया ओगाहणा असंखेज्जगुणा १६. तस्स चेव अपज्जत्तगस्स उक्कोसिया ओगाहणा विसेसाहिया १७ तस्स चेव पज्जत्तगस्स उक्कोसिया ओगाहणा विसेसाहिया १८-२० एव सुहुमतेउक्काइयस्स वि २१-२३ एव सुहुमाउक्काइयस्स वि २४-२६ एव सुहुमपुढविकाइयस्स वि २७-२६ एव वादरवाउकाइयस्स वि ३०-३२. एव बादरतेउकाइयस्स वि ३३-३५ एव बादरस्याउकाइयस्स वि ३६-३८ एव वादरपुढविकाइयस्स वि सव्वेसि तिविहेण गमेण भाणि यव्वं, ३६ वादरनिगोयस्स पज्जत्तगस्स जहणिया प्रोगाहणा असखेज्जगुणा १. प० ४,६ । २. स० पा०–कयरेहितो जाव विसेसाहिया। Page #856 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७६५ एगूणवीसडम सत (तइओ उद्देसो) ४० तस्स चेव अपज्जत्तगस्स उक्कोसिया ओगाहणा विसेसाहिया ४१ तस्स चेव पज्जत्तगस्स उक्कोसिया प्रोगाहणा विसेसाहिया ४२ पत्तेयसरीरबादरवणस्सइकाइयस्स पज्जत्तगस्स जहण्णिया प्रोगाहणा असखेज्जगुणा ४३ तस्स चेव अपज्जत्तगस्स उक्कोसिया प्रोगाहणा असखेज्जगुणा ४४ तस्स चेव पज्जत्तगस्स उक्कोसिया योगाहणा असखेज्जगुणा ।। थावरजीवाण सव्वसुहुम-सव्वबादर-पदं २५ एयस्स ण भते | पुढविकाइयस्स आउक्काइयस्स तेउकाइयस्स वाउकाइयस्स वणस्सइकाइयस्स य कयरे काये सव्वसुहुमे ? कयरे काए सव्वसुहमतराए ? गोयमा | वणस्सइकाए सव्वसुहुमे, वणस्सइकाए सव्वसुहुमतराए । २६ एयस्स ण भते । पुढविकाइयस्स आउक्काइयस्स तेउकाइयस्स वाउकाइयस्स य कयरे काये सव्वसुहुमे ? कयरे काये सव्वसुहुमतराए ? गोयमा । वाउक्काए सव्वसुहुमे, वाउक्काए सव्वसुहुमतराए। २७ एयस्स ण भते | पुढविकाइयस्स आउक्काइयस्स तेउक्काइयस्स य कयरे काये सव्वसहमे ? कयरे काये सव्वसुहुमतराए ? गोयमा । तेउक्काए सव्वसुहुमे, तेउक्काए सव्वसुहुमतराए । एयस्स ण भते | पुढविक्काइयस्स आउक्काइयस्स य कयरे काये सव्वसुहमे ? कयरे काये सव्वसुहुमतराए ? गोयमा । आउक्काए सव्वसुहुमे, आउक्काए सव्वसुहुमतराए ।। २६ एयस्स ण भते | पुढविक्काइयस्स आउक्काइयस्स तेउकाइयस्स वाउकाइयस्स वणस्सइकाइयस्स य कयरे काये सव्ववादरे ? कयरे काये सव्वबादरतराए ? गोयमा | वणस्सइकाए सव्वबादरे, वणस्सइकाए सव्ववादरतराए। ३०. एयस्स ण भते । पुढविकाइयस्स पाउकाइयस्स तेउकाइयस्स वाउकाइयस्स य कयरे काए सव्ववादरे ? कयरे काए सव्ववादरतराए ? गोयमा । पढविक्काए सव्ववादरे, पुढविक्काए सव्ववादरतराए । ३१ एयस्स ण भते । अाउक्काइयस्स तेउक्काइयस्स वाउकाइयस्स य कयरे काए सव्ववादरे ? कयरे काए सव्ववादरतराए ? गोयमा । आउक्काए सव्ववादरे, अाउक्काए सव्ववादरतराए । ३२ एयस्स ण भते । तेउकाइयस्स वाउकाइस्स य कयरे काए सव्ववादरे ? कयरे काए सव्ववादरतराए ? गोयमा । तेउक्काए सव्ववादरे, तेउक्काए सव्ववादरतराए । पुढवि-सरीरस्स महालयत्त-पदं ३३. केमहालए ण भते । पढविसरीरे पण्णत्ते? गोयमा | अणताण सुहुमवणस्सइकाइयाण जावइया सरीरा से एगे सुहमवाउ २८. Page #857 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७६६ भगव सरीरे, असखेज्जाण सुहुमवाउसरी राणं' जावडया सरीरा से एगे सहमतेउसी रे, ग्रसखेज्जाण सुहुमतेउकाइयसरीराण जावइया सरीरा से एगे सहमे ग्राउसरीरे, असखेज्जाण सुहमग्राउवकाइयसरीराणं जावइया सरीरा मे एगे सहमे पुढवि सरीरे, असखेज्जाण सुहुमपुढविकाइयसरीराण जावइया सरीरा से एगे बादरवाउसरीरे, ग्रसखेज्जाण वादरवाउवकाइयाण जावइया सरीरा मे एगे वादरतेउसरीरे, ग्रसखेज्जाण वादरतेउकाडयाण जावइया सरीरा से एगे वादरग्राउसरीरे, ग्रसखेज्जाण वादरग्राउकाइयाण जावइया सरीरा से एगे वाद रपुढविसरीरे । एमहालए ण गोयमा ! पुढविसरीरे पण्णत्ते || पुढविकाइयस्स सरीरोगाहणा-पदं ३४. पुढविकाइयस्स ण भते ! केमहालिया सरीरोगाहणा पण्णत्ता ? गोयमा । से जहानामए रण्णो चाउरतचक्कवट्टिस्स वण्णगपेसिया तरुणी वलव जुगव जुवाणी अप्पायंका थिरग्गहत्या दढपाणि-पाय-पास पिट्टतरीपरिणता तलजमलजुयल - परिघनिभवाहू उरस्सवलसमण्णागया लघण-पवणजइण-वायाम-समत्था छेया दक्खा पत्तट्ठा कुसला मेहावी निउणा निउणसिप्पोवगया तिक्खाए वइरामईए सण्हकरणीए तिक्त्रेण वडरामएण वट्टावरएण एग मह पुढविकाइय जतुगोलासमाण गहाय पडिसाहरिय-पडिसाहरिय पडिसखिविय-पडिसखिविय जाव इणामेवत्ति कट्टु तिसत्तक्खुत्तो प्रोप्पीसेज्जा, तत्थ ण गोयमा ! अत्येगतिया पुढविक्काइया प्रालिद्धा प्रत्येगतिया पुढविक्काइयानो आलिद्धा, प्रत्येगतिया सघट्टिया ग्रत्थेगतिया नो सघट्टिया प्रत्येगतिया परियाविया प्रत्येगतिया नो परियाविया, प्रत्येगतिया उद्दविया अत्येगतिया नो उद्देविया, प्रत्येगतिया पिट्ठा प्रत्येगतिया नो पिट्ठा, पुढविकाइयस्स णं गोयमा । एमहालिया सरीरोगाहणा पण्णत्ता ॥ पुढविकाइयस्स वेदणा - पदं ३५. पुढविकाइए ण भते ! अक्कंते समाणे केरिसिय वेदण पच्चणुव्भवमाणे विहरइ ? ༣་ गोयमा । से जहानामए – केइ पुरिसे तरुणे बलव जुगव जुवाणे अप्पातके थिरग्गहत्थे दढपाणि-पाय- पास पिट्ठतरोरुपरिणते तलजमलजुयल - परिघनिभबाहू चम्मेट्ठग- दुहण-मुट्ठिय-समाहत-विचितगत्तकाए उरस्सवलसमण्णागए लघण-पवण-जइण-वायाम - समत्ये छेए दक्खे पत्तट्ठे कुसले मेहावी निउणे' १. सुहुमवाउकाइयारण ति क्वचित्पाठ. (वृ) | २. स० पा० - वण्णो जाव निउणसिप्पोवगया, नवरं - चम्मे - दुहण - मुट्ठियसमाहय णिचिय O गत्तकाया न भणति, सेस त चेव जाव निउण० । O ३. स० पा०-- बलव जाव निउरण | Page #858 -------------------------------------------------------------------------- ________________ maratist सतं (उत्थो उद्देसो) ७६७ o निउणसिप्पोवगए एग पुरिस जुण्ण जरा-जज्जरिय- देह' आउर भूसिय पिवासिय • दुब्वल किलत जमलपाणिणा मुद्धाणसि अभिहणेज्जा, सेण गोयमा । पुरिसे तेण पुरिसेण जमलपाणिणा मुद्धाणसि अभिहए समाणे केरिसिय वेदण पच्चणुब्भवमाणे विहरति ? अणिट्ठ समणाउसो | तस्स ण गोयमा । पुरिसस्स वेदणाहिंतो पुढविकाइए प्रक्कते समाणे एत्तो प्रणितरिय चेव अकततरिय अप्पियतरिय सुहतरिय मणुण्णतरिय श्रमणामतरिय चेव वेदण पच्चणुभवमाणे विहरइ ॥ श्राउकाइयादीणं वेदणा-पद ३६ आउयाए ण भते । सघट्टिए समाणे केरिसिय वेदण पच्चणुब्भवमाणे विहरइ ? गोयमा । जहा पुढविकाइए एव चेव । एव तेउयाए वि । एव वाउयाए वि I एव वणस्सइकाए वि जाव' विहरइ ॥ ३७ सेवं भते । सेव भते । त्ति ॥ उत्थो उद्देस सिय भते । नेरइया महासवा महाकिरिया महावेयणा महानिज्जरा ? गोयमा । नो इणट्टे समट्ठे ॥ ३६ सय भते । नेरइया महासवा महाकिरिया महावेयणा अप्पनिज्जरा ? हता सिया || ४८ महासवादि-पद ४०. सिय भते । नेरइया महासवा महाकिरिया अप्पवेयणा महानिज्जरा ? गोयमा | नो इणट्टे समट्ठे ॥ ४१ सिय भते ! नेरइया महासवा महाकिरिया अप्पवेयणा अप्पनिज्जरा ? गोयमा नो इणट्टे समट्ठे ४२ सय भते । नेरइया महासवा अप्पकिरिया महावेयणा महानिज्जरा ? गोमा । नो इट्टे समट्ठे ॥ १. स० पा० -- देह जाव दुब्बल । २. स० पा० - अकततरिय जाव अमणामतरिय । o ३. भ० १६।३५ । Page #859 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७६८ ४३. सिय भते । नेरइया महासवा ग्रप्पकिरिया महावेयणा ग्रप्पनिज्जरा ? गोयमा । नो इणट्टे समट्टे ॥ ४४. सिय भते । नेरइया महासवा ग्रप्पकिरिया श्रप्पवेयणा महानिज्जरा नो' इट्ठे सट्टे || ४५ सिय भते । नेरइया महासवा ग्रप्पकिरिया अप्पवेयणा महानिज्जरा ? नो इणट्ठे समट्टे ॥ ४६ सय भते । नेरइया ग्रप्पासवा महाकिरिया महावेयणा महानिज्जरा ? नो इट्टे समट्ठे ।। ४७ सिय भते । नेरइया अप्पासवा महाकिरिया महावेयणा ग्रप्पनिज्जरा ? नो इणट्ठे समट्ठे ॥ ४८ सिय भते । नेरइया अप्पासवा महाकिरिया ग्रप्पवेयणा महानिज्जरा ? नो इणट्ठे समट्ठे ।। ४६. सिय भते ! नेरइया अप्पासवा महाकिरिया ग्रप्पवेयणा अप्पनिज्जरा ? नो इणट्ठे समट्ठे || सिय भते । नेरइया अप्पासवा अप्पकिरिया महावेयणा महानिज्जरा ? नो इट्ठे समट्ठे ॥ सिय भते । नेरइया अप्पासवा अप्पकिरिया महावेयणा ग्रप्पनिज्जरा ? नो इणट्ठे समट्ठे ॥ ५० ? १ सदृशप्रकरणेपि पूर्ववतिसूत्रेषु 'गोयमा' इति पद लभ्यते । अस्मिन्नुत्तरवतिसूत्रेषु च ५१ ५२ सिय भते । नेरइया अप्पासवा अप्पकिरिया ग्रप्पवेयणा महानिज्जरा ? नो इट्ठे समट्ठे || ५३ सिय भते । नेरइया ग्रप्पासवा ग्रप्पकिरिया अप्पवेयणा अप्पनिज्जरा ? नो इणट्ठे समट्ठे । एते सोलस भगा || ५४ सिय भते । असुरकुमारा महासवा महाकिरिया महावेयणा महानिज्जरा ? नो इणट्टे समट्टे । एव चउत्थो भगो भाणियव्वो, सेसा पण्णरस भगा खोडेयव्वा । एव जाव थणियकुमारा ॥ ५५. सिय भते । पुढविक्काइया महासवा महाकिरिया महावेयणा महानिज्जरा ? हता सिया । एव जाव ५६ सिय भते ! पुढविक्काडया ग्रप्पासवा अप्पकिरिया अप्पवेयणा अप्पनिज्जरा ? हता सिया । एव जाव मणुस्सा । वाणमतर- जोइ सिय-वेमाणिया जहा असुरकुमारा ॥ ५७ सेव भते । सेव भते । त्ति ॥ एतत् पद न दृश्यते । भगवई Page #860 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुणवीस सत ( पचमो उद्देसो) पंचमो उद्देसो चरम-परम-पदं ५८ ग्रत्थि ण भते । चरमा' वि नेरइया ? परमा वि नेरइया ? हता ग्रत्थि || ५६. से नूण भते । चरमेहितो नेरइएहिंतो परमा नेरइया महाकम्मतरा चेव, महाकिरियतरा चेव, महसवतरा चेव, महावेयणतरा चेव, परमेहिंतो वा एहितो चरमा नेरइया ग्रप्पकम्मतरा चेव, ग्रप्पकिरियतरा चैव, अप्पस्सवतरा चेव, अप्पवेयणतरा चेव ? ७६६ हता गोयमा ! चरमेहितो नेरइएहितो परमा जाव महावेयणतरा चेव, परमेहितो वा नेरइए हितो चरमा नेरइया जाव ग्रप्पवेयणतरा चेव || ६० से केणट्टेण भते । एव वुच्चइ जाव अप्पवेयणतरा चेव ? गोयमा । ठिति पडुच्च । से तेणट्टेण गोयमा ! एव वच्चइ जाव ग्रप्पवेयणतरा चेव ॥ ? 'असुरकुमारा ६१. प्रत्थि ण भते ! चरमा वि ? परमावि असुरकुमारा एव चेव, नवर - विवरीय भाणियव्व, परमा अप्पकम्मा, चरमा महाकम्मा' । सेस त चेव जाव थणियकुमारा ताव एमेव । पुढविकाइया जाव मणुस्सा एते जहा नेग्इया । वाणमतर - जोइसिय-वेमाणियां जहा असुरकुमारा ।। १ चरिमा ( अ, ख, व, म) 1 २ बहुकम्मा ( अ, व ) । वेदणा-पद ६२. कतिविहा ण भते । वेदणा पण्णत्ता ? गोयमा । दुविहा वेदणा पण्णत्ता, त जहा -- निदा य, निदा य ॥ ६३ नेरइया ण भते । किं निदाय वेदण वेदेति ? अनिदाय वेदण वेदेति ? गोयमा । निदायपि वेदण वेदेति, अनिदाय पि वेदण वेदेति । जहा पण्णवणाए जाव' वेमाणियत्ति ॥ ६४. सेव भते । सेव भते । ति ॥ ३. प० ३५ । Page #861 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८०० छट्ठो उद्देसो दीवस मुद्द-पदं ६५. कहि ण भते । दीवसमुद्दा ? केवतिया ण भते । दीवसमुद्दा ? किंसठिया णं भते । दीवसमुद्दा ? एव जहा जीवाभिगमे दीवस मुद्देसो सो चेव इह वि जोइसमडिउद्देसगवज्जो' भाणियव्वो जाव परिणामो, जीवउववाम्रो जाव' प्रणतखुत्तो ॥ ६६. सेव भते । सेव भते । त्ति ॥ सत्तमो उद्देसो असुरकुमारादीणं भवणादि-पदं ६७ केवतिया णं भंते । असुरकुमारभवणावाससयसहस्सा पण्णत्ता ? गोयमा ! चोर्याट्ठ' असुरकुमारभवणावाससयसहस्सा पण्णत्ता ॥ ६८ ते ण भंते । किमया पण्णत्ता ? I गोयमा । सव्वरयणामया अच्छा सण्हा जाव पडिरूवा । तत्थ णं बहवे जीवा य पोग्गला य वक्कमति, विउक्कमति, चयति, उववज्जति । सासया ण ते भवणा दव्वट्टयाए, वण्णपज्जवेहिं जाव' फासपज्जवेहि प्रसासया । एव जाव थणियकुमारावासा ॥ ६६ केवतिया ण भते । वाणमतरभोमेज्जनगरावाससयसहस्सा पण्णत्ता ? गोयमा । असखेज्जा वाणमतरभोमेज्जनगरावाससयसहस्सा पण्णत्ता ॥ भते । किंमया पण्णत्ता ? सेस त चेव ॥ ७० ७१. केवतिया ण भते । जोइसियविमाणावाससयस इस्सा पण्णत्ता ? गोयमा । प्रसखेज्जा जोइसियविमाणावाससयसहस्सा पण्णत्ता ॥ ७२ ते ण भते ! किमया पण्णत्ता ? गोयमा । सव्वफालिहामया अच्छा, सेस त चेव ।। भगवई १. जोइसियमडि ० ( क, स ) । २ जी० ३ । ३. चोवट्ठि (क, ता), चउर्साट्ठि (स) । ४ भ० २।११८ । ५. भ० २।४७ । Page #862 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८०१ एगूणवीसइम सतं (अट्ठमो उद्देसो) ८०१ ७३. सोहम्मे णं भते । कप्पे केवतिया विमाणावाससयसहस्सा पण्णत्ता ? गोयमा । बत्तीसं विमाणावाससयसहस्सा पण्णत्ता ।। ७४. ते ण भते । किमया पण्णत्ता ? गोयमा ! सव्वरयणामया अच्छा, सेस त चेव जाव' अणुत्तरविमाणा, नवर जाणेयव्वा जत्थ जत्तिया भवणा विमाणा वा ।। ७५ सेव भते । सेव भते । त्ति ।। अट्ठमो उद्देलो जीवादि-निव्वत्ति-पदं ७६ कतिविहा ण भते । जीवनिव्वत्ती पण्णत्ता ? गोयमा । पचविहा जीवनिव्वत्ती पण्णत्ता, त जहा-एगिदियजीवनिव्वत्ती जा पंचिदियजीवनिव्वत्ती॥ ७७. एगिदियजीवनिव्वत्ती ण भते । कतिविहा पण्णत्ता ? गोयमा | पचविहा पण्णत्ता, त जहा-पुढविक्काइयएगिदियजीवनिव्वत्ती जाव वणस्सइकाइयएगिदियजीवनिव्वत्ती॥ ७८. पुढविकाइयएगिदियजीवनिव्वत्ती ण भते । कतिविहा पण्णत्ता ? गोयमा | दुविहा पण्णत्ता, त जहा-सुहमपुढविकाइयएगिदियजीवनिव्वत्तीय, वादरपुढविकाइयएगिदियजीवनिव्वत्ती य । एव एएण अभिलावेण भेदो जहा वड्डगवधो तेयगसरीरस्स जाव'७६ सव्वट्ठसिद्धअणुत्तरोववातियकप्पातीतवेमाणियदेवपचिदियजीवनिव्वत्ती ण भते । कतिविहा पण्णत्ता ? गोयमा | दुविहा पण्णत्ता, त जहा-पज्जत्तगसव्वट्ठसिद्धअणुत्तरोववातिय''कप्पातीतवेमाणिय देवपचिदियजीवनिव्वत्ती य, अपज्जत्तगसव्वट्ठसिद्धाणुत्तरो ववातियकप्पातीतवेमाणियदेवपचिदियजीवनिव्वत्ती य ।। ८०, कतिविहा ण भते । कम्मनिव्वत्ती पण्णत्ता ? गोयमा । अट्टविहा कम्मनिव्वत्ती पण्णत्ता, त जहा-नाणावरणिज्जकम्म निव्वत्ती जाव अतराइयकम्मनिव्वत्ती ।। ८१. नेरइयाण भते । कतिविहा कम्मनिव्वत्ती पण्णत्ता ? १. भ० ८।४१३ । २ स० पा– ° अणुत्तरोववातिय जाव देव । Page #863 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ८०२ गोयमा । अढविहा कम्मनिव्वत्ती पण्णत्ता, तं जहा -नाणावरणिज्जकम्म निव्वत्ती जाव अंतराइयकम्मनिव्वत्ती । एव जाव वेमाणियाणं ।। ८२. कतिविहा णं भते ! सरीरनिव्वत्ती पण्णत्ता? गोयमा । पंचविहा सरीरनिव्वत्ती पण्णत्ता, तं जहा~योरालियसरीरनिव्वत्ती जाव कम्मासरीरनिव्वत्ती ।। ५३ नेरइयाण भते । कतिविहा सरीरनिव्वत्ती पण्णत्ता? एव चेव । एवं जाव वेमाणियाण, नवर-नायव्वं जस्स जइ सरीराणि ।। ८४. कतिविहा णं भंते । सव्विदियनिव्वत्ती पण्णत्ता? गोयमा । पचविहा सव्विदियनिव्वत्ती पण्णत्ता, त जहा-सोइदिनिबत्ती जाव फासिदियनिव्वत्ती । एव' नेरइयाण जाव थणियकुमाराणं ।। ८५. पुढविकाइयाण-पुच्छा । गोयमा । एगा फासिदियनिव्वत्ती पण्णत्ता । एव जस्स 'जति इदियाणि जाव वेमाणियाण ॥ ८६. कतिविहा ण भते | भासानिव्वत्ती पण्णता? गोयमा । चउविवहा भासानिव्वत्ती पण्णत्ता, त जहा-सच्चभासानिव्वत्ती, मोसभासानिव्वत्ती, सच्चामोसभासा निव्वत्ती, असच्चामोसमासानिव्वत्ती । एवं एगिदियवज्ज जस्स जा भासा जाव वेमाणियाणं ।। कतिविहा ण भंते । मणनिव्वत्ती पण्णत्ता ? गोयमा ! चउव्विहा मणनिव्वत्ती पण्णत्ता त जहा-सच्चमणनिव्वत्ती जाव असच्चामोसमणनिव्वत्ती । एवं एगिदियविलिदियवज्जं जाव वेमाणियाणं । ८८. कतिविहा ण भंते कसायनिव्वत्ती पण्णत्ता? गोयमा | चउव्विहा कसायनिव्वत्ती पण्णत्ता, त जहा-कोहकसायनिव्वत्ती जाव लोभकसायनिव्वत्ती। एव जाव वेमाणियाणं ।।। ८९. कतिविहा णं भंते । वण्णनिव्वत्ती पण्णत्ता ? गोयमा । पचविहा वण्णनिव्वत्ती त जहा-कालावण्णनिव्वत्ती जाव सुक्किलावण्णनिव्वत्ती। एवं निरवसेस जाव वेमाणियाण । एव गधनिव्वत्ती दुविहा जाव वेमाणियाण । रसनिव्वत्ती पचविहा जाव वेमाणियाणं । फासनिव्वत्ती अटूविहा जाव वेमाणियाण ।। कतिविहा ण भते ! सठाणनिव्वत्ती पंण्णत्ता? गोयमा | छबिहा संठाणनिव्वत्ती पण्णत्ता, त जहा-समचउरंससठाणनिव्वत्ती जाव हुडसठाणनिव्वत्ती ।। ८७. १. एव जाव (अ, क, ख, ता, व, म, स)। २. जदिदियाणि (ता)। Page #864 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४. एगूणवीसइम सतं (अट्ठमो उद्देसो) ८०३ ६१ नेरइयाणं-पुच्छा । गोयमा । एगा हुंडसठाण निव्वत्ती पण्णत्ता । असुरकुमाराण -पुच्छा। गोयमा । एगा समचउरससठाणनिव्वत्ती पण्णत्ता । एव जाव थणियकुमाराणं ।। ६३ पुढविकाइयाण-पुच्छा। गोयमा । एगा मसूरचदसठाणनिव्वत्ती' पण्णत्ता । एव जस्स ज सठाण जाव वेमाणियाण ॥ कतिविहा ण भते । सण्णानिव्वत्ती पण्णत्ता ? गोयमा । चउव्विहा सण्णानिव्वत्ती पण्णत्ता, त जहा--आहारसण्णानिव्वत्ती जाव परिग्गहसण्णानिव्वत्ती । एव जाव वेमाणियाण ।। कतिविहा ण भते । लेस्सानिव्वत्ती पण्णत्ता? गोयमा । छव्विहा लेस्सानिव्वत्ती पण्णत्ता, त जहा-कण्हलेस्सानिव्वत्ती जाव सुक्कलेस्सानिव्वत्ती । एव जाव वेमाणियाण, जस्स जति लेस्साओ। कतिविहा ण भते । दिट्ठीनिव्वत्ती पण्णत्ता? गोयमा । तिविहा दिट्ठीनिव्वत्ती पण्णत्ता, त जहा–सम्मादिदिनिव्वत्ती, मिच्छादिविनिव्वत्ती, सम्मामिच्छादिटिनिव्वत्ती । एव जाव वेमाणियाण, जस्स जति विहा दिट्ठी ॥ ६७ कतिविहा ण भते | नाणनिव्वत्ती पण्णत्ता? गोयमा पचविहा नाणनिव्वत्ती पण्णत्ता, त जहा-आभिणिबोहियनाणनिव्वत्ती जाव केवलनाणनिव्वत्ती। एव एगिदियवज्जं जाव वेमाणियाण, जस्स जति नाणा ।। १८. कतिविहा णं भते । अण्णाणनिव्वत्ती पण्णत्ता ? गोयमा । तिविहा अण्णाणनिव्वत्ती पण्णत्ता, त जहा-मइअण्णाणनिव्वत्ती, सुयअण्णाणनिव्वत्ती, विभगनाणनिव्वत्ती। एव जस्स जति अण्णाणा जाव वेमाणियाण ॥ ६६ कतिविहा ण भते । जोगनिव्वत्ती पण्णत्ता ? गोयमा । तिविहा जोगनिव्वत्ती पण्णत्ता, त जहा-मणजोगनिव्वत्ती, वइजोगनिव्वत्ती, कायजोगनिव्वत्ती। एव जाव वेमाणियाण, जस्स जतिविहो जोगो ॥ १०० कतिविहा ण भते । उवयोगनिव्वत्ती पण्णत्ता? १. मसूरचदा° (क), मसूराचदा° (ता, व)। Page #865 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८०४ भगवई गोयमा | दुविहा उवयोगनिव्बत्ती पण्णत्ता, तं जहा- सागारोवरोगनिव्वत्ती, अणागारोवोगनिव्वत्ती । एवं जाव वेमाणियाण' ।। १०१. सेवं भंते । सेवं भते ! त्ति ॥ नमो उद्देसो करण-पदं १०२. कतिविहे ण भते | करणे पण्णत्ते ? गोयमा ! पचविहे करणे पण्णत्ते, तं जहा–दव्वकरणे, खेत्तकरणे, कालकरणे, भवकरणे, भावकरणे ॥ १०३ नेरइयाण भते ! कतिविहे करणे पण्णत्ते ? गोयमा ! पचविहे करणे पण्णत्ते, त जहा–दव्वकरणे जाव भावकरणे । एव जाव वेमाणियाण ॥ १०४. कतिविहे णं भते ! सरीरकरणे पण्णत्ते ? गोयमा ! पचविहे सरीरकरणे पण्णत्ते, त जहा–ओरालियसरीरकरणे जाव कम्मासरीरकरणे । एव जाव वेमाणियाण, जस्स जति सरीराणि ।। १०५ कतिविहे ण भते । इदियकरणे पण्णत्ते ? गोयमा ! पचविहे इदियकरणे पण्णत्ते, त जहा-सोइदियकरणे जाव' फासिंदियकरणे। एव जाव वेमाणियाण, जस्स जति इदियाइ। एव एएणं कमेणं भासाकरणे चउन्विहे, मणकरणे चउविहे, कसायकरणे चउव्विहे, समुग्घायकरणे सत्तविहे, सण्णाकरणे चउविहे, लेसाकरणे छविहे, दिट्टीकरणे तिविहे, वेदकरणे तिविहे पण्णत्ते, त जहा-इत्थिवेदकरणे, पुरिसवेदकरणे, नपुसगवेदकरणे । एए सव्वे नेरइयादी दडगा जाव वेमाणियाण, जस्स ज अत्थि त तस्स सव्व भाणियव्व ॥ १०६ कतिविहे ण भते ! पाणाइवायकरणे पण्णत्ते ? १. अतोने 'अ, क, व, स' प्रतिषु सङ्गहणीगाथे दृश्येतेजीवाण निव्वत्ती, कम्मप्पगडी सरीरनिव्वत्ती। सन्निदियनिव्यत्ती, भासा य मणे कसाया य ॥११॥ वण्ण रस गध फासे, सठाणविही य होइ बोद्धव्वा । लेसा दिट्ठी नाणे, उवओगे चेव जोगे य ॥२॥ Page #866 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एगूणवीसइम सतं (दसमो उद्देसो) गोयमा | पंचविहे पाणाइवायकरणे पण्णत्ते, त जहा - एगिदियपाणाइवायकरणे जाव पचिदियपाणाइवायकरणे । एव निरवसेस जाव वेमाणियाण ॥ १०७. कतिविहे ण भते । पोग्गलकरणे पण्णत्ते ? गोयमा । पचविहे पोग्गलकरणे पण्णत्ते, त जहा - वण्णकरणे, गधकरणे, रसकरणे, फासकरणे, सठाणकरणे ॥ १०८ वण्णकरणे ण भते । कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! पचविहे पण्णत्ते, त जहा - कालावण्णकरणे जाव सुक्किलवण्णकरणे । एव भेदो - गधकरणे दुविहे, रसकरणे पचविहे, फासकरणे विहे ॥ १०६. सठाणकरणे ण भते । कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा । पचविहे पण्णत्ते, त जहा - परिमंडलसठाणकरणे जाव' प्रायतसठाणकरणे ॥ सेव भते । सेव भते ! त्ति जाव विहरइ ॥ ११० ८०५ दसमो उद्देसो १११. वाणमतरा ण भते ! सव्वे समाहारा० ? एव जहा सोलसमसए दीवकुमारुद्देसो जाव' अप्पिढियति ॥ ११२ सेव भते । सेव भते ! त्ति ॥ १. भ० ८।३६ | २. भ० १६।१२५-१२८ । Page #867 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वीसइमं सतं पढमों उद्देसो १. बेइदिय २. मागासे, ३. पाणवहे ४. उवचए य ५ परमाणू । ६ अतर ७. वधे ८ भूमी, ६. चारण १०. सोवक्कमा जीवा ॥१॥ बेइं दिया दि-पदं ९. रायगिहे जाव एव वयासी -- सिय भते । जाव चत्तारि पच वेदिया एगयओ साहरणसरीर वधति, वधित्ता तो पच्छा ग्राहारेति वा परिणामेति वा सरीर वा बंधति ? नो इट्टे समट्ठे । वेदिया ण पत्तेयाहारा पत्तेयपरिणामा पत्तेयसरीर वधति, बंधित्ता तो पच्छा आहारेति वा परिणामेति वा सरीर वा वधति ॥ २. तेसि णं भते । जीवाण कति लेस्साओ पण्णत्ताओ ? 1 गोयमा ! तो लेस्साचो पण्णत्ताओ, तं जहा - कण्हलेस्सा, नीललेस्सा, काउलेस्सा । एव जहा एगूणवीसतिमे सए तेउक्काइयाण जाव' उव्वदृति, नवरं-सम्मदिट्ठी विमिच्छदिट्ठी वि, नो सम्मामिच्छदिट्ठी, दो नाणा दो अण्णाणा नियम, नो मणजोगी, वइजोगी वि कायजोगी वि, ग्राहारो नियम छद्दिसि । ३. तेसि णं भते ! जीवाण एव सण्णाति वा पण्णाति वा मणेति वा वईति वा -- अम्हे ण इट्टाणि रसे, इट्ठाणिट्टे फासे पडिसवेदेमो ? नो इणट्टे समट्ठे, पडिसवेदेति पुण ते । ठिती जहणेण ग्रतोमुहुत्त, उक्कोसेण बारस सवच्छराइ, सेस त चेव । एवं तेइदिया वि, एव चउरिंदिया वि, नाणत्तं ठितीय, सेस त चेव, ठिती जहा पण्णवणाए । इंदि ४. सिय भते ! जाव चत्तारि पच पचिदिया एगयो साहरणसरीर बधति ? एवं जहा वेदियाण, नवर- छल्लेसा, दिट्ठी तिविहा वि, चत्तारि नाणा तिणि अण्णाणा भयणाए, तिविहो जोगो ॥ १. भ० १६।२२ । २. प०४ । ८०६ Page #868 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वीसइमं सत (बीओ उद्देसो) ८०७ ५ तेसि ण भते । जीवाणं एव सण्णा ति वा पण्णाति वा मणेति वा वईति वा अम्हे णं ग्राहारमाहारमो? गोयमा । अत्येगतियाण एव सण्णाति वा पण्णाति वा मणेति वा वईति वाअम्हे ण आहारमाहारेमो । अत्थेगतियाण नो एव सण्णाति वा जाव वईति वा अम्हे ण श्राहारमाहारेमो, आहारेति पुण ते। ६. तेसि ण भते । जीवाण एव सण्णाति वा जाव वईति वा--अम्हे ण इट्टाणिट्टे सद्दे, इट्ठाणिढे रूबे, इट्ठाणिढे गधे, इट्ठाणिद्वे रसे, इटाणिढे फासे पडिसवेदेमो ? गोयमा । अत्थेगतियाणं एव सण्णाति वा जाव वईति वा--अम्हे ण इटाणिद्वे सद्दे जाव इट्ठाणि? फासे पडिसवेदेमो। अत्थेगतियाण नो एव सण्णाति वा जाव वईति वा-अम्हे ण इट्टाणि? सद्दे जाव इट्ठाणिढे फासे पडिसवेदेमो, पडिसवेदेति पुण ते। ते ण भते । जीवा कि पाणाइवाए उवक्खाइज्जति-पुच्छा। गोयमा ! प्रत्येगतिया पाणातिवाए वि उवक्खाइज्जति जाव मिच्छादसणसल्ले वि उवक्खाइज्जति अत्यंगतिया नो पाणाइवाए उवक्खाइज्जति, नो मुसावाए जाव नो मिच्छादसणसल्ले उवक्खाइज्जति । जेसि पि ण जीवाण ते जीवा एवमाहिज्जति तेसि पि ण जीवाण अत्यंगतियाण विण्णाए नाणत्ते । अत्यंगतियाण नो विण्णाए नाणत्ते । उववाग्रो सन्वनो जाव सव्वट्ठसिद्धाओ। ठिती जहण्णणं अंतोमुहुत्त, उक्कोसेण तेत्तीस सागरोवमाइ। छस्समुग्धाया केवलि वज्जा, उव्वट्टणा सव्वत्थ गच्छति जाव सव्वट्ठसिद्ध ति, सेस जहा बेदियाण ॥ ८. एएसि ण भते ! बेडदियाण जाव पचिंदियाण य कयरे कयरेहितो' 'अप्पा वा? वहुया वा ? तुल्ला वा ? ० विसेसाहिया वा ? गोयमा । सव्वत्थोवा पचिंदिया, चउरिदिया विसेसाहिया, तेइदिया विसेसा हिया, वेइदिया विसेसाहिया ।। ६. सेव भते । सेव भते । त्ति जाव' विहरइ ।। बीओ उद्देसो अस्थिकाय-पद १०. कतिविहे ण भते ! भागासे पण्णत्ते ? गोयमा ! दुविहे आगासे पण्णत्ते, त जहा-लोयागासे य, अलोयागासे य॥ ११. लोयागासे णं भते ! किं जीवा? जीवदेसा० ?-एव जहा बितियसए १. स० पा०-कयरेहितो जाव विसेसाहिया। २. भ०११५१ । Page #869 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ८०८ अत्थिउद्देसे तहेव इह वि भाणियब्व, नवरं-अभिलावो जाव' धम्मत्यिकाए ण भते । केमहालए पण्णत्ते ? गोयमा । लोए लोयमेत्ते लोयप्पमाणे लोयफुडे लोयं चेव प्रोगाहित्ता णं चिट्ठति । एव जाव पोग्गल त्थिकाए । १२. अहेलोए ण भते । धम्मत्थिकायस्स केवतिय अोगाढे ? गोयमा ! सातिरेग अद्ध प्रोगाढे । एव एएण अभिलावेण जहा वितियसए जाव१३. ईसिपन्भारा ण भते | पुढवी लोयागासस्स किं सखेज्जइभाग प्रोगाढा पुच्छा । गोयमा । नो सखेज्जइभाग प्रोगाढा, असखेज्जइभागं योगाढा, नो सखेज्जे भागे प्रोगाढा, नो असखेज्जे भागे प्रोगाढा, नो सव्वलोयं प्रोगाढा। सेसं त चेव ॥ अस्थिकायस्स अभिवयण-पदं १४. धम्मत्थिकायस्स ण भते ! केवतिया अभिवयणा पण्णत्ता? गोयमा! अणेगा अभिवयणा पण्णत्ता, त जहा-धम्मे इ वा, धम्मत्यिकाये इवा, पाणाइवायवेरमणे इ वा, मुसावायवेरमणे इ वा, एवं जाव परिग्गहवेरमणे इ वा, कोहविवेगे इ वा जाव मिच्छादसणसल्लविवेगे इवा, रियासमिती इवा, भासासमिती इ वा, एसणासमिती इ वा, पायाणभडमत्तनिक्खेवसमिती इवा, उच्चारपासवणखेलसिंघाणजल्लपारिट्ठावणियासमिती' इवा, मणगृत्ती इ वा, वइगुत्ती इ वा, कायगुत्ती इ वा, जे यावण्णे तहप्पगारा सव्वे ते धम्मत्थिकायस्स अभिवयणा ॥ १५. अधम्मत्थिकायस्स ण भते ! केवतिया अभिवयणा पण्णत्ता ? गोयमा । अणेगा अभिवयणा पण्णत्ता, त जहा-अधम्मे इवा, अधम्मत्थिकाए इ वा, पाणाइवाए इ वा जाव मिच्छादसणसल्ले इ वा, रियाअस्समिती इ वा जाव उच्चारपासवण खेलसिंघाणजल्ल° पारिट्ठावणियाअस्समिती इ वा, मणअगुत्ती इ वा, वइअगुत्ती इ वा, कायअगुत्ती इ वा, जे यावण्णे तहप्पगारा सव्वे ते अधम्मत्यिकायस्स अभिवयणा ॥ १६. अागासत्यिकायस्स ण ५ भते ! केवतिया अभिवयणा पण्णत्ता ? ० गोयमा ! अणेगा अभिवयणा पण्णत्ता, त जहा-आगासे इ वा, आगासत्थि १. भ० २।१३६-१४५ । २. भ० २।१४७-१५३ । ३. खेलजल्लसिंघाण ° (ख, म, स)। ४. स० पा०—उच्चारपासवण जाव पारिट्ठा वणिया । ५. सं० पा०—पुच्छा। Page #870 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८०६ वीसइम सत (तइयो उद्देसो) काए इवा, गगणे इ वा, नभे इ वा, समे इ वा, विसमे इ वा, खहे इ वा, विहे इ वा, वीयी इ वा, विवरे इ वा, अबरे इ वा, अबरसे इ वा, छिड्डे इ वा, झुसिरे इ वा, मग्गे इ वा, विमुहे इ वा, 'अट्टे इ वा, वियट्टे इ वा", आधारे इ वा, वोमे इ वा, भायणे इ वा, अतलिक्खें' इ वा, सामे इ वा, ओवासतरे इ वा, अगमे इ वा, फलिहे इ वा, अणते इ वा, जे यावण्णे तहप्पगारा सव्वे ते आगासत्थिकायस्स अभिवयणा ॥ १७ जीवत्थिकायस्स णं भते । केवतिया अभिवयणा पण्णत्ता ? गोयमा । अणेगा अभिवयणा पण्णत्ता, त जहा--जीवे इ वा, जीवत्थिकाए इ वा, पाणे इ वा, भूए इ वा, सत्ते इ वा, विण्णू इवा, 'वेया इ वा', चेया इ वा, जेया इ वा, पाया इ वा, रगणे इ वा, हिंदुए इ वा, पोग्गले इ वा, माणवे इ वा, कत्ता इ वा, विकत्ता इ वा, जए इ वा, जतू इ वा, जोणी' इ वा, सयभू इवा, ससरीरी इ वा, नायए इ वा, अतरप्पा इ वा, जे यावण्णे तहप्पगारा सव्वे ते जीवत्थिकायस्स" अभिवयणा ॥ पोग्गल त्थिकायस्स ण भते ! केवतिया अभिवयणा पण्णत्ता ? गोयमा । अणेगा अभिवयणा पण्णत्ता, त जहा-पोग्गले इ वा, पोग्गलत्थिकाए इवा, परमाणुपोग्गले इ वा, दुपएसिए इ वा, तिपएसिए इ वा जाव असखेज्जपएसिए इ वा, अणतपएसिए इ वा खधे, जे यावण्णे तहप्पगारा सव्वे पोग्गल त्थिकायस्स अभिवयणा ॥ १६ सेव भते । सेव भते ! त्ति ।। १८ तइप्रो उद्देसो पाणाइवायादीणं आयाए परिणति-पदं २० अह भते । पाणाइवाए, मुसावाए जाव' मिच्छादसणसल्ले, पाणातिवायवेरमणे जाव मिच्छादसणसल्लविवेगे, उप्पत्तिया 'वेणइया कम्मया° पारिणामिया, १ अद्दे इ वा, वियद्दे (स, वृ), अट्टे इ वा, वियट्टे (वृपा)। २. अतरिक्खे (ख, स)। ३. X(अ, क, ख)। ४. रगणा (अ, क, ख, ता, म)। ५ हिं डुए (क्व °)। ६. जोणिय (ख)। ७ जाव (अ, क, ख, ता, व, म, स)। ८. स० पा०-पुच्छा। ६. स० पा०-उप्पत्तिया जाव पारिणामिया। Page #871 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८१० प्रोग्गहे' 'ईहा प्रवाए° धारणा, उट्ठाणे कम्मे वले वीरिए पुरिसक्कार-परक्कमे, नेरइयत्ते, असुरकुमारत्ते जाव वेमाणियत्ते, नाणावरणिज्जे जाव ग्रतराइए, कण्हलेस्सा जाव सुक्कलेस्सा, सम्मदिट्ठी मिच्छदिट्ठी सम्मामिच्छदिट्ठी, चक्खुदसणे अचक्खुदसणे ग्रोहिदसणे केवलदसणे, आभिणिवोहियनाणे जाव विभगनाणे, श्राहारसण्णा भयसण्णा मेहुणसण्णा परिग्गहसण्णा, ओरालियसरीरे वेउव्वियसरीरे ग्राहारगसरीरे तेयगसरीरे कम्मगसरीरे, मणजोगे व जोगे कायजोगे, सागारोवग्रोगे, ग्रणागारोवग्रोगे, जे यावण्णे तहप्पगारा सव्वे ते नण्णत्थ आया परिणमति ? हता गोयमा ! पाणाइवाए जाव सव्वे ते नण्णत्थ श्रायाए परिणमति ॥ गब्भ वक्कममाणस्स वण्णादि-पदं २१. जीवे ण भते ! गव्भ वक्कममाणे 'कतिवण्ण कतिगंध'‍ कतिरस कतिफास परिणाम परिणमइ ? गोयमा ! पचवण्ण, दुगध, पचरस, अट्ठफास परिणामं परिणमइ ॥ २२. कम्मो ण भते ! जीवे नो कम्मओ विभत्तिभाव परिणमइ ? कम्मो ण जए नो कम्मो विभत्तिभाव परिणमइ ? हता गोयमा ! कम्मो ण जीवे नो कम्मो विभत्तिभाव परिणमइ', कम्मो ण जए नो ग्रकम्मो विभत्तिभाव परिणमड ॥ २३. सेव भते । सेव भते । त्ति जाव विहरइ ॥ १. स० पा० – ओग्गहे जाव धारणा । २. कतिवण्णे कतिगघे ( अ, क, ख, ता, म) 1 ३ स० पा०-- एव जहा वारसमसए पचमुद्देसे जाव कम्मओ । भगवई ३० चउत्थो उद्देसो इ दियोवचय-पदं २४. कतिविहे ण भते । इदियोवच पण्णत्ते ? गोयमा ! पचविहे इदियोवचए पण्णत्ते, त जहा- सोइदियोवचए, एव बिति इदियउद्देसो निरवसेसो भाणियव्वो जहा ' पण्णवणाए ॥ २५ सेवं भते ! सेव भंते ! त्ति भगव गोयमे जाव' विहरइ || ४ भ० १५१ । ५. प० १५२ । ६. भ० १।५१ । Page #872 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २७. वीसइम सत (पचमो उद्देसो) ८११ पंचमो उद्देसो परमाणु-खंधाणं वण्णादिभग-पदं २६ परमाणुपोग्गले ण भते । कतिवण्णे, कतिगधे, कतिरसे, कतिफासे पण्णत्ते ? गोयमा | एगवण्णे, एगगधे, एगरसे, दुफासे पण्णत्ते' । जइ एगवण्णे ? सिय कालए, सिय नीलए, सिय लोहियए, सिय हालिद्दए, सिय सुक्किलए । जइ एगगधे ? सिय सुभिगधे, सिय दुन्भिगधे । जइ एगरसे ? सिय तित्ते, सिय कडुए, सिय कसाए, सिय अविले, सिय महुरे। जइ दुफासे ? १ सिय सीए य निद्धे य, २. सिय सीए य लुक्खे य, ३ सिय उसिणे य निद्धे य, ४. सिय उसिणे य लक्खे य॥ दुप्पएसिए ण भते ! खधे कतिवण्णे जाव' कतिफासे पण्णत्ते ? । २ गोयमा | सिय एगवण्णे, सिय दुवण्णे, सिय एगगधे, सिय दुगधे, सिय एगरसे, सिय दुरसे, सिय दुफासे, सिय तिफासे °, सिय चउफासे पण्णत्ते । जइ एगवण्णे ? सिय कालए जाव सिय सुक्किलए। जइ दुवण्णे ? १. सिय कालए य नीलए य, २ सिय कालए य लोहितए य, ३. सिय कालए य हालिहए य, ४. सिय कालए य सुक्किलए य, ५. सिय नीलए य लोहियए य, ६. सिय नीलए य हालिद्दए य, ७ सिय नीलए य सुक्किलए य, ८. सिय लोहियए य हालिहए य, ६. सिय लोहियए य सुक्किलए य, १०. सिय हालिद्दए य सुक्किलए य, एव एए दुयासजोगे दस भगा। जइ एगगधे ? सिय सुब्भिगधे, सिय दुन्भिगधे। जइ दुगधे ? सुब्भिगधे य दुन्भिगधे य । रसेसु जहा वण्णेसु । जइ दफासे ? सिय सीए य निद्धे य, एव जहेव' परमाणुपोग्गले ४ । जइ तिफासे ? १. सवे सीए देसे निद्धे देसे लुक्खे, २ सव्वे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे, ३. सन्वे निद्धे देसे सीए देसे उसिणे, ४ सव्वे लुक्खे देसे सीए देसे उसिणे । जड चारफासे ? १ देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे, एए नव भंगा फासेस। तिपएसिए ण भते ! खधे कतिवण्णे० ? जहा अट्ठारसमसए छटठडेसे जावर चउफासे पण्णत्ते । जइ एगवण्णे ? सिय कालए जाव' सुक्किलए। जइ दुवण्णे ? १ सिय कालए य नीलए य, २. सिय कालए य नीलगा य, ३. सिय कालगा य नीलए य, १ सिय कालए य लोहियए य, २ सिय कालए य लोहियगा य, ३. सिय कालगा य लोहियए य, एव हालिहएण वि सम । एव सुक्किलेण वि सम ३, सिय नीलए य लोहियए य एत्थ वि भगा ३. एव १. प त (अ, म)। २. स० पा०-एव जहा अट्ठारसमसए छठ्ठ- द्देसए जाव सिय। ३. भ०१८।११३ । Page #873 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८१२ भगवई हालिद्दएण वि सम भगा ३, एव मुक्किलेण वि समं भगा ४, सिय लोहियए य हालिद्दए य भगा ३, एवं सुक्किलेण वि सम ३, सिय हालिद्दए य मुक्किलए य भंगा ३, एव सव्वे ते दस दुयासजोगा भगा तीस भवति । जइ तिवण्णे ? १. सिय कालए य नीलए य लोहियए य, २. सिय कालए य नीलए य हालिद्दए य, ३ सिय कालए य नीलए य सुक्किलए य, ४ सिय कालए य लोहियए य हालिद्दए य, ५ सिय कालए य लोहियए य मुक्किलए य, ६ सिय कालए य हालिद्दए य सुक्किलए य, ७. सिय नीलए य लोहियए य हालिद्दए य, ८. सिय नीलए य लोहियए य सुक्किलए य, ६ सिय नीलए य हालिद्दए य सुक्किलए य, १० सिय लोहियए स हालिद्दए य मुक्किलए य, एवं एए दस तियासजोगा। जइ एगगधे ? सिय सुभिगधे, सिय दुविभगधे । जइ दुगधे ? मुभिगधे य दुन्भिगधे य भगा ३ । रसा जहा वण्णा। जइ दुफासे ? सिय सीए य निद्धे य, एव जहेव दुपएसियस्स तहेव चत्तारि भगा। जइ तिफासे ? १. सव्वे सीए देसे निद्धे देसे लुक्खे, २ सव्वे सीए देसे निद्धे देसा लक्खा, ३ सव्वे सीए देसा निद्धा देसे लुक्वे, सव्वे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे, एत्थ वि भंगा तिण्णि, सव्वे निद्धे देसे सीए देसे उसिणे भगा तिण्णि, सव्वे लुक्खे देसे सीए देसे उसिणे भगा तिण्णि ।। जइ चउफासे ? १. देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे, २. देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसा लुक्खा, ३ देसे सीए देसे उसिणे देसा निद्धा देसे लुक्खे, ४ देसे सीए देसा उसिणा देसे निद्धे देसे लुक्खे, ५. देसे सीए देसा उसिणा देसे निद्धे देसा लुक्खा, ६. देसे सीए देसा उसिणा देसा निद्धा देसे लुक्खे, ७. देसा सीया देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे, ८. देसा सीया देसे उसिणे देसे निद्धे देसा लुक्खा, ६ देसा सीया देसे उसिणे देसा निद्धा देसे लुक्खे, एवं एए तिपएसिए फासेसु पणवीस भंगा॥ चउप्पएसिए ण भते ! खधे कतिवण्णे० ? जहा अठ्ठारसमसए जाव' सिय चउफासे पण्णत्ते । जइ एगवण्णे ?सिय कालए य जाव सुक्किलए । जइ दुवण्णे ? १ सिय कालए य नीलए य, २. सिय कालए य नीलगा य, ३. सिय कालगा य नीलए य, ४. सिय कालगा य नीलगा य, सिय कालए य लोहियए य एत्थ वि चत्तारि भगा, सिय कालए य हालिद्दए य ४, सिय कालए य सुक्किलए य ४, सिय नीलए य लोहियए य ४, सिए नीलए य हालिद्दए य ४, सिय नीलए य सुक्किलए य ४, सिय लोहियए य हालिद्दए य ४, सिय लोहियए य सुक्किलए य ४, २९ १. भ. १८।११४ । Page #874 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वीसइम सत (पंचमो उद्देसो) ८१३ सिय हालिए य सुक्किलए य ४, एव एए दस दुयसजोगा भंगा पुण चत्तालीसं । जइतिवणे ? १. सिय कालए य नीलए य लोहियए य, २ सिय कालए य नीलए य लोहियगा य, ३ सिय कालए य नीलगाय लोहियए य, ४. सिय कालगा य नीलए य लोहियए य, एए भगा ४, एव कालानीलाहालिद्दएहिं भगा ४, कालनीलसुक्किल ४, काललोहियहालिद्द ४, काललोहियसुक्किल ४, कालहालिद्दसुक्किल ४, नीललोहिसहालिद्दगाण भगा ४, नीललोहियसुक्किल ४, नीलहालि सुक्कल ४, लोहियहालिद्दसुक्किलगाण भगा ४, एव एए दसतियासजोगा, एक्केक्के सजोए चत्तारि भगा, 'सव्वे एते" चत्तालीस भगा । जइ चउवण्णे ? १ सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिए य, २. सिय कालए य नीलए य लोहियए य सुक्किलए य, ३ सिय कालए य नीलए य हालिद्दए य सुक्किलए य, ४ सिय कालए य लोहियए हालिए य सुक्किलए य, ५. सिय नीलए य लोहियए य हालिद्दए य सुक्किलए य, एवमेते चउक्कगसंजोगे पच भगा । एए सव्वे नउइ भगा । जइ एगगधे ? सिय सुब्भिगधे, सिय दुब्भिगधे । जइ दुगधे ? सुब्भिगधे य भगधेय रसा जहा वण्णा । जइ दुफासे ? जहेव परमाणुपोग्गले ४ । जइ तिफासे ? १ सव्वे सीए देसे निद्धे देसे लुक्खे, २ सव्वे सीए देसे निद्धे देसा लुक्खा, ३ सव्वे सीए देसा निद्धा देसे लुक्खे, ४. सव्वे सीए देसा निद्धा देसा लुक्खा, सव्वे उसिणे देसे निद्धे देसे लक्खे, एव भगा ४, सव्वे निद्धे देसे सीए देसे उसिणे ४, सव्वे लुक्खे देसे सीए देसे उस ४, एएतिफासे सोलस भगा । जइ चउफासे ? १ देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे, २ देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसा लुक्खा, ३ देसे सीए देसे उसिणे देसा निद्धा देसे लक्खे, ४ देसे सीए देसे उसिणे देसा निद्धा देसा लुक्खा, ५ देसे सीए देसा उसिणा देसे निद्धे देसे लुक्खे, ६ देसे सीए देसा उसिणा देसे निद्धे देसा लुक्खा, ७ देसे सीए देसा उसिणा देसा निद्धा देसे लुक्खे, ८. देसे सीए देसा उसिणा देसा निद्धा देसा लुक्खा, ६ देसा सीया देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे, एव एए चउफासे सोलस भगा भाणियव्वा जाव देसा सीया देसा उसिणा देसा निद्धा देसा लुक्खा, सव्वे एते फासेसु छत्तीस भगा ॥ ३० पचपसि ण भते । खधे कतिवण्णे ० ? जहा अट्ठारसमसए जाव' सिय चउफासे पण्णत्ते । जइ एगवण्णे ? एगवण्ण-दुवण्णा जहेव चउप्पएसिए । जइ तिवण्णे ? १ सिय कालए य नीलए य लोहियए य, २. सिय कालए य नीलए १. सव्वेते ( अ, क, ख, व, म, स ) । १. भ० १८ ।११५ । Page #875 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई य लोहिया य, ३ सिय कालए य नीलगाय लोहियए य, ४. सिय कालए य नीलगाय लोहियगा य, ५ सिय कालगा य नीलए य लोहियए य, ६ सिय कालगा य नीलए य लोहियगा य, ७ सिय कालगा य नीलगाय लोहियए य, सिय कालए य नीलए य हालिए य, एत्थ वि सत्त भगा, एवं कालग-नीलगसुक्किलएसु सत्त भगा, कालग-लोहिय- हालिद्देसु ७, कालग - लोहिय-सुक्किलेसु ७, कालग-हालिद्द-सुक्किलेसु ७, नीलग-लोहिय- हालिद्देसु ७, नीलग-लोहियसुक्किलेसु सत्त भगा, नीलग- हालिद्द -सुविकलेसु ७, लोहिय- हालिद्द - सुक्किलेसु वि सत्त भगा, एवमेते तियासजोएण सत्तरि भंगा । जइ उचवण्णे ? १ सिय कालए य नीलए य लोहियय य हालिए २. सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिगा य, ३. सिय कालए य नीलए य लोहियगा य हालिद्दगे य, ४ सिय कालए य नीलगा य लोहियगे य हालिद्दगे य, ५. सिय कालगा य नीलए य लोहियए य हालिद्दए य, एए पच भगा, सिय कालए य नीलए य लोहियए य सुक्किलए य एत्य वि पच भगा, एवं कालग-नीलगहालिद्द - सुक्किलेसु वि पच भगा, कालग - लोहिय - हालिद्द - सुक्किलएसु वि पंच भगा, नीलग-लोहिय-हालिद्द - सुक्किलेसु वि पच भंगा, एवमेते चउक्कगसंजोएणं पणुवीस भगा । जइ पंचवण्णे ? कालए ण नीलए य लोहियए य हालिद्दए य सुक्किलए य, सव्वमेते एक्कग'-दुयग-तियग- चउवक पचगसंजोएण ईयाल भंगसय भवति । गधा जहा चउप्पएसियस्स । रसा जहा वण्णा । फासा जहा चउप्पएसियस्स ॥ ३१. छप्पएसिए ण भते ! खधे कतिववण्णे० ? एव जहा पंचपए सिए जाव सिय चउफासे पण्णत्ते । जइ एगवण्णे ? एगवण्ण-दुवण्णा जहा पंचपएसियस्स । इतिवण्णे । सिय कालए य नीलए य लोहियए य, एव जहेव पचपएसियस्स सत्त भगा जाव सिय कालगा य नीलगाय लोहियए य, सिय कालगा य नीलगा य लोहियगा य, एए अट्ठ भगा, एवमेते दस तियासजोगा, एक्केक्कए सजोगे अट्ट भगा, एवं सव्वे वितियगसजोगे असीति भगा । जइ चउवण्णे ? १ सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिए य, २ सिय कालए य नीलए य लोहियए हालिहगा य, ३. सिय कालए य नीलए य लोहियात हालिए य, ४ सिय कालए य नीलए य लोहियगा य हालिगा य, ५ सिय कालए य नीलगा य लोहियए य हालिए य, ६ सिय कालए य नीलगाय लोहिए य हालिगा य, ७ सिय कालए य नीलगा य लोहियगा य हालिए य, ८ सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिए य, ६. सिय ८१४ १. एक्केक्का (ल, म); एक्केक्क (क, ता, व ) | Page #876 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वीसइम सत (पचमो उद्देसो) ८१५ कालगा य नीलए य लोहियए य हालिद्दगा य, १० सिय कालगा य नीलए य लोहियगा य हालिद्दए य, ११ सिय कालगा य नीलगा य लोहियए य हालिद्दए य, एए एक्कारस भगा, एवमेते 'पच चउक्कसजोगा' कायव्वा, एक्केक्कसजोए एक्कारस भगा, सव्वे एते चउक्कसजोएण पणपण्ण भगा। जइ पचवण्णे ? १ सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिद्दए य, सुक्किलए य, २ सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिद्दए य सुक्किलगा य, ३ सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिद्दगा य सुक्किलए य, ४ सिय कालए य नीलए य लोहियगा य हालिद्दए य सुक्किलए य, ५ सिय कालए य नीलगा य लोहियए य हालिद्दए य सुक्किलए य, ६ सिय कालगा य नोलए य लोहियए य हालिद्दए य सुक्किलए य, एव एए छन्भगा भाणियव्वा, एवमेते सव्वे वि एक्कग-दुयग-तियग-चउक्कग-पचगसजोगेसु छासीय भगसय भवति । गधा जहा पचपएसियस्स । रसा जहा एयस्सेव वण्णा । फासा जहा चउप्पएसियस्स ।। ३२ सत्तपएसिए ण भते । खधे कतिवण्णे०? जहा पचपएसिए जाव सिय चउफासे पण्णत्ते । जइ एगवण्णे ? एव एगवण्ण-दुवण्ण-तिवण्णा जहा छप्पएसियस्स । जइ चउवण्णे ? १ सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिद्दए य, २ सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिद्दगा य, ३. सिय कालए य नीलए य लोहियगा य हालिद्दए य, एवमेते चउक्कगसजोगेण पन्नरस भगा भाणियव्वा जाव सिय कालगा य नीलगा य लोहियगा य हालिद्दए य, एवमेते पच चउक्कासंजोगा नेयव्वा, एक्केक्के सजोए पन्नरस भगा, सव्वमेते पचसत्तरि भगा भवति । जइ पचवण्णे ? १ सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिद्दए य सुक्किलए य, २ सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिद्दए य सुक्किलगा य, ३ सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिद्दगा य सुक्किलए य, ४. सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिद्दगा य सुक्किलगा य, ५. सिय कालए य नीलए य लोहियगा य हालिद्दए य सुक्किलए य, ६. सिय कालए य नीलए य लोहियगा य हालिद्दगे य सुक्किलगा य, ७ सिय कालए य नोलए य लोहियगा य हालिद्दगा य सुक्किलए य, ८ सिय कालए य नीलगा य लोहियए य हालिद्दए य सुक्किलए य, ६ सिय कालए य नीलगा य लोहियए य हालिद्दए य सुक्किलगा य, १०. सिय कालए य नीलगा य लोहियगे य हालिद्दगा य सुक्किलए य, ११. सिय कालए य नीलगा य लोहियगा य हालिद्दए य सुक्किलए य, १२ सिय कालगा य नोलगे य लोहियए य हालिद्दए य सुक्किलए य, १३ सिय कालगा य नीलए १ पचचउक्का° (क, ख, व), पचगचउक्का (ता) । Page #877 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई य लोहियगे य हालिए य सुक्किलगा य, १४ सिय कालगा य नीलए य लोहियए य हालिगा य सुक्किलए य, १५ सिय कालगा य नीलए य लोहिगाय हालिगा य सुक्किलए य, १६ सिय कालगा य नीलगा य लोहियए यहालिए य सुक्किलए य, एए सोलस भंगा, एव सव्वमेते एक्कग-दुयगतियग- चउक्कग-पचगसजोगेण दो सोला' भगसया भवति । गधा जहा चउप्पएसियस्स । रसा जहा एयस्स चेव वण्णा । फासा जहा चउप्पए सियस्स ।। ३३ अपएसिए ण भते ! खधे – पुच्छा । गोयमा । सिय एगवण्णे जहा सत्तपएसियस्स जाव सिय चउफासे पण्णत्ते । जइ एगवण्णे ? एवं एगवण्ण- दुवण्ण-तिवण्णा जहेव सत्तपए सिए । जइ चउवण्णे ? १ सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिए य, २ सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिगा य, एवं जहेव सत्तपए सिए जाव, १५. सिय कालगा य नीलगाय लोहियगा य हालिद्दगे य, १६. सिय कालगाय नीलगाय लोहिया य हालिगा य, एए सोलस भंगा, एवमेते पच चउक्कसंजोगा, एवमेते असीति भंगा । जइ पंचवण्णे ? १ सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिद्दए य सुक्किलए य, २ सिय कालए य नीलए य लोहियगे 'य हालिहगे य सुक्किलगाय, एव एएण कमेण भगा चारेयव्वा जाव १५ सिय कालए य नीलगाय लोहियगा य हालिगा य सुक्किलगे य, एसो पन्नरसमो भंगो, १६. सिय कालगा य नीलगे य लोहियगे य हालिए य सुक्किलए य १७ सिय कालगा य नीलगे य लोहियगे य हालिद्दगे य सुक्किलगा य, १८ सिय कालगा य नीलगे य लोहियगे य हालिगा य सुक्किलए य, १६ सिय कालगा य नीलगे य लोहियगे य हालिगा य सुक्किलगा य, २० सिय कालगा य नीलगे य लोहियगा य हालिए य सुक्किलए य, २१. सिय कालगा य नीलगे य लोहियगा य हालिए य सुक्किलगा य, २२. सिय कालगा य नीलए य लोहियगा य हालिद्दगा य सुक्किलए य, २३ सिय कालगा य नीलगाय लोहियगे य हालिए य सुक्किलए य, २४ सिय कालगा य नीलगा य लोहियगे य हालिद्दए य सुक्किलगा य, २५. सिय कालगा य नीलगाय लोहियगे य हालिगा य सुक्किलए य, २६. सिय कालगा य नीलगा य लोहियगा य हालिद्दए य सुक्किलए य, एए पचसजोएण छव्वीस भगा भवति, एवमेव सपुव्वावरेणं एक्कग-दुयग-तियग-चउक्कग-पंचगसजोएहिं दो एक्कतीस भंगसया भवति । गंधा जहा सत्तपएसियस्स । रसा जहा एयस्स चेव वण्णा । फासा जहा चउप्पएसियस्स ॥ १. सोलस ( स ) । ८१६ Page #878 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वीसइम सत (पंच मो उद्देसो) ३४ नवपएसिए ण भते । खधे-पुच्छा । गोयमा । सिय एगवण्णे जहा अट्टपएसिए जाव सिय चउफासे पण्णत्ते । जइ एगवणे ? एगवण्ण-दुवण्ण-तिवण्ण-चउवण्णा जहेव' अट्ठपएसियस्स। जइ पचवण्णे ? १ सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिद्दए य सुक्किलए य, २ सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिद्दए य सुक्किलगा य, एव परिवाडीए एवकतीस भगा भाणियव्वा जाव सिय कालगा य नीलगा य लोहियगा य हालिद्दगा य सुक्किलए य, एए एकत्तीस भगा, एव एक्कग-दुयग-तियगचउक्कग-पचगसजोएहि दो छत्तीसा भगसया भवति । गधा जहा अट्ठपएसियस्स । रसा जहा एयस्स चेव वण्णा । फासा जहा चउपएसियस्स ।।। ३५ दसपएसिए ण भते । खधे-पुच्छा। गोयमा | सिय एगवण्णे जहा नवपएसिए जाव सिय चउफासे पण्णत्ते । जइ एगवण्णे ? एगवण्ण-दुवण्ण-तिवण्ण-चउवण्णा जहेव नवपएसियस्स । पचवण्णे वि तहेव, नवर-वत्तीसतिमो भगो भण्णति, एवमेते एक्कग-दुयग-तियगचउक्कग-पचगसजोएसु दोण्णि सत्ततीसा भगसया भवति । गधा जहा नवपएसियस्स । रसा जहा एयस्स चेव वण्णा । फासा जहा चउप्पएसियस्स । जहा दसपएसिओ एव सखेज्जपएसियो वि । एव अस वेज्जपएसियो वि । सुहमपरिणग्रो अणतपएसियो वि एव चेव ।। वायरपरिणए ण भते । अणतपएसिए खधे कतिवणे० ? एव जहा अट्ठारसमसए जाव' सिय अटफासे पण्णत्ते । वण्ण-ध-रसा जहा दसपएसियस्स। जइ चउफासे ? १. सव्वे कक्खडे सव्वे गरुए सव्वे सीए सव्वे निद्धे, २. सव्वे कक्खडे सव्वे गरुए सव्वे सीए सव्वे लुक्खे, ३. सव्वे कक्खडे सव्वे गरुए सव्वे उसिणे सव्वे निद्धे, ४ सव्वे कक्खडे सव्वे गरुए सव्वे उसिणे सव्वे लुक्खे, ५ सब्वे कक्खडे सव्वे लहुए सव्वे सीए सव्वे निद्धे, ६. सव्वे कक्खडे सव्वे लहए सव्वे सीए सव्वे लुक्खे, ७ सव्वे कक्खडे सव्वे लहुए सव्वे उसिणे सव्वे निद्धे, ८ सव्वे कक्खडे सव्वे लहुए सव्वे उसिणे सव्वे लुक्खे, ६ सव्वे मउए सव्वे गरुए सव्वे सीए सव्वे निद्धे, १० सव्वे मउए सव्वे गरुए सव्वे सीए सव्वे लुक्खे, ११. सव्वे मउए सव्वे गरुए सव्वे उसिणे सव्वे निद्धे, १२ सव्वे मउए सव्वे गरुए सव्वे उसिणे सव्वे लुक्खे, १३ सव्वे मउए सव्वे लहुए सव्वे सीए सव्वे निद्धे, १४ सव्वे मउए सव्वे लहुए सव्वे सीए सव्वे लुक्खे, १५. सव्वे मउए सव्वे लहुए सव्वे उसिणे सव्वे निद्धे, १६. सव्वे मउए सव्वे लहुए सव्वे उसिणे सव्वे लुक्खे, एए सोलस भगा। जइ पचफासे ? १ सव्वे कक्खडे सव्वे गरुए सव्वे सीए देसे निद्धे देसे लक्खे, १. भ० १८।११७। Page #879 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ८१८ २. सव्वे कक्खडे सव्वे गरुए सव्वे सीए देसे निद्धे देसा लक्खा, ३ सव्वे कक्खडे सव्वे गरुए सव्वे सीए देसा निद्धा देसे लुक्खे, ४. सव्वे कक्खडे सव्वे गरुए सव्वे सीए देसा निद्धा देसा लुक्खा, सव्वे कक्खडे सव्वे गरुए सव्वे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे ४, सव्वे कक्खडे सव्वे लहुए सव्वे सीए देसे निद्धे देसे लुक्खे ४, सव्वे कक्खडे सव्वे लहुए सव्वे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे ४, एव एए कक्खडेण सोलस भगा, सव्वे मउए सव्वे गरुए सव्वे सीए देसे निद्धे देसे लुक्ख, एव मउएण वि सोलस भगा, एव बत्तीस भगा, सव्वे कक्खडे सव्वे गरुए सव्वे निद्धे देसे सीए देसे उसिणे, सव्वे कक्खडे सव्वे गरुए सव्वे लुक्खे देसे सीए देसे उसिणे, एए बत्तीस भगा, सव्वे कक्खडे सव्वे सीए सव्वे निद्धे देसे गरुए देसे लहुए, एत्थ वि वत्तीस भगा, सव्वे गरुए सव्वे सीए सव्वे निद्धे देसे कक्खडे देसे मउए, एत्थ वि बत्तीस भगा, एव सव्वे एते पचफासे अट्ठावीस भगसय भवति । जइ छप्फासे ? १ सव्वे कक्खडे सव्वे गरुए देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे । देसे लुक्खे, २. सव्वे कक्खडे सव्वे गरुए देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसा लुक्खा, एव जाव १६ सव्वे कक्खडे सव्वे गरुए देसा सीया देसा उसिणा देसा निद्धा देसा लुक्खा, एए सोलस भगा, सव्वे कक्खडे सव्वे लहुए देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लक्खे, एत्थ वि सोलस भगा, सव्वे मउए सव्वे गरुए देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे, एत्थ वि सोलस भगा, सव्वे मउए सब्वे लहुए देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे, एत्थ वि सोलस भगा, एए चउसट्टि भगा, सव्वे कक्खडे सव्वे सीए देसे गरुए देसे लहुए देसे निद्धे देसे लुक्खे, एव जाव सव्वे मउए सव्वे उसिणे देसा गरुया देसा लहुया देसा णिद्धा देसा लुक्खा, एत्थ वि चउसटि भगा, १ सव्वे कक्खडे सव्वे निद्धे देसे गरुए देसे लहुए देसे सीए देसे उसिणे जाव सव्वे मउए सव्वे लुक्खे देसा गरुया देसा लहुया देसा सीया देसा उसिणा, एए चउसटि भगा, सव्वे गरुए सव्वे सीए देसे कक्खडे देसे मउए देसे निद्धे देसे लुक्खे, एव जाव सव्वे लहुए सव्वे उसिणे देसा कक्खडा देसा मउया देसा निद्धा देसा लुक्खा, एए चउसद्धि भगा, सव्वे गरुए सव्वे निद्धे देसे कक्खडे देसे मउए देसे सीए देसे उसिणे जाव सव्वे लहुए सव्वे लुक्खे देसा कक्खडा देसा मउया देसा सीया देसा उसिणा, एए चउसद्धिं भगा, सव्वे सीए सव्वे निद्धे देसे कक्खडे देसे मउए देसे गरुए देसे लहुए जाव सव्वे उसिणे सव्वे लुक्खे देसा कक्खडा देसा मउया देसा गरुया देसा लहुया, एए चउसट्टि भगा, सव्वे एते छप्फासे तिण्णि चउरासीया भगसया भवति । जड सत्तफासे ? १ सव्वे कक्खडे देसे गरुए देसे लहुए देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे, सव्वे कक्खडे देसे गरुए देसे लहुए देसे सीए देसे उसिणे देसा निद्धा देसा लुक्खा ४, सब्वे कक्खडे देसे गरुए देसे लहुए देसे सीए देसा उसिणा Page #880 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वीसइम सत (पचमो उद्देसो) ८१६ देसे निद्धे देसे लक्खे ४, सव्ये कक्खडे देसे गरुए देसे लहुए देसा सीया देसे उसिण देसे निद्धे देसे लक्खे ४, सव्वे कक्खडे देसे गरुए देसे लहुए देसा सीया देसा उसिणा देसे निद्धे देसे लक्खे ४, सव्वे एते सोलस भगा भाणियव्वा, सव्वे कक्खडे देसे गरुए देसा लहुया देसे सोए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे, एव गरुएण एगत्तेण, लहुएण पुहत्तेण, एते वि सोलस भगा, सव्वे कक्खडे देसा गरुया देसे लहुए देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे, एए वि सोलस भगा भाणियव्वा, सव्वे कक्खडे देसा गरुया देसा लहुया देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे, एए वि सोलस भगा भाणियव्वा, एवमेते चउसट्ठि भगा कक्खडेण सम । सव्वे मउए देसे गरुए देसे लहुए देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे, एव मउएण वि सम चउटि भगा भाणियव्वा' । सव्वे गरुए देसे कक्खडे देसे मउए देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे, एव गरुएण वि सम चउसट्टि भगा कायव्वा । सव्वे लहुए देसे कक्खडे देसे मउए देसे सीए देसे उसिणं देसे निद्धे देसे लक्खे, एव लहुएण वि सम चउसटि भगा कायव्वा । सव्वे सीए देसे कक्खडे देसे मउए देसे गरुए देसे लहुए देसे निद्धे देसे लुक्खे, एव सीतेण वि सम चउसटि भगा कायव्वा । सव्वे उसिणे देसे कक्खडे देसे मउए देसे गरुए देसे लहुए देसे निर्द्ध देसे लुक्खे, एव उसिणेण वि सम चउसट्ठि भगा कायव्वा । सव्वे निद्धे देसे कक्खडे देसे मउए देसे गरुए देसे लहुए देसे सीए देसे उसिणे, एव निद्धेण वि सम च उसटि भगा कायव्वा । सव्वे लुक्खे देसे कक्खडे देसे मउए देसे गरुए देसे लहुए देसे सीए देसे उसिणे, एव लुक्खेण वि सम चउसद्धिं भगा कायव्वा जाव सव्वे लुक्खे देसा कक्खडा देसा मउया देसा गरुया देसा लहुया देसा सीया देसा उसिणा, एव सत्तफासे पच वारसत्तरा भगसया भवति । जइ अट्टफासे ? देसे कक्खडे देसे मउए देसे गरुए देसे लहुए देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे ४, देसे कक्खडे देसे मउए देसे गरुए देसे लहुए देसे सीए देसा उसिणा देसे निद्धे देसे लुक्खे ४, देसे कक्खडे देसे मउए देसे गरुए देसे लहुए देसा सीया देसे उसिणे देसे निद्ध देसे लुक्खे ४, देसे कक्खडे देसे मउए देसे गरुए देसे लहुए देसा सीया देसा उसिणा देसे निद्धे देसे लुक्खे ४, एए चत्तारि चउक्का सोलस भगा। देसे कक्खडे देसे मउए देसे गरुए देसा लहुया देसे सीए से उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे, एव एते गरुएण एगत्तएण, लहुएण पुहत्तएण सोलस भगा कायव्वा। देसे कक्खडे देसे मउए देसा गरुया देसे लहुए देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे, एए वि सोलस भगा कायव्वा । देसे कक्खडे देसे मउए देसा गरुया देसा लहुया देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे, एते वि सोलस भगा कायव्वा । सव्वेवेते चउसद्धिं भगा कक्खड-मउएहिं १ नेयव्वा (अ, क, ता, व, म)। Page #881 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५२० भगवई एगत्तएहिं । ताहे कक्खडेणं एगत्तएणं, मउएण पुहत्तएण, एते चउसद्धिं भंगा कायव्वा । ताहे कक्खडेण पुहत्तएण, मउएण एगत्तएण चउसद्धिं भगा कायव्वा । ताहे एतेहि चेव दोहि वि पुहत्तेहि चउसट्टि भगा कायव्वा जाव देसा कक्खडा देसा मउया देसा गरुया देसा लहुया देसा सीया देसा उसिणा देसा निद्धा देसा लुक्खा एसो अपच्छिमो भगो। सव्वे एते अट्ठफासे दो छप्पन्ना भगसया भवति । एव एते बादरपरिणए अणतपएसिए खधे सव्वेसु सजोएसु वारस छन्नउया भगसया भवति ।। परमाणु-पद ३७ कतिविहे ण भते । परमाण पण्णत्ते ? गोयमा । चउव्विहे परमाणू पण्णत्ते, त जहा-दव्वपरमाणू, खेत्तपरमाणू, कालपरमाणू, भावपरमाणूं। दव्वपरमाणू ण भते ! कतिविहे पण्णत्ते? गोयमा | चउविहे पण्णत्ते, त जहा-अच्छेज्जे, अभेज्जे, अडज्झे, अगेज्झे ।। ३६. खेत्तपरमाणू ण भते । कतिविहे पण्णत्ते ? । गोयमा ! चउविहे पण्णत्ते, त जहा–अणद्धे, अमझे, अपदेसे, अविभाइमे ॥ कालपरमाणू ण भते । कतिविहे पण्णत्ते १० गोयमा | चउविहे पण्णत्ते, त जहा–अवण्णे, अगधे, अरसे, अफासे ।। भावपरमाणू ण भते । कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा । चउविहे पण्णत्ते, त जहा-वण्णमते, गधमते, रसमते, फासमते ।। ४२. सेव भते । सेव भते ! त्ति जाव' विहरइ ॥ छट्ठो उद्देसो पुढविवादीणं आहार-पद ४३. पुढविक्काइए ण भते । इमोसे रयणप्पभाए सक्करप्पभाए य पुढवीए अतरा समोहए, समोहणित्ता जे भविए सोहम्मे कप्पे पुढविकाइयत्ताए उवव ज्जित्तए, से णं भते । कि पुब्बि उववज्जित्ता पच्छा आहारेज्जा ? पुद्वि आहारेत्ता पच्छा उववज्जेज्जा? गोयमा । पुद्वि वा उववज्जित्ता पच्छा आहारेज्जा एवं जहा सत्तरसमसए १. नं० पा०-पुच्छा। २. भ० ११५१ । Page #882 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४७ वीसइम सत (अट्ठो उद्देसो) ८२१ छठ्ठद्देसे जाव' से तेणट्टेण गोयमा ! एव वुच्चइ-पुव्वि वा जाव उववज्जेज्जा, नवर-तेहि सपाउणणा, इमेहि आहारो भण्णति, सेस त चेव ॥ ४४ पुढविक्काइए ण भते । इमासे रयणप्पभाए सक्करप्पभाए य पुढवीए अतरा समोहए, समोहणित्ता जे भविए ईसाणे कप्पे पुढविक्काइयत्ताए उववज्जि त्तए० ? एव चेव । एव जाव ईसीपन्भाराए उववाएयव्वो ॥ ४५ पुढविक्काइए ण भते । सक्करप्पभाए वालुयप्पभाए य पुढवीए अतरा समोहए, समोहणित्ता जे भविए सोहम्मे जाव ईसोपभाराए, एव एतेण कमेण जाव तमाए अहेसत्तमाए य पुढवीए अतरा समोहए समाणे जे भविए सोहम्मे जाव' । ईसीपभाराए उववाएयव्वो।। पुढविक्काइए ण भते ! सोहम्मीसाणाण सणकुमार-माहिदाण य कप्पाण अतरा समोहए, समोहणित्ता जे भविए इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पुढविक्काइयत्ताए उववज्जित्तए, से ण भते | कि पुदिव उववज्जित्ता पच्छा आहारेज्जा ? सेस त चेव जाव से तेणटेण जाव निक्खेवओ ।। पुढविक्काइए ण नते । सोहम्मीसाणाण सणकुमार-महिंदाण य कप्पाण अतरा समोहए, समोहणित्ता जे भविए सक्करप्पभाए पुढवीए पुढविक्काइयत्ताए उववज्जित्तए० ? एव चेव । एव जाव अहेसत्तमाए उववाएयव्वो। एव सणकुमार-माहिंदाण वभलोगस्स य कप्पस्स अतरा समोहए, समोहणित्ता पुणरवि जाव अहेसत्तमाए उवावाएयव्वो। एव वभलोगस्स लतगस्स य कप्पस्स अतरा समोहए, पुणरवि जाव अहेसत्तमाए। एव लतगस्स महासुक्कस्स कप्पस्स य अतरा समोहए, पुणरवि जाव अहेसत्तमाए। एव महासुक्कस्स सहस्सारस्स य कप्पस्स अतरा पुणरवि जाव अहेसत्तमाए । एव सहस्सारस्स आणय-पाणयकप्पाण य अतरा पुणरवि जाव अहेसत्तमाए। एव आणय-पाणयाण प्रारणच्च-' याण य कप्पाण अतरा पुणरवि जाव अहेसत्तमाए । एव आरणच्चुयाण गेवेज्जविमाणाण य अतरा जाव अहेसत्तमाए। एव गेवेज्जविमाणाण अणुत्तरविमाणाण य अतरा पुणरवि जाव अहेसत्तमाए। एव अणुत्तरविमाणाण ईसीपब्भा राए य पुणरवि जाव अहेसत्तमाए उववाएयव्वो ॥ ४८ आउक्काइए ण भते । इमीसे रयणप्पभाए सक्करप्पभाए य पुढवीए अतरा समोहए, समोहणित्ता जे भविए सोहम्मे कप्पे अाउकाइयत्ताए उववज्जित्तए. ? सेस जहा पुढविक्काइयस्स जाव' से तेणद्वेण । एव पढम-दोच्चाण' अतरा समोहए जाव ईसीपब्भाराए उववाएयव्वो। एव एएण कमेण जाव तमाए अहेसत्तमाए य पुढवीए अतरा समोहए, समोहणित्ता जाव ईसीपब्भाराए उववाएयव्वो बाउक्काइयत्ताए । १. भ. १७१६७,६८। Page #883 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८२२ भगवई ४६ आउयाए ण भते । सोहम्मोसाणाण सणंकुमार-माहिदाण य कप्पाण अतरा समोहए, समोहणित्ता जे भविए इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए घणोदहिघणोदहिवलएसु आउक्काइयत्ताए उववज्जित्तए० ? सेस त चेव । एव एएहि चेव अतरा समोहरो जाव अहेसत्तमाए पुढवीए घणोदहि-घणोदहिवलएसु आउक्काइयत्ताए उववाएयव्वो। एव जाव' अणुत्तरविमाणाण ईसीपभाराए य पुढवीए अतरा समोहए जाव अहेसत्तमाए घणोदहि-घणोदहिवलएसु उववाएयव्वो॥ वाउक्काइए ण भते । इमीसे रयणप्पभाए सक्करप्पभाए य पुढवीए अतरा समोहए, समोहणित्ता जे भविए सोहम्मे कप्पे वाउक्काइयत्ताए उववज्जित्तए.? एव जहा सत्तरसमसए वाउक्काइयउद्देसए तहा इह वि, नवर-अतरेसु समोहणा नेयव्वा, सेस त चेव जाव अणुत्तरविमाणाण ईसीपव्भाराए य पुढवीए अतरा समोहए, समोहणित्ता जे भविए घणवाय-तणुवाए घणवाय-तणुवायवलएसु वाउक्काइयत्ताए उववज्जित्तए, सेस त चेव जाव से तेणद्वेण जाव' उवव ज्जंज्जा। ५१. सेव भते ! सेव भते । त्ति'। सत्तमो उद्देलो बंध-पदं ५२ कतिविहे ण भते । बधे पण्णत्ते ? गोयमा । तिविहे वधे पण्णत्ते, त जहा-जीवप्पयोगवधे, अणतरवधे, परपर वधे। ५३. नेरइयाण भते । कतिविहे बधे पण्णत्ते ? एव चेव । एव जाव वेमाणियाण ।। ५४ नाणावरणिज्जस्स ण भते ! कम्मस्स कतिविहे बधे पण्णत्ते ? गोयमा ! तिविहे वधे पण्णत्ते, त जहा-जीवप्पयोगवधे, अणतरबधे, परपर वधे ।। ५५. नेरइयाण भते | नाणावरणिज्जस्स कम्मस्स कतिविहे वधे पण्णत्ते ? एव चेव । एव जाव वेमाणियाण । एव जाव अतराइयस्स ।। १. भ० १७१७८-८० । २. वाचनान्तराभिप्रायेण तु पृथिव्यवायु विपयत्वादुद्देशकत्रयमिदमतोऽष्टम (व) । Page #884 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वीसइम सत (सत्तमो उद्देसो) ५६ नाणावरणिज्जोदयस्स ण भते । कम्मस कतिविहे वधे पण्णत्तं ? गोयमा । तिविहे बधे पण्णत्ते एव चेव । एव नेरइयाण वि । एव जाव वेमाणियाण । एव जाव तराइनोदयस्स ॥ ५७. इत्यीवेदस्स ण भते । कम्मस्स कतिविहे वधे पण्णत्ते ? गोयमा ! तिविहे बधे पण्णत्ते एव चेव || ५८ सुरकुमाराण भते । इत्थीवेदस्स कम्मस्स कतिविहे बधे पण्णत्ते ? एव चेव । एव जाव वेमाणियाण, नवर - जस्स इत्थवेदो अत्थि । एव पुरिसवेदस्स वि । एव नपुगवेदस्स वि जाव वैमाणियाण, नवर - जस्स जो प्रत्थि वेदो || ५६ दसणमोहणिज्जस्स ण भते । कम्मस्स कतिविहे वधे पण्णत्ते ८२३ एव चेव । निरतर जाव वेभाणियाण । एव चरितमोहणिज्जस्स वि जाव वेमाणियाण । एव एएण कमेण ग्रोरालियस रीरस्स जाव कम्मगसरीरस्स ग्राहारसण्णाए जा परिग्गहसण्णाए, कण्हलेसाए जाव सुक्कलेसाए, सम्मदिट्ठीए मिच्छादिट्ठीए सम्मामिच्छादिट्ठीए ग्राभिणिवोहियनाणस्स जाव केवलनाणस्स, मइग्रण्णाणस्स सुग्रणाणस्स विभगनाणस्स, एव आभिणिवोहियनाणविसयस्स भते । कतिविहे बधे पण्णत्ते जाव केवलनाणविसयस्स, मइग्रण्णाणविसयस्स सुयग्रण्णाणविसयस्स विभगनाणविसयस्स - एएसि सव्वेसि पदाण तिविहे बधे पण्णत्ते । सव्वेवेते चउव्वीस दडगा भाणियव्वा, नवर - जाणियव्व जस्स ज प्रत्थि । जाव ६०. वेमाणियाण भते ! विभगनाणविसयस्स कतिविहे वधे पण्णत्ते ? गोयमा । तिविहे वधे पण्णत्ते, त जहा - जीवप्पयोगवधे, ग्रणतरबधे, परपरवधे ॥ ६१ सेव भते । सेव भते । जाव' विहरइ' । १ भ० १।५१ । २ इह सग्रहगाथे---- जीवप्पओगवधे, अणतरपरपरे च वोद्धव्वे | पगडी उदए वेए, दसरणमोहे चरिते य ॥ १ ओरालियवे उव्विय - आहारगतेयकम्मए चेव । सण्णा लेस्सा दिट्ठी, नाणानाणेसु तव्विसए |२| (वृ) । Page #885 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८२४ अट्टमो उद्देसो समयखेत्ते श्रसप्पिणि उस्सप्पिणि-पदं ६२ कति ण भते । कम्मभूमीग्रो पण्णत्ताओ ? गोयमा | पन्नरस कम्मभूमी पण्णत्तायो, त जहा - पच भरहाइ, पच एरवयाइ, पच महाविदेहाई ॥ ६३ कति ण भते । ग्रकम्मभूमी पण्णत्ताओ ? गोयमा । तीस कम्मभूमीग्रो पण्णत्ताग्रो, त जहा - पत्र हेमवयाइ, पच हेरण्णवयाइ, पच हरिवासाइ, पच रम्मगवासाइ, पच 'देवकुराओ, पच उत्तरकुराग्रो"॥ ६४ एयासु ण भते । तीसासु ग्रकम्मभूमीसु ग्रत्थि ग्रोसप्पिणीति वा उस्सप्पिणीति वा ? ? भगवई नो इट्ठे समट्ठे | I ६५ एएसु ण भते पचसु भरहेसु, पचसु एरवएस अस्थि ग्रोसप्पिणीति वा उस्सप्पिणीति वा हता थि । सु ण पचसु महाविदेहेसु नेवत्थि ग्रोसप्पिणी, नेवत्थि उस्सप्पणी, वट्टिए ण तत्थ काले पण्णत्ते समणाउसो । पचमहव्वइय-चाउज्जाम-धम्म-पदं ६६. एएसु ण भते । पचसु महाविदेहेसु रहता भगवतो पचमहव्वइय' सपडिक्कमणं धम्म पण्णवयति ? नो इट्ठे समट्ठे | एएसु ण पचसु भरहेसु, पचसु एरवसु, पुरिम - पच्छिमगा दुवे अरहता भगवतो पच महत्वइय' सपडिक्कमण धम्म पण्णवयति, प्रवसेसा ण रहता भगवतो चाउज्जाम धम्म पण्णवयति । एएसु ण पचसु महाविदेहेसु अरहंता भगवतो चाउज्जाम धम्म पण्णवयति ॥ तित्थगर - पदं ६७ जबुद्दीवे ण भते । दीवे भारहे वासे इमीसे ग्रोसप्पिणीए कति तित्थगरा पण्णत्ता ? गोयमा । चउवीस तित्थगरा पण्णत्ता, त जहा - उसभ-जिय- सभव-अभिनदण १. देवकुरुओ पच उत्तरकुरूओ ( अ, क, ख, व, म) 1 २ पच महत्वइय पचाणुव्वइय (ता, स ) । ३ पंचमहव्वय पचाणुव्वइय (ता) । Page #886 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८२५ वीसइम सत (अट्ठमो उद्दसौ) सुमति-सुप्पभ-सुपास-ससि-पुप्फदत-सीयल-सेज्जस-वासुपुज्ज-विमल-अणत धम्म-सति-कुथु-अर-मल्लि-मुणिसुव्वय-नमि-नेमि-पास-वद्धमाणा ॥ ६८ एएसि ण भते । चउवीसाए तित्थगराण कति जिणतरा पण्णत्ता ? गोयमा । तेवीस जिणतरा पण्णत्ता ।। जिणतरेसु कालिवसुय-पदं ६६ एएसि ण भते । तेवीसाए जिणतरेसु कस्स कहि कालियसुयस्स वोच्छेदे पण्णत्त? गोयमा | एएसु ण तेवीसाए जिणतरेसु पुरिम-पच्छिमएसु असु-असु जिणतरेसु एत्थ ण कालियसुयस्स अव्वोच्छेदे पण्णत्ते, मज्झिमएसु सत्तसु जिणतरेसु एत्थ ण कालियसुयस्स वोच्छेदे पण्णत्ते, सव्वत्थ वि ण वोच्छिण्णे दिट्ठिवाए । पुव्वगय-पद ७० जवुद्दीवे ण भते ! दीवे भारहे वासे इमीसे अोसप्पिणीए देवाणुप्पियाण केवतिय काल पुव्वगए अणुसज्जिस्सति ? गोयमा | जवुद्दीवे ण दीवे भारहे वासे इमीसे अोसप्पिणीए मम एग वाससहस्स पुव्वगए अणुसज्जिस्सति ।। जहा ण भते । जवुद्दीवे दीवे भारहे वासे इमीसे अोसप्पिणीए देवाणुप्पियाण एग वाससहस्स पुव्वगए अणुसज्जिस्सति, तहा ण भते । जवुद्दीवे दीवे भारहे वासे इमीसे प्रोस प्पिणीए अवसेसाण तित्थगराण केवतिय काल पुव्वगए अणुसज्जित्था ? गोयमा | अत्थेगतियाण सखेज्ज काल, अत्थेगतियाण असखेज्ज काल ॥ तित्थ-पदं ७२ जबुद्दीवे ण भते । दीवे भारहे वासे इमीसे अोसप्पिणीए देवाणुप्पियाण केवतिय काल तित्ये अणसज्जिस्सति ? गोयमा । जवुद्दीवे दीवे भारहे वासे इमीसे अोसप्पिणीए मम एगवीस वाससहस्साइ तित्थे अणुसज्जिस्सति ॥ जहा ण भते | जबुद्दोवे दोवे भारहे वासे इमीसे वासे प्रोसप्पिणीए देवाणप्पियाण एक्कवीस वाससहस्साइ तित्थे अणुसज्जिस्सति, तहा ण भते । जबुद्दीवे दीवे भारहे वासे प्रागमेस्साण' चरिमतित्थगरस्स केवतिय काल तित्थे । अणुसज्जिस्सति ? १. भविष्यता महापद्मादीना जिनानाम् (वृ) । Page #887 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८२६ भगवई गोयमा । जावतिए ण उसभस्स अरहनो कोसलियस्स जिणपरियाए एवइयाइ सखेज्जाइ पागमेस्साण चरिमतित्थगरस्स तित्थे अणुसज्जिस्सति ॥ ७४ तित्थ भते । तित्थ ? तित्थगरे तित्थ ? गोयमा । अरहा ताव नियम तित्थकरे, तित्थ पुण चाउवण्णे' समणसघे, त जहा-समणा, समणीयो, सावया, सावियाग्रो ।। ७५ पवयण भते । पवयण ? पावयणी पवयण ? गोयमा । अरहा ताव नियम पावयणी, पवयण पुण दुवालसगे गणिपिडगे, त जहा-पायारो' सूयगडो ठाण समवायो विवाहपण्णत्ती णाया-धम्मकहानो उवासगदसायो अतगडदसायो अणुत्तरोववाइयदसानो पण्हावागरणाइ विवाग सुय ° दिदिवाओ॥ उग्गादीणं निगथधम्माणुगमण-पदं ७६. जे इमे भते । उग्गा, भोगा, राइण्णा, इक्खागा, नाया', कोरव्वा-एए ण अस्सि धम्मे ओमाहति, श्रोगाहित्ता अट्टविह कम्मरयमल पवाहेति, पवाहेत्ता तयो पच्छा सिझति जाव सव्वदुक्खाण अत करेति ? हता गोयमा । जे इमे उग्गा, भोगा, राइण्णा, इक्खागा, नाया, कोरव्वाएए ण अस्सि धम्मे प्रोगाहति, ओगाहित्ता अट्ठविह कम्मरयमल पवाहेति, पवाहेत्ता तो पच्छा सिझति जाव सव्वदुक्खाण° अत करेति, अत्थेगतिया अण्णयरेसु देवलोएसु देवत्ताए उववत्तारो भवति ।। ७७ कतिविहा ण भते । देवलोया पण्णत्ता ? गोयमा । चउव्विहा देवलोया पण्णत्ता, त जहा-भवणवासी, वाणमतरा, जोतिसिया, वेमाणिया ।। ७८ सेव भते । सेव भते ! त्ति ।। नवमो उद्देसो विज्जा-जंघा-चारण-पदं ७६. कतिविहा ण भते ! चारणा पण्णत्ता ? १. चाउवण्णाइण्णे (व, स, वृ); चाउवण्णे (वृपा)। २. स० पा०-पायारो जाव दिट्ठिवाओ । ३. नाता (अ, क, ब)। ४. स० पा०–त चेव जाव अत । Page #888 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वीसइम सत ( नवमो उद्देसो) ८० ८२७ गोयमा । दुविहा चारणा पण्णत्ता, त जहा - विज्जाचारणा य, जघा - चारणा य ॥ से केणट्टेण भते । एव बुच्चड - विज्जाचारणे' - विज्जाचारणे ? 1 गोयमा । तस्स ण छट्ठछट्टेण अणिक्खित्तेण तवोकम्मेण विज्जाए उत्तरगुणलद्धि खममाणस्स विज्जाचारणलद्धी नाम लद्धी समुप्पज्जइ । से तेणट्टेण' गोयमा । एव बुच्चइ ० - विज्जाचारणे- विज्जाचारणे ॥ O ८१. विज्जाचा रणस्स ण भते । कह सीहा गतो, कह सोहे गतिविस पण्णत्ते ? गोयमा । ग्रयण्ण जबुद्दोवे दीवे जाव' किचिविसेसाहिए परिक्खेवेण । देवे ण महिड्ढीए जाव' महेस जाव इणामेव- इणामेव त्ति कट्टु' केवलकप्प जवुद्दीव दीव तिहि श्रच्छरानिवाहि तिक्खुत्तो अणुपरियट्टित्ता ण हव्वमागच्छेज्जा, विज्जाचा रणस्स ण गोयमा । तहा सीहा गती, तहा सीहे गतिविसए पण्णत्ते ॥ ८२. विज्जाचा रणस्स ण भते । तिरिय केवतिय गतिविसए पण्णत्ते ? गोयमा ! से ण इग्रो एगेण उप्पाएण माणुसुत्तरे पव्वए समोसरण करेति, करेत्ता तहि चेइयाइ वदति, वदित्ता वितिएण उप्पाएण नदीसरवरे दीवे समोसरण करेति, करेत्ता तहि चेइयाइ वदति, वदित्ता तो पडिनियत्तति, पडिनियत्तित्ता इहमागच्छर, ग्रागच्छित्ता इह चेइयाइ वदति । विज्जाचार - ण ण गोयमा । तिरिय एवतिए गतिविसए पण्णत्ते ॥ ८३. विज्जाचारणस्स ण भते । उड्ढ केवतिए गतिविस पण्णत्ते ? गोयमा । से ण इन एगेण उप्पाएण नदणवणे समोसरण करेति, करेत्ता तहिं या वदति, वदित्ता बितिएण उप्पाएण पडगवणे समोसरण करेति, करेत्ता तहि चेइयाइ वदति, वदित्ता तो पडिनियत्तति, पडिनियत्तित्ता इहमागच्छइ, ग्रागच्छित्ता इह चेइयाइ वदति । विज्जाचारणस्स ण गोयमा । उड्ढ एवतिए गतिविस पण्णत्ते । सेण तस्स ठाणस्स प्रणालोइयपडिक्कते काल करेति न त राहणा । से ण तस्स ठाणस्स प्रालोइय-पडिक्कते का प्रत्थि तस्स राहणा || ८४ सेकेणट्टेण भते । एव वुच्चइ - जघाचारणे - जघाचारणे ? 1 गोयमा । तस्स ण श्रमग्रमेण प्रणिक्खित्तेण तवोकम्मेण अप्पाण भावेमा - १. विज्जाचारणा ( अ, क, ख, म, स ) । २ स० पा०—ट्ठे जाव विज्जाचारणे । ३ भ० ६।७५ । ४ भ० १।३३६ । ५ तुलना - भ० ६।१७३ । ६ अगालोतिय° (स) 1 Page #889 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८२८ भगवई णस्स जघाचारणलद्धी नाम लद्धी समुप्पज्जति । से तेणटेण' गोयमा । एव वुच्चइ-जघाचारणे-जघाचारणे॥ ८५ जघाचारणस्स ण भते । कह सीहा गती, कह सीहे गतिविसए पण्णत्ते ? गोयमा । अयण्ण जवुद्दीवे दीवे जाव किचिविसेसाहिए परिक्खेवण । देवे ण महिड्डीए जाव महेसक्खे जाव इणामेव-इणामेव त्ति कटु केवलकप्प जबुद्दीव दीव तिहिं अच्छरानिवाएहि तिसत्तखुत्तो अणुपरियट्टित्ता ण हव्वमागच्छेज्जा, जघाचारणस्स ण गोयमा । तहा सीहा गती, तहा सीहे गतिविसए पण्णत्ते' । ८६. जघाचारणस्स ण भते । तिरिय केवतिए गतिविसए पण्णत्ते ? गोयमा । से ण इनो एगेण उप्पाएण रुयगवरे दीवे समोसरण करेति, करेत्ता तहि चेइयाइ वदति, वदित्ता तओ पडिनियत्तमाणे बितिएण उप्पाएण नदीसरवरदीवे समोसरण करेति, करेत्ता तहिं चेइयाइ वदति, वदित्ता इहमागच्छइ, प्रागच्छित्ता इह चेइयाइ वदति, जघाचारणस्स ण गोयमा । तिरिय एवतिए गतिविसए पण्णत्ते ॥ ८७ जघाचारणस्स ण भते । उड्ढ केवतिए गतिविसए पण्णत्ते ? गोयमा । से ण इनो एगेण उप्पाएण पडगवणे समोसरण करेति, करेत्ता तहि चेइयाइ वदति, व दित्ता तो पडिनियत्तमाणे वितिएण उप्पाएण नदणवणे समोसरण करेति, करेत्ता तहि चेइयाइ वदति, वदित्ता इहमागच्छइ, आगच्छित्ता इह चेइयाइ वदति, जघाचारणस्स ण गोयमा | उड्ढ एवतिए गतिविसए पण्णत्ते । से ण तस्स ठाणस्स प्रणालोइय-पडिक्कते काल करेइ नत्थि तस्स पाराहणा । से ण तम्स ठाणस्स आलोइय-पडिक्कते काल करेति अस्थि तस्स आराहणा॥ ८८ सेव भते । सेव भते । जाव विहरइ ।। दसमो उद्देलो प्राउय-पदं ८६. जीवा णं भते किं सोवक्कमाउया ? निरुवक्कमाउया ? गोयमा । जीवा सोवक्कमाउया वि, निरुवक्कमाउया वि ।। १. स० पा०-तेण?ण जाव जघाचारणे। २ स० पा०-एव जहेव विज्जाचारणस्स नवर तिसत्तखुत्तो। ३. पण्णत्ते, सेस त चेव (अ, क, ख, ता, व, म,स)। ४. भ० ११५१ । Page #890 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८२९ वीसइम सत (दस मो उद्देसो) ९० नेरइयाण-पुच्छा । गोयमा । नेरइया नो सोवक्कमाउया, निरुवक्कमाउया। एव जाव थणियकुमारा । पुढविक्काइया जहा जीवा । एव जाव मणुस्सा । वाणमतर-जोइसिय वेमाणिया जहा नेरइया । उववज्जण-उव्वट्टण-पदं ११ नेरइया ण भते । किं ातोवक्कमेण' उववज्जति ? परोवक्कमेण उवव ज्जति ? निरुवक्कमेण उववज्जति ? गोयमा | आतोवक्कमेण वि उववज्जति, परोवक्कमेण वि उववज्जति, निरुवक्कमेण वि उववज्जति । एव जाव वेमाणिया ॥ नेरइया ण भते । कि अातोवक्कमेण उव्वट्टति ? परोवक्कमेण उव्वदृति ? निरुवक्कमेण उव्वट्टति ? गोयमा | नो पातोवक्कमेण उव्वट्टति, नो परोवक्कमेण उव्वट्टति, निरुवक्कमेण उव्वट्टति । एव जाव थणियकुमारा । पुढविकाइया जाव मणुस्सा तिसु उव्वट्टति । सेसा जहा नेरइया, नवर-जोइसिय-वेमाणिया चयति ।। नेरइया ण भते । किं ग्राइड्ढोए उबवज्जति ? परिड्ढीए' उववज्जति ? गोयमा । अाइड्ढोए उववज्जति, नो परिड्ढीए उववज्जति। एव जाव वेमाणिया ॥ नेरइया ण भते । कि प्राइड्ढोए उव्वट्टति ? परिड्ढीए उव्वट्टति ? गोयमा | आइड्ढीए उव्वदृति, नो परिड्ढोए उव्वट्टति । एव जाव वेमाणिया, नवर-जोइसिया वेमाणिया य चयतीति अभिलावो । ६५ नेरइया ण भते । किं आयकम्मुणा उववज्जति ? परकम्मुणा उववज्जति ? गोयमा । प्रायकम्मुणा उववज्जति, नो परकम्मुणा उववज्जति । एव जाव वेमाणिया । एव उव्वट्टणादडो वि ॥ ६६ नेरइया ण भते । कि आयप्पओगेण उववज्जति ? परप्पयोगेण उववज्जति ? गोयमा | आयप्पोगेण उववज्जति, नो परप्पनोगेण उववज्जति । एव जाव वेमाणिया । एव उव्वट्टणादडग्रो वि ।। कतिसचियादि-पदं ६७ नेरइयाण भते । कि कतिसचिया ? अकतिसचिया ? अवत्तव्वगसचिया ? १ आत्मना-स्वयमेवायुप उपक्रम आत्मोपक्रम- २ पररिद्धीए (क) । स्तेन मृत्वेति शेप (वृ)। Page #891 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई गोयमा | नेरइया कतिसचिया वि, कतिमचिया वि, अवत्तव्त्रगसचिया वि || ६८ सेकेणद्वेण जाव ग्रवत्तव्वगसचिया वि ? गोमा । जेण नेरइया सखेज्जएण पवेसगरण पविसति तं ण नेरइया कतिसचिया, जेण नेरडया ग्रसखेज्जएण पवेसणएण पविमति ते ण नेरड्या कतिसचिया, जेण नेरइया एक्करण पवेसणएण पविसति ते गं ने रइया ग्रवत्तव्वगसचिया । से तेणद्वेण गोयमा ! जाव ग्रवत्तव्वगस चिया वि । एवं जाव थणियकुमारा ॥ ६६ पुढविक्काइयाण - पुच्छा । गोयमा । पुढविकाइया नो कतिसचिया, प्रकतिसचिया, नो अवत्तब्बगसंचिया ॥ ८३० १०० सेकेणट्टेण भते ! एव वुच्चइ - जाव नो प्रवत्तव्वगसत्रिया ? गोयमा । पुढविकाइया प्रसखेज्जएण पवेसणएण पविसति । से तेणद्वेण जाव नो ग्रवत्तव्वगसचिया । एव जाव वणस्सइकाइया' । वेदिया जाव वेमाणिया जहा नेरइया ॥ १०१ सिद्धाण - पुच्छा । गोयमा ! सिद्धा कतिसचिया, नो प्रकृतिसचिया, ग्रवत्तव्वगसचिया वि ।। १०२. से केणट्टेणं जाव ग्रवत्तव्वगसचिया वि ? गोयमा । जेण सिद्धा सखेज्जएण पवेसणएण पत्रिसति ते ण सिद्धा कतिसचिया, जेण सिद्धा एक्कएण पवेसणएण पविसति तेण सिद्धा अवत्तव्वगसचिया । से तेणट्टेण जाव श्रवत्तव्वगस चिया वि ॥ १०३. एएसि ण भते ! नेरइयाण कतिसचियाण ग्रकतिसचियाण ग्रवत्तव्वगसचियाण य करे कय रेहितो 'अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? 0 विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा नेरइया ग्रवत्तव्वगस चिया, कतिसचिया संखेज्जगुणा, कतिसचिया ग्रसखेज्जगुणा । एव एगिदियवज्जाण जाव वेमाणियाण अप्पाबहुग | एगिंदियाण नत्थि ग्रप्पावहुग ॥ १०४ एएसि ण भते । सिद्धाण कतिसचियाण अवत्तव्वगपचियाण य कयरे कयरेहिंतो ' • अप्पा वा ? वहुया वा ? तुल्ला वा ? ० विसेसाहिया वा ? गोयमा । सव्वत्थोवा सिद्धा कतिसचिया, अवत्तव्वगसचिया सखेज्जगुणा ॥ १. वनस्पतयस्तु यद्यप्यनन्ता उत्पद्यन्ते तथाऽपि प्रवेशनक विजातीयेभ्य आगतानां यस्तत्रोत्पादम्त द्विवक्षित, असङ्ख्याता एव विजातीयेभ्य उद्वृत्तास्तत्रोत्पद्यन्त इति सूत्रे उक्तम् (वृ) । २. स० पा० – कयरेहितो जाव विसेसाहिया । ३ म० पा० – कयरेहिंतो जाव विसेसाहिया । Page #892 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८३१ वीसइमं सतं (दसमो उद्देसो) छक्कसमज्जियादि-पदं १०५. नेरइयाण भते ! कि छक्कसमज्जिया ? नोछक्कसमज्जिया ? छक्केण य नोछक्केण य समज्जिया? छक्केहिं समज्जिया ? छक्केहि य नोछक्केण य समज्जिया ? गोयमा । नेरइया छक्कसमज्जिया वि, नोछक्कसमज्जिया वि, छक्केण य नोछक्केण य समज्जिया वि, छक्केहि समज्जिया वि, छक्केहि य नोछक्केण य समज्जिया वि॥ १०६. से केण?ण भते । एव वुच्चइ-नेरइया छक्कसमज्जिया वि जाव छक्केहि य नोछक्केण य समज्जिया वि ? गोयमा । जे ण नेरइया छक्कएण पवेसणएण पविसति ते ण नेरइया छक्कसमज्जिया। जे ण नेरइया जहण्णेण एक्केण वा दोहि वा तीहि वा, उक्कोसेण पंचएण पवेसणएण पविसति ते ण नेरइया नोछक्कसमज्जिया। जे ण नेरइया एगेण छक्कएण अण्णण य जहण्णेण एक्केण वा दोहि वा तीहिं वा, उक्कोसेण पचएण पवेसणएण पविसति तेण नेरइया छक्केण य नोछक्केण य समज्जिया । जे ण नेरइया नेगेहिं छक्केहिं पवेसणएहि पविसति ते ण नेरइया छक्केहि समज्जिया। जे ण नेरइया नेगेहिं छक्केहि अण्णेण य जहण्णेण एक्केण वा दोहि वा तीहिं वा, उक्कोसेण पचएण पवेसणएण पविसति ते ण नेरइया छक्केहि य नोछक्केण य समज्जिया । से तेणद्वेण त चेव जाव समज्जिया वि । एव जाव थणियकुमारा ॥ पुढविक्काइयाण-पुच्छा ।। गोयमा । पुढविक्काइया नो छक्कसमज्जिया, नो नोछक्कसमज्जिया, नो छक्केण य नोछक्केण य समज्जिया, छक्केहिं समज्जिया, छक्केहि य नोछक्केण य समज्जिया वि॥ १०८ से केणद्वेण जाव समज्जिया वि ? गोयमा । जे ण पुढविक्काइया नेगेहि छक्कएहि पवेसणएहि पविसति ते ण पुढविक्काइया छक्केहि समज्जिया । जे ण पुढविक्काइया नेगेहि छक्कएहि य अण्णेण य जहण्णेण एक्केण वा दोहिं वा तीहिं वा, उक्कोसेण पचएण पवेसणएण पविसति ते ण पुढविक्काइया छक्केहि य नोछक्केण य समज्जिया। से तेणतुण जाव समज्जिया वि । एव जाव वणस्सइकाइया । बेदिया जाव वेमाणिया, सिद्धा जहा नेरइया ।।। १०६ एएसि ण भते । नेरइयाण छक्कसमज्जियाण, नोछक्कसमज्जियाण, छक्केण य नोछक्केण य समज्जियाण, छक्केहि समज्जियाण, छक्केहि य नोछक्केण य १ पवेसणएण (अ, क, व, स), पवेसणग (ख, म)। १०७ Page #893 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८३२ ? वहुया वा भगवई ? २० ? समज्जियाण य कयरे कयरेहितो' ग्रप्पा वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा गोयमा । सव्वत्थोवा नेरइया छक्कसमज्जिया, नोछक्कसमज्जिया सखेज्जगुणा छक्केण य नोछक्केण य सनज्जिया सखेज्जगुणा, छक्केहि समज्जिया असखेज्ज - गुणा, छक्के ह य नोछक्केण य समज्जिया सखेज्जगुणा । एव जाव थणियकुमारा ॥ ११० एएसि ण भते | पुढविकाइयाण छक्केहि समज्जियाण, छक्केहि य नोछक्केण य समज्जियाण य कयरे कयरेहितो' ग्रप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? ० गोयमा । सव्वत्थोवा पुढविक्काइया छक् केहि समज्जिया, छत्र केहि य नोछक्केण य समज्जिया सखेज्जगुणा । एव जाव वणस्सइकाइयाण | वेइंदियाण जाव माणियाण जहा नेरइयाण || १११. एएसि ण भते । सिद्धाण छक्कसमज्जियाण नोछक्कसमज्जियाण जाव छक्के हि य नोछक्केण य समज्जियाण य कयरे कयरेहितो' 'अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? १० गोमा । सव्वत्थोवा सिद्धा छक्केहि य नोछक्केण य समज्जिया, छक्केहि समज्जिया सखेज्जगुणा, छक्केण य नोछक्केण य समज्जिया सखेज्जगुणा, छक्कसमज्जिया सखेज्जगुणा, नोछक्कसमज्जिया सखेज्जगुणा ॥ वारससमज्जियादि-पद ११२ नेरइया ण भते । किं वारससमज्जिया ?, नोवारससमज्जिया ? वारसएण य नोवारसएण य समज्जिया ? वारसएहि समज्जिया ? वारसएहि य नोवारसएणय समज्जिया ? गोमा ! नेरड्या वारससमज्जिया वि जाव वारसएहि य नोवारसएण य समज्जिया वि ।। ११३. से केणट्टेण जाव समज्जिया वि ? गोयमा । जेण नेरइया वारसएण पवेसणएण पविसति ते ण नेरइया वारस - समज्जिया । जे ण नेरइया जहण्णेण एक्केण वा दोहि वा तीहि वा, उक्कोसेण एक्कारसएण पत्रे मणएण पविसति ते ण नेरइया नोवारससमज्जिया । जेण नेरइया वारसएण ग्रणेण य जहणेण एक्केण वा दोहि वा तीहिं वा, उक्कोसेण एक्कारसएण पवेसणएणं पविसति ते ण नेरइया वारसएण य नोवारसएण य १ म० पा० - कयरेहिनो जाव विमेमाहिया । ३. स० पा० - कयरेहितो जाव विसेसाहिया । २. म० पा० - रेहितो जाव विमेाहिया । Page #894 -------------------------------------------------------------------------- ________________ atest सत (दममो उद्देसो) ८३३ समज्जिया । जेण नेरइया नेगेहि बारसएहि पवेसणएहिं पविसति ते ण नेरइया वारसएहि समज्जिया । जेण नेरइया नेगेहि वारसएहि अण्णेण य जहणेण एक्केण वा दोहि वा तीहि वा, उक्कोसेण एक्कारसएण पवेसणएण पविसति ते नेरइया वारसएहि य नोवारसएण य समज्जिया । से तेणद्वेण जाव समज्जिया वि । एव जाव थणियकुमारा ॥ ११४ पुढविक्काइयाण - पुच्छा । गोयमा ! पुढविक्काडया नोवारससमज्जिया, नो नोवारससमज्जिया, नो वारसएण य नोवारसएण य समज्जिया, वारसएहिं समज्जिया, बारसेहि य नोवारसेण य समज्जिया वि ॥ ११५. से केंणद्वेण जाव समज्जिया वि ? गोयमा । जेण पुढविक्काइया नेगेहिं वारसएहिं पवेसणएहि पविसति ते पुढविक्काडया वारसएहिं समज्जिया । जेण पुढविक्काइया नेगेहि बारस एहिं अण्णेण य जहणेण एक्केण वा दोहिं वा तीहि वा, उक्कोसेण एक्कारसएण पवेसणएण पविसति तेण पुढविक्काइया बारसएहि य नोबारसएण य समज्जिया । से तेणद्वेण जाव समज्जिया वि । एव जाव वणस्सइकाइया | बेइदिया जाव सिद्धा जहा नेरइया || ११६ एएसि ण भंते । नेरइयाण वारससमज्जियाण' - सव्वेसि ग्रप्पाबहुग जहा छक्कसमज्जियाण, नवर - बारसाभिलावो, सेस त चेव ॥ चुलसीतिसमज्जियादि-पदं ११७. नेरइया ण भते । कि चुलसीतिसमज्जिया ? नोचुलसीतिसमज्जिया ? चुलसीतीए य नोचुलसीतीए य समज्जिया ? चुलसीतीहिं समज्जिया ? सतीहि नोचुलसीतीए य समज्जिया ? गोयमा । नेरइया चुलसीतिसमज्जिया वि जाव चुलसीतीहि य नोचुलसीतीए य समज्जिया . वि ॥ चुल ११८ से केणट्टेण जाव समज्जिया वि ? गोयमा । जेण नेरइया चुलसीतीएण पवेसणएण पविसति ते ण नेरइया चुलसीतिसमज्जिया । जेण नेरइया जहण्णेण एक्केण वा दोहि वा तीहिं वा, उक्कोसेण तेसीतिपवेसणएण पविसति ते ण नेरइया नोचुलसीतिसमज्जिया । जेण ने'रइया चुलसीतीए ण प्रणेण य जहण्णेण एक्केण वा दोहिं वा तीहि वा, उक्कोसेण तेसीतीएण पवेसणएण पविसति ते ण नेरइया चुलसीतीए य नोचुलसीतीय समज्जिया । जेण नेरइया नेगेहि चुलसीतीएहि पवेसणएहिं पविसति १ पू० - भ० २०।१०६ । Page #895 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८३४ भगवई ते ण नेरइया चुलसीती हि समज्जिया । जे गं नेरइया नेगेहि चुलसीतीएहि य अण्णेण य जहणेण एक्केण वा' दोहिं वा तीहिं वा, उक्कोसेण तेसीतीएणं पवेसणएण' पविसति ते ण नेरडया चुलसीतीहि य नोचुलसीतीए य समज्जिया । से तेणट्टेण जाव समज्जिया वि । एव जाव थणियकुमारा । पुढविक्काइया तव पच्छिल्लएहि दोहिं, नवरं - प्रभिलाओ चुलसीती । एव जाव वणस्सइ काइया । बेदिया जाव वेमाणिया जहा नेरइया ॥ ११९ सिद्धाण - पुच्छा | गोयमा । सिद्धा चुलसीतिसमज्जिया वि, नोचुलसीतिसमज्जिया वि, चुलसीतीए य नोचुलसीतीए य समज्जिया वि, नो चुलसीतीहिं समज्जिया, नो चुलसीतीहि य नोचुलसीतीए य समज्जिया ॥ १२० सेकेणट्टेण जाव समज्जिया ? गोयमा । जेण सिद्धा चुलसीतीएण पवेसणएण पविसति ते ण सिद्धा चुलसीति समज्जिया । जेण सिद्धा जहणेण एक्केण वा दोहिं वा तीहिं वा, उक्कोसेण तेसीतीएण पवेसणएण पविसति ते ण सिद्धा नोचुलसीतिसमज्जिया । जेण सिद्धा चुलसीतीण अण्णेण य जहण्णेण एक्केण वा दोहिं वा तीहि वा, उक्कोसेण तेसीतीएण पवेसणएण पविसति तेण सिद्धा चुलसीतीए य नोचुलसीतीए य समज्जिया । तेणद्वेण जाव समज्जिया || 1 १२१ एएसि ण भते । नेरइयाण चुलसीतिसमज्जियाण नोचुलसीतिसमज्जियाण' । - सव्वेसि अप्पाबहुग जहा छक्कसमज्जियाण जाव वेमाणियाण, नवरअभिलाश्री चुलसीतीओ ॥ १२२ एएसि ण भते । ? सिद्धाणं चुलसीतिसमज्जियाणं, नोचुलसीतिसमज्जियाण, चुलसीतीए य नोचुलसीतीए य समज्जियाण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा ? तुल्ला वा ? विसेसाहिया वा गोयमा । ? सव्वत्थोवा सिद्धा चुलसीतीए य नोचुलसीतीए य समज्जिया, चुलसीतिसमज्जिया प्रणतगुणा, नोचुलसीतिसमज्जिया प्रणतगुणा || १२३ सेव भते । सेव भते । त्ति जाव' विहरइ ॥ १ मं० पा० - एक्केण वा जाव उक्कोसेण । २ जाव ( अ, क, ख, ता, व, म, स ) । ३. पू० - भ० २०।१०६ । ४. स० पा० - करेहितो जाव विसेसाहिया । ५. भ० ११५१ । Page #896 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १. सालि २ कल ३ ग्रयसि ४ वसे, ५ इक्खू ६. दव्भे य ७. अब्भ८. तुलसी य । अट्ठेए दस वग्गा, असीति' पुण होति उद्देसा ॥१॥ सालियादिजीवाण उववायादि-पदं एगवीसइमं सतं पढमो वग्गो पढमो उद्देसो ९. रायगिहे जाव एव वयासी - ग्रह भते । साली - वीही-गोधूम - जव- जवजवाणंएएसि ण भते । जीवा मूलत्ताए वक्कमति, ते ण भते । जीवा कोहितो उववज्जंति – किं नेरइए हिंतो उववज्जति ? तिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जति ? मस्सेहितो उववज्जति ? देवे हितो उववज्जति ? जहा ' वक्कतीए तहेव उववाग्रो, नवर - देववज्ज || २. भते ! जीवा एगसमएण केवतिया उववज्जति ? गोयमा । जहणेण एक्को वा दो वा तिणि वा, उक्कोसेण सखेज्जा वा ग्रसखेज्जा वा उववज्जति । श्रवहारो जहा' उप्पलुद्दे ॥ ३ तेसि ण भते | जीवाण केमहालिया सरीरोगाहणा पण्णत्ता ? गोयमा । जहण्णेण ग्रगुलस्स ग्रसखेज्जइभाग, उक्कोसेण धणुपुहत्त ॥ ४. ते ण भते । जीवा नाणावरणिज्जस्स कम्मस्स किं बधगा ? अबधगा १. असीति (क, व, स ) 1 २. प० ६ । ३. भ० ११।४ । उप्पलुद्दे । एव वेदेवि, उदए वि, उदीरणा' वि ॥ ५ ते ण भते । जीवा कि कण्हलेस्सा, नीललेस्सा, काउलेस्सा छव्वीस भगा, दिट्ठी जाव इदिया जहा ' उप्पलुद्दे से || ? जहा ४. भ० ११६-११ । ५ उदीरणाए ( अ, क, ख, ता, म, स ) । ६. भ० ११।१३-२८ । ८३५ Page #897 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ६. ते णं भते ! साली-वीही-गोधूम-जव-जवजवगमूलगजीवे कालयो केवच्चिरं' होति ? गोयमा । जहण्णण अतोमुहत्तं, उक्कोसेण असंखेज्ज काल ॥ ७ से ण भंते ! सालो-वीहो-गोधूम-जव-जवजवगमूलगजोवे पुढवीजीवे, पुणरवि साली-वीही-जव-जवजवगमूलगजीवे केवतिय काल सेवेज्जा? केवतियं काल गतिरागतिं करेज्जा ? एव जहा उप्पलुइँसे । एएण अभिलावेण जाव' मणुस्सजीवे, आहारो जहा' उप्पलुद्देसे, ठिती जहण्णेण अतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं वासपुहत्त, समुग्धाया, समोहया, उव्वट्टणा य जहा उप्पलुद्देसे ।। अह भते । सव्वपाणा जाव' सव्वसत्ता साली-वोही-गोधूम-जव-जवजवगमूलगजीवत्ताए उववण्णपुव्वा ? हता गोयमा । असति अदुवा अणतखुत्तो ।। ६ सेव भते ! सेव भते । त्ति ।। २-१० उद्देसो १०. अह भंते । सालो-वीही - गोधूम-जव-०-जवजवाण-एएसि ण जे जीवा कदत्ताए वक्कमति ते ण भते | जीवा कमोहितो उववज्जति ? एव कंदाहि गारेण सच्चेव मूलुद्देसो अपरिसेसो भाणियन्वो जाव' असतिं अदुवा अणतखुत्तो।। ११ सेव भते ! सेव भते । त्ति ॥ १२. एव खधे वि उद्देसयो नेयव्वो। एव तयाए वि उद्देसो भाणियब्वो। साले वि उद्देसो भाणियव्वो। पवाले वि उद्देसो भाणियव्वो । पत्ते वि उद्देसो भाणियव्वो । एए सत्त वि उद्देसगा अपरिसेस जहा मूले तहा नेयव्वा । एव पुप्फे वि उद्देसओ, नवरं-देवा उववज्जति जहा उप्पलुद्देसे। चत्तारि लेस्सायो, असीति भंगा। प्रोगाहणा जहण्णेण अंगुलस्स असखेज्जइभागं, उक्कोसेण अगुलपुहत्त, सेस त चेव ।। १३ सेव भते । सेव भते । त्ति ॥ १४ जहा पुप्फे एवं फले वि उद्देसनो अपरिसेसो भाणियव्वो । एव वीए वि उद्देसयो। एए दस उद्देसगा। १ केवचिर (अ, क, ख, व)। २ भ० १२३०-३४। ३ भ० ११॥३५ ४. भ० १११३७-३६ । ५ स० पा०-वीही जाव जवजवाण । ६ भ० ११०२। Page #898 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८३७ एगवीसइम सत (२-४ वग्गा) 'बीओ वग्गो १५ अह भते । कल-मसूर-तिल-मुग्ग-मास-निप्फाव-कुलत्थ-आलिसदग-सतीण पलिमथगाण'-एएसि ण जे जीवा मूलत्ताए वक्कमति ते ण भते । जीवा कमोहितो उववज्जति ? एव मूलादीया दस उद्देसगा भाणियव्वा जहेव सालीण निरवसेस तहेव ।। तइयो वग्गो १६ अह भते । अयसि-कुसुभ-कोदव-कगु-रालग-वरा-कोदूसा-सण-सरिसव-मूलग बीयाण एएसि ण जे जीवा मूलत्ताए वक्कमति ते ण भते । जीवा कमोहितो उववज्जति ? एव एत्थ वि मूलादीया दस उद्देसगा जहेव सालोण निरवसेस तहेव भाणियव्वा ।। चउत्थो वग्गो १७ अह भते । वस-वेणु-कणक-कक्कावस-चारुवस'-दडा-कुडा'-विमा-कडा-वेलुया कल्लाणाण-एएसि ण जे जीवा मूलत्ताए वक्कमति०? एव एत्थ वि मूलादीया दस उद्देसगा जहेव सालीण, नवर-देवो सव्वत्थ वि न उववज्जति । तिण्णि लेसायो । सव्वत्थ वि छव्वीस भगा, सेस त चेव ।। १ सढिण (अ), सविण (क), सद्दिण (ख), सडिण (ता, स); सतिण (व), सदिण (म) २. पलिमिथगाण (अ, ता), पमिलिवगाण (क), पलिमित्थगाण (ख, व, म)। ३ यारुरवस (अ), यारुवंस (ब), वगरवंस (म)। ४. उडा (ता), दडगा (ब)। ५. कुडा (अ, ता, स)। ६. कल्लागीण (अ, क, ता, ब, म)। Page #899 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई पंचमो वग्गो १८. अह भते । उक्खु-उक्खुवाडिय-वीरण-इक्कड-भमास-सुव'-सर-वेत्त-तिमिर सतपोरग-नलाणं-एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए वक्कमति० ? एवं जहेव वसवग्गो तहेव एत्थ वि मूलादीया दस उद्देसगा, नवर-खंधुढेसे देवो उववज्जति । चत्तारि लेस्सायो, सेसं त चेव ॥ छट्टो वग्गो १६. अह भते । सेडिय-भतिय-कोतिय-दव्भ-कुस-पव्वग-पोदइल' अज्जुण-आसाढग रोहियस-सुय'-वखीर'-भुस-एरड-कुरुकुद-करकर सुठ- विभगु महुरतण"-थुरग". सिप्पिय-सुकलितणाण-एएसि ण जे जीवा मूलत्ताए वक्कमति ? एव एत्थ वि दस उद्देसगा निरवसेस जहेव वसवग्गो ।। सत्तमो वग्गो २० अह भंते ! अब्भरुह-बोयाण-हरितग-तदुलेज्जग-तण-वत्थुल-पोरग"-मज्जार पाइ-विल्लि पालक्क-दगपिप्पलिय- दव्वि-सोत्थिक-सायमंडुक्कि-मूलग-सरिसव-अंविलसाग-जियतगाण-एएसि ण जे जीवा मूलत्ताए वक्कमति० ? एव एत्य वि दस उद्देसगा निरवसेस जहेव वसवग्गो ।। १. मुडे (अ); सुठे (क, ख, ता)। ६. कुडकुरुकुद (ता)। २ मतवोरग (ख)। १०. बहुरयरण (क, ब), महुरयण (ख) । ३. सेढिय (स)। ११ छुरग (ता)। ४. भतिय (अ), भात्तिय (क), भति (ता), १२. अज्झरुह (क, ख, ता, ब) । भतेय (ब)। १३ वेताण (अ); वायाण (ख)। ५ पदेइल (अ), वोदइल (ता)। १४ वोरग (अ), चोरग (स)। ६. मुत (क, स, ब, स)। १५. याइ (ख, म)। ७. पक्खीर (ता)। १६. विलि (ता), चिल्लि (व)। ८. भूस (अ, क, ता, व)। १७. सायमंदुक्कि (ख, ता, म) 1 Page #900 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गवीसम सत (अट्ठ मो वग्गो) अट्टमो वग्गो २१ ग्रह भते । कुलसी- कण्हू दराल-फणेज्जा- प्रज्जा भूयणा' - चोरा- जीरा-दमणामरुया-इदीवर-सयपुप्फाण - एएसि ण जे जीवा मूलत्ताए वक्कमति ० ? एत्थ वि दस उद्देसगा निरवसेस जहा वसाण । एव एएसु सु वग्गेसु असीति उद्देसगा भवति ॥ १. चूरणा ( स ) 1 ८३६ ! Page #901 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १ बावीसमं सतं पढमो वग्गो O १,२ तालेगट्टिय ३. बहुवीयगा य ४. गुच्छा य ५ गुम्म ६ छद्दस वग्गा एए, सट्ट पुण होति रायगिहे जाव एव वयासी - ग्रह भते । नाल-तमाल-तक्कलि-तेतलि' -सालसरला-‘सारकल्लाण-जावति-केयइ" - कदलि- कदलि-चम्मरुक्ख- भुयरुक्ख' -हिगुरुक्ख-लवगरुक्त्र-पूयफलि-खज्जूरि-ना लिएरीण - एएसि ण जे जीवा मूलत्ताए वक्कमति, ते ण भते । जीवा कोहितो उववज्जति ? एव एत्थ वि मूलादीया दस उद्देसगा कायव्वा जहेव सालीण, नवर - इम नाणत्त - मूले कदे खधे तयाए साले य एएसु पचसु उद्देसगेसु देवो न उववज्जति । तिण्णि लेसायो । ठिती जहण्णेण प्रतोमुहुत्त, उक्कोसेण दसवाससहस्साइ । उवरिल्लेसु पचसु उद्देसएसु देवो उववज्जति । चत्तारि लेसायो । ठिती जहण्णेण अतोमुहुत्त, उक्कोसेण वासपुहत्त । श्रोगाहणा मूले कदे धणुहपुहत्त, खधे तयाए साले य गाउयपुहत्त, पवाले पत्ते धणुहपुहत्त, पुप्फे हत्थपुहत्त, फले बीए य अगुलपुहत्त । सव्वेसि जहणेण ग्रगुलस्स असखेज्जइभाग | सेस जहा सालीण । एव एए दस उद्देसगा ।। १. तेवलि ( अ, म ) | २. सारकल्लाण जाव केवइ ( अ, क, ख, ता, ब, म, स); अत्र सर्वेष्वादर्शेषु 'सारकल्लाण जाव केवइ' इति पाठो लभ्यते । भ० ८२१७ तथा प्रज्ञापनाया प्रथमपदे यथा पाठोस्ति तदाधारेण ज्ञायते लिपिभ्रमोऽसौ वल्ली य । उद्देरेसा ॥ १ ॥ ६४० जात । वस्तुत 'सारकल्लारग जावति केयइ' इति पाठ समीचीनोस्ति । अत्र जाव शब्दस्य किमपि प्रयोजन नावगम्यते । ३ गुबरुक्ख (प्र), गुयरुक्ख ( क, ख ), गुदरुख (ता) 1 X (व) ; गुत्तरुक्ख (म) गुतरुक्ख (स) 1 Page #902 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बावीस सत (२, ३ वग्गा) वीओ वग्गो ग्रह भते । निबव जवु-कोसंव- साल - ग्रकोल्ल-पीलु-सेलु - सल्लइ-मोयइ-मालुयवउल-पलास--करज- पुत्तजीवग-ग्ररिट्ठ-विहेलग' - हरितग - भल्लाय- उबभरिय'खीरणिधायइ-पियाल-पूइयणिवारग सेण्हय - पासिय सीसव-प्रसण -! "- पुण्णाग- नागरुक्ख-सीवण्णि'-असोगाण - एएसि ण जे जीवा मूलत्ताए वक्कमति ० ? एव मूलादीया दस उद्देसगा कायव्वा निरवसेस जहा तालवग्गो ॥ तो वग्गो ह भ । प्रत्थिय- तिदुय - बोर - कविट्ठ - बाडग - माउलिग' - बिल्ल'- ग्रामलगफणस - दाडिम"- आसोत्थ" - उबर- वड- नग्गोह - नदिरुक्ख - पिप्पलि - सतरि - पिलक्खु रुक्ख- काउवरिय- कुत्थु भरिय " - देवदालि-तिलग - लउय-छत्तोह - सिरीस - सत्तिवण्ण" - दहिवण्ण-लोद्ध-धव-चदण-अज्जुण - नीम " -कुडग - कलबाण - एएसि ण जे जीवा मूलत्ताए वक्कमति, ते ण भते । जीवा कोहितो उववज्जति ० ? एव एत्थ वि मूलादीया दस उद्देसगा तालवग्गसरिसा नेयव्वा जाव बीय ॥ १. ताल (क, ख, ता, व, म, स ) । २ वेहेलग (ता) | ३. उबरिभरीय ( अ ) । ४ सेम्हण ( ता ), सिहण ( ब ), सहय ( स ) 1 ५. पोसिय ( अ ), पसिय (म ) | ६ अयसि ( अ, क ख, ता, ब, म, स); सर्वासु प्रतिपु 'प्रयसि' इति पाठो लिखितोस्ति, विन्तु प्रज्ञापनाया ( प ० १ ) अनुसारेण 'असण' इति पद गृहीतम् । ७. सीवण्ण ( अ, क, ख, ता, म, स ) । ८ मातुलु ग ( अ, क, ख, ब, म) 1 वेल्ल (व) । १० ८४१ ११ १२ १३. १४ १५ दालिम ( ख, ता, स ) । असोलु ( अ, म), असोट्ठ ( क, ख, ब), सोह (ता) । सतरा ( अ ), सतर ( क, ख, स); सेतर (व) कोच्छु भरिय ( ख ), कुच्छ्रे भरिय ( स ) । सत्तवण्ण ( स ) । नीव ( ख ) । Page #903 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८४२ भगवई चउत्थो वग्गो ४ अह भते । वाइगणि-अल्लड-पोडइ, एव जहा पण्णवणाए गाहाणुसारेणं नेयब्वं जाव' गज-पाडला-दामि-अकोल्लाण-एमि ण जे जीवा मूलत्ताए वक्कमति० ? एव एत्थ वि मूलादीया दस उद्देमगा नेयवा जाव वीयं ति निरवसेस जहा वसवग्गो॥ पंचमो वग्गो ५ अह भते । सेरियक'-नवमालय-कोरेटग-वधुजीवग-मणोज्जा', जहा पण्णवणाए पढमपदे गाहाणुसारेणं जाव' नवणीतिय-कुद-महाजाईण-एएसि ण जे जीवा मूलत्ताए वक्कमति० ? एव एत्थ वि मूलादीया दस उद्देसगा निरवसेम जहा सालीण ॥ छट्ठो वग्गो ६. ग्रह भते । पूसफलि-कालिगी-तुवी-तउसी-एलावालकी, एव पदाणि छिदिय व्वाणि पण्णवणागाहाणुसारेण जहा तालवग्गे जाव' दधिफोल्लइ-काकलिमोकलि-अक्कबोदीण--एएसि ण जे जीवा मूलत्ताए वक्कमति० ? एवं एत्थ वि मूलादीया दस उद्देसगा कायब्वा जहा तालवग्गो, नवर--फलउद्देसे ओगाहणाए जहण्णेण अगुलस्स असखेज्जइभाग, उक्कोसेण धणुपुहत्त। ठिती सव्वत्थ जहण्णेण अतोमुहुत्तं, उक्कोसेण वासपुहत्त, सेस तं चेव । एव छसु वि वग्गेसु सट्टि उद्देसगा भवति ॥ १. प० १, गुच्छवग्गो। ४ मणोजा (अ, म)। २ पालुलावासि (अ), पाडलावासि (ख, स); ५. प० १, गुम्मवग्गो। पायलायसि (व), पातुलावासि (म)। ६. नवरणीय (ख, व, म), नलणीय (स)। ३ सिरियका (क), सरिणयक (ता), सरियक ७. प० १, वल्लिवग्गो। (ब)। ८. मोक्कलि (ख, व, स)। Page #904 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तेवीस इमं सतं पढमो वग्गो - रुरु १ आलुय २ लोही ३ अवए, ४ पाढा तह ५. मासवण्णि वल्ली य । पचेते दसवग्गा, पन्नास होति उद्दे ॥१॥ १ रायगिहे जाव एव वयासी - ग्रह भते । आलुय-मूलग- - सिगवेर-हलिद्दा - कडरिय- जारु- छीरबिरालि - किट्ठि - कुदु'- कण्हाकडभु' - मधु - पुयलइ - महुसिगिनिरुहा'- सप्पसुगधा'- छिण्णरुह - बीयरुहाण - एएसि ण जे जीवा मूलत्ताए वक्क - मति ० १ एव एत्थ वि मूलादीया दस उद्देसगा कायव्वा वसवग्गसरिसा, नवरपरिमाण जहणेण एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेण सखेज्जा वा प्रसखेज्जा वा प्रणता वा उववज्जति । अवहारो - गोयमा । ते ण प्रणता समय-समये वही रमाणा प्रवही रमाणा ग्रणताहि ग्रोसप्पिणीहि उस्सप्पिणीहि एवतिकालेण अवहरति, नो चेव ण् प्रवहिया सिया । ठिती जहण्णेण वि उक्कोसेण वि तो मुहुत्त, सेस त चेव ॥ बीओ वग्गो I २ ग्रह भते । लोही-णीहू'-थीहू - थिभगा प्रस्सकण्णी - सोहकण्णी - सिउढी - मुसुढीण" - एएसि ण जे जीवा मूलत्ताए वक्कमति० ? एव एत्थ वि दस उद्देसगा जव आलुवग्गो, नवर - ग्रोगाहणा तालवग्गसरिसा, सेस त चेव ॥ ३ सेव भते । सेव भते । त्ति ॥ १ हालिद्दा ( अ, म ), हलिद्द (ख, ता, स), हालि (व) | २. कुथु ( अ, क, ब), कुथु (ता) | ३. कण्हकडउ ( अ, स), कण्हकडलु ( ब ) | ४. घुपलइ ( अ ) । ५ नोरुहा ( ख ) । ६ ७ ८ ६ १० ८४३ सुपासगधा ( अ ) । अवहरिया ( स ) । हू (व) । वीहू (श्र, व), वीहू ( स ) । मुसठीण ( ता ) । Page #905 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८४४ भगवई तइओ वग्गो 1 ४ ग्रह भने । ग्राय-काय - कुहुण कुदुक्क उलिया' सफा-सज्जा छत्ता-वसाणियकुराण -- एएसि ण जे जीवा मूलत्ताए ववकमति ० ? एवं एत्थ वि मुलादीया दस उद्देसगा निरवसेम जहा श्रालुवग्गो, नवरं - ओगाहणा तालवग्गसरिता, सेस त चैव ॥ ५. सेव भते । सेव भते । ति ॥ चउत्थो वग्गो ६ ग्रह भते । पाढा - मियवाल कि मधुररसा-रायवरिल पउमा-मोहर - दति-चडीणएएसि ण जे जीवा मूलत्ताए वक्कमति० ? एव एत्थ वि मूलादीया दस उद्देसगा ग्रालुयवग्गसरिसा, नवर - श्रोगाहणा जहा वल्लीण, सेस त चैव ॥ ७ सेव भते ! सेव भते । त्ति || १ उव्वेहलिया तिव्वेहलिया (ता) | २. कुरवाण (ता) । ३. पहु (क), पेसुय ( ख ), पेयुय (व, म) 1 -- पंचमो वग्गो ग्रहभते । मासपण्णी - मुग्गपण्णी - जीवग-सरिसव करेणुय-काग्रोलि - खीरकाको लिभग - हि किमिरासि भद्दमुत्थ- णगलइ पयुय' - किण्हा - ' पउल - हढ" - हरेणुयालोहीण - एएसि ण जे जीवा मूलत्ताए वक्कमति ० ? एव एत्थ वि दस उद्देसगा निरवसेस ग्रालुयवग्गसरिसा । एव एत्थ पचसु वि वग्गेसु पन्नासं उद्देसगा भाणियव्वा । सव्वत्थ देवा न उववज्जति । तिण्णि लेसा ॥ ६. सेवं भते । सेव भते ! त्ति ॥ ४. किरणा ( अ, क, ख, ता, व, म, स) । ५ पउयलघाटे (भ, क ), पउयलपाढे (ख, म, स), पउयलवाढे (ब) 1 Page #906 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चउवीसइमं सतं पढमो उद्देसो १ उववाय २ परीमाण, ३,४ सघयणुच्चत्तमेव ५ सठाण । ६ लेस्सा ७ दिट्ठी ८ नाणे, अण्णाणे ६ जोग १० उवोगे ॥१॥ ११ सण्णा १२ कसाय१३ इदिय,१४ समुग्घाया १५ वेदणा य १६ वेदे य। १७ ग्राउ १८ अज्झवसाणा, १६ अणुबधो २०- कायसवेहो ॥२॥ जीवपदे' जीवपदे, जीवाण दडगम्मि उद्देसो। चउवीसतिमम्मि सए, चउव्वीस होति उद्देसा ॥३॥ नेरइयादीसु उववायादि-गमग-पद १ रायगिहे जाव एव वयासी-नेरइया ण भते । कोहितो उववज्जति-कि नेरइएहितो उववज्जति ? तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति ? मणुस्सेहितो उववज्जति ? देवेहिंतो उववज्जति ? गोयमा | नो नेरइएहितो उववज्जति, तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति, मणु स्सेहितो वि उववज्जति, नो देवेहितो उववज्जति ॥ २ जइ तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति--कि एगिदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति जाव पचिदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति ? गोयमा ! नो एगिदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति, नो वेदिय, नो तेइदिय, नो चउरिदिय, पचिदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति ॥ ३. जइ पचिदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति--किं सण्णिपचिदियतिरिक्ख जोणिएहितो उववज्जति ? असण्णिपचिदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति ? गोयमा । सण्णिपचिदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति, असण्णिपचिदियतिरिक्खजोणिएहितो वि उववज्जति ।। १. इय च गाथा पूर्वोक्तद्वारगाथाद्वयात् क्वचित् पूर्वं दृश्यत इति (वृ) । ८४५ Page #907 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८४६ भगवई ४ जइ असणिपचिदियनिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति -कि जलचरेहितो उब वज्जति ? थलचरेहितो उववज्जति ? खहचरेहितो उववज्जति ? गोयमा । जलचरेहितो उववज्जति, थलचरेहितो वि उववज्जति, ग्वहचरे हितो वि उववज्जति ।। ५ जइ जलचर-थलचर-खहचरेहितो उववज्जति -कि पज्जत्तएहितो उववज्जति ? अपज्जत्तएहितो उववज्जति ? गोयमा | पज्जत्तएहितो उववज्जति, नो अपज्जत्तएहितो उववज्जति ।। ६ पज्जत्ताग्रसण्णिपचिदियतिरिक्खजोणिए ण भते । जे भविए नेरइएसु उबवज्जि त्तए, से ण भते । कतिसु पुढवीसु उववज्जेज्जा ? गोयमा | एगाए रयणप्पभाए पुढवीए उववज्जेज्जा ।।। पज्जत्तासण्णिपचिदियतिरिक्खजोणिए ण भते । जे भविए रयणप्पभाए पुढवीए नेरइएसु उववज्जित्तए, से ण भते । केवतिकालद्वितीएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा । जहण्णण दसवाससहस्सद्वितीएसु, उक्कोसेण पलिओवमस्स असखेंज्जइ भागद्वितीएसु उववज्जेज्जा ।। ८ ते ण भते । जीवा एगसमएण केवतिया उववज्जति ? गोयमा | जहण्णेण एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेण संखेज्जा वा असं खेज्जा वा उववज्जति ।। ६ तेसि ण भते । जीवाण सरीरगा' किंसघयणी' पण्णत्ता ? गोयमा । छेवट्टसघयणी' पण्णत्ता ।। तेसि ण भते । जीवाण केमहालिया सरीरोगाहणा पण्णत्ता ? गोयमा । जहण्णण अगुलस्स असखेज्जइभाग, उक्कोसेण जोयणसहस्स ।। तेसि ण भते । जीवाण सरीरगा किसठिया पण्णत्ता ? गोयमा । हुडसठिया पण्णत्ता ।। १२ तेंसि ण भते | जीवाण कति लेस्सायो पण्णत्ताओ? गोयमा । तिण्णि लेस्साप्रो पण्णत्तायो, त जहा-कण्हलेस्सा, नीललेस्सा, १० काउलेस्सा॥ १३ ते ण भते | जीवा कि सम्मदिट्टी ? मिच्छादिट्ठी ? सम्मामिच्छादिट्ठी ? गोयमा | नो सम्मदिट्ठी, मिच्छादिट्ठी, नो सम्मामिच्छादिट्ठी ।। १४. ते ण भते । जीवा कि नाणी ? अण्णाणी ? गोयमा | नो नाणी, अण्णाणी, नियमा दुअण्णाणी, त जहा-मइअण्णाणी य, सुयअण्णाणी य ।। १. सरीरा (ता)। २. सघयणा (ख, ता, स)। ३. छेवट्ठ ° (ता)। ४. हुडसठिया (स)। Page #908 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८४७ चउवीसइमं सत (पढमो उद्देसो) १५. ते ण भते । जीवा कि मणजोगी? वइजोगी ? कायजोगी? गोयमा | नो मणजोगी, वइजोगी वि, कायजोगी वि॥ १६. ते ण भते । जीवा किं सागारोवउत्ता? अणागारोवउत्ता ? गोयमा । सागारोवउत्ता वि, अणागारोवउत्ता वि ।। १७ तेसि ण भते । जीवाण कति सण्णासो पण्णत्ताओ? गोयमा ! चत्तारि सण्णाप्रो पण्णत्तायो, त जहा-आहारसण्णा, भयसण्णा, मेहणसण्णा, परिग्गहसण्णा ॥ १८. तेसि ण भते । जीवाण कति कसाया पण्णत्ता ? गोयमा । चत्तारि कसाया पण्णत्ता, त जहा-कोहकसाए, माणकसाए, माया कसाए, लोभकसाए॥ १६ तेसि ण भते । जीवाण कति इदिया पण्णत्ता ? गोयमा | पचेदिया पण्णत्ता, त जहा--सोइदिए जाव फासिदिए । २०. तेसि ण भते । जोवाण कति समुग्धाया पण्णत्ता ? गोयमा । तओ समुग्धाया पण्णत्ता, त जहा-वेयणासमुग्घाए, कसायसमुग्धाए, मारणतियसमुग्घाए॥ २१ ते ण भते । जोवा किं सायावेयगा ? असायावेयगा ? गोयमा ! सायावेयगा वि, असायावेयगा वि ।। २२ ते ण भते । जोवा किं इत्थीवेदगा ? पुरिसवेदगा ? नपुसगवेदगाा ? गोयमा | नो इत्थीवेदगा, नो पुरिसवेदगा, नपुसगवेदगा ॥ २३ तेसि ण भते । जीवाण केवतिय काल ठिली पण्णत्ता ? गोयमा ! जहण्णेण अतोमुहुत्त, उक्कोसेण पुव्वकोडी ।। २४ तेसि ण भते । जीवाण केवतिया अज्झवसाणा पण्णत्ता ? गोयमा । असखेज्जा अज्झवसाणा पण्णत्ता ।। २५ ते ण भते । किं पसत्या ? अप्पसत्था ? गोयमा । पसत्था वि, अप्पसत्था वि ।। २६ से ण भते । पज्जत्ताअसण्णिपचिंदियतिरिक्खजोणिएत्ति कालो केवचिर होड? गौयमा । जहण्णण अतोमुहत्त, उक्कोसेण पुवकोडी ।। से ण भते । पज्जत्ताग्रसण्णिपचिदियतिरिक्खजोणिए रयणप्पभाए पुढवीए नेरइए, पुणरवि पज्जत्ताअसण्णिपचिदियतिरिक्खजोणिएत्ति केवतिय काल सेवेज्जा ? केवतिय काल गतिरागति करेज्जा? . गोयमा ! भवादेसेण दो भवग्गहणाइ, कालादेसेण जहण्णेण दस वाससहस्साइ अतोमुहुत्तमभहियाइ, उक्कोसेण पलिग्रोवमस्स असखेज्जइभाग पुवकोडिमन्भहिय, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागतिं करेज्जा १॥ Page #909 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८४८ भगवई २८ पज्जत्ताग्रसण्णिपचिदियतिरिक्खजोणिए ण भते । जे भविए जहण्णकालद्विती एसु रयणप्पभापुढविनेरइएसु उववज्जित्तए, से ण भते ! केवइकालद्वितीएसु उववज्जेज्जा । गोयमा । जहण्णेण दसवाससहस्सद्वितीएसु, उक्कोसेण वि दसवाससहस्सद्वितीएसु उववज्जेज्जा ।। २६. ते ण भते ! जीवा एगसमएण केवतिया उववज्जति ? एव सच्चेव वत्तव्वया निरवसेसा भाणियव्वा जाव' अणुवधो त्ति ॥ ३० से ण भते । पज्जत्ताग्रसण्णिपंचिदियतिरिक्खजोणिए जहण्णकालद्वितीय रयण प्पभापुढविनेरइए, पुणरवि पज्जत्ताअसण्णि' पचिंदियतिरिक्खजोणिएत्ति केवतिय काल सेवेज्जा ? केवतिय काल ° गतिराति करेज्जा ? गोयमा ! भवादेसेण दो भवग्गहणाइ, कालादेसेणं जहण्णेण दसवाससहस्साइ अंतोमुत्तमव्भहियाइ, उक्कोसेण पुव्वकोडी दसहि वाससहस्सेहि अभिहिया, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति करेज्जा २।। ३१. पज्जत्ताग्रसण्णिपचिदियतिरिक्खजोणिए ण जे भविए उक्कोसकाल द्वितीएसु रयणप्पभापुढविनेरइएसु उववज्जित्तए, से ण भते | केवतियकालद्वितीएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा | जहण्णेण पलिओवमस्स असखेज्जइभागद्वितीएसु, उक्कोसेण वि पलिग्रोवमस्स असखेज्जइभागद्वितीएसु उववज्जेज्जा ।। ३२ ते ण भते | जीवा एगसमएण केवतिया उववज्जति ? अवसेस त चेव जाव' अणुवयो। से ण भते । पज्जत्ताअसण्णिपचिदियतिरिक्खजोणिए उक्कोसकालद्वितीयरयणप्पभापुढविनेरइए, पुणरवि पज्जत्ता असण्णिपचिंदियतिरिक्खजोणिएत्ति केवतिय काल सेवेज्जा ? केवतिय काल गतिरागति करेज्जा? गोयमा । भवादेसेण दो भवग्गहणाइ, कालादेसेणं जहण्णण पलिग्रोवमस्स असखेज्जइभाग अतोमुत्तमभहिय, उक्कोसेण पलिअोवमस्स असखेज्जइभाग पुवकोडिमभहिय, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति करेज्जा ३॥ जहण्णकालद्वितीयपज्जत्ताअसण्णिपचिदियतिरिक्खजोणिए ण भते । जे भविए रयणप्पभापुढविनेरइएमु उववज्जित्तए, से ण भते । केवतियकालद्वितीएसु उववज्जेज्जा ? -CU १ भ० २४१८-२६ । ४. स० पा०-पज्जत्ता जाव करेज्जा। २. म० पा-पज्जनाप्रमण्णि जाव गतिरागति। ५. पुव्वकोडिअमहिय (अ, क, ख, व, म, स)। ३ भ० २४१८-२६ । Page #910 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८४९ घउवीसइम सत (पढमो उद्देसो) गोयमा । जहण्णणं दसवाससहस्सद्वितीएसु, उक्कोसेणं पलिअोवमस्स असखेज्जइ भागद्वितीएसु उववज्जेज्जा ॥ ३५. ते ण भंते । जीवा एगसमएण केवतिया उववज्जति ? सेस त चेव, नवर इमाइं तिण्णि नाणत्ताइ-आउ, अज्झवसाणा, अणुबधो य । जहण्णण ठिती अंतोमुहत्त, उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्त । ३६ तेसि णं भंते ! जीवाण केवतिया अज्झवसाणा पण्णत्ता ? गोयमा । असखेज्जा अज्झवसाणा पण्णत्ता ।। ३७ ते ण भते । कि पसत्था ? अप्पसत्था ? । गोयमा | नो पसत्था, अप्पसत्था अणुबधो अतोमुहुत्त, सेस त चेव ।। से ण भते । जहण्णकालद्वितीयपज्जत्ताअसण्णिपचिदियतिरिक्खजोणिए रयणप्पभाए जाव' गतिरागति करेज्जा ? गोयमा ! भवादेसेण दो भवग्गहणाइ, कालादेसेण जहण्णेण दसवाससहस्साई अतोमुहुत्तमभहियाइ, उक्कोसेण पलिग्रोवमस्स असखेज्जइभाग अतोमुहुत्त. मन्भहिय, एवतिय काल सेवेज्जा, ‘एवतिय काल गतिरागतिं करेज्जा ४॥ जहण्णकालद्वितीयपज्जत्ताअसण्णिपचिदियतिरिक्खजोणिए ण भते । जे भविए जहण्णकालट्ठितीएसु रयणप्पभापुढविनेरइएसु उववज्जित्तए, से ण भंते ! केवतियकालद्वितीएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा ! जहण्णेण दसवाससहस्सट्टितीएसु, उक्कोसेण वि दसवाससहस्सद्विती एसु उववज्जेज्जा ॥ ४० ते ण भते ! जीवा एगसमएण केवतिया उववज्जति ? सेसं त चेव, ताइ चेव तिण्णि नाणत्ताइ जावसे ण भते । जहण्णकालद्वितीयपज्जत्ता "असण्णिपचिदियतिरिक्ख जोणिए जहण्णकाल द्वितीयरयणप्पभापुढविनेरइए पुणरवि जाव गतिरागति करेज्जा ? गोयमा । भवादेसेण दो भवग्गहणाड, कालादेसेण जहण्णण दसवाससहस्साइ अतोमुहुत्तभन्भहियाइ, उक्कोसेण वि दसवाससहस्साइ अतोमुत्तमभहियाइ, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति ° करेज्जा ५॥ ४२ जहण्णकालद्वितीयपज्जत्ताअसण्णिपचिदियतिरिक्खजोणिए ण भते । जे भविए उक्कोसकालद्वितीएसु रयणप्पभापुढविनेरइएसु उववज्जित्तए, से ण भते । केवतियकालद्वितीएसु उववज्जेज्जा ? १. नवरि (व)। २ भ० २४१२७ । ३. जाव (अ, क, ख, ता, व, म, स)। ४ भ० २४१८-२६, ३५-३७ । ५. स० पा०-०पज्जत्ता जाव जोणिए । ६. स० पा०-सेवेज्जा जाव करेज्जा। Page #911 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई गोयमा । जहणेण पलिग्रोवमस्स असखेज्जइभाग द्वितीएसु, उक्कोसेण वि पलिप्रोवमस्स असखेज्जइभागट्टितीएसु उववज्जेज्जा ॥ ४३ ते ण भते । जीवा एगसमएण केवतिया उववज्जति ? ग्रवसेस त चेव, ताइ चेव तिणि नाणत्ताइ जाव' ८५० ४४ सेण भते । जहण्णकालद्वितीयपज्जत्ताग्रसण्णिप चिदिय तिरिक्खजोणिए उक्कोसकाल द्वितीय रयणप्पभाए जाव' गतिरागति करेज्जा ? गोयमा' भवादेसेण दो भवग्गहणाइ, कालादेसेण जहणेण पलिग्रोवमस्स ग्रसखेज्जइभाग ग्रतोमुहुत्तमम्भहिय, उक्कोसेण वि पलिप्रोवमस्स ग्रसखेज्जइभाग ग्रतोमुत्तमम्भहिय, एवतिय काल' "सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति करेज्जा६ ॥ ४५ उक्कोसकालट्ठितीयपज्जत्ताप्रसण्णिपचिदियतिरिक्खजोणिए गं भते । जे भविए रयणप्पभापुढविनेरइएसु उववज्जित्तए, सेण भते । केवतियकालद्वितीएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा ' जहण्णेण दसवाससहस्सद्वितीएसु, उक्कोसेण पलिप्रोवमस्स ग्रसखेज्जइभागट्ठितीएसु' उववज्जेज्जा | ४६ ते ण भते । जीवा एगसमएण केवतिया उववज्जति ? ग्रवसेस जहेव ग्रोहियगमएण तहेव प्रणुगतव्व, नवर - इमाइ दोण्णि नाणत्ताइ-ठिती जहणेण पुव्वकोडी, उक्कोसेण वि पुव्वकोडी । एव प्रणुबंधो वि । ग्रवसेस त चेव' ।। ४७ से ण भते । उक्कोसकाल द्वितीयपज्जत्ताश्रसण्णिप चिदियतिरिक्खजोणिए रय प्पभाए जाव' गतिरागति करेज्जा ? गोयमा । भवादेसेण दो भवग्गहणाइ, कालादेसेण जहणणेण पुव्वकोडी दसहि वाससहस्सेहि ग्रव्भहिया, उक्कोसेण पलिओवमस्स ग्रसखेज्जइभाग पुव्वकोडीए भहिय, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति करेज्जा ७॥ ४८ उक्कोसकालद्वितीयपज्जत्ताश्रसणिपचिदियतिरिक्खजोणिए ण भते ! जे भविए जहण्णकालट्ठितीएसु रयणप्पभापुढविने रइएसु उववज्जित्तए, सेण भते ! केवतियकालट्ठितोएसु" उववज्जेज्जा ? गोयमा । जहणेण दसवाससहस्स द्वितीएसु, उक्कोसेण वि दसवाससहस्स द्वितीसु उववज्जेज्जा ।। १ भ० २४/८ - २६, ३५-३७ । २. भ० २४ २७ । ३ स० पा० काल जाव करेज्जा । ६ • काल जाव ( अ, क, ख, ता, व, म, स ) । सखेज्जड जाव ( अ क, ख, ता, व, म, स ) १० ६. भ० २४/८ - २६ । ४ ५ 'S. ● असणि जाव तिरिखखजोगिए (श्र, क, ख, ता, व, म, स ) । ८. भ० २४।२७ । - एवतिय जाव करेज्जा । केवति जाब ( अ, क ख, ता, व, म, स ) 1 स० पा० Page #912 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चउवीसइम सत (पढमो उद्देसो) ८५१ ४६ ते ण भते । जीवा एगसमएण केवतिया उववज्जति ? सेस त चेव, जहा सत्तम गमए जाव'५० से ण भते । उक्कोसकाल द्वितीयपज्जत्ताग्रसण्णिपचिदियतिरिक्खजोणिए' जहण्णकाल द्वितीय रयणप्पभाए जाव' गतिरागतिं करेज्जा? गोयमा । भवादेसेण दो भवग्गहणाइ, कालादेसेण जहण्णेण पुव्वकोडी दहि वाससहस्सेहि अमहिया, उक्कोसेण वि पुव्वकोडी दसहि वाससहस्सेहि अभ हिया, एवतिय' "काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति° करेज्जा ।। ५१ उक्कोसकालद्वितीयपज्जत्तासण्णिपचिदियतिरिक्खजोणिए'ण भते । जे भविए उक्कोसकालद्वितीएस रयणप्पभापुढविनेरइएसु उववज्जित्तए, से ण भते । केवतियकालट्टितीएसु' उववज्जेज्जा ? गोयमा । जहण्णण पलिग्रोवमस्स असखेज्जइभागद्वितीएसु, उक्कोसेण वि पलि प्रोवमस्म असखेज्जडभागट्टितीएसु उववज्जेज्जा । ५२. ते ण भते । जीवा एगसमएण केवतिया उववज्जति ? सेस जहा सत्तमगमए जाव - ५३ से ण भते । उक्कोसकालद्वितीयपज्जत्ताग्रसण्णिपचिंदियतिरिक्खजोणिए उक्कोसकालद्वितीयरयणप्पभाए जाव" गतिरागतिं करेज्जा ? गोयमा । भवादेसेण दो भवग्गहणाइ, कालादेसेण जहण्णेण पलिग्रोवमस्स असखेज्जइभाग पुवकोडीए अभिहिय, उक्कोसेण वि पलिग्रोवमस्स असखेज्जइभाग पुव्वकोडीए अभहिय, एवतिय काल सेवेज्जा, ‘एवतिय काल'' गतिरागति करेज्जा है। एव एते प्रोहिया तिण्णि गमगा, जहण्णकालद्वितीएसु तिण्णि गमगा, उक्कोसकालद्वितीएसु तिण्णि गमगा, सव्वेते नव गमगा भवति ।। जइ सण्णिपचिदियतिरिक्खजाणिएहितो उववज्जति --कि सखेज्जवासाउयसण्णिपचिदियतिरिक्खजोणिएहितो२ उववज्जति ? असखेज्जवासाउयसण्णिपचिदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति ? १ भ० २४|४६ । ७ ० काल जाव (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। २. द्वितीय जाव तिरिक्ख जोगिए (अ, क, ८ भ० २४।४६ । ख, ता, व, म, स)। ६ ०पज्जत्ता जाव तिरिक्खजोणिए (अ, क, ३ भ० २४।२७ । ख ता, ब, म, स)। ४. स० पा०-एवतिय जाव करेज्जा। १० भ० २४।२७। ५ °पज्जत्ता जाव तिरिवखजोणिए (अ, क, ११ जाव (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। ___ख, ता, व, म, स)। १२ ०तिरिक्ख जाव (अ, क, ख, ता, व, म, ६ रयण जाव (अ, क, ख, ता, व, म, स)। स)। Page #913 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ८५२ गोयमा ! सखेज्जवासाउयसण्णिपचिदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति, नो असखेज्जवासाउय सण्णिपचिंदियतिरिक्खजोणिएहितो° उववज्जति ॥ ५५ जइ सखेज्जवासाउयसण्णिपचिदियतिरिक्खजोणिएहितो' उववज्जति-किं जल चरेहितो उववज्जति -पूच्छा। गोयमा । जलचरेहितो उववज्जति, जहा असण्णो जाव' पज्जत्तएहितो उववज्जति, नो अपज्जत्तएहिंतो उववज्जति ।। पज्जत्तसखेज्जवासाउयसण्णिपचिदियतिरिक्खजोणिए ण भते । जे भविए नेरइएसु उववज्जित्तए, से ण भते । कतिसु पुढवीसु उववज्जेज्जा ? गोयमा । सत्तसु पुढवीसु उववज्जेज्जा, त जहा-रयणप्पभाए जाव अहेसत्तमाए । ५७. पज्जत्तसखेज्जवासाउयसण्णिपचिदियतिरिक्खजोणिए ण भते । जे भविए रयणप्पभपुढविनेरइएसु उववज्जित्तए, से ण भते । केवतियकालद्वितीएसु उववज्जेज्जा? गोयमा । जहण्णेण दसवाससहस्सद्वितीएसु, उक्कोसेण सागरोवमट्टितीएसु उववज्जेज्जा ॥ ५८. ते ण भते | जीवा एगसमएण केवतिया उववज्जति ? जहेव असण्णी ।। ५६ तेसि ण भते । जीवाण सरीरगा किसघयणी पण्णत्ता? गोयमा ! छव्विहसघयणी पण्णत्ता, त जहा-वइरोसभनारायसंघयणी, उसभनारायसघयणी जाव' छेवट्टसघयणी । सरीरोगाहणा जहेव असण्णीण जहण्णेण अगुलस्स असखेज्जइभाग, उक्कोसेण जोयणसहस्स ।। तेसि ण भते । जीवाण सरीरगा किसठिया पण्णत्ता ? गोयमा । छव्विहसठिया पण्णत्ता, त जहा-समचउरसा, निग्गोहा जाव' हुडा ।। ६१. तेसि ण भते | जीवाण कति लेस्सायो पण्णत्ताओ? गोयमा | छल्लेस्साओ पण्णत्तायो, त जहा-कण्हलेस्सा जाव सुक्कलेस्सा। दिट्ठी तिविहा वि । तिण्णि नाणा तिण्णि अण्णाणा भयणाए । जोगो तिविहो वि । सेस जहा असण्णोण जाव अणुबधो, नवर–पच समुग्घाया आदिल्लगा। वेदो तिविहो वि, अवसेसं त चेव जाव १ स० पा०-असखेज्जवासा उय जाव उव- वज्जति । २ पचिंदिय जाव (अ, क, ख, ता, व, म, ४ भ० २४।८ । ५. ठा० ६।३०। ३. मेवट्ट ° (अ, ख, व, म), छेवट्ठ ७ भ० १४१८१ । ८. भ० २४११६-२६ । (ता)। स)। ३ म. २४।४,५ । Page #914 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चवीसइम सत ( पढमो उद्देसो) ६२ से ण भते ! पज्जत्तसखेज्जवासा उयसण्णिर्पाचिदियतिरिक्खजोणिए' रयणप्पभाए जाव गतिरागति करेज्जा ? गोयमा । भवादेसेण जहणेण दो भवग्गहणाइ, उक्कोसेण अट्ठ भवग्गहणाइ । कालादेसेण जहणेण दसवाससहस्साइ प्रतोमुहुत्तमव्भहियाइ, उक्कोसेण चत्तारि सागरोवमाइ चउहि पुव्वकोडोहि अव्भहियाइ, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति करेज्जा १ || ६३ पज्जत्तसखेज्जवासाउयसण्णिपचिदियतिरिक्खजोणिए ण भते । ० जे भविए जहणकाल द्वितीएसु रयणप्पभापुढविनेरइएसु उववज्जित्तए, से ण भते । केवतियकाल द्वितीएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा ' जहण्णेण दसवाससहस्सट्ठितीएसु, उक्कोसेण वि दसवाससहस्सट्ठितीएसु उववज्जेज्जा | ६४ ते ण भते । जीवा एगसमएण केवतिया उववज्जंति ? एव सो चेव ढम गमो निरवसेसो भाणियव्वो जाव' कालादेसेण जहण्णेण दसवाससहस्साइ ग्रतो मुहुत्तमम्भहियाइ, उक्कोसेण चत्तारि पुव्वकोडीग्रो चत्तालीसाए वाससहसेहि ग्रभहिया, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति करेज्जा २॥ ८५३ ६५ सो चेव उक्कोसकालट्ठितीएसु उववण्णो जहणेण सागरोवमट्टितीएसु, उक्कोसेण वि सागरोवमट्ठितीएसु उववज्जेज्जा । ग्रवसेसो परिमाणादीओ भवादेसपज्जवसाणो सो चेव पढमगमो नेयव्वो जाव' कालादेसेण जहण्णेण सागरोवम तोमुहुत्तमम्भहिय, उक्कोसेण चत्तारि सागरोवमाइ चउहि पुव्वकोडीहि भहिया, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति करेज्जा ३ ॥ ६६ जहण्णकालद्वितीय पज्जत्तस खेज्जवासा उयसण्णिपचिदियतिरिक्खजोणिए भते । जे भविए रयणप्पभपुढविने रइएस' उववज्जित्तए, से ण भते । केवतिकालट्ठितीएसु उववज्जेज्जा ? ण गोयमा । जहण्णेण दसवाससहस्सट्टितीएसु, उक्कोसेण सागरोवमट्ठितीएसु उववज्जेज्जा | ६७ ते ण भते । जीवा एगसमएण केवतिया उववज्जति ? प्रवसेसो सो चेव गमग्रो, नवर – इमाइ ग्रट्ठ नाणत्ताइ – १ सरीरोगाहणा जहणेण गुलस्स असखेज्जइभाग, उक्कोसेण धणुपुहत्त २. लेस्साग्रो तिणि आदिल्लाओ ३ नो १. • वासाउय जाव तिरिक्खजोगिए ( अ, क, ख, ता, व, म, स) । २. स० पा० - पज्जत्तसखेज्ज जाव जे । ३. स० पा० - जहण्णकाल जाव से । ४ भ० २४|५८-६२ । ५ भ० २४१५७-६२ । ६. ० पुढवि जाव ( अ, क, ख, ता, व, म, स ) 1 Page #915 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई सम्मदिट्ठी, मिच्छादिट्ठी, नो सम्मामिच्छदिट्ठी ४. नो नाणी, दो अण्णाणा नियम ५. समुग्धाया ग्रादिल्ला तिणि ६ ग्राउ ७. ग्रज्भवसाणा ८. प्रणुबंधो य जहेव ग्रसणीण | अवसेस जहा पढमगमए जाव' कालादेसेणं जहणेण दसवाससहस्साइ ग्रतोमुहुत्तमव्भहियाइ, उक्कोसेण चत्तारि मागरोवमाड उहि तोमुहुत्ते हि ग्रव्भहियाइ, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति करेज्जा ४ || ६८ सो चेव जहण्णकालद्वितीएसु उववण्णो जहणेण दसवाससहस्सट्टिनीए सु, उक्कोसेण वि दसवाससहस्मद्वितीएस उववज्जेज्जा | ६६ ते ण भते । जीवा एगसमएण केवतिया उववज्जंति ? एव सां चैव चत्थो गमयो निरवमेसो भाणियव्वो जाव' कालादेसेण जहणेण दसवाससहस्साइ ग्रतोमुहुत्तमव्भहियाइ, उक्कोसेण चत्तालीस वाससहस्सा चह् ग्रतोमुहुत्तेहि अव्भहियाइ, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतियं काल गतिरागति करेज्जा ५ || ७० सो चेव उक्कोसकालद्वितीएसु उववण्णो जहणेण सागरोवमट्टितीएम, उक्कोसेण वि सागरोवमती एसु उववज्जेज्जा | ७१ ते ण भते । जोवा एगसमएण केवतिया उववज्जति ? एव सो चेव चउत्थो गमो निरवसेसो भाणियव्वो जाव' कालादेसेणं जहणेण सागरोवम ग्रतो मुहुत्तमव्भहिय, उक्कोसेण चत्तारि सागरोवमाइ चउहि तोमुहुर्तोहि अब्भहियाइ, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति करेज्जा ६ || ८५४ ण ७२ उक्कोसकालद्वितीयपज्जत्तस खेज्जवासाउयसण्णिपचिदियतिरिक्ख जोगिए भते । जे भविए रयणप्पभापुढविनेरइएसु उववज्जित्तए, से ण भंते । केवतिकालट्ठितीएसु उववज्जेज्जा गोयमा । जहणेण दसवाससहस्सद्वितीएसु, उक्कोमेण सागरोवमट्टितीएसु उववज्जेज्जा ।। ७३. ते ण भते । जीवा एगसमएण केवतिया उववज्जति ? अवसेसो परिमाणादीयो भवादेसपज्जवसाणो सो' चेव पढमगमओ नेयव्वो,' नवर - ठिती जहणेण पुव्वकोडी, उक्कोसेण वि पुव्वकोडी । एव अणुवधो वि, सेस त चेव । कालादेसेण जहण्णेण पुब्वकोडी दर्साह वाससहस्सेहि ग्रब्भहिया, उक्कोसेण चत्तारि सागरोवमाइ चउहि पुव्वकोडीहि प्रभहियाइ, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति करेज्जा ७ ॥ १ भ० २४/५८-६२ । २. भ० २४ । ६७ । ३. भ० २४।६७ । • वासाउय जाव तिरिक्खजोणिए ( अ, क, ख, ता, व, म, स) । ५. एएसि (श्र, क, ख, ता व, स ) । ६. भ० २४।५८-६२ । ४. Page #916 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७६ चउवीसइम सत (पढमो उद्देसो) ८५५ ७४ सो चेव जहण्णकालट्ठितीएसु उववण्णो जहण्णेण दसवाससहस्सद्वितीएसु, उक्कोसेण वि दसवाससहस्सद्वितीएसु उववज्जेज्जा ॥ ७५ ते ण भते । जोवा एगसमएण केवतिया उववज्जति ? सो चेव सत्तमो गमत्रो निरवसेसो भाणियन्वो जाव' भवादेसो त्ति। कालादेसेण जहण्णेण पुव्वकोडी दसहि वाससहस्सेहिं अमहिया, उक्कोसेण चत्तारि पुव्वकोडीओ चत्तालीसाए वाससहस्सेहि अभहियायो, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति करेज्जा ८ ॥ उक्कोसकाल द्वितीयपज्जत्तसखेज्जवासाउयसण्णिपचिंदियतिरिक्खजोणिए ण भते । जे भविए उक्कोसकालट्ठितीएसु' रयणप्पभापुढविने रइएसु° उववज्जित्तए, से ण भते ! केवतिकालद्वितीएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा । जहण्णेण सागरोवमद्वितीएसु, उक्कोसेण वि सागरोवमट्टितीएसु उववज्जेज्जा। ७७ ते ण भते | जीवा एगसमएण केवतिया उववज्जति ? सो चेव सत्तमगमत्रो निरवमेसो भाणियवो जाव' भवादेसो त्ति। कालादेसेण जहण्णण सागरोवम पुवकोडीए अभहिय, उक्कोसेण चत्तारि सागरोवमाइ चहिं पुव्वकोडीहि अभहियाइ, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति करेज्जा । एव एते नव गमका । उक्खेव-निक्खेवरो नवसु वि जहेव' असण्णीण ।। पज्जत्तसखेज्जवासाउयसण्णिपचिदियतिरिक्खजोणिए ण भते । जे भविए सक्करप्पभाए पुढवीए नेरइएसु उववज्जित्तए, से ण भते । केवतिकालद्वितीएसु उववज्जेज्जा? गोयमा । जहण्णेण सागरोवमट्टितीएसु, उक्कोसेणं तिसागरोवमद्वितीएसु उववज्जेज्जा। ७६ ते ण भते । जीवा एगसमएण केवतिया उववज्जति ? एव जहेव रयणप्पभाए उववज्जतगस्स लद्धी सच्चेव निरवसेसा भाणियव्वा जाव' भवादेसो त्ति । कालादेसेण जहण्णेण सागरोवम अतोमुहुत्तमव्भहिय, उक्कोसेण वारस सागरोवमाइ चउहि पुवकोडीहिं अभहियाइ, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति करेज्जा । एव रयणप्पभपुढविगमसरिसा नव वि गमगा भाणियव्वा, नवर-सव्वगमएसु वि नेरइयद्विती-सवेहेसु सागरोवमा भाणियव्वा, एव जाव छट्ठपुढवि त्ति, नवर-नेरइयठिई जा जत्थ पुढवीए जहण्णुक्कोसिया सा तेण १. भ० २४१७३। ४ भ० २४/७३ । २. °पज्जत्त जाव तिरिक्खजोरिणए (अ, क, ५. अस शि-प्रकरण ४ सूत्रात् ५३ पर्यन्त विद्यते। ख, ता, ब, म, स)। ६ भ० २४१५८-६२ । ३. स० पा०-उक्कोसकालद्वितीएसु जाव उववज्जित्तए। ७८ Page #917 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८५६ भगवई चेव कमेणं चउगुणा कायव्वा। वालुयप्पभाए पुढवीए अट्ठावीसं सागरोवमाइ चउगुणिया भवति, पकप्पभाए चत्तालीस, धूमप्पभाए अटुट्टि, तमाए अट्ठासीइ । सघयणाइ-वालुयप्पभाए पचविहसघयणी, त जहा-वइरोसहनारायसघयणी जाव' खीलियासंघयणी, पकप्पभाए चउव्विहसघयणी, धूमप्पभाए तिविहसघयणी, तमाए दुविहसघयणी, तं जहा-वइरोसभनारायसघयणी य, उसभनारायसघयणी य, सेस त चव ।। ८० पज्जत्तसखेज्जवासाउयसण्णिपचिदियतिरिक्खजोणिए' ण भते । जे भविए अहेसत्तमाए पुढवीए नेरइएमु उववज्जित्तए, से ण भते । केवतिकालद्वितीएसु उववज्जेज्जा? गोयमा । जहण्णेण वावीससागरोवमट्टितीएसु, उक्कोसेण तेत्तीससागरोवम द्वितीएसु उववज्जेज्जा ।। ८१. ते ण भते । जीवा एगसमएण केवतिया उववज्जति ? एव जहेव रयणप्पभाए नव गमका, लद्धी वि सच्चेव, नवर-वडरोसभनारायसघयणो। इत्यिवेदगा न उववज्जति, सेस त चेव जाव' अणुवधो त्ति । सवेहो भवादेसेण जहण्णेण तिण्णि भवग्गहणाइ, उक्कोसेण सत्त भवग्गहणाइ । कालादेसेण जहण्णेण वावीस सागरोवमाइ दोहि अतोमुत्तेहि अभहियाइ, उक्कोसेण छावट्टि सागरोवमाइ चउहिं पुवकोडीहि अमहियाइ, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरा गतिं करेज्जा १॥ ८२. सो चेव जहण्णकाल द्वितीएसु उववण्णो, सच्चेव वत्तव्वया जाव भवादेसो त्ति । कालादेसेण जहण्णेण कालादेसो वि तहेव जाव' चउहि पुव्वकोडोहिं अभहि याइ, एवंतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति करेज्जा २ ॥ ८३ सो चेव उक्कोसकाल द्वितीएसु उववण्णो, सच्चेव लद्धी जाव' अणुवधो त्ति । भवादेसेण जहण्णेण तिण्णि भवग्गहणाइ, उक्कोसेण पच भवग्गहणाइ । कालादेसेण जहण्णेण तेत्तीस सागरोवमाइ दोहि अतोमुहुत्तेहि अभिहियाइ, उक्कोसेण छाट्ठि सागरोवमाड तिहि पुव्वकोडीहि अमहियाइ, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति करेज्जा ३ ॥ ८४ सो चेव अप्पणा जहण्णकाल द्वितीयो जानो, सच्चेव रयणप्पभपुढविजहण्णकाल द्वितीयवत्तव्वया भाणियव्वा जाव' भवादेसो त्ति, नवर-पढम सघयण, नो इत्यिवेदगा। भवादेसेण जहण्णण तिण्णि भवग्गहणाइ, उक्कोसेण सत्त भवग्गह १. ठा०६।३०। ४ भ० २४१५८-६२ । २. कोलिया(अ)। ५. भ० २४१६३,६४ । ३. ० बानाउन जाव तिरिवाजोणिए (अ, क, ६ भ० २४/६५ । उ, ता, व, म, स)। ७ भ० २४१६६,६७ । Page #918 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चउवीसइम सत (पढमो उद्देसो) णाइ। कालादेमेण जहण्णेण वावीस सागरोवमाइ दोहि अतोमुहुत्तेहि अव्भहियाड, उक्कोसेण छावट्टि सागरोवमाइ चउहि अतोमुहुत्तेहि अमहियाइ, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति करेज्जा ४ ॥ ८५ सो चेव जहण्णकालद्वितीएम उववण्णो, एव सो चेव च उत्थो गमयो निरवसेसो भाणियव्वो जाव' कालादेसो त्ति ५ ।। ८६. सो चेव उक्कोसकालटिनीएमु उववण्णो, सच्चेव लद्धी जाव' अणुबधो त्ति । भवा देमेण जहण्णेण तिण्णि भवग्गहणाइ, उक्कोसेण पच भवग्गहणाइ, कालादेसेण जहण्णेण तेनीस सागरोवमाड दोहि अतोमुहुत्तेहि अमहियाइ, उक्कोसेण छावट्टि सागरोवमाइ तिहि अतोमुहुत्तेहि अभहियाड, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति करेज्जा ६ ॥ सो चेव अप्पणा उक्कोसकाल द्वितीयो जहण्णण वावीससागरोवमद्वितीएसु, उक्कोसेण तेत्तीससागरोवमद्वितीएसु उववज्जेज्जा ॥ ८८ ते ण भते । जीवा एगसमएण केवतिया उववज्जति ? अवसेसा सच्चेव सत्तमपुढविपढमगमवत्तव्वया भाणियव्वा जाव' भवादेसो त्ति, नवर-ठिती अणुवघो य जहण्णेण पुवकोडी, उक्कोसेण वि पुवकोडी, सेस त चेव । कालादेसेण जहण्णेण बावोस सागरोवमाइ दोहि पुव्वकोडीहिं अभहियाइ, उक्कोसेण छावट्ठि सागरोवमाइ चउहि पुवकोडीहि अमहियाइ, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति करेज्जा ७ ॥ ८६. सो चेव जहण्णकाल द्वितीएसु उववण्णो, सच्चेव लद्धी सवेहो वि तहेव सत्तम गमगसरिसो ८ ॥ ६० सो चेव उक्कोसकालद्वितीएसु उववण्णो, 'एस चेव लद्धी जाव' अणुवधो त्ति। भवादेसैण जहण्णेण तिण्णि भवग्गहणाइ, उक्कोसेण पच भवग्गहणाइ। कालादेसेण जहण्णेण तेत्तीस सागरोवमाइ दोहि पुवकोडीहि अभहियाइ, उक्कोसेण छाट्ठि सागरोवमाइ तिहि पुव्वकोडोहिं अभहियाइ, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति करेज्जा है ।। ६१ जइ मणुस्सेहितो उववज्जति-किं सण्णिमणुस्सेहितो उववज्जति ? असण्णि मणुस्सेहितो उववज्जति ? गोयमा | सण्णिमणुस्सेहितो उववज्जति, नो असण्णिमणुस्सेहितो उववज्जति ।। १२ जइ सण्णिमणुस्से हितो उववज्जति-कि सखेज्जवासाउयसण्णिमणुस्सेहितो १. भ० २४८४ । २ भ० २४१८४। ३. भ० २४.८१। ४. भ०२४८७,८८ । ५ एव सच्चेव (अ)। ६. भ० २४१८७,८८ । Page #919 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८५६ उववज्जति ? प्रसखेज्जवासाउयस ण्णिमणुस्से हितो' उववज्जति ? गोयमा । सखेज्जवासाज्यसण्णिमणुस्से हितो उववज्जति, नो ग्रसखेज्जवासाउयसण्णिमणुस्सेहितो' उववज्जति ॥ ६३ जइ सखेज्जवासाउयसण्णि मणुस्सेहितो' उववज्जति - कि पज्जत्तस खेज्जवासाउयसण्णिमणुस्सेहितो उववज्जति ? श्रपज्जत्तसखेज्जवासाउयसण्णिमणुस्सेहितो उववज्जति ? गोयमा | पज्जत्तसखेज्जवासाउयसण्णिमगुस्सेहितो उववज्जति, नो अपज्जत्तसखेज्जवासाउयसण्णिमणुस्सेहितो उववज्जति ॥ ६४. पज्जत्तसखेज्जवासाउयसण्णिमणुस्से ण भते । जे भविए नेरइएसु उववज्जितसे भते । कतिसु पुढवीसु उववज्जेज्जा ? गोयमा ! सत्तसु पुढवोसु उववज्जेज्जा, त जहा - रयणप्पभाए जाव आहेसत्त 1 माए ॥ ६५ भगवई पज्जत्तसखेज्जवासाउयसण्णिमणुस्से ण भते । जे भविए रयणप्पभाए पुढवीए नेरइएसु उववज्जित्तए, से ण भते । केवतिकाल द्वितीएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा । जहणेण दसवाससहस्सद्वितीएमु, उक्कोसेण सागरोवम द्वितीएसु उववज्जेज्जा | ९६ ते ण भते । जीवा एगसमएण केवतिया उववज्जति ? गोमा ! जहणेण एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेण सखेज्जा उववज्जति । सघयणा छ, सरीरोगाहणा जहण्णेण ग्रगुलपुहत्त, उक्कोसेण पचधणुसयाइ । एव सेस जहा सष्णिपचिदियतिरिक्खजोणियाण जाव' भवादेसो त्ति, नवर - चत्तारि नाणा तिण्णि अण्णाणा भयणाए । छ समुग्धाया केवलिवज्जा । ठिती अणुबधो य जहण्णेण मासपुहत्त, उक्कोसेण पुव्वकोडी, सेस तं चेव । कालादेसेण जहण्णेण दसवास सहस्साइ मासपुहत्तमन्महियाइ, उक्कोसेण चत्तारि सागरोवमाइ चउहि पुव्वकोडीहि अमहियाइ, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति करेज्जा १ ॥ ६७ सो चेव जहणकाल द्वितीएसु उववण्णो, एस चेव वत्तव्वया, नवर- कालादेसेण जहणेण दसवाससहस्साइ मासपुहत्तमम्भहियाइ, उक्कोसेण चत्तारि पुव्वकोडीग्रो चत्तालीसाए वाससहस्सेहिं ग्रव्भहियाओ, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति करेज्जा २ ॥ १. बसखेज्ज जाव (अ, क, ख, ता, व, म, स ) | २. अससेज्जवासाज्य जाव ( अ, क, ख, ता, व, म,स) । ३. सखेज्ज्वासाउय जाव ( अ, क, ख, ता, त्र, म,स) 1 ४. भ० २४/५६-६२ । Page #920 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८५६ चवीतइम सत ( पढमो रद्देसो) १८ सो चेव उक्कोसकाल द्वितीएसु उववण्णो, एस चेव वत्तव्वया, नवर - कालादेसेण जहणेण सागरोवम मासपुहत्तमम्भहिय, उक्कोसेण चत्तारि सागरोवमाइ चहि पुव्वकोडीहिं ग्रभहियाइ, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति करेज्जा ३ || ६६. सो चेव ग्रप्पणा जहण्णकाल द्वितीओ जाओ, एस चेव वत्तव्वया, नवर - इमाइ पच नाणत्ताइ - १ सरोरोगाहणा जहणेण श्रगुलपुहत्त, उक्कोसेण वि गुलपुत्त २ तिणि नाणा तिणि अण्णाणाड भयणाए ३ पच समुग्धाया ग्रादिल्ला ४, ५ ठिती अणुवधो य जहण्णेण मासपुहत्त, उक्कोसेण वि मासपुहत्त, मेस त चेव जाव' भवासोत्ति । कालादेसेण जहणेण दसवाससहस्साइ मासपुहत्तमम्भहियाइ, उक्कोसेण चत्तारि सागरोवमाइ चउहि मासपुहत्ते हि हियाइ एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति करेज्जा ४ || १०० सो चेव जहण्णकालट्ठितीएसु उववण्णो, एस चेव वत्तव्वया च उत्थगमगसरिसा', नवर-कालादेसेण जहण्णेण दसवाससहस्साइ मासपुहत्तमव्भहियाइ, उक्कोसेण चत्तालीस वाससहस्साड चउहि मासपुहतेहिं ग्रव्भहियाइ, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति करेज्जा ५ || १०१. सो चेव उक्कोसकालद्वितीएसु उववण्णो, एस चेव गमगो, नवर — कालादेसेण जहणेण सागरोवम मासपुहत्तमव्भहिय, उक्कोसेण चत्तारि सागरोवमाइ चहि मासपुतेहि ग्रव्भहियाइ, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय कालगतिरागति करेज्जा ६ | १०२ सो चेव अप्पणी उक्कोसकालद्वितीम्रो जाग्रो, सो चेव पढमगमत्रो नेयव्वो', नवर - सरीरोगाहणा जहणेण पचधणुसयाइ, उक्कोसेण वि पचधणुसयाइ । ठिती जहणेण पुव्वकोडी, उक्कोसेण वि पुव्वकोडी । एव प्रणुवधो वि । कालादेसेण जहण्णेण पुव्वकोडी दसहिं वाससहस्सेहि ग्रव्भहिया, उक्कोसेण चत्तारि सागरोवमाइ चउहि पुव्वकोडीहिं ग्रव्भहियाइ, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति करेज्जा ७ ॥ १०३ सो चेव जहणकाल द्वितीएसु उववण्णो, सच्चेव सत्तमगमगवत्तव्वया, नवरकालादेसेण जहणेण पुव्वकोडी दसहि वाससहस्सेहिं ग्रव्भहिया, उक्कोसेण चत्तारि पुव्वकोडीनो चत्तालीसाए वाससहस्मेहि ग्रव्भहियाग्रो, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति करेज्जा ८ ॥ १०४ सो चेव उक्कोसकालट्ठितीएसु उववण्णो, सच्चेव सत्तमगमगवत्तव्वया, नवर १ भ० २४/६५, ६६ । २ भ० २४/६६ ३. भ० २४/६५, ६६ । ४. भ० २४ । १०२ । Page #921 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८६० भगवई कालादेसेण जहणेण सागरोवम पुव्वकोडीए ग्रम्भहिय, उक्कोसेण चत्तारि सागरोवमाइ चउहि पुव्वकोडीहि ग्रव्भहियाई, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागत करेज्जा है || १०५. पज्जत्तसखेज्जवासाउयसण्णिमणुस्से णं भते । जे भविए सक्करप्पभाए पुढवीए नेरइएसु' उववज्जित्तए, सेण भते । केवतिकाल द्वितीएसु उवव ज्जेज्जा ? गोयमा ! जहणेण सागरोवमट्टितीएसु, उक्कोसेण तिसागरोवमट्टितीएसु उववज्जेज्जा | १०६ ते ण भते । जीवा एगसमएण केवतिया उववज्जति ? सो चेव रयणप्पभपुढविगमओ नेयव्वो, नवर - सरीरोगाहणा जहण्णेण रयणिपुहत्त, उक्कोसेण पचधणुसयाइ । ठिती जहणेण वासपुहत्तं, उक्कोसेण पुव्वकोडी । एवं ग्रणुवधो वि । सेस त वेंव जावळे भवादेसो त्ति । कालादेसेण जहण्णेण सागरोवमं वासपुहत्तमब्भहिय, उक्कोसेण वारस सागरोवमाइ चउहि पुव्वकोडीहि ग्रव्भहियाइ, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति करेज्जा । एव एसा हिएसु तिमु गमएमु मणूसस्स लद्धी, नाणत्त - नेरइयट्ठिति' कालादेसेण सवेह च जाणेज्जा १-३ ॥ १०७ सो चेव प्रप्पणा जहण्णकालद्वितीयो जायो, तस्स वि तिसु वि गमएस एस चेव लद्धी, नवर—सरीरोगाहणा जहण्णंण रयणिपुहत्त, उक्कोसेण वि रयणिपुत्त । ठती जहणेण वासपुहत्त, उक्कोसेण वि वासपुहत्तं । एव प्रणुवधो वि । सेस जहा' ग्रोहियाण । सवेहो उवजुजिऊण भाणियव्वो ४-६ ।। १०८ सो चेव ग्रप्पणा उक्कोसकालट्ठितीओ जाओ । तस्स वि तिसु वि गमएसु इम नाणत्तं - सरीरोगाहणा जहणेण पचधणुसयाइ, उक्कोसेण वि पचधणुसयाइ । ठिती जहणेण पुव्वकोडी, उक्कोसेण वि पुव्वकोडी । एव प्रणुवधो वि । से जहा' पढमगमए, नवर - नेरइयठिड कायसवेद् च जाणेज्जा ७-९ । एव जाव छट्ठपुढवी, नवर - तच्चाए ग्राढवेत्ता एक्केक्क सघयण परिहायति जहेव तिरिक्खजोणिगाण | कालादेसो वि तहेव, नवर - मणुस्सट्ठिती जाणियव्वा ॥ १०६ पज्जत्तसखेज्जवासाउयसण्णिमणुस्से णं भते ! जे भविए प्रसत्तमाए पुढवीए नेरइएमु उववज्जित्तए, से ण भते ! केवतिकालट्ठितीएसु उववज्जेज्जा ? १. नेरउएमु जाव ( अ, क, ख, ता, व, म, स ) 1 २. केवति जाव ( अ, क, ख, ता, ब, म, स ) । ३. भ० २४/६६ ४. द्विती ( अ, क, ख, ता, व, म, स) 1 ५. भ० २४।१०५, १०६ । ६. भ० २४।१०५, १०६ । ७. भाणियव्वा ( कम ) । Page #922 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चउवीसइमं सतं (वीओ उद्देसो) गोयमा । जहणेण बावीससागरोवमद्वितीएसु, उक्कोसेण तेत्तीससागरोवमद्वितीएसु उववज्जेज्जा ॥ ११० ते ण भते ! जीवा एगसमएण केवतिया उववज्जति ? अवसेसो सो चेव सक्कभापुढ विगम यव्वो, नवर -- पढम सघयण, इत्थिवेदगा न उववज्जति, सेस त चेव जाव' ग्रणुवधो त्ति । भवादेसेण दोभवग्गहणाइ । कालादेसेण जहणेण बावीस सागरोवमाइ वासपुहत्तमव्भहियाइ, उक्कोसेण तेत्तीस सागरोThis yoवकोडीए ग्रभहियाइ, एवतिय काल मेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति करेज्जा १ || ८६१ १११ सो चेव जहण्णकालट्ठितीएसु उववण्णो, एस चेव वत्तव्वया, नवर - तेरइयट्ठिति सवेह च जाणेज्जा २ || ११२ सो चेव उक्कोसकालट्ठितीएसु उववण्णो, एस चेव वत्तव्वया, नवर - सवेह च जाणेज्जा 3 || ११३ सो चेव ग्रप्पणा जहण्णकालद्वितीयो जाओ, तस्स वितिमु वि गमएस एस चेव वत्तव्वया, नवर – सरीरोगाहणा जहणेण रयणिपुहत्त, उक्कोसेण वि रयणिपुत्त | ठिती जण वासपुहत्त, उक्कोसेण वि वासपुहत्त । एव प्रणुबधो वि । सवेहो उवजुजिऊण भाणियव्वो ४-६ ।। ११४. सो चेव अप्पणा उक्कोसकाल द्वितीयो जाओ, तस्स वि तिसु वि गमएस एस चेव वत्तव्वया, नवर- सरीरोगाहणा जहण्णेण पचधणुसयाइ, उक्कोसेण वि पचधणुसयाइ । ठिती जहण्णण पुव्वकोडी, उक्कोसेण वि पुव्वकोडी । एव प्रणुवधो वि । नवसु वि एतेसुगमएस नेरइयट्ठिति सवेह च जाणेज्जा । सव्वत्य भवग्गहणाइ दोण्णि जाव नवमगमए । कालादेसेण जहण्णेण तेत्तीस सागरोवमाइ पुव्वकोडीए ग्रव्भहियाइ उक्कोसेण वि तेत्तीस सागरोवमाइ पुव्वकोडीए ग्रव्भहियाइ, एवतिय काल सेवेज्जा एवतिय काल गतिरागति करेज्जा ७-६॥ ११५ सेव भते । सेव भते । त्ति जाव' विहरइ ॥ बीओ उद्देसो ११६ रायगिहे जाव एव वयासी - असुरकुमारा ण भते । कोहिंतो उववज्जतिकिं नेरइएहितो उववज्जति ? तिरिक्खजोणिय मणुस्स - देवेहिंतो उववज्जति ? १. भ० २४।१०६ । २. भ० १।५१ । Page #923 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ८६२ गोयमा | नो नेरइएहितो उववज्जति, तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति, मणुस्सेहितो उववज्जति, नो देवेहितो उववज्जति । एव जहेव नेरइयउद्देसए जाव'११७ पज्जत्ताप्रसण्णिाचिदियतिरिक्खजोणिए ण भते । जे भविए अमुरकुमारेसु उववज्जित्तए, से ण भते । केवतिकालद्वितीएमु उववज्जेज्जा ? । गोयमा | जहण्णेण दसवाससहस्सद्वितीएसु, उक्कोसेण पलिग्रोवमस्स असखेज्जड भागट्टितीएसु उववज्जेज्जा ।। ११८. ते ण भते । जीवा एगसमएण केवतिया उववज्जति ? एव रयणप्पभागमग सरिसा नव वि गमा भाणियव्वा', नवर--जाहे अप्पणा जहण्णकाल द्वितीयो भवति ताहे अज्झवसाणा पसत्था, नो अप्पसत्था तिसु वि गमएसु । अवसेस तं चेव १-६॥ ११६ जइ सण्णिपचिदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति-कि सखेज्जवासाउय सण्णिपचिदियतिरिक्खजोणिएहितो' उववज्जति ? असखेज्जवासाउयसण्णिपचिदियतिरिक्खजोणिएहितो' उववज्जति ? गोयमा | सखेज्जवासाउय जाव उववज्जति, असंखेज्जवासाउय जाव उवव ज्जति ॥ १२० असखेज्जवासाउयसणिपचिदियतिरिक्खजोणिए ण भते । जे भविए असुर कुमारेसु उववज्जित्तए, से ण भते । केवतिकालट्टितोएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा । जहण्णेण दसवाससहस्सट्टितोएसु, उक्कोसेणं तिपलिग्रोवमट्टितीएसु उववज्जेज्जा ।। ते ण भते । जोवा एगसमएण-पुच्छा। गोयमा । जहण्णण एक्को वा दो वा तिणि वा, उक्कोसेण सखेज्जा उववज्जति । वइरोसभनारायसघयणी। प्रोगाहणा जहण्णेण धणुपुहत्त, उक्कोसेण छ गाउयाइ । समचउरससठिया' पण्णत्ता । चत्तारि लेस्साओ आदिल्लायो । नो सम्मदिट्ठी, मिच्छादिट्ठी, नो सम्मामिच्छादिट्टी। नो नाणी, अण्णाणी, नियम दुअण्णाणी-मतिअण्णाणी सुयअण्णाणी य। जोगो तिविहो वि । उवयोगो दुविहो वि । चत्तारि सण्णाओ। चत्तारि कसाया। पच इदिया। तिण्णि समुग्घाया आदिल्ला' । समोहया वि मरति, असमोहया वि मरति । वेदणा दुविहा वि-सायावेदगा, असायावेदगा। वेदो दुविहो वि-इत्थिवेदगा वि पुरिसवेदगा १२१ १ भ० २४।२-६ । २ भ० २४१८-५३ । ३. ° सण्णि जाव (अ, क, ख, ता, व, म, स)। ४. वासाउय जाव (अ, क, ख, ता, ब, म, स) ५ समचउरससठाणमठिया (स)। ६ आदिल्लगा (अ, क, व, म, स)। Page #924 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चउवीसइम सत (वीओो उद्देसो) ८६३ वि नो नपुंसगवेदगा | ठिती जहण्गेण सातिरेगा पुव्वकोडो, उक्कोसेण तिण्णि पलिनोवमाइ । ग्रज्झवसाणा पसत्था वि अप्पसत्था वि । प्रणुवधो जहेव ठिती । कायसवेहो भवादेसेण दो भवग्गहणाइ, कालादेसेण जहण्णेण सातिरेगा पुव्वकोडो दसहि वाससहस्सेहिं ग्रभहिया, उक्कोसेण छप्पलिग्रोवमाइ, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति करेज्जा १ ॥ १२२ सो चेव जहणकालट्ठितीएसु उववण्णो - एस चेव वत्तव्वया, नवर - असुरकुमारद्विति सवेह च जाणेज्जा २ ॥ १२३. सो चेव उक्कोसकालट्ठितीएसु उववण्णो जहणणेण तिपलिश्रोवमट्टितीएमु, उक्कोसेण वितिपलिग्रोवमट्टितीएसु उववज्जेज्जा - एस चैव वत्तव्वया, नवरठिती से जहणेण तिण्णि पलियोवमाइ, उक्कोसेण वि तिणि पलिप्रोवमाइ । एव अणुवधो वि । कालादेसेण जहणेण छप्पलिग्रोवमाइ, उक्कोसेण वि छप्पलिनोवमाइ, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति करेज्जा, सेस त चेव ३ || १२४. सो चेव अप्पणा जहण्णकालट्ठितोओ जाम्रो जहणेण दसवाससहस्स द्वितीएसु, उक्कोसेण सातिरेगपुव्वकोडीग्राउएसु उववज्जेज्जा ।। १२५. ते ण भते ! जीवा एगसमएण केवतिया उववज्जति ? प्रवमेस त चेव जाव भवादेसो त्ति, नवर - ग्रोगाहणा जहणेण धणुपुहत्त, उक्कोसेण सातिरेग धणुसहस्स । ठिती जहणणेण सातिरेगा पुव्वकोडी, उक्कोसेण वि सातिरेगा पुव्वकोडी | एव श्रणुवधो वि । कालादेसेण जहणेण सातिरेगा पुव्वकोडी दसहि वाससहस्पेहिं अव्भहिया, उक्कोसेण सातिरेगाम्रो दो पुव्वकोडीओ, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति करेज्जा ४ ॥ १२६ सो चेव' जहण्णकालट्ठितीएसु उववण्णो, एस चैव वत्तव्वया, नवर - सुर कुमार सवेह च जाणेज्जा ५ ॥ १२७ सो चेव उक्कोसकालद्वितीएसु उववण्णो जहण्णेण सातिरेगपुव्वको डिग्राउएसु, उक्कोसण वि सातिरेगपुव्व कोडीग्राउएसु उववज्जेज्जा, सेस त चेव, नवरकालादेसेण जहणण सातिरेगा दो पुव्वकोडीप्रो, उक्कोसेण वि सातिरेगा दो पुवोडीओ, एतय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति करेज्जा ६ ।। १२८ सो चेव् ग्रप्पणा उक्कोसकालद्वितीयो जाओ, सो चेव पढमगमगो भाणियव्वो, ' नवर-ठिती जहणेण तिण्णि पलिप्रोवमाइ, उक्कोसेण वि तिणि पलिवमाइ । एव अणुवधो वि । कालादेसेण जहणेण तिण्णि पलिश्रोवमाइ दसहि वाससहस्सेहिं ग्रव्भहियाइ, उक्कोसेण छ पलिप्रोवमाइ एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति करेज्जा ७ ।। १. चेव अपणा ( अ, क, ख, ता, व, म) । २ भ० २४ । १२०, १२१ । Page #925 -------------------------------------------------------------------------- ________________ মাই ८६४ १२६. सो चेव जहण्णकालद्वितीएसु उववण्णो, एम चेव वत्तव्वया, नवर-असुर ___ कुमारद्विति सवेह च जाणेज्जा ८ ।। १३० सो चेव उक्कोसकालद्वितीएसु उववण्णो जहण्णेण तिपलिग्रोवमाड, उक्कोमेण वि तिपलिग्रोवमाइ, एस चेव वत्तव्बया, नवर-कालादेसेण जहण्णण छप्पलिअोवमाड, उक्कोसेण वि छप्पलिग्रोवमाइ, एवतिय काल सेवेज्जा, पवतिय काल गतिरागतिं करेज्जा ६ ॥ १३१. जड सखेज्जवासाउयसण्णिपचिदियतिरिक्वजोणिएहितो उववज्जति -कि जलचरेहितो उववज्जति ? एव जाव'-- १३२ पज्जत्तसईज्जवासाउयसण्णिपचिदियतिरिक्खजोणिए ण भंते । जे भविए असुरकुमारेसु उववज्जित्तए, से ण भते । केवतिकालद्वितीएसु उववज्जेज्जा? गोयमा । जहण्णेण दसवाससहस्सट्टितोएसु, उक्कोसेण सांतिसागरोवमट्टिती एसु उववज्जेज्जा ॥ १३३. ते ण भते । जीवा एगसमएण केवतिया उववज्जति ? एव एतेसिं रयणप्पभ पुढविगमगसरिसा नव गमगा नेयव्वा,' नवर जाहे अप्पणा जहण्णकालट्टितीयो भवइ ताहे तिसु वि गमएस, इम नाणत्त-चत्तारि लेस्सायो, अज्झवसाणा पसत्था, नो अप्पसत्था। सेस त चेव । सवेहो सातिरेगेण सागरोवमेण कायव्वो १-६ ।। १३४ जइ मणुस्सेहितो उववज्जति कि सण्णिमणुस्सेहितो उववज्जति ? असण्णि मणुस्सेहितो उववज्जति ? गोयमा । सण्णिमणुस्सेहिंतो उववज्जति, नो असण्णिमणस्सेहितो उववज्जति ॥ १३५ जइ सण्णिमणुस्सेहितो उववज्जति–कि सखेज्जवासाउयसण्णिमणुस्सेहितो उववज्जति ? असखेज्जवासाउयसण्णिमणुस्से हितो उववज्जति ? गोयमा | सखेज्जवासाउयसण्णिमणुस्सेहितो' उववज्जति, 'असखेज्जवासाउय सण्णिमणुस्सेहितो वि" उववज्जति ।।। १३६ असखेज्जवासाउयसण्णिमणुस्से ण भते । जे भविए असुरकुमारेसु उवव ज्जित्तए से ण भते । केवतिकालद्वितीएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा । जहण्णेण दसवाससहस्सट्टितोएस, उक्कोसेण तिपलिग्रोवमट्टितीएसु उववज्जेज्जा। एव असखेज्जवासाउयतिरिक्खजोणियसरिसा आदिल्ला तिण्णि गमगा नेयव्वा, नवरं-सरीरोगाहणा पढमबितिएसु गमएसु जहण्णेण सातिरेगाइ पचधणुसयाइ, उक्कोसेण तिण्णि गाउयाइ, सेस त चेव । तइयगमे अोगा ४. १ भ० २४।४,५। २. भ० २४१५८-७७ । ३. ° वासाउय जाव (अ, क, स, ता, व, म, स) वासाउय जाव (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। Page #926 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चवीसइमं सत (तइश्रो उद्देसो) ८६५ हणा जहणणं तिण्णि गाउयाइ, उक्कोसेण वि तिण्णि गाउयाई । सेसं जहेव तिरिक्खजोणियाण १ - ३ ॥ १३७. सो चेव अप्पणा जहण्णकालद्वितीओ जाओ, तस्स वि जहण्णकाल द्वितीयतिरिक्खजोणियसरिसा तिणि गमगा भाणियव्वा, नवर - सरीरोगाहणा तिसु वि गमएसु जहण्णेण सातिरेगाइ पचधणुसयाइ, उक्कोसेण वि सातिरेगाइ पचधणुसयाइ । सेसं त चेव ४-६ ॥ १३८ सो चेव अप्पणा उक्कोसकाल द्वितीय जाम्रो, तस्स वि ते चैव पच्छिल्ला' तिणि गमगा भाणियव्वा, नवर- सरीरोगाहणा तिसु वि गमएसु जहण्णेण तिणि गाउयाड, उक्कोसेण वि तिण्णि गाउयाइ । अवसेस त चेव ७-९ ।। १३६ जइ सखेज्जवासाउयसण्णिमणुस्सेहितो उववज्जति - किं पज्जत्तासखेज्जवासाउयसण्णिमणुस्से हितो उववज्जति ? ग्रपज्जत्तासखेज्जवासाउयसण्णिमणुस्सेहितो उववज्जति ? गोयमा । पज्जत्तासखेज्जवासाउयस ण्णिमणुस्सेहितो उववज्जति, नो अपज्जत्तासखेज्जवासाउयसण्णिमणुस्सेहितो उववज्जति ॥ १४० पज्जत्तासंखेज्जवासाउयसण्णिमणुस्से ण भते । जे भविए सुरकुमारेसु उववज्जित्तए, से ण भते । केवतिकाल द्वितीयसु उववज्जेज्जा ? 1 गोयमा । जहण्णेण दसवाससहस्सट्ठितीएसु, उक्कोसेण सातिरेगसागरोवमट्ठिउववज्जेज्जा | ती १४१ ते ण भते । जीवा एगसमएण केवतिया उववज्जति ? एव जहेव एतेसिं रयणप्पभाए उववज्जमाणाण नव गमगा तहेव इह वि नव गमगा भाणियव्वा', नवरसवेहो सातिरेगेण सागरोवमेण कायव्वो । सेस त चेव १-६ ॥ १४२. सेव भते ! सेव भते । त्ति ॥ तो उद्देसो १४३ रायगिहे जाव एव वयासी – नागकुमाराण भते । कोहितो उववज्जति - किं एहिंतो उववज्जति ? तिरिक्खजोणिय मणुस्स - देवेहितो उववज्जति ? गोयमा ! नो नेरइए हितो उववंज्जति, तिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जति, मणुस्सेहितो उववज्जति, नो देवेहितो उववज्जति ।। १. पच्छिल्ला ( क, ख, ता, स ) । २. भ० २४।६६-१०४ । Page #927 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई १४४ जइ तिरिक्खजोणिएहितो०? एव जहा असुरकुमाराण वत्तव्वया तहा एतेसि पि जाव' असण्णित्ति १-६॥ १४५ जइ सण्णिपचिंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति--किं संखेज्जवासाउय.? असखेज्जवासाउय? गोयमा | सखेज्जवासाउय, असखेज्जवासाउय जाव उववज्जति ।। १४६ असखेज्जवासाउयसण्णिपंचिदियतिरिक्खजोणिए ण भंते ! जे भविए नागकुमा रेसु उववज्जित्तए, से ण भते | केवतिकाल द्वितीएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा | जहण्णेण दसवाससहस्सद्वितीएसु, उक्कोसेण देसूणदुपलिग्रोवमट्टिती एसु उववज्जेज्जा ।। १४७. ते ण भते | जीवा एगसमएण केवतिया उववज्जति ? अवसेसो सो चेव असुर कुमारेसु उववज्जमाणस्स गमगो भाणियन्वो जाव' भवादेसो त्ति। कालादेसेण जहण्णेण सातिरेगा पुव्वकोडी दसहिं वाससहस्सेहि ग्रन्भहिया, उक्कोसेण देसूणाइ पच पलिग्रोवमाइ, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति करेज्जा १ ॥ १४८ सो चेव जहण्णकालद्वितीएसु उववण्णो, एस चेव वत्तव्व या, नवर-नागकुमार द्वितिं सवेह च जाणेज्जा २।। १४६. सो चेव उक्कोसकालद्वितीएसु उववण्णो, तस्स वि एस चेव वत्तव्वया, नवर ठिती जहण्णेण देसूणाइ दो पलिअोवमाइ, उक्कोसेण तिण्णि पलिअोवमाइ । सेसं त चेव जाव' भवादेसो त्ति । कालादेसेण जहण्णेण देसूणाइ चत्तारि पलिओवमाइ, उक्कोसेण देसूणाइ पच पलिप्रोवमाइ, एवतिय कालं सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति करेज्जा ३॥ १५० सो चेव अप्पणा जहण्णकालद्वितीयो जाओ, तस्स वि तिस वि गमएस जहेव असुरकुमारेसु उववज्जमाणस्स जहण्णकालट्ठितियस्स तहेव निरवसेस ४-६ ।। १५१ सो चेव अप्पणा उक्कोसकालद्वितीयो जाओ, तस्स वि तहेव तिण्णि गमगा जहा असुरकुमारेसु उववज्जमाणस्स, नवर-नागकुमारट्ठिति सवेह च जाणेज्जा। सेसं तं चेव ७-६ ॥ १५२ जइ सखेज्जवासाउयसण्णिपचिदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति–किं पज्ज त्तसंखेज्जवासाउय? अपज्जत्तसखेज्जवासाउय०? गोयमा । पज्जत्तसखेज्जवासाउय, नो अपज्जत्तसंखेज्जवासाउय ।। १५३ पज्जत्तसखेज्जवासाउयसण्णिपचिंदियतिरिक्खजोणिए ण भते । जे भविए नाग कुमारेसु उववज्जित्तए, से ण भते ! केवतिकालद्वितीएसु उववज्जेज्जा ? ३ भ०२४।१२३ । १. भ० २४।११६-११८ । २. भ० २४११२१ । Page #928 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८६७ चउत्रीमइम सतं (तइओ उद्देसो) गोयमा | जहण्णेण दस वाससहस्साइं, उक्कोसेणं देसूणाई दो पलिप्रोवमाइ । एव जहेव असुरकुमारेसु उववज्जमाणस्स वत्तव्वया तहेव इह वि नवसु वि गम एसु, नवर–नागकुमारद्वितिं सवेह च जाणेज्जा । सेस त चेव १-६॥ १५४ जइ मणुस्सेहितो उववज्जति–कि सण्णिमणुस्सेहितो०? असण्णिमणुस्सेहितो०? गोयमा | सण्णिमणुस्से हितो, नो असण्णिमणुस्से हितो, जहा असुरकुमारेसु उव वज्जमाणस्स जाव'१५५ असखेज्जवासाउयसण्णिमणुस्से ण भते ! जे भविए नागकुमारेसु उववज्जि त्तए, से ण भते । केवतिकालद्वितीएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा । जहण्णेण दसवाससहस्साइ, उक्कोसेण देसूणाइ दो पलिग्रोवमाइ । एव जहेव' असखेज्जवासाउयाण तिरिक्खजोणियाण नागकुमारेसु आदिल्ला तिण्णि गमगा तहेव इमस्स वि, नवर-पढमवितिएसू गमएसू सरीरोगाहणा जहण्णेण सातिरेगाइ पचधणुसयाड, उक्कोसेण तिण्णि गाउयाइ । तइयगमे प्रोगाहणा जहणेण देसूणाइ दो गाउयाइ, उक्कोसेण तिण्णि गाउयाइ । सेस त चेव १-३॥ १५६ सो चेव अप्पणा जहण्णकालद्वितीयो जाओ, तस्स तिसु वि गमएसु जहा तस्स चेव असुरकुमारेसु उववज्जमाणस्स तहेव निरवसेस ४-६ ।। सो चेव' अप्पणा उक्कोसकालद्वितीयो जाओ, तस्स तिसु वि गमएसु जहा तस्स चेव उक्कोसकालट्ठितियस्स असुरकुमारेसु उववज्जमाणस्स, नवर-नागकुमार ट्ठिति सवेह च जाणेज्जा । सेस त चेव ७-६ ।। १५८ जइ सखेज्जवासाउयसण्णिमणुस्सेहितो उववज्जति-किं पज्जत्तसखेज्ज० ? अपज्जत्तसखेज्ज० ? गोयमा । पज्जत्तसखेज्ज, नो अपज्जत्तसखेज्ज ॥ १५६ पज्जत्तसखेज्जवासाउयसण्णिमणुस्से ण भते । जे भविए नागकुमारेसु उववज्जि त्तए, से ण भते | केवतिकालद्वितीएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा । जहण्णेण दसवाससहस्सद्वितीएसु, उक्कोसेण देसूणदोपलिग्रोवमट्टितीएसु उववज्जेज्जा । एव जहेव असुरकुमारेसु उववज्जमाणस्स सच्चेव लद्धी निरवसेसा नवसु गमएसु, नवर-नागकुमारट्ठिति सवेह च जाणेज्जा १-६ ।। १६०. सेव भते । सेव भते । त्ति ।। १. भ० २४।१३५। २ भ० २४।१४७-१४६ । Page #929 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ८६८ ४-११ उद्देसा १६१. अवसेसा सुवण्णकुमारादी जाव थणियकुमारा एए अट्ठ वि उद्देसगा जहेव नागकुमारा तहेव निरवसेसा भाणियव्वा ।। १६२ सेव भते । सेव भते । त्ति ।। दुवालसमो उद्देसो १६३. पुढविक्काइया ण भते । कओहितो उववज्जति–कि नेरइएहिसो उववज्जति ? तिरिक्खजोणिय-मणुस्स-देवेहिंतो उववज्जति ? गोयमा | नो नेरइएहितो उववज्जति, तिरिक्खजोणिय-मणुस्स-देवेहितो' उववज्जति ॥ १६४ जइ तिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जति–कि एगिदियतिरिक्खजोणिएहितो एवं जहा वक्कतीए उववाो जाव'१६५. जइ बायरपुढविक्काइयएगिदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति–कि पज्जत्ता वादर जाव उववज्जति, अपज्जत्ताबादरपुढवि० ? गोयमा । पज्जत्तावादरपुढवि, अपज्जत्तावादरपुढवि जाव उववज्जति ॥ १६६. पुढविक्काइए णं भते । जे भविए पुढविक्काइएसु उववज्जित्तए, से ण भते । केवतिकालद्वितीएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा । जहण्णेण अतोमुहुत्तद्वितीएसु, उक्कोसेण वावीसवाससहस्सद्वितीएसु उववज्जेज्जा ॥ १६७ ते णं भते । जीवा एगसमएण-पुच्छा। गोयमा ! अणुसमय अविरहिया असखेज्जा उववज्जति । छेवट्टसघयणी'। सरीरोगाहणा जहण्णेण अगुलस्स असंखेज्जइभाग, उक्कोसेण वि अगुलस्स असखेज्जइभाग। मसूराचदासठिया । चत्तारि लेस्सायो। णो सम्मदिट्ठी, मिच्छादिट्ठी, नो सम्मामिच्छादिट्ठी। नो नाणी, अण्णाणी, दो अण्णाणा नियम । नो मणजोगी, नो वइजोगी, कायजोगी । उवयोगो दुविहो वि । चत्तारि सण्णायो । चत्तारि कसाया। एगे फासिदिए पण्णत्ते । तिण्णि समुग्घाया । वेदणा दुविहा । नो इत्थिवेदगा, नो पुरिसवेदगा, नपुसगवेदगा। ठिती जहण्णेण १. देवेहितो वि (अ)। ३. सेवट्ट ° (अ, म), सेव? (क, ख); छेवट्ठ ° २. प०६। (ता)। Page #930 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चउवीसइम सतं (दुवालसमो उद्देसो) ८६६ अतोमुहत्त, उक्कोसेण बावीस वाससहस्साइ। अज्झवसाणा पसत्था वि', अपसत्था वि । अणुवधो जहा ठिती ।। से ण भते । पुढविक्काइए पुणरवि पुढविकाइएत्ति केवतिय काल सेवेज्जा ? केवतिय काल गतिरागति करेज्जा ? गोयमा । भवादेसेण जहण्णेण दो भवग्गहणाइ, उक्कोसेण असखेज्जाइ भवग्गहणाइ । कालादेसेण जहण्णेण दो अतोमुहुत्ता, उक्कोसेण असखेज्ज काल एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति करेज्जा १ ॥ सो चेव जहण्णकालट्टितीएसु उववण्णो जहण्णेण अतोमुहुत्तद्वितीएसु, उक्कोसेण वि अतोमुहुत्तद्वितीएस, एव चेव वत्तव्वया निरवसेसा २॥ १७० सो चेव उक्कोसकाल द्वितीएसु उववण्णो बावीसवाससहस्सद्वितीएसु, उक्कोसेण वि वावीसवाससहस्सद्वितीएसु । सेस त चेव जाव अणुबधो त्ति, नवर–जहण्णेण एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेण सखेज्जा वा असखेज्जा वा उववज्जेज्जा। भवादेसेण जहण्णेण दो भवग्गहणाइ, उक्कोसेण अट्ठ भवग्गहणाइ । कालादेसेण जहण्णेण बावीस वाससहस्साइ अतोमुहुत्तमभहियाइ, उक्कोसेण 'छावत्तर वाससयसहस्स', एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागतिं करेज्जा ३ ॥ १७१ सो चेव अप्पणा जहण्णकालद्वितीयो जाओ, सो चेव पढमिल्लयो गमयो भाणियव्वो' नवर-लेस्सायो तिण्णि । ठिती जहण्णेण अतोमुहत्तं, उक्कोसेण वि अतोमुहुत्त । अप्पसत्था अज्झवसाणा ।अणुबधो जहा ठिती। सेस त चेव ४॥ १७२ सो चेव जहण्णकाल द्वितीएसु उववण्णो सच्चेव चउत्थगमगवत्तव्वया भाणियव्वा ५॥ १७३ सो चेव उक्कोसकालद्वितीएसु उववण्णो, एस चेव वत्तव्वया, नवर-जहण्णेण एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेण सखेज्जा वा असखेज्जा वा जाव भवादेसेण जहण्णेण दो भवग्गहणाइ, उक्कोसेण अट्ठ भवग्गहणाइ । कालादेसेण जहण्णेण वावीस वाससहस्साइ अतोमुत्तमब्भहियाइ, उक्कोसेण अदासीइ वाससहस्साइ चउहि अतोमुहुत्तेहि अब्भहियाइ, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल' गतिरागति करेज्जा ६ ॥ १७४ सो चेव अप्पणा उक्कोसकालद्वितीप्रो जाओ, एव तइयगमगसरिसो निरवसेसो भाणियव्वो', नवर-अप्पणा से ठिई जहण्णेण बावीस वाससहस्साइ, उक्कोसेण वि वावीस वाससहस्साइ ७ ॥ १ x (ता)। २. छावतरि वाससहस्सुत्तर सयसहस्स (स)। ३. भ० २४।१६६,१६७ । ४ भ० २४।१७१। ५ भ० २४।१७० । Page #931 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ८७० १७५ सो चेव जहण्णकालद्वितीएसु उववण्णो जहण्णेण अतोमुहुत्त, उक्कोसेण वि अतोमुहुत्त । एव जहा सत्तमगमगो जाव' भवादेसो। कालादेसेण जहण्णेण वावीस वाससहस्साइ अतोमुहत्तमभहियाई, उक्कोसेण अट्ठासीइ वाससहस्साइ चउहि अतोमुहुत्तेहि अव्भहियाइ, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरा गति करेज्जा ८॥ १७६ सो चेव उक्कोसकालद्वितीएसु उववण्णो जहण्णण वावीसवाससहस्सद्वितीएस, उक्कोसेण वि वावीसवाससहस्सद्वितीएस, एस चेव सत्तमगमगवत्तव्वया जाणियव्वा' जाव' भवादेसो त्ति । कालादेसेण जहण्णेण चोयालीस वाससहस्साइ, उक्कोसेण छावत्तर वाससयसहस्स, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गति रागति करेज्जा ।। १७७ जइ अाउक्काइयएगिदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति–कि सहमग्राउ० ? वादरग्राउ० ? एव चउक्कयो भेदो भाणियव्वो जहा पुढविक्काइयाण ।। १७८ ग्राउक्काइए ण भते । जे भविए पुढविक्काइएसु उववज्जित्तए, से ण भते ! केवइकालद्वितीएस उववज्जेज्जा? गोयमा | जहण्णेण अतोमुहुत्तद्वितीएसु उक्कोसेण वावीसवाससहस्सद्वितीएस उववज्जेज्जा। एव पुढविक्काइयगमगसरिसा नव गमगा भाणियव्वा, नवरथिवुगाविदुसठिए । ठिती जहण्णेण अतोमुहत्त, उवकोसेण सत्त वाससहस्साइ । एव अणुवधो वि । एव तिसु वि गमएसु । ठिती सवेहो तइयछट्ठसत्तमट्ठमनवमेसु गमएस-भवादेसेण जहण्णण दो भवग्गहणाइ, उक्कोसेण अट्ट भवग्गहणाइ, सेसेसु च उसु गमएसु जहण्णेण दो भवग्गहणाइ, उक्कोसेण असखेज्जाइ भवग्गहणाइ। ततियगमए कालादेसेण जहण्णेण बावीस वाससहस्साइ अतोमुत्तमन्भहियाइ, उक्कोसेण सोलसुत्तर वाससयसहस्मं, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतियं काल गतिरागति करेज्जा। छठे गमए कालादेसेण जहण्णेण वावीस वाससहस्साइ अतोमुहुत्तमभहियाइ, उवकोसेण अट्ठासीति वाससहस्साइ चउहि अतोमुत्तेहि अमहियाइ, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति करेज्जा । सत्तमे गमए कालादेसेण जहण्णेण सत्त वाससहस्साइ अतोमुहत्तमब्भहियाड, उक्कोसेण सोलसुत्तर वाससयसहस्स, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति करेज्जा । अट्ठमे गमए कालादेसेण जहण्णेण सत्त वाससहस्साइ अतोमुत्तममहियाइ, उवकोसेण अट्ठावीस वाससहस्साइ चउहिं अतोमूहत्तेहि अभहियाइ, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति करेज्जा। नवमे गमए भवादेसेण जहण्णेण दो भवग्गहणाइ, उक्कोसेण अट्ठ भवग्गहणाइ, १. भ० २४।१७४। २. भ० २४११७४। Page #932 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चउवीसइम सत (दुवालसमो उद्देसो) ८७१ कालादेसेण जहण्णेण एकूणतीस वाससहस्साइं, उक्कोसेणं सोलसुत्तर वाससयसहस्सं, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति करेज्जा । एव नवसु वि गमएसु आउक्काइयठिई जाणियव्वा १-६॥ १७६ जइ तेउक्काइएहितो उववज्जति० ? तेउक्काइयाण वि एस चेव वत्तव्वया, नवर-नवसु वि गमएसु तिण्णि लेस्साओ। तेउक्काइया ण सुईकलावसठिया। ठिई जाणियव्वा । तइयगमए कालादेसेण जहण्णेण बावीस वाससहस्साइ अतोमुत्तमन्भहियाइ, उक्कोसेण अट्ठासीति वाससहस्साइ वारसहि राइदिएहि अमहियाइ, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागतिं करेज्जा । एव सवेहो उवजुजिऊण भाणियन्वो १-६।। १८०. जइ वाउक्काइएहितो०? वाउक्काइयाण वि एव चेव नव गमगा जहेव तेउक्का इयाण, नवर-पडागासठिया पण्णत्ता। सवेहो वाससहस्सेहि कायव्वो । तइयगमए कालादेसेण जहण्णेण वावीस वाससहस्साइ अतोमुहुत्तमब्भहियाइ, उक्को सेण एग वाससयसहस्स । एव सवेहो उवजुजिऊण भाणियव्वो १-६।। १८१ जइ वणस्सइकाइएहितो उववज्जति० ? वणस्सइकाइयाण आउकाइयगमग सरिसा नव गमगा भाणियन्वा, नवर - नाणासठिया। सरीरोगाहणा पढमएसु पच्छिल्लएसु य तिसु गमएसु जहण्णेण अगुलस्स असखेज्जइभाग, उक्कोसेण सातिरेग जोयणसहस्स, मज्झिल्लएसु तिसु तहेव जहा पुढविकाइयाण। सवेहो ठिती य जाणियव्वा । तइयगमे कालादेसेणं जहण्णेण बावीस वाससहस्साइ अतोमुत्तमन्भहियाइ, उक्कोसेण अट्ठावीसुत्तर वाससयसहस्स, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति करेज्जा। एव सवेहो उवजुजिऊण भाणि यन्वो १-६।। १८२ जइ बेदिएहितो उववज्जति–कि पज्जत्ताबेदिएहितो उववज्जति ? अपज्जत्ता बेदिएहितो उववज्जति ? गोयमा । पज्जत्ताबेदिएहितो उववज्जति, अपज्जत्तावेदिएहितो वि उव वज्जति ॥ १८३. बेदिए ण भते । जे भविए पुढविक्काइएसु उववज्जित्तए, से ण भते । केवतिकाल द्वितीएसु उववज्जेज्जा? गोयमा । जहण्णण अतोमुत्तद्वितीएसु, उक्कोसेण बावीसवाससहस्सद्वितीएसु ॥ १८४. ते ण भते । जीवा एगसमएण केवतिया उववज्जति ? गोयमा | जहण्णण एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेण सखेज्जा वा असखेज्जा वा उववज्जति । छेवट्टसघयणी । प्रोगाहणा जहण्णेण अगुलस्स असखेज्ज इभागं, उक्कोसेण बारस जोयणाइ । हुडसठिया। तिण्णि लेसानो । सम्मदिट्ठी १ उववज्जिऊण (अ, ता, म), उवजुज्जित्तण (क), उवउज्जित्तण (ब)। Page #933 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८७२ वि, मिच्छादिट्ठी वि, नो सम्मामिच्छादिट्ठी। दो नाणा, दो अण्णाणा नियम । नो मणजोगी, वइजोगी कायजोगी वि । उवोगो दुविही वि। चत्तारि सण्णाओ। चत्तारि कसाया। दो इदिया पण्णता, त जहा-जिभिदिए य फासि दिए य । तिण्णि समुग्वाया। सेस जहा पुढविक्काइयाण, नवरं-ठिती जहण्णण अतोमुत्तं, उक्कोसेण वारस सवच्छराइ । एव अणवधो वि । सेस त चेव । भवादेसेण जहण्णण दो भवग्गहणाइ, उक्कोमेण सखेज्जाइ भवग्गहणाई। कालादेसेण जहण्णण दो अतोमुहुत्ता, उक्कोगेण सखज्ज काल, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरार्गात करेज्जा १।। १८५. सो चेव जहण्णकालट्टितीएसु उववण्णो एस चेव वत्तव्बया सव्वा ।। १८६ सो चेव उक्कोसकालद्वितीएसु उववण्णो एस चेव वेदियम्स लद्धी, नवरं भवादेसेण जहणणेण दो भवग्गहणाई, उक्कोसेण अट्ट भवग्गणाइ। कालादेसेण जहण्णेण बावीस वाससहस्साइ अतोमुत्तमभहियाड, उक्कोसेण अढासीति वाससहस्साइ अडयालीसाए सवच्छरेहि अमहियाड, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति करेज्जा ३॥ १८७. सो चेव अप्पणा जहण्णकाल द्वितीयो जाग्रो, तस्स वि एस चेव वत्तव्वया तिसु वि गमएस, नवर-इमाइ सत्त नाणत्ताइ-१ सरीरोगाहणा जहा पुढविकाइयाण २. नो सम्मदिट्ठी, मिच्छादिट्ठी, नो सम्मामिच्छादिट्ठी ३ दो अण्णाणा नियम ४ नो मणजोगी, नो वइजोगी, कायजोगी ५ ठिती जहण्णण अनोमुहुत्त, उक्कोसेण वि अतोमुत्त ६ अज्झवसाणा अपसत्था ७ अणुवघो जहा ठिती। सवेहो तहेव आदिल्लसु दोसु गमएसु, तइयगमए भवादेसो तहेव अट्ठ भवग्गहणाइ। कालादेसेण जहण्णेण वावीस वाससहस्साइ अतोमुत्तमव्भहियाइ, उक्कोसेण अट्ठासीति वाससहस्साइ चउहि अतोमुहुत्तेहि अमहियाइ, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति करेज्जा ४-६।। सो चेव अप्पणा उक्कोसकालद्वितीयो जाओ, एयस्स वि प्रोहियगमगसरिसा तिण्णि गमगा भाणियव्वा,' नवर-तिसु वि गमएसु ठिती जहण्णण वारस सवच्छराइ, उक्कोसेण वि वारस सवच्छराइ । एव अणुवधो वि । भवादेसेण जहण्णेणं दो भवग्गहणाइ, उक्कोसेण अट्ठ भवग्गहणाइ । कालादेसेण उवजुजिऊण भाणियव्वं जाव नवमे गमए जहण्णेण वावीस वाससहस्साइ वारसहि सवच्छरेहिं अन्भहियाइ, उक्कोसेण अट्ठासीति वाससहस्साइ अडयालीसाए सवच्छरेहि अभहियाइ, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति करेज्जा ७-६॥ २८६. जइ तेइदिएहितो उववज्जति० ? एव चेव नव गमगा भाणियव्वा, नवर आदिल्लेसु तिसु वि गमएसु सरीरोगाहणा जहण्णेण अगुलस्स असखेज्जइभाग, १. भ०२४।१८४-१८६ । Page #934 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८७३ चउवीसइमं सतं (दुवालसमो उद्देसो) उक्कोसेण तिण्णि गाउयाइ'। तिण्णि इदियाइ। ठिती जहण्णेण अतोमुहुत्त, उक्कोसेण एगूणपन्न राइदियाइ । तइयगमए कालादेसेण जहण्णेण बावीस वाससहस्साइ अतोमुत्तमभहियाइ, उक्कोसेण अट्ठासीति वाससहस्साइ छण्णउयराइदियसयमभहियाइ, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति करेज्जा। मज्झिमा तिण्णि गमगा तहेव, पच्छिमा वि तिण्णि गमगा तहेव, नवर-ठिती जहण्णण एगणपन्न राइदियाइ, उक्कोसेण वि एगूणपन्न राइदियाइ । सवेहो उवजजिऊण भाणियन्वो १-६ ॥ जइ चउरिदिएहितो उववज्जति० ? एव चेव चरिदियाण वि नव गमगा भाणियव्वा, नवर- एतेसु चेव ठाणेसु नाणत्ता जाणियव्वा। सरीरोगाहणा जहण्णेण अगुलस्स असखेज्जइभाग, उक्कोसेण चत्तारि गाउयाइ ठिती जहण्णेण अतोमुहुत्त, उक्कोसेण य छम्मासा । एव अणुबधो वि । चत्तारि इदियाइ । सेस तहेव जाव नवमगमए-कालादेसेण जहण्णेण बावीस वाससहस्साइ छहिं मासेहि अमहियाइ, उक्कोसेण अट्ठासीति वाससहस्साइ चउवीसाए मासेहिं अन्भहियाइ, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल' गतिरागति करेज्जा १-६॥ १६१ जइ पचिदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति-कि सण्णिपचिदियतिरिक्ख जोणिएहितो उववज्जति ? असण्णिपचिंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति ? गोयमा । सण्णिपंचिदिय, असण्णिपचिदिय ।। १६२ जइ असण्णिपंचिदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति--किं जलचरेहितो उववज्जति जाव' कि पज्जत्तएहितो उववज्जति ? अपज्जत्तएहितो उववज्जंति ? गोयमा । पज्जत्तएहितो वि उववज्जति, अपज्जत्तएहितो वि उववज्जति ।। १६३. असण्णिपचिदियतिरिक्खजोणिए ण भते । जे भविए पुढविक्काइएसु उववज्जि त्तए, से ण भते । केवतिकाल द्वितीएसु उववज्जेज्जा? ___ गोयमा । जहण्णेण अतोमुहुत्तद्वितीएसु, उक्कोसेण वावीसवाससहस्सद्वितीएसु ।। १६४ ते ण भते | जीवा एगसमएण केवतिया उववज्जति ? एव जहेव बेइदियस्स ओहियगमए लद्धी तहेव, नवर - सरीरोगाहणा जहण्णेण अगुलस्स असखेज्जइभाग, उक्कोसेण जोयणसहस्स। पच इदिया। ठिती अणुबधो य जहण्णेण अतोमुहुत्त, उक्कोसेण पुवकोडी। सेस त चेव । भवादेसेण जहणेण दो भवग्गहणाइ, उक्कोसेण अट्ठ भवग्गहणाइ। कालादेसेण जहण्णेण दो अतोमुहुत्ता, उक्कोसेण चत्तारि पुन्वकोडीअो अट्ठासीतोए वाससहस्सेहि अन्भहियाओ, १. कोसा (ता)। २ छण्णउइ° (स)। ३. भ० २४१४,५। ४. भ० २४११८४ Page #935 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८७४ भगवई एवतिय काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागतिं करेज्जा। नवसु वि गमएसु कायसवेहो-भवादेसेण जहण्णेण दो भवग्गहणाइ, उक्कोसेण अट्ठ भवग्गहणाइ। कालादेसेण उवज जिऊण भाणियव्व, नवर-मज्झिमएस तिसु गमएस जहेव' बेइदियस्स, पच्छिल्लएसु तिसु गमएसु जहा एतस्स चेव पढमगमएम, नवर-ठिती अणुवधो य जहण्णेणं पुव्वकोडी, उक्कोसेण वि पुवकोडी। सेस त चेव जाव नवमगमएस-जहण्णेण पुव्वकोडी वावीसाए वाससहस्सेहि अभहिया, उक्कोसेण चत्तारि पुव्वकोडीओ अट्ठासीतीए वाससहस्सेहि अभहियाग्रो, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति करेज्जा १-६॥ १९५ जइ सण्णिपचिंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति–कि सखेज्जवासाउय० ? असखेज्जवासाउय०? गोयमा | सखेज्जवासाउय, नो असखेज्जवासाउय । १६६. जइ सखेज्जवासाउय० किं जलयरेहितो० ? सेस जहा असण्णीण जाव'१६७. ते ण भते | जीवा एगसमएण केवतिया उववज्जति ? एव जहा' रयणप्पभाए उववज्जमाणस्स सण्णिस्स तहेव इह वि, नवर-प्रोगाहणा जहण्णेण अगुलस्स असखेज्जइभाग, उक्कोसेण जोयणसहस्स । सेस तहेव जाव कालादेसेण जहण्णेण दो अतोमुहत्ता, उक्कोसेण चत्तारि पुत्वकोडीओ अट्ठासोतीए वाससहस्सेहि अभहियाओ, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति करेज्जा । एव सवेहो नवसु वि गमएसु जहा असण्णीण तहेव निरवसेसो । लद्धी से आदिल्लएसु तिसु वि गमएसु एस चेव, मज्झिल्लएसु तिसु वि गमएसु एस चेव, नवरइमाइ नव नाणत्ताइ-प्रोगाहणा जहण्णेण अगुलस्स असखेज्जतिभाग, उक्कोसेण अगुलस्स असखेज्जतिभाग । तिण्णि लेसाो । मिच्छादिट्ठी। दो अण्णाणा। कायजोगी। तिण्णि समुग्घाया। ठिती जहण्णेण अतोमुहत्त, उक्कोसेण वि अतोमुहुत्त । अप्पसत्था अज्झवसाणा । अणुबधो जहा ठिती। सेस त चेव । पच्छिल्लएसु तिसु वि गमएसु जहेव पढमगमए, नवर-ठिती अणुवधो य जहण्णेण पुवकोडी, उक्कोसेण वि पुव्वकोडी । सेस त चेव १-६॥ १९८. जइ मणुस्सेहिंतो उववज्जति-किं सण्णिमणुस्सेहिंतो उववज्जति ? असण्णि मणुस्सेहिंतो उववज्जति ? गोयमा ! सण्णिमणुस्सेहितो उववज्जति, असण्णिमणुस्सेहितो वि उववज्जति ॥ १९६. असण्णिमणुस्से ण भते । जे भविए पुढविक्काइएसु उववज्जित्तए, से ण भते ! केवतिकालट्टितीएसु उववज्जेज्जा ? एव जहा असण्णिपचिंदियतिरिक्खजोणि १. भ० २४।१८७ । २. भ०२४।१६२,१६३ । ३. भ० २४।५८-६२। ४. निरवसेसं (ख, ता, व) । Page #936 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८७५ चउवीसइम सत (दुवालसमो उद्देसो) यस्स जहण्णकालद्वितीयस्स तिण्णि गमगा तहा एयस्स वि ओहिया तिण्णि गमगा भाणियव्वा तहेव निरवसेस १-३। सेसा छ न भण्णति ।। २००. जइ सण्णिमणुस्सेहितो उववज्जति–कि सज्जवासाउय० ? असखेज्जवासा उय.? गोयमा । सखेज्जवासाउय, नो असखेज्जवासाउय ।। २०१ जइ सखेज्जवासाउय० कि पज्जत्तासखेज्जवासाउय० ? अपज्जत्तासखेज्ज वासाउय० ? गोयमा । पज्जत्तासखेज्जवासाउय, अपज्जत्तासखेज्जवासाउय जाव उव वज्जति ॥ २०२. सण्णिमणुस्से ण भते । जे भविए पुढविकाइएसु उववज्जित्तए, से ण भते । केवतिकालट्टितीएसु उववज्जति ? गोयमा । जहण्णेण अतोमुहुत्तद्वितीएसु, उक्कोसेण बावीसवाससहस्सद्वितीएसू ।। २०३ ते ण भते । जीवा एगसमएण केवतिया उववज्जति ? एव जहेव रयणप्पभाए उववज्जमाणस्स तहेव तिसु वि गमएसु लद्धी, नवर–ोगाहणा जहण्णेण अगुलस्स असखेज्जइभाग, उक्कोसेण पचधणुसयाइ । ठिती जहण्णेण अतोमुहत्त, उक्कोसेण पुव्वकोडी। एव अणुबधो। सवेहो नवसु गमएसु जहेव सण्णिपचिदियस्स । मज्झिल्लएसु तिसु गमएसु लद्धी जहेव सण्णिपचिंदियस्स मज्झिल्लएस तिसु । सेस त चेव निरवसेस । पच्छिल्ला तिण्णि गमगा जहा एयस्स चेव प्रोहिया गमगा, नवर- ओगाहणा जहण्णण पच धणुसयाइ, उक्कोसेण वि पच धणुसयाइ। ठिती अणुबधो य जहण्णेण पुव्वकोडी, उक्कोसेण वि पुव्वकोडी। सेस तहेव' १-६॥ २०४ जइ देवेहितो उववज्जति–किं भवणवासिदेवेहितो उववज्जति ? वाणमतरदेवे हितो, जोइसियदेवेहितो, वेमाणियदेवेहितो उववज्जति ? गोयमा । भवणवासिदेवेहितो वि उववज्जति जाव वेमाणियदेवेहितो वि उववज्जति ॥ २०५ जइ भवणवासिदेवेहितो उववज्जति–कि असुरकुमारभवणवासिदेवेहितो उव वज्जति जाव' थणियकुमारभवणवासिदेवेहितो उववज्जति ? गोयमा | असुरकुमारभवणवासिदेवेहिंतो उववज्जति जाव थणियकुमारभवण वासिदेवेहितो उववज्जति ॥ २०६. असुरकुमारेण भते ! जे भविए पुढविक्काइएसु उववज्जित्तए, से ण भते ! केवतिकालट्ठितीएसु उववज्जेज्जा? १ तहेव नवर पच्छिल्लएसु गमएसु सखेज्जा (ख, ता, ब, म)। उववज्जति नो असखेज्जा उववज्जति (अ, Page #937 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८७६ भगवई गोयमा ! जहण्णण अतोमुत्तद्वितीएसु, उक्कोसेण वावीसवाससहस्सद्वितीएसु ।। २०७ ते ण भते । जीवा ' एगसमएण केवतिया उववज्जति ? गोयमा | जहण्णेण एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेण सखेज्जा वा अस खेज्जा वा उववज्जति ।। २०८ तेसि ण भते | जीवाण सरीरगा किसघयणी पण्णत्ता ? गोयमा ! छण्ह सघयणाण असघयणी जाव' परिणमति ।। २०६ तेसि णं भते | जीवाण केमहालिया सरीरोगाहणा? गोयमा | दुविहा सरीरोगाहणा' पण्णत्ता, त जहा--भवधारणिज्जा य उत्तरवे उव्विया य । तत्थ ण जा सा भवधारणिज्जा सा जहण्णेण अंगुलस्स असखेज्जइभाग, उक्कोसेण सत्त रयणीयो । तत्थ ण जा सा उत्तरवेउव्विया सा जहण्णेण अगुलस्स सखेज्जइभाग, उक्कोसेण जोयणसयसहस्स ।। तेसि ण भते । जीवाण सरीरगा किसठिया पण्णत्ता ? गोयमा | दुविहा पण्णत्ता, त जहा-भवधारणिज्जा य उत्तरवेउव्विया य । तत्थ ण जे ते भवधारणिज्जा ते समचउरससठिया पण्णत्ता। तत्थ ण जे ते उत्तरवेउब्विया ते नाणासठिया पण्णत्ता। लेस्सायो चत्तारि। दिट्ठी तिविहा वि । तिण्णि नाणा नियम, तिण्णि अण्णाणा भयणाए । जोगो तिविहो वि । उवयोगो दुविहो वि । चत्तारि सण्णाप्रो । चत्तारि कसाया। पच इदिया। पच समुग्धाया। वेयणा दुविहा वि। इत्थिवेदगा वि पुरिसवेदगा वि, नो नपुसगवेदगा। ठिती जहण्णेण दसवाससहस्साइ, उक्कोसेण सातिरेग सागरोवमं । अज्झवसाणा असखेज्जा पसत्था वि अप्पसत्था वि । अणुबधो जहा ठिती। भवादेसेण दो भवग्गहणाइ, कालादेसेण जहण्णेण दसवाससहस्साइ अतोमुहत्तमभहियाइ, उक्कोसेण सातिरेग सागरोवम वावीसाए वाससहस्सेहि अब्भहिय, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति करेज्जा। एव नव वि गमा नेयव्वा, नवर-मज्झिल्लएसु पच्छिल्लएसु तिसु गमएसु असुरकुमाराण ठिइविसेसो जाणियव्वो, सेसा ओहिया चेव लद्धी कायसवेह च जाणेज्जा। सव्वत्थ दो भवग्गहणाइ जाव नवमगमए कालादेसेण जहण्णेण सातिरेग सागरोवम वावीसाए वाससहस्सेहि अव्भहिय, उक्कोसेण वि सातिरेग सागरोवम वावीसाए वाससहस्सेहिं अव्भहिय, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागतिं करेज्जा १-६ ।। १ स० पा०-पुच्छा। २. भ० ११२४५, २२४ । ३. X (क, ख, ता, म, स)। ४. नाणासठाणसठिया (स)। Page #938 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८७७ चउवीसइम सत (दुवालसमो उद्देसो) २११. णागकुमारेणं भते । जे भविए पुढविक्काइएसु० ? एस चेव वत्तव्वया जाव' भवादेसो त्ति, नवर-ठिती जहण्णेण दसवाससहस्साइ, उक्कोसेण देसूणाइ दो पलिअोवमाइ । एव अणुबधो वि । कालादेसेण जहण्णेण दसवाससहस्साइ अतोमुहुत्तमन्भहियाइ, उक्कोसेण देसूणाइ दो पलिअोवमाइ बावीसाए वाससहस्सेहि अमहियाइ । एव नव वि गमगा असुरकुमारगमगसरिसा, नवर-ठिति कालादेस च जाणेज्जा १-६ । एव जाव थणियकुमाराण ।। २१२ जइ वाणमतरेहितो उववज्जति–किं पिसायवाणमतरदेवेहितो जाव गधव्व वाणमंतरदेवेहितो? गोयमा । पिसायवाणमतरदेवेहिंतो जाव गधव्ववाणमतरदेवेहितो॥ २१३. वाणमतरदेवे ण भते । जे भविए पुढविक्काइएसु उववज्जित्तए० ? एतेसिं पि असुरकुमारगमगसरिसा नव गमगा भाणियव्वा', नवर-ठिति कालादेस च जाणेज्जा । ठिती जहण्णेण दसवाससहस्साइ, उक्कोसेण पलिओवम । सेस तहेव १-६ ।। २१४ जइ जोइसियदेवेहितो उववज्जति–कि चदविमाणजोइसियदेवेहितो उववज्जति जाव ताराविमाणजोइसियदेवेहितो' ? गोयमा । चदविमाण जाव ताराविमाण ।। २१५ जोइसियदेवे ण भते । जे भविए पुढविक्काइएसु उववज्जित्तए० ? लद्धी जहा असुरकुमाराण, नवर-एगा तेउलेस्सा पण्णत्ता। तिणि नाणा, तिण्णि अण्णाणा नियम । ठिती जहण्णेण अट्ठभागपलिग्रोवम, उक्कोसेण पलिग्रोवम वाससयसहस्समभहिय । एव अणुवधो वि । कालादेसेण जहण्णण अदभागपलिग्रोवम अतोमुहुत्तमभहिय, उक्कोसेण पलिअोवम वाससयसहस्सेण बावीसाए वाससहस्सेहिं अब्भहिय, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति करेज्जा । एव सेसा वि अट्ठ गमगा भाणियव्वा, नवर-ठितिं कालादेस च जाणेज्जा १-१॥ २१६ जड वेमाणियदेवेहितो उववज्जति - किं कप्पोवावेमाणियदेवेहितो. ? कप्पातीतावेमाणियदेवेहितो० ? गोयमा । कप्पोवावेमाणियदेवेहितो, नो कप्पातीतावेमाणियदेवेहितो ।। २१७ जइ कप्पोवावेमाणियदेवेहिंतो उववज्जति–कि सोहम्मकप्पोवावेमाणियदेवे हितो जाव अच्चुयकप्पोवावेमाणियदेवेहितो० ? गोयमा । सोहम्मकप्पोवावेमाणियदेवेहिंतो' ईसाणकप्पोवावेमाणियदेवेहितो, नो सणकुमार जाव नो अच्चुयकप्पोवावेमाणियदेवेहितो ।। । ३. तारविमाण° (अ, क, ख, ता, व, म)। १. भ० २४।२०६-२१० । २ भ० २४।२०६-२१०। Page #939 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८७५ भगवई २१८ सोहम्मदेवे णं भते । जे भविए पुढविक्काइएसु उववज्जित्तए, से णं भंते । केवतिकाल द्वितीएसु उववज्जेज्जा ? एव जहा जोइसियस्स गमगो, नवरठिती अणुवधो य जहण्णेण पलिग्रोवम, उक्कोसेण दो सागरोवमाइ । कालादेसेण जहण्णेण पलिग्रोवम अतोमुत्तमभहिय, उक्कोसेण दो सागरोवमाड वावीसाए वाससहस्सेहि अमहियाइ, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति करेज्जा । एव सेसा वि अट्ठ गमगा भाणियव्वा, नवर-ठिति कालादेस च जाणेज्जा। २१६. ईसाणदेवे ण भते । जे भविए.? एव ईसाणदेवेण वि नव गमगा भाणियव्वा, नवर-ठिती अणु वधो जहण्णेण सातिरेग पलिग्रोवम, उक्कोसेण सातिरेगाइ दो सागरोवमाइ । सेस त चेव १-६ ।। २२० सेव भते । सेव भते । त्ति जाव' विहरइ ।। तेरसमो उद्देसो २२१. आउक्काइया ण भते ! कओहिंतो उववज्जति० ? एव जहेव पुढविक्काइय उद्देसए जाव'२२२. पुढविक्काइए ण भते ! जे भविए आउक्काइएसु उववज्जित्तए, से ण भते ! केवतिकालट्ठितीएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा । जहण्णेण अतोमुत्तद्वितीएस, उक्कोसेण सत्तवाससहस्सद्वितीएस उववज्जेज्जा। एव पुढविक्काइयउद्देसगसरिसो भाणियव्वो', नवर-ठिति सवेह च जाणेज्जा । सेस तहेव ॥ २२३. सेव भते । सेवं भते । त्ति ।। ३. भ० २४११६७-२१६ । १ भ० ११५१। २. भ० २४।१६३-१६५ । Page #940 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८७६ चउवीसइम सत (१४-१६ उद्देसा) चोदसमो उद्देसो २२४. तेउक्काइया ण भते । कमोहितो उववज्जति०? एव' पुढविक्काइयउद्देसग सरिसो' उद्देसो भाणियव्यो, नवर-ठिति सवेह च जाणेज्जा । देवेहितो न उववज्जति । सेस तं चेव ॥ २२५ सेव भते । सेव भते ! त्ति जाव' विहरइ ।। पण्णरसमो उद्देसो २२६ वाउक्काइया णं भते । करोहिंतो उववज्जति० ? एव जहेव तेउक्काइय उद्देसनो तहेव, नवरं-ठिति सवेह च जाणेज्जा ।। २२७. सेव भते ! सेवं भते ! त्ति ।। सोलसमो उद्देसो २२८. वणस्सइकाइया ण भते । कोहिंतो उववज्जति० ? एव पुढविक्काइयसरिसो उद्देसो, नवर-जाहे वणस्सइकाइओ वणस्सइकाइएसु उववज्जति ताहे पढमवितिय-चउत्थ-पचमेसु गमएसु परिमाण अणुसमय अविरहिय अणता उववज्जति । भवादेसेण जहण्णेण दो भवग्गहणाइ, उक्कोसेण अणताइ भवग्गहणाइ। कालादेसेण जहण्णण दो अतोमुहुत्ता, उक्कोसेण अणत काल, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति करेज्जा। सेसा पंच गमा अट्ठभवग्ग हणिया तहेव, नवर-ठिति सवेह च जाणेज्जा ॥ २२६. सेव भते ! सेव भते ! त्ति ।। १ एव जहेव (अ, म)। २. उद्देसासरिसो (ता, व, स)। ३. भ० ११५१। । Page #941 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८८० सत्तरसमो उद्देसो २३० वेदिया ण भते । कोहिंतो उववज्जति० ? जाव' २३१. पुढविक्काइए णं भते । जे भविए वेदिएसु उववज्जित्तए, से ण भते । केवतिकालट्ठितीएसु उववज्जेज्जा ? सच्चेव पुढविकाइयस्स लही जाव कालादेसेणं जहणेण दो तोमुहुत्ता, उक्कोसेण सखेज्जाइ भवग्गहणाई - एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय कालं गतिरागति करेज्जा । एव तेसु चेव चउसु गमएसु संवेहो, मेसेमु पचसु तहेव अट्ठ भवा । एव जाव चउरिदिएण समं चउमु सखेज्जा भवा, पचसु ग्रट्ठ भवा । पचिदियति रिक्खजोणियमणुस्सेसु सम तहेव श्रट्ट भवा । देवेन' उववज्जति । ठिति सवेह च जाणेज्जा ॥ २३२. - सेव भते । सेव भंते ! त्ति ॥ भगवई अट्ठारसमो उद्देसो २३३ तेsदिया णं भते । कोहिंतो उववज्जति ० ? एव तेsदियाण जहेव वेsदियाणं उद्देसो, नवरं—ठिति सवेहं च जाणेज्जा । तेउक्काइएस सम ततियगमे उक्कोसेणं अट्ठत्तराइ वेराइदियसयाइ, वेइदिएहिं सम ततियगमे उक्कोसेणं ऋडयालीस सवच्छराइ छन्नउयराइदियसतमव्भहियाइ, तेइ दिएहि सम ततियगमे उक्कोसेण वाणउयाइ तिण्णि राइदियसयाइ । एवं सव्वत्य जाणेज्जा जाव समिति | २३४. सेव भते ! सेव भते ! ति ॥ एगूणवीसइमो उद्देसो २३५. चउरिदिया ण भते । कोहितो उववज्जंति ० ? जहा तेइदियाणं उद्देश्रो तहेव चरिदियाण वि, नवर - ठिति सवेह च जाणेज्जा | २३६. सेव भते ! सेव भते ! त्ति ॥ १. भ० २४।१६३-१६५ । २. न चेव ( अ, क, म) 1 Page #942 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चउवीसइम सतं (वीसइमो उद्देसो) ८८१ वीसइमो उद्देसो २३७ पचिदियतिरिक्खजोणिया ण भते । कनोहितो उववज्जति - किं नेरइएहिंतो उववज्जति ? तिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जति ? मणुस्सेहितो देवेहितो उववज्जति ? गोयमा | नेरइएहिंतो उववज्जति, तिरिक्खजोणिएहितो, मणुस्सेहिंतो वि, देवहितो वि उववज्जति ॥ २३८ जड़ नेरइएहितो उववज्जति - कि रयणप्पभपुढविने रइए हितो उववज्जति जाव आहेसत्तमपुढविने रइए हितो स्ववज्जति ? गोयमा ! रयणप्पभपुढविने रइएहितो उववज्जति जाव ग्रसत्तमपुढविनेरइएहितो उववज्जति ॥ २३६ रयणप्पभपुढविनेरइए ण भते । जे भविए पचिदियतिरिक्ख जोणिएसु उववज्जित्तए, सेण भते । केवतिकालट्ठितीएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा । जहणेण प्रतोमुहुत्तट्ठितीएस, उक्कोसेण पुव्वकोडिग्राउएसु उवव ज्जेज्जा ॥ २४० ते ण भते । जीवा एगसमएण केवडया उववज्जति ? एव जहा' असुरकुमाराण वत्तव्वया, नवर—संघयणे पोग्गला अणिट्ठा ग्रकता जाव परिणमति । श्रोगाहा दुविहा पण्णत्ता त जहा - भवधारणिज्जा उत्तरवेउव्विया य । तत्थ सा भवधारणिज्जा सा जहणणेण ग्रगुलस्स ग्रसखेज्जइभाग, उक्कोसेणं सत्त धणू तिणि रयणी छच्चगुलाइ । तत्थ ण जा सा उत्तरवेउव्विया सा जहण गुलस्स सखेज्जइभाग, उक्कोसेण पण्णरस धणूइ अड्ढाइज्जाश्रो रयणी ॥ २४१ तेसि ण भते । जीवाणं सरीरगा किसठिया पण्णत्ता ? गोयमा । दुविहा पण्णत्ता, त जहा - भवधारणिज्जा य, उत्तरवेउब्विया य । तत्थ ण जे ते भवधारणिज्जा ते हुडसठिया पण्णत्ता । तत्थ ण जे ते उत्तरवेउव्विया ते वि हुडसठिया पण्णत्ता । एगा काउलेस्सा पण्णत्ता । समुग्धाया चत्तारि । नो इत्थिवेदगा, नो पुरिसवेदगा, नपुसगवेदगा । ठिती जहण्णेण दसवाससहस्साइ, उक्कोसेण सागरोवम । एव श्रणुवधो वि । सेस तहेव । भवादेसेण जहणेण दो भवग्गहणाइ, उक्कोसेण ग्रटु भवग्गहणाड । कालादेसेण जहण्णेण दसवाससहस्साइ अतोमुहुत्तमव्भहियाइ, उक्कोसेण चत्तारि सागरोवमाइ चउहि पुत्र्वकोडीह भहियाइ, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति करेज्जा १ ॥ १. भ० २४।२०७, २०८ । Page #943 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८८२ भगवई २४२. सो चेव जहण्णकालद्वितीएसु उववण्णो, जहण्णेणं ग्रतोमुहुत्तट्ठितीएसु, उक्कोसेण वि तोमुहुत्तद्वितीएसु । अवसेस तहेव, नवर -- कालादेसेण जहणेण तहेव, उक्कोसेण चत्तारि सागरोवमाइ चउहि प्रतोमुहुत्तेहि ग्रभहियाइ, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति करेज्जा । एव सेसा वि सत्त गमगा भाणियव्वा जहेव नेरइयउद्देसए सणिपचिदिएहि समं । नेरइयाण 'मज्झिमएसु तिसु गमएसु" पच्छिमएसु यतिसु गमएसु ठितिनाणत्त भवति । स तं चेव । सव्वत्थ ठिति संवेह च जाणेज्जा २ -६ ॥ २४३ सक्करप्पभापुढविनेरइए ण भते ! जे भविए पचिदियतिरिक्खजोणिएसु उववज्जित्तए० ? एव जहा रयणप्पभाए नव गमगा तहेव सक्करप्पभाए वि, नवरसरीरोगाहणा जहा' ओगाहणसठाणे । तिण्णि नाणा तिण्णि श्रण्णाणा नियम । ठिती अणुवधा पुव्वभणिया । एव नव वि गमगा उवजुजिऊण भाणियव्वा १-९ । एव जाव छट्ठपुढवी, नवर - प्रोगाहणा - लेस्सा - ठिति प्रणुवधा सवेहो य जाणि यव्वा ॥ ? २४४ आहेसत्तमपुढवीनेरइए ण भते । जे भविए पचिदियतिरिक्खजोणिएसु उववज्जित्तए० एव चेव नव गमगा, नवरं - ग्रोगाहणा-लेस्सा - ठिति प्रणुवधा जाणियव्वा । सवेहो भवादेसेण जहण्णेणं दो भवग्गहणाइ, उक्कोसेण छ०भवग्गहणाइ | कालादेसेण जहण्णेण बावीस सागरोवमाइ ग्रंतोमुहुत्तमव्भहियाइ उक्को सेणं छावट्ठि सागरोवमाइ तिहिं पुव्वकोडीहिं प्रभहियाइ, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागत करेज्जा । आदिल्लएसु छसु वि गमएसु जहणेण दो भवग्गहणाइ, उक्कोसेण छ भवग्गहणाइ । पच्छिल्लएसु तिसु गमएसु जहणेण दो भवग्गहणाइ, उक्कोसेण चत्तारि भवग्गहणाइ । लद्धी नवसु वि गमएसु जहा पढमगमए, नवर–ठितीविसेसो कालादेसो य वितियगमएसु जहण्णेण बावीस सागरोवमाइ अतोमुहुत्तमम्भहियाइ, उक्कोसेण छावट्ठि सागरोवमाइ तिहिं तोमुहुतेहिं प्रभहियाइ, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति करेज्जा । तइयगमए जहणेण बावीस सागरोवमाइ पुव्वकोडीए प्रभहियाइ, उक्कोसेण छार्वाट्ठ सागरोवमाइ तिहिं पुव्वकोडीहि प्रब्भहियाइ । चउत्थगमए जहण्णेण वावीस सागरोवमाइ तो मुहुत्तमम्भहियाइ, उक्कोसेण छावट्ठि सागरोवमाइ तिहि पुव्वकोडीहिं ग्रव्भहियाइ । पचमगमए जहण्णेण वावीस सागरोवमाइ अतोमुहुत्तमब्भहियाइ, उक्कोसेण छाट्ठ सागरोवमाइ तिहिं प्रतोमुहुत्ते हिं अब्भहियाइ । छट्ठगमए जहण्णेण बावीस सागरोवमाइ पुव्व कोडीहिं प्रब्भहियाइ । १. मज्झिमएस गमएसु ( अ ), मज्झिमएस य २ प० २१ । ३. ओगाहरणासठाणे ( अ, म) | तिसुगमसु (क, व), मज्झिमगमएसु (ख, ता), मज्झमएसु यतिसु वि गमएस ( स ) । Page #944 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चउवीसइमं सत (वीसइमो उद्देसो) ८८३ उक्कोसेणं छावटुिं सागरोवमाइं तिहिं पुव्वकोडीहिं अव्भहियाइं । सत्तमगमए जहण्णेणं तेत्तीस सागरोवमाइ अतोमुहुत्तमभहियाइ, उक्कोसेण छावढि सागरोवमाइं दोहि पुबकोडीहिं अभहियाइ । अट्ठमगमए जहण्णेण तेत्तीस सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तमभहियाइ, उक्कोसेणं छावट्ठि सागरोवमाइं दोहिं अंतोमुहुत्तेहिं अन्भहियाइं । नवमगमए जहण्णेण तेत्तीसं सागरोवमाइ पुव्वकोडीहिं अभहियाइ, उक्कोसेणं छावद्धि सागरोवमाइ दोहिं पुवकोडीहिं अभिहियाइ, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागतिं करेज्जा १-६।।। २४५ जइ तिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जति–कि एगिदियतिरिक्खजोणिएहितो. ? एवं उववानो जहा पुढविकाइयउद्देसए जाव'२४६. पुढविकाइए ण भते ! जे भविए पचिंदियतिरिक्खजोणिएसु उववज्जित्तए, से णं भते । केवतिकालद्वितीएस उववज्जेज्जा ? गोयमा | जहण्णेणं अंतोमुहुत्तद्वितीएसु, उक्कोसेणं पुव्वकोडीग्राउएसु उवव ज्जेज्जा ॥ २४७ ते ण भते ! जीवा एगसमएण केवतिया उववज्जति ? एव परिमाणादीया अणुवंधपज्जवसाणा जच्चेव अप्पणो सट्ठाणे वत्तव्वया सच्चेव पचिदियतिरिक्खजोणिएसु वि उववज्जमाणस्स भाणियव्वा, नवरं नवसु वि गमएसु परिमाणे जहण्णेण एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेण सखेज्जा वा असखेज्जा वा उववज्जति । भवादेसेण वि नवसु वि गमएस जहण्णेण दो भवग्गहणाइ, उक्को सेण अट्ठ भवग्गहणाइ । सेसं तं चेव । कालादेसेण उभयो ठितीए करेज्जा १-६।। २४८. जड आउक्काइएहिंतो उववज्जति० ? एव ग्राउक्काइयाण वि। एव जाव चरिदिया उववाएयव्वा, नवर-सव्वत्थ अप्पणो लद्धी भाणियव्वा । नवसु वि गमएसु भवादेसेण जहण्णेण दो भवग्गहणाइ, उक्कोसेण अट्ठ भवग्गहणाइ । कालादेसेण उभओ ठिति करेज्जा सव्वेसि सव्वगमएसु । जहेव पुढविक्काइएसु उववज्जमाणाण लद्धी तहेव सव्वत्थ ठिति सवेहं च जाणेज्जा १-६।। २४६ जड पचिदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जंति-किं सण्णिपचिदियतिरिक्खजो णिएहिंतो उववज्जति ? असण्णिपचिदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति ? गोयमा ! सण्णिपंचिदिय, असण्णिपचिदिय, भेनो जहेव पुढविक्काइएसु उवव ज्जमाणस्स जाव'-- २५० असण्णिपंचिदियतिरिक्खजोणिए ण भते । जे भविए पचिंदियतिरिक्खजोणिएस उववज्जित्तए, से ण भते । केवतिकालद्वितीएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा । जहण्णेण अतोमुत्तद्वितीएसु, उक्कोसेण पलिओवमस्स असंखेज्जइ भागट्टितीएसु उववज्जेज्जा ।। १. भ९ २४।१६४,१६५ । २. भ० २४११६२। Page #945 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८८४ २५१ भगवई ते ण भते । जीवा एगसमएणं केवतिया उववज्जति ? अवसेसं जहेव पुढविक्काइएसु उववज्जमाणस्स असण्णिस्स तहेव निरवसेसं जाव भवादेसो त्ति । कालादेसेण जहण्णण दो अतोमुत्ता, उक्कोसेण पलिग्रोवमस्स अस खेज्जइभाग पुवकोडिपुहत्तमभहिय, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिराति करेज्जा। बितियगमए एस चेव लद्धी, नवर - कालादेसेण जहण्णेण दो अतोमुत्ता, उक्कोसेण चत्तारि पुवकोडीयो चउहि अतोमुहुनेहि अभहियायो, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति करेज्जा १,२॥ २५२ सो चेव उक्कोसकालद्वितीएमु उववण्णो जहण्णेण पलिग्रोवमस्स असंखेज्जइ भागद्वितीएसु, उक्कोसेण वि पलिग्रोवमस्स असखेज्जइभागद्वितीएसु उवव ज्जेज्जा ।। २५३ ते ण भते | जीवा एगसमएण केवतिया उववज्जति ? एव जहा रयणप्पभाए उववज्जमाणस्स असण्णिस्स तहेव निरवसेस जाव' कालादेसो त्ति, नवरपरिमाणे जहण्णण एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेण सखेज्जा उववज्जति । सेस त चेव ३॥ २५४. सो चेव अप्पणा जहण्ण कालद्वितीयो जानो जहण्णेण अतोमुहुत्तद्वितीएसु, उक्को सेण पुवकोडिग्राउएसु उववज्जेज्जा ।।। २५५ ते ण भते । जीवा एगसमएण केवतिया उववज्जति ? अवसेसं जहा एयस्स पुढविक्काइएसु उववज्जमाणस्स मज्झिमेसु तिसु गमएसु तहा इह वि मज्झिमेसु तिसु गमएसु जाव' अणुवधो त्ति। भवादेसेण जहण्णेण दो भवग्गहणाइ, उक्कोसेण अट्ठ भवग्गहणाइ । कालादेसेण जहण्णेण दो अतोमुत्ता, उक्कोसेण चत्तारि पुवकोडोयो चउहि अतोमुहुत्तेहि अभहियाग्रो ४॥ २५६ सो चेव जहण्णकालट्ठितोएसु उववण्णो एस चेव वत्तव्बया, नवर-कालादेसेण जहण्णेण दो अतोमुत्ता, उक्कोसेण अट्ट अतोमुहुत्ता, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति करेज्जा ५॥ सो चेव उक्कोसकालद्वितीएसु उववण्णो जहण्णेण पुव्वकोडियाउएसु, उक्कोसेण वि पुव्वकोडिअाउएसु उववज्जेज्जा, एस चेव वत्तव्वया, नवर-कालादेसेण जाणेज्जा ६॥ २५८ सो चेव अप्पणा उक्कोसकालद्वितीयो जानो सच्चेव पढमगमगवत्तव्वया, नवर -ठिती जहण्णेण पुवकोडी, उक्कोसेण वि पुत्वकोडी। सेस त चेव । कालादेसेण जहण्णेण पुव्वकोडी अतोमुहुत्तमन्भहिया, उक्कोसेण पलिओवमस्स असखेज्जइभाग पुवकोडिपुहत्तमन्भहिय, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरार्गात करेज्जा ७॥ २५७ १. भ० २४१३२,३३ । २. भ० २४।१६४ । Page #946 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चउवीसइम सत (वीसइमो उद्देसो) ८८५ २५६ सो चेव जहण्णकालट्ठितीएसु उववण्णो, एस चेव वत्तव्वया जहा' सत्तमगमे, नवर-कालदेसेण जहण्णेणं पुव्वकोडी अतोमुहुत्तममहिया, उक्कोसेण चत्तारि पुव्वकोडीयो चउहि अतोमुहुत्तेहि अमहियाग्रो, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति करेज्जा ।।। २६०. सो चेव उक्कोसकालद्वितीएसु उववण्णो जहण्णण पलिग्रोवमस्स असखेज्जइभाग उक्कोसेणं वि पलिग्रोवमस्स असखेज्जइभाग । एव जहा रयणप्पभाए उववज्जमाणस्स असण्णिस्स नवमगमए तहेव निरवसेस जाव' कालादेसो त्ति, नवर परिमाण जहा' एयस्सेव ततियगमे । सेस त चेव ६ ॥ २६१. जइ सण्णिपचिदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति–कि सखेज्जवासाउय० ? असखेज्जवासाउय०? गोयमा ! सखेज्जवासाउय, नो असखेज्जवासाउय ।। जइ सखेज्जवासाउय जाव कि पज्जत्तसखेज्जवासाउय० ? अपज्जत्तसखेज्जवा साउय० ? दोसु वि ।। २६३ सखेज्जवासाउयसण्णिपचिदियतिरिक्खजोणिए ण भते । जे भविए पचिदिय तिरिवखजोणिएसु उववज्जित्तए, से णं भते । केवतिकालद्वितीएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा । जहण्णेण अतोमुत्तहितीएसु, उक्कोसेण तिपलिनोवमद्वितीएसु उववज्जेज्जा। ते ण भंते । जीवा एगसमएण केवतिया उववज्जति ? अवसेस जहा एयस्स चेव सण्णिस्स रयणप्पभाए उववज्जमाणस्स पढमगमए, नवर-योगाहणा जहण्णेण अगुलस्स असखेज्जइभाग, उक्कोसेण जोयणसहस्स । सेस त चेव जाव भवादेसो त्ति । कालादेसेण जहण्णेण दो अतोमुहुत्ता, उक्कोसेण तिण्णि पलिअोवमाइ पुत्वकोडी पुहत्तमभहियाइ, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति करेज्जा १ ॥ २६५. सो चेव जहण्णकाल द्वितीएसु उववण्णो, एस चेव वत्तव्वया, नवर-काला देसेण जहण्णेण दो अतोमुहुत्ता, उक्कोसेण चत्तारि पुवकोडीओ चउहि अतोमुहुत्तेहि अभहियानो २॥ २६६ सो चेव उक्कोसकालद्वितीएसु उववण्णो जहण्णेण तिपलिग्रोवमद्वितीएस, उक्कोसेण वि तिपलिग्रोवमद्वितीएसु उववज्जेज्जा, एस चेव वत्तव्वया, नवरपरिमाण जहण्णण एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेण सखेज्जा उववज्जति । प्रोगाहणा जहण्णेण अगुलस्स असखेज्जइभाग, उक्कोसेण जोयणसहस्स। २६४ १ भ० २४/२५८ । २ भ० २४१५२,५३ । ३. भ०२४।२५३ । ४. भ. २४/५८-६२ । Page #947 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८८६ भगवई सेस त चेव जाव-अणुवधो त्ति। भवादेसेण दो भवग्गहणाई। कालादेसेणं जहण्णेण तिण्णि पलिग्रोवमाइ अतोमुहुत्तमभहियाड, उक्कोसेण तिण्णि पलिओवमाइ पुव्वकोडीए अमहियाइ ३ ॥ २६७. सो चेव अप्पणा जहण्णकालद्वितीयो जातो जहण्णण अतोमुत्तद्वितीएस, उक्कोसेण पुव्वकोडीग्राउएसु उववज्जेज्जा। लद्धी से जहा' एयस्स चेव सण्णिपचिंदियस्स पुढविक्काएसु उववज्जमाणस्स मझिल्लएस तिसु गमएस सच्चेव इह वि मज्झिमेसु तिसु गमएसु कायव्वा । सवेहो जहेव एत्थ चेव असण्णिस्स मज्झिमेसु तिसु गमएसु ४-६ ।। २६८. सो चेव अप्पणा उक्कोसकालद्वितीयो जानो जहा पढमगमग्रो, नवर-ठिती अणवधो जहण्णेण पुव्वकोडी, उक्कोसेण वि पुव्वकोडी। कालादेसेण जहण्णण पूव्वकोडी अतोमुत्तमभहिया, उक्कोसेण तिण्णि पलिग्रोवमाइ पुव्वकोडीपुह त्तमभहियाइ ७॥ २६६. सो चेव जहण्णकालट्ठितीएस उववण्णो, एस चेव वत्तव्बया, नवर कालादेसेण जहण्णेण पुव्वकोडी अतोमुत्तमभहिया, उक्कोसेण चत्तारि पुवकोडीयो चउहि अतोमुहुत्तेहि अन्भहियानो ८ ॥ २७० सो चेव उक्कोसकालद्वितीएसु उववण्णो जहण्णेण तिपलिग्रोवमद्वितीएस, उक्कोसेण वि तिपलिअोमट्टितीएसु । अवसेस त चेव, नवर-परिमाण ओगाहणा य जहा एयस्सेव तइयगमए । भवादेसेण दो भवरगहणाइ, कालादेसेण जहण्णेण तिण्णि पलिअोवमाइ पुत्वकोडीए अभहियाइ, उक्कोसेण तिण्णि पलिग्रोवमाइ पुवकोडीए अभहियाइ, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति करेज्जा ॥ २७१. जइ मणुस्सेहितो उववज्जति–किं सण्णिमणुस्सेहितो. ? असण्णिमणुस्से हिंतो? गोयमा ! सण्णिमणुस्सेहितो वि, असण्णिमणुस्सेहितो वि उववज्जति ॥ २७२ असण्णिमणुस्से ण भते ! जे भविए पचिदियतिरिक्खजोणिएसु उववज्जित्तए, से ण भते । केवतिकालद्वितीएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा ! जहण्णेण अतोमुहुत्तद्वितीएसु, उक्कोसेण पुवकोडिगाउएसु उववज्जेज्जा । लद्धी से तिसु वि गमएसु जहेव' पुढविक्काइएसु उववज्जमाणस्स। सवेहो जहा एत्थ चेव असण्णिपचिंदियस्स मज्झिमेसु तिसु गमएसु तहेव निरवसेसो भाणियव्वो १-३ ॥ १. भ० २४११६७ । २. भ० २४।२५५-२५७ । ३. भ० २४११६६ । Page #948 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चउवीसइम सत (वीसइमो उद्देसो) ८८७ २७३ जइ सण्णिमणुस्सेहितो उववज्जति–किं सखेज्जवासाउयसण्णिमणुस्सेहितो० ? असखेज्जवासाउयसण्णिमणुस्सेहितो० ? गोयमा | संखेज्जवासाउय, नो असखेज्जवासाउय ॥ २७४ जइ सखेज्जवासाउय० कि पज्जत्त० ? अपज्जत्त० ? गोयमा । पज्जत्तसखेज्जवासाउय, अपज्जत्तसखेज्जवासाउय ॥ २७५ सण्णिमणुस्से ण भते । जे भविए पचिंदियतिरिक्खजोणिएसु उववज्जित्तए, से ण भते ! केवतिकालट्ठितीएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा | जहण्णण अतोमुहुत्तद्वितीएसु, उक्कोसेण तिपलिअोवमट्टितीएसु उववज्जेज्जा ।। २७६ ते ण भते । जीवा एगसमएण केवतिया उववज्जति ? लद्धी से जहा एयस्सेव सण्णिमणुस्सस्स पुढविक्काइएसु उववज्जमाणस्स पढमगमए जाव-भवादेसो त्ति । कालादेसेण जहण्णेण दो अतोमुहुत्ता, उक्कोसेण तिण्णि पलिग्रोवमाइ पुवकोडिपुहत्तमब्भहियाइ १ ॥ २७७ सो चेव जहण्णकालट्ठितिएसु उववण्णो, एस चेव वत्तव्वया, नवर- कालादेसेण जहण्णेण दो अतोमुहत्ता, उक्कोसेण चत्तारि पुव्वकोडीयो चउहि अतोमुहत्तेहि अन्भहियारो २॥ २७८ सो चेव उक्कोसकालट्ठितिएसु उववण्णो जहण्णेण तिपलिअोवमद्वितीएसु, उक्कोसेण वि तिपलिओवमद्वितीएसु, सच्चेव वत्तव्वया, नवर-ओगाहणा जहण्णेण अगुलपुहत्त, उक्कोसेण पच धणुसयाइ । ठिती जहण्णेण मासपुहत्त, उक्कोसेण पुव्वकोडी । एव अणुबधो वि । भवादेसेण दो भवग्गहणाइ, कालादेसेण जहण्णेण तिण्णि पलिग्रोवमाइ मासपुहत्तमब्भहियाइ, उक्कोसेण तिण्णि पलिनोवमाइ पुव्वकोडीए अब्भहियाइ, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति करेज्जा ३ ॥ २७६ सो चेव अप्पणा जहण्णकालद्वितीयो जाओ, जहा' सण्णिपचिदियतिरिक्कखजो णियस्स पचिदियतिरिक्कखजोणिएसु उववज्जमाणस्स मज्झिमेसु तिसु गमएस वत्तव्वया भणिया एस चेव एयस्स वि मज्झिमेसु तिसु गमएसु निरवसेसा भाणियव्वा, नवर-परिमाण उक्कोसेण सखेज्जा उववज्जति । सेस त चेव ४-६ ॥ २८० सो चेव अप्पणा उक्कोसकालद्वितीयो जातो, सच्चेव पढमगमगवत्तव्वया, नवर-प्रोगाहणा जहण्णेण पच धणुसयाइ, उक्कोसेण वि पच धणसयाइ। ठिती अणुबधो जहण्णेण पुवकोडी, उवकोसेण वि पुवकोडी। सेस तहेव १. भ० २४१२०३ । २. भ० २४१२६७। Page #949 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८८८ भगवई तोमुहुत्तमम्भहिया, जाव भवादेसो त्ति कालादेसेणं जहणेण पुचकोडी उक्कोसेण तिष्णि पलिग्रोवमा पुन्नकोडिगुहत्तमव्भहियाड, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति करेज्जा ७ ॥ २८१. सो चेव जहण्णकालट्ठितिएसु उववण्णो, एस चेव वत्तव्वया, नवर- कालादेसेण जहणेण पुव्वकोडी तोमुहुत्तमम्भहिया, उक्कोसेण चत्तारि पुव्वको डीग्रो चहि ग्रतो मुहुत्तेहि ग्रभहिया ८ || २८२ सो चेव उक्कोसकालट्ठितीएसु उववण्णो, जहण्णेण तिण्णि पलिग्रीवमाइ, उक्को - सेण वि तिणि पलिग्रोवमाइ, एस चेव लद्धी जहेव सत्तमगमे । भवादेसेण दो भवग्गहणाइ । कालादेसेण जहण्णेण तिण्णि पलियोवमाइ पुव्वकोडीए ग्रव्भहियाइ, उक्कोसेण वितिष्णि पलियोवमाइ पुव्वकोडीए ग्रभहियाइ, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति करेज्जा 2 || २८३. जइ देवेहिंतो उववज्जति - कि भवणवासिदेवेहितो उववज्जति ? वाणमतरजोइसिय-वेमाणियदेवे हितो० ? गोयमा | भवणवासिदेवेर्हितो जाव वेमाणियदेवेहितो वि ।। I २८४ जइ भवणवासिदेवहितो - किं असुरकुमारभवणवासिदेवेहितो जाव थणियकुमारभवणवासिदेवेहितो० ? गोयमा । असुरकुमार जाव थणियकुमारभवणवासिदेवेहितो || 1 २८५ अमुरकुमारेण भते । जे भविए पचिदियतिरिक्खजोणिएस उववज्जित्तए, से णं भंते ! केवतिकालट्ठितीएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा । जहण्णेण ग्रतोमुहुत्तट्ठितीएमु, उक्कोसेण पुव्वकोडिआउएमु उववज्जेज्जा । ग्रसुरकुमाराण लद्धी नवसु वि गमएसु जहा ' पुढविक्काइएसु उववज्जमाणस्स । एव जाव ईसाणदेवस्स तहेव लद्धी । भवादेसेण सव्वत्थ अट्ठ भवग्गहाइ, उक्कोसेण जहण्णेण दोणि भवग्गहणाइ । ठिति सवेह च सव्वत्थ जाणेज्जा १-11 २८६ नागकुमारे ण भते । जे भविए ? एस चेव वत्तव्वया, नवरं - ठिति सवेहं च जाणेज्जा १-६। एव जाव थणियकुमारे ॥ २८७. जइ वाणमतरे हितो० कि पिसाय ? तहेव जाव २८८. वाणमतरे ण भते । जे भविए पचिदियतिरिक्खजोणिएसु उववज्जित्तए ० ? . एव चेव, नवरं - ठिति सवेहं च जाणेज्जा १-६ ॥ २८९ जइ जोतिसिय ०? उववाग्रो तहेव जाव २६०. जोतिसिए ण भते । जे भविए पचिदियतिरिक्खजोणिएसु उववज्जित्तए ० ? एस चैव वत्तव्वया जहा पुढविक्काइयउद्देसए । भवग्गहणाइ नवसु वि गमएसु १. भ० २४ २०७-२१० । Page #950 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चउवीसइम सत (एगवीमतिमो उद्देसो)। ८८६ अट्ठ जाव कालादेसेण जहण्णेण अट्ठभागपलिअोवम अतोमुत्तमभहिय, उक्कोसेण चत्तारि पलियोबमाइ चहि पुव्वकोडीहि चउहि य वाससयसहस्सेहि अभहियाइ, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति करेज्जा। एव नवसु वि गमएसु, नवर-ठिति सवेह च जाणेज्जा १-६।। २६१ जइ वेमाणियदेवेहितो . कि कप्पोवावेमाणिय ०? कप्पातीतावेमाणिय ? गोयमा । कप्पोवावेमाणिय, नो कप्पातीतावेमाणिय ॥ २६२ जड कप्पोवा जाव सहस्सारकप्पोवगवेमाणियदेवेहितो वि उववज्जति, नो प्राणय जाव नो अच्चुयकप्पोवावेमाणिय ।। २६३ सोहम्मदेवे ण भंते । जे भविए पचिदियतिरिक्खजोणिएसु उववज्जित्तए, से ण भते । केवतिकाल द्वितीएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा ! जहण्णेण अतोमुहत्तद्वितीएसु, उक्कोसेण पुन्वकोडीग्राउएसु । सेस जहेब' पुढविक्काइयउद्देसए नवसु वि गमएसु, नवर-नवसु वि गमएसु जहण्णेण दो भवग्गहणाइ, उक्कोसेण अट्ठ भवग्गहणाइ । ठिति कालादेस च जाणेज्जा १-६। एव ईसाणदेव वि । एव एएण कमेणं अवसेसा वि जाव सहस्सारदेवेसु उववाएयव्वा, नवर-योगाहणा जहा प्रोगाहणसठाणे, लेस्सा सणकुमार-माहिद-वभलोएसु एगा पम्हलेस्सा, सेसाण एगा सुक्कलेस्सा। वेदे नो इत्थिवेदगा, पुरिसवेदगा, नो नपुसगवेदगा । अाउ-अणुवधा जहा' ठितिपदे । सेस जहेव ईसाणगाण कायसवेह च जाणेज्जा। २६४. सेव भते । सेव भते । त्ति ।। एगवीसतिमो उद्देसो २६५ मणुस्सा ण भते । कमोहितो उववज्जति–कि नेरइएहितो उववज्जति जाव देवेहिंतो उववज्जति ? गोयमा । णेरइएहितो वि उववज्जति 'जाव देवेहितो वि उववज्जति" । एव उववायो जहा पचिदियतिरिक्खजोणिउद्देसए जाव' तमापुढविनेरइएहितो वि उववज्जति, नो अहेसत्तमपुढविनेरइएहितो उववज्जति ॥ १. भ० २४१२१८ । २ प० २१ । ३. प०४। ४ X (अ, क, ख, ता, व, म)। ५ भ० २४/२३८ । Page #951 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ८६० २६६ रयणप्पभपुढविनेरइए ण भते । से भविए मणुस्सेसु उववज्जित्तए, से ण भते ! केवतिकालट्ठितीएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा । जहण्णेणं मासपुहत्तद्वितीएसु, उक्कोसेण पुव्वकोडिग्राउसु । श्रवसेसा वत्तव्वया जहा' पचिदियतिरिक्खजोणिएसु उववज्जतस्स तहेव, नवर-परिमाणे जण एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेण सखेज्जा उववज्जति । जहा तर्हि तोमुहुत्तेहि तहा इह मासपुहतेहि सवेह करेज्जा | सेस त चेव १ जहा रयणप्पभाए 'तहा सक्करप्पभाए वि वत्तव्वया", नवर— - जहणेण वासपुहत्तद्वितीएसु, उक्कोसेण पुव्वकोडी माउसु । श्रोगाहणा-लेस्सा-नाणद्विती- अणुवध- सवेह - नाणत्त च जाणेज्जा जहेव' तिरिक्खजोणियउद्देसए | एव जाव तमापुढविनेरइए || २६७. जइ तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति - कि एगिदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जति जाव पचिदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति ? गोयमा । एगिदियतिखिखजोणिएहितो भेदो जहा पचिदियतिरिक्खजोणियउद्देसए, नवर - तेउ-वाऊ पडिसे हेयव्वा । सेस त चेव । जाव*— 1 २८ पुढविक्काइए ण भते । जे भविए मणुस्सेसु उववज्जित्तए, से ण भते । केवति कालट्ठितीएस उववज्जेज्जा ? गोयमा ! जहणेण श्रतो मुहुत्तद्वितीएसु उबकोसेण पुव्वकोडीश्राउएसु उबव ज्जेज्जा ॥ २६६ ते ण भते । जीवा एगसमएण केवतिया उववज्जति ? एव जहेव पचिदियतिरिक्खजोणिएसु उववज्जमाणस्स पुढविवकाइयस्स वत्तव्वया सा चेव इह वि उववज्जमाणस्स भाणियव्वा नवसु वि गमएसु, नवर - ततिय छट्ठ-नवमेसु गमसु परिमाण जहणेण एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेण सखेज्जा उववज्जंति । जाहे ग्रप्पणा जहण्णकालद्वितीओ भवति ताहे पढमगमए अज्भवसाणा सत्था वि अप्पसत्या वि वितियगमए अप्पसत्था, ततियगमए पसत्था भवति । स त चेव निरवसेस १-६ ॥ ३०० ? जइ ग्राउक्काइए० एव श्राक्कायाणवि । एव वणस्सइकाइयाण वि । एवं जाव चरिदियाण वि । ग्रसण्णिपचिदियतिरिक्खजोणिय सण्णिपचिदियतिरिजोणिय-ग्रसण्णिमणुस्स-सण्णिमणुस्सा य एते सव्वे वि जहा पचिदियतिरिक्ख १ भ० २४/२४०-२४२ । २. वि वत्तव्वया तहा सक्करप्पभाए वि (ञ, क, व); वि वत्तव्वया तहा सक्करप्पभाए विवत्तव्या ( स ) । ३ भ० २४ २४३ । ४. भ० २४।२४५ । ५. भ० २४।२४७ । Page #952 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चउवीसइम सतं ( एगवीसतिमो उद्देसो) ८६१ जोणियउद्देसए तहेव भाणियव्वा', नवर – एयाणि चेव परिमाण प्रज्भवसाणनाणत्ताणि जाणिज्जा पुढविकाइयस्स एत्थ चेव उद्देसए भणियाणि । सेस तहेव निरवसेसं १-६ ॥ ३०१. जइ देवेहितो उववज्जति - कि भवणवासिदेवेहितो उववज्जति ? वाणमतरजोइसिय-वेमाणियदेवेहिंतो उववज्जति ? गोयमा । भवणवासिदेवेहितो वि जाव वेमाणियदेवेहितो वि उववज्जति । ३०२ जइ भवणवासिदेवेर्हितो - कि सुरकुमार जाव थणियकुमार० ? गोयमा । असुरकुमार जाव थणियकुमार || 1 ३०३. असुरकुमारेण भते । जे भविए मणुस्सेसु उववज्जित्तए, से ण भते । केवतिकालट्ठितीएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा ! जहणेण मासपुहत्तद्वितीएसु, उक्कोसेण पुव्वकोडिग्राउएसु उववज्जेज्जा । एव जच्चेव पचिदियतिरिक्खजोणियउद्देसए वत्तव्वया सच्चेव एत्थ वि भाणियव्वा, नवर - जहा तहि जहण्णग तोमुहुत्तट्ठितीएस तहा इह मासपुहत्तट्ठितीसु । परिमाण जहणणेण एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेणं सखेज्जा उववज्जति । सेस त चेव १- ६ । एव जाव ईसाणदेवो त्ति । एयाणि चेव नाणत्ताणि । सणकुमारादीया जाव सहस्सारो त्ति जहेव' पचिदियतिरिक्खजोणिउद्देसए, नवर - परिमाण जहण्णेण एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेण सखेज्जा उववज्जति । उववाम्रो जहण्णेण वासपुहत्तट्ठितीएसु, उक्कोसेण पुव्वकोडीग्राउएसु उववज्जेज्जा | सेस त चेव । सवेह वासपुहत्त पुव्वकोडीसु करेज्जा। सणकुमारे ठिती चउगुणिया 'अट्ठावीससागरोवमा भवति" माहिदे ताणि चेव सातिरेगाणि, बम्हलोए चत्तालीस, लतए छप्पन्न, महासुक्के प्रसट्ठि सहस्सारे बावर्त्तार सागरोवमाइ । एसा उक्कोसा ठिती भणिया । जहण्णट्ठिति पि चउगुणेज्जा ॥ ३०४ प्रणयदेवे ण भते ! जे भविए मणुस्सेसु उववज्जित्तए, से ण भते । केवतिकालट्ठितीएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा । जहणणेणं वासपुहत्तट्ठितीएसु, उक्कोसेण पुव्वकोडीठितीएसु उवव ज्जेज्जा ॥ ३०५ ते ण भते । जीवा एगसमएण केवतिया उववज्जति ? एव जहेव सहस्सारदेवाण वत्तव्वया, नवर - प्रोगाहणा-ठिति प्रणुबधे य जाणेज्जा | सेस त चेव । भवादेसेण जहण्णंण दो भवग्गहणाइ, उक्कोसेण छ भवग्गहणाइ । कालादेसेण १. भ० २४।२४८- २८२ । २. भ० २४।२८५-२६३ । ३. भ० २४।२६३ । ४ अट्ठावीस सागरोवमा भवति ( अ, क, ख, ताव, मस) । Page #953 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई जहणणेण अट्ठारस सागरोवमाइ वासपुहत्तमव्भहियाड, उक्कोसेण सत्तावन्न सागरोवमाइ तिहि पुव्वकोडीहि ग्रव्भहियाइ, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरार्गात करेज्जा । एव नव वि गमा, नवर - ठिति ग्रणुवध सवेह च जाणेज्जा १-९। एव जाव अच्चुयदेवो, नवर - ठिति ग्रणुवध सवेह च जाणेज्जा । पाणयदेवस्स ठिती तिगुणिया सट्ठि सागरोवसाइ, श्रारणगस्स तेर्वाट्ट सागरोवमाइ, ग्रच्चुयदेवस्स छावट्टि सागरोवमाइ ॥ ३०६ जइ कप्पातीतावेमाणियदेवेहितो उववज्जति - कि गेवेज्जाकप्पातीता० ? अणुत्तरोववातियकप्पाती ता० ? गोयमा | गेवेज्जाकप्पातीता, श्रणुत्तरोववातियकप्पातीता ॥ ३०७ जइ गेवेज्जा० - कि हेट्ठिम-हेट्ठिम गेवेज्जगकप्पातीता जाव उवरिम उवरिम गेवेज्जा ० ? ८६२ गोमा । हेट्टिम-हेट्ठिम गेवेज्जा जाव उवरिम उवरिम गेवेज्जा ।। 1 ३०८ गेवेज्जगदेवे ण भते । जे भविए मणुस्सेसु उववज्जित्तए, से ण भते । केवतिकालट्ठितीएसु उववज्जेज्जा ? I गोयमा ' जहण्णेण वासपुहत्तट्ठितीएसु, उक्कोसेण पुव्वकोडीद्वितीएसु । ग्रवसेस जहा ग्राणयदेवस्स वत्तव्वया, नवर - श्रोगाहणा' - एगे भवधारणिज्जे सरीरए । से जहण्णेण अगुलस्स ग्रसखेज्जइभाग, उक्कोसेण दो रयणीयो । सठाण - एगे भवधारणिज्जे सरीरे । से समचउरससठिए पण्णत्ते । पच समुग्धाया पण्णत्ता, त जहा - वेदणासमुग्धाए जाव तेयगसमुग्धाए, नो चेव ण वेडव्वियतेयगसमुग्धाएहि समोर्हाणसु वा, समोहणति वा, समोहणिस्संति वा । ठिती अणुवधो जहणेण बावीस सागरोवमाइ, उक्कोसेण एक्कतीस सागरोवमाइ । सेस तं चेव । कालांदेसेण जहण्णेण वावीस सागरोवमाइ वासपुहत्तमव्भहियाइ, उक्को - सेण तेणउति सागरोवमाइ तिहि पुव्वकोडीहि प्रभहियाइ, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति करेज्जा । एव सेसेसु विग्रट्ठगमएसु, नवरठितिं सवेह च जाणेज्जा १-६ ॥ ३०६ जइ अणुत्तरोववाइयकप्पातीतावेमाणियदेवेहितो उववज्जति - कि विजयग्रणुत्तरोववाइय० ? वेजयतप्रणुत्त रोववाइय जाव सव्वट्टसिद्ध ० ? गोयमा ! विजयग्रणुत्तरोववाइय जाव सव्वट्टसिद्धश्रणुत्तरोववाइय ॥ ३१० विजय-वेजयत-जयत - अपराजियदेवे ण भते । जे भविए मणुस्सेसु उववज्जित्तए, से ण भते ! केवतिकालद्वितीएसु उववज्जेज्जा ? एव जहेव गेवेज्जगदेवाण, नवर—प्रोगाहणा जहणेण गुलस्स ग्रसखेज्जइभाग, उक्कोसेण एगा रयणी । १ श्रोगाहणा गो ( अ, क, ख, ता, व, म, स ) 1 २. सठारण गो ( अ, क, ख, ता, व, म, स ) 1 Page #954 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चउवीसइम सत (बावीसइमो उद्देसो) ८६३ सम्मदिट्ठी, नो मिच्छदिट्ठी, नो सम्मामिच्छदिट्ठी । नाणी, नो अण्णाणी, नियम तिण्णाणी, त जहा - ग्राभिणि बोहियनाणी, सुयनाणी, मोहिनाणी । ठिती जहणेण एक्कतीस साग रोवमाइ, उक्कोसेण तेत्तीस सागरोवमाइ । सेस त चेव । भवादेसेण जहण्णेण दो भवग्गहणाइ, उक्कोसेण चत्तारि भवग्गहणाइ । कालादेसेणं जहण्णेण एक्कतीस सागरोवमाइ वासपुहत्तमव्भहियाइ, उक्कोसेण छावट्ठ सागरोवमाइ दोहि पुव्वकोडीहि ग्रव्भहियाइ, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति करेज्जा । एव सेसा विट्ठ गमगा भाणियव्वा, नवर - ठिति प्रणुवध सवेध च जाणेज्जा | सेस एव चेव १-६ ॥ ३११ सव्वट्टसिद्धगदेवे ण भते । जे भविए मणुस्सेसु उवर्वाज्ज्त ० ? सा चे . विजयादिदेववत्तव्वया भाणियव्वा, नवर-ठिती प्रजहण्णमणुक्कोसेण तेत्तीस सागरोवमाइ । एव अणुवंधो वि । सेस त चेव । भवादेसेण दो भवग्गहणाइ, कालादेसेण जहणणेण तेत्तीस सागरोवमाइ वासपुहत्तमव्भहियाइ, उक्कोसेण तेत्तीस सागरोवमाइ पुव्वकोडीए प्रव्भहियाइ, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति करेज्जा १ ॥ 1 ३१२ सो चेव जहण्णकालट्ठितीएसु उववण्णो, एस चेव वत्तव्वया, नवर — कालादेसेण जहणेण तेत्तीस सागरोवमाइ वासपुहत्तमब्भहियाइ, उक्कोसेण वि तेत्तीस सागरोवमाइ वासपुहत्तमव्भहियाइ, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति करेज्जा २ ॥ ३१३ सो चेव उक्को कालट्टितीएसु उववण्णो, एस चेव वत्तव्वया, नवरं - कालादेसेण जहणेण तेत्तीस सागरोवमाइ पुव्वकोडीए ग्रव्भहियाइ, उक्कोसेण वि तेत्तीस सागरोवमाइ पुव्वकोडीए ग्रव्भहियाइ एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति करेज्जा ३ । एते चेव तिण्णि गमगा, सेसा न भण्णति ॥ ३१४ सेव भते । सेव भते । ति ॥ बावीसइमो उद्देसो ३१५ वाणमतरा ण भते । कोहिंतो उववज्जति - कि नेरइएहिंतो उववज्जति ? तिरिक्ख० ? एव जहेव' नागकुमारउद्देसर असण्णी तहेव निरवसेस | ३१६ जइ सण्णिपचिदिय' तिरिक्ख जोणिएहितो उववज्जति - किं सखेज्जवासाउय०? असखेज्जवासाउय ० ? १. भ० २४ । १४३, १४४ । २ स० पा० सणिपचिदिय जाव असखेज्जवासाउय । Page #955 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८६४ गोयमा । सखेज्जवासाज्य, असंखेज्जवासाउय जाव उववज्जंति० ॥ ३१७. सणिपचिदियतिरिक्खजोणिए णं भते । जे भविए वाणमतरेसु उववज्जित्तए, से गं भंते । केवतिकालद्वितीयसु उववज्जेज्जा ? गोयमा । जहणेण दसवास सहस्सट्टितीएसु, उक्कोसेणं पलिग्रोवमट्ठितीएसु | सेस त चेव जहा नागकुमारउद्देसए जाव' कालादेसेण जहण्णेणं सातिरेगा पुव्वकोडी दसह वाससहस्से हि प्रभहिया, उक्कोसेण चत्तारि पलिश्रोवमाइ, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतियं काल गतिरागति करेज्जा १ ॥ ३१८ सो चेव जहण्णकालट्ठितोएसु उववण्णो, जहे व नागकुमाराण वितियगमे वत्त व्वया २ ॥ ३१εसो चेव उक्कोसकालद्वितीएमु उववण्णो जहण्णेणं पलिप्रोवमद्वितीएसु, उक्कोसेण वि पलिप्रोवमट्टितसु । एस चेव वत्तव्वया, नवरं - ठिती से जहणेण पलिग्रोवम, उक्कोसेण तिणि पविमाइ । सवेहो जहणेण दो पलिग्रोवमाइ, उक्कोसेण चत्तारि पलिग्रोवमाइ, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति करेज्जा । मज्झिमगमगा तिण्णि वि जहेव' नागकुमारेसु पच्छिमेसु तिसु गमएसु त चेव जहा' नागकुमारुद्देसए, नवरं - ठिति सवेह च जाणेज्जा । सखेज्जवासाउय तहेव,' नवरं - ठिती अणुवघो सवेह च उभग्रो ठितीए जाणेज्जा ३-६ ॥ 1 जड मणुस्सेहितो उववज्जति ० ? असखेज्जवासाउयाण जहेव' नागकुमाराण उद्देसे तहेव वत्तव्वया, नवर-- तइयगमए ठिती जहणेण पलिश्रवम, उक्कोसेण तिण्णि पलिप्रोवमाइ । ओगाहणा जहण्णेण गाउय, उक्कोसेण तिण्णि गाउयाइ । सेस तहेव । सवेहो से जहा एत्थ चेव उद्देसए प्रसंखेज्जवासाउयसणिपचिदियाण । सखेज्जवासाउयसण्णिमणुस्से जहेव नागकुमारुद्देसए, नवरं - वाणमतरे ठिति सवेहं च जाणेज्जा १-९ ॥ ३२१. सेव भते । सेव भते । त्ति ॥ ३२० भगवई १. भ० २४/१४७ । २. भ० २४।१४८ । ३. भ० २४/१५० । ४. २०२४।१५१ । ५ भ० २४ । १५२,१५३ । ६. भ० २४। १५४-१५७ । ७. भ० २४ । १५८, १५६ । Page #956 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चवीसइम सत (तेवीसइमो उद्देसो) तेवीसमो उद्देसो ३२२. जोडसिया ण भते । कग्रोहितो उववज्जति - कि नेरइए हितो ० ? भेदो जाव' सणिचिदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति, नो प्रसण्णिपचिदियतिरिक्ख ॥। ३२३. जइ सण्णि० कि सखेज्ज० ? असखेज्ज० ? गोयमा । सखेज्जवासाज्य, प्रसखेज्जवासाउय ॥ ३२४ असखेज्जवासाउय सष्णिपचिदियतिरिक्खजोणिए ण भते । जे भविए जोतिसिसु उववज्जित्तए, सेण भते । केवतिकालद्वितीएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा । जहणेण भागपलिप्रोवमट्टितीएसु, उक्कोसेण पलिप्रोवमवाससयसहस्सद्वितीएसु उववज्जेज्जा, श्रवसेस जहा' असुरकुमारुद्देसए, नवर - ठिती जहणेण अट्ठभागपलिप्रोवम, उक्कोसेण तिणि पविमाइ । एव प्रणुबधो वि । सेस तहेव, नवर—कालादेसेण जहण्णेण दो अट्ठभागपलिप्रोवमाइ, उक्कोसेण चत्तारि पलिश्रवमाइ वाससय सहस्समब्भहियाइ, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति करेज्जा १ ॥ ३२५. सो चेव जहण्णकाल द्वितीएसु उववण्णो जहण्णेण अठ्ठभागपलिओवमट्ठितीएसु, उक्कोसेण वि श्रृट्ठभागपलिप्रोवमट्टितीएसु । एस चेव वत्तव्वया, नवर- कालादेसेण जाणेज्जा २ ॥ ८६५ ३२६ सो चेव उक्कोसकालट्ठितोएसु उववण्णो, एस चेव वत्तव्वया, नवर-ठिती जहणेण पलिश्रवम वाससय सहस्समब्भहिय, उक्कोसेण तिण्णि पलिओवमाइ । एव प्रणुबधो वि । कालादेसेण जहणेण दो पलिप्रोवमाइ दोहि वाससयसहस्सेहि ग्रव्भहियाइ, उक्कोसेण चत्तारि पलिश्रोवमाइ वाससयस हस्समहिया ३ || ३२७ सो चेव ग्रप्पणा जहण्णकाल द्वितीयो जाम्रो जहणणेण अट्ठभागपलिप्रोवमट्ठितीएसु, उक्कोसेण वि अट्ठभागपलिप्रोवमट्ठितीएसु उववज्जेज्जा ।। ३२८ ते ण भते । जीवा एगसमएण केवतिया उववज्जति ? एस चेव वत्तव्वया, नवर—प्रोगाहणा जहण्णेण धणुपुहत्त, उक्कोसेण सातिरेगाइ अट्ठारसधणुसयाइ । ठिती जहणेण श्रट्टभागपलिप्रोवम, उक्कोसेण वि भागपलिश्रवम । एव प्रणुवधोवि । सेस तहेव । कालादेसेण जहणणेण दो ग्रभागपलिश्रवमाइ, उक्कोसेण वि दो अदूभागपलियोवमाइ, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति करेज्जा । जहण्णकाल द्वितियस्स एस चेव एक्को गमो' ४ ॥ १ भ० २४ । १ ३ ॥ २ भ० २४ । १२१ । ३. पञ्चमषठगमयोरत्रैवान्तर्भावात् (वृ) । Page #957 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८९८ भगवई ३४४. असंखेज्जवासाउयसण्णिमणुस्से ण भते । जे भविए सोहम्मे कप्पे देवत्ताए उववज्जित्तए० ? एव जहेव असखेज्जवासाउयस्स सण्णिपंचिंदियतिरिक्खजोणियस्स सोहम्मे कप्पे उववज्जमाणस्स तहेव सत्त गमगा, नवर-आदिल्लएस दोसु गमएस प्रोगाहणा जहण्णण गाउय, उक्कोसेण तिण्णि गाउयाइ । ततियगमे जहण्णण तिण्णि गाउयाड, उक्कोसेण वि तिण्णि गाउयाइं। चउत्थगमए जहण्णण गाउय, उक्कोसेण वि गाउय । पच्छिमएस तिस गमएस जहण्णण तिण्णि गाउयाइ उक्कोसेण वि तिण्णि गाउयाइ, सेस तहेव निरवसेस ॥ ३४५ जइ सखेज्जवासाउयसण्णिमणुस्सेहिंतो० ? एव सखेज्जवासाउयसण्णिमणस्साण जहेव' असुरकुमारेसु उववज्जमाणाण तहेव नव गमगा भाणियव्वा, नवर सोहम्मदेवदिति सवेह च जाणेज्जा । सेसं तं चेव १-६॥ ३४६. ईसाणदेवा ण भते । कमोहितो उववज्जति० ? ईसाणदेवाण एस चेव सोहम्मग देवसरिसा वत्तव्वया, नवरं-असंखेज्जवासाउयसण्णिपचिदियतिरिक्खजोणियस्स जेस ठाणेसु सोहम्मे उववज्जमाणस्स पलिग्रोवमठिती तेस ठाणेस इह सातिरेग पलिग्रोवम कायव्व । चउत्थगमे अोगाहणा जहण्णेण धणहत्त, उक्कोसेण सातिरेगाइ दो गाउयाइ । सेस तहेव ।। ३४७ असखेज्जवासाउयसण्णिमणुस्सस्स वि तहेव ठिती जहा' पचिदियतिरिक्खजो णियस्स असखेज्जवासाउयस्स । ओगाहणा वि जेसु ठाणेसु गाउय तेस ठाणेस इह सातिरेग गाउय । सेस तहेव ।।। ३४८ सखेज्जवासाउयाण तिरिक्खजोणियाणं मणुस्साण य जहेव सोहम्मेस उववज्ज माणाण तहेव निरवसेस नव वि गमगा, नवरं-ईसाणठिति सवेह च जाणेज्जा ॥ ३४६ सणकूमारदेवा ण भते | कमोहिंतो उववज्जति० ? उववायो जहा' सक्कर प्पभापुढविनेरइयाण, जाव-. ३५० पज्जत्तसखेज्जवासाउयसण्णिपचिदियतिरिक्खजोणिए ण भंते ! जे भवित सणकुमारदेवेस उववज्जित्तए० । अवससा परिमाणादीया भवादेसपज्जवसाणा सच्चेव वत्तव्वया भाणियव्वा जहा सोहम्मे उववज्जमाणस्स, नवर- सणकूमारट्रिति सवेह च जाणज्जा। जाह य अप्पणा जहण्णकालद्वितीयो भवति तारे तिस वि गमएसु पच लेस्साप्रो आदिल्लायो कायव्वाअो। सेस तं चेव ।। ३५१ जइ मणस्सेहितो उववज्जति० ! मणुस्साण जहंव सक्करप्पभाए उववज्जमा तहेव नव वि गमा भाणियव्वा', नवरं-सणकुमारट्ठिति सवेह च जाणेज्जा । १. भ० २४।१३६-१४१ । ४. भ० २४।३४२ । २. भ०२४।३३६-३४१ । ५ भ० २४।१०५-१०८ । ३. भ० २४१७८,१०५ । Page #958 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चवीस सतं (चवीसइमो उद्देसो) ३५२. माहिंदगदेवा ण भते । कोहिंतो उववज्जति ? जहा सणकुमारगदेवाण वत्तव्वया तहा माहिंदगदेवाण वि भाणियव्वा', नवर - माहिंदगदेवाणी सातिरेगा भाणियव्वा सच्चेव । एव वभलोगदेवाण वि वत्तव्वया, नवरवंभलोगद्विति सवेह च जाणेज्जा । एव जाव सहस्सारो, नवर - ठिति सवेह च जाणेज्जा । लतगादीण जहण्णकालट्ठितियस्स तिरिक्खजोणियस्स तिसु वि गमएसु छप्पि लेस्सानो कायव्वायो । सघयणाइ बभलोग- लतएसु पच आदित्लगाणि, महासुक्क सहस्सारेसु चत्तारि । तिरिक्खजोणियाण वि मणुसा वि । सेस त चेव ॥ ३५३ श्राणयदेवा ण भते । कोहितो उववज्जति ० ? उववाम्रो जहा सहस्सार देवाण, नवर - तिरिक्खजोणिया खोडेयव्वा, जाव 588 ३५४ पज्जत्तास वेज्जवासाउयसण्णिमणुस्से ण भते । जे भविए प्राणयदेवेसु उववज्जित्तए ? मणुस्साण य वत्तव्वया जहेव सहस्सारेसु उववज्जमाणाण, नवरतिणि सघयणाणि, सेस तहेव जाव प्रणुवधो । भवादेसेण जहणेण तिणि भवग्गहणाइ, उक्कोसेण सत्त भवग्गहणाइ । कालादेसेण जहणेण अट्ठारस सागरोवमाइ दोहिं वासपुहतेहि प्रभहियाइ, उक्कोसेण सत्तावन्न सागरोव - माइ चहिं पुव्वकोडीहिं प्रभहियाइ, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति करेज्जा । एव सेसा वि ग्रट्ठ गमगा भाणियव्वा, नवर - ठिति सवेहं च जाणेज्जा | सेस त चेव । एव जाव अच्चुयदेवा, नवर-- ठिति सवेह च जाणेज्जा । चउसु वि सघयणा तिण्णि ग्राणयादीसु ॥ एस ३५५ गेवेज्जगदेवा ण भते । कोहितो उववज्जति ? एस चेव वत्तव्वया, नवर - दो सघयणा । ठिति सवेह च जाणेज्जा ॥ विजय-वेजयत-जयत-अपराजितदेवा ण भते ! कोहितो उववज्जति ? चेव वत्तव्वया निरवसेसा जाव ग्रणुबधो त्ति, नवर --पढम सघयण । से तहेव । भवादेसेण जहण्णेण तिष्णि भवग्गहणाइ, उक्कोसेण पच भवग्गहणाई । कालादेसेण जहण्णेण एक्कतीस सागरोवमाइ दोहि वासपुहतेहि ग्रन्भहियाइ, उक्कोसेण छावट्ठि सागरोवमाइ तिहि पुव्वकोडीहि अमहियाइ, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागत करेज्जा । एव सेसा विग्रट्ठ गमगा भाणियव्वा, नवर-- ठिति सवेह् च जाणेज्जा । मणूसलद्धी' नवसु वि गमएसु जहा गेवेज्जेसु उववज्जमाणस्स, नवर - पढमसघयण ॥ - ३५७ सव्वगसिद्धगदेवा ण भते । कनहिंतो उववज्जति ? उववाश्रो जव विजयादीण, जाव— ३५६ १. भ० २४।३४६-३५१ । २ मणूसे लद्धी (स) । Page #959 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ३२६ सो चेव अप्पणा उक्कोसकालद्वितीयो जानो, सा चेव प्रोहिया वत्तव्वया, नवर-ठिती जहण्णण तिण्णि पलिओवमाइ, उकोक्सेण वि तिण्णि पलिओवमाइ । एव अणुवंधो वि । सेस त चेव । एव पच्छिमा तिण्णि गमगा नेयव्वा', नवर-ठिति सवेह च जाणेज्जा ७-६ । एते सत्त गमगा ।। ३३० जइ सखेज्जवासाउयसण्णिपचिदिय०? सखेज्जवासाउयाण जहेव असुर कुमारेसु उववज्जमाणाण तहेव नव वि गमा भाणियन्वा, नवर-जोतिसिय ठिति सवेह च जाणेज्जा । सेस तहेव निरवसेस' १-६ ।। ३३१. जइ मणुस्से हितो उववज्जति० ? भेदो तहेव जाव३३२. असखेज्जवासाउयसण्णिमणुस्से ण भते । जे भविए जोइसिएसु उववज्जित्तए, से ण भते । केवतिकालद्वितीएसु उववज्जेज्जा ? एव जहा असखेज्जवासाउयसण्णिपचिदियस्स जोइसिएसु चेव' उववज्जमाणस्स सत्त गमगा तहेव मणुस्साण वि, नवर-योगाहणाविसेसो पढमेसु तिसु गमएसु अोगाहणा जहण्णेण सातिरेगाइ नव धणुसयाइ, उक्कोसेण तिण्णि गाउयाइ । मज्झिमगमए जहण्णेण सातिरेगाइ नव धणुसयाइ, उक्कोसेण वि सातिरेगाइ नव धणुसयाइ । पच्छिमेसु तिसु गमएसु जहण्णेण तिण्णि गाउयाइ, उक्कोसेण वि तिण्णि गाउयाइ । सेसं तहेव निरवसेसं जाव' सवेहो त्ति ॥ ३३३ जइ सखेज्जवासाउयसण्णिमणुस्से हितो० ? सखेज्जवासाउयाण जहेव असुर कुमारेसु उववज्जमाणाणं तहेव नव गमगा भाणियव्वा, नवर–जोतिसिठिति सवेह च जाणेज्जा । सेस त चेव निरवसेस १-६ ।। ३३४ सेव भते । सेव भते ! त्ति ॥ चउवीसइमो उद्देसो ३३५ सोहम्मदेवा ण भते । कमोहितो उववज्जति–कि नेरइएहितो उववज्जति ? भेदो जहा जोइसियउद्देसए ।। ३३६. असखेज्जवासाउयसण्णिपचिदियतिरिक्खजोणिए ण भते ! जे भविए सोहम्मग देवेसु उववज्जित्तए, से ण भंते | केवतिकालद्वितीएसु उववज्जेजा ? १ भाणियव्वा (अ, क)। २. भ० २४।१३१-१३३ । ३ निरवमेस भारिणयव (स) । ४ भ० २४११३४,१३५ । ५. भ० २४।३२४-३२१ । ६. भ० २४।१३९-१४२ । ७ भ० २४।३२२,३२३ । Page #960 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चउवीसइम सतं (चउवीसइमो उद्देसो) ८६७ गोयमा । जहण्णेण पलिअोवमद्वितीएसु उक्कोसेणं तिपलिप्रोवमट्टितीएसु उववज्जेज्जा ।। ३३७. ते णं भते । जीवा एगसमएण केवतिया उववज्जति ? अवसेस जहा' जोइसिएसु उववज्जमाणस्स, नवर-सम्मदिट्ठी वि, मिच्छादिट्ठी वि, नो सम्मामिच्छादिट्ठी। नाणी वि, अण्णाणी वि, दो नाणा दो अण्णाणा नियम । ठिती जहण्णेण पलिअोवम, उक्कोसेणं तिण्णि पलिअोवमाइं । एव अणुबधो वि । सेसं तहेव । कालादेसेण जहण्णण दो पलिग्रोवमाइं, उक्कोसेण छप्पलिग्रोवमाइ, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति करेज्जा १ ॥ ३३८ सो चेव जहण्णकालद्वितीएस उववण्णो, एस चेव वत्तव्वया, नवर-कालादेसणं जहण्णण दो पलिओवमाइ, उक्कोसेण चत्तारि पलिग्रोवमाइ, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति करेज्जा २ ॥ ३३६ सो चेव उक्कोसकाल द्वितीएस उववण्णो जहण्णेण तिपलिग्रोवमट्टितीएस, उक्कोसेण वि तिपलिग्रोवमद्वितीएस, एस चेव वत्तव्वया, नवर-ठिती जहण्णेणं तिण्णि पलिग्रोवमाइ, उक्कोसेण वि तिण्णि पलिग्रोवमाइ । सेस तहेव । कालादेसेण जहण्णेण छप्पलिग्रोवमाइ, उक्कोसेण वि छप्पलिअोवमाइं, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति करेज्जा ३ ॥ सो चेव अप्पणा जहण्णकाल द्वितीयो जाओ जहण्णेण पलिअोवमद्वितीएस, उक्कोसेण वि पलिग्रोवमद्वितीएस, एस चेव वत्तव्वया, नवरं--प्रोगाहणा जहण्णेण धणुपुहत्त, उक्कोसेण दो गाउयाइ । ठिती जहण्णेण पलिओवम, उक्कोसेण वि पलिग्रोवम । सेस तहेव । कालादेसेण जहणेण दो पलिग्रोवमाइ, उक्कोसेण वि दो पलिग्रोवमाइ, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरा गति करेज्जा ४-६ ॥ ३४१ सो चेव अप्पणा उक्कोसकालद्वितीयो जाओ, आदिल्लगमगसरिसा तिण्णि ___ गमगा नेयव्वा, नवर-ठिति कालादेस च जाणेज्जा ७-६ ।। ३४२ जइ सखेज्जवासाउयसण्णिपचिंदिय० ? सखेज्जवासाउयस्स जहेव' असुर कुमारेसु उववज्जमाणस्स तहेव नव वि गमा, नवर–ठितिं सवेह च जाणेज्जा । जाहे य अप्पणा जहण्णकालट्ठितिओ भवति ताहे तिसु वि गमएसु सम्मदिट्ठी वि, मिच्छादिदी वि, नो सम्मामिच्छादिट्ठी। दो नाणा दो अण्णाणा नियम । 'सेस त चेव १-६ ।। । ३४३. जइ मणस्सेहितो उववज्जति०? भेदो जहेव जोतिसिएसु उववज्जमाणस्स, जाव १. भ० २४।३२४ । २. भ० २४११३१-१३३ । ३ तहेव (ता)। ४. भ० २४।३३१ । Page #961 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६०० ३५८. से णं भंते । केवतिकालट्ठितीएस उववज्जेज्जा ? भगवई गोयमा । जहण्णेणं तेत्तीससाग रोवमट्टितीएस, उक्कोसेण वि तेत्तीससागरोवमद्वितीएसु उववज्जेज्जा । ग्रवसेसा जहा विजयाइसु उववज्जताण, नवरभवादेसेण तिण्णि भवग्गहणाई, कालादेसेण जहण्णेण तेत्तीस सागरोवमाइ दोहिं वासपुतेहि अहयाई, उक्कोसेण वि तेत्तीस सागरोवमाइ दोहि पुव्वकोडीहिं प्रभहियाइ, एवतिय कालं सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा १ ॥ ३५६. सो चेव अप्पणा जहण्णकाल द्वितीओ जाओ, एस चेव वत्तव्वया, नवरंओगाहणा-ठितीओ रयणिपुत्त वासपुहत्ताणि । सेसं तहेव । सवेह च जाणेज्जा २ || ३६०. सो चेव अप्पणा उक्कोसकालट्ठितीओ जाओ, एस चेव वत्तव्वया, नवरं - प्रोगाहणा जहणेण पच धणुसयाइ, उक्कोस्सेण वि पच धणुसयाइ । ठिती जहणेण पुव्व कोडी, उक्कोसेण वि पुव्वकोडी | सेस तहेव जाव भवादेसो ति । कालादेसेण जहण्णेण तेत्तीसं सागरोवमाई दोहिं पुव्वकोडीहि ग्रव्भहियाई, उक्कोसेण वि तेत्तीस सागरोवमाइ दोहि पुव्वकोडीहिं प्रभहियाइ, एवतिय काल सेवेज्जा, एवतिय काल गतिरागति करेज्जा ३। एते तिणि गमगा सव्वट्ठसिद्धगदेवाण ।। ३६१. सेव भते ! सेव भते ! त्ति भगव गोयमे जाव' विहरइ ॥ १. भ० ११५१ । Page #962 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचवीसइमं सतं पढमो उद्देसो १ लेसा य २. दव्व ३. सठाण ४. जुम्म ५. पज्जव ६. नियठ ७. समणा य । , ८. अोहे ६,१०. भवियाभविए, ११ सम्मा १२ मिच्छे य उद्देसा ॥१॥ लेस्सा -पदं १ तेण कालेण तेणं समएण रायगिहे जाव' एव वयासी-कति ण भते । लेस्साओ पण्णत्तायो ? गोयमा | छल्लेसाप्रो पण्णत्ताओ, त जहा-कण्हलेसा जहा पढमसए बितिए उद्देसए तहेव लेस्साविभागो । अप्पाबहुग च जाव' चउविहाण देवाण चउन्वि हाण देवीण मीसग अप्पाबहुगति ।। जोगस्स अप्पाबहुग-पदं २ कतिविहा ण भते । ससारसमावन्नगा जीवा पण्णत्ता ? गोयमा ! चोद्दसविहा ससारसमावन्नगा जीवा पण्णत्ता, त जहा–१. सुहमा अप्पज्जत्तगा २ सुहुमा पज्जत्तगा ३. बादरा अप्पज्जत्तगा ४ बादरा पज्जत्तगा ५ बेइदिया अप्पज्जत्तेगा ६ बेइदिया पज्जत्तगा "७ तेइदिया अप्पज्जत्तगा ८ तेइदिया पज्जत्तगा ६ चरिंदिया अप्पज्जत्तगा १० चउरिदिया पज्जत्तगा० ११ असण्णिपचिंदिया अप्पज्जत्तगा १२ असण्णिपचिदिया पज्जत्तगा १३ सण्णिपचिंदिया अप्पज्जत्तगा १४ सण्णिपचिदिया पज्जत्तगा॥ ३ एतेसि ण भते ! चोदसविहाण ससारसमावण्णगाण जीवाण जहण्णुक्कोसगस्स जोगस्स कयरे कयरेहितो' 'अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? • विसेसा"हिया वा? १. भ० ११४-१०। २. भ०१।२०२, प०१७।२। ३. स० पा०-एव तेइदिया एव चरिंदिया। ४. स० पा० कयरेहितो जाव विसेसाहिया। ६०१ Page #963 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई 8०२ गोयमा ! १ सव्वत्थोवे सुहमस्स अपज्जत्तगस्स जहण्णए जोए २ वादरस्स अपज्जत्तगस्स जहण्णए जोए असखेज्जगुणे ३ वेदियस्स अपज्जत्तगस्स जहण्णए जोए असखेज्जगुणे ४ एव तेइदियस्स ५ एव चरिदियस्स ६ असण्णिस्स पचिदियस्स अपज्जत्तगस्स जहण्णए जोए असखेज्जगुणे ७ सण्णिस्स पचिदियस्स अपज्जत्तगस्स जहण्णए जोए असखेज्जगुणे ८ मुहुमस्स पज्जत्तगस्स जहण्णए जोए असखेज्जगुणे ६ वादरस्स पज्जत्तगस्स जहण्णए जोए असखेज्जगुणे १० सुहमस्स अपज्जत्तगस्स उक्कोसए जोए असखेज्जगुणे ११ बादरस्स अपज्जत्तगस्स उक्कोसए जोए असखेज्जगुणे १२ सुहुमस्स पज्जत्तगस्स उक्कोसए जोए असखेज्जगुणे १३ वादरस्स पज्जत्तगस्स उक्कोसए जोए असखेज्जगुणे १४. बेदियस्स पज्जत्तगस्स जहण्णए जोए असखेज्जगुणे १५ एव तेदियस्स, एव जाव १८ सण्णिपचिदियस्स पज्जत्तगस्स जहॅण्णए जोए असंखेज्जगुणे १६. वेदियस्स अपज्जत्तगस्स उक्कोसए जोए असखेज्जगुणे २० एव तेदियस्स वि, एव जाव २३ सण्णिपचिदियस्स अपज्जत्तगस्स उक्कोसए जोए असखेज्जगुणे २४ वेदियस्स पज्जत्तगस्स उक्कोसए जोए असखेज्जगुणे २५ एवं तेइदियस्स वि, एव जाव २८ सण्णिपचिदियस्स पज्जत्तगस्स उक्कोसए जोए असखे ज्जगुणे ॥ समजोगि-विसमजोगि-पदं ४. दो भते । नेरइया पढमसमयोववन्नगा कि समजोगी ? विसमजोगी ? गोयमा ! सिय समजोगी, सिय विसमजोगी। ५. से केणद्वेण भते । एव वुच्चइ-सिय समजोगी, सिय विसमजोगी ? गोयमा । याहारयानो' वा से अणाहारए, अणाहारयानो वा से आहारए सिय हीण, सिय तुल्ले, सिय अव्भहिए। जइ हीणे असखेज्जइभागहीणे वा, सखेज्जइभागहीणे वा, सखेज्जगुणहीणे वा, असखेज्जगुणहीणे वा। अह अमहिए असखेज्जइभागमभहिए वा, सखेज्जइभागमभहिए वा, सखेज्जगुणमन्भहिए वा, असखेज्जगुणमन्भहिए वा। से तेण?ण' गोयमा ! एव वुच्चइ-सिय समजोगी, सिय विसमजोगी । एव जाव वेमाणियाण ॥ जोग-पदं ६ कतिविहे ण भंते ! जोए पण्णत्ते ? गोयमा । पण्णरसविहे जोए पण्णत्ते, तं जहा-१ सच्चमणजोए २ मोसमण १. किं विसमजोगी (अ,म); असमजोगी (ता)। ३. स० पा० तेण?ण जाव सिय । २. आहारओ (अ,ख), आहाराओ (क,व,म)। Page #964 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पचवीसइम सतं (बीओ उद्देसो) ९०३ जोए' ३ सच्चामोसमणजोए ४ असच्चामोसमणजोए ५ सच्चवइजोए ६. मोसवइजोए ७ सच्चामोसवइजोए ८ असच्चामोसवइजोए 8. पोरालियसरीरकायजोए १० ओरालियमीसासरीरकायजोए ११ वेउव्वियसरीरकायजोए १२ वेउव्वियमीसासरीरकायजोए १३ आहारगसरीरकायजोए १४ पाहारगमीसासरीरकायजोए १५ कम्मासरीरकायजोए । ७ एयस्सण भते । पण्णरसविहस्स जहण्णुक्कोसगस्स जोगस्स कयरे कयरेहितो' 'अप्पा वा ? बहया वा ? तुल्ला वा? ० विसेसाहिया वा? । गोयमा । १ सव्वत्थोवे कम्मासरीरस्स जहण्णए जोए २ अोरालियमीसगस्स जहण्णए जोए असखेज्जगुणे ३ वेउव्वियमीसगस्स जहण्णए जोए असखेज्जगुणे ४ ओरालियसरीरस्स जहण्णए जोए असखेज्जगुणे ५ वेउव्वियसरीरस्स जहण्णए जोए असखेज्जगुणे ६ कम्मासरीरस्स उक्कोसए जोए असखेज्जगुणे ७ आहारगमीसगस्स जहण्णए जोए असखेज्जगुणे ८. तस्स चेव उक्कोसए जोए असखेज्जगुणे ६,१० ओरालियमीसगस्स, वेउव्वियमीसगस्स य-एएसि ण उक्कोसए जोए दोण्हवि तुल्ले असखेज्जगुणे ११ असच्चामोसमणजोगस्स जहण्णए जोए असखेज्जगुणे १२. आहारासरीरस्स जहण्णए जोए असखेज्जगुणे १३-१६ तिविहस्स मणजोगस्स चउव्विहस्स वइजोगस्स-एएसि ण सत्तण्ह वि तुल्ले जहण्णए जोए असखेज्जगुणे २० आहारासरीरस्स उक्कोसए जोए असखेज्जगुणे २१-३० ओरालियसरीरस्स, वेउन्वियसरीरस्स, चउन्विहस्स य मणजोगस्स, चउव्विहस्स य वइजोगस्स-एएसि ण दसण्ह वि तुल्ले उक्कोसए जोए असखेज्जगुणे ॥ ८ सेव भते ! सेव भते । त्ति ॥ बीओ उद्देसो दव्व-पदं ६ कतिविहा ण भते ! दव्वा पण्णत्ता ? गोयमा । दुविहा दव्वा पण्णत्ता, त जहा---जीवदवा य, अजीवदव्वा य ।। १० अजीवदव्वा ण भते ! कतिविहा पण्णता ? १. असच्चमणजोए । (अ, क, व, म)। २. तस्स (क)। ३. स० पा०—कयरेहितो जाव विसेसाहिया । ४. कम्मग° (क, ख, ब, म), कम्मसरीरगस्स (ता)। Page #965 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६०४ भगवई गोयमा । दुविहा पण्णत्ता, त जहा - रूविग्रजीवदव्वा य, रुविग्रजीवदव्वा य ॥ ? ११ रूविअजीवदव्वा ण भते ! कतिविहा पण्णत्ता गोयमा ! दसविहा पण्णत्ता, त जहा - धम्मत्थिकाए, धम्मत्थिकायस्स देसे, धम्मत्थिकायस्स पदेसा, ग्रथम्मत्किाए, धम्मत्थिकायस्स देने, ग्रधम्मत्थि - कायस्स पदेसा, ग्रागासत्थिकाए, ग्रागासत्थिकायस्स देसे, ग्रागासत्थि कायस्स पदेसा, श्रद्धासमए ॥ ? १२ रूविजीवदव्वा ण भते । कतिविहा पण्णत्ता 1 गोमा | चउविहा पण्णत्ता, त जहा - खधा, खधदेसा, खधपदेसा, परमाणुपोग्गले ॥ ? १३ ते ण भते ! कि संखेज्जा ? सखेज्जा ? ग्रणता गोयमा ! नो सखेज्जा, नो ग्रसखेज्जा, ग्रणता ॥ १४. से केणट्टेण भते । एव बुच्चइ --नो सखेज्जा, नो प्रसखेज्जा, ग्रणता ? गोयमा । अणता परमाणुपोग्गला, प्रणता दुपदेसिया खधा जाव ग्रणता दसपदेसिया खधा, ग्रणता सखेज्जपदेसिया खधा, ग्रणता ग्रसखेज्जपदेसिया खधा, प्रणता प्रणतपदेसिया खधा ।° से तेणद्वेण गोयमा । एव वच्चड – ते ण नो सखेज्जा, नो प्रसखेज्जा, अणता ॥ १५. जीवदव्वा ण भते ! कि सखेज्जा ? प्रसखेज्जा गोयमा ? नो सखेज्जा, नो ग्रसखेज्जा, प्रणता ॥ १६. से केणट्टेण भते ! एवं वुच्चइ - जीवदव्वा णं नो सखेज्जा, नो असखेज्जा, अणता ? गोयमा ! असखेज्जा नेरइया जाव ग्रसखेज्जा वाउक्काइया, अणंता वणस्सइकाइया, असखेज्जा वेदिया, एव जाव वेमाणिया, अणता सिद्धा । से तेणट्टेणं जाव प्रणता ॥ ? प्रणता ? जीवाणं प्रजीवपरिभोग-पदं १७ जीवदव्वाणं भते ! अजीवदव्वा परिभोगत्ताए हव्वमागच्छति ? अजीवदव्वाण जीवदव्वा परिभोगत्ताए हव्वमागच्छति ? गोयमा ! जीवदव्वाण जीवदव्वा परिभोगत्ताए हव्वमागच्छति, नो अजीवदव्वाण, जीवदव्वा परिभोगत्ताए हव्वमागच्छति ॥ १८. से केणट्टेण भते ! एव वुच्चइ' - जीवदव्वाण अजीवदव्वा परिभोगत्ताए १. स० पा० - एव एएण अभिलावेण जहा २ स० पा०- - वुच्चइ जाव हव्वमागच्छति । अजीवपज्जवा जाव से । Page #966 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०५ पचवीसइम सत (वीओ उद्देसो) हव्वमागच्छति, नो अजीवदव्वाण जीवदव्वा परिभोगत्ताए° हव्वमागच्छति ? गोयमा । जीवदव्वा ण अजीवदव्वे परियादियति परियादिइत्ता ओरालिय वेउव्विय पाहारग तेयग कम्मग, सोइदिय जाव फासिदिय, मणजोग वइजोग कायजोग, आणापाणुत्त' च निव्वत्तयति । से तेणटेण' •गोयमा । एव वुच्चइ -जीवदव्वाण अजीवदव्वा परिभोगताए हव्वमागच्छति, नो अजीवदव्वाण जीवदव्वा परिभोगत्ताए° हव्वमागच्छति ।। १६ नेरइयाण भते । अजीवदव्वा परिभोगत्ताए हव्वमागच्छति ? अजीवदव्वाण नेरइया परिभोगत्ताए हव्वमागच्छति ? गोयमा ! नेरइयाण अजीवदव्वा परिभोगत्ताए' हव्वमागच्छति, नो अजीवदव्वाण नेरइया परिभोगत्ताए हव्वमागच्छति ॥ से केणट्रेण ? गोयमा । नेरइया अजीवदव्वे परियादियति, परियादिइत्ता वेउन्विय-तेयगकम्मग, सोइदियं जाव फासिदिय, (मणजोग वइजोग कायजोग ?) आणापाणुत्त च निव्वत्तयति । से तेणद्वेण गोयमा । एव वुच्चइ-नेरइयाण अजीवदव्वा परिभोगत्ताए हव्वमागच्छति, नो अजीवदव्वाण नेरइया परिभोगत्ताए हव्वमागच्छति । एव जाव वेमाणिया, नवर-सरीरइदियजोगा भाणियव्वा जस्स जे अत्थि । अवगाह-पदं २१. से नूण भते ! असखेज्जे लोए अणताइ दवाइ आगासे भइयव्वाइ? हता गोयमा । असखेज्जे लोए 'अणताइ दव्वाइ अागासे° भइयव्वाइ॥ पोग्गलाण चयादि-पदं २२ लोगस्स ण भते । एगम्मि अागासपदेसे कतिदिसि पोग्गला चिज्जति ? गोयमा । निव्वाघाएण छद्दिसि, वाघाय पडुच्च सिय तिदिसिं, सिय चउदिसिं, सिय पचदिसि ॥ २३ लोगस्स ण भते । एगम्मि आगासपदेसे कतिदिसि पोग्गला छिज्जति ? एव चेव । एव उवचिज्जति, एव अवचिज्जति ।। १. आणापाणत्त (अ)। २ स० पा० तेणद्वेण जाव हव्वमागच्छति। ३ जाव (अ, क, ख, ता, व, म, स)। ४ कोष्ठकवर्ती पाठ आदर्शेषु नोपलभ्यते, किन्तु पूर्वसूत्रानुसारेण असौ युज्यते । ५. स० पा०-लोए जाव भइयव्वाइ । Page #967 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०६ भगवई पोग्गलगहण-पदं २४ जीवे ण भते । जाइ दब्बाइ ओरालियसरीरत्ताए गेण्हइ ताइ कि ठियाइ गेण्हइ ? अट्टियाइ गेण्हइ ? गोयमा | ठियाइ पि गेण्हइ, अट्ठियाइ पि गेण्हइ ।।। २५ ताइ भते । किं दव्वनो गेण्हइ ? खेत्तयो गेण्हइ ? कालो गेण्हइ ? भावग्रो गेण्हइ ? गोयमा | दव्वनो वि गेण्हइ, खेत्तो वि गेण्हइ, कालो वि गेण्हइ, भावग्रो वि गेण्हइ । ताइ दव्वो अणतपदेसियाइ दव्वाइ, खेत्तयो असखेज्जपदेसोगाढाइ-एव जहा पण्णवणाए पढमे आहारुद्देसए जाव' निवाघाएण छद्दिसि, वाघाय पडुच्च सिय तिदिसि, सिय चउदिसि, सिय पचदिसि ।। २६ जीवे ण भते । जाइ दवाइ वेउव्वियसरीरत्ताए गेण्हइ ताइ कि ठियाइ गेण्हइ ? अट्ठियाइ गेण्हइ ? एव चेव, नवरं-नियम छद्दिसि । एव आहारग सरीरत्ताए वि ।। २७. जीवे ण भते ! जाइ दव्वाइ तेयगसरोरत्ताए गेण्हइ-पुच्छा। ___ गोयमा । ठियाइ गेण्हइ, नो अट्ठियाइ गेण्हइ। सेस जहा पोरालियसरीरस्स । कम्मगसरीरे एव चेव । एव जाव भावनो वि गेण्हइ ।। २८. जाइ दव्वाइ दव्वनो गेण्हइ ताइ किं एगपदेसियाइ गेण्हइ ? दुपदेसियाई गेण्हइ ? एव जहा भासापदे जाव' प्राणुपुन्वि गेण्हइ, नो अणाणुपुदि गेण्हइ । २६ ताइ भते । कतिदिसि गेण्हइ ? गोयमा । निव्वाघाएण जहा पोरालियस्स ॥ ३०. जीवे ण भते । जाइ दव्वाइ सोइदियत्ताए गेण्हइ ०? जहा वेउव्वियसरीर । एव जाव जिभिदियत्ताए। फासिदियत्ताए जहा पोरालियसरीर । मणजोगत्ताए जहा कम्मगसरीर, नवर-नियम छद्दिसि । एवं वइजोगत्ताए वि । कायजोगत्ताए' जहा ओरालियसरीरस्स ॥ ३१. जीवे ण भते । जाइ दव्वाइं आणापाणुत्ताए गेण्हइ ०? जहेव ओरालियसरीर त्ताए जाव सिय पचदिसि ।। ३२. सेव भते ! सेव भते ! त्ति ॥ १. प० २८।१। २. प० ११ । ३. कायजोगत्ताए वि (क, स)। ४. त्ति केइ चउवीसदडएण एताणि पदाणि भण्णति जस्स ज अत्थि (अ, क, ख, ता, व, म, स), असौ पाठ. वाचनान्तराभिघायकोस्ति । उद्देशकपूर्ती लिखितस्यास्य मूले प्रवेशो जात इति सम्भाव्यते । Page #968 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पचवीसम नतं ( तभी उद्देसो) तो उसो ६०७ संठाण-पदं ३३. कति णं भते । सठाणा पण्णत्ता गोयमा । अणित्यये ॥ ३४ परिमंडला णं भते ! सठाणा दव्वट्टयाए कि ससेज्जा ? ग्रसखेज्जा ? ग्रणता ? गोयमा । नो ससेज्जा, नो प्रससंज्जा, प्रणता ॥ ३५. वट्टा ण भते । सठाणा ०? एव चेव । एव जाव अणित्थथा । एव पएसट्टयाए वि । एवं दव्वट्ट- पएसट्टयाए वि ' ॥ ? ३६ एएसि ण भते । परिमंडल- वट्ट-तस चउरस श्रायत ग्रणित्थथाण सठाणाण दट्टयाए पट्टयाए दव्वट्ट- पएसट्टयाए कयरे कयरेहितों ग्रप्पा वा वहुया वा 7 तुल्ला वा ? ० विसेसाहिया वा ? गोयमा ! त्यो वा परिमंडलसठाणा दव्वट्टयाए, वट्टा सठाणा दव्वट्टयाए सखेज्जगुणा, चउरसा सठाणा दव्वट्टयाए सखेज्जगुणा, तसा सठाणा दव्वट्टयाए सखेज्जगुणा, ग्रायता सठाणा दव्वट्टयाए सखेज्जगुणा, प्रणित्यथा सठाणा दट्टयाए ग्रसखेज्जगुणा । पएसट्टयाए - सव्वत्थोवा परिमंडला सठाणा पएसट्टयाए, वट्टा सठाणा परसट्टयाए सखेज्जगुणा, जहा दव्वट्टयाए तहा पएस - याए वि जाव णित्यथा सठाणा पएसट्टयाए प्रसखेज्जगुणा । दव्वटुपए सट्टयाए - सव्वत्थोवा परिमंडला सठाणा दव्वट्टयाए, सो चेव दव्वट्टयाए गमो भाणि - यत्वो जाव णित्यथा संठाणा दव्बट्टयाए ग्रसखेज्जगुणा, ग्रणित्थथे हितो सठाणेहितो दव्वट्टयाए परिमंडला सठाणा पएसट्टयाए ग्रसखेज्जगुणा, बट्टा सठाणा पएसट्टयाए सखेज्जगुणा, सो चेव पएसट्टयाए गमो भाणियव्वो जाव अणित्थथा सठाणा पसट्टयाए श्रसखेज्जगुणा || रणभादिसद मे संठाण-पद ३७ कति ण भते ! सठाणा पण्णत्ता ? गोयमा । पच सठाणा पण्णत्ता, त जहा - परिमंडले जाव श्रायते ॥ २८. परिमंडला ण भते ! संठाणा किं सखेज्जा ? प्रसखेज्जा ? ग्रणता ? गोयमा । नो सखेज्जा, नो ग्रसखेज्जा, अणता ॥ ३६ वट्टा ण भते । सठाणा कि सखेज्जा ०? एव चेव । एव जाव श्रायता ॥ ४० इमीसे णं भते । रयणप्पभाए पुढवीए परिमंडला सठाणा कि सखेज्जा ? सखेज्जा ? अणता ? १ X ( अ, क, ता, व, म, स ) । २ स० पा० – कयरेहितो जाव विसेसाहिया । ? छ सठाणा पण्णत्ता, तं जहा - परिमंडले, वट्टे, तसे, चउरसे, ग्रायते, Page #969 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई १०८ गोयमा | नो सखेज्जा, नो असखेज्जा, अणंता ।। ४१. वट्टा ण भते । सठाणा कि सखेज्जा ०? एव चेव । एव जाव अायता ॥ ४२ सक्करप्पभाए ण भते ! पुढवीए परिमडला सठाणा ०? एव चेव । एव जाव आयता । एव जाव अहेसत्तमाए । सोहम्मे ण भते । कप्पे परिमडला सठाणा ०? एव जाव' अच्चुए ।। गेवेज्जविमाणे ण भते । परिमडला सठाणा० ? एव चेव । एक अणुत्तरविमा णेसु वि । एव ईसिपम्भाराए वि ।। ४५. जत्थ ण भते ! एगे परिमडले सठाणे जवमझे तत्थ परिमडला सठाणा किं सखेज्जा ? असखेज्जा ? अणता ? गोयमा । नो सखेज्जा, नो असखेज्जा, अणता ।। ४६ वट्टा ण भते । सठाणा कि सखेज्जा ? एव चेव । एव जाव आयता॥ ४७ जत्थ ण भते | एगे वट्टे सठाणे जवमझे तत्थ परिमडला सठाणा० ? एवं चेव । वट्टा सठाणा एव चेव । एव जाव अायता । एव एक्केकेणं सठाणेण पच वि चारेयव्वा 'जाव आयतेण" ।। ४८. जत्थ ण भते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए एगे परिमडले सठाणे जवमझे तत्थ ण परिमडला सठाणा किं सखेज्जा-पुच्छा । गोयमा | नो सखेज्जा, नो असखेज्जा, अणता । ४६ वट्टा ण भते । सठाणा किं सखेज्जा०? एवं चेव । एव जाव आयता ॥ ५०. जत्थ ण भते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए एगे वट्टे सठाणे जवमझे तत्थ ण परिमडला सठाणा कि सखेज्जा-पुच्छा। गोयमा ! नो सखेज्जा, नो असखेज्जा, अणता। वट्टा सठाणा एव चेव । एव जाव आयता। एव पुणरवि एक्केकेण सठाणेण पंच वि चारेयव्वा जहेव हेट्ठिल्ला जाव आयतेण । एव जाव अहेसत्तमाए। एव कप्पेसु वि जाव ईसीप भाराए पुढवीए॥ पएसावगाहतो सठाणनिरूवण-पदं ५१ वट्टे ण भते । सठाणे कतिपदेसिए कतिपदेसोगाढे पण्णत्ते ? गोयमा ! वट्टे सठाणे दुविहे पण्णत्ते, त जहा-घणवट्टे य, पतरवट्टे य । तत्थ ण जे से पतरवट्टे से दुविहे पण्णत्ते, त जहा-पोयपदेसिए य, जुम्मपदेसिए य । तत्थ णं जे से ओयपदेसिए से जहण्णेण पचपदेसिए पंचपदेसोगाढे, उक्कोसेण अणतपदेसिए असखेज्जपदेसोगाढे । तत्थ ण जे से जुम्मपदेसिए से जहण्णेणं वारसपदेसिए बारसपदेसोगाढे, उक्कोसेण अणतपदेसिए असखेज्जपदेसोगाढे। १. ४ (श्र, क, व, म, स)। Page #970 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचवीसइमं सतं ( तइओ उद्देसो) तत्य णं जे से घगवट्टे से दुविहे पण्णत्ते, तं जहा -- प्रोयपदेसिए य, जुम्मपदेसिए य । तत्थ ण जे से प्रोयपदेसिए से जहणेण सत्तपदेसिए सत्तपदेसोगाढे पण्णत्ते, उक्कोसेणं प्रणतपदेसिए ग्रसखेज्जपदेसोगाढे पण्णत्ते । तत्थ ण जे से जुम्मपदेसिए से जहणेण बत्तीसपदेसिए बत्तीसपदेसोगाढे पण्णत्ते, उक्कोसेण प्रणतपदेसिए ग्रसखेज्जपदेसोगाढे पण्णत्ते ॥ ५२ तसे ण भते ! सठाणे कतिपदेसिए कतिपदेसोगाढे पण्णत्ते ? गोमा । तसे ण सठाणे दुविहे पण्णत्ते त जहा -- घणत से य, पतरतसे य । तत्य ण जे से पतरतसे से दुविहे पण्णत्ते, त जहा -- प्रोयपदेसिए य, जुम्मपदेसिए य । तत्थ णं जे से प्रोयपदेसिए से जहणणेण तिपदेसिए तिपदेसोगाढे पण्णत्ते, उक्कोसेण अणतपदेसिए ग्रसखेज्जपदेसोगाढे पण्णत्ते । तत्थ ण जे से जुम्मपदेसिए से जहणेण छप्पदेसिए छप्पदेसोगाढे पण्णत्ते, उक्कोसेण प्रणतपदेसिए सखेज्जपदेसोगाढे पण्णत्ते । तत्थ ण जे से घणतसे से दुविहे पण्णत्ते, त जहा - प्रोयपदेसिए य, जुम्मपदेसिए य । तत्थ ण जे से ग्रोयपदेसिए से जहणेण पणतीसपदेसिए पणतीसपदेसोगाढे, उक्कोसेण ग्रणतपदेसिए ग्रसखेज्जपदेसोगाढे' । तत्थ ण जे से जुम्मपदेसिए से जहण्णेण चउप्पदेसिए चउप्पदेसोगाढे पण्णत्ते, उक्कोसेण ग्रणतपदेसिए प्रसखेज्जपदेसोगाढे' || ६०६ ५३. चउरसे ण भंते । सठाणे कतिपदेसिए - - पुच्छा । गोयमा ! चउरसे संठाणे दुविहे पण्णत्ते, "त जहा -- घणचउरसे य, पतरचउरसे य । तत्थ ण जे से पतरचउरसे से दुविहे पण्णत्ते, त जहा - प्रोयपदेसिए य, जुम्म - पदेसिए य तत्थ ण जे से ग्रोपदेसिए से जहण्णेण नवपदेसिए नवपदेसोगाढे पण्णत्ते, उक्कोसेण प्रणतपदेसिए ग्रसखेज्जपदेसोगाढे पण्णत्ते । तत्थ ण जे से जुम्मपदेसिए से जहणेण चउपदेसिए चउपदेसोगाढे पण्णत्ते, उक्कोसेण ग्रणतपदेसिए ग्रसखेज्जपदेसोगाढे' । तत्थ ण जे से घणचउरसे से दुबिहे पण्णत्ते, त जहा -- प्रयपदेसिए य, जुम्मपदेसिए य । तत्थ ण जे से प्रोपदेसिए से जहणेण सत्तावीसइपदेसिए सत्तावीसइपदेसोगाढे, उक्कोसेण अणतपदेसिए असखेज्जपदेसोगाढे' । तत्थ ण जे से १. त चेव ( अ, ख, ता, व, म, स ) । २. त चेव (अ, ख, व, म, स), एव चैव (ता) । ३ स० पा० -- भेदो जहेव वट्टस्स जाव तत्थ । ४ ५ त चेव ( अ, क, ख, ता, ब, म, स ) । तहेव ( अ, क, ख, ता, ब, म, स ) । Page #971 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११० भगवई जुम्मपदेसिए से जहण्णेण अट्ठपदेसिए अट्ठपदेसोगाढे पण्णत्ते, उक्कोसेण अणत पदेसिए असखेज्जपदेसोगाढे ॥ ५४ आयते ण भते । सठाणे कतिपदेसिए कतिपदेसोगाढे पण्णत्ते ? गोयमा ! आयते ण सठाणे तिविहे पण्णत्ते, त जहा-सेढियायते, पतरायते, घणायते । तत्थ ण जे से सेढियायते से दूविहे पण्णत्ते, त जहा-गोयपदेसिए य, जम्मपदेसिए य। तत्थ ण जे से प्रोयपदेसिए से जहण्णेण तिपदेसिए तिपदेसोगाढे, उक्कोसेण अणतपदेसिए असखेज्जपदेसोगाढे। तत्थ ण जे से जुम्मपदेसिए से जहण्णेण दुपदेसिए दुपदेसोगाढे, उक्कोसेण अणतपदेसिए असखेज्जपदेसोगाढे'। तत्थ ण जे से पतरायते से दुविहे पण्णत्ते, त जहा-पोयपदेसिए य जुम्मपदंसिए य । तत्थ ण जे से प्रोयपदेसिए से जहणेण पण्णरसपदेसिए पण्णरसपदेसोगाढे, उक्कोसेण 'अणतपदेसिए असखेज्जपदेसोगाढे" । तत्थ ण जे से जुम्मपदेसिए से जहण्णेण छप्पदेसिए छप्पदेसोगाढे, उक्कोसेणं 'अणतपदेसिए असखेज्जपदेसोगाढे। तत्थ ण जे से घणायते से दुविहे पण्णत्ते, त जहा-अोयपदेसिए य, जुम्मपदेसिए य । तत्थ ण जे से प्रोयपदेसिए से जहण्णण पणयालीसपदेसिए पणयालीसपदेसोगाढे, उक्कोसेण 'अणतपदेसिए असखेज्जपदेसोगाढे। तत्थ ण जे से जम्मपदेसिए से जहण्णेण वारसपदेसिए वारसपदेसोगाढे, उक्कोसेण 'अणंतपदेसिए असखेज्जपदेसोगाढे ॥ ५५. परिमडले ण भते ! सठाणे कतिपदेसिए-पुच्छा। गोयमा । परिमडले ण सठाणे दुविहे पण्णत्ते, त जहा-धणपरिमंडले य, पतरपरिमंडले य। तत्थ णं जे से पतरपरिमडले से जहण्णेण वीसइपदेसिए वीसइपदेसोगाढे, उक्कोसेण अणतपदेसिए असखेज्जपदेसोगाढे । तत्थ णं जे से घणपरिमडले से जहण्णेण चत्तालीसइपदेसिए चत्तालीसइपदेसो गाढे पण्णत्ते, उक्कोसेण अणतपदेसिए असखेज्जपदेसोगाढे पण्णत्ते ॥ संठाणाणं कडजम्मादि-पदं ५६ परिमडले ण भते | सठाणे दव्वट्ठयाए किं कडजुम्मे ? तेश्रोए ? दावरजुम्मे ? कलिग्रोए ? १. तहेव (अ, क, ख, ता, व, म, स)। २ त चेव (अ, क, ख, ता, व, म, स)। ३ तहेव (अ, क, ख, ता व, म, स)। ४,५. अणत तहेव (अ, क, ख, ता, व, म, स)। ६,७. अणत तहेव (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। ८ तहेव (अ, क, ख, ता, म, स)। ६ वादरजुम्मे (अ, क, ख, ता म) सर्वत्र । Page #972 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचवीसइम सत ( तइओ उद्देमो) गोमा | तो कडजुम्मे, नो तेयोए, नो दावरजुम्मे, कलियो ' ॥ ५७. वट्टे ण भते ! सठाणे दव्वट्टयाए० ? एव चेव । एव जाव आयते ॥ ५८ परिमंडला ण भते । सठाणा दव्वट्टयाए कि कडजुम्मा, तेयोया - पुच्छा । गोयमा । प्रोघादेसेण सिय कडजुम्मा, सिय तेश्रोगा, सिय दावरजुम्मा, सिय कलियोगा, विहाणादेसेण नो कडजुम्मा, नो तेश्रोगा, नो दावरजुम्मा, कलियोगा । एव जाव आयता ॥ ५६ परिमडले ण भते । सठाणे परसट्टयाए कि कडजुम्मे - पुच्छा | गोमा । सिय कडजुम्मे, सिय तेयोगे, सिय दावरजुम्मे, सिय कलियोगे । एव जावयते ॥ ६० परिमंडला ण भते । सठाणा पदेसट्टयाए कि कडजुम्मा - पुच्छा। गोयमा ! ग्रोघादेसेण सिय कडजुम्मा जाव सिय कलियोगा, विहाणादेसेण कडजुम्मा वि, तेस्रोगा वि, दावरजुम्मा वि, कलियोगा वि । एव जाव प्रायता ॥ ६१. परिमंडले ण भते । सठाणे कि कडजुम्मपदेसोगाढे जाव कलियोगपदेसोगाढे ? गोयमा | कडजुम्मपदेसोगाढे, नो तेयोगपदेसोगाढे, नो दावरजुम्मपदेसोगाढे, नो लियोगप सो गाढे || I ११ ६२ वट्टे ण भते । सठाणे किं कडजुम्मपदेसोगाढे – पुच्छा । गोयमा । सिय कडजुम्मपदेसोगाढे, सिय तेयोगपदेसोगाढे, नो दाव रजुम्मपदेसोगाढे, सिय कलियोगपदेसोगाढे ॥ ६३ तसे ण भते । सठाणे - पुच्छा । गोयमा । सिय कडजुम्मपदेसोगाढे, सिय तेयोग पदेसोगाढे, सिय दावरजुम्मपदेसोगाढे, नो कलियोगपदेसोगाढे ॥ ६४. चउरसे ण भते । सठाणे ० ? जहा वट्टे तहा चउर से वि ॥ ६५ आयते ण भते । पुच्छा | गोमा । सिय कडजुम्मपदेसोगाढे जाव सिय कलियोगपदेसोगाढे ॥ ६६. परिमंडला ण भते । सठाणा कि कडजुम्मपदेसोगाढा–पुच्छा । गोयमा । श्रोघादेसेण वि विहाणादेसेण वि कडजुम्मपदेसोगाढा, नो तेयोगपदेसोगाढा, नो दावरजुम्मपदेसोगाढा, नो कलियोग पदेसोगाढा || ६७. वट्टा ण भते । सठाणा कि कडजुम्मपदेसोगाढा – पुच्छा । गोयमा | ओघादेसेण कडजुम्मपदेसोगाढा, नो तेयोगपदेसोगाढा, नोदावर - जुम्मपदेसोगाढा, नो कलियोगपदेसोगाढा, विहाणादेसेण कडजुम्मपदेसोगाढा वि, तेयोगपदेसोगाढा वि, नो दाव रजुम्मपदेसोगाढा, कलियोगपदेसोगाढा वि ॥ १. कलिओदे (ता) | Page #973 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६१२ भगवई तसा ण भते । संठाणा किं कडजुम्मपदेसोगाढा–पुच्छा। गोयमा । अोघादेसेण कडजुम्मपदेसोगाढा, नो तेयगपदेसोगाढा, नो दावरजुम्मपदेसोगाढा, नो कलियोगपदेसोगाढा, विहाणादेसेण कडजुम्मपदेसोगाढा वि, तेयोगपदेसोगाढा वि, नो दावरजुम्मपदेसोगाढा, कलियोगपदेसोगाढा वि । चउरसा जहा वट्टा ।।। ६६. आयता ण भते । सठाणा-पुच्छा। गोयमा । अोघादेसेण कडजुम्मपदेसोगाढा, नो तेयोगपदेसोगाढा नो दावरजम्मपदेसोगाढा, नो कलियोगपदेसोगाढा, विहाणादेसेण कडजुम्मपदेसोगाढा वि जाव कलियोगपदेसोगाढा वि ।। ७०. परिमडले ण भते । सठाणे किं कडजुम्मसमयठितीए' ? तेयोगसमयठितीए ? दावरजुम्मसमयठितीए ? कलियोगसमयठितीए ? गोयमा | सिय कडजुम्मसमयठितीए जाव सिय कलियोगसमयठितीए । एवं जाव आयते ॥ ७१ परिमडला ण भते । सठाणा किं कडजुम्मसमयठितीया-पुच्छा। गोयमा | अोघादेसेण सिय कडजुम्मसमयठितीया जाव सिय कलियोगसमयठितीया, विहाणादेसेण कडजुम्मसमययठितीया वि जाव कलियोगसमयठितीया वि । एव जाव आयता।। ७२. परिमडले ण भते । सठाणे कालवण्णपज्जवेहिं कि कडजम्मे जाव कलियोगे ? गोयमा । सिय कडजुम्मे । एव एएण अभिलावेण जहेव ठितीए । एव नीलवण्णपज्जवेहिं । एवं पचर्हि वण्णेहिं, दोहिं गंधेहि, पचहि रसेहि, अट्ठहि फासेहिं जाव लुक्खफासपज्जवेहिं ।। सेढि-पद ७३. सेढीयो णं भते | दव्बट्टयाए कि सखेज्जायो ? असखेज्जायो ? अणंताओ? गोयमा | नो सखेज्जाओ, नो असखेज्जाओ, अणतायो ।। ७४. पाईणपडीणायताओ' ण भते ! सेढीयो दवट्ठयाए कि संखेज्जाओ० ? एव चेव । एव दाहिणुत्तरायताप्रो वि । एव उड्ढमहायतानो वि ॥ ७५. लोगागाससेढीओ ण भते ! दवट्ठयाए कि सखेज्जायो ? असंखेज्जाओ? अणतायो ? गोयमा | नो सखेज्जाओ, असखेज्जायो, नो अणतायो ।। ७६ पाईणपडीणायतानो णं भते । लोगागाससेढीओ दवट्ठयाए कि संखेज्जाओ. ? एव चेव । एव दाहिणुत्तरायताओ वि । एवं उड्ढमहायताओ वि ।। १ ट्टितिए (अ, ब, म)। ३ पादीण ° (ख), पातीणपडिणताओ (ता)। २. नीलावण्ण ° (क, ख, व) । Page #974 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पचवीसइमं सत (तइओ उद्देसो) ९१३ ७७ अलोगागाससेढीयो ण भते | दव्वट्टयाए कि सखेज्जायो ? असखेज्जाओ? अणंताग्रो ?" गोयमा | नो सखेज्जाओ, नो असखेज्जाओ, अणतायो । एव पाईणपडीणाय तानो वि । एव दाहिणुत्तरायतानो वि । एव उड्ढमहायताप्रो वि ।। ७८ सेढीग्रो ण भते । पएसट्टयाए किं सखेज्जाग्रो० ? जहा दव्वट्ठयाए तहा पएस ट्ठयाए वि जाव' उड्ढमहायताओ वि । सव्वाग्रो अणतायो ।। ७६ लोगागाससेढीओ ण भते । पएसट्टयाए कि सखेज्जाप्रो-पुच्छा। गोयमा । सिय सखेज्जायो, सिय असखेज्जायो, नो अणतायो । एव पाईणपडोणायतायो वि । दाहिणुत्तरायतानो वि एव चेव । उड्ढ महायताओ' नो सखेज्जायो, असखेज्जायो, नो अणतायो । अलोगागाससेढीयो ण भते । पदेसट्टयाए-पुच्छा। गोयमा । सिय सखेज्जाओ, सिय असखेज्जायो, सिय अणताप्रो ।। ८१ पाईणपडीणायतायो ण भते । अलोगागाससेढीयो-पुच्छा। गोयमा । नो सखेज्जायो, नो असखेज्जायो, अणतायो । एव दाहिणुत्तराय तायो वि ॥ ८२. उड्ढमहायतायो-पुच्छा । गोयमा । सिय सखेज्जाओ, सिय असखेज्जायो, सिय अणतायो । सेढीनो ण भते । किं सादीयायो सपज्जवसियानो ? सादीयानो अपज्जवसियायो ? अणादीयानो सपज्जवसियायो ? अणादीयाो अपज्जवसियामो ? गोयमा | नो सादीयानो सपज्जवसियानो, नो सादीयानो अपज्जवसियानो, नो अणादीयानो सपज्जवसियाग्रो, अणादीयानो अपज्जवसियानो । एव जाव उड्ढमहायताओ। ८४ लोगागाससेढीओ ण भते ! किं सादीयायो सपज्जवसियाओ-पुच्छा। गोयमा | सादीयानो सपज्जवसियानो, नो सादीयाओ अपज्जवसियानो, नो अणादीयाओ सपज्जवसियानो, नो अणादीयानो अपज्जवसियाओ । एव जाव उड्ढमहायतायो । अलोगागाससेढीयो ण भते । कि सादीयानो सपज्जवसियानो-पुच्छा । गोयमा । सिय सादीयानो सपज्जवसियानो, सिय सादीयानो अपज्जवसियाओ, सिय अणादीयाओ सपज्जवसियानो, सिय अणादीयानो अपज्जवसियायो । पाईणपडीणायताओ दाहिणुत्तरायतायो य एव चेव, नवर-नो सादीयानो ८५ १ पुच्छा (क, ता, व, म)। २. एव जाव (क, व)। ३. °तानो वि (अ, स)। Page #975 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४ सपज्जवसिया, सिय सादीया ता जहा ग्रोहियो तहेव चउभगो || ८६. सेढीनो णं भते । दव्वट्टयाए कि कडजुम्माग्रो, तेश्रोयाग्रो - पुच्छा । गोयमा ! कडजुम्माग्रो, नो तेश्रोयाग्रो, नो दावरजुम्माश्रो, नो कलियोगाग्रो । एव जाव उड्ढमहायता । लोगागाससेढीयो एव चेव । एव लोगागाससेढीओ वि ॥ सेढीओ णं भते । पदेसट्टयाए कि कडजुम्माग्रो ०१ एव चेव । एव जाव उड्ढमहायता || लोगागाससेढीओ ण भते । पदेसट्टयाए - पुच्छा ॥ गोयमा । सिय कडजुम्माग्रो, नो तेश्रोयाश्रो, सिय दावरजुम्माओ, नो कलियोगा । एव पाईणपडीणायता वि, दाहिणुत्तरायता वि ॥ ८७ ८८ भगवई प्रज्जवसियाग्रो । सेसं त चेव । उड्ढमहाय ८६. उड्ढमहायताओ ण भते । पदेसट्टयाए- पुच्छा । गोयमा । कडजुम्माग्रो, नो तेयोगाओ, नो दावरजुम्माश्रो, नो कलियोगाश्री ॥ ६०. अलोगागाससेढीओ ण भते । पदेसट्टयाए - पुच्छा । गोयमा । सिय कडजुम्माम्रो जाव सिय कलियोगाओ । एव पाईणपडीणायतव । एव दाहिणुत्तरायताओ वि । उड्ढमहायता वि एव चेव, नवर -नो कलियोगा । सेसं त चेव ॥ ६१. कति ण भंते । सेढी पण्णत्ताओ ? गोयमा । सत्त सेढीओ पण्णत्ताओ, त जहा - उज्जुप्रायता, एगोवका, दुहग्रोवका, एगओखहा, दुहनखहा, चक्कवाला, अद्धचक्कवाला ॥ - अणु से दि-विसेदि-गति-पद ६२. परमाणुपोग्गलाण' भते ! कि अणुसेढि गती पवत्तति ? विसेदिं गती पवत्तति ? गोमा । श्रणुसेढि गती पवत्तति, नो विसेदि गती पवत्तति ॥ ९३. दुपए सियाण भते । खधाण अणुसेढि गती पवत्तति ? विसेढि गती पवत्तति ? एव चेव । एव जाव प्रणतपदेसियाण खधाण ॥ ε४. नेरइयाणं भते ! किं प्रणुसेढि गती पवत्तति ? विसेढि गती पवत्तति ? एव चेव । एव जाव वेमाणियाण ॥ निरयावास - पद ε५. इमीसे ण भते । रयणप्पभाए पुढवीए केवतिया निरयावाससयसहस्सा पण्णत्ता ? १. ० पुग्गलाण ( अ ) । Page #976 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचवीसइम सतं (तइओ उद्देमो) ११५ गोयमा । तीस निरयावाससयसहस्सा पण्णत्ता, एवं जहा पढमसते पचमुद्देसए जाव' अणुत्तरविमाण' त्ति ॥ गणिपिडय-पद ६६. कतिविहे ण भते । गणिपिडए पण्णत्ते ? गोयमा । दुवालसगे गणिपिडए पण्णत्ते, त जहा-आयारो जाव' दिद्विवाओ। ६७ से कि त पायारो ? आयारे ण समणाण निग्गथाण आयार-गोयर-विणय वेणइय-सिक्खा-भासा-अभासा-चरण-करण-जाया-माया-वित्तीयो आधविज्जति, एव अगपरूवणा भाणियव्वा जहा नदीए जाव सुत्तत्थो खलु पढमो, बीअो निज्जुत्तिमीसो भणियो । तइयो य निरवसेसो, एस विही होइ अणुप्रोगे ।।१।। अप्पाबहुय-पदं ६८. एएसि ण भते । नेरइयाण जाव देवाण सिद्धाण य पचगतिसमासेण कयरे कयरेहितो "अप्पा वा ? वहया वा ? तुल्ला वा ? विसेसाहिया वा ? ० गोयमा । अप्पावहुय जहा बहुवत्तव्वयाए, अट्ठगतिसमासप्पाबहुग" च ॥ एएसि ण भते । सइदियाण, एगिदियाण जाव' अणि दियाण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? विसेसाहिया वा ? एय पि जहा बहुवत्तव्वयाए तहेव ओहिय पय भाणियव्व, सकाइयअप्पाबहुग तहेव' अोहिय भाणियव्व' ।। १००. एएसि ण भते । जीवाण पोग्गलाण श्रद्धासमयाण सव्वदव्वाण सव्वपदेसाण सव्वपज्जवाण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? विसेसाहिया वा ? जहा बहुवत्तव्वयाए । १०१ एएसि ण भते । जीवाण, आउयस्स कम्मस्स बधगाण अबधगाण ? जहा बहुवत्तव्वयाए जाव" आउयस्स कम्मस्स अवधगा विसेसाहिया ।। १०२ सेव भते ! सेव भते । त्ति ।। १ भ० १२२१२-२१५ । २ एगा अणु ° (अ)। ३ भ० २०१७५ । ४ नदी सू० ८१-१२७ । ५. स० पा०---पुच्छा । ६. प० ३। ७. °समाअप्पा ० (ता, ब, म)। ८ सकायअप्पा (व)। ६ प०३। १० स० पा०-पोग्गलाण जाव सव्वपज्जवाण । अस्य पूर्ति प्रज्ञापनाया तृतीयपदात् कृता, वृत्तौ किञ्चिद्भेदो लभ्यते-इह यावत्कर णादिद दृश्य-'समयाण दव्वाण पएसाण' ति । ११ प० ३। Page #977 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६ चउत्थो उद्देसो जुम्म पर्द १०३ कति ण भते । जुम्मा पण्णत्ता ? I गोयमा । चत्तारि जुम्मा पण्णत्ता, त जहा – कडजुम्मे जाव' कलियोगे ।। १०४ से केणट्टेण भते । एव बुच्चइ - चत्तारि जुम्मा पण्णत्ता - कडजुम्मे जाव कलियोगे ? एवं जहा ग्रट्ठारसमसते चउत्थे उद्देसए तहेव जाव' से तेणट्टेण गोयमा । एव वच्चइ ॥ १०५ नेरइयाण भते । कति जुम्मा पण्णत्ता ? गोयमा ! चत्तारि जुम्मा पण्णत्ता, त जहा - कडजुम्मे जाव कलियोगे ॥ १०६ सेकेणट्टे भते । एव वुच्चइ - नेरइयाण चत्तारि जुम्मा पण्णत्ता, त जहा - कडजुम्मे ? अट्ठो तहेव । एव जाव वाउकाइयाण || १०७ वणस्सइकाइयाण भते । - पुच्छा | सिय गोयमा । वणस्सइकाइया सिय कडजुम्मा, सिय तेयोगा, I सिय कलियोगा || १०८. से केणट्टेण भते ! एवं वुच्चइ - वणस्सइकाइया जाव कलियोगा ? गोयमा ! उववाय पडुच्च । से तेणद्वेण त चेव । बेदियाण जहा नेरइयाण | एव जाव वेमाणियाणं । सिद्धाण जहा वणस्सइकाइयाण || १०६ कतिविहा ण भते । सव्वदव्वा पण्णत्ता ? गोमा ! छव्विहा सव्वदव्वा पण्णत्ता, त जहा - धम्मत्थिकाए, अधम्मत्थिकाए जाव श्रद्धासमए ॥ ११० घम्मत्थिकाए णं भते । दव्वट्टयाए कि कडजुम्मे जाव कलियोगे ? गोयमा । नो कडजुम्मे, नो तेयोगे, नो दावरजुम्मे, कलियोगे । एवं अधम्मत्थि - कवि । एव आगासत्थिकाए वि ।। १११. जीवत्थिकाए ण भते ! - पुच्छा | भगवई गोयमा । कडजुम्मे, नो तेयोगे, नो दावरजुम्मे, नो कलियोगे ॥ १. भ० २५।५४ । ११२ पोग्गल त्थिकाए ण भते । - पुच्छा । गोयमा । सिय कडजुम्मे जाव सिय कलियोगे । अद्धासमए जहा जीवत्थिकाए || ११३ धम्मत्थिकाए णं भते । पदेसट्टयाए कि कडजुम्मे – पुच्छा | गोयमा ! कडजुम्मे, नो तेयोगे, नो दावरजुम्मे, नो कलियोगे । एव जाव T श्रद्धासमए ॥ २ भ० १८६० । दावरजुम्मा, Page #978 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पचवीसइम सत (चउत्थो उद्देसो) ६१७ ११४ एएसि ण भते । धम्मत्थिकाय-अधम्मत्थिकाय जाव अद्धासमयाण दवट्ठ याए ? एएसि ण अप्पाबहुग जहा' वहुवत्तव्वयाए तहेव निरवसेस ।। ११५ धम्मत्थिकाए ण भते । कि योगाढे ? अणोगाढे ? गोयमा | ओगाढे, नो अणोगाढे ॥ ११६ जइ अोगाढे कि सखेज्जपदेसोगाढे ? असखेज्जपदेसोगाढे ? अणतपदेसोगाढे ? गोयमा | नो सखेज्जपदेसोगाढे, असखेज्जपदेसोगाढे, नो अणतपदेसोगाढे ।। ११७ जइ असखेज्जपदेसोगाढे कि कडजुम्मपदेसोगाढे-पुच्छा। गोयमा | कडजम्मपदेसोगाढे, नो तेयोगपदेसोगाढे, नो दावरजुम्मपदेसोगाढे, नो कलियोगपदेसोगाढे । एव अधम्मत्थिकाए वि । एव आगासत्थिकाए वि । जीवत्थिकाए, पोग्गलत्थिकाए, अद्धासमए एव चेव ।।। ११८ इमा ण भते । रयणप्पभा पुढवी कि प्रोगाढा ? अणोगाढा ? जहेव धम्म त्थिकाए । एव जाव अहेसत्तमा। सोहम्मे एव चेव । एव जाव ईसिपब्भारा पुढवी ॥ ११६ जीवे ण भते | दवट्टयाए कि कडजुम्मे-पुच्छा। गोयमा | नो कडजम्मे, नो तेयोगे, नो दावरजुम्मे, कलियोगे । एव नेरइए वि । एव जाव सिद्ध ॥ १२० जीवा ण भते | दव्वट्टयाए किं कडजुम्मा-पुच्छा। गोयमा | अोघादेसेण कडजुम्मा, नो तेयोगा, नो दावरजुम्मा, नो कलियोगा; विहाणादेसेण नो कडजुम्मा, नो तेयोगा, नो दावरजुम्मा, कलियोगा। १२१ नेरइया ण भते ! दवट्टयाए–पुच्छा। गोयमा । अोघादेसेण सिय कडजम्मा जाव सिय कलियोगा, विहाणादेसेण नो कडजुम्मा, नो तेयोगा, नो दावरजम्मा, कलियोगा । एव जाव' सिद्धा॥ १२२ जीवे ण भते । पदेसट्टयाए कि कडजुम्मे पुच्छा। गोयमा ! जीवपदेसे पडुच्च कडजुम्मे, नो तेयोगे, नो दावरजुम्मे, नो कलियोगे। सरीरपदेसे पडुच्च सिय कडजुम्मे जाव सिय कलियोगे । एव जाव वेमाणिए । १२३ सिद्धे ण भते | पदेसट्रयाए कि कडजुम्मे पुच्छा। गोयमा । कडजुम्मे, नो तेयोगे, नो दावरजुम्मे, नो कलियोगे॥ १२४ जीवा ण भते । पदेसट्टयाए कि कडजुम्मा-पुच्छा। गोयमा | जीवपदेसे पडुच्च अोघादेसेण वि विहाणादेसेण वि कडजुम्मा, नो तेयोगा, नो दावरजुम्मा, नो कलियोगा। सरीरपदेसे पडुच्च अोघादेसेण सिय १. प०३। Page #979 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६१८ भगवई जुम्मा जाव सिय कलियोगा; विहाणादेसेण कडजुम्मा वि जाव कलियोगा वि । एव नेरइया वि । एव जाव वेमाणिया || १२५ सिद्धा ण भते । - पुच्छा | गोयमा । ग्रोधादेसेण वि विहाणादेसेण वि कडजुम्मा, नो तेयोगा, नो दावरजुम्मा, नो कलियोगा ॥ १२६. जीवे ण भते | कि कडजुम्मपदेसोगाढे - पुच्छा । गोयमा । सिय कडजुम्मपदेसोगाढे जाव सिय कलियोगपदेसोगाढे । एवं जाव सिद्धे || १२७. जीवा ण भते । किं कडजुम्मपदेसोगाढा - पुच्छा । .गोयमा । ग्रोघादेसेण कडजुम्मपदेसोगाढा, नो तेयोगपदेसोगाढा, नो दावरजुम्मपदेसोगाढा, नो कलियोगपटेसोगाढा विहाणादेसेण कडजुम्मपदेसोगाढा वि जाव कलियोगपदेसोगाढा वि ॥ १२८. नेरइयाण - पुच्छा । गोयमा ! प्रोघादेसेण सिय कडजुम्मपदेसोगाढा जाव सिय कलियोगपदेसोगाढा, विहाणादेसेण कडजुम्मपदेसोगाढा वि जाव कलियोगपदेसोगाढा वि' । एव 'एगिदिय-सिद्धवज्जा सव्वे वि" । सिद्धा एगिदिया य जहा जीवा ॥ १२६. जीवेण भते ! कि कडजुम्मसमयद्वितीए - पुच्छा । गोयमा' कडजुम्मसमयद्वितीए, नो तेयोगसमयद्वितीए, नो दावरजुम्मसमयद्वितीए, नो कलियोगसमयद्वितीए ॥ १३० नेरइए ण भते ! – पुच्छा | 1 गोयमा ! सिय कडजुम्मसमयद्वितीए जाव सिय कलियोगसमयद्वितीए । एव जाव माणिए । सिद्धे जहा जीवे ॥ १३१. जीवा ण भते । —–पुच्छा । गोयमा ! प्रोघादेसेण वि विहाणादेसेण वि कडजुम्मसमयद्वितीया, नो तेयोगसमयद्वितीया, नो दावरजम्मसमयद्वितीया, नो कलियोगसमयद्वितीया ॥ १३२. नेरइयाण - पुच्छा | गोयमा ! ओघादेसेण सिय कडजुम्मसमयद्वितीया जाव सिय कलियोगसमयद्वितीया वि, विहाणादेसेण कडजुम्मसमयद्वितीया वि जाव कलियोगसमयद्वितीया वि । एव जाव वेमाणिया । सिद्धा जहा जीवा ॥ १३३ जीवे ण भते ! कालावण्णपज्जवेहि किं कडजुम्मे – पुच्छा । गोयमा ! जीवपदेसे पडुच्च नो कडजुम्मे जाव नो कलियोगे । सरीरपदेसे १. एगिदियवज्जा जाव (क, ता, व ) । Page #980 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६ पडुच्च सिय कडजुम्मे जाव सिय कलियोगे । एव जाव वेमाणिए । सिद्धोण चेव पुच्छति ॥ पंचवीसइम सत (चउत्यो उद्देसो) १३४. जीवा ण भते | कालावण्णपज्जवेहि - पुच्छा | गोयमा ! जीवपदेसे पडुच्च ग्रोधादेसेण वि विहाणादेसेण वि नो कडजुम्मा जाव तो कलियोगा । सरोरपदेसे पडुच्च ओघादेसेण सिय कडजुम्मा | जाव यि कलियोगा, विहाणादेमेण कडजुम्मा वि जाव कलियोगा वि । एवं जाव वेमाणिया । एव नीलावण्णपज्जवेहिं दडो भाणियव्वो एगत्तपुहत्तेण । एव जाव लुक्खफासपज्जवेहि' | १३५ जीवे ण भते । ग्राभिणिवोहियनाणपज्जवेहिं कि कडजुम्मे - पुच्छा । गोयमा । सिय कडजुम्मे जाव सिय कलियोगे । एव एगिदियवज्ज जाव माणि ॥ १३६ जीवा ण भते । ग्राभिणिवोहियनाणपज्जवेहि - पुच्छा । गोयमा । प्रोघादेसेण सिय कडजुम्मा जाव सिय कलियोगा, विहाणादेसेण जुम्मा वि जाव कलियोगा वि । एव एगिदियवज्ज जाव वेमाणिया । एव सुयनाणपज्जवेहि वि । श्रोहिनाणपज्जवेहि वि एव चेव, नवर - विगलिदियाण नत्थ हिना | मणपज्जवनाण पि एव चेव, नवर - जीवाण मणुस्साण य, सेसाण नत्थि || १३७ जीवेण भंते । केवलनाणपज्जवेहिं कि कडजुम्मे – पुच्छा । गोयमा ! कडजुम्मे, नो तेयोगे, नो दावरजुम्मे, नो कलियोगे । एव मणुस्से वि । एव सिद्धे वि ॥ १३८ जीवा ण भते । केवलनाणपज्जवेहि कि कडजुम्मा - पुच्छा । गोयमा । श्रोघादेसेण वि विहाणादेसेण वि कडजुम्मा, नो तेयोगा, नो दावरजुम्मा, नो कलियोगा । एव मणुस्सा वि । एव सिद्धा वि ॥ १३६ जीवेण भते । मइअण्णाणपज्जवेहि कि कडजुम्मे० ? जहा ग्राभिणिबोहियनाणपज्जवेहि तहेव दो दडगा । एव सुयण्णाणपज्जवेहि वि । एव विभगनाणपज्जवेहि वि। चक्खुदसण- श्रच क्खुदसण-श्रोहिदसणपज्जवेहि वि एव चेव, नवर – जस्स ज प्रत्थि त भाणियव्व । केवलदसणपज्जवेहिं जहा केवलनाणपज्जवेहिं ॥ सरीर-पदं १४० कति ण भते । सरीरगा पण्णत्ता ? गोयमा ! पच सरीरंगा पण्णत्ता, त जहा - ओरालिए जाव कम्मए । एत्थ सरीरगपद निरवसेस भाणियव्व जहा पण्णवणाए ॥ ३. प० १२ । १ लुक्खाफास ° (ता) । २. ० पज्जवेहि (ता, स) । Page #981 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६२० सेय-निरेय-पदं १४१. जीवा ण भते । कि सेया ? निरेया ? गोयमा । जीवा सेया वि, निरेया वि ॥ १४२ सेकेणट्टेण भते । एव बुच्चइ - जीवा सेया वि, निरेया वि ? गोयमा । जीवा दुविहा पण्णत्ता, त जहा - 'ससारसमावण्णगा य, प्रससारसमावण्णगा" य । तत्थ ण जे ते अससारसमावण्णगा ते ण सिद्धा । सिद्धा ण दुविहा पण्णत्ता, त जहा -ग्रणतरसिद्धा य, परपरसिद्धा य । तत्थ ण जे ते परपरसिद्धा ते ण निरेया । तत्थ ण जे ते ग्रणतरसिद्धा ते ण सेया ॥ १४३ ते ण भते ! किं देसेया ? सव्वेया ? गोयमा । नो देसेया, सव्वेया । तत्थ ण जे ते ससारसमावण्णगा ते दुविहा पण्णत्ता, त जहा- सेलेसि पडिवण्णगा य, सेलेसिपडिवण्णगा य । तत्थ ण जे ते सेलोसिपडिवण्णगा ते ण निरेया, तत्थ ण जे ते असेलेसीपडिवण्णगा ते ण सेया ॥ १४४. ते ण भते । कि देसेया ? सव्वेया ? गोयमा । देसेया वि, सव्वेया वि । से तेणट्टेण' गोयमा ! एव वुच्चइ - जीवा सेया वि, निरेया वि ॥ o १४५ नेरइया ण भते ! कि देसेया ? सव्वेया ? गोमा ! सेया वि, सव्वेया वि ॥ १४६. से केणट्टेण जाव सव्वेया वि ? भगवई गोयमा ! नेरइया दुविहा पण्णत्ता, त जहा - विग्गहगतिसमावण्णगाय, अविग्गहगतिसमावण्णगा य । तत्थ ण जे ते विग्गहगतिसमावण्णगा ते ण सव्वेया, तत्थ ण जे ते विग्गहगतिसमावण्णगा ते णं देसेया । से तेणट्टेण जाव सव्वेया वि । एव जाव वेमाणिया || पोग्गल - पदं १४७. परमाणुपोग्गला ण भते । कि सखेज्जा ? असखेज्जा ? प्रणता ? गोयमा ! नो सखेज्जा, नो ग्रसखेज्जा, अणता । एव जाव प्रणतपदेसिया खधा ॥ १४८. एगपदेसोगाढा ण भते ! पोग्गला कि सखेज्जा ? असखेज्जा ? प्रणता ? एव चेव । एव जाव ग्रसखेज्जपदेसोगाढा || १. अससारसभावण्णगा य ससार ० (ता) । २. स० पा०-- तेरणट्टेण जाव निरेया | Page #982 -------------------------------------------------------------------------- ________________ | पंचवीसइम सत (चउत्यो उद्देसो) Rel २१ १४६ एगसमर्याद्वितीया ण भते । पोग्गला कि सखेज्जा० ? एव चेव । एव जाव सखेज्जसमयद्वितीया ॥ १५०. एगगुणकालगा ण भते । पोग्गला कि सखेज्जा० ? एव चेव । एव जाव प्रणतगुणकारागा । एव ग्रवसेसा वि वण्णगधरसफासा नेयव्वा जाव ग्रणतगुणलुक्खति ॥ १५१ एएसि ण भते । परमाणुपोग्गलाण दुपदेसियाण य खधाण दव्वट्टयाए करे कयरेहितो बहुया' ? गोयमा ! दुपदेसिएहितो खवेहितो परमाणुपोग्गला दव्वट्टयाए वहुया ।। १५२ एएसि ण भते ! दुपदेसियाण तिपदेसियाण य खधाण दव्वट्टयाए करे करेहितो हु गोयमा । तिपदेसिएहितो खधेहितो दुपदेसिया खधा दव्वट्टयाए बहुया । एव एएणं गमएण जाव दसपदेसिए हिंतो खधेहिंतो नवपदेसिया खधा दव्वट्टयाए वहुया ॥ १५३ एएसि ण भते । दसपदेसियाण - पुच्छा | गोयमा । दसपदेसिएहिंतो खधेहितो सखेज्जपदेसिया खधा दव्वट्टयाए वहुया ॥ १५४ एएसि ण भते । सखेज्जपदेसियाण - पुच्छा । गोयमा ! सखे जपदेसिएहितो खधेह्तो असखेज्जपदेसिया खधा दव्वट्टयाए वहुया ॥ १५५ एएसि ण भते । ग्रसखेज्जपदेसियाण - पुच्छा । गोयमा । श्रणतपदेसिए हितो खधेहतो प्रसखेज्जपदेसिया खधा दव्वट्टयाए वहुया ॥ १५६ एएसि ण भते । परमाणुपोग्गलाण दुपदेसियाण य खधाण पदेसट्टयाए करे कयरेहितो वहुया ? गोयमा । परमाणुपोग्गले हितो दुपदेसिया खधा पदेसट्टयाए बहुया । एव एएण गमएण जाव नवपदेसिएहितो खधेहितो दसपदेसिया खधा पदेसट्टयाए बहुया । एव सव्वत्थ' पुच्छियव्वं । दसपदेसिएहिंतो खधेहितो सखेज्जपदेसिया खधा पदेसट्टयाए वहुया । सखेज्जपदेसिएहितो खधेहितो प्रसखेज्जपदेसिया खधा पदेसट्टयाए बहुया || १५७ एएसि ण भते । श्रसंखेज्जपदेसियाण – पुच्छा । गोयमा । अणतपदेसिए हितो खधेहितो असखेज्जपदेसिया खधा पदेसट्टयाए बहुया ॥ १ अप्पा वा बहुया वा ( स ) २. सव्वत्य वि (म ) 1 Page #983 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२२ भगवई १५८. एएसि ण भते ! एगपदेसोगाढाण दुपदेसोगाढाण य पोग्गलाण दव्वट्ठयाए कयरे कयरेहितो' विसेसाहिया' ? गोयमा ! दूपदेसोगाढेहितो पोग्गलेहितो एगपदेसोगाढा पोग्गला दवढ्याए विसेसाहिया। एव एएणं गमएण तिपदेसोगाढेहितो पोग्गले हितो दुपदेसोगाढा पोग्गला दब्वट्ठयाए विसेसाहिया जाव दसपदेसोगाःहितो पोग्गलेहितो नवपदेसोगाढा पोग्गला दवट्ठयाए विसेसाहिया। दसपदेसोगाहितो पोग्गलहितो सखेज्जपदेसोगाढा पोग्गला दबट्टयाए वहया। सखेज्जपदेसोगाढेहिंतो पोग्गलेहिंतो अस खेज्जपदेसोगाढा पोग्गला दवट्ठयाए वहुया । पुच्छा सव्वत्थ भाणियन्वा ।। १५६ एएसि ण भते । एगपदेसोगाढाण दुपदेसोगाढाण य पोग्गलाण पदेसट्टयाए कयरे कयरेहितो विसेसाहिया' ? गोयमा । एगपदेसोगाढेहितो पोग्गलेहितो दुपदेसोगाढा पोग्गला पदेसट्टयाए विसेसाहिया । एव जाव नवपदेसोगाढेहितो पोग्गलेहितो दसपदेसोगाढा पोग्गला पदेसट्टयाए विसेसाहिया। दसपदेसोगाढेहितो पोग्गलेहितो सखेज्जपदेसोगाढा पोग्गला पदेसट्टयाए वहुया । सखेज्जपदेसोगाहिंतो पोग्गलेहितो असखेज्जपदे सोगाढा पोग्गला पदेसट्टयाए वहुया ।। १६० एएसि णं भते ! एगसमयद्वितीयाण दुसमयद्वितीयाण य पोग्गलाण दवट्याए.? जहा ओगाहणाए वत्तव्वया एव ठितीए वि ।। १६१ एएसि ण भते ! एगगुणकालगाण दुगुणकालगाण य पोग्गलाण दव्वद्र्याए.? एएसि ण जहा परमाणुपोग्गलादीण तहेव वत्तव्वया निरवसेसा। एव सव्वेसि वण्ण-गध-रसाण ॥ १६२ एएसि ण भते । एगगुणकक्खडाण दुगुणकक्खडाण य पोग्गलाण दव्वट्ठयाए कयरे कयरेहितो विसेसाहिया ? गोयमा ! एगगुणकक्खडेहितो पोग्गले हितो दुगुणकक्खडा पोग्गला दवट्टयाए विसेसाहिया । एव जाव नवगुणकक्खडेहितो पोग्गले हितो दसगुणकक्खडा पोग्गला दबट्टयाए विसेसाहिया। दसगुणकक्खडेहितो पोग्गलेहितो सखेज्जगुणकक्खडा पोग्गला दव्वट्ठयाए वहुया । सखेज्जगुणकक्खडेहितो पोग्गलेहितो असखेज्जगुणकक्खडा पोग्गला दवट्ठयाए वहुया। असखेज्जगुणकक्खडेहितो पोग्गले हितो अणतगुणकक्खडा पोग्गला दब्वट्ठयाए वहुया । एव पदेसट्टयाए वि' । सव्वत्थ पुच्छा भाणियव्वा । जहा कक्खडा एव मउय-गरुय-लहुया वि। सीय-उसिण-निद्ध-लुक्खा जहा वण्णा । १. कयरेहितो जाव (ता, स)। ४. निरवसेस (अ, ता)। २ विसेसाहिया वा (अ, क, ख, ता, व, म, स)। ५. जाव विसेसाहिया (ता)। ३. जाव विसेसाहिया वा (अ, ता, स)। ६. ४ (अ)। Page #984 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६४ पचवीसइम सतं (चउत्थो उद्देसो) ६२३ १६३ एएसि ण भते । परमाणुपोग्गलाण, सखेज्जपदेसियाण, असखेज्जपदेसियाण, अणतपदेसियाण य खधाण दवट्ठयाए, पदेसट्टयाए, दव्वट्ठ-पदेसट्टयाए कयरे कयरेहितो 'अप्पा वा ? वहुया वा ? तुल्ला वा ? विसेसाहिया वा ? गोयमा । सव्वत्थोवा अणतपदेसिया खधा दव्वट्ठयाए, परमाणुपोग्गला दव्वट्ठयाए अणतगुणा, सखेज्जपदेसिया खधा दव्वट्ठयाए सखेज्जगुणा, असखेज्जपदेसिया खधा दव्वट्ठयाए असखेज्जगुणा । पदेसट्टयाए-सव्वत्थोवा अणतपदेसिया खधा पदेसट्टयाए, परमाणुपोग्गला अपदेसट्टयाए अणतगुणा, सखेज्जपदेसिया खधा पदेसट्टयाए सखेज्जगुणा, असखेज्जपदेसिया खधा पदेसट्टयाए असखेज्जगुणा। दवट्ठ-पदेसट्टयाए-सव्वत्थोवा अणतपदेसिया खधा दवट्टयाए, 'ते चेव'२ पदेसट्टयाए अणतगुणा, परमाणुपोग्गला दब्वट्ठ-पदेसट्टयाए अणतगुणा, सखेज्जपदेसिया खवा दवट्ठयाए सखेज्जगुणा, ते चेव पदेसट्ठयाए सखेज्जगुणा, असखेज्जपदेसिया खधा दव्वट्ठयाए असखेज्जगुणा, ते चेव पदेसट्टयाए असखेज्जगुणा ।। एएसि ण भते । एगपदेसोगाढाण, सखेज्जपदेसोगाढाण, असखेज्जपदेसोगाढाण य पोग्गलाण दव्वट्ठयाए, पदेसट्टयाए, दव्वट्ठ-पदेसट्ठयाए कयरे कयरेहितो' 'अप्पा वा ? वहुया वा ? तुल्ला वा ? • विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा एगपदेसोगाढा पोग्गला दवट्ठयाए, सखेज्जपदेसोगाढा पोग्गला दवट्टयाए सखेज्जगुणा, असखेज्जपदेसोगाढा पोग्गला दवद्वयाए असखेज्जगुणा । पदेसट्ठयाए-सव्वत्थोवा एगपदेसोगाढा पोग्गला अपदेसट्टयाए, सखेज्जपदेसोगाढा पोग्गला पदेसट्ठयाए सखेज्जगुणा, असखेज्जपदेसोगाढा पोग्गला पदेसट्टयाए असखेज्जगुणा । दव्वट्ठ-पदेसट्ठयाए- सव्वत्थोवा एगपदेसोगाढा पोग्गला दव्वट्ठ-अपदेसट्टयाए, सखेज्जपदेसोगाढा पोग्गला दव्वट्टयाए सखेज्जगुणा, ते चेव पदेसट्टयाए सखेज्जगुणा। असखेज्जपदेसोगाढा पोग्गला दव्वट्ठयाए असखेज्जगुणा, ते चेव' पदेसट्टयाए असखेज्जगुणा ।। १६५ एएसि ण भते । एगसमयद्वितीयाण, सखेज्जसमयद्वितीयाण, असखेज्जसमय द्वितीयाण य पोग्गलाण. ? जहा प्रोगाहणाए तहा ठितीए वि भाणियव्व अप्पावहुग ।। १६६ एएसि ण भते । एगगुणकालगाण, सखेज्जगुणकालगाण, असखेज्जगुणकालगाण, अणतगुणकालगाण य पोग्गलाण दव्वट्ठयाए, पदेसट्टयाए, दवट्ठ-पदेसट्टयाए कयरे कयरेहितो अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? विसेसाहिया वा? एएसिं जहा परमाणुपोग्गलाण अप्पाबहुग तहा एएसि पि अप्पाबहुग। एव सेसाण वि वण्ण-गध-रसाण ॥ १. स० पा०-कयरेहितो जाव विसेसाहिया। २. तेच्चेव (ता)। ३. स० पा०-कयरेहिंतो जाव विसेसाहिया। Page #985 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६२४ भगवई १६७ एएसि ण भते ! एगगुणकक्खडाण, सखेज्जगुणकक्खडाण, असखेज्जगुणकक्ख डाण, अणतगुणकक्खडाण य पोग्गलाण दवट्ठयाए, पदेसट्टयाए, दव्वट्ठ-पदेस?याए कयरे कयरेहितो' अप्पा वा ? वहुया वा? तुल्ला वा ? ० विसेसाहिया वा? गोयमा | सव्वत्थोवा एगगुणकक्खडा पोग्गला दवट्ठयाए, सखेज्जगुणकक्खडा पोग्गला दव्वट्ठयाए सखेज्जगुणा, असखेज्जगुणकक्खडा पोग्गला दवट्टयाए असखेज्जगुणा, अणतगुणकक्खडा पोग्गला दवट्ठयाए अणतगुणा। पदेसट्टयाए एव चेव, नवर-सखेज्जगुणकक्खडा पोग्गला पदेसट्टयाए असखेज्जगुणा। सेस त चेव । दवट्ट-पदेसट्टयाए-सव्वत्थोवा एगगुणकक्खडा पोग्गला दव्वट-पदेसट्टयाए । सखेज्जगुणकक्खडा पोग्गला दव्वट्ठयाए सखेज्जगुणा, ते चेव पदेसट्रयाए सखेज्जगुणा । असखज्जगुणकक्खडा पोग्गला दवट्ठयाए असखेज्जगुणा, ते चेव' पदेसट्टयाए असखेज्जगुणा। अणतगुणकक्खडा पोग्गला दव्वट्टयाए अणतगणा, ते चेव पदेसट्टयाए अणतगुणा । एव मज्य-गस्य-लहुयाण वि अप्पावय । सीय उसिण-निद्ध-लुक्खाण तहा वण्णाण तहेव ॥ १६८. परमाणुपोग्गले ण भते । दवट्ठयाए कि कडजुम्मे ? तेयोए ? दावरजुम्मे ? कलियोगे? गोयमा ! नो कडजुम्मे, नो तेयोगे, नो दावरजुम्मे, कलियोगे। एव जाव अणत पदेसिए खधे । १६६ परमाणुपोग्गला ण भते । दवट्ठयाए कि कडजुम्मा--पुच्छा। गोयमा ! ओघादेसेण सिय कडजुम्मा जाव सिय कलियोगा, विहाणादेसेण नो कडजुम्मा, नो तेयोगा, नो दावरजुम्मा, कलियोगा । एव जाव अणतपदेसिया खधा ।। १७० परमाणुपोग्गले ण भते । पदेसट्टयाए कि कडजुम्मे-पुच्छा। गोयमा | नो कडजुम्मे, नो तेयोगे, नो दावरजुम्मे, कलियोगे ।। १७१. दुपदेसिय-पुच्छा। गोयमा ! नो कडजुम्मे, नो तेयोगे, दावरजुम्मे, नो कलियोगे ॥ १७२. तिपदेसिए-पुच्छा। गोयमा | नो कडजुम्मे, तेयोगे, नो दावरजुम्मे, नो कलियोगे । १७३. चउप्पदेसिए-पुच्छा। गोयमा | कडजुम्मे, नो तेयोगे, नो दावरजुम्मे, नो कलियोगे। पचपदेसिए जहा परमाणुपोग्गले । छप्पदेसिए जहा दुप्पदेसिए । सत्तपदेसिए जहा १. स० पा०कवरेहितो जाव विसेसाहिया । Page #986 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २५ तिपदेसिए । अट्ठपदेसिए जहा चउप्पदेसिए । नवपदेसिए जहा परमाणुपोग्गले । दसपदेसिए जहा दुप्पदेसिए || पंचवीसइम सत (चउत्यो उद्देसो) १७४ संखेज्जपदेसिए ण भंते । पोग्गले - पुच्छा। गोयमा । सिय कडजुम्मे जाव सिय कलियोगे । एव प्रसखेज्जपदेसिए वि देसि वि || १७५. परमाणुपोग्गला ण भते । पदेसट्टयाए कि कडजुम्मा - पुच्छा । गोयमा । श्रोघादेसेण सिय कडजुम्मा जाव सिय कलियोगा, विहाणादेसेण नो जुम्मा, नो तेयोगा, नो दावरजुम्मा, कलियोगा | १७६ दुप्पदेसिया णं - पुच्छा । गोयमा । श्रोधादेसेण सिय कडजुम्मा, नो तेयोगा, सिय दावरजुम्मा, नो कलियोगा, विहाणादेसेण नो कडजुम्मा, नो तेयोगा, दावरजुम्मा, नो कलियोगा || १७७ तिपदेसिया ण - - पुच्छा । गोयमा । प्रोघादेसेण सिय कडजुम्मा जाव सिय कलियोगा, विहाणादेसेण नो कडजुम्मा, तेयोगा, नो दावरजुम्मा, नो कलियोगा || १७८ चउप्पदेसिया ण - पुच्छा । गोयमा । ग्रोधादेसेण वि विहाणादेसेण वि कडजुम्मा, नो तेयोगा, नो दावरजुम्मा, नो कलियोगा । पचपदेसिया जहा परमाणुपोग्गला । छप्पदेसिया जहा दुप्पदेसिया | सत्तपदेसिया जहा तिपदेसिया । अट्ठपदेसिया जहा चउपदेसिया | नवपदेसिया जहा परमाणुपोग्गला । दसपदेसिया जहा दुपदेसिय । ॥ १७६ सखेज्जपदेसिया ण - पुच्छा । गोयमा ! ओघादेसेण सिय कडजुम्मा जाव सिय कलियोगा, विहाणादेसेण कडमावा कलियोगा वि । एव प्रसखेज्जपदेसिया वि, प्रणतपदेसिया वि ॥ १८०. परमाणुपोग्गले ण भते । किं कडजुम्मपदेसोगाढे - पुच्छा । गोयमा । नो कडजुम्मपदेसोगाढे, नो तेयोगपदेसोगाढे, नो दावरजुम्मपदेसोगाढे, कलियोग पदेसोगाढे ॥ १८१ दुपदेसिए - पुच्छा । गोयमा । तो कडजुम्मपदेसोगाढे, नो तेयोगपदेसोगाढे, सिय दावरजुम्मपदेसोगाढ़े, सिय कलियोगपदेसोगाढे || १८२. तिपदेसिए ण - पुच्छा । 1 गोयमा ! नो कडजुम्मपदेसोगाढे, सिय तेयोगपदेसोगाढे, सिय दावरजुम्मपदेसोगाढे, सिय कलियोगपदेसोगाढे || १८३. चउप्पदेसिए ण - पुच्छा । Page #987 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई गोमा । सिय कडजुम्मपदेसोगाढे जाव सिय कलियोग पदेसोगाढे । एवं जात्र तपदेसिए || १८४ परमाणुपोग्गला ण भते । कि कडजुम्मपदेसोगाढा – पुच्छा । गोयमा । ओघादेसेण कडजुम्मपदेसोगाढा, नो तेयोगपदेसोगाढा, नो दावरजुम्मपदेसोगाढा, नो कलियोगपदेसोगाढा ; विहाणादेसेण नो कडजुम्मपदेसोगाढा, नो तेयोगपदेसोगाढा, नो दावरजुम्मपदेसोगाढा, कलियोगपदेसोगाढा || १८५ दुप्पदेसिया ण - पुच्छा । गोयमा ! ओघादेसेण कडजुम्मपदेसोगाढा, नो तेयोग देसोगाढा, नो दावरजुम्मपदेसोगाढा, नो कलियोग पदेसोगाढा, विहाणादेमेण नो कडजुम्मपदेसोगाढा, नो तेयोगंपदेसोगाढा, दावरजुम्मपदेसोगाढा वि, कलियोगपदेसोगाढा वि ॥ १८६ तिप्पदेसिया ण - पुच्छा । गोयमा । श्रोघादेसेण कडजुम्मपदेसोगाढा, नो तेयोगपदेसोगाढा, नो दावरजुम्मपदेसोगाढा, नो कलियोगपदेसोगाढा, विहाणादेसेण नो कडजुम्मपदेसोगाढा, तेयोगपदेसोगाढा वि, दावरजुम्मपदेसोगाढा वि, कलियोगपदेसोगाढा वि ॥ १८७ चउप्पदेसिया ण - - पुच्छा 1 गोयमा ! ओघादेसेण कडजुम्मपदेसोगाढा, नो तेयोगपदेसोगाढा, नो दावरजुम्मपदेसोगाढा, नो कलियोगपदेसोगाढा, विहाणादेसेण कडजुम्मपदेसोगाढा वि जाव कलियोग पदेसोगाढा वि । एव जाव प्रणतपदेसिया | १८८. परमाणुपोग्गले ण भते । किं कडजुम्मसमयद्वितीए - पुच्छा । गोयमा । सिय कडजुम्मसमयद्वितीए जाव सिय कलियोगसमयद्वितीए । एवं जाव ग्रणतपदेसिए । १८६ परमाणुपोग्गला ण भते । कि कडजुम्म – पुच्छा । गोयमा । प्रोघादेसेण सिय कडजुम्मसमयद्वितीया जाव सिय कलियोग समयद्वितीया, विहाणादेसेण कडजुम्मसमयद्वितीया वि जाव कलियोगसमय द्वितीया वि । एवं जाव अणतपदेसिया || ६२६ १६० परमाणुपोग्गले ण भते | कालावण्णपज्जवे हि किं कडजुम्मे ? तेयोगे ? जहा ठिती वत्तव्वया एव वण्णेसु वि सव्वेसु । गधेसु वि एव चेव । रसेसु वि जाव महुरो रसोत्ति ॥ १९१ अणतपदेसिए ण भंते । खधे कक्खडफासपज्जवेहि कि कडजुम्मे – पुच्छा | गोमा । सिय कडजुम्मे जाव सिय कलियोगे || १९२ अणतपदेसिया ण भते । खधा कक्खडफासपज्जवेहि कि कडजुम्मा - पुच्छा । गोयमा ! श्रोधादेसेण सिय कडजुम्मा जाव सिय कलियोगा, विहाणादेसेण कडजुम्मा वि जाव कलियोगा वि । एवं मउय - गरुय - लहुया वि भाणियव्वा । सीय - उसिण- निद्ध- लुक्खा जहा वण्णा ।। Page #988 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 8२७ पचवीसइम मत (चउत्थो उद्देसो) १६३. परमाणपोग्गले ण भंते । किं सड़ढे ? अणडढे ? गोयमा नो सड्ढे, अणड्ढे ॥ १६४ दुपदेसिए ण-पुच्छा। गोयमा | सड्ढे, नो अणड्ढे । तिपदेसिए जहा परमाणुपोग्गले । चउपदेसिए जहा दुपदेसिए । पचपदेसिए जहा तिपदेसिए। छप्पदेसिए जहा दुपदेसिए। सत्तपदेसिए जहा तिपदेसिए । अट्ठपदेसिए जहा दुपदेसिए । नवपदेसिए जहा तिपदेसिए । दसपदेसिए जहा दुपदेसिए । सखेज्जपदेसिए ण भते ! खधे-पुच्छा। गोयमा । सिय सड्ढे, सिय अणड्ढे । एव असखेज्जपदेसिए वि । एव अणतपदे सिए वि॥ १६६ परमाणुपोग्गला ण भते । कि सड्ढा' ? अणड्ढा ? गोयमा । सड्ढा वा, अणड्ढा वा । एव जाव' अणतपदेसिया । १९७ परमाणुपोग्गले ण भते । कि सेए ? निरेए ? गोयमा ! सिय सेए, सिय निरेए । एव जाव अणतपदेसिए । १६८ परमाणुपोग्गला ण भते । कि सेया ? निरेया ? । गोयमा । सेया वि, निरेया वि । एव जाव अणतपदेसिया ।। परमाणुपोग्गले ण भते । सेए कालयो केवच्चिर होइ? गोयमा । जहण्णेण एक्क समय, उक्कोसेण प्रावलियाए असखेज्जइभागं ।। परमाणुपोग्गले ण भते । निरेए कालो केवच्चिर होइ ? गोयमा । जहण्णण एक्क समय, उक्कोसेण असखेज्ज काल । एव जाव अणतपदेसिए । २०१ परमाणुपोग्गला ण भते । सेया कालनो केवच्चिर होति ? गोयमा । सव्वद्ध ।। परमाणुपोग्गला ण भते । निरेया कालमो केवच्चिर होति ? गोयमा । सम्बद्ध । एव जाव अणतपदेसिया ।। २०३ परमाणुपोग्गलस्स ण भते । सेयस्स केवतिय काल अतर होइ ? गोयमा । सट्ठाणतर पडुच्च जहण्णेण एक्क समय, उक्कोसेण असखेज्ज काल । परट्ठाणतर पडुच्च जहण्णेण एक्क समय, उक्कोसेण असखेज्ज काल ।। २०४. निरेयस्स केवतिय काल अतर होइ ? गोयमा | सट्ठाणतर पडुच्च जहण्णेण एक्क समय, उक्कोसेण आवलियाए असखेज्जइभाग। परट्ठाणतर पडुच्च जहण्णेण एक्क समय, उक्कोसेण अस खेज्ज काल ॥ १. साढा (ख, ता)। २. केवचिर (अ, क, ख, म)। ११8 २०० Page #989 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २८ २०५ दुपदेसियस्स ण भंते । खधस्स सेयस्स — पुच्छा । गोमा | सट्टातरं पडुच्च जहणेण एक्कं समय, उक्कोसेणं असंखेज्ज काल । परट्ठाणतर पडुच्च जहणेण एक्क समय, उक्कोसेणं प्रणतं काल || २०६ निरेयस्स केवतिय काल तर होड ? ? २०७ परमाणुपोग्गलाण भते ! सेयाण केवतिय काल तर होइ गोयमा । नत्थि ग्रतर ॥ गोयमा । सट्टाणतर पडुच्च जहण्णेण एक्क समय, उक्कोसेण ग्रावलियाए असखेज्जइभाग । परट्ठाणतर पडुच्च जहणेणं एक्क समय, उक्कोसेण ग्रणतं कालं । एव जाव प्रणतपदेसियस्स || २०८ निरेयाण केवतिय काल तर होड ? भगवई गोयमा । नत्थि तर । एवं जाव प्रणतपदेसियाण खधाण || २११ ? 。 २०६ एएसि ण भंते । परमाणुपोग्गलाण सेयाण निरेयाण य कयरे कयरेहितो ' • अप्पा वा ? वहुया वा ? तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा । सव्वत्थोवा परमाणुपोग्गला सेया, निरेया असखेज्जगुणा । एव जाव सखेज्जपदेसियाणं खधाण || २१० एएसि ण भते । प्रणतपदेसियाण खधाण सेयाणं निरेयाण य कयरे कय रेहितो ' ● अप्पा वा ? ? तुल्ला वा ? ० वहुया वा विसेसाहिया वा ? गोयमा । सव्वत्थोवा अणतपदेसिया खधा निरेया, सेया प्रणतगुणा ॥ एसि ण भते । परमाणुपोग्गलाण, सखेज्जपदेसियाण, प्रसखेज्जपदेसियाण, अणतपदेसियाण य खधाण सेयाण निरेयाण य दव्वट्टयाए, पदेसट्टयाए, दव्वठ्ठपदेसट्टयाए कयरे कयरेहितो' ग्रप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? ० विसेसाहिया वा ? गोयमा । १ सव्वत्थोवा अणतपदेसिया खधा निरेया दव्वट्टयाए २ अणतपदेसिया खधा सेया दव्वट्टयाए अणतगुणा ३ परमाणुपोग्गला सेया दव्वट्टयाए ग्रणतगुणा ४ सखेज्जपदेसिया खधा सेया दव्वट्टयाए श्रसखेज्जगुणा ५ असखेज्जपदेसिया खधा सेया दव्वट्टयाए प्रसखेज्जगुणा ६. परमाणुपोग्गला निरेया दव्वट्टयाए असखेज्जगुणा ७ सखेज्जपदेसिया खधा निरेया दव्वट्टयाए सखेज्जगुणा ८ प्रसंखेज्जपदेसिया खधा निरेया दव्वट्टयाए ग्रसखेज्जगुणा । पदेसट्टयाए एव चेव, नवर—परमाणुपोग्गला अपदेसट्टयाए भाणियव्वा । सखेज्जपदेसिया खधा निरेया पदेसट्टयाए प्रसखेज्जगुणा । सेस त चेव । दव्वटु-पदेसट्टयाए - १ सव्वत्थोवा प्रणतपदेसिया खधा निरेया दव्वट्टयाए २ ते चेव पदेसट्टयाए १. स० पा० - करेहितो जाव विमेसाहिया । २ स० पा० – कयरेहिंतो जाव विसेसाहिया । ३ स० पा० – कयरेहिंतो जाय विसेसाहिया । ४. असखेज्जगुणा (ख, ता) । Page #990 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचवीसइम मतं (चउत्यो उद्देसो) ६२६ अणतगुणा ३ अणतपदेसिया खधा सेया दव्वट्ठयाए अणतगुणा ४ ते चेव पदेस?याए अणतगुणा ५. परमाणुपोग्गला सेया दव्वट्ठ-अपदेसट्टयाए अणतगुणा ६ सखेज्जपदेसिया खधा सेया दव्वट्ठयाए असखेज्जगुणा ७ ते चेव पदेसट्टयाए असखेज्जगुणा ८ असखेज्जपदेसिया खधा सेया दव्वट्ठयाए असखेज्जगुणा ६ ते चेव पदेसट्ठयाए असखेज्जगुणा १० परमाणुपोग्गला निरेया दव्वटुअपदेसट्ठयाए असखेज्जगुणा ११. सग्वेज्जपदेसिया खधा निरेया दव्वट्ठयाए असखेज्जगुणा १२ ते चेव पदेसट्टयाए असखेज्जगुणा १३ असखेज्जपदेसिया खधा निरेया दवट्ठयाए अयखेज्जगुणा १४. ते चेव पदेसट्टयाए असखेज्ज गुणा ।। २१२. परमाणुपोग्गले ण भते । किं देसेए ? सव्वेए ? निरेए ? गोयमा | नो देसेए, सिय सव्वेए, सिय निरेए ।। २१३ दुपदेसिए ण भते । ख-पुच्छा। गोयमा | सिय देसेए, सिय सम्वेए, सिए निरेए । एव जाव' अणतपदेसिए । २१४ परमाणुपोग्गला ण भते । किं देसेया ? सव्वेया ? निरेया ? गोयमा | नो देसेया, सव्वेया वि, निरेया वि ।। २१५ दुपदेसिया ण भते । खधा-पुच्छा। गोयमा । देसेया वि, सव्वेया वि, निरेया वि । एव जाव अणतपदेसिया ॥ २१६ परमाणुपोग्गले ण भते । सव्वेए कालयो केवच्चिर होइ ? गोयमा । जहण्णण एक्क समय, उक्कोसेण प्रावलियाए असखेज्जइभाग ।। २१७ निरेए कालो केवच्चिर होइ ? गोयमा ! जहण्णेण एक्क समय, उक्कोसेण असखेज्ज काल । २१८ दुपदेसिए ण भते । खधे देसेए कालो केवच्चिर होइ ? । गोयमा । जहण्णेण एक्क समय, उक्कोसेण श्रावलियाए असखेज्जइभाग । २१६ सव्वेए कालो केवच्चिर होइ ? गोयमा | जहण्णेण एक्क समय, उक्कोसेण आवलियाए असखेज्जइभाग ।। २२० निरेए कालयो केवच्चिर होइ? ___ गोयमा | जहण्णेण एक्क समय, उक्कोसेण असखेज्ज काल । एव जाव' अणत पदेसिए॥ २२१ परमाणुपोग्गला ण भते | सव्वेया कालओ केवच्चिर होति ? गोयमा । सव्वद्ध ।। २२२ निरेया कालयो केवच्चिर होति ? सव्वद्ध ।। २२३ दुप्पदेसिया ण भते । खधा देसेया कालयो केवच्चिर होति ? सव्वद्ध ।। २२४. सव्वेया कालगो केवच्चिर होति ? सव्वद्ध ।। Page #991 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ९३० २२६ २२५. निरेया कालयो केवच्चिर होति ? सव्वद्ध । एव जाव अणतपदेसिया ।। २२६ परमाणुपोग्गलस्स ण भते । सव्वेयस्स केवतिय काल अतर होइ ? गोयमा | सट्टाणतर पडुच्च जहण्णेण एक्क समय, उक्कोसेण असखेज्ज कालं । परटाणतर पडुच्च जहण्णेण एक्क समय, उक्कोसेण एव चेव ।। २२७ निरेयस्स केवतिय काल अतर होइ ? सट्टाणतर पडुच्च जहण्णेण एक्क समय, उक्कोसेणं आवलियाए असखेज्जइ भाग । परट्ठाणतर पडुच्च जहण्णेण एक्क समयं, उक्कोसेण असखेज्ज काल ।। २२८ दुपदेसियस्स ण भते । खधस्स देसेयस्स केवतिय काल अतर होइ? सट्ठाणतर पडुच्च जहण्णेण एक्क समय, उक्कोसेण असखेज्ज कालं । परदाणतर पडुच्च जहण्णण एक्क समय, उक्कोसेण अणत काल । सव्वेयस्स केवतिय काल अतर होइ ? एव चेव जहा देसेयस्स ।। २३० निरेयस्स केवतिय काल अतरं होइ ? सदाणतर पडुच्च जहण्णेण एक्क समय, उक्कोसेण श्रावलियाए असखेज्जइभाग । परट्ठाणतर पडुच्च जहण्णेण एक्क समय, उक्कोसेण अणत काल । एव जाव अणतपदेसियस्स ।।। २३१ परमाणुपोग्गलाण भते । सव्वेयाण केवतिय काल अंतर होइ ? 'नत्थि अतर" ॥ २३२ निरेयाण केवतिय कालं अतर होइ ? नत्थि अतर ।। २३३ दुपदेसियाण भते । खधाण देसेयाण केवतिय काल अतर होइ ? नत्थि अतर ॥ २३४ सव्वेयाण केवतिय काल अतर होइ ? नत्थि अतर ।। २३५ निरेयाण केवतिय काल अंतर होइ ? नत्थि अतर । एव जाव' अणतपदेसि याण ॥ २३६ एएसि ण भते । परमाणुपोग्गलाण सव्वेयाण निरेयाण य कयरे कयरेहितो' •अप्पा वा ? बहया वा ? तुल्ला वा ? • विसेसाहिया वा ? गोयमा । सव्वत्थोवा परमाणुपोग्गला सव्वेया, निरेया असखेज्जगुणा ॥ २३७ एएसि ण भते । दुपदेसियाण खधाण देसेयाण, सव्वेयाण, निरेयाण य कयरे कयरेहितो' 'अप्पा वा ? वहुया वा ? तुल्ला वा ? ० विसेसाहिया वा ? गोयमा । सव्वत्थोवा दुपदेसिया खधा सव्वेया, देसेया असखेज्जगुणा, निरेया असखेज्जगुणा । एव जाव असखेज्जपदेसियाण खधाण ।।। २३८ एएसि ण भते | अणतपदेसियाण खधाण देसेयाणं, सव्वेयाण, निरेयाण य اس ३ स० पा०–कयरेहितो जाव विसेसाहिया। १ नत्थतर (अ, क, ख, ता, म)। २ स० पा०–कयरेहितो जाव विरोसाहिया। Page #992 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चवीसइमं सत (चउत्यो उद्देसो) ३१ ? ० वहुया वा ? कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा ? विसेसाहिया वा तुल्ला वा गोमा । सव्वत्थोवा अणतपदेसिया खधा सव्वेया, निरेया प्रणतगुणा, देसेया प्रणतगुणा ॥ ? ? २३६ एएसि ण भते । परमाणुपोग्गलाण, सखेज्जपदेसियाण प्रसखेज्जपदेसियाण अणतपदेसियाण य खधाण देसेयाण, सव्वेयाण, निरेयाण दव्वट्टयाए, पदेसट्टयाए, दव्वटु-पदेसट्टयाए कयरे कयरेहितो' अप्पा वा वा ? o विसेसाहियावा ? गोयमा । १ सव्वत्थोवा प्रणतपदेसिया खधा सव्वेया दव्वट्टयाए २ प्रणतपदेसिया खधा निरेया दव्वट्टयाए ग्रणतगुणा ३ प्रणतपदेसिया खधा देसेया दव्वट्टयाए ग्रणतगुणा ४ ग्रसखेज्जपदेसिया खधा सव्वेया दव्वट्टयाए प्रणतगुणा ५ सखेज्जपदेसिया खधा सव्वेया दव्वट्टयाए अस खेज्जगुणा ६ परमाणुपोग्गला सव्वेया दव्वट्टयाए असखेज्जगुणा ७ सखेज्जपदेसिया खधा देसेया दव्वट्टयाए श्रसखेज्जगुणा ८ ग्रसखेज्जपदेसिया खधा देसेया दव्वट्टयाए असखेज्जगुणा ६ परमाणुपोग्गला निरेया दव्वट्टयाए प्रसखेज्जगुणा १० सखेज्जपदेसिया खधा निरेया दव्वट्टयाए सखेज्जगुणा ११ सखेज्जपदेसिया खधा निरेया दव्वट्टयाए ग्रसखेज्जगुणा । पदेसट्टयाए – सव्वत्थोवा प्रणतपदेसिया । एव पदेसट्टयाए वि, नवर - परमाणुपोग्गला अपदेसट्टयाए भाणियव्वा । सखेज्जपदेसिया खधा निरेया पदेसट्टयाए असखेज्जगुणा । सेस त चेव । दव्वट्ठ-पदेसट्टयाए - १ सव्वत्थोवा ग्रणतपदेसिया खधा सव्वेया दव्वट्टयाए २ ते चेव पदेसट्टयाए प्रणतगुणा ३ प्रणतपदेसिया खधा निरेया दव्वट्टयाए प्रणतगुणा ४ ते चेव पदेसट्टयाए प्रणतगुणा ५ ग्रणतपदेसिया खधा देसेया दव्वट्टयाए प्रणतगुणा ६ ते चेव पदेसट्टयाए ग्रणतगुणा ७ असखेज्जपदेसिया खधा सव्वेया दव्वया अणतगुणा ८ ते चेव पदेसट्टयाए ग्रसखेज्जगुणा ९ सखेज्जपदेसिया खधा सव्वेया दव्वट्टयाए ग्रसखेज्जगुणा १०. ते चेव पदेसट्टयाए प्रसखेज्जगुणा' ११ परमाणुपोग्गला सव्वेया दव्वट्ट-अपदेसट्टयाए प्रसखेज्जगुणा १२ सखेज्ज - पदेसिया खधा देसेया दव्वट्टयाए प्रसखेज्जगुणा १३ ते चेव पदेसट्टयाए ग्रसखेज्जगुणा १४ ग्रसखेज्जपदेसिया खधा देसेया दव्वट्टयाए ग्रसखेज्जगुणा १५ ते चेव' पदेसट्टयाए असंखेज्जगुणा १६ परमाणुपोग्गला निरेया दव्वट्ट- प्रपदेस - याए असखेज्जगुणा १७ सखेज्जपदेसिया खधा निरेया दव्वट्टयाए सखेज्जगुणा १ स० पा० – कयरेहितो जाव विसेसाहिया । ३ सखेज्जगुणा (ता) । २ स० पा० कयरेहितो जाव विमेसाहिया । ? बहुया वा तुल्ला Page #993 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३२ भगवई १८ ते चेव पदेसट्टयाए संखेज्जगुणा १६. प्रसखेज्जपदेसिया निरेया दव्वट्टयाए असखेज्जगुणा २०. ते चेव पदेसट्टयाए प्रसखेज्जगुणा ॥ मज्भपदेसा-पदं ? 1 ? २४० कति ण भते । धम्मत्थिकायस्स मज्झपदेसा पण्णत्ता गोयमा | अट्ठ धम्मत्थिकायस्स मज्झपदेसा पण्णत्ता ॥ २४१ कति ण भते ! धम्मत्थिकायस्स मज्भपदेसा पण्णत्ता एव चेव ॥ २४२ कति ण भते । श्रागासत्थिकायस्स मज्झपदेसा पण्णत्ता ? एव चेव ।। २४३ कति ण भंते । जीवत्थिकायस्स मज्झपदेसा पण्णत्ता गोयमा ! टु जीवत्थिकायस्स मज्भपदेसा पण्णत्ता ॥ २४४. एए णं भते । ? गाहति ? ग्रटु जीवत्थिकायस्स मज्झपदेसा कतिसु आगासपदेसेसु गोयमा । जहणेण एक्कसि वा दोहि वा तीहि वा चउहि वा पर्चाहं वा छहिं वा, उक्कोसेणं ग्रट्ठसु, नो चेव ण सत्तसु ॥ २४५. सेव भते ! सेवं भते । त्ति ॥ पंचमो उद्देसो पज्जव-पदं २४६. कतिविहा ण भते ! पज्जवा पण्णत्ता ? गोयमा । दुविहा पज्जवा पण्णत्ता, तं जहा - जीवपज्जवा य, श्रजीवपज्जवा य । पज्जवपद' निरवसेस भाणियव्व जहा' पण्णवणाए || १ जीवपय ( अ ) 1 फाल-पद २४७ ग्रावलिया ण भते ! किं सखेज्जा समया ? ग्रसखेज्जा समया ? प्रणता समया ? गोयमा । नो मखेज्जा समया, प्रसखेज्जा समया, नो ग्रणता समया ॥ २४८ आणापाणू ण भंते । किं सखेज्जा० १ एव चैव ॥ २. प०५। Page #994 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पचवीसइमं सत ( पचमो उद्देसो) ६३३ २४. थोवेण भते । कि संखेज्जा० ? एव चेव । एव लवे वि, मुहुत्ते वि, एव ग्रहो - रत्ते, एव पक्खे, मासे, उऊ, ग्रयणे, सवच्छरे, जुगे, वाससए, वाससहस्से, वाससयसहस्से, पुव्वगे, पुव्वे, तुडियगे, तुडिए, अडडगे, अडडे, ग्रववगे, अववे, 'हूहूयगे, हूहूए ", उप्पलगे, उप्पले, पउमगे, पउमे, नलिणगे, नलिणे, 'अत्यनिपूरगे, ग्रत्थनिपूरे”, अजयगे, ग्रउए, नउयगे, नउए, पउयगे, पउए, चूलियगे, चूलिए, सीसपहेलियगे, सीसपहेलिया, पलिप्रोवमे, सागरोवमे, ग्रोसप्पिणी । एव उस्सप्पिणी वि || २५० पोग्गलपरियट्टे ण भते । कि सखेज्जा समया - पुच्छा । गोया । नो संखेज्जा समया, नो ग्रसखेज्जा समया, ग्रणता समया । एव तीयद्धा, ग्रणागयद्धा, सव्वद्धा ॥ २५१ ग्रावलियाओ ण भते । कि सखेज्जा समया - पुच्छा । गोयमा ! नो सखेज्जा समया, सिय सखेज्जा समया, सिय प्रणता समया ॥ २५२ प्राणापाणू ण भते । कि सखेज्जा समया० ? एव चेव || २५३ थोवा ण भते । कि सखेज्जा समया० ? एव चेव । एव जाव ग्रोसप्पिणीओ त्ति ॥ २५४ पोग्गलपरियट्टा ण भते । कि सखेज्जा समया - पुच्छा । गोमा | नो सखेज्जा समया, नो ग्रसखेज्जा समया, प्रणता समया ॥ २५५ प्राणापाणू ण भते । कि सखेज्जानो ग्रावलिया - पुच्छा । गोयमा । सखेज्जाओ ग्रावलियानो, नो ग्रसखेज्जाश्रो श्रावलियानो, नो प्रणताओ वलिया । एव थोवे वि । एव जाव सीसपहेलियति ॥ २५६ पलिग्रोवमे ण भते ! कि सखेज्जाश्रो श्रावलिया - पुच्छा । गोयमा । नो सखेज्जाओ आवलियानो, असखेज्जाओ आवलियाग्रो, नो प्रणताओ ग्रावलिया । एव सागरोवमे वि । एव ग्रोसप्पिणी वि, उस्सप्पिणी वि ॥ २५७ पोग्गलपरियट्टे – पुच्छा । गोयमा । नो सखेज्जा ग्रावलियाग्रो, नो प्रसखेज्जाश्रो प्रावलियाओ, प्रणता आवलियानो । एव जाव सव्वद्धा ॥ २५८. श्राणापाणू ण भते । किं सखेज्जाम्रो आवलियाग्रो - पुच्छा । गोयमा । सिय सखेज्जा एव जाव सीसपहेलिया || २५६ पलिश्रोवमा ण- पुच्छा । ग्रावलियाग्रो, सिय असखेज्जाम्रो, सिय अणता । १. हुहुयगे हुहुए ( अ ), हुहुयगे हूहुए (ता) | २. श्रत्थिनिभरगे अत्थिनिव्भरे ( अ ) । Page #995 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६३४ भगवई गोयमा । नो सखेज्जायो आवलियाओ, सिय असखेज्जारो आवलियारो, सिय अणतानो प्रावलियायो । एव जाव उस्सप्पिणीयो ।। २६०. पोग्गलपरियट्टा णं-पुच्छा। गोयमा । नो सखेज्जायो आवलियाओ, नो असखेज्जायो आवलियाओ, अण साम्रो प्रावलियारो॥ २६१ थोवे ण भते ! कि सखेज्जायो आणापाणो ? असखेज्जाओ० ? जहा अाव लियाए वत्तव्वया एव प्राणापाणूनो वि निरवसेसा । एव एतेण गमएण जाव सीसपहेलिया भाणियव्वा । २६२ __सागरोवमे ण भते । कि सखेज्जा पलिग्रोवमा ?-पुच्छा। गोयमा । सखेज्जा पलिओवमा, नो असखेज्जा पलिओवमा, नो अणता पलि ओवमा । एव ओसप्पिणी वि, उस्सप्पिणी वि ।। २६३ पोग्गलपरियट्टे ण-पुच्छा। गोयमा | नो सखेज्जा पलिग्रोवमा, नो असखेज्जा पलिअोवमा, अणता पलि प्रोवमा । एव जाव सव्वद्धा ॥ २६४. सागरोवमा ण भते । कि सखज्जा पलिग्रोवमा-पुच्छा। गोयमा । सिय सज्जा पलिओवमा, सिय असखेज्जा पलिअोवमा, सिय अणता पलिग्रोवमा । एव जाव प्रोसप्पिणी वि, उस्सप्पिणी वि ॥ २६५ पोग्गलपरियट्टा ण-पुच्छा। गोयमा ! नो सखेज्जा पलिग्रोवमा, नो असखेज्जा पलिग्रोवमा, अणता पलि प्रोवमा ॥ २६६ प्रोसप्पिणी ण भते । कि सखेज्जा सागरोवमा० ? जहा पलिग्रोवमस्स वत्तव्वया तहा सागरोवमस्स वि ।। पोग्गलपरियट्टे ण भते ! कि सखेज्जाम्रो प्रोसप्पिणी-उस्सप्पिणीयो-पच्छा। गोयमा | नो सखेज्जाग्रो प्रोसप्पिणि-उस्सप्पिणीयो, नो सखेज्जाऔ अोसप्पिणि-उस्सप्पिणीयो, अणताग्रो प्रोसप्पिणि-उस्सप्पिणीओ। एवं जाव सव्वद्धा ॥ २६८. पोग्गलपरियट्टा ण भते । किं सखेज्जाओ प्रोसप्पिणि-उस्सप्पिणीप्रो-पुच्छा। गोयमा । नो सखेज्जाग्रो प्रोसप्पिणि-उस्सप्पिणीग्रो, नो असखेज्जायो प्रोप्पिणि-उस्सप्पिणीयो, अणताग्रो प्रोसप्पिणि-उस्सप्पिणीयो॥ २६६ तीतद्धा ण भते । कि सखेज्जा पोग्गलपरियट्टा-पुच्छा। गोयमा नो सखेज्जा पोग्गलपरियट्टा, नो असखेज्जा पोग्गलपरियट्टा, श्रणता पोग्गलपरियट्टा । एव अणागयद्धा वि । एव सव्वद्धा वि॥ अणागयद्धा ण भते ! कि सखेज्जायो तीतद्धायो ? असखेज्जामो० ? अणंतामो०? Page #996 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पचवीस इम सत (पचमो उद्देसो) ६३५ गोयमा । नो सखेज्जाओ तीतद्धारो, नो असखेज्जायो तीतद्धाओ, नो अणतायो तीतद्धाओ। अणागयद्धा ण तीतद्धामो समयाहिया, तीतद्धा ण अणागयद्धारो समयूणा ॥ २७१ सव्वद्धा ण भते । कि सखेज्जायो तीतद्धाओ-पच्छा। गोयमा ! नो सखेज्जायो तीतद्वानो, नो असज्जायो तीतद्धाओ, नो अणतामो तीतद्धाओ। सव्वद्धा ण तीतद्धानो सातिरेगदुगुणा, तीतद्धा ण सव्वद्धाओ थोदू णए अद्ध । २७२ सव्वद्धा णं भते ! कि सखेज्जायो अणागयद्धायो-पुच्छा। गोयमा । नो सखेज्जायो अणागयद्धायो, नो असखेज्जायो अणागयद्धायो, नो अणतायो अणागयद्धायो। सव्वद्धा ण अणागयद्धाओ थोवूणगद्गुणा। अणा गयद्धा ण सव्वद्धायो सातिरेगे अद्धे ।। निगोद-पदं २७३ कतिविहा ण भते । निग्रोदा' पण्णत्ता ? गोयमा । दुविहा निरोदा पण्णत्ता, त जहा-निनोयगा य, निरोयगजीवा य ।। २७४ निग्रोदा ण भते । कतिविहा पण्णत्ता ? गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता, त जहा-सुहुमनिगोदा' य, वायरनिग्रोदा' य । एव निग्रोदा भाणियव्वा जहा जीवाभिगमे तहेव निरवसेस ।। नाम-पदं २७५ कतिविहे ण भते । नामे पण्णत्ते ? गोयमा | छबिहे नामे पण्णत्ते, त जहा- अोदइए जाव" सण्णिवाइए। २७६ से कि तं प्रोदइए नामे ? अोदइए नामे दुविहे पण्णत्ते, त जहा-उदए य, उदयनिप्फण्णे य-एव जहा सत्तरसमसए पढमे उद्देसए भावो तहेव इह वि, नवर-इम नामनाणत्त, सेस तहेव जाव' सपिणवाइए । २७७ सेव भते । सेव भते । त्ति ॥ १ नियोया (अ, ता)। २. सुहुमा नि० (ता)। ३. बातरनि° (क), बादरा नि० (ता)। ४. जी० ५।२। ५ भ १७११६ । ६. नाणत्त (अ, ख, ता, व, म, स)। ७ भ०१७।१७। Page #997 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३६ छट्ठो उद्देसो १ पण्णवण २. वेद ३. रागे, ४. कप्प ५. चरित ६. पडिसेवणा ७ नाणे । तित्ये लिंग १० सरीरे, ११ खेत्ते १२. काल २८० १३ गइ १४ सजम १५ निकासे ||१|| १६,१७ जोगुवोग १८ कसाए, १६ लेसा २० परिणाम २१ 'बध २२ वेदे य" । २६ ग्राहारे ||२|| समुग्धाय ३२ खेत्त २३ कम्मोदीरण २४ उवसपजहण्ण, २५. सण्णा य २७. भव २८ आगरिसे : २६,३०. कालतरे य ३१ भगवई ३३ फुसणा य । ३४ भावे ३५ परिमाणे' खलु, ३६, ग्रप्पावहुय नियठाण ||३|| पण्णवण-पद २७८ रायगिहे जाव एव वयासी - कति ण भते । नियठा पण्णत्ता ? गोयमा । पच नियठा पण्णत्ता, त जहा - पुलाए, बउसे, कुसीले नियठे, सिणा ॥ २७६. पुलाए ण भते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा । पचविहे पण्णत्ते, त जहा - नाणपुलाए, दसणपुलाए, चरित्तपुलाए, लिंगपुलाए, ग्रहासुहुमपुलाए नाम पचमे || उसे ण भते । कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! पचविहे पण्णत्ते, त जहा — ग्राभोगवउसे, प्रणाभोगब उसे, सवुडबउसे, असवुडबउसे, अहासुहुमवउसे नामं पचमे ॥ २८१ कुसीले भते । कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते, त जहा - पडिसेवणाकुसीले य, कसायकुसीले य ॥ २८२ पडिसेवणाकुसीले ण भते । कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा । पचविहे पण्णत्ते, त जहा - नाणपडिसेवणाकुसीले, दसणपडिसेवणाकुसीले चरित्पडिसेवणाकुसीले लिगपडिसेवणाकुसीले, ग्रहासुमपडिसेवणाकुसीले नाम पचमे । २८३. कसायकुसीले ण भते । कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! पचविहे पण्णत्ते, त जहा - नाणकसायकुसीले, दंसणकसायकुसीले, चरित्तकसायकुसीले लिगकसायकुसीले, ग्रहासुहुमकसायकुसीले नाम पचमे ॥ ३. या (ता) । १. बघणे वेदे (ता, ब ) 1 २. परिणामे (अस) । Page #998 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचवीसइम सत (छट्टो उद्देसो) २८४ नियठे ण भते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! पचविहे पण्णत्ते, त जहा - पढमसमयनियठे, अपढमसमयनियठे, चरिमसमयनियठे', ग्रच रिमसमयनियठे, ग्रहासुहुमनियठे नाम पचमे || २८५ सिणाए ण भते । कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा । पचविहे पण्णत्ते, त जहा - ग्रच्छवी, ग्रसवले, अकम्मसे, ससुद्धनाणदसणधरे अरहा जिणे केवली', ग्रपरिस्सावी' ॥ वेद-पद २८६ पुलाए ण भते । कि सवेदए होज्जा ? ग्रवेदए होज्जा ? गोयमा ! सवेदए होज्जा, नो वेदए होज्जा | २८७ जइ सवेदए होज्जा कि इत्थिवेदए होज्जा ? पुरिसवेदए होज्जा ? पुरिसनपुसग - वेदए होज्जा ? गोयमा । नो इत्थिवेदए होज्जा, पुरिसवेदए होज्जा, पुरिसनपुसगवेदए वा होज्जा | ६३७ २८८ वउसे ण भते । किं सवेदए होज्जा ? वेदए होज्जा ? गोमा । सवेदए होज्जा, नो वेदए होज्जा ॥ २८६ जइ सवेदए होज्जा कि इत्थवेदए होज्जा ? पुरिसवेदए होज्जा ? पुरिस नपुसगवेदए होज्जा ? गोमा । इत्थवेद वा होज्जा, पुरिसवेदए वा होज्जा, पुरिसनपुसगवेदए वा होज्जा । एव पडिसेवणाकुसीले वि ।। २६० कसायकुसीले ण भते । किं सवेदए - पुच्छा । गोयमा । सवेदए वा होज्जा, अवेदए वा होज्जा ॥ २९१ जइ प्रवेदए कि उवसतवेदए ? खीणवेदए होज्जा ? गोयमा । उवसतवेदए वा होज्जा, खीणवेदए वा होज्जा ॥ २१२ जइ सवेदए होज्जा कि इत्थवेदए - पुच्छा। गोमा । ति वि जहा वउसो ॥ १ चरम ० ( स ) | २. उत्तराध्ययनेषु त्वर्हन् जिन केवलीत्यय पञ्चमो भेद उक्त । अपरिश्रावीति तु नाधीतमेव, इह चावस्थाभेदेन भेदो न केनचिद् वृत्तिकृते हान्यत्र च ग्रन्थे व्याख्यातस्तत्र चैव सभावयाम - शब्दनयापेक्षयैतेषा भेदो भावनीय शक्रपुरन्दरावदिति (वृ), स्थानाङ्गवृत्ती भाष्योल्लेख पूर्वकमेतच्चचितमस्ति - निष्क्रियत्वात् सकल योगनिरोधे अपरिश्रावीति पञ्चम क्वचित्पुनरर्हन् जिन इति पञ्चम । अत्र भाष्यगाथा - च्छवि अस्सवले या, श्रकम्म ससुद्ध अरह जिणा । ३ अपरिसाती ( ता) | Page #999 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३८ २९३ नियठे ण भते । किं सवेद – पुच्छा । गोयमा ! तो सवेदए होज्जा, अवेदए होज्जा ॥ २६४. जइ अवेदए होज्जा कि उवसतवेदए -पुच्छा। भगवइ गोयमा ! उवसतवेदए वा होज्जा, खीणवेदए वा होज्जा ॥ २६५ सिणा ण भते । कि सवेदए होज्जा ०? जहा नियठे तहा सिणाए वि, नवर -नो उवसतवेदए होज्जा, खीणवेदए होज्जा | राग - पदं २९६ पुलाए ण भते । कि सरागे होज्जा ? वीतरागे होज्जा ? गोयमा । सरागे होज्जा, नो वीतरागे होज्जा । एव जाव कसायकुसीले || २९७ नियठे ण भते । किं सरागे होज्जा -पुच्छा। गोयमा । नो सरागे होज्जा, वीतरागे होज्जा ॥ २६८ जइ वीतरागे होज्जा कि उवसतकसायवीतरागे होज्जा ? खीणकसायवीतरागे होज्जा ? गोयमा ' उवसतकसायवीतरागे वा होज्जा, खीणकसायवीतरागे वा होज्जा । सिणाए एव चेव, नवर - नो उवसतकसायवीतरागे होज्जा, खीणकसायवीतरागे होज्जा ॥ कप्प-पद २६६ पुलाए ण भते । कि ठियकप्पे होज्जा ? अट्टिकप्पे होज्जा ? गोयमा । ठियकप्पे वा होज्जा, अट्ठियकप्पे वा होज्जा । एव जाव सिणाए । ३०० पुलाए ण भते ! कि जिणकप्पे होज्जा ? थेरकप्पे होज्जा ? कप्पातीते होज्जा ? गोयमा । नो जिणकप्पे होज्जा, थेरकप्पे होज्जा, नो कप्पातीते होज्जा ॥ ३०१ वउसे ण - पुच्छा । गोयमा ! जिणकप्पे वा होज्जा, थेरकप्पे वा होज्जा, नो कप्पातीते होज्जा । एव पडिसेवणाकुसीले वि ॥ ३०२. कसायकुसीले ण - पुच्छा | गोयमा । जिणकप्पे वा होज्जा, थेरकप्पे वा होज्जा, कप्पातीते वा होज्जा ॥ नियठे ण - पुच्छा । गोयमा । नो जिणकप्पे होज्जा, नो थेरकप्पे होज्जा, कप्पातीते होज्जा । एव सिणाए वि ।। ३०३ चरित-पदं ३०४ पुलाए णं भते । कि सामाइयसंजमे होज्जा ? छेप्रोवट्ठावणियसजमे होज्जा ? परिहारविमुद्धियसजमे होज्जा ? सुहुमसप रागसंजमे होज्जा ? ग्रहक्खायसंजमे होज्जा ? Page #1000 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६३६ पचवीस इम सत (छट्ठो उद्देमो) गोयमा । सामाइयसजमे वा होज्जा, छेनोवट्ठावणियसजमे वा होज्जा, नो परिहारविमुद्धियसंजमे होज्जा, नो सुहुमसपरागसजमे होज्जा, नो अहक्खाय सजमे होज्जा । एव बउसे वि । एव पडिसेवणाकुसीले वि ॥ ३०५ कसायकुसीले ण-पुच्छा।। गोयमा | सामाइयसजमे वा होज्जा जाव सुहुमसपरागसजमे वा होज्जा, नो अहक्खायसजमे होज्जा ।। ३०६ नियठे ण-पुच्छा। गोयमा | नो सामाइयसजमे होज्जा जाव नो सुहुमसपरागसजमे होज्जा, अहवखायसजमे होज्जा । एव सिणाए वि ।। पडिसेवणा-पदं ३०७ पुलाए ण भते । कि पडिसेवए होज्जा ? अपडिसेवए होज्जा ? गोयमा । पडिसेवए होज्जा, नो अपडिसेवए होज्जा ।। ३०८ जइ पडिमेवए होज्जा कि मूलगुणपडिसेवए होज्जा ? उत्तरगुणपडिसेवए होज्जा? गोयमा । मूलगुणपडिसेवए वा होज्जा, उत्तरगुणपडिसेवए वा होज्जा। 'मूलगुणे पडिसेवमाणे" पचण्ह आसवाण अण्णयर पडिसेवेज्जा, 'उत्तरगुणे पडिसेवमाणे'' दसविहस्स पच्चक्खाणस्स अण्णयर पडिसेवेज्जा ॥ ३०६ वउसे ण-पुच्छा । गोयमा ! पडिसेवए होज्जा, नो अपडिसेवए होज्जा ॥ ३१० जइ पडिसेवए होज्जा कि मूलगुणपडिसेवए होज्जा ? उत्तरगुणपडिसेवए होज्जा? गोयमा | नो मूलगुणपडिसेवए होज्जा, उत्तरगुणपडिसेवए होज्जा। उत्तरगुणे पडिसेवमाणे दसविहस्स पच्चक्खाणस्स अण्णयर पडिसेवेज्जा। पडिसेवणा कुसीले जहा पुलाए । ३११ कसायकुसीले ण-पुच्छा । गोयमा | नो पडिसेवए होज्जा, अपडिसेवए होज्जा । एव नियठे' वि । एव सिणाए वि ।। नाण-पद ३१२ पुलाए ण भते । कतिसु नाणेसु होज्जा ? गोयमा । दोसु वा तिसु वा होज्जा । दोसु होमाणे दोसु आभिणिबोहियनाण१. मूलगुणपडि° (क, म), ३ निग्गथे (स)। २ उत्तरगुणपडि° (अ, ख, व, म) । Page #1001 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६४० भगवई सुवनाणेमु होज्जा, तिमु होमाणे तिसु ग्राभिणिवोहियनाण सुयनाण ओहिनाणेसु होज्जा । एव उसे वि । एवं पडिसेवणाकुसीले वि ।। ३१३ कसायकुसीले ण - पुच्छा । गोयमा । दोसु वा तिसु वा चउसु वा होज्जा । दोसु होमाणे दोसु ग्राभिणिबोहियना - नुयनाणेसु होज्जा, तिसु होमाणे तिसु ग्राभिणिवोहियनाण- सुयनाणग्रोहिनाणेसु होज्जा, ग्रहवा तिसु होमाणे आभिणिवोहियनाण- सुयनाणमणपज्जवनाणेसु होज्जा, चउसु होमाणे चउसु ग्राभिणिवोहियनाण- सुयनाणग्रोहिनाण-मणपज्जवनाणेसु होज्जा । एव नियठे वि ॥ ३१४ सिणाए ण -- पुच्छा | गोयमा । एगम्मि केवलनाणे होज्जा ॥ ३१५ पुलाए ण भते ! केवतिय सुय हिज्जेज्जा ? गोयमा ! जहण्णेण नवमस्स पुव्वस्स ततिय प्रायारवत्थु, पुव्वाइ ग्रहिज्जेज्जा ॥ ३१६. वडसे - पुच्छा । गोयमा । जहणेण श्रट्ट पवयणमायाग्रो, उक्कोसेण दस पुव्वाइं ग्रहिज्जेज्जा । एव पडिसेवणाकुसीले वि ॥ ३१७ कसायकुसीले – पुच्छा । गोयमा ' जहणेण श्रट्ट पवयणमायाग्रो, उक्कोसेण चोद्दस पुब्वाइ हिज्जेज्जा । एव नियठे वि ॥ ३१८ सिणाए - पुच्छा । गोयमा । सुयवतिरित्ते होज्जा ॥ उक्कोसेण नव तित्य-पद ३१९. पुलाए ण भते । किं तित्ये होज्जा ? अतित्थे होज्जा ? गोयमा ! तित्ये होज्जा, नो ग्रतित्थे होज्जा । एव वउसे वि । एव पडिसेवणाकुसीने वि || ३२०. कसायकुसीले - पुच्छा । गोमा ! तित्थे वा होज्जा, ग्रतित्थे वा होज्जा ॥ ३२१. जड प्रतित्ये होज्जा कि तित्थकरे होज्जा ? पत्तेयबुद्धे होज्जा ? गोयमा ! तित्थकरे वा होज्जा, पत्तेयबुद्धे वा होज्जा । एवं नियठे वि । एव मिणाए वि ॥ लिंग-पदं ३२२. पुलाए भते । किं मलिंगे होज्जा ? अण्णलिंगे होज्जा ? गिहिलिंगे होज्जा ? Page #1002 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९४१ पचवीमइमं सत (छट्ठो उद्देसो) गोयमा | दवलिंग पडुच्च सलिगे वा होज्जा, अण्णलिंगे वा होज्जा, गिहिलिंगे वा होज्जा । भावलिंगं पडुच्च नियम सलिगे होज्जा । एव जाव सिणाए । सरीर-पदं ३२३ पुलाए ण भते । कतिसु सरीरेसु होज्जा ? गोयमा ! तिसु ओरालिय-तेया-कम्मएसु होज्जा ।। ३२४ वउसे ण भते । -पुच्छा। गोयमा । तिसु वा चउसु वा होज्जा। तिसु होमाणे तिसु ओरालिय-तेयाकम्मएसु होज्जा, चउसु होमाणे चउसु प्रोरालिय-वेउव्विय-तेया-कम्मएसु होज्जा । एव पडिसेवणाकुसीले वि ।। ३२५ कसायकुसीले-पुच्छा। गोयमा । तिसु वा चउसु वा पचमु वा होज्जा । तिसु होमाणे तिमु ओरालियतेया-कम्मएसु होज्जा, चउसु होमाणे चउसु ओरालिय-वेउव्विय-तेया-कम्मएसु होज्जा, पचसु होमाणे पचमु ओरालिय-वेउव्विय-पाहारग-तेया-कम्मएसु होज्जा । नियठो सिणाओ य जहा पुलायो ।। खेत्त-पद ३२६. पुलाए ण भते ! कि कम्मभूमीए होज्जा ? अकम्मभूमीए होज्जा ? गोयमा | जम्मण-सतिभाव पडुच्च कम्मभूमीए होज्जा, णो अकम्मभूमीए होज्जा ॥ ३२७ वउसे ण-पुच्छा। गोयमा । जम्मण-सतिभाव पडुच्च कम्मभूमीए होज्जा, नो अकम्मभूमीए होज्जा । साहरण पडुच्च कम्मभूमीए वा होज्जा, अकम्मभूमीए वा होज्जा। एव जाव सिणाए। काल-पद ३२८ पुलाए ण भते । किं प्रोसप्पिणिकाले होज्जा ? उस्सप्पिणिकाले होज्जा ? नोप्रोसप्पिणि-नोउस्सप्पिणिकाले वा होज्जा ? गोयमा | अोसप्पिणिकाले वा होज्जा, उस्सप्पिणिकाले वा होज्जा, नोग्रोस प्पिणि-नोउस्सप्पिणिकाले वा होज्जा ।। ३२६ जइ अोसप्पिणिकाले होज्जा कि सुसमसुसमाकाले होज्जा ? सुसमाकाले होज्जा ? सुसमदुस्समाकाले' होज्जा ? दुस्समसुसमाकाले होज्जा ? दुस्समाकाले होज्जा ? दुस्समदुस्समाकाले होज्जा ? १. तेय (अ)। २ °दुसमाकाले (अ, ता, म) । Page #1003 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३३० ६४२ भगवई गोयमा ! जम्मण पडुच्च नो सुसमसुसमाकाले होज्जा, नो सुसमाकाले होज्जा, सुसमदुस्समाकाले वा होज्जा, दुस्समसुसमाकाले वा होज्जा, नो दुस्समाकाले होज्जा, नो दुस्समदुस्समाकाले होज्जा। सतिभाव पडुच्च नो सुसमसुसमाकाले होज्जा, नो सुसमाकाले होज्जा, सुसमदुस्समाकाले वा होज्जा, दुस्समसुसमाकाले वा होज्जा, दुस्समाकाले वा होज्जा, नो दुस्समदुस्समाकाले होज्जा॥ जइ उस्सप्पिणिकाले होज्जा किं दुस्समदुस्समाकाले होज्जा ? दुस्समाकाले होज्जा ? दुस्समसमाकाले होज्जा ? सुसमदुस्समाकाले होज्जा ? सुसमाकाले होज्जा ? सुसमसुसमाकाले होज्जा? गोयमा । जम्मण पडुच्च नो दुस्समदुस्समाकाले होज्जा, दुस्समाकाले वा होज्जा, दुस्समसुसमाकाले वा होज्जा, सुसमदुस्समाकाले वा होज्जा, नो सुसमाकाले होज्जा, नो सुसमसुसमाकाले होज्जा । संतिभाव पडुच्च नो दुस्समदुस्समाकाले होज्जा, नो दुस्समाकाले होज्जा, दुस्समसुसमाकाले वा होज्जा, सुसमदुस्समाकाले वा होज्जा, नो सुसमाकाले होज्जा, नो सुसमसुसमाकाले होज्जा ॥ ३३१ जइ नोप्रोसप्पिणि-नोउस्सप्पिणिकाले होज्जा किं सुसमसुसमापलिभागे होज्जा ? सुसमापलिभागे होज्जा ? सुसमदुस्समापलिभागे होज्जा ? दुस्समसुसमापलिभागे होज्जा? गोयमा । जम्मण-सतिभाव पडुच्च नो सुसमसुसमापलिभागे होज्जा, नो सूसमापलिभागे होज्जा, नो सुसमदुस्समापलिभागे होज्जा, दुस्समसुसमापलिभागे होज्जा ॥ ३३२ वउसे ण-पुच्छा। गोयमा | प्रोसप्पिणिकाले वा होज्जा, उस्सप्पिणिकाले वा होज्जा, नोप्रोस प्पिणि-नोउस्सप्पिणिकाले वा होज्जा ।। ૩ ૩૩ जइ प्रोसप्पिणिकाले होज्जा किं सुसमसुसमाकाले होज्जा-पुच्छा। गोयमा । जम्मण-सतिभाव पडुच्च नो सुसमसुसमाकाले होज्जा, नो सुसमाकाले होज्जा। सुसमदुस्समाकाले वा होज्जा, दुस्समसुसमाकाले वा होज्जा, दुस्समाकाले वा होज्जा, नो दुस्समदुस्समाकाले होज्जा । साहरण पडुच्च अण्ण यरे समाकाले होज्जा ॥ ३३४ जइ उस्मप्पिणिकाले होज्जा किं दुस्समदुस्समाकाले होज्जा - पुच्छा । गोयमा | जम्मण पडुच्च नो दुस्समदुस्समाकाले होज्जा जहेव पुलाए । सति १. नम्म ° (अ, या, यि, ना, म)। Page #1004 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पचवीसइम सत (छट्ठो उद्देसो) ९४३ भाव पडुच्च नो दुस्समदुस्समाकाले होज्जा, नो दुस्समाकाले होज्जा। एव सतिभावेण वि जहा पुलाए जाव नो सुसमसुसमाकाले होज्जा । साहरण पडुच्च अण्णयरे समाकाले होज्जा ।। जइ नोयोसप्पिणि-नोउस्सप्पिणिकाले होज्जा-पुच्छा। गोयमा । जम्मण-सतिभाव पडुच्च नो सुसमसुसमापलिभागे होज्जा जहेव पुलाए जाव दुस्सममुसमापलिभागे होज्जा । साहरण पडुच्च अण्णयरे पलिभागे होज्जा। जहा वउसे । एव पडिसेवणाकुसीले वि। एव कसायकुसीले वि । नियठो सिणाओ य जहा पुलायो, नवर-एतेसि अमहिय साहरण भाणियव्व । सेस तं चेव ॥ गति-पद ३३६ पुलाए ण भते | कालगए समाणे क' गति गच्छति ? गोयमा । देवगतिं गच्छति ।। ३३७ देवगति गच्छमाणे कि भवणवासीसु उववज्जेज्जा? वाणमतरेसु उववज्जेज्जा? जोइसिएसु उववज्जेज्जा ? वेमाणिएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा | नो भवणवासीसु, नो वाणमतरेसु, नो जोइसिएसु, वेमाणिएसु उववज्जेज्जा । वेमाणिएसु उववज्जमाणे जहण्णेण सोहम्मे कप्पे, उक्कोसेण सहस्सारे कप्पे उववज्जेज्जा । बउसे ण एव चेव, नवर-उक्कोसेण अच्चुए कप्पे । पडिसेवणाकुसीले जहा बउसे । कसायकुसीले जहा पुलाए, नवर - उक्कोसेण अणुत्तरविमाणेसु उववज्जेज्जा । नियठे ण एव चेव जाव वेमाणिएसु उववज्ज माणे अजहण्णमणुक्कोसेण अणुत्तरविमाणेसु उववज्जेज्जा ।। ३३८ सिणाए ण भते । कालगए समाणे क गतिं गच्छइ ? गोयमा | सिद्धिगति गच्छड ॥ ३३६ पुलाए ण भते । देवेसु उववज्जमाणे किं इदत्ताए उववज्जेज्जा ? सामाणिय त्ताए उववज्जेज्जा ? तावत्तीसाए' उववज्जेज्जा ? लोगपालत्ताए उववज्जेज्जा? अहमिंदत्ताए' उववज्जेज्जा? गोयमा | अविराहण पडुच्च इदत्ताए उववज्जेज्जा, सामाणियत्ताए उववज्जेज्जा, तावत्तीसाए उववज्जेज्जा, लोगपालत्ताए उववज्जेज्जा, नो अहमिदत्ताए उववज्जेज्जा। विराहण पडुच्च अण्णयरेसु उववज्जेज्जा। एव बउसे वि । एव पडिसेवणाकुसीले वि ।। ३४० कसायकुसीले-पुच्छा । १ किं (अ, स)। २ तावत्तीसगत्ताए (ता)। ३ अहमिंदत्ताए वा (स)। ४ भवनपत्यादीनामन्यतरेपु देवेषु (वृ)। Page #1005 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ६४४ गोयमा । अविराहण पडुच्च इदत्ताए वा उववज्जेज्जा जाव अहमिदत्ताए वा उववज्जेज्जा । विराहणं पडुच्च अण्णयरेसु उववज्जेज्जा ॥ ३४१ नियठे-पुच्छा। गोयमा । अविराहण पडुच्च नो इदत्ताए उववज्जेज्जा जाव नो लोगपालत्ताए उववज्जेज्जा, अहमिंदत्ताए उववज्जेज्जा। विराहण पडुच्च अण्णयरेसु उवव ज्जेज्जा ॥ ३४२. पुलायस्स ण भते । देवलोगेसु उववज्जमाणस्स केवतिय काल ठिती पण्णत्ता ? गोयमा | जहण्णण पलिओवमपुहत्त, उक्कोसेण अट्ठारस सागरोवमाइ ॥ , ३४३ वउसस्स–पुच्छा। गोयमा | जहण्णेण पलिअोवमपुहत्त, उक्कोसेण वावीस सागरोवमाइ । एव पडिसेवणाकुसीलस्स वि ॥ ३४४ कसायकुसीलस्स-पुच्छा । गोयमा | जहणेण पलिग्रोवमपुहत्त, उक्कोसेण तेत्तीस सागरोवमाइं ।। ३४५. नियठस्स-पुच्छा । गोयमा ! अजहण्णमणक्कोसेण तेत्तीसं सागरोवमाइ ॥ संजमट्ठाण-पदं ३४६ पुलागस्स णं भते । केवतिया सजमट्ठाणा पण्णत्ता ? गोयमा ! असखेज्जा संजमट्ठाणा पण्णत्ता । एव जाव कसायकुसीलस्स ।। ३४७ नियठस्स ण भते । केवतिया सजमट्ठाणा पण्णत्ता? . गोयमा । एगे अजहण्णमणुक्कोसए सजमट्ठाणे । एव सिणायस्स वि ।। ३४८ एतेसि ण भते । पुलाग-बउस-पडिसेवणा-कसायकुसील-नियठ-सिणायाण सजम टाणाण कयरे कयरेहितो' 'अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? • विपेसाहिया वा? गोयमा । सव्वत्थोवे नियठस्स सिणायस्स य एगे अजहण्णमणुक्कोसए सजमट्ठाणे । पुलागस्स ण सजमट्ठाणा असखेज्जगुणा । बउसस्स सजमट्ठाणा असखेज्जगुणा । पडिसेवणाकुसीलस्स सजमट्ठाणा असखेज्जगुणा । कसायकुसी लस्स सजमट्ठाणा असखेज्जगुणा ।। निगास-पदं ३४६ पुलागस्स ण भते । केवतिया चरित्तपज्जवा पण्णत्ता ? गोयमा । अणता चरित्तपज्जवा पण्णत्ता । एव जाव सिणायस्स ।। १. म० पा०-कयरेहितो जाव विमेमाहिया । Page #1006 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६४५ ३५१ पंचवीसइम सत (छट्ठो उद्देसो) ३५०. पुलाए णं भते । पुलागस्स सट्ठाणसण्णिगासेणं चरित्तपज्जवेहिं किं हीणे ? तुल्ले ? अभहिए? गोयमा । सिय हीणे, सिय तुल्ले, सिय अब्भहिए। जइ हीणे अणतभागहीणे वा, असखेज्जइभागहीणे वा, सखेज्जइभागहीणे वा, सखेज्जगुणहीणे वा, असखेज्जगुणहीणे वा, अणतगुणहीणे वा । अह अब्भहिए अणतभागमभहिए वा, असखेज्जइभागमभहिए वा, सखेज्जभागमभहिए वा, सखेज्जगुणमन्भहिए वा, असखेज्जगुणमभहिए वा, अणतगुणमब्भहिए वा ॥ पुलाए ण भते । वउसस्स परढाणसण्णिगासेण चरित्तपज्जवेहिं कि हीणे? तुल्ले ? अन्भहिए ? गोयमा । हीणे, नो तुल्ले, नो अब्भहिए, अणतगुणहीणे । एव पडिसेवणाकुसीलस्स वि । कसायकुसीलेण समं छट्ठाणवडिए जहेव सट्ठाणे । नियठस्स जहा वउसस्स । एव सिणायस्स वि ॥ ३५२ बउसे ण भते । पुलागस्स परट्ठाणसण्णिगासेण चरित्तपज्जवेहिं किं हीणे ? तुल्ले ? अभिहिए ? गोयमा | नो हीणे, नो तुल्ले, अभहिए-अणतगुणमब्भहिए । ३५३ बउसे णं भते । बउसस्स सट्टाणसण्णिगासेण चरित्तपज्जवेहिं-पुच्छा। गोयमा | सिय हीणे, सिय तुल्ने, सिय अभहिए । जइ हीणे छट्ठाणवडिए । ३५४ वउसे ण भते । पडिसेवणाकुसीलस्स परट्ठाणसण्णिगासेण चरित्तपज्जवेहि कि हीणे० ? छट्ठाणवडिए । एव कसायकुसीलस्स वि ।।। ३५५ बउसे णं भते । नियठस्स परढाणसण्णिगासेण चरित्तपज्जवेहिं--पुच्छा। गोयमा । हीणे, नो तुल्ले, नो अब्भहिए, अणत गुणहीणे । एव सिणायस्स वि । पडिसेवणाकुसीलस्स एव चेव बउसवत्तव्वया भाणियव्वा । कसायकुसीलस्स एस चेव वउसवत्तव्वया, नवर-पुलाएण वि सम छट्ठाणवडिए॥ ३५६ नियठे ण भते । पुलागस्स परट्ठाणसण्णिगासेण चरित्तपज्जवेहिं-पुच्छा। १. वृत्तौ असद्भावस्थापनया पटस्थानपतितमेतद् उदाहृतमस्ति अधिक १ अनन्तभागहीन १०००० १६०० २. असख्यातभागहीन १०००० १८०० ३ सख्यातभागहीन १०००० १००० ४ सख्यातगुणहीन १०००० १००० ५ असख्यातगुणहीन १०००० २०० ६ अनन्तगुणहीन १०००० १०० १ अनन्तभागअधिक ६६०० २ असख्यातभागअधिक ९८०० ३ सख्यातभागअधिक ६००० ४ सख्यातगुणअधिक १००० ५ असख्यातगुणअधिक २०० ६ अनन्तगुणअधिक १०० । १०००० १०००० १०००० १०००० १०००० १०००० Page #1007 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९४६ भगवई गोयमा ! नो हीणे, नो तुल्ले, अभहिए-अणतगुणमभहिए। एव जाव कसायकुसीलस्स ॥ ३५७. नियठे ण भते । नियठस्स सटाणसण्णिगासेणं- पुच्छा। गोयमा ! नो हीणे, तुल्ले, नो अन्भहिए॥ ३५८ नियंठस्स ण भते । सिणायस्स परट्टाणसण्णिगासेण-पुच्छा। गोयमा | नो हीणे, तुल्ले, नो अब्भहिए ॥ ३५६ सिणाए ण भते ! पुलागस्स परट्ठाणसण्णिगासेण चरित्तपज्जवेहि -पुच्छा। गोयमा | नो हीणे, नो तुल्ले, अन्भहिए-अणतगुणमभहिए। एव जाव कसायकुसीलस्स। ३६० सिणाए ण भते ! नियठस्स परट्ठाणसण्णिगासेणं-पुच्छा। गोयमा | नो हीणे, तुल्ले, नो अभहिए ° ॥ ३६१ सिणाए ण भते । सिणायस्स सट्ठाणसण्णिगासेणं-पुच्छा। गोयमा | नो हीणे, तुल्ले, नो अब्भहिए ॥ एएसि णं भते । पुलाग-वउस-पडिसेवणाकुसील-कसायकुसील-नियंठ-सिणायाण जहण्णुक्कोसगाण चरित्तपज्जवाण कयरे कयरेहितो' प्रप्पा वा ? वहया वा ? तुल्ला वा ? • विसेसाहिया वा ? गोयमा ! १. पुलागस्स कसायकुसीलस्स य एएसि णं जहण्णगा चरित्तपज्जवा दोण्ह वि तुल्ला सव्वत्थोवा २. पुलागस्स उक्कोसगा चरित्तपज्जवा अणंतगुणा ३. वउसस्स पडिसेवणाकुसोलस्स य एएसि ण जहण्णगा चरित्तपज्जवा दोण्ह वि तुल्ला अणतगुणा ४. वउसस्स उक्कोसगा चरित्तपज्जवा अणतगुणा ५ पडिसेवणाकुसीलस्स उक्कोसगा चरित्तपज्जवा अणंतगुणा ६ कसायकूसीलस्स उक्कोसगा चरित्तपज्जवा अणतगुणा ७ नियठस्स सिणायस्स य एतेसि ण अजहण्णमणुक्कोसगा चरित्तपज्जवा दोण्ह वि तुल्ला अणतगुणा ॥ जोग-पद ३६३ पुलाए ण भते । कि सजोगी होज्जा ? अजोगी होज्जा ? गोयमा | सजोगी होज्जा, नो अजोगी होज्जा ॥ ३६४ जइ सजोगी होज्जा किं मणजोगी होज्जा ? वइजोगी होज्जा ? कायजोगी होज्जा? गोयमा | मणजोगी वा होज्जा, वइजोगी वा होज्जा, कायजोगी वा होज्जा। एव जाव नियठे॥ १. स० पा०--एव सिणायस्स वि। तहा सिणायस्स वि भाणियव्वा जाव सिणाए। २. म० पा०-एवं जहा नियंठस्स वत्तव्वया ३. म० पा०—कयरेहितो जाव विसेसाहिया। Page #1008 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पचवीसइमं सतं (छट्टो उद्देसो) ३६५ सिणाए णं - पुच्छा । गोयमा । सजोगी वा होज्जा, जोगी वा होज्जा । जइ सजोगी होज्जा कि मणजोगी होज्जा - सेस जहा पुलागस्स ॥ उवओग-पदं ३६६ पुलाए ण भते । किं सागारोवउत्ते होज्जा ? प्रणागारोवउत्ते होज्जा ? गोयमा । सागारोवउत्ते वा होज्जा, प्रणागारोवउत्ते वा होज्जा । एव जाव सिणाए । कसाय-पदं ३६७ पुलाए ण भते । सकसायी होज्जा ? कसायी होज्जा ? गोयमा । सकसायी होज्जा, नो ग्रकसायी होज्जा ।। ३६८ जइ सकसायी होज्जा, से ण भते । कतिसु कसाएसु होज्जा ? गोयमा । चउसु कोह- माण- माया-लोभेसु होज्जा । एव बउसे वि । एव डिसेवणाकुसीले वि ॥ ३६६ कसायकुसीले ण - पुच्छा । ३७० गोयमा । सकसायी होज्जा, नो अकसायी होज्जा ॥ जइ सकसायी होज्जा, से ण भते । कतिसु कसा सु होज्जा ? I गोयमा । चउसु वा तिसु वा दोसु वा एगम्मि वा होज्जा । चउसु होमाणे चउसु सजलणकोह-माण - माया-लोभेसु होज्जा, तिसु होमाणे तिसु सजलणमाणमाया-लोभेसु होज्जा, दोसु होमाणे सजलणमाया-लोभेसु होज्जा, एगम्मि होमाणे सजलणलोभे होज्जा ॥ ३७१ नियठे ण - पुच्छा। ६४७ गोयमा । नो सकसायी होज्जा, कसायी होज्जा ॥ ३७२ जइ कसायी होज्जा किं उवसतकसायी होज्जा ? खोणकसायी होज्जा ? गोयमा । उवसतकसायी वा होज्जा, खीणकसायी वा होज्जा । सिणाए एव चेव, नवर-नो उवसतकसायी होज्जा, खोणकसायी होज्जा | 1 लेस्सा-पदं ३७३ पुलाए ण भते । कि सलेस्से होज्जा ? ग्रलेस्से होज्जा ? गोयमा । सलेस्सो होज्जा, नो अलेस्से होज्जा ॥ ३७४. जइ सलेस्से होज्जा, से ण भते । कतिसु लेस्सासु होज्जा ? गोयमा | तिसु विसुद्ध लेस्सासु होज्जा, त जहा - तेउलेस्साए, पम्हलेस्साए, सुक्कलेस्साए । एव वउसस्स वि । एव पडिसेवणाकुसीले वि ।। ३७५ कसायकुसीले - पुच्छा । गोयमा । सलेस्से होज्जा, नो अलेस्से होज्जा ॥ Page #1009 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९४८ भगवई ३७६. जइ सलेस्से होज्जा, से ण भते । कतिसु लेस्सासु होज्जा ? गोयमा ! छसु लेस्सासु होज्जा, त जहा-कण्हलेस्साए जाव सुक्कलेस्साए । ३७७ नियठे ण भते । -पुच्छा। गोयमा । सलेस्से होज्जा, नो अलेस्से होज्जा ।। ३७८. जइ सलेस्से होज्जा, से ण भते । कतिसु लेस्सासु होज्जा ? गोयमा | एक्काए सुक्कलेस्साए होज्जा ॥ ३७६ सिणाए-पुच्छा। गोयमा | सलेस्से वा होज्जा, अलेस्से वा होज्जा । ३८० जइ सलेस्से होज्जा, से ण भते ! कतिसु लेस्सासु होज्जा ? गोयमा । एगाए परमसुक्कलेस्साए होज्जा ।। परिणाम-पदं ३८१ पुलाए ण भते ! किं वड्ढमाणपरिणामे होज्जा ? हायमाणपरिणामे' होज्जा ? अवट्ठियपरिणामे होज्जा ? गोयमा ! वड्ढमाणपरिणामे वा होज्जा, हायमाणपरिणामे वा होज्जा, अवटियपरिणामे वा होज्जा । एव जाव कसायकुसोले ॥ ३८२ नियंठे ण-पुच्छा। गोयमा ! वड्ढमाणपरिणामे होज्जा, नो हायमाणपरिणामे होज्जा, अवट्ठिय परिणामे वा होज्जा । एव सिणाए वि ॥ ३८३. पुलाए ण भते | केवतिय काल वड्ढमाणपरिणामे होज्जा ? गोयमा | जहण्णण एक्क समय, उक्कोसेण अंतोमुहुत्त ।। ३८४ केवतिय काल हायमाणपरिणामे होज्जा । गोयमा । जहण्णेणं एक्क समय, उक्कोसेण अतोमुहत्त ॥ ३८५ केवतिय काल अवट्ठियपरिणामे होज्जा ? गोयमा ! जहण्णेण एक्कं समय, उक्कोसेण सत्त समया। एव जाव कसायकुसीले ॥ ३८६ नियठे ण भते ! केवतियं काल वड्ढमाणपरिणामे होज्जा ? गोयमा । जहण्णण अतोमुहुत्त, उक्कोसेण वि अतोमुहुत्त ॥ ३८७. केवतिय काल अवट्ठियपरिणामे होज्जा ? गोयमा । जहण्णेण एक्क समय, उक्कोसेण अतोमुहत्त । ३८८ सिणाए ण भते । केवतिय काल वड्ढमाणपरिणामे होज्जा ? गोयमा ! 'जहण्णेण वि'' अतोमुहुत्त, उक्कोसेण वि अतोमुत्त ॥ १. हीयमाण ° (म, स)। २ जहणणं (अ क ख. व, म, स)। Page #1010 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पचवीसइम सत (8ो उद्देसो) ६४६ ३८६. केवतियं काल अवट्ठियपरिणामे होज्जा ? ___गोयमा । जहण्णेण अतोमुहत्त, उक्कोसेण देसूणा पुव्वकोडी।। बंध-पदं ३६० पुलाए ण भते । कति कम्मप्पगडीओ बधति ? गोयमा । अाउयवज्जायो सत्त कम्मप्पगडीयो बधति ।। ३६१ वउसे-पुच्छा। गोयमा । सत्तविहबधए वा, अट्ठविहबधए वा । सत्त बधमाणे आउयवज्जाओ सत्त कम्मप्पगडीयो बधति, अट्ठ बधमाणे पडिपुण्णायो अट्ठ कम्मप्पगडीओ वधति । एव पडिसेवणाकुसीले वि ।। ३६२. कसायकुसीले पुच्छा। गोयमा । सत्तविहबधए वा, अदविहवधए वा, छव्विहबधए वा । सत्त बधमाणे आउयवज्जानो सत्त कम्मप्पगडीओ बधति, अट्ठ बधमाणे पडिपुण्णाश्रो अट्ट कम्मप्पगडीयो वघति, छ बधमाणे आउय-मोहणिज्जवज्जाओ छक्कम्मप्पग डीओ बधति ।। ३६३ नियठे ण-पुच्छा। गोयमा । एग वेयणिज्ज कम्मं बधइ॥ ३६४ सिणाए-पुच्छा। गोयमा | एगविहवधए वा, अवधए वा। एग बधमाणे एग वेयणिज्ज कम्म बधइ।। वेदण-पदं ३६५ पुलाए ण भते । कति कम्मप्पगडीओ वेदेइ ? गोयमा । नियम अट्ठ कम्मप्पगडीओ वेदेइ । एव जाव कसायकुसीले ॥ ३६६ नियठे ण-पुच्छा। गोयमा । मोहणिज्जवज्जाबो सत्त कम्मप्पगडीयो वेदेइ ।। ३९७ सिणाए ण-पुच्छा। गोयमा । वेयणिज्ज-पाउय-नाम-गोयानो चत्तारि कम्मप्पगडीअो वेदेइ ॥ उदीरणा-पदं ३९८ पुलाए ण भते ! कति कम्मप्पगडीओ उदीरेति ? गोयमा । पाउय-वेयणिज्जवज्जासो छ कम्मप्पगडीओ उदीरेति ॥ ३९६ बउसे-पुच्छा। Page #1011 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६५० भगवई गोयमा ! सत्तविहउदीरए वा, अट्ठविहउदीरए वा, छव्विहउदीरए वा । सत्त उदीरेमाणे आउयवज्जानो सत्त कम्मप्पगडीओ उदीरेति, अट्ट उदीरेमाणे पडिपुण्णायो अट्ठ कम्मप्पगडीयो उदीरेति, छ उदीरेमाणे आउय-वेयणिज्ज वज्जायो छ कम्मप्पगडीयो उदीरेति । पडिसेवणाकुसीले एव चेव ।। ४०० कसायकुसीले-पुच्छा। गोयमा । सत्तविहउदीरए वा, अट्टविहउदीरए वा, छविहउदीरए वा, पचविहउदीरए वा। सत्त उदीरेमाणे अाउयवज्जानो सत्त कम्मप्पगडीयो उदीरेति, अट्ठ उदीरेमाणे पडिपुण्णासो अट्ट कम्मप्पगडीअो उदीरेति, छ उदीरेमाणे आउयवेयणिज्जवज्जायो छ कम्मप्पगडीओ उदीरेति, पच उदीरेमाणे ग्राउय वेयणिज्ज-मोहणिज्जवज्जायो पच कम्मप्पगडीओ उदीरेति ॥ ४०१ नियठे-पुच्छा। गोयमा ! पचविहउदीरए वा, दुविहउदी रए वा। पच उदीरेमाणे आउयवेयणिज्ज-मोहणिज्जवज्जायो पच कम्मप्पगडीओ उदीरेति, दो उदीरेमाणे नाम च गोय च उदोरेति ॥ ४०२ सिणाए-पुच्छा। गोयमा ! दुविहउदीरए वा, अणुदीरए वा। दो उदीरेमाणे नाम च गोयं च उदीरेति ।। उवसंपज्जहण-पदं ४०३ पुलाए ण भते ! पुलायत्त जहमाणे किं जहति ? कि उवसपज्जति ? गोयमा ! पुलायत्त जहति । कसायकुसील' वा अस्सजम वा उवसपज्जति ॥ ४०४ बउसे णं भते । वउसत्त जहमाणे किं जहति ? कि उवसंपज्जति ? गोयमा ! वउसत्तं जहति । पडिसेवणाकुसीलं वा कसायकुसील वा अस्सजम वा सजमासजमं वा उवसपज्जति ।। ४०५. पडितेवणाकुसीले ण-पुच्छा। गोयमा ! पडिमेवणाकुसीलत्तं जहति । वउस वा कसायकुसील वा अस्सजम वा नजमासजम वा उवसपज्जति ।। ४०६६ कसायकुतील ण ---पुच्छा। गोयमा ! कसायकुसीलत्त जहति। पुलाय वा वउस वा पडिसेवणाकुसील वा निय वा अल्मजम वा मजमासंजमं वा उवसपज्जति ।। १. इह नारनस्पतीपात् रुपाययुशोदित्यमित्यादि २. पं भते । पडि (अ, क, ख, व, म, स)। Page #1012 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पचवीसइम सत (छट्ठो उद्देसो) ९५१ ४०७. णियठे-पुच्छा। गोयमा । नियठत्त जहति । कसायकुसील वा सिणाय वा अस्सजम वा उवसप ज्जति ॥ ४०८. सिणाए-पुच्छा। गोयमा । सिणायत्तं जहति । सिद्धिगति उवसपज्जति ॥ सण्णा -पदं ४०६. पुलाए ण भते । कि सण्णोवउत्ते होज्जा ? नोसण्णोवउत्ते होज्जा ? गोयमा ! नोसण्णोवउत्ते होज्जा ॥ ४१०. वउसे ण भते ।-पुच्छा। गोयमा | सण्णोवउत्ते वा होज्जा, नो सण्णोवउत्ते वा होज्जा । एव पडिसेवणाकुसीले वि । एव कसायकुसीले वि । नियठे सिणाए य जहा पुलाए । आहार-पदं ४११ पुलाए ण भते । कि आहारए होज्जा ? अणाहारए होज्जा? गोयमा | आहारए होज्जा, नो अणाहारए होज्जा । एव जाव नियठे ।। ४१२ सिणाए-पुच्छा। गोयमा ! आहारए वा होज्जा, अणाहारए वा होज्जा ।। भव-पदं ४१३ पुलाए ण भंते । कति भवग्गहणाइ होज्जा ? गोयमा | जहण्णण एक्क, उक्कोसेण तिण्णि । ४१४ वउसे-पुच्छा। गोयमा । जहण्णेण एक्क, उक्कोसेण अट्ठ। एव पडिसेवणाकुसीले वि। एव कसायकुसीले वि । नियठे जहा पुलाए । ४१५. सिणाए-पुच्छा । गोयमा । एक्क ॥ आगरिस-पद ४१६ पुलागस्स ण भते । एगभवग्गहणीया केवतिया आगरिसा पण्णत्ता ? गोयमा ! जहण्णेण एक्को, उक्कोसेण तिण्णि । ४१७ वउसस्स ण-पुच्छा। गोयमा | जहण्णेण एक्को, उक्कोसेण सतग्गसो। एव पडिसेवणाकुसीले वि, कसायकुसीले वि॥ १. एव कसाय° (ब)। Page #1013 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६५२ ४१८. नियठस्स ण - पुच्छा । गोयमा । जहणेण एक्को, उक्कोसेण दोण्णि ॥ ४१६. सिणायस्स ण - गोयमा । एक्को' ॥ - पुच्छा । ? ४२० पुलागस्स ण भते । नाणाभवग्गहणीया केवतिया ग्रागरिसा पण्णत्ता गोयमा । जहणेण दोण्णि, उक्कोसेण सत्त ॥ ४२१ बउसस्स - पुच्छा | गोयमा । जहणेण दोणि, उक्कोसेण सहस्सग्गसो' । एव जाव कसायकुसीलस्स || ४२२ नियठस्स ण- पुच्छा । गोमा । जहणेण दोण्णि, उक्कोसेण पच ॥ 1 ४२३ सिणायस्स - पुच्छा | गोमा । नत्थि एक्को वि ॥ काल-पद ? ४२४. पुलाए ण भते । कालग्रो केवच्चिर होइ गोयमा ! जहणणं तोमुहुत्त, उक्कोसेण वि तोमुहुत्त ॥ ४२५. बउसे – पुच्छा । ४२६ ४२६ नियठे - पुच्छा । गोयमा । गोयमा । जहणेण एक्क समय, उक्कोसेण देसूणा पुव्वकोडी । एव पडिसेवणाकुसीले वि, कसायकुसीले वि ॥ जहणेण एक्क समय, उक्कोसेण प्रतोमुहुत्त ॥ ४२७ सिणाए - पुच्छा । I गोयमा । जहणेण अतोमुहुत्त, उक्कोसेण देसूणा पुव्वकोडी | ४२८ पुलाया ण भते । कालो केवच्चिर होति गोयमा । जहणेण एक्क समय, उक्कोसेण अतोमुहुत्त ॥ भगवई बउसा ण - पुच्छा । गोयमा ! सव्वद्ध । एव जाव कसालकुसीला । नियठा जहा पुलागा । सिणाया जहा बउसा ॥ अंतर- पदं ४३० पुलागस्स ण भते । केवतिय काल तर होइ ? १. एक्को वि नत्थि ( म, स ) । २ सहस्ससो ( अ, क, ख, ता, म) । Page #1014 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पचवीसइम सत (छट्ठो उद्देसो) ६५३ गोयमा । जहण्णेण अतोमहत्त, उक्कोसेण अणत काल-अणताप्रो अोसप्पिणिउस्सप्पिणीअो कालो, खेत्तनो अवड्ढ पोग्गलपरियट्ट देसूण। एव जाव नियठस्स। ४३१. सिणायस्स-पुच्छा। गोयमा | 'नत्थि अतरं"। ४३२ पुलायाण भते | केवतिय काल अतर होइ ? गोयमा । जहण्णेण एक्क समय, उक्कोसेण सखेज्जाइ वासाइ॥ ४३३ वउसाण भते । - पुच्छा। गोयमा ! नत्थि अतर । एव जाव कसायकुसीलाण ।। ४३४ नियठाण-पुच्छा। गोयमा । जहणणेण एक्क समय, उक्कोसेण छम्मासा । सिणायाण जहा वउसाण ॥ समुग्घाय-पदं ४३५ पुलागस्स ण भते । कति समुग्धाया पण्णत्ता ? गोयमा ! तिण्णि समुग्घाया पण्णत्ता, त जहा–वेयणासमुग्घाए, कसाय समुग्घाए, मारणतियसमुग्घाए । ४३६ बउसस्स ण भते । -पुच्छा। गोयमा । पच समुग्घाया पण्णत्ता, त जहा-वेयणासमुग्घाए जाव तेया समुग्घाए । एव पडिसेवणाकुसीले वि ॥ ४३७ कसायकुसीलस्स-पुच्छा। गोयमा । छ समुग्घाया पण्णत्ता, त जहा-वेयणासमुग्धाए जाव' आहार समुग्घाए । ४३८ नियठस्स ण-पुच्छा। गोयमा । नत्थि एक्को वि ।। ४३६ सिणायस्स-पुच्छा।। । गोयमा | एगे केवलिसमुग्घाए पण्णत्ते ॥ खेत्त-पदं ४४० पुलाए ण भते ! लोगस्स कि सखेज्जइभागे होज्जा ? असखेज्जइभागे होज्जा ? सखेज्जेसु भागेसु होज्जा ? असखेज्जेसु भागेसु होज्जा ? सव्वलोए होज्जा ? गोयमा | नो सखेज्जइभागे होज्जा, असखेज्जइभागे होज्जा, नो सखेज्जेसु १ नत्थतर (अ, क, ख, ता, ब, म)। २. आहारगसमुग्घाए (ब, म)। Page #1015 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ૨૫૪ भगवई भागेसु होज्जा, नो ग्रसखेज्जेसु भागेसु होज्जा, नो सव्वलोए होज्जा । एवं जाव नियठे || ४४१ सिणा ण- - पुच्छा 1 गोयमा ! नो सखेज्जइभागे होज्जा, असंखेज्जइभागे होज्जा, नो सखेज्जेसु भागेसु होज्जा, असखेज्जेसु भागेसु होज्जा, सव्वलोए वा होज्जा ॥ फुसणा-पदं ? ४४२ पुलाए ण भते । लोगस्स कि सखेज्जइभाग फुसइ ? असखेज्जइभाग फुसइ एव जहा गाहणा भणिया तहा फुसणा वि भाणियव्वा जाव सिणाए ॥ भाव-पदं ४४३ पुलाए ण भते ! कतरम्मि भावे होज्जा गोयमा । खप्रोवसमिए भावे होज्जा । एव जाव कसायकुसीले ॥ ४४४ नियठे - पुच्छा । ४४७ गोयमा । श्रवसमिए वा' खइए वा भावे होज्जा ॥ ४४५. सिणाए – पुच्छा । गोयमा ! खइए भावे होज्जा ॥ 1 परिमाण-पदं ४४६ पुलाया ण भते । एगसमएणं केवतिया होज्जा ? गोयमा | पडिवज्जमाणए पडुच्च सिय प्रत्थि, सिय नत्थि । जइ प्रत्थि जहण्णेणं एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेण सयपुहत्त । पुव्वपडिवण्णए पडुच्च सिय ग्रत्थि, सिय नत्थि । जइ अत्थि जहण्णेण एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेण सहस्सपुहत्त ॥ उसा ण भते । एगसमएण - पुच्छा । गोयमा । पडिवज्जमाणए पडुच्च सिय प्रत्थि, सिय नत्थि । जइ ग्रत्थि जहणणेण एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेण सयपुहत्त पुव्वपडिवण्णए पडुन्च जहणेण कोडिसयपुहत्त, उक्कोसेण वि कोडिसयपुहत्त । एव पडिसेवणाकुवि ॥ ४४८ कसायकुसीलाण - पुच्छा । गोयमा । पडिवज्जमाणए पडुच्च सिय प्रत्थि, सिय नत्थि । जइ ग्रत्थि जहणणेण एक्को वा दो वा तिणि वा, उक्कोसेण सहस्सपुहत्त । पुव्वपडिवण्णए पडुच्च जहण्णेण कोडिसहस्सपुहत्त, उक्कोसेण वि कोडिस हस्सपुहत्त ॥ ४४६ नियंठाण – पुच्छा । १. भावे वा (ता) | Page #1016 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचवीसइम सतं (सत्तमो उद्देसो) ६५५ -- गोयमा | पडिवज्जमाणए पडुच्च सिय प्रत्थि, सिय नत्थि । जइ प्रत्थि जहणेण एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेण वावट्ठ सत - ट्ठसय खवगाण, चउप्पन्न उवसामगाण'। पुव्वपडिवण्णए पडुच्च सिय प्रत्थि, सिय नत्थि । जइ ग्रत्थि जहणेण एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेण सयपुत्त ॥ ४५० सिणायाण - पुच्छा । गोयमा | पडिवज्जमाणए पडुच्च सिय प्रत्थि, सिय नत्थि । जइ प्रत्थि जहणेणं एक्को वा दो वा तिणि वा, उक्कोसेण ग्रट्ठसत । पुव्वपडिवण्णए पडुच्च जहणेण को डिपुहत्त, उक्कोसेण वि कोडिपुहत्त ॥ अप्पा बहुयत्त-पदं ? ? १० ? ४५१. एएसि ण भते । पुलाग - बउस पडिसेवणाकुसील - कसायकुसील - नियठ - सिणायाण कयरे कयरेहिंतो' ग्रप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेस हिया वा गोयमा । सव्वत्थोवा नियठा, पुलागा सखेज्जगुणा, सिणाया सखेज्जगुणा, वउसा सखेज्जगुणा, पडिसेवणाकुसीला सखेज्जगुणा, कसायकुसीला सखेज्जगुणा ॥ ४५३. सेव भते । सेव भते । त्ति जाव' विहरइ ॥ सत्तमो उद्देसो पण्णवण-पद ४५३ कति ण भते ! संजया पण्णत्ता ? गोयमा । पच सजया पण्णत्ता, त जहा - सामाइयसजए, छेदोवट्ठावणियसजए", परिहारविसुद्धियसजए, सुहुमसपरायसजए, ग्रहक्खायसजए ॥ ४५४ सामाइयसजए ण भते । कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा | दुविहे पण्णत्ते, त जहा - इत्तरिए य, आवकहिए य॥ ४५५ छेदोवट्ठावणियसजए ण - पुच्छा । गोमा ! दुविहे पण्णत्ते, त जहा - सातियारे य, निरतियारे य ॥ ४५६. परिहारविसुद्धियसजए - पुच्छा । १. उवसमगाण ( स ) 1 २. स० पा०—करेहितो जाव विसेसाहिया । ३. भ० ११५१ । ४. ५. ट्ठारिणय ( ता ) । ० ० विसुद्धिसजए ( ख ) 1 Page #1017 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९५६ भगवई गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते, त जहा-निव्विसमाणए य, निविटुकाइए य ॥ ४५७ सुहुमसपरायसजए-पुच्छा। गोयमा | दुविहे पण्णत्ते, त जहा–सकिलिस्समाणए य, विसुज्झमाणए' य ॥ ४५८ अहक्खायसजए-पुच्छा। गोयमा | दुविहे पण्णत्ते, त जहा–छउमत्थे य, केवली य ॥ संगहणी-गाहा सामाइयम्मि उ कए, चाउज्जाम अणुत्तर धम्म । तिविहेण फासयतो, सामाइयसजग्रो स खलु ॥१॥ छेत्तूण उ परियाग, पोराण जो ठवेइ अप्पाणं । धम्मम्मि पजामे, छेदोवट्ठावणो स खलु ॥२॥ परिहरइ जो विसुद्ध, तु पचयाम अणुत्तर धम्म । तिविहेण फासयतो, परिहारियसजनो स खलु ।।३।। लोभाणू वेदेतो', जो खलु उवसामो व खवरो वा । सो सुहुमसंपराओ, अहखाया ऊणो किचि ॥४॥ उवसते खीणम्मि व, जो खलु कम्मम्मि मोहणिज्जम्मि । छउमत्थो व जिणो वा, अहखाओ सजनो स खलु ।।५।। वेद-पद ४५६ सामाइयसजए ण भते ! किं सवेदए होज्जा ? अवेदए होज्जा ? गोयमा । सवेदए वा होज्जा, अवेदए वा होज्जा । जइ सवेदए -एवं जहा कसायकुसीले तहेव निरवसेस । एव छेदोवट्ठावणियसजए वि । परिहारविसद्धिय सजो जहा' पुलाओ। सुहुमसपरायसजो अहक्खायसजनो य जहा नियठो॥ राग-पदं ४६० सामाइयसजए ण भते ! किं सरागे होज्जा ? वीयरागे होज्जा ? गोयमा । सरागे होज्जा, नो वीयरागे होज्जा । एव जाव सुहुमसपरायसजए। अहक्खायसजए । जहा नियठे ॥ १. विसुद्धमाणए (ता)। ५. भ० २५२६१, २६२ । २ लोभमणु (अ, क), लोभाणु (ख, ता, म, ६. भ० २५।२८६,२८७ । स), लोभाणु (व)। ७ भ० २५।२६३,२६४ । ३. वेदयतो (अ), वेयतो (ता)। ८. भ० २।२६७,२६८ । ४. अहक्खाया (म, क, ख, व, म, स)। Page #1018 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६५७ ४६३ पचवीसइम सत (सत्तमो उद्देसो) कप्प-पदं ४६१. सामाइयसजए ण भते । कि ठियकप्पे होज्जा ? अट्टियकप्पे होज्जा ? गोयमा । ठियकप्पे वा होज्जा, अट्ठियकप्पे वा होज्जा ॥ ४६२. छेदोवढावणियसजए-पुच्छा। गोयमा । ठियकप्पे होज्जा, नो अट्ठियकप्पे होज्जा। एव परिहारविसुद्धियसजए वि । सेसा जहा सामाइयसजए । सामाइयसजए ण भते । किं जिणकप्पे होज्जा ? थेरकप्पे होज्जा ? कप्पातीते होज्जा? गोयमा | जिणकप्पे वा होज्जा, जहा' कसायकूसीले तहेव निरवसेस । छेदो वट्ठावणियो परिहारविसुद्धियो य जहा' बउसो । सेसा जहा' नियठे। नियंठ-पद ४६४ सामाइयसजए ण भते । किं पलाए होज्जा ? वउसे जाव सिणाए होज्जा? गोयमा । पलाए वा होज्जा, बउसे जाव कसायकुसीले वा होज्जा, नो नियठे होज्जा, नो सिणाए होज्जा । एव छेदोवट्ठावणिए वि ।।। ४६५. परिहारविसुद्धियसजए ण-पुच्छा। गोयमा । नो पुलाए, नो वउसे, नो पडिसेवणाकुसीले होज्जा; कसायकुसीले होज्जा, नो नियठे होज्जा, नो सिणाए होज्जा । एव सुहुममपराए वि ।। ४६६ अहक्खायसजए-पच्छा। गोयमा | नो पुलाए होज्जा जाव नो कसायकुसीले होज्जा, नियठे वा होज्जा, सिणाए वा होज्जा ॥ पडिसेवणा-पदं ४६७. सामाइयसजए ण भते । किं पडिसेवए होज्जा? अपडिसेवए होज्जा? गोयमा । पडिसेवए वा होज्जा, अपडिसेवए वा होज्जा। जड पडिमेवए होज्जा-कि मूलगुणपडिसेवए होज्जा, सेस जहा पुलागस्त । जहा सामाश्य सजए एव छेदोवढावणिए वि ।। ४६८ परिहारविसुद्धियसंजए-पुच्छा। गोयमा | नो पडिसेवए होज्जा, अपडिसेवए होज्जा । एव जाय यहस्पायसजए । १. भ० २५४३०२॥ म० २५१३०१। ३ ० २४१३०३ । ४ म० २१३०८। Page #1019 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ९५८ नाण-पदं ४६६. सामाइयसंजए ण भते । कतिसु नाणेसु होज्जा ? गोयमा । दोसु वा तिसु वा चउसु वा नाणेसु होज्जा । एव जहा' कसायकुसीलस्स तहेव चत्तारि नाणाइ भयणाए। एव जाव सुहुमसपराए। अहक्खाय सजयस्स पच नाणाइ भयणाए जहा' नाणुद्देसए । ४७० सामाइयसजए ण भते ! केवतिय सुय अहिज्जेज्जा ? गोयमा । जहण्णेण अट्ठ पवयणमायानो, जहा' कसायकुसोले । एव छेदोवट्ठाव णिए वि ॥ ४७१ परिहारविसुद्धियसजए-पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेण नवमस्स पुव्वस्स ततिय आयारवत्थु, उक्कोसेण असपुण्णाइ दस पुवाइ अहिज्जेज्जा । सुहुमसपरायसजए जहा सामाइयसजए॥ ४७२ अहक्खायसजए-पुच्छा। गोयमा । जहण्णेण अट्ठ पवयणमायाग्रो, उक्कोसेणं चोद्दस पुव्वाइ अहिज्जेज्जा, सुयवतिरित्ते वा होज्जा ।। तित्थ-पदं ४७३ सामाइयसजए ण भते ! किं तित्ये होज्जा ? अतित्थे होज्जा ? गोयमा । तित्थे वा होज्जा, अतित्थे वा होज्जा, जहा कसायकुसीले । छेदोवट्ठावणिए परिहारविसुद्धिए य जहा' पुलाए । सेसा जहा सामाइयसजए । लिंग-पदं ४७४ सामाइयसजए ण भते ! किं सलिंगे होज्जा ? अण्णलिंगे होज्जा ? गिहिलिगे होज्जा ? जहा पुलाए । एव छेदोवट्ठावणिए वि ।। ४७५ परिहारविमुद्धियसजए ण भते । किं-पुच्छा। गोयमा । दलिग पि भावलिंग पि पडुच्च सलिगे होज्जा, नो अण्णलिगे होज्जा, नो गिहिलिगे होज्जा । सेसा जहा सामाइयसजए । सरीर-पद ४७६ सामाइयसंजए णं भते ! कतिसु सरीरेसु होज्जा ? गोयमा ! तिसु वा चउसु वा पचसु वा जहा' कसायकुसीले । एव छेदोवट्ठाव णिए वि । सेसा जहा पुलाए॥ १ म० २५३१३ । ५ भ० २५।३१६ । २. भ० ८.१०५। ६. भ० २५।३२२ । ३. भ० २५३१७ । ७ भ० २५१३२५ । ४. भ० २५४३२१ । ८. भ० २१३२३ । Page #1020 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचवीसइम सत (सत्तमो उद्देसा) ६५६ खेत्त-पदं ४७७. सामाइयसंजए णं भते । किं कम्मभूमीए होज्जा ? अकम्मभूमीए होज्जा ? गोयमा । जम्मण-सतिभाव पडुच्च जहा' बउसे । एव छेदोवट्ठावगिए वि । परिहारविसुद्धिए य जहा' पुलाए । सेसा जहा सामाइयसजए॥ काल-पदं ४७८. सामाइयसजए ण भते । कि अोसप्पिणिकाले होज्जा ? उस्सप्पिणिकाले होज्जा ? नोयोसप्पिणि-नोउस्सप्पिणिकाले होज्जा ? गोयमा | अोसप्पिणिकाले जहा' वउसे । एव छेदोवट्ठावणिए वि, नवरजम्मण-सतिभाव पडुच्च चउसु वि पलिभागेसु नत्थि, साहरण पडुच्च अण्णयरे पडिभागे होज्जा, सेस त चेव ।। ४७६ परिहारविसुद्धिए-पुच्छा । गोयमा | प्रोसप्पिणिकाले वा होज्जा, उस्सप्पिणिकाले वा होज्जा, नोप्रोसप्पिणि-नोउस्सप्पिणिकाले नो होज्जा। जइ अोसप्पिणिकाले होज्जा-जहा' पुलायो । उस्सप्पिणिकाले वि जहा पुलाओ। सुहुमसपराइनो जहा' नियठो । एव अहक्खायो वि ॥ गति-पदं ४८० सामाइयसजए ण भते । कालगए समाणे क' गतिं गच्छति ? गोयमा ! देवगति गच्छति ॥ ४८१ देवगति गच्छमाणे किं भवणवासीसु उववज्जेज्जा ? वाणमतरेसु उववज्जेज्जा ? जोइसिएसु उववज्जेज्जा ? वेमाणिएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा । नो भवणवासोसु उववज्जेज्जा-जहा कसायकुसीले । एव छेदोव ट्ठावणिए वि । परिहारविसुद्धिए जहा पुलाए । सुहुमसपराए जहा नियठे ॥ ४८२. अहक्खाए-पुच्छा। गोयमा । एवं अहक्खायसजए वि जाव अजहण्णमणुक्कोसेण अणुत्तरविमाणेसु उववज्जेज्जा; अत्थेगतिए सिज्झति जाव सव्वदुक्खाण अत करेति ॥ ४८३ सामाइयसजए ण भते । देवलोगेसु उववज्जमाणे कि इदत्ताए उववज्जति पुच्छा। १ भ० २५३२७ । २ भ० २५।३२६ । ३ भ० २५/३३२-३३५ । ४ भ०२५२३२६ । ५. भ० २५॥३३० । ६ भ० २५॥३३५। ७. किं (अ, स)। ८ भ० २५॥३३७ । ६ भ० २५१३३६,३३७ । १० भ० २५३३७ । Page #1021 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६० भगवई गोयमा । अविराहण पडुच्च एव जहा' कसायकुसीले । एव छेदोवट्ठावणिए वि । परिहारविसुद्धिए जहा' पुलाए । सेसा जहा' नियठे ॥ ४८४. सामाइयसजयस्स ण भते । देवलोगेसु उववज्जमाणस्स केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता? गोयमा | जहण्णेण दो पलिग्रोवमाइ, उक्कोसेणं तेत्तीस सागरोवमाइ। एव छेदोवट्ठावणिए वि॥ ४८५ परिहारविसुद्धियस्स-पुच्छा । गोयमा । जहण्णेण दो पलिअोवमाइं, उक्कोसेण अट्ठारस सागरोवमाइं, सेसाणं जहा नियठस्स ।। संजमट्ठाण-पदं ४८६ सामाइयसंजयस्स ण भते । केवतिया सजमट्ठाणा पण्णत्ता ? गोयमा | असखेज्जा सजमट्ठाणा पण्णत्ता। एव जाव परिहारविसुद्धियस्स ।। ४८७ सुहुमसपरायसजयस्स-पुच्छा । गोयमा ! असखेज्जा अतोमुहुत्तिया सजमट्ठाणा पण्णत्ता ॥ ४८८ अहक्खायसजयस्स –पुच्छा। गोयमा । एगे अजहण्णमणुक्कोसए सजमट्ठाणे पण्णत्ते॥ ४८६ एएसि ण भते । सामाइय-छेदोवढावणिय-परिहारविसुद्धिय-सुहमसंपराग अहक्खायसजयाण सजमट्ठाणाण कयरे कयरेहितो' 'अप्पा वा ? वहुया वा ? तुल्ला वा ? • विसेसाहिया वा? गोयमा । सव्वत्थोवे अहक्खायसजमस्स एगे अजहण्णमणुक्कोसए सजमट्ठाणे, सुहमसपरागसजयस्स अतोमुहुत्तिया सजमट्ठाणा असखेज्जगुणा, परिहारविसुद्धियसजयस्स सजमट्ठाणा असखेज्जगुणा, सामाइयसजयस्स छेदोवढावणिय सजयस्स य' एएसि ण सजमट्ठाणा दोण्ह वि तुल्ला असखेज्जगुणा ॥ निगास-पद ४६० सामाइयसंजयस्स ण भते । केवइया चरित्तपज्जवा पण्णत्ता? गोयमा । अणता चरित्तपज्जवा पण्णत्ता । एव जाव अहक्खायमजयस्स ।। ४६१ सामाइयसजए ण भते ! सामाइयसजयस्स सट्ठाणसण्णिगासेण चरित्तपज्जवेहि किं हीणे ? तुल्ले ? अब्भहिए ? गोयमा । सिय हीणे-छट्ठाणवडिए । १ भ०२५२३४० । २. भ० २५३३६ । ३ भ० २५३४१ । ४. भ. २५३४५ । ५ स० पा०—कयरेहितो जाव विसेसाहिया । ६. X (अ, क, ख, स)। Page #1022 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचवीसइम सत (सत्तमो उद्देसो) ६१ ४९२ सामाइयसजए ण भते । छेदोवट्ठावणियसंजयस्स परद्वाणसण्णिगासेणं चरित्तपज्जवेहि— पुच्छा । गोयमा । सिय हीणे - छट्ठाणवडिए । एव परिहारविसुद्धियस्स वि ॥ ४९३. सामाइयसजए ण भते ! सुहुमसपरागसजयस्स परट्ठाणसण्णिगासेण चरित - पज्जवेहिं – पुच्छा । - गोयमा । होणे, नो तुल्ले, नो अब्भहिए, प्रणतगुणहीणे । एव ग्रहक्खायसजयस्स वि । एव छेदोवद्वावणिए वि हेट्ठिल्लेसु तिसु वि सम छट्टाणवडिए, वरिले दो तहेव हीणे । जहा छेदोवट्ठावणिए तहा परिहारविसुद्धिए वि ॥ ४९४ सुहुमसपरागसजए ण भते । सामाइयसजयस्स परट्ठाण—पुच्छा । गोयमा ! नो हीणे, नो तुल्ले, ग्रब्भहिए - प्रणतगुणमब्भहिए | एव छेग्रोवट्ठावणिय परिहारविसुद्धिसु वि सम । सट्टाणे सिय हीणे, नो तुल्ले, सिय प्रब्भहिए । जइ हीणे प्रणतगुणहीणे, ग्रह ग्रव्भहिए ग्रणतगुणमब्भहिए || ४६५ सुहुमसपरायसजयस्स अहक्खायसजयस्स परट्ठाण - पुच्छा । गोयमा । हीणे, नो तुल्ले, नो अब्भहिए, प्रणतगुणहीणे । अहक्खाए हेट्ठिल्लाण चहवि नो होणे, नो तुल्ले, प्रब्भहिए - प्रणतगुणमब्भहिए । सट्ठाणे नो ही, तुल्ले, नो ग्रब्भहिए || ? वा ? ? o ? ४६६. एएसि ण भते । सामाइय-छेदोवट्ठावणिय- परिहारविसुद्धिय सुहुमसप रायग्रहक्खायसजयाण जहण्णुक्कोसगाण चरित्तपज्जवाण कयरे कयरेहितो' अप्पा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा गोयमा । सामाइयसजयस्स छेत्रोवद्वावणियसजयस्स य एएसि ण जहण्णगा चरित्तपज्जवा दोण्ह वि तुल्ला सव्वत्थोवा, परिहारविसुद्धियसजयस्स जहण्णगा चरित्तपज्जवा प्रणतगुणा, तस्स चेव उक्कोसगा चरित्तपज्जवा प्रणतगुणा, सामाइयसजयस्स छेश्रोवट्ठावणियसजयस्स य एएसि ण उक्कोसगा चरित्तपज्जवा दोह वि तुल्ला प्रणतगुणा, सुहुमसपरायसजयस्स जहण्णगा चरित्तपज्जवा प्रणतगुणा, तस्स चेव उक्कोसगा चरित्तपज्जवा प्रणतगुणा, ग्रहक्खायसजयस्स जहणमणुक्कोसगा चरित्तपज्जवा प्रणतगुणा ॥ जोग - पदं ४६७ सामाइयसजए ण भते । किं सजोगी होज्जा ? जोगी होज्जा ? गोयमा । सजोगी जहा' पुलाए । एव जाव सुहुमसपरायसंजए । ग्रहक्खाए जहा' सिणाए । १ स० पा०—– कयरेहितो जाव विसेसाहिया । २. भ० २५/३६३, ३६४ । ३. भ० २५/३६५ । Page #1023 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९६२ भगवई उवयोग-पदं ४६८. सामाइयसंजए ण भते । किं सागारोवउत्ते होज्जा ? अणागारोव उत्ते होज्जा? गोयमा । सागरोवउत्ते जहा' पुलाए । एव जाव अहक्खाए, नवर-सुहुमसप राए सागारोव उत्ते होज्जा, नो अणागारोवउत्ते होज्जा ॥ फसाय-पदं ४६६. सामाइयसजए ण भते । किं सकसायी होज्जा ? अकसायी होज्जा ? ___ गोयमा । सकसायी होज्जा, नो अकसायी होज्जा जहा कसायकुसीले । एवं छेदोवट्ठावणिए वि । परिहारविसुद्धिए जहा' पुलाए । ५००. सुहुमसपरागसजए-पुच्छा। गोयमा । सकसायी होज्जा, नो अकसायी होज्जा ।। ५०१ जइ सकसायी होज्जा, से ण भते ! कतिसु कसायेसु होज्जा ? गोयमा ! एगम्मि संजलणलोभे होज्जा । अहक्खायसंजए जहा नियठे ।। लेस्सा -पदं ५०२ सामाइयसजए ण भते । किं सलेस्से होज्जा ? अलेस्से होज्जा ? गोयमा । सलेस्से होज्जा जहा' कसायकुसीले । एव छेदोवट्ठावणिए वि । परिहारविसुद्धिए जहा पुलाए । सुहुमसपराए जहा" नियठे। अहक्खाए जहा सिणाए, नवर-जइ सलेस्से होज्जा, एगाए सुक्कलेस्साए होज्जा ॥ परिणाम-पदं ५०३. सामाइयसजए ण भते । किं वड्ढमाणपरिणामे होज्जा ? हायमाणपरिणाम ? अवट्ठियपरिणामे ? गोयमा ! वड्ढमाणपरिणामे जहा" पुलाए । एव जाव परिहारविसुद्धिए । ५०४. सुहमसपराए-पुच्छा ।। गोयमा । वड्ढमाणपरिणामे वा होज्जा, हायमाणपरिणामे वा होज्जा, नो अवट्ठियपरिणामे होज्जा । अहक्खाए जहा नियठे ॥ ५०५ सामाइयसजए ण भते ! केवइय काल वड्ढमाणपरिणामे होज्जा ? गोयमा । जहण्णण एक्क समयं जहा" पुलाए । एव जाव परिहारविसुद्धिए । १ भ० २५१३६६ । २. भ० २०३७० । ३. भ० २५३६७,३६८ । ४. भ० २५५३७१,३७२ । ५ भ० २५२३७५,३७६ । ६. भ० २५३७३,३७४ । ७ भ० २५५३७७,३७८ । ८. भ० २५।६७६,३८० । ६ हीय ° (स)। १० भ०२३८१ । ११. भ० २५॥३८२; १२ भ० २५॥३८३। Page #1024 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचवीसइम सत (सत्तमो उद्देसो) ? ५०६ सुहुमसपरागसजए णं भते । केवतियं काल वड्ढमाणपरिणामे होज्जा गोयमा ! जहणेण एक्क समय, उक्कोसेण प्रतोमुहुत्त ॥ ५०७. केवतिय काल हायमाणपरिणामे होज्जा ? एव चेव ॥ ५०८ अहक्खाय सजए ण भते । केवतिय काल वड्ढमाणपरिणामे होज्जा ? गोयमा । जहणेण प्रतोमुहुत्तं, उक्कोसेण वि तोमुहुत्त ॥ ५०६ केवतिय काल अवट्टियपरिणामे होज्जा ? गोयमा । जहण्णेण एक्कं समय, उक्कोसेण देसूणा पुव्वकोडी | बंध-पदं ५१० सामाइयसजए ण भते । कइ कम्मप्पगडीओ बधइ ? गोयमा । सत्तविहबधए वा अट्ठविहबधए वा, एव जहा बउसे । एव जाव परिहारविसुद्धिए ।। ५११ सुहुमस परागसजए - पुच्छा । गोयमा ! श्राउय-मोहणिज्जवज्जाओ छ कम्मप्पगडीग्रो वधति । हक्खायसजए जहा सिणा ॥ वेद - पद ५१२ सामाइयसजए ण भते । कति कम्मप्पगडीओ वेदेति ? गोयमा ! नियम अट्ठ कम्मप्पगडीओ वेदेति । एव जाव सुहुमसपराए । ५१३ ग्रहक्खाए - पुच्छा । ६६३ गोयमा । सत्तविहवेदए वा, चउव्विहवेदए वा । सत्त वेदेमाणे मोहणिज्ज - वज्जा सत्त कम्मप्पगडीओ वेदेति चत्तारि वेदेमाणे वेय णिज्जाउय-नामगोया चत्तारि कम्मप्पगडीओ वेदेति ॥ उदीरणा-पदं ५१४ सामाइयसजए ण भते । कति' कम्मप्पगडीओ उदीरेति ? गोमा | सत्तविहउदीरए वा जहा वउसो । एव जाव परिहारविसुद्धिए । ५१५ सुहुमसपराए— पुच्छा । गोयमा । छव्विहउदीरए वा, पचविहउदीरए वा । छ उदीरेमाणे प्राउयवेयणिज्जवज्जाश्रो छ कम्मप्पगडीग्रो उदीरेइ, पच उदीरमाणे ग्राउयवेयणिज्ज-मोहणिज्जवज्जाश्रो पच कम्मप्पगडीग्रो उदीरेइ ॥ ५१६ अहक्खाय सजए - पुच्छा । १. भ० २५।३६१ । २. भ० २५।३६४ । ३. केवइ (ता) | ४, भ० २५/३६६ । Page #1025 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६६४ মাৰ गोयमा ! पंचविहउदीरए वा दुविहउदीरए वा अणुदीरए वा । पच उदीरेमाणे आउय-वेयणिज्ज-मोहणिज्जवज्जायो । सेसं जहा' नियंठस्स ।। उवसंपज्जहण-पदं ५१७. सामाइयसजए ण भते ! सामाइयसजयत्त जहमाणे किं जहति ? किं उवसंपज्जति ? गोयमा ! सामाइयसंजयत्त जहति । छेदोवट्ठावणियसजय वा, सुहुमसपराग सजय वा, असजम वा, संजमासजम वा उवसपज्जति ।। ५१८ छेप्रोवट्ठावणिए-पुच्छा। गोयमा छेप्रोवट्ठावणियसजयत्त जहति । सामाइयसजयं वा, परिहारविसुद्धिय सजयं वा, सुहुमसपरागसजय वा असंजम वा, सजमासजम वा उवसपज्जति ।। ५१६. परिहारविसुद्धिए-पुच्छा। गोयमा । परिहारविसुद्धियसजयत्तं जहति । छेदोवट्ठावणियसजय वा असजमं वा उवसपज्जति ॥ ५२०. सुहुमसंपराए-पुच्छा। गोयमा ! सुहुमसपरायसजयत्तं जहति । सामाइयसजय वा, छेप्रोवद्वावणियसजयं वा, अहक्खायसजय वा, असजम वा उवसपज्जइ ।। ५२१. अहक्खायसजए-पुच्छा। गोयमा ! अहक्खायसजयत्त जहति । सुहुमसपरागसजय वा, असजम वा, सिद्धिगति वा उवसपज्जइ ॥ सण्णा -पदं ५२२. सामाइयसजए णं भते । किं सण्णोवउत्ते होज्जा ? नो सण्णोवउत्ते होज्जा ? गोयमा । सण्णोवउत्ते जहा' बउसो। एवं जाव परिहारविसुद्धिए । सुहुमसपराए अहक्खाए य जहा पुलाए । आहार-पदं ५२३ सामाइयसजए ण भते । किं आहारए होज्जा ? अणाहारए होज्जा ? जहा पुलाए । एव जाव मुहुमसंपराए । अहक्खायसंजए जहा' सिणाए ॥ १. भ० २५४०१। ४ भ० २५४४०६। २ उपसपत्तिप्रसङ्ग सर्वत्रापि भावप्रत्ययलोपो ५. भ० २५४४११ । दृश्यते । ६. भ० २५६४१२। ३. भ०१४१०। Page #1026 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५२६ पचवीसइम सत (सत्तमो उद्देसो) भव-पदं ५२४. सामाइयसजए ण भते ! कति भवग्गहणाइ होज्जा ? गोयमा । जहण्णेण एक्क, उक्कोसेण अट्ठ । एव छेदोवट्ठावणिए वि ।। ५२५ परिहारविसुद्धिए-पुच्छा । गोयमा । जहण्णेण एक्क, उक्कोसेण तिण्णि । एव जाव अहवखाए । आगरिस-पद ५२६. सामाइयसजयस्स ण भते । एगभवग्गहणिया केवतिया आगरिसा पण्णत्ता? गोयमा । जहण्णेण जहा' बउसस्स ॥ ५२७. छेदोवट्ठावणियस्स-पुच्छा।। गोयमा । जहण्णेण एक्को', उक्कोसेण वीसपुहत्त ।। ५२८ परिहारविसुद्धियस्स-पुच्छा। गोयमा । जहण्णेण एक्को, उक्कोसेण तिण्णि ॥ सुहुमसपरायस्स-पुच्छा।। गोयमा ! जहण्णण एक्को, उक्कोसेण चत्तारि ।। ५३०. अहक्खायस्स-पुच्छा। गोयमा । जहण्णण एक्को, उक्कोसेण दोण्णि ।। ५३१. सामाइयसजयस्स ण भते ! नाणाभवग्गहणिया केवतिया आगरिसा पण्णत्ता ? गोयमा ! जहा' बउसे ॥ ५३२ छेदोवट्ठावणियस्स-पुच्छा। गोयमा । जहण्णेण दोण्णि, उक्कोसेण उवरि नवण्ह सयाण अतो सहस्सस्स । परिहारविसुद्धियस्स जहण्णेण दोण्णि, उक्कोसेण सत्त । सुहुमसपरागस्स जहण्णेण दोण्णि, उक्कोसेण नव । अहक्खायस्स जहण्णेण दोण्णि, उक्कोसेण पच ।। काल-पद ५३३. सामाइयसजए ण भते ! कालग्रो केवच्चिर होड ? गोयमा । जहण्णेण एक्क समय, उक्कोसेण देसूणएहिं नवहिं वासेहि ऊणिया पुवकोडी । एव छेदोवट्ठावणिए वि। परिहारविसुद्धिए जहण्णेण एक्क समय, उक्कोसेण देसूणएहिं एकूणतीसाए वासेहि ऊणिया पुव्वकोडी। सुहुमसपराए जहा नियठे। अहक्खाए जहा सामाइयसजए । ५३४. सामाइयसजया ण भते । कालो केवच्चिरं होति ? गोयमा | सव्वद्ध ॥ १. भ० २५४१७ । ३ भ० २५४४२१ । २ एक्क (अ, ख, ता, व, म)। ४. भ० २५४२६ । Page #1027 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ५३५. छेदोवट्ठावणियसजया-पुच्छा । गोयमा । जहण्णेण अड्ढाइज्जाइ वाससयाइ, उक्कोसेण पण्णास सागरोवमकोडिसयसहस्साइ॥ परिहारविसुद्धीयसजया-पुच्छा। गोयमा | जहण्णण देसूणाइ दो वाससयाइ, उक्कोसेण देसूणाम्रो दो पुव्व कोडीओ ।। ५३७ सुहुमसपरागसजया-पुच्छा। गोयमा | जहण्णेण एक्क समय, उक्कोसेण अतोमुत्त । अहक्खायसजया जहा सामाइयसजया ।। अंतर-पदं ५३८. सामाइयसजयस्स ण भते । केवइयं काल अतर होइ ? ' गोयमा । जहण्णेण जहा' पुलागस्स । एवं जाव' अहक्खायसजयस्स ।। ५३६. सामाइयसजयाण भते ! –पुच्छा। गोयमा | 'नत्थि अतर" ॥ ५४०. छेदोवट्ठावणियाण-पुच्छा। गोयमा । जहण्णण तेवट्ठि वाससहस्साइ, उक्कोसेण अट्ठारस सागरोवमकोडा कोडीयो। ५४१. परिहारविसुद्धियाण-पुच्छा। गोयमा । जहण्णेण चउरासीइ वाससहस्साइ, उक्कोसेण अद्वारस सागरोवमकोडाकोडीयो । सुहुमसपरायाण जहा' नियठाण । अहवखायाण जहा सामाइय सजयाण ॥ समुग्घाय-पद ५४२ सामाइयसजयस्स ण भते । कति समुग्घाया पण्णत्ता ? गोयमा ! छ समुग्घाया पण्णत्ता जहा कसायकुसीलस्स । एव छेदोवढावणियस्स वि । परिहारविमुद्धियरस जहा पुलागस्स । सुहुमसपरागस्स जहा नियठस्स। ग्रहक्खायस्स जहा सिणायस्स ॥ खेत्त-पद ५४३ सामाइयसजए ण भते ! लोगस्स किं सखेज्जइभागे होज्जा, असखेज्जइभागे पुच्छा । १. भ० २५६४३० । २ नत्यतर (अ, क, ख, ता, व, म)। ३. भ० २५४३४ । ४. भ० २५१४३७॥ ५. भ०२५।४३५ । ६ भ०२५१४३८ । ७. भ० २५१४३६ । Page #1028 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पचवीसइम सत (सत्तमो उद्देसो) १६७ गोयमा | नो सखेज्जइभागे जहा' पुलाए । एव जाव सुहुमसपराए । अहक्खाय सजए जहा सिणाए । फुसणा-पदं ५४४ सामाइयसजए ण भते | लोगस्स किं सखेज्जइभागं फुसइ० ? जहेव होज्जा तहेव फुसइ॥ भाव-पदं ५४५ सामाइयसजए ण भते । कयरम्मि भावे होज्जा ? गोयमा | खग्रोवसमिए भावे होज्जा । एव जाव सुहुमसपराए । ५४६ अहक्खायसजए -- पुच्छा। ___गोयमा । उवसमिए वा खइए' वा भावे होज्जा ॥ परिमाण-पदं ५४७ सामाइयसजया ण भते । एगसमएण केवतिया होज्जा ? गोयमा | पडिवज्जमाणए य पडुच्च जहा' कसायकुसीला तहेव निरवसेस ।। ५४८ छेदोवट्ठावणिया-पुच्छा। गोयमा | पडिवज्जमाणए पडुच्च सिय अस्थि सिय नत्थि । जइ अत्थि जहण्णेण एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेण सयपुहत्त । पुव्वपडिवण्णए पडुच्च सिय अत्थि सिय नत्थि । जइ अत्थि जहण्णेण कोडिसयपुहत्त, उक्कोसेण वि कोडि सयपुहत्त । परिहारविसुद्धिया जहा पुलागा । सुहुमसपराया जहा' नियठा ।। ५४९ अहक्खायसजया ण-पुच्छा। गोयमा । पडिवज्जमाणए पडुच्च सिय अत्थि सिय नत्थि । जइ अत्थि जहण्णेण एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेण बावट्ठ सय-अठ्ठत्तरसय खवगाण, चउप्पण्ण उवसामगाण । पुव्वपडिवण्णए पडुच्च जहण्णेण कोडिपुहत्त, उक्को सेण वि कोडिपुहत्त ।। अप्पाबहुयत्त-पदं ५५० एएसि ण भते ! सामाइय-छेप्रोवट्ठावणिय-परिहारविसुद्धिय-सुहमसपराय अहक्खायसंजयाण कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा ? वहुया वा ? तुल्ला वा ? ० विसेसाहिया वा ? १ भ० २५४४४० । २. भ० २।४४१ । ३ खतिए (अ,क,ख,ब,म,स), खविए (ता)। ४. भ० २४४८। ५. भ० २५१४४६ । ६ भ० २४४४६ । ७ अट्ठसय (क, ता, ब)। ८. स० पा०–कयरेहितो जाव विसेसाहिया । Page #1029 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई गोयमा ! सव्वत्थोवा सुहुमसपरायंसजया, परिहारविसुद्धियसजया सखेज्जगुणा, अहक्खायसजया सखेज्जगुणा, छेओवट्ठावणियसजया सखेज्जगुणा, सामाइय संजया सखेज्जगुणा ॥ संगहणी-गाहा पडिसेवण दोसालोयणा य, आलोयणारिहे चेव । तत्तो सामायारी, पायच्छित्ते तवे चेव ॥ १॥ पडिसेवणा-पद ५५१. कइविहा ण भते ! पडिसेवणा पण्णत्ता ? गोयमा । दसविहा पडिसेवणा पण्णत्ता, त जहा दप्पप्पमादणाभोगे, आउरे श्रावतीति य । सकिण्णे' सहसक्कारे, भयप्पनोसा य वीमसा ॥१॥ पालोयणा-पद ५५२. दस आलोयणादोसा पण्णत्ता, त जहा आकंपइत्ता अणुमाणइत्ता, ज दिट्ठ वादर व सुहुम वा। छन्न सद्दाउलयं, वहुजण अव्वत्त तस्सेवी ।। १ ।। ५५३. दसहिं ठाणेहि सपण्णे अणगारे अरिहति अत्तदोस आलोइत्तए, त जहा जातिसपण्णे, कुलसपण्णे, विणयसपण्णे, नाणसंपण्णे, दसणसपण्णे, चरित्तसपण्णे, खते, दते, अमायी, अपच्छाणतावी । ५५४ अट्टहिं ठाणेहिं सपन्ने अणगारे अरिहति आलोयण पडिच्छित्तए, तं जहा आयारव, आहारव', ववहारव, उव्वीलए, पकुव्वए, अपरिस्सावी, निज्जवए, अवायदंसी ॥ सामायारी-पदं ५५५. दसविहा सामायारी पण्णत्ता, त जहा इच्छा मिच्छा तहक्कारो, आवस्सिया य निसीहिया । आपुच्छणा य पडिपुच्छा, छंदणा य निमतणा। उवसपया य काले, सामायारी भवे दसहा ॥१॥ पायच्छित्त-पद ५५६. दसविहे पायच्छित्ते पण्णत्ते, तं जहा-पालोयणारिहे, पडिक्कमणारिहे, तदुभ यारिहे, विवेगारिहे, विउसग्गारिहे, तवारिहे, छेदारिहे, मूलारिहे, अणवट्टप्पा रिहे, पारंचियारिहे। १. मषिते (प्र, क, ख, ता, व, म, वृपा); २. आधारव (म, क, व), अवधारव (म)। निशीथपाठे तिनिण' इत्यभिधीयते (वृ)। Page #1030 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पचवीसइम सतं (सत्तमो उद्देसो) ९६६ तव-पदं ५५७ दुविहे तवे पण्णत्ते, त जहा -वाहिरए य, अभितरए य ॥ ५५८ से कि त वाहिरए तवे ? बाहिरए तवे छविहे पण्णत्ते, त जहा-अणसण, प्रोमोदरिया, भिक्खायरिया, रसपरिच्चायो, कायकिलेसो, पडिसलीणता ॥ ५५६ से कि त अणसणे ? अणसणे दुविहे पण्णत्ते, त जहा-इत्तरिए य, आवकहिए य ।। ५६० से कि त इत्तरिए ? इत्तरिए अणेगविहे पण्णत्ते, त जहा-चउत्थे भत्ते, छट्टे भत्ते, अट्ठमे भत्ते, दसमे भत्ते, दुवालसमे भत्ते, चोद्दसमे भत्ते, अद्धमासिए भत्ते, मासिए भत्ते, दोमासिए भत्ते, तेमासिए भत्ते जाव' छम्मासिए भत्ते। सेत्त इत्तरिए । ५६१ से किं त आवकहिए ? आवकहिए दुविहे पण्णत्ते, त जहा पायोवगमणे' य, • भत्तपच्चक्खाणे य ॥ ५६२ से कि त पायोवगमणे ? पायोवगमणे दुविहे पण्णत्ते, त जहा-नीहारिमे य, अणीहारिमे य । नियम अपडिकम्मे । सेत्त पाओवगमणे ॥ ५६३. से कि त भत्तपच्चक्खाणे ? भत्तपच्चक्खाणे दुविहे पण्णत्ते, त जहा–नीहारिमे य, अणीहारिमे य। नियम सपडिकम्मे । सेत्त भत्तपच्चक्खाणे। सेत्त आवकहिए। सेत्त अणसणे ।। ५६४ से कि त प्रोमोदरिया ? प्रोमोदरिया दुविहा पण्णत्ता, त जहा—दव्वोमोदरिया य, भावोमोदरिया य॥ ५६५ से किं त दव्वोमोदरिया ? दव्वोमोदरिया दुविहा पण्णत्ता, त जहा उवगरणदव्वोमोदरिया य, भत्तपाणदव्वोमोदरिया य ।। ५६६ से कि त उवगरणदव्वोमोदरिया ? उवगरणदव्वोमोदरिया तिविहा पण्णत्ता, तं जहा-एगे वत्थे, एगे पाए,' चियत्तोवगरणसातिज्जणया। सेत्त उवगरणदव्वोमोदरिया ॥ ५६७ से कि त भत्तपाणदव्वोमोदरिया ? भत्तपाणदव्वोमोदरिया अट्ठकुक्कुडिअड गप्पमाणमेत्ते कवले आहारमाहारेमाणे अप्पाहारे, दुवालस "कुक्कुडिअडगपमाणमेत्ते कवले आहारमाहारेमाणे अवड्ढोमोदरिए, सोलस कुक्कुडिअडगपमाणमेत्ते कवले आहारमाहारेमाणे दुभागप्पत्ते, चउव्वीस कुक्कुडिअडगपमाणमेत्ते कवले आहारमाहारेमाणे प्रोमोदरिए, वत्तीस कुक्कुडिअडगपमाणमेत्ते कवले आहारमाहारेमाणे पमाणमेत्ते, एत्तो एक्केण वि घाँसेण ऊणग ३. स० पा०-जहा सत्तमसए पढमोद्देसए जाव १ पादोव ° (ख)। ___ - २ पादे (अ, क, व)। नो। Page #1031 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६७० भगवई आहारमाहारेमाणे समणे निग्गथे० नो पकामरसभोजीति वत्तव्व सिया । सेत्तं भत्तपाणदव्वोमोदरिया । सेत्त दव्वोमोदरिया || ५६८ से कि त भावोमोदरिया ? भावोमोदरिया ग्रणेगविहा पण्णत्ता, त जहाअप्पकोहे', 'अप्पमाणे, ग्रप्पमाए, ' • अप्पलोभे, ग्रप्पसद्दे, अप्पझझे, ग्रप्पतुमतुमे । सेत्त भावोमोदरिया । सेत्त प्रोमोदरिया ॥ ५६६ से किंत भिक्खायरिया ? भिक्खायरिया ग्रणेगविहा पण्णत्ता, त जहा --- दव्वाभिग्गहचरए, खेत्ताभिग्गहचरए, कालाभिग्गहचरए, भावाभिग्गहचरए, उक्खित्तचरए, णिक्खित्तचरए, उक्खित्तणिक्खित्तचरए, णिक्खित्तरक्खित्तचरए, श्रवणीयचरए, वट्टिज्जमाणचरए, साहरिज्ज माणचरए, उवणीयचरए, उवणीयअवणीयचरए, श्रवणीयउवणीयचरए, ससटुचरए, प्रसंसठ्ठचरए, तज्जायससट्ठचरए, अण्णयचरए, मोणचरए, सुद्धेसणिए, सखादत्तिए । सेत्त भिक्खायरिया || ५७० से किंत रसपरिच्चाए ? रसपरिच्चाए अणेगविहे पण्णत्ते, त जहा— निव्विगितिए, पणीय रसविवज्जए, आयविलए, ग्रायामसित्थभोई, अरसाहारे, विरसाहारे, अताहारे, पताहारे, लूहाहारे । सेत्त रसपरिच्चाए ॥ ५७१ से कि त कायकिले से ? कायकिले से अणेगविहे पण्णत्ते, त जहा – ठाणादीए, उक्कुडुयासणिए, "पडिमट्ठाई, वीरासणिए, नेसज्जिए, प्रायावर, प्रवाउडए, ग्रपडुयए, ग्रणिट्ठहए, सव्वगायपरिकम्म-विभूसविप्पमुक्के । सेत्त काकिले से || ५७२ से कि त पडिसलीणया ? पडिसलीणया चउव्विहा पण्णत्ता, त जहा - इदियपडिसलीणया, कसायपडिसलीणया, जोगपडिसलीणया, विवित्तरायणासण सेवणया || ५७३. से कि त इदियपडिसलीणया ? इदियपडिसलीणया पचविहा पण्णत्ता, त जहा – सोइदियविसयप्पयारणिरोहो वा, सोइदियविसयप्पत्तेसु वा प्रत्थेसु रागदोसविणिग्गहो । चक्खिदियविसयप्पयारणिरोहो वा एव जाव फासिंदियविसयप्पयारणिरोहो वा, फासिंदियविसयप्पत्तेसु वा प्रत्थेसु रागदोस विणिग्गहो । सेत्त इंदियपडिसलीणया ॥ ५७४ से कि त कसायपडिसलीणया ? कसायपडिसलीणया चउव्विहा पण्णत्ता, त जहा -- कोहोदयनिरोहो वा, उदयप्पत्तस्स वा कोहस्स विफलीकरणं । एव १ न०पा० - अप्पको जाव अप्पलोभे । २. सं०पा० - जहा ओववाइए जाव सुद्धेसरिणए । ३. स० पा० - जहा ओववाइए जाव लूहाहारे । ४ स० पा० - जहा ओववाइए जाव सव्वगाय° । Page #1032 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९७१ पचवीसइम सत (सत्तसो उद्देसो) जाव लोभोदयनिरोहो वा, उदयपत्तस्स वा लोभस्स विफलीकरण । सेत्त कसायपडिसलीणया ॥ ५७५. से कि त जोगपडिसलीणया ? 'जोगपडिसलीणया तिविहा पण्णत्ता, त जहा मणजोगपडिसलीणया, वइजोगपडिसलीणया, कायजोगपडिसलीणया ॥ ५७६. से कि त मणजोगपडिसलीणया ? मणजोगपडिसलीणया अकुसलमणनिरोहो वा, कुसलमणउदीरण वा, मणस्स वा एगत्तीभावकरण । सेत्त मणजोगपडि सलीणया। ५७७. से कि त वइजोगपडिसलीणया ? वइजोगपडिसलीणया अकुसलवइनिरोहो वा, कुसलवइउदीरण वा, वईए वा एगत्तीभावकरण । सेत्त वइजोगपडि सलीणया"॥ ५७८. से कि त कायजोगपडिसलीणया ? कायजोगपडिसलीणया जण्ण सुसमाहिय पसत-साहरियपाणिपाए कुम्मो इव गुत्तिदिए अल्लीण-पल्लीणे चिट्ठति । सेत्त कायपडिसलीणया । सेत्त जोगपडिसलीणया । ५७६ से कि त विवित्तसयणासणसेवणया? विवित्तसयणासणसेवणया जण्ण आरामेसु वा उज्जाणेसु वा २०देवकुलेसु वा सभासु वा पवासु वा इत्थी-पसुपडगविवज्जियासु वा वसहीसु फासु-एसणिज्ज पीढ-फलग °-सेज्जा-सथारग उवसपज्जित्ताण विहरइ। सेत्त विवित्तसयणासणसेवणया। सेत्त पडिसली णया। सेत्त बाहिरए तवे ।। ५८०. से कि त अब्भितरए तवे ? अभितरए तवे छविहे पण्णत्ते, त जहा पायच्छित्त, विणो, वेयावच्च, सज्झाओ, झाण, विउसग्गो ॥ ५८१ से कि त पायच्छित्ते ? पायच्छित्ते दसविहे पण्णत्ते, त जहा-आलोयणारिहे जाव पारचियारिहे । सेत्त पायच्छित्ते ॥ ५८२. से किं त विणए ? विणए सत्तविहे पण्णत्ते, त जहा-नाणविणए, दसणविणए, चरित्तविणए,मणविणए, वइविणए, कायविणए, लोगोवयारविणए । १. 'जोगपडिसंलीणया तिविहा पण्णत्ता' इति पाठानुसारेण कृता। प्रस्तुतपाठस्य सक्षेप पाठे सूचिता योगप्रतिसलीनतायास्त्रय. एवमस्ति–जोगपडिसलीणया तिविहा प्रकारा प्रस्तुतप्रकरणे निर्दिष्टा न सन्ति तथा पण्णत्ता, त जहा-अकुसलमणनिरोहो वा, 'से कि त कायपडिसलीणया' इति पाठेनापि कुसलमणउदीरण वा, मणस्स वा एगत्तीभाव'से कि त मणपडिसलीणया, से कि त करण । अकुसलवइनिरोहो वा, कुसलवइउदीवइपडिसलीया' इति सूत्रयोरपि सकेतो रण वा, वईए वा एगत्तीभावकरण । लभ्यते । प्रतीयते लिपिकरणे सक्षेपो जात.। २. स० पाo.-जहा सोमिलुद्देसए जाव सेज्जा । तस्य पूर्तिरोपपातिक (सू० ३७)-वति- ३. भ० २५५५६ । Page #1033 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९७२ भगवई ५८३ से किं तं नाणविणए ? नाणविणए पंचविहे पण्णत्ते, त जहा--प्राभिणिवोहिय नाणविणए,' सुयनाणविणए ओहिनाणविणए, मणपज्जवनाणविणए, केवलनाणविणए । सेत्त नाणविणए ॥ ५८४ से कि तं दसणविणए ? दसणविणए दुविहे पण्णत्ते, त जहा-सुस्सूसणाविणए य, अणच्चासादणाविणए य ।। ५८५ से कि त सुस्सूसणाविणए ? सुस्सूसणाविणए अणेगविहे पण्णत्ते, त जहा सक्कारे इ वा सम्माणे इ वा किइकम्मे इ वा अन्भुट्ठाणे इ वा अजलिपग्गहे इ वा ग्रासणाभिग्गहे इ वा पासणाणुप्पदाणे इ वा, एतस्स पच्चुग्गच्छणया, ठियस्स पज्जुवासणया, गच्छतस्स पडिससाहणया । सेत्त सुस्सूसणाविणए । ५८६. से कि त अणच्चासादणाविणए ? अणच्चासादणाविणए पणयालीसइविहे पण्णत्ते, त जहा-अरहताण अगच्चासादणया, अरहतपण्णत्तस्स धम्मस्स अणच्चासादणया, आयरियाणं अणच्चासादणया, उवज्झायाणं अणच्चासादणया, थेराण अणच्चासादणया, कुलस्स अणच्चासादणया, गणस्स अणच्चासादणया, सघस्स अणच्चासादणया, किरियाए अणच्चासादणया, संभोगस्स अणच्चासादणया, ग्राभिणिबोहियनाणस्स अणच्चासादणया, जाव केवलनाणस्स अणच्चासादणया, एएसि चेव भत्ति-बहुमाणेण, एएसिं चेव वण्णसजलणया। सेत्त अणच्चासादणयाविणए । सेत्त दसणविणए। ५८७. से कि त चरित्तविणए ? चरित्तविणए पचविहे पण्णत्ते, त जहा-सामाइय चरित्तविणए जाव अहक्खायचरित्तविणए । सेत्त चरित्तविणए । ५८८. से कि त मणविणए ? मणविणए दुविहे पण्णत्ते, त जहा-पसत्थमणविणए य, अप्पसत्थमणविणए य ॥ ५८६ से कि त पसत्यमणविणए ? पसत्थमणविणए' सत्तविहे पण्णत्ते, तं जहा अपावए, असावज्जे, अकिरिए, निरुवक्केसे', अणण्हवकरे, अच्छविकरे, अभूयाभिसकणे । सेत्त पसत्थमणविणए। १. स० पा०-प्राभिणिवोहियनाणविणए जाव अफिरिए अकक्कसे अकडुए अणिटठरे __ केवल । अफरुसे अणण्हयकरे अछेयकरे अभेयकरे २. स० पा०-जहा चोद्दसमसए ततिए उद्देसए अपरितावरणकरे अणुद्दवणकरे अभूओवघाइए ___जाव पडिससाहणया। तहप्पगार मणो पहारेज्जा (प्रो० सू० ४०)। ३. अरणच्चासायणया (अ, ख); अणच्चासात- ५ निरुवक्कोसे (अ, क)। णया (क, ता)। ६. ° संकमणे (क, ता)। ४. पसत्यमणविणए-जे य मणे असावज्जे Page #1034 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचवीसइम सत (सत्तमो उद्देसो) ९७३ ५६० से किं त अप्पसत्यमणविणए ? अप्पसत्थमणविणए' सत्तविहे पण्णत्ते, त जहा पावए, सावज्जे, सकिरिए, सउवक्केसे', अण्हयकरे, छविकरे, भूयाभिसकणे । सेत्त अप्पसत्थमणविणए । सेत्त मणविणए॥ ५६१ से किं त वइविणए ? वइविणए दुविहे पण्णत्ते, त जहा–पसत्थवइविणए य, अप्पसत्थवइविणए य ॥ ५६२ से कि त पसत्थवइविणए ? पसत्थवइविणए' सत्तविहे पण्णत्ते, त जहा अपावए, असावज्जे जाव अभूयाभिसकणे । सेत्त पसत्थवइविणए ॥ ५९३ से किं तं अप्पसत्थवइविणए ? अप्पसत्थवइविणए सत्तविहे पण्णत्ते, त जहा पावए, सावज्जे जाव भूयाभिसकणे । सेत्त अप्पसत्थवइविणए । सेत्त वइविणए । ५६४ से कि तं कायविणए ? कायविणए दुविहे पण्णत्ते, त जहा-पसत्थकायविणए य, अप्पसत्थकायविणए य॥ ५६५ से कि त पसत्थकायविणए ? पसत्थकायविणए सत्तविहे पण्णत्ते, त जहा अाउत्त गमण, पाउत्त ठाणं, आउत्त निसीयण, उत्त तुयट्टण, आउत्त उल्लघण, पाउत्त पल्लघण, आउत्त सविदियजोगजुजणया । सेत्त पसत्थकाय विणए । ५६६ से किं तं अप्पसत्थकायविणए ? अप्पसत्थकायविणए सत्तविहे पण्णत्ते, त जहा-अणाउत्त गमण जाव प्रणाउत्त सविदियजोगजुजणया। सेत्तं अप्पसत्थकायविणए । सेत्त कायविणए॥ ५९७ से किं त लोगोवयारविणए ? लोगोवयारविणए सत्तविहे पण्णत्ते, त जहा अव्भासवत्तियों, परच्छदाणुवत्तिय, कज्जहेउ', कयपडिकइया', अत्तगवेसणया, देसकालण्णया, सव्वत्थेसु अप्पडिलोमया । सेत्त लोगोवयारविणए। सेत्त विणए । ५६८. से कि त वेयावच्चे ? वेयावच्चे दसविहे पण्णत्ते, त जहा-पायरियवेयावच्चे, उवज्झायवेयावच्चे, थेरवेयावच्चे, तवस्सिवेयावच्चे, गिलाणवेयावच्चे, सेहवेयावच्चे, कुलवेयावच्चे, गणवेयावच्चे, सघवेयावच्चे, साहम्मियवेयावच्चे। सेत्त वेयावच्चे ॥ १ अपसत्यमणविणए-जे य मणे सावज्जे ३ पूर्ववत् अत्रापि औपपातिकस्य पाठभेदो सकिरिए सकक्कसे कडुए णिठुरे फरसे दृश्य । अण्हयकरे छेयकरे भेयकरे परितावरणकरे ४ °पत्तिय (ता)। उद्दवणकरे भूओवघाइए तइप्पगार मणो णो ५ ज्ञानादिनिमित्त भक्ता दिदानमिति गम्यम्(व)। पहारेज्जा (ओ० सू० ४०)। ६. कइपडिक इयाए (ता)। २ सउवक्कोसे (क, ख)। ७. देसकालण्णुया (ओ० सू० ४०) । Page #1035 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ६७४ ५६६. से कि त सज्झाए ? सज्झाए पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा-वायणा, पडिपुच्छणा, परियट्टणा, अणुप्पेहा, धम्मकहा । से त्त सज्झाए । ६०० से किं त झाणे ? झाणे चउविहे पण्णत्ते, त जहा- अट्टे झाणे, रोद्दे झाणे, धम्मे झाणे, सुक्के झाणे ॥ ६०१ अट्टे झाणे चउविहे पण्णत्ते, त जहा अमणुण्णसपयोगसपउत्ते तस्स विप्पयोग सतिसमन्नागए यावि भवइ, मणुण्णसपयोगसपउत्ते तस्स अविप्पयोगसतिसमन्नागए यावि भवइ, आयकसंपयोगसपउत्ते तस्स विप्पयोगसतिसमन्नागए यावि भवइ, परिझुसियकामभोगसंपयोगसपउत्ते' तस्स अविप्पयोगसतिसमन्नागए यावि भवइ ॥ ६०२. अट्टस्स ण झाणस्स चत्तारि लक्खणा पण्णत्ता, तं जहा-कदणया, सोयणया, तिप्पणया, परिदेवणया ॥ ६०३ रोद्दे झाणे चउविहे पण्णत्ते, त जहा–हिंसाणुवधी, मोसाणुवंधी, तेयाणुवधी, सारक्खणाणुवधी ॥ ६०४. रोदस्स ण झाणस्स चत्तारि लक्खणा पण्णत्ता, त जहा--ग्रोस्सन्नदोसे, वहुलदोसे, अण्णाणदोसे, आमरणतदोसे ।। ६०५ धम्मे झाणे चउविहे चउप्पडोयारे पण्णत्ते, त जहा—आणाविजए, अवाय विजए, विवागविजए, सठाणविजए । ६०६ धम्मस्स ण झाणस्स चत्तारि लक्खणा पण्णत्ता, त जहा-प्राणारुयी, निसग्ग रुयी, सुत्तरुयी, ओगाढरुयी। ६०७ धम्मस्स ण झाणस्स चत्तारि बालबणा पण्णत्ता, त जहा-वायणा, पडिपुच्छणा, परियट्टणा, धम्मकहा ।। ६०८. धम्मस्स ण झाणस्स चत्तारि अणुप्पेहाम्रो पण्णत्तानो, त जहा–एगत्ताणप्पेहा, अणिच्चाणुप्पेहा, असरणाणुप्पेहा, ससाराणुप्पेहा ।। ६०६. सूक्के झाणे चउविहे चउप्पडोयारे पण्णत्ते, त जहा-पुहत्तवितक्के' सवियारी, एगत्तवितक्के अवियारी, सुहुमकिरिए अणियट्टी, समोछिण्णकिरिए अप्पडिवायी। ६१० सुक्कस्स ण झाणस्स चत्तारि लक्खणा पण्णत्ता, त जहा-खती, मुत्तो, अज्जवे, मद्दवे ॥ सुक्कस्स ण झाणस्स चत्तारि आलबणा पण्णत्ता, त जहा-अव्वहे, असमोहे, विवेगे, विउसग्गे ॥ ६११ १. परिज्जुसिय° (ख); परिझुसिय ° (ता)। ३ समोच्छिण्ण ° (ख, ता, म); समुच्छिण्ण ° २. वियक्के (ख)। (क्व०)। Page #1036 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पचवीसइम सतं (सत्तमो उद्देसो) ६७५ ६१२ सुक्कस्स णं झाणस्स चत्तारि अणुप्पेहाम्रो पण्णत्ताओ, तं जहा - ' प्रणतवत्तिय - णुप्पेहा, विष्परिणामाणुप्पेहा, असुभाणुप्पेहा, अवायाणुप्पेहा " । सेत्तं भाणे ॥ ६१३ से कि त विउसग्गे ? विउसग्गे दुविहे पण्णत्ते, त जहा - दव्वविउसग्गेय, भावविउसग्गे य ॥ ६१४ से कि त दव्वविरसग्गे ? दव्वविउसमे चउव्विहे पण्णत्ते, तं जहा - गणविउसग्गे, सरीरविउसग्गे, उवहिविउसग्गे, भत्तपाणविउसग्गे । सेत्त दव्वविउग्गे ॥ ६१५ से कि त भावविउसग्गे ? भावविउसग्गे तिविहे पण्णत्ते' त जहा - कसायविसग्गे, ससारविसग्गे, कम्मविउसग्गे ॥ ६१६ से कि त कसायविसग्गे ? कसायविसग्गे चउव्विहे पण्णत्ते, त जहा - कोहविउसग्गे, माणविउसग्गे, मायाविउसग्गे, लोभविसग्गे सेत्त कसायविउसग्गे ।। ६१७ से कि त ससारविसग्गे ? ससारविसग्गे चउव्विहे पण्णत्ते, त जहा - नेरइयसंसारविसग्गे जाव देवससारविसग्गे । सेत्त ससारविसग्गे || ६१८ से किं त कम्मविसग्गे ? कम्मविसग्गे ग्रट्ठविहे पण्णत्ते, त जहानाणावर णिज्जकम्मविसग्गे जाव तराइयकम्मविसग्गे । सेत्त कम्मविउसगे । सेत्त भावविउसग्गे । सेत्त अभितरए तवे ॥ ६१६ सेवं भते ! सेव भते । त्ति ।। अट्ठमो उद्देसो - नेरइयादी - पुणभव - पदं ६२० रायगिहे जाव एव वयासी - नेरइया ण भते । कह उववज्जति ? गोयमा । से जहानामए पवए पवमाणे अज्झवसाण निव्वत्तिएण करणोवाएण सेयकाले त ठाण विप्पजहित्ता पुरिम ठाण उवसपज्जित्ताण विहरइ, एवमेव एए वि जीवा पवओो विव पवमाणा अज्भवसाणनिव्वत्तिएण करणोवाएण सेयकाले त भव विप्पज हित्ता पुरिम भव उवसपज्जित्ताण विहरति ॥ १. अवायाणुप्पेहा, असुभाणुप्पेहा, अणतवत्तियाणुप्पेहा, विपरिणामाणुप्पेहा (ओ० सू० ४३) Page #1037 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छवीसइमं सतं __पढमो उद्देसो नमो सुयदेवयाए भगवईए १. जीवा य २. लेस्स ३. पक्खिय, ४ दिट्टि ५ अण्णाण ६ नाण ७ सण्णायो। ८. वेय ६. कसाए १० उवयोग ११ जोग एक्का रस वि ठाणा ॥१॥ जीवाणं लेस्सादिविसेसितजीवाणं च बंधाबंध-पदं १ तेण कालेणं तेणं समएण रायगिहे जाव' एव वयासी-जीवा ण भते । पावं कम्म किं वधी बधइ बधिस्सइ ? बधी वधइ न वधिस्सइ ? वधी न वधइ बंधिस्सइ ? बधी न बधइ न बधिस्सइ ? गोयमा । अत्थेगतिए वधी वधइ बधिस्सइ, अत्थेगतिए वधी वधइ न वधिस्सइ, अत्थेगतिए बधी न बधइ बधिस्सइ, अत्यंगतिए वधी न वधइ न वधिस्सइ ।। २ सलेस्से ण भते । जीवे पाव कम्म कि वधी वधइ वधिस्सइ ? बधी वधइ न बधिस्सइ-पुच्छा। गोयमा | अत्यंगतिए बधी बधइ बधिस्सइ, अत्थेगतिए एव चउभगो ।। ३ कण्हलेस्से ण भते ! जीवे पाव कम्म किं बधी-पुच्छा। गोयमा । अत्थेगतिए बधी बधइ वधिस्सइ, अत्थेगतिए वधी बधड न वधिस्सइ । एव जाव पम्हलेस्से । सव्वत्थ पढम-बितियभंगा। सुक्कलेस्से जहा सलेस्से तहेव चउभगो।। ४. अलेस्से ण भते ! जीवे पाव कम्म कि बधी-पुच्छा। गोयमा ! वधी न बधइ न वधिस्सइ ।। ५ कण्हपक्खिए ण भते । जीवे पावं कम्म-पुच्छा। गोयमा । अत्यगतिए बधी, पढम-वितिया' भगा ॥ १. भ० ११४-१०। ___२. बीया (ता)। ওঃ Page #1038 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मम सत (पढमो उद्देसो) ६. सुक्कपक्खिए णं भते । जीवे - पुच्छा । गोयमा । चउभगो भाणियव्वो ॥ ६७६ ७. सम्मणि चत्तारि भंगा, मिच्छादिट्ठीण पढम वितिया, सम्मामिच्छादिट्ठीण एवं चैव ॥ ご नाणीण चत्तारि भगा, ग्राभिणिवोहियनाणीण जाव मणपज्जवनाणीणं चत्तारि भंगा, केवलनाणीण चरिमो भगो जहा लेस्साण || ६ अण्णाणीण पढम-वितिया, एव मइण्णाणीण, सुयण्णाणीण, विभगनाणीण वि ॥ १० ग्राहारसण्णोवउत्ताण जाव परिग्गहसण्णोवउत्ताण पढम-वितिया, नोसण्णोवउत्ताण चत्तारि ॥ ११ सवेदगाण पढम - बितिया । एव इत्यिवेदगा, पुरिसवेदगा, नपुसगवेदगा वि । वेदगाण चत्तारि ॥ १२ सकसाईणं चत्तारि, कोहकसाईण पढम - वितिया भगा, एव माणकसायिस्स वि, मायासास्सि वि । लोभकसायिस्स चत्तारि भगा ॥ १३. कसायी ण भते । जीवे पाव कम्म किं बधी - पुच्छा । गोयमा । प्रत्येगतिए वधी न बधइ वधिस्सइ, प्रत्थेगतिए बधी न वघइ न afras || १४ सजोगिस्स चउभगो, एव मणजोगिस्स वि, वइजोगिस्स वि, कायजोगिस्स वि । जोगिस्स चरिमो ॥ १५ सागारोवउत्ते चत्तारि, ग्रणागारोवउत्ते वि चत्तारि भगा || नेरइयादीणं लेस्सादिविसेतिने रइयादीणं च बंधाबंध- पदं १६ नेरइए ण भते । पाव कम्म किं वधी वधइ वधिस्सइ ? गोमा । ग्रत्येतिए वधी, पढम-वितिया || १७. सलेस्से ण भते । नेरइए पाव कम्म० ? एव चेव । एव कण्हलेस्से वि, नीललेस्से वि, काउलेस्से वि । एव कण्हपक्खिए सुक्कपक्खिए, सम्मदिट्ठी मिच्छादिट्ठी सम्मामिच्छादिट्ठी, नाणी ग्राभिणिवोहियनाणी सुयनाणी ग्रोहिनाणी, अण्णाणी मण्णाणी सुयग्रण्णाणी विभगनाणी, ग्राहारसण्णोवउत्ते जाव परिग्गहसण्णोवउत्ते, सवेदए नपुसकवेदए, सकसायी जाव लोभकसायी, सजोगी मणजोगी वइजोगी कायजोगी, सागरोवउत्ते प्रणागारोवउत्ते – एएसु सव्वेसु पदेसु पढम - वितिया भगा भाणियव्वा । एव असुरकुमारस्स वि वत्तव्वया भाणियव्वा, नवर - ते उलेसा, इत्थि वेदग - पुरिसवेदगा य अव्भहिया, नपुसगवेदगा न भण्णति, सेस त चैव सव्वत्थ पढम - वितिया भगा । एव जाव थणियकुमारस्स । Page #1039 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६७६ I ६२१ तेसि ण भते | जीवाणं कह सीहा गती, कहं सीहे गतिविस पण्णत्ते ? गोयमा । से जहानामए केइ पुरिसे तरुणे बलव एव जहा चोद्दसमसए पढमुद्देसए जाव' तिसमएण वा विग्गहेण उववज्जति । तेसि ण जीवाणं तहा सीहा गई, तहा सी गतिविस पण्णत्ते ॥ ६२२ तेण भते । जीवा कह परभवियाउय पकरेति ? गोयमा । ग्रज्झवसाणजोग निव्वत्तिएण करणोवाएण, एव खलु ते जीवा परभवियाउयं पकरेति ॥ भगवई ६२३ तेसि णं भते | जीवाण कह गती पवत्तइ ? 1 गोयमा । श्राउक्खएण, भवक्खएण, ठिइक्खएण, एव खलु तेसिं जीवाणं गती पवत्तति ॥ ६२४ ते ण भते । जीवा कि प्राइड्ढीए' उववज्जति ? परिड्ढीए उववज्जति ? गोयमा ! ग्राइड्ढी उववज्जंति, नो परिड्ढी उववज्जति ॥ ६२५ ते ण भते । जीवा कि श्रायकम्मुणा उववज्जति ? परकम्मुणा उववज्जति ? गोयमा | आयकम्मुणा उववज्जति, नो परकम्मुणा उववज्जति ।। ६२६ ते ण भते । जीवा किं प्रायप्पयोगेण उववज्जति ? परप्पयोगेण उववज्जंति ? गोयमा । श्रयप्पयोगेण उववज्जति, नो परप्पयोगेण उववज्जति ॥ ६२७. असुरकुमारा ण भते । कह उववज्जति ? जहा नेरइया तहेव निरवसेस जाव नो परप्पयोगेण उववज्जति । एव एगिदियवज्जा जाव वेमाणिया । एगिंदिया एवं चेव, नवर - चउसमइओ विग्गहो । सेस त चेव ॥ ६२८ सेव भते । सेव भते । त्ति जाव विहरइ ॥ ६- १२ उद्देसा ६२९ भवसिद्धियने रइया ण भते । कह उववज्जति ? गोयमा ! से जहानामए पवए पवमाणे, अवसेस त चेव जाव वेमाणि ॥ ६३० सेव भते । सेव भते । त्ति ॥ ६३१ ग्रभवसिद्धियनेरइया ण भते ! कह उववज्जति ? गोयमा । से जहानामए पवए पवमाणे, अवसेस त चेव । एव जाव वेमाणिए ॥ ६३२ सेव भंते ! सेवं भते ! त्ति ॥ १. भ० १४।३ । २. आयड्ढी (ता) | Page #1040 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६७७ पचवीसइम सत (९-१२ उद्देसा) ___९७७ ६३३ सम्मदिदिने रइया ण भते । कह उववज्जति ? गोयमा | से जहानामए पवए पवमाणे, अवसेस त चेव । एव एगिदियवज्ज जाव वेमाणिए॥ ६३४ सेव भते । सेव भते । त्ति ।। ६३५ मिच्छदिदिने रइया ण भते । कह उववज्जति ? ___ गोयमा | से जहानामए पवए पवमाणे, अवसेस त चेव । एव जाव वेमाणिए । ६३६ सेव भते । सेव भते । त्ति ।। Page #1041 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८० भगवई एव पुढविकाइयस्स वि, ग्राउकाइयस्स वि जाव पचिदियतिरिक्खजोणियस्स वि सव्वत्थ वि पढम-वितिया भंगा, नवर–जस्स जा लेस्सा। दिट्ठी, नाण, अण्णाण, वेदो, जोगो य अत्थि त तस्स भाणियव्व, सेस तहेव । मणूसस्स जच्चेव जीवपदे वत्तव्वया सच्चेव निरवसेसा भाणियव्वा । वाणमतरस्स जहा असुरकुमारस्स । जोइसियस्स वेमाणियस्स एव चेव, नवर-लेस्सायो जाणि यव्वानो, सेस तहेव भाणियव्व ।। जीवादीण नाणावरणादिकम्मं पडुच्च बंधाबंध-पदं १८ जीवे ण भते । नाणावरणिज्ज कम्म कि बधी वधइ वधिस्सइ० ? एवं जहेव पावकम्मस्स वत्तव्वया तहेव नाणावरणिज्जस्स वि भाणियव्वा, नवर-जीवपदे मणुस्सपदे य सकसाइम्मि जाव लोभकसाइम्मि य पढम-वितिया भगा, अवसेस त चेव जाव वेमाणिया । एव दरिसणावरणिज्जेण वि दडगो भाणियव्वो निरवसेसो॥ जीवे ण भते | वेयणिज्ज कम्म किं बधी-पुच्छा। गोयमा | अत्थेगतिए बधी वंधइ वधिस्सइ, प्रत्येगतिए वधी वंधइ न वंधिस्सइ, अत्थेगतिए बधी न वधइ न वधिस्सइ । सलेस्से वि एव चेव ततियविहूणा भगा। कण्हलेस्से जाव पम्हनेस्से पढम-वितिया भगा। सुक्कलेस्से ततियविहूणा भगा। अलेस्से चरिमो भगो। कण्हपक्खिए पढम-वितिया। सूक्कपक्खिया ततियविहणा । एव सम्मदिट्ठिस्स वि, मिच्छादिट्ठिस्स सम्मामिच्छादिद्रिस्स य पढमबितिया । नाणिस्स ततियविहूणा। आभिणिवोहियनाणी जाव मणपज्जवनाणी पढम-वितिया । केवलनाणी ततियविहूणा । एव नोसण्णोवउत्ते, अवेदए, अकसायी। सागारोवउत्ते अणागारोवउत्ते-एएसु ततियविरुणा । अजोगिम्मि य चरिमो । सेसेसु पढम-बितिया ॥ नेरइए णं भते | वेयणिज्ज कम्म कि बंधी वधइ० ? एव नेरइया जाव वेमा णिय त्ति । जस्स ज अत्थि सव्वत्थ वि पढम-वितिया, नवर - मणुस्से जहा जीवे ॥ २१ जीवे ण भते ! मोहणिज्ज कम्मं कि बधी वधइ० ? जहेव पावं कम्म तहेव मोहणिज्ज पि निरवसेस जाव वेमाणिए । २२ जीवे ण भते । आउय कम्म कि वधी वधइ-पुच्छा। गोयमा अत्यंगतिए वधी चउभगो। सलेस्से जाव सुक्कलेस्से चत्तारि भगा। अलेस्से चरिमो भगो॥ २३ कण्हपक्खिए ण-पुच्छा। गोयमा । अत्यंगतिए वधी वधइ बंधिस्सइ, अत्यंगतिए बधी न वधइ वधिस्सइ । सुक्कपक्खिए सम्मदिट्ठी मिच्छादिट्ठी चत्तारि भगा ।। २० Page #1042 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९८१ छवीसइम सत (वीओ उद्देसो) २४ सम्मामिच्छादिट्ठी-पुच्छा। गोयमा । अत्थेगतिए वधी न वधइ वधिस्सइ, अत्थेगतिए वधी न वधइ न वधिस्सइ । नाणी जाव ओहिनाणी चत्तारि भगा। २५ मणपज्जवनाणी-पुच्छा। गोयमा । प्रत्येगतिए वधी वधड वविस्सइ, अत्थेगतिए बधी न वधइ बधिस्सइ, अत्थेगतिए वधी न वधइन वधिस्सइ। केवलनाणे चरिमो भगो। एव एएण कमेण नोसण्णोवउत्ते वितियविहूणा जहेव मणपज्जवनाणे। अवेदए अकसाई य ततिय-चउत्था जहेव सम्मामिच्छत्ते । अजोगिम्मि चरिमो, सेसेसु पदेसु चत्तारि भगा जाव अणागारोवउत्ते।। नेरइए ण भते | ग्राउय कम्म किं वधी - पुच्छा । गोयमा ! अत्थेगतिए चत्तारि भगा, एव सव्वत्थ वि नेरइयाण चत्तारि भगा, नवर-कण्हलेस्से कण्हपक्खिए य पढम-ततिया भगा, सम्मामिच्छत्ते ततियचउत्था । असुरकुमारे एव चेव, नवर-कण्हलेस्से वि चत्तारि भगा भाणियव्वा, सेस जहा नेरइयाणं । एव जाव थणियकुमाराण । पुढविक्काइयाण सव्वत्थ वि चत्तारि भगा, नवर-कण्हपक्खिए पढम-ततिया भगा ।। २७. तेउलेस्से- पुच्छा। गोयमा | वधी न वधड वधिस्सइ, सेसेसु सव्वत्थ चत्तारि भगा। एव आउक्काइय-वणस्सइकाइयाण वि निरवसेस । तेउकाइय-वाउक्काइयाण सव्वत्थ वि पढम-ततिया भगा । वेइदिय-तेइदिय-चउरिदियाण पि सव्वत्थ वि पढम-ततिया भगा, नवर-सम्मत्ते, नाणे, ग्राभिणिवोहियनाणे सुयनाणे ततिनो भगो। पचिदियतिरिक्खजोणियाण कण्हपक्खिए पढम-ततिया भगा, सम्मामिच्छत्ते ततियचउत्थो भगो। सम्मत्ते, नाणे, आभिणिबोहियनाणे, सुयनाणे, योहिनाणेएएसु पचसु वि पदेसु वितियविहूणा भगा, सेसेसु चत्तारि भगा । मणुस्साण जहा जीवाण, नवर–सम्मत्ते, रोहिए नाणे, प्राभिणिवोहियनाणे, सुयनाणे, अोहिनाणे-एएसु वितियविहूणा भगा, सेस त चेव । वाणमतर-जोइसिय-वेमाणिया जहा असुरकुमारा । नाम गोय अतराय च एयाणि जहा नाणावरणिज्ज ॥ २८ सेव भते । सेवं भते । त्ति जाव विहरइ ।। बीओ उद्देसो विसेसितनेरइयादोण बंधाबंध-पदं २६ अणतरोववन्नए ण भते । नेरइए पाव कम्म कि वधी-पुच्छा तहेव । गोयमा ! अत्यंगतिए बधी, पढम-वितिया भगा॥ Page #1043 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८२ भगवई ३० सलेस्से ण भते । अणतरोववन्नए नेरइए पाव कम्म कि वधी-पुच्छा। गोयमा । पढम-वितिया भगा। एव खलु सव्वत्थ पढम-वितिया भगा, नवरसम्मामिच्छत्त मणजोगो वइजोगो य न पुच्छिज्जइ । एव जाव थणियकुमाराण । वेइदिय-तेइदिय-चरिदियाण वइजोगो न भण्णइ । पचिदियतिरिक्खजोणियाण पि सम्मामिच्छत्त, मोहिनाण, विभगनाण, मणजोगो, वइजोगो-एयाणि पच न भण्णति । मणुस्साण अलेस्स-सम्मामिच्छत्त-मणपज्जवनाण-केवलनाण-विभगनाण-नोसण्णोवउत्त-अवेदग-अकसाय-मणजोग-वडजोग-अजोगि-एयाणि एक्कारस पदाणि न भण्णति । वाणमतर-जोइसिय-वेमाणियाण जहा नेरइयाण तहेव ते तिण्णि न भण्णति। सव्वेसि जाणि सेसाणि ठाणाणि सव्वत्थ पढम-वितिया भगा। एगिदियाण सव्वत्थ पढम-वितिया भगा। जहा पावे एव नाणा वरणिज्जेण वि दडओ, एव आउयवज्जेसु जाव अतराइए द डओ।। ३१ अणतरोववन्नए ण भते । नेरइए आउय कम्म कि बधी-पुच्छा। गोयमा । बधी न वधड वधिस्सइ ॥ ३२. सलेस्से ण भते । अणतरोववन्नए नेरइए आउय कम्म कि वधी० ? एव चेव ततिओ भगो। एव जाव अणागारोवउत्ते। सव्वत्थ वि ततिग्रो भगो। एव मणस्सवज्ज जाव वेमाणियाण । मणुस्साण सव्वत्थ ततिय-चउत्था भगा, नवर -कण्हपक्खिएसु ततिनो भगो । सव्वेसि नाणत्ताइ ताइ चेव ।। ३३ सेव भते । सेव भते । त्ति ।। ३-१० उद्देसा ३४. परपरोववन्नए ण भते । नेरइए पाव कम्म किं बधी-पुच्छा। गोयमा ! अत्थेगतिए पढम-वितिया। एव जहेव पढमो उद्देसनो तहेव परपरोववन्नएहि वि उद्देसो भाणियव्वो नेरइयाईओ तहेव नवदडगसगहिरो । अट्ठण्ह वि कम्मप्पगडीण जा जस्स कम्मस्स वत्तव्वया सा तस्स अहीणमतिरित्ता नेयव्वा जाव वेमाणिया अणागारोवउत्ता। ३५ सेव भते ! सेव भते । त्ति ॥ ३६. अणतरोगाढए ण भते । नेरइए पाव कम्म कि बधी-पूच्छा। गोयमा । अत्थेगतिए एव जहेव अणतरोववन्नएहि नवदडगसगहिरो' उद्देसो १. ° सहिमो (ता, व)। Page #1044 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छवीसइम सत (एक्कारसमो उद्देसो) ९८३ भणियो तहेव अणतरोगाढएहि वि अहीणमतिरित्तो भाणियव्बो नेरइयादीए जाव वेमाणिए । ३७ सेव भते । सेव भते । त्ति ॥ ३८ परपरोगाढए ण भते । नेरइए पाव कम्म कि वधी? जहेव परपरोववन्नएहि उद्देसो सो चेव निरवसेसो भाणियव्वो ।। ३६ सेव भते । सेव भते । त्ति ।। ४० अणत राहारए ण भते । नेरइए पाव कम्म कि बधी-पुच्छा । एव जहेव अणतरोववन्नएहि उद्देसो तहेव निरवसेस ।। ४१ मेवं भते । सेव भते । त्ति ॥ ४२ परपराहारए ण भते । नेरइए पाव कम्म कि बधी-पुच्छा। गोयमा । एव जहेव परपरोववन्नएहिं उद्देसो तहेव निरवसेसो भाणियन्वो॥ सेव भते । सेव भते । त्ति ।। ४४ अणतरपज्जत्तए ण भते । नेरइए पाव कम्म कि वधी--पुच्छा। गोयमा । जहेव अणतरोववन्नएहि उद्देसो तहेव निरवसेस ।। ४५ सेव भते । सेव भते । त्ति ।। ४६. परपरपज्जत्तए ण भते । नेरइए पाव कम्म कि बधी-पुच्छा। गोयमा । एव जहेब परपरोववन्नएहि उद्देसो तहेव निरवसेसो भाणियन्वो ॥ ४७ सेव भते । सेवं भते । त्ति जाव विहरइ ॥ ४८. चरिमे ण भते । नेरइए पाव कम्म कि बधी-पुच्छा। गोयमा । एव जहेव परपरोववन्नएहिं उद्देसो तहेव चरिमेहिं निरवसेस ॥ ४६ सेव भते । सेव भते । त्ति जाव' विहरइ ।। एक्कारसमो उद्देसो ५० अचरिमे ण भते | नेरइए पाव कम्म किं बधी-पुच्छा। ___ गोयमा | अत्येगइए एव जहेव' पढमोद्देसए, पढम-वितिया भगा भाणियव्वा सव्वत्थ जाव पचिंदियतिरिक्खजोणियाण ॥ ५१ अचरिमे णं भते । मणुस्से पाव कम्म किं बधी-पुच्छा। गोयमा । अत्थेगतिए वधी बधइ वधिस्सइ, अत्थेगतिए बधी बंधइ न बधिस्सइ, अत्यंगतिए वधी न वधइ वधिस्सइ ॥ १. भ० ११५१ । Page #1045 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८४ भगवई ५२ सलेस्से ण भते | अचरिमे मणुस्से पावं कम्म किं वधी ०? एव चेव तिण्णि भगा चरमविहूणा भाणियव्वा एव जहेव पढमुद्देसे, नवरं-जेसु तत्थ वीससु चत्तारि भगा तेसु इह आदिल्ला तिण्णि भगा भाणियन्वा चरिमभगवज्जा । अलेस्से केवलनाणी य अजोगी य--एए तिण्णि वि न पुच्छिज्जति, सेस तहेव । वाणमतर जोइसिय-वेमाणिए जहा नेरइए॥ ५३ अचरिमे ण भते । नेरइए नाणावरणिज्ज कम्म कि वधी-पुच्छा। गोयमा । एव जहेव पाव, नवर-मणुस्सेसु सकसाईसुलोभकसाईसु य पढमवितिया भगा, सेसा अट्ठारस चरमविहूणा, सेस तहेव जाव वेमाणियाणं । दरिसणावरणिज्ज पि एव चेव निरवसेस । वेयणिज्जे सव्वत्थ वि पढम-वितिया भगा जाव वेमाणियाण, नवर-मणुस्सेसु अलेस्से केवली अजोगी य नत्थि ॥ ५४ अचरिमे ण भते ! नेरइए मोहणिज्ज कम्म कि वधी-पुच्छा। गोयमा । जहेव पाव तहेव निरवसेस जाव वेमाणिए । ५५. अचरिमे ण भते | नेरइए आउय कम्म कि बधी-पुच्छा। गोयमा । पढम-बितिया भगा। एव सव्वपदेसु वि । नेरइयाण पढम-ततिया भगा, नवर-सम्मामिच्छत्ते ततियो भंगो। एव जाव थणियकुमाराण । पुढविक्काइय-ग्राउक्काइय-वणस्सइकाइयाण तेउलेस्साए ततिओ भगो। सेसेसु पदेसु सव्वत्थ पढम-ततिया भंगा। तेउकाइय-वाउक्काइयाण सव्वत्थ पढमततिया भगा । वेइदिय-तेइदिय-चरिदियाण एव चेव, नवर-सम्मत्ते अोहिनाणे आभिणिवोहियनाणे सुयनाणे-एएसु चउसु वि ठाणेसु ततिनो भगो । पचिदियतिरिक्खजोणियाण सम्मामिच्छत्ते ततिरो भगो। सेसपदेसु सव्वत्थ पढम-ततिया भगा। मणुस्साण सम्मामिच्छत्ते अवेदए अकसाइम्मि य ततियो भगो, अलेस्स-केवलनाण-अजोगी य न पुच्छिज्जति । सेसपदेसु सव्वत्थ पढमततिया भगा। वाणमतर-जोइसिय-वेमाणिया जहा नेरइया । नाम गोय अतराइय च जहेव नाणावरणिज्ज तहेव निरवसेस । ५६ सेव भते । सेव भते ! त्ति जाव विहरइ ॥ १ वीसेसु (अ)। २. कसायीसु (क, म, स)। ३. सेसेसु पदेसु (स)। Page #1046 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सत्तवीसइमं सतं १-११ उद्देसा जीवाण पावकम्म-करणाकरण- पद १ जीवेण भते । पाव कम्म कि करिसु करेति करेस्सति ? करिसु करेति नकरेस्सति ? करिसु न करेति करेस्सति ? र्कारसु न करेति न करेस्सति ? गोयमा । ग्रत्थेगतिए र्कारिसु न करेति करेस्सति, प्रत्येगतिए करिसु करेति न करेस्सति, ग्रत्येगतिए करिसु न करेति करेस्सति, प्रत्येगतिए र्कारसु न करेति न करेस्सति ॥ २. सलेस्से ण भते । जीवे पाव कम्म ? एव एएण अभिलावेण जच्चेव बधिसए वत्तव्वया सच्चेव निरवसेसा भाणियव्वा, तहेव नवदडगसगहिया एक्कारस उद्देगा भाणियव्वा ॥ ६८५ Page #1047 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ठावीसइमं सतं पढमो उद्देसो जीवाणं पावकम्म-समज्जण-समायरण-पदं १. जीवा ण भते । पाव कम्म कहि समज्जिणिसु ? कहि समायरिस् ? गोयमा | १ सव्वे वि ताव तिरिक्खजोणिएसु होज्जा २ अहवा तिरिक्खजोणिएसु य नेरइएसु य होज्जा ३ अहवा तिरिक्खजोणिएसु य मणुस्सेमु य होज्जा ४. अहवा तिरिक्खजोणिएस य देवेसु य होज्जा ५ अहवा तिरिक्खजोणिएस य नेरइएसु य मणुस्सेमु य होज्जा ६ अहवा तिरिक्खजोणिएसु य नेरइएसु य देवेसु य होज्जा ७ ग्रहवा तिरिक्खजोणिएसु य मणुस्सेसु य देवेसु य होज्जा ८ अहवा तिरिक्खजोणिएसु य नेरइएसु य मणुस्सेसु य देवेसु य होज्जा ॥ सलेस्सा ण भते । जीवा पाव कम्म कहिं समज्जिणिसु? कहि समायरिसु? एव चेव । एव कण्हलेस्सा जाव अलेस्सा। कण्हपक्खिया, सुक्कपक्खिया। एव जाव अणागारोवउत्ता ।। नेरडया ण भते ! पाव कम्म कहि समज्जिणिसु ? कहि समायरिसू ? गोयमा ! सव्वे वि ताव तिरिक्खजोणिएसु होज्जा, एव चेव अट्र भगा भाणियव्वा । एव सव्वत्थ अट्ठभगा जाव अणागारोवउत्तत्ति । एव जाव वेमाणियाण । एव नाणावरणिज्जेण वि दडयो। एव जाव अतराइएण। एवं एए जीवादीया वेमाणियपज्जवसाणा नव दडगा भवति । ४ सेव भते । सेव भते । त्ति जाव विहरइ ॥ 10 ३. वीओ उद्देलो अणतरोववन्नगा ण भते ! नेरइया पाव कम्म कहि समज्जिणिस् ? कहि समायरिंग? १८६ Page #1048 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ठावीसइम सत (३-११ उद्देसा) १५७ गोयमा | सव्वे वि ताव तिरिक्खजोणिएसु होज्जा, एव एत्थ' वि अट्ठ भगा। एव अणतरोववन्नगाण नेरइयाईण जस्स ज अत्थि लेसादीय अणागारोवोगपज्जवसाण त सव्व एयाए भयणाए भाणियव्व जाव वेमाणियाण, नवरअणंतरेसु जे परिहरियव्वा ते जहा बधिसए तहा इह पि । एव नाणावरणिज्जेण वि दडग्रो। एव जाव अतराइएण निरवसेस । एसो वि नवदडगसगहिरो उद्देसनो भाणियव्वो॥ सेव भते । सेव भते । त्ति ॥ ३-११ उद्देसा एव एएण कमेण जहेव बधिसए उद्देसगाण परिवाडी तहेव' इह पि अट्ठसु भगेसु नेयव्वा, नवर-जाणियव्व ज जस्स अस्थि त तस्स भाणियव्व जाव अचरिमद्देसो । सव्वे वि एए एक्कारस उद्देसगा। सेव भते । सेव भते । त्ति जाव विहरइ । १. सव्वत्थ (ता)। Page #1049 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एगूणतीसइमं सतं पढमो उद्देसो 1 वाणं पावकम्म-पट्ठवण- निट्ठवण-पदं १. ? जीवा णं भते ! पावं कम्म किं समाय पट्ठविसु समाय निट्ठविसु समाय पट्टविसु विसमाय निट्टविसु ? विसमाय पट्ठविसु समाय निट्ठविसु ? विसमाय पट्टविसु विसमाय निट्ठविसु ? गोयमा ! प्रत्येगतिया समायं पट्टविसु समायं निट्ठविसु जाव प्रत्येगतिया विसमाय विसु विसमाय निट्ठविसु ॥ से केणट्टेण भते । एव वुच्चइ - प्रत्येगतिया समाय पट्ठविसु समाय निट्ठविसु, त चेव ? गोयमा । जीवा चउव्विहा पण्णत्ता, त जहा - प्रत्येगतिया समाज्या समोववन्नगा, ग्रत्येगतिया समाज्या विसमोववन्नगा, प्रत्येगतिया विसमाउया समोववन्नगा, श्रत्येगतिया विसमाउया विसमोववन्नगा । तत्थ ण जे ते समाउया समोववन्नगा ते ण पावं कम्म समाय पटुविसु समाय निदुविसु । तत्थ जे ते समाज्या विसमोववन्नगा ते ण पाव कम्म समाय पट्टविसु विसमाय निट्ठविसु । तत्थ ण जे ते विसमाज्या समोववन्नगा ते ण पाव कम्म विसमाय पट्ठविसु समाय निट्ठविसु । तत्थ ण जे ते विसमाउया विसमोववन्नगा ते ण पाव कम्म विसमाय पट्ठविसु विसमाय निट्ठविसु । से तेणट्टेण गोयमा । त चेव ॥ ३. सलेस्सा ण भते ! जीवा पाव कम्म० ? एव चेव, एवं सव्वट्ठाणेसु वि जाव णागारोवउत्ता । एए सव्वे वि पया एयाए वत्तव्वयाए भाणियव्वा ॥ ४ नेरइया ण भते ! पाव कम्म कि समाय पट्ठविसु समाय निट्ठविसु — पुच्छा । गोयमा प्रत्येगतिया समाय पट्ठविसु, एव जहेव जीवाण तहेव भाणियव्व जाव अणागारोवउत्ता । एव जाव वेमाणियाण जस्स ज ग्रत्थि त एएण चेव 255 Page #1050 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गणतीम सतं ( २ - ११ उद्देसा) कमेण भाणियव्व । जहा पावेण दडो । एएण कमेण अट्ठसु वि कम्मप्पगडीसु दडगा भाणियव्वा जीवादीया वैमाणियपज्जवसाणा । एसो नवदडगसगहो पढो उद्देसो भाणियव्वो । ५ सेव भते । सेव भते । त्ति ॥ बीओ उद्देसो ग्रणतरोववन्नगा ण भते । नेरइया पाव कम्म किं समाय पट्ठविसु समाय निट्ठविसु — पुच्छा । गोयमा । ग्रत्येगतिया समाय पट्ठविसु समाय निट्टविसु, प्रत्येगतिया समाय पट्ठविसु विसमाय निट्ठविसु ॥ ७ सेकेणट्टेण भते ! एव वच्चइ - प्रत्येगतिया समाय पट्ठविसु, त चेव ? ६ ६८६ गोयमा । ग्रणतरोववन्नगा नेरइया दुविहा पण्णत्ता, त जहा — अत्थेगतिया समाउया समोववन्नगा, प्रत्येगतिया समाज्या विसमोववन्नगा । तत्थणजे समाउया समोववन्नगा तेण पाव कम्म समाय पट्ठविसु समाय निदुविसु । तत्थ ण जे ते समाउया विसमोववन्नगा ते ण पाव कम्म समाय पट्ठविसु विसनिवि । सेट्टेण त चेव ॥ सस्सा भते । प्रणतरोववन्नगा नेरइया पाव० ? एव चेव, एवं जाव ग्रणागारोवउत्ता। एव असुरकुमारा वि । एव जाव वेमाणिया', नवर ज जस्स प्रत्थि त तस्स भाणियव्व । एव नाणावरणिज्जेण वि दडग्रो । एव निरवसेस जाव तराइएण ॥ ६ सेव भते । सेव भते । त्ति जाव विहरइ ॥ ८ ३-११ उद्देसा १०. एव एएण गमएण जच्चेव वधिसए उद्देसगपरिवाडी सच्चेव इह विभाणियव्वा जाव ग्रचरिमो त्ति। अणतरउद्देसगाण चउण्ह वि एक्का वत्तव्वया, सेसाण सतह एक्का ॥ १ वेमाणियाण (ता) | Page #1051 -------------------------------------------------------------------------- ________________ समोसरण-पदं तीसइमं सतं पढमो उद्देसो ? १. कइ ण भंते । समोसरणा पण्णत्ता गोयमा । चत्तारि समोसरणा पण्णत्ता, त जहा - किरियावादी, अकिरियावादी, अण्णाणियवादी, वेणइयवादी || २ जीवा ण भते किं किरियावादी ? अकिरियावादी ? अण्णाणियवादी ? वेणइयवादी ? गोयमा ! जीवा किरियावादी वि, अकिरियावादी वि, अण्णाणियवादी वि desयवादी वि || ३ सलेस्सा ण भते । जीवा कि किरियावादी - पुच्छा | गोयमा । किरियावादी वि, ग्रकिरियावादी वि, अण्णाणियवादी वि, वेणइयवादी वि । एव जाव सुक्कलेस्सा ॥ ४ अलेस्सा ण भते । जीवा - पुच्छा | गोयमा । किरियावादी, नो अकिरियावादी, नो अण्णाणियवादी, नो वेणइयवादी || ५. कण्हपक्खिया ण भते । जीवा किं किरियावादी - पुच्छा । गोयमा । नो किरियावादी, अकिरियावादी, अण्णाणियवादी वि, वेणइयवादी वि । सुक्कपक्खिया जहा सलेस्सा | सम्मदिट्ठी जहा अलेस्सा | मिच्छादिट्ठी जहा पक्खिया । ६ सम्मामिच्छादिट्ठी ण – पुच्छा । गोमा । नो किरियावादी, नो किरियावादी, ग्रण्णाणियवादी वि, वेणइयवादी वि । नाणी जाव केवलनाणी जहा अलेस्से | अण्णाणी जाव विभागनाणी जहा कण्हपक्खिया । आहारसण्णोवउत्ता जाव परिग्गहसण्णोवउत्ता ६६० Page #1052 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तीसइम सतं (पढमो उद्देसो) जहा सलेस्सा। नोसण्णोवउत्ता जहा अलेस्सा | सवेदगा जाव नपुसगवेदगा जहा सलेस्सा। अवेदगा जहा अलेस्सा । सकसायी जाव लोभकसायी जहा सस्सा | कसायी जहा ग्रस्मा । सजोगी जाव कायजोगी जहा सलेस्सा | जोगी जहा अलेस्सा | सागारोवउत्ता प्रणागारोवउत्ता जहा सलेस्सा ॥ ७ नेरइया ण भते । किं किरियावादी - पुच्छा । 1 ६६१ गोयमा ! किरियावादी वि जाव वेणइयवादी वि ।। सलेस्सा ण भते । नेरइया किं किरियावादी ? एव चेव । एव जाव काउलेस्सा । कण्हपक्खिया किरियाविवज्जिया । एव एएण कमेण जच्चेव जीवाण वत्तव्वया सच्चेव नेरइयाण वि जाव प्रणागारोवउत्ता, नवर-ज अत्थि त भाणियव्व, सेस न भणति । जहा नेरइया एव जाव थणियकुमारा ॥ ६ पुढविकाइया ण भते । कि किरियावादी - पुच्छा | गोयमा । नो किरियावादी, प्रकिरियावादी वि, अण्णाणियवादी वि, नो वेणइयवादी । एव पुढविकाइयाण जं प्रत्थि तत्थ सव्वत्थ वि एयाइ दो मज्झिल्लाइ समोसरणाइ जाव ग्रणागारोवउत्ता वि । एव जाव चउरिदियाण । सव्वद्वाणेसु एयाइ चेव मज्भिल्लगाइ दो समोसरणाइ । सम्मत्त - नाणेहि वि एयाणि चेव मज्झिलगाइ दो समोसरणाइ । पचिदियतिरिक्खजोणिया जहा जीवा, नवरभाणिव्व । मणुस्सा जहा जीवा तहेव निरवसेस | वाणमतरजोइसिय-वेमाणिया जहा असुरकुमारा | १०. किरियावादी ण भते । जीवा कि नेरइयाउय पकरेति ? तिरिक्खजोणियाउय पकरेति ? मणुस्साउय पकरेति ? देवाउय पकरेति ? गोयमा । नो ने रइयाउय पकरेति, नो तिरिक्खजोणियाउय पकरेति, मणुस्साउयपि परेति, देवाउय पिपकरेति ॥ E ११ जड देवाउय पकरेति किं भवणवासिदेवाउय पकरेति जाव वेमाणिय देवाय पकरेति ? गोयमा नो भवणवासिदेवाउय पकरेति, नो वाणमतरदेवाउय पकरेति, नो जोsसि देवाउय पकरेति, वेमाणियदेवाउय पकरेति ॥ १२ किरियावादी ण भते । जीवा किं नेरइयाउय पकरेति, तिरिक्खजोणियाउयपुच्छा । गोयमा | नेरइयाउयपि पकरेति जाव देवाउय पिपकरेति । एव अण्णाणियवादी व वेणइयवादी वि ॥ १३. सलेस्सा ण भते ! जीवा किरियावादी किं नेरइयाउय पकरेति - पुच्छा । गोयमा ! नो नेरइयाउय, एव जहेव जीवा तहेव सलेस्सा वि चउहि वि समोसरणेहिं भाणियव्वा ॥ Page #1053 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६२ भगवई १५. १६. १४ कण्हलेस्सा ण भते । जीवा किरियावादी किं ने रइयाउयं पकरेंति-पुच्छा। गोयमा । नो नेरइयाउय पकरेति, नो तिरिक्खजोणियाउय पकरेति, मणुस्साउय पकरेति, नो देवाउय पकरेति । अकिरियवादी अण्णाणियवादी वेणइयवादी य चत्तारि वि पाउयाइ पकरेति । एव नीललेस्सा वि, काउलेस्सा वि ॥ तेउलेस्सा ण भते | जीवा किरियावादी कि नेरइयाउय पकरेति-पुच्छा। गोयमा | नो नेरइयाउय पकरेति, नो तिरिक्खजोणियाउय पकरेति, मणुस्साउय पि पकरेति, देवाउय पि पकरेति । जइ देवाउय पकरेति तहेव' । तेउलेस्सा ण भते । जीवा अकिरियावादी कि नेरइयाउयं-पुच्छा। गोयमा । नो नेरइयाउय पकरेति, मणुस्साउय पि पकरेति, तिरिक्खजोणियाउय पि पकरेति, देवाउय पि पकरेति । एव अण्णाणियवादी वि, वेणइयवादी वि । जहा तेउलेस्सा एव पम्हलेस्सा वि मुक्कलेस्सा वि नायव्वा ।। १७ अलेस्सा ण भते । जीवा किरियावादी कि नेरइयाउयं-पुच्छा। गोयमा । नो नेरइयाउय पकरेति, नो तिरिक्खजोणियाउय पकरेति, नो मणुस्साउय पकरेति, नो देवाउय पकरेति ।। १८ कण्हपक्खिया ण भते । जोवा अकिरियावादी किं ने रइयाउय-पुच्छा। गोयमा | नेरइयाउय पि पकरेति, एव चउविह पि। एवं अण्णाणियवादी वि, वेणइयवादी वि । सुक्कपक्खिया जहा सलेस्सा ।। सम्मदिट्री ण भते । जीवा किरियावादी किं ने रइयाउय-पच्छा। गोयमा | नो नेरइयाउय पकरेति, नो तिरिक्खजोणियाउय पकरेति, मणस्साउय पि पकरेति, देवाउय पि पकरेंति । मिच्छादिट्ठी जहा कण्हपक्खिया। सम्मामिच्छादिट्री ण भते । जीवा अण्णाणियवादी किं नेरइयाउय० ? जहा अलेस्सा । एव वेणइयवादी वि । नाणी आभिणिवोहियनाणी य सुयनाणी य ओहिनाणी य जहा सम्मद्दिट्ठी ।।। मणपज्जवनाणी ण भते । —पुच्छा। गोयमा | नो नेरइयाउय पकरेति, नो तिरिक्खजोणियाउय पकरेति, नो मणुस्साउय पकरेति, देवाउय पकरेति ।। जड देवाउय पकरेति किं भवणवासि-पुच्छा। गोयमा | नो भवणवासिदेवाउय पकरेति, नो वाणमतरदेवाउय पकरेति, नो जोइसियदेवाउय पकरेति, वेमाणियदेवाउय पकरेति । केवलनाणी जहा अलेस्सा । अण्णाणी जाव विभगनाणी जहा कण्हपक्खिया। सण्णासु चउसु वि १. भ० ३०।११। Page #1054 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तीपइम सत ( पढमो उद्देसो) ६६३ 1 जहा सलेस्सा । नोसण्णोवउत्ता जहा मणपज्जवनाणी । सवेदगा जाव नपुसग - वेदगा जहा सलेस्सा । श्रवेदगा जहा अलेस्सा । सकसायी जाव लोभकसायी जहा सलेस्सा । ग्रकसायी जहा अलेस्सा । सजोगी' जाव कायजोगी जहा सलेस्सा । ग्रजोगी जहा ग्रलेस्सा। सागारोवउत्ता य अणागारोवउत्ता य जहा सलेस्सा ॥ 1 २३ किरियावादी ण भते । नेरइया कि नेरइयाउय – पुच्छा | गोमा नो नेरइयाउय पकरेति, नो तिरिक्खजोणियाउय पकरेति, मणुस्साय पकरेति, नो देवाउय पकरेति ॥ २४ ग्रकिरियावादी ण भते । नेरइया -पुच्छा । गोयमा । नो नेरइयाउय, तिरिक्खजोणियाउय पिपकरेति, मणुस्साउय पि करेति, नो देवाउय पकरेंति । एव ग्रण्णाणियवादी वि, वेणइयवादी वि ॥ २५ सलेस्साण भने । नेरइया किरियावादी कि नेरइयाउय ० ? एव सव्वे वि नेरइया जे किरियावादी ते मणुस्साउय एग पकरेति, जे प्रकिरियावादी अण्णाणियवादी वेणइयवादी ते सव्वट्टाणेसु वि नो नेरइयाउय पकरेति, तिरिक्ख जोगियाज्यपि पकरेति, मणुस्माउयपि पकरेति, नो देवाउय पकरेति, नवर - सम्मामिच्छते उवरिल्ले हि दोहि विसमोसरणेहि न किचि विपकरेति जव जीवपदे । एव जाव थणियकुमारा जहेव नेरइया ॥ २६ अकिरियावादी ण भते । पुढविक्काइया - पुच्छा । गोयमा । नानंरइयाउय पकरेति, तिरिक्ख जोणियाउय पकरेति, मनुस्साय पकरेति, नो देवाउय पकरेति । एव प्रण्णाणियवादी वि ॥ I २७ सलेस्सा ण भते । एव ज ज पद प्रत्थि पुढविकाइयाण तहिं तहिं मज्झिमेसु दो समोसरणेसु एवं चैव दुविह प्राउय पकरेति, नवर - तेउलेस्साए न किपि पकरेति । एव आउक्काइयाण वि, वणस्सइकाइयाण वि । तेउकाइग्रा वाउकाइग्रा सव्वट्ठाणेसु मज्झिमेसु दोसु समोसरणेसु नो नेरइयाउय पकरेति, तिरिक्खजोणियाउय पकरेति, नो मणुस्साउय पकरेति, नो देवाउय पकरेति । वेइदिय-तेइदिय-चउरिदियाण जहा पुढविकाइयाण, नवर - सम्मत्त-नाणेसु न एक्क पाय पकरेति ॥ २८ किरियावादी ण भते । पचिदियतिरिक्खजोणिया कि नेरइयाउय पकरेति— पुच्छा । गोयमा । जहा मणपज्जवनाणी । अकिरियावादी अण्णाणियवादी वेणइयवादी य चउव्विह पि पकरेति । जहा ओहिया' तहा सलेस्सावि ॥ १ सजोती ( ख ) । २ ओविता (ता) | Page #1055 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ૨૨૪ भगवई २६. कण्हलेस्सा णं भंते ! किरियावादी पंचिदियतिरिक्खजोणिया किं नेरइयाउयंपुच्छा। I गोयमा ! नो नेरइयाउयं पकरेति, नो तिरिक्खजोणियाउयं, नो मणुस्साउयं नो देवाउयं पकरेति । अकिरियावादी अण्णाणियवादी वेणइयवादी चउव्विह पि पकरेति । जहा कण्हलेस्सा एवं नीललेस्सा वि, काउलेस्सा वि । तेउलेस्सा जहा सलेस्सा, नवरं— अकिरियावादी, अण्णाणियवादी, वेणइयवादी य नो नेरइयाउय पकरेति, तिरिक्खजोणियाउयं पि पकरेति, मणुस्साउय पि पकरेति, देवाउयं पि पकरॅति । एव पम्हलेस्सा वि । एवं सुक्कलेस्सा वि भाणियव्वा । कण्हपक्खिया तिहिं समोसरणेहि चउव्विह पि प्राउय पकरेति । सुक्कपक्खिया जहा सलेस्सा | सम्मदिट्ठी जहा मणपज्जवनाणी तहेव वेमाणियाउय पकरेति । मिच्छादिट्ठी जहा कण्हपक्खिया । सम्मामिच्छादिट्ठी ण य एक्कं पिपकरेति जहेव नेरइया । नाणी जाव ओहिनाणी जहा सम्मद्दिट्ठी | अण्णाणी जाव विभगनाणी जहा कण्हपक्खिया । सेसा जाव णागारोवउत्ता सव्वे जहा सलेस्सा तहा चेव भाणियव्वा । जहा पचिदियतिरिक्खजोणियाण वत्तव्वया भणिया एव मणुस्साण वि भाणियव्वा, नवर-मणपज्जवनाणी नोसण्णोवउत्ता य जहा सम्मद्दिट्ठी तिरिक्खजोणिया तहेव भाणियव्वा । अलेस्सा केवलनाणी अवेदगा कसायी अजोगी य एए न एग पि आउयं पकरेति । जहा प्रोहिया जीवा सेस तहेव । वाणमंतर - जोइसिय- वेमाणिया जहा असुरकुमारा ॥ ३०. किरियावादी ण भते । जीवा किं भवसिद्धीया ? अभवसिद्धीया ? गोमा ! भवसिद्धीया, नो ग्रभवसिद्धीया ॥ ३१. प्रकिरियावादी ण भंते । जीवा किं भवसिद्धीया - पुच्छा । गोयमा । भवसिद्धीया वि, अभवसिद्धीया वि । एव अण्णाणियवादी वि desयवादी वि || ३२. सलेस्सा ण भते । जीवा किरियावादी किं भवसिद्धीया - पुच्छा । गोयमा । भवसिद्धीया, नो ग्रभवसिद्धीया ॥ ३३. सलेस्सा णं भते । जीवा ग्रकिरियावादी किं भवसिद्धीया - पुच्छा । गोयमा । भवसिद्धीया वि, ग्रभवसिद्धीया वि । एव अण्णाणियवादी वि वेणइयवादी वि जहा सलेस्सा । एवं जाव सुक्कलेस्सा ॥ ३४. अलेस्सा ण भते । जीवा किरियावादी किं भवसिद्धीया - पुच्छा । गोयमा ! भवसिद्धीया, नो अभवसिद्धीया । एव एएण अभिलावेण कण्हपक्खिया तिसु वि समोसरणेमुभयणाए । सुक्कपक्खिया चउसु वि समोसरणेसु भवसिद्धीया, नो श्रभवसिद्धीया । सम्मदिट्ठी जहा अलेस्सा । मिच्छादिट्ठी जहा कण्ह Page #1056 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तीसइमं सत (वीओ उद्देतो) ९६५ पक्खिया । सम्मामिच्छादिछी दोसु वि समोसरणेसु जहा अलेस्सा। नाणी जाव केवलनाणी भवसिद्धीया, नो अभवसिद्धीया। अण्णाणी जाव विभगनाणी जहा कण्हपक्खिया। सण्णासु चउमु वि जहा सलेस्सा। नोसण्णोवउत्ता जहा सम्मदिट्ठी। सवेदगा जाव नपुसगवेदगा जहा सलेस्सा । अवेदगा जहा सम्मदिट्ठी। सकसायी जाव लोभकसायी जहा सलेस्सा। अकसायी जहा सम्मदिट्ठी। सजोगी जाव कायजोगी जहा सलेस्सा। अजोगी जहा सम्मदिट्ठी। सागारोवउत्ता अणागारोवउत्ता जहा सलेस्सा। एव नेरइया वि भाणियव्वा, नवर-नायव्व' जं अत्यि। एव असुरकुमारा वि जाव थणियकुमारा। पुढविक्काइया सव्वट्ठाणेसु वि मज्झिल्लम दोसु वि समोसरणेसु भवसिद्धीया वि, अभवसिद्धीया वि। एव जाव वणस्मइकाइया । बेइदिय-तेइदिय-चउरिदिया एव चेव, नवरसम्मत्तं ओहिनाणे आभिणिवोहियनाणे सुयनाणे-एएसु चेव दोसु मज्झिमेसू समोसरणेमु भवसिद्धिया, नो अभवसिद्धिया, सेस त चेव । पचिंदियतिरिक्खजोणिया जहा नेरइया, नवर--नायव्व ज अस्थि । मणुस्सा जहा प्रोहिया जीवा । वाणमतर-जोइसिय-वेमाणिया जहा असुरकुमारा ।। ३५ सेव भते । मेव भते । त्ति ॥ बीओ उद्देसो ३६. अणतरोववन्नगाण भंते । नेरइया कि किरियावादी-पुच्छा। गोयमा । किरियावादी वि जाव वेणइयवादी वि ॥ ३७. सलेस्सा ण भते । अणतरोववन्नगा नेरइया किं किरियावादी० ? एव चेव । एव जहेव पढमुद्देसे नेरइयाण वत्तव्वया तहेव इह वि भाणियव्वा, नवरंज ज' अत्थि अणंतरोववन्नगाण नेरइयाण त त' भाणियव्व । एव सव्वजीवाण जाव वेमाणियाण, नवर-अणतरोववन्नगाण ज जहिं अत्थि त तहिं भाणियव्वं ॥ ३८ किरियावादी ण भंते | अणतरोववन्नगा नेरइया किं नेरइयाउयं पकरेति पुच्छा । गोयमा ! नो नेरइयाउयं पकरेंति, नो तिरिक्खजोणियाउय, नो मणुस्साउय, १. नेयव्व (अ, क)। २. ज़म्स (अ, स)। ३. तस्स (अ, स)। Page #1057 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई नो देवाउयं पकरेति । एव अकिरियावादी वि ग्रण्णाणियवादी वि इयवादी वि ॥ ३६ सलेस्सा ण भते ! किरियावादी अणतरोववन्नगा नेरइया किं नेरइयाउय पकरेति – पुच्छा | गोयमा । नो नेरइयाउयं पकरेति जाव नो देवाउय पकरेंति । एव जाव वेमाणिया । एवं सव्वट्ठाणेसु वि ग्रणतरोववन्नगा नेरइया न किचि वि ग्राउय पकरेति जाव प्रणागारोवउत्तत्ति । एव जाव वेमाणिया, नवर - ज जस्स ग्रत्थि त तस्स भाणियव्व ॥ प्रणतरोववन्नगा नेरइया कि भवसिद्धीया ? अभव किरियावादी ण भते सिद्धीया ? गोयमा । भवसिद्धीया, नो अभवसिद्धीया ॥ ६६६ ४० ४१ अकिरियावादी ण - पुच्छा | गोयमा ! भवसिद्धीया वि, अभवसिद्धीया वि । एव अण्णाणियवादी वि वेणइयवादवि ॥ ४२ सलेस्सा ण भते । किरियावादी प्रणंतरोववन्नगा नेरइया कि भवसिद्धीया ? अभवसिद्धीया ? गोयमा ! भवसिद्धीया, नो अभवसिद्धीया । एवं एएण अभिलावेण जहेव ग्रोहिए उद्देसए नेरइयाण वत्तव्वया भणिया तहेव इह वि भाणियव्वा जाव प्रणागारोवउत्तत्ति । एव जाव वेमाणियाण, नवर - ज जस्स प्रत्थि त तस्स भाणियव्व । इम से लक्खण——जे किरियावादी सुक्कपक्खिया सम्मामिच्छदिट्ठीया एए सव्वे भवसिद्धीया, नो भवसिद्धया | सेसा सव्वे भवसिद्धीया वि भवसिद्धया वि ॥ ४३ सेव भते । सेव भते । त्ति | तड़ो उद्देसो ४४. परपरोववन्नगा ण भते । नेरइया किरियावादी० ? एव जहेव श्रोहि उद्देसो तहेव परपरोववन्नएस वि नेरइयादीग्रो तहेव निरवसेस भाणियव्वं, तव तियदंडगसगहियो || ४५. सेव भते । सेव भते । त्ति जाव विहरइ ॥ Page #1058 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तीसइमं सत (४-११ उद्देसा) १९७ ४-११ उद्देता ४६ एव एएण कमेण जच्चेव वधिसए उद्देसगाण परिवाडी सच्चेव इह पि जाव अचरिमो उद्देसो, नवर-अणतरा चत्तारि वि एक्कगमगा, परपरा चत्तारि वि एक्कगमएण। एव चरिमा वि, अचरिमा वि एव चेव, नवर--अलेस्सो केवली अजोगी न भण्णति, सेस तहेव ।।। ४७ सेव भते । सेव भते । त्ति । एए एक्कारस वि उद्देसगा। Page #1059 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खुड्डुजुम्म-नेरइयादीणं उववाय-पदं ३. ४. ५. इक्कतीसइमं सतं पढमो उद्देसो राग जाव एव वयासी - कति ण भते । खुड्डा जुम्मा पण्णत्ता ? गोयमा ! चत्तारि खुड्डा जुम्मा पण्णत्ता, त जहा - कडजुम्मे, तेयोए, दावरजुम्मे कलियो | , से केणट्टेण भंते ! एव वुच्चइ - चत्तारि खुड्डा जुम्मा पण्णत्ता, त जहाकडजुम्मे जाव कलियोगे ? गोयमा । जेण रासी चउक्कएण अवहारेण प्रवहीरमाणे चउपज्जवसिए सेत्तं खुड्डागकडजुम्मे । जे ण रासी चउक्कएण अवहारेण ग्रवहीरमाणे तिपज्जवसिए सेत्त खुड्डागयोगे । जेण रासी चउक्कएण श्रवहारेण अवहीरमाणे दुपज्जवसिए सेत्त खुड्डागदावरजुम्मे । जेण रासी चउक्कण ग्रवहारेण प्रवही रमाणे एगपज्जवसिए सेत्त खुड्डागकलियोगे से तेणट्टेण जाव कलियोगे ॥ खुड्डागकडजुम्मनेरइया ण भते ! कनो उववज्जति - कि नेरइएहितो उववज्जति ? तिरिक्खजोणिएहितो - पुच्छा । गोमा ! नो ने रइए हितो उववज्जति । एव नेरइयाण उववाम्रो जहा वक्कतीए तहा भाणियव्व ॥ ते ण भते ! जीवा एगसमएण केवइया उववज्जति ? गोयमा ! चत्तारि वा अट्ठ वा वारस वा सोलस वा सखेज्जा वा प्रसखेज्जा वा उववज्जति ॥ ते णं भते ! जीवा कह उववज्जति ? गोयमा । से जहानामए पवए पवमाणे अज्भवसाणनिव्वत्तिएण करणोवाएण, १. वातर० ( क ) ; वादर • (म) 1 (ar), वायर 0 २. प०६ । ६६८ Page #1060 -------------------------------------------------------------------------- ________________ इक्कतीसइमं सतं (बीओ उद्देसो) ६६६ एव जहा पचविंसतिमे सए अट्ठमुद्देसए नेरइयाण वत्तव्वया तहेव इह वि भाणियव्वा जाव' यायप्पोगेण उववज्जति नो परप्पयोगेण उववज्जति ॥ रयणप्पभापुढविखुड्डागकडजुम्मने रइया ण भते । को उववज्जति० ? एव जहा ओहियने रइयाण वत्तव्वया सच्चेव रयणप्पभाए वि भाणियव्वा जाव नो परप्पयोगेण उववज्जति । एव सक्करप्पभाए वि, एव जाव अहेसत्तमाए। एवं उववाग्रो जहा वक्कतीए। अस्सण्णी खलु पढम, दोच्चं व सरीसवा तइय पक्खी। "सीहा जति चउत्थि, उएगा पुण पचमि पुढवि ॥१॥ छट्टि च इत्थियायो, मच्छा मणुमा य सत्तमि पुढवि । एसो परमुववाओ, बोधव्वो नरयपुढवीण ॥२॥ सेसं तहेव ॥ खुड्डागतेयोगने रइया ण भते । कनो उववज्जति-किं नेरइएहितो . ? उववायो जहा वक्कतीए॥ ८ ते ण भते | जीवा एगसमएण केवइया उववज्जति ? गोयमा ! तिण्णि वा सत्त वा एक्कारस वा पण्णरस वा सखेज्जा वा असखेज्जा वा उववज्जति । सेस जहा कडजुम्मस्स । एव जाव अहेसत्तमाए। खुड्डागदावरजुम्मनेरइया ण भते । कयो उववज्जति ? एव जहेव खुड्डागकडजुम्मे, नवर-परिमाण दो वा छ वा दस वा चोद्दस वा सखेज्जा वा असखेज्जा वा, सेस त चेव जाव अहेसत्तमाए ॥ १० खुड्डागकलिगोगनेरइया ण भते । कयो उववज्जति ? एवं जहेव खड्डागकड जुम्मे, नवर-परिमाण एक्को वा पच वा नव वा तेरस वा सखेज्जा वा असखेज्जा वा उववज्जति, सेस त चेव । एव जाव अहेसत्तमाए । ११. सेव भते । सेव भते । त्ति जाव विहरइ ॥ बीओ उद्देसो १२. कण्हलेस्सखड्डागकडजुम्मनेरइया ण भते । को उववज्जति०? एव चेव' जहा प्रोहियगमो जाव नो परप्पयोगेण उववज्जति, नवर-उववानो जहा वक्कतीए धूमप्पभापुढविनेरइयाण, सेस त चेव ॥ ३. स० पा०-गाहा एवं उववाएरव्वा । १. भ० २५६२०-६२६ । २. प०६। Page #1061 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १००० भगवई १३ धूमप्पभापुढविकण्हलेस्सखुड्डागकडजुम्मनेरइया णं भते । को उववज्जति ? एव चेव निरवसेस । एवं तमाए वि, अहेसत्तमाए वि, नवर-उववायो सव्वत्थ जहा वक्कतीए॥ १४ कण्हलेस्सखड्डागतेप्रोगनेरइया णं भते । करो उववज्जति.? एव चेव, नवर तिण्णि वा सत्त वा एक्कारस वा पन्नरस वा सखेज्जा वा असखेज्जा वा, सेस त चेव । एव जाव अहेसत्तमाए वि ।। १५ कण्हलेस्सखुड्डागदावरजुम्मनेरइया ण भते । करो उववज्जति? एव चेव, नवर- दो वा छ वा दस वा चोद्दस वा, सेस त चेव । एव धूमप्पभाए वि जाव अहेसत्तमाए॥ १६ कण्हलेस्सखड्डागकलियोगने रइया ण भते । करो उववज्जति? एव चेव. नवर- एक्को वा पच वा नव वा तेरस वा संखेज्जा वा असखेज्जा वा, सेस त चेव । एव धूम्मप्पभाए वि, तमाए वि, अहेसत्तमाए वि ।। १७. सेव भते । सेव भते । त्ति । तइनो उद्देसो १८. नीललेस्सखडागकडजुम्मनेरइया ण भते । कयो उववज्जति ? एव जहेव कण्हलेस्साखुड्डागकडजुम्मा, नवर-उववाओ जो वालुयप्पभाए, सेस तं चेव । वालूयप्पभापुढविनीललेस्सखुड्डागकडजुम्मनेरइया एव चेव । एव पकप्पभाए वि, एव धूमप्पभाए वि। एव चउसु वि जुम्मेसु, नवरं-परिमाण जाणियन्व । परिमाण जहा कण्हलेस्सउद्देसए । सेस तहेव ।। १६. सेव भते । सेव भते ! त्ति । चउत्थो उद्देसो २०. काउलेस्सखड्डागकडजुम्मनेरइया ण भते । कनो उववज्जति ०? एव जहेव कण्हलेस्सखुड्डागकडजुम्मनेरइया, नवरं-उववाओ जो रयणप्पभाए, सेस तं चेव ॥ २१. रयणप्पभापुढविकाउलेस्सखुड्डागकडजुम्मनेरइया णं भते ! को उववज्जंति ०? Page #1062 -------------------------------------------------------------------------- ________________ इक्कतीसइमं सत (५-२८ उद्देसा) १००१ एव चेव । एवं सक्करप्पभाए वि, एव वालुयप्पभाए वि । एव चउसु वि जुम्मेसु, नवर-परिमाण जाणियव्व जहा कण्हलेस्सउद्देसए, सेस त चेव ।। २२. सेव भते । सेवं भते । त्ति ।।। २३ पंचमो उद्देसो भवसिद्धीयखड्डागकडजुम्मनेरइया ण भते | को उववज्जति–कि नेरइएहितो ०? एव जहेव प्रोहियो गमग्रो तहेव निरवसेस जाव' नो परप्पयोगेण उववज्जति ॥ रयणप्पभपुढविभवसिद्धीयखुड्डागकडजुम्मनेरइया ण भते । ०? एव चेव निरवसेस । एव जाव अहेसत्तमाए। एव भवसिद्धीयखुड्डागतेयोगनेरइया वि । एव जाव कलियोगत्ति, नवर-परिमाण जाणियव्व, परिमाण पुव्वभणिय जहा पढमुद्देसए । २५. सेव भते । सेव भते । त्ति ॥ छट्ठो उद्देसो २६ कण्हलेस्सभवसिद्धीयखड्डागकडजुम्मनेरइया ण भते । को उववज्जति ? एव जहेव प्रोहियो कण्हलेस्सउद्देसनो तहेव निरवसेस चउसु वि जुम्मेसु भाणियन्वो जाव२७ अहेसत्तमपुढविकण्हलेस्सखुड्डागकलियोगनेरइया ण भते | कओ उववज्जति ? तहेव ॥ २८ सेव भते । सेवं भते । त्ति ।। ७-२८ उद्देसा २६ नोललेस्सभवसिद्धोया चउसु वि जुम्मेसु तहेव भाणियव्वा जहा प्रोहिए नील लेस्सउद्देसए॥ Page #1063 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १००२ भगवई ३० सेव भते ! सेव भते ! त्ति जाव विहरइ ।। ३१. काउलेस्सभवसिद्धीया चउसु वि जुम्मेसु तहेव उववाएयव्वा जहेव ओहिए काउलेस्सउद्देसए॥ ३२. सेव भते ! सेवं भते ! त्ति जाव विहरइ ॥ ३३. जहा भवसिद्धीएहि चत्तारि उद्देसगा भणिया एवं अभवसिद्धीएहि वि चत्तारि उद्देसगा भाणियन्वा जाव काउलेस्सउद्देसनो त्ति ।। ३४. सेव भते ! सेव भते ! त्ति ॥ ३५. एव सम्मदिट्ठीहि वि लेस्सासजुत्तेहिं चत्तारि उद्देसगा कायव्वा, नवरं-सम्मदिट्ठी पढमवितिएसु दोसु वि उद्देसगेसु अहेसत्तसपुढवीए न उववाएयव्वो, सेस त चेव ॥ ३६ सेवं भते । सेव भते ! त्ति ॥ ३७. मिच्छादिट्ठीहि वि चत्तारि उद्देसगा कायव्वा जहा भवसिद्वीयाण ॥ ३८ सेव भते । सेव भते । त्ति ॥ ३६. एव कण्हपक्खिएहि वि लेस्सासजुत्तेहि चत्तारि उद्देसगा कायब्वा जहेव भवसिद्धीएहि ॥ ४० सेव भते । सेव भते । त्ति ॥ ४१ सूक्कपक्खिएहि एव चेव चत्तारि उद्देसगा भाणियव्वा जाव वालुयप्पभपुढवि काउलेस्ससुक्कपक्खियखुड्डागकलिप्रोगनेरइया ण भते ! को उववज्जति ? तहेव जाव नो परप्पयोगेण उववज्जति ।। ४२. सेव भते ! सेव भते ! त्ति । सव्वे वि एए अट्ठावीस उद्देसगा ॥ - - Page #1064 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वत्तीसइमं सतं १-२८ उद्देसा खुड्डजुम्म-नेरइयादीणं उववट्टण-पदं १. खड्डागकडजम्मनेरइया ण भते | अणतर उव्वट्टित्ता कहिं गच्छति ? कहिं उव वज्जति-कि नेरइएमु उववज्जति ?तिरिक्खजोणिएसु उववज्जति ? उव्वट्टणा जहा' वक्कतीए॥ २. ते ण भते । जीवा एगसमएण केवडया उव्वट्टति ? गोयमा । चत्तारि वा अट्ट वा वारस वा सोलस वा सखेज्जा वा असखेज्जा वा उव्वट्टति ।। ६ ते ण भते । जीवा कह उव्वट्टति ? गोयमा । से जहानामए पवए, एव तहेव । एव सो चेव गमो जाव' आयप्पयोगेण उव्वट्टति, नो परप्पयोगेण उव्वट्टति ।। रयणप्पभापुढविखुड्डागकडजुम्म० ? एव रयणप्पभाए वि । एव जाव अहेसत्तमाए । एव खडागतेयोग-खड्डागदावरजुम्म-खुड्डागकलियोगा, नवर-परिमाण जाणियव्व, सेस त चेव ।। सेव भते । सेव भते ! त्ति ॥ ६ कण्हलेस्सकडजुम्मनेरइया० ? एवं एएण कमेण जहेव उववायसए अट्ठावीस उद्देसगा भणिया तहेव उव्वट्टणासए वि अट्ठावीस उद्देसगा भाणियव्वा निरवसेसा, नवर-उव्वटुंति त्ति अभिलावो भाणियव्वो, सेस त चेव ॥ ७. सेव भते ! सेव भते ! त्ति जाव विहरइ ॥ ४ १. प०६। २. भ० २५॥६२०-६२६ । १००३ Page #1065 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तेत्तीसइमं सतं पढनं एगिदियं सतं पढमो उद्देसो एगिदियाण कम्मप्पगडि-पदं १ कतिविहा ण भते । एगिदिया पण्णत्ता ? गोयमा । पचविहा एगिदिया पण्णत्ता, त जहा-पुढविक्काइया जाव वणस्सइकाइया ।। पुढविक्कइया ण भते । कतिविहा पण्णत्ता ? गोयमा | दुविहा पण्णत्ता, त जहा-सुहुमपुढविक्काइया य, बादरपुढविक्काइया य॥ सुहमपुढविक्काइया णं भते । कतिविहा पण्णत्ता ? गोयमा | दुविहा पण्णत्ता, त जहा—पज्जत्तासुहुमपढविक्काइया य, अप्पज्जत्तामुहमपुढविवकाइया य ।। वादरपुढविक्काइया ण भते । कतिविहा पण्णत्ता ? एव चेव । एव आउक्काइया वि चउक्कएण भेदेण भाणियव्वा, एव जाव वणस्सइकाइया ।।। अपज्जत्तामुहमपुढविक्काइयाण भते । कति कम्मप्पगडोयो पण्णत्तायो ? गोयमा | अट्ठ कम्मप्पगडीयो पण्णत्ताओ, त जहा-नाणावरणिज्ज जाव अतराइयं ।। पज्जत्तामुहमपुढविक्काइयाण भते । कति कम्मप्पगडीयो पण्णत्तायो ? गोयमा ! अट्ठ कम्मप्पगडीओ पण्णत्तामो, त जहा-नाणावरणिज्ज जाव अतराइय ॥ अपज्जत्तावादरपुटविक्काइयाणं भते ! कति कम्मप्पगडीओ पण्णत्तानो ? एव चेव ।। ८ पज्जत्ताबादरपुढविक्काइयाण भते । कति कम्मप्पगडीयो पण्णत्तायो ? एवं १००४ Page #1066 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तेत्तीसइमं सत १००५ वेव । एव एएणं कमेण जाव वादरवणस्सइकाइयाण पज्जत्तगाण ति॥ अप्पज्जनागृहमपुढविवकाइयाण भते । कति कम्मप्पगडीयो वधति ? गोयमा ! सत्तविह्वधगा वि, अट्ठ विहव धगा वि । सत्त बधमाणा ग्राउयवज्जायो सत्त कम्मप्पगडीयो वधति, अट्ठ वधमाणा पडिपुण्णानो अट्ठ कम्मप्पगडीयो बघति ।। १०. पज्जनामुहमपुढविक्काइया ण भते । कति कम्मप्पगडोयो वधति ? एव चेव, एव सव्ये जाव११ पज्जत्तावादरवणम्स.काझ्या ण भते । कति कम्मप्पगडीयो वधति ? एव चेव ।। १२ अपज्जत्तामुहमगुढविवकाइया ण भते । कति कम्मप्पगडीयो वेदेति ? गोयमा । चोहरा कम्मापगडीयो वेदेति, त जहा-नाणावरणिज्ज जाव अतराइय' मोइदियवज्झ, चक्खि दियवज्झ, घाणिदियवज्झ, जिभिदियवज्झ, इत्थिवेदवझं, पुरिगवेदवज्झ । एव चउक्कएण भेदेण जाव१३ पज्जत्तावादरवणस्सइकाइया ण भते । कति कम्मप्पगडीअो वेदेति ? गोयमा । एव चेव चोहस कम्मप्पगडीयो वेदेति ।। १४ सेव भते ! संव भते । त्ति ।। बीओ उद्देसो १५. कतिविहा ण भते । अणतरोववन्नगा एगिदिया पण्णत्ता ? गोयमा । पचविहा अणतरोववन्नगा एगिदिया पण्णत्ता, त जहा-पुढविक्का इया जाव वणस्सइकाइया ।। १६ अणंत रोववन्नगा ण भते । पुढविक्काइया कतिविहा पण्णत्ता ? गोयमा । दुविहा पण्णत्ता, त जहा -सुहुमपुढविक्काइया य, वादरपुढविक्का इया य । एव दुपएण भेदेणं जाव वणस्सइकाइया । १७. अणतरोववन्नगमूहमपुढविकाइयाण भते । कति कम्मप्पगडीयो पण्णत्तायो ? गोयमा । अट्ट कम्मप्पगडीयो पण्णत्ताओ, त जहा-नाणावरणिज्ज जाव अतराइय ।। १८ अणतरोववन्नगवादरपुढविक्काइयाण भते । कति कम्मप्पगडीयो पण्णत्तानो? १ X (अ, क, ख, ता)। २. ° वज्ज (अ, ख, ता, ब, स)। Page #1067 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1662 91 Pras २३ ތވ ނމ " भगवई ष्णता, तं जहा - नाणावरणिज्जं जाव द्रवन्नगवाढवणसइकाइयाण ति ॥ लुक होऊ या ग भने । कति कम्मप्पगडीग्रो ववंति ? मत्तः कम्मप्पगडीओ बंधति । एवं जाव अणंतरोव ति ॥ विककाइया ण भंते । कति कम्मप्पगडीओ वेदेति ? कम्पपराडीओ वेदेति, त जहा - नाणावरणिज्जं तहेव जान एव जाव प्रणतरोववन्नगवादरवणस्राइकाइयत्ति || मेव भते । त्ति ॥ तो ग २२ कतिविहा ण भंते ! परंपरी गियाना ? गोयमा । पचविा परंपरोवनगा बिया मण्णता, तना-पुविक्काइया एव चउक्को भेदो जहा श्रादिदे ॥ परपरोववन्नग पज्जत्तामुचिकाया । कति कम्प्पगडीको पण्णत्तायो ? एवं एर्ण श्रभिलावण जहा मोहिदेखए तहेव निरवसेत्तं भाणि जाव चोहरा वेदमि || २४. यं यं | गवं गते ! चि ।। ४-१५ उद्देशा २५. श्रणरोगा जहा गा ॥ २६. परपरोगादा जहा परंपरीववन्ता || २७. प्रणतराहारगा जहा प्रांत रोवचन्नगा || २८. परंपराहारगा जहा परंपरोवतन्नगा ॥ २६. प्रणतरपज्जत्तगा जहा प्रांत रोववन्नगा || ३०. परपरपज्जत्तगा जहा परपरोववन्नगा ॥ ३१ चरिमा वि जहा परंपरोववन्नगा तहेव ॥ ३२. एवं ग्रचरिमा वि । एव एए एक्कारस उद्देगा || ३३. सेवं भते । सेव भंते ! त्ति जाव विहरइ ॥ ० गाणं ( अ, ख, च, म, स ) | Page #1068 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वीयं सतं पढमो उद्देसो ३४. कतिविहा णं भंते । कण्हलेस्सा एगिंदिया पण्णत्ता ? गोयमा । पचविहा कण्हलेस्सा एगिदिया पण्णत्ता, त जहा - पुढविक्काइया जाव वणस्सइकाइया ॥ ३५ कण्हलेस्सा ण भते । पुढविक्काइया कतिविहा पण्णत्ता ? गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता, त जहा – सुहुमपुढविक्काइया य, वादरपुढविक्का इया य ॥ ३६ कण्हलेस्सा ण भते । मुहुमपुढविक्काइया कतिविहा पण्णत्ता ? एव एएण अभिलावेण चउक्कग्रो भेदो जहेव प्रोहिउद्देसए' ॥ ३७ कण्हले स्सग्रपज्जत्तासहुमपुढविक्काइयाण भूते कइ कम्मप्पगडीओ पण्ण ताओ ? एवं एएण ग्रभिलावेण जहेव प्रोहिउद्देसए तहेव पण्णत्ताओ, तहेव वति, तव वेदेति ॥ ३८ सेव भते । सेव भंते । त्ति ॥ बीओ उद्देसो ३९ कतिविहा ण भते । प्रणंतरोववन्नग कण्हले स्सए गिंदिया पण्णत्ता ? गोयमा । पंचविहा अणंतरोववन्नगा कण्हलेस्सा एगिंदिया एव एएण अभिलावेण तहेव दुयन भेदो जाव वणस्सइकाइयत्ति ॥ १. ० उद्देस जाव वरणस्सइकाइयत्ति (स ) । १००७ Page #1069 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १००८ भगवई ४० अणतरोववन्नगकण्हलेस्समुहमपुढविक्काइयाण भते । कइ कम्मप्पगडोरो पण्णत्ताओ ? एव एएण अभिलावेणं जहा ओहिओ अगत रोववन्नगाण उद्देसो तहेव जाव वेदेति ॥ ४१ सेव भते । सेव भते । त्ति ।। ३-११ उद्देसा ४२ कतिविहा ण भते । परपरोववन्नगा कण्हलेस्सा एगिदिया पण्णत्ता ? गोयमा । पंचविहा परपरोववन्नगा कण्हल स्सा एगिदिया पण्णत्ता, त जहापुढविक्काइया, एव एएण अभिलावेण तहेव चउक्कयो भेदो जाव वणस्सइ काइयत्ति ।। ४३. परपरोववन्नगकण्हलेस्सअपज्जत्तासुहुमपुढविकाइयाण भते । कइ कम्मप्प गडीअो पण्णत्तानो ? एव एएण अभिलावेण जहेव प्रोहियो परपरोववन्नगउहेसो तहेव जाव वेदेति । एव एएण अभिलावण जहेव मोहिएगिदियसए एक्कारस उद्देसगा भणिया तहेव कण्हलेस्ससते वि भाणियव्वा जाव अचरिमचरिमकण्हलेस्सा एगिदिया । ३,४ सताई ४४ जहा कण्हलेस्सेहिं भणिय एव नीललेस्सेहि वि सय भाणियव्व ।। ४५ सेव भते । सेव भते । त्ति ।। ४६ एव काउलेस्सेहि वि सय भाणियव्वं, नवर--काउलेस्से ति अभिलावो भाणि- - यवो। पंचमं सतं भवनिद्धीयएंगिदियाणं कम्मप्पडि-पदं ४७ कतिविहा ण भंते । भवसिद्धीया एगिदिया पण्णत्ता ? गोयमा ! पंचविहा भवसिद्धीया एगिदिया पण्णत्ता, त जहा-पुढविक्काइया जाव वणस्मइकाइया, भेदो चउक्कयो जाव वणस्सइकाइयत्ति ।। Page #1070 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तेतीपइम सत १००६ ४८ भवसिद्धीयअपज्जत्तासुहमपढविक्काइयाण भते । कति कम्मप्पगडीओ पण्ण त्तानो ? एव एएण अभिलावेण जहेव पढमिल्लगं एगिदियसय तहेव भवसिद्धीय सय पि भाणियव्वं । उद्देसगपरिवाडी तहेव जाव अचरिमो' त्ति । ४६ सेव भते ! सेव भते । त्ति । छठं सतं ५० कतिविहा ण भते । कण्हलेम्सा भवसिद्धीया एगिदिया पण्णत्ता ? गोयमा । पचविहा कण्हलेस्सा भवसिद्धीया एगिदिया पण्णत्ता, त जहा पुढविक्काइया जाव वणस्सइकाइया ।। ५१. कण्हलेस्सभवसिद्धीयपुढविक्काइया ण भते । कतिविहा पण्णत्ता? गोयमा । दुविहा पण्णत्ता, त जहा-सुहुमपुढविक्काइया य, वादरपुढविक्का इया य ।। ५२ कण्हलेस्सभवसिद्धीयसुहुमपुढविक्काइया ण भते ! कतिविहा पण्णत्ता ? गोयमा | दुविहा पण्णत्ता, त जहा–पज्जत्तगा य, अपज्जत्तगा य । एव बादरा वि । एएण अभिलावेणं तहेव' चउक्कयो भेदो भाणियव्वो ॥ ५३ कण्हलेस्सभवसिद्धीयअपज्जत्तासुहमपुढविक्काइयाण भते । कइ कम्मप्पगडीयो पण्णत्तायो ? एव एएण अभिलावेण जहेव ओहिउद्देसए तहेव जाव वेदेति ॥ ५४ कतिविहा ण भते | अणतरोववन्नगा कण्हलेस्सा भवसिद्धीया एगिदिया पण्णत्ता? गोयमा । पचविहा अणतरोववन्नगा जाव वणस्सइकाइया । ५५ अणतरोववन्नगकण्हलेस्सभवसिद्धीयपुढविक्काइया ण भते । कतिविहा पण्णत्ता? गोयमा | दुविहा पण्णत्ता, त जहा-सुहुमपुढविक्काइया, एव दुयो भेदो ॥ ५६ अणतरोववन्नगकण्हलेस्सभवसिद्धीयसुहुमपुढविक्काइयाण भते | कइ कम्मप्प गडीग्रो पण्णत्तानो ? एव एएण अभिलावेण जहेव ओहिरो अणतरोववन्नउद्देसओ तहेव जाव वेदेति । एव एएण अभिलावण एक्कारस वि उद्देसगा तहेव भाणियव्वा जहा प्रोहियसए जाव अचरिमो त्ति ।। १. अचरिम (ख, ता, ब)। Page #1071 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०१० ७,८ सताई जहा कण्हलेस्सभवसिद्धीएहि सयं भणियं एवं नीललेस्सभवसिद्धीएहि वि सतं भाणियव्व ॥ ५८. एव काउलेस्सभवसिद्ध एहि वि सतं ।। ५७ भगवई ६-१२ सताई प्रभवसिद्धीय गदियाणं कम्म पगडि-पदं ५६ कइविहा ण भते । श्रभवसिद्धीया एगिंदिया पण्णत्ता ? गोयमा । पचविहा अभवसिद्धीया एगिदिया पण्णत्ता, त जहा - पुढविक्काइया जाव वणस्सइकाइया। एव जहेव भवसिद्धीयसत भणिय, नवर - नव उद्देसगा चरिममचरिमउद्देसगवज्ज, सेस तहेव ॥ ६० एव कण्हले स्सप्रभवसिद्धीयएगिदियसतं पि ॥ ६१ नीललेस्सप्रभवसिद्धीयएगिदिएहि वि सत ॥ ६२. काउलेस्सप्रभवसिद्धीयसत । एव चत्तारि वि अभवसिद्धीयसताणि, नव-नव उद्देगा भवति । एव एयाणि बारस एगिंदियसताणि भवति ॥ Page #1072 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चोतीसइमं सतं पढमं एगिदियसतं पढ़मो उद्देसो एगिदियाणं विग्गहगइ-पदं १ कडविहा ण भते । एगिदिया पण्णत्ता ? गोयमा | पंचविहा एगिदिया पण्णत्ता, त जहा-पुढविक्काइया जाव' वणस्सइकाइया । एवमेते चउक्कएण भेदेण भाणियव्वा जाव वणस्सइकाइया । अपज्जत्तासुहमपढविकाइए ण भते । इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पुरथिमिल्ले चरिमते समोहए, समोहणित्ता जे भविए इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पच्चत्थिमिल्ले चरिमते अपज्जत्तासुहमपुढविकाइयत्ताए उववज्जित्तए, से ण भते | कइसमएण विग्गहेण उववज्जेज्जा ? गोयमा ! एगसमइएण वा दुसमइएण वा तिसमइएण वा विग्गहेण उव वज्जेज्जा ॥ ३ से केणढेण भते ! एव वुच्चइ-एगसमइएण वा दुसमइएण वा जाव' उव वज्जेज्जा ॥ एव खलु गोयमा | मए सत्त सेढीयो पण्णत्तानो, त जहा-उज्जुयायता सेढी, एगओवका, दुहझोवका, एगोखहा', दुहनोखहा', चक्कवाला, अद्धचक्कवाला। उज्जुयायताए सेढीए उववज्जमाणे एगसमइएण विग्गण उववज्जेज्जा । एगग्रोवकाए सेढीए उववज्जमाणे दुसमइएण विग्गहेण उववज्जेज्जा । दुहओवकाए सेढीए उववज्जमाणे तिसमइएण विग्गहेण उववज्जेज्जा। से तेणद्वेण गोयमा । जाव उववज्जेज्जा॥ ४ अपज्जत्तासुहुमपुढविकाइए ण भते । इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पुरथिमिल्ले चरिमते समोहए, समोहणित्ता जे भविए इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पच्चत्थि १. ° खुहा (अ)। २. खुहा (अ)। १०११ Page #1073 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई मिल्ले चरिमंते पज्जत्तासुहुमपुढविकाइयत्ताए उववज्जित्तए, सेण भंते ! कइसमइएण विग्गहेणं उववज्जेज्जा ? o गोयमा । एगसमइएण वा सेसं तं चेव जाव' से तेणद्वेण' गोयमा ! एवं वुच्चइ–एगसमइएण वा दुसमइएण वा तिसमइएण वा विग्गहेण उववज्जेज्जा । एव अपज्जत्तासुहुमपुढविकाइओ पुरथिमिल्ले चरिमते समोहणावेत्ता पच्चत्थिमिल्ले चरिमते वादरपुढविकाइएस अपज्जत्तएसु उववाएयव्वो, ताहे तेसु चेव पज्जत्तएसु । एव आउक्काइएसु चत्तारि प्रालावगा सुहुमेहि ग्रपज्जत्तएहि, ताहे पज्जत्तएहि, वादरेहिं ग्रपज्जत्तएहि, ताहे पज्जत्तएहि उववाएयव्वो । एव चेव सुहुमतेउकाइएहि वि पज्जत्तएहि ताहे पज्जत्तएहि उववायव्वो । ५ अपज्जत्तासुहुमपुढविक्काइए ण भते । इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पुरत्थि - मिल्ले चरिमते समोहए, समोहणित्ता जे भविए मणुस्सखेत्ते अपज्जत्ताबादरतेउकाइयत्ताए उववज्जित्तए, से ण भते । कइसमइएण विग्गहेण उववज्जेज्जा ? सेस त चेव । एवं पज्जत्ताबादरते उक्काइयत्ताए उववायव्वो । वाउक्काइएसु सुहुमबादरेसु जहा ग्राउक्काइएसु उववाइओ तहा उववाएयव्वो । एव वणस्स - काइएसुवि ॥ १०१२ ६ पज्जत्तासुहुमपुढविक्काइए ण भते । इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए० ? एव पज्जत्तासहुमपुढविक्काइम्रो वि पुरथिमिल्ले चरिमते समोहणावेत्ता एएणं चेव कमेण एएसु चेव वीससु ठाणेसु उववाएयन्वो जाव वादरवणस्सइकाइएसु पज्जत्तसु वि । एव ग्रपज्जत्तावादरपुढ विकाइ वि । एवं पज्जत्ताबादरपुढविका वि । एव आउकाइनो वि चउसु वि गमएसु पुरत्थिमिल्ले चरिमते समोहए, एयाए चेव वत्तब्वयाए एएसु चेव वीसइठाणेसु उववाएयव्वो । सुहुमतेउकाइश्रो विग्रपज्जत्त पज्जत्तो य एएसु चेव वीसाए ठाणेसु उववायव्वो । ७ ग्रपज्जत्तावादरते उक्काइए ण भंते । मणुस्सखेत्ते समोहए, समोहणित्ता जे भविए इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पच्चत्थिमिल्ले चरिमते ग्रपज्जत्तासुहुमपुढविक्काइयत्ताए उववज्जित्तए, से ण भते ! कइसमइएण विग्गण उववज्जेज्जा ? सेसं तहेव जाव से तेणट्टेण । एव पुढविक्काइएसु चउविहेसुवि उववाएयव्वो, एव आउकाइएसु चउविहेसु वि, तेउकाइएस सुहुमेसु ग्रपज्जत्तएसु पज्जत्तएसु य एव चेव उववाएयव्वो । ८. ग्रपज्जत्तावादरतेडक्काइए ण भते । मणुस्सखेत्ते समोहए, समोहणित्ता जे भविए मणुस्सखेत्ते प्रपज्जत्तावादरते उक्काइयत्ताए उववज्जित्तए, से ण भते ! २. स० पा० - तेणट्ठे जाव विग्गण ! १. भ० ३४/२, ३ Page #1074 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चौतीसइमं सत (पढमो उद्देसो) १०१३ कतिसमइएण० ? सेस त चेव । एव पज्जत्तावादरतेउक्काइयत्ताए वि उववाएयव्यो। वाउकाइयत्ताए य वणस्सइकाइयत्ताए य जहा पुढविकाइएस तहेव चउक्कएण भेदेण उववाएयव्वो। एव पज्जत्तावादरतेउकाइयो वि समयखेत्ते -समोहणावेत्ता एएस चेव वीसाए ठाणेसु उववाएयव्वो। जहेव अपज्जत्तो उववाइयो, एव सव्वत्थ वि वादरतेउकाइया अपज्जत्तगा य पज्जत्तगा य समयखेत्ते उववाएयव्वा समोहणावेयव्या वि। वाउक्काइया वणस्सकाइया य जहा पुढविक्काइया तहेव चउक्कएण भेदेण उववाएयव्वा जाव६ पज्जत्तावादरवणस्सइकाइए ण भते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पुरथिमिल्ले चरिमते समोहए, समोहणित्ता जे भविए इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पच्चत्थिमिल्ले चरिमते पज्जत्तावादरवणस्सइकाइयत्ताए उववज्जित्तए, से ण भते । कतिसमइएण० ? सेस तहेव जाव से तेण?ण ॥ अपज्जत्तासुहमपुढविक्काइए ण भते । इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पच्चत्थिमिल्ले चरिमते समोहए, समोहणित्ता जे भविए इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पुरथिमिल्ले चरिमते अपज्जत्तासुहुमपुढविकाइयत्ताए उववज्जित्तए, से ण भते | कइसमइएण. ? सेस तहेव निरवसेस । एव जहेव पुरथिमिल्ले चरिमते सव्वपदेसु वि समोहया पच्चत्थिमिल्ले चरिमते समयखेत्ते य उववाइया, जे य समयखेत्त समोहया पच्चत्थिमिल्ले चरिमते समयखेत्ते य उववाइया, एव एएण चेव कमेण पच्चथिमिल्ले चरिमते समयखेत्ते य समोहया पुरथिमिल्ले चरिमते समयखेत्ते य उववाएयव्वा तेणेव गमएणं । एव एएण गमएण दाहिणिल्ले चरिमते समोहयाण उत्तरिल्ले चरिमते समयखेत्ते य उववाओ। एव चेव उत्तरिल्ले चरिमंते समयखेत्ते य समोहया दाहिणिल्ले चरिमते समयखेत्ते य उववाएयव्वा तेणेव गमएणं ।। अपज्जत्तासुहुमपुढविकाइए ण भते सक्करप्पभाए पुढवीए पुरथिमिल्ले चरिमते समोहए, समोहणित्ता जे भविए सक्करप्पभाए पुढवीए पच्चत्थि मिल्ले चरिमते अपज्जत्तासुहुमपुढविकाइयत्ताए उववज्जित्तए० ? एव जहेव रयणप्पभाए जाव से तेणट्रेण । एव एएणं कमेण जाव पज्जत्तएसु सुहुमतेउकाइएसु ॥ अपज्जत्तासुहुमपुढविक्काइए ण भते ! सक्करप्पभाए पुढवीए पुरथिमिल्ले चरिमंते समोहए, समोहणित्ता जे भविए समयखेत्ते अपज्जत्तावादरतेउक्काइयत्ताए उववज्जित्तए, से ण भते । कतिसमइएण-पुच्छा । गोयमा ! दुसमइएण वा तिसमइएण वा विग्गहेण उववज्जेज्जा। १३ से केणद्वेण? एव खलु गोयमा | मए सत्त सेढीग्रो पण्णत्ताओ, तं जहा-उज्जुयायता जाव अद्धचक्कवाला। एगोवकाए सेढीए उववज्जमाणे दुसमइएण विग्गहेण उववज्जेज्जा । दुहोवकाए सेढीए उववज्जमाणे तिसमइएणं विग्गहेणं उववज्जेज्जा। ११ १२. Page #1075 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०१४ भगवई से तेणटेणं । एवं पज्जत्तएसु वि वादरतेउक्काइएसु । सेसं जहा रयणप्पभाए । जे वि वादरतेउकाइया अपज्जत्तगा य पज्जत्तगा य समयखेत्ते समोहणित्ता दोच्चाए पुढवीए पच्चत्थिमिल्ले चरिमते पुढविकाइएसु चउव्विहेसु, आउक्काइएसु चउव्विहेसु, तेउकाइएसु दुविहेसु, वाउकाइएसु चउव्विहेसु, वणस्सकाइएस चउव्विहेसु उववज्जति, ते वि एव चेव दुसम इएण वा तिसमइएण वा विग्गहेण उववाएयव्वा। वादरतेउक्काइया अपज्जत्तगा य पज्जत्तगा य जाहे तेसु चेव उववज्जति ताहे जहेव रयणप्पभाए तहेव एगसमइय-दुसमइय-तिसमइयविग्गहा भाणियव्वा, सेस जहेव रयणप्पभाए तहेव निरवसेस । जहा सक्करप्पभाए वत्तव्वया भणिया एव जाव अहेसत्तमाए' भाणियव्वा ॥ १४. अपज्जत्तासुहुमपुढविक्काइए ण भते! अहेलोयखेत्तनालीए वाहिरिल्ले खेत्ते समोहए, समोहणित्ता जे भविए उड्ढलोयखेत्तनालीए वाहिरिल्ले खेत्ते अपज्जत्तासुहुमपुढविकाइयत्ताए उववज्जित्तए, से ण भते । कइसमइएणं विग्गहेण उववज्जेज्जा ? गोयमा । तिसमइएण वा च उसमइएण वा विगहेण उववज्जेज्जा॥ १५ से केणद्वेण भते । एव वुच्चइ-तिसमइएण वा चउसमइएण वा विग्गहेण उववज्जेज्जा ? गोयमा ! अपज्जत्तासुहुमपुढविकाइए ण अहेलोयखेत्तनालीए वाहिरिल्ले खेत्ते समोहए, समोहणित्ता जे भविए उड्ढलोयखेत्तनालीए वाहिरिल्ले खेत्ते अपज्जत्तासुहुमपुढविकाइयत्ताए एगपयरसि अणुसेढि' उववज्जित्तए से ण तिसमइएणं विग्गहेणं उववज्जेज्जा । जे भविए विसेढि' उववज्जित्तए, से णं चउसमइएण विग्गहेण उववज्जेज्जा। से तेणद्वेण जाव उववज्जेज्जा। एव पज्जत्तासूहमपूढविकाइयत्ताए वि, एव जाव पज्जत्तासुहुमतेउकाइयत्ताए॥ अपज्जत्तासुहमपुढविक्काइए ण भते । अहेलोग खेत्तनालीए वाहिरिल्ले खेत्ते समोहए, समोहणित्ता जे भविए समयखेत्ते अपज्जत्तावादरतेउकाइयत्ताए उववज्जित्तए, से णं भते ! कइसमइएणं विग्गहेण उववज्जेज्जा ? गोयमा ! दुसमइएण वा तिसमइएण वा विग्गहेणं उववज्जेज्जा ।। १७ से केणद्वेणं ? एव खलु गोयमा ! मए सत्त सेढोप्रो पण्णत्ताओ, त जहा-उज्जुयायता जाव अद्धचक्कवाला । एगोवकाए सेढीए उववज्जमाणे दुसमइएण विग्गहेणं उववज्जेज्जा, दुहनोवकाए सेढीए उववज्जमाणे तिसमइएण विग्गहेण उववज्जेज्जा। १. अहेमत्तमाए वि (स)। २. अनेटीए (म, क, ख, व, म, स)। ३. विसेटीए (अ, क, ख, ता, व, म, स)। ४ स० पा-अहेलोग जाव समोहरिणत्ता। Page #1076 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चौतीसइम सत (पढमो उद्देसो) १०१५ से तेणट्टेण । एव पज्जत्तएसु वि बादरतेउकाइएस वि उववाएयव्वो । वाउक्काइयं-वणस्सइकाइत्ताए चउक्कएण भेदेण जहा ग्राउक्काइयत्ताए तहेव उववाएयव्वो । एव जहा अपज्जत्ता सुहुम पुढविक्काइयस्स गमप्रो भणिनो एव पज्जत्तामढविकास विभाणियव्वो, तहेव वीसाए ठाणेसु उववाएव्व ॥ १८. [अपज्जत्तावादरपुढविक्काइए ण भते ? ] अहेलोयखेत्तनालीए वाहिरिल्ले खेत्ते समोहए ०? एव बादरपुढविकाइयस्स वि अपज्जत्तगस्स पज्जत्तगस्स य भाणियव्व । एव नाउक्काइयस्स चउव्विहस्स वि भाणियव्व । सुहुमते उक्काइयस्स दुविहस्स वि एव चेव ॥ १६ अपज्जत्तावादरते उक्काइए ण भते ! समयखेत्ते समोहए, समोहणित्ता जे भविए उड्ढलोगखेत्तनालीए वाहिरिल्ले खेत्ते अपज्जत्तासुहुमपुढविकाइयत्ताए उववज्जित्तए, सेण भते । कइसमइएण विग्गहेण उववज्जेज्जा ? गोयमा । दुसमइएण वा तिसमइएण वा चउसमइएण वा विग्गहेण उवव ज्जेज्जा ॥ २० सेकेणट्टेण ? प्रट्ठो जहेव रयणप्पभाए तहेव सत्त सेढीओ । एव जाव२१. अपज्जत्तावादरतेउकाइए ण भते । समयखेत्ते समोहए, समोहणित्ता जे भविए उड्ढलोगखेत्तनालीए बाहिरिल्ले खेत्ते पज्जत्तासुहुमते उकाइयत्ताए उववज्जित्तए, से ण भते ? सेस त चेव ॥ २२ अपज्जत्तावादरते उक्काइए ण भते । समयखेत्ते समोहए, समोहणित्ता जे भविए समयखेत्ते ग्रपज्जत्ताबादरते उक्काइयत्ताए उववज्जित्तए, से ण भते । कइसम - इएण विग्गहेण उववज्जेज्जा ? ! गोयमा । एगसमइएण वा दुसमइएण वा तिसमइएण वा विग्गहेण उववज्जेजा ॥ २३. से केणट्टेण ? ग्रट्ठो जहेव रयणप्पभाए तहेव सत्त सेढी । एवं पज्जत्तावादरतेउकाइयत्ताए वि । वाउकाइएसु वणस्सइकाइएसु य जहा पुढविक्काइएस उववाइश्रो तहेव चउक्कएण भेदेण उववायव्वो । एव पज्जत्ताबादरतेउकाइओ वि एएसु चेव ठाणेसु उववायव्वो । वाउक्काइय-वणस्सइकाइयाण जहेव पुढविकाइयत्ते उवा तहेव भाणियव्वो ॥ ? २४. अपज्जत्तासुहुमपुढविकाइए ण भते । उड्ढलोगखेत्तनालीए वाहिरिल्ले खेत्ते समोहए, समोहणित्ता जे भविए हेलोगखेत्तनालीए वाहिरिल्ले खेत्ते ग्रपज्जत्तासुहुम पुढविकाइयत्ताए उववज्जित्तए, से ण भते । कइसमइएण एव उड्ढलोगखेत्तनालीए वाहिरिल्ले खेत्ते समोहयाण अहेलोगखेत्तनालीए वाहिरिल्ले खेत्ते उववज्जताण सो चेव गमो निरवसेसो भाणियव्वो जाव वादरवणस्स - काइ पज्जत्तो बादरवणस्सइकाइएसु पज्जत्तएसु उववाइयो ॥ Page #1077 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई २५. अपज्जत्तासुहमपुढविक्काइए ण भते । लोगस्स पुरथिमिल्ले चरिमते समोहए, समोहणित्ता जे भविए लोगस्स पुरथिमिल्ले चेव चरिमते अपज्जत्तासुहुमपुढविकाइयत्ताए उववज्जित्तए, सेण भते । कइसमइएण विग्गहेण उववज्जेज्जा ? गोयमा ! एगसमइएण वा दुसमइएण वा तिसमइएण वा चउसमइएण वा विग्गहेण उववज्जेज्जा ॥ से केण?ण भते । एव वुच्चइ-एगसमइएण वा जाव उववज्जेज्जा ? एव खलु गोयमा । मए सत्त सेढीग्रो पण्णत्ताओ, त जहा-उज्जुअायता जाव अद्धचक्कवाला। उज्जुअायताए सेढीए उववज्जमाणे एगसमइएण विग्गहेण उववज्जेज्जा । एगोवकाए सेढीए उववज्जमाणे दुसमइएण विग्गहेण उववज्जेज्जा । दुहनोवकाए सेढीए उववज्जमाणे जे भविए एगपयरसि अणुसे ढि उववज्जित्तए, से ण तिसमइएण विग्गहेण उववज्जेज्जा । जे भविए विसेटिं उववज्जित्तए, से ण चउसमइएण विग्गहेण उववज्जेज्जा। से तेणद्वेणं जाव उववज्जेज्जा । एव अपज्जत्तासुहुमपुढविकाइनो लोगस्स पुरथिमिल्ले चरिमते समोहए, समोहणित्ता लोगस्स पुरथिमिल्ले चेव चरिमते अपज्जत्तएसु पज्जत्तएसु सुहुमपुढविकाइएसु, अपज्जत्तएसु पज्जत्तएमु सुहमग्राउकाइएसु, अपज्जत्तएसु पज्जत्तएसु सुहुमतेउक्काइएसु, अपज्जत्तएसु पज्जत्तएसु सुहुमवाउकाइएस, अपज्जत्तएसु पज्जत्तएसु वादरवाउकाइएसु, अपज्जत्तएसु पज्जत्तएस सुहुमवणस्सइकाइएसु, अपज्जत्तएसु पज्जत्तए य वारससु वि ठाणेसु एएण चेव कमेणं भाणियन्वो । सुहुमपुढविकाइयो पज्जत्तयो एव चेव निरवसेसो वारससु वि ठाणेसु उववाएयव्वो । एव एएण गमएणं जाव सुहुमवणस्सइकाइयो पज्जत्तो सुहुमवणस्सइकाइएसु पज्जत्तएसु चेव भाणियव्वो ॥ २७. अपज्जत्तासुहमपुढविकाइए ण भते | लोगस्स पुरथिमिल्ले-चरिमते समोहए, समोहणित्ता जे भविए लोगस्स दाहिणिल्ले चरिमते अपज्जत्तासुहमपुढविकाइएसु उववज्जित्तए, से ण-भते | कइसमइएण विग्गहेण उववज्जेज्जा ? . -गोयमा! दुसमइएण वा तिसमइएण वा चउसमइएण वा-विग्गहेणं उवव -ज्जेज्जा। २८. से केणद्वेण भते ! एव वुच्चइ ०? एवं खलु गोयमा । मए सत्त सेढीयो पण्णत्तानो, त जहा-उज्जुयायता जाव अद्धचक्कवाला । एगोवकाए सेढीए उववज्जमाणे दुसमइएण विग्गहेण उववज्जेज्जा, दुहयोवकाए -सेढीए उववज्जमाणे जे भविए एगपयरसि अणुसे दि उववज्जि त्तए, से ण तिसमइएण विग्गहेण उववज्जेज्जा। जे भविए विसेदि उववज्जित्तए, से णं चउसमइएणं विग्गहेणं उववज्जेज्जा । से तेण?ण गोयमा ! एवं एएण गमएणं पुरथिमिल्ले चरिमते समोहए दाहिणिल्ले चरिमते Page #1078 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चोतोसइम सस ( पढमो उद्देसो) १०१७ उववाएयव्वो जाव सुहुमवणस्सइकाइओ पज्जत्तत्रो सुहुमवणस्सइकाइएसु पज्जत्तएसु चेव । सव्वेसि दुसमइयो तिसमइयो चउसमइग्रो विग्गहो भाणियव्वो || २६ प्रपज्जत्तासुहुमपुढविकाइए णं भते । लोगस्स पुरथिमिल्ले चरिमते समोहए, समोहणित्ता जे भविए लोगस्स पच्चत्थिमिल्ले चरिमते ग्रपज्जत्तासुहुमपुढविकाइयत्ताए उववज्जित्तए, से ण भते । कइसमइएण विग्गहेण उववज्जेज्जा ? गोयमा ! एगसमइएण वा दुसमइएण वा तिसमइएण वा चउसमइएण वा विग्गण उववज्जेज्जा ॥ '३० सेकेणट्टेण ? एव जव पुरथिमिल्ले चरिमते समोहया परत्थिमिल्ले चेव चरिमते उववाइया तहेव पुरत्थिमिल्ले चरिमते समोहया पच्चत्थिमिल्ले चरिमते उववाएयव्वा सव्वे ॥ ३१. ग्रपज्जत्तासुहुमपुढविक्काइए ण भते । लोगस्स पुरथिमिल्ले चरिमते समोह, समोहणित्ता जे भविए लोगस्स उत्तरिल्ले चरिमते ग्रपज्जत्ता सुहुमपुढविकाइयत्ता उववज्जित्तए, से ण भते ' ० एव जहा पुरथिमिल्ले चरिमते समोहयग्रो दाहिणिल्ले चरिमते उववाइश्रो तहा पुरथिमिल्ले समोहयो उत्तरिल्ले चरिमते वायव्व ॥ ३२ अपज्जत्तासुहुमपुढविक्काइए ण भते । लोगस्स दाहिणिल्ले चरिमते समोहए, समोहणित्ता जे भविए लोगस्स दाहिणिल्ले चेव चरिमते ग्रपज्जत्तासुहुमपुढविकाइयत्ताए उववज्जित्तए • ? एव जहा पुरत्थिमिल्ले समोहयग्रो पुरत्यिमिल्ले चेव उववाइश्रो तहेव' दाहिणिल्ले समोहए दाहिणिल्ले चेव उववाएयव्वो, तहेव निरवसेस जाव सुहुमवणस्सइकाइनो पज्जत्तश्रो सुहुमवणस्सइकाइएसु चेव पज्जत्तएसु दाहिणिल्ले चरिमते उववाइग्रो, एव दाहिणिल्ले समोहयग्रो पच्चत्थिमिल्ले चरिमते उववायव्वो, नवर - दुसमइय-तिसमइय- चउसमइयविग्गहो, सेस तहेव । एव दाहिणिल्ले समोहयो उत्तरिल्ले चरिमते उववाएयव्वो जहेब सट्ठाणे तहेव । एगसमइय- दुसमइय-तिसमइय- चउसमइयविग्गहो । पुरत्थिमिल्ले जहा पच्चत्थिमिल्ले, तहेव दुसमइय- तिसमइय - चउसमइयविग्गहो । पच्चत्थिमिल्ले चरिमते समोहयाण पच्चत्थिमिल्ले चेव उववज्जमाणाण जहा सट्टाणे । उत्तरिल्ले उववज्जमाणाण एगसमझो विग्गहो नत्थि, सेस तहेव । पुरत्थि मिल्ले जहा सट्टाणे, दाहिणिल्ले एगसमइओ विग्गहो नत्थि, सेस त चेव । उत्तरिल्ले समोहयाण उत्तरिल्ले चेव उववज्जमाणाण जहा सट्टाणे । उत्तरिल्ले समोहयाण पुरथिमिल्ले उववज्जमाणाण एव चेव, नवर - एगसमइग्रो विग्गहो नत्थि । १ समोहताओ ( अ, क, व) समोहतो ( स ) । Page #1079 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०१८ भगवई उत्तरिल्ले समोहयाण दाहिणिल्ले उववज्जमाणाण जहा सट्टाणे, उत्तरिल्ले समोहयाण पच्चत्थिमिल्ले उववज्जमाणाण एगसमइनो विग्गहो नत्थि, मेस तहेव जाव सुहुमवणस्सइकाइयो पज्जत्तो सुहुमवणस्सइकाइएसु पज्जत्तएसु चेव ।। एगिदियाणं ठाण-पदं ३३ कहि णं भते । बादरपुढविक्काइयाण पज्जत्तगाण ठाणा पण्णत्ता ? गोयमा । सट्टाणेण अट्ठसु पुढवीसु जहा' ठाणपदे जाव सुहुमवणस्सइकाइया जे य पज्जत्तगा जे य अपज्जत्तगा ते सव्वे एगविहा अविसेसमणाणत्ता सव्वलोग परियावन्ना पण्णत्ता समणाउसो | एगिदियाणं कम्म-पदं ३४ अपज्जत्तासुहुमपुढविकाइयाण भते ! कति कम्मप्पगडीयो पण्णत्तायो? गोयमा । अट्ठ कम्मप्पगडीओ पण्णत्तानो, त जहा-नाणावरणिज्ज जाव अतराइय । एव चउक्कएण भेदेण जहेव एगिदियसएसु जाव' वादरवणस्सइ काइयाण पज्जत्तगाण ।। ३५ अपज्जत्तासुहमपुढविक्काइया ण भते । कति कम्मप्पगडीयो वधति ? गोयमा । सत्तविहवधगा वि, अट्टविहबधगा वि, जहा एगिदियसएसु जाव' पज्जत्तावादरवणस्सइकाइया ॥ ३६ अपज्जत्तासुहुमपुढविक्काइया ण भते ! कति कम्मप्पगडीओ वेदेति ? गोयमा ! चोद्दस कम्मप्पगडीयो वेदेति, त जहा-नाणावरणिज्जं, जहा एगिदियसएसु जाव पुरिसवेदवज्झ । एव जाव' वादरवणस्सइकाइयाण पज्जत्त गाण ॥ एगिदियाणं उववत्ति-पद ३७ एगिदिया ण भते । को उववज्जति-कि ने रइएहितो उववज्जति ? जहा वक्कतीए पुढविक्काइयाण उववाग्रो॥ एगिदियाण समुग्घाय-पद ३८. एगिदियाण भते ! कइ समुग्घाया पण्णत्ता? गोयमा । चत्तारि समुग्घाया पण्णत्ता, त जहा-वेदणासमुग्घाए जाव वेउव्वियसमुग्धाए । १. १०२ २ भ० ३३॥६-८ । ३. भ० ३३१९-११। ४ भ० ३३११२,१३ । ५. प०६। Page #1080 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चोतीसइम सतं (बीओ उद्देसो) १०१६ एगिदियाणं तुल्ल-विसेसाहिय-कम्मकरण-पदं ३६. एगिदिया ण भते । कि तुल्ल द्वितीया तुल्लविसेसाहिय कम्म पकरेति ? तुल्ल द्वितीया वेमायविसेसाहिय कम्म पकरेति ? वेमायद्वितीया तुल्लविसेसाहिय कम्म पकरेति ? वेमायद्वितीया वेमायविसेसाहिय कम्म पकरेति ? गोयमा | अत्थेगइया तुल्ल द्वितीया तुल्लविसेसाहिय कम्म पकरेति, अत्यंगइया तुल्लद्वितीया वेमायविसेसाहिय कम्म पकरेति, अत्थेगइया वेमायद्वितीया तुल्लविसेसाहिय कम्म पकरेति, अत्थेगइया वेमायद्वितीया वेमायविसेसाहिय कम्म पकरेति ॥ ४० से केणतुण भते । एव बुच्चइ-अत्थेगइया तुल्लट्ठितीया जाव वेमायविसेसाहिय कम्म पकरेति? गोयमा । एगिदिया चउव्विहा पण्णत्ता, त जहा- प्रत्येगइया समाउया समोववन्नगा, अत्थेगइया समाउया विसमोववन्नगा, अत्थेगइया विसमाउया समोववन्नगा, अत्थेगइया विसमाउया विसमोववन्नगा। तत्थ ण जे ते समाउया समोववन्नगा ते ण तुल्लद्वितीया तुल्लविसेसाहिय कम्म पकरेति । तत्थ ण जे ते समाउया विसमोववन्नगा ते ण तुल्ल द्वितीया वेमायविसेसाहिय कम्म पकरेति । तत्थ ण जे ते विसमाउया समोववन्नगा ते ण वेमायट्ठितीया तुल्लविसेसाहिय कम्म पकरेति । तत्थ ण जे ते विसमाउया विसमोववन्नगा ते ण वेमायविसेसाहिय कम्म पकरेति । से तेणद्वेण गोयमा | जाव वेमायविसेसाहिय कम्म पकरेति ॥ ४१ सेव भते । सेव भते । त्ति जाव विहरति ।। बीअो उद्देसो विसे सित-एगिदियाणं ठाणादि-पदं ४२ कइविहा ण भते । अणतरोववन्नगा एगिदिया पण्णत्ता ? गोयमा । पचविहा अणतरोववन्नगा एगिदिया पण्णत्ता, त जहा–पुढवि क्काइया, दुयाभेदो जहा एगिदियसएसु जाव वादरवणस्सइकाइया य॥ ४३ कहि ण भते ! अणतरोववन्नगाण वादरपुढविक्काइयाण ठाणा पण्णत्ता ? गोयमा | सट्ठाणेण अट्ठसु पुढवीसु, त जहा–रयणप्पभाए जहा ठाणपदे जाव' १. प० २। Page #1081 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०२० "भगवई दीवेसु समुद्देसु, एत्थ ण अणतरोववन्नगाण वादरपुढविकाइयाणं ठाणा पण्णत्ता, उववाएण सव्वलोए, समुग्घाएण सव्वलोए, सट्ठाणेण लोगस्स असखेज्जइभागे । अणतोववन्नमसुहमपुढविक्काइया एगविहा अविसेसमणाणत्ता सव्वलोए परियावन्ना पण्णत्ता समणाउसो | एव एएण कमेण सव्वे एगिदिया भाणियव्वा, सट्टाणाइ सव्वेसि जहा ठाणपदे । तेसि पज्जत्तगाण वादराण उववाय-समुग्घायसटाणाणि जहा तेसि चेव अपज्जत्तगाण वादराण | सुहमाण सव्वेसि जहा पुढविकाइयाण भणिया तहेव भाणियव्वा जाव वणस्सइकाइयत्ति ।। ४४ अणतरोववन्नगाण सुहमपुढविक्काइयाण भते । कइ कम्मप्पगडीयो पण्णत्तानो ? गोयमा । अट्ट कम्मप्पगडीयो पण्णत्तायो। एव जहा एगिदियसएसू अणंतरोववन्नगउद्देसए तहेव पण्णत्तानो, तहेव वधति, तहेव वेदेति जाव' अणतरो ववन्नगा वादरवणस्सइकाइया । ४५ अणंतरोववन्नगएगिदिया ण भते ! को उववज्जति ? जहेव ग्रोहिए उद्देसो भणियो तहेव ।। ४६ अणतरोववन्नगएगिदियाण भते । कति समुग्घाया पण्णत्ता ? गोयमा ! दोन्नि समुग्धाया पण्णत्ता त जहा-वेदणासमुग्घाए य कसायसमु घाए य ॥ ४७ अणतरोववन्नगएगिदिया ण भते । कि तुल्ल द्वितीया तुल्लविसेसाहिय कम्म पकरेति-पुच्छा तहेव ।। गोयमा ! अत्थेगइया तुल्लद्वितीया तुल्लविसेसाहिय कम्म पकरेति, अत्थेगइया तुल्ल द्वितीया वेमायविसेसाहिय कम्म पकरेति । से केणटेणं जाव वेमायविसेसाहिय कम्म पकरेति ? गोयमा | अणतरोववन्नगा एगिदिया दुविहा पण्णत्ता, त जहा–अत्थेगइया समाउया समोववन्नगा, अत्थेगइया समाउया विसमोववन्नगा। तत्थ ण जे ते समाउया समोववन्नगा ते ण तुल्लद्वितीया तुल्लविसेसाहियं कम्म पकरेति । तत्थ ण जे ते समाउया विसमोववन्नगा ते ण तुल्ल द्वितीया वेमायविसेसाहिय कम्म पकरेति । से तेणद्वेण जाव वेमायविसेसाहिय कम्म पकरेति ॥ ४६ सेवं भते । सेवं भंते ! त्ति। ४८. १. भ०३३।१७-२०) २. दो (ब, म)। Page #1082 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चोतीसइम सत (३-११ उद्देसा) १०२१ तइयो उद्देसो ५०. कइविहा ण भंते । परपरोववन्नगा एगिदिया पण्णत्ता ? गोयमा ! पचविहा परपरोववन्नगा एगिदिया पण्णत्ता, त जहा-पुढविक्का इया, भेदो चउक्कयो जाव वणस्सइकाइयत्ति ॥ ५१ परपरोववन्नगअपज्जत्तासुहमपुढविक्काइए ण भते । इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पुरथिमिल्ले चरिमते समोहए, समोहणित्ता जे भविए इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए' पच्चत्थिमिल्ले चरिमते अपज्जत्तासुहुमपुढविकाइयत्ताए उववज्जित्तए. ? एव एएण अभिलावेण जहेव पढमो उद्देसो जाव' लोगचरिमतो त्ति ॥ ५२. कहि ण भते । परपरोववन्नगवादरपुढविक्काइयाण' ठाणा पण्णत्ता ? गोयमा | सट्ठाणेण अट्ठसु पुढवीसु । एव एएण अभिलावेण जहा पढमे उद्देसए जाव तुल्लद्वितीयत्ति । ५३ सेवं भते । सेव भते ! त्ति ।। ४-११ उद्देसा ५४. एव सेसा वि अट उहेसगा जाव' अचरिमो त्ति, नवर-अणतरा अणतरसरिसा, परपरा परपरसरिसा, चरिमा य अचरिमा य एव चेव । एव एते एक्कारस उद्देसगा। १. जाव (अ, ता, ब); पुढवीए जाव (स)। २ भ० ३४॥२-३२ । ३. ° बातर° (क, ब)। Page #1083 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बिइयं सतं १-११ उद्देसा ५५. कइविहा णं भते । कण्हलेस्सा एगिदिया पण्णत्ता ? गोयमा । पचविहा कण्हलेस्सा एगिंदिया पण्णत्ता, भेदो चउक्को जहा कण्हलेस्सएगिदियसए जाव वणस्सइकाइयत्ति ॥ ५६ कण्हलेस्सग्रपज्जत्तामुहुमपुढविक्काइए ण भते । इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पुरत्थिमिल्ले ? एव एएण ग्रभिलावेण जहेव प्रोहिउद्देस जाव लोगच रिमते त्ति । सव्वत्थ कण्हलेस्सु चेव उववाएयव्वो । ५७ कहि ण भते । कण्हलेस्सग्रपज्जत्तावादरपुढविक्काइयाण ठाणा पण्णत्ता एवं एएण अभिलावेण जहा ग्रोहिउद्देसओ जाव तुल्ल ट्ठियति ॥ ५८ सेव भते । सेव भते । ति ॥ ५६ एव एएण ग्रभिलावेण जहेव पढम सेढिसय तहेव एक्कारस उद्देसगा भाणियव्वा ॥ ? ३-५ सताई ६०. एवं नीललेस्सेहि वि सत । काउलेस्सेहि वि सत एव चेव । भवसिद्धियएगिदिएहि 'सत ॥ १. ० एहि वि (म, स ) 1 १०२२ Page #1084 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छठं सतं ६१ कइविहा ण भते कण्हलेस्सा भवसिद्धिया एगिदिया पण्णता ? जहेव' श्रोहिउद्देसमो॥ ६२ कइविहा ण भते । अणतरोववन्ना कण्हलेस्सा भवसिद्धिया एगिदिया पण्णत्ता? जहेव अणतरोववन्नाउद्देसमो प्रोहियो तहेव ॥ कइविहा ण भते । परपरोववन्ना कण्हलेस्सा भवसिद्धिया एगिदिया पण्णत्ता? गोयमा | पचविहा परपरोववन्ना कण्हलेस्सा भवसिद्धिया एगिदिया पण्णत्ता, भेदो चउक्कयो जाव वणस्सइकाइयत्ति ॥ ६४ परपरोववन्नाकण्हलेस्सभवसिद्धियअपज्जत्तासुहुमपुढविकाइए ण भते । इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए० ? एव एएण अभिलावेण जहेव श्रोहियो उद्देसो जाव लोयचरिमते त्ति । सव्वत्थ कण्हलेस्सेसु भवसिद्धिएसु उववाएयव्वो ॥ कहि ण भते । परपरोववन्नाकण्हलेस्सभवसिद्धियपज्जत्ताबादरपुढविकाइयाण ठाणा पण्णत्ता ? एव एएण अभिलावेण जहेव' अोहिओ उद्देसनो जाव तुल्लट्ठिइयत्ति। एव एएण अभिलावेण कण्हलेस्सभवसिद्धियएगिदिएहि वि तहेव एक्कारसउद्देसगसजुत्त छ? सत ॥ ७-१२ सताई ६६ नीललेस्सभवसिद्धियएगिदिएस सत। एव काउलेस्सभवसिद्धियएगिदिएहि वि सत । जहा भवसिद्धिएहि चत्तारि सयाणि एव अभवसिद्धिएहि वि चत्तारि सयाणि भाणियव्वाणि, नवर–चरिमअचरिमवज्जा नव उद्देसगा भाणियन्वा, सेस त चेव । एव एयाइ वारस एगिदियसेढीसताइ । ६७. सेव भते । सेव भते । त्ति जाव विहरइ ॥ १. एव जहेव (स)। १०२३ Page #1085 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०२६ ७. ते ण भते ! जीवा नाणावरणिज्जस्स - पुच्छा । गोयमा । वेदगा, नो वेदगा । एवं सव्वेसि ॥ ८ ते ण भते । जीवा किं सातावेदगा ? असातावेदगा' ? गोयमा । सातावेदगा वा असातावेदगा वा । एव उप्पलुद्देसगपरिवाडी' । सव्वेसि कम्माणं उदई, नो अणुदई । छण्ह कम्माण उदीरगा, नो ऋणुदीरगा । वेदणिज्जाउयाण उदीरगा वा अणुदीरगा वा ॥ ६ ते ण भते । जीवा कि कण्हलेस्सा- पुच्छा । गोयमा ! कण्हलेस्सा वा, नीललेस्सा वा, काउलेस्सा वा, तेउलेस्सा वा । नो सम्मदिट्ठी, नो सम्मामिच्छादिट्ठी, मिच्छादिट्ठी । नो नाणी, ग्रण्णाणी - नियम' दुग्रण्णाणी, त जहा – मइअण्णाणी य सुयअण्णाणी य । नो मणजोगी, नो वइजोगी, कायजोगी । सागारोवउत्ता वा, ग्रणागारोवउत्ता वा ॥ - १० तेसि ण भते जीवाण सरीरंगा कतिवण्णा' जहा' उप्पलुद्दे सए सव्वत्थ – पुच्छा । गोयमा । जहा उप्पलुद्देसए ऊसासगा वा, नीसासगा वा, नो उस्सासनीसासगा वा । श्राहारगा वा ग्रणाहारगा वा । नो विरया, अविरया, नो विरयाविरया । सकिरिया, नो किरिया । सत्तविहबधगा वा अट्ठविहवधगा वा । आहारसण्णोवउत्ता वा जाव परिग्गहसण्णोवउत्ता वा । कोहकसायी वा जाव लोभकसायी वा। नो इत्थिवेदगा, नो पुरिसवेदगा, नपुसगवेदगा । इत्थिवेदवधगा वा पुरिसवेदबधगा वा नपुसगवेदबंधगा वा । नो सण्णी, असण्णी । सइदिया, नो श्रणिदिया || भगवई ११ ते णं भते । कडजुम्मकडजुम्मएगिंदिया कालग्रो केवच्चिर' होति ? गोयमा ! जहण्णेणं एक्क समय, उक्कोसेण प्रणत काल -- प्रणता सप्पिणिउस्सप्पिणीओ, वणस्सइकाइयकालो । सवेहो न भण्णइ, आहारो जहा उप्पलुद्देसए नवर-निव्वाघाएण छद्दिसि, वाघायं पडुच्च सिय तिदिसि, सिय चउदिसिं, सिय पचदिसिं, सेस तहेव । ठिती जहण्णेण प्रतोमुहुत्त, उक्कोसेण बावीस वाससहस्साइ । समुग्घाया दिल्ला चत्तारि । मारणतियसमुग्घातेण समोहया वि मरति, समोहया वि मरति । उव्वट्टणा जहा' उप्पलुद्देस ॥ १२. ग्रह भते । सव्वपाणा जाव सव्वसत्ता कडजुम्मकडजुम्मए गिदियत्ताए उववन्नपुव्वा ? हता गोयमा ! असइ अदुवा प्रणतखुत्तो ॥ १. पुच्छा ( अ, क, ख, ता, व, म) । २. भ० ११६-११ । ३ नियमा ( अ, व ) । ४. सरीरा (ख, स) । ५. भ० ११।१७-२८ । ६. केवचिर ( अ, क, ख, ब, म) । ७. भ० ११।३५ । ८. भ० ११।३६ | Page #1086 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पणतीसइमं सत (पढमो उद्देसो) १०२७ १३. कडजुम्मतेओयएगिदिया ण भते । को उववज्जति० ? उववाग्रो तहेव ॥ १४ ते ण भते । जीवा एगसमए-पुच्छा। गोयमा । एकूणवीसा वा सखेज्जा वा असखेज्जा वा अणता वा उववज्जति, सेस जहा कडजुम्मकडजुम्माण जाव अणतखुत्तो॥ १५ कडजुम्मदावरजुम्मएगिदिया णं भते कमोहितो उववज्जति०? उववाग्रो तहेव ।। १६ ते ण भते । जीवा एगसमएण-पुच्छा। गोयमा | अट्ठारस वा सखेज्जा वा असखेज्जा वा अणता वा उववज्जति, सेस तहेव जाव अणतखुत्तो। १७ कडजुम्मकलियोगएगिदिया ण भते । करोहितो उववज्जति० ? उववाग्रो तहेव परिमाण सत्तरस वा सखेज्जा वा असखेज्जा वा अणता वा, सेस तहेव जाव अणतखुत्तो ।। १८ तेयोगकडजुम्मएगिदिया ण भते | कमोहितो उववज्जति० उववाो तहेव, परिमाण वारस वा संखेज्जा वा असखेज्जा वा अणता वा उववज्जति, सेस तहेव जाव अणतखुत्तो॥ १६ तेयोयतेयोयएगिदिया ण भते | कओहितो उववज्जति ? उववाग्रो तहेव । परिमाण पन्नरस वा संखेज्जा वा असखेज्जा वा अणता वा, सेस तहेव जाव अणतखुत्तो। एव एएस सोलससु महाजुम्मेसु एक्को गमो, नवर-परिमाणे नाणत्त-तेयोयदावरजम्मेसु परिमाण चोद्दस वा सखेज्जा वा असखेज्जा वा अणता वा उवज्जति । तेयोगकलियोगेसु तेरस वा सखेज्जा वा असखेज्जा वा अणता वा उववज्जति । दावरजुम्मकडजुम्मेसु अट्ठ वा सखेज्जा वा असखेज्जा वा अणता वा उववज्जति । दावरजुम्मतेयोगेसु एक्कारस वा सखेज्जा वा असखेज्जा वा अणता वा उववज्जति । दावरजुम्मदावरजुम्मेसु दस वा सखेज्जा वा असंखेज्जा वा अणता वा उववज्जति । दावरजुम्मकलियोगेसु नव वा सखंज्जा वा असखेज्जा वा अणता वा उववज्जति । कलियोगकडजम्मे चत्तारि वा सखेज्जा वा असखेज्जा वा अणता वा उववज्जति । कलियोगतेयोगेसु सत्त वा सखेज्जा वा असज्जा वा अणता वा उववज्जति । कलियोगदावरजुम्मेसु छ वा सखेज्जा वा असखेज्जा वा अणता वा उववज्जति ।। २०. कलियोगकलियोगएगिदिया ण भते । कयो उववज्जति० ? उववाओ तहेव । परिमाण पच वा सखेज्जा वा असखेज्जा वा अणता वा उववज्जति, सेस तहेव जाव अणतखुत्तो॥ २१. सेव भते । सेवं भते । त्ति ॥ १. भ० ३५।३। Page #1087 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पणतीसइमं सतं पढम एगिदियमहाजुम्मसतं पढमो उद्देसो महाजुम्म-एगिदियाण उववायादि-पदं १ कइ ण भते । महाजुम्मा पण्णत्ता ? गोयमा । सोलस महाजुम्मा पण्णत्ता, तं जहा–१ कडजुम्मकडजुम्मे, २ कडजुम्मतेयोगे, ३ कडजुम्मदावरजुम्मे', ४ कडजुम्मकलियोगे, ५ तेओगकडजम्मे, ६ तेश्रोगतेप्रोगे, ७ तेश्रोगदावरजुम्मे, ८ तेश्रोगकलिओगे, ६ दावरजुम्मकडजुम्मे, १० दावरजुम्मतेओगे, ११ दावरजुम्मदावरजुम्मे, १२ दावरजम्मकलियोगे, १३ कलियोगकडजुम्मे १४ कलियोगतेप्रोगे, १५ कलियोगदावरजूम्मे, १६ कलियोगकलियोगे॥ २ से कणटेणं भते । एव वुच्चइ-सोलस महाजुम्मा पण्णत्ता, त जहा-कडजुम्म कडजुम्मे जाव कलियोगकलियोगे ? गोयमा । जे ण रासी चउक्कएण अवहारेण अवहीरमाणे चउपज्जवसिए, जे ण तस्स रासिस्स अवहारसमया ते वि कडजुम्मा, सेत्त कडजुम्मकडजुम्मे १ । जे ण रासी चउक्कएण अवहारेण अवहीरमाणे तिपज्जवसिए, जे ण तस्स रासिस्स अवहारसमया कडजुम्मा, सेत्त कडजुम्मतेयोए २ । जे ण रासी चउक्कएण अवहारेणं अवहीरमाणे दुपज्जवसिए, जे ण तस्स रासिस्स अवहारसमया कडजुम्मा, सेत्त कडजुम्मदावरजुम्मे ३ । जे ण रासी चउक्कएण अवहारेण अवहीरमाणे एगपज्जवसिए, जे ण तस्स रासिस्स अवहारसमया कडजुम्मा, सेत्त कडजुम्मकलियोगे ४ । जे ण रासी चउक्कएणं अवहारेण अवहीरमाणे चउपज्जवसिए, जे णं तस्स रासिस्स अवहारसमया तेयोगा, सेत्त तेप्रोग कडजम्मे ५। जे ण रासी चउक्कएण अवहारेण अवहीरमाणे तिपज्जवसिए, १. वादरजुम्मे (अ, ख, ता, म); ° वातरजुम्मे २. अवहारमाणा (म), अवहारमाणे (म) । (क)। १०२४ Page #1088 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पणतीसइम सत (पढमो उद्देसो) १०२५ जे णं तस्स रासिस्स अवहारसमया तेोगा, सेत्तं तेश्रोगतेप्रोगे ६ । जे ण रासी चउक्कएण अवहारेण अवहीरमाणे दोपज्जवसिए, जे ण तस्स रासिस्स अवहारसमया तेयोगा, सेत्तं तेश्रोगदावरजुम्मे ७ । जे ण रासी चउक्कएण अवहारेण प्रवहीरमाणे एगपज्जवसिए, जे ण तस्स रासिस्स अवहारसमया तेनोगा, सेत्त तेस्रोगकलियोगे ८ । जे ण रासी चउक्कएण अवहारेण अवहीरमाणे चउपज्जवसिए, जे ण तस्स रासिस्स अवहारसमया दावरजुम्मा, सेत्त दावरजुम्मकडजुम्मे है । जे ण रासी चउक्कएण अवहारेण अवहीरमाणे तिपज्जवसिए, जे ण तस्स रासिस्स अवहारसमया दावरजुम्मा सेत्त दावरजुम्मतयोए १० । जे ण रासी चउक्कएण अवहारेण अवहीरमाणे दुपज्जवसिए, जे ण तस्स रासिस्स अवहारसमया दावरजुम्मा, सेत्त दावरजुम्मदावरजुम्मे ११ । जे ण रासी चउक्कएण अवहारेण अवहीरमाणे एगपज्जवसिए, जे ण तस्स रासिस्स अवहारसमया दावरजुम्मा, सेन दावरजुम्मकलियोए १२ । जे ण रासी चउक्कएण अवहारेण अवहीरमाणे चउपज्जवसिए, जे ण तस्स रासिस्स अवहारसमया कलियोगा, सेत्त कलियोगकडजुम्मे १३ । जे ण रासी चउक्कएण अवहारेण अवहीरमाणे तिपज्जवसिए, जे ण तस्स रासिस्स अवहारसमया कलियोगा, सेत्त कलियोगतयोए १४ । जे ण रासी चउक्कएण अवहारेण अवहीरमाणे दुपज्जवसिए, जे ण तस्स रासिस्स अवहारसमया कलियोगा, सेत्त कलियोगदावरजुम्मे १५ । जे ण रासी चउक्कएण अवहारेण अवहीरमाणे एगपज्जव सिए, जे ण तस्स रासिस्स अवहारसमया कलियोगा, सेत्त कलियोगकलिओगे १६ । से तेणतुण जाव कलियोगकलिओगे ॥ ३ कडजुम्मकडजम्मएगिदिया ण भते । को उववज्जति-कि नेरइएहितो. ? जहा' उप्पलुद्देसए तहा उववाओ ॥ ४. ते ण भते । जीवा एगसमएण केवइया उववज्जति ? गोयमा । सोलस वा सखेज्जा वा असखेज्जा वा अणता वा उववज्जति ।। ५ ते ण भते । जीवा समए समए-पुच्छा। गोयमा | ते ण अणंता समए समए अवहीरमाणा-अवहीरमाणा अणताहिं अोसप्पिणि-उस्सप्पिणीहिं अवहीरति, णो चेव ण अवहिया' सिया। उच्चत्तं जहा' उप्पलुद्देसए॥ ६ ते ण भते । जीवा नाणावरणिज्जस्स कम्मस्स किं बंधगा ? अबधगा? गोयमा | वधगा, नो अबधगा। एव सव्वेर्सि आउयवज्जाण। आउयस्स बधगा वा अबधगा वा ।। ३. भ०१११५ । १. भ० ११।२। २ अवहरिया (स)। Page #1089 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०२८ । भगवई बीओ उद्देलो २२ पढमसमयकडजुम्मकडजुम्मएगिदिया ण भते । को उववज्जति० ? गोयमा ! तहेव, एव जहेव पढमो उद्देसो तहेव सोलसखुत्तो वितियो' भाणियव्वो, तहेव सव्व, नवर-इमाणि दस नाणत्ताणि-१ अोगाहणा जहण्णण अंगुलस्स असखेज्जइभागं, उक्कोसेण वि अगुलस्स असंखेज्जइभागं । २ ग्राउयकम्मस्स नो वंधगा, अबंधगा। ३ आउयस्स नो उदीरगा, अणुदीरगा। ४ नो उस्सासगा, नो निस्सासगा, नो उस्सासनिस्सासगा। ५ सत्तविहबधगा, नो अट्टविहबधगा॥ २३. ते णं भते । पढमसमयकडजुम्मकडजुम्मएगिदियत्ति कालो केवच्चिर होइ ? गोयमा । ६ एक्क समय। ७ एवं ठिती वि । ८ समुग्धाया आदिल्ला दोन्नि । ६. समोहया न पुच्छिज्जति । १०. उव्वट्टणा न पुच्छिज्जइ, सेस तहेव सव्व निरवसेस सोलससु वि गमएसु जाव अणतखुत्तो ।। २४ सेवं भते । सेव भते ! त्ति ।। ३-११ उद्देसा २५ अपढमसमयकडजुम्मए गिदिया णं भते ! को उववज्जति ? एसो जहा पढमुद्देसो सोलसहि वि जुम्मेसु तहेव नेयम्वो जाव कलियोगकलियोगत्ताए जाव अणतखत्तो।। २६. सेव भंते । सेवं भते । त्ति ।। २७ चरिमसमयकडजुम्मकडजुम्मएगिदिया णं भते । को उववज्जति० ? एव जहेव पढमसमयउद्देसओ, नवर-देवा न उववज्जति, तेउलेस्सा न पुच्छिज्जति, सेस तहेव ॥ २८. सेवं भंते । सेव भते ! त्ति ॥ २६ अचरिमसमयकडजुम्मकडजुम्मएगिदिया ण भंते | को उववज्जति० ? जहा अपढमसमयउद्देसो' तहेव निरवसेसो भाणितव्यो।। ३०. सेव भते । सेव भते । त्ति ।। १. वितिको वि (अ, क, ख, व, म)। २. जुम्मेहिंसु (ता)। ३. पढम° (म, क, ख, ता, ब)। Page #1090 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पणतीसइम स १०.२६ ३१ पढमपढमसमयकडजुम्मकडजुम्मएगिदिया ण भते ! को उववज्जति ? जहा पढमसमयउद्देसग्रो तहेव निरवसेस | ३२ सेव भते । सेव भते । त्ति जाव विहरइ ॥ ३३ पढमग्रपढमसमयकडजुम्मकडजुम्मए गिदिया ण भते । को उववज्जति० ? जहा पढमसमयउद्देसो तहेव भाणियव्वो । ३४ सेव भते । सेव भते । त्ति ॥ ३५ पढमचरिमसमयकडजुम्मकडजुम्मए गिदिया ण भते । को उववज्जति० ? जहा चरिमुद्दे तहेव निरवसेस | ३६. सेव भंते । सेव भते । त्ति ॥ ३७ पढमग्रचरिमसमयकडजुम्मकडजुम्मएगिंदिया ण भते । कम्रो उववज्जति ० ? जहा 'वीथ्रो उद्देसग्रो” तहेव निरवसेस ।। ३८ सेव भते । सेवं भते । त्ति जाव विहरइ ॥ ३६ चरिमचरिमसमयकडजुम्मकडजुम्मएगिदिया ण भते । कम्रो उववज्जति ० ? जहा चउत्थो उद्देसन' तहेव निरवसेस | ४० सेव भते । सेव भते । त्ति ।। ४१ चरिमग्र चरिमसमयकडजुम्मकडजुम्मए गिदिया ण भते । कम्रो उववज्जति ० ? जहा पढमसमयउद्देसग्रो तहेव निरवसेस | ४२ सेव भते । सेव भते । त्ति जाव विहरति ॥ ४३ एव एए एक्कारस उद्देगा । पढमो ततिम्रो पचमो य सरिसगमा, सेसा अट्ट सरिसगमा, नवर- - चउत्थे ग्रटुमे दसमे य देवा न उववज्जति । तेउलेस्सा नत्थि ॥ बितियं एर्गिदियमहाजुम्मसतं ४४. कण्णलेस्सकडजुम्मकडजुम्मए गिंदिया ण भते ! कम्रो उववज्जति० ? गोयमा । उववाग्रो तहेव, एव जहा मोहिउद्देसए, नवर इम नाणत्त ॥ ४५. ते ण भते । जीवा कण्हलेस्सा ? हता कस्सा | १ पढमउ ० ( अ, क, ख ) 1 २. चउत्थुद्देसओ (ता) । ३. पचमगो ( अ, क, ब, म); पचमओ (ख, ता) । ४. चउत्ये छुट्टे ( अ, ब ) । / 1 Page #1091 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०३० भगवई ४६. ते ण भते ! कण्हलेस्सकडजुम्मकडजुम्मएगिदियत्ति कालमो केवच्चिरं होइ ? गोयमा ! जहण्णेण एक्कं समय, उक्कोसेणं अतोमुहुत्त । एव ठिती वि । सेस तहेव जाव अणतखुत्तो । एव सोलस वि जुम्मा भाणियव्वा ।। ४७. सेव भते । सेव भते । त्ति ।। ४८ पढमसमयकण्हलेस्सकडजुम्मकडजुम्मएगिदिया ण भते ! को उववज्जति ? जहा पढमसमयउद्देसमो, नवर४६. ते ण भते ! जीवा कण्हलेस्सा ? हता कण्हलेस्सा, सेस तहेव' ॥ ५० सेव भते । सेवं भते ! त्ति ॥ ५१. एवं जहा प्रोहियसए एक्कारस उद्देसगा भणिया तहा कण्हलेस्ससए वि एक्कारस उद्देसगा भाणियव्वा । पढमो तइयो पचमो य सरिसगमा, सेसा अट्ठ वि सरिसगमा, नवर-चउत्थ-अट्ठम-दसमेसु उववाग्रो नत्थि देवस्स ।। ५२ सेवं भते । सेवं भते । त्ति ॥ ३-१२ एगिदियमहाजुम्मसताई ५३. एव नीललेस्सेहि वि सतं कण्हलेस्ससतसरिसं, एक्कारस उद्देसगा तहेव ॥ ५४. सेव भते ! सेवं भते । त्ति ॥ ५५. एवं काउलेस्सेहि वि सत कण्हलेस्ससतसरिसं ॥ ५६. सेव भते ! सेव भते । त्ति ॥ ५७ भवसिद्धियकडजुम्मकडजुम्मएगिदिया ण भते | को उववज्जति ? जहा ग्रोहियसत तहेव, नवरं-एक्कारससु वि उद्देसएसु॥ अह भते ! सव्वे पाणा जाव सव्वे सत्ता भवसिद्धियकडजुम्मकडजुम्मएगिदियत्ताए उववन्नपुव्वा ? गोयमा ! णो इणटे समटे, सेस तहेव ।। ५६. सेवं भते । सेव भते । त्ति ॥ ६०. कण्हलेस्सभवसिद्धियकडजुम्मकडजुम्मएगिदिया ण भते । कओ उववज्जति ? एव कण्हलेस्सभवसिद्धियएगिदिएहि वि सत वितियसतकण्हलेस्ससरिस भाणि यव॥ ६१. सेवं भते ! सेव भते ! त्ति ॥ १. तं चेव (स)। Page #1092 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पणतीसइम सते १०३१ ६२ एव नीललेस्सभवसिद्धियएगिदियएहि वि सत ।। ६३ सेव भते । सेव भते । त्ति ।। ६४. एव काउलेस्सभवसिद्धियएगिदिएहि वि तहेव एक्कारसउद्देसगसजुत्त सत । एव एयाणि चत्तारि भवसिद्धिएसु सताणि । चउसु वि सएसु सव्वे पाणा जाव उववन्नपुव्वा ? नो इणद्वै समढे ।। ६५ सेव भते । सेव भते । त्ति ॥ ६६ जहा भवसिद्धिएहि चत्तारि सताइ भणियाइ एव अभवसिद्धिएहि वि चत्तारि सताणि लेस्सासजुत्ताणि भाणियव्वाणि । सव्वे पाणा तहेव नो इणढे समढे । एव एयाइ वारस एगिदियमहाजुम्मसताइ भवति । ६७ सेव भते । सेव भते । त्ति ।। Page #1093 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छत्तीसइमं सतं पढमं बंदियमहाजुम्मसतं पढमो उद्देसो महाजुम्म-बंदियाण उववायादि-पदं कडजुम्मकडजुम्मबेदिया ण भते ! कत्रो उववज्जति ? उववानो जहा' वक्कतीए। परिमाण सोलस वा सखेज्जा वा असखेज्जा वा उववज्जति । अवहारो जहा' उप्पलुद्देसए। प्रोगाहणा जहण्णण अगुलस्स असखेज्जइभाग, उक्कोसेण बारस जोयणाइ। एव जहा एगिदियमहाजुम्माण पढमुद्देसए तहेव, नवर-तिण्णि लेस्साओ, देवा न उववज्जति । सम्मदिट्ठी वा मिच्छदिट्ठी वा, नो सम्मामिच्छादिट्ठी। नाणी वा अण्णाणी वा। नो मणजोगी, वइजोगी वा कायजोगी वा ।। २ ते ण भते ! कडजुम्मकडजुम्मवेदिया कालो केवच्चिरं होति ? गोयमा ! जहण्णेण एक्क समय, उक्कोसेण सखेज्ज काल । ठिती जहण्णण एक्क समय, उक्कोसेण वारस सवच्छराइ । आहारो नियम छद्दिसि । तिण्णि समुग्धाया, सेस तहेव जाव अणतखुत्तो । एव सोलससु वि जुम्मेसु ॥ ३ सेव भते ! सेव भते । त्ति ॥ २-११ उद्देसा ४ पढमसमयकडजुम्मकडजुम्मवेदिया ण भते! को उर्ववज्जति० ? एवं जहा एगिदियमहाजुम्माण पढमसमयउद्देसए । दस नाणत्ताइ ताइ चेव दस इह वि। ३ भ० १०४। १. प०६। २. आहारो (अ, क, ता, ब)। १०३२ Page #1094 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छत्ततीसइम सत १०३३ एक्कारसमं इम नाणत्त-नो मणजोगी, नो वइजोगी, कायजोगी। सेस जहा बेंदियाणं चेव पढमुद्देसए ॥ ५ सेव भते । सेव भते । त्ति । ६. एव एए वि जहा एगिदियमहाजुम्मेसु एक्कारस उद्देसगा तहेव भाणियव्वा, नवर-चउत्थ-अट्ठम-दसमेसु सम्मत्त-नाणाणि न भण्णति । जहेव एगिदिएस पढमो तइओ पचमो य एक्कगमा, सेसा अट्ट एक्कगमा। २-१२ दियमहाजुम्मसताई ७ कण्हलेस्सकडजुम्मकडजूम्मवदिया ण भते । कयो उववज्जति ? एव चेव । कण्हलेस्सेसु वि एक्कारसउद्देसगसजुत्त सत, नवर -लेस्सा, सचिट्ठणा' जहा एगिदियकण्हलेस्साण ॥ ८ एव नीललेस्सेहि वि सतं ।। ६. एव काउलेस्सेहि वि ॥ १० भवसिद्धियकडजुम्मकडजुम्मवेदिया ण भते. ? एव भवसिद्धियसता वि चत्तारि तेणेव पुव्वगमएण नेयव्वा, नवर-सव्वे पाणा० ? णो तिणढे समटे । सेस तहेव प्रोहियसताणि चत्तारि ॥ ११. सेव भते । सेव भते ! त्ति ॥ १२ जहा भवसिद्धियसताणि चत्तारि एव अभवसिद्धियसताणि चत्तारि भाणियव्वाणि, नवर-सम्मत्त-नाणाणि सव्वेहि नत्थि, सेस त चेव । एव एयाणि बारस वेदियमहाजुम्मसताणि भवति ।। १३. सेव भते । सेव भते ! त्ति ॥ १ सचिट्ठणा ठिती (अ, ब, स) Page #1095 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०३४ भगवई सत्ततीसइमं सतं महाजुम्म-तें दियाण उववायादि-पद १ कडजुम्मकडजुम्मतेदिया ण भते ! को उववज्जति० ? एव तेदिएस वि वारस सता कायव्वा वेदियसतसरिसा, नवर–ोगाहणा जहणणेण अगुलस्स असखेज्जइभाग, उक्कोसेण तिण्णि गाउयाइ। ठिती जहण्णेण एक्क समयं, उक्कोसेण एकणवण्ण राइदियाइ, सेस तहेव ॥ २ सेवं भते । सेव भते । त्ति ।। अठतीसइमं सतं महाजुम्म-चरि दियाणं उववायादि-पदं १ चरिदिएहि वि एव चेव वारस सता कायव्वा, नवर–ोगाहणा जहण्णेण अगुलस्स असखेज्जइभाग, उक्कोसेण चत्तारि गाउयाइ । ठिति जहण्णण एक्क समय, उक्कोसेण छम्मासा । सेस जहा वेदियाण ॥ २ सेव भते ! सेव भते । त्ति ।। एगणयालीसइमं सतं महाजुम्म-असपिणपचिदियाणं उववायादि-पद १. कडजुम्मकडजुम्मनसण्णिपचिदिया ण भते ! को उववज्जति० ? जहा बेदि याण तहेव असण्णिसु वि वारस सता कातव्वा, नवर-प्रोगाहणा जहण्णेण अगलस्स असखेज्जइभाग, उक्कोसेणं जोयणसहस्सं । सचिट्ठणा जहण्णणं एक्कं समय, उक्कोसेण पुवकोडीपुहत्त । ठिती जहण्णेण एक्क समयं, उक्कोसेण पुबकोडी, सेस जहा वेदियाण ।। २ सेव भते । सेव भंते ! त्ति ॥ Page #1096 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चत्तालीसतिमं सत पढमं सण्णिपंचिदियमहाजुम्मसतं महाजुम्म-सण्णिपंचिदियाणं उववायादि-पदं कडजुम्मकडजुम्मसण्णिपचिदिया ण भते । कयो उववज्जति०? उववाग्रो चउसु वि गई । सखेज्जवासाउय-असखेज्जवासाउय-पज्जत्ता-अपज्जत्तएसु य न को वि पडिसेहो जाव अणुत्तरविमाणत्ति । परिमाण अवहारो अोगाहणा य जहा असण्णिपचिदियाण । वेयणिज्जवज्जाण सत्तण्ह पगडीण वधगा वा अबधगा वा, वेयणिज्जस्स वधगा, नो अबधगा। मोहणिज्जस्स वेदगा वा अवेदगा वा, सेसाण सत्तण्ह वि वेदगा, नो अवेदगा। सायावेदगा वा असायावेदगा वा । मोहणिज्जस्स उदई वा अणुदई वा, सेसाण सत्तण्ह वि उदई, नो अणुदई । नामस्स गोयस्स य उदीरगा, नो अणुदीरगा, सेसाण छण्ह वि उदीरगा वा अणुदीरगा वा । कण्हलेस्सा वा जाव सुक्कलेस्सा वा। सम्मदिट्ठी वा मिच्छादिट्ठी वा सम्मामिच्छादिट्ठी वा। नाणी वा अण्णाणी वा । मणजोगी वइजोगी कायजोगी। उवयोगो, वण्णमादी, उस्सासगा वा नीसासगा वा, आहारगा य जहा एगिदियाण। विरया य अविरया य विरयाविरया य। सकिरिया, नो अकिरिया ॥ ते ण भते । जीवा किं सत्तविह्वधगा ? अट्ठविहबधगा ? छव्विहबधगा ? एगविहवघगा वा ? गोयमा | सत्तविहवधगा वा जाव एगविहबधगा वा ॥ ते ण भते । जीवा किं प्राहारसण्णोवउत्ता जाव परिग्गहसण्णोवउत्ता ? नोसण्णोवउत्ता? गोयमा । श्राहारसण्णोवउत्ता जाव नोसण्णोवउत्ता वा । सव्वत्थ पुच्छा भाणियव्वा- कोहकसायी वा जाव लोभकसायी वा, अकसायी वा । इत्थीवेदगा वा पुरिसवेदगा वा नपुसगवेदगा वा अवेदगा वा। इत्थिवेदबधगा वा पुरिसवेदबधगा वा नपुसगवेदबधगा वा अबधगा वा। सण्णी, नो असण्णी। सइदिया, १०३५ Page #1097 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०३६ भगवई नो अणिदिया। सचिट्ठणा जहण्णण एक्क समय, उक्कोसेण सागरोवमसयपुहत्त सातिरेग । आहारो तहेव जाव नियम छद्दिसि । ठिती जहण्णण एक्क समय, उक्कोसेण तेत्तीस सागरोवमाइ । छ समुग्घाया आदिल्लगा। मारणतियसमुग्घाएण समोहया वि मरति, असमोहया वि मरति । उव्वट्टणा जहेव उववारो, न कत्थइ पडिसेहो जाव अणत्तरविमाणत्ति । ग्रह भते | 'सव्वेपाणा" जाव अणतखत्तो। एव सोलससू वि जम्मेसु भाणियव्व जाव अणतखुत्तो, नवर-परिमाण जहा बेइदियाण, सेस तहेव ।। सेव भते । सेव भते । त्ति ।। ४ ५ २-११ उद्देसा पढमसमयकडजुम्मकडजुम्मसण्णिपंचिदिया ण भते । को उववज्जति ? उववानो, परिमाण आहारो जहा एएसि चेव पढमोद्देसए । अोगाहणा बधो वेदो वेदणा उदयी उदीरगा य जहा वेदियाण पढमसमइयाण, तहेव कण्हलेस्सा वा जाव सुक्कलेस्सा वा । सेस जहा बेदियाण पढमसमइयाण जाव अणतखुत्तो, नवर- इत्थिवेदगा वा पुरिसवेदगा वा नपुसगवेदगा वा, सण्णिणो नो असण्णिणो, सेस तहेव । एव सोलससु वि जुम्मेसु परिमाण तहेव सव्व । ७ सेव भते । सेव भते । त्ति।। ८. एव एत्थ वि एक्कारस उद्देसगा तहेव, पढमो तइयो पंचमो य सरिसगमा, सेसा अट्ट वि सरिसगमा । चउत्थ-अट्ठम-दसमेसु नत्थि विसेसो कायव्यो ।। है सेव भते ! सेवं भते । त्ति । बितियं सपिणपंचिंदियमहाजुम्मसतं १० कण्हलेस्सकडजुम्मकडजुम्मसण्णिपचिदिया ण भते । को उववज्जति०? तहेव पढमहेसओ सण्णीण, नवर-वध-वेद-उदइ-उदीरण-लेस्स-बधग-सण्ण-कसायवेदवधगा य एयाणि जहा वेदियाण। कण्हलेस्साण वेदो तिविहो, अवेदगा नत्थि । सचिट्टणा जहण्णण एक्कं समय, उक्कोसेण तेत्तीस सागरोवमाइं अतोमहत्तमभहियाइ। एवं ठिती वि, नवर-ठितीए अतोमुत्तमभहियाइं न १. सव्वपारणा (अ, क, ख, ता, व, स)। २. सण्णि (ता); सण्णा (म, स)। Page #1098 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चत्तालीसतिमं सतं १०३७ भणति । सेसं जहा एएसि चेव पढमे उद्देसए जाव प्रणतखुत्तो । एवं सोलससु विजुम्मेसु ॥ ११ सेवं भते । सेव भते । ति ॥ १२ पढमसमयक पहले स्सकडजुम्मकडजुम्मसण्णिपचिदिया ण भते । वज्जति०? जहा सण्णिपचिदियपढमसमय उद्देसए तहेव निरवसेस, १३. ते ण भते । जीवा कण्हलेस्सा ? हता कण्हलेस्सा, सेस त चेव । एव सोलससु वि जुम्मेसु ॥ कमो उव नवर १४ सेव भते । सेव भंते । त्ति ॥ १५ एव एए वि एक्कारस उद्देगा कण्हलेस्ससए । पढम-ततिय- पचमा सरिसगमा, सेसा टू विसरिसगमा ॥ १६ सेव भते । सेव भते । त्ति ॥ ३-१४ सपिणमहाजुम्मसताई १७ एव नोललेस्सेसु वि सतं, नवर - सचिणा जहणेणं एक्क समय, उक्को सेण दस सागरोवमाइ पलिग्रोवमस्स असखेज्जइभागमब्भहियाइ । एव ठिती वि। एव तिसु उद्देसएसु', सेस त चेव ॥ १५. सेव भते । सेव भते । त्ति ॥ १६. एव काउलेस्ससतं पि, नवर - सचिणा जहण्णेण एक्क समय, उक्कोसेण तिण्णि सागरोवमाइ पलिप्रोवमस्स सखेज्जइभागमव्भहियाइ । एव ठितीवि । एव ति व उद्देसु, सेस त चेव ॥ २० सेव भते । सेव भते । त्ति ॥ २१ एव तेउलेस्सेसु वि सत, नवर – सचिणा जहणेण एक्क समय, उक्कोसेण दो सागरोवमाइ पलिप्रोवमस्स ग्रसखेज्जइभागमव्भहियाइ । एव ठितीवि, नवर - नोसण्णोवउत्ता वा । एव तिसु वि उद्देसएसु', सेस त चेव ॥ २२ सेव भते ! सेव भते । ति ॥ २३ जहा तेउलेस्ससत तहा पम्हलेस्ससत पि, नवर- सचिट्टणा जहणेण एक्क, समय, उक्कोसेण दस सागरोवमाइ ग्रतो मुहुत्तमम्भहियाइ । एव ठितीवि नवरं - तोमुहुत्त न भण्णति, सेस त चेव । एव एएसु पचसु सतेसु जहा कण्हलेस्ससते गमग्र तहा नेयव्वो जाव प्रणतखुत्तो ॥ १ प्रथम - तृतीय - पञ्चमेषु (वृ) | २. गमएसु (श्र, क, ख, ता, ब, म) । Page #1099 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०३८ भगवई २४ सेवं भते । सेव भते । त्ति। २५. सुक्कलेस्ससत जहा प्रोहियसत, नवर-सचिट्ठणा ठिती य जहा कण्हलेस्ससते, सेस तहेव जाव अणतखत्तो।। २६ सेव भते ! सेव भते । त्ति ।। २७. भवसिद्धीयकडजुम्मकडजुम्मसण्णिपचिदिया णं भते । कयो उववज्जति०? जहा पढम सण्णिसत्तं तहा नेयव्व भवसिद्धीयाभिलावेण, नवर२८. सव्वे पाणा'? नो तिणटे समतु, सेस त चेव । २६. सेव भते । सेव भते । त्ति ।। ३० कण्हलेस्सभवसिद्धीयकडजुम्मकडजुम्मसण्णिपचिदिया ण भते । को उवव ज्जति ०? एव एएण अभिलावेण जहा ओहियकण्हलेस्ससत ॥ ३१ सेव भते ! सेव भते । त्ति ।। ३२. एव नीललेस्सभवसिद्धीए वि सत ॥ ३३ सेव भते । सेव भते ! त्ति ॥ ३४ एव जहा ओहियाणि सण्णिपचिदियाण सत्त सताणि भणियाणि, एव भवसिद्धी एहि वि सत्त सताणि कायव्वाणि, नवर-सत्तसु वि सतेसु सव्वे पाणा जाव नो तिणद्वे समढे, सेस त चेव ।। ३५. सेव भते ! सेव भंते । त्ति ।। ال ل ه الله الله १५-२१ सपिगमहाजुम्मसताई ३६. अभवसिद्धीयकडजुम्मकडजुम्मसण्णिपचिदिया णं भते । को उववज्जति.? उववानो तहेव अणुत्तरविमाणवज्जो । परिमाण अवहारो उच्चत्त बंधो वेदो वेदण उदग्रो उदीरणा य जहा कण्हलेस्ससते । कण्हलेस्सा वा जाव सक्कलेस्सा वा । नो सम्मदिट्ठी, मिच्छादिट्ठी, नो सम्मामिच्छादिट्ठी। नो नाणी, अण्णाणी, एव जहा कण्हलेस्ससते, नवर-नो विरया, अविरया, नो विरयाविरया। सचिठ्ठणा ठिती य जहा अोहिउद्देसए। समुग्घाया आदिल्लगा पच । उव्वट्टणा तहेव अणुत्तरविमाणवज्ज । सव्वे पाणा०? नो तिणढे समतु, सेस जहा कण्ह लेस्ससते जाव अणतखुत्तो । एव सोलससु वि जुम्मेसु । ३७. सेवं भंते ! सेव भते ! त्ति ॥ १. भ० ४०।४। Page #1100 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चत्तालीसतिम सत १०३६ ३८. पढमसमयअभवसिद्धीयकडजुम्मकडजुम्मसण्णिपचिदिया ण भत | कओ उवव ज्जति० ? जहा सण्णीण पढमसमयउद्देसए तहेव, नवरं-सम्मत्त सम्मामिच्छत्त नाण च सव्वत्थ नत्थि, सेस तहेव ।। ३६ सेव भते । सेवं भते । त्ति ।। ४० एव एत्थ वि एक्कारस उद्देसगा कायव्वा पढम-तइय-पचमा एक्कगमा, सेसा अट्ट वि एक्कगमा ।। ४१ सेव भंते | सेवं भते । त्ति ॥ कण्हलेस्सअभवसिद्धीयकडजुम्मकडजुम्मसण्णिपचिंदिया ण भते । को उव वज्जति०? जहा एएसि चेव प्रोहियसत तहा कण्हलेस्ससय पि, नवर४३ ते ण भते | जीवा कण्हलेस्सा ? हता कण्हलेस्सा । ठिती, सचिटणा य जहा कण्हलेस्ससते, सेस त चेव ।। ४४ सेव भते । सेव भते । त्ति ।। एव छहि वि लेस्साहि छ सता कायव्वा जहा कण्हलेस्ससत, नवर-सचिट्ठणा ठिती य जहेव प्रोहियसते तहेव भाणियव्वा, नवर-सुक्कलेस्साए उक्कोसेण इक्कतीस सागरोवमाइ अतोमुत्तमभहियाइ । ठिती एव चेव, नवर-अतोमुहुत्त नत्थि जहण्णग तहेव सव्वत्थ सम्मत्त-नाणाणि नत्थि । विरई विरया विरई अणुत्तरविमाणोववत्ति-एयाणि नत्थि । सव्वे पाणा०? नो तिणद्वे समढ़े। ४६. सेव भते । सेव भते । त्ति ॥ ४७ एव एयाणि सत्त अभवसिद्धीयमहाजुम्मसताइ भवति । ४८. सेव भते । सेव भते । त्ति ।। ४६ एव एयाणि एक्कवीस सण्णिमहाजुम्मसताणि । सव्वाणि वि एकासीतिमहा जुम्मसताइ॥ Page #1101 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रासीजुम्म नेरइयादीणं उववायादि-पदं १ कति ण भते । रासीजुम्मा पण्णत्ता ? गोयमा । चत्तारि रासीजुम्मा पण्णत्ता, त जहा - कडजुम्मे जाव कलियोगे ॥ २. से केणट्टेण भते । एव वच्चइ - चत्तारि रासीजुम्मा पण्णत्ता, त जहा – कडजुम्मे जाव कलियोगे ? एगचत्तालीस तिमं सतं पढमो उद्देसो गोयमा । जेणं रासी चउक्कएणं ग्रवहारेण अवहीरमाणे चउपज्जवसिए, सेत्त रासीजुम्मकडजुम्मे । एव जाव जेण रासी चउक्कएणं श्रवहारेण एगपज्जवसिए, सेत्त रासीजुम्मकलियोगे । से तेणट्टेण जाव कलियोगे || ३ रासीजुम्मकडजुम्मने'रइया ण भते । कम्रो उववज्जति० ? उववाम्रो जहा वक्कतीए ॥ ४ ते ण भते । जीवा एगसमएण केवइया उववज्जति ? गोयमा । चत्तारि वा अट्ठ वा वारस वा सोलस वा सखेज्जा वा प्रसखेज्जा वा उववज्जति ॥ ५. ते णभते । जीवा किं सतरं उववज्जति ? निरतर उववज्जति ? गोमा । सतरपि उववज्जति, निरतरं पि उववज्जति । संतर उववज्जमाणा जहणेण एक्क समय, उक्कोसेण ग्रसखेज्जे समए तर कट्टु उववज्जति । निरतर उववज्जमाणा जहण्णेण दो समया, उक्कोसेण प्रसखेज्जा समया समय ग्रविरहिय निरंतर उववज्जति ॥ ६. ते ण भते । जीवा ज समय कडजुम्मा त समय तेयोगा ? ज समय तेयोगा ? त समय कडजुम्मा नो तिणट्टे समट्टे । १ प०६ । २. सांतर (व, म) 1 १०४० Page #1102 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एगवत्तालीसतिम सत (पढमो उद्देसो) १०४१ ७ जं समयं कडजुम्मा तं समयं दावरजुम्मा ? जं समयं दावरजुम्मा तं समयं कडजुम्मा? नो तिण? समढे ।। ८ जं समय कडजुम्मा तं समय कलियोगा?ज समयं कलियोगा तं समयं कडजुम्मा ? नो तिणढे समढे ॥ ६ ते ण भते ! जीवा कहिं उववज्जति ? गोयमा | से जहानामए पवए, पवमाणे, एव जहा उववायसते जाव' नो परप्पयोगेण उववज्जति ॥ १०. ते ण भते ! जीवा किं यजमेणं उववज्जति ? आयअजसेण उववज्जति ? गोयमा । नो प्रायजसेणं उववज्जति, प्रायजसेणं उववज्जति ॥ ११ जइ प्रायजसेणं उववज्जति-किं प्रायजस उवजीवंति ? प्रायजस उव जीवंति ? गोयमा | नो प्रायजस उवजीवति, प्रायजस उवजीवति ।। १२. जइ अायअजस उवजीवति–कि सलेस्सा ? अलेस्सा ? गोयमा | सलेस्सा, नो अलेस्सा ॥ १३ जइ सलेस्सा कि सकिरिया ? अकिरिया ? गोयमा | सकिरिया, नो अकिरिया ॥ १४ जइ सकिरिया तेणेव भवग्गहणेण सिझति जाव सव्वदुक्खाणं अतं करेति ? नो तिणढे समढे॥ १५ रासीजुम्मकडजुम्मसुरकुमारा ण भते । को उववज्जति ? जहेव ने रतिया तहेव निरवसेस । एव जाव' पचिदियतिरिक्खजोणिया, नवर-वणस्सइकाइया जाव असखेज्जा वा अणता वा उववज्जति, सेस एव चेव । मणुस्सा वि एव चेव जाव नो प्रायजसेणं उववज्जति, प्रायजसेण उववज्जति ।।. १६ जइ अायग्रजसेणं उववज्जति–किं प्रायजस उवजीवति ? आयअजसं उव जीवति ? गोयमा । प्रायजस पि उवजीवति, आयअजस पि उवजीवति ॥ १७ जइ आयजस उवजीवति कि सलेस्सा ? अलेस्सा ? , ___ गोयमा । सलेस्सा वि अलेस्सा वि ॥ १८ जइ अलेस्सा कि सकिरिया ? अकिरिया ? गोयमा नो सकिरिया, अकिरिया ॥ १६ जइ अकिरिया तेणेव भवग्गहणेणं सिज्झति जाव सव्वदुक्खाणं अत करेंति ? हता सिझति जाव सव्वदुक्खाण अंत करेंति ।। १. भ० ३११५। Page #1103 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०४२ २०. जइ सलेस्सा किं सकिरिया ? प्रकिरिया ? गोयमा । सकिरिया, नो किरिया ॥ २१ जइ सकिरिया तेणेव भवग्गहणेण सिज्झति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेंति ? गोयमा ! प्रत्येगइया तेणेव भवग्गहणेण सिज्भंति जाव सव्वदुक्खाण अंत करेति, अत्थेगइया नो तेणेव भवग्गहणेण सिज्झति जाव सव्वदुक्खाणं अत करेति ॥ २२. जइ प्रायजस उवजीवति किं सलेस्सा ? अलेस्सा ? गोमा । सलेस्सा, नो अलेस्सा ॥ २३ जइ सलेस्सा कि सकिरिया ? अकिरिया ? गोमा ! सकिरिया, नो किरिया || भगवई २४. जइ सकिरिया तेणेव भवग्गहणेणं सिज्झति जाव सव्वदुक्खाण अंत करेति ? नो इट्ठे समट्ठे | वाणमतरजोइसियवेमाणिया जहा नेरइया ॥ २५. सेव भते ! सेव भंते! त्ति ॥ बीओ उद्देसो २६. - रासीजुम्मतेोयने रइया ण भते । को उववज्जति ० ? एवं चेव उद्देसनो भाणियव्वो, नवर - परिमाण तिष्णि वा सत्त वा एक्कारस वा पन्नरस वा सखेज्जा वा प्रसखेज्जा वा उववज्जति । संतर तहेव ॥ ? ज समय कडजुम्मा २७ तेण भते ! जीवा ज समय तेयोगा तं समय कडजुम्मा तं समय तेयोगा ? नोट्ठे सट्टे ॥ ? २८ जं समयं तेयोया त समय दावरजुम्मा ज समय दावरजुम्मा त समय तेयोया ? नो इणट्टे समट्ठे । एवं कलियोगेण वि सम, सेस त चेव जाव वेमाणिया नवरउववा सव्वेसि जहा ' वक्कतीए ॥ २६ सेव भंते ! सेव भते ! त्ति ॥ १. प० ६ । Page #1104 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एगवतालीमतिम सनं (३-२८ उद्देमा) १०४३ तइनो उद्देसो ३०. रासीजुम्मदावरजुम्मनेरइया णं भते ! कत्रो उववज्जति० ? एव चेव उद्देसमो, नवर-परिमाण दो वा छ वा दस वा सखेज्जा वा असखेज्जा वा उववज्जति, सवेहो ॥ ३१. ते ण भते । जीवा ज समय दावरजुम्मा त समय कडजुम्मा ? ज समय कड जुम्मा त समय दावरजुम्मा ? | णो इणढे समटे । एव तेयोएण वि सम, एव कलियोगेण वि समं, सेस जहा पढमुद्देसए जाव वेमाणिया । ३२ सेव भते ! सेव भते । त्ति ॥ चउत्थो उद्देसो ३३ रासीजुम्मकलियोगनेरइया णं भते ! को उववज्जति० ? एव चेवा, नवर परिमाणं एक्को वा पच वा नव वा तेरस वा सखेज्जा वा असखेज्जा उवव ज्जंति, सवेहो ॥ ३४ ते ण भते ! जीवा ज समय कलियोगा त समय कडजुम्मा ? ज समय कडजुम्मा त समय कलियोगा? नो इणढे समढे । एव तेयोएण वि समं, एव दावरजुम्मेण वि सम, सेस जहा पढमुद्देसए जाव वेमाणिया । ३५ सेवं भते । सेव भते । त्ति ॥ ५-२८ उद्देसा ३६ कण्हलेस्सरासीजुम्मकडजम्मनेरइया णं भते । को उववज्जति० ? उववाओ जहा धूमप्पभाए, सेस जहा पढमुद्देसए । असुरकुमाराण तहेव, एव जाव वाणमतराण । मणस्साण वि जहेव नेरइयाण प्रायअजस उवजीवति । अलेस्सा, अकि रिया तेणेव भवग्गहणेण सिज्झति एव न भाणियव्व, सेसं जहा पढमुद्देसए । ३७ सेवं भंते ! सेव भते । त्ति ॥ ३८ कण्हलेस्सतेयोएहि वि एव चेव उद्देसमो॥ ३६ सेव भते ! सेवं भते । त्ति ॥ ४० कण्हलेस्सदावरजुम्मेहिं एवं चेव उद्देसयो ।। ४१. सेव भंते ! सेवं भते ! त्ति ।। Page #1105 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०४४ भगवई ४२. कण्हलेस्सकलिक्रोएहि वि एवं चेव उद्देसओ । परिमाणं संवेहो य जहा प्रोहिएसु उद्देसएसु ॥ ४३. सेवं भते ! सेव भंते । त्ति ॥ ४४. जहा कण्हलेस्सेहि एव नीललेस्सेहि वि चत्तारि उद्देगा भाणियव्वा निरवसेसा, नवर-नेरइयाण उववात्रो जहा वालुयप्पभाए, सेसं तं चेव ॥ ४५ सेवं भंते । सेव भते । त्ति ।। ४६ काउलेस्सेहि वि एवं चेव चत्तारि उद्देसगा कायव्वा, नवरं - नेरइयाण उववाओ जहा रयणप्पभाए, सेस तं चेव ॥ ४७. सेवं भते ! सेव भते ! ति ॥ एव ४८ तेउलेस्सरासीजुम्मकडजुम्म सुरकुमारा ण भंते ! को उववज्जंति ० ? चेव, नवरं—जेसु तेउलेस्सा प्रत्थि तेसु भाणियव्वा' । एव एए वि कण्हलेस्सासरिसा चत्तारि उद्देसगा कायव्वा ॥ ४६. सेव भते ! सेव भते ! त्ति ॥ ५०. एव पम्हलेस्साए वि चत्तारि उद्देसगा कायव्वा । पचिदियतिरिक्ख जोणियाण मस्साण वेमाणियाण य एएसि पम्हलेस्सा, सेसाण नत्थि ॥ ५१ सेवं भते ! सेव भंते । त्ति ॥ ५२ जहा पम्हलेस्साए एव सुक्कलेस्साए वि चत्तारि उद्देसगा कायव्वा, नवरमणुस्साण गमश्रो जहा ओहिउद्देसएसु, सेस त चेव । एव एए छसु लेस्सासु चउवीस उद्देसगा, ओहिया चत्तारि, सव्वे ते अट्ठावीस उद्देगा भवति ॥ ५३. सेव भते ! सेव भंते ! त्ति ॥ - २६-५६ उद्देसा ५४ भवसिद्धियरासीजुम्मकडजुम्मनेरइया ण भते । कभ उववज्जति० ? जहा ओहिया पढमगा चत्तारि उद्देसगा तहेव निरवसेसं, एए चत्तारि उद्देसगा ॥ ५५. सेवं भंते ! सेवं भते । ति ॥ ५६ कण्हले स्सभवसिद्धिय रासीजुम्मकडजुम्मनेरइया ण भते । कम्रो उववज्जति० ? जहा कण्हलेस्साए चत्तारि उद्देगा भवति तहा इमे वि भवसिद्धियकण्हलेस्से हि वि चत्तारि उद्देसगा कायव्वा । ५७. एवं नीललेस्सभवसिद्धिएहि वि चत्तारि उद्देसगा कायव्वा ॥ १. भारिणपव्व (ख, ता ) । Page #1106 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०४५ एगचसालीसतिम सत (५७-११२ उद्देसा) ५८. एव काउलेस्सेहि वि चत्तारि उद्देसगा ॥ ५६. तेउलेस्सेहि वि चत्तारि उद्देसगा प्रोहियसरिसा ॥ ६०. पम्हलेस्सेहि वि चत्तारि उद्देसगा। ६१. सुक्कलेस्सेहि वि चत्तारि उद्देसगा प्रोहियसरिसा। एव एए वि भवसिद्धिएहि वि अट्ठावीस उद्देसगा भवति । ६२ सेव भते ! सेवं भते ! त्ति ॥ ५७-८४ उद्देसा ६३. अभवसिद्धियरासीजम्मकडजम्मनेरइया ण भते ! को उववज्जति० ? जहा पढमो उद्देसगो, नवर-मणुस्सा नेरइया य सरिसा भाणियव्वा, सेस तहेव ॥ ६४. सेव भते ! सेव भते ! त्ति ।। ६५. एवं चउसु वि जुम्मेसु चत्तारि उद्देसगा ॥ ६६. कण्हलेस्सअभवसिद्धियरासीजुम्मकडजुम्मनेरइया ण भते ! को उववज्जति० ? एवं चेव चत्तारि उद्देसगा। ६७ एव नीललेस्सयभवसिद्धियरासीजुम्मकडजुम्मनेरइयाण चत्तारि उद्देसगा। ६८. काउलेस्सेहि वि चत्तारि उद्देसगा ।। ६६ तेउलेस्सेहि वि चत्तारि उद्देसगा। ७०. पम्हलेस्सेहि वि चत्तारि उद्देसगा ।। ७१. सुक्कलेस्सयभवसिद्धिएहि वि चत्तारि उद्देसगा। एव एएसु अट्ठावीसाए वि अभवसिद्धियउद्देसएसु मणुस्सा नेरइयगमेण नेयव्वा ॥ ७२. सेव भते ! सेव भंते ! त्ति । ८५-११२ उद्देसा ७३ सम्मदिट्ठीरासीजुम्मकडजुम्मनेरइया ण भते ! को उववजति ? एव जहा पढमो उद्देसमो। एव चउसु वि जुम्मेसु चत्तारि उद्देसगा भवसिद्धियसरिसा कायव्वा ॥ ७४ सेव भते ! सेव भंते ! त्ति ॥ ७५ कण्हलेस्ससम्मदिट्ठीरासीजुम्मकडजुम्मनेरइया ण भते । को उववज्जति० ? एए ___ विकण्हलेस्ससरिसा चत्तारि वि उद्देसगा कायव्वा । एव सम्मदिट्ठीसु वि भव सिद्धियसरिसा अट्ठावीस उद्देसगा कायव्वा ।। ७६. सेव भते ! सेव भते ! त्ति जाव विहरइ॥ Page #1107 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०४६ भगवई ११३-१४० उद्देसा ७७ मिच्छादिट्ठीरासीजुम्मकडजुम्मनेरइया ण भते ! को उववज्जति० ? एव एत्य वि मिच्छादिट्ठिअभिलावेण अभवसिद्धियसरिसा अट्ठावीसं उद्देसगा कायव्वा । ७८. सेव भते । सेव भते ! त्ति ।। १४१-१६८ उद्देसा ७६. कण्हपक्खियरासीजुम्मकडजुम्मनेरइयाण भते ! कत्रो उववज्जति० ? एवं एत्थ वि अभवसिद्धियसरिसा अट्ठावीसं उद्देसगा कायव्वा ।। ८०. सेवं भते ! सेव भंते ! त्ति ॥ १६६-१६६ उद्देसा ८१ सुक्कपक्खियरासीजुम्मकडजुम्मनेरइया ण भंते | कनो उववज्जति ? एव एत्थ वि भवसिद्धियसरिसा अट्ठावीस उद्देसगा भवति । एव एए सव्वे वि छन्नउयं उद्देसगसय भवति रासीजुम्मसय जाव सुक्कलेस्ससुक्कपविखयरासीजुम्मकलि योगेवेमाणिया जाव८२. जइ सकिरिया तेणेव भवग्गहणेण सिज्झति जाव सव्वदुक्खाण अत करेति ? नो इणटे सम8॥ ८३ सेव भते ! सेव भते ! त्ति ॥ ८४. भगव गोयमे समणं भगव महावीर तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिण करेइ, करेत्ता वदति नमसति, वदित्ता नमसित्ता एव वयासी-एवमेयं भते ! तहमेयं भंते ! अवितहमेय भते ! असदिद्धमेय भते ! इच्छियमेयं भंते । पडिच्छियमेयं भंते ! इच्छिय-पडिच्छियमेय भते ! सच्चे ण एसमढे, जे ण तुम्भे वदह त्ति कटु अपव्ववयणा' खलु अरहता भगवंतो, समण भगव महावीर वंदति नमंसति, वदित्ता नमसित्ता संजमेण तवसा अप्पाण भावेमाणे विहरइ ।। ॥ इति भगवई समत्ता॥ ग्रथान कुलगाथा १६३१६ अक्षर १६ कुल अक्षर ६१८२२४ १. अपूतिवयणा (अ, क, ता, व, म)। Page #1108 -------------------------------------------------------------------------- ________________ परिसेसो सव्वाए भगवईए अट्ठतीस सत सयाण (१३८), उद्देसगाण एगूणविसतिसताणी पचविसइअहियाणी (१९२५) । सगहणी-गाहा चुलसीइ सयसहस्सा, पदाण पवरवरनाणदसीहिं। भावाभावमणता, पण्णत्ता एत्थमंगम्मि ॥१॥ तवनियमविणयवेलो, जयति सदा नाणविमलविपुलजलो।। हेतुसतविपुलवेगो, सघसमुद्दो गुणविसालो ॥ २ ॥ पोत्थयलेहगकया नमोक्कारा णमो गोयमाईण गणहराण, णमो भगवईए विवाहपण्णत्तीए, णमो दुवालसगस्स गणिपिडगस्स ॥ कुम्मसुसठियचलणा, अमलियकोरेंटबेटसकासा । सुयदेवया भगवई, मम मतितिमिर पणासेउ ॥१॥ उद्देस-विधि पण्णत्तीए आइमाण अढण्ह सयाण दो दो उद्देसगा उद्दिसिज्जति, नवर-चउत्थे सए पढमदिवसे अट्ठ, बितियदिवसे दो उद्देसगा उद्दिसिज्जति । नवमायो सतानो पारद्ध जावइय-जावइय ठवेति तावतिय-तावतिय' उद्दिसिज्जति, उक्कोसेण सत पि एगदिवसेण, मज्झिमेण दोहि दिवसेहिं सत, जहण्णेणं तिहि दिवसेहिं सत । एव जाव वीसतिम सत, नवर–गोसालो एगदिवसेण उद्दिसिज्जति, जदि ठियो एगेण चेव आयविलेण अणुण्णवति । अहण्ण ठितो आयविलेण छद्रेण अणुण्णवति । एक्कवीस-बावीस-तेवीसतिमाइ सताइ एक्केक्कदिवसेण उद्दिसिज्जति। चउवीसतिम सत दोहि दिवसेहि छ-छ उद्देसगा। पचवीसतिमं दोहि दिवसेहि छ-छ उद्देसगा। बधिसयाइ अढसयाइ एगेण दिवसेण, सेढिसयाइ वारस एगेण, एगिदियमहाजुम्मसयाइ वारस एगेण, एव वेदियाण वारस, तेदियाण बारस, चउरिदियाण वारस एगेण, असण्णि १. °तिय एगदिवसेण (ख, स)। २. अणुणच्चति (ता, स), अणणज्जति (अ, ब) १०४७ Page #1109 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०४ भगवई पचिदियाण वारस, सष्णिपचिदियमहाजुम्मसया एक्कबो एगदिवसेणं उद्दिसिज्जति, रासीजुम्मसत एगदिवसेण उद्दिनिमज्जति ॥ गाहातिग केषुचिदादर्गेषु पुस्तक लेखककृता श्रन्यापि गाथात्रयी लभ्यते वियसियग्ररविंदकरा, नासियतिमिरा सुयाहिया देवी । मज्झपि देउ मेह, बुहविवुहणमसिया गिन्न ||१|| सुयदेवयाए पणमिमो, जीए पसाएण सिविखय नाग | श्रणं पवयणदेवि, संतिर्कार तं नमसामि ||२|| सुयदेवया य जक्खो, कुमवरो वभसतिवेरोट्टा | विज्जा य ग्रतहुडी, देउ ग्रविग्घ लिहंतस्स ||३|| Page #1110 -------------------------------------------------------------------------- ________________ परिशिष्ट : Page #1111 --------------------------------------------------------------------------  Page #1112 -------------------------------------------------------------------------- ________________ परिशिष्ट-१ संक्षिप्त-पाठ, पूर्त-स्थल और पूर्ति प्राधार-स्थल संक्षिप्त-पाठ पूर्ति प्राधार-स्थल पूर्त-स्थल ६१६७ • अतिय जाव पव्वइत्तए १८।१४७ १५।१२० अंवकूणगहत्थगयं जाव अजलिकम्म १५१२६ ११२२४ अकंततरिय जाव अमणामतरियं १९३५ ७।११६ अकंता जाव अमणामा १२३५७ ३।१२६ अकिटे जाव विहरामि ३११२६ १५।८६ अगामियाए जाव अडवीए १५८७ १५०८६ अगामियाए जाव सन्वओ १५८८ १७६ अग्गिसामण्णे जाव दाइयसामण्णे ६।१७६ १।११ अचलिए जाव निजरिज्जमाणे १२४४२ ३।१२६ अच्चासाइए जाव त ३११२६ वृत्ति अच्छे जाव पडिरूवे २।११८ ११।१०८ अजीवदव्वदेसे जाव अणतभागूणे ११११०८ २।१४ अजीवदव्वदेसे जाव सव्वागासस्स ११११०८ अज्झथिए जाव समुप्पज्जइ ३६१३१ २॥३१ अज्झथिए जाव समुप्पज्जित्था २१६७; ३३३३, ३६, ११२, ११५, ११६, ५२८५१।१५८, २२८; १११५६, ७२, ८५, १८८; १२।६, १३।१०३; १०६, ११६; १५३५३, ७५,१२८, १२६, १४१, २।३१ १४८ ॥३१ अज्झत्थिय जाव समुप्पन्न ११४२३ अटुं जाव जाणाओ २१०४ भट्ट वा जाव वागरण ५।१०४ भट्ठ वा जाव वागरेइ ५।१०५ १३३१०४ ११४२४ श१०४ Page #1113 --------------------------------------------------------------------------  Page #1114 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६३१ ६।३१ १२।५३ १०१११४ ३।१४५ २।१२५ २।१२४ ३३१०६ ओ० सू० ३३ १४।१२३ १२८७ १५।१२० अत्यंगतिए जाव नो अत्यंगतिए जाव नो अत्येगतियाण जाव साहू अदुक्खणयाए जाव अपरियावणयाए अदुक्खावणयाए जाव अपरियावणयाए अधम्मत्यिकाए एव चेव नवर गुणओ ठाणगुणे अधम्मत्यिकाए जाव पोग्गलत्यिकाए अपत्थियपत्थया जाव हीणपुण्ण अप्पकोहे जाव अप्पलोभे अप्पणो जाव पासइ अन्भुगयाओ'जाव पडिरूवायो अभिक्खणं जाव अजलिकम्म अभिमुहा जाव पज्जुवासति अभिहणमाणा जाव उद्दवेमाणा प्रमाणत्त जाव पसत्थ अमुच्छिए जाव अणज्झोववन्ने अमुच्छिए जाव आहारे अमुच्छिए जाव आहारेइ अम्मतामो जाव पव्वइत्तए अम्मेहिं जाव पव्व इहिसि अयकोट्ठाओ जाव निक्खिवइ अयमेयारूवे जाव परुण्णे अयमेयारुवे जाव समुप्पज्जित्था अवण्णकारए जाव वुप्पाएमाणे अवण्णे जाव अरूवी अवसेस जहा सिवस्स जाव सबदुक्खप्पहीणे नवर-तिदड-कुडिय जाव घाउरत्तवत्त्यपरिहिए परिवडियविन्मगे आलभिय नरि मज्झमझेण निग्गच्छति जाव उत्तरपुरस्थिम दिसीभागं अवक्कमति, अवक्कमित्ता तिदडकुडिय च जहा खदयो जाव पब्वइओ सेसं जहा सिवस्स जाव ६।३१ ६।३१ १२।५४ १२।५४ ३११४८ २।१२६ १३१५५ ३।११३ २५॥५६८ १४।१२३ १५८८ १५।१२१ ५८४ ८२८७ ११४१८ १५।१६२ १४।८३ ७.२३ हा१७४ ६।१७७ १६७ १५।१५२ १२।१५, १६१५५१८।२०५ हा२४३ २।१२८ ८२८७ ११४१८ ७/२३ १४१८२ ७।२२ १६७ ६।१६६ १६७ १५।१४८ २१३१ ६।२४० २।१२५ १२१६३-१६७ ११८३-८८ Page #1115 --------------------------------------------------------------------------  Page #1116 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३१५१ हा२१६ १५६८ ३२२५७ १११११२ २५।५८३ ११३४ २०७५ ११७१, ८० ६।१५१ ३१३३ ६।२१७ १५९८ ३।२५२ ११११११ ओ० सू० ४० ११३३ स० पइण्णगस० ८८ १७१ ११४३३ आउँति जाव पज्जुवासति आढाइ जाव तुसिणीए आणदा जाव करेत्तए आणा जाव चिटुंति आवाह वा जाव करेंति आभिणिवोहियनाणविणए जाव केवल आयारभा जाव अणारंभा आयारो जाव दिट्ठिवाओ आरंभिया जाव मिच्छा० आराहेत्ता जाव सव्व० आल्हेत्ता त चेव सव्व अविसेसित नेयव्व जाव आलोइय आलभियाए नगरीए एवं एएण अभिलावेण जहा सिवस्स त चेव जाव से आलोइय जाव कालं आलोएस्सामि जाव पडिवज्जिस्सामि आसइत्तए वा जाव तुयट्टित्तए आसि जाव णिच्चे आसी जाव निच्चे आसुरुत्त जाव मिसि० आसुरुत्ते जाव मिसि० २।७१ २०६८, ६६ १११७३ ३०१७ ८।२५१ ७१२१६ २।१२५ २०४५ ३१४५ आसुरुत्ते जाव मिसिमिसेमाण आहेवच्च जाव कारेमाणे माहेवच्च जाव विहरइ इरियासमितस्स जाव गुत्तवभयारिस्स इसि जाव धम्मकहा इसिपरिसाए जाव इहमागए जाव दूतिपलासए उक्किट्ठाए जाव जेणेव उक्किट्ठाए जाव तिरिय उक्किट्ठाए जाव देवगईए उक्कोसकाल जाव उन्वट्टित्ता ११।१८६ १८१५३ १०।२० १७/२० २।१२८, १२६ २।४६ १५।११६ ७।२०१, २०२, १५।६४, ८०, ६४, ११८, १७६, १८३ ३।११३ १८१४० १८।२०४ ३१४८ ६।१६३ ६।१४६ १८।२०५ ३।११२ ३।११२ ११।१०६,११० १५।१८६ ३।४५ ३१४५ ३२४ ना० १११६ २१५५ ओ० सू० ७१ ओ० सू० ७१ २१३० ३१३८ ३१३८ ३१३८ १५१८६ Page #1117 --------------------------------------------------------------------------  Page #1118 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११३६७ २०।११८ ७।१६८ ११३६५ २०१११८ ७।१६७ २।४,५ ८.५१ २।१३६ २।१३६ पा२ ३।१५६ ६।१५६-१५६ प० २८।१ ८.५१ २।१३६ २।१३६ २।१३६ ३।१५४ वृति, जी ३ वि निसिरणयाए वि दहणयाए वि ताव च ण से पुरिसे काइयाए जाव पचहिं एक्केण वा जाव उक्कोसेण एगरूव जाव हता एगवण्णाइ आणमति वा पाणमति वा ऊससति वा नीससति वा आहारगमो नेयम्बो जाव पचदिसिं एगिदिय जाव परिणए एगिदियदेसा जाव अणिंदियदेसा एगिदियपदेसा जाव अणिदियपदेसा एगिदियपयोगपरिणया जाव पचिदिय० एतेण अभिलावेण चत्तारि भगा एत्तो आढत्तं जहा जीवाभिगमे जाव से एत्य वि तह चेव भाणियन्व, नवर अणुदिण्ण उवसामेइ सेसापडिसेहेयन्वा तिण्णि । ज त भते । अणुदिण्ण उवसामेइ त किं उट्ठाणेण जाव पुरिसक्कारपरक्कमे इ वा। से नूणं भते । अप्पणा चेव वेदेइ अप्पणा चेव गरहइ एत्थ वि मच्चेव परिवाडी, नवरं उदिण्ण वेदेइ नो अणुदिण्ण वेदेइ एव जाव पुरिसक्कार-परक्कमे इ वा। से नूण भते । अप्पणा चेव निज्जरेइ अप्प० एत्य वि, सच्चेव परिवाडी, नवर उदयअणतरपच्छाकड कम्म निज्जरेइ एव जाव परक्कमेइ वा एमहिड्ढीए जाव एमहाणुभागे एयति जाव अते एयति जाव त एयति जाव नो एयति जाव परिणमइ एयाणि वि तहेव नवर सत्त संवच्छराई सेस त चेव एव अगणिकायस्स मज्झमज्झेण तहिं नवर झियाएज्ज भाणियव्व । एव पुक्खलसवट्टगस्स महामेहस्स मझमझेण तहिं उल्ले सिया। १४१५१-१६२ ३१४ ३११४८ ३११४३ ३।१४६-१४८ ३।१४५ १११४७-१५० ३।४ ३११४४ ३३१४३ ३११४३ ३।१४३ ६।१३१ ६।१२६ Page #1119 --------------------------------------------------------------------------  Page #1120 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एवं चरित्तावरणिज्जाण जयणावरणिज्जाणं अज्झवसाणावरणिज्जाण आभिणिबोहियनाणावरणिज्जाण जाव मणपज्जव० एव चेव एव चेव एव चेव ६।३२ ३११५५ ६१ बा४५६ हा२५५ १११८० १२।१३० १२।१४८ १४।२ १६८१ १८.१७५ १४११३३-१३५ ८।४६२,४६३ ६।३२,३१ ३।१५४ ६१ ८।४५८ हा२५४ १११७८ १२।१३० १२।१४७ १४।१ १६८१ १८।१७४ १४.१३२ ८।४६१ एव चेव एवं चेव एव चेव एवं चेव एवं चेव एव चेव एव चेव एव चेव एव छाया एव लेस्सा एवं चेव एव मज्झिमिय चरित्ताराहण पि एव चेव, एव मायवसट्टेवि, लोभवसट्टेवि जाव अणुपरियट्टइ एव चेव जहा छउमत्ये जाव महा० एव चेव जहा परमाहोहिए जाव महा० एव चेव जाव एवं चेव जाव अफासा एव चेव जाव अफासे एव चेव जाव एव एवं चेव जाव बिसरीरेसु एव चेव जाव वत्तव्व एव चेव तिविहा वि, एव चरित्ताहणा वि एव चेव नवर अत्यंगतिए एव चेव नवर-केवलनाणावरणिज्जाणं खए भाणियव्वे, सेस त चेव एवं चेव नवर तिरिक्खजोणियदव्वे भाणियव्वं सेस त चेव एव जाव देवदव्वेयणा एव चेव वितिमओ वि आलावगो नवरं परियातिइत्ता पभू एव छत्ते चम्मे दडे दूसे आउहे मोदए १२।२३-२५ ७।१४७ ७।१४६ १८.५६ १२।११० १२।११२ १२।८५ १२।१५७ १२।१६० ८१४५३,४५४ ८४६० १२।२२ ७.१४६ ७११४८ १८१५७ १२।१०८ १२।१०८ १२१८४ १२।१५४ १२।१५४ ८/४५२ पा४५८ २९,३० ६।२१,२२ १७१४० १७१४० ३११८६ २११३३ ३।१८८ २११३३ Page #1121 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एवं जहा अट्टममए ततिए उद्देसए जाव नो एव जहा अट्ठारसमसए छदुद्देस जाव सिय एव जहा असोच्चाए तहेव जाव केवल ० एव जहा आभिणित्रोहियनाणस्स वत्तव्वया भणिया तहा सुयाणस्स वि भाणियव्वा नवर -- सुयनाणावरणिज्जाणं कम्माण खओवसमे भाणियव्वा । एवं चैव केवलं ओहिनाणं भाणियव्व, नवर - ओहिनाणावरणिज्जाण कम्माणं खओवसमे भाणियव्वे । एव केवल मणपज्जवताण उपाडेज्जा नवरं - मणपज्जव नाणावरणिज्जाण कम्माण खप्रोवस मे भाणियव्वो एवं जहा इदादिसा तहेंव निरवसेसं भाणियव्व W जाव अद्धासमए एवं जहा इदि उस पढमे जाव वैमाणिया जाव तत्य य जे ते उवउत्ता ते जाणंति, पासंति, आहारेंति । से तेणट्टेणं निक्लेवो भाणियत्वो एव जहो उसभदत्तो तहेव पव्वइओ नवरं पचहि पुरिससहि सद्धि तहेव जाव एवं जहा ओववाइए अम्मडस्स वत्तव्वया जाव एवं जहा ओववाइए कूणिओ जाव निगच्छइ एवं जहा ओवाइए जाव आराहगा एवं जहा मोवाइए तहेव भाणियव्व जाव आलोय एवं जहा कालापवेसियपुत्तो तहेव भाणियव्व १० जाव सव्व० एव जहा कोहव पट्टे तहेव जाव अणुपरियट्टाइ एव जहा खदए जाव जओ १८१४ २०१२७ महापज्जवसाणा एव जहा जीवाभिगमे तिविहे देवपुरिमे अप्पाबहुयं जाव जोतिमिया एव जहा जीवाभिगमे वितिए नेरइयउद्देसए १६६-६८ १२३-२८ ११।१०० १८६६-७१ ε।२१४,२१५ १४।११०-११२ २०६ १४।१०७-१०६ २०४ ११३३-१३५ १२/५६ १५।१५७ एव जहा खदए जाव से तेणट्टेणं जाव नो असरोरी १६ ३, ४ एव जहा खदओ जाव एय ७ २०३ एवं जहा हट्टए जाव नो १६।५२ एव जहा पए तहा अयोकवल्ले वि जाव १६५२ १२/१९८ १३।४५ ८२२३ १८११२ ६।४४-४६ हा२१,२२ १०१५ प० ४ १५०,१५१ मो० सू० ११८-१२० ओ० सू०६६ ओ० सू० ११५-११७ ओ० सू० ६४ ११४३१-४३३ १२/२२ २१३८ २1११,१२ २६८ ६॥४ ६॥४ जी० ३: भ० वृत्ति जी० ३; भ० वृत्ति Page #1122 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एवं जहा तइयसए चउत्थुद्दे सए जाव अस्थि एवं जहा त यस पचमुद्देसए जाव नो एव जहा तामली जान सक्कारेइ एवं जहातित्यगरमायरो जाव एव जहा तुगिउद्देस जाव पज्जुवासति एव जहा तेयगसरीरस्स प्रतर तहेव एव जहा तेयगस्स सचिट्ठणा तहेव एव जहा दवियाया कसायाया भणिया तहा दवियाया जोगाया भाणियव्वा एवं जहा दसमसए जाव नामघेज्जेत्ति एव जहा नवमसए उसभदत्तो जाव भविस्सइ एव जहा नाणावरणिज्ज नवर दंसणनाम घेतव्व जाव दसण ० एव जहा नियंठस्स वत्तव्वया तहा सिरणायस्स वि भाणियव्वा जाव सिणाए एव जहा नेरइयउद्देस जाव एव जहा पचमसए परमाणुपोग्गलवत्तव्वया जाव अणगारेण एव जहा पढम पारणग नवर एव जहा पढमसए असवुडस्स अणगारस्स जाव अणुपरियट्टइ एव जहा पढमसए चउत्थे उद्देसए तहा भाणियव्व जाव अलमत्य एव जहा पढमसए छट्ठद्देसए जाव नो एव जहा पढमसए नवमे उद्देसए तहा भीणियंव्व एव जहा वारसमसए पंचमुद्दे से जाव कम्मो एव जहा वितियस अस्थिका उद्देसए जाव उवओग एव जहा वित्तियसए जाव तिविहाए एव जहा वितियसए नियठ्ठद्देस जाव अडमाणे एव जहा रायपसेणइज्जे चित्ते जाव चक्खुभूए एव जहा रायप सेणइज्जो चित्तो एवं जहा रायप्पमेणइज्जे जाव अट्टसएण 'एव जहा रायनसेणइज्जे जाव खुड्डिय ११ १३।१६६ १३।१५० ११।६३ १६८७ ११।१७८ ८४३६ ८।४३५ १२/२०२ १३/५०, ५१ १२/३३ ८४२१ २५/३५६,३६० १३।४६ १८।१६२-१६५ ११।६६ १२।२२ ७।१५६,१५७ १७/५१-५४ ७।१६५ २०२१,२२ १३४५६ १४६ १५६-१२ १८४० १८२२१ १८२ ७११५७,१५८ ३।१६२ ३।१६६ ३१३३ १६/८६ २।१८७, ओ० सू० ५२ ८४१७ ८।४१६ १२।२०१ १०१३,४ १३६ ८४२० २५/३५६,३५७ जी० ३, भ० वृत्ति ५।१५७ ११६४ १/४५ १२००,२०६ १।२७७-२८० १।४३६ १२।११६,१२० २।१३७ २२६७ २१०६,१०७ रा०सू० ६७५ राय०सू०६४५ राय०सू०२७९ राय०सू०७७२ Page #1123 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८४८६ ७।२१२,२१३ ७।११४ ७१२१ ५६७ १२॥५४ राय०सू०२७५ राय०सू०६२-६५ १४।१७,१८ १३।१२४ एव जहा वेयणिज्जेण सम भणिया तहा आउएण वि सम भाणियव्व ८।४८८ एव जहा सत्तमसए अण्णउत्थियउद्देसए जाव से १८।१३४,१३५ एव जहा सत्तमसए दुस्समउद्देसए जाव अपरिया ८।४२२ एव जहा सत्तमसए पढमउद्देसए जाव से १०।१४ एवं जहा सदुद्देसए जाव निव्वुडे नाणे केवलिस्स ९।१२४ एव जहा सुत्तस्स तहा दुव्बलियवत्तव्वया भाणियव्वा, बलियस्स जहा जागरस्स तहा भाणियन्व जाव सजोएत्तारो १२१५६ एव जहा सूरियाभस्स अलंकारो तहेव जाव चित्त ९।१६० एव जहा सूरियाभो १६।६०-६३ एवं जहेव नेरइयाण नवर देवे १४।१६,२० एव जहेव भासो १३।१२६ एव जहेव विजयगाहावई नवरं सव्वकामगुणिएणं भोयणेण पडिलाभेइ सेस त चेव जाव चउत्थ १५।३६-४४ एवं जहेव विजयस्स नवरं मम विउलाए खज्जगविहीए पडिलाभेस्सामीति तुडे सेस त चेव जाव तच्च १५।३२-३७ एव जहेव विज्जाचारस्स नवर तिसत्तखुत्तो २०१८५ एवं जहेव सक्कस्स जाव तए १४।२५ एव जाव अलोए • ११।१०८ एव जाव उत्तर० ११।११० एव जाव भावओ ८१८८ एव जाव भायो ८.१६१ एव जाव मणपज्जवनाण ६।३१ एवं जाव लोए ११।१०८ एव जाव से १३।१५६ एव जाव हुडे १४।८१ एवं जोगो, उवोगो, संघयण, सठाण, उच्चत्तं, पाउयं च एयाणि सव्वाणि जहा असोच्चाए तहेव भाणियवाणि ६५८-६३ १५।२५-३० १५।२५-३० २०१८१ १४।२२ ११।१०८ ११।११० ८।१८५ ८.१६१ है।३१ ११।१०८ ओ०सू०१५० ठा०६।३१ ६।३६-४१ Page #1124 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . एव तं चैव नवर एवं त चैव नवर नियम सर्पाडिक्कमे एव तवे संजमे एव तिणि वि भाणियव्वा एव तिपए सिय वि, नवर सिय एगवणे, सिय दुवणे सिय तिवण्णे । एवं रसेवि सेस जहा दुपएसियस्स | एव चउपएसिए वि, नवरं - सिय एगवण्णे जाव सिय चउवण्णे | एव रसेसु वि, सेस त चेव । एवं पचपएसिए वि, नवरं - सिय एगवण्णे जाव सिय पचवण्णे, एव रसेवि, गंधफासा तहेव । एव तेइ दिया एव चरिंदिया एव दसणाराहणं पि एव चरिताराहण पि एवं दरिसणावणिज्ज पि एव धायइसड दीवं जाव हंता एव नाणी आभिणिवोहियनाणी जाव केवलनाणी अण्णाणी मइमण्णाणी सुयअण्णाणी विव्भगनाणी सिंदसह वि [ अण्ह वि ( अ ) ] सचिट्ठणा जहा कार्यट्ठिती अतर सव्व जहा जीवाभिगमे अप्पा वहुगाणि तिण्णि जहा वहुवत्तव्वयाए एव नो आयकम्मुणा, परकम्मुणा । नो आयप्पयोगेण, परप्पयोगेणं । उसियोदय वा गच्छर, पयोदय वा गच्छइ एव पडिउच्चारेतव्व एव परउत्थियवत्तव्वया नेयव्वा जाव इत्यिवेद एवं बाहिरए पोग्गले परियाइत्ता पभू एव वितिओ वि आलावगो नवर वाहिरए पोग्गले परियाइत्ता पभू एव वोरियायाए वि सम एव वेदणापरिणाम एव सत्तेवि चत्तारि आलावा भाणियव्वा जहा असपत्तेण एव सवरेण वि १३ ११/७० १३।१४५ १।४२,४३ ६।३६ १८११३-११५ २५/२ ८४६५,४६६ ६।३४ १८१५३ ३।१७५-१७७ १।३४ २७६ ३।२१० ८।११३-२०७ १०१८, जी०१०, १०३, भ०वृत्ति । ३।२४१ १२ २०३ १४/४१ ११६४ १३।१४४ १४१ ६।३६ ८२५१ हा३१ १८ ।११२ २५ २ ८|४६४ ६।३४ १८१५२ ३।१७४ १।३३ ११४२० ३।२०६ ાર૪૦ १२।२०३ १४/४० ८।२५१ हा ३१ Page #1125 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एव ससार आउलीकरेति एव परित्तीकरेति एव दीहीकरेंति एव ह्रस्सीकरेति एव अणुपरियट्टेति एव वीईवयति पसत्था चत्तारि अपसत्था चत्तारि एव स प सु आ च पसत्थ नेयव्व एव सव्वजीवा वि अणतखुत्तो एव सिणायस्स वि एवतिय जाव करेज्जा एवमाइक्खइ जाव उववत्तारो एवमाइक्खइ जाव एव एवमाइक्सति जाव एव एवमाइक्खति जाव परूवेति एवमाइवखामि जाव एवामेव एवमाइक्खामि जाव परूवेमि एसणिज्ज जाव साइम ओग्गह जाव विहरइ ओग्गहे जाव धारणा प्रोग्गहो जाव धारणा ओभासति जाव पभासेति ओभासेइ जाव छद्दिसि ओराल जाव अतीव ओरालिए जाव कम्मए ओवसमिए जान सन्निवाइए ओसप्पिणी जाव समणाउसो ओहिनाणी रूविदव्वाइं जाणइ पासइ जहा नदीए जाव भावओ ओरालेण जाव किसे कखिए जीव कलुस० कखियस्स जाव कलुस० कंचुइज्जपुरिसो वि तहेव अक्खाति, नवरंधम्मघोसस्म अणगारस्स आगमणगहियविणिच्छए करयल जाव निग्गच्छइ । एव खलु देवाणुप्पिया | विगलस्स अरहो ११३८६-३६१ ३१७२ १२।१५२ २५/३५८ २४१४७,५० ७।१६३ १५७,२७ ११४४४ ११४४२ ५।१३७ ११४२१ ७।२४ ६।१५६ २०१२० ८.१०० ७।२२६ २२५८-२६६ ૨૪૩ १०1८,१६८१७ १७११६ ५।२३ ११३८४,३८५ ३७२ १२।१५१ २५३५७ २४।२७ ७।१६२ १६४२० ११४२० ११४२० ५१३६ ११४२० ७१२२ २।३० १२।११० ८६८ ७१२२८ वृत्ति, प०११ २।४२ ८।३६६ १४।८१ ५।१६ ८१८६ २०६६ १६२३२ १११८४ नदी सू०२२ २०६४ २।२७ २।२७ Page #1126 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पोप्प धम्मघोसे नाम अणगारे सेस त चैव जाव सो वि तहेव कते जाव किमंग जीवा जाव बीया कडच्छुय जाव भडग कडे जाव जे कडे जाव निसि कडे जाव सव्वेण कग जाए संतसार कण्हलेस्सा जाव तेउलेस्सा कण्हलेस्साणं जाव विसेसाहिया कण्हसुत्तग जाव सुक्किल ० कतिवणे जाव कतिफासे कप्पे जाव उववण्णे कम्माइ जाव महा० कम्मा जाव कज्जति ● कम्मा जाव पओग० ● कम्मा जाव बंधे कम्मे जाव कय जाव गहिय० कय जाव पायच्छित्ते कय जाव सरीरा "कयबलिकम्मे जाव विभूसिए कवलिकम्मे जाव सरीरे करे जाव विसेसाहिए वा करेहिंतो जाव अप्पावढग जहा तेयगस्स करेहिंतो जाव विसेसाहिया १५ ११।१६४-१६६ २१०, १३।११० ७/६४ ११ ६३,७२ १८८०, ८१ १।३७१ १।१२१ १७५, १११५६ १६।१२६,१७१८३ १७१८४ १६/६५ २१२६ ६२४३ ६।४ ७/२२५ ८४२३,४२६-४३२ ८४२२ ७११६० २०२ ११।११६ ११।१४० २०५ १८६ १।११६ ८४३७ ५।१८१,२०६६।५२,७१३६, ४६, १४५, ८८४,२१२-२१४,३८५, ४०४,४११,४१८ ४४७,६।१०१,१०६, ११३, ११८, ११६; ११ ११३,१२६६,१००,१७,१८,२०५, १३।ε१,१६।१२७,१६१२४,२०१८,१०३, १०४,१०-१११,१३२, २५ ३, ७,३६,१६३, १६४,१६७,२०ε-२११,२३६-२३६,२४६, ३६२,४५१,४८८, ४६६, ५५० हा१५८ १६६ ठा० १० १५५ १५५६ ७। १६० १।३७१ १।११६ ३।३३ १।१०२ १७८३,१११०२ ८३६ २।१२५ ६।२४३ ६४ ७।२२४ व ८।४२० ८४२० ७।१६० २०१ २१६७ २२६७ ७।१७६ २६७ १११०८ ८४१८ १1१०८ Page #1127 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कयाइ जाव णिच्चे २११२५ करयल० ६।१४२,१६०,१८६;११।१४०,१४७ करयल जाव एव ६।१८८,११।१३५,१४४ करयल जाव कट्ठ ७।२०३९।१४०,११६६१,१४३ करयल जाव कूणियस्स ७११७५ करयल जाव जएण ६।१८२ करयल जाव पडिसुणेत्ता १८५ करयल जाव वद्धावेत्ता ६।२०१ करयलपरिग्गहिय ११।१६८,१५।१७४ करेइ जाव नमसित्ता २१६८,३।११२,६।१५० करेइ जाव पज्जुवासइ २।४३ करेत्ता जाव तिविहाए २।९७;६।१६२ करेत्ता जाव नमसित्ता २१५२ कलहे जाव मिच्छा० १२।१०७ कल्लाण जाव दिट्ट ११।१४२ काइयाए जाव पचहिं ११३७१,१६११७ काइयाए जाव पाणाइवाय० ५।१३४ काइयाए जाव पारिया० ११३७१ कालो य भावो य जहा लोयस्स तहा भाणियव्वा, तत्थ २०४७ काल जाव करेज्जा २४१४४ कालगएहिं जाव पव्वइहिसि ६१७३ कालत्ते वा जाव लुक्खत्ते १७.३५ ० कालस्स जाव देवससार जाव विसेसाहिए १११११ कालाओ जाव खिप्पामेव ६।१०२ कालोदायी जाव अप्पवेयण० ७१२२७ किच्चा जाव उववन्ना १०१५९ किच्चा जाव कहिं १४।१०३,१०५ कुथुस्स य जाव कज्जइ ७।१६३ कुभकारीए जाव वीइवयामि १५६७ कूडागारसालदिटुंतो भाणियव्वो ३।२६ केणटेण जाव अपरिग्गहा ५।१८३ केण?ण जाव अभक्खेया १८२१६ केण?ण जाव इनो ११४६ २।४५ २०६८ २।६८ २०६८ उ०११३६ ३१७ ४।१४२ १८२ २०६८ १।१० ११० प्रो० सू० ६६ १०१० ११३८४ ११११३४ ११३६५ ३११३४ १।३६५ २१४५ २४।२७ ६१६६ १७.३३ १।१०३,१०८ ६१८५ ७।२२७ १०।४८ १४।१०१ ७।१६३ १५८२ राय०सू० १२३ ५॥१८२ १८।२१५ ११३४,४८ Page #1128 -------------------------------------------------------------------------- ________________ केणट्टेण जाव केवली केणट्टेण जाव गेण्हित्तए केण जाव जरा जावण केट्टेण जाव नो केण जाव नो द्वेण जावो केणट्टेण जाव पभू ण श्रणुत्त रोववाइयां देवा जाव करेत्त केणद्वेण जाव परायिज्जति केट्टे जाव पासइ केणट्टेण जाव पासति केणट्टेण जाव पासति केणट्टेण जाव भवइ केणट्टेण जाव वत्तव्व केणट्टेण जाव सपराइया जाव समया कोलट्ठिमायमवि जाव उवदसेत्तए कोहे जाव मिच्छादसण सल्ले खलु जाव दव्वम्रो खीणे जाव प्रत खीरघाई जाव अट्ठ खेत्त जाव पभासेइ १७ खेत्तादेसेण वि एव चेव कालादेसेण वि भावादेसेण वि एव चेव खेत्तोहिमरणे जाव भवो ० गगेया जाव उववज्जति गच्छमाणस्स जाव श्राउत्त गतिनामनिहत्ता जाव अणुभाग० गमणिज्ज जाव तहा जाव सणाति ५१०६ ३।११८ १६।३१ ! ५।१०२ १।४५ १।६७ ५/७० खदया जाव अणता २४६ खदया जाव किं प्रणते सिद्धे तं चैव जाव दव्व २४८ खदया पुच्छा २४७ २४६ १४१६ ११।१५६ १।२५७ ५।१०४ १।३७४ ३।२३० ५।१०६ १४।७६ ३।१४८ २।१३७ ७५ ५।२४६ ६।१७३ ११२८६ ५।२०५ १३।१३६ १२६ ७।१२५ ६।१५२ १।१३६ ७१७५ ५/६७ ३।११७ १६।३० ५।१०१ १।३४,४४ १।६१ ५/६६ ५।१०३ १/३७३ ३।२२४ ५।१०५ १४।७८ ३।१४७ २/१३६ ७।४ ५।२४८ ६।१७१ ११३८४ २।४५,४४ २।४५,४४ २।४५,४४ २१४५ ११४१६ आयारचूला १५।१४ १।२५७ ५।२०५ १३।१३१ १२६ ३।१४८ ६।१५१ १११३६ ७११७४ Page #1129 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८ १५११६ ८.१०३ ५।१३५ ११३६२ ६।४ ११७ ११७ १७ १५।११६ १७।६२ १७७ ११३६७,४०८ ६४ १६.६७ १३३१०४ १३।१०५ ३१६ ८।२५० १३११०० ११।१४६ सा२७६ ८।२८० ८।२७७ ८।२७६ गयतेए जाव विणट्ठतेए गयपति वा जाव वसभपति गरुयत्ताए जाव पच्चोवयमाणे गरुया जाव अगल्य गाढीकयाइ जाव नो गामाणुगाम जाव जेणेव गामाणुगामं जाव विहरमाणे गामाणु जाव विहरमाणे गाहा एव उववाएयव्वा गाहावइ जाव केइ गुणसिलामो जाव विहग्इ गुणोववेय जाव ससि० गेण्हमाणा जाव अदिन्न गेण्हमाणा जाव दिन्न गेण्हह जाव अदिन्न गेण्हह जाव दिन्न गोत्तेण जाव छ?छद्रेण गोयमा जाव अधयारे गोयमा जाव अणतखुत्तो गोयमा जाव अत्थे गोयमा जाव चिट्ठित्तए गोयमा जाव न गोयमा जावन गोयमा जाव नवहा गोयमा जाव नो गोयमा जाव पच्चायाती गोयमा जाव परिणमइ गोयमा जाव भोगी गोयमा जाव समे गोयमा जाव सव्व० गोवग्ग जाव पडिबुद्ध गोसालस्स जाव करेत्तए गोसाला जाव नो गोसाले जाव करेत्तए १५ ५।२३७ १२।१३६-१४१,१४७,१४६,१५१ ११३५४ १७१३३ ७७५ ७७७ १२।७६ ८।२३५ प०६ ८।२४८ २१५६ ११।१३४ ८।२७६ ८/२७६ ८२७६ ८.२७६ ११९२।१०६ ५२३७ १२।१३४ ११३५४ १७.३३ ७७५ ওওও १२।७४ पा२३५ राह १११३३ ७.१३६ ७.१५६ १/२०१ १६१६१ १५॥१८ १५१०४ १५९८ १११३३ ७।१३६ ७.१५६ १।२०१ १६६१ १५१८ १५।१११ १५९८ Page #1130 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११३०५ ६।२०८ ११४१६६ ३११५७ ११२६७ २१३० २०६३ ३१५४ ७।१६६-१७२ ६१४३ १६६७ ८.३४ ६११६३-१६७ ६।८३ ओ० सू० १६ ८.३४ घणवाए. चउक्क जाव पहेसु चउत्य जाव विचित्तेहि चउभंगो चउभगो जहा छट्ठसए नवमे उद्देसए तहा इह वि भाणियन्व, नवर अणगारे इह गई च इह गते चेव पोग्गले परियाइत्ता विकुव्वइ, सेस त चेव जाव लुक्खपोग्गल निद्धपोग्गलनाए परिणामेत्तए हता पभू ! से भते ! किं इहगए पोगले परियाइत्ता जाव नो अण्णत्यगए पोग्गले परियाइत्ता विकुव्वइ चदिम जाव तारारूवा चक्केण जाव पकढिज्ज० चक्खिदिय जाव परिणया चच्चर जाव बहुजणसद्दे इ वा जहा अोववाइए जाव एव ०चडगर जाव परिक्खित्त चरमाणे जाव एगजवुए चरमाणे जाव जेणेव चरमाणे जाव विहरमाण चरमाणे जाव समोसढे चरमाणे जाव सुहसुहेण चलिए जाव निज्जरिज्जमाणे चितिए जाव समुप्पज्जित्था चिट्ठामि जाव गिलामि जाव एवामेव चित्तविचित्त जाव पडिबुद्ध चेव जाव अप्पवेयण चेव जाव अप्पवेयण चव जाव चिट्टित्तए चैव जाव महावयण चेव जाव महावयण छट्टद्वेण जाव अायावेमाण छछद्रेण जाव आयावेमाणस्स छटु त चेव जाव जिणसई ओ० सू० ५२ ६।१६२ १७ १७ ११७ ६।१५७ ६।१६५ १६।४८ १५११४५ १३३१०१ १८.१३७ ६।२२३ १०११,४४३ २।४६,६६ २०६६ १६।६१ ७/२२६ १८।१०० ५।१११ ७१२२६ १८.१०० १५।१७६ ११।१८७ १५।१३ १२७ १।११ २।३१ રા૪ १६१६१ ७/२२६ ५।१३३ ५।११० ७१२२६ ५।१३३ ११११८६ २।११०,१५२१२ Page #1131 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २० , २०६३ २।६३ ७२३०,१८१५३ ६।२१५ १५।११४ १६४९ १५।११३ १६।४६ ८।२५५ वृत्ति; ओ० सू० ५२ पा२५५ २।३० ३१३६ २४।६३ ११।१६६ २४॥२८ ओ०सू० १६२, भ०वृत्ति ३११६७,१६८ १७७ ३।१६६ वृत्ति ८।४५६ ८४५५ छट्टट्ठम जाव अप्पाणं छट्ठट्ठम जाव मासद्ध छह जाव काल छिदति जाव धम्मतराएणं छिण्णे जाव दड्ढे जण हे इ वा परिसा निग्गच्छइ जलते जाव आपुच्छइ २ तामलित्तीए एगते एडेइ जाव भत्त० जहण्णकाल जाव से जहा अम्मडो जाव वंभलोए जहा आयड्ढीए एवं आयकम्मुणा वि आयप्पयोगेण वि भाणियव्व जहा आवस्सए जाव सव्व० जहा उनकोसिया नाणाराहणा य दसणाराहणा य भणिया तहा उक्कोसिया नाणाराहणा य चरित्ताराहणा य भाणियव्वा जहा उदिण्णण दो आलावगा तहा उवसतेण वि दो आलावगा भाणियव्वा, नवर उवट्ठाएज्जा पडियवीरियत्ताए अवक्कमेज्जा वालपडियवीरित्ताए जहा उववज्झमाणे तहेव उव्वट्टमाणे वि दडगो भाणियब्वो । नेरइए ण भते | नेरइएहितो उन्बट्टमाणे किं देसेणं देमं आहारेइ तहेव जाव सब्वेणं वा देस आहारेइ सव्वेण वा सव्व आहारेड । एव जाव वेमाणिया । नेरइए णं भंते । नेरइएसु उववणे किं देसेण देस उववणे एमो वि तहेव जाव सब्वेण सव्व उववण्णे । जहा उववज्झमाणे उव्वट्टमाणे य चत्तारि दडगा तहा उववणेण उव्वट्टेण वि चत्तारि दंडगा भाणियव्वा सव्वेणं सव्व उववणे, सव्वेण वा देसं आहारेइ, सव्वेण वा सव्व आहारेइ । एएण अभिलावेणं उववण्णे वि उव्वट्टे वि नेयव्वं जहा पोराला तहा जहा ओववाइए कूणियम्म जाव परमाई १११८१-१८६ १११७५-१८० ११३२२-३३३ ६९७,१८ १११६१ ११३१८-३२१ ६।६५,६६ प्रो०सू०६८ Page #1132 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जहा प्रववाइए जाव अभिनंदता जहा ओववाए जाव गगण० जहा ओववाइए जाव गहणयाए जहा ओवाए जाव लूहाहारे जहा ओववाए जाव सत्यवाह ० जहा ओववाइए जाव सव्वगाय० जहा श्रववाइए जाव सुद्धेसणिए जहा सप्पणी उद्देस जाव परस्सरे जहा कूणि जाव पायच्छिते जहाको त जहा खदए जाव अनंता जहा खदए जाव गद्धपट्टे जहा खदए जाव परिक्खेवेण जहा खदए जाव सव्वण्णू जहा खदए तहा चत्तारि आलावगा नेयव्वा अणेगसयसहस्स पुट्ठे उद्दाइ ससरीरी निक्खमइ जहा खदओ जाव अण्णेसु जहा खंदओ जाव से जहा गोयमसामी जाव जेणेव जहा चोद्दसमसए ततिए उद्देसए जाव परिससाहणया जहा तामलिस्स जाव पुत्तेहि जहा तामलिस्स वत्तव्वया तहा नेतव्वा, नवर चउप्पुडय दारुमय पडिग्गहय करेत्ता जाव विउलं असणपाणखाइमसाइम जाव सयमेव जहा तेयनिसग्गे जाव अवकररासि जहा देवाणदा जाव पडिसुणेइ जहा नदीए जाव भावओ जहा नाणावर णिज्ज जहा नियद्देस जाव तेण जहा पचमसए जाव जे जहा पढमसए कालासवेसियपुत्ते जाय सव्वदुक्ख • २१ हा२०८ ६ २०४ ११।८५ २५/५७१ हा१५८ २५/५७१ २५/५६६ १२।१६० ७।१६६ १२ १०४ ११११०८ १३।१४२ ११।११० १२।२१ ५।४६-५० ६११३७ १५० १५।१५३ २५१५८५ १११५६ ३१०१, १०२ १६६८ १२३४ ८१८७ ६॥३४ ११७६ १२२ ७।२३१ ओ०सू०६८ ओ० सू० ६४ ओ०सू० ५२ श्र०सू० ३५ ओ०सू० ५२ ओ०सू० ३६ ओ०सू० ३४ ७/१२२ ७।१७६ १२/१०३ २/४५ २१४६ २।४७ २३८ २८-१२ २।२४ २५२ २ १०७ १४ / ३२ ३/३३ ३३२,३३ १५।११६ १४० नदी सू० २५ ६/३४ २।११०,१११७३ ५।२५५ १।४३३ Page #1133 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जहा पण्णवणाए जाव नालियरी जहा पण्णवणापदे जाव फला जहा पादुग्भवा जहा वितियसए जाव जीवियास जहा भासा तहा भाणिव्वा किरियावि जाव करणओ जहा परमाहोहिए तहा केवली वि जाव जहा परिणम दो आलावगा तहा गमणिज्जेण वि दो आलावगा भाणियव्वा जाव तहा १।१३६-१३८ जहा पाणाइवाए नवर अटू फासे १२।११३ जहा पादुभवणा तहा दो वि आलावगा णेयव्वा ३।६०-६३ ३।६५-६७ ८२७२ जहा भासा तहा मणे वि जाव नो जहा रायपसेणइज्जे जाव अट्ठ जहा रायप्प सेण इज्जे जाव कल्लाण० जहा राय सेणइज्जे जाव दुवारवयणाइ जहा रोहे जाव उड्ढजाणू जाव विहरइ जहा विजयस्स जाव जम्मजीवियफले जहा सवुडे नवर प्राउयं च ण कम्मं सिय वधइ सिय नो बंबइ सेस तहेव जाव वीईवयइ जहा सत्तमसए जाव एगतपडिया जहा सत्तममए दुस्समा उहेसए जाव परिया० जहा सत्तमसए पढमुद्देसए जाव अत जहा सत्तमसए पढमोद्देसए जाव नो जहा सत्तमसए विनिए उद्देसए जाव एगतवाला जहा सत्तसमवुडुद्देस जाव अट्ठो निक्खित्तो जहा सत्तमसए सत्तमुद्देसए जाव से जहा सत्तमे सए अण्ण उत्थिउद्देसए जाव से जहा सव्वाणुभूती तव जाव सच्चेव जहा सालीण तहा एयाणि वि नवर पच सवच्छराइ सेसं त चैव जहा सिवभद्दे जाव पच्चुवेक्खमाणे २२ जहा सिवस्स जाव विव्भगे जहा सिवे जाव पडिगया ८२१७ ८२१८,२१६ १८१८०,१८१ १।४४३ १३।१२६ ११।१५६ १३६८ १३।८७ १०/४४ १५/१५६,१६० ११४३८ ८२७८ ८४२३ ११६८१३६० २५.५६७ ८२७३ १८१५६ १०।१४ १८/१३६ १५।१०७ ६।१३० १३।१०२ ११।१८७ १५७८ प० १ प० १ १८१७८, १७६ १।१३३-१३५ १२/१०२ ३।५६-५६ ३।५७-५६ २६५ १।४४३ १३।१२४ रा०सू० १६१ राय०सू० १८५ राय०सू० ७५५ ११२८८ १५।२६,२७ १।४७ ७ २८ ७।११६ ७३ ७२४ ७१२८ ७/२० ७।१२६ ७।२१६ १५।१०४ ६।१२६ ११५८; राय० सू० ६७३,६७४ ११।१७१ ११८२ Page #1134 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११४१५३ १११६३ १२।५८ २५१५७९ १२।५४ १८।२१२ ५।७३,७४ १२।१०५,१०६ १२।१०७ ८।४३६ ५।६९,७० १२।१०३ १२।१०३ ८४३६ ११२६१-२६४ १२।२१ ११२६० १२।२१ जहा सिवो जाव खत्तिए जहा सुत्ता तहा आलसा भाणियव्वा, जहा जागरा तहा दक्खा भाणियव्वा जाव सजोएत्तारो जहा सोमिलुद्देसए जाव सेज्जा जहा हसेज्ज वा तहा नवर दरिसणावरणिज्जस्त कम्मस्स उदएण निद्दायति वा पयलायति वा, से ण केवलिस्स नत्थि अण्ण त चेव जहेव कोहे जहेव कोहे तहेव चउफासे जहेव तेयगस्स जाव देसवघए जहेव लोए य अलोए य तहेव जीवा य अजीवा य । एव भवसिद्धिया य अभवसिद्धिया य सिद्धी असिद्धी सिद्धा असिद्धा जागरिया जाव सुदक्खु० जाणइ जाव निव्वुडे दसणे केवलिस्स से तेणट्रेण जाणामि जाव जण्ण जायसड्ढे जाव भत्तपाण पडिदसेइ जाव पज्जुवासमाणे जाव वणस्सई जहा एयणुद्देसए पचिंदियतिरिक्खजोणियाण वत्तव्वया तहा भाणियव्वा जाव सचित्ताचित्त जाव समोसरण जिणप्पलावी जाव जिणसद्द जिणप्पलावी जाव पगासेमाणे जोवा जाव अणारभा जीवा जाव नो जीवा पुच्छा तह चेव जुगव जाव निउण जुती जाव परक्कमे जुवरायत्ताए जाव सत्थवाहत्ताए जोयण जाव अतरे ५।१०६ १७१३५ ५।६७ १७.३३ १५।१३ २।११०,१११० ५२३५ श७ १५७७,१३६,१४१ १५७७७ ११३४ २११४० २।१४० १४।३ १५१५३ १२।१४६ १४।६४ ५।१८६ वृत्ति १५७ १५६ ११३३ २।१३६ २।१३६ अ०स०४१३ १५।५३ २।३० १४१६० Page #1135 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २४ ८।२५६ ५१४१ ११।१८३,१५।१६७ १५।१६४ ८।२५६ ५।१३६ २|७३ २।७३ झियाइ जाव नो ठाणस्स जाव अस्थि ठिइक्खएण जाव कहि ठिडक्खएणं जाव महाविदेहे ठिइक्खएण जाव महाविदेहे वासे सिज्झिहिति जाव अतं ठिच्चा जाव तस्स ण जाव नो ण जाव सपाउणति णच्चासणे जाव पज्जुवासइ णावकखड जाव तसकाय ण्हाए जाव सरीरे तमोहितो जाव अविरायिसामण्णे तं चेव तं चेव त चेव तं चेव तं चेव त चेव २०७३ १०।११ १७१३२ ११।१०६ १।१० स०६।२ ३।३३ १५.१८६ ७.२०७ १०।११ १७.३३ ११।१०६ ३।१३,१८११४४ ११४३७ १११६३ १५॥१८६ ३188 ५।१२० ५।१८३ ५।२०२ ८।१६० १०।२३ १४.८२,८३ १११४७ १११६२ १।१६३ ५११८ . ३१३० ५।११६ ५।१८३ ५।२०२ ८१६० १०१२३ १४.८२ १।१४७ १११६२ १११६३ ५।११७ म. तं चेव त चेव उच्चारेयव्व त चेव उच्चारेयव्वं त चेव उच्चारेयव्व त चेव उच्चारेयन्व तं चेव केवलीण आरगय वा पारगय वा जाव पास त चेव जाव अत तं चेव जाव अत त चेव जाव अजीवपदेसा तं चेव जाव अणतखुत्तो तं चेव जाव अणतेहि न चेव जाव अत्यमण. त चेव जाव अफासा तं व जाव अफासे ५६७ १२०१ २०७६ १०१५ १२।१३५ ११११०७ ८।३२६ १२।१०६ १२१११ ५६६ ११२०० २०७६ १०१५ १२।१३४ २।१४० ८।३२६ १२।१०८ १२।१०८ Page #1136 -------------------------------------------------------------------------- ________________ त चेव जाव अभिग्गह तं चेव जाव आयावण तं चेव जाव आहारैति तं चेव जाव उवदंसेत्तए त चेव जाव गाहावइस्स त चेव जाव छविच्छेद त चेव जाव जीवियफले त चेव जाव तत्थ त चेव जाव तस्स त चेव जाव तस्स त चेव जाव तेण तं चेव जाव तेण त चेव जाव तेसि त चेव जाव देव० तं चेव जाव न तं चेव जाव न त चेव जाव नो त चेव जाव नोआयाति त चेव जाव पच्चाया इस्सति त चेव जाव पज्जुवासति त चेव जाव परिणम त चेव नवर परिणामेतित्ति भाणियन्व त चेव जाव पव्वइत्तए त चेव जाव वेभेलस्स त चव जाव रोमकूवा त चेव जाव वोच्छिण्णा (न्ना) त चेव जाव साह त चेव जाव साहू त चेव जाव साहू त चेव पउमावती पडिच्छइ जाव घडियव्व सामी जाव नो त चेव पडिउच्चारेयन्व तं चेव सव्व जाव त चेव सव्व जाव अजिणे ११२६३ ३३१०२ १४७३ ६।१७२ ८२८४ ११।११२ १५।५२ १५.१८६ ३१२२६,२२७ १५७३ १११७७ ११६१८० १११११० ६२३५ १०१४० १२।१३२ ६।१२४ १२।२१२ १५७२ १५१११ १२।१२० ६।१६७ ६।१७२,१७६ ३।१०३,१०४ ६।१४८ १०७५,७७ १११५६ ३१३३ १४७२ ६।१७१ ८२७७ १११११२ १५।२७ १५।१८६ ३।२२३,२२४ १५५६ १११७३ ११.१७६ ११११०६ ६।२३४ १०१४० १२।१३२ ६।१२३ १२।२१२ १५।५८ १५।१०४ १२।१२० ६.१६५ हा१७० ३१३५,३६ ६।१४७ १११७२ १२।५६ १२।५७ १२।५८ १२।५६ १२।५८ १२।५८ १३१११८ १२।२२५ ६।२२८ १५७७ हा२१३ १२।२२४ ६।२२८ १५॥३-६ Page #1137 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६ १५५१४७,१४८ ११४३४ १।२६७ રા ३१२५२ ५।१४ १५।१४६ ११४३५ ११३०३ ७.२०३ ३।२६२,२६७ ५।१४ श६५ १३।१०२,१०४,१५।१७१ १३।१०४ १५६८ ५।१४३ ५।१४५ ५१२०२ २०३० ११७ १५॥१८ ५।१३६ ५१३६ ५।२०२ त चेव सव्व भाणियव्व जाव परुण्णे तणुयस्स जाव कज्ज इ तणुवाए. तत्थगए जाव वदइ तभत्तिया जाव चिट्ठति तया ण जाव मदरस्स ०तरागा तहेव तलवर जाव सत्थवाह तवसा जाव विहरेज्जा तवेण जाव करेत्तए तस्स० तस्स जाव अत्थि तह चेव तह चेव नेयव्व अविसेसिय जाव पभू समिय आउज्जियपलिउज्जिय जाव सच्चे तहेव तहेव तहेव तहेव जाव अडमाणे तहेव जाव उस्सुत्तं तहेव जाव एगं तहेव जाव ओहिं तहेव जाव कासवग तहेव जाव किच्चा तहेव जाव गवेसण तहेव जाव त नो अप्पणा परिभुजेज्जा, नो अण्णेसि दावए, सेसं त चेव जाव परिट्टवेयव्वे तहेव जाव दिसोदिसिं तहेव जाव मम विउलेण महुघयसजुत्तेण परमण्णेणं पडिलाभेस्सामीति तुटे सेम जहा विजयस्स जाव बहुले माहणे २ तहेव जाव वोच्छिण्णा २।११० ५२११८ ५।१८५ ५।२०२ १५॥३८ ७११२६ ७।२१७ ३।११६ ६।१८५ १५।१८६ 81५५ २।११० ५।११८ ५।१८४ ५।२०२ १५।२४ ७।२१ ७।२१२ ३।११५ ६।१८४ १५।१८६ ९३३ ८२५० ७।१८६,१८७ ८।२४८ ७१७७,१७८ १५।४८-५०. ११।१८८ १५॥२५.२७ ११।१८८ Page #1138 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २७ ११।१०६ १११७८ तहेव जाव सपरिक्खित्ताण तहेव जाव हता तायत्तीसाए जाव अण्णेहि तावतिय जाव महापज्जवसाणा तावत्तीसगाण जाव विहरइ तिक्खुतो जाव नमसित्ता ३४ १६६४ वृत्ति १६१० २।३० तिग जाव पहेसु तिण्णिवि तिण्णि वि तिण्णि वि तियगसजोगे एक्को न पडइ तिरिय जाव पल्लघत्तेए तीसे य जाव धम्म तुट्ठि जाव मंगलकारए तुल्लसखेज्ज तेएण जाव करेत्तए तेएण जाव भासरासि ते जाव सद्दाविया तेण?ण जण्ण इहगए केवली जाव पासति तेण?ण जाव अण्णहाभाव तेण?ण जाव अधिकरण तेणटेण जाव अव्वावाहा तेणटेण जाव आदिच्चे तेण?ण जीव आवासे तेणढेण जाव उदएण तेणटेण जाव उवदसेत्तए तेण?ण जाव कज्जइ तेणटेणं जाव कज्जति तेण?णं जाव कालतुल्लए तेणतुण जाव खेत्ततुल्लए तेण?ण जाव चिद्वित्तए तेण?ण जाव जघाचारणे तेणतुण जाव देवाति ११।११० ११११६१ १०१६६ १६१५२ ૨૪ ६।१५०,१६४,१६५ २१०,२१२,१११११८ ११।७२,७३ ७१५२ ७१५४ ७१५५ १२।२२४ १४।६६ १६१५६ ११।१३४,१४२ १४१८१ १५१८ १५।१८४ १४१२२ ५।१०६ ३१२२७ १६६ १४।११४ १२।१२६ १३.६८ १४११८ ५११३ ७।१६४ १६।४२ १४१८१ १४१८१ १७१३५ २०१८४ १२।१६७ ७१५२ ७१५४ ७।५५ १२।२२४ १४.६८ २१५१ ११११३४ १४१८१ १५९८ १५।१८२ १४१२२ ५।१०६ ३।२२४ १६६ १४।११४ १२।१२६ १३।६८ १४|१८ ५।११२ ७.१६४ १६।४२ १४१८१ १४८१ १७१३५ २०१८४ १२।१६७ Page #1139 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २८ १२।१६६ १२।१६५ २५।१४२ १०३५ श३४६ ३।१६१ ५७० ६।२५ तेणद्वेण जाव धम्म० तेणटेणं जाव नर० तेण?ण जाव निरेया तेणद्वेण जाव नो तेणटेणं जाव नो तेणटेण जाव नो तेणद्वेण जाव नो तेण?ण जाव नो तेण?ण जाव नो तेणद्वेण जाव नो तेण?ण जाव पच तेण?ण जाव पसारेत्तए तेण?ण जाव पासइ तेण?ण जाव पासइ तेणटेण जाव भाव० तेण?ण जाव भावतुल्लए तेण?ण जाव भासति तेण?ण जाव रह० तेण?ण जाव लवसत्तमा तेण?ण जाव वागरेज्ज तेण?ण जाव विग्गहेण तेणद्वेण जाव विज्जाचारणे तेण?ण जाव वुच्चइ केवलीण अस्सि समयसि जाव चिट्ठित्तए तेणद्वेण जाव संठाणतुल्लए तेण?ण जाव ससी तेण?णं जाव सिय तेण?ण जाव सिय तेण?ण जाव सोगे तेण?ण जाव हव्व० तेणद्वेण जाव हव्वमागच्छति तेयासरीस्स जाव देसवधए दहनायग जाव सघिवाल दसणपि एमेव १२।१६६ १२।१६५ २५।१४४ ११३६ १1३४६ ३।१६१ ५.७० ६२६ १६।३१ १८।१७६ ११३६५ १६.११६ ३१२२४,२३० ५६७ १२।१६८ १४१८१ १६।३६ ७/१८८ १४१८५ १४११४४ ३४।४ २०1८० १८।१७६ ११३६५ १६।११६ ३।२२४ ५।६७ १२।१६८ १४१८१ १६३६ ७/१८८ १४१५८ १४।१४४ ३४१२,३ २०१८० ५।१११ १४।८१ १२।१२५ १४/५० २५५ १६।२६ २।८८ २५।१८ ८.४४६ ११६१ ११४० ५१११ १४१८१ १२।१२५ १४१५० २५१५ १६।२६ २८८ २५।१८ ८४४५ ७११४६ ११३६ Page #1140 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दरिसंणावर णिज्ज जाव अतराइय व्वओ जाव गुणओ दव्वसुद्धेण जाव दाणेण दसम जाव विचित्ते हि दाह जाव दोच्च दाहिणिल्ल जाव गच्छति दियर जाव पsिबुद्धे दिसाचक्कवाले जाव आयावेमाणस्स दीव जाव हता दीवे जाव अद्धमास दूसमा जाव चत्तारि देवज्जुती जाव अणुपविट्ठे देवलो गाग्रो जाव महाविदेहे देवसयणिज्जसि जाव सक्के देवाय चउव्हि देवाप्पिया जाव उत्तर० देवाप्पिया जाव से देविड्ढीए जाव दिव्वे देविड्ढी जाव अभि० देविड्ढी जाव अभिसमण्णागए देविड्ढी जाव अभिसमण्णागए देविड्ढी जाव लढ देह जाव दुव्वल धम्मकहा धम्मत्किाए जाव जीवत्थिकाए चउत्थपएण धम्मत्थिकाय जाव करेस्सइ धम्मत्थि जाव श्रागासत्यिकायसि धम्माणुया जाव धम्मेण धम्मोवएसगस्स जाव परिकहेहि धारेमाणे जाव भवति नक्खत्त जाव काम० नगर जाव विहराहि नगरे जाव' अडमाणे नमसइ जाव पज्जुवासइ ६।३३ २1१२८ १५।१५६ ६।१५१,१५।१८५ १५।१८६ १६।११६ १६/१ ११७१ १८ । १५३ ६/२ ६।१३४ १६/६४ १५।१८५ १८।५३ ५।६२ ३।१२६ ११।१४३ ३।१०६ ३।१३० ३।५०, ५१ १६।७२ ३।५० १६।३५ १८/४३ ११४०० -४०३ ८६ १३/८७ १२।५४ १५/६७ १।१३२ १२।१२८ ११६१ २1१०६, १५३१ १४/३० ६/३४ २।१२५ १५।२६ २/६३ १५।१८६ १६।११६ १६/१ ११५६ १८/१५२ ६।७५ ६।१३४ रा०सू० १२२ २/७३ ३।१७ प०१ ३।११६ ११।१३५ ३।१७ ३।२८ ३।१७ १६।६५ ३।१७ अ० ३।६५ ११।११७ १/३६२,२/१२३ ८।६६ १३।८६ १२।५४ १५/६६ १।१३२ १२।१२८ ओ०सू० ६८ २1१०८ २/३० Page #1141 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नमसइ जाव पडिगए नमसति जाव कल्लाण नममामो जाव पज्जुवासामो नमसामो जाव पज्जुवासामो जाव भविस्सति २१६७ नमसित्ता जाव पज्जुवासित्ता २/६६ नमसत्ता जाव पडिगया नमसित्ता जाव विहरइ नरदेवारण जाव भावदेवारण नवर एगओ चक्कवालपि दुहओ चक्कवालपि भाणियव्व नाइजात् जाव नाइ जाव तस्सेव नाइ जाव परिजणेण नाइ जाव परिय (ज) ण नाइ जाव परियणस्स नाइ जाव पुरओ नाइ जाव राईण नाण जाव समुद्दा ३० नाणत्त जाव त नादसणे जाव तेण नातिदूरे जाव पजलिकडे नासि जाव निच्चे नासि जाव निच्चे निदिज्जमाण जाव आकड्ढे निक्खेवो निग्गथाण जाव महा० निग्गथे वा जाव पडिग्गाहेत्ता निग्गथे वा जाव साइम नियंठे जाव नो नियग जाव आमतेति नियग जाव परिजण नियग जाव परिजणेणं निरंगण्याए जाव पुव्व० १५।१३८ १५।१०४ २३६,३३८, ६ १३६ १३।११८ १२।१२६ १२।१६७ ३।१८१ १६।७१ १८।४७,४८ १८४८ १८४७-४६ ३।३३,११।६३ ३।३३ १८४८ ११।१५३ ११८३ १८८१ ११/७३ १९८५ २३३ ११1१०८ ३।४६ हा२५० ६।४ ७१२२,२३ ७२४ २।१६ १६।७१ ११।६३ १६।७१ ७।१५ २।१०३ २।३१ २१३० २१३० १।१० २१३ १५१ १२।१६३ ३।१६६ ३।३३ ३।३३ ३।३३ ३।३३ ३।३३ ३।३३ ३।३३ ११।६३ ११/७२ ३।१४३ ११।७२ १1१० २३३ २४५ ३।४५ २५० ६४ ७/२२ ७/२२ २।१३ ३।३३ ३/३३ ३।३३ ७।११ Page #1142 -------------------------------------------------------------------------- ________________ निरुद्धभवपवचे जाव निट्ठिय० निसते जाव अभिरुडए निस्सिरामि जाव पडिय निस्सीला जाव उववन्ना निस्सीला जाव निप्पच्चक्खाण नी जाव अमाणे नीय जाव अण्णत्थ नेरइयाउय वा जाव देवाउयं नोआया जाव नोआयाति पईणवाया इवा जाव सवट्टयवाया पउमसर जाव पडिवुद्धे पक जाव उव्वट्टत्ता पंचमाए जाव उव्वट्टित्ता पचिदियओरालिय जाव परिणए पचिदियसरीरे जाव ससि० पकरेइ जाव अणुपरियट्टइ पकरेति जाव देवाउय पकरेति जाव देवाउय पगडभद्दए जाव विणीए पगइभद्दए जाव से ण पगइभट्याए जाव विणीययाए पगिज्भिय जाव आयावेमाणे परिज्मिय जाव विहरइ पगियि जाव विहरित्तए पच्चक्खाणीण जाव विसेसाहिया पज्जत्तसखेज्ज जाव जे पज्जत्ताअसण्णि जाव गतिरागति पज्जत्ता जाव करेज्जा • पज्जत्ता जाव जोणिए पज्जत्तासुहुमपुढविकाइय जाव परिणया पज्जवासणयाए जाव गहणयाए पडिचोइज्जमाणे जाव निप्पट्ठ० पडिचोएउ जाव मिच्छ पडसंवेदेइ जाव से ३१ २।१६ ६।१६७ १५।६८ ७१६० ७११८१ १५।२४,४७,६७ १५।२३ ५।६२ १२।२१४ ३।२५३ १६।६१ १५।१८६ १५।१८६ ८५० ११।१३४ १।४३६ १।३६० १३६२ ३।१७,५७८,१५।१०४ २।७१ ११।७१ १५।१८० १५७०,७६ ११/५६ ७५७ २४।६३ २४ | ३० २४ /३३ २४/४१ ८१८ २२६७ १५।११६ १५/१०० ५।५७ २।१३ १६५ १५/६५,६६ ७११८१ ७।१२१ २१०६ १५।१६ ५।६२ १२।२११ वृत्ति, प० १ १६ १ १५।१८६ १५।१८६ ८५० म०सू० १४३ १.४५ १।३५६ १।३६० ११२८८ २।७० १२८८ ३/३३ ३।३३ ३।३३ ७१५५,४६ २४।५६ २४/२७ २४।२७ २४/२७ ८१८ २१३० १५।११६ १५/६६ १।४२० Page #1143 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३२ १६१६१ वृत्ति ८।४०६ १८।१४३ २।८० ८.४०६ ૭ર૪ ८।३७२ ३११२६,४१५२ १५२५४ ७।२४ ८।३६६ १६१० १५।२५ ११४२०,४२१ १२।६६ ५।१३४ पण्णवेति जाव उवदसेति पभासेमाणे जाव पडिरूवे ०पमत्त जाव आहारग० पमाणे जाव आहार० पमादपच्चया जाव आउय पयाहिण जाव नमसित्ता पयाहिण जाव नमसित्ता परउत्थियवत्तव्वय णेयव्व ससमयवतव्वयाए णेयव्व जाव इरियावहिय परमाणुपोग्गला जाव कि परामुमइ जाव उव्विहइ परारभा जाव अणारभा परियारो जहा सूरियाभस्स जाव परिसा जाव पडिगया पलोट्टइ जाव पडियत्त पवरकुदुरुक्क जाव गध ० पवर जाव सण्णाहेत्ता पव्वय त चेव निरवसेस जाव आणुपुवीए पव्वाविए जाव मए पव्वावेइ जाव वम्म० पसत्थं नेयव्व जाव आदेज्ज पसत्थ नेयव्व जाव सुहत्ताए पाणक्खया जाव तेर्सि पाण जाव उवक्खडावेति पाण जाव किं पाण जाव पडिलाभेमाणस्स पाणाइवायवरमणेण जाव मिच्छा० पाणातिवाएण जाव मिच्छादसणसल्लेण एव खलु जीवा गरुयत्त हव्वमागच्छति एव जहा पढमसए जाव वीतिवयति पाणाणं जाव सत्ताण पास जाव भावओ पासवणत्ताए जाव सोणियत्ताए पासादियामओ जाव पडिरूवाओ ११४४४,४४५ १२१८० ५।१३४ ११३४ १६१५५ ११७४ ११४४० ११।१३६ ७।१६४ २०७० १५।१११ २१५३ ११३५७ ६।२२ ३।२६३ १६७१ ८.२४७ ८.२४६ ११३८५ रायसू०५८ ६७७ ११४४० ११११३३ ७११७४ २।६८,६६ १५।१०४ २१५२ ११३५७ ६।२० ३।२५३ ३।३३ ८.२४५ ८।२४५ ११३८४ १२१४१-४८ ७.११४,११६,१२।५४ ८.१८६ ३२१६१ १५८७ ११३८४-३६१ ७।११४ ८१८६ वृत्ति २१८० Page #1144 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पासादीए जाव पडिवे पासादीय जाव पडिरूवं पिवामापरोमहे जाव दसण० पुच्छा पुच्छा पुच्छा पुच्छा पुच्छा पुच्छा पुच्छा पुच्छा पुच्छा पुच्छा पुच्छा पुच्छा पुच्छा पुच्छा पुच्छा पुच्छा पुच्छा पुच्छा पुच्छा पुच्छा पुच्छा पुच्छा पुच्छा पुच्छा पुच्छा पुच्छा पुच्छा पुच्छा पुच्छा पुच्छा पुच्छा ३३ ११।५७ १५।८७ ८३१६ १२६७ ३।१८४ ३।२७३, २७५ 158 ८२८-३०० ८।४२३-४३३ ४२ ८४६४ ८४६५ ८४६ ८१४६७ ८४८ |६४ १०१५७,६१ १२/७२-७६ १२।११७,११८ १२।२२२ १३७, ११ १३।६० १३/६४ १३।१२८ १३।१२८ _१४|५६,५६ १४/६३,६४,६६, १०० १४ । १२८ १७६२ १८ १०३ १८१०८,११२,११७ १८१७६ २०१६,१८ २०/४० २१८० २८० वृत्ति १२६० ३।१८३ ३।२७२ दाद ८२६५ ८४२० ८४६२ ८४६४ ८४६५ ८४६६ ८४८ ८१४६७ ९४२ १०।४६ १२/६६ १२ १०२ १२।२२२ १३।२ १३।५६ १३।६१ १३।१२४ १३ । १२४ १४।५४ १४/६० १४।१२६ १७६० १८/१०२ १८/१०७ १८१७४ २०१४ २०/३८ Page #1145 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३४ २४।२०५ २५२६८ १३३५४ १३७४ १३।६८ २४/८ १।१०८ १३१५३ १४३५७ १३१६१ पुच्छा पुच्छा पुच्छा जहा अग्गेयीए पुट्ठाइ जाव नो पुढे जाव अणतेहिं पुढविकाइयएगिदियपयोगपरिणया जाव वणम्सइ० ०पुढविकाइय जाव परिणया पुढविक्काइया जाव उववज्जति - ०पुढवि जाव व पुढवीए जाव एगमेगसि पुप्फिया जाव चिट्ठति पुरंदर जाव दस पुरत्याभिमुहे जाव अलि पुरिसे जाव अप्पवेयण० पुरिसे जाव पचिहिं पुव्वरत्तावरत्तकालसमयसि जाव किंसठिया पुन्वरत्तावरत्त जाव जागर० पुद्वि भते लोयते पच्छा सव्वद्धा पेते जाव अणाणपुव्वी पोग्गला जाव दुहा पोग्गला जाव नो पोग्गलाण जाव सव्वपज्जवाण पोग्गले जाव विकुब्वइ पोराणाण जाव एगतसोक्खय पोरेवच्च जाव कारेमाणे पोसहसालाए जाव विहरिए पोसहियस्स जाव विहरित्तए फरिमे जाव पचविहे फासेत्ता जाव आराहेत्ता ववइ जाव नो नपुसगो वभचारी जाव पक्खिय बभचारी जाव विहरड ८।३ ८.१८ ६।१३१,१३२ ८.३६० १।२२१ ७१६३ ३।१०६ ७।२०४ ७१२२७ ११३६६ १५।१३२ २०६७ ११२६९-३०१ ११२६७ १२।७७ १६१५७ २५/१०० ७।१६६ १११५४ १३।१०२ १२।१८ १२।१३ १२।१२८ २१५६ ८।३०४ १२१६ १२।११ ११४३७ ८.१८ ६।१२८ ८।३६० ११२१६ ७।६३ उवा० २।४० ७।२०३ ७१२२६ ११३६५ १५५१२८ २०६६ ११२६७ ११२६० १२।७० १६।५५ प०३ ७१९१६ ३१३३ ३।४ १२।८ १२।६ ओ०सू०१५ २०५६ ८।३०४ १२।६ १२।६ Page #1146 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८.४३१ १४१३ ११११३५ ८।४३२ १६३५ ११११४२,१५,१६७ ११।१८६ १५१४७ १३।११० ३।३३ १११५६ ३१२३३-२३६ ६।२४१ ११२०० १०१५ ३।२३१-२३३ ११४४ १४४ २११३६ बलमदेण जाव इम्सरिय० वलव जाव निउण बहुपडिपुण्णाणं जाव वीइक्कताण वाहाओ जाव आयावेमाणे वाहाओ जाव विहरड बाहिरिय जाव पच्चप्पिणति वितिओ वि मालावगो एव चेव नवर वाणारसीए नगरीए समोहणा नेयव्वा रायगिहे नगरे स्वाइ जाणइ पासइ बुझति जाव अतं ज्झिसु जाव सव्व० वेइदिया जाव पंचिदिया भड जाव घणे य से अणुवणीए सिया एय पि जहा भडे उवणीए तहा नेयव्व चउत्थो आलावगो-'धणे य से उवणीए सिया' जहा पढमो आलावगो'भडे य से अणवणीए मिया', तहा नेयव्वो । पढमचउत्याण एक्को गमो, वितियतइयाण एक्को गमो भते जाव केवली भते जाव चिट्ठति भते जाव वालपडियवीरियत्ताए भते जाव रण्णो भते जाव से भते पुच्छा भगवओ जाव पव्वइए भगवयो जाव पव्वइत्तए भगव जाव एव भगव जाव नमसित्ता ० भत्ति जाव अमुट्ठ भवइ जाव दुहा भवसिद्धिए जाव नो भवित्ता जाव नो भवित्ता जाव पव्वइत्तए ५१३१,१३२ ५२१११ ११३१३ १११७६,१८० १०७३ ६।१६४२११११७२,१३।१०८ २।१४७,१४८ १३।१२० १३।११० ३।२० २१५६ ११११४४ १२।७५ ३१७३ ६।१४ १३।११० ५।१३०,१२६ ५।१०६ ११३१२ १११७६,१७७ १०।६५ २०५२ २।१४६ ६।१६७ ६।१६७ २१५७ २१५७ ११११३५ १२।७४ ३।७२ ६।१३ १६७ Page #1147 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भवित्ता जाव पव्वयामि १३।१०८,११० भविस्सइ जाव निच्चे १०१५१ भावियप्पणो जाव तस्म १८११५४ भामासमिया जाव गुत्तवभचारी १२।२१ भिज्जति जाव काये १३११२८ भीए जाव मजायभए १५१६६ भेदो जहेव वट्टम्स जाव तत्व २५॥५३ भेदो सव्वो भाणियन्वो ५६२ भोगा पुच्छा ७१३४ मनिपुत्तस्स जाव करेत्तए १५९८ मदरचूलियाए जाव पडिबुद्धे १६।११ मझमज्मेण जाव पज्जुवासति अभिगमो नत्थि १२।१५ मज्झिमाइ जाव अडमाणे १५१८२ मट्टिया जाव गाया १५२१२६ मट्टिया जाव विहरइ १५॥१३२ मदुया जाव एव १८।१४३ ०मणुस्स जाव वधे ८।३६८ मणस्माउए वि एव चेव, देवा जहा नेरइया ११११५ मणुस्साउयं दुविहं ५२६२ मणुम्सा जहा ओहिया जीवा णवर सिद्धवज्जा भाणियव्वा ११३८०,३८१ मणुस्सा जहा जीवा ७.४६ मणुस्सा जहा णेरइया नाणत्त जे महासरीरा ते बहुत राए पोग्गले आहारेंति आहच्च आहारति जे अप्पमरीरा ते अप्पतराए पोग्गने आहारेंति अभिक्खण आहारेंति सेस जहा नेरइयाण जाव वेयणा ११८६-९५ मणुस्सा जाव उववत्तारो ७२०५ मणुस्साण जाव वेमाणियाण १४१३५ मणुस्साण य देवाण य जहा नेरइयाण १११०६,१०७ मरणभयविप्पमुक्का जाव कुत्तिया० २।९५ ६।१६७ २१४५ १८।१५६ २१५५ १३।१२४ રાહ २५५० ११३८ ७/१२६ १५१८ १६६१ ૨૭ २।१०६ १५।१२० १५॥१२० १८११४३ ८/३६८ ११११५ प०१ ११३७५,३७६ ७१४२ १६६०-६६ ७११६२ १४१३३ १११०४ वृत्ति, ओ०सू० २६, राय० सू० ६८६ ३२८ महज्जुईए जाव कहिं ३९८ Page #1148 -------------------------------------------------------------------------- ________________ महतिमहानया जाव अपट्ठाणे महयाप्पत्तिय जाव प्रहारेइ महया जाव नो मह्याह्य जाव भुजमाणे महानट्ट जाव दिव्वाइ महानिज्जरे जाव निज्जराए महारणो जाव चिट्ठति महावीरं जाव एव महावीरं जाव नममित्ता महावीरम्स जाव निमम्म महावीरस्स जाव पव्वइत्तए महावीरे जाव पज्जुवासड महावीरे जाव वहिया महावीरे बहिया जाव विहरइ महिड्दिए जाव मणुस्साउय महिड्दिए जाव महेंसक्खे महिड्दिए जाव महाणुभागेसु महिढी जाव विसरीरेसु महिढी जाव महाणुभागे हड्डीया जाव महाणुभागा माइत्ताए जवि उववन्न पुव्वा हता जाव अणतत्त मासाण जाव काल मिच्छदिट्टी जाव रायगिहे मित्त जाव परियण मुडें जाव पव्वयामि मुच्छिए जाव अभोववन्ने मुणिसुव्त्रय जाव एव मुणिसुव्वयस्स जाव निसम्म मुणिसुव्वयस्स जाव पव्त्रयह य जहा नेरइयारण य जाव णाणुपुव्वी जाव चिट्ठति गो ३७ १३।४३ ७/२३ १६।५२ १०1६६ १४।७४ ६१४ ३२६२ २।११०,१६।६४,१८1३६ २६१,१८६० १८१४६ ६१७८ २६६ १८१३३,२०३ १८१६२ १1३३६ १६।६४ २१८० १२।१५८ ३/४ ३।५ १२।१४६ १५।१५२ ३।२२५ ३।३३ १६७० १४८२, ८३ १८/४४ १८/४४ १८।४७ १1११० ११२६६ १।३१३ १३।१२ ७२२ ६।४ ३।४ ३/४ ६४ ३।२५२ २।५७ २।५७ २५२ १६७ १1१० ७/२२१ ७/२२१ १।३३६ १/३३६ ३/४ १२।१५४ ३४ ३४ १२।१४५ १५।११४ ३।२२२ ३।३३ १६७ ७/२२ १६।७० १६।७० १८।४६ १1१०८ ११२६० १1३१३ Page #1149 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३८ ११८५ १३।११० १११५६ ११२११ २।३० रायमू०७६० ३३३ २०७१ श६२ ७११६६ ७।१६५ १३।१११ १५१७४ १५४१७२,१७५ ३३४ ८।२६२ २१७५ राय०सू१० ७११७७ ७.१७४ १३३१०२ १५।१७१ २।३० २।३० ८:२६१ ७१२१४ २।११० य जाव भविस्सइ र? य जाव जणवए रयण जाव सत० रयणप्पभा जाव तमतमा रयणप्पभापुढविनेरइयाउय वा जाव अहेसत्तमा० रयणाण जाव रिट्ठाण रह जाव सपरिवुडे रह जाव सण्णाति राईसर जाव कारेमाणे राईसर जाव वदिहिंति राईसर जाव सत्यवाह. राय वा जाव सत्थवाह रायगिह जाव असपत्ते रायगिहाओ जाव अतुरियमचवलमसभत जाव रिय लद्धे जाव गगदत्तेण देवेण सा दिव्वा देविड्ढी जाव अभिसमण्णागए लभिहिति जाव अविराहियसामण्णे . लभिहिति जाव विराहियसामण्णे लाघविय जाव पसत्य लुक्खे जाव वमणि लोए जाव केण लोए जाव दीवा लोए जाव मइयव्वाइ लोगस्स लोहकडाह जाव किढिण लोह जाव घडावेत्ता वदति जाव पडिगए वंदित्ता जाव पडिगए वदिय जाव भविस्सइ वदिय जाव लाउल्लोइय० वज्ज जहा सक्कस्स तहेव नवरं विसेसाहिय कायव्व १५।१८६ १५/१८६ ११४१७ ३।३५ २।२८ ११७२ २५।२१ ११।१०६ ११३८५,८७ १११५६ १८११२१ १८१४६ १४११०५ १४११०३ राय०सू०६६७ १५१८६ १५११८६ ११४१७ २०६४ २।२६ १११७२ २५२१ ११।१०५ १११७२ १११५६ ११११८१ ११।१८१ १४।१०१ १४११०१ ३२१२२ ३।१२० Page #1150 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1 वट्टमाणस्स जाव जीवाया कुलवस जाव पव्वइहिसि वणओ जाव निउणसिप्पोवगया, नवरं चम्मेदृ-दुहण-मुट्ठिय-समाहय निचियगत्तकाया न भण्णति, सेस त चैव जाव निउण० वणओ महत्वले कुमारे जाव सयणो० वण्णपज्जवा जाव गरुयल हुयपज्जवा वष्णपज्जवेहि जाव फास० वाइ जाव उदिण्णाइ • वाइय जाव देव० • वाइय जाव परिणया • वाइय जाव वधे वाउयाए गं जाव नीससति वा जाव ओगाढा वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवली? पण्णत्तं वम्म लभेज्ज सवणयाए गोयमा ! सोच्चाणं केवलिम्स वा जाव अत्येतिए केवलिपण्णत्त घमं वा जाव तेउले से वा जाव मोक्खो वा जाव विष्णवेत्त वारि जाव विणिम्मुयमाणी वालु जाव उव्वट्टित्ता वासुदेवमायरो जाव वक्कम० वि एव चैव, नवर समयखेत्तप्पमाणमेत्त वोदि विसेण विपरिगयं, सेस त चंव जाव करिस्सति विक्किणमाणस्स जाव भडे विच्छिणे जाव उप्पि विजए जाव सव्त्रसिद्ध ० विजयअणुत्त रोववातियजाव परिणया वि जाव महियासिय विजाव नो ३६ १७/३० ६/१७५ १९३४ १२।१२८ ११1१०८ १४ /५० १।३७४ ८३५,३८,६४ ८३१,३४ ८४१३ २८ १३१८७ १५२, ५३ ११।१२ ११८६,१६० १७६ २१३ १५।१८६ १६८८ ८१ ५।१३० ७३ ६।१२१ ८१७ १५।१८२ १३४, ३५ १७।३० १६ १४/३ ११।१३३ २४५ २।१२५ १३५७ ८११७ ८१७ ८४१३ २८ १३।८६ ६६,१० ११।१२ ११८६ ६/१७७ ना० १।१।१४८ १५।१८६ १६।८६ 5155 ५।१२६ ५। २५५ ५।२२२ ८१७ १५।१८२ १/३३ Page #1151 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४० ठा० ८।१३ १२५६ ३२४ वि जाव लुक्ख० वि जाव हन्व० वितिकिण्ण जाव एस विपुलेण जाव उदग्गेण विरत जाव पावकम्मे विरत जाव धम्मावम्मे विरय जाव एगतवाला विरसजीवी जाव तुच्छजीवी विसजोएइ जाव वीईवयइ वीइक्कते जाव सपत्ते वीतिक्कते जाव वारसमे वीही जाव जवजवाण वुच्चइ जाव अणतर वुच्चइ जाव अभक्खया वुच्चइ जाव आहारति वुच्चइ जाव उववज्जति वुच्चइ जाव कज्जइ वुच्चड जाव कज्जति वुच्चइ जाव नो वुच्चइ जाव नो वुच्चइ जाव नोइसि वुच्चइ जाव पासति वुच्चइ जाव पोग्गले वुच्चइ जाव भविए वुच्चइ जाव साहू वुच्चइ जाव सिय वुच्चइ जाव सिय वुच्चइ जाव से वुच्चइ जाव सोगे वुच्वइ जाव हव्व० वुच्चइ जाव हव्वमागच्छति ०वेउन्बिय जाव बधे वेदणे जाव पसत्थनिज्जराए वेयति जाव त ८.३६ १।२५६ ३।१६६ ३१३६ १७।२१ १७११६ ८।२७४ ર૪ર २१४६ १५।१६६ १५/१५ २१११० १४१५ १८/२१४ १४७३ ६१२६ ७।१६४ १६१४२ ३।१६१ १४१३० हा२५० १४१७६ ८.५०३ १८१२२० १२।५६ ७।२८ ७।५६ ११३७१ १६।२६ २०१८ २।१८ ८।३८६ ६४ ५।१५०१७१३७ २६४ १७.१६ १७११६ ८२७३ ६२४२ २१४६ ११११५३ ११।१५३ २१११ १४४ १८०२१४ १४१७२ ६।१२५ ७।१६३ १६१४१ ३।१६० १४१३० ६।२४६ १४१७८ ८.५०२ १८१२१६ १२।५५ ७.२८ ७१५६ ११३७० १६।२८ રાછા २५ १७ ८।३८८ ३।१४३ Page #1152 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४१ वेमाणिया जाव उववज्जति वेरमण जाव थूलाओ वेरमणं जाव सवाओ सइत्तए वा जाव तुयट्टित्तए सउठाणे जाव उवदसेतीति सट्ठाणे जाव वत्तव्व सगयगय जाव रुव ४।१३२ ७१३२ ७.३१ ७१२१८ २११३६ २।१३७ ६।१६५ संगिम्हणति जाव वेवावडिय मंसारपुच्छा सफोरेंट जाव धरिज्जमाणेण सकोरेंटमल्ल जाव घरिज्ज० मक्करपभाए जाव उन्बट्टित्ता सच्चे जाव असच्चामोमे सण्णाति वा जाव वईति सणिपचिंदिय जाव असखेज्ज० सत्तविहा जाव अवम्मस्थि० सत्य जाव किच्चा सत्यपरिणामियस्स जाव पाण० मत्यवज्झे जाव किच्चा सद्दव्वयाए जाव आउय सद्दव्वयाए जाव लद्धि सद्दा जाव फासा सद्धि जाव विहरित्तए सभितरवाहिरिए जाव रयणवासे सभड जाव साहिए समएण जाव अतेवासी समढे जाव चिट्ठित्तए समण जाव एव समण वा जाव पडिलाभे समणघायए जाव छउमत्थे समणस्स जाव पव्वइत्तए समय जाव अत हता सिज्झिस जाव अत एते तिणि आलवगा भाणियन्वा । ५८२ १४१०५ ६।१६५ ७।१६६ १५१८६ १३।१२७ १६।१४ २४१३१६ ११।१०२ १५।१८६ ७२५ १५।१८६ ८।३८८,४१४ ८४०७ १४१८७ हा२१८ १५।१६६ १५९६ ६।१२८ ७।३१ ११३८५ ७।२१८ २।१३६ २।१३६ ओ०सू० ५१ का वाचनान्तर पृ० १४६ ५८१ १११०४ ६।१६२ ७।१७६ १५।१८६ १३।१२५ १६।१३ २४११४५ २।१३६ १५।१८६ ७।२५ १५।१८६ ८.३६६ ८.३६६ ठा०५५ ६।२१६ १५।१६८ १५६५ १२२८८ १७१३३,३४ । । २०७१ ७८ १५।१४१ ६।१६७ ३।१३४ १७।३५ ५२०८ ७१८,६ १५१४१ है।१७० Page #1153 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छउमत्थस्स जहा नवरं सिमिसु सिज्झति सिज्झिस्संति समया कम्माणि य चउत्थपदेण समणा जाव पच्चप्पिणंति समाणे जाव तुसिणीए समाणे जाव दुहियाए समारभति जाव तसकाय समित जाव अते समित जाव नो समित जाव परिणम समोसढे जाव परिसा सयभूरमणसमुद्दे जाव हता सरित्तय जाव सद्दावेंति सरिसया जाव सरिसभड० ०सरीर जाव पयोग सव्वमओ जाव करेमाणे सब्व त चेव जाव सुहमत्यि सव्वति जाव वत्तव्य सव्वजीवाण एवं चेव सव्वद्दीव जाव परिक्खेवेणं सव्वसत्तेहिं जाव सिय सविड्ढीए जाव रवेण सस्सिरीए जाव पडिरूवे सहियं जाव अहियासियं सहिस्स जाव अहियासिस्स सागर जाव पडिवुद्धे सावज्ज वि जाव अणवज्ज सामणियसाहस्सीओ जाव कहि सामाणियसाहस्सीण जाव चउण्हं सासय जाव करिस्सति साहणणा जाव मक्खाया साहण्णति जाव पुच्छा सिंगारागारचारुवेसाए जाव कलियाए सिंगारागारचारवेसा जाव कलिया । श२०५-२०७ ११४०६,४०७ ६।१६१ ३१४० १।३५७ ५॥१८३ ३११४५ ३११४६ ३।१४४,१४५ ११११६० १११८१ २०० ७१२२६ ८।४२४ १५॥५३ १५।११० १२२६८ १२।१५० ११०१०६ २२०१-२०३ ११३६२ १६० ३१३६ १२३५७ ११४३७ ३११४३ ३१४३ ३११४३ हा७७ १११७८ १६६ ७११६८ ८।४२० १५।५३ १५११०३ श२६८ १२११४६ -६७५ ७।२७ ओ०सू०६७ २१११३ १५।१८२ १५१८२ १६/११ १६.३८ उवा०२१४० उवा०२।४० १/२०१ १२१८१ १२।६६ ६।१६५ १९५ ७१२८ १८२ २।११३ १५१८२ १५१८२ "१६।११ १६६३६ ३३११२ ३११६ श२०८ १२।८१ १२।७१ १२।१२८ १११११२ Page #1154 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सिंगारागार जाव कलिया सिंघाडग जाव पहेसु ६।१६६-१९८ ६।१६५ २।३०,१११८३,१८८,१७, २७,११५,१३६,१४१,१४२ ओ०सू० ५२ १५/७६ ११।८३ १११८३ ११।७२ ११४६,४७,४१६,७३,१४१३६ ११४४ १४।८५ ११४४ १।२०८ श२०१ ३१५३,७५,५८०,६२४४,११११८३ २।७३ ८१३८७ ८।३८७ ५।२५७ ११४३३ ५।५८ ५२५७ ६।२०४ ओ०सू०६४ १६।९१ ३१३३ ५२६४ प०११ १५/६३ १५/६३ ११४३४ ११४३४ २४१४१ २४१२७ १२।२७,२८ ११११८२,१८३ १३२५४ १३१५३ सिंघाडग जाव बहुजणो सिंघाडग जाव समुद्दा सिज्झइ जाव अत सिज्झता जाव अत सिज्झति जाव अत करिस्सति सिज्झिहिति जाव अत सिद्ध जाव पयोगवधे सिद्धा जाव सव्व० सिया जाव अण्णमण्णघडत्ताए सिरिवच्छ जाव दप्पणा सुक्किल जाव पडिवुद्ध सुचिणाण जाव कडाण सुणेइ जाव नियमा सुहकामगस्स जाव हिय सेट्ठियस्स जाव अपच्चक्खाण. सेवेज्जा जाव करेंज्जा सेस इसिभद्दपुत्तस्स जाव अत सेस जहा अग्गेयीए नवर रुयगसठिया सेस जहा असुरकुमाराण जाव अणतखुत्तो नो चेव ण देवित्ताएं सेस जहा आलभियाए जाव पडिगया सेस जहा खहचराण जाव किच्चा सेस जहा छउमत्थस्स सेस जहा नेरइयस्स सेस जहा पढम जाव पज्जुवासति सेस जहा महासिलाकटए, नवर भूयाणदे हत्थिराया जाव रहमुसल सगाम ओयाए । पुरओ य से सक्के देविंदे देवराया एव तहेव जाव चिट्ठई सेस जहा सव्वाणुभूतिस्स जाव अत सेस जहा सालरुक्खस्स जाव अत १६।६१ १२।१४२ १२।२६ १५।१८६ ७।१४८ ७७३ १२।१६ १२।१३६ ११११५१ १५१८६ ७.१४६ ७६८ १२।२,११११७८ ७११८३-१८६ १५।१६५ १४११०४ ७.१७४.१७७ १५२१६४ १४११०२ Page #1155 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४/२० १८१०६ १४११०६ ८.९९ ८।२४६ १२।१६१ ११।६८ ६।१५५ १६६१८ ११३४७,३११६१ ७।११४,१२१५४ १४११८ १८।१०८ १४११०२ ८८८ ८।२८८ १२।१५६ ११॥६४ ९।१५१ રાહ૭ रा७७ ७११४ सेसं त चेव सेस त चेव सेस त चेव जाव अंत सेस त चेव जाव करिस्सति सेस त चेव जाव परिटायव्वा सेस त चेव जाव वत्तव सेसं त चेव नवरं सेस त चेव सव्व० सोइदिए जाव फासिदिए सोइदियत्ताए जाव फासिदियत्ताए सोयणयाए जाव परियावणयाए सोहम्मकप्पउड्ढलोगखेत्तलोए जाव अच्चुय० सोहम्मकप्पो जाव कम्मासीविसे हता जाव भवइ हट्ट जाव हियए हट्ट जाव हियया हट्ठट्ठ हट्टतुट्ठ जाव धाराहयनीव जाव कूवे हट्टतुट्ठ जाव सद्दावेति हट्टतुटु जोव हियए हठ्ठ? जाव यिया हट्टतुट्टे जाव हियए हत्थ वा जाव ऊरु हत्थ वा जाव ओगाहित्ता हत्थ वा जाव चिट्ठति हत्थ वा जाव चिट्ठित्तए हत्थ वा जाव पसारेत्तए हरिवेरुलिय जाव पडिवुद्ध हालाहलाए जाव पासित्ता हियकामए जाव हिय हिरण्ण वा जाव परिभाएउ हीलेत्ता जाव आकड्ढ हेऊहि य जाव कीरमाण हेऊहि य जाव वागरण ११६४ अ०सू०१८६ ८९५ ८९५ ३।१४७ ३।१४७ ६।१३६,१६४ રાજરૂ ५८७,६१४०,१४२ २०४३ १५२२५ ર૪૩ ११११४८ - ११११३४ २।९७ २१४२; राय०सू०६६० २।६८,११।१३४,१५११३८,१५३,१८।१३८ २१४३ ३।११०,५८४,११११३३ રાજરૂ २१५२ २१४३ १६१४६ १६।४६ ५।११० ५।११० २१११ ५।१११ ५।११० १६४११६ १६।११८ १६।६१ १६।६१ १५६७ १५८३ १२९५ १५९२ ११११६० ११११५४ ३१४५ ३१४५ १५।११६ १५११६ १५॥११७ १५११६ ५।११० Page #1156 -------------------------------------------------------------------------- ________________ परिशिष्ट - २ पूरकपाठ ('नेरइया जाव वेमाणिया' तथा 'नेरइया जाव सिद्धा' का पूरक पाठ) १. नेरइय २ असुरकुमार ३ नागकुमार ४. सुवण्णकुमार ५ विज्जुकुमार ६ अग्गिकुमार ७. दीवकुमार उदहिकुमार ६. दिसाकुमार १० वायुकुमार ११. यणियकुमार १२ पुढविकाइय १३. आउकाइय १४ तेउकाइय १५. वार्डकाइय १६. वणस्सइकाइय १७. वेइदिय १८ तेइदिय १६. चउरिदिय २०. पचिदिय २१ मणुस्स २२. वाणमतर २३ जोइसि २४. वैमाणिय २५. सिद्ध Page #1157 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शुख पृष्ठ ०भया० 261 340 * 422 rum 8 * 779 * वलय दुवा वलय 821 शुद्धि-पत्र मूलपाठ पंक्ति प्रशुद्ध पंक्ति अशुद्ध शुद्ध 5 दीणस्मरा दीणस्सरा ०भय° अणिठ्ठरसरा अणिट्टस्सरा' परिणामेति परिणामेंति तस्म० भवणाए यह पक्ति मस्साणु मणस्सा 163 मूत्र के अत मे है नेरइड नेरइए (347 - 18 श्रणादियणादीय deg 0 व उत्ताय वउत्ते य माइणे माहणे वट्ठमाण वट्टमाण |503 अज्झस्थिए अज्झथिए पुट्ठ 523 अणुद्धय अणु य° वेदेति वेदेति 528 सया-- रायाउड्डजाणू उड्डजाणू | 576 उज्ज्जति उववज्जति * द्विती 0 द्विति ०गम्ममण(७६० गम्ममाणमाग्गा मरगा दुक्तवा सद्वव सबट्ट ওও 13 सजय सजम तोरेइ तीरेइ 14 महिंदाण -माहिंदाण सेलोसि० 103 11 deg मुट्टि 12 | 620 deg सुद्दिट्ट सेलेसि 103 वासेहि पाठान्तर 14 °वासेहि अशुद्ध 104 विउलस्य 24 विउलस्स शुद्ध परित्यणो० परित्थणे. 117 घण्मत्थि० धम्मत्थि जारिसिया 128 तारिसिया अणु 10 अते अंत 21 ढिच्चा ठिच्चा भोति भोती 23 जदूदीवे जवूदीवे (713) (7 / 13) 147 जाव जाव 4 मणूस्सा मणुस्सा 13 न०४,५,६ न० 5, 6, 7 अहियजिय अहियुजिय 147 जाव 7 103 12 त्रैर्युक्ता तयुक्ता 151 असुरणो अमुररण्णो 112 °द्वयोव यो° द्वयोर्वाचनयो सहत्थ 0 |1126 चउध्वीसाए चउव्वीसाए 18 गतित्तए गमित्तए 1 एत्दवर्णन 'सन्निभि एतवर्णन 174 20 उड्ढावाया उड्ढवाया __.. सन्निभ पलिम पलिमओवमं |160 टितिय तितिय 186 1 ०जोयसणसय- ०जोयणसय व्मायु 184 200 हस्साइ 4501 हरिणेगमेसि णेगमेसि सहस्साइ 200 4 चिनायोः 185 8 -वग्गणायण र्वाचनयो -वग्गणाठाण 0 210 6, 1-6 1-10 161 6, 1-6 6 वि; तया 485 1916 प्रमो० °समुहस्स °समुद्दस्स |516 प्रथमो 11 पडिवुद्ध 206 पडिबुद्धा 22,24,25 न० 6,7,8 न० 7,8,9865 3 षठ 16 WWW MG पंक्ति ~ 6 अण م م 137 144 11 W00 0 0 mmsw س ا . 147 जाव c 157 सहत्ण C 163 0 177 3 .०मायु 3. << a~ तया पष्ठ Page #1158 -------------------------------------------------------------------------- _